Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:25 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मैने चारपाई पर साइड को खिसक कर जगह बनाई और बोला- अरे छोटी शेरनी कब आई ? आओ बैठो.

वो मेरे पास नीचे को पैर लटका कर बैठ गयी, मैने कहा- और सूनाओ आज मेरे पास कैसे आई.. कोई काम था..?

वो - काम तो आप आपा के ही करते हो, मेरी तो यहाँ कोई परवाह ही नही करता, छोटी हूँ ना इसलिए..!

मे उठ कर सिरहाने की ओर बैठ गया और बोला - अरे ! ये क्या कह रही हो तुम..? 

आज इस घर में, मे हूँ ही तुम्हारी वजह से, और तुम कह रही हो कि मे तुम्हारी कोई परवाह नही करता…! 

बोलो क्या करूँ मे तुम्हारे लिए..?

वो नज़र झुकाए ही बोली - आप आपा से कितना प्यार करते हैं, और मेरी ओर नज़र उठा के भी नही देखते, क्या मे इतनी बुरी दिखती हूँ..?

मे चोंक गया और बोला – आपा से प्यार करते हैं मतलब..? फिर उसकी ठोडी के नीचे हाथ लगा कर अपनी ओर उसका चेहरा करके बोला – 

तुमसे ये किसने कहा कि तुम बदसूरत हो, सच कहूँ तो तुमसे ज़्यादा कमसिन और हसीन लड़की मैने आज तक नही देखी.

वो अभी भी नज़रें नही मिला रही थी, फिर भी झेन्प्ते हुए बोली – मैने आपा और आप दोनो को प्यार करते हुए देखा है, कल शाम को और रात को भी.

मे – क्या..? क्या देखा है तुमने..?

वो - सब कुछ..! और वो सब देखते हुए, ना जाने क्यों मुझे अपनी बड़ी बेहन से जलन सी हो रही थी.

मैने उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों में ले लिया और उसकी आँखों में झाँकते हुए पुछा- तो अब तुम क्या चाहती हो..? जो तुम कहोगी मे वही करूँगा.

वो ज़मीन पर नज़रें गढ़ाए, झेंपती हुई बोली - मुझे भी मेरे हिस्से का प्यार चाहिए, 

मैने उसके चेहरे को उपर करते हुए कहा – हिस्सा ऐसे माँगा जाता है..? नज़रें झुका कर…

मुझ पर तुम्हारा पहला हक़ है, और हक़ आँखों में आँखे डालकर लिया जाता है, ना कि झुका कर…

और रही बात तुम्हारे हिस्से की, तो बिल्कुल मिलेगा क्यों नही मिलेगा मेरी गुड़िया को उसके हिस्से का प्यार, 

मे तो इसलिए पहल नही कर रहा था कि कहीं तुम ग़लत ना समझो मेरे प्यार को, वरना तुम तो मुझे पहले दिन से ही भा गयी थी.

ये कहकर मैने उसे खींच कर अपने सीने से लगा लिया, उसके कठोर 32 के उभार मेरे सीने में गढ़ने लगे.

उसने अपना चेहरा मेरे चौड़े कंधे में छुपा कर कहा- सच..!

मैने उसके अन्छुए पतले-2 सुर्ख रसीले लवो को चूम लिया और कहा- मुच. 

शाकीना ! मेरी जान, तुम तो मेरे दिल का वो नगीना हो, जिससे हर किसी को नही दिखाया जाता, छुपा कर रखना होता है.

मेरी बात सुन कर वो मेरे सीने से लिपट गयी, अपनी मरमरी बाहों का घेरा मेरी पीठ पर कस लिया.

कुछ देर मैने उसे ऐसे ही लिपटे रहने दिया, फिर उसके कंधे पकड़ कर अलग किया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा- 

लेकिन पहली बार प्यार में कुछ कुर्बनिया देनी होती है, उसके लिए तैयार हो.

वो - हां ! मुझे पता है, पहली बार तो सबको ही देनी पड़ती हैं, तो मे क्यों नही, फिर आप जैसा समझदार इंसान जब प्यार करे तो मुझे डरने की क्या ज़रूरत..!

उसकी सहमति जान मैने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गाल पर अपनी खुरदूरी दाढ़ी रगड़ते हुए उसके कश्मीरी सेबों को सहला कर कहा- 

तो फिर आज चलो जानवरों को लेकर वहीं झरने के पास, हम वहीं प्यार करेंगे.

मेरी बात से वो इतनी खुश हो गयी, कि मेरे चेहरे पर उसने अनगिनत चुंबन जड़ डाले…,

फिर मेरी गोद से उठ कर किसी चंचल हिरनी की तरह कुलाँचे भरती हुई घर के अंदर चली गयी अपनी आमी को बोलने की वो जानवरों को चराने जा रही है…

वो जल्दी से जल्दी उस स्वर्गीय आनंद को पाने की खुशी में , जिसकी झलक उसने अपनी बेहन को लेते हुए देखी थी, 

और जिसकी झलक मात्र से ही अपनी मुनिया भिगो ली थी, उसने जानवरों को बाडे से निकाला और हांक दिया झरने वाले मैदान की तरफ…!

ये एक हरा-भरा घस्स का मैदान था, जिसके एक तरफ उँचे-2 घने पेड़ थे, फिर थोड़ा ढलान लिए हुए वो मैदान जिसके दूसरी ओर एक दम साफ नीले पानी की झील जैसी थी, जिसका पानी एक झरने से निकल कर जमा हो रहा था.

जहाँ पानी जमा हो रहा था उसकी गहराई कुछ ज़्यादा नही थी सीधे खड़े होने पर मेरे सीने तक आता, 

अतिरिक्त पानी, एक पतली सी पत्थरीली नहर से अंदर जंगल में से होता हुआ नीचे के इलाक़ों में जा रहा था.

हमने जानवरों को उस मैदान में छोड़ दिया घास खाने, और एक पेड़ के नीचे एक बिछवन डालकर उसके उपर बैठ गये.

मेरा उस झील और झरने के अंदर पानी में घुसकर मज़ा लेने का मन था, सो मैने शाकीना से कहा – 

मेरा नहाने का मन है, क्या तुम मेरे साथ नहाना चाहोगी ?

वो – मे तो अपने कपड़े भी नही लाई, तो कैसे नहा सकती हूँ ?

मे – अरे यार ! कपड़े पहन कर कॉन नहाता है..? ब्रा-पेंटी तो पहनी ही होगी ना..! वही पहन कर नहा लो, अंदर पानी में कॉन देखता है..!

वो – नही मुझे हया आएगी..!

मे – मेरे अलावा यहाँ और कॉन है जिससे हया आएगी..?

वो फिर भी नही मानी, मैने अपने कपड़े निकाले और मात्र अंडरवेर में मैने पानी में छलान्ग लगा दी, और तैरने लगा.

शाकीना मुझे नहाते हुए देख रही थी, झील के ठंडे-2 पानी में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, मैने उसको इशारा किया पानी में आने के लिए.

जब वो नही आई तो मैने झरने का रुख़ किया और तैरते-2 झरने के पास पहुँच गया, जहाँ पत्थरों से पानी टकरा कर सफेद रूई के माफिक लग रहा था.

जब मैने पीछे मूड कर शाकीना क़ी ओर देखा तो वो मुझे उस बिछवन के पास नही दिखी. 

कुछ देर वहीं एक पत्थर पर बैठ मे उसका इंतजार करता रहा, वो फिर भी नही दिखी, तो मेरे मन में शंका के बादल उठने लगे.

मैने वहीं बैठे-2 उसको आवाज़ दी, लेकिन कोई जबाब ना पाकर मे लौटने लगा.

अभी मे बीच में ही पहुँचा था कि मेरे पास ही पानी के अंदर वो दिखाई दी, किसी सुनहरी जलपरी सी, एक छोटी सी ब्रा और पेंटी में. 

पानी साफ होने के कारण वो मुझे साफ-2 दिख रही थी.
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12-19-2018, 02:25 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मेरे मन में शरारत सूझी, और मैने भी पानी के अंदर डुबकी लगा दी और उसे अंदर ही पकड़ लिया, वो मेरी बाहों में छटपटाई और छूट कर पानी के उपर आ गई.

मे- तुमने तो मुझे डरा ही दिया, इतनी देर पानी में कैसे रह ली..?

वो- अरे ! ये तो हमारे लिए रोज़ की बात है..

फिर मैने उसे पानी के अंदर अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूम कर कहा- जब मैने कहा तब मना क्यों किया..?

वो- आपके सामने कपड़े निकालने में शर्म आ रही थी.

मे- अब भी तो पानी में सब दिख रहा है मुझे…! तो उसने शर्म से मेरे सीने में अपना मुँह छिपा लिया.

मैने उसके चुतड़ों पर अपनी हथेलिया कस दी और उसे अपनी गोद में उठा लिया, वो भी मेरी कमर में अपनी टाँगें लपेट कर मुझसे चिपक गयी.

मे उसे अपने से चिपकाए हुए झरने की ओर बढ़ गया, कुछ कदमों में ही हम दोनो झरने के सफेद पानी की धार का मज़ा ले रहे थे.

मे एक ऐसे पत्थर पर बैठ गया जहाँ झरने का पानी डाइरेक्ट तो नही गिर रहा था, लेकिन उसका पानी उच्छल-2 कर वहाँ तक पहुँच रहा था, 

उसको अपनी गोद में बिठाए मैने उसकी गर्दन पर किस किया.

उसके मुँह से एक मादक सिसकी निकल गयी और अपनी गर्दन दूसरी ओर मोड़ कर मेरे गर्दन के पीछे से निकाल कर मेरे बालों को अपनी मुट्ठी में कस लिया. 

मेरे दोनो हाथ उसके छोटे -2 सेबों पर थे और उनको ब्रा के उपर से ही धीरे-2 सहला रहा था.

मज़े के आलम में उसकी आँखें बंद थी, और मुँह से हल्की हल्की सिसकी निकल रही थी. 

जब मैने उसके ब्रा के हुक खोलने चाहे तो उसने मेरे हाथ पकड़ लिए और ना में गर्दन हिला दी.

मैने उसके हाथों को चूम लिया और जीभ से उसकी पीठ चाटने लगा. उसने अपने हाथ मेरे हाथों से हटा लिए, तो मैने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और उसको अपने गले में लपेट लिया.

अब उसकी गोरी-चिटी छोटी-2 गोल-2 चुचियाँ जो कसरत करने की वजह से और ज़्यादा शेप में आ गयी थी, मेरे सामने नंगी थी, 

कितनी ही देर उस मनमोहक चुचियों को मे देखता ही रहा, फिर धीरे से जीभ लगा कर उसके कंचे जैसे निपल को चाट लिया.

आनंद के मारे उसकी आअहह… निकल गयी और सिसकने लगी…

आआहह….सस्सिईईई….उफफफ्फ़… आमम्मिईीई……मत करो… कुछ होता है….

मे- क्या होता है मेरी जानणन्न्…! बोलो ना..!

वो - आअहह… पता नही… पर बहुत अच्छा लग रहा है…!

अब मैने उसके एक निपल को अपने अंगूठे और उंगली के बीच पकड़ कर हल्के से मसल दिया.. 

उसकी सिसकी और बढ़ गयी और मज़े में आकर वो अपनी गोल-2 गान्ड मेरे लंड पर पटकने लगी, जो अब एक दम कड़क हो गया था, और अंडरवेर को फाड़ डालने की कोशिश कर रहा था.

मेरे लंड का एहसास अपनी गान्ड पर फील करके वो उसे रगड़ने लगी.

मैने अब उसको अपने बाएँ बाजू पर लिटा लिया, उसके होठों को चूसने लगा और एक हाथ से उसको चुचियों को सहलाता, कभी -2 उत्तेजनावस मसल भी रहा था.

उसका पूरा बदन कामोत्तेजना में थिरक रहा था, होठ चुसते-2 अब मेरा हाथ उसके गोरे से पेट से होता हुआ जैसे ही उसकी चूत के उपर पहुँचा, उसने अपनी टांगे भींच ली, और मेरे हाथ को वहीं लॉक कर दिया.

मैने दबे हाथ से अपनी उंगली को हरकत दी और पेंटी के पतले से कपड़े के उपर से ही उंगली उसकी चूत के उपर घुमाई, उसकी टांगे खुल गयी और मैने उसकी छोटी सी चूत को अपने पंजे में भर लिया.

उसने किस तोड़ दिया और लंबी-2 साँसें लेने लगी, उसकी आँखें लाल हो चुकी थी, आँखों में वासना के लाल डोरे साफ साफ दिखाई देने लगे.

अब मैने उसको उस पत्थर पर बिठा दिया और खुद उसके नीचे उसके सामने बैठ गया.

उसके कमर के दोनो साइड से उंगली फँसा कर उसकी पेंटी को निकालना चाहा तो उसने मेरी हेल्प करते हुए अपनी गान्ड को हवा में लहरा दिया. 

मैने पेंटी उतार कर एक ओर रख दी, उसकी छोटे-2 बालों वाली चूत अब मेरे सामने थी.

पतले-2 होठों को भींचे हुए उसकी पतली सी एक दरार जैसी चूत को देख कर मेरा लंड बाबला हुआ जा रहा था, मैने उसे अपने हाथ से सहला कर थोड़ी देर शांत बैठने को कहा और उसकी टाँगों को सहला कर उसकी थोड़ी-2 मांसल होती जा रही जांघों को चौड़ा किया.

मैने झुक कर अपना मुँह उसकी चूत पर रखा और एक उद्घाटन चुंबन लिया. 

वो अपनी हथेलियों को पीछे की ओर टिका कर पीछे की तरफ झुकी हुई थी, सर उसका हवा में था, और आँखें आने वाले मज़े के इंतजार में बंद थी.

एक बार मैने अपनी जीभ पूरी चौड़ाई में उसकी छोटी सी चूत पर गान्ड के छेद के पास से शुरू करके उपर तक फिराई..

सस्सिईईई…..आअहह……आअम्म्म्मिईीई…. ऐसी ही कुछ आवाज़ उसके मुँह से निकली और गान्ड पत्थर से उपर उचका दी.

फिर उसकी पुट्टियों को खोल कर जो एक दम एक दूसरे से जुड़ी हुई थी, अपनी जीभ की नोक से अंदर की साइड कुरेदा, 

उसकी गान्ड फिर से हवा में लहराई. जब अपना अंगूठा मुँह मे लेकर उसकी चूत के होठों पर रगड़ा, तो उसकी आहह.. सस्सिईईईईईईईईईईईईईईई……फुट पड़ी.

उसकी चूत के उपरी भाग पर उसका क्लोरिट मुँह से चूमने लगा, जिसे मैने जीभ से कुरेद कर और बाहर को किया और फिर अपने होठों में दबा कर चूसने लगा, साथ ही साथ उसके छोटे से छेद को अपने अंगूठे से सहला दिया.

मज़े के मारे शाकीना का बुरा हाल हो रहा था, कभी वो अपनी गान्ड को हिलाती तो कभी अपनी टाँगों को मेरे कंधे पर पटकती.

5-7 मिनट में ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और ये शायद उसकी चूत का पहला ओरगैस्म था जो किसी मर्द के द्वारा हुआ हो.

बहुत ज़ोर से झड़ी वो, और झड़ते समय दोहरी होकर मेरे सर से लिपट गयी.

जब वो शांत हुई तो मैने उसके होठों पर एक चुम्मन लिया और उसको पुछा- कैसा लगा शाकीना..? 

वो शर्म से पानी पानी हो गयी और मेरे कंधे में सर रख कर मुस्कराने लगी…..!

मैने उसे अपनी गोद में उठा लिया और पानी के अंदर चल दिया, वो अपने हाथ पैर फड़फड़ाकर चिल्लाई- अरे मेरी पेंटी रह गयी ….! 

मैने शरारत से कहा - छोड़ो उसको क्या करोगी उसका ..? 

वो – नही प्लीज़ लेने दो ना, मेरे पास वैसे भी कोई एक्सट्रा नही है…

मैने उसकी गान्ड के छेद को उंगली से सहला कर कहा – आज के बाद पेंटी पहनना बंद कर दो…

वो मेरी गोद में किसी बच्चे की तरह उपर नीचे झूलती हुई बोली – लेने दो ना प्लीज़, 
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12-19-2018, 02:25 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मैने हंसते हुए हाथ लंबा करके उसे उठा कर उसे पकड़ा दिया, गोद में उठाए ही उसको बीच पानी में ले आया.

मेरा लंड उसकी मुलायम गोल-गोल गान्ड के नीचे हाहाकार मचाए हुए था, वो अब इतना कड़क हो गया था कि अगर में शाकीना को छोड़ भी देता तो वो उसके उपर आराम से रेस्ट कर सकती थी.

बीच पानी में आकर एक दूसरे से चिपके हुए ही हमने एक-दो गोते लगाए और फिर किनारे पर आकर बाहर निकले.

बिच्छावन के पास आकर मैने उसे उस पर लिटा दिया और उसकी एक टाँग को अपनी टाँगों के बीच लेकर उसे पुछा- आगे बढ़ना चाहोगी शाकीना..?

हमम्म.. उसने बस इतना ही जबाब दिया जो मेरे लिए किसी वकालत नामे से कम नही था.

मैने अपना अंडरवेर निकाल दिया और उससे कहा, मेरा लंड चुसोगी..?

उसने ना में सर हिलाया, तो मैने कहा- तुम तो कह रही थी कि तुमने रात मुझे और रेहाना को ये सब करते हुए देखा था, तो वो नही देखा कि कैसे तुम्हारी आपा इसकी सेवा कर रही थी.

हमम्म.. देखा तो था.. पर मुझे शर्म आती है ये सब करने में- उसने कहा, तो मे बोला- अब कैसी शर्म, 

देखो मैने तुम्हारी मुनिया को मुँह से प्यार किया ना, अब चलो तुम भी मेरे पप्पू को प्यार करो.. तभी तो वो तुम्हारी मुनिया की अच्छे से सेवा करेगा.

ये कहकर मैने अपना लंड उसके मुँह के सामने लहरा दिया. 

उसने डरते-2 उसे हाथ में पकड़ा मानो किसी नाग को पकड़ रही हो की कहीं डॅस ना ले.

कुछ देर वो उसे हाथ में लेकर उलट-पलट कर देखती रही, फिर उसको मुट्ठी में भर कर सहलाने लगी. 

जब उसने उसका सुपाडा खोला तो उस पर एक प्री-कम की बूँद चमक रही थी, वो उस बूँद को गौर से देख रही थी.

टेस्ट करो इसे शाकीना, लड़कियों के लिए ये अमृत है, चाट के देखो, अच्छा लगेगा तुम्हें..

धीरे-धीरे करके वो अपना मुँह मेरे लंड की तरफ लाई, और डरते हुए उसने अपनी जीभ की नोक से उसे उठा लिया. 

मेरी आँखें बंद हो गयी और लंड ने उसके हाथ में ही एक ठुमका सा लगाया.

कैसा लगा.. जब मैने उससे पुछा तो वो बोली- ठीक ही है, और फिर धीरे से उसने मेरे लाल-लाल सुपाडे को अपने पतले-2 होठों में क़ैद कर लिया.

होठों में लिए-2 ही जब उसने अपनी जीभ मेरे लंड के छेद पर रख कर घुमाई तो मेरी सिसकी निकल पड़ी…

सस्सिईईई…आअहह….शाकीना मेरी जानणन्न्…. चूसूऊ.. ईससीए…आईसीए…हिी…शाबाश….आहह…और अंदर लूऊ.. 

शाकीना मेरा आधा लंड मुँह में ले चुकी और लोलीपोप की तरह चूसने लगी, मेरा लंड उत्तेजना में फटने जैसी स्थिति में आ चुका था, 

स्टील की रोड की तरह कड़क हो गया था वो, जो अब किसी भी छोटी से छोटी चूत को भी फाड़ने के लिए तैयार था.

मैने शाकीना को रोक दिया और उसे बिछावन पर लिटा कर उसकी जांघों के बीच आगया, उसकी पुसी को एक बार सहला कर उसे चूमा और दो-तीन बार जीभ से चाट कर गीला किया.

अपने हाथ पर ढेर सारा थूक लेकर अपने मूसल पर चिपडा और उसे उसके छोटे से छेद पर रख कर हल्के से दबा दिया.

गीली हो चुकी चूत और थूक से सना लंड गॅप से उसकी सन्करि गली में फिट हो गया, लेकिन शाकीना की एक कराह ज़रूर निकल गयी.

मैने उसके चुचों को सहलाया और उसके होठों को एक बार चूम कर उसकी आँखों में देख कर उसको इशारा किया और एक झटका मार दिया अपनी कमर में.

फुच्च की आवाज़ के साथ उसकी झिल्ली फट गयी, और शाकीना की एक दर्दनाक चीख पूरे जंगल में गूँज गयी. 

वो हान्फती हुई सी बोली- प्लीज़ अशफ़ाक निकालो इसे.. हाईए…आमम्मि…मारीी…आहह,… लगता है मेरी जान ही निकल जाएगी.

मैने उसकी चुचियाँ सहला कर उसे शांत किया और बोला- अरे मेरी बहादुर शेरनी आधे से ही घबरा गयी. 

बस अब सब ठीक है, जो होना था सो हो गया, अब दर्द नही होगा.. , कहकर उसके होठों को चूसने लगा और अपने हाथों से उसकी चुचियों को सहलाने लगा, मसल्ने लगा.

दो मिनट में उसका दर्द कम पड़ गया, वो अपनी कमर को हिलाने लगी, मैने आधे लंड को ही धीरे से अंदर बाहर किया, कुछ पलों में उसका दर्द एक दम छुमन्तर हो गया और वो मादक सिसकारी लेते हुए नीचे से कमर मटकाने लगी.

सही मौका देख कर मैने एक धक्का और कस कर लगा दिया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया. 

एक बार फिर वो चीख पड़ी, लेकिन ये ज़्यादा लंबी नही थी.

मेरा 8” लंबा लंड जड़ तक उसकी चूत में कस गया था, उसकी बच्चेदानी का मुँह मेरे लंड के सुपाडे पर फील हो रहा था.

मेरे लंड को उसकी चूत ने इस कदर पकड़ रखा था मानो वो उसे कहीं जाने ही नही देना चाहती हो.

थोड़ी देर रुक कर मैने अपने मूसल को बाहर खींचा, उसकी चूत की अन्द्रुनि दीवार भी मानो खिचकर बाहर आना चाहती हो उसके साथ. 

पूरा सुपाडे तक बाहर लेकर मैने फिर से धीरे-2 उसको अंदर किया तो वो धीरे से कराही..

आअहह…ससुउउ…उफफफ्फ़…धीरीए…

5-6 बार मैने बड़े इतमीनान से लंड को अंदर बाहर किया, तो उसकी चूत ने थोड़ी सी दया दिखा कर मेरे लंड को चलने लायक रास्ता बना कर दिया.

अब वो थोड़ा आसानी से अंदर बाहर हो रहा था. 

शाकीना को भी अब दर्द की वजाय मज़ा आना शुरू हो रहा था, और वो भी नीचे से अपनी कमर को उचकाने लगी थी.

धीरे-2 मैने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, और उसकी जांघों को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया जिससे उसकी गान्ड अधर हो गयी और मेरा लंड और अंदर तक खुदाई करने लगा.

लंड को अपनी बच्चेदानी पर फील करके शाकीना भाव बिभोर हो गयी और आनंद के मारे उसकी आँखें छलक पड़ी. 

आअहह… हयईए… अल्ल्लाअहह…ये कैसा मज़ा है…अब तक कहाँ थे मेरी जानणन्न्… हयईए…मईए..कहीन्न..मर ही ना जाउ खुशी में..

वो चुदति जा रही थी और ना जाने क्या-2 बड़बड़ाती जा रही थी.. सच में शाकीना बहुत गर्म लड़की थी..

चोदते-2 हम दोनो के शरीर पसीने से भीग गये.. कोई किसी से हार मानने को तैयार नही था, इस बीच वो ना जाने कितनी बार बही, लेकिन अंत तो हर काम का होता है..

आख़िरकार हम दोनो की ही मंज़िल आ ही गयी और एक जोरदार हुंकार के साथ मे उसकी चूत में झड़ने लगा.. 
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12-19-2018, 02:28 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
उधर शाकीना ने भी अपने पैरों को लपेट कर मेरी कमर में ताला सा लगा दिया और अपनी कमर हवा में लहरा कर झड़ने लगी.

जब हम दोनो का जोश शांत हुआ तो 5 मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे. मे उसके उपर ही पसर गया, जिसका उसे भान ही नही हुआ.

फिर मे उसके उपर से उठा तो उसने अपनी आँखें खोली और मेरे गाल को चूम कर बोली - शुक्रिया अशफ़ाक़ साब !!

मैने भी उसके गोरे मुलायम गाल को चूमा और बोला – ये शुक्रिया किस वास्ते..? इसमें तो हम दोनो की खुशी बराबर की थी ना..!

फिर मैने उसे गोद में उठाया और झील के किनारे ले जाकर दोनो फ्रेश हुए और आकर फिर से बिछावन पर बैठ गये एक दूसरे के आलिंगन में.

अभी तक हम दोनो मदरजात नंगे ही थे, मैने फिर से उसे खींच कर अपनी गोद में लिया और उसके चुचक सहला कर पुछा- तुम खुश तो हो ना मेरी जान ?

वो - बेहद ! क्या इतना भी मज़ा इसी जिंदगी में था, मुझे आज पता लगा.

फिर हम दोनो के हाथ फिर से शरारत पर उतर आए, और जल्दी ही फिर एक बार वासना का तूफान उठाने लगा, जब दोनो बेहद गरम हो गये तो मैने शाकीना को अपने उपर बिठा लिया.

वो धीरे-2 मेरे लंड के उपर अपनी चूत रख कर बैठने लगी, 
शुरू-शुरू में थोड़ी तकलीफ़ हुई उसको, लेकिन जल्दी ही उसने पूरा लंड निगल ही लिया और कुछ ही देर में मज़े लेकर उच्छल-2 कर मेरे उपर कूदने लगी.

10 मिनट बाद मैने उसको निहुरा दिया और उसके पीछे से घोड़ी बनाकर उसकी सवारी करने लगा.

शाकीना को आज जन्नत की सैर करते-2 शाम हो गयी, तब तक वो ना जाने कितनी बार पानी निकलवा चुकी थी.

आज वो अपने जिंदगी के परम सुख को प्राप्त करके बड़ी खुश लग रही थी, लेकिन उसकी चाल में थोड़ी लंगड़ाहट थी, जो स्वाभाविक था.

अंधेरा होने से पहले हम घर पहुँच गये. 

रहना उसकी चाल देख कर कुछ-2 समझ गयी थी, पर वो भी अपनी छोटी बेहन को लेकर खुश थी.

जब उसने मुझसे पुछा तो मैने हामी भरी, और उसको बोला- तुम्हें तो कोई ऐतराज नही है ना ! 

वो बोली- नही वल्कि मे तो खुश हूँ कि मेरी प्यारी बेहन भी अब इस सुखद एहसास से रूबरू हो गयी है, 

और आज उसे एक ऐसा हमसफ़र मिल गया है, जो औरत की कद्र करना जानता है…!

मेरी आपसे एक इलतज़ा है अशफ़ाक़, मेरी मासूम बेहन का साथ कभी मत छोड़ना, वरना वो बेचारी टूट जाएगी.

इस छोटी सी उमर में इतने मुश्किलात का सामना कर चुकी है वो कि अब शायद और ना झेल सके…

रहना की बातें मेरे जेहन में किसी हथौड़े के वार की तरह पड़ रही थी, मे सोचने लगा, कि अगर इन लोगों को मेरी वास्तविकता पता चली तब क्या होगा…

मुझे अपनी सोचों के भंवर में फँसे हुआ देख कर रहना ने मेरी चुटकी काटी और हस्कर बोली… अब किस सोच में डूबे हैं जनाब चलिए खाना तैयार है, खा लेते हैं…

दूसरे दिन मे रहना को साथ लेकर उसके शौहर की खोज खबर के लिए निकल पड़ा, 

अब अपने कुछ राज उन लोगों को बताने में कोई परेशानी नही थी, सो अपने गुप्त अड्डे से बाइक ली और चल पड़े मुज़फ़्फ़राबाद की ओर.

रास्ते में उसने पुछा- अशरफ ! आपने अपना समान यहाँ क्यों छुपा के रखा है..?

तो मैने उसको समझा दिया, कि ये तो तुम लोगों के मिलने से पहले का ही एक महफूज़ जगह देख कर रख दिया था. उसको भी मेरी बात सही लगी.

ये शहर ज्यदा दूर नही था, सो 2 घंटे में हम वहाँ पहुँच गये.

मैने रहना को समझा दिया कि अगर ज़रूरत के हिसाब से अपने हुश्न के जलवे दिखाने पड़े तो हिचकना मत, वैसे कोई ज़रूरी नही कि वो सब करना ही पड़े.

हम जैल का पता लगा कर वहाँ तक पहुँच गये, यहाँ दूसरी जेलो जैसा कड़ा प्रबंध नही था, 

ड्यूटी पर तैनात दो संतरी गप्पें लगा रहे थे, बौंडरी वॉल भी ज़्यादा उँची नही थी.

यही कोई 6 फीट उँची दीवार के उपर तारों की बढ़ से घिरा ये जैल ज़्यादा बड़ा भी नही था.

मैने चारो ओर का निरीक्षण किया, पीछे की साइड में बहुत सारे पेड़ खड़े थे, और थोड़ा सुनसान भी था.
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12-19-2018, 02:28 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
एक दूसरे का हाथ पकड़े हम टहलते हुए उधर को निकल पड़े, किसी का ध्यान भी अगर हमारी तरफ जाए तो यही लगे कि कोई जोड़ा घूम रहा है.

पेड़ों के नीचे पहुँच कर मैने एक घना और बड़ा सा पेड़ चुना और रहना को आड़ में खड़ा करके मे उस पेड़ पर चढ़ गया.

उपर जाकर मैने अंदर का जायज़ा लिया, अंदर लाइन से बहुत सारे बेरक जैसे बने हुए थे, जो इस समय ज़्यादातर खाली थे, 

हो सकता है इस समय कैदियों को कहीं काम करने ले जाते होंगे और शाम तक लाते होंगे.

सुरक्षा की दृष्टि से कुछ ज़्यादा चौकसी नज़र नही आई, हो सकता है, सुरक्षा गार्ड कैदियों के साथ ही गये होंगे.

मे नीचे आ गया और रहना को अंदर का माहौल बता दिया, जो फिलहाल हमारे ज्यदा काम आने वाला नही था.

फिर मैने उसको एक योजना समझाई, और उस पर हमने अमल भी शुरू कर दिया.

रहना इस समय काले रंग के सूट में ग़ज़ब लग रही थी, अपने गाँव के ट्रडीशन से हटके मैने उसे थोड़ा टाइट सूट पहनने को कहा था जिसमें से उसके अंग भी दिखें, उपर से वो यहाँ तक बुर्क़ा डाल के आई थी.

मैने उसको बुर्क़ा निकाल देने को कहा, जो उसने फटाफट निकाल दिया और एक दुपट्टा सर पर डाल लिया, अब हम झाड़ियों ही झाड़ियों में गेट से दूरी बना कर सामने को जैल की तरफ लौटे.

जैल के गेट से कोई 100 मीटर दूर पर एक छोटा सा चाय नाश्ते का टपरा था, मे उस ढाबे पर बैठ गया और एक चाय का ऑर्डर दे दिया. 

रहना अकेली जैल के गेट की तरफ बढ़ गयी.

मे यहाँ ये क्लियर कर देना चाहता हूँ, कि अब ये दोनो बहनें पहले वाली नही थी, जो किसी की नज़रों का भी सामना ना कर पायें, अब इनमें बहुत डेरिंग आ चुकी थी.

वो गेट के एन सामने जाके ऐसे खड़ी हो गयी मानो किसी का इंतजार कर रही हो, दुपट्टा सर पर ज़रूर था पर सीने पर नही, सिर्फ़ गले में लपेटा हुया था, टाइट सूट में उसके क्लीवेज साफ-2 दिखाई दे रहा था.

वो दोनो संतरी उसको गंदी नज़र से देखने लगे, जब उसने उनकी तरफ धान नही दिया और वहीं वैसे ही खड़ी रही मानो किसी का इंतजार कर रही हो, 

बीच-2 में वो अपनी कलाई पर बँधी घड़ी में टाइम देखने का भी नाटक कर रही थी.

जब 15-20 मिनट गुजर गये, तो अब वो संतरी मुँह से कुछ गंदे-2 कॉमेंट्स जैसे आमतौर पर आवारा लड़के लड़कियों को छेड़ते हैं, पास करने लगे और उसको अपनी ओर देखने के लिए उकसाने लगे, 

एक दो बार उसने उनकी ओर देखा भी तो वो उसे इशारे से अपनी ओर बुलाने लगे.

वो वहीं जमी रही, जब कुछ देर वो उनके पास नही गयी, तो उनमें से एक संतरी उठके उसके पास आया और बोला- ख़ातून किसी का इंतजार हो रहा है.

रहना ने उसे उपर से नीचे तक ऐसे घूरा जैसे उसे उसका ये पुछ्ना नागवार गुज़रा हो और वोलि- आपसे मतलब..!

संतरी- यहाँ बिना काम के खड़े होना मना है..!

रहना- हां मे यहाँ अपनी दोस्त का इंतजार कर रही हूँ.

संतरी – दोस्त नही आता है तब तक हमारे साथ ही बैठ लो, अल्लाह कसम जन्नत की सैर करवा देंगे.

रहना - शक्ल देखी है आईने में कभी, जाओ जाकर अपना काम करो.

वो संतरी तैश में आ गया और उसने रहना की कलाई पकड़ ली, और गेट की ओर खींचते हुए बोला – 

साली बड़े नखरे दिखा रही है, सीधी तरह आजा वरना ज़ोर ज़बरदस्ती भी आती है हमें.

रहना ने ज़ोर लगाकर उसके हाथ को झटक कर अपना हाथ छुड़ा लिया, और एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके कान पर रसीद कर दिया और वहाँ से तेज-2 कदमों से एक ओर को बढ़ गयी.

वो अपना गाल सहलाता ही रह गया, और देखते-ही देखते वो उसकी आँखों से ओझल हो गयी.

मे तब तक अपनी चाय ख़तम कर चुका था, दुकान वाले को चाय के पैसे देकर उस संतरी की ओर बढ़ गया, जो अभी भी वहीं खड़ा अपना गाल सहला रहा था. 

पास जाकर मे उससे बोला- क्यों संतरी साब मज़ा आया ? आग है वो ऐसे ही हाथ डाल दिया तो जल जाओगे.

वो संतरी तो जला भूना बैठा ही था, सो मेरे उपर भड़क गया, जब मैने उसको इशारा किया, कि अगर चाहो तो मे आपका काम बनवा सकता हूँ, 

तो वो लपक कर बोला- क्या सच में तुम उसे दिलवा सकते हो, साली बड़ी नमकीन माल है.

मे - देखलो हर माल की कुछ कीमत होती है..!

वो – क्या कीमत है इसकी. 

मे - पहले वादा करो कीमत चुका पाओगे या नही.

वो – अरे भाई ! अपनी तनख़्वाह तो तुम जानते ही हो, ज़्यादा पैसे नही है हमारे पास देने को.

मे - पैसे कों माँगता है, बस एक छोटा सा काम करना होगा हमारा.

वो – क्या करना होगा, उसके बदले मे तुम्हारा कोई भी काम करूँगा.

मे - सोचलो..!, 

वो बोला- सोच लिया, तो मैने कहा कि चलो फिर मेरे साथ,

वो बोला- कहाँ ..? 

मैने कहा- उसी के पास.

उसने अपने साथी के पास जाकर कुछ बात चीत की और फिर चल पड़ा वो मेरे साथ अपनी वासना की आग बुझाने.

रास्ते में मैने उसको पुछा- तुमने अपने दोस्त को क्या बताया..? उसने पुछा नही कहाँ जा रहे हो..?

वो - मैने उसको बोल दिया है, पर्सनल काम से जा रहा हूँ, 1 घंटे में आता हूँ.

बड़े चालू हो तुम तो.. ऐसे ही बात करते हुए मे उसे एक अच्छे से रेस्टोरेंट में ले आया, उसने कहा यहाँ क्यों आए हैं हम लोग, वो कहाँ है..?

मे – इतमीनान रखो दोस्त ! वो भी मिल जाएगी, पहले मेरा काम तो करदो..! और एक वेटर को बुला कर दो चाइ के लिए बोल दिया.

वो - क्या काम है तुम्हारा..? जल्दी बताओ..!

मैने कहा - देखो मे सीधी बात पर आता हूँ. इस औरत का शौहर तुम्हारी इस जैल में बंद है, 

अब अगर तुम इसको उससे मिलवा सको तो वो तुम्हारे साथ आने को तैयार हो सकती है.

वो - लेकिन इस वक़्त तो कोई क़ैदी यहाँ नही हैं, उन सब को तो इस समय काम पर लेकर गये हैं.

मे - क़ैदियों को बाहर काम पर ? किसके..? और कब लौटेंगे..?

वो – आज कल इसी दहशतगर्दो से मिलकर दुश्मन मुल्क में प्रॉक्सी वॉर छेड़ने की तैयारी में है, तो उनके लिए ट्रैनिंग कॅंप्स बनबाए जा रहे हैं, अब ये फ्री फंड के क़ैदी काम में लगा दिए हैं उन कंपों में.
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12-19-2018, 02:28 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
यहाँ से कोई 25 किमी दूर जंगली इलाक़े में जो सरहद के करीब ही है वहाँ कई कॅंप चालू किए हैं, ये सब क़ैदी वहीं जंगल की सफाई, तारों की बाढ़ लगाना इन्ही सब कामों में लगाए जाते हैं.

मे - और जैल के रेकॉर्ड में ये सब दर्ज होता है..?

मेरी बात सुन कर वो हंस पड़ा और बोला - कैसा रेकॉर्ड..? किसका रेकॉर्ड..? 

अरे मेरे भाई, जब उन क़ैदियों का ही कोई रेकॉर्ड नही है, तो काम का क्या रेकॉर्ड होगा…?

मे अचंभित रह गया, और सोचने लगा, ये कैसा मुल्क है, जहाँ क़ैदियों का भी जैल में रेकॉर्ड नही है, 

फिर प्रत्यक्ष में बोला- तो क्या ये क़ैदी सज़ायाफ्ता नही हैं..?

वो – अरे नही भाई, जिन क़ैदियों के जुर्म कोर्ट में साबित ही नही हुए वो कैसे सज़ायाफ्ता..?

उसकी बात सुनकर में मुँह फाडे उसे देखता ही रह गया…..!

चाइ आ चुकी थी, उसे ख़तम करके मैने अंदर बैठी रहना को इशारा किया, वो उठ कर टाय्लेट की ओर जाने लगी, मैने उसको बोला- 

देखो वो टाय्लेट की तरफ जा रही है, जाओ जाकर उससे सारी बातें तय कर्लो, बोल देना तुम्हारे दोस्त से बात हो गयी है.

उसने अपने पीछे मूड कर देखा तो रेहाना अपने टाइट सूट में कुछ ज़्यादा ही गान्ड मटकाती हुई टाय्लेट की तरफ जाती दिखी उसे. वो उठकर उसके पीछे-2 चल दिया.

मैने चाइ के पैसे दिए और उठकर बाहर की ओर चल दिया, अपनी बाइक के पास खड़ा होकर रेहाना का इंतजार करने लगा. 

10 मिनट भी नही हुए थे कि वो तेज-तेज कदमों से चलती हुई बाहर आई और बाइक पर मेरे पीछे बैठते हुए बोली- चलो.

मैने बाइक आगे बढ़ाते हुए पुछा - क्या बात है, तुमने तो उसे 5 मिनट में ही ठंडा कर दिया, क्या हुआ सब ठीक तो हुआ ना.

पता नही वहीं पड़ा है, मरेगा नही तो किसी लायक भी नही रहेगा, बच भी गया तो जिंदगी भर गर्दन टेडी करके फ़िरेगा.

मैने हसते हुए कहा – ऐसा किया क्या तुमने उसके साथ ? 

मेरी पीठ से अपनी चुचियों को सटाते हुए बोली – जब मे टाय्लेट में थी, उसने आते ही गेट बंद किया और मुझे पीछे से पकड़ने की कोशिश की, 

मे सावधान तो थी ही, सो उसका बाजू पकड़ कर कमोड से दे मारा, और उसकी गर्दन मरोड़ दी, शायद गले की हड्डी टूट गयी होगी उसकी, और वो वहीं खमोद पर बेहोश पड़ा है ...

वहाँ से हम मार्केट गये, कुछ ज़रूरत का समान लिया और अपनी बाइक हमने सरहद की ओर जाने वाले रास्ते पर दौड़ा दी, 

शहर से कोई 15 किमी बाहर आकर हमने सड़क के किनारे घनी झाड़ियों में अपनी बाइक छिपा दी और प्लॅनिंग के मुतविक पूरा इंतेज़ाम कर दिया.

उस संतरी के मुतविक वो लोग क़ैदियों को लेकर 5 बजे तक जैल लौटते थे. अभी 4:45 हो रहे थे.

कोई 5 मिनट और इंतजार किया होगा कि एक ट्रक के आने की आवाज़ सुनाई दी, 

ये एक फ़ौजी ट्रक था, मध्यम गति से आता हुआ ट्रक जैसे ही हमारे सामने से गुजरा, भड़ाक-2, की आवाज़ के साथ उस ट्रक के टाइयर फट गये.

अचानक हुए ब्रस्ट से ड्राइवर कंट्रोल खो बैठा और किसी शराबी की तरह लहराता हुआ ट्रक आगे एक पुलिया से जा टकराया, और नीचे सुखी पड़ी एक बरसाती नदी के पत्थरीले रास्ते में जा गिरा.

ट्रक में कोई 8-10 पोलीस वाले थे और 20-25 क़ैदी, 

ट्रक के उलटने से आगे बैठे 4 पोलीस वाले ड्राइवर समेत बुरी तरह ज़ख्मी हो गये, कुछ लोग ट्रक के उछल्ने से दूर जा गिरे कुछ ट्रक के नीचे फँसे रह गये.

हमने अपनी बाइक निकाली, स्टार्ट की और इस तरह से वहाँ पहुँचे जैसे राहगीर कहीं से आरहे हों, और हादसे को देख कर खड़े हो गये हों.

सबको अपनी-2 जान बचाने की पड़ी थी, कोई बुरी तरह ज़ख्मी था, तो कोई दर्द से कराह रहा था…

मे एक घायल पोलीस वाले के पास पहुँचा और रेहाना को इशारा किया कि वो कुछ दूर छिटक गये लोगों में अपने शौहर को तलाश करे.

मैने पोलीस वाले को ट्रक के नीचे से बाहर खींचा और बोला- ये सब कैसे हो गया..?

दर्द से कराहते हुए वो बोला - पता नही, आकस्मात टाइयर ब्रस्ट हुए और पुलिया से टकरा कर उलट गया. 

आप और लोगों को निकालने की कोशिश करो.

मे एक क़ैदी को निकाल कर बाहर कर ही रहा था कि रेहाना ने शीटी मारी, मैने उसे बाइक की तरफ चलने का इशारा किया, उसको उसका शौहर मिल गया था.

मैने उस पोलीस वाले से कहा- देखो संतरी साब मे अकेला कुछ नही कर सकता, जाके शहर से मदद लेकर आता हूँ, इतना कहकर मे निकल लिया.

रेहाना अपने शौहर को कंधे पर डाले थोड़ा आगे जाकर खड़ी थी जिससे किसी और की नज़र में ना आ सके. 

रेहाना का शौहर ज़्यादा घायल तो नही था, झटके से दूर छिटकने की वजह से हल्की सी पत्थरों से घिसटने की चोटें थी.

लेकिन कमज़ोरी और पूरे दिन के कमर तोड़ मेहनत की वजह से आधी बेहोसी की हालत में था. उसको बीच में बिठा कर हम वहाँ से निकल लिए.

हमें पता नही और कितने लोग भागने में सफल हुए होंगे. 

हमने बाइक अपनी मज़िल की ओर दौड़ा दी और 8 बजते-2 घर पहुँच गये.
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12-19-2018, 02:29 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
हमें देखते ही अमीना बी और शाकीना को डबल झटके लगे, एक तो हमें बाइक पर देख कर, दूसरा रहना के शौहर को हमारे साथ देख कर.

उनको उसके मिलने की खुशी भी थी, तो वहीं उसकी हालत देख कर गम भी हुआ. जैल के जुल्मों सितम ने उसको तोड़ कर रख दिया था.

अमीना बी सारे काम धाम छोड़ कर अपनी बेटी के खाविंद की तीमारदारी में जुट गयी…!

रेहाना और उसकी अम्मी, रहमत की देख भाल में लगी थी, मे फ्रेश होकर बाहर चारपाई पर आकर बैठ गया, 

कुछ देर बाद शाकीना मेरे लिए खाना लेकर आ गयी, मे खाना खाने लगा, वो मेरे पास ही बैठ कर मुझे खाते हुए देख रही थी.

मे उसके मन की बात अच्छे से समझ रहा था, फिर भी मैने अपनी ओर से कोई पहल नही की और खाने में लगा रहा.

कुछ देर और उससे जब नही रहा गया तो वो बोल पड़ी- अशफ़ाक़ साब आप मुझे क्यों नही ले गये अपने साथ..? और ये बाइक किसकी है..?

मे - ये अपनी ही है, एक जगह छुपा कर रखी थी, वैसे हमें ये अंदाज़ा नही था कि ये काम आज ही हो जाएगा, हम बस ऐसे ही जानकारी निकालने ही गर्ज से गये थे. 

वैसे तुम हमारे साथ चल कर क्या करती..?

वो - मे भी आपके कुछ काम आ जाती.. आख़िर वो मेरे भी तो कोई लगते हैं.

मे - अरे क्यों नही..! तुम्हारे तो वो जीजा साब हैं, और साली तो आधी घरवाली होती है..!

वो - घरवाली तो मे पूरी की पूरी आपकी हूँ..! इतना कह कर वो शरमा गयी..!

मैने अपने मन में कहा… ये क्या बोल रही है ये…? मरवाएगी क्या..? फिर प्रत्यक्ष में बात को मोड़ते हुए बोला- 

चलो अच्छा हुआ, रेहाना अब कम से कम अपने शौहर के साथ खुश रहेगी..!

वो – हां ! और मे आपके साथ ! है ना !

मे - अब तक नही था मे तुम्हारे साथ..?

वो – नही मेरा मतलब उस तरह से, जैसे आपा और जीजा साब रहते हैं..!

मेरा अब उसको समझाना ज़रूरी हो गया था, वरना ये लड़की पता नही और क्या-2 मंसूबे बाँधले सो बोला- 

देखो शाकीना, अभी तुम ये सब सोचने लायक नही हो, तुम्हारी अम्मी ने भी तो तुम्हारे बारे में कुछ सोचा ही होगा.

वो - तो आप अम्मी से बात करो ना..! या मे करूँ…?

अरे यार ! ये लड़की तो नहा-धो कर पीछे ही पड़ गयी, अब कैसे समझाऊ इसको कि मे क्यों इससे शादी नही कर सकता..? फिर प्रत्यक्ष में उसको बोला…

देखो शाकीना, तुम मुझे लेकर कोई झूठी आस मत पालो, मे तुम्हारे साथ निकाह नही कर सकता, 

क्यूंकी जिस मक़सद को लेकर में निकला हूँ, वो मुश्किलों भरा है, उसमें तुम मेरा साथ नही दे पाओगि.

वो – मे अब भी इतनी कमजोर दिखाई देती हूँ आपको की मुश्किलों का सामना ना कर पाउ..?

मुझे अब एक सख़्त फ़ैसला लेना ही पड़ा और शख्त लहजे में बोला – कुछ भी हो मे तुमसे निकाह नही कर सकता तो नही कर सकता अब इस मामले को और आगे मत बढ़ाना समझी..! 

वो कुछ देर सकते जैसी हालत में मुझे देखती रही और फिर अपने मुँह पर दुपट्टा रख कर अपनी रुलाई को रोकने की कोशिश करती हुई अंदर भाग गयी…!

उसको इस तरह से भागते देख बाहर आती हुई रेहाना उसे देख कर चोंक गयी, और क्या हुआ ये जानने के लिए मेरे पास आकर बैठ गयी.

रहना - ये शाकीना ऐसे अचानक उठ कर भाग क्यों गयी, कुछ हुआ है क्या..?

मैने उसे पूरी बात बताई तो वो बोली - आप क्या चाहते हैं..?

मैने उसको क्लियर कर दिया कि मे कतई किसी के साथ निकाह जैसा संबंध नही रख सकता, तो उसने कहा - आप फिकर ना करो मे उसे समझा दूँगी.

फिर मैने उसके शौहर के हाल चाल लिए, उसने कहा पहले से बेहतर है, कमजोर ज़्यादा हो गये हैं, दो-चार दिन में ठीक हो जाएँगे.

यही सब बातें करके उसने मेरे खाने के बर्तन लिए और वो भी अंदर खाना खाने चली गयी.. और मे उसी चारपाई पर खुले आसमान के नीचे लंबा हो गया….

सारे दिन की भाग दौड़ की थकान के कारण लेटते ही मुझे नींद ने घेर लिया, 

लेकिन जब रात घहराई और चंदा मामा सर के उपर पहुँचे और अपनी शीतलता उडेलने लगे, तो ठंड के मारे मेरा शरीर नींद में ही उकुडू हो गया लेकिन नींद थी कि पीछा छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी.

लेकिन ज़िम्मेदारियाँ नींद को भी खाने लगती हैं, उसका जीता जागता उदाहरण अमीना बी, पूरा घर नींद में था और वो अभी तक जाग रही थी.

उन्होने मुझे बाहर खुले में बिना किसी कपड़े के सोता हुआ देखा तो एक कंबल लेकर आई और मेरे उपर डाल दिया, 

मुझे कुछ-2 अहसास तो हुआ क्योंकि ठंड कुछ कम हुई थी, लेकिन नींद नही टूटी.

वो आज फिर पहले दिन की तरह मेरे बालों में उंगलियाँ फेर रही थी. फिर कुछ देर मेरे सिरहाने बैठने के बाद जब उसको लगा कि में गहरी नींद में हूँ, तो एक ही कंबल में मेरे बाजू में ही घुस गयी.

उसके हाथ मेरे शरीर पर फिरने लगे, अब मेरे शरीर को ठंड का अहसास ख़तम हो गया था, और मे सीधा होकर लेट गया.

वो कुछ देर ठहरी और फिर लगा कि मे अभी भी सो ही रहा हूँ, तो फिर से उसके हाथ मेरे शरीर को सहलाने में लग गये. 

भले ही आप नींद में ही क्यों ना हो, लंड की उत्तेजना हमेशा ऑन रहती है, उसका हाथ धीरे-2 मेरे आधे सोए लंड की ओर बढ़ने लगा. और फिर हाथ ने मेरे लंड को ढक लिया, 

लंड पकड़कर वो कुछ देर शांत रहने के बाद वो उसको सहलाने लगी.

मेरा पप्पू भी हाथ की गर्मी पाकर सर उठाने लगा और पाजामे के अंदर ही तंबू के डंडे की तरह खड़ा हो गया. 

मुझे ये सब ऐसा फील हो रहा था मानो सपने में हो रहा हो.

जब मेरा लंड पूरी तरह अकड़ कर खड़ा हो गया तो अमीना बी ने मेरे चेहरे की ओर देखा, वहाँ अभी भी अपर शांति के ही भाव दिखे उसको, 

आसवस्त होकर उसने मेरे पाजामे और अंडरवेर को नीचे खिसका दिया और लंड को हाथ में लेकर मुठियाने लगी.

कुछ देर मुठियाने के बाद वो कंबल में मुँह डालके नीचे को सरक्ति चली गयी और अपनी जीभ से मेरे पप्पू को चाटने लगी. 

चाटते-2 उसने उसे मुँह में भर लिया और किसी बर्फ की टिकिया की तरह उसे चूसने लगी.

अब मेरे दिमाग़ ने कहा, बेहन्चोद ये सपना नही कोई सच में लंड चूस रहा है, और झट से मेरी आँख खुल गयी, 

लेकिन वो कंबल के अंदर थी, सो कोई आइडिया नही बैठा और मेरे मुँह से निकल गया…!

रेहाना ! ये तुम क्या कर रही हो, जाओ अपने शौहर के पास..?

उसने झट से कंबल से मुँह निकाला और जैसे ही मेरी नज़र उस पर पड़ी..
मैने झेन्प्ते हुए कहा - ओह्ह.. बीबी आप..! 

वो कुछ देर मुझे घुरती रही फिर बोली – हुउंम्म… तो तुम और रेहाना भी ये सब कर चुके हो..!

मे - हां ! वो बस हो गया..! अपने आप ही..! अब मे उसको मना नही कर पाया तो…बस…

वो – और शाकीना…? वो तो नही है ना…../

मे - वो भी ! उसको हम दोनो का पता लग गया तो वो भी कहने लगी… पर सच में बीबी मेरी इसमें कोई खता नही है..!

वो – मे समझ सकती हूँ , असल में हम सभी एक ही कस्ति में सवार हैं, तो कोई ना कोई तो सहारा चाहिए था, एक दूसरे का साथ पाने के लिए… 

खैर मुझे इसमें कोई एतराज भी नही है, बस कभी कभार मुझे भी अपने इस हथियार से मस्त करते रहना, और हस्कर फिर से उसने उसे मुँह में ले लिया और अपने अधूरे काम को पूरा करने में जुट गयी.

कुछ ही देर में हम दोनो ही नंगे हो गये और फिर खाट बेचारी हाए तौबा करने लगी अपने अंजर-पंजर बचाने के लिए.

एक बार चूत चोदने के बाद मैने अमीना बी की गान्ड सहलाते हुए कहा- बीबी कभी इसमें लिया है..?

वो - लिया तो नही पर मन तो है, सुना है कि इसमें भी अलग ही मज़ा आता है, क्यों तुम करना चाहते हो..?

मे - मन तो मेरा भी है, अगर आप कहो तो…!

वो - चलो ठीक है, कर्लो, लेकिन थोड़ा आराम से करना..ज़यादा तकलीफ़ ना हो..

मे - थोड़ी तो होगी.. पर मज़ा भी आएगा.., ये कहकर मैने उसे करवट से लिटा दिया और उसकी नीचे वाली टाँग को आगे की तरफ करवा दी, उपरवाली टाँग को हवा में उठा लिया.

अब उसकी गान्ड का छेद एक दम खुल गया था, और चाँद की चाँदनी में साफ-2 चमक रहा था. 

मैने ढेर सारा थूक उसकी गान्ड के छेद में भर दिया और थोड़ा अपने मूसल पर चुपड कर सुपाडा उसके खुले हुए गान्ड के छल्ले पर टीकाया और हल्के से अपनी कमर को झटका दिया.
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12-19-2018, 02:29 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मेरा सुपाडा उसकी गान्ड में फिट हो गया, उसके मुँह से हल्की सी कराह निकल गयी, मैने एक हाथ से उसके मोटे-2 चुचे मसल दिए, और एक और झटका दे दिया अपनी कमर में.



मेरा आधे से ज़्यादा लंड उसकी गान्ड में समा गया.

उसकी कराह कुछ ज़यादा बढ़ गयी, लेकिन कोई विरोध नही किया. 

कुछ देर उतने ही लंड को उसकी गान्ड में अंदर बाहर किया, साथ-साथ उसकी चुचियों को भी मसलता रहा, 

फिर मैने एक बार पूरा लंड बाहर खींच लिया और फिर से उस पर ढेर सारा थूक लगाया और फिर एक सुलेमानी धक्का लगा दिया.

अब मेरा पूरा 8” लंड उसकी पहली बार चुद रही एक अधेड़ गान्ड में फिट हो गया, उसके गले से एक दबी-दबी सी चीख निकल गयी, 

मैने वहीं रुक कर उसकी चूत में दो उंगलियाँ पेल दी और उन्हें अंदर बाहर करने लगा, अब उसकी चूत रस छोड़ने लगी थी और उसकी गान्ड भी हिलने लगी.

मैने धक्के देना शुरू कर दिया, वो हाए-2 करके गान्ड हिलाने लगी, कुछ देर बाद मैने उसको घोड़ी बना दिया,

और उसकी सवारी करके उसके बालों को जकड कर जो दौड़ाया वो हाए-तौबा करने लगी और गान्ड मटकाते हुए खूब मस्त होकर चुदने लगी.

15 मिनट की गान्ड चुदाई के बाद मैने अपना माल उसकी गान्ड में भर दिया और उसके बगल में लेट कर हाँफने लगा.

कुछ देर बाद उसने अपने कपड़े पहने और थोड़ा टाँगें चौड़ाती हुई अंदर चली गयी.

दूसरे दिन सुबह, मैने रहमत अली के हाल-चाल पुछे, उसको रेहाना ने मेरे बारे में सब कुछ बता दिया था, 

जब मे उससे मिला तो उसकी आँखों में मेरे लिए कृताग्यता के भाव थे. उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर कहा-

शुक्रिया दोस्त, आपका ये क़र्ज़ मेरे उपर उधार रहा, जिंदगी में कभी भी मेरी ज़रूरत हो बस हुकुम कर देना. अपनी जान की बाज़ी लगा दूँगा.

मैने कहा - शुक्रिया मेरे भाई, आपने इतना कह दिया मेरे लिए इतना ही बहुत है, अब आप जल्दी से दुरुस्त हो जाओ, और एक पुराने फ़ौजी की तरह फिट लगो. 

वैसे आपकी बेगम भी अब किसी से कम नही है, चाहो तो आजमा कर देख लेना कभी समय निकाल कर.

मेरी बात सुन कर वो रेहाना की ओर देखने लगा, तो वो मुँह फेर कर मुस्कराने लगी. 

मैने कहा- अरे भाई मे मज़ाक नही कर रहा हूँ, अब ये दोनो बहनें भी किसी कमॅंडो से कम नही है.

इसी तरह की बातें कुछ देर और चलती रही हमारे बीच, इस दौरान शाकीना हमारे बीच नही दिखाई दी. 

जब मैने रेहाना से इस बाबत पुछा तो वो भी कुछ माकूल जबाब नही दे पाई.

अमीना बी ने कहा कि पता नही वो जबसे उठी है, कुछ अन्मनि सी लग रही है, 

मे समझ चुका था, कि वो क्यों रूठी हुई है, फिर सोचा एक दो दिन में उसका मूड ठीक हो जाएगा समय के साथ, 

कुछ देर बाद मे अपने काम का बहाना करके घर से निकल गया.

अपने गुप्त अड्डे पर आया और शांति से बैठ कर ट्रांसमीटर से पहले अपने घर फोन लगाया, बच्चों की खैर खबर ली. 

उसके बाद बॉस को कॉल लगा दी और अब तक का अपडेट उनको दे दिया, फिर कुछ आगे की रण-नीति तय की….!
ट्रांसमीटर ऑफ करके मैने वहीं च्छुपाया, और अपनी बाइक लेकर चल दिया अपने मिसन को मूव्मेंट देने…

मेरी बाइक जंगलो के बीच से होती हुई एक पतली और उबड़-खाबड़ सी नाम मात्र की सड़क पर दौड़ी चली जा रही थी, चूँकि ये एक स्पोर्ट बाइक थी तो खराब रास्तों पर भी आसानी से दौड़ सकती थी.

मेरा रुख़ इस समय सरहद की तरफ चल रहे आतंकवादी कंपों की तरफ था, मे वहाँ की पूरी जानकारी निकालने चल पड़ा था, 

सारी ज़रूरत की चीज़ें मेरे बॅग में मौजूद थी जो इस समय मेरे पीठ पर लटका हुया था.

तकरीबन ढाई घंटे बाइक कुदाने के बाद मे उस इलाक़े में पहुँच गया, अब आगे मुझे बेहद सतर्क रहना था, 

अगर ग़लती से भी किसी की नज़र में आ गया और किसी को शक़ हो गया कि मे इलाक़े की रॅकी कर रहा हूँ तो जान भी जा सकती थी.

मे एक ऐसी जगह खोज रहा था जहाँ अपनी बाइक को छुपाया जेया सके, और वो जगह मुझे जल्दी ही मिल गयी,

सड़क से हटके घनी सी झाड़ियों के बीच मैने उसे छुपा दिया.

मे पैदल ही जंगली रास्ते से होता हुआ एक कॅंप के नज़दीक तक पहुँचा और उसके पिच्छले साइड से एक उँचे से पेड़ पर चढ़ गया. 

पेड़ के पत्तों के बीच अपने को छुपकर दूरबीन से अंदर का जायज़ा लिया.

ओ माइगॉड ! वहाँ पर खुले मैदान में खुले आम आतंकवादियों की ट्रैनिंग हो रही थी, ऐसा लगा रहा था कि कोई मिलिटरी ट्रेनिंग सेंटर हो, 

ज़्यादा तर युवा, 18-24 साल के बीच, उनको कुछ उम्र दराज लोग ट्रैनिंग करवा रहे थे. 

एक दो पाकिस्तानी फौज की यूनिफॉर्म में भी खड़े उन्हें देख रहे थे, मतलब आइएसआई ही नही, पाकिस्तानी आर्मी भी इन केंपो को सपोर्ट कर रही थी.

इसी तरह दो दिन में मैने 5-6 कंपों का निरीक्षण किया, लगभग सब में इसी तरह की ट्रैनिंग चल रही थी, 
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12-19-2018, 02:29 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
ट्रेंड होने के बाद इनको टुकड़ियों में बॉर्डर से घुस्पेठ कराई जाती थी, जो ये भारत में घुसके फैल जाते थे और मौका देख कर कुछ अंदर के जयचंदों की मदद से ये आतंक फैलाने की कोशिश करते रहते थे.

ये इलाक़ा पाक आज़ाद कश्मीर का इलाक़ा था, कहने को तो पाकिस्तान इसे आज़ाद कश्मीर बोलता है, लेकिन आर्मी और आतंकियों ने दहशतगर्दी इतनी बुरी तरह फैला रखी थी कि लोग घरों से निकलने में भी कतराते थे.

मे दो दिन से पास के ही छोटे से टाउन में एक सस्ते से होटेल कम लॉड्ज में रुका हुआ था, इधर उधर से सीधे तौर पर लोगों से किसी भी विषय पर पुच्छ-ताच्छ भी नही कर सकता था.

जिस लॉड्ज में मे रुका था, मैने अब्ज़र्व किया कि उसमें कुछ लड़के ऐसे भी ठहरे थे जो कि इन कंपों में ट्रैनिंग ले रहे हैं. 

मैने उनको वॉच करना शुरू कर दिया, और अपने एक्सपीरियेन्स और शार्प माइंड से कन्फर्म भी कर लिया कि ये आम लड़के नही हैं. 

निकलते चलते एक बार मे उनमें से एक लड़के से टकरा गया, उसका बॅग नीचे गिर गया, जो मैने सॉरी बोलकर उसको उठाके दिया लेकिन इतने ही समय में, मैने अपना काम कर दिया और एक बग टाइप मिनी ट्रांसमीटर उसके बॅग में डाल दिया.

ये ट्रांसमीटर इतना पॉवेरफ़ुल्ल था कि 1किमी तक की रेंज में उनकी लोकेशन ट्रेस कर सकता था, यहाँ तक कि बात-चीत को भी मे अपने डिवाइस से सुन सकता था.

दूसरे दिन मे उनका पीछा करते हुए एक कॅंप तक पहुँच गया. 

इनकी बात चीत से पता चला था कि ये कॅंप पाकिस्तान के मुख्य आतंकी संगठन जांत-ए-फ़ज़ल जिसके नाम पर इस देश में अनगिनत मदरसे भी चल रहे थे, जिसका सरगना मुंहम्मद हफ़ीज़ था.

ये वही कॅंप था जिसमें मैने उस दिन फ़ौजियों को भी देखा था, इसका मतलब ये इस संगठन का मेन कॅंप होना चाहिए. 

अब मुझे किसी तरह से इसके अंदर की भौगोलिक स्थिति को देखना था, उसके लिए किसी भी तरह अंदर तक जाना ज़रूरी था.

ये कॅंप एक 8 फीट उँची बाउंड्री वॉल से घिरा हुआ कोई 5-6 हेक्टेर जगह में फैला हुआ था, बाउंड्री के उपर 2फीट उँचे काँटेदार तारों की एक बाढ़ लगी हुई थी, 

कॅंप के सेंटर में एक बिल्डिंग थी जो थोड़ी सी प्रॉपर कन्स्ट्रक्टेड थी वाकी पिछला हिस्सा किसी वर्कशॉप की तरह शेडेड था. 

दिन के उजाले में तो इसमें घुस पाना एक तरह से असंभव ही था, तो मैने रात में ही आना बेहतर समझा. 

मे लॉड्ज में वापस लौट आया और रात का इंतजार करने लगा. 

और कोई काम तो था नही सो लंच लेकर शाम तक सोता ही रहा.

रात का खाना ख़ाके में उस कॅंप की ओर पैदल ही निकल पड़ा, नाइट विषन गॉगल्स मैने लगा रखे थे, धुप्प अंधेरी रात में भी मे सब कुछ साफ-2 देख सकता था.

मेरा बॅग मेरी पीठ पर ही था. गन मैने अपने हाथ में पकड़ रखी थी, किसी भी संभावित ख़तरे से निपटने के लिए मे तैयार था.

कॅंप के सेंटर में बिल्डिंग के सबसे उपर वाले कॅबिन की छत पर एक मूवबल सर्चिंग लाइट लगी हुई थी जो 360 डिग्री घूम कर ग्राउंड के चारों ओर लाइट कर रही थी, लेकिन अपनी कॉन्स्टेंट गति के साथ.

रात का 12:30 को अंधेरे का फ़ायदा उठाते हुए मे बाउंड्री वॉल को और तारों की बाढ़ को पार किया, और दूसरी ओर कूद गया, मेरे जूते स्पेशल थे, जिनकी वजह से कूदने पर कोई आवाज़ नही हुई.

कॅंप के मेन गेट की ओर 4 हथियार बंद गार्ड पहरे पर थे, दो गार्ड समय समय पर बिल्डिंग के चारों ओर ग्राउंड में घूम-2 कर गश्त लगा रहे थे, ये मैने बीते दो घंटों में जान लिया था.

ज़्यादातर ट्रेनिंग बिल्डिंग के उत्तरी साइड और पीछे की तरफ ही होती थी, उन दो साइड्स में जगह भी ज़यादा छोड़ रखी थी. 

मे उस लाइट और गार्ड्स की टाइमिंग समझने के बाद रेंगते हुए आसानी से बिल्डिंग की ओर बढ़ गया, और कुछ ही मिनट में मे उस वर्कशॉप जैसे शेड के अंदर था, 

वहाँ कोई नही था तो मैने सब तरफ अच्छे से चेक किया, यहाँ छोटे-2 कॅबिन से बने हुए थे, शायद चेंज रूम होंगे.

फिर एक बड़े से कॅबिन में जिसमें ताला लटका हुआ था, मास्टर की से उसको खोल लिया और उसके अंदर चला गया, ये एक आर्म्ड स्टोर था, जिसमें सारे आधुनिक हथियार, अक47 रीफेल्स, मोर्टार, रॉकेट लौंचर्स, बॉंब्स यही सब मौत बेचने वाला समान भरा हुआ था.

उसके सटे हुए ही बिल्डिंग थी जहाँ बगल में ही कंट्रोल रूम जैसा था.

बिल्डिंग के अंदर जाने की मुझे कोई वजह नज़र नही आई, तो खम्खा ख़तरा क्यों मोल लेना.
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12-19-2018, 02:29 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मैने एक पवर फुल रिमोट ऑपरेटेड बॉम्ब उस आर्म्ड स्टोर में ऐसी जगह फिट कर दिया जहाँ खोजी नज़रों से ही देख पाना संभव होता.

उसके बाद दोनो साइड में जहाँ अमूमन ट्रेनिंग होती थी, और कुछ ऐसे फ्रेम फॅब्रिकेटेड किए हुए थे जो एक्सर्साइज़ करने के काम आते थे, उसके एक पाइप को खोल कर उसके अंदर ऐसा ही एक बॉम्ब फिट कर दिया. 

पीछे की तरफ ये लोग फाइरिंग की प्रॅक्टीस करते थे, जहाँ शूटिंग टारगेट बना रखे थे, उन टारगेटों के सेंटर में एक खड्डा खोद कर उसमें एक बॉम्ब फिट कर दिया.

ये सारा काम निपटा कर मे जैसे गया था उसी तरह वापस भी आ गया बिना किसी रुकावट के.

मेरा उद्देश्य, दहशतगर्दों और आर्मी को ये जताना था, कि वो जो कर रहे हैं, उसका जबाब भारत के सपूतों द्वारा उनके घर में घुसकर भी दिया जा सकता है. 

सारे एविडेन्स मे पहले ही मैल कर चुका था इन कंपों से संबंधित.

आनेवाले कल में ये पाकिस्तानी हुकूमत जो एक फ़ौजी के ही हाथों में थी, के मुँह पर एक करारा तमाचा पड़ने वाला था जिसकी गूँज पूरी दुनिया को सुनाई देने वाली थी, 

और जिसकी चोट ये मुल्क कुछ दिनों तक महसूस करने वाला था.

रात 3 बजे मे खिड़की के ज़रिए अपने रूम में लौट आया और एक सुकून भरी नींद में डूब गया….!

दूसरे दिन उस कॅंप में कुछ स्पेशल था, खुद मोहम्मद हफ़ीज़ का दाया हाथ कहे जाने वाला उसका कमॅंडर खुद ट्रेनिंग देखने आया था, 

4 पाकिस्तानी आर्मी के ऑफिसर्स भी उसके साथ थे. 

ट्रैनिंग सुबह अपने समय से शुरू हो चुकी थी, 8 बजते ही वहाँ ट्रैनिंग एरिया में सभी मजूद थे, 

अभी उन्हें ट्रैनिंग शुरू किए हुए कोई आधा घंटा ही गुजरा होगा, कि तभी मैदान के उत्तरी भाग में जहाँ फिज़िकल ट्रैनिंग चल रही थी, एक जबरदस्त बिस्फोट हुआ, चारों ओर अफ़रा तफ़री, देखते ही देखते वहाँ लाशें ही लाशें नज़र आने लगी.

इससे पहले कि शूटिंग एरिया में में मौजूद लोग जिनमें वो कमॅंडर और फ़ौजी भी शामिल थे कुछ और समझ पाते कि वहाँ पर भी एक भयंकर बिस्फोट हुआ. 

यहाँ पर मौजूद भी ज़्यादातर लोग बिस्फोट से उड़ गये, 

चूँकि वो लोग थोड़ा दूर खड़े शूटिंग देख रहे थे, सो बच तो गये लेकिन बिस्फोट ने उन्हें बहुत दूर उछाल दिया…

जैसे तैसे करके दोनो तरफ के बचे हुए लोग सीधे बिल्डिंग की तरफ भागे, लेकिन मौत से बचकर कहाँ तक भाग सकते थे, सो जैसे ही वो उस वर्कशॉप में पहुँचे कि भडाम ! 

सब कुछ तहस नहस हो गया. शायद ही कोई जिंदा बचा हो सिवाय गेट पर मौजूद गार्डस के. 

ट्रॅन्समिज़्षन सिस्टम भी कंट्रोल रूम के साथ तबाह हो चुका था.

जब तक बात आर्मी हेडक्वॉर्टर तक या प्रशासन तक पहुँच पाती बहुत देर हो चुकी थी. 

ये बात मीडीया में आम होने का भी ख़तरा था, लेकिन किसी तरह मीडीया को भनक लग ही गयी, और शाम होते-होते इंटरनॅशनल मीडीया भी वहाँ पहुँच गया.

पाकिस्तान की हुकूमत आतंकवाद को पनाह देने के मामले पर पूरी दुनिया के सामने एक बार फिर नंगी हो गयी. 

हिन्दुस्तान की मीडीया ने ये खबरें चला-2 कर पूरी दुनिया में फैला दी की पाकिस्तान अपने देश में आतंकवाद की फॅक्टरी चला रहा है.

पाकिस्तानी हुकूमत ने इसका खंडन करना चाहा तो भारत की सरकार सबूत देने को तैयार हो गयी. नतीजा उन और अमेरिका से पाकिस्तान को फटकार पड़ने लगी.

पाकिस्तान के अंदर ये बात आग की तरह फैल गयी थी कि ये हिन्दुस्तान की फौज द्वारा किया गया एक सर्जिकल स्ट्राइक है, जिसको रोकने में हमारी हुकूमत नाकाम रही है. 

उसका मुख्य कारण हैं, दहशतगर्दी के ये कॅंप जो अवैध्य ढंग से हुकूमत के इशारों पर चल रहे हैं.

अपने ही देश में फ़ौजी हुकूमत फँस गयी थी, विरोधी जबाब माँग रहे थे, जो उनके पास नही थे 

नतीजा, फौज का गुस्सा लोगों पर उतरने लगा. फौज की दमन नीति और बढ़ गयी.
……………………………………………………………………..

मे आज कई दिनों के बाद घर लौटा था, आते ही सबने सवालों की बौछार कर दी, मैने उनको माकूल जबाब देकर चुप करा दिया, 

रहमत अली अब काफ़ी दुरुस्त हो गया था, और काम काज में हाथ बंटाने लगा था, साथ ही साथ रेहाना के साथ एक्सर्साइज़ भी करने लगा था.

कॅंप ब्लास्ट वाली खबर प्रशासन द्वारा दबाई जा रही थी इसलिए अभी तक यहाँ किसी को पता नही चली थी.

शाकीना कहीं दिखाई नही दे रही थी, जब मैने पुछा तो रेहाना ने बताया कि वो उसी दिन से गुम-सूम सी रहने लगी है, 

ना किसी से बात करती है, और ना ही कुछ खा-पी रही है. बस पड़ी रहती है, पुछने पर कोई जबाब भी नही देती. 

उसकी इस हालत से पूरा घर परेशान था, अमीना बी अपनी बेटी के इस तरह गुम-सूम होने से परेशान थी.

रेहाना ने पूरी बात अपनी अम्मी को भी बता दी थी, कि वो क्या चाहती है, लेकिन इस मामले में वो बेचारी भी क्या बोलती.

मे सीधा उसके कमरे में गया, वो आँखें बंद किए बिस्तर पर पड़ी थी. 
जैसे ही मैने उसके सर पर हाथ रख कर सहलाया उसने अपनी आँखें खोली और मेरी ओर देख कर फिर से बंद करली.

मैने उसको कहा - शक्कु ये क्या बात हुई ? मेरे से नाराज़गी है, लेकिन इन सबको किस बात की सज़ा दे रही हो तुम ? 

तुम्हें पता भी है ये लोग तुम्हारे लिए कितने परेशान हैं..?

वो आँखों में आँसू भरकर बोली- मे अब जीना नही चाहती, आप मुझे अकेला छोड़ दो..!

मे - तो आओ चलो मेरे साथ, मे बताता हूँ, कैसे मरना है..? मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको उठा कर बिस्तर पर बिठा दिया.

वो - कहाँ ले जाना चाहते हैं आप..?

मे - चलो मरना ही है तो दो-चार को मार कर मरो, ऐसे बिस्तर पर पड़े-2 तो बुजदिल मौत का इंतजार करते हैं, और जहाँ तक मुझे पता है अब तुम बुजदिल तो नही रही.

वो - छोड़िए मेरा हाथ, आपको जहाँ जाना है जाइए, मरिये और मारिए, जो मर्ज़ी हो करिए. मुझे कहीं नही जाना है.

मे - इसका मतलब मौत से डर भी रही हो और मरना भी चाहती हो. ये क्या बात हुई..?

वो – आप होते कॉन हैं ये सवाल करने वाले..? किस हक़ से कह रहे हैं ये सब..?

मे – हक़ ! ये वाकी सब लोग किस हक़ से मेरी बात सुनते हैं..? और क्यों..? क्या हक़ है मेरा इन सब पर..? 

और फिर मे यहाँ किस हक़ से रह रहा हूँ..? मुझे अभी के अभी चले जाना चाहिए इस घर से ..! ये कहकर मे उसके पास से उठ खड़ा हुआ…!

उसने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया, और बोली- प्लीज़ अशफ़ाक़ साब ऐसा ना कहो, खुदा के लिए आप हम सब को छोड़ कर ना जाओ..!

मे - क्यों जब मेरा कोई हक़ ही नही है तो मेरा यहाँ रहने का क्या मतलब..?

वो सुबक्ते हुए बोली - मे क्या करूँ..? आपको भूल भी नही सकती, जितना भूलने की कोशिश करती हूँ, आपके साथ बिताए पल मुझे और सोचने पर मजबूर कर देते हैं..! आप ही बताइए मे क्या करूँ..?

मे – क्या निकाह ही एक मात्र रास्ता है ? उसके अलावा और कोई संबंध नही हो सकते दो इंसानो के बीच ? 

तुम निकाह की ज़िद पकड़ के बैठी हो जो मेरे लिए मुमकिन नही है, इसके अलावा जो तुम चाहो वो मे करने के लिए तैयार हूँ.

वो - तो फिर मे भी जिंदगी भर शादी नही करूँगी, चाहे जिस रूप में ही सही आपकी बन कर ही रहूंगी, बोलिए मंजूर है.

मे - ये कैसी ज़िद है तुम्हारी शक्कु..? फिर मैने उसकी डब-दबाती हुई आँखों से आँसू पोन्छते हुए कहा - चलो! ठीक है ऐसा है तो यही सही.. 

लेकिन कभी जिंदगी के किसी मोड़ पर तुम्हें लगे कि किसी और के साथ तुम्हें शादी करके अपना घर बसाना है तो उसके लिए तुम आज़ाद हो. 

वो मेरे सीने में लग कर सुबकने लगी और बोली- मे आपको छोड़ कर कहीं नही जाउन्गि, चाहे आप मुझे अपने से दूर ही क्यों ना करना चाहें. 

अब आइन्दा मे कभी आपको निकाह की बात करके परेशान नही करूँगी.

मे - तो चलो खाना खाओ, और हसी ख़ुसी सबके साथ रहो, मेरे इतना कहते ही वो उठ खड़ी हुई, 

लेकिन भूखे रहने की वजह से बहुत कमजोर हो गयी थी, सो चक्कर खा कर फिर से बिस्तर पर गिर पड़ी.
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