Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
06-07-2017, 02:22 PM,
#31
RE: वतन तेरे हम लाडले
अब वही डांसर मेजर राज की ओर आई और अपनी एक टांग उठाकर मेजर राज के घुटनों पर रख दी, डांसर का घाघरा साइड कट वाला था इसलिए पैर उठाते ही घाघरा साइड पर सरक गया और उसकी सफेद बालों से मुक्त टांग थाईज़ तक नंगी हो गई, मेजर राज ने अपना हाथ उठाया और उसकी नरम नरम थाईज़ पर फेरने लगा। अब डांसर ने अपनी टांग वापस नीचे रखी और मेजर राज की गोद में बैठ गई, उसने अपने दोनों घुटने मेजर राज की गोदमें रखे और घुटनों के बल बैठ गई। अब वह अपने शरीर को गोल चक्र में घुमाने लगी, उसके बड़े बड़े मम्मे राज की आँखों के सामने थे जिन्हें देखकर राज की सलवार में उसके लंड ने सिर उठाना शुरू कर दिया था। मेजर राज ने अपनी जेब में हाथ डालकर एक नोट निकाला और डांसर का ब्रा पकड़ कर थोड़ा खींचा और वह नोट उसकी ब्रा में फंसा दिया, इस दौरान मेजर राज ने डांसर के नरम नरम मम्मों का स्पर्श अपने हाथों में महसूस किया और नोट उसके ब्रा में रखते हुए अपनी एक उंगली से उसके निप्पल को भी छुआ था जिस पर डांसर ने डांस करते करते एक सिसकी भरी और मेजर राज को मुस्कुरा कर देखा और फिर उसकी गोद से उतर दूसरी टेबल पर चली गई। अब मेजर राज के साथ वाला व्यक्ति दूसरी डांसर को भी अपनी ओर बुलाने लगा और शराब के नशे में धुत्त होकर बोला आ बेबी तुझे बताऊं एक आर्मी ऑफिसर के साथ रात बिताने का कितना मज़ा आता है .... मेजर के कानों में यह आवाज पड़ी तो वह चौकन्ना हो गया उसके साथ बैठा व्यक्ति पाकिस्तानी सेना का जवान था मगर तब उसने ख़ू पी रखी थी। मेजर राज ने देखा कि उसकी जेब से उसका बटुआ बाहर निकला है, मेजर ने हाथ आगे बढ़ाया और चुपके से उसका बटुआ निकालकर अपनी जेब में डाल लिया। 

मेजर जेब काटने में माहिर था क्योंकि रॉ में प्रशिक्षण के दौरान उसे उन चीजों की भी ट्रेनिंग दी गई थी, ताकि समय पड़ने पर वह किसी भी जासूस या आतंकवादी की जेब में हाथ डाल सकें जिसमे कोई काम की चीज़ ही मिल जाए । इसके अलावा भिखारी बनकर किसी जगह पर भीख मांगना ताकि जासूसी की जा सके, सब्जी की रेहड़ी लगाकर पड़ोस में जाकर सब्जी बेचना, पठान के रूप में छोटी छोटी चीज़े गली मोहल्लों में बेचना इन सब चीज़ों का नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है जासूसी प्रशिक्षण में। और मेजर राज भी ये प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका था इसलिए उसने बिना उस व्यक्ति की नज़र में आए उसका बटुआ चुपके से निकाल लिया और अपनी जेब में रख लिया। 

अब अचानक ही हॉल में बजने वाला गाना बंद हो गया और माइक पर एक व्यक्ति ने अनाउन्सकिया सभी लोग अपने दिल थाम लें, क्योंकि अब आपके सामने आ रही है कि डांस क्लब की रौनक, जवान कातिल हसीना, आपके दिलों पर राज करने वाली डांसर मिस समीरा। । । । । । समीरा का नाम सुनते ही हॉल तालियों से गूंज लगा। मेजर को अंदाज़ा हो गया था कि समीरा वास्तव में इस डांस क्लब की मशहूर डांसर होगी और यहाँ सब लोग ही उसके डांस के शौक़ीन थे। 

अब मंच पर एकदम अंधेरा हो गया और फिर अचानक एक स्पॉट लाइट ऑनलाइन हुई जिसमें एक लड़की खड़ी थी, लड़की ने अपने शरीर के आगे दोनों हाथों से अपनी स्कर्ट के कपड़े का कुछ हिस्सा पकड़ा हुआ था और उसका सिर नीचे झुका हुआ था। यह कपड़ा लड़की के चेहरे, छाती और पेट तक को छिपा रहा था जबकि उसके नीचे लड़की के पैर लगभग नंगे ही थे इस लड़की ने भी साइड कट स्कर्ट पहन रखा था, लेकिन इस स्कर्ट की साइड कट के साथ फ्रंट और बैक कट भी था। यानी ठीक कपड़े की महज 4 पट्टी थीं जो उसके कूल्हों से होती हुई पांव तक आ रही थीं मगर उसकी टांगों का ज्यादातर हिस्सा नज़र आ रहा था। 

मेजर राज सहित पूरे हॉल में मौजूद पुरुषों का ध्यान अब समीरा की ओर था जबकि बाकी दोनों डांसर अब यहां से जा चुकी थीं। अब एक अरबी संगीत स्टार्ट हुआ तो समीरा ने अपना बदन हिलाना शुरू किया, आश्चर्यजनक रूप से समीरा का पूरा शरीर स्थिर था केवल उसका सीना दाएँ बाएँ हिल रहा था। जैसे-जैसे संगीत चेंज होता समीरा के सीने की गति भी उसी के हिसाब से चेंज होती। अब समीरा ने मुंह दूसरी तरफ कर लिया और अपनी पीठ हॉल की तरफ तो मेजर राज तो यह नज़ारा देखकर बेहोश ही हो गया, समीरा की कमर पूरी नंगी थी महज उसके ब्रा की डोरियां मौजूद थीं कमर और नीचे उसके स्कर्ट का फेंटा था जो महज उसके चूतड़ों को छिपा रहा था और नीचे वही 4 पट्टी जो समीरा के पैरों को छिपाने के लिए अपर्याप्त थीं। मेजर राज के सोच व गुमान में भी नहीं था कि समीरा इस स्तर की सेक्सी डांसर होगी।

समीरा अब भी अपनी पतली ब्लाउज हॉल की ओर किए अपने कूल्हों को हिला रही थी तो अचानक संगीत रुका तो समीरा के सीने की गति भी रुक गई, फिर अचानक से ही संगीत पुन: प्रारंभ हुआ तो समीरा ने फिर अपना चेहरा हॉल की ओर किया और इस बार उसने कपड़ा जो उसने अपने हाथों से शरीर के आगे कर रखा था वह नीचे गिरा दिया, समीरा ने चेहरे पर अरबी लड़कियों की तरह बारीक सेकपड़े का घूंघट कर रखा था जिस पर सुनहरे रंग के मोती लगे हुए थे और समीरा का ब्रा उसके मम्मों के ऊपर वाले भागों को छिपाने के लिए अपर्याप्त था।टाइट ब्रा ने समीरा के मम्मों को आपस में मिलाकर बहुत ही सुंदर क्लीवेज़ लाइन बना रखी थी और नीचे उसका दूधिया बदन क़यामत ढा रहा था। अब समीरा ने अरबी संगीत में बेली डांस शुरू कर दिया था। 

संगीत की ताल के साथ साथ समीरा कभी अपने कूल्हों को हिलाती तो कभी अपने पेट की मांसपेशियों को हरकत देती और कभी अपने बूब्स को हिलाती। समीरा बेली डांस में माहिर थी, किसी पेशेवर की तरह जब वह अपने मम्मे हिलाती तो उसका पूरा शरीर स्थिर होता मात्र उसके मम्मे ऊपर नीचे या दाएँ बाएँ हिलते थे। मेजर राज को बेली डांस बहुत पसंद था और वह अक्सर यूट्यूब पर अरबी या कुवैती लड़कियों का बेली डांस देखता था, लेकिन आज वह लाइव समीरा जैसी जवान और गर्म हसीना का बेली डांस देख रहा था। 5 मिनट तक यह अरबी संगीत चलता रहा और समीरा अपने शरीर के विभिन्न भागों को अग्रसर कर हॉल में मौजूद पुरुषों के लोड़ों को बिना छुए खड़ा करती रही। 

अब संगीत रुका और इंडियन रीमिक्स सॉन्ग परदेसी यह सच है पिया लग गया। अब इस गाने पर समीरा ने देसी इंडियन डांस शुरू किया और उसके शरीर के हर ठुमके पर हॉल में मौजूद लोग सीटियाँ बजाते और उसको दाद देते। समीरा ने अब अपने चेहरे पर मौजूद नाममात्र का कपड़ा भी उतार दिया था और अब वह भी मंच से उतर कर नीचे आ गई जहां वह पहले एक टेबल पर बैठे आदमी और औरत के बीच में जाकर बैठ गई, समीरा सोफे पर घुटने रखकर बैठ गई और अपना चेहरा महिला की ओर और अपनी पीठ आदमी की ओर कर दी, आदमी समीरा की पतली कमर और मोटी गाण्ड देख कर पागल हो गया और उसने जेब से पैसे निकालकर समीरा के स्कर्ट की कमर बंद में फंसा दिए जब कि समीरा ने महिला के होठों पर होंठ रख कर एक किस की जिससे पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा और उस स्त्री ने भी अपने ब्रा में हाथ डाल कर कुछ पैसे निकाले और समीरा की कमर पर हाथ फेरते हुए अपना हाथ उसके स्कर्ट में डाल पैसे उसकी पैन्टी में फंसा दिए और समीरा के लबों पर एक किस कर दिया। अब समीरा इस टेबल से उठी और दूसरे टेबल पर गई वहां भी बैठे पुरुष ने समीरा के कपड़ों में पैसे ठूंस दिए फिर समीरा मेजर राज की टेबल पर आई और उसकी गोद में बैठ गई। 

मेजर राज का लंड समीरा का शरीर देख कर पहले ही खड़ा हो चुका था, जैसे ही समीरा अपनी गाण्ड मेजर की गोद में रखकर बैठी नीचे लंड ने आगे सिर उठाया, समीरा को अपनी गाण्ड में मेजर का लंड लगा तो उसने हैरानगी से मेजर को देखा मगर मेजर ने ऐसे जताया जैसे उसे पता ही न हो कि उसका लोड़ा खड़ा है। समीरा मेजर की गोद में बैठ कर आधी लेट गई और मेजर की गर्दन में बाहें डाल दीं और अपनी टाँगें साथ बैठे दूसरे व्यक्ति की गोद में रख दीं, उसने अपने दोनों हाथ समीरा के गर्म पैरो पर फेरना शुरू कर दिए जबकि मेजर ने अपना हाथ समीरा की गर्दन से लेकर उसकी नाभि तक फेरा। बीच में समीरा के पहाड़ जैसे मम्मे भी आए जिन पर मेजर राज ने बिना हिचक अपना हाथ फेरा और धीरे से उन्हें दबा भी दिया, समीरा ने भी एक हल्की सी सिसकी ली। अब मेजर राज ने अपनी जेब से एक और नोट निकाला और समीरा की ब्रा में फंसा दिया, इस दौरान मेजर राज ने पहले की ही तरह समीरा के मम्मों को पकड़ कर दबा दिया जिससे समीरा ने शिकायती नज़रों से मेजर को देखा। 

अब समीरा मेजर की गोद से उठने लगी तो मेजर ने अपना मुंह समीरा के कानों के पास कर लिया और उसे कानाफूसी में कहा कि साथ वाला व्यक्ति पाकिस्तानी आर्मी का जवान है, इस पर कुछ विशेष ध्यान दो, शायद कोई काम की बात निकल सके। यह कह कर मेजर ने समीरा को अपनी गोद से उतारा और हॉल से बाहर निकल गया, जबकि समीरा अब मेजर की बात के अनुसार दूसरे व्यक्ति की गोद में बैठी उसे अपने शरीर का नज़ारा करवाने लगी। 

मेजर राज कमरे से बाहर निकला तो वह अभी शौचालय की खोज में था, क्योंकि पहले वाली डांसर के निप्पलस को छूकर और अब समीरा के मम्मों का स्पर्श पा कर उसकी गाण्ड को अपने लंड पर महसूस करके मेजर का लंड बुरी तरह सख्त हो रहा था और मेजर को अभी मुठ मारनी थी। मेजर अभी इधर उधर ही घूम रहा था कि एक कमरे से वही डांसर निकली जो समीरा से पहले मुन्नी बदनाम हुई वाले गाने पर डांस कर रही थी। उसने मेजर को देखा तो आँख मारी और बोली, साहब आदेश करो अगर मैं आपके किसी काम आ सकती हूँ तो बताओ। मेजर उसका इशारा समझ गया था, मेजर ने उसको कमर से पकड़ कर अपने पास किया और बोला एक तुम ही हो जो इस समय मेरे काम आ सकती हो मेजर की यह बात सुनकर डांसर ने मेजर का हाथ पकड़ा और खींचती अपने कमरे में ले गई। 

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कर्नल इरफ़ान अभी मुल्तान जाने वाली रोड पर अपने काफिले के साथ बहुत तेजी से बढ़ रहा था। कर्नल की कार सबसे आगे थी कुछ ही देर बाद कर्नल को दूर एक कार दिखी। करीब जाने पर पता चला कि यह सुजुकी मारुति जो नीले रंग की है। मगर उसका नंबर वो नहीं जो मेजर राज की कार का था। कर्नल इरफ़ान समझ गया था कि उन्होंने नंबर बदल लिया है। उसने ड्राइवर को कहा कि इस कार को रोके। ड्राइवर ने पार करते हुए अपनी कार सुजुकी मारुति के साथ लगाई और पार करने के बाद उसके सामने जाकर एक जोरदार ब्रेक मारी जिसके कारण पिछली कार में मौजूद अमजद को भी ब्रेक मारनी पड़ी। वह समझ गया था कि यह कर्नल इरफ़ान की ही कार होगी जो पता नहीं कैसे बेदी रोड को छोड़ कर उनके पीछे मुल्तान जाने वाले रास्ते में पहुँच गए हैं। 

गाड़ी रुकी तो अमजद ने तुरंत ही अपने चेहरे के भाव ऐसे बना लिए जैसे वह इस अचानक हमले से बहुत डर गया हो। कर्नल इरफ़ान ने अपनी कार का दरवाजा खोला और नीचे उतर आया, इससे पहले कि कर्नल इरफ़ान अमजद की कार तक पहुंचता कर्नल इरफ़ान के कमांडो ने अमजद की कार का दरवाजा खोल कर उसको बाहर निकाल लिया था और पिछले दरवाजे से भी जाँच कर चुके थे कि कार के अंदर कोई और नहीं है। जब कर्नल इरफ़ान अमजद के पास आया तो अमजद के हाथ उसकी कमर पर बांधे हुए थे और उसको कार के बोनट के ऊपर उल्टा क्या हुआ था कमांडो ने। 

कर्नल इरफ़ान ने अमजद के पास आकर पहले कार में झांका जहां कोई नहीं था और फिर अमजद को सीधा खड़ा किया। जैसे ही अमजद ने कर्नल इरफ़ान की ओर मुँह किया एक जोरदार तमाचा अमजद के गाल पर पड़ा और उसे तारे दिखने लगे। साथ ही कर्नल इरफ़ान की कर्कश आवाज़ आई और वह बोला कहां भेजा है बाकी लोगों को ??? अमजद ने रोनी रूप बनाकर कहा भाई जी कदरे नई भेजने ओन्हा नौ, ओ ते आपई मेरी गड्डी तो थल्ले ले गए सी। कर्नल इरफ़ान ने एक और थप्पड़ मारा और बोला सीधी तरह बता कहाँ हैं तेरे साथी ??? अब की बार अमजद ने वास्तव में रोते हुए कहा कि साहब जी मेरी गल्ल दा विश्वास करो, ओ एक कूदी सी ते 2 मुंडे। उन्हां ने मेरी गड्डी खो लई सी ते मेनू एक पुरानी जई जगह विच कैद कर दित्ता सी। आज सीरियाई ओ मुंडा गड्डी लेकर आया ते उदय नाल एक कूदी ते एक मुंडा होर वी सी ... कुड़ी दी उम्र 20 साल तो ले 23 साल तक हुए होंगे ते दोनों मुंडो दी उम्र 30 साल तो 35 साल तक होंगी उन्हां मेरे ते बड़ा ई अत्याचार कीता जी पहले उन्हा कोलों कटौती खाई ही तो हुन तोसी मेनू मार रए हो में पूछ्दा मेरा कसूर क्या ए।

यह कहते हुए अमजद जमीन पर बैठ गया और रोने लगा। कर्नल इरफ़ान अब अपने साथियों की तरफ देखने लगा कि यह क्या नया नाटक है ??? मगर फिर उसने अमजद को उसके सिर के बालों से पकड़ा और बाल खींचते हुए फिर से खड़ा कर दिया। और बोला सच सच बता उस गैस पंप पर तुम दोनों एक साथ थे सीसीटीवी फुटेज में देखा मैंने दूसरे व्यक्ति ने कुछ चीजें खरीदी और तुम ने उसके पैसे दिए। तुम मिले हुए हो उनके साथ और कार का नंबर भी नकली लगाकर गाड़ी चला रहे हो ... सच सच बताओ कहाँ आतंकवाद फैलाने का कार्यक्रम है तुम्हारा ... 

यह सुनकर अमजद बोला न साहब न, मैं आतंकवादी नई। बाबा गुरु नानक दी सौ में आतंकवादी नई जी गैस पंप ते पैसे में ही दिते सी, पर मैं होर कर वी की स्कदां सां? उस मुंडे कोलों पिस्तौल सी, ते मेरी गड्डी चे दूसरी कूदी ते एक मुंडा होर वी सी। मेनू दसों में उन्हां दे कहे पैसे ना दिन्दा ते ओ मेनू छड्डदे भला ??? ते रही गल मेरी गड्डी दे नंबर दी, तुस्सी चेक कर लो बिल्कुल असली नंबर हीगा मेरी गड्डी दा, मेरी अपनी गड्डी ए। कर्नल इरफ़ान ने अपने टेबलेट पर अमजद की कार का नंबर एंट्री किया तो वो वास्तव मे पंजीकृत नंबर था और इसी कार का था। अब मेजर थोड़ा ठंडा हुआ और और अमजद से उसका नाम पूछा तो अमजद ने अपना नाम सरदार सन्जीत सिंह बताया। कर्नल ने अमजद की जेब में हाथ डाला और उसकी जेब से उसका ड्राइविंग लाइसेंस और राशन कार्ड बरामद हुआ। इस पर भी उसका नाम सरदार सन्जीत सिंह दर्ज था। अब कर्नल इरफ़ान और ढीला पड़ गया। मगर उसे अब भी कहीं न कहीं संदेह था कि यह मेजर राज के साथ मिला हुआ है। उसने अमजद पूछा से कि तुम अब कहाँ जा रहे हो ??? तो अमजद ने बताया कि वह मुल्तान जा रहा है। कर्नल ने पूछा मुल्तान किसके पास जा रहे हो तुम तो अमजद ने बताया कि मुझे नहीं पता, बस इन लोगों ने एक बस स्टॉप पर उतर कर मुझे कहा कि तुम यहाँ से सीधे मुल्तान जाओगे और वहीं हम तुम्हें मिलेंगे।

कर्नल ने कहा कि वह आप से मुल्तान में कब और कहाँ मिलेंगे ??? तो अमजद ने बताया यह मैं नहीं जानता साहब, बस उन्होंने मुझे इतना ही कहा था कि मुल्तान शहर में घुसते ही दाहिने हाथ पर पेट्रोल पंप आएगा तुम अपनी कार वहां लगा देना। और चेतावनी दी जो पुलिस को कॉल करने की कोशिश की न तो तुम्हारी लाश के परखच्चे उड़ा दिए जाएंगे। फिर अमजद बहुत ही सहमा हुआ रूप बनाता हुआ बोला, साहब मुझे तो वह बहुत खतरनाक लोग लगते हैं, विशेष रूप से उन दोनों के साथ जो लड़की थी वह बहुत तेज थी और उसी ने गन प्वाइंट पर मेरे से दोपहर में कार छीनी थी। और बंदूक की बॅट मेरी गर्दन मार कर मुझे बेहोश किया था। 

अब कर्नल इरफ़ान ने अमजद को कहा तुम हमारे साथ मुल्तान चलोगे और पेट्रोल पंप पर खड़े हो जाओगे हम दूर से तुम्हारी निगरानी करेंगे। यह सुनकर अमजद ने कर्नल इरफ़ान को कहा सर मुझे नहीं लगता कि वह मुल्तान जाएंगे। भला कोई आतंकवादी ऐसे भी करता है कि अपने मिलने का ठिकाना इतनी आसानी से बता दे। यह निश्चित रूप से उनकी चाल है ताकि अगर पुलिस को सूचना देना भी सही तो पुलिस उनकी तलाश में मुल्तान के पेट्रोल पंप की निगरानी करते रहे और वे तसल्ली से अपनी कार्रवाई कर सकें। अमजद की यह बात सुनकर कर्नल इरफ़ान सोच में पड़ गया था। अब उसने अमजद पूछा कि वे कहाँ उतरे थे तुम्हारी कार से तो अमजद ने ठीक वही जगह बता दी जहां वे उतरे थे। कर्नल इरफ़ान ने कहा इसका मतलब है वह बस में जाएंगे मुल्तान। यह कह कर कर्नल इरफ़ान ने सीआईडी को कॉल करके सभी बसों की चेकिंग के लिए कहा और एक लड़की जिसकी उम्र 20 से 25 साल होगी और 2 आदमी जो 30 से 35 साल की उम्र के होंगे उन्हें हर बस और हर सार्वजनिक स्थानो में अच्छी तरह से ढूँढा जाय उसके अलावा कोई भी निजी वाहन बिना चेकिंग के चेक पोस्ट से न गुजर सके। 

कर्नल की बात समाप्त हुई तो अमजद बोला साहब वह बस पर तो बैठे ही नहीं थे, वे तो सड़क से उतर कर एक कच्चे रास्ते से पैदल ही चल निकले थे। शायद उनका ठिकाना किसी गांव में हो। और उन्होंने पुलिस को चकमा देने के लिए मुझे मुल्तान पहुंचने के लिए कहा हो ... अमजद की बात सुनकर कर्नल ने अमजद को कहा अगर तुम्हें ऐसा लगता है तो तुम मुल्तान क्यों जा रहे हो ?? इस पर अमजद ने कहा कि वह गरीब आदमी है, उसके पास यही एक कार है जो वह टैक्सी के रूप में चलाता है, यह सिर्फ मेरे विचार ही है, लेकिन अगर मेरा विचार गलत हुआ और वे वाकई मुल्तान चले गए और वहां मैं उन्हे नहीं मिला तो वह मुझे जान से ही मारदेंँगे फिर मेरे बीवी बच्चों का क्या बनेगा। 

कर्नल ने एक लंबी साँस ली । । । । और फिर बोला ठीक है तुम हमें उसी जगह ले चलो जहाँ आप उन लोगों को उतारा था, वह हम से बचकर कहीं नहीं जा सकते। इतने में एक अधिकारी कर्नल इरफ़ान के पास आया और कर्नल को एक शापर देते हुए बोला सर कार में यह चीजें बरामद हुई हैं। कर्नल ने शापर में देखा तो 2 जूस के डिब्बे, एक चिप्स का पैकेट और कुछ बिस्कुट थे। कर्नल ने अमजद को देखा और बोला यह क्या है ??? अमजद ने कहा, यह तो वही सामान है जी जो गैस पंप से खरीदा था उन्होंने। जाते हुए वह मुझे दे गए कि रास्ते में भूख लगे तो खा लेना मगर मेरी जेब से पैसे निकाल ले गए वह। अब कर्नल इरफ़ान को विश्वास हो गया था कि सरदार सन्जीत सिंह आतंकवादियों के साथ नहीं क्योंकि उसकी कार का नंबर भी असली था और कार सरदार सन्जीत सिंह के नाम पर ही पंजीकृत थी और साथ ही अमजद ने सही-सही बता दिया था कि वह 2 पुरुष और एक लड़की थी। कर्नल इस बात को भी समझता था कि आतंकवादी अमूमन अपनी कार का उपयोग नहीं करते बल्कि वे किसी भी नागरिक की कार छीनकर उस पर वारदात करते हैं। यही काम इस लड़की ने किया सरदार की कार छीनकर उसकी नंबर प्लेट चेंज करके वह भाटिया सोसायटी में आई और वहां से राज को छुड़ा कर वापस सरदार के ठिकाने पर पहुंची जहां उसके साथियों ने सरदार को क़ैद किया था और उसको डरा-धमका कर मुल्तान जाने को कहा ताकि कर्नल इरफ़ान को धोखे में रखा जाए।


जबकि अमजद ने भी यहां चालाकी किया था जिसकी वजह से वह बच गया। वह जानता था कि आगे जगह जगह पर नाके लगे होंगे, अगर वह पकड़ा गया और गाड़ी की नंबर प्लेट जाली हुई तो पुलिस उसे नहीं छोड़ेगी। इसलिए उसने असली नंबर प्लेट कार पर लगा ली थी जिसके कागजात भी उसके पास मौजूद थे। यह किसी सरदार सन्जीत सिंह की ही कार थी जिसे मरे हुए 2 साल हो गए थे। उसका आगे पीछे कोई नहीं था और वह अमजद का दोस्त भी था। मरने से पहले उसने अमजद को कहा था कि मेरे बाद मेरी कार तुम रख लेना और उसके पास कोई संपत्ति थी नहीं। वह टैक्सी ड्राइवर था। अमजद उसके मरने के बाद हर जगह इसी बात को अपना लेता था ताकि वो एक आम नागरिक ही बना रहे भारत की तरह पाकिस्तान में भी किसी के मरने पर उसका पंजीकरण करने की परंपरा नहीं, डेथ सर्टिफिकेट केवल वो बनवाते हैं, जिन्हें मरने वाले की संपत्ति में से हिस्सा मिलना हो। वरना कौन मर गया कौन जिंदा है इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं होता। 

उसके साथ साथ समीरा और राज को बस में चढ़ाने के बाद अमजद ने अपनी जेब से सीआईडी इंस्पेक्टर का कार्ड निकाल कर फेंक दिया था और पैसे सरमद और राणा काशफ को दे दिए थे। जबकि कार की डिग्गी में मौजूद कपड़े और नकली नंबर प्लेट उसने रास्ते में एक गंदे नाले में फेंक दिए थे। ताकि जहां भी वह पकड़ा जाए नकली नंबर प्लेट या औरत के कपड़े की वजह से उस पर शक नहीं किया जा सके। अमजद की इसी होशियारगिरी ने उसे बचा लिया था वरना वह अब तक कर्नल इरफ़ान के क्रोध का निशाना बन गया होता। 

कर्नल इरफ़ान को अमजद ने बस स्टॉप तक वापस पहुंचा दिया जहां उसने राज और समीरा को उतारा था। और वहां मौजूद एक कच्चे रास्ते से अमजद ने बताया कि एक गांव की ओर जाता था और कर्नल इरफ़ान को बताया कि वे लोग उसी रास्ते पर पैदल चल रहे थे। कर्नल इरफ़ान ने वहां मौजूद एक अधिकारी से पूछा कि यह रास्ता किधर जाता है ??? वह अधिकारी जामनगर का ही था इसलिये वह उन क्षेत्रों के बारे में जानता था, उसने बताया कि सर यह रास्ता एक गांव की ओर जाता है, जहां छोटे 3 शहर हैं। इन शहरों में अधिकांश अपराधी लोग रहते हैं। और चोरी की गाड़ियां भी ज्यादातर उन्हीं लोगों के यहाँ से बरामद होती हैं। कर्नल इरफ़ान ने अनुमान लगाया कि राज लड़की और दूसरे साथी के साथ इसी गांव में गया होगा जहां से किसी भी अपराधी को पैसे का लालच देकर उसकी कार में वह मुल्तान तक जा सकते हैं। 

कर्नल ने अमजद को कहा तुम वापस मुल्तान ही जाओ और उसी पेट्रोल पंप पर जाकर खड़े हो जाना, जबकि हम इस गांव में रेड करेंगे और यहां के लोगों से पूछेंगे कि उस एक लड़की और 2 व्यक्तियों को आते देखा हो। या किसी ने उनकी मदद की है और उन्हें मुल्तान की ओर ले जा रहा हो तो उसकी भी जानकारी लेंगे। यह कह कर कर्नल इरफ़ान अपनी टीम के साथ इस कच्चे रास्ते पर निकल गया जबकि अमजद अपनी कार में बैठा और मुल्तान की तरफ यात्रा करना शुरू कर दिया। कर्नल इरफ़ान के सामने तो उसने अपने दिमाग़ का खूब इस्तेमाल किया था मगर अब उसके पसीने निकल रहे थे और वह सोच रहा था कि बाल-बाल बच गए अगर नकली नंबर प्लेट वह कार से बाहर नहीं फेंका होता और पीछे पड़े कपड़े गाड़ी से न निकाला होता तो आज अमजद बुरा फंसा था। 
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06-07-2017, 02:22 PM,
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RE: वतन तेरे हम लाडले
सरमद और राणा काशफ बस में बैठे सो रहे थे, कि अचानक शोर के कारण उनकी आँख खुली। सरमद ने थोड़ा ऊपर उठकर देखा तो एक पाकिस्तानी सेना का जवान सभी सवारियों को गाड़ी से उतरने को कह रहा था। सरमद ने राणा काशफ को कोहनी मारी और कहा चल चुपचाप उतर जा। यह न हो कि उन्हें हम पर शक हो जाए। नीचे उतरकर राणा काशफ और सरमद लाइन में खड़े हो गए बाकी सभी सवारियां भी लाइन बनाए खड़ी थीं जबकि उनके साथ 3 पुलिस के जवान और 2 सेना के जवान थे। बस में 3 लड़कियां भी मौजूद थीं जिनमें 2 की उम्र लगभग 15 से 18 वर्ष होगी जबकि एक की उम्र 23 से 25 साल के करीब होगी। सबसे पहले सेना के जवान ने उस लड़की को अपने पास बुलाया और नाम पता पूछने लगा। और यह भी पूछा कि वह किसके साथ है। तो पीछे खड़ी लाइन में से एक व्यक्ति बोला कि सर यह मेरे साथ है। पाकिस्तानी सेना के जवान ने उस व्यक्ति को भी अपने पास बुला लिया और उसकी तलाशी लेने लगा। फिर उसने उसके चेहरे पर पानी डलवाने और उसकी मूंछें भी चेक कीं, ये न हो कि नकली लगाई हुई हों .

मगर ऐसा कुछ नहीं था, पाकिस्तानी सेना के जवान ने काफी देर इस लड़की और आदमी से पूछताछ की लेकिन वो उनके इच्छित लोग नहीं थे तो उन्हें बस में बैठने को कहा गया। फिर बारी बारी सब की इसी तरह तलाशी ली गई और उनसे पूछताछ हुई। सरमद ने काशफ को कहा कि उन्हें अपने बारे में स्टोरी नंबर 3 सुनानी है। अमजद ने ऐसे हालात के लिए कुछ कहानियां गढ़ रखी थीं जो अवसर के हिसाब से सुनाई जा सकती थीं। ताकि अगर इन लोगों से अलग पूछताछ हो तो उनके बयानों में विरोधाभास ना हो मतभेद होने की स्थिति में सुरक्षा एजीनसीज़ वाले उन पर शक करेंगे। इसलिए विभिन्न अवसरों के लिए अमजद ने विभिन्न कहानियों बना रखी थीं। और अब ये कहानी नंबर 3 को सरमद ने चुना था। जब सरमद की बारी आई तो उसने बताया कि वह और उसका दोस्त काशफ मुल्तान अपनी इंटरनेट प्रेमिका से मिलने जा रहे हैं।

पाकिस्तानी सेना के जवान ने प्रेमिका का नंबर पूछा तो सरमद ने बताया कि हमारी बात स्काईप या ईमेल से ही होती है उस लड़की कभी अपना नंबर नहीं दिया। सेना के जवान ने कहा और तुम इतने पागल हो कि मुंह उठाकर उससे मिलने जा रहे हो ???

इस पर काशफ बोला सर 150 रुपये किराया लगता है जामनगर से मुल्तान तक अगर 150 रुपये में लड़की मिल जाए तो मजे और न मिले तो चलो मुल्तान की सैर करके वापस आ जाएंगे। वैसे भी हम कौन सा नौकरी करते हैं, अपना कारोबार है इसलिए कभी कभी इस तरह की अय्याशी भी कर लेते हैं। सेना के जवान ने गुस्से से दोनों को देखा और उन्हें अपने अपने आईडी कार्ड की जांच करवाने को कहा। दोनों ने बिना हिचक अपने कार्ड निकाल कर चेक करवा दिए, जिनमें दोनों के असली नाम ही दर्ज थे। सरमद और काशफ का नाम किसी भी वारदात में कभी नहीं आया था इसलिए उनके नामों से सैनिक को किसी प्रकार का कोई शक नहीं हुआ। 

कार्ड की जांच करने के बाद सेना के जवान ने दोनों के कार्ड वापस किए और गुस्से से उनकी तरफ देखते हुए बोला थोड़ी शर्म करो लड़कियों के पीछे समय बर्बाद करने से बेहतर है पाकिस्तान की सेवा करो। चलो दफा हो जाओ और बस में बैठो। काशफ और सरमद सिर झुकाए बस में बैठ गए। बस में बैठने से पहले उन्होंने देखा कि पीछे एक और बस को रोका हुआ है पुलिस अधिकारी ने। बस में बैठने के बाद सरमद ने काशफ को कहा हो न हो पिछली बस में समीरा और मेजर राज मौजूद होंगे। और मुझे नहीं लगता कि अब यह दोनों यहां से बच सकते हैं। वो दोनो पकड़े जाएंगे। काशफ ने कहा चिंता मत करो, मेजर राज इतनी आसानी से उनके हाथ आने वाला नहीं वह जरूर कोई ना कोई व्यवस्था कर लेगा। सरमद ने कहा देखते हैं। और फिर चुपचाप बस में बैठ गया। कुछ ही देर में बस की सभी सवारियां वापस सवार हो गईं और बस ने फिर से मुल्तान की यात्रा शुरू कर दिया था। 

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मेजर राज ने कमरे में प्रवेश किया तो सामने ही एक बेड लगा हुआ था जिस पर दूसरी डांसर भी मौजूद थी। दोनों डांसर अभी इसी ड्रेस में थीं जो उन्होंने डांस करते हुए पहन रखा था। मेजर राज ने मन ही मन सोचा जहाँ मुठ मारने की सोच रहा था और कहां अब 2- २ चूत मिल गई है एक साथ है। पहली डांसर जिसका नाम जूली था उसने पीछे मुड़ कर दरवाजा बंद किया और कुंडी लगा दी। जबकि दूसरी डांसर जिसका नाम सोज़ी था वह बिस्तर से उठी और अपना चेहरा घुमाते हुए मेजर राज के पास आई और बोली हम दोनों को संभाल लोगे साहब ?? राज बोला तुम्हारे साथ कोई तीसरा भी आ जाए तो मैं तो उसे भी संभाल लूँगा। यह सुनकर जूली बोली साहब कहते सब ऐसे ही हैं मगर 2 मिनट में ही अपना माल निकाल देते हैं सब। 

मेजर राज ने उसकी बात का जवाब देने की बजाय उसका हाथ पकड़ा और खींच कर अपने सीने से लगा लिया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। जूली 38 के आकार के मम्मे राज के सीने में धंस गए थे, जूली ने भी जवाब में अपने होंठों से राज के होंठों को चूसना शुरू कर दिया जबकि सोज़ी मेजर राज केपीछे आकर उसकी कमर से लग गई। मेजर को अपने सीने पर जूली के मम्मे महसूस हो रहे थे और कमर पर सोज़ी के 36 आकार के मम्मों का एहसास हो रहा था। सोज़ी ने मेजर राज की कमर से लिपटे हुए अपने हाथ आगे बढ़ाए और मेजर राज की कमीज के बटन खोल दिए और फिर मेजर राज की कमीज उठाई और उतार दी।

नीचे से मेजर की बनियान भी सोज़ी ने उतार दी, और मेजर राज की कमर पर अपने होठों से प्यार करने लगी। जबकि जूली अपनी ज़ुबान मेजर राज के मुंह में डाले उसकी जीभ के साथ खेलने में व्यस्त थी। कुछ देर की चूमा चाटी के बाद मेजर राज ने जूली को अपनी गोद में उठा लिया और उसके बूब्स के उभारों पर अपने होंठ रख दिए, जूली ने अपनी टाँगें मेजर राज की कमर के गिर्द लपेट ली और अपना सीना आगे निकाल दिया ताकि बूब्स का उभार और भी स्पष्ट हो सके, जूली के हाथ मेजर राज की गर्दन के आसपास लिपटे हुए थे और मेजर राज ने अपनी ज़ुबान जूली के मम्मों के बीच में बनने वाली लाईन ( क्लीवेज़ ) में घुसा दी थी। 

कुछ देर जूली के क्लीवेज़ चाटने के बाद मेजर राज ने जूली को अपनी गोद से उतार कर सोज़ी को अपने पीछे से आगे खींच लिया और उसको झप्पी डाल कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। सोज़ी का शरीर थोड़ा असहज था जबकि जोली का शरीर नरम और मुलायम बालों से मुक्त था। मेजर राज ने अपना एक हाथ सोज़ी के चूतड़ों पर रखा और उन्हें दबाना शुरू कर दिया और दूसरा हाथ सोज़ी के मम्मों पर रख दिया और उसके होंठ चूसता रहा। अब जूली नीचे बैठी और उसने मेजर राज के पैरों पर हाथ फेरना शुरू कर दिए। मेजर राज जो सोज़ी के होंठ चूसने में व्यस्त था अपनी टांगों पर जूली के हाथ का स्पर्श पाकर खुश हो गया और उसका लंड पहले से अधिक कठोर हो गया। जूली ने अपना हाथ मेजर राज की थाईज़ पर फेरा और वहाँ से ऊपर लाकर अपना हाथ मेजर के लंड पर रख दिया।

अब जूली अपने हाथ से मेजर के लंड की लंबाई का अंदाज़ा लगाने लगी और फिर खुशी से बोली अरी सोज़ी साहब का लंड तो एकदम मस्त है। आज खूब मज़ा आने वाला है। सोज़ी के शरीर और मुंह में वह मज़ा नहीं था जो जूली के नरम और मुलायम शरीर में था। मेजर ने सोज़ी को छोड़ा और फिर से जूली को अपनी गोद में उठा लिया, लेकिन इस बार गोद में उठाने से पहले मेजर ने जोली के शरीर में मौजूद हाफ ब्लाऊज़ नुमा ब्रा उतार दिया था। जूली ने नीचे और कोई चीज़ नहीं पहनी थी। उसके 38 आकार के मम्मे देख कर मेजर के मुँह में पानी आने लगा। बड़े मम्मों पर निपल्स भी बड़े थे जिनसे पता चलता था कि जूली के मम्मों का दूध बहुत से लोगों ने पिया हुआ है और जी भर कर पिया है। जूली को गोद लेने के बाद मेजर ने अपने होंठ जूली के मम्मों पर रख दिए और और उन्हें चूसने लगा। मेजर कभी जूली के मम्मे चूसता और कभी उसके निप्पल को मुँह में लेकर जूली का दूध पीने लगता। जूली मेजर राज की गर्दन में हाथ डाले जोर से सिसकियाँ ले रही थी और मेजर को कह रही थी और जोर से काटो साहब खा जाओ मेरे मम्मों को, पी लो मेरा सारा दूध .... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

सोज़ी अब मेजर के सामने आकर बैठ गई थी और सलवार के ऊपर से ही मेजर के लंड से खेल रही थी। मेजर के लंड ने प्रीकम छोड़ना शुरू कर दिया जिसकी वजह से मेजर की सलवार गीली थी। सलवार का गीला पन देखकर सोज़ी के मुंह में पानी आ गया और उसने मेजर की सलवार का नाड़ा खोल दिया और मेजर की सलवार मेजर के पाँवो में गिरती चली गई। सलवार गिरते ही मेजर का 8 इंच का लंड सोज़ी मुंह के बिल्कुल सामने था . इतना बड़ा लंड देखकर उसने जूली के चूतड़ों पर एक चमाट मारी और बोली आज मेरी गांड की खैर नहीं जूली साहब का लंड बहुत तगड़ा है। 

गाण्ड का सुनकर मेजर राज खुश हो गया कि आज वह काफी दिनों के बाद गांड भी मारेगा। अंतिम बार उसने कोई 3 महीने पहले मेजर मिनी की गाण्ड मारी थी। 3 महीने के बाद आज पहली बार उसे गाण्ड मारने का मौका मिलेगा। यह सुनते ही मेजर राज ने और भी अधिक तेज़ी के साथ जूली के मम्मों को चूसना शुरू कर दिया और उसकी सिसकियों में भी वृद्धि हो गई। जबकि नीचे बैठी सोज़ी अब मेजर राज के लंड से खेल रही थी। कभी वह उस पर हल्के हक्के थप्पड़ मारती तो कभी मेजर राज के लंड पर अपनी जीभ फेरने लगी। सोज़ी ने मुंह में थोक जमा किया और गोला बनाकर मेजर के लंड की टोपी पर फेंक दिया और फिर अपने हाथों से थूक पूरे लंड पर मसलने के बाद मेजर के लंड की टोपी मुंह में डाल ली और उसकी छूसा लगाने लगी। मेजर को अब मजा आने लगा था वह जूली के मम्मों का आनंद हो रहा था और नीचे सोज़ी के मुंह की गर्मी उसके लोड़े को आराम पहुंचा रही थी। 

कुछ देर बाद मेजर चलता हुआ जूली को गोद में उठाए बेड के पास ले गया और उसे बेड पर लिटा दिया। बेड पर लिटाने के बाद जूली ने नज़रें उठाकर मेजर के लंड को देखा तो उसकी आंखों में भी एक चमक आ गई और उसे उम्मीद पैदा हुई कि आज यह लोड़ा उसकी चूत का पानी निकाल कर ही छोड़ेगा। मेजर राज नीचे झुका और उसने जूली का घाघरा भी उतार दिया। जूली की चूत गीली हो रही थी और उसकी चूत के होंठ फूले हुए थे और चूत मुंह के दरमयाँ काफी अन्तर था। इसका मतलब था कि जूली काफी पुरुषों से चुदाई करवा चुकी है। मेजर राज जूली के ऊपर लेट गया और उसके बूब्स को फिर से चूसने लगा जबकि सोज़ी मेजर के ऊपर आई और उसके नितंबों खोलकर मेजर की गाण्ड पर ज़ुबान फेरने लगी। 

मेजर का यह पहला अनुभव था कि उसकी गाण्ड पर कोई ज़ुबान फेरे, उसे एक झुरझुरी सी आई मगर फिर वह जूली के मम्मों को चूसने में व्यस्त हो गया और सोज़ी मेजर की गाण्ड पर ज़ुबान फेर रही, कुछ देर के बाद सोज़ी ने मेजर की गाण्ड को छोड़ा और उसके आंडों को मुंह में लेकर चूसने लगी। अब की बार मेजर राज को मज़ा आने लगा था, फिर कुछ देर के बाद मेजर बेड पर सीधा लेट गया और जूली को कहा कि वह उसके ऊपर आजाए, जूली खड़ी हुई और मेजर ऊपर आई तो मेजर ने उसको पीछे से पकड़ कर अपने पास कर लिया और उसकी चूत को अपने मुँह के ऊपर कर लिया और अपनी जीभ को जूली की चूत के लबों के बीच लगा दिया। जूली ने एक सिसकी ली और मेजर ने अपनी ज़ुबान जूली की चूत में चलाना शुरू कर दी। मेजर का लंड अब फिर से सोज़ी के मुँह में था जिसे वह बहुत शौक के साथ चूस रही थी। कुछ देर तक जूली की चूत चाटने के बाद मेजर ने सोज़ी को नीचे उतारा और सोज़ी को अपने पास बुलाकर उसका भी ब्लाऊज़ उतार दिया 

सोज़ी के 36 आकार के गोल मम्मे मेजर को बहुत पसंद आए जूली की तुलना में सोज़ी के मम्मे थोड़े सख्त थे मगर मेजर ने उन्हें भी शौक से चूसना शुरू कर दिया जबकि जूली ने मेजर के लंड अपने मुँह में लिया और लंड चूसने लगी। कुछ देर तक सोज़ी के मम्मे चूसने और निपल्स काटने के बाद अब मेजर ने सोज़ी का घाघरा भी उतारा तो नीचे उसने पैन्टी पहन रखी थी। मेजर ने सोज़ी की पैन्टी को ध्यान से देखा तो वहाँ उसे हल्का सा कूबड़ नजर आया, मेजर ने सोज़ी की पैन्टी उतारी तो मेजर को एक झटका लगा।

पैन्टी उतार ही सोज़ी का 4 इंच लंड मेजर के सामने था। यानी सोज़ी लड़की नहीं बल्कि उसका संबंध तीसरे सेक्स से था। ( दोस्तो यहाँ आप भी समझ गये होंगे कि सोजी एक किन्नर था ) यह देखकर मेजर एकदम खड़ा हो गया और बोला यह क्या बदतमीजी है ??? उसे समझ नहीं आ रही थी कि वह क्या करे, मेजर का यह रिएक्शन देखकर जूली तुरंत मेजर के पास आई और बोली चिंता नहीं करो साहब, आप आराम से मेरी चूत मारो और सवज़ीना की गाण्ड मारो। सवज़ीना भी खड़ी हुई / हुआ और बोली साहब आज बहुत दिनों के बाद इतना तगड़ा लंड देखा है, प्लीज़ मेरी गाण्ड मारे बिना नहीं जाना है, और चिंता मत करो मैंने केवल जूली की चूत में अपनी इस छोटी लुल्ली डाला है प्लीज़ आज मेरी गाण्ड को आराम पहुंचा दो अपने इस 8 इंच के लोड़े से, यह कह कर सोज़ी नीचे बैठ गई और फिर से मेजर के लंड अपने मुंह में ले लिया जो अब बैठ चुका था। मगर सोज़ी के मुँह में लेते ही लंड ने फिर से सिर उठाना शुरू किया और थोड़ी ही देर में फिर से लोहे के रोड की तरह सख्त हो गया।

मेजर ने दिल में सोचा कि आखिर एक किन्नर की गाण्ड मारने में हर्ज ही क्या है। यह सोच कर उसने फिर से अपना ध्यान जूली की ओर किया और उसे बेड पर लेटने को कहा, जूली तुरंत बेड पर लेट गई तो मेजर ने उसकी टाँगें उठा कर अपने कंधों पर रख दीं और अपना लंड सोज़ी मुंह से निकाल कर जूली की चूत पर रखा। एक ही धक्के में मेजर का 8 इंच लंड जूली की चूत की गहराई में उतर चुका था। जूली की चूत खुली होने के कारण लंड जड उसकी चूत में उतर चुका था, जैसे ही 8 इंच के लंड ने जूली की चूत की गहराई में जाकर टक्कर मारी उसकी चूत ने मेजर के लंड को जकड़ लिया। जूली ने इतना लंबा लंड मिलते ही अपनी चूत को टाइट कर लिया था और मेजर ने भी बिना रुके धक्के मारने शुरू कर दिए थे। मेजर के हर धक्के के साथ जूली के 38 साइज़ के मम्मे ऊपर नीचे हिलते और उसके मुंह से आवाज निकलती ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह, आईईईईई मज़ा आ गया साहब, आज बहुत दिनों बाद किसी मर्द का लंड मिला है वरना यहाँ तो सारे छोटी लुल्लियाँ लेकर ही आते हैं और 2 मिनट में ही अपना माल निकाल देते हैं। आह आहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, साहब और जोर से चोदो आज जूली को ... ऐसे ही धक्के लगाओ साहब, मेरी चूत की प्यास बुझा दो आज। 

जूली की हर आवाज़ के साथ मेजर के धक्कों में तेजी आ रही थी। जबकि जूली की चूत काफी खुली थी मगर जूली ने अपनी चूत की दीवारों को टाइट किया तो मेजर राज को भी चुदाई का मज़ा आने लगा। कुछ देर ऐसे ही चुदाई करने के बाद मेजर ने जूली की चूत से लंड निकाला और उसको घोड़ी बनने को कहा, जूली तुरंत उठी और बेड पर घोड़ी बन गई, मेजर राज अब बेड पर घुटनों बल खड़ा हुआ और जूली की चूत में लंड रखकर एक धक्का मारा और मेजर का लंड जूली की चूत में गायब हो गया। अब मेजर ने फिर से जोरदार धक्के लगाना शुरू कर दिया, अब की बार मेजर के हर धक्के पर मेजर का शरीर जूली के चूतड़ों से टकराता तो कमरे में धुप्प धुप्प की आवाजें आतीं और मेजर इन आवाजों का आनंद लेता हुआ अगला धक्का और भी जानदार मारता . 

मेजर के इन धक्कों से अब जूली की सिसकियाँ निकल गई थीं और अब वह महज ऊच ऊच ऑश की आवाजें निकालने के अलावा और कुछ नही कर ही रही थी। अब उसकी चूत में उसकी मांग से अधिक जोरदार धक्के लग रहे थे जिनका वो मुश्किल से सामना कर रही थी। जबकि सोज़ी अब जोली के सामने आ गई और अपनी छोटी सी लुल्ली जोली के मुंह में दे दी। जूली ने सोज़ी की लुल्ली को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और थोड़ी ही देर में उसकी लुल्ली में थोड़ी सी सख्ती पैदा हो गई, सोज़ी की लुल्ली का आकार अभी भी 4 इंच ही था लेकिन अब इसमें थोड़ी सख्ती थी। मेजर की नजरें कुछ देर के लिए सोज़ी और लिली पर गईं मगर फिर उसने अपना ध्यान जूली की चूत पर लगाया और धक्कों का सिलसिला जारी रखा। जब यह धक्के जूली की बर्दाश्त से बाहर होने लगे तो जूली को लगा जैसे उसके शरीर में सुई चुभ रही हों, वह समझ गई थी कि आज काफ़ी समय बाद उसकी चूत किसीके लंड की चुदाई से पानी छोड़ने लगी है वरना इससे पहले या तो वह उंगली डाल कर अपनी चूत का पानी निकालती थी या फिर सोज़ी अपनी जीभ से जूली की चूत का चाट कर उसका पानी निकालती थी। 

मेजर के कुछ और धक्के लगे और जूली की चूत में बाढ़ आ गई। जूली के शरीर में कुछ झटके लगे और उसकी चूत ने ढेर सारा पानी निकाल दिया। जब सारा पानी निकल गया तो मेजर ने धक्के लगाना बंद कर दिए। जूली ने अपनी चूत से मेजर के लंड को बाहर निकाला और एक बार मेजर राज का लंड मुँह में लेकर उस पर मौजूद अपना पानी चूसने लगी। जब सारा पानी चूस लिया तो जूली दीवाना वार मेजर के सीने को चूमने लगी और उसके होठों को चूमने लगी। वह मेजर के शरीर को दबा रही थी और बार बार कह रही थी तुम असली पुरुष हो साहब, आज तुम्हारे लंड ने मेरी चूत की प्यास बुझा दी है और अब भी ससुरा खड़ा है थका नहीं। यह सुनकर सोज़ी ने जूली को पीछे किया और बोली चल पीछे अब साहब के लोड़े की सवारी करने की बारी मेरी है। सोज़ी ने भी मेजर के सीने पर एक बार किस किया और बोली साहब कौन सी स्थिति में मेरी गाण्ड मारना पसंद करोगे। ?? मेजर ने कहा पहले अपनी गाण्ड का नज़ारा तो करवा कैसी है ... 

यह सुनते ही सोज़ी घोड़ी बन गई और मेजर ने उसके चूतड़ों को खोल कर उसकी गाण्ड पर नजर मारी तो उसका छेद भी थोड़ा खुला था। यानी वह भी अपनी गाण्ड नियमित मरवाती थी। मेजर ने उसी स्थिति में सोज़ी की गाण्ड पर अपने लंड की टोपी रखी और धक्का मारने की कोशिश की मगर लंड अंदर नहीं गया। तब जूली आगे आई और बोली साहब पहले थोड़ा चिकना कर लो, और वह सोज़ी की गाण्ड पर झुकी और उसे चूसने लगी, उसने अपनी उंगली भी सोज़ी की गाण्ड में डाल दी थी और उसकी उंगली से चुदाई करने लगी तो उसने सोज़ी की गाण्ड पर अपना थूक फेंका और उंगली से थूक सोज़ी की गाण्ड के अंदर तक मसल दिया, जबकि दूसरे हाथ से वह मेजर के लंड को हाथ में पकड़े उसकी मुठ मारने में व्यस्त थी। 

फिर जूली ने मेजर के लंड पर भी थूक फेंका और उसको भी चिकना दिया। अब की बार मेजर राज ने सोज़ी की गाण्ड पर लंड रखकर एक झटका मारा तो आधा लंड सोज़ी की गाण्ड में उतर गया था और सोज़ी की चीख निकली ओय माँ। । । । में मर गई। साहब क्या तगड़ा लंड है तुम्हारा क्या खाते हो ??? मेजर राज हंसता हुआ बोला अभी तो आधा लंड अंदर गया है बाकी आधा अब जाना है, उस पर सोज़ी बोली ओय माँ ...... और ज़्यादा न डालना साहब मेरी तो गांड ही फट जाएगी। मेजर राज बोला तुम्हे भी तो शौक है गाण्ड मरवाने का आज दिल भर कर अपनी गाण्ड मरवा, यह कह कर मेजर ने एक धक्का और लगाया और मेजर का सारा लंड सोज़ी की गाण्ड में चला गया। और सोज़ी की एक और चीख निकली। अब वह इस तरह सिसकियाँ ले रही थी जैसे किसी बच्चे को मिर्च लग जाएं तो वह बार बार सीसी करता है। मेजर के लंड ने सोज़ी की गाण्ड के अंदर मिर्च लगा दी थी। 

अब मेजर ने सोज़ी की गाण्ड मारना शुरू किया और जूली सोज़ी के सामने जाकर खड़ी हो गई और अपनी गाण्ड को सोज़ी के आगे कर दिया। सोज़ी ने जूली की गाण्ड चूसना शुरू किया और उसमें थूक भरने लगी। सोज़ी ने कहा लगता है आज तेरा भी साहब से गाण्ड मरवाने का इरादा है। इस पर जूली बोली हीरे जैसा लोड़ा आज हाथ लगा ही है तो उसका पूरा उपयोग तो होना ही चाहिए ना।

मेजर ने कुछ देर सोज़ी की गाण्ड में धक्के मारे उसके बाद अपना लंड उसकी गाण्ड से निकाला जो अब तक सूज चुकी थी। अब मेजर बेड के साथ पड़े सोफे पर जाकर बैठ गया और सोज़ी को अपनी गोद में आने को कहा, सोज़ी ने अपनी गाण्ड मेजर के लंड के ऊपर और टोपा गाण्ड के छेद में फिट कर एक ही झटके में लंड पर बैठ गई, सोज़ी ने अपनी टाँगें मेजर की कमर के गिर्द लपेट ली थीं और मेजर राज अब खूब जोर जोर के धक्के मार कर सोज़ी की गाण्ड मार रहा था।

सोज़ी के 36 आकार के मम्मे मेजर की आंखों के सामने लहरा रहे थे जबकि उसका 4 इंच का लंड बल्कि लुल्ली का मेजर की नाभि से स्पर्श हो रहा था। मेजर को सोज़ी की गाण्ड मारने का बहुत मज़ा आ रहा था। टाइट गाण्ड ने मेजर के लंड को जकड़ रखा था। अब मेजर सोज़ी की गाण्ड में धक्के मारने के साथ साथ उसके 36 साइज़ के उछलते मम्मों को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था जबकि सोज़ी मेजर के लंड बखान करती नहीं थक रही थी, मज़ा आ गया साहब, आपके लोड़े ने तो मेरी गाण्ड का सत्यानास कर दिया है, ऐसे ही गाण्ड मारते रहो साहब .... 5 मिनट तक सोज़ी की गाण्ड मारने के बाद मेजर के लंड ने फूलना शुरू किया और उसके बाद सोज़ी की गाण्ड के अन्दर ही वीर्य की धार छोड़ दी। जब मेजर राज का लंड वीर्य छोड़कर फ्री हो चुका तो सोज़ी लंड से उतरी और मेजर के लंड को चूसने लगी। मेजर के लंड के गाढ़े वीर्य की हर बूंद को सोज़ी ने अपनी जीभ से चाट लिया। जब मेजर का लंड वीर्य सॉफ हो गया तो सोज़ी ने जूली को देखा और बोली चल अब साहब को अपना शो दिखाते हैं। 

यह कह कर सोज़ी ने मेजर राज को छोड़ा और जूली को लेकर बेड पर चली गई, जूली और सोज़ी अब 69 की स्थिति में एक दूसरे ऊपर थीं। सोजी नीचे लेटी थी और जूली उसके ऊपर थी, सोज़ी की ज़ुबान जूली की चूत के छेद पर तेज तेज चल रही थी जबकि जूली सोज़ी की लुल्ली को मुँह में डाले उसकी चुसाइ कर रही थी। कुछ देर के बाद दोनों घुटनों के बल बैठ गई और एक दूसरे के मम्मों को बारी बारी चूसने लगीं, कभी सोज़ी जूली के मम्मे मुँह में लेकर चूसती तो कभी जूली सवज़ीना के मम्मों को मुंह में लेती और उनको चूसने लगती। फिर सोज़ी ने जूली से कहा, चल अब मुझे भी अपनी चूत का मज़ा दे। यह सुनकर जूली बेड पर लेट गई और अपनी टाँगें खोल दीं जबकि सोज़ी उसकी टांगों के बीच बैठी और अपनी लुल्ली की टोपी जूली की चूत पर रख दी। सोज़ी की लुल्ली अब तक 4 इंच की ही थी लेकिन इसमें पहले की तुलना में सख्ती ज़्यादा थी, सोज़ी ने एक धक्का लगाया तो उसकी 4 इंच की छोटी लुल्ली जूली की चूत में गुम हो गई। 

अब सोज़ी ने धक्के लगाने शुरू किये और साथ ही साथ जूली की चूत के दाने पर उंगली फेरनी शुरू की। सोज़ी के चेहरे के भाव से लग रहा था कि अपनी लुल्ली जूली की चूत में डाल कर उसे आराम मिला था मगर जूली के चेहरे पर मजे के आसार नहीं थे वो बस सोज़ी की इच्छा पूरी कर रही थी। मेजर राज सोज़ी और जूली के इस शो देखकर महज़ोज़ हो रहा था और धीरे धीरे अब उसके लंड ने सिर उठाना शुरू कर दिया था। सोज़ी अब जोली के ऊपर लेट गई और उसके मम्मे चाटने के साथ साथ अपनी गाण्ड हिला हिला कर अपनी लुल्ली से जूली की चूत की चुदाई कर रही थी। इस सीन देखकर मेजर का लंड पूरा खड़ा हो गया था, वह बेड से उठा और अपना लोड़ा जोली के मुंह में डाल दिया। जूली मेजर के लोडे में फिर से जान देखकर खुश हो गई। 

उसने तुरंत ही मेजर के लंड को चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद सोज़ी ने कहा साहब लंड मेरे मुंह में दो जूली आपके आँड चूसेगी यह सुनकर मेजर ने जूली का चेहरा अपनी टांगों के बीच किया जूली ने उत्साह से मेजर के आंडो पर अपनी जीभ चलाना शुरू कर दिया और फिर उसके आंडो को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया जबकि सोज़ी जो जूली के ऊपर लेटी उसकी चुदाई कर रही थी उसने मेजर के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था। 

जब मेजर का लंड पहले की तरह सख्त हो गया तो वह खड़ा हुआ और सोज़ी के पीछे चला गया। पीछे जाकर मेजर ने सोज़ी की गाण्ड पर थूक फेंका और उंगली से थोक उसकी गाण्ड के अंदर मसलने लगा। सोज़ी लिली अब तक जूली चूत में ही था। और सोज़ी धक्के पर धक्के मार रही थी। मेजर ने सोज़ी को धक्के रोकने को कहा तो सोज़ी ने धक्के रोक दिए, अब मेजर ने अपने लंड की टोपी को सोज़ी की गाण्ड पर रखा और धीरे धीरे सारा लंड सोज़ी की गान्ड में उतार दिया जिससे उसकी सिसकियाँ निकलने लगी। अब मेजर ने धक्के मारने शुरू किए तो सोज़ी ने मेजर के धक्कों के साथ जूली की चूत में धक्के मारने का सिलसिला जारी रखा। सोज़ी को अब डबल मजा आ रहा था। एक तो उसकी लुल्ली जूली की चूत में थी और पीछे से मेजर का तगड़ा लंड सोज़ी की गाण्ड मारने में व्यस्त था। 
Reply
06-07-2017, 02:22 PM,
#33
RE: वतन तेरे हम लाडले
5 मिनट तक उसी स्थिति में गाण्ड मारने के बाद मेजर ने सोज़ी की गाण्ड से लंड निकाला और सोज़ी को अपनी लुल्ली को जूली की चूत से निकालने को कहा। सोज़ी ने ऐसे ही किया तो मेजर ने अब जूली को अपनी गोद में बिठाया और अपना लंड जूलीकी चूत में फिट कर एक ही धक्के में पूरा लंड अंदर प्रवेश करा दिया सोज़ी की लुल्ली के बाद जब मेजर का लंड जूली की चूत में गया तो जूली की जोरदार सिसकी निकली और मेजर ने बिना रुके धक्के लगाने शुरू कर दिए। अब की बार मेजर के धक्के पहले की तुलना में बहुत तेज थे। मेजर फिर जूली की चूत का पानी निकालना चाहता था। 

मात्र 5 मिनट के जानदार धक्कों ने अपना काम दिखा दिया और जूली ने मेजर की गोद में बैठे-बैठे अपनी चूत का पानी निकाल दिया। चूत से पानी दबाव के साथ निकला तो मेजर का पेट और पैर जोली के पानी से भर गये जिन्हें सोज़ी ने अपनी जीभ से चाट लिया। जबकि जूली मेजर पर वारी जा रही थी। उसे विश्वास नहीं आ रहा था कि एक ही रात में एक लंड ने 2 बार उसकी चूत का पानी निकाला। वह अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पा रही थी और बेतहाशा मेजर के शरीर पर प्यार कर रही थी। 

अब मेजर ने सोज़ी को कहा कि वह अब फिर से जूली की चूत में अपना लंड डाले। सोज़ी जो पहले से ही तैयार थी तुरंत जूली के ऊपर चढ़ गई। मगर मेजर ने कहा ऐसे नहीं, तुम नीचे लेटो और जूली को अपने ऊपर लिटाओ फिर उसकी चूत में अपना लंड डाल कर उसकी चुदाई करो। जूली समझ गई कि अब उसकी चूत और गाण्ड के छेद में लंड जाने वाला है, वह तुरंत ही सोज़ी के ऊपर आई और उसकी लुल्ली अपनी चूत के छेद में डाल कर लेट गई ताकि पीछे से मेजर उसकी गाण्ड में अपना 8 इंच का लोड़ा डाल सके । मेजर ने पीछे से आकर जूली की गाण्ड देखी और उसमें पहले अपनी उंगली डालने की कोशिस तो जूली की हल्की सी सिसकी निकली, नीचे सोज़ी अपनी लुल्ली से जूली की चूत में लगातार धक्के लगा रही थी। 

कुछ देर जूली की गाण्ड में उंगली करने के बाद मेजर ने अपने लंड की टोपी सोज़ी के मुंह में दे कर उसको गीला करवाया और उसके बाद फिर से पीछे आकर लंड की टोपी को जूली की टाइट गाण्ड के छेद पर रख और एक जोरदार धक्का लगाया। मेजर के लंड की टोपी जूली की गाण्ड में प्रवेश हो चुकी थी। अब की बार जूली ने जोर से चीख मारी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह साहब जी मैं मर गई। साहब यह आपका अपना लंड है या किसी गधे का लगवा लिया है ?? हे खुदा इतना मोटा लंड मेरी गाण्ड कैसे बरदाश्त करेगी

... मेजर ने थोड़ा इंतजार करने के बाद एक और धक्का लगाया तो मेजर का आधे से ज़्यादा लंड जूली की गाण्ड में था। और अब कमरा जूली की चीखों और सिसकियों की मिलीजुली आवाज से गूंज रहा था। 

मेजर ने अब अपने लंड को जूली की गाण्ड में लगातार अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था और जूली मजे की ऊंचाइयों पर पहुंच चुकी थी। मेजर के हर धक्के पर जूली के मांस से भरे हुए चूतड़ मेजर के शरीर से टकराते तो धुप्प धुप्प की आवाज कमरे गूंजने लगती . नीचे सोज़ी की लुल्ली भी अब जूली की चूत को मज़ा देने लगी थी, थोड़ी देर की चुदाई के बाद सोज़ी की लुल्ली ने पानी छोड़ दिया और उसके धक्के लगने बंद हो गए। मगर जूली अभी सोज़ी के ऊपर ही लेटी थी और मेजर के जानदार धक्कों का मज़ा अपनी गाण्ड में ले रही थी। 

मेजर ने 5 मिनट तक जमकर जूली की गाण्ड मारी अंत में जूली की गाण्ड ने हार मान ली और वह मेजर से बोली साहब बस कर दो अब, मेरी गाण्ड अब और ज़्यादा आपके लोडे के धक्के सहन नहीं कर सकती। यह सुनकर मेजर ने जूली की गाण्ड से अपना लंड निकाला और बेड से उतर गया, बेड से नीचे उतर कर मेजर ने जूली को अपनी गोद में उठाया, जूली ने अपनी टाँगें मेजर की कमर के गिर्द लपेट ली थीं मेजर ने अपने लंड को जूली की चूत पर रखा और जूली एक झटके में ही मेजरके लंड पर अपना वजन डाल कर बैठ गई, मेजर का लंड जूली की चूत में गुम हुआ तो मेजर ने जूली को गोद में उठाए उसकी चुदाई शुरू की। मेजर ने अपने हाथ जूली के चूतड़ों पर रखे हुए थे और जूली ने मेजर की गर्दन में अपने हाथ डाले हुए थे जूली अपनी गाण्ड उठा उठा कर अपनी चुदाई करवा रही थी। साथ ही वह मेजर को होठों को दीवाना वार चूस रही थी, उसको मेजर राज की मर्दानगी पर प्यार आ रहा था जो जूली की चूत का 2 बार पानी निकलवा चुका था और अब भी वह जूली की चूत में धक्के मार रहा था। 

मेजर राज 5 मिनट तक जूली को गोद में उठाए उसकी चूत में लंड से खुदाई करता रहा, आखिरकार मेजर का लंड फूलने लगा और जूली की चूत ने भी मेजर के लंड पर अपने प्यार की बारिश करने का इरादा कर लिया। और 4, 5 जानदार धक्कों से जूली चूत ने मेजर के लंड पर बरसात कर दी और जूली के शरीर को झटके लगने लगे, साथ ही मेजर के शरीर को भी झटके लगे और उसने अपना गरम वीर्य जूली की चूत में ही निकाल दिया . जब मेजर के लंड से सारा वीर्य निकल गया तो मेजर राज जूली को गोद से उतार कर बेड पर ढह गया। सोज़ी और जूली अब दोनों ही मेजर के शरीर पर हाथ फेर रही थी और उसे प्यार कर रही थीं। कुछ देर के बाद सोज़ी ने कमरे में मौजूद दूसरा दरवाजा खोला और 3 मिनट बाद कमरे में लौटी तो उसके हाथ में दूध का प्याला था। सोज़ी ने गर्म गर्म दूध मेजर को पिलाया जिसे पीकर मेजर तरोताज़ा हो गया। 

अब मेजर ने अपने कपड़े पहने और दूसरे व्यक्ति का उठाया हुआ बटुआ निकालकर इसमें से 1000, 1000 के दो नोट निकाले और जूली और सोज़ी को दिए। दोनों ने नोट लेने से इनकार कर दिया और कहा कि साहब आज बहुत समय बाद एक असली मर्द ने जमकर चुदाई है आपसे हम पैसे नहीं लेंगे। आप जब चाहें आकर हमारी चुदाई कर सकते हो, मेजर ने एक बार फिर पैसे देने पर जोर दिया मगर दोनों में से किसी ने पैसे नहीं लिए लेकिन फिर आकर चुदाई करने के लिए आमंत्रित जरूर किया मेजर ने पैसे वापस पर्स में रखे और जूली के होंठों पर एक प्यार भरी किस कर के कमरे से निकल गया। 
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06-07-2017, 02:23 PM,
#34
RE: वतन तेरे हम लाडले
दूसरी ओर समीरा ने दूसरे व्यक्ति को अपने शरीर के जलवे दिखा दिखा कर पागल कर दिया था। समीरा का डांस पूरा हुआ तो उसने उस व्यक्ति को जो सेना का अधिकारी था हाथ पकड़ा और अपने साथ एक कमरे में ले गई। वह व्यक्ति भी लहराता हुआ नशे में धुत समीरा की गाण्ड को घूरता उसके पीछे पीछे कमरे में चला गया।कमरे में पहुंचकर समीरा ने उस व्यक्ति को बेड पर लिटाया और खुद उसके साथ लेट कर उसकी शर्ट उतार दी और उसके शरीर पर हाथ फेरने लगी। उस व्यक्ति की पेंट से उसका खड़ा हुआ लंड देखकर समीरा ने अपने होंठों पर जीभ फेरी और उसके निपल्स पर अपनी जीभ फेरने लगी। समीरा अपनी जीभ की नोक उस व्यक्ति की निपल्स पर फेर रही थी जिस पर उस सख्स को बहुत मज़ा आ रहा था। 

कुछ देर उस व्यक्ति के निपल्स चूसने के बाद समीरा ने अपनी एक टांग व्यक्ति के पैर के ऊपर रख ली और उसकी ओर करवट लेकर उसके होंठ चूसने लगी। वह व्यक्ति भी नशे में धुत समीरा के होंठ चूस रहा था और अपने एक हाथ से समीरा के चूतड़ों को भी दबा रहा था। कुछ देर होंठ चूसने के बाद समीरा ने उस व्यक्ति को देखा और उसके कान के पास अपने होंठ ला कर धीरे से बोली साहब अपना नाम तो बताओ ... वह व्यक्ति आधी खुली आँखों के साथ समीरा को देखने लगा और फिर बोला लड़की तुम भाग्यशाली हो कि आज तुम कैप्टन फ़ैयाज़ की बाहों में हो। आज रात तुम्हें इतना मज़ा दूंगा कि तुम हमेशा याद करोगी यह कर उसने समीरा की ब्रा से दिखने वाले मम्मों पर अपनी नजरें जमा दीं और अपना एक हाथ समीरा के नरम नरम मम्मों पर रख कर उन्हें दबाने लगा। 

समीरा ने भी अपनी एक टांग से केप्टन फ़ैयाज़ के लंड को दबाना शुरू कर दिया और थोड़ी देर के बाद फिर बोली साहब आज रात मुझे ऐसे चोदना कि जैसे पहले किसी ने ना चोदा हो। कैप्टन ने कहा तुझे मैं अपनी रंडी बनाकर चोदुन्गा, चिंता मत कर तेरी चूत लगातार पानी छोड़ेगी . अब समीरा ने कहा साहब क्या आप रोज आते हो यहाँ ??? कैप्टन ने समीरा के मम्मों पर नजरें जमाए कहा नहीं मैं तो लाहोर का रहने वाला हूँ, एक भारतीय को पकड़ने के लिए यहां आया था मगर कर्नल साजब ने बताया कि वह यहां से चला गया है इसलिए आज सुबह की फ्लाइट से वापस लाहोर जा रहा हूँ। यह सुनकर समीरा ने ने अपना हाथ कैप्टन फ़ैयाज़ के लंड पर रख लिया और उसको पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी। समीरा के हाथों को अपने लंड महसूस कर के कैप्टन का लंड और भी अधिक अकड़ने लगा था। 

अब की बार समीरा ने कहा साहब लाहोर में रहते हो आप ?? मुझे लाहोर के एक डांस क्लब में नौकरी दिलवा दो ना। मैं सारी जिंदगी आपकी दासी बनकर रहूँगी। फिर रोज डांस क्लब में डांस करने के बाद आपको अपने शरीर की गर्मी से आराम दिया करूंगी। समीरा की यह बात सुनकर कैप्टन ने कहा, तेरे जैसी रंडियां जामनगर में ही ठीक हैं, लाहोर के डांस क्लब में उच्च श्रेणी की डानसरज़ होती हैं जो बाहर से डांस सीख कर आती हैं। वैसे भी मैं शादीशुदा हूँ। मेरी पत्नी मेरे साथ सुबह वह मेरे साथ ही लाहोर जाएगी और लाहोर में मेरा किसी लड़की के साथ कोई चक्कर नहीं। मेरी पत्नी को तुम्हारे बारे में पता चल गया तो वह तुम्हें मार देगी। बस आज की रात ही मेरे लोड़े से अपनी चूत की प्यास बुझा और फिर मुझे भूल जा। 

यह सुनकर समीरा मुस्कुराई और बोली अच्छा आपके लिए जूस लेकर आती हूँ। जूस पीकर आप फ्रेश हो जाओ और फिर मेरे शरीर से खेलो। यह कह कर समीरा अपनी गाण्ड हिलाती हुई कमरे में पड़े फ्रिज की तरफ गई और वहां मौजूद फ्रिज से एक रस का डिब्बा निकाला और गिलास में डाल इसमें एक गोली भी डाली और अच्छी तरह हिलाकर कैप्टन के पास आ गई कैप्टन जो अब बेड पर बैठ चुका था उसने समीरा के चूतड़ों पर हाथ रखा और उसे अपनी ओर खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया। समीरा भी बिना हिचक उसकी गोद में बैठ गई, केप्टन ने अपने होंठ समीरा के मम्मों पर रखे और उन्हें चूसने लगा जब कि जूस का ग्लास समीरा के हाथ में ही था।उसने भी कैप्टन को पूरा मौका दिया अपने मम्मे चूसने का। थोड़ी देर के बाद जब कैप्टन ने समीरा के मम्मों को चूस चूस कर लाल कर दिया और उसका ब्रा उतारने लगा तो समीरा ने कैप्टन को रोक दिया और बोली साहब पहले यह जूस पी लो फिर मेरे सारे कपड़े उतार देना।

यह सुनकर कैप्टन ने समीरा के हाथ से जूस का गिलास पकड़ा और एक ही घूंट में सारा गिलास खाली कर दिया। अब कैप्टन ने फिर से समीरा मम्मों को घूरना शुरू किया जो अब तक उसकी गोद में बैठी थी। फिर कैप्टन का हाथ समीरा की नरम और मुलायम कमर पर रेंगता हुआ उसकी ब्रा की डोरयों तक आया जिन्हें समीरा ने गाँठ लगाकर बांधा हुआ था। कैप्टन ने उसके ब्रा की डोरियां खोलकर ब्रा उतार दिया और दूर फेंक दिया।समीरा के 36 आकार के भरे हुए सुंदर मम्मे कैप्टन ने देखे तो वो तो पागल ही हो गया। मक्खन मलाई जैसे गोरे चिट्टे मम्मे और फिर उनकी शेप देखकर कैप्टन की राल टपकने लगी थी। कैप्टन ने अपनी ज़ुबान निकाली और समीरा के छोटे नपल्स पर फेरने लगा। समीरा की एक सिसकी निकली और उसने अपना हाथ कैप्टन की गर्दन के आसपास लपेट लिया, समीरा ने कुछ देर पहले मेजर राज के लंड को अपनी गाण्ड में महसूस किया था तब से उसकी चूत में खुजली हो रही थी और अब अपने निपल्स पर केप्टन फ़ैयाज़ की ज़ुबान लगने से समीरा मदहोश होने लगी। 

कैप्टन ने अपने एक हाथ से समीरा का दाहिना मम्मा पकड़ लिया था और उसे दबा रहा था जबकि दूसरा मम्मा कैप्टन मुँह में था। वह कभी अपने मुंह से समीरा का मम्मा चूसता तो कभी अपने दांतों से समीरा के निपल्स काटता . अभी कैप्टन ने जी भर कर समीरा के मम्मों पर प्यार नहीं किया था मगर उसको अपना सिर भारी भारी लगने लगा। उसे चक्कर आने लगे थे। वह कुछ देर के लिए रुका और उसके बाद फिर से समीरा के मम्मों से दूध पीने लगा, मगर फिर उसको ऐसे लगा जैसे वह अपने होश खो रहा है। और देखते ही देखते कैप्टन बेड पर बेहोश पड़ा था जबकि समीरा अपने कपड़े उतार कर दूसरे कपड़े पहन रही थी। समीरा जिन कपड़ों में यहाँ आई थी वही कपड़े पहनकर उसने कैप्टन के कपड़ों की तलाशी ली और उसमें से जो कुछ निकला उसको अपनी शर्ट के गले में हाथ डाल कर ब्रा के अंदर रख लिया। अब समीरा ने एक बार मेजर की पेंट को देखा जहां कुछ देर पहले लंड खड़ा हुआ नज़र आ रहा था मगर अब वहां किसी लंड के आसार नहीं थे। 

अब समीरा ने आखिरी बार कैप्टन की पेंट की जेब में हाथ डाला तो वहां उसे एक कार की चाबी मिल गई।समीरा ने चाबी को अपनी पेंट की जेब में डाला और कमरे से पर्स उठाकर उसमे कुछ जरूरी बातें कर बाहर निकल गई। बाहर निकल कर अब वह मेजर राज को ढूंढने लगी। थोड़ी ही देर में उसे मेजर राज नजर आ गया जो जूली और सोज़ी के कमरे से निकल रहा था। समीरा ने उसे तिरछी नजरों से देखा और बोली जनाब आप इस कमरे में क्या कर रहे थे। मेजर ने समीरा को सिर से पैर तक देखा और बोला अभी जो तुम्हारे हॉट हॉट डांस ने तुम्हारे नरम नरम शरीर ने आग लगाई थी उसे बुझा रहा था। अपने शरीर की प्रशंसा सुनकर समीरा थोड़ा शरमाई और उसके चेहरे पर लालिमा आ गई। फिर उसने राज को कहा यहाँ हम कर्नल इरफ़ान से बचते फिर रहे हैं और आपको शरीर की गर्मी निकालने की पड़ी है। यह सुनकर मेजर ने कहा शुक्र करो उधर ही निकाल ली है शरीर की गर्मी, नहीं तो तुम्हारा डांस देख कर जो मेरा हाल हुआ है रास्ते में तुम्हें ही पकड़ लेना था मैने . यह सुनकर समीरा ने बनावटी गुस्सा व्यक्त करते हुए मेजर को घूर कर देखा और बोली शर्म करो कुछ। यह कह कर वह मेजर राज का हाथ पकड़े उसे अपने साथ ले गई और एक कमरे के सामने जाकर रुक गई उसने कमरे का दरवाजा खोला और मेजर राज को अंदर आने को कहा। मेजर अंदर आ गया तो समीरा ने कमरा बाहर से बंद कर लिया और मेजर को बताया कि वह व्यक्ति कैप्टन फ़ैयाज़ है और वह लाहोर से तुम्हें पकड़ने ही आया था मगर कर्नल इरफ़ान ने सेना को आदेश दिया है कि मेजर राज का जामनगर से अब पलायन हो चुका है इसलिए जामनगर में उसकी खोज समाप्त कर दी जाए। 

समीरा ने बताया कि अब वह कैप्टन फ़ैयाज़ सुबह की फ्लाइट से पाक एयर लाइन्स के माध्यम से अपनी पत्नी के साथ लाहोर जाने का इरादा रखता है। साथ ही उसने अपनी जींस की जेब से गाड़ी की चाबी निकाली और मेजर राज की आँखों के सामने लहराने लगी। मेजर ने पूछा यह क्या? तो वह बोली कैप्टन की कार की चाबी।राज ने कहा, तुम पागल हो कैप्टन की कार पर हम जल्दी पकड़े जाएंगे उसने बहुत जल्द अपनी कार गुम होने की सूचना दे देनी है। इस पर समीरा ने इठलाते हुए कहा जनाब केवल आप ही समझदार नहीं, थोड़ी बुद्धि हम में भी है। मैंने कैप्टन को नींद की गोली दे दी है अब वह कल रात से पहले नहीं उठेगा जबकि हम सुबह होते ही यहां से निकल जाएंगे। उसके बाद समीरा ने मेजर के सामने ही अपनी ब्रा में हाथ डाला तो मेजर ऊपर उठकर समीरा की ब्रा में झांकने की कोशिश करने लगा, समीरा का हाथ ब्रा में गया और वापस आया तो इसमें कुछ कागजात थे। समीरा ने मेजर को अपने ब्रा में यूं देखते हुए पाया तो बोली अभी जूली के कमरे से निकले हो, उसने तुम्हारी प्यास नहीं बुझाई क्या जो अब भी नदीदो की तरह मुझे देख रहे हो ??? 

यह सुनकर राज ने कहा जो बात आप में है वह जूली में कहाँ। यह कह कर मेजर ने समीरा को आँख मारी और उसके हाथ से कागज लेकर देखने लगा। ये कैप्टन फ़ैयाज़ के लाहौर के टिकट थे। एक कैप्टन फ़ैयाज़ जबकि दूसरा उसकी पत्नी का था। मेजर ने दोनों टिकट संभाल कर रख ली, और कागजों में कैप्टन फ़ैयाज़ का आईडी कार्ड और सेना के कुछ कार्ड थे। उनमें एक कार्ड कर्नल इरफ़ान का भी था। मेजर राज ने कार्ड पर मेजर का नाम पढ़ा और नंबर देखा। लैंडलाइन नंबर के साथ सिटी कोड भी मौजूद था कोड लाहोर का ही था उसका मतलब था कि कर्नल इरफ़ान मूल रूप से लाहोर का ही रहने वाला है मगर मेजर राज को पकड़ने के लिए जामनगर आया है। 

कर्नल इरफ़ान का कार्ड देखकर मेजर राज ने तुरंत फैसला किया कि अब छुप छुप कर भागने की बजाय कर्नल इरफ़ान को टक्कर देने का समय आ गया है, अब कर्नल से बचकर भागना नहीं बल्कि उस पर हमला करना है। यह सोच कर मेजर ने समीरा को कहा कि अब कुछ देर के लिए सो जाओ नींद पूरी कर के सुबह यहाँ से निकलेंगे और आगे की योजना बनाएंगे। 

समीरा ने ठीक कहा और सीधे सामने पड़े बेड पर जाकर लेट गई और तुरंत राज की ओर मुंह करके बोली आपको वहीं सोफे पर सोना है बेड पर मैं लेट जाउन्गी . राज समीरा की बात सुनकर मुस्कुराया और बोला जैसे जैसा आपका आदेश। यह कह कर मेजर पास पड़े सोफे पर लेट गया और कुछ ही देर में उसके ख़र्राटों की आवाजें आने लगीं थीं। 
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06-07-2017, 02:23 PM,
#35
RE: वतन तेरे हम लाडले
जब से आरके ने मारी होटल में पिंकी के होंठों का रस चूसा था वह उसका पहले से अधिक दीवाना हो गया था, होंठों के साथ आरके ने काफी देर अपने हाथ से पिंकी के नरम नरम चूतड़ भी दबाए थे और एक बार उसके बूब्स के उभारों पर भी अपना हाथ रखा था जिसको पिंकी ने तुरंत ही हटा दिया था। आरके भी अब अपनी बहन मिनी और माता पिता के साथ मुम्बई वापस आ चुका था। मगर उसके मन से अब तक पिंकी के साथ बिताए हुए कुछ खूबसूरत पल मिट नहीं पाए थे। वह हर समय पिंकी के बारे में सोचता और उसकी सुंदरता और होंठों के स्पर्श को याद करता रहता। मुम्बई से वापस आकर उसकी एक दो बार पिंकी से मुलाकात तो हुई मगर उसे कोई ऐसा मौका नहीं मिल पाया था कि वह फिर से पिंकी के मुंह से अपने होंठ मिला सके। उसकी पिंकी से मुलाकात के दौरान उसकी बहन मिनी भी साथ थी और उसने अपने भाई की बेकरारी को महसूस कर लिया था। मिनी ने इस बारे में पिंकी से बात करने की ठान ली और एक दिन मौका जानकर और पिंकी को अच्छे मूड में देख मिनी ने पिंकी से पूछ ही लिया कि क्या वह आरके से प्यार करती है ??? 

मिनी के इस अचानक सवाल पर पिंकी हैरान भी हुई और साथ में उसके गुलाबी गुलाबी गालों पर लाली भी उतर आई और उसने शरमाते मुस्कुराते अपना मुंह नीचे कर लिया। मिनी को पिंकी की इस अदा पर बेतहाशा प्यार आया और उसने मिनी का चेहरा अपने हाथ से ऊपर उठाते हुए कहा, वाह महारानी साहिबा का मुँह तो खुशी से लाल हो गया है। अब की बार पिंकी मिनी की किसी बात जबाब देने की बजाय उसके गले से लग गई। अब ये मिनी के लिए स्पष्ट जवाब था कि पिंकी उसके भाई आरके से प्यार करती है। अब मिनी ने पिंकी को बताया कि वह इस बारे में अपने मम्मी-डैडी से बात करेगी और वे लोग फिर तुम्हारे घर तुम्हारा हाथ मांगने आएंगे और मैं तुम्हें अपनी भाभी बनाकर अपने घर ले जाउन्गी यह सुनकर पिंकी के दिल में लड्डू फूटने लगे और फिर वह मिनी से गले लग गई मगर बोली कुछ नहीं। 

फिर वास्तव में कुछ दिन के बाद आरके के माता पिता मिनी के साथ पिंकी के घर आए और पिंकी की मां से पिंकी का हाथ मांग लिया। पिंकी को जब इस बारे में पता लगा तो वह शर्म के मारे किचन में ही छुप गई। रश्मि ने अपनी नंद को यूँ शरमाते देखा तो उसका माथा चूम लिया और बोली चलो जाकर अपने होने वाले सास ससुर को चाय पेश करो। पिंकी ने सिर पर दुपट्टा रखा और शरमाती हुई कांपते हाथों से सास ससुर के सामने जाकर चाय रखी। मिनी ने पिंकी को आते देखा तो वह उठ कर खड़ी हो गई और पिंकी ने चाय टेबल पर रख दी तो मिनी ने आगे बढ़कर उसे गले लगाया और उसकी माथे पर एक चुंबन दिया। फिर पिंकी ने आगे बढ़कर अपने होने वाले ससुर जी के पैर छुए तो सास उसे प्यार करने लगी और सास साहिबा ने पिंकी को अपने साथ बिठा लिया। पिंकी ने कहा कि मैं आपके लिए चाय बना दूं तो उसकी होने वाली सास ने कहा चाय मिनी बना लेगी तुम यहाँ हमारे पास बैठो। 

खुद पिंकी की माँ भी बहुत खुश थीं और रश्मि भी खुश थी। कुछ ही देर में डॉली भी कमरे से तैयार होकर निकली और बड़ी खुशदीली के साथ आने वाले मेहमानों से मिली और पिंकी के सिर पर प्यार भरा हाथ फेरा। काफी देर सब लोग बैठे बातें करते रहे। फिर जय भी घर आ गया तो घर में मेहमानों को देखकर हैरान हुआ। अब तक उसे किसी ने नहीं बताया था कि उसकी छोटी बहन का रिश्ता आया है। जय की नजर मिनी पर पड़ी तो उसने तुरंत ही पहचान लिया, वह गोआ में मिनी से मिला था। जय भी सब मेहमानों के साथ बैठ गया। फिर आरके के पिताजी ने जय से बात शुरू की और अपने आने का उद्देश्य जय के सामने रख दिया। जय ने एक नज़र अपनी मां की ओर देखा जिनके चेहरे पर खुशी के स्पष्ट संकेत थे और फिर पिंकी को देखा जो छुई मुई बनी अपनी सास के साथ बैठी थी। डॉली भी जय के साथ आकर बैठ चुकी थी उसने भी जय को सहमति व्यक्त करने को कहा और रश्मि की भी यही इच्छा थी। 

सबकी इच्छा देखकर जय ने आरके के पिताजी को हां कर दी मगर साथ में यह भी कहा कि हम अभी कोई रस्म नहीं करेंगे। पहले राज भाई वापस आ जाएं तो उनके वापस आने के बाद सगाई की रस्म भी हो जाएगी और फिर उचित मौका देखकर शादी भी कर देंगे। तब तक आपकी पिंकी हमारे पास आपकी अमानत है। जय के इस फैसले से सभी घर वाले खुश थे और आरके के पिताजी ने भी इस पर सहमति जता दी कि बड़े भाई की मौजूदगी ज़रूरी होगी किसी भी रस्म के लिए। उसके बाद सब लोग बैठे घंटों बातें करते रहे। रात का समय हुआ तो मेहमानों ने जाने की विनती की, और थोड़ी ही देर में तीनों गेस्ट हाउस से चले गए। मेहमानों के जाने के बाद जय ने पिंकी के सिर पर हाथ रख कर उसको प्यार दिया और ढेरों आशीर्वाद दिए और पिंकी आरके का चेहरा अपनी आँखों में सजाए अपने कमरे में चली गई। 

दो घंटे बाद पिंकी के मोबाइल पर कॉल आई, स्क्रीन पर आरके का नाम था, पिंकी ने कॉल अटेंड की तो उधर से आरके की प्यार भरी आवाज सुनाई दी। आरके की आवाज सुनते ही पिंकी के चेहरे पर शर्म के बादल छा गए। पहले तो पिंकी से कुछ बोला ही नहीं गया। मगर फिर धीरे धीरे उसकी मदहोशी समाप्त हुई तो पिंकी को तब होश आया जब एक घंटे के बाद कॉल खुद ही बंद हो गई। उसके बाद आरके की फिर से कॉल आई और उसने अगले दिन पिंकी को कॉलेज टाइम के दौरान मिलने का कहा। पिंकी थोड़ी देर इनकार करने के बाद आरके की बात मानने पर राजी हो गई और दोनों ने कार्यक्रम बनाया कि कॉलेज टाइम के दौरान दोनों कहीं दूर लांग ड्राइव पर जाएँगें . उसके बाद कॉल बंद हो गई और पिंकी आरके के सपने देखने लगी। 
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06-07-2017, 02:23 PM,
#36
RE: वतन तेरे हम लाडले
कर्नल इरफ़ान अमजद को मुल्तान की ओर रवाना करने के बाद खुद इस कच्चे रास्ते पर आगे मौजूद कस्बों की ओर जा रहा था। अपने साथ मौजूद एक कार को मुल्तान की ओर भेज दिया था ताकि वह अमजद "सरदार सन्जीत सिंह" की जासूसी कर सके। जब कि कर्नल इरफ़ान का अमजद पर शक खत्म हो गया था और उसे विश्वास था कि यह मेजर राज के साथ नहीं बल्कि राज ने उसको जबरन अपने साथ रखा, लेकिन फिर भी कर्नल के मन में कहीं न कहीं बेयकीनी की स्थिति भी मौजूद थी। इसीलिए उसने अपने कुछ आदमियों को आदेश दिया कि वह मुल्तान तक अमजद का पीछा करें और देखें कि वे रास्ते में या मुल्तान पहुंचकर किसी ने संपर्क तो नहीं कर रहा है।और अगर उसने किसी से संपर्क किया तो तुरंत पता लगाया जाए कि उसने किन लोगों से संपर्क किया और उन्हें क्या कहा। 

कुछ ही देर के बाद कर्नल इरफ़ान सिंह अपने काफिले के साथ एक छोटे से शहर में मौजूद था। रात का समय था, शहर के लोग दूर से ही वाहनों की रोशनी देखकर उठ गए थे। ऐसे छोटे कस्बों में आमतौर आदमी घर के बाहर ही सोते हैं। इसलिए जैसे ही उनकी आंखों में रोशनी पड़ी उनकी आंख खुल गई और अपराधियों की वजह से उन्होंने तुरंत ही अपने घरों से अपनी बंदूकें निकाल ली थी कि ऐसा न हो कि आने वाला हमारे मवेशी या दूसरा कीमती सामान हथियाने की कोशिश करे . जब वाहन शहर में पहुंच गये तो उन्हें एहसास हुआ कि यह सेना और पुलिस के वाहन हैं। अगर खाली पुलिस वॅन होतीं तो वह पुलिस को तुरंत भगा देते मगर सेना से पंगा लेने की हिम्मत उनमें नहीं थी इसलिए शहर के सरपंच ने सब लोगों को अपनी बंदूकें नीची रखने का कह दिया। 

कर्नल इरफ़ान ने भी दूर से ही अनुमान लगा चुका था कि सामने खड़े लोगों के हाथों में बंदूकें हैं। मगर वह जानता था कि जब उन्हें पता लगेगा कि यह सेना की गाड़ियाँ हैं तो वह कोई गलती नहीं करेंगे। इसलिए कर्नल निडरता से आगे बढ़ता रहा। आबादी से कुछ दूर कर्नल ने वाहन रुकवा दिए और कार से उतर कर उन की ओर बढ़ने लगा। कर्नल के आसपास सशस्त्र सैनिक मौजूद थे जो किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार थे जबकि पुलिस वाले भी पीछे पीछे अपनी बंदूकों का रुख शहर वालों की ओर किए चले आ रहे थे। 

कर्नल इरफ़ान ने उनके पास पहुंचकर उन्हें नमस्कार किया तो उनका सरपंच आगे आकर खड़ा हो गया और अपना परिचय करवाया। कर्नल इरफ़ान ने उन्हें बताया कि आप लोग चिंता ना करें , हमारा यहां आने का उद्देश्य आप लोगों को नुकसान पहुंचाना कदापि नहीं बल्कि हम यहाँ एक आतंकवादी को ढूंढने आए हुए हैं जिसने भारत से हमारी सीमा में प्रवेश किया है और एक बार पकड़े जाने के बावजूद हमारी कैद से भाग निकला।अब उसके साथ एक आतंकवादी और भी है और साथ में एक लड़की भी है। हमारी जानकारी के अनुसार वह जामनगर बाईपास से मुल्तान जाने की बजाय कच्चे रास्ते पर इसी शहर से आए हैं। अगर आपको इनके बारे में कोई जानकारी हो तो उन्हें पकड़ने में मदद करें। आपकी मदद से हम अपने दुश्मनों को पकड़ कर सकते हैं। 

कर्नल की बात समाप्त हुई तो शहर के सरपंच ने कर्नल इरफ़ान को कहा, हम लोग छोटे-मोटे अपराध जरूर करते हैं, लेकिन किसी दुश्मन को शरण देने की सोच भी नहीं सकते। दुश्मन देश का कोई भी व्यक्ति हमारे हत्थे चढ़ जाए तो हम उसको जीवित नही छोड़ेंगे उसको शरण देने या उसकी मदद करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। कर्नल इरफ़ान ने फिर से कहा कि यह आतंकवादी पैसे का उपयोग कर लोगों को खरीदते हैं। हो सकता है आप में से किसी ने पैसे के लिए उनकी मदद की हो। अगर आपको किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में पता है तो हमें बताइए और अगर आप ने किसी अनजान व्यक्ति और उसके साथ लड़की को देखा हो तो वह भी बताएं। सरपंच ने इस बार कर्नल को ललकारा और गुस्से से बोला कि एक बार कह दिया हम किसी आतंकवादी की मदद करने की सोच भी नहीं सकते। 

हमें पैसे से नहीं खरीदा जा सकता। हम चोर हैं डाकू हैं अपराधी हैं मगर देशद्रोही हरगिज़ नहीं। हम अपने दुश्मन देश से आए किसी भी आतंकवादी की मदद करना पाप समझते हैं। आप बार बार हम पर यह आरोप लगाकर हमारा अपमान कर रहे हो। अब की बार कर्नल इरफ़ान ने सपाट लहजे में कहा सरपंच जी आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। मगर सरकार हमें इस देश की रक्षा करने की पगार देती है। और जब तक हम अपनी तसल्ली नहीं कर लेते हम यहां से नहीं जाएंगे। हमें इस शहर में मौजूद हर घर की तलाशी लेनी होगी क्या पता किसी ने उसे घर में छुपा कर रखा हो ?? कर्नल की बात सुनकर कस्बे के सरपंच ने बाकी लोगों को देखा और उनसे मुखातिब होकर बोला कर्नल साहब को तलाशी लेने से कभी नहीं रोकेंगे क्योकि यह उनका कर्तव्य है, लेकिन उनकी तलाशी लेने से पहले ही मुझे बतादो अगर किसी ने शरण दी हो किसी आतंकवादी को तो उन्हें अभी कर्नल साहब के हवाले कर दिया जाए। मेरा वादा है कि उसको कुछ नहीं कहा जाएगा। लेकिन अगर तलाशी के दौरान किसी भी घर से आतंकवादी बरामद हुए तो उसकी खैर नहीं फिर।

सभी लोगों ने एक ज़ुबान होकर कहा कि कर्नल को तलाशी लेने दी जाए, हमने किसी को भी शरण नहीं दी। यह सुनकर कर्नल इरफ़ान ने अपने साथियों को इशारा किया और वह 2, 2 की टोलियों में वहाँ घरों में घुसकर तलाशी लेने चले गए जबकि कर्नल इरफ़ान अपने 2 साथियों के साथ बाहर ही मौजूद रहा। करीब आधा घंटा कर्नल के आदमी शहर में मौजूद घरों की तलाशी लेने के बाद विफल लौट आए और बताया कि सर यहाँ कोई मौजूद नहीं है। सरपंच ने गर्व भरी नज़रों से कर्नल देखा जैसे कहना चाह रहा हो कि मैंने पहले ही कहा था हम देशद्रोही हरगिज़ नहीं। 

कर्नल ने सरपंच का धन्यवाद किया और अगले शहर से जाने के इरादे से , अभी वह वापसी के लिए मुड़ा ही था कि एक औरत भागती हुई आई और उसने बताया कि उसके साथ वाले घर में एक लड़का रहता है जिसकी उम्र 18 साल है । उसका पिता शहर से बाहर गया हुआ है और कुछ ही देर पहले मैंने उसे अपनी कार में कहीं जाते हुए देखा है। उसके साथ कार में एक लड़की भी मौजूद थी जिसका रूप में सही से देख नहीं पाई और वह आधे घंटे पहले यहां से निकले हैं। 

कर्नल ने उसकी बात सुन कर फिर से अपने उस अधिकारी को बुलाया जो जामनगर और शहर के बारे में जानकारी रखता था। कर्नल ने उस औरत से कहा कि इस आदमी को रास्ता समझाए कि वे किस ओर गए हैं। तो इसने अपनी सिंधी ज़ुबान में उसे एक रास्ता समझाया जो छोटे गांवों और कस्बों से होता हुआ मुल्तान के पास जाकर निकलता था। इस अधिकारी ने कर्नल को बताया कि ये सभीरास्ते कच्चे है और यहाँ से मेन रोड तक 3 घंटे में यह दूरी तय होती है कि कच्चे रास्ते से 4 घंटे लग जाएंगे। कर्नल इरफ़ान ने तत्काल अपने साथियों को वाहन में बैठने के लिए कहा और सबसे आगे अपनी कार रखते हुए इस अधिकारी को अपने साथ बिठा लिया ताकि वह रास्ता बता सके। कर्नल के काफिले में ट्रक थे जो कच्चे रास्ते पर खासी गति से अपना सफर तय कर सकते थे उसके विपरीत कार के लिए यह यात्रा कठिन थी और कार अधिक गति के साथ नहीं चल सकती। इसलिए कर्नल को विश्वास था कि इन लोगों के मुल्तान पहुंचने से पहले कर्नल इरफ़ान उन तक पहुंच जाएगा।

अमजद धीमी गति के साथ मुल्तान का सफर तय कर रहा था। उसे पता था कि रास्ते में अभी और भी पुलिस नाकों पर उसे रोका जाएगा मगर अब वह संतुष्ट था कि जब कर्नल इरफ़ान उसे नहीं पहचान पाया तो यह आम पुलिसकर्मी सरसरी तौर पर वाहन की चेकिंग के बाद उसको छोड़ देंगे। और हुआ भी यही, अमजद को रास्ते में जहां कहीं भी रोका गया उसने अपना राशन कार्ड निकाल कर दिखाया जिस पर सरदार सन्जीत सिंह का नाम दर्ज था, पुलिस कर्मियों ने अमजद की कार की तलाशी ली और उसको आगे जाने दिया। यह काम हर पुलिस नाके पर हुआ और अमजद बिना परेशान हुए पूरे विश्वास के साथ हर नाके पर अपनी जाँच करवाता रहा। 
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06-07-2017, 02:23 PM,
#37
RE: वतन तेरे हम लाडले
अपनी ओर से वह पूरी संतुष्ट था मगर उसको चिंता थी तो राज और समीरा की। उसने अपने दम पर तो कर्नल इरफ़ान को चकमा दे दिया था और और अब कर्नल इरफ़ान कच्चे रास्तों से होता हुआ मेजर राज को पकड़ने की कोशिश कर रहा था। मगर अमजद जानता था कि हर नाके पर बसों को भी जाँच की जाएगी, और जिस बस में उसने मेजर राज और समीरा को बिठाया था उसकी भी जाँच होगी। और अगर कहीं ये लोग पकड़े गए तो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा। पहले रॉ से उसको मेजर राज की रिहाई का लक्ष्य मिला था, इससे पहले कि अमजद अपनी कोई योजना बनाता मेजर राज खुद ही छूट आया था, और अब न केवल उसके पकड़े जाने का फिर से भय था बल्कि साथ में समीरा भी पकड़ी जाती तो समस्या और भी बढ़ सकती थी केवल यही एक बात थी जो अमजद को परेशान कर रही थी। 

अमजद को मुल्तान की ओर जाते हुए कोई एक घंटे से ऊपर का समय गुजर चुका था इस दौरान अमजद ने नोट किया था कि एक कार लगातार अमजद का पीछा कर रही है। जबकि पीछे आने वाली गाड़ी काफी दूरी पर थी मगर फिर भी अमजद का शक था कि यह कार उसी के पीछे आ रही है कि हो न हो कर्नल इरफ़ान ने ही भेजी है। अमजद ने अपनी तसल्ली के लिए कुछ स्थानों पर अपनी गति बहुत धीमी कर दी और इंतजार करने लगा कि पीछे आने वाली गाड़ी आगे निकलती है या नहीं। मगर अमजद का शक सही निकला, जैसे ही अमजद अपनी गति धीमी करता पीछे आने वाली गाड़ी भी धीरे हो जाती और जब अमजद अपनी कार की गति बढ़ाता तो पीछे आने वाली गाड़ी भी तेज हो लेती। 

अब मुल्तान 1 घंटे की दूरी पर था। रात के 3 या 4 बजे का समय हो रहा था और अमजद को शौचालय जाने की भी जरूरत महसूस हो रही थी। कुछ ही दूरी पर एक मोड़ था और मोड़ से आगे एक गैस पंप था। अमजद ने अचानक ही अपनी कार की गति बढ़ा दी और मोड़ मुड़ने के बाद कार गैस पंप की ओर ले गया। यूं तो उसे विश्वास था कि पीछे आने वाली गाड़ी उसी का पीछा कर रही है, लेकिन वह फिर भी पूरी तसल्ली करना चाहता था। मोड़ मुड़ते ही अमजद ने अपनी कार सड़के से उतार कर खड़ी कर दी मगर पंप से दूर रखा क्योंकि वह चाहता था पीछे आने वाली गाड़ी जैसे ही मोड़ मुड़े उसको अमजद की कार नज़र आ जाए।


कार सड़क से उतार कर अमजद गाड़ी से निकला और पंप पर मौजूद टॉयलेट में चला गया। बिना समय बर्बाद किए जब अमजद बाहर निकला तो उसने देखा की पीछे आने वाली कार अब अमजद की कार से कुछ आगे खड़ी थी और एक सैनिक पंप पर खड़ा इधर उधर देख रहा था जैसे किसी को खोजने की कोशिश कर रहा हो। अमजद शौचालय से निकला और दुकान पर चला गया वहाँ से एक रस का डब्बा और बिस्कुट का पैकेट उठाकर बाहर आने लगा। दुकानदार ने पैसे मांगे तो अमजद ने बाहर खड़े सेना ज़बान की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह बाहर मेरे अधिकारी खड़े हैं वे ही देंगे पैसे। सैनिक को देखकर दुकानदार चुप हो गया। और अपने काम में लग गया। अमजद चुपचाप बाहर आया मगर अबकी बार वह सीधा सैनिक के पास गया। सैनिक ने अमजद को अपनी ओर आते हुए देखा तो वह अनजान बन कर इधर उधर देखने लगा जैसे कि वह अमजद को जानता ही नहीं और न ही वो अमजद की तलाश में था। अमजद इस सैनिक के पास गया उसको सतश्रीअकाल कहा और फिर बोला कि साहब जी मेरे पास खाने के पैसे नहीं हैं मुझे बहुत भूख लग रही है मैंने यह रस डिब्बा और बिस्कुट इस दुकान से लिए हैं आप उन्हें मेरी जगह पैसे दे दे? ? 

सैनिक ने गुस्से से अमजद को देखा और बोला क्यों दूँ तुम्हारी जगह पैसे ??? अमजद बोला साहब जी बड़ी मेहरबानी होगी आपकी। मुझे आपके बड़े साहब जी ने मुल्तान जाने का आदेश दिया है अगर पैसे नहीं देंगे तो यह दुकानदार मुझे यहाँ से जाने नहीं देगा और मुझे देर हो जाएगी। आप पैसे दे दें तो मैं अभी चला जाऊंगा और समय के साथ आपके बड़े साहब की की भेजी हुई जगह पहुंच सकूंगा। सैनिक ने यह बात सुनी तो बोला अच्छा अच्छा ठीक है तुम जाओ मैं दे दूंगा पैसे। अमजद धन्यवाद करते हुए अपनी कार में आकर बैठ गया और और बिस्कुट का पैकेट खोलकर सामने रख लिया और कार स्टार्ट करके फिर से यात्रा शुरू कर दी . सैनिक ने जब देखा कि अमजद जा रहा है तो वह तुरंत दुकान पर गया उसको पैसे दिए और फिर से अपनी कार में बैठ कर अमजद का पीछा करने लगा। 

इस सारी करवाई में अमजद केवल इस सैनिक का विश्वास हासिल करना चाहता था। न तो उसे सख्त भूख लगी थी और न ही वह इतना बेशर्म था कि राह चलते किसी से भी पैसे मांग ले। लेकिन यह हरकत कर के अमजद ने सैनिक के मन में यह बात बिठा दी थी कि अगर यह कोई आतंकवादी है तो उसको तो सेना से दूर भागना चाहिए, लेकिन यह बिना डर खाए एक सैनिक के पास आकर उस से मदद मांग रहा है। और अमजद का यह तीर ठीक निशाने पर जाकर लगा था। सैनिक ने पीछा करते हुए अब कर्नल इरफ़ान को कॉल की और उसको सारी स्थिति से अवगत करते हुए बताया कि अमजद किसी भी रूप में उन लोगों के साथ शामिल नहीं हो सकता। बस मजबूरी की वजह से यह उनके साथ था। कर्नल इरफ़ान ने भी अमजद को ग्रीन सिग्नल दे दिया मगर पीछा जारी रखने का आदेश देते हुए कहा क्या मालूम वेवो लोग इससे पेट्रोल पंप पर मिलने आएँ . इसलिए तुम ध्यान रखना जैसे ही कोई आए उसको तुरंत धर लेना। 

एक घंटे की ड्राइव के बाद अमजद मुल्तान शहर के पहले पटोल पंप पर अपनी कार खड़ी कर के खड़ा था। जबकि पीछे आने वाला सैनिक पेट्रोल पंप से काफी दूर अपनी कार खड़ी कर खेतों से होता हुआ पेट्रोल पंप की दीवार के करीब पहुंच गया था और अमजद पर नजर रखे हुए था। अमजद की पीठ सैनिक की ओर थी, वह इस बात से तो बेखबर था कि सैनिक कहाँ खड़ा है मगर इतना जरूर जानता था कि कहीं न कहीं वह अमजद पर नजर रखे हुए है। जब पेट्रोल पंप पर खड़ा था अमजद को 5 से 6 घंटे हो गए और वहाँ कोई नहीं आया तो सैनिक ने फिर कर्नल इरफ़ान को फोन किया तो कर्नल इरफ़ान ने अब इसे मुल्तान शहर में प्रवेश करने के लिए कहा और वहां मौजूद आर्मी कैंप में बुलाया । और साथ ही उसे आदेश दिया कि सरदार सन्जीत सिंह को कहो अब वह पेट्रोल पंप से निकल जाए और किसी सुरक्षित जगह पर जाकर छुप जाए। 

सैनिक ऐसे ही किया, वह वापस अपनी कार तक गया और फिर कार में बैठकर वापस पेट्रोल पंप पर आया वहाँ रुक कर वह अमजद से मिला। अमजद ने हैरानगी जताते हुए कहा साहब जी आप वही हो न जो पहले भी पेट्रोल पंप पर मिले थे मुझे ?? तो सैनिक ने कहा, हां मैं वही हूँ। मेरे अधिकारी ने मुझे भेजा है और कहा है कि सरदार जी से कहो अब यहाँ कोई आतंकवादी नहीं आने वाला आप बेफिक्र होकर जा सकते हैं मगर अपनी सुरक्षा के लिए अधिक बाहर न निकलना बल्कि किसी सुरक्षित ठिकाने पर जाकर छुप जाओ। अमजद ने सैनिक को धन्यवाद दिया मगर अपने मन में मौजूद परेशानी को दूर करने के लिए सैनिक से पूछा कि वो आतंकवादी जिन्हें आप ढूंढ रहे हैं वह मिल गया है या नहीं? सैनिक कहा नहीं पता नहीं उन्हें आसमान खा गया या जमीन निगल गई। वह कहीं भी नहीं मिल पाए और ना ही अभी उनका कोई सुराग मिल रहा है। यह सुनकर अमजद को तसल्ली हुई और उसने सोचा कि राज और समीरा खैरियत से मुल्तान पहुँच चुके होंगे। क्योंकि अमजद कोई 6 घंटे पेट्रोल पंप पर रुककर जाहिर आतंकवादियों का इंतजार करता रहा था और वह बस जिसमें उसने राज और समीरा कि बिठाया था कोई 7 घंटे पहले मुल्तान पहुंच चुकी होगी। अब अमजद ने सैनिक को बताया कि यहां उसके कुछ दोस्त रहते हैं उनकी तरफ जाकर छिप जाऊंगा अब वही एक सुरक्षित जगह है मेरे लिए। सैनिक ने उसकी बात पर बिना कोई ध्यान दिए ठीक कहा और वहां से चला गया। 
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06-07-2017, 02:23 PM,
#38
RE: वतन तेरे हम लाडले
अमजद भी अब पेट्रोल पंप से निकला और मुल्तान में मौजूद अपने ठिकाने की ओर बढ़ने लगा। वह जानता था कि अब उसका पीछा नहीं होगा और वह संतुष्टि के साथ सरमद काशफ, बौद्धिक और समीरा को मिल सकता है और आगे की योजना बनाई जाएगी। कुछ ही देर में विभिन्न मार्गों से होता हुआ अमजद अपने वांछित ठिकाने पर पहुंच चुका था। मध्य वर्ग से संबंध रखने वाली इस कॉलोनी में अमजद ने एक फ्लैट किराए पर ले रखा था जो उसने आज़ाद कश्मीर के एक परिवार को किराए पर दिया हुआ था। और अमजद का जब दिल करता वह यहाँ आ जाता था। 

अमजद जब घर पहुंचा तो सामने कमरे में राणा काशफ और सरमद घोड़े बेचकर सो रहे थे। अमजद ने इधर उधर देखा मगर न तो उसे समीरा कहीं दिखी और न ही मेजर राज शर्मा। फिर अमजद दूसरे कमरे में गया लेकिन वहां भी उसे कोई दिखाई न दिया तो ऊपर वाले पोरशन में कश्मीरी परिवार से अमजद ने जाकर राज और समीरा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि रात 3 बजे के करीब बस 2 आदमी ही आए हैं जो इस समय नीचे ही होंगे उनके अलावा और कोई नहीं आया यहाँ पर। यह खबर अमजद पर पहाड़ बनकर टूटी थी। जो पहला विचार उसके मन में आया वह यही था कि कर्नल इरफ़ान समीरा और मेजर को पकड़ चुका है और पेट्रोल पंप से वापस जाने का कहना और अपना विश्वास व्यक्त करना कर्नल की कोई चाल होगी ताकि वो अमजद का पीछा करके बाकी लोगों भी पकड़ सकें। यह विचार मन में आते ही अमजद के माथे पर पसीने की बूँदें दिखाई देना शुरू हो गई थी 


सुबह 6 बजे समीरा की आंख खुली तो वह बेड से उठकर राज के सोफे ओर बढ़ी मगर वहां राज नहीं था। वह अपने कमरे से निकलकर जूली के कमरे में गई लेकिन वहां जूली और सोज़ी घोड़े बेचकर सो रही थीं। फिर समीरा ने कुछ कमरों को चेक किया और बाहर गली में भी देखने आई मगर राज का कहीं अता-पता नहीं था। समीरा वापस अपने कमरे में आई तो मेजर राज सामने ही बेड पर बैठा था। समीरा मेजर को कमरे में देखकर हैरान हुई और बोली कि कहाँ थे तुम ??? मेजर ने कहा तुम्हें इससे क्या तुम तो ऐसे सोई पड़ी थी जैसे अपनी अम्मा जी के घर सोई हुई हो। मेजर की बात सुनकर समीरा ने कहा कल सारा दिन तुम्हारे साथ घूमती रही हूँ इसीलिए थकान की वजह से अच्छी नींद आ गई। मगर तुम बताओ तुम कहाँ थे ???


मेजर ने बताया कि तुम्हारे केप्टन फ़ैयाज़ के कमरे तक गया था। उससे कुछ काम था। समीरा ने हैरान होकर पूछा तुम्हें क्या काम पड़ गया और तुम वहाँ गए ही क्यों ?? तो मेजर ने उसे कहा छोड़ो तुम्हारा इससे क्या संबंध। बस जिस काम के लिये मैं गया था वो हो गया। अब तुम तैयारी करो हमें लाहोर जाना है। लाहोर का नाम सुनते ही समीरा बोली लाहोर क्यों ?? हमें तो मुल्तान जाना है ?? अमजद वहाँ हमारे इंतजार में है। समीरा की बात सुनकर मेजर ने समीरा को कहा तुम कर्नल इरफ़ान की कैदी बनना चाहती हो तो शौक से जाओ मुल्तान। वह पागल कुत्ते की तरह तुम्हे और मुझे ढूंढ रहा है। मुल्तान और जामकोट सभी स्थानीय चैनलों पर हमारे बारे में समाचार दी जा रही हैं। वहाँ जाना मौत को दावत देने के बराबर है। लाहोर बड़ा शहर है वहां हमें आसानी से रहने की जगह भी मिल जाएगी और उसके साथ कर्नल इरफ़ान पर निशाना भी लगा सकेंगे। कर्नल इरफ़ान के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त कर चुका हूँ। अब तैयारी करो निकलें यहाँ से। 

कुछ ही देर में समीरा और राज कैप्टन फ़ैयाज़ की जीप में बैठे शहर से दूर जा रहे थे। एक प्लाजा के पास पहुंचकर मेजर राज ने गाड़ी रोक ली। सुबह का समय था प्लाजा का मेन गेट बंद पड़ा था और बाहर एक चौकीदार बैठा था। मेजर राज ने चौकीदार से कहा हमें शाजिया जी से मिलना है। चौकीदार बोला शाजिया जी 11 बजे अपना काम शुरू करती हैं अब तुम लोग जाओ बाद में आना। मेजर राज ने चौकीदार को फिर कहा कि मेरी बात हो गई है शाजिया जी से तुम उन्हें बताओ कि कैप्टन फ़िरोज़ आए हैं उनसे मिलने। कैप्टन शब्द सुनते ही चौकीदार खड़ा हुआ और पास केबिन में मौजूद फोन से मिस शाजिया का नंबर मिलाया और उन्हें केप्टन फ़िरोज़ के आने की खबर दी। शाजिया जी ने कहा कि उन्हें मेरे कमरे तक पहुंचा दो। चौकीदार ने अब छोटे गेट को खोला और राज को बोला आप लोग गाड़ी यहीं खड़ी रहने दो, मैं आपको शाजिया जी के कमरे तक ले जाता हूँ।मेजर राज ने गाड़ी से चाबी निकाली और समीरा का हाथ पकड़कर चौकीदार के पीछे चलने लगा। चौकीदार प्लाजा बिल्डिंग में मौजूद लिफ्ट का उपयोग कर चौथी मंजिल पर गया और एक कमरे के सामने रुक गया चौकीदार ने कमरे को नॉक किया तो अंदर से शाजिया की आवाज़ आई कम इन। 

चौकीदार पीछे हट कर खड़ा हो गया और मेजर राज को अंदर जाने का इशारा किया। मेजर राज समीरा को लिए अंदर चला गया। अंदर एक 40 वर्षीय अधेड़ उम्र महिला ने मेजर राज और समीरा का अभिवादन किया। मेजर राज से हाथ मिलाते हुए शाजिया ने उसे कैप्टन फ़िरोज़ कह कर संबोधित किया जबकि समीरा से मिलते हुए उसे श्रीमती फ़िरोज़ कह कर संबोधित किया। समीरा अब सही स्थिति समझ नहीं पाई थी और राज से कुछ पूछने ही लगी थी कि राज की आवाज आई शाजिया जी अब जल्दी जल्दी अपना काम कीजिए हमारे पास समय बहुत कम है। यह सुनकर शाजिया समीरा और राज को लेकर अंदर एक कमरे में गई। यह एक ब्यूटी पार्लर जैसा कमरा था। जहां एक 25 वर्षीय लड़की और भी खड़ी थी।
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06-07-2017, 02:23 PM,
#39
RE: वतन तेरे हम लाडले
शाजिया जी ने श्रीमती फ़िरोज़ यानी समीरा को एक चेयर पर बैठने को कहा और पास खड़ी लड़की बोली मेडम जी का एकदम जबरदस्त मेकअप कर दो तब तक मिस्टर फ़िरोज़ का मेकअप कर लूँ। समीरा अब तक समझ नहीं पाई थी कि सुबह सुबह मेकअप क्यूँ और क्या है ??? और इस समय कौन सा ब्यूटी पार्लर खुला होता है ?? और राज को कैसे पता कि यहां जामनगर में प्लाजा में एक ब्यूटी पार्लर भी मौजूद है। मगर वह चुपचाप बैठी अपना मेकअप करवाने लगी। लड़की ने पहले समीरा का हेयर कट किया। समीरा के लंबे घने बाल जो करीब उसकी कमर के बराबर थे अब मात्र कंधों तक रह गए थे। इसके अलावा फ्रंट हेयर की कटिंग ने समीरा को बिल्कुल ही नया लुक दे दिया था . कुछ ही देर में समीरा का मेकअप भी हो गया था, अब वह किसी भी एंगल से कश्मीरी या किसी जिहादी संगठन की लड़की नहीं लग रही थी। बल्कि समीरा अब दिखने में उच्च श्रेणी परिवार की जवान लड़की के रूप में थी। अब वही लड़की समीरा को साथ वाले रूम में लाई उसे वार्ड रोब से कुछ कपड़े दिखाए। यहाँ सब कपड़े उच्च वर्ग के परिवारों के अनुसार थे। समीरा ने एक सूट पसंद कर लिया। 

स्किन टाइट पैंट के साथ एक ढीली सी शर्ट जो समीरा के पेट पर आकर खत्म हो रही थी पहनकर समीरा खुद को शीशे में देखने लगी। लाइट मेकअप, हेयर कट और इस ड्रेस में समीरा वाकई एक आधुनिक परिवार की महिला लग रही थी। अब उस लड़की ने समीरा को उसके साथ ऊँची एड़ी के जूते भी लाकर दिए, जिन्हें पहनकर समीरा और भी सुंदर दिख रही थी और साथ ही ब्लैक कलर के ग्लासेज उसके व्यक्तित्व को काफी आश्वस्त कर रहे थे। समीरा जो कुछ देर पहले एक सेक्सी अरबी लड़की के रूप में डांस क्लब में डांस कर रही थी अब एक पूरी दबंग और ग्रेस फुल लड़की के रूप में खड़ी थी। तैयार होकर जब वह बाहर निकली तो राज को देखकर हैरान रह गई। मेजर राज अब राज कम और कप्तान फ़ैयाज़ अधिक लग रहा था। शाजिया जी ने मेजर राज का मेकअप कुछ इस तरह से किया था कि अब उसका गोरा रंग कुछ काला हो गया था और अगर कोई कैप्टन फ़ैयाज़ की तस्वीर देखकर मेजर राज को देखता तो उसे लगता उसके सामने कैप्टन फ़ैयाज़ ही खड़ा है। 

10 मिनट के मेकअप टच के बाद राज भी अपनी चेयर से खड़ा हो गया और शाजिया ने उसे भी कुछ मर्दाना कपड़े दिखाए जिनमें से राज ने एक जोड़ी का चयन किया और फिर शाजिया जी को एक बड़ी रकम देकर वापस कैप्टन फ़ैयाज़ की जीप में आकर बैठ गया। मेजर के हाथ में एक बैग भी था जो पहले नहीं था। कार में बैठ कर मेजर ने कार स्टार्ट की और राज मार्ग नंबर 6 से होता हुआ एयरपोर्ट रोड पर चढ़ गया। अब समीरा को समझ लग गई थी कि रात जो लाहोर के टिकट मेजर राज को मिले थे मेजर इन्हीं का उपयोग करके लाहोर जाएगा और कप्तान फ़ैयाज़ की तस्वीर दिखाकर उसने शाजिया जी से अपना मेकअप इस तरह करवाया कि उनकी आकृति अब काफी मिलती जुलती लगने लगी थी। 

समीरा ने मेजर राज से पूछा कि बाकी सब कुछ तो मुझे समझ आ गया मगर आप ने शाजिया जी को कैप्टन फ़ैयाज़ की तस्वीर कैसे दिखाई ??? मेजर राज ने जेब से एक मोबाइल फोन निकाला और समीरा को पकड़ा दिया। इस सेमसंग कंपनी का गैलेक्सी एस 5 मोबाइल था। समीरा ने पूछा यह तुम्हारे पास कहाँ से आया ??? तो मेजर ने बताया कि तुम तो घोड़े बेचकर सो गई थी मगर थोड़ी सी नींद पूरी करने के बाद कमरे में गया जहां तुम ने कैप्टन फ़ैयाज़ को बेहोश किया था। वहां जाकर मैंने उसकी और तलाशी ली कि शायद कोई काम की चीज़ मिल जाए। यह मोबाइल मिला, उससे मैंने कर्नल इरफ़ान के बारे में भी बहुत सी जानकारी प्राप्त कर ली हैं और साथ ही कैप्टन फ़ैयाज़ के बारे में भी। इसी मोबाइल से कप्तान फ़ैयाज़ के चित्र बनाए और फिर मोबाइल से ही सर्च किया जामनगर मेकअप कलाकार के बारे में तो मुझे शाजिया जी के फेसबुक पेज के बारे में पता लगा वहाँ से उनका मोबाइल नंबर लेकर उन्हें कॉल किया और अपने आप को कैप्टन बताकर कर उन्हें मजबूर किया कि वह सुबह 7 बजे हमें मिलने का मौका दें। और मेरा मेकअप इस तरह करें कि मेरा रूप आतंकवादी फ़ैयाज़ से मिले। यह कह कर राज ने एक जोरदार ठहाका लगाया और ड्राइविंग जारी रखी। फिर मेजर राज ने बताया कि कैप्टन फ़ैयाज़ की 9 बजे की फ़्लाईट है लाहोर की। हम इसी फ़्लाईट से कप्तान फ़ैयाज़ और मिसेज़ फ़ैयाज़ बनकर मुंबई जाएंगे। वहां सेना रेजीडेंसल कॉलोनी में कर्नल इरफ़ान का घर है जहां उसकी एक बेटी राफिया रहती है और उसके अलावा कुछ कर्मचारी हैं घर में। कर्नल खुद जामनगर और मुल्तान में मुझे देख रहा है जब तक उसे मेरी खबर होगी मैं उसके मिशन के बारे में बहुत कुछ पता लगा लूँगा कि आखिर वह भारत से कौन सी गोपनीय जानकारी लेकर पाकिस्तान आया है। 

और कोशिश करेंगे कि यह भी पता लगा सकें कि भारत में कौन सा नेटवर्क कर्नल इरफ़ान की मदद करता है। समीरा ने पूछा कि हम रहेंगे कहाँ लाहोर में? तो राज ने कहा उसकी भी व्यवस्था कर चुका हूँ। वहां के एक अपराधी गिरोह से मेरी बात हुई है उनको भारी राशि देकर एक ठिकाना मिल जाएगा और अगर कर्नल इरफ़ान लाहोर आ भी जाए तो वह मुझे ढूंढने के लिए अपराधियों के ठिकानों पर नहीं देगा बल्कि स्वतंत्रता चाहने वाले संगठनों के ठिकानों पर मुझे ढूंढने की कोशिश करेगा, ऐसे में आराम से अपना काम कर सकता हूँ।

अब मेजर राज और समीरा मिस्टर और मिसेज़ फ़ैयाज़ के रूप में एयरपोर्ट पर मौजूद थे। रिसेप्शन पर मेजर राज ने कैप्टन फ़ैयाज़ का कार्ड दिखाया तो रिसेप्शन पर मौजूद महिला ने मेजर राज को सुशआमदीद कहा और साथ ही समीरा यानी मिसेज़ फ़ैयाज़ का हालचाल पूछने लगी। कुछ ही देर बाद मेजर राज और समीरा लाहोर जाने वाली फ़्लाईट में मौजूद थे और विमान टेक ऑफ कर चुका था। एक घंटे और 10 मिनट की छोटी फ्लाइट के बाद करीब 10:30 बजे फ़्लाईट मुंबई एयरपोर्ट पर लैंड कर चुकी थी। एयर पाक की फ्लाइट में मेजर राज ने अपने मन में और योजना और कुछ हद तक समीरा को भी अपने प्लान के बारे में सूचना दी। 

एयरपोर्ट से बाहर निकल कर मेजर राज ने एक टैक्सी ली और जिन्ना नगर में मौजूद एक घर का पता बताया। रास्ते में मेजर राज ने एक जगह टैक्सी रुकवाई। टैक्सी रुकी तो मेजर राज नीचे उतरा और आसपास मौजूद लोगों को देखने लगा। उनमें से एक व्यक्ति जो थोड़ा गरीब लग रहा था मेजर राज उसकी तरफ बढ़ा और उससे कहा कि मैं काफी मुश्किल में हूँ अपने मोबाइल से मुझे एक कॉल तो करने दो। इस व्यक्ति ने मेजर राज को ऊपर से नीचे तक देखा और बोला क्या साहब इतना पैसा है तुम्हारे पास और एक मोबाइल नहीं रख सकते क्या ??? मेजर राज ने सेमसंग एस 5 लहराते हुए कहा यार मोबाइल तो है मगर मैं अभी कनाडा से आया हूँ तो मेरे पास सिम मौजूद नहीं और मुझे बहुत अर्जेंट कॉल करनी है। मेजर की उम्मीद के मुताबिक उस व्यक्ति ने कहा कि साहब कॉल कर लो मगर इस कॉल के हम 50 रुपये लेगा . मेजर राज ने कहा ठीक है यार तुम 100 रुपये ले लेना मुझे फोन करना हैं। मेजर ने उसका मोबाइल लेकर एक व्यक्ति को कॉल की और उसे बताया कि वह लाहोर पहुंच चुके हैं और कुछ ही देर में उसकी बताई हुई जगह पर पहुंच जाउन्गा . अब मुझे तुरंत अपना आवश्यक समान चाहिए। दूसरी साइड पर मौजूद व्यक्ति ने कहा, तुम बेफिक्र हो जाओ तुम्हें सब कुछ मिल जाएगा। यह कह कर उसने फोन बंद कर दिया। मेजर राज ने जेब से 100 का नोट निकाला और उस व्यक्ति को दे दिया साथ में मोबाइल भी वापस कर दिया। 

उस व्यक्ति ने खुशी खुशी 100 का नोट जेब में रख लिया, मेजर राज वापसी के लिए जाने लगा मगर फिर अचानक उस व्यक्ति की ओर मुड़ा जैसे कोई चीज भूल गया हो। इस व्यक्ति ने मेजर को अपनी ओर आता देखा तो बोला क्या साहब कोई और कॉल भी करनी है ?? तो मेजर राज ने उसे कहा यार कॉल तो बार बार करनी होगी, अभी मैं बाहर से आया हूँ तो मेरे पास अपना आईडी कार्ड नहीं तुम अपनी सिम मुझे दे दो तो मैं तुम्हें 500 रुपये दूंगा। इस पर वह व्यक्ति बोला न साहब हमें भी कॉल करनी होती है हम तुम्हें अपनी सिम नहीं देगा। मेजर ने कहा, यार 1000 रुपये ले लो। अब उस व्यक्ति ने थोड़ा सोचा कि इस व्यक्ति की मजबूरी का फायदा उठाना चाहिए और जल्दी से सिम निकाल ली मोबाइल से मगर साथ में कहा साहब 2000 लेगा हम सिम का। मेजर राज ने कहा यार 500 रुपये में सिम मिल जाती है मैं तो 1000 दे रहा हूँ चलो तुम 1500 लो। वह व्यक्ति बोला न साहब 2000 में सौदा तय करना है तो सिम ले जाओ नहीं तो जाओ। राज ने जेब से 2000 रुपये निकाले और उस व्यक्ति दिए और वापस कार में आ गया। 

टैक्सी अब नेहरू नगर की ओर जा रही थी। पीछे बैठी समीरा ने पूछा कि यह नाटक क्यों किया ??? नया सिम ले लेते ?? तो मेजर राज ने समीरा को मुंह चिड़ाते हुए कहा कहीं भी अपना प्रूफ छोड़ना बेवकूफी होगी। अगर मैं कैप्टन फ़ैयाज़ के नाम पर भी सैम निकलवा लूँ तो उन्हें पता चल जाएगा कि मैं लाहोर में हूं और वो आसानी से इस सिम को ट्रेस कर सकते हैं। मगर यह एक राह चलते व्यक्ति की सिम है उसका कोई पता नहीं होगा। यह सुनकर समीरा चुपचाप दूसरी ओर देखने लगी। कुछ ही देर में दोनों नेहरू नगर के एक छोटे से घर में मौजूद थे। घर पहुंच कर समीरा ने शाजिया जी द्वारा लाए गए शॉपिंग बैग खोलकर देखा तो उनमें कुछ महिलाओं के कपड़े थे और 2 जीनटस सूट थे। घर पहुंचकर मेजर राज ने अपना चेहरा गर्म पानी से अच्छी तरह धोया ताकि यहां केप्टन फ़ैयाज़ का कोई जानने वाला राज को फ़ैयाज़ समझकर मिलने ही न चला आए। चेहरा अच्छी तरह से साफ करने के बाद मेजर राज शौचालय से बाहर आ गया और फिर से एक नंबर पर कोल की और आवश्यक समान मंगवाया। 

कुछ ही देर में दरवाजे पर दस्तक हुई और एक काला सा छोटे कद का व्यक्ति मेजर राज को एक छोटा सा बैग पकड़ा कर वापस चला गया। मेजर ने समीरा के सामने ही बैग खोला तो उसमें से एक रिवाल्वर और गोलियों के कुछ राउंड और इसके अलावा एक गाड़ी की चाबी कुछ नकदी भी बैग में मौजूद थी ... समीरा ने यह सब देखा तो बोली इस रिवाल्वर तो समझ आती है अपराधियों से आसानी से मिल जाते हैं मगर इस कार की चाबी और साथ नकदी ??? यह क्या चक्कर है ?? / मेजर राज ने मुस्कुराते हुए कहा तुम्हें कहा था ना कि अब हमे भागने और छिपने की बजाय कर्नल इरफ़ान पर घात लगानी है तो मैंने कैप्टन फ़ैयाज़ के फोन से भारत में संपर्क किया और उन्होंने पाकिस्तान में मौजूद अपने लोगों के माध्यम से यह चीज़े पहुंचाई हैं। 

यह कह कर मेजर राज ने गाड़ी की चाबी हाथ में पकड़ी और लिफाफा कमरे में मौजूद एक अलमारी में रख कर घर से बाहर चला गया। 5 मिनट बाद मेजर राज वापस आया तो उसके पास एक लैपटॉप बैग मौजूद था। समीरा ने पूछा अब यह कहाँ से आया? मेजर राज ने बताया बाहर खड़ी कार में यह लैपटॉप था। मेजर ने लैपटॉप ऑनलाइन किया और बैग से ही मोबीलिंक मोबाइलज़ की एक थ्री जी डिवाइस निकालकर इंटरनेट ऑन कर लिया। समीरा ने राज से पूछा इंटरनेट पर क्या करोगे ??? मेजर राज ने समीरा की तरफ देखा और फिर धीरे से बोला गंदी गंदी तस्वीरें देखना चाहता हूँ देखोगी तुम ??? यह सुनकर समीरा ने राज को घूरा और बोली खुद ही देखो, यह कह कर समीरा सामने मौजूद सोफे पर बैठ गई। मेजर ने समीरा को कहा साथ ही किचन है वहाँ जाकर कुछ खाने की ही व्यवस्था कर दो पेट में चूहे दौड़ रहे हैं। समीरा बोली यह जो गंदी गंदी देखने वाले हो, उसी से भर लो ना पेट अपना। मेजर ने एक ठहाका लगाया और बोला अरे यार इन बातों से तो कभी पेट नहीं भरता, प्लीज़ कुछ खाने की व्यवस्था करो। समीरा उठी और साथ ही मौजूद किचन में जाकर देखने लगी कि वहां क्या कुछ मौजूद है।

मेजर राज ने अब इंटरनेट में लाहोर के नक्शे देखने लगा, यहाँ विभिन्न पब, डांस क्लब, विश्वविद्यालयों, मेन कालोनीज़, रेलवे केंद्रों, बस स्टेंड आदि अपने दिमाग़ मे सेव कर लिए। इसके साथ ही उसने कर्नल इरफ़ान बेटी राफिया की फेसबुक प्रोफाइल खोलकर भी उसको चेक करना शुरू किया। ये प्रोफाइल मेजर को कैप्टन फ़ैयाज़ केमोबाइल से मिली थी। राफिया लाहोर विश्वविद्यालय में मास्टर्स कर रही थी। मेजर ने जिन्ना नगर से लाहोर विश्वविद्यालय तक का रोड मैप देखा और अपने पास मौजूद मोबाइल मे गूगल मैप में सेव कर लिए। यह रास्ता काफी आसान था क्योंकि लाहोर एयरपोर्ट के साथ ही लाहोर विश्वविद्यालय था जहां से कुछ देर पहले मेजर राज टैक्सी में बैठ कर आया था। 

इसके बाद मेजर ने सेना की रेजीडेंसल कॉलोनी तक का रास्ता भी अच्छी तरह मन में बिठा लिया और उसको भी अपने मोबाइल में सेव कर लिया . राफिया की फेसबुक प्रोफाइल से ही मेजर राज को यह बात भी पता लगी कि वह अक्सर हिना गैलरी के पास स्थित प्रसिद्ध नाइट क्लब, क्लब लीबिया मे भी जाती है। और राफिया की फेसबुक स्थिति के अनुसार उसको आज भी अपने कुछ दोस्तों के साथ इसी क्लब में जाना था। मेजर राज ने इस क्लब में जाने का रास्ता भी ध्यान कर लिया। यह सारा काम करके मेजर राज फ्री हुआ तो समीरा ब्रैड गर्म कर चुकी थी साथ में चाय बनाकर अंडे और जेम के साथ ट्रे में रखे वह मेजर राज के पास आ गई। 

दोनों ने मिलकर नाश्ता किया तो मेजर राज ने समीरा को अपने अगले कार्यक्रम के बारे में बताया। नाश्ता करते ही समीरा और मेजर राज दोनों घर से निकल गए, घर को बाहर से लॉक करने के बाद घर के साथ ही खड़ी काले रंग की होंडा सिटी में बैठे और लाहोर विश्वविद्यालय की ओर जाने लगे। जबकि मेजर राज को काफी हद तक रास्ता पता लग चुका था मगर फिर भी समय बचाने की खातिर मेजर ने अपना मोबाइल समीरा को पकड़ा दिया जो अब गूगल मैप से मेजर राज को रास्ता बता रही थी। 20 मिनट की ड्राइव के बाद मेजर राज विश्वविद्यालय लाहोर के सामने मौजूद था। मेजर पहले राफिया की तरफ गया और वहां मौजूद रिसेप्शन पर अपना परिचय कैप्टन फ़िरोज़ के नाम से करवाया और सरसरी तौर पर जेब से एक कार्ड निकाल कर दिखा दिया। रेसेप्शन पर मौजूद महिला कैप्टन शब्द सुनकर ही सीधी हो गई थी कार्ड देखने की भी कोशिस नही की राज ने भी कैप्टन फ़ैयाज़ का कार्ड वापस जेब में रख लिया और धन्यवाद किया कि उसकी उम्मीद के मुताबिक महिला ने कार्ड चेक नहीं किया और नाम सुनकर ही सहयोग के लिए तैयार हो गई। अब मेजर राज ने रिसेप्शन पर मौजूद महिला से राफिया के बारे में पूछा तो महिला ने बताया कि वह इस समय लेक्चर कक्ष में हैं और कुछ ही देर में उनका यह अंतिम लेक्चर समाप्त हो जाएगा तो आप उनसे मिल सकते हैं।
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06-07-2017, 02:24 PM,
#40
RE: वतन तेरे हम लाडले
राज ने उसे बताया कि मुझे मिलना नहीं है राफिया से, बस आप बस मेरी इतनी मदद कर दें कि मुझे उसकी गाड़ी दिखा दें। मुझे कर्नल साहब ने भेजा है मिस राफिया की सुरक्षा हेतु। गुप्त सूचना के अनुसार पड़ोसी देश के कुछ ख़ुफ़िया एजेंसी के लोग मिस राफिया का अपहरण करना चाहते हैं ताकि कर्नल इरफ़ान से अपनी बातें मनवा सकें। यह सुनकर रिसेप्शन पर मौजूद महिला के चेहरे पर डर के आसार देखे जा सकते थे, वह मेजर को फ़ौरन ही पार्किंग एरिया में ले गई और वहां मौजूद व्यक्ति से राफिया की कार के बारे में पूछ कर मेजर को कार दिखा दी। मेजर ने उस महिला को धन्यवाद दिया और कार का नंबर मॉडल और कलर मन मे याद करता हुआ वापस अपनी कार में चला गया जहां समीरा उसका इंतजार कर रही थी। जाने से पहले मेजर राज ने महिला को एक बार फिर अपना नाम बताया और बोला ये टॉप सीक्रेट बात है, मिस राफिया को भी इसके बारे में पता नहीं चलना चाहिए नहीं तो वह परेशान हो जाएंगी। 

कार में बैठने के बाद राज ने समीरा को भी राफिया की कार के बारे में जानकारी दी और साथ ही मौजूद एक दुकान के पास अपनी कार लगाकर खड़ा हो गया। करीब 2 बजे मेजर ने देखा कि दूर विश्वविद्यालय बिल्डिंग से कुछ लोग निकल रहे हैं और पार्किंग क्षेत्र की ओर जा रहे हैं। फिर पार्किंग से वाहन निकलना शुरू हुए तो कुछ ही देर बाद समीरा ने एक कार का बताया कि गेट से बाहर निकलने ही वाली थी। मेजर राज गाड़ी देखते ही पहचान गया था यह राफिया की ही गाड़ी थी। बीएमडब्ल्यू बी 4 कार भी काले रंग की ही थी। ड्राइविंग सीट पर एक सुंदर लड़की बैठी थी और उसके साथ फ़्रीनट सेट पर एक लड़का बैठा था। ड्राइविंग सीट पर मौजूद लड़की वास्तव में राफिया ही थी मेजर राज ने गाड़ी चलाई और धीमी गति के साथ इस कार के पीछे जाने लगा। एक घंटे तक लगातार इस कार का पीछा करने के बाद मेजर राज लाहोर के आर्मी रीज़ीडीनशियल क्षेत्र में मौजूद था। यहाँ राफिया की कार बड़े बंगला नुमा घर में चली गई, जबकि राज की गाड़ी उस घर के सामने से होती हुई इस क्षेत्र से बाहर आ गई और अब फिर से जिन्ना नगर जा रही थी। मेजर राज कर्नल इरफ़ान का निवास देख चुका था जो उसके लिए एक बड़ी सफलता थी। 
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अमजद के मन में जैसे ही यह विचार आया उसने तुरंत सरमद और काशफ को नींद से जगाया और उनसे मेजर राज और समीरा के बारे में पूछा, जब उन्होने भी कोई जानकारी होने से इनकार किया तो अमजद की परेशानी और बढ़ गई, अमजद को यूँ परेशान देखकर सरमद ने पूछा क्या हुआ? सब कुशल तो है न ?? अमजद ने उसे बताया कि अब तक वे दोनों नहीं पहुंचे न समीरा ने संपर्क करने की कोशिश की है। मुझे चिंता है कि वे दोनों कर्नल इरफ़ान के हाथ लग गए हैं। अमजद की बात सुनकर सरमद ने तुरंत काशफ को देखा और बोला मैंने तुम्हें कहा था कि पिछली बस में वे दोनों हैं और इसी चेक पोस्ट पर वे दोनों पकड़े गए होंगे।

सरमद की बात सुनकर अमजद को विश्वास हो गया कि मेजर राज और समीरा पकड़े गए हैं। उसने तुरंत सरमद और काशफ को अपना सामान बांधने का कहा ऊपर जाकर आज़ाद कश्मीर के कश्मीरी परिवार को भी खतरे से आगाह कर दिया। यूं तो वह परिवार आम नागरिक के रूप में ही रह रहे थे और उनका अमजद की गतिविधियों से बिल्कुल कोई संबंध नहीं था मगर कश्मीरी होने के नाते उन्हें अमजद की सहानुभूति ज़रूर थी और वे जानते थे कि अमजद कैसे पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखे हुए है। 

अमजद ने उन्हें खतरे से अवगत कराया तो उन्होंने भी अपना जरूरी सामान साथ ले लिया और चलने के लिए तैयार हो गए। नीचे अमजद और उसके साथी भी जाने के लिए तैयार थे कि कमरे में मौजूद टेलीफोन की घंटी बजी। 2 बार घंटी बजने के बाद फोन बंद हो गया। अमजद थोड़ी देर के लिए रुका और फिर से फोन आने का इंतजार करने लगा। 2 बार फोन की घंटी बजी और फिर से बंद हो गई अब अमजद के चेहरे पर खुशी के आसार आए और तीसरी बार फिर फोन आया और इस बार तीसरी घंटी भी बजी अमजद खुशी से चिल्लाया .....ये समीरा का फोन है और तुरंत आगे बढ़कर फोन अटेंड कर लिया। 

यह वास्तव में उनका कोड वर्ड था अनजान नंबर से आने वाला फोन अमजद रिसीव नहीं करता था। इसलिए समीरा को जब भी अमजद को अनजान नंबर से फोन करना होता तो वो दो बार फोन कर 2 बैल होने पर फोन बंद कर देती थी और तीसरी बार फोन करती तो अमजद समझ जाता था कि यह समीरा का फोन है। अमजद ने जैसे ही फोन रिसीव किया और हाय कहा तो आगे से समीरा की आवाज सुनाई दी। समीरा ने अमजद को सलाम किया और पूछा कैसे हैं आप भाई जान ??? अमजद ने समीरा को जवाब देने की बजाय कहा तुम कहाँ हो और अब तक पहुंचे क्यों नहीं हम कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं .... 

अमजद की बात समाप्त हुई तो समीरा बोली में इस समय तो किचन में हूँ और आपके मेजर साहब के लिए नाश्ता बना रही हूँ। और आप हमारा इंतजार न करें हम नहीं आएंगे। समीरा की बात सुनकर अमजद थोड़ा हैरान हुआ और बोला- क्या मतलब तुम लोग नहीं आओगे और अब तुम हो कहाँ ??? समीरा ने कहा कि मुझे नहीं मालूम बस हम खैरियत से हैं। बाकी तो उचित समय देखकर आपको में बताउन्गी कि हम कहां हैं।

यह कह कर समीरा ने फोन बंद कर दिया और अमजद ने शांति की सांस ली। अमजद ने सरमद और काशफ भी बताया कि वह दोनो ठीक हैं मगर कहां हैं यह समीरा ने नहीं बताया। इतने में ऊपर रहने वाला कश्मीरी परिवार अपना सामान समेट कर नीचे आ चुका था मगर अमजद ने उन्हें बताया और कहा कि सब ठीक है समीरा की कॉल आ गई है वह कुशल से है। मेरा शक गलत था आप लोग जाओ और आराम से रहें। उन्होंने भी सुख का सांस लिया और वापस अपने पोर्शन में चले गए। थोड़ी देर बाद फिर से उसी नंबर से फोन आया कि अमजद ने पहली बैल में ही रिसीव कर लिया। अब की बार आगे राज की आवाज आई। अमजद ने पूछा कहां हो यार हम कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं। राज ने कहा भैया मैं तो हनीमून मनाने लाहोर आ गया हूँ। यहाँ मस्ती कर रहा हूँ। और अब अपनी पत्नी के साथ शहर की सैर कर रहा हूँ। आप चिंता न करें बस हमने सोचा कि मायके वापस आने से पहले क्यों न लाहोर की सैर ही कर लें। इसलिए आपके यहाँ आने की बजाय हम सीधे लाहोर आ गए हैं। कुछ दिनों मे हमारी वापसी हो जाएगी। आप चिंता न करें समीरा मेरे साथ है और खुश है अपने नए जीवन से। यह कह कर राज ने फोन बंद कर दिया। और अमजद ठहाके मार मार कर हंसने लगा। 

सरमद और काशफ उसकी शक्ल देख रहे थे। अमजद ने दोनों कोअपनी ओर सवालिया नज़रों से देखते हुए पाया तो बोला यार ये राज बहुत पहुंची हुई चीज़ है उसका दिमाग बहुत तेज चलता है। और उसको यह भी पता है फोन पर बात कैसे करनी है, दोनों लाहोर में हैं अब और हनीमून मना रहे हैं। हनीमून का सुनकर सरमद और काशफ की आँखें खुली की खुली रह गईं। अमजद ने दोनों के आश्चर्य को कम करने के लिए कहा कि यार वह कोड वर्ड में बात कर रहा था नहीं, अगर कोई हमारा नंबर ट्रेस कर भी रहा हो तो वह यही समझेगा कि यह समीरा का मायका है जहां राज और समीरा ने आना था मगर वह यहां आने की बजाय लाहोर चले गए हैं हनीमून मनाने। फिर अमजद ने सीरियस होते हुए कहा, लेकिन मुझे यह समझ नहीं आया कि ये दोनों इतनी जल्दी लाहोर कैसे पहुंच गए ?? जामनगर से लाहोर तक की बस यात्रा 14 घंटे की है इतनी जल्दी लाहोर पहुंचना संभव नहीं ... हो सकता है वे दोनों यहीं मुल्तान हों और कुछ देर में आ जाएं। 

यह सोच कर अमजद ने भी कुछ आराम करने की ठानी सारी रात की यात्रा और फिर इतनी देर पेट्रोल पंप पर खड़े होकर उसकी हालत खराब हो गई थी। आराम करने के क्रम में अमजद भी उसी कमरे में लेट गया जहां बाकी लोग मौजूद थे, 4, 5 घंटे आराम करने के बाद रात 9 बजे के करीब अमजद की आंख टेलीफोन की घंटी सुनकर खुली। अमजद ने फोन रिसीव किया तो राज की आवाज थी, राज ने अमजद को कहा कि वह मुल्तान में ही थोड़ी आतिशबाजी की व्यवस्था करे ताकि लोगों को पता लगे हमारी शादी हुई है और साथ ही सरमद या काशफ को जामनगर भेजकर मेरे दोस्तों को वहीं रोको, वह मेरा हनीमून खराब करने लाहोर तक न आ जाएं। उन्हें बताओ कि मैं अभी जामनगर में ही हूँ। यह कह कर राज ने फोन बंद कर दिया। अमजद मेजर राज के इस मैसेज को पूरी तरह समझ गया था और वह समझ गया था कि अब मेजर राज कार्रवाई के मूड में है। 


मेजर राज कर्नल इरफ़ान घर को देखकर वापसी के लिए मुड़ा और अब उसकी मंजिल क्लब लीबिया था। यहां भी समीरा राज को मोबाइल की मदद से रास्ता बता रही थी और 20 मिनट के बाद मेजर राज और समीरा क्लब पहुंच चुके थे जो उस समय बंद पड़ा था। मेजर ने क्लब के आसपास अच्छी तरह निरीक्षण किया और वहां से निकलने वाले विभिन्न मार्गों का अच्छी तरह निरीक्षण किया ताकि समय पड़ने पर अगर भागना पड़े तो यहां से निकलने वाले रास्तों का अच्छा ज्ञान हो। इसके बाद मेजर ने समीरा से अमजद नंबर पूछकर उसको कुछ आवश्यक निर्देश दिए फिर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बेवजह फिरता रहा। मेजर का उद्देश्य मुख्य मार्गों के बारे में जानकारी प्राप्त करना था। विशेष रूप से क्लब लीबिया से आर्मी रीज़ीडीनशल क्षेत्र तक जाने वाले विभिन्न मार्गों पर अमजद ने बार बार राउंड लगाया ताकि वह इस रास्ते मन में याद कर सके साथ ही उसने समीरा से भी कहा कि वह भी इन मार्गों को अच्छी तरह समझ ले और यहाँ से वापस जिन्ना नगर तक जाने का रास्ता भी ध्यान में कर ले। 

कुछ देर आवारा फिरने के बाद मेजर राज शाम 7 बजे वापस अपने जिन्ना नगर वाले घर में पहुँच चुका था और अब रात की तैयारी कर रहा था। उसने एक अपराधी समूह से संपर्क किया और उन्हें राफिया की तस्वीर भी सेंड कर दी। मेजर राज ने उन्हें फोन पर मौजूद व्यक्ति से कहा कि इस लड़की को हर हाल में आज रात अपहरण करना है, लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि कोई दंगा फसाद नहीं चाहता, अपने लोगों को पिस्तौल आदि देकर न भेजना, कोई खून ख़राबा नहीं चाहिए, और ज़्यादा शोरगुल भी न हो चुपचाप 3, 4 लोग जाएं और इस लड़की को कार में डाल कर मेरे वांछित ठिकाने तक पहुंचा दें। आधी राशि तुम्हारे बैंक खाते में पहुंच चुकी है शेष राशि काम होने के बाद आप मिल जाएगी मगर लड़की एक खराश तक नहीं आनी चाहिए। 

यह कर कर मेजर ने फोन बंद कर दिया। समीरा ने पूछा कि उसे अगवा करके क्या करोगे ??? मेजर राज ने समीरा को आँख मारी और बोला- तुम तो किसी काम आती नहीं चलो समीरा के साथ ही आज की रात मस्ती कर लूँगा . मेजर की बात सुनकर समीरा के चेहरे पर मुस्कान भी आई और उसने कृत्रिम क्रोध व्यक्त करते हुए राज को 2, 4 सुना दी अब राज ने समीरा को तैयार होने को कहा इन दोनों ने क्लब लीबिया जाना था। फिर समीरा कुछ देर में ही यानी 1 से 2 घंटे में तैयार होकर निकली तो मेजर राज समीरा को देखकर पलक झपकाना ही भूल गया और मन ही मन में शाजिया को याद करने लगा जिन्होंने इतना सेक्सी ड्रेस भेजा था। 

बिना बटन का केसर रंग का यह ड्रेस समीरा के सीने के उभारों से होता हुआ 2 भागों में विभाजित होकर समीरा की गर्दन तक जा रहा था और गर्दन के पीछे जाकर दोनों भागों को समीरा ने हल्की सी गाँठ लगा रखी थी। समीरा के सीने के उभार इस ड्रेस में काफी स्पष्ट हो रहे थे, पोशाक का नीचला हिस्सा वैसे तो समीरा के पांव तक आ रहा था और पीछे से कपड़े का कुछ हिस्सा जमीन को छू रहा था मगर समीरा की इस ड्रेस में एक कट था जिसकी वजह से समीरा का बाँया पैर थाई से लेकर नीचे टखने तक दिख रहा था, समीरा की गोरी दूध जैसी बाल मुक्त टांग देख कर मेजर राज की पेंट में कुछ होने लगा था। समीरा ने मेजर को यों आँखें फाड़ फाड़ कर देखते हुए पाया तो उसकी आंखों में थोड़ा अहंकार स्पष्ट होने लगा, इतने हुश्न पर थोड़ा अहंकार तो बनता ही था। अब समीरा इठलाती हुई मेजर से बोली ऐसे ही देखते रहोगे या क्लब चलोगे ??? यह कह कर समीरा आगे चल पड़ी, अब मेजर ने समीरा को पीछे से जो देखा तो उसकी पैंट में लंड का उभार स्पष्ट होने लगा था। समीरा का यह ड्रेस बहुत ही सेक्सी था। यानी समीरा की कमर बिल्कुल नंगी थी और उसके ब्रा की कोई स्ट्रिप भी नज़र नहीं आ रही थी जिसका मतलब था कि इस ड्रेस के नीचे से समीरा ने कोई ब्रा नहीं पहना। इस सोच ने मेजर राज को 240 वोल्ट का झटका मारा था और नीचे समीरा की 32 इंच की गाण्ड अलग ही नजर आ रही थी। कूल्हों से ड्रेस टाइट होने के कारण समीरा के चूतड़ों का उभार काफी स्पष्ट था। संक्षेप में समीरा इस ड्रेस में किसी फिल्म की सेक्सी हीरोइन लग रही थी ऊपर से उसके कंधों तक सुंदर बाल और चेहरे पर एक बल खाती लट उसके हुस्न को चार चांद लगा रही थी। हल्की लाल रंग की लिप स्टिक समीरा के रसीले होंठो को ज़्यादा आकर्षक बना रही थी।
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