Hindi Sex Stories By raj sharma
02-26-2019, 09:32 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
चचेरी और फुफेरी बहन की सील--4

गतान्क से आगे..............

मेरे दिमाग में घंटी बजी !

तभी डॉली जल्दी से उठ कर बाथरूम के अन्दर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया, तो मैंने ललिता से मौका देख कर पूछा तो उसने मुस्कराते हुए बताया कि डॉली को पीरियड आ गया, चूँकि उसको डेट याद नहीं रही, तो पैड वगैरह नहीं थे, इसी लिए हम लोग अपनी क्लास टीचर से जल्दी छुट्टी लेकर घर आ गए।

अब बात मेरे समझ में आई।

मुझे यह बताने के बाद ललिता अन्दर कमरे में गई और अपनी एक ड्रेस और चुनमूनियाँ में पीरियड के समय लगाने वाला पैड (मुझे दिखाते हुए) लेकर बाथरूम के बाहर लेकर दरवाजे पर दस्तक दी। जिसको कि डॉली ने हाथ निकाल कर ले लिया। मैंने तुरंत अपना दिमाग लगाया और ललिता को वापस आते ही अपनी बाँहों में भर लिया और उसके प्यारे चेहरे पर अनगिनत चुम्मी कर डालीं। ललिता ने भी उसी तरह से उत्तर दिया। फिर मैंने उसकी आँखों में देखा और मुस्कराने लगा, शायद उसको मेरी आँखों की भाषा समझ आ गई थी।

वो प्यार से मेरी आँखों में देखती हुई बोली- क्या बहुत मन है.. डॉली की सील तोड़ने का प्रियम !

मैंने उसको बहुत जोर से अपने से चिपका लिया और कहा- हाँ जान.. बहुत ज्यादा !

उसने कहा तो कुछ नहीं, बस वैसे ही चिपके हुए मेरे बाल सहलाती रही, फिर बोली- अभी तुम जाओ, देखती हूँ.. क्या हो सकता है !

शाम को फूफा जी डॉली को लेने आए, लेकिन फिर जो भी बात हुई हो उनकी ललिता और डॉली से, वो अकेले ही वापस लौट गए थे।

दूसरे दिन सुबह ललिता के स्कूल जाने के टाइम मैं बालकनी में गया तो देखा कि ललिता अकेले ही स्कूल जा रही थी, डॉली उसको गेट तक छोड़ने गई।

उसने ऊपर मेरी तरफ देखा और मुस्कराकर मुझे नमस्ते किया। मैंने भी उसको नमस्ते का जवाब दिया, मुझे लगा शायद ललिता ने जानबूझ कर मुझे मौका देने के लिए ऐसा किया है और मुझे इसका फायदा उठाना चाहिए।

लेकिन अभी तो चाचा जी भी घर में थे और मेरी तरफ मेरी माता जी भी घर में ही थीं।

मैं थोड़ी देर बाद अपने चाचा की तरफ गया तो देखा कि चाचा आफिस जाने के लिए तैयार हो रहे थे और डॉली सोफे पर बैठ कर टीवी देख रही थी।

मुझे देख चाचा जी बोले- राज, आज डॉली की तबियत ठीक नहीं है, यह घर पर ही रहेगी, तुम इसका ध्यान रखना !

मैंने कहा- जरूर !

थोड़ी देर बाद चाचा जी चले गए, मैं भी वहीं डॉली के साथ सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा।

फिर मैंने पूछा- डॉली, अब तबियत कैसी है, डाक्टर के यहाँ तो नहीं चलना?

उसने कहा- नहीं भैया, मैं ठीक हूँ.. बस थोड़ा आराम कर लूँ, सब ठीक हो जाएगा।

खैर… हम लोग टीवी देखते रहे, फिर थोड़ी देर बाद मैं खड़ा हुआ और कहा- डॉली मुझे कुछ काम है, मैं अभी आता हूँ !

मैं वहाँ से निकल आया, लेकिन दोस्तों मैंने अपना मोबाइल फ़ोन जानबूझ कर वहीं छोड़ दिया।

यहाँ मैं बता दूँ कि मैं 2 मोबाइल रखता हूँ, और मेरे दूसरे मोबाइल में बहुत सारी चुदाई की मूवी और फोटो, गंदे-जोक्स वगैरह स्टोर रहते हैं।

मैंने अपना वही फ़ोन डॉली के पास छोड़ा था। मैं जानबूझ कर बहुत देर तक उधर नहीं गया और आज तो वैसे भी मेरी माता जी घर पर ही थीं।

मैं अपने कमरे में लेटा टीवी देख रहा था, लेकिन मेरा दिमाग डॉली की तरफ ही था। पता नहीं उसने मेरा फ़ोन देखा भी होगा या नहीं।

करीब 2 घंटे के बाद मेरे कमरे में हल्की सी आहट हुई मैंने पलट कर देखा तो डॉली थी।

वो तुरंत बोली- भैया आपका फ़ोन, आप शायद भूल आए थे !

मैंने उसके हाथ से फ़ोन ले लिया, उसके चहरे पर हल्की सी मुस्कान थी

मैं समझ गया कि इसने खूब अच्छी तरह से मेरा फ़ोन देखा है।

मैं तो चाहता भी यहीं था, उसके बाद वो मुड़ी और मेरी माँ के कमरे में चली गई।

थोड़ी देर बाद ललिता भी स्कूल से वापस आ गई, मौका मिलते ही ललिता ने मुझसे पूछा- कुछ हुआ?

मैंने कहा- नहीं !

और उसको पूरी बात बता दी, सुनने के बाद वो बोली- जो करना है कल कर लो, क्योंकि कल के बाद डॉली अपने घर चली जाएगी !

अब मैं अभी से कल की प्लानिंग में लग गया क्योंकि कल तो मुझे डॉली की कुंवारी चुनमूनियाँ की सील किसी भी हाल में तोड़नी होगी।

दूसरे दिन सुबह, ललिता फिर अकेले ही स्कूल जा रही थी, मेरी नजर मिलते ही उसने मुझे इशारे से फिर याद दिला दिया कि आज शाम को डॉली अपने घर चली जाएगी।

थोड़ी देर बाद मैं अपनी माँ के कमरे की तरफ गया तो माँ ने बताया कि अभी मेरे मामा जी, जो घर के पास में ही रहते हैं, उनकी तबियत ठीक नहीं हैं और वे उनको देखने जायेंगी।

मैंने कहा- ठीक है और इधर मेरे दिमाग ने योजना बनाना शुरू कर दिया क्योंकि अब चाचा के जाने के बाद पूरे घर में सिर्फ मैं और डॉली ही बचेंगे।

करीब नौ बजे मेरी माँ, मामा के यहाँ गईं, मैं उनको गेट तक भेज कर वापस सीधे चाचा के पोर्शन में गया, चाचा ऑफिस जाने के लिए बिल्कुल तैयार थे।

डॉली शायद बाथरूम में थी। मैंने चाचा से बात करते हुए धीरे से अपना मोबाइल मेज पर जहाँ डॉली की एक किताब रखी थी, उसी के बगल में रख दिया।

चाचा ने डॉली को आवाज दी- मैं ऑफिस जा रहा हूँ !

मैं भी उनके साथ ही बाहर निकल आया, उनके जाने के बाद गेट बंद करके मैं सीधा अपने कमरे में चला गया।

मेरे पास कुछ चुदाई वाली फिल्मों की सीडी थीं, उनमें से एक मैंने सीडी प्लेयर में लगा कर प्ले कर दिया और सिर्फ चड्डी और बनियान पहन कर सोफे पर बैठ कर चुदाई वाली फिल्म का आनन्द उठाने लगा।

मैं देख तो रहा था टीवी, लेकिन मेरे दिमाग में सिर्फ डॉली का बदन ही घूम रहा था।

मैं सोच रहा था कि पता नहीं आज डॉली मेरे मोबाईल को देखेगी या नहीं !

यही सब सोचते हुए करीब एक घंटा गुजर गया। इधर अन्जलि को चोदने के ख्याल से ही मेरा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा हो गया था। मैं अपनी चड्डी के अंदर हाथ डाल कर उसको सहला रहा था, तभी मुझे दरवाजे पर कुछ आहट महसूस हुई।

मैं समझ गया कि डॉली ही होगी, लेकिन मैं वैसा ही सोफे में पसरा रहा, टीवी में इस समय भयकंर चुदाई का सीन चल रहा था।

मेरे कमरे में ड्रेसिंग टेबल इस तरह सेट है कि उसमें कमरे के दरवाजे तक का व्यू आता है।

मैंने उसमें देखा कि डॉली की नजर टीवी पर पड़ गई थी और वो दरवाजे पर ही रुक गई, पर उसकी नजरें अभी भी टीवी पर ही थीं। मैंने जानबूझ कर अपनी चड्डी नीचे खिसका दी, अब मेरा नंगा लंड मेरे हाथ में था। मैं उसको सहला रहा था, मेरे हिलने से शायद डॉली का ध्यान मेरी तरफ गया और मुझे लगा कि वो मुड़ कर जाने वाली है।

मैंने अपना सर घुमा कर दरवाजे की ओर देखा और तुरंत उसी पोजीशन में खड़ा हो गया।

डॉली वापस जाने के लिए मुड़ चुकी थी। मैंने तुरंत उसको आवाज दी, वो मुड़ी मेरी तरफ देखा और जब उसने मुझे उसी हाल में (मेरी चड्डी नीचे खिसकी हुई थी और मेरा लंड खड़ा था) पाया तो मैंने देखा उसका चेहरा बिल्कुल लाल हो रहा था।

उसने हल्की सी मुस्कान दी और बिना रुके वापस चाचा जी के पोर्शन की तरफ भागती हुई चली गई।

मैंने एक-दो मिनट सोचा और फिर एक तौलिया लपेट कर उधर गया।

धीरे से अन्दर गया तो देखा कि डॉली ललिता के बेड में उलटी लेटी थी, उसकी पीठ मेरी तरफ थी और वो मेरे मोबाइल में शायद कुछ कर रही थी।

मैंने तुरंत निर्णय लिया, मैंने अपनी तौलिया हटाई और कूद कर डॉली के पास बेड पर पहुँच गया। मेरी नजर सीधे मोबाइल में गई, उसमें एक चुदाई वाली फिल्म चल रही थी।

मेरे इस तरह पहुँचने से डॉली एकदम चौंक गई। इसके पहले कि वो मोबाइल बंद करती, मैंने उसके हाथ से मोबाइल ले लिया। वो सब इतना अप्रत्याशित था कि डॉली एकदम स्तब्ध रह गई।

मैंने उसको गौर से देखा तो उसने अपनी नजरें नीची कर लीं।

आज शायद उसने अपने बालों में शैम्पू किया था क्योंकि उसके बाल खुले थे जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे।
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02-26-2019, 09:32 PM,
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आज उसने ललिता का गुलाबी स्कर्ट और टॉप पहना था।

शायद वो थोड़ी देर पहले ही नहा कर आई थी, वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।

मैंने सीधे उससे पूछ लिया- कैसी लगी पिक्चर?

वो कुछ नहीं बोली, मैंने थोड़ी हिम्मत कर उसको ठोढ़ी को हाथ से ऊपर उठाया और फिर पूछा- डॉली तुमको यह मोबाइल वाली पिक्चर कैसी लगी?

अबकी वो थोड़ा मुस्कराई और उठ कर भागने की कोशिश करने लगी।

मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ कर बेड में गिरा दिया और ताबड़-तोड़ चुम्बन करना शुरू कर दिया।

इसके पहले कि वो कुछ समझ पाती, मैंने उसके ऊपर छा गया और बहुत सारे चुम्बन कर दिए।

अब वो छटपटाने लगी, पहली बार उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए कहा- छोड़िए मुझे !

मैंने कहा- क्यों केवल मोबाइल में चुदाई देखनी है?

कहने के साथ ही मैंने अपना हाथ नीचे स्कर्ट के अन्दर डाल दिया, उसने चड्डी नहीं पहनी थी, इसलिए मेरा हाथ सीधे चुनमूनियाँ पर ही पहुँच गया।

डॉली बहुत जोर से चिहुंक गई, उसने पूरा जोर लगा कर मुझे अपने ऊपर से हटाना चाहा, लेकिन मैंने अपने हाथ से उसकी चुनमूनियाँ को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके हाथों को संभालता रहा।

डॉली की चुनमूनियाँ पर एक भी बाल नहीं था, बहुत ही हल्के-हल्के रोयें थे, ऐसा मुझे अपने हाथ से अहसास हुआ।

खैर.. अब उसने अपने पैरों को क्रॉस करना चाहा, तो मैंने उसके दोनों पैरों के बीच अपना एक पैर डाल दिया और उसका एक पैर दबा भी लिया। अब मेरी उंगलियां उसकी चुनमूनियाँ की कसी हुई फांकों को अलग करने में व्यस्त हो गईं।

मेरी उंगलियाँ उसकी कसी हुई चुनमूनियाँ की फांकों को अलग नहीं कर पाईं, तो मैंने उसकी चुनमूनियाँ की पतली सी दरार में अपनी उंगली से रगड़ना शुरू कर दिया। इस दौरान मैं उसके भग्न को भी रगड़ रहा था।

मेरी आँखें डॉली के चेहरे को देख रही थीं, वो शायद शर्म की वजह से अपनी आँखें बंद किए थी। पर मुझे उसके चेहरे पर गुस्सा नहीं दिखा तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।

अब मैंने डॉली के होंठों पर अपने होंठ लगा दिए, डॉली ने अपने होंठों को कस कर बंद कर लिए। फिर भी मैं अपनी जीभ उसके होंठों पर घुमाने लगा, इधर मेरी उँगलियाँ उसकी कुंवारी चुनमूनियाँ में हलचल मचा रही थीं शायद इस वजह से वो थोड़ी ढीली पड़ गई थी।

अब मैंने अपने दूसरे हाथ को धीरे से उसके टॉप के अन्दर खिसका दिया। डॉली की चूचियाँ एक मध्यम आकार के अमरुद के बराबर की थीं। मेरी उँगलियों ने जैसे ही डॉली की चूचियों को छुआ, वो फ़िर एकदम से चिहुंक गई, पर मेरी पकड़ बहुत मजबूत थी।

अब मैंने डॉली की चूची को सहलाना शुरू किया।

मैंने देखा कि डॉली के चेहरे के भाव बड़ी जल्दी से बदल रहे थे, शायद उसके बदन को पहली बार किसी मर्द ने इस तरह छुआ था। अब मैंने अपना हाथ दूसरी चूची को सहलाने में लगाया।

उधर एक हाथ अभी भी उसकी चुनमूनियाँ को सहला रहा था।

अचानक डॉली का बदन ऐंठने लगा, उसकी साँसें जोर-जोर से चलने लगीं। तभी मेरा हाथ जो कि डॉली की चुनमूनियाँ में था, कुछ गीला-गीला सा लगा, मैं समझ गया कि डॉली झड़ गई है।

अब उसका बदन बिल्कुल ढीला हो गया था, उसने जरा सा होंठ खोला शायद गहरी सांस लेने के लिए।

मैंने तुरंत अपनी जीभ उसके होंठों के अन्दर घुसेड़ दी, अब उसने आँखें खोल कर मेरी तरफ देखा। वो शायद कुछ कहना चाह रही थी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह से निकाल ली।

वो बोली- भैया.. अब मुझे छोड़ दीजिए, मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही है।

मैंने कहा- डॉली, अभी तो मैंने कुछ किया भी नहीं, ऐसे-कैसे छोड़ दूँ?

वो फिर बोली- मैं ठीक से सांस नहीं ले पा रही हूँ !

तो मैंने अपने दोनों पैर उसके पैरों के बीच में कर लिए और अपने घुटनों के बल बैठ गया और दोनों हाथों से उसके टॉप को ऊपर करने के साथ ही मेरा मुँह उसकी चूची पर पहुँच गया।

जैसा कि मैंने बताया, डॉली की चूचियाँ छोटी हैं, तो पूरी चूची मेरे मुँह में समा गई और दूसरी चूची को हाथ से सहलाने लगा।

डॉली को अब शायद मजा आ रहा था क्योंकि उसकी आँखें फिर से बंद हो गईं थीं।

मौका देख कर मैंने एक हाथ से अपनी चड्डी खिसका कर निकाल दी और फिर उसी पोजीशन में अपने लंड को डॉली की चुनमूनियाँ से छुआ दिया।

अब मैंने अपना मुँह डॉली की दूसरी चूची में लगा दिया और पहले वाली को हाथ से सहलाने लगा। मेरा लंड बीच-बीच में डॉली की चुनमूनियाँ को छू लेता था।

तभी डॉली ने अपनी आँखें खोलीं और मुझे देख कर बोली- भैया, प्लीज़ अब मुझे छोड़ दीजिए, आपने बहुत कुछ कर लिया है !

मैंने कहा- देखो डॉली मुझे तुम्हारे साथ वो सब करना है, जो तुमने अभी मेरे मोबाइल की चुदाई वाली पिक्चर में देखा है !

तो वो बोली- नहीं वो सब मैं नहीं कर सकती !

मैंने कहा- क्यों?

तो वो चुप रही, फिर मैंने कहा- देखो डॉली, करना तो मुझे है ही, अब तुम अगर मर्जी से करवा लोगी तो तुमको भी अच्छा लगेगा.. नहीं, तो मैं तो कर ही लूँगा !

वो चुपचाप मेरी आँखों में देखने लगी।

फिर बोली- तो आप मेरे साथ भी वही सब करना चाहते हैं जो आपने ललिता के साथ किया है..?

मैं समझ गया कि ललिता ने इसको हमारी चुदाई के बारे में सब बता दिया होगा।

मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारी भी सील तोड़ना चाहता हूँ… ललिता की तरह!

यह कह कर मैंने उसके चेहरे पर बहुत सारे चुम्बनों की बौछार कर दी।

अचानक डॉली ने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रख दिए और बोली- भैया मुझे छोड़ दीजिए, मुझे बहुत दर्द होगा.. मैं वो सब नहीं कर पाऊँगी, जो आपने ललिता के साथ किया था !

मैंने कहा- क्यों?

तो वो फिर चुप हो गई, अब जब मैंने देखा कि उसका विरोध करीब ख़त्म हो गया है तो मैंने अपने दोनों हाथो से उसके टॉप को उसके दोनों हाथ ऊपर करके हटा दिया।

अब उसके बदन में सिर्फ स्कर्ट आर मेरे बदन में सर्फ बनियान थी।

अब मैं जल्दी से उठा और अपनी बनियान भी निकाल दी। अब मैं अपनी पीठ के बल लेट गया और डॉली को अपने ऊपर खींच लिया। मैं अपने दोनों हाथों से डॉली की स्कर्ट उतारना शुरू किया, उसने रोकने की कोशिश की परन्तु कामयाब नहीं हो सकी।

अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे, मैंने डॉली को अपने बदन से चिपका लिया। उसके खुले हुए बालों से मेरा चेहरा ढक गया। मुझे बहत अच्छा लग रहा था। तभी मैंने अपने हाथों से डॉली की गाण्ड को सहलाना शुरू किया, उसके चुनमूनियाँड़ बिल्कुल गोल थे। काफी मस्त माल था !

मेरी उंगली उसकी गाण्ड के छेद का मुआयना करने लगी, तो अंजली ने तुरंत अपनी गाण्ड हिला कर मुझे ऐसा करने से मना किया।

खैर… अब मेरी उंगली उसकी गाण्ड से होते हुए उसकी चुनमूनियाँ पर पहुँच गई थी।

इधर मेरा लंड उसकी चुनमूनियाँ को छूकर और उत्तेजित हो रहा था। मुझे अहसास हो रहा था कि उसकी चुनमूनियाँ गीली थी।

मैं अचानक बैठ गया और डॉली को अपने हाथों के सहारे धीरे से लिटा दिया। मैंने झुक कर अपना मुँह उसकी चुनमूनियाँ की ओर किया, मैंने पहली बार उसकी कुंवारी चुनमूनियाँ को देखा।

दोस्तों डॉली की चुनमूनियाँ में बहुत ही हल्के से रोंयें थे और उसकी चुनमूनियाँ की दोनों फांकें एकदम जुड़ी हुई थीं। अब मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चुनमूनियाँ की फांकों को अलग किया तो अन्दर का रंग बिल्कुल गुलाबी था।

दोस्तों मैंने अपने होंठों को तुरंत डॉली की चुनमूनियाँ में लगा दिया। अचानक डॉली ने मेरे बाल पकड़ लिए और जोर से ऊपर की ओर खींचना चाहा और बोली- नहीं भैया… यह मत करो, अभी वहाँ खून हो सकता है !

तब मुझे याद आया कि डॉली का तो पीरियड था और आज तीसरा दिन था।

क्रमशः..................
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02-26-2019, 09:32 PM,
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चचेरी और फुफेरी बहन की सील--5

गतान्क से आगे..............

दोस्तों सब कुछ जानते हुए भी अब मेरा रुक पाना मुश्किल था। मेरे दिमाग में सिर्फ डॉली को चोदने की ही बात थी। मैंने अपने आस-पास नजर दौड़ाई। बेड के बगल में ही ललिता की ड्रेसिंग मेज रखी थी, उसके ऊपर मुझे नारियल तेल की शीशी दिख गई।

मैंने हाथ बढ़ा कर उसको उठा लिया और अंजली की दोनों टांगों को और फैला दिया। अब मैंने अपने एक हाथ में खूब सारा तेल लिया और अंजली की चुनमूनियाँ में लगा दिया। कुछ तेल डॉली की चुनमूनियाँ की दरार के अन्दर भी चला गया।

अब मैंने अपने लंड को तेल से बिल्कुल भिगो लिया। शीशी को वहीं पर रख कर मैं फिर अपनी पीठ के बल लेट गया और अंजली को अपने ऊपर बैठाया। मैंने एक हाथ से अपने लंड को अंजली की कुंवारी चुनमूनियाँ के मुँह में अन्दर करना चाहा, पर मेरा लंड फिसल गया। मैंने यह कई बार प्रयास किया, किन्तु लंड हर बार फिसल रहा था।

इधर उत्तेजना से मेरा हाल बुरा हो रहा था, लग रहा था कि मैं ऐसे ही झड़ जाऊँगा और उधर अंजली का भी बुरा हाल था, उसकी भी साँसें बहुत तेज चल रही थीं।

मैंने तुरंत फिर से अंजली को लिटा दिया और मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में इस तरह बैठा कि मेरा लंड उसकी चुनमूनियाँ के बिल्कुल करीब था।

अब मैंने अपने दोनों हाथों से डॉली की चुनमूनियाँ की फांकों को अलग-अलग किया और कमर हिला कर अपने लंड को डॉली की चुनमूनियाँ के मुँह में सैट किया, फिर मैंने अपने एक हाथ से अपने लंड को सहारा दिया जिससे कि वो अब बाहर ना निकल पाए।

मैंने डॉली की तरफ देखा तो उसने अपनी आँखें बंद की हुई थीं, होंठ भींचे हुए थे। मैंने अपनी कमर से थोड़ा दबाव बनाया, पर लंड डॉली की कुंवारी चुनमूनियाँ में इस बार भी नहीं जा पाया।

फिर मैंने अपने पैरों से डॉली के दोनों पैरों को और फैलाया और दुबारा अपनी कमर से दबाव बनाया। अब की बार मेरे लंड का थोड़ा सा सुपाड़ा ही अंजली की चुनमूनियाँ में गया होगा, लेकिन उसकी चीख निकल गई, चूँकि घर में इस समय कोई और था नहीं। मैंने उसी पोजीशन में और दबाव बनाया।

अबकी बार मेरे लंड का आधा सुपाड़ा अंजली की कुंवारी चुनमूनियाँ में घुस गया था और इधर डॉली लगातार चिल्ला रही थी।

मैंने उसकी कमर को बहुत ही मजबूती से पकड़ रखा था, मैंने अपनी कमर से एक हल्का धक्का मारा, तो मेरा करीब आधा लंड डॉली की चुनमूनियाँ को फाड़ता उसके अन्दर घुस गया।

मैंने डॉली के चेहरे की तरफ देखा तो मोटी आंसुओं की धार बह रही थी।

वो लगातार मुझसे कह रही थी- अब छोड़ दो, मैं मर जाऊँगी, बहुत दर्द हो रहा है !

अब मैं उसी पोजीशन में उसके ऊपर लेट गया और उसके आंसुओं को अपने होंठों से साफ़ किया, फिर उसके होंठों को चूसने लगा। इससे उसका चिल्लाना भी कम हुआ और कुछ ध्यान बंटा।

अपने दोनों हाथों से मैं डॉली की चूचियों को सहलाने लगा। इसी बीच मैंने एक जोर से धक्का अपनी कमर से मारा, जिससे मेरा करीब पूरा लंड डॉली की चुनमूनियाँ में समां गया, चूंकि डॉली के होंठ मेरे होंठों से दबे थे उसकी चीख तो नहीं निकल पाई, लेकिन वो बहुत तेज कसमसाई।

2-4 सेकंड रुक कर मैंने अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने के लिए हिलाना चाहा, पर डॉली की चुनमूनियाँ इतनी कसी हुई थी कि मेरा लंड हिल भी नहीं सकता था।

खैर.. मैंने एक और जोर का धक्का मारा, अब मेरा पूरा लंड डॉली की कुंवारी चुनमूनियाँ में समा गया था। अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊँगा।

डॉली की कुंवारी चुनमूनियाँ एकदम गरम भट्टी की तरह मेरे लंड को जलाए दे रही थी। कंट्रोल कर पाना मुश्किल था, तभी मुझे लगा कि डॉली का बदन अकड़ रहा है, उसने अपने हाथ से मेरी पीठ को इतना कस कर जकड़ा कि उसके नाखून मेरी पीठ में चुभ रहे थे।तभी मुझे अपने लंड के झड़ने का भी अहसास हुआ।

मेरी कमर ने 2-3 हिचकोले खाए और लंड ने पूरा लावा डॉली की कुंवारी चुनमूनियाँ में ही उगल दिया।

हम दोनों उसी अवस्था में थोड़ी देर लेटे, फिर डॉली ने अपने हाथ से मुझे अपने ऊपर से हटाने की कोशिश की, तो मैं हट गया।

उसने उठने की कोशिश की, पर उठ नहीं पाई। मैंने देखा कि उसकी चुनमूनियाँ का बुरा हाल था, दोनों फांकें फूल कर पाव की तरह हो गई थीं और उसकी चुनमूनियाँ से अभी भी खून निकल रहा था जोकि उसकी जाँघों से होकर नीचे जमा हो रहा था।

मैं तुरंत उठा एक अखबार उठा कर बेड की चादर उठा कर उसके नीचे रख दिया, जिससे कि खून गद्दे में ना जाने पाए और एक पुराना कपड़ा लेकर मैंने डॉली की चुनमूनियाँ और जाँघों में लगा खून साफ़ कर दिया, वरना वो घबरा जाती।

उसी कपड़े को मैंने उसके चुनमूनियाँड़ उठा कर बिछा दिया। अब खून कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।

फिर मैंने डॉली को सहारा देकर उठाया, उठते ही उसने अपनी चुनमूनियाँ को झाँक कर देखा, वहाँ ज्यादा खून न देख कर शायद उसको आश्चर्य हुआ और उसने मेरी तरफ देखा।

अब मैंने उसको अपनी गोद में बिठा लिया और उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया, क्योंकि मैं उसको अभी एक बार और चोदना चाहता था।

मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ से होते हुए उसकी चूचियों को सहला रहे थे।

अब मैंने अपनी जीभ को डॉली के मुँह के अन्दर डाल दिया। पहली बार अंजली ने भी चुम्मन क्रिया में मेरा सहयोग किया। मैंने अपना एक हाथ धीरे से डॉली की चुनमूनियाँ पर लगाया, तो उसने अपने पैरों को थोड़ा और खोल दिया। मैंने अपनी ऊँगली से उसकी चुनमूनियाँ की दरार को सहलाया। वो अभी भी वैसी ही टाइट थी, बिल्कुल जरा सा अंतर आया था। अब मेरी उंगली उसकी चुनमूनियाँ की दरार में चल रही थी।

मैं उसके ‘जी-पॉइंट’ को भी सहला देता था। अब डॉली कुछ जोश के साथ मेरे चुम्बन का जवाब दे रही थी, मेरी जीभ को कस कर चूस रही थी।

मेरा लंड तो टाइट था ही, मैंने अपने हाथ को उसकी चूचियों से हटाया और उसके हाथ को लेकर अपने लंड को पकड़ा दिया।

वो बिना देखे ही उसको सहलाने लगी। उसके नरम हाथों के स्पर्श से मेरे लंड में नई जान आ गई। मैंने डॉली को थोड़ा पीछे की ओर झुकाया और अपना मुँह उसकी चूची में लगा दिया।

मैंने खूब जोर लगा कर उसकी चूची को पीना शुरू किया और दूसरी चूची को हाथ से मसलना, कमरे में डॉली की सिसकारियाँ गूंज उठीं। फिर इसी तरह जोर से मैंने उसकी दूसरी चूची को भी पीया, अब मैंने डॉली की आँखों में देखा तो मुझे लगा कि वो भी दुबारा चुदाई के लिए तैयार है।

मैंने उसको फिर से लिटा दिया और उसके पैरों के बीच बैठ गया। इस बार मैंने उसके दोनों पैर उठाए और एक तकिया उसकी गाण्ड के नीचे रखा और उसके पैरों को अपने कंधे पर ले लिया।

डॉली की चुनमूनियाँ और मेरे लंड में तेल तो पहले से ही लगा था। मैंने अपने लंड को डॉली की चुनमूनियाँ के मुँह में सैट किया।

वह मेरी तरफ देख कर बोली- ज़रा धीरे से ! उस बार मेरी जान निकलते बची थी !

मैंने कहा- अब परेशान मत हो, अब उतना दर्द नहीं होगा !

लंड को सैट करके मैंने अपनी कमर का हल्का सा धक्का दिया तो इस बार लंड फिसला नहीं बल्कि चुनमूनियाँ में थोड़ा सा चला गया।

डॉली थोड़ा कसमसाई, पर पकड़ मजबूत थी। मैंने तुरंत दूसरा जो से धक्का मारा, इस बार लंड टाइट चुनमूनियाँ की दीवारों को रगड़ता हुआ आधा घुस गया।

डॉली बोली- भैया, अब बस इससे ज्यादा मत घुसेड़ो… मेरी चुनमूनियाँ में बहुत दर्द हो रहा है !

मैंने कहा- देखो, पहले तो अब भैया कहना बंद करो, क्योंकि अब तुम्हारी चुनमूनियाँ में मेरा लंड घुसा है… और रही दर्द की बात, तो अभी ख़त्म हो जाएगा !

यह कहते हुए मैंने एक जोर का धक्का अपनी कमर से मारा, अबकी मेरा लंड पूरी तरह डॉली की चुनमूनियाँ में घुस गया। वो बड़ी तेज चीखी और अपना सर झटकने लगी, मैं उसी पोजीशन में रुक गया।

मैं अपने हाथों से उसके गालों को सहला रहा था, 2-4 सेकण्ड के बाद मैंने बहुत धीरे से अपनी कमर को हिलाने की कोशिश की, फिर थोड़ा और हिलाया। इस तरह मैंने बहुत ही संभाल कर अपनी कमर को आगे-पीछे करना शुरू किया।

मैंने देखा कि डॉली भी कुछ सामान्य हो रही थी, फिर मैंने थोड़ा सा जोर लगाकर धक्के लगाने शुरू किए। डॉली की टाइट चुनमूनियाँ में मेरा लंड बिल्कुल जकड़ा हुआ चल रहा था।

अब शायद डॉली को कुछ अच्छा लगा क्योंकि अब वो चुप हो गई थी। मैंने उसके बाल सहलाते हुए पूछा- जान.. अब कैसा लग रहा है?

मेरे मुँह से अपने लिए ‘जान’ सुन कर पहले तो उसने मेरी आँखों में देखा, फिर उसने अपने हाथ मेरी पीठ पर कस दिए और अपनी आँखें बंद कर लीं।

अब मैंने अपने धक्कों की स्पीड थोड़ा बढ़ा दी, मुझे ऐसा लगा जैसे डॉली भी अपनी कमर को थोड़ा बहुत हिलाने की कोशिश कर रही है।

मैं और जोश में आ गया और इस बार मैंने करीब अपना आधा लंड बाहर करके स्पीड के साथ डॉली की चुनमूनियाँ में घुसेड़ दिया।

डॉली एकदम चिहुंक गई, आँखें खोल कर मेरी तरफ देखा और बोली- क्या जान की जान ही ले लोगे आज?

मैंने उसको चूमते हुए कहा- नहीं मेरी जान!

फिर आराम से धक्के पर धक्के लगते रहे, अब कमरे में डॉली की चीखों की जगह उसकी सिसकारियाँ और मेरी तेज-तेज साँसें सुनाई दे रही थीं।

अचानक मुझे लगा कि डॉली की पकड़ मेरी पीठ पर टाइट होती जा रही है। उसके नाखून मेरी पीठ में धंसने लगे, मैं समझ गया कि यह अब झड़ने वाली है। मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड को बढ़ा दिया, अचानक हम दोनों के बदन थरथराये, हम एक साथ ही झड़ने लगे।

मेरे लंड से गरम-गरम लावा निकल कर डॉली की चुनमूनियाँ में भरने लगा। हम दोनों ने एक-दूसरे को बहुत ही जोर से जकड़ लिया।

दोस्तो, हम दोनों उसी अवस्था में करीब आधे घंटे तक बिल्कुल नंगे एक-दूसरे से लिपटे हुए लेटे रहे।

फिर मैं उठा, बाथरूम में जाकर अपनी जांघों वगैरह में लगे खून को साफ किया, फिर डॉली को गोद में उठा कर बाथरूम में ले जा कर उसकी सफाई की। उसको बेड पर लिटाने के बाद, मैंने रसोई में से एक गिलास दूध गुनगुना करके डॉली के पास आया।

उसको अपनी गोद में बिठा कर दूध पिलाया, थोड़ा सा मैंने भी पिया।

फिर मैंने उससे कहा- जान अब धीरे से उठो और कपड़े पहनो !

क्योंकि बेड भी सही करना था।

खैर… डॉली धीरे से उठी, अपने कपड़े पहने, मैंने भी पहन लिए, फिर उसने बेड से चादर हटाई, पेपर हटाए और दूसरी चादर बिछा कर बेड सही कर दिया।

अब मैंने उसको गले से चिपका कर पूछा- जान कैसा लगा तुमको !

तो वो भी मेरे सीने से चिपक गई और बोली- जैसा ललिता ने बताया था, उससे बहुत अच्छा !

मैंने उसके चहरे पर बहुत सी चुम्मी ले डालीं। उसने भी मुझे उसी तरह जवाब दिया।

मैंने घड़ी देखी, ललिता के स्कूल से आने का समय हो गया था।

मैंने डॉली को कहा- मैं अभी जा रहा हूँ ! और यह कह कर मैं अपने पोर्शन में आ गया।

यह थी मेरी फुफेरी बहन डॉली की सील तोड़ने की सच्ची कहानी

समाप्त
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02-26-2019, 09:32 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
नेहा और सीमा की तबीयत रंगीन--1



जिस सहर मैं रहता हू वो बहुत ही छोटा सहर है. सहर का पूरा मार्केट एक ही जगह है. हमारे देश के बड़े बड़े नेता जब यहा आते हैं तो यहाँ की फ़िज़ा देख कर उनकी तबीयत रंगीन हो जाती है. एक बड़ी सी झील सागर सहर को बहुत खूबसूरत बनाती है. छोटे सहर मैं चुदाई का मौका बहुत कम मिलता है. सागर वैसे भी बहुत सेक्सी लॅडीस से भरा पड़ा है. 

मैं उस समी करीब 20-22 साल का रहा हूँगा जब यह सब कुछ हुआ. अब मैं 28 मे चल रहा हू और रोज बढ़िया चुदाई करता हू. हमारे सहर मैं तीन बत्ती के पास एक दुकान है उसका नाम है "शंकर जनरल स्टोर्स" वहाँ पर लॅडीस के अंडर गारमेंट्स, कॉसमेटिक्स आइटम्स और जेंट्स अंडरगार्मेंट्स आछे मिलते हैं मैं वही से अपनी चड्डी बनियान और अखाड़े के लिए लंगोट भी लेता था. वो एक सिंधी की दुकान थी. 

एक बार मैं उस दुकान पर अपनी चड्डी बनियान लेने गया. कुछ लॅडीस भी अपना समान ले रही थी. मैने अपनी चड्डी बनियान और लंगोट ली. और उसी दुकान से एक कॉंडम का पॅकेट भी खरीद रहा था. मेरे साइड मे दो औरते करीब 30-32 साल की और उनके साथ एक लड़की 25-26 साल की बड़ी ही गदराई जवानी थी उन तीनो की. औरते तो शादीशुदा थी लड़की की शादी नही हुई थी. जब मैं कॉंडम खरीद रहा था तो मैने दुकान दार से कहा कि बड़ा साइज़ वाला और मजबूत देना प्रेशर मैं फट जाता है. मेरा इतना कहना था कि उन तीनो लॅडीस का ध्यान मेरी तरफ चला गया और जब मैने उनकी और देखा तो वो कुछ शरमाते हुए मुस्कुराने लगी. तभी वो कुछ शेविंग क्रीम और एक मर्दों की शेविंग रेज़र, सेसर खरीद ने लगी. तो मुझे कुछ अजीब सा लगा कि यह औरत मर्दों का समान क्यों खरीद रही है. मैने कौतूहल वस पूछा कि क्या मैं जान सकता हू कि आप लोग यह शेविंग क्रीम और शेविंग का समान क्यों खरीद रही है. इस पर वो ज़ोर से हस पड़ी. तो मैं चुपचाप अपना पेमेंट कर वाहा से चलने लगा. मैं दूसरा समान खरीदने लगा. थोड़ी देर बाद भीड़ मैं किसी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे एक तरफ खीच लिया. जब मैने उसकी तरफ नज़र डाली तो देखता हू कि यह तो उन्ही तीन लॅडीस मे से एक लेडी है. मैं पहले तो घबरा गया. फिर मैं हिम्मत जुटाते हुए बोला कि तुम क्या चाहती हो. तो वो बोली" तुम्हारी शादी हो गई'. मैने कहा नही हुई. उसने कहा तुम पूछ रहे थे कि "शेविंग का समान हम क्यों खरीद रहे हैं: जानना चाहते हो तो इस पते पर सॅटर्डे की दोपहर मैं आ जाना" इतना कहती हुई वो एक विज़िटिंग कार्ड मेरे को थमा कर भीड़ मैं गुम हो गई. 

मैं सॅटर्डे को उसके घर पहुचा उसके बताए हुए टाइम पर. बेल जैसे ही बजाई अंदर से उसी औरत की आवाज़ सुनाई दी "दरवाजा खुला है आ जाओ". मैने जैसे ही दरवाजे को धकेला तो वो खुल गया मैं अंदर पहुचा तो उसने सेक्सी मुस्कुराहट से मेरा स्वागत किया. वो पीले रॅंड की शॉडी पहनी हुई थी और साड़ी टूडी के नीचे से बाँधी थी उसके दूध बड़े बड़े थे. उसने मुझे ड्रवोयिंग मैं बिठाया और वो कहने लगी मैं अभी आई. आप क्या लेंगे चाइ कॉफी ठंडा या कुछ स्ट्रॉंग मैने कहा चाइ वो बोली ठीक है. 
जाकर पहले मैन डोर लॉक किया और किचन मैं चली गई. सेंटर टेबल पर एक इंग्लीश फेमिना मॅग्ज़ाइन पड़ी थी मैं उसके पन्ने पलटने लगा. वो तुरंत ही किचन से दो कप चाइ के साथ लौट आई. उसनेचाइ की ट्रे लेमेरी तरफ झुकते हुए अपनी दोनो गोलाईयो के दर्शन कराते हुए टेबल पर रख दी. और एक कप उठाकर मेरे तरफ बढ़ाया ' लीजिए" मैने उसके हाथो को पहली बार छुआ और लंड मैं हलचल शुरू हो गई. वो अपनी चाइ लेकर उसी सोफे पर जिस पर मैं बैठा था थोड़ी दूर बैठ गई. मैने उसका नाम पूछा तो उससने सीमा बताया. हम दोनो हल्की बाते करते रहे जिससे हम दोनो थोड़े सहज हो गये. मैने उसका हाथ अपने हाथ मैं लेकर कहा कि आप बहुत ही सुंदर और सेक्सी लगती है. इस पर वो शर्मा गईऔर मेरे स्पर्श का असर उसके गालों पर दिखने लगा था. मैने उसके हाथ पर अपना हाथ फिराते हुए उसके कंधे तक ले गया जिससे वो कुछ सिहरने लगी थी मैने समझ लिया थी कि वो अब चुंबन के लिए तैय्यार है तो मैने उसको खड़ा किया और अपनी बाहों मे लेकर उसके गालों पर प्यार भर चुबन दिया और उसको अपनी बाहों मे जोरों से कस लिया उसकी आँखो मे आँखे डाले देखता रहा. और ऐसे मैं उसके दूध बहुत कड़े थे जो मेरी छाती से चिपके थे और उसकी चूत पर मेरा कड़ा हल्लाबी लॉडा चिपका हुआ था साड़ी के उपर से. मैने मौका देखा और उसके होंठ चूसने लगा. लंबी फ्रेंच किस के साथ साथ मैं उसकी पीठ और साड़ी के ऊपर से ही उसकी गांद सहला रहा था. वो पहले तो रेज़िस्ट कर रही थी फिर मेरी बाहों मे मोम की तरह पिघलना शुरू कर दी. मैने कहा तुम्हारे दूध तो बड़े सेक्शी है और कहते हुए ब्लाउस के ऊपर से ही उनको लिक्क करने लगा वो ब्रा नही पहनी थी. मेरे होंठ उसके बूब्स पर टच होते ही उसकी सिसकारी निकलने लगी. मैं एक हाथ से उसका एक दूध दबा रहा था और एक हाथ उसकी प्यारी चूत पर फिरा रहा था. साड़ी के ऊपर से चूत पर हाथ फेरने मे इतना मज़ा आ रहा था तो नंगी चूत पर जब मैं हाथ फेरूँगा तो कितना मज़ा आएगा यह सोच कर मेरी उत्तेंजना और बढ़ गई. मैने कहा "सीमा डार्लिंग तुम वो शेविंग के समान के बारे मैं बताने वाली थी". बोली "जन्नू देव बेडरूम मे चलकर बताती हू" मैने उसको अपनी बाँहो मैं उठाकर उसको बेड रूम तक ले गया वो मेरी बाहों मैं थी तो उसके दूध मेरी छाती से चिपके थे. मेरा हल्लाबी लॉडा बहुत कड़क हो रहा था. मैने उसको ले जाकर पलंग पर लिटाया और उसको सिर से लेकर पेर तक चूमा फिर पेर से धीरे धीरे अपनी जीव ऊपर की ओर फिराता हुआ उसकी साड़ी ऊपर खिसकाने लगा उसकी टांगे बिल्कुल मखमली थी और एक अजीब से खुसबू उस्मै से आ रही थी. मैं साड़ी उसकी जाँघो तक उठा चुका था और मैं उसको तरसाना चाहता था तो मैं मूह जाँघ से ऊपर उठा कर उसकी टूडी पर ले आया और टूडी के गद्दे के चारो और अपनी जीव की नुक को गोल गोल घूमने लगा और काबी अपनी जीव उसकी गद्दे मई डाल दिया. एक हाथ से मैं उसके दूध मसल रहा था. मेरी इस हरकत से वो काफ़ी गरमा गई थी. 

मैने कहा सीमा डार्लिंग बताओ तुम क्यों वो समान खरीद रही थी. बोली पहले कपड़े तो उतारो. तो मैने उसकी साड़ी खोला फिर पेटिकोट. वो चड्डी काली कलर की पहने हुए थी जो चूत के पास काफ़ी गीली थी. मैने कहा क्या तुमने मूत लिया बोली नही डियर मैने इतनी देर मे दो बार पानी छोड़ दिया है मैं उसकी पॅंटी की लाइन्स पर उंगली फिरा रहा था जिससे वो मछली की तारह तड़पने लगी थी बोली जानी जल्दी करो मैं बहुत भूकि हू बहुत पयासी हू मैने कहा पहले वो राज बताओ बोली की देखो और उसने तुरंत झटके से अपनी चड्डी उतार दी बोली लो जान लो राज. वाह क्या एक दम सफ़ा चट बड़ी सावली सी चूत और उसपर उसका तना (क्लिट) सॉफ नज़र आ रहा था मैं उसकी चूत की खूबसूरती को देखता ही रह गया. मेरे से बर्दास्त नही हो रहा था मैने उसके पेर फैलाए और उसकी बुर के किनारो पर उसको चूमना चाटना शुरू कर दिया. सीमा दोनो हाथो से मेरे सिर को अपनी बुर् पर दबाने की कोशिश कर रही थी साथ ही साथ अपनी टाँगो को भी सिकोड कर मुझे अपनी बुर पर खिचना चाह रही थी. पर मेरी मजबूत पकड़ के कारण वो ऐसा करने मैं अपने को असहाय महसूस कर रही थी. 

मैं अब उसकी बुर का मैन दरवाजा और क्लिट बारी बारी चूस-चाट रहा था वो तड़प रही थी. सीमा कह रही थी आहह रजाआआआ सीईईईईईईईईई यह क्या हो रहा हाईईईईईईईई. मेरे बदन मैं तुमने सालों बाद आग लगा दी हाईईईईईईई हयययययययययययययी अप्प्प क्या होगाआआआआआआ शियैयीयी कहती हुई उसकी बुर झार गई मैं उसका पूरा रस पी गया मैने उसकी बुर चटाना चालू रखा वो जल्दी गरम हो गई. अब वो चुदसी थी मैने अभी अपने पूरे कपड़े पहने थे जबकि वो सिर्फ़ ब्लाउस पहने थी उसने अपना ब्लाउस खुद खोला और कहने लगी राजा अपना वो एक्सट्रा लार्ज कॉंडम वाला लंड तो दिखाओ मैं उसी दिन से हज़ारो वार तुम्हारे लंड के लिए उंगली कर चुकी हू हे जल्दी करो. मैने कहा यह शुभ काम तुम खुद करो पर एक शर्त है बोली मुझे शर्ते सभी मंजूर है जल्दी करो मैं उसके बगल मैं लेट गया और वो मेरे कपड़े उतारने लगी जैसेही उसने मेरे हल्लाबी लंड के दर्शन किए वो मूह पकड़ कर चिल्ला उठी है हिया इतना मोटा और लंबा मैं तो मर जाऊंगी. मैने कहा पहले इसे प्यार तो करो मेरा लॉडा उसकी चूत और उसके मुम्मो को सलाम कर रहा था. वो मेरा लॉडा खाने लगी और बेतहासा चूसने लगी. मैने कुछ देर उसके मम्मो के साथ खेला और सीमा की चूत को अपनी मूह मे ले लिया हम दोनो 69 मेहो गये थे. सीमा की बुर मे सौच मूच मे आग लगी हुई थी. उसका डाइवोर्स हुए 3 साल हो गये थे तब से उसकी चुदाई नही हुई थी. मैं जिस स्टाइल से चूत चाट रहा था बोली मेरे पहले पति मनोज भी इसी तरह से चूत चाटते थे पर इतनी महारत उनमे नही थी जितनी तूमम मे है तुम तो आग ही लगा दिए हो मेरे शरीर मे. अब तो जल्दी से चोदो. 
मैने उसको लिटाया पीठ के बल और उसकी दोनो टांगे फैला दी और उसकी बुर मे कुछ देर उंगली करी उसकी चूत उसके ही पानी से काफ़ी तर थी मैने अपना हल्लाबी लॉडा अपने हाथ मे लेकर उसके दरवाजे से टीकाया और उसकी बुर पर हल्के हल्के फेरने लगा वो और गरमा गई और थोड़ा यौबान रस छोड़ने लगी और बोली आप पेल दो नही तो मर जाऊंगी मैने उसकी दोनो टाँगो को उसकी छाती की तरफ मोड़ा जिससे उसकी बुर खुल गई और लंड उसके लव होल पर टीका कर बड़े प्यार से धीरे धीरे अंदर सरकाने लगा जैसे-जैसे मैं अंदर सरकाता पहले तो वो चीखती हाई मैं मर गई और दूसरे ही पल कहती देव तुम तो मास्टर हो चुदाई मे मज़ा आने लगा ऐसा कहती अभी मेने 1 इंच ही पेला था 6.6. इंच बाहर था मैं ऐसे मे ही उसको हल्के हल्के धक्के लगाने लगा जिससे वो दर्द और मज़ा दोनो के मिले जुले भावों के समुंदर मैं तैरने लगी जैसे ही मस्त होती मैं 1-1 इंच सरकाता गया लगभग 5 इंच घुसाने के बाद मैं उसके मम्मो को चूसने लगा और एक हाथ से उनको मसल्ने लगा वो दर्द मे छटपटा रही थी मेरे हल्लाबी लौडे ने उसकी बुर का भोसड़ा बना दिया था मैं जोरो से उसके निप्पल्स चूसने लगा थोड़ी देर मैं वो सहज हो कर मज़ा लेने लगी और अपनी कमर हिलाने की कोशिश करने लगी मैने अपने होंठ उसके होंठो पर रखे और पूरी ताक़त से पूरा हल्लाबी लॉडा उसकी बुर मे पेल दिया और तबाद तोड़ धक्के मारने लगा मैं उसकी कमर भी जोरो से पकड़े था जिससे वो हिल नही पा रही थी और होंठ दबाए था चिल्ला नही पा रही थी सिर्फ़ आँखू से आँसू बह रहे थे कुछेक धक्के मार कर मैं थम गया और लॉडा थोड़ा बाहर खींच कर उसकी बुर पर मालिस करी हाथ से और उसकी चुचियों को चूसने लगा जैसे ही उसके होंठ फ्री हुए बोली अपना मूसर जैसा लंड बाहर निकालो मैं मर जाऊंगी मैं उसके मम्मो को चूस रहा था और दबा रहा था साथ ही साथ उसकी चूत पर मालिश भी कर रहा था जिससे वो जल्दी ही तैश मैं आ गई. और बबाड़ाने लगी, हाई राजा सही मायने मे मुझे आज मर्द ने चोदा है चोदो राजा फ़ाआआआद दो मेरी चूवततत्त को यह तुम्हारी हाईईईईईईईई तुम्ही हो लंड बहादुर्र्र्ररर बाकी तो सब गॅंडोवावू हाईईईई चोदो मैने उसको चोदना जारी किया वो मेरे हर धक्के का जवाब नीचे से देने लगी थी मैने अपनी स्पपीड़ बड़ा दी तो बहुत उछल उछल कर चुदाई करवाने लगी हाई राजा मारूऊओ. इस मदर्चोद चूत ने कई गाजर, मूली बेगान खाए है इन 3 सालो मे सही इसकी खुराक आज मिली हाईईईई.... हाईईइ चोदो राजा तुमको पता है औरत की क्या खुराक है " मैने कहा हाअ; बोलो तो बताओ मैने कहा" चूत भर लंड तभी दूर हो चूत की ठंड ले रंडी और ले............ और लीईईईईईई सीमा बोली हाअ राजा ऐसे हैई और तेजज़्ज़्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज हाईईईईईईईईईईई मैं आअनी वाली हूऊऊओ ही ..........शीयी... सीईईईईईईईईईईईईईईईई.. आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मैं गैईईईईईईईई और उसकी गर्दन एक तरफ लूड़क गई उसने बहुत सारा पानी छोड़ा मैं उसको तूफ़ानी रफ़्तार से चोद रहा था लेकिन मैं झरने का नाम ही नही ले रहा था. मैने उसको कहा कि मैं वैसे भी लेट झरता हू और जब मैं चाहु तब झरता हू पर आज तो बात कुछ और ही हाईईइ तुम्हारी चूत मे तो बहुत रस है मेरे लौडे को बहुत पसंद आई तुम्हारी चूत... ले और ले मैं जोरो से उसे आसान बदल कर चोद रहा था जब उसकी चूत 3-4 बार झाड़ चुकी तो बोली देव मुझे आराम करने दो तुम अभी नही झरोगे क्योनि की मैने चाइ मे दवा मिला दी थी......... मुझे गुस्सा आ गया उसकी इस बात पर मैने पास पड़ी उसकी साड़ी उठाई उसके दोनो हाथ उसके पीठ पर बाँध दिए. सीमा कहने लगी यह क्या कर रहे हो मैं बोला बिल्कुल चुप. फिर उसकी साड़ी फाड़ कर उससे उसका मुह बाँध दिया अब उसके दोनो पेर और बाँधने थे मैने पलंग के पाए से उसके दोनो पैर बाँध कर उसको पलंग पर झुका कर बाँध दिया. उसकी छाती के नीचे तकिया लगा दिया. मैं बहुत गुस्से मे और मेरा लॉडा उससे भी ज़्यादा गुस्से मे था. मैने कहा अरी मदर्चोद बता क्रीम कहा रही है तो उसके इशारे से ड्रेसिंग टेबल की तरफ बताया मैं पॉंड्स क्रीम की पूरी बड़ी बॉटल उठा लाया और उसकी गांद जो की कुँवारी थी उस पर लगाया वो चीखना चाहती थी और हाथ पाव पटकना पर बँधी होने के कारण ऐसा नही कर पा रही थी मैने उसकी गांद के छोटे से छेद मे आधी से ज़्यादा पॉंड्स कीम की डिब्बी से क्रीम भर दी और अपने लंड पर भी खूब लगाई फिर कमरे मे इधर उधर नज़र दौड़ाई तो एक गोल डंडा पड़ा मिला पहले मैने वो डंडा उसकी गांद मे डाल कर उसको दही जैसा माथा फिर अपनी उंगलिओ से माथा जिससे थोड़ा छेद खुल सा गया मैने फिर उसके कानो मे कहा रे मदर्चोद अब तेरी गांद मारी जाएगी यह तेरी सज़ा है वो रो रही थी मैने आव-देखा-ना-ताव और अपना लंड उसकी गांद की छेद पर टीकाया और थोड़ा सुपरा अंदर किया वो अपना सिर बिस्तर पर पटक रही थी छटपटा रही थी कुछ देर मैं ऐसे ही रहा फिर थोड़ा आगे पीछे हिलता हुआ पूरा का पूरा लॉडा एक ही स्ट्रोक मे उसकी गांद की जड़ तक घुसेड दिया और जबरदस गांद मराई शुरू कर दी वो छटपटा रही थी और मैं उसकी कमर को थामे धक्के लगा रहा था फिर मैने उसके मम्मो को अपने कब्ज़े मे किया और उनको जोरो से मसलने लगा मैं जोरो से उसकी गांद मार रहा था उसकी गांद से खून बह रहा था मैं ने उसपर कोई रहम नही किया और लगा रहा जब मुझे लगा कि अब मैं झरने के करीब हू तो मैने उसकी बुर मे लॉडा पेल दिया और तबाद तोड़ धक्के मारे. मैं झाड़ा साथ ही साथ उसकी बुर भी झरी मैने अपना लॉडा वैसे ही पोज़िशन मे उसकी बुर मे रखा और उसको कहा देखो सीमा रानी अब तुमको जन्नत का मज़ा मिलने जा रहा है मैं तुम्हारा मूह खोल रहा हू चिल्लाना नही. चिल्लाओगी तो फिर तुम्हारी शामत आ जाएगी कहते हुए मैने उसका मुह खोल दिया वो रो रही थी. बोली तुम बहुत बेरहम ईसान हो तुमने मेरी गांद फाड़ डाली गांद नही मरवाने के कारण ही तो मेरा तलाक़ हुआ था मैने कहा शांत हो जाओ जनेमन्न्न जो हहो चुका सो हो चुका अब जो होने वाला है उसका मज़ा क्यों खराब कर रही हो. वो बोली अब कैसा मज़ा मेरी गांद मे बहुत दर्द हो रहा है मैं 1-2- महीने तक ठीक से बैठना तो एक तरफ़ टट्टी भी नही कर पाऊँगी मैने कहा अभी देखो एक जादू होने वाला है. और मैने उसकी बुर मे पेशाब करना चालू किया वो फिर से सिहरने लगी मेरे पेशाब की धार उसकी बुर मे तेज़ी से अंदर जा रही थी और बह रही थी उसको भी बहुत मज़ा आया. मैने उसके हाथ पैर खोल दिए थे वो वही निढाल होकर गिर पड़ी. मैने उसको उठाकर बाथरूम ले जाने की कोशिश करी लेकिन वो चल नही पा रही थी तो मैं उसको अपनी बाहों मे ले गया और उसको साफ कर बिस्तर पर पटक दिया और उसके किचन से उसको हल्दी डला दूध गुड के साथ और कुछ खाने को ले आया और मैं तय्यार होकर वाहा से चला गया. कुछ दिन बाद उसने मेरे को फोन किया और बुलाया
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02-26-2019, 09:32 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
नेहा और सीमा की तबीयत रंगीन--2
गतान्क से आगे............. 
दोस्तो जब मैं उसके घर पहुचा तो उसने अपनी एक सहेली से मिलवाया उसने अपनी सहेली का नाम नेहा बताया और बोली मैने नेहा को सब बता दिया है और अब तुम्हे नेहा की भी चुदाई करनी है नेहा एक बहुत स्मार्ट और सेक्सी औरत थी उसे देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा मैने नेहा को अपनी बाहो मे ले लिया और अपने होंठ उसके मद भरे होंठो पर लगा दिए 
और एक हाथ से नेहा की चुचियो का साइज नापने लगा नेहा बहुत कामुक किस्म की औरत थी वो जल्दी ही गरम हो गई 
और बोली देव जल्दी से मेरी प्यासी चूत की प्यास बुझाओ वरना मैं पागल हो जाउन्गि 
इतना कहकर वो मेरी टीशर्ट खीचने लगी मैने उसको धक्का दिया और अपने कपड़े फटने के डर से खुद उतारने लगा मैं भी जल्दी से कपड़े उतार देना चाहता था और वैसा ही किया भी. उसने भी अपनी सारी उतार फेंकी . नेहा और मैं दोनो मदरजात नंगे एक दूसरे के सामने खड़े थे उसकी सफाचत सामली चूत मेरे रगडे जाने के कारण बिल्कुल लाल हो रही थी और उसके झरने के कारण चमक रही थी. इधर मेरा भी हाल कुछ अछा नही था मेरा लंड उफान भर रहा था. मेरा लंड आज कुछ ज़्यादा ही खड़ा हो गया था और बहुत जोरो से मचल रहा था. नेहा मेरे लंड को देखकर अपने कानो पे हाथ लगाकर चिल्लई " उईईईई माआआ इतना मोटा और लम्बाआआ मैं तो मर ही जाऊनगाइइ" औट झट से मेरे लंड को लपक कर अपनी हथेलियो मे ले लिया. मेरे लंड का सूपड़ा मेरे प्रेकुं से चमक रहा था. उसने तुरंत ही अपनी जीव से मेरे लंड के सुपादे पर आई बूँद को चूस लिया. मेरे मूह से एक सिहरन भरी आअहह निकल गैईई और मैने अपनी आँखे बंद करके उसके मूह को पकड़ कर अपने सूपदे से लगा दिया. मैने नेहा से कहा " ले रंडी छीनअल्ल्ल मदर्चूदी बड़ी कह रही थी लंड के लिए अब डाल अपने मूह मे". जल्दी डाल भैन की लंडी भोसड़ी वाली ले" और वो अपने हाथो को इंग्लीश के "ओ" साइज़ मे खोल कर मेरे लंड को चूसने लगी. मैं इसके पहले कई बार चुदाई कर चुका था और कई चूतो से खून निकाल चुका था पर कुछ दीनो से चुदाई ना होने के कारण कुछ ज़्यादा ही प्यासा था. मैने नेहा से पूछा " नेहा तुम्हारे पति कहा है और क्या करते है" नेहा ने रिप्लाइ किया " उस छक्के मदर्चोद का नाम मत लो मेरा पूरा जोश ठंडा हो जाएगा" उस गान्डू का टोटल लंड तुम्हारे सूपदे की लुम्बाइ से भी छोटा है और माचिस की तिल्ली जैसा पतला. नेहा आगे बोली" चुप कर मदर्चोद मुझे अपना काम करने दे". और वो मेरे लंड को अपने मूह मे भरने लगी. मेरे लंड की मोटाई ज़्यादा होने से वो पूरा लंड नही ले पा रही थी. मैने उसको बॉल पकड़ कर खींचा और मैं सोफे पर टाँग फैलकर बैठ गया . और उसके बॉल जोरो से खीचे तो उसका मूह खुल गया और मैने उसको गाली देते हुए कहा" मदर्चोदि ले तेरी माकी चूत मारू चूस इसे और हल्लाबी लॉडा उसके गले तक पहुचा दिया" इससे उसकी आँखे फटी रह गई और वोहुक-हुक करने लगी मैने थोड़ा बाहर खीचा और पूरा निकाल लिया. नेहा बोली बड़ा जालिम है तू तो मैं करती हू रुक ज़रा. और वो मुझे स्वर्ग की सैर करने लगी. मैं सोच रहा था कि मैं झार ना जाऊ कही इस वजा से मैने उसको रोका और कहा कि नेहा जान थोड़ा रूको मुझे पेशाब करना है" बोली मेरे राजा मैं तेरी जर खरीद रंडी हू कीजिए हुकुम यही मेरे ऊपर और मूह खोल कर लेट गई. पर जब लंड तना हुआ हो तो पेशाब कैसे निकलेगा. मैं तो 2 मिनिट के लिए लंड को फ्री करना चाहता था इसलिए पेशाब का बहाना बनाया था. मैने अपनी साँस कंट्रोल कर के फिर भी उसको पेशाब से नहला दिया. मुझे उसकी चूत देखने की भी लालसा हो रही थी क्रयोंकि मैने कई दीनो से किसी भी चूत के सपने मे भी दर्शन नही किए थे चोदना तो दूर की बात है मैं उससे ज़्यादा भूका था. सो मैने उसको अपनी गोदी मे उठाया और उसको पूछा वॉशरूम कहा है उसने इशारा किया सामने. मैं उसको गोदी मे उठाए हुए बाथ रूम पहुचा और उसको खड़ा किया. उसके शरीर से मेरी पेशाब की स्मेल आ रही थी ऐसे मैं उसको नही चाट सकता था सो पहले मैने उसकी टाँग फैलाकर एक बार उसकी चूत की फाँक खोली और सूंगा. बड़ी ही मस्तानी खुसबू आ रही थी ऐसा लग रहा था कि इसको खा जाऊ. और मैं अपने आप पर कंट्रोल नही कर सका और उसकी चूत मे अपना मूह घुसा दिया और उसकी चूत को चाटने लागा. नेहा चिल्लाने लगी हीईीईईई उ माआआ कितनाअ माजाअ आ रहा हाईईईईई उसकी चूत तक मेरी पेशाब नही पहुची थी सो मैं उसकी चूत के किनारो से जीव फिराने लगा वो मेरा सिर अपनी चूत पर दबा रही थी और एक हाथ से अपना निपल मरोड़ रही थी और कह रही थी हीईीई सीईईईईईईईईईईईई उम्म्म्म बहुत अछा लग रहा शीयी चूत के अंदर चातूऊऊ उउउइईईई उम्म्म्मम आआआआआअ मैं उसको तड़पाना चाहता था सो मैने उसको वॉशरूम मे रखे स्टूल पर बैठा दिया और उसके पैर हवा मे फैला दिए वो दीवाल से टिकी थी और मैं उसकी चूत की दीवारों पर अपनी जीव घुमाने लागा. नेहा तड़प रही थी बोली " अरे छक्का हाई क्या मदर्चोद तू भीईइ, मुझे आग लगा रहा हाईईइ चाट मदर्चूद मेरी चूत को खाजा बहुत सालो से इसमे आग ल्गी हुई है" और उसने मेरे बॉल खींच कर मेरा मूह अपनू चूत पर लगा दिया और पैरों से मेरा सिर दबाने लगी उसके ऐसा करने से मेरा मुँह उसकी चूत से चिपक कर रह गया था मैने उसके पैर और हाथ को हटाया और उसको बोला चलो अब तुम गरम और ठंडा दोनो का मज़ा लो, 
और मैने शवर ऑन कर दिया शवर की हल्की हल्की फुहार उसके बदन पर पड़ रही थी और मैं उसकी चूत मे अपनी जीव से आग लगा रहा था. उसका क्लाइटॉरिस नासिक के अंगूर जैसा लगभग 1 इंच का था जैसे ही मैने उसको अपने होंठो से दबाकर उसपर जीव चलाई. नेहा अकड़ गई औरर्र उ माआ मैईईईईईईईईईईईईईईईई गैिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
ईईईईईईईईईईईई और उसकी चूत ने खूब सारा पानी निकालना शुरू कर दिया मैने उसकी चूत को और तेज़ी से चाटना शुरू कर दिया और पूरा पानी पीने की कोशिस करने लगा. इस कोसिस मे मैने नेहा की चूत के छेद मे जीव घुसाने की कोशिस करी लेकिन जीव की नोक ही घुस सकी और नेहा मोनिंग करने लगी ओईई माआआआआआ उम्म्म्ममममम यहह क्याअ कर दियाआआआआआ और मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी और्र अंदर डालूऊऊ ऑरा औंदरर्र डालूओ प्लाज़्ज़्ज़्ज़ बहुट्त मज़ाअ आ रहा हाईईईईईईईईई और बहुत ही स्वदिस्त पानी नेहा की चूत से गिरने लगा. पर उसकी चूत बिल्कुल 18 साल की कुँवारी लड़की तरह टाइट थी मैने उसके क्लिट को चूसना शुरू किया और अपनी मिड्ल फिंगर उसके चूत होल मे घुसेड़ने लगा. उसकी छूट वास्तव मैं बहुत टाइट थी बड़ी मुस्किल से मैं उसकी चूत मे एक उंगली घुसा पाया और उंगली गोल गोल घुमाने लगा उसके क्लिट को चूसने से उसकी चूत पानी पे पानी छोड़ रही थी मैं उसकी चूत मैं उंगली अंदर बाहर और स्क्रू जैसे कसते है वैसे ही गोल गोल घूमाकर चोद रहा था वो मस्ती की लहरो मैं हिलोरे ले रही थी वो बहुत गरम हो चुकी थी इसका पता उसके निपल्स खड़े होने से लग रहा था वो अब लंड पेल्वाना चाहती थी मैने उसकी चूत मैं 3 उंगलियाँ डालकर कुछ देर ओर तेज़ी से चोदा और उसकी क्लिट को भी जोरो से चूस्सा उसका फिर से पानी निकलने को था तबी मैने उसकी चूत को अपनी उंगली और जीव से आज़ाद कर दिया और उसकी चूत और गांद के बीच मैं अपनी जीव घुमाने लगा. नेहा की चूत मे तो जैसे हज़ारों भट्टियाँ सुलग रही थी वो कराह रही थी और कह रही थी " हाई मदर्चोद चोद मुझे तेरे लंड मे भी दम नही है क्या भोसड़ी वाले गंडूओ" जल्दी से चोद मुझे मेरी चूत मैं आग लगी हुई हाई मेरा पूरा बदन जल रहा है" मैने उसको बाथरूम मे ही चोदना उचित समझा तो मैने उसको स्टूल से उठाकर बाथरूम मे फ्लोर पर लिटा दिया और शवर की फुहार के नीचे ही उसकी चूत मे साबुन की बाटी थोड़ी घुसा दी जिससे चिकनाहट बढ़ जाए. और फिर उसकी टांगे फैला दी और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा. वो फिर से मेरे लंड की गर्मी से सिहर गयी और मोनिंग करने लगी. शियैयीयी सीईईईईईईईई जल्दी करो मैं मरी जाअ रही हूऊऊ उम्म्म्मममम उई माआआ अब मत तडपाऊ प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मुझे उसका ऐसा कहना और अछा लग रहा था. मैने अपने सूपदे को उसके क्लिट से रगड़ना चालू कर दिया और चूत मे उपेर नीचे रगड़ने लगा. उसने अपनी 3 उंगलिया अपनी चूत मे डाल दी मैने उसकी उंगलिया हटाई और अपना सूपड़ा उसके छेद पर टीका दिया. वो बोली मेरे राजा तुम रुकना नही मैं कितना भी चीखू कुछ भी करू तुम तो बेरेहमी से मेरी चूत के चीथड़े उड़ा दो तबी मैं समझूंगी तुम मर्द हो. उसने मर्दानगी को ललकार दिया और मैने उसकी एक पॅंटी जो किवही बाथरूम मे ही पड़ी थी को उठाकर उसके मूह मे थूस दिया और उसकी टांगे फैलाकर अपने कंधे पर रख कर उसकी चूत के छेद पर अपना सूपड़ा रख कर थोड़ा दबाया. उसको बहूत दर्द हो रहा था उसके हाथो को मैने अपने हाथो से दबाया हुआ था. वो अपने सिर को इधर उधर हिला रही थी मैं थोड़ा रुक गया और अपने सूपदे को थोड़ा वही पर गोल गोल घुमाया और बाहर खींचा मैने उसके हाथ छोड़ कर उसकी कमर को जोरो से पकड़ कर पूरी ताक़त से धक्का मारा लेकिन फिर भी मेरा लंड उस टाइट चूत मे उसकी झिल्ली फड़ता हुआ आधे से ज़्यादा घुस गया और उसकी चूत से खून का फव्वारा बह निकला. और आँखों से आँसू मैने उसके मूह से पेंटी निकाली तो नेहा कहती हाई" हाई मैं मर गििईईईईईईईईईईईईई इस मदर्चोद ने मेरी कुँवारी चूत को फाड़ दियाआआआअ कोई मुझे बचाओ बहुत जलन और दर्द हो रहा हॅयियी" मैने फिर से वो पॅंटी उसके मूह मैं घुसेड दी और लंड को सूपड़ा छोड़ कर पूरा बाहर खींच लिया जिससे उसकी चूत से बहने वाले खून ने चिकनाहट पैदा कर दी थी और फिर मैने भरपूर धक्का मारा तो उसकी आन्खै बाहर निकल आई और सिर एक ओर लूड़क गया मैं 1 मिनिट तो रुका और उसके निपल्स को चूसने लगा और एक निपल रगड़ने लगा और फिर धक्के मारना शुरू कर दिया तबाद तोड़ धक्के मारे. नेहा अब कुछ सहजता से चुदवाने लगी थी. उसने अपने मूह से पॅंटी निकाल ली थी और कह रही थी''' है जाअणु मैं तो तुमको अब कभी नही छोड़ूँगिइइइ तुमने तो मुझे औरत बना दियाआअ मज़ा आ रहा हाीइ हीईीईईईईईईईईईई अहहहाआआआआआआअ ओमम्म्ममम और जोरों से चोदूऊऊऊ मेरे चोदु राजा चोद्द जोरो से मदर्चोद्द और अंदर डाल्ल्ल और्र जोरो से. मेरे हर धक्के का जवाब वो नीचे से अपनी गांद उछाल उछाल कर दे रही थी मैं भी वैसे ही धक्के पे धक्के मारता रहा.. वो बोली राजा तेरे लंड ने अभी तक कितनी चूतो को लहू लुहान किया है मैने कहा मैने कभी हिसाब नही रखा और उसकी एक टाँग सीधे कर नीचे फ्लोर पर रख दी एक उठा कर मैं उसके बीच मे होकर तेज़ी से उसको चोदने लगा ऐसे मैं मेरा लंड उसके पेट तक पहुच रहा था मैं पूरा लंड बाहर खींचता और फुक्कक से पूरा पेल देता ऐसे ही मैं उसको चोद्ता रहा थोड़ी ही देर मैं वो उछालने लगी हा राजा और जोरों से पूरा पेल दो मैं आने वाली हू मेरी बुर झरने वाली है और तेज़ी से चूदू और तेजी से हाआअ मैं उसके ऊपेर मिशनरी पोज़िशन मे था और तूफ़ानी धक्के मार रहा थाअ हीईीईईईई मदारचूद्द्द्द्द्द्दद्ड मैईईईईईईईईईईईईईईईई गििईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मेरि चूऊतततत्त झाअर रहियीई हाईईईईईई रुकनाआमाअटतत्त और वो मेरे कमर पर अपनी टांगे कस कर अपनी गांद उछाल रही थी. फ्लोर गीला होने के कारण और चिकना होने से पिछीर पिच की आवाज़े आ रही थी. मैं ऐसे ही स्पीड मे उसको चोदे जा रहा था 

तभी उसने उल्टा सीधा बकना शुरू कर दिया और झाड़ कर निढाल हो गई मैं अभी झरने के करीब नही था. मैं उसकी चूत को अभी भी धक्के मार रहा था वो शीयी हूंम्म्म आआआआअ मार डॅलायाआया हययाया औरर्र कह रही थी मुझे चोद्ते हुए लगभग 20-25 मिनिट हो चुके थे किन्तू मैं झाड़ा नही था मैं थकने लगा था मैने अपनी स्पीड थोड़ी और कम कर दी नेहा की साँसे जब कुछ ठीक हुई तो बोली रूको राजा मेरी चूत को अभी थोड़ा साँस लेने दो बहुत मज़ा आया मैने कहा मैं झरना चाहता हूँ वो बोली मेरे राजा ऐसे कैसे झार जाओगी मैने कोला मे दवाई मिलाई हुई थी तुम तो अभी 2 घंटे और नही झदोगे...... मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड बिल्कुल ठोस लोहे का हो गया हो ऐसा कभी नही हुआ था पहले. उसने कहा उठो तो जैसे ही मैने लंड बाहर खीचा पुच की आवाज़ के साथ लंड खून से सना हुआ बाहर निकाला वो बोली "मैं तुम्हे एक और मज़ा दूँगी मेरी चूत ठंडी करने का इनाम" मैने पूछा अब क्या इनाम देगी मदर्चूद्द छिनालल्ल्ल्ल बोली देखता जा मैं खड़ा हुआ वो वोही फर्श पर बैठ गई उसकी चूत मेरे लंड पिलाई से "ओ" आकार मे मूह खोले हुए थी और उसकी चूत से खून बह रहा था उसने हॅंड शवर से चूत सॉफ करी और चलने की कोशिश करी पर वो चल नही पाई मैने पूछा अब क्या बोली बाहर चलो हम लोग रूम मे आ गये मैं उसे सहारा देकर लाया था मेरा लंड उफान रहा था मैने उसको बेड पर लिटाया और उसकी चूत पर चूमा लिया और उसको अछा लगा मैने थोड़ी देर और चॅटी और फिर एक दम से पूरा का पूरा लड पेल दिया और भका भक धक्के मारना चालू कर दिया. मेरे सिर पर तो भूत सवार था' नेहा जोरो से चिल्ला रही थी" एयूयियीयियी मार गैईईईईई आरीए रुक जाआअ थोड़िईई मैईईईई मैं तो ...." वो इतना ही कह पाई और मैने उसको दबोच कर फिर से धक्के पेलना शुरू कर दिया कुछ देर बाद वो भी नॉर्मल होकर फिर से चुदवाने लगी थी मेरे लंड मे भी लगातार चुदाई से जलन होने लगी थी. मैं डरने लगा कही कोई घाव ना हो जाय इसलिए जल्दी झरना चाहता था तो तूफ़ानी धक्के मारने लगा मुझे लगा कि अब मेरा निकलने वाला है मेरा लंड और कड़ा हो गया था इधर वो 2 बार और झाड़ चुकी थी और उसका फिर से पानी निकलने वाला था इस बार वो चिल्ला रही थी'''निकालो मेरा पाआनीईईईईईई और्र तेज़ी सीईए बहुट्त जलन हो रहीयी जल्दीी निकालूऊऊऊऊऊऊऊ शियीयीयियी उम्म्म्ममममम आआआ ओमम्म्म मैईईइ मर जाऊओंगीइइ आजज्ज तूऊऊओ यह रककछास मुझे मार ही डालेगाआ.. मुझीईए बचऊऊओ और यह कहते हुए वो झार गई मुझे लग रहा था कि मैं भी झाड़ जाऊँगा पर दवा के असर के कारण मैं झार नही पा रहा था अब मैने लंड उसकी चूत से निकाला और उसको घोड़ी बनने को बोला. नेहा मेरे से बोली मेरे राजा मैं झड़ाती हू तुमको रूको पर एक शर्त है. मैं तो झड़ना चाहता था तो मैने उससे तुरंत ही कहा मुझे तुम्हारी हर शर्त मनजूर है बोली " मैं तुम्हारे ऊपेर पेशाब करना चाहती हू....." मैं तो खुश हो गया मुझे तो पेशाब करती हुई चूत देखने मे बहुत अछा लगता है मैं तुरंत तय्यार हो गया उसने मुझे पीठ के बल लिटाया और मेरे लंड को अपने मूह मे भर लिया और मेरी गांद के छेद के ऊपर दो उंगलियों से मालिश करने लगी मैं तो आसमान मे तैरने लगा. अचानक उसने चूसना छोड़ दिया और अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर गांद के छेद पर लगाया मेरा लंड उसके थूक से तो गीला था ही साथ ही उसकी गांद मे भी कुछ चिकना लगा हुआ था और उसने लंड अपनी गांद के छेद पर टीका कर थोड़ा प्रेशर दिया तो सुपाड़ा उसकी गांद मे थोड़ा सा घुसा और वो साँस रोक कर पूरी ताक़त के साथ मेरे लंड पर बैठ गाइ और चिल्ला पड़ी. मेरे लंड की सवारी वो उछल उछल कर किए जा रही थी मुझे भी उसकी टाइट गांद का मज़ा मिल रहा था नेहा ने मेरे से हान्फ्ते हुए कहा राजा तुम अपना पानी मेरी चूत मे निकाल ना मैने कहा मेरा निकलने वाला है तो उसने झट से लंड चूत मे ले लिया और लगी फुदकने.. शीयी राअजाआ बड़ा मस्त लॉडा है मेरी बुर को ठंडा कर दिया इस मदर्चोद ने.. बड़ा मस्त लॉडा हाईईईईईईईईई और इस बार मैं ताव मे आ गया तो मैने उसको बिस्तर पर पटक कर फिर उस पर चढ़ बैठा और तबाद तोड़ चूत फाड़ धक्के मारे और बहुत सारा पानी उसकी चूत मे उडेल दिया मेरी धार से उसका पानी फिर से निकल गया वो कह रही थी तेरी धात(वीर्य=स्पर्म्ज़) से मेरी चूत तो क्या मेरा पेट और गला तक भर गया कितना सारा गरमा गरम लावा निकाला है तुमने मज़ा आगया मैं निढाल होकर उसके ऊपेर गिर पड़ा........ 
उधर सीमा काफ़ी देर से हमारी चुदाई देख रही थी और अपनी चूत मे उंगली कर रही थी सीमा नेहा से बोली नेहा अब तुम्हारी चूत और गांद का क्या हाल है नेहा ने अपने हाथ के इशारे से अपना हाल दिखाया फिर मैने सीमा को चोदा उस दिन मैने नेहा और सीमा को पाँच पाँच बार चोदा दोस्तो कैसी लगी ये कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
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02-26-2019, 09:33 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
RajSharma stories

चार सहेलियों को बजाया --1
उस दिन शनिवार था और मैं कंचन के यहाँ जा रही थी कि राज शर्मा कंचन के घर से बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया, वो मुझे बहुत ही अजीब निगाहों से घूर रहा था, मन तो किया की एक थप्पड़ लगा दू, लेकिन फिर मैने सोचा कि जाने दो बेचारा देख ही तो रहा है वो मेरे बगल से निकला तो एक अजीब सी सेक्सी स्मेल मेरे दिमाग़ मे दौड़ गयी. मैने सोचा कि ऐसी स्मेल तो हमारे रूम मे तभी आती है जब हम दोनो पति पत्नी चुदाई करते है.

तो क्या वो लड़का कंचन के घर मे चुदाई करके गया है, किसकी कंचन की… क्या कंचन का उस लड़के के साथ चक्कर है. कंचन इस तरह की औरत है क्या. मैं इन ख़यालों मे खोई हुए थी कि कंचन ने मुझे पकड़ कर हिलाया, “संध्या क्या हुआ किन ख़यालों मे खोई है?”

मैं जैसे नींद से जागी, “उम्म्म्म कुछ नही बस ऐसे ही.” कंचन के भी बाल बिखरे हुए थे कपड़े अस्त-व्यस्त थे. ड्रॉयिंग रूम मे भी वही स्मेल फैली हुए थी, अब मैं पक्के तौर पर कह सकती थी कि कंचन अभी अभी उस लड़के से चुद्वा कर निपटी थी.

“संध्या तू बैठ मैं 2 मिनिट मे नहा कर आती हूँ.” इतना कह कर वो बाथरूम मे अपना पाप धोने चली गयी.

तभी मैने देखा कि सामने वाली तबील के नीचे कुछ पड़ा हुआ है, झुक कर उठाया तो वो क रब्बर का लंड था, जो अभी भी गीला था चूत का रस उस पर सूखा नही था. पर मेरा गला ज़रूर सुख गया था, हाथ काँप रहे थे और मैने काँपते हाथो से उसको नाक के पास लेजाकार सूँघा, वा क्या स्ट्रॉंग सुगंध थी कंचन की चूत की, तो क्या मेरे मैन गेट खोलने की आवाज़ से ही उनका खेल बीच मे बंद हो गया था.

मैने वो लंड वापिस वही रख दिया, और न्यूज़ पेपर उठा कर उसे पलटने लगी. थोड़ी ही देर मे कंचन आ गयी और मेरे सामने बैठ गयी.

“कंचन वो लड़का कॉन था जो अभी अभी गया है?” मेरे सवाल पर वो थोड़ा चौंकी फिर नॉर्मल होते हुए बोली, “अरे वो निक्की को कल से पढ़ाने आने वाला है, नया ट्यूसन टीचर.”

“ट्यूशन टीचर या तेरी चुदाई का टीचर…..” मैने मन ही मन सोचा.

फिर मैं ज़्यादा देर वहाँ नही रुकी और वापिस आ गयी, मुझे ये बात अच्छी नही लगी लेकिन मन ही मन उस लड़के के बारे मे लगातार सोचे जा रही थी. उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा कसा गतिला बदन मेरी आँखन के सामने था.

रात को जब मेरे पति मेरी चुदाई कर रहे थे तो मेरे मन मे यही विचार था कि मुझे मेरे पति नही राज शर्मा मेरी चुदाई कर रहा है और इस मुझे ये बहुत रोमांचित कर गया. मैं ज़ोर ज़ोर से अपनी गांद उछाल कर चुद्वा रही थी.

लेकिन जब वो पल गुजर गया तो मन ग्लानि से भर गया………..

दूसरी सुबह मैं अपने पति से नज़रें नही मिला पा रही थी, मुझे लग रहा था कि जिस रास्ते पर मैं निकल पड़ी हूँ वो सही रास्ता नही है, ये मैं ग़लत करने जा रही हूँ. फिर एक पल के लिए लगता कि इसमे क्या ग़लत है.

मैं इन्ही ख़यालों मे खोई हुए थी कि दरवाज़े की घंटी बज उठी.

“अरे शबाना तू, आज मेरी याद कैस आ गयी तुझे.” मैने दरवाज़ा खोल कर उसको अंदर आने का इशारा करते हुए कहा

“एक काम है तुझसे इस लिए यहाँ आई हूँ, नही तो तू मेरे घर वालो को जानती ही है हमेशा मुझ पर नज़रें गड़ाए रहते है. जैसे कि मैं जाकर किसी भी मर्द के नीचे लेटने वाली हूँ.” शबाना ने सोफे पर बैठते हुए कहा.

शबाना की आँखे एक दम लाल हो रही थी और वो कुछ घबराई हुए लग रही थी. मैने उससे जब बहुत ज़ोर देकर पूछा तब वो बताने को तैयार हुई वो भी वही देख कर आई थी, राज और कंचन की चुदाई उसने बोलना शुरू किया, “संध्या वो कंचन सोफे पर ही उससे चुद्वा रही थी, जब तू आई तो गेट की आवाज़ से दोनो ने एक मिनिट मे ही कपड़े पहन लिए और वो प्लास्टिक का लंड टॅबिल के नीचे फेंक दिया.”

मैने मन ही मन डरते हुए पूछा, “ तो क्या वो दो दो लंड डाल कर चुद्वा रही थी.”

“अरे नही वो तो उसकी गांद मार रहा था और रब्बर का लंड तो कंचन खुद चूत मे डाल रही थी.” कहते हुए शबाना शर्मा गयी

अब मुझे अपनी बेवकूफी याद आई उस रब्बर के लंड को उठा कर मैने अपनी नाक के पास करके स्मेल जो किया था.

“उस लड़के के जाते ही मैं भी वहाँ से निकल गयी, लेकिन मुझे कंचन ने देख लिया था.” कह कर शबाना चुप हो गयी

तभी फिर से दरवाज़े की घंटी बज उठी और कंचन दरवाज़े पर अपने बड़े बड़े मम्मे और चौड़ी गांद लेकर खड़ी थी, अब मुझे उसकी गांद बड़ी होने का राज समझ मे आया.

वो अंदर आई तो शबाना को देख कर झेंप गयी पर नॉर्मल होते हुए वो बात करने लगी.

“कंचन तुझे ऐसा करते हुए शरम नही आती?” शबाना के अचानक इस सवाल से हम दोनो ही हिल गये

“कैसी शरम ये जिंदगी एक बार ही मिलती है और इसका पूरा मज़ा लेना चाहिए.” कंचन ने अपने आप को संभालते हुए कहा

“हाँ कंचन बिल्कुल सही कह रही है.” कहते हुए छाया आंटी ने दरवाज़े पर कदम रखा और हम तीनो ने बात बदल दी.

उसी शाम को मुझे कंचन का फोन आया वो मुझे उसके घर आने की ज़िद कर रही थी. पहले तो मैने मना किया लेकिन कही कुछ जानने की इक्षा ने मुझे हाँ करने पर मजबूर कर दिया और मैने उसको 4 बजे आउन्गि कह कर फोन रख दिया.
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02-26-2019, 09:33 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
ठीक शाम को चार बजे मैं उसके दरवाज़े पर थी, या मुझे कुछ ज़्यादा ही जल्दी थी उसके घर जाने की.

“आजा अंदर आ.” कह कर कंचन ने दरवाज़ा बंद कर दिया और वो भी मेरे पास आकर सोफे पर बैठ गयी

“बता क्यों बुलाया है.” मैने पूछा

“संध्या क्या तू भी मुझे ग़लत समझती है, मैने कुछ भी ग़लत नही किया.” कह कर वो चुप हो गयी और सिर झुका लिया

“ठीक है जो तुझे सही लगा तूने किया, मुझे तेरी पर्सनल लाइफ से कुछ लेना देना नही.” कह कर मैं खामोश हो गयी

वो रोने लगी और मुझे भी कंचन पर तरस आ गया, मैं उसके कंधे पर हाथ फेरते हुए उसे चुप करने लगी तो वो मेरे गले लग गयी, मैं उसको आँखें बंद किए चुप करा रही थी और उसका रोना भी बंद हो गया था. उसके हाथ मेरी पीठ पर फिसल रहे थे और उसकी गरम सासें मुझे गर्देन पर महसूस हो रही थी, मैं भी उसको अपने सीने से लिपटाने लगी. कंचन अब बिल्कुल शांत थी और वो मेरी पीठ पर ब्लाउस के पीछे बहुत ही धीरे धीरे गोल गोल घूमाते हुए हाथ फेर रही थी, मेरे सारे बदन मे कंपकपि दौड़ गयी और मेरी सिसकी निकल गयी और मैने उसको ज़ोर से लिपटा लिया.

कंचन ये जान चुकी थी कि अब मैं पूरी तरह से उसके बस मे हूँ और उसे नही रोक पाउन्गि, कंचन मेरी गर्देन पर चूमने लगी और पता ही नही चला कि कब हमारे होठ मिल गये, मेरी जीभ कंचन के मुँह मे थी और वो बहुत धीरे से मेरी जीभ को दाँतों से दबाते हुए चूम रही थी. ऐसा 5 मिनिट तक चला. फिर कंचन ने अपने हाथ मेरे कसे हुए मम्मो पर रख दिए………….

मुझे ऐसा लगा किसी ने मुझे हिला कर रख दिया हो और मैं उस नशे से बाहर आ गयी और कंचन को खुद से अलग किया और अपना पर्स उठा कर दरवाज़ा खोला और बाहर निकल गयी. मैने वापिस मूड कर भी नही देखा. मेरी चूत की चिपचिपाहट मैं अपनी रगड़ खाती हुए झंघों पर महसूस कर रही थी, जितना तेज चलने की कोशिश करती पैर उतना ही धीरे उठ रहे थे.

घर आने का 5 मिनिट का रास्ते 5 घंटे की तरह गया, आकर सीधा बाथरूम मे गयी और सारे कपड़े निकाल कर ठंडे पानी का नल शुरू करके उसके नीचे बैठ गयी…

नहा कर बाथरूम से निकली ही थी कि मेरे पति आ गये और उसके बाद घर के काम मे लग गयी, रात भर जो मेरे और कंचन के बीच मे हुआ वो सोच कर मैने पहली बार अपने पति के बगल मे लेट कर अपनी चूत को सहलाया और मुझे बहुत मज़ा आया. मैं इस मज़े और ग्लानि के भंवर मे फस्ति चली जा रही थी.

सुबह मेरे पति ने नीला नीला कर मुझे उठाया, मैने झट से सारे काम किए और नहा कर आई ही थी की कंचन ने दरवाज़े पर दस्तक दी. मुझे उसको देख कर ना तो खुशी हुए और ना ही बुरा लगा, वो मुस्कुराइ पर मैं उससे नज़रें चुराते हुए दरवाज़े से हट गयी, जो उसने अंदर आने का इशारा समझा. वैसे तो मैं हमेशा दरवाज़ा खुला ही रखती थी पर आज मैने दरवाज़ा बंद कर दिया, ये बात कंचन ने भी नोटीस की.

वो आकर सोफे पर बैठ गयी और मैं उसको पानी देकर चाइ बनाने के लिए किचन मे वापिस चली गयी. मैने चाइ बना ही रही थी की कंचन पीछे से आकर मुझसे लिपट गयी.

“य……य…..ये. क्या कर रही हो…. हटो दूर…” मैने कहा तो ज़रूर लेकिन अपने आप को उसकी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश तक नही की. उसने मेरी साडी के अंदर हाथ डाल कर मेरे चिकने सपाट पेट पर हाथ फेरते हुए मेरी ब्लाउस के पीछे नंगी पीठ पर जैसे ही चूमना शुरू किया और मैं पिघलने लगी.

मैं किचन स्टॅंड पर दोनो हाथ टिकाए शांत खड़ी थी, दिल मे जोरो का तूफान था, दिमाग़ चाहता था कि रोक दू लेकिन दिल इस नये स्वाद को चखना चाहता था.

और दिल की जीत हो गयी, मैने पलट कर कंचन को अपनी बाहों मे भर लिया, हमारे होठ एक बार फिर से मिल गये लेकिन इस बार अलग ना होने के लिए. कंचन ने साडी का पल्लो नीचे गिरा दिया और गॅस बंद कर दिया उसने एक एक करके मेरे ब्लौस एके सारे बटन खोल दिए

मेरी हालत ऐसी हो रही थी कि मैं खुद भी चाहती थी कि जो हो रहा है हो जाने दो, और उसने वही किचन मे ही स्टॅंड पर बैठने का इशारा किया. और मैने ईक यन्त्रवत उसके इशारे का पालन किया. अब मैं उसके कंट्रोल मे थी. कंचन ने मेरी गुलाबी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को ब्लाउस के साथ निकाल दिया. मेरे दोनो चिकने कठोरे स्तन अब एक दम आज़ाद थे, मेरा गुलाबी अरेवला और उस पर डार्क पिंक निपल जो एकदम तने हुए थे. उसने जैस एही एक ब्रेस्ट पर हाथ रखा.

“आआआआअहह हमम्म्ममममममममममम कंचन ये क्या कर रही है तू.” मैने सीकरियाँ भरते हुए कहा

“मेरी जान तुझे इस जिंदगी के मज़े लेना सिखा रही हूँ, अब तक तू सिर्फ़ चुदाई का मज़ा ले रही थी. सेक्स क्या है ये तुझे पता ही नही है.” कंचन ने मेरे निपल को मसल्ते हुए कहा

उसकी इस हरकत पर मैं उछल पड़ी, उसने ज़ोर से मसला था, और उसके कारण बदन मे जो सिरहन की लहर उठी वो मेरी चूत से निकल गयी, जी हाँ दोस्तो मैं सिर्फ़ एक मिनिट मे ही झाड़ गयी थी. अभी तो कुछ हुआ भी नही और मेरा ये हाल था, कितना सही कहती है कंचन कि अब तक तो मैं सिर्फ़ चुदाई ही जानती थी सेक्स मे क्या मज़ा है ये मुझे पता ही नही था.

मैं काँप कर कंचन से लिपट गयी और कंचन मेरी नंगी पीठ को सहला रही थी.

उसके बाद कंचन ने मेरी गर्देन से चूमना शुरू किया जो आगे आकर सीने पर रुका, उसने अपनी जीभ निकाल कर मेरे निपल पर लगाई और नीचे से ऊपर की तरफ जीभ से निपल को चूमा तो मानो हज़ारों बिच्छू मेरी छातियों पर रेंगने लगे, इतना अच्छा मुझे कभी नही लगा था, और फिर वो निपल को किसी छ्होटे बच्चे की तरह चूमने लगी, मैं उसके सिर को अपने सीने पर दबाती जा रही थी. कंचन ने अब दूसरा निपल मुँह मे लिया तो मेरे दाहिने स्तन को पकड़ लिया और धीरे धीरे दबाते हुए वो दूसरे स्तन को चूम रही थी, धीरे धीरे ये चूमना, चूसने मे बदल गया और अब वो मेरे स्तनो को चूस कर निचोड़ रही थी.

उसने मेरा पेटिकोट का नाडा कब खोल दिया मुझे इसका पता ही नही चला, जैसे ही उसने मुझे खड़ा किया मेरी साड़ी पेटिकोट सहित नीचे गिर गयी मेरे पैरों मे. अब मैं सिर्फ़ एक गुलाबी फूलों वाली वाइट लो वेस्ट पॅंटी मे खड़ी थी. मैं भी चाहती थी कि उसके कपड़े निकाल दू पर मुझसे ये हो नही रहा था, लेकिन कंचन को दिमाग़ पढ़ना आता था, उसने झट से अपना कुर्ता और सलवार निकाल फेंकी और वो मेरे सामने ब्राउन पॅंटी और ब्रा मे खड़ी थी, उसने मेरी तरफ प्यार से देखा और हम एक दूसरे से फिर से लिपट गये और हमारे होठ आपस मे मिल गये, हमारी जीबे एक दूसरे से टकरा रही थी और सासें भारी हो रही थी, हम बीच मे साँस लेने के लिए रुकते और फिर वापिस से हमारे होंठ आपस मे जुड़ जाते, अब बारी मेरी थी….
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02-26-2019, 09:33 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
मैने अपना हाथ कंचन की पीठ पर लेजाकार उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, उसके स्तन काफ़ी बड़े थे जैसे ही ब्रा खुली उसके स्तन नीचे को गिर पड़े, कंचन ने खुद ही अपने एक स्तन को उठाया और वो खुद ही उसके निपल को अपनी जीभ से चाटने लगी, मैने भी अपनी जीभ उसी निपल पर लगा दी जिस निपल को कंचन चाट रही थी, उसका निपल थोड़ा ज़्यादा ही लंबा था और अरेवला काफ़ी बड़ा, हम दोनो की जीभ आपस मे छूते हुए निपल की लंबाई पर चल रही थी और लार से पूरा स्तन गीला हो रहा था, फिर वाली दूसरे निपल के साथ हुआ और थोड़ी देर मे कंचन मेरा सिर सहलाते हुए सिसकियाँ ले रही थी और मैं उसके बड़े बड़े स्तनो को ऊपर उठा कर आपस मे जोड़ कर एक एक करके दोनो निपल को बुरी तरह चूस रही थी.

पर हाए रे दरवाजे की घंटी…………. इसको भी अभी बजना था, सारा मज़ा खराब हो गया, पसीने छूट गये और कंचन ने झट से कपड़े पहने और मैने सारे कपड़े उठाए और बेडरूम मे भाग गयी, वहाँ जाकर गाउन डाला और झट से दरवाज़ा खोलने गयी. उफ्फ ये तो सिर्फ़ एक सेल्स गर्ल थी, जिसको मैने जल्दी से टाल दिया. पर इससे जो घबराहट हुई उससे मन मे एक अजीब सा डर जो शुरू हुआ था उसके कारण अब कुछ करने की इक्षा नही बची थी, इस लिए मैने कंचन को ठंडा पानी दिया और खुद भी पानी पिया और चाइ को वापिस से गॅस पर लगाया और आकर कंचन के सामने बैठ गयी.

“मूड खराब हो गया.” कंचन ने कहा

“उूउउम्म्म्मम हाँ.” कह कर मैं चाइ लेने चली गयी, मुझे समझ मे ही नही आ रहा था की क्या बात करू, मैं उससे नज़रें भी नही मिला पा रही थी. चाइ पीकर वो चली गयी और मैं आकर बिस्तेर पर लेट गयी.

मैं सो गयी और जब उठी तो छाया आंटी के आने पर, वो बोले जा रही थी और मैं उनकी बात पर ध्यान दिए बिना ही कंचन के साथ बीते हुए पलो को याद कर रही थी. तभी शबाना भी आ गयी थी, शबाना के पेट मे एक बात भी नही रहती उसका नेचर ही कुछ ऐसा था, उसने कंचन और राज शर्मा की सारी बातें छाया आंटी को बता दी.

छाया आंटी, “देख शबाना इसमे कोई बुराई नही है, शरीर की कुछ ज़रूरतें होती है अगर कंचन उसको राज के साथ पूरा कर रही है तो इसमे कोई बुराई नही है.”

मैने पूछा, “छाया आंटी तो क्या आपने कभी किसी और के साथ सेक्स किया है.”

“हाँ वो मेरी ननद का लड़का था, उस वक़्त मेरी उमर 38 साल थी और वो 16 का था.” इतना कह कर वो चुप हो गयी

फिर तो मैने और शबाना ने उनसे ज़िद पकड़ ली कि कब कैसे और क्या हुआ हमे बताओ.

छाया आंटी थोड़ी देर तक भूत काल मे खो गयी और फिर काफ़ी देर के बाद उन्होने बोलना शुरू किया.

डिसेंबर का महीना था और माधव क्रिस्मस वाकेशन मे हमारे घर आया था, इनका देहांत हुए सिर्फ़ 6 महीने हुए थे तो मैं बहुत परेशान रहती थी, वो बहुत हँसमुख था और कई बार वो मेरे आस पास रह कर मुझे खुश रखने की कोशिश करता था, 25थ को केक लाया और मेरे लिए शानदार डिन्नर का इंतेजाम किया था. उसने मुझे बताया नही और कोल्ड ड्रिंक मे वोड्का मिला दी, जिससे मैं नशे झूमने लगी.

फिर उसने मुझे डॅन्स के लिए कहा और डॅन्स करते करते वो मेरे बहुत पास आ गया, नशा इतना भी नही था कि मैं अपने होश खो दू, वो डॅन्स करते हुए मेरे बहुत करीब आ गया था और मुझे शॉक लगा तब, जब उसका लंड कठोर होने लगा जिसको मैं अपने पेट पर महसूस करने लगी, धीरे धीरे उसका लंड झटके मारते हुए मेरे पेट पर अब मैं सॉफ महसूस कर रही थी.

और मैं उससे अलग होने या रुकने की जगह उससे और जोरो से लिपट रही थी, उसने मुझे थाम लिया और मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगा, वो हर बार अपने हाथ को थोड़ा नीचे ले जाता और अब उसने अपने हाथ मेरे कुल्हो पर रख दिए और अपनी ओर दबाने लगा, उसकी गरम सासें मेरी गर्देन पर वो ज़ोर ज़ोर से छ्चोड़ रहा था, मैं भी उसमे समा जाना चाहती थी और मैने अपने होठ उसकी तरफ बढ़ा दिए और उसने भी मेरे होंठो पर अपने होठ रख दिए, मैं मदहोश हो गयी और जब मुझे होश आया तो मेरे बदन पर सिर्फ़ पॅंटी ही बची थी.

उसने मुझे बाहों मे उठाया और बेडरूम मे ले गया, मैं बेड पर बैठी थी उसने मुझे लेटा दिया, मेरे पैर बेड के किनारे कर दिए थे, फिर उसने मेरी पॅंटी की इलास्टिक मे अपनी उंगलियाँ फसाई और पॅंटी निकाल दी. मेरी घने बालों से भरी हुई चूत पर उसने हाथ रखा और बालों को दोनो तरफ करके उसने अपना मुँह चूत मे लगा दिया, वो मेरी चूत को खाए जा रहा था. मैं नीचे से कूल्हे उछाल रही थी और उसके सिर पर हाथ फिराए जा रही थी.

फिर वो उठा और एक झटके मे उसने सारे कपड़े निकाल दिए और लंड को चूत के छेद पर रखा और एक ही धक्के मे लंड पूरा अंदर डाल दिया, उसका लंड कुछ ज़्यादा ही लंबा था सीधा मेरी बच्चेड़नी से जा टकराया और दर्द की एक मजेदार लहर मेरे बदन मे दौड़ गयी.

वो थोड़ा रुका और फिर उसने धक्के लगाना शुरू किए, वो पूरा लंड निकालता केवल लिंगमंड (सूपड़ा) ही अंदर रह जाता और फिर वो बिल्कुल धीरे से पूरा लंड अंदर डालता वो इतना प्यारा कर रहा था कि मैं अब ज़्यादा देर तक ये सहन नही कर सकती थी. मेरी चूत मे तूफान अब उठने ही वाला था. कि वो रुक गया और उसने मुझे बेड के किनारे ही उल्टा कर दिया अब वो पीछे से डालने वाला था.

माधव ने लंड को चूत पर टीकाया और बहुत तेज़ी से अंदर डाला दिया, मेरा तो मूत निकल गया और मैं काँपते हुए झाड़ गयी. ऐसा मैने कभी नही किया था, उसके बाद तो माधव रुका ही नही तेज धक्को के साथ मेरा मूत निकालता रहा और मैं अब इस रोमांच को सहन नही कर पा रही थी. मेरे पैर काँप रहे थे और मैं अब सिर्फ़ हर धक्के के साथ झाड़ रही थी, सारा बदन अकड़ने लगा और मैं अपने होश खो बैठी, बेड पर उल्टा ही पसर गयी.

जब होश आया तो देखा कि मैं सीधी लेटी थी और मेरे स्तनो पर ढेर सारा वीर्य पड़ा हुआ है. और माधव नंगा ही मेरे पास सो रहा है.”

छाया आंटी की इस मजेदार कहानी को सुनकर मेरा मन भी चुदाई के लिए तरसने लगा था और शबाना की आँखों मे तो लाल डोरे नज़र आ रहे थे, हम तीनो ही बारी बारी से बाथरूम मे गये और फिर मैने चाइ बनाई, चाइ पीते हुए हम कंचन और राज के बारे मे ही बातें करते रहे, जाते जाते छाया आंटी ने शबाना को हिदायत दी कि इन बातों को अपने तक ही रखना.

छाया मेरे घर से निकल कर सीधा कंचन के घर की तरफ निकली और मैं और शबाना शांत बैठे थे.

थोड़ी देर की खामोशी के बाद शबाना बोली, “संध्या तेरी सेक्स लाइफ कैसी चल रही है.”

“बहुत बढ़िया.” मैने इतना ही कहा था कि उसने कुछ कहा लेकिन मैं सुन नही पाई, मैने काफ़ी ज़ोर दिया तब जाकर वो बोली, “मेरी तो कोई सेक्स लाइफ ही नही है, वो तो बस चाकू की तरह डाल देते है और 4-5 धक्के और उल्टी करके सो जाते है.”

मैं हैरान रह गयी की इक़बाल जैसा आदमी सेक्स करना नही जानता.
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02-26-2019, 09:33 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
थोड़ी देर की बातों के बाद ये ऑफीस से आ गये और शबाना इनसे नमस्ते करके चली गयी, मेरे पति जाती हुए शबाना की गांद को घूर रहे थे.

मैने चाइ बनाई और ये कुछ ज़रूरी काम से मुंबई जाने वाले थे रात को ही तो मैने तैयारी लगानी शुरू कर दी.

इन्होने मुझसे कहा कि शबाना आंटी को बुला लेना सोने के लिए तो मैने कहा नही मैं कंचन को बुला लूँगी उसके हज़्बेंड भी बाहर गये हुए है, तो इन्होने हाँ मे सिर हिलाया और फिर मेरे साथ एक ज़ोर दार सेक्स किया लेकिन मुझे पता नही क्या हो गया था, मैं आँखें बंद किए हुए माधव के ख़यालों मे खोई हुए थी, और जल्दी जल्दी 3 बार झाड़ गयी.

उसके बाद ये चले गये मैने कंचन को कॉल किया और आने को कहा तो वो बोली अकेले आउ या किसी और को भी साथ लाउ.

मैने कहा, “आज तो अकेले ही आ, पूरा हफ़्ता है किसी और का बाद मैं देखते है.”

कंचन ने कहा, “ठीक है मेरी जान.” और फोन काट दिया

मैं उसके आने का इंतेजर करने लगी.

कंचन थोड़ा लेट आई थी और वो अपने बच्चे को घर पर ही छ्चोड़ कर आई थी और अंदर आते ही मैने दरवाज़ा बंद कर दिया, सारे खिड़की पर्दे सब मैने पहले ही बंद कर रखा था.

मैने अपनी चूत को भी बहुत अच्छे से धोया था और सारे बाल भी सॉफ का लिए थे, लेकिन मस्ती इतनी थी कि चूत से पानी टपक रहा था और मेरी पॅंटी को गीला कर रहा था. आते ही हम दोनो सोफे पर ही गुत्थम गुत्था हो गये, कंचन ने झट से अपना कुर्ता और ब्रा निकाल दी उसके मोटे मोटे निपल मैने अपना मुँह मे भर लिए और बारी बारी से एक एक स्तन को मसल कर उसके निपल का रस पान करने लगी. कंचन ने भी मेरी मॅक्सी निकाल दी और पॅंटी भी, जो मैने नहा कर बिल्कुल अभी पहनी थी लेकिन वो चूत रस से भीग गयी थी.

फिर कंचन खड़ी हुई और सलवार निकाल दी, उसकी पॅंटी चूत के पास से उठी हुई थी जैसे ही उसने पॅंटी निकली मैं हैरान रह गयी. उस कुतिया ने वो वाइब्रटर अपनी चूत मे डाला हुआ था और वो बॅट्री मोड पर ऑन था.

मैने देखा तो वो बोली, "मेरी जान मैं हमेशा इसको चूत मे फसा का बाहर जाती हूँ ताकि मर्दो को देख कर बार बार झाड़ सकूँ."

"तू साली बहुत चुड़क्कड़ है." मैने कहा तो वो भी तपाक से बोली, "तुझे भी बना दूँगी."

और उसने वो वाइब्रटर निकाल कर मेरे मुँह मे घुसा दिया, उसकी चूत रस के साथ साथ मूत का नमकीन कसैला सा स्वाद भी जेहन मे उतरता चला गया, लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैने वो रस चाट लिया, अब कंचन ने मुझे सोफे पर ही घोड़ी बना दिया और वो वाइब्रटर मेरी चूत मे पीछे से घुसा दिया, और स्पीड भी एकदम फुल कर दी, मैं 2 मिनिट मे ही झाड़ गयी लेकिन उसने मुझे बुरी तरह से जाकड़ लिया था मैं उठ भी नही सकती थी और हिल भी नही सकती थी.

मेरा सारा बदन अकड़ने लगा और मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया और मैने इतना महसूस किया कि मेरी चूत से एक तेज धार कंचन के स्तनो को भिगो रही थी.

जब मुझे होश आया तो मैं सोफे पर ही पड़ी थी और कंचन बड़बड़ा रही थी, "साली मेरे मुँह पर ही मूत दिया."

मैने नॉर्मल होने की कॉसिश की और उठा कर अपने बेडरूम मे गयी, कंचन भी पीछे से आ गयी. मुझे सेक्स हमेशा से ही स्लो और लंबा पसंद है वाइल्ड सेक्स के कारण मुझे घबराहट हो रही थी. मैं आँखें बंद करके लेट गयी.

मेरी आँख तब खुली जब कंचन ने मेरी चूत के लिप्स पर अपनी जीभ घुमाई, और मेरी चूत का दाना बहुत संवेदनशील हो गया था, जैसे ही उसने दाना अपने मुँह मे भरा मेरी सिसकी निकल गयी.

मैं, "आआआहह कंचन धीरे कर."

कंचन समझ रही थी कि मैं रूफ सेक्स की आदि नही हूँ, मेरे हज़्बेंड भी मुझे धीरे धीरे उत्तेजित करते हुए प्यार से मेरी चुदाई करते है.कंचन ने अपने दोनो हाथो से मेरी चूत को फैलाया और अंदर के भाग पर जीभ फेरी मेरे मूत छिद्र पर उसकी जीभ कुछ ऐसा जादू कर रही थी मानो कि मेरा मूत निकल जाएगा, वो पूरी चूत को मुँह मे भर कर चूम रही थी.

फिर कंचन ने एक उंगली अंदर डाल दी और दाने पर जीभ चलाने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, अचानक उसने मेरी चूत को अपने मुँह मे दबा लिया, और काँपने लगी, मैने आँखें खोल कर देखा तो वो उसकी चूत से वाइब्रटर निकाल रही थी

फिर हम दोनो लिपट कर लेट गये. थोड़ी ही देर मे हमे कब नींद आ गयी पता ही नही चला

सुबह आँख खुली तो कंचन तैयार होकर जा रही थी, उसकी बेटी को स्कूल जाना था. दूसरी रात वो नही आ सकती थी लेकिन छाया आंटी से कंचन ने मेरे घर पर सोने को बोल दिया था,

छाया उमर के इस पड़ाव पर भी एक दम फिट थी. वो रोज योगा करती थी वो जानती थी कि उसे खुद को फिट रखना ही होगा. लेकिन उसके पति की मौत के बाद किसी ने उसको नंगा नही देखा था. वो अपनी चूत मे उंगलिया करते करते बोर हो गयी थी और कुछ नया चाहती थी. छाया भी मेरी तरफ आकर्षित थी लेकिन वो ये सोच कर रुक जाती थी कि अगर मैने विरोध किया तो उसकी मेरी नज़र मे क्या रह जाएगी. छाया कई बार मेरे नाम लेकर भी अपनी चूत को सहला चुकी थी.

हम दोनो बैठ कर बात कर ही रहे थे, छाया के दिलो दिमाग़ मे एक द्वन्द चल रहा था, हम बात ही कर रहे थे कि छाया आंटी का हाथ सोफे से मेरी पीठ पर मैने महसूस किया, ये नॉर्मल टच नही था, औरतों को टच की पहचान होती है.

छाया बोली, “चलो एक राइड हो जाए कार से घूम कर आते है, मैने भी हाँ कर दी और हम दोनो घूमने निकल पड़े.
क्रमशः
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02-26-2019, 09:33 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
चार सहेलियों को बजाया --2

गतान्क से आगे .......................
थोड़ा सुनसान आते ही छाया आंटी बोली थोड़ा गाड़ी रोक, तो मैने गाड़ी रोक दी

उनके साथ मैं भी नीचे उतर गयी, वो थोड़ा आगे गयी और साड़ी उठा कर ज़मीन पर बैठ गयी और उनकी दुबली पतली सी गोरी गांद मेरे सामने थी, वो जान बुझ कर लाइट मे जाकर बैठी थी, और मूतने की मधुर आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी. अब मुझे भी कुछ होना शुरू हो गया था.

हम दोनो वही बुनट पर टिक कर खड़े हो गये, छाया आंटी की उंगलियाँ मेरे हाथ के ऊपर ही थी.

छाया आंटी बोली, “एक बात पुच्छू तुमसे.”

मुझे जैसे लगा कि वो क्या चाहती है, “हा आंटी पूछो ना.”

वो थोड़ा रुक गयी और बोली, “मर्दो का साथ कैसा होता है, मुझे पता है. लेकिन एक लड़की के साथ होना कैसा लगता है.”

मुझे लगा कि मैं झाड़ रही हूँ और चूत का रस मेरी पॅंटी को भिगो रहा है,

छाया आंटी मेरी तरफ घूमी और मेरे गाल पर अपना हाथ रखा, मैं उनकी तरफ ही देख रही थी, और वो मेरी तरफ बढ़ी और उनका चेहरा मेरे पास आ गया, मैने साँस रोक ली और मैं बहुत उत्तेजित हो गयी थी.

और हम दोनो के होठ मिल गये, उूुुउउम्म्म्मममममम और कुछ ही देर मे हम दोनो की जीभ एक दूसरे के साथ खेल रही थी, प्यार का खेल जो अभी सिर्फ़ शुरू ही हुआ था.

छाया आंटी ने मुझे खुद से लिपटा लिया और मैं मेल की तरह उनसे लिपट गयी. हम दोनो के हाथ एक दूसरे की पीठ को सहला रहे थे, छाया आंटी ने ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे स्तन को दबाना और सहलाना शुरू किया. मेरे निपल कड़क हो गये थे, वो मेरी ब्रा और ब्लाउज के ऊपर से छाया आंटी महसूस कर रही थी. उन्होने मेरे बटन खोलना चाहे पर मैने उनको रोक दिया और कहा घर चलो.

5 मिनिट मे ही हम घर पर थे. आते ही छाया आंटी ने मेरा ब्लाउस खोल दिया वो मेरे नंगे होते बदन पर ऐसे हाथ फेर रही कि मैं उस नशे मे खोती ही जा रही थी. छाया आंटी ने मेरे पेटिकोट का नाडा खोला और मेरा पेटिकोट और साड़ी वही फर्श पर गिर गये.

"उसने जब मेरे हिप्स पर छुआ तो मैं काँप गयी, वो बोली, “मेरी जान मैं तुमको आज अपना बनाना चाहती हूँ.”

छाया आंटी ने मेरा हाथ उनके स्तनो पर रख और मैने उनके स्तन दबाना शुरू किया और उनका ब्लाउस और साडी खोल दी, फिर मैने उनका पेटिकोट भी निकाल दिया. छाया आंटी के निपल थोड़े बड़े थे मैं उनको पकड़ा, तो वो उछल पड़ी आआआहह धीरे करो मेरी जान.

उनकी चूत से भी रस टपक रहा था और उनकी पॅंटी भीग गयी थी, मैने छाया आंटी की गर्देन पर चूमना शुरू किया, किसी भी औरत को गर्देन पर चूमना बहुत जल्दी उत्तेजित करता है, अब मैने उनको सोफे पर लिटा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गयी और उनके निपल चूसने लगी. छाया आंटी ने मुझे कहा, तुम बहुत सुंदर हो मेरी रानी.”

मैने छाया आंटी की पॅंटी निकाल दी, उनकी चूत का गीलापन बाहर तक टपक रहा था और फूली हुए बिना बालों वाली चूत की महक मुझे आने लगी थी, मैने उसकी फूली हुए चूत पर हाथ फेरा और झुक कर उसकी गरम गीली चूत पर अपनी जीभ घुमाई, नीचे से जहाँ उसकी चूत खुल रही थी और उसकी गांद के भूरे छेद तक. और ज़ोर से उसकी पूरी चूत को मुँह मे भर लिया, आआआहह उसकी सिसकी निकल गयी, अंगूठे से मैने छाया आंटी की चूत के दाने को घिसना शुरू किया, और नीचे की तरफ मैं जीभ फेर रही थी, मैं उसकी चूत भूखी कुतिया जैसे अपना खाना खाती है वैसे चाट रही थी.

"हे भगवान, आआआआआहह चतो और चतो म्‍म्म्ममममममम बहुत मज़ा आ रहा है मुझे..." छाया आंटी बड़बड़ा रही थी

मुझे पता ही नही था कि जीभ इतने कमाल की चीज़ है जो लंड से ज़्यादा मज़ा दे सकती है और वो भी तब जब एक औरत दूसरी औरत के साथ हो तब. छाया आंटी की चूत से रस टपक रहा था और मैं उस कसैले नमकीन मीठे से स्वाद वाले चूत रस को चाते जा रही थी. छाया आंटी काँपने लगी थी और शायद वो अब झड़ने ही वाली थी.

और जैसे ही मैने उनकी चूत का दाना मुँह मे भरा वो झड़ने लगी. और वो बहुत देर तक झड़ती रही और एकदम शांत हो गयी.

अब उनकी बारी थी लेकिन मैं उनको थोड़ा आराम का मौका देना चाहती थी इस लिए मैं बाथरूम मे चली गयी.

जब मैं वापिस आई तो छाया आंटी टाय्लेट जाने के लिए उठी, उनके गालों पर गुलाबी रंगत छाई हुए थी मैने उनका हाथ पकड़ा और कान के पास मुँह लेजाते हुए बोली, “ कैसा लगा मेरी प्यारी आंटी.” और कान मे फूँक मार दी, वो सिहर गयी और हाथ छुड़ाते हुए बाथरूम मे भाग गयी.

मैं बेड पर लेट गयी और दोनो पैर भी ऊपर उठा कर रख दिए,
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