Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:33 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
इतने से ही बस नही की उन्होने , उसे एक कोठे पर बेच दिया, तब जाकर उसे अकल आई कि उसने हमारे साथ गद्दारी करके कितनी बड़ी भूल की थी, पर अब कुछ नही हो सकता था,

जमाल आजकल वो पागलों की तरह सड़कों पर घूमता रहता है, उसके बच्चे भीख माँग कर अपना पेट भरते हैं, बीवी कोठे पर चुद रही है, नित नये लंड से. 

ये कोई इकलौता जमील नही था जो फ़ौजी हुकूमत की तानाशाही का शिकार हुआ हो, ऐसे ही ना जाने कितने जमील थे इस देश में जो जुल्मों का शिकार होकर कुरबत की जिंदगी जीने पर मजबूर थे.

खैर ये सब तो इस देश की नियती बन चुकी है, अब चल कर देखते हैं हमारी इंसानियत की दोस्त टीम आजकल क्या कर रही है, जो अब अपना और आकार बढ़ा चुकी है. 

मैने ग्रूप की लड़कियों को स्पाई के तौर पर यूज़ करने का सोचा और कैसे भी करके बड़े-2 फ़ौजी अधिकारियों और लीडरन के घरों में काम पर लगवा दिया, जिससे उनकी आक्टिविटी पर नज़र रखी जा सके.

मेरा सबसे बड़ा हथियार हुश्न की मल्लिका शाकीना जो अब पूरी तरह गदरा गयी थी, मेरे साथ रहते-2, हाइट तो उसकी पहले से ही आम लड़कियों की तुलना में ठीक ही थी, लेकिन उसके शरीर के कटाव अब और ज़्यादा सेक्सी हो गये थे.

चेहरे पर लालिमा लिए 34-28-34 का फिगर उपर से 5’6” की हाइट, सुराही दार गर्दन गोरी इतनी की पानी भी गले से नीचे उतरता हुआ महसूस हो.

जब वो हील वाले संडले पहन कर चलती थी तो देखने वाले आहें भरकर अपना लॉडा मसले बिना नही रह पाते थे. 

कइयों ने तो राह चलते उसका हाथ ही पकड़ लिया था और उसके साथ ज़ोर जबदस्ती करने की भी कोशिश की, 

लेकिन वो कोई आम लड़की तो थी नही, जो हर कोई उसे यूँही आसानी से भोग ले. 

जिसने भी उसके साथ इस तरह की हिमाकत करने की कोशिश की, उसको उसने छ्टी का दूध याद दिला दिया.

फिर पलट कर वो कभी उसके सामने आने की भी हिम्मत नही जुटा पाया. 

दिलेरी तो मे कई बार उसकी देख ही चुका था, फाइट और शूटिंग में भी हमारे ग्रूप में वाकी सबसे आगे थी.

मेरा निशाना इस मुल्क की सबसे बड़ी ख़ुफ़िया एजेन्सी का चीफ था, जिस मुझे नज़र रखनी थी, 

क्योंकि वाकी चाहे कोई कुछ भी करता रहे लेकिन इस देश की सत्ता की छवि उसी के पास थी. सेना और सिस्टम दोनो पर ही उसका नियंत्रण था.

इसी योजना को मद्देनज़र रखते हुए, मे खुद दो महीने से उस पर नज़र रखे हुए था, लेकिन अभी तक कोई सॉलिड प्लान मेरे दिमाग़ में नही आ पा रहा था.

एक तो साला वो खुद ही इतनी टाइट सेक्यूरिटी में रहता था कि बिना उसकी जानकारी के परिंदा भी पर नही मार सकता था, दूसरा उसका शेड्यूल का कुछ पता नही चल रहा था कि वो कब और कहाँ जाने वाला है.

उसकी एक कमज़ोरी मेरे हाथ लग गयी, वो ये कि साला ठर्की नंबर वन था. सुंदर लड़कियाँ, औरतें उसकी कमज़ोरी थी. 

अब मुझे इसी बात को मद्देनजर रख कर कोई प्लान तैयार करना होगा…!

और मैने वो प्लान तैयार कर लिया, जिसमें 90 फीसदी चान्स थे उसको जाल में फँसाने के……!!

45-46 साल का उमर खालिद, गोरा चिटा 6’2” हाइट कसरती शरीर, चेहरे पर फ्रेंच कट दाढ़ी, जो लाइट ब्राउन कलर करके रखता था. 

बिल्लौरी आँखों वाला शक्ल से ही खुर्राट दिखने वाला उमर खालिद पाकिस्तान की सर्वोत्तम सीक्रॅट एजेन्सी का चीफ था.

अगर रंग रूप से देखा जाए तो खालिद मियाँ पाकिस्तानी तो कतयि नही लगते थे. 
वैसे वो थे भी जन्म से केनेडियन, वही पैदा हुए, पले बढ़े, सारी सिक्षा वही से प्राप्त की.

चूँकि पेरेंट्स पाकिस्तानी थे सो लेवेल लग गया और उसी का फ़ायदा उठा कर वो आज इस देश को कंट्रोल कर रहे थे.

नो डाउट हाइ क्वालिफाइड बंदा था ही, और बहुत सालों तक इंटेलिजेन्स सर्वीसज़ में पार्टिसिपेशन रहा था उसका, उसी का परिणाम था कि आज वो इस मुकाम पर पहुँचा था. 

गोल्फ और सुंदर लड़कियों का शौकीन खालिद रोज़ शाम को 6 बजे राजधानी में स्थित गोल्फ क्लब में खेलने जाता था, जहाँ शहर के सभी टॉप मोस्ट लोग ही आते थे, फिर चाहे वो किसी भी विभाग या बिज्नीस से रिलेटेड हों.
Reply
12-19-2018, 02:33 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
तकरीबन 5:40 पीयेम, अपने शानदार ऑफीस कम एषगाह से निकल कर खालिद साब पोर्च में खड़ी अपनी शानदार ब्लॅक कलर की लंबी सी कार की ओर बढ़ते हैं.

गाड़ी के पास खड़ा हथियार बंद कमॅंडो जो हर समय इनकी हिफ़ाज़त के लिए तैनात रहता था उसने आगे बढ़ कर गाड़ी का पिच्छला दरवाजा खोला. 

इस समय उसके कसरती शरीर पर एक स्पोर्ट्स टी-शर्ट और नीचे शॉर्ट, आँखों पर काला चस्मा बहुत फॅब रहा था उनकी पर्सनॅलिटी पर.

वो पिच्छली सीट पर पसर जाता है, ड्राइवर की बगल वाली सीट पर कमॅंडो के बैठते ही गाड़ी पोर्च से चल देती है और विशालकाय बिल्डिंग के बड़े से हरे-भरे ग्राउंड को पार करती हुई मेन गेट से निकल कर राजधानी की चौड़ी सड़कों पर दौड़ने लगती है.

शार्प 6 पीयेम खालिद की गाड़ी गोल्फ क्लब के बड़े से गेट में एंटर होती है, गेट के बाएँ तरफ मेन बिल्डिंग थी जिसके शुरुआत में ही ग्लास का एक बड़ा सा वेटिंग हॉल था, और उसके लगे हुए क्लब का शानदार ऑफीस.

गाड़ी उसको उस काँच से बने शानदार हॉल के गेट पर छोड़ देती है, और दूसरी तरफ बने पकिंग एरिया की तरफ बढ़ जाती है.

खालिद मियाँ हॉल में पड़ी शानदार लोंग चेर्स में से एक पर पसर जाते हैं. 

अभी उन्हें बैठे हुए दो मिनट भी नही हुए होंगे, कि उनके कानो में एक रस घोलती हुई सुरीली सी आवाज़ पड़ती है…
एक्सक्यूस मी सर, मे यू हॅव आ ड्रिंक प्लीज़….! मानो कोई जल तरंग बज उठी हो..!

खालिद की नज़र आवाज़ की दिशा में घूम गयी, अपने ठीक बगल में खड़ी 21-22 साल की एक निहायत ही खूबसूरत लड़की पर पड़ी…!

उस लड़की के हुश्नओ शबाब को देख कर खालिद मियाँ पलक झपकना ही भूल गये…

फक्क सफेद शर्ट जो इतनी टाइट की उसके 34सी बूब्स को संभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी, उपर से एक बटन खुला हुआ जो उसके ढाई इंच क्लीवेज़ को ही नही, साइड से बूब्स के आकार को भी दर्शा रहा था.

एकदम 28 की पतली सी कमर, 34 के सुडौल कूल्हे जो उसकी टाइट स्कर्ट जो उसके घुटनो से 2 इंच उपर तक ही आ रही थी, में साफ उभरे हुए दिख रहे थे.

पैरों में काले जालीदार लोंग शॉक्स के साथ हील वाले लेडी शूस, आँखों में काला गोल फ्रेम का गोगल उसके गोरे-चिट्टे चेहरे को और ज़्यादा सुंदर बना रहा था. 

सर पर स्कार्फ. पतले होठ जिनपर हल्के लाल रंग की लिपीसटिक, गोल-2 लालमी लिए गाल. 

सुतवान नाक, लंबी सुराइडर गर्दन इतनी सॉफ्ट और गोरी कि पानी उतरते हुए भी महसूस हो.

उसे देखकर खालिद का मुँह खुला का खुला रह गया, 

कितनी ही बार उसने उस लड़की को उपर से नीचे तक देखा और अपनी आँखों की प्यास बुझाता रहा, 

उसकी ये दशा देख कर वो लड़की मन ही मन मुस्करा रही थी, और उसकी इस हालत का लुफ्त ले रही थी. 

जब बहुत देर तक खालिद मियाँ की तरफ से कोई रिस्पोन्स नही मिला तो उस लड़की ने फिर कहा- एक्सक्यूस मी सर….!

खालिद मानो नींद से जगा हो- ययएएससस्स… ! ब्यूटिफुल लेडी..!

लड़की - मे यू हॅव आ ड्रिंक प्लीज़…!

खालिद – ओह ! यस ऑफ कोर्स..! व्हाई नोट ! और उसने ट्रे में रखी हुई बीयर केन उठा ली और थॅंक्स कहा..!

लड़की यू’र वेलकम कह कर जाने के लिए पलटी.. कि तभी खालिद बोला-

एक्सक्यूस मी ! सच आ ब्यूटिफुल यंग लेडी..!

लड़की – यस सर ! मे आइ हेल्प यू..?

खालिद – युवर गुड नेम प्लीज़..?

लड़की – शाकीना ..

खालिद – सच आ ब्यूटिफुल नेम लाइक यू..

शाकीना – थॅंक्स फॉर दा कॉंप्लिमेंट सर..!

खालिद – क्या तुम मुझे गोल्फ में असिस्ट करना चाहोगी..?

शाकीना – हाउ कॅन आइ सर ? आइ मीन क्लब मॅनेजर की पेर्मिशन के बिना मे कैसे कर सकती हूँ..?

खालिद – वुड यू लाइक..? मॅनेजर की चिंता मत करो.. ! आइ थिंक यू डॉन’ट नो मी.

शाकीना – यस सर आइ नो..यू..! बट इफ़…

उसने फ़ौरन मॅनेजर को बुलाया और उसको ऑर्डर दिया कि उस लड़की को ऐज आ असिस्टेंट ले जाना चाहता है.

जबाब में मॅनेजर ने कहा- कि सिर ये लड़की आपकी किट कैसे संभाल पाएगी ? 

खालिद – तो ठीक है, किट संभालने के लिए उस लड़के को भी रहने दो. तुम्हें कोई प्राब्लम तो नही इसमें..?

मॅनेजर लपक कर बोला – ऑफ कोर्स नोट सर, और मुस्करा कर वहाँ से चला गया. 

अपनी बीयर ख़तम करके खालिद शाकीना के साथ गोल्फ ग्राउंड की तरफ बढ़ गया.

गोल्फ खेलते-2 उसने कई बार शाकीना के साइड को जानबूझ कर टच किया, वाह ! 
क्या मादक एहसास था, उसका लॉडा, शॉर्ट में कुलबुलाने लगा.
Reply
12-19-2018, 02:33 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
हमारे यहाँ भी एक विभीषण था, जिसने हमारे बारे में एक फ़ौजी कॅंप में सारी इन्फर्मेशन दे दी….!

हमारी बस्ती से कोई 10 किमी पर एक दूसरी बस्ती थी, वहाँ के भी कुछ युवक हमारे ग्रूप में शामिल हो गये थे. 

इनमें से ही एक जमाल नाम का 35-36 साल का आदमी जो कि शादी शुदा और 3-4 बच्चों का बाप था.

दरअसल वो दोहरे चरित्र का व्यक्ति था, अपने स्वार्थ के लिए वो किसी की भी जान का सौदा कर सकता था. ये बात उसके गाँव के दूसरे युवकों ने बताई भी थी, 

लेकिन जब हमने उस गाँव के लोगों को ऐसी ही एक मुशिबत से बचाया था तो उनमें वो भी शामिल था और हुकूमत का सताया जानकर सबके साथ-2 वो भी हमारे ग्रूप में शामिल होने आ गया.

मे उसके चरित्र को समझ तो गया था, इसलिए मैने उस पर नज़र रखने के लिए उसी की बस्ती के कुछ लोगों को लगा दिया था जो आमतौर से हमारे ग्रूप में शामिल तो नही थे लेकिन मेरी बात का भरोसा करते थे.

अभी उस बस्ती से आए लोगों की ट्रैनिंग चल ही रही थी, एक दिन मुझे खबर मिली कि जमील फ़ौजी कॅंप में आते-जाते देखा गया है, साथ में उसकी बीबी भी थी.

दरअसल उसकी बीबी एक गस्ति थी जो कुछ फ़ौजियों की हवस मिटाने खुद और दूसरी लड़कियों को फँसा कर ले जाती थी, इसी से उसका घर चलता था. 

फ़ौजियों ने उसी के साथ मिलकर ये जाल बिच्छाया था हम तक पहुँचने के लिए.

जब सारी बात साफ हुई तो मुझे लगा कि अब यहाँ ज़्यादा देर रुकना ख़तरे से खाली नही है, मेरा तो कुछ नही कैसे भी करके निकल सकता था, 

लेकिन मेरे भरोसे इतने लोग अपनी जान की बाज़ी लगाकर साथ दे रहे थे उनको महफूज़ करना अब मेरी ज़िम्मेदारी थी.

मेरा अपना भी नेटवर्क कुछ कम नही था, जबसे जमील फ़ौजी कॅंप से मिलकर आया था, तभी से मैने अपने नेटवर्क को और सक्रिय कर दिया.

मुझे पता चला कि यहाँ के कॅंप में फौज की तादात कम ही है, तो उन्होने बाहर से और मिलिटरी बुलवाई है, हो सकता है रात के किसी पहर वो हमें घेरने की प्लॅनिंग कर सकते हैं.

मैने दोपहर बाद ही सब लोगों को इकट्ठा किया जिसमें जमील भी शामिल था और कहा- आज हम सभी 15 सीनियर मेंबर्ज़ को जिनमें हम 8 पुराने थे, 

और 7 जो कि ऑलरेडी ट्रेंड हो चुके थे और हमारे साथ एक-दो बार मिसन में शामिल भी हो चुके थे.
इतने लोगों को अभी एक मिसन पर निकलना है, कल दोपहर तक ही लौटेंगे, तो वाकी के सब नये लोग ग्राउंड में जाके अपनी एक्सर्साइज़ करो, ट्रैनिंग कल दी जाएगी.

इतना बोलकर हमने मीटिंग ख़तम की और सभी नये मेंबर्ज़ को ग्राउंड पर भेज दिया, उनमें से एक विश्वसनीय युवक जो परवेज़ का खास दोस्त था, उसको सेक्रटेली बोल दिया कि जैसे ही जमील आप लोगों के पास से चला जाए, तुम सब लोग वापस यहाँ आ जाना.

जमील को तो कैसे भी करके जल्दी से जल्दी ये खबर कॅंप तक पहुँचानी थी, कि आज रात हम लोग नही मिलने वाले हैं, ख़ासकर मे, इसलिए आज की रात हमला करने का कोई फ़ायदा नही है.

वो पट्ठा ग्राउंड तक भी नही गया प्रॅक्टीस के लिए बल्कि हमारे पास से सीधा अपने घर गया और अपनी बीबी को लेकर फ़ौजी कॅंप पहुँच गया.

अब वो लौट कर आनेवाला नही था, तो वो लोग भी वापस हमारे पास आ गये.

मैने सबको पूरी बात बताई और कहा कि अब हमें ये जगह छोड़कर जाना ही पड़ेगा, अगर कोई नही जाना चाहता हो तो वो अभी बता दे.

सबको डर था कि अब उनमें से कोई अकेला रह गया तो फ़ौजी उसको नही छोड़ेंगे. 

सो सबने हामी भर दी लेकिन उन सबके मन में कुछ सवाल थे जो वो जानना चाहते थे. आख़िरकार रहमत ने पुछ ही लिया.

भाई लेकिन अब हम लोग जाएँगे कहाँ और इतने सारे लोगों का रहने खाने का इंतेज़ाम कैसे होगा ..?

मे - उसकी आप लोग चिंता मत करो.. मैने सारा इंतेज़ाम कर दिया है, बस आप लोग तैयारी शुरू करो निकलने की.

अमीना - लेकिन बेटा ये घर..? इसका क्या करें..?

मे - इस घर में आपका है ही क्या जो छोड़ने में तकलीफ़ होगी..! कुछ जानवर ही तो हैं, तो उन्हें खुला छोड़ दो, कोई ना कोई तो पकड़ ही लेगा.

अकरम - लेकिन भाई जान हमारे घरवालों को फौज परेशान करेगी तो..?

मे - हां ये बड़ा सवाल है..! वैसे कुल मिलाकर कितने लोग हो जाएँगे सभी परिवारों के साथ..?

रॅंडमली हिसाब किया तो कोई 100 के आस-पास लोग होते हैं सभी बड़े छोटे मिलाकर. 

हमारे पास 5 गाड़ियाँ हैं कुछ बाइक्स हैं, हो जाएगा, आप सभी लोग फ़ौरन अपने परिवार वालों को तैयार करो ज़्यादा समान लेने की ज़रूरत नही है बस अपने-2 कपड़े-लत्ते ले लो.

अंधेरा होते ही हमें यहाँ निकलना है, रात भर का सफ़र है.
Reply
12-19-2018, 02:33 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
रेहाना – लेकिन अस्फ़ाक़ भाई जाना कहाँ है, ये तो बता दो…!

मे - भरोसा नही है मुझ पर..? 

वो – ऐसा मत कहो आप..! आपके भरोसे ही तो इतने लोग इस आग में कुदे हैं..

मे – तो फिर अभी कोई सवाल नही प्लीज़ ! कुछ चीज़ें समय से पहले जानना ठीक नही होती.

अब सब फटाफट लग जाओ काम पर, समय ज़्यादा नही है हमारे पास.

फिर सब लोग दौड़ लिए अपना-2 इंतेज़ाम करने, और रात 9 बजे तक सब सेट्ल हो गया.

अंधेरा घिरते ही दो टेंपो दूसरी बस्ती भेज दिए, और बिना किसी को हवा लगे वहाँ से लोगों को उठा लिया, 

तीन टेंपो और बाइक्स अपनी बस्ती के लोगों से भर गये और देर रात तक निकल लिए हम अपनी नयी मंज़िल की ओर जहाँ उन सबको बसाना ही अब मेरा पहला मकसद था….!

पूरी रात चलने के बाद अब सब लोग एक नये सबेरे का इंतजार कर रहे थे और सोच रहे थे कि ना जाने कल का सूरज उनके लिए क्या लेकर आने वाला है…..!

जो लोग मुझ पर अटूट विश्वास करते थे वो तो लगभग निश्चिंत थे, लेकिन ज़्यादातर के मन में अभी भी उथल-पुथल मची हुई थी भविश्य के बारे में….!

सूरज अपनी रोशनी धरती पर बिखेर चुका था, लेकिन हमारा सफ़र था कि अभी भी ख़तम होने का नाम नही ले रहा था, भीड़ ज़्यादा थी, और रास्ते मसाल्लाह, देर तो लगनी ही थी.

लोग साथ में खाने पीने का समान भी लेकर चले थे सो, सुबह के करीब 9 बजे हम एक जगह पानी का इंतेज़ाम देख कर रुक गये और नाश्ता पानी किया और फिर से चल पड़े.

आख़िरकार दोपहर होते-2 हम अपनी मंज़िल पर पहुँच गये, वहाँ का इंतेज़ाम देख कर लोगों को तसल्ली पहुँची कि चलो एक छत तो नसीब हुई, अब देखते हैं रब्ब आगे क्या-2 खेल दिखाता है इस जिंदगी में….!

शहर से बाहर ये एक छोटी सी टाउनशिप थी, जिसे वहीं के लोकल वाशिंदे रहीम चाचा जो एक बिल्डर थे उनके द्वारा ही बनवाई गयी थी. 

रहीम ख़ान 1947 के बँटवारे के बाद अमन की आशा में यहाँ आ गये थे…, 

तब उन्हें ये नही मालूम था, कि वो जिस चीज़ को पाने के लिए यहाँ आए थे, वो तो यहाँ के खून-पानी में ही नही है, जो इज़्ज़त उन्हें यहाँ मिलनी चाहिए थी, वो आज तक नही मिली. 

आज भी यहाँ की हुकूमत और अवाम हिन्दुस्तान से आए हुए मुसलमानों को मुजाहिर ही समझते हैं.

रहीम चाचा को ये बात ख़टकती थी, इसलिए उनका दिल आज भी पाकिस्तान में रहते हुए हिन्दुस्तान के लिए धड़कता था. 

एक तरह से वो पाकिस्तान में रह कर हमारे एजेंट के तौर पर ही काम करते थे.

सभी परिवारों को 2 बीएचके और 3 बीएचके के फ्लॅट में उनके परिवारों के मेम्बरान की संख्या के हिसाब से अलग-2 बसा दिया गया, 

शुरू-2 में उन सबको किरायेदार की हैसियत से घर दिए गये इस वादे के साथ कि कुछ दिनों में ही वो घर उनके अपने नाम कर दिए जाएँगे कुछ लीगल फॉरमॅलिटीस के बाद.

महीने के अंदर ही सबको उनके हिसाब से रोज़गार मुन्हैया कराए गये, जैसे किसी को छोटी-मोटी शॉप खुलवाना, किसी को किसी बड़े शॉप पर नौकर रखना, या फिर गॅरेज वग़ैरह में काम पर लगाना. 

जिसका जैसा इंटेरेस्ट वैसा काम, रहीम चाचा यहाँ हम सभी के लिए एक फरिस्ते जैसे थे.

इसका डबल फ़ायदा था, एक तो उनको घर चलाने के पैसे मिलने लगे और दूसरा लोगों की शक़ की सुई उनपर नही जाएगी, कि आख़िर ये लोग काम क्या करते हैं.

कुल मिलाकर कुछ ही दिनो में वो सभी लोग बिना डर-भय के पहले से बेहतर जिंदगी बसर करने लगे. 

उन सबका विश्वास मेरे उपर पहले से और ज़्यादा बढ़ गया था. वो सब आँख मूंद कर मेरी बात का विश्वास करते थे……..

उधर दूसरी सुबह जब जमील ट्रैनिंग के लिए वहाँ पहुँचा तो उसे कोई भी नही मिला, यहाँ तक कि अमीना के पालतू जानवर भी नही थे, पूरा घर खाली खुला पड़ा था.

फिर जब बस्ती में दूसरे लोगों का पता किया तो वो सब भी नदारद, भागता हुआ अपनी बस्ती में गया तो वो भी सब गायब.

मुँह लटकाए जब अपने घर पहुँचा और अपनी बीवी को ये बात बताई, तो उसकी भी साँस अटकी रह गयी,
अब उनको ये डर सताने लगा कि अगर ये बात फ़ौजियों को पता चल गयी तो वो लोग उन्हें कत्ल कर देंगे.

इसी डर के चलते उन्होने भी वहाँ से निकल भागने में ही अपनी भलाई समझी और बिना किसी को बताए समान बाँध कर बच्चों को लेकर शहर की ओर जाने वाली बस के लिए निकल पड़े.

बस बस्ती के बाहर बने अड्डे पर दिन में गिनती की दो बार ही आती थी. 

जमील अपने बच्चों और साजो समान के साथ अड्डे पर बैठा बस का इंतजार कर रहा था, दोपहर ढल रही थी कि तभी वहाँ फौज की एक जीप आकर रुकी.

जमील को वहाँ अपने परिवार और समान के साथ बैठे देख कर उनको कुछ शक़ पैदा हुआ, जब उन्होने उसे अपने पास बुलाकर पुछा तो पहले तो उसने किसी रिस्तेदार के यहाँ जाने का बहाना बनाया, 

लेकिन जब ये सब साजो समान के बारे में पुछा तो वो सकपका गया, और दो हाथ लगते ही पट-पटाने लगा और सब सच उगल दिया.

फिर क्या था, धर लिए दोनो मियाँ बीबी साले जीप में बच्चे वहीं बैठे समान के साथ रोते बिलखते रह गये. 

मार-मार के साले की चम्डी उधेड़ दी, और उसकी बीवी को एक के बाद एक फ़ौजियों ने उसके सामने इतना चोदा कि उसके सभी छेद सुन्न पड़ गये और चुदते-2 वो बेहोश हो गयी.
Reply
12-19-2018, 02:34 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
खालिद – गोल्फ खेलना आता है..? 

शाकीना ने स्माइल करते हुए कहा – कभी खेला तो नही, पर कोशिश ज़रूर करना चाहूँगी.

फिर खालिद ने उसे स्टिक पकड़ा दी, और आक्षन समझने के बहाने उसके पीछे सटके खड़े होकर बॉल कैसे हिट करते हैं बताने लगा.

उसका लंड उसके गोल-मटोल उभरे हुए कुल्हों के मखमली एहसास से और खड़ा हो गया…

शाकीना मन ही मन मुस्करा उठी, उसे अपने इस मकसद में सफल होने के चान्स दिखाई देने लगे…

उसने बॉल सही पोज़ में आकर एक शॉट लगाया, बॉल हवा में तैरता हुया टारगेट की तरफ गया और एकदम पास में जाकर गिरा, जो दूसरे शॉट में अंदर डाल दिया.

खालिद उसकी तारीफ किए बिना नही रह पाया.

कुछ देर और खेलने के बाद उसने उसे अपने ऑफीस में जॉब ऑफर करते हुए कहा- क्या तुम मेरे ऑफीस में काम करना चाहोगी..?

शाकीना – सर मुझे घर चलाने के लिए काम की ज़रूरत है, अगर मुझे आप यहाँ से अच्छा ऑफर करेंगे तो ज़रूर करूँगी. 

लेकिन हां काम एकदम फेयर होना चाहिए, किसी भी काम के लिए जो मे ना करना चाहूं, उसके लिए कोई ज़ोर ज़बरदस्ती ना हो.

खालिद तो किसी तरह इस चिड़िया को जाल में फँसाना चाहता था, उसे अपने आप पर पूरा एतबार था कि आज तक कोई लड़की उसने चाहा हो और वो मना कर्दे सो तपाक से बोला – बेशक़ ! वैसे कॉन-2 है तुम्हारे घर में..?

शाकीना – मे और मेरी अम्मी जो अब ज़्यादा किसी काम लायक नही हैं.

खालिद – वेरी नाइस, तो फिर ठीक है, ये लो मेरा कार्ड कल 10 बजे मेरे ऑफीस आ जाना, गेट पर कार्ड दिखा कर तुम्हें अंदर एंट्री मिल जाएगी.

अच्छी तनख़्वाह मिलेगी, और अगर काम अच्छा लगा तो अच्छा पैसा भी मिलेगा..!

क्लब से लौटते वक़्त खालिद मन ही मन शाकीना को चोदने के मंसूबे बनाने लगा. 

और उधर शाकीना अपने दिलवर के साथ मिलकर आगे की प्लॅनिंग तय कर रही थी…..!

यहाँ आकर रहमत अली और रेहाना को अलग फ्लॅट दे दिया गया था, और अमीना के नाम से सेपरेट अलॉट किया गया जिसमें अब उनका बेटा असलम जो कि इसी शहर में पहले से रह रहा था, वो भी उनके साथ ही रहने आ गया था.

शाकीना अब ज़्यादा तर मेरे साथ ही रहती थी, वैसे वो भी अपनी अम्मी और भाई के साथ ही थी, पर ज़्यादातर काम के बहाने से मेरे फ्लॅट में ही रहती थी.

आज भी वो क्लब से लौटने के बाद मेरे पास ही आ गयी, खाना बनाने – खाने के बाद हम दोनो पलंग पर लेटे हुए उसी विषय पर चर्चा कर रहे थे.

उसका सर मेरे कंधे पर था और मैने दोनो बाजुओं को उसके इर्द-गिर्द लपेट रखा था, साथ ही धीरे-2 उसके बदन को सहला रहा था. 

इस समय शाकीना के बदन पर मात्र एक झीनी सी नाइटी थी, जो उसकी जांघों तक ही आती थी.

मेरे बदन पर भी इस समय बहुत ही सॉफ्ट कपड़े का मात्र एक शॉर्ट ही था, 

शाकीना मेरे छाती के बालों पर हाथ फेरते हुए बोली- अशफ़ाक़…! आपको यकीन है मे ये ज़िम्मेदारी निभा पाउन्गी..?

मैने उसके सेब जैसे लाल-लाल रूई जैसे मुलायम गालों को सहलाते हुए कहा – मुझे तुम पर पूरा यकीन है…! इसलिए तो ये ज़िम्मेदारी किसी और को नही दी.

उसने थोड़ा उपर उचक कर मेरे होठों को चूम लिया, उसके पतले-2 रसीले होठों की लज़्ज़त पाकर मुझसे रहा नही गया और उसकी गोलाईयों को मसल दिया.

सीईइ…आहह… मेरी जनन्न… लेकिन उस हरम्जादे की नज़र मेरे उपर ही है, अगर उसने मुझे पाने की कोशिश की तो…? कह कर उसने मेरे लंड को मसल दिया, जो अब उसके हाथ की गर्मी पाकर अपना सर उठा चुका था.

मैने उसे अपने उपर खींच लिया, अब उसकी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी, उसकी गोल-गोल उभरी हुई गान्ड मसल्ते हुए मैने कहा- 

तो क्या हुआ, मस्त स्मार्ट बंदा है, कर लेना मज़े उसके साथ भी.

वो मेरे सीने पर प्यार से मुक्का मारते हुए बोली – ऐसा सोचना भी मत..! 

या तो मे अपनी जान दे दूँगी या उसकी जान ले लूँगी, लेकिन आपके अलावा ये बदन किसी और के हवाले नही करूँगी, इतना कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.

मैने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा- इतनी मोहब्बत ना करो मुझे…जान…! 

ऐसा ना हो कि हम अपने मकसद में कमजोर पड़ जाएँ..?

वो - मुझे नही पता कि आपका मकसद क्या है..? लेकिन आपकी ये लौंडी कभी आपको नाकामयाब नही होने देगी.. इतना कहकर उसने मेरे बालों भरे सीने पर किस कर लिया.

मैने उसकी नाइटी को उसकी कमर के उपर तक कर दिया, और उसकी गान्ड के छेद में उंगली चलाते हुए कहा – 

तुम्हारे पास हुष्ण का वो हथियार है मेरी जान, जिसका अगर सही से स्तेमाल किया तो खालिद मियाँ अपनी सारी जासूसी भूल जाएँगे.

वो अब मेरे टाँगों के पास आ गई और मेरे शॉट को खींचकर पैरों के नीचे कर दिया, तो मैने भी उसकी एकमात्र नाइटी को निकाल फेंका. 

शाकीना मेरे पेट पर गान्ड रख कर बैठ गयी और अपनी रस छोड़ती चूत को मेरे लंड के उपर रख कर फिर से मेरे उपर लेट गयी

फिर धीरे-2 पीछे को सरकते हुए अपनी मुनिया को उसके प्रियतम से मिलने की कोशिश करने लगी, 
Reply
12-19-2018, 02:34 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
दूसरे ही क्षण मेरा शेर उसकी मुनिया के मुँह तक पहुँच गया और आहिस्ता-आहिस्ता उसके बिल में सरकने लगा.

सीईइ….आहह… जैसे-2 वो अंदर सरकता जा रहा था, शाकीना की आँखें बंद होती चली गयी और उसके मुँह से मादक सिसकियाँ फूटने लगी.

मैने अपनी एक उंगली उसके मुँह में डाल दी और बोला – उससे ये तय कर लेना कि बिना तुम्हारी मर्ज़ी के कोई ज़ोर-जबदस्ती ना हो.

शाकीना धीरे-धीरे मेरे उपर आगे-पीछे होने लगी, जिससे दो काम एक साथ होने लगे, 

एक तो मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगा और दूसरा उसके कसे हुए उरोज जिसके निपल अब कड़क हो चुके थे, 

मेरी छाती से रगड़ कर मेरे अंदर मस्ती भरने लगे और खुद भी मस्ती में डूबने लगी.

मैने अपनी उंगली उसके मुँह से बाहर निकाली जो अब उसकी लार से गीली हो गयी थी और उसकी गान्ड के छेद में डाल दी..

उईई….अम्मिईिइ….. क्या करते हूऊ…? वैसे ये मैने उसे पहले ही बोल दिया है.. और वो मान भी गया हाईईईई… उफफफ्फ़… नहिी…मत कारूव…वहाँ उंगलिइीइ…आईईई….

मे अपनी उंगली धीरे-2 उसकी गान्ड में अंदर बाहर करने लगा, वो और मस्ती से भर उठी और मेरे उपर बैठ कर ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड पर कूदने लगी, उसकी गान्ड मेरी जांघों पर थपकी दे रही थी… !

आज मैने चुदाई की कमान उसी के हाथ में दे रखी थी…

उसके बैठ जाने से मेरी उंगली गान्ड से निकल गयी, 

उसके मेरे उपर कूदने से उसके ठोस उरोज भी उपर नीचे हो रहे थे, जिन्हें मैने अपनी हथेलियों में कस लिया और ज़ोर-2 से मसल्ते हुए बोला- 

बस तो फिर उस कमिने को इतना तड़पाना कि वो तुम्हारे आगे-पीछे चक्कर लगाता रहे.
चुचियों के मसल्ने से शाकीना और ज़्यादा मस्ती में आ गयी वो मेरी छाती पर हाथ जमा कर और तेज़ी से कूदने लगी और ज़ोर-2 से सिसकी लेते हुए बोली-

उफफफ्फ़…हाईए….सीईईई…उऊहह….आप देखना मे कैसे उस हरामी को अपनी उंगलियों पर नचाती हूँ….सुउउ..आअहह…आआयईी…मईए.. गाइ..आईईइ… 

और फिर ज़ोर की किल्कारी मारती हुई वो झड़ने लगी..!

जब उसका ऑरगसम ख्तम हो गया तो हाफ्ते हुए वो मेरे सीने पर लुढ़क गयी..और तेज-तेज साँसें लेने लगी…!

उसकी चूत से कामरस निकालकर मेरे लंड प्रदेश को गीला करने लगा…

मैने भी उसे नही उठाया और कुछ देर तक उसकी पीठ पर हाथ फेरता रहा.. 
जब उसकी साँसें कुछ थमी, तो मैने अपने दोनो हाथों से उसके कूल्हे मसल्ते हुए कहा…जान…!

वो मेरे सीने में मुँह गढ़ाए ही बोली- हमम्म…!

मैने पूछा – क्या हुया..? थक गयी..?

वो - नही ! बस थोड़ा आपसे चिपकने का मन कर रहा है....!

मैने उसकी गान्ड के छेद को उंगली से सहलाते हुए कहा – मेरी एक ख्वाहिश है.. पूरी करोगी..?

वो सर उठा कर मेरी ओर देख कर बोली – आपको इस तरह पुछने की ज़रूरत कब्से पड़ गयी..? हुकुम कर दिया होता, ये बंदी कभी मना कर सकती है भला..?

उसकी गान्ड में उंगली करते हुए मैने कहा – मेरा मन तुम्हारी गान्ड में अपना लंड डालने का हो रहा है..!

क्यों अब आगे से मज़ा नही आता आपको..? वो थोड़ा शिकायती लहजे में बोली.

नही ! ऐसी बात नही है, बस थोड़ा मन किया सो पुच्छ लिया, वैसे तुम्हारी मर्ज़ी है, और मे तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ तो जा नही सकता.

वैसे युरोप और अमेरिका में ज़्यादातर लड़कियाँ गान्ड ही मराती हैं, सुना है उन्हें गान्ड मराने में ज़्यादा मज़ा आता है.

ये आज कल आप कितनी गंदी-2 बातें करने लगे हैं, कहाँ से सीख कर आते हैं..? हां..! ये कहकर मंद-2 मुस्कराने लगी.

मे - अरे इसमें सीखने की क्या ज़रूरत है, ये तो आम बात है, गान्ड को गान्ड, चूत को चूत और लंड को लंड नही कहेंगे तो और क्या कहेंगे, बोलो..!

वो हस्ती हुई बोली- रहने दीजिए आप..! और कितना बकेन्गे..? बोलकर मेरे सीने में प्यार से एक मुक्का मार दिया.

मे – तुमने मेरी बात का जबाब नही दिया..?

वो – कोन्सि बात..?

मे - वही.. इसमें लंड लेने वाली .. ये कह कर एक बार फिर मैने उसकी गान्ड में उंगली कर दी, मेरा लंड आकड़ा हुआ अभी भी उसकी चूत में ही था.

वो – कर लीजिए आपको जो करना है, लेकिन प्लीज़ आराम से … ज़यादा तकलीफ़ ना हो, कल मुझे खालिद के यहाँ भी जाना है..!

मे – अरे उसकी तुम बिल्कुल फिकर मत करो, तुम्हें पता भी नही चलेगा, बस अब तुम देखती जाओ मेरा कमाल, 

कुछ देर बाद ही तुम अपनी गान्ड उच्छल-2 कर खुद से चुदने के लिए ना कहने लगो, तो मेरा नाम बदल देना…!

इतना कहकर मैने प्लांग से नीचे जंप लगा दी…….!!!!
Reply
12-19-2018, 02:36 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
जम्मू का आरस पूरा सेक्टर, आज यहाँ बीएसएफ कॅंप जो की सीमा से कुछ दूरी पर ही है, में कुछ ज़्यादा ही हलचल नज़र आ रही थी. 

इंटेलगेन्स की रिपोर्ट थी कि आज रात को पाकिस्तानी आर्मी की मदद से आतंकवादियों की एक बहुत बड़ी घुस्पेठ होने वाली है.

इसके कुछ क्लू भी पता चले हैं कि उनका प्लान किस तरह से बॉर्डर क्रॉस करके हिन्दुस्तान की सीमा में घुसना है…

नवरात्रि और दीवाली के त्यौहार पर पूरे देश में जगह-2 धमाके करके दहशत का माहौल पैदा करने का मंसूबा है इनका.

रिपोर्ट के निर्देसानुसार दिनभर यहाँ के बड़े-बड़े अधिकारी प्लान तैयार करने में लगे रहे. 

फुल प्रूफ प्लान तैयार करके, रिपोर्ट एक बार इंटेलगेन्स को भेज दी, जो कुछ ही देर में थोड़े बहुत सजेशन्स के बाद वापस भी मिल गयी…

फाइनल रिपोर्ट आने के बाद उसके मुतविक सारी तैयारियाँ भी मुकम्मल कर ली गयी. 

सारे काम इतने गुप्त तरीके से हुए की वहाँ के लोकल बाशिंदों को कानो-कान खबर नही लगने दी.

वैसे तो यहाँ का सारा बॉर्डर दोनो तरफ से घने तारों से लगभग 20-22 फीट की उँचाई तक कवर था, फिर भी ना जाने कैसे ये आतंकवादी घुस ही जाते थे. 

पाकिस्तान के इस बार के प्लान में घाटी के कुछ लोग जो कश्मीर को भारत से अलग करवाना चाहते हैं, वो भी मदद करने वाले थे.

अभी शाम के 7 ही बजे थे, वातावरण में चारों तरफ अंधेरा घिरता जा रहा था, कि तभी बॉर्डर पार से पाक फौज की तरफ से भयंकर गोलीबारी शुरू हो गयी, इसका मतलब कि उनका आक्षन प्लान शुरू हो चुका था. 

जबाब में बीएसएफ के जवान भी मोर्चे पर तैयार ही थे, सो उन्होने भी अपनी तरफ से मुँह तोड़ जबाब देना शुरू कर दिया…. 

दोनो ही तरफ से भारी गोलीबारी होने लगी, यहाँ तक कि बड़े-2 हथियार भी जैसे रॉकेट लॉंचर और सेल्स भी इस्तेमाल होने लगे.

प्लान के मुतविक सीमावर्ती इलाक़ों से वहाँ के लोगों को शिफ्ट करने का भी इंतेज़ाम कर लिया था जिससे किसी सिविलन की जान जोखिम में ना पड़े.

जहाँ भारी फाइरिंग हो रही थी, वहाँ से कुछ दूरी के फ़ासले पर एलओसी के दोनो तरफ तकरीबन 50-50 से भी ज़्यादा आतंकवादी, सुरंग खोदने वाले समान को लेकर अपने-2 काम में जुट गये. 

इनका प्लान कम-से-कम 4 से 5 सुरंग बना कर कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को सीमा के अंदर घुसाने का था.
ये जगह जंगली झाड़ियों से घिरी हुई थी, तो प्लान के मुतविक अगर एक रात में काम पूरा ना भी हो पाए तो पाकिस्तानी फौज बीएसएफ को फाइरिंग में उलझाए रखेगी और ये अपना काम करते रहेंगे.

बीएसएफ ने बॉर्डर पर कुछ बोफोर्स तोपें भी लगा रखी थी, तो जहाँ से पाक आर्मी का रिटॅलीयेशन ज़्यादा दिखाई देता वही कुछ देर उन तोपों से कार्यवाही शुरू हो जाती जिससे पाक फौज को भारी नुकसान उठना पड़ रहा था.

उनके पैर उखड़ने लगे थे, जो ये मंसूबे लगाए बैठे थे कि एक-दो दिन बीएसएफ को अपने जाल में उलझाए रखेंगे, वहीं उनको आज की रात भी भारी पड़ती नज़र आने लगी.

उधर सुरंग का काम ये खबर मिलते ही कि अब ज़्यादा समय तक पाक आर्मी बीएसएफ के जबाब का सामना नही कर पाएगी, और तेज हो गया और जहाँ वो 4-5 सुरंग बनाने की सोच रहे थे, 3 जगह पर ही लग गये.

शाम 7 बजे से शुरू हुई फाइरिंग रात 3 बजे तक बदस्तूर जारी रही, फिर कुछ उस तरफ से कम होने लगी और अब रुक-2 कर हो रही थी, शायद पाकिस्तानी आर्मी का नुकसान कुछ ज़्यादा ही हो चुका था.

इधर तीनों सुरंग अब कुछ ही घंटों में आर-पार होने वाली थी, खोदने वालों को दूसरे तरफ की छतों की आवाज़ें आने लगी थी, तो वो और जोश के साथ खुदाई में जुट गये और करीब 5 बजते-2 दो सुरंग आर-पार हो गयी, तीसरी भी होने ही वाली थी.

अब दो सुरंगों पर काम करने वाले दोनो ही तरफ के लोग थोड़ा सुसताने के लिए रुके, पानी-वानी पी कर फ्रेश हुए, तब तक तीसरी भी पूरी हो गयी.

फिर उन्होने सीमा पार रखे हुए अपने हथियार और गोला बारूद सुरंगों के ज़रिए भारत की सीमा में लाना शुरू कर दिया और तकरीबन 150 पाकिस्तानी आतंकवादी पूरे साजो समान के साथ हिन्दुस्तान में प्रवेश कर गये.

अब ये लगभग 200 लोग जिनमें घाटी के भी 50-60 लोग शामिल थे, अपनी कामयाबी की खुशी में एक दूसरे के गले लग कर खुशी जाहिर कर रहे थे, 

और हिन्दुस्तान की सरकार और अवाम को मिट्टी में मिलाने के ख्वाब देख रहे थे.

फिर इन लोगों ने वहाँ से निकलने का जिस तरह से प्लान सेट किया था कि किस तरह से अंधेरे और जंगल का लाभ लेकर रिहयशी इलाक़ों में शामिल हो जाना है, 

उसके मुतविक सभी साजो समान कुछ खच्चरों पर लादा जिसे इधर के लोगों ने ही मुन्हाया कराया था, पर लाद कर वहाँ से निकलने लगे.

अभी ये लोग वहाँ से निकलने की सोच ही रहे थे कि वातावरण में गड़गड़ाहट सुनाई दी, और देखते-ही देखते 4-5 बीएसएफ के हेलिकॉप्टर उनके सर के उपर परवाज़ करते दिखाई दिए.

इन आतंकवादियों ने अपनी गनों से उन हेलिकॉप्टरों को उड़ाने का सोचा, लेकिन इससे पहले कि वो अपने हथियारों को हमले के लिए तैयार कर पाते की उपर से उन पर गोलियों की बारिश सी होने लगी और देखते ही देखते वहाँ लाशों के ढेर लग गये, 

सारे आतंकवादी अपने रहनुमाओं समेत जन्नत की सैर पर चले गये जहाँ उनके स्वागत के लिए 72-72 हूरें उनका इंतेज़ार कर रही थी.

साले हरामी मादरचोद यही सब लालच देकर तो सीधे-साधे नौजवानों को इस दहशतगर्दी की राह पर चलने को विवश करते हैं.

खुद तो भोसड़ी वाले चूहों की तरह बिल में घुसे रहते हैं, और मरने के लिए सीधे-साढ़े नौजवानों को बहला फुसलाकर भेज देते हैं. 

दूसरों की मौत की कामना करने वाले ये नर पिशाच, अपनी मौत से बहुत डरते हैं मादरचोद कुत्ते.
Reply
12-19-2018, 02:37 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
इसी तरह की कुछ-2 चर्चा उन बीएसएफ के जवानों के बीच चल रही थी जिन्होने अपने देश की आन-बान की खातिर उन्हें मार तो दिया था लेकिन उनकी मौत पर उन्हें अफ़सोस भी था. 

ऐसा ही कुछ दिल है हम हिंदुस्तानियों का.

अहिंसा के पुजारी हैं हम लोग लेकिन देश के लिए जान देना भी जानते हैं तो जान लेना भी जानते हैं. “ज़य जननी”.

उन सभी को ढेर करके फ़ौरन एक सर्च टुकड़ी जो कुछ दूरी पर ही घात लगाए तैयार थी, ताकि अगर उनमें से किसी के बच निकलने की कोई सूरत बनती है तो फ़ौरन उनको दबोच लिया जाए. 

हेलिकॉप्टर अपना काम करके निकल गये, और वो टुकड़ी वहाँ सर्च को पहुँची तब तक कुछ उजाला भी होने लगा था, सब चेक करके कि अब कोई वहाँ जिंदा नही बचा. 

वो फ़ौरन अपने दूसरे काम में जुट गये और 8 बजते बजते उन जवानों ने उस सुरंग को अपनी तरफ से बंद भी कर दिया जिससे भविष्य में कोई घुशपेठ वहाँ से ना होने पाए.

उधर पाकिस्तानी फौज के हौसले सुबह होते-2 पस्त हो गये उपर से उन्हें ये भी खबर मिल गयी कि उनका सारा प्लान चौपट हो गया है, तो रही सही हिम्मत भी जबाब दे गयी और बचे-खुचे जवान मैदान छोड़ कर भाग लिए.

इतना बड़ा मिसन सक्सेस्फुल रहा, मीडीया ने हाथों हाथ बॉर्डर सेक्यूरिटी फोर्सस और सरकार हो हीरो बना दिया…..!
पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेन्सी के हेड क्वॉर्टर का वो मीटिंग हॉल आज देश के सभी बड़े-2 ओहदेदारों से भरा हुया था, 

हुकूमत के नुमाइंदे, फौज के जनरल समेत सभी आला अफ़सर, सीक्रेट एजेन्सीस के साथ-2 कई मुख्य आतंकी संगठनों के सरगना भी वहाँ मौजूद थे.

वैसे तो ये मीटिंग गुप्त रूप से ही हो रही थी, मीटिंग हॉल के बाहर किसी को भी ये पता नही था कि अंदर हो क्या रहा है, लेकिन एक शख्स ऐसा था जो यहाँ का आँखों देखा हाल अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर साफ-2 देख और सुन पा रहा था.

वहाँ बैठे सभी लोगों के चेहरों पर हताशा साफ नज़र आ रही थी, ऐसा लगता था जैसे वो अभी अपने-2 बाल नोंच डालेंगे. 

एक्स आर्मी जनरल जो आज इस देश की हुकूमत पर क़ाबिज़ था दहाड़ रहा था - क्यों जनाब मौलाना साब, कहाँ गये आपके वादे इरादे, 

बड़ी-2 डींगे हांक रहे थे, कि किसी तरह हमें हिन्दुस्तान के अंदर पहुँचा दो फिर देखना कैसे हम हिन्दुस्तानी हुकूमत को कश्मीर के मुद्दे पर झुकाते हैं.

अरे झुकाना तो दूर आपके लोग घुसने के बाद सब के सब अल्लाह मियाँ को प्यारे हो गये, हमारी फौज को इतना बड़ा नुक्शान झेलना पड़ा सो अलग.

मुहम्मद. हफ़ीज़ – जनाब जनरल साब ! हमें दोष देने से पहले ज़रा गौर फरमाएँगे, कि इतने बड़े हमले का हिन्दुस्तान की बीएसएफ ने माकूल जबाब ही नही दिया, अलबत्ता उसे बुरी तरह नाकाम कर दिया, मानो उन्हें ये सब पहले से ही पता हो.

हमें तो लगता है कि आपका ख़ुफ़िया तन्त्र इस मामले में पूरी तरह फैल हुआ है, जिसका ख़ामियाजा हमें झेलना पड़ा. 

अब इतना बड़ा नुक्शान हम कैसे पूरा करेंगे. हमारे कम-आज-कम 150 से ज़्यादा लोग और इतना सारा असलह ख़तम हो गया.

खालिद – हमें आप किस बिना पर दोष दे रहे हैं मौलाना साब, क्या हमारे ख़ुफ़िया तन्त्र ने जो योजना बनाई थी उसमें कोई खामी थी ? 

सब कुछ तो प्लान के मुतविक सही सही हुआ, फिर इसमें हमारा फेल्यूर कहाँ से हुआ..?

मे तो समझता हूँ कहीं ना कहीं आपके लोगों में से ही किसी ने हमें डबल क्रॉस किया है.

खालिद की बात पर हफ़ीज़ चिड गया और खीजते हुए बोला – आप कहना क्या चाहते हैं खालिद साब कि हमारे संघटन में से किसी ने पैसा खाकर ये प्लान लीक किया होगा..? 

मे आपको बता दूं, हमारे किसी भी आदमी को मिसन पर जाने से पहले ये तक पता नही होता है कि उसे भेजा कहाँ जा रहा है, प्लान की बात तो दूर की है.

ये ज़रूर या तो आपके ख़ुफ़िया विभाग से लीक हुआ है या फिर फौज की तरफ से.

इस पर फौज का बचाव खुद जनरल ने किया और बात को दूसरी दिशा में मोडते हुए बोला – 

अब जो हो गया उसे ना तो आप बदल सकते हैं और ना हम. 

आपस में सर फुटवाने की वजाय अब आगे का सोचो क्या और कैसे करना चाहिए. 

अभी तो आने वाले वक़्त में इंटरनॅशनल पॉलिटिक्स को भी हमें जबाब देना है इस मामले में.
Reply
12-19-2018, 02:38 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
हमें डर इस बात का सता रहा है, कि अगर किसी तरह अंतराष्ट्रीय मीडीया को ये भनक लग गयी कि हमारी फौज ने पहल की थी तो बहुत किरकिरी होगी. उन में जबाब देना भारी पड़ जाएगा हमें.

मुहम्मद हफ़ीज़ – इस सब का आप सोचो, अब हमें तो लंबे समय तक इस सबसे उबरने में काफ़ी वक़्त लग जाएगा, तो आइन्दा ऐसा कुछ करना चाहते हैं तो फिलहाल किसी और संघठन से करा सकते हैं.

जनरल – अगर आपके नुकसान की भरपाई हो जाए तो…!

मुहम्मद हफ़ीज़ – तो भी अब इतने सारे दूसरे लोगों को खड़ा करने में वक़्त तो लगेगा ही, और अभी कुछ दिन तो नये लोग आने को ही तैयार नही होंगे.

जनरल – चलो ठीक है, वैसे भी हाल-फिलहाल हम भी ऐसी किसी स्थिति का सामना करने की हालत में नही है, इस बारे में फिर कभी बैठते हैं.

और फिर कुछ दिशा निर्देश के बाद मीइंग बर्खास्त हो गयी, एक-एक करके सभी लोग चले गये और धीरे-2 मीटिंग हॉल खाली हो गया.

मीटिंग में हुई बातों से ये नतीजा निकला कि इस बार पाकिस्तान बुरी तरह पस्त हुआ है, जिसे वो आसानी से पचा नही पा रहा. 

मीटिंग के बाद की हताशा को देख कर उस शख़्श के चेहरे पर एक रहश्यमयि मुस्कान तैर गयी और उसने भी अपना लॅपटॉप ऑफ कर दिया.
……………………………………………………………………….

रात करीब 9 बजे शाकीना अपने ऑफीस से सीधी मेरे फ्लॅट पर ही आ गयी, आज वो एक टॉप और लोंग स्कर्ट पहने हुए थी बुर्क़े के नीचे. 

आते ही उसने अपना बुर्क़ा निकाल दिया और मेरे पास सोफे पर बैठ गयी..

मैने उसकी जाँघ पर हाथ फेरते हुए पुछा- और सूनाओ डार्लिंग..! क्या-2 किया आज ऑफीस में. 

ये मेरी रोज़ की ही आदत थी, जब भी वो ऑफीस से मेरे पास आती थी, मे उसे इसी तरह पुच्छ लेता जिससे वो बिना और कोई सवाल किए सारी बातें बता देती थी.

शाकीना – आज तो पता नही सभी बड़े-2 लोगों की मीटिंग हुई थी.

मे – कॉन कॉन था मीटिंग में… तो उसने सभी लोगों के नाम बताए, फिर जब मैने आगे पुछा – कुछ पता चला क्या हुआ था मीटिंग में..?

वो - नही ये कुछ पता नही चला, क्योंकि मीटिंग के दौरान हॉल में जाना अलाउ नही है किसी को भी, फिर गहरी स्माइल देकर बोली- वैसे आपको तो सब पता चल ही गया होगा..!

सुनने में आया है कि सरहद पर कल रात जो मिसन हुआ था उसमें हमारी फौज बुरी तरह नाकाम हुई है, शायद इसी बाबत कुछ चर्चा हुई होगी.

मे - हो सकता है, वैसे तुम्हें किसने बताया कि सरहद पर मिसन फैल हो गया है..?

वो- स्टाफ में चर्चा हो रही थी, और ये भी चर्चा थी कि शायद इस प्लान को किसी ने लीक कर दिया है, जिससे हिन्दुस्तान की बीएसएफ समय पर अलर्ट हो गयी और सभी लोग मारे गये.

मे - खैर छोड़ो ये सब, हमें ऐसी बड़ी-बड़ी बातों से क्या लेना-देना, वैसे आगे क्या करने वाले हैं इस बाबत कुछ हलचल पता लगी.

वो - सुनने में आया है, कि सरहद पर तो अभी कुछ नही होने वाला, पर लगता है, इसकी झुंझलाहट लोगों पर निकलने वाली है. 

हमें भी थोड़ा एहतियात से रहना होगा कुछ समय तक.

मे - हां ! शायद तुम सही कह रही हो, लेकिन लोगों पर बेवजह ज़ुल्म हो वो भी तो हम देखते नही रह सकते.

फिर मैने खालिद का रबैईया उसके प्रति कैसा है उसके बारे में पुछा, तो वो कुछ गंभीर हो गयी और बोली- उस कमिने की नज़रों में मेरे लिए हवस ही दिखाई देती है, गाहे बगाहे वो मुझे छेड़ ही देता है.

कभी-2 बिना किसी काम के ही मुझे अपने पास बिठा लेता है, और मुझे गरम करने की कोशिश करता है.

सच कहूँ अशफ़ाक़ ! कभी-2 तो मुझे डर सा लगने लगता है कि कहीं मे अपना आपा ही ना खो दूं. 

मे - किस हद तक चला गया है वो अब तक..?

वो - कपड़ों के उतारने की ही देर है बस…! जल्दी कुछ करो वरना किसी दिन आपकी शाकीना लूटी-पिटी आपके सामने होगी.

मे - लेकिन तुमने तो उससे वादा लिया है, कि वो कभी ज़ोर जबदस्ती नही करेगा तुम्हारे साथ..!

वो – हां ! लेकिन कभी मे ही बहक कर उसकी बाहों में गिर पड़ी तो..? आख़िर हूँ तो हाड़ माँस की इंसान ही ना..!

मे - तो फिर क्या सोचा है तुमने..? अब क्या चाहती हो तुम..? अगर ऐसा है तो छोड़ दो उसे..! मे तुम्हें परेशानी में नही देख सकता.

वो - देखती हूँ, और कितना तक जा सकता है वो, कोशिश करूँगी की अपना कंट्रोल ना खोऊ.

इसी तरह की बातें कुछ देर हम करते रहे, फिर वो अपनी अम्मी के पास चली गयी, और मे खाना ख़ाके अपनी रिपोर्ट बनाने बैठ गया….!

दूसरे दिन रूटीन के मुतविक सुवह जल्दी उठकर फ्रेश हुआ योगा-प्राणायाम और फिर कुच्छ देर मेडिटेशन किया, 

इन सब दिन चर्र्याओ से फारिग होकर सुवह-2 ही मॉर्निंग वॉक के बहाने सोसाइटी में राउंड पर निकल पड़ा और नंबर बाइ नंबर अपने अधिकतर लोगों से मिला, उनसे सभी तरफ की फीडबॅक इकट्ठा की.

चूँकि उनमें से बहुत से लोग अपना-2 छोटा मोटा बिज़्नेस चलाते थे, जहाँ पब्लिक ओपनीन ज़्यादा मिलती है, 

और लोगों के दिल में हुकूमत और प्रशासन के प्रति क्या भाव हैं ये सब पता लगता रहता है.., 

वो हुकूमत के कामों से किस कदर इत्तेफ़ाक़ रखते हैं ये सब मालूमत आसानी से मिल जाते हैं.

कुछ लोग तो ग्रूप में ही मिल गये सोसाइटी के छोटे से पार्क में, तो वहीं घास पर बैठ कर बात-चीत करते रहे. 
Reply
12-19-2018, 02:38 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
सुवह-2 मिलने का मक़सद भी यही था, कि बाद में वो सब अपने-2 काम धंधे से लगते थे.

उन सबसे मिल मिलकर मे घर लौट आया, चाइ नाश्ता लिया जो शाकीना अपने घर से लेकर आई थी. फिर वो उदास मन से 9 बजे अपनी ड्यूटी पर चली गयी. 

मे उसके उदास चेहरे को लेकर सोच में पड़ गया, क्या उसे वहाँ से हटा लिया जाए..?

लेकिन अगर इस तरह से एक साथ उसने जाना बंद कर दिया तो शक़ पैदा होगा, 

खालिद कोई छोटा-मोटा आदमी नही है, वो ज़रूर उसकी तहकीकात करवाएगा कि क्या वजह हुई.

और फिर अगर वो पीछे पड़ गया तो उसे ज़्यादा वक़्त नही लगेगा शाकीना की कुंडली निकालने में, और फिर एक साथ इतने सारे लोग मुसीबत में पड़ जाएँगे.

फिर क्या किया जाए इसी विषय पर काफ़ी देर सोच विचार करता रहा, अंत में सब कुछ समय और नियती पर छोड़, अपने काम में लग गया.

मे भी दिखावे के लिए रहीम चाचा के ऑफीस में चला जाता था, उनके असिस्टेंट की हैशियत से, ताकि लोगों को मेरे उपर कोई शक़ सुबा ना हो. 

और उनके साथ कभी किसी कन्स्ट्रक्षन साइट पर निकल जाता, जिससे मेरा भी टाइम पास हो जाता.

आख़िर मेरा भी एक इंजिनियर का दिमाग़ था, तो उनको भी नये-2 आइडिया देता रहता जिससे उनके काम में और बरकत होने लगी.

वैसे अब वो काफ़ी उम्र-दराज हो चुके थे, ज़्यादातर ज़िम्मेदारियाँ उन्होने अपने बेटों पर ही डाल दी थी, फिर भी वो अभी अपने ऑफीस ज़रूर जाते थे, और हम दोनो बैठ कर टाइम पास करते रहते.

इसी तरह की दिन चर्या चल रही थी, और दिन गुज़रते जा रहे थे, लेकिन मुझे शाकीना की परेशानी बैचैन करती रहती थी.

ऐसे ही एक दिन मे रहीम चाचा के साथ उनकी गाड़ी में बैठ कर एक साइट की तरफ निकल गया.
ये पास के ही एक दूसरे शहर में थी जो तकरीबन इस्लामाबाद से 50 किमी दूर था. यहाँ पर वो एक छोटी सी हाउसिंग सोसाइटी बना रहे थे.

वहाँ का काम देखते-2 हमें शाम हो गयी, नवेंबर का महीना था, सर्दी पड़ना शुरू हो गया था. 

वो बंद गले की उनी कपड़े की शेरवानी पहने हुए थे. 

रहीम चाचा हर समय एक काले रंग की छड़ी अपने साथ रखते थे, जो कि दरअसल एक गुप्ती थी.

मे भी एक उनी लोंग कोट और जीन्स में था, मेरे कोट की अंडर पॉकेट में एक 11 राउंड माउजर थी.

हम दोनो गाड़ी में पीछे बैठे हुए थे ड्राइवर जो कि मेरे साथ आए लोगों में से ही एक था, वो गाड़ी चला रहा था.

अंधेरा सा होने लगा था, गाड़ी की हेड लाइट ऑन हो चुकी थी, अभी हम साइट से 10-15 किमी ही निकले होंगे, कि एक साथ गाड़ी के उपर सामने से गोलियों की बौछार शुरू हो गयी.

देखते ही देखते आगे की विंड्स्क्रीन खील-खील हो गयी, अनगिनत गोलिया ड्राइवर के शरीर में घुस गयी, और वो गाड़ी की स्टेआरिंग के उपर गिर पड़ा.

खुदानखास्ता गिरते-2 उसका पैर एक्सिलेटर से हट कर ब्रेक पर चला गया और गाड़ी लहरते हुए रोड के साइड में खड़े पेड़ों से टकरा कर बंद हो गयी. 

मैने फ़ौरन दूसरी साइड का गेट खोल कर रहीम चाचा को लिए दूसरी साइड को लुढ़कता चला गया, एक तो झटका तगड़ा लगने से और दूसरा एक साथ हुए हमले से रहीम चाचा अपने होश गँवा बैठे. 

मैने उनके बेहोश शरीर को अपने साथ लिए घिसता हुआ, पास की झाड़ियों में रेंग गया.

रेंगते हुए ही मेरी गन मेरे हाथ में आ चुकी थी. उनको झाड़ियों के पीछे छुपाया और मे रेंगता हुआ थोड़ा रोड साइड की तरफ आया.

अंधेरा हमारी मदद कर रहा था, वो 4 लोग थे जिनके हाथों में एके47 राइफल थी चारों के चेहरे कपड़े से ढके हुए थे, 

जैसे ही गाड़ी पेड़ से टकरा कर रुकी, वो भागते हुए गाड़ी के पास पहुँचे.

गाड़ी में केवल ड्राइवर की लाश देख कर वो सकते में आ गये क्योंकि उन्हें पक्का पता था कि गाड़ी में रहीम चाचा हैं और वो उन्हें किडनप करने के इरादे से ही आए थे जिससे कि फिरौती की मोटी रकम उनके घरवालों से हासिल कर सकें.

उनमें से एक चिल्लाया, अरे इसमें तो खाली ड्राइवर ही है, वो बूढ़ा और उसका साथी कहाँ गायब हो गये ?

मे मन ही मन बुद्बुदाया… मतलब इन्हें मेरा भी पता था कि मे साथ में हूँ.

तभी दूसरा बोला- ढुंढ़ो यहीं कहीं झाड़ियों में गिर गये होंगे और कहाँ जा सकते हैं साले…

उनमें से दो आदमी उधर झाड़ियों की तरफ ही जाने लगे जहाँ मैने रहीम चाचा को छिपाया था, अब मुझे जल्दी ही कुछ करना था, 

इससे पहले कि उन दोनो की नज़र उन पर पड़े मैने गोली चला दी और वो दोनो वहीं ढेर हो गये.

गोली चलाते ही मैने एक लंबी छलान्ग लगाड़ी, और लुढ़कता हुआ रोड की दूसरी साइड में खड़े पेड़ों की आड़ में पहुँच गया.

जहाँ से मैने गोली चलाई थी, अगर एक सेकेंड भी मे वहाँ रुका रहता तो ना जाने कितनी गोलियाँ मेरे शरीर के आर-पार हो चुकी होती.

क्योंकि मेरी तरफ से गोली चलते ही, उन वाकी बचे दोनो ने अपनी गनों का रुख़ उस तरफ किया और गोलियों की बाढ़ सी उस जगह पर करदी.

थोड़ी देर शांति छाइ रही, वो दोनो मेरी तरफ से आहट लेने की कोशिश करते रहे, जब कुछ देर तक कोई आवाज़ मेरी तरफ से नही हुई तो उनमें से एक बोला- लगता है साला काफर मर गया और वो देखने के लिए उस तरफ बढ़ गया.

वो उस जगह पर पहूचकर चिल्लाया- अरे यहाँ तो कोई भी नही है, लगता है हरामी बहुत शातिर है…

इतना बोल कर उसने अपने साथी की तरफ छलान्ग लगाई, अभी उसका शरीर हवा में ही था कि मेरी एक गोली उसकी पसलियों को फाड़ती चली गयी, वो बुरी तरह चीख मारता हुआ वही ढेर हो गया.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,456,323 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,336 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,213,996 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 917,896 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,627,003 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,059,620 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,914,834 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,937,526 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,985,601 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,615 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)