Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:34 PM,
#61
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
लाइट आ चुकी थी बाथरूम का भी बल्ब चमकने लगा बाथरूम में रोशनी ही रोशनी हो गई। राहुल की नजर अपनी मां पर गई तो उसका दिल धक्क से रह गया। 
अलका भी अपने बेटे की तरफ देखी तो चौक गई। दोनों हतप्रत हो गए थे। गजब का नजारा बना हुआ था अलका बैठ कर पेशाब कर रही थी और राहुल साफ-साफ देख पा रहा था कि उसकी मां की पेशाब की धार सामने दीवार से टकरा रही थी, और उसकी बुरसे लगातार मधुर मई संगीत की धुन बज रही थी जिसे सुन सुनकर राहुल कामातूर हुए जा रहा था। बल्ब के जलते ही अलका की नजर सीधे अपने बेटे पर गई थी जो कि उसके ही नजदीक खड़ा होकर पेशाब कर रहा था उसका टनटनाया हुआ लंड उसकी ऊंगलियों मे फंसा हुआ था। और उसमें से भी पेशाब की तेज धार फूट रही थी जोकि सामने की दीवार से टकरा रहीे थी। दोनों की नजर एक दूसरे की पेशाब की तेज धार पर ही टिकी हुई थी दोनों कुछ समय के लिए सब कुछ भूल चुके थे। 
कुछ देर पहले अंधेरे का फायदा उठाते हुए दोनों ने जो 
वासनामई क्रिया का प्रारंभ किया था वह इससे में उजाले में और ज्यादा भड़क चुका था। दोनों एक दूसरे के अंगों को देखे जा रहे थे हालांकि राहुल को उसकी मां की बुर नजर नहीं आ रही थी लेकिन उसमें से निकलीती हुई पेशाब की तेज धार साफ साफ नजर आ रही थी। अलका का मुंह खुला का खुला रह गया था उसकी मदहोश आंखें अपने ही बेटे के मोटे लंड पर टिकी हुई थी। अंधेरे में जिसे देखकर मचल उठी थी इस समय उजाले में उस के दर्शन करके पागल सी होने लगी थी उसके सर पर वासना का भूत सवार हो गया था उससे रहा नहीं जा रहा था वह मन में ठान ली थी की, आज चाहे जो हो जाए अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में पूरा का पूरा डलवा कर उससे चुदवा कर ही रहेगी। 
पेशाब करते हो दोनों की नजरें आपस में टकराई तो दोनों शर्म से पानी पानी हो गए दोनों ने अपनी नजरों को शर्म के मारे दूसरी तरफ फेर लिए। अलका मन में तो चुदवाने की ठान ली थी लेकिन बल्ब के उजाले में अपने बेटे से नजर मिलते ही उसकी आंखों के सामने पेशाब करते हुए शर्म से पानी-पानी हुए जा रही थी। उसे इस तरह से अपने बेटे के सामने बैठकर मुंतने में शर्म महसूस होने लगी, लेकिन कुछ देर पहले अंधेरे में आगे चलकर उसी में जानबूझकर अंधेरे का फायदा उठाते हुए अपने बेटे के सामने पेशाब करने बैठी थी। ताकि बुर से आ रही सीटी की आवाज को सुनकर राहुल एकदम से चुदवासा हो जाए और उसे चोदने के लिए मजबूर हो जाए लेकिन इस समय अलका के चेहरे पर शर्मो हया की लाली छाई हुई थी। राहुल अपनी नजरों को शर्म के मारे दूसरी तरफ फेरकर पेशाब तो कर रहा था लेकिन अपने आप को अपनी मां को नंगी होकर जो बैठकर पेशाब करते हुए देखने का लालच रोक नहीं पा रहा था इसलिए बार-बार तिरछी नजरों से अपनी मां की भरावदार गांड ओौर बुर से निकल रही पेशाब की तेज धाार को देख ले रहा था। दोनों इस समय एकदम चुदवासे हो चुके थे। पर मर्यादा की और शर्म की पतली चादर को जो कि तार तार हो चुकी थी फिर भी हटा नहीं पा रहे थे। 
अलका दूसरी तरफ मुंह फेरे पेशाब करते हुए सोचने लगीे की, यह क्या कर रही है, बरसों से जो प्यास बनने लिए प्यासी तड़प रही थी और आज उस प्यास को बुझाने का समय आया तो शर्म के मारे नजर फेर ले रही है। वह मन ही मन में अपने आप से ही बोले जा रही थी। अगर आज अपने बदन की प्यास नही बुझा पाई तो यह प्यास हमेशा के लिए उसके सीने में दफन हो जाएगा और औरत जिस सुख की हकदार रहती है उस सुख से वह हमेशा के लिए वंचित रह जाएगी। अलका मन ही मन में अपने आप को समझा रही थी। यह सुनहरा मौका आज हाथ से जाने मत देना( उसके अंदर से आवाज आ रही थी वह भी सोचने लगी कि आखिरकार इसमें हर्ज ही क्या है। राहुल उसका सगा बेटा है और वह भी चोदने के लिए तैयार है तभी तो उसके सामने पूरी तरह से नंगा खड़ा था। वह मन में सोच रही थी कि सब कुछ माहौल के हिसाब से बना हुआ है मैं भी तैयार हूं और मेरा बेटा भी तैयार है। और इसमे किसी के सामने बेईज्जत होने का डर भी नहीं रहेगा। 
यह सब सोच सोच कर अलका की बुर को फुलने पिचकने लगी दोनों पेशाब कर चुके थे। अलका ने अपनी नजरों को अपने बेटे की तरफ घूमाई , वह पहले से ही अपनी मां को एकटक देख रहा था। अलका की नजरें फिर से अपने बेटे की नजरों से मिली लेकिन इंतजार अलका की आंखों में शर्मिंदगी का एहसास रत्ती भर भी नहीं था। वह अपने आप को वासना के रास्ते पर चलने के लिए पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी। 
अलका की नजर अपने बेटे के चेहरे से होती हुई नीचे की तरफ आने लगी राहुल भी अपनी मां को वासना की नजरों से हो रहा था।
धीरे-धीरे नीचे की तरफ आती हुई नजरें राहुल के लंड पर टिक गई। अलका एकटक अपने बेटे के खड़े ल** को देख रहे थे और राहुल इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुका था की लं के ऊपर उसकी नसें उभर चुकी थी जिसे देखकर अलका की बुर से मदन रस की बूंद नीचे टपक पड़ी। अलका यह सोचकर और अत्यधिक उत्तेजित हुए जा रही थी थी जब यह ऊभरी हुई नसों वाला लंड ऊफ्फ्फ...... उसकी कसी हुई बुर में जाएगा तो कितना रगड़ता हुआ जाएगा, अलका उसकी कल्पना करके ही चरम सुख का अनुभव कर रही थी।
अपने बेटे का लंड देखकर अब उससे सब्र नहीं हो रहा था, अलका की हालत उस समय और ज्यादा खराब हो जा रही थी जब राहुल जानबूझकर अपनी मां को उकसाने के लिए अपने हाथों से लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करते हुए हिला रहा था, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके लंड को ही देख रही थी और इस हरकत को देखते ही उसकी मां एकदम से चुदवासी हो गई उससे रहा नहीं गया और उसने अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ कर अपनी मुट्ठी में भींच ली,, मुठ्ठी में भींचते ही लंड की गर्माहट से अलका की आह निकल गई। राहुल भी अपने लंड को अपनी मां की हथेली में देखकर उत्तेजना के साथ मदहोश होने लगा। अलका का तो गला ही सूखने लगा था उससे रहा नहीं जा रहा था बरसों के बाद उसकी तमन्ना उसके बदन की दबी हुई प्यास बुझने के आसार नजर आ रहे थे। अलका के लिए इस समय उसका बेटा मीठे पानी का कुआं था और वह खुद बरसों से प्यासीे थी। और अपनी प्यास बुझाने के लिए प्यासे को कुएं के पास जाना ही पड़ता है। 
राहुल अपने खड़े लंड को अपनी मां की नरम नरम गरम हथेलियों की आगोश में पाकर गनगना गया था। उसका बदन अजीब से सुख की अनुभूति करते हुए कसमसा रहा था। अलका तो मुंह खोले आश्चर्य के साथ अपने बेटे का लंड पकड़े लंड के गोल सुपाड़े को ही घूरे जा रही थी। दोनों की सांसे तीव्र गति से चल रही थी। बाहर बरसात अभी भी जारी थी बादलों की गड़गड़ाहट बिजली की चमक रह रह कर अपने होने का अंदेशा दे जा रही थी। अलका अंदर ही अंदर बरसात को धन्यवाद किए जा रही थी क्योंकि इस समय जो भी हो रहा था वह इस तूफानी बारिश का ही नतीजा था वरना अब तक तो ना जाने कबसे अपनी बूर को हथेली से रगड़ते हुए सो गई होती। अलका का गला उत्तेजना के मारे इतना ज्यादा सूख चुका था गले से थूक निकलना भी मुश्किल हुए जा रहा था। राहुल उसी तरह से खड़ा था अलका भी पेशाब करने के लिए बेठी तो बेठी ही रह गई। काफी देर से दोनों के बीच वार्तालाप हो नहीं पा रही थी बस दोनों कामुकता के आकर्षण में बंध कर अपना आपा खो बैठे थे। अलका ही खामोशी को तोड़ते हुए बोली।

बाप रे इतना तगड़ा लंड ( अपनी मां के मुंह से ऐसी खुली हुई बातें सुनकर वह अपनी मां को देखने लगा' अलका को पता था कि अब उसे खुलना ही पड़ेगा , शर्म का पर्दा त्याग कर बेशर्म बनना पड़ेगा तभी वह उस परम सुख को भोग सकती है जिसकी कल्पना में रात दिन लगी हुई थी। आज वहां बेशर्म बनकर चुदाई के सारे सुखों को भोग लेना चाहती थी इसलिए वह अपने बेटे के लंड को मुट्ठी में भरकर धीरे धीरे मुट्ठीयाते हुए बोली।)

सच राहुल तेरा यह हथियार तो बहुत ज्यादा मोटा लंबा और तगड़ा है। ( इतना कहते हुए वह धीरे-धीरे अपने बेटे के लंड को हिला रही थी जिससे राहुल को परम आनंद की अनुभूति हो रही थी। लंड को हिलाते हुए अलका फिर बोली।) 

बेटा तेरा लंड तो तेरे पापा से भी ज्यादा मोटा तगड़ा है। 
तभी तो मुझे यह इतना ज्यादा चुभ रहा था। तुझे पता तो होगा ना कि कहां चुभ रहा था।( राहुल तो अपनी मां का यह रूप देख कर और उसके मुंह से इतनी गंदी गंदी बातें सुनकर आवाक सा रह गया था। आश्चर्य से अपना मुंह खोले अपनी मां की हरकतों को देख भी रहा था और उसका आनंद भी उठा रहा था। अपनी मां के चुभने वाले सवाल का जवाब दे भी तो कैसे दे' इतना तो वह अच्छी तरह जानता था कि उसका लंड उसकी मां के किस अंग पर चुभ रहा था। लेकिन यह बात अपने मुंह से कहे भी तो कैसे कहें इसलिए वह संकोच भाव से ना में सिर हिला दिया, और अपने बेटे का ना में सिर हिलता हुआ देखकर वह मुस्कुराते हुए बोली।)

बड़ा भोला है रे तू इतना भी नहीं जानता कि तेरा यह हथियार मेरे किस अंग पर चुभ रहा था। रुक मैं तुझे दिखाती हूं । ( अपनी मां के मुंह से दिखाने वाली बात सुनते ही उत्तेजना के मारे अलका के हाथ में ही राहुल का लंड ठुनकी मारने लगा। जिसका एहसास अलका को साफ तौर पर अपनी हथेली में हो रहा था। अलका ठुनकी लेते हुए लंड के कारण उत्तेजित हो रही थी और धीरे से खड़ी होते हुए बोली।)

रुक मैं तुझे अच्छी तरह से दिखाती हूं।( इतना कहते हुए अलका खड़ी हो गई उसके बदन पर अभी भी सिर्फ ब्लाउज ही थी। राहुल आंख फाड़े अपनी मां के नंगे बदन को ऊपर से नीचे तक देख रहा था। अलका खड़ी हो चुकी थी लेकिन अभी भी उसके हाथ में उसके बेटे का लंड था । अलका अपने बेटे को तड़पाते हो एक बार उसकी राय जानने के लिए उससे बोली।)

देखना चाहता है कहां चुभ रहा था तेरा ये ( अपनी हथेली में लंड को खींचते हुए )हथियार। 
( अपनी मां की गंदी बातें सुनकर राहुल का मन मस्तिष्क मस्ती से हिलोरे ले रहा था अपनी मां की बातों को सुनकर उसको मजा आने लगा था। वह भी हामी भरते हुए सिर हिला दिया। अलका तो तड़प रही थी अपने बेटे को अपना वह बेशक़ीमती अंग दिखाने के लिए ' जिसकी तपन में तपकर वह तड़प रही थी।

अलका खड़ी थी राहुल अपनी मां को ही देख कर जा रहा था वह देखना चाहता था कि उसकी मां उसे क्या दिखाती है जबकी वह जानता था, कि उसकी मां उसे अपनी बुर ही दिखाना चाहती है लेकिन कैसे दिखाएगी यह उसे देखना था। तभी अलका ने सामने दीवार से गुजर रही छोटी सी पाईप पर अपना पैर उठाकर रख दें और पैर उठाए हुए ही थोड़ा सा अपने बेटे की तरफ घूम गई, ऐसा करने पर अलका का पूरा बदन राहुल के सामने आ गया एक खुली किताब की तरह। उसकी बुर भी दिखाई दे रही थी। लेकिन शर्म के मारे राहुल की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपनी मां की बुर को देख सके। हालांकि अपनी मां के इस हरकत कर उसकी बुर देखने की इच्छा एकदम प्रबल हो चुकी थी फिर भी शर्म की वजह से अपनी नजरें अपनी मां की बुर पर नहीं ले जा पा रहा था। वह थुक को गले में निगलते हुए अपनी नजरें इधर-उधर घुमा रहा था। अलका अपने बेटे की मनोदशा को भांप गई थी। अलका को लगने लगा था कि उसका बेटा शरमा रहा है। उसे यह नहीं पता था कि यही राहुल उसे ना जाने कितनी बार नंगी देख चुका है और उसके बारे में कल्पना कर कर के मुट्ठ मार चुका है।
फिर भी अलका यह समझती थी कि अगर आगे बढ़ना है तो राहुल के डर और शर्म को भी खत्म करना होगा इसलिए एक टांग उठाई हुए वह राहुल से बोली।


बेटा देख (उंगली से दिखाते हुए )इसी जगह पर तेरा यह हथियार चुभ रहा था।

अपनी मां की बात मानते हुए राहुल अपनी नजरों को बुक की तरफ घुमा दिया, राहुल की तो सांस ही अटक गई जब उसकी नजर उसकी मां की बुर पर पड़ी बुर एकदम चिकनी थी बस हल्के हल्के रोए ही नजर आ रहे थे ऐसा लग रहा था कि तीन चार दिन पहले ही क्रीम लगाकर साफ की है। राहुल देखा तो देखता ही रह गया
उत्तेजना के मारे बुर रोटी की तरह फूल गई थी। राहुल भारी सांसो के साथ अपनी मां की फुली हुई बुर को देख रहा था, उसकी मां भी बड़े अरमान से अपने बेटे को अपनी बुर के दर्शन करा रही थी। अलका की नजर अपने बेटे पर गई तो देखें कि वह बड़े रोमांच और गौर के साथ उसकी बुर की तरफ देख रहा था इसीलिए उसको और ज्यादा उकसाते हुए उसने अपनी हथेली को धीरे से अपनी बुर पर रखकर हल्के से मसलते हुए ऊपर की तरफ हथेली को बढ़ा दी अपनी मां की यह हरकत को देखकर राहुल अत्यधिक उत्तेजना महसूस करने लगा और उत्तेजना बस उसका हाथ अपने आप उस के तने हुए लंड पर आ गया और वह उसे मुट्ठी में भींच लिया। राहुल की हालत को देख कर वह समझ गई थी की राहुल एकदम से चुदवासा हो चुका है । उसे लोहा पूरी तरह से गर्म लगने लगा था जोकि चोट मारने का बिल्कुल सही टाइम आ गया था। लेकिन उसे और गर्म करने के लिए अलका बोली। 

देख बेटा ठीक से देख ले यह वही जगह है जिस पर तेरा यह हथियार( लंड की तरफ इशारा करते हुए )चुभ रहा था मुझे बड़ी परेशानी हो रही थी। ऐसे कैसे देख रहा हे छू कर देख ले देख तो अभी तक कितनी गरम है। 

( अपनी मां की बात सुन कर राहुल हक्का-बक्का रह गया उसकी मां उसे बुर छूने के लिए उकसा रही थी। जबकि राहुल को खुद ही उसकी बुर छुने के लिए तड़प रहा था। अपनी मां के इस आमंत्रण से वह पूरी तरह से गनगना गया था। वह अच्छी तरह से जान लिया था कि वासना की आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी। अलका ने एक बार फिर उसे ज़ोर देते हुए उसकी बुर छुने के लिए कही। और इस बार राहुल अपनी मां की बुर को स्पर्श करने के लिए अपने हाथ को आगे बढ़ाया लेकिन उत्तेजना की मारे उसका हैंथ कांप रहा था। यह देखकर अलका मुस्कुराने लगी। अपने बेटे का डर दूर करने के लिए उसने खुद ही उसका हाथ पकड़ कर उसकी हथेली को अपनी बुर पर रख दी। अपनी मां की बुर पर हथेली रखते ही राहुल के मुंह से आह निकल गई और जब उत्तेजना के कारण राहुल ने अपनी मां की बुर को अपनी हथेली में दबोचा तो अलका की सिसकारी फुट पड़ी।

स्स्स्स्स्हहहहहहह.......आहहहहहहहहहह.....राहुल 

राहुल अपनी मां की ब** को अपनी हथेली में दबोचे हुए अलका के एकदम करीब आ गया दोनों उत्तेजना में करो बोर हो चुके थे। वीनीत की भाभी और नीलू के साथ चुदाई का अनुभव ले चुका राहुल औरत को खुश करने का तरीका जान चुका था इसलिए वह अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा। इससे हल्का की सिसकारी फूटने लगे उत्तेजित हुए जा रही थी साथ ही उसके चेहरे का रंग सुर्ख लाल होता जा रहा था राहुल अपनी मां के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था और जैसे ही राहुल के होठ अलका के होंठ के बिल्कुल करीब पहुंचे राहुल से रहा नहीं गया वह अपनी मां के गुलाबी होंठों को चूसने का लालच दबा नहीं पाया और तुरंत अपने होंठ को अपनी मां के हॉठ पर सटा दिया, होठ से हॉठ सटते ही जेसे दोनों बरसों के प्यासे हो इस तरह से एक दूसरे के होठों पर टूट पड़े। राहुल अपनी मां के होंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा उसकी मां भी अपने बेटे के होंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी दोनों बारी बारी से एक दूसरे के मुंह में जीभ डाल कर एक दूसरे के थुक तक तो चाट जा रहे थे। दोनों पागल हो चुके थे वासना के नशे में अंधे हो चुके थे अपनी बदन की प्यास के आगे वह दोनों को रिश्ते नाते कुछ दिखाई नहीं दे रहे थे राहुल तो अपनी मां की बुर को अपनी हथेली से रगड़ते हुए मस्त हुआ जा रहा था वाकई में उसकी बुर ज्यादा ही गर्म थी। 
अलका उसी तरह से अपनी एक टांग पाइप पर रखकर अपनी बुर काे मसलवा रही थी, और एक दूसरे के होटो को चुसने का मजा ले रहे थे राहुल के करीब आने की वजह से राहुल का तना हुआ लंड अलका के पेट पर रगड़ खाने लगा। जिससे अलका की उत्तेजना में और ज्यादा बढ़ोतरी हो रही थी और उसने तुरंत पेट पर रगड़ खा रहे अपने बेटे के लंड को अपनी मुट्ठी में भरली और धीरे-धीरे मुठीयाने लगी। अपनी मां की हरकत पर राहुल से रहा नहीं गया ओर बुर को मसलते मसलते ऊसने अपनी एक उंगली को धीरे से बुर में प्रवेश करा दिया, बरसों से प्यासी अलंका की बुर में जेसे ही उसके बेटे की उंगली कैसी अलका एकदम से मचल उठी, उत्तेजना और मदहोशी के कारण उसके पैर कांपने लगे लेकिन अपने बेटे के इस हरकत से वह समझ गई थी राहुल को जितना नादान समझती है उतना नादान वह था नहीं।
राहुल अपनी मां के होठों को चूसते हुए धीरे-धीरे अपनी ऊंगली को बुरके अंदर बाहर करने लगा। इससे अलका का चुदासपन पल पल बढ़ता जा रहा था। वह अपने बेटे के बदन से और ज्यादा चिपक गई। पाइप पर से अपने पैर नीचे करके अपने बेटे को अपनी बाहों में भर ली राहुल लगातार अपनी उंगली से अपनी मां की बुर चोद रहा था। अलका की गरम सिस्कारियों से पुऱा बाथरुम गुंजने लगा था। साथ ही साथ बादलों की गड़गड़ाहट लगातार हो रही थी। दोनों ऐसा लग रहा था एक दूसरे के होटो को चूस नहीं बल्कि चबा रहे हैं। 
अलका सिसकारी लेते हुए बोली।

आहहहहहहहहह......स्सहहहहहहहहहहहह.... बेटा मुझे कुछ हो रहा है। ऊफ्पफ्फ....... मुझ से रहा नहीं जा रहा है बेटा। 

राहुल अपनी मां की गर्दन को चूमते हुए एक हादसे उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को दबाते हुए बोला।


क्या हो रहा है मम्मी? ( इतना कहने के साथ ही ब्लाउज के बटन को खोलने लगा।) 

(अपने बेटे के लंड को हिलाते हुए )पता नहीं बेटा मुझे क्या हो रहा हैैं मुझसे रहा नही जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि मेरी बुर में चींटीया रेंग रहीे हैं मुझे बुर में खुजली हो रही है। 

( अलका के बात पूरा करते ही राहुल ने ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया। उसका लंड अलका के बूर के इर्द-गिर्द ही रगड़ खा रहा था। जिससे अलका की बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगी थी। ब्लाउज के बटन खुलते ही राहुल तो चुचियों पर ही टूट पड़ा। वह तो अच्छा हुआ कि अभी भी अलका की दोनों चूचियां ब्रा मे कैद थी। वरना ऐसा लग रहा था कि राहुल तो अपनी मां की दोनों चूचियों को खा ही जाएगा। अपने बेटे को इस तरह से अपनी चूचियों पर टूटता हुआ देखकर अलका एक दम मस्त हो गई उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी। राहुल था कि ब्रा के ऊपर से ही दोनों चुचीयो को हथेली में भरकर उस पर मुंह मारने लगा। अलका सिसकारी भरते हुए खुद ही एक हाथ से अपनी बुर को मसलते हुए और दूसरे हाथ से अपने बेटे के लँड को मुट्ठीयाये जा रही थी। दोनों गर्म हो चुके थे अलका भी यही चाहती थी कि उसका बेटा उसकी चूचियों को मुंह में भरकर चुसे उसे पिए और इसलिए वह खुद ही अपने ब्लाउज को उतारने के लिए अपनी बुर पर से हाथ हटा ली और लंड को भी अपने पेट पर रगड़ता हुआ छोड़कर ब्लाउज उतारने लगी। यह देखकर राहुल एकदम से चूचियो को पीने के लिए तड़प उठा और ब्रा के ऊपर से ही दोनों चुचियों को हथेली में भर भर कर दबाने लगा। यह देखकर अलका कामुक मुस्कान बिखेरते हुए अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक को खोलते हुए बोली।

इतना उतावला क्यों हुआ है बेटा मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूं। जी भर के पी ना मेरी चूचियों को।

अपनी मां की ऐसी बात सुनकर राहुल भी हंस दिया लेकिन अपने लंड को थाम कर हिलाते हुए अपनी मां की बुर पर रगड़ने लगा। बुर पर लंड का सुपाड़ा रगड़ खाते ही अलका कामोत्तेजना में मदहोश होने लगी। वह अपनी ब्रा के हुक खोलते खोलते सिसकारी लिए जा रही थी। उससे लंड के सुपाड़े की रगड़ अपनी बुर * पर बर्दाश्त नहीं हो रही थी। तभी बुर पर सुपाड़े को रगड़ते हुए राहुल बोला।

इसी जगह खुजली हो रही है ना मम्मी......( अलका से तो उत्तेजना के मारे मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी इसलिए वह सिर्फ हां मे सिर हिला दी। और अपनी मां की हामी सुनते ही वह बुर पर लंड को रगड़ते हुए बोला।

रुक जाओ मम्मी मैं अभी तुम्हारी बुर की खुजली मिटा देता हूं। ( इतना कहने के साथ ही जैसे ही वह सुपाड़े को बुर के गुलाबी छेद पर टिकाया वैसे ही अलका अपनी ब्रा भी उतार चुकी थी और राहुल ने बुर के छेद पर लंड के सुपाड़े को टीकाकर हल्के से कमर को आगे की तरफ धक्का दिया तो बुर की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा हल्का सा बुर में प्रवेश करने लगा। सुपाड़े को हल्का सा बुक में प्रवेश होते ही दर्द के मारे अलका छटपटाने लगी और साथ ही उसकी सिसकारी भी छूटने लगी।
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10-09-2018, 03:34 PM,
#62
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल का लंड का सुपाड़ा जैसे ही उसकी मां की बुर में
हल्का सा प्रवेश किया वैसे ही अलका की चीख निकल गई साथ ही उसकी गरम सिसकारी भी फूट पड़ी इतने से ही अलका समझ गई कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में गदर मचा देगा। अलका तड़प रही थी लंड को अपनी बुर में घुसवाने के लिए, लेकिन बाथरूम में नहीं इसलिए वह राहुल आगे बढ़ता इससे पहले ही बोली।

बेटा इधर नहीं चल कमरे में चलते हैं। ( अलका कामुक स्वर में बोली' राहुल भी अपनी मां की बात मानते हुए अपने लंड को वापस बुर के ऊपर से हटा लिया लेकिन गरम बुर के ऊपर से लंड हटते ही उत्तेजना के मारे ऊपर नीचे होकर ठुनकी ले रहा था। जिस पर नजर पड़ते ही अलका के चेहरे पर कामुक मुस्कान बिखर गई और अपने बेटे के लंड की ठुनकी को देख कर उसकी बुर पसीजने लगी। राहुल तो अपना लंड बुर में डालने के लिए बेताब था लेकिन उसकी मां ने उसे कमरे में चलने की बात कहकर रोक दी थी वरना उसने तो अपना काम कर ही चुका था। 
कमरे में जाने के लिए प्यासी अलका मचल रही थी क्योंकि वह जानती थी कि कमरे में जाकर इत्मीनान से अपनी प्यास बुझा सकेगी' इसलिए वह बाथरुम में टँगी टावल को लेकर अपने बदन पर लपेटने चली ही थी कि
राहुल ने अपनी मां के हांथ से टावल लेकर नीचे फेकं दिया। राहुल के इस हरकत पर हैरान होते हुए वह उसे देखने लगी तो राहुल बोला।

मम्मी इतनी रात को यहां कौन देखने वाला है सोनू भी अपने कमरे में सो रहा है।( राहुल की बात अलका समझ नहीं पा रही थी कि वह क्या कहना चाह रहा है। वह आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली।)

मतलब....


मम्मी.....( इतना कहते ही राहुल अपनी मां की नंगे बदन को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए) ऐसे ही चलो ना बिल्कुल नंगी यहां कौन देखने वाला है। 
( राहुल की बात सुनकर अलका को शर्म सी महसूस होने लगी लेकिन फिर भी बोली।) 

अगर सोनू जाग गया तो। ( राहुल की बात सुनकर अलका का भी मन मचलने लगा था नंगी जाने के लिए वह भी कमरे में नंगे घूमने का आनंद लेना चाहती थी इसलिए थोड़ा सा एतराज जताते हुए बोली थी।)

कोई नहीं देखेगा मम्मी और सोनू तो कमरे में घोड़े बेच कर सो रहा है अगर जग ना होता तो बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर ना जाने कब से जाग गया होता। 

( इतना कहने के साथ ही दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगे दोनों इस पल का भरपूर आनंद उठाना चाहते थे। बाथरूम में इस समय दोनों मां-बेटे संपूर्णता नग्नावस्था में थे उनके बदन पर कपड़ा नाम भर का भी नहीं था। अलका की चुचीयां इस उम्र में भी तनकर खड़ी थी उनमे जरा भी लचक नहीं था। दोनों एक दूसरे के नंगे बदन को निहार रहे थे। 
तभी अलका बिना कुछ बोले बाथरूम के दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी और राहुल अपनी मां को जाते हुए देख रहा था खास करके उसकी नजर इसकी मां की बड़ी-बड़ी भरावदार गांड पर ही टिकी हुई थी। राहुल अपनी मां की मटकती हुई गांड को देखने का लुफ्त ओर ज्यादा उठा पाता इससे पहले ही अलका बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाहर जाते जाते अपने चेहरे पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए वह राहुल की तरफ नजरें घुमा कर देखी और आंखों से इशारा करके उसे अपने पीछे आने को कहीं, राहुल भवरे की तरह पीछे-पीछे हो लिया। गजब का नजारा था। राहुल की मां बिल्कुल नंगी होकर एकदम बेशर्म औरत की तरह अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही मटकाते हुए चल रही थी और रह रहकर वह पीछे मुड़कर अपने बेटे को भी देख ले रही थी राहुल को वह पूरी तरह से उकसा रही थी। इतनी ज्यादा रंगीनियां तो वह शादी की पहली रात को अपने पति के सामने भी नहीं बिखेरी थी जितनी रंगीनियां वह अपने बेटे के सामने बिखेर रही थी। अपनी मां को नंगी चलते हुए देखकर राहुल का लंड और ज्यादा कड़क हो गया मौसम बारिश की वजह से एकदम ठंडा हो गया था लेकिन फिर भी राहुल और अलका के बदन में वासना की गर्मी मौसम की ठंडी को पछाड़ दे रही थी। अभी भी बारिश अपने जोर पर ही थी बादलों की गड़गड़ाहट बीजली की चमक' वातावरण को और ज्यादा रंगीन बना रही थी। राहुल का लंड बार-बार अपनी मां की गांड को देखकर उछाल मार रहा था। अलका के बदन में कामुक्ता का सुरूर चढ़ा हुआ था वह अपने हाथों से बालों को खोल दी थी जिससे उसके लंबे बाल उसकी कमर तक लहलहा रहे थे। गीले बालों में अलका की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ चुकी थी इस समय अलका काम की देवी लग रही थी। मां बेटे दोनों संपूर्ण नग्नावस्था में चहलकदमी करते हुए कमरे की तरफ बढ़ रहे थे। अलका की भरावदार गांड की फांक चलते समय इधर उधर फैल रही थी। सब कुछ मिलाकर बहुत ही कामोत्तेजक नजारा था। थोड़ी ही देर में अलका अपने कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर प्रवेश कर गई और पीछे-पीछे राहुल अपनी मां के नंगे बदन को देखकर उत्तेजित होता हुआ लंड हिलाते हुए वह भी कमरे में प्रवेश कर गया। जैसे ही राहुल कमरे में प्रवेश किया वैसे ही उसके कानों में उसकी मम्मी की आवाज आई।

दरवाजा बंद कर दो राहुल( राहुल देखा तो उसकी मम्मी कमरे में जाते हैं एक टावल अपने बदन से लपेट ली थी,
और दीवार की तरफ मुंह करे खड़ी थी, कुछ देर पहले अपने बेटे के सामने अपने बदन की नुमाइश कर रही अलका को इस समय शर्म महसूस हो रही थी।
राहुल टॉवल में अपने बदन को छुपाती अपनी मां को देखते हुए दरवाजे को बंद कर दिया। 
कमरे में खामोशी छाई हुई थी। कुछ भी हो रह रहे कर दोनों के बीच में शर्म और मर्यादा का एहसास हो ही जा रहा था। अलका कुछ देर पहले यही सोचकर कमरे में आई थी थी वह खुल कर जी भर के अपने बेटे के साथ अपने बदन की प्यास बुझाएगी लेकिन इस समय शर्म सी महसूस कर रही थी। 
राहुल भी कमरे का दरवाजा बंद कर के दरवाजे पर ही खड़ा था उसे भी शर्म महसूस हो रही थी उसके लंड का तनाव कुछ कम होने लगा था। अलका वही खड़े खड़े फिर सोचने लगी अपने आप से बातें करने लगी।
यह क्या कर रही है अलका ऐसे तो हाथ में आया हुआ यह सुनहरा मौका चला जाएगा जब तक शर्म के बादल रहेंगे तब तक तेरी प्यास नहीं बुझने वाली। शर्मा और मर्यादा में रहकर ही तू अपने अंदर दबाए रखी प्यास को अपने अंदर दबाए रखी, वरना आज तेरी भी सूखी हुई जमीन हरी भरी होती। बेशर्म बन जा , यूं ही शर्म की चादर ओढ़े हुए कब तक अपनी जिंदगी तड़प तड़प कर बितााएगी। आज मौका है पर यह मौका हाथ से मत जाने दे तेरा लड़का भी पूरी तरह से तैयार है तेरे को चोदने के लिए शर्म मत कर आगे बढ़ वरना तेरी तरह तेरा बेटा भी शर्मा कर रह जाएगा आगे बढ़ अलका । तोड़ दे इस रिश्ते और मर्यादाओं की दीवार को और बुझा ले अपने बदन की प्यास को। 
अलका के अंतर आत्मा से आवाज आ रही थी जिसको सुनकर अलका ने भी मन में ठान ली, और उसने तुरंत अपने बदन पर से टावल निकाल कर बिस्तर पर फेंक दें और फिर से नंगी हो गई। राहुल यह देख कर मन ही मन प्रसन्न होने लगा और वह भी अपनी मां की तरफ बढ़़ा।
अलका घूम कर अपने बेटे की तरफ देखने लगी जोंकि उसकी तरफ ही बढ़ रहा था। दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगे राहुल अपनी मां के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था । इतना करीब कि उसका खड़ा लंड उसकी मां के पेट पर फिर से रगड़ खाने लगा। अपने पेट पर खास करके नाभि के बीचो-बीच लंड के सुपाड़े का स्पर्श पाकर अलका फिर से मस्त हो गई। उसके बदन में वापस कामोत्तेजना की लहर दौड़ ने लगी। अलका से रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लँड को थाम ली। अपना खड़ा लंड अपनी मां के हाथ में आते ही राहुल भी उत्तेजना से सराबोर हो गया और तुरंत अपने होठों को फिर से अपनी मां के होठ पर रखकर उसे चूसना शुरू कर दिया। दोनों एक बार फिर से वासना के सागर में गोते लगाते हुए एक दूसरे को चूमने चाटने लगे। 
राहुल अपनी मां के होठों का रसपान करते हुए उसे अपनी बाहों में दबोच लिया राहुल के दोनों हाथ उसकी मां की नंगी पीठ से होते हुए कमर और कमर से नीचे उभरे हुए नितंब पर फिरने लगे , राहुल अपनी मां के चिकने बदन से और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था वह अपनी मां की गांड को दोनों हथेलियों में भर भर कर दबा रहा था। अपनी मां की गांड को दबाते हुए वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो रहा था कि ऐसा लग रहा था कि आज वो अपनी मां की गांड को खींच कर खा जाएगा। राहुल और अलका दोनों मां बेटे एक दूसरे को बेतहासा चुमे चाटे जा रहे थे। राहुल रह रह कर अपनी मां की गुदाज गांड को दोनों हथेलियों से आमने सामने की तरफ खींचता जिससे उसे तो मजा आ ही रहा था अलका भी एक दम मस्त हो जा रही थी। एक हाथ से अलका अपने बेटे का लंड पकड़ कर धीरे धीरे मुठीयाये जा रही थी . अलका के बदन में चुदवाने की ललक बढ़ती जा रही थी। अलका भी एक हाथ अपने बेटे के पीठ पर ले जाकर उसे अपनी बाहों में भरने लगी जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां राहुल के सीने पर लगने लगे उत्तेजना के मारे चुचियों की निप्पल इतनी ज्यादा कड़क हो चुकी थी की राहुल के सीने में सुइयों की तरह चुभ रही थी। वह जब जब अपने बेटे को की एक हाथ से ही बाहों में भर कर अपने सीने पर दबाती तो उसकी बड़ी बड़ी चूचियां एेसे ही दब जा रही थी। 
अलका को बहुत मजा आ रहा था। अलका को और भी ज्यादा खुल कर मजा लेना था इसलिए वह धीरे धीरे अपने बेटे को लिए हुए ही अपने कदम को पीछे की तरफ बढ़ाते हुए बिस्तर की तरफ जाने लगी। राहुल अपनी मां को चूमते हुए उसकी जान को दबाते हुए धीरे-धीरे वह भी अपनी मां के साथ खिसकने लगा। दोनों की सांसे इतनी तीव्र गति से चल रही थी कि कमरे में ऊन दोनों की सांस की आवाज भी सुनाई दे रही थी। बारिश की आवाज कमरे के वातावरण को संगीतमय बना रही थी। तभी अलका के पैर उसके बिस्तर से टकराए तो वह जानबूझकर अपने बेटे को अपने बदन से चिपकाए हुए ही धम्म से बिस्तर पर गिरी। अलका नीचे और राहुल उसके ऊपर था। अपनी मां के हरकत पर राहुल और ज्यादा उत्तेजित हो चुका था और उसने तुरंत अपनी मां के दोनों पके हुए आम को अपनी हथेलियों में भर लिया और उसकी नजर अपनी मां की नजरों से टकराई तो अपनी मां की आंखों में शुरुर से झांकते हुए
अपने होठों पर अपनी जीभ फीराते हुए कस के चुचियों को दबाने लगा और जैसे ही राहुल ने अपनी मां की चुचियों को दबाया उसकीे मां के मुंह से हल्की सी सिसकारी भरी चीख निकल गई। 

स्ससहहहहहहहह....राहुल क्या कर रहा है रे मुझे ना जाने क्या हो रहा है। ऊफ्फफ्फ..... मुझसे रहा नहीं जा रहा है।( उत्तेजना के मारे अलका के मुंह से आवाज अटक अटक के नीकल रही थी। उसका मुंह खुला का खुला रह गया था राहुल को तो खेलने के लिए जैसे खिलौना मिल गया था वह जोर-जोर से गोलाईयों को दबा दबा कर मजा ले रहा था। ईस चूची मर्दन में अलका को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी ऐसा आनंद कि जिसके बारे में शायद बयान कर पाना बड़ा मुश्किल है। थोड़ी ही देर में चूची मर्दन की वजह से चूचीयो का रंग कश्मीरी सेब की तरह लाल हो गया। अलका अपने बेटे के ईस चुची मर्दन से बेहद प्रसन्न नजर आ रही थी।
आज सब कुछ वर्षों के बाद ही हो रहा था जिस तरह से उसका बेटा अपनी मां की चुचियों को दबा रहा था अलका मन में यही सोच रही थी कि इस तरह से तो उसकी चूचियों को दबाकर उसके पति ने भी इतना आनंद नहीं दिया था जितना आनंद उसका बेटा उसे दे रहा था। शर्म और मर्यादा की दीवार टूट चुकी थी इस समय राहुल अपनी मां के ऊपर लेटा हुआ था और उसकी बड़ी बड़ी तनी हुई गोल चूचियों को दबाने का सुख प्राप्त कर रहा था। राहुल का तना हुआ लंड अलका की जांघो के बीच रगड़ खाते हुए उसकी बुर के अंदर गदर मचाए हुए था अलका की बुर अंदर से पसीज पसीज कर पानी पानी हो रही थी। राहुल अपनी मां की चुचियों को दबा दबा कर मस्त हुए जा रहा था अपनी मां की चुचियों की गोलाई देखकर उससे सब्र करना मुश्किल हुए जा रहा था। अलका सिसक रही थी। उसके मुंह से लगातार सिसकारी फूट रही थी वह उत्तेजना के मारे अपने सिर को पटक रही थी। 

स्स्स्स्स्हहहहहहहह......आहहहहहहहहह...... राहुल गजब कर रहा है रे तू .....।मेरे बदन मे चीटिया रेंग रही है।
( अपनी मां की गरम सिस्कारियों को सुनकर राहुल अच्छी तरह से जानता था कि वह एकदम गरम हो चुकी है वह इन गरम सिसकारीयों से वाकिफ था। इसी तरह की उत्तेजनात्मक सिसकारियां वह विनीत की भाभी और नीलू के मुंह से सुन चुका था और वह यह अच्छी तरह से जानता था कि ऐसी सिस्कारियों के बाद उन दोनों को चुदवाने की इच्छा प्रबल हो गई थी। इसका मतलब साफ था कि राहुल यही समझ रहा था कि उसकी मां भी अब उसके लंड को अपनी बुर में डलवाने के लिए तड़प रही है। लेकिन राहुल अभी अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर चोदने वाला नहीं था, आज इस रात को और ज्यादा मदहोश बनाने की सोच रहा था। वह आज रात अपनी मां को पूरी तरह से संतुष्ट करना चाहता था उसे जी भर कर प्यार करना चाहता था इसलिए वह दोनों हाथों से चूचियों को दबाते हुए झट से एक चूची पर अपना मुंह लगा दिया और उसकी कड़क निप्पल को मुंह में भरकर पके हुए आम की तरह चूसना शुरू कर दिया। अपने बेटे को इस तरह से अपनी चूची पीते हुए देखकर अलका मस्त हो गई और उसके मुंह से गर्म सिसकारियां निकलना शुरू हो गई। राहुल तो जैसे पागल सा हो गया था वह कभी ईस चूची को दबाते हुए पीता तो कभी दूसरी चुची को मुंह में लगाता जितना हो सकता था ऊतना मुंह में भर भर कर चूची को पीने का मजा लूट रहा था । बादलों की गड़गड़ाहट के साथ साथ वह दोनों के मुंह से गर्म सिस्कारियों की आवाज भी लगातार आ रही थी। 
अलका पूरी तरह से कामातूर हो चुकी थी वह यह नहीं जानती थी कि का बेटा इस तरह से उसकी चूचियों को पिएगा दबाएगा मसलेगा, अलका को उसकी जवानी के दिन याद आने लगे थे जब उसका पति ऐसे ही उसकी चूचियों को दबाता था लेकिन कभी भी उसे मुंह में भरकर चूसते हुए इतना प्यार नहीं दिया था जितना कि राहुल दे रहा था। 
अलका मस्त लग रही थी ठंडे मौसम में भी उसके बदन से पसीने छूट रहे थे। वह अपने दोनों हाथ को राहुल के सिर पर रख कर अपनी ऊंगलीयों को उसके बालों में ऊलझाते हुए कस के भींचते हुए उसको अपनी चूचियों पर दबा रही थी ताकि वह और जोर-जोर से उसकी निप्पल को मुंह से खींचते हुए पी सके। और राहुल अपनी मां की उम्मीदों पर खरा उतर रहा था उसके सोचने के विरुद्ध ही वह और तेजी से पागलों की तरह निप्पलों को पिए जा रहा था। उसका यू पागलों की तरह राहुल का प्यार करना उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था उसकी बुर लंड के लिए और ज्यादा तड़पने लगी थी। 
इसीलिए एक हाथ को वह नीचे की तरफ ले जाकर अपने बेटे के लंड को पकड़ ली और उसे अपनी बुर पर रगड़ते हुए स्तनपान का मजा लेने लगी। 
Reply
10-09-2018, 03:34 PM,
#63
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अपनी मां के द्वारा लंड को इस तरह से अपनी बुर पर रगड़ना राहुल से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। राहुल के बदलने और ज्यादा आग तब लग जाती है जब उसकी मां लंड के सुपाड़े को अपनी बुर के दरार के बीचोबीच रखकर ऊपर से नीचे की तरफ रगड़ती। राहुल के बदन में एकदम से झनझनाहट सी फैल जाती। कामोत्तेजना की आग में दोनों पल पल जल रहे थे दोनों के बदल पसीने में तर बतर हो चुके थे। अलका अपनी कामुक बदन की कामुक हरकतों से राहुल को परेशान कर रही थी। और राहुल अपनी परेशानी का इलाज अपनी मां की चुचियों में ढूंढ रहा था वह लगातार अपनी मां की चुचीयो को मुंह में भर कर चूस रहा था राहुल के इस तरह के स्तन मर्दन करने से अलका की चुचीया एकदम लाल लाल होकर उत्तेजित अवस्था में तन गई थी।
दोनों को असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी बाहर बारिश जोरों पर अपना काम कर रही थी। 
अलका का बदन रह-रहकर झटके खा रहा था और हर झटके के साथ उसकी बुर मदन रस फेंक रही थी।

स्स्सहहहहहहहह.....राहुल बहुत मजा आ रहा है। आहहहहहहहह......एेसे ही.......।हां........ बस चूसता रह मेरी चूचियों को। निचोड़ डाल ईसका सारा रस दबा दबा कर पी जा। ओहहहहहह....राहुल.....

( अलका की आंखों पर वासना की पट्टी चढ़ चुकी थी वह अपने बेटे को ही उकसा रही थी उसके बदन से खेलने के लिए, और राहुल का क्या था वह तो पहले से ही तड़प रहा था अपनी मां के रसीले बदन का लुफ्त उठाने के लिए, ना जाने कितनी बार उसने अपनी मां के बारे में सोच-सोच कर मुट्ठ मार चुका है कल्पना मे उसकी चुदाई भी कर चुका है। पर यहां तो खुद उसकी मा ही उसे आमंत्रण दे रही थी उसके बदन से खेलने के लिए । राहुल भी इस आमंत्रण को स्वीकार करते हुए अपनी मां की दोनों बड़ी बड़ी चुचियों को गेंद की तरह हाथों में लेकर दबा दबा कर मजा ले रहा था। अलका जैसी खूबसूरत औरत के बारे में सोच कर भी ना जाने कितनों का लंड पानी छोड़ देता होगा। और यहां तो राहुल अपनी मां के नंगे बदन पर लेट कर उसके अंगों से खेलता हुआ मजा ले रहा था अलका से अपनी कामुकता बर्दाश्त नहीं हो रही थी वह बार-बार अपने बेटे के लंड को अपनी बुर पर रगड़कर और ज्यादा गरम होती जा रही थी।
दोनों पर अब उन दोनों के खुद का बस नहीं चल रहा था। रिश्तो के मायने बदल चुके थे। बिस्तर पर दोनों मां-बेटे संपूर्णता नग्नावस्था में एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए मजा लूट रहे थे। राहुल काफी देर से अपनी मां की चुचियों से खेल रहा था और अलका थी कि अपने बेटे के लंड को अपनी बुर पर रगड़ रगड़ कर राहुल को और ज्यादा गर्म कर रहीे थी उस से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था और अलका भी यही चाहती थी। राहुल का लंड इतना ज्यादा सख्त और कड़क हो चुका था कि अलका को अपने बेटे का लंड अपनी जांघों के बीच चुभता सा महसूस हो रहा था। लंड की चुभन से ही अलका को अंदाजा लग गया था कि उसकी बुर की जमकर कुटाई होने वाली है। 
राहुल को अब कुछ और चाहिए था राहुल धीरे-धीरे चूचियों को दबाता हुआ नीचे की तरफ सरक रहा था और अलका एक हाथ से उसके बाल को भींच कर अपने बदन से दबा रही थी। अपनी मां के बदन पर नीचे की तरफ सरकते हुए राहुल हर जगह चुम्मा-चाटी करते हुए धीरे-धीरे पेट तक पहुंच गया। जैसे-जैसे राहुल के होठ अलका के बदन पर होते हुए नीचे की तरफ जा रहा था वैसे वैसे उसका बदन झनझना जा रहा था। तभी राहुल के होठ अलका की नाभि पर आकर अटक गए , राहुल के होठ अलका की गहरी नाभि पर टिके हुए थे।
अपने बेटे के होंठ का स्पर्श अपनी नाभि पर पाकर उत्तेजना के मारे अलका की सांसे और तेज हो चुकी थी वह गहरी सांसे लेते हुए ं मन ही मन में सोच रही थी कि यह राहुल क्या करने वाला है। राहुल को अपनी मां की नाभि में से आती मादक खुशबू और ज्यादा चुदवासा कर रही थी। राहुल अपने नथुनो से नाभी से आती मादक खुशबू को खींच कर अपने सीने के अंदर उन्माद की लहर भर रहा था और नाभी की मादक खुशबू से उत्तेजित होते हुए वह अपनी जीभ को उस गहरी नाभि में उतार दिया। अपने बेटे के इस हरकत पर अलका तो एकदम से गनगना गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि राहुल ऐसा करेगा। लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से उसकी उत्तेजना में पल-पल बढ़ोतरी होती जा रही थी उसकी सांसे तीव्र गति से चल रहे थे और सांसो के अंदर बाहर होने के साथ साथ ही उसकी बड़ी बड़ी चूचियां मादकता लिए हुए ऊपर नीचे हो रही थी। राहुल जैसे जैसे अपनी जीभ को नाभि के अंदर गोल-गोल घुमाता वैसे-वैसे अलका सिसकारी लेते हुए कसमसाने लगती। अलका के बदन में इतना ज्यादा उत्तेजना का संचार हो रहा था कि उसकी गरम बुर फूल पिचक रही थी। अलका के बदन में उत्तेजना के कारण जिस तरह से कंपन हो रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे आज उस की सुहागरात है और आज पहली बार ही किसी मर्द के साथ बिस्तर पर मजा ले रही है। राहुल तो अपनी मां की नाभि को ही बुर समझ कर उसे चाटने का लुत्फ उठा रहा था और अलका भी मदमस्त हुए जा रही थी। तभी राहुल नाभि के अंदर अपनी जीभ को गोल-गोल घुमाते हुए एक हाथ से जैसे ही अपनी मां की बुर को मसला वैसे ही अलका के मुंह से सिसकारी छूट गई। 

स्स्स्स्हहहहहहहहहह......आहहहहहहहहहहह.....राहुल
ओहहहहहहहह......राहुल..( राहुल का हाथ अपनी बुर पर महसूस करते ही अलका एकदम से चुदवासी हो गई और उत्तेजना के मारे अपना सिर दाएं बाएं पटकने लगी उससे अपनी उत्तेजना को दबाया नहीं जा रहा था इसलिए वह खुद ही अपनी चूचियों को अपने हाथ से ही दबाने लगी।

यह देखकर राहुल का जोश बढ़ गया और वह अपना में नाभि पर के हटाकर धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा जैसे जैसे नीचे बढ़ रहा था अलका के बदन में कंपकपी सी फेल जा रही थी राहुल के बदन के नीचे उसका बदन कसमसा रहा था। और कसमसाते हुए वह अपनी चूचियों को खुद ही जोर जोर से दबा रही थी और अपने मुंह से गर्म सिसकारी छोड़ रही थी। अलका का आज एक नया रूप नजर आ रहा था। शर्मो हया की चादर ओढ़े जो हमेशा रहती थी वह खुद आज वासना के अंधेपन में अपनै बदन से शर्मो लिहाज की चादर को उतार फेंकी थी। अपने बच्चों को संस्कार संस्कार रिश्ते मर्यादाओं का पाठ पढ़ाने वाली आज खुद अपने ही बिस्तर पर अपने बेटे के साथ काम क्रिडा का पाठ पढ़ रही थी। राहुल धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ रहा था अब वह द्वार जिसमे हर इंसान को बेतहाशा मजा मिलता है बस दो चार अंगुल हिं दूर रह गए थे। उस द्वार के करीब पहुंचते-पहुंचते राहुल की दिल की धड़कन तेज हो गई उसकी सांसे चल नहीं बल्कि दौड़ रही थी और अलका का भी यही हाल था जैसे जैसे राहुल उसर्की बुरके नजदीक आता जा रहा था, वैसे-वैसे अलका के बदलने उत्तेजना की लहर बढ़ती जा रही थी। कुछ ही पल में वह घड़ी भी आ गई जब राहुल कि नजरे ठीक उसकी मां की बुर के दो चार अंगूल ही दूर थी। राहुल फटी आंखों से अपनी मां की बुर की तरफ देख रहा था वह बुर की खूबसूरती में खो सा गया था। उसका गला सुख होने लगा था लंड का तनाव एका एक दुगना हो गया था। एक तरह से बुर पूरी तरह से चिकनी थी बस उसके ऊपर हलके हलके रोए नजर आ रहे थे ऐसा लग रहा था कि मानो अलका ने दो चार दिन पहले ही क्रीम लगाकर अपनी बुर साफ की हो। अपने बेटे को अपनी बुर की तरफ इस तरफ से प्यासी नजरों से देखता हुआ पाकर अलका शरमा गई। और शर्म के मारे दूसरी तरफ अपनी नजरों को फेर ली। दोनों की सांसे तेज चल रही थी राहुल के मन में अजीब सी खुशी का एहसास हो रहा था। 
राहुल के लिए यह पल बहुत अनमोल था क्योंकि जिस दिन से उसने अनजाने में ही अपनी मां को नंगी देखा था तब से ही बात हमेशा अपनी मां को नंगी देखने का मौका ढूंढता रहता था वैसे भी उसे अपनी मां का गुदाज नंगा बदन बहुत ही ज्यादा आकर्षित करता था खास करके उसकी मदमस्त उभरी हुई गांड जिसे देख कर ओर जिसके बारे में कल्पना कर कर वह ना जाने कितनी बार मुठ मार चुका था। लेकिन हर बार उसके मन में अपनी मां की बुर देखने की ललक रहती थी। लेकिन कभी भी ठीक से देख नहीं पाया था। लेकिन आज उसे भरपूर मौका मिला था अपने मन की आस पूरी करने की, जिसे देखने के लिए वह रात दिन तड़पता रहता था। आज वह रसीली बुरर उसकी आंखों के सामने थी। इसलिए तो वह लार टपकाए बुर को देखे जा रहा था। दो दो औरतों की बुर को चोदने के बाद भी उन दोनों से ज्यादा उसे अपनी मां की बुर आकर्षित कर रही थी। जो की उत्तेजना की वजह से गर्म रोटी की तरह फूल चुकी थी राहुल उसे छु़ने की अपनी लालच को रोक नहीं पाया और अपने कांपते हाथों की कांपते उंगलियों को अपनी मां की बुर पर रख दिया। जैसे ही अलका को अपनी बुर पर अपने बेटे की उंगली का स्पर्श महसूस हुआ वह अंदर तक सिहर उठी। राहुल अपनी उंगलियों को हल्के हल्के बुर की दरार के ईद गिर्द फिराने लगा अपने बेटे की इस हरकत की वजह से अलका का बदन कसमसाने लगा। अलका मन ही मन सोच रही थी कि इस तरह से तो वहअपनी सुहागरात पर भी नहीं कांप रही थी और ना ही इतनी ज्यादा उत्तेजना महसूस कर रही थी। तो आज अपने बेटे के साथ मुझे ऐसा क्यों महसूस हो रहा है। अलका कुछ और विचार कर पाती इससे पहले ही उसका बदन असीम सुख के कारण एकदम से गंनगना गया। और एकाएक ना चाहते हुए भी उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी। करती थी क्या वह राहुल ने जो हरकत किया था उसकी वजह से हल्का अपने बदन पर और मन पर बिल्कुल भी काबू नहीं रख पाई क्योंकि राहुल ने उसकी बुर पर अपने होंठ रख दिए थे। उसकी बुर से मदन रस का फुवार फूट पड़ा जब राहुल ने अपनी मां की बुर पर होठ रखने के साथ ही अपनी जीभ को भी लस लसी दरार में प्रवेश करा दिया। और उसकी बुर की नमकीन रस को जीभ से चाटने लगा। अलका कभी यकीन भी नहीं कर सकती थी थी कोई इस तरह से भी प्यार करता है । इतनी गंदी जगह पर कोई अपना मूह भी लगा सकता है उसे इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था।। राहुल अपनी मां की बुर को लगातार जीभ से चाटे जा रहा था। और अलका मदहोश हुए जा रही थी उत्तेजना के मारे वह अपने सिर को दाएं-बाएं पटक रही थी वह अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए अपने होंठ को अपने दांत से ही काट रहे थे लेकिन फिर भी उसके मुख से गर्म सिसकारी निकल ही जा रही थी। अलका को बहुत ही मजा आ रहा था लेकिन उसे इस बात पर शर्म भी आ रही थी कि उसका बेटा कितना गंदा काम कर रहा था।
अलका को आज बहुत ही गंदा लग रहा था क्योंकि इससे पहले उसे मालूम ही नहीं था कि कोई मर्द औरत की बुर भी चाटता है और इस क्रिया में औरत को इतना बेहद आनंद की प्राप्ति होती है। क्योंकि उसके पति ने आज तक कभी भी उसके साथ यह क्रिया नहीं की थी इसीलिए उसको इस बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं था। थोड़ी ही देर में अलका को बेहद और असीम आनंद की प्राप्ति होने लगी वह अपने बेटे के सिर पर अपना दोनों हाथ रखकर उसे जोर-जोर से अपनी बुर पर दबाने लगी। 

सससससससससहहहहहहहहह.......राहुल ...... तू यह क्या कर .......रहा है ......क्या कोई इस तरह .....भी करता है( उत्तेजना की वजह से अलका की आवाज भी ठीक से नहीं निकल पा रही थी वह अटक- अटक कर बोल रही थी। अपनी मां के सवाल पर थोड़ी देर के लिए वह अपनी मां की बुर पर से अपने होंठ हटाकर अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला। )

मम्मी मुझे तो बहुत मजा आ रहा है। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि बुर चाटने मे ईतना आनंद मिलता है। ( राहुल यह बात झूठ बोल गया था क्योंकि इससे पहले भी उसने नीलू और वीनीत की भाभी के बुर चाटने का स्वाद चख चुका था। ) 
मम्मी सच सच बताना क्या तुम्हें बुर चटवाने में मजा नहीं आ रहा है। ( अपने बेटे के खुले शब्दों में यह सवाल सुनकर अलका दंग रह गई वह समझ गई कि जितना भोला और नादान वह अपने बेटे को समझती है इतना भोला और नादान वह है नहीं। लेकिन वह अच्छी तरह से जानते थे कि मजा लेना है तो बेशर्मं बनना ही होगा। ईसलिए वह अपने बेटे की बात को ज्यादा तुलना देते हुए वह भी अपने बेटे के खुले शब्दों की तरह ही जवाब देते हुए बोली।)

( अपने हाथ से ही अपनी चूचियों को मसलते हुए) मुझे भी बेहद आनंद प्राप्त हो रहा है लेकिन तुझे कैसे मालूम कि औरतों की बुर चाटने में इतना ज्यादा आनंद आता है। 

( अपनी मां के इस सवाल पर राहुल एकदम से हड़बड़ा गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दे लेकीन फिर भी नमक मिर्च लगाते हुए वह बोला।)

मम्मी क्या करूं मुझे आपकी बुर देखकर रहा नहीं गया।आपकी बुर में ढेर सारा नमकीन रस भरा हुआ है और उस रस को देखकर मुझसे अपने आप को रोका नहीं गया और मैं मुंह लगाकर आप की बुर का रस चाटने लगा। ( राहुल की बात सुनकर कल का मन ही मन प्रसन्न होने लगी उसे यकीन नहीं आ रहा था कि इतने गंदी जगह को भी कोई इतनी चाव से जीभ लगा-लगाकर चाटेगा। अलका के चेहरे पर उत्तेजनाओं प्रसन्नता के भाव देखकर राहुल उसकी मां और कुछ पूछती इससे पहले ही अपना मुंह वापस बुक में डाल दिया। दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी अलका को बुर चटवाने मे मजा आ रहा था और राहुल को चाटने में
थोड़ी ही देर में बुर चटाई का आनंद लेते हुए अलका के मुख से हल्की-हल्की चीख के साथ सिसकारी की आवाज तेज होने लगी पूरे कमरे में उसकी गर्म सिसकारी गूंजने लगी, अगर बाहर बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट का शोर ना होता तो अलका की शिसकारियों की आवाज जरूर कमरे के बाहर पहुंच रही होती। 

आहहहहहहहहहह......।राहुल.......ऊम्म्म्म्म्म्म्......स्स्स्हहहहहहहहहहहह......ओहहहहहहहहह.....राहुल..... मुझसे रहा नहीं जा रहा है...... मेरी बुर में आग लगी हुई है राहुल....... बुझा दे बुझा दे इसे.......राहुल। ठंडी कर दे मेरी बुर को अपना लंड डाल कर...... चोद मुझे राहुल...... चोद अपनी मां को ......बुझा दे मेरी प्यास को राहुल.....

अलका एकदम से चुदवासी हो चुकी थी।वह इतनी गरम हो चुकी थी कि उसे अब आपनी बुर मे लंड की जरूरत महसूस होने लगी थी। उसकी बुर में खुजली मच रही थी वह अपने बेटे से मिन्नते कर रही थी चुदवाने के लिए। अपनी मां की गरम सिस्कारियों को सुनकर वह समझ गया था कि अब उसकी बुर में लंड डाल देना चाहिए। वह अपनी मां की दूरी से अपने मुंह को हटाया उस की सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी वहां हांफते हुए अपनी मां को देख रहा था, और उसकी मां प्यासी नजरों से अपने बेटे को देख रही थी उसकी आंखों में लंड की प्यास साफ झलक रही थी। अलका एकदम कामातूर हो चुकी थी। अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए वह पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी इसलिए तो बुर परसे अपने मुंह को हटाते हैं अलका ने अपनी टांगो को फैला दी। राहुल अपनी मां की जल्दबाजी को देख कर समझ गया था कि तवा पूरी तरह से गर्म हो चुका है और इस पर रोटी सेक ही लेनी चाहिए। इसलिए वह भी अपनी मां की जांघों के बीच घुटनों के बल बैठ कर अपने लिए जगह बनाने लगा अपने बेटे को इस तरह से जगह बनाते हुए दोख अलका की कामोत्तेजना बढ़ गई। और वह अपने देखते को देखते हो खुद ही अपनी चूचियों को मसलने लगी।
राहुल अपने लिए जगह बना चुका था उसने अपनी मां की जांघों को दोनों हाथों से पकड़कर अपनी तरफ खींच कर अपनी जांघ पर अपनी मां की जांघ को चढ़ा लिया।
क्या गर्म नजारा लग रहा था जांघ से जाघ का स्पर्श होते ही दोनों की उत्तेजना बढ़ गई। राहुल ने अपने टनटनाए हुए लंड को अपने हाथ में लेकर उसके सुपाड़े को अपनी मां की बुर पर रगड़ने लगा। उत्तेजना के मारे अलका का गला सूख रहा था। बुर पहले से ही एकदम गीली थी जिसकी वजह से उस पर सुपाड़ा रगड़ने से सुपाड़ा भी पूरी तरह से गीला हो गया। थोड़ा सा अपनी मां पर झुकते हुए एक हाथ से लंड को पकड़ के बुर के गुलाबी छेद पर टिकाया और हल्के से आगे की तरफ अपनी कमर को धक्का दिया बुर एकदम गीली होने की वजह से लंड का मोटा सुपाड़ा बुर की गुलाबी पत्तियों को को फैलाते हुए अंदर की तरफ से सरकने लगा। जैसे-जैसे सुपाड़ा बुर के अंदर सरकने लगा वैसे वेसे अलका की सांस अटकने लगी उसे हल्का हल्का दर्द महसूस होने लगा। दर्द के मारे उसका मुंह खुला का खुला रह गया। राहुल की उत्तेजना इस बात से और ज्यादा बढ़ चुकी थी कि जिस बारे में वह सपना देख रहा था आज वो एकदम हकीकत हो रहा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह वास्तव में अपनी मां की चुदाई कर रहा था और उसकी मां उसके चुदवा रही थी। धीरे धीरे कर के लंड का पूरा सुपाड़ा अलका की बुर में उतर चुका था। उसकी सांसे टूट रहीे थी। सुपाड़ा घुसते हैं दर्द के मारे उसकी आंखों से आंसू छलक उठे पता नहीं है आंसू दर्द के थे या बरसों के बाद उसके बदन की प्यास बुझाने की खुशी के आंसू थे या पता लगा पाना बड़ा मुश्किल था कि तभी राहुल ने फिर से अपनी कमर को आगे की तरफ झटका और इस बार उसका लंड आधा बुर में घुस गया। अलका को ज्यादा दर्द महसूस होने लगा। अलका को यह समझ में आ गया था कि उसके बेटे का लंड वाकई में उसके पति से कुछ ज्यादा मोटा और लंबा है। अलका अपने दर्द को दबाने के लिए जैसे ही अपने होंठ को अपने दांतों तले दबाई तभी राहुल ने यह जोरदार झटका लगाया ओर पूरा का पूरा समूचा लंड बुर के सारे अवरोधों को धकेलते हुए सीधे बच्चेदानी से जा टकराया। और जैसे ही लंड का नुकीला सुपाड़ा अलका की बच्चेदानी से टकराया उसके मुंह से एक जोरदार चीख निकल गई। वह तो अच्छा हुआ कि बारिश का शोर इतना ज्यादा था वरना अपनी मां की चीख सुनकर सोनू जरूर कमरे तक आ जाता। अपनी मां की दर्द भरी चीख सुनकर राहुल अपने लंड को बुर की जड़ में डाले हुए बस ऊपर लेटा रहा। और दोनों चूचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा अलका हाफं रही थी। उसे इसकी उम्मीद कतई नहीं थी कि इतना ज्यादा दर्द करेगा लेकिन धीरे-धीरे वह सामानय होती नजर आने लगी और राहुल फिर से लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में अलका की चीख की जगह उसकी गरम सिसकारियां ने ले लिया। वह अब सिसकारी लेते हुए चुदाई का मजा लेने लगी। राहुल को बेहद आनंद आ रहा था अपनी मां को चोदने ने उसे उसकी मां विनीत की भाभी ओर नीलू से भी ज्यादा मजा देनेवाली लग रही थी। 
पूरे कमरे में पुच्च पुच्च की आवाज गूंज रही थी और राहुल अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर जोर जोर से कमर हिला रहा था। अलका भी अपने बेटे को बाहों में भर कर चुदाई का भरपूर मजा लेने लगेी। अलका ने ऐसी दमदार चुदाई का मजा कभी भी नहीं ली थी े इसलिए वह आज एक दम मस्त हो चुकी थी बार बार अपने बेटे का लंड उसे अपने बच्चे दानी पर महसूस हो रहा था जब की यहां तक उसके पति का भी लंड पहुंच नहीं पाया था। अलका इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि वह नीचे से या अपनी गांड को ऊपर उठा उठाकर अपने बेटे का लंड लेने की पूरी कोशिश कर रही थी और राहुल था की रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
करीब 30 मिनट के बाद हल्का की सिसकारियां बढ़ने लगी। और वह एकाएक अपने बेटे को अपनी बाहों में कस कर भलभला कर झड़ने लगी। अलका पहली बार जिंदगी में ऐसे चरमोत्कर्ष का अनुभव करते हुए झड़ी थी। थोड़ी ही देर में राहुल ने भी अपने गर्म ्रस को अपने मां की बुर में छोड़ने लगा। दोनों झड़ चुके थे अलका को लग रहा था कि बस अब पूरा हो चुका है लेकिन अभी तो पूरी रात बाकी थी।
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10-09-2018, 03:34 PM,
#64
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल अपनी मां की नारंगीयो पर डह चुका था। झटके खा-खाकर उसके लंड से गर्म पानी निकल कर उसकी मां की बुर को तर्र कर रहा था। अलका भी अपने बेटे को अपनी बाहों में भरकर गहरी गहरी सांसे छोड़ रही थी। बासना का तूफान शांत हो चुका था दोनों एक दूसरे की बाहों में खोए बिस्तर पर लेटे अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरुस्त कर रहे थे । अलका के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ झलक रहे थे। उसके जीवन का यह अनमोल पल था। आज बरसों के बाद उसके चेहरे का गुलाबीपन वापस लौटा था। अलका के गोरे चेहरे पर पसीने की बूंदें मोतियों की तरह चमक रही थी। मां बेटे दोनों ने जमकर पसीने बाहाए थे इस अद्भुत अदम्य पल की प्राप्ति के लिए। 
अलका आंखों को मूंद कर इस अद्भुत पल का आनंद ले रही थी। वह अपनी बुर में अपने बेटे के लंड से निकलती एक एक बूंद को बराबर महसुस कर रहीे थी। अलका तो इतने वर्षों में बुर के अंदर लंड के गरम पानी की बौछार का अहसास भूल ही चुकी थी जो कि आज उसके बेटे ने उसे उस अमूल एहसास से परिपूर्ण कराया था। राहुल के भी चेहरे पर आज संतुष्टि के भाव कुछ ज्यादा ही नजर आ रहे थे ।ऊसकी खुशी का ठिकाना नहीं था' राहुल को ऐसा एहसास हो रहा था कि अपनी मां की चुदाई करके उसने जैसे किसी अमूल्य वस्तु को हासिल कर लिया हो। और वैसे भी अलका एकदम अमूल्य ही थी। उसकी खूबसूरती उसके बदन की बनावट देख कर किसी के भी मुंह से आहहहह निकल जाए।
काफी देर तक दोनों यूं ही लेटे रहे दोनों के बीच किसी भी प्रकार के वार्तालाप का आसार नजर नहीं आ रहा था। इस अद्भुत क्रिडा के पश्चात दोनों के मन में फिर से शर्म के भाव उभर रहे थे। यह पल दोनों को आनंदित कर गया था लेकिन अब दोनों एक दूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे थे अलका बिस्तर पर लेटे हुए अपनीे ऊंगलियों को अपने बेटे के बालों में फिराते हुए मुंह दूसरी तरफ फेरी हुई थी। दोनों संपूर्णता नग्नावस्था में एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले बिस्तर पर पड़े थे राहुल अपनी मां के बदन पर से उठने की कोशिश भी नहीं कर रहा था। उसे यह डर भी था कि अगर उसके बदन पर से उठ गया तो अपनी मा से नजरे केसे मिलाएगा। इसलिए वह लेटै ही रहा लेकिन थोड़ी ही देर में अलका की ऊपर नीचे हो रही सांसों के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी जोकि राहुल के सीने से दबी हुई थी वह भी ऊपर नीचे हो रही थी। लेकिन ऊपर नीचे हो रही चूचियो की कड़ी निप्पल की चुभन से राहुल के बदन में फिर से उन्माद जगने लगा था । उसके लंड का तनाव कम हो चुका था लेकीन ढीला होकर अभी भी अलका की बुर. में ही समाया हुआ था, लेकिन अलका की ऊपर नीचे हो रही चुचीयो की वजह से राहुल का बदन उन्मादित हो रहा है , और अलका की बुक में ढीला पड़ चुका लंड धीरे-धीरे तनाव में आने लगा था जिसका एहसास अलका अपनी बुर में अच्छी तरह से कर रही थी। 
अपने बेटे के लंड को इतनी जल्दी फिर से टाइट होता देखकर अलका अचंभित हो गई। क्योंकि उसके पति ने जब भी उसकी चुदाई की तो लंड दुबारा टाइट हुआ ही नहीं। और राहुल का लंड था कि तुरंत टाइट होने लगा था जिसके कड़कपन का अहसास बुर में होते ही अलका की सांसे फिर से भारी होने लगी। और साथ ही राहुल को इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां की चूचियां कुछ ज्यादा ही उठ रही थी इसलिए वह अपना सिर उन चुचियों पर से हटाया और अपनी मां की तरफ देखा तो उसकी मां शर्मा कर आंखे मूंदे हुए दूसरी तरफ देख रही थी। राहुल अपनी मां का शर्माता हुआ चेहरा एकटक देखने लगा उसका लँड अभी भी उसकी मां की बुर में था। राहुल अलका- दोनों पसीने से तरबतर थे जबकि बरसात की वजह से मौसम का तापमान गिर चुका था। राहुल अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों पर पसीने की बूंदे देखकर उत्तेजित होता हुआ दोनों चूचियों को अपनी हथेली में भर लिया और जैसे ही राहुल ने अपनी मां की चुचियों को अपनी हथेली में भरा अलका के मुंह से उन्माद भरी सिसकारी फूट पड़ी। पसीने की बूंद गालों से होती हुई अलका के होठों से टपक रही थी जिसे देख कर राम सराहने किया और वह अपने होठों को अपनी मां के होठों पर रखकर पसीना की बुंदो को जीत से चाटने लगा इतने में अलका भी मस्त हो गई और अपने बेटे के चुंबन का जवाब देते हुए अपने दोनों हाथ से राहुल का सिर पकड़ कर ऊसके बालो को भींचकर. होठो को चुसना सुरु कर दी । मां बेटे दोनों एक बार फिर से एक होने में लग गए लंड तो अभी भी अलका की बुर में धंसा हुआ था जो की पूरी तरह से अपने सबाब पर था। एक बार फिर से अलका की बुर की गुलाबी पत्तियां फेल चुकी थी अलका की सांसे तेज होती जा रही थी लेकिन अब तक राहुल ने जरा सा भी अपनी कमर को झटके नहीं लगाया था वह बस बुरमें लंड पेले अलका के बदन से खेल रहा था। और अलका अपने बेटे के लंड को इतनी जल्दी खड़ा होता देख हैरान थी लेकिन आनंदित भी हो रही थी क्योंकि तना हुआ लंड उसकी बुर में हलचल मचा रहा था जिससे अलका से बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था और वह कसमसाते हुए रह रह कर अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाल दे रहीे थी। अलका पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसे भी खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी जल्दी वह दुबारा उत्तेजित हो जाएगी।
राहुल खुद भी पसीने से तरबतर हो चुका था उससे अब गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी उसकी मां का भी यही हाल था सीलिंग फैन चलते हुए भी ठंडे मौसम के बावजूद दोनों को गरमी लग रही थी। वह अपनी मम्मी को राहत देना चाहता था इसलिए वह अपनी मम्मी के बदन के ऊपर से उठने लगा और उसे उठता हुआ देखकर अलका राहुल को एकटक देखने लगे कि तभी राहुल ने अपनी मां की बुक में से लंड को खींचकर बाहर निकल लिया , लेकिन जैसे ही राहुल ने अपने खड़े ल** दिखाओ अपनी मां की बुर में से खींचकर बाहर निकाला तो लंड की रगड़ से अलका एकदम से उन्मादित हो गई और उसकी फिर से सिसकारी निकल गई।
राहुल अपनी मां की गरम सिसकारी को सुनकर बिस्तर से उठता हुआ बोला। 

गर्मी बहुत है मम्मी दखो तो आपका पूरा बदन कैसे पसीने में भीग चुका है।

तू भी तो पूरी तरह से पसीने में तर बतर हो चुका है।


मेहनत करने पर तो पसीना निकलता है ना मम्मी (राहुल मुस्कुराते हुए बोला' )

( राहुल के तने हुए ल** पर नजर गड़ाते हुए) तू अब बच्चा नहीं रहा बड़ा हो गया है।

( राहुल जानता था कि उसकी मां की नजर उसके लंड पर है इसलिए मुस्कुराते हुए बोला।)

एक ना एक दिन तो बड़ा होना ही था' अच्छा रुको में खिड़की खोल दूं ताकि ठंडी हवा से कुछ राहत मिले।

( इतना कहने के साथ ही राहुल खिड़की की तरफ बड़ा और अलका उठ कर बैठ गई' अलका अपनी दोनों नंगी टांगों को बिस्तर पर लटकाकर देर गई और राहुल की तरफ देखने का है जहां से राहुल की सिर्फ नितम्ब ही दिख रहे थे। अलका ने आज अपने बेटे को पूरी तरह से नंगा देखा था हालांकि बचपन में तो हमेशा दिखती थी लेकिन जब से राहुल अपने आप से नहाना तैयार होना शुरू कर दिया था तब से लेकर आज ही उसने राहुल को नंगा देखी थी। राहुल खिड़की खोल चुका था और जैसे ही खिड़की खुली वैसे ही ठंडी हवा का झोंका बाहर से आकर कमरे में ठंडक फ़ैलाने लगा और उस हवा के झोंके से अलका के रेशमी बाल उड़ने लगे जिसकी वजह से उसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ने लगी थी। बाहर का नजारा देखते ही राहुल प्रसन्न होते हुए अपनी मां को देखे बिना ही उसे बुलाते हुए बोला।)

जल्दी आओ मम्मी जल्दी आओ।

क्या हुआ।


अरे यहां आओ तो सही देखो तो सही बाहर का नजारा कितना खुशनुमा हो चुका है। ( राहुल की तरह से बुलाने पर हल्का अपने आप को रोक नहीं पाई और अपने बदन पर बिना कपड़े डालें वह बिल्कुल नंगी बिस्तर पर से उठी और खिड़की के पास आ गए दोनों बिल्कुल नंगे थे। बाहर का नजारा देखकर अलका भी प्रसन्न हो गई पसीने से तरबतर दोनों के बदन अब खिड़की खुलने से ठंडक का अहसास कर रहे थे। बाहर बारिश का जोर बिल्कुल कम हो चुका था स्ट्रीट लाइट में पूरा रोड जगमगा रहा था,लेकीन पुरे सड़क पर घुटनो तक पानी भरा हुआ था। सड़क के कीनारे लगे हुए पेड़ हवा मे एसा लग रहे थे की झुल रहे हो। सड़क की दूसरी ओर मंजुले दो मंजिला घर में नाइट लैंप जल रहा था पूरा शहर सो रहा था हां होंगे कुछ जो इन दोनों की तरह अपनी राते रंगीन कर रहे होंगे। अलका अपने बेटे से बिल्कुल सटकर खड़ी थी और खिड़की से बाहर का नजारा देख रही थी। राहुल अलंका दोनों बिल्कुल नंगे खिड़की पर खड़े थे। अलका की चूचियां बिल्कुल टट्टाार होकर खड़ी थी। खिड़की पर खड़े होकर वह अपने नंगे तन को छुपाने के बिल्कुल भी कोशिश कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि इतनी रात को कोई देखने वाला नहीं था और वैसे भी बाहर घने पेड़ की परछाई से खिड़की वाली जगह हमेशा अंधेरा ही रहता था इसलिए कोई देख भी नहीं सकता था। अलका की नजर बाहर का नज़ारा देखते देखते पास में खड़े राहुल के तने हुए लंड पर गई तो अलका अपने आप को रोक नहीं पाई और तुरंत अपने बेटे के लंड को पकड़ कर मुठीयाने लगी। राहुल से भी रहा नहीं गया और वह अपने हाथों से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को पकड़ कर दबाने लगा। दोनो फीर से उत्तेजित होने लगे। राहुल से रहा नहीं गया तो उसने दूसरे हाथ से अपनी मां की एक चूची को थाम लिया उसे जोर जोर से दबाने लगा। दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए उन्मादित हुए जा रहे थे तभी राहुल अपने होंठ को आगे बढ़ा कर अपनी मां के होठ पर रख दिया और अपनी मां की गुलाबी होठोे को चूसने लगा। अलका बड़ी जल्दी उत्तेजित हो गई थी शर्मीली अलका एकदम बेशर्म हो चुकी थी। अपने बदन की प्यास दिखाने के चक्कर में उसने सारी हदें पार कर चुकी थी वैसे भी वासना की कोई हद नहीं होती वह जब भी होती है बेहद होती है। इसलिए तो अलका ने फिर से अपने बेटे के लंड को अपनी प्यासी और रसीली बुर की फांकों के बीच रगड़ना शुरु कर दी और खुद भी अपने बेटे के होंठ को मुंह में भर कर चूसने लगी राहुल एक हाथ से लगातार अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को उस पर चपत लगाते हुए मसले जा रहा था। जब भी वह अपनी मां की गांड पर चपत लगाता
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10-09-2018, 03:34 PM,
#65
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
वह जब भी अपनी मां की गांड पर चिपक लगाता तो उसकी मां हर चपत पर आउच्च कहकर अपनी गांड उचका देती जिससे राहुल दर्द के मारे अपनी मां की उचकी हुई गांड को देखकर मदहोश हो उठता और फिर लगातार जोर-जोर से दो-चार चपत और लगा देता। दोनों एक दूसरे के बदन से खेलते हुए आनंदित हो रहे थे बारिश बिल्कुल रुक चुकी थी लेकिन रह रह कर बादलों की चमक और गड़गड़ाहट बारिश के होने का एहसास करा देते थे लेकिन मौसम पूरी तरह से ठंडा हो चुका था। ठंड के बावजूद भी दोनों फिर से गर्म हो चुके थे और अलका की गरम सिस्कारियों ने कमरे के अंदर के तापमान को और ज्यादा गर्म कर दिया था। राहुल उत्तेजना में हल्का के गुलाबी होंठ को दातों से काट भी ले रहा था जिससे अलका और मस्त हो जाती थी और मदहोश होते हुए अपने बेटे के लंड कोे कस के हथेली में दबोच लेती थी। 
अलका अभी भी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर पर लगातार रगड़ रही थी। और इस तरह से अपनी मां के द्वारा अपने लंड को बुर पर रगड़ने से राहुल उत्तेजना की परम शिखर पर पहुंच गया, उससे यह बदन की जरूरत बर्दाश्त नहीं हो रही थी। इसलिए वहां हल्के हल्के अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा जिससे राहुल के लंड का सुपाड़ा अलका की बुर में थोड़ा-थोड़ा जाकर अंदर-बाहर होने लगा इससे अलका की कामोत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई उसके मुंह से लगातार सिसकारी छूट रही थी। दोनों खुली खिड़की के पास एकदम नग्न अवस्था में अपनी वासना को अंजाम देने में लगे हुए थे राहुल लगातार अपनी मां की चुचियों को दबाए जा रहा था और साथ ही कमर को हिला कर सुपाड़े को बस थोड़ा-थोड़ा इन अंदर-बाहर कर रहा था धीरे-धीरे इस तरह से अलका के बदन की चिंगारी भड़क रही थी वह बार-बार अपनी भी कमर को आगे की तरफ ठेल दे रही थी ताकि राहुल का लंड पूरी तरह से अलका की बुर में घुस सके लेकिन राहुल जानबूझकर लंड को घुसने नहीं दे रहा था। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि ऐसा करने पर उसकी मां और ज्यादा चुदवासी हुई जा रही थी। 
बाहर से अा रहीे ठंडी हवा का झोंका बार बार दोनों के बदन मे सिरहन सीे पैदा कर रही थी। दोनों मदहोश होकर एक दूसरे के होठों को चूसने और काटने में लगे हुए थे राहुल का एक हाथ अलका के नितंब पर तो दूसरा हाथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पर अपना दबाव बराबर बनाए हुए था। अलका की मदहोश कर देने वाली गर्म सिसकारी राहुल की टांगो के बीच हलचल मचाए हुए थी जिसे वह पकड़ कर बार-बार अपनी बुर में डालने की कोशिश कीए जा रही थी। लेकिन राहुल था कि बार बार बस उतना ही जाने दे रहा था कि जिससे उसके मां की कामाग्नि और ज्यादा भड़क जाए, और जैसा राहुल सोच रहा था वैसा हो भी रहा था। राहुल की मां की प्यास पल-पल बढ़ती जा रही थी। उत्तेजना की तपन में उसका गला सूखता जा रहा था और सूखते गले से थुक निगलने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
अलका बेतहाशा चुदवासी हो चुकी थी उससे अपने आपको संभाला नहीं जा रहा था बादलों की गड़गड़ाहट नें उसके उत्तेजना को और ज्यादा भड़काने का काम कर रहा था। वह लंड को छोड़कर दोनों हाथ को राहुल के पीछे ले जाकर अपने बदन से चिपका ली इतना कस के वह अपनीं बाहों में दबोची की उसकी बड़ी बड़ी चूचियां राहुल के सीने से दब गई और निप्पल सुईयो की तरह चुभने लगी। इस तरह से अपनी बाहों में भेींचने से राहुल एकदम से चुदवासा हो गया। और जो हाथ उसकी नितंबों पर गश्त लगा रहे थे उसे वह जांघो को बीच सटा दिया। जांघों के बीच अपने बेटे के हथेली का स्पर्श पाते ही राहुल अपनी जांघों को सिकोड़ने लगी। राहुल की हथेली जैसे ही अलका की रसीली गोरे की दरारों पर पड़ी तो राहुल के मूल्यों में भूल से निकला नमकीन सा चिपचिपा तरल पदार्थ लग गया। अपनी उंगलियों पर नमकीन अरथ लगते हैं राहुल और ज्यादा उत्तेजित होने लगा और वह बिना एकपल गंवाए तुरंत घुटनों के बल बैठ गया। अलका उसे अपने गुठनाे पर बैठते हुए प्यासी नजरों से देखने लगी' और भला देखने के सिवा कर भी क्या सकती थी अजीब सी मनोस्थिति में दोनों फंसे हुए थे। दोनों रिश्ते को मर्यादा के बंधन को तोड़ कर सब कुछ कर चुके थे और आगे करने की तैयारी भी कर रहे थे लेकिन एक दूसरे से वार्तालाप करने में शर्म महसूस कर रहे थे दोनों एक दूसरे के बदन से लगातार अपनी प्यास बुझाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन अपने मन की बात करने में अभी भी शर्म सी महसूस कर रहे थे जो बाते उनकी जुबान से होनी थी वह सारी बातें उनके शरीर की हरकत और आंखों के इशारे से हो रही थी। 
राहुल ने अपनी मां को खिड़की की तरफ सटा दिया और खुद ऊसकी जांघों के बीच घुटनों के बल बैठ गया। अलका को अभी भी नहीं पता था कि राहुल क्या करने वाला है वह आश्चर्य से और प्यासी नजरों से बस राहुल को ही ताके जा रही थी। राहुल किसान से बड़ी ही तीव्र गति से चल रही थी जैसे की मेरेथोन की रेस दौड़ कर आया हो। राहुल का भी गला सूख रहा था वह अपने दोनों हाथो को अपनी मां की गुदाज जांघों पर रखते हुए अपने मुंह को जागों के बीच में जाने लगा तो उसकी मां समझ गई कि राहुल क्या करने वाला है और उस बारे में सोचकर ही उसका पूरा बदन झनझन आ गया उसकी टांगे कांपने लगी। 
राहुल खाकी अपनी नशीली आंखों से अपनी मां की तरफ देखते हुए बुर जब दो चार अंगुल दूर रह गई तभी अपनी जीभ को बाहर निकाल लिया ' अपने बेटे की लपलपाती हुई जीभ को देखकर उसके बदन में सिरहन सी दौड़ गई ठंडी हवा के झोंकों में भी उसके पसीने छूटने लगे अगले पल की बेसब्री से इंतजार करते हुए वह गनगना रही थी। ऊसकी फुलती हुई सांसो के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी जिसे देखते हुए राहुल और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और अपनी जीभ को लपलपाते हुए अपनी मां की बुर के करीब ले जा रहा था। अलका का बदन उत्तेजना की वजह से कसमसा रहा था, और वह कसमसाते हुए अपनी बुर को पीछे की तरफ करने की कोशिश कर रही थी लेकिन राहुल ने उसे उसकी जांघों से दबोच रखा था। जिसकी वजह से वह अपनी बुर को पीछे नहीं ले जा पा रही थी और राहुल ने तुरंत अपनी जीभ की नोक से अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तीयों को कुरेदना शुरू किया' और जैसे ही अलका अपने बेटे की जीभ को अपनी बुर की गुलाबी पत्तीी पर महसूस की वैसे ही तुरंत अलका की ब** में मदन रस की 24 बहुत अब खाना शुरु कर दी जो किसी भी राहुल की जीभ पर ही गिर गई थी राहुल मदन रस को अमृत बुंद समझ कर चाटते हुए अपने गले के नीचे उतार कर अपना गला तर्र करने लगा। अलका यह देख कर पूरी तरह से उत्तेजित हो गई और तुरंत गरम सिसकारी लेते हुए अपने दोनों हाथो से राहुल का सिर पकड़ कर अपनी बुर पर दबा दी। दोनों मां-बेटे एकदम बेसब्र हो गए दोनों से रहा नहीं जा रहा था राहुल लगातार अपनी जीभ का वार अपनी मां की बुर पर करने लगा एक तरफ से वह जीभ से ही अपनी मां के बुर की चुदाई कर रहा था। कुछ सेकंड तक वह बुर की गुलाबी पत्तियों पर ही अपनी जीभ को लपलपाता और फिर तुरंत एक झटके से जितना हो सकता था उतनी अंदर अपनी जीभ को सट से उतार देता ' अलका की बुर इतना ज्यादा पानी छोड़ रही थी कि तुरंत जीभ को अपने अंदर ले लेती जिससे अलका का मजा दुगना बढ़ जा रहा था। अपने बेटे का यह प्यार करने का ढंग से बड़ा ही कामुक लग रहा था। अलका अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और बार बार उत्तेजना बस दांतों से अपने होंठ को ही चबाने लग जा रही थी। उसके मुंह से गर्म सिसकारियां बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थी। वह बार-बार अपने बेटे के बालों को खींचते हुए उसके मां को अपनी बुर से सटा दे रही थी और खुद ही अपनी भरावदार गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपनी बुर चटवाने का मजा ले रही थी। राहुल कुछ देर तक अपनी मां की बुर मे ही लगा रहा अलका से अब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हो रहा था । उसकी गरम सिसकारी बढ़ती जा रही थी उससे जब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल होने लगा तो वह सिसकारी लेते हुए बोली।

स्स्स्सहहहहहहहहहहहह.....आहहहहहहहहहह..... राहुल .... तू जब ऐसा करता है ना ......तो ना जाने मुझे क्या होने लगता है .....स्स्सहहहहहहह......ऐसा लगने लगता है कि मैं हवा में उड़ रही हुं। ऊऊऊहहहहहह.... बेटा कुछ कर मुझ से रहा नहीं जा रहा है। ( अलका लगातार सिसकारी भरते हुए बोले जा रहीे थी' राहुल अपनी मां की गरम सिसकारी और उसकी बातों को सुनकर समझ गया था की अब उसकी मां को क्या चाहिए इसलिए वह खड़ा हुआ। और एक बार फिर से अपनी मां की गुलाबी होठों को अपने होठों में भऱ कर चूसने लगा' होठो को चूसते हुए वह धीरे-धीरे चूचियों को मसलने लगा दोनों को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी राहुल ने तुरंत अपनी जगह बदल दिया कुछ देर पहले जहां उसकी मां खड़ी थी अब खिड़की पर राहुल खड़ा था बाहर की ठंडी हवा दोनों के तन को ऐसे माहौल में ठंडा करने की वजाय गरम कर रहा था। अलका कुछ समझ पाती इससे पहले ही वह अपनी मां के कंधो को पकड़कर धीरे धीरे नीचे की तरफ ले जाने लगा और हल्का भी उसकी गर्दन से होते हुए उसके चौड़े सीने पर चुंबनों की बौछार करते हुए नीचे की तरफ जा रही थी राहुल जल्दी से जल्दी से और नीचे ले जाना चाह रहा था। इसलिए बाहर अपनी मां के कंधो पर और ज्यादा जोर देने लगा और अगले ही पल उसकी मां घुटनों के बल बैठे हुए थे अल्का पुरी तरह से समझ गई थी थी राहुल क्या चाह रहा था। राहुल का लंड अलका के होठो से बस दो चार अंगुल ही दूर था जिसे अलका अांख फाड़े देख रही थी। अलका की सांसे और ज्यादा तीव्र गति से चलने लगी। अपनी मां को इस स्थिति में बैठी हुई देखकर राहुल की दिल की धड़कनें बढ़ने लगी उसके बदन एक अजीब से सुख की अनुभूति हो रही थी अलका कुछ कह पाती इससे पहले ही राहुल अपने खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाते हुए सुपाड़े को अपनी मां के होठों पर स्पर्श कराने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी मां ने मुंह दूसरी तरफ फेर ली और बोली।

नहीं ऐसा मत कर राहुल मैंने कभी भी ऐसा नहीं कि हुं
बहुत अजीब सा लग रहा है।

राहुल की बहुत इच्छा थी कि उसकी मां उसके लंड को मुंह में लेकर चूसे क्योंकि इससे पहले वीनीत की भाभी और नीलू ने उसके खड़े लंड को मुंह में लेकर चुसी थी और लंड की चुसाई में उसे जो आनंद प्राप्त हुआ था बहुत ही अतुल्य था इसलिए आज भी वह चाहता था कि उसकी मां उसके पूरे लंड को मुंह में भरकर चुसे लेकिन उसकी मा थीे की अपना मुंह फेर ले रही थी इसलिए अपनी मां को समझाते हुए वह बोला।

मम्मी बहुत मजा आएगा( लंबू को ऊपर-नीचे करके हिलाते हुए) बस एक बार इसे अपने मुंह में ले कर देखिए बहुत मजा आएगा मम्मी प्लीज..... बहुत मजा आएगा मम्मी। ( अपने बेटे को इस तरह से गिड़गिड़ाते हुए देखकर वह बोली। 

तु ईतना कहता है तो बस एक बार ही लुंगी अगर खराब लगा तो फिर बाहर निकाल दूंगी।


हां.... हां मम्मी खराब लगे तो जरुर बाहर निकाल देना बस एक बार इसे अपने मुंह में ले लीजिए। ( इतना कहने के साथ ही राहुल फिर से अपने लंड को अपनी मम्मी के होठो की तरफ बढ़ाकर उसके सुपाड़े को अपनी मां के गुलाबी होठो से रगड़ने लगा। अलका भी सुपाड़े के गर्म एहसास से, अपने होठों को हल्का सा खोल दी राहुल को तो बस यही चाहता था इसलिए होठ खुलते ही उसने तुरंत सुपाड़े को अपनी मां के होठो के बीच फंसा कर अंदर डालने लगा और अलका भी सुपाड़े को हलके हलके से जीभ से चाटने लगी। अपनी मां के जीभ का स्पर्श लँड के सुपाड़े पर होते ही राहुल अजीब सी आनंद की अनुभुती करके पुरी तरह से गनगना गया। अलका की सांसे तेज चल रही थी । उसे अजीब सा लग रहा था । क्योंकि आज इससे पहले उसने ऐसा कभी नहीं की थी हालांकि उसके पति ने बहुत जोर दिया था उसका लंड चूसने के लिए लेकिन अलका इसके लिए कभी तैयार ही नहीं हुई लेकिन आज माहौल बदल चुका था अपने पति का लंड मुंह में लेने से इनकार करने वाली अलका आज अपने ही बेटे का लंड मुंह मे लेकर चूस रही थी। अलका धीरे-धीरे अपने होंठों को खोल रही थी और राहुल मौका देखते हुए धीरे-धीरे अपने लंड को उसके मुंह के भीतर उतार रहा था। कुछ ही देर में राहुल का पूरा समुचा लंड उसकी मां के मुंह में घुसा हुआ था जिसको राहुल धीरे धीरे अंदर बाहर करते हुए अपनी मां के मुहं को चोद रहा था। राहुल की तो सांसे गर्म होने लगी थी। राहुल के बदन में मदहोशी छाने लगी थी आंखों को मुंदकर कर अतुल्य सुख का अहसास अपने अंदर कर रहा था। राहुल के लिए तो यह अतुलनीय पल था लेकिन अलका के लिए अजीब सी स्थिति बनी हुई थी। उससे तो ना ठीक से लंड चुसा जा रहा था और ना ही उसे बाहर निकाला जा रहा था। लंड का स्वाद उसे कसेला लग रहा था। राहुल तो अपनी मां के मुँह को ही बुर समझकर अंदर बाहर करने लगा था।
थोड़ी देर में अलका को भी मजा आने लगा उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह किसी का लंड अपने मुंह में लेगी और चुसेगी , लेकिन आज अपने बेटे के आग्रह पर खुद उसका ही लंड मुंह में लेकर चूस रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि लंड जुसाई में इतना आनंद प्राप्त होता है। अलका अब मजे ले लेकर लंड को चुस रही थी। अलका के साथ साथ राहुल भी एकदम गर्म हो चुका था । उसे इसका एहसास हो गया था कि अगर वह कुछ देर और लंड को यूंही अपनी मां के मुंह में अंदर बाहर करता रहा तो उसका गर्म लावा फूट पड़ेगा। इसलिए उसने तुरंत अपनी मां के मुंह में से लंड बाहर खींच लिया। लंड के मुंह से बाहर निकलते ही अलका हांफने लगी। उसे बहुत मजा आ रहा था इसलिए थोड़ा सा नाराजगी जताते हुए अपने बेटे की तरफ देखने लगी। राहुल अपनी मां की बाहों को पकड़कर उसे खड़ा किया। राहुल अब अपनी मां को चोदने जा रहा था। वह अपनी मां को बिस्तर की तरफ ले गया। और बिस्तर पर पीठ के बल लेटा दिया अलका ने खुद ही अपनी टांगो को फैला दी अाधी टांग उसकी पलंग के नीचे लटक रही थी। राहुल एक बार अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए अपनी मां की रसीली बुर को देखने लगा, अलका भी प्यासी नजरों से अपने बेटे के खड़े लंड को देख रहीे थी। दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी राहुल ने अपनी मां के जांघो के बीच जगह बनाया और अपनी मां के बदन के ऊपर झुकते हुए अपने लंड के सुपाड़ो को बुक की गुलाबी फांखों के बीच रखकर अंदर की तरफ सरकाना शुरु कर दिया। अलका की बुर इतनी ज्यादा गीली थी कि लंड धीरे-धीरे आराम से अंदर की तरफ सरकने लगा।। अगले ही पल राहुल का समूचा लंड ऊसकी मां की बुर में घुसा हुआ था। अलका की सांसे तेज चल रही थी उसकी चूचियां कुछ ज्यादा ही ऊपर नीचे हो रही थी और उस फुदकती हुई चूचियों को राहुल ने अपने हथेली में दबोच लिया और अपने कमर को आगे पीछे करके अपनी मां की चुदाई करना शुरु कर दिया। लंड गजब का सरकता हुआ बुर के अंदर बाहर हो रहा था। राहुल के हर ठाप पर अलका की आह निकल जा रही थी। अलका के सांसे तीव्र गति से चल रही थी। राहुल की कमर पूरे लय में ऊपर नीचे हो रही थी। इतनी तेजी से राहुल अपनी मां की चुदाई कर रहा था कि अलका को यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतनी तेजी से भी चुदाई की जा सकती है। थोड़ी ही देर में दोनों पसीने पसीने हो गए। पुच्च पुच्च की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था। यह पुच्च -पुच्च की आवाज लंड और बुर के संगम से आ रही थी। अलका मदहोश हुए जा रही थी और वह भी नीचे से कमर उछाल उछाल कर अपने बेटे का साथ दे रही थी। कुछ देर तक यूं ही राहुल अपनी मां के ऊपर सवार होकर उसे चोदता रहा। तभी चुदाई करते करते उसे विनीत की भाभी याद आ गई जब उसने पीछे से अपनी बुर में लंड डलवाकर चुदवाई थी। राहुल ने उस तरीके को अपनी मां पर आजमाने की सोचा। इसलिए वह अपनी मां की बुर से लंड को बाहर खींचकर निकाल लिया। अलका को बहुत मजा आ रहा था इसलिए लंड निकालने पर उसका सारा मजा किरकिरा होता नजर आने लगा तो राहुल से सिसकारी भरते हुए बोली। 

ससससहहहहहहहहह.....आहहहहहहहहह.......राहुल नीकाल क्यों लिया....... बहुत मजा आ रहा था।

( बिस्तर से उठते हुए ) इसे भी ज्यादा मजा मिलेगा मम्मी बस एक बार खड़ी हो जाओ।
( कितना कह कर राहुल बिस्तर से खड़ा हो गया। अलका समझ नहीं पा रही थी कि राहुल क्या करना चाह रहा है। लेकिन राहुल के कहने के अनुसार कि इस से भी ज्यादा मजा मिलेगा इसलिए वह भी बिस्तर से खड़ी हो गई। जैसे ही अलका खड़ी हुई राहुल ने उसे घूमने के लिए कहा तो वह आश्चर्य से राहुल की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और राहुल ने अपनी मां कीे पीठ पर हाथ लगाते हुए उसे नीचे झुकाते हुए बिस्तर पर करने लगा। जैसे जैसे राहुल ने अपने हाथों के इशारे से और समझाते हुए निर्देश दिया वैसे-वैसे अलका उसी पोजीशन में हो गई इस पोजीशन में अपनी मां को देखते ही राहुल और भी ज्यादा चुदवासा हो गया । क्योंकि इस पोजिशन में उसकी मां की गांड वीनीत की भाभी की गांड और नीलू की गांड से कुछ ज्यादा ही उभरी हुई और गोल नजर आ रही थी। अपनी मां की गांड को देखकर राहुल के लंड़ ने ठुनकी मार कर उसे सलामी दीया। अलका अभी भी आश्चर्य में थी उसे अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। राहुल ने अपने मां के गोल. गांड को अपनी हथेली में भरने के लालच को रोक नहीं पाया। और तुरंत अपनी मां की गांड पर दोनों हाथ से चपत लगाते हुए कस के हथेली में भर लिया।चपत लगते ही उसकी मां के मुंह से आह निकल गई। अलका को ईस तरह से झुक कर अपनी गांड को बाहर निकाल कर बैठने में ज्यादा रोमांच का अनुभव हो रहा था। लेकिन कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि राहुल करने क्या वाला है राहुल तू बार-बार अपनी हथेलियों को अपनी मां की उभरी हुई गांड पर मसलते हुए फिरा रहा था। अलका के बदन में झुनझुनी की लहर फैल जा रही थी। अलका से रहा नहीं जा रहा था और वह अपने बेटे से पूछने लगी।

तू करने क्या वाला है बेटा मुझे इस तरह से कर के ।

बस मम्मी आप देखते जाओ आपको कितना मजा मिलता है।( इतना कहने के साथ ही राहुल अपने हाथ में लंड को पकड़े अपनी मां की गांड से बिल्कुल सट गया
और ज्यों ही लंड के सुपाड़े को अपनी मां की बुर पर लगाया अलका एकदम से गनगना गई ' वह कुछ और समझ पाती इससे पहले ही राहुल नहीं जोरदार झटका लगाया और पूरा लंड सीधे उसके बच्चेदानी से जा टकराया अलका के मुंह से चीख सीे निकल गई। अब अलका को पूरी तरह से समझ में आ गया था। तभी राहुल ने दूसरा ठाप लगाया और फिर से अलका के मुंह से चीख निकल गई। इस पोजीशन में राहुल कहां रुकने वाला था अब धड़ाधड़ बुर में धक्के लगाते हुए अपनी मां को चोदने लगा। और उसकी मां के मुंह से लगातार सिसकारी की आवाज गूंजने लगी। इस पोजीशन में अलका को भी बहुत मजा आ रहा था उसने कभी सोची ही नहीं थी कि ईस तरह से भी चुदवाया जाता है। बहुत ज्यादा मजा आ रहा था कुछ ही देर में अलका भी अपनी गांड को पीछे की तरफ धकेल कर राहुल के हर धक्के का जवाब देने लगी। जांघ से जांघ टकराने की बहुत ही मादक आवाज कमरे में गूंज रही थी। मां बेटे दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे कोई भी हार मान नहीं रहा था राहुल के हर धक्के का जवाब अलका अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेलकर देती थी। 
राहुल इतनी जल्दी झड़ने वाला नहीं था क्योंकि कुछ देर पहले उसने अपना गरम पानी की मां की बुर में छोड़ चुका था। अद्भुत चुदाई का नजारा राहुल दिखा रहा था अलका कभी सोची भी नहीं थी कि ईस तरह की भी चुदाई होती है। आआआहहहहहहह आहहहहहह की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था राहुल के हर धक्के के साथ ही पूरी पलंग चरमरा जा रही थी जब जब राहुल कसके धक्का लगाता तो अलका आगे की तरफ गिरते गिरते वह जाती हो तो अच्छा था कि राहुल ने उसे कमर से पकड़ा हुआ था बहुत ही गजब का नजारा लग रहा था सिस्कारियों की आवाज से पुरा कमरा गूंज रहा था। अलका को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि यह हकीकत है उसे यह सब सपना हीं लग रहा था। 
एक रात में सब कुछ बदल चुका था कुछ ही दिन पहले अलका एक संस्कारी महिला थी । शरीर सुख की कामना को उसने अपने अंदर दफन कर चुकी थी उसे इन बातों से कुछ भी लेना देना नहीं था लेकिन इस समय वही संस्कारी मर्यादा वाली अलका झुक कर डोगी स्टाइल में अपने बेटे से ही चुदवा रही थी। दोनों ठाप पर ठाप लगा रहे थे राहुल पीछे से तो अलका आगे से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था। यह चुदाई कुछ ज्यादा ही लंबी चल रही थी। तकरीबन 40 45 मिनट के घमासान चुदाई के बाद अलका की सिसकारी और ज्यादा तेज होने लगी। उसका बदन अकड़ने लगा साथ ही राहुल का भी और एक जबरदस्त धक्के के साथ ही दोनों एक साथ झड़ गए । राहुल अपनी मां के पीठ पर झड़ते हुए लेट गया था। अलका भी गहरी गहरी सांसे ले रही थी। दोनों बिस्तर पर लेट गए। 
दोनों हाथ से हुए एक दूसरे की बाहों में बिस्तर पर लेटे रहे। और थक कर वह दोनों को कब नींद आ गई इसका पता ही नहीं चला।
Reply
10-09-2018, 03:35 PM,
#66
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
सुबह चिड़ियों की चहचहाहट से अलका की नींद खुल गई। अपने आपको अपने बेटे की आगोश में पाकर , अलका एकदम से शर्मसार होने लगी और होती भी क्यों नहीं वह दोनों एकदम संपूर्ण नग्नावस्था में बिस्तर पर एक दूसरे की बाहों में सोए हुए थे। राहुल अपनी मां को अपनी बाहों में लेकर कब सो गया था उसे भी पता नहीं चला था अलका की पीठ राहुल की तरफ थी जोकि राहुल के सीने से सटी हुई थी। अलका जब उठने के लिए अपने बदन में हरकत की तो उसका बदन एकदम से गनगना क्योंकि राहुल का लंड उसकी गांड की दरार के बीच में फसा हुआ था जो कि इस समय पूरी तरह से तनाव में था। अपने बेटे के लंड का कड़कपन का एहसास अलका को होते ही तुरंत उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगी। उसकी रसीली बुर फिर से फूलने पिचकने लगी। एक बार फिर से उसकी सांसे गहराने लगी दिल की धड़कनें बढ़ने लगी। वह बिस्तर से उठने को हो रही थी लेकिन अपने बेटे की लंड की गर्माहट में एक बार फिर से उसे अपनी बुर पिघलती सी महसूस होने लगी। अलका का जी एक बार फिर से मचलने लगा। राहुल एकदम कार्ड निद्रा में सो रहा था अलका पल-पल उत्तेजित हुए जा रही थी और रह रहकर हल्के हल्के से अपनी भरावदार गांड को राहुल के लंड पर रगड़ रही थी। अलका की सांसे उसके बस में नहीं थी एक बार उसका मन तो कहा कि राहुल को जगा कर एक बार फिर से चुदवाले लेकिन रात के अंधेरे में बेशर्म बन चुकी या लड़का सुबह के उजाले में शर्मिंदगी महसूस कर रही थी। बारिश के पानी की तरह अलका के वासना का भी पानी उतर चुका था। रात के अंधेरे को सुबह का उजाला धीरे धीरे काट रहा था और पूरे सृष्टि पर अपना कब्जा जमा रहा था। खिड़की से हल्की हल्की रोशनी कमरे में आ रही थी रोशनी के साथ ही अलका की बेशर्मी भी दूर होने लगी थी। अपने नंगे बदन पर गौर करते ही अलका शर्मिंदा हो गई और जल्द से जल्द अपने बदन को कपड़े से ढक लेना चाहती थी इसलिए धीरे से और बिस्तर पर से उठने लगी ताकि राहुल की नींद ना खुल जाए क्योंकि वह राहुल के जगने से पहले ही कमरे से चली जाना चाहती थी नहीं तो वह रात की हरकत के बाद से अपने बेटे से नजर नहीं मिला पाती। अलका बिल्कुल आहट किए बिना ही बिस्तर से धीरे से उठ खड़ी हुई बिल्कुल नंगी थी । एक बार अपने आपको ऊपर से नीचे की तरफ नजरें घुमा कर देखने पर उसके चेहरे पर शर्म की लालीमा छा गई। वह जल्द से जल्द कमरे से बाहर निकल जाना चाहती थी इसलिए अपने कपड़ों को ढूंढने की झंझट में नहीं पड़ना चाहती थी इधर उधर देखने पर भी उसे अपने कपड़े नजर नहीं आए तो वह नंगी ही कमरे से बाहर आ गई क्योंकि उसे पता था सोनू अभी भी सो रहा होगा इसलिए झट से बाथरूम में जाकर जल्दी-जल्दी नहा धोकर फ्रेश हो गई। उसे जल्द से जल्द सुबह का नाश्ता बनाना था इसलिए रसोई घर में आ गई। रसोईघर में काम करते हुए उसका ध्यान बार-बार रात वाली घटना पर केंद्रित होने लगा रह रह कर उसे अपने बेटे का लंड याद आने लगा उसे अपनी बुर मैं मीठा-मीठा दर्द का एहसास होने लगा।
रात भर जमकर चुदवाने के बाद उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा एक दमदार और तगड़ा लंड का मालिक है उसके जबरदस्त धक्को को याद करके अलका मन-ही-मन सिहर ऊठ रही थी। 
वह सोच में पड़ गई थी कि कितना मोटा लंड है राहुल का कि उसकी बुर में घुसते ही कैसे उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों को फैलाता हुआ अंदर तक वह भी उसके बच्चेदानी तक पहुंच कर पूरी तरह से खलबली मचा रहा था। 
इन सब बातों को याद करके एक बार अलका का दिल फिर से मचलने लगा था उसे अपनी बुर में एक बार फिर से अपने बेटे का लंड पूरी तरह से डलवाकर चुदवाने का करने लगा था। लेकिन कैसे या उसे समझ में नहीं आ रहा था रात को तो ना जाने उसे क्या हो गया था और थोड़ी बहुत मदद उसे बारिश से भी मिल चुकी थी लेकिन रात को जो उसने हिम्मत दिखाई थी उसके बारे में सोच कर अलका का दिल अभी भी मचल जा रहा था। 
उसे एक बार फिर से उसी हिम्मत को दिखाने की जरूरत का एहसास हो रहा था क्योंकि इस समय उसकी बुर में आग लगी हुई थी जिसे उसका बेटा ही अपने लंड से बुझा सकता था। लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कैसे करें कि उसका बेटा एक बार फिर से रात की तरह अपने लंड को उसकी बुर में डालने के लिए मजबूर हो जाए। यही सब सोचते हुए अलका सब्जी काट रही थी तभी वह अपने मन में ठान ली कि, रात को दो-तीन बार तो अपने बेटे का लंड अपनी बुर में डलवा कर चुदवा चुकी है तो इस समय शर्म कैसी एक बार हो या बार बार हो तो गया है और अब शर्म करने से कोई फायदा नहीं है अगर अपने बदन की प्यास को बुझाना है तो हमेशा ही राहुल का ही सहारा लेना होगा और इस समय अगर उसे चुदवाना है तो रात की तरह ईस समय भी अपने बेटे को उकसाना ही होगा ताकि वह फिर से चुदाई कर सके। 
रसोई घर में आटा गुंथते गुंथते अलका राहुल को कैसा उकसाया जाए इस बारे में सोचने लगी। तभी अचानक से वह अपनी साड़ी उतारने लगी, साड़ी उतारने के बाद बगल में लटक रही रस्सी पर साड़ी को डाल दी और फिर अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी। थोड़ी देर मे अलका ने अपने ब्लाउज को दी उतार दी और फिर अपनी लाल रंग की ब्रा के हुक को खोलकर ब्रा भी उतार दी और उसे रस्सी पर ही साड़ी के नीचे छिपा कर टांग दी और फिर वापस से ब्लाउज को कहेंगे लेकिन ऊपर के दो बटन को खुला ही छोड़ दी। वह अच्छी तरह से जानती थी की राहुल उठकर नहाने के बाद रसोई घर में जरूर आएगा इसलिए अलका ने यह पूरी तैयारी कर के रखे थे इस समय वह सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी पेटीकोट भी थोड़ी सी टाईट थी जिससे उसके अंगो का हर कटाव उभार साफ-साफ पेटीकोट में होने के बावजूद भी उपस के बाहर आ रहा था। और उसने ब्रा को जानबूझकर उतार दी थी क्योंकि उसके ब्लाउज का कपड़ा एकदम ट्रांसपेरेंट था । बिल्कुल पारदर्शक वह कपड़ा इतना पतला था कि उसके आर-पार की चीज आराम से देखी जा सकती थी और इस समय अलका की नंगी पीठ उसकी बड़ी बड़ी गोल चुचीयां ब्लाउज मे से आराम से नजर आ रही थी। अलका अपने बेटे को उकसाने का पूरा सामान तैयार कर चुकीे थी। वैसे भी ब्लाउज का साइज उसकी छातियों के साइज से थोड़ा कम ही था, इस वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और भी ज्यादा बड़ी लगती थी । अलका को पूरा यकीन था कि राहुल उसे इस हाल में देख कर जरूर चुदवासा हो जाएगा और उसकी भी कामना पूरी हो जाएगी। अलका यही आस मन में लिए प्यासी बुर की तड़प को सहन करते हुए रसोई का काम करने लगी।
दूसरी तरफ राहुल की नींद खुल चुकी थी अपने आप को बिस्तर में नंगा पाकर उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई क्यों कि उसकी भी प्यास बुझ चुकी थी लेकिन यह प्यास एसी थी की कभी भी किसी से भी पूरी तरह से बुझ नहीं सकती थी हां कुछ देर के लिए शांत जरूर हो जाती थी। वह जान गया था कि उसकी मम्मी जल्दी उठ कर चली गई थी। वह रात वाली बात को सोच सोचकर गनगना जा रहा था। रात भर अपनी मां को जमकर चोद ता रहा इस बात पर उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था। उसे यहं सब सपना ही लग रहा था। 
अपने लंड में आए तनाव को देखकर उसका मन बहकने लगा था। वह मन में यही सोच रहा था कि अगर इस समय उसकीे मम्मी इधर होती तो, वह जरूर एक बार फिर से उसे चोद कर अपने आप को शांत करता लेकिन क्या करें हाथ मसल कर रह गया। बिस्तर पर से जल्दी जल्दी नीचे उतरकर अपने कपड़े पहन कर सीधा बाथरुम के अंदर चला गया। बाथरुम से नहा धोकर तैयार हो कर वह सीधे अपनी मां के पास रसोईघर में चला गया। अलका को रसोईघर में राहुल की आहट होते ही उसकी जाँघो को बीच सुरसुरी सी मचने लगी। उसे पता था कि राहुल की नजर उस पर ही टिकी होगी लेकिन वह पीछे मुड़कर देखे बिना ही पत्थर पर मसाला पीसती रही। और उसके सोचने के मुताबिक ही राहुल की नजर अलका पर ही गड़ी थी। राहुल आश्चर्यचकित होकर अपनी मां को ही देख कर जा रहा था अलका की पीठ राहुल की तरफ थी। अपनी मां को सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में देख कर राहुल हैरान हो रहा था क्योंकि आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मम्मी स्नान करने के बाद ही रसोई घर में कदम रखती थी और इस तरह से सिर्फ पेटीकोट ब्लाउज में कभी भी नजर नहीं आई थी तो आज ऐसा क्या हो गया। उसे अपनी मां को इस अवस्था में देखकर उत्तेजना का भी एहसास हो रहा था और यह सब जानने के लिए उत्सुकता भी हो रही थी। जैसे जैसे अलका के हाथ हिलते थे वैसे वैसे उसकी भरावदार गांड मटकती थी और अपनी मां की मटकती गांड को देख कर राहुल के लंट में तनाव आना शुरू हो गया था। अपनी मां की गांड का घेराव देखकर राहुल हैरान हुए ो जा रहा था पलपलउसकी ऊत्तेजना बढ़ती जा रही थी। 
राहुल अपनी मां के ब्लाउज को देखकर कुछ ज्यादा ही हेरान हुए जा रहा था। क्योंकि राहुल को ब्लाउज के अंदर से झांकती नंगी पीठ साफ साफ नजर आ रही थी उसे साफ साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां ने अंदर ब्रा नहीं पहनी है। यह देख कर उसका लंड और ज्यादा उछल मारने लगा, कल का मन ही मन अपनी भरावदार गांड को और ज्यादा मटकाते हुए कसमसा रही थी उसे इस प्रकार से अपने बेटे को उकसाते हुए अजीब सी आनंद की अनुभूति हो रही थी। राहुल के पेंट में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था राहुल का मन अपनी मां की स्थिति को देख कर एक बार फिर से उसे चोदने को करने लगा और अलका भी तो यही चाहती थी बस दोनों एक दूसरे से सब कुछ हो जाने के बाद भी इस समय शर्मा रहे थे। राहुल यह अच्छी तरह से जानता था कि पारदर्शी ब्लाउज पहनने पर जब नंगी पीठ पूरी तरह से दिखाई दे रही है तो जरूर उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी साफ साफ दिखाई देती होंगी अब राहुल की इच्छा अपनी मां की चुचियों को देखने का कर रहा था लेकिन कैसे शर्मिंदगी भी महसूस हो रही थी। अलका थी कि जानबूझकर पत्थर पर मसाला पीसने में ही लगी हुई थी राहुल ही बातों का दौर आगे बढ़ाते हुए रसोई घर में प्रवेश करते हुए बोला। 
क्या बात है मम्मी आज सुबह-सुबह आप अपनी साड़ी नहीं पहनी हो क्या। ( राहुल रसोई घर में प्रवेश करते हुए बोला।)

अलका ने अपनी लालसा को पूरी करने के लिए पहले से ही पूरी तरह से रुपरेखा तैयार कर चुकी थी। इसलिए उसे इस स्थिति में होने के बावजूद भी अपने बेटे को जवाब देने में कोई भी दिक्कत महसूस नहीं हुई वह एक दम शांत मन से बोली।

क्या करूं बेटा आज नहाने के बाद इतनी गर्मी महसूस हो रही है कि मुझ से रहा ही नहीं जा रहा इसलिए मैंने पहनी हुई साड़ी उतारकर सामने( उंगली से निर्देश करते हुए) रस्सी पर टांग दी हुँ। 
( राहुल जानता था कि उसकी मम्मी झूठ बोल रही है रात भर बरसने के बाद मौसम पूरी तरह से ठंडा हो चुका था लेकिन फिर भी अपनी मां की हां में हां मिलाते हुए वह बोला।)

हां मम्मी आप सच कह रही हो मुझे भी गर्मी का एहसास कुछ ज्यादा ही हो रहा है।

तो तू भी अपने कपड़े उतार दे( अलका झट से बोलकर मुस्कुराने लगी। अलका की मुस्कुराहट राहुल के कलेजे पर छुरियां चला रही थी अलका की कामुक मुस्कान देख कर राहुल का दिल मचलने लगा था।) 
अच्छा बता नास्ते मे क्या चाहिए तुझे। ( इतना कहने के साथ ही अलका राहुल की तरफ घुंम गई, और जैसे वा राहुल की तरफ घूमि वैसे ही तुरंत राहुल की नजर सीधे अलका की बड़ी बड़ी चुचियों पर चली गई जौकी ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी साफ साफ नजर आ रही थी। अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों को देखकर राहुल तो सन्न रह गया। पारदर्शी ब्लाउज की वजह से अलका की चुचीयां इतनी साफ-साफ नजर आ रही थी कि लग ही नहीं रहा था कि वह ब्लाउज पहने हुए है। राहुल तो आंखें फाड़े अपनी मां की चुचियों को ही देखे जा रहा था। अलका समझ गई थी कि उसके बेटे की नजर किस अंग पर है। वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी। वह एक बार फिर से अपने चेहरे पर कामुक मुस्कान लाते हुए बोली।

क्या हुआ बेटा बता तो सही आज नाश्ता में क्या लेगा? 

( राहुल अपनी मां के इस सवाल पर एक दम से तक पका गया उसे समझ में ही नहीं आया कि क्या कहे उसकी नज़रों और दिमाग में तो उसकी मां की चुचीयां ही छाई हुई थी इसलिए उसके मुंह से एकाएक दददद....दुध निकल गया। राहुल के मुंह से दूध शब्द सुनकर अलका मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली।
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10-09-2018, 03:35 PM,
#67
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
क्या बात है बेटा आज सुबह-सुबह दूध पीएगा।तु रूक अभी गर्म कर देती हुं, पहले मसाला तो पीस लु।( इतना कहकर वह फिर से मसाला पीसने लगी। राहुल अपने जवाब से हक्का-बक्का रह गया था लेकिन साथ ही साथ रोमांचित भी था। दोनों एक दूसरे के साथ सब कुछ कर चुके थे कुछ भी बाकी नहीं था फिर भी दोनों आपस में थोड़ा थोड़ा शर्म लिहाज कर रहे थे अलका तो पूरी तरह से तैयार थी। अपने आप को फिर से राहुल को सौंपने के लिए। लेकीन सब कुछ होने के बावजूद भी दोनो अभी पूरी तरह से खुले नहीं थे। राहुल पूरी तरह से गर्म होने लगा था अलका तो पहले से ही गर्म थी। राहुल की आंखों के सामने अलका की चूचियां नाच रही थी। उससे रहा नहीं जा रहा था और उसकी मां उसे तड़पाकर मसाला पीसने में लगी थी। मसाला पीसने में क्या मसाला पीसना तो एक बहाना था वह खुद राहुल की पहल का इंतजार कर रही थी। राहुल वहीं खड़े-खड़े अपनी मां के बदन की थिरकन को देखकर मचल रहा था। रात वाला सारा नजारा उसकी आंखों के सामने नाच जा रहा था। उसे सब कुछ याद आ रहा था कि किस तरह से उसकी मां उसे से चुदवा रही थी और वह भी मजे ले लेकर सारी रात अपनी मां को चोदता रहा था। राहुल अपने अंदर थोड़ी हिम्मत जुटा रहा था क्योंकि उसे इस समय मजा लेना था। वह मन ही मन में अपने आपको तैयार कर रहा था अपने आपको समझा रहा था कि जो काम कल रात को हो चुका तो उसे अभी करने में हर्ज क्या है। यही सोचते हुए धीरे-धीरे रसोई घर के बाहर आ कर इधर उधर नजरें घुमा कर सोनु को देखने लगा कि कहीं सोनू तो उठ नहा गया है। पुऱी तसल्ली कर लेने के बाद, वह फिर से दरवाजे को बंद करता हुआ रसोई घर में प्रवेश कीया। दरवाजे के बंद होने की आवाज को सुनते ही अलका की बुर फूलने पिचकने लगी। वह समझ गई कि राहुल उसे पाने के लिए फिर से तड़प रहा है इसलिए वह खुद भी अपनी भरावदार गांड को कुछ ज्यादा ही बाहर निकालते हुए मटकाने लगी' यह देखकर राहुल से बिल्कुल भी रहा नहीं गया अपनी मां की मटकती गांड को देखकर उसका लंड टन टनाकर खड़ा हो गया। वह जिस तरह से खड़ी थी राहुल अच्छी तरह से जानता था कि उसके मन में क्या चल रहा है इसलिए ज्यादा देर ना करते हुए पीछे से जाकर अपनी मां को पकड़ लिया जैसे ही अपनी मां को पीछे से पकड़ा उसका तंबू अलका की भरावदार गांड में चुभ गया और अलका के मुंह से तुरंत गर्म सिसकारी फूट पड़ी।
सससससहहहहहहह.....।राहुल......( इतना कहने के साथ ही जल बिन मछली की तरह अपनी भरावदार गांड को राहुल की तरफ ऊचकाते हुए तड़प ऊठी। राहुल की सांसे तेज हो चली। उससे अब रुक पाना बड़ा मुशकिल हुए जा रहा था। उसने तुरंत अपनी मां की पेटीकोट को पकड़कर ऊपर की तरफ सरकाने लगा। अलका की भी सांसे तीव्र गति से चलने लगी। धीरे धीरे करके राहुल ने अपनी मां की पेटीकोट को कमर तक उठा दिया, राहुल बहुत ही उतावला हुआ जा रहा था। पेटीकोट के कमर तक ऊठने पर अलका खुद दोनों हाथों से अपनी पेटीकोट को थाम ली और राहुल अपनी मां की गुलाबी पेंटि को दोनों हाथों की उंगलियों में फंसा कर धड़कते दिल से धीरे धीरे नीचे सरकाने लगा जैसे-जैसे पेंटी नीचे सरक रही थी अलका की गोरी गोरी भरावदार गांड दिन के उजाले में चमक रही थी। राहुल की तो हालत ही खराब होनै लगीे थी अपनी मां की गोरी गोरी गांड को देखकर उसका गला सूखने लगा था उसका पूरा बदन उत्तेजना में सराबोर हो चुका था। राहुल धीरे धीरे कर के पेंटी को भी पैरों के नीचे तक पहुंचा दिया। जहां से खुद अलका ही पैरों का सहारा ले कर पैंटी को उतार फेंकी। यह नजारा देखकर राहुल से रुक पाना नामुमकिन सा हो गया था। ओर वह अपनी पेंट उतार ने लगा राहुल को पेंट उतारता देख अलका के बदन में गुदगुदी सी होने लगी और वह राहुल से बोली।


बेटा अगर सोनू आ गया तो। 
(राहुल अपनी पेंट उतारतेे हुए ) इसलिए तो दरवाजा बंद कर दिया हुं अगर आएगा भी तो देख नहीं पायेगा। 
( इतना कहने के साथ ही राहुल अलका के पीछे आकर एक हाथ से उसकी टांग को पकड़ कर उठाते हुए किचन पर रख दिया और अलका की पीठ पर दबाव बनाते हुए उसे आगे की तरफ झुका दिया। अलका आश्चर्यचकित होते हुए राहुल के निर्देश का पालन कर रही थी उसे तो इस पोजीशन के बारे में पता ही नहीं था और राहुल कुछ बोले बिना ही अपने लंड के सुपाड़े को उसकी बुर के गुलाबी छेद पर टीका कर एक करारा थक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड बुर के अंदर समा गया। एक बार लंड के घुसने के बाद राहुल कहां रुकने वाला था बस धक्के पर धक्का लगाता रहा। अलका की गरम सिसकारियां पुरे रसोईघर को और भी ज्यादा गर्म कर रही थी। दोनों आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे राहुल की कमर बड़ी तेजी से आगे पीछे हो रही थी अलका की भारी सांसे माहौल को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। सब कुछ बड़ी तेजी से हो रहा था राहुल रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था बस अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से थामे लंड को बुर के अंदर धकाधक डाल रहा था। करीब 15 मिनट की घमासान चुदाई के बाद अलका की सांसे और ज्यादा तीव्र गति से चलने लगी उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी। और एक जबरदस्त धक्के के साथ दोनों झड़ गए। राहुल अपनी मां की बुर में झड़ ही रहा था कि दरवाजे पर दस्तक होने लगी।

दरवाजे पर दस्तक होते ही दोनों हड़बड़ा गए, दोनों को समझते देर नहीं लगी की रसोई घर के बाहर सोनू खड़ा है। अलका जोकि राहुल के साथ ही झड़ रही थी वह अपने पैर को किचन पर से उतार कर हटने को हुई ही थी की राहुल ने उसकी कमर को कसके दबोच लिया क्योंकि वह अपने लंड की हर एक बूंद को बुर में उतार देना चाहता था इसलिए दरवाजे पर दस्तक होते हुए भी वह झटके खाते हुए रह रहकर झड़ रहा था। अलका बार-बार उसके कानों में फुसफुसाते हुए उसे छोड़ने के लिए कह रही थी लेकिन राहुल तब तक नहीं छोड़ा कि जब तक उसके लंड की हर एक बुंद बुर में न उतर गई।
जैसे ही राहुल पूरी तरह से झड़ गया वह हांफते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर खींचा। दोनों के कपड़े अस्तव्यस्त थे। अलका के ब्लाउज के बटन पूरी तरह से खुले हुए थे हालांकि राहुल ने नहीं खोला था अलका खुद ही अपने हाथों से अपने ब्लाउज के बटन खोल दी थी। उसकी बड़ी बड़ी चूचियां ब्लाउज से बाहर तनी हुई खड़ी थी और उसका पेटिकोट कमर के ऊपर तक चढ़ा हुआ था बाहर लगातार दस्तक हो रही थी। 

रुक जा बेटा खोलती हूं (इतना कहकर अलका नीचे जमीन पर पड़ी अपनी पेंटी को जल्दी से उठाकर उसे पहनने लगीे राहुल तब तक अपनी पैंट पहन चुका था और जल्दी से जाकर रस्सी पर टंगी साड़ी और ब्रा लाकर अपनी मां को थमाया। अलका झट से राहुल के हाथों से साड़ी लेकर पहनने लगी थोड़ी ही देर में अलका अपने अस्तव्यस्त कपड़ों को व्यवस्थित करते हुए , दरवाजा खोली तो दरवाजे के बाहर सोनू खड़े होकर आश्चर्य के साथ अलका को ही देख रहा था और दोनों को देखते हुए बोला।

क्या कर रही थी मम्मी इतनी देर से मैं कब से दरवाजे को खटखटा रहा हूं।

बेटा कुछ नहीं दरवाजे का लोक ठीक से बंद नहीं हो रहा था यही ठीक कर रहे थे हम दोनों( अलका हड़बड़ाते हुए बोली और तुरंत बातों का रुख मोड़ ते हुए।) 
अच्छा हुआ तू नहा कर आ गया तु बाहर ही बैठ में जल्दी से गरमा गरम नाश्ता तैयार करके तुझे देती हूं। (इतना कहने के साथ हुई अलका वापस रसोई घर की तरफ चली गई और राहुल भी बाहर आ गया।)
सोनू के जाते ही अलका ने राहत की सांस ली। वैसे भी अलका अच्छी तरह से जानती थी की सोनु अभी ईतना बड़ा नही हुआ था की उसे औरत और मर्द के बीच के संबंधों के बारे में कुछ मालूम पड़े इसलिए उसे शक भी नहीं हुआ था उसे यही लग रहा था की उसकी मम्मी दरवाजा ही ठीक कर रही थी।
थोड़ी देर में नाश्ता तैयार हो चुका था और तीनों साथ में बैठकर नाश्ता किए इसके बाद दोनों अपने अपने स्कूल चले गए अलका को ऑफिस जाना था अलका आज बहुत खुश नजर आ रही थी। और खुश हो भी क्यों नहीं उसकी सुनी जिंदगी में बाहर आ गई थी। रात से लेकर अब तक चार बार जम कर चुदवा चुकी थी लेकिन यह प्यास ऐसी थी की बार-बार बढ़ती ही जा रही थी वह अपने कमरे में तैयार होते हुए अपने बेटे के बारे में हीं सोच रही थी। अपने बेटे के मोटे लंड के बारे मे सोच कर तो कभी अपने बेटे के हर एक धक्के के बारे में याद करके उसके चेहरे पर मंद मंद मुस्कान बिखर जा रही थी। अपनी बुर पर पड़ने वाले हर एक धक्के का एहसास उसकी बुर को फिर से गीला कर रहा था। कुछ देर पहले ही अपने बेटे का लंट डलवाकर चुद चुकी थी लेकिन फिर से उसका मन चुदवाने को करने लगा था।
जैसे तैसे करके उसने अपने मन को शांत की को तैयार होकर ऑफिस चली गई। राहुल भी बहुत खुश था क्योंकि उसका जुगाड़ अब घर में ही हो गया था। 

ऑफिस से शाम को छूटते ही अलका खुशी खुशी अपने घर की तरफ गई वह रात को फिर से पूरा प्रोग्राम फिट करना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों रात होते ही उसके मन को शर्म ने घेर लिया। उसे रात और सुबह वाली घटना के बारे मे सोचकर शर्मिंदगी का एहसास होने लगा। प्रताप एक मन कह रहा था कि यह सब जो हुआ वह ठीक नहीं था मां और बेटे के रिश्ते को कलंकित कर दी थी उसने यह बात का एहसास उसे अंदर तक हचमचा दे रहा था। रिश्ते और मर्यादाओं की डोर को उसने तोड़ चुकी थी , इस बात को लेकर वह परेशान हुएे जा रही थी। 
उसे रात वाली सारी घटनाओं के बारे में सोच कर पूरी तरह से शर्मिंदगी का एहसास होने लगा उसे अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वह खुद अपने बेटे के सामने भरी बारिश में उसे उकसाने के लिए अपने अंगों को उसे दिखाएं ताकि वह वह सब करने पर मजबूर हो जाए जो एक औरत और मर्द के बीच होता है ऐसी हरकत तो उसने अपने पति को भी उकसाने के लिए कभी नहीं की थी। 
उसे इस समय बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि वह अपने बेटे के सामने पूरी तरह से नंगी होकर उस से चूदवाई उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसी और राहुल को भी अपनी बुर चटवाई जो कि आज तक उसके पति ने भी कभी नहीं चाटा था। उसका एक मन उसे धिक्कार रहा था लेकिन दूसरी तरफ उसका एक मन यह सारी घटनाओं को सही ठहरा रहा था। उसका एक मन यह समझा रहा था कि यह जो कुछ भी हुआ उसमें ना तो उसकी गलती है ना तो राहुल की यह दोनों की जरूरत है जिसको पूरा करना एक दूसरे का फर्ज था। अलका दोनों में से किसकी बात माने उसके लिए यह तय कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था। 
आखिरकार रिश्तो की समझदारी के आगे वासना का तूफान हावी हो गया। अलका को भी यह सब सही लगने लगा क्योंकि इस समय फिर से उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी। और वह अपनी बुर की प्यास बुझाने के लिए बिस्तर पर से उठी और सीधे अपने बेटे के कमरे की तरफ चली गई जहां पर राहुल पजामे के ऊपर से अपने लंड को मसलते हुए उसका इंतजार कर रहा था। वह पहले से ही दरवाजा खुला छोड़ दिया था उसे यकीन था कि उसकी मां जरूर आएगी। उसकी मां को कमरे में प्रवेश करते देख राहुल खुशी से झूम उठा ओर अलका भी कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बिस्तर पर लेट गई और राहुल को अपनी बाहों में कश्मीर दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन पर चारों तरफ फिरना शुरु कर दिए थोड़ी देर में दोनों एक दूसरे के कपड़ों को उतारकर बिल्कुल नंगे हो गए । और फिर से दोनों के बीच घमासान चुदाई का युद्ध शुरू हो गया जिसमें ना तो कोई भी एक दूसरे से हार मानने वाला था न पस्त होने वाला था। इस तरह से पूरी रात ना अलका सोई और ना राहुल को सोने दी।
दोनों के बीच अब इसी तरह का संबंध स्थापित हो चुका था। रोज रात को या जब भी मौका मिलता दोनों एक दूसरे से अपनी प्यास बुझाने में जुट जाते महीनों तक ऐसा चलता रहा।

एक दिन बाजार में अचानक राहुल की मुलाकात वीनीत की भाभी से हो गई। राहुल को देखकर विनीत की भाभी बहुत खुश हुई राहुल भी वीनीेत की भाभी से मिलकर प्रसन्न दिखाई दे रहा था। दोनों की मुलाकात कपड़े की दुकान में हुई थी जहां पर राहुल अपने लिए टी शर्ट खरीदने गया था। 

क्या बात है राहुल तुम तो उस दिन के बाद से कभी दिखाई भी नहीं दिए। मैं तो बड़ी बेशब्र होकर तुम्हारा और तुम्हारे फोन का इंतजार करती रही और तुम हो कि मुझे बस तड़पाते रहे। उस दिन के बाद से ना तो एक बार भी मिलने आए और ना ही फोन किए क्या मेरे प्यार में कोई कमी रह गई थी राहुल।( विनीत की भाभी बड़े ही कामुक अंदाज में अपनी आंखों को नचा नचा कर राहुल से बातें कर रही थी। राहुल विनीत की भाभी की यह अदा को देखकर पानी पानी हुए जा रहा था उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या कहे। अलका अच्छी तरह से समझ रही थी कि राहुल शर्मा रहा है इसलिए बातों का रुख बदलते हुए वह बोली।

अच्छा आप मुझे कुछ मेरे लिए कपड़े खरीदने हैं उसे पसंद करने में मेरी मदद तो करो।( इतना कह कर डिलीट की भाभी कपड़े की शॉप में अंदर जाने लगी लेकिन राहुल वहीं खड़ा रहा राहुल को वहीं खड़ा देख कर विनीत की भाभी उसे फिर से अंदर आने को कहीं ईस बार राहुल उसके कहने पर शोप में उसके पीछे पीछे जाने लगा। कपड़े की अशोक बड़े ही लेटेस्ट डिजाइन के कपड़ों से भरी सोई थी राहुल को समझते देर नहीं लगी थी यह बहुत महंगे कपड़े की दुकान है।
अंदर बहुत ही महंगे काउंटर बने हुए थे । एक से एक लेटेस्ट डिजाइन के कपड़े काचों के भीतर सजाए हुए थे। राहुल की तो आंखें ही चौंधिया जा रही थी। 
वीनीत की भाभी उसे-सीधे अंदर के काउंटर पर ले गई।
इस काउंटर पर सिर्फ औरतों के अंतरवस्त्र ही सजाए हुए थे। जिस पर नजर पड़ते ही राहुल के बदन में सुरसुरी मचने लगी । इस काउंटर पर दूसरा कोई कस्टमर नहीं था काउंटर को मैनेज करने के लिए एक लेडीज थी। काउंटर पर पहुंचते ही वीनीत की भाभी ने उस लेडी को कुछ दिखाने को बोली क्या ,बोली राहुल ठीक से सुन नहीं पाया। राहुल को थोड़ी दूरी पर खड़ा हुआ देखकर वीनीत की भाभी ने उसे अपने पास बुलाई। राहुल उसके पास जाता तब तक उस लेडी ने मरून रंग की ब्रा और पेंटी की जोड़ी उसे दिखाने लगे जिस पर नजर पड़ते ही राहुल के पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया। वीनीत की भाभी ने उस मरून रंग की ब्रा और पेंटी को राहुल की ओर दिखाते हुए बोली। 

कैसी लग रही है राहुल।
( उसके इस सवाल पर राहुल एकदम से सकपका गया उसे इस की कतई उम्मीद नहीं थी कि वह ब्रा पेंटी के बारे में उसकी राय पूछेगी। राहुल क्या कहता उसे तो इस समय दोनों औरतों के सामने ब्रा और पेंटी को देखने में भी शर्म महसूस हो रही थी। लेकिन वह बार बार जानबूझकर उस की राय जानने की कोशिश कर रही थी। जब काउंटर वाली लेडी ने भी उसकी राय जानने के लिए बोली।)

बोल दो ना राहुल इतना भाव क्यों खा रहे हो आपकी भाभी आप से बार बार पूछे जा रहीे हैं और आप हो कि कुछ भी जवाब नहीं दे रहे हो ।(इतना कह कर वह मंद मंद मुस्कुराने लगी। तो इस बार राहुल शरमाते हुए बस इतना ही बोला।)

बहुत अच्छी है भाभी। 

( राहुल का जवाब सुनकर दोनों औरतें मुस्कुराने लगे इसके बाद विनीत की भाभी ने ऐसे ही ब्रा पैंटी की दो चार और जोड़ी खरीद ली। और एक छोटी सी गांऊन जौकी एकदम पारदर्शक थी गाउन क्या थी वह छोटी सी ड्रेस ही थी उसे भी खरीद ली। इतनी देर में तो राहुल का लंड फूल टाईट हो चुका था। विनीत की भाभी ने राहुल को भी जबरदस्ती एक मेहंगी टी-शर्ट दिला दी। और जाते-जाते उसे रवि दिन में 3:00 बजे अपने घर पर आने का आमंत्रण दे गई
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10-09-2018, 03:35 PM,
#68
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
विनीत की भाभी के जाने के बाद राहुल बहुत खुश नजर आ रहा था। विनीत की भाभी के बोलने की अदा और उसके कामुक अंदाज की वजह से एक बार फिर से उसे भोगने की इच्छा राहुल के मन में प्रज्वलित हो चुकी थी। आज पहली बार वह किसी औरत के हाथ में अंतर वस्त्र को देख रहा था और वह भी उसे दिखाते हुए विनीत की भाभी की ये हरकत उसके बदन में काम ज्वाला को भड़का चुकी थी और वीनीत की भाभी तो चाहती भीे यही थी इसलिए तो वह जानबूझकर उसे उस की राय जानने के लिए पेंटी दिखा रही थी। विनीत की भाभी ने उसे जानबूझकर हाथ में थमा दी थी और हाथ में लेते ही दिन की तो हालत पतली हो गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहे वह तो काउंटर वाले लेडी के कहने पर हामी भर दिया वरना उसके मुंह स शर्म के मारे े कुछ निकलता भी नहीं।

नई टी-शर्ट लेकर राहुल शाम को अपने घर पर पहुंच गया जो पैसे उसने टी शर्ट खरीदने के लिए लिए थे वह पूरा का पूरा बच गया और उस से भी ज्यादा कीमती टी शर्ट विनीत की भाभी ने उसे दिला दी थी। लेकिन यह बात उसने अपनी मां को नहीं बताई और बचे हुएे पेसे अपने पास ही रखे रहा यह सोचकर की जरूरत पड़ने पर काम आएगा। विनीत की भाभी के आमंत्रण को पाकर राहुल मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्योंकि एक बार फिर से उसे उसकी बुर चोदने को मिलने वाली थी। अभी तक अपनी मां के बिस्तर पर उसके साथ जो भी कला बाजिया दिखा रहा था वह सब वीनीत की भाभी की ही देन थी। नीलू ने भी उसे बहुत खूब सिखाई थी। लेकिन विनीत की भाभी ज्यादा ही मैच्योर थी। इसीलिए उससे राहुल को कुछ ज्यादा ही सीखने को मिला था और जो जो उसे सीखने को मिला था वह सारी कलाओ का उपयोग उसने अपनी मां पर कर दिखाया था। जिस दिन से दोनों ने अपना आपा खोया था उस दिन से लेकर अब तक, रोज रात को रिश्ते और मर्यादाएं चकनाचूर हो रहे थे। 
अलका को तो जैसे एक प्रेमी मिल गया था। राहुल को पाकर अलका सारे जग को भूल चुके थे हमेशा उसके आगे पीछे घूमने वाले वीनीत के बारे में तो वह सोचती भी नहीं थी। उसका जैसे नया जन्म हुआ था उसकि सुनी बगिया में बहार आ गई थी। अब उसे हमेशा रात का इंतजार रहता था जो मजा वह अपने जवानी के दिनों में नहीं लूट पाई अलका अब इस उम्र में अपनी सारी मुरादें पूरी कर रही थी। कुछ दिनों से संपूर्ण रूप से संतुष्टि का एहसास करके उसका खूबसूरत चेहरा और ज्यादा खिलने लगा था। 

सारे काम निपटा लेने के बाद रसोई घर की सफाई से निपटकर वह सीधे राहुल के कमरे की तरफ बढ़ गई जहां पर राहुल पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था लेकिन देर होता देख अपने स्कूल की बुक निकालकर पढ़ने लगा था हमेशा की तरह राहुल का दरवाजा खुला ही था और अलका भी दरवाजे को धक्का देकर कमरे में प्रवेश कर गई और राहुल के बगल में जाकर बैठ गई।
राहुल के बदन से एकदम सट कर बैठीे थी। राहुल अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया और वापस किताब पढ़ने लगा उसे किताब पढ़ता हुआ देखकर अलका अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख दि। अलका से रहा नहीं जा रहा था फिर भी वह शांत होकर बैठी रही उसकी चूड़ियों की खनक से कमरे का माहौल मादक बनता जा रहा था वह अपने हाथ से राहुल की पीठ सहला रही थी। रात होते ही उसकी बुर तड़पने लगती थी लंड से मिलन के लिए। सजती संवरती तो वह पहले से ही थी लेकिन जब से राहुल से ऐसा रिश्ता कायम हुआ था तब से वह अपने बदन पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देने लगी थी वह अब हमेशा टिपटॉप मे हीं रहती थी। खास करके वह अपने बदन के अंदरुनी भाग पर सफाई को लेकर ज्यादा सजाग हो चुकी थी। पहले तो उसकी बुर के ऊपर बालों का झुरमुट सा उग जाता था। लेकिन अब वह हमेशा तीसरे चौथे दिन ही क्रीम लगा कर बालों को साफ करके अपनी बुर को हमेशा चिकनी रखने लगी थी। 

अलका कुछ देर तक यू ही राहुल की पीठ को सहलाती रही , धीरे धीरे उसके बदन में उत्तेजना का संचार हो रहा था उसकी बुर गरम रोटी की तरह फूलना शुरू हो गई थी। वह इंतजार कर रही थी कि राहुल कुछ करें लेकिन इस समय राहुल ना जाने किताबों में क्या ढूंढ रहा था जबकि उसके बाजू में पूरी पुस्तकालय पड़ी हुई थी। 
अलका पल पल उत्तेजना की सागर में खिंची चली जा रही थी उसे इस समय राहुल की बहुत ज्यादा जरूरत थी। इसलिए जो हाथ पीठ पर फिर रहे थे वहां तब राहुल की जांघों पर रेंगना शुरु कर दिए थे। अपनी मम्मी की हरकत पर राहलु भी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था। उसके पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया था। जोकि अलका को साफ साफ दिखाई दे रहा था। राहुल की भी सांसे तेज चलने लगी थी। वह भी चाहता था कि अपनी मां के बदन से झट से लिपट जाए लेकिन ना जाने क्यों रुका हुआ था। और दूसरी तरफ अलका पल पल तड़प रही थी उसकी हालत खराब होती जा रही थी राहुल को उकसाने के लिए उसने खुद ही अपने कंधे से साड़ी का पल्लू धीरे से नीचे गिरा दी और उसकी बड़ी बड़ी चूचियां ब्लाउज मे कैद होने के बावजूद भी बहुत ही मादक और प्यारी लग रही थी। चूचियों के बीच की गहरी लकीर और भी ज्यादा मादकता फैला रही थी जिस पर बार-बार राहुल की तिरछी नजरें 
गस्त लगा ले रही थी। अलका कनखियों से देख रही थी की राहुल भी उत्तेजित होने लगा था क्योंकि उसके पजामे का उभार पूरी तरह से बढ़ चुका था और उस उभार को अपनी हथेली में दबोचने के लालच को अलका रोक नहीं पाई और तुरंत अपना हाथ पजामे की तरफ बढ़ा दी। जैसे ही अलका ने पजामे के ऊपर से ही राहुल के लंड को अपनी हथेली में दबोचीे राहुल अजीब सी उत्तेजना की अनुभूति करते हुए सिहर उठा। राहुल का मुंह उत्तेजना के मारे खुला का खुला रह गया। 
अलका लगातार पजामे के ऊपर से ही लंड को सहला रही थी और राहुल उत्तेजना के मारे लंबी लंबी सांसे भर रहा था वह लंबी लंबी सांस भरते हुए बोला।

सससससहहहहहहह......मम्मी ....( ऊत्तेजना के मारे राहुल की आंखे मुंद चली थी। ) क्या यह सही है? 

( राहुल की आंखें पूरी तरह उत्तेजना के मारे मुंद चुकी थी , राहुल कि यह बात अलका समझ नहीं पाई इसलिए वह बोली।)

क्या सही है? 

यही जो हम दोनों के बीच इतने दिनों से हो रहा है क्या यह दुनिया की नजर में सही है? ( राहुल की आंखें अभी भी मुंदी हुई थी अलका राहुल के इस सवाल का क्या जवाब दै उसे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन उसके बदन में उत्तेजना पूरी तरह से घर कर चुकी थी। इसलिए वह धीरे-धीरे पजामे की चैन खोलकर राहुल की टनटनाए हुए लंड को पहचाने से बाहर निकालकर हिलाने लगी। ऐसा करने पर राहुल के मुंह से गरम सिसकारी छूट गई। सिसकारी लेते हुए ही वह एक बार फिर से अपने सवाल को दोहराया तो इस बार अलका अपनी बेटे के लंड को धीरे धीरे मुठीयाते हुए बोली।)

मैं नहीं जानती बेटा कि हम दोनों जो कर रहे हैं यह दोनों के बीच जो भी हो रहा है यह दुनिया की नज़रों में सही है या गलत लेकिन इसकी हम दोनों को बहुत ज्यादा जरूरत है इसलिए मैं यही समझती हूं कि सही गलत कुछ भी नहीं है बल्कि यह हम दोनों की हालात के मुताबिक बिल्कुल ठीक है। ( अपनी मां का जवाब सुनकर राहुल आंखें खोल कर अपनी मां को एकटक देखे जा रहा था। और उसकी मां धीरे धीरे सुरूर के साथ उसके खड़े लंड को मुठ्ठीयाए जा रही थी। राहुल का जोश बढ़ता जा रहा था धीरे-धीरे करके अलका लंड को मुठीयाते हुए अपने होंठ को राहुल के होंठों के नजदीक ले जा रही थी और जैसे ही अलका के होठ राहुल के होंठों के नजदीक पहुंचे अलका ने एक पल का भी विलंब किए बिना तुरंत अपने होंठ को राहुल के होठों से सटा दि, राहुल भी जैसे इसी पल का इंतजार कर रहा था वह भी तुरंत अपनी मां के होठों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा दोनों के होठों से चप्प-चप्प की आवाजें आना शुरू हो गई। अलका की हथेली अपने बेटे के लंड पर कसती जा रही थी और राहुल ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चुचियों को दबाता हुआ उसे बिस्तर पर लेटाने लगा। अगले ही पल अलका बिस्तर पर चि्त लेटी हुई थी राहुल अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोलने लगा अलका ललचाई आंखों से अपने बेटे को ही देखे जा रही थी धीरे-धीरे करके राहुल ने अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए। ब्लाउज के खुलते ही अलका ने खुद बिस्तर से थोड़ा उचक कर अपने हाथों से ब्लाउज को निकालकर उतार फेंकी। ब्रा मे केद अलका के दोनों कबूतर आजाद होने के लिए फड़फड़ा रहे थे लेकिन राहुल ने अपनी मां के दोनों कबुतरों को आजाद किए बिना ही ब्रा के ऊपर से ही दोनों हाथों से दबाना ं लगा। अपने बेटे के हाथों से चूचियों के दबते ही अलका के मुंह से गरम सिसकारी छूटने लगी।

ससससससहहहहहहह....आहहहहहहहह.... बेटा और जोर से दबा नीचोड़ दे मेरी चूचियों को बहुत मजा आ रहा है राहुल .....आहहहहहहह.....ऐसे ही दबाते रहे इतना अच्छा तू दबाता है एैसे तो तेरे पापा ने भी कभी नहीं दबाया था मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है की चूचियों को दबवाने में इतना आनंद प्राप्त होता है। 
राहुल अपनी मां की बातों को सुनकर अत्यधिक उत्तेजित हो गया उसे भी तो चूचियों को दबाने में आनंद प्राप्त हो रहा था इसलिए और ज्यादा जोर लगा लगा कर ब्रा के ऊपर से ही चूचियों को दबाने का आनंद लूट रहा था और अलका लगातार सिसकते हुए सिसकारी ले रही थी। राहुल बार-बार ब्रा के ऊपर से ही चुचियों पर अपना मुंह इरादा तो कभी ब्रा के ऊपर से ही चूची की कड़क निप्पल को दांतों से काट लेता और तो कभी चूचियों के बीच गहरी दरार में अपना मुंह डाल देता यह सब करने में राहुल को तो आनंद मिल ही रहा था अलका का भी मजा दोगुना होता जा रहा था वह खुद अपने हाथों से राहुल के बालों को पकड़कर अपनी चुचियों पर दबा रही थी। दोनों की सांसे तेज चल रही थी
राहुल अपनी मां के ऊपर लेटा हुआ था अलका मदहोश होकर अपना बदन कसमसाते हुए अपना पेऱ पटक रही थी कभी वह पैर को राहुल के ऊपर फेंकतीे तो कभी बिस्तर पर पटक देंती ऐसा करने पर उसकी साड़ी ऊपर की तरफ सरक कर जांघो तक आ गई थी। जिससे कमरे का नजारा और भी ज्यादा मादक हो गया था।
राहुल अपनी मां की चुचियों को चुमता हुआ धीरे धीरे नीचे की तरफ आ रहा था।
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10-09-2018, 03:35 PM,
#69
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
जैसे-जैसे राहुल के होठ उसकी मां की चूची होती होती हुई नीचे की तरफ जा रहे थे वैसे वैसे अलका के बदन की कसमसाहट बढ़ती जा रही थी साथ ही साथ उत्तेजना के मारे उसके बदन में ऐठन का भी संचार हो रहा था। थोड़ी ही देर में राहुल अपनी मां की नाभि को चूमता हुआ नीचे जहां पर साड़ी बनी हुई थी वहां पर पहुंच गया। राहुल अपने दांतों से पेटीकोट में खोशी हुई साड़ी को खींचकर निकालने लगा अपने बेटे के इस हरकत पर अलका और ज्यादा मदहोश होने लगी। अगले ही पल धीरे-धीरे करके राहुल ने दांतों से पूरी साड़ी खोल डाली। जिसे अलका ने खुद अपने हाथों से निकाल कर बिस्तर के नीचे फेंक दी। अब उसके बदन पर पेटीकोट थी।
जिस तरह से राहुल ने साड़ी को दांतो से खींचकर अलग कीया था उसी तरह से पेटीकोट की डोरी को भी दांतों से खोलने लगा और जैसे जैसे राहुल के दांत डोरी खोलते वक्त अलका के पेट से स्पर्श होते थे तो अलका का बदन अजीब से सुख की अनुभूति करते हुए झनझना जाता था उसके मुख से दबी दबी सी चीख निकल जाती। उत्तेजना के मारे वह अपने नितंबों को बिस्तर पर से ऊपर उचका देती थी। राहुल की उत्तेजना के साथ-साथ अलका की भी उत्तेजना पल-पल बढ़ती ही जा रही थी।
राहुल की हरकतों से अलका की बुर की तड़प और बढ़ती जा रही थी उसमे से मदन रस का रिसाव होना शुरू हो गया था। अगले ही पल राहुल ने दांतों से पेटीकोट की डोरी को भी खोल दिया और दोनों हाथों से पेटीकोट को पकड़ कर नीचे की तरफ सरकाते हुई उतारने लगा। अगले ही पल अलका के बदन से पेटीकोट भी उतर कर दूर हो गई इस समय उसके बदन पर सिर्फ ब्रा और पेंटी ही रह गई थी। राहुल अपनी मां के मांसल बदन को देख कर ललचनें लगा। राहुल की नजर अपनी मां के भजन पर उस पर से लेकर के नीचे तक फिर रही थी अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची को देख कर उसके पजामे का तनाव ज्यादा बढ़ गया था चिकना पेट एकदम गोरा ,बीच में किसी छोटे से तालाब की तरह गहरी नाभि और चीकनी मांसल जांघे जैसे के केले का तना हो यह सब देखते हुए राहुल अपनी टी-शर्ट उतारने लगा थोड़ी देर में वह अपने पहचाने को भी उतार कर एक दम नंगा हो गया पजामें को उतारते ही अलका की नजर सीधे अपने बेटे के खड़े लंड पर पड़ी जिसका तनाव देखते हैं अलका के मुंह के साथ साथ उसकी बुर में भी पानी आ गया। अपने बेटे को इस तरह से कपड़े उतारते हुए देख कर भला अलका कहां पीछे रहने वाली थी वह भी धीरे से बिस्तर से थोड़ा सा अपने बदन को उचकाई और अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाकर ब्रा की हुक खोलने लगी और हुक के खुलते ही तुरंत उसने ब्रा को बाहों में से निकाल कर बिस्तर पर फेंक दी। ब्रा के निकलते ही अलका की दोनों चूचियां एक दम तन कर खड़ी हो गई ऐसा लग रहा था कि जैसे चूचियां राहुल को चैलेंज कर रही थी कि आ और मुझसे भीड़ जा , मैं भी देखूं कि तुझ में कितना दम है ऐसा लग रहा था कि जैसे चूचियों के मुख् मुद्रा को राहुल भाप गया हो और तुरंत चूचियों पर ही कूद पड़ा दोनों हाथों से चूचियों को दबा दबा कर एकदम लाल टमाटर की तरह कर दिया। कभी एक चूची को मुंह में भरता तो कभी दूसरी को तो कभी चुचियों के बीच में ही अपना मुंह मारने लगता अलका तो मदहोश हुए जा रही थी बार-बार मदहोशी के आलम में राहुल के बालों को खींचते हुए उसके मुंह को अपनी चुचियों के बीच दबा रही थी। दोनों एक दूसरे को नोच खसोट रहे थे कुछ देर तक चुचियों में व्यस्त रहने के बाद राहुल धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा। अलका खुद उसके बाल को पकड़कर नीचे की तरफ दबाव दे रही थी क्योंकि वह भी यही चाह रही थी जो अब राहुल चाह रहा था। थोड़ी ही देर में राहुल ने अपनी मां की जांघों के बीच जगह बना लिया। धड़कते दिल के साथ अलका अपने बेटे की तरफ तरसी आंखों से देख रही थी। राहुल अपनी मां की जांघों के बीच घुटनों के बल बैठ कर अपने तने हुए लंड को मुठिया रहा था। यह देखकर अलका की प्यास और ज्यादा बढ़ने लगी थी। अपनी मां की तड़प को और ज्यादा बढ़ाते हुए राहुल ने पेंटी के ऊपर से हीं अपनी मां की बुर वाली जगह पर उंगली से कुरेदेना शुरू कर दिया। और जैसे ही राहुल ने अपनी ऊंगली का दबाव पैंटी के ऊपर से ही बुर वाली जगह पर बढ़ाया वैसे ही तुरंत अलका की सिसकारी फुट पड़ी उस से बर्दाश्त कर पाना मुश्किल होने लगा। और सिसकारी लेते हुए राहुल से बोली।

सससससहहहहहहहहह.....ओहहहहहह.....राहुल....।
ऊफ्फ्फ...... क्या कर रहा है रे ...स्सहहहहहह....मुझे क्यों इतना तड़पा रहा है.... अब रहा नहीं जाता बेटा जल्दी से...... मेरी बुर की प्यास बुझा ऐसे मत तड़पाओ मुझे.....आहहहहहह..... राहुल....

अपनी मां को क्यों चुदवासी होकर तड़पते हुए देख कर
राहुल का जोश दुगना हो गया उसके लंड ठूनकी लेना शुरु कर दिया। राहुल समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। लेकिन अभी भी राहुल उसे और ज्यादा तड़पाना चाहता था। इसलिए वह अपनी मां की पैंटी के दोनों छोर को पकड़ कर नीचे की तरफ सरकाते हुए पेंटिं उतारने लगा। जैसे जैसे पेंटी उतारती जा रही थी अलका की दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। बुर वाली जगह से पैंटी को हटते ही चिकनी बुर को देखकर राहुल के मुंह में पानी आ गया। पैंटी अभी जांघो तक ही आई थी की बुर की खूबसूरती को देखकर राहुल बोल पड़ा।

वाहहहहह...... मम्मी आज तो तुम्हारी बुर कुछ ज्यादा ही चिकनी लग रही है।( इतना कहते हुए राहुल पेंटि को और नीचे सरका ने लगा। अपनी चिकनी बूर की तारीफ अपने बेटे के मुंह से सुनकर आनंदित हो गई और मंद मंद कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बोली।) 

तेरे लिए ही तो क्रीम लगा कर साफ की हूं ताकि तू अच्छे से इसे चाट सके ओर मुझे भी इसका मजा दे सके। सच कह रही हुं राहुल तुने मेरी सुनी जिंदगी में बहार ला दिया वरना बस एक मशीन की तरह जी रही थी। ( अलका बहुत ही प्रसन्न होकर राहुल से बोले जा रही थी और अलका अपनी बात खत्म करती ईससे पहले ही राहुल ने अपनी मां की पैंटी को उसके पैरों से बाहर निकाल दिया पेंटी को टागों से बाहर उतारते ही राहुल का ध्यान पेंटी पर गया तो उसे वीनीत की भाभी याद आ गई जो की इतनी महंगी महंगी पैंटी और ब्रा खरीद कर अपने घर ले गई। पेंटि क्या थी बस जालियों का मखमली गुच्छा था । जिसके पहनने से छुपाने लायक कुछ भी नहीं था जालियो मे से सब कुछ नजर आता। राहुल अपनी मां के लिए भी ऐसी पेंटिं खरीदना चाहता था क्योंकि जो पेंटिं उसके हाथ में थी वह खास नहीं थी वह तो उसकी मम्मी की खूबसूरत बदन के वजह से खास हो जाती थी। राहुल ने पेंटी को एक साइड में रख दिया और जांघो के बीच घुटनों के बल बैठे हुए वह अपनी मां की खुली हुई चिकनी दूर को देखने लगा उसकी चिकनाहट देख कर उससे रहा नहीं गया और वह तुरंत झुक कर अपने होठों को अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों पर टीका दिया। जैसे ही राहुल के तपते होठ तपती हुई बुर पर स्पर्श हुई वैसे ही तुरंत अलका के मुंह से गर्म सिसकारी की बौछार होना शुरू हो गई। 

सससससहहहहहहह.....राहुल......ओहहहहहह....म्मां....ऊहहहहहहह.....।स्सहहहहहहहहह.....राहुल......
( इस तरह की गरम सिसकारी लेते हुए अलका बुर चटाई का मजा ले रही थी। राहुल तो ऐसे चाट रहा था जैसे उसके सामने दूध से भरा कटोरा रख दिया गया हो 
राहुल लपालप अपनी मां की बुर की नमकीन पानी को जीभ से चाटे जा रहा था। और उसकी मां गरम सिसकारी लेते हुए, राहुल के बालो को उत्तेजना में पकड़ कर. उसके मुंह को अपनी बुर में धंसा दी और खुद ही अपनी कमर को उठाकर गोल-गोल घुमाते हुए अपने बेटे से बुर चटवाने लगी। दोनों शारीरिक सुख के सागर में गोते लगा रहे थे। आनंद का अथाग सागर दोनों के हाथों में था। जिसे दोनों पूरा जोर लगा कर पाने की कोशिश कर रहे थे बिस्तर पर बड़े जोरों की गहमागहमी चल रही थी अलका रुकने का नाम नहीं ले रही थी उसकी बुर से मदन रस का फव्वारा सा छूट रहा था जिसे राहुल अपनी जीभ लगाकर लबालब गले में गटक रहा था। अपनी बुर चटवाते हुए अलका जोर-जोर से सिसकारी ले रही थी। अपनी मां की गरम सिसकारी सुनकर राहुल का जोश दुगुना होता जा रहा था उसके लँड में मीठा मीठा दर्द का एहसास उसे और भी चुदवासा बनाते जा रहा था। अलका से अब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल में जा रहा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि अब जीत से काम चलने वाला नहीं है अब उसे अपनी बुर में राहुल का मोटा लंड डलवा कर चुदवाने की इच्छा प्रबल होती जा रही थी। इसलिए वह गर्म सिसकारी लेते हुए बोली।
ओहहहह.....राहुल.....स्सहहहहहहहहह......( अपना सिर दाएं बाएं पटकते हुए )ओहहहह.....राहुल मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है ......मुझे चोद ......डाल दे .... पूरा लंड मेरी बुर में .....चोद मुझे ....राहुल चोद... मेरी प्यास बुझा मेरी तड़प मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही है। ....आहहहहहहहह.....राहुल...... 

अपनी मां को यूं लंड के लिए तड़पता देखकर राहुल का लंड ठुनकी लेने लगा। एसा लग रहा था की राहुल के लंड को भी पता चल गया था की अब उसका गुलाबी रसीली छेद में घुसने का समय आ गया है। राहुल भी पूरी तरह से तैयार था अपनी मां को चोदने के लिए इसलिए अपनी मां की बुर पर से अपने होंठों को हटा लिया। राहुल जोर-जोर से हांफ रहा था इस तरह से राहुल को हांफ्ते देखकर अलका मस्ताई अंदाज में अपनी दोनो चूचियों को अपने हाथों से ही मसलते हुए बोली।

ओहहहहह.... तू इतने पागलों की तरह मेरी बुर के रस को चाटता है कैसा लगता है तुझे ईसका स्वाद। 

( राहुल अपनी मां की जांघो को खींचकर अपनी जांघ पर चढ़ाता हुआ बोला।) 
ओहहहहहह.... मम्मी बड़ा ही अद्भुत स्वाद है कसैला होने के बावजूद भी मधुर लगता है। इस को चाटने के बाद तो मेरी एक इच्छा होती है कि खूब जमकर तुम्हारी चुदाई कर चोद चोदकर तुम्हारी बुर एकदम लाल कर दुं।

( अपने बेटे की जोश भरी बातें सुनकर अलका भी जोश में आ गई और बोली।)

तो देर किस बात की है बेटा तेरे सामने ही लेटी हूं। मेरी बुर की गुलाबी छेद भी तेरे लंड के ठीक सामने हैं। इसमें डालकर अपने सारे अरमान पूरे कर मेभी पूरी तरह से तैयार हूं तुझसे चुदने के लिए । 
(अपनी मां की ऐसी कामुक बातें सुनकर राहुल ने अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की गुलाबी बुर की गुलाबी छेद पर टिका दिया, और जैसे ही अपने बेटे का लंड का सुपाड़ा अपनी गुलाबी बुर पर महसुस की वैसे ही तुरंत उत्तेजना के मारे अपने बदन को सिकुड़ने लगी और राहुल धीरे धीरे सुपाड़े को बुर के अंदर रगड़ते हुए जाने दिया। लंड का सुपाडा धीरे धीरे करके लंड सहित बुर के अंदर समा गया। अलका की सांसे अटक गई थी उसका गला सूखने लगा था अपने बेटे के मोटे लंड की रगड़ से उसकी बुर की अंदरूनी दीवारें छिलने लगी थी।
राहुल अपनी मां की कमर को दोनों हाथ से थामे लंड को अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। रह-रहकर इतनी जोर से धक्का लगा था कि लंड का सुपाड़ा सीधे अलका की बच्चेदानी से जा टकरा रहा था और उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल जाती वैसे भी अलका को इस तरह की जबरदस्त धक्के वाली चुदाई ज्यादा पसंद आ रही थी इस तरह से चुदवाने मे उस को संपूर्ण रुप से संतुष्टि का एहसास होता था। थोड़ी ही देर में राहुल के धक्के की लय तेज होने लगी। अलका लगातार गरम सिसकारी लेते हुए अपने हाथों से ही अपनी बड़ी बड़ी चुचियों को मसल रही थी। अपनी मां को ही अपनी चुचिया मसलते देख राहुल से रहा नहीं गया और वह अपनी मां की कमर को छोड़ कर अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर दोनो चूचियों को एक एक हाथ में भर लिया और दबाते हुए बुर में तेज धक्को लगाना शुरु कर दिया। हर धक्के के साथ पलंग चरमरा जा रही थी राहुल का धक्का इतना तेज होता था कि अलका आगे की तरफ सरक जाती। राहुल को चोदने में और अलका को चुदवाने में
बहुत मजा आ रहा था चुदवाते समय दोनों की शर्मो हया दूर हो जाती थी सारे रिश्ते मर्यादा सब कुछ भूल कर दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश करते हुए चुदैई का मजा लूटते थे। जांघो से जांघो की टकराने की बड़ी ही कामुक आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। और जब राहुल का समुचा लंड अलका की बुर में गस्त लगाने के लिए बच्चेदानी तक जाता तो राहुल की दोनों गोटियां अलका की बुर के नीचे वाले छेद से टकराती तो अलका के बदन में सनसनी सी फैल जाती। लंड और बुर के संगम से पूच्च पूच्च की आवाज गजब का माहौल बना रही थी। अलका बार-बार अपने बेटे को उकसाते हुए उसे जोर जोर से चोदने के लिए बोल रही थी। और राहुल भी अपनी मां की बात मानते हुए दुगनी तेजी से धक्के पे धक्का लगा रहा था। दोनों की तेज चलती सांसो के साथ साथ अलका की गरम सिसकारी से पूरा कमरा गूंज रहा था। 
करीब तीस मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनों सिसकारी लेते हुए अपना गरम पानी छोड़ने लगे राहुल अपनी मां की छातियों पर ही ढह गया। और तब तक उसके ऊपर से नहीं उतरा जब तक कि उसका एक एक बुंद बुर में उतर नहीं गया। सारा पानी निकल जाने के बाद राहुल अपनी मां के ऊपर के ऊपर के बाजू में लेट गया अलका भी कुछ देर तक ऐसे ही लेटी रहे तब तक राहुल की आंख लग गई लेकिन अलका की आंखों से नींद कोसों दूर थी। क्योंकि अभी भी उसकी बुर में आग लगी हुई थी उसने राहुल की तरफ देखी तो राहुल की आंखें बंद थी वह सो रहा था अलका की नजर जैसे ही राहुल के लंड पर गई तो उसकी बुर में फीर से चीटियां रेंगने लगी। क्योंकि सिकुड़ने के बाद भी राहुल का लंड भयानक लग रहा था अलका से रहा नहीं गया और राहुल को जगाए बिना ही वह उसके लंड को चूसना शुरु कर दी थोड़ी ही देर में राहुल का लंड फिर से पहले की तरह एकदम कड़क हो गया। राहुल अभी भी सो रहा था अलका ने अपना काम खुद ही करने की सोची और अपने बेटे के लंड के उपर सवार हो गई। और ऊपर नीचे होते हुए खुद ही अपनी बुर चुदाई करने लगी थोड़ी ही देर में अलका की सांसे फिर से तेज चलने लगी उसके मुंह से सिसकारी छूटने लगी। अलका के इस तरह लंड पर सवार होने पर राहुल की भी नींद खुल गई और वह अपनी मां की दोनो चुचियों को पकड़ कर नीचे से धक्के लगाना शुरु कर दिया। करीब 15 मिनट के बाद फिर से दोनों झढ़ गए और अलका अपने बेटे के लंड पर सवार हुए ही उसके ऊपर लेट गई और लेटे लेटे दोनों सो गए। सुबह नींद खुली तो अलका अपने बेटे पर ही सोई हुई थी वह धीरे से राहुल के ऊपर से उठी और अपनी साड़ी पेटीकोट ब्रा और पेंटी को हाथ में समेट कर उसे बिना पहले ही उससे अपना बदन छिपाए सीधे बाथरूम में घुस गई।
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10-09-2018, 03:35 PM,
#70
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
दोपहर में राहुल स्कूल से छुट़ कर अपने घर की तरफ जा ही रहा था कि तेजी से स्कूटी आकर रुकी और नीलू ने राहुल को स्कूटी पर बैठने के लिए बोली।

नीलू राहुल को अपने स्कूटी पर बैठाए बड़ी तेजी से चली जा रही थी। काफी दिन बीत चुके थे नीलू ठीक से राहुल से मिल नहीं पाई थी। इनदिनों दोनों की मुलाकात
कम ही होती थी नीलू की इच्छा यही रहती थी कि राहुल से जम के अपनी बुर की चुदाई करवाए क्योंकि जिस दिन से राहुल नीलु की बुर में अपना मोटा लँड डालकर उसे चोदा था उस दिन से नीलू उसके मोटे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़प रही थी लेकिन उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी। क्योंकि राहुल अपनी मां में ही व्यस्त हो गया इसलिए उसे बाहर मुह मारने की जरूरत ही नहीं पड़ रही थी लेकिन आज मौका देखकर नीलू उसे अपनी स्कूटी पर बैठा कर बड़ी तेजी से चली जा रहीे थीे रास्ते में राहुल उससे पूछ भी रहा था कि कहां चल रही हो नीलू कुछ बताओगी भी ।
तो नीलू उसे बस इतना ही जवाब देती थी।

सब कुछ बताऊंगी राहुल बस थोड़ी देर और।

थोड़ी ही देर में नीलू की स्कुटी एक रेस्टोरेंट के आगे रुकी । स्कूटी को पार करके नीलू उसे रेस्टोरेंट के अंदर ले गई और रेस्टोरेंट के कोने में खाली कुर्सी देख कर दोनों वहीं बैठ गए। कुर्सी पर बैठते ही तुरंत एक वेटर इन दोनों के पास आया और नीलू ने कुछ नाश्ता और दो कॉफी का ऑर्डर दे दिया। वेटर के जाने के बाद राहुल आश्चर्य के साथ नीलू से बोला।

नीलू मुझे यहां क्यों ले आई हो। आखिर बात क्या है? 

( राहुल की बात सुनकर नीलू उसके सवालों का जवाब देते हुए बोली ।)

देखो राहुल मैं घुमा फिरा कर बातों को और उलझाना नहीं चाहती इसलिए साफ-साफ कहती हूं। ( इतना कह कर मेरे अपनी आंखों को गोल गोल घुमाते हुए ) 
देखो राहुल पिछले कुछ दिनों से ना जाने मुझे क्या होने लगा है सोते जागते हंसते बोलते हर जगह मुझे बस तुम्हारा ही चेहरा और तुम्हारा ही ख्याल आता है अब तो मुझे से एक पल भी तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता और तुम हो कि कुछ दिनों से मुझ पर ध्यान ही नहीं दे रहे हो राहुल मैं बस तुमसे इतना कहना चाहती हूं कि मुझे तुमसे प्यार हो गया आई लव यू.. आई लव यू राहुल मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती। ( नीलू एक सांस में सब कुछ कह चुकी थी राहुल के सामने अपने मन की बात बिना रुके एक सांस में बोल गई। नीलू की यह सब बातें सुन कर राहुल तो आवाक ही रह गया राहुल को तो समझ में नहीं आया कि वह क्या कहे जा रही है। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि एक बार पहले भी नीलू ने अपने घर पर उससे अपने प्यार का इजहार की थी लेकिन उस समय माहौल कुछ और था। जिस्मानी जरूरत को पूरा करते समय नीलु ने यह बात राहुल से की थी इसलिए राहुल ने उसकी बात का कोई मायने नहीं दिया था लेकिन इस समय नीलू सीरियस थी वह वाकई में राहुल से प्यार करने लगी थी लेकिन राहुल उसके इजहार का जवाब देने में असमर्थ साबित हो रहा था। वैसे तो राहुल जी नीलू को पसंद करता था नीलू उसे अच्छी लगती थी लेकिन उस से अब तक सीरियसली अपने प्यार का इजहार नहीं किया था। राहुल उसका इजहार सुनकर कशमकश में लगा हुआ था कि तभी वेटर आर्डर लेकर आ गया वह ट्रे से नाश्ता टेबल पर रखा और ट्रे से उठाकर दो कॉफी भी रख दिया और चला गया। तब तक ले लो राहुल को ही दे कर जा रही थी वह उसका जवाब जानना चाहती थी लेकिन राहुल को खामोश देख वह फिर से बोली। 

राहुल मैंने तो अपने मन की अपने दिल की बात तुम्हें कह दि हूं और हां मुझे तुमसे ना सुनने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं है। इसलिए सोच समझकर जवाब देना।

इतना कहने के साथ ही कॉफी से भरा हुआ मग उठाकर उसकी चुस्की लेने लगी। राहुल क्या जवाब दे उसे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था वह भी नीलू से प्यार का इज़हार करना चाहता था लेकिन उसके मन में ढेर सारी दुविधाएं भी चल रही थी उन्हीं का हल ढूंढ़ते हुए वह नीलु से बोला।

नीलू कोई पागल ही होगा जो तुम जैसी खूबसूरत लड़की का प्रपोजल ठुकराने की सोचेगा सच कहूं तो मैं भी तुमसे प्यार करने लगा हूं। लेकिन डरता हूं।

( चुस्की लेते हुए) डरते हो किससे डरते हो किस बात से डरते हो। 

अपने आप से ही डरता हूं। नीलू यह मैं भी जानता हूं और तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि हम दोनों के बीच जो हैसियत की दीवार है वह बहुत ऊंची है जहां तक मैं शायद ना पहुंच पांऊ... तुम मुझसे प्यार करती हो मैं तुमसे प्यार करता हूं लेकिन क्या तुम्हारे मां-बाप इस रिश्ते के लिए कभी राजी होंगे.... कभी नहीं होंगे। इसलिए मुझे डर लगता है।

( राहुल की बात सुनकर नीलू हंसने लगी और उसको हंसता हुआ देखकर राहुल बोला।) 

हंस क्यों रही हो नीलू मेरा मजाक उड़ा रही हो। 

नहीं राहुल मैं तुम्हारा मजाक उड़ाने के बारे में सोच भी नहीं सकती मैं तो तुमसे बेहद प्यार करती हूं मुझे हंसी आ गई तुम्हारी बात पर हां लेकिन जो तुम सोच रहे हो बिल्कुल सच भी है....( कॉफी का मग टेबल पर रखते हुए।) देखो राहुल मैं मेरे मां-बाप की एकलौती संतान हैं भगवान का दिया हुआ सब कुछ उनके पास है गाड़ी बंगला फैक्ट्री बैंक बैलेंस किसी बात की कमी नहीं है। और आज तक मेरी हर ख्वाहिश पूरी करते आए हैं जिस चीज को हासिल करना चाहीे कर लीे मेरे मां बाप मेरी ही खुशी में अपनी खुशी ढूंढते हैं। इसलिए जब मैं तुम्हारे बारे में उन्हें बताऊंगी तो मेरी ख़ुशी की खातिर वह लोग कभी भी इनकार नहीं कर पाएंगे और मेरी यही ख्वाहिश है कि मेरी शादी जब भी हो तुमसे ही हो। ( नीलू ने फिर से कॉफी के मग को उठाकर अपने होठों से लगाते हुए एक लंबी चुस्की भरी और राहुल से बोली।)

हां अगर अभी भी तुम्हें कोई ऐतराज हो तो बता देना।( यह बात नीलू ने टोन मारने वाली अदा में बोली थी।) प्यार है या एतराज है।

( राहुल क्या कहते उसकी झोली में तो खुद ही एक गुलाब अपने आप गिरने के लिए तैयार था तो भला उसे क्या इनकार होता है वह भी हामी भर दिया। यह सोच कर कि आगे जो भी होगा देखा जाएगा। राहुल की हामि सुनकर नीलू बहुत खुश नजर आने लगी और राहुल को कॉफी पीने के लिए बोली। थोड़ी ही देर में दोनों ने कॉफी खत्म कर लिया , नीलू बिल पे करके राहुल के साथ बाहर आ गई। दोनों खुश नजर आ रहे हो नीलू ने राहुल को उसके चौराहे तक छोड़ कर वापस चली गई। 
राहुल भाई बहुत खुश नजर आ रहा था उसे तो मुंह मांगी मुराद मिल गई थी नीलू ऐसे भी बहुत ही खूबसूरत थी। लेकिन वह यह भी अच्छी तरह से जानता था कि नीलू से विनीत भी प्यार करता है और नीलू भी उससे प्यार करती थी। लेकिन आज सब कुछ बदल चुका था नीलू उससे प्यार करने लगीे थी। अपना पलड़ा भारी होता देख राहुल मन ही मन प्रसन्न हो रहा था। 
राहुल इस समय तीन औरतों के बीच उलझा हुआ था एक तो उसकी मां और दूसरी वीनीत की भाभी और तीसरी नीलू । इस समय राहुल की पांचों उंगलियां घी मे थी ।उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी दिन आएगा कि उसे तीन तीन औरतों का प्यार मिलेगा।

राहुल का लक ईस समय बुलंदियों पर था। अलका तो अपने बेटे की मर्दानगी पर फिदा हो चुकी थी रोज रात को अपने बेटे से अपना बदन रोंदवाने के बाद ही उसे नींद आती थी। अपने बेटे के रूप में उसे प्रेमी मिल गया था। जो कि रोज रात को उसे चोद कर उसकी प्यास के साथ-साथ अपनी भी प्यास बुझाता था। 
तीनों औरतों का राहुल के साथ ईस तरह का लगाव रखने का बहुत बड़ा कारण राहुल की जबरदस्त ताकत से भरी उसकी मर्दानगी थी। ज्योति बिस्तर पर सबसे अलग साबित होता था विनीत की भाभी जोकि उसकी प्यास उसका देवर मतलब विनीत ही बुझाता था । और विनीत की भाभी भी अब तक विनीत से ही चुद कर संतुष्ट होती आ रही थी। लेकिन जिस दिन से उसने राहुल के लंड को अपनी बुर में ले कर चुदवाई उस दिन से वह राहुल की दीवानी हो गई राहुल को पाने के लिए वह भी दिन-रात उसी का ही सपना देखने लगी । नीलू भी राहुल से मिलने से पहले विनीत से ही प्यार करती थी और वह भी अपने बदन की प्यास विनीत से ही चुदकर बुझाती थी । लेकिन वह भी राहुल से चुदने के बाद ही असली लंड क्या होता है इस बारे में उसको एहसास हो गया और उस दिन के बाद से ही उस का झुकाव राहुल की तरफ बढ़ने लगा। नीलू तो राहुल से चुदवाने के बाद से ही उसकी काम भावना और भी ज्यादा प्रज्वलित हो गई थी। हर पल वह बस अपनी काम भावना को शांत करने में लगी रहती थी स्कूल से घर जाते ही बिना अपने यूनिफार्म उतारे हैं राहुल को याद करके अपने अंगो से खेलना शुरु कर देती थी। उसके दिलों दिमाग पर राहुल पूरी तरह से छा चुका था

राहुल जोकी तीन औरतों में उलझा हुआ था वह किसी के लिए भी किसी को भी छोड़ नहीं सकता था तीनों के प्रति उसका लगाव बराबर था। उसके मन में भी किसी के प्रति प्रेम के अंकुर नहीं फूटे थे बस यह सारा खेल अपनी जरूरतों को पूरा करना और एक दूसरे के प्रति आकर्षण भर ही था। तीनों औरतों और राहुल के बीच वासना का ही रिश्ता बना हुआ था चारों एक दूसरे से मिल कर अपनी प्यास बुझा रहे थे। 


धीरे-धीरे वक्त के साथ दिन गुजरता गया और आखिरकार वह दिन भी आ गया जिसका राहुल बेसब्री से इंतजार कर रहा था आज रविवार का दिन था। विनीत की भाभी ने उसे दोपहर में आने का आमंत्रण दे चुके थे और राहुल अच्छी तरह से जानता था कि वहां जाने पर क्या क्या होने वाला है इसलिए उसके मन के सभी तार झनकने लगे थे। रविवार के दिन का पूरा प्रोग्राम फिक्स हो चुका था। इसके लिए वहं अपनी मम्मी से पढ़ाई करने जाने के बहाने पूरे दिन की इजाजत भी ले लिया था। वैसे तो अलका उसे रविवार के दिन जाने देना नहीं चाहती थी क्योंकि उसकी भी उमंगे उबाल मार रही थी।अलका भी रविवार का दिन राहुल के साथ बिताना चाहती थी लेकिन सवाल पढ़ाई का था इसलिए उसे जाने की इजाजत दे दी थी। अलका शनिवार की रात से ही बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि वह रविवार की पूरी छुट्टी को बस अपनी बुर के नाम कर देना चाहती थी। आज दिन भर राहुल के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवाना चाहती थी, इसलिए वह पूरी तैयारी करते हुए सुबह में ही बाथरूम में नहाते समय फिर से क्रीम लगा कर अपनी बुर को चिकनी कर ली थी।

लेकिन नहाने के बाद जैसे ही वह रसोई घर में नाश्ता तैयार करने के लिए आई कुछ देर बाद ही राहुल पीछे से आकर उसे अपनी बाहों में भरते हुए पढ़ाई करने के लिए दोस्त के वहां जाने की इजाजत मांग लिया। और अलका भी पढ़ाई के वजह से उसे जाने की इजाजत देते हुए मन मसोसकर रह गई। 
समय से एक घंटा पहले ही राहुल पढ़ाई के बहाने विनीत की भाभी के घर की ओर निकल गया था और दूसरी तरफ धीरे-धीरे सोनू को बुखार चढ़ने लगा था। अलका सोनू के माथे पर गीली पट्टीयां रख रख कर उसका बुखार कम करने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन नाकाम रही उसका बुखार था कि बढ़ता ही जा रहा था। अब अलका की परेशानी बढ़ने लगी थी राहुल भी घर पर नहीं था ऐसे अकेले में उसका दिल घबराने लगा था। सोनू था कि बुखार से कहरने लगा था। अलका अलका अच्छी तरह से समझ गई थी कि जो हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से तबीयत और भी ज्यादा बिगड़ जाएगी इसलिए वह अकेले ही सोनू को लेकर अस्पताल की तरफ जाने लगी। अलका बहुत ही हडबड़़ाहट में चली जा रही थी। उसके पास पैसे कम थे इसलिए उसकी ओर चिंता बढ़ गई थी। चौराहे से आगे गई ही थी की बाइक लेकर वहीं से गुजरते हुए विनीत में अलका को देख लिया और भाई घुमाकर ठीक उसके सामने आकर रुका। 

कहां है आंटी जी आप तो आकर मुलाकात ही नहीं हो पा रही है।

मैं वह सब बाद में बताऊंगी वीनीत इस समय मेरे बेटे की तबीयत खराब है उसे अस्पताल लेकर जा रहीे हुं।
( मौके की नजाकत को समझते हुए राहुल झट से बोला।)

आइए बैठिए आंटी जी मैं भी साथ चलता हूं।

( अलका को विनीत की यह बात ठीक हीं लगी क्योंकि वैसे भी अकेले वह परेशान हो जाती , इसलिए सोनू को बिठाकर वह खुद भी बाइक पर बैठ गई और वीनीत बाइक को अस्पताल की तरफ भगाने लगा।)
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