Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:39 PM,
#91
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
सारे काम करके अलका सजधजकर बच्चों को स्कूल भेज कर खुद ऑफिस चली गई उसके दिन बड़े अच्छे से गुजर रहे थे ईस समय उसे कोई भी परेशानी नहीं हो रही थी ना तो आर्थिक रुप से ना तो शारीरिक रूप से दोनों ही रूप से अलका पूरी तरह से संतुष्ट थी। रोज अपने बेटे द्वारा शारीरिक कसरत हो जा रही थी इसी वजह से उसकी खूबसूरती और भी ज्यादा निखरते अा रही थी। 
राहुल भी बहुत खुश था क्योंकि आज उसे विनीत की भाभी से मिलने जाना था बहुत दिन हो गए थे उसे विनीत की भाभी की बुर का स्वाद चखे। लेकिन राहुल को यह नहीं पता था कि उसका ही दोस्त अब इसके लिए मुसीबत बनने वाला था। विनीत की भाभी ने राहुल को फोन करके यह बता दी थी कि उसे कब घर आना है। वीनीत की भाभी के घर पर जाने की पूरी तैयारी राहुल ने कर लिया था। उसकी याद में आज रह-रहकर राहुल का लंड ठुनकी ले रहा था। यही हाल वीनीत की भाभी का भी था। वह भी जब से गई थी तबसे ढंग से चुदवाने का मौका भी नहीं मिल पाया था और जब मौका मिला तो राहुल की तरह तगड़ा मोटा लंड नहीं मिल पाया। इसलिए माफी राहुल से चुदवाने के लिए तड़प रही थी और वहां से निकलते ही राहुल को फोन कर दी थी कि आज घर पर आ जाना।। आग दोनों जगह बराबर लगी हुई थी। 
विनीत को तो राहुल की मां की याद सता रही थी जब से उसने अस्पताल में अलका को भोगा था , सबसे उसको अलका के बदन को ले करके एक अजीब सा सुरूर छा गया था। दिन-रात उसे बस अलका ही नजर आती थी। क्योंकि उसने आज तक अलका जैसी औरत ना देखा था और ना ही भोगा था बार-बार उसे अलका का नंगा बदन आंखों के सामने नजर आ रहा था उसकी बड़ी बड़ी चूचियां जिसे वह उस रात दबा दबा कर अपने मुंह में भर कर चूसा था, उसकी मोटी मोटी मांसल केले के तने के सामान चिकनी जांगे , ऐसी जांगो के बारे में विनीत ने कभी कल्पना भी नहीं किया था , और अलका की खूबसूरत जांघो उसने अपनी हथेली से निकलते हुए उसके गरम स्पर्श का अहसास अपने अंदर उतारा था। जिसकी गर्मी उसे आज तक अपनी हथेली में महसूस होती थी। उसे इस बात का भी यकीन उसे भोगने के बाद भी नहीं हो पा रहा था कि इस उम्र में भी उसकी रसीली बुर का कसाव पहले की तरह बरकरार है। उसने तो आज तक ऐसी कसी हुई बुर में कभी लंड भी नहीं डाला था। नीलु को भी जब वह पहली बार चोदा था तब भी जो ऐसा जान का के साथ उसे आया था वैसा एहसास उसके साथ कभी भी महसूस ही नहीं हुआ।
इसलिए तो वह अलका की खूबसूरती और उसके बदन के प्रति पूरी तरह से कायल हो चुका था। इसलिए तो वह अलका को फिर से भोगना चाहता था। अलका के खूबसूरत बदन के मादक खुशबू को वह फिर से अपने सीने में उतारना चाहता था। वह भी अलका से मिलने के लिए पूरी तरह से बेकरार था। 
राहुल तो स्कूल से छूटते ही सीधे विनीत की भाभी के घर पहुंच गया। विनीत की भाभी उसे देखते ही बहुत प्रसन्न हुई। बहुत दिनों से काम की प्यासी थी और उसने जी भर के राहुल से चुदवा कर अपने काम की प्यास बुझाई । राहुल भाई कुछ दिनों से नीलू और अपनी मां की प्यास बुझाने में लगा हुआ था आज एक बार फिर से विनीत की भाभी की बुर पाकर उसकी जबरदस्त चुदाई किया। जाते समय फिर से वीनीत की भाभी ने राहुल को कुछ पैसे दी जिसे राहुल ले करके अपने पेंट की जेब में रख लिया' और घर से बाहर आ गया। 
शाम के वक्त विनीत अलका का इंतजार करते हुए उसी मार्केट में बैठा रहा लेकिन ना जाने कब अलका वहां से निकल गई इस बात का विनीत को पता भी नहीं चला। विनीत को यह लगा कि शायद अलका ऑफीस ही नही गई होगी। ऊस दीन तो राहुल हांथ मसल के रह गया। 
अलका घर पहुंचकर घर में राहुल को देखते ही खुश हो गई। खुशी खुशी वह भोजन तैयार करने में जुट गई। ऊसे बड़ी बेसब्री से रात का इंतजार था क्योंकि रोज की तरह आज भी उसकी बुर में खुजली मची हुई थी जो कि उसका बेटा ही अपना लंड डालकर मिटा सकता था।
खाना बन चुका था तीनों गरमा गरम भोजन करके संतुष्ट हो चुके हैं रोज की तरह दोनों अपने कमरे में चला गया और राहुल अपनी मां के पीछे पीछे उसके कमरे में।
आज जब राहुल अपनी मां के कपड़े उतारकर उसे नंगी कर रहा था तब जैसे ही राहुल अलका की पेंटिं को खींच कर नीचे सरकाने लगा तभी उसकी नजर पेंटिं पर हुए छोटे से छेंद पर पड़ी , पेंटिं को टांगो से निकालने के बाद वह उस छोटे से छेद को अपनी मां को दिखाते हुए बोला।

मम्मी तुम्हारी गांड थोड़ी और ज्यादा बड़ी होती जा रही है तभी तो देखो यह पेंटी फटने लगी है। 

अपने बेटे की यह बात सुनकर अलंका शरमा गई क्योंकि वह जानती थी कि महंगी पेंटी और ब्रांडेड कंपनी की वह खरीद नहीं पाएगी इसलिए बाजार से लाकर चालू कंपनी की पैंटी वह पहनती थी। वह एकबार पहले भी बता चुकी थी, और वही बात फीर से दोहराते हुए बोली। 

बेटा मैं तुझे पहले भी तो बता चुकी हुं की महंगे और ब्रांडेड पैंटी और ब्रा पहनने की मेरी हैसियत नहीं है। इसलिए यह सब जो भी पहनती में बाजार से लाते हैं एक दो महिना तो बड़ी मुश्किल से चलता है और फटना शुरू हो जाती है। 
( अपनी मां की बात और उसकी मजबूरी जानकर राहुल बोला।)

कोई बात नहीं मम्मी 10 दिन बाद मेरा जन्मदिन है मैं तुम्हारे लिए ब्रांडेड कंपनी की ब्रा और पैंटी और एक अच्छी सी गाऊन खरीद कर आप को गिफ्ट कर दूंगा।
( अपने बेटे की बात सुनकर अलका हंसने लगी और हंसते हुए बोली।) 

अरे ऐसा कैसे हो सकता है बेटा जन्मदिन तेरा है और तू खुद मुझे गिफ्ट देगा बल्कि मुझे तुझे गिफ्ट देना चाहिए था। 

तो क्या हुआ मम्मी आप तो रोज मुझे गिफ्ट देती हो
( बुर की तरफ इशारा करते हुए) और इससे अनमोल दूसरा कोई भी गिफ्ट नहीं हो सकता। 

( राहुल की बात सुनकर अलका एक बार फिर से मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए बोली।)
तू बहुत चालाक है सच में यह औरत की सबसे अनमोल गिफ्ट है जो कि मैंने तुझे अर्पित कर दिया लेकिन फिर भी तो मुझे मेरे जन्मदिन पर कुछ ना कुछ तो देना ही होगा। 

मुझे कुछ नहीं चाहिए मम्मी बस अपनी यही अनमोल तोहफा मुझे हमेशा देते रहना मैं हमेशा खुश रहूंगा।

यह अनमोल तोहफा तेरा ही है बेटा इस पर सिर्फ तेरा ही हक है। तू जब चाहे जेसे चाहे इसे ले सकता है।
( अलका अपनी हथेली को अपनी बुर पर मसलते हुए बोली। राहुल अपनी मां को अपनी बुर को मसलते हुए देखा तो अपनी भी हथेली अपनी मां की हथेली पर रखकर दबा दिया। राहुल की ईस हरकत पर अलका की सिसकारी छूट गई, और वह सिसकारी लेते हुए बोली।)

ससससहहहहहहह......आााााहहहहहहह..... राहुल मेरे को इतना तेरे जन्मदिन पर मैं तुझे जरुर कोई ना कोई तोहफा दूंगी। ( राहुल अपनी मां की बुर को मसलते हुए एकदम से चुदवासा हो गया था और वह अपनी मां की कलाई हो तुम अपनी हथेली में तो करते हुए अपनी मां के ऊपर सवार हो गया और अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच टीकाते हुए बोला।

बस मम्मी अब कुछ मत बोलो तुम मेरे लंड का सिर्फ मजा लो( इतना कहने के साथ ही राहुल ने अपना पूरा लंड अपनी मां की बुर में पेल दिया। और अपनी मां को चोदने लगा दोनों ने एक बार फिर से पूरी रात चुदाई का सुख लेते रहें। ) 

दूसरे दिन स्कूल जाते समय अलका ने राहुल से बोली की स्कूल से सीधा घर पर आाना कहीं जाना मत क्योंकि आज बाजार जाना है घर का कुछ सामान खरीद कर लाना है तो मेरी मदद कर देना क्योंकि आज मेरे ऑफिस की छुट्टी है इसलिए मैं आज सारा दिन घर पर ही हूं।

ठीक है मम्मी (इतना कह कर राहूल अपने स्कूल चला गया विनीत के आ जाने के बाद राहुल और नीलू छुप-छुपकर मिलने लगे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि बात का बतंगड़ बने ,। नीलू भी जितना हो सकता था विनीत से दूर ही रहने की पूरी कोशिश करती थी। 
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10-09-2018, 03:39 PM,
#92
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स्कूल छुटने के बाद राहुल सीधे अपने घर पर चला गया
क्योंकि वह अपनी मां की बात याद थी उसे बाजार जाना था इसलिए शाम को दोनों साथ में ही बाजार चले गए। पूरी खरीदी हो चुकी थी अलका सामान का थैला लेकर मिठाई की दुकान के बाहर खड़ी होकर राहुल का इंतजार कर रही थी जो कि मिठाई की दुकान में मिठाई खरीद रहा था। 
अलंका कीे ताक में बैठा वीनीत अलका का इंतजार कर रहा था तभी मिठाई की दुकान के आगे से खड़ी देखकर विनीत अंदर ही अंदर बहुत खुश हुआ, वह अलका की खूबसूरती देखकर हैरान हुए जा रहा था क्योंकि दस पंद्रह दिनों में अलका और ज्यादा खूबसूरत हो गई थी। अलका को देखते ही राहुल के लंड में सुरसुराहट होने लगी। वह अलका की तरफ बड़ा ही था कि तभी एका एक मिठाई की दुकान में से मिठाई खरीद कर राहुल निकला और मिठाई की थैली को अलका को थमाने लगा। राहुल को वहां देख कर वह भी अलका के साथ वीनीत तो दंग रह गया । उसके पांव जहां थे वहीं ठीठक गए। विनीत को तो कुछ समझ में ही नहीं आया कि आखिर यह हो क्या रहा है। वह बस आंखें फाड़े अलका और राहुल को देखे जा रहा था अलका राहुल से हंस-हंस के बातें कर रही थी जो कीे विनीत को जरा भी अच्छा नहीं लग रहा था। उसके मन में राहुल और अलका को लेकर के ढेर सारे सवाल पैदा होने लगे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार राहुल और अलका के बीच संबंध कैसा है दोनों का रिश्ता क्या है? 
यह सवाल विनीत के मन में उठना लाजमी था क्योंकि राहुल का दोस्त होते हुए भी उसने आज तक उसके ना घर गया था ना उसकी मां से ही मिला था। इसलिए अलका को राहुल के साथ देखकर इस समय वह हैरान हो रहा था। वीनीत वहीं खड़ा रहा ,अलका और राहुल अपने रास्ते जाने लगे तो विनीता से रहा नहीं गया वह दोनों के बीच के संबंध को जानना चाहता था इसलिए वह भी उनके पीछे-पीछे नजरें बचाकर जाने लगा। राहुल रह रहकर चलते समय अपनी मां का हाथ पकड़ ले रहा था। जो कि यह बात वीनीत को कांटे की तरह चुभ रही थी। क्योंकि एक तरह से वो अलका को अपनी प्रेमिका समझ बैठा था जिसके साथ इस में अस्पताल में शारीरिक सुख का आनंद ले लिया था इसलिए वह नहीं चाहता था कि अगर किसी गैरों के साथ घूमती फिरे । विनीत दोनों से कुछ दूरी बनाकर उन दोनों के पीछे पीछे जाने लगा। उन दोनों की बातें भी उसे सुनाई दे रही थी ।

विनीत को तो तब झटका लगा जब राहुल के मुंह से वह अलका के लिए मम्मी मम्मी शब्द सुना। उसे अपने कानों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ वह तो जब अलका भी उसे बेटा बेटा करके संबोधित कर रही थी तब उसे यकीन हुआ कि राहुल अलका का ही बेटा है जो कि उसका मित्र भी है। विनीत को तो आप और भी ज्यादा राहुल से जलन होने लगी। क्योंकि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि राहुल की मम्मी इतनी ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी होगी जिसका वह खुद दीवाना हो चुका है। जिसके साथ अस्पताल में एक रात भी गुजार चुका है। दोनों के पीछे जाते-जाते वह चौराहे तक आ गया। जहां से राहुल और अलका अपने घर के लिए मुड़ गए। इतनी गहरी दोस्ती होने के बावजूद भी विनीत आजतक राहुल के घर कभी नहीं गया था इसलिए वह उसका घर भी नहीं देखा था। इसलिए वह राहुल का घर भी देखना चाहता था इसलिए ऊन दोनों के पीछे पीछे लगा रहा है। अलका की भारी-भरकम भटकती हुई गाने को देखकर इस समय भी विनीत की हालत खराब हुए जा रही थी। राहुल के प्रति जलन की भावना के बावजूद अलका की खूबसूरत गांड को देखकर उसका लंड ठुनकी ले रहा था। इसमें वीनीत का बिल्कुल भी दोष नहीं था क्योंकि हालात चाहे कैसे भी हो अलका की खूबसूरती सब पर अपना जादू चला ही देती थी।
धीरे धीरे चलते हुए अलका ओर राहुल का घर भी आ गया । विनीत आज पहली बार अपने दोस्त का घर देख रहा था। घर देखने के बाद विनीत वहां से चला गया लेकिन उसके मन में राहुल के प्रति नफरत होने लगी और अलका को पाने कि उसकी चाहत बढ़ने लगी। 
ऐसे कुछ समझ में भी नहीं आ रहा था एक तरफ तो वह सोचता था कि अलका राहुल की मां है इसलिए कुछ करना ठीक नहीं है क्योंकि अभी तक जो हुआ उसके बारे में राहुल को बिल्कुल भी नहीं पता था अगर कहीं राहुल को कुछ पता चल गया तो वह भी वीनीत के बारे में क्या सोचेगा। लेकिन तभी बार बार उसकी आंखों के सामने अलका का कामुक बदन उसकी खूबसूरती उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और उसकी भराव दार गांड नजर आने लगती, और उसकी खूबसूरत चिकनी बुर नजर आती जिसमें वह अपना लंड डालकर उसे चोद रहा था। यह सब ख्याल आते हैं विनीत का दिमाग फिर बदलने लगा। वह किसी भी हालत में अलका को फिर से पाना चाहता था वह उसको फिर से चोदना चाहता था उसकी खूबसूरत रसीली बुर का नमकीन पानी अपने होठों से लगाकर पीना चाहता था। विनीत यह चाहता था कि अलका खुद ऊसकी दीवानी हो जाए। वह यह चाहता था की अलका खुद अपनी बड़ी बड़ी गांड को उसके लंड पर रखकर अपनी बुर में उसका लंड ले और लंड पर उठक बैठक करते हुए चुदवाने का आनंद ले यह सब सोचकर ही ऊसका लंड पूरी तरह से पागल हो चुका था जिसे वह अलका के बारे में सोचकर मुठ मारकर शांतहुआ। 
विनीत मन में ठान लिया था कि चाहे जो भी हो जाए अलका को वह किसी भी कीमत पर पाकर रहेगा चाहे इसके लिए ऊसे कुछ भी करना पड़े। अलका को पाने के लिए वह यह भी भूल जाएगा कि अलका राहुल की मां है उसके परम मित्र की मां। वह राहुल से भी दुश्मनी लेने को पूरी तरह से तैयार हो गया था।

अलका और राहुल दोनों अपने जीवन में आने वाले तूफान से अनजान अपनी ही मस्ती में खोए हुए थे। राहुल अपनी मां के कमरे में एकदम नंगा हो कर के अपनी मां की कपड़े उतार रहा था। और साथ ही उसके बदन को चुंबन से नहला भी रहा था। अलका के लिए अपने बेटे के साथ अपने ही बिस्तर पर बिताए हुए हर एक पल अविस्मरणीय यादगार के रूप में उसके मन मस्तिष्क में बसता चला जा रहा था। जो आनंद कुछ नहीं ना से उसका बेटा उसे दे रहा था वह आनंद उसके लिए अतुल्य था वह मन में कभी कभी सोचती भी थी कि अगर राहुल के साथ उसके शारीरिक संबंध स्थापित नहीं होते तो वह इसे सूखे के लिए सारी जिंदगी तड़पती रह जाती और उसे ऐसा अद्भुत आनंद से भरा हुआ सुख कभी भी हासिल नहीं हो पाता। राहुल के लिए भी यह पल अविस्मरणीय था। राहुल एक-एक करके अपनी मां के खूबसूरत बदन पर से उसके लिबास को हटा रहा था। और कुछ ही देर में उसके बदन पर से अंतिम वस्त्र के रूप में उसकी पैंटी को भी उसकी चिकनी जानवरों से होते हुए उसकी गोरी टांग में से निकाल कर नीचे फर्श पर फेंक दिया। इस समय राहुल और अलका दोनों निर्वस्त्र अवस्था में एक दूसरे के बदन से चिपके हुए चुम्मा-चाटी कर रहे थे राहुल का टनटनाया हुआ लंड अलका की जांघों के बीच रगड़ खा रहा था। जिस की रगड़ को अपनी बुर के इर्द-गिर्द महसूस करके अलका चुदवासी हुए जा रही थी और खुद ही अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर और अपने बेटे के लंड को पकड़ कर अपनी बुर की फांको के बीच रगड़ कर मस्त हुए जा रही थी। 

ससससससहहहहहह.... बहुत ही गर्म लंड है रे तेरा...आहहहहहहहह.... बस अब बिल्कुल भी देर मत कर डाल दे मेरी बुर में तेरा लंड...

अलका अपने बेटे के लंड की गर्मी महसूस करके बदहवास हुए जा रही थी। और खुद ही अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा कर ल़ंड को अपनी बुर में डालने की नाकाम कोशिश कर रही थी। अपनी मां के उतावलेपन को देखकर राहुल से भी रहा नहीं गया और उसने तुरंत अपने खड़े लंड को अपनी मां की बुर में उतारना शुरू कर दिया। राहुल बहुत ही तीव्र गति से अपनी मां की चुदाई कर रहा था और अलका लगातार सिसकारी लेते हुए मजे ले रही थी। राहुल हर आसन का प्रयोग करके अपनी मां को भोग रहा था लेकिन जैसे ही वह अपनी मां को पीछे से चोदने के लिए अलका को घुटने और पैर के बल झुकाया तो उसकी नजर अलका के भूरे रंग के उस छेंद पर चली गई। ऊस कामुक छोटे से छेद को देखकर राहुल का मन बदल गया, उसे वह पल याद आ गया जब उसने विनीत की भाभी के कहने पर उसकी गांड मारा था गांड मारने का अनुभव राहुल को बड़ा ही बेहतरीन लगा था लेकिन उसके बाद से उसे गांड मारने का सुख हासिल नहीं हो सका । इसलिए इस समय वह अपनी मां की गांड के भूरे रंग के छेद को देख कर उसकी वही सोई हुई इच्छा फिर से जाग गई। और राहुल ने खुद थोड़ा सा थुक लगाकर उस छेद को गीला करने लगा। गिला करने के बाद जैसे ही उसने अपने लंड के सुपाड़े को उस भूरे रंग के छेंद पर टिकाया ही था की अलका को आभास हो गया की उसका बेटा कुछ अलग करने जा रहा है, वह तुरंत झुके हुए ही अपनी नजरें पीछे करके राहुल की तरफ देखिए और उसे ऐसा ना करने के लिए कहने लगी।

नहीं बेटा ऐसा मत करो मैंने आज तक ऐसा कभी नहीं करवाई मुझे तो ऐसा मालूम भी नहीं है कि उस जगह पर करवाया भी ज्यादा है कि नहीं। तू तो देख ही रहा है कि उसका अच्छे अभी कितना छोटा है और तेरा लंड का सुपाड़ा ही इतना मोटा है कि अंदर जाएगा ही नहीं अभी नहीं बेटा।

बस मम्मी एक बार एक बार थोड़ा ट्राई तो करने दो।

नहीं राहुल बिल्कुल भी नहीं तुझे मेरी कसम आज ऐसा मत कर किसी दिन मौका देखकर जरूर तेरा लंड अपनी गांड में लूंगी। 
( एक बार राहुल अपनी मां की बात मान गया और एक छोटे से छेद में लंड ना डाल कर उसकी रसीली मदन रस से टपकती हुई बुर में डाल कर चोदना शुरू कर दिया और कुछ मिनटों बाद दोनों गरम आहें भरते हुए झड़ गए। ) 

दूसरे दिन स्कूल में नीलू राहुल से बात करने के लिए मौके की तलाश करने लगी लेकिन विनीत के होते हुए उसे मौका हाथ नहीं लगा। नीलू राहुल को दिलों जान से चाहने लगी थी इसलिए उसके बगैर एक पल भी काटना उसके लिए मुश्किल हो जाता था। राहुल से मिलकर उसे राहत मिलती थी लेकिन जब से वीनीत वापस आया था वह ठीक से राहुल से मिल भी नहीं पाई थी। इसलिए जब भी थोड़ा सा भी समय मिलता है तो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर मुस्कुरा लेते थे। नीलू भी विनीता से कन्नी काटने लगी थी वह भी मौके की तलाश में थी कि जब भी उसे मौका मिलेगा तो वह वीनीत से सारे रिश्ते तोड़ देंगी क्योंकि राहुल के मिल जाने से वह वीनीत कोई भी रिश्ता आगे नहीं बढ़ाना चाहती थी। वह भी बस मौका ही ढूंढ रही थी विनीत से मिलकर वह सब कुछ क्लियर कर लेना चाहती थी। वैसे उसके लिए खुशी की बात आज यह थी कि उसके पापा बिजनेस टूर को पूरा करके महीनो बाद आज घर लौट रहे थे। नीलू उसके पापा की चहिती थी। नीलू भी अपने पापा से बहुत प्यार करती थी उसके पापा ने भी उसकी हर जिद पूरी की थी उसकी हर ख्वाहिशों का ख्याल रखा था इसलिए वह घर पर अपने पापा के आने का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी क्योंकि आज वह अपने पापा से राहुल के बारे में बात करना चाहती थी। और उसे यकीन भी था कि उसके पापा उसकी यह ख्वाहिश भी जरुर पूरी करेंगे क्योंकि अपने पापा की वह ईकलौती संतान थी। धन-दौलत की कोई भी कमी नहीं थी। सब कुछ उसके पास था बस वह अब राहुल को पाना चाहती थी यही बात वह राहुल से करना चाहती थी लेकिन विनीत की मौजूदगी में वह राहुल से कुछ भी कह नहीं पाई।
विनीत राहुल से मिला जरूर लेकिन उसकी आंखों में आज राहुल खटक रहा था। राहुल से जलन सी होने लगी थी क्योंकि जिस तरह से वह अलका का हाथ पकड़कर रास्ते पर चला जा रहा था और जिस तरह से हंस हंस कर दोनों बातें कर रहे थे यह सब वीनीत से देखा नहीं जा रहा था। राहुल को क्या पता था कि विनीत के मन में क्या चल रहा है। राहुल तो उसे हंस कर बातें कर रहा था लेकिन विनीत ही कुछ खींचा खींचा सा लग रहा था। स्कूल से छूटने के बाद राहुल घर चला आया। 
अलका शाम को ऑफिस से छूटने के बाद बहुत खुश नजर आ रही थी उसे अब हमेशा घर पर पहुंचने के बहुत जल्दी पड़ी रहती थी। इसलिए मैं ऑफिस से बाहर निकलते ही जल्दी-जल्दी घर की तरफ जाने लगी उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट रहती थी उसके चेहरे पर खूबसूरती की लालिमा साफ साफ नजर आती थी। 
अलका आने वाली मुसीबत से बिल्कुल अनजान थी क्योंकि बाजार में विनीत ऊसका इंतजार कर रहा था। अलका मन में रोमांटिक गीत गुनगुनाते हुए पैदल चली जा रही थी। वह मिठाई की दुकान से आज फिर से रसमलाई खरीदना चाहती थी क्योंकि जिस तरह से राहुल ने पिछली रात को रसमलाई का सही उपयोग करते हुए उसकी बुर की चटाई किया था ऊस आनंद के वशीभूत होकर के आज अलका फिर से वही चाहती थी कि उसका बेटा फिर से रात को रस मलाई के रस को उसकी बुर टपकाते हुए अच्छे से उसकी बुर की चटाई करें, यही सोचकर वह बाजार में पहुंचते ही मिठाई की दुकान पर चली गई और वहां से रसमलाई पर करवा कर जैसे ही दुकान पर बाहर निकली , अपने ठीक सामने विनीत को देखकर उसका पूरा वजूद कांप गया
पंकज तू विनीत को पूरी तरह से भूल चुकी थी कुछ दिनों में राहुल ने ढेर सारा प्यार देकर उसे सारी दर्द देने वाली बातों को भुलवा चुका था। उसे ना तो विनीत ही याद रहा और ना ही ऊससे लिए गए पैसे और ना ही उसके साथ अस्पताल में बिताया वह पल याद रहा जिसे याद करके वह अपने आपको ही कोसती रहती थी। सारी भुली बाते वीनीत को देखते ही एक बार फिर से याद आ गई। अलका की तो सांसे ही अटक गई थी। ऊसमें इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि अपने कदम आगे बढ़ा सकें। तब तक विनीत उसके बिल्कुल करीब आ गया चेहरे पर कामुक मुस्कान लिए वह अलका से बोला।

वाह आंटी वाह आप तो अब बहुत ज्यादा खूबसूरत लगने लगी हो। आपकी खूबसूरती का राज तो बता दो।
( अलका उस की ऐसी बात सुनकर हैरान नहीं हुई क्योंकि वह जानती थी कि अस्पताल में किस तरह का दोनों के बीच वाक्या हो चुका था उससे विनीत के द्वारा ऐसी ही बातों की उम्मीद की जा सकती थी। विनीत की ऐसी बात सुनकर अलका को बहुत गुस्सा आया लेकिन कर भी क्या सकती थी इसलिए वह सिर्फ इतना ही बोली।)

इस तनख्वाह पर मैं तुम्हारे पूरे पैसे लौटा दूंगी।( इतना कहकर वह आगे बढ़ने लगी तो उसके पीछे पीछे विनीत चलते हुए बोला।) 

मैं पैसे मांगने नहीं आया हूं आंटी मैं तो बस आप से बात करने आया हूं। 

मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है रही बात पैसो की तो ईस तनख्वाह को मैं तुम्हें पूरे पैसे लौटा दूंगी और मुझसे यूं मिलने की कोशिश बिल्कुल भी मत करना। 

मैं कह तो रहा हूं आंटी के मुझे पैसे नहीं चाहिए। ( वह अलका के पीछे पीछे जाते हुए बोला। इस बार गुस्से में अलका वही फुटपाथ पर रुक गई और उसकी तरफ गुस्से में देखते हुए बोली।) 

पैसे नहीं चाहिए !क्यों नहीं चाहिए पैसे आखिर तुमने मुझे उतार दिए हैं उसे लौटाना मेरा फर्ज है और मैं तुम्हें जरूर लौटाऊंगी। 
( यहां सड़क पर लोगों का आना जाना कम था जो भी जा रहे थे वह लोग अपने अपने वाहन से निकल जा रहे थे फुटपाथ पर सिर्फ वीनीत और अलका ही थे इसलिए मौका देखकर वीनीत बोला। ) 

मैं तुमसे एक भी पैसा नहीं लूंगा आंटी और जो पैसे मैंने तुम्हें दाया हूं उसे लौटाने की भी जरूरत नहीं है । हां उसके बदले में आप मुझे....( इतना कहकर विनीत इधर उधर नज़र घुमाकर देखने लगा की कहीं कोई सुन तो नहीं रहा है। और अलका विनीत की बात को समझ नहीं पा रही थी इसलिए बोली।) 

बदले में क्या? ......

उन पैसों के बदले में आंटी मैं आपको..... मैं आपको....
चचचच.... चोदना चाहता हूं।( विनीत इससे पहले इतना गंदा लड़का कभी भी नहीं था लेकिन उसके सर पर वासना सवार हो गई थी वह अलका की खूबसूरती को अलका को पाना चाहता था उसे किसी भी कीमत पर भोगना चाहता था। जबकि वह जानता था की अलका उसकी मां की उम्र की है और उसके दोस्त की मां भी है।
लेकिन जब एक बार वासना का भूत सर पर सवार होता है तो अपनी मनमानी कर के ही छोड़ता है। वही हाल विनीत का भी था अलका के मदमस्त बदन ने उसके दिमाग पर अपना पूरी तरह से कब्जा बना चुका था। जिसके असर से निकल पाना विनीत के लिए बहुत ही मुश्किल था वह अलका को किसी भी कीमत पर भोगना ही चाहता था। विनीत के मुंह से अपने लिए इतने गंदे शब्द और इसकी इच्छा जानकर अलका को इतना गुस्सा आया कि उसने विनीत के गाल पर थप्पड़ मारने के लिए अपने हाथ उठा दि।) 

हरामजादे तेरी इतनी हिम्मत( इतना कहकर जैसे ही अलका ने विनीत को मारने के लिए जैसे ही हाथ उठाए विनीत झट से उसकी कलाई को थाम लिया। और इतने गंदे शब्दों में उसे बोला कि वह अंदर ही अंदर शर्मिंदा हो गई वह डर के मारे उसका बदन कांप गया। वह अलका की कलाई पकड़ते हुए बोला।) 

हाय जानेमन नाजुक हाथ मेरे गाल पर थप्पड़ मारने के लिए नहीं बल्कि मेरे लंड को हिलाने के लिए है।
( अलका को उम्मीद नहीं थी कि विनीत ईतने गंदे शब्दों का प्रयोग करेगा। वह अभी भी अलका की तलाई को अपनी मुट्ठी में दबोचे हुए था जिसे अलका छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी। लेकिन वीनीत उसकी कलाई को छोड़ नहीं रहा था।) 

वीनीत तुझसे मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी मैं तेरी मां की उम्र की बराबर है फिर भी तू मुझसे ऐसी चाहत रखता है तुझे शर्म आनी चाहिए। ( वह विनीत के हाथों से अपनी कलाई को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली।) 

अच्छा मुझे शर्म आनी चाहिए और मेरी रानी अस्पताल में जो तुमने मुझसे चुदवा चुदवा कर मजा लि तब शर्म नहीं आ रही थी। उस समय तो अपनी उम्र का तुझे बिल्कुल भी ख्याल नही आया। और अब कहती है कि मैं तेरी मां की उम्र के बराबर हूं। देख मेरी रानी तुझे चोदने के बाद जो सुख जो आने में मुझे मिला वह आज तक किसी और औरत को चोदने के बाद भी नहीं मिला। इसलिए मैं तुझे फिर से चोदना चाहता हूं। बदले में मैं तेरा सारा कर्जा माफ कर दूंगा और ऊपर से तुझे पैसे भी दूंगा। ( इतनी गंदी बात अपने बारे में सुनकर अलका की आंखों में आंसू आ गए। वह सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी दिन आएगा। वीनीत उसकी कलाई को छोड़ते हुए बोला।) 

तुझे सोचने का मैं पूरा वक्त देता हूं ठीक तरह से मान जा वरना मुझे दूसरे तरीके भी आते हैं।( इतना कहकर विनीत वहां से चला गया। विनीत की धमकी और उसके इरादे के बारे में जानकार अलका की हालत बिल्कुल खराब हो गई थी। उसकी आंखों से आंसू छलक रहे थे कोई देख ना ले इसलिए वह अपनी ही साड़ी से अपने आंसू पोंछते हुए धीरे-धीरे अपने घर की तरफ जाने लगी । ) 

दूसरी तरफ नीलू बहुत खुश थी क्योंकि बिजनेस टूर पर लौटकर उसके पापा घर पर आ चुके थे और उसके लिए ढेर सारे गिफ्ट और कपड़े भी लेकर आए थे जिन्हें वह बारी-बारी से देख कर खुश हो रही थी। वह अपने पापा से राहुल के बारे में बात करना चाहती थी लेकिन उसे अभी यह समय ठीक नहीं लगा वह सोच रही थी कि खाते समय वह अपने पापा से जरूर राहुल के बारे में बात करेगी उसकी मम्मी भी खुश थी। 
डिनर करने नहीं अभी अभी कुछ समय बाकी था नीलू अपने पापा से इधर उधर की बातें कर रही थी कि तभी अचानक नीलू के पापा के सीने में जोऱों का दर्द ऊभरने लगा। पलभर में ही नीलू के पापा का पूरा शरीर पसीने में भीग गया नीलू तो एकदम घबरा गई नीलू की मम्मी ने तुरंत एंबुलेंस को फोन कर दी। एंबुलेंस को आते ही तुरंत नीलू के पापा को अस्पताल पहुंचाया गया। 
नीलू की मम्मी ने विनीत को भी फोन करके अस्पताल में बुला ली। 
सभी लोग की नजर बंद दरवाजे पर ही टिकी हुई थी। करीब 1 घंटे बाद अंदर से डॉक्टर बाहर आया और उसने बताया कि उनको दिल का दौरा पड़ा था। यह सुनकर नीलू के साथ-साथ सभी लोग घबरा गए डॉक्टर ने बताया कि उनके सामने कुछ भी ऐसी बातें ना की जाए जिससे उनको दुख हो। वरना अगर ऐसा होगा तो इस बार फिर मुश्किल है वहां कुछ ही देर में होने होता जाएगा तब आप एक-एक करके उनसे मिल सकते हैं।
इतना कहकर डॉक्टर चला गया नीलू की आंखों से तो आंसू थम नहीं रहे थे। कुछ देर बाद नीलु के पापा को होश आया तो नीलू और उसकी मम्मी अपने पापा से मिलने कमरे में गई। डॉक्टर ने ज्यादा बोलने के लिए मना किया था इसलिए उन्होंने खुद बताया कि उनकी तबीयत अब ठीक है और बात ही बात में नीलू की मम्मी से वह विनीत के भैया और भाभी को भी बुलाने को कह दिया।
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10-09-2018, 03:39 PM,
#93
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
विनीत की बातें सुनकर के तो अलका के होश ही उड़ गए थे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। घर पर पहुंचते ही पहले वह बाथरूम में जाकर रोने लगी उसकीे एक गलती उसे इतनी भारी पड़ेगी उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी। इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाया जाए इसका उपाय उसे सुझ भी नहीं रहा था। लेकिन क्या करती आने वाले समय का सामना तो करना ही था उसे जैसे तैसे करके उसने खाना बनाई लेकिन खाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था। अपने दोनों बच्चों को खाना परोस कर वह तबीयत का बहाना करके अपने कमरे में चली गई अपनी पसंदीदा रसमलाई को भी बिल्कुल नहीं चखी। सोनू और राहुल को यही लग रहा था कि शायद मम्मी की तबीयत खराब है इस वजह से उन्होंने खाना नहीं खाई इसलिए राहुल ने हीं रसोई घर की सफाई कर के बर्तन साफ कर के रख दिया। । वह अपनी मां की तबीयत पूछने के लिए उसके कमरे में गया तो उसकी मम्मी पेट के बल अोंधी लेटी हुई था जिससे उसकी भरावदार गांड बहुत ही कामुक अंदाज में नजर आ रही थी जिसे देखते ही राहुल के बदन में उत्तेजना का प्रसार होने लगा और कामोत्तेजना के वशीभूत होकर के उसने अपनी हथेली को अपनी मां की नरम नरम गांड़ पर रख दिया, लेकिन उसकी मां ने राहुल का हांथ हटाते हुए बोली।

आज नहीं बेटा आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही है।

दवाई ली मम्मी।

हां बेटा दवा खा लि हूं तु जा अपने कमरे में सो जा और मुझे भी आराम करने दें। ( इतना कहकर वह फिर से आंखें बंद कर ली राहुल के वहां खड़े रहने का कोई मतलब नहीं था इसलिए वह भी कमरे से बाहर आ गया।) 

विनीत को जब नीलू की मम्मी ने अपने भैया भाभी को बुलाने को कहीं तो विनीत ने उन्हें बताया कि उसके भैया बिजनेस टूर पर गए हुए हैं जो कि दो-चार दिन बाद लौटेंगे। नीलू के पापा की तबीयत में सुधार होने लगा था नीलू अब खुश नजर आने लगी थी क्योंकि वह अपने पापा से बेहद प्यार करती थी और उन्हें इस हाल में देख पाना उसके लिए बड़ा मुश्किल था। 
धीरे-धीरे दो-तीन दिन गुजर गए, विनीत लगातार उन लोगों के साथ ही अस्पताल में रह रहा था। वैसे भी नीलू और विनीत के परिवारों के बीच अच्छे संबंध थे नीलू के पापा और विनीत के भैया दोनों आपस में कई बिजनेस की डील भी कर चुके थे। इसलिए नीलू के पापा चाहते थे कि बिजनेस की डील भी अब रिश्तेदारी मे बदल जाए। विनीत जी उन्हें अच्छा लगता था और नीलू के लिए यही सही लड़का है ऐसा मन में विचार भी बना लिए थे लेकिन अभी तक यह बात उन्होंने किसी से भी नहीं कही थी। इस मेजर अटैक के बाद वह काफी घबरा गए थे उन्हें लगने लगा था कि अब उनके पास ज्यादा समय नहीं है इसलिए वह विनीत के भैया को बुला कर के वह शादी की बात करना चाहते थे। और अपना सारा बिजनेस विनीत और नीलू को विनीत के भैया के देखरेख में सौंपना चाहते थे। लेकिन विनीत के भैया के बाहर होने की वजह से यह बात हो नहीं पाई। 
डॉक्टर ने आज उन्हें घर जाने की इजाजत दे दिया था लेकिन मैं ज्यादा बोलने की छूट दिया था और ना ही ज्यादा चलने फिरने कि छोड़ दिया था और महीनों तक तो बिजनेस के बारे में बिल्कुल भी सोचने विचारने के लिए मना कर दिया था क्योंकि जरा सा भी प्रेशर उनकी जान पर खतरा बन सकता था।
नीलू के पापा को छुट्टी मिल चुकी थी वह घर आ चुके थे साथ में नीलू और विनीत भी थे नीलू ने अभी तक यह बात राहुल को नहीं बताई थी और उसे मौका भी नहीं मिला था कि यह बात तो वह राहुल से बता सके। 
विनीत कामन अस्पताल में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था और जब उन्हें छुट्टी मिल गई थी तो वह बहुत खुश था क्योंकि वह अस्पताल में बेमन से रुका हुआ था उसका मन तो अलका में ही खोया हुआ था। वह तो नीलू से और दोनों परिवारों के बीच संबंध अच्छे होने की वजह से नीलू के परिवार के साथ साथ था। नीलू के पापा को घर तक पहुंचाने के बाद वीनींत वहां से चला गया। विनीत के जाते ही उनके पापा नीलू की मम्मी से नीलू की शादी के बारे में चर्चा करने लगे। उन्होंने बताया कि वह नीलू की शादी विनीत से करना चाहते हैं ताकि वह और उसके भैया और नीलू तीनों के साथ साथ नीलू की मम्मी भी बिजनेस को चला सके क्योंकि उनको भरोसा नही था की उनकी तबीयत ठीक रहेगी। नीलू की मम्मी को भी विनीत पसंद था इसलिए उन्होंने भी कोई एतराज नहीं जताया। दो दिन बाद विनीत के भैया आने वाले थे तब ऊन्हे घर पर बुलाते नीलू के पापा उनसे सारी बात करना चाहते थे। 
इधर विनीत अलका से मिलना चाहता था उसका मन अलका पर ही अटका पड़ा था। वह अलका की खूबसूरती के मोह पास में बंध चुका था। जिससे छूट पाना हो उसके लिए बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था। 
राहुल भी कुछ दिनों से अपनी मां के रवैया से परेशान था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां को क्या हुआ है जब भी वह उसके नजदीक जाने की कोशिश करता हूं तो तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर बात को आगे बढ़ने से रोक देती। राहुल को भी अपनी मां का उखड़ा-उखड़ा सा चेहरा दर्द दे रहा था उसके लिए समझ पाना मुश्किल बजा रहा था कि आखिरकार उसकी मां को परेशानी क्या है। 
स्कूल जाने पर जैसे ही उसकी मुलाकात नीलू से हुई वह उसके ऊपर सवालों की झड़ी बरसा दिया। क्या बात है नीलू तुम कुछ दिनों से स्कूल क्यों नहीं आ रही हो मैं तुमसे मिलने के लिए कितना तड़प रहा था लेकिन तुम हो की.... अच्छा यह बताओ थी कहां पर तुम जो इतने दिन स्कूल नहीं आ सकी।

अरे रुको तो सही थोड़ा सांस ले लो तुम तो बस हो की शुरू ही पड़ गए। आप थोड़ा वेट कर बात करते हैं।
( इतना कहने के साथ ही वह पास के पेड़ के नीचे बैठ गई राहुल भी उसके बगल में बैठ गया।)

राहुल मेरे पापा घर आ गए हैं क्योंकि महीनों बाद बिजनेस दूर करने के बाद लौटे हैं। मैं शाम को तुम्हारे बारे में बात करना ही चाहती थी कि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। ( इतना सुनते ही रावण के चेहरे पर आश्चर्य के भाव फैल गए।) और उन्हें ले करके हम हॉस्पिटल भागे ' भगवान की बहुत बड़ी कृपा थी की उनकी जान बच गई वरना ना जाने क्या हो जाता।

नीलू इतना कुछ हो गया लेकिन तुमने मुझे बताई भी नहीं।

कैसे बताती उस दिन से मैं लगातार हॉस्पिटल में ही थी तुम्हारे पास अगर फोन होता तो मैं जरुर तुम्हें फोन कर देती। ( राहुल को नीलू की बात सही लगे वह उससे संपर्क करती भी तो कैसे करती राहुल के पास मोबाइल जरूर है लेकिन उसका नंबर सिर्फ विनीत की भाभी के पास था और राहुल के पास मोबाइल है यह बात कोई जानता भी नहीं था। )
कोई बात नहीं नहीं तो भगवान का शुक्र है कि सब कुछ ठीक हो गया।

सच कह रहे हो भगवान की बड़ी कृपा है मैं भी कोई अच्छा सा समय देखकर तुम्हारे बारे में जरूर पापा से बात करुंगी। 


विनीत भी स्कूल नहीं आता था लेकिन इस बारे में राहुल ने जरा भी ध्यान नहीं दिया। विनीत भी राहुल से मिला लेकिन विनीत आप पहले की तरह उससे नहीं मिलता था। क्योंकि राहुल को देखते ही उसे अलका याद आ जाती थी और उसे राहुल से जलन होने लगती थी। 



राहुल को चोदने की तड़प लगी हुई थी। कुछ दिन से उसे चोदने को तो क्या बुर के दर्शन करने को भी नहीं मिला था। ना तो उसे विनीत की भाभी का फोन ही आ रहा था ना तो नीलू को बहुत होता था क्योंकि वह खुद कुछ दिनों से परेशान थी। और उसकी मा थी की जबसे वीनीत ने उसे धमकी दिया था तब से किसी भी काम में
उसका मन ही नहीं लगता था उसे हर जगह धमकी देता हुआ वीनीत हीं दिखाई दे रहा था। 

तीन-चार दिनों से रास्ते में अलका को वीमीत नहीं मिला था। इसलिए उसे थोड़ा राहत थी लेकिन फिर भी वह डर के मारे बाजार में कुछ खरीद भी नहीं पाती थी उधर से वह जल्दी से जल्दी निकल जाना चाहती थी। इसलिए शाम को वह अपने चारों तरफ नजर दोड़ा कर देखते हुए ऑफिस से लौट रही थी भगवान से मनाए भी जा रही थी कि उसे भी नहीं तो कभी भी कहीं भी दिखाई ना दे। बाजार से गुजरते समय वह कुछ ज्यादा ही चौक्कनी ं हो जाती थी। नजरें बचाकर वह बाजार से आगे निकल गई उसके मन में थोड़ी राहत हुई लेकिन जैसे ही बाजार से थोड़ी दूरी पर पहुंची ही थी ंकि सन्न से बाइक आकर उसके सामने ही रुकी अलका तो डर के मारे कांपने लगी जब उसने अपने सिर पर से हेलमेट को उतारा ' हेलमेट के पीछे विनीत ही था। उसे देखते ही अलका कांपने लगी। अलका को कांपते हुए देख कर विनीत मुस्कुराते हुए बोला।

क्यों डर रहे हो मेरी जान मुझ से डरने की तुम्हें कोई भी जरूरत नहीं है। बस मेरी बात मान लो तुम्हारा सारा डर दूर हो जाएगा।

नहीं विनीत ऐसा मत करो कुछ तो रहम करो मुझ पर। मैं दो बच्चों की मां हुं। मेरी इज्जत से यूं ना खेलो विनीत।

जानता हूं मेरी जान कि तुम्हारे दो बच्चे हैं। और तुम्हारे दो बच्चों में से एक बच्चा मेरे ही क्लास में पढ़ता है जो कि मेरा दोस्त भी है। ( यह सुनकर अलका आश्चर्यचकित हो गए और आश्चर्य के साथ बोली।)

तुम्हारे साथ तुम झूठ बोल रहे हो। 

मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं अलका डार्लिंग तुम्हारे उस बच्चे का नाम राहुल है। और वह मेरी क्लास में है और मेरा दोस्त भी है। 

तुम मेरे बेटे के दोस्त होने के बावजूद भी अपने ही दोस्त की मां पर तुम अपनी नियत बिगाड़ रहे हो तुम्हें शर्म नहीं आती। ( इतना कहने के साथ ही वह जाने ही वाली थी कि उसने फिर से उसकी कलाई पकड़ लिया और कलाई पकड़ते हुए बोला।)

रुको तो सही मेरी जान जो तुम मुझे कह रही है वही मैं भी तुम्हें कह सकता था कि तुम अपने बेटे के दोस्त के साथ चुदवाइ तो तुम्हें क्या अपने बेटे के दोस्त के साथ चुदवातो हुए शर्म नहीं आई। 

वह मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी मैं बहक गई थी और मैंने तुम पर भरोसा की। मैं करती हूं उस पल को जो मैं तुम्हारे साथ बहक गई।( अपना हाथ छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए।) 

तो एक बार और बहक जाओ मेरी जान बस एक बार एक बार और मुझे चोदने दो तुम्हें( अलका वीनीत की यह गंदी बातें सुनकर शर्म से मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि वह ऐसी गंदी बातें सुन कैसे ले रही है। लेकिन मजबूर थी उसकी मजबूरी का कारण बहुत बड़ा था इसलिए वह खामोश थी।

लेकिन अपनी इज्जत बचाने कि वह पूरी नाकाम कोशिश कर रही थी विनीत के सामने वह मिन्नतें करती गिड़गिड़ाती लेकिन उसके सर के ऊपर तो वासना का भूत सवार था जो कहां मानने वाला था। बह उसकी कलाई पकड़े हुए ही बोला।

जानेमन बस एक बार एक बार फिर से अपनी रसीली बुर का स्वाद चखा दे। बस एक बार मुझे चोदने दे उसके बाद मैं तुझे कभी भी परेशान नहीं करूंगा और ना ही तुझे दिया हुआ पैसा वापस मांगुगा। बस एक बार मेरी बात मान जा। 


नहीं विनीत ऐसा मत कर मेरी इज्जत चली जाएगी और हम लोगों के पास इज्जत के सिवा कुछ नहीं है ।बस तेरे साथ एक बार बाहक गई थी उसका बदला मुझसे युं न ले। ( अलका विनीत के हाथों से अपनी कलाई को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन विनीत का हाथ कुछ ज्यादा ही मजबूत था।)

देख मैं फिर कहता हूं सीधे सीधे मान जा वरना मुझे उंगली टेढ़ी करके भी घी निकालना आता है। अब तो तू अच्छी तरह से जान ही गई होगी कि तेरा बेटा मेरे ही स्कूल में पढ़ता है। जरा सोच अगर मैं अपने दोस्तों से पूरे स्कूल में यह कह दो कि राहुल की मां मेरे साथ सेट है और वह मुझ से चुदवाती भी है , तो सोच जरा क्या होगा। राहुल के साथ साथ तुम्हारी भी इज्जत की धज्जियां उड़ जाएगी उसका स्कूल में आना दुश्वार हो जाएगा और फिर वह परेशान होकर के स्कुल ही छोड़ देगा। क्या तुम ऐसा चाहती हो।
( विनीत की यह बात सुनकर के तो अलका सन्न रह गई। उसे इस बात का बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि विनीत ऐसा कुछ भी कर सकता है अब उसका डर और ज्यादा बढ़ गया था उसके चेहरे पर डर के भाव साफ नजर आ रहे थे। अलका का डरा हुआ चेहरा देखकर विनी को लगने लगा कि इस बार उसकी धमकी जरूर काम करेगी इसलिए वह उसकी कलाई छोड़ते हुए बोला।)

मेरी इच्छा पूरी कर दें वरना बेटा कहां हो वैसा ही कर दूंगा तो कहीं भी मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाओगी तुम्हारे पास सोचने का पूरा मौका है मुझे जल्द से जल्द बताना कि तुम क्या चाहती हो अभी तो मैं जा रहा हूं लेकिन फिर आऊंगा।( इतना कहने के साथ ही वह बाइक स्टार्ट कर के चला गया। अलका के सर पर तो मानो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है आज की दी हुई धमकी उसे अंदर तक हिला गई थी इसके बारे में किसी से कह पाना भी बड़ा मुश्किल था। वह जैसे तैसे कर के अपने घर पर पहुंची और फिर वही बाथरूम में जाकर रोने लगी। अलका को अपने चारों तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा दिख रहा था उसे कोई राह सिध नहीं रही थी। 

दूसरी तरफ विनीत का भाई घर पर आ चुका था। ऊसे नीलूं के पापा ने बुलवाया था और शाम को ही उनके घर जाने का प्लान बन चुका था। शाम को ठीक समय पर विनीत उसकी भाभी और उसके भैया नीलू के घर पर जाने के लिए निकल पड़े।

नीलू के घर पर तैयारियां चल रही थी अनिल की मम्मी रसोई में ढेर सारे पकवान तैयार कर रही थी और नीलू भी अपनी मां का हाथ बँटा रही थी लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि घर में है क्या जो आज इतने पकवान बनाए जा रहे हैं। इसलिए वह सब्जी काटते हुए अपनी मां से बोली।

आज क्या बात है मम्मी आज इतनी ढेर सारे पकवान बनाए जा रहे हैं कोई खास बात है क्या।

हां खास बात तो है आज तेरी शादी की बात करने के लिए तेरे पापा ने विनीत के भैया सहित पूरे परिवार को निमंत्रण दिए हुए हैं। और वह लोग किसी भी वक्त घर पर आ सकते हैं। ( इतना सुनते ही नीलू तो सन्न हो गई जिसे कि उसे किसी सांप ने सूंघ लिया हो। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह बस जड़वंत उसी स्थान पर खड़ी रह गई। उसे तो जैसे कोई हो सही ना हो उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा ने इतना बड़ा फैसला उससे पूछे बिना ले लिए हैं।)
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10-09-2018, 03:40 PM,
#94
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
आज क्या बात है मम्मी आज इतनी ढेर सारे पकवान बनाए जा रहे हैं कोई खास बात है क्या।हां खास बात तो है आज तेरी शादी की बात करने के लिए तेरे पापा ने विनीत के भैया सहित पूरे परिवार को निमंत्रण दिए हुए हैं। और वह लोग किसी भी वक्त घर पर आ सकतेहैं। ( इतना सुनते ही नीलू तो सन्न हो गई जिसे कि उसे किसी सांप ने सूंघ लिया हो। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह बस जड़वंत उसी स्थान पर खड़ी रह गई। उसे तो जैसे कोई हो सही ना हो उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा ने उससे बिना पूछे यह फैसला ले लिया है।

नीलू उदास हो गई उसके चेहरे पर परेशानी के भाव साफ झलक रहे थे मुझे अपने पापा से यह उम्मीद नहीं थी। तभी उसे उदास देख कर उसकी मां उससे बोली।

क्या हुआ नीलु तुम खामोश क्यों हो गई? 
क्या बात है? 

(नीलू अपनी मां की बात सुन कर रोने लगी। अब वह अपनी मां से क्या कहती लेकिन फिर भी अपने दिल की बात सुबह अपनी मां को बताना चाहती थी क्योंकि उसे थोड़ी बहुत उम्मीद थी कि शायद कुछ बात बन जाए इसलिए वह अपनी मां से बोली।) 

मम्मी मुझे पता नहीं था कि पापा इतनी जल्दबाजी कर देंगे। मैं उनसे कुछ इस बारे में बात करना चाहती थी और दिन बात करने के लिए पूरी तरह से तैयार भी थी की तभी उनकी तबीयत खराब हो गई और मैं उनसे बात नहीं कर सकी।

किस बारे में बात करना चाहती थी क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

मम्मी मे एक लड़के से प्यार करती हूं जोंकि मेरे ही स्कूल में पढ़ता है वह बहुत अच्छा है मम्मी। आपको याद है मम्मी मैं किसी सब्जेक्ट में मदद के लिए ऊसे घर पर लेकर आई थी। 

नहीं बेटा मुझे ऐसा कुछ भी याद नहीं है।( अपने दिमाग पर जोर देते हुए बोली।)

मीनू को पता था किसी समय वह विनीत को घर पर लेकर आए थे उस समय उसकी मम्मी ड्रिंक की हुई थी इसलिए शायद उन्हें याद नहीं है। फिर भी वह बोली।

मम्मी को बहुत अच्छा है बहुत प्यार करता है। 
( कोई सामान में घर की लड़की होती तो अपनी मम्मी के सामने ऐसी बात करने में उसे शर्म का एहसास जरूर होता लेकिन नीलू मॉडर्न परिवार से थे उसके मम्मी पापा भीे मॉर्डन थे इसलिए वह अपनी मम्मी से इस तरह की बातें करने में सक्षम थी। नीलू की बात सुनकर उसकी मम्मी कढ़ाई को ढंकते हुए बोली।

नाम क्या है उसका?

राहुल नाम है मम्मी उसका।

उसके पापा क्या करते हैं कितना कमाते हैं समाज में क्या स्टेटस है? ( सवाल करते हुए नीलू की तरफ घूरते हुए बोली।)

मम्मी उसके पापा नहीं है।

पापा नहीं है मतलब तो घर का खर्चा कैसे चलता है करते क्या है वो लोग। 

मम्मी वह लोग अमीर नहीं हूं वह लोग सामान्य स्थिति में रहते हैं उसकी मम्मी है जो ऑफिस में काम पर जाती है उसी से वो लोग का घर खर्च चलता है।( नीलू नीचे नजरें करती हुई बोली। इतना सुनते ही नीलू की मम्मी उसपर भड़क गई।) 

तुम पागल हो गई हो नीलू तुम्हें कुछ खबर भी है कि तुम क्या कह रही हो तुम्हारी हर जरुरत को तुम्हारी हर जिद को सर आंखों पर रखकर तुम्हारे पापा पूरी करते आ रहे हैं। बड़े ही लाड़-प्यार से तुम्हें पालकर इतना बड़ा किए है। तुम उनके लिए लड़की नहीं उनके लिए उनका बेटा हूं जानती हो जब भी हकीकत उनके सामने खुलेगी तब उनके दिल पर क्या बीतेगी। एक बार तो दिल का दौरा पड़ चुका है। तुम्हारी यह बात सुनकर कहीं उन्हें फिर से दिल का दौरा ना पड़ जाए वह डॉक्टर ने क्या कहा है तुम अच्छी तरह से जानती हो नीलू। 
( अपनी मां की बात सुनकर नीलू सिसक सिसक कर रोने लगी। उसको रोते हुए देख कर नीलू की मम्मी उसके नजदीक गई और उसे चुप कराने लगी। ) 

नीलु बेटा तुम कितनी समझदार हो फिर क्यों ऐसा कर रहीे हो तुम्हारे पापा कभी भी ऐसा नहीं चाहेंगे कि उनकी परी जैसी लड़की सामान्य जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाए। 

मम्मी मैं उसके बिना नहीं जि पाऊंगी। ( नीलू अपनी मां से लिपट कर रोते हुए बोली।) 

नीतू बेटा समझने की कोशिश करो डॉक्टर ने क्या कहा था जरा सा भी ऐसी कोई बात जो हमें टेंशन देगी तो ऊन्हे फिर से दिल का दौरा पड़ सकता है क्या तुम यही चाहती हो कि तुम्हारे प्यारे पापा फिर से मुसीबत झेले। या ऊनकी जान पर कोई खतरा हो। नीलू बेटा अपने पापा के लिए उनकी खुशी के लिए तुम्हें यह फैसला मानना ही होगा।

मम्मी मैं नहीं रह पाऊंगी मुझसे यह नहीं हो पाएगा।

कैसे नहीं हो पाएगा बेटा अगर तुम खुद अपने पापा को मौत के कुएं में ढकेलना चाहती हो तो खुशी से धकेलो। (अपनी मां की यह बात सुनकर वह अपनी मां को गौर से देखने लगी )

बेटा समझने की कोशिश करो अभी अभी तुम्हारे पापा मौत से लड़कर आए हैं और तुम अगर ऐसी बात उनके सामने करोगी तो शायद फिर मुश्किल हो जाए। (अपनी मां की यह बात सुनकर वह अपनी मां की तरफ देखने लगी।)
समझने की कोशिश करो बेटा अभी स्थिति ठीक नहीं है अगर ऐसा है तो अभी अपने पापा की बात मान लो अभी तो सिर्फ शादी की बात कर रहे हैं सगाई करेंगे शादी तो दो-तीन साल बाद ही होनी है और वैसे भी अभी शादी की उम्र तो है नहीं। 
( अपनी मां का यह सलाह नीलू को अच्छा लगा। इसलिए वह अपनी मां की बात मान गई।)

नीलू की माया अच्छी तरह से जानती थी की इस उम्र में सिर्फ आकर्षण ही होता है जिसमें लड़के लड़की अपनी जिंदगी बर्बाद कर देते हैं उन्हें जिंदगी की सच्चाई के बारे में कुछ भी पता नहीं होता। वह सिर्फ आकर्षण को ही प्यार समझ बैठते हैं जिंदगी में आने वाली मुसीबतों जिंदगी का कड़वा सच उनकी समझ से कोसों दूर होता है जब तक यह समझ में आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए नीलू की मां भी यही चाहती थी कि नीलू ऐसी कोई भी गलती ना करें इसलिए उसे एक बहाने से बहला चुकी थी। 
वैसे भी राहुल से मिलने के पहले नीलू को वीनीत से ही प्यार था वह वीनीत को ही अपना सब कुछ समझती थी। लेकिन राहुल से मिलने के बाद उससे शारीरिक सुख हासिल करने के बाद उसे राहुल से प्यार हो गया जो कि प्यार नहीं बल्कि एक वासना ही था। क्योंकि शरीर सुख देने के मामले में विनीत से राहुल कई गुना आगे था। सही मायने में नीलू का झुकाव राहुल की तरफ से इसलिए ज्यादा था कि वह उसके मोटे लंबे और तगड़े ल़ंड पर फिदा हो चुकी थी। उसके मोटे लंड से चुदने में उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी चौकी विनीत के साथ उसे इतनी ज्यादा आनंद की अनुभूति नहीं होती थी। 
खेर नीलू अपनी मां की बात मानकर रसोई के काम में उसका हाथ बताने लगी क्योंकि उसकी मां ने में से एक उम्मीद जगा दी थी कि अभी नहीं तो बाद में इस बारे में बात करेंगे। पूरी तैयारियां हो चुकी थी किसी भी वक्त वीनीत के भैया भाभी और वीनीत घर पर आ सकता था। 


दूसरी तरफ अलका बेहद परेशान थी। वीनीत ने जो मुसीबत खड़ी किया था उससे निकलने की ऊसे कोई राह नजर नहीं आ रही थी। ऊसका घर से निकलना मुश्किल हो गया था। वह विनीत और बदनामी के डर से ऑफिस जाना बंद कर दी थी े उसके दिल में दहशत बन चुकी थी। ऊसका कहीं भी आना जाना दुश्वार हो चुका था। अपनी मां के इस व्यवहार से राहुल आश्चर्य में पड़ गया था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार ऊसकी मां को हुआ क्या है। वह कई बार अपनी मां से इस बारे में पूछने की भी कोशिश किया लेकिन हर बात उसकी मां तबीयत का बहाना बनाकर बात को टाल दे रही थी। राहुल की तड़प अपनी मां का व्यवहार देखकर और ज्यादा बढ़ती जा रही थी कुछ दिनों से उसे चुदाई तो दूर-बुर देखना भी नसीब नहीं हुआ था। वह अपनी मां को जमकर चोदना चाहता था लेकिन उसे अपनी मां की तबीयत को देखते हुए, अपने आप पर संयम रखना पड़ रहा था। 

नीलू के घर में विनीत और उसके भइया भाभी आ चुके थे सब लोग डिनर पर बैठे हुए थे। सभी लोग खाना खा रहे थे और नीलू और उसकी मम्मी उन सभी को खाना परोस रही थी। नीलू का मन उदास था वह बेमन से विनीत और उसके भइया भाभी को खाना परोस रही थी। नीलू के पापा और विनीत का बड़ा भाई दोनों एक दूसरे से अच्छी तरह से परिचित थे। खाना खाते हुए बातों का दौर शुरू हुआ। नीलू के पापा विनीत के बड़े भाई से बोले।

देखिए मैं ज्यादा घुमा फिरा कर बात नहीं करना चाहता वैसे भी हम दोनों के परिवार के बीच बहुत पहले से ही संबंध है। मैं चाहता हूं कि अब यह संबंध रिश्तेदारी में बदल जाए। मैं अपनी बेटी नीलू की शादी तुम्हारे छोटे भाई वीनीतं से करना चाहता हूं। ( यह सुनते ही विनीत के साथ-साथ उसके भइया भाभी भी बहुत खुश हुए खुश होते हुए उसके भइया बोले।)

देखिए इसमें हमें कोई एतराज नहीं है हम तो यही चाहते थे कि वीनीत की शादी आपकी बेटी नीलू से ही हो। और वैसे भी नीली और वीनीत दोनों एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं वह दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते भी हैं। पिछले दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं। क्यों वीनीत तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है।( विनीत का भाई निवाला मुंह में डालते हुए वीनीत से बोला।)

मुझे कोई एतराज नहीं है भैया।

( नीलू को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए वह नाराज होकर वहां से चली गई। तो उसकी मम्मी बात को संभालते हुए बोली।) 

शरमा गई है, अपनी शादी की बात सुन कर। नीलु के पापा ने यह भी बताया कि अभी इन दोनों की सगाई कर देंगे दो तीन साल बाद शादी क्यों की अभी यह लोग शादी करने की उम्र से छोटे ही हैं। 

( नीलू के पापा ने अपने बिजनेस के आगे का प्लान विनीत के बड़े भाई को बता दिया जिससे साफ जाहिर था की शादी के बाद नीलू के पापा का सारा बिजनेस नीलू के नाम पर और उसके होने वाले पति के नाम पर हो जाएगा इस बात को लेकर विनीत और भी नहीं उसका बड़ा भाई काफी खुश नजर आ रहे थे। सब कुछ ठीक से निपट जाने के बाद विनीत और उसके भइया भाभी नीलु के घर से वापस अपने घर पर चले गए रास्ते में वीनीत का बड़ा भाई विनीत को बोला कि यह रिश्ता तुम्हारे लिए और हम सबके लिए बहुत ही लाभदायक है क्योंकि आने वाले दिनों में नीलू के पापा के बिजनेस की वजह से हम लोगों का भी बिजनेस काफी बढ़ जाएगा इसलिए यह रिश्ता बेहद जरूरी है।

विनीत के बड़े भाई ने विनीत से कहा कि अगर नीलू के पापा नीलू की शादी अभी करना चाहते तो मैं अभी तुम्हारी शादी उसके साथ कर देता लेकिन। क्योंकि वह सगाई करके निश्चित हो जाना चाहते हैं। जिस तरह से उनकी तबीयत अभी ठीक नहीं रहती इसलिए उन्हें अपनी तबीयत पर ज्यादा भरोसा नहीं है। 
विनीत को बिजनेस से कोई लेना देना नहीं था उसे तो नीलु से प्यार था और वह उससे शादी करना चाहता था यह ख्याल उसके मन में बहुत पहले से ही था। नीलू से शादी की बात को लेकर वह बहुत खुश था। एक तरफ खुशी थी तो दूसरी तरफ डर और दहशत का माहौल था। अलका का हर एक पल बड़ी दहशत के साथ गुजर रहा था उसे बार बार इस बात का डर लगा रहता था कि कही उसके बेटे को सारी बात का पता न चल जाए। और कहीं वीनीत ने अलका की सारी बातों को इन दोनों के बीच क्या क्या हुआ सब कुछ कहीं अपने स्कूल में बता दिया तब क्या होगा। राहुल का क्या होगा? , वह खुद कैसे घर से बाहर निकलेगी , कैसेदुनिया को मुंह दिखाएगी। यही सब सोच सोच कर उसके मन में विनीत का डर पूरी तरह से छा चुका था। राहुल को चुदाई की तड़प लगती तो वह तबीयत का बहाना बनाकर उसे परे कर देती। अपनी मां का यह व्यवहार उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। नतीजन उसे रात को अपने हाथ का इस्तेमाल करके ही शांत होना पड़ता था।

दूसरे दिन भी अलका ऑफिस नहीं गई। उसने राहुल से बता रखी थी कि कुछ दिनों के ऑफिस से छुट्टी ले रखी है। उसने तुम अपने बच्चों को यह बात बता दी थी लेकिन बात कुछ और ही थी जो कि वह अपने बच्चों से छुपा रही थी।
स्कूल में विनीत बहुत खूश था। उसने राहुल को बताया कि उसके घर वाले और नीलू के घर वालों ने मिलकर दोनों के रिश्ते को तय कर दिया है और बहुत ही जल्द नीलू उसकी पत्नी बन कर उसके घर आएगी। यह सुनते ही राहुल का दर्द बढ़ गया उसे यह उम्मीद नहीं थी कि नीलू उसके बिना बताए ही विनीत से शादी करने के लिए तैयार हो जाएगी। जबकि वह तो खुद राहुल से शादी करने के सपने देख चुकी थी साथ जीने और साथ मरने की कसमें खा चुके थे दोनों। नीलू उसे इस तरह से धोखा देगी इसकी उम्मीद ऊसे कतई नहीं थी। विनीत के चेहरे पर खुशी देखकर राहुल को उससे जलन होने लगी। जी में तो आया कि उसका मुंह तोड़ दे लेकिन किसी तरह से अपने आपको संभाल ले गया। राहुल को देखते ही विनीत को भी जलन होती थी उसके पीछे का कारण अलका थी जिसकी खूबसूरती और भरे बदन का वह दीवाना हो चुका था। नीलू जैसी खूबसूरत लड़की के साथ के बावजूद भी वह उसकी मां की उम्र की अलका का वह दीवाना था। और दीवाना होता भी क्यों नहीं अलका का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि उसे देखते ही कोई भी उसका दीवाना हो जाए। गोरा गोरा भरा हुआ बदन बेहद खूबसूरत चेहरा रेशमी काले घने बाल जिसकी लटें
उसके गोरेगांल पर काली नागिन कि तरह बलखाती थी। उसकी बड़ी बड़ी गोल चूचियां ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी ऐसा लगता था कि अभी ब्लाउज फाड़ के बाहर आ जाएगी। वीनीत को इस उम्र में भी अलका की कसी हुई बुर ज्यादा प्रभावित कर गई थी। इसलिए तो वह एक बार उसे भोगने के बाद भी फिर से भोगने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था। 

दोनों की शादी की बात सुन कर राहुल का दिल टूट चुका था वह नीलू से मिलना चाहता था उससे बात करना चाहता था कि आखिर यही सब करना था तो उस से दिल क्यों लगाई। क्यों उसे झूठे सपने दिखाए। यही सब सवालों का जवाब ऊसे चाहिए था।
और मौका देखकर वह नीलू से मुलाकात कर लिया नीलू से मिलते हैं उस पर सवालों की झड़ी बरसाना सुरु कर दिया। नीलू ऊसे सब कुछ समझाते हुए बोली।

सुनो राहुल जैसा तुम समझ रहे हो वैसा बिलकुल भी नहीं है। हां मेरी ओर विनीत की शादी की बात चल रही है। पापा का यह फैसला था लेकिन तुम तो जानते ही हो पापा की तबीयत ठीक नहीं है। और ऐसे में ऐसी कोई भी बात सुनकर दिल को ठेस पहुंचाती हो इसी बात पर उन्हें फिर से दिल का दौरा पड़ सकता है। क्योंकि उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है इसलिए मेरे सामने उनकी बात मानने के सिवा और कोई चारा भी नहीं था।
और वैसे भी मम्मी को मैंने सब कुछ बता दी हुं और उन्होंने मुझे यकीन दिलाया है कि सही समय आने पर इस बारे में वह पापा से बात करेंगी। तुम चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा। 
(इतना कहकर वह चली गई। लेकिन राहुल समझ चुका था कि अब ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है नीलू की शादी वीनीत से ही होगी। नीलू की मम्मी उसे बेवकूफ बना रही है। कोई भी मां बाप यह बिल्कुल नहीं चाहेगा कि उसकी बेटी जो कि यह तो आराम में पली बढ़ी हुई है, जिसकी शादी एेसे घर में हो जिसकी कोई हैसियत ही ना हो। राहुल बहुत ही जल्द सच से वाकीफ हो चुका था। आज उसका दिल टूट चुका था। वह भी नीलू के साथ साथ उसे पाने का सपना देख चुका था। जो कि सच में सपना बनके रह गया था।
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10-09-2018, 03:55 PM,
#95
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
विनीत का दिल अब कुछ ज्यादा ही मचलने लगा था। क्योंकि नीलू अब उसके हाथ में थी और जिस तरह से उसने अल़का को धमकाया था उसे यकीन हो चला था। कि अपनी इज्जत बचाने के लिए अलका उसे फिर से अपना सब कुछ सौंप देगी। वह तो आने वाले पल की कामना में ही रचा हुआ था। उसे फिर से अलका अपनी बाहों में कसमसाते हुए नजर आने लगी थी। अलंका ने अपना इरादा बदला कि नहीं यह जानने के लिए वह फिर से शाम को बाजार में उसका इंतजार कर रहा था।
लेकिन अलका विनीत के ही डर से ऑफिस नहीं गई थी तो इसलिए बाजार में मिलने का कोई सवाल ही नहीं उठता था वीनीत पागलों की तरह अलका की याद में आंखें बिछाए उसका इंतजार कर रहा था। लेकिन समय बीतता गया घड़ी की सुई अपनी रफ्तार में अपनी मध्य बिंदु पर घूमती रही। विनीत उसका इंतजार कर कर के थक चुका था उसे यकीन हो गया था कि शायद आज अलका ऑफिस गई ही नहीं। थक हारकर वह अपने घर लौट गया। 
राहुल अपने घर में अपने कमरे में बैठकर नीलू के साथ बिताए पलों को याद कर रहा था उसके मन में नीलू को खोने का डर बन चुका था जो कि वास्तव में नीलू ऊससे दूर हो चुकी थी। उसे इस बात पर कभी भी यकीन नहीं हुआ कि नीलू जैसी खूबसूरत लड़की उसकी गर्लफ्रेंड थी। क्योंकि दोनों के बीच में जमीन आसमान का फर्क था कहा नीलू और कहां राहुल दोनों के बीच में हैसियत की दीवार खूब ऊंची थी। नीलू की चलती तो वह ईस दीवार को कब से गिरा चुकी होती। लेकिन इसमें उसकी भी कोई गलती नहीं थी हालात ही कुछ ऐसे पैदा हो गए थे कि ऊन हालातों से समाधान करना ही उचित था। नीलू की मां भी उसे बहका कर मना ली थी। 
नीलू के प्यार में वासना ही केंद्र बिंदु था लेकिन राहुल उस से सच्चे दिल से मोहब्बत करने लगा था। राहुल उसे खोना नहीं चाहता था लेकिन कर भी क्या सकता था हालात के हाथों वह भी मजबूर था। राहुल ने इस सच्चाई को अपना लिया था की नीलू अब उसकी नहीं रही। सपनों की दुनिया में रेत के घर बनाने से कोई फायदा नहीं था। राहुल का मन कहीं लग नहीं रहा था। आज अलका के साथ-साथ राहुल ने भी खाना नहीं खाया उसकी मां जब उसे ना खाने का कारण पूछी तो वह भी तबीयत ठीक नहीं है कहकर अपने कमरे में चला गया। विनीत का बड़ा भाई घर पर होने से विनीत की भाभी से भी बात नहीं हो पा रही थी ।अलका तो वैसे ही परेशान थी वह तो दिन रात बस भगवान से बस यही प्रार्थना करती थी कि कैसे भी करके इस मुसीबत से वह छुटकारा पा जाए। रात भर वाह विनीत के द्वारा दी गई धमकी के बारे में सोच सोच कर करवटें बदलती रही, उसे अब कोई भी रास्ता सूझ नहीं रहा था किसी से कहने पर बदनामी होने का पूरा डर था। इस मुसीबत से निकलने का ऊसे कोई भी रास्ता ना हीं सूझ रहा था ना दिखाई दे रहा था और ना वह किसी की मदद ले सकती थी । उसके सामने सिवा समर्पण के कोई ओर चारा नहीं था। लेकिन यह बात उसे कुछ अजीब सी लगती थी कल के छोकरे के सामने वह इस तरह से झुक जाए। उसकी दी हुई धमकी के आधीन हो जाए,। उसका मन किसके आधीन होने के बिल्कुल खिलाफ था। क्योंकि उसका मन इस बात को मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थी कि वह एक बीत्ते भर के लड़के के सामने उसकी अवैध मांग के अधीन हो कर उसे अपना एक बार फिर से सब कुछ समझ पढ़ कर दे। 
लेकिन ऐसा भी नहीं था कि वह उसकी बात ना मानकर उसे करारा जवाब दे सके। उसके साथ बीच सड़क पर बहस करने का मतलब था , बात का खुलना। जो कि उसके और उसके बच्चों के लिए ठीक नहीं था। मतलब अलका के लिए इस मुसीबत से बचने के सारे दरवाजे बंद हो चुके थे एक दरवाजा खुला था जो कि सिर्फ वीनींत के पास जाता था वह भी उसकी इच्छा पूर्ति के लिए। इसलिए उसने फैसला कर ली की अपनी और अपने परिवार की इज्जत बचाने के लिए एक बार फिर से वह अपनी इज्जत विनीत को सौंपेंगी। मन में यह फैसला कर के वह सो गई। 

सुबह उठते ही वह घर के काम में लग गई नाश्ता बना कर दोनों बच्चों को स्कूल भेज दि जाते जाते राहुल ने आज फिर से ऑफिस जाने के लिए पूछा तो कुछ देर सोचने के बाद ना बोल दी। 
रात को जो उसने वीनीत को समर्पण करने का फैसला की थी सुबह होते ही उस फैसले पर अटल रहने कि उसकी हिम्मत नहीं हुई। क्योंकि वह मन ही मन में सोच रही थी कि विनीत को अपना तन सौंपने का मतलब था कि वह सीधे सीधे देंह के व्यापार में उतर रही थी। क्योंकि यह एक समाधान की तरह ही था अलका उसे कर्जा चुकाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी लेकिन वह था कि पैसा लेना ही नहीं चाहता था उसे तो अलका से कुछ और चाहिए था। विनीत को अलका की इज्जत चाहिए थे वह उसे भोगना चाहता था बदले में वह ऊसका सारा कर्जा माफ कर देता। इज्जत के बदले कर्जा माफ करने वाली बात अलका को कतई पसंद नहीं थी क्योंकि वह इतनी भी मजबूर नहीं थी कि अपना तन बेचकर कर्जे की रकम चुकाए। बात अगर कर्जे की ही होती तो अलका जैसे तैसे करके उसका कर्जा जरूर चुका देती लेकिन बात अब इज्जत की थी। अलका को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था अगर अस्पताल में उससे गलती नहीं हुई होती तो विनीत की इतनी हिम्मत नहीं थी कि उसके सामने एसी बात कर सके। उसकी एक गलती आज उसके लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन चुकी थी। विनीत बार-बार उसे धमकी देते हुए उसे चोदने की फरमाइश कर रहा था और अगर वह ऐसा नहीं करती है तो कहां उसे समाज में बदनाम कर देगा बस इसी बात का डर अलका को खाए जा रहा था। 
अलका रोज की तरह आज भी बहुत परेशान थी घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था इसलिए सारा दिन घर में ही बैठी रहती थी।

स्कूल में राहुल आज पहले की तरह खुश नजर नहीं आ रहा था विनीत से तो वह नफरत सा करने लगा था। लेकिन नीलू उससे पहले की तरह ही मिली क्योंकि वह अनजान थी कि उसकी मां उसे धोखे में रख रही थी। राहुल को नीलू की मुस्कान बेहद पसंद है उसके गुलाबी होठों की नरमी का एहसास उसे अपने होठों पर हमेशा महसूस होता था। राहुल भी उसी से पहले की ही तरह मिला क्योंकि वह नीलू को उदास नहीं देखना चाहता था चाहे जो भी हो वह नीलू से बेहद प्यार करने लगा था।
जैसे तैसे करके वह तड़प तड़प कर अपना दिन क्लास में काटा और छूटने के बाद वह अपने घर नहीं गया बल्कि इधर उधर घूमता रहा। 

विनीत बाजार में फिरसे ऑफिस के छूटने के समय से पहले ही आकर अपना डेरा जमा लिया था वह आज अलका से मिलना ही चाहता था। क्योंकि उसकी तड़प बढ़ती ही जा रही थी अलका को पाने का जुनून हर पल बढ़ता ही जा रहा था। लेकिन फिर वही हुआ अलका जब ऑफिस आई ही नहीं थी तो बाजार से गुजरने का तो सवाल ही नहीं था वह फिर से पागलों की तरह बेवकूफ बना बैठा रहा। मैं समझ गया कि कल का ऑफिस आई ही नहीं है और मंद मंद मुस्कुराते हुए मन में ही सोचने लगा कि उसकी धमकी पूरी तरह से अलका पर असर कर गई है। क्योंकि वह उनका को धमकी तो देता था लेकिन उसे अंदर से डर भी लगता था कि नहीं उसका दांव उल्टा ना पड़ जाए । इसलिए बहुत ज्यादा खुश था क्योंकि अलका का ऑफिस ना आना ऊसकी धमकी का असर बता रहा था। उसे अपनी मंजिल करीब होती नजर आ रही थी। लेकिन इस तरह से हल्का कर ऑफिस में नहाना और बाजार में ना मिलना विनीत की तड़प को और ज्यादा बढ़ा रहा था। इसलिए वह अभी इसी समय उसके घर पर जाने का फैसला कर लिया, और मोटरसाइकिल स्टार्ट करके उसके घर की तरफ चल पड़ा ।लेकिन उसके मन में इस बात की शंका भी देगी अगर घर पर राहुल मिला तो वह क्या कहेगा। शंका का समाधान भी उसने ढूंढ लिया अगर घर पर राहुल हुआ तो वह कह देगा कि वह नोट्स लेने के लिए आया है। और अगर राहुल नहीं हुआ तो वह अपने मन की बात करेगा। 

वीनीत राहुल के घर पर थोड़ी ही दूरी पर अपनी बाइक खड़ी करके वहां से पैदल उसके घर की तरफ जाने लगा। दरवाजे के पास पहुंचा तो दरवाजा बंद था तो उसने दरवाजे को खटखटाते हुए दस्तक दिया। दस्तक देने के थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला दरवाजा खोलते हैं विनीत को अलका के दर्शन हो गए। अलका को देखते ही विनीत बहुत खुश हुआ लेकिन अलका के तो होश ही उड़ गए। विनीत अपने चेहरे पर का मुख्य स्थान लिए कमरे में प्रवेश कर दिया। लेकिन तभी उसकी नजर नीचे बैठ कर पढ़ाई कर रहे सोनू पर चली गई। अलका अपने घर में विनीत को देखकर घबरा गए और घबराते हुए उससे बोली।

यहां क्या करने आए हो वीनीत ? 

बहुत दिनों से तुम्हारे दर्शन नहीं हुए इसलिए सोचा कि तुम्हारे घर पर ही चल कर क्यों ना मिल लुं।

( विनीत की आवाज सुनकर सोनू उसकी तरफ देखते हुए बोला।)

भैया आप यहां कैसे ? (सोनू खुश होता हुआ बोला)

तुम्हारी तबीयत के बारे में पूछने आया था अब तो तुम्हें आराम है ना।

हां भैया अब मुझे बिल्कुल आराम है।


सोनू तू अपने कमरे में जाकर पढ़।( अलका सोनू को कमरे में जाने के लिए बोली और सोनू चला भी गया)

अच्छा हुआ कि तुम खुद ही उसे अंदर जाने के लिए कह दी वरना मैं उसके सामने ही तुमसे सारी बातें करता तब जाकर तुम्हारी अकल ठिकाने आती। तुम मेरी धमकी को लगता है सीरियस नहीं ली इसलिए कोई जवाब नहीं दे रही हो। 

देखो विनीत जो तुम करना चाह रहे हो वह ठीक नहीं है।
ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता हूं मैं तुम्हारी धमकी के आगे झुकने वाली नहीं हूं। ( अलका थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए विनीत से बोली।)

अच्छा तो क्या करोगी ( इतना कहने के साथ वह अलका की तरफ बढ़ने लगा।), विनीत को अपनी तरफ बढ़ता देखकर अलका घबराने लगी' । और घबराते हुए बोली।) 

देखो अगर तुम नहीं माने तो मैं पुलिस के पास जाऊंगी।( पुलिस का नाम सुनकर एक बार तो वीनीत भी घबरा गया, लेकिन अपनी घबराहट को अलका के सामने महसूस होने नहीं दिया। और बहुत ही जल्द अपने आप को संभालते हुए वह बोला।)

अच्छा पुलिस के पास जाओगे लेकिन पुलिस से कहोगी क्या। यह कहोगी कि मैंने तो हस्पताल में तुम्हारी मर्जी से तुम्हें चाेदा हूं। या यह कहोगे कि तुम मुझसे ढेर सारा रूपया ऊधार ली हो और उसे ना चुका पाने के एवज में
तुमने मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए यही कहोगी या यह कहो गि कि मैंने तुम्हारे साथ जबरदस्ती किया हुं।
देखो मेरी जान चाहे तुम कुछ भी कहो अगर तुम पुलिस के पास जाओगी तो पुलिस पूछताछ करने के लिए तुम्हारे घर पर जरूर आएगी और घर पुलिस तुम्हारे घर पर आए तो तुम्हारी आस पड़ोस के लोग इकट्ठा जरूर होंगे। और धीरे-धीरे चाहे तुम कितना भी छुपाने की कोशिश कर लो यह बात सामने जरुर आएगी की तुम्हारे शारीरिक संबंध मेरे साथ है और मैं तुम्हारे साथ क्या करना चाहता हूं। तो तुम ही ठंडे दिमाग से सोचो जब पूरे मोहल्ले में यह बात सामने आएगी कि उनकी पड़ोस में रहने वाली अलका अपने बेटे के उम्र की और तों और अपने ही बेटे के दोस्त के साथ शारीरिक संबंध बनाती है। तो सोचो आस पड़ोस में पूरे समाज में तुम्हारी क्या इज्जत रह जाएगी कैसे तुम उनके सवालों का सामना कर पाओगी और कैसे घर से बाहर निकल पाओगे जबकि अभी सिर्फ मेरी धमकी की वजह से ही तुम ऑफिस जाना छोड़ दि हो। 

विनीत की यह सब बातें सुनकर अलका फूट कर रोने लगी। विनीत की एैसी बातें उसके मन में विनीत का डर पूरी तरह से बैठा दी थी। अलका के सामने अब कोई भी विकल्प नहीं बचा था सिवाय समर्पण के। इसलिए वह रोए जा रही थी क्योंकि अब कोई भी रास्ता नहीं बचा था। अलका को रोता हुआ देखकर विनीत ऊसका हाथ पकड़ते हुए बोला।

देखो मेरी रानी इसलिए ही मैं कह रहा था की बस एक बार एक बार फिर से मुझे अपनी बुर का स्वाद चखा दो।
एक बार मुझे चोदने दो। बस एक बार उसके बाद फिर मैं कौन और तुम कोन मै तुमसे दोबारा कभी भी नहीं मिलूंगा। अच्छे से सोच लो मैं फिर तुम्हें जल्दी ही मिलूंगा।( इतना कहकर वह जाने लगा जाते-जाते वह रुका और बोला।) और हां खुद बदनाम होने का शौक हो तो अपनी मनमानी जरूर कर लेना। मैं जल्द ही तुमसे मिलूंगा और इस बार तुम्हारी हां होनी चाहिए। 

इतना कहकर वीनीत चला गया। अलका वही बेठी रोती रही और अपनी किस्मत को कोसती रहीं। जिस समय विनीत अलका के घर से निकल रहा था उसी समय दूसरी सड़क से राहुल घर की तरफ चला आ रहा था उसने विनीत को अपने घर से बाहर निकलते हुए देखा ऊसे समझ में नहीं आया कि वह क्या करने घर पर आया है। वह उसे आवाज देता इससे पहले ही वह निकल गया। उसे कुछ अजीब सा लग रहा था क्योंकि विनीत आज तक उसके घर पर कभी नहीं आया था चाहे जितना भी जरूरी काम है उसने तो आज तक उसका घर भी नहीं देखा था। वह वीनीत के बारे में सोचते हुए घर में प्रवेश करते हुए बोला।

मम्मी यह राहुल यहां ( तभी उसकी नजर उसकी मम्मी पर पड़ी जोंकि वह रो रही थी, मुझे रोता हुआ देखकर) क्या हुआ मम्मी आप रो क्यों रहीे हैं?
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10-09-2018, 03:55 PM,
#96
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल घबराते हुए बोला।

मम्मी आप रो क्यों रही है क्या हुआ? अौर ये राहुल यहां क्यों आया था? क्या हुआ मम्मी आप कुछ बोलेंगी भी या ऐसे ही रोती रहेंगी मुझे आपका यह रोना बिल्कुल भी देखा नहीं जा रहा है। ( राहुल अपनी मां को रोता हुआ देखकर परेशान हुआ जा रहा था और उसकी मम्मी थी कि बस रोए जा रही थी। राहुल को देख कर उसकी आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वह सिसक सिसक कर रोए जा रही थी। राहुल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार हुआ क्या है विनीत का यूं घर से बाहर निकलना और अलका का रोना उसे कुछ खटक रहा था। लेकिन जब तक अलका खुद नहीं बताएगी कि बात क्या है तब तक राहुल को पता कैसे चलेगा कि वह रो क्यों रही है उसके पीछे का कारण क्या है। अपनी मां को यूं रोता देखकर उसका मन बहुत परेशान हो रहा था। और अपनी मां की खामोशी को देख कर उसे गुस्सा भी आने लगा था।
वह अपनी मां के कंधे पर हांथ रखते हुए बोला। 

मम्मी जब तक तुम मुझे बताओगी नहीं की क्या हुआ है तब तक मुझे पता कैसे चलेगा और यह रोना( अपने हाथ से आंसू पोंछते हुए) बंद करो और मुझे बताओ कि क्या हुआ है और यह वीनीत यहां क्या करने आया था। इसने तो कभी भी मेरा घर नहीं देखा था तो यहां कैसे पहुंच गया।

विनीत का जिक्र आते ही अलका फिर से जोर जोर से रोने लगे उसका रोना बंद ही नहीं हो रहा था उसकी आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वह अब तक छुपाते आ रही थी लेकिन बताना भी जरूरी था, कि उसके ऊपर क्या गुजर रही है काफी दिनों से वह अंदर ही अंदर कौन सा दुख झेल रही है। और उसके दुख के पीछे किसका हाथ है। 
राहुल अपनी मां को चुप कराने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन अलका चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी वह भी पर क्या करती थी बहुत दिनों से वह भी अंदर ही अंदर घुट रही थी। वह कैसे अपने बेटे को बता दें कि उसका ही दोस्त उसके साथ गलत कर चुका है और फिर से संभोग सुख की मांग कर के उसे ब्लैकमेल किए जा रहा है। वह बताना भी चाहती थी लेकिन डरती थी सच्चाई जानने के बाद कहीं राहुल उससे नफरत न करने लगे वह क्या सोचेगा ' उसके दिल पर क्या गुजरेगी जब राहुल को पता चलेगा कि उसकी मम्मी उसके ही दोस्त के साथ चुदवा चुकी है। राहुल अपनी मां को चुप करा करा कर परेशान हो चुका था अलका के रोने की आवाज सुनकर सोनू भी नीचे आ गया। राहुल अपने छोटे भाई सोनू से पूछने लगा कि हुआ क्या है। वह अपने भाई को जवाब देते हुए बोला।

मुझे नहीं मालूम भैया सब कुछ तो ठीक था मैं यहीं नीचे बैठ कर पढ़ रहा था तभी वह भैया आए और उसके बाद में ऊपर कमरे में चला गया। 

कौन भैया! कौन आया था इधर।
( अब राहुल का दिमाग झनझनाने लगा था क्योकी अभी अभी वीनीत ही घर से बाहर गया था। राहुल की बात सुनकर उसका जवाब देते हुए सोनू बोला।)

वही जो उस दिन मेरी तबीयत खराब होने पर साथ में ही अस्पताल में रुके थे। 

अस्पताल में रुके थे, किसके साथ मुझे तो इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है।( राहुल आश्चर्य के साथ बोला, अब अलका के सामने राहुल को विनीत के बारे में बताने के सिवा और कोई रास्ता नहीं था इसलिए वह बोली।) 

विनीत, विनीत ही उस दिन मेरे साथ अस्पताल में रुका था।( अलका नीचे की तरफ नजर झुका कर बोली। उसकी आंखों से आंसू टपक रहे थे। राहुल को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह लोग क्या कह रहे हैं इसलिए आश्चर्यचकित होता हुआ फिर से बोला।) 

लेकिन विनीत ने ईस बारे में मुझसे कभी भी कोई भी बात नहीं किया। 

क्योंकि वह नहीं जानता था कि मैं तुम्हारी मम्मी हुं।
(अलका साड़ी की कीनारी से अपने आंसू पोंछते हुए बोली। राहुल अभी भी आश्चर्य में था।) 

क्या मतलब मम्मी? 
( राहुल फिर से आश्चर्य जताते हुए बोला। अलका पूरी तरह से तैयार थी जवाब देने के लिए वह अपने आप को तैयार कर चुकी थी आज वह अपना राज बताने के लिए जिस वजह से वहां अंदर ही अंदर घुट घुट कर मर रही है। )

मैं तुम्हें सब कुछ बताती हुं राहुल ,( अलका सोनू की तरफ देखकर ) तुम अंदर जाकर पढ़ो बेटा। 
( राहुल को उसकी मां की बातें और उसका व्यवहार कुछ अजीब सा लग रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ऐसी कौन सी बात है कि वह सोने के कमरे में जाने के लिए बोल रही है फिर भी वह शांत खड़ा रहा वह जानना चाहता था कि आखिर बात क्या है। अलका कुछ देर तक शांत बैठी रही उसके बाद फिर से फफक कर रो पड़ी। राहुल अपनी मां को फिर से चुप कराते हुए ऊन्हे उनकी परेशानी का कारण बताने के लिए बोला। इस बार अलका बोली।) 

बेटा जो मैं तुम्हें बताने जा रही हूं एक मां के लिए बेहद शर्मनाक है लेकिन मैं किसी और से बता भी नहीं सकती पता नहीं तुम मुझ पर विश्वास करोगे या नहीं हो सकता है तुम मुझ पर गुस्सा भी करो लेकिन मेरी भावनाओं को समझ कर फैसला करना कि जो भी हुआ था इसमें मेरा दोष था या मेरी मजबूरी या फिर हालात का दोष था।
( राहुल अपनी मां की बात सुनकर और भी ज्यादा परेशान होने लगा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर क्या बात क्या है जो मम्मी मुझसे इस तरह से बातें कर रही है। और मम्मी के परेशानी के पीछे विनीत हो सकता है यह बात ऊसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी। अलका उसे बताते हुए बोलीे ) 

बेटा विनीत से मेरी मुलाकात ऑफिस से आते समय बाजार में हुई थी। वह मेरी मदद किया था तुम्हारी उम्र का ही है तुम्हारा ही दोस्त है यह तो मुझे अब जाकर मालूम पड़ा लेकिन यह बात उसे पहले भी शायद नहीं मालूम थी मैं तुम्हारी मम्मी हूं। वह आए दीन मुझे बाजार में मिलता और कभी कभार मेरी मदद भी कर देता। शायद तुम्हें पता होगा एक बार मुझे पैसो की बहुत ज्यादा जरूरत थी सोनू की फीस भरनी थी। और मेरे पास फूटी कौड़ी नहीं थी मैं सब जगह हाथ फैलाकर मदद मांग कर हार गई लेकिन मुझे कहीं से भी मदद नहीं मिली जहां तक कि मुझे ऑफिस में भी कोई मदद नहीं मीली। ऑफिस से भी जब मुझे कोई मदद नहीं मिली तो मैं ऑफिस से घर पर आ रही थी तो रास्ते में ही मुझे विनीत मिल गया। मैं उससे कोई मदद मांगने नहीं चाहती थी लेकिन क्या करूं मैं मजबूर थी और मुझे लगता भी नहीं था कि वह मेरी मदद कर पाएगा लेकिन बात ही बात में मैंने ऊसे अपनी परेशानी बताइए तो वह झट से पैसे निकालकर मुझे थमा दिया। मैं क्या करती मजबूरी थी तो मैंने वह पैसे उधार के तौर पर ले ली। विनीत को मैं अपने बेटे जैसा ही मानने लगी थी क्योंकि वह अच्छा लड़का था वह तुम्हारी उम्र का था। 

तभी सोनू की भी तबीयत खराब हो गई लेकिन तुम उस समय घर पर नहीं थे, मैं सोनू को लेकर जल्दी जल्दी अस्पताल की तरफ चली जा रही थी कि तभी विनीत मिल गया और वह अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा कर हमें अस्पताल पहुंचाया और अस्पताल में सारी मदद किया यहां तक कि अस्पताल का बिल भी उसी ने चुकाया । ( राहुल अपनी मां की सारी बातों को ध्यान से सुने जा रहा था अब तक की बातों को सुनकर उसे कोई ऐसी बात नहीं लगी जो कुछ गलत हुआ हो। ) मेरे पास तो अस्पताल का बिल चुकाने के लिए भी पैसे नहीं थे । मैं मन ही मन में सोच रही थी कि इसका यह एहसान मैं कभी भी चुका नहीं सकती लेकिन इतना तय कर ली थी कि तनख्वाह मिलने पर उसका धीरे-धीरे सारा कर्जा चुका दूंगी। ( इतना कहकर अलका शांत हो गई, राहुल ठीक उसके सामने कुर्सी पर एकदम करीब बैठा हुआ था। वह अपनी मां को खामोश देखकर बोला।)

फीर क्या हुआ मम्मी?
( इस बार अलका बात को आगे बढ़ाते हुए जज्बाती हो गई है और अपनी बेटे का हाथ पकड़कर नजरें झुका कर वह बोली।) 
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10-09-2018, 03:55 PM,
#97
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
बेटा डॉक्टर ने कहा था कि रात भर हम को रुकना होगा हम रुक तो गए लेकिन सोने के लिए एक ही बेड खाली था । और उस बेड पर मैं और विनीत दोनों सो गए, मैं तो अभी नहीं को अच्छा लड़का समझती थी बेटा लेकिन मुझे क्या मालूम था वह एक नंबर का हरामखोर निकलेगा।( अपनी मां की यह बात सुनकर राहुल को अंदेशा हो रहा था कि क्या हुआ होगा लेकिन फिर भी अपने मन को बार बार समझा रहा था कि जैसा वह सोच रहा है वैसा ना हो। इसलिए वह बीच नहीं बोला।)

क्यों मम्मी फिर ऐसा क्या हो गया जो आप ऐसा बोल रही है? 

क्या कहूं बेटा मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई मैं किसी को भी मुंह दिखाने के लायक नहीं रही।( इतना कहने के साथ ही वह फिर से फफक-फफक कर रोने लगी। एक बार फिर से उसकी आंखों से आंसू बहने लगे राहुल अपनी मां को चुप करा था वह बोला )

बोलो तो सही मम्मी फिर क्या हुआ? 

वही हुआ बेटा जो नहीं होना चाहिए था मेरे माथे पर कलंक लग गया मेरा दामन गंदा कर दिया उसने।
उसने मौके का फायदा उठाकर, मेरी मजबूरी का फायदा उठा कर मेरे साथ शारीरिक संबंध बना लिया।
( इतना कहने के साथ है वह राहुल का हाथ जोर से पकड़ कर फिर से वह रोने लगी। इतना सुनते ही राहुल एकदम से आग बबूला हो गया वह जोर से चिल्लाया।)

मम्मीईई.......
यह क्या कह रही हो मम्मी ऐसा नहीं हो सकता कह दो कि यह झूठ है। ( राहुल के मन में यह बात लग गई कि उसका ही दोस्त उसकी मां के साथ ऐसा गलत संबंध स्थापित किया। अलका रोए जा रही थी चुप होने का नाम ही नही ले रही थी। और राहुल की आंखों से अंगारे छूट रहे थे, उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। अगर इस समय विनीत उसके सामने होता तो वह ना जाने क्या कर देता। अलका के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे वह रोते सिसकते हुए अपनी बेगुनाही बताई जा रही थी।) 

बेटा इसमें मेरी कोई गलती नहीं है मैं हालात के आगे मजबूर हो गई थी ।मुझे ....मुझे यह नहीं मालूम था कि विनीत ऐसी नीच हरकत करेगा। 
( राहुल को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन अपनी मां के आंसुओं को देखकर वह अपने आप को संभाल ले गया। वह जानता था कि कुछ दिनों से उसकी मां अंदर ही अंदर ईतना बड़ा दुख अकेले ही झेल रही थी। अगर इस समय राहुल उसे कुछ भी कहता है तो उसकी मां अंदर ही अंदर से टूट सकती थी इसलिए वह अपनी मां को दोष नहीं दिया। बल्कि वह भी अपनी मां के हाथ को पकड़े हुए उसे शांत करा रहा था। लेकिन बहुत दिनों से वह अपने अंदर बहुत कुछ छुपा कर रखी थी।
जो कि आज वह अपने बेटे के सामने रो रो कर अपना मन हल्का कर लेना चाहती थी। इसलिए वह रोए जा रही थी ओर साथ मे बोले भी जा रही थी। 

बेटा वह रात मेरे लिए किसी तूफ़ान से कम नहीं था जिसने मेरी जिंदगी को झकझोर कर रख दिया था रात बीतने के बाद मुझे अपनी गलती का एहसास पूरी तरह से हो गया था। मुझे इस बात का खेद हमेशा रहेगा कि मैं उस रात को उसे रोक सकती थी लेकिन ना जाने किन हालातों ने मेरे हाथ बांध रखे थे कि मैं उसे बिल्कुल भी ना नहीं कह सकी। रात गुजर जाने के बाद सुबह होते ही मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया लेकिन अब पछताने किसी का मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। मैं अपनी गलती की वजह से पल पल रोज मर रही हुं। तुम खुद ही कुछ दिनों से मेरी हालत पर गौर कर रहे होगे मुझे कहीं भी सुकून नहीं मिल रहा , मैं मर जाना चाहती हूं बेटा मैं मर जाना चाहती हूं मैं जीना नहीं चाहती मुझसे जो गलती हुई है उसकी यही सजा है ( इतना कहने के साथ ही वह फिर से जोर जोर से रोने लगी। राहुल तुरंत अपनी जगह से उठा और अपनी मां की ख़ुशी के बगल में अपनी कुर्सी लगाते वहां बैठकर अपनी मां को चुप कराने लगा।)

चुप हो जाओ मम्मी मैं समझ सकता हूं इसमें आपकी गलती नहीं है गलती तो उस हरामजादे की है जिसने मदद के बहाने आपके साथ इतना घटिया काम किया है उसकी सजा उसे जरूर मिलेगी। ( इतना कहने के साथ ही उसे जैसे कुछ याद आया हो एेसे बोला।) लेकिन मम्मी मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि इतना कुछ होने के बावजूद भी आज विनीत अपने घर में क्या करने आया था। 

वह मेरे साथ फिर से वही करना चाहता है जो उसने अस्पताल में किया था ।(अलका अपनी नज़रें नीचे झुका कर बोली।)

यह क्या कह रही हो मम्मी ।(राहुल फिर से क्रोधित हो गया)

हां बेटा यह सच है विनीत कुछ दीनों से फिर से मेरे पीछे पड़ा है। वह हमेशा ऑफिस जाते जाते मुझे मिलता है और मुझे फिर से वही करने के लिए मजबूर कर रहा है।
और यह धमकी भी देता है कि अगर जैसा वह चाहता है वैसा मैंने नहीं की तो वह मुझे बदनाम कर देगा। मुझे बहुत डर लग रहा है बेटा (अपने बेटे का हाथ पकड़ते हुए बोली।) मैं उसकी धमकी के आगे डरती नहीं लेकिन वह मुझे पूरे समाज में बदनाम कर देने की धमकी देता है और तो और यदि कैसा है कि मैं तुम्हारे बेटे की स्कूल में सबको बता दूंगा कि उसके और मेरे बीच में कैसे संबंध है। इसी बात से मुझे और भी डर लग रहा है मैं बदनाम होना नहीं चाहती बेटा। मेरी जिंदगी उसने बर्बाद कर दिया है। ( राहुल के चेहरे पर क्रोध के भाव साफ नजर आ रहे थे वह बहुत कुछ कर देना चाहता था। लेकिन अपनी मां की वजह से अपने आप को संभाले हुए था क्योंकि अगर वह जरा सा भी हिम्मत हारता तो उसकी मां टूट कर बिखर सकती थी क्योंकि वह नहीं चाहता था क्योंकि वह अपनी मां से बेहद प्यार करता था। वह नहीं चाहता था कि उसकी मां ऐसे बिखर जाए इसलिए वह अपनी मां को दिलासा देते हुए बोला।) 

ऐसा कुछ भी नहीं होगा मम्मी आप चिंता मत करिए। जेसा वह धमकी दे रहा ऐसा कुछ भी नहीं होगा अच्छा हुआ सब कुछ आप ने मुझे बता दिया अब आप चिंता मत करिए मैं सब कुछ संभाल लूंगा मम्मी । और उस से डरने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है। वह साला हरामजादा हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। उसे तो मैं अच्छी तरह से सबक सिखाऊंगा। 
( अपने बेटे की बात सुनकर अलका को थोड़ी राहत हुई लेकिन उसे इस बात की चिंता भी होने लगी कि राहुल कहीं गुस्से में आकर कुछ गलत ना कर दे जिससे जिंदगी भर पछताना पड़े इसलिए वह बोली।)

बेटा गुस्से में आकर ऐसा कुछ मत कर देना कि हम सभी को जिंदगी भर पछताना पड़े तेरे ओर सोनु के सिवा मेरा इस दुनिया में कौन सहारा है। हम दोनों उसे मिलकर समझाएंगे हो सकता है कि वह समझ जाए और दोबारा ऐसी गलती ना करें। 

मम्मी आप बिल्कुल भी टेंशन मत लो मैं कहता हूं ना कि मैं उसे समझा दूंगा आखिरकार वह मेरा दोस्त है मेरी बात जरुर मानेगा जो भी हुआ उससे गलती से ही हो गया आगे से ऐसा नहीं होगा। मैं उसे कल समझाऊंगा आप बिल्कुल भी चिंता मत करो जैसे पहले रहती थी वैसे ही बिना टेंशन के रहो और हां जल्दी से खाना बना दो क्योंकि मुझे बहुत जोरों की भूख लगी है। 

( अपने बेटे की बात सुनकर अलका के चेहरे पर बहुत दिनों बाद मुस्कुराहट आई इस मुस्कुराहट को देखकर राहुल भी मुस्कुरा दिया। अपने बेटे को सारी बातें बता कर अलका का मन शांत हो गया था वह अंदर ही अंदर अपने आप को हल्का महसूस कर रही थी। राहुल के द्वारा दिए गए दिलासे से उस का टेंशन कुछ हद तक दूर हो चुका था। वह कुर्सी से उठी और मुस्कुराते हुए बोली।)

बेटा मैं अभी जल्दी से खाना बना देती हूं।( इतना कहने के साथ ही वह किचन में चली गई।)

जैसे ही अलका रसोईघर में गई राहुल वही कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा वह अच्छी तरह से जानता था कि विनीत ऐसी बातों से मान जाए ऐसा नहीं था वह एक नंबर का वासना से भरा हुआ था। अपनी मां की बात को सुनकर वह अच्छी तरह से समझ गया था कि विनीत भी उसकी मां के खूबसूरत बदन का दीवाना हो चुका था उसके बदन की खुशबू को वह फिर से महसूस करना चाहता था। राहुल इस वास्तविकता से अच्छी तरह से वाकिफ था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी और कोई भी जरा सा भी मौका मिलने पर वह मौके का फायदा जरूर उठाता और यही काम विनीत ने भी किया था। राहुल को यह सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। राहुल अपनी मां को बेहद प्यार करता था वह बहुत खूबसूरत थी और यह प्यार सारी मर्यादाए लांघ चुका था दोनों के बीच दुनिया के लिए मां बेटे का रिश्ता था लेकिन घर की चारदीवारी के अंदर दोनों प्रेमी प्रेमिका और पति पत्नी की तरह ही रहते थे। और कोई भी प्रेमी है या पति यह नहीं चाहता कि उसकी शादी किसी और के साथ हमबिस्तर हो। पर यहां तो हल्का उसकी मां भी थी , तो वह कैसे बर्दाश्त कर लेता कि उसकी मां जिसके साथ वहां रोज शारीरिक संबंध बनाकर शारीरिक सुख का आनंद लेता था वह किसी और के साथ शारीरिक संबंध बना ली हो या कैसे बर्दाश्त कर पाता। जबकि वह जानता था कि जो भी हुआ वह एक बहकावे में ही हुआ है जिसका पछतावा उसकी मां को पल पल तड़पा रहा था। लेकिन जिस तरह का संबंध राहुल का अलका के साथ का राहुल बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था कि उसकी मां के साथ कोई और उस तरह का संबंध स्थापित करें। जोकि वीनीत ने कर चुका था। और यही बात राहुल को भी अंदर ही अंदर खाए जा रही थी वह क्रोध में एकदम आग बबूला हो चुका था लेकिन किसी तरह से अपने आप को संभाले हुए था। अलका पर सिर्फ पूरी तरह से राहुल का ही हक था जिसे वह किसी के साथ भी बांट नहीं सकता था। उसे बस इंतजार था सुबह का।
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10-09-2018, 03:55 PM,
#98
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
दूसरे दिन सुबह राहुल तैयार होकर स्कूल जाने के लिए निकला उसकी मां रसोई घर में काम कर रही थी और रसोई घर में जाते ही , राहुल की नजर आदत अनुसार फिरसे उसकी मां के भरावदार नितंबों पर पड़ी तो उन्हें देखते ही राहुल का मन ललच उठा। भले ही अलका चाहे कितनी भी परेशान क्यों न हो उसकी खूबसूरती में कोई कमी आने वाली नहीं थी। इसलिए तो इतना कुछ हो जाने के बावजूद भी राहुल का आकर्षण अपनी मां के प्रति बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था इसका कारण एक ही था अलका का भराव दार बदन ,उसकी खूबसूरती ,उसका गठीला बदन ,उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और उभरी हुई बड़ी बड़ी गोल गांड। इसलिए तो राहुल की नज़रों में हमेशा इसकी मां की यही कामुकता से भरी छवि बनी रहती है। अलका की खासियत भी यही थी उसकी उपस्थिति में उसके समकक्ष चाहे कोई भी हो , उसके प्रति आकर्षित हुए बिना रह नहीं पाता।
राहुल के मन में बदला लेने की भावना तीव्र हो गई थी वह जल्द से जल्द स्कूल पहुंचना चाहता था क्योंकि उसे वीनीत से मिलना था और उसे सबक सिखाना था। लेकिन रसोईघर में आते ही उसकी नजर अलका पर पड़ गई जोकि कड़ाही में कुछ चला रही थी और कढ़ाई में चमची चलाने की वजह से उसके बदन में अजीब सी थिरकन हो रही थी खास करके उसकी कमर के नीचे का उभार कुछ ज्यादा ही थिरक रहा था जिस पर नजर पड़ते ही राहुल की टांगो के बीच लटक रहा हथियार सुन सुराने लगा। और यह नजारा देख कर उससे रहा नहीं गया वह पीछे से जाकर अपनी मां को बाहों में भर लिया तब तक उसके लंड का तनाव अपनी पूरी औकात पर आ गया था वह पेंट में तंबू बना लिया था। राहुल अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए तुरंत अपने पेंट मे बना तंबू अपनी मां के नितंबों के बीचो-बीच सटा दिया। जैसे ही अलका को अपने नितंबों के बीच के बीच कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ उसके मुंह से आउच निकल गया। और वह तुरंत अपनी गांड को आगे की तरफ बढ़ाकर अपने बेटे के ल** की पहुंच से दूर करने की कोशिश करने लगी लेकिन राहुल ने तुरंत अपने दोनों हाथ को नीचे जांगो पर ले जाकर उसे फिर से अपनी तरफ खींचते हुए पैंट के अंदर अपने खड़े लंड से सटा दिया। कड़क लंड की चुभन से अलका के बदन में सनसनी फैल गई। उसके मुख से कामुक स्वर में आवाज निकली। 

क्या कर रहा है राहुल ऐसा मत कर मुझे ना जाने क्या होने लगता है। मेरे मन में इतनी सारी चिंताएं हैं कि कुछ दिनों से मैं तेरी तरफ और तेरी जरूरत को पूरा भी नहीं कर पा रहीे हुँ। ( अलका कसमसाते हुए बोली।) 

क्या करूं मम्मी मुझे भी तुम्हें देखते ही ना जाने क्या होने लगता है जब भी तुम्हारी यह बड़ी-बड़ी (एक हाथ से गांड को मसलते हुए) गांड देखता हूं तो मेरा लंड तुरंत खड़ा हो जाता है। ( राहुल इतना कहने के साथ ही अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा। अलका भी अपने बेटे की हरकत से थोड़ी ही देर में गर्म होने लगी। लेकिन उसके मन में अभी भी बहुत बड़ा बोझ था। उत्तेजित होने के बावजूद भी वह राहुल को अपने से अलग करते हुए बोली।

बेटा जो बोझ मेरे मन पर है जब तक कि हल्का नहीं हो जाता तब तक मेरा मन किसी भी चीज़ में नहीं लगेगा मुझे जल्दी से जल्दी ईस मुसीबत से निजात दिला उसके बाद जी भरके मैं तुझे प्यार दूंगी। ( राहुल अपनी मां की पीड़ा को समझ सकता था उसके मंन पर बहुत बड़ा बोझ था लेकिन क्या करता ऐसे नाजुक घड़ी में भी अपनी मां के प्रति उसका आकर्षण बिल्कुल भी कम नहीं हो रहा था। इसलिए तो वह वीनीत को सबक सिखाने के लिए घर से निकल ही रहा था कि अपनी मां की कामुकता से छलकती मादक गांड को देखते ही अपने होश खो बैठा और वह पीछे से जाकर अपनी मां को बाहों में भर लिया। अपनी मां की बात को सुनकर राहुल अपनी मां को दिलासा देते हुए बोला।

आप बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी ने बहुत ही जल्दी तुम्हें इस मुसीबत से निजात दिला दूंगा क्योंकि आपका जो पल पल अंदर ही अंदर तड़पना मुझसे देखा नहीं जा रहा है। 


राहुल को बहुत ही जल्द एहसास हो गया की स्कूल के लिए उसे लेट हो रहा है इसलिए वह तुरंत अपनी मां से इजाजत लेकर स्कूल के लिए निकल पड़ा। उसकी मां वहीं खड़े खड़े राहुल के बारे में सोचने लगी उसे यकीन तो नहीं हो रहा था कि राहुल उसे एक मुसीबत से छुटकारा दिला देगा लेकिन फिर भी भगवान को प्रार्थना करके वह मन ही मन राहुल की रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगी और जल्द से जल्द वह अपना वचन पूरा कर सके इसके लिए भी भगवान से मिन्नतें मांग रही थी । 

राहुल स्कूल पहुंच गया था। दोनों क्लास में बैठे हुए थे राहुल विनीत को घृणा की नजर से देख रहा था लेकिन चालू स्कूल में वहां उसके साथ कुछ कर नहीं सकता था इसलिए वह रिशेष का इंतजार करने लगा। 
रीशेष की घंटी बजते ही वह विनीत के पास आया और उसे जरूरी काम है यह कहकर उसे अकेले में ले गया। दोनों को एकांत मिलते ही राहुल विनीत से एकदम क्रोधित होते हुए बोला।

वीनीद हरामजादे( राहुल के मुंह से यह शब्द सुनते ही विनीत चौंक गया उसे कुछ समझ में नहीं आया कि राहुल यह क्या कह रहा है।) तूने जो किया है वह तुझे नहीं करना चाहिए था तू ने दोस्ती की भी लाज नहीं रखी
तो साला इतना बेशर्म हो गया कि अपने ही दोस्त की मां के साथ ....छी.....छी.....छी..... मुझे तो सोचकर ही तुझसे घिन्न आती है। 

अच्छा तो तुझे सब पता चल गया चल अच्छा हुआ कि तुझे सब पता चल गया कहीं दूसरों के मुंह से सुनता तो शर्म से गड़ जाता। ( विनीत के मुंह से इतना सुनते ही राहुल में उसकी कॉलर पकड़ लिया और कॉलर पकड़ते ही दो घुसा उसके गाल पर जड़ दिया जिससे विनीत तुरंत नीचे जमीन पर गिर गया। राहुल नीचे गिरें विनीत को लातों से मारने लगा। दो-चार लात वह विनीत को मारा ही था कि विनीत ने उसकी टांग पकड़कर पीछे की तरफ ठेल दिया जिससे राहुल भी गिर गया। और विनीत मौका देखकर तुरंत खड़ा हो गया राहुल की फुर्ती से भरा हुआ था इसलिए वह भी नीचे गिरते ही तुरंत खड़ा हो गया। खड़ा होते ही राहुल गाली देते हुए विनीत की तरफ लपका।) 

हरामजादे कुत्ते कामीने मैं तुझे आज नहीं छोडूंगा ( इतना कहने के साथ ही वह भी लेती तरफ लपका और उसी से भिड़ गया उसके पेट में वह मुक्के से मारने लगा विनीत भी कम नहीं था वह भी जवाब देते हुए राहुल पर भी वार करने लगा। राहुल ने उसे कस के पकड़ कर घुमा कर फेंका तो वह थोड़ी दूर जाकर गिरा। दोनों की भिड़ंत में विनीत को ही ज्यादा मार लग रही थी क्योंकि राहुल विनीत के मुकाबले अच्छी कद-काठी का था। विनीत इतना बेशर्म हो चुका था कि वह राहुल से माफी तक नहीं मांग रहा था बल्कि मौका मिलने पर उसे उसकी मां की गंदी बात बोलकर उकसा भी रहा था। जब वह नीचे गिरा तो राहुल को उकसाते हुए बोला।

यार तेरी मां बहुत मस्त माल है क्या खूब मजा देती है मेरा तो लंड झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। 
( विनीत के मुंह से अपनी मां के लिए इतनी गंदी बातें सुनकर राहुल फिर से उसकी तरफ दौड़ा लेकिन विनीत भी तुरंत खड़ा होकर फिर से उससे भिड़ गया और दोनों एक दूसरे को मुक्के से मारने लगे। राहुल उसे गाली देते हुए मार रहा था और विनीत मार खाते हुए उसकी मां की गंदी बात बोले जा रहा था।) 
राहुल तेरी मां ने जेसे ही मेरा मोटा लंड अपने मुंह में लेकर चूस ना शुरू की मैं तो जैसे हवा में उड़ रहा हूं। साली बहुत मजा देती है।( राहुल उसकी गंदी बातें सुनकर उसे और ज्यादा क्रोध में मारने लगा था लेकिन विनीत पर जैसे कोई असर नहीं हो रहा था हालांकि उसे चोट लग रही थी लेकिन ऐसी बातें करके वहां राहुल को बिना मारे ही चोट पहुंचा रहा था।)
राहुल साले तेरी मां की बुर इस उम्र में भी इतनी टाइट है कि क्या बताऊं बुर में डालते ही इतना मजा आता है कि पूछो मत अंदर से तेरी मां की बुर इतनी गरम रहती है कि लगता है कि अभी तुरंत लंड का पानी निकल जाएगा। 

विनीत के मुंह से अपनी मां के लिए चिंतन भी गंदी बातें सुनकर राहुल का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जा रहा था और वह बार-बार ऊसे पीटते हुए फेक दे रहा था लेकिन वीनीत पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था वह ऐसी गंदी बातें बोल बोल कर राहुल को अंदर से आहत कर रहा था। और राहुल अपनी मां की गंदी बातें सुन-सुनकर अंदर से आहत भी हो रहा था। दोनों कि इस तरह के झगड़े को देखकर कुछ विद्यार्थी दोनों को छुड़ाने लगे और दोनों को बोल रहे थे कि तुम दोनों इतने अच्छे दोस्त होने के बावजूद भी इस तरह से क्यों झगड़ रहे हो क्या बात है। दूसरों की बात सुनकर वीनीत हंसते हुए बोला।

राहुल इन लोगों को बता दो कि अपने दोनों में किस बात को लेकर झगड़ा हो रहा है तू कहे तो बता दूं।

राहुल विनीत की यह बात सुनकर अंदर ही अंदर सुलग उठा लेकिन कुछ कहने की हालत में वह बिल्कुल नहीं था। दोनों को छुड़ाकर सभी लड़के अपनी अपनी क्लास की तरफ जाने लगे। राहुल विनीत को गुस्से की नज़र से देख रहा था और वीनीत भी उसे देख कर बेशर्मी मुस्कान मुस्कुरा रहा था। राहुल से मुस्कुराते हुए बोला।

देख रहा हूं तुझे ठीक है समझा रहा हूं वरना दूसरे तरीके भी हैं समझाने के। तुझे शायद इस बात का एहसास नहीं है कि अगर मैं तेरी मां के साथ मेरा क्या संबंध है इस बारे में सारी स्कूल को बता दूं तो तू कहीं मुंह दिखाने के काबिल ही नहीं रह जाएगा। 

तू ऐसा नहीं कर सकता हरामजादे ( राहुल विनीत को घूरकते हुए बोला।) 

मैं ऐसा बिल्कुल कर सकता हूं तेरी मां को पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। ( विनीत के मुंह से इतना सुनते ही वह फिर से वीनीत को मारने के लिए लपका लेकिन विनीत उसे रोकते हुए बोला।)

ना नननननननन....... अब मुझ पर हाथ उठाने की गलती दोबारा मत करना वरना सारे स्टूडेंट अभी इधर ही है, सब को बुलाकर में बता दूंगा कि तेरी मां मुझसे चुदवाती है। तब तू ही सोच ले यह खबर जब पूरे स्कूल में आपकी तरफ से मिलेगी तब सारे स्टूडेंट तुझे कौन सी नजर से देखेंगे और तु ऊन लोगों से कैसे नजरें मिला पाएगा।

इसीलिए कहता हूं कि तू मान जा और अपनी मां को भी मना ले बस एक बार बस एक ही बार मुझे मैं जो चाहता हूं वह मुझे दे दे ऊसके बाद मैं तुम लोगों को कभी परेशान नहीं करूंगा।

( विनीत कि यह सब बातें सुनकर राहुल का खून खौल रहा था लेकिन कुछ सोचकर वह रुका रहा विनीत की बातों ने उसके मुंह पर ताला लगा दिया था उसे इस बात का डर था कि कहीं विनीत सब को बताना भी कि अस्पताल में उसकी मां और ऊसके बीच में क्या हुआ था। इसी डर की वजह से वह खामोश रहा अपनी बेज्जती सुनता रहा। विनीत अपने चेहरे पर बेशर्मी वाली मुस्कुराहट लाते हुए राहुल और उसकी मां के बारे में गंदी गंदी बातें बोले जा रहा था। जिसे सुनने के अलावा राहुल के पास और कोई चारा नहीं बचा था। )
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10-09-2018, 03:56 PM,
#99
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल अगर अपने आप को अपनी परिवार को बदनामी से बचाना है तो मेरी बात मान जा वरना तू तो अंजाम जानता ही है एक बार तेरे परिवार की तेरी ओर तेरी मां की इज्जत चली गई तो समाज में रहने लायक नहीं रह जाओगे। बस एक ही बार की तो बात है इसमें तेरा और तेरी मां का कुछ घिस जाने वाला नहीं है। ( विनीत राहुल से यह सब बोल ही रहा था कि रिशेष पूरी होने की घंटी बज गई और वहां जाते जाते राहुल के कान में बोला।)

एक बात कहूं राहुल बुरा मत मानना तेरी मां की बुर सच में बहुत टाइट है एकदम कसी हुई साली को चोदने में मजा ही आ जाता है। ( इतना कहने के साथ वह हंसते हुए चला गया और राहुल अपने आप को अपनी किस्मत को अपनी लाचारी पर कोसते हुए वहीं कुछ देर खड़ा रहा। इसके बाद वह भी अपने क्लास मे चला गया उसे इसका आभास हो चुका था कि विनीत इतनी आसानी से मानने वाला नहीं है। उसे ऐसा लगा था कि विनीत उसकी धमकी उसके मारपीट से मान जाएगा लेकिन हालात की सोचने के मुताबिक कुछ उल्टा ही हो गया था। स्कूल में जब तक छुट्टी नहीं हो रही तब तक वो भी नींद के बारे में ही सोचता रहा कि कैसे इस मुसीबत से छुटकारा पाया जाए लेकिन उसे भी कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। स्कूल में उसकी मुलाकात नीलू से भी हुई लेकिन आज ऊसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था,ईसलिए तबीयत का बहाना बनाकर घर आ गया।
अलका जो कि विनीत के डर से ऑफिस नहीं जा रही थी राहुल के कहने पर आज ऑफिस गई थी , उसे लग रहा था कि राहुल सब कुछ ठीक कर लेगा लेकिन बाजार में उसकी मुलाकात फिर से वीनीत से हो गई।
विनीत को देखते ही फिर से उसके हाथ पांव फूलने लगे उसके मन में फिर से एक बार घबराहट होने लगी वीनीत कामुक मुस्कान लिए उसकी ओर बढ़ा और अपने आसपास नगर दौड़ाकर अलका का हाथ पकड़ लिया अलका उसके हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन वह बड़ी मजबूती से पकड़ा था' और उसे धमकाते हुए बोला।

क्यों तुम्हें क्या लगा था कि राहुल मुझे समझा लेगा वह सब कुछ ठीक कर देगा। वह मुझे क्या समझाएगा मैंने ही उसे अच्छी तरह से समझा दिया हुं। 

छोड़ मेरा हाथ मुझे जाने दे।( अलका अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली।) 

मै तुझे अभी भी कहता हूं कि ठीक तरह से मान जा । एक तो पहले ही तूने गलती कर दी अपने बेटे को बता कर वैसे तो सब कुछ हो जाता हूं और तेरे बेटे को भनक तक नहीं लगती लेकिन अब तो तेरे बेटे को भी पता चल गया है कि मैं तुझे चोद़ना चाहता हूं। और तू थक हार के मुझसे चुदवाएगी भी। लेकिन अब तो तेरे बेटे को पता भी चल जाएगा कि तु मुझसे चुदवा कर आ रही है तो सोच तेरे बारे में वह क्या सोचेगा? 
अब देखना अब तो तुझे तेरा बेटा ही मेरे पास लेकर आएगा( इतना कहने के साथ ही वह अलका का हाथ छोड़ दिया और हाथ छूटते हतअलका वहां से भाग खड़ी हुई। 
घर पर पहुंचते ही बार फिर से राहुल के सामने रोते हुए बोली।
तू तो कह रहा था कि बेटा कि मैं इस मुसीबत से छुटकारा दिला दूंगा वीनीत को समझा दूंगा लेकिन उसने आज फिर से बाजार में मुझे धमकी दिया है। मुझे बहुत डर लग रहा है बेटा वह तेरी बात भी नहीं माना।

( अपनी मां को रोते और डरा हुआ देखकर राहुल उसे समझाते हुए बोला।)

मां तुम चिंता मत करो मुझे लगा था कि वह समझाने से मान जाएगा लेकिन मुझे भी लगता है कि अब ऊंगली टेढ़ी ही करनी पड़ेगी। वह ऐसे नहीं मानेगा।

लेकिन बेटा मुझे डर लग रहा है कि गुस्से में आकर कहीं तू कुछ उल्टा-सीधा ना कर बैठे।

तुम चिंता मत करो मम्मी मैं तुमसे वादा करता हूं (अपनी मां के कंधे पर हाथ रखते हुए) उससे छुटकारा दिलाना मेरी जिम्मेदारी है। और हां उससे छुटकारा ही मेरे जन्मदिन की तुम्हारे लिए तोहफा होगा। ( अपने मां के मुड को ठीक करने हेतु वह हंसते हुए बोला।) लेकिन तुम को भी मुझे मेरे जन्मदिन पर तोहफा देना होगा।

कैसा तोहफा? ( अलका आश्चर्य के साथ बोली)

कैसा तोहफा पर इतनी जल्दी भूल गए क्या वहीं मुझे पूरी तरह से खुश करने का। 
( अपने बेटे की यह बात सुनकर अलका रोते-रोते हंसने लगी और राहुल के सीने पर धीरे से मुक्का मारते हुए बोली।)

धत्त ऐसे मौके पर भी तुझे शरारत सुझती है।

अच्छा मम्मी अब जल्दी से गरमा गरम खाना बना दो मुझे भूख लगी है।

( खाना खाने के बाद राहुल अपने कमरे में बैठा विनीत से छुटकारा पाने के बारे में ही सोच रहा था। राहुल अच्छी तरह से समझ गया था कि उससे लड़ाई झगड़ा करके इस मुसीबत से निकला नहीं जा सकता था बल्कि ऐसा करने पर उसकी ओर उसके परिवार की बदनामी हो सकती थी। आर्थिक स्थिति से भले ही वह लोग मजबूत ना हो लेकिन अभी भी उनकी इज्जत समाज में बरकरार थी जोकी इन हालात में वह अपने परिवार की बदनामी होने नहीं देना चाहता था। बहुत ही सोच समझकर और संभालकर इन विकट परिस्थितियों में वह इस मुसीबत का हल ढूंढ रहा था। उसे इस बात का बखूबी ख्याल रखना था कि जिस परिस्थितियों ं से वह लोग गुजर रहे थे पूनम प्रस्तुतियों ं के बारे में किसी को कानों-कान भनक भी नहीं लगनी चाहिए थी। वरना उसके परिवार की बदनामी होना निश्चित था।
राहुल के सामने बड़ी ही कठिन परिस्थिति आ चुकी थी। उसकी मां अजीब सी मुसीबत में फंसी हुई थी। कैसे मैं उसे सिर्फ अपने बेटे का ही सहारा था उस पर ही वह पूरी तरह से विश्वास कर रही थी। राहुल भी अपनी मां के विश्वास को पूरा करने के लिए एक बार कोशिश कर चुका था लेकिन इस कोशिश से उसे उल्टा मुंह की खाना पड़ा था। इसलिए वह आगे क्या करना है कैसे करना है इस बारे में रात भर जागकर सोचता रहा। उसे विनीत के हाथों अपनी मां की इज्जत बचानीे थी, जो कि अब वह उसे अपनी प्रेमिका के रूप में ही देखा करता था। उसे अपनी मां के साथ साथ अपनी प्रेमिका की भी इज्जत बचाना था। विनीत उसकी मां को और उसे ब्लैकमेल कर रहा था। इसलिए सारी रात जागकर राहुल में भी यह फैसला कर लिया कि विनीत के ही हथियार से वह विनीत को मारेगा।
सुबह नहा धोकर नाश्ता करके स्कुल के लिए तैयार हो गया। अलका राहुल से ऑफिस जाने के लिए पूछा तो वह अपनी मां को हंसते हुए बोला।

मम्मी तुम ऑफिस बेफिक्र होकर जाओ मैं तुम्हें इस मुसीबत से छुटकारा दिला दूंगा।( और क्या कर जाती राहुल अपनी मां की गुलाबी होठ पर अपने होठों पर चूम लिया और स्कूल के लिए चला गया। लेकिन वह स्कूल नहीं गया था बल्कि इधर-उधर घूमता रहा ओर।करीब 20 मिनट बाद आज वह पहली बार खुद विनीत की भाभी को फोन लगाया। 
सामने फोन रिसीव करके विनीत की भाभीी बोली।

अरे वाह आज क्या बात है आज तुम सामने से फोन कर रहे हो। 

क्या करूं भाभी बहुत दिन हो गए थे इसलिए मेरा आज बहुत मन कर रहा था तुम्हारी याद भी मुझे बहुत आ रही थी इसलिए तुम्हें सामने से कॉल करना पड़ा और तुम तो अब फोन ही नहीं करती हो।

नहीं राहुल ऐसी बात नहीं है मैं भी तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही हुं। विनीत के भैया घर पर ही थे इसलिए मैं तुम्हें फोन नहीं कर सकी। लेकिन तुमने अच्छे समय पर फोन किया है कल रात को ही विनीत भैया बिजनेस के सिलसिले में बाहर चले गए। एक काम करो तुम मेरे घर पर चले अाओ विनीत के आने तक हम दोनों मजे कर लेंगे। 

आज दिन की छुट्टी के बाद घर नहीं आएगा वह शाम तक ही लौटेगा क्योंकि उसे कहीं बाहर घूमने जाना है।

वाह तब तो अच्छा है आज दिन भर हम दोनों एस करेंगे

लेकिन भाभी मुझे कुछ पैसों की जरूरत है।


कोई बात नहीं ले लेना तुम सिर्फ घर पर आओ तो सही। जल्दी आना।( इतना कहकर वीनीत की भाभी ने फोन काट दी और राहुल वहीं खड़ा मुस्कुराने ं लगा क्योंकि यह उसके प्लान का पहला चरण था।)
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10-09-2018, 03:56 PM,
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल खुश था क्योंकि उसके प्लान का पहला चरण सफल हो चुका था वह आज जानबूझकर स्कूल नहीं गया था। राहुल अपनी मां को तोहफे में वीनीत से छुटकारा देना चाहता था। राहुल के लिए अब उसकी मां ही सब कुछ थी क्योंकि राहुल खुद अपनी मां की खूबसूरती का दीवाना हो चुका था अपनी मां के आगे उसे कोई भी औरत पानी भर्ती नजर आती थी। इसलिए वह नहीं चाहता था कि उसकी मां किसी और के भी साथ उस तरह के संबंध रखें जिस तरह के संबंध ऊसके साथ थै। इतना कुछ हो जानें के बाद भी राहुल के लिए सुकून वाली बात यह थी कि विनीत से जो उसकी मां के संबंध स्थापित हो चुके थे वह एक हादसा था उसके बाद से वह वीनीत से नफरत करने लगी थी। राहुल के लिए अच्छी बात यह भी थी कि पहले से ही उसकी मां ने राहुल के साथ शारीरिक संबंध बना लिए थे और दोनों के बीच की सारी मर्यादाएं टूट चुकी थी। इसलिए अलका की जरूरत, सारी जिस्मानी चाहते राहुल से ही पूरी होने लगी थी इसलिए उसे बाहर किसी और का सहारा लेना नहीं पड़ता था। राहुल यह भी अच्छी तरह से जानता था कि ऊसकी मां बेहद खूबसूरत और भरे हुए बदन की मालकिन है जिस की तरफ कोई भी मर्द ललचाई आंखों से हमेशा घूरता रहता है। अगर वह खुद अपनी मां को चोदकर उसे शारीरिक सुख नहीं देता तो जरूर वीनीत के साथ जो संबंध मजबूरी में बन गए थे वह संबंध आगे चलकर और भी ज्यादा मजबूत होते जाते। इसलिए घर में ही शारीरिक सुख भोगने की सुविधा उपलब्ध होने की वजह से अलका विनीत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाना नहीं चाहती थी। विनीत के साथ उस संबंध को लेकर वह इस समय पीड़ादायक जिंदगी जी रही थी। जिससे राहुल को अपनी मां को ऊबारना था। 
इसके लिए राहुल को बहुत ही सोच समझकर बड़ी चालाकी से कदम आगे बढ़ाना था जिसमें वह अपना एक कदम बढ़ा भी चुका था। 
कुछ देर बाद राहुल विनीत के घर के बाहर खड़ा था दरवाजे पर पहुंचते ही वह डोर बेल बजा दिया। कुछ सेकंड बाद ही दरवाजा खुला तो सामने का नजारा देखकर राहुल का बदन उत्तेजना में झनझना गया। विनीत की भाभी एकदम तैयार होकर खड़ी थी पीली साड़ी में उसका गोरा बदन सोने की तरह चमक रहा था चेहरे पर शर्मो हया की लाली साफ नजर आ रही थी गीले बालों मे से आती मादक खुशबू वातावरण को उन्मादित कर रही थी। राहुल की नजर पूरे बदन से ऊपर से नीचे तक गुजरते हुए उसकी छातियों पर ही टिक गई, क्योंकि लो कट ब्लाउज के उसके आधे से भी ज्यादा चूचियां बाहर को झांक रही थी। जिसके बीच की पतली दरार बड़ी ही मोहक उत्तेजनात्मक लग रही थी।
राहुल तो बुत बना उसकी खूबसूरती और उसके काम के भजन को देखता ही रह गया राहुल को तो विनीत की भाभी पहले से ही खूबसूरत और सेक्सी लगती थी लेकिन आज की बात कुछ और थी आज वह कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी उसके बदन से एक अजीब सी मादक खुशबू रही थी जो राहुल के नथुनों से होकर के उसके सीने में अजीब सी हरकत पैदा कर रही थी। राहुल के लंड में तनाव की स्थिति पैदा होने लगी थी विनीत की भाभी राहुल के मनोस्थिति को अच्छी तरह से भांप चुकी थी। वह राहुल की स्थिति को देखकर हंसते हुए बोली।

क्या हुआ राहुल ऐसे क्यों देख रहे हो क्या पहले मुझे नहीं देखे हो क्या और अंदर आ जाओ कि ऐसे ही दरवाजे पर सिर्फ खड़े रहोगे।
( उसकी बात सुनते ही जैसे वह नींद से जगा हो इस तरह से हड़बड़ाते हुए बोला।)
ककककक..... कुछ नहीं भाभी आज तो तुम वाकई में आसमान से उतरी कोई परी लग रही हो। 

चल अब बातें मत बना। अब अंदर आ जा। ( राहुल कमरे में प्रवेश करते हुए दरवाजे को बंद किया लेकिन उसे हल्का सा खुला ही रहने दिया विनीत की बाकी दो चार कदम उससे आगे ही थी इसलिए उसे कुछ पता नहीं चला। वीनीत की भाभी सीधे अपने कमरे की तरफ जाने लगी और राहुल को भी पीछे पीछे आने को बोली राहुल विनीत की भाभी की लटकती हुई गांड को देखते-देखते उसके पीछे जाने लगा। राहुल को विनीत की भाभी का भी आकर्षण खूब था उसकी बड़ी बड़ी चुचीयां ऊसे खुब भाती थी। वीनीत की भाभी अपने कमरे में प्रवेश कर गई और पीछे पीछे राहुल भी कमरे में घुस गया कमरे में घुसते ही विनीत की भाभी ने ड्रोवर खोलकर उस में से एक नोटों की गड्डी निकाली और उसे विनीत को थमाते हुए बोली ।

यह लो राहुल इसे रख लो बार-बार पैसा देना मुझे अच्छा नहीं लगता बार-बार पैसा देने से ऐसा लगता है कि जैसे मैं कोई धंधा कर रही हूं । (इतना कहकर वह हंसने लगी, विनीत तो सौ सौ के नोटों की गड्डी देखकर चौंक गया। जितना वीनीत की भाभी दे रही थी वह इतना पैसा नहीं मांगा था लेकिन विनीत की भाभी उसे बिना मांगे ही दे रही थी , इसलिए वह पैसा लेने में हिचकिचा रहा था। विनीत की भाभी उसकी हिचकिचाहट को जान गई और उसकी हिचकिचाहट को दूर करते हुए बोली।

रख लो राहुल या मैं तुम्हें ऐसे ही नहीं दे रही हूं बल्कि यह तो तुम्हारे मेहनत के पैसे हैं।

भाभी आप बहुत अच्छी हो( उसके हाथ से पैसे को थामते हुए राहुलबोला।) 

तभी अचानक विनीत की भाभी के कंधे से उसका आंचल नीचे लुढ़क गया, जिससे उसकी बड़ी बड़ी छातियों राहुल की आंखों के सामने उजागर हो गई जिसकी विशालता को देखकर राहुल की आंखें फटी की फटी रह गई। ऐसा नहीं था कि राहुल विनीत की भाभी की खुली छातियों को पहली बार देख रहा हूं इससे पहले भी वह बहुत बार देख चुका था। लेकिन कुछ दिनों से उसकी नज़रों ने ऐसे नजारे बिल्कुल भी नहीं देख पाए थे। या यूं कह दो कि राहुल को अपनी आंखें सीखने का बिल्कुल भी मौका नहीं मिला था। इसलिए तो आज विनीत की भाभी की विशाल छातीयों को देख कर उसकी आंखों में चुदास की चमक साफ साफ नजर आने लगी। उसका चेहरा देख कर विनीत की भाभी के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। वह अपने आंचल को फिर से कंधे पर डालते हुए मुस्कुरा कर बोली।

तुम तो बहुत जल्दी गर्म हो जाते हो।

क्या करूं भाभी तुम्हें देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है । ( इतना कहने के साथ ही वह आगे बढ़कर विनीत की भाभी को अपनी बाहों में भरने लगा था कि तभी वीनीत की भाभी पीछे हटते हुए बोली।)

अरे इतनी भी क्या जल्दी है मेरी जान अपने पास तो अभी बहुत समय है इस लिए थोड़ा सब्र करो। ( लेकिन शायद राहुल के लिए सब्र करना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था क्योंकि कुछ दिनों से उसकी भी जिस्मानी भूख बढ़ चुकी थी। कुछ दिनों से उसके लंड ने बुर का स्वाद नहीं चखा था। इसलिए उसकी कदर नहीं हुआ और वह आगे बढ़ कर जबरदस्ती मिनट की भाभी को अपनी बाहों में भर लिया और उसे अपनी बाहों में भरे हुए ही नीचे की तरफ झुकते हुए ऊसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ब्लाउज के बटन को खोलते हुए बोला।)

क्या करूं मेरी जान मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा है तुम्हें देखते ही मुझे ना जाने क्या होने लगता है तुम्हारी बड़ी बड़ी चूचियां मुझे पागल कर देती है । (इतना कहने के साथ ही वह झट से ब्लाउज का आखरी बटन भी खोल दिया , विनीत की भाभी राहुल की इस हरकत से और उसकी जल्दबाजी को देख कर खिल खिलाकर हसने लगी थी। राहुल का ऊतावलापन देख कर उसे भी अच्छा लग रहा था। ब्लाउज के खुलते ही ब्लैक रंग की ब्रा जिसमें विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी चूचियां बड़ी मुश्किल से समा रही थी, उसे ब्रा के ऊपर से ही पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा। आज राहुल विनीत की भाभी का पूरी तरह से मजा लेने के मूड में था। आज वह वीनीत की भाभी को एकदम से मस्त कर देना चाहता था। और आज यही सोच कर वह इधर आया भी था। बड़ी बड़ी चुचियों को ब्रा के ऊपर से मसलने में उसे उतना मजा नहीं आ रहा था, इसलिए वह नीचे से ब्रा को पकड़कर ऊपर की तरफ खींच दिया जिससे विनीत की भाभी की दोनो चुचीयां आजाद हो गई। चूची के दूधिया रंग को देखकर राहुल एक दम से पागल हो गया और वह अपनी हथेली में दोनो चुचियों को भरते हुए अपने होंठ को विनीत की भाभी के गुलाबी होठ पर रख दिया। अपने होंठ पर राहुल के होंठ का स्पर्श होते ही वीनीत की भाभी उत्तेजना से भर गई उसका पूरा बदन अजीब के सुख की अनुभूति करके गंनगना गया। राहुल पागलों की तरह विनीत की भाभी के दोनो चुचियों को अपने दोनों हथेली में भरकर दबाते हुए उसके गुलाबी होठों का रस चूस रहा था। राहुल कामोतेजना से भर चुका था। वीनीत की भाभी भी राहुल की इस हरकत से उत्तेजित हो चुकी थी उसका चेहरा सुर्ख लाल होने लगा था। 
राहुल उसके गुलाबी होठों को चुसता हुआ एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ सरका ने लगा कि तभी विनीत की भाभी ने उसका हाथ पकड़ते हुए बोली।
ओहहहह राहुल तूने मुझे एकदम चुदवासी कर दिया है।
लेकिन अभी थोड़ा सब्र कर मुझे बहुत जोरों से पेशाब लगी है मुझे बाथरुम जाना है। ( वह राहुल को रोकते हुए बोली। विनीत की भाभी के मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनकर राहुल का लंड ठुनकी मारने लगा। वह भी बड़े ही उत्तेजनात्मक स्वर में बोला।)

भाभी मुझे भी पेशाब लगी है चलो मैं भी चलता हूं।
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