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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
छाया आंटी कब आई मुझे नही पता, लेकिन अब वो बेड के नीचे मेरी दोनो टॅंगो के बीच मे थी और मेरी टपकती हुए चूत पर उनकी जीभ चलने लगी, और उन्होने दाने पर जीभ चलाते हुए एक उंगली मक्कन जैसी चिकनी चूत मे उतार दी, मैने भी गांद उछाल कर उनकी उंगली को अंदर तक ले लिया.
मेरा मुँह खुल गया था और मैं मुँह से साँस ले रही थी,
मैं बोली. "आआआआआआअहह आंटी बहुत प्यारा लग रहा है,"
छाया आंटी ने धीरे से कहा, "आहे देख ये तो शुरुआत है."
छाया आंटी ने अब एक और उंगली मेरी चूत मे डाल दी और आगे पीछे कर दी मैने भी अपने शरीर का भार आगे को लिए और उठकर उनकी उंगलियों को चूत मे अंदर बाहर होते हुए देखने लगी, और मैने भी अपनी गांद को आगे पीछे करते हुए गांद को उनके हाथ के ले से ताल मिलाने लगी, छाया आंटी कीउंगलियाँ अब मुझे लंड के जैसा ही मज़ा दे रही थी, और मैने अपनी कोहली को मोड़ कर अपने हाथ से अपने ही निपल को पकड़ कर मसलना शुरू किया, अब मस्ती अपने शबाब पर थी और मैं एक अलग ही दुनिया मे थी.
मैने अपनी आँखें बंद कर ली थी अचानक छाया आंटी ने अपनी उंगलियाँ निकाल ली और उसकी जगह किसी और चीज़ ने ले ली थी, छाया आंटी ने बस वो चीज़ मेरी चूत मे घुसानी शुरू कर दी, ये तो वो लंबा वाला बैंगन था जो वो सुबह पकाने के लिए लाई थी और उसने सोचा भी ना था कि इसको ऐसे भी इस्तेमाल कर सकते है.
छाया आंटी मेरी चूत के दाने को सहलाते हुए बॅंगेन को अंदर बाहर करने लगी, वो ठंडा बैंगन मुझे बहुत मज़ा दे रहा था, और मेरी छ्होट और ज़्यादा फैल गयी थी.
छाया आंटी बोली, “बेटा तुम्हारी छूत तो झरना बन गयी है, कितना रस छ्चोड़ रही है.”
छाया आंटी के तरीकों से मैं अब पूरी तरह से पिघलने को तैयार थी और मेरा बदन अकड़ने लगा था और मैं तेज आआआआआआआआआआअहह के साथ झाड़ गयी.
लेकिन छाया आंटी ने बंद नही किया, वो रुक ही नही रही थी बल्कि बैंगन को और तेज़ी के साथ मेरी चूत के अंदर बाहर कर रही थी.
मेरी गांद का छेद फिर से सिकुड गया और एक तेज लहर मेरे बदन मे उठी और झड़ने के साथ साथ मेरा मूत निकल गया. और छाया आंटी पूरा भीग गयी.
अब छाया आंटी ने मेरी छूत से वो बैंगन बाहर निकाल लिया और झुक कर वो मेरी रस से भरी हुई चूत को चाटने लगी, और एक उंगली से वो मेरी गांद के छेद को कुरेदने लगी, मेरे साथ ऐसा कभी नही हुआ था. मैने गांद को सिकोड लिया, पर जब वो जीभ से मेरी गांद को चाटने और सहलाने लगी तो मैने अब अपनी गांद को ढीला कर दिया, मेरे पति चाहते थे कि वो एक बार तो मेरी गांद मार ले पर मैने उनको कभी हाथ भी नही लगाने दिया था, लेकिन छाया आंटी की तरह अगर उन्होने मेरी गांद को चटा होता तो शायद……..
छाया आंटी ने एक उंगली को पहले चूत मे डाला फिर उसी उंगली को गांद मे डाल दिया. मुझे कभी इतना मज़ा नही आया था
"आंटी, ये क्या कर रही हो?" मैने पूछा
"तुमको प्यार के खेल सिखा रही हूँ मेरी जान," छाया आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, मैं घबराई हुए थी तो वो फिर से बोली, "तकलीफ़ नही होगी, डरो मत"
और झक कर मेरी गांद के छेद को चाटने लगी. धीरे धीरे चाटने और जीभ की नोक से गांद के छेद को खोलने की कोशिश. आआआआआआआहह म्म्म्ममममममममम मैं अब इस एहसास का और गांद चटाई का मज़ा ले रही थी.
अब उन्होने एक हाथ मेरी चूत पर टीकाया और जीभ गांद पर और चूत को सहलाते हुए गांद चाटने लगी, अब उन्होने दो उंगलियाँ चूत मे डाली और निकाल ली और फिर से उन्होने एक उंगली गांद मे और एक चूत मे डाल दी, थोड़ा सा लगा पर मैं इस मज़े को पाना चाहती थी, मैने अपनी गांद को सिकोड लिया था, पर छाया आंटी ने इशारा किया तो मैने फिर अपना बदन ढीला छ्चोड़ने की कोशिश की और अब मैने खुद ही नीचे को दबाब डाला और दोनो उंगलियों को गहराई मे उतार लिया.
अब वो बहुत तेज़ी से उंगलियों को अंदर बाहर कर रही थी और छाया आंटी ने कब दो उंगलियों मेरी गांद मे डाल दी पता ही नही चला, अब उन्होने दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ चूत मे डाल दी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैं भी उनके धक्को का जवाब अपने धक्को से दे रही थी. और अचानक उन्होने वो बैंगन मेरी गांद मे टीका दिया, मैं डर से काँप गयी क्योंकि वो थोड़ा मोटा था.
"हाए, भगवान के लिए आंटी. इससे बहुत दर्द होगा मत करो मैं मर जाउन्गि, पहले मैने कभी ऐसा नही किया है, प्लीज़ रुक जाओ."
"चिंता मत करो मेरी जान तुमको ज़रा भी तकलीफ़ नही होगी,"वो थोड़ा तेज गुस्से भरे लहजे मे बोली
"सारा बदन ढीला छ्चोड़ दो बेटा, , और गारी साँस लो," छाया आंटी बोली
मैं शांत होने की पूरी कोशिश कर रही थी और छाया आंटी ने बैंगन का दवाब बदाया और मेरी गांद का छल्ला खुलने लगा और वो बैंगन को रास्ता दे रहा था.
"आआअहह माआआआअ !" मैं कराह रही थी, और रात के सन्नाटे मे इस आवाज़ को ज़रूर किसी ने सुना होगा
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
छाया आंटी सिर्फ़ मुस्कुरा रही थी, बैंगन को धकेलना तो रोक दिया था लेकिन वो मेरी चूत के दाने को ज़ोर ज़ोर से सहला रही थी, एक मिनिट रुकने के बाद जब मैं रिलॅक्स हुई तो उन्होने फिर से बैंगन अंदर डाला और ऐसे करते करते उन्होने पूरा बैंगन अंदर कर दिया. और वो अब धीरे धीरे बैंगन को मेरी गांद मे अंदर बाहर करने लगी, और कुछ ही मिनिट मे मैं भी अपनी गांद हिला हिला कर वो बैंगन अपनी गांद मे लेने लगी, अब मुझे भी मज़ा आने लगा था.
छाया आंटी ने करवट बदली और मेरे ऊपर आ गयी, और उन्होने मेरे मुँह पर चूत को रख दिया और मैं उनकी चूत चाटने लगी. मुझे बहुत मज़ा आरहा था, मेरे मुँह से अब दबी हुए आवाज़ें निकल रही थी, मैं अब झड़ने के बिल्कुल करीब थी पर झाड़ ही नही पा रही थी. अचानक छाया आंटी काँपने लगी और हम दोनो एक साथ झड़ने लगी.
मैने उनको थाम लिया, और वो बैंगन अब भी मेरी गांद मे ही था, आंटी ने वो बाहर निकाला मैं उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन मेरी गांद सूज गयी थी, मैं थोड़ी दूर तक चली और लड़खड़ा कर गिर गयी, ये बार बार झड़ने के कारण और दर्द जो अब मैं महसूस कर रही थी उसके कारण हुआ था.
पर अभी ये ख़तम नही हुआ था
थोड़ी देर के बाद छाया आंटी मेरी थाइ पर बैठी थी और उनकी गीली गरम चूत मेरी थाइ पर घिस रही थी. मैं भी तैयार थी उनको जो हुआ वापिस चुकाने को, मैने अपने रूम मे पड़ी हुए ईज़ी चेर पर उनको धकेल दिया और झुक कर उनकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया. उनकी छूट गुलाबी और बिल्कुल चिकनी थी, गरम और रसीली भी. मैने धीरे से ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ को घुमाया. वो तो एक मिनिट मे ही झाड़ गयी, काँपने लगी, लेकिन मैने उनको नही छ्चोड़ा.
मैने चूस चूस कर उनकी चूत के रस को मुँह मे भर लिया और उनके मुँह से मुँह लगा दिया और किस करते हुए बूँद बूँद करके सारा रस उनको पिलाने लगी,
और मैने ऐसा करते हुए वो बैंगन उठाया और उनकी चूत मे पेल दिया, एक ही झटके मे. और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी, वो क के बाद कई बार झड़ने लगी और उनका सारा बदन काँप रहा था.
और वो मूतने लगी, मेरा बदला पूरा हो गया था अब मैं बहुत खुश थी लेकिन गांद का बदला बाकी था…………
पर अब हम दोनो बहुत थक गये थे कब सो गये पता ही नही चला.
शूबह दरवाज़े की घंटी बजी तब हुमारी आँख खुली और मैने झट से कपड़े पहने और छाया आंटी कपड़े समेट कर टाय्लेट मे चली गयी, हमारी काम वाली थी. वो आई और काम करने लगी, इसके बाद जब वो चली गयी तब तक छाया आंटी भी चली गयी थी.
लेकिन दोपहर मे ही मेरी बेहन का लड़का आ गया और कंचन को आज का प्लान कॅन्सल करना पड़ा पर वो बोली, “लंड आया है कूद चल कर चुद्वा ले.”
उसकी ये बात मेरे दिमाग़ मे घूम रही थी पर मैं डरती थी कि ये सही नही है, लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया.
मैं जानती थी कि अगर मेरा ऐसा वैसा कुछ भी मेरे पति को पता चला तो वो मुझे मार डालेंगे.
लेकिन मैने ईक दिन महसूसू किया कि वो मुझे अजीब निगाहों से देखता है और ये बात मैने छाया आंटी को बताई तो वो बोली, “अरे ट्राइ कर और मज़ा ले.”
अब मैं भी इस बात को सोचने के लिए मेजर हो गयी थी की कुछ करने तो पड़ेगा, और जब वो भी इंट्रेस्टेड है तो मौका क्यों छ्चोड़ना.
वो उस सुबह जब मैं उसके कमरे मे गयी तो नंगा लेटा हुआ था, और मूठ मार रहा था, और उसके भी शायद मुझे देख लिया था लेकिन वो रुका नही, वो अब कदम उठाने लगा था. लेकिन उसके झड़ने पर मैं हैरान रह गयी, वो झाड़ते हुए बोला, “आआअहह मौसी पी लो लंड के रस को!!!”
अब हुआ ये कि मैं उससे नज़रें चुरा रही थी, मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था.
सनडे की बात है उसको आए 2 दिन निकल गये थे, वो सुबह वही हरकत कर रहा था, की मैने उसका दरवाज़ा अचानक खोल दिया, मुझे अंदाज़ा ही नही था कि वो इस हालत मे होगा, वो खुद को ढक भी नही सकता था, और मैं दरवाज़े पर खड़ी हुए उसको लंड हिलाते हुए देख रही थी.
(आयेज की कहानी मेरे भतीजे से ही लिखवाते है)
मौसी मेरे सामने थी और मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि मैं क्या करू, वो आई और उन्होने मेरा लंड पकड़ लिया, ऐसा मैने सोचा ही नही था कि वो ऐसा कुछ करेंगी, और मेरे 7 इंच के लंड को हिलाने लगी.
वो झुकी और लंड के सूपदे की खाल को पीछे किया और गुलाबी सूपदे को मुँह मे भर लिया, मैने तकिये पर सिर टीकाया और आँखें बंद कर ली और मुझे लगा कि मैं एक मिनिट मे ही झाड़ जाउन्गा. वो लंड के अगले भाग पर जीभ की नोक चला रही थी और एक हाथ से आधे लंड को पकड़ा हुआ था ताकि मैं उनके काबू मे रहूं. अब वो नीचे को हुए और मेरे टेस्टिकल को मुँह मे भर का चूसने लगी, इससे मेरा लंड और भी ज़्यादा फूल गया.
वो मेरे ऊपर चढ़ गयी और खुद ही लंड को निशाने पर लगाया और नीचे होने लगी, उनकी गरम गीली और मुलायम चूत मेरे लंड पर फिसल रही थी, वो पूरा बैठ गयी. अब उन्होने वो रेड कलर की मॅक्सी को अपने सिर के ऊपर से निकाल फेंका, तने हुए निपल और गोरा बदन. मैने झट से उनके मम्मो को पकड़ लिया.
अब वो आँखें बंद किए हुए ऊपर नीचे हो रही थी और मैं मौसी के मम्मो के साथ खेल रहा था.
"आआअहह म्म्म्ममममममममम ऊऊहहमाआआआआआअ कितना बड़ा लंड है, अंदर तक टकरा रहा है!" मौसी बड़बड़ा रही थी
अब मैने भी नीचे से धक्के मारने शुरू किया और एक ताल मे हम धक्के मार रहे थे.
मैने एक हाथ नीचे किया और मौसी की चूत के दाने पर अपना अंगूठा लगा दिया और दाने को घिसने लगा, मौसी की चूत का रस मेरे लंड से होते हुए नीचे तक बह रहा था.
और अब मैं और वो दोनो झड़ने लगे, और आंटी ने आँख खोली और मेरे ऊपर से हटी तो उनकी चूत से मेरे और उनके रस की धार लग गयी. वो मेरे बगल मे लेट गयी और साँसें भरने लगी.
वो उठा और मुझे गोद मे उठा लिया मेरा 46 क्ग वेट उसको कुछ भी नही लगा, शवर के नीचे खड़ा करके उसने शवर ऑन कर दिया. और उसका लंड अब फिर से तन गया था. गरम पानी और उसका लंड मेरी चूत मे हलचल मच गयी, मैं वही झुक कर खड़ी हो गयी और उसने पीछे से मेरी चूत मे लंड डाल दिया, मैं पहले से ही बहुत गीली थी तो उसका लंड एक झटके मे चला गया, मेरी कमर पकड़ कर वो धक्के मारने लगा.
वो लंड को पूरा बाहर तक निकालता और एक झटके मे अंदर वापिस डाल रहा था, और उसका लंड अंदर कही टकरा जाता तो एक दर्द की मीठी लहर मेरे तन बदन मे दौड़ जाती.
मैं झड़ने लगी और तभी मैने महसूस किया कि उसने भी वीर्य की धार मैं अपने गर्भाशय पर महसूस कर रही थी, हम वही खड़े रहे, फिर हमने नाहया और बाहर आ गये.
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
मेरी मौसी सास
मेरी उम्र छब्बीस वर्ष है, मेरी शादी को दो साल हो गये हैं,मेरी बीबी बहुत सुन्दर और मुझे बहुत प्यार करने वाली है, अब से लगभग छः महीने पहले मेरी बीबी मुझे अपनी एक मौसी के पास लेकर गई थी, उसकी मौसी दिल्ली में रहती है, तथा उनका काफी अच्छा घर परिवार है,कहने को तो वो मेरी बीबी की मौसी है लेकिन देखने में वो मेरी बीबी की बहन जैसी ही लगती है, उन्हें देख कर कोई नहीं कह सकता की वो शादी शुदा होंगी, वैसे भी वो मेरी बीबी से दो साल ही बड़ी है,
उनके अभी कोई बच्चा नहीं था शायद फेमिली प्लानिंग अपना रखी थी, उनके पति एक सरकारी फर्म में मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर काम करते हैं, उनके पति हालांकि उम्र में मौसी से सीनियर हैं मगर बहुत ही आकर्षक और स्वस्थ ब्यक्ति हैं,
हमलोग फुर्सत निकाल कर मौसी के यहाँ गये थे, आराम से एक महिना गुजार कर आना था, मौसी हमें देख कर बहुत खुश हुवी, खास कर मेरी तो उन्होंने बहुत आव भगत की, हम पति पत्नी को उन्होंने उपर का बेडरूम दे रखा था,
उस दिन मैं सबरे उठा, तब मेरी बीबी गहरी नींद में सोई हुवी थी, मैनें काफी रात तक जो उसकी जम कर चुदाई की थी, अभी सूरज तो नहीं निकला था लेकिन उजाला चारों और फैल चुका था, मैनें ठंडी हवा लेने की गरज से खिड़की के पास जा कर पर्दा खिंच दिया, सुबह की धुंध चारों तरफ छाई थी, सीर निचा करके निचे देखा तो दिमाग को एक झटका सा लगा, नीचे लोन में मौसी केवल एक टाइट सी बिकनी पहने दौड़ कर चक्कर लगा रही थी,
उनके गोरे शरीर पर काली बिकनी ऐसे लग रही थी जैसे पूनम के चाँद पर काले रंग का बादल छा कर चाँद को और भी सुन्दर बना रहा हो,
बालों को उन्होंने पीछे कर के हेयर बेंड से बाँधा हुवा था, इसलिए उनका चौड़ा चमकीला माथा बहुत ही अच्छा दिख रहा था, बिकनी के बाहर उनकी चिकनी गोरी जांघें ऊपर कुल्हों तक दिख रही थी, भागने के कारण धीरे धीरे उछलती हुवी उनकी चूचियाँ तथा गोरी मखमली बाँहें और सुनहरी बगलें बहुत सुन्दर छटा बिखेर रही थीं, उन्हें देख कर मेरी नसों का खून उबाल खा गया, तभी वे मेरी खिड़की के निचे रुकी और झुकते और उठते हुवे कसरत करने लगी, वे जैसे ही झुक कर खड़ी होती उपर होने के कारण मुझे उनकी चूचियाँ काफी गहराई तक दिख जाती,
तभी जाने कैसे उन्होंने उपर नजर डाली और मुझे खिड़की पर खड़ा देख लिया, मैं हडबडा कर वहाँ से हटना चाहा, परन्तु उनके चेहरे पर मोहक मुस्कान देख कर मैं रुक गया, उन्हें मुस्कुराते देख कर मैं भी धीरे से मुस्कुरा दिया, तभी मैं चौंका वो मुझे इशारे से निचे बुला रही थी,
मेरा दिल जोर से धड़क गया, मैनें एक नजर अपनी सोती बीबी पर डाली, वो अभी भी बेखबर सो रही थी, फिर मैं निचे आ गया, मौसी जी लोन में ही जोगिंग कर रही थी,
"लोन में ही जोगिंग कर रही हैं मौसी जी " मैंने उनके पास जाकर कहा तो वे भी मुस्कुरा कर बोली,
" जो भी जगह जोगिंग के लिये उपयुक्त लगे वहीँ जोगिंग कर लो, तुम भी किया करो सेहत के लिये अच्छी होती है,"
" ठीक कह रही हैं आप " मैंने कहा,
वो फीर दौड़ पड़ी और मुझसे बोली " तो आओ मेरे साथ, कम ऑन "
मैं भी उनके साथ दौड़ने लगा, वे मुझसे जरा भी नहीं हिचक रही थी, मैं दौड़ते हुवे बहुत करीब से उनके महकते अंगों को देख रहा था,
" मौसा जी कहाँ हैं?" मैनें उनकी जाँघों पर नजर टीका कर पूछा,
" वे आज हैदराबाद गये हैं, कंपनी के काम से, सुबह जल्दी की फ्लाईट थी, शायद पांच छः दिन बाद लौटेंगे," उन्होंने जवाब दिया
ना जाने कयों मुझे तसल्ली के साथ साथ ख़ुशी भी हुई,
" आपका फिगर तो बहुत सुन्दर है मौसी जी " बहुत देर से दिमाग में घूमता ये सवाल आखिर मेरे मुंह से निकल ही गया,
मेरी आशा के विपरीत वे एकाएक रुक गई, मैं भी रुक गया, ये सोच कर की कहीं बुरा तो नहीं मान गई मेरा दिल धड़का, जबकि वे धीरे से मुस्कुरा कर मेरी आँखों में झाँक कर बोली,
" तुम्हारे शब्द लुभावनें हैं लेकिन अंदाज गलत है,"
" क्या मतलब," मैं चौंका,
" यदि मैं या मेरी हमउम्र लड़की तुमसे ये कहे की अंकल तुम्हारी पर्सनेल्टी बहुत अच्छी है तो तुम्हे कैसा लगेगा," मौसी जी ने मुझसे कहा,
" ओह...! " मेरे होंठ सिकुड़ गये, मैं उनकी बात का मतलब समझ गया था, क्योंकि वो मुझसे तो उम्र में छोटी थी, इसलिए उन्हें मेरा उनको मौसी जी कहना अच्छा नहीं लगा था, वैसे तो मुझे भी उनको मौसी जी कहना जरा अजीब सा लगता था लेकिन बीबी के रिश्ते के कारण मौसी नहीं तो और क्या कहता, यही बात उस वक्त मैनें उनसे कह दी,
" मैं भी आपको मौसी कहाँ कहना चाहता हूँ, मगर और क्या कहूँ,"
जवाब में वो शोखी से मुस्कुराई और मेरे बहुत करीब आकर मेरे सिने को अपने हांथों से थपथपा कर बोली
" वैसे तो मेरा नाम सुजाता है, मगर जो लोग मुझे पसन्द करते हैं वे सभी मुझे सूजी कहते हैं,"
" और जिन्हें आप पसन्द करती हैं उनसे आप खुद को सुजाता कहलवाना पसन्द करती हैं या सूजी," मैनें उनसे पूछा
वे मेरी बटन से छेड़छाड़ करती हुई मेरी आँखों में झाँक कर बोली " सूजी "
" यदि मैं आपको सूजी कहूँ तो?"
" नो प्रोब्लम, बल्कि मुझे ख़ुशी होगी " कह कर उन्होंने वापस दौड़ लगा दी,
मेरा दिल बुरी तरह धड़कने लगा, मौसी यानी सूजी मुझे अपने दिल की बात इशारों में समझा गई थी,उस समय मैनें खुद को किसी शहंशाह से कम नहीं समझा, सूजी थी ही इतनी सुन्दर की उसकी समीपता पाकर कोई भी अपने को शहंशाह समझ सकता था,
मैं मन में बड़ी अजीब सी अनुभूति लिये बेडरूम में आया, मेरी बीबी अभी अभी जागी थी,
वो बेड से उठ कर बड़े अचरज से मुझे देख कर बोली,
"कहाँ गये थे इतनी सुबह सुबह,"
" जोगिंग करने " मेरे मुंह से निकल गया
" जोगिंग " मेरी बीबी ने अचरज से अपनी आँखें फाड़ी,
" व ...वो मेरा मतलब है, मैं सुबह जल्दी उठ गया था ना इसलिये सोचा चलो जोगिंग की प्रेक्टिस की जाये, मगर सफल ना हो सका तो वापस चला आया," मैनें जल्दी से बात बनाई, मेरी बात सुन कर बीबी हंसी और बाथरूम में घुस गई,
फिर दो दिन निकल गये, मैं अपनी बीबी के सामने मौसी को मौसी जी कहता और अकेले में सूजी, इस बिच सूजी के ब्यवहार में आश्चर्य जनक परिवर्तन हुवा था, वो मेरे ज्यादा से ज्यादा करीब होने की कोशीश करती, बहुत गंभीर और परेशान सी दिखाई देती जैसे की मुझसे चुदवाने को तड़प रही हो, उसे चोदने के लिये तड़प तो मैं भी रहा था, मगर अपनी बीबी के कारण मैं उसे छिप कर बाहों में भर कर चूमने के सिवा कुछ ना कर सका, और आखिर परेशान होकर सूजी नें खुद ही एक दिन मौका निकाल लिया,
क्योंकि उनके पति को लौटनें में अब दो ही दिन रह गये थे, उनके पति के आने के बाद तो मौका निकालना लगभग नामुमकिन हो जाता, सूजी ने उस रात मेरी बीबी की कोफी में नींद की कुछ गोलियां मिला कर उसे पिला दी, थोडी देर में जब मेरी बीबी गहरी नींद में सो गई तो मैं फटाफट सूजी के बेडरूम में पहुँच गया,
वो तो मुझे मेरा इन्तजार करते हुवे मिली, मैनें झट उसे बांहों में भर कर भींच लिया और उसके चेहरे और शुर्ख होंठों पर ढेर सारे चुम्बन जड़ दिये, जवाब में उसने भी चुम्बनों का आदान प्रदान गर्मजोशी से दिया,
वो इस वक्त झीनी सी सफेद रंग की नाइटी में थी, जिसमें से उसका सारा शरीर नजर आ रहा था, मेरा खून कनपटीयों पर जमने लगा था, मैनें खिंच कर नाइटी को प्याज के छिलके की तरह उतार फेंका, पेंटी और ब्रा में कसे उसके दुधिया कटाव गजब ढा रहे थे, मैनें पहले ब्रा के उपर से ही उसकी कठोर चुचियों को पकड़ कर दबाया और काफी सख्ती दिखा दी,
" उफ ...सी...ई ...क्या कर रहे हो? सूजी के मुंह से निकला " ये नाजुक खिलौनें हैं इनके साथ प्यार से खेलो,"
मैनें हंस कर उन्हें छोड़ने के बाद पीछे हाँथ ले जा कर पेंटी में हाँथ घुसा दिया और उसके मोटे मुलायम चुतड के उभारों को मुट्ठी में भर लिया, इसी बिच सूजी ने मेरे पेंट के फूले हुवे स्थान पर हाँथ रख कर मेरे लंड को पकड़ा और जोर से भींच दिया,
" आह..." मैनें कराह कर अपना हाँथ उसकी पेंटी में से बाहर खिंच लिया, तब मुस्कुरा कर सूजी ने मेरा लंड छोड़ते हुवे कहा,
" क्यों जब तुम्हारे लंड पर सख्ती पड़ी तो मुंह से आह निकल गई और मेरे नाजुक अंगों पर सख्ती दिखा रहे थे,"
मैं भी उसकी बात सुन कर हंसने लगा, उसके बाद मैनें सूजी को और सूजी ने मुझे सारे कपड़े उतार कर नंगा कर दिया, और मैं उसके शरीर को दीवानगी से चूमने लगा,वो भी मेरे लंड को हाँथ में पकड़े आगे पीछे कर रही थी,
" वाह, काफी तगड़ा लंड है तुम्हारा तो,"
मैं उसकी एक चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा तथा एक हाँथ से उसकी जांघ को सहलाते हुवे उसकी चिकनी चूत पर हाँथ फेरा, एकदम साफ़ चिकनी और फुली हुई चूत थी उसकी, एकदम डबलरोटी की तरह, उसके एक एक अंग का कटाव ऐसा था की फरिस्तों का ईमान भी डिगा देता, शायद नियमित जोगिंग के कारण ही उसका शरीर इतना सुन्दर था,
मैनें उसे बेड पर बिठा कर उसकी जांघें फैलाने के बाद उसकी खुबसूरत चूत को चूम लिया, और फीर जीभ निकाल कर चूत की दरार में फिराई तो उसने सिसकी भर कर अपनी जाँघों से मेरे सीर को अपनी चूत पर दबा दिया, मैनें उसकी चूत के छेद में जो की एकदम सिंदूर की तरह दहक कर लाल हो रहा था उसमें अपनी लम्बी नाक घुसा दी, उसकी दहकती चूत में से भीनी भीनी सुगन्ध आ रही थी
तभी सूजी ने मुझे उठाया, उत्तेजना के कारण उसका चेहरा बुरी तरह तमतमा रहा था
उसने मुझे उठाने के बाद कहा,
" अब मैं तुम्हारा लंड खाऊँगी,"
"खा लो,"
मैनें हंस कर कहा तो सचमुच जमीन पर घुटनों के बल बैठ गई और अपना मुंह फाड़ कर मेरा लंड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी, मेरी बीबी ने भी कभी इस तरह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर नहीं चूसा था, क्योंकि उसे तो घिन आती थी, इसी कारण जब आज सूजी नें मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसा तो एक अजीब से सुख के कारण मेरा शरीर अकड़ रहा था,
वो मेरे चूतडों को हांथों से जकडे हुवे अपना मुंह आगे पीछे करते हुवे मेरा लंड चूस रही थी, उसके सुर्ख होंठों के बिच फंसा मेरा लंड सटासट उसके मुंह में अन्दर बाहर हो रहा था, सूजी मुस्कुराती आँखों से मुझे ही देख रही थी, फिर एकाएक वो अपनी गर्दन जोर जोर से आगे पीछे चलाने लगी तो मुझे लगा की मैं उसके मुंह में ही झड़ जाउंगा, इसलिए मैनें उसका सीर पकड़ कर लंड को मुंह से निकालने की कोशिश की और बोला,
" छ ...छोड़ दो सूजी डार्लिंग नहीं तो मैं तुम्हारे मुंह में ही पिचकारी छोड़ दूंगा,"
परन्तु इतना सुनने के बाद भी उसने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर नहीं निकाला बल्कि ना के इशारे में सीर हिला दिया, तो मैं समझ गया की वो मुझे अपने मुंह में ही झडवा कर मानेगी, उसने मेरे चूतडों को और जोर से जकड़ लिया और तेज तेज गर्दन हिलाने लगी, तो मैं चाह कर भी अपना लंड उसके मुंह से बाहर नहीं निकाल सका,
आखिर मैं उसके मुंह में झड़ गया और उसके उपर लद गया, मेरे वीर्य की पिचकारी उसके मुंह में छुट गई तो उसने गर्दन उपर निचे करना रोक दिया और मेरे लंड के सुपाड़े को किसी बच्चे की तरह निप्पल के जैसे चूसने लगी, सारा वीर्य अच्छी तरह चाट कर ही वो उठी और चटकारा लेकर मुझ से बोली,
" मजा आ गया जानेमन, बड़ा स्वादिष्ट रस है तुम्हारा,"
परन्तु अब तो मैं बेकार हो चूका था, मेरा लंड सिकुड़ कर आठ इंच से दो इंच का हो गया था,
मैनें उसे देख कर शिकायती लहजे में कहा,
" ये बात अच्छी नहीं है सूजी, तुमने मेरे साथ धोखा किया है,"
" अरे नहीं डार्लिंग धोखा कैसा, मैं अभी तुम्हारे लंड को दोबारा जगाती हूँ,"
कहने के बाद सूजी मेरा सिकुड़ा हुवा लंड हांथों में पकड़ कर उठाने की कोशिश करने लगी, भला वो अब इतनी जल्दी कहाँ उठने वाला था, मगर सूजी तो पूरी उस्ताद निकली,
उसने मुझे धकेल कर फर्श पर चित लिटाया और मेरी जाँघों पर चढ़ कर बैठ गई, तथा मेरे सिकुड़े हुवे लंड को पकड़ कर अपनी दहकती हुई चूत के छेद पर रगड़ने लगी, मैं भी उसकी चुचियों को दबाने लगा, उसकी चूचियां बड़ी सुन्दर और कठोर थी, जल्दी ही मेरे लंड में थोड़ा कड़ापन आ गया,
उसी समय सूजी ने मेरे थोड़ा कठोर हो चुके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और अंगूठे की सहायता से जबरदस्ती अपनी चूत में ठूंस लिया, चूत के अन्दर की गर्मी पाकर तो मेरा लंड एकदम से खडा होने लगा और चूत में पड़े पड़े ही सीर उठाने लगा,
सूजी ने लंड को बाहर नहीं निकाला बल्कि वो संभल कर लंड के उपर ही बैठ गई, मेरा लंड जितना तनता जा रहा था उतना सूजी की चूत की दीवारों को फैलाता हुवा अन्दर घुसता जा रहा था, एक समय ऐसा आया की सूजी को अपने घुटनों की सहायता से उपर उठाना पड़ा, क्योंकि मेरा लंड अब तो पहले से भी ज्यादा लम्बा और कड़ा होकर करीब आधा तक उसकी चूत की गहराई में पहुँच कर चूत के छेद को चौड़ा करके कस चूका था, लंड अभी भी धीरे धीरे उठ रहा था, उसे इस तरह बढ़ता देख कर सूजी सिसिया कर उठ गई और लंड का सुपाड़ा सट से बाहर आ गया, वो बोली,
" बा....बाप रे....ये तो बढ़ता ही जा रहा है,"
" इस पर बैठो ना सूजी," मैनें उसे दोबारा लंड पर बैठने के लिये कहा, मगर वो नकली हैरानी दिखाते हुवे बोली,
" ना....ना बाबा ना, इतने लम्बे और मोटे लंड को मेरी कोमल चूत कैसे सहन कर पाएगी, इसे तुम्हारा ये बम्बू जैसा लंड फाड़ देगा,"
अब मैं उठा और सूजी से बोला,
" लो कम ऑन सूजी, तुम कोई बच्ची नहीं हो जो मेरे लंड से इतना डर दिखा रही हो,"
सूजी तो फालतु में नाटक कर रही थी, मैं तो एक बार झड़ चूका था, इसलिए मुझे कोई जल्दीबाजी नहीं थी, मगर सूजी की चूत में आग तब से अब तक उसी तरह लगी हुई थी, वो चुदवाने के लिये बुरी तरह उतावली हो रही थी, ये उसके चेहरे से ही झलक रहा था,
सो इस बार वो कोई भी नखरा किये बिना चुपचाप अपने घुटनें और हथेलियाँ फर्श पर टिका कर जानवरों वाली कंडीसन में हो गई, यानि वो जानवरों वाली पोजीसन में वो पीछे से लंड चूत में डलवा कर चुदवाना चाहती थी,
मुझे भला क्या ऐतराज होता, मैं उसके पीछे आ गया, लेकिन उसके कुल्हे मेरे धड़ से बहुत निचे थे, इसलिये मैनें उसे पंजो पर खडा करके उसकी पोजीसन को ठीक किया, अब उसके कूल्हों का सेंटर ठीक मेरे लंड से मेल खा रहा था, मैनें उसकी टांगों को आगे बढ़ा कर उसके पेट से सटा दिया,
अब उसकी चूत काफी हद तक उभर कर पीछे की ओर निकल आई थी, सब कुछ जांच परख कर मैनें उसकी चूत के छेद पर अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया और उसके कुल्हे पकड़ कर मैं लंड अभी ठेलना ही चाहता था की उधर सूजी नें लंड अन्दर लेने के लिये अपने कूल्हों को पीछे की ओर ठेला और इधर मैनें धक्का मारा, दोनों तरफ के धक्कों के कारण लंड थोड़ा सा कसता हुवा सरसरा कर करीब आधा चूत के अन्दर चला गया,
सूजी के मुंह से सी...सी...ई...की आवाज निकली, उसने दोहरी होकर बदन ऐंठ दिया, मैं रुका नहीं और अपना पूरा लंड अन्दर ठेलता ही चला गया, हालांकि सूजी की चूत काफी कसी हुई थी और मैं जानता था की इस तरह सूजी को मेरे मोटे और लम्बे लंड से थोडी बहुत परेशानी हो रही होगी, मगर उतनी नहीं जितना की सूजी दिखा रही थी,
वो " ऊं ....आ ...आह.. करते हुवे अपना धड़ आगे बढाने लगी, जबकि मैंने उसकी कोई परवाह नहीं की और बहुत जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये, मुझे इम्प्रेस ना होते देख कर सूजी ने भी कराहना बंद कर दिया और मेरे लंड का स्वाद अपनी चूत से लेने में मगन हो गई,
मेरे लगभग हर धक्के पर सूजी जरा सा आगे सरक जाती, मेरा आठ नौ इंची लम्बा लंड जरूर उसकी अंतड़ियों में जाकर अड़ जाता होगा, मैं लंड को सट से बाहर खींचता और सड़ाक से अन्दर घुसेड़ देता, मेरे जोर के धक्कों के कारण ही सूजी अपनी जगह से तीन चार फीट आगे सरक गई थी, साथ में मैं भी आगे बढ़ता चला गया,
अब वो मस्ती में सिसकियाँ भर रही थी और मैं उसके कुल्हे पकड़ कर धका धक लंड से पेलम पेल मचाये हुवे था, सूजी मेरे तेज धक्कों के कारण खुद को रोक ना सकी और जल्दी ही उसकी चूत नें पानी छोड़ दिया, मस्ती में वो अपने कुल्हे मटकाते हुवे मेरे लंड पर अपनी चूत से निकले रस की फुहार फेंकने लगी,
पूरी तरह मस्ती से निबट कर उसके मुंह से " ब.....बस...बस करो," की आवाज निकली, मगर मैं अभी कहाँ बस करने वाला था, मैं तो एक बार उसके मुंह में पहले ही अपना पानी गिरा चुका था, इसलिये अब दोबारा झड़ने में मुझे काफी देर लगनी थी, अभी तो मेरे झड़ने का आसार दुर दुर तक नहीं था,
यूँ भी मैं एक बार झड़ने के बाद दोबारा जब भी चुदाई करता तो मेरी बीबी भी मुझसे पनाह मांगती थी, इसीलिए वो मुझसे दोबारा चुदवाने के लिये कभी जल्दी से हाँ नहीं भरती थी, यदि चुदवाती भी तो पहले अपने हाँथ के जरिये या बाहर ही बाहर मेरे लंड को अपनी चूत पर काफी देर तक रगड़ती, जब तक मैं और मेरा लंड चोदने के लिये पूरी तरह तैयार ना हो जाते, इतनी देर के बाद चुदाई करने पर भी मैं अपनी बीबी से हाँथ जुड़वा कर ही दम लेता,
रते हुवे बोला,
" मेरी जान, मुझे अपने मुंह में पहले झडवा कर के गलती तुमने की है, अब भुगतो मैं क्या करूँ?"
वो बुरी तरह कराह कर बोली, " हा....हाँ...गलती हो गई...मगर फिलहाल मुझे छोड़ दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है,"
" मैं अब नहीं छोड़ने वाला " मैं धड़ा धड़ धक्के लगाता हुवा बोला,
" प्लीज थोडी देर के लिये अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लो," वो लगभग गिडगिडा कर बोली, " बस थोडी देर के लिये शान्त हो जाओ प्लीज "
मुझे उसपर दया आ गई, मैनें धक्के लगाने तो बंद कर दिये मगर लंड बाहर नहीं निकाला, उसके कूल्हों से सट कर हांफता हुवा बोला, " बस तुम औरतों में यही बात गलत है पहले तो मनमानी कर लेती हो फिर खुशामद करने लगती हो, तुम्हारा काम तो हो गया, अब मैं क्या करूँ?"
जवाब में वो कुछ देर सोचने के बाद बोली " अच्छा एक काम करो, मेरी गांड मार लो, अपना मुसल मेरी गांड में डाल लो "
" क्या...." मैं बुरी तरह चौंका, " क्या पागल हो गई हो, तुम्हारी गांड में लंड डालने से तो तुम्हें चूत से भी भयंकर दर्द होगा,"
" इसकी फ़िक्र तुम मत करो, अपने इस शैतान के बाप को मेरी चूत से निकाल कर मेरी गांड में डाल दो,"
वो खुद गांड मरवाने राजी थी तो मुझे भला क्या ऐतराज होता, मुझे तो मतलब मेरा काम पूरा होने से था, अब वो चाहे चूत हो गांड हो या मुंह, मुझे उससे क्या मतलब, तब मैनें सटाक से अपना लंड चूत से बाहर खिंचा, मेरा लंड चूत के पानी से भीगा हुवा था और चूत में पड़े रहने के कारण बहुत ही भयंकर नजर आ रहा था,
मैनें चूत के छेद से एक इंच उपर यानी गांड के गोल छेद पर अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया और सूजी के कुल्हे पकड़ कर जोर लगाया, चूत के रस से चिकना सुपाड़ा गांड के छेद को फैला कर थोड़ा सा अन्दर घुस गया, मैं मन में सोच रहा था की सूजी के मुंह से चीख निकल जायेगी, परन्तु ऐसा नहीं हुवा, उसने सिर्फ सिसकी भर कर अपना सीर ताना, तब मैनें अपना पुरा लंड उसकी गांड में सरका दिया,
इस पर भी जब सूजी ने तकलीफ जाहिर नहीं की तो मैं समझ गया सूजी गांड मरवाने की आदि है, उसने सिर्फ कस कर अपने होंठ भींचे हुवे थे, फिर भी मैनें पूछा,
" तकलीफ तो नहीं हो रही है ना सूजी,"
" नहीं तुम धीरे धीरे चोदते रहो," उसने कहा तो मैं उसके गोल मटोल कुल्हे थपथपा कर धीरे से झुका और दोनों हाँथ निचे लाकर दोनों चुचियों को पकड़ कर उसकी गांड मारने लगा, थोडी देर बाद मैनें धक्के तेज कर दिये, मुझे तो उसकी चूत से अधिक उसकी गांड में अपना लंड कसा होने के कारण ज्यादा मजा आ रहा था, और जब मेरे धक्कों ने प्रचंड रूप धारण कर लिया तो सूजी एकदम से बोली,
" ...बस...अब अपना लंड मेरी गांड में से निकाल कर मेरी चूत में डाल दो,"
" क्यों " मैनें रुक कर पूछा,
" क्योंकि मैं तुम्हारा वीर्य अपनी चूत में गिरवाना चाहती हूँ,"
सुन कर मैं मुस्कुराया और अपना लंड गांड में से खिंच कर वापस उसकी चूत में घुसेड़ दिया, मैनें फीर जोर जोर से धक्के लगाने शुरु कर दिये थे, मगर इस बार सूजी को कोई परेशानी या दर्द नहीं हुवा था, बल्कि अब तो वो दुबारा मस्ती में भर कर अपने कुल्हे आगे पीछे ठेल कर मेरा पुरा साथ देने लगी थी, इतनी देर बाद भी मैं सूजी को मंजिल पर पहुंचा देने के बाद ही मैं झडा, सूजी भी कह उठी,
" मर्द हो तो तुम जैसा, एकदम कड़ियल जवान,"
" और औरत हो तो तुम जैसी एकदम कसी हुई," जवाब में मैनें भी कहा, फिर हम दोनों एक दुसरे की बाहों में समां गये,
मौसा जी को जहां दो दिन बाद आना था, दो दिन तो दूर की बात वो पुरे पांच दिन बाद आये,और उन पांच रातों का मैनें और सूजी नें भरपूर लाभ उठाया, सूजी हर रोज मेरी बीबी को नींद की गोलियां देकर सुला देती और हम दोनों अपनी रात रंगीन करते, मौसा जी के आने के बाद ही हमारा ये चुदाई का खेल रुका, इस बिच मौसी यानि सूजी बहुत उतावली रहती थी, वो मेरे एकांत में होने का जरा जरा सा बहाना ढुंढती थी,
मैं इस बात को उस वक्त ठीक से नहीं समझ सका की सूजी मेरी इतनी दीवानी क्यों है, क्या मौसा जी में कोई कमी है या वे इसे ठीक से चोद नहीं पाते? जबकि देखने भालने में वे ठीक ठाक थे,
सूजी मेरी इतनी दीवानी क्यों है? इसका जवाब मेरे दिमाग ने एक ही दिया की या तो वो मेरे लंड की ताकत से दीवानी हुई है या फिर मौसा जी उसे ढंग से चोद नहीं पाते होंगे, हम महिना भर वहाँ रहे, इस बिच हमने यदा कदा मौका देख कर चुदाई के कई राउंड मारे,
जब हम वहाँ से आने लगे तो सूजी ने मुझे अकेले में ले जाकर कहा,
" जल्दी जल्दी राउंड मारते रहना मुझे और मेरी चूत को तुम्हारे लंड का बेसब्री से इंतजार रहेगा,
मैनें इतनी चाहत का कारण पूछा तो उसने यही बताया की " वे " यानी की उसके पति उसे ठीक से चोद नहीं पाते, मेरा शक सही निकला, मौसा जी की कमी के कारन ही वो मेरी तरफ झुकी,
मेरा दिल भी उसे छोड़ कर जाने का नहीं कर रहा था, मगर मज़बूरी वश मुझे वापस आना पड़ा, आने के एक हफ्ता बाद ही मैं बीबी को बिना बत्ताये दुबारा सूजी के यहाँ पहुँच गया, वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई,
मैं इस बार चार दिन वहाँ रहा और चारों दिन सूजी को खूब चोदा, क्योंकि मौसा जी के ऑफिस जाने के बाद मैं और सूजी ही घर में रह जाते और खूब रंगरेलियां मनाते, अब तो मेरी बीबी का भी खतरा नहीं था, मौसा जी को भी हम पर कोई शक होने वाला नहीं था, क्योंकि रिश्ते के हिसाब से मैं सूजी का दामाद हूँ, मौसा जी भी मुझे दामाद जैसी इज्जत देते,
इसी का फायदा उठा कर मैं हर महीने सूजी के यहाँ जाकर पूरी मौज मस्ती करके आता था, हमारा ये क्रम पांच महिने तक चला, उसके बाद जब एक महिने पहले सूजी के यहाँ पहुंचा तो उसका ब्यवहार देख कर मैं बुरी तरह चौंका, वो मुझे देख कर जरा भी खुश नहीं हुई और ना ही मुझसे एकांत में मिलने की कोई कोशिश की, और जब मुझे बहुत ज्यादा परेशान देख कर मुझसे मिली तो उसके चेहरे पर सदाबहार मुस्कान की जगह रूखापन था, मैनें इसका कारण पूछा, और उसने जो कुछ मुझे बताया उसे सुन कर तो मेरे पैरों के निचे से जमीन ही निकल गई, उसने बताया की...
उसने मेरे से इस लिये नहीं चुदवाया की मौसा जी उसे ठीक से नहीं चोद पाते थे, सूजी मौसा जी से चुदवा कर पूरी खुश थी और वो मौसा जी से बहुत प्यार करती थी, उसने मुझसे सिर्फ इसलिए चुदवाया था की वो समझ गई थी की मौसा जी बच्चा पैदा करने में असमर्थ थे, उनके वीर्य में शुक्राणु या तो हैं नहीं या हैं तो बहुत कमजोर हैं, ये बात उसने अपना चेकअप करा कर जानी, क्योंकि जब उसमें कोई कमी नहीं थी तो जाहिर था की कमी मौसा जी में ही हो सकती थी, जबकि उसे और मौसा जी को बच्चे की बहुत चाहत थी, इससे पहले की मौसा जी ये बात जानें, गर्भवती होने के लिये मुझसे संबंध बना लिये, ताकि मौसा जी अपने बारे में जान कर हीन भावना से ग्रस्त ना हो जाएँ, अब वो गर्भवती हो चुकी है इसलिए वो उसके पास ना आया करे, अंत में उसने कहा मुझे तुमसे कोई लगाव नहीं है, अब इधर दुबारा फटकना भी मत,
मुझे दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया,
आपका दोस्त
राज शर्मा
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02-26-2019, 09:34 PM,
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
मम्मी – पापा का खेल
बबली मेरे पड़ोस मैं रहती थी. बचपन मैं हम एक खेल खेलते थे,
जिसका नाम था "घर-घर". उमर कोई यों ही 3-6 साल तक रहा करती
होगी. घर के किसी कोने मैं हम बच्चे लोग एक दो चदडार के सहारे
किसी बड़े पलंग के नीचे साइड से ढककर घर बनाते…फिर उसे
सजाते…छोटे छोटे खिलोनो से और ये खेल खेलते. दिन – दिन भर
खेलते रहते थे. खास तौर से गर्मियों की छुट्टियों मैं. एक बच्चा
डॅडी बनता…एक मम्मी बनती….और बाकी उनके बच्चे. फिर डॅडी ऑफीस
जाते…मम्मी खाना बनाती…..बच्चे स्कूल जाते….खेलने जाते……और वो सब
हम सब बच्चे नाटक करते….जैसा की अक्सर घर मैं होता था.अक्सर…
हम आस-पड़ोस के आठ-दस बच्चे इस खेल को खेला करते. पता नहीं उस
छोटी सी उमर मैं मुझे याद है , जब जब बबली मम्मी बनती थी और
मैं पापा, तो मुझे खेल मैं एक अलग सा आनंद मिलता था. सामने वाले
शर्मा जी की बेटी थी वो. शर्मा जी कोई बड़े अमीर तो ना थे, पर उनकी
बेटी, यानी की रिंकी…अपने गोरे-चिट रंग…और खूबसूरत चेहरे से,
शर्मा जी की बेटी कम ही लगती थी.
उस उमर मैं वो बड़ी प्यारी बच्ची थी. कौन जानता था की बड़ी होकर वो
सारी कॉलोनी पर कयामत ढाएगी! वो मेरी अच्छी दोस्त बनी रही , जिसकी
एक वजह ये भी थी की हम एक ही स्कूल मैं पड़ते थे. और धीरे
धीरे ज्यों ज्यों साल बीतने लगे….भगवान बबली को दोनो हाथों से
रंग रूप देने लगे….और दोस्तों रूप अपने साथ नज़ाकत…और कशिश
अपने आप लाने लगता है……खूबसूरत लड़की कुछ जल्दी ही नशीली और
जवान होने लगती है. बबली के 14थ जन्मदिन पर जब हम उसके स्कूल
और कॉलोनी के दोस्त उसे बधाई देने लगे……मैं एक कोने से छुपी और
चोरी चोरी की नज़रों से उसे देख रहा था. मेरी कोशिश ये थी कि
उसकी खूबसूरती को अपनी आँखों से पी लेने मैं मुझे कोई डिस्टर्ब ना
कर दे.वो एक मदहोश कर देने वाली गुड़िया की तरह लग रही
थी…….उसके हाव-भाव देख कर मेरी सारी नस तन गयी….करीब 18 बरस
का ये नौजवान लड़का अपनी झंघाओं के बीच मैं कुछ गरमी महसूस
कर रहा था….और मैने नीचे तनाव महसूस किया. बबली का गुदाज
जिस्म….अपने गोरेपन के साथ मुझे खींचता ले जा रहा था….उस नरम
त्वचा को छूने के लिए सहसा मेरे अंदर एक तड़प उठने लगी. कहीं
एकांत मैं बबली के साथ..केवल जहाँ वो हो और जहाँ मैं हूँ. और
फिर उस एकांत मैं नियती हमसे वो करवा दे जो की दो जवान दिल और
जिस्म नज़दीकी पा कर कर उठते हैं.
कुछ और समय बीता और बबली का शरीर और खिलने लगा…आंग बढ़ने
लगी और उसके साथ मेरा दीवानापन बढ़ने लगा…..एक सुद्ध वासना जो उसके
आंग आंग के कसाव, बनाव और उभरून को देख कर मुझे अपने आगोश
मैं लपेट लेती थी. तक़दीर ने मुझ पर एक दिन छप्पर फाड़ कर
खुशी दी. एक बार फिर मैने "घर-घर"का खेल खेला, पर करीब 15
बरस की जवान गदराई…भरपूर मांसल लड़की के साथ. केवल अपनी बबली
के साथ.
हुआ यूँ की फिर वही गर्मियों की छुट्टिया थी. बबली देल्ही जा रही
थी अपने अंकल के यहाँ. मैं भी देहली गया था किसी काम से. वापस
आते समय मैने सोचा की क्यों ना एक फोन कर के पूछ लूँ कि शायद
शर्मा जी का परिवार भी वापस चल रहा हो तो साथ साथ मैं भी
चलूं (दरअसल मैं बबली के साथ और दीदार के लिए मरा जा रहा
था.). फोन बबली ने ही उठाया और वो बड़ी खुश हुई की मैं वापस
जा रहा हूँ मुंबई, और बोली की वो भी चलेगी मेरे साथ. उसकी ज़िद के
आगे शरमजी झुक गये और इस तरह बबली अकेली मेरे साथ मुंबई चल
दी. हालाँकि वो घर पर अपने भाई के साथ रहती, पर मैं इस यात्रा से
बड़ा खुश था. मैने शताब्दी एक्स्प की दो टिकेट्स बुक की और हम
चले. मैने उसका परा ख़याल रखा और इस यात्रा ने हम दोनो को फिर
बहुत नज़दीक कर दिया. यात्रा के दौरान ही एक बार फिर घर –घर
खेलने का प्रोग्राम बना और बबली ने वादा किया की वो मेरे घर आएगी
किसी दिन और हम बचपन की यादें ताज़ा करेंगे. मैने महसूस किया की
वो अभी स्वाभाव मैं बच्चीी ही है..पर उसका जवान शरीर…..ग़ज़ब
मादकता लिए हुए था. हम बहुत खुल गये ढेर सी बाते की. उसने
मुझे यहाँ तक बताया की उसकी मम्मी उसे ब्रा नहीं पहने देती और इस
बात पर वो अपनी मुम्मी से बहुत नाराज़ है. मैने उससे पूछा की उसका
साइज़ क्या है.
उसने मेरी आँखों मैं देखा, "पता नहीं….."
कभी नापा नहीं. बबली बोली.
अच्छा गेस करो……. वो बोली.
मैने गेस किया – 34-18-35.
वाह…आप तो बड़े होशियार हो…..
अच्छा…. मेरा साइज़ बताओ?
लड़को का कोई साइज़ होता है क्या?
मैने कहा हां होता है……
तो फिर आप ही बताओ….मुझे तो नहीं पता
8 इंच….और 6 इंच
ये क्या साइज़ होता है…?
तुम्हे पता नहीं….?
नहीं…….वो बोली.
अच्छा फिर कभी बताऊँगा….!
नहीं अभी बताओ ना…प्लीज़ …..
अच्छा जब घर-घर खेलने आओगी तब बताऊँगा…..
प्रॉमिस?
यस प्रॉमिस.
इस यात्रा ने मेरा निश्चय पक्का कर दिया ….क्योंकि उसके बेइंतहा
सौंदर्या ने, उसके साथ की मदहोशी ने….उसके मांसल सीने को जब मैने
इतने नज़दीक से देखा……जीन्स मैं कसे उसके चौड़े गोल पुत्तों को
…उफफफफफ्फ़…मैं कैसा तड़प रहा था मैं ही जानता हूँ.
जल्द ही वो दिन आ गया…..मैं उस दिन घर पर अकेला था. बबली भी आ
गयी….लंच के बाद. मेरी त्यारी पूरी थी. एक बहुत सुंदर बीच ब्रा
और जी-स्ट्रिंग मैने खरीदी. एक नया जॉकी अंडरवेर अपने लिए या
कहूँ की उस दिन के लिए, जिसका मुझे किसी भी चीज़ से ज़्यादा इंतज़ार
था.
फिर उस दिन वो आई…लंच के बाद. वो सुबह टशन गयी थी, तब उसका
भाई ताला लगाकर कहीं चला गया था. कुछ और काम ना था तो वो
मेरे घर आ गई. उस दिन मैं भी अकेला था.क्या बताऊं जब दरवाजा
खोला और उसे खड़ा देखा तो मेरे बदन मैं एक झुरजुरी सी हो गई.
वो कमसिन हसीना मेरे सामने खड़ी थी.उन्नत तना हुई शर्ट मैं कसे
कसे बूब्स….वो गड्राया बदन….मेरी नस –नस फड़कने लगी. हम
बातचीत मैं खो गये. आख़िर वोही बोली चलो घर-घर खेलते
हैं…..जैसे हम बचपन मैं खेलते थे!
हां चलो…..बहुत मज़ा आएगा……देखते हैं बचपन का खेल अब खेलने
मैं कैसा लगता है……ठीक है…..तुम मम्मी …मैं डॅडी……
और हमारे बच्चे…? उसने हंसते हुए पूछा….
अरे हां….बच्चा तो कोई भी नहीं..है….तो फिर तो हम केवल पति
–पत्नी हुए ना अभी…..ना की मम्मी-डॅडी.
वो खुस हुई….हां ये ठीक है…..पति-पत्नी. आप मेरे पति और मैं
आपकी पत्नी. और आज हम पूरे घर के अंदर ये खेलेंगे…ना की किसी
कोने मैं…..
ओके….मैने कहा.
और हम पति-पत्नी की तरह आक्टिंग करने लगे. खेल सुरू हो गया. मैं
फिर उसकी खूबसूरती के जादू मैं डूबने लगा. मेरे शरीर मैं एक
खुशनुमा मादकता च्चाने लगी. उसके बदन को छूने …देखने के बहाने
मैं ढूँढने लगा. जैसे वो किचन मैं चाइ बनाने लगी…तो मैं
चुपके से पीछे पहुँच गया….और उसके बम्स पर एक चिकोटी काटी. वो
उच्छली…ऊऊ….क्या कर रहे हैं आप…..
अपनी खूबसूरत बीबी से छेड़ छाड़…..मैने मुस्कुराते हुए कहा.
वो वाक़ई मैं बेलन लेकर झूठ-मूठ मरने के लिए मेरे पीछे
आई….मैं दूसरे कमरे मैं भगा….उसने एक मारा भी…..
आआहह….तुम तो मारने वाली बीबी हो…..मैने शिकायत भरे स्वर मैं
कहा……देखना जो मेरी असली बीवी होगी ना….वो मुझसे पागलों की तरह
प्यार करेगी.
और आप….? आप उसे कितना प्यार करोगे….?
मैं…..आपने से भी ज़्यादा……दुनिया उसके कदमों मे रख दूँगा मैं…..
साच…? वो कितनी लकी होगी…..अच्छा आप उसे किस तरह पुकरूगे…?
मैं उसे हमेशा डार्लिंग कहूँगा…..
तो आज के लिए मुझे भी कहो ना….
ओके…..तो मेरी डार्लिंग बबली…..ये बेलन वापस रखो…..और नाश्ता
दो…..मुझे ऑफीस भी जाना है….
ओह…..हां अभी देती हूँ…..आप ऑफीस के लिए त्यार हो जाओ…
वो जैसे ही जाने लगी…मैने कहा एक मिनिट. वो रुकी. मैं आगे बड़ा ,
अचानक मैने उसे आपनी बाहों मैं उठा लिया…और ले चला….
आआहह….ऊओह…आप क्या कर रहे हैं……ऊओ..हह..और वो खिलखिलाई.
अपनी सुंदर सेक्सी पत्नी..को मैं ऐसे ही भाहों मैं उठा रखूँगा …..
डार्लिंग! मैने उसे उठा कर किचन तक ले गया….जिस्मों की ये पहली
मुलाकात बड़ी असरदायक थी. उसके दूधिया बूब्स की एक छोटी सी झलक
मिली जो उसने मुझे वहाँ पर देखते हुए देखा भी. झंघाओं का वो
स्पर्श…जब मैं उसे उठाए हुए था….धीरे धीरे उसके जिस्म से मेरी
छेड़ चाड बादने लगी. एक दो बार मैने उसे बाहों मैं भी भरा. वो
थोडा शरमाई भी..ज़्यादा नहीं…हल्की सी सुर्ख लाली …..गालों पर.
चलो आब ऑफीस जाओ…बहुत नटखट है ये मेरा पति…..सिर्फ़ शैतानिया
ही सुझति हैं आपको….वो बोली.
मैं झूठ-मूठ ऑफीस जाने का नाटक करने लगा (ये इस खेल का एक हिस्सा
होता था). ऑफीस जाने से पहले….मैं फिर उसके सामने खड़ा हो गया.
अब क्या है…..?
उसके कान मैं मैने कहा…….एक किस…..डार्लिंग, जो हर बीवी आपने पति
को ऑफीस जाने से पहले देती है.
और ये कहकर मैने उसे बाहों मैं भर लिया. वो
कसमसाई….छ्चोड़िए….क्या कर रहे हैं….बट अब मेरे होंठों ने….अपनी
प्यास भुझा ने की ठान ली थी. मैने उसे कसते हुए एक चुंबन उसके
दाहिने गाल पर जाड दिया…..सुंदर मदहोश कर देने वाला एक लंबा सा
किस. फिर उसे एक भरपूर नजऱ से देखा……उसके खूबसूरत चेहरे
को…दोनो मुस्कुराए…या मुस्कुराने की कोशिश की…..और फिर एक उनपेक्षित
चुंबन मैने उसके होंठो पर रख दिया. इस चुंबन ने जादू सा
किया. इसका प्रभाव ये हुआ की मेरे उठते हुए काम लंड ने इस चुंबन के
असर मैं आकर उसकी पेल्विस मैं एक चुभन दे डाली.ठीक वहीं
जहाँ…कुदरत ने उसका कर्म क्षेत्र बनाया है.
मैने एक बार उसके होंठ छोड़ दिए….कहा….तुम बहुत सुंदर हो
बबली….तुम जैसी ही बीवी तो चाहिए मुझे….. कितना सुंदर बदन है
तुम्हारा…..और एक बार फिर मैं उसके होंठ पीने लगा. एक लंबे
चुंबन के बाद….. उसने साथ नहीं दिया था…….मैने
पूछा….बबली….बुरा तो नहीं लगा?
नहीं…बिल्कुल नहीं…..आप तो किस करने मैं माहिर हैं!…. .वो नज़र
झुकाए ही बोली.
तो फिर तुमने क्यों नहीं किस किया मुझे…..?
मुझे नहीं आता …… आप सिख़ाओगे? अच्छा पर अभी आप ऑफीस जाओ……. वो
मुझे धक्का देने लगी.
अच्छा बाबा…जाता हूँ …..मैं हंसते हुए बोला.
मेरे लिए ऑफीस से वापस आते हुए क्या लाओगे…..?
एक गरमागरम किस…..
मारूंगी हां…..वो बनावटी गुस्से से बोली…..
मैं जाते हुए बोला…..अक्चा अक्च्छा मैं लाओंगा…..
थोड़ी देर के लिए मैं घर से बाहर गया. ऐसे ही नाटक करते हुए
मैं वापस भी आ गया. वो बेडरूम मैं थी. मैं चुपके से दूसरे
कमरे गया. उसके लिए मैने जो बीच ब्रा और जी-स्ट्रिंग पॅंटी खरीदी
थी वो पॅकेट निकाला……इन कपड़ों को चूमा. फिर जैसे की ऑफीस से
वापस आ गया……वापस बेडरूम मैं आ गया, जहाँ वो लेटी थी.
फिर यूँ ही खेल के कुछ और हिस्से चले…..फिर शाम भी हुई ….घूमने
गये….एसा करते करते हमारे खेल मैं रात आई…
इस खेल के डिन्नर के बाद…..? जब हमै रात मैं एक साथ सोना
था…उस समय उसने पूछा ….मेरे लिए क्या लाए…?
मैने पॅकेट उसके हाथ मैं दिया……देखो…..
क्या है….. वो ब्रा और पॅंटी निकालते हुए बोली……
वाउ….कितनी सुंदर है ये…..पर ये तो बहुत छोटी छोटी हैं…….
ब्रा और पॅंटी कोई बड़ी बड़ी होती हैं क्या…? मैं तो अपनी बीवी को ऐसी
ही पहनाओंगा….
पहनकर तो देखो…..
ओके….देखती हूँ…सच आप वाक़ई अच्छे पति हो आपको याद था की मुझे
ब्रा पहनना बहुत पसंद है? थॅंक यू…
थॅंक यू से काम नहीं चलेगा….पहनकर दिखना पड़ेगा……मैं भी तो
देखूं 34-18-35 के खूबसूरत जिस्म पर ये कैसे सुंदर लगते हैं….!
धात…स्ष…मैं कोई इन कपड़ों मैं आपके सामने आओंगी…?
क्यों भाई पति से शरमाओगी क्या? तो फिर दिखओगि किसे …डार्लिंग?
प्लीआसस्स्सीए! दिखाओ ना!
आच्छा ठीक है पर दूर से देखना पास ना आना. ओके?
ठीक है बाबा…तुम जाओ तो सही!
और ये क्या है…ये मेरा अंडरवेर है…..मैने आपना जॉकी उसके हाथ से
लेते हुए कहा….
वो दूसरे कमरे मैं चली गई…….मैने बिजली की फुरती से अपने कपड़े
निकाले और सिर्फ़ वो नया जॉकी का अंडरवेर पहन लिया….और मिरर के
सामने देखने लगा. जैसे की देख रहा हूँ कि ये अंडरवेर कैसा लगता
है. अंडरवेर बहुत सेक्सी था.फ्रंट मैं सिर्फ़ लंड को कवर करता
था.बाकी उस्मै बॉल तक सारे दिख रहे थे.
उसने आवाज़ दी ….मैं आऊ?
हां हां…डार्लिंग…मेरी जान आओ….!
वो थोड़ा शरमाती हुई आई…..अभी मैने उसके बदन की झलक ही देखी
थी की वो …वापस पलट गई….उउउइइइइमम्माआ……..!!!!!!!!!!!
मैं उसके पीछे लपका….और दूसरे कमरे मैं उसके सामने खड़ा हो गया.
एयाया….प्प्प..प्प्प नंगे क्यों हो गये…?
मैं….तो…तो..तो…अंडरवेर …पा…आ..आ..हहान..सीसी..आ….र्ररर देख रहा था….था…!
फिर हुमारे मुख मैं जैसे बोल अटक गये. मैं भी रोज एक्सर्साइज़ करता
था और मेरा बदन भी बड़ा गथीला था. वो मेरे जिस्म मैं खो गई
और मैं उसके उठाव –चढ़ाव- उतराव मैं. एक कमसिन अक्षत कौमार्या
मेरे सामने लगभग नग्न खड़ी थी. उस नयी जवानी भरे जिस्म पर वो
उठे हुए कसे कसे बड़े बड़े बूब्स….वो पतला सा पेट…..दुबली सी
कमनीया कमर….और फिर चौड़े नितंब……जी-स्ट्रिंग तो उसके उभरे हुए
गुलाबी चूत को भी पूरा नहीं धक पा रही थी.थोड़े थोड़े से रेशमी
बाल इधर उधर बिखरे थे.उसका वेजाइनल माउंड काफ़ी बड़े आकर का और
उभरा हुआ था…फूला फूला सा. और उसकी वो मादक झंघा….पतली लंबी
टांगे……बला की सेक्सी थी वो…फिल्म की हेरोयिन भी क्या उसके सामने
टिकेंगी…..मैं अचंभित सा कामुक दृष्टि से उसे यौं ही देखता
रहा….और कब मेरा लंड टंकार खड़ा हो गया …..मुझे खुद पता ना
चला.
पीछे….मम्मूउउद्दू तो….मैने अपना थूक अंदर घुटकते हुए कहा……
वो मूडी…..
आआआआआआआहहहहाहह…..व्वाअहह हह……
क्या ग़ज़ब का दिर्ष्या था….!दाग रहित गोरा धुधिया बदन….!उसके
बटक्स बिल्कुल डी शेप मैं थे…बड़े बड़े….पूरे नंगे…गस्टरिंग उनको
बिल्कुल भी नहीं ढक रही थी…..
मैने कहा…..बहुत कमसिन और खूबसूरत है तुम्हारा बदन मेरी
बबली….बहुत मादक और सेक्सी हो तुम….
आअप भी बहुत हॅंडसम और मसकुलीन हैं……..वो बोली….
उसकी नज़र मेरे तने हुए अंडरवेर पर थी. मेरा लंड जैसे की
अंडरवेर फाड़ देने को बेताब था.उसने अंडरवेर को एकदम 120 डिग्री
का तनाव दिया हुआ था…..और साइड से देखने पर मेरे टेस्ट्स…जो की
लगभग एग्स जैसे बड़े हैं….सॉफ दिख रहे थे….और साथ मैं मोटी
तनतनी शाफ्ट भी. जहाँ पर मेरे लंड का हेड अंडरवेर को छू रहा
था वहाँ अंडरवेर गीला हो गया था.
मैं आगे बड़ा…..वो पीछे हटने लगी…..चलते समय मेरा लंबा लंड
उप आंड डाउन हिल रहा था…मैने देखा उसकी नज़र वहीं पर थी. पीछे
जाते जाते वो दीवार पर चिपक गई….उसने एक मादक सी आंगड़ाई अपने
बदन को दी…..मेरे लंड ने प्री-कम की एक और बूँद उगली.
मैं जानती हूँ उस दिन आप मेल के किस साइज़ की बात कर रहे थे…..!
मैने उसे बाहों मैं लेते हुए कहा…..किस चीज़ के साइज़ की बात कर
रहा था मैं…?
आब तक मेरे हाथों ने उसकी कमर को पकड़ लिया था……
उसने अपने हाथ से मेरे अंडरवेर के उपर से मेरे लंड को हल्का सा
पकड़ते हुए कहा ……. इसकी….! ये 8 इंच लंबा है…और 6 इंच मोटा
है…सर्कंफरेन्स मैं…..!
गुड…! किसने बताया …?
मेरी सहेली ने…..वो तो आपका ये देखना चाहती है…..!
तुम नहीं देखना चाहोगी?
उसने शरम से चेहरा नेरए सीने मैं छुपा लिया……मैने उसकी पीठ को
सहलाया….एक हाथ से उसके चेहरे पर से जुल्फ हठाते हुए उसके कानों
के नीचे…नरम गोस्त पर लजरता चुंबन दिया. मेरी उंगलियों ने ब्रा का
धागा खोल लिया……ब्रा गिर गई….नंगे बूब्स जैसे ही आज़ाद हुए उनके आकर
मैं बाडोतरी हुई और मेरे सीने पर उन्होने दस्तक दी. शायद नीचे
मेरा लंड और थोडा लंबा होकर थोडा और हार्ड हो गया. आब मेरे हाथ
उसके चुटटर सहला रहे थे.वो कामुक हो चुकी थी…..उसके और ज़्यादा
कठोर होते बूब्स इस बात की गवाही दे रहे थे.मैने ज्यों ही पॅंटी के
अंदर हाथ डाल कर उसके चुचि पर उंगली फिराई….उसके मुँह से आवाज़
निकली ….सस्स्स्सस्स म्म्म्ममम….राआअज
हन मुझे भी देखना है…आआ..आ…प्प..प्प…कककक…सीसी..आ..आ…..ळ्ळ्ळुउउउन्न्द्द… ..!
तो फिर मेरा अंडरवेर उतारो…!
वो झुकी घुटनो पर बैठ गई……और मेरा अंडरवेर उसने निकाल दिया.
लंड जैसे….की कोई शेर पिंजरे से आज़ाद हो गया हो….तुरंत ही उसने 3-4
प्रेकुं की बूँदें उगली…..
कैसा है…..
बड़ा गरम है…वो छूकर बोली….बाप रे कितना लंबा और मोटा है..पर
बहुत शानदार…..कितना बड़ा है आपका….और कितना मोटा….
किस करो ना…इसे…तुम्हे अच्छा लगा मेरी रानी..मैने उसके बालों मैं
हाथ फिरते हुए और अपने टेस्ट्स उसके होंठो पर रगड़ते हुए कहा.
उसने अपने होंठ पीछे बढ़ाए….और लंड के हेड को चूम लिया. फिर
थोडा रुककर एक और चुंबन उसका लिया….लंड दहाड़ उठा….और प्रेकुं की
चार बूंदे उसके होंठो पर गिरा दी…...
क्या तुम इसे चूसना पसंद करोगी……? इसकी पूरी लंबाई को?
ऊओ…हां…आप कहते हो तो…ज़रूर…पर ये बहुत मोटा है मेरे मुँह
मैं जाएगा…?
हां कोशिश तो करो…
वो मेरी टाँगों से चिपक गई. उसने मेरे चुट्टर पकड़ लिए. उसके बूब्स
मेरी झंघाओ से घर्षण कर रहे थे. बबली ने तने हुए लंड के
हेड को अपने मुँह से पकड़ा और फिर पुश करते हुए…पूरा हेड पहले
अंदर ले लिया. मैं तड़प उठा….मैने उसका सिर पकड़ा और लंड को आगे
पुश किया….आधा लंड उसके मुँह मैं था. वो उसे अपने थूक से गीला
कर रही थी. फिर उसने उसे चूसना सुरू किया.मुँह के अंदर
बाहर….फिर उसने उसे निकालकर चाटा …शाफ्ट की लंबाई पूरी चाटी. मैं
स्वर्ग मैं था…थोड़ी देर बाद मैने उसे मना किया की वो आब मत करे.
वो उठ गई…
कैसा लगा आपको?
तुम बहुत अच्छा चूस्ति हो….आब मुझे अपनी चूत नहीं दिखावगी?
पहले आप एक वादा करो!
क्या…?
कि आज रात आप मेरे साथ सुहग्रात मनाओगे……मैने सुना है उस्मै
बड़ा मज़ा आता है! सुना है दूल्हा और दुल्हन सारी रात नंगे होकर
बिस्तर पर कोई खेल खेलते हैं….चुदाई का….फिर दूल्हा दुल्हन को अपने
बच्चे की मम्मी बना देता है….अपने लंड को दुल्हन की चूत मैं
डालकर…और इस मैं बड़ा मज़ा आता है….
तुम्हे किसने बताया..? मैने पूछा.
मेरी सहेलिओं ने क्लास मैं….
ओह….15 साल की उमर मैं ही तुम्हारी सहेलिया बड़ी होशियार हो गई हैं…
हां मेरी एक सहेली की दीदी की शादी हुई है ना अभी 2 महेने पहले.
तो उसकी दीदी ने उसे बताया की सुहग्रात मैं बड़ा मज़ा आया. इतना की
सारी रात मनाई. उसकी दीदी ने तो ये भी बताया की उसके जीजाजी ने उसकी
दीदी की चूत मैं अपने लंड से खूब वीएरया भरा और आब उसकी दीदी
मम्मी बन जाएगी. फिर एक दिन मेरी सहेली ने अपने जीजाजी से कहा की वो
उसके साथ भी मना दे सुहग्रात…..एक दिन वो सोई भी अपने जीजाजी के
साथ …पर जीजाजी उसके साथ चुदाई ना कर सके…..
क्यों?
वो अपना ये लंड मेरी सहेली के चूत मैं घुस्सा ना सके. मेरी सहेली
तदपकर रह गई…
अपनी सहेली को मेरे पास लेकर आना…कितनी उमर है तुम्हारी सहेली की?
14 साल…..आपके पास लाउन्गी तो आप उसके चूत मैं घुसा दोगे?आपका तो
इतना मोटा लंड है….
पगली ये लंड घुस्साना तो एक कला है ……हर मर्द थोड़े ही जानता
है…..खास तौर से कक़ची चूत छोड़ना आसान नहीं है…और कितनी
सहेलियाँ है तुम्हारी…..जो अपना कौमार्या लुटाना चाहती हैं?
सात – आठ…है…लेकिन किसी ने सुहग्रात नहीं मनाई..कभी …आप
मनाओगे ना आज मेरे साथ….मेरे दूल्हा बनकर…..?
हां ज़रूर…तुम्हारे इस मादक जिस्म की कसम मैं आज रात वो सुहग्रत
मनऊंगा तुम्हारे साथ …जैसी किसी लड़के ने किसी लड़की के साथ नहीं
मनाई होगी!
साच….? और फिर मेरे गर्भ को भी सींच देना….मैं आपको अपने
जीवन का पहला पुरुष मानकर अपने गर्भ मैं सबसे पहले आपके
वीरया की बूँद चाहती हूँ……आप दोगे ना?
हां मेरी रानी….क्यों नहीं….
तो फिर मैं आपके लंड के लिए अपना कौमार्या समर्पित करती
हूँ….!पर आप प्यार से करना मेरे साथ….मैं कच्ची कली हूँ
ना…..मेरी चूत बहुत टाइट है…..प्लीज़ धीरे धीरे चोदना मुझे
मेरे राजा……मेरे दूल्हे…..और वो मुस्कुरई…
उसने फिर जल्द ही अपनी पॅंटी उतार दी और पूरी नंगी खड़ी हो
गई…..मेरे तने लंड के सामने. मैने देखा… उसके चूत से रस बह रहा
था. वो पूरी तरह गीली थी. मैने उसे उठाया और बेडरूम मैं लाकर
उसे बिस्तर पर रख दिया. फिर उस पर चढ़ बैठा….उसके बूब्स चूसने
के लिए बेताब था मैं. हम जल्द ही गूँथ गये….दो जवान भूखे
जिस्म…जो आज पहली बार कॉम्क्रीडा करने जा रहे थे…! एक दूसरे पर
जैसे झपट पड़े….मैं उसके बूब्स बुरी तरह चूस रहा था…
उउउफ़फ्फ़…आ..हह..आआ..हह प्लीज़ थोड़ा धीरे….कतो ना…..उूउउइयौर
ज़ोर से चूसो…
दोनो बदन तप उठे. वो बुरी तरह तड़प उठी…..फिर मैने उसकी नाभि
से खेला….तो उसने मेरे सिर को अपने गुप्ताँग की तरफ धकेला….मैं
उसका इशारा समझ गया…तुरंत ही मेरे मुँह ने उसके उभरी हुई चूत
को किस किया और मैं फिर उसकी चूत को चाटने और पीने लगा. उसकी
झिर्री पर अपनी झीभ की नोक फिराते हुए…मैने उसके चूत के होंठ
खोलने चाहे….पर वो बेहद टाइट थे…फिर मैने वो इरादा छोड़ा और उस
झिर्री पर जीब की नोक फिराते हुए जीब को नीचे ले जाने
लगा….गुप्ताँग के नीचे चाटा कुरेदा….किस दिए…और फिर करते करते
जीब की नोक से उसके चुटटर के छेद को कुरेदने लगा. कभी मैं उसे
चाट लेता पूरी जीभ का चपटा भाग रखकर….मुझे मज़ा आ रहा था…वो
और ज़्यादा तड़पति जा रही थी…उसका बदन आब ज़ोर ज़ोर से उछल रहा
था. वो बहुत आवाज़ें भी निकाल रही थी…..पर मेरा घर बहुत बड़ा
है……उस शोर से मेरी कामग्नी और भड़क रही थी…सो मैने उसे और
तड़पाने लगा.
म्म्म्मायन्न…म्म्माआररर …ज्ज्जााूऊन्नननज्गगीइइइ …. प्प्प्ल्लीआसए.. मैं
उसकी ऊट मे उंगली डाल कर उसे थोड़ी ढीली करने की कोशिश कर रहा
था.. साथ ही जीभ से चाट रहा था.
मैने देखा की उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा है.. वो मेरे तने
हुए लंड को मसालने लगी .. मैं अब उसके पैरों को फैलाकर उसके बीच
मे बैठ गया.. और अपना लंड उसके चूत के दरार मे रगड़ने लगा.. वो
तड़प उठी.. राज.. मेरी चूत मे कुछ हो रहा है.. आग लग गयी
है.. मैने पास रखी पॉंड्स कोल्ड क्रीम की बॉटल से पूरी क्रीम अपने
लंड पर लगाया और उसकी चूत मे क्रीम डाल कर एक उंगली घुसाई..
बहुत टाइट थी उसकी गुलाबी ऊट.. वो सिहर उठी.. कहा दर्द हो रहा
है.. मैने कहा थोड़ा दर्द बर्दाश्त करो मेरी रानी.. अब लंड का मोटा
सूपड़ा उसकी चूत के छेद पर रखा और दबाया.. क्रीम की वजह से
लंड का सूपड़ा फिसलने लगा क्यूकी चूत टाइट थी. मैने फिर से लंड
को टीकाया और कमर टाइट करते हुए एक झटका दिया और वो चीख
पड़ी.. मैने उसके मुँह पर हाथ रखा.. और दूसरा धक्का दिया.. और
उसकी चूत ने खून की पिचकारी चला दी… उसने ज़ोर से मेरे हाथ मे काट
लिया जिससे मेरे हाथ से भी खून निकल आया.. उसकी आँखे बाहर निकल
आई और आँसू बहने लगे.. मैं उसे किस करने लगा…"राज …
निकाआआल्ल्ल लूऊओ…. मैं मर् जाउन्गी… ऊहह..माआआ. बहुत दर्द हो
रहा है…. मैने नीचे देखा मेरी चादर पूरी लाल हो गयी थी.. ये
देख कर मैं रुक गया लेकिन लंड बाहर नही निकाला.. उसका दर्द कम
होते ही मैने और एक धक्का मारा और मेरा पूरा लंड उसकी चूत मे
डाल दिया और उसके होंठो को मेरे होंटो से पकड़ लिया .. वो
गगगगगगगगग…. करने लगी.. मेरी पकड़ मजबूत थी..करीब 3-4 मिनूट के
बाद उसका दर्द कम हुआ और मैने धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर
करना शुरू किया.. उसे भी मज़ा आने लगा.. और 2 मिनूट मे ही वो झाड़
गयी.. मैने स्पीड बढ़ा दी.. अब वो भी मज़े लेने लगी.. ज़ोर से ..
मेरे दूल्हे राजा.. चोदो अपनी दुल्हन को अच्छे से चोदो.. आज तुमने
मेरी चूत फाड़ ही दी.. कितनी लकी हूँ मैं.. मेरी सहेली के जीजा से
तुम ज़्यादा अच्छे हो..आआआहह… ज़ोर से..मैं भी ज़्यादा रुकने की
पोज़िशन मे नही था.. मैने अब तूफ़ानी धक्के मारते हुए पूरे लंड को
बाहर खीच कर धक्के लगाने शुरू किए.. और फिर जड़ तक उसकी गुलाबी
चूत मे डाल कर मेरे लंड का पानी डाल दिया.. और उसकी चूंचियों
को चूमते हुए उसके उपर लेट गया..
हम दोनो तक गये थे.. इसलिए सो गये.. शाम को करीब 4 बजे उठे
.. दोनो बाथरूम गये और नहाए.. फिर वो शरमाती हुई.. अपने घर
चली गयी.. मैने देखा उसे चलने मे काफ़ी तकलीफ़ हो रही थी..
दोस्तो कैसी लगी ये कहानी आपको
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02-26-2019, 09:34 PM,
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
दो कामुक सहेलियाँ-1
इंसान के हर काम मे पहली बार एक झिझक होती है. जब एक बार काम कर लिया तो सब परदे उठ जाते हैं. ऐसी ही कहानी दो सहेलिओं और उनके भाइयों की है जिसको मे पेश कर रही हूँ. उम्मीद है आपको पसंद आएगी. “साली, शिल्पा, तेरे भैया कहाँ हैं आज? विनोद भैया से बात कर के बहुत मज़ा आता है. कितने अच्छे हैं विनोद भैया! कितना बालिश्ट जिस्म है उनका?” नीता ने अपनी प्यारी सहेली से कहा. वो अभी अभी कल एक फिल्म देखने का प्रोग्राम बना कर हटी थी. नीलम थियेटर मे एक सेक्सी इंग्लीश फिल्म लगी थी जिसकी 2 टिकेट्स नीता ले कर आई थी. शिल्पा जो कि 18 साल की सेक्सी लड़की थी सब समझती थी. नीता उसके भैया से इश्क करती थी और विनोद भैया भी नीता को गौर से घूरते रहते थे.
नीता थी ही इतनी खूबसूरत. उसकी उमर 22 साल की थी जब कि शिल्पा की उमर 17 साल की थी. नीता का भाई सुरेश 16 साल का था जब कि विनोद, 24 साल का था. नीता मांसल जिस्म की मलिका, गोरा रंग, भरा हुआ जिस्म, मोटे गोल नितंब जो उसकी जींस फाड़ कर बाहर आने को मचलते और उसके चुचियाँ उसकी ब्रा भी ढक नहीं पाती थी. नीता की खूबसूरती देख कर तो शिल्पा का मन भी खराब हो जाता, हालाँकि वो कोई लेज़्बीयन नहीं थी. शिल्पा ने अपनी सहेली के चूतड़ पर ज़ोरदार थप्पड़ मारते हुए कहा,” क्या बात है बहुत याद आ रही है विनोद भैया की? कहीं विनोद भैया को अपना सजना बनाने का इरादा तो नहीं है? ऐसा है तो अभी से तुझे भाभी कहना शुरू कर देती हूँ. वैसे भैया भी बहुत इंटेरेस्ट लेते हैं तुझ मे. तेरी चुचि पर नज़र रहती है उनकी. मुझे तो लगता है कि उनकी पैंट मे कुच्छ उठ जाता है तुझे देख कर. मेरी बन्नो, क्या बात है?”
नीता शरम से लाल हो गयी. उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगा. उसकी चूत फड़ फडा उठी अपपनी सहेली के बात सुन कर.” चल चुप कर. जो मन मे आता है बक देती है. वो जैसे तेरे भैया हैं, वैसे ही मेरे भैया हैं. तेरा तो दिमाग़ उल्टा ही चलता है” नीता ने नाटक करते हुए कहा. नीता ने नज़र छुपा कर विनोद की टेबल पर अपना लव लेटर किताब के नीचे रख दिया. लेकिन शिल्पा शीशे मे से सब देख रही थी. उसने नाटक करते हुए कुच्छ नहीं कहा लेकिन आज उसने अपने भाई और सहेली के इश्क के राज़ का पर्दाफाश करने की ठान ली.
नीता असल मे विनोद से इश्क करती थी लेकिन शिल्पा से नहीं कह सकती थी. मन ही मन वो विनोद को कई बारी नंगा कर चुकी थी और जानती थी कि विनोद भी उसको इश्क करता है. कई बारी विनोद मज़ाक मज़ाक मे नीता की गांद पर हाथ फेर चुका था जिस से नीता के दिल मैं हलचल मच जाती थी.” काश विनोद मुझे बाहों मे भर कर भींच ले और मेरी चूत मे अपना लंड पेल दे!!!” नीता यही सोच रही थी. शिल्पा वैसे जानती थी कि दोनो मे कुच्छ चल रहा है लेकिन आज अपनी सहेली का लेटर पढ़ कर सब पता चल जाएगा.
” ठीक है, मेरी नीता रानी, अगर नहीं बताना तो मत बता. अगर मुझे अपने आप पता चला कि तू मेरे भैया से इश्क फरमा रही है तो समझ ले कि मैं तुझे नंगा कर के तेरे जिस्म के हर अंग को वैसे ही चुमूंगी जैसे मेरे भैया चूमते होंगे” शिल्पा हंस कर बोली और उसने साथ नीता को आलिंगन मे ले कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर किस करना शुरू कर दिया. नीता अचंभित रह गयी अपनी सहेली की इस हरकत से. शिल्पा की 36 डी ब्रा मे क़ैद चुचि अपनी सहेली की चुचि से टकराने लगी और उसके हाथ नीता की पीठ और चुतडो पर रेंगने लगे. नीता का मुँह हैरानी से खुल गया और शिल्पा ने अपनी ज़ुबान उसके अंदर घुसेड दी. नीता ना चाहते हुए भी शिल्पा की ज़ुबान को चूसने लगी. दोनो सहेलियाँ एक लेज़्बीयन कामुक चुंबन मे क़ैद हो गयी. नीता के हाथ खुद ब खुद शिल्पा की चुचि पर चले गये और वो उनको प्यार से दबाने लगी. शिल्पा की चुचि कड़ी हो चुकी थी और दोनो सहेलियाँ कामुकता मे डूब कर एक दूसरी को किस कर रही थी.
चुंबन चलता रहा और दोनो एक दूसरे के जिस्म को सहलाती रही. दोनो की चूत रस से भीग गयी और दोनो को एक नयी किस्म की उत्तेजना होने लगी. शिल्पा ने एक हाथ नीता की जांघों मे घुसा दिया और उसकी मस्त चूत को दबाने लगी. चुंबन ख़तम होते ही नीता बोली,” साली, विनोद भैया का नाम ले कर तू खुद मुझे उत्तेजित कर रही है मेरी शिल्पा. क्या बात है एक तरफ तेरा भाई मुझे पटाने की कोशिश करता है दूसरी तरफ तू? मैं किधर जाऊ? तुम दोनो भाई बेहन के चक्कर मे मैं कहीं रगड़ी ना जाऊ! भाई तो लंड खड़ा कर के बैठा है तो बेहन मुझे अपनी लेज़्बीयन बना देने पर तुली हुई है. लगता है मेरी खैर नहीं”
लेकिन सच ये था कि नीता बहुत गर्म चुकी थी और उसकी चूत रस टपका रही थी. वो गौर से अपनी सहेली शिल्पा को देख रही थी जिसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे और साँस तेज़ी से चल रही थी. ” मैने तो सोचा तेरे साथ ही ब्लू फिल्म चला लूँ, मेरी बन्नो. कोई बात नहीं कुच्छ ही दिनो मे विनोद भैया मेरे लिए कंप्यूटर ले कर आने वाले हैं. दोनो बैठ कर राज शर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम देखेंगे और नई नई सेक्सी कहानियाँ पढ़ेंगे, ठीक है?” नीता ने अपनी सखी को फिर याद करवाया,” लेकिन कल 2 बजे तैयार रहना राज शर्मा स्टॉरीज पढ़ने के लिए”
शिल्पा अपनी सखी को बाहर तक छोड़ कर वापिस आई तो उसका सीना धक धक कर रहा था. वो सीधा विनोद भैया की किताबों के पास गयी और नीता का छुपाया हुआ लेटर निकालने लगी. काँपते हाथों से उसने लेटर खोला,” मेरे प्यारे विनोद भैया! ये क्या आप मुझ से और मैं आप से प्यार करती हूँ लेकिन ये भैया क्यो? नहीं मेरे विनोद सजना, अब हमारे मिलन का दिन आ गया है. मैं आपकी प्यारी बहना को फिल्म दिखाने के बहाने कल 2 बजे थियेटर ले जाऊगी और फिर बहाना बना कर मैं अपने साजन के पास चली आउन्गि. फिर तुम होगे और मैं! फिर हमारा मिलन होगा और इस बार हमारे बीच कुच्छ नही होगा, कपड़े भी नहीं, नीता आपके सामने उस रूप मे होगी जिस रूप मे इस दुनिया मे आई थी, यानी कि आपकी नीता बिल्कुल नंगी आपके सामने आना चाहती है. अब कल मिलेंगे मेरे साजन, मेरे विनोद भैया!!”
शिल्पा लेटर को पढ़ कर कामुक होने लगी.” तो मेरी सहेली मेरे भैया से चुदवाने की प्लान बना चुकी है और वो भी मुझ से चोरी!” शिल्पा सोच मे पड़ गयी. तो मुझे गायब करने के लिए मेरी प्यारी सखी मुझे फिल्म देखने भेज रही है. कोई बात नहीं, मेरी नीता रानी, मेरा नाम भी शिल्पा है. शिल्पा ने चिट्ठी एक बार फिर पढ़ी और फिर उसने अपने विनोद भाई का इंतज़ार शुरू कर दिया. वो नहा कर बाथरूम से बाहर निकली और उसने एक मलमल का कुर्ता और पाजामा पहन लिया और नीचे ना ब्रा और ना ही पैंटी पहनी. कुर्ते की पॉकेट जो कि उसकी बाई चुचि पर लगी हुई थी, उसमे उसने चिट्ठी डाल ली.
शाम को विनोद जब घर आया तो शिल्पा सोफे पर बैठी उसका इंतज़ार कर रही थी. विनोद ने एक नज़र अपनी बेहन पर डाली तो एक बार तो वासना उसके दिल मे जाग उठी. साली क्या मस्त है उसकी बेहन! शिल्पा 17 वर्षीय अती सेक्सी लड़की थी. रंग चाहे सांवला लेकिन नैन नक्श कातिल थे उसके. कुरती से बाहर निकलने को तड़प रही थी उसकी जवानी. उसके स्तन के उभार ग़ज़ब ढा रहे थे और सॉफ दिख रहा था कि वो कुरती के नीचे नंगी थी. अपनी बेहन के निपल देख कर विनोद भूल गया कि वो उसकी बेहन है. शिल्पा के खुले बाल उसको और भी मस्त बना रहे थे. विनोद का लंड सलाम करने लगा और उसको इस बात पर शरम भी आ रही थी कि वो अपनी बेहन को देख कर ही उत्तेजित हो रहा था.
क्रमशः……………………….
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
दो कामुक सहेलियाँ-2
गतान्क से आगे………………
विनोद ने अपने आपको कोसते हुए नज़र घुमा ली और अपने खड़े होते लंड को बिठाने की कोशिश करने लगा. “भैया आज नीता आई थी, बहुत तारीफ कर रही थी आपकी. क्या बात है? कोई चक्कर वक्कर तो नहीं चल रहा आप के साथ उसका” शिल्पा ने चुटकी ली.” नहीं तो! क्या कुच्छ कह रही थी? मुझे तो मिली नहीं कयि दिनो से” विनोद ने झूठ बोला. शिल्पा शरारत से बोली,” भैया झूठ मत बोलो. उसने तो एक चिट्ठी भी दी है आपके लिए. अगर नहीं चाहिए तो मैं नहीं देती उसकी चिट्ठी. अगर उसको भाभी बनाने का इरादा है तो बता दो, मेरी सहेली बहुत प्यारी और सेक्सी है”
विनोद झट से बोला,” कहाँ है चिट्ठी, शिल्पा मेरी प्यारी बहना, मुझे दो ना” लेकिन शिल्पा इठला कर बोली,” इस मे मुझे क्या मिलेगा, मेरे प्यारे भैया? चिट्ठी तो मेरी जेब मे है” वो अपने सीने की जेब की तरफ इशारा करती हुई बोली जहाँ उसका सीना उठान लिए हुए था. मल मल की कुरती मे से उसके काले निपल सॉफ नज़र आ रहे थे. विनोद अपनी बेहन के पास जा कर बोला” तुझे क्या चाहिए अपने लिए, शिल्पा? जो माँगो गी दे दूँगा अपनी प्यारी बहना को” शिल्पा तुनक कर बोली,” सभी कुच्छ तो नीता को दे दोगे, मुझे तो कुच्छ ना मिलेगा. लो मैं ये चिट्ठि नहीं दूँगी” उसने अपनी चुचि पर हाथ रख कर चिट्ठि दिखाते हुए कहा.
विनोद अपनी बेहन से चिट्ठी छीन लेने के लिए बढ़ा तो वो भागने लगी और विनोद ने उसको पीच्छे से जाकड़ लिया और उसके हाथ अपनी बेहन के वक्ष स्थल पर चले गये. इसी हाथा पाई मे उसके हाथ अपनी बेहन की चुचि को दबा गये. उसकी कोमल चुचि अपने भाई के स्पर्श से कड़ी हो उठी और विनोद का लंड उसकी गांद मे घुसने लगा. विनोद ने हाथ डाल कर अपनी बेहन की जेब से चिट्ठी निकाल ली लेकिन उसका लंड अब बैठने का नाम नहीं ले रहा था.” माफ़ करना शिल्पा मेरी बहना.” शिल्पा भी कामुकता की वजह से उत्तेजित हो चुकी थी लेकिन लाज के कारण बोली,” कोई बात नहीं भैया, आप के हाथ तो नीता के जिस्म को स्पर्श करने के लिए तड़प रहे होंगे. सच मानो आज तो मुझे अपनी सहेली से ईर्ष्या हो रही है और आप पर प्यार आ रहा है”
विनोद शर्मिंदा हो कर चिट्ठि ले कर अपने रूम मे चला गया. अपनी माशूक का लव लेटर पढ़ कर उसने मूठ मारी और दूसरे दिन के सुहाने ख्वाब आँखों मे ले कर सो गया. उस रात शिल्पा को चुदाई के सपने आ रहे थे जिस मे विनोद भैया नीता को नंगा कर के चोद रहे थे. विनोद भैया का लंड कितना मोटा और विशाल था! नींद मे शिल्पा अपनी चूत को हाथ से रगड़ने लगी और सवेरे जब उठी तो उसका पाजामा चूत वाले भाग से गीला हो चुका था. शिल्पा एक रोमांचित मूड मे थी. ठीक वक्त पर नीता आ गयी और दोनो सहेलियाँ फिल्म देखने चली गयी. फिल्म अभी शुरू ही हुई थी कि नीता का सेल फोन बजा और वो कुच्छ देर बात करने के बाद बोली,”शिल्पा मेरी जान, मुझे घर जाना होगा, मम्मी की तबीयत ठीक नही है और मुझे बुलाया है. ऐसा करो, तुम फिल्म देखो, अब टिकेट वेस्ट करने का कोई फ़ायदा ना होगा, मैं फिर कभी फिल्म देख लूँगी” शिल्पा बोली,”ठीक है”
” नीता मेरी जान, तू चल विनोद भैया के पास. साली तुम दोनो को रंगे हाथ ना पकड़ा तो मेरा नाम शिल्पा नहीं. साली अपनी सहेली को बेवकूफ़ बनाती है!” उसने मन ही मन कहा और नीता की मटकती हुई गांद को जाते हुए देखती रही. 10 मिनिट के बाद वो भी बाहर निकली और रिक्शा ले कर घर चल दी. घर एक दम सूना था. दोपहर की धूप ने सभी को अपने घरों मे रहने को मज़बूर किया हुआ था, दबे पैर शिल्पा घर मे दाखिल हुई और विनोद के कमरे की तरफ बढ़ी. कोई आवाज़ नही आ रही थी. तभी उसको अपने खुद के रूम से आवाज़ सुनाई पड़ी,” नहीं विनोद भैया, यहाँ नहीं, ये तो शिल्पा का बेड है. मुझे अपने बेड पर ले चलो और अपनी दुल्हन बना लो” विनोद हंस कर बोला”जब मुझे अपना भैया बोल रही हो तो मैं भी तुझे अपनी बेहन के बिस्तर पर ही चोदुन्गा, मेरी प्यारी नीता बेहन! ओह भगवान, कितनी मस्त है तू! सारी रात मूठ मारता रहा हूँ मे तेरी याद मे!!”
शिल्पा दोनो की बातें सुन कर शरम से लाल हो गयी. उसने अपने कमरे के डोर के छेद मे से झाँकना शुरू कर दिया. अंदर विनोद भैया बिल्कुल नंगे खड़े थे और नीता मादरजात नंगी हो कर शिल्पा के बिस्तर पर लेटी हुई थी. विनोद भैया का लंड किसी काले नाग की तरह फूँकार रहा था और वो झुक कर नीता के जिस्म का एक एक भाग चूम रहे थे. नीता का गोरा बदन चमक रहा था और विनोद भैया ने उसको पैरों से चूमना शुरू किया. ज्यों ही उनके होंठ टाँगों के ऊपर जाने लगे तो नीता एक कामुक सिसकारी ले उठी”आआआआआआआआआआआआआआआआआआ….भैया..बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स करूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ….मत तडपाओ….ऊऊऊ….भैयाआआ….मेरी चूत मे आग लगा दी है आपने भैया….उूुउउफफफ्फ़…..हैईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मैं मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई..आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!” लेकिन विनोद ने उसके जिस्म को चाटना नहीं छोड़ा और उसके होंठ अब नीता के घुटनो से ऊपर उसकी चिकनी जांघों तक जा पहुँचे थे.
शिल्पा का बदन भी एक अनोखी आग से भर गया और उसका हाथ अपनी चूत को सहलाने लगा.”काश विनोद भैया के होंठ मुझे चूम रहे होते!!!!” उधर नीता बिस्तर पर छत पटा रही थी. वो अपने चुतडो ऊपर उठा रही थी और विनोद उसके मादक जिस्म का एक एक इंच चूम रहा था. ” ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….भैया…बस करो…आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…बेह्न्चोद अब चोद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द दो मुझे…मेरी आग बुझा दो मेरे विनोद..बस करो अब..प्लीज़!!” लेकिन विनोद तो अब नीता की चूत पर जा पहुँचा था. नीता ज़ोर ज़ोर से अपनी चुचि मसल्ने लगी.” नाआआआआआआआआआआआआआआआअ….भैया..मेरी चूत नहीं…नाआआआआआआआआअ…हाआँ…हाआआन्न्नननननननननननननननननननननणणन्..चूसो..भैया…चूसो मेरी चूत….हाआआअन्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न!” विनोद ने अपनी ज़ुबान नीता की चूत मे घुसा डाली. नीता की चूत पर एक भी बाल नहीं था, शायद आज चुदाई की तैयारी कर के आई थी.
विनोद का मुँह अब नीता की चूत से चिपका हुआ था और उसकी ज़ुबान चूत का अमृत चाट रही थी. इधर शिल्पा ने अपनी सलवार का नाडा ढीला कर के अपना हाथ अपनी पैंटी के अंदर डाल लिया और चूत को रगड़ने लगी. उसकी चूत बुरी तरह मचल रही थी. अगर विनोद उसका भाई ना होता तो अभी जा कर अपनी सहेली के साथ चुदाई मे शामिल हो जाती. शिल्पा को अपने भैया का लंड किसी भयंकर हथियार जैसा लग रहा था. भैया का लंड बहुत विशाल था, कितना भयंकर और कितना प्यारा. विनोद अब नीता की चूत को फैला कर चाटने लगा. नीता अपनी चुचि मसल्ने लगी.
इधर शिल्पा अपनी चूत मे उंगली करने लगी. नीता ने अपनी टाँगों को विनोद के कंधों पर रख दिया था और वो मज़े से अपनी बेहन की सहेली की चूत चाट रहा था. कुच्छ देर तक चूत की चटाई चलती रही और फिर शिल्पा ने देखा कि उसका भाई खड़ा हो गया. उसका लंड सीधा तन कर आकड़ा हुआ था. विनोद ने नीता के सिर को पीच्छे से पकड़ कर उसके मुँह को अपने लंड की तरफ बढ़ा दिया. नीता को जैसे कुच्छ समझ ना आया हो. वो कामुक नज़र से विनोद को देखने लगी तो विनोद बोला”रानी अब अपने विनोद के लंड को नहीं चुसोगी? इसको चूस कर मुझे मस्त कर दो. मुझ से तेरा प्यार तभी पूरा होगा जब तुम मेरा लंड चुसोगी.”
नीता ने बिना कुच्छ बोले लंड को जड़ से पकड़ कर सुपाडे को चाटना शुरू कर दिया. विनोद ने उसके बालों मे हाथ फेरना शुरू कर दिया और एक हाथ से नीता की चुचि मसलनी शुरू कर दी. नीता विनोद के लंड पर ज़ुबना फेरती हुई लंड को चाट रही थी. उसके हाथ अपने यार के चुतडो पर थे और विनोद अपनी गांद आगे पीच्छे कर रहा था और नीता के मुँह का चोदन कर रहा था.
शिल्पा का उत्तेजना से बुरा हाल हो रहा था और उसकी चूत से रस की बरसात हो रही थी. वो अपनी उंगलिओ से चूत रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चुचि मसल रही थी. उसकी उंगलियाँ चूत रस से भीग चुकी थी और वो बे तहाशा उंगली चोदन कर रही थी.”विनोद, मेरे यार अब नहीं रहा जाता. अब जल्दी से पेल डालो मुझे. पता नहीं कब शिल्पा भी यहाँ पहुँच जाए. फिल्म के ख़तम होने से पहले मुझे यहाँ से निकल जाना चाहिए वेर्ना उसको शक हो जाएगा. मेरा ये पहला अवसर है चुदाई का, प्लीज़ ज़रा धीरे से करना. तेरा तो लंड भी बहुत ज़ालिम दिख रहा है. अपनी नीता की चूत को प्यार से चोद्ना, मेरे यार!”
विनोद ने फिर से नीता को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके जिस्म को खींच कर बिस्तर के किनारे तक ले गया जिस से उसकी गांद बिस्तर के किनारे तक आ गयी. नीता ने अपनी मांसल जांघों को खोल दिया और विनोद ने उसके चुतडो के नीचे एक तकिया रख कर उसकी चूत को और ऊपर उठा दिया और फिर अपने सुपाडे को चूत पर टिका कर रगड़ने लगा. नीता ने अपनी टाँगें उसकी कमर पर बाँध रही थी और वो जल्दी से लंड अंदर डालने की गुज़ारिश कर रही थी,” विनोद, मेरे यार डाल भी दो ना,,, क्यो तड़पा रहे हो अपनी नीता को….पेल दो मुझे प्लीज़…ठोक दो अपना लंड मेरी चूत मे मेरे भाई….चोद डालो मुझे!!!”आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मजाआाआआआआआआआआआअ
विनोद ने देखा कि लोहा गरम है. उसने अपना लंड चूत के मुँह पर रख कर धक्का मारा. बे शक लंड भी चाटने से चिकना हो चुका और चूत भी पानी छोड़ रही थी, फिर भी नीता पीड़ा से चीख उठी,” आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…मरीईईईईईईईईई…मेरी माआआआआआआआआआआआआआआआ…मैं मरीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई….बस करूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ….निकाल लो…प्यार से डालो…ऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….धीरे से विनोद!!!” लेकिन विनोद ने अपना मूह नीता के निपल पर रख दिया और चुदाई करते हुए चूसने लगा. उसके धक्के धीरे से लग रहे थे और वो मस्ती से चोद रहा था अपनी कुँवारी माशूका को. नीता को भी कुच्छ देर मे मज़ा आने लगा और वो भी चुतडो उच्छालने लगी.
विनोद की गति बढ़ रही थी जैसे जैसे उसकी वासना बढ़ रही थी. चूत चिकनी होने की वजह से लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था.” बहुत मस्त है तेरी चूत, नीता, आज मेरा सपना पूरा हुआ….ऐसी लड़की का सपना देखा था मैने जो मुझे बहुत प्यार करती हो और जो तेरे जैसी सेक्सी हो…तुझे अपनी बना कर रखूँगा और ऐसे ही चोदुन्गा…तेरी चूत तो बस मक्खन जैसी चिकनी है रानी!!!” विनोद बोले जा रहा था और ताबड तोड़ धक्के मारते हुए चोद रहा था. शिल्पा की चूत मे उसकी तीन उंगलियाँ जा चुकी थी और वो बुरी तरह हाँफ रही थी और अपनी चुचि को मसल रही थी. शिल्पा अपनी सहेली और भैया की चुदाई देख कर पागल हो रही थी.
नेता ने कस के अपनी टाँगें विनोद की कमर पर बाँधी हुई थी और तेज़ साँस लेते हुए बोल रही थी,” भैया ज़ोर से चोदो…बहुत मज़ा मिल रहा है मुझे….पेलो भैया…आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…..ज़ोर से…..ऊओह…आअररररगगगगगगगगगगगगगगगगगग…चोद मुझे!!” विनोद ने भी चुदाई की रफ़्तार तूफ़ानी कर दी थी. उसकी कमर पिस्टन की तरह आगे पीच्छे हो रही थी. वो अपना लंड जड़ तक नीता की चूत मे घुसा देता और उसके अंडकोष नीता की गांद से टकरा जाते.” नीता मेरी रानी….अब मैं झड्ने वाला हूँ….रुक नहीं सकता….एयाया….ह्हाआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….मेरा लंड पानी छोड़ने वाला है…..ऊहह…रानी मैं झाराआा…आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!!” लंड मशीन की तरह चुदाई कर रहा था और नीता आँखें बंद कर के धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी.
“राजा, ज़ोर से चोदो…मैं भी झड रही हूँ..उउउहह….ऊऊ….अर्र्र्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…मैं गयी…चोद लो राजा…मैं तेरी हो गयी…भैया चोद लो मुझे” नीता भी कराह रही थी. बाहर शिल्पा की चूत पानी छोड़ रही थी. एक ही वक्त पर तीनो झाड़ रहे थे. विनोद का लंड जब अपना रस का फोव्वारा छोड़ रहा था तो नीता की चूत उसके लंड पर रस की बरसात कर रही थी और शिल्पा की चूत अपनी उंगली से ही चुदाई का मस्त मज़ा ले रही थी.
क्रमशः……………………….
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