Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:31 PM,
#51
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल की खुशी का ठिकाना ना था। अभी से ही उसने दो दो रसीले मलाईदार बुर का स्वाद चख चुका था। उसे खुद पर और अपनी किस्मत पर यकीन ही नहीं हो रहा था। क्योंकि वह खुद जानता था कि वह कितना शर्मिला और लड़कियों के मामले में कितना डरपोक था। वह हमेशा लड़कियों से कतराता रहता था। लेकिन पिछले कुछ दिनों में उसका व्यक्तित्व बदल चुका था। लड़कियों के प्रति उसका डर कम होने लगा था कम क्या लगभग दूर ही हो चुका था। दो-दो नारियों के साथ सफलतापूर्वक संभोग को अंजाम दे चुका था। दोनों को पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद ही हटा था यही बात उसके लिए बहुत थी। उसे अपने लंड की ताकत पर गर्व होने लगा था। राहुल को अपनी ताकत का एहसास नहीं था उसे तो इन दोनों के मुंह से उसके लंड की ताकत की तारीफ सुनकर ही पता चला था।
नीलू भी तीन-चार घंटे में ही जितनी बार झड़ चुकी थी। इतनी बार वह कभी भी नहीं झड़ी थी। राहुल का लंड ले लेकर उसकी बुर में मीठा मीठा दर्द होने लगा था होता भी क्यों नहीं ... राहुल का लंड था ही इतना मोटा की उसकी बुर में घुसते ही बुर की चौड़ाई को बढ़ा दिया।

इसके बाद उसे कुछ दिनों तक सब कुछ शांत चलता रहा। नीलू और राहुल की नजरें उस स्कूल में न जाने कितनी बार टकराई दोनों मुस्कुरा कर रह जाते थे। दोनों अधीर हुए थे फिर से एक दूसरे में समाने के लिए लेकिन वैसा मौका उन दोनों को नहीं मिल पा रहा था। विनीत के होते हुए दोेनो थोड़ी सी भी छूट छाट लेने से भी घबराते थे। क्योंकि वह दोनों जानते थे कि विनीत को पता चलने पर मामला बिगड़ सकता था। नीलू चाहे जैसी भी की थी तो विनीत की गर्लफ्रेंड। जिसे विनीत बहुत प्यार करता था। और ऐसे में कौन प्रेमी चाहेगा कि उसकी प्रेमिका के संबंध उसके ही सबसे अजीज मित्र के साथ हो जाए। इसलिए नीलू और राहुल दोनों ही विनीत के सामने पड़ते ही एक दूसरे से कन्नी काटने लगते थे। 
बुर का स्वाद चख चुका राहुल अब बुर के लिए तड़पता रहता था। अब वह हमेशा मौके के ही ताक में रहता था लेकिन अब मौका मिलना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था उसने बहुत बार कोशिश किया वीनीत के घर पर जाने की लेकिन उसकी ये कोशिश भी हमेशा नाकाम ही रही। 
राहुल के सिर पर वासना इस कदर सवार हो चुकी थी कि वह घर में ही ताक-झांक करना शुरू कर दिया था। लेकिन इधर भी बस इक्का-दुक्का बार ही अलका के बदन की झलक मिल पाई और इससे ज्यादा बात नहीं बढ़ी। 

बस वह रात को ही बीते हुए दिनों को याद कर कर के विनीत की भाभी के बारे में तो कभी नीलू के बारे में तो कभी अपनी मां के बारे में ही गंदी बातों को सोच सोच कर मुठ मारकर काम चलाया करता था। 

अलका के मन में भी पिछली बातों को सोच सोच कर गुदगुदी होती रहती थी। विनीत से उसकी मुलाकात बाजार में हुआ करती थी विनीत तो बहुत चाहा की आगे बढ़ सके लेकिन अलका उसे अपनी हद में ही रहने को कहती रहती थी। हालांकि विनीत ने बहुत बार उसके सामने अपने प्यार का इजहार कर चुका था। लेकिन अलका हर बार मुस्कुरा कर टाल देती थी। क्योंकि वह अपने और विनीत के बीच उम्र की खाई को अच्छी तरह से पहचानती थी। दोनों के बीच में उम्र का बहुत बड़ा फासला था। जो कभी भी मिटने वाला नहीं था और वैसे भी अलका अच्छी तरह से जानती थी कि आजकल के लड़के किस लिए प्यार करते हैं हमें बस एक ही चीज़ से मतलब होती है। मतलब पूरा होने के बाद ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे गधे के सिर से सींग। धीरे धीरे अलका को यह समझ में आने लगा था कि वीनीत के मन में भी उसी चीज को पाने की ख्वाहिश घर कर चुकी है। विनीत की नजरें के बदन पर कहां कहां फिरती थी यह वह अच्छी तरह से जानती थी। लेकिन यह सब अलका को भी अच्छा लगने लगा था। उसकी नजरों की सिध को भांपकर वह मन ही मन खुश होती थी। अलका दिनेश के साथ बाजार में रूकती नहीं थी बस वह चलती ही रहती थी और विनीत भी उसके पीछे पीछे लगा रहता था जब तक की वह चौराहे से अपने घर की ओर ना मुड़ जाए। बाजार से लेकर चौराहे तक की दूरी नहीं वह अलका के मन को भा गया था। विनीत की फ्लर्ट करने वाली बातें अलका को अच्छी लगने लगी थी। अलका विनीत की बातों को सिर्फ सुनने तक ही लेती थी उसकी बातों को कभी गहराई तक नहीं ली। अलका किसी की भावनाओं में बह जाए ऐसी औरत नहीं थी। भावनाओं पर काबू करना उसे अच्छी तरह से आता था तभी तो इतने बरस गुजर जाने के बाद भी उसने अपने आप को संभाल कर रखी हुई थी। वीनीत जिस तरह से उसके पीछे लगा हुआ था उससे फ्लर्ट करता था अगर अलका की जगह कोई और औरत होती तो विनीत अपनी मंशा मे ना जाने कब से कामयाब हो चुका होता और वह औरत भी विनीत को अपना सब कुछ सोंप चुकी होती । 

धीरे-धीरे समय गुजर रहा था राहुल के साथ साथ विनीत और अलका की प्यास भी बढ़ती जा रही थी। वीनीत की तो प्यास उसकी भाभी बुझा देती थी। और भाभी नहीं तो नीलू तो थी ही उसके पास लेकिन सबसे ज्यादा तड़प रहे थे तो राहुल और अलका। दोनों अपनी प्यास बुझाने के लिए अंदर ही अंदर घुट रहे थे राहुल मुख्य मारकर शांत होता तो अलका अपनी उंगलियों से ही अपने आप को संतुष्ट करने में जुट़ जाती। जैसे तैसे करके दिन गुजर रहे थे। 
सोनू के स्कूल की फीस भरनी थी जिसे पिछले तीन महीनों से अलका ने भर नहीं पाई थी। लेकिन अब भरना बहुत जरूरी था। । वरना स्कूल वाले सोनू का नाम काट देंगे यह बात सोनू ने ही अपनी मम्मी को बताई थी। करीब 1500 साै के लगभग फीस बाकी थी। जिसे भरना बहुत जरूरी था। अलका बहुत परेशान थी क्योंकि उसके पास में सिर्फ ₹800 ही थे। तनख्वाह होने में अभी 10 दिन बाकी थे। यह ₹800 उसने 10 दिन के खर्चे के लिए बचा कर रखी थी जो कि बहुत मुश्किल से चलने वाला था। वह क्या करें अब उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। अपनी मां को यूं परेशान बैठा हुआ देखकर राहुल उस से परेशानी का कारण पूछा।
तो उसकी मां ने सर दर्द का बहाना बनाकर बात को टाल दी। अलका घर में चाहे केसी भी परेशानी हो वह अपने बच्चों पर जाहिर होने नहीं देती थी। वह सारी मुसीबत को अपने ही सर ले लिया करती थी। 
आज ना खाना बनाने में मन लगा और ना ही खाने में, जैसे तैसे करके रात गुजर गई। सुबह आंख खुलते ही फिर से वही फीस वाली टेंशन आंखों के सामने मंडराने लगी। इतनी बेबस वो कभी भी नजर नहीं आई इससे पहले भी फीस भरने की दिक्कते उसके सामने आई थी लेकिन जैसे तैसे करके वह निपटाते गई। लेकिन इस बार उसे कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था। मन में चिंता का भाव लिए वह बिस्तर से उठी और कमरे से बाहर आ गई । आज उठने में कुछ ज्यादा समय हो गया था, उसके दोनों बच्चे अभी तक सो रहे थे। उसे नाश्ता भी तैयार करना था वह सोची पहले जाकर राहुल और सोनू को उठा दे इसलिए वह राहुल के कमरे की तरफ बढ़ी। मन में चिंता के बादल घिरे हुए थे उसका मन आज नहीं लग रहा था उसे इस बात की चिंता थी कि सोनू की फीस कैसे भरी जाएगी क्योंकि घर खर्च के लिए जितने पैसे उसके पास थे उतने से भी काम चलने वाला नहीं था। यह सब चिंता उसे खाए जा रही थी। यही सब सोचते हुए वह राहुल के कमरे के पास पहुंच गई उज्जैन से ही दरवाजा खोलने के लिए उसने अपना हाथ बढ़ाई हाथ लगते ही दरवाजा खुद-ब-खुद खुलने लगा। अपने आप दरवाजा खुलता देखकर उसका दिल धक कर रह गया उसे उस दिन का नजारा याद आ गया। उसके मन में तुरंत उत्तेजना के भाव उमड़ने लगे। फिर से वही ख्वाहिश उसके मन में जोर मारने लगी। जैसे ही दरवाजा खुला अलका का दिल खुशी से झूम उठा पल भर में फीस वाली चिंता फुर्र हो गई। सामने वही नजारा था जिसे देख कर उस दिन वो रोमांचित हो गई थी। दबे पांव वह कमरे में परवेश की धीरे-धीरे वह राहुल के बिस्तर की तरफ बढ़ने लगी। राहुल के बिस्तर के पास पहुंचते ही अलका का मुंह खुला का खुला रह गया। राहुल बेसुध होकर सोया हुआ था। उसका लंड टनटना के खड़ा होकर छत की तरफ ताक रहा था । अलका अपने बेटे के इतने मोटे ताजे लंड को देखकर उत्तेजित हो गई वह एकटक अपने बेटे के लंड को देखती रही। 
वह कभी राहुल की तरफ देख लेती तो कभी उसके खड़े लंड की तरफ. कल का पूरी तरह से अचंभित थी क्योंकि राहुल के भोलेपन और उसकी उम्र को देख कर लगता नहीं था कि उसके पास इतना जानदार और तगड़ा हथियार होगा। अलका की जांघों के बीच सनसनी सी फैलने लगी। अलका का गला सूखने लगा था और उसके गाल अपने बेटे के लंड को देखकर शर्म से लाल होने लगे थे। उसने एक बार चेक करने के लिए कि वह वाकई में गहरी नींद में है या ऐसे ही लेटा हुआ है इसलिए उसको आवाज दी, लेकिन उसकी आवाज देने के बावजूद भी राहुल के बदलने में ज़रा सी भी हलचल नहीं हुई तो वह समझ गए कि राहुल गहरी नींद मैं सो रहा है। यह जानकर कि राहुल गहरी नींद में है उसके मन में हलचल सी होने लगी। नजरें लंड पर से हटाए नहीं हट रही थी। वह अपने बेटे के लंड को स्पर्श करने के लालच को रोक नहीं पाई और अपने कांपते में हाथ को अपने बेटे के खड़े लंड की तरफ बढ़ाने लगी। हाथ को बढ़ाते हुए उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। लंड और हथेली के बीच बस दो चार अंगुल का ही फासला रह गया था की अलका घबराहट में अपना हाथ पीछे खींच ली। उसका दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था लेकिन फिर भी लंड को स्पर्श करने की चाहत मन में बनी हुई थी। बरसों बीत गए थे अलका को जी भर के लंड को देखे उसे हथेली में भर कर प्यार किए हुए, आज दूसरी बार अपने ही बेटे के लंड को देख कर उसका मन डोलने लगा था। उससे रहा नहीं गया और उसने वापस फिर से अपनी हथेली को लंड की तरफ बढाने़ लगी और पहली बार उसकी उंगली पर लंड के सुपाड़े का स्पर्श हुआ। सुपाड़े का गरम एहसास उंगली पर होते ही उसका हलक सूखने लगा। अलका का पूरा बदन झनझनाने लगा। वह कांपती हुई उंगलियों को सुपाड़े पर हल्के हल्के से रगड़ते हुए घुमाने लगी। सांसे चल नहीं बल्कि दौड़ रही थी। अलका के मन में या डर बराबर बना हुआ था कि किसी भी वक्त राहुल जग सकता है लेकिन जो उसके मन में लालच था उस लालच ने उसे मजबूर किए हुए था।

अलका को उसकीे बुर पसीजती हुई महसूस होने लगी।
अलका का लालच बढ़ता जा रहा था। उसकी हथेली तड़प रही थी उसे उसके दबोचने के लिए, और उसने तुरंत अपने बेटे के लंड को अपने हथेली में दबोच ली। अलका का पूरा बदन कांप गया। ऊफ्फ..... यह क्या हो रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आया उसका बदन एकाएक अकड़ने ं लगा और वह भलभला कर झड़ने लगी। उत्तेजना में इतनी कस के राहुल के लंड को दबोच ली थी की उसका बदन कसमसाने लगा। उसके बदन में हलचल को देखकर अल्का ने तुरंत अपनी हथेली को लंड पर से हटा ली और बिस्तर से नीचे गिरी चादर को उठा कर राहुल के नंगे बदन को ढंक दी। राहुल वापस सो चुका था। राहुल का नंगा बदन चादर से ढक चुका था इसलिए अब अलका को उसे जगाने में ज्यादा मुश्किल नहीं थी। अलका ने राहुल को कंधे से पकड़कर हीलाते हुए उसे जगाई। अलका के इस तरह से जगाने से उसकी आंख खुल गई। राहुल की नींद खुलती हुई देखकर अलका ने उसे जल्दी से नहा कर तैयार होने के लिए कह कर जल्दी से कमरे से निकल गई। 
राहुल अपने बदन पर चादर को पाकर संतुष्ट हुआ कि अच्छा हुआ मम्मी ने नहीं देखा वरना आज तो गजब हो जाता। वह मन ही मन में बोला वह जानता था कि कमर के नीचे वह बिल्कुल नंगा था और इस समय भी उसका लंड उत्तेजित अवस्था में था। वह जल्दी से बिस्तर पर से उठ गया।
अलका बाथरुम में थी और मन ही मन में सोच रही थी कि एसा आज तक नहीं हुआ ' इतनी ज्यादा उत्तेजित वह कभी भी नहीं हुई थी जितना कि आज हुई। वाह आश्चर्य मे थी की मात्र अपने बेटे के लंड को छुने भर से ही वह इस कदर से झड़ी थी कि इस तरह सो आज तक नहीं झड़ी। इतना सोचते हुए वह बाथरुम में पूरी तरह से नंगी हो गई। उसका मन और ज्यादा विचरण करता इससे पहले ही उसने अपने सर पर एक बड़ा मग भर कर पानी डाल दी . तब जाकर उसका मन थोड़ा शांत हुआ वह जल्दी जल्दी से नहाकर बाथरुम से बाहर आ गई और नाश्ता तैयार करने लगी तब तक सोनू और राहुल दोनों तैयार हो कर नीचे आ गए। वह आज अपने बेटे से ही नजरें नहीं मिला पा रही थी उसे शर्म सी महसूस हो रही थी जैसे तैसे करके उसने दोनों को नाश्ता करवाया और दोनों को स्कूल भेज दी सोनू को जाते समय यह दिलासा दिलाई कि कल तक उसकी फीस भर दी जाएगी।
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10-09-2018, 03:32 PM,
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अलका अपने दोनों बच्चों को स्कूल भेजकर थोड़ी देर में तैयार होकर वह भी ऑफिस के लिए निकल गई। मन में फीस की चिंता बराबर बनी हुई थी। वह एकदम लाचार नजर आ रही थी उसके पास कोई रास्ता ना था। कहां जाए किस से मांगे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। यही सब सोचते सोचते वह अपने ऑफिस में पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला। ऑफिस में पहुंचते ही सबसे पहले शर्मा की नजर अलका पर पड़ी। वह तो अलका का पहले से ही बहुत बड़ा दीवाना था। अलका को देखते ही। शर्मा रोज की तरह बोल पड़ा।

नमस्ते मैडम जी( कामुक नजर से देखते हुए।) 

अलका भी रोज की तरह उसके नमस्ते का जवाब देना ठीक नहीं समझी और सीधे अपनी केबिन की तरफ बढ़ गई। शर्मा अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ और पान चबाते हुए अलका को अपनी गांड मटकाते जाते हुए देखता रहा। वैसे भी शर्मा की नजर हमेशा अलका पर ही टिकी रहती थी खास करके उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और उसकी गहरी घाटी पर, और उसकी भरावदार गांड पर। यह दोनों अंगों को देखते हुए शर्मा जी का लंड टंनटना कर खड़ा हो जाता था। इस समय भी शर्मा जी का हाल यही था अलका को अपनी केबिन में घुसते हुए देखकर 
शर्मा जी अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही मसल रहे थे।
अलका अपने केबिन में कुर्सी पर आकर बैठ गई उसका मन चिंताओं में घिरा हुआ था। फीस भरने की चिंता उसे पल पल खाए जा रही थी। फीस का बंदोबस्त कैसे होगा यह उस के समझ में नहीं आ रहा था। क्या करें क्या ना करें उसके सामने कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था। तनख्वाह मिलने में अभी 10 दिन का समय था। साहब से मांगने का मतलब था कि मुसीबत मोड़ लेना क्योंकि वह तनख्वाह तय की हुई तारीख को ही देता था उससे पहले ₹1 भी नहीं। अलका बहुत मजबूर थी, इसमें एक बार उसके मन में आया कि जाकर साहब से ही पैसे मांग ले। लेकिन अपने बढ़ते कदम को उसने रोक ली। पिछले दिनों को याद करके आगे बढ़ने की उसकी हिम्मत ही नहीं हुई । क्योंकि ऐसे ही किसी मुसीबत के समय उसने साहब से कुछ पैसे मांगे थे जोकि आने वाली तनख्वाह में से काटने को भी कही थी लेकिन अलका के ऊपर साहब बिगड़ गया था वह साफ साफ शब्दों में सुना दिया था की तनख्वाह से पहले ₹1 भी मिलने वाला नहीं है। उस समय हुई बेईज्जती को याद करके उसकी हिम्मत नहीं हुई। वह दोबारा अपनी बेइज्जती नहीं करवाना चाहती थी। 
अलका का मन आज काम में बिल्कुल नहीं लग रहा था जैसे तैसे करके वह धीरे-धीरे काम करती रही । लंच का समय कब बीत गया उसे पता ही नहीं चला उसने आज लंच भी नहीं की थी। जैसे जैसे दिन गुजर रहा था उसकी चिंता बढ़ती ही जा रही थी। 
ऑफिस का समय पूरा होने वाला था और अब तक फीस का बंदोबस्त हो नहीं पाया था और नाही होने के आसार नजर आ रहे थे। एक बार तो उसके मन में हुआ की शर्मा जी से ही पैसे उधार ले ले, क्योंकि वह जानतेी थीे कि शर्मा जी उसके ऊपर पहले से ही लट्टु है। अगर वह मांगेगी तो शर्माजी कभी भी इनकार नहीं करेगा। अच्छी तरह से जानती थी कि शर्मा जी उसे पैसे देकर फीस की समस्या से निजात तो दिला देगा लेकिन एक बार मदद करके फिर वह उसके साथ छुट छाट़ भी लेना शुरु कर देगा। और अलका अभी तक उसे दुत्कारते ही आ रहीे थी। शर्मा जी का उसके बदन को यूं घूर घूर कर देखना कतई पसंद नहीं था। लेकिन इस समय वह बड़ी मुसीबत में फंसी हुई थी। ऑफिस का समय भी पूरा होने वाला था। अलका की नजरें केबिन में टंगी दीवार घड़ी पर ही टिकी हुई थी। जैसे जैसे सेकंड वाली सुई टिक टिक करके आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे अलका की दिल की धड़कने भी धक-धक करते हुए तेज गति से चल रही थी। अब तक उसे कोई भी राह नहीं मिल पाई थी बस एक रास्ता दिखाई दे रहा था जो की शर्मा जी पर ही खत्म हो रहा था। ऐसी मुसीबत की घड़ी में शर्मा जी के सामने हाथ फैलाने के सिवा उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं था। इसी सोच में ऑफिस का समय भी पूरा हो गया। उसने मन में ठान ली थी कि जो भी हो वह शर्मा जी से पैसे उधार जरूर लेगी। ऑफिस का समय पूरा होते ही टेबल पर रखा पर्श उसने कंधे पर लटका ली। केबिन से निकलते ही उसकी नजरे आज पहेली बार शर्मा जी को ढूंढ रही थी और शर्मा जी उसे अपने टेबल पर ही बैठे नजर आ गए। वह शर्मा जी के पास जाए या ना जाए अभी भी उसके मन में हीचक बहुत थी
मजबूर थी इसलिए धीरे-धीरे शर्मा जी के टेबल के पास बढ़ने लगी। अलका को अपने टेबल के पास आता देखकर शर्मा की आंखें चमक उठी, अलका को देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया। अक्सर अलका ऑफिस से छूटने के बाद सीधे ऑफिस से बाहर निकल
जाया करती थी। शर्मा जी की खुशी का ठिकाना ना रहा जब अलका सीधे उसके टेबल के पास आकर रुकी। 
अलका उससे कहने में हिचकिचा रही थी। तभी हिम्मत जुटाकर वह शर्मा जी से बोली।

शर्मा जी मुझे आपसे कुछ....( इतना कहते-कहते अलका रुक गई और शर्मा जी के नजरों के सीधान को भांपते हुए वह अपनी साड़ी से अपने नंगे पेट को ढकने की कोशिश करने लगी। क्योंकि शर्मा जी की नजर अलका की गहरी नाभि पर जमी हुई थी। शर्मा जी उस नाभि को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था। और देखता भी क्यों नहीं आखिरकार अलका की नाभि थी इतनी खूबसूरत, की उसका आकर्षण किसी को भी आकर्षित कर लेती थी। गोरा चीकना सपाट पेट चर्बी का जरा सा नामोनिशान भी नहीं था। और पेट के बीचोबीच गहरी खाई समान नाभि, जिसका आकर्षण जांघों के बीच छिपी पतली दरार से कम नहीं थी। और शर्मा जी के लिए तो वाकई मे ं इस समय नाभी, नाभी न हो करके अलका की बुर ही थी। 
साड़ी से नंगे पेट को छुपाने के बावजूद भी जब शर्मा अपनी नजरों को नाभि से नहीं हटाया तो अल़का फिर से उसका ध्यान हटाते हुए बोली।

शर्मा जी (इस बार जोर से बोली थी)

हां हां हां ..... मैडम जी बोलिए.... क्या बोल रही थी आप। ( शर्मा जी हकलाते हुए बोल पड़े।)


शर्मा जी मुझे आपसे कुछ जरूरी.....( इतना कहते ही अलका फिर से रुक गई. क्योंकि इस बार शर्मा जी की नजर नाभि से हटकर उसकी बड़ी बड़ी चुचियों पर जा कर टीक गई थी। इस बार अलका से रहा नहीं गया वह गुस्से में एकदम आग बबूला हो गई। और एक बार फिर से गुस्से में जोर से चिल्लाते हुए बोली।
शर्मा जी.........

(अलका को जो गुस्सा होता देखकर शर्मा जी घबरा गए और हड़बड़ाहट में बोले।)

ककककक्या .... क्या कहना चाहती थी आप?

यही कि अपनी नजरों और जुबान दोनों को अपनी औकात में रखो वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा।( हल्का गुस्से में शर्मा जी को चेतावनी देकर वहां से पाव पटककर ऑफिस के बाहर निकल गई। शर्मा जी अल्का को गुस्से में जाता हुआ देखता रहा अलका के गुस्से से वह भी घबरा गया था। 


अलका के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा था आखिरी उम्मीद शर्मा जी से थी लेकिन शर्मा जी की काम लोलुप नजरें अलका के बदन को जहां-तहां नाप रही थी यह अलका से बर्दाश्त नहीं हुआ, और उसने शर्मा जी को खरी-खोटी सुनाकर आखरी उम्मीद पर भी पर्दा डाल दी। अलका उदास मन से सड़क पर चली जा रही थी उसको यही चिंता सताए जा रही थी कि आखिर कल वह सोनू के उस स्कूल की फीस कैसे भरेगी। सोनू से उसने वादा की थी कि कल तुम्हारी फीस भर दी जाएगी उसके मन में ना जाने कैसे-कैसे ख्याल आ रहे थे। धीरे धीरे चलते हुए वह कब बाजार में पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला। वह अपने मन में यह सोच रही थी कि घर जाकर वह सोनु से क्या कहेगी, वह कैसे स्कूल जाएगा। यही सब बातें उसके दिमाग में घूम रही थी कि तभी पीछे से विनीत उसका हाथ पकड़ के उसे रोकते हुए बोला। 

क्या आंटी जी मैं कब से आपको पीछे से पुकारे जा रहा हूं लेकिन आप हैं कि मेरी आवाज सुने बिना ही चली जा रही हैं। ( विनीत अलका के उदास चेहरे की तरफ देखते हुए बोला।) क्या बात है आंटी जी आप इतना उदास क्यों ह ैईतना उदास होते हुए मैंने आपको पहले कभी भी नहीं देखा। क्या बात है आंटीजी... ( अलका एकदम उदास चेहरा लिए हुए विनीत की तरफ देखते हुए बोली।)

क्या बताऊं बेटा आज बड़ी तकलीफ में हूं। 

ऐसा क्या हो गया आंटी जी.... अच्छा पहले आप एक काम करिए मेरे साथ आइए इधर( इतना कहने के साथ ही विनीत अलका की कलाई पकड़े हुए पास वाले रेस्टोरेंट मे ले गया। अलका उसकी इस हरकत पर उसे कुछ बोल नहीं पाई कोई और समय होता तो जरूर उसका हांथ झटक दी होती ,लेकिन इस समय वह अपने दुख से ही परेशान थी कि किसी बात की भी शूझ उसमें नहीं थी। विनीत अलका का हाथ पकड़े हुए रेस्टोरेंट में ले गया और एक टेबल के पास कुर्सी खींचकर उसके तरफ बढ़ाते हुए अलका को बैठने के लिए कहा और खुद एक कुर्सी पर बैठ गया। अलका के चेहरे पर उदासी के बादल बराबर छाए हुए थे। 
तभी टेबल के पास एक वेटर आया । विनीत ने दो कॉफी और थोड़े बिस्कुट ऑर्डर कर दिया। लेकिन पहले दो गिलास ठंडा पानी लाने को कहा। वेटर आर्डर लेकर चला गया। 
अलका टेबल पर दोनों हाथ रखकर सिर झुकाए बैठी हुई थी। विनीत ने मौका देखकर फिर से अलका की हथेलियों को अपनी हथेलियों में भर लिया, इस बार अलका का हाथ पकड़ते ही विनीत का पूरा बदन झनझना गया। अलका के नरम नरम मुलायम हाथ विनीत के होश उड़ा रहे थे। विनीत ने अलका के नरम नरम हथेलियों को अपनी हथेली में दबाते हुए बोला।

क्या बात है आंटी जी आप इतना उदास क्यों हो? 
( नरम नरम अंगुलियों का स्पर्श उसके बदन के तार तार को झंकृत कर रहा था। विनीत का इस तरह से अलका का हाथ पकड़ना अलका के भी बदन मे सुरसुराहट पैदा कर रहा था। आज बरसों के बाद अलका के हाथ को कोई इस तरह से पकड़ रहा था। लेकिन अलका भी ऐसी हालत में थी कि वीनीत को कुछ कह नहीं पा रही थी। और वीनीत था की मौके का फायदा उठाते हुए अलका की नरम नरम हथेलियों को दबा रहा था सहला रहा था। विनीत की इस हरकत में विनीत के बदन में जोश जगा दिया था।वीनीत का लंड टनटना के खड़ा हो गया था। अलका थीे कि अपनी हालत पर गौर नहीं कर पा रही थी, और वो इस तरह से बैठी थी कि उसके ब्लाउस से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां आधी से भी ज्यादा झुक कर बैठने की वजह से बाहर को झांक रही थी। 

जिसे देखकर विनीत के लंड की नशो मे दौड़ रहा खुन दौरा
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10-09-2018, 03:32 PM,
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
विनीत की हालत खराब होतेे जा रही थी एक तो उसकी नरम नरम उंगलियां जैसे की एक दम रूई और दूसरे उसके आगे की तरफ झुकने की वजह से ब्लाउज से झांकती आधे से भी ज्यादा उसकी चूचियां,ऊफ्फफ.... यह सब नजारा उसके लंड पर ठोकर मार रही थी। जिसके चलते वह उत्तेजना से सरोबोर हो चुका था। कुछ देर तक यु ही विनीत अलका की हथेलियो को अपनी हथेली मे लेकर मींजता रहा।

तब तक वेटर ने ठंडे पानी का गिलास रख कर चला गया। विनीत पानी का गिलास लेकर अलका को थमाते हुए बोला. 

लीजीए आंटी पहले पानी पीजीए . 

अलका ने पानी का ग्लास विनीत के हाथों से थाम ली। और पीने लगी गलत का पानी खत्म करने के बाद अलका ने राहत की सांस ली। अलका को सामान्य होता देख विनीत बोला।

क्या हुआ क्या बात है आंटी आप इतनी उदास क्यूं हैं? 

क्या कहु बेटा इतनी परेशान में कभी नहीं थीी जितनी कि आज मैं महसूस कर रही हूं। ( इतना कहने के बाद अलका है चुप हो गई विनीत फिर से उससे बोला।)

आंटी जी आप बताएंगी नहीं तो मुझे पता कैसे चलेगा कि आप परेशान क्यों हैं कि आपके परेशानी का कारण क्या है। आप बिल्कुल भी चिंता मत करिए हो सकता हो कि कहीं मैं आपकी मदद कर सकता हूं । आप बताइए। 
( अलका को समझ में नहीं आ रहा था कि वह वीनीत से बताए कि ना बताए। और बताएं भी तो कैसे क्या वह उसकी मदद कर पाएगा क्योंकि रकम बड़ी थी और विनीत की उम्र देखते हुए लगता नहीं था कि वह इतनी मदद कर पाएगा। फिर भी डूबते को तिनके का सहारा रहता है उसी तरह से अलका को भी शायद दिन एसे ही कोई मदद मिल जाए इसी उम्मीद से अलका उससे बोली।)

बेटा अब में तुम्हें कैसे बताऊं. दूसरों के लिए यह शायद उतनी बड़ी मुसीबत नहीं है जितनी कि मेरे लिए है। बड़ी उम्मीद लेकर आज मैं ऑफिस के लिए निकली थी लेकिन कोई बात नहीं बनी।


आंटी जी (इतना कहने के साथ ही विनीत ने फिर से अनुष्का की हथेली को अपनी हथेली में भर लिया ) आप सीधे सीधे बताइए कि आप को क्या परेशानी है आप बिल्कुल भी चिंता मत करिए।

विनीत की हथेलियों में अपनी हथेली होते हुए भी अलका अपना हाथ पीछे खींचने की बिल्कुल भी दरकार नहीं ली शायद ऐसी मुसीबत की घड़ी में विनीत का यह सहारा उसे अच्छा लग रहा था। विनीत के इतने आग्रह करने के बाद अलका ने अपनी मुसीबत बताते हुए बोली।

बेटा तुम तो जानत हीे हो कि ऑफिस में तनख्वाह अपनी नियत समय पर ही मिलती है। और अभी तनख्वाह होने में 10 दिन बाकी है। 


( अलका की हथेलियों को अपनी हथेली में भरकर जब आते हुए विनीत फिर बोला।) 
तो आंटी जी यह तो बताइए कि आपकी तकलीफ क्या है।

यही तो बता रही हूं बेटा। तनख्वाह होने में अभी 10 दिन बाकी है और तनख्वाह तक घर कर्ज चलाने के लिए भी मेरे पास इतनी रकम नहीं है और ऐसे में मेरे छोटे बेटे की स्कूल की फीस बाकी है। जैसे तुरंत भरने के लिए उस कूल वाले ने सूचना भेजी है अगर मैं फैसला कर पाई तो मेरे बेटे का नाम स्कूल से काट दिया जाएगा बस मे फीस का बंदोबस्त नहीं कर पाई यही चिंता मुझे पल पल खाए जा रही है। की अब मैं फीस का बंदोबस्त कैसे करूं कैसे भरूंगी 3 महीने की फीस।

( अलका की परेशानी का कारण जानकर वीनीत मुस्कुराने लगा. तब तक वेटर ने भी ऑर्डर ले आया विनीत कॉफी के कप को अलग का की तरफ बढ़ाते हुए बोला।)

बस आंटी जी अब आप सारी चिंता मुझ पर छोड़ दीजिए और यह कॉफी पी जिए। ( अलका विनीत की बात का मतलब समझ नहीं पा रही थी वह विनीत को आश्चर्य से देखे जा रही थी। अलका को विनीत पर भरोसा नहीं था कि वह उसकी मदद कर पाएगा। अलका के चेहरे पर आए हाव भाव को विनीत अच्छी तरह से समझ पा रहा था इसलिए वह अलका को कॉफ़ी का कप थमाते हुए बोला आप आंटी जी बस कॉफी पी जिए। अब आपकी परेशानी की जिम्मेदारी मेरी है।( इतना कहने के साथ विनीत ने कॉफी के कप को अलका को थमा दिया और अलका भी कॉफी पीने लगी। अलका कॉफी पी जरूर रही थी लेकिन उसके मन में परेशानी बराबर बनी हुई थी। उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि पीने क्या सच में उसकी मदद करेगा या यूं ही बातें बना रहा था। 
थोड़ी ही देर में दोनों कॉफी की चुस्की लेते हुए कॉफी खत्म कर दिए। विनीत कॉफी के खाली कप को ट्रे में रखते हुए अलका से बोला। 

क्या आंटी जी बस इतनी छोटी सी बात के लिए आप इतना परेशान हो रही थी। अपने गुलाब से खूबसूरत चेहरे पर बस छोटी सी चीज के लिए इतनी उदासी लेकर चल रही थी आप। मुझसे पहले कह दी होती तो शायद यह सब की नौबत नहीं आती लेकिन मुझे लगता है कि आपको मुझ पर भरोसा नहीं है। ( विनीत के मुंह से अपनी सुंदरता की तारीफ सुनकर अलका एक पल के लिए अपनी चिंताओं को भूल गई और खुशी से गदगद हो गई। विनीत ने हाथ को पीछे ले जाकर अपनी जेब में से बटुवा निकालते हुए बोला।)

कितनी फीस की जरूरत है आंटी जी आपको।

1500( ना चाहते हुए भी अलका के मुंह पर झट से निकल गया।) 

विनीत ने अलका के मुंह से सुना भर था और तुरंत बटुए से 500 500 के 4 नोट निकालकर अलका के हाथ में थमा दिया। अलका आश्चर्य से विनीत की तरफ देखे जा रही थी उसका मुंह खुला का खुला था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि विनीत उसकी मदद कर रहा है। वह तनोट को हाथ में थाम तो ली थी । लेकिन पैसों को गिनने के लिए उसकी उंगलियां चल नहीं रही थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि बित्ते भर का छोकरा उसकी इतनी बड़ी मदद कर रहा है। वह नोट को थामे हुए ही बोली।

इतने सारे पैसे तुम्हारे पास कैसे आए( अलका आश्चर्य से विनीत से सवाल पूछ रही थी।) 

वह वापस बटुए को अपने पेंट की पीछे की जेब में रखते हुए बोला।।

आंटी जी यह सारे पेसे मेरे ही हैं। मैं कोई ऐरा गैरा लड़का नहीं है मैं अच्छे खानदान से हूं। मेरे भैया बिजनेसमैन है। इसलिए आप इत्मीनान से यह सारे पैसे रख लीजिए। 
( अलका अभी भी आश्चर्य से विनीत की तरफ देखे जा रही थी। तब तक वीनीत ने फिर से अलका के हथेली में रखा हुआ पेसे को अपनी हथेली से अलका की मुट्ठी बांधते हुए बोला।)

रख लीजिए आंटी जी मुझे खुशी है कि मैं आपके इतना मदद कर सकने में काबिल तो हूं। 

मैं तुम्हारा यह एहसान कैसे चुकाऊंगी, मुझे शर्मिंदगी भी महसूस हो रही है । कि मैं अपने बेटे की उम्र के लड़के से मदद ले रही हूं। 

इसमें शर्म कैसी आंटी जी। आप बेवजह इतनी सारी बातें सोच रही हैं। आप रख लीजिए पैसे को ।

( वीनीत की बात सुनकर और उसकी की गई मदद की वजह से अलका की आंखों से खुशी के आंसू टपक पड़े, लेकिन तुरंत विनीत ने अलका के आंखों से टपके हुए आंसू को नीचे गिरने से पहले ही अपनी हथेली बढ़ा कर अपनी हथेली में अलका के आंसू को थाम लिया। और अलका की आंखों के सामने ही अपनी बंद मुट्ठी को चूम कर अलका के आंसू को अपने होठ पर लगा कर चूमते हुए पी गया। अलका विनीत की इस हरकत को देखकर एकदम से रोमांचित हो गई। उसे ऐसा लगने लगा था कि वह कोई फिल्म देख रही है और हीरो हीरोइन की आंखों से निकले हुए आंसू को पी रहा है।
दिनेश की इस हरकत पर अलका को शर्मा भी आने लगी थी। वह अंदर ही अंदर कसमसाने लगी और विनीत अलका की हालत को देख कर मुस्कुरा रहा था। और अलका की तरफ देखते हुए बोला।

आंटी जी आपके आंसु बहुत अनमोल है इसे बेवजह जाया मत करिए। ( इतना कहने के साथ ही विनीत आगे बढ़कर अलका के हाथ को चूम लिया। वीनीत के होठों का स्पर्श अपने हाथ पे होते हैं अलका पूरी तरह से गनगना गई। वह तुरंत रेस्टोरेंट में चारों तरफ नजर घुमाकर देखने लगी कि कहीं कोई उन दोनों की तरफ देख तो नहीं रहा है। लेकिन सब अपने-अपने में मशगूल थे। अलका शर्म से अपने हाथ को पीछे की तरफ खींचते हुए बोले अब मुझे चलना चाहिए काफी देर हो चुकी है। ( इतना कहने के साथ ही कंधे पर टिका हुआ बैग को टेबल पर रख कर उसकी चेन को खोल कर पर्स में पैसे रखने लगेी लेकिन तभी उसे एहसास हुआ कि पैसे कुछ ज्यादा है। इसलिए वह पर्स में पैसे डालने के पहले उसे गिनने लगी। 500रु उसमे ज्यादा था। 
अलका 500 की एक नोट निकालकर विनीत को वापस थमाने लगी। लेकिन विनीत ने उस नोट को वापस पर्स में रख वाते हुए बोला

यह भी रख लीजीए आंटी जी आपको इस की ज्यादा जरूरत है। 
( अलका मजबूर थी और इस वक्त विनीत के आगे उसकी एक ना चली और वह नोट को पर्श में रखते हुए बोली।

बेटा आज जो तुमने मुझ पर एहसान किया है ईस एहसान का बदला मैं कैसे चुका पाऊंगी। 

आंटी जी इस एहसान का बदला आपने कब से चुका दिया है। मुस्कुरा कर,। 
( वीनीत की ऐसी रोमांटिक बातें सुनकर अलका फिर से मुस्कुरा दी। और अलका को मुस्कुराता हुआ देखकर वीनीत फिर बोला।)

यह हुई ना बात बस आंटी जी इसी तरह से मुस्कुराते रहिए आप पर मुस्कुराहट और ज्यादा अच्छी लगती है।

( अलका मुस्कुराते हुए कुर्सी पर से उठी और बाय कहकर रेस्टोरेंट के बाहर जाने लगी विनीत कुर्सी पर बैठे-बैठे अलका को गांड मटका कर जाते हुए देखता रहा। एक बार फिर से अलका की बड़ी बड़ी मस्त गांड को देखकर विनीत का लंड खड़ा होने लगा था, विनीत और कुछ सोच पाता इससे पहले वेटर बिल लेकर आ गया। विनीत भी खुश होकर बिल के पैसे चुकाया और मुस्कुराता हुआ रेस्टोरेंट के बाहर आ गया। 
आज विनीत के लिए बहुत बड़ा दिन था। विनीत धीरे धीरे अपने इरादे में कामयाब होता जा रहा था। वह अपने साथ अलका को कुर्सी पर तो ले ही आया था अब उसका इरादा अलका को बिस्तर तक ले जाने का था और अलका की माली हालत देख कर उसे लगने लगा था कि आगे चलकर यह काम आसान हो जाएगा।

अलका अपने घर पहुंच चुकी थी आज वह बहुत खुश थी एक तो उसकी मुसीबत जो थी वह टल चुकी थी। और दूसरा यह कि आज वह अपने आप को एक लड़की की तरह महसूस कर रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके बेटे की उम्र का लड़का उसका इस कदर दीवाना हो जाएगा कि बिना सोचे समझे ही झट से पर्स में से निकाल कर दो हजार रुपया थमा देगा। विनीत की रोमांटिक बातोें ने अलका को अंदर तक हिला दिया था। जिस तरह से विनीत में किसी रोमांटिक हीरो की तरह उसकी आंख से निकले आंसू को थामकर अपने होठों से लगाया था उसकी इस अदा पर अलका
कुर्बान हो गई थी।
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10-09-2018, 03:32 PM,
#54
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
उस पल का रोमांच अलका के बदन को अभी तक झनझना दे रहा था। 
सोनू और राहुल दोनों पढ़ाई कर रहे थे। अलका सोनू के सर पर हाथ रखकर दुलार करते हुए बोली।

बेटा कल मैं ऑफिस जाते समय तुम्हारी फीस भरते हुए जाऊंगी। ( अपनी मम्मी की बात सुनकर सोनू बहुत खुश हुआ। और अलका उसके बालों को सहलाते हुए किचन की तरफ चल दी। वह मन ही मन गुनगुना रही थी। 
वह मन ही मन बैगन का भरता बनाने की सोच रही थी इसलिए सब्जी के ठेले को पलटने लगी तो उसमे से बेगन नीचे गिरने लगा। अलका उस बेगन को इकट्ठा करके पानी से धोने लगी। अलका मन में कोई गीत गुनगुनाते हुए एक एक बेगन को हथेली में लेकर उसे ठीक से धोने लगी। तभी एक बेगन थोड़ा ज्यादा लंबा और मोटा तगड़ा था, कुछ बेगन को हथेली में लेते ही तुरंत अलका को सुबह वाला दृश्य याद आ गया यह बेगन भी उतना ही मोटा तगड़ा था जितना की राहुल का लंड था। उस बेगन को लिए लिए ही अलका उत्तेजित हो गई और अपने बेटे के लंड को याद करके उसकी बुर फुलने पिचकने लगी।

अलका की हालत खराब हो रही थी बैगन को देख देख कर उस की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। अलका उस मोटे तगड़े बेगन को यूं पकड़ी थी की मानो वह बैगन ना हो करके राहुल का लंड हो। उत्तेजना में अलका बेगन को ही मुठ्ठीयाने लगी। बैगन का निचला भाग बिल्कुल राहुल के लंड के सुपाड़े के ही तरह था। जिस पर अलका अपना अंगूठा रगड़ रही थी। 
सुबह वाला नजारा उसकी आंखों के सामने नाच रहा था जिस को याद कर करके अलका और भी ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थेी। 

और बाहर राहुल का मन पढ़ने में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था। वह बार-बार नीलू और विनीत की भाभी के संग गुजारे गए पल को याद करके मस्त हुआ जा रहा था उसके पेंट का तंबू बढ़ने लगा था। और जब भी उसे उसकी मम्मी की भरावदार गांड के बारे में ख्याल आता तो उस की उत्तेजना दुगनी हो जाती थी। राहुल पढ़ने बैठा था लेकिन पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। वह अपने बदन की गर्मी को कैसे शांत करें इसका कोई जुगाड़ भी इस समय नहीं था। बार बार उसकी आंखों के सामने वीना की भाभी की बुर नीलू की चूचियां और उसकी मां की भरावदार बड़ी-बड़ी गांड नाच उठती थी।
राहुल से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह इसी ताक में था कि कैसे अपने मन को ठंडा करें। कोई भी जुगाड़ नजर में नहीं आता देख राहुल ने सोचा कि चलकर एक गिलास ठंडा पानी भी पी लिया जाए ताकि उसका मन कुछ हद तक शांत हो जाए। इसलिए वह अपनी जगह से उठा। 
रसोई घर में अलका की हालत खराब हो रही थी वह खड़ी होकर सब्जी काटने लगी लेकिन उस मोटे तगड़े बेगन को उसने पास में ही रखी। अलका बार-बार उस बेगन को देख कर मस्त हुए जा रही थी उसके मन में उस बेगन को लेकर ढेर सारे ख्याल आ जा रहे थे। बैंगन की लंबाई और मोटाई साथ ही अपने ही बेटे का खड़ा लंड याद करके अलका से बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था। तभी वह अपनी गर्मी को शांत करने के लिए बेगन को उठा ली और थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गई जिससे कि उसकी भरावदार बड़ी-बड़ी गांड उभरकर सामने आ गई और अलका ने एक हाथ से बेगन को लेकर साड़ी के ऊपर से ही बुर वाली जगह पर हल्के हल्के से बैंगन को रगड़ने लगी। जैसे ही बेगन का मोटा वाला हिस्सा बुर वाली जगह के बीचो-बीच स्पर्श हुआ वैसे ही तुरंत अलका मदहोश हो गई और उसके मुख से गरम सिसकारी फूट पड़ी। 
राहुल ठंडा पानी पीने के लिए रसोई घर की तरफ आ रहा था और जैसे ही रसोई घर के दरवाजे पर पहुंचा तो सामने अपनी मां को झुकी हुई अवस्था में देखकर उसका लंड एक बार फिर से टनटना कर खड़ा हो गया। झुकने की वजह से हल्का की भरावदार गांड और भी ज्यादा उभरकर सामने की तरफ दिखाई दे रही थी। जिसे देखते ही राहुल की आंखों में मदहोशी छाने लगी
उसकी सांसे तेज चलने लगी। राहुल से रहा नही जा रहा था । वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए एक बार फिर से वही हरकत दौहराने की सोचा। क्योंकि राहुल को ऐसा लगता था कि उस दिन से अब उसने अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भर कर पजामे के अंदर से ही सही ,लंड को उसकी गांड पर चुभाया था उससे राहुल को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी और वह यही समझता था कि उसकी मां को इस हरकत के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं चला था इसलिए राहुल ने फिर से वही हरकत दोहराने के लिए धीमे कदमों से अपनी मां की तरफ बढ़ने लगा उसका तंबू पैजामे में सीधा तना हुआ था।। 
उसकी मां को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि पीछे उसका बेटा उसकी बड़ी बड़ी गांड को देख रहा है । और अलका थी कि अपने में ही खोई हुई उस बैगन को साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर पर रगड़े जा रहीे थी। वैसे अलका इस तरह से खड़ी होकर बेगन को अपनी बुर पर रगड़ रही थी की उसकी हलन चलन से ऐसा ही लग रहा था कि वह सब्जी काट रही है। वह तो मस्त थी बैगन से अपनी बुर को रगड़ने में और पीछे पीछे धीमे कदमों से राहुल अपनी मां की तरफ बढ़ रहा था उसकी नजर बस उसकी मटकती गांड पर ही टिकी हुई थी।
उसका लंड ऊपर नीचे होकर खुशी व्यक्त कर रहा था। तभी राहुल अपनी मां के पिछवाड़े के बिल्कुल करीब पहुंच कर पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में भरते हुए बोला।

ओह मम्मी आज कुछ स्पेशल बना रही हो क्या? ( इतना कहने के साथ ही राहुल ने अपने पेंट में बने तंबू को अपनी मां की गांड की फांकों के बीचो-बीच धंसा दिया। एकाएक हुए इस हमले से अलका एकदम से घबरा गई और उसके हाथ से लंड समान मोटा तगड़ा बैगन छुट कर नीचे गिर गया , और राहुल था कि अपनी मां को बाहों में भरे हुए अपने लंड को अपनी मां की गांड के बीचोबीच धंसाए ही जा रहा था उसकी कमर आगे की तरफ खींची चली जा रही थी। राहुल के ऊपर वासना पूरी तरह से सवार हो चुकी थी। 
राहुल के इस तरह से पकड़ने पर हड़बड़ाहट में बैंगन गिरने की वजह से हल्का अपने बेटे को डांटती इससे पहले ही अलका को अपनी गांड के बीचोबीच कुछ धंसता हुआ सा महसूस होने लगा, उस धंसतेे हुए चीज के बारे में समझते ही अलका का पूरा बदन उत्तेजना की असीम लहर में लहराने लगा उसके होठ खुद-ब-खुद बंद हो गया । वीनीत को डांटने के लिए जो शब्द मुंह से बाहर निकलने वाले थे वह शब्द उत्तेजना की गर्मी में पिघलकर अंदर ही अंदर समा गए। 
अलका को पलभर में ही समझते देर नहीं लगी कि बैगन से कई गुना दमदार उसके बेटे का लंड था। राहुल था कि अपनी मां को बाहों में कसे हुए ही अपनी कमर को एक बहाने से अपनी मां की गांड पर गोल-गोल घुमाते हुए जितना हो सकता था उतना साड़ी के ऊपर से ही लंड को धंसाने लगा। उसकी मां उसकी इस हरकत पर शक ना करने लगे इसलिए वह प्यार से पुचकारते हुए बोला।


बोलो ना मम्मी क्या बना रही हो आज। वैसे भी आज आप बहुत खुश नजर आ रही हो। ( अलका उसे यह जताने के लिए कि जो वह हरकत कर रहा है इस हरकत से वह अनजान है इसलिए वह सब्जी को काटते हुए बोली।) 
आज मैं तुम लोगों के लिए बेगन का भर्ता बना रहे हो तुझे भी पसंद है ना राहुल। ( बड़ी मुश्किल से उत्तेजना के बावजूद अलका के मुंह से शब्द निकल रहे थे वह बोल जरूर रही थी लेकिन उसका पूरा ध्यान अपने बेटे के लंड की चुभन पर ही बना हुआ था। अपनी मां का जवाब सुनकर राहुल खुश होता हुआ बोला। खुश क्या गांड में लंड घंसाने की उत्तेजना से सराबोर होकर वह बोला।) 

ओह मम्मी तुम कितनी अच्छी हो तुम हम लोग कब बहुत ज्यादा ही ख्याल रखती हैं तभी तुम हम आपसे इतना प्यार करते हैं।( इतना कहने के साथ ही राहुल ने अपनी कमर को अपनी मां के बदन से और ज्यादा सटा लिया, और अपने हाथों का कसाव अपनी मां की सीने पर बढ़ा दिया जिससे अलका कि दोनों चूचियां राहुल के हाथों के नीचे दब गई अलका की हालत खराब होने लगी। राहुल को मालूम था कि उसके हाथ के नीचे उसकी मम्मी की चूचियां दबी हुई थी फिर भी वह चूचियों पर से हाथ हटाने की दरकार बिल्कुल भी नहीं ले रहा था। कल का सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनी रहे और सब्जी काटती रही और राहुल था कि अपने लंड को जितना हो सकता था उतना ज्यादा अंदर तक चुभाने की कोशिश कर रहा था। राहुल इस कदर उत्तेजित हो चुका था कि अगर इस समय उसकी मां बिल्कुल नंगी खड़ी हुई होती तू ना जाने कब से है राहुल अपने लंड को अपनी मां की बुक में डाल दिया होता।
अलका को भी मजा आ रहा था अपने बेटे के लंड की चुभन उसे मदहोश बना रही थी उसकी आंखों में खुमारी झलकने लगी थी। अलका का गला सूखता जा रहा था।
वह भी उत्तेजना में अपनी बड़ी बड़ी गांड को इस तरह से गोल गोल घुमा कर अपने बेटे के लंड को चुभवा रही ठीक है राहुल को जरा सा भी शक ना हो वह यही समझता रहे की सब्जी काटने की वजह से उसका बदन हलन चलन कर रही है। 
राहुल को तो मजा आ ही रहा था लेकिन अलका भी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी। वह कुछ देर तक यूं ही झूकी रही और मजा ले ले कर सब्जी काटती रही। 
अलका बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी अपने बेटे के लंड की चुभन की वजह से उसे साफ-साफ महसूस हो रहा था कि उसकी बुर से नमकीन पानी रिस रहा है। 
अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो पर राहुल अपने हाथ का कसाव बढ़ा रहा था। अलका की सांसे भारी हो चली थी। राहुल खाकी बस मम्मी मम्मी करते हुए उसके बदन से लिपटा चला जा रहा था। 
अलका को जैसे होश अाया हो इस तरह से अपने आप को छुड़ाते हुए बोली।

बेटा यूं ही दुलार दिखाता रहेगा या मुझे खाना बनाने भी देगा बहुत समय हो चुका है जाकर तू पढ़ तब तक मे जल्दी से खाना बना लेती हूं। राहुल का मन अपनी मां को यू बाहों से अलग करने को बिल्कुल भी नहीं था। ओर नाहीं अलका चाहती थी कि उसका बेटा हट जाए लेकिन अलका अपने बेटे को यह जताना चाहती थी कि राहुल जो उसे अपनी बाहों में भर कर गंदी हरकत कर रहा है उस हरकत से वह बिल्कुल अनजान है। उसे कुछ भी पता नहीं है। इसीलिए अलका उसकी चूचियों पर कसो हुए हाथ को अपने हाथ से ही छुड़ाते हुए कटी हुई सब्जी को पानी से धोने लगी। राहुल वहीं खड़ा होकर अपनी मां को देख रहा था उसके पेजामे में अभी भी तंबू तना हुआ था। जिसे अलका सब्जी धोते हुए देख ली थी। इस समय भी वह राहुल के पजामे में बने हुए तंबू को देखकर दंग रह गई थी। राहुल रसोई घर में ही खड़ा था। अलका शब्जी धोते हुए राहुल से फिर बोली।
क्या हुआ बेटा कुछ काम है क्या?

(अपने पहचाने में बने तंबू को छिपाते हुए वह बोला)

कुछ नहीं मम्मी बस प्यास लगी थी तू है यूं मेरी मनपसंद का खाना बनाते हुए देखा तो रुक गया।

तो बेटा पानी लेकर पी लो ' और जाकर पढ़ाई करो तब तक मैं खाना बना लेती हूं।

ठीक हे मम्मी ( इतना कह कर राहुल पानी पीकर बाहर चला गया।)

राहुल के जाने के बाद हल्का ने महसूस की कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसने साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर वाली जगह टटोली तो हैरान रह गई थी क्योंकि उसके काम रस ने पेंटी को गीली कर दिया था।
आज दूसरी बार अपने बेटे की वजह से इतनी जल्दी झड़ी थी।।

थोड़ी देर बाद सभी लोगों ने खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए और अलका घर और रसोई घर की सफाई करने के बाद वह भी अपने कमरे में चली रसोई घर से वही बेगन लेकर अपने कमरे में गई थी

अलका कुछ और करना चाहती थी क्योंकि सुबह से और इस समय दो बार झड़ चुकी थी। इस समय भी वह आज के बारे में सोच सोच कर उत्तेजित हुए जा रही थी इसलिए अपने बदन की प्यास को बुझाने के लिए अलका ने एक नया रास्ता ढूंढ निकाली थी।
अलका जैसे ही अपने कमरे में पहुंची तुरंत दरवाजा बंद कर लि। उस मोटे तगड़े बेगन को बिस्तर पर फेंक कर खुद आईने के सामने खड़ी हो गई और तुम भी लेकर अपनी बिखरे हुए बाल को सवारने लगी। अपनी खूबसूरत बदन को आईने में देखकर वह अपने आप मुस्कुराने लगी यह तो वह अच्छी तरह से जानती थी कि वह काफी खूबसूरत थी। इसलिए तो इस उम्र में भी बेटे की उम्र का दीवाना मिला था। उसकी रोमांटिक बातो ने अलका को पूरी तरह से मोह लिया था। 
अलका ब्लाउज उतार कर फेंक चुकी थी और अपनी ब्रा को एडजस्ट करने लगी तभी उसे याद आया कि राहुल ने किस तरह से अपने हाथों से दोनों चूचियों को भींचा हूआ था। और किस तरह से उसका मोटा ताजा लंड उसकी गांड में घुसे जा रहा था। उस पल को याद करके अलका पूरी तरह से उत्तेजित हो गई और तुरंत अपने बिस्तर पर चली गयी लेकिन बिस्तर पर जाने से पहले उसने अपनी साड़ी ब्रा पेटी कोट पेंटी सब कुछ उतार कर बिल्कुल नंगी हो गई थी।
बरसों के बाद कुछ दिन से वह अपनी उंगली का सहारा लेकर के अपने बदन की प्यास को बुझा रही थी। लेकिन आज उसने कुछ और सोच रखी थी बेगन को हाथ में लेकर उसके मोटे वाले हिस्से को अपनी बुर पर रगड़ने लगी। तुरंत उसकी सांसे तेज चलने लगी उत्तेजना का संचार उसके पूरे बदन में हो रहा था। बरसों के बाद लंड के साइज की कोई वस्तु उसकी बुर मे जाने वाली थी।
सोच-सोच कर अलका रोमांचित हुए जा रही थी।
अलका इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि एक पल का भी विलंब सहन करना उसके लिए मुश्किल हुआ जा रहा था इसलिए उसने थोड़े से थूक को अपनी बुर की पंखुड़ियों पर लगाई और थोड़े से तुम बेगन कि मोटे वाले हिस्से पर लगा दी। और तुरंत देखने का मोटा वाला हिस्सा अपने बुर की पतली दरार के गुलाबी छेद में प्रवेश कराने लगी। अगले ही पल धीरे धीरे करते हुए पूरा बेगन उसकी बुर में समा गया। बरसों के बाद उसकी बुर में कुछ मोटा सा गया था इसलिए उसे दर्द भी हो रहा था लेकिन वह जानती थी कि दर्द के बाद ही असली मजा मिलता है। अलका धीरे-धीरे उस बेगन को बुर के अंदर बाहर कर के चोदने लगी। 
थोड़ी ही देर में हाथ चलाने की गति तीव्र हो गई। अलका की सिसकारियां फूटने लगे खास करके यह सिसकारियां उस समय ज्यादा तेज हो जाती थी जब वह उस बेगन की जगह अपने बेटे के मोटे ताजे लंड की कल्पना करती थी। वासना के शिकंजे में पूरी तरह से वह गिरफ्त हो चुकी थी। इसलिए उसे कुछ सूझ नहीं रहा था और वह बेगन को अंदर बाहर करते हुए अपने बेटे का नाम ले लेकर, बेगन से अपनी बुर को चोद रही थी।
थोड़ी देर बाद ही बेगन से बुर को चोदते चोदते उसकी सांसे तेज चलने लगी उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी। अलका कसमसाते हुए अपने बदन की अकड़न को देख रही थी उसे मजा आ रहा था। तभी भरभराकर वह झड़ने लगी। उसकी बुर से कामरस का फुवारा छुट पड़ा। अलका को आज उंगली से ज्यादा बेगन से चुदने में मजा आया था। अलका तृप्त हो चुकी थी' थोड़ी ही देर में वह बिना कपड़ों के ही बिस्तर पर सो गई।
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10-09-2018, 03:32 PM,
#55
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल अपनी हरकत से अंदर ही अंदर बहुत खुश था लेकिन अपने किए गए हरकत की वजह से शर्मिंदगी महसूस कर रहा था। वह मन ही मन में यह सोच रहा था कि क्या मेरे लंड की चुभन मम्मी को अपनी गांड पर महसूस हुई भी या नहीं। अगर सच में मम्मी मेरे लंड की चुभन अपनी गदराई गांड पर महसूस कर रही थी तो मुझे रोकी क्याे नही ,क्यों उसी तरह से झुक कर खड़ी रहेी। कहीं ऐसा तो नहीं मम्मी मेरी हरकत का मजा ले रही थी इसलिए मुझे कुछ बोल ही नहीं वरना इतनी देर तक बाहों में भरने नहीं देती तो वैसे भी तो वह सब्जी काट रही थी। पर ऐसा भी तो हो सकता है कि साड़ी के ऊपर से मम्मी को मेरे लंड की चुभन महसूस ही ना हुई हो। 
राहुल भी कंफ्यूज था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह यह नहीं तय कर पा रहा था कि उसकी मम्मी मजा ले रही थी या यूं ही उस का दुलार समझ कर खड़ी रह गई थी। फिर भी राहुल अपने मन को यह समझा कर रहे गया कि उसकी मम्मी दूसरी औरतों की तरह नहीं थी जो ऐसी हरकत का मजा ले वह तो बहुत ही सीधी सादी औरत हे। मैं ही कुछ गलत समझ गया। 
राहुल यह कहकर अपने मन को मना ले गया। 
लेकिन फिर यह सोच कर हैरान हुआ जा रहा था कि मम्मी का पिछवाड़ा देखते हैं उसे क्या हो जाता है क्यों ऐसी हरकत कर बैठता है। ऐसा पहले तो कभी नहीं होता था फिर अब क्यो एसा होने लगा। फिर खुद ही पिछले कुछ दिनों से आए अपने अंदर के बदलाव के कारण को समझने लगा। नीलू से मुलाकात और फिर विनीत की भाभी इन दोनों के साथ तो सब कुछ हो ही चुका था ऊपर से अपनी मां को संपूर्णता नंगी देखना। यही सब कारण था कि राहुल अपनी मां की मदमस्त गांड को देखकर आपे से बाहर हो जाया करता था।
और फिर से आइंदा ऐसी हरकत ना करने का खुद ही वचन लेकर शांत हो गया। 
इसी तरह से कुछ दिन और बीत गए. अलका के अंदर वासना का संचार बढ़ता ही जा रहा था वह भी अब अपने बेटे के ताक में लगी रहती थी खास करके अलका अपने बेटे का तंबू देखना चाहती थी जिस दिन से उसने अपने बेटे के नंगे लँड को अपने हाथ से छुई थी। तब से तो राहुल के लँड ने अलका के दीमाग मे पुरी तरह से कब्जा जमा लिया था। 

अलका राहुल के ताक झांक में लगी रहती थी और राहुल अपनी मां के में लगा रहता था बस वह मौका ही देखता रहता था कि कब कौन सा अंग झलक जाए।

ऐसे ही एक दिन रविवार का दिन था। अलका के ऑफिस की और राहुल के स्कूल की छुट्टी थी। अलका के अंदर की कामाग्नि दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी। खास करके जब से उसने अपने बेटे के लंड को देखी थी तब से तो उससे रहा ही नहीं जाता था हर रात अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की कल्पना करके कभी उंगली से तो कभी बैगन से ककड़ी और केले से सभी तरह के लंबे और मोटे फल से अपने बुर की प्यास को बुझाने की पूरी कोशिश कर चुकी थी लेकिन यह प्यास थी की बढ़ती ही जा रही थी। अलका जो इतने बरसों से अपने आप को संभाले हुए थी अब उससे अपने बदन की आग बुझाए नहीं बुझ रही थी किसी भी वक्त उसके कदम लड़खड़ा सकते थे। विनीत तो इसी ताक में लगा रहता था लेकिन कुछ दिन से उससे मुलाकात नहीं हो पा रही थी अलका को भी बाजार में आते जाते बस वीनीत का ही इंतजार रहता था और घर पहुंचने पर अपने बेटे के गठीलेे बदन और उसके पेंट में बने तंबू को देख देखकर अपनी पैंटी गीली किए जा रही थी। राहुल भी कम नहीं था रोज अपनी मां के मांसन गोरे बदन और उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और भरावदार गांड को देख देख कर और उसकी कल्पना कर कर के रोज रात को मुठ मारकर शांत हुआ करता था। 
कुछ दिन से राहुल का मन चोदने को तड़प रहा था, राहुल को भी बहुत दिन हो गए थे बुर में लंड डाले, क्या करे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था नीलू और वीनीत की भाभी की बहुत याद आ रही थी उसे। बहुत दीन हो गए थे बुर के दर्शन किए। चुदाई का जुनून राहुल पर इस कदर छाया हुआ था कि बार-बार उसकी नजर घर का काम कर रही उसकी मां पर ही जा रहे थी। एक मन उसका कहता कि यह गलत है ऐसा सोचना भी पाप है लेकिन जब जब उसकी नजर अपनी मां की गदराई गांड पर जाती तो सारे रिश्ते नाते एक तरफ रख देता और उस समय बस उसे उसकी मां का नशीला बदन और गदराई गांड ही नजर आती थी। वह अपनी मां के साथ आगे बढ़ना चाहता था लेकिन डर लगता था उसे , कि कहीं उसकी मम्मी इस हरकत से नाराज ना हो जाए। 
उसे कहां पता था कि जिस तरह से वह चुदाई करने के लिए तड़प रहा था। उसी तरह उसकी मा भी मोटे ताजे लंड को अपनी बुर में डलवाने के लिए तड़प रही थी। अगर राहुल अपनी मां के मन की बात को जान सकता तो जरूर बिना कहे घर में ही अपनी मां की जमकर चुदाई कर दिया होता। लेकिन मजबूर था अपने संस्कारों की वजह से क्योंकि अब तक अलका ने एसा माहौल नहीं बनने दी थी कि राहुल किसी तरह की छूट छाठ ले सकें। वह तो राहुल की उम्र का तकाजा था जो अपनी रसोई घर में अपनी मां को बाहों में भरकर हरकत कर बैठा था। 
दोपहर का समय था गर्मी अपने चरम सीमा पर थी। पंखे की हवा भी बदन को ठंडक देने में असमर्थ साबित हो रहे थे। अलका राहुल और सोनू तीनों ड्राइंग रूम में आराम कर रहे थे। गर्मी की वजह से तीनों फर्ष पर चटाई बिछाकर नीचे लेटे हुए थे सोनू तो सो चुका था लेकिन अलका और राहुल की आंखों से नींद कोसों दूर थी। तापमान की गर्मी से ज्यादा दोनों के अंदर बासना की गर्मी का पारा ज्यादा था। अलका पतला सा गाउन पहने हुए थी। बीच में सोनू लेटा हुआ था और किनारे पर राहुल जौकी सिर्फ टॉवल और बनियान पहनकर ही लेटा हुआ था। जिसमे से उसके गठीले बदन का आकर्षण किसी भी औरत को मस्त कर देने में सक्षम था। और उस आकर्षण से खुद उसकी मां भी बच नहीं पाई थी। रह रह कर अलका की नजर अपने बेटे के बदन पर चली जा रही थी, लेकिन उसकी नजरें जो देखना चाहती थी अभी तक वह नजारा सामने नहीं आया था। बार-बार अलका की नजर राहुल की जांघों के बीच उस उठाव को देखना चाहती थी जिसे देखने के लिए हर औरत बेताब रहती हे। लेकिन अभी तक राहुल का लंड फनफना कर खड़ा नहीं हुआ था अभी शायद टॉवल के अंदर सो रहा था और उसे जगाने की कोशिश में अलका जूट चुकी थी। वह बार-बार जानबूझकर अपने चूड़ियों को खनकाती थी ताकि राहुल उसकी तरफ देख सकें और ऐसा होता भी था अपनी मां की चूड़ियों की खनक सुन कर राहुल बार-बार अपनी मां की तरफ एक नजर फेर ले रहा था। लेकिन इसका प्रभाव उसकी जांघो के बीच सोए लंड महाराज पर बिल्कुल भी नहीं पड़ रहा था। अलका की की गई कोशिश नाकाम होती नजर आ रही थी वह परेशान थी की कैसे राहुल को अपनी तरफ आकर्षित करें। अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने में उसे एक अजीब सा मजा मिल रहा था। लेकिन इस मजे की वजह से उसकी तड़प और ज्यादा बढ़ जा रहे थे अभी तक तो राहुल उसकी तरफ आकर्षित नहीं हो पाया था और अलका की उत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी। क्या करें कैसे राहुल का ध्यान अपनी तरफ खींचे अलका इसी सोच में लगी हुई थी। अलका पीठ के बल लेटी हुई थी तभी वहां अपने पैर को घुटनों से मोडते़े हुए राहुल का ध्यान उस पर जाए इस तरह से उसको सुनाते हुए बोली।
बेटा आज कितनी गर्मी है मुझसे तो बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है। ( इतना कहने के साथ ही अलका ने अपने पैर को घुटनों से मोड़ आते हुए और बड़े ही चतुराई से अपने गांऊन को थोड़ा सा चढ़ा कर घुटनों से छोड़ दी और उसका गांऊन तुरंत घुटनों से फिसलता हुआ नीचे कमर तक आ गया जिससे अलका की मांसल गोरी गोरी जांघे बिल्कुल नंगी हो गई, चूड़ियों की खनक और ज्यादा गर्मी वाली बात सुनकर राहुल की नजर अपनी मां पर पड़ी तो वह अपनी मां को देखते ही दंग रह गया। अपनी मां की गोरी चिकनी टांगे और मांसल केले के तने के समान मांसल जांघों को देखकर उसका सोया हुआ लंड फुंफकारने लगा। यह नजारा देखते ही राहुल का गला उत्तेजना के कारण सूखने लगा । अलका भी तिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसकी नजरों को अपने बदन के ऊपर फिरती देख कर अंदर ही अंदर खुश होने लगी। अलका की नजर तुरंत अपने बेटे के जांघो के बीच गई, और जांघों के बीच उठते हुए टावल को देख कर उसकी बुर उत्तेजना के कारण फूलने पिचकने लगी। वह जान गई थी कि उसका काम बन चुका हैबदन की प्यास बुझाने के लिए जो काम उसने जवानी में नहीं की थी वह काम उसे इस उम्र में करना पड़ रहा थाा। वो भी अपने बेटे के लिए। राहुल तिरछी नजरों से अपनी मां को ही देखे जा रहा था। अलका अपने बेटे को और ज्यादा उकसाना चाहतीे थी। ताकि उसका लंड बुर मांगने लगे इस वजह से उसने करवट बदलते हुए दूसरी तरफ मुंह करके अपने बेटे की तरफ पीठ कर ली। और राहुल को पता ना चले इस तरह से एक हाथ से धीरे से गाऊन को ओर कमर की तरफ सरका ली , जिससे अलका की मदमस्त बड़ी-बड़ी और गोरी गांड बिल्कुल नंगी होकर राहुल की आंखों के सामने नाचने लगी। राहुल अपनी मां का यह रूप देख कर एकदम से चुदवासा हो गया। उसका जी तो कर रहा था कि अपनी मां के पीछे जाकर लेट जाए और अपना टनटनाया हुआ लंड पीछे से अपनी मा की बुर मे डालकर चोद दे।

राहुल अपनी मां का गजब का रुप देख कर आश्चर्य से भर चुका था। अलका ने भी अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए पूरा जोर लगा चुकी थी इसलिए तो उसने आज पेंटी भी उतार फेंकी थी। गोरी गोरी गांड वह भी एक दम भरावदार ऐसा लग रहा था कि जैसे रस से भरे दो तरबूज किसी ने लगा दिए हो। वैसे भी अलका के बदन में सबसे ज्यादा आकर्षक उसकी उन्नत नितंब ही थी, पैसा नहीं था कि अलका सिर्फ बड़ी-बड़ी और गोलाकार गांड की वजह से ही सुंदर दिखती थी उसका हर एक अंग तरासा हुआ था। सर से लेकर पांव तक पोर पोर में खूबसूरती भरी हुई थी। उन्नत वक्ष स्थल गोरा बदन भरे हुए लाल लाल गाल जैसे कि काशमीेरी सेव, चिकना पेट एकदम सपाट और चिकने पेट के बीच
गहरी नाभि जौकी छोटी सी बुर ही लगती थी। कुदरत की सारी कारीगरी अलका में उतर आई थी एकदम कामदेवी लगती थी। 
राहुल देखा तो देखता ही रह गया' ऐसा नहीं था कि वह पहली बार देख रहा हूं इससे पहले भी कई बार उसने अपनी मां को नंगी देख चुका है खास करके उसकी भरावदार गांड को लेकिन इस समय का नजारा कुछ और ही था। राहुल जानता था कि उसकी मां जाग रही है, लेकिन जिस तरह से उसके अंगो का प्रदर्शन हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था शायद उसकी मां अर्ध निद्रा में है वरना उसकी मां ऐसी हरकत करने की कभी सपने में भी सोच नहीं सकती थी। नींद मे ही होने की वजह से उसका गाउन घुटनों से नीचे सरक गया था, और अनजाने में ही करवट लेने की वजह से उसकी मां का भरपूर गांड उजागर होकर प्रदर्शित हो रहा था। ऐसी धारणा राहुल के मन में बनी हुई थी लेकिन वह यह नहीं जानता था कि यह सारी हरकतें उसकी ही मां की सोची समझी साजिश थी। 
वाकई में अलका की हिम्मत की दाद देनी होगी क्योंकि वह बहुत ही संस्कारी और शर्मीली औरत थी। ऐसी हरकत करने के बारे में वह कभी सोच भी नहीं सकती थी। लेकिन कहते हैं ना की वासना की पट्टी अगर आंखों पर पड़ जाए तो अच्छे बुरे की पहचान करना मुश्किल हो जाता है उसी तरह का कुछ अलका के साथ भी हो रहा था उसकी आंखों पर भी वासना की पट्टी चढ़ी हुई थी इस समय वह यह नहीं सोच पा रही थी कि जो हरकत वह कर रही है इसका कितना दुष्परिणाम हो सकता है। लेकिन इसके बारे में सोचने की शक्ति अलका खो चुकी थी उसनेे इस समय अपना सारा ध्यान बस अपने बेटे को अपना अंग प्रदर्शित करके उसे अपनी तरफ आकर्षित करने में लगा रखी थी और अपनी इस साजिश में कामयाब भी होती जा रही थी क्योंकि इससे मैं राहुल का पूरा ध्यान उसकी मां पर ही टीका हुआ था। राहुल की प्यासी नजरें उसकी मां की भरपूर उठी हुई गांड पर ही इधर-उधर फिर रही थी चिकनी जांगे वह भी मोटी मोटी मांसल जांघे जिसे देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। अपनी मां की नंगी गांड को देख कर राहुल का भी यही हाल हो रहा था कुछ देर पहले सोया हुआ उसका लंड टन टना के खड़ा होने लगा था । टॉवेल का उभार बढ़ता ही जा रहा था। और उसकी मां अपने बेटे को पूरा मौका दे रही थी कि वह उसकी मदमस्त गांड को देखकर उत्तेजित होने लगे। इसलिए तो उसने अभी तक करवट नहीं बदली थी और रह-रहकर अपनी हथेली को अपनी जांघ पर ऐसे फिरा रही थी कि राहुल को लगे कि वह खुजला रही हो।
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10-09-2018, 03:32 PM,
#56
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल तो एक दम मस्त हो चुका था उसका मन अंदर ही अंदर बेताब हुए जा रहा था। वह इस समय का नजारा देखकर अपनी मां को चोदना चाहता था। लेकिन कैसे वह डर भी रहा था कि कहीं उसकी मां बुरा मान गई तो और इस की ऐसी हरकत पर इसकी मां क्या सोचेगी। शर्मिंदा होने पर वह कैसे अपनी मां से आंख मिला पाएगा। राहुल इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था । पूरे बदन में उसके उत्तेजना का प्रसार हो चुका था उसके लंड में मीठा मीठा दर्द होने लगा था। टावल में उठे हुए तंबू को देख कर राहुल खुद हैरान था क्योंकि आज तंबू की ऊंचाई कुछ ज्यादा ही लग रही थी। 
और उसकी मा थी की उत्तेजना में डूबी जा रही थी उसकी बुर धीरे-धीरे करके मदन रस बहा रही थी। उस की उत्तेजना और भी ज्यादा पर जा रही थी जब वह मन ही मन यह सोच रही थी कि पीछे से उसकी गांड पूरी तरह से निर्वस्त्र और नंगी थी जिसे उसका ही बेटा आंखें फाड़ कर देखे जा रहा था। वाकई में यह नजारा क्या खूब था जब एक मां अपने नंगे बदन को याद करके उसकी बड़ी बड़ी मस्त गांड को अपने ही बेटे को उकसाने के लिए उसे कामुक अदा से दिखा रही हो और उसका बेटा भी उत्तेजना में सराबोर होकर अपनी मां की मस्त बड़ी बड़ी गांड देखकर अपना लंड टाइट किए हुए हो तो वाकई में यह नजारा कामुक की दृष्टि से एकदम अतुल्य हो जाता है। 
मां बेटे दोनों एक दूसरे के लिए तड़प रहे थे दोनों के बदन में कामाग्नि अपना असर दिखा रही थी राहुल अपनी मां के बदन को देख कर उत्तेजित हो चुका था तो अलका अपने बेटे को अपने अंग का प्रदर्शन करके उसके उठे हुए टॉवल को देखकर मस्त हुए जा रही थी

दोनों आगे बढ़ना चाहते थे एक दूसरे में खो जाना चाहते थे। अपने बदन में भड़की जिस्म की प्यास को एक दूसरे से बुझाना चाहते थे लेकिन दोनों अनजान थे दोनों एक दूसरे की हसरत को समझ नहीं पा रहे थे। राहुल भी पूरी तरह से तैयार था अपनी मां को चोदने के लिए और अलका भी पूरी तरह से तैयार थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए। लेकिन दोनों के बीच पतली सी असमंजसता की चादर थी जो पहल करने में घबरा रही थी। दोनों के बीच मां बेटे की रिश्तो की मर्यादा ने दोनों को रोके हुए था। रिश्तो का उल्लंघन कर पाने मैं दोनों संकोच कर रहे थे । पूरे कमरे का माहौल गर्म हो चुका था। वातावरण की गर्मी और दोनों के बदन की गर्मी कहर बरसा रही थी। दोनों ईस आग को बुझा कर ठंडा करना चाहते थे। लेकिन कैसे दोनों के समझ के बाहर था अलका से अब सहन कर पाना बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था। बदन में आए जरा सी हलचल से हलका का पूरा बदन कसमसा उठता जिससे उसके नितंबों की थिरकन बढ़ जाती जिसे देख कर राहुल का लंड अकड़ने लगता । अलका से बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था और आगे बढ़ने में उसे डर भी लग रहा था कि अगर कहीं उसका बेटा उसके बारे में गलत धारणा बांध लिया तो जीते जी मर जाएगी कैसे मुह दीखाएगी, कैसे अपने बच्चों से आंख में आंख मिलाकर बात कर पाएगी। यही सोचकर वह तुरंत उठ गई और उसे उठता हुआ देखकर राहुल में तुरंत दूसरी तरफ करवट कर लिया। अलका की नजर जब राहुल पर पड़ी तो वह दूसरी तरफ करवट किए हुए था। उसे कुछ समझ में नहीं आया क्या वाकई में राहुल उसके नंगे बदन को नहीं देखा या देख कर भी ना देखने का नाटक कर रहा है अलका के लिए यह समझ पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था। 
अलका वहां से तुरंत बाथरूम में चली गई और बाथरूम में जाते ही उसने अपने गांऊन को उतार फेंकी, गांऊन के उतारते हैं अल्का पुरी तरह से नंगी हो गई। 
नीचे लेटे लेटे राहुल से भी रहा नहीं जा रहा था अपनी मां की नंगी गांड को देख कर जिस तरह से वह उत्तेजित हुआ था उसे अपने आप को शांत करना था इसलिए वह भी अपनी जगह से उठा और अपनी मां के पीछे पीछे बाथरूम की तरफ आ गया। राहुल मन में यह उम्मीद लेकर आया था कि शायद उस दिन की तरह आज भी बाथरूम में उसे अपनी मां नंगी देखने को मिल जाए और उसकी यह उम्मीद खरी भी उतर गई। बाथरूम के दरवाजे पर पहुंचते ही उसे पता चला कि बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था। उस हल्के से खुले हुए दरवाजे के अंदर नजर ़ दौड़ाते ही राहुल के लँड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया। बाथरूम के अंदर उसकी मां पूरी तरह से नंगी थी। राहुल की आंखों के सामने उसकी मां की नंगी पीठ बड़ी बड़ी गांड जो कि हल्के उजाले में चमक रही थी। राहुल दीवार की वोट लेकर अपने आप को छुपा कर चोर नजरों से अपनी मां के नंगे बदन के रस को अपनी नजरों से पीने लगा। आगे से उसका टावल उठ चुका था। 
अंदर उसकी मां खड़े-खड़े ही पानी के पीप में से मग भर भर के पानी अपने बदन पर डाल रही थी। पानी अपने सर पर डालते ही उसकीे गर्मी शांत होने लगी। कुछ देर पहले उसके सर पर जो वासना की गर्मी छाई हुई थी ठंडा पानी पड़ते ही सारी गर्मी ठंडे पानी के साथ पिघलने लगी। वह कुछ देर तक अपने बदन पर ठंडा पानी डालती ही रही। और बाथरूम के बाहर खड़ा होकर अपनी मां के नंगे बदन को देख कर राहुल मुठ मारना शुरु कर दिया था। अलका का दिमाग शांत होते ही उसे अपनी हरकत पर पछतावा होने लगा। उसे इसका एहसास होने लगा कि उससे बहुत बड़ी गलती होने जा रही थी। अगर आज वाकई में कुछ गलत हो गया होता तो वह अपने आप को ही कैसे मुंह दीखाती।
ठंडा पानी पड़ते ही अलका के सर से वासना का बुखार ऊतर चुका था। बाथरुम के अंदर अलका अपने नंगे बदन पर ठंडा पानी डाल कर शांत हो चुकी थी लेकिन बाहर राहुल अपनी मां के नंगे बदन को देख कर अपने आप को शांत करने के लिए जोर जोर से मुठ मारे जा रहा था अपने मां की गांड की थिर कन को देखते ही उसका जोश दुगना होता जा रहा था। और वह जोर जोर से लंड को मुठीयाने मे लगा हुआ था। अपनी मां को चोदने की कल्पना करते हुए वह थोड़ी ही देर में लंड से गर्म फुवारा फर्श पर दे मारा। 
अलका अंदर नहा चुकी थी। इसलिए किसी भी वक्त वह बाथरुम से बाहर आ सकती थी। इसलिए राहुल का वहां देर तक खड़े रहना ठीक नहीं था इसलिए वह अपने आप को शांत कर के वहां से आ कर वापस नीचे चटाई पर लेट गया।

बासना का तूफान गुजर चुका था। मां बेटे दोनों इस वासना के तूफान में तहस-नहस होने से बच तो गए थे,
लेकिन यह तूफान दोनों के अंतर्मन में अपनी निशान चिन्हित कर गया था। मन में जब किसी के प्रति आकर्षण जन्म लेता है तो आकर्षण से अपने नजरअंदाज कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा हो जाता है। भले ही मन अपने आप को संभालने की पूरी कोशिश करें लाख दुहाई दे फिर भी या आकर्षण नहीं जाता। वासना का तूफान इस वक्त के लिए तो शांत हो चुका था लेकिन खत्म नहीं हुआ था। अलका और राहुल जिस दौर से गुजर रहे थे' ऐसे नहीं ज्यादा दिन तक अपने आप को संभाल पाना नामुमकिन सा था। राहुल अभी अभी जवान हो रहा था उसके अंदर किसी औरत के प्रति आकर्षण जन्म लेना कुदरती था। ऐसे में उसकी निगाह अपनी ही मां के बदन पर फीरने लगी थी। अलका एकदम मैच्योर थी लेकिन बरसों से प्यासी एेसे में विनीत के द्वारा प्रेम का इजहार करना और अपने ही बेटे के दमदार लंड के प्रति आकर्षित होना , अलका अपने आप को ज्यादा दिन बहकने से रोक नहीं सकती थी। 
राहुल अपनी गर्मी शांत करके वापस आकर लेट चुका था और अलका भी ठंडे पानी से नहा कर अपने बहकते मन पर रोक लगा चुकी थी। 


तनख्वाह की तारीख आ चुकी थी ।अलका बहुत खुश नजर आ रही थी। ओर खुश हो भी क्यों न महीने भर तो ऐसे ही हाथ तंग रहते हैं। बस एक ही दिन मिलता है जिसमें थोड़ा अपने पसंद का और बच्चों के पसंद का कुछ खरीद सकती हो। इसलिए तो तनख्वाह कर दिन अलका के साथ साथ दोनों बच्चे भी खुश नजर आते हैं।
तनख्वाह के एक दिन पहले ही अलका सारी लिस्ट तैयार कर लेती थी किसको कितना देना है दूधवाला राशन वाला जैसे छोटे बड़े खर्चे सभी को लिस्ट में समाहित कर लेती थी लेकिन इस बार 2000 का अलग का खर्चा था जोकि विनीत को देना था। यह 2000 की रकम विनीत को चुकाने के बाद हाथ में ज्यादा रकम नहीं बच पा रही थी। और ऐसे में तो 15 दिन में ही घर खर्च के सारे पैसे खत्म हो जाएंगे और फिर तनख्वाह तक घर का खर्चा उठा पाना बड़ा मुश्किल हो जाएगा। अलका के चेहरे पर आई मुस्कान तुरंत गायब हो गई उसे 2000 की चिंता सताए जा रही थी। लेकिन फिर मन में यही सोच कर अपने आप को तसल्ली देती की देना तो है ही, और वैसे भी विनीत ने बहुत ही मुश्किल के समय उसकी मदद की थी इसलिए समय पर उसका पैसा चुकाना बहुत जरूरी है। 
फिर मन मे वह सोची की 2000 हो चुका देगी और अपने बॉस से कुछ पैसे अडवांस ले लेगी ताकि महीने भर का खर्चा चल सके। यही सोचकर वह राहुल और सोनू को स्कूल भेज कर ऑफिस चली गई।

काम करते-करते शाम हो गई लेकिन ऑफिस में काम कुछ ज्यादा था इसलिए बॉस ने 2 घंटे ओवरटाइम करने को कहा। 
तनख्वाह मिल चुकी थी, एडवांस के लिए कहने पर बॉस ने इनकार कर दिया जिससे अलका दुखी हो गई लेकिन उसके लिए खुशी वाली बात यह थी की उसकी मेहनत और लगन उसके काम को देखते हुए बॉस ने उसकी तनख्वाह में १५०० का ईजाफा कर दिया था लेकिन यह रकम उसे अगले महीने की तनख्वाह से मिलने वाला था दुखी होने के बावजूद भी उसे इस बात की खुशी थी कि अगले महीने से उसकी मुसीबते कुछ हद तक कम हो जाएंगी। 
२ घंटे के ओवर टाइम के बाद समय कुछ ज्यादा हो चुका था ऑफिस से छूटते ही अलका जल्दी-जल्दी अपने घर की तरफ जाने लगी। तनख्वाह वाले दिन वह घर पर कुछ स्पेशल खाने को जरूर ले जातीे थी इसलिए वह तेज कदमों से मार्केट की तरफ बढ़ रही थी। कि अचानक एक मोटरसाइकिल उसके आगे आकर रुक गई अलका एकदम से घबरा गई उसे यू लगा कि मोटरसाइकिल से टकरा जाएगी तभी मोटरसाइकिल वाले ने अपना हेलमेट निकाला तो अलका को थोड़ी राहत हुई' क्योंकि वह वीनीत था, हेलमेट उतारते ही विनीत बोला आईए आंटी जी मैं आपको छोड़ देता हूं।
अलका इंकार ना कर सकी क्योंकि वैसे भी उसे देर हो रही थी और वह मोटरसाइकिल पर वीनीत के पीछे बैठ गई। मोटरसाइकिल मर्यादीत रफ्तार में सड़क पर भागी चली जा रही थी। अपनी मोटरसाइकल पर अलका को बिठा कर मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रहा था। तभी विनीत के गंदे दिमाग में एक युक्ती सूझी। उसने रह-रहकर ब्रेक मारना शुरू कर दिया जिससे अलका का मदमस्त बदन उसके बदन से टकरा जा रहा था और जब-जब अलका का खूबसूरत बदन विनीत के बदन से टकराता विनीत के पूरे बदन में हलचल सी मच जाती। बार बार वीनीत के ब्रेक मारने पर अलका परेशान हो जा रही थी। उसका कंधा बार-बार विनीत की पीठ पर टकरा जाता था। विनीत जानता था कि इस तरह से अलका को परेशानी हो रही है लेकिन वह भी ट्राफिक का बहाना बना देता था। मोटरसाइकिल का एक्सीलेटर बढ़ाते हुए विनीत बोला आंटी जी परेशानी हो रही है तो एक हाथ मेरे कंधे पर रख दीजिए इससे आपका बैलेंस बना रहेगा। वैसे भी विनीत के मोटरसाइकिल चलाने पर अलका हचमचा जा रही थी , इसलिए वह भी अपने बैलेंस को बनाने के लिए एक हाथ वीनीत के कंधे पर रखकर उस का सहारा ले ली। अपने कंधे पर अलका का हाथ रखवा कर विनीत ने चालाकी करी थी। क्योंकि अब वह जब भी ब्रेक लगाता तो अलका की दाहिनी चूची सीधे विनीत की पीठ पर टकराकर दब जाती जिससे विनीत के साथ-साथ अलका के बदन में ऐसा रोमांच उठ़ता कि पूछो मत। विनीत के जांघों के बीच तुरंत सोया हुआ लंड फुफकारने लगा।वीनीत को बहुत मजा आ रहा था, औरअलका शर्मसार हुए जा रही थी। वह अपने आप को संभाले भी तो कैसे क्योंकि विनीत इतनी तेज ब्रेक लगाता कि संभल पाना बड़ा मुश्किल था। और ना चाहते हुए भी अलका विनीत के बदन से टकरा जाती। पराए मर्द के बदन की रगड़ से अलका भी पूरी तरह से गंनगना जा रही थी। यह रगड़ और आगे बढ़ती इससे पहले ही बाजार आ गया। विनीत ने झट से सरबत की दुकान के आगे मोटरसाइकिल को खड़ी कर दिया, और अलका को ऊतरने को कहा। अरे कभी मन में सवाल लिए उतर गई।वीनीत भी मोटरसाइकिल को स्टैंड पर लगाते हैं सरबत वाले को दो मैंगो ज्युस का आर्डर दे दिया। अलका कुछ कह पाती इससे पहले ही विनीत ने कुर्सी उसकी आंखें बढ़ा दिया और अलका को बैठना ही पड़ा। 
शाम ढल रही थी अलका को घर जाने की भी चिंता सताए जा रही थी। वीनीत बहुत खुश नजर आ रहा था वह अलका के पास ही कुर्सी पर बैठ गया। थोड़ी ही देर में मैंगो जूस भी आ गया। वीनीत झट से शरबत वाले के हाथ से दोनों गिलास थाम कर एक गिलास अलका को थमा दिया। अलका भी गर्मी से बेहाल थी इसलिए वह भी झट से जूस का गिलास थाम ली, और गिलास को अपने गुलाबी होठों से लगाकर पीने लगी। 
विनीत अलका को जुस पीते हुए देख रहा था। उसके गुलाबी गुलाबी होठों से आम का जूस घुंट घुंट अंदर जा रहा था जिसे देख कर वीनीत के शैतानी दिमाग ने कल्पना करना शुरू कर दिया कि जिस तरह से अलका आम का जूस धीरे धीरे करके होठों से चूस रही है, एक दिन मैं भी उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को मुंह में भरकर धीरे धीरे से उसका रस पियूंगा। इतना सोचते ही वीनीत का पूरा बदन झनझना गया। उसका लंड फिर से टनटना कर खड़ा हो गया। अलका जूस पीते पीते 2000रु के बारे में सोचने लगी वह मन ही मन सोच रही थी कि यह 2000रु विनीत को दे की नहीं। क्योंकि अगर वह 2000रु भी नहीं तो को लौटा देती है तो महीने का खर्च चलाना बड़ा मुश्किल हो जाएगा लेकिन अगर नहीं देती है तो भी अच्छी बात नहीं थी उसका मन बड़ा असमंजस में था। इसी सोचने जूस का गिलास भी खत्म हो गया। धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा था उसे घर जाने की भी चिंता सताए जा रही थी। घर जाकर उसे खाना बनाना था। और यही बाजार में ही देर हो जाने की वजह से खाना बनाने का मूड. नही कर रहा था। 
2000रुपए के चलते अलका विनीत से नजरें मिलाने में कतरा रही थी वह उसे कहना चाह रही थी कि 2000रु के लिए उसे कुछ दिन की मोहलत और दे दे, लेकिन कह भी नहीं पा रही थी। इसी उधेड़बुन में विनीत में शरबत वाले को उसके पैसे चूका दिए और पैसे चुकाने के बाद
वह अलका से बोला। 
आंटी जी आपको और कुछ चाहिए।( वीनीत के सवाल से अलका एकाएक हड़बड़ा गई. और हड़बड़ाते हुए बोली।) 

हंहंहं.... हां आज मुझे देर हो चुकी है इसलिए मुझे अपने बच्चों के लिए कुछ नाश्ता ले जाना पड़ेगा ताकि खाना ना बना सकूं क्योंकि मेरा आज खाना बनाने का मूड नहीं है।

तो चलिए कुछ ले लीजिए। 
( अलका सामने की हलवाई की दुकान पर जाने लगी और पीछे पीछे विनीत भी आगे बढ़ने लगा दुकान पर पहुंच गए अलका ने हलवाई से कुछ मिठाईयां और समोसे पेक करवाए, विनीत ने आगे बढ़कर रसमलाई का पैकेट भी पैक करवा लीया, अलका समझी की विनीत ने अपने लिए रसमलाई पैक करवाया है और दुकानदार ने साथ में ही सबका बिल बना दिया, अलका ने जैसे ही दुकानदार के पैसे चुकाने के लिए अपना पर्स खोली उससे पहले ही वीनीत ने अपने पर्श से 500का नोट निकालकर दुकानदार को थमाते हुए बोला। 
Reply
10-09-2018, 03:33 PM,
#57
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
लो जो भी होता है इस में से काट लो।
( विनीत को यू नोट थमाते हुए देखकर अलका बोली।)

अरे अरे यह क्या कर रहे हो! मैं दे रही हूं ना।

तब तक दुकानदार ने पैसे काट कर बाकी के पैसे विनीत को लौटा दीया। अलका देखती ही रह गई। दुकानदार ने मिठाई और समोसे को एक थैली में डालकर अलका को थमा दीया। अलका भी आवाक सी उस थैली को पकड़ ली, वीनीत दुकान से बाहर आ गया पीछे पीछे अलका भी आ गई। वीनीत ने अलका से बोला।

आप यहीं रुकिए मैं गाड़ी लेकर आता हूं। ( विनीत के इतना कहते ही अलका बोली।)

नहीं नहीं मेरे लिए तकलीफ मत उठाओ में खुद चली जाऊंगी। 

अरे इसमें तकलीफ केसी, आप ऐसा कह कर मुझे शर्मिंदा कर रही हैं। आप यहीं रुकिए मैं लेकर के अाता
हुं। ( इतना कहकर वह मोटरसाइकिल लाने चला गया। वीनीत मोटरसाइकल चालू करके सीधे अलका के सामने लाकर खड़ा कर दिया और अलका को बेठने का इशारा किया। अलका भी बिना कुछ बोले मोटर साइकिल पर बैठ गई। विनीत भी धीरे-धीरे एक्सीलेटर देते हुए मोटरसाइकिल को आगे बढ़ाने लगा। वह ज्यादा से ज्यादा वक्त अलका के साथ बिताना चाहता था इसलिए उसे कोई जल्दी नहीं थी अंधेरा छा रहा था। अलका असमंजस में थी तनख्वाह मिल चुकी थी विनीत को ₹2000 लौटाने थे लेकिन अगर लौटा देती तो महीने भर का खर्चा चलाना मुश्किल हो जाता। इसलिए वह बड़े सोच में पड़ी हुई थी। फीर भी औपचारिकता तो यही बनती थी कि विनीत का पैसा लौटा दिया जाए क्योंकि बड़े मुसीबत की घड़ि में उसने पैसे देकर मदद किया था। बातों के दौऱ को आगे बढ़ाते हुए अलका बोली।
तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। मैं दुकानदार को पैसे चुका रही थी ना फिर देने की क्या जरूरत थी।

अरे आंटी जी ईसमें क्या हुआ मैं चुकाऊ या आप चुकाओ बात तो एक ही है। रही बात पैसे की तो हमें बिजनेस में बहुत ज्यादा मुनाफा हुआ है। और आज मैं बहुत खुश हूं मेरे रिश्तेदार तो है नहीं , की उनके साथ में अपनी खुशी शेयर कर सकूं। घर पर सिर्फ भाभी है और भैया तो बिजनेस में ही मस्त रहते हैं जो कुछ भी है आप ही हैं इसलिए मैं आपके साथ अपनी खुशी सेयर करता हूं। और आप हैं कि मेरी खुशी में शामिल नहीं होना चाहती, 

ऐसी बात नहीं है वीनीत , मुझे अच्छा लगेगा अगर मैं तुम्हारी खुशी में शामिल हो सकूं तो लेकिन इस तरह से बार बार पैसे की मदद करना....( अलका बोलते बोलते अचानक रुक गई, रुक क्या गई जानबूझकर बात का रुख बदलते हुए बोली।) 
अरे हां विनीत पैसे से याद आया कि आज मेरी तनख्वाह हो गई है और मुझे तुम्हारे ₹2000 लौटाने हैं आगे चलो चौराहे पर वही देती हूं। 
( पैसे की बात आते ही विनीत सकपका गया, क्योंकि वह जानता था कि अलका को दिए हुए उधार पैसे की ही वजह से वह थोड़ी बहुत छूट छाट ले पाता था। अगर वह अलका से पैसे वापस ले लिया तो,मिलने वाली छुट छाट भी बंद हो जाएगी। इसलिए वह बोला।)

अरे आंटी जी मुझे पैसे की जरूरत नहीं है और मैंने कहा आपसे पैसे मांगे हैं आपको जरूरत हो तो अभी रख लीजिए। मुझे जरूरत होगी तो मैं खुद ही मांग लूंगा।( कहते हुए विनीत धीरे-धीरे मोटरसाइकिल को आगे बढ़ा रहा था अंधेरा छा चुका था और जिस रास्ते से वे दोनों गुजर रहे थे वहां पर कम ही गाड़ी आ जा कर रही थी यह वही जगह थी जहां पर बरसात और अंधेरे का फायदा उठाते हुए विनीत ने अलका को अपनी बाहों में भर कर अपनी मर्यादा को लांघने की कोशिश किया था। वह दृश्य याद आते हैं विनीत के बदन मे सुरसुराहट सी फेल गई। तभी उत्तेजना में हल्के से ब्रेक मारकर जैसे ही एक्सीलेंटर छोड़ा अलका का बदन झटका खाकर विनीत के बदन से टकरा गया जिससे अलका की चूची विनीत की पीठ से रगड़ खा गई जिसका एहसास महसुस करते ही विनीत का लंड खड़ा हो गया। ओर ब्रेक लगते ही अलका अपने आप को संभाल नहीं पाए थे और उसके मुंह से आउच निकल गया।)

आाउच....( विनीत के कंधे पर अपना हाथ रख कर संभलते हुए) बात ऐसी नहीं है विनीत अब उधार लेी हुं तो उसे लौटाना भी तो होगा ना। ( अलका पैसे लौटाने के लिए तो बोल रही थी लेकिन अंदर ही अंदर पैसे ना लौटाने का लालच भी बना हुआ था लालच कैसा यह लालच नहीं उसकी मजबूरी थी। और विनीत तो चाहता ही था कि अलग का उसे पैसे ना लौटाए, ताकि पैसों के बहाने उस से नज़दीकियां बढ़ाई जा सके। इसलिए वह बोला।)

ऐसी कोई बात नहीं है आंटी जी मुझे क्या, जरूरत होगी तो मैं आपसे खुद ही कह दूंगा। ( विनीत की बात सुनकर अलका अंदर ही अंदर खुश होने लगी क्योंकि उसके महीने भर का खर्चा चलाने का टेंशन दूर हो चुका था। लेकिन वह अपनी खुशी जाहिर नहीं होने दी। अंधेरा बढ़ चुका था बड़े-बड़े उठ हमें पेड़ की वजह से अंधेरा और गाढ़ा लगने लगा था जगह जगह पर स्ट्रीट लाइट लगी हुई थी लेकिन कुछ-कुछ स्ट्रीट लाइट नहीं जलती थी जिसकी वजह से अंधेरा ही अंधेरा नजर आता था। तभी विनीत जिस चीज में माहीर था, अपना वही हथियार उपयोग करने की सोचा। अपनी मीठी मीठी् फ्लर्टी बातों से अलका को खुश करने का पूरा मन बना लिया और अलका से बोला।)

एक बात कहूं आंटी जी। 

हां बोलो (हवा से उड़ रहे अपने जुल्फों को अपनी नाजुक उंगलियों के कान के पीछे ले जाते हुए बोली।)

आप बुरा तो नहीं मानेगी ना। 

बुरा ! मैं भला बुरा क्यों मानुंगी हां अगर कुछ गलत कहागे तो जरुर बुरा मान जाऊंगी। ( अलका अब थोड़ी बेफिक्र हो चुकी थी उसका एक हाथ विनीत के कंधे पर था और उसका मांसल खूबसूरत बदन विनीत के बदन से सटा हुआ था। जिसकी वजह से रह रहे कर विनीत के बदन में सुरसुराहट फैल जा रही थी। )

बुरी बात तो नहीं है आंटी जी लेकिन फिर भी मेरे मन की बात है इसलिए कहता हूं पहले प्रॉमिस करिए तभी कहूंगा।


अच्छा बाबा प्रॉमिस बस।


आंटी जी वैसे तो आप बहुत खूबसूरत हैं लेकिन आज और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही हो। ददद...।देखो आंटी जी बुरा मत मानिएगा यह तो मेरे दिल की बात थी इसलिए मैंने कह दिया अगर आप को बुरा लगा हो तो इसके लिए भी माफी मांगता हूं। 
( भला ऐसी कौन औरत होगी जो अपनी सुंदरता की तारीफ सुनकर नाराज होगी। अपनी तारीफ सुनकर तो अलका अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। उसे तो इस बात की और ज्यादा खुशी थी कि एक बेटी की उम्र का लड़का अपने मां के उम्र की औरत की खूबसूरती की तारीफ कर रहा था। )

आप नाराज हो आंटी जी।

नहीं तो।


फिर आप कुछ क्यों बोल नहीं रही है। क्या आपको मेरी बात अच्छी नहीं लगी।( विनीत की बातों का अलका क्या जवाब देती विनीत की बातें सुनकर अलका अंदर ही अंदर प्रसन्नता के साथ साथ शर्म भी महसूस कर रहे थे कि एक बित्ते भर का छोकरा उसकी तारीफ कर रहा था। तभी वह चौराहा आ गया जहां से अलका को अपने घर की तरफ मुड़ना था और अलका तुरंत बोली।)

बस बस यहीं रोक दो में चली जाऊंगी।
( विनीत भी ब्रेक दबाते हुए मोटरसाइकिल को चौराहे के किनारे रोक दिया रोज की तरह इधर भी अंधेरा था कुछ लोग ही आ जा कर रहे थे। वैसे भी कोई यह मुख्य सड़क नहीं थी। यहां का रास्ता आजूबाजू के सोसाइटियों में ही जाता था इसलिए इस रोड पर आवन जावन कम ही होता था। अलका मोटरसाइकिल से उतर गई उसे शर्म सीे महसूस हो रही थी विनीत अभी भी मोटर साइकिल पर बैठा हुआ था। अलका विनीत का शुक्रिया अदा करने के लिए उस से बोली।

थैंक्यू विनीत( शरमाते हुए)

इसमें थैंक यू की क्या बात है अांटी जी लेकिन आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया।

क्या( अलका मुस्कुराते हुए पूछी)

यही कि मेरी बात आपको अच्छी लगी या बुरी।

बुरी लगने जैसी कोई बात ही नहीं थी तो भला मुझे क्यों बुरी लगती।( अलका मुस्कुराते हुए बोली।)

( अलका के चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर विनीत बहुत खुश हुआ और तभी अचानक अलका के हाथ से नास्ते वाली थैली छूट कर नीचे गिर गई। नाश्ते की हथेली उठाने के लिए अलका नीचे झुकी तो वैसे तो कुछ साफ दिख नहीं रहा था लेकिन फिर भी वीनीत को उसके ब्लाउज मै से झांकते दोनों कबूतर नजर आ गए। जिसे देखकर विनीत का मन मचल उठा और वह अलका की मदद करने के लिए तुरंत मोटरसाइकिल को स्टैंड पर लगाकर नाश्ते की थैली में से बिखरे सामान को इकट्ठा करके थेली में भरने लगा। नीचे बिखरे हुए पैकेट को उठाने में अलका के नाजुक हाथ विनीत के हाथ में आ गया जिससे अलका शरमा गई। बिखरे हुए पैकेट इकट्ठा करके थैली में रख चुका था, लेकिन उसने अलका के हाथ को नहीं छोड़ा था उसका हाथ पकड़े-पकड़े ही वह दोनों खड़े हुए। विनीत की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, अलका के बदन में भी कुछ कुछ उत्तेजना का प्रसार हो रहा था। वह दोनों अंधेरे में भी एक दूसरे की आंखों में झांक रहे थे। दोनों अपने आपे से बाहर हो रहे थे। दोनों की नजदीकियां बढ़ती जा रही थी विनीत अपने होठों को अलका के होठों पर नजदीक ले जा रहा था। विनीत के होटो से अलका के होठों की दूरी मात्र तीन चार अंगुल भरी ही रह गई थी। विनीत को यह दूरी बर्दाश्त नहीं हो रही थी और उसने तुरंत एक झटके से ही अपने होठों को अलका के गुलाबी होठो पर रखकर तुरंत चूसने लगा इस तरह से होठों की चुसाई करने परअलका भी संयम खो बैठी और अलका भी विनीत का साथ देते हुए उसके होठों को भी चूसना शुरू कर दी। कुछ ही पल में दोनों उत्तेजना के परम शिखर पर सवार हो गए। विनीत एक पल की भी देरी किए बिना तुरंत अपनी हथेली को ब्लाउज में फुदक रहे उसकी चूची पर रख दिया और दबाना शुरु कर दिया इससे अलका के बदन में उत्तेजना का प्रसार दुगनी गति से होने लगा और वह भी विनीत और अपनी उम्र के बीच की खाई को भुलाते हुए विनीत को अपनी बाहों में भर ली और अपने गुलाबी होंठ का रस उसको पिलाते हुए खुद भी उसके होठों को चूसने लगी। कामुकता की वजह से अलका का बदन कांप रहा था। एक दूसरे के होठों को चूसने की वजह से च्च्च्च....च्च्च्च.....की कामुक आवाजे दोनों के मुंह से आ रहीे थी। विनीत ने तो अपने दोनों हाथों को अलका के पूरे बदन पर इधर उधर घुमाने लगा। कभी इस चूची को दबाता तो कभी दूसरी चूची को, और कभी तो साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर वाली जगह पर अपनी हथेली से कुरेदने लगता । अलका काम विह्वल हुई जा रही थी।
आज फिर बरसात वाला दृश्य दोहराया जा रहा था। दोनों की सांसे तेज चल रही थी। गालों का रंग लाल सुर्ख पड़ता जा रहा था और चूची मर्दन करने से चुचीयों का भी रंगलाल हुआ जा रहा था। गाढ़े अंधेरे में दोनों एक दूसरे के बदन में समा जाने को पूरी तरह से तैयार थे। तभी अचानक विनीत ने ऐसी हरकत कर दिया कि अलका की बुर से मदन रस टपकने लगा। विनीत ने फिर से उस दिन की तरह अपने दोनों हथेलियों को अलका की भरावदार नितंब पर रखकर गांड को कस के अपनी हथेलियों में दबोचते हुए उसे अपनी तरफ खींच कर अपने बदन से सटा लिया जिससे पेंट में तना हुआ उसका लंड सीधे अलका की जांघों के बीच बुर वाली जगह पर घर्षण करने लगा। विनीत की इस हरकत पर अलका इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई कि जैसे ही उसका लंड साड़ी के ऊपर से ही ठीक बुर वाली जगह पर स्पर्श हुआ तुरंत ही अलका की बुर से मदन रस टपकने लगा।
अपनी हालत को देखते हुए अलका एकदम से शर्मसार हो गई। उसे शर्म इस बात की महसूस होने लगी की बेटे की उम्र के लड़के ने उसका पानी निकाल दिया था। और मदन रस टपकने की ही वजह से उसे जैसे होश आया हो इस तरह से तुरंत उसके बदन पर अपने बदन को दूर कर ली,

और फिर से उस दिन की तरह ही बिना कुछ बोले झट से तेज कदमों के साथ अपने घर की तरफ मोड़ रहे सड़क पर चलने लगी, विनीत एक बार फिर से पीछे से आवाज़ देते हुए अपना हाथ मलता रह गया।

अलका अपने घर पर पहुंच चुकी थी। दरवाजा खोलते ही सामने सोनू पढ़ाई कर रहा था अपनी मां को देखते ही खुश हो गया और अपनी मां से जाकर लिपट गया।

कहां रह गई थी मम्मी आज इतनी देर क्यों लगा दी।( अपनी मां से लिपटते ही सोनू सवाल पर सवाल पूछने लगा। अलका का बदन अभी भी उत्तेजना से कांप रहा था। वह सोनू को नाश्ते की थैली पकड़ाते हुए सीधे बाथरूम में घुस गई। बाथरूम में घुसते ही वह ठंडे पानी के छींटे अपने चेहरे पर मारने लगी। हाथ मुंह धोने के बाद उसका मन कुछ शांत हुआ वह फिर पछताने लगी आज फिर से अपने आप को बचा ले गई थी। आज फिर से अपने दामन पर दाग लगते लगते बचा ली थी।
अलका यह बखूबी जानती थी कि ऐसे नाजुक समय में अपने आप को संभाल पाना बड़ा मुश्किल होता है वह कैसे बच जा रही थी यह वह भी नहीं जानती थी। 
लेकिन यह भी वह जानती थी कि अगर ऐसा ही होता रहा तो बहकने से अपने आप को बचा नहीं पाएगी। बरसों बीत चुके थे शारीरिक सुख का आनंद लिए हर शरीर का हर औरत की एक जरूरत होती है उसे ज्यादा दिन तक दबाए हुए रहा नहीं जा सकता था इसलिए बल का को भी डर लगने लगा था कि वह भी किसी भी ऐसे नाजुक पल में बहक सकती है। 
हाथ मुंह टॉवल से पोछने के बाद अलका बाथरुम से बाहर आ गई। बाहर आकर देखी तो सोनू नास्ते की थैली में से सारे पैकेट को बाहर निकाल चुका था। अलका सोनू के नजदीक पहुंच गई, अपनी मम्मी को पास आता देख सोनू बोला।

मम्मी आज नाश्ता लेकर आई हो( सोनू खुश नजर आ रहा था। अलका सोनू के सर पर हाथ फेरते हुए बोली।)

हां बेटा आज ऑफिस में कुछ ज्यादा काम था और आज तनख्वाह की तारीख की थी इस वजह से लेट हो गया। आज खाना नहीं बनाऊंगी इसलिए तुम लोगों के लिए नाश्ता ले कर आई हूं अरे हां राहुल कहां गया। 

वह तो अपने कमरे में है मम्मी शायद पढ़ाई कर रहा है। बुला कर लाऊं क्या?

नहीं तुम यहीं रुको मैं बुला कर लाती हूं।
( इतना कहकर अलका राहुल के कमरे की तरफ जाने लगी, वह मन मे सोच रही थी कि राहुल जरुर मेरा इंतजार करते-करते सो गया होगा भूख भी लगी होगी , आज वाकई में कुछ ज्यादा ही लेट हो गया। यही सोचते सोचते वह राहुल के कमरे के सामने खड़ी हो गई जैसे ही वह दरवाजे पर दस्तक देने के लिए अपना हाथ रखी दरवाजा खुद-ब-खुद खुलने लगा । दरवाजा थोड़ा सा ही खुला था कि अंदर का नजारा देख कर उसके होश उड़ गये , उसे ऐसा लगने लगा जैसे कि उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई हो। अलका की नजर सीधे अपने बेटे के लंड पर पड़ी थी जो कि एकदम टनटना के खड़ा था, और राहुल उसे मोटे तगड़े लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर ऊपर नीचे करते हुए मुट्ठ मार रहा था। एक पल को तो उसे ऐसा लगा कि अंदर जाकर राहुल के गाल पर चार-पांच तमाचा जड़ दें। लेकिन अलका अपने गुस्से को दबा ले गई। ओर वही खड़े होकर अंदर का नजारा देखने लगी। राहुल बिस्तर पर पूरी तरह से निर्वस्त्र अवस्था में था बिल्कुल नंगा उसके पूरे बदन में उत्तेजना छाई हुई थी और उत्तेजना के मारे उसकी आंखें मूंद चुकी थी। वह जोर जोर से अपने लंड को हीलाते हुए अपनी कमर को ऊपर नीचे कर रहा था। यह देख कर थोड़ी ही देर में अलका की बदन में भी उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगी , कुछ पल पहले ही जो अपने बेटे के इस हरकत पर उसे तमाचा जड़ने की सोच रहीे थी। वही इस समय उत्तेजित हुए जा रहीे थी। राहुल के मोटे लंड को देख कर उसे अपनी बुर में सुरसुराहट सी महसूस होने लगी। उसे वीनीत की हरकत याद आने लगी। विनीत द्वारा किए गए हरकत को याद करके अलका भी फिर से चुदवासी होने लगी और अंदर राहुल चरम सुख की तरफ बढ़ रहा था। राहुल की हालत को देखकर अलका भी मस्त हुए जा रही थी , अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को देखकर उसका हाथ खुद ब खुद अपने ही बुर पर पहुंच चुका था जिसे वह साड़ी के ऊपर से मसल रही थी। अंदर के नजारे का लुत्फ अलका ज्यादा देर तक नहीं उठा पाई क्योंकि तभी राहुल जोर-जोर से मुठ मारते हुए गरम नमकीन पानी की तेज धार छत की तरफ लंड से छोड़ने लगा, और लंड से तेजधार छोड़ते हुए जोर जोर से सिसकारी भी ले रहा था।
लंड से निकली इतनी तेज पिचकारी को देखकर अलका के मुंह के साथ साथ उसकी बुर में भी पानी आ गया। अब ज्यादा देर तक यू दरवाजे पर खड़ा रहना ठीक नहीं था इसलिए अलका भी बिना कुछ बोले वहां से सीधे सोनू के पास आ गई।

सोनू के पास आकर अलका सोनू को नाश्ता देने लगी लेकिन उसके बदन में आग लगी हुई थी। अपने बेटे को लंड मुठियाता देखकर अलका एकदम से चुदवासी हो गई थी। उसकी बुर से नमकीन पानी रिसने लगा था। पहले वीनीत और अब राहुल दोनों ने मिलकर अलका के बदन में आग लगा दीया था। अब तक राहुल नहीं आया था इसलिए सोनू बोला।

क्या हुआ मम्मी भाई अब तक नहीं आया।

(राहुल का भी नाश्ता निकालते हुए) आता ही होगा बेटा।

अलका अच्छी तरह से जानती थी कि उसने राहुल को बुलाई ही नहीं तो आएगा कैसे। इसलिए सोनू को दिखाने के लिए वह वहीं बैठे बैठे ही जोर से राहुल को आवाज लगाई। और राहुल ने अपनी मां की आवाज सुनी भी इसलिए वह जल्दी जल्दी कपड़े पहन कर नीचे आ गया और आते ही अपनी मम्मी से बोला।

आज इतनी देर कहां लगा दी मम्मी और यह क्या( नाश्ते की तरफ देखते हुए) आज लगता है तनख्वाह हो गई। ( अपनी मम्मी की तरफ देखते हुए) 

हां बेटा आज तनिक वा का दिन भी था और ऑफिस में काम भी जा रहा था इसलिए मुझे इधर आने में देर हो गई और आते आते मैं तुम दोनों के लिए नाश्ता भी लेकर आई हुं, चलो अब जल्दी से नाश्ता कर लो समय भी काफी हो गया है। 
तीनों मिलकर नाश्ता करने लगे अलका की नजर बार-बार राहुल पर चली जा रहीे थी। खास करके उसके पेंट की तरफ, अलका पेंट के उभार को देखना चाहते थे लेकिन अभी अभी राहुल अपने लंड को शांत कर के आया था इसलिए उसका लंड भी आराम से सो रहा था।
ा नाश्ता करते हुए अपने बेटे के बारे में ही सोच रही थी। अपने बेटे को मुठ मारता हुआ देखकर वह समझ गई थी कि उसके बेटे ने जवानी पूरी तरह से आ चुकी है। अब वह बड़ा हो चुका था और उसके दमदार मोटे तगड़े और लंबे लंड को देख कर खुद उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी। नाश्ता करते हुए राहुल के बारे में सोच-सोच कर ही उत्तेजित होने लगी थी उसकी सांसे भारी हो चली थी। बुर से रीस रहा नमकीन पानी उसे आंखों से निकले आंसू से कम नहीं लग रहे थे जो कि बुर की तड़प ना सह पाने की वजह से आंसु की तरह ही बुर से निकल रहा था। राहुल को देख देखकर अलका का बदन कसमसा रहा था। अलका के कमर के नीचे की हालत बिल्कुल खराब थी खासकर के जांघो के बीच की दशा के बारे में तो पूछो मत। बार-बार अपने बेटे के मुठ को याद कर करके उसकी बुर फुल पिचक रही थी। 
अलका या सोच-सोचकर और भी ज्यादा उत्तेजित हो जा रही थी कि अगर सच में राहुल का लंड जो की कुछ ज्यादा ही मोटा और तगड़ा था उसकी बुर में जब अंदर तक जाएगा तब कैसा महसूस होगा बुर लंड की मोटाई की वजह से एकदम फेलते हुए अंदर जाएगा। इतना कल्पना करते ही अलका की बुर से अमृत की बूंद टपक पड़ी। राहुल बड़े मजे ले लेकर समोसे और रसमलाई खा रहा था। सोनू भी बड़े चाव से नाश्ता कर रहा था। लेकिन अलका का हाल बुरा था हाथ में समोसा तो जरूर था लेकिन उसे खा नहीं रही थी। और रसमलाई तो बस कटोरे में ही रखी हुई थी और उसका रस अलका की बुर से निकल रहा था। अलका जिस्म की तपन में तप रही थी। उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी उस से अब
बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था। एक बार तो उसके जी में आया कि राहुल को अपनी बाहों में भर ले और खुद ही उसके लंड पर अपनी बड़ी बड़ी गांड रख कर बैठ जाए। वासना तो पूरी तरह से अलका पर हावी हो चुका था। वह चाहती तो जरूर ऐसा कर लेतीे लेकिन रिश्तों की मर्यादा और उसके संस्कार ऐसा करने से उसे रोक रहे थे। हलका में अभी भी थोड़ी बहुत समझ बची थी जिससे वह बार बार बच जा रही थी। 
दोनों ने नाश्ता कर लिया था। अलका का मन खाने में नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी थोड़ा बहुत खा कर उठ गई। 
राहुल और सोनू दोनों अपने कमरे में जा चुके थे। अलका रसोईघर में तड़प रही थी, बदन की आग बुझाए नहीं दिख रही थी उसका मन में आज बहुत चुदवाने का कर रहा था। अपने बेटे के ही लंड पर मोह गई थी वह।
रसोई घर में खड़े खड़े ही वह कल्पना कीे दुनिया में खोने लगती। उसे ऐसा महसूस होता है कि उसका ही बेटा उसको चोद रहा है उसका मोटा लंड उसकी बुर की गुलाबी पंखुड़ियों को फैलाते हुए अंदर की तरफ सरक रहा है और वह भी मजे ले ले कर खुद अपनी कमर को हिलाते हुए अपने बेटे से चुदवा रही हैं। और जब कल्पना की दुनिया से बाहर आती तो, उसकी सांसे भारी हो चली होती, और तेज चलती सांसों के साथ-साथ उसकी ऊपर नीचे हो रही विशाल छातियां उसकी कामुकता की गवाही देती। अलका रसोईघर में खड़े-खड़े ही अपने बेटे के लंड को याद करके साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी। लेकिन आज वो अच्छी तरह से जानती थी कि इस तरह से मसलने से रगड़ने से और उंगली डालने से भी उसकी प्यास बुझाने वाली नहीं थी इसलिए थक हार कर मटके से ठंडा पानी निकाल कर एक सांस में गटक गई, पानी पीने के बाद वह सीधे अपने कमरे में चली गई खिड़की से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी और बाहर का मौसम भी बदलने लगा था दूर दूर हल्की-हल्की बिजली चमक रही थी। वह मन ही मन बड़बड़ाई कि आज बारिश होने वाली है। 
ऐसी गर्मी में ठंडी हवा उसे राहत पहुंचा रही थी इसलिए बिस्तर पर पड़ते ही उसे नींद आ गई। अर्धा एक घंटा ही बीता होगा कि उसे ऐसा लगने लगा कि, राहुल उसकी साड़ी धीरे धीरे ऊपर की तरफ सरका रहा है। उसकी गरम हथेलियों के स्पर्श से अलका पूरी तरह से गनंगना जा रही थी। अलका कुछ समझ पाती इससे पहले ही राहुल ने साड़ी को एकदम कमर तक चढ़ा दिया था। अलका भी अपने बेटे की इस हरकत पर पूरी तरह से उत्तेजित हो गई। इतनी ज्यादा उत्तेजित कि वह खुद ही अपने हाथों से अपनी पैंटी उतार कर अपनी बुर को अपने बेटे के सामने परोस दी। रसीली और फुली हुई बुर मे तुरन्त राहुल अपना लंड डालकर चोदने लगा। बुर में मोटा लंड घुसते हुी अलका से सहन नहीं हुआ और उसके मुंह से चीख निकल गई वह बार-बार राहुल से अपना लंड निकालने को कहती रही लेकिन राहुल अपनी मां की एक नहीं सुना और धड़ाधड़ अपने लंड को अपनी मां की बुक में अंदर बाहर करके चोदता रहा। अलका से यह चुदाई बर्दाश्त नहीं हो रही थी। थोड़ी ही देर में वो दर्द से कराहने लगी उसका पूरा बदन पसीना पसीना हो गया था। वह बार बार दर्द को दबाने के लिए
अपने दांतों को भींच ले रही थी । लेकिन दर्द था कि बढ़ता ही जा रहा था उस के दर्द का राहुल पर बिल्कुल भी असर नहीं पड़ रहा था। वह तो बस अपनी मां को चोदने में लगा था। तभी राहुल ने पूरी ताकत लगाकर जोरदार धक्का लगाया और अलका की बुरी तरह से चीख निकल गई। उसकी तुरंत आंख खुल गई। आंख खुली तो देखी कमरे में कोई नहीं था वह एक सपना देख रही थी। अलका अपनी हालत पर गौर की तो वह पसीने से पूरी तरह से तरबतर हो चुकी थी जबकि बाहर तेज हवा के साथ बारिश हो रही थी। वह अपनी हालत को देख कर परेशान हुए जा रही थी उसकी सांसे अभी भी तेज चल रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था इस तरह का सपना देखने का क्या मतलब था आज तक उसने इस तरह का सपना नहीं देखी थी जो कि इतना पूरी तरह से हकीकत लगे। वह सोचने लगी क्या वाकई में वह अपने बेटे के साथ चुदाई का सुख ले सकती है। कभी उसका मन कहता हां तो कभी इंकार कर देता। लेकिन फिर वह सोचने लगती कि आखिर बुरा ही क्या है उसकीे भी तो जरूरते हैं, आखिर कब तक तड़पती रहेगी चुदाई के लिए, राहुल भी तो तड़प रहा है चोदने के लिए तभी तो वह मुठ मार रहा था।। शायद वह भी मुझे चोदना चाहता है तभी तो रसोई घर में दो बार मुझे अपनी बाहों में भर कर जानबूझकर अपने लंड को मेरी गांड की फांको के बीचो बीच चुभा रहा था। वह सच मे मुझे चोदना चाहता है। यही सब बातें अलका के दिमाग में चल रहीे थी। और बाहर हवा के साथ बारिश हो रही थी जिससे पानी के छीटे अंदर कमरे तक आ रहे थे। अलंका खिड़की को बंद करने के लिए बिस्तर से उठी, और खिड़की को बंद करते हुए उसे ख्याल आया कि छत पर उसने कपड़े सूखने के लिए रखी थी। इतनी देर में तो कपड़े भीग चुके होंगे लेकिन लाना भी तो जरुरी था इसलिए मैं छत पर जाने के लिए कमरे से बाहर आ गई।
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10-09-2018, 03:33 PM,
#58
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
बारिश का जोर बढ़ता ही जा रहा था। अलका जानती थी की छत पर जाकर कपड़े समेटने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि सारे के सारे कपड़े गीले हो चुके ही होंगे। लेकिन फिर भी वह छत की तरफ जाने लगी, तेज हो रही बारिश की वजह से राहुल की भी नींद खुल चुकी थी। वह भी उठकर कमरे से बाहर आ गया। ऐसी तेज बारिश में राहुल का मन बहक रहा था । उसे इस समय स्त्री संसर्ग की ज्यादा ही जरूरत महसूस हो रही थी। उसके लंड में अपने आप ही तनाव आ गया था। इस समय उसके बदन पर सिर्फ एक टॉवल ही लिपटी हुई थी. और तो और उसने कमरे में ही अंडरवियर उतार फेंका था, वैसे भी वह कमरे में पूरी तरह से नंगा ही लेटा हुआ था वह तो बारिश की वजह से बाहर आते ही टॉवेल लपेट लिया था। उसका मन इधर उधर भटक रहा था। खास करके उसे इस समय उसकी मां ही याद आ रही थी। उसकी मतवाली मटकती भरावदार गांड और उसका नंगा बदन राहुल के होश उड़ाए हुए था। टॉवल के अंदर लंड का तनाव बढ़ता ही जा रहा था कि तभी उसे सीढ़ी पर से ऊपर की तरफ जाते हुए उसकी मां नजर आई व सोच में पड़ गया कि इतनी रात गए मम्मी कहां जा रही है छत पर वो भी इस बारिश में . वैसे इस समय सीढ़ियों पर चढ़ते हुए अपनी मां को देखकर उसका मन डोल ने लगा था क्योंकि राहुल की प्यासी आँखे उसकी मां की गोल गोल बड़ी गांड पर ही टीकी हुई थी। वैसे भी मन जब चुदवासा हुआ होता है तब औरत का हर एक अंग मादक लगने लगता है लेकिन यहां तो हल्का सर से पांव तक मादकता का खजाना थी। सीढ़ियों पर चढ़ते समय जब वह एक एक कदम ऊपर की तरफ रखती थी. तब जब भी वह अपने कदम को शिढ़ी पर रखने के लिए ऊपर की तरफ बढ़ाती तब उसकी भरावदार गांड और भी ज्यादा उभरकर बाहर की तरफ निकल जाती जिसे देखकर राहुल के लंड में एेंठन होना शुरू हो गया था। बस यह नजारा दो-तीन सेकंड का ही था और उसकी मां आगे बढ़ गई लेकिन यह दो-तीन सेकेंड का नजारा उसके बदन में कामुकता भर दिया। वह भी अपनी मां के पीछे पीछे सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने लगा। बारिश तेज हो रही थी अलका जानती थी की छत पर जाने पर वह भी भीग जाएगी लेकिन ना जाने क्यों आज उसका मन भीगने को ही कर रहा था। वह छत पर पहुंच चुकी थी, और बारिश की बूंदे उसके बदन को भिगोते हुए ठंडक पहुंचाने लगे। बारिश की बूंदे जब उसके बदन पर पड़ती तो अलका के पूरे बदन में सिरहन सी दौड़ने लगती। अलका को आनंद का अहसास हो रहा था। लेकिन अलका की नजरें छत पर कुछ और ढूंढ रही थी। वह छत पर अपनी नजरों को इधर उधर दौडा़ रही थी, राहुल दीवार की ओट लेकर
अपनी मां को बारीश मे भीगते हुए देख रहा था। धीरे धीरे करके बारिश के पानी में उसका पूरा बदन. भीगने लगा। साड़ी के साथ-साथ उसका ब्लाउज पेटीकोट ब्रा और पेंटी भी पूरी तरह से गीली हो गई। राहुल अपनी मां के मदमयी बदन को देख कर उत्तेजित होने लगा। 
लेकिन यह देख कर आश्चर्य में था कि उसकी मां छत पर इधर उधर नजरें दौड़ाकर क्या ढूंढ रही थी। एक तो अलका का गीला बदन उसे परेशान किए हुए था, और फिर उसका इधर-उधर ढूंढना राहुल से रहा नहीं गया वह भी छत पर आ गया उसके बदन को भी बारिश की बूंदे भीगाेने लगी, वैसे भी वह पूरी तरह से ही नंगा था बस एक टॉवल ही थी जो उसके नंगेपन को छिपाए हुए थी।े बारिश के पानी में वह भी गीला होने लगा था। 
राहुल उत्तेजना में सरोबोर हो चुका था और ऊपर से यह बारिश का पानी उसे और ज्यादा चुदवासा बना रहा था।
अलका की पीठ राहुल की तरफ थी'। पूरी तरह से भीगी बाल खुले हुए थे, जो कि पानी में भीगते हुए बिखर कर एक दूसरे में उलझे हुए थे जिससे पीछे का भाग और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था। अलका की साड़ी कपड़े पूरी तरह से गीले हो कर बदन से ऐसे चिपके थे कि बदन का हर भाग हर कटाव और उसका उभार साफ साफ नजर आ रहा था राहुल तो यह देख कर एकदम दीवाना हो गया उसकी टावल भी तंबू की वजह से उठने लगी थी। राहुल को अपनी मां के खूबसूरत बदन का आकर्षण इस कदर बढ़ गया था कि उसके बदन में मदहोशी सी छाने लगी थी उसे अब यह डर भी नहीं था कि कहीं उसकी मां जांघों के बीच बने उठे हुए तंबू को ना देख ले, राहुल भी शायद अब यही चाहता था कि होता है जो हो जाने दो। इसलिए वह खुद भी यही चाहता था कि' उसकी मां की नजर उसके खड़े लंड पर जाए। राहुल भी बारिश के पानी का मजा ले रहा था लेकिन बारिश का यह ठंडा पानी उसके बदन की तपन को बुझाने की वजाय और ज्यादा भड़का रहीे थी। उसकी मां भी अब कुछ ढूंढ़ नहीं रही थी बल्कि भीगने का मजा ले रही थी पहली बार यु आधी रात को वह छत पर भीेगने के लिए आई थी। शायद बारिश के ठंडे पानी से अपने बदन की तपन को बुझाना चाहतीे थी लेकिन, लेकिन इस बारिश के पानी से अलका के भी मन की प्यास भड़क रही थी। उसे अपनी जवानी के दिन याद आने लगे जब ऐसी ही किसी भीगती बारिश में उसके पति ने उसकी जमकर चुदाई किया था। उस पल को याद करके अलका और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगी और उत्तेजना के मारे भीगती बारिश में उसके दोनों हाथ खुद-ब-खुद उसकी चूचियों पर चले गए जिसे वह जोर जोर से दबा रही थी, राहुल आंख फाड़े अपनी मां के इस हरकत को देख रहा था। उत्तेजना के मारे राहुल के लंड में मीठा मीठा दर्द होने लगा। लंड की एठन ओर 
दर्द उस पर और ज्यादा बढ़ गया जब राहुल ने देखा कि उसकी मां की दोनों हथेलियां चूचियों पर से बारिश के पानी के साथ सरकते सरकते कमर से होते हुए उसकी भारी भरकम भरावदार गांड पर चली गई और गांड पर हथेली रखते ही उसकी मां उसे जोर जोर से दबाने लगी।
अपनी मां को अपनी मदमस्त पानी में भीगी हुई भरावदार गांड को दबाते हुए देखकर राहुल से रहा नहीं गया वह मदहोश होने लगा उसकी आंखों में खुमारी सी छाने लगी। एक बार तो उसके जी में आया कि पीछे से जाकर अपनी मां के बदन से लिपट जाए और तने हुए लंड कोें उसकी बड़ी बड़ी गांड की फांकों के बीच धंसा दे। लेकिन अपने आपको रोके रहा। अपनी मां की कामुक अदा को देखकर राहुल की बर्दाश्त करने की शक्ति क्षीण होती जा रही थी। लंड में इतनी ज्यादा ऐठन होने लगी थी कि किसी भी वक्त उसका लावा फूट सकता था। अभी भी उसकी मां के दोनों हाथ उसीकी भरावदार नितंबों पर ही टिकी हुई थी। अलका को भी अपने उठे हुए नितम्ब पर नाज होता था। 
राहुल वहीं इसके पीछे खड़े खड़े अपनी मां को ही देख कर पागल हुए जा रहा था उसकी हर एक अदा पर उसका लंड ठुनकी मारने लग रहा था। राहुल की कामुक नजरें अपनी मां के मदमस्त बदन, चिकनी पीठ, गहरी कमर और उभरे हुए नितम्ब जोकि भीगने की वजह से साफ साफ नजर आ रही थी ऊस पर फीर रही थी। 
उसे डर लग रहा था कि कहीं उसकी मां पीछे मुड़कर उसे देख ली तो उसे अपने आप को देखता हुआ पाकर कहीं गुस्सा ना हो जाए इसलिए वह बोला। 

मम्मी ईतनी रात को ओर ईस बारीस मे क्यों भीग रही हो और क्या ढूंढ रही थी? 
( पीछे से आती आवाज सुनकर अलका चौंक गई और चौक कर पीछे अपने बेटे को खड़ा पाकर तुरंत अपने नितंबों पर से हाथ हटा ली। और हड़बड़ाते हुए बोली।)

ककक...कुछ नही ....युं ही.... बारिश हो रही थी तो मैं छत पर कपड़े लेने आई थी लेकिन यहां तो......

कपड़े मैंने समेट लिए थे मम्मी( अपनी मां की बात पूरी होने से पहले ही राहुल बीच में बोल पड़ा।) 

वोह तभी मैं कहूं कि कपड़े कहां चले गए। वैसे भी बेटा गरमी इतनी थी कि बारिश देखकर मुझे नहाने की इच्छा हो गई और मैं यहीं रुक गई। लेकिन तुम कब आए।

मैं अभी-अभी आया हूं मुझेे ऐसी बारिश में नींद नहीं आ रही थी और मैंने आपको सीढ़ियों से ऊपर आते देखा तो मै भी आपके पीछे पीछे आ गया। ( रह रह कर बादलों की गड़गड़ाहट के साथ बिजली भी चमक जा रही थी। राहुल का लंड पूरी तरह से तना हुआ था. टॉवेल आगे से उठकर एकदम तंबू बनी हुई थी। जो के पानी में भीगने की वजह से रह रहे कर सरकने लगती और राहुल उसे हाथ से संभाल लेता। अभी तक अलका की नजर उस के तने हुए लंड पर नहीं पडी़े थी। लेकिन राहुल की नजर अपनी मां के बदन के हर एक कोने तक पहुंच रही थी। पानी में भिगोकर अलका का ब्लाउज उसकी चूचियों के चिपक गया था जिससे ब्लाउज के अंदर गुलाबी रंग की ब्रा भी साफ साफ नजर आ रही थी। राहुल ललचाई आंखों से पानी में भीगी हुई अपनी मां की चुचियों को देख रहा था अलका ने तुरंत उसकी नजरों के सिध को भांप ली। अपने बेटे की कामुक नजरो को अपनी चूची पर घूमती हुई देखकर उसकी बुर में सुरसुराहट होने लगी। तभी अलका की नजरें उसके बेटे की नंगी छातियों पर पारी जोकि अच्छी खासी चोड़ी थी गठीला बदन देखते अलका भी उत्तेजित होने लगी
बारिश का जोर और ज्यादा बढ़ने लगा था बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ने लगी थी एक तरह से यह तूफानी बारिश थी। लेकिन इतनी तूफानी बारिश में भी दोनों मां बेटे एक दूसरे को अपनी तरफ आकर्षित करने में लगे हुए थे। तेज बारिश में भी अपनी मां के ऊपर नीचे हो रही है छातियों को राहुल साफ-साफ देख रहा था। साड़ी भीगकर एक तरफ हो गई थी।
जिससे अलका का गोरा चिकना पेट पर पेट के बीचमें नीचे की तरफ गहरी नाभि एकदम साफ दिखाई दे रही थी जिस पर रह रहकर राहुल की नजर चली जा रही थी। अलका अपने बेटे की नजर को अपने बदन के नीचे जाति देख उसकी नजर भी अपने बेटे की कमर से ज्यों नीचे गई उसका दिल धक्क से कर गया। उसकी भीगी बुर मे से भी मदन रस चु गया। अलका कर भी क्या सकते थे अपने बेटे के कमर के नीचे का नजारा ही कुछ ऐसा देख ली थी कि उसकी बुर पर उसका कंट्रोल ही नहीं रहा। अलका आंख फाड़े अपने बेटे की कमर के नीचे देख रही थी। बारिश के पानी मे राहुल के साथ साथ उसकी टावल भी एकदम गीली हो चुकी थी। टावल का कपड़ा भीगने की वजह से गीला होकर और ज्यादा वजनदार हो गया था। लेकिन टॉवल के अंदर राहुल का लंड एकदम टाइट हो कर आसमान की तरफ देख रहा था जिससे टॉवल भी तन कर तंबू बन गया था। यह नजारे को देखकर अलका समझ गई थी कि उसके बेटे का लंड बहुत ज्यादा ताकतवर और तगड़ा है। और इस तरह से अपने बेटे के लंड खड़े होने का कारण भी वह जान गई थी ।

वह अच्छी तरह से जान गई थी की उसके कामुक भीगे हुए बदन को देखकर ही उसके बेटे का लंड खड़ा हुआ है। अलका ऐसी तूफानी बारिश में भी अल्का पुरी तरह से गर्म हो चुकी थी।
राहुल भी जान गया था कि उसकी मां की नजर उसके खड़े लंड पर पड़ चुकी है। इस पल एक दूसरे को देख कर दोनों मां बेटे चुदवासे हो चुके थे। बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज माहौल को और गर्म कर रहा था। न अलका से रहा जा रहा था और ना ही राहुल से दोनों मां-बेटे अपने आप को संभाल पाने में असमर्थ साबित हो रहे थे। दोनों तैयार थे लेकिन दोनों अपनी अपनी तरफ से यह देख रहे थे कि पहल कौन करता है।
दोनों एक दूसरे को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सब कुछ कर चुके थे और कर भी रहे थे लेकिन पहल करने में डरते थे। तभी राहुल अपनी मां को अपनी तरफ देखते हुए देख कर बोला।

क्या देख रही हो मम्मी? 
( अपने बेटे के इस सवाल का जवाब एकदम ठंडे दिमाग से देते हुए बोली।)

कुछ नहीं बेटा मैं बस यह देख रही हूं कि मेरा साथ देने के लिए तुम इतनी रात को भी छत पर भीगने चले आए इसलिए आज मेरा जी भर के मन कर रहा है की इस बारिश मे मै खुब नहाऊं। ( इतना कहने के साथ हुई अलका अपने बेटे को लुभाने के लिए अपने हाथ से साड़ी को उतारने लगी यह देखकर राहुल के बदन में कामाग्नी भड़क उठी। और राहुल के देखते ही देखते अलका ने अपने बदन से साड़ी को उतार फेंकी और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में ही बारिश में भीगने का मजा लेने लगी। शायद अलका को देखकर बरसात भी उसकी दीवानी हो गई थी इसलिए तो साड़ी को उतारते हुए बरसात और तेज पड़ने लगी बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ गई बिजली की चमक वातावरण को और ज्यादा गर्म करने लगे। अलका साड़ी को उतार फेंकते हैं बारिश में भीगने का मजा लेने लगी मजा क्या लेने लगी वह अपनी कामुक अदा से अपने ही बेटे को लुभाने लगी। वह जानती थी कि गीले कपड़ो मे से उसके गोरे बदन का पोर पोर झलक रहा हे और उसे देखकर उसका बेटा उत्तेजित भी हो रहा है इसलिए वह उसे और ज्यादा दिखा कर अपने बेटे को अपना दीवाना बना रही थी। 
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10-09-2018, 03:33 PM,
#59
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल भी अपनी मां की अदाओं को देखकर एकदम ज्यादा उत्तेजित हो चुका था इतना ज्यादा उत्तेजित कि उसे डर था कि कहीं उसके लंड का लावा फूट ना पड़े।
लंड की नसों में खून का दौरा दुगनी गति से दौड़ रहा था। उसका लंड इतना ज्यादा टाइट हो चुका था कि टॉवल के दोनों छोर को जहां से बांधा हुआ था। लंड के तगड़ेपन की वजह से टॉवल का वह छोर हट गया था या युं कह सकते हैं कि लंड टॉवल फाड़कर बाहर आ गया था। अपनी मां को देखकर राहुल की सांसे बड़ी ही तीव्र गति से चलने लगी थी। वह एक टक अपनी मां को देखे ही जा रहा था अलका के अंदर ना जाने कैसी मदहोसी आ गई थी कि वह पानी में भीगते हुए लगभग नाच रही थी। अलका के बदन में चुदासपन का उन्माद चढ़ा हुआ था। उत्तेजना और उन्माद की वजह से उस की चिकनी बुर पूरी तरह से फुल चुकी थी। वह भीगने में मस्त थी। और राहुल उसे देखने में मस्त था। टॉवल से बाहर झांक रहे लंड को वापस छुपाने की बिल्कुल भी दरकार नहीं ले रहा था बल्कि वह तो यही चाहता था कि
उसकी मां की नजर के नंगे लंड पर पड़े और उसे देख कर दोनों बहक जाएं। और यही हुआ भी बारिश में भीगते भीगते अलका की नजर अपने बेटे के टावल में से झांक रहे मोटे तगड़े लंड पर पड़ी ओर उसकी मोटाई देख कर अलका की बुर फुलने पिचकने लगी। उसके बदन में झनझनाहट सी फैल गई। राहुल अच्छी तरह से जान रहा था कि इस समय उसकी मां की नजर उस के नंगे लंड पर टिकी हुई है। और जीस मदहोशी और खुमारी के साथ वह लंड को देख रही थी राहुल को लगने लगा था कि बात जरूर बन जाएगी। 
अलका उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुकी थी वह इससे आगे कुछ सोच पाती थी तभी। इतनी तेज बादल गरजा की, पूरे शहर की बिजली गुल हो गई छत पर जल रहा बल्ब भी बंद हो गया ' चारों तरफ घोर अंधेरा छा गया इतना अंधेरा की ईस तेज बारिश में वह दोनों एक दूसरे का चेहरा भी नहीं देख पा रहे थे। रह रह कर बिजली चमकती तब जाकर कहीं दोनों एक दूसरे को देख पा रहे थे।

पूरे शहर की लाइट गुल हो चुकी थी, अलका और राहुल दोनों छत पर भीग रहे थे। अंधेरा इस कदर छाया हुआ था कि एक दूसरे को देखना भी नामुमकिन सा लग रहा था। बारिश जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ती ही जा रही थी। यह ठंडी और तूफानी बारिश दोनों के मन में उत्तेजना के एहसास को बढ़ा रहे थे। अलका की सांसे तो चल नहीं रही बल्कि दौड़ रही थी, राहुल बेताब था तड़प रहा था उसका लंड अभी भी टावल से बाहर था। जिसे देखने के लिए अलका की आंखें इस गाढ़ अंधेरे में तड़प रही थी लेकिन देख नहीं पा रही थी। राहुल इस कदर उत्तेजित था उसकी लंड की नसें उभर सी गई थी। ऐसा लगने लगा था कि कहीं यह नसे फट ना जाए। तभी राहुल बोला।

मम्मी यहां तो बहुत अंधेरा हो गया कुछ भी देख पाना बड़ा मुश्किल हो रहा है। 

हां बेटा नहाने का पूरा मजा किरकिरा हो गया अब हमें नीचे चलना होगा।( इतना कहते हुए अलका राहुल की तरफ बढ़ी ही थी कि हल्का सा उसका पैर फिसला और वह राहुल की तरफ गिरने लगी कि तभी अचानक राहुल ने अपनी मां को थाम लिया उसकी मां गिरते-गिरते बची थी वह तो अच्छा था कि राहुल के हाथों में गीरी थी वरना उसे चोट भी लग सकती थी। लेकिन बचते-बचाते में अलका सीधे अपने बेटे की बाहों में आ गई थी। जिससे अलका का बदन अपने बेटे के बदन से बिल्कुल सट गया था। दोनों के बदन से बारिश की बूंदें नीचे टपक रही थी। हवा इतनी तेज थी कि दोनों अपने आप को ठीक से संभाल नहीं पा रहे थे। अचानक जो एक दूसरे के बदन से सटने पर टॉवल से बाहर झांक रहा राहुल का तना हुआ लंड पेटीकोट सहित उसकी मां की जांघों के बीच सीधे उसकी बुर वाली जगह पर हल्का सा दबाव देते हुए धंस गया , अलका को अपनी बुर पर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े का गरम एहसास होते ही अलका एकदम से गरम हो कर मस्त हो गई। आज एकदम ठीक जगह लंड की ठोकर लगी थी। लंड की रगड़ बुर पर महसुस होते ही , अलका इतनी ज्यादा गर्म हो गई थी कि उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी छूट पड़ी , लेकिन शायद तेज बारिश की आवाज में वह सिसकारी दब कर रह गई। अलका को भी अच्छा लग रहा था वह तो ऊपर वाले का शुक्र मनाने लगे कि फिसल कर ठीक जगह पर गई थी फिर भी औपचारिकतावश बोली।

अच्छा हुआ बेटा तुमने मुझे थाम लिया वरना में गिर गई होती।

मेरे होते हुए आप कैसे गिर सकती है मम्मी।( राहुल अपनी मम्मी को थामने से मिले इस मौके को हांथ से जाने नही देना चाहता था इसलिए वह अपनी मम्मी को अभी तक अपनी बाहों में ही भरा हुआ था उसकी मां भी शायद इसी मौके की ताक में थी तभी तो अपने आप को अपने बेटे की बाहों से अलग नहीं कर रही थी।
और राहुल भी था मिलने के बहाने अपनी कमर को और ज्यादा आगे की तरफ बढ़ाते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर वाली जगह पर दबा रहा था। राहुल का ल** रसोईघर की तरह पेंट में नहीं था बल्कि एकदम नंगा था और एक दम शुरुर में था और इतना ज्यादा ताकतवर था कि इस बार पेटीकोट सहित लंड का सुपाड़ा अलका की बुर में हल्का सा अंदर घुस गया। सुपाड़ा बुर के ऊपरी सतह पर ही था। लेकिन अलका के लिए इतना ही बहुत था आज बरसों के बाद लंड उसकी बुर के मुहाने तक पहुंच पाया था। इसलिए तो अलका एकदम से मदहोश हो गई उसके पूरे बदन में एक नशा सा छाने लगा और वह खुद ही अपने बेटे को अपनी बाहों में भींचते हुए अपनी बुर के दबाव को अपने बेटे के लंड पर बढ़ाने लगी। दोनों परम उत्तेजित हो चुके थे। अपनी मां की बुर के और लंड के बीच सिर्फ वह पटना का पेटीकोट ही दीवार बना हुआ था यह दीवार पेटीकोट की नहीं बल्की शर्म की थी। क्योंकि उसकी मां की जगह अगर कोई और औरत होती तो यह पेटीकोट रुपी दीवार राहुल खुद अपने हाथों से गिरा दिया होता ' और अलका खुद अगर इस समय यह उसका बेटा ना होता तो वह खुद ही इस दीवार को ऊपर उठा कर लंड को अपनी बुर में ले ली होती। 
सब्र का बांध तो टूट चुका था लेकिन शर्म का बांध टूटना बाकी था। मां बेटे दोनों चुदवासे हो चुके थे। एक चोदने के लिए तड़प रहा था तो एक चुदवाने के लिए तड़प रही थी। दोनों की जरूरते एक थी मंजिले एक थी और तो ओर रास्ता भी एक था। बस उस रास्ते के बीच में शर्म मर्यादा और संस्कार के रोड़े पड़े हुए थे। 
मां बेटे दोनो एक दूसरे में समा जाना चाहते थे। दोनों एक दूसरे की बाहों में कस के चले जा रहे थे बारिश अपनी ही धुन में नाच रही थी अलका की बड़ी बड़ी चूचियां उसके बेटे के सीने पर कत्थक कर रहीे थी। राहुल का सीना अपनी मां की चुचियों में समा जाना चाहता था। तेज बारिश और हवा के तेज झोंकों में राहुल की टावल उसके बदन से कब गिर गई उसे पता ही नहीं चला राहुल एकदम नंगा अपनी मां को अपनी बाहों में लिए खड़ा था। उसका तना हुआ लंड उसकी मां की बुर में पेटीकोट सहित धंशा हुआ था। अलका की हथेलियां अपने बेटे की नंगी पीठ पर फिर रहीे थी। उसे यह नहीं पता था कि उसका बेटा पूरी तरह से नंगा होकर उससे लिपटा पड़ा है। अलका की बुर एकदम गर्म रोटी की तरह फूल चुकी थी। बुर से मदन रस रिस रहा था जो कि बारिश के पानी के साथ नीचे बहता चला जा रहा था। तभी आसमान में इतनी तेज बादल गरजा कि जैसे दोनोे को होश आया हो , दोनों एक दूसरे की आंखों में देखे जा रहे थे लेकिन अंधेरा इतना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह तो रह रह कर बिजली के चमकने हल्का-हल्का दोनों एक दूसरे के चेहरे को देख ले रहे थे। अलका मस्त हो चुकी थी' बुर में लंड लेने की आकांक्षा बढ़ती ही जा रही थी। मैं थोड़ा बहुत अपने बेटे से दुखी थी और दुखी इस बात से थी कि उसका बेटा ये भी नहीं जानता था कि औरत के मन में क्या चल रहा है क्योंकि वह जानती थी कि राहुल की जगह अगर कोई और लड़का होता तो इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए कब से उसकी चुदाई करने लगा होता। 
अलका भी इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी छत पर नजर दौड़ाते हुए कुछ सोचने लगे क्योंकि आज वह भी यही चाहती थी कि होता है जो वो हो जाने दो। 
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी बारिश पल-पल तेज होती जा रही थी छोटी-छोटी बुंदे अब बड़ी होने लगी थी जो बदन पर पड़ते ही एक चोट की तरह लग रही थी। अलका कोई उपाय सोच रही थी क्योंकि उसे रहा नहीं जा रहा था बारिश के ठंडे पानी में उसकी बुर की गर्मी को बढ़ा दिया था। जिस पर अभी भी उसके बेटे का लंड पेटीकोट सहित सटा हुआ था। अलका अपने बेटे की नंगी पीठ पर हाथ फिराते हुए बोलि।

अच्छा हुआ बेटा कि तू छत पर आ गया वरना मुझे गिरते हुए कौन संभालता।( इतना कहते हुए एक हाथ से अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी, क्योंकि वह जानती थी की डोरी खुलते ही उसे पेटीकोट उतारने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी क्योंकि बारिश इतनी तेज गिर रही थी कि बारिश की बोछार से खुद ही उसकी पेटीकोट नीचे सरक जाएगी। और अगले ही पल उसने पेटीकोट की डोरी को खोल दी। राहुल जवाब देते हुए बोला।)

मैं इसलिए तो यहां आया था मम्मी ताकि मुसीबत में मैं काम आ सकुं, और तुम्हें गिरते हुए बचा कर मुझे अच्छा लग रहा है। 
( अपनी बेटे की बात को सुनकर अलका खुश हो गई और लंड की रगड़ से एकदम रोमांचित हो गई। और रोमांचित होते हुए अपने बेटे के गाल को चुमने के लिए अपने होठ आगे बढ़ाई अंधेरा इतना गाढ़ा था कि एक दूसरे का चेहरा भी नहीं दिखाई दे रहा था इसलिए अलका के होठ राहुल के गाल पर ना जाकर सीधे उसके होंठ से टकरा गए। होठ से होठ का स्पर्श होते ही राहुल के साथ साथ खुद अलका भी काम विह्ववल हो गई। राहुल तो लगे हाथ गंगा में डुबकी लगाने की सोच ही रहा था इसलिए तुरंत अपनी मां के होठों को चूसने लगा बारिश का पानी चेहरे से होते हुए हॉठ चुसाई की वजह से एक दूसरे के मुंह में जाने लगा। दोनों मस्त हो गई. राहुल तो पागलों की तरह अपनी मां की गुलाबी होंठों को चुसे जा रहा था। उसकी मां भी अपने बेटे का साथ देते हुए उसके होठों को चूस रही थी । यहां चुंबन दुलार वाला चुंबन नहीं था बल्कि वासना में लिप्त चुंबन था। दोनों चुंबन में मस्त थे और धीरे-धीरे पानी के बाहावं के साथ साथ अलका की पेटीकोट भी उसकी कमर से नीचे सरक रही थी। या यों कहो कि बारिश का पानी धीरे-धीरे अलका को नंगी कर रहा था। दोनों की सांसे तेज चल रही थी राहुल अपनी कमर का दबाव आगे की तरफ अपनी मां पर बढ़ाए ही जा रहा था और उसका तगड़ा लंड बुर की चिकनाहट की वजह से पेटीकोट सहित हल्के हल्के अंदर की तरफ सरक रहा था। दोनों का चुदासपन बढ़ता जा रहा था की तभी बहुत जोर से फिर बादल गरजा ओर ईस बार फीर से दोनों की तंद्रा भंग हो गई। अलका की सांसे तीव्र गति से चल रही थी। वह लगभग हांफ रही थी। और इस बार खुद को राहुल की बाहों से थोड़ा अलग करते हुए बोली। 


बेटा शायद यह बारिश रुकने वाली नहीं है वैसे भी लाइट चले जाने पर नहाने का सारा मजा किरकिरा हो गया है अब हमें नीचे चलना चाहिए। ( वैसे तो राहुल का नीचे जाने का मन बिल्कुल भी नहीं था उसे छत पर ही मजा आ रहा था। फिर भी वह एतराज जताते हुए बोला।)

हां मम्मी लेकिन कैसे जाएंगे नहीं थे यहां इतना अंधेरा है कि हम दोनो एक दूसरे को भी नहीं देख पा रहे हैं। हम दोनों का बदन भी पानी से पूरी तरह से भीग चुका है, ऐसे नहीं सीढ़ियां चढ़कर नीचे उतर कर जाना हम लोग फेशल भी सकते हैं और वैसे भी सीढ़ी भी दिखाई नहीं दे रही है।

( मन तो अलका का भी नहीं कर रहा था नीचे जाने को लेकिन वह जानती थी कि अगर सारी रात भी छत पर रुके रहो तो भी बस बाहों में भरने के सिवा आगे राहुल बढ़ नहीं पाएगा। और वैसे भी अलग का आगे का प्लान सोच रखी थी इसलिए नीचे जाना भी बहुत जरूरी था।

नीचे तो चलना पड़ेगा बेटा और वैसे भी जब तुम मुझे संभाल सकते हो तो क्या मैं तुम्हें गिरने दूंगी। ( अलका इतना कह रही थी तब तक पेटिकोट सरक कर घुटनों से नीचे जा रही थी अलका मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। क्योंकि नीचे से वह पूरी तरह से नंगी होती जा रही थी। माना कि उसका बेटा उसे नंगी होते हुए देख नहीं पा रहा था लेकिन फिर भी अंधेरे मे ही सही अपने बेटे के सामने नंगी होने में।

अलका के बदन में एक अजीब से सुख की अनुभूति हो रही थी। वह रोमांचित होते हुए बोली।

बेटा तू बिल्कुल भी चिंता मत कर बस तू मुझे पकड़कर
मेरा सहारा लेते हुए मेरे पीछे पीछे सीढ़ियां उतरना। ( इतना कहने के साथ ही सरक कर पैरों में गिरी हुई पेटीकोट को पैरों का ही सहारा देकर टांग से निकाल दी। अब अलका कमर के नीचे बिल्कुल नंगी हो चुकी थी, उसके मन में यह हूक रहे जा रहीे थीे कि काश उसे नंगी होते हुए उसका बेटा देख पाता तो शायद वह कुछ आगे करता लेकिन फिर भी जो उसने सोच रखी थी वह अगर कामयाब हो गया तो आज की ही रात दोनों एक हो जाएंगे। अलका के बदन पर मात्र उसका ब्लाउज ही रह गया था और अंदर ब्रा बाकी वह बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। राहुल तो पहले से ही एकदम नंगा हो चुका था। आने वाले तूफान के लिए दोनों अपने आपको तैयार कर रहे थे। इसलिए तो अलका ने अपने बदन पर से पेटीकोट उतार फेंकी थी और राहुल बारिश की वजह से नीचे गिरी टावल को उठाकर लपेटने की बिल्कुल भी दरकार नहीं ले रहा था। और बारिश थी की थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। अलका नीचे जाने के लिए तैयार थी बादलों की गड़गड़ाहट से मौसम रंगीन बनता जा रहा था तेज हवा दोनों के बदन में सुरसुराहट पैदा कर रही थी। 
अलका नीचे उतरने के लिए नीचे जाती सीढ़ियों की तरफ जाने के लिए कदम बढ़ाएं और एक हाथ से टटोलकर राहुल को इशारा करते हुए अपने पीछे आने को कही क्योंकि सीढ़ियों वाला रास्ता बहुत ही संकरा था वहां से सिर्फ एक ही इंसान गुजर सकता था इसलिए राहुल को अपने पीछे ही रहने को कहीं अंधेरा इतना था कि वह खुद राहुल का हाथ पकड़कर अपने कंधे पर रख दी ताकि वह धीरे धीरे नीचे आ सके। अलका सीढ़ियों के पास पहुंच चुकी थी क्योंकि रह रह कर जब बिजली चमकती तो उसके उजाले में ज्यादा तो नहीं बस हल्का हल्का नजर आ रहा था। बारिश का शोर बहुत ज्यादा था। अब वह सीढ़ियों से नीचे उतरने वाली थी इसलिए राहुल को बोली। 
बेटा संभलकर अब हम नीचे उतारने जा रहे हैं अगर डर लग रहा हो तो मुझे पीछे से पकड़ लेना। ( अलका ने टॉवल से बाहर झांकते उसके लंड को देख चुकी थी और वह यही चाहती थी कि राहुल सीढ़ियां उतरते समय उसे पीछे से पकड़ेगा तो उसका लंड गांड में जरूर रगड़ खाएगा। उसकी मां की यह बात राहुल के लिए तो सोने पर सुहागा था। इससे तो उसे खुला मौका मिल जाएगा। वह कुछ बोला नहीं बस हामी भर दीया। 
अलका धीरे धीरे सीढ़िया उतरने लगे और उसके पीछे पीछे राहुल, अलका आराम से दो तीन सीढ़ियां उतर गई, और राहुल भी बस कंधे पर हाथ रखे हुए नीचे आराम से उतर रहा था। दोनों तरफ रहे थे कल का चाह रही थी कि राहुल पीछे से उसे पकड़ ले राहुल भी यही चाह रहा था कि अपनी मां के बदन पर पीछे से जाकर सट जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था। अलका तो तड़प रही थी उसे जल्द ही कुछ करना था वरना यह मौका हाथ से जाने वाला था दोनों अगर ऐसा ही होता रहा है तो शर्म के मारे यह सुनहरा मौका हाथों से चला जाएगा। इसलिए अलका ने शिढ़ी पर फिसलने का बहाना करते हुए आगे की तरफ झटका खाते हुए।

ऊईईईई....मां ....गई रे.....
( इतना सुनते ही राहुल बिना वक्त गवाएं झट से अपनी मां को पीछे से पकड़ लिया, अब लगा पीछे से अपने बेटे की बाहों में थी। राहुल का बदन अपनी मां के बदन से बिल्कुल सटा हुआ था इतना सटा हुआ कि दोनों के बीच में से हवा को आने जाने की भी जगह नहीं थी। लेकिन अपनी मां को संभालने संभालने मे उसका लंड जोकी पहले से ही टनटनाया हुआ था वह ऊसकी मां की बड़ी बड़ी भरावदार गांड की फांको के बीच जाकर फंस गया। राहुल के बदन मे आश्चर्य के साथ सुरसुराहट होने लगी।
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10-09-2018, 03:33 PM,
#60
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल के बदन में आश्चर्य के साथ सुरसुराहट होने लगी क्योंकि पीछे से अपनी मां को थामने में उस का टनटनाया हुआ लंड उसकी मां की भरावदार गांड की फांखों के बीच फंस गया था। उसे आनंद तो बहुत आया लेकिन लेकिन एक बात उसको आश्चर्य में डाल दी थी। क्योंकि उसकी मां पेटीकोट पहनी हुई थी। लेकिन इस वक्त सीढ़ियों से उतरते समय जिस तरह से उसका लंड सटाक करके गांड की फांकों के बीच फस गया था , इससे तो यही लग रहा था उसे कि उसकी मां ने पेटीकोट नहीं पहनी है। राहुल को अजीब लग रहा था ' तभी उसकी मां ने बोली।

ओहहहहह.... बेटा तूने मुझे फिर से एक बार गिरने से बचा लिया और कहां मैं तुझे कह रही थी कि मै सभाल लूंगी। तेरा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा। 

इसमें शुक्रिया कैसा मम्मी यह तो मेरा फर्ज है।

तू बहुत समझदार हो गया और बड़ा भी। ( इतना कहकर अलका हंस दी, उसके कहने का कुछ और मतलब था लेकिन उसका मतलब राहुल समझ नहीं पाया अलका कुछ देर तक सीढ़ियों पर खड़ी थी राहुल भी उसे अपनी बाहों में लिए खड़ा था उसका लंड अलका की भरावदार गांड में फंसा हुआ था जो कि यह बात अलका बहुत अच्छी तरह से जानतीे थी। वह इसी लिए तो जान बूझकर अपनी पेटीकोट को छत पर उतार आई थी, क्योंकि वह जानती थी की सीढ़ियों से उतरते समय कुछ ऐसा ही दृश्य बनने वाला था। अलका के साथ साथ राहुल की भी सांसे तीव्र गति से चल रही थी।
राहुल तो अपनी मां की गांड के बीचो बीच लंड फंसाए आनंदीत भी हो रहा था और आश्चर्यचकित भी हो रहा था। उसने अपनी मन की आशंका को दूर करने के लिए एक हाथ को अपनी मम्मी के कमर के नीचे स्पर्श कराया तो उसके आश्चर्य का ठिकाना ही ना रहा। उसकी हथेली अलका की जांघो पर स्पर्श हो रही थी और जांघो को स्पर्श करते ही वह समझ गया कि उसकी मम्मी कमर से नीचे बिल्कुल नंगी थी। उसके मन में अब ढेर सारे सवाल पैदा होने लगे कि यह पेटीकोट कैसे उतरी क्योंकि उसकी आंखों के सामने तो उसकी मां ने सिर्फ अपनी साड़ी को उतार फेंकी थी। साड़ी को उतार फेंकने के बाद उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट रह गई थी।
तो यह पेटीकोट कब और कैसे उतर गई, कहीं मम्मी ने अंधेरे में तो नहीं अपनी पेटीकोट उतार कर नंगी हो गई। क्योंकि बिना पेटीकोट की डोरी खोलें ऐसी तेज बारिश में भी पेटीकोट अपने आप उतर नहीं सकती थी।
इसलिए जानबुझकर मम्मी ने अपनी पेटीकोट की डोरी खोलकर पेटीकोट उतार दी' इसका मतलब यही था कि मम्मी भी कुछ चाह रही है। कहीं ऐसा तों नहीं कि मम्मी भी इस मौके का फायदा उठाना चाहती है। जो भी हो उसमें तो मेरा ही फायदा है। यही सब बातें कशमकश राहुल के मन में चल रही थी। 
मजा दोनों को आ रहा था,खड़े लंड का युं मस्त मस्त भरावदार गांड में फसने का सुख चुदाई के सुख से कम नहीं था। अलका तीन सीढ़ियां ही उतरी थी और वहीं पर ठीठक गई थी। अपने बेटे की जांघों का स्पर्श अपनी जाँघो पर होते ही हल्का को समझते देर नहीं लगा की उसका बेटा भी पूरी तरह से नंगा है। अपने बेटे के लंड की मजबूती का एहसास उसे अपनी गांड की दरारो के बीच बराबर महसूस हो रहा था। बादलों की गड़गड़ाहट अपने पूरे शबाब में थी बारिश होगा जोर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था कुल मिलाकर माहौल एकदम गरमा चुका था। बारिश की ठंडी ठंडी हवाओं के साथ पानी की बौछार मौसम में कामुकता का असर फैआ रही थी। अलका कि साँसे भारी हो चली थी रह-रहकर उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी। लेकिन बारिश और हवा का शोर इतना ज्यादा था कि अपनी मां की गरम सिसकारी इतनी नजदीक होते हुए भी राहुल सुन नहीं पा रहा था। तभी अलका अपने बेटे से बोली।

कसकर मुझे पकड़े रहना बेटा क्योंकि छत का पानी सीढ़ीयो से भी बह रहा है। और हम दोनों भीगे हुए हैं इसलिए पैर फिसलने का डर ज्यादा है इसलिए निसंकोच मुझे पीछे से कस के पकड़े रहना। 
( अलका का इरादा कुछ और था बस वह पेेर फीसलने का बहाना बना रही थी। आज अलका भी अपने बेटे के साथ हद से गुजर जाना चाहती थी। और राहुल भी अपनी मां के कहने के साथ ही पीछे से अपने दोनों हाथ को कमर के ऊपर लपेटे हुए कस के पकड़ लिया और इस बार कस के पकड़ते ही उसने अपनी कमर का दबाव अपनी मां की गांड पर बढ़ा दिया, जिससे उसके लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी गांड की भूरे रंग के छेंद पर दस्तक देने लगा। उस भूरे रंग के छेद पर सुपाड़े की रगड़ का गरम एहसास होते ही अलका के बदन में सुरसुरी सी फैल़ गई एक बारगी उसका बदन कांप सा गया। अलका के बदन में इतनी ज्यादा उत्तेजना भर चुकी थी कि उसके होठों से लब्ज भी कपकपाते हुए निकल रहे थे। वह कांपते स्वर में बोली।

बबबबब....बेटा ... कस के पकड़ा है ना।

हहहह...हां मम्मी राहुल की भी हालत ठीक उसकी मां की तरह ही थी उसके बदन में भी उत्तेजना का संचार तीव्र गति से हो रहा था खास करके उसके तगड़े लंड में जो की अपनी ही मां की गांड की दरार में उस भूरे रंग के छेद पर टिका हुआ था जहां पर अपने बेटे के लंड का स्पर्श पाकर अलका पूरी तरह से गनगना गई थी। अलका की बुर से मदन रस रीस नहीं बल्कि टपक रहा था। अलका पूरी तरह से कामोत्तेजना में सराबोर हो चुकी थी। उसकी आंखों में नशा सा चढ़ने लगा था। बरसात की भी आवाज किसी रोमांटिक धुन की तरह लग रही थी। अलका अपने बेटे का जवाब सुनकर अपना पैर सीढ़ियों पर उतारने के लिए बढ़ाई अब तक राहुल का लंड अलका की गांड में फंसा हुआ था। लेकिन जैसे ही अलका ने अपने पैर को अगली सीढी पर उतारी और उसी के साथ राहुल अपनी मां को पीछे से बाहों में जकड़े हुए जैसे ही अपनी मां के साथ साथ पैर को अगली सीढ़ी पर उतारा उसका लंड गांड की गहरी दरार से सरक कर गांड की ऊपरी सतह से सट गई। राहुल अपनी मां को पीछे से कस के पकड़े हुए था उसकी मां भी बार बार करते पकड़े रहने की हिदायत दे रही थी। और मन ही मन अपने बेटे के भोलेपन को कोस रही थी क्योंकि इतने में तो, कोई भी होता अपने लंड को थोड़ा सा हाथ लगाकर उसकी बुर में डाल दिया हो तो उसके लिए राहुल भोला का भोला ही रहेगा। 
अलका अपने बेटे को भोला समझ रही थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि वह इससे पहले दो सिखरो की चढ़ाई कर चुका था। ऐसे ही ऐसे एक दूसरे से चिपके हुए दो सीढ़ियां और उतर गए। अलका की तड़प बढ़ती जा रही थी इतनी नजदीक लंड के होते हुए भी उसकी बुर अभी तक प्यासी थी और उसकी प्यास अलका से बर्दाश्त नहीं हो रही थी। उसे लगने लगा था कि उसे ही कुछ करना है जैसे जैसे नीचे उतारती जा रही थी अंधेरा और भी गहराता जा रहा था और बारिश तो ऐसे बरस रही थी कि जैसे आज पूरे शहर को निगल ही जाएगी। लेकिन यह तूफानी बारिश दोनों को बड़ी ही रोमांटिक लग रही थी। तभी अलका ने सीढ़ी पर रुक कर अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर राहुल की कमर को पकड़ते हुए थोड़ा सा पीछे की तरफ करते हुए बोली।

बेटा थोड़ा ठीक से पकड़ नहीं तो मेरा पैर फिसल जाएगा( पर इतना कहते हैं कि साथ ही वापस अपने हाथों को हटा ली,)

ठीक है मम्मी (इतना कहने के साथ ही राहुल का लंड अपने आप एडजस्ट होकर वापस गांड की गहरी दरार में फस गया। और अलका यही करने के लिए बहाना बनाई थी। अलका अपनी बाहों में में पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी क्योंकि इस बार उसका लंड उसकी गांड के भुरे छेंद से नीचे की तरफ उसकी बुर की गुलाबी छेद के मुहाने पर जाकर सट गया। बुर के गुलाबी छेद पर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े का स्पर्श होते हैं अलका जल बिन मछली की तरह तड़प उठी, उसकी हालत खराब होने लगी वह सोचने लगी थी की वह क्या करें कि उसके बेटे का मोटा लंड उसकी बुर में समा जाए और दो औरतों की चुदाई कर चुका राहुल भी अच्छी तरह से समझ चुका था कि उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मम्मी के कौन से अंग पर जाकर टिक गया है। राहुल का लंड तो तप ही रहा था। लेकिन उसकी मां की बुरउसके लंड से कहीं ज्यादा गरम होकर तप रही थी। अपनी मां की बुर की तपन का एहसास लंड पर होते हैं राहुल को लगने लगा की कहीं उसका लंड पिघल ना जाए। क्योंकि बुर का स्पर्श होते ही उसके लंड का कड़कपन एक दम से बढ़ चुका था और उसमे से मीठा मीठा दर्द का एहसास हो रहा था। अलका पुरी तरह से गनगना चुकी थी। क्योंकि आज बरसों के बाद उस की नंगी बुर पर नंगे लंड का स्पर्शा हो रहा था।
बरसों से सूखी हुई उसकी जिंदगी में आज इस बारिश में हरियाली का एहसास जगह आया था। उत्तेजना के मारे अलका के रोंगटे खड़े हो गए थे। अपने बेटे के लंड के मोटे सुपाड़े को वह अपनी बुर के मुहाने पर अच्छी तरह से महसूस कर रही थी वह समझ गई थी कि उसकी बुर के छेद से उसके बेटे के लंड का सुपाड़ा थोड़ा बड़ा था।
जो की बुर के मुहाने पर एकदम चिपका हुआ था। अलका अपनी गर्म सिस्कारियों को दबाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी हर कोशिश उत्तेजना के आगे नाकाम सी हो रही थी। ना चाहते हुए भी उसके मुंह से कंपन भरी आवाज निकल रही थी।

बबबबब.....बेटा ....पपपपपप...पकड़ा है ना ठीक से।

हंहंहंहंहं....हां .... मम्मी ( राहुल भी उत्तेजना के कारण हकलाते हुए बोला)

अब मैं सीढ़ियां उतरने वाली हूं मुझे ठीक से पकड़े रहना। ( इतना कहने के साथ ही एक बहाने से वह खुद ही अपनी गांड को हल्के से पीछे ले जाकर गोल-गोल घुमाते हुए अपने आप को सीढ़िया उतरने के लिए तैयार करने लगी। राहुल भी गरम सिसकारी लेते हुए हामी भर दिया। राहुल की भी हालत खराब होते जा रही थी। वह मन ही मन में यह सोच रहा था कि इतनी उत्तेजित अवस्था में तो वह नीलू और विनीत की भाभी के साथ भी नहीं था जितना उत्तेजित वह इस समय अपनी मां के साथ था। रिमझिम गिरती तूफानी बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट एक अजीब सा समा बांधे हुए थी। अलका जानती थी कि इस बार संभालकर सीढ़ियां उतरना है वरना फिर से इधर उधर होने से राहुल का लंड अपनी सही जगह से छटककर कहीं और सट जाएगा। इसलिए वह वापस अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपने बेटे के कमर को कस के पकड़ते हुए अपनी गांड से सटाते हुए बोली बेटा इधर फीसल़ने का डर कुछ ज्यादा है पूरी सीढ़ियों पर पानी ही पानी है।

इसलिए तु मुझे कस के पकड़े रहना मैं नीचे उतर रही हूं
( इतना कहने के साथ ही अलका अपने पैर को नीचे सीढ़ियों पर संभालकर रखने लगे और राहुल को बराबर अपने बदन से चिपकाए रही। इस तरह से राहुल की कमर पकड़े हुए वह आधी सीढ़ियो तक आ गई। इस बीच राहुल का लंड उसकी मां की बुर पर बराबर जमा रहा। अपनी बुर पर गरम छुपाने की रगड़ पाकर अलका पानी पानी हुए जा रही थी उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था जो कि राहुल के लंड के सुपाड़े से होता हुआ नीचे सीढ़ियों पर चु रहा था। अलका के तो बर्दाश्त के बाहर था ही लेकिन राहुल से तो बिल्कुल भी यह तड़प सही नहीं जा रही थी। दो औरतों की चुदाई कर चुका राहुल या अच्छी तरह से जानता था कि, उसका लंड उसके मां की उस अंग से सटा हुआ था जहां पर हल्का सा धक्का लगाने पर लंड का सुपाड़ा सीधे बुर के अंदर जा सकता था लेकिन राहुल अभी भी शर्म और रीश्तो के बंधन में बंधा हुआ था। राहुल को अभी भी शर्म की महसूस हो रही थी यह तो अंधेरा था इस वजह से इतना आगे बढ़ चुका था। वह अपने मन मे बोल भी रहा था की इस समय अगर इसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो वह कब से अपना समूचा लंड बुर में पेल दिया होता। लेकिन राहुल की मां इसके विपरीत
सोच रही थी, उसे राहुल नादान लग रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि किसी को भी अगर इतनी छूट दी जाए तो इतने से ही सब कुछ कर गुजर गया होता। लेकिन राहुल इतना नादान और भोला है कि जन्नत के द्वार पर बस लंड की टीकाए खड़ा है।
दोनों से बर्दाश्त नहीं हो रहा था दोनों एक दूसरे की पहल में लगे हुए थे। लेकीन ईस समय जो हो रहा था। उससे भी कम आनन्द प्राप्त नही हो रहा था। ईस तरह से भी दोनो संभोग की पराकाष्ठा का अनुभव कर रहे थे। 
दोनों की सांसे लगभग उखड़ने लगी थी। अलका तो यह सोच रही थी कि वह क्या करें कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में समा जाए। सीढ़ियां उतरते समय राहुल का लँड उसकी मां की गांड में गदर मचाए हुए था, राहुल का लंड अलका की गांड की दरार के बीचोबीच कभी बुर पर तो कभी भुरे रंग के छेंद पर रगड़ खा रहा था।
अलका तो मदहोश हुए जा रही थी उसकी दोनों टांगे कांप रही थी। राहुल की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी। वह बराबर अपनी मां को कमर से पकड़ कर अपने बदन से चिपकाए हुए था। इसी तरह से पकड़े हुए दोनों सीढ़ियां लगभग उतर चुके थे , राहुल अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था और अलका भी अपने दोनों हाथों से अपने बेटे के कमर को पकड़ कर अपने बदन से चिपकाए हुए थी। मां बेटे दोनों संभोग का सुख प्राप्त करने के लिए तड़प रहे थे।
लेकिन अब राहुल से बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि कई दिन बीत चुके थे उसने बुर में लंड नहीं डाला था। और इस समय दोनों के बीच इस तरह के हालात पैदा हुए थे की ऐसे में तो चुदाई ही ईसकी मंजिल बनती थी। राहुल अजीब सी परिस्थिति में फंसा हुआ था। उसके अंदर मनो मंथन सा चल रहा था। वह अपनी ओर।अपनी मम्मी के हालात के बारे में गौर करने लगा क्योंकि यह सारी परिस्थिति उसकी मां ने ही पैदा की थी। उसका इस तरह से उसके सामने साड़ी उतार कर बारिश में नहाना अपने अंगो का प्रदर्शन करना और जान बूझकर अपनी पेटीकोट उतार फेकना , और तो और सीढ़ियां उतरते समय अपने बदन से चिपका लेना। यह सब यही दर्शाता था कि खुद उसकी मां भी वही चाहती थी जो कि राहुल खुद जाता था यह सब सोचकर राहुल का दिमाग और खराब होने लगा।. अब उसी से यह कामुकता की हद सही नहीं जा रही थी तीन-चार सीढ़ीया ही बाकी रह जा रही थी। इस समय जो बातें राहुल के मन में चल रही थी वही बातें अलका के मन में भी चल रही थी अलका भी यही चाहती थी कि कैसे भी करके उसके बेटे का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर जाए। उसको भी यही चिंता सताए जा रहे थे की बस तीन चार सीढ़ियां ही रह गई थी। जो होना है ईसी बीच हो जाता तो अच्छा था। एक तो पहले से ही राहुल के लंड ने उसकी बुर को पानी पानी कर दिया था। कामातूर होकर अलका ने ज्यों ही अपने कदम को नीचे सीढ़ियों की तरफ बढ़ाई और राहुल था की इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए वह अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए हल्के से अपनी कमर को नीचे की तरफ झुकाते हुए वह भी अपनी मां के साथ साथ नीचे कदम बढ़ाया ही था कि उसका खड़ा लंड उसकी मां की बुर के सही पोजीशन में आ गया और जैसे ही राहुल के कदम सीढ़ी पर पड़े तुरंत उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मां की पनियाई बुर मे करीब आधा समा गया' और जैसे ही सुपाड़े का करीब आधा ही भाग बुर में समाया अलका का समुचा बदन बुरी तरह से गंनगना गया। उसकी आंखों से चांद तारे नजर आने लगे। एक पल को तो उसे समझ में ही नहीं आया कि क्या हुआ है आज बरसों के बाद उसकी बुर में लँड के सुपाड़े का सिर्फ आधा ही भाग गया था। और वह सुपाड़े को अपनी बुर में महसूस करते ही मदहोश होने लगी उसकी आंखों में खुमारी सी छाने लगी। और एकाएक उसके मुंह से आह निकल गई, अपनी मां की आह सुनकर राहुल से रहा नहीं गया और वह अपनी मां से पूछ बैठा।

क्या हुआ मम्मी।
( अब अलका अपने बेटे के इस सवाल का क्या जवाब देती, जबकि राहुल भी अच्छी तरह से जानता था कि उसका लंड किसमे घुसा है फिर भी वो अनजान बनते हुए अपनी मां से सवाल पूछ रहा था। तो अलका भी तो अभी इतनी बेशर्म नहीं हुई थी कि अपने बेटे को साफ साफ कह दें कि तेरा लंड मेरी बुर में घुस गया है। जब राहुल सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ था तो उसे भी अनजान बने रहने में क्या हर्ज था और वैसे भी अनजान बने रहने में ही ज्यादा मजा आ रहा था। इसलिए वह कांपते स्वर में बोली।)
कककककक.... कुछ नहीं बेटा .....पाव दर्द करने लगे हैं। 

( अपनी मां की बात सुनकर राहुल अनजान बनता हुआ बोला।)

आराम से चलो मम्मी कोई जल्दबाजी नहीं है वैसे भी अंधेरा इतना है कि कुछ देखा नहीं जा रहा है। 
( राहुल तो इसी इंतजार में था कि कब उसकी मम्मी अगलीे सीढ़ी उतरे और वह अपना आधा लंड उसकी बुर में डाल सके। और तभी अलका अपने आप को संभालते हुए वह भी यही सोचते हुए की शायद अगले सीढ़ी उतरते समय उसके बेटे का पूरा सुपाड़ा उसकी बुरमें समा जाए। और यही सोचते हैं उसने सीढ़ी उतरने के लिए अपना कदम नीचे बढ़ाई और राहुल भी मौका देखते हुए अपनी मां को यूंही बाहों में दबोचे हुए अपनी कमर को थोड़ा और नीचे ले जाकर हल्का सा धक्का लगाया ही था कि, अलका अपने आप को संभाल नहीं पाई उत्तेजना के कारण उसके पांव कांपने लगे और वह लड़खड़ाकर बाकी की बची दो सीढ़ियां उतर गई और राहुल के लंड का सुपाड़ा जितना घुसा था वह भी बाहर आ गया। दोनों गिरते-गिरते बचे थे राहुल का लंड डालने का मौका जा चुका था और अल्का का भी लंड डलवाने का मौका हाथ से निकल चुका था। 
अलका अपनी किस्मत को कोस रही थी कि अगर ऐन मौके पर उसका पेर ना फिसला होता तो अब तक उसके बेटे का लंड उसकी बुर में समा गया होता और राहुल भी खड़े लंड पर ठोकर लगने से दुखी नजर आ रहा था। दोनों सीढ़ियां उतर चुके थे और राहुल अपनी मां से पूछा।

क्या हुआ मम्मी आप ऐसे लड़खड़ा क्यों गई?
( कुछ देर पहले लंड के एहसास से वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी उसके सांसे अभी भी तेज चल रही थी। उत्तेजना उसके सर पर सवार थी यह नाकामी उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी। लेकिन फिर भी अपने आप को संभालते हुए वह बोली।)

कुछ नहीं बेटा एकाएक मुझे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ और मुझे दर्द होने लगा इसलिए मैं अपने आप को संभाल नहीं पाए और गिरते गिरते बची और तुझे तो चोट नहीं लगी ना बेटा।

नहीं मम्मी मुझे चोट नहीं लगी है लेकिन यह बताओ क्या चुभ रहा था और किस जगह पर। ( अलका यह अच्छी तरह से जानतीे थी कि राहुल भोला बनने की कोशिश कर रहा था वह सब कुछ जानता था, वरना यूं इतनी देर से उसका लंड खड़ा नहीं रहता। वैसे भी इस समय पहले वाली अलका नहीं थी यह अलका बदल चुकी थी। शर्मीले संस्कारों और मर्यादा में रहने वाली अलका इस समय कहीं खो चुकी थी उसकी जगह वासना मई अलका ने ले ली थी। जिसके सर पर इस समय वासना सवार थी। इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि रिश्ते नाते सब कुछ भूल चुकी थी और अपने बेटे के सवाल का जवाब देते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में बोली।)

अब क्या बताऊं बेटा तुझे की ं क्या चुभ रहा है और कौन सी जगह चुभ रहा है। इतने अंधेरे में तो तुझे दिखाई भी नहीं देगा। ( वैसे भी शीढ़ी वाली गैलरी में अंधेरा कुछ ज्यादा ही था बारिश अभी भी तेज बरस रही थी बादलों की गड़गड़ाहट लगातार सुनाई दे रही थी। अलका हाथ में आए मौके को गंवाते हुए देखकर अंदर ही अंदर झुंझलाहट महसूस कर रही थी। उसके हाथ से एक सुनहरा मौका निकल चुका था। वह फिर से कोई रास्ता देख रहे थे कि फिर से कोई काम बन जाए। इसलिए और राहुल से बोली।)

चलो कोई बात नहीं बेटा हम दोनों काफी समय से भीग रहे हैं, अब हम दोनों को बाथरूम में चलकर अपने गीले कप्प......( इतना कहते ही अलका थोड़ा रुक कर बोली।) 
बेटा जब तु मेरे बदन से चिपका हुआ था तो मुझे ऐसा एहसास हो रहा था कि बेटा तू बिल्कुल नंगा था।
( अलका अब खुलेपन से बोलना शुरू कर दी थी अपनी मां के इस बात पर राहुल हड़बड़ाते हुए बोला।)

वो...वो...मम्मी ....वो टॉवल.... ऊपर तेज हवा चल रही थी तो छत पर ही छूट गई और अंधेरे में कहां गिरी दिखाई नहीं दी..... लेकिन मम्मी मुझे भी ऐसा लग रहा है कि नीचे से आप पूरी तरह से नंगी है। आप तो पेटीकोट पहनी हुई थी....तो.....


अरे हां उपर कितनी तेज बारिश गिर रही थी वैसे भी मुझसे तो मेरी साड़ी भी नहीं संभाले जा रही थी। और शायद तेज बारिश की वजह से मेरी पेटीकोट सरक कर कब नीचे गिर गई मुझे पता ही नहीं चला। वैसे भी तू तो देख ही रहा है कि अंधेरा कितना घना है हम दोनों एक दूसरे को भी ठीक से देख नहीं पा रहे है. तो वह क्या खाक दिखाई देती। इसलिए मैं भी बिना पेटीकोट पहने ही ईधर तक आ गई। ( तभी धीमी आवाज में बोली।) तुझे कुछ दिख रहा है क्या?

नहीं मम्मी कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है अगर दिखाई देता तो सीढ़ियां झट से ना उतर गया होता, यू आपसे चिपक कर क्यों उतरता । 

( दोनों जानते थे कि दोनों एक दूसरे को झूठ बोल रहे थे दोनों की हालत एक दूसरे से छिपी नहीं थी। दोनों इस समय सीढ़ियों के नीचे नंगे ही खड़े थे। अलका कमर से नीचे पूरी तरह से नंगी थी और राहुल तो संपूर्ण नग्नावस्था में अंधेरे में खड़ा था तभी अलका बोली।


चल कोई बात नहीं बाथरूम में चलकर कपड़े बदल लेते हैं ( इतना कहते ही अलका अंधेरे में अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे का हाथ पकड़ना चाहि कि तभी ) ज्यादा देर तक अगर ऐसे ही भीगे खड़े रहें तो तबीयत खरा......( इतना तो ऐसे ही हो आश्चर्य के साथ खामोश हो गई और हड़ बड़ाते हुए बोली....)
यययययय......ये.....ककककक.....क्कया....है। 
( अलका ने अंधेरे में अपने बेटे का हाथ पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाई थी लेकिन उसके हाथ में उसके बेटे का टनटनाया हुआ खड़ा लंड आ गया और एकाएक हाथ में आया मोटे लंड की वजह से अलका एकदम से हड़बड़ा गई थी। अलका को अपने बेटे कां लंड हथेली में कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था। अल्का पुरी तरह से गनगना गई थी। जब उसे यह एहसास हुआ कि उसके हाथ में राहुल के हाथ कीे जगह क्या आ गया है तो वह एकदम से रोमांचित हो गई और उत्तेजना के मारे उसकी बुर फूलने पीचकने लगी। राहुल जी उत्तेजना के समंदर में गोते लगाने लगा, अपनी मम्मी के हाथ में अपना लंड आते ही राहुल भी पुरी तरह से गनगना गया था। 
अलका से अब बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी। इसलिए वह तुरंत उसका लंड छोड़कर राहुल का हाथ थाम ली और बाथरुम की तरफ जाते हुए बोली।

चल बाथरूम में चलकर अपना बदन पहुंचकर कपड़े बदल लेते हैं वरना सर्दी लग जाएगी।

अंधेरा इतना था तुमसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था फिर भी रह-रहकर बिजली चमकने की वजह से खिड़की से उस की रोशनी अंदर आ रही थी। जिससे बाथरूम कहां है यह थोड़ा-थोड़ा दिखाई दे रहा था। थोड़ी ही देर में दोनों बाथरुम के अंदर थे, यहां भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था और बाथरूम की खिड़की की वजह से आती रोशनी में हल्का-हल्का झलक रहा था। तभी अचानक
राहुल के कानों में वही उस दिन वाली बाथरूम में से आ रही है सीटी की आवाज सुनाई देने लगी राहुल का माथा ठनक गया , उसे समझते देर नहीं लगेगी उसकी मम्मी के सामने ही भले ही नहीं दिखाई दे रहा है फिर भी पास में बैठ कर पेशाब कर रही थी। राहुल एकदम मदहोश होने लगा है उससे रहा नहीं जा रहा था उसके लंड का कड़क पन बढ़ता ही जा रहा था। वह सब कुछ जानते हुए भी अपनी मां से बोला।

क्या हुआ मम्मी क्या कर रही हो? 

अलका जानती थी कि पेशाब करते वक़्त उसकी बुर से
सीटी की आवाज बड़े जोरों से आ रहे थे और यह आवाज राहुल भी साफ साफ सुन रहा था और राहुल जानता भी था कि वह क्या कर रही है लेकिन फिर भी वो जानबूझकर पूछ रहा था इसलिए अलका भी मादकता लिए चुदवासी आवाज में बोली।

क्या बेटा यह भी कोई पूछने वाली बात है बड़े जोरों की आई थी इसलिए यहीं बैठ कर पेशाब कर रही हूं अगर तुझे भी लगी हो तो ले कर ले इस अंधेरे में कहां कुछ दिखने वाला है।


अपनी मां की सी बातें सुनकर राहुल और ज्यादा उत्तेजित हो गया। उससे रहा नहीं गया और वह भी वही खड़े होकर पेशाब करने लगा कि तभी लाइट आ गई।
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