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RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--20
गतान्क से आगे…………………..
मैं बार बार उनकी इतनी प्यारी मालिश से झड़ती जा रही थी ...चूत से लगातार पानी बह रहा था ...उफ़फ्फ़ आज भैया जाने क्या करनेवाले थे ...
भैया का भी बुरा हाल था ..उनका लंड फूनफक्कर रहा था ..एक बार तो मैं डर गयी के मेरे गान्ड की तो आज खैर नहीं ..पर भैया का इंतज़ाम था ..मुझे ऐसा कुछ भी नहीं हुआ..
अब तक मेरे गान्ड की होल और चूतड़ो के बीच की जागेह लगातार मालिश से एक दम चिकनी और मुलायम थी और उंगली और अंगूठे के डालने से थोड़ी खूल भी गयी थी ...
भैया ने अब आइस क्रीम की पॅकेट खोली ..मैने समझा था के वो मेरी चुटडो के बीच आइस क्रीम डाल उसे चाटेन्गे ..पर भैया के ढंग भी निराले थे ...
उन्होने आइस क्रीम मेरे गान्ड की होल पर डाला और मुझे कहा "दामिनी ..अब तैयार हो जा ..मैं लंड डालने जा रहा हूँ .."
" हाँ भैया जल्दी डाल दो ..अब मुझ से बर्दाश्त नहीं होता ..तुम रूकना मत ...मेरे दर्द की परवाह मत करना भैया ..प्लज़्ज़्ज़ .."
गाम्ड की होल के उपर आइस क्रीम की परत थी ,,भैया ने आइस क्रीम की परत के उपर अपना लंड रखा और आइस क्रीम सहित लंड अंदर पेलना शुरू कर दिया ...बहुत धीरे धीरे ...तेल की मालिश , जीभ की चाटाई और उंगली डालने से होल ढीला हो गया था ..थोड़ा अंदर गया ..और उसके साथ आइस क्रीम भी ....उफफफ्फ़ ये एक ऐसा महसूस था मेरी गान्ड के अंदर ... ठंडा ...दर्द जो होता भी , आइस क्रीम की ठंडक के अहसास ने ख़त्म कर दिया ...और जैसे जैसे उनका लंड अंदर जाता...ठंडक का अहसास बढ़ता जाता ....आइस क्रीम की मलाई से फिसलन भी हो रही थी अंदर ..लौडा जाने में आसानी हो रही थी और ठंडक भी महसूस हो रहा था ..जिस से दर्द का अहसास नहीं के बारबर था .....वाह भैया ...
अब उनका पूरा लौडा अंदर था ...दर्द भी था थोड़ा थोड़ा और ठंडक भी ...उफफफ्फ़ इसे ही कहते हैं मीठा दर्द .... सही में मीठा था
जब पूरा लौडा अंदर चला गया उन्होने ने फिर थोड़ी आइस क्रीम लौडे और गान्ड के होल के बीच डाल दी ...और लौडा धीरे धीरे बाहर खींचने लगे ..आइस क्रीम पिघलते हुए अंदर जा रही थी ....उफफफफ्फ़ ...इस महसूस को मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती ..आज भी जब याद आती है ..मेरा तन बदन सिहर उठता है ...
धीरे धीरे पूरा लौडा बाहर आ गया ..याने अब लौडे को अंदर जाने में कोई दिक्कत नहीं थी ...
अब मेरी गान्ड में बची खुचि आइस क्रीम पिघल पिघल अंदर रीस्ती जा रहही थी ..दर्द आइस क्रीम की ठंडक से बिल्कुल जाती रही ...उफफफफ्फ़ गरम गान्ड में ठंडी आइस क्रीम ..एक अजीब ही अहसास था ....गान्ड के अंदर सूर सूरी महसूस हो रही थे ..
अब भैया ने थोड़ा तेल जल्दी से अपने लौडे में लगाया और फिर मेरी कमर पर हाथ रख उसे उठाया और लौडा गान्ड पर रखते हुए थोड़ी जोरदार पुश की ..इस बार फतच से पूरा लौडा अंदर था ..और मेरा पूरा बदन सिहर उठा ...
धीरे धीरे उनकी स्पीड बढ़ती गयी . धक्का ज़ोर पकड़ता गया और मैं मस्ती की गोद में हिचकोले ले रही थी और भैया भी चिल्ला रहे थे ..""उफफफ्फ़ दामिनी कितनी टाइट है तुम्हारी गान्ड ...उफ़फ्फ़ ..लगता है जैसे किसी ने मेरा लंड मुट्ठी में जाकड़ रखा हो .."
" हाँ भैया ..तुम मारो ..अपनी बहेन की गान्ड ..मारो ना राजा भैया ..अफ रुकना मत " और मैं अपनी चूतड़ और उपर उछाल देती ..उनका पूरा लंड अंदर ले लेती ....उफ़फ्फ़ गान्ड मरवाने में इतना मज़ा ..मैने सपने में भी नहीं सोचा था ....
उनके हर धक्के में चूत भी फड़फदा उठती ..लगता जैसे चूत में भी सूर्सूरी हो रही थी ...वहाँ तो सही में नदी बह रही थी ..मेरा तकिया पूरा गीला था ...भैया के लंड के पानी , तेल और आइस क्रीम से गान्ड का होल भी गीला था ..लंड फतच फतच अंदर जा रहा था ..भैया कभी कभी हाथ अंदर डाल मेरी चूत सहला देते ..कभी चुचियाँ मसल देते तो कभी मेरे चेहरे को उपर उठा होंठ चूम लेते ....
मैं मस्ती में सिसक रही थी , कराह रही थी , रो रही थी ..हाँ रो रही थी मस्ती का इतना जोरदार आलम था ..." भैया ..भैया ....आज मेरी जान ले लो ना भैया ..ले लो...." मैं रो रही थी ...
भैया से अब रहा नहीं गया ...उन्होने दो तीन जोरदार धक्के लगाए मेरी गान्ड में ..मेरा पूरा बदन हिल गया ..गान्ड चरमरा गया ..चूत फडक उठी और भैया ने " दामीणिूऊऊऊ ऊवू दामिनिओ " कराहते कराहते मेरी गान्ड में पिचकारी छोड़ते हुए मेरी पीठ पर ढेर हो गये ....उनका गरम गरम लावा गान्ड के अंदर हलचल मचा रहा था ...मैं आँखें बंद किए थी . पैर कांप रहे थे और चूत रस की धार छोड़ रही थी ...मैं कितनी बार झड़ी मुझे होश नहीं था ...
भैया का लंड सीकूड कर मेरे चूतडो के बीच फँसा था और भैया मेरी पीठ पर पड़े थे..उनकी गरम गरम साँसें मैं अपने पीठ पर महसूस कर रही थी ....
थोड़ी देर बाद मुझे अपनी पीठ पर कुछ हलचल महसूस हुई ..मूड कर देखा तो भैया उठ कर मेरी टाँगों को फैलाए चूतडो के बीच निहार रहे थे..
वो मेरी चूतदों के बीच से उनका वीर्य , आइस क्रीम और ऑलिव आयिल के मिले जुले एक हल्के गाढ़े मिक्स्चर को मेरी चूतड़ से रीस्ते हुए चूत की तरेफ जाते हुए बड़ी हैरानी से देख रहे थे ..
" उफफफ्फ़ दामिनी ....क्या मस्त सीन है ....कितना टेस्टी होगा ये तेरी गान्ड का मिक्स्चर ...." और फिर वे दोनों हाथों से मेरी चूतड़ अलग करते हुए टूट पड़े मेरी चूतड़ के बीच ...अपनी जीभ लंबी कर लॅप ..लॅप ..लॅप चाटने लगे .... उन्होने अपनी उंगली के टिप पर थोड़ा लगा ,मेरे मुँह में भी डाल दिया ...मैं भी पूरा चाट गयी ...सही में ..अद्भुत टेस्ट था ..आइस क्रीम का मीठा टेस्ट और उनके वीर्य का सोंधा नमकीन ..मिल कर एक बहुत ही मादक स्वाद का मज़ा दे रहा था ..
भैया ने तो मेरी गान्ड से मेरी चूत तक पूरे का पूरा साफ कर दिया चाट चाट के ...उनके चाटने से मैं सिहरन और गुदगुदी से मस्त थी .
चाटने के बाद वो मेरी बगल में लेट गये और मुझे अपनी ओर खींचते हुए अपने सीने से लगा लिया और पूछा ." दामिनी ..कैसी है तुम्हारी गान्ड..दर्द कर रहा है ..???"
मैं ने अपना सर उनके सीने से लगाते हुए कहा " नहीं भैया बिल्कुल नहीं ... आपके आइस क्रीम ने तो कमाल ही कर दिया ..भैया सच बताऊं ...? मुझे इतना मज़ा तो चूत की चुदाई में भी नहीं आया ....उफ़फ्फ़ क्या मस्ती थी भैया ..जीतने जोरों से और जितनी बार मैं आज झड़ी हू ना भैया ..पहले कभी नहीं ...और आप ने भी तो कितना ख़याल रखा ....भैया आइ लव यू ....लव यू..लव यू ....ऊओह भैया.." और मैं उन से लिपट गयी अपनी टाँगों से उन्हें जकड़ते हुए उनके होंठ चूसने लगी ....
" अरे बाबा मुझे सांस तो लेने दे .... " भैया बोल उठे ..फिर मैं अलग हुई ..भैया ने कहा " ठीक है बाबा ठीक है अब मैं तेरी गान्ड भी मार दिया करूँगा ...पर मुझे तो तेरी चूत के सिवा और कुछ दीखता नहीं मेरी रानी बहना ....उफफफ्फ़ मैं तो अभी तक प्यासा हूँ...बिना तेरी चूत के मैं शायद ज़रूर मर जाऊँगा ...."
मैने अपना हाथ उनके मुँह पर रखते हुए कहा " आज के बाद फिर कभी ऐसी बात मत करना भैया ...मेरी चूत क्या चीज़ है भैया ..? मेरा सब कुछ तो आप का है ..जब जी चाहे ले लो ना .."
और ये कहते हुए मैने अपनी टाँगें फैला दी ...चूत को भी अपनी उंगलियों से फैला दिया
" ले लो ना भैया ..ले लो ..चोदो , चाटो , चूसो .जो जी चाहे करो ना ..तुम्हारी ही तो है....आओ ना ..प्ल्ज़्ज़ "
भैया उठ कर साइड टेबल पर रखे आइस क्रीम के पॅकेट को उठाया और उसे खोल कर देखा ....अभी भी कुछ आइस क्रीम बच्ची थी पॅकेट में ..उनका चेहरा खिल उठा ...
उन्होने पॅकेट एक हाथ में लिया और मेरी टाँगों के बीच बैठते हुए मुझे कहा " दामिनी ..अपनी चूत फैला ना .."
मैं समझ गयी भैया क्या चाहते थे ..मैने झट लेटे लेटे ही चूत को अच्छी तरह अपनी उंगलियों से फैला दिया ....एक दम अच्छी तरह एक्सपोज़्ड था चूत की फाँक ..भैया ने दूसरे हाथ के उंगलियों से आइस क्रीम निकली पॅकेट से और मेरी चूत की फाँक में एक मोटी परत का लेप कर दिया ....मैं ठंड से सिहर उठी .....लगा जैसे सैकड़ों चीटियाँ मेरी चूत में रेंग रही हों ..आइस क्रीम का ठंडा पानी पिघलता हुआ मेरी चूत के अंदर भी जा रहा था ....ऊवू ..मैं मरी जा रही थी सिहरन से
फिर भैया भूखे बच्चे की तरह टूट पड़े मेरी चूत पर और आइस क्रीम खा रहे थे ..चाट रहे थे , चूस रहे थे ..आइस क्रीम और मेरे चूत की रस का मिक्स्चर ..भैया बस पागल हो उठे थे ...लॅप लॅप ..चॅप चॅप .....मैं भी सिसकारियाँ ले रही थी ...मेरा चूतड़ उछल रहा था ..भैया ने अपने हाथों से मेरी चुटडो को जाकड़ रखा था और बुरी तरह मेरी चूत पर हमला कर रहे थे ..अपनी जीभ ..अपना मुँह ...अपने होंठ सब कुछ वहाँ बारी बारी डाल देते ...
आआज भैया के चाटने , चूसने का अंदाज़ ही निराला था ...जैसे वो मुझे पूरी तरह अपने में समा लेना चाहते थे ...मेरे ग़ैरहाज़िरी में भी मुझे महसूस करने का पागलपन था ,जुनून था ..मैं भी बुरी तरह कांप रही थी ..मेरी टाँगें थर थारा जातीं उनके चूसने और चाटने के पागलपन से ..मैं बार बार पानी छोड़े रही थी ..चूतड़ उछाल उछाल कर ..
" उफफफफफफ्फ़..भैया अब बस भी करो ....उईईईई ...ऊऊऊओह ..बस ..बस ...अब और नहीं ..अब डाल दो अपना लंड ..प्लज़्ज़्ज़्ज़ .....डाल दो अब ..."
भैया ने फिर पहले की तरह जैसा उन्होने मेरी गान्ड मारने के पहले किया था ..थोड़ी आइस क्रीम मेरी चूत की फांकों के बीच लगाया ...और अपना लंड पेल दिया चूत के अंदर ....जैसा मुझे महसूस हुआ मैं बयान नहीं कर सकती ..लंड की गर्मी , आइस क्रीम की ठंडक और मेरे पानी की फिसलन ..लंड फिसलता हुआ पूरे का पूरा अंदर था .जड़ तक ..फिर उन्होने मेरी चूतड़ हाथों से जाकड़ उपर उठा उठा मेरी चूत में पागलों की तरह धक्के लगाने लगे ..जैसे मेरी चूत उन्हें दुबारा नहीं मिलने वाली .. हर धक्के में मेरी चूतड़ उछल पड्ति ..भैया इतने दिनों के चुदाई की कमी पूरी कर रहे थे ...बीच बीच में मेरी चुचियाँ भी चूस्ते जाते ..मुझे चूमते भी जाते..मेरे एक एक अंग का मज़ा ले रहे थे ...मैं भी सिहर उठती ...कांप उठ ती ..
क्रमशः……………………..
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11-17-2018, 12:50 AM,
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--21
गतान्क से आगे…………………..
मैं ज़्यादा देर टिक नहीं पाई और अपनी चूतड़ जोरों से उछालते हुए पानी का फवारा उनके लंड पर छोड़ते हुए झाड़ रही थी .भैया भी उसी समय मेरे फव्वारे की धार से सिहर गये और मेरी कमर जकड़ते हुए लंड चूत के अंदर जोरों से घुसाए रखा ..और मुझे जकड़े जकड़े ही उनका लंड झट्के पे झटका खा रहा था ..मेरी चूत में ...उनका गरम लावा मैं अपने अंदर महसूस कर रही थी ....मेरी चूत में उनके वीर्य की पिचकारी छ्छूट रही थी ..
हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह लिपटे थे ... भैया मेरे सीने पर सर रखे ढेर हो गये ... हम दोनों की साँसें टकरा रही थी ...
उस रात भैया ने रात भर मेरी चुदाई की ...और मैं भी हर बार उतने ही जोश , मस्ती और प्यार से अपनी टाँगें और चूत भैया के लिए खोले रखी और चुद्ति रही...चुद्ति रही ..
सुबह मेरी नींद खुली तो देखा घड़ी में 9 बज चूके थे ...इतनी देर तक मैं सोती रही और मुझे कुछ पता ही नही था ..भैया वहाँ नहीं थे ..शायद बीच में ही कभी अपने रूम में चले गये और मेरे उपर एक पतली सी चादर डालना नहीं भूले ..उनके इस लाड से मैं आत्म - विभोर थी ...इतना ख़याल था उन्हें मेरा ..
मेरे अंग अंग में एक मीठा सा दर्द था ...खास कर मेरी गान्ड में ...पर भैया की आइस क्रीम और ऑलिव आयिल के मिक्स्चर ने तो कमाल कर दिया था ...दर्द नहीं के बराबर था..
तभी मम्मी चाइ लिए आ गयीं ...
" ह्म्म्म्म..लगता है अभी ने काफ़ी ख़याल रखा तेरा रात भर ...सुबह बहुत मुस्कुरा रहा था ..." उनका गुनगुनाना भी जारी था .
मैने अपना चेहरा मम्मी के सीने से लगाते हुए कहा " क्या मम्मी आप भी ....और देखो ना आप भी तो अभी तक गुनगुना रहीं हैं ...पापा ने भी काफ़ी ख़याल रखा होगा रात भर ..." मैं भला कब पीछे रहनी वाली थी ...'" ही हीही .."
" हाँ वो तो है ..... तेरा भी ख़याल रखेंगे ना ...तू तो साथ जा रही है ना टूर पर.."
" पर मम्मी कितना अच्छा होता अगर हम सब साथ चलते ...उफफफ्फ़ क्या मस्ती करते हम सब साथ साथ.."
" अरे मेरी दामिनी रानी अभी तो बस अपनी ही मस्ती का ख़याल कर ...हम और अभी यहीं अकेले ठीक हैं ...तुम और पापा उधर और मैं और अभी इधर ..इसका भी एक अलग ही मज़ा रहेगा ..क्यूँ ???"
" ओह तुस्सी ग्रेट हो मम्मी .... बिल्कुल ठीक कहा ... उफफफफफ्फ़ मैं तो अभी से मरी जा रही हूँ ..."
और मैं मम्मी से लिपट कर उनके होंठ चूसने लगी ...और उनकी चूचियों से खेने लगी .....
" तू भी ना दामिनी ... चल छोड़ मुझे और तू भी उठ ...देख कितना देर हो गया है.. और तुझे जाने की तैयारी भी करनी है ..कल ही तो जाना है ... "
" हाँ वो तो है ...."
और मैं बीस्तर से उठी मम्मी चली गयीं किचन की ओर और मैं घुस गयी बाथरूम के अंदर .
मुझे चलने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी ...पर कुछ खास नहीं ...पहली बार गान्ड मरवाने का नतीज़ा था ... चूत भी कुछ सूज़ गयी थी ..भैया की ताबड़तोड़ चुदाई से ... उफफफफफ्फ़ क्या चुदाई हुई थी रात में ....मैं भी मस्त चुदवाइ और भैया तो बस ....ऐसे चोद रहे थे जैसे उन्हें मेरी चूत फिर दुबारा नहीं मिलने वाली ....लव युवूयूयूयुयूवयू भयियैययाया ....
मैने हॉट शवर लिया ...काफ़ी रिलॅक्स्ड फील हुआ ... और चाल में भी सुधार आ गया था .
उस दिन मैं कॉलेज नहीं गयी ...वैसे भी छुट्टियों से पहले वाले दिन कुछ पढ़ाई लीखाई तो होती नहीं थी ... सारा दिन सोती रही ...
मैं नींद में थी के अचानक मुझे अपने गालों पर कुछ हलचल सी महसूस हुई..मेरी आँखें खूल गयीं ..देखा तो मम्मी अपनी लंबी .पतली और सुडौल उंगलियाँ मेरे गालों पर फ़ीरा रहीं थी ..मेरे बगल में लेटी थी और मेरी ओर निहार रहीं थी ..बड़े प्यार से ..
" ऐसे क्या देख रही हो मम्मी..? " मैं आधी नींद में ही थी .
" देख रहीं हूँ , मेरी प्यारी बेटी कितनी मासूम लगती है सोते हुए , कोई भी तुम्हें प्यार किए बिना रह नहीं सकता .तभी तो तुम्हारे पापा और अभी तुम्हें इतना प्यार करते हैं ....और मैं भी ...."
और उन्होने मेरे चेहरे को अपनी भारी भारी और मुलायम चूचियों से लगाते हुए मेरे माथे को चूम लिया और फिर मेरे चेहरे को अपने हथेली से थामते हुए अपने होंठों से लगाया और मेरे होंठ चूसने लगीं ....मेरी नींद पूरी तरह टूट चूकि थी .
" ऊवू मम्मी क्या कर रही हो...उफ्फ ...."
" दामिनी तू कल तो चली जाएगी पापा के साथ ..आज तो ज़रा जी भर के प्यार कर लूँ ...जी भर तुझे सीने से लगा लूँ .."
" हाँ मम्मी मैं भी तो आप से अलग रहूंगी इतने दिनों ...." और फिर मैं उन से चिपक गयी और अपनी टाँग उनके जांघों पर रख दिया और अपना मुँह पूरा खोल दिया.
मम्मी की जीभ अंदर थी मेरे मुँह में और उनकी जीभ कमाल कर रही थी अंदर ..मेरे मुँह के हर कोने तक मम्मी की पतली और लंबी जीभ जा रही थी ..और मैं सिहर उठ ती उनके जीभ के हमले से ....लॅप लॅप ...मेरे तालू , मेरे गालों के अंदरूनी भाग , दाँत हर जगह ..जैसे मम्मी मुझे खा जाना चाहती हों ...
मैं उनकी मुलायम चुचियाँ हल्के हल्के मसल रही थी ...उनके निपल्स दबा रही थी ... उफ़फ्फ़ क्या चुचियाँ थी उनकी ...कितना मुलायम , पर भरा भरा ......
फिर मम्मी ने अलग होते हुए अपने कपड़े उतारे और मेरे कपड़े भी उतार दिए ...हम दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े .....एक दूसरे की बदन चूम रहे थे ..चूस रहे थे चाट रहे थे ..लॅप ..लॅप ..चप ...एक औरत दूसरे औरत को चाट रही थी ....कितना फ़र्क होता है ... मर्द उसे ख़ाता है ... औरत उसे चख़्ती है ..धीरे धीरे ..उसे खूबसूरत और नाज़ुक होने का अहसास दिलाती है .....पर दोनों का अपना अपना मज़ा है .....मैं किस्मेतवाली थी ..मुझे दोनों का मज़ा मिल रहा था ....
दोनों सिसकारियाँ ले रहे थे , और लगातार एक दूसरे को चखे जा रहे थे ..मम्मी एक पके आम की तरह थी ..हर जागेह मुलायम , भारी भारी और गुदाज ..मैं अधखिलि गुलाब थी तो मम्मी पूरी तरह खीली हुई गुलाब का महेकता फूल , उनके पूरे शरीर से एक मादक सुगंध आ रही थी..एक औरत की सुगंध , ये सुगंध ऐसी होती है किसी भी पर्फ्यूम से नहीं आती...बस मम्मी जैसी औरतों में आ जाती है ..बस आ जाती है ...मैं अपनी नाक मम्मी के पेट से लगाए उन्हें सूंघ रही थी ....चाट रही थी .चूस रही थी , मम्मी लेटी थी और अपने अलग ही अंदाज़ में मुँह खोले सिसकारियाँ ले रहीं थी ..
मम्मी का मुँह खुला रखने का भी बड़ा सेक्सी अंदाज़ था ..उनकी चमकीले दाँत आधे बाहर दिखते ..आधा मुँह खुला और जीभ थोड़ी सी बाहर ...सिर्फ़ इतना के जीभ दीखाई दे ...मुँह के अंदर ही से ..और धीरे धीरे आहें भरती ....उफफफफफफफ्फ़ ..लगता था जैसे किसी और ही दुनिया में खोई हैं ..अपनी मस्ती में सब कुछ भूल चूकि हैं ....वो एक सम्पूर्न रूप से औरत और सेक्स की मूर्ति थी ...उपर से नीचे ...
उनकी टाँगें खुली थी ....अगर मैं एक मर्द होती ..फ़ौरन अपना लौडा अंदर पेल देती ...पर एक औरत भी औरत का मज़ा ले सकती है और मज़ा दे भी सकती है..और हम दोनों येई कर रहे थे ..
मैं मम्मी के टाँगों के बीच आ गयी ...उनकी चूत अपनी उंगलियों से फैलाई ...उफफफफफफ्फ़ .....उनकी चूत की फांके पूरी तरह खुली थी , उनकी चूत की पंखुड़ीयाँ पतली पतली पूरी तरह खीली गुलाब के फूल की पंखुड़ियों की तरह थी ..मैने अपना मुँह चूत से लगाया ..कितनी गीली थी और एक मादक खुश्बू ...
मैं मचल उठी इस खुश्बू से और फ़ौरन अपनी जीभ वहाँ लगा दी और चूत की पूरी लंबाई चाटने लगी ...मम्मी की चूतड़ उछल पड़ी ..उनका मुँह और खूल गया ..."आआआह ...अया ...हाँ बेटी ..चाटो ..चाटो ... " उनकी चूत की पंखुड़िया फदाक रहीं थी ...मेरे चाटने से ..उनकी चूत से पानी की धार मेरे मुँह में जा रही थी , मैं गटके जा रही थी .....उनकी चूत का मुँह और भी खूल गया था ...अब मुझ से रहा नहीं गया और मैने अपनी जीभ उनकी चूत में घुसेड दी और लॅप लॅप , सटा सॅट अंदर बाहर करने लगी ..मम्मी भी सहेन नहीं कर सकीं ..दो ही चार बार में उनके चूतड़ जोरों से उछल पड़े ...एक बार .दो बार ..बार बार और वह बुरी तरह मेरे मुँह में रस की फुहार छोड़ रहीं थी ..मेरे पूरे चेहरे में उनकी चूत का पानी फैला था ......वो हाँफ रही थी और फिर सुस्त हो कर आँखें बंद किए पड़ी थी ...
मैं अपनी चूत में उंगली किए जा रही थी .टाँगें फैलाए ...जोरों से ..आँखें बंद किए ..उंगली उपर नीचे ..उपर नीचे ...अपनी चूत की घुंडी मसल्ति जाती ..बुरी तरह झडने को बेताब थी ...तभी मम्मी उठी और मुझे लीटा दिया ..मेरी टाँगें खोल दी और अपनी जीभ से टूट पडी मेरी चूत पर .... लॅप ..लॅप उनकी पतली और लंबी जीभ मेरी चूत की लंबाई नाप रही थी ..मैं मस्ती में कराह उठती ..अपने अंघूठे से मेरी चूत की घूंड़ी दबाती जाती और घिसती भी जातीं ...और जीभ लगातार उपर नीचे ...अफ इस दोहरी मार को मैं झेल नहीं पाई ....और अपनी चुटड उछालते हुए मम्मी के मुँह में "ओओओओओह मुमयययययययययययी ..मम्मियययययययययी " करते हुए रस का फव्वारा छोड़ दिया ..जैसे मेरा चेहरा गीला था उनके रस से //उनका चेहरा भी मैने गीला कर दिया ....
मम्मी मेरे उपर लेट गयीं , मैं उनके गाल चाट रही थी और वो मेरा ...अपना अपना रस हम खुद चाट रहे थे ....
दोनों एक दूसरे की बाहों में पड़े थे ...एक दूसरे की चुचियाँ अपनी चूचियों से चिपकाए हुए .....लंबी साँसों से दोनों की चुचियाँ एक दूसरे को दबा रही थी ...उफफफफफफफ्फ़ ..ये भी एक अलग ही अनुभव था ..फूल ने कली को अपनी पंखुड़ियों के घेरे में छुपा लिया था ....
उस रोज मम्मी के लाड और प्यार का एक अलग ही ताजूर्बा था ..उसके बाद मैने अपने आप को बहुत ही तरो -ताज़ा और हल्का महसूस किया ....बदन जैसे हवा में उड़ रहा हो...मेरे बदन का सारा दर्द जाता रहा .औरत से औरत के प्यार में सिर्फ़ एक दूसरे को देने की भावना होती है ...इसका भी एक अपना अलग ही मज़ा होता है ...हमारे घर में कितना प्यार था ..कितनी मुहब्बत थी एक दूसरे के लिए ...
क्रमशः……………………..
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--22
गतान्क से आगे…………………..
पापा के साथ जाने का भी मुझे एक अलग ही एग्ज़ाइट्मेंट था ..... मैं उनके साथ रहने की कल्पना मात्र से सिहर उठ ती .....हमारे बीच कोई नहीं होगा ..बस मैं और पापा और हमारा एक दूसरे के लिए असीम प्यार ..उफफफफफफफफ्फ़ ..कितनी मस्ती रहेगी ...मैं सोच सोच कर झूम उठ ती ..
उस रात काफ़ी देर तक पॅकिंग वग़ैरह में बिज़ी रही और सुबह की फ्लाइट से हम दोनों चल पड़े एक मस्ती भरे सफ़र की ओर ...
भैया और मम्मी दोनों एरपोर्ट तक आए थे साथ , हमें सी ऑफ करने .भैया कुछ उदास थे..
" अरे यार अभी.." पापा ने बड़ी बेतकलुफ्फि से कहा ..." कम ऑन चियर अप... ऐसे उदास रहोगे तो मेरी बीबी का ख़याल कैसे रखोगे बर्खुरदार ..? " उन्होने भैया को आँख मारते हुए कहा ..
" हाँ भैया ..पापा बिल्कुल ठीक कह रहे हैं ....और मैं कौन सा हमेशा के लिए जा रही हूँ..बस कुछ दिनों की ही तो बात है..और हम तो रोज याहू पर चॅट तो करेंगे ही ना.....और हाँ यहाँ की सारी रिपोर्ट हमें ई-मैल से रोज मिलनी चाहिए ....ही ही ही ही .."
मेरे और पापा की बातों से भैया के चेहरे पे मुस्कुराहट आई उन्होने मम्मी को उनके कमर से जकड़ते हुए अपनी ओर हल्के से खींचते हुए कहा "
"हा हा हा...पापा डॉन'ट वरी , आप की बीबी का ख़याल मैं अगर अपनी बीबी होती भी ना ..उस से ज़्यादा ही रखूँगा ....और दामिनी मेरी फिकर मत करना ...जस्ट एंजाय युवर ट्रिप ...तुम भी डेली रिपोर्ट भेजना .....ओके..?? "
" हाँ ये हुई ना मर्दों वाली बात ...." पापा ने भैया की पीठ थपथपाते हुए कहा ..और फिर हम दोनों एर पोर्ट के चेक इन काउंटर की ओर बढ़ने लगे...
इस सफ़र में मैने पापा का एक अलग ही रूप देखा ..एक दम खुशनूमा , चहकता और जवान ..शायद मुझ में उन्हें मम्मी की जवानी दीख रही थी , ..उन्हें अपने जवानी के दिन याद आ रहे थे और उन्होने अपने आप को भी उसी रूप में ढाल दिया ..पूरे सफ़र के दौरान वूह मुझ से ऐसा बिहेव कर रहे थे जैसे कोई अपनी नयी नवेली दुल्हन से करता हो ..मेरी छोटी से छोटी ज़रूरतों का ख़याल रखते , कभी कोल्ड ड्रिंक्स तो कभी स्नॅक्स ..हर मिनिट कुछ ना कुछ प्लेन के काउंटर से ले आते , मैं भी पापा के इस बदले रूप का मज़ा ले रही थी ..हम दोनों को देख कोई नहीं कह सकता था हम दोनों बाप -बेटी हैं ..और पापा की सेहत और फिगर अच्छी होने के मारे वो लगते भी बिल्कुल कॉलेज गोयिंग की तरह ...मैं भी पापा के इस रूप का पूरी तरह साथ दे रही थी ..कॅबिन क्र्यू बड़े हैरान थे हमें देख ..हम ने अपने रिश्ते के बारे किसी से कुछ नहीं कहा था ..बस एक सस्पेंस बनाए रखा ....और उनकी हैरानी का मज़ा लेते रहे हम दोनों ...
पापा मुझ से बातें करने के बहाने अपना मुँह मेरे कान से सटा ते ..पर कुछ बोलने की बजाय मेरे कान अपनी जीभ से चाट जाते ...हल्के हल्के जीभ फिराते ..और मैं उन्हें नयी नवेली दुल्हन की तरह प्यार से धकेल देती ....कभी वो मेरी जंघें सहलाते ..कभी सब से नज़रें बचाते मेरी चूत मेरी जीन्स के उपर से ही सहला देते .पूरे सफ़र उन्होने मुझे बिज़ी रखा ..मैं भी उनके इस छेड़खानी का भरपूर मज़ा ले रही थी ..
और इस छेड़खानी का नतीज़ा था ..हम दोनों बिल्कुल गरम थे ... उनका लौडा फंफना रहा था और मेरी चूत गीली थी .उनका लौडा मेरी चूत ढूँढ रहा था और मेरी चूत उनका लंड ..दोनों बेताब थे ..
तभी प्लेन के लॅंडिंग होने की अनाउन्स्मेंट हुई ..हम दोनों अलग हुए और सेफ्टी बेल्ट बाँध ली ..प्लेन बड़े स्मूद्ली बिना किसी झट्के के लॅंड कर चूकि थी ..
बाहर होटेल की कार खड़ी थी हमें लेने को .. बाप - बेटी के हनी मून ट्रिप की धमाकेदार शुरुआत हो चूकि थी ..
जिस होटेल में हम जा रहे थे वो शहर का एक नामी 5 स्टार होटेल था और पापा हमेशा यें आया करते थे जब भी उनका यहाँ टूर होता ..इसलिए वहाँ उन्हें VईP ट्रीटमेंट मिलता ...और उनकी बेटी होने के कारण मुझे तो और भी ज़्यादा भाव वहाँ मिल रहा था ..
रूम में पहुँचते ही फूलों की बुके से हमारा स्वागत हुआ , कोल्ड ड्रिंक्स ऑफर हुआ .. एक अटेंडेंट हमारा समान वग़ैरह ले आया और तरीके से लगा चला गया ...कहने की ज़रूरत नहीं रूम सर्विस काफ़ी एफीशियेंट थी ..पर हम तो जल्दी से अकेले होने का इंतेज़ार कर रहे थे ...
प्लेन में पापा की हरकतों की गर्मी अभी भी मेरे तन बदन में आग लगा रही थी ..
जैसे ही अटेंडेंट बाहर गया ..मैने दरवाज़ा अंदर से बोल्ट कर दिया ...
पापा बीस्तर पर लेटे थे सिर्फ़ शॉर्ट्स में ...मैने अपने दोनों पैर उनके दोनों ओर रखते हुए उनके लौडे के उपर बैठ गयी और अपनी चूतड़ घिसने लगी ....
" कम ऑन पापा ....मेरे दूल्हे राजा ... अपनी नयी नवेली दुल्हन को छोड़ आप लेटे हो..? दिस ईज़ नोट फेर .."
पापा मुझे बस देखते रहे ...मैने अपनी चूतदों का घिसना जारी रखा........थोड़ी देर तक मुझे बड़े प्यार से निहारते रहे और फिर कहा
" दामिनी ..मैने पीछले जन्म में ज़रूर कुछ अच्छा काम किया होगा .."
मैं हंस पड़ी और कहा " अरे पापा आप पीछले जन्म को भूलो और इस जन्म का मज़ा तो लो ना ...कम ऑन पापा ....मैं कितनी गर्म हो रही हूँ..और देखिए ना मेरी होल में भी कुछ कड़ी सी चीज़ महसूस हो रही है..हिहीही .."
" हाँ येई तो है ना दामिनी ....मुझे इतनी समझदार और प्यारी सी बेटी मिली... तुम इतनी जल्दी सब कुछ समझ जाती हो ....तुम्हें मेरे दिल की बात समझ आ गयी ....हाँ दामिनी ...तुम्हें देखता हूँ ना , मुझे तुम्हारी मम्मी की जवानी याद आ जाती है ..और मैं भी अपने को फिर से जवान महसूस करने लगता हूँ.....
तुम्हें तो मालूम ही होगा हमारी शादी ऐसे ढंग से हुई के हम लोग एक ट्रडीशनल शादी का पूरा मज़ा नहीं ले पाए ..हम ने तो सुहागरात भी ठीक से नहीं मनाई ..तेरी मम्मी को घर छोड़ कर आना पड था ना..
इसलिए मैं तुम्हें अपने साथ अकेले लाया के जो मज़ा मैं उस समय नहीं ले पाया ..कम से कम तुम्हारे साथ अब तो ले सकूँ ..."
"हाँ पापा मुझे सब मालूम है आप दोनो के बारे ..आप ने भी कितनी हिम्मत दिखाई थी , मम्मी का आप ने हमेशा साथ दिया .... ऊवू पापा मैं भी तो अपने आप को लकी समझती हूँ , आप जैसा ख़ूले और आज़ाद ख़यालों वाला बाप हमें मिला ... "
" और हाँ कुछ येई हाल तेरी मम्मी का भी है दामिनी..इसलिए अभी और कम्मो को मैने वहाँ अकेले छोड़ा ..के तेरी मम्मी भी अभी के साथ अपनी जवानी के दिन फिर से जी ले..."
पापा के इस बात से मैं भौंचक्की हो गयी..यानी पापा को मालूम था भैया और मम्मी के बारे ..
मैने आँखें फाड़ते हुए उनकी तरफ देखा और कहा " मतलब आप को भैया और मम्मी के बारे....?"
" हाँ दामिनी मुझे सब मालूम है तेरे और अभी के बारे भी ....इस रिश्ते में कोई बुराई नहीं बेटी ..आख़िर हम सब अपने ही तो हैं ना .? बिल्कुल अपने , बिल्कुल नज़दीकी ...और इस रिश्ते को और नदज़िक और मधुर बनाने का इस से अच्छा और क्या तरीका हो सकता है ..??"..मैं बस हैरान सी सुनती जा रही थी और पापा बोले जा रहे थे ..उनकी बातों में काफ़ी वज़न था ..." तेरी मम्मी हमेशा मुझे बताती रहती हैं ....और बेटी एक बात का ध्यान रखना हम इस रिश्ते को बिल्कुल वैसे ही चलने देंगे जैसा अभी चल रहा है ...मतलब लेट अस कीप इट लाइक आन ओपन सीक्रेट...जैसा कम्मो ने कहा है ना के मैं तुम तीनों के बीच नहीं आउन्गा ....बस ये हमेशा ऐसे ही रहेगा ..."
" पर क्यूँ पापा ..?? आप भी रहेंगे तो कितना अच्छा रहेगा ..?? "
" देख बेटा मैं समझता हूँ ... पर तू नहीं जानती मेरे रहने से अभी उतना खुला खुला नहीं महसूस करेगा ..वो ज़रा शाइ नेचर वाला है ना ..इसलिए अभी फिलहाल ऐसे ही चलने दो ..समय आने पर देखा जाएगा ...ओके ?? "
पापा शायद ठीक थे भैया थोड़े शाइ और ज़रा सीरीयस टाइप के थे ..और पापा के साथ रहने से उनमें फिर वो बात नही आ पाती .....
मैं पापा से लिपट गयी और उन्हें चूम लिया ... " पापा यू आर दा बेस्ट पापा ..यू आर दा बेस्ट ..ऊऊऊओ आइ लव यौउउउउउउ ..लव यू सो मच....."
" और तू भी तो मेरी कितनी प्यारी प्यारी रानी बिटिया है ...." और उन्होने मुझे अपने सीने की तरफ खींचते हुए अपने चौड़े सीने पर बिठा लिया ....मेरे जीन्स को मेरे चूतडो से नीचे कर दिया..मेरी पैंटी भी जीन्स के साथ उतर गयी ..मेरी चूत पापा के मुँह के सामने थी ....
पापा ने अपने सर के नीचे एक और तकिया लगा लिया , उनका मुँह मेरी चूत से बिल्कुल लगा था..उनकी गर्म गर्म साँसों का गर्म गर्म झोंका मेरी चूत की फकॉं में महसूस हो रहा था ....उन्होने अपनी नाक मेरी चूत में लगाई और सूंघने लगे और एक लंबी सांस अंदर ली
" उफफफफफफ्फ़ ....दामिनी ..तेरी जवान चूत की महेक अलग ही है ..मन करता है इस महेक को अपने अंदर हमेशा के लिए समा लूँ ..." कितना रोमॅंटिक मूड था ...उन्होने तीन चार बार लंबी लंबी साँसें लेते हुए मेरी चूत की महक अपने जेहन में समाते रहे ..मैं आँखें बंद किए उनके रोमॅंटिक मूड का मज़ा ले रही थी ..
फिर उन्होने अपनी जीभ निकाली और हाथों से चूत फैलाते हुए जीभ अंदर डाल दी और चाटने लगे मेरी गीली चूत .. उपर नीचे ..उपर नीचे ...मैं सिहर उठी ..उनके सीने में मेरे चूतड़ अक्षेल रही थे और चूत का पानी जीभ से चाट चाट पापा पूरे का पूरा मुँह में ले लेते ..फिर कभी अपने होंठों से फांकों को जाकड़ जोरों से चूस डालते ..मुझे ऐसा लगता जैसे मेरे अंदर से कुछ बह रहा है ...मैं कांप रही थी ..तभी मैने भी अपने हाथ पीछे करते हुए उनकी ज़िप खोल उनका तननाया लौडा अपने हथेली से जाकड़ लिया और सहलाने लगी ..पापा इस हमले से और भी जोश में आ गये और उनकी मेरी चूत चाटने की स्पीड ज़ोर पकड़ती गयी ....मैं कांप रही थी और उनके लौडे को और जोरों से जाकड़ लेती और उसकी चॅम्डी उपर नीचे करती जाती ...उफफफफफ्फ़ दोनों मस्ती में सब कुछ भूल चूके थे ...
और फिर हम ने अपने हथेली में पापा के लंड से गर्म गर्म लावा की फुहार महसूस की ....मैने पूरा अपने हाथों में लिया ..फिर भी इतना तेज़ फवररा था ..बीस्तर पर भी गिरा और उसके साथ ही मैने भी चूतड़ उछलते हुए पापा के चेहरे पर पानी का फावाररा छोड़ना शुरू कर दिया .....".पपाााआआअ .....उईईईई ....." पापा ने मेरी कमर जकड़ते हुए अपना मुँह मेरी चूत में लगा दिया और पूरे का पूरा पानी अंदर ले रहे थे ...
हम दोनों शांत हो गये .... सफ़र की गर्मी और थकान भी शांत हो गयी थी .
क्रमशः……………………..
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11-17-2018, 12:50 AM,
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--23
गतान्क से आगे…………………..
पापा कुछ देर बाद उठ गये ...मैं लेटी ही थी ..
" बेटी तू लेटी रह आराम कर .. " और वे बातरूम के अंदर थे ..उन्हें किसी क्लाइंट से मिलना था ..तैयार हो कर बाहर आए..
" मैं जा रहा हूँ दामिनी...शाम तक आ जाऊँगा ..तुम रिलॅक्स करो ..कुछ भी ज़रूरत हो रूम सर्विस को रिंग कर देना ...और कहीं बाहर जाने का मूड करे ..उन्हें कार के लिए बोल देना ... ओके ..??'
"डॉन'ट वरी पापा ..वैसे भी आज मेरा कहीं जाने का मूड नहीं ..आज तो बस सिर्फ़ रिलॅक्स करूँगी ... "
" हाँ खूब रिलॅक्स कर लो ....आज रात हम लोग सुहाग रात मनाएँगे ना....हा हाहा हा ..! "और उन्होने मुझे चूम लिया
" ऊऊओ पापा ..एसस्स्स्सस्स.....मैं आपकी नयी नवेली दुल्हन और आप मेरे दूल्हे राजा ...उफफफफफ्फ़ कितना मज़ा आएगा ....आप जल्दी आ जाना प्लज़्ज़्ज़्ज़..."
" यस बेटी , आइ विल ट्राइ ...ठीक है मैं जा रहा हूँ ..बाइ ..अपना ख़याल रखना..."
" यस पापा ..आप भी अपना ख़याल रखना , " और फिर पापा बाहर निकल गये ...
दरवाज़ा लगा मैं फिर से लेट गयी .... रात के सुहाग रात की कल्पना से सिहर उठी थी मैं ...तभी मुझे ख्याल आया क्यूँ ना घर की खबर ली जाए ...भैया और मम्मी के हनी-मून का क्या हाल है..मेरे होंठों पर एक शरारत भरी मुस्कान थी ..मैने घर का नंबर डाइयल किया ...रिंग जा रहा था ..कोई उठा नहीं रहा था....लगता है दोनों हनिमून के मूड में कुछ ज़्यादा ही बिज़ी थे ....मैने दुबारा रिंग की ..... उधर से भरराई आवाज़ में भैया ने " हे-ए-ल्लो .." कहा
" ह्म्म्म लगता है भैया और मम्मी घर पहुँचते ही चालू हैं..ही ..ही .."
" उफफफफ्फ़ ..दामिनी तुम भी ना ..हाँ दामिनी ..मम्मी तो एक दम नयी नवेली दुल्हन बनी हैं ... काश तुम यहाँ होती उनका ये रूप देखने को...'" मुझे पीछे से मम्मी के सिसकारियों की आवाज़ आ रही थी ..लगता है भैया उनकी चूत यह चूची मसल रहे थे..
तभी मेरे दिमाग़ में एक बात आई और मैं मुस्कुरा उठी
" भैया ..वो तो मैं अभी भी कर सकती हूँ .."
" वो कैसे ..." भैया ने पूछा ..पर उनका हाथ कमाल दीखा ही रहा था ..मम्मी की सिसकारियाँ ज़ोर पकड़ रही थी
" वो ऐसे के आप फ़ौरन इंटरनेट ऑन करो ...याहू मेसेंजर लोग ऑन करो और वीडियो चाट ऑन करो....मैं भी ऑन कर रही हूँ होटेल का कंप्यूटर ...यहाँ भी वेब कॅम है ...उफ्फ भैया जल्दी करो ..प्ल्ज़्ज़ ..मैं मरी जा रही हूँ तुम दोनों को देखने को.."
और मैने फ़ौरन यहाँ का क्म्प्यूटर ऑन कर याहू मेसेन्जर लोग ऑन कर के अपना व्यू अड्जस्ट किया ..मैने अपने कपड़े पूरे उतार दिए थे...
थोड़ी देर बाद उनका रिक्वेस्ट आया वीडियो के लिए , मेरे आक्सेप्ट करते ही जो मैने कम्प्यूटर स्क्रीन पर देखा ..उफ़फ्फ़ क्या सीन था ..
मम्मी की मॅक्सी का सामने का हिस्सा पूरा उघ्ड़ा था और नीचे घुटनो तक उघ्ड़ा था ..आधी नंगी ..और वे भैया के एक हाथ पर पीठ लगाए अढ़लेटी पोज़िशन में उनके गोद पर बैठी थी इस तरह के भैया को मैं देख सकती थी ..और उन्हें भी ...मम्मी ने हाथ हिला कर हाई किया ..पर उनके चेहरे से लग रहा था वो कितनी मस्ती में थी ..वोई खुला मुँह ...
भैया ने मुझे हवा में किस किया ..मैने भी जोरदार किस किया अपने होंठों को गोल गोल कर ..
मैने टाइप किया " मम्मी टाँगें थोड़ी और फैलाओ ना .तुम्हारी चूत देखनी है .."
मम्मी के टाँगों की हरकत दीखी ..पर जो मैने देखा ..ऊवू ...मम्मी की चूत नही दीखी ..दीखा तो भैया का तननाया हुआ लौडा ..जो नीचे से उनकी चूत के अंदर डाला हुआ था ...और वे धीरे धीरे अपनी कमर उठा उठा कर लौडा उनकी चूत के अंदर ही अंदर घूमा रहे थे ...मम्मी की चूत और उनके लंड के बीच से पानी रीस रहा था ...मम्मी आँखें बंद किए , मुँह खोले मस्ती में थी और एक नयी नवेली दुल्हन की तरह भैया के सीने मे सर रखे शर्मा रहीं थी ..
मैं पागल हो उठी और अपनी चूत और टाँगों को फैलाया और एक उंगली वहाँ अपनी चूत में डाल कर घिसने लगी .
भैया भी आज पूरे मूड में थे और मम्मी को एक दुल्हन की तरह ट्रीट कर रहे थे ..उन्होने उनका चेहरा अपने दूसरे हाथ से उपर किया ... और उनके होंठ को चूम लिया धीरे से ...मम्मी का सिहरन मुझे साफ साफ दीख रहा था ..उन्होने अपने हाथ से भैया को अलग करने की नाकाम कोशिश की .एक दम जैसे कोई दुल्हन करे ...भैया ने उन्हें और जोरों से जाकड़ लिया और फिर जोरदार तरीके से होंठ चूसने लगे ....मम्मी ने अपना मुँह अलग करने की कोशिश की ..पर धीरे धीरे उनका विरोध ठंडा पड गया .उन्होने अपने आप को भैया के हवाले कर दिया था ..अपने दूल्हे राजा के हवाले ...और अब तो दुल्हन ने भी दूल्हे का सर अपनी तरेफ खींच अपने होंठों से भी उनके होंठों का साथ दे रहीं थे ..दोनों एक दूसरे को चूस रहे थे ...एक दूसरे के मुँह में घुस जाने की कोशिश में थे ...और इधर भैया का लंड भी उनकी चूत के अंदर हल्के हल्के अंदर बाहर हो रहा था ...पानी का रिसाव भी बढ़ता जा रहा था ...
मम्मी की चुचियाँ उछल रहीं थी ..काफ़ी कड़ी थी ...गुलाबी निपल्स एक दम कड़े कड़े ..सीधे उपर की ओर ...
भैया ने उनके होंठों से अपने होंठ अलग किए ..पर उनके मुँह में मम्मी के मुँह का थूक और लार भरा था ..उन्होने अपना मुँह उनकी कड़ी चूची पर लगाया और अंदर के थूक और लार चूचियो पर उगल दी और चूसने लगे बुरी तरह ...मम्मी की चूचिया जैसे भैया खा जाएँगे ...मैने देखा मम्मी उछल पडी उनकी गोद में ...उनका मुँह और खूल गया .... उफफफफ्फ़ कितनी सेक्सी लग रहीं थी मम्मी ...उनके हाव भाव बिल्कुल नयी नवेली दुल्हन की तरह थे ...
भैया का चूसना लगातार जारी था ....एक चूची उनके मुँह में थी और दूसरी उनकी हथेली के बीच ..एक चूची वह चूस रहे थे ..चाट रहे थे ..और कभी कभी हल्का दाँत भी गढ़ा देते ..मम्मी की आँखें बंद थी और मुँह खुला ...देख कर लग रहा था सिसकारियाँ ले रहीं थी..आहें भर रहीं थी ...और भैया ने अपनी हाथों का कमाल दीखया ..मम्मी एक दम से उछल पडी ..उन्होने अपनी हथेली से मम्मी के कड़े निपल को दबाया बड़े हल्के से और हथेली घूमाने लगे निपल के उपर ...निपल कड़ी होने की वाज़ेह से मम्मी के पूरे बदन में सनसनी छ्छा गयी थी ..मैने देखा उनका बदन कांप रहा था ...और साथ में भैया का लंड तो चूत को पूरी तरह मथ रहा था ..चूत को अंदर ही अंदर घिस रहा था ...दुल्हन के लिए अब सहन करना शायद मुश्किल हो रहा था ...
मैने देखा मम्मी की चूतदों में उछाल धीरे धीरे ज़ोर पकड़ रही थी और बदन भी कांप रहा था ..फिर उन्होने भैया को बुरी तरह जाकड़ लिया ..भैया ने भी उन्हें अपने सीने से चिपका लिया ...उनकी चुचियाँ भैया के सीने से दब कर एक दम फ्लॅट हो गयी थी ..इतने जोरों से भैया ने उन्हें जाकड़ रखा था ..
उफफफफफ्फ़ मैं भी अपनी उंगलियों से चूत घिसाई ज़ोर और जोरों से किए जा रही थी .
फिर जिस तरह मम्मी झड़ी .उफफफफफ्फ़ ..उन्होने भैया को जकड़े रखा ..कमर से उपर भैया से चिपका था और कमर से नीचे चूतड़ बार बार उछल रहा था , झट्के पे झटका खा रहा था ..भैया का लंड बाहर आ गया था और मम्मी की चूत से रस का फव्वारा भैया के पेट में जा रहा था ...रस की फुहार से भैया भी सिहर उठे ...थोड़ी देर बाद मम्मी भैया की गोद में शांत पड़ी थी...
भैया ने अपना लंड उनके हाथों में दे दिया ..उनका लंड बिल्कुल फूला ,फूला और कड़क तननाया था ..मम्मी ने ने उसे अपने हाथों से सहलाना चालू किया ..दो चार बार में ही भैया ने पिचकारी छोड़ दी ..मम्मी ने सारे का सारा वीर्य अपने मुँह में ले लिया...कुछ उनकी चूचियों पर भी गिरा ...
क्या सीन था ...मम्मी की चूचियो में वीर्य चमक रहा तहा ..उनके होंठों पर भी फैला था ..उन्होने अपनी जीभ से सब कुछ चाट चाट कर साफ कर दिया ..
मैं भी दूल्हे दुल्हन के खेल से मस्ती में आ गयी थी और लगातार पानी छोड़े जा रही थी ...
थोड़ी देर बाद मैं उठी , सीधे बाथरूम गयी ...शवर लिया ...बहुत हल्का फील हो रहा था मुझे ...मैं बेड पर लेट गयी .... मैं आज शाम के बारे सोच रही थी और सोचते सोचते मेरी आँख लग गयी ...
मैं काफ़ी देर तक सोती रही ... नींद खुली तो देखा शाम के 4 बजे थे ....इतनी गहरी और अच्छी नींद थी के मुझे भूख प्यास का भी होश नहीं था .... मुझे काफ़ी हल्का महसूस हो रहा था ..वेरी रिलॅक्स्ड ...और शायद इसलिए भूख भी जोरों की लगी थी ...दिन भर पेट के अंदर तो कुछ नहीं गया था ..हाँ चूत के रास्ते ज़रूर काफ़ी कुछ बह गया तहा ...ही ही..ही !!
मैने रूम सर्विस को रिंग कर खाने का ऑर्डर प्लेस किया ...थोड़ी देर में ही खाना आ गया ...मैं भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी खाने पर ..अब थोड़ी राहत महसूस हुई..
फिर मैं बाथरूम की ओर चल पड़ी , रात की तैयारी के लिए ...सारे होल्स की अच्छी तरह सफाई की...चूत , गान्ड , आर्म पिट्स कान के होल्स , सभी जागेह उंगलियाँ घुसा घुसा ,और चूत के चारों ओर थोड़े बाल उग आए थे , उन्हें भी पापा के सेफ्टी रेज़र से सॉफ कर दिया ..एक दम चीकनी थी चूत ..हाथ रखो तो फिसल जाए ...सुहाग रात जो थी आज .... मैं बस मन ही मन मुस्कुरा रही थी ....
मैं गाउन पहेन बाथरूम से बाहर निकली ...फोन की घंटी बज रही थी ..मैने फ़ौरन उठाया उधर से भैया की आवाज़ आई " दामिनी .कैसी है रे तू..??"
'' मत पूछो भैया .."
" क्यूँ क्या हुआ ..? " उन्होने कुछ घबडाइ सी आवाज़ में पूछा
" अरे ऐसा कुछ नहीं ..बस रात का इंतेज़ार है ...आज तो पापा सुहाग रात माननेवाले हैं ना ...अफ भैया मैं सोच सोच के ही मरी जा रही हूँ ..तुम्हारा क्या हाल है..??"
"बस यहाँ भी बुरा हाल है ..मम्मी ने अपनी वीडियो चॅट के बाद से ही अपनी चूत में ताला लगा दिया है ....छूने तक नहीं देती दामिनी...कहती है रात होने दो सुहागरात मनाएँगे ..और मेरा लंड तन तना रहा है ..उन्हें देखते ही कड़क हो जाता है...उफफफ्फ़ ...दामिनी ..क्या करूँ ..??"
" ही ही ही ही !! ठीक ही तो बोल रहीं हैं मम्मी ... अभी थोड़ा आराम दो अपने भोले महाराज को...फिर रात भर तो मेहनत करनी ही है ...उफफफफफफ्फ़ भैया मेरी चूत से भी खूब पानी छूट रहा है आज ...ऊवू .."
तभी कॉल बेल की आवाज़ आई ...
" भैया लगता है पापा आ गये हैं ...अच्छा तुम अपनी और मम्मी की सुहागरात का पूरा डीटेल कल ई-मैल ज़रूर करना ... ओके..?"
" हाँ बाबा करूँगा .."
मैं फोन रख दी और दरवाज़े के पास गयी और आवाज़ दी" कौन ..?"
" मैं हूँ दामिनी .." पापा की आवाज़ थी ..
पापा के अंदर आते ही मैने दरवाज़ा बोल्ट कर दिया ...
क्रमशः……………………..
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11-17-2018, 12:50 AM,
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--24
गतान्क से आगे…………………..
पापा ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया ...और बस मुझे अपने सीने से लगा लिया ...मैं गाउन के अंदर बिल्कुल नंगी थी ...गाउन भी पतला सा ही था ...पापा मेरे नंगे बदन को अपने सीने में महसूस करते ही पागल हो उठे .....मेरी गदराई चुचियाँ , उनके सीने से चिपकी थी ,उनकी हथेली मेरी चीकनी चूत पर फिसल रही थी ..मैं कांप उठी ..पापा की बेताबी साफ झलक रही थी....वे अपनी जवान बेटी को सीने से लगाए खुद भी जवानों की बेसब्री दिखा रहे थे ....मैने नयी नवेली दुल्हन का रूप ले लिया और उन्हें अपने हाथ से हल्के से धकेलते हुए अलग किया
" हाई ..इतनी बेसब्री क्यूँ है दूल्हे राजा ..अभी तो पूरी रात बाकी है ..... "
" उफफफफ्फ़..मेरी रानी इतना तो ना तडपाओ ..इस रात का हमें कितना इंतेज़ार था ...आओ ना रानी ...अब और सहा नहीं जाता .."
उन्होने मुझे फिर से जाकड़ लिया और अपने सीने से लगा लिया ...मैने उन्हें फिर से अलग किया ...बीस्तर तक पहुँचते पहुँचते तीन चार बार येई चलता रहा ..दोनों हाँफ रहे थे ...काफ़ी एग्ज़ाइटेड थे ..
बिस्तर पर हाफते हुए दोनों अगल बगल बैठे थे
फिर मैने देखा उनके एक हाथ में पोलिथिन बॅग लटक रहा था ..
मैने उनके हाथ से बॅग झटक लिया , खोल कर देखा ,मेरी आँखें चमक उठी ..
उस के अंदर लाल सारी थी , जैसी सारी दुल्हन सुहाग रात में पहन्ति है ...
अब तक पापा की जवानी का दौरा कुछ कम हो गया था ...
"कैसी लगी सारी दामिनी रानी..?' पापा ने पूछा ..उनकी सांस अब नॉर्मल थी .
" ऊवू पापा ...यू आर छो च्वीत ...आज तो बस असली सुहाग रात मानेगी हमारी ...."
"हाँ रानी ..मैं खुश नसीब हूँ ..मेरे खोए हुए सुनहरे पल आज मुझे फिर से मिलने वाले हैं."
और उन्होने फिर से मुझे अपने सीने से लगाया और मेरे होंठ बुरी तरह चूसने लगे ..मैं उनके हाथों में छाटपटा रही थी ..काफ़ी लंबा किस था ...जैसे वे मुझे अपने अंदर समेट लेना चाहते हों ...
मैने उन्हे धक्का देते हुए अलग किया ..पापा आज अपनी पूरी जवानी के जोश में थे ..हम दोनों फिर से हाँफ रहे थे ..
" उफफफ्फ़ मेरे दूल्हे राजा ..आज लगता है अपनी दुल्हन को खा जाओगे .."मैने दुल्हन की तरह शरमाते हुए कहा ..
" हाँ रानी आज तुम्हारा रस पीना है और चूत खानी है ...बस तुम तैयार हो जाओ ... मैं शवर ले कर आता हूँ ...अगर तुम्हें खाना हो तो ऑर्डर कर दो ..मुझे तो बिल्कुल भूख नहीं.." और पापा बाथरूम में घुस गये ..
मैने भी देर से लंच लिया तहा ..मुझे भी खाने की भूख कहाँ थी ..भूख थी बस अपने दूल्हे राजा के तननाए लंड की ..
मैने वो सारी निकाली और दुल्हन की तरह सारी लपेट .. घूँघट ताने बीस्तर पर अपने दूल्हे राजा का इंतेज़ार कर रही थी ..बड़ी बेसब्री से.... ..
इतनी बेसब्री और उत्सुकता से इंतेज़ार आज तक नहीं किया था मैने ...कुछ ऐसा माहौल बन गया था पापा की हरकतों से , मैं सही में अपने आप को एक नयी नवेली दुल्हन समझ रही थी ...आनेवाले मज़ेदार , मस्ती भरे पलों के रोमांच से मेरा सारा बदन सिहर उठा था ....
तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और मेरे दूल्हे राजा बाहर आए ... मैं बस आँख फाडे देखती रही ....पापा ने भी दूल्हा बन ने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी ...सिल्क का कुर्ता और चूड़ीदार पहेन रखा था उन्होने ..पता नहीं बाथरूम में कहाँ छुपा रखा था उन्होने ये ड्रेस ...
उनके लंबे , मस्क्युलर बॉडी में कितना फब रहा था ये ड्रेस...उनका चौड़ा सीना , कसरती बदन , उनके कुर्ते के अंदर से झलक रहा था ..मैं उन से गले लग चिपकने को बेताब थी ...किसी और दिन तो मैं सीधा उनकी गोद में उछलते हुए समा जाती ...पर आज तो मैं दुल्हन थी ...शर्म और लिहाज की मूरत ...मैं बस बेसब्री से अपने दूल्हे राजा के अगले कदम का बेचैनी से इंतेज़ार कर रही थी .
मेरे दूल्हे राजा धीरे धीरे हल्के कदमों से मुस्कुराते हुए मेरी ओर बढ़े और मेरे बगल में बैठ गये ..मेरी पीठ उनकी ओर थी ...उन्होने मेरे कंधे पे हाथ रखा ...पता नहीं मुझे क्यूँ ऐसा लगा ..शायद माहौल का असर हो....यह फिर मेरे दूल्हे राजा के हाथ रखने का कमाल....मुझे लगा किसी मर्द ने मुझे पहली बार छुआ हो..मैं कांप उठी ..मेरी सांस तेज़ हो गयी ...अगले कदम की उत्सुकता से ..जाने क्या होगा आज ...उफफफफफफ्फ़ बड़ी बेचैनी थी ..
उन्होने मुझे अपनी तरफ घूमाया , घूँघट उठाया और मेरे चेहरे को बस निहारते रहे..
मैं भी दुल्हन थी आज .....पूरे शर्म -ओ-हया के लिबास से लैस ...मेरी नज़रें झूकि थी ..
" मेरी रानी नज़रें तो उठाओ ना .....अपनी बड़ी बड़ी आँखों से देखो मुझे ... और देखो मैं क्या लाया हूँ ..."
उन्होने अपने कुर्ते के पॉकेट से एक सुनेहरा खूबसूरत जेवएलेरी का डब्बा निकाला उसे खोला , मेरी ठुड्डी उठाते हुए मेरा चेहरा उपर किया ..सामने हीरे से जड़ी चम चमाति गोलडेन नेकलेस थी ..पतली सी ...
मेरी आँखों में हीरे सी चमक थी
फिर उन्होने मेरे आँचल को सर से हटाया ..मेरा गला नंगा था ...और नेकलेस मेरे गले में डाल डी ...नेकलेस की ठंडक गले में महसूस हुई और उनके हाथों के प्यार की गर्मी ..उफफफफ्फ़ ...मेरा सीना कांप उठा ... चुचियाँ फडक उठी ..
मैने अपने दूल्हे के कंधे पर अपना सर रख दिया और धीरे से कहा " थॅंक्स पापा ..लव यौउउउ सूओ मच ... " और ऐसे ही कंधे पर अपना सर रखे रही ..कितना अच्छा लग रहा था जैसे मुझे सच में इतना प्यार करनेवाला पति मिल गया हो...
" हाँ दामिनी ..मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ..बहुत .." उनके हाथ मेरे पीठ सहला रहे थे..और मेरी सारी सरक्ति जा रही थी कमर से नीचे ...
मेरी सारी कमर तक खूल गयी थी .मैं उपर सिर्फ़ पतले से ब्लाउस में थी ..सीना बिल्कुल नंगा और दोनों चूचियों के बीच की फाँक मेरी लंबी लंबी साँसों से कभी सिकुडति तो कभी फैल जाती और उनके बीच मेरा हीरे का नेकलेस ...मेरे दूल्हे राजा की आँखें फटी की फटी रह गयीं ...उन्होने ऐसा नज़ारा आज तक नही देखा तहा ...मैने भी उन्हें एक नयी नवेली दुल्हन का मज़ा देने की ठान ली थी..
मैने उनके कंधे पर फिर से सर रखा और अपने हाथ पीछे करते हुए उनके हाथ पीठ से हटाने की नाकामयाब कोशिश करते हुए कहा ..." ये क्या कर रहे हो...आप बड़े बेशरम हो...."
" हाँ मेरी दुल्हन रानी ..आज की रात तो सारी लाज शरम भूल जाओ ....." और उन्होने मेरे चेहरे को अपने हाथों से थाम अपने करीब लाया और मेरे होंठ चूम लिए ..पहले तो धीरे से फिर धीरे धीरे उनका मेरा होंठ चूसना ज़ोर पकड़ता गया ..और जीभ भी अंदर जा रही थी ..
उनके चूमने का अंदाज़ क्या निराला था ..मैं दुल्हन बनी अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की ..पर इतनी बेताबी , इतनी मस्ती , इतना तड़प और सिहरन थी उनके चूमने में ..मैं कोशिश कर भी अपने आप को रोक नहीं पाई और मेरे हाथों ने भी उन्हें जाकड़ लिया और मेरा मुँह अपने आप खूल गया ...उफ़फ्फ़ ...दुल्हन ने अपनी शर्म-ओ-हया ताक पर रख दी थी ...
हम एक दूसरे को अब पागलों की तरह चूम रहे थे , एक दूसरे की जीभ चाट रहे थे , मुँह के अंदर जीभ दौड़ रही थी , एक दूसरे का स्वाद ले रही थी ..और इसी बीच उन्होने मेरा ब्लाउस भी खोल दिया और ब्रा तो मैने पहनी ही नही थी ..मैं उपर बिल्कुल नंगी थी ..सिर्फ़ गले का हार था ...जिसकी चमक ने मेरे सीने के नंगेपन को और उभार दिया था ..
पापा ने अपना कुर्ता उतार दिया , उनका नंगा सीना मेरी चूचियों को दबा रखा था और हम एक दूसरे से चिपके लगातार चूमे जा रहे थे ....हाँफ रहे थे ..साँसें लंबी चल रही थी , पर फिर भी एक दूसरे के स्वाद से जी नहीं भर रहा था ..उफफफफ्फ़ ..आज पापा सही में दूल्हे राजा थे और मैं उनकी दुल्हन नयी नवेली दुल्हन ...हमारा थूक , लार सब कुछ हम चूस रहे थे , चाट रहे थे ...अपनी प्यास मिटा रहे थे..
फिर पापा ने मुझे चूमना जारी रखते हुए पलंग पर लिटा दिया ...आज मैं तो दुल्हन थी , मैं आँखें बंद किए बस उनकी हर हरकतों का मज़ा ले रही थी ...हमारी जांघों के बीच अपनी जंघें रख मेरी जांघों के बीच अपने चूरिदार के उपर से ही तननाए लौडे से घिस रहे थे ...ना मैने अंदर कुछ पहन रखा था ना उन्होने ...उनके लौडे और मेरी चूत के बीच सिर्फ़ उनका पतला चूरिदार और मेरी पतली सारी थी ..उफफफ्फ़ लग रहा था जैसे उनका लौडा नंगा हो और मेरी चूत नंगी...
चूत मेरी घिस रही थी , होंठ मेरे चूसे जा रहे थे और चुचियाँ सीने से रगडी जा रही थी .....दुल्हन तीन तरफ़ा मार झेल रही थी ..कांप रही थी ..सिसक रही थी , कराह रही थी..दुल्हन थी ना ..मैं जोरों से कुछ बोल भी नहीं सकती थी ना .... शर्म का जामा पहने थी मैं ....मेरी सारी गीली थी ..लगातार चूत से पानी रीस रहा था ...
लौडे का कडपन बढ़ता जा रहा था मैं महसूस कर रही थी , घिसाई से , इतना कड़ा लौडा आज तक ना मैने पापा का देखा था ना भैया का....लगता था पापा दूल्हे दुल्हन के खेल से बहुत ही ज़्यादा एग्ज़ाइटेड थे ...और मैं उनके लोहे जैसे कड़े लॅंड की घिसाई से बार बार तड़प रही थे ..मेरा चूतड़ उछाल रहा था ....इतना ज़्यादा एक्सिट्म्नेट था मुझे सिर्फ़ घिसाई से ..
मेरे अंदर की औरत ने जीत हसील कर ली ..दुल्हन का जामा उस ने उतार फेंका और दुल्हन लिपट गयी अपने दूल्हे से और कराह उठी " हाँ ..हाँ राजा ..मेरे दूल्हे राजा ..उफ़फ्फ़ चूसो ..घिसो ,,उउउहह ..उईईइ .""
और मैने शर्म लिहाज को ताक पर रखते हुए पापा के चूरिदार का नाडा एक झट्के में खोल दिया और उसे खींच कर नीचे कर दिया ..पापा नंगे थे उनका लौडा लहरा रहा था ...बची कूची कसर मेरे दूल्हे ने पूरी कर दी ...मेरी सारी कमर से नीचे खींच दी ..दूल्हा दुल्हन नंगे थे ...दूल्हे को दुल्हन की स्वाद का मज़ा अभी तक पूरा नहीं हुआ था ...अभी भी मेरे होंठ चूसे जा रहा था ...उफफफ्फ़ मेरी सांस फूल रही थी ..पर उनका चूसना जारी था ..मैने उनका लौडा अपने हाथों में थाम लिया और सहलाने लगी ...कितना कड़ा था , कितना गर्म , कितना मोटा ....दूल्हे राजा सिहर उठे मेरे गर्म हथेलियों के जकड़न से ...उनके लौडे से भी लगातार पानी मेरी हथेली में रीस रहा था ...
चूत से पानी रीस रहा था ,लौडे से भी रस टपक रहा था और मुँह से थूक और लार , हम पानी पानी थे , अपने प्यार के रस से सराबोर ....
एक दूसरे से चिपके , एक दूसरे को महसूस करते हुए ..शायद मेरी जिंदगी का ये सब से ज़्यादा हसीन पल था.....मैं इसे हमेशा के लिए क़ैद कर लेना चाहती थी ..मैं आँखें बंद किए उनसे चिपकी लौडा सहलाते हुए उनके बदन का स्पर्श को अपने बदन के अंदर ले रही थी ..उनसे और ज़ोर और जोरों से चिपकते हुए ..हमारी एक एक हड्डी एक दूसरे से चिपकी थी ...
दूल्हे राजा ने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में लगा दी , और चूत की फांकों के बीच घिसने लगे , मेरी टाँगें अपने आप फैल गयीं ..चूत की फाँक फड़कने लगी ...टाँगें कांप उठी ..ये मेरे लिए उनका आखरी हमला था ..." उफफफफफ्फ़ ..दूल्हे राजा ..अब और नहीं ...मैं अब नहीं से सकती ..उफफफफ्फ़ कुछ करो ......आअहह ,,हे भगवान ये क्या हो रहा है ......"
क्रमशः……………………..
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11-17-2018, 12:50 AM,
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RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--25
गतान्क से आगे…………………..
मैं सही में एग्ज़ाइट्मेंट से कांप उठी थी ..पापा मेरी चुचियाँ चूस रहे थे ...उनका लौडा मेरे हथेली में कड़क और कड़क होता जा रहा था ..मेरी हथेली में समा नहीं रहा था ...और लगातार मेरी हथेली चीपचिपी होती जा रही थे ..
वह भी बहाल थे ..चुसाइ , चाटाई ने हमें पानी पानी कर दिया था अब वो पूरी तरह बाहर होना चाह रहा था ..बदन का सारा रस एक जागेह जमा था ..निकलने को बेताब ...
पापा मेरी टाँगों के बीच आ गये ..मैने खुद बा खूद टाँगें फैला दी ...चूत की फांके चौड़ी हो गयी ...दूल्हे ने अपनी उंगलियों से फाँक चौड़ी की ..और लौडे को चूत से लगाया , चूतड़ का हल्का पुश और लौडा आधा अंदर था ...पर आज इतना कड़ा और मोटा था ..मैं झेल नहीं पाई "" अया .धीरे धीरे दूल्हे राजा ...उफ़फ्फ़ दर्द होता है ...." मैं कराह उठी ..
थोड़ी देर उसी पोज़िशन में लौडे को अंदर रहने दिया मेरे राजा ने ..अपनी रानी का कितना ख़याल तहा ..
मेरे राजा ने मेरे होंठों पर फिर से अपने होंठ लगा दिए और चूसना चालू कर दिया ..मैं चूत का दर्द भूल गयी
तभी उस ने एक और पुश की और फत्चाक से पूरा लौडा अंदर था ..मैं उछल पडी " हाऐईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ...उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ...कितना मोटा हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आअज्जजज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज ....."
मैं उन से चिपक गयी , लौडा चूत के अंदर ही था ....कितनी गर्मी थी लौडे में ...मेरा पूरा चूत भरा था ..कहीं भी जागेह नहीं थी , हवा भी नहीं जा सकती थी मेरी चूत में ...
पापा ने धीरे धीरे लौडे को बाहर निकाला ..साथ में चूत का पानी भी बाहर आ रहा था.उनका लौडा सराबोर था मेरे रस से ...कितना चमक रहा था ...
अब उन्होने फिर से फ़ौरन अंदर डाल दिया ..अब तक चूत फैल चूकि थी ..अब दर्द कम और सूर्सूरी ज़्यादा महसूस हुई.." हाँ ..हाँ मेरी जानंनननननननननननननननननननननननननननननननणणन् ...आब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब रूको मत्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त ....उउउफफफफ्फ़ ..मारे जाओ धक्के .....उउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउईईईईईईईईईईईईईईइ"
अब दूल्हे राजा लगातार धक्के लगाए जा रहे थे मेरी कमर जकड़े , मेरी चूतड़ उछल जाती हर धक्के पर ..दोनों एक दूसरे को जकड़े थे .मेरी टाँगें उनके कमर के गिर्द थी , मैं चुद रही थी अपने दूल्हे से ..मेरा दूल्हा मुझे चोद रहा था ..चूस रहा था , चाट रहा था ..मेरा पूरा स्वाद ले रहा था ..अंदर का भी बाहर का भी ..आज में अपना सब कुछ उसे दे रही थी ,अपने राजा को ..अपने मालिक को ....उफफफफफफफ्फ़ कितनी मस्ती होती है अपने आप को किसी को सौंपने में ....मेरा पूरा अस्तित्व उस में खो रहा था , विलीन हो रहा था ..मैं अपने आप को कितना हल्का महसूस कर रही थी
दूल्हे राजा ने भी मुझे लेने में कोई कसर नही छोड़ रखी थी ..पूरे जड़ तक लौड पेल रहा था ..मेरी चूत की पूरी गहराई तक ...उसकी जंघें मेरी जांघों से टकरा जाती हर धक्के में ..ठप ..ठप ..की आवाज़ गूँज रही थी ...सिसकारियाँ ले रहे थे हम ...आहें भर रहे थे हम ...
फिर दूल्हे राजा के धक्कों ने बहुत ज़ोर पकड़ लिया , जल्दी और जल्दी अंदर जा रहा था .और उन्होने मुझे जाकड़ लिया बुरी तरह ...चिपका लिया ..लौडा अंदर डाले रखा ...मेरी चूत में झट्के खाते हुए गर्म गर्म लावा छ्छूट रहा था उनका ..झट्के पे झटका ..मैने भी उन्हें अपने से और भी चिपका लिया ....और मेरी चूतड़ भी उछल मार रही थी ..मैं भी झाड़ रही थी ...
दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे से चिपके पड़े थे ...हानफते हुए ...दुल्हन ने दूल्हे के सर को अपने सीने से लगा रखा था ..अपनी चूचियों पर ...उसके बाल सहला रही थी ..उसे पूचकार रही थी ...उसके पसीने और अपने पसीने को एक होता देख रही थी ...
एक तूफान के बाद की शांति थी हमारे चेहरे पर ...कोई गिला नहीं .कोई शिकायत नहीं , बस हमारे चेहरे पर थी एक हल्की मुस्कान ..तृप्ति और संतुष्टि की ...सारी दुनिया से बेख़बर हम एक दूसरे की बाहों में थे ....
हम दोनों इसी तरह एक दूसरे पर अपनी टाँगें रखे आमने सामने लेटे रहे काफ़ी देर ..एक दूसरे को निहारते हुए ..मैं तो बस पापा की हरकतों से हैरान थी ....आज उनका हाव भाव बिल्कुल एक दूल्हे का था . एक जवान का ...वोई छेड़ छाड़ , वोई चुलबुलापन वोई मस्ती ..और मैं भी उनके इस रूप का भरपूर मज़ा ले रही थी .
ळेटे लेटे ही वो कभी मुझे चूम लेते , कभी चूचियों को , तो कभी मेरे पेट को कभी मेरे आर्म पिट चाट लेते कभी जोरों से चिपका लेते ....उफफफ्फ़ ..कितनी बेचैनी और तड़प थी उनके इन हरकतों में ..कितना प्यार था ... मैं आँखें बंद किए इस प्यार के सागर में गोते लगा रही थी ..मस्ती की ल़हेरो में कभी उपर कभी नीचे हो रही थी ,,एक नशा सा छाया था मुझ मे ..ऐसा नशा जिस से होश में आने की मुझे कोई परवाह नहीं थी ... सारी जिंदगी इस नशे में डूबी रहना चाहती थी .." पापा ..पापा उफफफफफ्फ़ ...पापा आइ लव यू ..लव युवूयूवूऊवूयूयुयूवयू पापा .." मैं बार बार सिसकारियाँ ले रही थी ..कुछ भी कहे जा रही थी ...
फिर मेरा दूल्हा उठा ..मेरे उपर आ गया ..मेरे उपर लेट गया ...मुझे पूरी तरह जाकड़ लिया और मुझे चूसने लगा .मेरे होंठ ..मेरी चुचियाँ ..मेरा पेट ..मेरी नाभि ..हर जागेह बारी बारी चूस रहा था ..मेरे बदन का स्वाद अपने अंदर लिए जा रहा था ..मैं कराह रही थी ..कांप रही थी उसके इस बेसब्री से चूसने की हरकत से ... फिर जो हरकत मेरे दूल्हे ने की ...उउउफफफफफ्फ़ ..मैं उछल पड़ी ..दूल्हे राजा ने अपने होंठ पेट से नीचे लाते हुए मेरी जांघों के बीच रख दिया ..मेरी टाँगों को अलग किया और पूरी चूत अपने होंठों से जाकड़ लिया और जोरों से चूसने लगे ..अभी तक उसका वीर्य और मेरा रस अंदर ही था ..उसने इतने जोरों से मेरी चूत चूसी कि ..सारा अंदर का माल खींचते हुए उनके मुँह में जाता रहा ...उनका चूसना जारी था ..जब तक की मेरी चूत पूरी खाली नहीं हो गयी .. मैं बार बार उछल रही थी .....मैने भी दूल्हे राजा के सर को जोरों से भींचते हुए अपनी चूत में लगाए रखा ... .... ..चूस्ते चूस्ते मेरी चूत सूख गयी थी ....मेरे दूल्हे ने अब अपनी लॅप लपाति जीभ फिराना चालू कर दिया ....उफफफफफ्फ़ ..चारों ओर ...पहले उस ने मेरी चूत के बाहर जांघों के बीच लगे वीर्य को साफ किया ..फिर अपनी उंगलियों से चूत की गुलाबी फांकों को अलग करते हुए जीभ वहाँ लगा दी और सटा सत चाट रहा था मेरी चूत ..मेरा राजा ..मेरा दूल्हा ..और दुल्हन उछल रही थी ...चूतड़ उठा उठा कर ....चूत फिर से गीला हो रहा था ...उस ने मेरी चूतड़ जोरों से जाकड़ ली थी ...जिस से उसे चाटने में आसानी हो रही थी ..पर मैं इतनी मस्ती में थी के उसके जकड़ने के बावज़ूद मेरा चूतड़ बल्लियों उछल रहा था..
दोनों बुरी तरह हाँफ रहे थे.....मेरे पैर कांप रहे थे ..जंघें थतरा रही थी ...के अचानक दूल्हे राजा को क्या सूझा उस ने अपना तननाया लौडा मेरी नाभि में घुसेड कर जोरों से घूमाने लगा ..मेरे मुलायम पेट के अंदर घुसेड दिया ..जैसे मक्खन मथ ते हैं ..मेरे नाभि के अंदर से मेरे पेट को मथ रहा था ..ये मेरे लिए बिल्कुल नया तज़ुर्बा था ...उफफफफफफ्फ़ ....पेट में लौडे की गर्मी और उस से रीस्ते पानी की ठंडक ...मैं बहाल हो रही थी ...मैने उसके लौडे को जाकड़ लिया अपने हाथों से और टाँगों के बीच लगाने की कोशिश की....मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा था ..और दूल्हे का लौडा भी एक दम कड़क खड़ा था ..
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