Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:27 PM,
#31
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
ससससससहहहहहहह....राहुल.... बड़ा तगड़ा लंड है रे तेरा... तूने तो मेरी बुर.. को फैला ही दिया... बस बेटा अब तू अपने लंड को युं ही मेरी बुर में अंदर बाहर करके चोद.... चोद मेरे राजा....( विनीत की भाभी की बातें सुनकर राहुल का जोश बढ़ गया ओर जेसा वीनीत की भाभी बोली थी ठीक वैसे ही उसने अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा... और फिर से एक जबरदस्त करारा धक्का बुर के अंदर लगाया... ल़ंड फिर से सब कुछ चीरता हुआ वापस वीऩत की भाभी के बच्चेदानी से टकराया... और फिर से इस बार वीनीत की भाभी के मुंह से सिसकारी के साथ उसकी आह निकल गई। विनीत की भाभी की आह सुनकर राहुल को बहुत ज्यादा आनंद प्राप्त हो रहा था। उसे आज पहली बार एहसास हुआ कि बुर क्या चीज होती है. राहुल पसीने पसीने हो गया था बुर की गरमी लंड से होते हुए उसके पूरे बदन को तपा रही थी। राहुल अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था उसे ऐसा लगने लगा था कि बुर की गर्मी में कहीं उसका लंड तपकर गल ना जाए.. उसे नहीं मालूम था कि वाकई मे बुर इतनी गर्म होती है। .....( दोबारा अपनी बुर में करारा धक्का खाकर वीनीत की भाभी बोली।)

बस बेटा इसी तरह से चोद मुझे फाड़ दे मेरी बुर को समा जा मेरी बुर में ...जैसे तेरा मन करता है वैसे मुझे चोद़ ...मेरी प्यास बुझा दे खुजली मिटा दे मेरी बुर की...( वीनीत की भाभी चुदवासी हो कर जो मन में आ रहा था वह बड़बड़ाए जा रही थी। और विनीत की भाभी के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर राहुल के बदन में नशा सा होने लगा था उसका जोश दुगना हो चला था। और उसने फिर से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा और वापस अंदर की तरफ ठुंस दिया... अब राहुल का लंड वीनीत की भाभी की बुर

अब राहुल का लंड वीनीत की भाभी की बुर में अंदर बाहर होने लगा था वह अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए वीनीत की भाभी को जबरजस्त धक्कों के साथ चोद रहा था। कुछ ही देर में राहुल की सिसकारी छूटने लगी' अब राहुल को एहसास हो रहा था कि चुदाई करने में कितना मजा आता है। 
विनीत की भाभी कुछ ज्यादा ही प्रसन्न नजर आ रही थी जबरदस्त चुदाई के कारण उसका चेहरा तमतमा गया था। पहली बार वीनीत की भाभी को चुदाई का असली मजा मिल रहा था। राहुल का लंड सटा सट बुर के अंदर बाहर हो रहा था। राहुल को तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि वह किसी औरत को चोद रहा है। इतनी जल्दी उसे ये शुभ अवसर मिलेगा यह सच में उसके लिए यकीन के बाहर था। 
कुछ ही देर मे बुर से फच्च फच्च की आवाज आने लगी। लेकिन यह आवाज पुरे कमरे एक मधुर संगीत की तरह बजने लगी। कमरे का पूरा वातावरण संगीतमय हो गया था। 
राहुल का हर धक्का जबरदस्त पड़ रहा था, हर धक्के के साथ पूरा पलंग हचमचा जा रहा था वाकई मे राहुल के लंड का प्रहार वीनीत की भाभी की बुर मे ईतना तेज हो रहा था की खुद वीनीत की भाभी भी आगे की तरफ सरक जा रही थी। तभी चोदते हुए राहुल की नजर उस की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चुचियों पर पड़ी' और उससे रहा नहीं गया उसने अपनी दोनों हथेली को भाभी के दोनों खरबूजों पर रख दिया ' चूचियों पर हथेली पड़ते ही राहुल पूरी तरह से गनगना गया उसके बदन में इतना ज्यादा जोश बढ़ गया कि वह जोर जोर से चूचियों को मसलने लगा। इससे विनीत की भाभी का मजा दुगुना हो गया ।
वीनीत की भाभी दोनों जाँघों को फैलाकर राहुल के लंड को बड़ी तेजी से अपनी बुर के अंदर बाहर ले रही थी। 
वीनीत की भाभी दुसरे पॉजीशन मे चुदवाना चाहती थी लेकीन राहुल ईतना मस्त चुदाई कर रहा था की वह एक पल भी बिना लंड के गंवाना नही चाहती थी। ईसलिए वह ईसी पॉजीशन मे चुदवाने का मजा लेती रही। 
करीब ३५ मिनट की चुदाई के बाद वीनीत की भाभी की सिसकारीयों की आवाज बढ़ने लगी .. वीनीत की भाभी अब चरमसीमा की तरफ बढ़ने लगी थी। पुरे कमरे मे उसकी सिसकारीयां गुंजने लगी।

आहहहहहह...राहुल.... ओर जोर से...ऊममममममम...।ओह मेरे राजा...चोद मुझे....आहहहहह.....
( ओर थोड़ी ही देर मे वीनीत की भाभी ने राहुल को अपनी बांहो मे कस के भींच ली.... ओर सिसकारी भरते हुए अपना मदन रस की पिचकारी छोड़ दी.. राहुल भी कुछ ही देर मे अपने लंड की पिचकारी वीनीत की भाभी की बुर मे छोड़ दीया ओर भाभी के ऊपर ही ढह गया।

राहुल अपने गर्म पानी का बौछार विनीत की भाभी की बुर में करके निढाल होकर उसके ऊपर पड़ा था। दोनों हांफ रहे थे, विनीत की बात भी तो अभी भी राहुल को अपनी बाहों में कसी हुई थी मेरा मुन्ना राम और बड़ी बड़ी चूचियां राहुल के छातियों से दबी हुई थी जिसकी निकोली निप्पले सुई की तरह चुभ रही थी। 
आज बरसों के बाद विनीत की भाभी सावन का बादल बनके राहुल के ऊपर बर्सी थी। राहुल का लंड अभी भी वीऩत की भाभी की बुर में समाया हुआ था जिस में से दोनों का मिला जुला काम रस बुर से होता हुआ उसकी गांड की किनारी पकड़ कर बिस्तर को भिगो रहा था। वासना का तूफान थम चुका था लेकिन दोनों की सांसे अभी भी गहरी चल रही थी। राहुल आंख मुंदे उसकी छातियों पर पड़ा था। चुचियों की गर्माहट उसे बहुत ही शांति पहुंचा रही थी । चुचियों का स्पर्श उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था। 
विनीत की भाभी को राहुल पर बहुत ज्यादा प्यार उमड़ रहा था वह अपनी उंगलीयो से उसके बालों को सहला रही थी। और प्यार उमड़े भी क्यों ना उसने जो आज चुदाई का असीम सुख उसे दिया था वह आज तक किसी मर्द ने उसे नहीं दे पाया था। इसलिए तो वह इतनी गर्म सिसकीरीयां ले लेकर उस से चुदवा रही थी कि राहुल का तो दिमाग ही ठनठना गया था। 
औरत एैसी अजीब-अजीब चुदवाते समय जोश से भरी हुई आवाजे निकालती है इसका ज्ञात राहुल को इसी समय चला था। राहुल को सिसकारियों की आवाज इतनी ज्यादा सुमधुर लगी थी कि उसकी कानों में अभी भी वो आवाजे ही गुंज रही थी। राहुल के बालों को सहलाते हुए विनीत की भाभी बोली।

राहुल आज मैं बहुत खुश हूं आज तुमने ईस प्यासन को अपना गरम जल पिलाकर.. तृप्त कर दिया है।आज मेरी बुर ने जानी है की असली लंड क्या होता है.( राहुल उसकी चूचियों पर ही लेटा रहा) राहुल पहली बार की ही चुदाई में तूने मुझे दो बार झाड़ दिया.
( राहुल उसकी बातें सुनकर मन ही मन खुश हो रहा था और मन ही मन विनीत की भाभी को धन्यवाद भी कर रहा था उसने जो उसे आज दी थी उसे से राहुल की पूरी दुनिया ही बदल गई थी।
कुंवारे लंड का मालिक राहुल अब कुंवारा नहीं रह गया था अब एक लड़के से मर्द बनने का सफर उसका शुरू हो चुका था। राहुल के कानों में तो बार-बार विनीत की भाभी की सू मधूर सिसकारियां गूंज रही थी। वह मन ही मन में सोच रहा था कि कैसे वीनीत की भाभी चुदवाते समय गरम गरम सिसकारियां और आहे भर रही थी।
विनीत की भाभी के बदन के ऊपर से राहुल का उठने का मन ही नहीं कर रहा था वीनीत की भाभी का गुदाज बदन उसे डनलप का गद्दा लग रहा था। 
अच्छा तो विनीत की भाभी को भी लग रहा था वह दोनो नग्न अवस्था में एक दूसरे से चिपके बिस्तर पर लेटे हुए थे भला एक कामुक औरत के लिए इससे अच्छा पल और कौन सा हो सकता है। लेकिन फिर भी बिस्तर पर पीठ के बल लेटे लेटे राहुल के धक्को को सहन करते करते उसकी पीठ दर्द करने लगी थी' इसलिए ना चाहते हुए भी उसने राहुल को अपने ऊपर से उठाते हुए खुद उठने लगी, आखिरकार राहुल भी कब तक उसके ऊपर लेटे रहता वह भी उठने लगा लेकिन राहुल का लंड अभी वीनीत की भाभी की बुर में फंसा हुआ था। जिस पर दोनों की नजर आकर टीक गई, दिनेश की भाभी बड़ी उत्सुकता से अपनी बुर की तरफ देख रही थी जिसमें कि राहुल का लंड घुसा हुआ था अभी भी उसे अपनी बुर में राहुल के लंड़ के कड़कपन का एहसास हो रहा था। अपने लंड को वीनीत की भाभी की बुर में घुसा हुआ देखकर एकबार फीर से राहुल का मन डोलने लगा। एकबार फीर चुदाई के इस अद्भुत खेल को खेलने की उसकी इच्छा प्रबल हो गई। राहुल अपने लंड कों वीनीत की भाभी की बुर से निकालना नहीं चाहता था' विनीत की भाभी को उसके कड़कपन का अहसास अपनीे बुर में बराबर हो रहा था वह एकदम से हैरान हो रही थी कि पानी निकलने के बाद भी उसका लंड तनिक भी ढिला नहीं पड़ा था। फिर भी राहुल बेमन से अपने लंड को बुर के अंदर से बाहर की तरफ खींचा, लंड बुर की दीवारों में रगड़ खाता हुआ गप्प की आवाज करता हुआ बुर के बाहर निकल गया। लंड को देखकर वीनीत की भाभी का भी मन फीर से डोल गया। लेकिन दिन आपकी भाभी को जोरों से पेशाब लगी थी इसलिए वह राहुल को बोली।

राहुल तुम ही खड़े रहो मुझे जोरों की पेशाब लगी है मैं पेशाब करके आती हूं।( दिनेश की भाभी की यह बात सुनकर राहुल का लंड एक बार ठुनकि मारा जिस पर वीनीतं की भाभी की नजर पड़ गई वह मन ही मन मुस्कुराते हुए रूम से अटैच बाथरूम की तरफ बढ़ गई। 
विनीत की भाभीें संपूर्ण नग्नावस्था में ही चलते हुए बाथरुम की तरफ जा रही थी जिसे पीछे से देखकर राहुल का लंड टनटना के और भी ज्यादा टाइट हो गया- मटकती हुई बड़ी बड़ी गांड देखकर राहुल के मुंह में पानी भर आया .. राहुल वहीं खड़े खड़े वीनीत की भाभी को बाथरूम में जाते हुए देख रहा था। विनीत की भाभी बाथरुम के अंदर जाकर कुछ सेकंड खड़ी ही रही राहुल को लगा कि वह दरवाजा बंद करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ विनीत की भाभी एक बार पीछे की तरफ राहुल को देखि जो कि वह उसी को देख रहा था और वीनीत की भाभी बिना किसी शर्म के राहुल की तरफ देखते हुए एक बार फिर मुस्कुराई और एक बार बड़ी ही मादक अदा से अपने भारी भरकम गांड को पीछे की तरफ उभारकर वही राहुल देख सके इस तरह से बैठकर पेशाब करने लगी। वह इतना मादक दृश्य था कि राहुल अपनी नजरें चाह कर भी नहीं हटा पा रहा था। 
इस चुदास से भरे नजारे को देखकर राहुल का लंट ठुनकी मारने लगा। 
वीनीत की भाभी ने जानबूझकर दरवाजे को बंद नहीं की थी क्योंकि वह भी यही चाहती थी थी कि राहुल उसे पेशाब करता हुआ देखकर उत्तेजित हो' । वीनीत की भाभी भी बार बार पीछे मुड़कर राहुल की तरफ देख ले रही थी और राहुल को भी उसकी तरफ देखता हूआ पाकर उसका मन मयूर नाचने लगता था। 
जैसे उसकी बुर ने अपने गुलाबी पत्तियों के बीच से काम रूपी धुन छेंड़ दी हो इस तरह से एक मधुरमय संगीत पूरे कमरे में गूंज रहा था। बुर से आ रही सीईईईई.....सीईीईीईई ...करती सीटी की आवाज की बांसुरी की धुन से कम नही लग रही थी। 
कुल मिलाकर बहुत ही कामोत्तेजक और अतुल्य नजारा था। कुछ ही देर मे वह पेशाब करके बड़े ही मादक अदा से गांड मटकाते हुए खड़ी हुई और अपनी बड़ी बड़ी प पइया जैसी चूचियों को हिलाते हुए राहुल की तरफ आने ली, राहुल के पास पहुंचते है उसने राहुल के टनटनाए हुए लंड पर अपना हाथ रख दी। उसकी गर्म हथेली का स्पर्श अपने गरम लंड पर होते ही राहुल एकदम से गनगना गया। और वीनीत की भाभी उसके लंड को पकड़कर मुठीयाते हुए बोली। 
ओहहहह....राहुल.... तेरा टनटनाया हुआ लंड देखकर मे हैरान हुं..जानता हे क्यों? 
( राहुल ने ना मे सिर हिला दिया। राहुल का जवाब सुनकर विनीत की भाभी ने अपनी हथेली को लंड पर और ज्यादा कसते हुए।)
राहुल अगर लंड से एक बार पानी निकल जाए तो लंड ढीला पड़ जाता हे ओर ईतने जल्दी खड़ा नही होता हे। 
( राहुल के लंड को मुठ़ीया ही रही थी।) लेकीन तुम्हारा लंड ( ईतना कहने के साथ ही गरम सिसकारी लेते हुए) ससससससहहहहहह....राहुल...तेरा लंड तो झड़ने के बाद भी बिना ढीला हुए अभी तक खड़ा है...राहुल तेरी ताकत देखकर मेरी बुर फीर से तुझसे चुदने के लिए पनीया रही है। ( वीनीत की भाभी की ऐसी बातें सुनकर फिर से राहुल का मन मचल उठा. राहुल खुद उसे फिर से चोदना चाहता था लेकिन यह बात कह नहीं पा रहा था. विनीत की भाभी की एसी ही ख्वाहिश सुन कर उसका मन प्रसन्नता से भर गया। राहुल का जवाब सुने बिना ही वीनीत की भाभी पलंग की तरफ बढ़ी और अपना एक घुटना बिस्तर पर रख के आगे की तरफ घोड़ी बन कर झुक गई। राहुल तो कुछ समझ हीें नहीं पाया की यह कर क्या रही है। घोड़ी बने हुए यह पीछे की तरफ नजर घुमाकर राहुल को देख रही थी । लेकिन राहुल था कि वैसे ही लंड टाइट करके खड़ा था। दिनेश की भाभी उसके अनाड़ीपन को समझ गई और राहुल से बोली।
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10-09-2018, 03:27 PM,
#32
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राहुल तुम्हें मेरी (अपने हाथ को पीछे ले जाकर अपनी बुर की तरफ इशारा करके)बुर दिखाई दे रही है ना।( राहुल भी अपनी नजरों को थोड़ा सा नीचे की तरफ झुका कर उसकी बुर को देखते हुए हां मैं सिर हिलाया)
इसी में तुम्हें मेरे पीछे ं आकर खड़े खड़े ही लंड डालकर मेरी चुदाई करनी है। ( यह सब देखकर राहुल तो पहले से उतावला हो चुका था वह तुरंत उसके पीछे आकर खड़ा हो गया , राहुल को पीछे से उसकी गदराई हुई और ऊभरी हुई गांड और भी ज्यादा बड़ी लग रही थी । यह देखकर राहुल से रहा नहीं गया और उसने अपने दोनों हथेली को उसके बड़े बड़े खरबूजों पर रखकर दबाने लगा। राहुल का लंड एकदम टाइट खड़ा था इसलिए उसका सुपाड़ा उसकी गांड की दरार के ईर्द गिर्द रगड़ खा रहा था। जिससे वीनीत की भाभी और ज्यादा चुदवासी हुई जा रही थी। वीनीत की भाभी से रहा नही गया ओर उसने खुद अपना हांथ पीछे ले जाकर लंड को थामी ओर उसके सुपाड़े को बुर के छेंद पर टीकाकर राहुल को धक्का लगाने के लिए बोली। राहुल तो पहले से ही उतावला था। उसने भी अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का लगाया ओक उसका लंड पहले से ही पनियायी बुर में घुसता चला गया। दोनों थोड़ी देर में फिर से एकाकार हो गए। । विनीत की भाभी की गरम सिस्कारियों से फीर से पूरा कमरा गूंज उठा। जांघो से जाँघ टकरा रही थी जिसकी ठाप से कमरे का पुरा माहोल मादक हो गया था। राहुल तो बस बिना रुके ही अपना मुसल जेसा लंड वीनीत की भाभी की बुर मे पेले जा रहा था। दोनो चुदाई का मजा लुट रहे थे। कभी कभी धक्के ईतने तेज लग जा रहे थे की वीनीत की भाभी आगे की तरफ लुढक जा रही थी लेकीन राहुल उसकी कमर को थाम कर धक्के लगाते हुए चोद रहा था। करीब बीस मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनो की सांसे तेज चलने लगी ' ओर कुछ ही धक्को मे दोनो अपना कामरस बहाते हुए हांफ रहे थे। ।
वीनीत की भाभी ओर राहुल दोनो बहोत खुश थे। राहुल तो आज पहली बार ईस अद्भुत सुख से परीचीत हो रहा था। 
दोनो कपड़े पहन चुके थे 'राहुल अपनी नोटबुक ले लिया था। वीनीत की भाभी ने उसकी नोटबुक पर अपना नम्बर लिख कर दी थी। राहुल वीनीत के घर से बाहर निकल आया।

राहुल जा चुका था वीनीत की भाभी ने दरवाजे को बंद करके सोफे पर आकर धम्म से बैठ गई। उसके रोम रोम मे पूरे बदन में मीठा मीठा दर्द हो रहा था। उसे साफ-साफ एहसास हो रहा था कि उसकी बुर की फाँके कुछ ज्यादा ही खुल चुकी थी। वह जानती थी की राहुल का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा था। उसके लंड के बारे में सोचते ही विनीत की भाभी का पूरा बदन अजीब से सुख की अनुभूति करता हूंआ गनगना जा रहा था। आज पूरे तीन चार घंटे तक राहुल से चुदवाकर पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी।
आज पहली बार ही उसके साथ चुदवाकर चुदाई का सुख ली थी लेकिन अगली मुलाकात के लिए अभी से तड़पने लगी थी मन ही मन मे सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि उसने वीनीत को तीन चार घंटे के लिए बाहर भेज दी थी वरना आज ऐसा अतुल् एहसास का अनुभव कभी नहीं कर पातेी। आज वह बहुत खुश थी। 

शाम ढल चुकी थी रात गहरा रही थी राहुल खाना खाकर अपने कमरे में लेटा हुआ था आज उसका कुंवारापन खो चुका था लेकिन इस कुंवारेपन के खोने का जरा सा भी गम राहुल को नहीं था े । राहुल को ही क्यों सारी दुनिया के मर्दो को इस को खोने का जरा सा भी ग़म नहीं होता बल्कि दुनिया का हर मर्द अपना कुंवारापन लूटाने के लिए हमेशा बेताब रहता है।
वीनीत की भाभी को याद करके राहुल का लंड खड़ा होने लगा था। आज उसे एहसास हो गया था कि बुर में जो मजा आता है वह दुनिया की किसी चीज में नहीं आता*। 
राहुल संभोग के सुख को प्राप्त करके आनंदित हो चुका था आज पहली बार उसने अपने लंड का सदुपयोग किया था वरना अब तक सिर्फ मुत्र त्याग और हिलाने के ही काम में आता था। कसी हुई बुर की गर्मी अब तक उसे अपने लंड पर महसूस हो रही थी। जिस तरह से वीनीत की भाभी राहुल से दोबारा मुलाकात के लिए तड़प रही थी ठीक उसी तरह राहुल भी वीनीत की भाभी के साथ दूसरी मुलाकात के लिए तड़प रहा था वह मन ही मन में सोच रहा था कि ना जाने कब भाभी से कब मुलाकात होगी।
विनीत की भाभी के बारे में सोचते हुए राहुल का हाथ कब उसके पजामे में जाकर टनटनाए हुए लंड को थाम लिया उसे पता ही नहीं चला। उसने अपनी मुट्ठी को लंड पर एकदम भींच लिया और आंखों को बंद करके हिलाते हुए विनीत की भाभी की कसी हुई बुर के बारो मे सोचते हुए मुठ मारने लगा। और कुछ ही देर में हांफते हुए लंड का पानी पजामे में ही गिरा दिया। 


कुछ दिन तक यूं ही चलता रहा राहुल हमेशा विनीत की भाभी के ख्यालों में ही खोया रहता था। पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता था और दूसरी तरफ नीलू थी जो कि राहुल के आगे पीछे लट्टु बनकर फिरा करतीे थी। लेकिन कुछ दिनों से उसे भी मौका नहीं मिला था कि राहुल से संबंधों को आगे बढ़ाया जा सके। सब अपनी अपनी धुन में मस्त थे। 

एक दिन अलका अपनी ऑफिस में बैठकर कंप्यूटर पर कुछ फाइले सबमिट कर रही थी। बाहर का मौसम खराब हो रहा था। हल्की फुल्की बूंदाबांदी हो रही थी,
अलका के मन में घबराहट सी हो रही थी क्या कल बारिश तेज होने लगी तो घर कैसे पहुंचेगी क्योंकि रास्ते में घुटनों तक पानी भर जाता था ऐसे में चल पाना बड़ा मुश्किल होता था और तो और पानी में अलका को डर भी लगता था' उनका यही सब सोचते हुए कंप्यूटर के बटन को बड़ी तेजी से दबाए जा रही थी ताकि काम जल्द से जल्द खत्म हो। 
अभी अलका एक मुसीबत के बारे में सोच ही रही थी कि तब तक दूसरी मुसीबत भी सामने कुर्सी पर आकर बैठ गई। 
और बताइए मैडम जी क्या हाल है( हाथ में कॉफी का मग पकड़े शर्मा जी कुर्सी पर बैठते हुए बोले।) 

ठीक है शर्मा जी।( अलका भी औपचारिक वश शर्मा जी की तरफ बिना देखे ही कंप्यूटर पर बटन दबाते हुए बोली।) 

आजकल आप हमारी तरफ जरा भी गौर नहीं कर रही है मैडम जी। ( कॉफी की चुस्की लेते हुए शर्मा जी बोले)

( अलका वैसे ही अपने काम में मग्न होते हुए बोली।) 

शर्मा जी हम सिर्फ यहां अपने काम पर गौर करने आते हैं किसी आलतू फालतू चीज पर नहीं।
( अलका का जवाब सुनकर शर्मा जी बुरा सा मुंह बनाने लगे । लेकिन अपनी वासनामई नजरों को अलका के मधुशाला की दोनों छलकते हुए पैमानो पर बराबर गड़ाए हुए थे। इस बात से अलका बिल्कुल अंजान थी क्योंकि वह शर्मा की तरफ ज्यादा ध्यान दे ही नहीं रही थी पर वह अपने काम में इतनी ज्यादा खो गई थी कि उसका आंचल के कंधे से लड़ा कर कब नहीं चाहिए आ गया इसका पता ही नहीं चला। और इसी बात का फायदा शर्मा जी उठाते हुए अलका की पड़ी पड़ी चूचियों के बीच की गहराई को आंखों से ही नाप रहे थे।
बड़ी बड़ी चुचियों को अधनंगी देखकर शर्मा जी के बुढ़े लंड में भी तनाव आना शुरु हो गया। अलका तो पूरी तरह से अपने काम मे खोई हुई थी उसे यह कहां पता था कि उसके दोनों छलकते हुए पैमानों को कोई अपनी आंखों से ही पी रहा है। शर्मा जी के मुंह में पानी भर आया था अलका के मदमस्त बदन उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और मटकती हुई गांड को देख देखकर वह तड़पता रहता था और उसकी याद में घर जाकर रोज मुठ मारा करता था। 
शर्मा जी अभी भी बेशर्मों की तरह कॉफी की चुस्की लेते हुए अलका की छातियों को ही निहारे जा रहा था। 
लास्ट फाइल सबमिट करने के बाद जैसे ही अलका का ध्यान अपनी छातियों पर गयी और उसने अपने छातियों को खुला पाई तो उसकी नजर सामने बैठे शर्मा जी पर पड़ी जो की ललचाई आंखों से उसकी चूचियों को ही घूर रहा था'अलका ने झट से अपने पल्लू को दिल तो करते हुए अपनी छातियों को ढकते हुए गुस्से मे बोली।

शर्मा जी आप जाकर अपना काम कीजिए युं दूसरों को परेशान करने मत चला आया करिए। ( अलका का गुस्सा देखकर शर्मा जी झट से कुर्सी से उठ गए और बिना कुछ बोले वहां से हाथ मलते हुए अपनी केबिन में चले गए। अल्का का काम खत्म हो चुका था उसे घर जल्दी भी जाना था क्योंकि बाहर बारिश शुरु हो चुकी थी इसलिए उसने मैनेजर पर घर जाने की अनुमति मांगी और मैनेजर भी हवामान को देखते है उसे घर जाने की इजाजत दे दिया। अलका भी जल्दी-जल्दी अपना पर्स उठाई और ऑफिस के बाहर आ गई, हल्की हल्की बारिश शुरु हो चुकी थी। वह जानती थी कि वह भीग जाएगी लेकिन किया भी क्या जा सकता था इस मौसम का ठिकाना होता तो छतरी भी ले कर घर से बाहर आती लेकिन अब तो बिन मौसम ही बारिश होने लगती है। 
अलका मन में ही बड़बड़ाते हुए अपने कदम बढ़ा रही थी। बारिश की हाल्की ठंडी ठंडी बूदे धीरे धीरे करके उसके बदन को भिगोने लगी थी। वह कुछ दूर ही चली थी कि धीरे-धीरे करके उसके सारे कपड़े भीग गए।
रह-रहकर पवन का तेज झोंका उसके बदन मे सुरसराहट फैला जाता। अलका को मार्केट पहुंचते-पहुंचते वह बारिश के पानी में पूरी तरह से तरबतर हो चुकी थी और बारिश थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी । सड़को पर पानी धीरे धीरे करकेे घुटनों से नीचे तक बहने लगा था । अलका की परेशानी बढ़ते जा रही थी। 
साड़ी गीली हो कर उसके मादक बदन पर चिपकी हुई थी जहां से हल्के हल्के उसके अंग का प्रदर्शन हो रहा था। पूरी तरह से ब्लाउज के लिए होने की वजह से ब्लाउज के अंदर की काले रंग की ब्रा साफ साफ नजर आ रही थी पीठ की तरफ उसकी काली पट्टीी देखकर आने जाने वालों का लंड टाइट हो जा रहा था। साड़ी गीली होकर उसके बदन से एेसे चिपकी हुई थी की उसकी भरपुर मादक गांड का उभार और कटाव साफ साफ दीखाई दे रहा था। और वास्तव में अलका को बदन की प्राकृतिक सुंदरता को देख कर आने जाने वालों की नजरें एक पल के लिए उसके बदन पर ही चिपक जाती थी। अलका भीगे बदन में और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगी थी। घर पहुंचने की जल्दी में बिना आगे पीछे देखे झटाझट अपने कदमों को बढ़ाते हुए चली जा रही थी लेकिन रास्ते पर पानी घुटनों तक आ गया था जिसकी वजह से पैर को आगे बढ़ाने में तकलीफ हो रही थी। 
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10-09-2018, 03:28 PM,
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अलका को अब शर्म महसूस होने लगी थी , क्योंकि रास्ते का पानी घुटनों तक होने की वजह से उसे ना चाहते हुए भी अपनी साड़ी को घुटनों तक उठाना पड़ा जिससे उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलियां दिखने लगी थी। बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी रह रह कर बादलों की गड़गड़ाहट से उसका मन काँप उठ़ता था और कोई समय होता तो ऐसी बारिश में वो कभी नहीं निकलती लेकिन क्या करें मजबूरी थी घर पहुंचना था इसलिए उसे बारिश में निकलना ही पड़ा। पानी में अपने पैरों को घसीटते हुए वह आगे बढ़ ही रही थी कि तभी उसे पीछे से आवाज आई। 
आंटी जी... वो आंटी जीे ...थोड़ा रुकिए....
( उसे यह आवाज कुछ जानी पहचानी लगी इसलिए उसके कदम ठीठक गए , पीछे मुड़कर देखी तो विनीत था जो की छतरी लेकर उसकी तरफ ही बढ़े चले आ रहा था। उसे देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तेैर गई
विनीत को देख कर उसे क्यों इतनी खुशी हुई यह खुद वह नहीं जानती थी। इस खुशी के पीछे कोई लगाव कोई अपनापन या आकर्षण था ईसको बता पाना अलका के लिए भी बड़ा मुश्किल था। 
वीनीत छत्री ओढ़ै अलका के पास पहुंच गया और बोला
आंटी जी आप ऐसी बारिश में कहां से आ रहीे हैं? 

अरे बेटा मैं तो ऑफिस से आ रही हूं अब क्या करूं मुझे बारिश में बहुत ज्यादा डर लगता है लेकिन मजबूरी है इसलिए मुझे एसी बारिश में भी जाना पड़ रहा है। ( अलका विनीत के सवाल का जवाब देते हुए बोली. अलका को अब तक बहुत जल्दी पड़ी थी घर पहुंचने को लेकिन अलका भी शायद अंदर ही अंदर विनीत के प्रति आकर्षित होती जा रही थी। इसलिए तो ऐसी तूफानी बारिश में भी खड़ी हो गई थी। अलका के चेहरे पर और ज्यादा प्रसन्नता के भाव दीखाई देने लगे जब वीनीत ने छत्री को अपने ऊपर से हटाकर अलका के ऊपर कर दीया। अलका पुरी तरह से भीग चुकी थी लेकीन उस लड़के का अंदाज देखकर उससे कुछ. बोला नही गया। विनीत भीगा हुआ नहीं था लेकिन अपने ऊपर से छतरी हटाकर अलका के ऊपर रखने से वह भी बारिश में भीगने लगा । अलका उसे छतरी में आने के लिए कहने से शर्मा रही थी. दोनों घुटने तक पानी में दो ही कदम चले थे कि जोर से बादल गरजा और बादल के गरजने की आवाज सुनते ही अलका घबरा गई और उसने तुरंत विनीत को छतरी में आने के लिए कहीं।

विनीत तो जैसे अलका के कहने का इंतजार ही कर रहा था कि वह तुरंत क्षतरी में आ गया ओर जान बुझ के बिल्कुल अलका के बदन से सट गया लेकिन इस बात से अलका बिल्कुल अनजान थीे कि विनीत जानबूझकर उसके बदन से अपने बदन का स्पर्श करा रहा है। दोनों घुटनोे तक पानी में धीरे धीरे पैरों को लगभग घसीटते हुए आगे बढ़ रहे थे। अलका ने किस तरह से अपनी साड़ी को घुटनों तक उठाकर पकड़कर चल रही थी उसे देखकर किसी भी मर्द की इच्छा उसको चोदने के लिए मचल उठे उसकी इठलाती बलखाती कमर और बड़ी-बड़ी मटकती हुई गांड अच्छे अच्छो का पानी निकाल दे। विनीत तो रह रह कर अपनी नजरें नीचे करके उसकी गोरी नंगी पिंडलियो को देख कर अपनी आंखों को सेक ले रहा था, विनीत के साथ चलते हुए अलका का डर कुछ हद तक कम हो चुका था। अभी दोनों मार्केट में ही थे बारिश का जोर कुछ कम होता नजर आ रहा था लेकिन पानी अभी भी घुटनों तक ही था अभी भी दोनों को बहुत चलना था वैसे तो आम दिनों में अपने घर पहुंचने में अलका को सिर्फ 15 या 20 मिनट लगते थे लेकिन पानी भरे होने की वजह से आज शायद कुछ ज्यादा ही समय लग जाए। विनीत अलका के साथ बातों का दौर बढ़ा रहा था। और भी लोग थे जो सड़कों पर घुटनों तक पानी में आ जा रहे थे जब भी कोई बड़ी मोटर वहां से गुजरती तो पानी की लहरें दोनों को हक मचा देती ओर पानी का बड़ा सा गुब्बारा की तरह लहरों के साथ दोनों के बदन से टकराता तो दोनों गिरते गिरते बचते । अलका अगर अकेले ही होती तो लहरों की टक्कर से जरुर गिर जाती लेकिन विनीत बार-बार अलका को सहारा देकर संभाल ले रहा था। और अलका को संभालने मे वीनीत का हांथ अलका के बदन पर जहां तहां पड़ जा रहा था। एक हाथ में छतरी पकड़े अलका अपने आप को संभाल भी नहीं पा रही थी। विनीत उस को संभालने में कभी अपने हाथ को अलका की मांसल कमर तो कभी उसकी बांह पकड़ ले रहा था एक बार तो मौका देख कर वीनीत ने अलका को सभालने संभालने में अपनी हथेली को अलका कि बांह से निकालकर अलका की चूची पर ही रख दिया और मौका देख कर उसे हल्के से दबा भी दिया। 
अलका को विनीत की ये हरकत महसूस जरूर हुई लेकिन उसने यह सोच कर टाल दिया कि शायद अनजाने में ही वीनीत के हांथो ऐसी गलती हो गई होगी। 
लेकिन एकबारगी विनीत की इस हरकत से अलका के पूरे बदन में झनझनाहट सी फैल गई, चूचियों पर विनीत के हाथों का स्पर्श की झनझनाहट उसकी रीढ की हड्डी से होते हुए उसकी जांघों के बीच की पतली दरार तक पहुंच गई। अलका वीनीत को कुछ बोल नहीं पाई।
दोनों बातें करते हुए पानी में चले जा रहे थे लेकिन अलका कुछ कम ही बोल रही थी क्योंकि उसे शर्म सी महसूस होने लगी थी , लता अपने मन के द्वंद युद्ध में ही उलझी पड़ी थी वह अपने आपको समझा नहीं पा रही थी कि विनीत का यह स्पर्श उसे अच्छा लग रहा था या खराब लग रहा था। जितना सटकर विनीत चल रहा था इतने करीब उसने किसी मर्द को नहीं आने दी थी। सिर्फ राहुल ही था जो चलते समय या कैसे भी उसके इतने करीब रहता था राहुल उसका बेटा था और विनीत भी राहुल के ही हम उम्र का था जो कि उसके बेटे के ही समान था। विनीत के इतने करीब रहने पर अलका के बदन में अजीब सी फीलिंग हो रही थी जब की राहुल की वजह से उसे आज तक ऐसी फीलिंग नहीं हुई थी,
ईसी फीलिंग को समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है। 
विनीत का तो हाल बुरा हो चुका था बारिश की ठंडी बूंदों में भी उसके पसीने छूट रहे थे इतना गर्म इतना मुलायम और गुदाज चूची का स्पर्श उसे अंदर तक हीला गया था। ब्लाउज गीली होने की वजह से उसकी काले रंग की ब्रा साफ साफ नजर आ रही थी और ब्रा से झांकती उसकी बड़ी बड़ी चूचियां उसके लंड में खून के दौरे को बढ़ा रही थी। भीगे मौसम में भी विनीत पूरी तरह से गरमा चुका था, शाम ढल चुकी थी अंधेरा छाने लगा था वैसे भी बारिश के मौसम की वजह से काले बादलों ने पहले से ही अंधेरा किए हुए था। दोनों धीरे धीरे चलते हुए मार्केट से बाहर आ चुके थे. अब सड़क पर केवल इक्का-दुक्का इंसान ही नजर आ रहे थे जो कि वह लोग भी घर पहुंचने की जल्दी मे अपने आसपास ध्यान दिए बिना ही चले जा रहे थे। 
अलका की खूबसूरती और उसके भीगे बदन की खुशबू से विनीत का मन मचल रहा था। अपने आप पर कंट्रोल कर पाना उसके लिए मुश्किल हुए जा रहा था। एक तो रोमांटिक मौसम और ऊपर से एक खूबसूरत औरत का साथ जोकि पानी में भीगकर और भी ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी हो चुकी थी, और तो और दोनों एक ही छतरी के नीचे आपस में कटे हुए भीगते बारिश में घुटनों तक पानी मे चले जा रहे थे जिससे विनीत का अपने ऊपर कंट्रोल कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा लगने लगा था। 
बारिश ने अपना जोर कम कर दी थी लेकिन बंद नही की थी। वीनीत अलका को अपनी बाहों में भरकर चूमना चाहता था उसके मधभरे रसीले होठों को अपने होठों के बीच रख कर उनके रस को नीचोड़ना चाहता था' अलका की बड़ी बड़ी गांड जो की साड़ी भीेगने की वजह से और भी ज्यादा उभरी हुई और उसके कटाव साफ साफ दिखाई दे रहे थे जिसे देखकर विनीत पगला सा गया था विनीत उसे मसलना चाहता था। उसे इंतजार था तो बस सही मौके का, अंधेरा छाने लगा था रह-रहकर बादलों की गड़गड़ाहट से अलका का मन बैठ जा रहा था। बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट से अलका को बहुत डर लग रहा था इसलिए डर वश वह विनीत के और भी ज्यादा नजदीक सट कर चलने लगी। यहां से कुछ ही दूरी पर चौराहा था जहां तक अलका के साथ ही चलना था। विनीत की बेचैनी बढ़ती जा रही थी उससे रहा नहीं जा रहा था क्या करें कि वह अलका को अपनी बाहों में भर कर चूमने लगे। 
अलका थी की विनीत की हरकत की वजह से अभी तक रह रहकर उसके बदन में सीहरन सी दोड़ जा रही थी। ना जाने क्यों उसे ऐसा लगने लगता कि अभी भी उसकी चूची पर विनीत की हथेली कसी हुई है। उसे यू पानी में वीनीत के साथ चलना अच्छा लग रहा था, 
पूरी तरह से अंधेरा छातियों का था आज सड़कों पर की लाइट भी बंद थी इसलिए कुछ ज्यादा ही घना अंधेरा लग रहा था। अलका इस अंधेरेपन से पूरी तरह से वाकिफ थी क्योंकि वह जानती थी कि जब भी बारिश का सीजन आता है तो बारीश की वजह सें सड़कों की लाइटें चली जाती हैं। 
पानी घुटनों से नीचे आ चुका था क्योंकि ईधर का रास्ता थोड़ा ऊंचाई पर था और चारों तरफ बड़े-बड़े घने पेड़ों से ढके होने के कारण यहां कुछ ज्यादा ही अंधेरा लग रहा था और अब तो सड़क पर एक इंसान भी नजर नहीं आ रहा था यही मौका वीनीत को ठीक लग रहा था। 
अलका इस रास्ते से गुजरते वक्त मन ही मन घबरा रही थी, उसकी घबराहट का एक कारण अंधेरा तो था ही और उपर से सबसे बड़ा कारण था बादलों का तेज गड़गड़ाहट और बिजली का चमकना ये सबसे अलका कुछ ज्यादा ही घबरा रही थी इसलिए यहां पर चलते समय वह विनीत से कुछ ज्यादा ही सट चुकी थी।
अकेलापन और अंधेरे का साथ पाकर विनीत मैं थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए धीरे से अलका की कमर पर अपनी हथेली रख दिया, अपनी कमर पर विनीत की हथेली का स्पर्श पाते हैं अलका एकदम से सिहर ऊठी ' वीनीत धीरे-धीरे अलका की कमर को सहलाते हुए उसे अपनी तरफ खींचे हुए चल रहा था। विनीत को अपनी कमर को ईस तरह से सहलाते हुए देख कर अलका का पूरा बदन कांप पर सा गया। सड़क एकदम सुनसान थी पानी उतर चुका था बारिश की बूंदे भी लगभग बंद हो चुकी थी, दूर दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए अलका को वीनीत की हरकत से और ज्यादा डर लगने लगा। अलका के हाथ में अभी भी छतरी थी।
वीनीत ने धीरे-धीरे अपनी हथेली को कमर से होते हुए ऊपर की तरफ सरकाना शुरू कर दिया और कुछ ही सेकंड में उसकी हथेली पूरी तरह से अलका की एक चूची पर जम चुकी थी, और विनीत ने तो उसे मसलना भी शुरू कर दिया था। अलका की चूची इतनी बड़ी थी कि विनीत के हाथ में ठीक से समा भी नहीं पा रहे थे।
विनीत तो एकदम मदहोश हो चुका था और अलका एकदम से घबरा चुकी थी लेकिन ना जाने क्यों उसे अच्छा भी लग रहा था। आज बरसों के बाद कीसी के हथेलियों का स्पर्श उसकी चूची पर हुआ था, उसे अच्छा भी लग रहा था लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था की अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ इस तरह....छी...छी..।छी.. उसकी अंतरात्मा गवाही नहीं दे रही थी उसे यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था अलका उसे यह सब करते हुए रोकना चाह रही थी,
लेकिन भी नहीं था कि वहां चूची को दबाए ही जा रहा था, तभी अलका ने हिम्मत करके उसे रोकते हुए बोली

विनीत.....( अलका के मुंह से इतना निकला ही था कि तभी अचानक इतनी तेज बिजली कड़की की वह एकदम से कांप उठी और डर के मारे खुद ही विनीत के बदन से चिपक गई. वीनीत भी मौके की नजाकत को समझते हुए तुरंत उसे अपनी बाहों में कस लिया। बाहों लोक आते ही विनीत अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ पर सहलाते हुए नीचे कमर की तरफ ले जाने लगा, अलका पुरी तरह से गनगना चुकी थी। विनीत ऐसी हरकत करेगा अलका को यह उम्मीद न थी। अलका उससे छूटने की कोशिश करती ईससे पहले ही विनीत में अपने दोनों हथेलियों को उस की गदराई गांड पर रखकर दोनों हाथ से दबाने लगा। विनीत को तो जैसे कोई खजाना मिल गया होै इस तरह से टूट पड़ा था। गर्दन को चूमते चूमते उसने एक हाथ से अलका के सिर को थाम कर अपनी प्यासे होठो को अलका के दहकते होठो पर रख दिया ओर गुलाबी होठो को चुसने लगा। 
अलका ऊसके बांहो की कैद से छुटने के लिए तड़फड़ा रही थी लेकीन वीनीत के हांथो को अपनी गदराई गांड पर महसूस कर के अलका का भी मन बहकने लगा था लेकिन वह पूरी तरह से बदहवास नहीं हुई थी वह उससे अभी भी चोदने की कोशिश कर ही रही थी कि, विनीत ने अलका को उस की गदराई गांड से पकड़कर फिर से अपने बदन से सटा लिया ओर इस बार विनीत के पेंट में बना तंबू सीधे जाकर साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर पर दस्तक देने लगा, वीनीत के हर स्पर्श से अलका अपने आप को संभाले हुए थी लेकिन इस बार वीनीत के लंड की ठोकर अपनी बुर पर महसुस करके अलका पुरी तरह से बहक गई ओर वह अपने आपको संभाल नहीं पाई और खुद ही जैसे पेड़ में तने लिपट़ते हैं ।
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10-09-2018, 03:28 PM,
#34
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
उसी तरह से वह भी वीनीत के बदन से लिपट गई' और खुद ही उसके होठों को चूसने लगी। अलका को साथ देता देखकर विनीत की हिम्मत बढ़ने लगी। अंधेरे का लाभ उठा कर विनीत यहीं पर सब कुछ कर लेना चाहता था इसलिए वह अलका की चूचियों को भी मसलने लगा' लंड की चुभन ओर चुचीयो के मसलन से अलका मस्त होने लगी।उसकी कामोत्तोजना बढ़ती जा रही थी। ठंडे ओर खुशनुमा मोसम मे भी अलका गरमाने लगी थी। वीनीत तो इतना पागल हो चुका था कि उसके हाथ अल्का के बदन के कोने-कोने तक पहुंच रहे थे।
अलका के गुलाबी होठों को चूस चूस कर के बदन में मदहोशी छाने लगी थी ऐसा लगने लगा था कि जैसे शराब की कई बोतल का नशा उसकी आंखों में उतर आया हो। अलका उत्तेजना की वजह से शुध बुध को बैठी थी। उसके दिमाग में इस समय कुछ भी नहीं चल रहा था अच्छे-बुरे कि समझ खो चुकी थी। इस वक्त उसका दिमाग एकदम शुन्यमनस्क हो चुका था। कामोत्तेजना में सराबोर होकर कब उसके दोनों हाथ विनीत की पीठ पर जाकर उसे सहलाने लगे उसे खुद को पता नहीं चला। 
विनीत तो कभी उसकी पीठ सहलाता तो कभी उस की गदराई बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों से मसलता तो कभी दोनो चुचियों को हथेली में भर भर कर दबाता , अलका विनीत की इन सभी हरकतों से आनंदित हुए जा रही थी। अलका उस वक्त एकदम जल बिन मछली की तरह तड़प उठी जब विनीत ने अपनी हथेली को साड़ी के ऊपर से ही उसकी जांघों के बीच बुर पर रगड़ने लगा
अलका के पुरे बदन में चुदास की लहर भर गई. वह एकदम से तड़प ऊठी। वह उत्तेजना के मारे कसमसाने लगी विनीत की हथेली बुर वाली जगह को लगातार रगड़ रही थी। दोनों के हॉट आपस में भिड़े हुए थे दोनों पूरी तरह से गरमा चुके थे।
विनीत समझ चुका था कि अलका पुरी तरह से उसके हाथ में आ चुकी है। इसलिए वह एक हाथ से उसकी साड़ी को पकड़कर उपर कि तरफ सरकाने लगा धीरे धीरे करके उसने साड़ी को जाँघो के ऊपर तक ऊठा दिया, अलका इससे ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि उसने एक बार भी विनीत को रोकने की कोशिश नहीं की बल्कि वह शायद अंदर से यही चाह भी रही थी' या उसके बदन की गर्मी ने उसे वीनीत को रोकने की इजाजत नहीं दिया। विनीत का लंड एकदम टाइट चुका था, और उसने तुरंत एक हाथं से अपनी जीप खोलकर अपने टनटनाए हुए लंड को पेंट से बाहर निकाल लिया था। वीनीत पूरी तरह से तैयार था वह इसी जगह पर अलका को चोदना चाहता था इसलिए वह अलका को पकड़कर दूसरी तरफ घुमाना चाह ही रहा था कि दूर से आ रही मोटरकार कीे लाईट की वजह से रुक गया और तुरंत अपने लंड को वापिस पेंट में ठूस लिया। अलका को भी जैसे होश आया हो उसने तुरंत अपने कपड़े को दूरुस्त की ओर मोटर कार उसके पास से होकर गुजरे इससे पहले ही वह बिना कुछ बोले लगभग दौड़ते हुए चौराहे के दूसरे तरफ से अपने घर की तरफ चल दी ' अलका एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखी वह जल्द से जल्द अपने घर की तरफ चली जा रही थी और वीनीत वही खड़े ठगी आंखों से अलका को जाते हुए देखता रहा।

अलका हांफते हांफते अपने घर पर पहुंची ' रात के 8:30 बज चुके थे। राहुल अपनी मां को देखते ही सवाल पर सवाल पूछने लगा।

क्या हुआ मम्मी इतनी देर कैसे लग गई , कहां रह गई थी मम्मी, ( अब राहुल के सवाल का क्या जवाब देती इसलिए वह गोल-गोल घुमाते हुए बोली।)

अरे बेटा देख तो रहे हो एक तो वैसे ही ऑफिस में इतनी देर हो गई थी और ऊपर से जब ऑफिस से छुट्टी तो बाहर यह बारिश घुटनों तक पानी में पैदल चल कर आ रही हुं ओर तू है कि सवाल पर सवाल पूछे जा रहा है।
( अलका का जवाब सुनकर राहुल बोला।)


सॉरी मम्मी इतनी देर हो गई थी इसलिए मुझे चिंता हो रही थी।

अच्छा सोनू कहां है उसे कुछ खिलाए कि नहीं? 

अपने कमरे में हे मम्मी पढ़ रहा है।

ठीक है बेटा थोड़ा इंतजार करो मैं झटपट खाना बना देती हूं मुझे मालूम है कि तुम लोगों को भूख लगी होगी।

( अलका बाथरूम में जाकर अपने कपड़े बदल ली और पतला गाऊन अपने बदन पर डाल कर खाना बनाने में जुट गई। खाना बनाते समय रह नहीं कर उसे सड़क वाला दृश्य याद आ रहा था उस दृश्य को याद करके अलका रोमांचित हो जा रही थी। आज उसके साथ जो हुआ था उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी। वह इतना कैसे बहक गई उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था। आज खाना बनाने में उसका मन बिल्कुल नहीं लग रहा था लेकीन जैसे तैसे करके उसने खाना तैयार कर ली। अलका अपसाथ में बैठकर खाना खाने लगी तभी राहुल की नजर दीवाल के सहारे रखी छतरी पर पड़ी, और छतरी को देखते ही राहुल बोला। 

यह छतरी किस की है मम्मी? 

( राहुल की बात सुनते ही अलका का दिल धक से रह गया। उसे तुरंत याद आया कि उसने तो छतरि देना भूल ही गई। और छतरी को देखते ही अलका के आंखों के सामने विनीत का चेहरा तेरने लगा उसे वह सब याद आने लगा जो उसके साथ सड़क पर हुआ था। राहुल का उसको अपनी बाहों में कसना उसका होठो को चूसना, अपनी दोनों हथेलियों से उसकी बड़ी बड़ी गांड को कस कस के मसलना, अलका के पूरे बदन में सीहरन सी दौड़ गई जब उसे याद आया कि कैसे वीनीत ने साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुप को मसलना शुरू कर दिया था और तो और हद तब हो गई थी जब उसने उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाना शुरु कर दिया था। यही सब अलका याद कर रही थी कि तभी अचानक राहुल बोला।


क्या हुआ मम्मी कहां खो गई तबीयत तो ठीक है ना!


राहुल की बात सुनते ही अलका हड़बड़ाते हुए बोली।

ककककक...कुछ नही बेटा ये छतरी तो मेरी एक सह कर्मचारी की है जिसने मुझे बारिश से बचने के लिए छतरी दी थी कल उसे लौटा दूंगी।
( अलका राहुल से झूठ बोल गई थी। थोड़ी देर में खाना खत्म करके दोनों बच्चे अपने अपने कमरे में चले गए और रसोई की साफ-सफाई कर के अलका भी अपने कमरे में आ गई। 
अलका अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी, रह-रहकर अभी भी उस का मन मचल जा रहा था। आज जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोचते ही उसकी जांघों के बीच सुरसुराहट होने लग रही थी। वह मन ही मन बार बार अपने आप को ही कोस रही थी कि उसने क्यों उस बित्ते भर के छोकरे को रोक नहीं पाई। वह मन ही मन अपने आप से ही सवाल पूछ रही थी कि पति के जाने के बाद जिसने आज तक किसी भी मर्द को अपने आस-पास भटकने भी नहीं दी, तो उस लड़के को इतनी आगे बढ़ने की इजाजत कैसे दे दी क्यों उसे रोक नहीं पाई कैसे उसका बदन उसके सामने ढीला पड़ने लगा। विनीत के साथ का रास्ते पर का सारा ब्यौरा उसकी आंखों के सामने तैर रहा था' बार-बार उसे उसकी बुर पर साड़ी के ऊपर से ही विनीत के द्वारा हाथ लगाना याद आ रहा था उस दृश्य को याद कर करके रोमांचित भी हो जा रही थी लेकिन फीर अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था। 
वह अपने आप मन में ही बड़बड़ातेे हुए बोली उस बित्ते भर के छोकरे की इतनी हिम्मत कि उसने मेरी ......छी....( अलका अपनी बुर के बारे में मन ही मन बड़बड़ा रहे थी लेकिन अलका कभी भी अपने मुंह से अपनी अंगो का नाम नहीं ली थी अपने पति के सामने भी नहीं )...उसने मुझे क्या दूसरी औरतों की तरह समझा था जो मेरे साथ ऐसा करने लगा , अब कभी भी वह मुझे मिला तो उसे जरूर डांटुंगी और अब से यह भी कहूंगी कि मेरे करीब बिल्कुल ना आए। ( अलका दूसरी तरफ करवट लेकर आंखों को बंद करके सोने की कोशिश करने लगी लेकिन जैसे ही आंखों को बंद की तुरंत उसकी आंखों के सामने फिर से वही दृश्य तेरने लगा। उसका चूचियों को दबाना है उस को मसलना कमर को सहलाते हुए बड़ी-बड़ी गांड को दबाना, उसके होठों को ऐसे चूसना जैसे कि वह उसकी प्रेमिका हो और उसकी बुर को साड़ी के ऊपर से ही मसलना, साड़ी को ऊपर की तरफ उठाना और उसको होश में लाती हुई मोटर कार की तेज रोशनी, उसने तुरंत अपनी आंखें खोल दी और मन ही मन सोचने लगी कि अगर आज वह ऐन मौके पर मोटर गाड़ी नहीं आती तो ना जाने क्या हो जाता बरसों से बेदाग दामन में बदनामी का धब्बा लग जाता। अभी अलका को ऐसा लगने लगा कि उसकी जाँघों के बीच कुछ रीस रहा है , वह समझ नहीं पाई की यह क्या है और उत्सुकता वश बैठ गई। उसने बैठे-बैठे ही अपने गांउन को झट से अपनी कमर तक खींच ली, तुरंत कमर के नीचे का भाग पूरा नंगा हो गया
और तो और उसने आज पेंटी भी नहीं पहनी थी इसलिए गांव के अंदर पूरी तरह से नंगी ही थी, अलका ने जब अपनी उंगलियों से बुर को टटोलते हुए चेक करने लगीे तो उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना ना था। वह समझ गई कि उसकी बुर से काम रस रीस रहा था।
वह समझ नहीं पाई कि ऐसा क्यों हो रहा है आखिर यह काम रस क्यों उसकी बुर से निकल रहा है। कहीं विनीत के साथ उसका जोवा क्या हुआ था कहीं उसके बदन को आनंदित तो नहीं कर रहा है . । अलका बार-बार कैटरीना को भूलना चाहती थी इस घटना से निकलना चाहती थी लेकिन फिर भी ना जाने क्यों उसे वही सब वाकया याद आ रहा था और वह यह भी साफ तौर पर जानती थी कि उस वाक्ये से उसे भी आनंद आ जरूर रहा था। तभी तो बारबार उसे आज की घटना याद आ जा रहाी थी। और वह भी उस घटना को याद कर करके रोमांचित हुए जा रही थी। 
अलका की ऊंगलिया खुद ब खुद बुर पर घुमने लगी थी।
अलका आज बड़े गौर से अपनी बुर को निहार रही थी, कई सालों के बाद आज पहली बार इतनी ध्यान से अपनी जांघों के बीच की पतली दरार को देख रही थी।
नाजुक नाजुक उंगलीयो पर बालों के झुरमुटों का नरम स्पर्श होते ही उसको यह एहसास हुआ कि महीनों से उसने इन बालों को साफ नहीं की थी और बाल काफी बड़े हो गए थे जिसकी वजह से बुर की पतली दरार भी बड़ी मुश्किल से नजर आ रही थी, अलका की ऊंगलिया बुर के कामरस मे भीगने लगी थी। अपनी बुर पर ऊंगलिया फीराते हुए अलका मदहोशी के आलम में उतरती चली जा रही थी। अलका ने उत्सुकता वश जैसे ही अपनी उंगली से बुर की गुलाबी पत्तियों को कुरेदी उसे फिर से वीनीत याद आ गया, जब उसने उसे कसके अपनी बाहों में भींचा था तो कैसे उसका टनटनाया हुआ लंड पेंट के अंदर होते हुए भी उसकी ठोकर उसकी साड़ी के ऊपर से ही सीधे इसकी बुर पर लग रही थी।
उसके लंड की ठोकर को अपनी बुर पर महसुस करके अलका एक बार फिर से पूरी तरह से गनगंना गई। 
अलका के चेहरे पर एक बार फिर से शर्म-ओ-हया की लाल़ी छाने लगी उसके गाल सुर्ख गुलाबी हो गए। उसके चेहरे पर एक बार फीर से क्रोध ओर आनंद का मिला जुला असर देखने को मिल रहा था। 
अलका एक साथ दो राहों पर चल रही थी एक तो उसका बदन जो बरसों से प्यासा था उसके बस में नहीं था एक तरफ वीनीत की हरकतों से उसके बदन में मस्ती की लहर दौड़ जा रही थी और दूसरी तरफ उसका मन इन सब बातों से अपने आप को खुद ही कोश भी रहा था। 
अलका विनीत के बारे में सोचते हुए अंगुलियों से अपनी बुर को कुरेदे जा रही थी, उसे अब मजा आने लगा था। 
ईसमे दोष उसका नही बल्की बर्षो से ऊसके अंदर दबी हुई उसके बदन की भुख थी जैसे विनीत ने अपनी हरकतों से भड़का दिया था। अलका ने उसके पति के जाने के बाद अपने हालात से समझौता कर ली थी, उसने अपना सारा ध्यान अपने बच्चों के पालन-पोषण में ही लगा दी थी। बल्कि जिस समय उसका पति उसे छोड़ कर गया था एसी उम्र में बदन की प्यास और ज्यादा भड़क जाती है ऐसे में औरत बिना लंड लिए संतुष्ट नहीं हो पाती। अलका जीस उम्र के दौर से गुजर रही थी एसी उमर में अक्सर औरत बिना लंड के एक पल भी गुजारा नहीं कर पाती, और अलका ने तो इस उम्र में ही इन सब बातों को बहुत पीछे छोड़ चुकी थी, अपने बदन की जरूरत को उसने अपने अंदर ही दफन कर ली थी। अलका को सेक्स की जरूरत कभी महसूस ही नहीं हुई थी. उसने अपने अंदर सेक्स की प्यास को भड़कने ही नहीं दी थी । लेकिन आज उस छोकरे ने अपनी हरकत से बरसों से दबी हुई उसके बदन की आग को भड़का दिया था।
अलका प्यासी थी लेकिन उसके संस्कारों ने उसे बांध रखे थे। अगर हल्की सी चिंगारी को भी थोड़ी सी हवा दी जाए तो वह भड़क उठती है, उसी तरह से अलका के भी बदन में दबी हुई बरसों की चिंगारी धीरे धीरे भड़क रही थी।
अलका हल्के हल्के अपनी उंगलियों से बुर की पत्ती को मसलना शुरू कर दी थी, झांटों के झुरमुटों के बीच जब
अलका अपनी उंगलियों को कसकर रगड़ती तो बड़े बड़े बाल अंगुलियों की रगड़ के साथ खींचा जाते जिससे उसे दर्द होने लगता लेकिन उस दर्द को अलका अपने होंठ को दातो तले दबा कर सह जाती। कुछ ही पल में उन्माद से भरा हुआ अलका का बदन हिचकोले खाने लगा, सांसे भारी होने लगी थी. उसका गला सूख रहा था। अब उसे ज्यादा कुछ नहीं बस वही दृश्य बार-बार याद आ रहा था जब विनीत ने उसे करके अपनी बाहों में भींचा था, और तुरंत उसका कड़क लंड साड़ी के ऊपर से ही बुर पर ठोकर मार रहा था। आज बरसों के बाद उसने लंड की कठोरता को अपनी बुर के इर्द-गिर्द महसूस की थी। इसलिए तो उसका बदन और भी ज्यादा चुदवासा होकर चुदास की तपन मे तप रहा था।
इस वक्त ना चाहते हुए भी उसे विनीत ही बार बार याद आ रहा था । मदहोशी के आलम में अलका की आंखें मुंदी हुई थी, और वह विनीत को याद करके अपनी बुर को बड़ी तेजी से रगड़ रही थी, लेकिन बार-बार उसकी झांट के बाल उंगलियों के साथ खींचा जा रही थी।
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10-09-2018, 03:28 PM,
#35
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
जिसकी वजह से उसे दर्द के साथ साथ बूर को रगड़ने में दिक्कत भी ं हो रही थी इसलिए वह मन ही मन तय कर ली कि कल वह मार्केट से लौटते समय दुकान से वीट क्रीम लेकर आएगी और अपने इन बालों को साफ करके बुर को वापस एकदम चिकनी कर लेगी वैसे भी उसे बुर पर ज्यादा बाल पसंद नहीं थे लेकिन उसकी उमंग ही खत्म हो चुकी थी इसलिए उसने बार बार बाल को साफ करने की जेहमत उठाना ठीक नहीं समझती थी, लेकिन अब उसे लगने लगा था कि बुर को समय समय पर साफ करके चीकनी कर लेना ही ठीक रहेगा।
अलका बदहवास होकर अपनी बुर को मसल रहीे थी और तभी फिर से उसे वीनीत के लंड की ठोकर याद आई और उसने झट से अपनी बीच वाली उंगली को आधी बुर में उतार दी , यह कब और कैसे हो गया उसे पता ही नहीं चला। अलका अपनी आंखें खोली अपनी ब** की तरह ही देख रही थी और बार बार बुर में अाधी घुसी हुई अपनी उंगली की तरफ देखकर सोच रही थी कि, यह ठीक नहीं है मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए यह गलत है अगर आज बहक गई तो अनर्थ हो जाएगा। उसका दिमाग उसे रोक रहा था लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था उसके बदन की जरूरत उसके दिमाग का साथ नहीं दे रही थी। वैसे भी जब तू दास की लहर बदन में उतरती है तो अच्छे-अच्छों का दिमाग काम करना बंद कर देता है। क्या सही है क्या गलत है इसका फैसला कर पाना इंसान के लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में इंसान सिर्फ अपने बदन की जरूरत का ही साथ देता है बाकी सब बातें उसे बकवास लगने लगती है। अलका के साथ भी यही हुआ इस समय उसे बदन की प्यास मिटाने की जरुरत थी और अलका ने भी बदन की प्यास मिटाने को ही अग्रिमता दी। और ना चाहते हुए भी वीनीत को याद करके अपनी उंगली को बुर के अंदर बाहर करना शुरु कर दी। वैसे तो अल्का दो बच्चों की मां थी ईसलिए उसकी बुर फैली हुई होनी चाहिए थी लेकिन बरसों से उसने लंड का स्वाद नहीं चखी थी, उसकी बुर में बरसों से किसी भी लंड ने प्रवेश नहीं किया था इसलिए उसकी बुर धीरे धीरे टाइट हो चुकी थी। उसकी कसी हुई बुर में आधी उंगली भी चुस्त पड़ रही थी। धीरे धीरे अलका आनंद के अथाग सागर में परवेश कर गई थी। 
हल्की-हल्की अंदर बाहर हो रही उंगली अब बड़ी तेजी से अंदर बाहर होने लगी थी और साथ ही साथ उसकी सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी। धीरे धीरे करके अलका ने पूरी उंगली को बुर में उतार दी और बड़ी तेज गति से अंदर बाहर करने लगी, रह-रहकर उसके मुंह से गरंम सिसकारी छूट पड़ रही थी। अब अलका के लिए यहां से पीछे हट जाना बड़ा ही मुश्किल था और वैसे भी वहां अब पीछे हटना नहीं चाहती थी। इसलिए वह धीरे धीरे करके इतनी ज्यादा चुदवासी हो गई की उसने अपनी दूसरी उंगली भी बुर में घुसा दि, अलका की रसीली बिर उसके काम रस एकदम लतपत हो चुकी थी। उस की उंगलियां बुर के काम रस में सनि हुई थी। 
उत्तेजना के मारे उसे ऐसे लगने लगा था कि जैसे उसके बदन पर चिंटिया रेंग रही हो इसलिए वहां एक हाथ से अपने पूरे बदन को सहला रही थी बार-बार अपनी हथेली को गाऊन के ऊपर से ही चूचियों पर रखकर दबा रही थी अपनी उत्तेजना को समा पाना उससे मुश्किल हुआ जा रहा था इसलिए उसने एक हाथ से धीरे-धीरे करके अपने गाऊन को उतार फेंकी। वह बिस्तर पर एकदम निर्वस्त्र हो गई एकदम नंगी। 
गजब की खूबसूरत लग रही थी अलका ,उसके बदन का मादक कटाव ,उसका उभार किसी के भी मन को डोला दे। वह कस कस के अपनी चुचियों को बारी-बारी से दबा रही थी। उसकी गर्म सिस्कारियों से उसका पूरा कमरा गूंज रहा था। उसकी गरम सिसकारीयो की आवाज उसके बच्चों के कानो तक ना पहुंच जाए अब इसकी भी जरा सी चिंता उसे नहीं थी। वह तो अपने आप में मस्त हो गई थी, आंखों को मूंद कर विनीत के द्वारा उसके साथ ली गई छुट छाट को याद करके अपनी बुर में बड़ी तेजी से उंगली को पेले जा रही थी। वह चरम सीमा के बिल्कुल करीब पहुंच गई थी। तभी उसकी सिसकारियां एकाएक तेज होने लगी।

आहहहहहहहहह.......ससससहहहहहहहह.....आहहहहहहहहहहहह.........ऊमममममममममम.....
ओहहहहहहहह.....ओहहहहहहहहह.....
ओह....।म्म्म्म्म्म्म्मा.......
इतना कहने के साथ ही उसकी बुर से कामरस का फव्वारा फुट पड़ा। उसकी पूरी हथेली काम रस में भीग गई। उत्तेजना के मारे उसकी सांसे उखड़ने लगी थी।
चुदास से भरा हुआ तूफान अपना काम कर चुका था।
बरसों से चुदास की आग में तप रही अलका का बदन काम रस के फव्वारे के छूटने के साथ ही कुछ हद तक ठंडा पड़ने लगा था। थोड़ी ही देर में अलका शांत हो गई उसकी उखड़ती सांसे दुरुस्त होने लगी। उसकी तड़प मीट चुकी थी वह आंखों को मु्दे हुए ही बिस्तर पर तकिए पर सर रखकर लेट गई और कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला।

सुबह राहुल नहा कर तैयार हो गया तब तक उसकी मां उठी नहीं थी। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। इसलिए राहुल को चिंता होने लगी उसे ऐसा लगने लगा कि कहीं उसकी मम्मी भीगने की वजह से बीमार तो नहीं हो गई है। मन मे ढेर सारे सवाल लिए राहुल अपनी मम्मी के कमरे की तरफ जाने लगा। कमरे के पास पहुंचते ही उसने दरवाजे को खटखटाने के लिए जैसे ही उस पर अपनी हथेली रखा दरवाजा खुद-ब-खुद खुलता चला गया। दरवाजा खुला हुआ देखकर राहुल के मन में अजीब अजीब से सवाल पैदा होने लगे। वह दबे क़दमों से कमरे में प्रवेश किया और जैसे ही उसकी नजर सामने बिस्तर पर पड़ी। वह एकदम से दंग रह गया वह अपनी नजरें बिस्तर पर ही गड़ाये रहा, उसका गला सूखने लगा उत्तेजना के मारे उसके बदन मे कंपकंपी सी फैल गई। तुरंत उसके पजामे में तंम्बू तन गया। क्या करे नजारा ही कुछ ऐसा था। उसकी मम्मी एकदम निर्वस्त्र पूरी तरह से नंगी होकर पेट के बल एकदम बिंदास होकर बिस्तर पर लेटी हुई थी। 
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10-09-2018, 03:28 PM,
#36
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अपनी मां को नंगी लेटे हुए देखकर राहुल का दिमाग सन्न रह गया था उसके होश उड़ चुके थे। वह अपनी मां के कामुकं बदन को एक टक देखते ही रह गया' उसकी मां भी बड़े ही कामुक अंदाज में अपने पैरों को थोड़ा सिकोड़कर लेटी हुई थी जिसकी वजह से उसकी भारी भरकम गांड अपनी गोलाइयां लिए हुए उभर कर सामने आ रही थी । जिसे देखते ही राहुल तो क्या दुनिया के किसी भी मर्द के होश उड़ जावे।
वीनीत की भाभी के साथ बिताए हुए पल के बाद राहुल को हर औरत अब सेक्सी लगने लगी थी वह हर औरत को अपने अलग नजरिए से देखने लगा था। अपनी मम्मी को नग्नावस्था में देख कर आज पहली बार राहुल को लगने लगा था कि उसकी मम्मी बहुत ज्यादा ही खूबसूरत और बहुत ही सेक्सी है। राहुल का गला शुर्ख हो चला था उसकी आंखों की चमक उसकी ही मां की भरपुर गांड को देखकर बढ़ चुकी थी। उसका लंड अपनी ही मां को नंगी देखकर तुरंत हरकत में आ गया था और उसका लंड पूरी तरह से फुल टाइट होकर पेंट में तनकर तंबू बनाया हुआ था। जिस दिन से उसने विनीत की भाभी को चोदा था उसके बाद से उसे चोदने की इच्छा बहुत ज्यादा होने लगी थी और इस वक्त अपनी मम्मी को संपूर्ण नग्नावस्था में देखकर उसके चोदने की इच्छा और भी ज्यादा प्रज्वलित हो चुकी थी।
वह क्या करे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, एक मन तो कह रहा था कि जाकर उसे जगा दे इसी बहाने वह अपनी मां के कामुक ओर मादक बदन को स्पर्श कर सकेगा लेकिन इस तरह से जगाना ठीक नहीं था ' क्योंकि उसे डर था कि मेरे इस तरह से जगाने पर उसकी मां अगर उठेगी तो अपनी नग्न हालत को देखकर शर्मसार हो जाएगी. और उसे भी भला बुरा कह सकती है। उसकी यह भी इच्छा हो रही थी कि बिना कुछ बोले बिस्तर पर जाकर मम्मी की बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर पूरा लंड उसकी बुर में पेल कर चोदना शुरू कर दे जिस तरह से वीनीत की भाभी की बुर में लंड पेल कर चोदा था। यही मन में सोचते हुए राहुल पेंट के ऊपर से ही अपने टनटनाए हुए लंड को मसलना शुरु कर दिया। उसके मन में यह विचार आ रहा था कि ज्यादा कुछ नहीं तो पेंट को नीचे सरका कर टनटनाए हुए लंड को बाहर निकाल कर अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन को देखते हुए ही मुठ मार लूं, और उसने ऐसा किया भी अपनी पेंट की जीप खोला और अब उठे और उंगली का सहारा लेकर अपने मोटे ताजे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन उसका लंड इतना ज्यादा मोटा और टाइट हो चुका था कि इस तरह से जीप के रास्ते बाहर आ पाना मुश्किल हो रहा था। इसलिए उसने पेंट की बटन खोलकर पेंट को ही नीचे जांघो तक सरका दिया। उसका लंड अपनी मां के नंगे बदन को देख कर और भी ज्यादा मोटा ताजा हो गया था और खुशी के मारे हवा में झूल रहा था। राहुल एकदम चुदवासा हो चुका था इसलिए वह अपने मोटे लंड को अपने मुठ में दबा लिया और आगे पीछे करके मुठ मारना शुरू कर दिया उसकी नशीली और चुदवासी आंखें अपनी मां के पुरे नंगे बदन पर ऊपर से नीचे तक घूम रही थी। वह दो-चार बार ही लंड को मुट्ठी में भर कर हिलाया ही था कि उसकी मां के बदन में हल्की सी हलचल हुई। हलचल होते ही राहुल तुरंत उल्टे पाव कमरे से बाहर आ गया उसने यह देखना भी ठीक नहीं समझा कि उसकी मम्मी जाग गई है या अभी भी सो ही रही है। राहुल अपने कमरे में खड़ा था उसका लंड अभी भी फूल टाइट था। कुछ पल पहले जो नजारा उसने अपनी मम्मी के कमरे में देखा था वह नजारा पूरी तरह से राहुल के दिमाग पर हावी हो चुका था, उस नजारे से पूरी तरह से निकल पाना तो बहुत मुश्किल था लेकिन उससे कुछ पल के लिए पीछा छुड़ाने का एक ही तरीका था। और राहुल ने भी वही किया उसने फिर से अपनी पेंट को नीचे जांघो तक सरका दिया , उसकी नज़र जैसे ही अपने टनटनाए हुए लंड पर पड़ी तो उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान फैल गई। उसने तुरंत अपने मोटे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर कस लिया और आगे पीछे करके अपने लंड काे मुठीयाने लगा। राहुल की ऊत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी। क्योंकि उसके जेहन में उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड कि वह छवी बसी हुई थी जिसे देख कर वह उन्माद से भर चुका था।
वह अपने लंड को कसकर के मुट्ठीयाने लगा उसकी आंखें बंद थी और हाथ बड़ी ही तीव्र गति से आगे पीछे चल रहे थे। लंड तो उसका हथेली मे कसा हुआ था लेकीन ऊसकी कल्पना मे उसका लंड उसकी मम्मी की नमकीन बुर मे घुसकर कमर आगे पीछे कर रहा था।
इसलिए उस की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी। राहुल के सर पर इस समय वासना सवार थी आज अगर जरा सा भी मौका मिलता तो वह अपनी मां की बुर लंड कर चोद दिया होता। लेकिन फिर भी वह यहां पर मुठ मारते हुए कल्पना मे ही अपनी मां को चोद रहा था। राहुल मुठ मारते हुए चरमसीमा के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था कि अगले ही उसके मुंह से हल्की चीख निकल गई और लंड से फुवारा छुट़कर नीचे फ़र्श पर गिरने लगा। राहुल पूर्ण रुप से संतुष्ट हो चुका था।
वह कपड़े व्यवस्थित कर के कुछ देर वहीं बैठ गया बासना का तूफान शांत हो चुका था,कुछ देर पहले उस की जो मनोस्तिथि थी उस से उबर चुका था'
वासना का तूफान शांत होने पर उसे अपनी हरकत पर क्रोध आने लगा उसका मन ग्लानीे से भर गया' वह अपने आप को ही कोसने लगा की उसने ऐसी गंदी हरकत कैसे कर दी अपनी ही मम्मी के बारे में इतना गंदा गंदा सोच कर हस्तमैथुन कैसे कर लिया। उसका मन पछतावे से भर गया और आइंदा ऐसी गंदी हरकत कभी भी नहीं करेगा इसकी कसम भी खा लिया।
और वहीं दूसरी तरफ अलका की आंख खुल चुकी थी और अपनी हालत पर गौर करते ही शर्म की लाली उसके चेहरे पर बिखर गई, अपने बिस्तर पर अपने आप को नंगी पाकर भी वह अपने बदन को चादर से ढंक लेने की जरूरत नहीं समझी क्योंकि वह जानती थी कि कमरे में उसे कौन देखने वाला है , लेकिन वह यह कहां जानती थी कि देखने वाले ने तो उसका सब कुछ देख चुका है, और उसके नग्न बदन रुपी खजाने को देखने वाला दूसरा कोई और नहीं बल्कि उस का अपना ही बेटा था जो कि उस के नंगे बदन को देखकर इतना उत्तेजित हो गया था कि मुठ मारकर अपने आप को शांत करना पड़ा।
अलका एकदम बिंदास होकर एकदम नंगी बिस्तर पर बैठी हुई थी और अपनी बाहें फैलाकर अंगड़ाई लेते हुए अपने आलस को मरोड़ रही थी, उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे के चेहरे पर जरा सा भी कल जो हुआ था उसको लेकर बिल्कुल भी तनाव नहीं था। खुश नजर आ रही थी आज अलका और खुश हो भी क्यों ना आज पहली बार उसने अपने लिए अपने मन की सुनी थी, आज बरसो बाद उसने वह की थी जो उसके मन ने कहा था और जो उसके बदन की जरूरत थी। अलका आरस मरोड़ कर बिस्तर से नीचे उतर कर खड़ी हुई नीचे जमीन पर उस का गाउन पड़ा हुआ था अपने गाउन को देख कर वो फिर से मुस्कुराएं क्योंकि उसे तुरंत याद आ गया कि रात को इतनी ज्यादा उत्तेजित और उन्माद से भर चुकी थी कि कब उसने अपने बदन से एक-एक करके सारे कपड़ों को उतार के नीचे फेंक दी उसे पता ही नहीं चला। अलका ने अपना काउंट उठा कर कैसे अपने बदन पर डाल ली और कमरे के बाहर आ गई।
कमरे में बैठे बैठे काफी समय बीत चुका था वह कमरे से बाहर आया तो देखा कि उसकी मम्मी रसोई घर में नाश्ता तैयार कर रही थी, राहुल को सब कुछ नॉर्मल ही लग रहा था वह रसोई घर में प्रवेश किया और अपनी मम्मी से बोला।

गुड मॉर्निंग मम्मी।

गुड मॉर्निंग बेटा( कढ़ाई में चमची चलाते हुए बोली)

आज इतनी लेट तक सोए रहे मम्मी तबीयत तो ठीक है ना। ( इतना कहने के साथ ही वह मटके से पानी निकाल कर पीने लगा। उसकी मम्मी भी जवाब देते हुए बोली।)

हां बेटा थोड़ी थकान सी महसूस हो रही थी और वैसे भी कल भीगने की वजह से थोड़ी सर्दी हो गई है इसलिए आज आंख लग गई थी। ( इतना कहने के साथ ही वह हरी मिर्ची को काटने लगी और राहुल अपनी मम्मी के जवाब से संतुष्ट होकर रसोई घर से बाहर आ गया। राहुल के जाते ही अलका को फीर से कल की और रात की बाते याद आने लगी, उत्तेजनात्मक पल को याद करके एक बार फिर से उसकी पेंटी गीली होने लगी।
उसे बीते पल को याद करने में बड़ा ही रोमांच लग रहा था और मजा भी आ रहा था। बातों ही बातों में अलका ने नाश्ता तैयार कर ले और राहुल और सोनू को नाश्ता दे कर खुद अपने कमरे में जाकर ऑफिस के लिए तैयार होने लगी। सज धज कर तैयार होते ही अलका फिर से आसमान से उतरी कोई हूर लगने लगी।
हाथ में पर्श़ लिए अलका अपने कमरे से बाहर आई राहुल की नजर अपनी मम्मी पर पड़ी तो वह देखता ही रह गया, पहले भी हो इसी तरह से तैयार होकर सुंदर लगती थी लेकिन राहुल के लिए आज देखने का रवैया कुछ और था। विनीत की भाभी के साथ शारीरिक संबंध के बाद कहीं और तो को देखने का उसका नजरिया बदल गया था जो कुछ भी बचा था आज सुबह अपने ही मम्मी को संपूर्ण रुप से नग्नावस्था में देखकर वह भी बदल गया।

( अलका आज कुछ जल्दी मे हीं थी' इसलिए वह राहुल को हिदायत देते हुए बोली।)

बेटा आज मुझे देर हो रही है तुम और सोनू ठीक से स्कूल चले जाना और जाते जाते दरवाजे पर लोक मारते जाना' ठीक है ना।

ठीक है मम्मी आप चिंता मत करिए आप आराम से जाइए।( राहुल जवाब देते हुए बोला और राहुल कि मम्मी राहुल के जवाब से संतुष्ट होकर प्यार से दोनों बच्चों पर अपना हाथ फेरते हुए कमरे से बाहर चलीे गई। ना चाहते हुए भी राहुल की नजर की मम्मी की बडी़े-बड़ेी मटकती हुई गांड पर चली गई जो की चलते समय गजब की थिरकन लिए हुए थी। अपनी मम्मी की मटकती हुई गांड को देखकर राहुल के लंड ने फिर से अंगड़ाई लेना शुरु कर दिया। राहुल इससे ज्यादा और कुछ सोच पाता इसके पहले ही उसकी मम्मी उसकी आंखों से दूर होती चली गई। लेकिन जब तक उसकी मम्मी उसकी आंखों से ओझल होती तब तक उसकी मटकती गांड ने अपना कमाल दिखा चुकी थी और तुरंत राहुल के लंड में पूर्ण रुप से तनाव आ चुका था।
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10-09-2018, 03:28 PM,
#37
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अपनी मम्मी के कारण पेंट में बने हुए तनाव पर नजर पड़ते ही एक बार फिर से राहुल को अपने ऊपर क्रोध आ गया अपने आप पर गुस्सा करने लगा और अपना ध्यान दूसरी तरफ बंटाने लगा। राहुल और सोनू भी दरवाजे पर लॉक लगाकर अपने अपने स्कूल की तरफ चल दीए।

आज क्लास में विनीत बड़ा ही गुम सुम बैठा हुआ था गुमसुम क्या था वह सिर्फ अलका के ख्यालों में ही खोया हुआ था। उसकी आंखोे के सामने कल की बीती सारी घटना के वह लाजवाब पल एक एक करके नजर आ रहे थे। उसके बदन मे झनझनाट फैल गई जब उसे याद आया कि उसने पहली बार एक बहाने से कैसे उसकी चूची को स्पर्श किया था, ऊफफफफ.... गजब की नरमी और गुदाजपन था उसकी चूची में, वीनीत का लंड टनटना के खड़ा हो गया जब उसे वह पल याद आया जब उसने अंधेरे का लाभ उठाते हुए अलका को अपनी बाहों में कस के भींच लिया था और लगे हाथ अपने दोनों हथेलियों काे अलका की गदराई हुई बड़ी-बड़ी गांड पर रख के कस कस के दबाए जा रहा था और पूरा मन बना लिया था की आज तो अलका को चोदकर ही रहेगा और इसीलिए उसने अलका की साड़ी को कमर तक उठा कर अपने लंड को बाहर भी निकाल लिया था अलका को घुमाकर इससे ज्यादा और कुछ कर पाता इससे पहले ही मोटरगाड़ी की लाइट में सारा मजा किरकिरा कर दिया था। वह उस समय इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि अगर अलका वहां से भाग ना खड़ी हुई होती तो उसे वो मोटर गाडी वाले का जरा भी ़ परवाह नहीं था, विनीत अलका को वही खुली सड़क पर ही चोद दीया होता, लेकिन उसका नसीब खराब था । घर पर पहुंचने पर भी उस की उत्तेजना जरा सी भी कम नहीं हुई थी । अलका के बदन की गर्मी का गरम एहसास उसे उत्तेजित किए हुए था। तभी तो घर पहुंचते ही जैसे ही उसकी भाभी चुदवासी होकर उसके बदन से लिपटी तो वीनीत ने तुरंत अपनी भाभी को अलका समझ कर अपनी बाहों में भीच लिया
और बिस्तर पर पटक कर ऐसी जबरदस्त चुदाई किया कि उसकी भाभी का पोर पोर दर्द करने लगा था।
वह क्लास में बैठे-बैठे भी उस मोटर गाड़ी वाले को कोस ही रहा था कि पीछे से अपने कंधे पर थपथपाने से उसकी तंद्रा भंग हुई। पीछे मुड़कर देखा तो राहुल था। राहुल उसे यूं गुमसुम होकर बैठा हुआ देख कर बोला।

क्या हुआ यार तू इतना उदास क्यों है? क्या कोई प्रॉब्लम है क्या।( इतना कहने के साथ ही राहुल उसके बगल में बैठ गया। अब वीनीत उसे बताएं भी तो क्या बताएं, पहले तो वह सब कुछ बता भी देता था लेकिन ना जाने क्यों अब राहुल से वह अपनी प्राइवेट बातें नहीं बताता था। इसलिए सर दुखने का बहाना कर के राहुल से कन्नी काट लिया। राहुल भी उससे ज्यादा पूछताछ करना ठीक नहीं समझा। तो राहुल का पूरा ध्यान उसकी मम्मी पार ही लगा हुआ था उसकी मम्मी के ऊपर से ध्यान हटता दो विनीत की भाभी पर चला जाता, दोनों औरतों की वजह से आप उसका ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था।
राहुल के बदन मे चुदाई की खुजली मच रही थी। वह जानबूझकर विनीत से नोट्स ले जाने के बारे में बोलता था ताकि विनीत नोट ले जाए तो उसे लेने के लिए वह भी वीनीत के घर जा सके। लेकिन विनीत को अभी नोट्स की जरूरत नहीं थी इसलिए वह इंकार कर देता।
दूसरी तरफ मधु थी जिसकी जवानी ऊफान मार रही थी
जिसकी बुर में आग लगी हुई थी राहुल के लंड को लेने के लिए, लेकिन उसे कोई मौका हाथ नहीं लग रहा था।
राहुल से चुदवाने के लिए वह किसी भी हद तक तैयार थी।
रिशेेष में वह मौका देखकर राहुल से बोली।

राहुल तुमसे मुझे जरूरी काम था क्या तुम मेरी मदद करोगे।( मधु दौड़ते हुए राहुल के पास गई थी इस वजह से वह हांफ रही थी। और तेज तेज सांस लेने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी गाेलाईयां ऊपर-नीचे हो रही थीे जिस पर राहुल की नजर पड़ ही गई। और राहुल भी थूक निगलते हुए एकदम मधु की चूचियों को देखने लगा। मधु की तेज नजरों ने राहुल की नजरों के निशाने को भांप ली और अंदर ही अंदर खुश होने लगी। राहुल एकटक उसकी चूचियों को ही देखे जा रहा था तो मधु मुस्कुराते हुए फिर से बोली।)

क्या हुआ राहुल मेरी मदद करोगी या नहीं?

( राहुल हड़ बड़ाते हुए बोला।)
हां हां कककक...क्यों नही। जरूर करूंगा तुम्हारी मदद लेकिन कैसी मदद। ( राहुल को भी नहीं पता था कि मधु को किस तरह की मदद चाहिए थी । और वैसे भी मधु को तो किसी और चीज में मदद चाहिए थी लेकिन इस तरह से खुल्लम खुल्ला तो बोल नहीं सकती थी इसलिए कोई ना कोई बहाना तो चाहिए ही था। और पढ़ाई के बहाने से बेहतर बहाना और क्या हो सकता था इसलिए वह बोली।)

मुझे मैथ्स में कुछ प्रॉब्लम पड़ रही है जिसका सोल्युशन मिल नहीं रहा, क्या तुम मैथ के प्रश्नों को हल करने में मेरी मदद करोगे।


हां हां जरूर करूंगा यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है।

तो चलो वही ऊपर की मंजिल पर जहां पर सारी क्लास खाली रहती हैं वहां कोई शोर शराबा भी नहीं होगा और मैं ठीक से समझ भी लूंगी। ( ऊपर की क्लास की बात सुनते ही राहुल का रोम रोम संजना गया क्योंकि कुछ दिन पहले ही मधु उसे ऊपर की क्लास में ले गई थी और क्लास में जो उसने की थी उसकी यादें अभी भी उसके मानस पटल पर ताजा थी। राहुल के लिए मना करने का सवाल ही नहीं उठता था इसलिए वह तुरंत तैयार हो गया क्योंकि उसे भी मधु का साथ बहुत ही प्यारा लगता था।
दोनों नजरे बचाकर ऊपर की मंजिलें पर चले गए।

ऊपर की मंजिल पर पहुंचते ही नीलू ने राहुल को क्लास में ले गई। नीलू के करीब होते ही राहुल की धड़कन बढ़ जाती थी, एक तरह से उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती थी। ऊपर की मंजिल पूरी तरह से खाली थी कोई भी विद्यार्थी नहीं था। नीलू को अक्सर ऐसे ही मौके की तलाश रहती थी। नीलू और राहुल दोनों एक ही बेंच पर बैठ गए। बेंच पर बैठते ही राहुल ने बोला।

लाओ बताओ तो नीलू तुम्हें कौन से प्रश्न में उलझन हो रही है। ( अब नीलू क्या कहें उसे कोई उलझन हो ताे ना बताए लेकिन फिर भी उसने झूठ मूठ का मैथ्स की बुक खोलकर एक सवाल राहुल को बता दी।

राहुल ने किताब अपनी तरफ खींच कर नोट में सवाल हल करने लगा सवाल हल करते जाता था और नीलू को समझाता भी जाता था लेकिन नीलू का ध्यान किधर था उसे सवाल हल करना होता तो ना ध्यान देती। उसे तो बस बहाना चाहिए खराब होने के नजदीक रहने का और हमेशा मौके की ही ताक में रहती थी। नीलू की आंखों के आगे तो हमेशा राहुल के पेंट में बना हुआ तंबू ही नजर आता था। वह बहुत दिनों से तड़प रही थी राहुल के लंड को लेने के लिए लेकिन उसकी नसीब खराब थी कि मौका मिलते हुए भी वह मौके का लाभ नहीं उठा पा रही थी कोई ना कोई उलझन सामने खड़ी हो ही जा रही थी। आज इस मौके का लाभ उठाना चाहती थी। राहुल नीलू के मन में क्या चल रहा था इन बातों से वह बिल्कुल भी बेखबर था।
नीलू मन ही मन में कोई न कोई बहाना ढूंढ ही रही थी कि क्लास में राहुल के साथ थोड़ा बहुत मजा ले लिया जाए लेकिन कैसे? वह मन ही मन में राहुल को कोस भी रही थी कि कैसा लड़का है एक सुंदर, जवानी से भरपूर नवयौवना उसके सामने अकेले ही बैठी है और यह मौका है कि सवाल हल करन मेे लगा है इस उमर में तो इसको जवानी के सवाल हल करने चाहिए न की किताबों के। इसकीे जगह कोई ओर लड़का होता तो ना जाने कब से मेरे ऊपर टूट पड़ता मेरी जवानी के रस को अपने मोटे ताजे लँड से खींच खींचकर चूस लिया होता।
यही सब सोच-सोच कर परेशान हुए जा रही थी उसे कोई बहाना सुझ नहीं रहा था। बहुत दिनों बाद जो उसे मौका मिला है उसे हांथ से गंवाना नहीं चाहती थी ।
नीलू आंखें मटका मटका कर राहुल के चेहरे को गौर से देखे जा रही थी राहुल था कि सवाल हल करने में ही मस्त था उसने एक बार भी नजरें उठाकर नीलु की तरफ नहीं देखा था।
तभी उसने अपने पैर से सैंडल को पेऱ का सहारा लेकर उतार दी और उस पैर को राहुल की टांगो पर रगड़ने लगी। अपने पैर पर नीलू के पैर की रगड़ने को महसूस करके राहुल आश्चर्यचकित होकर नीलू की तरफ देखने लगा और नीलू थी कि राहुल को देखते हुए मुस्कुराए जा रही थी।
नीलू ने अपने पैर के अंगूठे के बीच राहुल के पेंट की किनारी को दबाकर हल्के से पेंट को ऊपर की तरफ उठाने लगी' और उतने से भाग पर अपनी नरम नरम ओर मुलायम गोरी टांग को रगड़ने लगी। नीलू की हरकत पर राहुल पूरी तरह से गनगाना गया' , नीलू की आंखों में अजीब सी ख़ुमारी छाई हुई थी उसके चेहरे पर बिखरी हुई कामुक मुस्कान किसी के भी कलेजे पर छुरिया चलाने के बराबर था। नीलु राहुल की तरफ देखते हुए बड़े ही मादक अंदाज में अपने लाल-लाल होठों को दांत से चबाने लगी। नीलू का यह रुप देख कर राहुल उत्तेजना से भर गया उसकी जांघों के बीच फन दबाए बैठे मुसल मे सुरसुराहट होने लगी। नीलू लगातार अपने पैरों का कमाल दिखाई जा रही थी राहुल का गला सुर्ख होने लगा था अजीब से सुख की अनुभूति करके उसके बदन में कंपकंपी सी मची हुई थी।
नीलू के लगातार प्रयास करने पर भी राहुल बिना कुछ किए सिर्फ मुक दर्शक बनकर नीलू की हरकतों का आनंद उठा रहा था, बल्कि राहुल की जगह कोई और होता है तो कब से इस इशारे को अपने लिए आमंत्रण समझ कर टूट पड़ता। लेकिन नीलु समझ चुकी थी कि जो भी करना था उसे ही करना था। अब इससे ज्यादा वह क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन इतना तो उसे ज्ञात हो चुका बात है कि राहुल पूरी तरह से ऊत्तेजीत हो चुका था। और उत्तेजित हुआ है तो उसका लंड भी पूरी तरह से टन टना कर खड़ा हो चुका होगा। यही सोचकर नीलू के मन में गुदगुदी मचने लगी।
उसने तो मन ही मन में राहुल के मोटे तगड़े लंड का चित्रांकन करके मस्त होते हुए अपनी बुर को पनिया चुकी थी। वह मन में ही सोच रही थी कि राहुल की जगह अगर कोई और लड़का होता तो बिना बोले ही उसकी पनियाई बुर में लंड डालके चोद दीया होता।
नीलू अभी भी अपनी हरकतों से राहुल को बहकाने की कोशिश कर रही थी पर ऐसा नहीं था कि राहुल का हक ना रहा हो राहुल के चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है। उसका चेहरा उत्तेजना के कारण तमतमा गया था। वह थूक निकलते हुए नीलू को ही घूरे जा रहा था और नीलू थी की अपने होठों को दांतों से चबाते हुए अपनी उत्तेजना को दबाए जा रही थी। क्या करें उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन कुछ तो करना ही था ऐसा मौका वह हाथ से जाने भी नहीं देना चाहती थी। तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी और वह तुरंत बेंच पर से उठ खड़ी हुई।
खड़े होते ही मैं उसी जगह पर उछलने लगी , जैसे कि उसके कपड़ो में कुछ घुस गया हो और वाकई में वह उछलते हुए अपने दोनों हाथो को पीछे पीठ की तरफ करके खुजाते हुए राहुल से बोली।
ककककककककुछ काट रहा है कुछ काट रहा है राहुल मुझे....
( नीलू का चिल्लाना सुनकर वह भी झट से बेंच पर से खड़ा हुआ और घबराते हुए बोला।)

क्या काट रहा है नीलु कहां काट रहा है?

( अभी भी जोर-जोर से उछलते हुए अपनी हथेली से पीठ को खुजला रही थी और बोली।)

यहां पीठ पर राहुल कुछ बहुत जोरों से काट रहा है मुझ से रहा नहीं जा रहा। कुछ करो राहुल कुछ करो।
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10-09-2018, 03:28 PM,
#38
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अब इसमे राहुल क्या कर सकता था उसे पीठ में कुछ काट रहा था और वह ऐसे में कर भी क्या सकता था वह बस बेवजह हवा में हाथ पैर मार रहा था कोई चालाक और होशियार लड़का होता तो इतने से भी फायदा उठाते हुए नीलु को उसकी कमीज उतार देने के लिए कहता, लेकिन शर्मिले राहुल से इतना सा भी नहीं कहा गया। नीलू उसके भोलेपन पर खूब नाराज हुई वह उसे खुलकर डांटना चाहती थी लेकिन मजबूरीवश डांट ना सकी। लेकिन तभी वह वक्त गंवाना नहीं चाहती थी इसलिए खुद ही अपनी कमीज को नीचे से पकड़कर ऊपर की तरफ सरकाने लगी जैसे कि वह उतार रही हो राहुल को तो कुछ समझ में नहीं आया क्योंकि जैसे जैसे कमीज ऊपर की तरफ सरकती गई वैसे वैसे नीलू की दूधिया नंगी पीठ राहुल की आंखों के सामने नंगी होती चली गई। राहुल ने सोचा कि नीलू बस पीठ तक की ही कमीज को उठाएगी ताकि मैं देख सकूं कि उसे पीठ पर क्या काट रहा है। लेकिन तभी राहुल की आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गई जब उसने अपनी कमीज को पूरी तरह से अपने बदन से अलग कर दी। राहुल की तो सांसे थम गई उसे समझ में नहीं आया कि यह नीलू उसकी आंखों के सामने इस क्लास में इस तरह की हरकत क्यों कर रही है। पूरी कमीज़ उतारने की क्या जरूरत थी लेकिन राहुल थोड़ा बुद्धू का बुद्धू ही था उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि जवान लड़की किसी लड़के के सामने ऐसी हरकतें
और अपनी कमीज क्यों उतारती है? जबकि उसने विनीत की भाभी के संग औरत के बदन की खुशबू क्या होती है औरत की चुदाई का मजा क्या होता है सब कुछ ले चुका था फिर भी अभी वह नादान ही था। नीलु काली रंग की ब्रा पहने हुए थीे उसकी दूधिया नंगी पीठ राहुल की तरफ ही थी और वह उंगली के इशारे से राहुल को दिखाने लगी थी की किस जगह पर उसे कुछ काट रहा है वह जिस जगह पर दिखा रही थी वह ब्रा की पट्टी के ठीक नीचे आ रही थी। जिसे देखने के लिए राहुल को या तो ब्रा का हुक खोलना पड़ता या तो पट्टी थोड़ा ऊपर सरका कर देखना पड़ता, वह जानबूझकर बार-बार राहुल से आग्रह कर रहे थे कि देखो राहुल कौन सी कीड़ी काट रही है जो मुझे इतना दर्द हो रहा है।
नीलू की नंगी पीठ और उसकी काली रंग की ब्रा की पट्टी को देख कर ही राहुल का लंड तनकर पेंट में तंबू बना चुका था। नीलू को इस रुप में देख कर राहुल उन्माद से भर चुका था , वॉइस शर्मा भी रहा था लेकिन नीलू के बार-बार आग्रह करने पर वह नीलू की तरफ बढ़ा नीलू गर्दन घुमा कर राहुल की तरफ ही देख रही थी वह देखना चाहती थी कि अब राहुल क्या करता है।
राहुल नीलू के ठीक पीछे खड़ा था और कांपते हाथों से नीलू की पीठ पर अपनी हथेली रखा ही था की नंगी पीठ पर हथेली रखते हैं उसका बदन उत्तेजना से झनझना गया, नीलू का भी यही हाल था स्कूल के इस खाली क्लास में नीलू राहुल की हथेली का अपनी नंगी पीठ पर स्पर्श पाते ही वह भी पूरी तरह से चुदवासी हो गई। समय बहुत कम था और आज इतने कम समय में उसे थोड़ा बहुत लुफ्त उठाना ही था। इसलिए वह राहुल को निर्देश देते हुए बोली, राहुल यहां ( उंगली से रगड़कर दिखाते हुए) पिक्चर का पर देखो पट्टी के नीचे कुछ काट रहा है।

राहुल भी उस काले रंग की ब्रा की पट्टी को उंगली से ऊपर की तरफ सरकाने की कोशिश करने लगा लेकिन ब्रा इतनी टाइट थीै कि उसकी पट्टी ऊपर की तरफ खसक नहीं रही थी। नीलू राहुल की मनोदशा को भांप गई इसलिए वह बोली।
राहुल पट्टी बहुत टाईट है इसलिए शायद खसक नहीं रही है तुम पट्टी के हुक को खोल दो मुझे उस जगह पर बहुत ज्यादा जलन हो रही है,

राहुल को लगने लगा था कि नीलू को वाकई में बहुत ज्यादा जलन हो रही होगी तभी तो वह इतना तडप रही है। इसलिए अब आपने कांपते हाथों से ब्रा की हुक को खोलने की कोशिश करने लगा। ब्रा का हुक दोनों हाथों से पकड़कर आमने-सामने खींचने लगा, वाकई में ब्रा की पट्टी बहुत ज्यादा टाइट थी वैसे भी नीलु की आदत थी की वह अपनी चुचियों के कप की साइज से कम नाप की ब्रा पहनती थी, ताकि उसकी पड़ी-पड़ी गोल चुचीयां टाइट रह सके। आखिरकार राहुल की मेहनत रंग लाई और अगले ही पल उसने ब्रा के हुक को खोल दिया। हुक के खुलते ही ब्रा कि दोनों पत्तियां साइड में हो गई और पीछे की पूरी पीठ एकदम नंगी हो गई। राहुल की आंखों में कई बोतलों का नशा चढ़ने लगा उसका लंड पेंट के अंदर गदर मचाए हुए था।

नीलू भी ऐसे माहौल में कम उत्तेजित नहीं थी उसे साफ महसूस हो रहा था कि उसकी पैंटि गीली होने लगी थी। उसकी बुर में भी खुजली मची हुई थी, नीलु गर्दन को पीछे की तरफ घुमाकर राहुल की तरफ देख भी रही थी वह देखना चाहती थी कि राहुल क्या करता है उसकी नंगी पीठ को देखकर राहुल में किस तरह का बदलाव आता है।
राहुल का मुंह खुला का खुला रह गया था वह नजरें झुकाए अपनी नजरों को नीलू की नंगी पीठ पर ही टीकाए हुए था कभी कभार उसकी नजर पीठ से होते हुए कमर के नीचे भरावदार नितंब पर भी चली जा रही थी जिससे राहुल की उत्तेजना में पल पल बढ़ोतरी हो रही थी। राहुल की उत्तेजना देख कर नीलू को बहुत खुशी हो रही थी। तभी राहुल के अंदर कामोत्तेजना ने अपना असर दिखाना शुरू किया और वह हल्के से अपनी हथेली को नीलू की नंगी पीठ पर फिराने लगा। जैसे ही राहुल ने नीलु की नंगी पि ठ पर अपनी हथेली को फिराया वैसे ही तुरंत उत्तेजना से सराबोर होकर नीलू अपनी आंखों को मूंद ली। कामातूर नीलू जो कि ना जाने कितने ही लड़कों के साथ हमबिस्तर हो चुकी थी। उसके लिए इतनी सी बात कोई बडे मायने नहीं रखती थी । ना जाने कितने लड़कों ने उसकी चुदाई कर चुके थे ना जाने उसके बदन पर कहां कहां हाथ और मुंह दोनों लगा चुके थे लेकिन फिर भी आज राहुल के मात्र हथेली के छुअन से नीलु का पूरा वजूद कांप गया था राहुल में जरूर कोई अनोखी बात थी जिसे नीलू की अनुभवी आंखों ने पहचान ली थी। राहुल हल्के-हल्के उसकी पीठ पर अपनी हथेली को फेरने लगा दूधिया नंगी पिठ का रेशमी मुलायम अहसास का असर राहुल को उसकी जांघो के बीच टनटनाए हुए लंड में दिखने लगा था।
सनी लियोन को भी मजा आने लगा था लेकिन वह जानती थी कि समय बहुत ही कम है और अगर ऐसे ही केवल हांथ फिराने में समय निकल गया तो इसका यहां आना व्यर्थ होगा। इसलिए वह खुदही झट से अपनी ब्रा को निकाल दी, और इस तरह से झटकने लगी जैसे कि कपड़े में चींटी हो, इसलिए नीलू के इस तरीके पर राहुल को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ। और नीलू वही उछलकूद मचाते हुए अपनी ब्रा को झटकने लगी। राहुल उसे देखने लगा ' नीलू का युं उछल-कूद मचाना राहुल को अच्छा लग रहा था राहुल उसके पीछे के भाग पर पूरी तरह से अपनी नजर ऊपर से नीचे तक घुमा रहा था
उछलने पर उसकी गदराई हुई गांड कि थिरकन देखकर राहुल का मन डोलने लगा था। उसके लंड में एेंठन आना शुरु हो गया था की तभी नीलू ब्रा को झटकते हुए राहुल की तरफ घूम गई, नीलू काे उसकी तरफ घूमते ही राहुल के तो जेसे होश ही उड़ गए उसका दिमाग सुन्न हो गया। राहुल की नजर सीधे ऊपर नीचे हो रही नीलू की दोनों गोलाइयों पर चली गई, एक बार नजर उस पर पड़ी तो बस राहुल की नजरे गड़ी की गड़ी रह गई और नीलू थी की राहुल की तरफ ध्यान दिए बिना ही जानबूझकर ब्रा को झटकते ही जा रही थी ' लेकिन नीलू यह अच्छी तरह से जानती थी कि राहुल की नजर कहां है? उसकी गोल गोल चुचियां कुछ ज्यादा ही उछाल मार रही थी। राहुल उत्तेजना से सरो बोर हो चुका था। तभी नीलू की नजर राहुल पर पड़ी और ऐसे बर्ताव करने लगी कि जैसे कि यह सब अनजाने में ही हुआ है और वही शर्मिंदा होकर ठिठक गई, वह झट से ब्रा का साहारा लेकर अपनी चुचियों को ढंकने की नाकाम कोशिश करने लगी। ढंक क्या रही थी बल्कि वह और भी ज्यादा राहुल का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में लगीे थी। राहुल एकटक नीलू के नंगे बदन को निहारे जा रहा था तभी नीलू और राहुल की नजरे में आपस में टकराई, दोनों एक दूसरे की आंखों में खोने लगे दोनों की आंखों में अजब सा नशा छाने लगा था। नीलू हाथों में ब्रा पकड़े और उससे चुचियों को ढकने की नाकाम कोशिश करते हुए राहुल की तरफ बढ़ी दोनों की नजरें एक दूसरे के ऊपर से हट नहीं रही थी। नीलू राहुल के बिल्कुल करीब पहुंच गई दोनों अजीब से आकर्षण में बंध चुके थे। तभी नीलू ने अपने होठों को राहुल के होठों की तरफ बढ़ाई राहुल मे भी जैसे हिम्मत आ गई हो ऐसे वह भी अपने होंठ को नीलु के होठो की तरफ बढ़ाया, नीलू यह मौका नहीं खोना चाहती थी इसलिए उसने तुरंत अपने तपते हुए होंठ को राहुल के होंठ पर रखकर चूमने लगी। राहुल तो खुशी से एकदम गदगद हो गया।
नीलू खुद राहुल के होठों को अपने होठों के बीच भरकर चुसे जा रही थी। नीलू की एक दम उत्तेजित हो चुकी थी उसके हाथों से ब्रा छूट कर नीचे गिर गई। उत्तेजना की वजह से राहुल की आंखें मुंद चुकी थी। नीलू एक पल भी गांव आना ठीक नहीं समझी और उसने तुरंत राहुल के दोनों हाथों को पकड़ कर खुद ही अपनी चुचियों पर रख दी, राहुल का मन प्रसन्नता से भर गया उसके हाथों में भी ऐसे छुपा हुआ खजाना हाथ लग गया हो इस तरह से वह खुद ही उस खजाने को लूटने से अपने आप को रोक नहीं पाया और वह नीलू की दोनों को गोलाइयो को अपनी हथेली में हल्के हल्के भरकर दबाने लगा।
आाहहहहहहहह.... गजब का गरम और मुलायम अहसास था नीलू की चुचियों में, राहुल को तो जैसे सीजनल अाम मिल गया हो इस तरह से दबाना शुरु कर दिया। राहुल को तो मजा आ ही रहा था नीलू भी कम लुत्फ नहीं उठा रही थी। वेरावल के होठों से और उसकी हथेलियों से भरपूर आनंद ले रही थी। क्लासरूम में दोनों एक दूसरे में खोए हुए थे राहुल तो मदमस्त हुआ जा रहा था उसे बार बार वीनीत ं की भाभी याद आ जा रही थी जिससे कि उसके लंड में खून का दौरा काफी बढ़ जा रहा था। ऐसा लगने लगा था कि उसका लंड पेंट फाड़ कर बाहर ही चला आएगा।
राहुल पूरी तरह से आवेश में था उत्तेजना का नशा उसके सर पर हावी हो चुका था वह लगातार नीलू की चुचियों दवाई जा रहा था । नीलू भी उसके होठों को चुसते हुए उसके बदन के सटी जा रही थी। वह अपने दोनों हाथों को राहुल की पीठ पर सहलाते हुए अपनी दोनों हथेलियों के नीचे की तरफ ्लाई और कमर से नीचे राहुल के नितंब पर दोनों हथेलियों को रख कर उसे अपने बदन से सटाने के लिए अपनी तरफ दबाई ही थी की नीलू का खुद का बदन झनझना गया उसके बदन में जैसे चीटियां रेंगने लगी, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी क्योंकि जैसे ही नीलू ने राहुल के नितम्ब पर हथेली रखकर उसे अपनी तरफ दबाई थी। वैसे ही तुरंत राहुल के पेंट में बना तंबू सीधे जाकर नीलू की जांघेा के बीच बुर वाली जगह से टकरा गया' नीलू के तो होश ही उड़ गए क्योंकि तंबू का स्पर्श कुछ ज्यादा ही दमदार था जिसका असर सीधे उसकी बुर की गहराई में उतर गई।
नीलू की बुर ने छलछला के दो चार मदनरस की बुंदे पेंटी मे ही टपका दी।
राहुल भी जानता था की उसका लंड सलवार के ऊपर से ही कोन सी जगह ठोकर मार रहा था। इसलिए तो राहुल भी अपने आप को संभाल नहीं पाया और कस कस के नीलू की चूचियों को मसलने लगा।
नीलू राहुल के स्तन मरदन और लंड की ठोकर को अपनी बुर पर महसुस करते ही एकदम से चुदवासी हो गई,और कामातुर होकर पेंट के ऊपर से ही राहुल के लँड को अपनी हथेली मे दबोच ली।
आहहहहहहहहहह.......राहुल के मुंह से अनायास ही सीसकारी छुट गई। अजीब से सुख की अनुभुति के एहसास से गनगना गया। नीलु भी एेसे दमदार लंड को पेंट के ऊपर से दबोचते ही गदगद हो गई ,ऊसकी पनीयाई बुर भी खुशी से फुलने पिचकने लगी। पेंट के ऊपर से ही नीलु लंड की मजबुती को भांप गई। ऊसने एक पल भी गंवाए बिना ही पेंट की बटन को खोलकर चड्ढी सहीत एक झटके मे जांघो तक खींच दी। पेंट के नीचे सरकते ही जो नजारा आंखो के सामने था,वह नीलु के होश उड़ाने के लिए काफी था।
राहुल का टनटनाया हुआ लंड पेंट ऊतरते ही हवा मे लहराने लगा, जो की गजब का लग रहा था' नीलु तो बस देखते ही रह गई। ऊसने अब तक एसा जानदार ओर तगड़ा लंड नही देखी थी। नीलू का मुंह खुला का खुला रह गया था, लंड का बदामी रंग का सुपाडा ही गजब की गोलाई लिए हुए था नीलु मन ही मन सोचने लगी कि, हे भगवान इसके लंड का सुपाडा कितना मोटा है। और इसके सुपारी की मोटाई की तुलना में मेरी बुर का गुलाबी छेद कुछ ज्यादा ही छोटा है अगर उसका सुपाड़ा मेरी बुर में गया तब तो यह मेरी बुर फाड़ ही देगा। ऊफफफफफफफ..... गजब का दमदार लंड है इसका। नीलू मन हीं मन मे बड़बड़ाए जा रही थी।
राहुल तो अपनी सुध बुध पूरी तरह से खो चुका था। दोनों का प्रगाढ़ चुंबन टूट चुका था। नीलू धीरे धीरे नीचे घुटनों के बल बैठते जा रही थी। राहुल को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वह खाली मूकदर्शक बन कर नीलू की हरकतों को देखता जा रहा था। उसे अब डर लगने लगा था क्योंकि यह क्लास था वैसे तो किसी के यहां आने का डर बिल्कुल भी नहीं था फिर भी उसके मन में डर बना हुआ था। नीलु अब तक जिसके बारे में कल्पना करके बार-बार पनियां जाती थी वह जानदार ओर तगड़ा लंड उसके सामने सिर उठाए खड़ा था। नीलू अपने लालच को और ज्यादा रोक नहीं पाई और अपना हाथ बढ़ाकर राहुल के टनटनाए हुए लंड को थाम ली । जैसे ही नीलू ने राहुल के लंड को अपनी हथेली में दबोची, लंड की मोटाई और उसका गरम एहसास नीलू के रोम रोम को झनझना दिया, साथ ही राहुल का भी बुरा हाल होने लगा।
नीलू से अब अपने आप को रोक पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था और उसने तुरंत एक दो बार लंड को मुठीयाई ' राहुल की तरफ नजर उठाकर देखी तो राहुल गहरी सांस ले रहा था। राहुल की उत्तेजना देखकर नीलु बहुत प्रसन्न हुई और उसने तुरंत राहुल से नजरें मिलाते हुए ही लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर ली।

आहहहहहहहह.....( जैसे ही नीलू ने लंड को मुंह में भरी राहुल के मुंह से सिसकारी छूट गई।)

नीलू चुदाई के हर एक खेल में माहिर थी इसलिए वह अपनी जीभ का कमाल राहुल के लंड पर दिखाने लगी।
वह अपनी जीभ को सुपाड़े पर गोल गोल फिराते हुए लंड को आइसक्रीम कोन की तरह चाट रही थी।
राहुल की तो सांसे ऊपर नीचे हुए जा रही थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका पूरा बदन हवा में झूल रहा है। आंखों को मुंद कर वह जन्नत के ईस परमसुख की अनुभूति करके मस्त हुआ जा रहा था।
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10-09-2018, 03:29 PM,
#39
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
नीलू एकदम चुदवासी हो चुकी थी। उसकी पैंटी भी धीरे-धीरे करके गीली हो चुकी थी तभी तो वह लंड को मुंह में लेकर चूसते हुए एक हाथ से सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी। दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों चुदवासे हो कर चुदाई की आग में झुलस रहे थे। चप्प चप्प की कामुक आवाज नीलू के मुख से निकल रही थी जिससे पूरा क्लास रूम गुंज रहा था। ऐसे अजब से सुख की अनुभूति करके राहुल नीढाल हुए जा रहा था। नीलू तो राहुल के मोटे लंड को पाकर एकदम पगला सी गई थी वह बहुत जल्दी जल्दी अपने मुंह को उसके ऊपर आगे पीछे कर के लंड चुसाई का मजा ले रही थी। उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था जिस पर अपनी हथेली को रगड़ रगड़ कर बुर वाली जगह को एकदम गीली कर ली थी।
दोनों लंड चुसाई का भरपूर आनंद उठा रहे थे। राहुल से रहा नहीं जा रहा था' उसे ऐसा लग रहा था जैसे की उसका लंड वीनीत की भाभी की बुर में अंदर बाहर हो रहा है। इसलिए राहुल से और ज्यादा सब्र नहीं हुआ और उसने अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए नीलू के सर को दोनों हाथों से थाम लिया' और आंखों को मुंद़कर जिस तरह से वीनीत की भाभी की बुर में लंड को अंदर बाहर करते हुए पेल रहा था। उसी तरह से नीलू के मुंह में लंड को ठुंसे हुए ही कमर को आगे पीछे करके चलाने लगा।
नीलू और राहुल दोनों को बहुत मजा आ रहा था पल-पल दोनों की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी राहुल था कि अब बिना शर्म किए सिसकारी लेते हुए नीलू के मुंह में लंड को पेले जा रहा रहा था।
नीलू भी अपने मुख से गर्म सिसकारी भरी आवाज निकालते हुए अपनी हथेली को बुर पर लगातार रगड़ते जा रही थी। दोनों चरमसुख की तरफ बढ़ ही रहे थे कि तभी रीशेष पूरी होने की घंटी बज गई। घंटी की आवाज सुनते ही राहुल हड़बड़ा गया हालांकि फिर भी वह नीलू के मोह में धक्के लगाए जा रहा था और नीलू भी लंड को चूसे जा रही थी। नीचे विद्यार्थियों की आवाज बढ़ती जा रही थी जिसकी वजह से राहुल को डर लगने लगा वह नीलू के मुंह से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचने लगा लेकिन नीलू थी की राहुल कै लंड को अपने मुंह से निकालने के लिए तैयार ही नहीं थी। राहुल ने फिर भी जैसे-तैसे करके अपने लंड को नीलू के मुंह से बाहर खींच ही लिया ओर झट से अपनी पेंट को ऊपर चढ़ा कर बटन बंद कर लिया। राहुल बिना कुछ बोले क्लास से बाहर निकल गया पर नीलू वहीं पर ठगी सी बैठी रह गई। अकेले बैठे वह वहां पर क्या करती वह भी नीचे फर्श पर गिरी अपनी ब्रा उठाई और उसे पहनने लगी' कमीज पहन ने के बाद वह अभी क्लास से बाहर आ गई।

आज नीलू की अभिलाषा कुछ हद तक पूरी हुई थी। जिसके बारे मैं अब तक कल्पना कर कर के ही अपनी पेंटी को गीली करती आ रही थी आज बहुत दिनों बाद उसे छूने का उसकी गर्मी को महसूस करने का मौका मिला था। और नीलू ने इस मौके का कुछ हद तक फायदा भी उठा ली ,बहुत लडको के लंड को चूस चूस कर नीलू ने अपनी प्यास बुझाई थी। लेकिन आज राहुल के मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने के बावजूद भी उसकी प्यास बुझने के बजाए और भी ज्यादा बढ़ चुकी थी। उसकी बुर कुलबुला रहीे थेी राहुल के मोटे तगड़े लंड को अपने अंदर लेने के लिए।। इसलिए तो वहां छुट्टी के बाद जैसे ही घर पर पहुंची तुरंत अपने कमरे के अटैच बाथरूम में पूरी तरह से नंगी होकर सावर ली, शावर लेने के बाद अपने बदन को टावल से पोछकर नग्नावस्था में ही अपने बिस्तर पर लेट गई और ना जाने कितनी बार अपनी उंगली से ही अपनी बुर का पानी निकालकर अपने आप को शांत करने की कोशिश करती रही।

राहुल का भी यही हाल था ,एक तो वीनीत की भाभी ने उसके होश पहले से ही उड़ा रखे थे। ऊपर से जो आज नीलू ने क्लासरूम में उसके साथ मुखमैथुन का आनंद प्रदान की थी उस आनंद ने तो राहुल को पागल ही बना दिया था। राहुल ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि स्कूल के क्लास रूप में एक सुंदर लड़की उसके अकेलेपन का फायदा उठाते हुए उसके लंड को चूसकर उसे परम आनंद की अनुभूति कराएगी। राहुल अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था कि बिना मांगे ही उसे सब कुछ मिल रहा था। एक खूबसूरत लड़की नीलु जो उसे प्यार करने लगी थी और आज मुखमैथुन जैसे अतुल्य कार्य का आनंद भी दे चुकी थी। और वीनीत की भाभी थी जिसने उसे संभोग सुख दे चुकी थी। जिसने उसे यह एहसास दिलाया कि बुर और लंड के मिलन से जो सुख प्राप्त होता है ऐसा सुख दुनिया में और कहीं भी नहीं प्राप्त होता। और तों और अब तो राहुल के ऊपर उसकी खुद की मां के बदन का आकर्षण भी बनता जा रहा था। अपनी मम्मी के भरावदार बदन के प्रति भी उस का झुकाव बढ़ने लगा था। इन तीनों औरतों के बारे में कल्पना कर करके राहुल ने सारी रात ना जाने कितनी बार हस्तमैथुन करते हुए अपने गरम पानी को निकालकर अपने बदन को शीतलता प्रदान करता रहा।


दूसरी तरफ विनीत था वह अलका के चक्कर में एकदम देवदास हो गया था ,उसकी हालत एकदम मजनू की तरह हो चुकी थी। ना ठीक से खाता था ना पीता था और पढ़ाई में तो उसका मन पहले से ही नहीं था।
यह तो तय था कि यह कोई प्रेम नहीं था बस आकर्षण और वासना का मिला-जुला असर था।
इंसान में वासना गजब का असर दिखाती है। एक बार जब इंसान के अंदर वासना दाखील हो जाती है तो ना उम्र देखती है ना संबंध ना ही रिश्तो का लिहाज ही करती है। अलका उसके परम मित्र की मा थी इस बात से तो विनीत अनजान था लेकिन फिर भी अलका उसके मां की उम्र की थी। उसे अलका की उम्र का भी लिहाज नहीं था, उसे तो बस अलका का खूबसूरत मादक बदन उसकी खूबसूरती उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और सबसे ज्यादा अलका का भरावदार गांड विनीत को भा गई थी। उसे चारों पहर ़ बस अलका ही अलका नजर आती थी। इसलिए पिछले 3 दिनों से रोज शाम के वक्त ऑफिस से लौटने के समय पर अलका की राह तकता रहता था, लेकिन जैसे कि वक्त ने उसकीे तड़प को और ज्यादा बढ़ाने की ठान ली थी इसलिए अलका से उसकी मुलाकात हो ही नहीं पा रही थी। विनीत पूरी तरह से अलका के मोह पास में जकड़ चुका था। अब तो हाल यहां तक हो चुका था कि विनीत को उसकी भाभी की चुदाई करने में भी मजा नहीं आ रहा था, वह जब भी अपनी भाभी की चुदाई करता तो कल्पना में अलका के बदन के बारे में ही सोचते हुए अपनी भाभी को चोदता तब जाकर उसके मन को थोड़ी बहुत शांति मिलती थी।

जबसे विनीत की भाभी ने राहुल का लंड अपनी बुर में ली थी तब से उसे विनीत के लंड से जरा भी मजा नहीं आ रहा था उसकी बुर तड़प रही थी दुबारा राहुल के लंड को लेने के लिए।

अब तो अलका का भी बुरा हाल हो गया था उसकी भी रातें विनीत द्वारा की गई कामुक हरकत की वजह से बिना पेंटि गीली किए नहीं कट रही थी। हालाकी उसने उस दिन की तरह अपनी बुर में उंगली डालकर अपने आप को शांत करने की कोशिश नहीं की थी बल्कि उन विचारों के माध्यम से ही वह अपनी बुर की पुतलियों को अपनी हथेली से रगड़ रगड़ कर आनंद ले रही थी। अलका खुद विनीत की तरफ खींची चली जा रही थी जिसका उसे पता ही नहीं था क्योंकि अब तो जब भी शांत बैठती थी तब उसके दिमाग में विनीत ही घूमता था खास करके बारिश वाली रात की हरकतें। मार्केट से गुजरते समय उसकी भी नजरे विनीत को ही ढूंढती रहती थी ,लेकिन उसकी भी मुलाकात विनीत से नहीं हो पा रही थी। बरसात के दूसरे दिन ही वह मार्केट के एक स्टोर पर गई थी, उसे वीट हेयर रिमूवर लेना था। क्योंकि वह रात को अपनी बुर पर उगे हुए बालों के गुच्छे को देख कर बहुत खराब लगा था और उसे वह क्रीम लगाकर साफ करना चाहती थी इसलिए वीट क्रीम खरीदने का निर्धार वो रात को ही बना ली थी ।स्टोर पर जाने में उसे बहुत ही संकोच हो रहा था। 2. 3 स्टोर तो वह छोड़ चुकी थी क्योंकि वहां पर कुछ ग्राहक पहले से ही जमा हुए थे तो उन लोगों के सामने वीट क्रीम मांगने में उसे शर्म सी महसूस हो रही थी। ऐसे करते करते वह मार्केट खत्म होने के करीब तक पहुंच गई। तभी सामने एक छोटा सा स्टोर दिखा, वहां पर भी पहले से ही दो लड़के खड़े थे। लेकिन उसने हिम्मत जुटाकर मन में ही फैसला कर ली थी जो होगा देखा जाएगा। आख़िर सभी औरतें लड़कियां इसे खरीदतीे हैं, मैं ही हमेशा क्यों बीट लेते समय इतना शर्माती हुं। इसलिए वह हिम्मत जुटाकर सीधे स्टोर पर पहुंच गई।
और बेधड़क होकर दुकानदार से उसने वीट क्रीम मांग ली, और इधर उधर देखते हुए अपने चेहरे पर आई शर्म के भाव को छुपाने की कोशिश करने लगी।
अमिता के द्वारा बीत क्रीम मांगने पर दुकानदार कबाट की ओर बढ़ गया और पास में ही खड़े दोनों लड़कों ने अलका के मुंह से बीट क्रीम सुने ही थे की उनकी कान के साथ-साथ जांघों के बीच लटक रहा लंड भी खड़ा हो गया। अलका के बदन में गुदगुदि सी मची हुई थी। बीट मांगने के नाम पर ही अलका के बदन में एक रोमांच सा ऊठ रहा था। उसकी पैंटी बीट के नाम पर कब गीली हो गई उसे खुद को पता नहीं चला।
अलका को बीट मांगते देख पास मे हीं खड़े दोनों लड़कों की नजर अलका के बदन पर ऊपर से नीचे तक पड़ी , तभी एक लड़के ने दूसरे लड़के को फुशफुसाते हुए कहा।
यार देख तो सही आज बीट ले जा रही है आज पूरे बाल साफ करके चिकनी कर देगी,उफफफफ.... आज तो जो भी इसकी लेगा पूरी चीभ लगाकर चाट जाएगा। काश हमारी किस्मत में ऐसी होती... । ( इतना कहने के साथ ही दोनों हंसने लगे। अलका उन लड़कों के कमेंट्स सुनकर एकदम शर्मसार हो गई, उसे उन लड़कों पर क्रोध भी आया वह उन लड़कों को डांटना चाहती थी लेकिन शर्म के मारे कुछ कह नहीं पाई, उन लड़कों से ज्यादा उसे उस दुकानदार पर गुस्सा आ रहा था जो क्रीम देने में इतनी देर लगा रहा था। उन लड़कों की गंदी कमेंट सुनकर अलका के बदन में शिहरन सी दौड़ गई थी। उत्तेजना में अलका की बुर फुदकने लगी थी।
वैसे भी अक्सर मर्द लोग औरत के उपयोग में ली जाने वाली हर वस्तु के बारे में कल्पना करना शुरु कर देते हैं।
अगर कोई औरत ब्रा पैंटी लेती होगी तो मर्द लोग कल्पना करने लगते हैं कि वह कैसे ब्रा और पैंटी पहनेगी यै कैसी दिखेगी इसे पहनने के बाद' हेयर रिमूवर ली तो उसके बारे में कल्पना करना शुरू कर देंगे कि कैसे वह अपनी बुर पर पर वीट लगाकर साफ करके अपनी बुर को चिकनी करेगी यह सब क्या अक्सर हर मर्द ने चलने लगता है।
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10-09-2018, 03:29 PM,
#40
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अलका द्वारा बीट का उपयोग करने की कल्पना उन दो लड़कों में भी चल रही थी। तभी उस दुकानदार ने अलका को क्रीम थमाया और अलका ने तुरंत उसे पैसे देकर वहां से चलती बनी। हालाकि दो-तीन दिन गुजर गए थे लेकिन अलका ने बीट क्रीम का उपयोग नहीं कर पाई थी। बरसों बाद उसके बदन में भी प्यास की फुवार उठ रही थी।

एक दिन अलका ऑफिस से छूटकर अपनी घर की तरफ जा रही थी और जैसे ही मार्केट से होते हुए गुजर रही थी, की वही उसकी राह तकते हुए बैठे विनीत की नजर अलका पर पड़ी और वह दौड़ते हुए अलका के पास गया, अलका की नजर जैसे ही विनीत पर पड़ी वह अंदर ही अंदर बहुत खुश हुई लेकिन चेहरे पर बनावटी गुस्सा लाते हुए बोली।

तुम मेरे पास भी मत अाना' तुम्हें मैं इतना सीधा लड़का समझी थी लेकिन तुम तो शैतान निकले। बीते भरके हो लेकिन तुम्हारी हरकतें एकदम आदमियों की तरह हो गई है। ( अलका उसे खरी-खोटी सुनाते हुए कंधे पर पर्स लटकाए तेजी से चली जा रही थी, और विनीत था कि उससे मिन्नतें करते हुए उसके पीछे पीछे लगा हुआ था। अलका के बीते भरके वाली बात पर वह मन ही मन सोचा की अगर यह आंटी मुझे मौका दे देती तो मे ईसे दिखा देता की यह बीते भर का लड़का इस औरत का तीन चार बार पानी एक ही बार में निकालने की ताकत रखता है। लेकिन अभी तैयार से काम लेना था इसलिए उसके पीछे पीछे मिन्नते करते हुए जा रहा था। वह उसके साथ चलते चलते बोला।

एक बार सुनो तो आंटी मानता हूं मुझसे गलती हो गई पर मेरी पूरी बात तो सुन लो इस तरह से नाराज होकर जाओगी तो कैसे चलेगा।

अब कहने और सुनने के लिए बचा ही क्या है तुम्हे जो करना था कर तो दिया ना। अब क्या है? ( अलका की बात सुनकर उसके मुंह से एकाएक निकल गया।)

कहां आंटी जी ।कहां कुछ कर दिया।


अब यूं भोला मत बन, तुम कितना शैतान हो मैं उस दिन जान गई।

आंटी जी उसी बात की तो मैं आपसे माफी मांगने के लिए कितने दिनों से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं। ( रास्ते पर एक दूसरे की दलीलों को सुनते हुए दोनों आगे निकल गए यहां रास्ते पर भीड़ कुछ कम थी, इसीलिए वीनीत हिम्मत करके अलका का हाथ थाम लिया, इस तरह से हांथ थामने पर अलका को विनीत पर गुस्सा आ गया और वह झटके से अपना हाथ छुडाते़ हुए बोली

विनीत अब कुछ ज्यादा ही हो रहा है तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस तरह से मेरा हाथ पकड़ने कीे ।

मेरी इस हरकत के लिए माफी चाहता हूं आंटी जी। उस दिन जो हुआ उसके लिए मैं आपसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। ( विनीत लगभग रुवांसा होते हुए बोला' दिनेश के चेहरे पर बदलते भाव को देखकर अलका शांत हुई। और बोली।)

अब क्या कहना चाहते हो । तुम्हे क्या ईसका अंदाजा भी है की अगर ऊस दीन कीसीने जो तुम हरतक कर रहे थे अगर कीसी ने देख लिया होता तो क्या होता, लोग क्या समझते मेरे बारे मे मे तो कीसी को भी मुंह दीखाने के काबिल भी नही रह जाती। ( हल्का बनावटी गुस्सा दिखाते हुए विनीत को बोले जा रही थी। और विनीत भी अब सच में रोने जैसा हो गया था ओर वह भी अपनी सफाई देते हुए बोला।)

माफी तो मांग रहा हूं आंटी जी अब बोलो मे क्या करु'
मेरी ओर गलती के लिए आप जो बोलोगे वह सजा मुझे मंजूर होगी लेकिन उसके पहले मेरी बात तो सुन लो।
( वीनीत की बातें सुनकर अलका एक दम शांत हो गई और वीनीत उसकी खामोशी को उसकी इजाजत समझते हुए बोला।)

आंटी जी उस दिन जो भी हुआ मैं वैसा कुछ भी नहीं करना चाहता था मैं तो आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाना चाहता था ताकि आपको बारिश में तकलीफ ना हो. लेकिन आंटी जी आपकी खूबसूरती देखकर मैं बाहक गया। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि औरत इतनी ज्यादा खूबसूरत होती है। ( इस बार अलका विनीत को ध्यान से देखने लगी उसकी बात को ध्यान से सुनने लगी। अलका को वीनीत की ऐसी रोमांटिक बातें अच्छी लगने लगी थी। विनीत जानता था कि अगर किसी औरत को वश में करना हो तो सबसे बड़ा हथियार है उनकी तारीफ करना। अपनी तारीफ सुनकर दुनिया की कोई भी औरत किसी के भी सामने पिघल सकती हैं। और वही अलका के साथ भी हो रहा था। विनीत अलका की तारीफ के पुल बांधता हुआ बोला।)

सच कहूं तो आंटी जी बारिश में भीगने के बाद आप ओर भी ज्यादा खुबसुरत हो गई थी। मैं तिरछी नजर से चोरी छिपे आपके बदन की खूबसूरती को निहार ले रहा था। और आंटी जी तब तो मुझसे और भी अपने आप को संभाला नहीं गया जब आपको संभालते समय अनजाने में मेरा हाथ आप की चूची पर पड़ी थी। ( विनीत के मुंह से चुची शब्द सुनते ही अलका का मुंह खुला का खुला रह गया, उसे कुछ पल तो यकीन ही नहीं हुआ कि यह विनीत क्या कह रहा है, कभी वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए जानबूझकर अलका को उकसाते हुए बोला।)
आंटी जी आपकी चूची जैसे ही मेरे हाथों को छू आई थी मेरा पूरा बदन ऐसा झनझना गय़ा मानो की करंट लग गया हो। इतनी नरम नरम चूची के स्पर्श का एहसास मेरे पूरे वजूद को हिला गया था। ( विनीत जानबूझकर नमक मिर्च लगा कर उनका की तारीफ करते हुए गंदी बातों का सहारा लेकर उसको उकसाने की कोशिश कर रहा था। अलका भी उसकी चिकनी चुपड़ी बातों के बाहाव में बही जा रही थी। कुछ देर वहीं खड़े रहने के बाद अलका फिर से चलने लगी, वीनीत भी उसके पीछे पीछे चलने लगा लेकिन इस बार अलका ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की। विनीत फिर से उसके बराबर में चलते हुए बोला।)

आंटी जी आप मेरी बातों से नाराज तो नहीं है ना, देसी आंटी जी मेरे मन में पाप नहीं है लेकिन जो मेरे मन में था वह साफ साफ आपको पूरी सच्चाई बता दिया।
( दिनेश की बातें सुनने के बाद चलते चलते ही अलका का बोली।)

तुम्हें नहीं लगता है कि तुम्हारी यह बातें और तुम्हारी की गई हरकतें दोनों गंदी हैं।

मैं कब कह रहा हूं आंटी जी कि मैंने जो कुछ भी किया वह सब ठीक था। आप की जगह पर अगर कोई और होती तो मेरी इन हरकतो की वजह से मेरे गाल पर थप्पड़ रसीद कर दी होती' और तो और मैं हैरान हूं कि अब तक मेरे गाल लाल क्यों नहीं हो गए।
( वीनीत की इस बात पर अलका को हंसी आ गई' और अलका की हंसी को देखकर विनीत अंदर ही अंदर खुश होने लगा क्योंकि उसने बहुत कुछ साफ-साफ बोल दिया था जो कि एकदम खुले शब्दों में था फिर भी अलका की हंसी से साफ जाहिर हो रहा था कि वह उसकी बातों को सुनकर नाराज नहीं थी। इसलिए उसकी हिम्मत बढ़ रही थी और वह फिर से अलका की तारीफ में दो शब्द और जोड़ते हुए बोला।)

आंटी जी आप सच बताइए आप नाराज तो नहीं है ना।


देखो विनीत नाराजगी का तो कोई सवाल ही नहीं उठता जो भी तुम कर रहे हो ये सब सही नहीं है।

आंटी जी मैं जानता हूं कि ऐसा सही नहीं है लेकिन उसके लिए बारिश की वजह से बहक गया था खास करके आपके भीगे हुए बदन को देख कर, मैं आपको पहले भी बता चुका हूं कि मैंने आपसे ही खूबसूरत औरत कभी नहीं देखा। उस दिन अगर मैं आपके होठों का रास्ता ना किया होता तो मैं अपना होश कभी नहीं खोता, और ना ही आपके गुलाबी हो तो के मधुर रस की वजह से मेरे होश खोते ओर न मैं आपकी इन( आंखों से इशारा करते हुए) बड़ी बड़ी चुचियों को अपनीे हथेली में भर कर दबाता। और ना ही आपकी साड़ी को आपकी कमर तक उठा कर आपकी मोटी मोटी जांघों को सहलाने की जुर्रत करता। इसमें आपका ही दोष है ।
( कल का दिन एक की इन बातों को सुनकर एकदम भोंचक्की सी हो गई उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था की वह जो सुन रही है ना कोई उसके बेटे के हमउम्र का लड़का ही है। जो खुद उससे इतनी गंदी बातें कर रहा है। अलका को गुस्सा भी आ रहा था लेकिन विनीत की इन बातों में अश्लीलता के साथ-साथ उसकी खुद की तारीफ भी छुपी हुई थी इसलिए उसे यह सब सुनने में अच्छा भी लग रहा था। विनीत का जवाब सुनकर उसे क्या कहना है ये उसे सुझ ही नहीं रहा था, फिर भी वह बोली।)

तुम पागल हो गए हो क्या यह तो वही हो गया आपकी उल्टा 
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