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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
पूरी वेट हो चुकी थी इंदु. तेज साँसों की आवाज़ और ... मुँह से निकलती हल्की आहह ने समा बाँधे हुआ था. हैरत की बात ये थी पिगला आनी भी गरम हो कर निकल रहा था.
विक्की के मुँह उपर करते ही मदहोशी की आवाज़ मे इंदु बोली ... आआब्ब्ब मेरी बारी...
इतना कह कर विक्की को लिटा दी, और उसके होठों को चूमती नीचे आई, थोड़ा बैठ कर एक नज़र विक्की को देखी, और बड़े प्यार से सीने पर हाथ फेरने लगी. हाथ की छुअन इतनी समया थी कि विक्की बिल्कुल मदहोश सा हो गया, और जब आनद से आँखें बंद हो गयी तब इंदु ने उसके सीने के बाल को उंगलियों मे फँसा कर झटके से खींच दिया.
सुक्र है तीन चार बाल ही थे, यदि उंगलियों मे रोल कर जितनी बाल फँसाए थी उतने को झटके मे खींचती तो विक्की का बेहोश होना तय था. पर ये तीन चार बाल भी काफ़ी थे, विक्की की चींख निकालने और उसके आँखों मे आँसू लाने के लिए.
दर्द से कर्राहता विक्की सच मे रो पड़ा, लेकिन वो कुछ नही किया, अपने दर्द को दबा ले गया. जहाँ से बाल खींची थी, वहाँ अपनी जीभ लगा कर चाट'ती हुई इंदु नीचे के तरफ आई. एरेक्ट हो चुके लिंग को उलट पलट कर एक बार देखी. फिर अपना मुट्ठी मे भर कर उसे आगे पिछे करने लगी.
आहह ... मज़ा आ गया... कहते हुए विक्की मानो आभार प्रकट कर रहा हो, पर जैसे हे एक बार फिर विक्की आनन्द मे आया इंदु ने मिटती की जगह पाँचों उंगलियों के नाख़ून से उसके लिंग को पकड़ाई और एक ही बार मे खींचती हुई पीछे से आगे की ओर ले आई.
लिंग की चमड़ी इंदु के नाख़ून मे आ गयी थी, लाल धारियाँ लिंग पर बन गयी थी जो छिल्ने के निशान थे, और विक्की उसने तो मारे दर्द के अपने होंठ को दाँतों तले दबा लिया.
अब इंदु की मरहम लगाने की बारी थी. पूरा मुँह खोल कर उसके लिंग को अपने मुँह मे ले ली और उसे राहत देने लगी, छिली हुई चमड़ी पर मुँह और थूक के लगने से एक ओर छिलन की झंझनाहट पैदा हो रही थी वहीं मुँह मे लिंग आने से विक्की आनंद की नयी दुनिया मे था.
दर्द और मस्ती का आनंद विक्की भी ले रहा था जिस बात का गवाह उसका कमर दे रहा था जो मस्ती मे हिल रहा था. अब दोनो मे से कोई भी इस खेल को आगे बढ़ाने की हिम्मत मे नही था, अब तो बस आनद लेने की बारी थी.
विक्की उठ कर बैठ गया और अपने दोनो पाँव फैला कर इंदु को बीच मे बैठने के लिए बोला. इंदु भी विक्की के कमर के दोनो ओर पाँव कर के बैठ गयी. विक्की ने इंदु के बॅक को अपने हाथों से उठा कर उसके योनि पर अपना लिंग रखा और झटके देना शुरू किया.
ताबडतोड़ दोनो झटके खा रहे थे. बाल बिखर कर पूरे चेहरे पर झूल रहे थे, दोनो के बदन मे मानो कुछ ही जान बची हो. बदन भी मदहोशी ले आलम मे मस्ती मे झूम रहे थे, और दर्द भाड़े इस सेक्स का दोनो आनद उठाते हुए अपने-अपने कमर को तेज़ी से झटका देते हुए सेक्स का भरपूर आनद ले रहे थे.
तकरीबन 5 मिनट बाद दोनो शांत हो कर निढाल हो गये. बदन मे अब थोड़ी भी जान नही बची थी. लेकिन सेक्स के दौरान जैसे जंगली की तरह किया इन्होने, सेक्स का नशा उतरते ही बदन मे जलन और दर्द कहाँ-कहाँ से पैदा हो रहा था ये तो दोनो ही जानते थे.
दर्द इतना था कि दोनो ने चार-चार पॅक लगाया और वहीं सो गये. अब तो इतनी हिम्मत नही बची थी कि आँखें भी खोल सके.
आइआइएफडी (इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ फैशन डेज़ाइनिंग) देल्ही के पहले दिन सब के लिए नयी उम्मीदों के साथ शुरू हुआ. बीता सबका कैसा भी हो पहला दिन, पर ग्लॅमर की चकाचोंध सब पर छाई थी.
क्रेज़ीबॉय और सैली 4 बजते बजते वापस आ चुके थे हॉस्टिल. क्रेज़ी बॉय सैली को छोड़ते हुए, अपने बाय्स हॉस्टिल मे जा चुका था. शाम ढलते-ढलते वासू भी रीति के साथ लौट आई थी. नीमा से मिलकर रीति भी काफ़ी खुश नज़र आ रही थी.
रीति जब लौटी तो सैली अकेली बैठी रूम मे टीवी देख रही थी..... रीति भी चेंज कर के वहीं बैठ गयी उसके पास. थोड़ी देर बाद वासू भी पहुँची दोनो के कमरे मे ....
वासू...... क्या कर रहे हो दोनो..
सैली.... करने को कुछ था नही, मैं लौटी तो अकेली थी, इसलिए टीवी देख रही थी.
वासू.... सेम हियर, मेरी रूम मेट भी नही है, मैं भी बोर हो रही हूँ.
रीति..... मैं भी बोर हो गयी, मेरी रूम मेट मुझे देख कर भी कोई रिक्षन नही दी.
वासू.... हा हा हा, सैली लगता है टीवी मे कुछ ज़्यादा खोई थी, देख नही रही, रोमॅंटिक मूवी देख रही है.
रीति.... देखना क्या है, दोनो लव बर्ड गये तो थे आज साथ.
सैली..... हुहह, क्या कह दिया, मूड फिर से ओफफफ्फ़. याद मत दिलाओ आज की मुझे
रीति और वासू दोनो घूरते हुए सैली को .... "क्यों क्या हो गया, कहीं किसी मे बदतमीज़ी तो नही कर दिया"
सैली.... मेरे साथ बदतमीज़ी, काली का रूप लेते मुझे देर ही नही लगती... वो तो मैं अपने करज़ीबॉय पर नाराज़ थी.
अपना छोटा सा मुँह बनाती आज हुए सिनिमा हॉल की घटना से लेकर हॉरर जगह रोमॅन्स की कहानी सुना दी. रीति और वासू हंस-हंस कर लोटपोट हो गयी, और सैली को चिढ़ाते..... रोमॅन्स हॉरर प्लेस पर ... तो क्या सुहागरात शमशान मे मनाओगी.
सैली भी वासू की बात पर हँसती हुई..... हां, मेरे क्रेज़ीबॉय का मन हुआ तो वहाँ भी हो जाएगा.
तीनो की चिट-चॅट चलती हे रही. कुछ अपने बारे मे फिर कॉलेज और पढ़ाई के बारे मे और फिर जिसपर सबसे ज़्यादा चर्चाएँ हुई, वो थी स्टार्स के आने की बातों को लेकर. आख़िर पॉइंट ऑफ अट्रर्क्षन वही तो था, और सारी चर्चाएँ उसी ओर थी.
जिस वक़्त इन लोगों की बातें चल रही थी, ठीक उसी समय इंदु और विक्की का कांड हो रहा था. बात करते-करते खाने का समय भी हो गया, तीनो कॅंटीन से खा कर वापस आई, पर बात थी की ख़तम होने का नाम ही नही ले रही थी. शायद तीनो का पहला इनट्रेक्षन था, और ज़्यादा से ज़्यादा एक दूसरे को जान ने की कोशिस कर रही थी.
तीनो की बातें तकरीबन 12 बजे ख़तम हुई, और सभा टूट ने के बाद सब अपने रात्रि कार्यक्रम मे लग गये. आज सैली गुस्सा थी इसलिए गौरव के कॉल और उसके मनाने का इंतज़ार कर रही थी, उधर रीति थोड़ी देर पढ़ कर सो गयी.
वासू अपने रूम मे पहुँची, इंदु अभी तक नही आई थी. वासू अपने मन मे सोचती..... "हद है घर से पढ़ने आती है और रात भर हॉस्टिल से गायब, इन जैसी लड़कियों को देख कर, माँ-बाप पढ़ने वाली लड़कियों को भी बाहर नही भेजते.
इधर 12 बजे के करीब इंदु की आँखें खुली, थोड़ा भूख लगा था और दर्द भी सरीर मे हल्का हल्का हो रहा था, पहले वॉशरूम जाकर हॉट सावर ली, सरीर थोड़ा रिलॅक्स कर रहा था, अंदर आकर अपने बॅग से एक पेन किल्लर की टॅबलेट ले ली.
थोड़ी देर इधर उधर घर मे घूमी, पर घर मे कोई नज़र नही आ रहा था, वो वापस आकर विक्की को हिलाने लगी, उसकी आँखें नशे मे लाल थोड़ी खुली, और "क्या है" कहता हुआ फिर अपनी आँखें मूंद लिया.
इंदु ने उसे फिर ज़ोर से हिलाई .... विक्की उठ कर बैठ गया ... और इंदु उस से कुछ खाना मंगवाने की इक्षा जाहिर की. विक्की ने एक कॉल किया और दोनो के लिए खाना आ गया.
उठ ने के बाद जो हाल इंदु का था, वही हाल विक्की का भी था, विक्की भी शावेर लेने चला गया, जबतक लौट कर आया तबतक इंदु खा कर बिस्तर पर लेट चुकी थी....
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
विक्की खाने हुए इंदु से कहने लगा..... इंदु तुम मुझ से भाग क्यों रही थी.
इंदु.... तुम्हारा गुस्सा था विक्की, मैं तो डर ही गयी थी, मैं क्या करती, जबकि बात तो सिर्फ़ इतनी थी कि तुम्हे आज वाइल्ड सेक्स करना था.
विक्की.... इंदु मुझे क्या चाहिए था, ये तुम्हे कैसे पता.
इंदु..... जब मैं बाथरूम से बाहर आई और तुमने किस के बाद धीरे से थप्पड़ मारे तब.
विक्की.... और उस से पहले तुम्हे क्या हो गया था
इंदु.... तब तो डर गयी थी.
विक्की.... अब समझ मे आया इंदु, जब जान फँसी होती है तो लोग को डाइलॉग नही सूझता, उसके पास डरने, भागने और सुन'ने के सिवा कोई चारा नही होता. तुम ने कोई लॉजिक नही लगाई, ना कोई तर्क दी कि मुझे क्या करना चाहिए, बस थोड़ी हिम्मत की ... दिमाग़ लगाई ... और परेशानी सॉल्व की.
"अब तुम्हे समझ मे आया कि मैं वहाँ क्यों चुप था, मेरी भी जान अटकी थी.... वैसे तो तुम्हे देख कर बर्दास्त नही होता, पर हेयी रे तुम से बड़ी जंगली आज तक नही देखा". नीचे अपने लिंग की ओर इशारा कर दिखाते हुए.... "कितनी बेरहमी से छिलि है, तीन चार दिन तक कुछ करने की हालत मे नही रहूँगा".
इंदु हस्ती हुई... यहाँ भी तुमने कुछ कम नही किया है, पर मैं दिखाने लगी तो तुम फिर ना कहीं कूद पडो... और मेरी भी हिम्मत नही बची अब.
विक्की हस्ता हुआ कहने लगा ... "तुम मे कुछ तो बात है इंदु, सो जाओ अब तुम. बस कल बैठ कर हम कुछ प्लान करते हैं, यदि मेरा ये काम हो गया तो तुम्हे कोई कॉलेज जाकर पढ़ाई करने की ज़रूरत नही होगी, तुम्हारा कॉलेज के काम की सारी रिस्पोन्सबिलिटी मेरी ... और यदि मॉडेल बन ने का मन हो तो बता देना ... टॉप क्लास तक पहुँचा दूँगा" .....
इंदु को सपने दिखा गया विक्की, मुस्कुराती सो गयी इंदु और फिर से उसे अपना काम बनते नज़र आने लगा ........
अगले दिन सुबह सुबह विक्की निकल गया इंदु के लिए एक नोट छोड़ कर.... इंदु रात को इतना पी ली थी कि वो देर तक सोती रही, और जब जागी तब विक्की की नोट पर नज़र गयी....
"शाम तक मिलता हूँ, चेहरे पर चोट के निशान है, आज कॉलेज मत जाना. ड्रॉयर मे कुछ कपड़े हैं, पहन लेना, और किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो टेबल पर रखे फोन से 109 पर कॉल कर देना. और हां किसी भी नौकर से बात मत करना". इंदु वो नोट को कचरे मे डालती हुई, बाथरूम मे शावेर लेने चली गयी.
इधर हॉस्टिल मैं.......
सुबह के वक़्त हॉस्टिल मे फर्स्ट एअर वालों के दिल मे अफ़रा-तफ़री मची थी, अपने फर्स्ट डे कॉलेज अटेंड करने के लिए. सभी जल्दी-जल्दी तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल रहे थे.
सारे फर्स्ट एअर स्टूडेंट का जमावड़ा प्रिन्सिपल ऑफीस मे था, सब अपने-अपने सेक्षन और क्लासेज ढूंड रहे थे. रीति, सैली, इंदु, वासू, और गौरव सब एक हे क्लास मे थे. नोटीस बोर्ड देखने के बाद सब अपने अपने क्लास की ओर चल दिए.
सैली.... मेरे लिए अच्छी बात है रीति, मेरा क्रेज़ीबॉय मेरे ही सेक्षन मे है, अब मुझे ज़्यादा मेहनत करने की ज़रूरत नही होगी.
रीति, सैली को छेड़ती हुई कल क्रेज़ी बॉय के साथ वाला रोमांटिक हॉरर सफ़ारी याद दिला कर हस्ती हुई वो भी सैली के साथ चल दी क्लास की ओर ... तभी पिछे से वासू आवाज़ देती हुई ....
"हे, कब से आवाज़ दे रही हूँ, तुम दोनो रुक क्यों नही रही"
रीति.... वो सैली ने बात ही ऐसी की, बाकी बातों को ध्यान नही दे पाई. सॉरी वासू
वासू..... ऐसा क्या कह दिया सैली ने
रीति मुस्कुराती हुई... मैं, इसका वो क्रेज़ीबॉय और सैली तीनो सी सेक्षन मे ही है. सैली का कहना है कि क्रेज़ीबॉय के उसके सेक्षन मे होने से उसे ज़यादा मेहनत नही करनी पड़ेगी. और मैं ये सोच कर हंस रही हूँ, दोनो एक दूसरे को क्लास मे देख कर रोमॅंटिक होते रहेंगे और इनका क्रेज़ी रोमॅन्स रोज हॉरर सफ़ारी मे चलेगा.
वासू.... ग़लत बात है रीति, किसी का ऐसे मज़ाक बही उड़ाते, पर उसने किया ही ऐसा है कि मुझे अब तक हँसी आ रही है.
सैली.... हे, तुम दोनो को ज़्यादा ओवर स्मार्ट बन ने की ज़रूरत नही है, हसी आ रही है तो मुँह फाड़ कर हसो, मैं चली. हुहह !
वासू.... इसमे ओवर रिक्ट करने की क्या बात है, मज़ाक ही तो कर रहे थे, इतना आटिट्यूड अच्छा नही.
सैली.... आटिट्यूड माइ फुट ......
रीति महॉल को गरम होते देख सैली की बात पूरी होने से पहले हे बोल पड़ी .... अननह ! शांत हो जाओ दोनो .... और वासू शायद तुम कुछ कहने आई थी.
वासू अपने चेहरे पर एक बनती नॉर्मल मोड देती हुई ....... तुम मे से किसी ने मेरी रूम मेट इंदु को देखा ?
रीति... नही तो, क्यों क्या हुआ ?
वासू.... पागल लड़की है, कल से रूम मे ही नही आई.
"क्या"..... रीति और सैली के मुँह से अचानक यही निकला. अभी इस रिक्षन के बाद का प्रतिक्रिया देती दोनो उस से पहले गौरव सामने से "ही" करता हुआ पहुँच गया.
सैली, गौरव को देखते हे गुस्से मे आँखें बड़ी करती हुई वासू से कहने लगी.... नये सहर मे पहले दिन ही रात भर गायब, कहीं कुछ हो तो नही गया.
वासू.... इसी बात की फिकर तो मुझे भू हो रही है.
गौरव..... कोई मेरी भी फिकर कर लो.
रीति अपनी भावें चढ़ाती हुई... भला हम क्यों फिकर कर लें आप की.
गौरव.... मेरी गर्लफ्रेंड आंड अपकमिंग वाइफ मुझ से रूठी है कल से, किसी बात के लिए, इसी की फिकर. वैसे रीति जी आप भी सच ही कही, मेरे लव को मेरी फिकर नही तो आप सब क्यों करने लगे.
वासू.... हम दोनो तो साइड हैं आप दोनो के मॅटर से. अभी ही थोड़ी देर पहले इसी बात को लेकर बहुत कुछ सुनाया आप के लव ने.
गौरव..... सूऊओ सॉरी, ये लीजिए कान पकड़ कर माफी माँगता हूँ. वो क्या है ना थोड़ी सी नकचाढ़ी है, कोई मज़ाक भी नही कर सके ऐसी है. पर दिल की बुरी नही. सो प्लीज़....
वासू.... ह्म्म्म ! कोई बात नही, मैं समझ गयी थी, वैसे एक सजेशन देती हूँ, जल्दी से मना लो सैली को अब. या ये नही मानती तो मुझे प्रपोज कर दो. हे हे हे हे
गौरव.... ऊप्स ! एक ही बात के लिए कब तक रूठी रहोगी, देखो सब के सामने तुम से भी कान पकड़े, अब तो माफ़ कर दो.
सैली.... मैं कहाँ रूठी हूँ, देखना तो वासू, रीति, क्या मैं गुस्से मे लग रही हूँ.
रीति.... नही, मुझे तो लग रहा है, आप अभी भी हॉरर प्लेस पर हो, और आप को डर लग रहा है... हे, हे, हे ...
सैली.... नोट सो फन्नी रीति, इसका तो मैं खून ही कर दूँगी.
गौरव.... माताओं आप दोनो क्या यहाँ आग लगाने आई हैं. भूलने तो दो इस बात को. थोड़ी देर हुई नही कि आप दोनो वही बात छेड़ देती हो, और इसे देखो ये तो मेरा खून करने को तैयार है ....
"मेडम खून कर दिया फिर भी आप की ही यादों मे बसेंगे, कहीं ना कहीं वो दिल भी धड़ाकेगा मेरे नाम से. माइ हार्ट, वैसे भी यदि ज़्यादा रूठी रही तो, मैं साची मे मर जाउन्गा, बर्दास्त नही होता तुम्हारा उखड़ा रहना, मानो कोई सूनापन छा गया हो. प्लीज़ अब मुस्कुराती हुई, ज़रा प्यार भरी एक नज़र इधर भी डाल दो"
"वैसे एक बात तय है सैली, मेरी बेइन्तिहा मोहब्बत, तुम्हे तब तक मानती रहेगी, जबतक इस सरीर मे आखरी सांस है, एक ही तो चाहत है मेरी, और उसे भी नही मना पाया तो किसे मनाउन्गा"
गौरव अपनी बात बोल कर शांत हो गया, महॉल कभी ही खुशनुमा हो जैसे, ऐसी हसरत भरी नज़रों से गौरव, सैली की ओर देख रहा था, यदि किसी का दिल पत्थर का भी होता तो पिघल जाता. रीति और वासू दोनो तालियाँ बजाने लगी गौरव की बात पर....
सैली.... ओ' मेरा क्रेज़ीबॉय. सॉली, मिस यू आ लॉट. लेकिन अब दोबारा ये मरने-वरने की बात मत करना. हमे तो साथ जीना है, मरेंगे भी लेकिन उस से पहले थोड़ा जी लें साथ मे खुलकर. वैसे कल की बात से मैं बहुत खफा थी. और ये दोनो कितना मज़ाक उड़ाई, और गुस्सा भड़कता था. माफ़ किया पर एक शर्त पर...
गौरव.... कौन सी शर्त है सब मंजूर बिना जाने
सैली... तो ठीक है, आज हम डिस्को चलेंगे.
गौरव खुद मे सोचते हुए "शायद आ बैल मुझे मार इसी को कहते हैं. पता नही आज डिस्को मे मेरे साथ ये क्या करेगी, अच्छा होता कह देता पहले शर्त बताओ फिर करने लायक होगा तो करूँगा" ... थोड़ा शांत रहने के बाद गौरव फिर बोलने लगा....
"तीनो यहीं रहोगी या क्लास भी चलना है, वैसे आइ म हॅपी, मेरे सेक्षन मे मेरे साथ सैली भी है".
वासू.... क्लास तो चल दे, पर हम सब मेरी रूम मेट को लेकर परेशान हैं.
गौरव.... क्यों क्या किया उसने जो परेशान हो आप.
रीति.... कल रात से हॉस्टिल हे नही पहुँची.
गौरव.... देल्ही आते ही यहाँ की हवा लग गयी, नही मैने नही देखा उसे. वैसे इसमे टेन्षन लेने वाली जैसी कोई बात नही है... सब यहाँ अपने रिस्क पर हैं, कोई नही आता है या आता है, इसमे उसकी अपनी मर्ज़ी है. आख़िर वो कोई बच्ची तो नही.
वासू... ह्म्म्म बात तो सही है, फिर भी प्रिन्सिपल ऑफीस चल कर बता दें, नही तो पता चला बाद मे कोई लफडा हुआ तो
गौरव.... ओक, चलिए चलते हैं.
चारो प्रिन्सिपल ऑफीस इन्फर्मेशन देने पहुँचे. प्रिन्सिपल ने इसे पहले दिन को लेजर अनकंफर्टबल और अपने किसी रिलेटिव के पास गयी होगी, ऐसा कह कर प्रिंसीपल ने. सबको क्लास अटेंड करने के लिए भेज दिया.
पहले दिन का क्लास था, सब ने बड़ी उत्साह के साथ अटेंड किया. सब कुछ एक आम क्लास की तरह ही था, जहाँ पहले दिन सिलबस, कॅरियर & ओपपार्टूनिटी और इंट्रो का सेशन होता है.
पूरा दिन सब का मन लगा रहा ... इधर 3पीएम बजे के करीब, इंदु के पास विक्की पहुँचा और मुस्कुराते हुए उसका हाल पुछ्ने लगा...
इंदु भी हंस कर बस इतना ही जबाव दी.... "जो हाल तुम्हारा है विक्की वही हाल मेरा भी"
विक्की .... सुनो इंदु, तुम्हारा कॉन्फिडेन्स देख कर मैं तुम्हे अपने साथ शामिल करने की मनसा रखता हूँ... ध्यान से सुन ना मेरी बात.....
तकरीबन आधे घंटे तक विक्की उसे अपना और अमोल के कामो के बारे मे समझाता रहा, और साथ मे ये भी कि, कैसे विक्की से चूक हो गयी और अमोल उसके जान का दुश्मन बना है ..... बस आखरी मे जाते जाते एक लाइन कह गया ..... "तुम आराम से सोचो मेरी बातों पर, यदि नही कर पाओगी तो बता देना. ये एक मौका है हमारे साथ आने का, हां या ना मे कल अपना जबाव दे देना. अभी पूरा मौका है और पूरी छूट खुद की इच्छा जाहिर करने की.....
कुछ आसान से रास्ते होते हैं, जिस पर चलने वालों को देख मन मे हज़ार इच्छाए जाग जाती है... और दिल से बस एक ही बात निकलती है .... काश !!!! ......
कॉलेज से निकलने के बाद सैली और गौरव वहीं से आज अपने एक एग्ज़ोटिक शाम के लिए निकले, उन दोनो ने रीति और वासू को भी साथ चलने के लिए कहा, पर दोनो ने मना कर दिया. वो दोनो डिस्को के लिए निकले, इधर वासू और रीति वापस हॉस्टिल आ गयी.
रीति.... वासू आज पहले दिन, कॉलेज जैसा कोई महॉल नही लगा.
वासू.... क्यों क्या हुआ रीति
रीति.... नही, वहाँ तो पढ़ने वाले कम और फैशन एग्ज़िबीशन वाले ज़्यादा नज़र आए.
वासू.... ही ही ही, और तुम्हे ये कैसे लगा.
रीति.... अर्ररे, तुम देखी नही, वो पिंक कलर ड्रेस वाली लड़की को, छि-छी, लग रहा था जल्दी मे नीचे का पहन'ना भूल ही गयी थी, और उपर से भी उसका पूरा खुला. सब कुछ तो दिख रहा था. पागल लड़की.
वासू.... हीए ही ही, इसी को तो फैशन कहते हैं.
रीति.... यक्क ऐसा फैशन, ऐसे ड्रेस पहन कर तो फिल्म की हेरोइन भी किसी पार्टी फंक्षन मे नही जाती, देखती नही क्या, हमएसा सारी, या सलवार सूट या कोई ढंग की ड्रेस होती है.
वासू.... जाने दे ना, कोई क्या पहन कर आती है हमे क्या. और शायद बेचारी के पास कपड़े कम थे, ग़रीब लड़की होगी. एक काम करना कल अपनी कोई ड्रेस गिफ्ट कर देना.
रीति.... हुहह ! मेरा ड्रेस, अर्रे ये लोग तो हमे बहन जी बहन जी बुलाती हैं.
वासू.... क्यों लोड ले रही हो, जाने दे कॉलेज की बातें और ये बताओ अभी ईव्निंग का क्या प्रोग्राम है.
रीति.... क्या प्रोग्राम रहेगा, पढ़ूंगी और क्या करूँगी.
वासू.... कभी-कभी बॉक्स से बाहर भी निकलो रीति डार्लिंग, अभी तो हमारे एंजाय करने के दिन है.
रीति सवालिया नज़रों से देखती हुई.... मतलब क्या है वासू..
वासू.... तुम घूर क्यों रही हो, पागल कुछ भी मतलब निकली, तो मुझ से बुरा कोई ना होगा. वैसे भी मेरी शादी पहले से तय है, और मैं कोँम्मिटेड हूँ.
रीति...... तो मज़े करने से क्या मतलब था तुम्हारा...
वासू, रुक एक मिनिट ..... दिखती हूँ .......
वासू अपने लॅपटॉप ऑन की और रश्मि की प्रोफाइल से ऑनलाइन हुई .....
रीति... ये रामी कौन है
वासू..... मेरी फेक आइडी है
रीति.... पर ये फेक आइडी क्यों
वासू..... कुछ चीज़ें फेक से ही मज़ा आती है, ओरिजनल तो हम पूरे दिन रहते हैं, कभी कभी अपनी ख़ुसी के लिए फेक भी जीते हैं.
रीति..... आप क्या बोल रही हैं, मुझे समझ मे नही आ रहा.
वासू..... बस देखती जाओ, सब समझ जाओगी.
वासू, ऑनलाइन होकर जबतक बात कर रही थी, तबतक उधर से जीत का मेसेज आ गया...
"हाई सेक्सी, कैसी हो. आज बहुत दिन बाद ऑनलाइन आई".
रीति.... ये कैसी बातें कर रहा है, तुम्हारा बाय्फ्रेंड है क्या ?
वासू... नही, बाय्फ्रेंड नही है, हम वर्चुयल फ्रेंड है. अब चुप चाप देखो थोड़ा.
इतना कह कर वासू ने रिप्लाइ शुरू किया ..... "कुछ नही, तबीयत खराब थी "
जीत.... क्या हुआ, प्यार मे धोका तो नही हो गया
वासू.... बाय्फ्रेंड और मेरा, नोट पासिबल. फ़ेसबुक पर तो छिप कर आती हूँ, बाय्फ्रेंड के नाम पर तो काट देगी मेरी फॅमिली.
जीत.... एक काम करना, काटने से पहले जिंदगी के मज़े ले लेना :
वासू.... कैसा मज़ा, मेरी किस्मत मे तो तन्हा रातें ही लिखी है, अब तो बस शादी का इंतज़ार है.
जीत.... अच्छा, और शादी के बाद मज़े, वैसे ये शादी के बाद कैसा मज़ा होता है
वासू.... मुझे क्या पता सब सहेलियाँ कहती है, शादी के बाद खूब मज़े किए.
जीत.... किसी से पुछि नही, भला कैसा मज़ा. जीते हैं, सोते हैं, खाते-पीते हैं, घूमते हैं, हँसते है, भला शादी के बाद ऐसा क्या अलग मज़ा.
रीति, वासू को टोकती हुई.... ये क्या कर रही है, और शादी के बाद का मज़ा, कितना नौटंकी कर रहे हो दोनो. ओपन बातें... हुन्न्ं !
वासू... हट झल्ली, थोड़ा तो मज़े ले ... ओपन कुछ नही होता पर इनडाइरेक्ट सब कुछ होता है, रुक एक मिनट.
इतना कह कर फिर वासू ने जीत को रिप्लाइ किया.... ओके जीत, जाना होगा मोम आ गयी है.
जीत.... हां तुम्हारी हिटलर मोम.
वासू.... ओये ज़ुबान संभाल के, जो मेरी माँ के बारे मे कहा तो.
जीत.... ऊपस्स !!! सूओ सॉली... पर कुछ देर तो रूको, बात को अधूरी छोड़ कर जा रही हो.
वासू.... ओके, मैं अपनी सहेलियों से पुच्छ लूँगी, फिर बता दूँगी. अब बाइ बाद मे मिलती हूँ.
रीति.... वासू, ऐसे बात करना क्या सही है ?
वासू... मर्ज़ी है तुम्हारी रीति. देख बिना जाने कुछ खुल कर बातें हो जाती है, और शराफ़त के पिछे जो एक जो बेशर्म अरमान है वो भी पूरे होते हैं बिना अपनी पहचान बताए, क्या ग़लत है.
रीति..... आप ऐसे बोल रही है, मेरा मन भी भटक रहा है.
वासू.... बकने दे रीति, थोड़ा कभी अपनी खुशी के लिए भी कर ले, बाकी मैं कभी फोर्स नही करूँगी. क्योंकि हो सकता है तुम्हारे हिसाब से ग़लत हो, पर मेरे हिसाब से ये बस एक अपनी इच्छा को पंख देना है, बिना किसी को चोट पहुँचाए और मुझे नही लगता इसमे कोई बुराई है. आख़िर हमे भी हक़ है हॉट बातें करने का.
रीति.... क्या मैं भी ट्राइ करूँ.
वासू.... आररीई, तो मेडम की भी इच्छाए जाग रही हैं.
"कौन सी इच्छाए जाग रही है, कोई नॉटी इच्छा तो नही जाग गयी".... इंदु गेट से आती हुई दोनो के बात-चीत के बीच मे शामिल होती हुई.
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति और वासू दोनो इंदु को देख कर बस एक ही सवाल की.... कल पूरी रात कहाँ गायब हो गयी थी.
इंदु.... सो सॉरी, ये देखो चोट के निशान, कल आक्सिडेंट हो गया था, हॉस्पिटल मे थी.
रीति.... क्या हुआ था ?
इंदु.... कुछ नही मैं सड़क तक गयी थी, की पिछे से कार ने टक्कर मार दी.
वासू... कार से टक्कर, पर चोट तो मामूली है.
इंदु.... एक्चूली चोट तो कुछ भी नही लगी. उनकी गाड़ी पूरी कंट्रोल मे ही थी, पर मेरा ध्यान कहीं और था और मैं टकरा गयी, सदमे के कारण मैं बेहोश हो गयी थी और आँखें खुली तो हॉस्पिटल मे थी.
वासू... सुक्र है भगवान का, चोट नही लगी.....
तीन लाड़िया जब मिली, तो बात चीत का दौर चलता हे रहा.... ये लड़कियाँ भी ना, जब बैठी बात करने फिर समय का कहाँ पता चलता है.
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इधर गौरव और सैली हाथों मे हाथ डाले, अपना सारा समान रीति और वासू को थामते हुए निकल गये थे कॉलेज से, अपने कल के अधूरे रोमॅन्स की चाहत को पूरा करने के लिए.
चलते हुए गौरव, सैली के गालों पर हाथ फेरते...... "कितनी सॉफ्ट है, बिल्कुल मखमली"
सैली.... ओह्ह्ह हूओ हूऊ ! मेरा क्रेज़ीबॉय, आज कुछ ज़्यादा ही मूड मे है, ज़रा चूम के बताना कैसा लगता है.
गौरव.... यहाँ ! सड़क पर ...
सैली.... इसमे चौकने वाली कौन सी बात है, कोई मैं किसी दूसरी लड़की से रॅंडम किस की बात कर रही हूँ. बी आ मॅन क्रेज़ी बॉय
गौरव..... तुम भी ना, ये मुझ से नही हो पाएगा.
गौरव इतना बोलते हुए एक कदम आगे ही बढ़ा था की सैली ने गौरव के गाल पर एक किस कर ली.
गौरव हँसते हुए.... तुम भी ना सैली, पागल हो बिल्कुल, पागल
सैली... अच्छा खाली मैं ही पागल हूँ ना जाने दो. कभी-कभी तो लगता है सिर्फ़ मैं ही तुम से प्यार करती हूँ. हां क्यों नही, मैं ही आई थी ना तुम्हारे पास तो तुम क्यों प्यार करने लगे.
इतना कहने के बाद, सैली मुँह फूला कर चुप चाप आगे चलने लगी, पिछे गौरव अपने सिर पर हाथ मारते.... "सारे दर्द पाल लो प्यार का दर्द मत पालो, पता नही अभी कुछ किया भी नही, फिर भी रूठ गयी है. और नाराज़ है तो वापस जाए ना हॉस्टिल, आगे आगे क्यों चल रही".
"इनका मन भी रहता है कि साथ घुमा फिरा जाए, पर रूठना तो जैसे एक टॉनिक हो, दो चार बार किसी बात पर जबतक रूठ ना जाए लगता है खाना ना पचे. चल बेटा क्रेज़ीबॉय, कुछ क्रेज़ी कर के मना ले. अब इतनी प्यारी है तो नखरे तो उठाना पड़ता है ना बॉस"
इतना कहते कहते सैली बिल्कुल शांत हो गयी, शब्द जैसे हलक मे अटक गये हो, टेबल पर रखे हाथ की कंपन बता रही थी कि वो कितनी घबराई हुई है... गौरव ने जब अचानक ही उसके बदले हाव-भाव को देखा तो वो शॉक्ड हो गया.... "क्या हुआ सैली, बताओ ना. तुम इतना डरी हुई क्यों हो"
सैली अपने काँपते हाथों को उठा कर बस सामने की ओर इशारा करने लगी............
गौरव.... क्या हुआ सैली, तुम घबरा क्यों रही हो
सैली.... उूओ, उूओ दिखा मुझे
गौरव "वो कौन" कहता हुआ पिछे मूड कर देखने लगा.... देखता हुआ फिर कहा ... "कोई भी तो नही है वहाँ सैली, क्या हो गया तुम्हे अचानक"
सैली..... मैं कहती हूँ ना वो था अभी यहीं....
चिल्लाति हुई सैली होटेल के बाहर निकल गयी, गौरव को कुछ भी समझ मे नही आ रहा था कि सैली को अचानक हुआ क्या है. फिर भी सैली की तसल्ली के लिए वो एक राउंड पूरा घुमा, ये देखने कि आख़िर क्या देख लिया सैली ने.
थोड़ी देर बाद गौरव भी वापस आया, और सैली से पुच्छने लगा... सैली थोड़ा गंभीर होती हुई जबाव दी... मैने नेनू को देखा वहाँ
गौरव उसे गले लगाते शांत करने लगा.... कोई नही था, कोई नही था वहाँ. और वो होता भी तो तुम्हे डरने की कोई ज़रूरत नही है सैली, उसका साया भी तुम पर पड़ने नही दूँगा.
सैली थोड़ी घबराई थी, समय भी हो गया था, गौरव ने सोचा "हमे अब चलना चाहिए" और दोनो वहाँ से वापस आ गये.
सैली अपने रूम की ही ओर जा रही थी, पर रूम मे लॉक लगा था, पड़ोस के रूम मे देखी तो तीनो की हँसी की आवाज़ आ रही थी. सैली भी वहाँ उसँके पास पहुँची... तीनो ने जब सैली को देखा तो देख कर घूर्ने लगे.....
इंदु.... रोमटिक शाम पर ड्रेस भी चेंज हो गये मेडम के राज क्या है.
सैली एक फीकी मुस्कान देती कहने लगी... नही हम वो होटेल रॉयल प्लेस गये थे, वहीं रॉयल डिन्नर का ऑर्डर दिया था, तो होटेल वालों का ये ड्रेस कोड था, ग़लती से इसे पहने चली आई.
रीति.... सैली आप कुछ घबराई सी लग रही हैं, बात क्या है. कुछ हुआ है क्या ?
सैली... नही रीति थोड़ी टेंड्स हूँ
रीति... बात क्या है..
सैली.... नही कुछ नही, थोड़ा घर से फोन था वहीं घर पर पापा की तबीयत ठीक नही.
वासू... क्या हुआ अंकल को ?
सैली... नही कोई विसेस बात नही, उनका बीपी हाइ हो गया था अब कंट्रोल मे हैं. मैं उनसे ज़्यादा क्लोज़ थी इसलिए कुछ अच्छा नही लग रहा. रीति चाबी तुम्हारे पास है क्या ?
रीति ने उसे चाबी दे दी, सैली भी चाबी लेकर चली गयी... जब से नेनू को देखने का आभाष हुआ था सैली बस डरी हुई थी, जैसे उसकी चोरी की खबर अब सबको पता चल जाएगी.
वासू.... ये लड़की आज कुछ अजीब नही कर रही थी.
इंदु.... मुझे तो इसकी चाल भी अजीब लग रही थी, कुछ लड़खड़ाई हुई सी. ही ही ही.
रीति.... क्या बकवास कर रही हो
इंदु... हाय्ी ये बकवास कहाँ, सोचो दोनो होटेल मे ड्रेस चेंज कर रहे हैं साथ मे, और फिर...
रीति.... हॅट.. आप भी ना कुछ भी कहती हो. वो सच मे परेशान थी.
वासू... हां परेशान तो थी, पर कहीं ये परेशानी गौरव की तो नही दी हुई है.
रीति... वासू आप भी ना, गौरव ऐसा लड़का नही है.
वासू... तो फिर कैसा लड़का है मेरी जान, कहे तो पुच्छ कर बता दूं
रीति.... अब आप सब प्लीज़ इस टॉपिक को बंद करेंगे.
वासू.... टॉपिक क्लोज्ड. चलो चल कर खाना खा लिया जाए, नही तो पता चला कॅंटीन भी बंद हो जाएगा.
तीनो कॅंटीन निकली खाने के लिए. एक ही टेबल पर तीनो बैठी थी, तभी वासू ने इंदु और रीति को एक लड़के की ओर इशारा करती हुई.... देख-देख इंदु तुझे कैसे घुरे जा रहा है.
इंदु.... बेचारा, लगता है अब तक गर्लफ्रेंड नही इसकी. ही ही ही
वासू.... अच्छा जी, तुझे बहुत दया आ रही है बेचारे पर.
इंदु.... अपना तो दिल ही कुछ ऐसा है, देख लगता है उसे भी ये बात पता चल गयी, दिल को ही देख रहा है, ठर्कि कहीं का...
वासू.... हा हा हा... देख-देख इंदु, कैसे घूर रहा है, उसकी फेशियल एक्सप्रेशन से ऐसा लग रहा है जैसे अपने सपनो की दुनिया मे तेरे साथ सुहागरात मना रहा हो.
इंदु.... ऐसा क्या वासू, तो चलो इसकी सुहागरात को इसकी बलात्कार मे बदल देते हैं.
वासू.... गो अहेड इंदु, मैं और रीति यहीं से तुम्हे बॅक-अप सपोर्ट दे रहे हैं. छोड़ना मत इस आवारा को. बेस्ट ऑफ लक.
इंदु, "ठीक है" कहती हुई अपने खाने का प्लेट उठा कर उस लड़के के टेबल की ओर चल दी. जैसे जैसे इंदु उस लड़के के टेबल की ओर बढ़ रही थी, मानो उस लड़के का कॉन्फिडेन्स लेवेल हाइ होता चला जा रहा हो.
अपने चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान लिए वो लड़का बिना प्लकें झपकाए बस इंदु को ही देख रहा था, इंदु खाने का प्लेट उसके टेबल रखती हुई .... क्यों महाशय, आप के साथ बैठ कर खाना खाऊ तो आप को कोई ऐतराज़ तो नही.
लड़का.... बिल्कुल शौक से ये मेरी ख़ुसनसीबी होगी. बाइ दा वे मुझे अमर कहते हैं.
इंदु..... ओह्ह्ह ! अमर यू आर सो क्यूट.
वो लड़का तो जैसे मानो हवा मे उड़ रहा हो, उसे लगा, एक ही झलक देखा और लड़की बिल्कुल लट्टू उस पर....
अमर.... खूबसूरत आप भी कम नही, नाम क्या है आप का मिस.
इंदु.... अज़ी नाम मे क्या रखा है, आज रात मिलकर पूरी बायो-डेटा आराम से लेते रहेंगे.
अमर..... क्या ? मेरे कानो पर यकीन नही हो रहा...
इंदु एक नाटकिया गुस्से का भाव अपने चेहरे पर लाती हुई..... ओके ! फाइन, यकीन नही तो मैं चली. सॉरी तुम्हे डिस्ट्रब किया.
अमर, बिल्कुल हड़बड़ी मे इंदु का हाथ पकड़ते हुए... सॉरी, सॉरी, मुझे लगता था कि एक नज़र का प्यार सिर्फ़ लड़कों को ही होता है, पर मैं ग़लत था, आज पता चला दोनो को हो सकता है. प्लीज़, अब माफ़ भी कर दो. जिस घड़ी से तुम्हारी झलक देखी है, बस ... दिल मे उतरती जा रही हो.
इंदु मन मे अपने सोचती... "हां बेटा मैं सब समझती हूँ, कहाँ से चढ़ कर कहाँ उतर रही हूँ"
अमर की बातें सुन'ने के बाद इंदु थोड़ी गंभीर होती हुई .... सच मे, ओ' मेरे अमर. आज रात मुझ से मिलने आओ गे ना, मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी.
अमर.... आज तूफान, बारिश, बिजली आग, दुनिया की कोई ताक़त मुझे तुमसे मिलने से रोक नही सकती, बताओ कहाँ आना है.
इंदु.... हम हॉस्टिल के सेकेंड गेट के बाहर मिलेंगे, ठीक रात 12 बजे. लेकिन.....
अमर.... लेकिन क्या ?
इंदु.... मुझे ना सपाट मैदान पसंद है, बदन पर बाल बिल्कुल अच्छे नही लगते, वादा करो तुम बिना बाल के आओगे.
अमर.... अजीब सी बात है, क्या सिर के भी बाल अच्छे नही लगते.
इंदु छोटा सा मुँह बना कर.... मुझे पता था कि तुम भी मुझ से पिछा छुड़ा कर भाग लोगे, जो भी मुझे अच्छा लगा, जब भी उसे ये बात कही, सब मुझ से पीछा छुड़ा कर भाग गये. हमेशा अकेली ही रह जाती हूँ. ओके सॉरी अमर, शायद हमारा तुम्हारा यहीं तक का साथ था......
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
अमर, इंदु की हथेलियों को अपनी मुट्ठी मे भरते हुए.... मैं सड़ा आप के साथ हूँ, बस बाल ही ना, मैं वादा करता हूँ ... नही मिलेंगे बाल, और कुछ...
इंदु.... ओह्ह्ह्ह ! आइ आम सो हॅपी . वूऊ हूऊ, अब मेरा भी एक बाय्फ्रेंड है.... और वो भी मेरी ख्वाइश सुन कर खुश है, मुझे छोड़ कर गया नही. ठीक है अमर, बस तुम को देखी तो खुद को रोक ही नही पाई तुम से मिलने से. अब चलती हूँ मेरे दोस्त मेरा इंतज़ार कर रहे हैं. रात को आना, मैं इंतज़ार करूँगी.
इतना कह कर इंदु एक दूरियों वाला हग की अमर को, उसके गालों पर हाथ फेरती, वहाँ से चली आई वापस......
इधर अमर के दिल मे गुदगुदी हो रही थी, इंदु द्वारा किया गया ये हमला, और उधर इंदु खुद मे ही हँसे जा रही थी और सोच रही थी... अब तो ये अपने बाप के लिए भी नही रुकेगा सीधा अपनी हजामत के लिए जाएगा.... दोनो रात के बारे मे अपने-अपने ख्यालों मे खो कर हँसे जा रहे थे.
वासू.... तू ऐसा क्या बोल दी जो वो अंदर ही अंदर मुस्कुरा रहा है.
इंदु...... मैने बोल दिया मुझे बाल पसंद नही, रात मे मिलना बिना बाल के.
वासू.... हीई हीई हीईए, कहाँ के बाल पसंद नही इंदु.
रीति.... छ्हि, ऐसे कोई बात करता क्या ?
इंदु.... हां सच ही तो कहीं, बाल पसंद नही. हीए ही ही. तुम्हे क्या बाल पसंद है.
रीति.... इंदु, आप ऐसे मज़ाक मत करो, मुझे बिल्कुल पसंद नही ऐसे मज़ाक.
वासू.... रीति, भोली, चल बाबा मैं माफी मांगती हूँ. थोड़ा चिल कर बाबा, चिढ़ने के बदले उल्टे जबाव दे दिया कर, नही तो जितना चिढ़ेगी उतना हम चिढ़ाए गे.
इंदु.... रीति, चल बाबा गुस्सा थूक दे, नही करती मज़ाक मैं.
रीति..... अर्ररे नही, मज़ाक के लिए कोई मना थोड़े ना की. पर उस तरह के मज़ाक पसंद नही. मी टू सॉरी, शायद मैं आप सब के साथ अड्जस्ट नही हो पाउन्गी.
वासू.... अब ये क्या है रीति. ऐसे बोल कर मुँह क्यों लटकाई. यू आर सूऊऊ स्वीएटतत्त. फिर अड्जस्ट वाली बात की ना तो देख लेना. चल अब हंस दे, रोनी जैसी सूरत है तुम्हारी. और ओ' सीरीयस लोगों, अब बात बंद करो और खाना खाओ. वैसे इंदु वो मुस्कुरा तो ऐसे रहा है जैसे पूरा नंगा होकर वॅक्स करवाने की प्लॅनिंग चल रही है. हीए हीए हीए.
इंदु.... डफर ही होगा जो इतना ना समझेगा कि मैं मज़ाक कर रही थी.
तीनो जल्दी से खाना खा कर निकली, रास्ते मे जब इंदु ने बाल की कहानी बताई, तो वासू सोच कर ही हँसने लगी. रीति को अच्छा नही लगा इस तरह का मज़ाक, क्योंकि सच मे यदि वो ऐसा करेगा, तो लोग कितना मज़ाक उड़ाएंगे.
पर रीति की चिंता पर वासू और इंदु दोनो ने अपनी हँसी का पूर्ण विराम लगते हुए, बस इस मज़ाक को एंजाय करने का सजेशन दी. रात को सूभ रात्रि कहते हुए सब सोने चले गये, पर रीति को रह-रह कर उस लड़के का ही ख़याल आ रहा था, और उसकी हालत के बारे मे सोच कर थोड़ी चिंतित हो रही थी.
रात को सभी लड़कियाँ अपने अपने रूम मे थी, पर रीति से ना रहा गया और वो रात के करीब 1.30 बजे खुद मे थोड़ी हिम्मत करती अपने फ्लोर से दूसरे गेट पर नज़र डाली. देख कर जो पहली झलक मिली उसे देख हंस दी.
अमर सच मे बाल मुंडवाकर वहाँ कुछ कर रहा था. तभी रीति ने देखा अपने हाथों से दो बार पागलों की तरह अपना सिर पिटा, और पत्थर लेकर स्ट्रीट लाइट पर मारने लगा.
रीति को उसकी हालत पर दया आ गयी, और वो उसे समझाने नीचे गयी. नीचे आते ही रीति सबसे पहले वाचमेन के पास गयी, जो आधा जगा और आधा सोया था....
वॉचमन.... रात को हॉस्टिल से बाहर निकलना अलाउड नही है, फिर क्यों घूम रही हो ऐसे.
रीति.... सुनिए भैया, वहाँ दूसरे गेट पर लगता है कोई परेशान है, चलिए ना.
वॉचमन.... यहाँ तो पूरी दुनिया परेशान है, वो कोई अकेला नही. जाओ सो जाओ.
रीति.... सुनिए आप प्लीज़ चलिए, मुझे लगता है हॉस्टिल का ही कोई परेशान है. अब यदि उसे रात मे कुछ हो गया तो, कल को पोलीस आप को और ज़्यादा परेशान करेगी.
रीति की बात सुनकर वो वॉचमन हड़बड़ा कर उठा और साथ चलने के लिए राज़ी हो गया. दूसरे गेट पर जैसे ही पहुँचे दोनो, एक काँच की बॉटल गेट पर अमर ने गुस्से मे फेंक दिया. बेचारा पूरे बाल मुड़वाए पागलों की तरह 12 बजे से इंतज़ार कर रहा था, और वासू का 1.30 बजे तक कोई पता नही था.
सुक्र है बॉटल किसी को लगी नही. वाचमेन ने अमर को दौड़ा दिया. रीति भी तेज कदमों से दो कदम ही आगे चली होगी की, एक टक्कर.
फूटपाथ पर चल रहे एक लड़के से टकरा गई. अचानक इस टक्कर के कारण रीति अनबल्न्स हो गयी, और उसे, उस लड़के ने अपने बाहों मे थाम लिया....
रीति का पूरा भर थामे वो लड़का खड़ा रहा. हाथो मे रीति को थामे वो लड़का रीति के चेहरे को देखने लगा. अपने चेहरे पर बिखरे हुए बाल को थोड़ा साइड करती रीति ने भी पहली झलक उसकी देखी. दोनो की नज़रें मिली, और पता नही, जैसे पहली झलक मे ही कोई दिल मे उतर सा गया हो.
जिंदगी मे यूँ तो बहुत लोग मिलते हैं और मिल कर खो जाते हैं, पर कभी कभी इस भीड़ मे कोई ऐसा भी मिल जाता है, जो पहली ही झलक मे दिल मे उतर जाता है. दोनो खामोसी से जिस तरह से देख रहे थे, ऐसा लगा जैसे आँखों के रास्ते कोई दिल मे उतर रहा हो.
दोनो के बीच खामोशी सी ही रही, और एक दूसरे को देखते रहे......
वॉचमन..... क्या दोनो पुतले बन गये हो, जो ऐसे खड़े हो.
दोनो का ध्यान टूटा और उस लड़के का हाथ ग़लती से हट गया और रीति अब भी झूल रही थी, वो धम्म से गिरी नीचे.....
"आप्प्प्प, छोड़ दिया, खड़े तो हो जाने देते मुझे"
लड़का हडबडाता हुआ.... एक्सट्रीमली सॉरी मिस, आप को कहीं चोट तो नही लगी.
वॉचमन... चलो, मुझे गेट भी बंद करना है.
रीति वॉचमन की बात सुन कर खड़ी हुई, वो लड़का अब भी थोड़ा शर्मिंदा नज़र आ रहा था. रीति एक प्यारी सी स्माइल दी, और उसे एक बार देखती हुई चल दी. रीति जब अपने फ्लोर पर पहुँची तब एक नज़र बाहर डाली, बाहर वो लड़का अब भी खड़ा था, और रीति के फ्लोर को ही देख रहा था.
रीति ने जैसे ही देखा वो लड़का उसे ही देख रहा है, वो तेज़ी से पलट गयी और अपने रूम मे चली गयी............ "क्या सोच रहे होंगे, मैं उन्हे देख रही थी और उन्होने पकड़ लिया. वैसे था तो काफ़ी प्यारा".
रीति बस उसी के ख़यालों के साथ नींद के आगोश मे चली गयी. पहली बार उसे, किसी लड़के को देख कर दिल धड़का था. सुबह जब उठी तो उसे लगा जैसे कोई प्यार सपना देखी हो रात को, और उसे सपना ही मन कर, मुस्कुराती वो कॉलेज के लिए तैयार होने लगी.
चारों लड़कियाँ साथ मे ही निकली ........
रीति.... इंदु आप ने अच्छा नही किया.
इंदु... मैने क्या कर दिया.
रीति... भूल भी गयी आप, रात को किसी के साथ मज़ाक की थी.
इंदु... हां मज़ाक ही तो था, किसी को भी समझ मे आ जाता. भला कोई बाल मुड़वाने और बाल सॉफ करवाने की भी शर्त होती है क्या ? तुम अब भी वहीं अटकी हो.
रीति.... शायद आप को पता नही, उसने सच मे अपने बाल मुड़वा लिए, और रत मे पागलों की तरह अपना सिर पीट रहा था.
वासू..... झूट बोल कर हमे डरा रही है रीति.
सैली.... पर बात क्या है, कई मुझे कुछ बताएगा. मैं नही थी तो, कोई मुझे कुछ बताता भी नही.
इंदु.... अच्छा, और अपने क्रेज़ीबॉय के साथ कौन रोमॅंटिक साम पर गया था. बताओ बताओ.
सैली.... पर मैं अकेली कहाँ गयी थी. मैने तो सबको कहा था, कोई नही आया.
वासू ने सैली की बात मे हामी भरती हुई, कल रात की हुई घटना को सुना दी. सुन कर सैली खूब हसी, और कहने लगी ...... "यार कहीं सच मे ना सिर मुड़वा लिया हो, काश रीति की बात सच हो"
रीति.... हद है आप सब भी, कोई यकीन मत करो मेरी बात पर, जाने दो.
सब अपने क्लास पहुँच गये. पूरा दिन सब अपने-अपने क्लास मे लगे रहे, पर जब आखरी क्लास ओवर हुआ और चारों बाहर गेट से निकल रही थी..... अमर उन सब के सामने आ गया.
अमर को सामने देख कोई भी नही पहचान पाया.... लेकिन अमर काफ़ी गुस्से मे था. अपने साथ हुए मज़ाक को लेकर कल रात से ही वो इंदु को ढूंड रहा था, कब इंदु उसे मिले और और वो अपना बदला ले.
गुस्से मे अमर ने बिना कोई अपनी बात कहे सीधा इंदु का गला पकड़ लिया...... "कमीनी तुझे बाल पसंद नही ना, देख आज तेरी ख्वाइश पूरी कर देता हूँ. ये देख रही है, इसे आसिड कहते हैं, बाल पर डालूँगा, फिर कभी नही आएँगे.
इतना बोल कर अपनी अपने हाथों मे पकड़े एक सीसे की बॉटल को हिलाने लगा जिसके उपर से हल्का धुआँ भी निकल रहा था, लड़कियाँ बड़ी ज़ोर से चिल्लाने लगी, "छोड़ो इसे", "कोई है क्या", "हेल्प, हेल्प"....
क्षण भर मे ही तमाशा हो गया. सभी लड़कियों को चिल्लाते देख गेट से निकलने वाले स्टूडेंट जमा हो गये. गौरव भी सैली को ही ढूंड रहा था, कल रात को अपसेट थी, और सुबह मिली भी नही, इसलिए वो भी उसी ऑर दौड़ा, सैली का शोर सुन कर.
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12-27-2018, 01:47 AM,
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
भीड़ जमा हो गयी. आसिड देख कर इंदु तो थर्रा ही गयी, क्षण मे ही उसने भयानक दृश्य का अनुभव कर लिया, और डर के मारे काप रही थी. इधर भीड़ जबतक कुछ समझ पाती कि हो क्या रहा है, और कोई एक्शन लेती, उस से पहले ही.... अमर ने वो सीसी इंदु के बाल पर पूरी उडेल डाली........
आसिड पड़ते ही बाल के उपर से धुआँ उठता सब ने देखा. "यस आइ डिड इट" कहता हुआ अमर हँसने लगा. इंदु शॉक के मारे काँपती हुई ज़मीन पर गिर गयी.
भीड़ जमा हो चुकी थी, जो अमर को पकड़ कर पीटना चाहती थी, पर इस से पहले की भीड़ कुछ करती, अमर ने दूसरी आसिड की सीसी बाहर निकाल लिया, और चारो ओर घूम-घूम कर वो सीसी भीड़ को दिखाता हुआ....
"कोई आगे नही बढ़ेगा, नही तो ये आसिड मैं किसी के उपर भी फेक दूँगा. इस लड़की ने कल मेरे साथ एक भद्दा मज़ाक किया था, ये उसका ही नतीजा है, वरना मुझे किसी से कोई लेना देना नही".
उतने मे उसके गालों पर एक तमाचा पड़ा, और आसिड की सीसी नीचे गिर गयी. अपने बालों मे हाथ फेरती इंदु, अमर को खा जाने वाली नज़रों से घूर रही थी. अमर भी किसी उल्लू की तरह अपने गाल पर हाथ धरे, बस इंदु को ही देख रहा था.
इंदु.... जाहिल, गँवार, तुमने मुझे घूरा, मैने तुम्हरे साथ मज़ाक किया. उल्लू, हो क्या जो इतना नही समझ पाए कि आसिड डालने से क्या होगा. पता नही आसिड की जगह क्या था, पर शुक्र है आसिड नही था.
अमर.... साला आज कल आसिड भी नकली आने लगा. तेरे बाल नही गये रुक उस्तरे से तेरा बाल सॉफ कर दूँगा.
तभी फिर एक ज़ोर का तमाचा पड़ा, ये तमाचा गौरव का था, इस बार होश उड़ गये अमर के. गेट पर अफ़रा-तफ़री देख कर, कॉलेज प्रशासन भी वहाँ पहुँच गया. भीड़ को हटाया गया और मुख्य लोगों को ऑफीस ले जाया गया...
प्रिन्सिपल.... ये मेरे कॉलेज मे क्या नाटक हो रहा है. जब से कॉलेज खुला आज तक एक भी केस नही हुआ, ये तुम लोगों ने समझ क्या रखा है.
रीति.... कुछ नही सर थोड़ी सी ग़लतफहमी हो गयी थी.
प्रिन्सिपल.... कैसी ग़लतफहमी ?
वासू.... सर, वो हम सब बस देल्ही मे हो रहे आसिड की वारदातों पर एक डॉक्युमेंट्री बना रहे थे, और आस-पास के लोगों को लगा सच मे अमर आसिड फेंक रहा है.
प्रिन्सिपल..... फिर भी, कॉलेज मे ऐसे सीरीयस इश्यूस, आज के बाद कुछ ऐसा करना हो तो पहले मेरी परमिशन लेना, फिर बाद मे करना. अभी वॉर्निंग दे कर छोड़ रहा हूँ, नेक्स्ट टाइम ऐसा बेहूदा मज़ाक हम ज़रा भी बर्दास्त नही करेंगे.
वासू और रीति ने मिलकर प्रिन्सिपल ऑफीस का मामला बखूबी संभाल ली थी. प्रिन्सिपल ने जाने के लिए क्या बोला, सब ऐसे भागे जैसे पिछे से कोई कुत्ता दौड़ा दिया हो. प्रिन्सिपल ऑफीस से कुछ दूर आगे आने के बाद....
अमर.... ये तू किस चक्की का आटा खाती है, जो तुझ पर आसिड भी असर नही किया. तू इंसान है या शैतान.
गौरव.... चुप, मुँह खोला तो बत्तीसी बाहर कर दूँगा, तू ये बता कहीं ये सच का आसिड होता तो जानता है क्या होता.
अमर..... साची, कहता हूँ आसिड ही था, और क्या होता मेरा कॅरियर खराब हो जाता, पर फिर कोई ऐसा मज़ाक तो नही करता. पर ये साला आसिड को क्या हुआ जो काम नही किया.
पीछे से एक लड़का अमर के कंधे पर हाथ रखते हुए.... से थॅंक्स टू मी गर्ल्स, मैने आसिड के बदले बस एक ऐसा केमिकल दिया जो हवा के कॉंटॅक्ट के आते ही धुआँ देता है, पर कुछ करता नही.
अमर.... नीरज कमीने तो ये तेरा किया धरा है. साले तूने ऐसा क्यों किया. देखा नही इसने मेरा क्या हाल किया.
इंदु गुस्से मे.... बहुत बेहूदा लड़के हो, तुम्हे अकल है कि नही, मैं बस मज़ाक कर रही थी.
अमर.... ऐसे, होंठ पर दाँत काट कर, इतनी सेक्सी बातें की थी, और कहती है मज़ाक कर रही थी. तुझे तो मैं छोड़ूँगा नही, देख लियो तू.
रीति.... चुप-चुप, चुप हो जाओ दोनो, अब और तमाशा नही. इंदु आप इसे सॉरी बोलो, मैने देखा था आप के उस झूट के कारण इसका पागलपन, और आप अमर, आप को ज़रा भी ख्याल नही आया, कि सच मे आसिड होता तो, इसका क्या होता. जाकर गूगल पर सर्च कीजिए'गा, आसिड फेकने के बाद बॉडी के उस पार्ट का क्या होता है. बी आ गुड फ्रेंड, और आप दोनो एक दूसरे को सॉरी कहोगे.
अमर... ह्म्म्म्म ! सॉरी मिस, कहाँ बायो-डेटा की बात हुई थी, और अब तक नाम भी नही पता.
थोड़ी देर शांति बनी रही, और सब इंदु की ओर देखने लगे....
अमर.... देखा सबने इसकी अकड़, क्या, घूर क्या रही हो, अब तुम भी सॉरी कहो.
इंदु... हुहह ! मैं क्यों सॉरी कहूँ, नही कहूँगी, मैं भला क्यों बोलूं.
गौरव.... ये तो ग़लत बात है ना, इसने कहा ना सॉरी, अब तुम भी कहो.
इंदु..... मॅनर लेस लड़के. मैं एक खूबसूरत लड़की हूँ, सॉरी कहना मेरे पर्सनल्टी को शोभा नही देता. वैसे भी मैं दोस्तों को सॉरी नही कहती.
अमर..... क्याअ ? दोस्त, कोई बात नही दोस्त, दोस्ती मे इतना चलता है.
अमर की बात सुनते ही, सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे. अभी कुछ देर पहले बदला-बदला कर रहा था और अभी......
नीरज..... साला पागल, कल ही मीठी बातों पर टकला हुआ, रात भर कहता रहा खून कर दूँगा, और अभी...... थू है तुझ पर.
वासू.... ऑड मॅनर, नीरज सर. कल एक मज़ाक था जो हादसा होते-होते बचा, पर अभी सब ख़तम होकर नयी शुरुआत है. नही ऐसा नही कहते.
नीरज.... हा हा हा, मैं कौन सा सीरीयस था.
इंदु..... अमर तुम्हारी बेवकूफी को देखते हुए, जो कि मेरे एक मज़ाक से शुरू हुआ था, अब हम दोस्त हैं. और मेरे दोस्त, मैं आज अपनी बेज़्जती करवाते हुए भी, एक टकलू के साथ देल्ही घूमूंगी. क्या रेडी हो, पर अब कोई चर्चा नही कल की बात की.
अमर... दोस्त तो हो गये लेकिन कहीं कल वाला हाल ना कर देना, नही तो इस बार क्लोरॉफॉर्म लौंगा. वो इन्होने कहा ना आसिड का असर, वो दिमाग़ मे छप गया, इसलिय बेहोश कर के बाल सॉफ कर दूँगा.
इंदु.... ही ही, नही ऐसा करने की ज़रूरत नही, कॉंटॅक्ट नंबर अपना मेरे मोबाइल मे सेव कर दो, और मैं निकलने से पहले कॉल कर लूँगी.
सब लोग हँसते हुए निकले वहाँ से. वैसे कुछ देर के लिए तो अमर ने सबकी जान ही निकाल दी थी, पर भला हो उसके दोस्त नीरज का जिसने ऐसा नही होने दिया. चारों अपने कमरे पहुँची.
इंदु फ्रेश होकर सबके पास थोड़ी देर रुकी, फिर मुस्कुराते हुए कहने लगी, आउ ज़रा अपने टकलू आशिक़ को देल्ही घुमा कर.
वासू.... इंदु प्लीज़ अब कोई ऐसा मज़ाक मत करना जिस से दोनो की ज़िंदगियों पर असर हो.
इंदु.... डॉन'ट वरी, मेरी भी अकल खुल गयी है, अब ऐसा नही होगा.
इतना कह कर इंदु, अमर को कॉल करती हॉस्टिल से निकल गयी. अमर भी जैसे पहले से तैयार होकर बैठा था, इंदु के कॉल आते ही वो भी बिना कोई देरी किए निकल गया... दोनो रास्ते पर... चलते हुए..
अमर.... इंदु हम कहाँ जा रहे हैं...
इंदु.... अच्छा बताओ हम क्या हैं
अमर.... मतलब
इंदु.... मतलब हमारा रीलेशन क्या है ?
अमर..... दोस्त हैं
इंदु.... ह्म्म्म ! तो दोस्त कहाँ जाएँगे.
अमर.... और यदि बाय्फ्रेंड होता तो कहाँ जाती. हुहह ! इतना तो मुझ मे भी अकल है, सीधा बोलो ना कहाँ जाना है.
इंदु मन मे सोचती हुई... "कम अकल नही है ये भी, बहुत चालू चीज़ लगता है".... फिर अमर से कहने लगी.... मैं ये कहना चाहती हूँ कि हम कोई मूवी चलें.
अमर.... अभी फ्रेंड्स वित बेनिफिट लगी है, चले क्या वो मूवी.
इंदु.... अच्छा, फ्रेंड्स वित बेनिफिट
अमर अपने चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान लाते हुए... हां बाबा वही मूवी.
इंदु.... ह्म ! ये वही मूवी है ना जिसके पहले सीन मे.. दोनो हीरो और हेरोइन का अपने-अपने गर्लफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के साथ ब्रेक-अप हो जाता है. हीरो और हेरोइन काम के सिलसिले मे मिलते हैं, और दोनो की दोस्ती हो जाती है. फिर एक दिन जब दोनो एक मूवी देख रहे होते हैं तो अपने-अपने काउंटरपार्ट को मिस करते हैं, फिर एक डील होती है.. नो एमोशन, नो रिलेशन्षिप, ओन्ली इंटिमेसी, आंड एंजाय दा लाइफ. फिर दोनो अलग हो जाते हैं, अलग होने के बाद एक दूसरे को मिस करते हैं और अंत मे एक अवेसम प्रपोज़ल जैसा लड़की के ख्वाब मे था. क्योँन्न ?
अमर... हां-हां, तो तुम ये मूवी देख चुकी हो. वैसे हम दोनो दोस्त हैं तो सोचा दोस्ती की इस मूवी को देख लिया जाए.
इंदु.... अच्छा जी, मैं खूब समझती हूँ. टू स्मार्ट अमर, मेरे साथ चान्स मार रहा है.
अमर.... मैने कब चान्स मारा, अच्छा तुम पर छोड़ा, जहाँ चलना है चलो.. टॅक्सी-टॅक्सी
एक टॅक्सी आकर उनके पास रुकी. दोनो टॅक्सी मे बैठे.....
इंदु... आप कनाट प्लेस की तरफ ले चलिए.
अमर.... वहाँ क्यों जा रहे हैं ?
इंदु.... पहले चलो, फिर सब पता चल जाएगा.
अमर.... कोई सस्पेंस जैसा मालूम परता है, घायल शेरनी का बदला टाइप वाली.
इंदु.... घायल शेरनी सामने से शिकार करेगी, ना कि कहीं ले जाकर शिकार करवाएगी. ये सब जाने दो कल रात हुआ क्या था ?
अमर.... हुहह ! ऐसा भी कोई मज़ाक करता है क्या ? देखो मेरे सारे बाल चले गये, एक तो लाइफ मे कोई छोरी नही, और जो छोरी आई उसने लाइफ मे अगले तीन-चार महीने तक कोई चोरी ना आए ऐसा बंदोबस्त कर गयी.
इंदु.... हीए हीए, वैसे और कहाँ कहाँ के बाल सॉफ करवा लिए ?
अमर.... दिखाऊ क्या, पूरे 4000 खर्च कर के पूरी वॅक्सिंग करवा लिए. सारे अवांछित (बेकार) बाल और साथ मे फेन्सिंग (सिर के बाल) वाले बाल भी गये, सब तुम्हारे कारण.
इंदु... यक्कक गंदे इतने बाल रखते क्यों हो, सफाई किया करो.
अमर.... तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है, मुझे अब भी गुस्सा आ रहा है उस बात के लिए.
इंदु.... उल्लू हो तो मैं क्या कहूँ. कोई मज़ाक भी करेगा तो क्या तुम ऐसा करोगे.
अमर.... झूठी कहीं की, तुमने मज़ाक किया था, पता नही कल क्या-क्या अरमान सज़ा लिए मैने एक पल मे, और सबको तुमने इंतज़ार के भट्टी मे झोंक दी.
इंदु.... च्छछूंदर, पहली मुलाकात मे ही तुमने इतने सपने सज़ा लिए, मैं यदि मिलने आती तो मेरे कपड़े ही फाड़ देते, सब नियत जानती थी, इसलिए नही आई.
अमर.... चुप-कर झूठी. नियत कराब करने वाली कौन है, अब क्या कोई तुम्हे देखे, तो उसे सिड्यूस कर के ऐसा बदला लोगि.
इंदु.... रात गयी बात गयी, और उसी वक़्त कही था, कि अब कल की कोई चर्चा नही होगी.
अमर.... ले खुद कल की बात छेड़ी और मुझे कह रही है.
टॅक्सी रुक गयी, दोनो उतरे, टॅक्सी वाला... 600 रुपये हुए
इंदु.... अमर खड़े क्यों हो, दे दो ना पैसे.
अमर.... मैं क्यों दूं पैसे, मैं थोड़े ना आया हूँ यहाँ, वैसे भी मैं कोई बाय्फ्रेंड नही तुम्हारा जो नखरे उठाऊ, अभी ताज़ा-ताज़ा दोस्ती ही हुई है बस वो भी एक खरनाक हादसे के बाद.
इंदु.... हाउ रूड अमर. मेरी ऐसे ही केयर करते रहो तो गर्लफ्रेंड भी हो ही जाउन्गी ना तुम्हारी.
अमर.... पहले गर्लफ्रेंड बन जाओ, फिर केयर करता रहूँगा.
इंदु.... ठीक है हो गयी गर्लफ्रेंड, अब मेरे प्यारे अमर पैसे दे दो.
अमर.... मामू समझी है क्या, मैं नही देता पैसे, वैसे भी मैं पर्स भूल आया हूँ घर पर.
टॅक्सी वाला.... ओये, दोनो आपस की बातें बाद मे करना, जल्दी मेरे पैसे दो.
इंदु ने अपने पर्स से पैसे निकाल कर उसे दे दिए. "कमीना ज़्यादा ओवर स्मार्ट बनता है, रुक अभी पता चल जाएगा कि मैं तुम्हे यहाँ क्यों लेकर आई हूँ"
इधर हॉस्टिल मे.... इंदु के जाने के बाद...
वासू.... कल रात को इतना बड़ा ड्रामा कर दी, और आज देख उसके साथ फिर गयी है. मुझे तो इसके लक्षण कुछ ठीक नही लगते, देखना किसी दिन अपने साथ-साथ ये हम सब को ना फसा दे.
सैली.... हां सच कही, पहले दिन नही देखी, पूरी रात हॉस्टिल से गायब रही, रीति कहाँ खोई हो.
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12-27-2018, 01:47 AM,
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति जैसे कहीं खोई सी थी और ख्वाबो से निकल कर आई थी.... "नही कहीं नही, बस सुन रही थी आप सब को. वैसे आज हादसा होते-होते टल गया.
सैली... हादसा, वो तो भला हो उस लड़के का जो आसिड की जगह कुछ और रख दिया, यदि कहीं सच-मच की आसिड होती तब इस इंदु की बच्ची को पता चलता.
रीति... नाना, दोस्त हैं वो हमारी, ऐसी बातें सोचते भी नही.
वासू... ओ' गाँधी जी, बंद करो अहिन्सावदी का पाठ, क्या कह रही थी इंदु, "डफर ही होगा कोई जो इस मज़ाक को सच मानेगा". पर ये कहाँ की बात हुई किसी लड़के को, उसके साथ रात बिताने का ऑफर देकर आने की, कोई भी पागल होगा ही ना.
रीति.... वासू, तो इस ग़लती के लिए आप भी ज़िम्मेदार हुई ना, आप ने भी तो उसे, उस वक़्त सपोर्ट कर रही थी.
सैली.... अब बस भी करो, मैं बोर हो रही हूँ एक ही बात सुन-सुन के, जो हो गया सो हो गया.
वासू.... हां ये भी सही है, अब जो हो गया उस पर बहस क्यों करे, वो जाने और उसका काम. मैं अब उसके किसी भी पागलपन मे सपोर्ट नही करूँगी.
सैली.... आप सब बातें करो, मैं चली ज़रा अपने क्रेज़ी बॉय को छेड़ने.
वासू... वो कैसे ?
सैली.... मैं कहूँगी तुम्हारे (वासू) और उसके बीच कुछ लफडा चल रहा है.
रीति थोड़ी मायूस होकर... ये इत्ति भी प्राइवेट बात तो नही की अकेले मे कि जाए.
वासू... हां, हां, सैली ज़रा हमे भी तो सुना, बड़ा मज़ा आएगा...
सैली "ठीक है" बोलती हुई, स्पेअकर ऑन कर के, कॉल गौरव को लगा दी .....
गौरव......
आअह !! उन की ये आहट क्या हुई,
लगा रिंगटोन नही मेरा दिल बज रहा है.
रीति और वासू को काफ़ी तेज हसी आ गयी इस बात पर, सैली हाथो का इशारा कर के चुप रहने का इशारा की.
सैली..... मेरा क्रेज़ी बॉय कैसा है, आज सुबह से नही मिल पाई सॉली...
गौरव.... आररी कोई बात नही पर कल की बात मुझे रह-रह कर याद आ रही है, मेरा एक बार और मन कर रहा है रॉयल प्लेस चलने का.
रीति और वासू के कान खड़े हो गये, दोनो घुरती नज़रों से सैली की ओर देखने लगे, और एक दूसरे को देख कर हँसने लगी.
सैली हड़बड़ाती हुई.... बस-बस, रोज बाहर डिन्नर अच्छी बात नही है.
गौरव.... अर्रे डिन्नर करना भी कौन चाहता है, मुझे तो बस वो झटके वाली स्पेशल डिश खाना है.
सैली.... हुन्न्ं ! बकवास बंद करो अपनी और जो-जो पुच्छ रही हूँ उसका सही-सही जबाव दो.
गौरव.... अजी पुच्छ लीजिए, हम तो गुलाम है आपके 24 घंटे आप की ही सेवा मे हाजिर हैं.
रीति और वासू के लिए छोटे पॅक मे बड़ा धमाल था. दोनो काफ़ी मज़े के साथ सुन रही थी. दोनो को रह-रह कर हँसी इस बात पर आ रही थी...."कि कहाँ सैली, गौरव को परेशान कर रही थी, और खुद घबराई हुई सी लग रही है"
सैली.... मुझे ये बताओ कि तुम्हारे और वासू के बीच मे ये क्या चल रहा है ?
गौरव.... अजी आप मालकिन हैं, आप कुछ भी चला कर कर रूठ जाइए हम से, हम तो कब से बेचैन है आप कब रूठे , और हम मनाने आए.
दोनो हंस-हंस कर बिस्तर पर लोटपोट हुए जा रही थी.....
सैली थोड़े गुस्से मे.... जो पुच्छ रही हूँ वो बताओ ना, इधर उधर की बातें ना करो...
गौरव.... तुम्हारी कसम, हम दोनो के बीच कुछ भी नही. और मैने तुम्हारी कसम ली है, यदि इसके बाद भी कोई सवाल की तो मैं बात नही करने वाला.
ले सैली क्या सोची थी, और क्या हो गया. अब तो उसके पास कुछ बचा ही नही था कहने को.
गौरव... क्या हो गया, तुम चुप क्यों हो गयी. अर्रे छोड़ो ये सब, लगता है तुम्हारा मूड ऑफ हो गया, चलो ना चलते हैं वहीं, जहाँ कल...
गौरव इतना बोला ही था कि कॉल कट कर दी सैली ने. रीति और वासू, सैली को देख कर बस हसे ही जा रही थी. दोनो की हसी रुक ही नही रही थी.
सैली अपना दोनो हाथो को उठा कर .... क्य्ाआअ ? चुप भी करो अब प्लीज़.
इतना कही ही थी कि सैली के फोन की घंटी बजी, कॉल गौरव का था. सैली पिक करती हुई गौरव को "बाद मे कॉल करती हूँ" कहती हुई, कॉल डिसकनेक्ट कर दी.
वासू..... सैली झूठी, ये कल रात का चक्कर क्या था.
रीति.... हुन्न्ं-हुन्न्ं, बताओ-बताओ मेडम
सैली थोड़ी शरमाती हुई..... अर्रे वो ड्रेस कोड बताया था ना, तो मैं जब कपड़े बदल रही थी तब उसने मुझे एक बार पूरा देख लिया था.
रीति अपने मुँह पर हाथ रकति..... हूऊ ! मतलब कुछ नही पहनी थी उस वक़्त आप.
सैली "हाँ" मे अपना सिर हिला दी.
वासू.... ओ' मेरी भोली रीति, तुम इतना आश्चर्य क्यों कर रही है, और सैली तू क्या झूट पर झूट बोल रही है.
सैली.... मैं साची बोल रही हूँ.
वासू.... पहली बात तो ये कि क्या होटेल वालों ने तुम्हे ब्रा और पैंटी भी दिया था बदलने के लिए जो पूरी नंगी थी, और दूसरी बात कि तू खा ले अपने क्रेज़ी बॉय की कसम मैं मान लूँगी.
सैली.... क्यों तंग कर रहे हो तुम दोनो.
रीति एक बार फिर अपने मुँह पर हाथ रखती.... तो क्या सब हो गया.
वासू.... ये भी ना बात-बात पर इतना शॉक होती है, कि ऐसा लगता है जैसे कोई पहाड़ टूट गया हो. हां सैली बता ना, बता ना प्लीज़, कल क्या सब हुआ.
सैली.... मैं जा रही हूँ, तुम सब मुझे छेड़ रही हो.
वासू.... अर्रे यही तो गर्ल्स हॉस्टिल के खास बात है, खुल कर जियो. लाइफ बहुत बिज़ी है पगली, यही वो समय है जब खुल कर जियो.
सैली.... हां सब हो गया, अब तो खुश ना.
रीति.... ये दोनो तो यहाँ पहले दिन भी हॉस्टिल मे...... वो गौरव केवल तौलिए मे था और दोनो साथ बिस्तर पर लेटे थे.
सैली.... नही-नही उस दिन कुछ नही हुआ था, कसम से.
वासू.... अर्रे तो कल क्या-क्या हुआ वो तो बता.
सैली.... मुझे शरम आती है, मैं नही बताती.
वासू.... अब तू भाव खा रही है, बता ना प्लीज़.
सैली.... ठीक है, ठीक है बाबा, पर तुम सब को भी अपने-अपने बारे मे बताना होगा.
रीति.... पर....
इतना ही बोली थी कि वासू उसकी बात को काट'ती हुई.... हां पता है, तुम क्या कहना चाहती हो, पर कुछ तो होगा कहने के लिए, हम उसी को मान लेंगे. ठीक है सैली डन, अब तू बोलना शुरू कर, कल क्या-क्या हुआ था.
सैली.... ओह्ह्ह हूओ ! छुपी रुस्तम, तो तुम्हारी भी ओपनिंग हो ही गयी है.
वासू.... हहे, तो क्या तुम्हे ही आग लगती है, अब ज़रा बता भी, कल हुआ क्या था...
सैली.... हम यहाँ से निकले डिस्को जाने के लिए.....
वासू बीच मे बात काट'ती हुई..... डिस्को के लिए निकली और पहुँची होटेल. ये सब बॅक ग्राउंड छोड़, ये बता कौन फिसला और कहानी शुरू कैसे हुई, बॅकग्राउंड सुना कर बोर मत कर.
सैली.... वो, फिसली तो मैं ही थी. मुझे कल पता नही क्या हो गया, ऐसा लगा जैसे अंदर कोई आग भड़की हो, इसलिए मैने होटेल जाने का फ़ैसला किया. पहले तो गौरव राज़ी नही था, फिर मैने उसके सामने ही अपने कपड़े उतार दिए और, बाथरूम खोल कर नहाने लगी. उसकी भी आग भड़क गयी और वो भी पहुँच गया बाथरूम. और फिर सब हो गया.
वासू.... ईश्ह्ह ! इसमे क्या था, क्या रेप हो गया था तेरा. थोड़ी फीलिंग के साथ सुना, जब कपड़े उतारी तो उसकी नज़रें कैसी थी, और जब बाथरूम मे गया तो कहाँ-कहाँ हाथ लगाया और तेरे अंदर कैसी-कैसी आग भड़की.....
सैली एक ठंडी आह भरती हुई, पूरी सांस अंदर खींची, अपने आँखे थोड़ी मूंदी और चेहरे पर एक प्यारी मुस्कान लाते अपनी फीलिंग बयान करना शुरू की...........
रीति को थोड़ा डाउट हुआ और उसने अपनी शंका उन दोनो से बताई.. वो सब भी हॉस्टिल पहुँच गयी. तीनो सीधा वासू के कमरे घुसी, जहाँ इंदु पेट पकड़ कर बस हसे ही जा रही थी. इंदु को हँसता देख तीनो के मन मे बस यही ख़याल आया, "हो ना हो ज़रूर कोई कांड कर आई है".
वासू.... इंदु, अमर कहाँ है, और तुम फिर कोई मुसीबत मोल लेकर आई.
अभी इतनी ही बात हुई थी कि..... तेज आवाज़ रूम मे बाहर से सुनाई दी....
"छोड़ो मुझे तुम दोनो, आज तो मैं इस लड़की को सबक सीखा के रहूँगा, सारा मज़ाक करना भूल जाएगी"
"पर हुआ क्या है ये तो बताओ"
"मेरा दिमाग़ खिसक गया है, छोड़ दो तुम दोनो मुझे, नही तो पहले तुम दोनो को ही भुगतना पड़ेगा"
आवाज़ सुनकर चारो लड़कियाँ बाहर आई, गौरव और नीरज, अमर को पकड़ने की कोशिस कर रहे थे और, अमर अपने हाथ पाँव मारता उन से छूटने की कोशिस मे लगा था.
रीति.... बंद करो ऐसे पागलों की तरह करना, सब मुँह बंद कर के चुप-चाप अंदर आओ.
रीति के तेज स्वर से वहाँ का महॉल खामोसी मे बदल गया. सब अंदर आए, और चुप-चाप खामोश बैठ गये.
वासू.... तुम सब शांति से मामला निपटाओ, मैं सब के लिए चाय लाती हूँ.
रीति..... अब कोई कुछ बोलेगा भी, क्या हुआ था. मुझे ये झगड़ा-लड़ाई बिल्कुल पसंद नही.
अमर.... रीति जी, मैं इसका खून कर दूँगा, मज़ाक की भी हद होती है.
सैली.... पर हुआ क्या...
अमर.... हम गये थे कनाट प्लेस घूमने, वहाँ मैने इस से कहा तुम घुमाने लाई हो तुम दो टॅक्सी के पैसे ...
इतना ही बोला था की बीच मे शैली टपक पड़ी.... हुहह ! बदतमीज़ लड़के एक खूबसूरत लड़की के साथ जाते हो और टॅक्सी का किराया भी नही दे सकते.
अमर.... क्यों पे करूँ, मैने कहा था घूमने चलना है. खूबसूरती के चक्कर मे दो बार मामू बन गया. साला इन लड़कियों की बात पर पिघलना ही नही चाहिए, हमारी कमज़ोरी जान कर हमारा फ़ायदा उठा लेती हैं.
रीति... बस करो दोनो इधर-उधर की बातें करना, हां बोलिए अमर, फिर क्या हुआ..
अमर.... हट जाइए आप रीति जी, मैं पहले इसका गला घोंट दूं, फिर बताता हूँ क्या हुआ....
सैली और रीति दोनो आँखें दिखाती हुई ...... अब बोलो भी...
इतने मे वासू भी आ गयी, सबको चाय दी और वो भी वहीं बैठ गयी, चाय की चुस्कियाँ लेते सब अमर को देख रहे थे...... अमर ने फिर एक हास्य-प्रद दुखद घटना का विवरण कुछ इस तरह किया....
"मुझे कनाट प्लेस ले गयी, इसने कही कि मुझे शॉपिंग करनी है, तो मैं भी इसके साथ गया माल मे. पहले फ्लोर पर चढ़े ही थे, कि इसके फोन की घंटी बजी, और "हां, हूँ, अभी भेजती हूँ" बस ये तीन लाइन बात कर के फोन काट दी"
"फिर मुझ से कहने लगी 'लक्स के एग्ज़िक्युटिव मॅनेजर का फोन था, उसे अपनी चड्डी की एड के लिए कोई नया मॉडेल चाहिए, तुम्हारे पास है क्या कोई चड्डी वाली फोटो'. मैने "ना" मे सिर हिलाया. मैं उस वक़्त मना करता रहा कि नही मुझे मॉडेल नही चुनेगे, फिर भी इस इंदु ने ज़बरदस्ती मुझे चड्डी दी और भेज दी चेन्जिन्ग रूम मे"
"मैने वहाँ से अपनी एक पिक निकाली, तो मुझ से बोलती है, नही ये बंद कमरे मे पूरा लुक नही आया, तुम एक काम करो, बाहर आओ मैं पिक निकालती हूँ. मैने मना किया तो हँसने लगी. कहने लगी मॉडेल बनेगा और शरमा रहा है, चल बाहर आ और पिक खिंचवा".
"और भी बहुत कुछ टॉंट मे बोली. जैसे कि फटतू लड़का, शर्मिला, लड़कियाँ भी आज कल इतना ना शरमाये यदि उसे कोई मॉडलिंग का ऑफर आता है तो. अब लड़की से मैं बातें सुन रहा था, मेरा ईगो हर्ट कर गया और मैने भी हामी भर दी और पिक खिंचवाने बाहर आ गया. फिर इसने मुझे दूसरी चड्डी दी, और कहा इसे पहन कर आओ, दो तीन कलर मे ले लूँ ताकि सेलेक्षन पक्का हो".
"इसकी इत्ति कॉन्फिडेंट बातें सुनकर मुझे लगा, कि अब तो मैं मॉडेल बन ही गया. मेरा वाला चेंजिंग रूम मे कोई और घुस गया था, तो मैं दूसरे मे चला गया, और जब बाहर आया तो ये गायब थी. और साथ मे गायब थे मेरा कपड़े, जो बगल वाले चेंजिंग रूम मे थे.
"चड्डी मे मुझे घुमा दी शॉपिंग माल. ना तो फोन था और ना ही पैसे. हरमखोर माल वाले वो, उनकी दुकान की पहनी चड्डी भी उतरवाने पर आतुर थे".
"पैर पकड़े, गिडगिडाया-, भीख तक माँगी लोगों से, कि मदद कर दो, मैं उसके पैसे रिटर्न कर दूँगा, तब जाकर तरस खा कर वहाँ के मेनेज़र ने एक कॉल करने दिया और भला हो नीरज का जिसने मुझ नंगे को कपड़ा दिया. तुम सब छोड़ दो मैं इसका खून कर दूँगा".
किसी तरह दोनो का मामला शांत किया गया. बात जो कुछ भी हो पर लोग हंस-हंस के पागल हो गये. पिच्छली रात मुंडन करवाई, और आज नंगा.
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
हँसी मज़ाक और पढ़ाई के बीच सब का दिन गुजरने लगा. सब अपनी चाहत और काम मे व्यस्त हो गये. देखते-देखते इन सब का आधा साल यानी 6 महीना कैसे गुज़रे किसी को पता भी नही चला, सबकी दोस्ती गहरी होती चली गयी. ख़ासकर रीति और वासू की.
जहाँ भी होते ये दोनो साथ ही पाए जाते, शायद इसका कारण ये भी था कि वासू का बाय्फ्रेंड यहाँ नही था, और रीति का कोई बाय्फ्रेंड नही था. दोनो शाम को फ़ेसबुक पर पूरा महॉल भी बनाने लगी थी, और लाइफ को एंजाय भी कर रही थी.
रीति के जेहन से उस रात हुई एक छोटी सी मुलाकात भी अब धुंधली सी पड़ती जा रही थी, और वो अपनी पढ़ाई और दिनचर्या मे ज़्यादा व्यस्त थी.
बात यही कुछ 6 महीने बाद की होगी, सभी स्टूडेंट को पहला डिजाइन बनाने का आसज्नमेंट मिला था, और जीतने वाले पहले दो डिजाइन को प्राइज़ भी मिलता.
सैली को पक्का यकीन था कि प्राइज़ उसे ही मिलना है, क्योंकि सैली के डिजाइन मे दो लोगों का योगदान था, एक तो खुद सैली और दूसरा गौरव. उनका डिजाइन वाकई मे बहुत बढ़िया भी था. इधर विक्की से जान पहचान को लेकर इंदु को भी यकीन था कि डिजाइन तो उसी का पास होना है, क्योंकि उसका डिजाइन उसी कॉलेज का कोई टोपर बना रहा था.
वासू को कोई मतलब ही नही था, वो बस पार्टिसिपेट कर रही थी, और रीति वो भी पूरे दिल से इस कॉंपिटेशन को जीतने मे लगी थी.
कॉलेज मे प्रेज़ेंटेशन का दिन आया. सैली और इंदु ने एक दूसरे का डिजाइन देखा, और दोनो एक दूसरे को डिजाइन को देख कर काफ़ी करेज करने लगी. रीति और इंदु भी दोनो का डिजाइन देखी और उन्हे भी काफ़ी पसंद आया.
सबके इतने इंकोरगेमेंट मिल रहे थे इंदु और सैली को, कि वो रीति और वासू की मेहनत को ठीक से देखी भी नही और अच्छा है कहती हुई, भीड़ मे अपनी वाह-वाही लूटने चली गयी.
इंदु और सैली का इस तरह का रवईया देख रीति को थोड़ा बुरा लगा, उसे लगा अपने दोस्त ही नही ध्यान दे रहे हैं उनकी मेहनत पर. वासू ने जैसे दिल को आवाज़ समझ ली हो रीति की ... और वो उसके कंधे पर हाथ रखती हुई ....
"जाने दे ना, दोनो को इतनी तारीफे मिल रही है, इसलिए शायद भूल गयी ठीक से देखना. पर मैं जानती हूँ तेरा डिजाइन सुपर्ब् है. देखना जब तू प्राइज़ जीतेगी, तब इन दोनो को तुम्हारी क्वालिटी के बारे मे पता चलेगा, और इनको नाज़ होगा तुमपर".
रीति थोड़ी एमोशनल होती हुई.... यार दुख़्ता है, दोस्त थे मेरे. दो लाइन अच्छे से बोल देते, झूता हे सही तो क्या चला जाता. और आप ये सब मेरा दिल रखने के लिए मत बोलो. उन्होने तो देखा भी नही मेरा डिजाइन और आप कहती हो यही डिजाइन जीतेगी.
वासू.... चियर अप रीति, चल यहाँ से बाहर चलते हैं, जीत हो या हार हो, पर मैं जानती हूँ तुम दिल से मेहनत की हो, इसलिए मेरे लिए तो विन्नर तुम ही हो, भले तारीफें किसी को भी मिले.
रीति की आँखें नम हो गयी, वो थोड़ी भावुक होती हुई वासू के गले लग गयी और थॅंक्स कहने लगी. वासू भी उसके पीठ पर हाथ थप-थपाते... हट पगली, बचों की तरह रोती है, ऐसे गले लगी रहेगी तो लोग हमे लेज़्बीयन समझने लगें'गे. मेरा क्या मैं तो सेट्ल हूँ अपने बाय्फ्रेंड के साथ, नुकसान तेरा ही होगा.
रीति, वासू से अलग हट'ती हुई... कोई बात नही जिसे जो समझना है समझे, पर मेरे लिए तो आप वही रहेंगी, वैसे भी बाय्फ्रेंड का क्या करना है, वो तो पता नही कहाँ गुम गया पहली मुलाकात के बाद.
दोनो हस्ती हुई एग्ज़्बिशन हॉल के बाहर चली आई.....
वासू... तू अभी तक नही भूली उसे रीति.
रीति... लगभग ही समझो वासू, वो तो आज आप ने चर्चा की, इसलिए याद आ गया.
वासू... पगली, इसे यादों मे बसना कहते हैं, हां एक ख्वाब जैसा है वो तुम्हारे लिए, पर कोई है तो सही, चल अब मुस्कुरा.
रीति, वासू की बात पर थोड़ा मायूस होती हुई... वासू लेकिन मुझे कुछ भी नही पता ना उनके बारे मे. यदि वो मिल भी गये, और भगवान ना करे लेकिन कहीं वो कोई आवारा किस्म के इंसान निकले तो क्या करूँगी. दिल तो मेरा बैमान हो गया है. नही, नही मुझे भूलना ही होगा उन्हे.
वासू... आररी, मुस्कुरादे कहा तो मायूस हो गयी, तू सोच मत, प्यार डेस्टिनी होता है. किस्मत से मिलता है, उसे किस्मत के भरोसे छोड़ दे, और दिल की आवाज़ सुन. क्योंकि ये दिल का मामला है, दिमाग़ से नही सुलझेगा. वैसे तू अच्छी है तो वो ज़रूर लाखों मे एक होगा, ऐसा मेरा दिल कहता है.
रीति... एक बात पुछु वासू ?
वासू.... अर्रे पुछो ना, अब क्या इसके लिए इज़ाज़त लोगि.
रीति.... तुम अनु को मिस नही करती ?
रीति ने जैसे कोई दुखती रग छेड़ दी हो, वासू की आँखें आसुओं से भरी नज़र आने लगी, हल्का भारी गले से बोली.... असाइनमेंट सब्मिट करने चले.
रीति बस वासू की आँखों मे उस पानी को देख रही थी जो अनु के ख्याल से आए थे, खामोश हो गयी दोनो, और इसी खामोसी के बीच अचानक अनु का कॉल आ गया.....
अनु.... मुआहह माइ लव कैसी हो, दिल बेचैन हो गया तो सोचा याद कर लूँ.
वासू... कॉलेज मे हूँ बाद मे कॉल करती हूँ.
अनु, वासू की आवाज़ सुनकर थोड़ा घबराते हुए...... क्या हुआ माइ लव, तुम रो रही थी ?
अनु का इतना कहना था कि आँसू जो अब तक आँखों मे नज़र आ रहे थे वो थोड़े छलक गये...
वासू.... बहुत दिन से देखी नही, एक बार आ जाओ प्लीज़.
अनु.... वासू, दिल तो मेरा भी नही लग रहा, तुम्हारी यही मर्ज़ी है तो यही सही, 2 महीने का समय ले सकता हूँ क्या ?
वासू.... मुझे कुछ नही सुन'ना तुम बस जितनी जल्दी हो सके आओ.
अनु.... तुम्हे मेरी कसम जो रोई तो, चलो अच्छे बेबी की तरह आँसू पोछो और ज़रा मुस्कुराओ, वरना मैं भी यहाँ रोने लगूंगा.
वासू.... नही रोती मैं, वो तो आज रीति की चाहत देख कर मेरी चाहत तड़प गयी, और ये आँसू खुद-व-खुद आ गये.
अनु... कहाँ है मेरी साली साहिबा, ज़रा दो फोन, आज उन्ही के साथ थोड़ा चान्स मार लूँ.
वासू... थप्पड़ खाओगे क्या अनु ?
अनु.... अज़ी थप्पड़ भी मार लीजिएगा, ये गाल भी आप का और हम भी आप के. सोचा आप तो रोती रहेंगी, तो दो-चार प्यार भारी बातें उसी से कर लूँ.
अनु की बात सुनकर वासू के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ गयी, अपनी आँसू पोछती वासू कहने लगी....... "बस-बस ओवर आक्टिंग बंद करो, नॉर्मल हूँ. अब थोड़ा अच्छा लग रहा है. वैसे कोई ज़रूरी नही काम छोड़ कर आने की आराम से 2 महीने बाद आना".
अनु... जो हुकुम आप का. लेकिन प्लीज़ रोया मत करो. बी माइ स्टोंग गर्ल. तुम से ही तो हिम्मत मिलती है. पता है, ज़रा भी दिल नही लगता यहाँ, ऐसे मे तुम यदि रोती हो, तो मैं सब छोड़ कर चला आउन्गा.
वासू... ठीक है बाबा नही रोती. अब मैं फोन रखूं, असाइन्मेन्त जमा करने जाना है.
अनु... ठीक है ख्याल रखना अपना.
वासू.... बाइ, लव यू माइ स्वीटहार्ट, मुआााआहह.
दोनो की बातें ख़तम होते ही रीति, वासू से कहती हुई.... क्यों मेडम, अभी तो मुझे कह रही थी मायूस ना हो, और खुद रोने लगी, उपर से अनु जब पुच्छ रहे थे तो रोने का कारण भी मुझे ही बना दी.
वासू.... सच ही तो कही. जब तुम मायूसी से कही, की लगभग भूल हे चुकी हूँ, तो अपने प्यार से दूर होने का दर्द च्चालक आया. मैं तुम्हे हसा कर, बात ख़तम करने वाली थी, लेकिन पता नही क्यों तुमने भी अनु की बात च्छेर दी. मुझे तो लगता है, अनु को म्स्ग भी सेंड तुम्ही की होगी, तभी उसका कॉल आया.
रीति... हहे, रोने का कारण भी मैं, और अनु के कॉल आने का भी कारण मैं. आज लगता है सारे इल्ज़ाम मुझ पर लगने वाले हैं. चले अब असाइनमेंट जमा करने, वरना एक इल्ज़ाम और लग जाएगा .. तुम्हारी वजह से असाइनमेंट नही जमा कर पाई.
दोनो हँसती हुई वापस हॉल मे आई, इंदु और सैली अब भी अपने डिजाइन को लेकर काफ़ी उत्साह मे लग रही थी, वासू और सैली भी उनका उत्साह बढ़ाती उनके करीब ही रही.
उसी रात रीति अपने ख्यालों मे गुम बस सुबह हुई वासू की बात को याद कर रही थी, और याद करते-करते उसे अचानक क्या सूझा उसने वासू को कॉल लगा दी....
"इतनी रात मे रीति, सब ठीक तो है ना"
रीति.... हां, सब ठीक है, सोचा थोड़ा बाहर घूम लूँ, क्या कहती हो.
वासू.... लेकिन इतनी रात को कहाँ जाएँगे, सो जाओ अभी कल चलते हैं.
रीति.... नही, अभी चलना है, चलो ना.
रीति की ज़िद के आगे वासू की एक ना चली, अंत मे हार कर उसे रीति के साथ आना ही पड़ा. वासू के चेहरे पर तब मुस्कान आ गयी, जब रीति उस से गेट 2 से बाहर घूमने को कहने लगी....
वासू.... हहे, रीति अपने साजन को ढूँढने निकली है.
रीति थोड़ा शरमाती हुई.... आप ही कही थी ना, वो लाखों मे एक होगा, तो सोची मेरे लाखों मे एक साजन से, कहीं वहीं फिर से मुलाकात हो जाए जहाँ हम पहली बार मिले. उफ़फ्फ़ लेकिन ये परेशानी, एक तो वो इतने दिनो से कहीं मिले नही उपर से इतनी रात मे वो गेट कैसे खुलेगा, उस वॉचमेन को क्या कहेंगे?
वासू.... अर्रे तुम्हारी इस दिल-ए-ख्वाइश के बीच उस गेट और गेटकीपर को थोड़े ना आने दूँगी. चल...
वासू और रीति पहुँचे वॉचमन के पास, वासू ने वॉचमन को 100 की एक हरियाली दिखाई, और गेट खुल गया. दोनो गेट से 200 मीटर लेफ्ट और राइट टहलती हुई बात करने लगी, काफ़ी इंतज़ार के बाद भी कुच्छ हासिल नही हुआ.... उस लड़के का कोई अता-पता नही था.
वासू... चले क्या अब रीति, रात बहुत हो गयी है.
रीति के चेहरे पर मायूसी सॉफ देखी जा सकती थी, बुझे मॅन से हामी भर दी, और धीमे-धीमे अपने कदम गेट की ओर बढ़ती, और मूड-मूड कर पिछे देखती हुई रीति चल दी.
अगले रात को ठीक उल्टा हुआ... वासू का कॉल रीति के पास आया...
"वासू, आप इतनी रात गये कॉल, सब ठीक तो है ना"
वासू.... ख़ैरियत बाद मे पहले चलते हैं बाहर, थोड़ा घूम आया जाए.
रीति... रहने दीजिए शायद हमारी किस्मत बस उस एक मुलाकात तक ही थी, क्या पता उसके लाइफ मे कोई और हो.
वासू... हिम्मत क्यों हारती है, वैसे भी हम तो केवल घूमने जाएँगे, वैसे भी हमारी प्यारी रीति किसी लड़के को मिले ये उसकी किस्मत की बात है, अब चले रीति मैं.
प्यारी सी मुस्कान के साथ रीति अपने कमरे से बाहर निकली, और आज भी ठीक वैसे ही वॉक करती हुई बात करते उस अंजाने सख्स की राह देखने लगी. लेकिन आज भी मायूसी ही हाथ लगी. तकरीबन एक हफ्ते तक यही सिलसिला चला, और दोनो रोज रात को बाहर घूमने जाती, बात करती उसका राह तकती, पर कुछ हासिल नही हुआ. अंत मे हार कर दोनो ने रात मे निकलना बंद कर दिया.
रीति लगभग खुद को समझा चुकी थी, कि वो बस एक अचानक सी हुई मुलाकात थी, उस से ज़्यादा कुछ नही, पर रीति का दिल रह-रह कर, उस अंजान सख्स को एक बार और देखने की माँग कर रहा था.
तकरीबन एक हफ्ते बाद ही असाइनमेंट का रिज़ल्ट भी आ गया. पर ये रिज़ल्ट किसी की ख़ुसी तो किसी के गम के लिए जैसे निकला हो. सैली और इंदु को उम्मीद थी कि उनके डिजाइन टॉप रॅंकिंग मे होंगे, पर इंदु का डिजाइन अंडर 25 मे भी नही था.
उसका सबसे बड़ा कारण ये था कि, जिसने उसका डिजाइन बनाया था, वो लड़का पहले ही उस डिजाइन के लिए फर्स्ट प्राइज़ ले चुका था कॉलेज से. इधर सैली का डिजाइन भी, उतनी बढ़िया छाप नही छोड़ पाया मार्किंग करने वालों को.
दोनो खुद को तसल्ली भी दे देती अगर इस कॉंपिटेशन मे रीति का डिजाइन टॉप नही किया होता. बीते कुछ साल अपनी बहन काव्या के साथ बूटिक़ मे काम करते-करते सैली को फैशन और उस से जुड़ी तकनीकी चीज़ों का बखूबी ज्ञान हो गया था, साथ मे कपड़ों के डिजाइन को लेकर उसकी अलग मनसा, और अपने काम को दिल से करने की लगन ने रीति को आज टॉप करवा दिया.
रीति के डिजाइन को पहला स्थाअन मिलते ही इंदु और सैली के चेहरे पर जैसे कितने सवाल उमर पड़े हो... "ये लड़की, जो गँवार तरीके से रहती है, ये कैसे जीत सकती है". दोनो को ये बात कतई नही पच रही थी, कि रीति को टॉप पोज़िशन मिला है.
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
कहते हैं जीत की ख़ुसी या गम सबसे ज़्यादा आप के करीबी को ही होता है. जहाँ एक ओर वासू, रीति की इस जीत पर बेहद खुश नज़र आ रही थी, वहीं इंदु और सैली, रीति की इस जीत पर अंदर ही अंदर पूरा जल-भुन गयी थी. ये जलन, रीति के प्रति ईर्ष्या का रूप ले चुका था, और वक़्त ने अपनी साजिस रचनी शुरू कर दी थी... सबकी जिंदगी की एक अंजान रहें......
इंदु काफ़ी तेवर मे थी इस बात को लेकर और मौका देख कर सबसे पहले उसने विक्की को फोन लगाई.....
विक्की.... क्या हुआ इंदु...
इंदु.... वो कैसे फर्स्ट आ सकती है ?
विक्की.... देखो मुझे बहुत सारे काम हैं, और मैं बार-बार नही पुच्छने वाला कि क्या हुआ, अब पूरी बात सॉफ-सॉफ बताओ.
इंदु.... विक्की तुमने कहा था मेरा डिजाइन टॉप करेगा, पर कॉलेज वालों ने किसी गँवार का डिजाइन टॉप किया है.
विक्की.... वो गँवार तुम से होशियार होगी. मैं कॉलेज के डिजाइन मे कोई इंटरफायर नही करता. कई सुपरस्टार्स के बेटे को यही लगता है कि वो भी सुपरस्टार बनेगा, पर टॅलेंट वाले उसे कहाँ पिछे छोड़ देते हैं पता भी नही चलता. हम ग्लॅमर फील्ड से हैं, और यहाँ मेहनत और अकल वालों की सदा कदर होती है....
इंदु.... तो क्या मुझ मे कोई टॅलेंट नही, और वो लड़की तो अपनी जीत पर ऐसे इतरा रही है जैसे मिस वर्ल्ड हो.
विक्की.... तुम्हे हेल्प चाहिए थी, हेल्प किया. लेकिन कॉलेज टॅलेंट खुद चुनती है, और हमारा नाम है. यहाँ से अगर स्टूडेंट अच्छे नही निकले तो कॉलेज का रेप्युटेशन खराब होगा. वैसे भी तुम क्यों चिंता करती हो, ये जितने टॅलेंटेड हैं, आगे जाकर गिने चुने ही अपना मुकाम बनाते हैं... काम इनका नाम किसी और का. तुम अभी नही समझोगी ये सब बात. वैसे उस लड़की से तुम्हे दोस्ती कर लेनी चाहिए क्योंकि आगे तुम्हे बहुत मदद मिलेगी.
इंदु, गुस्से मे विक्की का फोन कट कर दी और वापस चली आई हॉस्टिल. इधर, सैली गुस्से मे तमतमाई गौरव से कहने लगी..... इन कॉलेज वालों को ज़रा भी अकल नही है, किसी को भी टॉप करवा देते हैं. उस रीति को ज़रा भी ज्ञान है फॅशन का, और उसे टॉप करवा दिए.
गौरव... अब छोड़ो भी, फाइनल असाइनमेंट तो बाकी है ना, हम और मेहनत करेंगे, और देखना इस बार तुम टॉप करोगी.
सैली... नेक्स्ट टाइम माइ फुट, जब वो रीति की बच्ची हँसती है तो कलेजे मे आग लग जाती है. उसे तो मैं बताती हूँ.
इतना कहती हुई सैली वहाँ से चली आई. दो दिन बाद की बात है, कॉलेज मे रीति एक प्रोफ़ेसर से हाथ मिला रही थी, और वो प्रोफ़ेसर भी हँसते हुए बात कर रहा था. उस प्रोफ़ेसर से बात करते हुए जब सैली ने देखा तो इंदु को टोकती हुई.... देख-देख, ये वही प्रोफ़ेसर है ना जो हमारे डिजाइन चेक कर रहा था.
इंदु... हां ये प्रोफ़ेसर तो वही है, पर ये रीति इस से ऐसे क्यों हंस-हंस के बात कर रही है. मुझे तो दाल मे कुच्छ काला नज़र आता है.
सैली... समझी नही इंदु, ठीक से बता ना क्या कहना चाहती है.
इंदु.... मुझे लगता है रीति ने वन नाइट ऑफर किया था, जिस के चक्कर मे आकर इस प्रोफ़ेसर ने उसे टॉप करवा दिया.
सैली.... क्या बक रही है, रीति ऐसा कुछ नही कर सकती.
इंदु.... जान यहाँ जो दिखता है वो होता नही, शायद तुम्हारी बातें भी सच्चाई हो, मगर इस बात को झुठलाया नही जा सकता, कि वो किसी भी एंगल से टोपर नही लगती, फिर भी टॉप की.
सैली के दिल ने इंदु की बात को सच मान लिया पर वो दिखावा करती .... जाने दे अब जो हो गया उसमे क्या कर सकते हैं, आख़िर रात बिता कर काम निकलवाना भी तो टॅलेंट ही है, चल चलते हैं.
अंदर की जलन नफ़रत, और नफ़रत से दिमाग़ की कल्पना ने वो चिंगारी भड़काई, कि रीति अब सैली को एक छलावा नज़र आने लगी. सैली ने अब पूर्ण मनसा बना ली कि मुझे रीति को हर हाल ने नीचा दिखाना है, और वो कैसे होगा ये उसके दिमाग़ ने रास्ता बनाना शुरू कर दिया था.
उस रात चारो लड़कियाँ कॅंटीन मे खाने के टेबल पर बैठी थी, तभी अमर और नीरज उनके पास आए और रीति को बधाइयाँ देने लगे ... अमर ने रीति के कॉंप्लिमेंट मे इतना तक कह दिया.... "ब्यूटी विद ब्रेन, ओ' इंदु पागलपन मे दिमाग़ लगाने से अच्छा होता थोड़ा सा रीति के पास बैठ कर कुछ सीख लेती".
इंदु तो ज़हर का कड़वा घूँट पी कर चुप रही, पर सैली को बर्दास्त नही हुआ और वो कहने लगी.... "अमर ये हाइ-क्लास बातें है, रीति ने प्रोफ़ेसर साब का ऐसा दिल जीता, कि उन्हे रीति के डिजाइन से अच्छा किसी का डिजाइन लगा ही नही"... और इतना बोल कर खा जाने वाली नज़रों से घूर्ने लगी रीति को.
रीति उसके टोन को भाँप गयी थी कि ये टॉंट कर रही है, पर उसकी बातों का मतलब नही समझ पाई, बात आगे ना बढ़े इसीलिए मुस्कुराती हुई दोनो का आभार प्रकट कर, "थॅंक्स" कहने लगी.
लेकिन वासू को सैली का टोन ज़रा भी पसंद नही आया, और वो सैली को घुरती हुई कहने लगी..... सैली कम से कम उस प्रोफ़ेसर को टॅलेंट की कदर तो है, तुम और इंदु ने तो हमारे डिजाइन देखी तक नही. वैसे भी रीति को अपनी बहन के साथ बूटिक़ मे काम करने का अनुभव है, उसको फैशन के बारे मे ज्ञान, हम सब से ज़्यादा है.
वासू की बात सुनकर जैसे सैली के दिल मे छेद हो गया हो, अपने चिर परचित गुस्से वाले अंदाज़ मे कहती हुई.... मुझे मत सिख़ाओ फैशन का ज्ञान वासू, मुझे मालूम है फैशन क्या होता है. तुम दोनो को ज़्यादा ज़रूरत है सीखने की.
वासू हँसती हुई....... वो तो डिजाइन एग्ज़िबीशन मे ही दिख गया, किसका ज्ञान कितना है. वैसे भी तुम क्यों इतनी ओवर रिक्ट कर रही हो रीति के टॉप करने पर, उसकी खुद की लगन और मेहनत थी, लेकिन तुम्हारी डिजाइन मे दो लोगों की मेहनत थी, और एक का तो कॉपी डिजाइन था.
वासू की इस बात पर जैसे इंदु को मिर्ची लगी हो.... वासू कॉपी करवाना भी एक टेलेन्ट होता है, वैसे तुम लोगों को फैशन का पता होगा मगर इस फील्ड का नही. सपनो की दुनिया मे हो, बाहर निकल आओ. बड़े बड़े डिज़ाइनर के तलवे चाट'ते हैं ये टॅलेंट वाले और उनके काम पर उन नाम-चीन डिज़ाइनर का मोहर लगता है. मुझे थोड़े ना किसी के तलवे चाटने है, मैं तो इन टॅलेंट वालों से काम करवाउन्गी. जैसा कि अभी मैने करवाया, समझ गयी तुम.
कोल्ड वॉर छिड़ चुका था, और बहस का दौर चालू. नफ़रत ऐसी पैदा हो गयी, कि जो साथ रहते थे उनका शकल तक देखना पसन्द नही रहा. रीति को बहुत दुख हुआ इस बात का और वो अफ़सोस करने लगी कि उसके ही दोस्त उसकी पोज़िशन आने पर ऐसी व्यंग भारी बातें कर रहे हैं.
बात तीन लोगों के बीच हो रही थी, लेकिन उसमे बार-बार रीति को गँवार और मूर्ख कहा गया. बात को ख़तम ना होता देख रीति आधे खाने पर से ही उठ कर चली आई. रीति के बाहर आते ही वासू भी उसके पिछे-पिछे चली आई....
"रीति-रीति, पागल सुनती भी है या अपनी धुन मे चली जा रही है"... वासू, रीति को पिछे से आवाज़ देती हुई.
रीति अपनी जगह रुक गयी, वासू भी साथ हुई उसके.... क्या हुआ, तुम ऐसे क्यों चली आई ?
रीति.... देखी नही क्या आप, दूसरे लोग आकर बधाइयाँ देते हैं, और जो साथ रहते हैं, उनके दिल मे कैसे-कैसे विचार भरे पड़े हैं.
वासू.... दिल छोटा क्यों करती है, जिसकी जैसी फ़ितरत होती है वैसा ही सोचता हैं, उसके लिए तुम क्यों उदास हो रही हो.
रीति... पर यार मैने तो अपना किया, और उन्होने अपना. मैं यदि टॉप नही करती और मेरी जगह वो टॉप करती तो क्या मैं बैर पालती. मुझे यदि टॉप करने की ख्वाइश होती तो मैं उस से ज़्यादा महन्त करती और कॉंपिटेशन देती उसे, ना कि उसके लिए मन मे ऐसे विचार लाती.
वासू.... अब जब जान गयी है, तो रोती क्यों है, तुम हँसती रहो, जिसे जलना है वो जलते रहेंगे. एक काम करती हूँ, कल रूम भी चेंज करवा लेती हूँ, ताकि तुम्हे उसकी शकल ना देखनी पड़े.
रीति... ये भी सही है वासूउुुुउउ .... वासूउउउ वो बाहर्र... वूऊ
वासू.... क्या हो गया तुझे अचानक कोई भूत देख ली क्या ?
रीति.... भूत नही, वो अभी यहाँ से दौड़ता गया......
वासू.... तो खड़ी क्यों है, तेरे वो मिल गये, चल चल कर देखते हैं ....
दोनो तेज़ी से भागी उसी ओर जिस ओर वो लड़का भागा था, दोनो आधा किलोमेटेर चली आई उसके पिछे-पिछे. पर आँखों के सामने जो मंज़र था वो अलग ही कहानी बयान कर रही थी..... दिल की पहली नज़र की चाहतों के बावजूद मन ने यही कहा रीति का .... इसके लिए मैं पागलों की तरह इंतज़ार कर रही थी.
मंज़र काफ़ी खौफनाक था, रीति और वासू जब पहुँची उस जगह पर तो ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ आई. दोनो उस आवाज़ की दिशा मे चल दी, जो एक काउन्स्टरक्षन बिल्डिंग की साइट से आ रही था. दोनो जब पहुँची तो देखी, खून से लथपात एक आदमी यही कोई 45-46 साल का रहा होगा, और उसका गिरेवान पकड़े वही लड़का था जिसकी तलाश ना जाने कितने महीनो से थी रीति को.
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
सामने जो मंज़र था.. वो लड़का उस आदमी का गिरेबान पकड़े कुछ कहा, उस आदमी ने "ना" मे सिर हिलाया, और उसके "ना" मे सिर हिलाते ही सिर पर एक बॉटल फोड़ डाली. वो आदमी पहले से अधमरा था, और उस पर कोई रहम ना दिखाते हुए, वो लड़का उसे मारे ही जा रहा था.
वो लड़का एक हाथ से उसका गिरेबान पकड़े दूसरे हाथ से उसे थप्पड़ पे थप्पड़ मारे जा रहा था. और वो किसी लाश की तरह झूलता बस मार खा रहा था. रीति जब ये देखी तो उस से रहा नही गया, और वो बीच-बचाओ के लिए पहुँच गयी.
उस लड़के ने मारने के लिए हाथ उठाया ही था, कि रीति उसका हाथ पकड़ कर रोक ली. उस लड़के ने गुस्से से लाल आँखें किए अपने बगल मे देखा, आख़िर उसका हाथ पकड़ने की जुर्रत किस ने की, और जब नज़र रीति पर गयी, तो वो नज़रें उधर ही अटक गयी.
उस लड़के के दूसरे हाथ की पकड़ खुद-व-खुद ढीली पर गयी, वो आदमी उसके हाथों से छूट गया था, और छूट कर कब निकला उसे पता भी नही चला, हां लेकिन दूसरा हाथ अब भी उसी तरह उपर ही रहा, जैसे अब भी कॉलर पकड़े ही हो.
इधर जब रीति की नज़रें एक बार फिर उस से मिली, तो वही पिच्छली रात की तरह समा हो गया, वो भी उसका हाथ रोके बस उसी को ही देख रही थी. दोनो के लिए जैसे ये पल थम गया हो, आस-पास इस समा मे जैसे और कोई ना हो, बस वो लड़का और रीति.
"क़ाहह ..... क़ाहह" वासू गले से खरास की आवाज़ निकलती...... दोनो मूर्ति बन गये क्या ?
वासू के टोकने से दोनो का ध्यान टूटा. रीति को फिर वास्तविक स्थिति याद आई, और जो दिल का प्यार था वो मन की चिड-चिड़ाहट बनते हुए ..... "आप उस बेचारे असहाय आदमी को क्यों मार रहे थे, ज़रा भी शरम नही आई आप को उसे मारते हुए. कितना खून निकल रहा था, बेचारा बिल्कुल अधमरा सा हो गया था. मैं ना हाथ पकड़'ती तो आप उसे मार ही डालते"
वो लड़का बस बस रीति के गुस्से से भरे चेहरे को निहार रहा था, गुस्से मे जब वो अपने बाल की लटे इतराकर उस्र की तो ... ईश्ह्ह्ह ! एक चुभन सी पैदा ही गयी उसके दिल मे. वो तो बस रीति के सादगी और खूबसूरती को ही निहार रहा था.
रीति.... मैं क्या पागल हूँ जो अकेली इतने देर से बोली जा रही हूँ, आप को कुछ समझ मे भी आता है.
लड़का.... हाई, मैं अभी हूँ .. अभिनश वेर्मा.
रीति.... अभी हो, या कल हो या परसो हों आप, मुझे उस से कोई लेना देना नही, आप उसे मार क्यों रहे थे.
अभी.... ये तो मेरा काम है, मैं नही मारता तो वो मुझे मारता. अब मार खाने से तो अच्छा है कि मैं ही मार लूँ.
रीति... हुहह ! गुंडे हो या पोलीस हो जो मार पीट करना काम है.
अभी.... एक बात कहूँ...
रीति.... क्या है ?
अभी.... आप बहुत सुंदर हैं, आप के होठ जैसे गुलाब की पंखुरी, गाल लाल टमाटर लगते हैं, झील से गहरी आँखें है, जिनमे डूब जाने को दिल करता है. और जब गुस्से से आप अपनी बाल की लटो को जब उपर करती हैं, हायययी ! ये दिल घायल हो जाता है रीति.
रीति गुस्से मे हुहह कहती हुई चली गयी, जब वो जा रही थी तब लड़का पिछे से चिल्लाते हुए... मेडम आज रात ज़रूर घूमने निकलियेगा, मैं आज मिल जाउन्गा.
रीति मुँह ऐंठ'ते वहाँ से कुछ आगे बढ़ी और वासू से.... हिम्मत देखी उसकी, कैसी बातें कर रहा था मवाली.
वासू.... पर वो बातें तो लगता है दिल से कर रहा था, कितनी तारीफे की तुम्हारी.
रीति.... दया नाम की चीज़ नही जिसके दिल मे उसकी तारीफें भी गाली जैसी लगती है, मत याद दिलाओ वो बातें.
वासू.... वैसे एक तक निहार तो तू भी उसे रही थी रीति, दिल मे कुछ और और मन मे कुच्छ और.
रीति, चिड चिड़ाटी हुई.... हुहह ! चिढ़ाना बंद करो प्लीज़, आज का दिन ही खराब है, दोस्त अपने नही रहे, और जिसकी तलाश कयि महीनो से कर रही थी, वो भी गुंडा निकला.
वासू... पर गुंडे की ऐसी अदा नही होती, मुझे तो कोई पोलीस वाला लगा.
रीति.... तो होगा कोई घूसखोर, मुझे तो पोलीस वाले गुण्डों से ज़्यादा बदमाश लगते हैं, पैसे दिए तो काम होगा नही दिए तो अभी जैसा उस बेचारे आदमी का हाल हो रहा था वैसा, इनकी तो बात ही मत करो.
वासू... अच्छा बाबा, तुम क्यों खून जला रही है, नही करती बात बस. पर ये तो बता दे आज रात आएगी क्या मिलने.
रीति... जी बिल्कुल भी नही, अभी इस पल से मैं उसे अपने दिल से और दिमाग़ से निकाल रही हूँ.
रीति काफ़ी गुस्से और पछतावे के साथ हॉस्टिल चली आई. हॉस्टिल का महॉल भी कुछ शांत ही था, एक कमरे मे रीति और सैली थी, पर दोनो चुप-चुप. वही हाल इंदु और वासू का भी था.
कुछ ही देर मे आधी रात का वक़्त ही गया, और रीति का किया गया प्रण.. "अभी से उसे दिल और दिमाग़ से निकालती हूँ".. डगमगाने लगा. कभी दिल करता जाउ, कभी दिल करता ना जाउ... हां-ना, हां-ना के बीच फँसी रीति आख़िर 12:30आम बजे अपने कमरे से बाहर निकली, और बाल्कनी मे आकर एक बार बाहर देखने लगी.
बाहर की ओर पूरा नज़र घुमा कर देख ली, कोई नही था... खुद से ही कहती .."हुहह ! झूठा" और पिछे मूडी... पीछे उसके वासू खड़ी थी जो मुस्कुरा रही थी....
वासू.... कुछ घंटे पहले क्या कहा था रीति मेडम ने.
रीति...... "क्या कही थी मैं" .. थोड़ी भोली बनती हुई कही
वासू.... आआ .. हाअ... हाअ, बोल तो ऐसे रही है, जैसे कितनी मासूम हो, बेबी को कुछ पता ही नही.
रीति.... जा रही हूँ सोने, मुझे नींद आ रही है.
वासू.... अच्छा सुन, मैं क्या कह रही थी, कि जब बाहर निकल ही आई है, तो चल चल-कर देख आते हैं. अर्रे हो सकता है कोई सच्चा और ईमानदार पोलीस वाला हो. अगर ऐसा हुआ तो कर तो वो देश की सेवा ही रहा है ना, और ऐसे व्यक्ति से तू प्यार करेगी, तो तेरे लिए फक्र की बात है.
रीति.... मेरा ब्रैन्वाश करने की कोशिस ना करी वासू, मैं कोई भी लॉजिक नही सुन'ने वाली.
वासू... अर्रे चल तो ज़िद पर क्यों अड़ी है..
और इतना बोल कर वासू, रीति को ज़बरदस्ती अपने साथ खींच कर ले गयी. वाचमेन ने 100 की हर्याली देख कर फिर गेट खोल दिया. दोनो कदम बाहर रखी ही थी, कि बौंड्री वॉल के दाएँ अभी खड़ा था.
अभी अपना एक हाथ उठाकर रीति को "हाई" कहा. रीति अपना मुँह ऐंठ'ती हुई "हुहह" मे उसका उत्तर दी और दूसरी ओर मूड गयी. एक ऑर अभी मुस्कुराते बस रीति को देख रहा था, वहीं दूसरी ओर रीति अपना हाथ बाँधे दूसरी ओर देख रही थी, और बीच मे वासू खड़ी... कभी नज़र अभी की ओर तो कभी रीति की ओर.
वासू.... ओ' हेलो मिस्टर. अभी, आप बताएँगे कि क्यों आप ने ऐसा कहा कि, आज रात बाहर आना मैं मिल जाउन्गा. आप को कैसे पता कि हम बाहर आते हैं, और बाहर आते भी हैं तो आप को ढूँढने.
वासू की बात सुन कर रीति अपनी हाथ खोलती, वासू की ओर देखने लगी. अभी अपने होंठों की मुस्कान बरकरार रखते हुए ....
"क्योंकि, मैं भी आया था, पिछ्ले कयि महीनो मे कयि बार इन्ही की तलाश मे, लेकिन मुझे लगा सिर्फ़ ये मेरा दीवानापन था, इनसे एक बार मिलने का. पर कुछ दिन पहले आप दोनो को बाहर घूमते देखा और बातें सुनी तो मेरे दिल को कितनी ख़ुसी हुई क्या बताऊ".
वासू अपने मन मे सोचती... "ये तो बड़ा चालू चीज़ है"... फिर कहने लगी... पर हम ने तो तुम्हे नही देखा, थे कहाँ.
अभी... यहीं था, इस पेड़ के उपर. वो क्या है ना, मैं इतने दिनो से भटका था, तो सोचा इन्हे भी कुछ दिन यूँ ही सड़क पर भटकने दूं. आप लोगों ने भटकना छोड़ दिया, इसलिए मैं तो सोच भी रहा था कि एक दिन मैं रीति से मिलूं.
रीति.... "वासू, आप थोड़ा चुप रहिए, मुझे बात करने दीजिए".... इतना कह कर रीति मूडी अभी की ओर और अपनी उंगली दिखाती हुई.....
"सुनो, किसी के दिल की बात छिप कर सुन लेने का मतलब ये नही, कि जब आप सामने आओ तो वो आप के प्यार मे पागल बिच्छ जाए. पहली बार का ये मेरा आप के प्रति अट्रर्क्षन था, और मात्र अट्रर्क्षन. इसे प्लीज़ कोई नाम मत दीजिए. किसी से मिलने का इच्छा करने का मतलब प्यार ही नही होता, और वैसे भी प्यार आप से, कभी नही. और ये क्या उस वक़्त बोल रहे थे .. कुछ "दीवानापन" वर्ड यूज़ किए थे ना. इसे करेक्ट कर के पागलपन कहिए और यहाँ से आगरा पास है वहाँ इलाज़ के लिए चले जाइए".
अभी अपने गंभीर स्वर मे ..... इलाज़ ही तो करवा रहा हूँ....
इतना कह कर अभी ने बड़ा सीरीयस सा फेशियल एक्सप्रेशन देते हुए, अपने बालों पर हाथ फेरा, थोड़ी सी डबडबाइ आँखें और देखने लगा दोनो को. ऐसा देखने से लग रहा था कि कितना दर्द भरा है इसके दिल मे.
रीति जो अभी गुस्से मे थी, उसका चेहरा देख कर बड़ी चिंता से पूछती हुई.... क्यों क्या हो गया, किस बात का इलाज़ चल रहा है.
अभी, तोड़ा खामोश रहकर, एक लंबी सांस लेता और छोड़ता हुआ.....
"आप को क्या लगता है, मैं कोई आवारा हूँ, चोर हूँ. मैं तो यहाँ आया था अपनी माँ का इलाज़ करवाने, अपने घर इलाहाबाद से. मैं वहाँ अपना दुकान संभालता हूँ. हम दुकानदार लोग, हमें किसी से लड़ाई झगड़े से क्या लेना. माँ को बहुत गंभीर बीमारी हुई, काफ़ी इलाज़ चला इलाहाबाद मे ही, पर कोई सुनवाई नही हुई".
"पूरी दुनिया मे मेरा सिर्फ़ अपना कहने वाला मेरी माँ, और उनके लिए मैं. अकेले वहाँ काफ़ी तकलीफ़ भी उठाई, घर का सारा काम, दुकान का सारा काम, और माँ की देख-भाल मुझ अकेले को ही करनी पड़ी. मैं इलाहाबाद मे ही उनका पूरा इलाज़ करवाना चाहता था"
इतना कह कर, एक लंबी सांस लिया, और अपने दोनो हाथों पर हाथ फेरते हुए उसे सॉफ किया और फिर कहने लगा.....
"हमारी जीविका का श्रोत्त केवल वो दुकान, और उसे बंद कर देता तो, पैसे की भी परेशानी आ जाती. लेकिन डॉक्टर्स के क्लिनिक के चक्कर लगा-लगा कर मैं परेशान हो गया था. कभी-कभी तो माँ का दर्द देख कर आत्महत्या करने को दिल करता था, पर मैं ही तो उनकी हिम्मत था, इसलिए अंदर से रोता रहता और ना चाह कर उपर से हंसता"
"अंत मे जब कोई इलाज़ काम नही आया तो मैं उन्हे यहाँ ले आया. इलाज़ के चक्कर मे सब बिक गया. और उपर से कोई आदमी उसी माँ को भला बुरा कहे, उनके हाथ से उनका पैसा छीन कर धकका दे दे, और उस धक्के से उनका सिर फुट जाए तो क्या करूँ मैं. क्यों नही खून खौलेगा मेरा. क्या किसी ने मुझ पर रहम किया, नही किया. एक माँ ही तो है जिसकी ख़ुसी के लिए मैं जिंदा हूँ. और मेरी उसी माँ सिर से खून निकाल दिया".
अपनी दुख भरी दास्तान सुना'ने के बाद अभी शांत होगया, और आँखों को फिर से सॉफ करते हुए पैर से सिर को अड़ा लिया. उसकी कहानी सुन'ने के बाद रीति की भी आँखें नम हो गयी. वो जैसे अभी के दर्द को महसूस कर रही थी. उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखती....
"आइ आम सॉरी अभी जी, मुझे नही पता था. जो सामने दिखा उसे सच मान कर बस जो मन मे आया बोल दी. वैसे भी आप काफ़ी महान है, जो इतना सब होने के बाद भी इतना किया अपनी माँ के लिए. वैसे भी ये रीना सोभा नही देता आप को. लड़के रोते हुए अच्छे नही लगते".
वासू.... ओ' मिस्टर. अभी, अब बस भी करो, हमें भी रुला दिया. चलो अब सारे गिले सीकवे दूर तो अब से हम दोस्त.
अभी के मुँह से अचानक ही निकल गया... सिर्फ़ दोस्त...
वासू और रीति हैरानी भारी नज़रों से उसे देखने लगी... अपनी बात को संभालते हुए... सच दोस्त ... मुझे ख़ुसी होगी.
रीति और वासू को लगा शायद बोलने की ग़लती हो गयी ... दोनो हँसती हुई, एक साथ बोली .. "हान्णन्न्"
अभी... तो इस नयी दोस्ती की शुरुआत मे कुछ मीठा हो जाए.
वासू.... सॉरी, आज इसे शुरुआत ना मान कर कल से शुरुआत मानते हैं, और कल मीठे का प्रोग्राम, अभी रात ज़्यादा हो गयी है. हमे सोना भी है, और कल सुबह कॉलेज भी जाना है. सो गुड नाइट अभी, जाओ तुम भी सो जाओ.
अभी... हां वो तो सो ही जाउन्गा, पर कोई कॉंटॅक्ट नंबर तो हो तब तो मैं कल मुँह मीठा करूँगा ना, और करवाउन्गा भी.
रीति अपना नंबर बोलने के लिए .. 96 ... बोली ही थी कि वासू उसका कंधा पकड़'ती हुई ... कल यहीं रात मे 9:30पीएम बजे के बाद मिलते हैं, चॉकलेट ले आना, अभी गुड नाइट.
अभी बुझे मन से "गुड नाइट" बोलता हुए, मन मे 100 बार वासू को कोसते चला गया. उसके जाने के बाद वासू, रीति को डांटती हुई.... तू क्या पागल है जो पहली मुलाकात मे ही अपना नंबर दे रही थी.
रीति मासूम सा चेहरा बनाती हुई... पर वो तो दोस्त है ना.
वासू..... ओफफफफ्फ़ ओ क्या करूँ इस लड़की का, जब-जब उस लड़के को देखती है, दिमाग़ काम करना बंद कर देता है.
रीति मुस्कुराती हुई.... आप ही तो कही... दिल के मामले मे दिमाग़ नही लेता.
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12-27-2018, 01:48 AM,
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
वासू भी तैयार हे थी और वो भी निकलने ही वाली थी, दोनो चल दी कॉलेज.
वासू... रीति आश्चर्य है सुबह से इंदु गायब है.
रीति.... सैली भी नही है कमरे मे. दोनो सुबह-सुबह कहाँ गयी ?
वासू... ज़्यादा जल गया होगा, इसलिए बुझाने के लिए सुबह की ताजी हवा खाने गयी होगी.
दोनो इस बात पर हँसती हुई कॉलेज के जा रही थी. कॉलेज पहुँच कर सबसे पहला काम जो इन्हे करना था वो था कमरा चेंज करवाना. इसलिए दोनो सीधा पहुँची प्रिन्सिपल के चेंबर.
जब वो दोनो बाहर थी, तब अंदर से सैली और इंदु निकल रही थी, वासू और रीति उन दोनो को प्रिन्सिपल ऑफीस से निकलते देख सोच मे पड़ गयी कि ये दोनो प्रिन्सिपल ऑफीस मे क्या कर रही थी. वही हाल इंदु और सैली का था, जो सोच रही थी, ये दोनो यहाँ क्या करने आई है.
खैर इंदु और सैली एक गुस्से भरा एक्सप्रेशन लाती अपने चेहरे पर निकल गयी वहाँ से. इधर रीति और वासू भी उन दोनो को नज़रअंदाज़ करती प्रिन्सिपल ऑफीस गयी.
प्रिन्सिपल ने जब इंट्रो पुछा तो सबसे पहले रीति को कामयाबी की बधाई दिया, और आने का कारण पुच्छने लगा. रीति ने कमरा चेंज करने की मनसा जाहिर की.
प्रिन्सिपल... तुम किस कमरे से किस कमरे मे शिफ्ट होना चाहती हो, क्योंकि कमरा चेंज एक ही शर्त पर होता है, जब म्यूचुयल शिफ्टिंग की बात हो, हम ऐसे चेंज नही कर सकते.
रीति... सर मैं 201 से 202 मे शिफ्ट होना चाहती हूँ.
प्रिन्सिपल... ओह्ह्ह ! अभी अभी तो उसी कमरे की लड़कियाँ आई थी उन्हे भी शिफ्टिंग चाहिए. पर मैने तो उन्हे सॉफ मना कर दिया, क्योंकि म्यूचुयल नही था, अब हो गया है तो मैं अभी वॉर्डन से बोल कर करवा देता हूँ.
शाम को जब सब हॉस्टिल पहुँचे तो वॉर्डन का नोटीस टंगा था, रीति को वासू के रूम मे शिफ्ट का नोटीस और इंदु को सैली के कमरे मे शिफ्ट होने का नोटीस. रीति नोटीस देखते ही अपना समान पॅक करने चली आई, और उसका साथ देने वासू भी उसके साथ चली आई...
लेकिन वहाँ खड़ी सैली के मन मे सिर्फ़ यही विचार आया कि ... गयी तो मैं भी प्रिन्सिपल के पास थी, पर मेरा काम नही हुआ. और इस रीति के जाते ही कमरा चेंज. रीति तुम जो ये खेल शुरू की हो ये तुम पर कितना भारी पड़ेगा देख लेना. अब देख लेना सब का अटेंशन मुझ पर ही होगा.
इंदु, सैली को टोकती हुई.... क्या हुआ यहाँ खड़ी-खड़ी क्या सोच रही है.
सैली.... कुछ नही बस लोगों के रंग देख रही हूँ, यहाँ मेहनत की कोई कदर नही होती, सब जिस्म और पैसों का खेल है.
इंदु.... अभी शांत हो जा, अंदर बात करते हैं.
इतने मे रीति और वासू पूरी पॅकिंग ख़तम कर के चली कमरे मे, और अपना समान अड्जस्ट करने लगी. सैली और इंदु दोनो अंदर पहुँची....
सैली.... दिस ईज़ एनफ इंदु, हमारे कहने पर कमरा चेंज नही हुआ, और इनके कहने पर कमरा चेंज भी हो गया.
इंदु.... सब हुस्न का जादू है मेरी जान, वैसे तू क्यों रोती है, हुआ तो वही ना जो हम भी चाहते थे. चिल कर और कुछ पिएगी क्या.
सैली...... हां, उस रीति और वासू का खून, मुझे एक आँख नही भाती.
इंदु... मेरे पास कुच्छ है, देख इधर
सैली अपना मुँह आश्चर्य से खोलती हुई.... ये क्या है, और तुम इसे पीने वाली हो.
इंदु... चिल मार, वोड्का है वोड्का, इसे लॅडीस वाइन भी कहते हैं. दो पॅक मार और सारे गम भुला.
सैली.... ना बाबा, मुझे डर लग रहा है, और इस वक़्त.
इंदु.... आररीए दिन और रात कौन देखता है, फिर भी तू कहती है तो, रात मे ही सही, उस वक़्त कोई नखरा नही चलेगा.
सैली.... पर रात तक मैं यहाँ घुट जाउन्गी, आइ नीड चेंज, चल चलकर कहीं घूम आते हैं.
इंदु... नेकी और पुच्छ-पुच्छ, चल डिस्को चलते हैं.
इंदु फिर विक्की को फोन लगाती हुई कहती है, उसे डिस्को के दो पास चाहिए, विक्की मान जाता है, और हँसते हुए कहता है, "पहला काम मुबारक हो".
सैली नही भी जाती, तो भी इंदु आज वो डिस्को जाती ही. विक्की के साथ हुए उस दिन की गड़बड़ी, और बाद मे विक्की द्वारा दिए गये काम के प्रस्ताव को हंस कर स्वीकार किया था इंदु ने, और बदले मे मिलता उसे ब्रांड नेम. उसका अपना एक बोटीक जहाँ उसके नाम के टॅग के कपड़े बिकते.
इंदु भी सोची, चलो एक से भले दो, और वो सैली को बिठा कर विक्की के पास चली गयी. सैली अकेली कमरे बस गुम्सुम बैठी थी, उसके टॉप करने का सपना टूटा था, और जब सपने टूट'ते हैं तो बहुत दर्द होता है.
सैली के मोबाइल पर गौरव का फोन आया, रिंग को साइलेंट मोड़ पर डाल कर घंटी बजने दी. गौरव आधे घंटे तक फोन लगाता रहा पर सैली ने एक बार भी रेस्पॉंड नही किया. बेचारा गौरव, इतना बेचैन था सैली से बात करने के लिए, वो उदास थी तो उसके साथ घूमने जाने का विचार था गौरव का, पर सैली थी कि उसके कॉल को रेस्पॉंड ही नही कर रही थी.
इंदु भी अब तक वापस लौट चुकी थी, और सैली से रेडी होने के लिए कहने लगी. दोनो तैयार होकर नीचे जा रही थी और उधर गौरव, सैली से मिलने उसके ब्लॉक की ओर, दोनो की मुलाकात नीचे ही हो गयी.
गौरव का चेहरा पूरा उतरा हुआ था. सैली के इस तरह बेवजह ना बात करने के कारण उसे कुछ भी अच्छा नही लग रहा था, और इसी कारण से थोड़ा चिढ़ भी गया था.
गौरव थोड़ा चिढ़े लहजे मे सैली से कहता हुए.... तुम मेरा कॉल क्यों नही उठा रही थी.
सैली को गौरव की ये टोन पसंद नही आई और थोड़ी अकड़ से जबाव देती हुई... मेरा मन नही था.
गौरव... क्या !!!! तुम्हारा मन नही था सैली, मैं यहाँ परेशान हो रहा हूँ, आधे घंटे से कॉल लगा रहा हूँ और तुम हो कि ऐसा जबाव दे रही हो.
सैली थोड़े और गुस्से मे आती हुई.... तो कैसे जबाव दूं, एक बार नही उठाई फोन, दो बार नही उठाई, तो बार-बार कॉल करना ज़रूरी है क्या ?
गौरव, सैली के इस जबाव पर मौन रहकर सुन लिया, और बिना एक शब्द भी जबाव दिए चला गया. इन दोनो के बीच चल रहे झगड़े को उपर से वासू और रीति भी देख रही थी. दोनो खड़ी बस यही सोच रही थी इस पागल लड़की को हुआ क्या है.
इंदु और सैली , देल्ही घूमने निकलती हैं, इधर वासू और रीति बस यही चर्चा मे लगी रहती है कि, आख़िर एक असाइनमेंट के रिज़ल्ट से कौन सा ऐसा पहाड़ टूट पड़ा जो सैली ऐसा कर रही है.
रात को दोनो जब कॅंटीन खाने के लिए पहुँची, तो गौरव को मुरझाया देख वासू, रीति से कहने लगी.... चल रीति थोड़ा गौरव से मिल आए है, देख बेचारा कैसे मायूस बैठा है...
रीति भी हामी भरती दोनो उसके पास पहुँची....
"क्रेज़ीबॉय, अभी रूठा बेबी बॉय क्यों बना है, मुन्ने को क्या हो गया जो मुँह लटकाए है". मज़ाक के लहजे मे वासू, गौरव से कही...
रीति.... वासू आप को क्या लगता है, गौरव की आँखों से पहले पानी आएगा या नाक से.
गौरव, चेहरे पर एक फीकी मुस्कान लाता.... मुझे कुछ भी नही हुआ, आइ आम टू हॅपी.
वासू.... कहाँ से हॅपी हो गौरव, तुम तो ठीक से हंस भी नही पा रहे.
कुछ देर तीनो के बीच शांति रही, फिर गौरव एक लंबी सांस खींचता हुआ....
"थोड़ी कम अकल है, पर दिल की बुरी नही है सैली. मैं जानता हूँ उसने तुम दोनो को भी हर्ट किया है. मैं सैली की ओर से तुम दोनो से मँफी माँगता हूँ, और मेरी एक छोटी सी विनती है, प्लीज़ उसे माफ़ कर के एक बार अच्छे से बैठ कर बात कर लो, सारे गीले शिकवे दूर हो जाएँगे".
"उसे इस असाइनमेंट मे टॉप करना था, पर उसके सपने टूट गये, और पता नही उसके दिल मे कहाँ से ये बात आ गयी की रीति टॉप करने के लायक नही फिर भी कर गयी. और यही वजह है कि वो ऐसा बिहेव कर रही है. मैं मानता हूँ रीति, तुम्हे बहुत तकलीफ़ पहुँची है, सैली के बातों और उसके व्यवहार से, पर क्या तुम थोड़ी समझदारी दिखाती हुई, इस मामले को सुलझा नही सकती".
रीति.... ह्म्म्म !!!! चलो ठीक है, वैसे भी मेरे पापा कहते थे, जहाँ चार बर्तन होते हैं, टकराने की आवाज़ वहीं से आती है, अकेला क्या करेगा. आप उदास ना हो, पर ये मामला एक शर्त पर सुलझेगा.....
गौरव... क्या ????
रीति.... यही कि आप अपना पगले-आज़म के रूप को त्याग कर मुस्कुराते हुए खाना खाएए, तभी हम ये करेंगे.
गौरव, की हँसने की इच्छा तो नही थी, पर रीति के दिलासे के लिए वो खुल कर हंसा, पर अंदर मन से वो खुद को काफ़ी अकेला महसूस कर रहा था. रीति और वासू खाना ख़तम कर के निकली कॅंटीन से...
रीति... कहाँ चली उपर कमरे मे, याद नही क्या...
वासू.... क्या कुछ भूल रही हूँ, मुझे तो कुछ भी याद नही.
रीति.... भूल गयी ना, खाना खाने के बाद कल क्या डिसाइड हुआ था.
वासू... ओह्ह्ह वूऊ ! तुम हो आओ, वैसे भी मैं कहाँ कबाब मे हड्डी बन'ने जा रही हूँ.
रीति... प्लीज़ वासू चलो ना, वैसे भी अभी तो हम सिर्फ़ दोस्त है ना. और आप नही होती तो, मेरी अकल भी काम नही करती.
वासू.... जब दिल लगा ली तो अकल की क्या ज़रूरत है. ठीक है, चलो चलते हैं.
दोनो गेट के बाहर निकल ही रही थी कि पिछे से वॉचमन आ गया.... "मेडम इस वक़्त जा रही हो घूमने, मेरे तो 100 गये.
रीति.... आप के 100 कहीं नही गये, ये लीजिए, अब खुश...
वॉचमन मुस्कुराता हुआ चला गया, और इधर दोनो बाहर निकली.... दो कदम बाएँ पर की ओर चली ही होगी की पर के उपर से अभी दोनो के बिल्कुल सामने कूद गया. अचानक ही कुदा था, दोनो की साँसें अटक गयी, डर ही गयी की क्या हुआ.
रीति.... ऐसे कोई करता है क्या मुझे डरा ही दिए, हुहह.
अभी.... मैं तो बस सर्प्राइज़ दे रहा था.
रीति... सर्प्राइज़ क्या सिर पर कूद कर देते हैं, चलो वासू, हमे नही करनी किसी से बात.
अभी.... अज़ी ऐसे रूठ कर जो जएएगा, तो ध्यान हमारा ले जाएगा. ना चैन मिलेगा ना सुकून, बस आँसुओं मे डूबा रहूँगा, की वो रूठ कर चली गयी....
अभी की बातों से रीति का चेहरा खिल गया, एक बार फिर से दोनो आमने सामने खड़े थे, आँखों मे आँखें डाल और जैसे सारा समा थम गया हो. टुकूर-टुकूर, टुकूर-टुकूर ... एक दूसरे के आँखों मे निहारते हुए, इस जहाँ से परे कहीं और खो गये.....
चटककक - चटकककक ... रीति और अभी के गालों पर थप्पड़ पड़ता हुआ... दोनो अपने गाल को पकड़े वासू को घूर्ने लगे ...
वासू.... क्या ऐसे क्या घूर रहे हो दोनो, खा जाओगे क्या ?
अभी... ये थप्पड़ किसलिए था...
वासू.... नींद से जगाने के लिए, हम तीनो ही दोस्त हैं फिर तुम दोनो मुझे साइड क्यों कर देते हो, और ये टुकूर-टुकूर एक दूसरे की आँखों मे क्या घूरते रहते हो, किसकी कितनी आँखे खराब हुई वो चेक करने की कोई नयी तकनीक इज़ाद की है क्या ?
रीति, वासू को मन मे 100 बार कोस्ती हुई... पर मारा क्यों, कितनी ज़ोर से मार दी.
वासू... मारू नही तो क्या करूँ, इसे हम दूसरी बार मिल रहे हैं, और कुछ जानते भी नही इसके बारे मे, और तुम हो कि क्लोज़ ही हुई जा रही हो. सुनो ओ मिस्टर, अब तुम चलते बनो, हम दोनो को अब जाना है.
इस बात अभी, वासू को मन मे 100 बार कोसते हुए... पर आज तो मुँह मीठा करने का दिन था ना.
वासू.... ये तुम दोनो क्या मुझे अंदर ही अंदर गालियाँ दे रहो हो, जो जीभ दाँतों के बीच आ गया. बस बहुत हुआ, सुन ओ अभी के बच्चे....
अभी बीच मे ही टोकता... पर बच्चा कहाँ से आया, अभी तो मेरी शादी भी नही हुई है.
रीति..... मेरी भी नही हुई शादी अब तक.
वासू.... ये लड़की बावली हो गयी है. अब से कोई मिलना जुलना नही, सुन ली तुम रीति, और तुम भी सुन लो कान खोल कर ओ मजनू, ज़्यादा इर्द-गिर्द मंडराए तो आशिकों का जनाज़ा है, ज़रा धूम से निकलवाएँगे.
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