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RE: Kamukta Kahani दामिनी
दुल्हन अब तक के मेरे हरकतों से पूरी तरह जोश में थी ... मेरे इस तरह रूकने से उसकी बेचैनी बढ़ गयी...जैसे किसी ने उसे स्वर्ग का मज़ा लेटे हुए धरती पर ला पटका हो...
वो दबी आवाज़ में चिल्ला उठी " उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़..क्या कर रहे हो दूल्हे राजा .......रुक क्यूँ गये ....???"
मैं भी जैसे नींद से जाग गया ....नाभि पर अपनी लॅप लपति जीभ लगा दी और जीभ वहाँ घूमाने लगा ..दुल्हन का गोरा , चीकना और चमकता पेट उछल पड़ा .... ""हाआंन्ननननननननननननननननननननननननननननननणणन् राजा ..उउईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ..ग्गूड गुडी हो रही है....मैं मर जाओंगी आज ..."
मैं जीभ नीचे ले जाते हुए उसके चूत और नाभि के बीच चाटने लगा ...एक एक अंग और एक एक इंच ..उसके बदन को मैं चाट जाना चाहता था ..खा जाना चाहता था ....पूरा बदन मेरी दुल्हन का चीकना था आज ..पायल आंटी के हाथों का कमाल ...कहीं भी बाल नहीं था ...
फिर मेरी जीभ वहाँ पहुँच गयी जिसका इंतेज़ार दोनों को था .. क्या चूत थी आज मम्मी की..मेरे दुल्हन की ..एक दम सॉफ ...चिकना ..मुलायम ...फूली फूली ...अफ ...एक साथ कितने स्वाद थे वहाँ ...गुलाबी फाँक ...मैने उंगली से अलग करते हुए फाँक में अपनी जीभ घुसेड दी , अंघूठे से चूत की घूंड़ी दबाने लगा , हल्के हल्के और सटा सॅट चाटने लगा , पूरी लंबाई ..उपर से नीचे ...अब तक वहाँ से पानी रीस रहा था लगातार ...नमकीन पानी ...नशीला चूत के होंठ ...मीठा मीठा फूला हुआ तिकोन ... उफफफ्फ़ ..मेरे चाटने की स्पीड बढ़ी और दुल्हन बर्दाश्त नहीं कर पाई ..आज का पहला ऑर्गॅज़म उस ने पा लिया था .....हाँफ रही थी मम्मी ..जाँघ कांप रही थी ....." उफफफ्फ़ आज तुम मेरी जान ले लोगे मेरे राजा ....मैं मर जाउन्गि ..उफफफफफ्फ़ हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उसके पहले चोद लो ..प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज मेरे राजा ..चोद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द लो ना "
दुल्हन ने सारी मर्यादा लाँघ दी थी ... आज उसका समर्पण अपने दूल्हे को सम्पूर्न था ...मैने भी उसके समर्पण को स्वीकार किया ....
मेरा लौडा भी बेकाबू हो रहा था ..इतना कड़क था मुझे दर्द होने लगा था ..
उसकी चूत तो नदी की तरह बह रही थी .. पूरी तरह खुली ..मैने फ़ौरन वहाँ अपना लौडा रखा और एक धक्के में पूरा अंदर था ... पर इतना मोटा और सख़्त था ..मम्मी भी कराह उठी ..."आआआआआआआआआह ..हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ...." अंदर इतना गीला और गर्म था ... मेरा लौडा रस से सराबोर था ..फतच फतच फ्तछ की आवाज़ और जंघें टकराने की थप ठप की आवाज़ से कमरा भर गया ...बीस्तर पर बिछे फूल हमारे धक्कों से मसले जा रहे थे ...चुदाई ज़ोर और ज़ोर पकड़ रही थी ...
" हाँ राजा .मेरे दूल्हे राजा ....मेरा बेटा ...हाँ आज माँ को चोद डाल .....चोद .,और चोद ...उफफफफफफफफ्फ़ ""
माँ तो अपने गहने , कपड़े पहले ही उतार कर नंगी थी , अब मस्ती की उँचाइयों में , समर्पण की समपूर्णता में पूरी तरह से खो गयीं थी और शर्म लिहाज की सारी हदें पर कर दी थी उन्होने आज ..मैं उनके इस रूप को देख बहुत एग्ज़ाइटेड हो गया था दामिनी ...हाँ दामिनी इतना ज़्यादा के बस उनके अंदर लंड डाले झाड़ता गया .झाड़ता गया ,,,कितने झट्के खाए मुझे याद नहीं ..मेरी दुल्हन आँखें बंद किए मेरे गरम गरम लावा की पिचकारी अंदर चूत के हर कोने में महसूस कर रही थी ...
मैं अपनी दुल्हन के सीने पर ....अपनी माँ के सीने पर ...अपना सर रखे हांफता हुआ ढेर हो गया ...सब कुछ शांत था ...कोई दर नहीं ..कोई चिंता नहीं ..दामिनी ..मैं मम्मी के सीने पर जो लेटा था ना...माँ के सीने से भी बढ़कर महफूज़ जागेह कोई होती है क्या ....माँ ने मेरे सर सहलाते हुए मुझे अपने सीने के और करीब खींच लिया ..दुल्हन मेरी माँ बन गयी थी अब....
हम दोनों बेसूध एक दूसरे की बाहों में खोए थे ... ...
क्रमशः……………………..
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--28
गतान्क से आगे…………………..
इस के बाद फिर और कोई ई-मैल नहीं था भैया का....पर जितना था ..मेरे चूत को गीला करने के लिए काफ़ी था ..उफफफफफ्फ़ ..क्या सुहाग रात थी दोनों की...और क्या विस्तार से वर्णन किया था भैया ने ..जैसे सब कुछ मेरी आँखों के सामने हो रहा हो...
"ओओऊऊह भैया आइ लव यौउउउ ..... मुझे भी आप का लौडा चाहिए ,,हाआँ बस अभी ...चोदिये ना प्लज़्ज़्ज़ ...प्ल्ज़्ज़ ..जैसे मम्मी को चोदा आप ने मुझे भी ....अभी के अभी ...." मैं बोलती जा रही थी और अपनी चूत की फाँक में अपनी उंगली डाले घिसाई किए जा रही थी ..ज़ोर और ज़ोर से ...टाँगें फैलाए ...और फिर इतने जोरों से झडने लगी ....मुझे भी आश्चर्या हुआ ....आज मेरी चूत से पानी फव्वारे की तरह निकला ...ऐसा कभी कभी ही होता है मेरे साथ ...मम्मी और भैया की दास्तान ने मुझे बहुत ही ज़्यादा उत्तेजित कर दिया था ...
झडने के बाद मैं शांत हो काफ़ी देर तक लेटी रही ...और फिर उठी लंच लिया और फिर सो गयी ...आज शाम को पापा के साथ कहीं बाहर घूमने का प्लान था ..मैने सोचा थोड़ा आराम ही कर लूँ ..
शाम को पापा जल्दी आ गये आए और फिर हम दोनों तैयार हुए और लग्षुरी टॅक्सी में चल पड़े ..
"ओह मेरे दूल्हे राजा ..कहाँ ले जा रहे हो अपनी दुल्हन को ,,?? " मैने पूछा..
मैं तो बस पापा के उत्साह और उनकी फिर से आई जवानी से हैरान थी ..उनके चेहरे पर दिन भर के काम की थकान का नामो निशान नहीं था ..अभी भी फ्रेश लग रहे थे और चहकते हुए उन्होने कहा
" अरे चलो तो सही मेरी दुल्हन रानी ...ऐसी जागेह जहाँ सिर्फ़ मेरी दुल्हन हो .. मैं हूँ और बस तीसरा कोई नहीं ..." और कहते हुए उन्होने मुझे अपने से चिपका लिया और मुझे चूम लिया ..
" लो आप भी ना ..अगर ऐसी जागेह जानी थी तो अपना होटेल का रूम क्या बुरा था .." मैने उन्हें छेड़ते हुए कहा ..
" बुरा था मेरी जान ..मेरी दुल्हन रानी..बुरा था ...खुली हवा हो... सामने फैला हो अतः और विशाल सागर ..और एक किनारे सिर्फ़ हम दोनों ..क्या रूम में ये माहौल होगा ..?"
" ऊवू ..हाउ रोमॅंटिक ....मेरे दूल्हे राजा इतने रोमॅंटिक हैं ..मैने आज ही जाना ..."
उन्होने मेरी चूचियों से खेलते हुए कहा " बस देखती जाओ रानी ...तुम्हें और क्या क्या जान ने को मिलेगा अपने दूल्हे राजा के बारे ..."
हम लोग ऐसे ही छेड़ छाड़ करते सी बीच पहुच गये ....
हम दोनों एक दूसरे का हाथ थामे बीच की भीड़ भाड़ से दूर निकलते हुए एक चाट्टान की तरफ पहुँच गये ..जागेह बिल्कुल सुन सान था ..आस पास कोई नहीं ...चाट्टान पर पीठ टीकाते हुए दोनों एक दूसरे से चिपकते हुए बैठ गये ..बिल्कुल कोई नौजवान और ताज़ा ताज़ा शादी शुदा पति-पत्नी की तरह ..मैं भी नयी नवेली दुल्हन बनी थी और पापा तो बस दूल्हे राजा से भी ज़्यादा दूल्हा बने थे ..एक दम हनिमून का माहौल था.
दोनों पैर फैलाए . एक दूसरे की टाँगों पर अपनी टाँगें रखे बैठे थे ....सागर की लहरें हमारे पैर छूते हुए वापस लौट जातीं ..जैसे हमें अपना सलाम दे रहीं हों ...तलवे पर सागर के पानी के छूने से एक अजीब ठंडक और सिहरन सी महसूस होती ...सही में बड़ा रोमॅंटिक माहौल था ...
"दामिनी ..." पापा ने बड़े प्यार से मेरे चेहरे को अपनी ओर खींचते हुए कहा
" हाँ पापा .." मैने उनके चेहरे से अपना चेहरा लगाते हुए कहा
"कितना अच्छा लग रहा है ना ..??"
"हाँ पापा ..बहुत अच्छा .लग रहा है..बिल्कुल हनी मून का माहौल है.." मैने उनके लौडे को उनके पॅंट के उपर से सहलाते हुए कहा ..जो पॅंट के अंदर ही अंदर कड़क हो रहा था ..
पापा सिहर उठे ..उन्होने मुझे और करीब खींच लिया ..मेरी चूचियों सहलाते हुए कहा
" हाँ दामिनी ..तुम्हारे साथ साथ तो मैं बिल्कुल जवान हो गया ...बिल्कुल हनिमून का मज़ा आ रहा है ..आइ लव यू ..लव यू सो मच ....मैं कितना लकी हूँ तुम्हारे जैसी समझदार बेटी मुझे मिली .." और उन्होने मुझे अपनी गोद के उपर खींच कर बिठा लिया ...दोनों के च्चेहरा आमने सामने था ,,
" मैं भी तो लकी हूँ पापा ..आप के जैसे आज़ाद ख़यालों वाला कोई है दूसरा डॅड ??" मैने अपनी स्कर्ट उठाते हुए पापा के लौडे पर अपनी चूत घिसते हुए कहा ..
अब तक दोनों की साँसें बहुत तेज़ हो गयीं थी ..पापा का लौडा पॅंट के अंदर ही तंबू बनाए लहरा रहा था ...उन्होने पॅंट के ज़िप खोल दिए और लौडा बाहर निकाल दिया ...
मैने भी अपनी पैंटी उतार दी ...मेरी चूत नंगी थी ...और मैं अपनी नंगी चूत से पापा के लौडे को घिस रही थी ..
"ऊऊऊओ..दामीनिूओ ......अयाया ..हाां " पापा सिसकारियाँ ले रहे थे और मेरा घिसना तेज़ और तेज़ हो रहा था ..पापा ने मेरे टॉप के बटन्स खोल डाले और ब्रा से मेरी चूहियों को आज़ाद करते हुए मुँह में ले चूसने लगे ..
मेरी मस्ती ज़ोर और ज़ोर पकड़ती गयी ...चूत से पानी बह रहा था ..उनके लौडे से पानी निकल रहा था ..
दोनों दुनिया से बेख़बर एक दूसरे में खोए थे ..सागर की लहरें हमें सलाम कर रही थी ..जैसे नयी जोड़ी को आशीर्वाद दे रहा हो...
मेरा घिसना और पापा को चूसना ज़ोर पकड़ता जा रहा था ...अचानक घिसते घिसते मेरी चूत पापा के लौडे के अंदर फतचक से घुस गयी ..ये इतना अचानक हुआ मैं सिहर उठी ....पापा भी बुरी तरह सिहर गये ,,उन्होने मुझे और भी जोरों से चिपकाते हुए मेरे होंठ चूसना शुरू कर दिया ..बुरी तरह ..
मैं उन्हें चोदे जा रही थी ..खुली हवा में ...सागर की लहरें बाहर पैरों से टकरा रही थी और मेरी चूत की लहरें मेरे दूल्हे की लौडे से ...उफफफ्फ़ इतनी मस्ती थी ..और दूल्हे राजा की ल़ाहेरदार जीभ मेरे मुँह में दौड़ रही थी ,
आआआः खुले में चुदाई का भी एक अलग ही मज़ा होता है ...
मेरी चूत उनके लंड के जड़ तक जा रही थी ..मैं बैठती और उठती , उनके लौडे पर ...
पापा आँखें बंद किए बेटी से चुद रहे थे और बेटी सटा सॅट ..फका फक चोदे जा रही थी ..
मेरे धक्के बहुत तेज़ हो गये थे ..और मैं हानफते हुए "ओओऊऊऊऊऊऊह ....उईईईईई पपाााआआ ...." की चीख लगाते हुए उनके लौडे को अपनी चूत से जकड़ते हुए उनके सीने में अपना सर रखे उनकी कमर को जकड़ते हुए उन से लिपट गयी ..और चूत लौडे पर रखे रखे ही जोरदार झडने लगी ....पापा का लौडा मेरे चूत रस से नहा रहा था ....पापा ने भी मुझे जकड़ते हुए मेरी चूत के अंदर ही अंदर लौडे को झट्के पे झटका देते हुए लगातार झाड़ रहे थे ...
हम दोनों एक दूसरे से चिपके हाँफ रहे थे , एक दूसरे की सांस अंदर ले रहे थे ... और सागर हमारे इस प्यार पर अपनी लहरो से खुशी ज़ाहिर कर रहा था ..
हम दोनों काफ़ी देर एक दूसरे से चिपके हुए पड़े रहे ...एक दूसरे के बदन से खेलते रहे ..छेड़ छाड़ करते रहे ...सागर की लहरें अपनी मस्ती में थी ..और हम अपनी मस्ती की लहरो में थे...एक दूसरे में खोए हुए ...दो जवान दिलों की तरह ...बेपरवाह ..
काफ़ी अंधेरा हो चुका था ...इतनी मस्ती का आलम था ..वहाँ से उठने का दिल ही नहीं करता ..पर मजबूरी थी ...
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
हम होटेल वापस आ गये और डिन्नर का ऑर्डर प्लेस कर दिया ..
हम डिन्नर का इंतेज़ार कर रहे थे कि फोन की घंटी बजी ..भैया की आवाज़ आई ..
" दामिनी ...क्या हाल है मेरी बहना रानी...."
" भैया , कुछ मत पूछो ..बस मस्ती ही मस्ती ...आज मैं और दूल्हे राजा ने समुंदर के किनारे चुदाई की.....खुली हवा में ...उफफफ्फ़ कितना मज़ा आया ...."
" अच्छा ? ....समुंदर के किनारे ...वाह वाह मेरी रानी ...मुझे जलन हो रही है.... "
" पर क्यूँ भैया ?आप भी तो वहाँ अपनी स्वर्ग की अप्सरा जैसी दुल्हन के साथ कम मस्ती नहीं मार रहे होंगे ....पर अपनी दुल्हन की चूत का ख़याल रखना ..भैया ...तुम्हारा लौडा मैं तो आसानी से झेल लेती हूँ , पर मम्मी जैसी नाज़ुक चूत वाली को ज़रा मुश्किल हो सकती है ना...."
"हा हा !! बिल्कुल ख़याल रख रहा हूँ दामिनी रानी ..तभी तो मैने आज दिन भर मम्मी की चूत को हाथ नहीं लगाया ..उसे आराम करने दिया ..."
" पर फिर आप का लौडा कैसे शांत हुआ ..?क्या किया आप ने .....हनी मून के दिनों में भी मूठ मार ली..??"
" नहीं ....बिल्कुल नहीं ... मम्मी ने अपनी चूत के बदले दूसरी चूत का इंतज़ाम कर दिया दामिनी रानी ..."
"उफफफ्फ़ ....जल्दी बताओ ..जल्दी बताओ ना ..किस की चूत .? तुम तो बड़े लकी निकले , एक ही हनिमून में दो दो चूत .....वाह .."
" अरे बड़ी मस्त चूत थी ...पायल आंटी की....बस क्या बताऊं दामिनी ... उस दिन वाली पायल आंटी और आज वाली में कितना फ़र्क था ... अच्छा सुन ..मैने ई-मेल में सारे डीटेल लीख दिए हैं ..पढ़ लेना ...."
" ओके भैया ...गुड नाइट ." और भैया ने फोन कट कर दिया .
मैने जल्दी से डिन्नर किया ...पापा दिन भर के काम की थकान और शाम की चुदाई से शायद थक गये थे ..वे डिन्नर लेने के बाद पलंग पर लेटे लेटे कोई मॅगज़ीन पढ़ रहे थे और मैं कम्प्यूटर ऑन कर भैया और पायल आंटी की चुदाई का मज़ा लेने बैठ गयी ..अपनी पैंटी उतार कर...
भैया का ई-मैल ;( उनके ही शब्दों में )
रात भर की चुदाई के बाद मैं और मेरी दुल्हन एक दूसरे से चिपके देर सुबह तक सोते रहे ...मेरा लंड सीकूडा हुआ मम्मी की चूत के अंदर ही था ...
मम्मी की नींद मुझ से पहले ही खूल गयी और उन्होने मुझे अपनी बाहों में जकड़ते हुए जगाया ..मैने आँखें खोली और उन्हें चूमने लगा ..चूसने लगा ..मेरा लौडा फिर से तननाया था , मैं चोदने को तैयार था ..पर मम्मी का तो रग रग टूट रहा था रात की चुदाई से ....मेरे जवान लंड ने उनकी चूत को रौंद डाला था ...अभी फिर सुबह की चुदाई से वह डर रही थी ,,उन्हें अपनी चूत की बड़ी फिक्र थी
" उफफफफ्फ़ ....मेरी चूत का भोंसड़ा मत बनाओ मेरे राजा ..इसे चूत ही रहने दो ना ...अब रात को ही चूत मिलेगी तुम्हें..."
" उम्म्म्म..पर मैं क्या करूँ मम्मी ....इसे मैं कहाँ लिए फिरू ..देखो ना कितना कड़क है..??" मैने अपने लौडे को हाथ में लेते हुए उन्हें दिखाया .
" बाप रे बाप..कितना कड़ा हो गया ...अच्छा एक काम करते हैं ,,मैं अभी तो अपने हाथ से शांत कर देती हूँ ....पर तुम्हें चूत चाहिए दिन में ...उसका भी इंतज़ाम कर देती हूँ ..पर मेरी चूत को तो बक्श दो...इसे मैं संभाल कर रखती हूँ ...हमेशा टाइट रहता है ..है ना..?? "
और वे मुझ से चिपक कर बैठ गयीं मैं उनकी चूची अपने मुँह में लगाता हुआ चूसने लगा और मम्मी बड़े प्यार से मेरे लौडे की चॅम्डी उपर नीचे करने लगी ...अयाया दामिनी उनके हाथ में जादू है .....उन्होने अपनी हथेली में इस तरह जाकड़ लिया , मुझे लगा चूत में ही है मेरा लंड ...और कहा
" देख नाश्ता वाश्ता कर के तैयार हो जा और पायल के यहाँ चला जा ..जब से तुम ने उसकी चुदाई की है ना ..वो तड़प रहीं हैं तुम्हारे लौडे के लिए ..जा आज दिन भर वहाँ मज़ा ले ले..तब तक मैं भी आराम कर लूँगी .. और अपनी चूत को भी आराम मिल जाएगा ....इतनी बेरहमी से तुम ने चोदा है .....उफफफ्फ़ " और उनका मेरा लौडा हिलाना तेज़ हो गया ..उन्हें भी मेरे लौडे को हाथ में जकड़ने में काफ़ी मज़ा आ रहा था ..उनकी चूत भी लगातार पानी छोड़ रही थी
क्रमशः……………………..
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--29
गतान्क से आगे…………………..
मैं भी उनसे और चिपक गया और चूची चूसना भी ज़ोर पकड़ लिया था....थोड़ी देर बाद उनके हाथ में मैं झट्के ख़ाता पूरे का पूरा लौड खाली कर दिया ,,उन्होने पूरा माल अपनी हथेली को चूल्लू की तरह कर उसमें ले लिया और पी गयीं ... चाट चाट कर हथेली सॉफ कर लिया ...
मैं भी शांत था और खूश भी ,पायल आंटी के यहाँ जाने की खबर से .. .
दामिनी , मम्मी सही में अपनी बॉडी और चूत का कितना ख़याल रहती हैं ...तभी तो स्वर्ग की अप्सरा हैं अभी तक ..
मैं तैयार हो कर सीधा पायल आंटी के यहाँ पहुँच गया ...
क्या बताऊ दामिनी ..आज उनका रूप बिल्कुल ही अलग था ...उस दीन खजुराहो की मूरत थी तो आज कॉलेज की छोकरी ..एक दम मस्त ...उन्होने एक मिनी स्कर्ट पहेन रखी थी और बहुत ही लो नेक वाला टॉप ...
स्कर्ट के अंदर उनकी सुडौल जंघें दीख रही थी और टॉप के अंदर से उनकी गोल गोल चुचियाँ बस बाहर उछाल पड्ने को तैयार..मैं बस देखता ही रहा ..
" अरे क्या देख रहे हो अभिजीत .आओ ना बैठो ...चलो सोफे पर ही बैठते हैं , आज हम ने अपना सारा अपायंटमेंट कॅन्सल कर दिया ,,,बस सिर्फ़ मैं और तुम ..."
और हम दोनों सोफे पर बैठ गये ..
बैठ ते ही उनकी स्कर्ट और उपर हो गयी और उनकी जांघों पर बिलकूल चूत तक पहॉंच गयी ..जंघें नंगी थी
मेरी जांघों से अपनी जंघें उन्होने चिपकाते हुए कहा
" अभिजीत ...उफफफफफ्फ़ उस दिन के बाद पता नहीं क्या हुआ मुझे ..मैं हमेशा तुम्हारे बारे ही सोचती थी .." उनका हाथ मेरे जांघों पर था और धीरे धीरे सहला रहीं थी " तुम्हारे जैसा लंड आज तक मैने अंदर नहीं लिया अभी......अयाया अभी भी मेरी चूत से पानी निकल जाता है ..उस दीं की चुदाई याद करते ही ..."
" अच्छा ..इतनी भी क्या ख़ासियत है आंटी ..?"
" इतना लंबा और मोटा उफफफफफ्फ़ ..और जिस तरह से तुम चोद ते हो ना राजा ...पूरा बदन हिल जाता है....जैसे सिर्फ़ चूत ही नहीं मेरे पूरे शरीर को चोद ते हो......कहाँ सीखी तुम ने इतनी मस्त चुदाई ..?? "
" अरे नहीं आंटी ..आप भी तो चूत और दिल खोल के चुद्वाती हो ना ..." ऐसी बातों से मेरा लौडा तो बस अंदर कड़क हो रहा था ..आंटी ने मेरे पॅंट के उपर ही से उसे सहलाना चालू कर दिया था ...
मैने भी उन्हें अपने से चिपका लिया ..आज उनके पर्फ्यूम की स्मेल भी अलग ही थी ...मैने उनका चेहरा अपनी ओर अपने हथेली से खींच लिया और उनकी आँखों मे देखता हुआ उनके होंठ पर अपनी उंगलियाँ फिराने लगा ...दामिनी उनके होंठ इतना सेक्सी है...इतना मुलायम ...अफ ... वो भी मेरी उंगलियों के स्पर्श से सिहर उठी ..फिर मैने अपनी उंगली उनके मुँह में डाल दी और उनके मुँह के अंदर जीभ ,,तालू पर धीरे धीरे फिराने लगा ...पायल आंटी भी मेरी उंगलियाँ चूसने लगीं ..मैने उन्हें बाहर निकाला .उनके थूक से सना था ,,मैं उनकी तरफ़ देखते हुए अपनी उंगली चाट गया ...
क्या टेस्ट था दामिनी उनके लार और थूक से साने मेरी उंगलियों का ....
पायल आंटी भी मस्ती में आ रही थी...उन्होने मेरे पॅंट की ज़िप खोल दी थी और मेरे लौडे को मुट्ठी से जाकड़ लिया था ..जैसे कभी छोड़ेंगी नहीं ...
मुझ से अब रहा नहीं जा रहा था ..मैने उनकी स्कर्ट की एलास्टिक खींचते हुए उनके पैरों से नीच उतार दिया ...वो नंगी थी ..उन्होने पैंटी नहीं पहनी थी ..उनकी सुडौल जंघें ...लंबे पैर और थोड़ी से काली चूत ....एक दम चीकनी उफफफफफ्फ़ ...मैने अपना पॅंट भी उतार दिया और उन्हें अपनी गोद के उपर लेते हुए सोफे पर बैठ गया ...उनकी चूत मेरे लंड पर थी ,, अयाया उनका मुलायम चूत ...
वे भी मेरे गले में हाथ डालते हुए मुझसे चिपक गयीं और मुझे बुरी तरह चूमने लगीं , मेरे होंठों को , मेरे गालों को ..मेरे गले को ..उफ़फ्फ़ मैं भी सिहर रहा था और मेरा लौडा फूँफ़कार रहा था ... उनके चूतदों के बीच उन्हें दस्तक दे रहा था ..मैं भी उंसके गले में बाहें डाल उन से चिपका था ...
उनकी चूचिया मेरे सीने से चिपकी थी ..मैने उनका टॉप भी उतार दिया और उन्होने मेरी शर्ट ..अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे ....एक दूसरे से चिपके , मेरी गोद में ,,एक दूसरे को खा जाने की कोशिश जारी थी ..मैं उनकी चूची अपने मुँह में डाले चूसे जा रहा था ....हाथ से बुरी तरह मसल रहा था ...गोल गोल चूची ....उनकी चूची मेरे थूक और लार से सनी थी और मेरा मुँह ..गाल ...गला सब उनके थूक और लार से ..हम दोनों हाँफ रहे थे , और एक दूसरे का स्वाद ले रहे थे
मेरे लौडे और उनकी चूत से लगातार पानी रीस रहा था ...
" उफफफफफफ्फ़.....अभी ..मेरे राजा ...ऊवू ...तुम ने क्या कर दिया ...मैं पागल हो जाउन्गि ......आहह " और वे मुझे चाटे जा रही थी , चूसे जा रहीं थी ...
फिर उन्हें पता नहीं क्या सूझा , थोड़ा सा अपनी चूतड़ उपर उठाया , और अपनी गीली चूत मेरे लंड पर रख दी और अपने हाथों से मेरे कंधों को थामते हुए धीरे धीरे मेरे लंड पर बैठने लगीं ....आआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ,,,दामिनी ..दामिनी ..मेरी तो जान निकल गयीं उनकी इस हरकत से ...मेरे लंड और कड़क हो गया उनकी चूत के अंदर ही ....धीरे धीरे पूरी चूत की जड़ तक बैठ गयीं और फिर लंड अंदर किए ही अपनी चूतड़ गोल गोल घूमाने लगीं ......
"आआआः आंटी ..आंटी मैं झाड़ जाऊँगा ,,,उफ़फ्फ़ " मैने मस्ती में चिल्लाते हुए कहा और अपने होंठों से उनको चूचियाँ जोरों से चूसने लगा ....पायल आंटी भी सिहर गयीं ....और चूत उपर उठा ली उन्होने ..और फिर एक झट्के में पूरी चूत फिर से अंदर डाल दी ......
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
मेरा चूची चूसना और उनका धक्का लगाना ज़ोर पकड़ता जा रहा था ..मैं पागलों की तरह उनकी चूची चूस रहा था , मानो पूरा खा जाऊँगा .... और वे धक्के पे धक्का लगाए जा रहीं थी ..मुझे चोद रहीं थी पायल आंटी ....
फतच ..फतच //ठप ठप और साँसों की आवाज़ .और दोनो की हाँफने की आवाज़ थी पूरे कमरे में ... दोनों पागल थे ......
फिर थोड़ी देर धक्कों ने ज़ोर पकड़ ली और पायल आंटी चूत अंदर किए किए मुझ से बुरी तरह चिपक गयीं ..उनका चूतड़ झट्के खा आ रहा था मेरे लंड पर
"हाईईईईईईईईईईई,, उईईईईईईईईईईईई ,...अभी .अभिईीईईईईईईईईई .." मैने भी उन्हें अपनी बाहों मे जाकड़ लिया ..दोनों झाड़ते जा रहे थे , झाड़ते जा रहे थे ...झट्के पे झटका देते हुए .....
दामिनी इतना ज़्यादा झटका मेरे लंड ने सिर्फ़ तुम्हारी चूत में ही खाया है ..दामिनी क्या बताऊ .उफफफफ्फ़
काफ़ी देर तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके सोफे पर पड़े थे ..हानफते हुए ... अलग होने को दिल नहीं कर रहा था ...
दोनों एक दूसरे की निहारे जा रहे थे .. जैसे कभी देखा नहीं हो ..सही में पायल आंटी जानती थी सेक्स का मज़ा कैसे लिया जाता है .....
भैया की ई-मेल पढ्ने के बाद मेरी चूत का तो बुरा हाल था ...लगातार पानी रीस रहा था ..मुझे तो बस लंड चाहिए था अंदर और अभी ...उफफफफ्फ़ ..क्या मस्ती की चुदाई थी पायल आंटी और भैया की....मैं भी भैया के लंड को मिस कर रही थी ...सही में उनका लंड था भी ऐसा ....और पायल आंटी ने भी ठीक कहा था उनकी चोदने की स्टाइल ....पूरा बदन हिल जाता है ..जब उनके जोरदार धक्के लगाते हैं ..पूरी चूत का एक एक कोना उनके लंड से भर उठता है ...
पर अभी भैया तो थे नहीं ..मेरी नज़र पापा पर पड़ी ...वो अभी भी मॅगज़ीन पढ्ने में ही लगे थे ...
मैने फ़ौरन अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगी हो कर उनके पास सॅट कर लेट गयी ...और उनके हाथ से मॅगज़ीन छीन लिया और नीचे फेंकते हुए कहा
" उम्म्म्मम..दूल्हे राजा ...आप की जवान और प्यासी दुल्हन लंड को तरस रही है और मेरा दूल्हा मॅगज़ीन पढ़ रहा है ..ये क्या बात हुई ..??"
पापा भी अब तक के आराम से फ्रेश हो गये थे ..उन्होने मेरी हालत देखी और फिर मुस्कुराते हुए मुझे अपने उपर खींच लिया ...
" अरे वाह मेरी दुल्हन रानी ...आइ आम सॉरी ....ऊवू ....अले अले मेरी बच्ची ..मेरी रानी को लौडे के भूख लग गयी ......लो ना ..ले लो ना ..पूरा तो तुम्हारा ही है ..."
उन्होने भी अपने शॉर्ट्स और टॉप उतार दिए और अपना लौडा मेरे हाथ में थमा दिया ..
लेकिन मान ना पडेग .अभी भी इस उम्र में मुझे नंगी देखते ही उनका लौडा तन्न हो गया था ...कड़क हो गया था ...मुझे भी हाथ से थामने में मज़ा आने लगा
मैने अपनी चूतड़ उनके मुँह की तरफ कर दिया और अपना मुँह उनके लौडे की तरफ और लौडे को जोरों से मुट्ठी से जाकड़ लिया ...उनके लौडे की छेद से पानी के बूँदें रीस रहीं थी ...मैने अपनी जीभ से चाट लिया और सूपडे को अपने होंठों से चूसने लगी ....उधर पापा ने भी मेरी चूत को अपने हाथों से फैलाते हुए अपनी जीभ अंदर घुसेड दी और सतासट चाटने लगे ...
"उईईई ...अयाया ..हाँ ...." मैं सिहरते हुए कराह रही थी और मइए उनके लौडे को और भी ज़ोर से अपने होंठों के बीच जाकड़ लिया . और उनके लौडे को होंठों से चोदने लगी ..मेरी चूत उनकी जीभ से चुद रही थी और उनका लौडा मेरे होंठों से ...
उफफफफफफफ्फ़ ...चूत चाटाई का भी अलग ही मज़ा होता है..पूरा बदन झनझणा उठता है ..और वो भी जब पापा जैसे एक्सपीरियेन्स्ड से हो रहा हो...मेरा पूरा बदन कांप रहा था ..चूतड़ थरथरा था और मस्ती इतनी थी के मैं उनके लौडे की जड़ हाथों से जकड़ते हुए जोरों से उनका लौडा चूस रही थी ...और अपने थूक और लार से गीला और भी गीला किए जा रही थी
फिर पापा ने मुझे अपने उपर से हटा लिया और मुझे लीटा दिया ..मैने अपनी टाँगें फैला दी ..उनके लौडे के लिए ...उन्होने भी मेरी चूत फैलाते हुए अपने तननाए लौडे को एक ही झट्के में मेरी चूत के अंदर एक जोरदार झट्के के साथ अंदर पेल दिया ..लौडे की जड़ तक ...मेरी टाइट चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया ..मैं कांप उठी ..."हााईयईईईईईईईई ..पपाााआआआअ ....उफफफफफ्फ़ .."
अब पापा ने मेरी चूतड़ को अपने हाथों से जकड़ते हुए लगातार धक्के पे धक्का लगाए जा रहे थे .जैसे की उन्हें मेरी चूत अब और नहीं मिल्लने वाली ..भूखे जानवर की तरह ...उनके होंठ कभी मेरी होठों को चूस रहे थे ..कभी मेरी चूचियों को तो कभी मेरी गर्दन को ....उफफफफफ्फ़ उपर से नीचे मुझे नोच रहे थे ..खा रहे थे , चूस रहे थे और चोदे जा रहे थे ..
मैं बदहाल थी ..मस्ती में चिल्ला रही थी ...उनकी कमर और चूतड़ हाथों से जकड़ते हुए अपनी तरफ खींचे जा रही थी ..पास , पास और पास ..जैसे उन्हें अपने अंदर समा लेना चाह राही थी
मेरी चूत फैलती धक्के के साथ और जब लौडा उपर आता सीकूड जाती ..पॅच ..फतच ..पॅच फतच ..उफ़फ्फ़ क्या चुदाई चल रही थी ...
फिर पापा "उफफफफफ्फ़ दामीणिूऊऊऊऊऊऊऊ ..." करते हुए मुझ से चिपक गये ..मेरी चूचियों पर अपना सर रख ढेर हो गये और उनका लौडा मेरी चूत में झट्के पर झट्के खा रहा था ..मेरी चूत में उनका गरम लावा हर कोने में धार मार रहा था ..मेरी चूत गन गॅना गयी उस धार से .
और मैने भी अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर झडने लगी , पापा के गर्म वीर्य के साथ मेरी चूत के रस की धार मिलती जा रही थी ....
मैं आनंद और मस्ती के मारे पापा को जकड़ते हुए सीसक , सीसक कर चीख रही थी ...चिल्ला रही थी क्रमशः……………………..
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11-17-2018, 12:52 AM,
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
मम्मी की चूत से भी पानी टपक रहा था , और नीचे रक्खी थाली में जमा हो रहा था ,,उनकी साँसे भी तेज़ थी ...
फिर उन्होने अपनी टाँगें और चूत फैलाते हुए तीपाई और पास खींच लीं , इतने पास की उनकी चूत मेरे लौडे को छू रही थी ...फिर उन्होने अपनी चूत में मेरे लौडे के सुपाडे को अंदर घुसा लिया ..बस सिर्फ़ इतना के बाकी लौडा बाहर था और सिर्फ़ सुपडा अंदर था ..मम्मी खूद भी कांप उठी ..और मेरा तो बुरा हाल था ही .
अब उन्होने एक हॅतेली की उंगलियों से लौडे को थामे रखा जिस से की बाहर ना आ जाए ..और दूसरे हाथ से दूध की कटोरी लेते हुए लौडे के उपर धीरे धीरे दूध बूँद बूँद कर डालने लगी ..उन्होने लौडे को थोड़ा उपर उठाया जिस से दूध लौडे के उपर से होता हुआ उनकी चूत तक जाता रहा और फिर वहाँ से नीचे रखी थाली पर गिर रहा था ..और लौडे को धीरे धीरे अपनी चूत में उपर नीचे घिसने लगीं ...
उफफफफ्फ़....मैं पागल हो रहा था ..उनके चूत के अंदर की गर्मी और दूध की ठंडक , मैं मदहोशी के आलम में था ...लगातार मम्मी दूध डाले जा रही थी और चूत की घिसाई भी कर रहीं थी मेरे लौडे से ..उनका लौडा थामना भी अब काफ़ी टाइट हो गया था ...चूत के अंदर मेरे लौडे से होते हुए दूध और चंदन जाने से चूत में काफ़ी फिसलन हो रही थी और उन्हें भी मज़ा आ रहा था मेरा लौडा चूत में घिसने से .उनकी आँखें भी बंद हो रहीं थी ..धीरे धीरे कराह रहीं थी ...कटोरे का दूध भी अब ख़त्म होने वाला था ..अब उन्होने अपनी तीपाई आगे करते हुए मेरे लौडे को अपनी चूत के अंदर ले लिया ... दूध अंदर जाने से चूत काफ़ी गीली थी और थोड़ा बहुत चंदन भी था दूध के साथ ..जिस से उन्हें अंदर और भी ज़्यादा सिहरन हो रही थी ...मुझे लगा की मैं उन्हें थाम लूँ और जोरदार धक्के लगाऊं ...पर मुझे तो छूना मना था ...... मैं बेबस था ..मेरी आँखों में तड़प थी , एक बेबसी थी ,,,
मम्मी ने मेरी आँखों में देखते हुए मेरी बेबसी को भाँपते हुए अपने हाथ से लौडे को , जो आधा अंदर था , जोरों से चूत के अंदर ही अंदर घिसने लगी ..दूध और चंदन के होने से इतना घर्सन था अंदर मैं कांप उठा ..मम्मी भी कांप उठी ...दो चार बार काफ़ी जोरों से उन्होने घिसाई की ..मुझ से रहा नहीं गया , मेरा लौडा झट्के ख़ाता हुआ उनकी चूत में पिचकारी छोड़ना चालू कर दिया ....इतने जोरों से आज तक मैं नहीं झाड़ा था ... मम्मी मेरे गर्म लावे की धार से मस्त हो उठी और चूतड़ हिलाते हुए झडने लगीं मेरा वीर्य ..दूध और उनका रस सब रीस रीस कर उनकी चूत से बहते हुए नीचे रखी थाली में जमा हो रहे थे...
मम्मी की चूत का रस ..मेरा वीर्य दूध और चंदन के साथ मिलता हुआ नीचे रखी थाली में जमा हो रहा था ..हम दोनों हाँफ रहे थे ..तीपाई पर बैठे थे और हमारा रस रीस रहा था , थाली में जमा हो रहा था ..
हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे जब तक की हम दोनों पूरी तरह खाली नही हो गयी .
मैं उन्हें छूने और अपनी बाहों में लेने को तड़प रहा था ... उनका भी येई हाल था ...
फिर वो उठी ..और मुझ से भी उठने को इशारा किया ..थाली में जमा मेरे वीर्य , दूध , उनके चूत रस और चंदन के मिक्स्चर को दूध के कटोरे में डाल दिया ..अफ क्या गाढ़ा मिक्स्चर था ..कटोरे से पहले उन्होने अपनी हाथों से उसे मुझे पिलाया और बाकी का खूद पी लिया ..और बचा कूचा जो भी कटोरे में था उसे जीभ से चाट चाट कर पूरा साफ कर दिया .
" बेटा अब हमारी चूत और तुम्हारे लंड का मिलन पूरा हो गया ..अब आओ मुझे अपनी गोद में उठा लो और चोद डालो अपनी चूत को ..आज से पूरी तरह ये चूत तुम्हारी और तुम्हारे पापा की है ..बस जैसे जी चाहे चोद लो .."
क्रमशः……………………..
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11-17-2018, 12:53 AM,
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--31
गतान्क से आगे…………………..
मैं तो जैसे इस पल का इंतेज़ार ही कर रहा था ..मैने उन्हें उनको अपनी बाहों में लेते हुए अपनी गोद में लिया ..मम्मी मेरे गले को अपने हाथों से जकड़ते हुए मुझ से चिपक गयीं ..मैने उन्हें उठाया और थोड़ी ही दूर पर पड़े बेड पर लीटा दिया.
उफफफफफफ्फ़ .क्या बताऊं दामिनी रानी ..पूजा का असर था ..या फिर पता नहीं क्या बात थी ..हम दोनों एक दूसरे के लिए पागल हो रहे थे .....मन कर रहा था मम्मी को अपने से इतनी जोरों से चिपका लूँ के बस उनके अंदर ही समा जाऊं ...मेरा लौडा फिर से तननाय्या था ....हिल रहा था ..इतना कड़क था ..और मम्मी को जैसे मैने बीस्तर पर लीटाया ..उन्होने अपनी टाँगें फैला दी और बाहें फैलते हुए तड़प्ते हुए मुझ से कहा :
" बेटा आ जा ..आ जा अब देर मत कर ..मेरी बाहों में आ जा ना ....उफफफफफ्फ़ ...मैं मर जाउन्गि ...मेरा एक एक अंग तुम्हारे लिए तड़प रहा है ......आ जा ...आ जा मेरे बेटे ..."
उनकी आवाज़ में इतनी कशिश ...तड़प और प्यार था ..मैं बिल्कुल कूदते हुए उनके टाँगों के बीच अपनी जंघें रखता हुआ उन से बुरी तरह चिपक गया .....मेरा तननाया लौडा उपर से ही उनकी चीकनी चूत को जोरों से दबा रहा था .... और मैने अपने होंठ उनके होंठों से लगाता हुआ उन्हें चूसने लगा ,,मानो उन्हें आम की तरह चूस जाऊँगा ..मम्मी ने भी मेरी पीठ को जकड़ते हुए और भी खींच लिया अपनी तरफ ..हमारी साँसें टकरा रही थी ....बुरी तरह एक दूसरे को चूस रहे थे ...एक दूसरे को भींचे जा रहे थे ..ज़ोर और ज़ोर ..जैसे मम्मी मुझे और मैं मम्मी को अपने अंदर लेने की लगातार कोशिश में लगे थे ..
उनकी चुचियाँ मेरे सीने से ऐसी चिपकी थी के स्पंज की तरह चिपटि हो गयीं थी ...हम एक दूसरे को चाट रहे थे ..चूम रहे थे .चूस रहे थे उर मम्मी मेरे नीचे टाँगें फैला फैला कर , टाँगों से मेरे चूतड़ जाकड़ जाकड़ मेरे लौडे को चूत में अंदर लेना चाह रहीं थी ..पर मुझे तो मम्मी का पूरा स्वाद लेना था ....अपनी माँ का स्वाद ..कितना मीठा ..अमृत अगर होता होगा तो बस मम्मी के मुँह के टेस्ट जैसा ......फहीर मैं उनकी टाँगों के बीच आ गया और उनकी चूत फैलाता हुआ अपने होंठों से उनकी चूत जाकड़ ली और दशहरी आम की तरह चूसने लगा ......आआआआआआआः ...दामिनी ...उनकी चूत के अंदर से मेरा वीर्य , दूध और चंदन और उनका रस सब एक साथ मेरे मुँह में पिचकारी की तरह घुस गये ..इतनी जोरों से मैने चूसा था ....ये भी एक अलग ही टेस्ट था ...शायद अमृत से भी बढ़ कर ...
मम्मी की चूतड़ उछाल रही थी .उनकी टाँगें कांप उठी और वह चिल्ला उठी " अभिईीईई ...आआआआआआआआआः ......ऊऊऊऊऊः बस बस बेटा बस ......और नहीं ....अब चोद डालो बेटे राजा ..तुम्हारी चूत है ..अब तो तेरी है मेरे राजा .....चोदो ना .....उफफफफफफ्फ़ "
उनकी आवाज़ों से मेरा लौडा और भी तन्ना गया था ..दर्द सा हो रहा था ..पर मैं माँ का अमृत चूस रहा था ..उसे अपने अंदर समा रहा था और मम्मी तड़प रहही थी ...बार बार चूतड़ उछाल रही थी ..टाँगें जाकड़ रही थी ..और मैं लगातार उनकी चूत चूसे जा रहा था ...उफफफ्फ़ माँ को चूसने का इतना मज़ा क्यूँ होता है दामिनी ....तुम्हें भी मैं ऐसे ही चूसूंगा ...हाँ दामिनी ....उफ़फ्फ़ ..मन नहीं भरता ..
मम्मी सहन नहीं कर सकीं और उनका चूतड़ उपर और उपर हवा में उठता गया ..और मेरे मुँह के अंदर उनके रस का फव्वारा छूट रहा था ..मैं पीते जा रहा था ....पूरे का पूरा ....मम्मी शांत हो गयीं ..पर मेरा लौडा जैसे जड़ से उखाड़ने की तरह कड़क हो गया था
अब मैने मम्मी की चूतड़ उठाते हुए उनके रस से सराबोर चूत के अंदर अपना लौडा डालते हुए एक झट्के में ही अंदर पेल दिया और उन्हें जकड़ते हुए , उनकी चुचियाँ चूस्ते हुए जोरदार धक्के लगाने लगा ..हाए धक्के में मम्मी " हाई हाई ...मार डालो ..फाड़ डालो .." की रट लगती जाती ..मैं पागल था ..मदहोश था .....पागलों की तरह उन्हें चोदे जा रहा था ....चोदे जा रहा था ....उउफफफ्फ़ .....सतासट ..फतचफतच ....."हाँ बेटा ...ये चूत तुम्हारी है ..उफफफ्फ़ ,..हाँ ..हाआँ जोरों से चोद ..चोद ...."
और मैने उन्हें बुरी तरह जाकड़ लिया ....उनसे चिपक गया उन्होने भी मुझे अपनी बाहों से चिपका लिया अपने सीने से ..और मेरा लौडा उनकी चूत में इतनी तेज़ धार मारते हुए झाड़ रहा था ..उनका एक एक अंग सिहर उठा ..मैने उन्हें जाकड़ रखा था ..फिर भी उनका पूरा बदन कांप रहा था मेरी बाहों में .......
उनकी चूत का एक एक कोना मेरे वीर्य की धार से फडक रहा था ..मैं अपने लौडे पर महसूस कर रहा था उनकी चूत का फड़कना ...उनका झड़ना ...
हम दोनों एक दूसरे से चिपके लंबी लंबी साँसें लेते हुए लेटे थे ...
एक दूसरे को अपने अंदर महसूस कर रहे थे .....ये था शायद लंड और चूत का सम्पुर्न मिलन ....
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11-17-2018, 12:53 AM,
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--32
गतान्क से आगे…………………..
घर जाने से ज़्यादा मुझे भैया से मिलने की खुशी ज़्यादा हो रही थी ..हम सिर्फ़ तीन या चार दिन ही अलग थे , पर ऐसा लग रहा था जैसे कितना अरसा हो गया उन से मिले...उनके सीने से लग उनकी बाहों में चिपकने को मैं पागल हो रही थी ..उफ्फ ...मेरी चुचियाँ उनके सीने से लगने को फडक उठी थी .....उनकी याद से निपल्स कड़क हो गये थे ....बस अब तो ये हाल था के कैसे घर पहुँचू और भैया को बीस्तर में लीटा उन्हें उछल उछल कर चोद दूँ ....
हम सुबह तड़के ही होटेल से चेक आउट हो गये ...होटेल की कार से एर पोर्ट और फिर एक घंटे के बाद हम अपने सहर के एर पोर्ट में लॅंड कर रहे थे..
लगेज कलेक्ट कर बाहर निकले हम दोनों....मेरी निगाहें दौड़ रही थी ...किसी को ढूँढ रहीं थी ..भीड़ में उसे ....और वो दीखे भैया हाथ हिलाते हुए ....मैं लगेज ट्रॉल्ली छोड़ते हुए उनकी ओर भागती हुई उन्हें अपने गले से लगा लिया.....उन्होने भी अपनी बाहों में जकड़ते हुए अपने चौड़े सीने से लगा लिया ;
" भैया ...भैया ....मैने बहुत मिस किया आप को ....."
"हाँ दामिनी मैने भी " मेरी जीन्स के उपर उनका लौडा चुभ रहा था ..
मैं झूम उठी इस मदभरी चूभन से ...
"अरे बाबा दोनों भाई -बहेन अपना सारा प्यार यही दीखाएँगे या घर भी चलना है..??" मम्मी ने मेरे गालों को हथेली से जकड़ते हुए कहा ...
और फिर हम दोनों अलग हुए और बाहें थामे कार की ओर चल पड़े ..
घर पहुँचते ही मम्मी और पापा तो अपने कमरे में चले गये ..मम्मी भी पापा के लिए बहुत पागल थी , उन दोनों का आपस में अभी भी इतना प्यार था ..कमरे में जाते ही उन्होने दरवाज़ा बंद कर लिया ..
फिर क्या था ...भैया ने मुझे अपनी गोद में उठाया और अपने कमरे में मुझे पागलों की तरह चूमते हुए बीस्तर पर लीटा दिया
"उफ़फ्फ़ दामिनी...मेरी रानी बहना ....बस अब और मुझे छोड़ कर मत जाना ..मैं मर जाऊँगा ..मेरी बहना ...मैं मर जाऊँगा ...."
बार बार मुझे चूम रहे थे और कहते भी जा रहे थे ...मेरे गालों को. मेरे चूचियों को , मेरे गले पर ...जहाँ भी मन करता मुझे चूमे जा रहे थे और मैं उनके इस प्यार की गंगा में नहा रही थी ..मेरा रोम रोम उनके इस प्यार से सिहर उठा था ...उनके एक एक हरकत से , उनके मेरे बदन छूने से प्यार टपक रहा था ..मैं निहाल थी ..
"हाँ भैया .हाँ ...मैं अब कभी भी आप को नहीं छोड़ूँगी...मैं भी तो कितनी पागल हो रही थी आप के लिए .." मैने भी उनसे और , और , और जोरों से चिपकते हुए कहा ...मैने अपने पैर उनकी चूतड़ के उपर दबाते हुए उन्हें जाकड़ लिया था और अपने हाथ उनकी गर्दन के चारों ओर ले जाते हुए अपने से बुरी तरह चिपका लिया ...
उनका लौडा इतना कड़क था ..मेरी चूत में जीन्स के उपर से ही लगता था घुस जाएगा ... हम दोनों एक दूसरे को बस पागलों की तरह चूसे , चाटे और चूमते जा रहे थे
मैं उठी और उनके पॅंट का ज़िप खोल दिया ...अपनी जीन्स और पैंटी भी उतार दी ...उनके मुँह की तरफ मेरी चूत रखते हुए उनके लौडे को अपने हाथों से थाम लिया ..उसे चूमने लगी ..अपनी आँखों के उपर लगाती रही ...
" ओह्ह्ह ऊवू मेरे प्यारे प्यारे लौडे ..अब कभी मेरी चूत से अलग नहीं होना ..समझे ..?" और मैने उनके खड़े लौडे पर हल्की थप्पड जड़ दी ..और पूरे का पूरा अपनी मुँह के अंदर लेते हुए चूसने लगी ...
भैया सिहर उठे ....उन्होने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से जकड़ते हुए मुँह में ले लिया और इतने जोरों से चूसा ..मेरा बहता हुआ रस सीधा धार मारता हुआ उनके अंदर जाने लगा ..लगातार..
मैं भी उनके लौडे को जोरों से सहलाते हुए चूसे जा रही थी ..जैसे मैं कितनी भूखी थी ...
हम दोनों सही में एक दूसरे के लिए पागल थे...बस चूस रहे थे ..चाट रहे थे..
भैया का बुरा हाल था
"हाँ ..हाँ मेरी रानी ..मेरी बहना ...उफफफफ्फ़ .....चूस ले ..खा ले ....मेरा पूरा लौडा ...हाँ मेरी जान ..पूरे का पूरा .....उफफफ्फ़ ..आज कितने दीनो बाद तेरी चूत का स्वाद ले रहा हूँ .....हाँ मेरी दामिनी ...हाँ चूस चूस और ज़ोर से चूस ..."
मैने इतने जोरों से उनके लौडे पर जीभ फिराते हुए उसे चूसा ..उनके लौडे ने मेरे मुँह में पिचकारी छोड़ दी .मैने अपने हाथों से उसे जाकड़ लिया और मुँह के अंदर ही झट्के पर झटका लेती रही ..मेरा पूरा मुँह भर गया था उनके वीर्य से ....और मैं चूतड़ उछल उछल कर उनके मुँह में झाड़ रही थी ..
दोनों एक दूसरे के भूखे अपने अपने बदन का रस निकाल निकाल कर पीलाए जा राहे थे ... एक दूसरे में समाए जा रहे थे ....मैं उनका लंड हाथों से थामें अपने मुँह में अंदर रखे उन के उपर निढाल थी और अपनी चूत उनके मुँह पर रखे अपना रस उन्हें पीलाए जा रही थी ..पिलाए जा रही थी ... ना जाने कब तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को पी रहे थे ....एक दूसरे का रस अंदर ले रहे थे ..अपनी अतृप्त भूख मिटाने की कोशिश में जुटे थे....
भैया का मुरझाया लंड मेरे मुँह में था..पर मैं उसे अपनी हथेली से पुच्कार्ते हुए धीरे धीरे चूसे जा रही थी ..उसका एक एक बूँद वीर्य मैं अपनी जीभ से चाट ती जाती...कितने दिनों बाद मिला मुझे इस अमृत जैसे रस का स्वाद ..उधर भैया भी मेरी चूत से रीस्ते पानी को सतासट जीभ से चाटे जा रहे थे ..
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