Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
01-10-2019, 01:43 PM,
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
आख़िरकार मेजर राज ने गहरी साँस ली और अपने साहस को इकट्ठा करने लगा तभी उसके मोबाइल में रश्मि की चीख सुनाई दी, रश्मि पूरी आवाज के साथ चीख कर कह रही थी: राज मेरी जान: पत्नी तो और भी मिल जाएगी, बच्चे भी और मिल जाएंगे, लेकिन अगर आपने अपने देश से गद्दारी की तो तुम्हें यह रश्मि कभी नहीं मिलेगी, और न ही तुम्हारा होने वाला बच्चा तुम्हें कभी माफ करेगा

रश्मि की इस बात ने मेजर राज को वह हौसला दिया जिससे कोई भी सेना के जवान अपने देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर देता है, अंत में रश्मि की इस बात ने मेजर राज के अंदर वही जोश और उल्लास पैदा कर दिया कि आर्मी ज्वाइन करते समय मेजर के अंदर था, मेजर राज ने बुलेटप्रूफ शीशे में उस आदमी को देखा जो अब तक हसरत भरी निगाहों से मेजर राज के इशारे का इंतजार कर रहा था, थोड़ी देर और हो जाती तो उसे साना जावेद की फिल्म चलानी ही पड़ती मेजर राज ने अपना हाथ ऊपर उठाया, एक नारा जय हिंद का बुलंद किया और उस व्यक्ति को लोकाटी की सीडी चलाने का निर्देश दिया, जैसे ही स्क्रीन चालू हुई उस पर पहला चेहरा लोकाटी का ही नजर आया, जिसे देखकर सभा स्थल में मौजूद लोकाटी के चेहरे पर हवाइयां उड़ गईं क्योंकि उसको कर्नल इरफ़ान ने आश्वासन दिया था कि यह वीडियो सभा में नहीं चलेगी। लोकाटी तब कर्नल इरफ़ान से बातें कर रहा था जिसमें वह घाटी में स्वतंत्रता आंदोलन चलाने के बदले अपनी मांगों को रख रहा था कि उसे पाकिस्तान की खूबसूरत एक्ट्रेस प्रदान की जाएं दिन व दिन एक नई अभिनेत्री के साथ रात बिताएगा .

फिर दूसरे सीन में लोकाटी पाकिस्तान के एक अधिकारी से घाटी में स्वतंत्रता आंदोलन चलाने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के बदले 200 अरब रुपये मांग रहा था। यह वीडियो देखकर सभा स्थल में पूर्ण शांति छा गई थी सब को जैसे सांप सूंघ गया था, इसलिए शांति थी कि सुई गिरने की भी आवाज सुनाई दे, फिर इसी तरह के कुछ और सीन चले जिसमें लोकाटी भारत से गद्दारी के बदले बड़ी बड़ी रकम बटोर रहा था और बदले में पाकिस्तान में विलय का आश्वासन भी करवा रहा था, जबकि इस गद्दार ने अपने लोगों को तो आजादी के सपने दिखाए थे .... 

लोकाटी को अपना सब कुछ खत्म होता नजर आने लगा, उसने साथ खड़े सुरक्षा गार्ड से बंदूक पकड़ी और स्क्रीन की तरफ कर गन चलाने लगा, लेकिन वह भूल गया था कि स्क्रीन की सूरक्षा के लिए तो वह खुद उसके सामने बुलेटप्रूफ ग्लास लगवा चुका था, फिर उसने सभा स्थल की बिजली बंद करने का निर्देश दिया, पूरे सभा स्थल की बिजली बंद हो गई मगर स्क्रीन को बिजली शायद कहीं और से मिल रही थी वह बंद नहीं हुई वह चलती रही। 

अंततः स्क्रीन पर वह सीन भी चला जब लोकाटी की हालत बुरी हो रही थी, वह बेड पर लेटा हुआ ऊपर नीचे हिल रहा था कैमरा उसके चेहरे पर था, उसके चेहरे से साफ लग रहा था कि वह इस समय बहुत मजे में है, और फिर एक लड़की यानी समीरा की सिसकियों की आवाज आई, और इन्हीं सिसकियों के दौरान समीरा ने पूछा कि घाटी के असरदार भी सरकार में अपना हिस्सा मांगेंगे तो क्या करोगे? तो लोकाटी ने हिकारत से कहा था कि उन पागलों को भला क्या मिलना है? स्वतंत्रता की घोषणा और पाकिस्तान से विलय की घोषणा के बाद जब पाकिस्तानी सेना घाटी में घुस जाएंगी तो पहले इन असरदारों का ही सफ़ाया होगा मैं अपने धन और अपनी सरकार में किसी को शामिल नहीं करूँगा यह लाइन चलने की देर थी कि वहां मौजूद सभी लोग अपने अपने स्थान से खड़े हो गए, और उनको मानने वाली जनता भी गुस्से से पागल हो गई, वे समझ गए थे कि लोकाटी उन्हें स्वतंत्रता के सपने दिखाकर केवल अपना लाभ प्राप्त करना चाहता है । 

इससे पहले कि कोई नेता लोकाटी को मारता है, वहाँ मौजूद लोकाटी बेटे फग़ान ने सोचा कि यही सही मौका है, मारिया बीबी यानी अंजलि ने जो बताया था कि कब लोकाटी कोमारना है यह आपको पता चल जाएगा, उसने अपनी बंदूक निकाली और अपने पिता की ओर लपका, उसने अपने पिता को देशद्रोही कह कर पुकारा और उस पर निशाना तान कर गोली चला दी, उसका विचार था कि उसका प्रांत रहेगा तो भारत के साथ ही, लेकिन अपने विश्वासघाती पिता को मौत की नींद सलाने के बाद उसी की सेना उसी को यहां की सरकार लिये चुन लेगी और जनता भी खुश होगी कि उसने अपने देश की खातिर अपने पिता की जान ले ली, दूसरी ओर फैजल था जो खेल बिगड़ता देख रहा था, वह समझ गया था कि अब कोई स्वतंत्रता नहीं नही सरकार नहीं, मगर जब उसने देखा कि फग़ान ने अपने पिता को मार दिया है तो वह समझ गया कि अगला मुख्यमंत्री अब फग़ान होगा, मगर वह यह कैसे बर्दाश्त कर सकता था, उसने अपनी बंदूक निकाली और अपने भाई को गोलियों से छलनी करने लगा जबकि फग़ान ने भी अंतिम सांसें लेते हुए अपनी बंदूक का रुख फैजल की ओर कर गन में मौजूद शेष गोलियाँ अपने भाई के शरीर में उतार दी . 

लोकाटी की चाल समाप्त हो चुकी थी, कर्नल इरफ़ान जो भारत को दो टुकड़े करने की योजना बना बैठा था वह सब मलिया मैट हो चुका था, सीमा पार जो पाकिस्तानी आर्मी भारत पर हमला करने के लिए तैयार बैठी थीं उन तक खबर पहुंच गई थी कि घाटी की जनता पर लोकाटी का विश्वासघात उजागर हो गया है, और अब वहां की जनता अपनी सेना के बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है, तो ऐसी स्थिति में भारत पर हमला करने के लिए अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर था। 6 सितंबर 1965 को अभी वह भूले नहीं थे। ऐसे में फिर से इस देश पर हमला करना जहां जनता अपनी सेना के साथ गोलियाँ खाने के लिए अपना सीना तान कर खड़ी हो वहां हमला करना सबसे बड़ी मूर्खता होगी। 



मगर दूसरी ओर मेजर राज की दुनिया उजड़ चुकी थी। जब उसने लोकाटी को वीडियो चलाने का आदेश दिया और फोन पर कर्नल इरफ़ान को मालूम हो गया कि मेजर राज ने रश्मि के अंतिम शब्द सुनकर पत्नी और बेटे की बलि देने का सोच लिया है तो वह गुस्से से कांपने लगा था, उसका गुस्सा बढ़ गया था , अब उसके सामने मेजर राज से बदला लेने के लिए एक ही रास्ता था और वह था उसकी पत्नी और पत्नी के पेट में महज 1 से डेढ़ महीने के बच्चे को मौत के घाट उतारना था ताकि मेजर राज सारा जीवन कर्नल इरफ़ान का यह बदला नहीं भूल सके । 


तभी मेजर राज को फोन पर गोली चलने की आवाज सुनाई दी, और रश्मि की एक दिलख़राश चीख मेजर राज के कानों को चीरती हुई चली गई .... मेजर राज के हाथ से मोबाइल गिर चुका था, उसकी दुनिया उजड़ चुकी थी, उसकी प्यारी पत्नी जिसको अभी उसने जी भर कर प्यार भी नहीं किया था और उसका अजन्मा बेटा उसकी एक छोटी सी गलती के परिणामस्वरूप अपनी जान से हाथ धो बैठे थे। मेजर राज अपनी जगह बैठा ज़ोर से रो रहा था, सभा स्थल में क्या हो रहा था, कब लोकाटी को फग़ान ने मारा, और कब फैजल ने फग़ान को मारा, मेजर राज को उसका कुछ पता नहीं था। अगर उसके मन में कुछ था तो उसकी निर्दोष पत्नी और उसका बेटा जो अभी इस दुनिया में आया ही नहीं था। उसे लग रहा था कि उसकी दुनिया उजड़ गई है, वह अपने आप को अपनी पत्नी और बच्चे का हत्यारा समझ रहा था .... मगर फिर अचानक .......... मेजर राज को एक नयी पहचान मिली .... जब उसके कानों में भारत जिंदाबाद .... भारत जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे ..... पाकिस्तान मुर्दाबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे ने मेजर राज को एक नया जीवन दिया और उसे यह एहसास दिलाया कि वो पहले अपने इस लाड़ले वतन का सिपाही है ... उसके सारे रिश्ते सारे नाते बाद में, पहले उसकी मातृभूमि, इस मातृभूमि की रक्षा। वतन है तो सब कुछ है ... स्वदेश नहीं तो कुछ भी नहीं। 

मेजर राज ने सिर उठाकर देखा तो सभा स्थल में लोकाटी का शव आग का निशाना बन चुका था, वहां मौजूद लोगों और हाकिमों ने लोकाटी की असलियत जान लेने के बाद उसकी लाश को जला दिया था। और अब सभा स्थल के मंच पर मेजर राज का खास आदमी मौजूद था जो माइक पर रोमांचक आवाज में भारत जिंदाबाद के नारे लगवा रहा था, और उन्हें बता रहा था कि इस गद्दार ने कैसे यहां की जनता को अनपढ़ रखा और उन्हें उनकी बेटियों की इज्जत की कसम देकर अपने नापाक इरादों के लिए इस्तेमाल करना चाहा। घाटी के लोगों के दिल में देश प्रेम मौजूद था, बस उस पर लोकाटी की झूठी कहानियों ने थोड़ी धूल जमा दी थी, वीडियो मे लोकाटी की असलियत देख लेने के बाद यह उड़ गई थी और वही जुनून जो इस देश के आबा-ओ-अजदाद का 1947 में था, आज 6 सितंबर के अवसर पर भी इस देश के बेटों का वही जुनून था और लाखों का मजमा क़यामत तक इस देश की रक्षा और इस देश को लोकाटी जैसे दुष्ट लोगों से बचाने की कसम खा रहा था। यह देखकर मेजर राज अपनी पत्नी और बच्चे की बलि भूल गया था। अब उसे यह महसूस हो रहा था कि वह हारा नहीं, बल्कि वह जीत गया है। कर्नल इरफ़ान की जीवन भर की मेहनत बेकार हो गई थी, उसके नापाक मंसूबे मिट्टी में मिल गए थे और ये प्रांत फिर से तिरंगे झंडे से सज गया था। 

चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने मेजर राज को इस बड़ी सफलता पर बधाई दी, प्रधानमंत्री ने भी इस भयानक विद्रोह को कुचलने में मेजर राज को फोन करके बधाई दी और सुसमाचार सुनाया। मेजर राज को अपनी पत्नी और बच्चे को खो देने का गम था, लेकिन अभी वह कमजोर नहीं था, बल्कि वह खुश था कि उसने अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देकर इस देश को बचा लिया था। यही देश के फ़ौजी का मूल धन है। अब उसके मन में केवल एक बात थी। अमजद से किया गया अपना वादा पूरा करना। उसकी बहन समीरा को बा रक्षा उसके घर पहुंचाना

इन्हीं सोचों के साथ मेजर राज वापस पहुंच चुका था। और समीरा को ढूंढना चाहता था, उसने मेजर मिनी को फोन किया और उससे पूछा कि समीरा कहाँ है ??? मेजर मिनी ने मेजर राज को सुसमाचार सुनाया कि मुबारक हो, समीरा मिल गई है, और मैं इस समय समीरा को लेकर तुम्हारे घर पर तुम्हारी माँ के साथ ही हूं आ जाओ तुम भी , तुम्हारी माँ अपने बहादुर बच्चे को देखने के लिए बेचैन हो रही है। माँ का सुनकर मेजर राज शक्तिहीन सा अपने घर की तरफ बढ़ने लगा। घर पहुंचकर मेजर राज ने अपने घर का दरवाजा खोला तो दरवाजे पर ही उसे अपनी माँ दिखाई दी, माँ को देखते ही मेजर राज अपनी माँ से लिपट गया, मेजर राज की आंखों में आंसू थे, बहुत समय बाद वह अपनी मां से मिला जो माँ के चेहरे को रोज देखा करता था आज करीब 2 महीने के बाद वह अपनी माँ से मिल रहा था। मगर इस माँ की आँखों में एक आंसू भी जुदाई का नही था, लेकिन उसकी आंखों में अपने बहादुर बेटे के लिए प्यार ही प्यार था और सीना गर्व से फूला हुआ था और चेहरे पर एक अजीब सा संतोष था कि शायद किस्मत वालों का ही ऐसा नसीब होता है ....

मेजर राज के दिल में कहीं रश्मि का भी ख्याल था कि अगर आज रश्मि भी होती तो वह कितनी खुश होती। मां से मिलने के बाद मेजर राज ने मेजर मिनी को देखा जो गर्व से मेजर राज को देख रही थी, उसने मेजर राज को एक सलयूट और उसे शानदार उपलब्धि पर बधाई दी। मेजर मिनी के पीछे समीरा खड़ी थी, वह भी खुश थी और उसकी आँखों में जहां मेजर राज की सफलता पर खुशी और गर्व था, वहीं शायद एक पीड़ा भी थी, वह जानती थी कि अब इसे मेजर राज से अलग होना है। कुछ दिन मेजर राज के साथ गुजार कर वह उससे प्यार करने लगी थी। और सारी ज़िंदगी उसी के साथ बिताना चाहती थी, लेकिन ऐसा होना संभव नहीं था ..... 

समीरा अपनी जगह से साइड पर हटी तो उसके पीछे मेजर राज ने जो दृश्य देखा, उसे समझ नहीं आया कि वह खुशी से रोए या चीखें मारे। समीरा केपीछे मेजर राज को रश्मि दिखी थी। उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं आ रहा था। मेजर राज ने एक बार अपनी आँखें मली और उसके बाद फिर से देखा तो रश्मि अब तक अपनी जगह पर मौजूद थी और उसकी आँखें धृड और अपने पति की बहादुरी पर गर्व से झिलमिलाती नजर आ रही थीं। मेजर राज एकदम से आगे बढ़ा और सबके सामने ही अपनी पत्नी को अपने गले से लगा लिया, रश्मि भी अपने पति के सीने से लगकर सारी पीड़ा भूल गई थी जो उसे कर्नल इरफ़ान से मिली थी, या जो जुदाई के दिन उसने हनीमून से ही बिताना शुरू कर दिए थे, पति के सीने से लगकर उसे उसकी दुनिया वापस मिल गई थी, उसका प्यार वापस मिल गया था। मेजर राज को समझ नहीं आया था कि आखिर यह सब कैसे हुआ? 






तब मेजर मिनी ने मेजर राज को कहा कि तुम्हें समीरा को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहिए, जिसने कर्नल इरफ़ान की कैद से रश्मि को न केवल बचाया बल्कि उसको इबरत नाक सजा भी दी, और उसकी लाश इस समय पाकिस्तानी बॉर्डर पर पड़ी है, और कोई उसे उठाने के लिए आगे नहीं बढ़ रहा। मेजर राज ने समीरा देखा और अब की बार आगे बढ़कर उसे भी गले से लगा लिया, और उसका माथा चूम कर उसका बहुत बहुत धन्यवाद।किया .
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01-10-2019, 01:44 PM,
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
वास्तव में समीरा जब बॉम्बे पहुचने वाली थी तो उसने फग़ान के बेटे शाह मीर को एक छोटे से होटल में कमरा लेकर उसी में ठहरा दिया था जबकि खुद वह एयरपोर्ट चली गई थी क्योंकि मेजर राज ने उसे भी अपने भारत आगमन के बारे में बताया था और वह जानती थी कि मेजर राज एयरपोर्ट पर ही आएगा। उसने अपनी रक्षा हेतु एक छोटी पिस्टल भी अपने साथ रख ली थी जो उसने अपने पास मौजूद छोटे हैंडबैग में छुपा ली थी। एयर पोर्ट पर पहुँच कर वह राज को ढूंढने लगी मगर वहां उसकी नज़र कर्नल इरफ़ान पर पड़ी जो आम कपड़ों में साना जावेद के साथ एक कार में बैठ रहा था, समीरा ने वहीं से टैक्सी में कर्नल इरफ़ान का पीछा शुरू किया जो साना जावेद को एक होटल में ठहरा कर खुद मेजर राज के घर की ओर जा रहा था। समीरा के लिए सबसे बड़ी बात यह थी कि कर्नल इरफ़ान उसे पहचानता नहीं था, वह इतना तो जानता था कि मेजर राज के साथ कोई समीरा नाम की लड़की भी है, लेकिन वह अभी तक उसको देख नहीं पाया था इसलिए जब कर्नल इरफ़ान मेजर राज घर के पास मौजूद एक शॉपिंग मॉल में गया तो उसने भी बिना हिचक वहां प्रवेश कर लिया और वह 2, 3 बार उसके सामने से भी गुजरी। कर्नल इरफ़ान बार बार अपने फोन पर किसी लड़की की तस्वीर देख रहा था एक बार समीरा ने उसके पास से गुजरते हुए उसकी ओर देखा तो वह अभी भी एक लड़की की तस्वीर देख रहा था, और फिर कुछ ही आगे जाकर समीरा को एक दुकान में वही लड़की दिखी जिसकी तस्वीर कर्नल इरफ़ान के मोबाइल में थी। यह लड़की रश्मि थी जो कुछ दिन पहले ही डॉक्टर के पास होकर आई थी और उसे मालूम हुआ था कि वह मां बनने वाली है, और इसी खुशी में वह अपने होने वाले बच्चे की छोटी छोटी चीजें देखने मॉल में मौजूद थी। 

कर्नल इरफ़ान साना जावेद को छोड़ने के बाद मेजर राज की पत्नी का अपहरण करने आया था और यहाँ मौजूद उसके लोगों ने कर्नल को सूचना दी थी कि मेजर की पत्नी रश्मि अभी एक शॉपिंग मॉल में मौजूद है। समीरा अभी रश्मि से मिली नहीं थी वह दूर खड़ी उसे देख रही थी, वह नहीं जानती थी कि यह कौन है। फिर उसे कर्नल इरफ़ान दिखाई दिया जो रश्मि की ओर ही बढ़ रहा था। समीरा दूर खड़ी रश्मि और कर्नल इरफ़ान को देख रही थी, उसका विचार था कि यह वास्तव में कर्नल इरफ़ान की साथी होगी जो उसकी यहाँ मदद करती होगी। इतने में कर्नल इरफ़ान रश्मि के पास जाकर बोला हाय रश्मि मेडम कैसी हैं आप ???? 


रश्मि ने कर्नल इरफ़ान को देखा और आश्चर्य से उसकी ओर देखते हुए बोली सॉरी मैं आपको पहचाना नहीं ....

कर्नल इरफ़ान ने कहा आप मेजर राज की पत्नी हैं ना ??? 

इस पर रश्मि ने कहा हां .... मगर आप कौन ??? 

कर्नल ने बेहद खुश होकर कहा कर्नल हूँ, कर्नल मुश्ताक, राज से आपके बारे में बहुत सुना था, आपकी फोटो भी देखी थी, आज आपसे मुलाकात हो ही गई। फिर रश्मि की खैरियत पूछ कर्नल इरफ़ान वापस शॉपिंग मॉल से वापस चला गया और अपनी कार में बैठकर रश्मि का इंतजार करने लगा। समीरा अब सोच ही रही थी कि उसे क्या करना चाहिए उसने देखा कि रश्मि भी शॉपिंग कर शॉपिंग मॉल से बाहर जा रही थी, समीरा भी उसके पीछे पीछे जाने लगी कि अचानक उसने देखा रश्मि एक काली कार के पास से गुज़री तो गाड़ी का दरवाजा खुला और अंदर एक हाथ निकला जिसने रश्मि कार के अंदर खींच लिया। और कार फर्राटे भर्ती शहर से दूर जाने लगी। 

समीरा नहीं जानती थी कि वह लड़की कौन है, वो तो बस कर्नल इरफ़ान से अपनी दुखियारी माँ का बदला लेना चाहती थी। इसीलिए वो कर्नल इरफ़ान पीछा कर रही थी। वह फिर से एक टैक्सी में बैठकर उस कार के पीछे शहर से दूर एक मकान पर पहुँच गई थी जहां दूर काली गाड़ी रुक चुकी थी और एक आदमी रश्मि को गोद में उठाए एक मकान के अंदर ले गया था, जबकि कार सीधी निकल गई थी। रश्मि ने टैक्सी उस घर से दूर रुकवाई और कार वाले को पैसे दिए और घर की ओर चल पड़ी। इस आबादी में आसपास कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था उस ने घर की चारों ओर से समीक्षा की और फिर एक छोटी दीवार को देखकर इंतिहाई कौशल के साथ दीवार पर चढ़ घर के अंदर छलांग लगा दी। छलांग लगाते हुए उसने इस बात का ध्यान रखा कि आवाज पैदा न हो और वह इसमें काफी हद तक सफल भी हुई थी, कराटे की ट्रेनिंग तो वह पहले ही ले चुकी थी जब वह पाकिस्तान में थी और अमजद के साथ भी इस तरह के काम उसकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा थे। 


घर के अंदर जाकर वह बड़ी सावधानी के साथ आगे बढ़ने लगी और उसने अपनी पिस्टल निकाल कर अपने हाथ में पकड़ कर उसे लोड भी कर लिया था और सेफ्टी लॉक भी हटा चुकी थी। तभी उसे एक कमरे के सामने कुछ हलचल दिखाई दी, दरवाजा बाहर खुला था और उसके नीचे से आने वाली रोशनी से अनुमान हो रहा था कि दरवाजे के दूसरी ओर कोई मौजूद है, समीरा बहुत सावधानी के साथ उस कमरे के पास गई तो अंदर कर्नल इरफ़ान के ठहाके सुनाई दिया, और फिर उसे रश्मि की आवाज सुनाई दी जो मेजर राज को फोन पर हौसला दे रही थी और देश की खातिर अपनी पत्नी और होने वाले बच्चे की चिंता न करने की हिदायत कर रही थी। समीरा अपना सिर पकड़ कर बैठ गई। ये तो मेजर राज की पत्नी थी और उम्मीद से थी। उसके पेट में मेजर राज का बच्चा था। और दुराचारी कर्नल इरफ़ान उसे मारने के लिए तैयार बैठा था। 

समीरा ने कुछ देर इंतजार किया फिर दबे कदमों के साथ दरवाजे की ओट लेकर अंदर का दृश्य देखने लगी, जहां कर्नल इरफ़ान मेजर राज को समझा रहा था कि लोकाटी का वीडियो न चलाए तो उसकी पत्नी की जान बच जाएगी। समीरा अब अपनी माँ का बदला भूल चुकी थी, उसके पास अब एक देश के लाड़ले सिपाही की पत्नी और उसके होने वाले बच्चे का जीवन था जिनकी परवाह किए बिना वो सैनिक अपने देश को बचाने की आखिरी कोशिश कर रहा था। फिर जब कर्नल इरफ़ान को फोन पर लोकाटी की वीडियो की सीडी चलने की आवाज आई तो उसने मेजर राज को ललकारा कि तू नहीं माना यह ले तेरे पत्नी और बच्चे गए, फिर कर्नल इरफ़ान ने रश्मि की तरफ अपनी बंदूक का रुख किया और गोली चलने आवाज आई तो रश्मि की एक जोरदार चीख निकली। 


यह गोली कर्नल इरफ़ान ने नहीं बल्कि समीरा की पिस्टल से निकली थी जो सीधी कर्नल इरफ़ान के दाहिने कंधे में जाकर लगी थी, रश्मि ने यही समझा कि यह गोली उसके ऊपर चली है जिसकी वजह से उसकी चीख निकल गई थी जबकि कर्नल इरफ़ान के हाथ से रिवॉल्वर गिर गया और दूर जा गिरा, उसने दर्द की तीव्रता से अपना कंधा पकड़ लिया और पीछे मुड़कर देखा जहां एक युवा लड़की उस पर पिस्टल ताने खड़ी थी। कर्नल की आंखों में अब डर था। उसने धीरे धीरे अपनी गिरी हुई बंदूक की तरफ जाना शुरू किया और समीरा से पूछा तुम कौन हो ??? 


समीरा ने कहा, मैं भी मेजर राज की तरह इस देश की बेटी हूँ। मेरा नाम समीरा है ... 

समीरा नाम सुनकर कर्नल इरफ़ान तुरंत समझ गया कि यह अमजद की साथी है। कर्नल इरफ़ान ने कहा मगर तुम्हारे भाई को तो मुक्त कर चुका हूँ तुम अब यहाँ क्या लेने आई हो ???

तो समीरा ने कहा कि इस लड़की को बचाने आई हूँ, यह इस देश के सैनिक का सम्मान है, और तुझ जैसा हैवान इंसान उसकी तरफ बुरी नजर से देखे या उसको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे, ऐसा होने नहीं दूँगी। इस दौरान कर्नल इरफ़ान अपनी रिवॉल्वर के करीब पहुंच चुका था, उसने झुक कर अपनी रिवॉल्वर उठानी चाहिए तो समीरा की पिस्टल से एक गोली निकली जो कर्नल इरफ़ान के पैर में लगी और कर्नल इरफ़ान लड़खड़ा गया और जमीन पर आ गिरा और समीरा ने जल्दी से आगे बढ़कर कर्नल इरफ़ान से कुछ दूरी पर पड़ी रिवॉल्वर को अपने पांवों से दूर कर दिया और फिर कर्नल इरफ़ान की तरफ रिवॉल्वर तान कर खड़ी हो गई। 

कर्नल इरफ़ान अब जमीन पर लेटा दर्द से कराह रहा था, उसको इस बात की तकलीफ थी कि उसे मारने वाला कोई भारतीय सेना का जवान नहीं बल्कि एक साधारण लड़की है। यह दुख उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था, उसकी मौत उसकी आँखों के सामने थी, वह हमेशा से युद्धक्षेत्र में अपनी टक्कर के आदमी से गोली खाकर मरना चाहता था मगर यहां चूहे की तरह एक मामूली और मासूम लड़की के हाथों मौत उसे किसी स्थिति को स्वीकार नहीं थी . वह पूरे जीवन लड़ा था, मगर उसने यह कभी नहीं सोचा था कि वह एक लड़की के हाथों कुत्ते की मौत मारा जाएगा। 

अब समीरा ने कर्नल इरफ़ान को कहा, केवल लड़की को बचाने ही नहीं बल्कि मैं अपनी माँ का बदला लेने भी आई हूँ, आज से 10 साल पहले तूने आज़ादकश्मीर के एक गांव में मेरे पिता और मेरी माँ को मेरी आँखों के सामने मार दिया था, और तुझ जैसे बेगैरत आदमी ने मेरी माँ को मारने से पहले उसकी इज्जत भी तार-तार कर दी थी, तब मैं एक छोटी 10 साल की बच्ची थी जो अपनी माँ के लिए कुछ नहीं कर सकती थी, तब से मैं अमजद के साथ हूँ, एक ही कारण से, कि अपनी दुखियारी माँ का बदला ले सकूँ और तुझे मौत के घाट उतार कर हजारों मासूम महिलाओं की इज्जत बचा सकूँ .. आज तू मिल ही गया आखिरकार आज तो तुझे मैं नही छोड़ूँगी, यह कह कर समीरा ने एक और गोली चलाई जो कर्नल के हाथ में लगी थी। 

फिर समीरा ने रश्मि की ओर बढ़ कर उसके हाथों से रस्सी खोल दी और उसकी टांगों को भी आज़ाद कर दिया, इस दौरान वह पूरी तरह चौकान्नी थी कि कर्नल इरफ़ान अपनी जगह से हिलने न पाए, वह जानती थी कि 3 गोलियां लगने के बावजूद कर्नल किसी भी समय जवाबी हमला कर सकता था, दुश्मन को कमजोर न समझना उसने राज से सीखा था। रश्मि को मुक्त करवाने के बाद समीरा ने कमरे में नज़रें दौड़ाई तो वहाँ उसे एक लोहे का रॉड नजर आया, समीरा ने पहले कर्नल इरफ़ान की गन अपने कब्जे में ली फिर लोहे की रॉड उठाकर कर्नल इरफ़ान की ओर बढ़ी और कर्नल इरफ़ान के दोनों पैरों के बीच समीरा ने एक जोरदार वार किया, लोहे का रॉड सीधा कर्नल के लंड पर जाकर लगा जिससे उसकी दिलख़राश चीखें पूरे कमरे में गूंजने लगीं, फिर समीरा ने उसी स्थान पर एक और वार किया, फिर दूसरा फिर तीसरा ....


लगातार वार कर करके समीरा ने कर्नल की हालत खराब कर दी थी, 3 गोलियां खाने के बाद भी शायद कर्नल इरफ़ान उठकर जवाबी हमला कर सकता था मगर अब जिस जगह पर समीरा ने हमले किए थे अब सवाल ही पैदा नहीं होता था कि कर्नल इरफ़ान उठने की हिम्मत कर सके। फिर समीरा ने रिवॉल्वर उठाई और बोली तू राफिया का बदला इस मासूम से लेना चाहता था न तो सुन मेजर राज एक कर्तव्यनिष्ठ जागरूक सिपाही है, उसने तेरी बेटी को एक खराश तक नहीं पहुंचाई, बस तुझे धमकी दी कि तू हमारे साथियों को छोड़ दे, आज भी तेरी बेटी अपने घर बैठी मेजर राज का इंतजार कर रही होगी, वह तो मेजर से प्यार करने लग गई है, यहाँ का सिपाही हमारे वतन गया तो वहां की बेटी हमारे सिपाही के प्यार में डूब गई और आज भी मेजर को याद करती है और तुझ जैसा बेगैरत व्यक्ति जो पुरुषों की तरह लड़ने की हिम्मत नहीं रखता यहाँ के सिपाहियों की इज्जत पर हाथ डालने चला था ??? मगर यह भूल गया कि राज की साथी भी और यहाँ की बेटी भी किसी सिपाही से कम नहीं, तुझ जैसे पाकिस्तानी चूहों को तो हम अपने पांव तले रौंद देंगी। 

यह कह कर समीरा ने कर्नल इरफ़ान के लंड का लक्ष्य लेकर एक और गोली चलाई जिससे कर्नल की चीखें कमरे में गूंजने लगीं। कुछ ही देर में यह चीखें खत्म हो गई थीं कर्नल बेहोश हो चुका था, दर्द की तीव्रता से वह अपने होश और हवास खो चुका था। समीरा कर्नल के लंड पर इसलिए हमला कर रही थी कि इसी लंड ने समीरा की मां की इज्जत लूटी थी। समीरा ने लंड का सिरे से ही सफाया कर दिया था कर्नल को बेहोश हालत में छोड़कर समीरा रश्मि को लेकर उस स्थान से बाहर आ गई, मगर अपनी पिस्टल में एक गोली वह कर्नल के लिए छोड़ आई थी। कर्नल को जब होश आया और उसने देखा कि वह अब नपुंसक हो चुका है, तो उसने पास पड़ी पिस्टल से खुद ही अपने सिर में गोली मार कर अपने जीवन का अंत कर लिया था। एक कायर की तरह आत्महत्या कर कर्नल इरफ़ान ने अपने आपको उस अपमान से तो बचा लिया था जो विफलता की कालिख मुंह पर लिए और ना मरदी का ग़म दिल में लिए वो जीवित अपने देश वापस जाता , मगर एक कायर की तरह आत्महत्या करने का अपमान रहती दुनिया तक उसके लिए बदनामी का कारण बन गया था . 

रश्मि को खैरियत से घर पहुंचाने के बाद समीरा जाने लगी तो रश्मि ने उसे रोक लिया और मेजर राज के आने तक रुकने को कहा, समीरा मेजर के आने से पहले पहले चली जाना चाहती थी मगर ऐसा न हो सका रश्मि को वह इनकार ना कर सकी । फिर मेजर मिनी भी वहीं आ गई तो समीरा ने मेजर मिनी को कर्नल इरफ़ान की हालत के बारे में बताया, मेजर मिनी ने सेना के कुछ जवान भेजकर कर्नल इरफ़ान की मौत की पुष्टि करवाई और फिर उसकी लाश का उपहार सीमा पर भिजवा दिया उसकी लाश से निराशा स्पष्ट दिख रही थी और उसकी कनपटी में गोली का निशान इस बात का सबूत था कि इतने बड़े कर्नल ने आत्महत्या कर ली, जो पाकिस्तानी सेना के लिए एक ज़िल्लत से कम नहीं थी।

मेजर राज को यह सब पता चला तो उसने एक बार फिर समीरा का बहुत बहुत धन्यवाद किया और फिर धन्यवाद करने के बाद अपने कमरे में चला गया। 

समीरा एक दिन मेजर राज के घर ही रही, तो अगले दिन मेजर राज की पदोन्नति समारोह में भाग लेने के बाद रश्मि और राज ने अपने अधूरे हनीमून को पूरा करने का कार्यक्रम बनाया, लेकिन ये कार्यक्रम अभी घर पर नहीं बल्कि आज़ाद कश्मीर जा कर बनाना था। रश्मि और राज समीरा को साथ लिए आज़ाद कश्मीर चले गए थे जहां लेफ्टिनेंट कर्नल राज ने समीरा को अमजद को सौंप दिया था, अमजद भी लेफ्टिनेंट कर्नल राज को देखकर और उसके कारनामे और रुतबा सुनकर बहुत खुश हुआ साथ ही अपना वादा निभाया और समीरा को सही सलामत वापस उसके घर पहुंचाने में वो लेफ्टिनेंट कर्नल राज का बहुत आभारी था। वापसी से पहले अमजद ने राज को अपनी और समीरा की सेवाओं की पेशकश करते हुए कहा आगे कभी भी तुम्हारे वतन को हमारी जरूरत पड़े तो हमें ज़रूर बताना, तुम्हारे वतन की खातिर जान देनी पड़ी तो हम कभी पीछे नहीं हटेंगे। यह कह कर अमजद लेफ्टिनेंट कर्नल राज से गले मिली और अपनी बहन समीरा को लेकर वापस चला गया, जबकि राज अपनी नई नवेली दुल्हन, जिसके साथ उसने महज 2 से 3 घंटे ही सुहाग रात पर बिताए थे, लेकर आर्मी के हट में चला गया जो उसने स्पेशल अपने अधूरे हनीमून को पूरा करने के लिए बुक करवाया था। अपने कमरे में जाते ही रश्मि बाथरूम में गई, और जब बाहर निकली तो उसके बदन पर एक सेक्सी नाइटी थी जिसको देखकर लेफ्टिनेंट साहब का 8 इंच लंड अपनी पैंट में सिर उठा चुका था। थोड़ी देर बाद ही वह 8 इंच लंड रश्मि के मुँह में था जिसे वह बहुत मज़े से चूस रही थी और राज सोच रहा था कि जो मज़ा अपनी पत्नी के साथ सेक्स करने में है वह किसी और के साथ सेक्स करने में नहीं। भौतिक सुख तो शायद कोई और औरत भी दे दे, लेकिन आत्मा को संतोष तभी मिलता है जब प्यार करने वाली पत्नी के साथ सेक्स किया जाए। 

आगे लेफ्टिनेंट कर्नल राज ने अपनी पत्नी को कैसे चोदा, कब चोदा, किस किस स्थिति में चोदा, यह बताने की जरूरत यहाँ नहीं है ... 

उम्मीद है सभी दोस्तो को मेरी यह कोशिश पसंद आई होगी जिसमें सेक्स के साथ साथ मैं वतन की मोहब्बत को उजागर करने की भी एक नाकाम सी कोशिश की है। अगर पसंद आए तो एक बार जोर से नारे जरूर लगाइयेगा: 

जय हिंद ....... 


<<<<<<<<<<<<<<<<<<< समाप्त >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
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