Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:38 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
अपने तीन साथियों का ऐसा हश्र देख कर उस चौथे आदमी की गान्ड फट के हाथ में आ गयी और उसने अपने पास की झाड़ियों में छलान्ग लगा दी.

अब उसके और मेरे बीच में हमारी गाड़ी थी, मुझे डर था कि अगर उसकी नज़र रहीं चाचा पर पड़ गयी तो वो उनको नुकसान पहुँचा सकता है.

लिहाजा मे अपनी जान की परवाह ना करते हुए अंधेरे का लाभ उठाकर गाड़ी की तरफ रेंगता हुआ बढ़ने लगा.

वो बंदा शायद कुछ ज़्यादा ही डर गया था, और अब वो अपने आप को बस किसी तरह मुझसे बचना चाहता था, 

सो गाड़ी की आड़ का सहारा लेते हुए पीछे की झाड़ियों की तरफ ही रेंगने लगा….

मे भी रेंगते हुए अब गाड़ी तक पहुँच गया था, झाड़ियों में उसके सरकने की आवाज़ मुझे सुनाई दे रही थी. 

मैने अपना सर उठा कर देखने की कोशिश की तो मुझे सिर्फ़ झाड़ियाँ हिलती नज़र आ रही थी….!

मुझे अब फिर से डर सताने लगा, क्योंकि वो भी रहीम चाचा की तरफ ही जा रहा था, 

जा क्या रहा था लगभग उनके पास तक पहुँच ही गया था, और अब कभी भी उसकी नज़र उनपर पड़ सकती थी ….

मे अब रिस्क लेकर बैठे-बैठे ही अपने पंजों पर मेढक की तरह चलने लगा और पेड़ के दूसरी ओर से घूमते हुए झाड़ियों के पीछे जा पहुँचा.

आड़ में होते ही मे पीछे की ओर लपका, इससे पहले कि वो उन तक पहुँचता मे वहाँ पहुँच गया.. 

और जैसे ही मैने वहाँ का सीन देखा….हैरत से मेरी आँखें चौड़ी हो गयी…..!!!

मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी…! और मे दम साढ़े आने वाले पल का इंतजार करने लगा.

रहीम चाचा होश में आ चुके थे, उन्होने भी उस आदमी को रेंगते हुए अपनी ओर आते देख लिया था और अपनी गुप्ती निकाल कर उसका इंतजार कर रहे थे.

वो लुटेरा रेंगते हुए जैसे ही रहीम चाचा के पास पहुँचा सबसे पहले उसकी नज़र उनकी टाँगों पर पड़ी, 

अपना सर उठा कर जब उसने उनकी ओर देखा तो फ़ौरन उठ खड़ा हुआ और इससे पहले कि वो उन पर अपनी गन तान कर उन्हें अपने कब्ज़े में लेने की कोई कोशिश करता.

रहीम चाचा का हाथ तेज़ी से आगे आया और खचाआक्कककक…. ! दो फीट लंबी गुप्ती उसका पेट फाड़ कर पीठ के पीछे से पार हो गयी, 

वो अपनी आँखों में जमाने भर की हैरत लिए हुए इस दुनिया से रुखसत हो गया.

मे लपक कर चाचा के पास पहुँचा और उनको बोला- वाह चाचा ! आपने तो कमाल कर दिया..! धोती फाड़कर रुमाल कर दिया…

वो हंसते हुए बोले – तुम्हारी जाँबाज़ी देख कर मुझे भी जोश आ गया..

मे - वैसे आप होश में कब आए..?

वो बोले - जब तुमने उस तीसरे आदमी को गोली मारी थी, तभी गोली की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी लेकिन मे बाहर नही आया वरना ये मेरा सहारा लेकर तुम्हें सरेंडर करने पर मजबूर कर देता, 

और फिर जब इसको अपनी तरफ आते देखा, तभी मैने मन बना लिया कि कम से कम इसको तो मे निपटा ही सकता हूँ.

मैने चाचा के बाजुओं को दबाकर उनकी हौसला अफजाई करते हुए कहा – वाह चाचा वाकाई में आप शेरदिल इंसान हो, कैसा चीर डाला है हरामी के पिल्ले को…

वो बोले – ऐसे लोगों का यही हश्र होना चाहिए बेटा…

फिर हम दोनो गाड़ी के पास आए, विंड स्क्रीन तो पूरी तरह से साफ ही हो चुकी थी, और एक हेडलाइट भी टूट चुकी थी.

मैने ड्राइवर की बॉडी को पीछे की सीट पर डाला और उसकी सीट पर बैठ कर जैसे ही सेल्फ़ लगाया, गाड़ी स्टार्ट हो गयी.

उसी टूटी-फूटी गाड़ी से धीरे-2 चलकर हम घर तक पहुँचे, 

रातों रात गाड़ी को स्क्रॅप करवा दिया जिससे कोई सबूत ही ना बचे, क्योंकि हमें पता था कि इस देश में क़ानून नाम की तो कोई चीज़ है नही, 

अगर कुछ कंप्लेंट वग़ैरह करते हैं तो हम ही फसेंगे.

दूसरे दिन की खबर से पता चला कि वो लोग किसी आतंकवादी संघठन से ही ताल्लुक रखते थे, 

हुकूमत इस घटना को अंजाम देने वालों का पता लगाने में जुट गयी है…

दूसरे दिन शाम को शाकीना ने मुझे एक रिपोर्ट लाकर मेरे हाथ में थमा दी, मैने पुछा कि क्या है ये, तो वो बोली- आप खुद ही देख लो इंग्लीश मुझे कहाँ समझ आती है..

ये एक 5-6 पेज की कोई गुप्त मिसन की ड्राफ्ट रिपोर्ट की ज़ीरॉक्स कॉपी थी. 

मैने उसे बाद में पढ़ने का सोचा और उसके हाथ से लेकर वही सेंटर टेबल पर रख दिया.

शाकीना आज कुछ ज़्यादा परेशान दिख रही थी, मैने उसका मूड बनाने का सोचा और उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया.

वो अभी तक बुर्क़े में ही थी तो अंदर का सब समान तो पॅक ही था, बस उसके रसीले होठ जो इस समय कुछ खुसक से हो रहे थे, उनपर एक चुंबन लेकर गीला कर दिया.

हमेशा ही मेरी बाहों में आते ही शाकीना अपने सारे गम, सारे गीले-शिकवे भूल जाती थी, आज भी वो मेरे किस करते ही खुश हो गयी और उसने भी मुझे बॅक किस किया, 

मेरी गोद से उठ खड़ी हुई और अपना बुर्क़ा निकाल दिया.

उस काले लबादे के नीचे से जो कयामत उजागर हुई में पलक झपकाना ही भूल गया… कितनी ही देर मे उसे अपलक देखता ही रह गया.
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12-19-2018, 02:38 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
वो एक सिंगल पीस एकदम कसे हुए गुलाबी सूट में जो बमुश्किल से उसकी मोटी-मोटी चिकनी मोटी जांघों को ढक पा रहा था

और डीप गला होने के कारण उसके गुलाबी रंगत लिए दूधिया उभर काफ़ी हद तक उजागर हो रहे थे….

बेपमहा हश की मालिका शाकीना उपर से इतने भड़काऊ कपड़े, किसी का भी ईमान डॅग मगा दे.

मुझे अपनी तरफ यूँ देखते पा कर वो मेरे सामने खड़ी स्माइल देते हुए बोली- ऐसे क्या देख रहे हैं जनाब..?

मैने उसे फिर से अपनी गोद में खींच लिए और उसके सेब जैसे गुलाबी गाल को अपने मुँह में भरके चूस्ते हुए बोला – बेचारा खालिद मियाँ … कैसे कंट्रोल कर पता होगा अपने उपर..?

ये कपड़े उसी ने कल गिफ्ट किए थे, और खास हिदायत से आज पहनने के लिए बोला था, आज तो मुए ने मेरा जीना मुँहाल ही कर दिया था – वो थोड़ा संजीदा स्वर में बोली. 

मुझे ही पता है कैसे-2 करके आज का दिन निकाला है मैने, कितनी ही बार मेरी पेंटी गीली कर दी थी उसकी हरकतों ने. 

मैने उसकी जांघों को सहलाते हुए उसकी मिडी को और थोड़ा उपर सरकाते हुए कहा- दिखाना किस कदर गीली हुई है, और अपना हाथ उसकी पेंटी के उपर से ही उसकी चूत को सहला दिया.

उसने मेरे हाथ पर प्यार से थप्पड़ मारा और हंसते हुए बोली- आपको शरारत सूझी है, यहाँ मेरी जान मुशिबत में फँसी है…
कैसे-2 मे अपने आप को संभाले हुए हूँ, मे ही जानती हूँ.

वो मेरी आँखों में झाँक रही थी, जिनमें कुछ परेशानी के साथ-साथ कुछ पाने की चाहत साफ-साफ दिखाई दे रही थी, 

जो प्यास एक बाहरी इंसान ने उसकी भावनाओं को भड़का कर बढ़ा दी थी उसे बुझाने की चाह, जिसे बुझाना मेरा फ़र्ज़ भी था.

मैने उसके होठों को चूमते हुए कहा- जानेमन अभी तुम अपनी अम्मी के पास जाओ, फ्रेश होकर खाना खाकर यहीं आ जाना आज.. ठीक है.

उसने भी एक स्वीट किस दिया और मुस्कुराती आँखों से मेरी ओर देखते हुए मेरी गोद से उठ कर अपनी अम्मी के पास चली गयी…

उसके जाने के बाद मैने वो पेपर उठाए और जैसे-2 उस ड्राफ्ट रिपोर्ट को पढ़ता गया, मेरा शरीर उत्तेजना और भय से काँपने लगा.

फ़ौरन मैने वो रिपोर्ट स्कॅन की और उसे अपने हेड ऑफीस भेज दी, उसके बाद उसकी कॉपी मैने ट्रिशा के ईमेल अड्रेस पर मैल कर दी.

30 मिनट में ही उसकी तरफ से कन्फर्मेशन के साथ कुछ सवाल भी थे, मैने उसे वीडियो चॅट पर आने को कहा, और जब वो मेरे रूबरू हुई. 

सबसे पहले मैने उसे बच्चों के बारे में पुछा तो उसने बताया कि वो अपने रूम में पढ़ रहे हैं, 

जब उसने उनसे बात करने के लिए पुछा तो मैने मना कर दिया कि खम्खा मुझे देख कर बच्चे कुछ उल्टा सीधा सवाल करने लगेंगे.

फिर बहुत देर तक में उसे योजना समझाता रहा कि किस तरह उसे ये प्राब्लम सॉल्व करनी है. 

अभी हम बात करके चुके ही थे कि डोर बेल बजने लगी, मैने सिस्टम ऑफ किया और जाकर डोर खोला, सामने शाकीना अपने हुश्न के जलवे बिखेरती हुई खड़ी थी, 

मैने उसको अंदर खींचा और डोर बंद करके गोद में लिए-2 ही सोफे तक लाया.

आज मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था, क्योंकि अपनी जान जोखिम में डाल कर आज वो जो रिपोर्ट निकाल कर लाई थी, वो मेरे लिए कितनी अहम् थी, 

उस बेचारी को इसका कोई गुमान ही नही था…..

शाकीना एक लूज सा सिल्क का पाजामा पहने थी, उपर उसने शॉल डाल रखी थी, मेरे गेट खोलते उसने खिल-खिलाते हुए अपनी शॉल आयेज से हठाडि,

जैसे ही मेरी नज़र उसके टॉप पर पड़ी, मेरी आँखे चौड़ी हो गयी.

उपर उसने एक बहुत ही हल्के कॉटन का सफेद रंग का शॉर्ट कुर्ता डाल रखा था, जिस पर लखनबी कढ़ाई सी हो रही थी, 

कुर्ते का कपड़ा इतना झीना था कि उसकी बिना लेश की ब्रा एकदम साफ-2 दिख रही थी, यहाँ तक कि उसके शरीर का गोरापन ज्यों का त्यों नुमाया हो रहा था.

मैने उसे गोद में उठाया और सोफे की तरफ चल दिया, मेरे होठ उसके होठों का रस्पान कर रहे थे.


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12-19-2018, 02:38 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
सोफे पर अपनी गोद में ही बिठाए उसके नाम मात्र के कुर्ते के उपर से ही उसकी चुचियों को चूसने लगा… आह.. क्या महक आरहि थी उसके बदन से, 

शायद कोई मस्त खुश्बू वाला सेंट मार के आई थी मेरी जानेबहार..

उसके कुर्ते का कपड़ा मेरी लार से गीला हो गया था, अभी हम कुछ और आगे बढ़ते, कि डोर बेल एक बार फिर से चीख पड़ी..

शाकीना हड़बड़ा कर मेरी गोद से उठ खड़ी हुई और बोली- इस वक़्त कॉन आ मरा मुआ..? और वही सोफे पर बैठ गयी, मे गेट खोलने चला गया…

मैने जैसे ही गेट खोला…. वाउ ! एक और धमाका…! आईशा चेहरे पर मुस्कान लिए हुए गेट पर खड़ी थी. 

मैने चोन्कते हुए कहा- अरे ! आईशा तुम ? और इस वक़्त..? कोई काम था..?

वो इतराते हुए बोली – अच्छा अब हम बिना किसी काम के हुज़ूर के पास नही आ सकते..?

मैने कहा – नही ! नही ! ऐसी कोई बात नही है, ये भी तुम्हारा ही घर है, कभी भी तशरीफ़ ला सकती हो, लेकिन इस वक़्त.. सोचा कोई काम होगा..?

वो - हां काम तो है, लेकिन यहाँ गेट पर खड़े-2 नही हो सकता, अब अंदर तो आने दीजिए…

मे साइड में हो गया और वो हॉल की तरफ बढ़ गयी, मैने गेट बंद किया और उसके पीछे-2 हॉल में आ गये.

शाकीना को देख कर वो चहकने लगी… ओह्ह्ह.. तो जनाब इसलिए नही आने दे रहे थे हमें, अब हुज़ूर हमसे क्या परदा, हम तो बस इसी गुमान में यहाँ आए थे कि शायद शाकीना जान की कुछ झूठन ही मिल जाए.

ये कहते हुए वो भी उसकी बगल में बैठ गयी, उसकी बात पर शाकीना भी खिल खिलाकर हंस पड़ी, और फिर दोनो ने एक दूसरे को किस किया.

जब में एक सिंगल सीट सोफे पर बैठ गया तो आईशा बोली- अब हुज़ूर हमसे कोई गुस्ताख़ी हुई जो आप हमसे दूर-2 बैठे हैं.

अब आ भी जाइए यहीं, काफ़ी जगह है यहाँ पर भी और ये कह कर उन दोनो ने अपने बीच में मेरे लिए जगह बनाई और मे हंसते हुए उन दोनो के बीच जाके बैठ गया.

मेरे बैठते ही उन दोनो ने मेरे गालों को चूम लिया, मैने भी दोनो की कमर में हाथ डाल कर अपने से सटा लिया.

आईशा पहले से भी और ज़्यादा गदरा गयी थी, शाकीना से ज़्यादा तो वो पहले से ही थी.. उन दोनो के सीने की छुअन मुझे रोमांचित कर रही थी, मेरा मुसलचंद मेरे शॉर्ट में उच्छल कूद मचाने लगा.

आशिया मेरे लंड को सहलाते हुए बोली– अशफ़ाक़ साब ! वैसे मे यहाँ आपको कुछ खबर देने ही आई थी…!

मे उसके होठ चूम कर सवालिया नज़रों से उसको देखने लगा…!

आज जनरल को मैने किसी से बात करते हुए सुना था, वो कह रहा था कि हाफ़िज के दो आदमी आज नेपाल के रास्ते आज़मगढ़ पहुँचने वाले हैं, 

वहाँ उसके दो आदमी जिनमें एक लड़की है पहले से ही मौजूद हैं, फिर वो चारों मिलकर गुजरात जाएँगे.

उसकी बात सुनकर मैने उसके होठों को चूम लिया और बोला- शुक्रिया मेरी जान आज तो तुमने दिल जीत लिया मेरा…! कह कर मैने उसकी चूत को हाथ से सहला दिया…

वो सिसकी लेते हुए बोली – सीईईई… आअहह…लेकिन आप इतने खुश क्यों हुए..? आपको हिन्दुस्तान की खबर से इतनी खुशी क्यों हुई…?

मे उसके सवाल पर गड़बड़ा गया… ग़लती से मेरे मुँह से ये क्या निकल गया…? 

लेकिन फिर बात संभालते हुए बोला- कश्मीर की आज़ादी के लिए हमें हिन्दुस्तान से भी वास्ता तो रखना ही पड़ेगा.. वो मुल्क ही हमारा मददगार साबित हो सकता है..

हमम्म… सो तो है..इतना कह कर उसने मेरे कड़क हो गये मूसल को मसल दिया.

फिर हम तीनों उठकर बेडरूम में आ गये, और अपने-2 कपड़े उतार कर बेड पर कूद पड़े..

अब मे बीच में लेटा था और वो दोनो भूखी शेरनिया मेरे लंड पर टूट पड़ी, 

वो दोनो मेरी तरफ अपनी-2 गान्ड करके बारी-2 से मेरा लंड चूस रही थी और मे उन दोनो की रसीली गान्ड और चुतो को उंगली से खोद रहा था.

लंड अब लिमिट से ज़्यादा शख्त हो गया, तो मैने आईशा को अपने उपर बैठने को कहा और वो अपनी गदर गान्ड रखकर मेरे लंड के उपर बैठ गयी, 

आँखें बंद करके सीसियाती हुई धीरे-2 मेरा पूरा लंड अपनी चूत में निगल गयी.

शाकीना मेरे होठों पर लगी हुई थी और उसका एक हाथ मेरे कड़क हो चुके निप्प्लो को उंगली से कुरेद रहा था. मेरा एक हाथ आईशा की चुचि मसल रहा था, दूसरा शाकीना की गान्ड को सहलाते हुए चूत तक पहुँच जाता.

आईशा मस्ती में चूर मेरे लंड पर बेतहाशा कूद रही थी, हम तीनों ही इस समय वासना की आग में झुलस रहे थे, और जैसे भी संभव हो उसे बुझाने की कोशिश में लगे हुए थे.

10 मिनट में ही आईशा की चूत पानी दे गयी और वो हाँफती हुई सुस्त पड़ गयी. 

अब मैने शाकीना को बेड पर लिटा दिया, और आईशा को घोड़ी बनाकर उसका मुँह 
शाकीना की चूत पर लगाने को कहा और पीछे से उसकी पानी छोड़ चुकी चूत में फिर से अपना मूसल डाल दिया और एक ही झटके में जड़ तक पेल दिया.

आअहह…..हेयईीीईई…अल्ल्लाअहह…सुउुआहह,…मररर…गाइिईई…हान्न्न…फड़दूव…और जोर्र्र.. सी..फाड़ूओ….इसस्स..मु..को.. आह…मज़ाअ…तू…आपके 
साथ..हिी..आअत्टाअ…हाईईइ….

सिसकी के बीच-2 में उसकी जीभ.. शाकीना की चूत को भी चाट लेती.. मे पूरा दम लगा कर आईशा को खुश करने में लगा था, क्योंकि आज उसने भी तो मुझे खुशी दी थी..
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12-19-2018, 02:38 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
15 मिनट धुआधार चुदाई के बाद हम तीनों ही एक साथ झड गये.. और पालग पर लेट कर सुसताने लगे..

रात काफ़ी हो चुकी थी, सो कुछ देर के बाद आईशा ने फ्रेश होकर अपने कपड़े पहने और बोली – शुक्रिया अशफ़ाक़ साब ! अब आप दोनो मज़े करो मे चलती हूँ, और हम दोनो को किस देकर चली गयी.

मे बेडशीट लपेट कर गेट बंद करने के बाद फिर अपनी जान शाकीना के पहलू में आकर लेट गया.

शाकीना – अशफ़ाक़ ! क्या वाकई में आप हिन्दुस्तान की हुकूमत से तालुकात बनाए हुए हैं..? क्या वो हमारी वाकई मदद करेंगे..?

मे – हां ! और कर भी रहे हैं..! क्या तुम्हें नही लगता कि मे अदना सा आदमी तुम सब लोगों की मदद केवल अपने दम पर कैसे कर सकता था..

लेकिन मेरी जान ! इस बात को अपने तक ही रखना..! अपनी अम्मी के सामने भी जिकर मत करना…!

उसने हामी भरी और फिर से हम दोनो एक दूसरे को किस करते हुए एक दूसरे में समाते चले गये. सारी रात शाकीना ना खुद सोई और ना मुझे सोने दिया.

मात्र 3 घंटे की नींद लेकर 7 बजे वो मेरे पास से उठ कर अपने घर चली गयी, और मे फ्रेश होने बाथरूम में घुस गया….!!!

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आज़मगढ़ यूपी का एक छोटा सा शहर, लेकिन बदनामी में सबसे आगे, यहाँ की अधिकतर आबादी मुस्लिम समुदाय है, 

देश को बड़े बड़े नामी गिरामी गॅंग्स्टर इस शहर ने ही दिए हैं.

मुंबई अंडरवर्ल्ड को फलने फूलने में हमेशा ही इस शहर का बड़ा योगदान रहा है…! 

फिर चाहे वो अबू सलेम हो, छोटा राजन हो या फिर दाऊद का दाहिना हाथ छोटा शकील.

शहर के एक सस्ते से होटेल के रूम नंबर. 204 में एक कपल रात के 11 बजे एक दूसरे की बाहों में जिंदगी का मज़ा लूट रहे हैं.

23-24 साल की निहायत खूबसूरत लड़की, जो इस समय मात्र ब्रा और पेंटी में थी, अपने प्रेमी की गोद में मचल रही थी, 

उसकी गदराई हुई जवानी, जो किसी मुर्दे में भी जान डाल दे, अपने प्रेमी के होठों से रस निकालने में लगी हुई थी.

उसकी आँखें वासना के कारण लाल सुर्ख हो चुकी थी, मध्यम कद काठी और रंगत वाला ये युवक जो इस समय मात्र अपने अंडरवेर में था उस लड़की के गदराए यौवन से खेल रहा था. 

लड़की की दोनो टाँगें सोफे पर बैठे उसके साथी की कमर में लिपटी हुई थी और मादक सिसकियाँ लेती हुई वो अपनी गान्ड उसके लंड के उपर रगड़ रही थी, मानो वो अपनी गान्ड से उसके लंड की मालिस कर रही हो.

जब युवक ने उसके होठों को चुसते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में ठूंस दी, तो उसने उसकी ज़ीँभ को अपने दाँतों के बीच दबा लिया और खुद भी उसकी जीभ को अपनी जीभ के साथ भिड़ाने लगी.

लड़की का साथी अब उसको गोद में उठाए हुए पलंग की ओर चल दिया और पलग के पास पहुँच उसे उपर से ही पटक दिया, और खुद उसके उपर चढ़ गया, 

पहले उसने उसके ब्रा को पकड़ के खींच दिया, चर्र्र्र्र्ररर.. की आवाज़ के साथ उसके ब्रा के हुक उसकी ब्रा की बॅक को फाड़ते चले गये, उसने उसके चार अंगुल से भी छोटे ब्रा को कमरे के एक कोने में उछाल दिया.

उसके 34डी साइज़ के गोरे-चिट्टे सुडौल बूब्स उच्छल कर थर-थराते हुए जैसे ही उसके सामने आए, वो उनपर भूके कुत्ते की तरह टूट पड़ा और अपने मुँह में भरके चूसने लगा, 

कभी उसकी निपल्स को दाँतों से काट लेता तो वो जोरदार चीख के साथ उच्छल पड़ती.

अब उस लड़के ने अपनी साथी लड़की की पेंटी भी फाड़ दी और उसे भी दूर उछाल दिया.

लड़की भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, झट से बैठी और उसने भी उसके अंडरवेर को फाड़ डाला, उसका 8” का तगड़ा मोटा सोटा सा लंड देखते ही वो उस पर भूखी बिल्ली की तरह टूट पड़ी और उसे अपने मुँह में भर लिया.

लड़के का थोबड़ा उपर को उठता चला गया और आँखें बंद करके उसने उस लड़की के मुँह को अपने लंड पर दबा दिया…

आअहह…. नुसरत….मेरी जानन्न….चूस इसको हरम्जादि…कुतिया.. खाजा मेरे लंड को साली रंडी…

वो लड़की उपर को मुँह करके लड़के की आँखों में आँखें डालते हुए पूरे लंड को मुँह में भरने की कोशिश कर रही थी, लाख कोशिशों के बबजूद भी वो उसका 3/4 लंड ही मुँह में ले पा रही थी.

थोड़ी ही देर में उस लड़के की कमर ने जोरदार झटका खाया और उसने अपने हाथ से उसका मुँह अपने लंड पर दबा दिया जिससे उसका टोपा उसके गले में फँस गया और सीधी पिचकारी उसके पेट में उतार दी.

जबतक वो पूरी तरह निपट नही गया उसने उसका सर नही छोड़ा, नुसरत की आँखें उबल पड़ने को तैयार थी, 

जैसे ही उसने उसके सर से अपना दबाब हटाया, वो लड़की खो-खो करके खांसने लगी और लंबी-2 साँसें लेकर बोली-

ओह शकीब तुमने तो मुझे मार ही डाला था, ऐसे भी कोई करता है..? पूरे जंगली हो तुम तो.

शकीब ने उसके होठ चूस कर उसको सॉरी बोला, और उसे कंधे पकड़ कर पलंग पर धकेल दिया, अब उसकी बारी थी, तो वो उसको चूमते चाटते हुए नीचे तक आया और फिर उसने भी उसकी चूत पर हमला बोल दिया.

जैसे ही उसने उसकी चूत को जीभ से चाटा नुसरत की सिसकियाँ फ़िज़ा में गूंजने लगी, अब वो उसके चूत के उपरी भाग को जीभ से चाट रहा था और अपनी उंगली से उसके छेद में डाल कर अंदर बाहर करने लगा.

नुसरत अपनी कमर हवा में झुलाते हुए सिसकिया ले रही थी..अब शकीब ने एक की वजाय दो उंगलिया उसकी चूत में डाल दी और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा, साथ ही अपनी जीभ और होठ के बीच उसके भज्नासा को पकड़ कर चूसने लगा.

5 मिनट में ही वो एक जोरदार किल्कारी मारती हुई उसके मुँह पर झड़ने लगी और अपना सारा रस उसको चटा दिया.

थोड़ी देर वो दोनो एक दूसरे के बगल में लेट कर एक दूसरे को चूमते-चाटते रहे, 

उसके बाद शकीब उसकी टाँगों के बीच बैठा और अपने मूसल जैसे लंड को उसकी रस से सनी चूत पर रख कर रगड़ने लगा. 

आहह… शकीब अब डाल भी दो इसे और कितना घिसोगे… तो उसने अपने लंड का सुपाडा उसके छेद पर रखा और एक तगड़ा सा झटका अपनी कमर को दिया..

सर्र्र्ररर…. से उसका तीन-चौथाई मूसल उसकी चूत में समा गया… नुसरत के फरिस्ते कून्च कर गये और उसके मुँह से एक लंबीईइ…सी चीख निकल गयी…

आईईई…….अम्मिईीई…. माररर डाला… भोसड़ी के धीरे से नही डाल सकता था, मदर्चोद….

उसके मुँह से गाली सुन कर शकीब ने एक और जोरदार झटका मारा और पूरा लंड उसकी चूत में चेंप कर बोला…

साली रंडी की औलाद गाली देती है मदर्चोद ले मेरा लॉडा खा… अब देख भेनचोद साली रंडी, कैसे मे तेरी चूत को आज फाड़ कर भोसड़ा बनाता हूँ..
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12-19-2018, 02:39 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
आहह… हरामी साले तू क्या मेरी चूत का भोसड़ा बनाएगा… लगा ले जितनी तेरी गान्ड में दम हो सब… देखती हूँ कितना दम है तुझमें बेहन के लौडे…

ऐसी ही एक दूसरे से गाली गलौज करते हुए वो दोनो चुदाई का फुल मज़ा ले रहे थे, बीच-2 में शकीब उसके गोरे-गोरे गालों पर तमाचे भी मार देता…

कुछ देर बाद उसने उसको घोड़ी बना दिया और पीछे से ताबड़तोड़ उसकी चूत का भोसड़ा बनाने की कोशिश में जुट गया.

इस दौरान नुसरत एक बार अपना कुलाबा खोल चुकी थी, लेकिन उसने अपने उत्तेजना में कोई कमी नही आने दी, और वो अपने गान्ड को पीछे धकेल-2 कर उसके लंड पर अपनी चूत को पटक-2 कर चुदती रही.

आख़िरकार 20-25 मिनट की दमदार चुदाई के बाद दोनो एक साथ झड गये और एक दूसरे के बगल में लेट कर लंबी-2 साँस लेने लगे.

अभी वो अपनी साँसें ठीक से कंट्रोल भी नही कर पाए थे कि शकीब का मोबाइल चीख उठा, और पड़े-2 ही उसने अपना फोन उठाया, 

जैसे ही स्क्रीन पर नाम देखा वो फ़ौरन उच्छल कर खड़ा हो गया, चुदाई की खुमारी ना जाने कहाँ गायब हो गयी और उसके चेहरे पर संजीदगी नज़र आने लगी…………….!!!

शकीब ने बड़ी संजीदगी से कॉल पिक की और बोला – हेलो भाई ! सलाम बलेकुम..!
दूसरी तरफ से क्या कहा गया…? हमको कुछ पता नही.. 

वो बस सामने वाले के जबाब में जी, जी भाई, बेहतर, बिल्कुल, अभी निकलते हैं भाई.. बस ऐसे ही कुछ जबाब देने के बाद उसने फोन पर सामने वाले को खुदा हाफ़िज कहा और फोन बंद करते ही नुशरत की नंगी गान्ड पर एक चपत लगाई और उसको तैयार होने का बोल कर खुद ने भी पलंग से छलान्ग लगा दी और बाथरूम में घुस गया.

आधे घंटे में ही वो दोनो एक-एक बॅग हाथ में पकड़े हुए होटेल के बाहर आए और एक टॅक्सी में बैठ कर लखनऊ की तरफ जाने वाले रोड पर निकल पड़े. 
……………………………………………………………………….

चौथे दिन शाम 7:30 – 8 बजे के करीब एक सफेद रंग की टाटा इंडिगो, मुंबई से बड़ोदा हाइवे पर भागी चली जा रही है…

आओ चलो देखते हैं इसमें कॉन-कॉन हैं…? अरे ये क्या, इसमें तो वो आज़मगढ़ के होटेल वाले कपल हैं, जिनकी मस्त-2 चुदाई का हम उस दिन मज़ा ले चुके हैं, 

अरे ! लेकिन इनके साथ ये दो और लोग कॉन हैं ड्राइवर के अलावा…?

देखते हैं ये कहाँ और क्या करने जा रहे हैं, चलो इनकी बात-चीत का मज़ा लेते हैं, हो सकता है शायद कोई गरमा-गरम सीन देखने को भी मिल जाए..?

वाउ ! आज तो मामला एक दम उल्टा ही नज़र आ रहा है, शकीब तो ड्राइवर के बगल वाली सीट पर आगे बैठा है, और ये दोनो अजनबी पीछे की सीट पर नुसरत को बीच में बिठाकर उसके साथ मज़े कर रहे हैं…!

इनमें से एक उसके होठों को चूस रहा है साथ-2 उसकी चुचियों को भी मसल रहा है, दूसरा उसकी चूत को मसल रहा है और साथ-2 अपने साइड वाली चुचि को मसल रहा है, नुसरत जहाँ भी उनकी हरकतों का भरपूर जबाब देते हुए उन दोनो के लंड मसलती जा रही है.

ड्राइवर ये नज़ारा बॅक मिरर से देखकर गरम हो रहा है और बीच-2 में अपने खड़े हो चुके लंड को अपने पाजामे में अड्जस्ट कर लेता है.

दूसरी तरफ शकीब अपनी सीट पर पीछे मुड़कर उनकी रासलीला का लुफ्त उठा रहा है और उनके साथ बात-चीत भी करता जा रहा है..

शकीब – भाई जान ! आख़िर फाइनल प्लान क्या है.. आज रात का..??

उनमें से एक जो नुसरत के होठों का रस निकाल रहा था, बालों को पकड़ कर उसके सर को पीछे करता है और अपने होठों को उसकी गिरफ़्त से दूर करते हुए उसने शकीब से पुछा- अहमदाबाद हम कितने बजे होंगे..?

शकीब – यही कोई 3 - 3:15 को हम वहाँ पहुँच जाएँगे..

वो – हमारी जानकारी के मुतविक वो ***मंत्री सुबह-2 अपने बंगले के गार्डन में टहलता है, उसी समय हम गेम बजा देंगे ..

उस साले की वजह से हमारे ना जाने कितने प्लान चौपट हुए हैं इस राज्य में, यही नही इसकी वजह से हमारे कितने ही लोगों को जान माल का नुकसान उठाना पड़ा है. 

लगभग इस राज्य से हमारा अस्तित्व ही ख़तम कर चुका है ये *** मंत्री. अब इसका मरना हमारे लिए बहुत ज़रूरी हो गया है.

इनकी ये बातें सुन कर तो हमारी गान्ड की फटफटी चलने लगी, बाप रे ! तो इसका मतलब ये साले आतंकवादी हैं…! और ये *** मंत्री को मारने जा रहे हैं…! अब क्या करें..?

अभी हमारी फटती बंद भी नही हुई थी, कि तभी हमारी नज़र इस गाड़ी के पीछे-2 करीब 500 मीटर की दूरी पर आ रही एक टाटा सफ़ारी पर पड़ी जिसमें 4 लोग सफ़ारी सूट पहने हुए बैठे थे.

इस समय लगभग 11 बज चुके थे और ये लोग वॅल्सा क्रॉस करके नवसारी पहुँचने वाले थे, सफ़ारी में बैठे बन्दो में से एक ने अपने मोबाइल से किसी को कॉल किया और अपनी स्थिति बताई.

उन दोनो बन्दो की हरकतों से नुसरत इतनी गरम हो चुकी थी कि अब उसकी चूत लगातार लार टपका रही थी, अब उसे जल्दी ही किसी लंड की दरकार थी, 

सो उसने साइड में बैठे उस बंदे जो शायद इनका लीडर था, का पाजामा खोल दिया और अपनी भी पाजामा और पेंटी घुटनों तक करके, उसकी गोद में अपनी चूत को उसके लंड पर रख कर बैठने लगी.

सरसराता हुआ उसका मोटा तगड़ा मूसल जैसा लंड उसकी गीली चूत में जड़ तक समा गया, जैसे ही उसका सुपाडा उसकी बच्चेदानी के मुँह से टकराया, उसके मुँह से सिसकी निकल पड़ी और वो आँखें बंद करके उसके लंड की मालिस करने लगी…

अभी वो ढंग से पूरे लंड का मज़ा अपनी चूत में ले भी नही पाई थी कि दूसरे बंदे ने अपनी मोटी उंगली उसकी कसी हुई गान्ड के छेद में डाल दी…
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12-19-2018, 02:39 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
हइई…. अल्लहह… मरररर… गयी….. और अपना हाथ पीछे लेजा कर उस बंदे की कलाई पकड़ ली…मानो वो उसको रोकना चाहती हो अपनी गान्ड में उंगली करने से…

लेकिन नही ! ऐसा कतयि नही हुआ उल्टा उसने उसके हाथ को और ज़ोर्से पानी गान्ड पर दबा लिया और अपनी कमर को और तेज-2 लंड पर पटकने लगी.

उस दूसरे बंदे ने अपनी उंगली उसकी गान्ड से निकाली और नुसरत के मुँह में डाल दी, वो बड़े मज़े से चटकारे ले-लेकर उसे चूसने लगी.

अब वो बंदा जो अपना लंड उसकी चूत में डाले था, गाड़ी की सीट पर लेट गया और नुसारत अपनी छूट लेकर उसके लंड पर बाथगाई और उसके होठों को चुस्ती हुई कमर चलाने लगी.

ओमाइगॉड ! ये क्या ? वो दूसरे बंदे ने भी अपना पाजामा घुटनों तक किया और अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और नुसरत की गान्ड में डाल दिया..

गाड़ी के बंद ग्लासों में नुसरत की एक तेज चीख घुट कर रह गयी, और उसकी कमर का चलना थम सा गया, उस बंदे ने धीरे-2 करके अपना पूरा लंड उसकी गान्ड में पेवस्त कर दिया.

नुसरत को लगा जैसे किसी ने उसकी गान्ड को दो भागों में चीर दिया हो. 

दर्द से उसका हाल बहाल था, दोनो को लगा जैसे उनके लंड आपस में भिड़ गये हों..! 

लेकिन ग़ज़ब की सहनशक्ति दिखाते हुए वो दोनो लंड अपने दोनो छेदों में निगल गयी.

अब धीरे-2 उपर- नीचे से धक्के देना शुरू हुए, थोड़ी ही देर में वो जन्नत में पहुँच गयी मानो, उसको आज डबल मज़ा आने लगा था. 

आज उसके दोनो छेदों की खुजली एक साथ मिट रही थी.

दोनो ही बंदे उसको हमच-2 कर चोद रहे थे. 

वो भी अपनी मादक सिसकारियों से उनके जोश को और बढ़ावा दे रही थी. 

जब 20 – 25 मिनट के बाद तूफान थामा तो वो तीनों ही पीछे की सीट पर एक दूसरे से गुथे हुए पड़े रह गये….!

1:30 को उन्होने बड़ोदा- अहमदाबाद एक्सप्रेसवे टोल नाके से टोल लिया और गाड़ी आगे बढ़ा दी, तब तक दूसरे गेट पर वो सफ़ारी आकर रुकी और टोल कटाने लगी.

अभी सफ़ारी टोल ले ही रही थी कि उससे पहले एक लाल कलर की स्कॉर्पियो जो पहले से ही यहाँ खड़ी थी वो उस इंडिका के पीछे लग गयी, अब इंडिका आगे उसके कोई 300 मीटर की दूरी पर वो स्कॉर्पियो और उसके पीछे-2 वो सफ़ारी आ रही थी.

आओ देखते हैं स्कॉर्पियो में कॉन-2 हैं.. ?

अरे वाउ ! इसकी अगली सीट पर तो सादे कपड़ों में अपनी एसीपी ट्रिशा है, और पीछे उसके 4 स्टाफ के लोग. 

अब हमें कुछ तसल्ली सी हुई कि ख़तरा टलने की उम्मीद दिखाई दे रही है.

रात के सन्नाटे में खाली रोड वो भी शीशे के माफिक चमचमाता हुआ अहमदाबाद – बड़ोदा एक्सप्रेसवे, जो शायद देश का सर्वोत्तम हाइवे है, गाड़ियाँ अपनी फुल स्पीड में भागी जा रही थी.

देखते-ही देखते करीब 40-45 मिनट में ही एक्सप्रेसवे ख़तम हो गया और अब वो रिंग रोड से होते हुए गाँधीनगर की तरफ जा रहे थे.

अभी कोई पौने तीन का वक़्त हुआ होगा, और वो लोग रिंग रोड को छोड़ गाँधी नगर वाले रोड पर मूड गये, करीब आधा किमी ही गये होंगे कि सामने से रोंग साइड से एक तेज रोशनी में नहा गये. 

अचानक तेज रोशनी आँखों पर पड़ने से इंडिका की स्पीड कम पड़ गयी, सामने वाली गाड़ी ठीक उसकी लाइन में ही तेज़ी से बढ़ी चली आ रही थी.

अभी वो इस मुसीबत से बचने के लिए अपनी लाइन चेंज करने की सोच ही रहा था कि तभी सन्नाटे को चीरती हुई एक गोली की आवाज़ हुई.

भाड़ामम्म… से इंडिका का पीछे का एक टाइयर ब्रस्ट हो गया, गाड़ी रोड के उपर लहराने लगी और लहराते हुए ही सामने से आरहि गाड़ी की ओर बढ़ने लगी.

तभी सामने की गाड़ी से एक गोली चली और उस ड्राइवर का भेजा तोड़ते हुए निकल गयी. 

बिना ड्राइवर की गाड़ी डिवाइडर से जा टकराई और पलतियाँ मारती हुई दूसरे साइड के रोड पर दूर तक घिसती हुई चली गयी.

वो तीनों गाड़ियाँ भी वहाँ आकर रुक गयी और आनन फानन में सभी बाहर लोग निकले, 

सबके हाथों में गन्स थी, सबसे आगे सामने वाली गाड़ी से उतरने वाला ऑफीसर जो कोई और नही *** मंत्रीजी का स्पेशल सेक्यूरिटी ऑफीसर था.

उसके पीछे-2 एसीपी ट्रिशा और बाद में दूसरे लोग जो कुलमिलाकर 10 तो थे ही. 

अभी वो डिवाइडर पर खड़े फूलों वाले पेड़ों तक ही पहुँचे थे की इंडिका की आड़ से गोलियों की एक बाढ़ सी निकली, इससे पहले की कोई कुछ समझे, एक गोली ट्रिशा के लेफ्ट कंधे में घुस गयी. 

उसके बदन में आग सी भरती चली गयी मानो.

लेकिन उसने इसकी कोई परवाह नही की और अपनी पोज़िशन लेली. 

दूसरी तरफ से अब रह-रह कर गोलियाँ चल रही थी, जो कुछ तो गाड़ी के बिल्कुल पास से आ रही थी और कुछ थोड़ा दूर से.

इसका मतलब वो लोग बच निकलने की कोशिश कर रहे हैं.

ट्रिशा ने अपने पीछे आ रहे अपने दो मात हतों को अपने पीछे आने का 
इशारा किया और एक लंबा सा राउन्ड लेकर लेट कर लगभग घिसते हुए रोड क्रॉस करलिया.

अब वो तीनो रोड के दूसरी साइड में खड़े पेड़ों के पीछे पहुँच चुके थे जिधर वो आतंकवादी थे, वो उन्हें अच्छे से दिखाई दे रहे थे.

धीरे-2 पेड़ों की आड़ लेते हुए वो उनकी ओर बढ़ने लगे. वो तीन लोग थे जो धीरे-2 पीछे की तरफ रेंगते हुए निकल भागने की कोशिश कर रहे थे, 

लेकिन सामने से लगातार गोलियों की आबक के कारण निकल नही पा रहे थे.

शायद वो लड़की आक्सिडेंट में या तो मारी जा चुकी थी या फिर अभी-भी वहीं गाड़ी के नीचे दबी पड़ी थी.

उनमें से एक बंदा जल्दी से पीछे को लपका, और जैसे ही वो खड़ा होकर पलटा, 

अपने सामने तीन यमदूत हाथों में गन लिए खड़े दिखे, अभी वो हैरत से उन्हें देख ही रहा था कि एक गोली उसका भेजा उड़ाते हुए निकल गयी.

वो दोनो बचे हुए आतंकी अपने पीछे से आई गोली की आवाज़ सुनकर पलटे और अपने साथी को ज़मीन पर पड़ा देखकर उन्होने अपनी गनों का रुख़ ट्रिशा और उसके साथियों की तरफ किया ही था कि अनगिनत गोलियाँ उन दोनो के शरीर में घुस गयी…..!!

सुबह होते ही, ये खबर आग की तरह पूरे देश में फैल गयी….! 

कुछ मानवाधिकार के ठेकेदारों ने इसको नेगेटिव रूप देने की भी कोशिश की, लेकिन इस सबके उलट दूसरी शाम स्टेट होम मिनिस्ट्री को पूरी रिपोर्ट सौंपी गयी जिसे खुद एसीपी हॅंड ओवर करने सचिवालय पहुँची.

कंधे में गोली लगने के बावजूद भी वो हॉस्पिटल में बस कुछ ही देर रही, जितने समय में उसकी गोली निकाल कर फर्स्ट एड दिया गया….

वहाँ उनका भव्य स्वागत किया और खुद राज्य के *** मिनिस्टर ने उनकी भूरि-2 प्रांशा की, क्योंकि इस कार्यवाही में खुद उनका स्पेशल सेक्यूरिटी ऑफीसर इन्वॉल्व था जिसने इस मिसन का पूरा क्रेडिट एसीपी को ही दिया.

एसीपी ट्रिशा को प्रोमोट करके पड़ोसी डिस्ट्रिक्ट का अडीशनल कमिश्नर ऑफ पोलीस बना दिया गया.

दूसरी ओर सीमा पार के दुश्मनों का ये भी प्लान बुरी तरह फैल होने के कारण वहाँ की हुकूमत और उसके चट्टे-बट्टे अपने-2 बाल नोंच रहे थे. 

खालिद इस बात पर सोचने को मजबूर हो गया कि आख़िर ऐसा हो कैसे रहा है, एक के बाद उसका एक पासा उल्टा ही क्यों पड़ रहा है.

अब वो ज़रूरत से ज़्यादा चौन्कन्ना हो गया था, इसलिए मैने शाकीना को कुछ दिनो के लिए उसकी जासूसी ना करने की हिदायत दे दी थी.
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12-19-2018, 02:39 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
समय गुज़रता रहा दोनो देशों के बीच रिस्ते सुधारने के प्रयास होते रहे जो मेरे हिसाब से मात्र दिखावा ही था, खास तौर से पाकिस्तान की तरफ से.

कुछ दिनो बाद वहाँ फ़ौजी हुकूमत के खिलाफ राजनीतिक पार्टियों और अवाम ने मोर्चा खोल दिया और मजबूरन उन्हें एलेक्षन में जाना पड़ा और नतिजन एक नयी डेमॉक्रेटिक सरकार बन गयी.

लेकिन हिन्दुस्तान के लिए उनकी नीतियों में कोई बदलाव ना आना था और ना ही आया. 

आते ही ये सरकार भी बात-चीत के नाम पर कश्मीर का राग अलापति रहती, जो कि हिन्दुस्तान की नाक है.

समय जैसा चल रहा था वैसे ही चलता रहा… छिट - पुट घटनाओं को छोड़ कर ऐसा कोई वाकीया नही हुआ जो लिखने लायक हो.

पाकिस्तान में फौज के अत्याचार थोड़े कम हो गये थे, लेकिन दहशतगर्दी का आलम अभी भी बदस्तूर जारी ही था.

सीमा पर आतंकवादियों की घुस पेठ के प्रयास बदस्तूर जारी रहे, जिसमें पाकिस्तानी फौज उनकी मदद करती रहती, 

आए दिन सीेज़फाइयर का वाइयोलेशन होता रहता जिसका हिन्दुस्तान की बीएसएफ माकूल जबाब देती रहती.

फिर एक दिन ऐसा आया कि जिसने मेरी पूरी जिंदगी को हिला कर रख दिया…..
एक दिन शाम को मे सोफे पर बैठा शाकीना के आने का इंतजार कर रहा था, रात के 9 बज गये, लेकिन वो नही आई,

मैने उसके घर पता किया वहाँ भी नही लौटी थी. 

मुझे उसकी फिकर सताने लगी, मन में बुरे-2 ख़याल आना शुरू हो गये, 

उसका फोन ट्राइ किया तो वो स्विच ऑफ आ रहा था, सोच में पड़ गया कि अब मे करूँ तो क्या करूँ. 

दिमाग़ का दही होता जा रहा था इंतजार करते-2, 10 बज गये लेकिन ना उसका फोन आया और ना वो ही आई.

भय और उत्तेजना मेरे उपर हाबी होती जा रही थी, इतनी फिकर आज तक मैने किसी की भी नही की थी, जितनी मुझे आज शाकीना की हो रही थी…!

ये लड़की मेरे दिल की गहराइयों में उतर चुकी थी…, और हो भी क्यों ना, आँख मूंद कर भरोसा जो किया था उसने मेरे उपर…

मैने एक बार और उसका फोन ट्राइ किया तो इस बार रिंग बजने लगी, 4-5 बार रिंग बजने के बाद उधर से फोन पिक कर लिया गया.

फोन पिक करते ही उधर से एक मर्दाना आवाज़ सुनाई दी – हेलो कॉन..?

मे – हेलो ! ये शाकीना का नंबर ही है ना..? 

उधर से – हां ! ये उसी का नंबर है, आप कॉन ?

मे उनका दोस्त बोल रहा हूँ, वो अभी तक घर नही लौटी, उसकी अम्मी चिंता कर रही है, 

आप बता सकते हैं वो अभी तक क्यों घर नही पहुँची और उसका फोन आपके पास कैसे है..?

उधर से – मे यहाँ का सेक्यूरिटी ऑफीसर बोल रहा हूँ, वो अभी साब के साथ बिज़ी है, और उनके ऑफीस में किसी का पर्सनल फोन ले जाना अलाउ नही है. 

मे – लेकिन रात के 10 से उपर का वक़्त हो गया, इस वक़्त आपके साब को उससे क्या काम पड़ गया, जो अभी तक पूरा नही हुआ..?

उधर से – ये हम नही बता सकते…! और ना ही हमें जानने की पर्मीशन है..! 

मे – लेकिन वो उनके पास कब्से है ? इतना तो बता सकते हो…!

उधर से – वो शाम 6 बजे से ही उनके पास है…! ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नही है, सुबह तक घर पहुँच जाएगी, 

उसकी अम्मी को खबर कर देना…! इतना बोलकर उधर से फोन कट हो गया.

मे अपना सर पकड़ कर बैठ गया, साला जिस बात का डर मुझे और शाकीना को सता रहा था वही हुआ, आज खालिद की वासना आख़िर हाबी हो ही गयी.

या ऐसा तो नही कि उसका भेद खुल गया हो..? अगर ऐसा हुआ तो…सोचकर मेरी रूह काँप गयी…!

फिर उस सेक्यूरिटी ऑफीसर के शब्द याद आए, कि सुबह तक घर पहुँच जाएगी…, 

इसका मतलब वो इस समय मुसीबत में है, ज़रूर खालिद उसके साथ मनमानी कर रहा होगा…

बहुत देर तक मे यूँही सोच में डूबे हुए बैठा रहा, आख़िर में मैने एक कड़ा फ़ैसला ले ही लिया, 

अब खालिद से सीधे-2 टकराने का समय आ ही गया था.

मैने अपना सब ज़रूरी समान पॅक करके एक बॅग में डाला, 
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12-19-2018, 02:39 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
खालिद के ऑफीस के एक दो मुख्य-2 सिक्यॉरटी वालों के फेस मास्क जो मैने बनवाके रखे थे वो लिए, 

उसके सेक्यूरिटी गार्ड की यूनिफॉर्म पहन कर अपनी बाइक लेकर निकल पड़ा.

हेड क्वॉर्टर से पहले ही मैने अपने बॅग और बाइक को एक सेफ जगह देख कर छुपा दिया और मेन गेट से हटके वहाँ का जयजा लेने लगा.

हेड क्वॉर्टर मेन रोड से हटकर कोई 500 मीटर अंदर एक सिंगल रोड से कनेक्टेड था. 

थोड़ी देर वहीं छिप्कर बैठा में आस-पास की गति विधियों का जायज़ा लेता रहा, 

लेकिन ऐसी-वैसी कोई हल-चल नही दिखी जिससे कोई अनुमान लगाया जा सके कि अंदर 
कुछ अनहोनी जैसी घटित हुई हो. 

कोई आधा घंटा मे ऐसे ही पड़ा रहा और फिर मेन गेट की तरफ बढ़ने लगा.

मेन गेट से लेकर रोड के दोनो तरफ घने उँचे पेड़ों की कतार जैसी मेन रोड तक थी, 

मे उन्ही पेड़ों की आड़ लेता हुआ मेन गेट के करीब तक पहुँच गया. 

अभी मे और आगे कुछ करता कि तभी मैने एक गाड़ी की हेड लाइट को मेन रोड से इस रोड पर मुड़ते देखा.

मे तुरंत ऐसी जगह छिप गया जहाँ हेडलाइट ना पड़ सके. 

देखते-ही देखते एक जीप मेरे सामने से गुज़री, जिसमें मात्र एक ड्राइवर और उसके बाजू में बैठा एक सेक्यूरिटी गार्ड ही था.

जीप मेन गेट पर आकर रुकी और उसमें से वो गार्ड निकल कर गेट की तरफ बढ़ा, 

सही मौका देखकर में उस जीप के नीचे सरक गया और दोनो व्हील के बीच के एक्सल को पकड़ कर चिपक गया.

थोड़ी ही देर में वो जीप गेट से होकर बिल्डिंग के अंदर चली गयी और आगे के लॉन से गुजरती हुई मेन बिल्डिंग के पोर्च में जाकर रुकी.

थोड़ी देर मे यूँही उससे चिपका रहा, कुछ मिनटों में जीप फिर आगे बढ़ी और घूम कर साइड में बने पार्किंग की ओर बढ़ गयी.

पार्किंग में जीप खड़ी होते ही मे उसके नीचे से निकला अभी वो ड्राइवर जो खुद भी एक सेक्यूरिटी गार्ड ही था, 

वो जीप से उतर कर बिना उसकी चाबी निकाले एक तरफ को बने अपने क्वॉर्टर की तरफ बढ़ गया. 

इस समय रात के 11:30 का समय हो रहा था, चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुया था, 

इक्का-दुक्का सेक्यूरिटी गार्ड इधर-उधर खड़ा बीड़ी फूँक रहा था. 

समय बर्बाद ना करते हुए मैने अपने कपड़ों में से एक मास्क निकाला जो उसके सेक्यूरिटी चीफ का था, पहना और ऑफीस के मुख्य गेट की तरफ चल दिया.

चीफ की आवाज़ मे फोन पर सुन ही चुका था, आवाज़ बदलने की अपनी कला का उपयोग मे भली भाँति करना जानता था.

गेट पर एक गार्ड खड़ा था, मुझे देखते ही वो कुछ चोन्का फिर सलाम करते हुए उसने मेरे लिए गेट खोल दिया.

मैने उसको पुछा, अभी जो गार्ड बाहर से आया था वो किधर गया, उसने मेरी तरफ आशंका भरी नज़रों से देखा, 

मैने उसे झिड़कते हुए पुछा- जबाब क्यों नही देते…?

उसने हड़वाड़ाकर अपनी उंगली उठाकर एक तरफ को इशारा कर दिया.. 

मे बिना कुछ बोले उस तरफ को जाने वाली गॅलरी में बढ़ गया..

गॅलरी के दोनो तरफ लाइन से कमरे बने हुए थे, अभी मे गॅलरी में कुछ ही दूर चला था कि सामने से किसी के आने की आहट सुनाई दी, 

मे झट से एक पास के ही कमरे में घुस गया और आने वाले की आहट लेने लगा.

ये वही गार्ड था जो उस जीप से आया था, जैसे ही वो मेरे वाले गेट से आगे बढ़ा मैने पीछे से निकल कर उसे आवाज़ दी…
मे – आए सुनो…!

वो अपने चीफ की आवाज़ सुन कर पलटा, लेकिन अपना नाम मेरे मुँह से ना सुन वो पहले चोन्का फिर बोला – जी जनाब..!

मे – इधर इतनी रात गये कहाँ से आ रहे हो..?

वो बुरी तरह चोन्कते हुए बोला - क्या जनाब ! आपको नही पता मे कहाँ से आ रहा हूँ..?

मे उसके सवाल पर गड़बड़ा गया… लेकिन फिर बात संभालते हुए बोला – नही वो मेरे दिमाग़ से निकल गया था, 

वैसे तुम्हें तो बाहर भेजा था ना, फिर इधर से कहाँ से आ रहे हो ?

वो – बाहर से तो कब से लौट आया जनाब ! और खालिद साब का डिन्नर भी उनके ऑफीस में पहुँचा दिया, अभी वहीं से आ रहा हूँ.

मैने मन ही मन सोचा, तो ये उसका डिन्नर लेने गया था, फिर प्रत्यक्ष में अपने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए पुछा – अभी खालिद साब क्या कर रहे हैं..?

वो हंसते हुए बोला - अरे जनाब ! वो अपनी नयी माशुका को मनाने में लगे हैं, ताकि उसे खाना खिला सकें, 

लेकिन पता नही वो क्यों बेसूध सी पड़ी है, उनकी बात ही नही सुन रही, पता नही क्यों इतनी ड्रामेबाज़ी में लगी हुई है..

मे – वैसे वो ठीक तो है या जनाब ने उसे कुछ ज़्यादा ही…. मे अपनी बात अधूरी छोड़कर हँसने की आक्टिंग करते हुए बोला..

वो- पता नही जनाब मुझे तो वो कुछ बेहोशी जैसी हालत में लगी.

मैने कहा ठीक है तुम अपना काम करो, कुछ होगा तो खबर करता हूँ..

वो – जी जनाब ! बेहतर और इतना बोलकर वो वहाँ से चला गया…, उसके जाते ही मैने राहत की साँस ली…

मे कुछ देर वहीं सोच में डूबा खड़ा रहा फिर सर को झटक कर उसी तरफ बढ़ गया जिधर से वो आया था.

आगे जाकर वो गॅलरी दो तरफ को जाती थी, अब मे वहीं खड़ा सोचने लगा कि किधर जाउ..? 

सारे कमरे या तो बंद थे या फिर अंधेरे में डूबे हुए थे.

कुछ सोच कर मे एक तरफ को बढ़ गया, भाग्यवस थोड़ा आगे जाते ही मुझे एक कमरे में रोशनी का एहसास हुआ और किसी के बड़बड़ाने की आवाज़ें सुनी.
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12-19-2018, 02:39 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मे उस कमरे के सामने पहुँचा, कमरे के शानदार गेट पर खालिद के नाम की प्लेट लगी थी, शक की अब कोई गुंजाइश ही नही थी, ये वही कमरा था.

मैने दरवाजे पर हाथ रखकर हल्का सा दबाब दिया, दरवाजा खुला हुआ था, ये दूसरा सौभाग्य था मेरे लिए,
मैने धीरे से उसे पुश किया और थोड़ी सी झिरी बनाकर अंदर का जायज़ा लेने लगा.

अंदर का दृश्य देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी और मारे गुस्से के मेरी आँखें और कान लाल हो गये मेरी मुत्ठियाँ अपने आप कस गयी,

गुस्से से मेरा चेहरा भट्टी की तरह धधकने लगा….!

दरवाजे में जगह बना कर मैने जैसे ही अंदर झाँका, मेरी नज़र सामने सोफे पर बेसूध पड़ी शाकीना पर पड़ी, 

उसके शरीर पर कपड़े का एक रेशा तक नही था, 

जगह-2 नोचने खसोटने के निशान बने हुए थे जो उसके दूध जैसे बदन पर सॉफ दिखाई दे रहे थे.

उसके बगल की सोफा चेयर पर मात्र अंडरवेर में बैठा खालिद, खाने में लगा हुआ था और साथ में शराब भी पी रहा था, 

उसकी हालत बता रही थी कि वो इस समय कुछ ज़्यादा ही नशे में है..

कमरे का सीन देख कर मेरी आँखें गुस्से से जलने लगी, जी में आया, कि अभी के अभी इस हरम्जादे को शूट कर दूँ, 

लेकिन मेरे विवेक ने काम किया और सोचा - ये तो इसके लिए बहुत आसान सी मौत होगी, और गोली चलते ही, हम यहीं घिर सकते हैं…

इसलिए मैने चुपके से गेट को खोला, अंदर गया और उसे अंदर से लॉक कर दिया.

लॉक करने से हल्की सी आवाज़ हुई तो उसने मेरी तरफ मुड़कर देखा, और नशे के झोंक में दहाडा, - ओये अब क्या लेने आया है यहाँ… जा डिस्टर्ब ना कर.. जाके सो जा.

मे उसकी बात अनसुनी करते हुए उसकी तरफ बढ़ता रहा, और सामने जाकर खड़ा हो गया..

वो शराब का ग्लास होठों से लगा कर चुस्की लेते हुए बोला- कोई काम था..? 

मे – हां जनाब ! काम तो था, और वो भी बहुत ज़रूरी..!

वो – क्या है ? जल्दी बोल और निकल यहाँ से…

मे - आपकी थोड़ी खातिर तबज्ज़ो करनी थी…!

वो नशे की झोंक में ठहाका लगाते हुए बोला – हाहाहा… अरे यार तुम हमारी क्या खातिर तबज्जो करोगे, अब तो हमें अपनी इस जानेमन की खातिर करनी है.

देखो तो कैसी बेसूध पड़ी है, लगता है अब ये सुबह तक होश में आने वाली नही है, 

हमने इसे बहुत समझाया लेकिन ये नही मानी, आख़िरकार हमें वो करना पड़ा जो हम नही करना चाहते थे इसके साथ, 

बहुत कड़क माल थी साली, कितने दिनों से सबर किए हुए थे कि शायद अपनी मर्ज़ी से ही हमारी बाहों में आजाए, 

लेकिन ना जाने किस मिट्टी की बनी थी ये, हर बार किसी मछलि की तरह हाथ से फिसल जाती थी.

आख़िरकार हमें इसे आयेपॉडिस का तगड़ा सा डोज देना ही पड़ा तब जाकर हाथ आई साली, वैसे है बहुत गरम माल. 

वो जैसे जैसे ये सब बातें बताता जा रहा था, मेरे अंदर के गुस्से में इज़ाफा होता जा रहा था, 

जब मेरी बर्दास्त करने की हद समाप्त हो गयी, तो स्वतः ही मेरे गले से गुर्राहट सी निकली - फिर भी तो तू इससे हार ही गया ना सुअर की औलाद…!

वो मेरे मुँह से ये शब्द सुनकर चोंक पड़ा, और अपनी लाल-लाल आँखों से मुझे घूर्ने लगा…!

उसे ये विश्वास ही नही हो रहा था, कि उसकी सेक्यूरिटी के चीफ में इतनी शराफ़त कहाँ से आ गयी, 

कि एक लड़की के उपर हो रहे अनाचार से इस कदर दुखी हो जाए कि अपने ही बॉस से इस तरह बात करने लगे…!

उसे दाल में कुछ कला नज़र आने लगा, वो लड़खड़ा कर खड़ा हो गया और लाल -2 नशे से बोझिल आँखों को जबदस्ती से फाड़ते हुए बोला- क.क.क्या कहा तूने…?

तू इस अदना सी लड़की से हार गया कुत्ते… एक मामूली सी लड़की ने तुझे हरा दिया, रंडी की औलाद..

वो - तू नशे में तो नही है शकील, ये क्या बकवास कर रहा है, जानता नही किससे बात कर रहा है हरम्खोर… मे तेरी खाल खिचवा सकता हूँ.. 

तू ठहर ,… तेरी हिम्मत कैसे हुई मदर्चोद मुझसे इस तरह बात करने की..

इतना कहकर वो लड़खड़ाता हुआ जैसे ही वो मेरी तरफ बढ़ा, मैने फ़ौरन उसका गला अपने हाथ में जकड लिया और अपनी पूरी ताक़त से एक घूँसा उसके थोबडे पर जड़ दिया..

खालिद को इस बात का तो कतयि गुमान नही था, कि मे उसके साथ ऐसा भी कर सकता हूँ…

वो बुरी तरह चिंघाड़ता हुआ दस फुट दूर जाकर गिरा, उसके मुँह से खून निकलने लगा.

खुद को संभालकर वो उठ खड़ा हुआ और अब वो अपने पूरे होशो हवास में दिखने लगा था, 

अब वो समझ चुका था, कि उसके सेक्यूरिटी चीफ के भेष में मे कोई और हूँ, इसलिए अपनी खूनी नज़रों से मुझे घूरते हुए बोला – कॉन है तू..?

मे - तू मुझे अपने लिए मौत का फरिस्ता समझ रंडी की औलाद…, 

तूने इस मासूम लड़की के साथ वहशियात दिखा कर अपनी मौत को दावत दी है हराम्जादे.

वो - तू यहाँ से बचके जाएगा तब ना.. देखता जा मे तेरा क्या हाल करता हूँ.. और इतना कह कर उसने अपने टेबल की तरफ छलान्ग लगा दी,

इससे पहले कि वो उसके दराज को खोल कर उसमें रखे अपने रिवॉल्वर को निकाल पाता, 

मैने हवा में जंप लगाते हुए अपने पैर की ठोकर उसकी टेबल की दराज पर दे मारी.. 

उसका हाथ बुरी तरह से दराज में दबकर रह गया, वो दर्द से चीख पड़ा, उसका वो हाथ बुरी तरह ज़ख्मी हो चुका था.

फिर मैने उसका गला पकड़ कर हवा में उठाया और पूरी ताक़त से फर्श पर दे मारा, 

उसका सर इतनी ज़ोर्से फर्श से टकराया कि वो पीछे से तरबूज की तरह खुल गया.
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12-19-2018, 02:39 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मैने अपना पैर उसके गले पर रख कर दबा दिया, वो कुछ देर मेरे पैर को अपने हाथों से जकड कर हटाने की कोशिश करता रहा, 

उसके गले की नसें फूल गयी, साँसें रुकने लगी…, मुँह से गून..गून..की आवाज़ें निकल रही थी….

फिर उसने अपनी पूरी चेतना समेट कर मेरे पैर को पकड़ कर मुझे पीछे की तरफ धकेल दिया…

मे थोड़ा लड़खड़ा कर पीछे को हटा, इतने में ही वो उठ खड़ा हुआ… और गुर्राते हुए मेरे उपर झपटा…!

मानना पड़ेगा, यौही उसे इतने बड़े ओहदे पर नही बिठाया गया था, बहुत ताक़त और फुर्ती थी खालिद के शरीर में…

हम दोनो किन्हीं दो भैंसॉं की तरह एक दूसरे से भिड़े हुए थे…

मुझे लगा कि समय बर्बाद होता जा रहा है, अब जल्दी ही कुछ करना होगा, 

खालिद के वार मुझे कमजोर करते जा रहे थे…फिर मैने अपनी पूरी आंतरिक शक्ति को इकट्ठा किया, और उसे अपने से दूर उच्छाल दिया…

मैने कुछ देर अपने गले को सहलाते हुए साँसों को इकट्ठा किया, खालिद को लगने लगा कि मे अब उसके मुक़ाबले कमजोर पड़ता जा रहा हूँ…

हालाँकि, वो भी पस्त होता जा रहा था, लेकिन अपने को मेरे उपर हाबी दिखाने की जी तोड़ कोशिश कर रहा था…

खून से लथपथ उसका चेहरा किसी भयवह आदमख़ोर जैसा लग रहा था…

मैने जानबूझकर अपने को थोड़ा सा कमजोर दिखाने की कोशिश की, इसलिए उसने इस बार अपनी पूरी ताक़त से मेरे उपर झपट्टा मारा, 

मे फुर्ती से थोड़ा अपनी जगह से हटा, और उसके पैरो में अड़ंगी लगा दी…, 

वो औंधे मुँह फर्श पर जा गिरा, इतना समय मेरे लिए काफ़ी था…

सो उच्छल कर मे उसकी पीठ पर सवार हो गया, अपना एक घुटना उसकी पीठ पर जमाकर, मैने अपना बाजू उसके गले में लपेट दिया…

घुटने का भरपूर दबाब पीठ पर डालते हुए मैने अपनी पूरी शक्ति से उसके गले को दबाए हुए उसकी गर्दन को उपर उठाता ही चला गया…

मेरे उपर इस समय जुनून सवार था… मुझे ये भी जानने का होश नही था कि उसकी क्या हालत हो रही होगी..

मे उसकी गर्दन को पीछे की तरफ मोड़ता ही चला गया, अंततः एक कड़क की आवाज़ के साथ उसकी गर्दन की हड्डी टूट गयी..

उसके हाथ पैर ढीले पड़ने लगे…

मैने यहीं बस नही की, चीते की फुर्ती से भी तेज उसके उपर से उठा, दोनो टाँगों को पकड़ कर ज़ोर से कमरे में चारों तरफ घुमाया, 

और पूरी ताक़त से उसका सर कमरे की दीवार से दे मारा…

भड़ाक्कक….किसी तरबूज की तरह खालिद की खोपड़ी खुल गयी…

मैने अच्छी तरह उसकी साँसों को चेक किया और जब कन्फर्म हो गया कि अब ये मर चुका है, 

अपने खंजर से उसके लिंग को काट कर एक कोने में फेंक दिया…

अब मुझे यहाँ से जल्द से जल्द शाकीना को लेकर निकलना था सो उसके कपड़े जो इधर-उधर बिखरे पड़े थे, इकट्ठा किए, 

जैसे-तैसे करके उसके बदन में डाले और उसके बेहोश शरीर को कंधे पर लाद कर गेट से बाहर लाया, फिर बाहर से गेट लॉक किया और तेज-तेज कदमों से गॅलरी में बढ़ गया…

गेट पर खड़े गार्ड ने सवाल किया – अरे जनाब इसे क्या हुआ ..??

मैने फ़ौरन से भी पेस्टर जबाब दिया, इसकी हालत ज़्यादा खराब है, अभी हॉस्पीटल ले जाना पड़ेगा…

फिर उसने आगे कोई सवाल नही किया और मे उसके बेहोश शरीर को अपने कंधे पर लादे जीप की तरफ बढ़ गया.

मुझे पता था चाबी अभी भी जीप में ही है, सो उसको आगे की सीट पर टिकाया, वो इधर से उधर लुढ़क रही थी…

मुझे लगा ये आगे नही बैठ पाएगी, तो फिर ले जाकर उसको पीछे की सीट पर लिटाया और जीप मेन गेट की तरफ जीप दौड़ा दी.

गेट पर खड़े गार्ड्स ने रोकने की कोशिश की तो मैने उन्हें समझा दिया कि इसकी हालत ज़्यादा सीरीयस है, 

इसे अभी के अभी मेडिकल ट्रीटमेंट की ज़रूरत है…अपने चीफ की बात भला वो कैसे ना मानते…

फिर उन्होने बिना कोई और सवाल किए गेट खोल दिया और मैने जीप बाहर को दौड़ा दी.
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