Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:35 PM,
#71
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
थोड़ी ही देर में राहुल विनीत की भाभी के घर पहुंच गया। कमरे के अंदर विनीत की भाभी के साथ जो जो होना था उसके बारे में सोच-सोच कर ही उसके बदन में गुदगुदी सी हो रही थी। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि अंदर क्या होने वाला है और उसे क्या करना है राहुल दरवाजे के बाहर खड़ा होकर बेल बजा दिया और धड़कते दिल के साथ दरवाजे पर खड़ा रहा। 
थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला तो राहुल विनीत की भाभी को देखकर दंग रह गया जो कि बस हल्का सा ही दरवाजा खोलकर बाहर कौन खड़ा है इसकी तसल्ली कर रही थी लेकिन फिर भी इतने से ही राहुल को बहुत कुछ दीख गया था। वीनीत की भाभी इस समय सिर्फ एक सवाल ही लपेटे हुई थी और उसके बदन पर कुछ भी नहीं था पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद राहुल को दरवाजे पर देखकर उसने तुरंत दरवाजे को खोलकर और मुस्कुराते हुए उसे कमरे में आने को कही। कमरे में प्रवेश करते ही चल पूरी तरह से राहुल की नजर विनीत की भाभी पर पड़ी तो उसके पूरे बदन में हलचल सी मचने लगी । उस दिन की तरह आज भी विनीत की भाभी सीधे बाथरूम से ही आ रही थी उसके गोरे बदन पर टावल लिपटी हुई थी । इस बार भी पहले की ही तरह टावल में देखकर राहुल बोला।
भाभी ऐसा क्यों होता है कि जब भी मैं आपके घर आता हूं आप हमेशा टावल में ही रहती हैं। 
( राहुल की बात सुनकर वह हंसने लगी और हंसते-हंसते बोली।)

तो क्या टावल मे मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती हूं? ( थोड़ा नखरा दिखाते हुए कमर पे अपने हाथ रख दी।)

नहीं भाभी ऐसी बात नहीं है आप तो हमेशा खूबसूरत लगती हो चाहे जैसी भी रहो। 

चाहे जैसी भी रहती हूं मतलब! मैं क्या नंगी घूमती रहती हूं। ( यह बात कहने के साथ ही वह अपनी नजरों को गोल गोल घुमाने लगे राहुल उसके मुंह से नंगी सब्द सुनकर उत्तेजना से भर गया और विनीत की भाभी ने ऐसे शब्दों का उपयोग जानबूझकर कि थीे वह उसे उकसाना चाह रहीे थी। )

( हड़बड़ाते हुए) नहीं भाभी मेरा यह कहने का मतलब बिल्कुल भी नहीं था। मैं तो बस यही कहना चाह रहा था कि आप जैसे भी रहती हो चाहे कुछ भी पहनती हो आपकी खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं।
( राहुल के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह खुश होने लगी आज कई दिनों बाद फिर से ऊसके बदन मे ऊन्माद की लहर ऊठ रही थी। यह भी राहुल की पूरी तरह से दीवानी हो चुकी थी हालांकि अपने देवर से रोज ही चुदती थी लेकिन जो मजा राहुल देता था वैसा मजा विनीत के बस में नहीं था इसलिए तो वह हमेशा राहुल के लिए तड़पती रहती थी। जिस दिन से राहुल विनीत के घर आने का आमंत्रण पाया था और आमंत्रण पाते हैं विनीत की भाभी से मिलने के लिए बेकरार हुआ जा रहा था उसी तरह से वीनीत की भाभी भी आमंत्रण देने के बाद इस पल के इंतजार में ना जाने कितनी बार अपनी बुर को गीली कर चुकी थी। आग दोनों जगह बराबर लगी हुई थी। राहुल एकटक विनीत की भाभी को देखे जा रहा था ऊपर से नीचे तक देखने पर उसकी आंखों में खुमारी का नशा छाने लगा था उसके दिल की धड़कने पल पल बढ़ती जा रही थी राहुल की नजर खास करके उस जगह पर सबसे ज्यादा फिर रही थी, जिस जगह पर विनीत की भाभी ने टॉवल को आपस में बांधे हुए थी, क्योंकि जिस जगह पर टावल बांधी हुई थी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर ही झलक रही थी। और उसकी बीच की लकीर इतनी ज्यादा गहरी थी कि उस गहराई मे ऊसका लंड. आराम से ऊतर सके। विनीत की भाभी यह अच्छी तरह जानती थी कि राहुल क्या देख रहा है इसलिए वो जानबूझकर गहरी सांस लेते हुए अपनी चुचियों को और ज्यादा उभार दी। उसकी यह हरकत पर तो राहुल की सांस ही अटक गई उसके पेंट में तुरंत तंबू बनना शुरु हो गया। जिस पर वीनीत की भाभी की नजर चली गई। और पेंट में बने तंबू को देख कर उसकी बुर में सुरसुराहट होने लगी। वह चाहती तो तुरंत उसके लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाने का आनंद ले सकती थी लेकिन. इस तरह की जल्दबाजी दिखाने में उतना मजा नहीं आता। जब आम पूरी तरह से पक जाए तभी उसे खाने में आनंद और तृप्ति का अहसास होता है । इसलिए वह यही चाहती थी कि दोनो की ऊत्कंठा ओर कामोत्तेजना पुरी तरह से प्रबल हो जाए तभी अपनी कामेच्छा की प्यास बुझाने में आनंद की प्राप्ति होगी इसलिए वह धीरे-धीरे बढ़ना चाहती थी। राहुल के लंड में पूरी तरह से तनाव आ गया था। वह भी अच्छी तरह जानता था कि विनोद की भाभी की नजर बार बार पेंट में बने उसकी तंबू पर ही जा रही थी और इसका एहसास ही उसको कामोत्तेजना का आनंद दे रहा था । पिछले कुछ दिनों में
राहुल की परिपक्वता बढ़ चुकी थी इसलिए वह विनीत की भाभी से अपने पैंट का उभार छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था। वीनीत की भाभी भी अपने बदन की नुमाइश करते हुए टावल में ही उसके सामने खड़ी रही वैसे भी एक दूसरे से कुछ छुपाने के लिए बाकी था ही नहीं, कुछ देर तक दोनों यूं ही एक दूसरे को निहारते रहे दोनों के आकर्षण का केंद्र बिंदु वासना ही था लेकिन दोनों की नजरिया में वासना का रूप बदल चुका था राहुल उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को निहार रहा था तो विनीत की भाभी उसके पैंट में आए भयानक उभार को निहार कर अपनी बुर गीली कर रही थी।
दोनों के बीच कुछ देर तक खामोशी छाई रही दोनों ड्राइंग रूम में एक दूसरे के बदन को नजरों से टटोल़ रहे थे। दोनों के बीच आई खामोशी को तोड़ते हुए राहुल बोला।

भाभी विनीत कहीं दिखाई नहीं दे रहा है।
( राहुल यह अच्छी तरह से जानता था कि वीनीत ईस े समय घर पर नहीं है वह तो बातों के दौर को शुरू करने के लिए बस यूं ही बात छेंड़ दिया था। राहुल की बात सुनते ही विनीत की भाभी के चेहरे पर कामुक मुस्कान पैर में लगी और वह अपने होठों को हल्के से दांतों से दबाते हुए कमर मटकाते हुए राहुल की तरफ आगे बढ़ी और जैसे ही उसके बिल्कुल करीब पहुंची तो एक हाथ उसकी कमर में डालते हुए तुरंत उसे अपनी तरफ खींचते हुए अपने बदन से सटा लीे ओर कामुक अंदाज में उसके कानों में होठो को ले जाकर बोली ।) 

राहुल तुम अच्छी तरह से जानते हो कि विनीत इस समय घर पर नहीं है और तभी मैं तुम्हें यहां पर बुलाई हूं
और यह भी तुम्हें अच्छी तरह से मालूम है कि तुम्हें क्या करना है और किसलिए तुम्हें बुलाई हूं (इतना कहने के साथ ही उसने अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर राहुल की लंड को पेंट के ऊपर से ही दबोच ली, ऐसा करने पर राहुल के मुंह से हल्की सी आह निकल गई। और वहां और भी ज्यादा कामुक अंदाज में और धीरे से फुसफुसाते हुए बोली।) राहुल विनीत को मैंने ऐसे काम के लिए भेज दी हूं कि वह तीन-चार घंटे से पहले नहीं आएगा, ( इतना सुनते ही राहुल विनीत की भाभी की तरफ आश्चर्य और मुस्कुराहट के साथ देखने लगा और तभी वीनीत की भाभी ने अपनी हथेली का दबाव राहुल के लंड पर बढ़ाते हुए तुरंत अपने तपते होठों को राहुल के होठो पर रखकर उसके होठों को चूसने लगी। राहुल भी जेसे इसी पल का इंतजार कर रहा था और मौका मिलते ही वह भी अपने दोनों हाथ को विनीत की भाभी के पीछे ले जाकर उसकी कमर में डालकर अपने बदन से और ज्यादा सटा दिया और उसके गुलाबी होठों को चूसना शुरू कर दिया। दोनों एक दूसरे को होठों को इस तरह से चूस रहे थे कि मानो उन्माद में आकर कहीं एक दूसरे के होठों को काट ना ले , राहुल का तंबू विनीत की भाभी की जांघों के बीचोंबीच टावल के ऊपर से ही उसकी बुर की मुहाने पर दस्तक दे रहा था। जल की कठोरता का अहसास विनीत की भाभी को होते हैं वह और जोर से राहुल को अपने बदन पर सटा ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने अंदर ही उसे उतार लेगी।
दोनो ड्राइंग रूम के बीचो-बीच खड़े-खड़े ही एक दूसरे मे गुत्थमगुत्था हुए जा रहे थे। दोनों की सांसे तेज चलने लगी थी। राहुल के दोनों हाथ उसकी कमर से होते हुए नीचे नितंबों पर पहुंच गए थे और वह उन्हें अपनी हथेलियों में भर भर के टॉवल के ऊपर से ही दबाने का सुख भोग रहा था। अपने नितंबों पर राहुल के दोनों हथेलियां कसते ही विनीत की भाभी ने राहुल की पेंट की चेन खोलना शुरू कर दि। तब तक राहुल टॉवल को हथेलियों का सहारा लेकर कमर तक उठा दिया और अपने दोनों हथेलियों को भाभी की नंगी गांड पर रखकर उसे दबोचने लगा। राहुल की इस हरकत पर विनीत की भाभी की उत्तेजना बढ़ने लगी थी। और वह अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए राहुल के होठों को अपने दांतो तले दबा रही थी और धीरे-धीरे उसकी पेंट की चेन खोल चुकी थी। चेन के इर्द-गिर्द उंगलियों का स्पर्श होते ही उसे लंड के कड़क पन का एहसास होने लगा था। अपनी उंगलियों पर लंड के कड़क पन का एहसास होते ही उसकी बुर कुलबुलाने लगी। राहुल तो उसकी भरावदार गांड को मसलते हुए मदहोश हुआ जा रहा था। दोनों एक दूसरे के होठों को चूसते हुए एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ उतार दे रहे थे जिससे दोनों के थुक और लार सब कुछ एक दूसरे के मुंह में आदान प्रदान हो रहे थे। 
विनीत की भाभी से अपने आप को बिल्कुल संभाले नहीं जा रहा था वह चेन खोलकर उस के तने हुए लंड को उस चेन वाली छोटी सी जगह से निकालना चाहती थी लेकिन राहुल का लंड ज्यादा तगड़ा मोटा और लंबा था ऊस छोटी सी जगह से जिसका तनाव की स्थिति में बाहर निकाल पाना असंभव सा हो रहा था इसलिए विनीत की भाभी ने तुरंत ऊपर से पेंट के बटन को खोलकर नीचे जांघो तक सरका दी , राहुल तो उसकी गुलाबी होठों और उसकी भरावदार गांड पर ही मशगुल था। विनीत की भाभी तो अंडर वियर में तने हुए उसके लंड को देखकर एकदम से तड़प उठी उसे से यह तड़प बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था। विनीत की भाभी विनीत के साथ इतनी जल्दी उत्तेजित नहीं होती थी जितनी जल्दी वह राहुल के साथ हो गई थी। उसे खुद अपने आप पर आश्चर्य हो रहा है इतनी ज्यादा चुदवासी हो चुकी थी कि उससे रहा नहीं जा रहा था और वह तुरंत राहुल के होठों से अपने होठ को अलग करते हुए थोड़ा सा े पीछे की तरफ कदम बढ़ाए और उसके आंखों में झांकते हुए मदहोशी के साथ अपनी टावल को खोलने लगी राहुल ऊसकी यह अदा देखकर एकदम से कामविह्वल हुए जा रहा था।


और विनीत की भाभी राहुल की काम भावना को और ज्यादा भड़काते हुए अगले ही पल अपनी टॉवल को खोलकर एकदम नंगी हो गई राहुल की नजर सीधे उसकी बड़ी बड़ी और तनी हुई गोल चुचियों से होती हुई चिकने पेट से सरकते हुए जांघों के बीच की उस पतली दरार पर गई जो कि ईस समय एकदम विनीत की भाभी के गाल की तरह ही चिकनी थी, शायद कुछ देर पहले ही उसने बाथरूम में क्रीम लगा कर बालों को साफ की थी राहुल को देखते ही रह गया उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और अंडर वियर में लंड का तनाव और ज्यादा उभरने लगा था। राहुल की नजर तो बुर पर गड़ी की गड़ी रह गई। राहुल से रहा नहीं जा रहा था और वह अंडरवियर के ऊपर से ही अपने लंड को मुट्ठी में दबोच लिया यह देखकर विनीत की भाभी के भी मुंह से गरम आह निकल गई। 
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10-09-2018, 03:35 PM,
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
विनीत की भाभी अपने बदन से टावल को निकाल कर सोफे पर फेंक दी और मस्तानी अदा में अपने घुटनों के बल बैठ गई राहुल विनीत की भाभी को ही घूरे जा रहा था और विनीत की भाभी थी कि अपने गुलाबी रसीली होठों पर अपनी जीभ फेरते हुए अपने दोनों हाथों की नाजुक उंगलियों से राहुल की अंडर वियर के दोनों छोर को पकड़ ली। और राहुल की आंखों में झाकते हुए धीरे धीरे अंडरवियर को नीचे सरकाने लगी , राहुल की दिल की धड़कने तेज होती जा रही थी। उसके सामने बला की खूबसूरत सेक्सी भाभी बिल्कुल नग्न अवस्था में घुटनों के बल बैठी हुई थी। अगले ही पल विनीत की भाभी ने अंडर वियर को राहुल की जान हो तक सरका दी अंडरवियर के कैद से आजाद होते हैं राहुल का टनटनाया हुआ लंड हवा में लहराने लगा जिसको देखकर विनीत की भाभी का धैर्य जवाब देने लगा। ऐसे भी पहले से ही लंड देखकर ही विनीत की भाभी के मुंह में पानी आ जाता था और यहां तो एक दमदार तगड़ा मोटा और लंबा लंड था इसको देख कर तो विनीत की भाभी को मुंह के साथ साथ ऊसकी रसीली 
बुर मैं भी पानी आ गया था। राहुल की सांसे इतनी तेज चल रही थी की वह नाक की बजाए मुंह से सांसो को अंदर बाहर कर रहा था। विनीत की भाभी की भी हालत खराब हो रही थी उसने तुरंत राहुल के खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी ऊसका लंड मोटे लकड़े की तरह वजनदार लग रहा था। जिसका एहसास उसके पूरे बदन में रोमांच भरा रहा था राहुल कुछ सोच पाता ईससै पहले ही विनीत की भाभी ने लंड के सुपाड़े को आइसक्रीम कौन की तरह अपने मुंह में भर लि और उसे लॉलीपॉप की तरह जीभ घुमा घुमा कर चाटने लगी। इससे राहुल के बदन में झनझनाहट सीे फैल जा रही थी। राहुल को विनीत के भाभी के द्वारा लंड चाटने की कारीगरी खूब भाती थी। विनीत की भाभी धीरे-धीरे करके राहुल का पूरा लंड गले तक ले ली और खूब मजे ले लेकर चारों तरफ जीभ घुमा कर चाट रही थी जब जब उसकी जीभ लंड के सुपाड़े के इर्द-गिर्द नाचती तो उसके पूरे बदन में सनसनी सी मच जाती थी। राहुल वीनीत की भाभी के रेशमी गीले बालों में अपनी उंगलियां उलझाकर हल्के-हल्के उसके मुंह में धक्के लगाना शुरु कर दिया था या यूं कहो कि उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया था। दोनों को परम आनंद की अनुभूति हो रही थी पूरे घर में सिर्फ वीनीत की भाभी और राहुल ही थे जोकि इस समय मजा लूट रहे थे। जब-जब वीनीत की भाभी लंड को अपने गले तक लेती थी तो घघघघघघघघ...... की आवाज उसके गले से आती थी उसकी सांसे घुटने लगती थी लेकिन फिर भी वह लंड को बाहर निकालने की बिल्कुल भी चेष्टा नहीं करती थी उसे इस तरह से ही लंड चाटने में बेहद आनंद मिलता था। कुछ देर यूं ही राहुल का लंड चाटने से उसकी काम भावना और ज्यादा प्रज्वलित हो गई लंड के कड़कपन को वह अपनी रसीली बुर के दीवारों पर महसूस करना चाहती थी अपने बुर की दीवारों को वह राहुल के लंड से रगड़वा देना चाहती थी।
इसलिए वह राहुल का लंड उसके मुंह में ही पानी की पिचकारी छोड़ दें इससे पहले ही उसने लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल दी। उसकी बुर उत्तेजना बस तवे पर जिस तरह से रोटी गरम हो कर फूलती है उसी तरह से गरम होकर फुल चुकी थी। विनीत की भाभी खड़ी हो चुकी थी उसे याद अगले मुठभेड़ का बेसब्री से इंतजार था राहुल से चदवाने की तमन्ना में वह अपनी हथेली से अपनी बुर को रगड़ने लगी राहुल उसे इस तरह से अपनी बुर को रगड़ते हुए देख कर गर्म आहें भरने लगा उसे भी जल्दबाजी थी अपने खड़े लंड को उसकी रसीली बुर में डालने की। इसीलिए वह भी खुद विनीत की भाभी को देखते हुए अपने लंड को मुठ्ठीयाने लगा। दोनों एक दूसरे में उतरने के लिए बेताब हुए जा रहे थे। विनीत की भाभी इतनी जल्दी चुदवाना नहीं चाहती थी लेकिन राहुल के खड़े लंड को देखकर उसके सब्र का बांध टूट चुका था उसे अब अत्यधिक जल्दी पड़ी थी लंड को अपनी बुर में डलवाने की, इसलिए वह राहुल से बोली।।

राहुल आज मुझे मस्त कर दे, ऐसा चोद मुझे कि मेरी चीख निकल जाए और तू मेरे दर्द की बिल्कुल भी परवाह मत करना बस अपने लंड को सटासट अंदर बाहर करते रहना मुझे चोदकर एकदम मस्त कर दे मैं तेरे लंड की प्यासी हूं। तेरे मोटे लंड को मेरी बुर में डालकर मेरी प्यास बुझा दे। ( इतना कहने के साथ ही वह सोफे की तरफ बढ़ी और सोफे पर अपने दोनों हाथ को टिका कर अपनी भरावदार गांड को राहुल की तरफ उचका दी, राहुल के लिए विनीत की भाभी का यह इशारा काफी था वह समझ गया था कि अब उसे क्या करना है। ड्राइंग रूम का नजारा बडा ह़ी कातिलाना लग रहा था विनीत की भाभी की भरावदार नंगी गांड राहुल के कलेजे पर छुरियां चला रही थी। अपने घुटनों में अटकी हुई पेंट और अंडर वियर को वह तुरंत उतार फेंका और हाथ में लंड को हिलाते हुए सीधे विनीत की भाभी के पीछे जाकर खड़ा हो गया। दिनेश की भाभी पीछे ही आंखें गड़ाए हुए थे राहुल के हर एक हरकत पर उसकी नजर थी उसका भी दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि राहुल के उसकी गांड पर हाथ रखते ही उसे पता चल गया था कि बुर और लंड के बीच की दूरी दो तीन अंगूल की ही थी। जोकि अगले ही पल लंड के सुपाड़े को बुर की गुलाबी छेद पर टीकाते ही वह दूरी भी खत्म हो गई। बुर पहले से ही अध्यतिक गीली थी जिससे लंड का मोटा सुपाड़ा धीरे-धीरे बुर की गहराई में उतरने लगा थोड़ी ही देर में राहुल का आधा लंड उसकी रसीली बुर में उतर चुका था। उत्तेजना के मारे विनीत की भाभी की टांगे कांप रही थी। राहुल उसकी कमर को दोनों हाथों से कस के थामे हुए था। राहुल का जोश जब जब वह अपनी नजर को उसकी भरावदार गांड की तरफ घुमाता तो दुगुना हो जाता था। अगले ही पल राहुल ने उसकी कमर को और ज्यादा कस के पकड़ लिया और ईतना तेज धक्का लगाया कि वह गिरते गिरते बची वह तो अच्छा था कि वह कमर से उसे कस के पकड़े हुए था। वरना विनीत की भाभी आगे को लुढ़क जाती। लेकिन इस जबरदस्त धक्के से उसके गले से चीख निकल गई क्योंकि राहुल का पूरा लंड उसकी बुक की गहराई में उतर चुका था और लंड के सुपाड़े का धक्का का सीधा उसके बच्चेदानी में लगा था जिसकी वजह से उसके मुंह से कामुक चीख निकल गई । 
डिलीट की भाभी के मुंह से गरम गरम सिसकारी निकल रही थी जिसकी आवाज सुनकर राहुल बेचैन होने लगा और उसकी कमर को थाने अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा उसका मोटा लंड उसके नमकीन रस मे सना हुआ अंदर बाहर होने लगा। थोड़ी ही देर में राहुल अपने लय के साथ विनीत की भाभी की चुदाई करना शुरु कर दिया। कुछ महीनों में ही राहुल विनीत की भाभी के द्वारा सिखाए गए इस कला में पूरी तरह से पारंगत हो चुका था। वीनीत की भाभी भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका शिष्य चुदाई की कला में निपुण होता जा रहा है वह हर तरह से उसे संतुष्ट करने में पूरी तरह से समर्थ था। खास करके जब वह पीछे से ऊसे चोदता है तब उसकी गरम सिसकारी के साथ-साथ उसके पसीने छूट जाते थे। वह एकदम से कपकपा जाती थी, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि विनीत जब भी उसे पीछे से चोदता है तो बार बार उसका लंड बुर के बाहर निकल जाता था लेकिन राहुल का लंड बिना बुर के बाहर निकले बुर को रगड़ते हुए चुदाई करते रहता था।
दोनों को मजा आ रहा था राहुल के हर ठाप पर विनीत की भाभी का पूरा बदन कांप उठता था। पूरे ड्राइंग रूम में सिसकारी की आवाज गुंज रही थी। थोड़ी ही देर में दोनों का बदन अकड़ने लगा और विनीत की भाभी के साथ साथ राहुल भी सिसकारी लेते हुए एक साथ झड़ने लगे। राहुल विनीत की भाभी की नंगी पीठ पर सिर टीताए अपने लंड की एक-एक बूंद को उसकी बुर में उतारने लगा ' विनीत की भाभी भी भलभला कर झड़ी थी इसलिए दोनों का काम रस बुर से बाहर टपक रहा था। दोनों संतुष्ट हो चुके थे।

और दूसरी तरफ विनीत अलका और सोनू को लेकर अस्पताल पहुंच चुका था वहां सोेनु का इलाज शुरू हो चुका था। विनीत डॉक्टर की लिखी हुई हर दवा को खुद ही जाकर अपने पैसे से खरीद कर ले आता। दवा में काफी पैसे लग चुके थे और इतने पैसे तो अलका भी लेकर नहीं गई थी वह मन ही मन वीनीत को धन्यवाद देने लगी। विनीत ने एक बार भी अलका से पैसे के बारे में कोई भी बात नहीं किया था। सोनू का बुखार उसके सर पर चढ़ चुका था उसे बोतल का पानी चल रहा था और डॉक्टर ने दिलासा देते हुए यह कहा था कि दिमाग में बुखार चढ़ चुका है इसलिए उतरने में समय लगेगा इसलिए आज के दिन सोनू को अस्पताल में ही रहना पड़ेगा। अस्पताल में 1 दिन रुकने की बात पर अलका का मन घबराने लगा क्योंकि वह जानती थी कि उसके पास इतने पैसे नहीं है कि वह अस्पताल का बिल चुका सके वह तो यह सोच कर आई थी कि दवा देने पर ठीक हो जाएगा। शायद अलका की इस परेशानी को विनीत भाप चुका था इसलिए वह अलका को दिलासा देते हुए बोला।

आंटी जी आप चिंता मत करिए मैं हूं ना तो घबराने की कोई बात नहीं है। 
( विनीत की यह बातें अलका को हिम्मत दिलाने के लिए काफी थी वह अस्पताल में विनीत के ही सहारे रुकी हुई थी। और दूसरी तरफ राहुल और दिनेश की भाभी दोनों संपूर्ण नग्नावस्था में सोफे पर आराम से बैठे हुए थे राहुल उसकी चिकनी जांघों को सहला रहा था और विनीत की भाभी उसके ढीले पड़े लंड पर हल्के हल्के उंगलियां फिरा रही थी।

अलका बहुत परेशान नजर आ रही थी उसके बगल में विनीत बैठा हुआ था अलका मन ही मन विनीत का शुक्रिया अदा कर रही थी, क्योंकि वह जानती थी कि अगर एन मौके पर विनीत उसके साथ अस्पताल ना आया होता तो आज बहुत मुसीबत का सामना करना पड़ता है उसे। विनीत बिना हिचकिचाएं अस्पताल का सारा खर्चा अपनी जेब से ही चुकाता रहा है एक बार भी उसने अलका से पैसे के बारे में जिक्र तक नहीं किया। 
अलका वीनीत को एक अच्छा और संस्कारी लड़का मानने लगी थी। उसके इस एहसान की वजह से अलका विनीत के पहले की गलतियों को भुला चुकी थी जब वह उसके बदन से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहा था इस समय वह उसे अच्छा लड़का और संस्कारी लगने लगा था। सोनू के बेड के बगल में दोनों बैठे हुए थे सोनू अपने अंदर बहुत कमजोरी महसूस कर रहा था इसलिए उसकी आंखें बार बार खुलती और बार-बार बंद हो जाती। अलका की नजर बार बार बोतल में से टपक रहे एक एक बूंद ग्लूकोज के पानी पर ही टिकी हुई थी। 
विनीत बेफिक्र होकर दवा पर पैसे खर्च कर रहा था। लेकिन इसके पीछे उसके मन का स्वार्थ छिपा हुआ था वह किसी भी हालत में किसी भी कीमत पर अलका को भोगना चाहता था उसके मदमस्त बदन के रस को चूसना चाहता था। उसे पूरा विश्वास है कि उसका यह स्वार्थ उसके लालसा जरुर पूरी होगी लेकिन कब पूरी होगी कौन सी जगह पूरी होगी इस बारे में वह नहीं जानता था लेकिन अलका इस बात से पूरी तरह से अनजान थी वह तो उसकी मदद के पीछे मानवता को कारण समझती थी लेकिन बात कुछ और ही थी। धीरे-धीरे समय गुजर रहा था संध्या हो रही थी सूरज की लालिमा अपनी किरणों को बिखेरते हुए दूर कहीं आसमान में ढलने की फिराक में था। अलका बार-बार सोनू के माथे पर अपना हाथ रख कर उसका बुखार जांचने की कोशिश करती लेकिन बुखार ज्यों का त्यों बना हुआ था। अलका की चिंता बढ़ती जा रही थी लेकिन बीच-बीच में दिनेश अलका को दिलासा देते हुए सब कुछ ठीक हो जाएगा ऐसा कहकर हमेशा सांत्वना देता रहता था। 

दूसरी तरफ राहुल और वीनीत की भाभी यह दोनों ड्राइंग रूम में संपूर्ण नग्नाअवस्था में सोफे पर बैठे हुए थे। क्या हुआ धीरे धीरे उसकी चुचियों से खेल रहा था जो की उत्तेजना के कारण उसके निेप्पले एकदम कड़क हो चुकी थी। विनीत की भाभी को राहुल की हरकत पर मजा आ रहा था वह रह रह कर अपने अंगूठे और अंगुली के बीच में निप्पल को दबा देता जिससे विनीत की भाभी कराह उठ़ती थी। वीनीत की भाभी राहुल के ढीले लंड पर उंगलियां फिरा फिरा कर उसे तनाव में ला चुकी थी जोकी राहुल की जांघो के बीच में एकदम डंडे की तरह खड़ा था। जिसके सुपाड़े पर वीनीत की भाभी अपना अंगूठा बार-बार दबाकर उसकी ओर खुद की उत्तेजना बढ़ा रही थी। 
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10-09-2018, 03:36 PM,
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
विनीत की भाभी राहुल की ताकत को देखकर फिर से आश्चर्यचकित हुए जा रहे थे क्योंकि अभी पांच सात मिनट पहले ही राहुल ने अपने दमदार तगड़े लंड से उसकी बुर की चुदैई कर करके बुर की नसों को ढीला कर दिया था और साथ ही उसकी भी लंड की नशे ढीली हो गई थी लेकिन सात आठ मिनट के अंदर ही फिर से उसकी लंड की नसों में खून का दौरा तीव्र गति से होने लगा था और इस बार उसका लंड पहले से भी ज्यादा भयानक लग रहा था। 
राहुल के लंड के कड़कपन को देख कर एक बार फिर से उसकी बुर कुल बुलाने लगी और वह हाथ आगे बढ़ाकर लंड को अपनी हथेली में दबोच ली और उसे आगे पीछे कर के मुठीयाते हुए बोली। 

वाह राहुल मुझे तुम्हारी ताकत पर बिल्कुल भी यकीन नहीं होता कि ऐसा भी हो सकता है। 

( राहुल को बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था कि विनीत की भाभी क्या कहना चाह रही थी, इसलिए आश्चर्यचकित हो कर उसकी चुचियों को एक हाथ में भरकर दबाते हुए बोला।)

क्या हो सकता है भाभी मैं कुछ समझा नहीं।

( लंड को ते हुए )यही कि अभी अभी कुछ मिनट पहले ही भलभलाकर मेरी बुर में झड़े हो और उसके बावजूद भी बस पांच सात मिनट के अंदर ही तुम्हारा लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो गया है। वाह मान गए तुम्हारी ताकत को( राहुल अपने लंड की तारीफ वीनीत की भाभी के मुंह से सुनकर गदगद हो रहा था।) 
अच्छा यह बताओ तुम इसे ताकतवर बनाने के लिए इस पर तीर कि मालिश करते हो या ऐसे ही कुदरती है। ( उत्तेजना वश अपनी हथेली में लंड को कसके दबाते हुए।) 

( भाभी की बात सुनकर राहुल शर्मा गया लेकिन फिर भी शर्माते हुए बोला।) 

नहीं भाभी यह तो कुदरती ही है मैं कभी भी इस पर किसी चीज की भी मालीश नहीं करता। लेकिन भाभी आप कैसे कह सकती हैं कि यह ताकतवर है।

( अपने होठों पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए )तुम नहीं समझोगे क्योंकि मैं जानती हूं एक बार चुदाई करके झड़ने के बाद दोबारा खड़ा होने में अर्धा अर्धा घंटा लग जाता है। लेकीन तुम्हारा इतनी जल्दी जल्दी खड़ा हो जाता है कि मैं देख कर हैरान हो जाती हुं। ( वीनीत की भाभी की खुली बातें सुनकर राहुल मुस्कुराने लगा।)

(लंड को मुठीयाते हुए) अच्छा एक बात बताओ राहुल लगभग महीना गुजरने को है तुम मेरे पास दुबारा क्यों नहीं आए। क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती थी। 

( दोनों हाथों से चुचियों को दबाते हुए) ऐसी बात नहीं है भाभी जिस दिन से तुम्हारे साथ सोया था उस दिन से लेकर आज तक मैं हर पल उठते जाते बस तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता था।


तो मिलने क्यों नहीं आए?

कैसे आता मुझे क्या पता कि कब किस टाइम घर पर कौन-कौन रहता है अगर मेरे आने पर कोई घर में मौजूद होता तो उसे मैं क्या जवाब देता। 


( मोटे लंड को पकडे पकडे विनीत की भाभी फिर से गरमाने लगी उसकीे सांसे भारी हो चली थी। और एकदम मदहोश होकर बोली।)

मुझे एक बार फोन तो कर लिए होते आखिर मैंने नंबर किस लिए दी थी तुम्हें।

मेरे पास मोबाइल नहीं है।

नहीं तुम झूठ बोल रहे हो ऐसा कैसे हो सकता है कि आज के जमाने में तुम्हारे पास मोबाइल न हो।


( चुचियों को कस के दबाते हुए) नहीं भाभी मे सच कह रहा हूं मेरे पास मोबाइल नहीं है मेरी माली हालत ऐसी नहीं है कि मैं मोबाइल खरीद सकु। 

( राहुल की बात सुनकर वह हैरान लेकिन उसके ऊपर वासना की खुमारी पूरी तरह से छाने लगी थी इसलिए वह चुदवासी आवाज में बोली।)

तो पीसीओ से कर लिए होते।( इतना कहने के साथ ही वह राहुल कि जांघो के बीच झुकने लगी और अगले ही पल वह लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर कर चुसना शुरु कर दी। जैसे ही उसकी जीभ सुपारी पर फिर ना शुरू हुई राहुल की तो सांस ही अटक गई उसका मुंह खुला का खुला रह गया और अटकते हुए बोला।)


मममम....मेरी हीम्मत .....नही हुई भाभी। ( राहुल इतना कह पाता इससे पहले ही वीनीत की भाभीी उसके ऊपर पूरी तरह से छा गई । वह पूरा लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी वह पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी। उसकी इस तरह से लंड चुसाई से राहुल एकदम से मदहोश हो गया उसकी हालत खराब होने लगी और इसकी उंगलियां खुद-ब-खुद वीनीत की भाभी के रेशमी बालों मे उलझने लगी। उसके गीले बालों से मादक मादक आ रही खुशबू माहौल को और ज्यादा गर्मा रहा था। राहुल का एक हाथ उसकी चिकनी पीठ पर फिराने लगी जो कि पीठ पर से फिर से फिर से नीचे नितंबों तक पहुंच रही थी और इस तरह से उसे लंड चुसाते चुसाते उसकी गांड को सहलाने और मसलने में और ज्यादा आनंद मिल रहा था। माहौल एक बार फिर से गर्म हो चुका था विनीत की भाभी राहुल के लंड को चूसने में मस्त थी और राहुल उसके नंगे मखमली बदन पर अपना हाथ फिरा रहा था। दोनों पूरी तरह से वासना के इस दरिया में कूद चुके थे। विनीत की भाभी तो जैसे उसके लंड की दीवानी हो गई थी। वह उसके लंड को किसी भी कीमत पर छोड़ना ही नहीं चाहती थी वह उसे पूरा गले तक उतार कर मस्ती के साथ चुसाई कर रही थी। दोनों की गरम सिसकारी एक बार फिर से पूरे कमरे में गूंजने लगी। राहुल अब दोनों हाथों से आगे की तरफ झुक कर उसकी बड़े-बड़े भरावदार नितंबों को हथेलियों में भरकर दबाने लगा और रह रह कर उस पर चपत भी लगाने लगा जिससे विनीत की भाभी का उन्माद और ज्यादा बढ़ जा रहा था। थोड़ी ही देर में लंड की चुसाई कर रही वीनीत की भाभी की गांड चपत लगाने से और मसलने से एकदम लाल हो गई जोकि उस के नितंबों की खूबसूरती में ओर भी ज्यादा इजाफ़ा कर रहे थे। राहुल एक दम मस्त हुए जा रहा था उसकी उत्तेजना पल पल परवान चढ़ रही थी। और उत्तेजना में सराबोर होकर सोफे पर बैठे बैठे ही नीचे से धक्के लगाना शुरु कर दिया। इस तरह से वीनीत की भाभी को भी मजा आने लगा। कुछ देर तक यूं ही विनीत की भाभी राहुल के मोटे लंबे लंड को चुसती रही लेकिन नीचे जांगो के बीच उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां फड़फड़ा रही थी। उन पत्तियों के इर्द-गिर्द खून का दौरा बड़ी तेजी से हो रहा था इसलिए विनीत की भाभी को उसमे खुजली सी महसूस होने लगी थी। इसलिए रह रह कर गुलाबी पत्तियों के बीच से मदन रस की बूंदें टपक पड़ रही थी। राहुल तो एकदम चुदवासा हो गया था। और उत्तेजना बस उसकी भरावदार गांड को खूब जोर जोर से मसलते हुए सिसकारी लेते हुए बोला।

ओहहहहहह.... भाभी बहुत मजा आ रहा है....स्सहहहहहहह.... बस ऐसे ही..... हां बस ऐसे ही चुसते रहिए भाभी बहुत मजा आ रहा है ।

राहुल उसकी लंड चुसाई पर पूरी तरह से मर मिटा था उसे बहुत आनंद की अनुभूति हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका बदन हवा में झूल रहा हो।

राहुल की बातें सुनकर वह भी जोर-जोर से उसके लंड को आइसक्रीम कोन की तरह चूसने लगी लेकिन ऊसकी जाघों के बीच उसकी बुर में खुजली मची हुई थी उस खुजली को मिटाना भी बहुत जरूरी था। इसलिए वह राहुल के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाली और खड़ी हो गई राहुल ललचाई आंखों से उसे देखता रह गया। वीऩत की भाभी की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह भी राहुल को और उसके खड़े लंड को कामुक नजरों से देखते हुए अपनी हथेली को अपनीे बुर पर रगड़ने लगी। जिसे देख राहुल के लंड ठुनंकी लेना शुरु कर दिया। तभी विनीत की बारी एक कदम आगे बढ़े और अपने दोनों हाथों की उंगलियों को राहुल के बालों में उलझाते हुए उसके बाल को कस के पकड़ ली

और खुद ही उसके मुंह के नजदीक अपनी बुर को ले जाने लगी यह देखकर राहुल के बदन में सुरसुरी सी मचने लगी अजीब सी सुख की अनुभूति करके वह अंदर ही अंदर कांप सा गया। बड़ा ही रोमांचक और उत्तेजनात्मक नजारा बना हुआ था विनीत की भाभी अपनी रसीली बुरकी गुलाबी पंखुड़ियां को राहुल के होठो पर रगड़ने लगी। और राहुल की उत्तेजना में अपनी आंखों को बंद कर अपने होठों का हल्का हल्का स्पर्श बुर की गुलाबी पत्तियों पर कराने लगा जिससे विनीत की भाभी की सिसकारी छूट गई।
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10-09-2018, 03:36 PM,
#74
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
स्ससससहहहहहहहह........राहुल....ऊहहहहहहह.... बस ऐसे ही इतना कहने के साथ ही वह खुद राहुल के बालों को पकड़कर उस के मुंह को अपनी बुर पर दबा दी और अपनी भरावदार नितंब को गोल-गोल घुमाते हुए उससे अपनी बुर चटवाने लगी। थोड़ी ही देर में अपनी बुर चटवाते चटवाते वह इतनी मस्त हो गई की वह खुद ही राहुल के मुंह में हल्के हल्के धक्के लगाना शुरु कर दी। एक तरह से वह अपनी बुर से राहुल के मुंह को चोदने लगी। राहुल का मुंह बुर के कामरस से पूरी तरह से भीग चुका था। कभी-कभी विनीत की भाभी इतनी ज्यादा उत्तेजित हो जाती कि अपनी बुर को कस के राहुल के मुंह पर दबा देती जिससे उसकी सांस फूलने लगती। दोनों के आनंद में और उत्तेजना में पल पल बढ़ोत्तरी होती जा रही थी। विनीत की भाभी की सिसकारी पूरे कमरे में गूंज रही थी पूरा ड्राइंगरूम उसकी कामुक आवाज से उन्मादित हो रहा था कामोतेजना के परम शिखर पर विराजमान होकर वीनीत की भाभी एकदम से चुदवासी हो गई थी और उसने तुरंत अपनी बुर चटवाते चटवाते राहुल के कंधे पर हाथ रख कर ऊसे धक्का देते हुए सोफे पर लिटा दी और वह भी पीठ के बल सोफे पर चित लेट गया। राहुल बस आवाक सा देखता रहा और विनीत की भाभी उसे सोफे पर चित लिटा कर अपनी गर्म हथेली को अपनी तपती हुई और टपकती हुई गर्म् बुर पर रखकर मसलने लगी जिसे देख कर राहुल भी खुद अपने लंड को पकड़ कर मुठीयाते हुए गर्म आहें भरने लगा। देखते ही देखते विनीत की भाभी राहुल पर सवार होने लगी राहुल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था जब तक वह समझ पाता तब तक विनीत की भाभी ने अपना एक घुटना उसकी कमर के बगल में सोफे पर टीका दी और एक टांग को दूसरी कमर की तरफ ले जाते हुए पेर को सोफे से नीचे
फर्श पर टीकाते हुए पोजीशन बना ली। राहुल उसे आंख भर के देख रहा था इसकी बड़ी बड़ी चूचियां उसकी आंखों के सामने ऐसे नजर आ रहे थे जैसे कि आम के बगिया में पेड़ पर बड़े-बड़े पके आम लटक रहे हैं और जिसे तोड़ने के लालच को वह अपने अंदर दबा नहीं पा रहा है, वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर भाभी के पके हुए आम को लपकता इससे पहले ही विनीत की भाभी थोड़ा सा झुक गई और झुकने की वजह से राहुल का टनटनाया हुअा लंड का सुपाड़ा उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों से स्पर्श होने लगी, और जैसे ही बुर की गुलाबी पत्तियों से सुपाड़ा स्पर्श हुआ राहुल एकदम से गंनगना गया , उसके पूरे बदन में करंट सा दौड़ने लगा और उसके दोनों हाथ खुद-ब-खुद दोनों चुचियों पर चली गई जिसे वह तुरंत पकड़कर दबाने लगा राहुल की इस हरकत पर विनीत की भाभी की सिसकारी छूट गई और उसने तुरंत एक हाथ को नीचे ले जाकर राहुल के लंड को थाम ली, लंड को थामते ही विनीत की भाभी उसके सुपाड़े को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ते हुए उसपर सुपाड़ा पीटने लगी जिससे उसकी उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंच गई। राहुल को भी उसकी इस हरकत पर बेहद आनंद मिलने लगा और दिनेश की भाभी सिसकारी लेते हुए सितारे को अपनी गुलाबी पत्तियों के बीच टिका कर धीरे-धीरे लंड पर बैठने लगी यह राहुल के लिए बिल्कुल अलग और अद्भुत एहसास था वह इस बारे में कभी सोचा भी नहीं था विनीत की भाभी धीरे-धीरे दर्द का अहसास लिए राहुल के तने हुए लंड पर बैठने लगी धीरे-धीरे करके राहुल का लंड विनीत की भाभी की बुर के अंदरूनी दीवारों को रगड़ते हुए अंदर की तरफ सरकने लगा अद्भुत आनंद की अनुभूति के साथ विनीत की भाभी का मुंह खुला का खुला रह गया था राहुल भी सकते में था और साथ ही उसकी दोनों चुचियों को कस कसके दबाए जा रहा था। और थोड़ी ही देर में विनीत की भाभी राहुल के पूरे समूचे खड़े लंड को अपनी बुर के अंदर गप्प से निगल गई। राहुल ने जब नजरे झुका कर अपने लंड की तरफ देखा तो उसका पूरा लंड विनीत की भाभी की बुर में समाया हुआ था जरा सा भी जगह बाकी नहीं रह गया था। राहुल बड़ी हैरानी से कभी उसकी बुर की तरफ तो कभी उसके चेहरे की तरफ देखता जो कीे ईस समय उत्तेजना की वजह से एकदम लाल लाल हो गया था और उसका मुंह खुला का खुला था आंखें मूंदी हुई थी और वह गर्म सिसकारी लेते हुए गहरी गहरी सांसे ले रही थी। वह धीरे-धीरे करके राहुल के लंड पर उठना बैठना शुरु कर दी थी राहुल का लंड उसकी चिकनाहट की वजह से लगातार बिना रुकावट के अंदर बाहर हो रहा था जिसकी वजह से विनीत की भाभी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी राहुल पल पल उसकी दोनों चुचियों को कसकस के दबाते हुए मस्ती के सागर में गोते लगा रहा था। विनीत की भाभी राहुल के सीने पर हथेलियां टिकाकर अपनी गांड को ऊपर नीचे करते हुए राहुल के लंड पर मार रहा थीे और राहुल दोनों चुचियों में व्यस्त है होकर गर्म सांसे छोड़ रहा था। कमरे का माहौल दोनों की चुदास पन में सराबोर होकर एकदम रंगीन हो गया था पूरा ड्राइंग रूम चुदास की मादक खुशबू से महकने लगा था। विनीत की भाभी की मादक सिसकारियां राहुल को उसका दीवाना बना रही थी।
राहुल कोे विनीत की भाभी की यह मादक अदा और भी ज्यादा कामोत्तेजित कर रही थी वीनीत की भाभी अब अपनी गति में थोड़ा सा उछाल लाते हुए राहुल के लंड पर उठ बैठ रही थी। जिससे राहुल की हथेलियों में कसी हुई उसकी दोनों चुचीया किसी फुटबॉल की तरह लग रही थी। जांघो से जांघ टकराने की वजह से एक अलग सी ठाप बज रही थी। जोकि माहौल को और ज्यादा गर्माहट प्रदान कर रहा था। दोनों जिस्म एक दूसरे में उतरने की भरपूर कोशिश करते हुए आगे बढ़ रहे थे विनीत की भाभी के उछाल का जवाब वह भी अपनी कमर को नीचे से उछाल कर दे रहा था। नजरों को नीचे करके बुर की तरफ देखने पर विनीत की भाभी की भरावदार गांड और भी ज्यादा मादक लग रही थी जिसे राहुल ने अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर उस पर अपनी हथेली रख दिया और जोर-जोर से गांड को मसलते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा। विनीत की भाभी भी धड़ाधड़ अपनी गांड को राहुल के खड़े लंड पर पटक रही थी जिससे बुर और लंड के मिलन से पुच्च पुच्च की मादक आवाज आ रही थी। विनीत की भाभी सिसकारी लेते हुए राहुल का हौसला बढ़ाते हुए उसकी तारीफ किए जा रही थी।

स्ससससहहहहहहह.....आहहहहहहह.... राहुल तेरे जैसा मर्द मैंने आज तक नहीं देखी तेरा दमदार लंड मेरी बुर को रगड़ कर रख दे रहा है .... मेरी बुर अंदर से पानी पानी हुए जा रही हे मेरे राजा .....और जोर से पेल और जोर से पेल मुझे..... अंदर तक घुस जा मेरी बुर में
...आहहहहहहहहह.........आहहहहहह.... (तब तक राहुल ने उसकी कामुक बातें सुनकर जोश में आकर दो जबरदस्त धक्के लगा दिए जिससे उसकी आह निकल गई) बस ऐसे ही .....ऐसे ही चोद मुझे मेरे राजा मैं तेरी दासी हो गई हूं मैं तेरे लंट की दीवानी हो गई हूं राहुल...
विनीत की भाभी इस तरह की चुदाई सें एक दम मस्त हो गई थी उसके मुंह में जो आ रहा था वह बोल रही थी राहुल भी उसकी बातें सुन सुनकर इतना जोश में आ गया था कि नीचे से उसकी गांड थामे धड़ाधड़ अपना लंड उसकी बुर में ठुस रहा था। 
राहुल भी विनीत की भाभी का दीवाना हो गया था वह उसे चोदते चोदते कभी उसकी चुचियों को दबाता तो कभी उसकी भरावदार गांड को मसलने लगता। दोनों को मजा आ रहा था विनीत की भाभी ने कभी भी ऐसी चुदाई का सुख प्राप्त नहीं की थी उसे चुदाई का एेसा सुख अब जाकर राहुल के साथ मिल रहा था।
ओह भाभी बहोत मजा आ रहा है। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आप जैसी खुबसुरत औरत को चोदने का सुख मुझे मिलेगा। ओहहओहहह.....भाभी ...स्सहहहहहहह....आहहहहहहहहह...भाभी....। 

राहुल भी जोर-जोर से सिसकारी लेते हुए चोदे जा रहा था। एक बार दोनों ही झड़ चुके थे इसलिए यह चुदाई कुछ लंबी ही चल रही थी तकरीबन 35 40 मिनट के पश्चात दोनों की साँसे तीव्र गति से चलने लगी दोनों के मुख से सिसकारी की आवाज भी तेज हो गई एक-दो जबरदस्त धक्कों के साथ ही दोनों का बदन अकड़ने लगा और दोनों ही एक साथ भलभलाकर झड़ने लगे । कुछ देर बाद दोनो ही एक दुसरे की बाहों में बाहों में डाल कर लेटे हुए थे।

धीरे-धीरे करके शाम ढल चुकी थी अस्पताल में अभी भी सोनू को बोतल का पानी चढ़ रहा था शाम ढलते देख, अलका परेशान हो रही थी। वीनीत उसके बगल में ही बैठा हुआ था। तभी डॉक्टर आया और सोनू का बुखार मापने लगा, बुखार मापकर अलका से बोला।

देखो मैडम बुखार अभी पूरी तरह से नहीं होता है बुखार को पूरी तरह से उतरने में समय लग जाएगा इसलिए आपको आज की रात अस्पताल में ही रुकना होगा क्योंकि पानी की दूसरी बोटल भी चढ़ानी पड़ेगी। डॉक्टर की बात सुनते ही अलका के पसीने छूटने लगे उससे कुछ बोला भी नहीं जा रहा था कि तभी विनीत बीच में बोल पड़ा।

कोई बात नहीं डॉक्टर साहब आज की रात हम यहीं रुक जाएंगे। 
( थोड़ी ही देर में चेकअप करके डॉक्टर चला गया लेकिन अलका परेशान होने लगी उसे राहुल की भी चिंता थी कि अगर घर नहीं गई तो राहुल परेशान हो जाएगा लेकिन विनीत ने उसकी परेशानी को दूर करते हुए बोला ।

बस रात भर की तो बात.हे आंटी जी सोनू का बुखार भी रात भर में पूरी तरह से उतर जाएगा तो सुबह में अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी। तो सोनू को लेकर अपने घर जा सकती हो। मैं अभी जाता हूं और सुबह से वापस आ जाऊंगा। ( विनीत के जाने की बात सुनकर अलका की परेशानी और बढ़ने लगी वहां विनीत के बॉली।) 

बेटा अगर तुम भी यही रुक जाते तो मुझे थोड़ी मदद मिल जाती।

( अलका की बात भला विनीत कैसे मना कर सकता था वह भी अलका के कहने पर वहीं रुकने का फैसला कर लिया। )
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10-09-2018, 03:36 PM,
#75
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
विनीत अलका से बोला।

ठीक है आप कहती हो तो मैं यहां रुक जाता हूं लेकिन मुझे घर पर फोन करना होगा। आप यहीं रुकिए मैं फोन करके आता हूं। ( अलका विनीत की बात सुनकर राहत की सांस ली और विनीत अपने घर पर फोन करने के लिए दो चार कदम पर गैलरी तक चला गया।) 

दूसरी तरफ वीनीत की भाभी जबरदस्त चुदाई का आनंद ले कर झड़ चुकी थी और राहुल के ऊपर लेटकर उसके होठों को अपने होठों में भर कर चुसाई कर रही थी। राहुल जी उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी गोरी चिकनी पीठ पर अपने हाथ को फेरते हुए वह भी हॉठ चुसाई का आनंद ले रहा था। विनीत की भाभी अच्छी तरह से जानती थी कि अर्धा एक घंटे में वीनीत किसी भी वक्त यहां आ जाएगा इसलिए वह तीसरे राऊंड की जल्दी से तैयारी करना चाहती थी। इसलिए वह राहुल के ऊपर से हटी नहीं थी उसकी दोनों चूचियां पके हुए आम की तरह राहुल के सीने पर अपना दबाव बनाए हुए थी और उसकी तनी हुई निपल उसके सीने में सुईयो की तरह चुभ रही थी। लेकिन यह चुभन राहुल के बदन के अंदर तक सनसनाहट फैला रही थी। राहुल अपने आप को बड़ा ही खुशकिस्मत समझता था और समझता भी क्यों नहीं तीन तीन औरते उसकी झोली में आकर गिरी थी। वह भी तीनों एक से एक बढ़कर, किसी की चूचियां एकदम गोल गोल थी तो किसी की चूची एकदम बड़ी बड़ी , किसी के नितंबों का घेराव एकदम सटीक था तो किसी का भरावदार देख कर ही लंड की नसें तन जाती थी। झड़ने के बाद राहुल का लंड अपना तनाव खो चुका था लेकिन फिर भी तनाव में ना होने के बावजूद भी इतना तो था ही कि उसके जरासे स्पर्श से वीनीत की भाभी अपनी बुर पर पाते ही उसे अंदर लेने के लिए चुदवासी हो जाती थी। 
विनीत की भाभी अब उसे तीसरे राऊंड के लिए तैयार कर रही थी उसे क्या तैयार कर रही थी वह खुद ही तैयार हो रही थी क्योंकि राहुल को तैयार होने में जरा सा भी वक़्त नहीं लगता था। वह राहुल के बदन पर लेटे लेटे ही एक हाथ नीचे ले जाकर राहुल के ढीले लंड को थाम ली और उसे आगे पीछे करती इससे पहले ही मोबाइल की घंटी बजने लगी। दोनों टेबल पर रखे पर्स की तरफ देखने लगे जिसमें से मोबाइल के बजने की आवाज आ रही थी।

कौन ईस समय रंग में भंग डाल रहा है। ( विनीत की भाभी बेमन से राहुल के बदन पर से उठते हुए बोली। वह मोबाइल उठाने के लिए राहुल के ऊपर से उठकर टेबल की तरफ जाने लगी राहुल उसे जाते हुए देख रहा था संपूर्ण नग्नावस्था में विनीत की भाभी एकदम कयामत लग रही थी चिकनी पीठ भरावदार नितंब, जब वह चलती थी तो नितंब के दोनों भाग उसके हर एक कदम पर ऊपर नीचे होकर राहुल की हालत को और खराब कर रहे थे। लंबी लंबी गोरी टांगे देख कर और उसकी भरावदार गांड की लचक देखकर राहुल के लंड में फिर से तनाव अाना शुरु हो गया। विनीत की भाभी टेबल के पास पहुंच कर अपने पर्स में से मोबाइल निकाल कर उसकी स्क्रीन पर देखी तो वीनीेत का नाम चमक रहा था। वह मन में ही कुछ सोचते हुए कॉल रिसीव कर ली।) 

हेलो विनीत क्या हुआ? 

बाकी कुछ नहीं एक दोस्त के वहां कुछ जरूरी है काम आ गया है जिसकी वजह से मुझे आज पूरी रात उसके घर रुकना पड़ेगा आज मैं नहीं आ पाऊंगा कल सुबह में ही आ पाऊंगा आपको कोई एतराज तो नहीं है।

( अपने देवर की यह बात सुनते ही विनीत के चेहरे पर मुस्कान फैल गई वह अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा प्रसन्न होने लगी लेकिन अपने इस प्रसन्नता को अपने होठों पर नहीं आने दे दीखावटी नाराजगी जताते हुए बोली।)

क्या वीनीत क्या करते हो तुम तो जानते हो कि तुम्हारे बगैर मेरी रात कैसे कटेगी। ( वीनीत को जानबूझकर ऐसा बोल रही थी ताकि उसको ऐसा लगे की उसके बिना उसे कुछ अच्छा नहीं लगता है। उसके बिना उसकी रात अधूरी रहती है। विनीत अपनी भाभी को जवाब देते हुए बोला)

क्या करूं भाभी काम ही ऐसा पड़ गया है कि मुझे रुकना ही पड़ेगा।


क्या सच में जरूरी काम पड़ गया है।

हां भाई सच में बहुत ही जरुरी काम है वरना मैं ऐसा कभी नहीं करता।

चल कोई बात नहीं आज के बाद करवटें बदल बदल कर ही रात गुजार दूंगी। 

ठीक है भाभी बाय।( इतना कहकर वीनीत ने फोन कट कर दिया। ) 

अलका के चेहरे पर मुस्कान दुखी नहीं रहे थे वह मुस्कुराते हुए मोबाइल की स्विच ऑफ करके पर्स में रख दें ताकि कोई और परेशान ना कर सके मोबाइल को पसंद रखने के बाद बहुत राहुल की तरह बढ़ी, बातचीत से तो राहुल को पता ही चल गया था की क्या बात है लेकिन फिर भी वह विनीत की भाभी से बोला।)

क्या बात है भाभी आप इतना किस बात पर मुस्कुरा रहे हो।

( एकदम नग्न अवस्था में राहुल की तरफ बढ़ते हुए) क्या बताऊं राहुल बात ही कुछ ऐसी है बस ऐसा लगता है कि ऊपर वाला हम दोनों पर मेहरबान हो गया है।

( राहुल अपने लंड को मुट्ठी में भरकर धीरे धीरे हिलाते हुए) 
ऐसा क्या हो गया है हमें भी तो बताओ।

राहुल आज सारी रात इस घर में मेरे और तुम्हारे सिवा दूसरा कोई भी नहीं होगा मतलब आज की रात सिर्फ मैं और तुम और मेरा बिस्तर आज तो एस ही ऐस हैं।

( विनीत की भाभी की बात सुनकर राहुल भी खुश हुआ आज रात भर वीनीत की भाभी के साथ वह भी मजे लेना चाहता था। लेकिन पल भर में उसे एहसास हो गया क्या घर पर भी जाना जरूरी है इसलिए थोड़ा उदास हो गया उसे उदास होता हुआ देखकर विनीत की भाभी बोली।

क्या बात है तुम क्यों उदास हो गए तुम्हें भी तो खुश होना चाहिए।

खुश होना चाहिए लेकिन घर पर मम्मी अकेली है वहां जाना भी तो जरुरी है।

( राहुल के जाने की बात सुनकर विनीत की भाभी परेशान सी हो गई उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे राहुल को रोकेगी तभी वह राहुल से बोली।) 

अच्छा क्या कह कर आए थे मतलब कुछ तो बहाना बनाए होगे इधर आने के लिए। 

यही कह कर आया था कि दोस्त के वहां पढ़ने के लिए जा रहा हूं। ( राहुल का जवाब सुन कर उसकी आंखों में चमक आ गई और वह झट से बोली।) 

तब तो काम बन गया तुम अपने घर पर यह कह दो कि इंपॉर्टेंट प्रोजेक्ट था जिसे पूरा करना बहुत जरूरी था इसलिए सारी रात अपने दोस्त के वहां रुक कर प्रोजेक्ट तैयार करते रहे। तुम अपने घर पर फोन कर लो रुको मैं फोन लेकर आती हूं। ( इतना कहकर वह फिर से मोबाइल लेने के लिए टेबल की तरफ बढ़ी ही थी राहुल उसे रोकते हुए बोला।)

भाभी मेरे घर पर भी फोन नहीं है।( राहुल की बात सुनकर विनीत की भाभी जहां थी वहीं रुक गई और वापस मुड़ते हुए बोली।) 
कमाल की बात है कि तुम्हारे घर पर भी मोबाइल नहीं है चलो कोई बात नहीं इतना तो तुम्हारी मम्मी को पता ही है कि तुम अपने दोस्त के वहां गए हो तो अगर रात भर रुक रुक अभी तो कोई चिंता की बात नहीं है कल जाकर सब कुछ बता देना ।
(राहुल को भी वीनीत की भाभी का यह सुझाव बढ़िया लगा और वह भी हामी में सिर हिला दिया। मिनट के बाद ही बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि उसका काम बनने वाला था पूरी रात बाहर राहुल के साथ गुलछर्रे उड़ाने के बारे में सोच-सोच कर ही गंनगना जा रही थी। इस बातचीत के दौरान राहुल का लंड थोड़ा सा ढीला पड़ चुका था। जिसे वीनीत की भाभी अपनी नरम नरम हथेलियों में लेकर सहलाते हुए बोली।)

क्या राहुल इस पर भी जुर्म ढाते हो इसको भी तुमने टेंशन में डाल दिया है इसीलिए तो देखो कैसा ढीला पड़ गया है। 

आप हो ना भाभी फिर से खड़ा कर दो।( इतना कहकर राहुल मुस्कुराने लगा और विनीत की भाभी ऊसे धीरे-धीरे मुठियाने लगी। विनीत की भाभी का हाथ लगते ही राहुल के सोए हुए लंड में हरकत होना शुरू हो गई लेकिन तभी विनीत की भाभी बोली।

राहुल हम दोनों के पास तो पूरी रात है क्यों ना ऐसा करते हैं कि चलकर थोड़ा नहा लेते हैं वैसे भी तुम्हारी चुदाई ने मेरे पसीने छुड़ा दिए हैं। ( राहुल को वीनीत की भाभी का यह सुझाव अच्छा लगा। और वह अभी नहाने के लिए तैयार हो गया।) 

मैं आज खाना भी आर्डर करके होटल से मंगा लेती हूं हम जब तक नहाएंगे तब तक खाना भी आ चुका होगा उसके बाद और मजा आएगा। 

इतना कहकर वह अपने पर्स मे से मोबाइल निकाल कर होटल में फोन लगाई और खाने का ओर्डर दे दी। इसके बाद वह अपने बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन राहुल वहीं बैठा रहा एक बार पीछे मुड़ कर देखी तो राहुल अपनी जगह पर बैठा हुआ था इसलिए उसे भी साथ आने को कही लेकिन राहुल को कुछ समझ नहीं आया बस वह भी उठ कर पीछे पीछे जाने लगा। दोनों पूरे कमरे में एकदम नंगे होकर के बिना किसी झिझक कि एक दूसरे के सामने ही चल रहे थे राहुल की नजर तो वीनीत की भाभी की भरावदार नितंब पर ही टिकी हुई थी। भरावदार नितंब का आकर्षण राहुल को हमेशा से ही लगा रहता था। विनीत की भाभी बाथरूम के दरवाजे के सामने खड़ी थी वह मुस्कुराते हुए दरवाजा खोली और राहुल को भी अंदर आने के लिए बोलि लेकिन राहुल था की हिचकीचा रहा था। उसकी हिचकिचाहट को दूर करते हुए विनीत की भाभी बोली।

अरे यहां खड़े रहोगे कि अंदर चलकर मेरे साथ नहाने का आनंद लूटोगे, आओ सावर के नीचे एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए नहाने का मजा ही कुछ और होगा।
( वीनीत की भाभी के बताए अनुसार मजा लूटने वाली बात से भाभी कल्पना के सुख सागर में गोते लगाते हुए बाथरुम के अंदर आ गया राहुल के अंदर आते ही वीनीत की भाभी ने बाथरुम का दरवाजा बंद कर दी। जैसे ही दोनों सावर के नीचे आए विनीत की भाभी ने शावर चालू कर दी और पानी का फव्वारा दोनों के गरम दिमाग को ठंडा करने लगा। दोनों का बदन पूरी तरह से पानी में भीगने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे दोनों बरसात में भीग रहे हो। दोनों एक दूसरे के बदन पर साबुन लगाने लगे। सागर से निकल रहा पानी का फव्वारा वीनीत की भाभी के सर पर पड़ते हैं पानी की बूंदे उसके बालों को गीला करते हुए गोरे बदन पर मोतियों की तरह फिसल रहे थे जिसे राहुल अपना जीभ लगा लगा कर चाट रहा था राहुल की इस हरकत पर वीनीत की भाभी के ऊ्तेजीत होने लगी थी। राहुल उसके बदन के हर कोने से टपक रही पानी की बूंदों को अपना जीभ लगा लगा कर चाट रहा था। उसकी दोनों तनी हुई चूचियों से उसके गाल से उसकी गहरी नाभि से तो कभी ऊसकी जाँघो के बीच की पतली दरार से

जहां पर राहुल अपनी जीभ लगाकर दरार पकड़कर टपक रही पानी की बूंदों को अपनी जीभ से चाट रहा था। इस तरह से वीनीत की भाभी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती है और वह सावर के नीचे नहाते हुए अपने दोनों हाथों से राहुल का सर पकड़कर अपनी बुर पर दबा देती और राहुल भी उत्तेजना बस अपने दोनों हाथों को उसकी भरावदार नितंब पर रखकर दबाते हुए बुर चाटने का आनंद लूट रहा था। राहुल की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी उसका लंड लोहे की छड़ की तरह टाइट हो चुका था। वह एकदम चुदवासा हो चुका था इस समय वह अपने लंड को उसकी बुर में डालकर चोदना चाहता था इसलिए वह खड़ा हुआ लेकिन उसे खड़ा होते ही विनीत की भाभी उसके खड़े लंड को अपने हाथ में भर ली और नीचे घुटनों के बल बैठ गई। उसे बैठते देर हुई नहीं कि वह पूरा लंड अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू करदी बड़ा ही कामुक दृश्य बना हुआ था बाथरूम के अंदर का। शॉवर चल रहा था उसमें से पानी का फव्वारा दोनों के बदन को भिगो रहा था और विनीत की भाभी घुटनों के बल बैठ कर भीगते हुए राहुल के लंड को चूस रही थी। राहुल ने हल्के हल्के कमर हिला कर उसके मुंह में ही धक्के लगाना शुरु कर दिया दोनों की गरम सिसकारी बाथरूम को और गरम कर रही थी। राहुल का पूरा लंड धक्के लगाने पर उसके गले तक समा जा रहा था लेकिन फिर भी विनीत की भाभी लंड को मुंह से बाहर निकालने का कष्ट उठा नहीं रही थी। ऊसे लंडचूसने में मजा आ रहा था। कुछ देर तक यूं ही वह सावर के नीचे देखते हुए लंड चूसने का मजा लेती रही लेकिन वह कुछ और चाहती थी इसलिए वह राहुल के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल कर खड़ी हो गई। और शॉवर की रफ्तार को कम करने के लिए जैसे ही शॉवर की नोब को घुमाने चली , तब तक राहुल की नजर उस की नंगी भरावदार गांड के ऊपर पर चली गई और उस पर उस से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह है विनीत की भाभी को पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए अपनी कमर को आगे की तरफ ऊचका दिया जिससे कि उसका तना हुआ लंड वीनीत की भाभी की भरावदार गांड की गहरी दरार में रगड़ खा गया जिससे वीनीत की भाभी का बदन पूरी तरह से झनझना गया।
वह कुछ समझ पाती है इससे पहले ही राहुल ने उसे अपनी बाहों में कस के दबोच लिया। और तुरंत अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को जांघों के बीच की दरार पर सेट करने लगा लेकिन इस तरह से राहुल अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर के छेद पर टीकाने में कामयाब नहीं हो पा रहा था। विनीत की भाभी उसकी इस असमर्थता को भाप गई और खुद ही एक टांग को टॉयलेट पोर्ट पर रखकर आगे की तरफ झुक गई और खुद ही एक हाथ अपने जांघों के बीच ले जाकर राहुल के लंड को थाम कर उसके सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच टीका दी, राहुल के लिए यह इशारा काफी था उसने भी एक पल का भी विलंब किए बिना अपने दोनों हाथों से उसके भरावदार गांड को दबोचते हुए अपनी कमर को आगे की तरफ धकेला ' कामरस और पानी की वजह से चिकनाहट पाकर लंड सट् से बुर के अंदर समा गया और दूसरे धक्के में तो वीनी़त की भाभी की चीख निकल गई। विनीत की भाभी उसे चुदाई के अध्ययन का हर एक अध्याय अपने तरीके से पठन करवा रही थी। और राहुल भी उसका ऐसा विद्यार्थी बन चुका था कि एक ही बार में उसका पर आया हुआ हर एक अध्याय में पारंगत होता जा रहा था। राहुल की कमर लगातार उसकी नितंबों पर आगे पीछे हो रही थी उसका लंड पानी में भीगते हुए बुर के अंदर बाहर हो रहा था। राहुल कि इस तरह की जबरदस्त चुदाई से मस्त होते हुए विनीत की भाभी भी
अपनी गांड को पीछे की तरफ चलते हुए राहुल के लंड को अपनी बुर में लेने की पूरी कोशिश कर रही थी। 
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10-09-2018, 03:36 PM,
#76
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
विनीत की भाभी बहुत ही काली औरत थी उसकी काम की प्यास कभी बुझती ही नहीं थी कुछ देर के लिए जरूर शांत हो जाती थी और राहुल भी अभी नया नया जवान होता लौंडा था उसकी काम पिपासा तो अभी-अभी उभरना शुरू हुई थी इसलिए एक के बाद एक कामसूत्र के हर आसन को आजमाते हुए आगे बढ़ता ही जा रहा था। राहुल धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था और विनीत की भाभी भी जवाबी कार्रवाई मे अपनी भरावदार गांड को पीछे की तरफ ठेल ठेल कर लंड ले रही थी। बड़ा ही कामुक नजारा बना हुआ था ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई विदेशी पोर्न मूवी चल रही हो। कुछ देर तक ठाप पर ठाप पड़ती रही शॉवर से पानी का फव्वारा नीचे गिर कर दोनों के बदन को भीगोता रहा
करीब बीस पच्चीस मिनट के बाद राहुल तेज धक्कों के साथ लंड का फुंवारा बुर के अंदर छोड़ने लगा दोनों एक साथ झढ़ने लगे। 

दूसरी तरफ विनीत और अलका अस्पताल के ऊपरी मंजिल पर टेबल पर बैठे हुए शीशे से बाहर नीचे की तरफ सड़क पर आती जाती तेज लाइट के साथ मोटर गाड़ी को देख रहे थे। अलका शांत नजर आ रही थी उसे सोनू की भी चिंता थी और राहुल की भी सोनू का बुखार धीरे धीरे कम हो रहा था। दोनों के बीच कोई भी वार्तालाप नहीं हो रही थी ख़ामोशी को तोड़ते हुए वीनीत बोला, ।

अब चिंता की कोई बात नहीं हे आंटी जी सोने का बुखार धीरे धीरे काम हो रहा है मैं नीचे जाकर कुछ खाने को ले आता हुं । इस तरह से भूखी रहेंगी तो आपकी भी तबीयत बिगड़ जाएगी और कुछ फल ले आता हूं सोनु के लिए। ( विनीत की बात सुनकर अल्का कुछ बोली नहीं बस हां में सिर हिला दी। वीनीत तुरंत 
वहां से उठा और नाश्ता लाने के लिए नीचे जाने लगा। अलका शांति आंखों से उसी तरह से नीचे की तरफ गाड़ियों को आते जाते देखती रही। कुछ देर बाद विनीत खाने के लिए कुछ नाश्ता ले आया और साथ में कुछ फल भी था। सोनू की आंख खुल चुकी थी वह भी राहत महसूस कर रहा था इसलिए विनीत खुद ही उसे फल काट कर देने लगा और वह भी भूखा था इसलिए फल खाने लगा अलका कभी सोनू को तो कभी वीनीतं को बिना पलक झुकाए देखे जा रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि विनीत का यह एहसान वह ं कैसे चुकाएगी। 
सोनू खा चुका था और विनीत अलका को जबरजस्ती खाने के लिए आग्रह करने लगा आखिरकार अलका भी
विनीत के आग्रह पर नाश्ता कर ले वैसे उसे भी भूख का एहसास तो हो ही रहा था नाश्ता करने के बाद उसका भी मन थोड़ा हल्का हुआ। 

रात के 10:30 बज रहे थे नर्स आई और सोनू का बुखार माफ कर ग्लूकोज का बोतल बदल कर दूसरा ग्लूकोज का बोतल लगा दी। और जाते जाते बोल कर गई की कोई भी तकलीफ हो नीचे आ कर के बता देना और हां सोते समय लाइट ओफ करके डिंम. बल्ब फोन कर लेना। 
नर्स जा चुकी थी ' जिस रूम में सोनु का इलाज हो रहा था इस रुम में सिर्फ तीन ही बेड थे । एक बेड पर सोनू लेटा हुआ था बीच में एक बेड खाली था और उसके किनारे वाले बेड पर एक और बच्चा एडमिट था। उसके साथ उसकी बुढ़ी दादी थी जो कि एक किनारे होकर उस बेड पर सो चुकी थी।खाली बेड पर हम दोनों बैठकर कुछ देर तक बातें करते रहे सोनू भी सो चुका था उसका बुखार भी लगभग उतर चुका था। धीरे-धीरे घड़ी की सुई घड़ी में 11:00 बजाने लगी। अब दोनों के सामने सोने की समस्या खड़ी हो चुकी थी। इस समस्या का समाधान लाते हुए विनीत ही बोला।

आंटी जी आप बेड पर सो जाइए मैं कुछ देर तक टेबल पर ही बेठता हूं, नींद आएगी तो दीवार से टेका ले कर सो जाऊंगा। ( इतना कहने के साथ ही दिन एक छोटे से टेबल पर जाकर बैठ गया अलका मन ही मन में सोचने लगी कि यह मेरे लिए इतना कुछ किया है तो क्या बेड पर एक साथ सोने में क्या हर्ज है। क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानती थी की सोने की ओर कोई जगह नहीं थी। अलका सोनू के बेड पर नहीं सोना चाहती थी क्योंकि वह उसे परेशान नहीं करना चाहती थी बड़ी मुश्किल से उसका बुखार उतरा था। उसे आराम की जरूरत थी। बहुत सोच समझकर उसने मन ही मन में फैसला कर लि। उसे अब इस बात पर दिक्कत नहीं थी कि एक बेड पर वह दोनों साथ में सोए क्योंकि जो आज दिनभर ऊसने सोनू और अलका के लिए निस्वार्थ भाव से उन दोनों की मदद किया था। अलका को लगने लगा था कि अगर वह उसे बेड पर सोने भर की जगह नहीं दे सकती तो वह खुद गर्ज कहलाएगी। और अलका को विनीत के आज के व्यक्तित्व से ऐसा लग रहा था कि वह बुरा लड़का नहीं है। इसलिए वह विनीत से बोली।

विनीत टेबल पर तुम्हें नींद कैसे आएगी एक काम करो तुम भी यही एक किनारे पर आकर बेड पर सो जाओ। 
( वैसे भी तीनों बेड के किनारे किनारे पर बड़ा बड़ा सा परदा लगा हुआ था । इसलिए अलका को एक साथ सोने में कोई हर्ज दिखाई नहीं दे रहा था । लेकिन अलका के इस फैसले से विनीत के मन में लड्डू फूटने लगा था।)
विनीत की भाभी और राहुल दोनों नहा चुके थे और होटल से खाना भी आ चुका था। आज पहली बार राहुल डाइनिंग टेबल पर खाना खा रहा था नहाने के बाद विनीत की भाभी ने उस दिन स्टोर में से खरीदी हुई ब्रा और पेंटी जिसमें से पहनने के बावजूद भी छुपाने लायक कुछ भी नहीं बचता था। राहुल तो नई ब्रा और पैंटी में वीनीत की भाभी को देखकर एकदम मदहोश होने लगा था। और इस पर भी कहां रहते हुए विनीत की भाभी ने ट्रांसपेरेंट गाउन जो की एक छोटी सी फ्रॉक के ही बराबर थी उसे पहन ली थी विनीत की भाभी का संगमरमर सा बदन इन कपड़ो में भी साफ साफ झलक रहा था उसकी बड़ी बड़ी चूचियां जोकी ब्रा में कैद होने के बावजूद भी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को झलक रही थी और दोनों गोलाईयों के बीच में से गुजरती गहरी लकीर गजब का कहर ढा रहे थे चिकने सपाट पेट के बीच की गहरी नाभि बुर से कम कामुक नहीं लग रही थी। पेंटी भी क्या थी बस आगे से बुर की लकीर भर छुपाने के लिए दो अंगूल का कपड़ा वह भी बिल्कुल जालीदार जिसमें से उसकी गुलाबी पत्तियां साफ-साफ नजर आती थी और पीछे से बस एक पतली सी डोरी
और वह भी भरावदार गांड की फांकों के बीच की दरार में समा जाती थी। गीले बालों से टपकता पानी उसके बदन से फिसलते हुए नीचे फर्श पर गिर रहा था। जिस की खूबसूरती देखकर किसी का भी मन डोल जाए इस समय वह बिल्कुल काम की देवी लग रही थी जो की उसके सामने की कुर्सी पर बैठ कर खाना खा रहीे थी। राहुल सिर्फ तोलिया लपेट कर ही कुर्सी पर बैठ कर खाना खा रहा था। दोनों एक दूसरे से बातें करते हो डिनर का आनंद ले रहे थे थोड़ी ही देर में दोनों खाना खा लिए। दोनों के मन में आगे की क्रिया कलाप को लेकर उत्सुकता जगी हुई थी दोनों का मन मयूर नाच रहा था क्योंकि उन्हें अच्छी तरह से मालूम था कि पूरी रात अब उनकी मुट्ठी में है । बेझिझक होकर वे दोनो अपनी काम कलाप को अंजाम दे सकेंगे। इसलिए तो विनीत की भाभी एक पल भी गवाना नहीं चाहती थी इसलिए डाइनिंग टेबल पर ही झूठे बर्तन को छोड़कर वह राहुल को लेकर अपने बेडरूम में चली गई। 

दूसरी तरफ अस्पताल में विनीत अंदर ही अंदर प्रसन्नता के शिखर पर चढ़ रहा था अलका उसे अपने साथ सोने के लिए तो मंजूरी दे दी थी लेकिन उसके मन में भी असमंजसता का भाव उमड़ रहा था। अलंका वीनीत के एहसान तले दबी हुई थी, कोई और वक्त होता तो वह जरूर अपने बिस्तर पर उसे बैठने भी नहीं देती लेकिन यहां हाल कुछ और ही था पूरी तरह से माहौल हालात की काबू में चला जा रहा था। अगर ऐसे हालात ना होते तो शायद इस तरह की असमंजसता अलका के मन में कभी भी नहीं होती। धीरे-धीरे समय गुजर रहा था अलका को भी नींद आने लगी थी लेकिन अभी भी वह बेड पर बैठी हुई थी विनीत भी टेबल पर बैठकर अलका को ही देख रहा था। काफी समय गुजर गया था । किनारे वाले पेड पर बच्चे की बूढ़ी दादी और वह बच्चा न जाने कब से सो चुके थे सोनू भी गहरी नींद में था विनीत को भी नींद आने लगी थी, अलका बैठे बैठे ही झपकी ले रही थी झपकी लेते समय अचानक रह-रहकर ऊसकी आंखें खुल जाती तो वह विनीत की तरफ देख लेती जो कि अभी भी टेबल पर बैठा हुआ था
उसे देखकर अलका उसे बिस्तर पर आकर सोने के लिए बोली और खुद बिस्तर पर लेट गई क्योंकि उसे गहरी नींद की झपकी लग रही थी। वह कुछ देर तक टेबल पर बैठकर अलका की तरफ देखता रहा जोंकि सो चुकी थी
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10-09-2018, 03:36 PM,
#77
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
वह एक किनारे पर सोई हुई थी। उसने दिनेश को सोने के लिए एक किनारे की जगह खाली कर रखी थी वैसे बेड सिंगल ही बेड था, ऊसपे एक ही इंसान आराम से सो सकता था जो कि बच्चों के लिए ही बना हुआ था लेकिन यह मजबूरी थी इसलिए छोटे से बेड पर दो जन को सोना पड़ रहा था। विनीत सोने के लिए टेबल पर से खड़ा हुआ तभी उसे ध्यान आया कि दरवाजा तो खुला ही है इस तरह से खुला छोड़ देना ठीक नहीं था क्योंकि अलंकार और विनय दोनों साथ सोने वाले थे और दरवाजा खुला रहा तो कोई भी आकर देख सकता है इसलिए उसने दरवाजे की कड़ी लगा दिया और सभी बत्तियों को बुझाने के बाद डिम लाइट ऑन कर दिया। उसके मन में अजीब से सुख की अनुभूति हो रही थी अलका के साथ सोने भर की स्थिति को जानकर वहउत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था। उसके पूरे बदन में गुदगुदी सी मची हुई थी वह अपनी स्थिति को बयान नहीं कर पा रहा था। धीरे-धीरे वह बेड के करीब जाने लगा अलका सो चुकी थी वह भी बेड पर बैठते हुए पर्दे को नीचे गिरा दिया अब पर्दे के अंदर सिर्फ विनीत और अलका ही रह गए थे। उसके लंड में पूरी तरह से तनाव आ चुका था इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था कि ऐसा लग रहा था कि कही उसके लंड की नसें फट न जाए। वह कुछ देर तक यूं ही बेड पर बैठा रहा और फिर पीठ के बल लेट गया, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें महीनोे से जिसके पीछे पड़ा था जिस को भोगने की लालसा मन में लिए दिन-प्रतिदिन कामेच्छा का अनुभव किया करता था आज वह औरत उसके बिल्कुल करीब एक ही बिस्तर पर लेटी हुई थी। दो बार अलका के साथ संबंध बनाने की कोशिश कर चुका वीनीत इस समय अलका के व्यक्तित्व के आगे न जाने की सोच में पड़ गया था। बेड छोटा होने की वजह से दोनों का बदन आपस में सदा हुआ था। अलका के बदन का स्पर्श उसके बदन में रोमांच की स्थिति को पैदा कर रहा था। उसने नजरें घुमा कर देखा तो अलका सो चुकी थी उसकी नजर धीरे-धीरे उसके चेहरे से नीचे की तरफ बढ़ने लगी सोने की वजह से उसका आंचल जरा सा सीने से ढलग गया था जिसकी वजह से उसकी ब्लाउज मे कैद बड़ी बड़ी चूचियां सांस लेने की वजह से सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही थी और विनीत और ऊपर-नीचे हो रही चूचियों को देखकर अंदर ही अंदर गनंगना गया उसकी जांघों के बीच सुरसुराहट होने लगी। उसके मुंह में पानी आ गया वह उन चुचियों को छूना चाहता था दबाना चाहता था उनसे प्यार करना चाहता था लेकिन इस समय ना जाने किस वजह से वह यह सब करने में हिचकिचा रहा था जबकि इससे पहले दो बार खुद ही आगे बढ़ने की पूरी कोशिश कर चुका था लेकिन आज अलका का व्यक्तित्व वीनीत को आगे बढ़ने से रोक रहा था या यूं कहो उसे आज ना जाने क्यों एक अजीब सा डर लग रहा था। वह अलंका की उठते-बैठते चुचीयों को देख कर मन ही मन ललचा रहा था। उसे एक अजीब प्रकार का डर मन में बैठ गया था कि अगर अस्पताल में वह भी इस समय जबकि उसका बेटा बीमार है ऐसे में उसके साथ कोई गंदी हरकत करेगा तो शायद वह हमेशा के लिए उससे नाराज हो जाए और वह अलका जेसी दोस्त के ही समान इंसान को खो दें और वह यह नहीं चाहता था कि उसकी ऐसी गलती की वजह से अलका से दूर हो या उसकी नाराजगी मोड़ ले। 
विनीत इसी वजह से अलका के साथ कुछ भी करने से हीचकीचा भी रहा था ओर डर भी ं रहा था। उसका लंड पैंट के अंदर फुल टाईट था जिसमें उसे मीठा मीठा दर्द का अहसास भी हो रहा था। क्या करता धीरे-धीरे पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए गर्म आहें भर कर कब ऊसे नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला।

और दूसरी तरफ राहुल विनीत की भाभी की कपड़े उतार रहा था वैसे भी उतारने जैसा कुछ था ही नहीं, वैसे तो राहुल ने बहुत बार औरतों के कपड़ों को उठा रहा था लेकिन इस समय विनीत की भाभी के ट्रांसपेरेंट गाउन को उतारते समय उसे कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का एहसास हो रहा था। अगले ही पल राहुल विनीत की भाभी का गांऊन उतारकर बिस्तर पर फेंक दिया। ओर उसे अपनी बाहों में भरकर उसकी सुराहीदार गर्दन को चूमने लगा जिससे वीनीत की भाभी की उत्तेजना बढ़ने लगी और वह भी राहुल टॉवल को खोलने लगी। अगले ही पल वह उसकी गर्दन को उसके गाल को होठ को चुमता रहा और तब तक वीनीत की भाभी ने उसके बदन से टॉवल को उतारकर नीचे फर्श पर फेंक दी। 
टावर के नीचे राहुल कुछ नहीं पहना था इसलिए उस का टनटनाया हुआ लंड उसकी आंखों के सामने झूलने लगा
जिसे देखते ही विनीत की भाभी के मुंह में पानी आ गया। और उससे रहा नहीं गया और उसने आगे हाथ बढ़ा कर लंड को अपनी हथेली में भर ली और उसे हिलाने लगी। राहुल उसे पागलों की तरह चुमते हुए अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर उसकी ब्रा के हुक को खोलने लगा , हुक के खुलते ही वीनीत की भाभी खुद ही अपनी ब्रा को निकाल फेंकी ब्रा की कैद से दोनों कबूतर आजाद होते ही फड़फड़ाने लगे जिसे राहुल अपनी दोनों हथेलियों में भरकर सहलाते हुए उसे प्यार करने लगा। वीनीत की भाभी के आंखों में खुमारी छाने लगी चुदास का नशा उसके चेहरे पर साफ साफ नजर आ रहा था उससे अपनी उत्तेजना दबाए नहीं दब रही थी और वह राहुल का सिर पकड़कर उसके मुंह को अपनी चुचियों से सटा दी। राहुल भी भूखे बच्चे की तरह चुचियों को मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया। विनीत की भाभी की गरम सिसकारी गूंजने लगी राहुल लगातार कभी इस चूची को तो कभी दूसरी चूची को मुंह में भर भर कर पीना शुरु कर दिया। दोनों मदहोशी के आलम में खोने लगी थी।

ससससहहहहहह....आहहहहहहहहहहह....राहुल.... और जोर से पी दबा दबा कर पी मेरे राजा .....ससससहहहहह.....ऊहहहहहहहह.....म्मा...... हां ऐसे ही जोर-जोर से पी.....

विनीत की भाभी की गरम बातें सुनकर राहुल पूरी तरह से जोश में आ गया था। और वह दोनों हाथों से चूचियों को दबा दबा कर पीना शुरू कर दिया था। कुछ देर तक राहुल उसकी चुचियों को पीता रहा और वह भी मस्त होती रही लेकिन धीरे-धीरे राहुल का हाथ उसके चिकने पेट से होते हुए पेंटि के ऊपर से ही बुर को सहलाना शुरू कर दिया। पेंटी एकदम जालीदार थी इसलिए उसकी उंगली सीधे गुलाबी पत्तियों से स्पर्श हो रही थी जिसको करते हुए वह खुद भी गरम हो रहा था और विनीत की भाभी को भी गर्म कर रहा था थोड़ी ही देर में दोनों एकदम गरम हो गए। विनीत की भाभी से अब बिल्कुल सहन नहीं हो रहा था और वह खुद ही अपनी पैंटी को अपने हाथों से उतार फेंकी, पैंटी को अपने बदन से अलग करते ही दोनों बिल्कुल नंगे हो गए राहुल का लंड उस के नंगे बदन को देखकर ठुनकी मारने लगा। 
इस समय विनीत की भाभी के दिमाग में कुछ और चल रहा था, वह उठ कर बैठ गई,

वह एकदम डॉगी स्टाइल में हो गयी घुटने और कोहनी के बल बैठकर अपनी भरावदार गांड को ऊपर की तरफ उचका दी , राहुल सोचा कि यह पीछे की तरफ से चुदवाना चाहती हैं वह अपने लंड को हिलाते हुए उसकी गांड के पीछे गया ही था कि वीनीत की भाभी बोली। 

राहुल आज मैं तुम्हें बिल्कुल नया प्रकार का मजा देना चाहती हूं तुम एकदम मस्त हो जाओगे लेना चाहोगे एसा मजा।( विनीत की भाभी पीछे राहुल की तरफ देखते हुए बोली और राहुल बलात्कार इंकार करने वाला था उसे तो बस मजा चाहिए था। इसलिए वह बोला।) 

हां भाभी क्यों नहीं। 

तो एक काम करो, तुम्हें मेरी बुर दिखाई दे रही है । 

हां भाभी एकदम साफ साफ दीखाई दे रही है।( अपने लंड को हिलाते हुए बोला) 
( राहुल का जवाब सुनकर विनीत की भाभी मुस्कुराने लगी और फिर बोली)

और उसके ऊपर का तुम्हें भूरे रंग का जो छेंद हे वो दिखाई दे रहा है।

हां भाभी वो भी दिखाई दे रहा है। 

बस राहुल मेरे राजा अब तुम्हें उसी छेद को अपनी जीभ से चाटना है चाटोगे ना। 
( विनीत की भाभी के मन में शंका थी कि राहुल साइड इंकार कर देगा क्योंकि राहुल भी अच्छी तरह से जानता था कि वह उसकी गांड का भूरे रंग का छेद है और विनीत की भाभी ने इतनी नशीली और कामुक आवाज़ में उससे यह बात कही थी कि राहुल के लिए इनकार करने का कोई भी बहाना नाथा। )

भाभी मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं तुमने जो मुझे ऐसा सुख दिया है कि मैं उसे जिंदगी भर भूल नहीं सकता तुम्हारे इस भूरे रंग के छेद को तो क्या मैं किसी भी चीज को तुम्हारे बदन में किसी भी जगह को अपनी जीभ से चाट सकता हूं। 
राहुल का इतना कहना भर ही था कि वह खुद अपने घुटनों के बल बैठ कर उसकी भरावदार गांड को अपनी हथेलियों में थाम लिया और अपनी जीभ को उसे भूरे रंग के छेद पर टिका कर चाटने लगा, जैसे ही राहुल की जीत भूरे रंग के छेद से स्पर्श हुई विनीत की भाभी पूरी तरह से गनंगना गई उत्तेजना के मारे उसकी रीढ़ की हड्डी एकदम टाइट हो गई। और उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई यह चीख बहुत ही कामुक थी। पहले तो राहुल को उस भूरे रंग के छेद का स्वाद कुछ कसैला सा अजीब सा लगा' लेकिन राहुल के मन मस्तिष्क पर वासना का भूत इस तरह से छाया हुआ था कि उन्मादित अवस्था में उसे भूरे रंग के छेद का कसैला स्वाद भी एकदम मधुर लगने लगा और वहां मस्ती के साथ अपनी जीभ से चाट चाट कर मजा लेने लगा विनीत की भाभी तो एकदम चुदवासी हो गई, उसे इतना ज्यादा आनंद का अहसास हो रहा था कि शब्दों में उसका वर्णन करपाना शायद मुश्किल हो। वीनृत की भाभी सिसकारी लेते हुए अपनी बड़ी-बड़ी भरावदार गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपनी गांड चटवाने का आनंद ले रही थी। दोनों को खूब मजा आ रहा था विनीत की भाभी रह रह कर अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल दे रही थी। राहुल को तो इस बात का एहसास तक नहीं था कि औरत की गांड को चाटने में बुर चाटने से ज्यादा मजा आता है। औरत की गांड चाटने में बदन में एक अजीब प्रकार की सनसनी सी फैल जाती है। आज राहुल औरत की गांड को चाटकर एक अद्भुत और अतुल आनंद की अनुभूति कर रहा था यह पल उसके लिए बहुत खास था आज मिनट की भाभी ने उसके अध्ययन में एक नया अध्याय जोड़ दि थी। जिसका वह बेहद आनंद ऊठा रहा था। 
तभी वीनीत की भाभी के अगले निवेदन पर राहुल के तोते ऊड़ गए ,ऊसे अपने कानो पर विशवास ही नही हुआ ,वह भी क्या करता ऊसने बात ही कुछ ऐसी कह दी थी। इसलिए तो राहुल ने दोबारा उससे पूछा।

क्या कहा भाभी आपने मुझे ठीक से सुनाई नहीं दिया

(वीनीत की भाभी यह अच्छी तरह से जानती थी की राहुल सब कुछ सुन चुका है लेकिन उसे अपने ही कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। इसलिए वह अपनी बात को दोहराते हुए बोली।) 

राहुल....स्सहहहहह...... जिस छेंद को तुम....ऊहहहहहह...म्मा....( राहुल लगातार उस छेंद को चाटे जा रहा था इसलिए लगातार विनीत की भाभी के मुंह से गर्म सिसकारी निकल रही थी।) चाट कर मुझे....स्सहहहहहहहहहहह....मस्त कर दीए हो....ऊसमे तुम्हे तुम्हारा मोटा लंड डालकर चोदना है। 

वीनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल एकदम से सन्न रह गया । राहुल को सच में उसकी बातों पर और अपने कानों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ था। क्योंकि ऊसे आज तक यह पता ही नहीं था कि उस भूरे रंग के छेद में भी लंड डाल कर चोदा जाता है। वह इस वास्तविकता से बिल्कुल अनजान था। उसे इस तरह से आश्चर्य में पड़ता हुआ देखकर वीनीत ं की भाभी बोली

क्या हुआ राहुल क्या सोच रहे हो।

भभभ....भाभी .... यह आप क्या कह रही हैं? मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है। ( राहुल हकलाते हुए बोला) 

इसमें क्या समझने वाली बात है जिस तरह से तुम अपने लंड को मेरी बुर के छेद में डाल कर चोदते हो बस उसी तरह से तुम्हें मेरे इस छेंद में भी अपने लंड को डालकर चोदना है।


कककक....क्या ..... इसमें कैसे जाएगा भाभी? 
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10-09-2018, 03:36 PM,
#78
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अरे सब जाएगा मेरा यकीन करो मैं अपने छेंद में तुम्हारे पूरे लंड को ले लूंगी, और तुम्हें भी इसे चोदने में इतना मजा आएगा कि पूछो मत उसके बाद तो तुम मेरी बुर नहीं बल्कि मेरी गांड ही मारोगे। 
( भाभी के मुंह से ऐसी खुली गंदी बातें सुनकर के राहुल का जोश सातवें आसमान पर पहुंच गया वह भी उसकी बातों से गांड मारने के लिए बेताब होने लगा। ) 

मारोगे ना मेरी गांड( विनीत की भाभ़ी एक बार फिर से राहुल से पूछी और राहुल ने भी हामी भर दिया। राहुल की हामि होते ही विनीत की भाभी अत्यधिक प्रसन्न हुए और अपने चेहरे पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बोली)
रुक जाओ राहुल पहले मैं तुम्हारे लंड को चूस कर एकदम गीला कर दूं ताकि जब तुम मेरी गांड में अपना लंट डालो तो आराम से अंदर जा सके ।

(इतना कहकर वह फिर से सीधे बैठ गई और राहुल के लंड को अपने हाथ में थाम कर उसे मुंह में भर कर चूसने लगी। लंड को मुंह में जाते ही राहुल का पूरा बदन अकड़ने लगा वह आनंद के सागर में गोते लगाने लगा, वीनीत की भाभी राहुल के लंड को पूरा मुंह में भरकर अपने लार और थुक के साथ गीला करने लगी ताकि उसकी गांड के भूरे रंग के छेद में आराम से जा सके। और थोड़ी ही देर में विनीत की भाभी ने राहुल की लंड को चूस कर पूरी तरह से लसलसा बना दी। अब वह पूरी तरह से तैयार थी गांड मरवाने के लिए और राहुल भी उत्सुकता पहली बार गांड मारने के आनंद की अनुभूति करने के लिए। 
विनीत की भाभी पहले थे वैसे ही फिर से डॉगी स्टाइल में हो गयी लेकिन इस बार अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही उचका दी , राहुल उसकी भरावदार बड़ी-बड़ी और गोल गांड देखकर के मदमस्त हो गया, उसकी गांड का भूरे रंग का छेंद साफ नजर आ रहा था जो कि वह भी थुक की वजह से लसलसा हो गया था। राहुल अपने लंड को हिलाते हुए उसकी गांड की तरफ बढ़ा, राहुल घुटने के बल ही आगे की तरफ बढ़ रहा था लेकिन उसे यह समझ में आ गया की युं घुटनों के बल ही खड़े रहकर उसका लंड गांड के भूरे रंग के छेद तक नहीं पहुंच पाएगा इसलिए वह खड़ा हो गया वीनीत की भाभी अपनी नजरें पीछे करके राहुल की हरकत को देखे जा रही थी। राहुल पूरी तरह से विनीत की भाभी के ऊपर जाने की तैयारी कर चुका था वह अपने लंड को उस भूरे रंग के छेद पर टीका दिया, जैसे ही लंड का मोटा सुपाड़ा विनीत कि भाभी को अपनी गांड के छेद पर महसूस हुआ उसका पूरा बदन कामोत्तेजना का एहसास करते हुए अकड़ने लगा एक अजीब सी सुख की अनुभूति उसके पूरे बदन में फैल गई। मोटे सुपाड़े का घेराव उस भूरे रंग के छेद को ढक दिया ' राहुल को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर कार ईस छोटे से छेद में उसका मोटा लंड जाएगा कैसे। राहुल सुपाड़े को अंदर डालने की कोशिश किए बिना ही यूं ही टिकाकर खड़ा रहा तो विनीत की भाभी उत्तेजित अवस्था में बोली।

ओहहहह.... राहुल ....अब इंतजार किस बात का है लोहा गरम है मार दो हथोड़ा ....मैं तो तड़प रही हूं तुम्हारे लंड को अपनी गांड के अंदर लेने के लिए बस राहुल डालो धीरे-धीरे.....
( वीनीत की भाभी मदहोश होते हुए बोली ' लेकिन राहुल के मन में उस छोटे से छेद को लेकर के शंका थी इसलिए वह सिर्फ इतना ही बोला।)

जाएगा भाभी? 

हां मेरे राजा जरूर जाएगा तुम अंदर सरकाओ तो सही। ( विनीत की भाभीी की बात सुनकर राहुल अपने गीले लंड को धीरे-धीरे अंदर की तरफ ताकत लगाते हुए सरकाने की कोशिश करने लगा, और उसके आश्चर्य के साथ उसके लंड का मोटा सुपाड़ा गांड के छेद का चिकनाहट पाकर धीरे धीरे अंदर की तरफ सरकने लगा जो छेद सुपाड़े की आड़ में ढंक सा गया था वही अब अपने आप खुलते हुए सुपाड़े को अपने अंदर ले रहा था राहुल तो मस्त हुए जा रहा था। वाकई में राहुल हल्का-हल्का ताकत लगाते हुए लंड को अंदर की तरफ ले जा रहा था और लंड का सुपाड़ा धीरे-धीरे उस भूरे रंग के छेंद की गहराई में उतरता जा रहा था। दोनों की सांसे अटकी हुई थी विनीत की दवा भी अच्छी तरह से जानती थीे कि राहुल के लंड के साथ-साथ उसका सुपाड़ा भी काफी मोटा था। और उसे लेने में उसको तकलीफ भी हो रही थी लेकिन उसकी उत्सुकता भी उसे पूरा अंदर लेने की बढ़ती जा रही थी। जैसे जैसे ताकत लगाकर वह अंदर की तरफ उतार रहा था वैसे वैसे विनीत की भाभी का मुंह दर्द के कारण खुला का खुला रह जा रहा था। थोड़ी मेहनत और ताकत दिखाने के बाद राहुल के लंड का मोटा सुपारा उसे छेंद में पूरा समा चुका था। दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे, राहुल की सांसे तेज चल रही थी वह अपने दोनों हाथों से वीनीत की भाभी की भरावदार गांड को थामे हुआ था। 
रह-रहकर उत्तेजना के कारण विनीत की भाभी का पूरा बदन कांप जा रहा था। तभी राहुल ने कमर को आगे की तरफ धकेला तो करीब आधा लंड उसकी गांड में समा गया यह देखकर राहुल की खुशी का ठिकाना ना रहा है क्योंकि ईतने मैं समझ गया था कि गांड मारने में ज्यादा मजा आने वाला है। तभी राहुल थोड़ा पोजीशन बना कर दोनों हथेलियों में उसकी भरावदार गांड को दबोच कर एक करारा धक्का लगाया ओर लंड सब कुछ चीरते हुए उस भूरे रंग के छेद में समा गया।
जैसे ही राहुल का पूरा लंड भाभी की गांड के छेद में अंदर गहराई तक पहुंचा वैसे ही विनीत की भाभी दर्द से बिलबिला उठी उसके मुंह से चीख सी निकल गई और उसकी चीख सुनकर राहुल ज्यों का त्यों गांड में लंड ठुसे खड़ा रहा, विनीत की भाभी को वास्तव में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था वैसे तो उसने बहुत बार विनीत और कई लोगों से गांड मरवा चुकी थी लेकिन राहुल का हथियार उन लोगों से कुछ ज्यादा ही दमदार था जो कि उसकी चीख निकाल दिया था। वह अपने दर्द को दबाने के लिए दांत से अपने होठ चबा रही थी, लेकिन दर्द है ज्यों का त्यों बना हुआ था। कुछ देर तक विनीत की भाभी कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं थी वह ज्यो कि त्यों अपनी गांड उचका कर घुटनों के बल बैठी हुई थी। उसे अपनी गांड के छेद के ऊपर हिस्से पर ज्यादा दर्द का अनुभव हो रहा था कुछ देर तक दोनों शांत रहे थोड़ी देर बाद विनीत की भाभी का दर्द कम होने लगा तो राहुल खुद ही अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में वीनीत की भाभी का दर्द गायब हो गया और उस दर्द की जगह उन्माद और आनंद ने ले लिया। राहुल तो यकीन ही नहीं कर पा रहा था कि वाकई में गांड मारने में इतनी ज्यादा आनंद मिलता है। यह छेंद बुर की गुलाबी छेंद से ज्यादा कसा हुआ था इसलिए राहुल को लंड अंदर बाहर करने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था वीनीत की भाभी भी मजे ले लेकर अब खुद ही अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल रही थी। राहुल तेज धक्के लगाते हुए उसकी गांड मारने लगा हर धक्के के साथ विनीत की भाभीअंदर तक हिल जा रही थी। विनीत की भाभी जितना अंदाजा लगाई थी उससे कई गुना ज्यादा उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी। राहुल ने कभी सोचा नहीं था कि इस तरह का भी मौका हाथ में आएगा वह खूब जोरों से भाभी की भरावदार गांड को दोनों हाथों में दबोच कर चोद रहा था करीब 20 25 मिनट के बाद दोनों की सांसे तेज चलने लगी राहुल सिसकारी लेते हुए तेज धक्के लगा रहा था। बुर चोदने से ज्यादा ऊत्तेजना का अनुभव उसे गांड मारने मे महसुस हो रहा था। 
ओर फीर पांच सात तेज धक्को के साथ ही राहुल के लंड ने गरम पानी की पिचकारी उसके भुरे रंग के छेंद मे दो मारा। दोनों तृप्त हो चुके थे। दोनो के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ दिखाई दे रहे थे।

दूसरी तरफ अस्पताल में अलका की नींद खुल चुकी थी। क्योंकि उसे उसके नितंबों के बीच कुछ चुभता हुआ सा महसूस हो रहा था। वह वीनीत की तरफ पीठ करके गहरी नींद में लेटी हुई थी लेकिन उसे नितंबों के बीच कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ तो उसकी नींद खुल गई उसे इसका एहसास हो गया कि विनीत भी उसकी तरफ करवट लेकर लेटा हुआ है लेकिन उसे यह पता नहीं था कि वह सो रहा है या जाग रहा है। अलका को जब इस बात का एहसास हुआ कि उसकी नितंबों के बीच में चुभती हुई वह चीज क्या है तो वह पूरी तरह से सिहर उठी, उसका पूरा शरीर झनझना गया, वह विनीत का लंड था जो की पूरी तरह से टाईट हो चुका था। अलका को तो कुछ समझ में ही नहीं आया कि वीनीत कर क्या रहा है कि तभी अचानक पहले की दो बार की घटनाएं 
उसकी आंखों के सामने तेरने लगी जब विनीत ने उसके साथ छूट छूट लेने की पूरी कोशिश की थी। उसका ख्याल होते ही उसके अंदर डर का एहसास होने लगा उसे लगातार उसका लंड नितंबों पर चुभता महसूस हो रहा था वह कुछ कर सकने की स्थिति में भी नहीं थी उसे तो यहां तक यह भी नहीं मालूम था की वीनीत सो रहा है या जाग रहा है क्योंकि इससे ज्यादा हरकत हो ही नहीं रही थी। करीब 1015 मिनट से अलका परेशान होते हुए कसमसा रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें, और वास्तविकता यही थी कि वीनीत ईस समय गहरी नींद में था, उसे इस बारे में कुछ भी पता नहीं था हां कल का क्या ख्याल करते हुए उसे कब नींद लग गई थी उसे खुद को पता नहीं चला था और उस समय वह काफी उत्तेजित अवस्था में था और नींद में ही करवट लेने की वजह से अलका के नितंब विनीत की जांघों से सट चुके थे जिसकी वजह से उसका खड़ा लंड अलका की साड़ी के ऊपर से ही उसकी भरावदार गांड की फांकों के बीच ठोकर लगा रहा था।
इस तरह से लगातार गांड की फांकों के बीच खड़े ल** की ठोकर लगने की वजह से वह धीरे धीरे उत्तेजित होने लगी उसकी आंखों में भी खुमारी का नशा छाने लगा वह कसमसाते हुए अपने बदन को आगे की तरफ ले जाने की कोशिश कर रही थी लेकिन इस कोशिश में वह नाकाम सी होती जा रही थी क्योंकि कहीं ना कहीं उसे भी यह लंड की रगड़ अच्छी लगने लगी थी, वैसे भी बेड इतना छोटा था कि इससे आगे वह जा ही नहीं सकती थी । इतनी देर में तो उसको भी यह आभास हो चुका था कि विनीत जग नहीं रहा बल्कि सो रहा है इसलिए वह थोड़ा शर्मिंदगी महसूस करते हुए अपने बदन में थोड़ा सा हरकत की तो उसी समय वीनीत की भी नींद खुल गई। और विनीत जैसे ही अपनी स्थिति को भांपा , उसके बदन में जैसे बिजली का करेंट लग गया हो इस तरह से वह पूरी तरह से झनझना गया, उसे यह ज्ञात हो गया कि इस समय उसका लंड संपूर्ण उत्तेजना का अनुभव करते हुए पूरी तरह से टाइट हो चुका था जो कि अलका की गांड के बीचो बीच अड़ा हुआ था। विनीत पूरी तरह से उत्तेजित हो गया। उसे ऐसा लगने लगा कि शायद ऊपर वाला ही उसके ऊपर मेहरबान है तभी तो अपने आप ही एसी स्थिति पैदा हो गई थी। उसने जब अलका की स्थिति पर नजर डालें तो उसे उसकी गरम सांसों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी उसे यह समझते देर नहीं लगी की अलका ईस समय जाग रही है। और उसकी तेज चल रही सांसो से उसे पता चल गया की व्हाट इस समय एकदम गरम हो चुकी है क्योंकि विनीत जी केला खाया लड़का था। उससे यह पलको गवाना मतलब के हाथ में आई हुई बाजी को छोड़ देना जो कि उसे कभी भी मंजूर नहीं हो सकती थी इसलिए वह अपनी कमर को थोड़ा सा और अलका के नितंबों पर सटाते हुए अपने हाथ को उसकी बाह पर रख दिया। अपनी बाहों पर हाथ का स्पर्श होते ही अलका एकदम से सिहर उठी , उसे ऐसा लगने लगा कि विनीत सिर्फ सोने का नाटक कर रहा था बल्कि वह पुरी तरह से जगा हुआ है। अलका कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं थी, एक तो उसकी हरकत में पहले से ही उसे उत्तेजित कर दिया था' जिससे कि उसकी भी बुर पंनिया चुकी थी' अलका आगे कुछ और सोच पाती ईससे पहले ही वीनीत का हांथ धीरे धीरे उसकी बांह पर से सरकते हुए उसकी गोलााइयों पर आकर रुक गया। विनीत को तो ऐसा लगने लगा कि जैसे उसके हाथ कोई खजाना लग गया हो' और वह ब्लाउज के ऊपर से ही अलका की चुची को हथेली में भरकर कस के दबा दिया। इस तरह से चूची को कस के दबाने से अलका की सिसकारी छूट गई और वह मुंह घुमा कर विनीत की तरफ देखते हुए , सिर्फ इतना ही बोल पाई थी।

विनीत.......

उसका बस इतना ही कहना था कि विनीत ने तुरंत अपने होठों को उसके होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया। इस तरह से हॉटतठ चुसाई की वजह से अलका भी कुछ ही मिनटों में मदहोश होने लगी और वह विनीत की तरफ करवट लेने लगी, वीनीत लगातार उसके गुलाबी होठों को चुसते हुए उसकी चूचियों को दबाता रहा। अलका भी उत्तेजित होते हुए विनीत के होठों को चूसने लगी। इस तरह से अलका की हामि को जानकर वह तुरंत एक हाथ से उसके ब्लाउज के बटन को खोलने लगा और अगले ही पल अलका के ब्लाउज के सारे बटन खुल चुके थे। वीनीृत एक पल भी गवाए बिना उसके होठों पर से अपने होंठ को हटाया और ब्रा को खींचकर ऊपर की तरफ कर दिया, जिससे उसकी बड़ी-बड़ी गोल चूचियां एकदम नंगी हो गई विनीत तो अलका की चुचियों को देखकर एकदम पागल सा हो गया और वह तुरंत चूची को पकड़कर अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया। वीनीत निप्पल को दांतो से पकड़कर ईस तरह से खींचते हुए पी रहा था कि अलका एकदम मदमस्त होने लगी और वह खुद ही उसके बालों को पकड़ कर अपनी चुचियों पर दबाने लगी विनीत के साथ-साथ अलका भी एकदम चुदवासी हो गई थी। विनीत के लिए यह पल बहुत ही खास था क्योंकि इस पल के लिए ना जाने कितने दिनों से वह उसके पीछे पीछे लगा हुआ था। अलका की गरम सिसकारी ना चाहते हुए भी उसके मुंह से निकल जा रही थी। वीनीत थोड़े ही समय में सब कुछ कर लेना चाहता था। क्योंकि उसे ऐसा डर था कि कहीं ऐसा ना हो कि अलका का मूड बदल जाए इसलिए वह एक हाथ से धीरे-धीरे उसकी कमर में बधी साड़ी को खींच कर अलग कर दिया। और लगे हाथ उसके पेटीकोट की डोरी को भी खोलने लगा, अलका तो अपनी चूचियां पिलाने में ही व्यस्त थी तब तक वीनीत ने उसके पेटिकोट की डोरी को खोलकर पेटिकोट को नीचे जाने तक सरका दिया। विनीत धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ते हुए एक हाथ से उसकी पैंटी को भी नीचे सरकाने लगा। अगले ही पल विनीत की नजरें अलका जांघों के बीच चिकनी पतली दरार पर टिकी हुई थी वह तो यह नजारा देखकर एकदम धन्य हो गया। उससे रहा नहीं गया और वह तुरंत अलका की बुर पर अपना होंठ रख दिया। और गुलाबी पत्तियों को जीभ से छेड़ते हुए चाटना शुरु कर दिया। दोनो इस समय कामातूर होकर यह भी भूल चुके थे कि वह दोनों एक अस्पताल में थे और अलका तो इतनी ज्यादा चुदवासी हो चुकी थी की ऊसे इतना भी ख्याल नहीं रहा कि उसका बेटा बीमार है बस दोनों एक दूसरे से अपनी प्यास बुझाने में लगे हुए थे। अलका अपनी गर्म सिस्कारियों को दबाने के लिए दांत से अपने होंठ को काट रही थी। लेकिन फिर भी घुटी-घुटी सी उसके सिसकारी मुंह से फूट पड़ रही थी। विनीत पूरी तरह से तैयार था आज महीनों की लालसा पूरी होने जा रही थी वह जल्दी जल्दी अपनी पेंट को उतार े फेंका। और अलका की जांगों के बीच जगह बनाते हुए उसकी जांघों को अपनी जांघो पर चढ़ा कर. उस की चिकनी बुर पर अपना लंड टिकाया'बुर पहले से ही गीली हो चुकी थी इसलिए लंड तुरंत अंदर चला गया और जैसे ही लंड बुर में समाया विनीत उसकी चुचियों को पकड़ कर चोदना शुरू कर दिया। दोनों को मजा आ रहा था कुछ देर तक यूं ही विनीत अलका को चोदता रहा और थोड़ी देर बाद खुद पीठ के बल लेट गया और अलका को अपने ऊपर चढ़ा लिया अलका भी तुरंत उसके लंड को अपनी बुर में लेकर ऊपर नीचे बैठते हु
अलका भी वीनीत के लंड पर ऊठते बैठते हुए वीनीत से चुदने लगी ' अलका को भी इस तरह से चुदवाने में मजा आने लगा वह अपनी भारी भरकम शरीर को विनीत के लंड पर कुदाने लगी और विनीत भी उसकी ऊछलती चुचियों को अपने हाथों में भरकर दबाते हुए नीचे से अपनी कमर उठाने लगा। दोनों की सबसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी अलका जोर-जोर से विनीत के लंड पर कुदते हुए चुदवाने का मजा ले रही थी। थोड़ी देर तक यूं ही उसके चेहरे पर को देते हुए उसका बजन करने लगा और वह सिसकारी लेते हुए विनीत को अपनी बाहों में कस लो वीनीत भी नीचे से तेज धक्के लगाते हुए अलका को चोदने लगा और थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ भलभला कर झढ़ गए।

सुबह होने तक वीनीत ने अलका को दो तीन बार और चोदा कभी बिस्तर से नीचे उतर कर तो कभी पीछे से हर जगह से आज की रात वह पूरा मजा ले लिया। उसकी दिली ख्वाहिश थी कि अलका उसके लंड को मुंह में लेकर चूसे जो कि उसने अपनी इस ख्वाहिश को भी पूरा कर लिया।
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10-09-2018, 03:37 PM,
#79
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
सुबह हो चुकी थी विनीत सुबह होने से पहले ही नीचे चला गया था जहां पर कुछ दिखाने खोलना शुरू हो रही थी। वहां उसने एक चाय के स्टॉल पर बैठ कर चाय की चुस्की लेते हुए रात के एक-एक पल को याद करके मन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि आज उसके मन की हो चुकी थी। किसी काम के लिए किसी लालसा को पूरी करने के लिए वह महीनों से अलका के चक्कर काट रहा था। लेकिन आज जाकर उसकी मनोकामना पूर्ण हुई थी। अलका को भोग कर वह अपने आप को धन्य भाग्य समझ रहा था। उसने आज तक अलका जैसी औरत न देखा था , और ना ही भोगा था। उसके नंगे मांसल ओर गुदाज देंह का वह दीवाना हो गया था। वह मन ही मन में प्रसन्न होते हुए चाय की चुस्की ले रहा था धीरे-धीरे दुकानों के शटर खुलना शुरू हो गए थे । करीब आधे घंटे बाद ही सूर्य की किरण अपने उजाले से धरती को रोशनी चलाने लगे वह चाय के हिस्टोरी चाय और कुछ बिस्कुट के पैकेट लेकर ऊपर की ओर गया। तब तक अलका नींद से जाग चुकी थी। उठते ही उसने सोनू का बुखार चेक करने के लिए उसके माथे पर अपनी हथेली रखी तो उसे इसका एहसास हुआ कि सोनू का बुखार पूरी तरह से उतर चुका था माथे पर हाथ रखने से सोनू की भी आंख खुल गई वह भी राहत महसूस कर रहा था। तब तक विनीत चाय और बिस्कुट के पैकेट लेकर आ गया। विनीत चाय और बिस्कुट वही टेबल पर रखते हुए बोला।
आंटी जी आप चाय और नाश्ता कर लीजिए और सोनू को करा लीजिए तब तक मैं आता हूं थोड़ी देर में । इतना कहकर वह बिना रुके वहां से फिर से नीचे चला गया। 
अलका रात की बात को सोचकर मन ही मन पछता रही थी। वह अपने आप को ही कोस रही थी, बरसों से जमाने भर से छुपाते आ रही इज्जत को आज उसने अस्पताल के बेड पर नीलाम कर दी थी यह बात उससे हजम नहीं हो पा रही थी। उसके सब्र धैर्य और मर्यादा की चादर इतनी पतली होगी उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था। । आज उसने खुद मर्यादा की चादर को अस्पताल के बेड पर अपने हाथों से ही तार तार कर चुकी थी। वह चाहती तो उसे रोक सकती थी लेकिन ना जाने कौन सी मजबूरी थी कि उसे रोक नहीं सके और इतनी ही ऐसे ही पैदा हो गई थी कि वह खुद ही उत्तेजित होने लगी थी हालांकि यह बात अलग है कि उस संय े उसका ही बेटा उसके बाजू के बेड पर बुखार की वजह से एडमिट था। लेकिन बेड पर एक साथ सोने की वजह से उसकी उत्तेजना ना जाने क्यों बारे में लगी थी शायद एक अनजान लड़के के स्पर्श की वजह से उसके बदन ने उसके दिमाग का साथ नहीं दिया और वह बहकने लगी
यह भी उसकी गलती थी कि एक बार बहकने के बाद वह फिर अपने आप को संभाल ना सकी ओर वही गलती दो तीन बार दोहरातीे रही। वह बार-बार अपनी गलती पर पछताते हुए अपने ऊपर क्रोधित हो जा रही थी। वैसे भी अब पछताने के अलावा उसके हक में कुछ बचा भी नहीं था। वही बातें सोच-सोचकर उसकी आंख भर आ रही थी सोनू यह देख कर अपनी मां से बोला।

तुम रो क्यों रही हो मम्मी? 

( अलंका अपने बेटे को क्या जवाब देती लेकिन फिर भी उसके सवाल का जवाब देते हुए बोली।)

कुछ नहीं बेटा कल तेरी तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी इसलिए तेरी तकलीफ देखते हुए मेरी आंखों में आंसू आ गए ,हा लेकिन अब तु बिल्कुल ठीक हो गया है।


मम्मी यह कौन है जो हमारी इतनी मदद कर रहा है।
( सोनू के इस बात पर अलका एक दम से चौंक गई कल रात को जो शर्मनाक हरकत वह कर बैठी थी अगर वह ऐसी हरकत ना करती तो शायद उसे उसकी पहचान से सोनू को अवगत कराने में कोई हर्ज नहीं होता लेकिन इस समय ' लेकिन इस समय वहां उसकी पहचान बताने मैं शर्मिंदगी महसूस कर रही थी लेकिन फिर भी बताना तो था ही इसलिए बहाना बनाते हुए वह बोली।)

मैं जहां काम करती हूं ना बेटा उसी में मेरी एक सहेली भी काम करती है यह उसी का बेटा है।
( सोनू की उम्र अभी इतनी नहीं हुई थी की वह ईन रिश्तो तो के बीच शक की दीवार को खड़ी कर सकें। सोनू अपनी मां की बात को मान गया था और वह उसे नाश्ता कराने लगी, लेकिन वह खुद कुछ नहीं खाई वैसे भी वह बिना नहाए धोए कुछ भी नहीं खाती थी लेकिन इस समय विनीत से उसे नफरत सी होने लगी थी इसलिए वह गुस्से में नाश्ता भी नहीं की और उसे ले जाकर कूड़ेदान में फेंक दी। 

दूसरी तरफ राहुल और विनीत की भाभी दोनों की आंख खुल चुकी थी दोनों एक दूसरे की बाहों में एकदम नग्नावस्था में लिपटे हुए थे। राहुल का लंड उसकी बुर के इर्द-गिर्द दस्तक देते हुए तनाव की स्थिति में था। वीनीत की भाभी राहुल के लंड को अपनी बुर के इर्द-गिर्द रगड़ खाते हुए महसूस करते ही , एक बार फिर से उसे अपनी बुर में लेने के लिए तड़प उठी। दोनों एक दूसरे की आंखों में झांक रहे थे। विनीत की भाभी से रहा नहीं गया और वह तुरंत अपने होंठ को उसके होंठ पर रख कर चूमने लगी राहुल कुछ समझ पाता इससे पहले ही वह उसके ऊपर सवार हो गई घुटनों के बल बैठते हुए उसके खड़े लंड को अपनी नाजुक उंगलियों से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच टिका दी। राहुल भी तुरंत उसकी दोनों चुचियों को हाथों में दबोच लिया, और वीनीत की भाभी धीरे धीरे उसके लंड पर बैठती चली गई जब तक कि उसका पूरा लंड उसकी बुर में समा नही गया। एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज हो चली। राहुल नीचे से अपनी कमर उचका उचका कर धक्के लगा रहा था तो विनीत की भाभी भी खूब जोर लगाकर उसके लंड के ऊपर उठ बैठ रही थी। थोड़ी ही देर में दोनों की गरम सांसों से और दोनों की गरम सिस्कारियों से पूरा कमरा गूंजने लगा और इसके बाद हल्की सी चीख के साथ दोनों एक साथ झड़ गए। 

थोड़ी ही देर में विनीत की भाभी और राहुल नहा कर तैयार हो गए थे। राहुल के जाने का समय हो गया था वीनीत की भाभी पूरी तरह से संतुष्ट नजर आ रही थी उसे अपने जीवन में एसा सूख कभी भी नहीं मिला जब भी मिला तो वह राहुल से ही मिल रहा था। वह पूरी तरह से राहुल की दीवानी हो चुकी थी वह चाहती थी कि राहुल उसके घर हमेशा आए लेकिन जिस तरह से पहली बार नंबर देने के बावजूद भी वह है ना फोन किया और ना ही उससे मिलने की कभी कोशिश किया वह तो बाजार में मिल जाने की वजह से आज जो सुख भोग रही थी यह उसी का नतीजा था अब ना जाने वह कब मिलेगा। इसलिए वह ऐसा चाहती थी कि कुछ ऐसा जुगाड़ हो जाए की वह जब भी बुलाए राहुल दौड़ता हुआ चला आए इसके लिए राहुल के पास फोन होना जरूरी था। इसका भी जुगाड़ वह सोच रखी थी।
राहुल जाने को था क्योंकि किसी भी वक्त विनीत अा सकता था। दरवाजे पर राहुल पहुंचा ही था कि विनीत की भाभी उसे रोकते हुए बोली।

रुको राहुल
(इतना कहने के साथ ही वह उसके करीब पहुंच गई।)
(राहुल भी दरवाजे को खोलते खोलते रुक गया।)

क्या हुआ भाभी कहीं फिर से तो आपका मूड नहीं बन गया। 

मेरा मूड तो तुम्हें देखते ही बन जाता है।( इतना कहने के साथ ही वह उसे अपना पुराना वाला स्मार्टफोन थमाते हुए बोली।)

यह रख लो राहुल 

यह क्या है भाभी? 

यह मेरा मोबाइल है, पुराना मैं इसे यूज नहीं करती यूं ही पड़ा हुआ था सोची कि तुम्हारे कुछ काम आ जाएगा। लो रख लो। 

( राहुल को समझ में ही नहीं आया कि वह ले या ना ले क्योंकि आज तक ना उसने किसी से कुछ लिया है वैसे भी आज तक उसे किसी ने भी ऐसी कोई चीज दी भी नहीं, इसलिए वह उस मोबाइल को लेने में असहज हो रहा था।) 

नहीं भाभी यह मैं नहीं ले सकता ।

लो रख लो राहुल हमें तुम्हारे लिए नहीं बल्कि अपने लिए ही दे रही हूं। ( विनीत की भाभी की यह बात राहुल को समझ नहीं आई इसलिए वह बोला।) 

मैं समझा नहीं भाभी।

अरे मेरे राजा (बड़े ही नटखट अंदाज में) तुम तो एकदम बुद्धू अगली बार जब तुम मेरे घर आए थे उसके बाद जाकर अब मुझसे मिले हो , जानते हो तुम से दोबारा मिलने के लिए मैं कितनी तड़पी हूं, इसलिए तो मैं तुम्हें यह मोबाइल दे रही हूं ताकि जब भी मेरा दिल करे तुम्हें फोन करके बुला लूं। ( उसकी बात सुनकर राहुल मुस्कुरा दिया और उसके मुस्कुराहट के साथ ही विनीत की भाभी ने उसे मोबाइल थमा दी। और जाते जाते हैं उसे एक 500का नोट भी दे दी जिसे वह लेने से इंकार कर रहा था लेकिन उस ने जबरदस्ती उसके शर्ट की जेब में डालते हुए बोली।) 
राहुल यह तुम्हारी मेहनत के हैं हमेशा आते रहना और मैं हमेशा तुम्हारी मेहनत की बक्षीस तुम्हें देती रहूंगी। 

( जबरदस्ती पेसे जेब में रखने की वजह से वह लेने से इनकार नहीं कर पाया, और उसे लेकर अपने घर की तरफ चल दिया विनीत की भाभी उसे जानबूझकर पैसे देते हुए उसके अंदर पैसे का लालच दे रही थी ताकि वह बार-बार उसके बुलाने पर आता रहे।) 

दूसरी तरफ अस्पताल में अलका गुमसुम बैठी हुई थी रात की यादें उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी। लेकिन एक टेंशन और था उसे अस्पताल का बिल भरने की जिसके लिए उसके पास पैसे नहीं थे और वह ना चाहते हुए भी वीनीत का इंतजार कर रही थी, जोकि नीचे गया हुआ था। क्योंकि उसे यकीन था कि बिल के पैसे भी वही चुकाएगा। 

बस शायद एक यही बात उसे रात को विनीत को इनकार करने से रोक रही थी और वह आगे बढ़ता गया और साथ ही वह खुद भी उस बहाव में बहती चली गई, मजबूरी इंसान से क्या कुछ नहीं कर रही थी यह भी उसकी एक मजबूरी ही थी, ऐसे बहुत से पल उसके सामने जिंदगी में आ चुके थे जब वह अपने आप को लाचार महसूस करती थी लेकिन आज की लाचारी उसका सबकुछ उजाड़कर जा चुकी थी। बरसो की तपस्या भंग हो चुकी थी। 
तभी वीनीत हाथ में अस्पताल का बील और कुछ दवाइयां ले कर के आया और उसे अलका को थमाते हुए बोला।

आंटी जी डॉक्टर ने छुट्टी दे दी है यह कुछ दवाइयां है जो सोनू को समय-समय पर देनी है, और मैंने अस्पताल का बिल चुका दिया है। अब हमें चलना होगा।
( वीनीत की बातें सुनकर वह कुछ बोली नहीं बस सोनु को साथ लेकर चलने लगी , )

राहुल घर पर पहुंचकर दरवाजे का ताला खोला क्योंकि एक चाभी राहुल के पास भी रहती थी। वह पूरी तरह से संतुष्ट हो चुका था रात भर वीनीत की भाभी की चुदाई कर करके थकान सी महसूस कर रहा था। और वहीं कुर्सी पर बैठ गया' रात भर जागने की वजह से उसकी आंख लग गई। 
थोड़ी देर बाद विनीत अलका को और सोनू को घर के दरवाजे के सामने ही छोड़ कर गया विनीत मन ही मन इस बात से प्रसन्न हो रहा था कि उसने आज अलका का घर भी देख लिया था। अलका दरवाजे पर पहुंची तो दरवाजे की कड़ी खुली हुई थी और उसने हल्का सा धक्का देकर दरवाजा खोल दि। दरवाजा खुलने की आवाज उसे राहुल की नींद खुल गई और वह दरवाजे की तरफ देखा तो अल्का और सोनू अंदर प्रवेश कर रहे थे उन्हें देखते ही राहुल बोला।

मम्मी आप यहां आज ऑफिस..... सोनू भी स्कूल नहीं गया.... बात क्या है मम्मी। 
( अलका उसे बता दे कि उसके जाने के बाद सोनू की तबीयत खराब हो गई थी जिसकी वजह से वह उसे अस्पताल लेकर गई थी और ज्यादा तबीयत खराब होने की वजह से रात भर अस्पताल में रुकना पड़ा। और कल शाम से गई तो इस वक्त आ रही हुं। राहुल अपनी मम्मी की बात सुनकर परेशान हो गया पर अपने आप पर गुस्सा भी होने लगा कि इस वक्त उसे घर पर होना चाहिए था वह बाहर था' उसने भी यह बता दिया कि रात भर वह भी दोस्त के वहां था प्रोजेक्ट पूरा करने में लगा हुआ था और थोड़ी देर पहले ही आया है।) 

चलो कोई बात नहीं सोनू तुम चल कर आराम करो तब तक मैं नहा धोकर के कुछ खाने को बना देती हुं ।
( इतना कहकर वह बाथरूम की तरफ चली गई राहुल वहीं बैठा रहा। अलका बाथरूम में जाते ही दरवाजा बंद कर ली। वह रात की घटना को याद करके सिसक सिसक कर रोने लगी, ऊसे अपनी गलती पर बहुत ज्यादा पछतावा हो रहा था। लेकिन कर भी क्या सकती है वक्त रेत की तरह होती है एक बार हांथसे फिसल गई तो फिसल गई । वह मन ही मन अपने आप से ही बोलते हुए रो रही थी।

मुझे इंकार कर देना चाहिए था भले ही वह मेरी इतनी मदद कर रहा था तो क्या हुआ जरा सी भी मैं हिम्मत दिखाई होती' अगर मुझे उसके एहसान की परवाह ना होती तो आज मैं अपनी नजरों से यूं गिरी ना होती।
लड़का मेरी जिंदगी में तूफ़ान बन कर आया है मेरे हंसते खेलते परिवार को मेरे सुखचैन को सब कुछ तबाह कर दीया। कहीं ऐसा ना हो कि वह यह बात दूसरों को बताना शुरू कर दे मैं तो कहीं कि नही रह जाऊंगी। नहीं वह ऐसा नहीं कर सकता उसने मुझसे जबरदस्ती तो नहीं किया था मै ही उसपल में थोड़ा-बहक गई थी
मैं कैसे अपने आप को संभाल न सकी मुझे तो अपने आप से घिन्न होने लगी है। 

यही सब अपने आप से कहते हुए अपने ऊपर एक-एक मग ठंडा पानी डाल कर नहाती रही। ठंडे पानी से नहा कर का मन कुछ शांत हुआ वह नहा कर बाहर आ गई।

अलका सीधे रसोई घर में जाकर खाना बनाने लगी बाहर कुर्सी पर बैठा राहुल उसे ही देख रहा था गीले बालों की वजह से ब्लाउज भेज चुका था जिसकी वजह से उसके अंदर की लाल ब्रा की स्ट्रेप दिखाई दे रही थी जिसे देखते ही राहुल के लंड में तनाव आना शुरू हो गया, वैसे भी नहाने के बाद अलका की खूबसूरती में चार चांद लग जाया करता था। राहुल की नजर बार-बार ऊसके गैीले बालो से होकर के कमर के नीचे के उन्मुक्त घेराव पर चले जा रहे थे। राहुल भी अच्छी तरह से जानता है कि भले ही रात भर विनीत की भाभी के साथ शरीर सुख का आनंद लिया है लेकिन उसकी मां की तरह खूबसूरत और उसकी तरह गुदाज बदन ना तो विनीत की भाभी का था और ना ही नीलू का। राहुल एक तरह से अपनी मां के प्रेम में ही पड़ गया था वह से बेइंतहा प्यार करने लगा था। बिस्तर पर जो मजा उसे उसकी मां से मिलता था वह मजा दूसरे किसी भी औरत से उसे नहीं मिलता था। 
बस यूं नज़रों से अपनी मां के बदन को टटोलने भर से उसका मन शांत होने वाला नहीं था इसलिए वह कुर्सी पर से उठा और सीधे रसोईघर में चला गया, और जाते ही अपने पेंट में बने तंबू को अपनी मां के खेरा अवतार नितंबों के बीच की दरार में धंसाते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया। खड़े लंड की चुभन अपनी गांड के बीचो-बीच महसूस करते ही अलका पूरी तरह से सिहर उठी
, मैं कुछ बोल पाती उससे पहले ही गीले बालों में से आ रही मादक सोंधी सोंधी खुशबू को नाक से जोर से खींचते हुए उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर हथेलिया रखकर दबाने लगा, वह अपनी मां की सुराहीदार गर्दन को चुमते हुए धीरे-धीरे करके उसकी साड़ी को उठाने लगा लेकिन तभी अलका उसे रोकते हुए बोली।

आज नहीं राहुल रात भर सोई नहीं हूं मुझे थकान महसूस हो रही है फिर कभी।
( अपनी मां की यह बात सुनकर राहुल का जोश एकदम से ठंडा हो गया उसे अच्छा तो नहीं लगा लेकिन फिर भी वह जानता था कि रात भर वह सोनु को लेकर परेशान हुई है इसलिए चेहरे पर झूठी मुस्कान लाते हुए बोला।)

सॉरी मम्मी मैं आपका यह रुप को देख कर बहक गया था इसके लिए ऐसा कर बैठा सॉरी। ( इतना कहने के साथ ही वह खड़े लंड को लेकर रसोई घर के बाहर आ गया और अलका भी बिना कुछ कहे अपना काम करती रही उसका मन अभी भी भारी ही था।
राहुल अपने कमरे में चला गया विनीत की भाभी के द्वारा दिए गए मोबाइल को लेकर वह बहुत उत्सुक था। वह जेब से मोबाइल निकाल कर उसे देखने लगा मोबाइल पाकर बहुत खुश था लेकिन वह जानता था कि मोबाइल को उसे छुपा कर ही रखना होगा वरना कहीं उसकी मां ने देख ली तो बात का बतंगड़ बन जाएगा। तभी उसे यह ख्याल आया कि विनीत की भाभी ने मुझे ₹500 का नोट भी दी थी यह कैसे खर्च करना है या उसे नहीं मालूम था वह अपनी मां को यह रुपए दे भी नहीं सकता था क्योंकि हजार सवाल पूछने लगेंगी, तभी उसे विनीत की भांभि के महंगे ब्रांडेड पैंटी और ब्रा के बारे में ख्याल आया। ब्रा और पैंटी के बारे में ख्याल आते ही उसने अपनी मां की मस्ती चडडी नजर आने लगी इसलिए उसने तय कर लिया था कि इन पैसों से वह अपनी मां के लिए ब्रांडेड ब्रा पैंटी और एक सेक्सी गाउन लाकर देगा। अपनी मां के लिए महंगी ब्रा और पेंटी को खरीदने मात्र के बारे में सोचकर ही वह उत्तेजित होने लगा । वह बहुत खुश था की अब वह अपनी मां के लिए ब्रांडेड ब्रा और पेंटी खरीद के लाकर दे सकेगा। 

पैसे और मोबाइल को वह अपने बैग में ही छुपा दिया ताकि उसकी मां की नजर उस पर ना पड़ सके। 
दो-तीन दिन ही बीते थे कि वीनीत की भाभी ने उसे फोन करके अपने घर बुला ली और वह फोन आते ही तुरंत घर पर पढ़ाई का बहाना बनाकर उसके घर चला गया और वहां जाकर के वीनीत की भाभी को चोदकर खुद भी शांत हुआ और उसकी भी प्यास को बुझाया। अभी मोबाइल दिए 10 दिन भी नहीं बीते थे कि वह पांच छ: बार अपने घर फोन करके बुला ली थी। और हर बार उसे कुछ न कुछ बक्षीस दे देती थी। वह जितने पैसे मिलते थे उनमें से कुछ पैसे अपनी मां को दे देता था लेकिन यह पैसे वह यह बोलकर दे रहा था कि, उसका एक दोस्त है उसके पापा का कारखाना है और वह उसे कुछ ऑफिस का काम दे देते हैं और थोड़े पैसे भी दे देते हैं। वह उनका काम कर देता है और बदले में वह कैसे पैसे देते हैं यह बात अलका को अच्छी तरह से हजम भी हो गई उस का भी खर्चा चलने लगा था। वह तो इस बात से खुश ही हुई थी की थोड़े से काम में राहुल को पैसे मिलने लगे थे। 
जैसे तैसे करते हुए दिन गुजर रहे थे। अस्पताल वाली रात को गुजरे 15 दिन जैसे हो चुके थे उस दिन से अलका सहमी सहमी सी रहती थी। रास्ते में आते जाते कभी कभार विनीत मिल जाता तो अलका की आंखों में खून ऊतर जाता था लेकिन अपने आप पर काबू कर के वह दो चार बातें बतिया कर आगे बढ़ जाती थी। लेकिन वीनीत जब भी मिलता था उसके चेहरे पर एक कामुक मुस्कान होती थी जोकि अलंका के दिल में भाले की तरह चुभती थी। 
पिछले कुछ दिनों से राहुल अपनी मां के हावभाव पर गौर कर रहा था। पिछले कुछ दिनों से ऊसकी मां का रवैया बदला बदला सा नजर आ रहा था। वह जब भी उसकी तबीयत के बारे में पूछता तो वह सर दर्द का बहाना बनाकर बात को पलट देती राहुल को भी ऐसा लगने लगा था कि शायद हो सकता है मम्मी की तबीयत खराब हो इसलिए वह बार-बार में दवा लेने के लिए भी बोल चुका था। राहुल की बात पर वह दवा ले लेगी ऐसा कह कर बात को हमेशा टाल जाती थी क्योंकि वह जानती थी कि वह तन से नहीं मन से बीमार है दवा से उसके मन की बीमारी जाने वाली नहीं थी। राहुल अपनी मां को चोदने के लिए तड़प रहा था क्योंकि जब से सोनु बीमार हुआ था तब से लेकर अब तक वह उसे चोद नहीं पाया था जब भी वह उसके करीब जाता तो वह तबीयत का बहाना बनाकर उसे हटा देती थी उसे अपनी मां का यह रूप कुछ समझ में नहीं आ रहा था। राहुल की यह तड़प लाजीमी थी क्योंकि जो मजा बिस्तर पर उसकी मां उसे दे दी थी वह मजा उसे किसी के भी साथ नहीं मिल पाता था। वह रोज रात को अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों के बारे में उसकी गुदाज मांसल गोरे बदन के बारे में और उसकी रशीली गुलाबी पत्तीयो वाली बुर के बारे में सोच सोचकर मुठ मारा करता था। अपनी मां को चोदने की ऊसकी तड़प दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। ऐसे मे उसे एक दिन फिर वीनीत की भाभी का फोन आ गया और वह फिर से वहां चला गया, लेकिन अभी तक उसकी मां को यह पता नहीं चल पाया था कि उसके पास मोबाइल है वह मोबाइल रखने में बहुत ही सावधानी रखता था।
विनीत के घर पहुंचते ही एक बार फिर दोनों एक हो गए दोनों के बदन से सारे कपड़े एक एक कर के नीचे फर्श पर गिरने लगे, और दोनों एकाकार हो गए आज जी भर कर वीनीत की भाभी ने राहुल से अपनी बुर रगडव़ाई थी
क्योंकि कल उसे और विनीत को एक रिश्तेदार के वहां जाना था क्योंकि वहां शादी थी और वहां से आने में बस 15 दिन का समय लग सकता था इसलिए वह आज ही जी भर के अपनी बुर में राहुल का लंड डलवा कर चुदवा चुकी थी। 
धीरे धीरे अलका सामान्य होने लगी थी, अब वो राहुल से मुस्कुरा कर बातें करने लगी थी। अपने अंदर आए बदलाव का कारण व समझ पा रही थी क्योंकि कुछ दिनों से उसे विनीत नजर नही आया था।

धीरे धीरे कर के अस्पताल वाले वाक्ये को गुजरे बीस 25 दिन हो गए थे। लेकिन विनीत के तरफ से ऐसी कोई भी हरकत नहीं हुई जिससे अलका को शर्मिंदा होना पड़े' इसलिए रुका था गणित के प्रति डर धीरे-धीरे दूर होने लगा था। और जैसे-जैसे उसका डर दूर होता जा रहा था वह सामान में होती जा रही थी और यह बदलाव राहुल को अच्छा लग रहा था लेकिन अभी भी बहुत प्यासा था अलका को देखते ही राहुल का लंड हमेशा तन कर खड़ा हो जाता था। खासकर के चलते हुए उसकी मटकती हुई गांड को देखकर वह अपना आपा खो बैठता था। आज उसकी मां का थोड़ा सा रवैया बदलता हुआ नजर आ रहा था इसके लिए राहुल भी मन में यही सोच रहा था कि आज उसकी बात बन जाएगी । 
शाम को उसकी मां छत पर कपड़ों को समेट रही थी। राहुल भी वही पहुंच गया अपनी मां को रस्सियो पर से कपड़े उतारते हुए देख कर बोला।

क्या कर रही हो मम्मी (जबकि वह जानता था कि उसकी मां क्या कर रही है वह तो सिर्फ बातों का सिलसिला शुरु करने के लिए एक तार छेड़ दिया था।)

देख नहीं रहे हो कपड़े उतार रही हूं( उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी हुई थी, तभी अपनी साड़ी को रस्सी पर से उतरते हुए पानी के बीच में रखी हुई उसकी ब्रा और पेंटी दोनों नीचे गिर गई। जिस पर राहुल की नजर पड़ गई और वह उसे झट से उठा लिया। अलका ने अपने बेटे को उसकी गिरी हुई ब्रा और पेंटी को उठाते देख ली। और तुरंत बोली।)

लाओराहुल ईधर दो क्या कर रहे हो ऊसको लेकर के। ( उसका इतना कहना था कि राहुल तुरंत पेंटी को अपनी नाक से लगाकर सुंघने लगा।
Reply
10-09-2018, 03:37 PM,
#80
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल अपनी मां की पैंटी को उठाकर उसे नाक से लगा कर सुंघने लगा। अपने बेटे की इस हरकत को देखकर अलका अंदर ही अंदर गंनगना गई, राहुल था की पैंटी को एकदम नाक से रगड़ रगड़ कर सुन रहा था खास करके उस स्थान को जो स्थान बुर से एकदम चिपका रहता है। वह अपने मित्रों को पेंटी से लगाकर गहरी सांस खींचते हुए बोला।

ओहहहहह.... मम्मी बहुत ही मादक खुशबू आ रही है इसमें से। मेरा तो रोम रोम झनझना जा रहा है। ( अपनी बेटे को इस तरह से मदहोश होकर अपनी पैंटी सुंघते हुए देख कर उसके बदन में अजीब सी हरकत होने लगी उसके बदन में गुदगुदी सी मचने लगी। उसके हाथ में कपड़ों का ढेर था और उसने अपनी साड़ी को थोड़ा सा ऊपर उठा कर कमर के साईड अंदर खोसी हुई थी, जिससे उसकी घुटनों से नीचे की आधी टांगे नंगी दिख रही थी। अलंकार अपनी साड़ी को उठा कर कमर में ठुसने की वजह से और भी ज्यादा कामुक ओर सुंदर लग रही थी। वह एक तरह से राहुल की हरकत कर शरमा गई उसे ईसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि राहुल ऐसी हरकत करेगा। वह राहुल की हरकत पर शर्मसार होते हुए अपने अगल-बगल नजर दौड़ा ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है। जबकि वह जानती थी कि उसकी छत पर कोई भी कहीं से भी नहीं देख सकता था फिर भी उसके मन में डर बना हुआ था अलका के मन में भी गुदगुदी होने लगी थी। राहुल की इस हरकत ने अस्पताल के बाद से आज पहली बार उसके बदन में एक नई उमंग जगाया था। वह पागलों की तरह पैंटी को सुंघते हुए अपनी मां को देखे जा रहा था। राहुल अपनी मां की पैंटी को सॉन्ग कर उत्तेजित होने लगा था उसके पेंट का तंबू बढ़ने लगा था जिस पर रह रहकर अलका की नजर चली जा रही थी वह क्या करें क्या ना करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था हाथों में कपड़ों का ढेर था रेशमी जुल्फों की लटे उसके गालों को छू रही थी। चेहरे पर कामुक्ता और शर्मो हया की मिली जुली मुस्कान बिखर रही थी। राहुल दीवानों की तरह पेंटिं को अपनी नाक पर सहलाते हुए उसकी मादक खुशबू का मजा ले रहा था। यह देख अलका से रहा नहीं गया और वह मुस्कुराते हुए बोली। 

क्या कर रहा है , ऐसा कोई करता है क्या।

कोई करे या ना करे लेकिन मैं ऐसा जरूर करूंगा मम्मी, क्योंकि तुम्हारी पैंटी से तुम्हारी बुर की मादक खुशबू आती है जिसे सुनते ही मेरे तन बदन में गुदगुदी होने लगती है एक अजीब सा एहसास होने लगता है ।
( राहुल अपनी मां से कुछ ज्यादा ही खुल चुका था पहले तो वह ऐसी गंदी बातें करने से शर्म आता था लेकिन कुछ ही दिनों में वह अनुभवी हो चुका था उसे पता था कि ऐसी बातें सेक्स को और ज्यादा आनंददायक बना देता है इसलिए ऐसी बातें करने से अब बिल्कुल भी नहीं चुकता था, अलका अपने बेटे के मुंह से ऐसी खुली गंदी बातें सुनकर आवाज रह गई थी लेकिन उसे ऐसी बातें अच्छी लग रही थी राहुल के मुंह से अपनी बुर के बारे में सुनकर उसकी जांघों के बीच गुदगुदी सी होने लगी थी। 
इस समय न जाने क्यों राहुल के सामने उस की ऐसी बातें सुनकर उसे शर्म आ रही थी। और शर्म के मारे उसका गोरा सुंदर चेहरा कश्मीरी सेब की तरह लाल होने लगा था। वह अभी भी अपने चारों तरफ नजर दौड़ा ले रही थी, तभी उसकी नजर नीचे पड़ी ब्रा पर गई जो कि पेंटि के साथ ही नीचे गिरी थी लेकिन राहुल ने सिर्फ पेंटी ही उठाया था. वह ब्रा ऊठाने के लिए नीचे झुकी और जैसे ही ब्रा को उठाकर वह सीधे खड़ी हुई तो उसके कंधे से साड़ी का आंचल नीचे गिर गया जिससे उसकी पहाड़ी छातियां अनावृत हो गई। ऊसकी बड़ी बड़ी चूचियां जोकि ब्लाउज के अंदर हीथी लेकिन अलका ने इस तरह का ब्लाउज पहनी थी कि उसकी आधी से ज्यादा चूचियां बाहर को झलक रही थी। राहुल राहुल की नजर जेसे ही अपनी मां की बड़ी बड़ी पहाड़ी छातियों पर पड़ी वैसे ही तुरंत उसके तन-बदन में कामाग्नि की तपन बढ़ने लगी उसकी जांघों के बीच का हथियार सुरसुराने लगा। 
अलका अपनी ब्रा को उठाने के बाद एक नजर अपनी ब्लाउज मे कैद चुचियों की तरफ डाली और फिर राहुल की तरफ मुस्कुराते हुए देखते हुए बोली। 

यह पेंटिं तो धूलि हुई है। 
( यह बात अलका ने इतनी कामुक अंदाज में बोली थी कि राहुल उसकी बात सुनकर अंदर तक चरमरा गया ऊसकी आंखों में तुरंत खुमारी का नशा छाने लगा। अलका यह अच्छी तरह से जानती थी कि यह क्या कह रही है और इसका मतलब भी राहुल अच्छी तरह से समझ रहा था । अलका यह भी जानती थी कि उसकी साड़ी कंधे पर से नीचे फिसल गई है। और उसकी बड़ी बड़ी छातियां ब्लाउज में छेद होने के बावजूद भी कामुक तरीके से प्रदर्शित हो रही है, लेकिन फिर भी वह इस बात को जानबूझकर नजरअंदाज करते हुए वापस साड़ी को कंधे पर डालने तक की सुध नहीं ली थी। अपनी मां की बातों ही बातों में खुले आमंत्रण को पाकर सिसकारी लेते हुए मादक अंदाज में वह बोला। 

ससससहहहहहह...... मम्मी तो क्या हुआ यह तो तुम्हारी धुली हुई पेंटी है मैं तो तुम्हारी पहनी हुई भी चड्डी को नाक से लगा कर मस्ती से सुंघ कर उसकी मादक खुशबू का आनंद ले सकता हूं। 
( इतना कहने के साथ ही राहुल अपने पैंट के ऊपर से ही खड़े लंड को मसल दिया यह देखकर अलका कि बुर से मदन रस बुंद बनकर ं झर गया। अलका इस समय छत पर राहुल की हरकत और उसकी बातों से मदहोश हुए जा रही थी विनीत का डर उसके मन से लगभग खत्म होते जा रहा था। एक बार फिर से वह राहुल के साथ बहकने लगी थी
ईसी छत पर उन दोनों ने पवित्र रिश्ते की डोरी को तोड़कर एक नए रिश्ते की शुरुआत की थी और आज फिर से कुछ दिनों के विराम के बाद एक बार फिर से उनकी वासना की पुस्तक मे नया अध्याय जुड़ने लगा था।

राहुल लगातार पेंटी को सुंघते हुए धीरे-धीरे अपने कदम को अपनी मां की तरफ बढ़ा रहा था। जैसे-जैसे राहुल उसकी तरफ बढ़ रहा था अलका के बदन में गुदगुदी और ज्यादा बढ़ रही थी उसका बदन कसमसाने लगा था। वह अलका के बिल्कुल करीब पहुंच गया अलका इतनी ज्यादा शर्मसार हुए जा रही थी कि वह अपने बेटे से नजरें तक नहीं मिला पा रही थी। रह रह कर उसकी पलके पटपटा रही थी। वह कभी राहुल को तो कभी नीचे जमीन की तरफ देखने लगती उसके हाथों में अभी भी कपड़ो का ढेर लदा हुआ था। उसका आंचल अभी भी कंधे से लोगों का हुआ था जिस पर राहुल की नजर बराबर बनी हुई थी वह अपनी मम्मी के चारों तरफ धीरे धीरे चक्कर लगाने लगा और उसकी नजरें उसके गुदाज बदन पर चारों तरफ फिरने लगी। राहुल को इस तरह से अपने बदन के इतने करीब चक्कर लगाते हुए घुमने की वजह से वह शर्मसार हुए जा रही थी और उसका बदन शर्म के मारे कसमसा रहा था। राहुल नजरों को अपनी मां के भजन के कोने कोने पर फिरा रहा था अपनी मां के इर्द-गिर्द चारों तरफ चक्कर काटते हुए उसकी नज़र खास करके ब्लाउज से झांकती उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और चुचियों के बीच की गहरी लकीर पर फिरती फिरती हुई पीछे कमर के नीचे का पहाड़ी उठाव पर घूम रही थी। अलका भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे की नजर उसके बदन पर कहां कहां चिपक रही है। राहुल अपनी मां के पीछे की तरफ जाकर धीरे से ऊसके कानों में मादक स्वर में बोला।
ससहहहहहहह.....मम्मी .... तुम बहुत ही हॉट और खूबसूरत हो, तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा। ( राहुल अपनी मां की तारीफ करते हुए लगातार उसकी पैंटी को भी नाक लगाकर सुंघे जा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे पेंटी को सुंघते हुए उसकी उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही है। अपने बेटे के मुंह से अपने बदन की तारीफ सुनकर वह शर्माकर ईठलाते हुए बोली।)
चल झूठा कोई काम नहीं है तो बेवजह की तारीफ किए जा रहा है। ( इतना कहकर वह राहुल के हाथ से अपनी पैंटी को छीन कर जाने लगी तो पीछे से राहुल बोला।) 

सच कह रहा हूं मम्मी आप बहुत खूबसूरत हो। ( अपने बेटे की बात सुनकर वह वहीं रुक गई। ) तुम अगर कोई गैर औरत होती तो मैं तुम्हें अपना गर्लफ्रेंड बना लिया होता। ( अपने बेटे की यह बात से वह एकदम से रोमांचित हो गई उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई और वह मुस्कुराते हुए गर्दन घुमाकर पीछे राहुल की तरफ देखने लगी। अपनी मां को अपनी तरफ इस तरह मुस्कुराते हुए देखकर राहुल बोला।) आई लव यू मम्मी।
( राहुल को युं ईजहार बयां करते हुए देख कर अलका बोली।) 
तू पागल हो गया है।( इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए जाने लगे तो राहुल ने फिर से से रोकते हुए बोला।)

मम्मी रुको।( अलका फिर रुक गई राहुल के बदन मे उत्तेजना बढ़ चुकी थी उसके लंड का तनाव पेंट में तंबू बनाया हुआ था जिस पर बार-बार अलका की भी नजर चली जा रही थी। राहुल की बात सुनकर भर रुक तो गई थी लेकिन वह अपनी पीठ राहुल की तरफ किए हुए ही खड़ी थी। वह बहुत ही उत्सुक थी,वह देखना चाहती थी कि अब राहुल क्या करता है क्या कहता है? तभी राहुल बोला।


मम्मी क्या आप अपनी पेंटी दोगी ऊतार के! 
( अलका अपने बेटे की यह बात सुनते ही एकदम सन्न हो गई, साथ ही ऊसके कहे एक-एक शब्द ने उसके बदन में रोमांच फैला दिया। वह जानती थी कि राहुल क्या कह रहा है और उसकी पैंटी के साथ क्या करना चाहता है। लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए वह बोली।)

उतार के...... मतलब (इतना कहने के साथ ही अलका राहुल की तरफ घूम गई वह अपना आंचल फिर से कंधे पर रख ली थी, उसकी नजर राहुल की पैंट पर पड़ी तो अभी भी ऊसका पूरा तनाव बना हुआ था, राहुल फिर बोला।)
उतार के मतलब... इस समय आप जो पेंटी पहनी हुई हो उसकोे उतार कर मुझे दो।

क्या करोगे मेरी पैंटी को? 


वही करुंगा जो आप की धुली हुई पेंटी के साथ कर रहा था।( पेंट के ऊपर से ही लंड को सहलातो हुए बोला, अपने बेटे को यूंही उसकी आंखों के सामने ही लंड सहलाता हुआ देखकर उसकी बुर में सुरसुराहट बढ़ गई, राहुल की बातों से अलका का उन्माद बढ़ने लगा। वह उन्मादित होते हुए बोली।)

तुम पागल हो गए हो राहुल, ऐसा भी भला कोई करता है क्या? 

मैं करुूंगा मम्मी मैं तुम्हारी बुर की खुशबू तुम्हारी पैंटी में महसूस करना चाहता हूं। तुम्हारी बुर सो लाखों फूलों की खुशबू आती है उसकी मादक खुशबू मे मैं अपना सब कुछ भूल जाता हूं। मम्मी दोना।

मेरा मन बहुत कर रहा है आप की पहनी हुई पेंटी की मादक खुशबू अपने सीने में उतारने के लिए। 

( अपने बेटे की ऐसी उत्तेजक और उन्माद से भरी गरमा बातों को सुनकर का रोम-रोम जना गया उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर फेलने लगी। वह राहुल की बातों को सुनकर कामोतेजना से भर गई उसे इस बात की उम्मीद कभी नहीं थी कि राहुल ऐसी भी इच्छा रखता है। उसे इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि कोई कैसे भला किसी औरत की यूज़ की हुई पेंटिं को इस तरह से नाक लगाकर सुंघ सकता है। अब तो अलका की भी उत्सुकता बढ़ती ही जा रहीे थी वह भी देखना चाहती थी कि कैसे राहुल उसकी पहनी हुई पेंटी को यु नाक लगाकर मस्ती के साथ सुघता है। वह भी बात बनाते हुए बोली।

नहीं राहुल एेसा नही होता छी: कितनी गंदी बात है। ( अलका जानबूझकर ऐसा बोल रही थी अब तो वह खुद चाहती थी कि उसका बेटा उसकी पहनी पेंटी को सुंघकर मस्त हो। लेकिन वह खुद सामने से अपनी पैंटी उतार कर अपने बेटे को देने में असहजता का अनुभव कर रही थी वह चाहती थी कि उसका बेटा जोर देकर उसकी पेंटी को मांगे। और राहुल यही कर रहा था वह फिर से जोऱ देते हुए अपनी मां से बोला।

दो ना मम्मी प्लीज अब और ना तड़पाओ मेरी हालत देखो( पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को हथेली से मसलता हुआ ) मुझसे रहा नहीं जा रहा है प्लीज मम्मी प्लीज...( राहुल एकदम मदहोश होता हुआ आहें भरते हुए अपनी मम्मी से बोल रहा था अलका भी उसकी तड़प देखकर खुद मचलने लगी, और बोली।) 

तो तू ही बता मैं क्या करूं।

आप कुछ मत करो मम्मी बस अपनी पहनी कोई पेंटिं निकाल कर मुझे दे दो। 

यहां .....छत पर ....।।कोई देख लिेया तो..... 

कौन देखेगा मम्मी यहां छत पर वैसे भी हम दोनों के सिवा यहां है ही कौन? ( अलका पूरी तरह से तैयार थी अपनी पैंटी उतार कर अपने बेटे को देने के लिए बस थोड़ा सा ना नुकुर कर रही थी। वैसे भी शाम ढल चुकी थी, अलका भी अच्छी तरह से जानती थी उनकी छत पर कोई भी उन दोनों को देख नहीं सकता था यह तो अलका सिर्फ बहाना बना रही थी। ) 

दोना मम्मी प्लीज कोई भी नहीं देखेगा। 

ठीक है ठीक है, मैं उतार कर तुझे देती हूं,। ( अलका उन्माद से भर चुकी थी इसलिए अपने बेटे के कहने पर पेंटी उतारने के लिए तैयार हो गई, उसके हाथों में अभी भी कपड़ों का ढेर था वह राहुल के सामने खड़ी होकर छत के ऊपर से ही चारों तरफ नजर घुमाकर यह तसल्ली कर ली कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है। पूरी तसल्ली कर लेने के बाद वह फिर पेंटी उतारने के लिए तैयार हो गई।
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