Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
06-07-2017, 02:27 PM,
#51
RE: वतन तेरे हम लाडले
कुछ देर में डॉक्टर सिक्सी आ गए उन्होंने राज का घाव देखा और फिर उन्हें इस घाव के ऊपर एक और घाव भी नजर आया जहां राज को चाकू लगा था। यह मामूली घाव था मगर एक चाकू का घाव था, राफिया की नजर नहीं पड़ी थी उस पर, डॉक्टर सिक्सी ने आगे ऊपर तक राज की पेंट को काट दिया और वहाँ भी मरहम पट्टी कर दी, उसके बाद राज को कुछ पैन किलर गोलियाँ दी और संक्रमण से बचने के लिए एंटीबायोटिक गोलियां भी दी और आराम करने की सलाह देकर चला गया जबकि राफिया और राज अब बैठ कर बातें कर रहे थे, राज बेड के साथ टेक लगा कर बैठा था और राफिया अपने और अपने पापा कर्नल इरफ़ान के बारे में राज को बता रही थी। राज ने राफिया के पापा पेशे के बारे में पूछना शुरू किया क्योंकि राज का मूल उद्देश्य तो कर्नल इरफ़ान के प्लान के बारे में पता लगा ना था।

राफिया ने बताया कि मेरे पापा ने दुश्मन देश की खुफिया एजेंसियों की नाक में दम कर रखा है। वह आज तक पापा को पकड़ नहीं सके पापा इंडिया भी जाते हैं, वहां की राज धानी में एक राज नीतिक दल पापा का हमेशा वेलकम करता है और पापा से भारी मदद लेकर अपने ही देश में आतंकवाद की वारदादतें करते हैं। इसके अलावा पापा वहाँ के लोगों को आपस में लड़ाते हैं और सुरक्षा बल कुछ नहीं कर सकते 
न उन्हें कभी पापा के खिलाफ कोई सबूत मिला है और न ही वह कभी इस बात का पता लगा सके हैं कि पापा आख़िर इंडिया क्या करने जाते हैं, वे समझते हैं कि पापा वहाँ इंडियन परमाणु संपत्ति की जानकारी के लिए जाते हैं, लेकिन वे हमारे देश के लिए खतरा नहीं इसलिए हमें उनकी जानकारी भी नहीं मगर पापा का मूल उद्देश्य तो कुछ और ही है उसके बारे में इंडिया आज तक पता नहीं लगा पाया? 

मेजर राज ने हैरानगी दिखाते हुए और राफिया के पापा की क्षमताओं से प्रभावित होते हुए पूछा कि उनका मूल मिशन है क्या ??? तो राफिया ने कहा कि वह तो मुझे भी नहीं पता बस इतना पता है कि इंडिया अपनी परमाणु संपत्ति पापा से बचाने में लगी रहती है मगर पापा वहां जाकर अपना काम कर आराम से वापस आ जाते हैं और उन्हें कानों कान खबर नहीं होती कि आख़िर पापा वहाँ क्या करने वाले थे। फिर राफिया ने मेजर राज को अपने पापा की बहादुरी के कुछ किस्से सुनाए और हर किस्से में मेजर राज प्रभावित होने की एक्टिंग करता रहा और मन में सोचने लगा कि अब ज्यादा देर तक कर्नल इरफ़ान इंडिया की गुप्तचरएजेंसियों की आंखों में धूल नहीं झोंक सकेगा, जल्द भारत की खुफिया एजेंसी इस कर्नल इरफ़ान जैसे चूहे को अपने पांवों तले रौंद देगी जिसे इतना भी नहीं मालूम कि जिस व्यक्ति को वह मुल्तान और जामनगर में देख रहा है वह उसके अपने घर में उसकी इकलौती बेटी के बेड रूम में मौजूद है। 
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मेजर राज के कहने पर समीरा ने राफिया के पास जा कर उसे हल्का सा कंधा मारा तो उसके हाथ में मौजूद जाम और व्हिस्की राफिया के कपड़ों पर गिर गया, राफिया ने गुस्से से धक्का देने वाले को देखा मगर उसकी नज़र समीरा पर पड़ी तो उसका गुस्सा ठंडा हो गया क्योंकि वह अभी कुछ ही देर पहले समीरा का धमाकेदार डांस देख कर उसे दाद दे चुकी थी, समीरा ने भी क्षमा माँगने सी शक्ल बना ली, राफिया के साथ मौजूद अराज ने राफिया के प्रति वफादारी का सबूत देने को समीरा को डांटा शुरू किया तो राफिया ने रोक दिया और ओके ठीक है कहती हुई अराज का हाथ पकड़ कर बाहर आ गई। 

समीरा अभी नाइट क्लब में ही मौजूद थी और सुभाष शौचालय में अपने कपड़ों पर गिरी व्हिस्की साफ करने के लिए गया हुआ था, समीरा को अभी फैसला करना मुश्किल हो रहा था कि वह यहीं रहकर सुभाष का इंतजार करे या फिर उसे बाहर निकलकर राफिया के अपहरण की कोशिश और मेजर राज का उसको बचाने के लिए मैदान में कूदने का लाइव दृश्य देखना चाहिए। अंततः समीरा ने सोचा कि आज मेजर राज को एक्शन में देखना चाहिए और वह सुभाष का इंतजार किए बिना ही नाइट क्लब से निकल गई। नाइट क्लब से निकलते ही समीरा को उसकी गाड़ी सामने ही मिल गई और एक वेले ने अपने दांत चमकाते हुए समीरा की गाड़ी की चाबी बढ़ाई, समीरा ने वेले को पर्स से कुछ पैसे निकालकर टिप के रूप में दिए और कार ड्राइव करती हुई भीड़ से थोड़ा दूर ले जाकर पार्क कर दिया, यहां से वह स्पष्ट रूप से देख सकती थी कि राफिया को कुछ गुंडों पकड़ रखा है और वहाँ मौजूद भीड़ में से किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह आगे बढ़कर एक लड़की की मदद कर सके। समीरा को मेजर राज भी कहीं नज़र नहीं आ रहा था। वह सोचने लगी कि पता नहीं राज ने उसे सच बोला था या वे वास्तव में राफिया का अपहरण करवाना चाहता है। 

लेकिन फिर उसकी ये कन्फ्यूजन दूर हो गई जब भीड़ के बीच से मेजर राज आता दिखाई दिया जो गुंडों को कह रहा था कि लड़की को छोड़ दो इस बेचारी का क्या दोष है। और फिर देखते ही देखते मेजर राज ने कैसे उन चार गुंडों पर हमला किया और बिना किसी हथियार के उन चार गुण्डों से राफिया को छुड़ा कर ले गया, यह सब कुछ समीरा के लिए अद्भुत नज़ारा था। इससे पहले उसने अमजद और दूसरे साथियों को लड़ते देखा था मगर इतनी फुर्ती और कौशल किसी में नहीं थी, सबसे ज़्यादा जिस बात ने समीरा को प्रभावित किया वह मेजर का अपने ऊपर नियंत्रण था, उसने तब तक कोई हमला नहीं किया जब तक उस गुंडे ने राफिया के गले से अपना खंजर नहीं हटा लिया, तो इससे पहले मेजर राज किसी भी प्रकार का एक्शन लेता तो गंभीर खतरा था कि राफिया को नुकसान पहुंचता मेजर राज के ध्यान और धैर्य की वजह से ऐसा नहीं हुआ, उसने सही मौके का इंतजार किया और मौका मिलते ही बिजली की सी तेजी से चारों गुण्डों को बेबस कर दिया। इस दौरान समीरा ने देखा कि मेजर राज के पैर में चाकू भी लगा है, यह दृश्य देखकर समीरा को अपना दिल डूबता हुआ महसूस होने लगा, वह चाहती थी कि किसी तरह भागकर मेजर के पास जाए और उसकी मरहम पट्टी कर उसकी सेवा करे मगर ऐसे मौके पर उसको अपने ऊपर नियंत्रण रखना था वरना मेजर और राफिया के साथ साथ खुद समीरा भी मुश्किल में फंस सकती थी। 

जब मेजर राफिया की कार में राफिया को वहां से ले गया तो वहां मौजूद लोगों की शक्ति भी जागने लगी और उन्होंने उन गुंडों पर थपड़ों और लातों की बारिश कर दी, हर किसी ने इस काम में अपना योगदान दिया और गुंडों को बुरा भला कहते हुए और मेजर राज जो उनके लिए अनजान था उसकी बहादुरी और साहस मंदी की सराहना करते हुए वहां से खिसकने लगे। चारों गुंडे अपनी अपनी जगह मौजूद कराह रहे थे उनमें उठने की भी हिम्मत नहीं थी समीरा ने भी कार को गियर में डाल दिया और तेजी के साथ वहां से निकल गई जबकि सुभाष समीरा को नाइट क्लब में ढूंढने के बाद बाहर आ चुका था वह इतनी सेक्सी और चिकनी लड़की हाथ से नहीं जाने देना चाहता था उसका इरादा था कि वह आज रात अंजलि के मस्त शरीर के साथ खेलते हुए बिताए मगर यह चिड़िया उसके हाथ से निकल गई, उसने बस समीरा को कार में बैठे वहां से निकलते हुए देखा एक पल के लिए सोचा था कि वह समीरा के पीछे जाए मगर जितनी देर में उसको वहां से कार निकालने में लगती तब तक समीरा बहुत दूर निकल चुकी होती, इसलिए सुभाष ने इस कार्यक्रम को कैंसिल किया और अपना सा मुंह बनाकर वापस अपने घर की ओर चल दिया। 

अमजद और काशफ गैस पंप से निकलने के बाद सीधे जामनगर शहर में प्रवेश कर गए। इस दौरान अमजद ने फिर से अपना हुलिया बदल लिया था, पगड़ी उतार कर उसने रास्ते में आने वाले एक गंदे नाले में फेंक दी थी और अपने बालों में फिर से कंघी कर लिया था जबकि काशफ का भी हुलिया ठीक कर दिया गया था ताकि कोई उसे मेजर राज समझ कर पकड़ ही न ले। शहर में प्रवेश करने के बाद अमजद का रुख एक थाने की ओर था, यह एक छोटा सा थाना था जहां आम तौर पर ज़्यादा पुलिस मौजूद नहीं होती थी। अमजद का इरादा अब यहां हमला करने का था, थाने से कोई 2 किलोमीटर पहले अमजद एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोक कर खड़ा हो गया और किसी को फोन पर अपनी लोकेशन के बारे में बताने लगा। काफी देर के इंतजार के बाद वहाँ अमजद एक वैन आती दिखाई दी। जब वैन करीब आ गई तब अमजद गाड़ी से उतर कर वैन की तरफ चलने लगा, वैन से भी 2 आदमी उतरे, उन्होंने अमजद को सलाम किया और अमजद से कार की चाबी लेकर अमजद की कार में बैठ गए जबकि काशफ और अमजद अब वैन में बैठे थे जिसमें पीछे 2 लोग और भी थे, अमजद और काशफ को इन दोनों ने सलाम किया और अमजद कार ड्राइव करते हुए थाने की ओर बढ़ने लगा। 

थाने से 500 मीटर पहले पुलिस चेक पोस्ट पर अमजद को रुकने का इशारा किया गया जहां पाकिस्तानी पुलिस के 2 जवान मौजूद थे। गाड़ी रुकवा कर उनमें से एक जवान गाड़ी की ओर आने लगा तो अमजद अपनी ड्राइविंग सीट से नीचे उतर आया और आने वाले जवान से हाथ मिलाकर खिसियानी हंसी हंसते हुए पंजाबी में बोलने लगा कि साहब मेरे पास लाइसेंस नहीं है कुछ ले दे कर मामला रफा-दफा करो। वैसे तो पुलिस मैन गाड़ी की जाँच करने आया था मगर अमजद ने उस पर ऐसा ज़बरदस्त वार किया कि वह गाड़ी की जाँच करना भूल गया और अमजद को लाइसेंस के महत्व पर व्याख्यान देने लग गया। अमजद भी शर्मिंदा सा मुंह बनाकर हां हां करता रहा, वह भी जानता था कि यह व्याख्यान तो बहाना है वास्तव में संतरी साहब को पता लग गया कि उनके पास लाइसेंस नहीं है तो अब वह पैसे कमाने के चक्कर में है। 

अमजद ने भी व्याख्यान के दौरान ही उसकी बात काटी और जेब में हाथ डाल कर 100 का नोट निकाला और पुलिस वाले के हाथ मे थमाते हुए बोला साब आगे से ध्यान रखूँगा जी बस अब जरा जल्दी में हैं ध्यान करें। पुलिस वाले ने 100 का नोट देखा और अमजद को गाली देते हुए बोला एक तो तेरे पास लाइसेंस नहीं है ऊपर से हमें 100 मे टरका रहा है, हमारे भी बाल बच्चे हैं हमे भी उनको पालना है चल जल्दी से जेब ढीली कर, वैसे तो 1000 का चालान होता 500 दे और चलता बन इधर से। अमजद ने जेब से 100 के दो नोट और निकाले और उसे देते हुए बोला कि पूरा दिन कोई सवारी नहीं मिली बस यही कुछ है गुज़रा कर लो। पुलिस वाले ने 100, 100 के तीन नोट जेब में डाले और अमजद को खिसकने का इशारा किया, अमजद ने तुरंत गाड़ी चलाई और थाने की ओर चल दिया जबकि दूसरा पुलिसकर्मी दौड़कर अपने साथी के पास गया और रिश्वत के पैसे में से अपना हिस्सा लेकर अगले शिकार का इंतजार करने लगा। 

थाने के पास पहुंचकर उसके गेट पर अमजद ने फिर रुकने का इशारा किया, लेकिन इस बार वैन का शीशा खुला और उसमें से एक एके -47 निकली और सामने मौजूद पुलिसवालों पर तड़ तड़ की आवाज के साथ गोलियों की बौछार हो गई । अमजद सामने मौजूद बाधाओं की परवाह किए बिना गाड़ी को थाने के अंदर ले गया जहां मौजूद एक थानेदार और 2 सिपाही इस हमले से अनजान खुश गप्पियो में व्यस्त थे। अमजद और उसके साथियों ने उन पर भी गोलियों की वर्षा कर दी, कुछ ही पल बाद पुलिसकर्मियों के शव थाने की सीमा में खून से लथपथ पड़े थे अमजद ने तुरंत नियंत्रण कक्ष से चाबी ली और वहां मौजूद एक लॉकर से अपने कुछ साथियों को छुड़ाकर वेन में बिठाया और तुरंत गाड़ी रिवर्स करते हुए थाने से निकले और दूसरी ओर चल दिए जहां चेक पोस्ट पर मौजूद पुलिसकर्मी गोलियों की आवाज सुनकर अपनी बंदूक उठाए थाने से दूर भाग रहा था वह जान गया था कि थाने पर हमला हुआ है ऐसे में बहादुरी का सबूत देने की बजाय वह होशियार किया और चेक पोस्ट छोड़कर वहाँ से दूर भागने लगा। अमजद भागते पुलिसकर्मी को देखकर मुस्कुराया और कार को स्पीड से चलाता हुआ शहर से बाहर जाने लगा। 

शहर से बाहर निकलते हुए अमजद को आर्मी के वाहनों का एक छोटा काफिला शहर में प्रवेश होता हुआ नजर आया, अमजद समझ गया था कि मेजर राज के जामनगर में मौजूद होने की जानकारी कर्नल इरफ़ान तक पहुँच चुकी है और अब वह अपने लाओ लश्कर के साथ जामनगर पहुंच गया है, जहां वो वास्तव में उसी गैस स्टेशन पर भी गया होगा जहां जामनगर में प्रवेश करने से पहले अमजद और काशफ रुके थे और दुकानदार को अपना दर्शन करवाया था ताकि मेजर राज के जामनगर में मौजूद होने की झूठी खबर सच्ची खबर बनकर कर्नल इरफ़ान तक पहुंचे। अमजद का यह प्लान सफल हो गया था और अब किसी के भ्रम व गुमान में भी नहीं था कि मेजर राज वास्तव में लाहौर में कर्नल के घर मौजूद है। अमजद ने थाने पर हमला करने का प्लान बहुत सोच समझकर बनाया था, यहां की पुलिस के बारे में अमजद के पास प्रमाणित सूचना थी कि यह अपने क्षेत्र में रहने वाले हिंदुओं पर अत्याचार करते हैं और कई निर्दोष हिंदुओं को थाने में बंद कर रखा है जबकि महिलाओं के साथ भी बलात्कार की घटनाओं का सिलसिला आम था, इसके अलावा यहां का थानेदार किसी जमाने में पाकअधिकृत कश्मीर में भी तैनात रहा था जहां उसने कई कश्मीरी नागरिकों को हिन्दुस्तान के साथ अच्छे संबंध रखने के आरोप में सख्त दंड दिए थे और उनके पूरे परिवार को मौत की नींद सुला दिया था। 

यही वजह थी कि उचित मौका देखकर अमजद ने एक तीर से दो शिकार किए थे, उसने अपने पाकअधिकृत कश्मीरी भाइयों पर अत्याचार करने वाले दरिंदे का भी सफाया कर दिया था और कर्नल इरफ़ान का ध्यान भी बंटा दिया था जो अब जामनगर में मेजर राज को ढूंढने के लिए फिर से मुल्तान से जामनगर पहुंच चुका था। शहर से कुछ दूर निकल कर अमजद को फिर से अपनी वही होंडा सिटी दिखी जो उसने थाने पर हमला करने से पहले छोड़ी थी। अमजद ने उसके पास जाकर अपनी गाड़ी रोकी और फिर से सवारियां परिवर्तित हुई और अब अमजद और काशफ अपनी कार में बैठ कर फिर से जामनगर जा रहे थे। 

रात के 2 बजे अमजद और काशफ उसी डांस क्लब में मौजूद थे जहां कल रात समीरा ने अपने हुस्न का जलवा दिखाया था और कप्तान फ़ैयाज़ इस जलवे के हाथों लुट गया था। अमजद के पास कोई और ठिकाना नहीं था उसका पुराना ठिकाना नष्ट हो चुका था और वहाँ जाना खतरे से खाली नहीं था, जबकि अपने दूसरे साथियों के पास जाना भी उन्हें खतरे में डालने के बराबर था क्योंकि अगर ये दोनों एक और साथी के साथ पकड़े जाते तो वह भी बिना कारण फंस सकते थे, इसीलिए अमजद ने इसी डांस क्लब का रुख किया यहाँ का प्रबंधक उससे परिचित था मगर वह अमजद को सिर्फ एक तमाशबीन की हैसियत से ही जानता था जो कि समीरा के साथ कभी कभी डांस क्लब का रुख करता था। 

अमजद काशफ को साथ लिए इसी डांस क्लब में चला गया और प्रबंधक से मिलने के बाद डांस हॉल में जूली का गरम डांस देखने के बाद दोनों ही प्रबंधक के दिए गए एक कमरे में जाकर सो गए। 2, 3 दिन की थकान और दिमागी तनाव की वजह से दोनों को जल्द ही नींद आ गई और उनकी अगले दिन ही आंख खुली। 

जब कि कैप्टन फ़ैयाज़ की उड़ान अगली रात थी मगर सुबह होते ही उसे कर्नल इरफ़ान का फोन आया, कर्नल ने पहले तो कैप्टन से पूछा कि उसका नंबर क्यों बंद किया जा रहा है जो कप्तान फ़ैयाज़ ने बड़ी बेशर्मी से फोन खराब होने का बहाना बना दिया, उसके तुरंत बाद कर्नल इरफ़ान ने कैप्टन फ़ैयाज़ को कल रात होने वाली घटना के बारे में इत्तला दी और केप्टन फ़ैयाज़ को कहा कि वह जल्दी से कर्नल के घर जाकर उसकी बेटी की खैरियत जाने और कर्नल इरफ़ान को रिपोर्ट करे। कर्नल ने कैप्टन को राफिया के अपहरण की कोशिश और फिर किसी अनजान व्यक्ति का उसको बचाकर घर पहुंचाने का पूरा हाल सुना दिया था। कर्नल इरफ़ान के अनुसार कैप्टन इस समय लाहौर में ही मौजूद था क्योंकि एक दिन पहले सुबह के समय उसकी लाहोर वापसी थी मगर उस फ्लाइट में कैप्टन की बजाय मेजर राज और समीरा गए थे और कप्तान फ़ैयाज़ डांस क्लब में बेहोश पड़ा था।कर्नल इरफ़ान को फोन पर कैप्टन ने बजाय उसे यह बताने के कि वो अभी जामनगर में ही है उसने तुरंत कह दिया कि उसके यहाँ मेहमान आये हैं वह कुछ ही देर में उन्हें खाना खिलाकर राफिया की खैरियत पता कर लेगा
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06-07-2017, 02:27 PM,
#52
RE: वतन तेरे हम लाडले
फोन बंद करने के बाद कैप्टन फ़ैयाज़ ने तत्काल अपनी पत्नी को तैयार होने के लिए कहा और कुछ ही देर बाद एक निजी जेट से वह लाहोर की ओर जा रहा था। लाहोर पहुंचते ही सबसे पहले वो कर्नल इरफ़ान के घर गया और वहां जाकर गार्ड से राफिया के बारे में पूछा तो गार्ड ने इंटर काम पर राफिया से बात की और फ़ैयाज़ के आने की सूचना दी। राफिया ने गार्ड से कहा कि फ़ैयाज़ को गेस्ट रूम में बिठाए वह वहीं आती है। गार्ड ने राफिया की बात सुनकर कैप्टन फ़ैयाज़ को गेस्ट रूम में बिठा दिया जहां कैप्टन फ़ैयाज़ राफिया का इंतजार करने लगा। वह राफिया को देखने के लिए बेताब था, शादीशुदा होने के बावजूद कैप्टन फ़ैयाज़ राफिया को पसंद करता था उसकी उभरती जवानी का हुश्न हमेशा उसकी पेंट में मौजूद लंड को खड़ा होने पर मजबूर कर देता था मगर कर्नल की बेटी होने के कारण उसने कभी राफिया पर लाइन मारने की कोशिश नहीं की थी। 

मात्र 3 मिनट के इंतजार के बाद कमरे का दरवाजा खुला और राफिया अपने स्लीपिंग ड्रेस में कमरे में आ गई, काले और लाल रंग का ढीला ढाला वायर्ड स्लीपिंग गाऊन राफिया के शरीर के उभारों को काफी स्पष्ट कर रहा था, राफिया के अंदर आते ही कैप्टन फ़ैयाज़ अपनी जगह से खड़ा हो गया और राफिया को सलाम किया। राफिया ने भी फ़ैयाज़ को सलाम किया और फ़ैयाज़ के सामने वाले सोफे पर बैठ गई। राफिया के बैठते ही फ़ैयाज़ ने राफिया से रात वाली घटना के बारे में पता किया और परेशानी जताते हुए राफिया की खैरियत की पूछी . राफिया ने एक लंबी जम्हाइ ली, उसकी आँखों में अब तक नींद का खुमार था। फ़ैयाज़ के सवाल पर राफिया ने बताया कि ऐसा कोई विशेष घटित नहीं हुआ था कुछ अनाड़ी लोगों द्वारा यह हरकत की गई थी मगर वहां मौजूद एक युवक ने सही समय पर हस्तक्षेप करके उन गुंडों को ढेर कर दिया और राफिया को बचाकर सुरक्षित बच घर पहुंचा दिया। 

फ़ैयाज़ ने अधिक कुछ कुरेदने के लिए राफिया से सवाल पूछना शुरू किया तो राफिया ने बेज़ारी का प्रदर्शन करते हुए यह कहा कि छोड़ो आप इन बातों को और बताओ आपका यहाँ कैसे आना हुआ? फ़ैयाज़ ने बताया कि उसको राफिया के पापा ने भेजा है ताकि वह राफिया की खैरियत पता कर सके और इस युवक से भी मिल सके जिसने राफिया को गुंडों से बचाया है। उसकी बात सुनकर राफिया ने कहा इमरान तो अभी सो रहा है, काफी घायल हो गया था सारी रात दर्द से कराहता रहा अभी कुछ देर पहले ही उसकी आंख लगी है अभी उसे सोने दो शाम में आकर मिल लेना, और यह बताओ पापा कैसे हैं? उनको अभी तक वह इंडियन एजेंट मिला या नहीं? इस पर कैप्टन फ़ैयाज़ ने कहा चलें जैसे आपकी मर्ज़ी मैं शाम में आकर उससे मिल लूँगा, और कर्नल साहब बिल्कुल ठीक हैं। उम्मीद है जल्द ही उस एजेंट की गर्दन आपके पापा के हाथ में होगी। अब राफिया अपनी जगह से खड़ी हुई और बोली चलो ठीक है मैं चलती हूँ मुझे भी अभी बहुत नींद आ रही है, नौकर को कहती हूँ वह आपकी सेवा के लिए कुछ खाने पीने की व्यवस्था कर देगा। इस पर कैप्टन फ़ैयाज़ भी अपनी जगह से खड़ा हो गया और बोला नहीं उसकी जरूरत नहीं भी चलता हूँ, कर्नल साहब ने मेरे ज़िम्मे कुछ जरूरी काम लगाए हैं वो करने हैं। फिर शाम को चक्कर लगाउन्गा उसके बाद कैप्टन ने राफिया को अपना ध्यान रखने को कहा और वहां से चला गया।


बाहर निकल कर कैप्टन तुरंत अपने कार्यालय गया और वहाँ जाते ही सबसे पहले अपने खोये हुए फोन का पता लगाने की कोशिश की। कुछ ही देर के प्रयास के बाद कैप्टन को अपने फोन की वर्तमान लोकेशन और उसमें इस्तेमाल होने वाली सिम के बारे में जानकारी मिल गई। और फिर उस सिम के माध्यम से यह भी मालूम हो गया कि इस समय वह मोबाइल कहां इस्तेमाल हो रहा है। कैप्टन ने तुरंत अपने 2 विश्वसनीय लोगों वांछित पते पर भिजवा दिया और उनको सिम मालिक की जानकारी देकर कहा कि इस आदमी को जल्दी उठा लाओ। कैप्टन के आदेश पर उसके 2 सैनिक जवान त्वरित इच्छित स्थान पर रवाना हो गए जबकि कैप्टन इन नंबरों के बारे में जानकारी एकत्रित करने लगा। अपने मोबाइल के गुम होने के बाद अब तक इसमें 2 अलग नंबर इस्तेमाल किए गए थे। और ये दोनों नंबर लाहोर के ही थे। और उसका मोबाइल भी लाहोर में ही मौजूद था। 

इससे कैप्टन को इतना तो यकीन हो ही गया था कि उसने मेजर राज को सही पहचाना है एयरपोर्ट पर उसके हुलिए में जाने वाला व्यक्ति कोई और नहीं मेजर राज ही था और उसके साथ वह लड़की समीरा ही थी जो उसको डांस क्लब में मिली थी। अब कैप्टन ने पिछली सुबह के समय मोबाइल में इस्तेमाल होने वाली सिम की जानकारी भी निकाल ली और इस सिम के मालिक को भी उठाने के लिए अपनी एक टीम रवाना कर दी। मोबाइल में फिलहाल मौजूद सिम से कोई कॉल नहीं की गई थी जबकि इससे पहले वाली सिम से कुछ कॉल की गई थीं। कैप्टन ने कॉल को ट्रेस करना शुरू किया तो यह सब नंबर लाहोर के अंडरवर्ल्ड गैंग के थे। बेशक इन्हीं में से कोई गिरोह होगा जिसके माध्यम से मेजर राज ने कर्नल इरफ़ान की बेटी का अपहरण करने की कोशिश की होगी। कैप्टन ने सभी कॉल्स का रिकॉर्ड चेक किया तो जिस समय राफिया का अपहरण किया गया इससे कुछ देर पहले एक विशिष्ट नंबर से कॉल प्राप्त भी हुई थीं इस नंबर पर और कॉल भी गई थी। कैप्टन ने इन नंबरों को भी ट्रेस कर लिया और तुरंत अपने 10 सैन्य जवानों की टीम को सीआईडी के साथ इस अंडरवर्ल्ड गैंग के बड़े नामों को गिरफ्तार करने के लिए भिजवा दिया। 

इस काम खत्म हुआ तो केप्टन के भेजे हुए पहले दो आदमी एक युवा को पकड़ कर ला चुके थे। यह एक 18 साला युवा था रूप से किसी गरीब आबादी में रहने वाला गरीब व्यक्ति मालूम होता था। यह आकार से किसी भी तरह कोई बड़ा अपराधी या इंडियन एजेंट नहीं लगता था। कैप्टन ने उस लड़के से उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम नौशाद बताया। उसकी आवाज कांप रही थी और वह नाम बताते ही कैप्टन के कदमों में गिर कर माफी मांगने लगा और कहने लगा साहब मैंने कुछ नहीं किया मुझे तो यह मोबाइल सड़क पर पड़ा मिला था मैंने उठाया मैंने चोरी नहीं किया। कैप्टन ने लड़के को कॉलर से पकड़ कर खड़ा किया और अपना आधा किलो का हाथ उसके मुंह पर जड़ दिया। कैप्टन के एक ही थप्पड़ से वह दुबला-पतला लड़का घूमता हुआ दूर जा गिरा और उसके मुंह से खून निकलने लगा। शायद उसके कुछ दांत टूट गए थे। कैप्टन ने फिर उसको खड़ा किया और गाली देते हुए बोला बोल साले कहाँ से मिला तुझे यह मोबाइल ... इस बार लड़के की आवाज में पहले से अधिक भय और कपकपाहट थी उसने बताया कि वह लाहोर की एक कच्ची बस्ती का निवासी है और सुबह सड़कों से कूड़ा उठाने का काम करता है। आज भी जब सुबह 5 बजे वह एक सड़क से कूड़ा एकत्रित कर रहा था तो सड़क की एक साइड पर उसे यह मोबाइल मिला। उसने मोबाइल उठाकर जेब में डाल लिया। कुछ देर बाद उस पर कॉल आने लग गई तो उसने वह सिम निकालकर फेंक दिया और अपनी सिम में डाल ली। 

कर्नल ने उस लड़के को एक और झापड़ रसीद किया और बोला और भी बता तुझे क्या मालूम है उन गुण्डों के बारे में जिन्होंने कर्नल साहब की बेटी का अपहरण करने की कोशिश की थी ??? अब वह लड़का गिड़गिड़ाने लगा और केप्टन के कदमों में गिर कर माँफी मांगने लगा, उसकी ज़ुबान पर एक ही बात थी साहिब में कुछ नहीं जानता, मैंने किसी कर्नल साहब की बेटी का अपहरण करने की कोशिश नहीं की न ही मेरा संबंध गुण्डों से है मैं तो एक गरीब व्यक्ति हूँ मेहनत मजदूरी करके और सड़कों से कूड़ा उठाकर अपना गुजर-बसर करता हूँ। मैं कुछ नहीं किया साहब। मैं कुछ नहीं जानता। । । । 

कैप्टन को विश्वास हो गया था कि यह लड़का निर्दोष है। और उसकी बताई गई जगह बिल्कुल लीबिया नाइट क्लब के सामने वाली जगह थी जहां कल रात राफिया का अपहरण करने की कोशिश की गई थी। इसका मतलब था कि अगर यह मोबाइल राज के पास था तो वह भी राफिया का अपहरण करने की कोशिश में शामिल था और तभी उसकी जेब से यह मोबाइल सड़क पर गिर गया होगा, और एक भले आदमी के हस्तक्षेप के कारण उसको वहां से भागना पड़ा। कैप्टन ने इस लड़के को दो चार गालियां और सुनाई और अपने जवानों से कहा कि उसे तब तक कैद मे रखो जब तक हमें मेजर राज का कोई सुराग नहीं मिल जाता। दोनों सैनिक उस लड़के को घसीटते हुए ले गए और वह गिडगिडाता रहा माँफी मांगता रहा मगर कैप्टन ने उसकी एक न सुनी। 

उसके जाने के बाद कैप्टन ने ठंडे पानी के 2 गिलास पिये ताकि उसका गुस्सा कुछ कम हो सके मगर कुछ ही देर में दूसरी टीम उस व्यक्ति को पकड़ लाई जिसकी सिम पिछली सुबह मोबाइल में इस्तेमाल हुई और जिसके माध्यम से गुण्डों से संपर्क भी किया गया था। जैसे ही कैप्टन फ़ैयाज़ की नज़र उस पर पड़ी वह अपने आपे से बाहर हो गया और उसने तुरंत उस पर लातों और घूँसों बारिश कर दी। कैप्टन फ़ैयाज़ वास्तव में समीरा का गुस्सा उस पर निकाल रहा था। वह व्यक्ति चिल्लाता रहा और माफी मांगता रहा मगर कैप्टन फ़ैयाज़ को बिल्कुल भी तरस नहीं आया। जब उसकी खूब दुर्गति हो चुकी और कप्तान फ़ैयाज़ भी मार मार कर निढाल हो गया तो वह अपनी कुर्सी पर वापस जा कर बैठ गया। आने वाला व्यक्ति अब नीम बेहोशी की हालत में था, इसलिए मार खाकर उसमे बात करने की और हिलने ताक़त नहीं बची थी बस वह हौले हौले सांस ले रहा था। कैप्टन ने एक सेना के जवान को कहा कि इसको पानी पिलाओ जल्दी ताकि यह मेरे सवालों का जवाब दे सके। कैप्टन के आदेश का तत्काल अनुपालन हुआ और उसे पानी पिलाया गया। कोई 10 मिनट बाद उस व्यक्ति की हालत कुछ बेहतर हुई तो कैप्टन ने पूछा कि बताओ कौन हो तुम और मेजर राज को कैसे जानते हो? इस पर उस व्यक्ति ने अपना नाम और पता बताया और कहा कि वह किसी मेजर राज को नहीं जानता, यह नाम वो पहली बार सुन रहा है। 

फिर कैप्टन ने पूछा कि मेरा मोबाइल तुम्हारे पास कैसे आया? इस पर उस व्यक्ति ने बताया कि उसके पास कोई मोबाइल नहीं वह तो केवल अपना ही एक सस्ता सा मोबाइल इस्तेमाल करता है इस मोबाइल के अलावा और कोई मोबाइल उसके पास नहीं। कैप्टन ने एक दो थप्पड़ और रसीद किए और बोला कि जो पूछ रहा हूँ सच सच बता वरना तेरी बोटी बोटी नोच कर कुत्तों के आगे फेंक दूंगा। इस पर उस व्यक्ति ने हाथ जोड़कर और रोते हुए कैप्टन फ़ैयाज़ को बताया कि साहब मैं अल्लाह की कसम खाकर कहता हूँ मैं किसी मेजर राज को नहीं जानता और न ही आपका कोई मोबाइल मेरे पास है। इससे पहले कि उस व्यक्ति की बात पूरी होती 2 थप्पड़ और उसके चेहरे पर अपनी छाप छोड़ गए। अब की बार कैप्टन फ़ैयाज़ ने दहाड़ते हुए उसे उसका मोबाइल नंबर बताया और साथ यह भी बताया कि तुम्हारे इस नंबर से एक आतंकवादी ने किराए के गुंडों के माध्यम से हमारे कर्नल साहब की बेटी का अपहरण करने की कोशिश की है जिसको हम नाकाम कर चुके हैं मगर वह आतंकवादी हमारे हाथ से निकल गया, उसके साथियों के माध्यम से उसको ढूंढ लेंगे, अब जल्दी बोलो कैसे जानते हो तुम मेजर राज को और वह कहाँ मिलेगा। 

कैप्टन की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कुछ गहरे सांस लिए और बोला साहब मैं आपको पूरी बात बताता हूँ, मुझे थोड़ा पानी पिला दें पहले। उसकी यह बात सुनकर कैप्टन फ़ैयाज़ ने उसके मुंह पर थूक दिया और बोला चल पी ले यह पानी .... वह व्यक्ति अपना सा मुंह लेकर जमीन की ओर देखने लगा, उसके भ्रम व गुमान में भी नहीं था कि इतनी छोटी सी गलती की वजह से उसको इतनी ज़िल्लत उठानी पड़ेगी . अब कैप्टन ने एक सैनिक को इशारा किया और उसने पानी का एक गिलास व्यक्ति के सामने रख दिया। उसने पानी देखा और एक एक घूंट करके पीने लगा। वह अपना सांस बहाल कर रहा था ताकि कैप्टन को सब कुछ बता कर इस मुसीबत और ज़िल्लत से निजात मिल सके। पानी पीने के बाद उसने कैप्टन को बताया कि साहब यह नंबर मेरा ही है। मगर मैंने कल सुबह अपना यह नंबर एक भले व्यक्ति को बेच दिया था। कल सुबह बस स्टॉप पर बस के इंतजार में खड़ा था तो मेरे पास एक टैक्सी आकर रुकी। और एक व्यक्ति नीचे उतरा और मेरी तरफ आया उसने बताया कि वह बाहर के देश से अभी पाकिस्तान पहुंचा है तो उसको एक फोन करना है। उसके पास एक अच्छा सा मोबाइल था मगर सिम नहीं थी तो उसने मेरे मोबाइल से कॉल करी थी। फ़िर उसने कॉल करने के बाद मुझसे मेरी सिम मांगी तो मैंने मना कर दिया, उसने कहा कि वह मुझे 1000 रुपये देगा। मगर मैंने फ़िर भी सिम नहीं दी उसे। फ़िर उसने मुझे 1500 का और फ़िर 2000 को कहा। मैंने सोचा कि बेचारा मजबूर है उसको जल्दी सिम चाहिए और मेरी भी बेटी की तबीयत खराब थी उसके इलाज के लिए कुछ पैसे चाहिए थे तो मैंने सोचा दोनों का फायदा है मैंने अपनी वह सिम 2000 में उस व्यक्ति को दे दी। उसके बाद वह व्यक्ति वापस टैक्सी में बैठ कर चला गया।
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06-07-2017, 02:28 PM,
#53
RE: वतन तेरे हम लाडले
उसके बाद उस व्यक्ति ने किस किस को कॉल करी मैं नहीं जानता मैं तो अपनी बेटी को लेकर अस्पताल चला गया था। ताकि उसका इलाज करा सकूं। मेरे को क्या पता था कि मेरी सिम का गलत इस्तेमाल करेगा। उसकी बात पूरी होने पर केप्टन फ़ैयाज़ ने गुर्राते हुए उससे पूछा उस व्यक्ति ने अपना नाम क्या बताया था ??? और जिस टैक्सी में वह गया उसका क्या नंबर था। ?? कैप्टन के सवाल के जवाब में वह फिर से बोला साहब टैक्सी का नंबर तो मुझे नहीं पता मगर उसकी टैक्सी में उसके साथ एक मेम साहब भी मौजूद थीं जो काफी आधुनिक थी और उस साहब ने अपना कोई नाम नहीं बताया था। अब की बार कैप्टन फ़ैयाज़ ने पूछा वह दिखने में कैसा लगता था। कैप्टन का सवाल सुनकर वह व्यक्ति सोच में पड़ गया कि कैसे बताए तो उसने कैप्टन के चेहरे को गौर से देखा और उसकी हैरानी बढ़ती गई। अबकी बार वह हकलाना हुए बोला वो ववववो .... अरे साा ...... साहब ...... वह तो .... एकदम आप ... आप जैसा दिखता था। यह सुनना था कि कैप्टन ने उसको फिर से एक थप्पड़ रसीद किया और बोला साले झूठ बोलता है पागल बनाता है मुझे। 10 मिनट मे तुझे जेल में सजा मिलेगी तो सब कुछ पानी की तरह उगल देगा तू . यह कह कर कैप्टन फ़ैयाज़ ने अपने साथियों को कहा इसे भी उसी कूड़ा उठाने वाले के साथ कैद कर दो और जब तक यह मेजर राज के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं दे इसको छोड़ना नहीं। 

वह व्यक्ति तो चला गया लेकिन कैप्टन फ़ैयाज़ समझ गया था कि यह सच बोल रहा है। क्योंकि उसे याद था एयरपोर्ट वाला वीडियो देखकर एक बार तो कैप्टन फ़ैयाज़ भी अपने आप को एयरपोर्ट पर देख कर हैरान रह गया था। मगर फिर उसे एहसास हुआ कि यह मेजर राज ही हो सकता है जो उसके हुलिए में एयरपोर्ट से लाहोर चला आया था। अब कैप्टन को विश्वास हो गया था कि वह सही दिशा में जा रहा है और जल्द ही उसके हाथ मेजर राज की गर्दन पर होंगे। उस व्यक्ति के जाते ही कैप्टन फ़ैयाज़ ने लाहोर एयरपोर्ट के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज मंगवा ली और विशेष निर्देश दिया कि एयरपोर्ट के बाहर जहां टैक्सी मयस्सर होती है इन सभी कैमरों की वीडियो जल्द से जल्द प्रदान की जाएं। एक घंटे में कैप्टन को वह वीडियो मिल चुकी थी और उस फ़्लाईट के समय के अनुसार कैप्टन ने वह वीडियो देखना शुरू कीं। मात्र 5 मिनट की मेहनत के बाद एक कैमरा वीडियो में कैप्टन को मेजर राज और समीरा दिखे। कैप्टन फ़ैयाज़ एक पल के लिए फिर से अपने आपको देख कर हैरान हुआ मगर फिर उसे तुरंत ही अहसास हो गया कि यह मेजर राज है उसके हुलिए में। 

कैप्टन फ़ैयाज़ ने अपनी आईटी टीम की मदद से वीडियो के इस हिस्से को जिसमें मेजर राज और समीरा टैक्सी में बैठ रहे थे विभिन्न फ्रेम्स बनवाए और फिर एक एक करके उन फ्रेम्स देखने लगा . जल्द ही एक फ्रेम में उन्हें टैक्सी का नंबर मिल गया। टेक्सी नंबर मिलते ही कैप्टन फ़ैयाज़ ने लाहोर पुलिस को निर्देश पहुंचा दिए कि यह टैक्सी जहां भी मिले उसके चालक को गिरफ्तार कर तुरंत सेना मुख्यालय पहुंचा दिया जाए। इतनी देर में सेना की टीम लाहोर के एक छोटे मगर प्रभावशाली गिरोह के कुछ गुण्डों को पकड़ कर केप्टन फ़ैयाज़ के सामने पेश कर चुके थे। इनमें 1 गुंडे घायल थे जबकि बाकी ठीक थे। कैप्टन ने उनसे भी पूछताछ की राज के बारे में, लेकिन उन्हें बस इतना ही पता था कि हमारे मालिक द्वारा आदेश आया था कि लीबॉया नाइट क्लब के बाहर से एक लड़की का अपहरण करना है और उसकी तस्वीर हमें दे दी गई थी उससे अधिक हम कुछ नहीं जानते। घायल गुंडों ने बताया कि वह भी इस अपहरण की कोशिश में थे मगर फिर अचानक भीड़ में से एक व्यक्ति निकला और उसने देखते ही देखते हम पर हमला कर दिया और इस लड़की को बचाकर वहां से निकल गया। इन गुंडों ने आगे यह भी बताया कि उनके साथ 2 लोग और भी थे अपहरण में जिन्हें वो नहीं जानते, बस वह उनके बॉस के पास से ही आए थे, एक व्यक्ति कार की सीट पर ही बैठा रहा, जबकि एक कार के पास खड़ा रहा और हम दोनों ने आगे जाकर लड़की का अपहरण करने की कोशिश की थी। मगर फिर बाद में भीड़ से निकलने वाले व्यक्ति ने हम चारों को घायल कर दिया, वह 2 लोग तो कार में बैठ कर भाग गए मगर हम काफी देर वहीं सड़क पर ही असहाय पड़े रहे फिर खुद ही हिम्मत करके एक रिक्शा रोका और अपने ठिकाने पर पहुंच गए। 

कैप्टन फ़ैयाज़ ने उन गुंडों की भी खूब धुनाई की और उन्हें भी जेल भिजवा दिया। अब कैप्टन फ़ैयाज़ सोच रहा था कि हो न हो अन्य 2 गुंडे जो उनके साथ तो थे मगर यह उन्हें पता नहीं कि उनमे से एक मेजर राज ही हो सकता है। तभी वह अकेला ही अपनी जान बचाकर भागा। और तभी उसकी जेब से वहीं मोबाइल भी गिरा होगा जो सजा वाले के हाथ लग गया। एक पल को कैप्टन फ़ैयाज़ का माथा ठनका और उसने सोचा भला ऐसा कैसे हो सकता है कि एक अकेला निहत्था व्यक्ति 4 गुंडों के चंगुल से एक लड़की को छुड़वा कर इस तरह ले जाए कि लड़की आंच तक न आए और खासकर जब उन चार गुंडो में से एक पेशेवर इंडियन एजेंट हो। ऐसे ट्रेंड एजेंट तो अकेले ही 10 लोगों पर भारी होते हैं मगर यहां एक अकेले व्यक्ति ने 3 गुण्डों और एक इंडियन एजेंट को बुरी तरह बेबस कर दिया और उनके चंगुल से लड़की को छुड़ा कर ले गया। 

कहीं ऐसा तो नहीं कि राफिया को इन गुंडों से छुड़ाने वाला व्यक्ति ही मेजर राज हो ???? यह विचार आते ही कैप्टन फ़ैयाज़ के माथे पर पसीने की बूँदें दिखने लगी इस विचार ने कैप्टन को अंदर तक परेशान कर रखा था। क्योंकि वह राफिया के घर हो आया था और उसने वापस आकर कर्नल इरफ़ान को सूचना दी थी कि राफिया मैम सही हैं और वह लड़का भी बेहतर है। उसने कर्नल को यह भी बता दिया था कि राफिया मैम को उस लड़के से कोई खतरा नहीं वह एक सीधा साधा लड़का है ... अब जब कर्नल को पता लगेगा कि वास्तव में वह लड़का कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि मेजर राज था तो कैप्टन फ़ैयाज़ के साथ कैसा व्यवहार होगा ??? यह सोच कर ही उसकी रूह कांप उठी थी। मगर फिर उसने खुद को तसल्ली दी कि अगर वह मेजर राज होता तो वह यों आराम से राफिया घर सो नहीं रहा होता बल्कि वह राफिया को किसी अज्ञात स्थान पर ले जाकर कर्नल इरफ़ान से सौदेबाजी करता , आतंकवादियों की रिहाई के लिए या अपनी इंडियन एजेंटो की वापसी के लिए कोई डील करता . भला मेजर राज को क्या जरूरत है कि खुद ही राफिया का अपहरण करवाने के लिए कॉल करे और खुद ही उसको छुड़ा कर उसके घर आराम से जाकर सो जाये। यह सोच कर कैप्टन ने खुद को तसल्ली दी मगर दिल में यह इच्छा भी थी कि शाम को वह ज़रूर उसके लड़के से मिलकर अपनी तसल्ली कर लेगा। 

कैप्टन फ़ैयाज़ अभी इन्हीं सोचों में गुम था कि एक सैनिक ने आकर बताया सर वह टैक्सी ड्राइवर पकड़ा गया है उसको अंदर लाऊं क्या ?? यह सुनकर कैप्टन फ़ैयाज़ जल्दी से बिना कोई जवाब दिए बाहर निकल गया, बाहर सामने 2 सैनिकों के साथ एक व्यक्ति खड़ा था जिसकी उम्र लगभग 50 साल होगी और उसके हाथ में हथकड़ी लगी हुई थीं। कैप्टन फ़ैयाज़ ने उसके पास जाते ही अपनी जेब से समीरा और मेजर राज की तस्वीरें निकालीं जो उसने सीसीटीवी फोटज में से निकालकर मोबाइल मे सेव कर ली थीं तस्वीरें दिखाकर केप्टन फ़ैयाज़ ने पूछा, क्या वह इन्हे जानता है? ? टैक्सी ड्राइवर ने कुछ पल के लिए तस्वीरो को ध्यान से देखा और जल्दी बोला जी साहब कल सुबह ही यह मेरी टैक्सी में बैठे थे, मगर फिर उसने कैप्टन फ़ैयाज़ को ध्यान से देखा तो एक पल के लिए वह भी हैरान रह गया, कप्तान उसकी हैरानगी समझ गया और जल्दी से बोला परेशान होने की जरूरत नहीं है, यह एक आतंकवादी है जो मेरे हुलिए शहर में फिर रहा है और आतंकवादी गतिविधियों में व्यस्त है।

क्या आप मुझे बता सकते हैं कि आपने उनको कहां उतारा था ??? टैक्सी वाले ने पूरी बात समझते हुए तुरंत हां में सिर हिलाया और बोला क्यों नहीं साहब, उन लोगों ने तो मुझे 500 रुपये की टिप भी दी थी। यह कह कर टैक्सी ड्राइवर ने नेहरू नगर का पूरा पता और मकान नंबर कैप्टन फ़ैयाज़ को बता दिया जहां उसने समीरा और मेजर राज को उतारा था। 

मेजर राज ने तुरंत एक कार निकलवाई और टैक्सी चालक को अपने साथ बिठा कर घर की ओर चल दिया, उसके पीछे सेना की एक और जीप भी चली आई जिसमें पाकिस्तानी आर्मी के ट्रेंड सिपाही थे। कैप्टन अपनी कार का हुटर बजाते हुए बहुत तेजी के साथ नेहरू नगर की ओर जा रहा था, उसे विश्वास था कि अब वह मेजर राज और समीरा को बहुत जल्दी पकड़ लेगा और जब वह कर्नल इरफ़ान को अपनी इस सफलता की सूचना देगा तो उसकी तरक्की सुनिश्चित होगी। 20 मिनट की ड्राइव के बाद कैप्टन ने उस घर के सामने अपनी कार रोक ली जहां टैक्सी ड्राइवर ने मेजर राज को उतारा था। और राफिया के अपहरण के बाद समीरा सीधी वापस उसी घर में आई थी और आते ही गहरी नींद सो गई थी . 

कैप्टन फ़ैयाज़ अपनी कार से उतरा और उसने पीछे मौजूद जीप में अपने सैन्य जवानों को आदेश दिया कि वह इस घर को चारों ओर से घेर लें कहीं से भी कोई व्यक्ति बचकर न जाने पाए, और अगर कोई भागने की कोशिश करे तो बे धड़क उसको गोली मार दी जाए। यह आदेश देकर कैप्टन फ़ैयाज़ ने टैक्सी चालक को कार में ही रुकने के लिए कहा और खुद अपने हाथ में पिस्तौल लिए दबे कदमों के साथ इस घर की तरफ बढ़ने लगा। दरवाजे के बाहर पहुंचकर कैप्टन फ़ैयाज़ ने दरवाजे के साथ कान लगाकर अंदर से आवाज सुनने की कोशिश की मगर उसे कोई आहट या आवाज़ नही मिली .

कप्तान फ़ैयाज़ ने पीछे हट कर एक बार घर की समीक्षा की, उसकी छत पर कैप्टन के सैनिक पहुंच चुके थे और साथ वाले घरों की छतों पर भी सेना के जवान चौकन्ने खड़े थे, अब की बार कैप्टन फ़ैयाज़ ने दरवाजे पर हल्का सा दबाव डाला तो दरवाजा हल्की से गड़ गराहट के साथ खुलता चला गया, केप्टन ने आंगन में प्रवेश किया तो सामने एक दरवाजा और था जो बंद था। कैप्टन ने कुछ देर सांस रोके इधर उधर की समीक्षा की और फिर धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा, केप्टन को खाने की सौंधी सौंधी खुशबू आ रही थी, केप्टन ने इस से अनुमान लगाया कि अंदर चावल बन रहे हैं, यह सोचकर कैप्टन ने सोचा इससे पहले कि मेजर राज पेट पूजा करे वह या तो कैप्टन फ़ैयाज़ के शिकंजे में होगा या फिर वह कैप्टन की गोलियों का निशाह बन चुका होगा। कैप्टन ने कुछ देर बिना सांस लिए दरवाजे के बाहर खड़े होकर हिम्मत जुटाई और फिर एक जोरदार ठोकर दरवाजे पर मारी जिससे दरवाजा एक विस्फोट के साथ खुलता चला गया, और केप्टन कमांडो कार्रवाई में कलाबाज़ी खाते हुए कमरे में घुस आया और अंधा धुन्ध फायरिंग शुरू कर दी।
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राफिया जब मेजर राज को किस्से सुना सुना कर थक गई तो उसको याद आया कि जिस व्यक्ति ने उसकी जान बचाई है उसके बारे में तो उसे कुछ पता ही नहीं था। अब राफिया ने मेजर राज से पूछा कि अरे मैं भी किन बातों को लेकर बैठ गई बातों बातों में तुम्हारा नाम ही नहीं पूछा मैंने तो। मेजर राज ने राफिया को अपना नाम इमरान बताया और पूछने पर इमरान यानी मेजर राज ने राफिया को बताया कि उसने बीए तक अध्ययन किया है, बचपन में वह एक कराटे अकादमी में भी जाता था जहां से उसने लड़ने प्रशिक्षण और इसके अलावा वह कंप्यूटर की भी जानकारी रखता है, लेकिन अब तक उसे कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल पाई। गलत दोस्तों की सोहबत का असर है कि उसने छोटी मोटी चोरियां भी शुरू कर दी। इमरान ने आगे अपने बारे में कुछ झूठी कहानियां राफिया को सुनाई जिससे राफिया को इमरान से सहानुभूति होने लगी, अब राफिया को ऐसे लगने लगा कि इमरान एक अच्छा और भला इंसान है मगर जमाने के अन्याय का शिकार है। राफिया ने मन ही मन तय कर लिया था कि वह अपने पापा से कहलवा कर इमरान को किसी अच्छी सी फर्म में नौकरी दिलवाएगी और उसको समाज में एक अच्छे इंसान के रूप में योगदान करने में सहायता प्रदान करेगी। 

मगर मेजर राज राफिया की बातें ज़्यादा सुनना चाहता था क्योंकि वह चाहता था कि किसी तरह कोई काम की बात राफिया से उगलवाई जा सके, बल्कि अपने बारे में कहानियां सुनाने की कोशिस से बचना चाहता था वह चाहता था कि राफिया को बात करने का मौका ज़्यादा मिले . तभी मेजर ने फिर से राफिया को संबोधित किया और उसके पापा कर्नल इरफ़ान के बारे में बातें करने लगा। राफिया ने भी अपने पापा की बहादुरी के किस्से सुनाना शुरू किया और बताने लगी कि कैसे उसके पापा ने दुश्मन देश एजेंटो की आंखों में धूल झोंक कर बार बार उन्हें नुकसान पहुंचाया है। और हर बार वह अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त कर वापस आ जाते हैं मगर इंडियन सुरक्षा एजीनसीज़ को कानों कान खबर तक नहीं होती। फिर राफिया ने अपनी अलमारी से अपना लैपटॉप निकाल लिया और उसको लोगइन करके अपने पापा की तस्वीरें दिखाने लगी इमरान को। इमरान ने भी इन तस्वीरों में इंटरेस्ट लेना शुरू कर दिया और कर्नल इरफ़ान की जिस किसी तस्वीर में और लोग भी दिखाई दिए वहीं इमरान कर्नल के साथ मौजूद लोगों के बारे में राफिया से पूछा कि यह कौन हैं? तो राफिया ने उनका परिचय करवाया।
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06-07-2017, 02:28 PM,
#54
RE: वतन तेरे हम लाडले
नोट-आगे कहानी में जहां जहां मेजर राज चर्चा मे राफिया के साथ आयेगा उसका नाम मेजर राज की बजाय इमरान के रूप में लिया जाएगा और उसके अलावा हर जगह मेजर राज के रूप में ही लिया जाएगा। 

ऐसी ही तस्वीरें देखते देखते एक तस्वीर पर इमरान का माथा ठनका। इस तस्वीर में कर्नल इरफ़ान के साथ जो व्यक्ति खड़ा था इमरान उसको अच्छी तरह से जानता था, मगर उसने राफिया को नहीं बताया कि वह उस व्यक्ति को जानता है, इमरान ने अब की बार सामान्य रहते हुए मगर थोड़ी जिज्ञासा के साथ राफिया से पूछा यह व्यक्ति कौन है ??? तो राफिया ने बताया कि यह भारत के एक प्रांत का सीएम यानी मुख्यमंत्री है। और यह अपने प्रांत में पाकिस्तानी प्रचार प्रसार में हमारा पूरा पूरा साथ देता है। पापा की उनके साथ बहुत अच्छी दोस्ती है और पापा के कहने पर ही उन्होंने अपने राज्य में भारत से अलग होने के आंदोलन का भी शुभारंभ किया है, जाहिरा तौर पर तो यह भारत जिंदाबाद के नारे लगाते हैं मगर उन्होंने अपनी जनजाति और पूरे प्रांत की जनता को शिक्षा से दूर रखा है और वहाँ भारत की बजाय पाकिस्तान के झंडे लहराए जाते हैं उसके अलावा वहाँ जिन्ना के विचार भी सार्वजनिक किए जा रहे हैं और वहां के लोगो को भारत के नेता की बजाय जिन्ना जी की तस्वीर अपने कमरों में लगाना पसंद हैं। राफिया बातों बातों में जाने अनजाने में इमरान को बहुत ज्यादा ही बातें बता गई थी, कुछ तो इमरान को पहले से ही शक था कि उसके देश में होने वाली इन आंदोलनों में मुस्लिम जनजातियों के प्रमुखों की बजाय उनके नेताओं का ही हाथ है जो इस प्रांत को भारत से अलग करके पाकिस्तान के साथ विलय चाहते हैं, लेकिन यह राज नीतिज्ञ निहायती मक्कारी के साथ इन आंदोलनों का मलबा मुस्लिम जनजातियों के अधिकारियों पर डाल देते हैं और इससे जनता में अधिक नफरत बढ़ती है। इमरान को अब सारा खेल समझ आ गया था, जब कि राफिया खुद भी नहीं जानती थी कि ये उसके पापा का मूल मिशन है, लेकिन इस समय राफिया ने जो कुछ इमरान को बताया था इमरान को यह सब कर्नल इरफ़ान के मिशन को समझने के लिए काफी था। 

वास्तव में कर्नल इरफ़ान भारत के प्रांत जम्मूकश्मीर के अलगाव आंदोलनों को हवा देने का काम करने में व्यस्त था। वो इन जनजातियों के लोगों में अंधाधुंध पैसे वितरित करवाया करता था जिसकी वजह से वहां के लोग मानसिक रूप से भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के साथ होने लगे थे और कर्नल का उद्देश्य इन आंदोलनों को चरम पर पहुंचा कर भारत अपने एक मज़बूत बाजू से अलग करना था। और इन्हीं उद्देश्यों के लिए कर्नल इरफ़ान भारत यात्रा करता था। और तो और इस समय जम्मूकश्मीर का मुख्यमंत्री पाकिस्तान के दौरे पर था, इमरान यह बात पहले से जानता था क्योंकि भारत से रवाना होने से पहले उसने खबरों में ही सुना था कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री अगले सप्ताह पाकिस्तान का दौरा करेंगे जहां विदेशी सुरक्षा और जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी हस्तक्षेप को रुकवाने के लिए बातचीत की जाएगी। 

लेकिन वास्तव में इस यात्रा का उद्देश्य हस्तक्षेप रुकवाना नहीं बल्कि हस्तक्षेप को बढ़ाना था और विश्वासघाती पाकिस्तान के दौरे से वित्तीय लाभ भी प्राप्त करना चाहता था। यह सब जानकर इमरान के अंदर एक आग लग गई थी और उसका दिल चाह रहा था कि वह अभी जाकर इस विश्वासघाती का सिर शरीर से अलग कर दे। मगर वह एक प्रशिक्षित एजेंट था जो अपने गुस्से पर काबू पाना जानता था, राफिया की दी गई जानकारी को दिमाग़ में रखने के बाद इमरान ने और तस्वीरें देखना शुरू कर दी और कुछ तस्वीरें देखने के बाद इमरान ने राफिया से पूछा कि कभी तुम्हें जिज्ञासा नहीं हुई कि तुम्हारे पापा का मूल उद्देश्य क्या है? वह भारत को कैसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं? 

इमरान की बात सुनकर राफिया ने एक ठंडी आह भरी और बोली मन तो बड़ा करता है मगर पापा कुछ बताते ही नहीं, उन्हें जब भी पूछो वह कहते हैं अभी पढ़ाई पूरी करो, फिर पढ़ाई पूरी करके आर्मी ज्वाइन करो तब तुम्हें सब कुछ पता चल जाएगा। अब की बार इमरान ने एक जोखिम लेने का फैसला किया फ़ौरन एक सवाल पूछ डाला, इस सवाल से राफिया को इमरान पर शक भी हो सकता था मगर इमरान ने सोच लिया था कि अब यही मौका है विश्वासघाती मुख्यमंत्री के खिलाफ सबूत जुटाने का और इस अवसर को इमरान किसी तरह हाथ से नहीं जाने देगा। इमरान ने राफिया से पूछ लिया कि कभी आपने अपने पापा के लेपटॉप का इस्तेमाल नहीं किया? उसमे तो जानकारी होगी उनके मिशन के बारे में? इस पर राफिया बोली कि पापा का लैपटॉप केवल पापा ही उपयोग कर सकते हैं। उनके लैपटॉप पर बहुत ज्यादा सिक्यॉरटी है, और कोई उनके पासवर्ड को तोड़ नहीं सकता। 

इमरान ने मुस्कुराते हुए कहा कि अगर उनका पासवर्ड तोड़ दूं तो क्या इनाम मिलेगा मुझे ??? राफिया ने भी मुस्कुराते हुए इमरान को देखा और बोली यह बच्चों का काम नहीं। भूल जाओ पापा का लैपटॉप। इमरान ने जिद करते हुए कहा नहीं तुम मुझे बताओ अगर तुम्हारे पापा के लैपटॉप का पासवर्ड ब्रेक कर दिया मैंने तो पुरस्कार मिलेगा। राफिया ने इमरान की आंखों में आंखें डालते हुए कहा कि जो तुम माँगोगे। इमरान ने तत्काल कहा ठीक है अगर मैंने तुम्हारे पापा के लैपटॉप का पासवर्ड तोड़ दिया तो तुम मुझे सेना में नौकरी दिलवा दोगी अपने पापा से कह कर। ताकि मैं भी अपने देश की कुछ सेवा कर सकूँ। इमरान की बात सुनकर राफिया तुरंत राजी हो गई और इमरान को लेकर अपने पापा के कमरे में आ गई। वहां जाकर एक अलमारी से राफिया ने अपने पापा का लैपटॉप निकाला और इमरान के सामने टेबल पर रख दिया, इमरान टेबल के सामने मौजूद कुर्सी पर बैठ गया और राफिया को कहा उसे एक फ्लैश ड्राइव यूएसबी चाहिए। राफिया दूसरे कमरे में गई और 2 मिनट में ही एक यू एस बी ले आई। इमरान ने राफिया यू एस बी लेकर लैपटॉप के साथ लगाई और लैपटॉप कमांड प्रॉम्प्ट में चला गया, उसके बाद इमरान ने तेजी के साथ कुछ कमांड देना शुरू किया और ब्लैक स्क्रीन पर तेजी के साथ कुछ इबारतें ऊपर की ओर चलने लगीं। राफिया अब इमरान की कुर्सी के पीछे खड़ी उसके कंधे पर हाथ रखकर स्क्रीन को ध्यान से देख रही थी। इमरान की उंगलियां तेजी के साथ बोर्ड पर चल रही थीं।


कुछ ही देर के बाद काली स्क्रीन पर बड़ा सारा पासवर्ड डीनाईड लिखा गया। राफिया ने यह देखा तो हल्की आवाज के साथ ठहाका लगाया और बोली मेंने कहा था न कि यह बच्चों का काम नहीं है, लेकिन इमरान ने राफिया की बात का जवाब दिए बिना फिर से कीबोर्ड पर उंगलियां चलाना शुरू हो किया, लेकिन दूसरी बार फिर से पासवर्ड डीनाईड लिखा आया तो अब की बार राफिया थोड़ा जोर से हँसी और इमरान छोड़ दो तुम्हारे बस का रोग नहीं है यह। यह पाकिस्तानी सेना के कर्नल का लैपटॉप है इतनी आसानी से पासवर्ड ब्रेक जाएं इसके तो इंडिया वाले हमारी बैंड ना बजा दें। अभी राफिया की बात पूरी ही हुई थी कि राफिया को लैपटॉप स्क्रीन पर लिखा देखा योर पासवर्ड इस ओपन . अब की बार इमरान ने मुड़ कर राफिया को देखा, उसकी आंखों में एक चमक थी जैसे कह रहा हो सफल रहा और भारत तुम लोगों की बैंड बजा कर ही रहेगा। 

राफिया ने अनिश्चित स्वर में इमरान पूछा यह क्या हुआ ?? तो इमरान ने कहा तुम्हारे पापा का पासवर्ड इस यू एस बी में बचाया है, अब अपना लैपटॉप लाओ, इसमें लगाओ और यही यू एस बी। राफिया भागकर गई और अपना लैपटॉप उठा लाई इमरान ने वो यू एस बी राफिया के लैपटॉप में लगाई और उसमें मौजूद एक फ़ाइल खुली थी , जिसमे कुछ अजीब शब्द दिख रहे थे, उन शब्दों को न तो राफिया पढ़ सकती थी और न ही इमरान। इमरान ने इन शब्दों को कॉपी किया और एक ऑनलाइन डी कोडिंग साइट खोलकर उनमें ये शब्द पेस्ट कर दिए। नीचे डी कोड बटन था इमरान ने उस पर क्लिक किया तो नीचे बने बॉक्स में 1947 पाकिस्तान डीवायड 2020 लिखा गया। इमरान ने राफिया की तरफ देखा और बोला ये है तुम्हारे पापा के लैपटॉप का पासवर्ड।

राफिया अभी भी अनिश्चितता की स्थिति में इमरान देख रही थी और बोली में कैसे मान लूँ कि यही पासवर्ड है ??? इमरान ने कर्नल इरफ़ान का लैपटॉप ऑनलाइन किया और जैसे ही विंडोज ने पासवर्ड मांगा इमरान ने वही पासवर्ड जो डीकोड किया था वहाँ दर्ज कर दिया और एंट्री बटन दबाया तो कर्नल इरफ़ान का लेप टॉप ऑनलाइन गया। 

राफिया फटी फटी आँखों से कभी इमरान और कभी लैपटॉप को देख रही थी, अब इमरान ने कर्नल का लैपटॉप बंद किया और राफिया को पकड़ाते हुए बोला इसे वापस रख दो, और कभी इसको खोलने की कोशिश मत करना। इसे अपने पापा का लैपटॉप मत समझना यह हमारे देश का लैपटॉप है और इसमें हमारे देश के कई रहस्य सुरक्षित होंगे इसी तरह दुश्मन के बारे में भी कुछ ऐसी जानकारी होगी जो कर्नल साहब कभी नहीं चाहेंगे कि उनके अलावा कोई और जान सके । और क्या पता तुम्हें या मुझे इस जानकारी का पता चल जाए तो हम उसे गुप्त रख भी सकेंगे या नहीं। इसलिए इसको वहीं पर रख दो और पासवर्ड भी भूल जाओ। लेकिन अपना वादा याद रखना कि अब तुमने मुझे पाकिस्तानी सेना में नौकरी दिलवानी है ... इमरान की बात सुनकर राफिया ने हाँ मे सिर हिलाया और बोली हां आप सही कह रहे हो, मैं इस लैपटॉप में मौजूद जानकारी से दूर ही रहूं तो बेहतर है। यह कहते हुए राफिया ने लैपटॉप वापस अलमारी में रख दिया और अपनी फ्लैश ड्राइव से वह फाइल डिलीट कर दी जिसमें कोडड पासवर्ड मौजूद था। 

उसके बाद राफिया ने इमरान से हाथ मिलाया और बोली तुम्हारी नौकरी पाकिस्तानी आर्मी में पक्की समझो, तुम पाकिस्तानी आर्मी ज्वाइन कर इंडियन सुरक्षा प्रणाली को आसानी ब्रेक कर सकते हो, जब पापा को पता लगेगा कि आप ने उनका पासवर्ड ब्रेक कर दिया तो वह निश्चित रूप से आप को नौकरी दिलवा देंगे . राफिया की बात सुनकर इमरान बोला अगर तुम्हारे पापा को यह पता चली तो वे मुझे नौकरी नहीं देंगे सीधा यमराज के पास भिजवा देंगे मेरी गर्दन काट कर। भूलकर भी उन्हें यह बात मत बताना . मैं खुद ही उन्हें अपनी आई टी जानकारी संबंधित बताऊंगा तो उन्हें मेरे साक्षात्कार से पता चल जाएगा कि मैं कैसे सक्षम हूँ। फिर वह मुझे पाकिस्तानी सेना की खुफिया एजेंसी में भी नौकरी दिलवा देंगे बस मुझे कोई ऐसा व्यक्ति चाहिए जो मेरी मदद कर सके। मेरे पास कोई डिग्री नहीं इसलिए कहीं जॉब नहीं ले सकता, लेकिन मुझे आईटी के शौकीन लोगो से अपने आप से ही बहुत सी बातें सीखी हैं जो कई डिग्री वालों को भी नहीं पता होंगी। अब तुम अगर चाहो तो मेरी जिंदगी संवर सकती है। 

इमरान की चिकनी चुपड़ी बातों में राफिया को सच्चाई नजर आ रही थी। राफिया की जान बचाने का एहसान राफिया को अब मजबूर कर रहा था कि वह भी इमरान की मदद करके इस एहसान को उतार सके, और इमरान के इस कारनामे के बाद तो उसने पक्का इरादा कर लिया था कि वो ज़रूर इमरान की मदद करेगी । अब इमरान और राफिया कर्नल इरफ़ान के कमरे से निकले और वापस राफिया के कमरे में चले गए। इमरान की चाल में अब भी हल्की हल्की तकलीफ थी वह थोड़ा लंगड़ा कर चल रहा था, राफिया ने भी इस बात को महसूस कर लिया और इमरान को अपने बिस्तर पर लिटा दिया। राफिया ने इमरान को गर्म दूध का एक बड़ा गिलास लाकर दिया और कहा कि यह पी लो तुम्हारी तबीयत बेहतर हो जाएगी इससे। इमरान ने गटा गट सारा दूध का गिलास खाली कर दिया, उसको उस समय खाने की बहुत जरूरत थी भूख भी थी और खून बहने की वजह से थोड़ी कमजोरी भी फेल हो रही थी। इमरान ने बिना झिझक राफिया को अपनी भूख के बारे में बताया तो राफिया किचन में से कुछ फल ले आई और काट काटकर इमरान को खिलाने लगी। इमरान को भी इतनी सुंदर लड़की से अपनी सेवा करवाने का मज़ा आ रहा था वो भी आराम से अपनी सेवा करवाता रहा। 

फल खाने के बाद राफिया ने इमरान से पूछा और कुछ चाहिए ??? तो इमरान ने कहा, मेरे पूरे शरीर में बहुत दर्द हो रहा है, अगर बाहर से किसी गार्ड या कर्मचारी को बुला दो तोड़ा तेल लगाकर मेरी मालिश कर देगा तो मुझे आराम मिल जाएगा। यह सुनकर राफिया बोली इसमें ऐसी कौन सी बात है मैं कर देती हूँ। इमरान ने कहा नहीं नहीं राफिया जी आप रहने दें, मुझे अच्छा नहीं लगेगा आप किसी कर्मचारी को कह दें। राफिया ने कहा नहीं ऐसा नहीं हो सकता। अब आप आम आदमी नहीं हो, तुमने मेरी जान भी बचाई है और तुम एक सक्षम व्यक्ति हो तो मुझे भी थोड़ा मौका दो अपनी सेवा का . यह कह कर राफिया अपने कमरे में अटैच बाथरूम में तेल लेने चली गई जबकि इमरान के दिल में खुशी से लड्डू फूटने लगे। 

राफिया बाथरूम से तेल की शीशी लाई और इमरान के साथ ही बेड पर बैठ गई और इमरान को उल्टा लेटने को कहा। इमरान ने एक बार फिर से राफिया को कहा कि वह रहने दे मगर राफिया तो अब दिल से इमरान की सेवा करना चाहती थी उसने खुद इमरान की शर्ट के बटन खोलने शुरू किये और एक एक करके सारे बटन खोल दिए। फिर उसने इमरान को शर्ट उतारने को कहा तो इमरान उठ कर बैठ गया और अपनी शर्ट उतार दी, शर्ट उतार कर उसने अपनी बनियान भी उतार दी और उल्टा होकर लेट गया जबकि राफिया इमरान का सीना देखकर हैरान रह गई। इमरान की सिक्स पैक बॉडी किसी भी लड़की को अपनी ओर खींचने के लिए काफी थी और राफिया भी पहली नजर में उसकी बॉडी देखकर दीवानी हो गई थी। राफिया की अराज के साथ अच्छी दोस्ती थी और वह उसके साथ कई बार सेक्स कर चुकी थी मगर उसकी बॉडी इमरान की तुलना में ऐसी ही थी जैसे पहाड़ के सामने एक पत्थर। 

इमरान जब उल्टा होकर लेट गया तो राफिया उसके बराबर घुटनों के बल बैठ गई और उसकी कमर पर शीशी से तेल गिराने लगी। कंधों से लेकर कमर के नीचे तक तेल गिराने के बाद राफिया ने शीशी को एक साइड पर रख दिया और अपने नरम नरम हाथों से तेल को इमरान की पीठ पर मसलने लगी। राफिया के हाथों के स्पर्श से इमरान को मस्त मज़ा मिलने लगा। वह मन ही मन खुश हो रहा था कि इतनी सुंदर और जवान लड़की से मालिश करवाने का मौका मिल रहा है। 

राफिया ने तेल इमरान की कमर पर मसलने के बाद अपने हाथों से इमरान की कमर पर मालिश करना शुरू किया, वह इमरान के कंधों से अपनी उंगलियों के पंजों को दबाती और रगड़ती हुई कमर के नीचे तक ले आती, फिर नीचे हथेली के नीचे का हिस्सा रखती और रगड़ते हुए ऊपर कंधों तक लाती . राफिया के नरम नरम हाथों का स्पर्श पाकर इमरान को अपने शरीर में गुदगुदी होती महसूस हो रही थी। हालाँकि राफिया मालिश करने में विशेषज्ञता नहीं रखती थी मगर फिर भी वह कोशिश कर रही थी कि वह अपने नरम और नाजुक हाथों से इमरान को आराम पहुंचा सके और इसमें वह काफी हद तक सफल भी हो रही थी। लेकिन इमरान की पेंट में मौजूद लंड की बेचैनी बढ़ने लगी थी। हालाँकि इमरान का ऐसा कोई इरादा नहीं था मगर जब इतनी सुंदर और गर्म लड़की आपकी कमर की मालिश कर रही हो तो लंड कहां आराम से बैठ सकता है। इमरान का लंड भी अब उसे मजबूर करने लगा था कि वह राफिया के शरीर से अपनी गर्मी को मिटाए मगर वह अपने ऊपर नियंत्रण रख रहा था, लेकिन उसकी खुशी में वृद्धि होती जा रही थी कुछ देर बाद राफिया अपनी जगह से उठी और इमरान के कूल्हों से कुछ नीचे उसके ऊपर पैर फैलाकर बैठ गई। राफिया का अपना दिल भी इमरान से सेक्स करने के लिए मचल रहा था, वह कोई दूध पीती बच्ची तो नहीं थी कि एक जवान आदमी के साथ अकेली हो और उसकी इतनी सेक्सी बॉडी देख कर उसका दिल ना मचले। राफिया का मन कर रहा था कि इमरान उसको अपनी बाँहों में भर कर अपने मजबूत सीने से लगा ले जहां राफिया को सुरक्षा की भावना और उसकी शारीरिक जरूरत भी पूरी हो सके। मगर वह खुल कर उसको व्यक्त नहीं कर पा रही थी, राफिया इमरान के ऊपर बैठी तो इमरान को एक झटका लगा उसने अपनी गर्दन घुमाकर राफिया को देखा और ज़रा शरमाते हुए बोला अरे राफिया जी यह आप क्या ...... 

राफिया ने कहा चिंता मत करो तुम्हे मज़ा आएगा, कि एक बार फिर राफिया इमरान की कमर की मालिश करने लगी अब की बार राफिया के हाथों में पहले से कहीं अधिक मज़ा था, वह बहुत नरमी के साथ इमरान की कमर पर हाथ फेर रही थी। अब राफिया का मूड मालिश करने का कम और उसको सेक्स से आराम पहुंचाने के इरादे अधिक थे . 

इमरान ने भी राफिया के हाथों से मिलने वाले आनंद को महसूस करना शुरू कर दिया था साथ ही उसका मन उसे बता रहा था कि राफिया इस समय किस मूड में है। उसके लिए फैसला करना मुश्किल हो रहा था कि जो कुछ हो रहा है वह ऐसे ही होने दे और राफिया को आगे बढ़ने दे या उसे यहीं रोक दे। एक ओर इसे कर्नल इरफ़ान के घर में प्रवेश करने का उद्देश्य कह रहा था कि समय बर्बाद किए बिना अपना काम करे दूसरी ओर एक गर्म और जवान लड़की के सेक्स आकर्षण था कि इमरान का लंड इमरान को मजबूर कर रहा था कि अपने कर्तव्य भुला कर इस लड़की के शरीर से कुछ देर खेला जाय और आराम प्राप्त किया जाए। राफिया अब बहुत गर्म होती जा रही थी। वो ना केवल इमरान की कमर की मालिश कर रही थी बल्कि अपना निचला होंठ अपने दांतों में दबा कर हल्की हल्की सिसकियाँ भी निकाल रही थी जिसका उद्देश्य इमरान को अपनी मांग के बारे में आगाह करना था। इमरान ने महसूस किया था कि राफिया अब रुकने वाली नहीं इसलिए उसने राफिया को रोकने के लिए राफिया को अपने ऊपर से नीचे उतरने को कहा। 

राफिया ने कहा नहीं अभी और मालिश करवा लो, लेकिन इमरान ने कराहते हुए कहा राफिया जी आप मेरे पैर के घाव पर बैठी हैं मुझे वहाँ दर्द महसूस हो रहा है। इमरान की बात सुनकर राफिया को एहसास हुआ कि वाकई वह इस समय इमरान के घाव के ऊपर बैठी थी, वह तुरंत उछलकर इमरान के ऊपर से उतर गई और इमरान ने मौके की गनीमत को जाना और सीधा होकर लेट गया ताकि अबकी बार राफिया इमरान के ऊपर आकर उसको बरगलाने की कोशिश न कर सके। मगर इमरान की यह हरकत उसके खिलाफ ही चली गई। इमरान जैसे ही सीधा हुआ राफिया की नजरें इमरान के मजबूत और चौड़े सीने से होती हुई उसकी पेंट तक चली गईं जहां इमरान का लंड काफी खड़ा हो चुका था राफिया के हाथ का हल्का सा स्पर्श अब उसको पूरी तरह खड़ा कर सकता था। राफिया की नजरें इमरान की पैंट पर जाकर रुक गईं थीं। इमरान ने जल्दी महसूस कर लिया कि यह तो मामला उलट गया। 

अब इमरान ने अपना एक हाथ पकड़ा और उसे पकड़ कर कराहने लगा। राफिया की नजरें अब इमरान के आधे खड़े लंड हटी और उसने इमरान से पूछा क्या हुआ तो इमरान ने कहा बस हाथ में भी दर्द महसूस हो रहा है। राफिया ने अब की बार इमरान का हाथ पकड़ा और दबाने लगी। इमरान ने मना किया लेकिन राफिया ने अपने होठों पर उंगली रख कर उसको शांत होने का इशारा किया, राफिया की आंखों में एक अजीब सा नशा था और वह इमरान को प्यार भरी नज़रों से देख रही थी। बल्कि अगर यह कहा जाए कि प्यार से अधिक राफिया की नज़रों में वासना थी तो गलत न होगा। इमरान मजबूरन फिर चुप होकर लेटा रहा। राफिया ने इमरान का हाथ उठाया और उसका हाथ अपने कंधे पर रख दिया और उसके हाथ को हाथ से लेकर कंधे तक हल्की हल्की मालिश करने लगी। 

इमरान के हाथ की मालिश करते हुए राफिया ने एक बार अपना दायाँ हाथ इमरान के सीने पर रखा और सीने पर हाथ फेरते हुए उसकी नाभि तक ले आई और इमरान की ओर देखती हुई नशीली आवाज़ में बोली तुम्हारी बॉडी तो बहुत सुंदर है। कौनसे जिम में जाते हो ?? इमरान ने कहा राफिया जी हम जैसे गरीबों के नसीब में जिम नहीं होते, यह तो मेहनत मजदूरी है जो बॉडी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राफिया ने एक बार फिर इमरान को नशीली नज़रों से देखा और अपना निचला होंठ अपने दांतों में लेकर दबाने लगी, यह इमरान के लिए स्पष्ट संकेत था कि राफिया की चूत इमरान के लंड के लिए बेताब हो रही है। मगर इमरान अब तक अपने आप को रोके हुए था क्योंकि उसका मकसद कुछ और था जिसके लिए वह कर्नल इरफ़ान के घर में आने की खतरनाक योजना बना चुका था और उस पर अमल भी शुरू कर दिया था, अब जब मंजिल करीब थी तो राफिया इमरान को उसके लक्ष्य से दूर ले जा रही थी। 

राफिया ने अब इमरान के हाथ को फिर से दबाना शुरू किया, मगर इस बार उसने इमरान का हाथ अपने कंधे से उठा कर अपने सीने पर रख लिया और खुद ही उसके हाथ को सीने से फेरती हुई अपनी क्लीवेज़ पर ले जा कर रोक लिया और फिर से इमरान के हाथ को हल्के हल्के दबाने लगी। इमरान की उंगलियां राफिया की गर्म गर्म छाती पर थी जबकि उसकी हथेली राफिया के क्लीवेज़ पर थी, राफिया के बूब्स का उभार और बीच में बनने वाली लाइन तो शुरू से ही इमरान को आकर्षित रही थी मगर अब उसका हाथ राफिया ने खुद अपने क्लीवेज़ पर रखा तो इमरान की पेंट में मौजूद लंड भी हिम्मत हार गया
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06-10-2017, 09:57 AM,
#55
RE: वतन तेरे हम लाडले
मगर अब उसका हाथ राफिया ने खुद अपने क्लीवेज़ पर रखा तो इमरान की पेंट में मौजूद लंड भी हिम्मत हार गया और पूरी तरह खड़ा होकर निमंत्रण का जवाब देने लगा। राफिया की नजरें भी इमरान की पेंट में होने वाली हरकतों को देख चुकी थी और उसकी चूत अब गीली हो चुकी थी राफिया जानती थी कि अब इमरान ज़्यादा इनकार नहीं कर सकता और अब कुछ ही देर में राफिया अपनी चूत इमरान के लंड पर रखकर उसके मजबूत लंड पर सवारी कर रही होगी। 

मगर वह यह नहीं जानती थी कि भारत के पुत्र और रौ के एजेंटस के लिए सबसे ज़्यादा अपने कर्तव्य की पूर्ति होती है, किसी भी लड़की का शरीर या कोई और लालच इंडिया के एजेंटों को अपने कर्तव्य से नहीं रोक सकती। इमरान ने अब फैसला कर लिया था कि सबसे पहले अपना कर्तव्य करना है बाद में मौका मिला तो वह इस गर्म हसीना की गर्मी भी निकाल देगा। इमरान अब उठ कर बैठ गया और राफिया को अपने पास आने के लिए कहा। राफिया जल्दी से अपनी जगह से आगे बढ़ी और फिर इमरान के ऊपर उसकी गोद में आकर बैठ गई। जैसी ही राफिया इमरान की गोद में बैठी उसको अपनी चूत के ऊपर इमरान के लंड की दृढ़ता महसूस होने लगी। राफिया इस कठोरता को महसूस करते हुए अपना पूरा वजन लंड के ऊपर देकर उसके लंड पर बैठ गई। जिससे राफिया की चूत पर इमरान के लंड का दबाव बढ़ने लगा और फिर इमरान अपने मूल इरादों में कमजोरी महसूस करने लगा। जब इतनी गर्म चूत लंड के ऊपर हो तो बड़ेबड़े अपने कर्तव्य से लापरवाही कर जाते हैं। 

राफिया अब इमरान ऊपर झुक गई और अपने होंठ इमरान के होंठों पर रखकर उन्हें चूसने लगी। इमरान ने भी अपने हाथ राफिया के चूतड़ों पर रखे और उसके नरम नरम चूतड़ों को हाथ में लेकर दबाने लगा।राफिया अब इमरान के लंड से ऊपर उठी और इमरान के ऊपर झुक गई उसके नितंब अब हवा में हिल रहे थे जिन पर इमरान अपने हाथों से थप्पड़ मार रहा था और राफिया अपनी ज़ुबान को इमरान के मुंह में डाल कर उसकी ज़ुबान को चूस रही थी। राफिया की यह गर्मी इमरान को भी गर्म किए जा रही थी और वह पूरी तरह से बहक रहा था।मगर वतन का प्यार फिर से जाग गया और उसने एक पल में राफिया से छुटकारा पाने का सोचा। इमरान ने अपना हाथ राफिया के चूतड़ों पर रख कर उन्हें जोर से दबाया और फिर अपना हाथ राफिया की कमर पर फेरता हुआ उसकी गर्दन तक ले आया, और दोनों हाथ से राफिया की गर्दन पकड़कर इमरान ने राफिया के गुलाब जैसे रसीले होठों पर एक प्यार भरी पुरजोर किसकी और राफिया की गर्दन पर अपना विशिष्ट वार किया जिससे राफिया का शरीर ढीला पड़ने लगा और वह कुछ सेकंड में ही इमरान ऊपर ढह गई। 

राफिया बेहोश हो चुकी थी, इमरान ने बेहोश राफिया के लबों पर एक बार फिर जोर से किस की और उसके मम्मों को अपने हाथों में लेकर उसके मम्मों का आकार मापा और फिर उसे एक साइड पर लिटा कर बेड से नीचे उतर आया। बेड से नीचे उतर कर उसने राफिया के बेड के नीचे हाथ किया और वहां से एक छोटी सी यू एस बी निकाल ली। यह यू एस बी इमरान ने अपनी पेंट की जेब में रख ली जिसका आकार बहुत छोटा था, और जब राफिया ने इमरान को प्राथमिक चिकित्सा दी थी तब इमरान ने राफिया से नजरें बचाकर यह यू एस बी बेड के नीचे फेंक दी थी । इमरान ने यू एस बी उठाई और जल्द ही कर्नल इरफ़ान के कमरे में पहुंच कर उसका लैपटॉप ऑन कर लिया। पासवर्ड तो वे पहले से ही पता कर चुका था अब वह उसके लैपटॉप की तलाशी लेने लगा। कुछ ही देर में इमरान को कई रहस्य मिलने लगे, कई फाइलें थीं जिनमें इंडिया के खिलाफ होने वाली साजिश का भी डेटा मौजूद था कि कैसे इंडिया को 2 भागों में विभाजित करना है। कर्नल की ये परियोजना सन 2020 में भारत से अपने प्रांत जम्मू कश्मीर से अलग करने का था जिसके लिए वह जोर-शोर से काम कर रहा था। इसके साथ ही इसमें भारत की कुछ बड़ी हस्तियों का भी उल्लेख था कि विभिन्न शहरों और प्रांतों में पावर रखते थे। भारत के हर प्रांत में कोई न कोई ऐसी व्यक्ति मौजूद था जो कर्नल इरफ़ान को गुप्त जानकारी प्रदान करता था और कर्नल इरफ़ान के उद्देश्यों को पूरा करने में उसकी मदद करता था . इसके साथ ही कुछ ऐसी फाइलें भी मौजूद थीं जिनमें भारत की कुछ प्रभावशाली हस्तियों के कुछ महत्वपूर्ण रहस्य मौजूद थे। इनमें कई हस्तियों की तस्वीरें बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्रियों के साथ थीं। 

भारत की कुछ प्रभावशाली हस्तियाँ बॉलीवुड की एक्ट्रेस के शरीर का आनंद ले रही थीं और उनके शरीर के बदले अपने प्यारे वतन की इज़्ज़त व आबरू बेचने पर भी राजी थीं। इमरान समझ गया था कि इन हस्तियों को पहले बॉलीवुड की हसीनाओं के शरीर प्रदान किए गए होंगे और जब वह उन हसीनाओं के शरीर की गर्मी का आनंद रहे थे तो उनकी तस्वीरें खींच ली गई होंगी और इन्हीं तस्वीरों और कुछ अन्य भ्रष्टाचार के सबूतो की मदद से उन्हें ब्लैकमेल किया होगा ताकि वह कर्नल इरफ़ान की योजना पर अमल करने में उसका साथ देने पर मजबूर हो जाएं। 

इमरान ने यह सारा डेटा अपने पास सुरक्षित कर लिया था और साथ ही इस योजना में भागीदार पाकिस्तानी हस्तियों और सेना के अधिकारियों की सूची भी बना ली थी। इस परियोजना की सारी जानकारी सुरक्षित करने के बाद इमरान ने और तलाशी ली तो उसे जम्मू कश्मीर के मंत्री के पाकिस्तान में शेड्यूल के बारे में भी पता लग गया कर्नल इरफ़ान ने उसका पूरा टूर अपने लैपटॉप में सेव कर लिए था जिसके अनुसार कल सुबह मंत्री ने पाकिस्तान के प्रसिद्ध शहर मुर्री जाना था। यह शहर अपने समुद्र तट के सौंदर्य की वजह से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध था। समुद्र तट पर प्राकृतिक सौंदर्य के साथ साथ यहां कई सुंदर सुंदरियाँ भी मौजूद होती हैं। मंत्री के मुर्री जाने के बारे में जान कर इमरान समझ गया कि उसका वहाँ फिर किसी हसीना के साथ अय्याशी का कार्यक्रम है। 

इमरान ने त्वरित फैसला किया वह भी मुर्री जाएगा और अपने प्यारे वतन के इस गद्दार के बारे में और अधिक जानकारी एकत्रित करेगा। लैपटॉप से काफ़ी डाटा स्टोर करने के बाद इमरान ने लैपटॉप फिर से बंद कर दिया और फिर उसी जगह पर रख दिया जहां से उसने उठाया था। इस पूरी प्रक्रिया में इमरान ने कुछ भी अपने हाथों से नहीं छुआ बल्कि उसने एक कपड़ा हाथों में पकड़ रखा था जिसकी मदद से वह अलमारी भी खोल रहा था और लैपटॉप भी इस्तेमाल कर रहा था। इस प्रक्रिया के बाद इमरान ने ध्यान रखते हुए एक बार फिर से वह कपड़ा अलमारी और लैपटॉप पर फेरा ताकि कमरे से अपने उंगलियों के निशान मिटाए जा सकें। 

यह सारा काम करने के बाद इमरान वापस राफिया के कमरे में आया जहां राफिया बेसुध लेटी हुई थी, इमरान ने एक नज़र राफिया पर डाली जो इस समय एक हुश्न परी की तरह लग रही थी, इमरान ने राफिया को थोड़ा साइड पर किया, अपने लेटने के लिए जगह बनाई और उसके बाद राफिया के सीने पर हाथ रख कर लेट गया। इमरान जानता था कि अब राफिया जल्दी होश में नहीं आएगी कम से कम 2 घंटे वह बेहोश रहेगी। इमरान ने सोने से पहले अपनी यू एस बी को बेड के मीटरेस के नीचे छिपा दिया और आँखें बंद करके लेट गया। कुछ ही देर में इमरान को भी नींद आ गई थी। 

सुबह 11 बजे के करीब इंटरकॉम की घंटी बजी तो राफिया की आंख खुली, राफिया ने रिसीवर उठाकर हाय कहा तो आगे गार्ड ने बताया कि बाहर कैप्टन फ़ैयाज़ साहब आपसे मिलने आए हैं। राफिया ने कहा इनको मेहमानों वाले कमरे में बिठाओ मैं कुछ देर में आती हूँ। यह कह कर राफिया ने फोन बंद कर दिया और अपने साथ लेटे इमरान को प्यार भरी नज़रों से देखने लगी, उसके शरीर पर अब तक कमीज नहीं थी। राफिया ने उसके सीने पर हाथ फेरा और झुक कर अपने होंठ उसके सीने पर रख दिए। राफिया रात होने शुरू होने वाले सेक्स को याद कर रही थी।उसको जब होश आया तो उसने देखा कि इमरान उसके सीने पर हाथ रखे सो रहे थे, तब राफिया सोचने लगी थी कि रात सेक्स करते करते अचानक उसको नींद क्यों आ गई थी, शायद रात भर की थकावट और अपहरण के डर ने राफिया को निढाल कर दिया था यही कारण था कि राफिया को जल्दी नींद आ गई। तब राफिया बिस्तर से उठी और उसने अपने कपड़े उतार कर नाइट गाऊन पहन लिया था और फिर से इमरान के पहलू में आकर लेट गई थी। हालाँकि उसका शरीर अब भी इमरान के लंड की मांग कर रहा था मगर वह इमरान को तंग नहीं करना चाहती थी इसलिए वह चुपचाप इमरान के पहलू मे लेट गई और अपनी एक टांग इमरान के ऊपर रखकर सो गई थी 

अब सुबह होने पर इंटरकॉम की आवाज से आंख खुली तो उसको एक बार फिर इमरान पर प्यार आ रहा था।जब राफिया ने इमरान के सीने पर किसकी तो इमरान की भी आंख खुल गई थी। उस ने राफिया के लबों पर एक किस की और फिर से आँखें बंद करके लेट गया, वह शायद अभी और सोना चाहता था। यह देखकर राफिया उठी और कप्तान फ़ैयाज़ से मिलने चली गई। फ़ैयाज़ कर्नल इरफ़ान के कहने पर राफिया की खैरियत लेने आया था और साथ ही वह उस लड़के से भी मिलना चाहता था जिसने राफिया की जान बचाई। राफिया ने अपनी खैरियत के बारे में कैप्टन को बताया और इमरान के बारे में बता दिया कि वह अभी सो रहा है। कुछ ही देर में वह कैप्टन को फ्री करके वापस कमरे में आई तो अब इमरान बेड के साथ टेक लगाकर बैठा राफिया का इंतजार कर रहा था। राफिया के साथ में वह मुर्री जाने की योजना बना चुका था मगर इस योजना में समीरा का साथ होना भी जरूरी था। और इस समय इमरान के पास मोबाइल नहीं था, कप्तान फ़ैयाज़ का मोबाइल राफिया को बचाते हुए वहीं गिर गया था, इमरान को उस समय जल्दी में पता नहीं लगा मगर राफिया के घर आकर उसकी अनुपस्थिति में जब उसने मोबाइल निकालना चाहा तो उसकी जेब में मोबाइल नहीं था, तब उसने सोचा कि शायद मोबाइल कहीं गिर गया होगा उन गुंडों से लड़ते हुए। 

इमरान ने सोचा कि समीरा से संपर्क के लिए राफिया का मोबाइल इस्तेमाल किया जाय मगर फिर यह सोच कर अपना इरादा त्याग दिया कि इसमें खतरा हो सकता है। राफिया वापस आई तो इमरान ने बाहें फैला कर राफिया को अपने पास बुलाया। वह भी बिना हिचक इमरान की बाहों में चली गई और उसके सीने पर अपना सिर रख दिया।इमरान ने राफिया के बालों पर हाथ फेरना शुरू किया और बोला रात तुम्हें क्या हो गया था ??? तुमने तो मेरी बुरी हालत कर दी थी। राफिया ने इमरान को सिर उठाकर शर्मीली नज़रों से देखा और बोली बस तुम्हारा शरीर देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने हमेशा ऐसे ही जीवन साथी की इच्छा थी जो न केवल सक्षम व्यक्ति हो बल्कि एक अच्छा आदमी हो जो मुझे सुरक्षा दे सके और अपनी जरूरतों को पूरा कर सके। और तुम्हारे अंदर यह सभी गुण मौजूद हैं, रात तुमने मुझे गुंडों से बचाया, मुझे मेरे घर तक पहुंचाया, तो आपने जिस तरह पापा के लैपटॉप का पासवर्ड ब्रेक किया जो हमारे बड़े आईटी पेशेवर भी नहीं कर सकते, आप इस मे सक्षम हो कि तुम्हें आर्मी में जॉब दी जाए और मुझे आशा है कि तुम मेरी जरूरतों का भी ध्यान रख सकते हो। 

इमरान ने एक प्यार भरी किस राफिया के लबों पर की और फिर से उसे अपने सीने से लगा लिया। फिर इमरान बोला वो सब तो ठीक है मगर रात कुछ काम अधूरा रह गया था। राफिया इमरान की बात का मतलब समझते हुए बोली तुम जब चाहो उसको पूरा किया जा सकता है। इमरान बोला वो तो मैंने पूरा कर लिया रात ही ....राफिया एकदम उठी और इमरान को देखती हुई बोली क्या मतलब? इमरान ने कहा रात सपने में तुम और मैं मुर्री के तट पर थे और वहीं हम दोनों ने खूब मजे किए। मुर्री का नाम सुनकर राफिया बोली वह तो बहुत रोमैंटिक जगह है .. मुझे बहुत पसंद है, मैंने अराज को कहा भी था कि हमें वहाँ जाना चाहिए मगर वह माना ही नहीं।इस पर इमरान ने कहा कि मेरे पास पैसे तो नहीं हैं, लेकिन आप चाहें तो हम दोनों वहाँ चल सकते हैं। राफिया ने खुश होते हुए इमरान को देखा और कहा, हां हम जरूर जाएंगे। इमरान ने कहा आज ही चलें? जब तक तुम्हारे पापा नहीं आ जाते हम मुर्री में ही रहेंगे वैसे भी तुम्हारे पापा ने तुम्हें कॉलेज जाने से मना कर दिया है जब तक वह जामनगर में हैं हम यहाँ क्या करेंगे। मुर्री चलते हैं आउटिंग भी हो जाएगी और हो सकता है वह गुंडे फिर से तुम्हारा अपहरण करने की कोशिश करें तो इससे भी तुम सुरक्षित रहोगी, किसी को पता भी नहीं होगा कि हम मुर्री में हैं।

इमरान की बात सुनकर राफिया बोली, आइडिया तो अच्छा है मगर पापा नहीं मानेंगे। इमरान ने कहा उनको मनाना तुम्हारा काम। लेकिन यकीन मानो अगर हम दोनों वहां जाएंगे तो अपने जीवन का यादगार विज़िट होगा यह मुर्री का . राफिया की आंखों से साफ पता लग रहा था कि वह मुर्री जाने के लिए बेचैन है। उसने इमरान को कहा कि वह अभी पापा से बात करती है और उन से अनुमति लेने की कोशिश करती है। यह कह कर राफिया ने कर्नल इरफ़ान के नंबर पर फोन किया जो सारी रात मेजर राज को ढूंढने के लिए जामनगर में मारा मारा फिरता रहा था और अभी कुछ देर पहले ही उसकी आंख लगी थी मगर मेजर राज जामनगर में होता तो मिलता वह तो कर्नल की बेटी के सीने से लगकर स्वर्ग का आनंद ले रहा था

कर्नल ने फोन अटेंड किया तो राफिया ने पहले तो अपने पापा की खैरियत की खोज की और भारतीय एजेंट के बारे में पूछा जिस पर कर्नल ने बताया कि वह ठीक है और जल्द ही उस एजेंट को पकड़ लेगा। फिर राफिया ने अपनी इच्छा व्यक्त की कि वह घर में कैद नहीं रह सकती, जब तक आप वापस नहीं आ जाते तब तक मैं मुर्री जाना चाहती हूँ। कुछ दिन वहां आउटिंग करूंगी तो रात वाली घटना भी मन से निकल जाएगी और अगर वो गुंडे फिर से मुझे अपहरण करने की योजना बनाते हैं तो लाहोर में होउंगी ही नहीं तो इस तरह उनसे भी सुरक्षा रहेगी। कर्नल इरफ़ान ने तुरंत राफिया को मना कर दिया और सख्ती से कहा कि वह अभी कहीं नहीं जा रही घर पर ही रहेगी। इस पर रफिया ने जिद्दी बच्चे की तरह कहा कि ठीक है अगर मैं कहीं नहीं जाउन्गी तो आप तुरंत घर आ जाओ मैं आपके बिना नही रहूंगी . कर्नल इरफ़ान ने कहा बेटा अराज को बुला लो वह तुम्हारे साथ रहेगा, अराज का नाम सुनकर राफिया ने गुस्से से कहा पापा आप आगे से अराज का नाम मत लीजिएगा मेरे सामने। अब वह मेरी लाइफ मे नही हैं।

उसकी बात सुनकर कर्नल ने कहा कि अच्छा तो बेटा अपने कॉलेज के दोस्तों को बुला लो, लेकिन राफिया ने कहा मैं अपने मतलब के लिए उनकी पढ़ाई का क्यों हर्ज करूं। या तो आप वापस आ जाइए या फिर मुझे मुर्री जाने की अनुमति दें। कर्नल इरफ़ान ने कहा बेटा ऐसे कैसे वापस आ सकता हूँ? जब तक इंडिया का वह एजेंट नहीं मिलता वापस नहीं आ सकता और उस इंडियन जासूस ने कई गतिविधियों को भी अंजाम दे रखा है मगर राफिया ने फिर बच्चों की तरह जिद की और कहा, मैं कुछ नहीं जानती, या तुम वापस आ रहे हैं या में गोवा जा रही हूँ। राफिया कर्नल की इकलौती बेटी थी और वह अपनी बात मनवाना जानती थी। कर्नल ने इस बार हार मानते हुए कहा मगर बेटा मुझे तुम्हारी चिंता रहेगी घर में तुम सुरक्षित हो। रफिया ने कहा पापा वहाँ भी सुरक्षित रहूंगी और वैसे भी रात जिसने मुझे बचाया है, वह मेरे साथ ही होगा। आप चिंता न करें। और किसी को पता भी नहीं चलेगा कि मुर्री में हूँ। आप अपनी सेना को हमारे घर पर ही लगाए रखें वे गुंडे समझेंगे कि मैं घर पर ही हूँ, और मैं चुपके से मुर्री निकल जाऊंगी . 

आख़िरकार कर्नल को बेटी के सामने हार माननी पड़ी और उसने राफिया को मुर्री जाने की अनुमति दे दी लेकिन इस शर्त पर कि कप्तान फ़ैयाज़ भी तुम लोगों के साथ होगा। राफिया बोली पापा मैंने एंजाय करने जाना है मुर्री उस खडूस के साथ बोर होने नहीं जाना। आपको उसे भेजना है तो भेजें मगर वह मुझसे दूर ही रहे। मुझे एक आंख नहीं भाता वह। इस पर कर्नल ने कहा, बेटा ठीक है वह तुम्हें तंग नहीं करेगा मगर आप से कुछ दूरी पर रह कर वह तुम्हारे साथ जाएगा। राफिया ने ठीक कहा और फोन बंद कर दिया। फोन बंद करते ही उसने इमरान को यह सुसमाचार सुनाया कि पापा ने अनुमति दे दी है। यह खबर सुनते ही इमरान ने राफिया से कहा चलो फिर चलने की तैयारी करें। राफिया ने कहा तैयारी क्या करना, मैं बस कपड़े चेंज करके आती हूँ, कुछ कपड़े हैंडबैग में रखकर चलते हैं। 

इमरान ने कहा कि वह तो ठीक है, लेकिन मैं इस कटी हुई पेंट के साथ तो मुर्री नहीं जा सकता, मुझे भी तो कुछ कपड़े चाहिए। यह बात सुनकर राफिया ने कहा, हां ठीक है हम दोनों मिलकर बाजार चलते हैं वहां से आप अपने लिए शॉपिंग कर लेना। इमरान ने कहा नहीं हम दोनों नहीं केवल मैं जाऊंगा। आप अभी घर पर ही रहें। हमारे पास चाहे जितनी भी सुरक्षा हो हम इस तरह बाजार में नहीं घूम सकते वे गुंडे हो सकता है तुम पर नज़र रख रहे हों . मुझे बस एक कार दे दो मैं उस में जाऊंगा और अपनी खरीदारी करके वापस आ जाउन्गा राफिया ने तत्काल अपनी कार की चाबी दी मगर इमरान ने इनकार कर दिया और कहा क्यों मरवाना चाहती हो मुझे। कोई और वाहन दो जो तुम्हारा न हो। इस कार को देखकर तो गुंडे मुझ पर फिर से हमला कर देंगे। फिर राफिया ने कहा चलो गैरेज में एक और पुरानी सी कार पार्क है वह ले जाओ लेकिन प्लीज़ जल्दी आना मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी। इमरान ने जल्दी आने का वादा किया और पुरानी कार लेकर राफिया के घर से निकल गया।
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06-10-2017, 09:57 AM,
#56
RE: वतन तेरे हम लाडले
आधी रात को सोने के बाद दोपहर 4 बजे ही अमजद की आंख खुली जो अब जामनगर के डांस क्लब में मौजूद एक कमरे में आराम से सो रहा था। उसका हुलिया अब कल की तुलना में परिवर्तित था और वह सरदार के बजाय अपने मूल हुलिए में मौजूद था। बिस्तर से उठकर अमजद ने पहले अपने साथ मौजूद काशफ को भी नींद से उठाया और फ्रेश होने के बाद अमजद ने क्लब के एक कर्मचारी को खाना लाने के लिए कहा तो कुछ ही देर में वह अमजद और काशफ के लिए गरम खाना ले आया। ये कर्मचारी भी अमजद को जानता था। खाना खाने के बाद अमजद ने सोचा कि अब उसे यहाँ से निकलना चाहिए और कोई और कार्रवाई करनी चाहिए जिससे कर्नल इरफ़ान को ज़्यादा परेशानी का सामना करना पड़े और लाहोर में मेजर राज बा आसानी अपना काम कर सके। यही सोचकर अमजद बाहर निकला और रिसेप्शन पर मौजूद व्यक्ति से मिला। रात की ड्यूटी वाला व्यक्ति जा चुका था और अब दूसरा व्यक्ति रिसेप्शन पर मौजूद था जिसे कैप्टन फ़ैयाज़ जाते हुए कह कर गया था कि जैसे ही वह डांसर क्लब में वापस आए तो वो तत्काल सूचना दे। 

रिशेप्शन पर मौजूद व्यक्ति ने अमजद को जल्दी पहचान लिया क्योंकि अमजद पहले भी समीरा के साथ इस डांस क्लब में कॉफी बार आ चुका था और यहां के लगभग सभी लोग अमजद और समीरा को जानते थे।अमजद पर नज़र पड़ते ही वह व्यक्ति चौकन्ना हो गया और जब अमजद ने उस व्यक्ति से पूछा कि रात के रहने और भोजन के कितने पैसे बन गए तो उस व्यक्ति ने बड़ी चालाकी से अमजद को डील किया और उसको विवरण बताकर कुछ देर रुकने को कहा ताकि वो उससे कुछ गपें लगा सके। यूं तो अमजद जल्दी निकलना चाहता था मगर फिर उसने सोचा कि अगर इतने आग्रह से कोई रोक रहा है कुछ देर के लिए तो उसको मना करना भी ठीक नहीं। अमजद वापस अपने कमरे में चला गया, जबकि उस व्यक्ति ने कहा कि 2 मिनट में आता हूँ तो थोड़ी गपशप लगाते हैं। 

अमजद के कमरे में जाते ही उस व्यक्ति ने कैप्टन फ़ैयाज़ का नंबर निकाला और उसे फोन मिलाने लगा। 2 बार बेल बजने के बाद कैप्टन फ़ैयाज़ ने फोन अटेंड कर लिया। उस व्यक्ति ने कैप्टन को जल्दी अपना परिचय करवाया और डांस क्लब का नाम बताया। डांस क्लब का नाम सुनते ही कैप्टन के कान खड़े हो गए उसने तुरंत पूछा क्या हुआ मुझे क्यों किया कॉल? कैप्टन के मन में बिजली की सी तेजी से ख्याल आया कि शायद वह डांसर समीरा फिर से डांस क्लब में आई होगी, लेकिन फिर जल्दी यह विचार भी आया कि वो तो मेजर राज के साथ लाहोर आ चुकी है तो वह वहाँ कैसे हो सकती है? इस बात ने कैप्टन को कुन्द कर दिया था, और उसने पूछा कि मुझे क्यों फोन किया है? उस व्यक्ति ने बताया कि साहब इस समय मेरे डांस क्लब में एक व्यक्ति मौजूद है। आपने जिस लड़की के बारे में मुझसे पूछा था ये उसका साथी है। यह कभी कभी उस लड़की के साथ ही डांस क्लब में आता है। यह सुनकर कैप्टन को आशा की एक किरण दिखी। उसने तुरंत पूछा उसके साथ कोई लड़की भी है या वह अकेला है? उस व्यक्ति ने जवाब दिया साहब उसके साथ कोई लड़की तो कोई नहीं मगर एक और व्यक्ति भी उसके साथ है। उसको मैं नहीं देखा, लेकिन जिसके बारे में आपको बता रहा हूँ उसका नाम अमजद है और वह अक्सर यहां आता रहता है। यह सुनकर कैप्टन फ़ैयाज़ ने उस व्यक्ति को कुछ आवश्यक निर्देश दिए और फोन बंद कर दिया। 

फोन बंद कर के रिसेप्शन पर मौजूद व्यक्ति अमजद के कमरे में चला गया और उसके साथ गपें लगाने लगा, जबकि कैप्टन फ़ैयाज़ ने तुरंत कर्नल इरफ़ान को कॉल की और उसे बताया कि मुझे अभी अभी खबर मिली है कि मेजर राज के कुछ साथी जामनगर के एक प्रसिद्ध डांस क्लब में मौजूद हैं। कर्नल इरफ़ान ने डांस क्लब का पता पूछा और उन लोगों के बारे में पूछा तो कैप्टन फ़ैयाज़ ने बीच में समीरा का उल्लेख नहीं किया बस इतना ही बताया कि उसकी जानकारी के अनुसार इन लोगों ने मेजर राज को जेल से निकलने में मदद की है कर्नल इरफ़ान जो मेजर राज को पकड़ने की अब उम्मीद हार बैठा था कि अब वह नहीं मिलेगा उसको फिर से एक उम्मीद दिखी और उसने तुरंत अपनी सेना के साथ सेना मुख्यालय छोड़ा और कप्तान फ़ैयाज़ के बताए हुए डांस क्लब की ओर रवाना हो गया। 

डांस क्लब में अमजद और काशफ उस व्यक्ति के साथ गपें लगाने में व्यस्त थे, बीच में समीरा का ज़िक्र आया तो उस व्यक्ति ने कहा कि समीरा बहुत अच्छी डांसर है जिस दिन वह हमारे डांस क्लब में डांस करने आती है तो हमारी तो चांदी हो जाती है। अमजद जल्द से जल्द इस व्यक्ति से जान छुड़ा कर वहां से निकलना चाहता था मगर यह व्यक्ति तो अमजद से चिपक ही गया था और जान छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। हालाँकि दोनों एक दूसरे को सरसरी तौर पर जानते थे, मगर वह व्यक्ति तो अमजद से इस तरह चिपक रहा था जैसे दोनों बहुत अच्छे दोस्त हों . अंत में अमजद ने उस व्यक्ति से जबरन जान छुड़ाने का फैसला किया और काशफ को अपना बैग लेने को कहा, जो कुछ कपड़े थे और जेब से पैसे निकाल कर उस व्यक्ति को बिल का भुगतान करते हुए बोला कि हमें काफी देर हो गई है पहले से ही फिर दुबारा आएंगे तो आप से गपशप होगी मगर इस समय हम जरा जल्दी में हैं। यह कह कर अमजद ने उस व्यक्ति से हाथ मिलाया और कमरे का दरवाजा खोलकर बाहर निकलने लगा। 

दरवाजा खोलते ही अमजद को गलियारे में बूटो की आवाज सुनाई दी जैसे कोई तेजी के साथ गलियारे की ओर आ रहा हो, 5, 6 कदमों के बाद आवाज़ रुक गई और फिर से बूटो की आवज़ें आने लगीं। अमजद की छठी इंद्रिय ने खतरे की घंटी बजा दी थी उसने तुरंत दरवाजा बंद किया और काशफ को देखते हुए गन निकालने का इशारा किया। काशफ ने भी महज इशारे से बताया कि उसके पास बंदूक नहीं, यहाँ अमजद को अपनी गलती का अहसास हो गया, कल पुलिस थाने पर हमला करने के बाद अमजद ने गाड़ी बदलकर वहां से कोई गन अपने साथ नहीं रखी थी। और अब अमजद ने जब बूटो की आवाज सुनी तो वह समझ गया था कि यह सेना के ट्रेंड जवान हैं जिन्होंने डांस क्लब पर छापा मारा है, काशफ की आंखों में डर था वह भी खतरे को भांप गया था। 

अब अमजद और काशफ सोच ही रहे थे कि दोनों क्या करें , एकदम कमरे के दरवाजे पर बाहर से किसी ने जोरदार लात मारी और दरवाजा एक विस्फोट से खुलता चला गया। इससे पहले कि अमजद संभलता या अपने बचाव की कोई तदबीर करता बाहर से आने वाले सेना के कमांडो ने अमजद को गर्दन से पकड़ कर उसके घुटनों पर एक जोरदार सा हाथ मारा जिससे वह घुटनों के बल नीचे झुकने पर मजबूर हो गया जबकि काशफ जो सोच ही रहा था कि कैसे विरोध करे, सामने खड़े 5 कमांडो के हाथ में आधुनिक प्रकार की राइफल्स जिनका रुख काशफ और अमजद की ओर ही था देखकर उसके फरिश्ते भी कून्च कर गए और वो भी कुछ नहीं कर पाया। आन की आन में अमजद और काशफ घुटनों के बल जमीन पर बैठे थे और उनके चेहरे काले कपड़े से ढक दिए गए थे जबकि उनके हाथ पीछे कमर पर बांधे हुए थे। रिसेप्शन पर मौजूद व्यक्ति जो कमरे में ही मौजूद था उसको भी एक कमांडो ने घुटनों के बल नीचे बिठा लिया था मगर इससे पहले कि उसके चेहरे पर कपड़ा डाला जाता कमरे में एक गरजदार आवाज सुनाई दी जो पूछ रहा था होटल प्रबंधक कौन है? यह आवाज कर्नल इरफ़ान की थी जिससे अमजद अच्छी तरह परिचित था। आज़ाद कश्मीर में होने वाले अत्याचारों में कर्नल इरफ़ान का हाथ था और वहाँ एक बार अमजद और कर्नल इरफ़ान का आमना-सामना हो चुका था, जब अमजद के सामने कर्नल इरफ़ान ने निर्दोष हिंदुओं को खून में नहलाने दिया था। अमजद अब तक उस आवाज को भूला नहीं था। और आज बहुत समय के बाद यह आवाज फिर से सुन कर उसका खून खोलने लगा था मगर उस समय वह कुछ नहीं कर सकता था। 

कर्नल के सवाल पर वह व्यक्ति जल्दी बोल उठा सर प्रबंधक साहब अभी यहाँ नहीं है रिसेप्शन पर मैं हूँ मेरा इन लोगो से कोई संबंध नहीं है। कर्नल इरफ़ान को कैप्टन फ़ैयाज़ ने पहले ही बता दिया था कि यह मुखबिरी होटल के ही एक व्यक्ति ने की है और वह भी तब उसी कमरे में ही होगा ताकि उन्हें बातों में लगाकर रोक सके। कर्नल इरफ़ान ने तुरंत व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया और वह अपनी जान बचाता हुआ कर्नल इरफ़ान को आभारी नज़रों से देखता हुआ कमरे से बाहर निकल गया जबकि अमजद और काशफ को अभी कमांडो अपने हिसार में लेकर डांस क्लब से बाहर जा रहे थे। तब डांस क्लब आमतौर पर सुनसान ही होते हैं क्योंकि महफ़िल रात के अंधेरे में सजती है इसीलिए यहां लोगों की कोई भीड़ जमा नहीं हुई कुछ ही लोग थे जो सेना के कमांडो को देख कर अपने अपने कमरों में जाकर छिप गए थे। कुछ ही देर में अमजद और काशफ को कार में बिठा दिया गया और वे भी चुपचाप कार में बैठ गए क्योंकि इसके अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं था।सेना का यह काफिला अब एक अज्ञात स्थान की तरफ जा रहा था जिसका नेतृत्व कर्नल इरफ़ान ही कर रहा था।उसको पूरा विश्वास था कि अब मेजर राज अधिक देर तक उससे बच नहीं पाएगा।
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कैप्टन फ़ैयाज़ ने अंधाधुंध फायरिंग का सिलसिला कुछ देर जारी रखा। उसकी छोटी पिस्टल जिसमें 10 से 12 गोलियां थीं आन की आन में उसने चला दी और फिर कलाबाज़ी खाकर सामने मौजूद सोफे की ओट में छुप गया। इस प्रक्रिया के दौरान उसको इतना पता चल गया था कि कमरे में कोई भी उसकी गोली का निशाना नहीं बना था क्योंकि तब कक्ष पूरी तरह खाली था। कुछ सेकंड के इंतजार के बाद कैप्टन फ़ैयाज़ ने सिर उठा कर इधर उधर देखा तो कमरा वाकई खाली था, केप्टन ने कमरे से बाहर देखा तो 2 सैनिक जवान भागते हुए कमरे के अंदर आ रहे थे, वे भी कमरे के अंदर आकर अपनी स्थिति लेकर खड़े हो गए और कैप्टन फ़ैयाज़ कमरे की समीक्षा करने लगा। एक तरफ एक औरत के कपड़े मौजूद थे जो सोफे पर ही पड़े थे जबकि इसके साथ ही ऊँची एड़ी के सैंडल रखे थे, और दूसरी ओर एक लैपटॉप मौजूद था जोकि बंद था। 

कैप्टन फ़ैयाज़ ने अब कमरे का पूर्ण निरीक्षण किया और एक दरवाजे की ओर बढ़ने लगा जो उसी कमरे में मौजूद था यह किचन का दरवाजा था जहां से खाने की खुशबू आ रही थी और टिप टिप पानी गिरने की आवाज भी आ रही थी, केप्टन ने अब की बार सावधानी से किचन की तरफ बढ़ना शुरू किया और फिर अपने एक सहायक को आदेश दिया कि वह आगे बढ़े और देखे किचन में कोई मौजूद है या नहीं और साथ ही यह भी ध्यान रखे कि गोली ना चलाई जाए ताकि अगर अंदर कोई मौजूद हो तो उसको जिंदा गिरफ्तार किया जाए।इस जवान भी सावधानी के साथ आगे बढ़ने लगा और किचन की दीवार के साथ कान लगाकर कुछ सुनने की कोशिश की मगर टिप टेप की आवाज के अलावा अंदर से कोई आवाज नहीं आ रही थी। किचन का दरवाजा खुला था सैनिक ने एकदम से किचन के अंदर क़लाबाज़ी लगाई और जमीन पर लेटता हुआ रसोई का निरीक्षण करने लगा जहां कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था। छोटा सा किचन देखने में इस अधिकारी को अधिक समय नहीं लगा और कुछ ही सेकंड के बाद वह बाहर खड़े कैप्टन फ़ैयाज़ को कहा सर ऑल ओके यह सुनकर कैप्टन फ़ैयाज़ भी अंदर गया तो उसने देखा कि किचन में मौजूद चूल्हे पर एक पतीला पड़ा था जिसमें चावल पकाए गए थे, केप्टन ने पतीली को हाथ लगाया तो वह अभी भी गर्म थी जिसका मतलब था कि कुछ देर पहले कोई न कोई यहाँ मौजूद था, और खाने की खुशबू भी बता रही थी कि यह खाना कुछ देर पहले तक इस पतीली में मौजूद रहा होगा 

किचन में किसी को न पाकर कैप्टन को निराशा का सामना करना पड़ा अब उसने बाहर वाले कमरे के साथ दूसरे कमरे का आकलन भी किया मगर वहाँ भी किसी की उपस्थिति के संकेत मौजूद नहीं थे लेकिन इतना जरूर था कि कुछ देर पहले तक यहां कोई न कोई मौजूद था, शौचालय में जाकर कैप्टन ने देखा तो वहां भी फर्श गीला था जिसका मतलब था कि कोई आधा घंटा पहले यहाँ कोई नहाया होगा, एक तरफ बीयर मौजूद थी और शौचालय से शैम्पू की हल्की-हल्की खुशबू भी आ रही थी। पूरे घर का जायज़ा लेने के बाद भी जब कैप्टन को वहाँ कोई व्यक्ति न मिला तो उसका चेहरा मुरझा गया। उसे उम्मीद थी कि मेजर राज और उसकी साथी समीरा अबकी बार जरूर पकड़े जाएंगे मगर उसकी इस उम्मीद पर पानी फिर गया था। कैप्टन ने वहां मौजूद लैपटॉप अपने कब्जे में लिया और घर से बाहर निकल कर अपनी कार में बैठ कर चलने लगा। 

इतने में वहां मौजूद एक व्यक्ति कार के सामने आया और कैप्टन को रुकने का इशारा किया। उसके साथ मौजूद सैनिकों ने तत्काल अपनी राइफल्स के रुख व्यक्ति की ओर कर लिए और उस व्यक्ति ने भी डर के मारे अपने हाथ हवा में उठा दिए, मगर साथ ही कैप्टन को इशारा किया कि मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूँ। एक सैनिक ने आगे बढ़कर उस व्यक्ति की तलाशी ली, उसके पास कोई खतरनाक हथियार मौजूद नहीं था, फिर दो सैनिकों ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया और कप्तान फ़ैयाज़ कार से बाहर निकला और उस व्यक्ति से पूछने लगा कि हां बोलो क्या बात है। कैप्टन को सामने देखकर उस व्यक्ति ने बताना शुरू किया कि साहब कल सुबह ही यहां एक लड़की और एक लड़का आकर रुके थे, उनके पास एक काले रंग की नई कार थी जिसका नंबर वाई एच डबल यू 384 था। वह घर टैक्सी में आए थे मगर कुछ देर बाद ही कोई व्यक्ति घर के बाहर यह काले रंग की गाड़ी छोड़ गया था और उसके घर में आए व्यक्ति ने बाहर आकर कार में से उसकी चाबी निकाली और कुछ और सामान निकाल कर घर चला गया था। घर में कुछ ही देर रुकने के बाद दोनों घर से निकल गए और देर रात लड़की तो घर आ गई मगर लड़का नहीं आया। मुझे यह दोनों शुरू से ही संदिग्ध लग रहे थे, आज भी कुछ ही देर पहले वह लड़की बहुत जल्दी में यहां से कुछ सामान लेकर अपनी कार में निकली है। न तो उसने घर को ताला लगाया और न ही उसने किसी को बताया कि वह कहाँ जा रही है। बस वह घर से ऐसे निकली जैसे बहुत जल्दी में हो। पुलिस को सूचना देने ही वाला था कि हमारे पड़ोस में कुछ संदिग्ध लोग हैं कि मुझे आप लोगों के आने का पता लगा कि आपने इस घर पर छापा मारा है। तो मैंने सोचा आपको आकर सूचना दूँ घर में इस समय कोई मौजूद नहीं, एक लड़की थी जो कुछ ही देर पहले यहां से निकल गई है। कैप्टन ने जेब से समीरा और राज की तस्वीरें निकालकर उस व्यक्ति को दिखाई तो उसने तुरंत ही पहचान लिया और बोला जी साहब यही लड़की थी जो यहां कल आई और अभी कुछ देर पहले यहां से कार में बैठ कर चली गई

कैप्टन फ़ैयाज़ ने पूछा कि क्या तुम्हें पता है कि यह लड़की कहाँ गई है ??? उस व्यक्ति ने कहा नहीं साहब वह बहुत मॉर्डन लड़की थी हमारी तो हिम्मत ही नही हुई उससे कोई बात करने की और वैसे भी वो खतरनाक लोग लग रहे थे इसलिए मैंने दूर रहने में ही बेहतर समझा। कैप्टन फ़ैयाज़ को उस व्यक्ति की बातें सुनकर इतना तो पता चल गया था कि राफिया के अपहरण के पीछे निश्चित रूप से मेजर राज था तभी वह सारी रात घर नहीं आया, और अब इतनी जल्दी में यहाँ से समीरा का निकल जाना इस बात की ओर इशारा कर रहा था कि उसे मुखबिरी हो गई थी कि सेना इस घर पर छापा मारने वाली है तभी वह इतनी जल्दी मैं यहाँ से निकल गई।मगर सवाल यह था कि आखिर उसे बताया किसने ?? ? कैप्टन फ़ैयाज़ के अलावा और कोई नहीं जानता था कि उसे मेजर राज के ठिकाने के बारे में पता चल गया है तो मुखबिरी कौन कर सकता है ??? 

कैप्टन फ़ैयाज़ इसी सोच में था कि उसके फोन की घंटी बजी, आगे से उसे जामनगर के रिसेप्शन पर मौजूद व्यक्ति ने बताया कि वह डांसर समीरा तो नहीं आई मगर उसका एक साथी इस समय डांस क्लब में मौजूद है जो पहले भी कई बार समीरा के साथ इस डांस क्लब में आ चुका है। कैप्टन फ़ैयाज़ ने उसे कहा कि किसी भी तरह वह व्यक्ति डांस क्लब में ही रोके रखे कुछ ही देर में सेना की एक टीम होटल पर छापा मारेगी और उन्हें गिरफ्तार कर लेगी। इसके बाद कप्तान फ़ैयाज़ ने फोन बंद किया और जल्दी से कर्नल इरफ़ान को कॉल की और उसे स्थिति से आगाह कर दिया, और साथ यह भी बता दिया कि मुखबिरी करने वाला व्यक्ति भी उनके साथ मौजूद होगा, उसका उन लोगों से कोई संबंध नहीं है इसके बाद कप्तान फ़ैयाज़ फोन बंद करके वापस अपनी कार में बैठा और सेना मुख्यालय की तरफ जाने लगा। सेना मुख्यालय पहुंचते ही कैप्टन ने उस व्यक्ति का बताया हुआ वाहन का नंबर अपने एक सहायक को दिया और कहा तुरंत पता लगाओ यह कार किसकी है? और उसके बाद कैप्टन ने पुलिस को सूचना दी कि अगर यह कार कहीं दिखे तो उसे तुरंत रोक लिया जाय और कार में जो भी हो उसे गिरफ्तार कर ले। 

कुछ ही देर के बाद कैप्टन फ़ैयाज़ को बताया गया कि सर यह कार लाहोर के एक बड़े बिजनेसमैन की है जो कल ही गई है और वहीं के थाने में उसकी एफआईआर भी मौजूद है। यह जानकर केप्टन फ़ैयाज़ की उम्मीदों पर और पानी फिर गया क्योंकि मेजर राज तक ले जाने वाली हर उम्मीद रास्ते में ही खत्म हो जाती थी, अब जबकि एक कार का नंबर मिला जो मेजर राज के उपयोग में थी तो वह भी चोरी की नकली और मालिक ने कानून के अनुसार उसकी एफआईआर भी दर्ज करवाई हुई थी। अब कानूनी तौर पर कार के मालिक से पूछताछ नहीं हो सकती थी क्योंकि उसकी कार तो चोरी हो गई थी और उसने रिपोर्ट भी दर्ज करवा दी थी। 

कुछ ही देर बाद कैप्टन फ़ैयाज़ के मोबाइल पर कर्नल इरफ़ान की कॉल आई। कैप्टन ने कॉल अटेंड करते ही अपनी सूचना के बारे में पूछा कि उसके अनुसार मेजर राज के साथ मिले या नहीं ?? कर्नल इरफ़ान की नर्म आवाज सुनाई दी कि हां उसके 2 साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें हम अपने गुप्त मुख्यालय ले जा रहे हैं जांच के लिए। इस पर कैप्टन फ़ैयाज़ ने कर्नल को बधाई दी कि चलें सर कोई सुराग तो मिला अब जल्द ही वह मेजर भी हमारी पकड़ में होगा। इस पर कर्नल इरफ़ान ने कैप्टन को शाबाशी दी कि उसने मुंबई में रहते हुए भी अच्छा काम कर दिखाया और जामनगर में मौजूद उसके साथियों को पकड़वाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपनी प्रशंसा सुनकर कैप्टन दिल ही दिल में खुश होने लगा। फिर कर्नल इरफ़ान असली बात पर आया जिसके लिए उसने फोन किया था। कर्नल इरफ़ान ने कैप्टन से कहा कि उसकी बेटी राफिया आउटिंग के लिए मर्री जा रही है और तुम उसके साथ मर्री जाओगे यह सुनकर कैप्टन फ़ैयाज़ के दिल में लड्डू फूटने लगे, राफिया तो उसे पहले से ही पसंद थी ऊपर से उसके साथ मर्री जाने का मौका तो ऐसे ही था जैसे अंधे को आँखें मिल गई हों मगर साथ ही उसकी खुशियों पर ओस भी पड़ गई जब कर्नल इरफ़ान ने बताया कि राफिया उसी लड़के इमरान के साथ जा रही है जिसने रात उसकी जान बचाई है, आपको उन्हें कुछ दूरी पर रह कर उनके पीछे पीछे नज़र रखनी है, तुम्हारा काम सिर्फ इस बात का ध्यान रखना होगा कि कहीं कोई राफिया का पीछा तो नहीं कर रहा, अपहरण करने वाले फिर से हरकत में आएंगे तो वह निश्चित रूप से राफिया को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं तो आपको उनके पीछे पीछे दूरी रखकर मात्र इसी बात का ख्याल रखना होगा कि अपहरण करने वाला समूह राफिया के पीछे तो नहीं। यह कह कर कर्नल इरफ़ान ने फोन बंद कर दिया और कप्तान फ़ैयाज़ मुरझाए हुए चेहरे के साथ राफिया को कॉल करने लगा ताकि वह उसके प्रस्थान के बारे में जानकारी ले सके

इमरान को गाड़ी की चाबी देते हुए राफिया ने अपना क्रेडिट कार्ड भी साथ में दे दिया था क्योंकि वह जानती थी कि इमरान के पास पैसे नहीं हैं, इमरान ने भी बिना हिचक क्रेडिट कार्ड ले लिया था। यूं तो इमरान एक ऐसा इंसान था जो किसी भी मामले अपनी खरीदारी किसी लड़की के पैसों से करना गवारा नहीं करता विशेष रूप से एक अनजान लड़की मगर अभी सम्मान दिखाने का अवसर नहीं था, इस समय किसी भी तरह राफिया को शीशे में उतार कर अपना काम निकलवाने का समय था। यूं तो इमरान के पास कुछ सौ रुपये थे मगर वे पूरी खरीदारी के लिए अपर्याप्त थे इसलिए इमरान ने क्रेडिट कार्ड लेकर गाड़ी निकाली और कुछ ही दूर बाजार की ओर रवाना हो गया। रास्ते में इमरान ने महसूस किया कि राफिया के घर से ही एक कार उसके पीछे एक समान दूरी रखते हुए आ रही थी, इमरान समझ गया कि उसका पीछा हो रहा है इसलिए उसने फैसला किया कि कोई ऐसी हरकत नहीं करनी जिससे किसी को कोई शक हो।
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01-10-2019, 01:27 PM,
#57
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
इमरान धीमी गति से बाजार की ओर जाने लगा, रास्ते में सड़क किनारे उसे एक ठेले वाला नजर आया जो शर्ट आदि बेच रहा था, इमरान ने वहां गाड़ी रोकी और अपने आकार के अनुसार एक शर्ट खरीद लिया। इमरान ने कार की पिछली सीट पर बैठकर अपनी फटी हुई शर्ट उतारी और वह नई शर्ट पहन कर फिर से अगली सीट पर बैठ गया और गाड़ी चला दी। इस दौरान इमरान ने देखा काफी दूरी पर ही गाड़ी रुकी हुई थी जो राफिया के घर से उसका पीछा कर रही थी, लेकिन इमरान ने उसकी कोई परवाह नहीं की। कुछ ही देर बाद इमरान बाजार पहुंच गया तो एक बड़ा शॉपिंग प्लाजा देखकर इमरान ने उसकी पार्किंग में कार लगाई और प्लाजा में चला गया, प्लाजा में घुसते ही इमरान ने एक आंटी जी के पर्स में से उनका मोबाइल निकाल लिया जो इमरान को तब नजर आया जब आंटी जी पर्स में अपने साथ मौजूद छोटे बच्चे के लिए फीडर निकाल रही थीं, और उसको फीडर पिलाने की जल्दी में वह अपने पर्स की ज़िप बंद करना भूल गई। 

मोबाइल निकालते ही इमरान ने तुरंत अपने आकार की एक पेंट ली और साथ ही मौजूद चेनज़िंग रूम में घुस गया। इमरान ने यह सारा काम पीछे आने वाली कार के प्लाजा में पहुंचने से पहले पहले कर लिया था। क्योंकि वह नहीं चाहता था कि पीछा करने वालों की नजरों में आ कर वह किसी को कॉल करे। चेनज़िंग रूम में जाते ही इमरान ने समीरा का नंबर मिलाया जो पिछली रात ही इमरान ने समीरा को दिया था। कुछ देर बेल के बाद समीरा ने फोन अटेंड किया तो आगे से इमरान ने उसकी खैरियत की खबर ली और जल्दी जल्दी उसको अपने प्लान के बारे में जानकारी प्रदान कीं और उसने समीरा को तुरंत मुर्री के लिए निकलने को कहा। समीरा जो कुछ देर पहले ही सो कर उठी थी इस अचानक इस कार्यक्रम पर हैरान हो गई मगर इमरान ने उसे कहा कि यह सब बातें वह बाद में विस्तार से बता देगा वर्तमान में वह अपनी कार निकाले जरूरी सामान साथ ले और एक घंटे तक मुर्री के लिए रवाना हो जाए।

फोन बंद करने के बाद इमरान पेंट ट्राई किए बिना ही बाहर निकल आया और फिर से उसी आंटी की खोज करने लगा। कुछ ही देर में इमरान को वह आंटी फिर से नज़र आ गई जो अभी तक इस बात से अनजान थे कि उनका मोबाइल चोरी हो गया है, उन पर नज़र पड़ते ही इमरान उनके साथ जा कर खड़ा हो गया और चुपके से नजरें बचाते हुए उनका मोबाइल फिर से उनके पर्स में डाल दिया। और फिर से अपने लिए कुछ कपड़े देखने लगा। अब इमरान अपनी पसंद के अनुसार कपड़े पसंद कर रहा था, उसने 1 पेंट, 2 शर्त और 2 शॉर्ट्स खरीदें और साथ अंडर वेयर और कुछ जरूरी सामान खरीद कर प्लाजा से निकल गया। इस दौरान इमरान ने जाना कि एक व्यक्ति लगातार इमरान से कुछ दूरी पर उसके साथ था। जहां इमरान जाता वहीं वह व्यक्ति कुछ दूरी पर खड़ा होकर विंडो शॉपिंग करने लग जाता और जैसे ही इमरान राफिया के क्रेडिट कार्ड से बिल भुगतान करके बाहर निकल कर अपनी कार की ओर गया वह व्यक्ति भी प्लाजा से बाहर निकल आया और उसी कार की ओर जाने लगा जो इमरान का पीछा कर रही थी। 

इमरान हल्के से मुस्कुराया और कार में बैठकर फिर से राफिया के घर पहुंच गया। मेन गेट पर गार्ड ने एक बार फिर से इमरान को रोक लिया मगर रात वाली घटना और राफिया की डांट याद आई तो तलाशी लेने की बजाय उसने इंटर काम पर राफिया को इमरान के आने की सूचना दी राफिया ने गार्ड से कहा कि उन्हें जल्दी मेरे रूम तक पहुंचा दो तो गार्ड इमरान के साथ राफिया के रूम की ओर जाने लगा, राफिया के रूम तक पहुंचाकर वह गार्ड वापस चला गया और इमरान बिना हिचक दरवाजा खोलकर राफिया के रूम में प्रवेश हो गया। राफिया इस समय स्पोर्ट्स पैंटी और शर्ट पहने हुए थी शायद जॉगिंग करके हटी थी। और उसके हाथ में एक ढीली शर्ट और एक शॉर्ट थी राफिया ने इमरान को मुस्कुरा कर देखा और बोली तुम दूसरे कमरे में जाकर बाथरूम इस्तेमाल करो, मैं अपने कमरे में ही हूँ बस कुछ देर में नहा कर निकलती हूँ। साथ ही राफिया ने इमरान को मुस्कुराते हुए कहा कि अपनी शेव भी बना लो। बाल काफी बढ़े हुए हैं। इमरान ने भी चेहरे पर हाथ फेरा तो आज काफी दिनों के बाद वास्तव में एहसास हुआ कि उसकी शेव बढ़ी हुई है। 

जब से हनीमून के बाद उसने कर्नल इरफ़ान पीछा करना शुरू किया था उसको अपनी सॉफ सफाई का कोई विचार नहीं था बस 1 दिन पहले ही शाजिया जी ने राज के चेहरे को मेकअप करने के लिए धोया था मगर पूरी शेव नहीं बनाई थी ताकि केप्टन फ़ैयाज़ और इमरान की नकल में अधिक सुधार आ सके। राफिया की बात सुनकर इमरान ने राफिया को आँख मारी और बोला केवल शेव ही करना या ... ........... ...... 

इमरान की इस लम्बी सी "या" मतलब राफिया जल्दी समझ गई थी वह भी मुस्कुराते हुए और थोड़ा शरमाते हुए बोली हां वह भी क्यों नही हम मुर्री जा रहे हैं तो अच्छी तरह सफाई करना होगा। राफिया की बात सुनकर इमरान ने एक ठहाका लगाया और साथ वाले कमरे में मौजूद शौचालय में घुस गया। ठंडे ठंडे पानी के नीचे खड़े होकर इमरान को आराम मिलने लगा था। इतने दिनों की भागदौड़ और मानसिक तनाव अब पानी के साथ बहने लगा। अपने ऊपर अच्छी तरह ठंडा पानी डालने के बाद इमरान ने पहले शौचालय में पड़े रेजर से अपनी शेव बनाई और फिर इसी रेजर से अपने नीचे के बाल भी साफ किए। जांघों के बाल साफ करते हुए इमरान को एहसास हुआ कि वह काफी दिनों से पाकिस्तान में ही है। क्योंकि उसके बाल खासे बढ़े हुए थे, हनीमून पर उसने विशेष रूप से अपने द्वारा नाभि बालों की सफाई थी, मगर जहां तक इमरान को याद था वह महज 4 या 5 दिन से ही पाकिस्तान में था और कर्नल इरफ़ान की कैद से लेकर आज तक सेर्फ 5 दिन ही बीते थे। लेकिन अपने बढ़े हुए बाल देख कर इमरान ने अनुमान लगाया कि वह कोई 10 से 15 दिन से पाकिस्तान में है। शायद यह बाकी के दिन उसके कोमा की हालत मे गुजरे होंगे जब वह कर्नल इरफ़ान की कैद में था 

बालों की सफाई के दौरान इमरान को अपनी पत्नी रश्मि की भी याद आई जो हनीमून पर उससे अलग हुई थी और अब तक दोनों का पुनः मिलन नहीं हो सका था। इमरान सोचने लगा कि रश्मि उसके बारे में क्या सोचती होगी कि हनीमून पर ही उसका पति उसे छोड़कर चला गया और इतने दिन बीतने के बाद भी अभी तक उसकी वापस नहीं हो सकी। रश्मि की याद आई तो इमरान का दिल किया कि वह तुरंत इंडिया चला जाए और जाकर अपनी नवव्याहता पत्नी को अपने गले से लगाकर बहुत सा प्यार करे। मगर अफसोस कि ऐसा संभव नहीं था क्योंकि एक सिपाही को स्वदेश प्रेम पहले और बाकी रिश्ते नाते बाद में आते हैं। कुछ ही देर बाद इमरान ने रश्मि के विचार को मन से झटक दिया, इसलिए नहीं कि उसे रश्मि से प्यार नहीं था बल्कि इसलिए कि कहीं रश्मि की याद उसको अपने कर्तव्य से लापरवाही बरतने पर मजबूर न कर दे। इमरान ने अपनी अच्छी तरह सफाई की और एक घंटे तक ठंडे पानी का शॉवर लेने के बाद वह एक शर्ट और साथ मे शॉर्ट पहन कर वापस आ गया। बाहर निकला तो राफिया अपने कमरे में खड़ी मेकअप कर रही थी राफिया ने एक ढीली शर्ट और साथ एक छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थी जो शायद उसकी थाईज़ को घेर रही थीं। पैर से लेकर घुटनों तक और फिर आधी से अधिक जांघे नंगी थीं राफिया की, यह देखकर इमरान की शॉर्ट में मौजूद लंड को एक शॉट लगा और वह धीरे धीरे खड़ा होने लगा। मगर जल्द ही उसने अपने जज़्बात पर काबू पा लिया क्योंकि वह जल्दी में अंडर वेयर शौचालय में पहनना भूल गया था। और बिना अंडर वेयर खड़ा लंड कुछ ज्यादा ही स्पष्ट होकर दिखाई दे रहा था इसलिए इमरान ने तत्काल अपनी भावनाओं पर काबू पाया और अपनी कुछ आवश्यक वस्तुएँ एक छोटे से शोल्डर बैग में डालने लगा। 

कुछ ही देर में राफिया का मेकअप भी पूरा हो गया, बहुत हल्के से मेकअप में राफिया बहुत सुंदर लग रही थी, उसने भी जल्दी-जल्दी अपने कुछ कपड़े एक छोटे बैग में डाले और चलने के लिए तैयार हो गई। लेकिन अब की बार राफिया ने पुरानी कार में जाने की बजाय अपनी बीएमडब्ल्यू में ही जाने की जिद की तो इमरान भी जल्दी मान गया क्योंकि इतना लम्बा सफर एक तो वैसे ही यातनादायक होता है ऊपर से पुरानी कार में यात्रा करना और भी सजा ... और फिर इमरान तो जानता ही था कि कोई अब राफिया अपहरण नहीं होने वाला है और खतरे वाली कोई बात नहीं इसलिए इमरान ने राफिया की जिद तुरंत मान ली और कुछ ही देर में राफिया और इमरान बीएमडब्ल्यू में आर्मी रीज़ीडीनशियल क्षेत्र से निकल कर पाकिस्तान के प्रसिद्ध बरेजा साइन पानवेल बरेजा से गुजर रहे थे 

लाहोर से होकर अब राफिया की बीएमडब्ल्यू 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से छोटे शहरों और कस्बों से होती हुई मुर्री की ओर जा रही थी। इमरान खुद ड्राइव कर रहा था जबकि राफिया इमरान को अपने जीवन के बारे में और अपने रहन-सहन के बारे में बता रही थी, इमरान बड़े ध्यान से राफिया की बातें सुन रहा था उसको पता चल गया था कि राफिया एक बातूनी लड़की है जो चाहती है कि वह हर समय बोलती रहे और दूसरा उसकी बातें सुनता रहे, मगर इमरान को इसलिए भी जरूरी था राफिया की बातों को सुनना क्योंकि राफिया एक कर्नल की बेटी थी और इमरान इंतजार कर रहा था कि शायद कोई और काम की बात रफिया के मुंह से निकले जो इमरान के लिए उपयोगी साबित हो सके। 

दूसरी ओर जब समीरा को राज की कॉल प्राप्त हुई तो उसने भी जल्दी से तैयारी शुरू कर दी। समीरा को जो चीज सबसे अधिक दर्दनाक लग रही थी वह इतना लंबा सफर था जो समीरा ने अकेले ही तय करना था। कार में 11 से 12 घंटे की यात्रा अकेले तय करना कोई आसान काम नहीं था। समीरा ने तुरंत किचन में जाकर खाना बनाया, घर में चावल और एक चिकन मौजूद था तो समीरा ने चिकन पुलाव बना लिया और चूल्हे पर हल्की आंच पर चावल रखकर समीरा स्वयं नहाने चली गई, नहा कर समीरा बाहर निकली तो उसने कमरे में ही अपने पहले वाले कपड़े उतारे और शापर से नया सूट निकाल कर पहन लिया, नया सूट पहन कर समीरा तुरंत किचन में गई और चावल में चम्मच हिलाया, फिर वापस बाहर आकर समीरा ने कुछ जरूरी चीज़े समेटी, कार की चाबी उठाई, स्लीपर पहने और फिर से किचन में गई तो चावल लगभग पक चुके थे, समीरा ने कुछ चावल प्लेट में डाल कर किचन में खड़े होकर खाए और उसके बाद प्लेट धो कर एक साइड पर रखकर नल बंद कर दी। फिर समीरा ने एक टिफिन में शेष चावल डाले जो मुश्किल से एक या 2 प्लेट्स के बराबर होंगे, वो टिफिन शापर में डाला और अपने कपड़ों वाला शापर उठाकर गाड़ी की चाबी उठाई और भागती हुई कार में जा कर बैठ गई, कार स्टार्ट की और अपने मोबाइल पर जीपीएस ऑन करके मुर्री का रास्ता सेव कर लिया और मुर्री के लिए निकल गई, समीरा को वास्तव में जल्दी इस बात की थी कि एक तो उसे राज ने कहा था कि उसे जल्दी निकलना है ताकि राज से पहले मुर्री पहुंच सको और दूसरा उसे अकेले यात्रा करना है इसलिए जल्दी निकले तो आधी रात से पहले पहले मुर्री पहुंच सको। समीरा करीब 3 बजे घर से निकली थी, इस हिसाब से अगर वो बहुत जल्दी भी पहुंच जाती तो रात 1 तो बज ही जाने थे इसीलिए समीरा बहुत जल्दी में घर से निकल गई। 

उधर राफिया और राज भी अपनी मंजिल की ओर दौड़ रहे थे कि रास्ते में राफिया के मोबाइल पर कप्तान फ़ैयाज़ की कॉल आई। कैप्टन का नाम देखकर राफिया ने बुरा सा मुँह बनाया मगर उसे कॉल अटेंड करनी ही थी। राफिया ने हाय कहा तो आगे से फ़ैयाज़ ने हेलो राफिया मैम कहा और राफिया से पूछने लगा कि मैम आप कब तक मुर्री के लिए रवाना होंगी ?? राफिया ने बताया कि वह मुर्री के लिए रवाना हो चुकी है और अब लाहोर से काफी दूर निकल चुकी है।

इस पर कैप्टन फ़ैयाज़ को एक शॉक लगा क्योंकि उसका मानना था कि राफिया अभी घर पर ही होगी, पर राफिया तो कैप्टन के फोन आने से कोई 30 से 35 मिनट पहले लाहोर से निकल चुकी थी। कैप्टन ने राफिया को बताया कि कर्नल साहब ने मुझे आदेश दिया है कि आपके साथ मुर्री तक जाऊं तो अगर किसी जगह रुक कर मेरा इंतज़ार कर लें तो जल्द ही आप तक पहुंच जाऊंगा, लेकिन राफिया ने कहा कि मैंने पापा को कह दिया था कि जिसको भी भेजें वो मुझसे दूर ही रहे, सुरक्षा के नाम पर अपना यह टूर बोर नहीं होने दे सकती, आप जीपीएस पर मेरी लोकेशन एड कर लो और दूरी रखकर मुर्री तक आजाो। यह कह कर राफिया ने फोन बंद कर दिया। और फिर से इमरान के साथ बातों में व्यस्त हो गई 

जबकि केप्टन फ़ैयाज़ ने तुरंत अपना मोबाइल और आवश्यक वस्तुएँ लीं और अपनी सेना की जीप में बैठ कर वह भी मुर्री के लिए रवाना हो गया। उसने अपने मोबाइल पर राफिया की ईमेल आइडी को पहले ही एड कर रखा था और जीपीएस के अनुसार राफिया और केप्टन फ़ैयाज़ की कार के बीच कोई 35 किलोमीटर की दूरी थी जो लगातार बढ़ती जा रही थी क्योंकि राफिया शहर से निकल चुकी थी और काफी तेज गति के साथ मुर्री की ओर जा रही थी जबकि कैप्टन फ़ैयाज़ अभी शहर के यातायात में फंसा धीरे धीरे लाहोर शहर से निकलने की कोशिश कर रहा था। उसके मन में मेजर राज का भी ख्याल था और वह सोच रहा था कि राफिया के इस व्यर्थ के कार्यक्रम के कारण अब वह मेजर राज को नहीं पकड़ सकेगा, हालांकि वह बहुत करीब पहुंच गया था उनके ठिकाने के बस कुछ देर पहले पहुंच जाता तो इस समय समीरा और मेजर राज दोनों उसकी कैद में होते। मगर अफसोस ऐसा नहीं हो सका। 
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01-10-2019, 01:27 PM,
#58
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
राफिया ने कैप्टन से बात करने के बाद फोन बंद करके कार के डैशबोर्ड में डाल दिया और कार की रूफ को हटा दिया, रात का समय था और मौसम भी काफी सुखद था, ठंडी हवा के झोंकों से राफिया के बाल उड़ रहे थे और वह कार में खड़ी हो गई और ठंडी हवा का मज़ा लेने लगी, राफिया ने अपने हाथ फैला लिए और बच्चों की तरह सफ़र का मज़ा लेने लगी, इमरान उसकी ये हरकतें देखकर मुस्कुरा रहा था और उसको राफिया पर प्यार आने लगा था।कुछ देर बाद राफिया वापस बैठ गई और राज के कंधे पर सिर रख लिया। राज ने भी एक प्यार भरी किस राफिया के सिर पर की और कार ड्राइव करने में लगा रहा। राफिया का हाथ अब इमरान के हाथ में था और वह धीरे धीरे इमरान की थाई को सहला रही थी। इमरान की थाई को सहलाते सहलाते राफिया ने उसकी शॉर्ट्स को थोड़ा ऊपर उठा दिया था जिससे अब इमरान की थाई नग्न हो गई थी और अपनी नंगी थाई पर राफिया का नरम और गर्म हाथ का स्पर्श पाकर इमरान के शॉर्ट्स में हलचल शुरू हो गई थी। इमरान का लंड धीरे धीरे अपना सिर उठा रहा था जिसको राफिया ने महसूस किया था। वह तो पहले से ही यही चाहती थी, कल रात भी उसने इमरान के लंड पर सवारी करना चाही थी मगर इमरान की उदासीनता के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका था। लेकिन अब राफिया का मन फिर कर रहा था कि वह अपने नए प्रेमी के लंड देखे कि आखिर उसमे कितनी जान है और वह उसकी जमकर चुदाई भी कर सकता है या नहीं। 

कुछ देर थाई सहलाने के बाद राफिया अब पीछे हट कर बैठ गई और उसने कार के दरवाजे के साथ टेक लगा ली और अपने दोनों हाथ भी कार के दरवाजे पर टिका लिए, उसके बाद राफिया ने अपनी टाँगें फैला कर इमरान की गोद में रख लीं जिसमें इमरान का ध्यान इस समय ड्राइविंग पर था वह जल्द से जल्द सफर तय करना चाहता था ताकि जितनी जल्दी हो सके वह समीरा तक पहुंच सके जो उनसे पहले मुर्री के लिए रवाना हुई थी। और समीरा और इमरान की योजना थी कि वह रास्ते में कहीं भी मिलेंगे और आगे की यात्रा एक साथ तय करेंगे।मगर राफिया का मूड कुछ और ही था। उसने इमरान की गोद में अपने पैर रखने के बाद अपने पैर की एड़ी से इमरान के पैरों के बीच मौजूद लोहे की रॉड की तरह खड़े लंड पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया। राफिया को अपने पांवों पर इमरान के लंड भरपूर अनुमान हो गया था कि अब इमरान का लंड फुल जोबन पर है। अब की बार राफिया ने अपने पांवों से इमरान के लंड को सहलाना शुरू कर दिया, इमरान ने एक बार मुस्कुरा कर राफिया को देखा जो अपने निचले होंठ को दाँतों में दबाए काट रही थी और उसकी नजरें इमरान की शॉर्ट्स के अंदर मौजूद लंड पर ही थीं। इमरान ने अब अपना एक हाथ राफिया के गोरे गोरे पैरों पर रख दिया और उस पर अपने हाथ नीचे से ऊपर तक फेरने लगा। 

राफिया के पैर इस ठंड के मौसम में भी गर्म हो रहे थे यह उसके अंदर की गर्मी थी जोकि इमरान के वीर्य से ही खत्म हो सकती थी। इमरान का लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और इमरान के शॉर्ट्स में एक छोटा सा तम्बू नुमा तम्बू बन गया था। राफिया अब अपने पैरों के तले से इमरान के लंड को पकड़ कर मसल रही थी जिससे इमरान को भी मज़ा आने लगा था और अब उसने अपनी कार की गति थोड़ा धीमी कर दी थी। कुछ देर और अपने पांवों से इमरान के लंड को मसलने के बाद राफिया ने अपने पैर के पंजे से इमरान की शॉर्ट को साइड से हटा दिया और अपना पैर अंदर डाल करके इमरान के गरम लंड को छुआ तो रफिया को 440 वोल्ट का झटका लगा, इमरान के लंड की गर्मी ने राफिया के पैर को जला कर रख दिया था, इससे पहले अराज के लंड में उसको कभी इतनी गर्मी महसूस नहीं हुई थी जितनी गर्मी इस समय इमरान के लंड से निकल रही थी। राफिया ने दरवाजे के साथ टेक लगाए रखी और अपने पैर से इमरान के लंड को शॉर्ट्स से बाहर निकाल दिया। 

ऑटो मैटेक वाहन की वजह से इमरान का केवल एक पैर उपयोग हो रहा था ड्राइविंग के लिए और उसका दूसरा पैर फ्री था और उसने अपना पैर इस तरह मोड़ लिया था कि राफिया अपने पैरों को अच्छी तरह इस्तेमाल करते हुए उसके लंड से खेल सके। जैसे ही इमरान का लंड उसकी शॉर्ट्स से बाहर निकला वह एक सांप की तरह फूँकारता हुआ सीधा खड़ा हो गया, उसकी लंबाई और मोटाई देखकर राफिया की आँखें फटी की फटी रह गई और उसका एक हाथ अपने मुंह में चला गया और आश्चर्य व्यक्त करते हुए उसने अपने हाथ की उंगलियों को अपने होंठों पर रख लिया, इमरान भी राफिया की तरफ देखकर मुस्कराने लगा और संकेत से ही इशारे में राफिया से पूछा कि उसे यह हथियार कैसा लगा ?? राफिया ने भी पहले अपनी आंखों के इशारे से उसकी प्रशंसा की और फिर अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेर कर अपनी बेताबी के बारे में इमरान को बताने लगी। 

अब राफिया ने इमरान के खड़े हुए लंड को एक बार फिर से अपने पैरों के तलवों के दरमयाँ लेकर अपने पैरों से लंड की मालिश करना शुरू कर दिया था। इमरान को भी अपने लंड की इस तरह मालिश करवाना बहुत अच्छा लग रहा था, आज तक किसी ने उसके लंड की अपने पैरों से इस तरह मालिश नहीं की थी राफिया के पैर उसके हाथों की अपेक्षाकृत कठोर थे और उनकी सख्ती इमरान के लंड को भरपूर मजा दे रही थी। लंड को तलवों के बीच फंसा कर राफिया अपने पैरों को यूँ आगे पीछे घुमा रही थी जैसे दही की लस्सी बनाने के लिए अपने हाथों के बीच मथानी लेकर घुमाई जाती है। इमरान का लंड शाफ्ट की तरह राफिया के पैरों के बीच में बहुत मजे में था और अपने इस मजे को व्यक्त इमरान के लंड के टोपे पर कुछ बूँदें निकाल कर किया था। राफिया की नज़र जब इमरान के टोपे पर मौजूद बूंदों पर पड़ी तो उसने अपने दाहिने पैर के अंगूठे को इमरान के लंड के टोपे पर मसलना शुरू कर दिया और वीर्य की वो बूँदें इमरान के टोपे पर ही मसल दी, उसके बाद फिर से लंड को शाफ्ट की तरह अपने पैरों में दबाकर उसकी लस्सी बनाना शुरू कर दिया

इमरान जो पहले 160 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से ड्राइव कर रहा था अब उसकी रफ़्तार शायद 60 किलोमीटर प्रति घंटा हो चुकी थी क्योंकि अब उसका ध्यान सड़क के साथ अपनी टांगों के बीच मौजूद लंड पर भी था जिसे राफिया अपने सुंदर पैरों से किसी मथानी की तरह घुमा घुमा कर इमरान को मज़ा दे रही थी। अब इमरान ने अधिक मज़ा लेने के लिए राफिया के मम्मों की ओर इशारा किया जो उसने अपनी छोटी सी शर्ट में छिपाए थे। इमरान के संकेत पर राफिया ने एक नज़र अपने मम्मों पर डाली और फिर अपनी शर्ट थोड़ी ऊपर उठाकर अपना एक हाथ अपनी शर्ट के अंदर डाल कर अपने दाहिने हाथ से अपना मम्मा दबाने लगी।

राफिया ये सारी हरकतें करते हुए अपने होंठ को बराबर दांतों में लेकर काट रही थी जिससे उसके अंदर होने वाली हलचल और लंड की मांग का इमरान को बखूबी अंदाजा हो गया था। अब राफिया ने अपनी शर्ट और ऊपर उठा कर अपने बूब्स से ऊपर कर ली। नीचे से अब राफिया के गहरे नीले रंग का सुंदर ब्रा नज़र आ रहा था। दोनों मम्मों के दरमयाँ ब्रा में एक सुंदर सा नगीना लगा हुआ था जिसकी चमक राफिया के मम्मों को और अधिक सुंदर बना रही थी।इमरान के एक और संकेत से राफिया ने ब्रा हुक खोल अपना बायां मम्मा अपने ब्रा से बाहर निकाल लिया। जैसे ही राफिया का मम्मा उसके ब्रा से बाहर निकला इमरान के लंड ने एक जोरदार अंगड़ाई ली और उसका अब दिल कर रहा था कि वह यहीं गाड़ी रोककर राफिया की चुदाई करे और उसकी योनी की प्यास बुझा दे, मगर वह ऐसा नहीं करना चाहता था क्योंकि उसे जल्द से जल्द समीरा के साथ मिलना था जो इस समय कम से कम उन लोगों से 50 किलोमीटर की दूरी पर आगे जा रही थी। 

राफिया अब अपने मम्मे को लगातार अपने हाथ से दबा रही थी और उसके मम्मे पर छोटे गुलाबी निपल्स देखकर इमरान की ज़ुबान मुँह से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी ताकि अपनी जीभ की नोक से वह राफिया की निपल्स कर रगड़ रगड़ कर रफिया की गर्मी में और वृद्धि कर सके। मगर उस समय वह निप्पल इमरान की ज़ुबान की पहुंच से बहुत दूर था। राफिया के पैर अब इमरान के लंड के आसपास मजबूत पकड़ बनाए ऊपर नीचे हरकत कर रहे थे, इस हरकत में तेजी नहीं थी मगर पैरो की मज़बूत पकड़ और उनकी सख्ती इमरान के लंड को खूब मज़ा दे रही थी और समय समय पर इमरान के लंड की टोपी पर वीर्य की कुछ बूँदें दिखाई देती जो धीरे धीरे उसके शाफ्ट की ओर बढ़ती और राफिया के पैरों की रगड़ से इमरान के लंड पर ही मसली जाती . कुछ देर और इमरान के लंड को इस तरह मज़ा देने के बाद राफिया ने विचार किया कि एक और वाहन तेजी से उनके करीब आ रहा है, तो राफिया ने तत्काल अपना मम्मा फिर से अपनी ब्रा में छुपा लिया और अपनी शर्ट भी नीचे कर ली। कुछ ही देर बाद वह गाड़ी तेजी से उन की कार को पार करती हुई आगे निकल गई तो राफिया ने फिर से अपने पैरों को इमरान के लंड के आसपास हरकत देना शुरू कर दिया।

अब राफिया अपनी जगह से उठी और अपने घुटने अपनी सीट पर रखकर इमरान की ओर झुकती चली गई, राफिया का मुँह सीधा इमरान की गोद में जाकर रुका जहां 8 इंच लंबा और मोटा ताजा लंड राफिया का इंतजार कर रहा था, राफिया ने अब पहली बार इमरान के लंड अपने हाथों में पकड़ा और उसकी मोटाई और लंबाई की जाँच करने लगी, फिर उसने प्रशंसा भरी नज़रों से इमरान को देखा और अपनी ज़ुबान निकालकर इमरान के लंड की टोपी पर मौजूद वीर्य की बूंदों का नमकीन स्वाद चखने लगी। लंड पर मौजूद वीर्य अच्छी तरह चाटने के बाद अब राफिया ने अपनी ज़ुबान इमरान के लंड की टोपी पर मौजूद छोटे से छेद में घुमानी शुरू कर दी जिससे इमरान के लंड को जबरदस्त झटके लगे, यह इमरान का पहला अनुभव था कि एक लड़की ने अपनी ज़ुबान लंड की टोपी पर मौजूद छेद पर घुमाई हो। इमरान के पूरे शरीर में एक बार गुदगुदी हुई और वह अपने मजे के चरम पर पहुंच गया।राफिया की ये अदा इमरान को बहुत पसंद आई और अब वह इसे एंजाय कर रहा था। कुछ देर ऐसे ही करने के बाद अब राफिया की ज़ुबान इमरान के लंड की टोपी के आसपास घूम रही थी। इमरान का लंड राफिया को बहुत पसंद आया था और टोपी की बनावट तो विशेष रूप से उसे बहुत अच्छी लगी। 

राफिया ने सिर ऊपर उठाया और इमरान से पूछा कि तुम्हारे लंड की टोपी काफी सुंदर है और अलग ही नजर आ रही है अराज की तो ऐसी नहीं थी। तो इमरान ने उसे बताया कि हिंदू ख़तना नही करवाते हैं इसीलिए लंड की टोपी की शेप इस तरह की बन जाती है। ये सेक्स के लिए भी अच्छी रहती है और सुंदर भी लगती है। यह सुनकर राफिया ने एक बार फिर अपनी जीभ बाहर निकाल ली और अब की बार वह इमरान की टोपी पर ज़ुबान फेरना शुरू करती और उसके लंड की शाफ्ट से होती हुई लंड के एंड तक ज़ुबान ले जाती। फिर राफिया ने अपने होंठों को इमरान की टोपी पर रखा और होंठों में दबा कर अपने होंठ गोल गोल घुमाने लगी। राफिया लंड की चुसाइ करने में माहिर थी और इमरान उसकी लंड चुसाइ को बहुत एंजाय कर रहा था। उसकी हर अदा इमरान को एक नया मज़ा दे रही थी। इमरान समझ गया था कि इस 21 वर्षीय जवान लड़की में बहुत आग भरी हुई है और उसकी चूत इमरान के लंड को बहुत मज़ा देने वाली है। 

कुछ देर अपने होंठों से इमरान की टोपी को चूसने के बाद अब इमरान की टोपी राफिया मुंह के अंदर थी जिसकी गर्मी इमरान को सातवें आसमान तक पहुंचा रही थी। राफिया ने एक हाथ इमरान के आंडो के नीचे रख लिया और अपनी उंगलियों से उसके आंडो को हौले हौले दबाने लगी और दूसरा हाथ इमरान लंड पर रखकर उसके शाफ्ट को अपने मुंह के अंदर लेने लगी। राफिया बहुत मजे से इमरान के लंड को चूस रही थी इमरान के लंड की लंबाई और मोटाई देखकर ही राफिया को अपनी चूत से पानी निकलता महसूस हो रहा था जोकि उसकी चूत से होकर थाईज़ तक आ रहा था और उसकी छोटी सी शॉर्ट से बाहर निकलकर उसकी गोरी गोरी थाईज़ पर चमक रहा था। 

राफिया ने अब तेज तेज चुसाइ शुरू की तो इमरान की हल्की-हल्की सिसकियाँ निकलना शुरू हो गईं, राफिया कोशिश कर रही थी कि वह इमरान का पूरा 8 इंच लंड अपने मुंह में ले जाए मगर शायद 5 से 6 इंच लंड ही राफिया के मुंह में जा रहा था और राफिया जमकर उसकी चुसाइ कर रही थी। कार की गति अब कम होती जाती 20 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच चुकी थी और हल्का हल्का अंधेरा भी हो रहा था। इमरान से अब और ज़्यादा ड्राइविंग नहीं हो पा रही थी उसने पास ही पेड़ों का एक झुंड देखकर गाड़ी रोक ली और राफिया को गाड़ी से नीचे उतरने को कहा। राफिया ने इमरान के लंड को अपने मुंह से निकाला और अपनी साइड वाला दरवाजा खोलकर गाड़ी से उतर गई, इमरान भी कार से नीचे उतरा और अपना लंड हाथ में पकड़े दूसरी साइड में कार की ओट में खड़ा हो गया, सड़क सुनसान थी दूर तक कोई वाहन नहीं थी। इमरान कार के दरवाजे से टेक लगाकर खड़ा हो गया जबकि राफिया अब पैरों के बल नीचे जमीन पर बैठ गई और इमरान का लोड़ा एक बार फिर से अपने मुँह में ले करके उसको चूसने लगी। इमरान ने राफिया को इशारा कर दिया था कि जल्दी जल्दी चुसाइ लगाकर इमरान को खाली करवाए ताकि वह फिर से अपनी यात्रा शुरू कर सकें
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01-10-2019, 01:27 PM,
#59
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
राफिया ने अब अपनी छोटी सी शॉर्ट की ज़िप खोल कर उसे थोड़ा नीचे कर लिया और अपनी पैन्टी साइड से हटा कर अपनी एक उंगली अपनी चूत में डाल करके उसको खुद ही चोदने लगी और दूसरे हाथ से इमरान के लंड पकड़े हुए चुसाइ लगाती रही। राफिया की चूत के अंदर ऐसी गर्मी थी जैसे किसी ओवन में आग जल रही हो, उंगली डालते ही उसकी पूरी उंगली राफिया की चूत चिकने पानी से चिप चिप करने लग गई थी मगर वह लगातार अपनी उंगली से अपनी चूत की चुदाई करने में व्यस्त थी । जबकि दूसरी ओर इमरान का लंड अब अपने मजे की अंतिम सीमाओं को छूने लगा था। राफिया के मुंह से भी अब सिसकियाँ निकलना चाह रही थीं मगर मुँह में लंड की वजह से वह सिसकियाँ ले पा रही थी, कुछ ही देर और अपनी चूत में उंगली घुमाने के बाद राफिया की चूत ने गरम-गरम पानी छोड़ दिया, पानी छोड़ने के दौरान राफिया ने इमरान का लोड़ा अपने मुंह से बाहर निकाल लिया और मज़े से सिसकियां लेने लगी। जब सारा पानी निकल चुका तो फिर राफिया ने इमरान का लोड़ा मुँह मं डाला और उसको चूसने लगी। 

2 मिनट और चुसाइ लगाने के बाद इमरान को अपने लंड के अंदर वीर्य का दबाव बढ़ता हुआ महसूस होने लगा तो उसने राफिया को बता दिया कि वह छूटने वाला है, यह सुनकर राफिया ने लंड मुंह से बाहर निकाला और इमरान के साथ होकर बैठ गई मगर उसने इमरान के लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसकी मुठ मारने लगी। राफिया देखना चाहती थी कि इमरान का लंड से वीर्य कितने दबाव के साथ निकलता है। कुछ देर और मुठ मारने के बाद इमरान के लंड को एक जोरदार झटका लगा और साथ ही उसके मुंह से आह आह की आवाज भी निकलने लगीं और वीर्य की एक गाढ़ी और धारदारमलाई इमरान के लंड की टोपी से निकली और 4, 5 फीट दूर जाकर गिरी। इमरान के लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकलने लगी हर एक धार पहले वाली धार से थोड़ा कम होती और उसका दबाव भी पहले की तुलना में कम होता था जब इमरान के लंड ने खूब ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया तो राफिया ने इमरान के लंड को एक बार फिर अपने मुंह में लिया और उसकी टोपी पर लगी हुई चिकनाहट को चाटने लगी। राफिया ने अपनी जीभ से इमरान के लंड को अच्छी तरह साफ कर दिया और फिर इमरान के शॉर्ट्स को फिर से ऊपर करके लंड शॉर्ट्स के अंदर कर दिया और खड़ी होकर पहले अपनी पैन्टी को सेट किया और फिर अपनी ज़िप बंद करके गाड़ी मैं बैठ गई, जबकि इमरान भी दूसरी ओर से आकर कार में बैठ गया। वह कार में बैठने के बाद राफिया को अपने पास करके उसके होठों पर एक जोरदार किस किया और फिर से चलाने लगा। 

अब इमरान की कार की स्पीड खतरनाक हद तक ज़्यादा थी वह 180 किलोमीटर की गति से ड्राइव कर रहा था, और कार की छत अब बंद कर दी गई थी क्योंकि इतनी गति में हवा का दबाव इमरान और राफिया के चेहरे की नैया डूबा सकता था । राफिया ने एक बार इमरान को थोड़ा धीरे चलने को कहा मगर इमरान ने कहा परेशान न हो मैं बिल्कुल रिलैक्स हूँ और तेज गति से ड्राइव करना मेरे लिए सामान्य है। राफिया ने पूछा मगर तुम तो कह रहे थे कि तुम अपनी आजीविका के लिए छोटी मोटी चोरियां करते हो तो गाड़ी तुम्हारे पास कहाँ से आई जो तुम चलाते हो ?? इमरान ने राफिया को मुस्कुरा कर देखा और मन ही मन उसकी ज़हानत की दाद देने लगा, मगर वह भी तो सी आईडी का एजेंट था, उसके पास जवाब पहले से तैयार था। इमरान ने मुस्कुराते हुए राफिया को देखा और बोला तुम्हें बताया था न कि एक वेले मेरा दोस्त है। तो बस आप जैसी अमीर जादिया जब डांस क्लब और डिस्कोथेक में आती हैं और वहाँ 2, 3 घंटे रुकती हैं तो मैं अपने दोस्त से अपनी पसंद की गाड़ी की चाबी लेकर उसके खूब मजे करता हूँ, रात में सभी चौराहे सुनसान होते हैं दिल खोलकर ओवर सपीडिंग करता हूँ और अपना शौक पूरा कर लेता हूँ। उसके जवाब पर राफिया ने इमरान को मुस्कुरा कर नॉटी बॉय कहा और कार में मौजूद टेप पर एक इंग्लिश सॉंग लगा दिया और चुपचाप वह सांग सुनने लगी।

कैप्टन फ़ैयाज़ जो राफिया से काफी फ़ासले पर उसके पीछे पीछे आ रहा था वह अपने मोबाइल पर देखा कि मैप में उन दोनों के बीच दूरी कम हो रही है, लेकिन यह महसूस हुआ जैसे राफिया की कार एक जगह रुकी हुई है और वह अपनी जगह से आगे नहीं बढ़ रही। यह देखकर फ़ैयाज़ ने अपनी गति और भी और ज़्यादा बढ़ा दी, उसको डर पैदा हो गया था कि राफिया को उन्हीं गुंडों ने पकड़ लिया फिर से, लेकिन वह नहीं जानता था कि इस समय राफिया इमरान का 8 इंच लंबा लंड मुंह में डाले अपनी चूत को सहला रही है। जब यह दूरी बहुत कम रह गई और दोनों के बीच महज 5 से 6 कलोमीट की दूरी रह गई थी तो फिर केप्टन फ़ैयाज़ ने जीपीएस पर देखा कि राफिया की कार चल पड़ी है और अब की बार दोनों के बीच दूरी बहुत तेजी से बढ़ने लगी है। कैप्टन फ़ैयाज़ ने अपनी गति और बढ़ाई ताकि वह देख सके कि राफिया ख़ैरियत से है या नहीं मगर दूरी लगातार बढ़ रही थी और केप्टन फ़ैयाज़ एक विशेष गति से आगे अपनी जीप को नही चला पाया जबकि राफिया की बीएमडब्ल्यू 180 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से फ़ैयाज़ से खासी दूर निकल चुकी थी। 

इमरान पिछले एक घंटे से काफी तेज गति के साथ गाड़ी चला रहा था उसके मन में लगातार समीरा का विचार था उसने फोन पर समीरा को तेजी के साथ जाने के लिए कहा था मगर इमरान को इस बात का अंदाजा नहीं था कि समीरा किस गति के साथ गाड़ी चला सकती है। इसलिए वो जितनी तेजी से कार चला सकता था चला रहा था। 4 लेन वाली चौड़ी सड़क बिल्कुल खाली थी, दूर दूर तक आबादी का कोई निशान नहीं था थोड़े थोड़े दूरी पर कोई गाड़ी आती तो इमरान की कार बिजली की सी गति से उसको पार करती हुई निकल जाती। फिर इमरान को दूर एक कार के इंडीकेटर दिखे। एक कार सड़क से थोड़ी दूरी पर खड़ी थी और उसके दोनों इंडीकेटर लगातार जलते और बुझते दिखाई दे रहे थे, इमरान समझ गया कि यह समीरा की कार होगी, क्योंकि फोन पर इमरान ने समीरा को करीब करीब यही जगह बताई थी जहां पहुंचते पहुंचते वह बा आसानी समीरा के पास होगा और समीरा ने यहां पहुंचकर कार के एक टायर से हवा निकालनी थी। 

कार के इंडीकेटर देखकर इमरान ने गाड़ी धीमी कर ली थी, और फिर कुछ ही दूरी रह जाने के बाद इमरान समझ गया था कि ये समीरा की ही कार है। समीरा रोड पर खड़ी उसकी कार को हाथ से रुकने का इशारा करने लगी, इमरान ने 80 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से समीरा को कार पार किया तो राफिया एकदम बोली गाड़ी रोको, कार रोको ... यह तो वही लड़की है .. गाड़ी रोको। इमरान ने गाड़ी इसीलिए धीरे की थी ताकि राफिया अच्छे से समीरा को देख सके और पहचानकर खुद गाड़ी रोकने को कहे, अगर वह न कहती तो इमरान ने खुद ही कह देना था कि बेचारी अकेली लड़की लग रही है उसकी मदद करनी चाहिए, मगर उसकी नौबत नहीं आई और राफिया ने ही इमरान को गाड़ी रोकने का कह दिया। इमरान ने गाड़ी तुरंत रोकी और एक गियर लगाकर फिर से कार को समीरा की कार के पास ले आया।

कार अपने पास आता देखकर समीरा जो इस समय एक ढीली शर्ट और शॉर्ट पहने हुए थी थोड़ा आगे बढ़ी और कार रुकने पर राफिया के दरवाजे पर आकर थोड़ा झुकी राफिया ने कार का शीशा खोला तो समीरा ने मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा वह दरअसल मेरी कार का टायर पंचर हो गया है और मेरी गाड़ी में उस समय स्टेपानी भी मौजूद नहीं है क्या आप मेरी सहायता कर सकती हैं ?? राफिया ने मुस्कुराते हुए समीरा को देखा और कहा लगता है आपने मुझे पहचाना नहीं। समीरा ने अब राफिया को ध्यान से देखा और ऐसे एक्टिंग की जैसे पहचानने की कोशिश कर रही हो, तो कुछ देर के अंतराल से बोली नहीं मैंने वाकई आपको नहीं पहचाना। तो राफिया बोली अरे कल रात नाइट क्लब में आपने क्या खूब डांस किया था में भी वहीं थी, तुम अंजलि हो ना? समीरा को जल्दी से याद आया कि उसने सुभाष को नाइट क्लब में अपना नाम अंजलि ही बताया था, उसने धन्यवाद किया कि कहीं उस ने उस दौरान अपना मूल नाम समीरा तो नहीं बता दिया। राफिया की बात सुनकर समीरा बोली कि हाँ मैं अंजलि ही हूँ मगर मुझे याद नहीं कि आप से मिली हूँ। यह सुनकर राफिया ने दरवाजा खोला और कार से उतर आई, इमरान भी अपनी साइड वाला दरवाज़ा खोल कर नीचे उतर आया। अब की बार इमरान ने आगे बढ़कर समीरा से हाथ मिलाया और बोला जी अंजलि जी हम आपकी क्या मदद कर सकते हैं? अंजलि ने अब की बार इमरान से कहा कि उसकी गाड़ी का टायर पंचर हो गया है और कार में सटपनी नहीं है, मैं नहीं जानती कि अब मुझे क्या करना चाहिए। रात का समय होने वाला है और मुझे सफ़र भी बहुत लंबा करना है। 

अंजलि की बात सुनकर इमरान बोला कि कहाँ जाना है आपने? तो अंजलि ने कहा मुर्री जा रही हूँ। और आपको पता है यहां से करीब 7 घंटे का सफ़र है। अंजलि की बात सुनकर इमरान बोला अरे हम भी मुर्री जा रहे हैं, आप हमारे साथ ही चलें क्योंकि अब इस कार पर तो नहीं जा सकतीं। यह सुनकर राफिया ने भी अंजलि को अपने साथ चलने के लिए आमंत्रित किया, और अंजलि थोड़ी सी नाटक बाजी के बाद राजी हो गई आख़िर उनकी योजना यही थी कि समीरा आगे मुर्री तक राफिया और इमरान के साथ जाएगी। और इमरान ने अंजलि को कह दिया कि कार की आप चिंता न करें मेरा एक दोस्त पास ही एक गांव में रहता है उसको फोन कर दूँगा वह आपकी कार ले जाएगा और कार का काम करवा कर जहां आप कहेंगी वहाँ पहुंचा दिया जाएगा। उसके बाद इनकार की गुंजाइश नहीं रहती थी। अंजलि ने जल्दी जल्दी अपना कुछ जरूरी सामान जो एक कपड़े का बैग था और एक टिफिन बॉक्स जिसमें अंजलि ने घर से निकलते हुए अपने लिए खाना डाल लिया था उठाकर राफिया की कार में रखा। और पीछे वाली सीट पर दरवाजा खोलकर बैठ गई

इमरान ने राफिया को कहा कि अब वह ड्राइव करे तो राफिया जल्दी से ड्राइविंग सीट पर बैठ गई और इमरान साथ वाली सीट पर बैठ गया और राफिया धीमी गति के साथ मुर्री की ओर रवाना हो गई। गाड़ी रवाना होने के बाद इमरान ने अंजलि से मोबाइल मांगा तो राफिया ने कहा मेरे मोबाइल का उपयोग कर लो, लेकिन इमरान ने अंजलि का ही मोबाइल लिया क्योंकि वह राफिया का मोबाइल लेकर किसी मुसीबत में नहीं फँसना चाहता था, क्या पता राफिया के मोबाइल से जाने वाली कॉल रिकॉर्ड हो रही हों .

इमरान ने अंजलि से मोबाइल लेकर अमजद को कॉल किया मगर उसका नंबर बंद जा रहा था, तो इमरान ने एक और नंबर पर संपर्क किया और एक अज्ञात व्यक्ति को जिसका इमरान ने नाम नहीं लिया कार की लोकेशन और उसके नंबर के बारे में बता कर कहा कि उसको फिलहाल किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दे, तो वो बाद में फोन करके बता देगा कि कार कहां चाहिए। यह कह कर इमरान ने फोन वापस अंजलि को दे दिया। 

इमरान अब कार में बैठा अंजलि से बातें करने लगा और उसके बारे में पूछने लगा, अंजलि भी उसको अपने बारे में ऐसे बता रही थी जैसे दोनों पहले से एक दूसरे को बिल्कुल भी न जानते हों। कुछ देर बाद राफिया ने अंजलि से पूछा कि वह मुर्री किस सिलसिले में जा रही है तो अंजलि ने कहा कोई खास काम नहीं, माँ पापा देश से बाहर गए हुए हैं वह बोरियत दूर करने के लिए मुर्री जा रही है। राफिया ने पूछा कि उसके साथ में कोई प्रेमी आदि या कोई दोस्त, अंजलि कुछ देर चुप रही और फिर बोली कि बस प्रेमी को अपने व्यापार से फुर्सत नहीं मेरे लिए उसके पास समय ही नहीं इसलिए अकेले ही जा रही हूँ। काफी देर तीनों अलग टोपिक्स पर बातें करते रहे, 3 घंटे बाद राफिया ने इमरान को ड्राइव करने को कहा और अंजलि को अगली सीट पर बुलाकर खुद पिछली सीट पर जाकर लेट गई और कुछ ही देर में उसकी आंख लग गई। इमरान ने आँखों ही आँखों में अंजलि को इशारा कर दिया था कि राफिया से सावधान रहे और कोई ऐसी बात न करे जिससे उसे पता लगे कि हम पहले से एक दूसरे को जानते हैं। 

दूसरी ओर कप्तान फ़ैयाज़ अपनी तरफ से जितना तेज राफिया की कार का पीछा कर सकता था कर रहा था। मगर फिर भी उसकी गति इमरान की ड्राइव की गति से बहुत कम थी। कुछ दूर जाकर एकदम ब्रेक की जबरदस्त आवाज आई। कैप्टन फ़ैयाज़ ने रोड के किनारे पर एक कार खड़ी देखी थी जो उसको जानी पहचानी लगी। उसको देखकर कैप्टन ने फुल ब्रेक लगाई थी। वास्तव में कैप्टन ने कार तो पहली बार देखी थी मगर उसकी नंबर प्लेट देखकर कैप्टन की छठी इंद्री ने उसे तुरंत नेहरू नगर में मिलने वाले व्यक्ति की याद दिलाई, जो नंबर उसने बताया था शायद वही नंबर इस कार का था। कैप्टन की कार उस कार से काफी आगे जाकर रुकी, केप्टन ने तुरंत अपनी कार का दरवाजा खोला और अपनी बंदूक हाथ में पकड़े अपनी कार की ओट लेकर खड़ा हो गया और पिछे खड़ी समीरा की कार को देखने लगा, थोड़ी ही देर में कैप्टन फ़ैयाज़ को अनुमान हो गया था कि कार के आसपास या अंदर कोई नहीं है, तो भी वो सतर्कता दिखाते हुए थोड़ा झुककर चलता हुआ कार तक गया और चारों ओर की समीक्षा के बाद कार का दरवाजा खोलकर अंदर देखा जहां कोई भी मौजूद नहीं था, कार का नंबर अब कैप्टन फ़ैयाज़ पढ़ चुका था और उसे यकीन था कि यह वही कार है जिसके बारे में समीरा के घर के बाहर उस व्यक्ति ने बताया था कि एक लड़की बड़ी जल्दी में इस कार में बैठ कर निकली थी।


मगर उस समय कार में ऐसी कोई चीज़ नहीं थी जिसको देख कर कैप्टन फ़ैयाज़ यह अनुमान लगा सके कि आखिर कार में कौन कौन था और अब वो कहाँ हैं। कैप्टन फ़ैयाज़ ने तुरंत करीबी थाने का नंबर लेकर वहाँ फोन किया और पुलिस को बुला लिया जो 10 मिनट में ही पहुंच गई। पुलिस ने गाड़ी कब्जे में ले ली और थाने ले गए, जबकि कैप्टन फ़ैयाज़ फिर से अपनी कार में बैठ कर मुर्री की ओर चल दिया। अब उसको डर था कि कहीं ये लोग राफिया के इंतजार में तो नहीं खड़े थे ???


कैप्टन ने तुरंत अपना फोन निकाला और राफिया को कॉल मिलाई राफिया ने थोड़ी ही देर बाद फोन अटेंड किया तो कैप्टन फ़ैयाज़ ने पूछा राफिया मैम आप ठीक हैं? तो राफिया ने कहा हां मैं ठीक हूँ, लेकिन तुम क्यों पूछ रहे हो। कैप्टन फ़ैयाज़ ने कहा मेडम आपके अपहरण में इस्तेमाल होने वाली कार मुझे रास्ते में मिली है, वह खाली है और मुझे डर है कि वो रास्ते में आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे। राफिया ने पूछा कि कौन-सी जगह पर मिली है तुम्हें वह कार, केप्टन फ़ैयाज़ ने अपनी लोकेशन बताई तो राफिया ने आगे बैठी अंजलि को घूर घूर कर देखना शुरू कर दिया। कैप्टन फ़ैयाज़ ने ज़्यादा कुछ विवरण बताए तो राफिया ने कहा परेशानी की कोई बात नहीं मैं ठीक हूँ और मुझे रास्ते में ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ कि कोई मेरा पीछा कर रहा हो। यह कह कर राफिया ने फोन बंद कर दिया मगर वह आगे बैठी अंजलि को घूर रही थी। 
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01-10-2019, 01:28 PM,
#60
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
इमरान के कान राफिया के फोन ओर ही थे, कॉल बंद होते ही इमरान ने पूछा कि क्या हुआ? राफिया ने बताया कि कैप्टन का फोन था जिसे पापा ने भेजा है मेरी रक्षा के लिए। । इमरान ने पूछा क्या कह रहा था वह? तो राफिया ने बताया कि वह बता रहा था मुझे अपहरण करने वाले गुंडों ने जिस कार का इस्तेमाल किया था वह उसको रास्ते में मिली है। और वह वही जगह बता रहा है जहां से हमने अंजलि को पिक किया है। यह कहते हुए राफिया की नज़रों में कुछ भय और संदेह के मिश्रित भाव थे। इमरान भी एकदम ठिठक गया था क्योंकि उसके अनुमान के अनुसार उसके लोग अभी समीरा की कार तक नहीं पहुंचे होंगे इससे पहले ही केप्टन फ़ैयाज़ जो उनसे कुछ ही दूरी पर आ रहा था वह इस कार तक पहुंच गया, उसको कैसे पता लगा कि यह कार समीरा या मेजर राज के उपयोग में थी। मगर उसने अपनी इस सोच को कुछ देर के लिए पीछे डाल दिया और राफिया से बोला कमऑन प्रिय, तुम्हारे इस कैप्टन का भी दिमाग खराब है। जिस कार में तुम्हें वह गुंडे डाल रहे थे तो सुजुकी मारुति थी, जबकि अंजलि के पास होंडा सिटी है। और तुमने खुद भी देखी ही थी वह गाड़ी जिसमें गुंडे तुम्हें डालना चाह रहे थे। वह अंजलि वाली गाड़ी कभी नहीं थी। कैप्टन बस कर्नल साहब को खुश करना चाहता है यह बताकर उसने उन गुंडों की कार पकड़ ली है इसलिए अब जल्द ही वे गुंडे भी पकड़े जाएंगे। 

इमरान खुद भी जानता था कि उसकी दी गई यह तसल्ली कुछ खास कारगर नहीं होगी। और हुआ भी यूं ही था। राफिया इमरान की बात से संतुष्ट नहीं हुई थी, अंजलि को भी अहसास हो गया था कि कुछ गड़बड़ है, अब वह राफिया की ओर देखती हुई बोली, यह क्या मजाक है, क्या उसने मेरी गाड़ी पकड़ ली है ??? और यह गुन्डो का क्या चक्कर है ??? में अभी पापा को फोन करती हूं कि वे पता करें यह क्या चक्कर है। यह कह कर अंजलि ने एक नंबर मिलाया और फिर आगे फोन अटेंड करने वाले को पापा कह कर बुलाया और उसे अपनी कार के बारे में बताने लगी कि इस तरह किसी कैप्टन ने उसकी गाड़ी पकड़ ली है पता करो वो मेरी ही कार है या किसी और कार है, और अगर मेरी है तो अपने किसी दोस्त को भेजकर वह कार वापस करवाएं भला हमारा गुण्डों से क्या संबंध। यह कह कर अंजलि ने फोन बंद कर दिया। इससे राफिया थोड़ी संतुष्ट हुई कि हो सकता है उसी जगह पर कोई और गाड़ी मिल गई हो कैप्टन फ़ैयाज़ को और यह वह गाड़ी न हो जो अंजलि की थी। यह सोचते हुए राफिया सीट पर लेट गई और सो गई .

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इधर 
अमजद की जब आंख खुली तो उसके चारों ओर अंधेरा था, उसे कुछ समझ नहीं आया कि वह इस समय कहाँ उसने जोर से अपनी आँखें झपकी और अंधेरे में देखने की कोशिश करने लगा तो धीरे धीरे उसकी आँखें जो न जाने कब से बंद थीं कमरे में मौजूद रोशनी से परिचित होने लगीं और कुछ ही देर में उसे पता चल गया कि वह एक बंद कमरे में मौजूद है जहां उसे एक कुर्सी के साथ बांध कर रखा हुआ था। अमजद ने कुर्सी से उठने की कोशिश की तो वह बुरी तरह विफल हो गया, उसके दोनों पैर को लोहे के राड के साथ बांधा हुआ था जब उसके दोनों हाथों को कुर्सी के पीछे ले जा कर नाइलोन की रस्सियों से मजबूती के साथ बांधा हुआ था।अमजद ने इधर उधर गर्दन घुमा कर पूरे कमरे की समीक्षा की मगर कमरे में उसके अलावा और कोई भी मौजूद नहीं था। अमजद के मन में काशफ का विचार आया जो उसके साथ ही था जब सेना के जवानों ने अमजद को गिरफ्तार किया और उनकी आंखों पर पट्टी बांधकर कार में बिठाया तब भी अमजद को काशफ के साथ होने का एहसास था मगर कब उसके सिर में कोई वज़नी चीज़ लगी और वह होश खो बैठा, उसके बाद अब आंख खुली तो काशफ को ना पाकर अमजद परेशान हो गया था। 

वह समझ गया था कि अब वह बड़ी मुश्किल में फंस चुका है काशफ से अलग पूछताछ होगी और अमजद से अलग, इस स्थिति में नब्बे प्रतिशत संभावना है कि दोनों के बयानों में विरोधाभास होगा जिसकी वजह से सेना को उन पर शक यकीन में बदल जाएगा। अमजद अपने दिमाग पर जोर दे रहा था कि आखिर उससे कहां गलती हो गई कि सेना ने उसे इस तरह से ढूंढ निकाला मगर उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि आखिर यह कहां गलती हुई है। एक बार उसका ध्यान डांस क्लब के रिसेप्शन पर मौजूद व्यक्ति की ओर भी गया मगर फिर उसने सोचा वह भला क्यों हमारी मुखबिरी करेगा और उसे क्या मालूम हमारे बारे में वो तो बस मुझे और समीरा को ही जानता है और समीरा भी उसके लिए एक प्रोफेशनल डांसर के अलावा कुछ नहीं जो मात्र कुछ पैसे कमाने के लिए अपने शरीर के जलवे दिखाने डांस क्लब में जाती है। मगर अमजद को पता नहीं था कि वास्तव में समीरा के डांसर होने की वजह से ही वह मुसीबत में फंसा है। समीरा ने जो अपने हुस्न के जलवे कैप्टन फ़ैयाज़ को दिखाए थे और उसके बाद मेजर राज के केप्टन के रूप में सफ़र करना ही मूल फसाद की जड़ बना। 

काफी देर तक अमजद कमरे में इधर उधर ताकता रहा, कमरे में उसके अलावा और कोई मौजूद नहीं था और न ही उसकी कुर्सी के अलावा कोई और सामान मौजूद था। अब अमजद सोच ही रहा था कि आगे चलकर उसके साथ क्या होगा कि अचानक उसे एक दिलख़राश चीख सुनाई दी। चीख की आवाज सुनते ही अमजद के कान खड़े हो गए कि इतने में एक और ऊँची चीख उसको कानों में पड़ी। अमजद के माथे पर अब पसीने की बूंदें दिखाई देना शुरू हो गई थी क्योंकि यह चीख किसी और की नहीं बल्कि उसके साथी काशफ की थी।अमजद समझ गया कि काशफ के साथ जांच शुरू हो चुकी हैं और इस समय हिंसा के माध्यम से सच उगलवाने की कोशिश की जा रही होगी। अमजद जानता था कि काशफ एक कठोर आदमी है, लेकिन वह कर्नल इरफ़ान के टॉर्चर को कब तक सहन कर सकेगा इस बारे में अमजद चिंतित था। वह जानता था कि कर्नल इरफ़ान के सामने बड़े बड़े सूरमा सच उगल देते हैं काशफ क्या चीज़ है। 

हालाकी अमजद जानता था कि अब उसकी बारी भी आने ही वाली है मगर उसको फिर भी अपने से अधिक काशफ की चिंता थी। अधिक 15 मिनट तक काशफ की कोई आवाज सुनाई नहीं दी। इस दौरान अमजद काशफ के बारे में चिंतित तो था ही मगर साथ ही वह अपने मन में भी एक कहानी बनाने में व्यस्त था कि उससे किस तरह के सवाल किए जाएंगे और उन्हें कैसे जवाब देने हैं। अमजद अब इन्हीं सोचों में गुम था कि उसे अपने कमरे के बाहर तेज तेज चलने की आवाजें सुनाई दीं। अमजद तैयार हो गया कि अब की बार टॉर्चर सहने की बारी अमजद की है। इतने में कमरे में मौजूद एकमात्र दरवाजा खुला और जो चेहरा अमजद ने पहले देखा वह किसी और कानहीं बल्कि कर्नल इरफ़ान का चेहरा था। अमजद के विचार के विपरीत कर्नल इरफ़ान के चेहरे पर एक मुस्कान थी और वह बहुत खुश नजर आ रहा था। उसके चेहरे पर मुस्कान देख कर अमजद के मन में पहला ही विचार यह आया कि शायद काशफ कर्नल का टॉर्चर सहन नहीं कर पाया और सब कुछ उगल दिया। कर्नल के पीछे एक लड़की और एक 40 वर्षीय व्यक्ति भी थे, लड़की के एक हाथ में चमड़े का हंटर था जबकि दूसरे हाथ में एक बॉक्स के आकार का बॉक्स था जिसमें न जाने क्या चीज़े थी जबकि दूसरे व्यक्ति के हाथ में एक कुर्सी थी जो उसने फुर्ती के साथ कर्नल के अंदर पहुंचने से पहले ही आगे बढ़कर अमजद के सामने रख दी और कर्नल बड़े विजयी ढंग से उस कुर्सी पर बैठ गया। कर्नल ने अपनी टाँगें ऊपर उठा कर फैला लिए और अमजद के पैरों पर उपहास और अपमानजनक शैली में रख दिए . कर्नल ने अपना दाहिना पैर बाएं पैर के ऊपर रखा था जिससे कर्नल के बूट अमजद के चेहरे से कुछ ही दूरी पर मौजूद थे और जूतों की बदबू अमजद की नाक तक बा आसानी पहुंच रही थी। 

कर्नल इरफ़ान ने मुस्कुराते हुए अमजद को देखा और बोला सरदार जी अब बताओ अब कौन सा बहाना बनाओगे? कल कैसे दुबारा उसी गैस स्टेशन पर पहुंचे, पहले तो उस आतंकवादी राज ने तुम्हें मजबूर किया हुआ था मगर कल फिर से तुम उसी गैस स्टेशन पर मौजूद थे। यह सुनकर अमजद कुछ अहसास हुआ कि काशफ ने कुछ नहीं बताया क्योंकि कर्नल ने अब भी अमजद को उसी नाम से संबोधित किया था जो उसने पहली बार पकड़े जाने पर बताया था। अमजद ने बेचारगी सा चेहरा बनाते हुए कहा सर जी उस दिन जब आपके आदमी ने मुझे पेट्रोल पंप से वापस घर जाने को बोला था तो मैं तो समझा मुसीबत टल गई है वह आतंकवादी पकड़ा गया होगा, लेकिन अगले दिन फिर से मुझे कॉल आ गई कि अपने एक दोस्त को ले जाओ और उसे मेरी तरह का हुलिया देकर फिर से उसी गैस स्टेशन पर जाकर दुकानदार को तंग करो वरना तुम्हारे घर वालों की खैर नहीं। मैं तो जी उसी के कहने पर अपने इस बेचारे दोस्त को लेकर उस गैस स्टेशन पर चला गया था ताकि मेरे परिवार को कोई नुकसान न पहुंचाया जा सके। इसमें मेरा कोई दोष नहीं। 

अमजद की बात समाप्त हुई तो कर्नल अभी भी मुस्कुरा कर अमजद को देख रहा था जबकि पीछे खड़ी लड़की और दूसरा व्यक्ति भी एक मुस्कान होठों पर सजाए अमजद को देख रहे थे। फिर एकदम से कर्नल इरफ़ान के चेहरे पर मुस्कान की जगह गुस्से ने ले ली और उसने लड़की को एक इशारा किया जिस पर उसने आगे बढ़ कर अपनी पूरी ताकत से चमड़े का हंटर अमजद की पीठ पर दे मारा और फिर तुरंत ही उस लड़की ने दूसरा वार किया और अबकी बार हंटर अमजद गर्दन और पीठ पर निशान छोड़ गया। फिर उस लड़की ने एक और वार अमजद की गर्दन पर किया मगर इस बार इस वार में पहले वाली ताकत नहीं थी, जिसकी वजह से हंटर गर्दन पर अधिक जोर से तो न लगा मगर लंबे हंटर ने अमजद की गर्दन के आसपास फंदा बना लिया।हंटर अमजद की गर्दन के आसपास लिपट गया था और उस लड़की ने ज़ोर से हंटर वापस खींचा तो अमजद को अपना सांस रुकता हुआ महसूस होने लगा और उसकी आँखें बाहर पानी में गिराने लगीं। अब की बार कर्नल इरफ़ान ने एक ठहाका लगाया और बोला अमजद साहब आपके दोस्त काशफ ने सब कुछ बता दिया है। आपका खेल खत्म हो गया है। बस अब तो बता दो कि इस समय तुम्हारे साथी मेजर राज और वह लड़की समीरा कहाँ हैं ??? और तुम्हारा एक तीसरा साथी सरमद भी है जो अब तक काशफ के बताए हुए पते की मदद से पकड़ा जा चुका होगा। 

कर्नल की बात समाप्त हुई तो लड़की ने अपना हाथ ढीला छोड़ दिया और आगे बढ़कर अमजद की गर्दन के आसपास से अपना हंटर अलग कर लिया और फिर पीछे होकर खड़ी हो गई। अमजद की आँखों में अभी अनिश्चितता के भाव थे। उसका शक सही साबित हुआ था कि काशफ सब कुछ उगल चुका है। क्योंकि अब की बार कर्नल ने अमजद को उसके मूल नाम से बुलाया था साथ में उसने काशफ का नाम भी लिया और सरमद का नाम भी जो इस समय मुल्तान में मौजूद था और तो और कर्नल ने समीरा का नाम भी लिया जो उस समय मेजर राज के साथ कहीं मौजूद थी। अमजद समझ चुका था कि अब वास्तव में उनका खेल खत्म हो गया है और अब कुछ भी झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं होगा। अमजद ने फैसला कर लिया था कि अब सब कुछ सच सच बता देना चाहिए क्योंकि झूठ से टॉर्चर होना था और अंत में कर्नल ने अमजद और काशफ दोनों को मार देना था सच बताने के मामले में भी कर्नल ने इन दोनों को मारना ही था मगर इस तरह उसको टॉर्चर से मुक्ति मिल सकती थी। 

अमजद ने सपाट चेहरे के साथ कर्नल को संबोधित करते हुए कहा कि मैं तुम्हें सब कुछ बता दूँगा बस मुझे एक गिलास पानी पिला दो। अमजद की बात सुनकर कर्नल ने लड़की को इशारा किया तो वो तुरंत कमरे से बाहर गई और कुछ ही देर के बाद वापस कमरे में आई तो उसके हाथ में पानी का गिलास मौजूद था। उसने आते ही वह गिलास अमजद के होंठों से लगा दिया और उसके ऊपर उंडेल दिया, पानी अमजद के चेहरे पर गिर गया, कुछ तो उसके मुंह में गया लेकिन ज़्यादा पानी उसके चेहरे और गर्दन पर गिर गया। मगर इस थोड़े से पानी ने भी अमजद को कुछ हौसला दिया था और उसका सूखा गला अब कुछ बोलने में सक्षम था। अब की बार अमजद बोला कि मैं यह तो नहीं जानता कि मेजर राज इस समय कहाँ है मगर .. ... ... ... ... इतना कहना था कि लड़की का हाथ फिर घूमा और उसका हंटर अमजद के शरीर में मौजूद कमीज को फाड़ कर उसके सीने पर अपने निशान छोड़ गया। हालाँकि अमजद एक कठोर आदमी था और कई बार वह पाकिस्तानी सेना के टॉर्चर बर्दाश्त कर चुका था मगर ये हंटर वाला टॉर्चर उस पर पहली बार हो रहा था और न जाने इस हंटर में ऐसा क्या था कि शरीर पर छोटे निशान बनते जा रहे थे। शायद कोई नुकीली चीज़ हंटर में मौजूद थी जो शरीर में एक स्टिंग की तरह घुस रही थीं। अमजद की सहनशक्ति जवाब दे गई थी और हंटर पर एक जोरदार चीख से कमरा गूंज उठा। अब अमजद को एहसास हो गया था कि आखिर काशफ क्यों नही सहन कर पाया था यह टॉर्चर . 

अमजद ने कुछ देर ठहरने के बाद फिर से अपने होंठ खोले और बोला ये ठीक है कि मेजर राज मेरे साथ था और मैं खुद ही उसे अपने घर ले गया था मगर यह भी सच है कि इस समय वह कहाँ है मैं नहीं जानता।लड़की का हाथ एक बार फिर हवा में लहराया मगर इस बार कर्नल इरफ़ान ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया।कर्नल शायद अमजद बात में सच्चाई नजर आ रही थी। अब की बार कर्नल ने अमजद से पूछा यह बताओ कि तुमने मेजर राज को मेरी कैद से कैसे मुक्त करवाया ??? कर्नल की बात सुनकर अमजद ने कहा मुझे एक अज्ञात नंबर से कॉल रिसीव हुई थी और भाटिया समाज में मौजूद एक बिल्डिंग का पता दिया था जहां से एक कैदी को छुड़ाना था। मैं नहीं जानता था कि वह कौन है। मुझे उसके बदले 10 लाख रुपये मिले थे। कर्नल ने अमजद की बात काटी और बोला फोन पर तुम्हें किसने कहा था कैदी को छुड़ाने का ?? तो अमजद ने कहा मैं उसे नहीं जानता, मुझे तो बस पैसे की पेशकश हुई और सारे पैसे अग्रिम मिल गए थे इसलिए मैं जल्दी तैयार हो गया। 

अब की बार कर्नल ने अपना हाथ लड़की की ओर बढ़ाया तो लड़की ने अपना हंटर कर्नल को पकड़ा दिया, कर्नल ने दो बार हंटर हवा में लहराया तो सटाक सटाक की आवाज दिल दहलाने लगीं। कर्नल ने अब की बार हंटर पर हाथ फेरते हुए कहा, मैं कैसे मान लूँ कि रॉ वाले इतने ना अनुभवी हैं कि वो किसी भी अनजान व्यक्ति को अपने मेजर को छुड़ाने का काम दे सकते हैं ??? यह कहते हुए कर्नल के चेहरे पर व्यंग्य भरी मुस्कान थी। जैसे वह यह कह रहा हो कि अमजद उससे झूठ बोल रहा है। लेकिन अमजद ने पूरे विश्वास के साथ फिर कहा कि रॉ में मेरी प्रतिष्ठा है, मेरे यहाँ पाकिस्तान में हर बड़े शहर में अंडरवर्ल्ड गिरोह के साथ संबंध हैं और पहले भी मैं उनके लिए काम करता रहा हूँ, मैं उनके लिए अनजान नहीं हूँ, उनको मेरा अच्छी तरह से पता है मेरे हर ठिकाने से परिचित हैं, लेकिन वो मेरी लिए अनजान ही हैं। न तो वो कभी खुलकर सामने आए हैं मेरे और न ही कभी किसी ने मेरे से मुलाकात की है। अब की बार कर्नल को अमजद की बात में सच्चाई नजर आई थी। कर्नल ने आगे पूछा कि फिर तुम ने कैसे छुड़ाया मेजर राज को ??

अब की बार अमजद ने पूरी सच्चाई से कर्नल को बताया कि उसने मेजर राज नहीं छुड़ाया बल्कि मेजर राज खुद ही उसकी कैद से निकल भागा था, हमने अपनी एक साथी लड़की समीरा को इस इमारत का निरीक्षण करने के लिए भेजा था तो वहाँ उसने कुछ गहमागहमी देखी थी और उसे लगा था कि शायद वहाँ कोई हादसा हुआ है, और इससे पहले कि हमारी साथी हमारे पास वापस आती हमें इस बिल्डिंग से एक युवक हांफता और भागता हुआ अपनी ओर आता दिखाई दिया और फिर पीछे से आने वाली समीरा की कार की वजह से वह झाड़ियों में छिप गया, हमें शक हुआ तो हमने उसे वहीं घेर लिया और वहीं हमें पता लगा कि वह केप्टन राज है जो खुद ही उस बिल्डिंग से निकल भागा था। हम तो अभी योजना ही रहे थे कि आखिर इस बिल्डिंग में कैसे घुसें और कैसे मेजर राज को सही सलामत बाहर निकालें। मगर राज तो हमारे कुछ करने से पहले ही वहां से निकल भागा था।
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