Hindi Sex Stories By raj sharma
02-26-2019, 09:36 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--2

गतांक से आगे .........
एक दिन रेखा से मिलने उसकी सहेली गौरी आई थी. लेखा उस वक़्त बाहर गयी
हुई यही. गौरी की शादी हो चुकी थी और अपने ससुराल और पति के बारे में बता
रही थी. उसने अपने सुहाग रात के किस्से बताये. ये सुनकर रेखा की चूत
गीली होने लगी. उसका चेहरा भी कुछ लाल पड़ गया. गौरी ने पूछा ?क्यों रेखा
ये सब सुनकर तेरी चूत गीली हो गयी न? रेखा चौक गयी और पूछा ?तुझे कैसे
पता चला?. गौरी ने कहा?तेरा चेहरा औरहाव भाव देखर पता चल गया.? रेखा ने
कहा?क्या करू गौरी मुझे भी शादी करने कीइच्छा है लेकिन शादी से पहले में
कुछ मज़ा लूटना चाहती हु?. गौरी ने कहा?मैंने भी यही किया था. अपने गाँव
में कल्लू है न. उसके साथ मैंने कई बार चुदाई की थी. कल्लू की शादी हो
गयी तब उसने मुझे छोड़ दिया इसलिए मैंने भी शादी कर ली. मेरे पति और
ससुराल वालो को इस बारे में कुछ नहीं पता?. गौरी ने पूछा ?तुझे कोई पसंद
है?. रेखा ने कहा?हा.. मुझे वो विक्रम पसंद है?. गौरी ने कहा ?अच्छी बात
है. उससे शादी कर ले?. रेखा ने कहा?लेकिन उसकी पढाई अभी बाकि है?. गौरी
ने कहा?ठीक है, पढाई के बाद शादी की बात करना. लेकिन अभी तू अपनी चूत को
शांत करवा सकती है?. रेखा हस पड़ी. एक दिन शाम को लेखा कुवे से पानी भरने
जा रही थी. विक्रम ने उसे देख लिया और उसको बुलाया. लेखा दौड़ कर विक्रम
के पास गयी. विक्रम ने कहा?चलो हम खेत के पीछे चलते है. उस दिन की तरह हम
वह खूब मज़ा करेंगे?. लेखा ने कहा?लेकिन पानी भरकर ले जाना है? विक्रम ने
कहा?घबराओ मत. कह देना विक्रम के साथ थी इसलिए थोड़ी देर हो गयी.? दोनों
खेत की तरफ चल पड़े. खेत की छोड़ पर एक पेड के नीचे दोनों बैठ गए. लेखा
ने अपना घड़ा एक तरफ रख दिया. चारो और बड़ी घास होने के कारन किसी की नज़र
उन पर नहीं पड़ सकती थी और वहां लोगो का आना जाना कम था. लेखा ने
कहा?विक्रम में तुमसे बहुत प्यार करती हु?. विक्रम ने कहा?में भी? और
लेखा को अपने गले से लगा दिया. विक्रम लेखा के गाल , सर, गर्दन और होंठो
को चूमने लगा. लेखा भी उसको चूम रही थी. फिर विक्रम ने लेखा की चोली को
खोलकर अलग कर दिया और उसका घाघरा भी उतर दिया. अब लेखा पूरी तरह नंगी
होकर विक्रम की गोद में लेटी हुई थी. विक्रम ने भी अपना कुरता और
पाजामा उतार दिया. लेखा ने पहली बार किसी लड़के का लंड देखा था. विक्रम
का लंड काफी बड़ा था. विक्रम ने अपने लंड को लेखा के हाथ में थमा दिया.
लेखा बड़े प्यार से लेकर सहलाने लगी. विक्रम के बदन पर एक सिरहन दौड़
गयी. विक्रम ने कहा?तुम इसे अपने मुह में लेके चूसो. लेखा ने कहा?में ये
नहीं कर सकती?. विक्रम ने कहा?तुम एक बार करो. बाद में तुम इसे बार बार
चूसना चाहोगी?. लेखा ने विक्रम का लंड मुह में भर लिया और धीरे धीरे
चूसने लगी. विक्रम की आंखे बंद हो रही थी. उससे बड़ा मज़ा आ रहा था. अब
लेखा भी उसके लंड को चूसने में लीन हो गयी थी. अचानक ही विक्रम झड गया
और अपने लंड का पानी लेखा के मुह में ही छोड़ दिया. लेखा को झटका लगा.
उसने लंड को अपने मुह से निकाल दिया. अभी भी लंड से लार टपक रही थी.
लेखा ने लंड को पकड़कर उसे चाटने लगी. विक्रम लेखा के बूब्स को दबाने
लगा. लेखा ने कहा?विक्रम मेरी चूत गीली हो रही है लगता है मेरी चूत से
भी अपनी पानी निकलेगा . विक्रम लेखा के दोनों टाँगे फैला दी और उसकी
चूत में अपनी ऊँगली डाल दी. उसने देखा उसकी ऊँगली गीली हो चुकी थी. वो
ऊँगली निकाल कर चाटने लगा. ये देखकर लेखा और गर्माने लगी और उसकी चूत
से फुवार्रा छुट पड़ा. विक्रम अपनी जीब से उसके रस को चाटने लगा. फिर
उसने कुछ रस लेकर अपने लंड पर लगा दिया और लंड को लेखा की चूत के
द्वार पर रख कर हल्का सा धक्का दिया. लंड आसानी से लेखा की चूत के
अन्दर घुस गया. लेखा चिल्ला उठी?ईईइ मा..में मर गयी..आः?ऊई. मेरी चूत फट
गयी?. विक्रम पूरे जोश में अपने लंड को लेखा की चूत के अन्दर बाहर कर
रहा था. लेखा अब चिल्लाने के बजाये सिस्कारिया भर रही थी.उसने अपनी टाँगे
और फैला दी. विक्रम साथ में उसके बूब्स को भी दबा रहा था. लेखा कह रही
थी?विक्रम और जोर से..वह?अआः.. और जोर से..बहुत मज़ा आ रहा
है..आह..सी..आह. इतने में लेखा एक बार और झड गयी और विक्रम ने भी अपना
पानी लेखा की चूत में उड़ेल दिया. अब अँधेरा हो रहा था. दोनों ने फिर
अपने कपडे पहन लिए . विक्रम ने लेखा को एक गोली दी और बोला?इसे खा लेना
तो तुम्हारे बच्चा नहीं होगा. वर्ना तुम माँ बन जाओगी ?. लेखा ये सुनकर
डर गयी. लेखा अपना घड़ा लेकर कुवे की और चल पड़ी और पानी भरकर घर गयी. उसके
माँ ने देर होने की वजह पूछी तो लेखा ने कहा?में विक्रम से मिली थी और
बात करते करते देर हो गयी?.जब से गौरी की बात सुनी थी तब से रेखा भी
बेचैन सी रहने लगी थी. उसे अपनी चूत की अंगार को शांत करना था. एक दिन
सुबह रेखा संडास करने के लिए निकल पड़ी. विक्रम ने रेखा को देख लिया और
उसका पीछा किया. वो रेखा के ठीक पीछे पीछे जा रहा था. रेखा को थोडा सा
शक हुआ की कोई उसके पीछे है. वो पहाड़ के पीछे जाकर झाड़ियो में अपने
घाघराको ऊपर करके संडास करने के लिए बैठ गयी. विक्रम एक पेड़ के पीछे
से ये सब देख रहा था. लेकिन उसे कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था. रेखा
की चूत की झलक उसे दिखाई दी और ये देखकर ही मुठ मारने लगा. रेखा को
पेड़ के पीछे झाड़ियो में कुछ आहट सुनाई दी. उसे लगा की कोई उसे देख
रहा है. वो जल्दी से अपनी गांड साफ करके घास में से छुपकर वहां से निकल
गयी. विक्रम मुठ मारने में मशगुल था. उसने देखा तो रेखा वहां से जा
चुकी थी. वो जैसे ही अपना पाजामा ऊपर कर रहा था पीछे से किसीने उसके
कंधे पर हाथ रख दिया. उसने मुड़कर देखा तो रेखा थी. विक्रम एकदम चौंक गया.
रेखा ने पूछा ?तो आप मेरा पीछा कर रहे थे?. अगर गांड देखने का इतना ही
शौक है तो चलो मैं दिखाती हु. रेखा ने अपना घाघरा उतार के ज़मीन पर डाल
दिया. अब वो निचे से बिलकुल नंगी थी. रेखा ने कहा?चलो जो करना है करलो ?.
विक्रम ने आगे बढकर उसकी गांड के पास जाकर बैठ गया और दोनों चुत्डो पर
हाथ फेरकर दबाने लगा. बाद में उसकी गांड को फैलाकर उसके छेद में नाक
डालकर सूघने लगा. विक्रम ने कहा?रेखा तुम्हारी गांड से बड़ी मादक खुसबू आ
रही है?. रेखा ने अभी अभी संडास किया था इसलिए उसकी गांड से गंद आ रही
थी. विक्रम ने थोड़ी देर अपनी नाक उसकी गांड के छेद में डालकर रगडी और
फिर जीब निकाल कर चाटने लगा. रेखा ने कहा?बहुत अच्छा लग रहा है
विक्रम.? विक्रम उसकी गांड के छेद में जीब डालकर घुमा रहा था और अपनी
हाथ आगे ले जाकर रेखा की चूत के छेद में ऊँगली डालकर हिला रहा था. रेखा
आहे भरने लगी?ऊओह?आः?सीह?आः?.थोड़ी देर में रेखा की चूत से रस बहने लगा
और विक्रम का पूरा हाथ गीला कर दिया. विक्रम रस से भरे हाथ को चाटने
लगा. ये देखकर रेखा और भी गरमा गयी और चोली के ऊपर से अपने बूब्स को दबा
रही थी. रेखा ने कहा?विक्रम में तुमसे प्यार करती हु. तुम मेरी चूत की
प्यास कब भुजाओगे ?. विक्रम ने कहा?वक़्त आने दो. मैं तुम्हारी चूत की
प्यास भुजाऊंगा?. इतने में कुछ लोगो की बातें करने की आवाज़ आने लगी.
विक्रम जल्दी से खड़ा हो गया और रेखा ने घाघरा जल्दी से लेकर पहन लिया.
दोनों वहां से चल पड़े. रास्ते में रेखा ने कहा मैं कल शाम को नदी पर
नहाने जाउंगी . तुम वह आ जाना?. विक्रम खुश हो गया. उसे दोनों बहनों को
चोदने को मिल रहा था. और दोनों उससे प्यार भी करती थी. दुसरे दिन शाम
होते ही विक्रम नदी के पास जाकर बैठ गया. लेकिन काफी देर के बाद भी रेखा
नहीं आई. सूरज ढल रहा था. कुछ देर बाद उसे कोई आता हुआ दिखाई दिया. वो
रेखा थी. विक्रम ने पूछा ?तुमने आने में देर क्यों कर दी?. रेखा ने
कहा?मैंने सोचा थोडा अँधेरा हो जायेगा तो कोई हमे देख नहीं सकता.? विक्रम
बहुत खुश हो गया. फिर रेखा ने अपनी चोली और घघरा उतार दिया और पूरी तरह
नंगी हो गयी. विक्रम ने अपना कुरता और पाजामा उतार दिया. दोनों फिर एक
दुसरे से लिपट गए और पानी में उतर गए . रेखा के बूब्स विक्रम की छाती से
दब रहे थे. विक्रम का लंड खड़ा हो गया था और वो रेखा की जांघो के बीच
घुस रहा था. दोनों पानी डालकर एक दुसरे को साबुन से रगड़कर साफ़ करने लगे.
विक्रम रेखा के बूब्स और पेट को हलके हलके हाथ से रगड़ रहा था. रेखा
विक्रम की छाती पर हाथ घूमा रही थी. बीच में दोनों एक दुसरे को चूमा
चाटी भी करते थे. विक्रम ने रेखा की चूत को अपनी हथेली में भर लिया और
उसकी चूत के होंठो को दबाने लगा. रेखा चिल्ला उठी. रेखा ने कहा?तुम तो
बड़े बेरहम हो. ज़रा धीरे से?. विक्रम ने कहा?ऐसा मौका बार बार नहीं
मिलता?. रेखा ने कहा?मैं तो हमेशा तैयार हु. तुम जब चाहे मुझे चोद सकते
हो?. विक्रम ये सुनकर खुश हो गया और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल
दी. रेखा साबुन लगाकर विक्रम के लंड की सफाई कर रही थी. लंड अभी भी
तना हुआ था. रेखा ने कहा?तुम्हारा लंड तो काफी बड़ा है?. विक्रम ने
कहा?तुम्हारी कोरी चूत देखकर ये और बड़ा हो गया?. रेखा ने झुककर उसके
लंड को अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी. काफी देर तक चूसती रही तब
विक्रम उसके मुह में झड गया . रेखा ने उसके लंड का सारा पानी पी
लिया. फिर विक्रम ने रेखा की गांड के ऊपर और छेद में साबुन लगाया. अपने
लंड पर भी साबुन लगाकर और लंड को रेखा की गांड के छेद के पास रखकर एक
धक्का दिया. लंड पूरा रेखा की गांड में घुस गया. रेखा चिल्ला उठी. उसने
कहा?निकालो अपना लंड . मुझे दर्द हो रहा है?. विक्रम ने कहा?थोड़ी देर
में दर्द कम हो जायेगा?. विक्रम अपना लंड उसकी गांड के अन्दर बाहर करने
लगा और अब रेखा को बहुत मज़ा आ रहा था. १५ मिनट तक रेखा की गांड की खूब
चुदाई करने के बाद विक्रम झड गया दोनों ने एक दुसरे की अच्छी तरह सफाई
की. नहाकर कपडे पहन लिए और घर की और चल पड़े. घर पहुचने पर माँ ने पूछा
?रेखा इतनी देर क्यों लगा दी?. रेखा ने कहा?एक सहेली भी साथ में थी नदी
पर. उसके साथ बात करते करते वक़्त निकल गया और पता भी नहीं चला?. अब
विक्रम ने १० स्टड. की एक्साम दी. उसे पास होने की कोई उम्मीद नहीं थी.
पर जब रिजल्ट आया तो उसने देखा वो पास हो गया. उसने लेखा और रेखा को ये
खबर सुनाई. दोनों बहुत खुश हो गए. बलदेव सिंह भी बेटे की कामयाबी पर खुश
हो गया. अब विक्रम शहर जाकर कुछ नौकरी करना चाहता था. बलदेव सिंह ने
कहा?जैसी तुम्हारी मर्ज़ी?. एक दिन रुकमनी और कल्याण को अपने किसी
रिश्तेदार की लड़की की शादी के लिए शहर जाना था. वो रेखा और लेखा को भी
ले जाना चाहते थे. रेखा ने साफ़ मना कर दिया. उसने सोचा अगर माँ, बापू और
लेखा चले जाये तो वो विक्रम के साथ अकेले कुछ वक़्त बिता सकेगी . रेखा के
मना करने पर कल्याण ने कहा?लेखा तुम भी दीदी के साथ यही रुक जाओ. हम
दोनों जाकर आते है?. रेखा ने बहुत समझाया की वो लेखा को भी साथ में ले
जाये. उसने कहा?डरने की कोई बात नहीं है बापू और फिर पड़ोस में विक्रम और
उसकी दादी भी तो है?. लेकिन उसकी माँ के जिद करने पर उसको मान जाना पड़ा
और लेखा को रेखा के साथ रहने की लिए कहा गया. जाने से पहले कल्याण ने
जाकर विक्रम और उसकी दादी को कहा?हम दो दिन के लिए शहर जा रहे है. तुम
ज़रा रेखा और लेखा का ख्याल रखना?. विक्रम ये सुनकर खुश हो गया और कहा?हम
अच्छी तरह उनका ख्याल रखेंगे?. दुसरे दिन दोपहर को कल्याण और रुकमनी शहर
के लिए निकल पड़े. शाम को विक्रम लेखा और रेखा के पास आया. दोनों बहने
उसको देखर खुश हो गयी. लेखा ने कहा?विक्रम तुम रात को यही रुक जाओ न??
विक्रम ने कहा?कोई बात नहीं. मैं यही रुक जाता हु?. फिर रात को तीनो ने
साथ में खाना खाया. विक्रम कल्याण के कमरे में सोने चला गया. लेखा और
रेखा अपने कमरे में सोने की तयारी करने लगी.

करीब एक घंटे तक सन्नाटा था पूरे घर में. विक्रम अभी सोया नहीं था. वो
खयालो में खोया हुआ था की अचानक उसकी कमरे का दरवाज़ा खुला और उसने देखा
रेखा कमरे में दाखिल हो रही थी. विक्रम उठकर खटिये पर बैठ गया. रेखा
उसके पास आकर उससे लिपट गयी. विक्रम भी उसे लिपट गया और दोनों एक दुसरे
को चूमने लगे. रेखा ने कहा?मैं तो लेखा के सोने का इंतज़ार कर रही थी.
मेरी चूत में खुजली हो रही थी और जब तुम बापू के कमरे हो तो मेरीचूत और
बेचैन हो उठी. मेरी चूत को तुम्हारा लंड चाहिए?. विक्रम ने कहा?मैं भी
सोच रहा था की तुम कब आओगी?. दोनों खटिये पर लेट गए. विक्रम ने सिर्फ
पजामा पहना हुआ था. रेखा विक्रम की छाती के ऊपर हाथ घूमा रही थी. वो
विक्रम के गाल, गर्दन, छाती और पेट पर चूमने लगी. विक्रम उसकी पीठ पर
हाथ घुमा रहा था. रेखा ने उसके पजामे का नाडा खोल दिया और नीचे की तरफ
खीच लिया. विक्रम ने अन्दर कुछ न पहना था. उसका ६ इंच का लंड एकदम तन
कर खड़ा था जो अब सांप के तरह फन उठाये खड़ा था.

रेखा उसके लंड के नजदीक जाकर उसे अपने हाथ में भर लिया और दबाने लगी.
उसने लंड के उपरी कवच को निचे की तरफ किया जिससे लंड का अन्दर का लाल
रंग का हिस्सा दिखने लगा. रेखा ने उसे अपने मुह में भर लिया और धीरे
धीरे चूसने लगी. विक्रम मस्त हुए जा रहा था. बिच बिच में रेखा उसके लंड
के नीचे की गोलियों को चाट रही थी. विक्रम अब कराह ने लगा था. अब
उससे और नहीं रुका जा रहा था उसने वही झाड दिया और रेखा ने उसके लंड
से निकले रस को पूरी तरह चाट लिया. विक्रम ढीला हो कर खटिया पे लेटा था.
दोस्तों कहानी अभी बाकी है पढ़ते रहिये रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--3
आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........................
Reply
02-26-2019, 09:36 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--3

रेखा ने अपनी कमीज़ और सलवार उतार दी और वो विक्रम के ऊपर आ गयी. उसकी चूत पर एक सफ़ेद रंग का कपडा बंधा हुआ था. विक्रम ने पूछा ?ये क्या बांध रखा है तुमने ? रेखा ने कहा?मेरा मासिक चल रहा है इसलिए मैंने ये कपडा बाँधा है जिससे मेरी सलवार ख़राब न हो?. फिर वो अपनी चूत विक्रम के मुह के पास लेकर आई. उसकी चूत में से रस बह निकला था जिसकी गंध विक्रम की नाक में घुस गयी. विक्रम ने पहले वो कपडा निकाल दिया जो पूरी तरह गिला
हो चूका था. रेखा की चूत के बालो पर भी उसका चूत रस लगा हुआ था.
विक्रम ने उसकी चूत के होंठो को फैला दिया और अपनी नाक उसकी चूत के छेद में डालकर रगड़ने लगा. रेखा अपनी चूत को धक्का मार रही थी विक्रम के मुह पर. विक्रम ने जीब निकाल कर उसकी चूत के बालो को चाटा. उसने चूत के होंठो को चूमा और फिर अपनी जीब अन्दर छेद में डालकर चूसने लगा.
विक्रम अपने हाथो को रेखा की गांड की तरफ ले गया और गांड के छेद में
ऊँगली डाल कर रगड़ने लगा. रेखा खुद ही अपने बूब्स को मसल रही थी. उसकी
आँखे बंद थी और आहे भर रही थी. विक्रम के लगातार चाटने से रेखा की चूत
से और रस निकलने लगा. विक्रम ने उस रस की पी लिया. अब विक्रम उठ गया और
रेखा को खटिये पर लिटा दिया. उसने लंड पर कंडोम पहन लिया. विक्रम रेखा
के ऊपर बैठ गया और पहले उसके बूब्स को मसलने लगा. उसके निप्प्लेस को
चूसा. रेखा कुछ बडबड़ाये जा रही थी.
ऊओह?हम्मम्मम्म..आह्ह्ह..सीई,?ह्म्म्मम्म..अआः. ये सुनकर विक्रम का लंड
फिर तन कर खड़ा हो गया. उसने अपने लंड को रेखा की चूत के द्वार पर रख
दिया और धीरे धीरे अन्दर की और घुसाने लगा. विक्रम ने पहले लेखा को चोदा
था जिससे उसे इसका तजुर्बा हो गया था. लेकिन रेखा की चूत अभी कोरी थी.
विक्रम ने कोशिश जारी राखी और एक झटका देकर उसने अपने लंड को रेखा की
चूत में डाल दिया. रेखा चिल्ला उठी..ईइ माँ .. मैं मर गयी?ओह्ह्ह्ह?
विक्रम..अपना लंड निकालो?आः..बहुत दर्द हो रहा है?.आह. विक्रम मस्त होकर
अपने लंड को रेखा की चूत के अन्दर बाहर कर रहा था. थोड़ी देर बाद रेखा
शांत हो गयी..अब वो अपनी टाँगे और फैला दी जिससे विक्रम को और सुविधा हो
उसे चोदने में. रेखा कह रही थी?बहुत मज़ा आ रहा है विक्रम. चोदो
मुझे..खूब चोदो .. फाड़ दो मेरी चूत को.. सीह..आः?ह्म्म्मम्म..अआः. साथ
में विक्रम उसकी बूब्स की हाथ से चुदाई कर रहा था. थोड़ी देर में उसके लंड
ने पानी छोड़ दिया लेकिन कंडोम पहना हुआ होने के कारन उसका पानी रेखा की
चूत में नहीं उतरा. रेखा की आवाज़ सुनकर लेखा उठ गयी. उसने आवाज़ की
दिशा में कान लगाए तो पता चला की आवाज़ विक्रम जहा सो रहा था उस कमरे से
आ रही थी. उसने कमरे की छोटी खिड़की से देखा तो एकदम चौक गयी. उसकी दीदी
और विक्रम चुदाई कर रहे थे. उससे ये सेहन नहीं हुआ और वो दरवाजे को
धक्का देकर अन्दर घुस गयी. अचानक लेखा के अन्दर आने से विक्रम और रेखा
अवाक रह गए. दोनों नंगे हालत में थे. लेखा ने कहा?तो ये बात है दीदी.
मुझे सुलाकर खुद मस्त होकर चुदाई कर रही हो. रेखा खड़ी होगई और उसने
कहा?हां मैं चुदाई कर रही हूँ . तो तुझे क्यों तकलीफ हो रही है?. लेखा
ने कहा?मुझे तकलीफ है, विक्रम सिर्फ मेरे साथ ही चुदाई करेगा?. रेखा ने
कहा?आरी जा.. मैं विक्रम से प्यार करती हु. हम दोनों पहले भी एक बार
चुदाई कर चुके है?. लेखा ने कहा?देखो दीदी. पहले विक्रम ने मुझे चोदा
था. जब मैं एक बार कुवे से पानी भरने गयी थी. तब हम दोनों ने एक दुसरे
से प्यार का इज़हार किया था. रेखा ने कहा?प्यार का इज़हार तो विक्रम ने
मुझसे भी किया था.? क्यों विक्रम? रेखा ने विक्रम से पूछा . विक्रम ने
कहा?तुम दोनों लड़ाई मत करो. देखो में तुम दोनों से प्यार करता हु. और
तुम दोनों को खुश रखूँगा?. लेखा ने कहा?नहीं. मैं तुम्हे किसी और के साथ
नहीं बाँट सकती?. मुझे भी अच्छा नहीं लगता तुम किसी और के साथ चुदाई
करो, चाहे वो फिर मेरी बहिन ही क्यों न हो, रेखा ने कहा. विक्रम अब
परेशान हो गया. अभी भी रेखा और विक्रम नंगे हालत में ही खड़े थे. लेखा की
नज़र बीच बीच में विक्रम के लंड के ऊपर पड़ रही थी. विक्रम ने भी ये
देख लिया. विक्रम ने कहा?देखो रात काफी हो चुकी है. दो दिन के लिए मैं
तुम दोनों की चुदाई करूँगा. पर भगवन के लिए लड़ाई मत करो?. लेखा ने
कहा?ठीक है? रेखा भी मान गयी. लेखा ने कहा?अब मेरी बारी है. तुम ने इतनी
देर दीदी को खुश किया अब मुझे चोदो ?. विक्रम ने कहा?ठीक है?. लेखा ने
अपनी घाघरा चोली उतार दी और खटिये पर लेट गयी. लेखा ने कहा?तुम अपना लंड
मुझे चूसने दो?. विक्रम ने अपना लंड लेखा के मुह में रख दिया और वो
मज़े से चूसने लगी. विक्रम लेखा के दोनों बूब्स को मसलने लगा. ये सब
देखकर रेखा की हालत खराब होने लगी. वो वही खड़े खड़े अपनी चूत में ऊँगली
डालकर चुदाई कर रही थी. थोड़ी देर में विक्रम के लंड ने लेखा के मुह में
पानी छोड़ दिया. विक्रम ने लेखा को पेट के बल लिटा दिया और उसकी गांड को
फैलाकर अन्दर जीब डालकर चाटने लगा. रेखा से रहा नहीं गया और वो पास आकर
विक्रम के लंड को सहलाने लगी और जीब से चाट रही थी. विक्रम का लंड
तानकर खड़ा हो गया और उसने लंड को लेखा की गांड के द्वार पर रख कर एक
धक्के में अन्दर डाल दिया. लेखा चिल्ला उठी?ऊईई मा..में मर गयी..
आह?विक्रम रगड़ रगड़ कर लेखा की गांड मारने लगा. अब लेखा को भी मज़ा आने
लगा. थोड़ी देर के बाद दोनों थक गए और विक्रम लेखा के बगल में लेट गया.
रेखा उसके पास आकर उसे चूमने लगी. विक्रम भी उसे चूमने लगा. फिर दोनों
बहने उसके दोनों तरफ लेटी थी और विक्रम उनके बिच में था. तीनो सो गए.
सुबह हुई और विक्रम की आंखू खुल गयी. उसने देखा रेखा और लेखा अभी सो रहे
थे. उसने दोनों की चूत को सहलाया फिर दोनों को बारी बारी से चूमा.
दोनों के बूब्स को सहलाया और बारी बारी से दोनों के होंठो को चूमा.
इतने में दोनों बहने उठ गयी. दोनों ने विक्रम को गले लगाया और चूमने
लगी. तीनो ने स्नान किया और कपडे पहन लिए . रेखा ने कुछ नास्ता बनाया और
तीनो ने नास्ता किया. लेखा ने कहा?विक्रम तुम मुझसे शादी करोगे?. रेखा ने
कहा?नहीं, विक्रम मुझसे शादी करेगा?. दोनों फिर लड़ाई पर उतर आई . विक्रम
दोनों को शांत करते हुए बोला?मैं अभी शादी नहीं कर सकता. मैं शहर जाकर
नौकरी करूँगा और जब मेरे पास बहुत रूपया आ जायेगा तब मैं शादी करूँगा.
रेखा ने कहा?मुझे मंजूर है लेकिन शादी तुम मुझसे ही करना. लेखा बोल
पड़ी?नहीं मुझसे?. विक्रम ने कहा?मेरे पास बहुत रूपया आ जायेगा तब तो मैं
तुम दोनों से शादी कर लूँगा. लेकिन तब तक तुम दोनों को इंतज़ार करना
पड़ेगा?. दोनों बहने ये सुनकर उदास हो गयी. विक्रम ने पूछा ?क्या तुम
दोनों मेरा इंतज़ार कर सकते हो? दोनों ने हा में गर्दन हिला दी. दोपहर को
तीनो ने मिलकर चुदाई की. रात को फिर तीनो साथ में लेटे ही थे. तीनो ने
कुछ नहीं पहना था. विक्रम लेखा और रेखा के बीच में लेटा हुआ था. रेखा
उसकी गर्दन और गालो को चूम रही थी और छाती पर हाथ घूमा रही थी. लेखा
विक्रम के लंड को हिला रही थी. विक्रम को बहुत मज़ा आ रहा था. विक्रम का
लंड तन कर खड़ा हो गया. विक्रम दोनों की चूत में ऊँगली डालकर हिला रहा
था. थोड़ी देर तीनो ऐसे ही लेटे रहे. फिर विक्रम उठकर बैठ गया. रेखा ने
पूछा ?क्या हुआ? विक्रम ने कहा?मैं आज तुम दोनों को चोदने जा रहा है?.
लेखा ने कहा?अच्छी बात है. बाद में तुम बताना किसे चोदने में ज्यादा
मज़ा आया ?. रेखा ने कहा ?इसमें बताने वाली क्या बात है. मुझे चोदने
में ही विक्रम को ज्यादा मज़ा आने वाला है. ये तो उसको पहले ही पता है?.
विक्रम ने कहा?कोई बात नहीं. मैं आज तुम दोनों को चोदने के बाद फैसला
करूँगा?. लेखा ने कहा?ठीक है?. विक्रम रेखा की चूत को चाटने लगा और लेखा
की चूत में ऊँगली डालकर चोद रहा था. फिर दोनों के बूब्स को मसलने लगा.
दोनों बहनों को खूब मज़ा आ रहा था. विक्रम ने दोनों बहनों को अपनी टाँगे
फैलाकर खड़े होने को कहा. दोनों खड़ी हो गयी. विक्रम लेखा के पीछे आकर
उसकी गांड के ठीक नीचे बैठ गया और छेद में जीब डाल कर चाटने लगा. वो
रेखा की गांड में ऊँगली डालकर हिला रहा था. विक्रम ने रेखा को खटिये पर
लिटा दिया और उसकी चूत के आगे बैठ गया. उसने रेखा की चूत के छेद को
खोल दिया. उसने पहले अपनी थूक से उसकी चूत की मालिश की और लंड उसके
द्वार पर रख दिया. धीरे धीरे वो लंड को रेखा की चूत के अन्दर डालने लगा
और पूरा लंड रेखा की चूत की गहराई में उतार दिया. रेखा को खूब मज़ा आ
रहा था. वो सिसकिय भर रही थी. ये देख कर लेखा ने अपनी चूत में ऊँगली
डाल दी. विक्रम ने कहा?लेखा तुम मेरी गांड को चाटो?. लेखा विक्रम की
गांड के निचे लेट गयी और अपनी जीब उसकी गांड की छेद में डालकर रगड़ना
शुरू किया. विक्रम को भी मज़ा आने लगा. इतने में रेखा की चूत से पानी का
फवार्रा छुट पड़ा. विक्रम जमकर रेखा को चोद रहा था. रेखा भी उसको सहयोग
दे रहीथी. उसने अपनी टाँगे और फैला दी. थोड़ी देर में विक्रम ने भी अपना
पानी रेखा की चूत की गहराई में उतार दिया. लेखा विक्रम की गांड चाट
रही थी. विक्रम ने रेखा की चूत से अपना लंड निकाला और उसने रेखा को
उसे चूसने को कहा. उसका लंड रेखा के पानी से पूरा गीला था. रेखा उसे
चूसने लगी. विक्रम का लंड फिर तानकर खड़ा हो गया. उसने लेखा को खटिये पर
पेट के बल लिटा दिया और अपना लंड उसकी गांड की द्वार पर रखकर एक धक्के
में अन्दर डाल दिया. लेखा चिल्ला उठी..ईइ माया?..मैं मर गयी..आः?मेरी
गांड फट गयी?ऊओईई..निकालो अपने लंड को..ओईई?विक्रम कहा सुनने वाला था.
उसने जमकर लेखा की गांड को चोदा . उसने अपना पानी लेखा की गांड में छोड़
दिया. विक्रम ने अपना लंड लेखा की गांड से निकाल लिया पर लेखा को अभी
भी दर्द हो रहा था. उसकी आँखों में आंसू आ गए . ये देखकर विक्रम ने पूछा
?लेखा, क्या तुम्हे दर्द हो रहा है, गांड में?? लेखा ने कहा नहीं?बस थोडा
सा?. वो अपना दर्द छुपा रही थी. विक्रम ने लेखा को प्यार से गले लगा लिया
और चूमे लगा. लेखा भी उसे चूमने लगी. फिर उसने रेखा को भी गले लगाया और
उसके बूब्स को चूमने लगा. उनको इस खेल में काफी टाइम निकल गया और सुबह हो
चली थी. तीनो फिर सो गए और सुबह दे से उठे. दोपहर को लेखा और रेखा के माँ
बाबूजी आने वाले थे. तीनो नहा धोकर तैयार हो गए. विक्रम अपने घर चला गया.
दोपहर में कल्याण और रुकमिनी घर पहुंचे. उन्होंने दोनों बेटियों से उनका
हाल चाल पूछा . उन्होंने कहा?हमें कोई तकलीफ नहीं हुई माँ. विक्रम ने
हमारा बहुत अच्छा ख्याल रखा?. कई दिन बीत गए. एक दिन विक्रम का एक
दोस्त शहर से आया. उसने कहा वो जहा काम करता है वह एक आदमी की ज़रूरत है
और अगर चाहे तो वो आ सकता है. विक्रम ये सुनकर खुश हो गया और शहर जाने
की तयारी करने लगा. बलदेव सिंह ने भी उसको इजाज़त दे दी. उसने ये बात रेखा
और लेखा को बताई . दोनों दुखी हो गए पर विक्रम ने उन्हें जो पहले कहा था
वो बात याद दिलाया. फिर विक्रम सबसे बिदाई लेकर शहर चला गया. कई महीने
बीत गए. इधर कल्याण और रुकमनी रेखा की शादी करवाने का सोच रहे थे. लेकिन
रेखा तैयार नहीं हो रही थी. उसने विक्रम की बात अपने माँ बाप को नहीं
बताई. लेखा भी विक्रम को लेकर चुप थी. उसने सोचा अगर दीदी की शादी हो
जाये तो वो विक्रम से शादी की बात अपने माँ बापू को बता सकेगी. रेखा के
ऊपर शादी के लिए उसके माँ बाप का दबाव बढ़ रहा था. विक्रम का भी कुछ अता
पता नहीं था. एक दिन रेखा ने विक्रम के पिताजी बलदेव सिंह से विक्रम के
बारे में पूछा तो . उन्होंने कहा?शहर में उसको नौकरी मिल गयी है. उसने
मुझे बताया था. इसके अलावा मुझे उसके बारे में कुछ पता नहीं?. रेखा ये
सुनकर निराश हो गयी. एक दिन उसने अपने और विक्रम के बारे में रुकमनी को
सब बता दिया. रुकमनी ने कल्याण को बताया. उन्होंने सोचा इसमें कोई बुराई
नहीं है और रेखा से कहा?हम तुम्हारी शादी विक्रम से करवा देंगे?. लेखा को
जब ये पता चला तो उसको झटका लगा. उसने भी अपने और विक्रम के बारे में माँ
बाप को बता दिया और कहा की वो भी विक्रम से ही शादी करना चाहती है. अब
कल्याण और रुकमनी परेशान हो गए. उन्होंने विक्रम के पिता बलदेव सिंह से
बात की. बलदेव ने विक्रम से बात करने के लिए कहा. लेकिन विक्रम का कुछ
अता पता नहीं था. विक्रम को गए एक साल होने आया था. एक दिन उसका दोस्त
जो उसे लेकर गया था वो गाँव आया. बलदेव ने उससे विक्रम के बारे में पूछा
तो उसने कहा?वो तो अभी बड़ा आदमी हो गया है. किसी फैक्ट्री के सेठ का
ख़ास आदमी बन गया है. उसके पास भी उसका खुदका घर, गाड़ी और बहुत से पैसे
भी है?. बलदेव ये सुनकर खुश हो गया. उसने पूछा की वो कब आने वाला है.
उसके दोस्त ने कहा?ये तो मुझे पता नहीं?. रेखा और लेखा को भी ये बात पता
चल गयी. वो अभी भी विक्रम के आने का इंतज़ार कर रहे थे. लेकिन कल्याण की
परेशानी बढ़ रही थी. उसने फिर दोनों बहनों की शादी करवाने का फैसला किया.
उसने दोनों की शादी एक साथ करवा दी. लेकिन दोनों इस शादी से खुश नहीं थी शादी के बाद दोनों दुसरे गाँव चली गई . लेखा और रेखा की शादी के करीब ६ महीने के बाद विक्रम गाँव आया. बलदेव सिंह और उसकी दादी बहुत खुश हो गए. तब उसे पता चला की लेखा और रेखा की शादी हो गयी है. उसने कल्याण से कहा?आपने अच्छा किया जो उनकी शादी करवा दी. मेरी शादी ही चुकी है.?
विक्रम ने शहर में एक लड़की से शादी कर ली थी.
दोस्तों यहाँ कहानी ख़तम होती है कहानी कैसी लगी जरूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
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02-26-2019, 09:36 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
सिखने के बाद चुदाई – १

यह तब की हैं जब में 12 क्लास में था | मैं अंग्रेजी में काफी कमजोर था |
हमारी अंग्रेजी टीचर का नाम स्नेह था | वो करीब 40 की थी | वो हलकी सी
मोटी थी खास कर उनका कमर काफी मोटा था | उनके चुचे भी काफी बड़े और भरी
थे | जब में 11 में था, तब मुझे अंग्रेजी में काफी

कम नंबर आये थे, इसीलिए मेने 12 में सोच लिया था की इस बार अंग्रेजी में
ध्यान लगाऊंगा और खूब पडूंगा | गर्मियो की छुट्टी से एक दिन पहले मेने
स्नेह मैडम के पास गया |

गुड आफ्टरनून मैडम

गुड आफ्टरनून समीर

मैडम, मुझे आपकी सयहता चाहिए थी |

हाँ बोलो

मैडम, जेसा की आपको पता हे की मेरा अंग्रेजी में काफी कम नंबर आये थे |

हाँ, मुझे पता हे, इसीलिए तो तुम्हे बोलती हू की अच्छे से पढाई किया करो |

जी मैडम, में इस बार बोर्ड के परीक्षा में कम नहीं लाना चाहता |

अच्छा, आखिर में तुम्हारी आँखे खुल ही गयी |

जी मैडम, मुझे पता हे की मुझे काफी मेहनत करनी होगी, और में इसके लिए
तैयार हू | मगर मैडम मुझे यही नहीं पता की शुरू कहा से करना हे | मेरा
मतलब हे की मेरा अंग्रेजी का जड ही कमजोर हे | सो मैडम क्या आप मेरी मदद
करोगी यह बताने में की कहा से शुरू करना हैं |

जरुर समीर, में तुम्हारी टीचर हू, और यह मेरा काम हे | में तुम्हारी मदद
करुँगी | एक काम करो तुम मेरा घर का पता और मेरा फोन नॉ. ले लो और मुझे
एक हफ्ते बाद फोन करना |

ठीक हे मैडम |

मेने फिर उनका नॉ. और पता ले लिया | और फिर एक हफ्ते बाद मेने उनको फोन किया |

हेल्लो, क्या में स्नेह मैडम से बात कर सकता हू ?

बोल रहीं हू |

मैडम, मैं समीर बोल रहा हू | मैडम आपने कहा था की एक हफ्ते बाद फोन करना…………….

हाँ याद हैं, फोन पर तो तुम्हारी पढाई नहीं हो सकती तुम एक काम करो, कल
शाम ५ बजे मेरे घर आ जाओ, तभी तुम्हारी प्रोब्लम देख लेते हैं | ठीक हैं
?

ओके मैडम,

फिर अगले दिन मैं शाम को ५ बजे मैडम के घर पहुच गया | मेने घंटी बजाई और
फिर मैडम ने दरवाज़ा खोला

हेल्लो मैडम,

हेल्लो समीर,………अंदर आओ………बैठो घर धुदने में तकलीफ तो नहीं हुई ना ?

थोडा सा हुआ, क्युकी में इस इलाके में कभी नहीं आया |

चलो कोई बात नहीं……… अब बताओ क्या लोगे चाय कोफ्फी कोल्ड्रिंक

कुछ नहीं मैडम………..कुछ नहीं……

शरमाओ मत तुम्हे कुछ ना कुछ तो लेना ही पड़ेगा

ठीक हैं मैडम कोफ्फी चलेगा |

बस अभी लती हू,

फिर मैडम कोफ्फी ले आई |

ह्म्म्म लो सुमित कोफ्फी लो, बिस्किट भी तो लो

नहीं मैडम इसकी क्या ज़रूरत थी ?

समीर तुम बहुत शर्मीले हो……….खेर ये बताओ हमे क्या बात करनी थी |

मैडम आपको तो पता ही हैं की मेरे अंग्रेजी में कैसे नॉ. आते हैं ?

हम्म्म्म मेरे ख्याल से तुम्हे पिछले साल ५० से जादा नहीं आये थे |

हाँ मैडम, और सबसे जादा हमारी क्लास में ९५ आये थे | मैडम में भी चाहता
हू की मुझे भी उतने आये |

बिलकुल आ सकते हैं, लेकिन उसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी तुम्हे………क्या
तुम करोगे ?

जी मैडम, मई मेहनत जरुर करूँगा, बस आप मुझे कोचिंग दीजिए |

ठीक हैं, एक काम करो तुम कल सुबह से १० बजे आ जाया करो |

ठीक हैं मैडम,

कोफ्फी तो पियो………..ठंडी हो रही हे

जी मैडम, ……………… मैडम आपकी फॅमिली में कोन कोन हैं ?

मैं, मेरे पति और दो बच्चे हैं |

मैडम कहा हे सब कोई दिखाई नहीं दे रहा ?

मेरे पति काम से दो हफ्तों के लिए बहार गए हैं और मेरे बच्चे अपनी नानी
के घर पे है |

वो कब आयेंगे आपके बच्चे ?

वो भी दो हफ्तों बाद ही आयेंगे, वेसे मैं भी वही थी कल ही आई हू | अब यही
तो दिक्कत हैं, अब मुझे बाजार से सब कुछ लाना हो तो नहीं ला सकती |

क्यों ?

बाजार यहाँ से काफी दूर हे ना, और रिक्शा से जाने मैं बहुत टाइम लगता है
और स्कूटर और कार चलाना मुझे नहीं आती |

मैडम इस मैं क्या तकलीफ हे, आपको जो चाहिए होगा मुझे बता दीजिए, मैं ले आऊंगा |

नहीं नहीं ऐसी बात नहीं हे, समीर तुम्हे कार चलानी आती हैं क्या ?

हाँ मैडम आती हैं |

तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो……..वो क्या हे की मेरे पति तो पुरे दिन
बिजी रहते हैं और आज कल तो हमारी कार खली पड़ी है…………..और पति तो ऑफिस की
कार ले गए हैं |

जी मैडम, मैं आपको कार चला सिखा दूँगा |

कितना समये लगेगा कार सिखने मैं ?

करीब एक हफ्ता तो लगेगा ही |

तो ठीक हैं तुम मुझे कार सिखाना शुरू कर दो |

ओके मैडम मगर किस समाये पे ?

तुम १० बजे पड़ने आओगे ही…..तुम्हे पडने के बाद मैं तुमसे कार सीख लिया
करुँगी ……………पर समीर कोई बड़ा खली जगह हे क्या ? वो क्या हे की कोई मुझे
देखेगा सीखते हुए तो मुझे शर्म सी आएगी | कोई ऐसी जगह बताओ जो एक दम खली
हो और जादा लोग भी ना आया जाया

करे |

जी मैडम, शहर से बहार निकलने के बाद एक खली मैदान है, जो हर वक्त खली ही रहता हैं |

ठीक हैं, तो वही चलेंगे कल दोपहर मैं |

पर मैडम दोपहर में तो काफी गर्मी होगी ना ?

दोपहर में इसीलिए क्युकी उस वक्त लोग बहार नहीं निकलते और हमारी कार में
तो ऐसी हैं. | मैं क्या करूँ लोग मुझे कार चलते हुए देखेंगे तो मुझे शर्म
आएगी ना इसीलिए | वेसे तुम्हे कोई प्रोब्लम तो नहीं हे ना ?

बिलकुल नहीं मैडम, तो मैं कल आता हू १० बजे |

ओके समीर बाई |

मैं अगले दिन १० बजे मैडम के घर पहुच गया | मैडम ने उस दिन हरे रंग की
सूट पहनी हुई थी | हलाकि मैडम थोड़ी मोटी और सावली थी, पर मुझे तो मैडम
सेक्सी लग रही थी | मैडम ने मुझे १० से १ बजे तक पढाया | उसके बाद हम कार
सिखने शहर से बहार एक खली मैदान में

चले गए | आस पास कोई नहीं था क्युकी उस वक्त काफी धुप थी |

मैदान में पहुच कर मेने मैडम को कार सिखानी शुरू कर दी |

मैं कुछ देर तक मैडम को गियर, एक्सेलेटर, क्लच, ब्रेक के बारे में बताने लगा |

चलिए मैडम आब आप चलाइए |

मुझे डर लग रहा हैं |

आगे की कहानी आगे भाग मैं ……………………….
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02-26-2019, 09:36 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
सिखने के बाद चुदाई – २

चलिए मैडम आब आप चलाइए |

मुझे डर लग रहा हैं |

कैसा दर ?

कही मुझे कंट्रोल नहीं हुआ तो ?

उसके लिए मैं हू ना मैडम |

फिर मैडम ड्राइवर सिट पे बैठ गयी और मैं बाजु वाले सिट पे आ गया | फिर
मैडम ने कार चलानी शुर की लेकिन मन ने एक दम से एक्सेलेटर पे पैर रख दिया
और कार एक दम से तेज चलने लग गयी | मैडम घबरा गयी |

मैंने मैडम को कहा की मैडम एक्सेलेरेटर से पैर हटाइये

मैडम ने फिर पैर हटा लिया तो फिर मेने स्टीरिंग पकड़ कर कार को संभल लिया

मेने कहा था ना की मुझसे नहीं होगा

कोई बात नहीं हैं, पहली बार ऐसा होता हैं |

नहीं मैं कार सीख ही नहीं सकती, मुझसे नहीं चलेगी

चलेगी मैडम, चलिए अब गाड़ी को स्टार्ट कीजिए और फिरसे ट्री कीजिए, पर इस
बार एक्सेलेरेटर आराम से छोडना

नहीं मुझसे नहीं होगा

मैडम शुरू शुरू मैं गलतियाँ होती हैं, कोई बात नहीं

नहीं मुझे दर लगता हैं

अच्छा, एक काम करते हे मैं भी आपके सिट पर आ जाता हूँ, फिर आपको दर नहीं लगेगा

लेकिन एक सिट पर हम दोनों कैसे आ सकते हैं

आप मेरी गोद मैं बैठ जाना, मैं स्टीरिंग संभालूँगा और आप गार संभालना

लेकिन कोई हमे देखेगा तोह कैसा लगेगा ?

मैडम इस वक्त यहाँ कोई नहीं आएगा और वेसे भी आपके कार के शीशों से अंदर
का कुछ भी नहीं दिखेगा |

चलो ठीक हे फिर

फिर में जा क ड्राईवर वाले सिट पे बैठ गया और मैडम मेरी गोद मैं | जैसे
ही मैडम मेरी गोद में बैठी मेरे बदन में करंट सी दोड़ गयी | हम दोनों ने
पहले बार एक दूसरे को ऐसे छुआ था | मेने फिर कार स्टार्ट कर दी और मैडम
से पूछा की मैडम आप तैयार हो ?

हाँ, मुझे सिर्फ गिअर संभालना है ना ?

जी मैडम, आज के दिन आप सिर्फ गिअर ही सीखो |

कार चलने लगी, क्युकी मेरा हाथ स्टीरिंग पर था और मैडम मेरी गोद में,
इसीलिए मेरी बांहे मैडम के चुचो को बार बार छु रहा था, और मैडम के चुचे
थे भी काफी बड़े | मैडम को थोडा अजीब सा लगा इसीलिए वो मेरी जांघों पे ना
बैठ कर मेरे घुटनों के पास खिसक गयी | जेसी ही मई

कार को मोड़ता, तभी मैडम की पूरी चूची मेरे बांहों को छु जाता | मैडम
वेसे गिअर सही बदल रही थी |

क्यों समीर, मैं ठीक कर रही हू ना ?

एक दम सही हे मैडम, मैडम आप अभी थोडा स्टीरिंग भी संभालो |

ठीक हे

क्युकी मैडम मेरी गोद में काफी आगे होकर बैठी थी इसी लिए स्टीरिंग
सँभालने में उन्हें तकलीफ हो रही थी | मैडम आप थोडा पीछे खिसक जाइए तभी
आपसे स्टीरिंग सही चलेगा |

आब मैडम मेरी जांघों पे बैठ गयी | मैडम थोडा और पीछे हो जाईये |

और कितना पीछे होना पड़ेगा

जितना हो सके उतना हो जाइये

ठीक हैं

अब मैडम पूरी तरह से मेरे लंड के उपर बैठी हुई थी |

मेने अपने हाथ मैडम के हाथो पर रख दिया और स्टीरिंग संभालना सिखाने लगा |
जब भी कार मुडती तो मैडम की गांड मेरे लंड में धस जाती | मैडम के चुचे
इतने बड़े थे की वो मेरे हाथों को छु रहे थे | मैं जान बुझ के उनके चुचो
को चूता रहा |

मैडम अब एक्सेलेरेटर भी आप संभालिए

कहीं कार फिर से कंट्रोल के बहार हो गयी तो ?

मैडम अब तो मैं बैठा हू ना ?

मैडम ने फिरसे पूरा एक्सेलेरेटर दबा दिया तो कार ने फिरसे एक दम से
रफ़्तार पकड़ ली |

इस पर मेने एक दम से ब्रेक लगा दी तो कार भी उसी वक्त रुक गयी | मैडम को
झटका लगा तो वो स्टीरिंग में घुसने लगी | इस पर मेने मैडम के चुचो को
अपने हाथो से पकड़ कर मैडम को स्टीरिंग में घुसने से बचा लिया | कार रुक
गयी थी और मैडम के चुचे मेरे हाथो में थे | मैडम

बोली -

मेने कहा था ना की में फिर कुछ गलती करुँगी ( अब भी मैडम के चुचे मेरे
हाथो में थे )

कोई बात नहीं, कम से कम गिअर तो बदलना सीख लिया ( अब भी मैडम के चुचे
मेरे हाथो में थे )

शायद मुझे स्टीरिंग संभालना कभी नहीं आएगा ( अब भी मैडम के चुचे मेरे हाथो में थे )

एक और बार ट्राई कर लेते हैं ( अब भी मैडम के चुचे मेरे हाथो में थे )

ठीक हैं ( अब भी मैडम के चुचे मेरे हाथो में थे )

मैडम ने मुझसे एहसास दिलाने के लिए की मेरा हाथ उनके चुचो पे हे, मैडम ने
अपने चुचो को हल्का सा झटका दिया तो मेने अपने हाथ वहा से हटा लिया |
मेने कार फिरसे स्टार्ट की | मैडम ने अपने हाथ स्टीरिंग पे रख लिया और
मेने अपने हाथ उनके हाथो पे रख दिया |

मैडम एक्सेलेरेटर मई ही संभालूँगा, आप सिर्फ स्टीरिंग संभालिए

यही में कहने वाली थी

कुछ देर तक मैडम को स्टीरिंग मैं मदद करने के बाद में बोला

मैडम अब में स्टीरिंग से हाथ उठा रहा हू, आप अकेले ही संभालिए

ठीक हे, अब मुझे थोडा अपने उपर भरोसा है, लेकिन तुम अपने हाथ तैयार रखना
कहीं फिर से वेसा ना हो जाये |

मैडम मेरे हाथ हमेशा तैयार रहते हैं

मेने फिर अपने हाथ स्टीरिंग से हटा के मैडम के छाती पे रख दिया, मैडम को
पकड़ने के बहाने से, मुझे एक पाल के लिए लगा की मेने हाथ रखा वो भी सीधे
मैडम के छाती पे, आज मुझे मैडम से गलिया सुनने को मिलेगा, मगर ऐसा कुछ भी
ना हुआ |

समीर मुझे कास के पकड़ना, कहीं ब्रेक मारने पर में फिर से स्टीरिंग में
ना घुस जाऊ |

हा मैडम, कास के पकड़ता हूँ | मेने फिर मैडम के छाती को कास के पकड़ने के
बहाने दबा दिया, और उसी के कारण मैडम के मुह से अह्ह्ह निकल गया |

समीर मेरे ख्याल से आज के लिए इतना सीखना काफी हे |

ठीक हे मैडम

मैडम फिर मेरी गोद से उठ कर बाजु वाली सिट पर बैठ गयी, और हम फिर मैडम के
घर चल दिए |

ठीक हे मैडम, मई अब चलता हू |

रोटी खा के जाना

नहीं मैडम, मेने मम्मी को बोल को कहा हे की में खाने के वक्त आ जाऊंगा

ठीक है, तोह कल दस बजे आओगे ना ?

पक्का मैडम,

मई अगले दिन दस बजे पहुच गया | पड़ने के बाद हम फिर से कार सिखने उसी जगह
में आ गए |

तोह समीर आज कहाँ से शुरू करेंगे ?

मैडम मेरे ख्याल से से आप पहले स्टीरिंग में ठीक हो जाइये, उसके बाद कुछ करेंगे |

ठीक है, कल जेसे ही बैठने हे क्या ?

हा मैडम,

आज मैडम ने सिल्क की सलवार कमीज़ पहनी हुई थी | मैडम आज सीधे आकार मेरे
लौडे पर बैठ गयी | आज मैडम की सलवार थोड़ी टाईट थी और मैडम की गांड से
चिपकी हुई थी |

हमने कार चलानी शुर कर दी | मैडम ने अपने हाथ स्टीरिंग पर रख लिया, और
मेने भी अपने हाथ मैडम के हाथो पर रख दिया | आज मैडम की गांड मेरे लोडे
पर बार बार हिल रही थी | कुछ देर के बाद मेने कहा मैडम अब मैं अपने हाथ
स्टीरिंग से हटा रहा हू |

हाँ, अपने हाथ स्टीरिंग से हटा लो |

आगे की कहानी आगे भाग मैं ……
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02-26-2019, 09:37 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
सिखने के बाद चुदाई – ३

हाँ, अपने हाथ स्टीरिंग से हटा लो |

मेने हाथ स्टीरिंग से उठा कर सीधे मेने मैडम के चुचो पे रख दिया………..वह
मज़ा आ गया आज मैडम ने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी, इसीलिए आज मैडम के चुचे
काफी नरम थे | मेने फिर मैडम के चुचो को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया |
मैडम की सिल्क की सलवार में उनके चुचे को

दबाने में मज़ा आ रहा था | मैडम ने अचानक अपनी टाँगे खोल दी और उसी के
कारण उनकी चुत मेरे लंड पर आ गया | मेने फिर जोश में आके मैडम के कमीज़
में हाथ डाल दिया और उनके चुचो को दबाने लगा |

मैडम, मज़ा आ रहा है क्या ?

अह्ह्ह किसमे ?

कार चलने मैं |

हाँ, कार चलने में मज़ा आ रहा है |

मैडम, अब आपको स्टीरिंग संभालना आ गया |

ह्म्म्म

अब मेने अपना दूसरा हाथ भी मैडम के कमीज़ में डाल दिया और दूसरे चुचे को
दबाने लगा |

अह्हह्ह समीर तुम आह्ह्ह येह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो ?

मैडम आपको कार चलाना सिखा रहा हूँ |

समीर तुम्हारे हाथ कार के स्टीरिंग पे होना चाहिए था |

पर मैडम, आपका स्टीरिंग सँभालने में जादा मज़ा आता हैं |

तुम्हे मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए……….और वेसे भी में एक काली और मोटी
औरत हू, तुम्हे मुझे क्या अच्छा लगेगा ?

मैडम आपकी एक एक चीज़ अच्छी हैं |

समीर में थोड़ी ठाक गयीं हूँ, पहले तुम कर रोक लो, वो देखो आगे थोड़ी
झाडिया हैं कार वहा ले चलो |

जी मैडम,

मैंने कार झाडियो में जा कर रोक ली |

बस थोड़ी देर आराम कर लेते हैं, हाँ तो समीर तुम्हे इस मोटी और काली औरत
में क्या अच्छा लगा ?

मैडम ,एक बात बोलूं ?

हाँ बोलो

मैडम, आपके संतरे बहुत अच्छे हैं

क्या, संतरे मई क्या कोई पेड हू जो मुज्मे संतरे लगे हैं ?

मैडम यह वाले संतरे ( मैडम के चुचो को दबाते हुए )

आह्ह्ह ह्ह्ह्हाआअ

मैडम आपके खरबूजे भी बहुत अच्छे हैं |

क्या खर्बुझे, मुझमे खरबूजे कहाँ हैं ?

मैडम, मेरे बोलने का मतलब हे आपकी गांड |

झूट, मेरी गांड तो बहुत चौड़ी और मोटी हैं |

यह कहकर मैडम खड़ी हो गयी और अपने सलवार निचे करदी | मैडम ने पेंटी नहीं
पहनी हुई थी |

देखो ना, कितनी बड़ी हैं मेरी गांड |

मैं तो मैडम की गांड देखते रह गया, मैडम की गांड मेरे मूह के पास थी | मई
मैडम की गांड पे हाथ फेरने लगा |

मैडम, आपके गांड की महक बहुत अच्छी हैं |

यह कह कर में मैडम की गांड पे किस करने लगा | फिर उसके बाद मेने मैडम की
गांड की दरार पे जीभ मरने लगा |

ओह समीर…… येह्ह्ह क्या कर रहे हो |

मैडम मुझे खरबूजे काफी पसंद हैं |

ओह्ह…… और क्या क्या पसंद हे तुम्हे ?

बबल गम !

क्या…..बबल गम वो कोंसी जगह हे ?

जवाब में मेने मैडम की चुत दबाने लगा |

ओह्ह समीर…….बबल गम को दबाते नहीं हे |

मैडम…….इस हल में मैं बबल गम नहीं खा सकता |

समीर पीछे सिट पे आओ, वहा पे आराम से खा सकते हैं |

फिर हम दोनों पिछले सिट पर आ गए, मैडम ने अपनी टाँगे खोल ली और अपनी चुत
पे हाथ रख कर बोली समीर यह रही तुम्हारी बबल गम |

मेने मैडम की चुत चाटने लगा | मैडम सिट पे लेती हुई थी, मेरी जीभ मैडम की
चुत पे और हाथ मैडम की चुचो को दबा रहे थे | मई करीब दस मिनट तक चुत पे
जीभ मरता रहा |

समीर क्या तुम्हारी पेंसिल छिली हुई हे ?

क्या मतलब ?

बुद्धू, मेरे पास शार्पनर है और तुम्हारे पास पेंसिल |

जी मैडम, मेरा पेंसिल को छिल दीजिए |

लेकिन पहले तुम अपनी पेंसिल तो दिखाओ

मेने अपनी जींस उतार दी, मेने अंदर चड्डी नहीं पहनी थी | मेने अपना लंड
लिया और मैडम के मुह के पास ले गया तो मैडम ने उसे अपने मुह में ले लिया,
और फिर जोर जोर से उसे चूसने लगी | कुछ देर तक चूसते रही और फिर बोली
समीर तुम्हारी पेंसिल काफी अच्छी हैं |

मैडम, क्या आपका शार्पनर भी अच्छी कुआलिती की है ?

यह तो पेंसिल छिलने के बाद ही पता चलेगा |

तो मैडम, में अपनी पेंसिल छिल लूँ क्या ?

हाँ समीर, जस्ट डू ईट ………………..फक मी हार्ड………..चोद दे मुझे………..

मेने अपना लोडा मैडम की चुत में डाल दिया और धक्के देने लगा |

ओह्ह्ह्ह समीर……मेरे जान…तुम्हारी पेंसिल एक दम मेरे चुत के लिए हैं…………
आआह्ह्ह्ह्ह्ह एक दम सही ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और करो और और
करो……ह्म्म्म्म्म्म समीर मेरे संतरो को भी दबाव……इन्हें तुम्हारी काफी
जरुरत हैं |

मैडम, आपकी चुत मरने में काफी मज़ा आ रहा हैं |

आया.ह्ह्ह्ह…….समीर मेरे बच्चे अपनी मैडम के संतरो से जूस तो पीओ……..

फिर मेने धक्के देने के साथ साथ मैडम के निप्पल को मुह में लेकर चुस्त
रहा…………..कुछ देर बाद मैडम के चुचो में से दूध निकलने लगा और में उसे
पिता रहा |

आईए समीर.और तेज और तेज और और और धक्का लगाओ और लगाओ आज अच्छी तरह ले लो
मेरी….मेरे दूध को भी अच्छी तरह से पि लो …….और तेज करो |

मेने तेज तेज धक्के देना शुरू कर दिया | करीब १५ मिनट बाद

आ ऊह्ह्ह्ह्ह समीईर तेज और तेज में आने वाली हू ह्म्म्म्म्म्म्म ओह्ह्ह ऐईईईईइ

मई और मैडम फिर एक साथ ही झड गए |

आ आ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्हह्ह आई लव यु समीर….मज़ा आ गया |

जी मैडम, आपका शार्पनर गज़ब का हैं |

तुम्हारी पेंसिल भी कमाल की हैं |

मैडम मई आपके पीछे वाले शार्पनर को भी इस्तेमाल करना चाहता हू |

पीछे वाला शार्पनर………… मेने कभी नहीं इस्तेमाल करवाया हैं |

लेकिन मुझे तोह करने दोगी ना ?

पक्का, लेकिन बाकि का काम घर चल कर | और फिर अभी तोह मुझे कार सिखने में
कुछ दिन और लगेगा |

तबसे मई और मैडम हर मोके पर चुदाई करते और मैडम से पड़ते वक्त हम दोनों
बिकुल नंगे होते थे |
Reply
02-26-2019, 09:37 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
मेरी मौसी सास



मेरी उम्र छब्बीस वर्ष है, मेरी शादी को दो साल हो गये हैं,मेरी बीबी बहुत सुन्दर और मुझे बहुत प्यार करने वाली है, अब से लगभग छः महीने पहले मेरी बीबी मुझे अपनी एक मौसी के पास लेकर गई थी, उसकी मौसी दिल्ली में रहती है, तथा उनका काफी अच्छा घर परिवार है,कहने को तो वो मेरी बीबी की मौसी है लेकिन देखने में वो मेरी बीबी की बहन जैसी ही लगती है, उन्हें देख कर कोई नहीं कह सकता की वो शादी शुदा होंगी, वैसे भी वो मेरी बीबी से दो साल ही बड़ी है,


उनके अभी कोई बच्चा नहीं था शायद फेमिली प्लानिंग अपना रखी थी, उनके पति एक सरकारी फर्म में मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर काम करते हैं, उनके पति हालांकि उम्र में मौसी से सीनियर हैं मगर बहुत ही आकर्षक और स्वस्थ ब्यक्ति हैं,

हमलोग फुर्सत निकाल कर मौसी के यहाँ गये थे, आराम से एक महिना गुजार कर आना था, मौसी हमें देख कर बहुत खुश हुवी, खास कर मेरी तो उन्होंने बहुत आव भगत की, हम पति पत्नी को उन्होंने उपर का बेडरूम दे रखा था,

उस दिन मैं सबरे उठा, तब मेरी बीबी गहरी नींद में सोई हुवी थी, मैनें काफी रात तक जो उसकी जम कर चुदाई की थी, अभी सूरज तो नहीं निकला था लेकिन उजाला चारों और फैल चुका था, मैनें ठंडी हवा लेने की गरज से खिड़की के पास जा कर पर्दा खिंच दिया, सुबह की धुंध चारों तरफ छाई थी, सीर निचा करके निचे देखा तो दिमाग को एक झटका सा लगा, नीचे लोन में मौसी केवल एक टाइट सी बिकनी पहने दौड़ कर चक्कर लगा रही थी,
उनके गोरे शरीर पर काली बिकनी ऐसे लग रही थी जैसे पूनम के चाँद पर काले रंग का बादल छा कर चाँद को और भी सुन्दर बना रहा हो,



बालों को उन्होंने पीछे कर के हेयर बेंड से बाँधा हुवा था, इसलिए उनका चौड़ा चमकीला माथा बहुत ही अच्छा दिख रहा था, बिकनी के बाहर उनकी चिकनी गोरी जांघें ऊपर कुल्हों तक दिख रही थी, भागने के कारण धीरे धीरे उछलती हुवी उनकी चूचियाँ तथा गोरी मखमली बाँहें और सुनहरी बगलें बहुत सुन्दर छटा बिखेर रही थीं, उन्हें देख कर मेरी नसों का खून उबाल खा गया, तभी वे मेरी खिड़की के निचे रुकी और झुकते और उठते हुवे कसरत करने लगी, वे जैसे ही झुक कर खड़ी होती उपर होने के कारण मुझे उनकी चूचियाँ काफी गहराई तक दिख जाती,

तभी जाने कैसे उन्होंने उपर नजर डाली और मुझे खिड़की पर खड़ा देख लिया, मैं हडबडा कर वहाँ से हटना चाहा, परन्तु उनके चेहरे पर मोहक मुस्कान देख कर मैं रुक गया, उन्हें मुस्कुराते देख कर मैं भी धीरे से मुस्कुरा दिया, तभी मैं चौंका वो मुझे इशारे से निचे बुला रही थी,

मेरा दिल जोर से धड़क गया, मैनें एक नजर अपनी सोती बीबी पर डाली, वो अभी भी बेखबर सो रही थी, फिर मैं निचे आ गया, मौसी जी लोन में ही जोगिंग कर रही थी,

"लोन में ही जोगिंग कर रही हैं मौसी जी " मैंने उनके पास जाकर कहा तो वे भी मुस्कुरा कर बोली,

" जो भी जगह जोगिंग के लिये उपयुक्त लगे वहीँ जोगिंग कर लो, तुम भी किया करो सेहत के लिये अच्छी होती है,"

" ठीक कह रही हैं आप " मैंने कहा,


वो फीर दौड़ पड़ी और मुझसे बोली " तो आओ मेरे साथ, कम ऑन "

मैं भी उनके साथ दौड़ने लगा, वे मुझसे जरा भी नहीं हिचक रही थी, मैं दौड़ते हुवे बहुत करीब से उनके महकते अंगों को देख रहा था,

" मौसा जी कहाँ हैं?" मैनें उनकी जाँघों पर नजर टीका कर पूछा,

" वे आज हैदराबाद गये हैं, कंपनी के काम से, सुबह जल्दी की फ्लाईट थी, शायद पांच छः दिन बाद लौटेंगे," उन्होंने जवाब दिया

ना जाने कयों मुझे तसल्ली के साथ साथ ख़ुशी भी हुई,

" आपका फिगर तो बहुत सुन्दर है मौसी जी " बहुत देर से दिमाग में घूमता ये सवाल आखिर मेरे मुंह से निकल ही गया,

मेरी आशा के विपरीत वे एकाएक रुक गई, मैं भी रुक गया, ये सोच कर की कहीं बुरा तो नहीं मान गई मेरा दिल धड़का, जबकि वे धीरे से मुस्कुरा कर मेरी आँखों में झाँक कर बोली,

" तुम्हारे शब्द लुभावनें हैं लेकिन अंदाज गलत है,"

" क्या मतलब," मैं चौंका,

" यदि मैं या मेरी हमउम्र लड़की तुमसे ये कहे की अंकल तुम्हारी पर्सनेल्टी बहुत अच्छी है तो तुम्हे कैसा लगेगा," मौसी जी ने मुझसे कहा,

" ओह...! " मेरे होंठ सिकुड़ गये, मैं उनकी बात का मतलब समझ गया था, क्योंकि वो मुझसे तो उम्र में छोटी थी, इसलिए उन्हें मेरा उनको मौसी जी कहना अच्छा नहीं लगा था, वैसे तो मुझे भी उनको मौसी जी कहना जरा अजीब सा लगता था लेकिन बीबी के रिश्ते के कारण मौसी नहीं तो और क्या कहता, यही बात उस वक्त मैनें उनसे कह दी,


" मैं भी आपको मौसी कहाँ कहना चाहता हूँ, मगर और क्या कहूँ,"

जवाब में वो शोखी से मुस्कुराई और मेरे बहुत करीब आकर मेरे सिने को अपने हांथों से थपथपा कर बोली

" वैसे तो मेरा नाम सुजाता है, मगर जो लोग मुझे पसन्द करते हैं वे सभी मुझे सूजी कहते हैं,"

" और जिन्हें आप पसन्द करती हैं उनसे आप खुद को सुजाता कहलवाना पसन्द करती हैं या सूजी," मैनें उनसे पूछा

वे मेरी बटन से छेड़छाड़ करती हुई मेरी आँखों में झाँक कर बोली " सूजी "

" यदि मैं आपको सूजी कहूँ तो?"

" नो प्रोब्लम, बल्कि मुझे ख़ुशी होगी " कह कर उन्होंने वापस दौड़ लगा दी,

मेरा दिल बुरी तरह धड़कने लगा, मौसी यानी सूजी मुझे अपने दिल की बात इशारों में समझा गई थी,उस समय मैनें खुद को किसी शहंशाह से कम नहीं समझा, सूजी थी ही इतनी सुन्दर की उसकी समीपता पाकर कोई भी अपने को शहंशाह समझ सकता था,



मैं मन में बड़ी अजीब सी अनुभूति लिये बेडरूम में आया, मेरी बीबी अभी अभी जागी थी,
वो बेड से उठ कर बड़े अचरज से मुझे देख कर बोली,

"कहाँ गये थे इतनी सुबह सुबह,"

" जोगिंग करने " मेरे मुंह से निकल गया

" जोगिंग " मेरी बीबी ने अचरज से अपनी आँखें फाड़ी,

" व ...वो मेरा मतलब है, मैं सुबह जल्दी उठ गया था ना इसलिये सोचा चलो जोगिंग की प्रेक्टिस की जाये, मगर सफल ना हो सका तो वापस चला आया," मैनें जल्दी से बात बनाई, मेरी बात सुन कर बीबी हंसी और बाथरूम में घुस गई,

फिर दो दिन निकल गये, मैं अपनी बीबी के सामने मौसी को मौसी जी कहता और अकेले में सूजी, इस बिच सूजी के ब्यवहार में आश्चर्य जनक परिवर्तन हुवा था, वो मेरे ज्यादा से ज्यादा करीब होने की कोशीश करती, बहुत गंभीर और परेशान सी दिखाई देती जैसे की मुझसे चुदवाने को तड़प रही हो, उसे चोदने के लिये तड़प तो मैं भी रहा था, मगर अपनी बीबी के कारण मैं उसे छिप कर बाहों में भर कर चूमने के सिवा कुछ ना कर सका, और आखिर परेशान होकर सूजी नें खुद ही एक दिन मौका निकाल लिया,


क्योंकि उनके पति को लौटनें में अब दो ही दिन रह गये थे, उनके पति के आने के बाद तो मौका निकालना लगभग नामुमकिन हो जाता, सूजी ने उस रात मेरी बीबी की कोफी में नींद की कुछ गोलियां मिला कर उसे पिला दी, थोडी देर में जब मेरी बीबी गहरी नींद में सो गई तो मैं फटाफट सूजी के बेडरूम में पहुँच गया,

वो तो मुझे मेरा इन्तजार करते हुवे मिली, मैनें झट उसे बांहों में भर कर भींच लिया और उसके चेहरे और शुर्ख होंठों पर ढेर सारे चुम्बन जड़ दिये, जवाब में उसने भी चुम्बनों का आदान प्रदान गर्मजोशी से दिया,

वो इस वक्त झीनी सी सफेद रंग की नाइटी में थी, जिसमें से उसका सारा शरीर नजर आ रहा था, मेरा खून कनपटीयों पर जमने लगा था, मैनें खिंच कर नाइटी को प्याज के छिलके की तरह उतार फेंका, पेंटी और ब्रा में कसे उसके दुधिया कटाव गजब ढा रहे थे, मैनें पहले ब्रा के उपर से ही उसकी कठोर चुचियों को पकड़ कर दबाया और काफी सख्ती दिखा दी,

" उफ ...सी...ई ...क्या कर रहे हो? सूजी के मुंह से निकला " ये नाजुक खिलौनें हैं इनके साथ प्यार से खेलो,"
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02-26-2019, 09:37 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
मैनें हंस कर उन्हें छोड़ने के बाद पीछे हाँथ ले जा कर पेंटी में हाँथ घुसा दिया और उसके मोटे मुलायम चुतड के उभारों को मुट्ठी में भर लिया, इसी बिच सूजी ने मेरे पेंट के फूले हुवे स्थान पर हाँथ रख कर मेरे लंड को पकड़ा और जोर से भींच दिया,

" आह..." मैनें कराह कर अपना हाँथ उसकी पेंटी में से बाहर खिंच लिया, तब मुस्कुरा कर सूजी ने मेरा लंड छोड़ते हुवे कहा,

" क्यों जब तुम्हारे लंड पर सख्ती पड़ी तो मुंह से आह निकल गई और मेरे नाजुक अंगों पर सख्ती दिखा रहे थे,"

मैं भी उसकी बात सुन कर हंसने लगा, उसके बाद मैनें सूजी को और सूजी ने मुझे सारे कपड़े उतार कर नंगा कर दिया, और मैं उसके शरीर को दीवानगी से चूमने लगा,वो भी मेरे लंड को हाँथ में पकड़े आगे पीछे कर रही थी,

" वाह, काफी तगड़ा लंड है तुम्हारा तो,"



मैं उसकी एक चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा तथा एक हाँथ से उसकी जांघ को सहलाते हुवे उसकी चिकनी चूत पर हाँथ फेरा, एकदम साफ़ चिकनी और फुली हुई चूत थी उसकी, एकदम डबलरोटी की तरह, उसके एक एक अंग का कटाव ऐसा था की फरिस्तों का ईमान भी डिगा देता, शायद नियमित जोगिंग के कारण ही उसका शरीर इतना सुन्दर था,

मैनें उसे बेड पर बिठा कर उसकी जांघें फैलाने के बाद उसकी खुबसूरत चूत को चूम लिया, और फीर जीभ निकाल कर चूत की दरार में फिराई तो उसने सिसकी भर कर अपनी जाँघों से मेरे सीर को अपनी चूत पर दबा दिया, मैनें उसकी चूत के छेद में जो की एकदम सिंदूर की तरह दहक कर लाल हो रहा था उसमें अपनी लम्बी नाक घुसा दी, उसकी दहकती चूत में से भीनी भीनी सुगन्ध आ रही थी


तभी सूजी ने मुझे उठाया, उत्तेजना के कारण उसका चेहरा बुरी तरह तमतमा रहा था
उसने मुझे उठाने के बाद कहा,

" अब मैं तुम्हारा लंड खाऊँगी,"

"खा लो,"
मैनें हंस कर कहा तो सचमुच जमीन पर घुटनों के बल बैठ गई और अपना मुंह फाड़ कर मेरा लंड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी, मेरी बीबी ने भी कभी इस तरह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर नहीं चूसा था, क्योंकि उसे तो घिन आती थी, इसी कारण जब आज सूजी नें मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसा तो एक अजीब से सुख के कारण मेरा शरीर अकड़ रहा था,

वो मेरे चूतडों को हांथों से जकडे हुवे अपना मुंह आगे पीछे करते हुवे मेरा लंड चूस रही थी, उसके सुर्ख होंठों के बिच फंसा मेरा लंड सटासट उसके मुंह में अन्दर बाहर हो रहा था, सूजी मुस्कुराती आँखों से मुझे ही देख रही थी, फिर एकाएक वो अपनी गर्दन जोर जोर से आगे पीछे चलाने लगी तो मुझे लगा की मैं उसके मुंह में ही झड़ जाउंगा, इसलिए मैनें उसका सीर पकड़ कर लंड को मुंह से निकालने की कोशिश की और बोला,


" छ ...छोड़ दो सूजी डार्लिंग नहीं तो मैं तुम्हारे मुंह में ही पिचकारी छोड़ दूंगा,"

परन्तु इतना सुनने के बाद भी उसने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर नहीं निकाला बल्कि ना के इशारे में सीर हिला दिया, तो मैं समझ गया की वो मुझे अपने मुंह में ही झडवा कर मानेगी, उसने मेरे चूतडों को और जोर से जकड़ लिया और तेज तेज गर्दन हिलाने लगी, तो मैं चाह कर भी अपना लंड उसके मुंह से बाहर नहीं निकाल सका,
आखिर मैं उसके मुंह में झड़ गया और उसके उपर लद गया, मेरे वीर्य की पिचकारी उसके मुंह में छुट गई तो उसने गर्दन उपर निचे करना रोक दिया और मेरे लंड के सुपाड़े को किसी बच्चे की तरह निप्पल के जैसे चूसने लगी, सारा वीर्य अच्छी तरह चाट कर ही वो उठी और चटकारा लेकर मुझ से बोली,


" मजा आ गया जानेमन, बड़ा स्वादिष्ट रस है तुम्हारा,"

परन्तु अब तो मैं बेकार हो चूका था, मेरा लंड सिकुड़ कर आठ इंच से दो इंच का हो गया था,
मैनें उसे देख कर शिकायती लहजे में कहा,

" ये बात अच्छी नहीं है सूजी, तुमने मेरे साथ धोखा किया है,"

" अरे नहीं डार्लिंग धोखा कैसा, मैं अभी तुम्हारे लंड को दोबारा जगाती हूँ,"

कहने के बाद सूजी मेरा सिकुड़ा हुवा लंड हांथों में पकड़ कर उठाने की कोशिश करने लगी, भला वो अब इतनी जल्दी कहाँ उठने वाला था, मगर सूजी तो पूरी उस्ताद निकली,

उसने मुझे धकेल कर फर्श पर चित लिटाया और मेरी जाँघों पर चढ़ कर बैठ गई, तथा मेरे सिकुड़े हुवे लंड को पकड़ कर अपनी दहकती हुई चूत के छेद पर रगड़ने लगी, मैं भी उसकी चुचियों को दबाने लगा, उसकी चूचियां बड़ी सुन्दर और कठोर थी, जल्दी ही मेरे लंड में थोड़ा कड़ापन आ गया,


उसी समय सूजी ने मेरे थोड़ा कठोर हो चुके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और अंगूठे की सहायता से जबरदस्ती अपनी चूत में ठूंस लिया, चूत के अन्दर की गर्मी पाकर तो मेरा लंड एकदम से खडा होने लगा और चूत में पड़े पड़े ही सीर उठाने लगा,

सूजी ने लंड को बाहर नहीं निकाला बल्कि वो संभल कर लंड के उपर ही बैठ गई, मेरा लंड जितना तनता जा रहा था उतना सूजी की चूत की दीवारों को फैलाता हुवा अन्दर घुसता जा रहा था, एक समय ऐसा आया की सूजी को अपने घुटनों की सहायता से उपर उठाना पड़ा, क्योंकि मेरा लंड अब तो पहले से भी ज्यादा लम्बा और कड़ा होकर करीब आधा तक उसकी चूत की गहराई में पहुँच कर चूत के छेद को चौड़ा करके कस चूका था, लंड अभी भी धीरे धीरे उठ रहा था, उसे इस तरह बढ़ता देख कर सूजी सिसिया कर उठ गई और लंड का सुपाड़ा सट से बाहर आ गया, वो बोली,


" बा....बाप रे....ये तो बढ़ता ही जा रहा है,"

" इस पर बैठो ना सूजी," मैनें उसे दोबारा लंड पर बैठने के लिये कहा, मगर वो नकली हैरानी दिखाते हुवे बोली,

" ना....ना बाबा ना, इतने लम्बे और मोटे लंड को मेरी कोमल चूत कैसे सहन कर पाएगी, इसे तुम्हारा ये बम्बू जैसा लंड फाड़ देगा,"

अब मैं उठा और सूजी से बोला,

" लो कम ऑन सूजी, तुम कोई बच्ची नहीं हो जो मेरे लंड से इतना डर दिखा रही हो,"

सूजी तो फालतु में नाटक कर रही थी, मैं तो एक बार झड़ चूका था, इसलिए मुझे कोई जल्दीबाजी नहीं थी, मगर सूजी की चूत में आग तब से अब तक उसी तरह लगी हुई थी, वो चुदवाने के लिये बुरी तरह उतावली हो रही थी, ये उसके चेहरे से ही झलक रहा था,
सो इस बार वो कोई भी नखरा किये बिना चुपचाप अपने घुटनें और हथेलियाँ फर्श पर टिका कर जानवरों वाली कंडीसन में हो गई, यानि वो जानवरों वाली पोजीसन में वो पीछे से लंड चूत में डलवा कर चुदवाना चाहती थी,


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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02-26-2019, 09:37 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
मुझे भला क्या ऐतराज होता, मैं उसके पीछे आ गया, लेकिन उसके कुल्हे मेरे धड़ से बहुत निचे थे, इसलिये मैनें उसे पंजो पर खडा करके उसकी पोजीसन को ठीक किया, अब उसके कूल्हों का सेंटर ठीक मेरे लंड से मेल खा रहा था, मैनें उसकी टांगों को आगे बढ़ा कर उसके पेट से सटा दिया,

अब उसकी चूत काफी हद तक उभर कर पीछे की ओर निकल आई थी, सब कुछ जांच परख कर मैनें उसकी चूत के छेद पर अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया और उसके कुल्हे पकड़ कर मैं लंड अभी ठेलना ही चाहता था की उधर सूजी नें लंड अन्दर लेने के लिये अपने कूल्हों को पीछे की ओर ठेला और इधर मैनें धक्का मारा, दोनों तरफ के धक्कों के कारण लंड थोड़ा सा कसता हुवा सरसरा कर करीब आधा चूत के अन्दर चला गया,


सूजी के मुंह से सी...सी...ई...की आवाज निकली, उसने दोहरी होकर बदन ऐंठ दिया, मैं रुका नहीं और अपना पूरा लंड अन्दर ठेलता ही चला गया, हालांकि सूजी की चूत काफी कसी हुई थी और मैं जानता था की इस तरह सूजी को मेरे मोटे और लम्बे लंड से थोडी बहुत परेशानी हो रही होगी, मगर उतनी नहीं जितना की सूजी दिखा रही थी,

वो " ऊं ....आ ...आह.. करते हुवे अपना धड़ आगे बढाने लगी, जबकि मैंने उसकी कोई परवाह नहीं की और बहुत जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये, मुझे इम्प्रेस ना होते देख कर सूजी ने भी कराहना बंद कर दिया और मेरे लंड का स्वाद अपनी चूत से लेने में मगन हो गई,

मेरे लगभग हर धक्के पर सूजी जरा सा आगे सरक जाती, मेरा आठ नौ इंची लम्बा लंड जरूर उसकी अंतड़ियों में जाकर अड़ जाता होगा, मैं लंड को सट से बाहर खींचता और सड़ाक से अन्दर घुसेड़ देता, मेरे जोर के धक्कों के कारण ही सूजी अपनी जगह से तीन चार फीट आगे सरक गई थी, साथ में मैं भी आगे बढ़ता चला गया,


अब वो मस्ती में सिसकियाँ भर रही थी और मैं उसके कुल्हे पकड़ कर धका धक लंड से पेलम पेल मचाये हुवे था, सूजी मेरे तेज धक्कों के कारण खुद को रोक ना सकी और जल्दी ही उसकी चूत नें पानी छोड़ दिया, मस्ती में वो अपने कुल्हे मटकाते हुवे मेरे लंड पर अपनी चूत से निकले रस की फुहार फेंकने लगी,

पूरी तरह मस्ती से निबट कर उसके मुंह से " ब.....बस...बस करो," की आवाज निकली, मगर मैं अभी कहाँ बस करने वाला था, मैं तो एक बार उसके मुंह में पहले ही अपना पानी गिरा चुका था, इसलिये अब दोबारा झड़ने में मुझे काफी देर लगनी थी, अभी तो मेरे झड़ने का आसार दुर दुर तक नहीं था,

यूँ भी मैं एक बार झड़ने के बाद दोबारा जब भी चुदाई करता तो मेरी बीबी भी मुझसे पनाह मांगती थी, इसीलिए वो मुझसे दोबारा चुदवाने के लिये कभी जल्दी से हाँ नहीं भरती थी, यदि चुदवाती भी तो पहले अपने हाँथ के जरिये या बाहर ही बाहर मेरे लंड को अपनी चूत पर काफी देर तक रगड़ती, जब तक मैं और मेरा लंड चोदने के लिये पूरी तरह तैयार ना हो जाते, इतनी देर के बाद चुदाई करने पर भी मैं अपनी बीबी से हाँथ जुड़वा कर ही दम लेता,

पर यहाँ तो मामला ही उल्टा था, सूजी ने तो मेरा लंड दोबारा खड़ा करके तुंरत ही अपनी चूत में डलवा लिया था, इसलिये अभी तो मैं जल्दी से झड़ने वाला नहीं था, सो मुस्कुरा कर उसी ताकत से उसके कूल्हों पर चोट करते हुवे बोला,

" मेरी जान, मुझे अपने मुंह में पहले झडवा कर के गलती तुमने की है, अब भुगतो मैं क्या करूँ?"

वो बुरी तरह कराह कर बोली, " हा....हाँ...गलती हो गई...मगर फिलहाल मुझे छोड़ दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है,"

" मैं अब नहीं छोड़ने वाला " मैं धड़ा धड़ धक्के लगाता हुवा बोला,

" प्लीज थोडी देर के लिये अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लो," वो लगभग गिडगिडा कर बोली, " बस थोडी देर के लिये शान्त हो जाओ प्लीज "

मुझे उसपर दया आ गई, मैनें धक्के लगाने तो बंद कर दिये मगर लंड बाहर नहीं निकाला, उसके कूल्हों से सट कर हांफता हुवा बोला, " बस तुम औरतों में यही बात गलत है पहले तो मनमानी कर लेती हो फिर खुशामद करने लगती हो, तुम्हारा काम तो हो गया, अब मैं क्या करूँ?"

जवाब में वो कुछ देर सोचने के बाद बोली " अच्छा एक काम करो, मेरी गांड मार लो, अपना मुसल मेरी गांड में डाल लो "

" क्या...." मैं बुरी तरह चौंका, " क्या पागल हो गई हो, तुम्हारी गांड में लंड डालने से तो तुम्हें चूत से भी भयंकर दर्द होगा,"

" इसकी फ़िक्र तुम मत करो, अपने इस शैतान के बाप को मेरी चूत से निकाल कर मेरी गांड में डाल दो,"

वो खुद गांड मरवाने राजी थी तो मुझे भला क्या ऐतराज होता, मुझे तो मतलब मेरा काम पूरा होने से था, अब वो चाहे चूत हो गांड हो या मुंह, मुझे उससे क्या मतलब, तब मैनें सटाक से अपना लंड चूत से बाहर खिंचा, मेरा लंड चूत के पानी से भीगा हुवा था और चूत में पड़े रहने के कारण बहुत ही भयंकर नजर आ रहा था,

मैनें चूत के छेद से एक इंच उपर यानी गांड के गोल छेद पर अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया और सूजी के कुल्हे पकड़ कर जोर लगाया, चूत के रस से चिकना सुपाड़ा गांड के छेद को फैला कर थोड़ा सा अन्दर घुस गया, मैं मन में सोच रहा था की सूजी के मुंह से चीख निकल जायेगी, परन्तु ऐसा नहीं हुवा, उसने सिर्फ सिसकी भर कर अपना सीर ताना, तब मैनें अपना पुरा लंड उसकी गांड में सरका दिया,

इस पर भी जब सूजी ने तकलीफ जाहिर नहीं की तो मैं समझ गया सूजी गांड मरवाने की आदि है, उसने सिर्फ कस कर अपने होंठ भींचे हुवे थे, फिर भी मैनें पूछा,

" तकलीफ तो नहीं हो रही है ना सूजी,"

" नहीं तुम धीरे धीरे चोदते रहो," उसने कहा तो मैं उसके गोल मटोल कुल्हे थपथपा कर धीरे से झुका और दोनों हाँथ निचे लाकर दोनों चुचियों को पकड़ कर उसकी गांड मारने लगा, थोडी देर बाद मैनें धक्के तेज कर दिये, मुझे तो उसकी चूत से अधिक उसकी गांड में अपना लंड कसा होने के कारण ज्यादा मजा आ रहा था, और जब मेरे धक्कों ने प्रचंड रूप धारण कर लिया तो सूजी एकदम से बोली,




" ...बस...अब अपना लंड मेरी गांड में से निकाल कर मेरी चूत में डाल दो,"

" क्यों " मैनें रुक कर पूछा,

" क्योंकि मैं तुम्हारा वीर्य अपनी चूत में गिरवाना चाहती हूँ,"
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02-26-2019, 09:37 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
सुन कर मैं मुस्कुराया और अपना लंड गांड में से खिंच कर वापस उसकी चूत में घुसेड़ दिया, मैनें फीर जोर जोर से धक्के लगाने शुरु कर दिये थे, मगर इस बार सूजी को कोई परेशानी या दर्द नहीं हुवा था, बल्कि अब तो वो दुबारा मस्ती में भर कर अपने कुल्हे आगे पीछे ठेल कर मेरा पुरा साथ देने लगी थी, इतनी देर बाद भी मैं सूजी को मंजिल पर पहुंचा देने के बाद ही मैं झडा, सूजी भी कह उठी,

" मर्द हो तो तुम जैसा, एकदम कड़ियल जवान,"

" और औरत हो तो तुम जैसी एकदम कसी हुई," जवाब में मैनें भी कहा, फिर हम दोनों एक दुसरे की बाहों में समां गये,

मौसा जी को जहां दो दिन बाद आना था, दो दिन तो दूर की बात वो पुरे पांच दिन बाद आये,और उन पांच रातों का मैनें और सूजी नें भरपूर लाभ उठाया, सूजी हर रोज मेरी बीबी को नींद की गोलियां देकर सुला देती और हम दोनों अपनी रात रंगीन करते, मौसा जी के आने के बाद ही हमारा ये चुदाई का खेल रुका, इस बिच मौसी यानि सूजी बहुत उतावली रहती थी, वो मेरे एकांत में होने का जरा जरा सा बहाना ढुंढती थी,

मैं इस बात को उस वक्त ठीक से नहीं समझ सका की सूजी मेरी इतनी दीवानी क्यों है, क्या मौसा जी में कोई कमी है या वे इसे ठीक से चोद नहीं पाते? जबकि देखने भालने में वे ठीक ठाक थे,



सूजी मेरी इतनी दीवानी क्यों है? इसका जवाब मेरे दिमाग ने एक ही दिया की या तो वो मेरे लंड की ताकत से दीवानी हुई है या फिर मौसा जी उसे ढंग से चोद नहीं पाते होंगे, हम महिना भर वहाँ रहे, इस बिच हमने यदा कदा मौका देख कर चुदाई के कई राउंड मारे,

जब हम वहाँ से आने लगे तो सूजी ने मुझे अकेले में ले जाकर कहा,

" जल्दी जल्दी राउंड मारते रहना मुझे और मेरी चूत को तुम्हारे लंड का बेसब्री से इंतजार रहेगा,

मैनें इतनी चाहत का कारण पूछा तो उसने यही बताया की " वे " यानी की उसके पति उसे ठीक से चोद नहीं पाते, मेरा शक सही निकला, मौसा जी की कमी के कारन ही वो मेरी तरफ झुकी,

मेरा दिल भी उसे छोड़ कर जाने का नहीं कर रहा था, मगर मज़बूरी वश मुझे वापस आना पड़ा, आने के एक हफ्ता बाद ही मैं बीबी को बिना बत्ताये दुबारा सूजी के यहाँ पहुँच गया, वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई,

मैं इस बार चार दिन वहाँ रहा और चारों दिन सूजी को खूब चोदा, क्योंकि मौसा जी के ऑफिस जाने के बाद मैं और सूजी ही घर में रह जाते और खूब रंगरेलियां मनाते, अब तो मेरी बीबी का भी खतरा नहीं था, मौसा जी को भी हम पर कोई शक होने वाला नहीं था, क्योंकि रिश्ते के हिसाब से मैं सूजी का दामाद हूँ, मौसा जी भी मुझे दामाद जैसी इज्जत देते,



इसी का फायदा उठा कर मैं हर महीने सूजी के यहाँ जाकर पूरी मौज मस्ती करके आता था, हमारा ये क्रम पांच महिने तक चला, उसके बाद जब एक महिने पहले सूजी के यहाँ पहुंचा तो उसका ब्यवहार देख कर मैं बुरी तरह चौंका, वो मुझे देख कर जरा भी खुश नहीं हुई और ना ही मुझसे एकांत में मिलने की कोई कोशिश की, और जब मुझे बहुत ज्यादा परेशान देख कर मुझसे मिली तो उसके चेहरे पर सदाबहार मुस्कान की जगह रूखापन था, मैनें इसका कारण पूछा, और उसने जो कुछ मुझे बताया उसे सुन कर तो मेरे पैरों के निचे से जमीन ही निकल गई, उसने बताया की...

उसने मेरे से इस लिये नहीं चुदवाया की मौसा जी उसे ठीक से नहीं चोद पाते थे, सूजी मौसा जी से चुदवा कर पूरी खुश थी और वो मौसा जी से बहुत प्यार करती थी, उसने मुझसे सिर्फ इसलिए चुदवाया था की वो समझ गई थी की मौसा जी बच्चा पैदा करने में असमर्थ थे, उनके वीर्य में शुक्राणु या तो हैं नहीं या हैं तो बहुत कमजोर हैं, ये बात उसने अपना चेकअप करा कर जानी, क्योंकि जब उसमें कोई कमी नहीं थी तो जाहिर था की कमी मौसा जी में ही हो सकती थी, जबकि उसे और मौसा जी को बच्चे की बहुत चाहत थी, इससे पहले की मौसा जी ये बात जानें, गर्भवती होने के लिये मुझसे संबंध बना लिये, ताकि मौसा जी अपने बारे में जान कर हीन भावना से ग्रस्त ना हो जाएँ, अब वो गर्भवती हो चुकी है इसलिए वो उसके पास ना आया करे, अंत में उसने कहा मुझे तुमसे कोई लगाव नहीं है, अब इधर दुबारा फटकना भी मत,

मुझे दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया,
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02-26-2019, 09:37 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
मिनी और राज


मेरा नाम मिनी है. मैं भोपाल की रहने वाली हूँ. मेरा रंग गोरा, बदन स्लिम, बॉल एक दम काले और बहुत लंबे और आँखे भूरी हैं. मेरी शादी 6 महीने पहले 17 साल की उमर में दीपक के साथ हुई है. दीपक भी 19 साल का है. दीपक एक दम दुबला पतला और बहुत ही कमज़ोर है. दीपक का एक भाई, राज है जो उनसे उमर में 3 साल छ्होटा है. वो एक दम हटता कटता है और उसका बदन एक दम गातीला है. वो दिखाने में हॅंडसम है. शादी के बाद मैं ससुराल पहुचि. मैने दीपक के साथ सुहग्रत मनाया. सुहग्रात के दिन ही मेरे सारे ख्वाब टूट गये. मैं बहुत ही सेक्सी हूँ लेकिन दीपक सेक्स में भी बहुत कमज़ोर था. उनका लंड भी छ्होटा था और वो 2 मीं में ही झाड़ जाता था. मुझे उसके साथ सेक्स में पहली पहली बार ही मज़ा आया क्यों की मैं अभी तक कुँवारी थी. उसके बाद मुझे बिल्कुल भी मज़ा नही आता था.
शादी के 15 दीनो बाद दीपक बीमार पद गये. डॉक्टर ने उन्हे सेक्स के लिए बिल्कुल माना कर दिया. 10 दीनो बाद ही दीपक को 2 मंत के लिए हॉस्पिटल में भारती करना पड़ा. हॉस्पिटल में घरवालो को मरीज़ से केवल सुबह और शाम 1 घंटे के लिए ही मिलने की इज़ाज़त थी. वहाँ पर मरीज़ की देखभाल वहाँ के स्टाफ करते थे. दीपक को हॉस्पिटल में भारती हुए अभी 8-10 दिन ही हुए थे की मैं सेक्स की प्यास से एक दम पागल सी होने लगी. मेरे समझ में कुच्छ नही आ रहा था और मैं परेशन रहने लगी. घर पर में और मेरा ड्यूवर राज ही थे. वो अभी 11 क्लास में पढ़ता था.
एक दिन मेरे मान में ख़याल आया की क्यों ना मैं अपनी प्यास राज से मिटा लून. लेकिन मैने सोचा की राज तो अभी 16 साल का ही है. अभी तक वो मेच्यूर नही हुआ होगा. मैने ये ख़याल अपने दिमाग़ से निकल दिया. एक दिन सुबह के वक़्त मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगा तो मैं जल्दी जल्दी बातरूम गयी. मैने झटके से बातरूम का दरवाज़ा खोला तो अंदर राज पेशाब कर रहा था. वो चौक कर मेरी तरफ पलटा और मुझे देखकर शर्मा गया. मैने उसको सॉरी कहा. मेरी निगाह उसके लंड पर पड़ी तो मैं चौक गयी. मैने कभी सपने में भी नही सोचा था की 16 साल के लड़के का लंड ऐसा भी हो सकता है. उसका लंड 7" लंबा और बहुत ही ज़्यादा मोटा था. मैं वापस बाहर आ गयी और उसके बाहर निकालने का इंतेज़ार करने लगी. थोड़ी देर बाद वो बाहर आया तो मैं बातरूम चली गयी. बातरूम से वापस आने के बाद मेरे मान में फिर से ख़याल आया की राज से मेरी प्यास बुझ सकती है. मुझे राज को किसी तरह पटना पड़ेगा.
घर का सारा कम निपटने के बाद मैं नहाने के लिए गयी तो मैने बातरूम से ही राज को पुकारा. मैने बातरूम का डोर लॉक नही किया था. राज बाहर आया और उसने पुचछा, क्या बात है. मैने कहा, ज़रा मेरी पीठ पर साबुन लगा दो. वो शरमाते हुए अंदर आया. मैने केवल पेट्त्यकोआट पहन रखा था उसी से अपने बूब्स को धक रखा था. राज ने मेरी पीठ पर साबुन लगाना शुरू कर दिया. राज से साबुन लगवाते वक़्त मैने जानबूझ कर अपना पेट्त्यकोआट हाथ से छ्चोड़ दिया तो मेरा पेट्त्यकोआट नीचे हो गया. मेरे बूब्स एक दम नंगे हो गये. वो मेरे बूब्स को ध्यान से देखते हुए चुप-छाप साबुन लगाने लगा. थोड़ी देर बाद वो बोला, मैने साबुन लगा दिया है, अब मैं जाऊं. मैने कहा, हन जाओ. वो चला गया.
मैं नहाने के बाद बातरूम से बाहर आई और बेडरूम में जा कर कपड़े पहन ने लगी. जब मैने ब्रा पहन ना शर किया तो मैने फिर राज को बुलाया. वो मेरे पास आया और बोला, अब क्या है. मैने कहा, ज़रा इसका हुक बंद कर दो. मेरा हाथ नही पहुच रहा है. वो मेरी पीठ को ध्यान से देखते हुए हुक बंद करने लगा. जब उसने हुक बंद कर दिया तो बोला, और कुच्छ करना है. मैने कहा, नही. उसकी आवाज़ इस बार कुच्छ बदली बदली सी लग रही थी.
कपड़े पहन लेने के बाद मैने नाश्ता बनाया. नाश्ता बनाने के बाद मैने राज को नाश्ता दिया और खुद भी नाश्ता करने लगी. वो मुझे तिरच्चि नज़रों से देखता हुआ नाश्ता कर रहा था. उसकी आँखों में भी मैने सेक्स की भूख देखी. मैं समझ गयी की अब मेरा काम आसानी से हो जाएगा.
दोपहर को मैं एक चादर ओढ़ कर लेती थी. मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और केवल ब्रा और पेट्त्यकोआट ही पहना हुआ था. वो मेरे पास आया और बोला, खाना नही बनाओगी. भूख लगी है. मैने कहा, मेरी कमर में बहुत तेज़ दर्द हो रहा है. थोड़ा सा बल्म लगा कर मालिश कर दोगे. वो बोला, घर पर मैं ही अकेला हूँ. अगर मई नही लगौँगा तो और कौन लगाने आएगा. उसने बल्म की शीशी उठाई और मेरे पास आ कर बैठ गया. मैं पेट के बाल लेट गयी और मैने अपने उपर से चादर हटा दिया. उसने मेरी कमर पर बल्म लगाना शुरू कर दिया. मैने उस से कहा, थोड़ा नीचे भी दर्द है. वहाँ पर भी लगा दो. इतना कह कर मैने अपना पेट्त्यकोआट थोड़ा और नीचे कर दिया जिस से मेरा छूतड़ उसे कुच्छ कुच्छ दिखने लगे. उसने और नीचे तक बल्म लगाना शुरू कर दिया. वो मेरे छूतड़ को ध्यान से देखता हुआ बल्म लगा रहा था. उसे भी जोश आने लगा था और उसका लंड खड़ा हो गया था. उसका लंड मेरे बदन से सता हुआ था. मैं उसके लंड को महसूस कर रही थी और मुझे भी जोश आ रहा था. मेरे सारे बदन में एक आग सी लगने लगी. बल्म लगते हुए वो मेरे छूतड़ को सहला भी रहा था.
धीरे धीरे उसका हाथ नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मैने उसे माना नही किया. उसने अपनी उंगली मेरी गांद के च्छेद पर भी लगानी शुरू कर दी. मेरे बदन की आग और तेज़ होने लगी. मैने कभी गांद नही मरवाई थी, इस लिए मैने सोचा की क्यों ना पहले मैं राज से गांद ही मरवा लून. राज बड़े पायर से मेरी कमर और छूतड़ के पास बल्म लगते हुए मेरी गांद के च्छेद पर अपनी उंगली लगा रहा था. वो अपना लंड भी मेरे बदन पर लगा रहा था. मैने अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया और कहा, ये क्या है, बहुत चुभ रहा है. उसने शरमाते हुए कहा की, जो सब के पास होता है. मैने कहा, नही, मुझे कुच्छ दूसरा लग रहा है. ये तो बहुत बड़ा है. वो बोला, नही वही है जो सबके पास होता है. मैने कहा, मैं नही मान सकती. मैं देखूँगी. वो बोला, मुझे शरम आती है. मैने कहा, इस में शरमाने की क्या बात है. यहाँ और कोई दूसरा थोड़े ही है. मुझे दिकाहो. उसने कहा, भैया से तो नही कहोगी. मैने कहा, बिल्कुल नही. वो बोला, ठीक है, दिखा देता हूँ.
वो बहुत जोश में था. उसने अपने पंत की ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकल कर मुझे दिखाते हुए बोला, देख लो, वही है जो सबके पास होता है. मैने उसका लंड अपने हाथ में ले लिया और बोली, सबके पास ये कहाँ होता है. ये तो बहुत बड़ा है. ऐसा तो किसी किसी के पास होता. उसने फिर से मेरे कमर पर बल्म लगाना शुरू कर दिया और मेरे छूतड़ को सहलाता हुआ मेरी गांद के च्छेद पर उंगली लगाने लगा.
मेरे हाथ लगाने से उसका लंड और भी ज़्यादा टाइट हो गया. उसने धीरे से कहा, मैं आपके पेट्त्यकोआट को थोड़ा और नीचे कर डून. मैने कहा, कर दो. उसने मेरा पेट्त्यकोआट और ज़्यादा नीचे कर दी. अब मेरी गांद एक दम नंगी हो गयी. वो अभी भी मेरी गांद को देखते हुए च्छेद पर अपनी उंगली लगा रहा था. वो बोला, आपकी गांद बहुत ही सुंदर है. मैने कहा, मैं गोरी हूँ ना, इसी लिए. मैने उसके लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, तुम्हारा लंड भी बहुत सुंदर है. मैं तुम्हारा लंड अपने मूह में ले लून. वो बोला, ले लो. मैने उसका हाथ पकड़ कर उसकी उंगली अपनी गांद च्छेद पर रख दी और कहा, तुम अपनी उंगली मेरी गांद के च्छेद में दाल दो और अंदर बाहर करो.
वो बहुत जोश में था. उसने अपनी उंगली एक झटके से मेरी गांद में दाल दी. मेरे मूह से एक सिसकारी सी निकली तो वो बोला, क्या हुआ. मैने कहा, थोड़ा सा दर्द हुआ. ऐसा पहली पहली बार होता है. वो मेरी गांद में अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा. मैने उसका लंड मूह में ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी देर बाद वो बोला, मुझे कुच्छ हो रहा है. लग रहा है मेरे लंड से कुच्छ निकालने वाला है. मैने पहली बार उसके मूह से लंड सुना. मैने कहा, मेरे मूह में ही निकालने दो. मैं इसे पी जौंगी. तभी उसने मेरा सिर अपने हाथ से पकड़ अपने लंड की तरफ खीच लिया और उसके लंड का गरम गरम जूस मेरे मूह में निकालने लगा. मैने वो सारा जूस पी लिया. उसके लंड का सारा जूस पी जाने के बाद भी मैने उसके लंड को चूसना जारी रखा. वो मेरी गांद में बहुत तेज़ी के साथ अपनी उंगली अंदर बाहर कर रहा था.
अब तक मेरी गांद कुच्छ ढीली हो गयी थी और मुझे मज़ा आने लगा था. मैने राज से कहा, अब तुम अपनी 2 उंगली दाल कर अंदर बाहर करो. उसने अपनी 2 उंगली मेरी गांद में दाल दी तो मुझे इस बार ज़्यादा दर्द हुआ. मेरे मूह से एक हल्की सी चीख निकल गयी. वो बोला, मैं रुक जाऊं क्या. मैने कहा, नही. तुम रूको मत. तेज़ी से अपनी उंगली मेरी गांद के अंदर बाहर करो. उसने बहुत ही तेज़ी के साथ मेरी गांद में अपनी उंगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी. वो बोला, गांद में उंगली करवाने से क्या होता है. मैने कहा, मैं तुम्हारा लंड अपने मूह में ले कर चूस रही हूँ. कैसा लग रहा है. वो बोला, बहुत मज़ा आ रहा है. मैने कहा, इसी तरह गांद में उंगली करवाने से मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है. अभी थोड़ी देर बाद जब मैं तुम्हारा ये लंड अपनी गांद के अंदर लूँगी, तब तुम्हे और मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आएगा.
10 मीं में ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैने राज से कहा, ड्रेसिंग तबले से कराएँ ले आओ. वो जा कर कराएँ ले आया. मैने कहा, थोड़ी सी क्रीम मेरी गांद के च्छेद पर लगा दो. उसने थोड़ी सी क्रीम मेरी गांद के च्छेद पर लगा दी. फिर मैने उसके लंड पर ढेर सारी कराएँ लगा दी और उस से कहा, अब अपना लंड मेरी गांद के च्छेद में धीरे धीरे घुसाओ. मेरा ये पहली बार आयी, इस लिए मुझे ज़्यादा दर्द होगा लेकिन तुम चिंता मत करना. अपना पूरा का पूरा लंड धीरे धीरे मेरी गांद में घुसा देना.
उसने अपना लंड मेरी गांद के च्छेद पर रखा और अंदर दबाने लगा. जैसे ही उसने थोड़ा सा दबाया तो मुझे बहुत तेज़ दर्द हुआ और मेरे मूह से हल्की सी चीख निकल पड़ी. अभी तक केवल उसके लंड का टोपा ही मेरी गांद में घुसा था. वो बोला, रुक जाऊं. मैने कहा, मैने तुम्हे रुकने से माना किया था ना. अभी तो मुझे और ज़्यादा दर्द होगा. जब तक मैं ना कहूँ तब तक तुम रुकना मत, अपना लंड मेरी गांद में घसटे रहना. वो बहुत ही जोश में आ गया था और बोला, मेरा पानी फिर से निकालने वाला है. मैने कहा, निकालने दो. उसने जोश में आ कर 2-3 धक्के लगा दिए. मुझे इस बार बहुत तेज़ दर्द हुआ. 2-3 धक्को के बाद ही उसके लंड से पानी निकालने लगा. मैं जानती थी की वो अभी तक कुँवारा है, इस लिए वो ज़्यादा देर नही टिक सकता. मैने उस से पूचछा, तुम्हारा लंड कितना अंदर घुसा था. वो बोला, केवल 2". जब उसके लंड का पूरा पानी निकल गया तो उसने अपना लंड मेरी गांद से बाहर निकल लिया.
उसके बाद वो मेरी बगल में लेट गया. मैं उसका लंड सहलाने लगी. उसने मेरे बूब्स की तरफ इशारा करते हुए कहा, मैं इसे देखना चाहता हूँ. मैने कहा, मेरी ब्रा का हुक खोल कर इसे उतार दो, फिर देखो. उसने मेरी ब्रा का हुक खोल कर मेरी ब्रा को उतार दिया और मेरे बूब्स को देखने लगा. वो बोला, मुझे ये बहुत अच्च्छा लग रहा है. मैने कहा, इसे अपने हाथ में ले कर ज़ोर ज़ोर से मस्लो. उसने मेरे दोनो बूब्स अपने हाथो मे ले लिए और ज़ोर ज़ोर से मसालने लगा. वो बोला, इसे मसालने में भी बहुत मज़ा आ रहा है. मैने कहा, ठीक है. मसालते रहो और खूब मज़ा लो. राज ने अभी तक मेरी चूत को नही देखा था. वो मेरे बूब्स को मसल रहा था और मैं उसका लंड सहला रही थी.
10 मीं में ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया. मैने कहा, चलो अब अपना लंड मेरी गांद में डालो. मैं पीठ के बाल लेट गयी और वो मेरे उपर आ गया. उसने अपना लंड मेरी गांद के च्छेद पर रखा और अंदर दबाने लगा. उसका लंड जब 2" तक मेरी गांद में घुस गया तो मुझे हल्का सा दर्द हुआ. उसने अपना लंड दबाना ज़ारी रखा. दर्द के मारे मैं चिल्लती रही थी लेकिन मैने उसे रोका नही. वो बोला, ये तो आपकी गांद में घुसता चला जा रहा है. मैने कहा, कितना घुसा है अब तक. वो बोला, अब तक 3" घुस चुका है. मैने कहा, ठीक है, तुम घुसते रहो. जैसे ही उसने थोड़ा और दबाया तो मेरा दर्द बर्दस्त से बाहर हो गया. मैने कहा, अब रुक जाओ और अंदर बाहर करना शुरू कर दो. और ज़्यादा अंदर मत घुसना. उसने धक्के लगाने शुरू कर दिए और थोड़ी देर बाद बोला, इस बार तो बहुत मज़ा आ रहा है. मैने कहा, तुम मज़ा लेते रहो और तेज़ी से अनद्र बाहर करते रहो. मुझे भी अब कुच्छ कुच्छ मज़ा आ रहा है. अभी थोड़ी देर मैं जब मेरा दर्द कम हो जाएगा तो मुझे और ज़्यादा मज़ा आएगा.
वो धक्के लगता रहा. अभी मैं उसका पूरा लंड अपनी गांद के अंदर नही ले पाई थी की वो बोला, मेरे लंड से फिर से पानी निकालने वाला है. मैने कहा, निकालने दो. वो बहुत ज़्यादा जोश में आ गया था और उसने बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए थे. थोड़ी देर बाद राज मेरी गांद में ही झाड़ गया. मैने पूचछा, इस बार कितना घुस था. वो बोला, 4" तक घुसा था. मैने कहा, ठीक है, अगली बार पूरा घुस जाएगा. पूरी तरह से झाड़ जाने के बाद उसने अपना लंड मेरी गांद से बाहर निकाला और बोला मैं और मज़ा लेना चाहता हूँ. मैने कहा, ज़रूर मज़ा लो. मैं थोड़े ही कहीं जा रही हूँ. अभी जब तुम्हारा लंड जब फिर से खड़ा हो जाएगा तब तुम फिर से मज़ा ले लेना. वो बोला, ठीक है.
वो मेरे बगल में लेट गया और मेरे बूब्स को मसालने लगा. मैं उसका लंड सहलाती रही. 10-15 मीं में ही उसका लंड फिर से खड़ा हो कर लोहे जैसा हो गया. वो बोला, मैं फिर से मज़ा ले लून. मैने कहा, हन, ले लो. लेकिन इस बार अपना लंड पूरी तरह से मेरी गांद में दाल देना. अगर इस बार तुम पूरा लंड अंदर नहीं दाल पाए तो मैं तुम्हे फिर से मौका नहीं दूँगी. वो बोला, ठीक है. इस बार मैं पूरा दाल दूँगा. मैं फिर से पेट के बाल लेट गयी. मेरी गांद एक दम गीली थी. उसने अपना लंड मेरी गांद के च्छेद पर रखा और अंदर दबाने लगा. इस बार उसका लंड मेरी गांद में 4" तक आराम से घुस गया.
उसने अपना लंड मेरी गांद के अंदर और ज़्यादा दबाना शुरू किया. मैने कहा, ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा कर इसे पूरा अंदर दाल दो. मेरे चिल्लाने की चिंता मत करना. वो ताकतवर था ही. मेरा इशारा पाते ही उसने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मुझे दर्द होने लगा और मैं चिल्लाने लगी. उसने और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाए तो मैं तड़प उठी. मेरा चेहरे पर पसीना आ गया. मेरी टाँगें तर तर काँपने लगी. वो बोला, अब मेरा लंड पूरा अंदर घुस चुका है. अब तो तुम मुझे ये मज़ा लेने का फिर से मौका डोगी. मैने कहा, तुम बहुत अच्च्चे हो. अब तुम जब चाहो मज़ा ले लेना. मैं तुम्हे कभी नही रोकूंगी. अब तुम तब तक ज़ोर ज़ोर से धक्के लगते रहो जब तक तुमहरे लंड का पानी फिर से नही निकल जाता. वो बोला, ठीक है. अब मैं नहीं रुकुंगा, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.
उसने मेरे सीने के नीचे अपना हाथ दाल कर मेरे बूब्स को पकड़ लिया. फिर मेरे बूब्स को मसालते हुए बहुत ही ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. मेरा दर्द कुच्छ ही देर बाद कम हो गया और मुझे भी मज़ा आने लगा. वो बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के लगते हुए मेरी गांद मार रहा था.
इस बार उसने लगभग 15 मीं तक मेरी गांद मारी और फिर झाड़ गया. झड़ने के बाद वो फिर से मेरे बगल में लेट गया. मैने कहा, तुम लेतो मत. इस बार मैं तुम्हे दूसरा मज़ा दूँगी. वो बोला, अब कौन सा मज़ा. मैने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा, अब तुम इसे जीभ से चतो. इस बार मैं तुम्हारा लंड इस च्छेद के अंदर लूँगी. वो मेरी टाँगों के बीच आ गया और मेरी चूत को बड़े ध्यान से देखने लगा. फिर उसने मेरी चूत चटनी शुरू कर दी. मैने उसका लंड अपने मूह में ले लिया और चूसने लगी.
उसकी जीभ अपनी चूत पर महसूस करते ही मैं और ज़्यादा जोश में आने लगी. थोड़ी देर बाद मेरी चूत से पानी निकालने लगा तो वो रुक गया. मैने कहा, रुक क्यों गये. वो बोला, तुम पेशाब कर रही हो. मैने कहा, पगले, ये पेशाब नही है. जैसे तुम्हारे लंड से पानी निकलता है वैसे ही जब औरत ज़्यादा जोश में आ जाती है ती उसकी चूत से भी पानी निकलता है. तुम इस पानी को छत लो. उसने अपनी जीभ से मेरी चूत का सारा पानी छत लिया.
इधर उसका लंड फ्िए से खड़ा हो चुका था. जब वो मेरी चूत का पानी छत चुका तो मैने कहा, अब अपना पूरा लंड मेरी चूत में दाल कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगते हुए अंदर बाहर करो. उसने अपने लंड का टोपा मेरी चूत के बीच रखा तो मैने अपना पैर उसके कंधे पर रख लिया. मैने कहा, इस बार जैसे तुमने मेरी गांद के अंदर पूरा लंड घुसा दिया था वैसे ही अब मेरी चूत में भी पूरा लंड घुसा देना. उसने एक जोरदार धक्का मारा तो मेरे मूह से चीख निकल गयी. वो बोला, इस मे तो आसानी से अंदर जा रहा है. मैने कहा, इस लिए आसानी से अंदर जा रहा है क्यों की टुमरे भैया भी इसके अंदर अपना लंड डालते हैं. उसने कहा, तब तो पूरा लंड आसानी से अंदर चला जाना चाहिए लेकिन फिर भी ये अब और ज़्यादा अंदर नही जा रहा है. मैने कहा, तुम्हारे भैया का लंड छ्होटा है और तुम्हारा बहुत बड़ा. इसी लिए ये आसानी से अंदर नहीं जा रहा है. तुम पूरी ताक़त के साथ धक्के लगाओ.
उसने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. उसका लंड लंबा होने के साथ साथ बहुत मोटा भी था. मैं दर्द से तड़पने लगी. वो धक्के लगता रहा. कुच्छ ही देर में उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया और मैं उसके लंड का टोपा अपने बच्चेड़नी के मूह पर महसूस करने लगी. वो बोला, मैने पूरा लंड अंदर दाल दिया है. इस च्छेद में तो और ज़्यादा मज़ा आ रहा है. मैने कहा, अब खूब तेज़ी से मेरी चूत में अंदर बाहर करो.
उसने बहुत ही ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. आज मेरी मुराद पूरी हो रही थी. 5 मीं में ही मैं झाड़ गयी. वो बोला, तुमहरि चूत से तो फिर से पानी निकल रहा है. मैने कहा, जब तक तुम्हारे लंड का पानी निकलेगा तब तक मेरी चूत से काई बार पानी निकलेगा. मेरी चूत गीली हो चुकी थी. वो धक्के लगता रहा. रूम में छाप-छाप की आवाज़ हो रही थी. उसकी स्पीड अब बहुत तेज़ हो गयी थी. मुझे भी आज पहली बार चुड़वाने में बहुत मज़ा आ रहा था. अभी 10 मीं भी नही बीते थे की मैं फिर से झाड़ गयी. मैं छूतड़ उठा उठा कर उसका साथ देने लगी. वो पूरी मस्ती के साथ मेरी चुदाई कर रहा था.
लगभग 10 मीं तक और छोड़ने के बाद वो झाड़ गया. उसके साथ ही साथ मैं भी झाड़ गयी. जब उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो मैने इस बार उसका लंड अपने मूह में ले लिया और चूसने लगी. जब मैने उसका लंड छत छत कर सॉफ कर दिया तो वो हट गया. वो मेरे बगल में लेट गया और बोला, मुझे इस च्छेद में ज़्यादा मज़ा आया.
थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं खाना बनाने चली गयी. मैं अभी खाना बना ही रही थी की वो किचन में आया और बोला, मुझे मज़ा लेना है. मैने कहा, मैं खाना बना लून तब तुम मज़ा ले लेना. वो बोला, मुझे अभी मज़ा चाहिए. देखो मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया है. मैं तो खुद ही प्यासी थी. मैं किचन में ही डॉगी स्टाइल में हो गयी. मैने उस से कहा, अब तुम मेरे पिच्चे आ जाओ, और मज़ा लो. मैं देखना चाहती थी की उसे मेरी चूत चाहिए या गांद. वो मेरे पिच्चे आया और अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा. मैं समझ गयी की उसे चूत को छोड़ने में ही ज़्यादा मज़ा आया था.
उसने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगते हुए अपना लंड मेरी चूत में डालना शुरू कर दिया. मेरी चूत अभी तक उसके लंड के साइज़ की नहीं हुई थी. मुझे दर्द होने लगा और मैं चिल्लाने लगी. लेकिन वो रुका नहीं, अपना लंड मेरी चूत में घुसता रहा. पूरा लंड घुसा देने के बाद उसने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मुझे इस बार ज़्यादा मज़ा आ रहा था.
5 मीं की चुदाई के बाद मैं झाड़ गयी. वो मेरी कमर को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगता रहा. मैं भी आगे पिच्चे होते हुए उसका साथ देने लगी. 10 मीं और चुड़वाने के बाद मैं फिर से झाड़ गयी. उसकी स्पीड और तेज़ हो चुकी थी. मेरी चूत छाप छाप कर रही थी. मेरी चूत ने उसके लंड को ज़ोर से जाकड़ रखा था. 10 मीं और बीते थे की मैं फिर से झाड़ गयी. लेकिन उसने अभी भी मेरी चुदाई जारी रखी थी. वो मुझे एक दम आँधी की तरह चोद रहा था. 5 मीं और बीते तो उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरी गांद में घुसने लगा. मुझे तो पहले थोड़ा सा दर्द हुआ लेकिन फिर बहुत मज़ा आने लगा. वो बहुत तेज़ी से मेरी गांद मार रहा था.
लगभग 10 मीं मेरी गांद मरने के बाद उसने अपना लंड फिर से मेरी चूत में दाल दिया और इस बार बहुत ही ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा. मैने ऐसा मज़ा कभी नही पाया था. इस मज़े के लिए ही मैं तड़प रही थी. आज मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी. मैं जानती थी की मुझे अब ये मज़ा बहुत दीनो तक मिलने वाला है. उसे अब तक मुझे छोड़ते हुए 10 मीं और बीट चुके थे. मैं फिर से झाड़ गयी. वो बोला, तुम्हारी चूत से काई बार पानी निकल चुका है, अभी और कितनी बार निकलेगा. मैने कहा, जब तक तुम मुझे छोड़ते रहोगे तब तक काई बार निकलेगा. वो बोला, अभी तो मुझे नही लग रहा है की मेरा पानी निकालने वाला है. मैने कहा, जब तक तुम्हारा पानी नही निकलता तब तक तुम छोड़ते रहो.
अब तक मुझे चुड़वते हुए लगभग 50 मीं हो चुके थे. वो था की छोड़ता जा रहा था. मेरी चूत भी इतना लंबा और मोटा लंड अंदर लेते लेते कुच्छ सूज चुकी थी. मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था. 10 मीं और बीते तो वो बोला, अब लगता है की मेरा पानी निकालने वॉल है. इतना कह कर वो और ज़्यादा ताक़त के साथ धक्के लगाने लगा. उसके इस धक्के से मेरे बदन के सारे जोड़ हिलने लगे थे. 5 मीं बाद वो झाड़ गया और मैं भी फिर से उसके साथ ही साथ झाड़ गयी. इस बार उसके लंड से ढेर सारा पानी निकला. उसने जब अपना लंड बाहर निकाला तो मैने उसका लंड छत छत कर सॉफ कर दिया. वो बोला, इस बार मुझे जो मज़ा आया ऐसा मज़ा मुझे पिच्छली बार नहीं मिला.
मैने दीपक के हॉस्पिटल से वापस आने तक उस से जी भर कर चुडवाया. उसने मुझे खूब मज़ा दिया और उसे भी खूब मज़ा मिला. अब तक वो चोदने में एक्सपर्ट हो चुका था. उसने मुझे तरह तरह के स्टाइल में पुर घर में हर जगह छोड़ा. मेरी चूत की प्यास एक हद तक शांत हो चुकी थी.

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