Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:29 PM,
#41
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
कैसी गलती आंटी जी मैं आपसे प्यार करने लगा हूं आई लव यू( वीनीत ने बिना एक पल गंवाए एक सांस में ही सब कुछ बोल दिया। उसकीे बात सुनकर अलका एकदम से स्तब्ध रह गई उसे इस बात पर गुस्सा करें कि ना करें कुछ समझ नहीं पा रहीे थी। वह मन में बहुत कुछ सोचने लगी। मेरे बेटे का हम उम्र होकर मुझे से कैसी बातें कर रहा है। इसे कुछ समझ हे कि नहीं, विनीत के प्रपोजल का जवाब देते हुए अलका बोली।)

तुम पागल हो क्या तुम्हें इतना समझ में भी नहीं आ रहा,
अरे अपनी उम्र देखो ओर मेरी उम्र देखो। कुछ तो ऊम्र का भी लिहाज कीया होता। तुम्हारी मां की उम्र की हुँ।
तुमको तो अपनी उम्र की कोई सुन्दर लड़की से कहना चाहीए था। मुझसे कहकर तुम्हे क्या हासिल हो जाएगा।

आंटी की कुछ हासिल करने वाला करने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता मुझे बस तुम अच्छी लगती हो आज तक मैंने तुम्हारे जैसी कोई औरत नहीं देखा, आप मुझे बहुत पसंद आई इसलिए तो मैं आपसे आई लव यू कह रहा हूं।

फिर वही आलाप जपना शुरु कर दिया तुमने। मैं कह तो रही हूं' मेरी उम्र में और तुम्हारी उम्र में बहुत फर्क है और मुझे इन सब चीजों में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है।
( अलका सड़क पर बने फुटपाथ पर चलती जा रही थी
साथ में विनीत भी अलका के कदमों से कदम मिलाकर चले जा रहा था। अलका भले ही ऊपरी मन से यह सब कह रही थी लेकिन अंदर ही अंदर विनीत की बातों को सुनकर वह प्रसन्न हुए जा रही थी। बातों ही बातों में सड़क का वह मोड आ गया जहां से अलका अपने घर की ओर चली जाती थी।। विनीत जानता था कि अलका अब अपने घर की तरफ मुड़ने वाली है। इसलिए विनीत की तड़प बढ़ती जा रही थी। उसने फिर से बोला।

( हाथ पकड़ते हुए) आंटी जी मैं सच कह रहा हूं मुझे आप से मोहब्बत होने लगी है। और रही बात उमर की तो मे उम्र को नहीं मानता। बस इतना जानता हूं कि मैं आपसे प्यार करने लगा हूं। अब मुझे आपके बिना कुछ अच्छा नहीं लगता, सोते जगते हर पल हर घड़ी आपकी याद मुझे सताती रहती है। मैं आपके बिना नहीं रह पाऊंगा आई लव यू ,आई लव यू
( अलका फिर से उसके भोलेपन पर मुस्कुरा दी और उसके सवाल का जवाब दिए बिना ही हंसते हुए फिर से मुख्य सड़क से नीचे उतर कर अपने घर की तरफ जाने लगी। विनीत वही खड़ा उसे देखता रह गया, वीनीत की नजर फिर से अलका के मादक बदन पर ऊपर से नीचे तक फीरने लगी। अलका हाई हील की सेंडल पहने हुए थी जिससे चलते समय उसकी बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही थिरक रहे थे ' अलका की बड़ी बड़ी गांड एक बार फिर से वीनीत के लंड में सुरसुराहट पैदा कर गई थी। विनीत वही खड़ा पैंट के ऊपर से ही लंड को मसलते हुए अलका को जाते देखता रहा और तब तक देखता रहा जब तक कि अलका उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई। वीनीत को उसका काम बनता हुआ नजर आ रहा था। क्योंकि उसने जैसा सोचा था कि अलका उसको गुस्सा करेंगीे नाराज होगी डाटेंगी यह हो सकता है कि मिलना जुलना ही बंद कर दे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था बल्कि वह तो उसकी बातों को सुनकर मुस्कुरा रही थी। इसलिए तो विनीत एब एकदम आत्मविश्वास से भर चुका था। मुझे पक्का यकीन हो गया था कि बारिश की रात को जो काम उसने अधूरा छोड़ा था बहुत जल्द वह पूरा होने वाला है। कुछ ही देर में अलका भी आंखों से ओझल हो गई फीर भी वही खड़ा खड़ा उस रास्ते को देखने लगा जहां से अलका रोज आती जाती थी ' ईसके बाद विनीत भी अपने घर की तरफ चल दिया।

रसोई बनाते समय अलका बहुत खुश नजर आ रही थी वह मन ही मन में कोई गीत गुनगुना रही थी। और खुश क्यों ना हो बरसों के बाद किसी ने उसे प्रपोज किया था वरना जो भी उसकी तरफ देखता था तो बस नोचने और खसोटने जेसा ही विचार हर मर्द में आता था। अलका के हिसाब से विनीत सबसे अलग था। उसका अंदाज उसके बोलने का तरीका उसका एटीट्यूट सब कुछ अल्का को भाने लगा था।

अलका बहुत खुश थी । उसकी खुशी का पूरा असर आज रसोईघर में भी देखने को मिल रहा था क्योंकि आज से बच्चों के मन पसंद की खीर पूरी सब्जी और मालपुआ भी बना रही थी। तभी तो पढ़ाई कर रहे राहुल और सोनू दोनों को रसोई घर से आती स्वादिष्ट खुशबू इन दोनों के मुंह में पानी आ गया। राहुल और सोनू से एक पल भी रुका नहीं गया और वह दोनों रसोई घर में आ गए , रसोई घर में घुसते ही राहुल मालपुआ को चखना चाहता था लेकिन जैसे ही मालपुआ को लेने के लिए आगे बढ़ा ही था कि उसकी नज़र सीधे उसकी मां की भरावदार नितंब पे पड़ी' और उसके कदम ज्यों के त्यों वहीं रुक गए। राहुल की मम्मी मालपुआ को छानते वक्त एक पांव को घुटनों से मोड़ कर दूसरे पांव पर रखकर हल्के हल्के रगड़ रही थी। जिसकी वजह से उसके पीछे का भाग कुछ ज्यादा ही उभार लिए हुए था।
और ऊस वक्त उसने सिर्फ गाउन पहने हुए थी। जोकि उसके बदन से बराबर चिपका हुआ था इसलिए उसके अंगों का घुमाव मरोड़ और कटाव बराबर झलक रहा था। यह सब देख कर राहुल को अपनी जांघों के बीच सुरसुराहट सी महसूस होने लगी। तत्काल उसके लंड ले तनाव आना शुरु हो गया। बड़ी-बड़ी और भरावदार गांड राहुल की कमजोरी बनती जा रही थी। विनीत की भाभी की भी गांड बिल्कुल ऐसी ही भरावदार और गोल गोल थी, और तो और उसने तो दिनेश की भाभी की गांड को छुआ भी था उसकी नरमाहट को अपनी हथेली में मसल मसल कर महसूस भी किया था। उस वक्त राहुल को विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी गांड बहुत ही ज्यादा कामुक और अतुल्य लग रही थी' और उसे चोदने के बाद से उसकी नजर जब भी किसी औरत पर पढ़ते थी तो सबसे पहले उसके भरावदार गांड पर ही पड़ती थी। और वहां तो खुद दो तीन बार अपनी मां की नंगी गांड के दर्शन कर चुका था। सबसे उसके मन के कोने में की मां की भरावदार गांड के प्रति आकर्षण बना हुआ था। इसलिए तो रसोई घर में प्रवेश करते ही, उसकी नजर जैसे ही उसकी मम्मी की भरावदार गांड जो कि गाउन का लबादा ओढ़े हुए थी उस पर पड़ते ही राहुल की यादें भरावदार गांड को लेकर तरोताजा हो गई,
राहुल वहीं खड़े होकर अपनी मां के पिछवाड़े का नजरों से जायजा ले रहा था तब भी इस तरह से खड़े हो जाने पर सोनू बोला।

भैया मम्मी तो आज पकवान बना रही है आज मजा आ जाएगा खाने मे। ( सोनू की आवाज उसके कानों में पढ़ते ही जैसे कि वह नींद से जगा हो इस तरह से सकपका गया' राहुल की मम्मी को भी इसका एहसास हो गया कि उसके दोनो बच्चे रसोईघर में आ चुके हैं। तभी वह मालपुआ तलते हुए बोली।)

राहुल सोनू तुम दोनो रसोई में चले आए मुझे मालूम है जिस लिए आए हो। आज तुम दोनों की पसंद का खाना बना रहीे हुं। ( मालपुआ को कड़ाई से निकालते हुए )
आज तो तुम दोनों के मुंह में पानी आ गया होगा।


राहुल के मुंह में मालपुआ की खुशबू से तो पानी आया ही आया था लेकिन अपनी मां की भरावदार गांड को देखकर उसके लंड से भी पानी की एक दो बुंद टपक पड़ी। राहुल बड़ी-बड़ी नितंब के आकर्षण से अपने आप को बचा नहीं सका और आगे बढ़ कर उसने पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में कसते हुए बोला।


ओह मम्मी तुम कितनी अच्छी हो ,तुम हम दोनों का बहुत ख्याल रखती हो। आज तुमने हम दोनों के मनपसंद का खाना बनाई हो आज मैं बहुत खुश हूं मम्मी।

( राहुल अपनी बात हो गई पीछे से अपनी मां को भरा हुआ था लेकिन उसके पेंट में बना तंबू सीधे उसकी मां की गांड के दरार में घर्षण करने लगा था, राहुल आम तौर पर इसी तरह से रसोई घर में जब भी खुश होता था तो अपनी मम्मी को पीछे से यूं ही बाहों में भर कर दुलार करने लगता था। उसकी मां को भी है अौपचारीक ही लगा था की ' उसने अपनी गदराई हुई गांड पर कुछ नुकीला सा चुभता महसुस की ,उसे समझते जरा भी देर नही लगी की उसकी गांड पर जो नुकीली चीज चुभ रही है वह कुछ ओर नही बल्की राहुल का लंड है जो की ईस समय एकदम तनाव मे है। उस नुकीली चीज के चुभन को समझते ही उसका पुरा बदन अजीब से रोमांच मे झनझना गया। तुरंत उसकी बुर मे सिहरन सी दौड़ गई ओर उत्तेजना मे फुलने पिचकने लगी। उसको तो कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करें, राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हुई थी तुरंत वह सकते में आ गई थी। उसको यह लग रहा था कि राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हुई है क्योंकि जहां तक वह पूरी तरह से अपने बच्चों से वाकिफ थी राहुल इस तरह का लड़का कदापि नहीं था वह इतनी गंदी हरकत जानबूझ कर ही नहीं सकता था।
वह समझ रही थी कि राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हो रही है क्योंकि वह इस तरह से हमेशा उसे पीछे से बाहों में भर कर दुलार करता था। लेकिन आज की यह हरकत अलका को अजीब सी लगी क्योंकि इससे पहले उसके भरावदार नितंब पर इस तरह की चुभन कभी भी नहीं हुई।

अलका को लग रहा था कि यह हरकत राहों से अनजाने में ही हुई है लेकिन राहुल ने इस तरह की हरकत जानबूझकर किया था। अपनी मां के भरावदार गांड को देख कर वो अपने आप को रोक नहीं पाया था और सीधे जाकर पीछे से अपनी मां को बाहों में भरते हुए अपने पेंट में बने तंबू को आगे की तरफ बढ़ा कर अपनी मां की भरावदार गांड पर रगड़ने लगा था, राहुल को इस तरह से बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। उसे अपने तंबु को अपनी मां की गांड पर चुभाने में रगड़ने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। राहुल उत्तेजना से एकदम से भर चुका था उसका बस चलता तो कब का गाउन उठाकर अपनी मां की बुर में लंड पेल दिया होता
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10-09-2018, 03:29 PM,
#42
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वैसे भी विनीत की भाभी ने कुछ हद तक चुदाई करने के सारे दांव पेंच सिखा ही दि थी। राहुल इतनी हिम्मत तो दिखा चुका था लेकिन इसके आगे हिम्मत दिखाने की ताकत उसमे नहीं थी।
दूसरी तरफ अलका को यह सब अनजाने में ही लग रहा था राहुल को कैसे मना करे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था । अगर वह राहुल को उसकी हरकत बताते हुए डांटती है तो इसका बुरा असर राहुल पर पड़ सकता था। वह नही चाहती थी कि इन सब गंदी बातों पर उसका ध्यान जाए। वह अभी तक अपने तंबू को अलका की गांड पर रगड़े हुए था और अलका मालपुआ चल रही थी वह माल पूए को कड़ाही से निकालते हुए बोली।

अरे छोड़ मुझे मालपुआ तों बनाने दे वरना रसोई तैयार करने में फिर देर हो जाएगी।
( राहुल अपनी मां को छोड़ना नहीं चाहता था लेकिन उसकी बात सुनकर उसे छोड़ना ही पड़ा,)

अच्छा तुम दोनों बाहर बैठोे मैं तुरंत रसोई तैयार करके
उसे परोस कर लाती हूं।
( राहुल के मन से हामी भर कर रसोई घर के बाहर जाने लगा की तभी अचानक अलका उसे रोकते हुए बोली।)

सुनो राहुल

हां मम्मी ...( अपनी मां की तरफ पलटते हुए।)

देखो बेटा तुम दोनों ठीक है अपने हाथ पांव धो लेना क्योंकि खाने से पहले सफाई बहुत जरूरी है ठीक है ना।
( राहुल भी हामी भरके रसोई घर के बाहर चला गया।
अलका का यह स्वच्छता के बारे में हिदायत देना कोई जरूरी नहीं था लेकिन वह इस बहाने कुछ और देखना चाहती थी और जो देखना चाहती थी राहुल के बदन पर उसकी नज़रों ने कोई जगह का पूरी तरह से मुआयना कर ली थी। अलका की अनुभवी आंखों ने अपने बेटे के पेंट में बने तंबू का पूरी तरह से जायजा ले लिया था। पेंट में बने उस उभार को देख कर अलका अंदर ही अंदर सिहर उठी थी। अपने बेटे के पेंट में बने उस तंबू को देख कर आज पहली बार उसे यह एहसास हुआ कि उसका बेटा भी अब बड़ा हो चुका है। अलका को अंदर ही अंदर यह एहसास हो चुका था कि उसके बेटे का लंड काफी तगड़ा और जानदार है।
राहुल रसोई घर के बाहर जा चुका था लेकिन उसने जो अपनी मां को एहसास करा गया वह बहुत कुछ बदलने वाला था।
अलका रसोई तैयार कर चुकी थी उसका मन अब नहीं लग रहा था। बार बार वह अपनी गदरैई हुई गांड पर अपने बेटे के लंड के चुभन को महसूस करके गंनगना जा रही थी। ना चाहते हुए भी उसका ध्यान बार-बार अपने बेटे के पेंट में बने उस उभार पर चला जा रहा था
गैस की नौब बंद करते समय उसे अपनी बुर से कुछ रीसता हुआ महसुस हुआ वह एक दम से चौंक गई और उसने तुरंत एक नजर रसोई घर की तरफ करते हुए नजरें बचाकर अपने गांऊन में को कमर तक उठा दि और पेंटी की तरफ देखीे तो पूरी पेंटी गीली हो चुकी थी उसने अपनी उंगली गीली पेंटी के ऊपर रगड़ कर अपनी उंगली को अंगूठे से रगड़ कर देखी तो उसमे बहुत चिकनाहट थी, वह समझ गई कि चिकनाहट से भरी यह गीलापन कैसा है। उसे ऐसा लगने लगा था कि कहीं उसका पीरियड तो नहीं आ गया लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था।
उसे समझ में ही नहीं आया कि आज उसके खुद के बेटे की वजह से वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई कि उसका नमकीन पानी छूट गया और उसे पता भी नहीं चला।
खेर जैसे-तैसे करके उसने 3 थाली में रसोई परोसी और पहले की तरह तीनों साथ में बैठकर भोजन किए।
भोजन करने के बाद उसके दोनों बच्चे अपने अपने कमरे में चले गए। और अलका विचारमग्न होकर सारे काम करती रही बर्तन साफ करने के बाद वह भी अपने कमरे में सोने के लिए चली गई। वह अपने बिस्तर पर लेट कर बहुत सारी बातें सोचने लगी नींद उसकी आंखों से क इसको तय कर पाना उसके लिए भी बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था।
पहले तो उसे वीनीत की हरकतों ने परेशान किए हुए था
और उसका बड़े ही रोमांटिक तरीके से प्रपोज करना यह सब उसे अच्छा भी लग रहा था और परेशान भी किए हुए था। वह कैसे अपने ही बेटे के उमर के लड़के का प्रपोजल सवीकार कर ले । अगर कर भी लेती है तो कितना अजीब लगता है अगर इस बारे में किसी को पता भी चल गया तो उसके बारे में कैसी कैसी धारणाएं बंधेगी। लोग क्या कहेंगे। एक तरफ वह लोगों के बारे में सोचकर चिंतित हो रही थी और दूसरी तरफ खुश भी थी की एक जवान लड़के ने अपनी मां की उम्र कि औरत मे ऐसा ना जाने क्या देख लिया कि उससे प्यार करने लगा। उसे अंदर ही अंदर खुशी हो रही थी कि इस उम्र में भी उसके अंदर बहुत कुछ बाकी है तभी तो एक जवान लड़का इस कदर उससे प्यार करने लगा है।
यह सब सोच ही रही थी की तभी रसोई घर वाली बात याद आ गई। राहुल के द्वारा पर हरकत अनजाने में ही हुई थी लेकिन उस हरकत का असर ईतना ज्यादा था कि कुछ हरकत के बारे में सोचकर ...

अलका की बुर पसीजने लगी थी। अलका से बर्दाश्त नहीं हो रहा था पल पल उस की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। अपने बेटे के ख्याल से तो उसकी उत्तेजना एकदम चरम शिखर पर पहुंच जाती थी। वह अपने बेटे के इस तरह के ख्याल से एकदम परेशान हो चुकी थी ना चाहते हुए भी उसका ध्यान बार-बार राहुल के पेंट में बने तंबु पर ही चला जा रहा था। आखिरकार वह बिस्तर से उठी
और तुरंत अपनी गाउन को उतार फेंकी, बिना एक पल भी गवाएं उसने तुरंत अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर ब्रा के हुक को खोल दी। हुक के खुलते ही उसने ब्रा को अपनी बाहों से उतार फेंकी। उसी तरह से उसने झट से अपनी पैंटी को उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई और आकर आदम कद आईने के सामने अपने आप को निहारने लगी।

अलका एकदम संपूर्ण निर्वस्त्र होकर आईने के सामने खड़ी थी। उसके बदन का हर एक अंग उभार मार रहा था। आईने में अपनी बड़ी बड़ी चुचियों को देखकर अलका के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। यूं तो वह अपने बदन को रोज ही निहारती थी ,कभी कभी निर्वस्त्र होकर बात हुई नहीं तो कभी कपड़े बदलते समय आईने के सामने। लेकिन आज की बात कुछ और थी आज उसे अपनी चुचियों में कुछ बदलाव सा नजर आ रहा था उत्तेजना की वजह से उसकी चुचीयो का साइज थोड़ा सा बढ़ गया था, जिसे देख कर अल्का मुस्कुरा रही थी उसे लगने लगा था कि वाकई में इस उम्र में भी उसके बदन में अभी बहुत कुछ बाकी था। वह मन ही मन अपने ऊपर गर्वित हुए जा रही थी। यह वह भली भांति जानती थी कि उसके अंगों में जो अभी भी निखारता और सुंदरता बची है यह उसके अनुशासन और अपने ऊपर काबू कर पाने की शक्ति कि ही वजह से कायम है
वरना वह भी दूसरी औरतों की तरह अगर अपने मन पर काबू नहीं कर पाती तो अब तक उसके अंगों में भी लचीलापन और चुचीयों में ढीलापन ना जाने कब से आ चुका होता।
उससे रुका ना गया और उसके दोनों हथेलियां खुद-ब-खुद चूचियों पर फिरने लगी, जैसे-जैसे उसकी नरम हथेलियां उसकी कैसी हुई चूचियों पर फिर रही थी वैसे वैसे उसके चेहरे के भाव बदलते हुए नजर आ रहे थे।
अपने बेटे के खड़े लंड की चुभन को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस करते हुए उसने अपनी हथेली को चूचियों पर कसना शुरु कर दिया जैसे ही चुचियों पर उसकी मुट्ठी भींची उसके मुख से करारी सिसकारी छूट पड़ी। 
सससससससस....आहहहहहहहहहहह......
अचानक से अपने मुख से निकली गरम सिसकारी की आवाज सुनकर वह खुद हैरान हो गई और मुस्कुराने भी लगी। 
आज रसोईघर में जो भी हुआ उससे वह काफी तौर पर हैरान थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह राहुल की नादानी थी या उसकी शरारत। अलका के लिए समझ बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था। आज से पहले कभी भी उसे ऐसी चुभन अपने नितंबों पर महसूस नहीं हुई , पहली बार उसने अपने नितंब पर अपने बेटे के लंड की चुभन को महसूस की थी , विनीत की भाभी और मधु की ही तरह अलका भी अपने बेटे के लंड की मजबूती और तगड़ेपन को भांप ली थी। 
अलका अभी भी आईने के सामने ही खड़ी होकर अपनी चुचियों को अपनी हथेली में नीचे जा रही थी और सोच रही थी कि यह हरकत राहुल से अनजाने में हुई है या यह उसके उम्र का दोष है कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरा लड़का बड़ा होने लगा है। हां ऐसा तो उसके ल** की चुभन की मजबूती को देखकर लगने लगा है कि वाकई में मेरा लड़का जवान होने लगा है।
कल का मन ही मन अपने आप से बातें कर रही थी।
पहले तो वीनीत की कामुक हरकत नैं उसे बेचैन किए हुए था और अब तो उसके खुद के लड़के के लंड की चुभन ने उसकी तड़प को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था।
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10-09-2018, 03:30 PM,
#43
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
आईने में अपने सुर्ख हो चले गाल को देख कर वो खुद ही शरमा गई। पल पल उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी चूचियों पर भीेची हुई हथेली धीरे-धीरे पेट पर से सरकते हुए नाभि से गुजरते हुए जांघों के बीच जाकर तपती हुई दरार पर जाकर ठहर गई। अलका ईस समय इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी की उत्तेजना मे उसने अपनी हथेली से अपनी बुर को दबोच ली। बुर को दबोचते ही फिर से उसके मुंह से सिसकारी छूट गई। बुर के साथ-साथ उसकी बुर पर ऊगी हुई झांटों की झुरमुटे भी उसकी हथेली में भींच गई जिससे उसे हल्के दर्द का एहसास हुआ तब उसे एकाएक याद आया की 2 दिन पहले ही उसने बाजार से लौटते समय वीट क्रीम खरीदी थी, अपने बालों को साफ करने के लिए। वह झट से अलमारी की तरफ बढ़ी और ड्रोवर खोल कर उसमें से वीट क्रीम को बाहर निकाल ली। वीट क्रीम को हथेली में लेते ही उसके बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी ही तीव्र गति से होने लगा। उसकी बुर से नमकीन पानी अमृत की बूंद बनकर रिसना शुरू हो गई। अलका को यह एहसास अब अच्छा लगने लगा था। अलका ने वीट क्रीम के ढक्कन को खोलकर अपनी एक टांग को आईने के टेबल पर रख दी और थोड़ा सा अपनी टांगो को फैला दी ताकि वह क्रीम को ठीक से लगा सकें। उसने सीधे क्रीम को बालों से सटाकर ट्यूब को दबाई और ढेर सारी क्रीम को अपने बालों पर छोड़ दी, जरूरत जितनी क्रीम को बालों पर निकाल कर ट्यूब को टेबल पर रख दी ओर प्लास्टिक की पट्टी से क्रीम को बालो पर फैलाने लगी। बहुत ही कामुक नजारा बना हुआ था। अलका पुरी तरह से नंगी होकर के आईने के सामने एक टांग को टेबल पर टिका कर अपनी बालों से भरी बूर पर
क्रीम को चुपड़ रही थी। एक टांग को उठाकर के टेबल पर रखने की वजह से उसकी भारी-भरकम गांड और भी ज्यादा उभार लिए हुए दिखाई दे रही थी। सच में अगर इस समय अलका के रूप को कोई भी मर्द देख ले तो उसका खड़े-खड़े ही पानी छूट जाए।
अलका अपने बालों पर पूरी तरह से क्रीम को लगा चुकी थी। वह भी बड़ी उत्सुक थी अपनी बालों से भरी बुर को एकदम चिकनी देखने के लिए। वह ट्यूब को वापस खोखे में रख कर ड्रोवर में डाल दी। और कमरे में ही चेहरे करनी करते हुए नजर को अपने ही बदन पर ऊपर से नीचे तक आगे से पीछे तक दोड़ाते हुए अपनी चाल-ढाल का जायजा लेने लगी। खास करके उसकी नजर पीछे को उसके पिछवाड़े पर ही जा रही थी क्योंकि चलते वक्त वो कुछ ज्यादा ही थिरकन लिए हुए थी। अपनी उधर ही बड़ी बड़ी गांड को मटकते हुए देख कर उसे अपने बदन पर और भी ज्यादा फक्र होने लगा था।
वह यूं ही चहल कदमी करते हुए कुछ समय बिता रही थी ताकी क्रीम मैं डूबे हुए उसके झांट के बाल नरम पड़ जाए।

वही दूसरे कमरे में राहुल भी परेशान था आज उसने जो हरकत किया था इससे उसके पूरे बदन में अभी तक झुनझुनी सी मची हुई थी। वह बिस्तर पर लेटा हुआ था उसका पाजामा नीचे घुटनों तक सरका हुआ था।।
और उसकी मुठ्ठी उसके टनटनाए हुए लंड पर भींची हुई थी और वह जोर-जोर से लंड को हिलाते हुए मुठ मार रहा था। और उसके जेहन में बस उसकी मां की ही कल्पना चल रही थी। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इतनी हिम्मत दिखा पाएगा। करता भी क्या इतनी बड़ी बड़ी और गोल गोल गांड को देखकर वह अपने आपे से बाहर हो गया था इसलिए अपनी मां को गले लगाने के बहाने उसके चूतड़ों के बीच अपने टनटनाए हुए लंड को रगड़ने का आनंद लेने से अपने आप को रोक नहीं पाया। इस वक्त उसे मुठ मारने में कुछ ज्यादा ही आनंद की प्राप्ति हो रही थी क्योंकि वह आंखों को मुंद कर अपनी मां के बारे में गंदी कल्पना कर रहा था वह मन ही मन में सोच रहा था कि वह वैसे ही रसोई घर में खाना बना रही है और वह रसोई घर में जाता है , और वह अपनी मां को खाना बनाते हुए देखता है लेकिन उसकी नजर सीधे जा कर उस की उभरी हुई बड़ी बड़ी गांड पर ही टीक जाती है। पल में ही उसका सोया हुआ लंड टनटना कर खड़ा हो जाता है, वह एकदम कामातूर होकर सीधे अपनी मम्मी के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और तुरंत उसकी साड़ी को उसकी कमर तक उठा कर एक टांग को रसोईघर की टेबल पर रख कर पीछे से अपना खड़ा लंड पेल देता है,
थोड़ी ही देर में उसकी मां भी अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी भरकम गांड को पीछे की तरफ ठेलते हुए राहुल के लंड को अपनी बुर में तेजी से लेने का प्रयास करती है। यह कल्पना करते हुए राहुल थोड़ी ही देर में लंड की पिचकारी छोड़ता है जोकि खुद उसके ऊपर जांघो पर आ कर गिरता है।
राहुल के मन में चल रहे वासना का तूफान जैसे ही शांत होता है उसे अपने किए पर पछतावा होने लगता है। राहुल फिर से अपने आप को भला बुरा कह कर आइंदा से ऐसी गंदी हरकत ना करने की कसम खा कर सो जाता है।

कमरे में अलका अभी भी चहल कदमी करते हुए बार-बार कभी बालों पर लगी क्रीम को तो कभी अपने पिछवाड़े को देख कर संतुष्ट हो रही थी। क्रीम को साफ करने का समय हो चुका था। अलका को बड़ी बेसब्री से इंतजार था अपनी चिकनी बुर को देखने के लिए, उसने बिस्तर पर रखे हुए टावल को उठाई और टॉवल से घिस घिसकर क्रीम को साफ करने लगी , टावल से क्रीम को पूरे इत्मीनान से साफ कर लेने के बाद वह जैसे ही टावल को अपनी बुर पर से हटाई तो अपनी बुर को देख कर वह खुद हैरान रह गई। वह कभी अपनी बुर की तरफ तो कभी आईने में दिख रही उसकी बुर के अक्स की तरफ नजरें दौड़ा रही थी। झांटों के झुरमुटो को क्रीम से साफ करने के बाद उसमें आई चिकनाई को देखकर वह बहुत आश्चर्य चकित हुई। अपनी बुर की खूबसूरती को देखकर वह खुद ही कायल हो चुकी थी।
उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां हल्के से बाहर की तरफ झांक रही थी। जिस पर नजर पड़ते ही अलका का मन एकदम से उत्तेजना से भर गया और वह ना चाहते हुए भी अपनी हथेली को उन गुलाबी पत्तियों के ऊपर रख कर मसल दी जिससे पुनः उसके मुख से सिसकारी छूट गई।
ससससससससस......

अलका का बदन पूरी तरह से कसमसा गया और वह और भी ज्यादा दबाव देते हुए हथेली को बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ने लगी। आज बरसों के बाद उसने अपनी बुर को इतनी ध्यान से निहार रही थी, अपनी ब** को देख देखकर और बार-बार उस पर हथेली रगड़ने की वजह से उसकी बुर से मदन रस की बूंदें टपक पड़ती थी। 
अलका उत्तेजना से सरो बोर हो चुकी थी बुर पर मसल रही हथेली से कब एक उंगली उसकी बुर मे समा गई उसे खुद को पता ही नहीं चला। मस्ती के सागर में हिलोरे लेते हुए उसने अपनी आंखोें को मूंद ली। 
उसकी उत्तेजना दबाए नहीं दब रही थी उसने अपनी एक हथेली को अपनी बड़ी बड़ी चूची पर रखकर दबाने लगी, अलका आईने के सामने एकदम निर्वस्त्र खड़ी थी टांगे फैलाकर एक उंगली से अपनी उतेजना को शांत करने की कोशिश कर रही थी। अलका के अंदर बरसों से दलीप यार अब उछलने लगी थी आखिरकार औरत का मन नदी के पानी के बहाव की तरह होता है कब तक वह उसे मिट्टी का रोड़ा बनाकर रोक सकती है। एक ना एक दिन तो पानी के बहाव में वह मिट्टी का रोड़ा बह जाना था। अलका के मन के अंदर का बांध टूट चुका था। एक उंगली से बुर को चोदते हुए वह गर्म सिसकारी भर रही थी उसे अब लगने लगा था कि उसकी बुर की प्यास एक उंगली से नहीं बुझने वाली है इसलिए वह अपनी दूसरी उंगली को भी रसीली चिकनी बुर में प्रवेश करा दी।

ऊउउममममममममममम...सससससससहहहहहहह....
आहहहहहहहह.......ऊईईई....म्मा....
( अलका अब दोनों अंगुलियों को बुर के अंदर बाहर करते हुए अपनी बुर की चुदाई कर रही थी और गरम गरम सिसकारियां छोड़कर पूरे कमरे का माहौल गर्म किए हुए थी। अलका जिंदगी में पहली बार आज अपनी उंगलियों से हस्तमैथुन करते हुए अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रही थी। वह पूरे लय में अपनी उंगली को अंदर बाहर तीव्र गति से कर रही थी और उसी लय में अपनी कमर को भी आगे पीछे करते हुए मजा ले रही थी। वह अपनी बुर को उंगली से तो चोद रही थी लेकिन उसके जेहन में राहुल के पजामे में बने तंबू का ही ख्याल आ रहा था। बुर में उंगली पेलते हुई उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुक में उसकी उंगली नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड अंदर बाहर हो रहा है। अपनी गदराई गांड पर अपने बेटे के लंड की चुभन को याद करके वह और भी ज्यादा चुदवासी हो गई। 
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10-09-2018, 03:30 PM,
#44
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अलका इस समय सच पूछा जाए तो उंगली की बजाए उसे लंड की ही जरूरत थी और खास करके ऊसके बेटे के हीे लंड की जरूरत उसे पड़ रहीे थी। 
अलका चुदासपन से भरी जा रही थी और उसकी चुदवाने की तड़प बढ़ती ही जा रही थी। तभी उत्तेजना के मारे उसके मुंह से कुछ ऐसे शब्द निकल गई जिसके बारे में सोच कर वह बाद में खुद अपने ऊपर क्रोधित होने लगी।

ओह राहुल चोद मुझे डाल दे पूरा लंड मेरी बुर में बेटे..
आहहहहह...।बेटा चोद मुझे....ससससससहहहहहहह....आहहहहहहह...। बेटा
डाल ....आहहहहहहह...पुरा डाल....अपना लंड मेरी बुर मे...शशशशशशहहहहहहह....आहहहहहहहह....राहुल मेरे बेटे....
( अलका बड़ी तीव्र गति से अपनी उंगली से अपनी बुर की चुदाई करते हुए अपने बेटे को याद कर रही थी खास करके उसके मोटे तगड़े लंड को जिसे उसने अभी तक देखी भी नहीं थी। सिर्फ उसके आकार से पजामे में बने तंबू को ही देखी थी। अलका की सिसकारियां बढ़ने लगी थी।पुरे कमरे मे गुँज रही गरम सिसकारीया उसके चुदासपन की गवाही दे रहीे थी। कुछ ही पल में अलका के मुंह से एक गर्म चीख निकली और उसकी रसीली बुर से नमकीन पानी का फुवारा फुट पड़ा , वह आनंद के सागर में गोते लगाने लगी उसकी भारी हो चली सांसे और भी तेज चलने लगी थी। वह पानी का तेज फव्वारा छोड़ते हुए पीछे कदम बढ़ाते हुए अपने बिस्तर की तरफ चली जा रहीे थी, जैसे ही बिस्तर से उसकी टांगें स्पर्श हुई वह बिना कुछ सोचे समझे धम्म से बिस्तर पर पसर गई और गर्म सांसे लेते हुए नमकीन पानी का फव्वारा छोडऩे लगी।
थोड़ी देर में वो एक दम शांत हो गई, अपनी प्यास को वह अपने ही उंगलियों से बुझाने में अंततः कामयाब हो चुकी थी। चैन की सांस लेते हुए उसकी आंख लग गई।

विनीत भी कम नहीं तड़प रहा था। रात भर उसकी भाभी ने उसके लंड से खेली वह जब भी विनीत का लंड अपनी बुर में लेती तब वीनीत यह सोच कर अपनी भाभी की बुर में लंड डालता है कि वह उसकी भाभी नहीं बल्कि अलका है वह मन में अपनी भाभी को चोदते हुए अलका का ही कल्पना कर रहा था। वह सारी रात अपनी भाभी को अलका समझकर ही चोदता रहा।

तीनों अपने अपने तरीके से प्यासे तड़प रहे थे। इन सभी के साथ साथ मधु और विनीत की भाभी भी थी। सब के सब चुदाई के प्यासेे हो चुके थे। इन सभी का केंद्र बिंदु राहुल ही था। 
अलका के पति के जाने के बाद जानकारी अपने आपको दुनिया की नजरों से संभाल के रखे हुए थी। लाख मुसीबते आई लेकिन अलका अपने हालात और परिस्थितियों से कभी भी समझौता नहीं की वह अपने कर्म पथ पर अडग चलती ही रही. लेकिन अब हालात बदल चुके थे बित्ते भरका लगने वाला वह लड़का वीनीत और उसी के हम उम्र का उसका खुद का बेटा राहुल की वजह से बरसों से दबी उसकी काम भावनाएं अब प्रज्वलित होने लगी थी। 

अलका के कमरे में शांति से फेली हुई थी कि तभी सुबह का 6:00 बजे का अलार्म बजने लगा' अलार्म की आवाज सुनते ही प्रगाढ़ निद्रा में सो रही अलका की नींद अचानक खुल गई, सामने टंगी दीवार घड़ी पर नजर पड़ते ही वह तुरंत बिस्तर पर से उठ खड़ी हुई और सामने दरवाजे की तरफ लगभग भागते हुए गई , लेकिन जैसे ही उसने अपनी हालत पर गौर की तो वह एकदम से दंग रह गई। उसे तुरंत रात की बात याद आ गई जब वह अपने हाथों से ही हस्तमैथुन करते हुए आत्म संतुष्टि पाकर उसी तरह से संपूर्ण नग्नावस्था में ही बिस्तर पर सो गई थी। वह खुद ही अपनी हालत पर शर्मिंदा हो गई उसके गोरे-गोरे गाल शर्म की वजह से सूर्ख लाल हो गए और उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई ज्यादा देर वही खड़े रहना उसके लिए मुनासीब ना था।
क्योंकि वह पहले से ही एक घंटा लेट हो चुकी थी। वह मन ही मन में यह सोचते हुए कि राहुल तो उठ गया होगा उसके लिए नाश्ता बनाना है सोनू भी उठ गया होगा आज इतनी देर तक सोई रह गई उसे पता ही नहीं चला। 
अलका मन ही मन में बड़ बड़ाते हुए गाउन उठाइ और उसे पहन ली। 
कमरे से बाहर आते ही वह कमरे में फेली शांति को देखकर हैरान थी, वह समझ गई कि उसी की ही तरह आज लगता है उसके दोनों बच्चे भी सो ही रहे हैं। 
राहुल के कमरे की तरफ बढ़ गई दरवाजे के बाहर खड़े होकर वह दरवाजे पर दस्तक देने ही वाली थी कि उसकी हथेली दरवाजे पर पड़ते ही दरवाजा खुद ब खुद खुलता चला गया' इस तरह से लापरवाह की तरह दरवाजा खुला छूटा हुआ देखकर वह मन ही मन बड़बड़ाई ।
यह लड़का भी ना इतना बड़ा हो गया लेकिन ना जाने कब इसे अक्ल आएगी( इतना कहने के साथ ही वह कमरे में प्रवेश कर गई लेकिन जैसे ही उसकी नजर बिस्तर पर सो रहे राहुल पर पड़ी वह दंग रह गई राहुल का पजामा उसके घुटनों तक खींचा हुआ था और उसका लंड खुंटे की तरह बिल्कुल सीधा छत की तरफ मुंह ऊठाए खड़ा था। अलका की नजर सीधे ही उसके बेटे के खड़े लंड पर पड़ी थी। 
बाप रे बाप इतना मोटा ताजा ओर इतना तगड़ा लंड
( अलका की नजर अपने बेटे के लंड पर पड़ते ही सबसे पहली प्रतिक्रिया उसकी यही थी। वह हैरान थी, उस के समझ के बाहर था कि इतना सीधा सादा लड़का होते हुए भी उसका हथियार इतना दमदार क्यों था वह मन ही मन में सोचने लगी कि वाकई में मेरे बेटे के लंड को देख कर ही औरतों की बुर पानी झटक दे।
अपने बेटे के लंड को देख कर उसकी खुद की बुर पानी रिसने लगी थी गजब का नजारा बना हुआ था राहुल बिस्तर पर अध नंगा लेटा हुआ था, उसका लंड एकदम टनटना के सीधे खड़ा था। और कमरे में उसकी मां जोकि बरसों के बाद चुदवासी हुई थी वह एकदम कामातूर होकर अपने ही बेटे के लंड को बुर में पानी लिए निहार रहीे थी। 
वह क्या करे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसे कल रसोई घर वाली घटना तुरंत याद आने लगी और वह मन मे ही बड़बडाई़..तभी तो मैं सोचूं कि मेरे बेटे के पजामे में बना तंबू मेरी गांड मे इतना ज्यादा क्यों चुभ रहा था। 
अलका कमरे में अपने बेटे को जगाने ं आई थी लेकिन अपने बेटे का मूसल लंड देखकर वह काम विह्वल हो गई थी। उत्तेजना के मारे उसकी हथेली खुद-ब-खुद गाउन के ऊपर से ही बुर के ऊपर चली गई थी जिसे वह गांऊन के ऊपर से हि मसल रही थी। 
समय बीतता जा रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से अपने बेटे को जगाए इस तरह से जगाना भी ठीक नहीं था। वैसे तुम इसका मानी यहां से जाने को हो ही नहीं रहा था उसका दिल तो यह कह रहा था कि एक बार वह अपने ही बेटे के लंड को अपनी हथेली में दबोच कर देखें लेकिन ऐसा संभव नहीं
था। वह ना चाहते हुए भी कमरे के बाहर गई और दरवाजे को बाहर से बंद करते हुए दरवाजे पर दस्तक देने लगी। दरवाजे पर दस्तक की आवाज को सुन कर रहा हूं कि नींद खुली और उसकी नजर भीे सामने टंगी दीवार घड़ी पर पड़ी तो वह भी हैरान हो गया। उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह थी कि उसका पजामा घुटनों में फंसा हुआ था और उसने झट से पजामे को ऊपर सरका कर पहन लिया।
उसकी मम्मी लगातार दरवाजे पर दस्तक दिए जा रही थी तो जवाब में सिर्फ इतना ही बोला।
हां हां आया मम्मी। ( इतना कह कर वह बिस्तर से उठा 
और मन ही मन में वह भी बोला कि अच्छा हुआ इस हाल में मम्मी ने उसे नहीं देखा वरना डांटना शुरू कर देती। हो जल्दी से कमरे से बाहर आया तब तक उसकी मम्मी जा चुकी थी। 
बाथरूम में अलका ने अपने बेटे के लंड की कल्पना करते हुए फिर से अपनी उंगली से संतुष्टि प्राप्त की।। 

थोड़ी देर बाद अलका नाश्ता तैयार कर दी । और दोनों बच्चों को नाश्ता करा कर स्कूल भेजने के बाद , खुद भी तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गई।

कुछ दिन तक सब कुछ सामान्य ही रहा, राहुल का मन होते हुए भी उसे कुछ भी देखने का मौका नहीं मिल पाया। उसकी नजरे अब हमेशा अपनी ही मम्मी को नंगी देखने की कामना लिए यहां वहां घूमती रहती थी। लेकिन कुछ दिनों से कोई बात नहीं बनी। नीलू से भी कोई खास बात नहीं बन पाई हालांकि राहुल का तो मन बहुत करता था कि नीलू वही हरकत दौहराएे जो उस दिन स्कूल के ऊपरी मंजिल की क्लाश में की थी। नीलू के द्वारा की गई उसके लंड की चुसाई को याद करते ही राहुल का पुरा बदन गनगना जाता था। राहुल की दिली ख्वाहिश बढ़ती जा रही थी कि नीलू एक बार फिर से उसके मुसल जैसे लंड को अपने मुंह में लेकर चुसे। 
लेकिन उसकी दिल की बात दिल में ही रह गई क्योंकि अब तक जो भी हुआ था दूसरों के ही मर्जी से हो रहा था राहुल की मर्जी तो थी ही लेकिन कभी भी उसने आगे से चलकर अपनी जरूरत को नहीं बताया। राहुल कुछ इस तरह से लाभ होता आ रहा था अगर उसकी जगह कोई और लड़का होता तो सामने से चलकर अपने को मिली हुई लाभ का पूरा का पूरा फायदा उठा था लेकिन यह सब में उसकी शर्म आड़े आ जा रही थी।
खेर जैसे तैसे करके दिन बीतता गया, राहुल के तन की और मन की दोनों प्यास बढ़ती ही जा रही थी। जिसे वह रोज रात को मुठ मारकर शांत करने की कोशिश करता रहता। 
राहुल की मां भी ठीक इसी तरह परेशान थी उसके भी तन की प्यास उसे परेशान किए हुए थे राहुल की तरह वह भी अपनी उंगली से ही काम चला रहीे थी और जब से उसने अपने बेटे के लंड को अपने चूतड़ों के बीच महसुस की थी और अपनी आंखों से अपने बेटे के टन टनाए हुए लंड को देखी थी तब से तो और भी ज्यादा उसकी प्यास भड़क चुकी थी। और कुछ दिनों से तो उसकी मुलाकात विनीत से भी नहीं हो पाई थी। विनीत भी अल्का से ना मिलकर परेशान ही था। सबके सब अपने जरूरत और सड़क को लेकर परेशान थे।
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10-09-2018, 03:31 PM,
#45
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
रविवार का दिन था। मतलब ना अलका को ऑफिस जाना था ना बच्चों को स्कूल जाना था वैसे भी रविवार के दिन राहुल देर तक सोए रहता था। आज की सुबह के 9:00 बज चुके थे फिर भी राहुल अपने कमरे में सोया हुआ था। जिस दिन से अलका अपने बेटे के लंड को देखी थी उस दिन से वह रोज राहुल को जगाने उसके कमरे तक पहुंच जाती थी। लेकिन उस दिन की तरह उसे दुबारा वह सुनहरा मौका ना मिल सका हमेशा राहुल के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद ही रहता था। वह हमेशा यही सोचकर से कमरे तक जाती थी कि शायद आज उसे फिर से वही दृश्य देखने को मिल जाए ताकि उसकी सूखी तपती जांघो के बीच की नहर मैं कुछ गिला पन आ जाए लेकिन ऐसा दुबारा हो नहीं पा रहा था। 
अलका रसोई घर में रसोई तैयार कर रही थी उसे मालूम था कि सोनू और राहुल दोनों छुट्टी के दिन देर तक ही सोते रहते थे। इसलिए वह उन्हें आज के दिन जल्दी नहीं जगाती थी। फिर भी कुछ ज्यादा ही टाइम हो जाने पर अलका के मन में विचार आया कि आज कुछ ज्यादा ही टाइम हो गया है चलकर दोनों बच्चों को जगा ही देती हूं, और उसके मन में वही दृश्य पुन: देखने की लालसा भी जाग गई थी। इसलिए वह राहुल के कमरे की तरफ बढ़ गई लेकिन दरवाजा अंदर से बंद होने की वजह से निराश हो गई और वह बाहर से ही दरवाजे को थपथपाकर राहुल को आवाज देने लगी, अलका के आने के कुछ देर पहले ही राहुल की आंख खुल चुकी थी। इसलिए वो दरवाजे पर दस्तक होते ही बिस्तर पर से उठ चुका था और आता हूं कहकर अपने कपड़े व्यवस्थित करने लगा। राहुल जब चुका था यह जानकर अलका बाथरूम की तरफ बढ़ गई । राहुल जग तो चुका था लेकिन उसकी आंखों में अभी भी नींद की वजह से भारीपन था। अगर वह फिर से बिस्तर पर पड़ता तो उसे फिर से नींद आ जाती लेकिन समय काफी हो चुका था इसलिए उसे उठना ही पड़ा। दरवाजे को खोलते हुए उसे याद आ गया कि आज तो उसे एक मित्र के वहां उसके बर्थडे पर जाना था। राहुल जानता था कि वह मित्र उतना खास नहीं था बस हाय हेलो जितना ही संम्बंध था। लेकिन फिर भी वह बड़े प्यार से बुलाया था इसलिए जाना तो पड़ता ही। लेकिन वहां जाने के लिए आज तो अभी बहुत टाइम था क्योंकि उसने पार्टी शाम को दे रखी थी। 
राहुल आंखों को मिंजता हुआ बाथरूम की तरफ जाने लगा। उस पर नींद अभी भी हावी थी। आंखों को मिंजते मिंजते वह बाथरूम तक पहुंच गया। जैसे ही वह दरवाजे को खोलने के लिए दरवाजे का हैंडल पकड़ा दरवाजा खुद-ब-खुद हल्का सा खुल गया। बस हल्की सी खुले दरवाजे से उसने जो बाथरुम के अंदर का नजारा देखा तो उसकी नींद उड़ गई। उसका रोम रोम झनझना गया। उसकी सांस अटक गई। बाथरूम के अंदर का नजारा राहुल तो क्या उसकी जगह दुनिया का कोई भी मर्द देखता तो उसकी हालत ठीक वैसीे ही होती जैसी राहुल की थी। राहुल के पजामे में तुरंत तंबू सा तन गया। राहुल करता भी क्या अंदर का नजारा से कुछ ऐसा था कि अच्छे अच्छो का लंड खड़ा हो जाए।
बाथरूम के अंदर राहुल की मां थी जो कि इस वक्त पोशाब कर रही थी। उसका मुंह सामने दीवार की तरफ था। और उसकी गांड राहुल कीे तरफ थी , जिस पर राहुल की नजर पहले ही पड़ी थी। अपनी ही मां की बड़ी-बड़ी सुडोल गोरी गोरी गांड पर नजर पड़ते ही राहुल की तो हालत खराब हो गई। नींद की वजह से पहले तो राहुल को पता ही नहीं चला कि बाथरूम में मम्मी कर क्या रही है। लेकिन बाथरूम में गूंज रही सुमधुर सीटी की आवाज जो बिल्कुल बांसुरी की आवाज की तरह लग रही थी राहुल उस सिटी की आवाज को तुरंत पहचान गया । उसे जैसे ही यह आभास हुआ की मम्मी बाथरूम में बैठ कर पेशाब कर रही है,तो इस बात से ही राहुल का लंड टनटना कर खड़ा हो गया । क्योंकि इससे पहले भी वह बाथरुम के बाहर खड़ा होकर पेशाब करने की वजह से आ रही सीटी की आवाज को सुन चुका था , लेकीन पहले यह बांसुरी की धुन की तरह निकल रही सीटी की आवाज को सुनकर ऊसे कभी उत्तोजना और रोमांच का एहसास कभी नही हुआ। लेकीन अब... अबकी बात कुछ ओर थी अब तो माहोल के साथ साथ नजरीया भी बदल चुका था। 
पेशाब करते समय राहुल की मां ने गाऊन को आधी पीठ तक चढ़ा ली थी जिससे पीछे से उसकी बड़ी बड़ी गांड संपूर्णत: नग्न दीखाई दे रही थी। राहुल वहीं खड़े खड़े हल्के से खुले दरवाजे की ओट लेकर अंदर का नजारा देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था। राहुल अपनी मां को पेशाब करते हुए और उसकी मदमस्त बड़ी-बड़ी गोरी गांड को देखकर उत्तेजित होता हुआ मन ही मन बोला।
ऊफ्फ्रफफ......... क्या गजब की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड है मम्मी की जी करता है कि पीछे से जाकर पूरा लंड डालकर चोद दुँ( इतना सोचते हुए वह पजामे भी बने तंबू को अपनी हथेली में भरकर मसनने लगा।
राहुल की मम्मी एक दम बिंदास होकर आराम से बैठ कर पेशाब कर रही थी। अलका को यह बिल्कुल भी आभास नहीं था कि उसने जो दरवाजा खुला ही छोड़ आई थी पेशाब करने के लिए उसी खुले हुए दरवाजे की ओट लेकर उसका ही बेटा उसकी बड़ी बड़ी गांड को और पेशाब करते हुए देख कर एकदम चुदवासा हुआ जा रहा था। अलका लापरवाही ने दरवाजा खुला छोड़ दी थी क्योंकि अभी-अभी ही वह राहुल को जगा कर आई थी और इसी यह लग रहा था कि इतनी जल्दी राहुल बाथरुम की तरफ नहीं आएगा फिर उसे पेशाब भी तो बड़ी तेज लगी थी की उसे दरवाजे की कड़ी लगाने तक का समय नहीं ले सकी और वह आव देखी ना ताव , झट से गाऊन उठा कर बैठ गई पेशाब करने वो तो अच्छा हुआ कि उसने पेंटी नहीं पहनी थी वरना पेंटी ही गीली कर देती।
राहुल अभी भी दरवाजे के बाहर खड़ा अपनी फटी आंखों से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को घूरे जा रहा था और एक हाथ से अपने तने हुए तंबू को मसले जा रहा था। तभी उसे बुर से आ रही सीटी की आवाज धीमी पड़ती सुनाई देने लगी उसे पता चल गया कि मम्मी की टंकी खाली होने वाली है, और अब यहां ज्यादा देर तक खड़े रहना ठीक नहीं था क्योंकि मम्मी किसी भी वक्त बाहर आ सकती थी। वह सोच ही रहा था कि तब तक उसकी मम्मी पेशाब करके खड़ी हो गई। राहुल अपनी मम्मी को खड़ी होते देख एकदम से हड़बड़ा गया उसे कुछ सुझ ही नहीं पाया और उसने भी हड़बड़ाहट में हल्के से दरवाजे को बंद किया और दूर जाने का तो मौका था ही नही उसके ईसलिए वह झट से मुंह दुसरी तरफ घुमाकर एेसे खड़ा हो गया की जेसे वह अपनी मम्मी का बाहर निकलने का ईंतजार कर रहा हो। 
पेशाब करने के बाद राहुल की मां राहत का अनुभव कर रही थी बहुत कोई गीत गुनगुनाते हुए जैसे ही दरवाजा खोलकर सामने नजर दौड़ाई तो दरवाजे के बाहर राहुल सामने की तरफ मुंह किए हुए खड़ा मिला। राहुल को देखते ही वह बोली। 

अरे बेटा तुम उठ गए ।( अपनी मां की आवाज सुनते ही राहुल अपनी मां की तरफ घुमा ।) 
कब आए यहां? अच्छा कोई बात नहीं है तुम जल्दी से नहा लो मैंने नाश्ता तैयार कर दीया है , तैयार होकर आओ जल्दी से गरमा-गरम खा लो( इतना कहने के साथ ही जैसे ही उसकी नजर राहुल के पजामे में बने तंबू पर गई तो वह चौंक गई। कब तक राहुल बोला।)

जी मम्मी आप नाश्ता लगाओ मैं झट से नहा कर तैयार होकर आता हूं। 

इतना कहने के साथ ही वह बाथरूम का दरवाजा खोलकर झट से बाथरूम में घुस गया। अलका उसे बाथरूम में जाते देखते रह गई। और कुछ देर तक वहीं खड़े खड़े सोचती रह गई कि कहीं राहुल ने से पेशाब करते देख तो नहीं लिया है , वैसे भी तो दरवाजा खुला ही था हो सकता है वह भूल से अंदर झांक लिया हो और मुझे पेशाब करता हुआ देखकर शर्मिंदा होकर वापस बाहर खड़े होकर मेरे बाहर निकलने का इंतजार करने लग गया हो। लेकिन अगर वह मुझे पेशाब करता हुआ देख कर शर्मिंदा हुआ होता तो उसके पजामे में उसका लंड क्यों तनकर खड़ा हो गया? कहीं ऐसा तो नहीं कि वह मुझे इस हाल में देखकर उत्तेजित हो रहा हो। ऐसे ढेर सारे सवाल अलका के मन में उसके बेटे को लेकर घूम रहे थे जिसका जवाब ढूंढ पाना उसके लिए मुश्किल हुए जा रहा था। अलका वहीं खड़ी खड़ी रसोई घर में हुई हरकत और आज की घटना को बारी-बारी से टटोल रही थी। लेकीन वह कीसी भी सवाल का जवाब ढुंढ पाने मै असमर्थ साबित हो रही थी। वह वहां से चल कर वापस रसोई घर में आ गई।

राहुल से यह दृश्य देख कर बर्दाश्त नहीं हुआ और वह बाथरुम में घुसते ही अपने सारे कपड़ों को उतारकर एकदम नंगा हो गया। और उसने अपनी मुट्ठी में अपने टनटनाए हुए लंड को भरकर आगे पीछे करके अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड के बारे में सोच कर मुठ मारने लगा। मुठ मारकर वह जल्दी जल्दी नहा कर तैयार हो गया और गरमा गरम नाश्ता करने लगा। उसकी मम्मी उसे बड़ी अजीब नजरों से देख रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वाकई में उसका लड़का अभी भी मासूम है या अब बड़ा हो चुका है। चेहरे से तो अभी भी वह भोलाभाला ही लगता था लेकिन अपनी हरकतों से बड़ा होने लगा था। खैर तीनों ने साथ मिलकर नाश्ता किया, । राहुल बार-बार छिपी नजरों से अपनी मां को देख ले रहा था। 
नाश्ता करते समय ही राहुल ने अपनी मां को बता दिया था कि उसे एक दोस्त के जन्मदिन पर जाना था। तो उसकी मां ने वहां जाने कि उसे इजाजत भी दे दी।
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10-09-2018, 03:31 PM,
#46
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
देर शाम को निकालना था लेकिन वह घर से 3:00 बजे ही निकल गया। वह सड़क पर पैदल चला ही जा रहा था कि तभी एक स्कूटी उसके बिल्कुल करीब आकर एक झटके से रुकी। राहुल घबरा गया लेकिन तभी स्कूटी चलाने वाली को देख कर वह खुश हो गया क्योंकि स्कूटी नीलू चला रही थी। नीलू राहुल को देखते ही खुश हुई और वह बोली।

यार राहुल मुझे मैथ्स में काफी प्रॉब्लम हो रही है क्या तुम मेरे घर चल कर मुझे कुछ समझा सकते हो। भला राहुल को इसमें क्या इनकार हो सकता था उसने नीलू को यह नहीं बताया कि वह किसी दोस्त के वहां बर्थडे पार्टी पर जा रहा है। वह नीलू के बोलने के साथ ही हामी भर कर स्कूटी के पीछे बैठ गया। और नीलू उसे बिठाकर अपने घर की तरफ चल दी।
नीलू के तो जैसे लॉटरी ही लग गई थी। उसे नहीं मालूम था कि राहुल यूं उसे रास्ते पर मिल जाएगा। वह किसी और काम से जा रही थी लेकिन राहुल के मिल जाने पर
उसने अपना पूरा प्लान बदल दी। राहुल को देखते ही उसकी टांगों के बीच में गुदगुदी होना शुरू हो गया था।
उसने मन ही मन अपना पूरा प्लान बना ली। जैसे ही राहुल उसके साथ जाने के लिए तैयार हो गया , तो नीलू के चेहरे पर आई मुस्कान देखते ही बनती थी। मुझे लगने लगा था कि आज उसकी इच्छा जरुर पूरी होगी क्योंकि वैसे भी आज रविवार का दिन था। और आज के दिन अक्सर मम्मी पूरे दिन के दिन और कभी-कभी तो सारी रात तक गायब ही रहती थी। नीलू जिस उम्र के पड़ाव पर थी वह अच्छी तरह से समझती थी की रात रात भर गायब रहकर उसकी मम्मी क्या गुल खिला रही थी। लेकिन सब कुछ जानते हुए भी नीलु खामोश ही रहती थी क्योंकि ज्यादातर आदतें उसमे उसकी मां की ही थी। वैसे भी नीलू एकदम बिंदास किस्म की लड़की थी वैसे भी वह जानती थी कि सबको अपना अपना शौख पूरा करने का पूरा हक है। हर इंसान को अपने तरीके से जिंदगी का लुफ्त उठाने का पूरा पूरा हक है।
नीलू स्कूटी का एक्सीलेटर बढ़ाते हुए राहुल को अपने घर की तरफ लिए जा रही थी। नीलू जानती थी कि उस दिन क्लास में रिसेस के समय जो आग उसने राहुल के बदन में लगाई थी उसे बुझाने के लिए राहुल उसे कभी भी इनकार नहीं कर सकता है। 
राहुल तो वैसे भी तड़प रहा था, और जब से उसने विनीत की भाभी की बुर का स्वाद चखा था तब से यह तड़प उसकी बढ़ती ही जा रही थी। और अपनी आंखों से ऐसे ऐसे नजारे देखते आ रहा था कि उसकी चुदास की प्यास हर पल बढ़ते ही जा रहीे थी। और आज बाथरूम में जो उसने नजारा देखा था उसे देख कर तो उसके होस ही उड़ गए थे। अपनी मां को पेशाब करते हुए देखने के बाद स तोे उसका मन चोदने को मचलने लगा था। इसलिए तो वह अपने दोस्त के बर्थडे पार्टी में ना जा कर नीलू के साथ उसके घर जाने के लिए तैयार हो गया।

कुछ ही देर में नीलु ने स्कूटी को अपने घर के गेट के सामने खड़ी की। राहुल खुद ही स्कूटी पर से उतरकर गेट खोलने लगा गेट के खुलते ही नीलू स्कूटी को गेट के अंदर ले आई। नीलू की बुर खुशी से फुल पिचक रही थी। नीलु स्कूटी को स्टैंड पर लगाकर पर्स में से घर की चाबी निकाली और चाबी को की हॉल में डाल कर घुमा दी। राहुल के साथ साथ नीलू का भी दिल जोरों से धड़क रहा था। घर में आते ही नीलू ने दरवाजे को बंद कर दी। आज वह घर पर एकदम अकेली थी इसका भरपूर फायदा उठाना चाहती थी नीलू। सिर्फ सोच-सोच कर ही नीलू की पैंटी गीली होने लगी थी। दूसरी तरफ राहुल के लंड में भी तनाव आना शुरू हो गया था।
नीलू उसे अपने कमरे में ले गई , कमरे में पहुंचते ही नीलू राहुल से बोली।

आओ राहुल शर्माओ मत इसे अपना ही घर समझो आराम से बैठो। मैं तुम्हारे लिए कुछ नाश्ते का बंदोबस्त कर के आती हूं। ( इतना कहने के साथ ही नीलू कमरे से बाहर आ गई। राहुल का दिल जोरो से धड़क रहा था। बार-बार उसे उस दिन की बात याद आ जा रही थी जब नीलू ने क्लास के अंदर उसके लंड को चूसी थी। अभी भी उसके रसीले होंठ और जीभ की गर्मी अपने लंड पर महसूस होते ही वह पूरी तरह से गनंगना जाता था। को मन ही मन में सोच रहा था कि आज ना जाने कौन सा गुल़ खिलाने वाली है यह नीलु। फिर भी उसके मन में इस बात की तसल्ली थी कि कुछ भी हो आखिरकार फायदा तो उसका ही था। 
थोड़ी ही देर में नीलू प्लेट में कुछ बिस्कुट और हाथ में पानी का गिलास लेकर कमरे में प्रवेश की, नीलू को देखते ही राहुल अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ।

अरे अरे उठ क्यों गए ' बैठो और हां बिल्कुल भी शर्माने की जरुरत नहीं है आखिरकार हम दोनों दोस्त हैं और दोस्त के बीच में शर्म नहीं होनी चाहिए( इतना कहने के साथ ही नीलू प्लैट को टेबल पर रखते हुए मुस्कुराने लगी जवाब में राहुल भी मुस्कुरा दिया।) 

( प्लेट को राहुल की तरफ बढ़ाते हुए) लो राहुल खाओ... ( नीलू थोड़ा झुककर राहुल को बिस्किट थमा रही थी जिससे बिस्कुट खाते वक्त राहुल की नजर सीधे
नीलू की बड़ी बड़ी चुचियों पर पड़ी जो की झुकने की वजह से आधे से ज्यादा चूचियां कमीज से बाहर झांक रही थी। प्लेट से बिस्कुट लेते समय राहुल की नजर नीलू की चुचियों पर ही गड़ी रही, नीलू ने राहुल की नजर को भांप ली थी इसलिए मन हीं मन बहुत खुश हो रही थी। 
बिस्कुट थमा कर नीलू सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गई। 
नीलू की चुचीयो को देखते ही राहुल के लंड में एेंठन आना शुरु हो गया था। राहुल ने बिस्किट खा कर पानी पिया तो कुछ हद तक उसका मन शांत हुआ। नीलू राहुल को देख देख कर मुस्कुरा रही थी। तभी राहुल बोला दिखाओ नीलू कौन से प्रश्न मैं तुम्हें ज्यादा तकलीफ हो रही है मैं उसे हल कर देता हूं। ( राहुल के कहने के साथ ही जैसे नीलू का ध्यान भंग हुआ हो इस तरह से वह बोली।)
हां.. मैं तो भूल ही गई रुको। ( नीलू पास में पड़ा अपने स्कूल बैग में से एक नोटबुक निकालि और सामने टेबल पर रख दी। और बोली।) 

लो देख लो राहुल। 

( राहुल नोटबुक को अपनी तरफ सरका कर उसके तेज को खोला तो पन्ने पर लिखे वाक्य को पढ़कर वह दंग रह गया उसे कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या है। वह बस एक तक आश्चर्य चकित होकर पन्ने पर लिखे उस वाक्य को देखते ही जा रहा था। उसे कुछ समझ में नहीं आया तो वह नीलू से बोला।)

यह क्या है नीलू? 

आई लव यू और क्या है।( इतना कहने के साथ ही नीलू कुर्सी पर से उठ कर राहुल के बगल में जाकर बैठ गई। राहुल एक दम दंग हो चुका था। वह भोला बनते हुए बोला।) 

यह कैसा सवाल है नीलू? 

या कोई सवाल नहीं है राहुल यह मेरे दिल के जज्बात है। मैं तुमसे प्यार करने लगी हूं आई लव यू। 
( इतना कहकर नीलू राहुल की आंखों में देखने लगे राहुल भी आवाक सा नीलू को देखे जा रहा था दोनों एक दूसरे की आंखों की गहराई में उतरते जा रहे थे। राहुल ने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई लड़की उसे आई लव यू कहेगी। पूरे कमरे में खामोशी छाई हुई थी बस दीवाल पर टंगी हुई घड़ी की टिक टिक, दोनों के सीने में धड़क रहा है दिल की आवाज बस यही दो चीजों की आवाज कमरे में गूंज रही थी। नीलू और राहुल दोनों एक तक एक दूसरे की आंखों में डूबते जा रहे थे नीलू अपने होठों को धीरे धीरे राहुल के होठ के करीब ला रही थी। नीलू के दोनों हाथ धीरे से राहुल के कंधे पर चले गए । नीलू तड़प रही थी राहुल से एकाकार होने के लिए, और उसने इस मौके का फायदा उठाते हुए अपने होठों को राहुल के होठ पर रख दी। फिर क्या था जैसे लोहचुंबक लोहे को खींचता है उसी तरह से नीलू के होठ राहुल के होठ पर रखते ही, राहुल नीलू का स्वागत करते हुए तुरंत नीलू के होंठ को अपनी होठो के बीच में भर लिया और किसी प्यासे की तरह तुरंत चूसने लगा। वैसे भी राहुल को इससे पहले भी दिखा दो बार किस करने का अनुभव हो चुका था। इसीलिए वह बड़े मजे से नीलू के होठों को अपने मुंह में भर कर चुसे जा रहा था। दोनों उत्तेजित हुए जा रहे थे नीलू की बुर नमकीन पानी छोड़ने लगी थी जिसकी वजह से उसकी पेंटी गीली हो रही थी, राहुल का लंड भी टनटना के खड़ा हो चुका था। राहुल के हाथ खुद ब खुद नीलू की पीठ पर फिरने लगे और पीठ पर से फीरते हुए नीचे नीलू की कमर तक पहुंच गई। पतली पतली कमर पर दोनों हथेलिया पहुंचते ही राहुल एकदम से उत्तेजित हो गया और उत्तेजना अवश्य सुने हथेलियों में नीलू की कमर को दबोच लिया और खूब जोश के साथ होंठों के रस को चूसने लगा, ऐसा लग रहा था मानो कोई भंवरा फूल की पंखुड़ियों में से रस चूस रहा हो। दोनों की सांसे तेज चलने लगी थी नीलू की तो ऊपर नीचे हो रही सांसो के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी छातियां भी ऊपर नीचे हो रही थी। विनीत की भाभी ने राहुल को थोड़ा बहुत नहीं बहुत ज्यादा ज्ञान दे चुकी थी जिसका फायदा उठाते हुए राहुल ने एक हथेली को कब कमर पर से नीलु की बड़ी बड़ी चूची पर रख दिया इसका एहसास तक नीलू को नही हो पाया। वह तो राहुल ने उत्तेजना वस जब अपनी हथेली का कसाव नीलू की नारंगी पर बढ़ाया तो दर्द की छटपटाहट में नीलू के मुंह से हलकी कराहने की आवाज निकल गई। तब जाकर नीलू को पता चला कि राहुल उसके होंठों के साथ-साथ उसकी चुचियों का भी रस नीचोड़ने में लगा हुआ था। राहुल और नीलू दोनों एक दूसरे के होठों का रस नीचोड़ते हुए एक दूसरे की बाहों में गुत्थमगुत्था हो चुके थे।

राहुल और नीलू दोनों को एक दूसरे को किस करने में बहुत ही मजा आ रहा था। नीलू राहुल के होठों को चूसते हुए उसे अपनी बाहों में भर ली। राहुल भी अब दोनों हथेलियों से नीलू की नारंगीयो को मसल रहा था।
राहुल को नीलू की चूचियां दबाने में बहुत ज्यादा ही आनंद की प्राप्ति हो रही थी। चूची मसलवाने की वजह से नीलु बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी उसकी सांसे भारी हो चली थी। राहुल की पैंट के अंदर तो गदर मचा हुआ था उसका लंड बेताब था पेंट के बाहर आने के लिए। तभी एकाएक राहुल का बदन झनझना गया। उसे अपने पेंट में कैद लंड पर हथेलि का कसाव महसूस होने लगा। राहुल की दिल की धड़कनें बढ़ गई। 
पेंट के ऊपर से नीलू को राहुल का लंड और भी ज्यादा मोटा लग रहा था। लंड की मोटाई को अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी बुर से पानी का रिसाव होना शुरू हो गया था। उत्तेजना के साथ-साथ इस समय वह बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि राहुल के लंड से चुदने की चाहत कीए उसे महीने से भी ज्यादा गुजर गया था लेकिन उसकी यह आकांक्षा पूरी नहीं हो पा रही थी लेकिन आज उसे लगने लगा था कि उसकी बुर राहुल के लंड को आज जरूर अपने अंदर लेगी।
इसलिए वह एक हाथ से लंड को टटोलते हुए पेंट के बटन को खोलने लगी। नीलू की नाजुक नाजुक उंगलिया
बटन से उलझते हुए उसे खोलेने में जुटे हुए थे। अगले ही पल नीलू ने पेंट के बटन को खोलकर चेन की जीप को पकड़कर नीचे सरका दी , राहुल तो नीलू के होंठों के रस को चूसने में लगा हुआ था और चूचीयो को कमीज के ऊपर से ही मसल मसल कर अंदर ही अंदर लाल कर दिया था।
अंडरवियर में तने हुए मूसल को देख कर नीलू की बुर खुशी के मारे फूलने पीचकने लगी। उसकी बुर में ऐसा लग रहा था जैसे चीटिया रेंग रही हो बुर के अंदर खुजली सी मचने लगी थी।बुर की खुजली आज राहुल के मोटे तगड़े लंड से ही मिटने वाली थी। नीलू एक पल भी गवाएं बिना अपने हाथ को राहुल के अंडरवीयर में डाल दी। 
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10-09-2018, 03:31 PM,
#47
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
ऊफ्फफफ.........स्स्स्स्स्स्स्स...आहहहहहहहहहहह.....( लंड की मोटाई और उसकी गरमी को अपनी हथेली में महसूस करते ही उसके मुख से सेिसकारी छुट गई। नीलू एकदम से चुदवासी हो गई और चुदासपन से भर कर उसने राहुल की नंगे लंड पर अपनी हथेली का कसाव बढ़ा दी, लंड को हथेली में कसते ही राहुल की भी सिसकारी फूट पड़ी, उससे भी रहा नहीं गया और उसने नीलू की चूची को कसकर दबाते हुए उसके होंठों के रस को बड़ी तेजी से चूसने लगा। 
नीलू के लिए तो लंड को सिर्फ हथेली में लिए रहना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था। वह लंड को हथेली में भर कर मुठीयाना शुरू कर दी' इससे राहुल की हालत खराब होने लगी। राहुल से भी रहा नहीं जा रहा था और जोर-जोर से दोनो चुचियों को दोनों हथेली में भर भर के कमीज के ऊपर से ही रोंद रहा था। उसका भी अब सिर्फ होठ चुसाई से काम नहीं चलने वाला था। राहुल ने अपने होठों को नींलु के होठों से अलग किया।
दोनों बड़ी तेजी से हांफ रहे थे दोनों को देखकर ऐसा लग रहा था कि मीलों की दूरी दौड़ते हुए तय करके आए हैं। राहुल भी अब थोड़ा खुलने लगा था। उसने नीचे झुक कर नीलु की चुची को कमीज के ऊपर से ही मुंह मे भर लिया। राहुल की इस हरकत से नीलू एकदम से मचल उठी क्योंकि पहली बार राहुल ने अपनी तरफ से कोई हरकत किया था उसे लगने लगा था कि अब इस खेल में ज्यादा मजा आने वाला है। राहुल कपड़ा सहित नीलू की चूची को अपने मुंह में भर रहा था नीलू से रहा नहीं गया और उसने खुद ही अपनी कमीज को उतार फेंकी उसके बदन पर काले रंग की ब्रा खूब फब रही थी
और उस काले रंग की ब्रा के अंदर कैद नीलू की बड़ी-बड़ी दोनों चूचियां एकदम गोल गोल नारंगी की तरह लग रही थी। नीलू की दोनों चूचियों को राहुल अांख फाड़े देखे जा रहा था जिसे नीलू अपने दोनों हाथ पीछे ले जाकर ब्रा के हुक को खोल रही थी। और अगले ही पल ब्रा के हुक खुलते ही नीलू झट से अपनी ब्रा को भी उतार फेंकी। नीलू के कमर के ऊपर का भाग पूरी तरह से नंगा हो चुका था जिसे राहुल मुंह मे पानी लिए घुरे जा रहा था। नीलू राहुल को उकसाते हुए खुद ही अपनी चुचियों को अपने हाथ में भरकर राहुल की तरफ दिखाते हुए बोली।

देख क्या रहे हो राहुल लो भर लो अपने मुंह में और निचोड़ डालो इस के पूरे रस को। ( नीलू को यूं अपनी हि चूचियों को पकड़ कर दिखाते हुए देखकर राहुल के बदन में आग लग गई उसके ऊपर चुदासपन का भूत सवार हो गया। और उसने तुरंत नीलू के इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए उसकी दोनों खुशियों के बीच अपना मुंह दे मारा। राहुल पागलों की तरह नीलू की दोनों चुचियों से खेल रहा था तभी एक चूची को मुंह में भरता तो कभी दूसरी चूची तो मुंह में भर कर पीने लगता तो कभी अंगूठे और उंगली के बीच में उसकी तनी हुई निप्पल को कसकर दबाते हुए खिंचता, राहुल के साथ साथ नीलू को भी उसकी इस हरकत पर बड़ा मजा आ रहा था। इस दौरान नीलू लगातार राहुल के टन टनाए आए हुए लंड को मुठ्ठीयाती रही ,राहुल के लंड में इतना ज्यादा तनाव आ चुका था कि उसके लंड की सारी नसे उभर आई। जिससे उसका लंड और भी ज्यादा मोटा लगने लगा था। लंड को हिलाते हिलाते और राहुल से अपनी चूचियों को चुसवाते चुसवाते नीलू एकदम कामातूर हो चुकी थी, उससे अब सहा नहीं जा रहा था।
उसे और भी ज्यादा मजा लेना था , इसलिए उसने अपनी चुचीयो पर से राहुल का मुंह हटाई , नीलू की चूचियों के साथ साथ राहुल के गाल भी उत्तेजना के कारण लाल लाल हो गए थे। नीलू तुरंत बिस्तर पर से खड़ी हो गई और अपनी सलवार की डोरी को खोलने लगी। राहुल भी कामातूर हो करके नीलू को देखने लगा राहुल की नजरें खास करके नीलू की उंगलियों पर टिकी हुई थी जो कि इस समय सलवार की डोरी में उलझी हुई थी। नीलू इतनी नाजुक नाजुक उंगलियां को सलवार की डोरी में उलझाकर उसे खोल रही थी। अगले ही पल नीलू ने सलवार की डोरी को खोल चुकी थी। राहुल का दिल धक धक कर के बड़े तेजी से धड़क रहा था। नीलू अपनी हरकतों से राहुल को और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थी उसने अपने होठ को दांत से दबाते हुए कामुक अदा बिखेरते हुए धीरे धीरे करके अपनी सलवार को नीचे सरका ने लगी , तभी उसके दिमाग में जैसे कुछ सूझा हो और वह राहुल की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई। राहुल कुछ समझ पाता इससे पहले ही नीलू जैसे पॉर्न मूवीस में एक्ट्रेस अपने बदन को होले होले से हीलाते हुए अपने बदन पर से कपड़ों को उतारती हैं उसी तरह से नीलू भी अपनी मस्त मस्त गांड को मटकाते हुए अपनी गांड के उभार को राहुल की तरह बढ़ाकर अपनी सलवार को उतारने लगी। नीलू की यह हरकत राहुल पर बिजली गिराने जैसी थी,नीलु की यह अदा कामुक अंदाज राहुल से सहा नहीं गया और उसका एक हाथ खुद ब खुद लंड पर जाकर मुट्ठीयाने लगा। नीलू धीरे-धीरे करके अपनी सलवार को अपनी चिकनी टांगो से गुजारते हुए निकाल फेंकी। नीलू के बदन पर मात्र उसकी छोटी सी पेंटी ही बची थी । जिसकी किनारी को नीलू ने अपने दोनों हाथ की उंगलियों में फंसा ली और ठीक पहले की तरह ही अपनी गांड को मत कहते हुए पैंटी को नीचे सरकाने लगी, राहुल उत्तेजित और अचंभित होकर अपनी आंखों के सामने के नजारे को देख कर उस का लुफ्त उठा रहा था। एक हाथं से लंड को मुठियाते मुठियाते सामने का नजारा उससे देखा नहीं गया और उसने एक हाथ से नीलू की गोरी गोरी भरी हुई गांड को मसल दिया। नीलू भी मस्ती से आउच कहके ऊछल पड़ी। नीलू पेंटी को उतारते हुए अपने घुटनों तक ही लाई थी की राहुल एकदम से बेकाबू हो गया और उसने नीलू की गुदाज गांड को अपने दोनों हथेलियों में भरकर दबाते हुए मसलने लगा। नीलू गर्दन घुमाकर राहुल की तरफ देखने लगे और राहुल को देखते हुए ऊसकी हरकत पर मुस्कुरा भी रही थी। राहुल से सब्र करना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था। राहुल नीलू की गांड को मसलते हुए धीरे-धीरे अपना मुंह नीलू की गांड की तरफ बढ़ा रहा था और अगले ही पल राहुल कामोत्तेजना में डुबते हुए
अपनी गाल को नीलू की बड़ी-बड़ी गोरी गांड पर हल्के हल्के रगड़ने लगा। राहुल नीलू की गांड की गर्माहट को अपने बदन में उतारना चाहता था बाहर से दिखने वाली सख्त गांड अंदर से इतनी नरम और मुलायम होती है उसे आज ही पता चल रहा था। धीरे-धीरे करके राहुल अपने गाल के साथ-साथ अपने हॉट नाक ठोड़ी सब कुछ नीलू की गांड पर रगड़ने लगा। राहुल की इस हरकत ने नीलू को भी पूरी तरह से कामोत्तेजित कर दिया था। वह भी खुद ही अपनी गांड को राहुल के मुंह पर गोल-गोल घुमाते हुए रगडने़ लगी। पूरे कमरे में सिर्फ दोनों की सिसकारी की आवाज ही गूंज रही थी। नीलू की पैंटी अभी भी उसके घुटनो में ही फसी हुई थी। राहुल में इतनी ज्यादा ताकत कहां से आ गई इस बात का पता नहीं चल पा रहा था शायद यह सब काम उसके अंदर सवार हुई वासना ही कर रही थी वरना राहुल से यह सब हरकते तो होने से रहीं। नीलू चाहती थी कि राहुल उसकी गांड को चाटे अपनी जीभ की नुकीली हिस्सें से उसकी कृषि ली चिकनी बुर को कुरेदे इसलिए उसने अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर अपनी गांड के फांकों को पकड़कर हल्के से अलग करते हुए राहुल से बोली।
ससससससस.....आहहहहहहह.....राहुल ...... तुमने तो मुझे पागल कर दिया है राहुल...... मुझसे रहा नहीं जा रहा है..... प्लीज राहुल अपनी जीभ से मेरी बुर को चाटोे राहुल....स्स्स्स्स्स्स्स...हहहहहहहह......( नीलू अपनी गांड की फांकों को हथेली से और ज्यादा फैलाते हुए बोली. नीलू के मुंह से इस तरह की मदभरी बाते सुनकर और नीलू के बदन को देख कर खास करके उसकी भरी हुई गांड को देखकर पहले ही वह मदहोश हो चुका था। वह अपने गाल नाक और होठ को और भी ज्यादा पागलों की तरह नीलु की गांड से रगड़ने लगा था। बुर चाटने का अनुभव उसने पहले ही विनीत की भाभी से ले चुका था। और इस बात को राहुल अच्छी तरह से जानता था कि औरतों की बुर चाटने में कितना ज्यादा आनंद आता है। उस दिन भी राहुल को विनीत की भाभी की बुर चाटने में इतना ज्यादा आनंद मिला था कि पूछोआज फिर से नीलू के द्वारा उसे बुर चाटने का शुभअवसर प्राप्त होने जा रहा था

नीलू के द्वारा प्राप्त इस आमंत्रण से राहुल पूरी तरह से गदगद हो गया। राहुल के लंड नें भी नीलू के इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगाते हुए हल्की सी ठुनकी लिया। राहुल एकदम मदहोश हो चुका था उसकी आंखों में कई बोतलों का नशा उमड़ आया था। मदहोशी का आलम उस पर इस कदर छाया था कि उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें इसलिए वह कभी अपने दोनों हाथों से नीलू की गांड की फांको को आपस में पकड़ के रगड़ता तो कभी अपने लंड को मुठ्ठीयाने लगता। नीलू पीछे सिर घुमाकर राहुल को घूरे जा रही थी और राहुल की हरकतों का मजा ले रही थी लेकिन नीलू की ख्वाहिश इससे भी ज्यादा थी वह राहुल की जीभ को अपनी बुर पर रेंगती हुई महसूस करना चाहती थी वह चाहती थी कि राहुल रगड़-रगड़ कर उसकी बूर को चाटे उसकी बुर की नमकीन रस की हर एक बूंद को अपनी जीभ से चाटते हुए गटक जाए। राहुल भी यही चाहता था इसलिए उसने अपनी दोनों हथेलियों से नीलू की बड़ी-बड़ी गांड की फांकों को अलग किया गांड की दोनों फांको के अलग होते ही नीलू की गुलाबी बुर नजर आने लगी। उस पर हल्के हल्के रोए दार बाल झलक रहे थे ऐसा लग रहा था कि जैसे दो-चार दिन के अंदर ही नीलू मैं अपनी बुर को साफ करके चिकनी की थी। बुर की पतली दरार से झांकती गुलाबी पत्तियां गुलाब की पंखुड़ियों से कम नहीं लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे ऊंची पहाड़ी पर से कोई शांत नहर बह रही हो। 
राहुल तो बस देखता ही रह गया। नीलू की गुलाबी बुर को देखकर राहुल से अपने ऊपर कंट्रोल कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था, राहुल के बदलने उत्तेजना का तूफान उमड़ रहा था। राहुल ने होले होले से अपने मुंह को नीलू की गांड की दरार के बीचो-बीच ले गया जेसे ही उसने अपने नथुनों को नीलू के पूर्व के बिल्कुल करीब लेकर आया तो बुर से उठ गई मादक खुशबू सीधे उसके नथुनों से होते हुए उसके सीने में भर गई। बुर की मादक गंध राहुल को उतेजना के परम शिखर तक ले जाने के लिए काफी थी। राहुल एकदम से कामोत्तेजना मे विह्वल हो गया। उसने अपनी नाक के छोर से नीलू की बुर के गुलाबी पंखुड़ियों को कुरेदने लगा। जैसे ही नीलू ने अपनीे बुर पर राहुल के नाक के आगे वाले भाग का स्पर्श पाई नी्लू का पूरा वजूद ही डगमगा गया उसके बदन में झुनझुनी सी फैल गई। राहुल अपनी नाक से ही गुलाबी बुर को कुरेदते हुए उसकी मादक गंध को जोर जोर से खींच रहा था। राहुल बुर की मादक गंध से एकदम से चुदवासा हो गया नीलू भी बुरी तरह से कामवासना में तड़प रही थी उसकी बुर से नमकीन पानी रिस रहा था जोकि बुर की गुलाबी पत्तियों से होकर राहुल की नाक से लग कर टपक रहा था। बुर से अमृत की धारा को टपक कर नीचे गिरता हुआ देखकर राहुल से रहा नहीं गया और उसने तुरंत बुर पर अपनी जीभ लगा दिया। इस बार नीलू अपनी बुर पर राहुल की जीभ का स्पर्श पाते ही तड़प उठी वह अपने आप को रोक नहीं पाई और उसके मुंह से गर्म सिसकारी छूट गई
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10-09-2018, 03:31 PM,
#48
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
स्स्स्स्सहहहहहह.....आहहहहहहहहहह......राहुल ..... ऊम्म्म्म्म्म्......( उत्तेजना में नीलू की आंखें बंद हो गई।)
चाटो मेरी बुर......आहहहहहहहहह....राहुल....

नीलू की खुमारी देखकर राहुल का जोश दुगना हो गया वैसे भी वीनीत की भाभी की बुर चाटने के बाद उसे नशा सा हो गया था उसका मन हमेशा बुर चाटने को करता था और आज उसे भरपूर मौका मिला था इसलिए उसने अपनी जीभ को नीलू की बुर पर फीराना शुरु कर दिया। नीलू तो राहुल की नुकीली जीभ को अपनी बुर पर महसूस करते ही एकदम गदगद हुए जा रहीे थीे उसके बदन में रोमांच बढ़ता चला जा रहा था।
नीलू की सांसें अटकने लगी थी। राहुल दोनों हाथों से नीलु की गांड को थामे बुर की दरार में ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ घुमाए जा रहा था। बुर से रिस रहा कामरस कसैला होने के बावजूद भी राहुल को मदन रस लग रहा था। तभी राहुल ने अपनी जीभ को गुलाबी छेद के अंदर प्रवेश करा दिया और जैसे ही बुर के गुलाबी छेद में राहुल की जीभ प्रवेश की नीलू बुरी तरह से गंनगना गई उसकी टांगों में कंपकंपी सी फेल गई। 
राहुल ने नीलू की गांड को कस के थामे हुए था और बुर को चाटते हुए गांड को मसल भी रहा था जिससे उसको दुगना मजा मिल रहा था। 
राहुल ने इससे पहले वीनीत की भाभी की ही बुर को चाटा था हालांकि उसकी बुर को चाटने में भी बहुत मजा आया था लेकिन जो मजा उसे नीलू की बुर को चाटने में मिल रहा था वैसा मजा विनीत की भाभी की बुर से नहीं मिला था। राहुल पागलों की तरह अपने काम में जुटा हुआ था। नीलु एकदम उत्तेजित होकर के अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए उसके मुंह पर रगड़ रही थी।
उसके मुंह से लगातार गरम सरकारी की आवाज आ रही थी जो कि पूरे कमरे में गुंज रही थी। 
नीलू भी मन ही मन में यह सोच रही थी कि उसने बहुतो को अपनी बुर चटवाई थी लेकिन जिस तरह से राहुल उसकी बुर को मजे लेकर चाट रहा था , जिस तरह से उसकी जीभ का नुकीला हिस्सा उसकी की बुर के कोने कोने में पहुंच रहा था और बुर चटाई का जो उसने आह्ललादक आनंद दे रहा था। वैसा आनंद और मजा आज तक किसी ने नहीं दिया और ना ही किसी के साथ आया। 
राहुल पागलों की तरह नीलु की बुर में जुटा हुआ था। नीलू अपने गर्म सिसकारी से माहौल को और भी ज्यादा गर्म कर रही थी।
स्स्स्स्स्सहहहहह.....।आहहहहहहहहहह.....राहुल...
ऊऊहहहहहहहहहह......ऊम्म्म्म्म्म्म्म....:.हीस्स्स्स्स
चाटो राहुल..:-) ओर....चाटो.....चाट चाट कर लाल कर दो मेरी बुर को......

नीलू बुरी तरह से तड़प रही थी और बुर चटाई का पूरा का पूरा लुफ्त उठा रही थी। नीलू की तड़प बढ़ती जा रही थी। जिस काम के लिए उसने राहुल को लेकर आई थी, राहुल उस काम को बखूबी निभा रहा था। राहुल का पूरा मुंह नीलू के बुर के कामरस मे सन गया था। राहुल ने तो नीलू की बुर के साथ साथ नीलू की गांड को भी मसल मसल कर लाल कर दिया था। दोनों की सांसे तीव्र गति से चल रही थी। कुछ देर तक यूं ही नहीं नीलू राहुल से अपनी बुर चटवाती रही। लेकिन यूंही झुके-झुके बुर चटवाने से उसकी कमर दुखने लगी थी, लेकिन बुर चटाई का आनंद कमर के दर्द को दबा दे रहा था। लेकिन कब तक वह इसी तरह से झुकी रहती उसकी कमर अकड़ चुकी थी उसके घुटनो में अभी भी उसकी गीली पैंटी फंसी हुई थी। उसने बिना हाथ लगाए सिर्फ पैरों का सहारा लेकर के अपनी पैंटी को टांगो से निकाल फैंकी। वह सीधी खड़ी होना चाहती थी कि तभी राहुल की जीभ उस जगह पर गश्त लगा दी जहां पर नीलू को जरा भी उम्मीद नहीं थी। और ना ही आज तक किसी ने भी वहां तक पहुंचने की जुर्रत की थी। नीलू का बदन एकाएक अकड़ सा गया ऐसा लग रहा था जैसे कि उसके ऊपर बिजली गिरी हो, आखिर नीलू करती भी क्या राहुल ने हरकत ही ऐसी कर दी थी। राहुल नीलू की बुर को चाटते चाटते अपनी जीभ को बुर के नीचे वाले छेंद पर चुदवासा होकर फिरा दिया। नीलू ने कभी सोची भी नहीं थी कि राहुल ऐसी हरकत कर सकता है। लेकिन राहुल की ऐसी हरकत में नीलू को एकदम से बदहवास बना दिया, उसने अपना होश खो बैठी , और उसने उन्माद और उत्तेजना में एक हाथ पीछे ले जाकर राहुल के बालों को कसके अपनी हथेली में दबोच ली, और राहुल के मुंह का दबाव अपनी गांड के बीचोबीच बढ़ाने लगी, राहुल तो उस छेंद पर सिर्फ अपनी जीभ का स्पर्श ही करा रहा था। लेकीन नीलू के इस तरह से उसके बाल को पकड़कर अपनी गांड पर दबाव बढ़ाने की वजह से राहुल की जीभ का आगे वाला हिस्सा हलके से नीलूं के उस भूरे रंग के छेद में प्रवेश कर गया, ऊफ्फ्फ........ नीलु तो सिर कटी मुर्गी की तरह तड़प उठी। उसका बदन देखने लगा और उसने और जोरों से राहुल के बालों को भींेजते हुए उसके मुंह को अपनी छेंद से चिपका दी। और भल भला कर झड़ने लगी।
नीलू की बुर से निकल रहा नमकीन पानी का फव्वारा बुर से होते हुए उस छोटे से भूरे रंग के छेद से गुजर रहा था जिधर से राहुल जल्दी-जल्दी जीभ से चाटते हुए झपट रहा था। 
नीलू पूरी तरह से अचंबित थी और हैरान भी। क्योंकि आज तक किसी ने भी सिर्फ चाट कर उसकी बुर को नहीं झाड़ा था। लेकिन राहुल ने वह कर दिखाया था उसकी जीभ के कमाल से नीलू पूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी। धीरे-धीरे चाटते हुए राहुल ने नीलू के काम रस को गले के अंदर उतार चुका था। नीलू सीधे खड़ी हुई
उसकी सांसे अभी भी तेज चल रही थी। नीलू के काम रस से राहुल का पूरा मुंह सना हुआ था। राहुल भी हांफ रहा था। नीलू राहुल की तरफ देख कर मुस्कुराई और बोली।

वाह राहुल तुम तो कमाल कर दिए असली मर्द हो यार तुम तो। सिर्फ अपनी जीभ से चाट चाट कर ही तुमने मुझे झाड़ दिया।ऊफ्फ्फ.....गजब के हो यार तुम मान गई तुम्हे। ( इतना कहते हुए उसने अपनी हथेली को थोड़ी सी टांगे फैलाकर अपनी बुर पर रखकर मसलते हुए एक लंबी सांस खींची और फिर बोली।)

यार यह गलत है।

क्या... क्या गलत है?( राहुल को लगा कि जैसे उसने कोई गलती कर दिया)

अरे यार राहुल मुझे तो पूरी नंगी कर दीए और खुद अभी तक कपड़े में ही ं हो। ऐसा नहीं चलेगा यार तुम भी मेरी तरह पूरे कपड़े निकाल कर नंगे हो जाओ तभी यह खेल खेलने में मजा आएगा।( तभी नीलू की नजर राहुल के टनटनाए हुए लंड पर पड़ी जो कि अभी भी पूरी औकात में खड़ा ही था। उसे देखते ही नीलू बोली।)
वाह..ईसे कहते हैं ताकतवर लंड देखो तो सही अभी भी पूरी तरह से टन्ना के खड़ा है। चलो राहुल अब जल्दी से अपने कपड़े उतार दो मुझ से रहा नहीं जा रहा है। 
( राहुल खुद अपने कपड़े उतार कर नंगा होना चाहता था लेकिन उसे शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी उसे मजा तो लेना ही था इसलिए शरमाते शरमाते ही उसने पूरे कपड़े निकाल कर बिल्कुल नंगा हो गया। नीलु तो उसके नंगे बदन को एकटक देखे जा रही थी। उसका गठीला बदन देखकर मन ही मन खुश भी हो रही थी।
नीलु की नजर खासकरके राहुल के खड़े लंड पर ही घुम रही थी। नीलु से रहा नही गया ओर वह राहुल के करीब
जाकर राहुल को धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दी ओर खुद भी बिस्तर पर चढ़ गई। नीलु पर खुमारी छाई हुई थी। बिस्तर पर चढ़ते ही उसने राहुल के लंड को अपनी हथेली में भर ली।

और उसे ऊपर नीचे करके मुठीयाने लगी। राहुल भी नीलु को बड़ी गौर से देख रहा था। तभी दखते ही देखते नीलू ने लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर ली। राहुल तो जैसे हवा में उड़ रहा हो ऐसा एहसास होने लगा। एक बार फिर नीलू राहुल के ऊपर पूरी तरह से छा चुकी थी। नीलू राहुल के लंड को पुरा गले तक ऊतार ले रही थी।
वैसे भी नीलु लंड चुसने मे माहीर थी इसका नमुना वह क्लास रूम में देख ही चुका था। कुछ ही देर में अनुभवी नीलू ने राहुल के लंड को चूस चूस कर उसे मस्त कर दि।
लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका था क्योंकि राहुल नीचे से कमर उचका उचकाकर धक्के लगा रहा था। नीरु समझ गई थी कि आप ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं है। वैसे भी वह मन ही मन राहुल के लंड को दाद दे रही थी क्योंकि वह जानती थी कि इतनी देर में तो कोई भी होता दो बार झड़ चुका होता। वह अपने मुंह में से राहुल के लंड को बाहर निकाली , राहुल का लंड उसके लार से पुरी तरह से सना हुआ था। नीलु की सांसे भारी चल रही थी। वह राहुल से बोली ।

बस राहुल अब तुम अपने लंड का कमाल दीखाओ ताकी मै जिंदगी भर याद रखुं. मेरी बुर तुम्हारे लंड को अपने अंदर लेने के लिए तड़प रही है।( इतना कहने के साथ ही नीलू बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई अब राहुल की बारी थी राहुल बिस्तर पर से उठा और सीधे जाकर नीलू के टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ गया। विनीत की भाभी से वह चुदाई का सारा गुण सीख चुका था। इसने उसे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। नीलू तरसी आंखों से राहुल की तरफ ही देख रही थी और राहुल नीलू की जांघो को पकड़कर अपनी जांघों पर चढ़ा दिया जिससे
नीलु की बुर ठीक राहुल के लंड के सामने आ गइ। नीलू के बदन में गुदगुदी सी मच रही थी आने वाले पल के इंतजार है मैं उसका बदन का कसा रहा था । की तभी लगने लगा कि उसकी इंतजार की घड़ियां अब खत्म हो जाएगी, और राहुल ने अपने लंड़ को पकड़कर नीलू की गुलाबी बुर पर सुपाड़े को रगड़ने लगा। जैसे ही सुपाड़ा बुर पर स्पर्श हुआ नीलू पूरी तरह से गनगना गई। जिस पल के इंतजार में उसने तड़प-तड़प कर महीनों गुजार दी थी वह पल आ चुका था उसका ख्वाब सच होने जा रहा था। राहुल के ऊपर तोे चुदाई का भूत सवार था। उसने तुरंत लंड के सुपाड़े से ही टटोलकर बुर के गुलाबी छेद को ढूंढ लिया और सुपाड़े को उस जगह पर टिका कर कमर को आगे की तरफ धकेला, बुर पहले से ही पानीयाई होने के कारण पूरी तरह से चिकनी हो चुकी थी इसलिए राहुल का मोटा सुपाड़ा धीरे-धीरे सरकते हुए नीलू की बुर में उतर गया। नीलू को अपने बुर में दर्द महसूस होने लगा था की तभी राहुल ने दूसरा भी धक्का लगा दिया इस बार लंड एकाद ईन्च ओर अंदर घुस गया लेकिन इस बार दर्द थोड़ा बढ़ गया और नीलू ने अपने होठो को दांत से दबाते हुए दर्द को पी जाने की पूरी कोशिश की लेकीन जवान बुर देखकर राहुल मदहोश हो चुका था और इस बार उसने पुरी ताकत से लंड को अंदर ठेला और इस बार राहुल का तगड़ा लंड बुर की अंदरूनी सभी अड़चनों को धकेलते हुए सीधे बुर की जड़ मे जाकर धंस गया। नीलू अपने आपको संभाल ना सकी और उसके मुंह से चीख निकल गई। 
ऊईईईईईई....मां....मर गई रे.....आहहहहह.....बहुत मोटा है रे तेरा....आहहहहहह....

राहुल नीलू को दर्द से छटपटाते हुए देख रहा था नीलू को दर्द हो रहा था राहुल को लगता था कि वह लंड को बाहर निकालने के लिए कहेगी. लेकिन वह दर्द को दांतों को भींचकर दबाती रही। और लंड को निकालने का एक बार भी जिक्र नहीं की तो राहुल की हिम्मत बढ़ने लगी। 
राहुल ने बुर की जड़ तक घुसा हुआ लंड बाहर की तरफ खींचा और सिर्फ लंड के सुपाड़े को ही बुर में फंसे रहने दिया, और फिर से वापस पूरी ताकत से लंड को बुर में पेल दिया। इस बार फिर से नीलू के मुंह से हल्की सी चीख निकली लेकिन तब तक राहुल नीलू की पतली कमर को थाम चुका था। अब राहुल ने नीलू को चोदना शुरू किया उसका लंड सटा सट नीलू की बुर के अंदर बाहर हो रहा था। नीलू ने ना जाने कितनों से चुदवाई थी। लेकिन आज तक कोई भी ऐसा नहीं मिला था जो उसकी चीख निकाल सके। राहुल के लंड की बात ही कुछ और थी चुदवा चुदवा कर चोड़ी हो चुकी बुर में भी राहुल का लंड एकदम रगड़ कर जा रहा था। नीलु मदहोश हुएे जा रही थी वह अपने हाथों से ही अपनी चुचियों को मसल रही थी। राहुल धड़ाधड़ नीलू को चोद रहा था पंखा चालू होने के बावजूद भी दोनों का बदन से पसीने से तरबतर हो चुका था। राहुल के हर धक्के पर पूरा पलंग हच मचा जा रहा था। नीलू ने आज तक ऐसी चुदाई करने वाला मर्द नहीं देखी थी। विनीत की भाभी की चुदाई राहुल को याद आ रही थी इसलिए उसने नीलू की कमर पर से हाथ हटाकर नीलू की चूचियों पर रख दिया था और धक्के लगाते हुए जोर जोर से चूचियों को मसल रहा था। नीलू की गरम सिसकारी पूरे कमरे में गुँज रही थी। 
राहुल चुदाई का पूरा मजा ले रहा था वह कभी चुचीयों को मसलता तो कभी चूचियों पर अपना मुंह रख देता ओर चूची को पीने लगता। इससे वीरू भी मस्त हुए जा रही थी। थोड़ी ही देर में राहुल ने उसे हवा की सैर कराने लगा। पुच्च पुच्च की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था। करीब आधे घंटे की चु दाई के बाद नीलू की सिसकारी बढ़ने लगी।

स्स्स्स्स्सहहहहहहह......आहहहहहहहहहह....।राहुल.... और तेज .....और तेज .......राहुल चोद मुझे..... फाड़ दे मेरी बुर को घुस जा मेरी बुर मे.....आहहहहहहह......( वह गरम सिसकारी ले रही थी कि तभी राहुल ने जोरदार धक्के लगाना शुरु कर दिया।)
आहहहहहहहह.......आहहहहहहहहहहह......आहहहहहहहहह....:-) राहुल......ओहहहहहह....।राहुल....
( तभी नीलू का बदन एकाएक अकड़ने लगा वह चरम सुख के करीब थी।) 
ओहहहह।।राहुल..... मै गई ....।मै गई....।आहहहहहहहहह......राहुल..( और नीलू हल्की चीख के साथ ही भलभलाकर पानी का फुआरा छोड़ने लगी नीलू ने कस के राहुल को अपनी बाहों में जकड़ लिया था और अपना मदन रस छोड़ते हुए झड़ने लगी थी। दो-चार तेज धक्को मे राहुल भी अपना गरम फुवारा नीलू की बुर मे छोड़ते हुए झड़ने लगा और नीलू के ऊपर ही पसर गया।
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10-09-2018, 03:31 PM,
#49
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
नीलू बहुत खुश नजर आ रही थी संतुष्टि के भाव उसके चेहरे पर साफ साफ झलक रहे थे राहुल उसके ऊपर डह चुका था उसकी नरम नरम चुचियों पर सिर रखकर
लंबी लंबी सांसे भर रहा था। नीलू राहुल की नंगी पीठ पर अपनी हथेलियां फेर रही थी। कई महीनों से जो ख्वाब नीलू देखते आ रही थी जिसकी कल्पना करते हुए ना जाने कितनी बार उसने अपनी पैंटी को गीली कर चुकी थी आज उसका यह ख्वाब पूरा हो चुका था। राहुल के लंड के लिए तड़प रही नीलु की बुर आज पूरी तरह से उसे अपने अंदर लेकर संतुष्ट हो चुकी थी। दोनों की तेज चल रही सांसे थोड़ी ही देर में सामान्य हो गई। नीलू का देश की नंगी पीर का से लाती तो कभी उसके बालों में अपनी उंगलियां फसाकर उसे बहलाती रहती।
नरम नरम चुचियों का एहसास राहुल को फिर से गर्म कर रहा था। राहुल जो की बहुत ही भोला-भाला लगता था इन दोनों औरतों ने मिलकर वीनीत की भाभी और नीलू ने उसे पूरा मर्द बना चुकी थी। राहुल का ल** शिथिल हो कर नीलू की जांघों के बीच दुबका हुआ पड़ा था । वह अब मीनू की छुट्टियों की वजह से फिर से तनाव में आना शुरु हो गया था। राहुल का एक हाथ खुद-ब-खुद नीलू की एक चूची पर चली गई। राहुल उसे मीठा फल समझ कर फिर से दबाना शुरू कर दिया। इस तरह से चूची मर्दन करने से कुछ ही देर में नीलू की सिसकारी फिर से छूटने लगी। राहुल फिर से गर्म हो चुका था थोड़ी देर में उसका भी ढीला हो चुका लंड एक बार फिर से पूरे शबाब में खिल उठा था। जिसे नीलू अपनी जांघों के बीच साफ-साफ चुभता हुआ महसूस कर रही थी। लंड की चुभन अपनी टांगों के बीच महसूस करते हैं नीलू फिर से सिसकने लगी उसका बदन कसमसाने लगा। नीलु राहुल के वजन से कसमसा रही थी। राहुल उसकी कसमसाहट को समझ गया और अपना वजन उसके बदन के ऊपर से कम करते हुए उसकी कमर के ईर्द गिर्द घुटनों के बल हो गया और अब नीलू की दोनों चूचियां राहुल की दोनों हथेलियों में कसी हुई थी । एक बार फिर से माहौल बनना शुरू हो गया था राहुल नीलू की नारंगियों को दबाते हुए उसे एक-एक करके अपने मुंह में भरकर चूस भी रहा था। 

सससससस्स्स्हहहहहहहह......राहुल....आहहहहहह...
( नीलू की गर्म शिसकारी छूट रहीे थी। वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं रख पा रही थी। राहुल था की नीलू के दूध पर ही टूट पड़ा था। गोरी गोरी और गोल चुचियां राहुल की आंखों में चु दास की चमक को बढ़ा रही थी। राहुल नया नया खिलाड़ी था इसलिए तुरंत तैयार हो गया। नीलू की पीच काफी अनुभवी थी इसलिए नए-नए खिलाड़ी का जोश देखते ही उसकी पीच गीली होना शुरु हो गई। राहुल के लंड का गर्म सुपाड़ा नीलू के बुर के इर्द-गिर्द गस्त लगा रहा था। राहुल पागलों की तरह नीलू की चुचियों पर टूट पड़ा था कभी दाएं चूची को मुंह में भर कर पीता तो कभी बाँए तो कभी उसके निप्पलों को दांतो के बीच दबाकर खींचने लगता। राहुल के इस तरह की हरकतों से नीलू एकदम चुदवासी हो गई। उसकी दोनों हथेलियां राहुल की पीठ पर से होते हुए उसके नितंबों पर पहुंच गए और राहुल के नितंबों पर अपनी हथेलियों का दबाव बढ़ाते हुए उसे अपनी जांघों के बीच कसने लगी जिससे राहुल का लंड उसकीे बुर की पतली दरार पर रगड़ खाने लगा। लंड की रगड़ अपनी बुर पर महसुस करते ही नीलू एक दम से मदहोश होने लगी। 
नीलू से लंड की रगड़ बर्दास्त नहीं हो पा रही थी और उसने एक हाथ नीचे ले जाकर राहुल के लंड को थाम ली। राहुल तो नीलु की चूचियों को दबा दबा कर एकदम कश्मीरी सेव की तरह लाल कर चुका था। नीलू अगले राउंड के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी उसने लंड के सुपाड़े को अपनी बुर की पतली दरार पर ऊपर नीचे करके रगड़ना शुरू कर दी वह लंड की सुपाड़े को अपनी बुर पर रगड़ती भी जा रही थी और गरम गरम सिसकारी छोड़े भी जा रहीे थी। 
स्स्स्स्स्स्स्ह्ह्हहहह....आहहहहहहहहहह.....।ऊम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म.......राहुल....मेरी जान.....बहुत तगड़ा लंड हे तुम्हारा......
( इतना कहने के साथ ही नीलू ने लंड के सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर की नमकीन छेंद पर टिका दी लंड का सुपाड़ा गुलाबी बुर के छेद के मुहाने पर टिकने के बाद भी राहुल ने उसे अंदर डालने की शुध बिल्कुल भी नहीं ली. और नीलु थी की वो इतनी ज्यादा चुदवासी हो गई थी कि उसे बिना लंड कोे बुर मे लिए एक पल भी सांस लेना मुश्किल हुए जा रहा था। इसलिए उसने खुद ही अपने दोनों हाथ को राहुल के नितंबों पर रखकर दबाव देना शुरू कर दी जिससे बुर गीली होने की वजह से धीरे धीरे करके रगड़ खाते हुए राहुल का लंड बुर में घुसना शुरू हो गया , नीलू तब तक राहुल के नितम्ब पर दबाव बनाती रही जब तक कि राहुल का पूरा लंड उसकी बुर में अंदर तक नहीं चला गया। राहुल का पुरा लंड नीलु की बुर मे अंदर तक समा गया था। राहुल की जगह अगर दूसरा कोई होता तो इतने में ही कब से नीलू को चोदना शुरू कर देता लेकिन राहुल था कि नीलू की चुचियों में ही मगन था। राहुल को इस तरह से सिर्फ चूचियों को ही पीता हुआ देखकर नीलू एक हाथ राहुल के सिर पर रख कर उसे जोर से अपनी चूची पर दबाते हुए सिसकते हुए बोली।

ओहहहहहह.....राहुल.... मेरी जान.....स्सससससहहहहहह..... मैं तेरे लंड की प्यासी हूं....राहुल.....चोद मुझे...चोद मुझे...राहुल... अपने लंड से फाड़ दे मेरी बुर को..... अब रहा नही जाता राहुल...

नीलू की तड़प और उसका सिसकना देखकर राहुल का जोश दुगना हो गया और वह जितना हो सकता था उतनी चूचियों को मुंह में भर कर पीते हुए हल्के हल्के से कमर को हिलाना शुरू कर दिया। लंड की मोटाई इतनी ज्यादा थी की नीलू की बुर को फेलाते हुए बुर की अंदरुनी दीवारों को एकदम रगड़ते हुए बुर की जड़ तक घुस रहा था। जिसकी वजह से नीलू चुदास की मस्ती में एकदम सरो बोर हो चुकी थी कुछ धक्को में ही उसे ऐसा लगने लगा कि उसका बदन हवा में झूल रहा है। राहुल की कमर बड़ी तेजी से चलने लगी थी। लंड अपनी लय मे बुर के अंदर बाहर हो रहा था। नीलू पागलों की तरह अपनी उंगलियों को राहुल के बालों में फंसा कर उसे कसके अपनी हथेली में भींचते हुए अपनी चूचियों के बीच दबाए हुए थी। राहुल उत्तेजना में चूची के निप्पल को दांतों से काट ले रहा था जिस के निशान नीलू की गोरी चूची पर पड़ जा रहै थै। एक बार फिर से फुच्चफुच्च और गरम सिसकारी की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा। नीलू अपनी मम्मी की गैर मौजूदगी में आज पूरी तरह से राहुल की होकर रह गई थी। 
एक बार फिर से नीलु अपने चरम सुख के करीब बढ़ती जा रही थी। राहुल के जबरदस्त धक्को नीलू के साथ साथ पूरा पलंग चरमरा जा रहा था। राहुल की कमर किसी मशीन की तरह बड़ी तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी नीलू के लिए अपने आप को संभाल पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था राहुल के हर धक्के के साथ नीलू के मुंह से अजीब अजीब सी आवाजे आ रही थी।
कुछ ही धक्कों के बाद नीलू ने राहुल को अपनी बाहों में कस के दबोच लिया और बड़ी तेजी से सिसकारी लेते हुए अगले ही पल एक हलकी चीख के साथ ही भल भला कर अपना गरम नमकीन पानी छोड़ने लगी। उसके बाद राहुल भी दो चार धक्के लगाने के बाद नीलू की बुर में ही झड़ गया। दोनों एक दूसरे की बाहों में बिस्तर पर लेटे रहे। राहुल का लंड अभी भी नीलू की बुर के अंदर धंसा हुआ था जो कि कुछ ही देर में ढीला हो कर अपने आप नीलू की बुर से बाहर आ गया। नीलु की बुर से दोनों का गरम रस रीसते र्हुए बिस्तर को भिगो रहा था। 
दोनों इसी तरह से कुछ देर तक बिस्तर पर लेटे रहे वासना का तूफान शांत हो चुका था। नीलू राहुल को दुलार करते हुए उसके बालों में ऊंगलिया फेरने लगी। और ऊंगलियां फेरते हुए बोली।
आई लव यू राहुल मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं जिस दिन से मैंने तुम्हें विनीत के साथ देखी थी उसी दिन से मुझे तुमसे प्यार हो गया था।( नीलू की बात सुनते ही राहुल नीलू की तरफ देखने लगा राहुल बहुत खुश नजर आ रहा था, वैसे भी उसने कभी सोचा नहीं था कि कोई लड़की उसे इतना प्यार करेगी। और तो और अपना सब कुछ उसे सौंप देगी। नीलू की बात से खुश होकर राहुल से रहा नहीं गया और उसने अपने होट को नीलू के होंठ पर रख दिया दोनों प्यार के भूखे फिर से एक दूसरे के होठों को चूसना शुरू कर दिए। और कुछ देर यूं ही एक दूसरे के होठों का रसपान करते रहे। 
तभी नीलू को अपने पेट में दर्द का एहसास होने लगा वैसे तो यह दर्द बिल्कुल आम था क्योंकि यह दर्द उसे पेशाब लगने की वजह से हो रहा था। वह राहुल को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली।
हटो राहुल मैं बाथरुम जाकर आती हूं। ( इतना कहकर नीलू बिस्तर से उठी और कमरे से ही अटैच्ड बाथरूम का दरवाजा खोल कर बाथरूम में चली गई और बाथरूम का दरवाजा बंद कर दी। राहुल करवट बदल कर बिस्तर पर ही एकदम नंगा लेटा रहा। तभी उसके कानों में सीटी की आवाज सुनाई देने लगी जो कि बाथरुम में से आ रही थी। उसके कान के साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा होने लगा, क्योंकि राहुल ईस सीटी की आवाज को बखूबी पहचानता था। वह समझ गया कि नीलू पेशाब कर रही थी। राहुल से रहा नहीं गया और वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गया। वह नीलू को एक बार फिर से पेशाब करते हुए देखना चाहता था लेकिन इस बार उसकी मुराद पूरी नहीं हुई। उसे विनीत के घर पर का दृश्य याद आ गया जब विनीत की भाभी उससे चुदवाकर ऐसे ही अटैच्ड बाथरूम में घुस कर पेशाब कर रही थी और मे देख सकु इसलिए उसने बाथरुम का दरवाजा भी बंद नहीं कि थी। वीनीत की भाभी को पेशाब करते हुए देख कर तो उस समय फीर से राहुल का लंड खड़ा हो गया था। विनीत की भाभी को पेशाब करते हुए देखकर राहुल एकदम आनंदमय हो गया था। इसलिए बाथरुम से आती सीटी की आवाज को सुन कर वह समझ गया था कि नीलू पेशाब कर रही है और वह नीलू को पेशाब करते हुए देखना चाहता था हालांकि नीलू को पेशाब करते हुए वह पहले भी एक बार पार्क में देख चुका था। लेकिन यहां इस कमरे में वह बिल्कुल नंगा था और नीलू भी बिल्कुल नंगी थी ।बिल्कुल नंगी होकर इतनी नजदीक में पेशाब कर रही थी और वह देख नहीं पा रहा था इसलिए उसकी तड़प और ज्यादा बढ़ती जा रही थी।
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10-09-2018, 03:31 PM,
#50
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
तभी राहुल को एका एक सुबह वाली घटना याद आ गई जब नहाने के लिए बाथरूम की तरफ गया था और बाथरूम का दरवाजा खोलते ही अंदर अपनी मां को पेशाब करते हुए देखकर उसका पूरा बदन झनझना गया था। सुबह वाली घटना याद आते ही उसके लंड का तनाव और भी ज्यादा बढ़ गया और उसका हाथ खुद-ब-खुद लंड पर चला गया जिसको वह मुठीयाने लगा। बाथरुम के अंदर से सीटी की आवाज आना बंद हो गया था वह समझ गया की नीलू पेशाब कर चुकी थी और तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और नीलू की नजर सीधे राहुल के ऊपर पड़ी तो उसका खड़ा लंड देखकर दंग रह गई । वह आश्चर्य में पड़ गई कि वह पहले ही दो बार पलंगतोड़ कबड्डी का राउंड ले चुका था और दो राउंड के बाद भी राहुल का लंड दुबारा खड़ा हो चुका था। यह बात उसके लिए हैरान करने वाली थी क्योंकि वह जानती थी की ज्यादा से ज्यादा 2 राउंड के बाद लंड खड़ा नहीं होता और खड़ा भी होता है तो उसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है ।और यहां तो राहुल का लंड तीसरी बार बिना कीसी मेहनत के खड़ा हो गया था। राहुल के लंड को देखकर नीलु की बुर फीर से गीली होने लगी। उसके मन में एक बार फिर से चुदवाने की महेच्छा जाग चुकी थी वरना इस बार बार राहुल को उसके घर के पास तक छोड़ने के लिए तैयार होने जा रही थी। राहुल उसे ही एकटक घूर रहा था। नीलू बड़े ही कामुक अदा से राहुल की तरफ आने लगी राहुल के बिल्कुल करीब पहुंच गई और जैसे ही राहुल के लंड को पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाएं तभी उसके मोबाइल की घंटी बजने लगी। और वह मोबाइल को उठाने के लिए वापस घूम गई और सामने पड़े टेबल पर अपना मोबाइल लेने के लिए चहल-कदमी करने लगी उसे जाते हुए देखकर राहुल का मन डोलने लगा। नीलू की गोरी गोरी मटकती हुई गांड को देखकर राहुल जोर-जोर से अपने लंड को मुठीयाने लगा। तभी नीलू ने फोन उठा ली। उसकी बातों से पता चल रहा था कि फोन उसकी मां का ही था। और वह 10:00 बजे से पहले आने वाली नहीं थी। अपने मां की बात को सुनकर नीलू मन ही मन बहुत प्रसन्न हुई। वह आज इस मौके का भरपूर फायदा उठा लेना चाहती थी वैसे भी उसके मन की बात तो पूरी हो चुकी थी लेकिन फीर भी उसके पास समय बहुत था तो उसके मन में यही चल रहा था कि चलो ना क्यों ना आज राहुल की ताकत का पूरी आजमाइश कर ली जाए। और वह मोबाइल बात करने के बाद टेबल पर ही रख दी नीलू की गांड राहुल की तरफ थी। जिस पर राहुल की नजर बराबर बनी हुई थी नीलू ने अपनी एक टांग को उठाकर टेबल पर रख दी और अपनी गांड का उभार बढ़ाते हुए राहुल की तरफ कर दी। नीलू बड़े ही कामुक अदा से राहुल को इशारा करके अपने पास बुलाने लगी। वह उंगली से अपनी बुर को रगड़ते हुए राहुल को अपने पास बुला रही थी। नीलू के ईस इशारे को राहुल अच्छी तरह से समझ गया। और वह तुरंत बिस्तर पर से उठा और सीधे नीलु की गांड के पीछे जाकर खड़ा हो गया नीलू की बुर से काम रस टपक रहा था। राहुल अच्छी तरह से जानता था कि उसे क्या करना है और उसने अपने लंड कै सुपाड़े को पीछे से नीलू की बुर से टिका दिया , एक बार फिर से राहुल और नीलू एक हो गए राहुल ने खड़े-खड़े ही नीलू को तारों की सेर करा दी। एक बार फिर से पूरे कमरे में नीलू की गरम सिसकारी गूंजने लगी। 
राहुल ने भी मौके का पूरा फायदा उठाया और इसके बाद भी दो राउंड और नीलू की जमके चुदाई कीया।
नीलू राहुल की ताकत को देखकर एकदम दंग रह गई।
नीलू राहुल से चुदवाकर पूरी तरह से थक चुकी थी। करीब 9:00 बजे दोनों ने कपड़े पहन लिया और नीलू राहुल को उसके घर के करीब चौराहे तक छोड़ कर वापस चली गई।

राहुल बहुत ही खुश नजर आ रहा था वह घर पर जैसे ही पहुंचा तो उसकी मां दरवाजे पर खड़ी उसका इंतजार कर रही थी। राहुल को देखते ही वह सवालों की झड़ी बरसाने लगी।

कहां रह गया था राहुल इतनी देर लगाते मुझे कितनी फिक्र हो रही थी तुझे मालूम है कब से तेरा इंतजार कर रही हूं तेरी राह देखते देखते सोनू भी अभी तक खाना नहीं खाया है। 
( अपनी मां के सवालों का जवाब देते हुए राहुल बोला)

सॉरी मम्मी पार्टी में देर हो गई मैं तो कब से आ जाना चाहता था लेकिन उसी ने मुझे रोके रखा था। मेरी वजह से आप लोगों को तकलीफ हुई उसके लिए माफी मांगता हूं। अब चलो जल्दी से खाना परोस दो मुझे भी भूख लगी है। 
( राहुल की मम्मी आश्चर्य जताते हुए बोली।)

भूख लगी है तू तो पार्टी में खा कर आया होगा ना फिर भी तुझे भूख लगी है।( इतना कहकर हसने लगी)
अरे मम्मी आप तो जानती हो कि मुझे बाहर का खाना पसंद नहीं है और वैसे भी मैं बाहर भले ही खा लो लेकिन जब तक आप के हाथ का बना खाना नहीं खाता मेरी भूख ही नहीं मिटती।

चलो अच्छा अब बातें मत बनाओ जल्दी से हाथ पैर धो कर आ जाओ। ( राहुल हाथ पैर धोकर फ्रेश होने चले गया और उसकी मम्मी रसोई घर में खाना परोसने चली गई। राहुल हाथ पैर धोते हुए नीलू के संग बिताए पल के बारे में सोचने लगा वह मन ही मन में बोल रहा था कि आज का दिन कितने अच्छे से गुजरा। सुबह से ही सब कुछ मेरे मन का ही हो रहा था सुबह सुबह जब बाथरूम का दरवाजा खोला तो अंदर मम्मी को देख कर मेरा लंड ही टनटनाकर खड़ा हो गया था। मैं कभी सोचा नहीं था कि मैं मम्मी को इस हाल में भी देख पाऊंगा।
सच में मम्मी पेशाब करते हुए एकदम कामदेवी लग रही थी। उनकी बड़ी गोरी गोरी चोड़ी गांड को देखते ही मेरा मन तो कर रहा था कि पीछे से जाकर लंड घुसा दुं। ऊफ्फ..... मम्मी भी बहुत सेक्सी लगती है । नीलू ने तो पूरी कसर ही निकाल ली थी। कसम से विनीत की भाभी से जो मैं क्या मिला था वैसा ही मजा नीलू ने आज मुझे दी थी। सच में नीलू की गोरी गोरी गांड देख कर तो ऐसा लगने लगा था कि वह सीधे ही मेरे कलेजे पर छुरीया चला रहीे हो। ( राहुल यह सब अपने आप से ही कहते हुए टॉवल से अपना हाथ पोछ रहा था। तब तक उसकी मां ने खाना परोस चुकी थी'। देर होने पर उसने तुरंत राहुल को फिर से आवाज लगाई इस पर राहुल भागता भागता रसोई घर में आया , भोजन करने के लिए राहुल जमीन पर बैठ गया और उसकी मां उसके आगे पड़ोसी हुई थाली बढ़ाते हुए बोली।) 
कितना समय लगा दिया, तेरा ध्यान लगता है कहीं और भटकने लगा है इसलिए ए सब कर रहा है ना। 
( अलका का मतलब रसोई घर में हुई हरकत और बाथरुम मै हुई हरकत से था लेकिन इस बात को राहुल समझ नहीं पाया वह बिना कुछ बोले भोजन करने लगा। थोड़ी देर में तीनों ने भोजन कर लिया और अपने अपने कमरे की तरफ चल दीए। अलका पहले ही की तरह बर्तन को साफ करके रसोई घर में साफ सफाई करके वह भी अपने कमरे में चली गई।
बिस्तर पर पड़ते ही उसे भी सुबह वाली घटना याद आ गई। इतना पक्के तौर से तो वह नहीं कह सकती थी की उसको पेशाब करते हुए उसका ही बेटा उसे चोरी से देख रहा था। लेकिन जब वह बाहर निकली थी तो दरवाजे पर ही राहुल खड़ा था और उसने उसके पेंट में बने उभार को देखी थी। राहुल के पेंट में बने उभार की वजह से अलका को इस बात का शक हो रहा था कि वह जरूर उसे चोरी छुपे पेशाब करते हुए देख रहा था। तभी उसके पेंट मे उसका लंड तन गया था। और वैसे भी तो बाथरूम का दरवाजा खुला ही था। यही सब सोच-सोचकर अलका हैरान हुए जा रही थी की क्या वाकई में राहुल अब बड़ा हो चुका है। क्योंकि उसकी उम्र को देखते हुए उसकी हरकतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। क्योंकि जिस तरह से रसोई घर में उसने उसे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ते हुए अपने पैंट में मैंने तंबू को उसकी गांड के बीचोबीच धंसाया था।
यह नहीं कहा जा सकता था कि उस से यह गलती अनजाने में हुई थी। वैसे भी वह जीस उम्र के पड़ाव पर था उस उम्र में अक्सर लड़कों का खिंचाव लड़कियों और औरतों के प्रति ज्यादा होने लगता है। रसोईघर वाली घटना को याद करके अलका की जांघो को बीच रिशाव सा महसुस होने लगा था। और सुदामा की घटना को याद करके तो उसका पूरा बदन गनंगाना गया था। भले ही अलका को इस बात से हैरानी थी कि उसका ही बेटा उसे पेसाब करते हुए देख रहा था लेकिन इससे भी ज्यादा उसे रोमांच भी हो रहा था। क्योंकि उसके दिमाग में उन्माद ने अपना कब्जा जमा लिया था।
सोचने समझने की शक्ति को एकदम छीण कर दिया था।
वरना इस बात को लेकर व राहुल को जरूर डालती ताकि ऐसी गलती को दुबारा ना करें लेकिन दिमाग में छाई उन्माद की वजह से उसके सोचने समझने का तरीका ही बदल गया। अब वह इस बात को सोचकर उत्तेजित हुए जा रही थी कि क्या सच में राहुल उसे पेशाब करते हुए देख रहा था। क्या उसने जान बुझ कर दरवाजा खोला था,या उसे पता नहीं था और अनजाने में ही दरवाजा खुल गया था। नहीं ऐसा नहीं था अगर उसे अनजाने में ही दरवाजा खुला होता तो वह सीधा अंदर तक आ चुका होता और वह बाहर ही खड़ा था इसका मतलब वह जरूर उसे पेशाब करते हुए ही देख रहा था।
( अलका यह सब सोच सोच कर मस्त हुए जा रही थी। और वह धीरे धीरे अपने गांऊन को ऊपर उठाने लगी। वासना और उन्माद की वजह से उसने अपनी गाउन को कमर तक खींचकर सरका दी थी। उसकी गरम हथेली उसकी तपती हुई बुर पर रगड़ खा रही थी। वह अपनी बुर को मसल रही थी और सुबह वाली घटना को याद कर कर के ढेर सारी बातें बना रही थी।) 
राहुल अगर उसे पेशाब करते हुए देख रहा था तो क्या देख रहा था। क्या वह उसकी बड़ी बड़ी और गौरी गांड को देख रहा था, जरूर वह गांड को ही देख रहा होगा क्योंकि उस दिन भी वह पीछे से उसकी गांड पर ही अपने लंड को चुभा रहा था। वैसे भी वह खुद ही जानती थी कि उसकी गांड कुछ ज्यादा ही बड़ी और गोल गोल थी अक्सर रास्ते में आते जाते लोग उसे अपनी वासनामई और खा जानेवाली नजरों से घूरते रहते थे खास करके उसकी मदभरी बड़ी-बड़ी गांड को ऐसे घुरते थे की अगर मौका मिल जाए तो सब कुछ कर डाले। इसलिए उसे पक्का यकीन था कि राहुल भी उसकी गांड को ही देख रहा होगा।( अपने बेटे के बारे में उन्माद से भरी बातों को सोचते हुए उसने अपनी एक उंगली को बुर में प्रवेश कर दी और उंगली को अंदर बाहर करते हुए दूसरी बातों को सोचने लगी।) क्या राहुल ने उसकी बुर को( बुर का ख्याल आते ही उसका उन्माद और ज्यादा बढ़ गया और उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।) देखा होगा अगर उसकी नजर सच मे उसकी बुर पर पड़ी होगी तो वह उसमे से पेशाब निकलते हुए भी जरुर देखा होगा। पेशाब करते हुए देख कर वह क्या सोच रहा होगा। पेशाब करते समय बुर से आ रही सीटी की आवाज जरूर उसके कानों में पड़ी होगी। और वह सिटी की आवाज को सुनकर जरूर पागल हो गया होगा, उसके पापा भी पेशाब करते समय दूर से आती थी थी की आवाज को सुनकर एकदम पागल हो जाया करते थे और उसके बाद एक दम मस्त हो कर जो उसकी चुदाई करते थे कि दूसरे दिन तक लंगड़ा कर चलना पड़ता था। राहुल भी उनकी तरह ही मस्त हो गया होगा तभी तो उसके पेंट का उभार इतना ज्यादा बढ़ चुका था।( अलका यह सब सोच कर पागल हुए जा रही थी वह गर्म सिसकारी भरते हुए बहुत ही तीव्र गति से उंगली को अपनी बुर के अंदर बाहर कर रही थी। अपनी बुर में उंगली करते हुए वह आहें भरते हुए अपनी आंखों को मुंद ली थी। उसकी आंखों के सामने बार-बार राहुल के पेंट में बना उभार ही नाच रहा था जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उस की उत्तेजना इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि उसने एक उंगली के साथ साथ अपनी दूसरी ऊंगली को भी बुर में घुसेड़ दी। अब वह अपनी गांड को उचकाते हुए अपनी बुर को उंगली से चोद रही थी। थोड़ी ही देर में उसने हल्की सी चीख के साथ झड़ना शुरु कर दी। भलभलाकर. उसकी बुर से मदनरस निकल रहा था। थोड़ी ही देर मै वह शांत हो गई।और फिर आंखों को मुंद कर सो गई।
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