non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:48 AM,
#41
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
वासू की बातें रीति के समझ से परे थी, मन मे बस सोच रही थी, अभी तो ठीक से मिले भी नही, ठीक से देखी भी नही, छुकर थोड़ा महसूस तो करने दिया होता, ये इसे अचानक से हो क्या गया. कहाँ ये देर रात तक, मेरे प्यार को तलाशने मे जागी रही थी, और कहाँ अब ये दुश्मन बन गयी. 


रीति मन मे ख्याल लाती अपना मुँह लटका ली. मायूसी भरी नज़रों से अभी भी बस रीति के मुरझाए चेहरे को ही देख रहा था, इन दोनो को मुँह लटकाए खड़े देख वासू अंदर से खूब हसी....


वासू.... अच्छा अच्छा ठीक है, देवदास और पारो बन'ने की कोई ज़रूरत नही, 5 दिन बाद सनडे हैं, हम कहीं बाहर मिलते हैं और वहीं आराम से बैठ कर तुम दोनो के प्यार की रूप-रेखा तय होगी, पर इस बीच कोई एक दूसरे से मिला तो अच्छा नही होगा.


रीति मुँह लटकाए.... पर क्या उपर अपने कमरे के बाल्कनी से खड़ी होकर मैं और यहाँ से खड़े होकर अभी मुझे देख सकते हैं.


वासू.... देखने की क्या बात है, नीचे चली आना, दोनो मिल लेना, घूमना फिरना.... 


इत्ता सुनते ही रीति का चेहरा बिल्कुल खिल गया.. पर बीच मे ही आँखें दिखाती वासू.... ज़्यादा अकल लगाई, तो सिर फोड़ दूँगी, कोई देखना सुन'ना इस बीच नही होगा, समझ गये दोनो. यदि फिर भी तुम्हारा मन ना माने तो सोच लेना मैं मर गयी तुम्हारे लिए और फिर जो जी मे आए तुम्हे रीति फिर वो करना.


इंदु की डाँट और इस एमोशनल अत्याचार से उसके आँसू निकल आए, पर वासू इस बार उसके आँसुओं को अनदेखा करती उसका हाथ पकड़ कर के वापस ले जाने लगी...


अभी... ओ' मेडम इतना बड़ा भाषण तो दे दी, पर हम सनडे को मिलेंगे कैसे, नंबर तो देती जाओ और लेती जाओ, ताकि मैं कॉंटॅक्ट कर सकूँ.


वासू, अभी का मोबाइल लेकर अपने नंबर पर कॉल की, और उसके मोबाइल से अपना नंबर डेलीट कर के उसे फोन दे दी. अभी, वासू की इस हरकत पर मुस्कुराता हुआ चुप-चाप वहाँ से चला गया.


वासू की बात से मायूस होकर रीति चुप-चुप वापस अपने कमरे की ओर एक-एक कदम, आहिस्ते-आहिस्ते बढ़ने लगी.


वासू... अब आप को क्या हुआ मेडम, नाराज़ है हम से.. सूऊओ सोल्लय्ययी


रीति... जाओ वासू, जब अलग ही करना था तो मेरे दिल की सोई आस जगाई हे क्यों. पहली बार तो किसी को देख कर दिल धड़का था, और आप ने.....


वासू... लो कान पकड़े, लेकिन अलग कैसे किया, मैने तो बस 5 दिन का समय लिया है, सनडे को मिल रहे है ना.


रीति.... पर सनडे तक वो नही आया तो, और सनडे तक उसकी लाइफ मे कोई और आ गयी तो. मैं उसे पसंद करती हूँ वासू....


वासू.... ईत्ति भी चाहत ठीक नही अभी से पगली. और हम लड़कियाँ है, जल्दी से मान गयी तो इन लड़कों के भाव बढ़ जाएँगे. अच्छा बता तुम क्या जानती हो उसके बारे मे..


रीति थोड़ा मुस्कुराती हुई .... मैं उनके बारे मे..


वासू.... हां, तुम...


रीति कहीं दूर खोती हुई.... जब वो पास होते हैं तो समा हसीन होता है, दिल की धड़कने बढ़ जाती है, बस जी करता है उन्हे देखती रहूं, अपने बाहों मे यूँ कस के जकडूं की कहीं वो जा ना सके सिर्फ़ मेरे पास रहे... दिल उनके बारे मे बस यही कहता है .... यही है राइट चाय्स हब्बी... आह्ह्ह्ह हाअ !


वासू अपना सिर पीट'ती हुई... और वो रहता कहाँ है, करता क्या है. उसके व्यवहार कैसा हैं. क्या अच्छी और बुरी आदतें हैं, ये सब कौन जानेगा...


रीति कुछ सोचती हुई... पर इतना जान'ने की क्या ज़रूरत है, आप ही कही थी ना वो लाखों मे एक होंगे, अब आप ही इतना सोचने लगी.


वासू.... क्या करूँ मैं तुम्हारा, कोई बात समझने को तैयार ही नही है ये लड़की. पागल और कहीं वो प्यार का नाटक कर रहा हो तो. तुम्हे फँसा कर इस्तेमाल करने की कोशिस कर रहा हो तो. बस मुलाकात हुई और रिस्ता आगे बढ़ गया. क्या है कैसा है ये भी जान'ना ज़रूरी नही समझी. रीति दिल टूटने का जखम बहुत गहरा होता है, 5 दिन रुक जाओ तबतक उसके बारे मे सब पता लग जाएगा, फिर देखते हैं क्या करना है.


आज तो जैसे वासू कोई कसर ना छोड़ रही हो, रीति को उलझने की, और वासू की बात सुनकर रीति काफ़ी उलझ भी चुकी थी... खामोश उसकी बातों को सुनी, और दिल ने बस यही कहा, की वासू की बातें ग़लत हैं , वो कभी बुरे हो ही नही सकते.


लेकिन मन उसका क्या करे, मन तो कहीं ना कहीं सहमति जता ही दिया था वासू की बात पर, दिल और मन के बीच फँस कर रह गयी रीति.


वासू की संका भी अपनी जगह जायज़ थी, उसका इशारा भी ग़लत नही था. पर जो दिल की लगी हो तो, प्रीत ना जाने रीत.


रीति... लेकिन वासू 5 दिनो मे होगा क्या ...


वासू... जासूसी.. अभी के बारे मे...


रीति... और वो कैसे...


वासू.... सिंपल है.. उसका मोबाइल नंबर ले लिया है, अब इस नंबर से उसके बारे मे सब पता लग जाएगा. और 5 दिनो मे अभी की पूरी इन्फ़ॉर्मेशन हमारे पास. फिर हम डिसाइड करेंगे उस से मिलना है कि नही.


रीति, खामोशी के साथ वासू का ये फ़ैसला स्वीकारती हुई, गुम्सुम अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी, भगवान से बस यही प्रार्थना करते... हे भगवान वो बिल्कुल मेरे सपनो के राजकुमार जैसे हों, और ये वासू खुद मुझ से कहे .... नही मैं ग़लत थी, अभी वाकई लाखों मे एक है.


इधर सैली और इंदु, देल्ही घूमती हुई, शाम को इम्परियल डिस्को पहुँची. सैली काफ़ी उखड़ी-उखड़ी थी, पर यहाँ की रौनक देख थोड़ा उसका मन भी लग गया. सैली को साइड मे एक सोफे पर बिठा कर इंदु अंदर एक कमरे मे दाखिल हुई...


सैली जब सोफे पर बैठी थी, तब एक लड़का उसके पास आया और अपना हाथ आगे बढ़ा कर उस से कहने लगा... वाना डॅन्स सेक्सी...


सैली उसे एक नज़र देखी और, बिना कोई प्रतिक्रिया दिए दूसरी ओर देखने लगी, उस लड़के ने एक बार फिर कहा.... हेययय बेबी, कम ऑन, लेट्स एंजाय दा पार्टी...

सैली.... भाग जा हराम्खोर नही तो सॅंडल उतार कर मारूँगी....


वो लड़का मुस्कुराया, और अपनी जेब से रुमाल निकालता सैली की नाक के पास हवा मे लहरा दिया. कुछ पाउडर उड़ा अंदर से, और सैली पहले खाँसी, फिर उसका सिर हल्का घूमने लगा. सामने खड़ा लड़का उसे घूमता हुआ नज़र आ रहा था, डिस्को की रंग बिरंगी लाइट, मौजूद लोग, हर चीज़ जो आँखों के सामने थी, घूम रही थी.....


इंदु उस कमरे से जब वापस लौटी सैली के पास, तो वो वहाँ नही थी, पहले सोची कहीं गयी होगी, इसलिए उसका इंतज़ार करने लगी, पर जैसे-जैसे वक़्त बीत'ता गया, इंदु परेशान होती रही .... ये पागल भी ना, ना जाने कहाँ चली गयी, एक फोन नही कर सकती थी........

सैली फोन करती भी कैसे, वो खुद होश मे रहे तो ना फोन करती. रोहन नाम के लड़के ने सैली के उपर अफिम डाली थी, और अपने दोस्त भावेश के साथ मिलकर उसे बाहर ले आया.


सैली बिल्कुल मदहोश हो चुकी थी, उसे ज़रा भी होश नही था कि उसके साथ क्या हो रहा है और कौन कर रहा है. वो तो मदहोश बड-बड़ाती उसके साथ चल दी.


दोनो उसे लेकर अपने फ्लॅट पर पहुँचे और सैली को बिस्तर पर लिटा दिया.....


रोहन... यार भावेश ज़रा म्यूज़िक तो बजा, ऐसे सूने-सूने महॉल मे मज़ा नही आएगा.


भावेश... मुझे तो इस पर सीधा कूद जाने का मन कर रहा है, यार कितनी हॉट माल है, और इसके बूब्स देख कितने टाइट है, इसे तो आज मैं निचोड़ दूँगा.


रोहन... हां आज अपनी सारी तमन्ना पूरी कर लेना, लेकिन पहले ये बता पूडिया लाया है क्या ?


भावेश... हां यार लाया हूँ, रुक म्यूज़िक ऑन कर के लेता हूँ.


भावेश मे लाइट म्यूज़िक पर गाना चालू कर दिया.... "भीगे होंठ तेरे, प्यासा दिल मेरा" और अफिम की पूडिया लाकर दोनो टेबल पर बैठ गये...


रोहन... क्या गाना बजाया है यार, सच मे प्यासा दिल है.... आज तो पूरी प्यास बुझाउन्गा...


भावेश... तेरा तो दिल प्यसा है मेरा तो कुछ और बस प्यासा है ..... 


दोनो हँसते हुए, अफिम को सुघने लगे. इधर सैली अपने हाथों से बिस्तर को दबोचे बस अपने शरीर को लहरा रही थी, ऐसा लग रहा था जैसा मदहोशी तन-बदन पर छाइ हो. लहराते बदन पर वो अपने हाथ भी लहराती हुई फिरा रही थी.


दोनो अफिम सूंघ कर बिस्तर पर पहुँचे... सैली को इस तरह से मचलते देख दोनो को बर्दास्त नही हुआ... भावेश सीधा सैली के बूब्स को कपड़े के उपर से पकड़ कर दबाने लगा, और उसके होंठो को अपने होठ मे दबाए चूसने लगा.


रोहन ने सीधा अपना सिर सैली की स्कर्ट मे डाल दिया और पैंटी के उपर से ही उसके पूरे योनि को मुँह मे भरकर उसे चूसने लगा.


सैली बिल्कुल मदहोश, अपने अंगों को इस तरह से छुये जाने पर पूरी वासना मे जल्द ही डूब गयी, और तेज-तेज साँसे लेकर भावेश के सिर पर हाथ फेरने लगी.


भावेश से बर्दास्त कर पाना मुश्किल था, उसने जल्दी से सैली की शर्ट के सारे बटन खोल दिए, ब्रा निकालने का समय इस उत्तेजना मे कहाँ मिलता, उसने ब्रा को उपर कर के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. दोनो हाथों मे भरकर अपनी आँखें बड़ी कर के उसे देखने लगा, और जल्दी से उसपर टूट पड़ा.


अपने होठ सैली के लेफ्ट बूब्स पर डाला और राइट बूब्स को पूरी मुट्ठी मे पकड़ कर निचोड़ने लगा. नीचे रोहन ने भी अपना सिर निकाल कर, सैली की पैंटी को बाहर निकाल दिया, और उसकी योनि मे जीभ डालकर अंदर-बाहर करने लगा.


सैली की योनि मे जैसे ही जीभ गयी, मस्ती मे उसने अपने पाँव को रोहन के सिर से मोड़ कर उसे योनि पर पूरी ताक़त से दबाने लगी, और अपने हाथों को भावेश के सिर पर रख कर उसे भी अपने बूब्स पर रगड़ने लगी. 


मस्ती मे बस सैली के मुँह से.... आहह... ईश्ह्ह्ह लगातार निकल रही थी... और वो अपना दबाव लगातार दोनो के सिर पर बनाए हुई थी....


रोहन को जब सांस लेने की दिक्कत हुई, तो थोड़ा ताक़त लगा कर उसने योनि और मुँह के बीच थोड़ी जगह बनाई, पर आज तो रोहन जैसे कोई खजाना लूट रहा हो, जगह बना कर सांस लेने लगा लेकिन वहाँ से हटा नही.


भावेश के अंदर भी ज्वाला फुट रही थी. उसने बूब्स से अपना मुँह हटाकर, अपने कपड़ा उतार लिए, और अपने लिंग को मसलते हुए सैली के हाथ मे थमा दिया....


लिंग सैली के हाथ पड़ते ही भावेश के बदन ने जैसे एक झटका खाया हो, और मारे उत्तेजना के आँखें उसकी बंद हो गयी. सैली के हाथ मे तो जैसे कोई खिलोना लग गया हो, वो उसे अपने मुट्ठी मे भर कर खूब उपर नीचे करने लगी....


"अहह, क्रेज़ी बोययय्ी ये कितना सॉफ्ट है... अहह" .. करती हुई लगातार लिंग को उपर नीचे कर रही थी. भावेश भी अपनी आँखें मुन्दे बस मज़ा ले रहा था.
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12-27-2018, 01:48 AM,
#42
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थोड़ी देर सैली के इस हस्त मैथुन के बाद, भावेश ने अपना लिंग सैली के मुँह के पास ले गया. सैली नीचे रोहन के द्वारा योनि को लगातार चूसे जाने के कारण सिसकारियाँ ले रही थी, वो मस्ती मे इतनी चूर थी कि उसकी योनि भी काफ़ी वेट हो गयी थी.


रोहन ने अपने दाँत, सैली की योनि पर गढ़ाया.... ज़ोर से ईश्ह्ह्ह करती सैली, अपने बदन को थोड़ा हवा मे उठाई... सैली का इतना मुँह खुला देख भावेश ने अपना लिंग सैली के मुँह मे डाल दिया.


लिंग मुँह मे जाते ही सैली भी उसे चूसने लगी, भावेश उत्तेजना मे इतना पागल हुआ कि उसने मुँह के अंदर लिंग डाले ही अपना कमर हिलाने लगा.... 


सैली के मुँह से सिसकियाँ भी विचित्र हो गयी... लिंग मुँह मे भरा था... और योनि की चिंगारी उसे पागल कर रही थी ... और वो ... "खव्वव.. खव्वव" की आवाज़ करने लगी....


सैली मस्ती जे ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ कर रही थी. भावेश उसके चेहरे को हाथ मे थामे इसे उपर नीचे कर के बड़ी तेज़ी से अपना लिंग चुस्वा रहा था.... अचानक भावेश के अंगों ने जैसे जकड़न लिया हो, और अपना कम उसके मुँह मे छोड़ कर साइड मे लेट गया.


मुँह पहले से भरा था, उपर से सैली को सांस लेने मे तकलीफ़, सैली खाँसती हुई उस कम को उगल दी और, खाँसते-खाँसते हल्की उल्टी भी कर दी....


रोहन.... साले पागल हो गया है क्या.. ये क्या कर दिया, उल्टी होने से तो कुछ ही देर मे इसका नशा उतर जाएगा...


भावेश... चिंता क्यों करते हो रोहन भाई एक और पूडिया है ना.


रोहन... भावेश कहीं ओवर डोज ना हो जाए, नही तो लेने के देने पड़ जाएँगे.


भावेश... कैसा लेना और देना रोहन, रात के अंधेरे मे इसे कहीं सड़क पर फेंक देंगे.. कल के न्यूज़पेपर मे होगा... सड़क पर बेसूध हालत मे एक छात्रा पाई गयी, जो ड्रग के नशे मे थी.


रोहन.... चल ठीक है, अब मज़ा ना खराब कर जल्दी से पूडिया ले आ.


भावेश अफिम ले आया रोहन दोबारा सैली की नाक के पास अफिम रखा. जैसे ही सैली की नाक मे अफिम की खुसबु गयी, वो किसी पागल की तरह ज़ोर से सूंघने लगी और मदहोश होकर बिस्तर पर गिर गयी.

मस्ती मे बदन को मसलती हुई सैली अपने दोनो हाथों से बिस्तर को दबोचे थी. रोहन ने बाल पकड़ कर उसे बैठा दिया, और बिस्तर पर खड़ा होकर लिंग उसके मुँह मे डाल दिया.


इधर भावेश ने सैली की दोनो टाँगों को पूरा 120 डिग्री तक फैलाया, और सामने से इतने खुले योनि के दर्शन कर उसका मन गद-गद हो गया. भावेश कुछ देर तक नज़ारा लेता था, फिर अपने सिर को हिलाता हुआ मुँह सीधा उसके योनि मे लगा दिया. वो तो बूब्स की तरह योनि को भी मुँह मे भर कर चूस रहा था.


उपर सैली के बाल पकड़े रोहन अपने लिंग को अंदर बाहर कर रहा था, सैली भी रोहन के नितंब को पकड़ कर उसका साथ दे रही थी.


कुछ देर बाद सैली की सिसकारियाँ काफ़ी तेज हो गयी, अपने हाथ से रोहन के नितंबों को पकड़ कर ज़ोर से भींच ली, और काफ़ी ज़ोर से अपने बदन को टाइट कर के अंगड़ाई ली और फिर निढाल हो गयी.


काफ़ी मस्ती और उन्माद के पल थे सैली के लिए जब वो स्ट्रा कर रही थी. भावेश का लिंग दोबारा तैयार हो गया था, वो पूरा एरेक्ट, और रह रह कर झटके दे रहा था. भावेश, सैली के पाँव के बीच आ गया और अपने लिंग को योनि पर रख कर पहला धक्का मारा.


भावेश को विस्वास ना हुआ कि सैली की योनि इतनी टाइट होगी, उसे तो लगा था कि कोई खेली-खाई लड़की होगी, पर ये तो बिल्कुल नयी नवेली थी. भावेश को तो जैसे जन्नत का सफ़र मिल गया था. लिंग के अंदर जाते ही सैली भी अपने पूरी उत्तेजना के चरम पर आ गयी, और काफ़ी तेज़ी से वो रोहन का लिंग चूसने लगी.


रोहन का कम भी बाहर आने को था, पर रोहन ने भावेश की ग़लती नही दोहराई... और लिंग को उसके मुँह से निकाल लिया.


सैली के सिर से हाथ का सहारा हट'ते ही वो बिस्तर पर चित गिर गयी..... मस्ती भरी तेज लहराती हुई सिसकारी ....... "आहह क्राज़यययययी बोययय्यययययययी.... ईश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह" करती अपने मुट्ठी मे चादर फसाए अपने बदन को हवा मे रोल करने लगी.


रोहन ने जब सैली के टाइट खड़े बूब्स को देखा तो उस से रहा नही गया, और उसने भी बूब्स मे मुँह लगा कर चूसना शुरू कर दिया....


मस्ती का सागर जैसे उमर पड़ा हो सबके बदन मे. सब उत्तेजना और अफिम के नशे मे पागल हो गये थे....


भावेश बेसूध होकर बस तेज़ी से धक्का लगाए जा रहा था, रोहन एक बूब्स को मुँह मे लेकर उसे ज़ोर से चूस और काट रहा था, दूसरे हाथों से उसके बूब्स को मुट्ठी मे भरकर, ताक़त के साथ दबा रहा था.


सैली पूरी मस्ती मे अपने बदन को हवा मे रोल करती हुई, अपना सिर हिला रही थी ... और "आहह.... ईश्ह्ह्ह" कर रही थी.


सैली और भावेश का बदन साथ मे अकड़ना शुरू किया, और भावेश अपना कम छोड़ते हुए वहीं ज़मीन पर बैठ गया. लिंग तो रोहन का भी पागलों की तरह सलामी दे रहा था. वो भावेश के हट'ते ही बूब्स छोड़ पाओं के पास आ गया और सैली को उल्टा लिटा दिया.


नीचे से कमर मे हाथ डालता हुआ उसके कमर को उपर उठाया, सैली भी अपने दोनो हाथ टिका'ती हुई घोड़ी बन गयी..... 


रोहन ने पिछे से योनि पर अपना लिंग रखा और तेज़ी से धक्का मारा....


"आहह" करती सैली ने तेज़ी से सांस ली, और अपने कमर को पिछे की तरफ धक्का मारने लगी.... रोहन सैली के बाल पकड़ कर तेज-तेज धक्का मारने लगा....


सिसकारियों की आवाज़ ... तेज ... और तेज... और तेज होती चली गयी...... दोनो के मूँह से आवाज़ें निकलने लगी....


"आहह... आहह.... आहह..... आहह.... आहह"...... और आवाज़ एकदम शांत.


वासना की आग ठंडी पड़ चुकी थी. भावेश और रोहन कुछ देर तक बेसूध पड़े रहे फिर लेटे-लेटे भावेश, रोहन से कहने लगा...... "यार क्या चीज़ दिलाई तूने आज तो मज़ा आ गया"


रोहन.... मुझे भी नही पता था यार साली इतनी टाइट होगी, जी तो करता है इसे ढीला कर के ही जाने दूं.


दोनो अभी इतना ही बात कर रहे थे कि सैली की ज़ोर-ज़ोर से हँसने की आवाज़ें आने लगी, और चिल्लाने लगी.....


रोहन... भावेश लगता है पागल हो गयी अफिम के कारण, जल्दी मुँह बंद कर नही तो फसवाएगी साली.


भावेश जबतक उसका मुँह बंद कर रहा था तबतक उसके डोर की बेल बज गयी.... की होल से जब रोहन ने देखा तो उसे अपना पड़ोसी दिखाई दिया. रोहन की हालत खराब हो गयी.. "लगता है साला इस लड़की की आवाज़ से जाग गया"


रोहन जल्दी से अपना लोवर पहन कर दरवाजा हल्का खोला और एक जमहाई लेता पुच्छने लगा... इतनी रात को सिंग साब कोई बात हो गयी क्या...


सिंग साहब.... तुम्हारे फ्लॅट मे ये हो क्या रहा है, और इतनी तेज आवाज़ें कैसी आ रही है...


रोहन ने भावेश को हाथ से इशारा करते हुए लड़की को अंदर के कमरे मे ले जाने के लिए कहा... भावेश, सैली को अपने कंधे से सहारा देकर दूसरे रूम की ओर चल पड़ा...


रोहन... "मैं तो सोया था, पर ग़लती से रिमोट का बटन ऑन हो गया... और कोई हॉरर मूवी का चॅनेल लगा था"... इतना कह कर अपना दरवाजा पूरा खोल दिया... और हॉल को दिखाता हुआ.... "देख लीजिए सिंग साहब, वरना कल के गॉसिप मे आप सब यही कहेंगे हम फॅमिली वालों के अपार्टमेंट मे रोहन लड़की लेकर आता है"....


सिंग साहब ने एक बार झाँका और बाहर चला गया... भावेश अंदर के कमरे से बाहर आता हुआ रोहन से पुच्छने लगा... "अब क्या करेंगे".... 


रोहन... इसे सड़क पर छोड़ देंगे, और अपना काम ख़तम.


भावेश... और कहीं इसका आक्सिडेंट हो गया और ये मर गयी तो.


रोहन... तो अपने बाप का क्या जाता है, और तू ही तो कुच्छ देर पहले कह रहा था कि इसे कहीं सड़क पर छोड़ देंगे. वैसे भी क्लब मे इसने मुझे देख लिया था, जिंदा रही तो और नाटक होगा, वैसे भी हम थोड़े ना मर्डर कर रहे हैं, हम तो इसे सड़क पर छोड़ रहे हैं.


भावेश... लेकिन यार ये तो ग़लत है ना, किसी को जान से मारना... मैने तो बस इसे सड़क पर छोड़ने को कहा था, वो भी ऐसी जगह जहाँ ये सेफ हो.


रोहन... और साले नशे की हालत मे किसी के साथ सेक्स करना पुण्य का काम है क्या ! रेप केस मे फसेंगे और कहीं डोपिंग टेस्ट हुआ तो पता नही पोलीस वाले ड्रग के कितने चार्ज लगाएँगे. वैसे भी देल्ही बदनाम है रेप केस के लिए, इसमे पकड़े गये तो जमानत होने तक पोलीस वाले खाल खींच लेंगे.


भावेश... कह तो तू सही रहा है... अपने बाप का क्या जाता है, चल इसे छोड़ आते कहीं हाइ-वे पर, ताकि ये अभी जिस मदहोशी की दुनिया मे है उस से भी उपर चली जाए.


दोनो ने फाइनली ठान लिया, कि सैली को हाइ-वे की सड़क पर छोड़ कर आना है. जल्दी से दोनो ने कपड़े पहने और सैली को भी कपड़े पहना कर ले जाने के लिए तैयार कर दिया....

दोनो बाहर निकलने ही वाले थे कि फ्लॅट की घंटी बजी... टिंग-तोंग... टिंग-तोंग


"ये सुबह के 2 बजे कौन आ गया, अब क्या नयी मुसीबत है, रोहन देख कौन आया है"


रोहन के होल से झँकता हुआ..... यार भावेश कोई अंजान आदमी है. छोड़ देता हूँ सोया समझ कर चला जाएगा...


दो बार फिर घंटी बजी .... त्नग-तोंग... टिंग-तोंग. जब दरवाजा किसी ने नही खोला तो अंदर एक लेटर दरवाजे के नीचे से आया... लेटर मे लिखा था....


"मैं जानता हूँ, दोनो जागे हो, फिर भी दरवाजा नही खोला, तो 2 मिनट बाद मैं पोलीस को कॉल कर दूँगा, आगे तुम्हारी मर्ज़ी. तुम्हारा सूभ-चिंतक"


रोहन धीमे से भावेश को कहता हुआ... यार अब ये क्या नयी मुसीबत है, मेरा तो दिमाग़ खराब हो गया, एक तो ये लड़की, और दूसरा ये आदमी.


सैली अब भी नशे मे ज़ोर-ज़ोर से अपना बदन उच्छाल रही थी, मुँह, हाथ, पाँव तो पहले से ही बाँध दिया था इन लोगो ने, फिर भी नशे मे चूर सैली किसी मछली की तरह छटपटा रही थी.


दोनो के पास कोई चारा नही था, जल्दी से गेट खोलते हुए उसने उस आदमी को अंदर लिया और दरवाजा लॉक कर दिया.


रोहन... कौन हो तुम...


आदमी... नाम मे क्या रखा है, काम नही पुछोगे क्या है.


भावेश... क्या काम है ?


इस से पहले की दोनो को वो आदमी कुच्छ बताता... उसने अपनी जेब मे हाथ डाला, और अपने पॉकेट से इंजेक्षन को बड़ी फुर्ती से निकाला, और दोनो के गले मे इंजेक्ट कर दिया. देखते-देखते दोनो बेहोश हो गये.


उस आदमी ने अपने जेब से दो कॉक्सीन के पाउडर निकाल कर उनकी मेज पर रख दिया, खाली सिरंज को वहीं नीचे ज़मीन पर पड़े भावेश और रोहन के हाथ मे रख दिया. अब उसने सैली को भी एक इंजेक्षन दिया जिस से सैली बेहोश हो गयी, और उसे उठा कर नीचे अपने गाड़ी मे ले आया.
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12-27-2018, 01:48 AM,
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
अपार्टमेंट से निकलने से पहले, उस आदमी ने पोलीस को कॉल कर दिया, और उसे सूचना दी कि .. रूपहला अपरमेंट के फाल्ट नंबर. 405 मे ड्रग्स का अबैध कारोबार हो रहा है.


पोलीस को फोन करने के बाद, उस आदमी ने सैली को एक झलक देखा... और मन मे सोचने लगा.... "तुम तो ऐसी ना थी, फिर कैसे इनके चंगुल मे फसि"


मॅन मे सोचते हुए उस आदमी ने गाड़ी आगे बढ़ा दी और सिटी हॉस्पिटल ले कर पहुँच गया सैली को. सिटी हॉस्पिटल मे जब डॉक्टर ने सैली का चेक अप किया तो ड्रग ओवर डोज और फिज़िकल रीलेशन सामने आए.


वो आदमी डॉक्टर से कहते हुए... मेरी आप से विनती है मेडम, ड्रग्स ओवर डोज के कारण आक्सिडेंट हुआ ऐसा लगना चाहिए, क्योंकि बेचारी के साथ नशे का कोई फ़ायदा उठा लिया है, वरना ये ऐसी नही थी.


डॉक्टर.... मैं समझ सकती हूँ, पर जब ये सुबह होश मे आएगी, तो इसके साथ क्या हुआ है ये समझ जाएगी.


आदमी... तो इसे कल सुबह नही, तीन दिन बाद होश आए, कुच्छ ऐसा कीजिए. क्योंकि मैं नही चाहता कि होश मे आने के बाद ये खुद से नफ़रत करने लगे, और एक ग़लत कदम तो उठा ही चुकी है, और कोई दूसरा ग़लत फ़ैसला ना कर ले.


डॉक्टर... लेकिन सर, आप एक अंजान लड़की के लिए इतना सब क्यों कर रहे हैं.


आदमी... मेडम क्राइम अगेन्स्ट दा विमन मुझे पसंद नही, और किसी की हालत का नाजायज़ फ़ायदा उठाया जाना, आप बताएए किस हद तक सही है. मेरा आप से एक सवाल है... पुच्छ सकता हूँ क्या?


डॉक्टर... हां हां क्यों नही, पुछिये...


आदमी.... आप भी एक औरत हैं, ज़रा सोचिए कि कैसा लगता है, उस किए के लिए अफ़सोस करना जो आप ने ग़लती मे भी ना की हो, बल्कि आप की हालत का नाजायज़ फ़ायदा उठा कर किया गया हो. करता कोई और है, और ग़लत खुद को मान'ना .. कहाँ तक जायज़ है.


डॉक्टर... ह्म्म्म्म , रेस्पेक्ट युवर क्न्सर्न, आंड मस्ट अप्रीश्षेट ... काश सब आप जैसा सोचते. ठीक है, आप बेफ़िक्र रहिए, इसे क्या, किसी को पता नही चलेगा कि इसके साथ क्या हुआ था. ये महज बस एक एक्सीडेंट लगेगा.



वो आदमी डॉक्टर के शांति मिलते ही वहाँ से चला गया, जाते जाते उसने सैली का मोबाइल उसे दे दिया, और डॉक्टर से कहने लगा .. "जो भी देल्ही के नंबर हों केवल उन-पर कॉल कीजिएगा, दूसरे नंबर्स पर नही"


इतना कह कर वो निकल गया. इधर इंदु को सैली ना मिल पाने की वजह से वो परेशान होकर, हॉस्टिल वापस चली आई. थोड़ी सी नाराज़ और डरी भी लग रही थी. नाराज़ इसलिए कि सैली बता कर भी जा सकती थी, और डरी इस वजह से, कि देल्ही मे कहीं कोई हादसा ना हो गया हो.......


अगले दिन सुबह-सुबह, रीति, गौरव, और इंदु के मोबाइल पर डॉक्टर का फोन आया. डॉक्टर ने उन्हे सैली की तत्काल हालत के बारे मे बताया और, उन्हे हॉस्पिटल आने के लिए कहा.


सारे दोस्त भागते हुए पहुँचे हॉस्पिटल. गौरव, रोता हुआ डॉक्टर के कदमों मे गिर गया और सैली कैसी है पुच्छने लगा.


डॉक्टर ने सभी को भरोसा दिलाया कि सैली को मामूली आक्सिडेंट हुई थी, जिस कारण से वो शॉक मे चली गयी है. मजबूरन उसे 48 घंटे तक बेहोश रखना होगा, फिर वो यहाँ से जा सकती है.


डॉक्टर के भरोसे ने सबकी धड़कनो की गति तो नॉर्मल कर दी, पर गौरव को अब भी चिंता सताए जा रही थी सैली की, और वो सैली की इस हालत का कारण जान'ने के लिए डॉक्टर के पास पहुँच गया....


गौरव... डॉक्टर, वैसे ये सब हुआ कैसे..


डॉक्टर.... शायद कोई आक्सिडेंट था, जब आई तो बेहोश थी, जब उसे होश आ जाए तो खुद पुच्छ लेना.


गौरव.... ह्म्म्मद ! पर डॉक्टर उसे ले कर कौन आया था ?


डॉक्टर.... जी मैं नही जानती उसके बारे मे.


गौरव, थोड़ा आश्चर्य से देखता हुआ.... कैसे नही जानती आप, इतना बड़ा हॉस्पिटल है, और आप अड्मिट करवाने वाले का नाम पता भी नही पूछती, यहाँ हो क्या रहा है ये सब. आप क्या छिपाने की कोशिस कर रही हैं ?


गौरव को शंका हुआ, कि जो आदमी अड्मिट करवाने लाया था, उसने ज़रूर कुछ ऐसा किया है जो ड्र्स इन लोगों से छिपाना चाहते है, नही तो इतने बड़े हॉस्पिटल मे बिना नाम पते के कैसे अड्मिट कर लेते. 


फिर गौरव के दिमाग़ मे ये बात भी घूमने लगी, कि यदि चोट मामूली थी तो क्यों अगले 48 घंटे तक उसे और बेहोश किया गया है, ज़रूर इन डॉक्टर्स को बात दबाने के पैसे मिले हैं, और ये लोग मुझ से कुछ छिपा रहे हैं.


सैली की चिंताओं ने ऐसा गौरव का दिमाग़ खराब किया, कि फिर वो भूल ही गया, कि क्या डॉक्टर, और क्या हॉस्पिटल ... फिर जो हुआ वो कोई हंगामे से कम नही था... पर वो आदमी गौरव की सारे कोशिसों के बाद भी एक रहस्य ही बना हुआ था....

गौरव गुस्से मे आँखें लाल करता डॉक्टर से कहने लगा.... देखिए, ये आप सब की मिली भगत है, ज़रूर सैली के साथ कुछ हुआ है, जो आप सब छिपा रही हैं, सीधे-सीधे बता दीजिए, वरना अच्छा नही होगा....


गौरव की तेज आवाज़ सुन कर, वहाँ लोग इकट्ठा हो गये, गौरव का गुस्सा पूरे उफ्फान पर था, और गुस्से की हुंकार भरी साँसें लेते हुए डॉक्टर को देख रहा था.


डॉक्टर..... देखिए, आप के चिल्लाने या हंगामा करने से कुच्छ नही होगा, यदि आप को ऐसा ही लगता है कि मैने या हमारे हॉस्पिटल के किसी भी डॉक्टर ने कोई ग़लती की है, तो बुला लीजिए पोलीस, वही इस बात को तय कर लेगी कौन ग़लत है कौन सही. खा-म-खा चिल्लाकर यहाँ हंगामा मत खड़ा कीजिए, वरना मजबूरन आप सबको यहाँ से मुझे निकालना पड़ेगा...


"सॉरी मेडम, सैली की हालत देख कर, गौरव थोड़े गुस्से मे है, इसलिए भड़क गये. मैं इनकी ओर से माफी मांगती हूँ, आप प्लीज़ गुस्सा ना कीजिए".... रीति, बड़ी मासूमियत से गौरव का बचाव करती डॉक्टर से विनती करने लगी.


गौरव.... कोई ज़रूरत नही इनसे ऐसे प्यार से बात करने की. अब तो इनका फ़ैसला पोलीस ही आकर करेगी.


जितने दोस्त थे सब समझते रह गये, "पोलीस को कॉल करना बेकार है, सैली को जब होश आएगा तो वो खुद बता देगी"... पर गौरव था कि नही माना, और पोलीस को बुला ही लिया...


पोलीस आते ही सारे मामले की जानकारी लेता हुआ, सीधे डॉक्टर के चेंबर मे चला गया, और डॉक्टर से तफ्तीस करने लगा....


डॉक्टर... सर, इस लड़की के साथ क्या हुआ वो मैं नही बता सकती, मैने किसी से वादा किया है. और ना ही ये लड़की को पता चलेगा कि इसके साथ क्या हुआ है. माफ़ कीजिए मैं असमर्थ हूँ.


इनस्पेक्टर... मेडम, क्या आप जानती हैं, आप का ये बयान आप को जैल भिजवा सकता है. एक पेशेंट्स की सही हालत ना बताना, और उसके साथ क्या हुआ ये छिपाना, दोनो ही बातें, कयि सवाल पिछे छोड़ती हैं. 


डॉक्टर.... हां पता है, पर क्या आप को पता है कि ये केस किसका है, और कौन इसे यहाँ ले कर आया, और साथ ही मुझे मना भी किया कि उस लड़की की हालत का पता किसी को नही चलना चाहिए...



इंसेक्टर.... क्या कोई मिनिस्टर का केस है मेडम....


इस्पेक्टोर बहुत ही उत्सुकता से पुछ्ता हुआ, शायद ये किसी मिनिस्टर का केस हो, तो आज तो लंबा हाथ लगेगा....


डॉक्टर... जी नही, कोई मिनिस्टर का केस नही है, बल्कि मिस्टर. नैन का केस है. कहिए तो मैं बात करा दूं.....
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12-27-2018, 01:49 AM,
#44
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
इनस्पेक्टर के जेहन मे जब नैन का ख्याल आया तो उसके माथे से पसीना और चेहरे से सिकन सॉफ झलकने लगा, वो बिना कुच्छ कहे ही बाहर चला आया....


गौरव काफ़ी जिग्यासा से इनस्पेक्टर की ओर देखने लगा, वहाँ के लोगों के हालत को भाँपते हुए, इनस्पेक्टर कहने लगा.... 


"देखिए आप सब बेवजह परेशान हैं. फिर भी, यदि आप को लगता है कि कुच्छ ग़लत हो रहा है तो मैं कंप्लेन दर्ज कर लेता हूँ, पर हम तबतक कुच्छ नही कर सकते जबतक सैली को होश ना आ जाए. मेरी सलाह मानिए, और उनके होश मे आने तक थोड़ा धैर्या रखिए". 

"यदि कोई ग़लत है तो उसे सज़ा ज़रूर मिलेगी, ये मेरा वादा है आप सभी से, पर तबतक प्लीज़ डॉक्टर को अपना काम करने दीजिए और हॉस्पिटल मे शांति बनाए रखिए. आप सब के हंगामा करने से कुच्छ भी हासिल नही होगा".....


सभी गौरव को समझाने लगे. इनस्पेक्टर की बात सुनकर, गौरव भी सहमत हो गया, और कुच्छ देर हॉस्पिटल मे रुकने के बाद, सभी वापस चले आए. 


रास्ते भर, सभी सैली की हालत के बारे मे चिंता करते रहे, पर गौरव हताश चुप-चाप ही रहा. गौरव की इस हालत को, वासू भली-भाती समझ सकती थी, अपने प्यार को कोई कैसे बुरी हालत मे देख सकता है.... 


वासू ने रीति को आँखों से गौरव की ओर इशारा की, रीति भी गौरव की मायूस देख समझ गयी, की गौरव के दिल ने क्या चल रहा होगा. पर दिल की तारप को कोई क्या जाने, की बिना दिलबर के, हर पल दिल मे आग लगी रहती है.


वासू, गौरव के कंधे पर हाथ रखती.... यार, ये रोना लड़कियों का काम है, तुम क्यों गंगा-जमुना बहा रहे हो....


गौरव, थोड़ा गंभीर आवाज़ मे बोला..... 


"नही वासू, थोड़ा सा उदास हूँ बस. देख ना कल मैने उसे गुस्सा दिला दिया और वो गुस्से मे मुझ से रूठ कर चली गयी. और फिर ये सब हो गया. मैं बस अंदर से गिल्टी फील कर रहा हूँ".

"बहुत प्यार करता हूँ ना उस से, इसलिए कल मेरे फोन को रेस्पॉंड ना करने से चिढ़ गया, मैं भी पागल ही हूँ, थोड़ा शांत रह जाता, और प्यार से मना लेता कल, तो आज ये सब ना होता. वासू अंदर से इतना गिल्टी फील हो रहा है कि मुझे कुच्छ भी अच्छा नही लग रहा".

"लेकिन कोई बात न्ही, जब तीन दिन बाद होश मे आएगी, तो उसे बस मैं प्यार से सॉरी ही कहूँगा, और कुच्छ नही. वैसे भी वो रूठी रहती है, तो मुझे मनाने मे बहुत मज़ा आता है, पर मनाऊ तब ना जब वो बात करेगी, और जबतक बात नही करेगी, मरने-मारने जैसा फील होता रहेगा. मुझ से तो ठीक से सांस भी नही लिया जा रहा है, लगता है दम घुट जाएगा".


गौरव का बेपनाह प्यार सबको नज़र आ रहा था, सब बस गौरव की बातें सुनते हुए भावनाओ मे बह गये. बस यही दुआ थी उपर वाले से सबकी, सैली और गौरव की बात जल्द से जल्द करा दे, वरना ये अफ़सोस मे रोज तिल-तिल मरता रहेगा.


सब लोग हॉस्टिल पहुँचे, आज किसी का भी मॅन नही लग रहा था, किसी काम छोटे-बड़े झगड़े सब अपनी जगह थे, पर साथ का कोई ऐसी हालत मे हो तो दिल मे थोड़ी तो तड़प रहती ही है.

तीन दिन बाद, सैली को होश आ गया. अंदर से काफ़ी कमजोर महसूस कर रही थी सैली, नज़र घुमा कर जब चारों ओर देखी तो, खुद को हॉस्पिटल मे देख चकित हो गयी. बैठ कर बस वो टुकूर-टुकूर हॉस्पिटल को ही देख रही थी. 

"कैसी है तबीयत तुम्हारी".... डॉक्टर ने सैली से पुछा...

सैली.... मेडम मैं यहाँ कैसे पहुँची...

डॉक्टर.... तुम्हारा एक्सीडेंट हो गया था, रास्ते पर पड़ी थी तो किसी ने तुम्हे अड्मिट कर दिया. तीन दिन से यहीं हो....


सैली चौुक्ति हुई .... क्या तीन दिन.......

डॉक्टर.... हां तीन दिन, वैसे हुआ क्या था तुम्हे, कुच्छ याद है ?


सैली... नही मेडम, बस ये ध्यान है कि एक लड़का बदतमीज़ी कर रहा था, फिर उसने मेरे नाक के पास पाउडर जैसा कुच्छ उड़ाया, और फिर उसके बाद का याद नही. डॉक्टर मैं यहाँ कैसे पहुँची, और क्या हुआ था मेरे साथ ?


डॉक्टर.... पता नही, पर तुम्हे कोई बाहर का आदमी ले कर आया था, ड्रग ओवरडोस के कारण तुम्हे तीन दिन तक बेहोश रखना पड़ा, मैने तुम्हारे दोस्तों को तुम्हारे ड्रग ओवरडोज का अभी तक नही बताई, सिर्फ़ आक्सिडेंट का कही थी, बेहतर जैसा तुम समझो बता देना.


सैली.... डॉक्टर, फिलहाल तो बहुत कमज़ोरी फील हो रही है, अभी तो इस से ज़्यादा बात करने की हालत मे नही हूँ.


डॉक्टर.... ठीक है तुम आराम करो, मैं तुम्हारे दोस्तों को फोन कर देता हूँ, वो आकर तुम्हे ले जाएँगे.


डॉक्टर ने पहले लोकल पोलीस को फोन लगाया, फिर उसके बाद सैली के दोस्तों को फोन कर के सैली के होश मे आने की सूचना दे दी.


सारे दोस्त हॉस्पिटल पहुँचे, पोलीस वहाँ पहले से पहुँच चुकी थी, और वो सैली का बयान दर्ज कर रही थी.


गौरव.... क्या हुआ सैली, ये सब कैसे हुआ.


सैली.... सो सॉरी मेरे क्रेज़ीबॉय, मैं उस दिन कुच्छ ज़्यादा ही अपसेट थी. मैं जानती हूँ तुम काफ़ी चिंता मे रहे होगे, देखो मैं गिल्टी फील कर रही हूँ अब माफ़ भी कर दो.


गौरव.... पागल हो क्या, जो हो गया उसे हटाओ, अभी तो हमारा हॅपी मोमेंट है. बीती बातों पर से ध्यान हटाओ, हां पर ये सब हुआ कैसे, मुझे बस नाम बता दो यदि ये किसी की हरकत है, मैं उसका जीना हराम कर दूँगा.


सैली... कुच्छ नही हुआ, ये एक मात्र आक्सिडेंट था, अचानक हुआ मुझे कुच्छ भी याद नही.


इंदु... पर तुम उस दिन अचानक डिस्को से गायब कहाँ हो गयी थी, और कहाँ गयी थी.


सैली.... कही ना, मुझे कुच्छ याद नही, तो तुमलोग मेरा विस्वास क्यों नही करते.


इंदु... ह्म्म्मि, ठीक है सैली.... 


इंदु अपने मन मे विचार करती हुई.... "ये सैली कुच्छ तो मुझ से छिपा रही, खैर डिस्को की बात है, मुझे आज ना कल तो पता चल ही जाएगी".


वैसवी.... डॉक्टर क्या अब ये हमारे साथ जा सकती है.


डॉक्टर.... हां, मेरे तरफ से तो ओके है, इनस्पेक्टर साब से पुच्छ लो उनकी करवाही पूरी हो गयी हो तो, ले जा सकती हो.


इनस्पेक्टर... नही मैने भी बयान दर्ज कर लिया है, आप सब इन्हे ले जा सकते हैं.


सैली, अपने दोस्तों के साथ वापस हॉस्टिल आ गयी. काफ़ी कमजोर फील कर रही थी, इसलिए वो आते ही डॉक्टर की दी हुई कुच्छ गोलियाँ ली, और सो गयी. इधर बाकी सब अपने कामो मे लगे रहे.


साम को जब इंदु, वापस अपने कमरे मे आई तो सैली बिस्तर पर बैठी, तेज-तेज साँसे ले रही थी, और उसका पूरा बदन पसीने-पसीने था...


इंदु.... तेरी तबीयत तो ठीक है ना सैली, तू बैठे-बैठे इतना हाँफ क्यों रही है.


सैली अपने बदहवास आवाज़ मे बोली.... इनदुऊऊउ, मुझे कुच्छ तलब सी लगी है, सिर भारी हो रहा है, अंदर से ऐसा लग रहा है कुच्छ नोच रहा है.


इंदु, सैली की हालत देख कर, और उसकी बातें सुन कर थोड़े सकते मे आ गयी..... "सैली मैं जानती हूँ उस दिन डिस्को मे कुच्छ हुआ था, क्या तुम मुझे बताउन्गी. हो सकता है तुम्हारी ये हालत उसी वजह से हो रही हो.


सैली.... इंदु, मुझे अंदर से अजीब फील हो रहा है, मुझे कुच्छ दो नही तो मैं मर जाउन्गी.


इंदु.... सैली, पर क्या दूं. तुम्हे क्या चाहिए. उस दिन ऐसा क्या हुआ था, कुच्छ तो बताओ, शायद मैं तुम्हारी मदद कर सकूँ.


सैली, थोड़ी असहजता के साथ, उस दिन उस लड़के के साथ हुए वाक़या को इंदु के पास बयान कर दी. सैली की बात सुन'ने के बाद इंदु समझ गयी कि इसके साथ क्या हुआ था. इंदु के ख्यालों ने ये भी तार जोड़ना शुरू कर दिए थे, कि हो ना हो कोई जिस्मानी रिस्ता ज़रूर कायम हुआ था उस रात. 


इंदु के दिमाग़ ने एक चाल चल दी, और अपने पास से रखे अफिम के पाउडर का पॅकेट खोल कर सैली के सामने कर दी...


सैली..... ईीई क्या है इंदु


इंदु.... तुम्हारी बीमारी का इलाज़, बस इसे सूंघ ले, और अपनी बेचैनी को राहत दे...
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12-27-2018, 01:49 AM,
#45
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
इधर वासू और रीति जब से वापस आई, बस सैली के बारे मे ही सोच रही थी, कि आख़िर उसे हो क्या गया था.... खैर कुच्छ देर की चिंता के बाद दोनो ने आख़िर कार सैली से मिलने का मॅन बना ही लिया.. और जैसे ही दोनो सैली के कमरे मे दाखिल हुई, क्या खूब व्यूह रच डाला इंदु ने.....


इंदु.... तुम दोनो इस कमरे मे, अब क्या करने आई हो.


वासू.... मैं तेरे कमरे मे नही आई, सैली से मिलने आई हूँ, ज़्यादा बढ़-चढ़ कर बातें ना कर.


इंदु.... तुम भी ज़्यादा अपनापन दिखाने का नाटक मत करो, ये सब जो सैली के साथ हुआ है वो तुम्हारी वजह से हुआ है...


वासू... तू क्या नशे मे बोल रही है इंदु, ज़्यादा बकवास की तो मुँह तोड़ दूँगी तेरा.


इंदु.... किस-किस का मुँह तोड़ेगी, सैली ने अपने प्रॉजेक्ट के लिए इतनी मेहनत की, पर इस रीति ने उस प्रोफ़ेसर को अपने ज़िस्म का ऑफर दे कर ये असाइनमेंट मे फर्स्ट प्राइज़ जीत ली. तुम लोगों की मक्कारी का नतीजा है, जो सैली उस दिन गुस्से मे निकली और ये सब हो गया. अर्रे अंदर से तो चाह रही होगी, कि ये मर क्यों नही गयी ?


रीति, इंदु की बात सुनकर बिल्कुल रो पड़ी, ऐसे इल्ज़ाम लगाए थे इंदु ने, उसे अपनी आत्मा पर दाग लग रहे थे. आख़िर कोई कैसे इतनी घटिया सोच सकती है.... रीति रोती हुई वापस अपने कमरे मे आ गयी, और तकिये से सिर छिपा कर फुट-फुट कर रोने लगी....


वासू भी रीति के पिछे-पिछे पहुँची, और उसके सिर पर हाथ फेरती उसे शांत करने की कोशिस करने लगी. लेकिन ये किसी चोट या मार का दर्द नही था, जो ठीक हो जाता. इंदु की बातों ने रीति के दिल पर आघात किया था, और ऐसे जब बेवजह घिनौने इल्ज़ाम लगते हैं, तो बस दिल को वो बातें चीर जाती है. 

सम बहुत ही खामोश सी गुजर रही थी सबकी, जहाँ सैली नशे की आगोश मे थी, वहीं इंदु एक बार फिर अपने सपने पूरे करने विक्की की बताई राहों पर चल चुकी थी, और सैली को लेकर उसके दिमाग़ ने पहले ही कुच्छ सोच रखा था.


रीति की हालत को देखती वासू उसे अपने साथ बाहर ले आई, ताकि वो इंदु की बातों से भुला सके. रीति, बस इंदु के बातों पर घुट'ती हुई, वासू के साथ बाजार पहुँची. दोनो अभी घूम ही रही थी बाजार, कि एक बार फिर रीति की नज़रों ने अचानक ही करवट लिया, उसे लगा कि जैसे अभी दौड़ता हुआ वहाँ से निकला हो.


रीति, वासू का हाथ खिचती हुई अपने साथ ले जाने लगी....


वासू..... क्या हुआ रीति, ऐसे हाथ क्यों खींच रही है....


रीति.... वासू वो अभी यहाँ से दौड़ते हुए निकले..


वासू... वो कौन रीति...


रीति.... अर्रे अभी, और कौन चल ना जल्दी, वो निकल जाएँगे. चल ना चल ना प्लीज़.....


वासू खुद से ही कहती हुई...... "इसे भी ना पता नही ये अभी कहाँ से दिख जाता है, मना भी की थी 5 दिन रुक जा, फिर भी एक बार देख क्या ली, उस से मिलने को बेचैन, मरी जा रही है. इश्स वक़्त इसकी बात मान लेती हूँ, कम से कम इंदु की बातों को तो भुला देगी".


वासू यूँ तो अभी गुस्सा होती, क्योंकि 5 दिन का कही थी पर आज तो ये 4थ डे ही था. लेकिन रीति आज शाम से इतनी मायूस थी कि वासू ने सोचा चलो यदि अभी हुआ तो रीति का मॅन कुच्छ तो भुला रहेगा.


वासू, रीति के साथ चल दी उसी ओर, फिर से तकरीबन एक कीलोमेटेर का चक्कर लगाई होगी कि अभी दिख गया. ढूँढते, और पैदल चलते दोनो इतने थक गये थे कि साँसे चढ़ आई थी... अपनी साँसों को दोनो सामान्य ही कर रही थी, कि एक ज़ोर की आवाज़ आई.....

"छोड़ दो मुझे, मैं मर जाउन्गाआअ"


रीति और वासू आवाज़ सुनकर चौुक्ति हुई, अपनी नज़रें उठा कर देखी.... सामने अभी फिर आज किसी को मार रहा था....


रीति देखी तो उसका पारा चढ़ गया, एक तो इंदु ने आज उसके दिल को दुखाया उपर से अभी को फिर एक बार मार-पीट करते देख रीति पूरे गुस्से मे आ गयी.....


वो तेज़ी से पहुँची, अभी उसे मारने के लिए लोहे की सरिया उठाया ही था, कि उसका हाथ वो पकड़ कर, काफ़ी गुस्से मे देखने लगी.....


"अब ये यहाँ कैसे पहुँच गयी, इसे और कोई काम नही क्या. आँखों से तो लग रहा है बड़ी गुस्से मे है, चल बेटा कोई कहानी बना तो दे ज़रा"...

मॅन मे ख्याल बनाए, अभी बोलने के लिए मुँह खोला ही था, की रीति ज़ोर से डाँट दी अभी को.... "चुप... कुच्छ मत बोलना, कोई बात नही अभी"..... फिर उस आदमी को देखती हुई.... "अब क्या मार खाने के लिए रुके हो, भागो यहाँ से".


उस आदमी ने अजीब सी नज़र कर के रीति को देखा, रीति फिर तेज़ी से उसे कहती हुई.... "ऐसे आँखें फाड़ कर के क्या देख रहे हो, और मार खानी है क्या ? चलो भागो यहाँ से जल्दी".


रीति की बात सुनकर वो ऐसे भागा जैसे गधे के सिर से सीग. अभी भी उसके पिछे जाने ही लगा था, कि रीति उसका हाथ थाम'ती हुई .... "मॅन नही भरा क्या अभी भी, उसे इतना मार कर जो और पीटने के लिए उसके पिछे जा रहे हो"


अभी थोड़ा गुस्सा दिखाता हुआ.... पागल कितना मुश्किल से पकड़ा था, भगा दी....


वासू... लेकिन पकड़े ही क्यों थे, तुम नॉर्मल हो कि नही. जब देखो तब किसी ना किसी को पीट'ते रहते हो. कह दो ये भी तुम्हारे मोम के साथ बदतमीज़ी कर रहा था. लगता है जैसे पूरी देल्ही तुम्हारे और तुम्हारे मोम के पिछे पड़ा है.


बेचारा अभी, कोई सुन'ने वाला नही उसकी, एक तो उसके शिकार को भगा दिया उपर से दोनो लड़कियाँ पूरे गुस्से मे.


अभी.... बता तो देते दोनो, कि यहीं आ रहे हो, मैं ये कार्यक्रम कहीं और कर लेता.


रीति.... पर करते ज़रूर. चल वासू, गुंडे मवालियों की कोई बात नही सुन'नी


इतना कह कर दोनो तेज़ी से मूड गयी... अभी खड़ा सोचता रहा.... "भगवान, क्या चाहते हो, पहली बार कोई पसंद आई है, उसे भी तुम हाथ से निकाल दोगे. सुनी भी नही मेरी बात, आँधी की तरह आई और तूफान की तरह सुना कर चली गयी. आदमी भी गया लड़की भी गयी, मैं खड़ा बस हाथ मलता रह गया". 


मॅन की कल्पना को तोड़ते हुए ... पीछे से दोनो को चिल्लाकर रोकने लगा.... "रूको तो सही, सुनो तो".....


रीति बिना मुड़े ही जबाव देती.... "झूठे, लायर, मुझे कोई बात नही सुन'नी"... 

"तुम्हे सुन लेनी चाहिए उसकी बात" ...


सामने से एक खूबसूरत मोहतर्मा ने वासू और इंदु का रास्ता रोकते हुए अपनी बात कही, अभी ने जब उसको देखा तो सिर पीट लिया.... "भगवान, एक ही दिन इतने सर्प्राइज़ ज़रूरी थे क्या ? बेड़ा गर्क हो, इसे भी अभी ही आना था, सारे "राहु-केतु" मेरी ही कुंडली मे डेरा जमाए हैं, उपर से ये "सनी" भी आ टपकी".


अभी भागता हुआ सब के पास पहुँचा, अजीब सी हसी थी चेहरे पर मानो ज़बरदस्ती हँसने की कोशिस कर रहा है.... अपनी बड़ी आँखें करते, चेहरे पर अजीब हसी के साथ .. धीरे से उस लड़की से कहा.... "तुम यहाँ क्या कर रही हो"


वो लड़की दो कदम पिछे हट'ती.... "हेयययी राम" .... "ये अब मुझे अपने पास भी नही आने देना चाहते".....


रीति थोड़ी गंभीर होती पुछ्ने लगी... "पर आप है कौन, और कौन आप को दूर करना चाहते हैं" ?


लड़की... मैं दुखियारी सोना हूँ, अपने अभी की सोना ... पर अब मुझे है हमेशा के लिए सोना.. क्योंकि जिस से प्यार की उसे ही कदर नही मेरी. हयूओ रब्बा मैं क्या करूँ.


अभी घूरते हुए सोना को देखने लगा, मानो कहना चाह रहा हो गुस्से मे... "चुप हो जाओ नही तो अच्छा नही होगा".


वासू, अभी की नज़रों को भाँप गयी, जो सोना की ओर गुस्से से घूर रही थी.... "तुम उसे आँखें क्यों दिखा रहे हो, गर्दन नीचे करो, और कोई रियेक्शन नही आप बोलिए सोना जी, खुल कर कहिए"..

रीति जब सुनी... "अभी की सोना" ... वो तो बस गुस्से मे हुंकार भरते एक बार सोना की ओर देखी, और फिर अपनी भयानक नज़रों से अभी को देखने लगी, मानो कह रही हो... "अभिईीई... आज आप की खैर नही".


अभी मॅन मे सोचता ... खूब जमेगा रंग, मिल गयी दो पागल जो मेरी रीति को आज मुझ से दूर कर देगी.


वासू... हरकतें ऐसी होगी तो मिलना क्या इसका चेहरा भी नही देखेंगे...


अभी हैरानी से ... मेरे मॅन की बात इस वासू ने कैसे सुन ली, अंतर्यामी है या किसी बाबा की चेली....


पर बात दरअसल ये थी कि, वासू, रीति का चेहरा देख कर, वो उसे सांत्वना देने के लिए कह रही थी. तीनो के साथ होने से, अभी को महसूस होने लगा था, आज हो ना हो तीनो मिलकर उसकी तबीयत से क्लास लेने वाली है.

अभी बस अपना सिर झुकाए खड़ा था, वासू, रीति को थामे खड़ी बस सोना को देख रही थी, और उसके चेहरे के भावों को देख कर समझने की कोशिस कर रही थी, कि आख़िर अभी, और सोना के बीच ये दरार क्यों....
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12-27-2018, 01:49 AM,
#46
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति मायूसी भरे शब्दों मे सोना से पूछती हुई... क्या हुआ था सोना आप दोनो के बीच....


सोना........ क्या बताऊ मैं किस निर्मोही से दिल लगा बैठी. मैं तो कितनी खुश थी अपनी लाइफ मे, तीन चार टाइम पास मेरे बाय्फ्रेंड थे, 8/10 सहेलियाँ थी, 40/50 फॅन थे जो मेरे घर के चारो ओर चक्कर काटा करते थे, 3000/4000 फ़ेसबुक फ्रेंड्स थे, लाइफ तो जैसे ख़ुसीयों के झूले मे झूल रही थी....


जैसे-जैसे सोना डीटेल अपनी बता'ती गयी, वैसे-वैसे रीति और वासू की निगाहें बड़ी होती चली गयी.... एक दम शॉक्ड थी, पर कहानी तो अभी वो बताना शुरू ही की थी....


सोना आगे अपनी बात कहती हुई..... हुआ ये, कि एक दिन अभी मुझ से रात मे टकराया, आक्च्युयली ना ग़लती मेरी ही थी, मेरा ध्यान कहीं और था, और मैं ही अभी से टकरा गयी. मुझे अभी ने अपने बाहों मे बॅलेन्स कर लिया.... सच बताऊ तो मेरे लिए वो अनमोल पल था, एक मीठी याद की तरह... मुझे पहली बार मे ही ऐसा लगा जैसे यही है मेरा मिस्टर. परफ़ेक्ट.


रीति और वासू को तो लगा जैसे सोना, रीति और अभी की पहली मुलाकात सुना रही हो... सोना की बात सुनकर, अभी अपना सिर उठा कर उसे खा जाने वाली नज़रों से घूरते हुए, कुच्छ कहना ही चाह रहा था, कि रीति ज़ोर से चिल्लाई..... "अभिईीई, ख़ैरियत चाहते हैं तो जैसे थे वैसे ही रहिए नही तो मुझ से बुरा कोई नही होगा".


अभी... वो रीति, सिर झुकाए-झुकाए मेरे गरदन मे अकड़न सी होने लगी है, थोड़ी देर ऐसे ही रह लेने दो...


वासू.... गर्दन कड़ी ही है ना, ज़्यादा होशियारी किए तो गर्दन कट भी जाएगी, चुप-चाप गर्दन नीचे..... ना तो सिर उठा चाहिए, ना चू-शब्द आवाज़. आप कंटिन्यू करो सोना.....


सोना.... कंटिन्यू क्या करना है, 19 साल की उमर मे ....


जैसे ही सोना ने 19 साल अपनी उमर बताई, दोनो के मुख से अनायास ही निकल पड़ा.... "क्या 19 साल"


सोना... देखने से और कम की लगती हूँ ना, किसी को बताना मत मैं 19 साल की हूँ, लोग मुझे तो अभी स्कूल गर्ल हे समझते हैं....


सोना की बात पर रीति और वासू एक दूसरे का मुँह तकने लगी... दोनो जैसे इशारो मे आश्चर्य दिखा रही हों... "कितना फेक्ति है, देखने से तो 24/25 साल की लगती है, और शो ऐसे कर रही है, जैसे अभी दूध पीती बच्ची हो.


सोना.... देखा ना, आप दोनो भी सोचने लगी ना, कि मैने खुद को कितना मेनटेन किया है, जो मैं इतनी छोटी दिखने के बावजूद 19 की हूँ...


वासू और रीति दोनो एक साथ... हां वो दिख रहा है... आप आगे बताइए फिर क्या हुआ....


सोना.... हां हां, मैने कब मना किया, वो तो आप लोग हे ज़्यादा उत्सुक थी, मेरे इस कम उम्र के राज को लेकर. हां तो उस पहली मुलाकात के बाद... मेरे सारे बाय्फ्रेंड मुझ से छूट गये, सारी सहेलियाँ बोरिंग हो गयी, 40/50 फॅन को फॅन से लटका कर झाड़ू मार कर भगा दी, और फेसबुक अकाउंट क्लोज़.

"दिल दिमाग़ के सारे चॅनेल्स पर, बस अभी ही अभी छाया रहा. मैं तो इतनी बावरी थी कि दूसरी मुलाकात मे फोन नंबर और तीसरी मुलाकात मे अपना सब कुच्छ एक झाड़ियों के नीचे अभी को दे दी".


वासू और रीति का मुँह खुला का खुला रह गया, अभी, सोना की बात सुनकर अंदर ही अंदर सोच रहा था... "तू तो आज गयी सोना.. तेरे सोना होने पर आज तो टोना ना लगा दिया फिर तू कहना"....


सोना अपनी बात आगे कहती हुई... "मैने सब कुच्छ उसे दे दिया. तन, मन और धन. तीनो के साथ इसने खूब खेला. मैं झूठ बोल-बोल कर इस गुंडे-मवाली के लिए अपने बाबू का एटीम और क्रेडिट कार्ड तक चोरी कर चुकी हूँ".

"बदले मे क्या मिला मुझे, मेरी कोख मे एक बच्चा, जो इस शैतान अभी का है. मैने जब इस से शादी की बात की, तो कहता है, "कलमुंही पता नही तेरा टांका किस-किस से भिड़ा है और इस हराम की औलाद को मेरा बच्चा कह रही है".

"हायो रब्बा, मैं मर क्यों नही गयी, ये सुन'ने से पहले"... फिर रीति और वासू के कान के पास धीरे से बोली.... "बाय्फ्रेंड की बात से ये मत सोचना कि मैं ऐसी-वैसी लड़की हूँ, मुझे आज तक किसी ने छुआ भी नही था. और पहली बार जब इसने मेरे साथ किया, तो ना तो बिस्तर था, ना हे कोई घर, कमीने ने झाइयों मे ही मेरे कुंवारेपन को मसल कर रख दिया, खून भी निकला था, फिर भी विस्वास नही".


फिर सोना दोनो से एक कदम दूर हटकर.... "और तब से ये मेरे मोबाइल से सारे बाय्फ्रेंड के कॉंटॅक्ट निकाल-निकाल कर उस से ज़बरदस्ती कबूल करवाना चाहता है, कि ये बच्चा उसी का है. आज से कुच्छ दिन पहले भी रात मे एक बार किसी को मार कर कबूल करवा रहा था, अब भी जो गया है, उस से भी यही कबूल करवा रहा था, मैं कह-कह के थक गयी, पर ये कुच्छ भी सुन'ने को तैयार नही...


रीति तो गुस्से मे पागल थी, पर वासू कुच्छ सोचती हुई... सोना, जिन दो लोगों को अभी मार रहा था, वो तो काफ़ी एज के थे, यानी कि 45/50 साल के लग रहे थे, ये सब तुम्हारे बाय्फ्रेंड.....


सोना, थोड़ी मुस्कुराती, थोड़ी शरमाती और थोड़े हिलती-डुलती... उम्र मे क्या रखा है, अभी हम इस उमर मे है कि, 4/5 साल छोटे और 20/30 साल बड़े बाय्फ्रेंड भी बना सकते हैं.


वासू और सोना इधर आपस की आखरी लाइन कह रही थी, और तबतक गुस्से मे आग-बाबूला होकर रीति पहुँच चुकी थी अभी के पास.. दोनो की बातें ख़तम हे हुई थी कि जोरदार चाँटे... चटक-चटक... की आवाज़ उस महॉल मे गूँज गयी...


अभी अपने दोनो गालों पर हाथ रख कर, बस रीति को बगुला-भगत की तरह देखे जा रहा था, रीति थप्पड़ मार कर, गुस्से मे वहाँ से निकली, और वासू से कहती चली.... "आप को और कहानी सुन'नी है तो सुनिए मैं चली"


वासू भी ... "रुक तो-सुन तो" कहती दौड़ती हुई रीति के पिछे-पिछे निकली, और दोनो के जाते ही सोना ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी. अभी गुस्से मे सोना का गला दबाते हुए.... "तुझे आज मार कर सोच रहा हूँ जैल चला ही जाऊ. तू प्रेगनेंट है, रुक तेरे बाय्फ्रेंड को सारी करतूत बताता हूँ, होशियार सब रेकॉर्ड कर लिया है".


सोना... अक्खहिईीईई-आखिईीईई ... गला छोड़ो डफर सच मे दम घुट रहा है.. मार ही दोगे क्या..


अभी गला छोड़ते हुए, "हां सच मे मार ही दूँगा, रुक अभी सारा तेरा काला-चिट्ठा तेरे बाय्फ्रेंड को भेजता हूँ.


सोना, अपनी साँसे नॉर्मल करती... प्ल्ज़ अभी, प्ल्ज़, प्ल्ज़, प्ल्ज़ ... रहने दे, मेरा प्यारा दोस्त है, तुझे कितनी बार बिरयानी खिलाई है मैने, कितने एहसान है मेरा तेरे उपर, थोड़ा सा मज़ाक ही तो की थी.


अभी... तेरे मज़ाक के चक्कर मे जाहिल, वो ना जाने मेरे बारे मे क्या-क्या सोच कर चली गयी. दो चिपका कर के भी गयी. नही तेरी करतूत तो तेरे बाय्फ्रेंड को दिखाउन्गी ही, फिर तू पापड बेलना उसे समझाने के लिए, और पता ना मेरा क्या होगा.


सोना... प्ल्ज़ सुन'ना, जाने दे ना, मैं नॉमिन से बहुत दिल से सच्चा वाला प्यार करती हूँ. प्लीज़ ऐसा मत कर, वैसे भी पेट भर झूट बोली हूँ, जल्दी सेटेल करवा दूँगी तेरा मामला भी...


अभी... ना ना, तू ऐसे नही मानेगी, उस दिन भी मज़ाक के नाम पर बॉस के पास मेरी इज़्ज़त का कचरा कर दी, कि लड़की के चक्कर मे मैने उस आदमी को छोड़ दिया. और जाहिल, तुझे जो मैने उस से पहली मुलाकात के बारे मे बताया, वही तूने अपनी मुलाकात बना दी. ना ना, तेरे किए की सज़ा तो ज़रूर दूँगा..


सोना ठीक है... कर दे एमएमएस, मुझे क्या....


कुच्छ देर जेब मे इधर-उधर हाथ डाला, और फिर सोना की ओर दौड़ लगा दिया चिल्लाते हुए.... तू मेरा मोबाइल वापस कर....


दोनो के थोड़ी देर आपसी बात के बाद, अभी, सोना के द्वारा किए गये मज़ाक पर खूब हँसने लगा, और सोचने लगा, "जब ये झूट का पता चलेगा, तो वासू और रीति का रियेक्शन देखने लायक होगा". कल पाचवाँ दिन था, और रीति से अफीशियली मिलने का दिन भी था, अभी जानता था इतना होने के बाद तो वो आने से रही, इसलिए उसने उसके हॉस्टिल के बाहर ही ड्रामा करने का ठान लिया था.



इधर रीति अपनी किस्मत पर रोए ही जा रही थी... वासू कहाँ उसे इंदु की बात भुलाने के लिए अभी से मिलवाने ले आई, और कहाँ उल्टा वो और गम मे डूब गयी....


वासू.... रीति एक-तरफ़ा बात सुन कर कोई भी फ़ैसला मत किया कर, देखा नही उस सोना के कैसे-कैसे बाय्फ्रेंड थे. और अभी को देख, एक बार बोली चुप-चाप से गर्दन नीचे किए रहो, तो वो बेचारा कुच्छ बोला भी नही, और शांत खड़ा रहा. मेरे ख्याल से उसे एक बार सफाई देने का मौका देना चाहिए.


रीति... हां तो ! ग़लती किया था तभी तो चुप था, सच होता तो क्या खून ना खौलता झूठ पर. मेरी तो किस्मत ही खराब है. एक ने सुबह करेक्टर पर कीचड़ उछाल दिया, तो एक जिसे हमदर्द माने बैठी थी, वो करेक्टरलेस निकला. माना कि लड़की के उतने बाय्फ्रेंड और ना जाने क्या-क्या हो सकते हैं. पर कोई भी लड़की भला इस तरह से क्यों अपनी प्रेसोनल बातें बताएगी. मेरा तो नसीब ही खराब है....


वासू... "तू ठंडे दिमाग़ से सोच रीति, रुक मैं उसे फोन करती हूँ जिसे मैने अभी के बारे मे पता लगाने बोला था".... इतना कह कर वासू ने एजेंट को कॉल लगा दी...


उधर से.... हेल्लूऊ, हां जी कौन बोल रहा है


वासू... रहा नही, रही हूँ. मैं वासू बोल रही हूँ महाजन जी.


महाजन... हां वासू जी, आप का काम हो गया है ...


रीति अपना सिर उपर उठा'ती... वासू फोन स्पीकर पर डालिए...


वासू ने फोन स्पीकर पर डाल कर, अभी की डीटेल पुच्छने लगी...


महाजन.... वासू जी लड़का निहायत ही आवारा किस्म का है, उत्तम नगर देल्ही का रहने वाला है. यहाँ अकेले रहता है, और पड़ोसियों का कहना है, कि केयी-केयी दिनो तक घर नही आता.


वासू ने "जी ठीक है" कह कर फोन काट दी, और खुद को कोसने लगी..... "ये तो जले पर नमक छिड़कने का काम हो गया"


रीति अपने पनपे प्यार का गला घोंट'ते हुए बिल्कुल रोती हुई बिस्तर मे दुबक गयी, वासू के पास तो कुच्छ था ही नही कहने को, वो बस शांत करने मे लगी थी रीति को. इधर अभी मॅन ही मॅन ये सोच कर उच्छल रहा था, कि कल के उसके प्यार का इज़हार मे कितने नाटक होने वाले हैं. 


रात बहुत भारी गुज़री थी रीति पर. एक दिन के हुए अलग-अलग दो घटनाओ ने, रीति को झकझोर कर रख दिया था. ये कैसा समय था जो पूर्ण विरहा और तन्हा सा था, जिसमे समा बिल्कुल रोया-रोया सा था. खामोश तनहाईयाँ.


आज दो लोगों पर सितम हुआ, जहाँ सैली को नशे की लत नही लगनी चाहिए थी, एक तलब जिसे सुधारा जा सकता था .. उसे आदत मे तब्दील कर दिया इंदु ने. वहीं जो बात बस एक मॅन मे थी उसी को इंदु ने पहले हथियार की तरह रीति से कह दिया, "उसके और प्रोफेसर के बीच की मनघड़ंत कहानी", वहीं दूसरी ओर जब परेशान होकर रीति निकली तो एक और कांड हो गया.
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12-27-2018, 01:49 AM,
#47
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
मायूसी का आलम छाया था, दिल पर बोझ सा लग रहा था रीति को, इसलिए वो कॉलेज भी नही गयी, अपने कमरे मे बस रोती रही.


दिन के क्लास के वक़्त एक अननोन नंबर से वासू के मोबाइल पर कॉल आया.... वासू क्लास मे थी इसलिए पिक नही कर पाई, पर रिंग टोन पूरी क्लास के सामने बजा. पहली बार तो प्रोफ़ेसर ने भी छोड़ दिया, पर वासू फोन को साइलेंट ना कर पाई थी, तुरंत दूसरा रिंग भी हुआ...


प्रोफ़ेसर... दिस ईज़ नोट युवर रूम, स्विच ऑफ युवर सेल फोन 


वासू पर गुस्सा कर उस प्रोफ़ेसर ने डाँट दिया, वासू जल्दी से अपने मोबाइल को साइलेंट मोड़ पर की, और चुप-चाप क्लास अटेंड करने लगी. रीति के ना होने से उसे भी कुच्छ सूना-सूना लग रहा था, आख़िरकार क्लास ख़तम कर . वो वापस रीति के पास जाने का सोची.


पर जैसे ही क्लास से बाहर आकर मोबाइल चेक की, 55 मिस कॉल्स, 40 एसएमएस. वासू चिंता मे पड़ गयी, ये इत्ते सारे कॉल, कहीं कोई एमर्जेन्सी मे तो नही फँसा... कहीं रीति.. को.....


वासू हड़बड़ा कर कॉल बॅक की... उधर से किसी लड़की का रिप्लाइ आया..... "पहचाना मुझे, बताओ तो मैं कौन"


वासू का पारा सातवे आसमान पर, "कामिनी जान पहचान के लिए फोन की क्या.... "पागल फोन रख, नही तो फोन मे घुस कर मारूँगी"


फिर जब रीति की चिंता हो ही गयी थी तो रीति को कॉल लगाई.... रीति पिक करते ही... "हां वासू, कहिए"


वासू... नही बस ऐसे ही फोन की थी, क्लास मे मन नही लग रहा था तो वापस आ रही हूँ.


रीति... मैं ठीक हूँ, आप क्लास अटेंड कर लीजिए....


वासू कुच्छ नही बोली, फोन कट कर दी, और मॅन मे चार गलियाँ देती, फिर उस लड़की को फोन लगा दी... क्योंकि रीति से बात करते वक़्त भी उसका फोन लगातार आ रहा था...


जैसे ही कॉल पिक हुआ... वासू चिल्लाती हुई .... कमीनी, पागल, कमकल, हरम्खोर, जाहिल, बद-दिमाग़, क्यों परेशान कर रही है, फोन रख.


उधर से... रुकिये-रुकिये, बसस्स भी कीजिए नही तो, कान से खून निकल आएगा, मैं सोना बोल रही हूँ.


वासू, चौुक्ति हुई... मेरा नंबर कहाँ से मिला..


सोना... अभी के मोबाइल मे था, उसने अपने कॉल की डीटेल सिम कंपनी वालों से मँगवाया और उसी से ये नंबर मिला.


वासू... ह्म्म्म , क्या कहना चाह रही हैं, और ऐसे फोन करने से जानती हैं, दिमाग़ मे कितनी बातें आती हैं.


सोना... आनी भी चाहिए, अभी मैं फोन रखती हूँ, अभी आ जाएगा, बात बहुत ही ज़्यादा सीरीयस है, मैं रात को आप के हॉस्टिल के बाहर मिलूंगी ठीक 9 बजे. प्लीज़ आ जाइएगा, नही तो अनर्थ हो जाएगा.


इतना कह कर सोना ने फोन कट कर दिया. वापस कॉल लगाई तो फोन स्विच ऑफ. वासू जब रीति को ये बात बताई, तो रीति और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी....


वासू जब कारण पुछि तो, रीति रोती हुई अपने बीती जिंदगी के उस साइको की घटना को रो-रो कर वासू से कहने लगी. अपनी बीती जिंदगी का एक कड़वा सच बता दी, इस बात से अंजान कि गेट पर खड़ी इंदु सब सुन रही है. जब वासू परेशान घर आई तो पिछे-पिछे इंदु भी आ गयी, इनको परेशान देख कर मज़ा लेने.


हर पल चिंता से बिता, रात ठीक 9 बजे वासू और रीति हॉस्टिल के बाहर पहुँची, गेट के पास सोना पहले से खड़ी थी, सोना हड़बड़ी मे दोनो का हाथ पकड़ी, और कही... "चलो-चलो, अंदर जल्दी, नही तो अभी ने देखा लिया तो कयामत आ जाएगी.


तीनो घबराए कमरे मे पहुँचे...... सब अपनी-अपनी जगह पकड़ लिए. टिक-टिक, घड़ी की सुइयों की आवाज़, तेज चल रही सांसो की आवाज़, खामोसी ऐसी थी कि हवा की सरसरती आवाज़ भी कानो मे सुनी जा सकती थी.


रीति और वासू बस सोना पर ही नज़रें जमाई थी, और सोना थी कि आते ही, पानी के बोतल से पानी पी, और बिस्तर पर, सीधी होकर, अपने दोनो बाहें फैला कर लेट गयी थी. 15 मिनट बीत गये इसी खामोसी मे, रीति और वासू बस इंतज़ार कर रहे थे, सोना कब रिलॅक्स हो और पूरी बात बताए.


15 मिनट बीतने के बाद भी जब कोई हरकत नही हुई, तो रीति, वासू को इशारों मे सोना को देखने के लिए बोली, और सोना वो तो आँखें मुन्दे बस पड़ी थी. वासू उसे हिला कर देखी.... "रीति ये तो सो गयी"


रीति... हद है, दिन से हम इतने परेशान हैं और ये यहाँ सो गयी, जगाओ वासू इसे.


वासू, सोना को ज़ोर से हिलाओ.... रीति ये तो कुंभ करण के नींद मे है, ये ईति जल्दी इतनी गहरी नींद मे सो कैसे सकती है.


रीति.... जी तो करता है सोए मे इसका गला दबा दूं, रूको इसे मैं जगाती हूँ.

रीति भागती हुई बाथरूम गयी, आधा बाल्टी पानी उठा ले आई, और छपाक से उडेल दी सोना के उपर. चिहुक कर उठी सोना, और "बचाओ-बचाओ" चिल्लाती हुई लिपट गयी वासू से.....


वासू, सोना को खुद से दूर करती... हट भी जाओ, कोई नही है यहाँ पर, और तुम इतना घबराई क्यों हो.


सोना... वो... वूऊ... वू अभी...


रीति... हां अभी, क्या....


सोना.... अभी मुझ से तलाक़ चाहता है. 


सोना की बात सुन कर, रीति और वासू अपना सिर खुजाने लगी.... दोनो एक दूसरे को देखती, इसकी शादी कब हो गयी, जो अब तलाक़ का मामला दर्ज हो गया, और तलाक़ ही चाहिए तो इसमे सीरीयस जैसा क्या है...


रीति गुस्से मे.... तुम पागल तो नही हुई, शादी कब की और तलाक़ चाहिए तो इसमे सीरीयस जैसा क्या है...


एक दम से सोना खड़ी हो गयी.... एक पल को तो रीति और वासू भी घबरा गयी, कि इसे हुआ क्या है... फिर सोना कहना शुरू की.....


"सीरीयस ही तो मामला है ना, अभी मेरी उम्र ही क्या है, उपर से बिना शादी के तलाक़, मैं तो बेचलर डाइवोर्स हो गयी"


वासू... निकल, निकल यहाँ से, उल्लू समझ रखी है क्या, और ये नाटक क्या लगा रखा है..... 


सोना.... सच ही तो कही, अभी मुझ से शादी के लिए तैयार है, लेकिन शर्त ये है कि मैं पहले उसे तलाक़ दे दूं, फिर वो मुझ से शादी करेगा....


अभी इतनी ही बातें हुई थी, कि वॉचमन भागता हुआ आया उपर.... यहाँ अभी की बीवी कोई सोना है क्या..


सोना खुशी से उछ्लति हुई... हां-हां मैं हे हूँ अभी की बीवी, बताइए बात क्या है...


वासू... पर शादी कब हुई..


सोना... अर्रे शादी नही हुई तो क्या हुआ, सुहाग-रात तो हो गयी ना, तो हुई ना, मैं अभी की पत्नी.


वॉचमन... मतलब वो सही कह रहे थे, तीनो नीचे जाओ नही तो पोलीस आएगी तुम तीनो को अरेस्ट करने.


पोलीस का नाम सुन कर रीति और वासू के तो होश ही उड़ गये.... "पोलीस".......

तीनो नीचे गयी, जैसे ही पहुँची तो गेट के बाहर अभी था, साथ मे एक पोलीस वाला, जो इनलोगों के पहुँचते ही बोलने लगा.... "तुम तीनो मे सोना कौन है"


सोना अपना हाथ उपर करती.... मैं हूँ, मैं हूँ सोना...


पोलीस वाला... ये लो तलाक़ के पेपर साइन करो, और कल सुबह बजरंग बलि के मंदिर जा कर शादी कर लेना..


वासू पोलीस वाले को घुरती हुई.... सर, आप ये कैसे पोलीस वाले हो..


वो पोलीस वाला थोड़ा लाजाते हुए..... अब मुझे अच्छा नही लगेगा खुद की तारीफ करने मे, तुम्ही बता दो मैं कैसा हूँ....


वासू मॅन मे सोचती.... "किस पागल खाने से भाग कर आया है, आज मैं इन सब के चक्कर मे रही, तो मैं भी पागल ही हो जाउन्गी"... फिर उस पोलीस वाले को कहने लगी...


"सर ये आप क्या कह रहे हो, बजरंग बलि के मंदिर मे शादी, आप का दिमाग़ तो सही है ना.... और ये लड़का अभी, एक नंबर का लुच्चा, लफंगा लोफेर है, ये ज़बरदस्ती कर रहा है सोना के साथ. और आप को पोलीस मे किसने जाय्न करवा दिया, शादी से पहले भी कभी तलाक़ हुआ है क्या"...


पोलीस वाला.... मुझे कुच्छ नही पता है, पैसे दो अभी जिसको कहोगी उसे अरेस्ट कर लूँगा....

अभी... आप जा सकते हैं, ये लोग नीचे आ गये, यदि कोई ज़रूरत होगी तो कॉल कर दूँगा...


पोलीस वाला वहाँ से चला गया, और उसके जाते ही अभी... "रीति तुमने अच्छा नही किया, सोना के साथ... सोना जा अब तुम से शादी भी नही करूँगा, कर ले इस रीति से ही शादी... तू इसके पास आई है ना मदद माँगने, अब यही मदद करेगी."..


सोना... अभी, पर मुझे बच्चे के बाप का नाम चाहिए, ये तो बच्चे के दो-दो माँ हो जाएगी. मेरा बच्चा जब बड़ा होगा, और लोग उस से पुछेन्गे, कि तेरे बाप का नाम क्या है, तो क्या जबाव देगा...


अभी.... ओह्ह्ह ! ये तो मैने सोचा ही नही... तो ठीक है, पहले ये रीति मुझ से आइ लव यू कहेगी फिर मैं सोचूँगा....


रीति... बकवास बंद करो नही तो मैं तुम्हारा खून कर दूँगी... मैं नही बोलती तुम्हे कुच्छ भी, जो भी निपटाना है वो आपस मे निपटो, मेरा तुम्हारा कोई वास्ता नही.


सोना ज़ोर-ज़ोर से हँसती हुई...... सो सॉरी डियर..... मुझे माफ़ कर दो, कल जो हुआ वो सिर्फ़ मज़ाक था जो मैं कर रही थी, इतना तो झूट बोली थी, फिर भी तुम लोगों को मेरी बात पर यकीन हो गया....


वासू.... अब ये क्या नया नाटक है, सोना क्या पागल कर के ही छोड़ॉगी.


रीति.... वासू आप रहो यहीं, मेरा सिर फटा जा रहा है....


इतना कह कर रीति चल दी अपने कमरे की ओर, तभी पिछे से अभी ने हाथ पकड़ लिया, रीति अपनी कलाई छुड़ाने की कोशिस की, पर अभी के बल के आगे वो अ-समर्थ थी. अभी ने पहले सोना की ओर देखा, और वो वासू को लेकर साइड हो गयी.....


वासू, सोना से.... ये क्या नाटक, तुम दोनो ने लगा रखा है, अगर रीति के साथ कोई बदतमीज़ी की तो पूरा हॉस्टिल यहाँ होगा. अभी को बोलो उसके लिए यही अच्छा होगा कि, वो रीति को परेशान ना करे.


सोना.... कहाँ तुम भी महाजन की बात से अडेसन हो वासू.


वासू, सोना के मुँह से महाजन का नाम सुन कर चौक गयी..... "तुम्हे कैसे पता महाजन के बारे मे".


सोना.... अब भी नही समझी, हम लोग क्राइम ब्रांच से हैं, और वो जो अभी साब हैं वो हैं एसपी, और मेरी फूटी किस्मत, मेरी ड्यूटी उन्ही के साथ है. 


वासू बुल्कुल शॉक्ड होती हुई.... क्या ???????


सोना.... हा हा हा हा... तुम कुच्छ ज़्यादा ही शॉक्ड लग रही हो.


फिर सोना ने अपनी आइ'डी निकाल कर वासू को दिखाई. वासू इनके कल के ड्रामा और ये लोग सही मे क्या है, जानकर काफ़ी हैरान थी, और उल्लू जो बनी उस पर हंस भी रही थी....



इधर... रीति ... और .... अभी....


अभी, रीति का हाथ थामे उसे रोक रहा था, और रीति काफ़ी गुस्से मे अपना हाथ छुड़ाने की कोशिस कर रही थी....


रीति, काफ़ी गुस्से मे चिल्ला उठी अभी पर.... "हाथ छोड़ी मेरा अभी"......


अभी.... हाथ छोड़ने के लिए नही थामा है रीति, अब तो ये उम्र भर का साथ है....


रीति.... मैं कहती हूँ हाथ छोड़ो मेरा अभी, नही तो देख लेना मैं कुच्छ कर जाउन्गी.


अभी, रीति के हाथ को झटका देकर, अपनी ओर मोड़ लिया, और उसके कमर मे हाथ डाल कर... गुस्से से भरे चेहरे पर उंगली फिराते हुए..... "हां तो आप क्या कुच्छ कर जाने का सोच रही हैं"...


रीति काफ़ी गुस्से मे...... अभी के अभी मेरे कमर से हाथ हटाओ, और मुझ से दूर रहो....


अभी..... ठीक है मैं तुम्हे छोड़ता हूँ, पर पहले तुम्हे ये बताना होगा कि इस नफ़रत की वजह क्या है, यदि वजह सही हुई, तो मैं अपनी शकल कभी नही दिखाउन्गा....


अभी इतना कह कर रीति को छोड़ दिया.... वो अभी भी काफ़ी गुस्से मे लग रही थी, दो कदम दूर हट'ती, अभी से कहने लगी..... "किसी से बात करने का ये मतलब नही, कि उस से प्यार हो, या जीवन के सफ़र मे उसे हम सफ़र बनाया जाए. सीधे एक लाइन की बात है, मुझे तुम पसंद नही...


अभी अपना छोटा सा मुँह बनाता हुआ, जैसे अब रो पड़ेगा...... "ठीक है रीति, जब पसंद हे नही तो बात ही ख्तम, सोना... सोनाआ.... चलो यहाँ से...


सोना, अभी की आवाज़ सुनकर वासू से कहने लगी, "कल के लिए मुझे माफ़ कर देना, और हो सके तो रीति को भी समझा देना.


इतना कह कर सोना, अभी के पास चली आई, और अभी अपनी रोनी सूरत लिए चल दिया वहाँ से. कल से लेकर आज तक मे पहली बार रीति अपने सारे ख्यालात, उसके साथ हुए सारी घटनाओ को भुला कर, वो बस अभी को मायूष जाते देख रही थी. दिल मे जैसे एक अजीब बेचैनी सी हो, गुस्सा कब उसके उदासी मे बदला पता ही नही चला.


वासू, रीति के कंधे पर हाथ रखती..... क्या हुआ रीति, यूँ गुम्सुम किस सोच मे डूबी हो...


रीति, अपने ध्यान मे ही कह उठी... वो मायूस चले गये, मैं रोकी तक नही...


वासू , उसे ज़ोर से हिलाती..... रीतीईईईईईईईई ... क्या हुआ है तुम्हे, उसके बारे मे इतना सब सच जान'ने के बाद भी उसी का फेवर कर रही हो.


रीति गहरी सांस छोड़ती हुई.... ह्म ! वासू क्या आप जानती हैं, कभी-कभी ये दिल, सच्चाई सुन'ने के बाद भी अपनी ज़िद पर अड़ा रहता है.


वासू.... मैं समझ सकती हूँ रीति, तुम्हारी हालत, भंवर मे फसे उस नाव की तरह है, जो ना तो पिछे किनारे पर जा सकता है, और ना ही आगे.... बस बीच मे फँसा, सही राह चुन'ने की कोशिस कर रहा है, और उसे कुच्छ समझ मे नही आ रहा....


रीति.... मुझे कुच्छ भी अच्छा नही लग रहा वासू, ये कल से मेरे साथ क्या हो रहा है, मेरा तो मरने-मारने जैसा दिल करता है.


वासू.... पागल कहीं की, और ये चेहरे पर टपकती मोतियों जैसे आँसू अच्छे नही लगते, अब चलो अच्छे बेबी की तरह स्माइल करो, या मैं यहाँ अनसन पर बैठू...


इतना कह कर, वासू वहीं सड़क पर आसन जमा कर बैठ गयी... तप की अवस्था मे बैठ कर.. आँख मूंद कर ज़ोर-ज़ोर से बड-बडाने लगी......

"मुस्कुराहट वापस आओ नम्ह्ह्ह"
"रीति खुश हो जाओ नमहह"
"रीति का दिमाग़ ठीक हो जाए नम्ह्ह्ह"


वासू का ये आक्ट देख कर रीति थोड़ी मुस्कुरा दी, वासू का हाथ पकड़ कर, उसे खड़ी की, और कान पकड़ कर कहने लगी... "इतनी नौटंकी आप कहाँ से सीखी"...


वासू.... तेरे प्यार मे जानेमन मुझे सब सिखा दिया. तू कहे तो मैं अपने अनु को छोड़ कर लस्बो बन जाउ तुम्हारे साथ. फिर मैं तुम और हमारी वो रंगीन रातें..


रीति.... यक्कक ! छ्हि-छि-च्चि, मंन भटक गया वासू, आप भी ना... चलें या हमे पूरी रात बाहर रहना है ....


वासू... हां हां चलो, वैसे भी कमरे मे ही तो आज रात का मज़ा है...


रीति.... आप ऐसे बातें करेंगी, तो मैं आप के साथ रूम शेयर नही करने वाली....


दोनो, नोक झोक के साथ बढ़ चली, अपनी-अपनी बात कहते हुए. बहस चलता ही जा रहा था.. और दोनो जैसे ही अंदर हुई ... रीति चौुक्ति हुई वासू के पिछे आ गयी... जैसे कोई भूत देख लिया हो ........

रीति, वासू के कंधे से छिप'ती हुई, उचक कर देखी, आँखें मिज़ी, और फिर एक बार देखी. वासू अपनी आँखें बड़ी करती हुई.... "निकलो यहाँ से अभिईीईई.... अकल नही है क्या तुम मे, इतनी रात को हमारे कमरे मे क्या कर रहे हो".?


अभी, वासू की बात का कोई जबाव नही दिया, वासू भी रीति को खुद से अलग कर के, जा कर कुर्सी पर बैठ गयी. इस महॉल को क्या कहें, रीति कुच्छ घंटे पहले अपने अतीत को अभी से ज़ोर कर हताश थी, गुस्सा इतना कि वो अभी का शकल तक देखना नही पसंद करती थी.


जब अभी मिला तो उसकी नफ़रत थोड़ी कम तो हुई, पर गुस्सा अपनी जगह कायम रहा. और जब अभी ये वादा कर के निकल रहा था, फिर कभी अपनी शकल नही दिखाएगा, तो रीति मायूस थी. 


रीति अब भी अपनी जगह खड़ी, बस ये विडम्बना मे खड़ी थी, कि वो क्या करे. दिल कह रहा था अभी जाकर लिपट जाए अभी से. मॅन की विचारधारा ये थी, की वो धोकेबाज है.. सोना ने झूट बोला या मज़ाक किया उसका क्या, लेकिन उस महाजन की बात, वो तो सच थी.
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12-27-2018, 01:49 AM,
#48
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
अभी बिस्तर पर टिका, बैठ कर आराम से रीति को देखते हुए मुस्कुरा रहा था..... रीति फिर अपने दिल को शांत करती, अपने मॅन की आवाज़ सुनी, और अभी की ओर घुरती हुई पुच्छने लगी.... "अभी तो आप कह रहे थे, कि कभी अपनी शकल नही दिखाएँगे, फिर इस तरह से यहाँ आने का मतलब, और गर्ल्स हॉस्टिल मे आप को आने किसने दिया".


अभी एक लंबा सा निशान अपने पाँव पर दिखाते हुए, जिसमे से खून अब भी निकल रहा था, उसे दिखाते हुए.... 


"ईत्ति मेहनत कर के आया उपर, छिपते-छिपाते, फिर भी मेरी हालत पर तरस खाने के बदले, तुम गुस्सा दिखा दिखा रही हो. तुम कही कि "ज़रूरी नही कि जिस से बात करूँ उस से प्यार ही हो", तो मैने सोचा, चलो प्यार नही ना सही, पर हम बात तो कर ही सकते हैं, तुम नही जानती तुम्हारे साथ होना ही और बात करना ही मेरे लिए कितना सुकून देता है. प्लीज़ इस से मना मत करो. प्लीज़....


रीति... प्लीज़ मुझे एमोशनल ब्लॅकमेल करने की कोशिस नही कीजिए, और जैसे आए थे वैसे ही चलते बानिए... 


अभी फिर से अपना चेहरा मायूसी से लटकाते हुए... "पर मेरी बात तो सुनो"...


रीति.... नही सुन'नी मुझे कोई भी बात....


अभी.... ये तुम्हारा आखरी फ़ैसला है, तो मैं यहीं इस छत से कूद कर अपनी जान दे दूँगा...


रीति..... मुझे अगर फोर्स किए ना, तो मैं खुद अपनी जान ले लूँगी, इसलिए बेहतर इसी मे होगा कि आप मुझ से दूर रहिए.


अभी.... ठीक है मैं जाता हूँ, अब ना मिलूँगा दोबारा..... तुम खुश रहो


अभी, फिर से वही मायूसी के साथ बोला, पर इस बार वाकई ही काफ़ी मायूस था. रीति अपना मुँह दूसरी ओर फेर ली, ताकि जाते हुए अभी को नही देख सके. अभी टूटा हुआ सा निकला वहाँ से.


रीति जताने की कोशिस तो कर रही थी, कि वो काफ़ी स्ट्रॉंग है, पर अंदर ही अंदर घुट रही थी. काफ़ी सन्नाटा सा छाया हुआ था, और इन्ही सन्नाटो मे वो घुट कर रह गयी रीति.


इधर, इंदु ने अपना खेल जारी रखते हुए, आज भी सैली को नशा दे दिया, और धीरे-धीरे उसे नशे का गुलाम बना रही थी. इंदु एक तरह से सैली को अपने वश मे कर रही थी, हॉस्पिटल से लौटने के बाद जो गौरव से मुलाकात हुई, उसके बाद से सैली ने किसी से भी कोई संपर्क नही किया था.


इंदु अपनी मनसा को आगे बढ़ाती अपने काम को अंजाम देने मे लगी थी. रात के तकरीबन 12:30 बजे होंगे... विक्की का कॉल इंदु के मोबाइल पर आया.....


इंदु... हेलो विक्की....


विक्की.... इंदु, सर्प्राइज़ फॉर यू बेबी


इंदु... कैसा सर्प्राइज़ विक्की, जल्दी बताओ ना...


विक्की..... अभी नही, बस इतना जान लो, कि अपने सपने को सच करने का ये तुम्हारा पहला कदम होगा.


इंदु.... पर क्या होगा वो तो बता दो, नही तो मैं पूरी रात सो नही पाउन्गी.


विक्की.... कुच्छ बातें बतानी थी, पहले उस पर ध्यान दो.


इंदु... हां कहो..


विक्की... एक कांड हो गया है आज से 5 दिन पहले.


इंदु.... कौन सा कांड हो गया है.....


विक्की.... दो लड़के अपने क्लब आते थे, दोनो सेंट्रल मिनिस्टर के बेटे थे, और वो ड्रग डीलिंग मे फस गये ?


इंदु.... तो इसमे हम क्यों परेशान हो.


विक्की.... तुम इस काम के लायक नही जाहिल लड़की, तुम दो कौड़ी की एजेंट हे अच्छी हो, जो ड्रग को यहाँ से वहाँ पहुँचाओ, और कस्टमर के साथ सेक्स कर के रीलेशन बनाओ, इस से ज़्यादा तुम्हारा कोई फ्यूचर नही.


आह्ह्ह्ह ! क्या आग लगी दिल मे, बेचारी इंदु चाह कर भी नही कुच्छ बोल पाई. वैसे कीचड़ मे जब फेज़ हो, तो सॉफ सुथरे रहने की तो कोई उम्मीद ही नही करनी चाहिए. जहाँ गये, जिन लोगों के बीच रहे, उसनकी भाषा और तरीके को अपना लेना चाहिए. थोड़ा मुश्किल होता है, पर क्या करें इन ख्वाहिशों का, जो हर काम करवा देती है.


इंदु, थोड़ा भड़कती हुई.... कहने का क्या मतलब है विक्की...


विक्की.... गुस्सा आता है इंदु तुम्हारी बातों पर, कभी-कभी लगता है कि तुम्हे जितना बोल दिया जाय, तुम उतना ही करोगी, अपना भी तो दिमाग़ लगाओ.


इंदु, कुच्छ सोचती हुई.... ठीक है लगा लूँगी, अब बात क्या है वो भी तो बता दो....


विक्की.... सुनो, दोनो लड़के जैल नही जाते, पर कोई पागल ने इतना स्ट्रॉंग एविडेन्स दिया है, और इतना स्ट्रॉंग केस बना है, कि नारकॉटैक्स वाले इसे चाह कर भी नही छोड़ सकते.


इंदु... ह्म्म्मब !


विक्की... वो मिनिस्टर तो पागल बना हुआ है, चार दिन से उसने मेरी वॉट लगा रखी है. अब मुझे क्या मालूम वो कैसे फसा, कहाँ फसा, पर उसके बाप ने मेरे पिछवाडे मे डंडा डाल रखा है.


इंदु... समझ गयी, यदि उसका बेटा नही छूटा तो हम गये काम से.


विक्की.... हां इंदु, ऐसा ही कुच्छ है, पर छुते या ना छुते उस से मतलब नही है, उन्हे तो बस जान'ना है कि उस रात हुआ क्या था, और किसने और कैसे फसा दिया.


इंदु.... मतलब यदि हम कारण का पता लगा ले, तो हमारी जान छूट जाएगी. पर विक्की एक बात समझ मे नही आई, कि पता ही लगाना था तो, वो अपने बेटे से जैल मे मिल लेते.


विक्की.... इंदु, हालत बहुत खराब है, यहाँ धंधे की माँ-बहन हो गयी है. रोज कोई ना कोई ड्रग सप्लाइयर अंदर हो रहा है, जैसे किसी ने ठान ली हो हम सब को ख़तम करने की. उनके बेटे को अरेस्ट करते ही 15 दिन की रेमंड मिल गयी नारकॉटैक्स वालों को, कोई नही मिल सकता फिलहाल तो उन दोनो लड़कों से.


इंदु.... क्या, पोलीस भी हमारे पिछे पड़ी है.


विक्की... हां, सही सुनी... डिस्को भी आई थी पोलीस, दो दिन पहले, वो तो अच्छा हुआ कि पता चल गया मुझे पहले और यहाँ का मामला सॉफ कर दिया.


इंदु... मुझे बहुत डर लग रहा है विक्की, पोलीस के बारे मे सुनकर. क्या होगा अब, कहीं मैं भी तो नही पकड़ी जाउन्गी.


विक्की.... तुम्हारी वो दोस्त है ना, तुम्हे बचाने के लिए, फिर तुम क्यों डरती हो. छोड़ो ये सब, धंधे मे तो ये पोलीस का चक्कर लगा ही रहता है. फिलहाल हम उनकी नज़रों मे हैं, इसलिए अभी पूरा काम बंद है. तुम इन सब बातों पर ध्यान मत दो, बस यदि कोई केस इन दोनो लड़कों से रेलेटेड हो, तो ज़रूर बताना. 


इंदु... ह्म्म्मच ! ठीक है, यदि कुच्छ सुनती हूँ इनके बारे मे, यो ज़रूर बता दूँगी, पर ये तो बताओ कि सर्प्राइज़ क्या था.


विक्की.... वो तुम जान जाओगी, पहले कल तुम अच्छे से तैयार होकर आ जाना. कल तुम्हारे लिए एक नया दिन होगा.... और तुम्हारी दुनिया बदल जाएगी....


विक्की ने अपनी बात कह कर कॉल डिस-कनेक्ट कर दिया, इंदु तो पोलीस का नाम से बस उपरी डर दिखा रही थी, पर उसके मॅन के अंदर जो चल रहा था, वो बस विक्की के वो कटाक्ष भरे शब्द थे, जो किसी तीर की तरह दिल मे चुभ रहे थे.. और अंतर आत्मा से बस यही आवाज़ आ रही थी... बात कुच्छ भी हो विक्की, पर तुम्हे ऐसा नही कहना चाहिए था.


उधर विक्की फोन रख कर .. "एसस्स, एससस्स" .. करने लगा, क्योंकि उसे इंदु मे कहीं ना कहीं अपनी जीत नज़र आ रही थी, और वो उस जीत को हर कीमत मे पा कर रहना चाहता था.

अगली सुबह इंदु कॉलेज ना जाकर सीधा पहुँची ब्यूटी पार्लर. वॅक्सिंग, पेडिक्टीयर, मसाज, और जो भी बाहरी अन्द्रुनि सौंदर्य के लिए होता है, वो जाकर करवाई. वहाँ से स्कूटी सीधा विक्की के बंग्लॉ की ओर मोड़ दी.


इंदु, विक्की के बेडरूम मे दाखिल होती हुई, उसके पिछे से जाकर लिपट गयी...


विक्की... आ गयी तुम.....


इंदु... खुद ही देख लो.....


इतना कह कर वो विक्की से अलग हुई. विक्की जब उसे देखा तो देख कर दंग रह गया. क्या खूबसूरती निखरी थी आज, उपर से टाइट स्लीवलेशस कुरती डाली थी जिसका गला थोड़ा बड़ा था, जिस से क्लीवेज़ का लूका-छिपा नज़ारा मिल रहा था, उसे देख कर विक्की पागल हो गया...


विक्की... इंदु तैयार होकर बोला था आने के लिए..


इंदु... क्यों क्या हुआ सो, तैयार नही हूँ मैं क्या....


विक्की.... जानेमन इसे तैयार होना कहते हैं, या बिजली गिराना. कॉलेज मे लड़के तो हाथ फेरते रह जाते होंगे.


इंदु... हहे, विक्की .... छोड़ो ये सब और ये बताओ कि किस सर्प्राइज़ की बात कर रहे थे.


विक्की.... इंदु छोड़ने का ही तो दिल नही करता तुम्हे, अभी देखने के बाद लगता है आज गुड मॉर्निंग कर ही डालूं.


इंदु... रोका किसने है विक्की, कपड़े यहाँ उतार दूं, या कहीं और ये बताओ... सब करती हूँ, पहले सर्प्राइज़ क्या था वो तो बता दो, कल रात से सो नही पाई मैं.


विक्की.... हा हा हा.... यही अदा तो और दीवाना बनाती है, क्लीवर गर्ल. काम की बात से भटकती हही. सुनो, तो सर्प्राइज़ ये है कि, कनाट प्लेस के एक आलीशान शॉपिंग माल मे तुम्हारा एक आलीशान बूटिक़े सेंटर. जिसके इनोग्रेशन पर, बड़े-बड़े दिग्गज सिरकत करेंगे.


इंदु, उछल्कर विक्की के गले लग गयी, और उसका गाल चूम ली...... 


विक्की... ठहर जाओ, सर्प्राइज़ एट नोट ओवर इंदु, तुम्हारे लिए एक फ्लॅट, और एक कार भी है.


इंदु... वॉववव, विक्की, अब इस से ज़्यादा सर्प्राइज़ दिए तो हार्ट फैल हो जाएगा. वैसे एक बात बताओ, एक दिन मे इतनी मेहरबानी क्यों.


विक्की..... वो इसलिए जानेमन, क्योंकि तुम्हारा ब्युटीक सेंटर ऑफीस होगा, जहाँ से हम अपना बिज़्नेस रन कर सकेंगे. सब कुच्छ प्लान हो गया है, तुम्हे चिंता करने की कोई ज़रूरत नही, फिलहाल एंजाय करो.


इंदु... जैसा तुम कहो विक्की. तो चलो फ्लॅट तो दिखा दो, आज वहीं एंजाय करते हैं.


विक्की.... दिखा देंगे, एंजाय भी होगा, पर उस से पहले एक छोटा सा काम करना होगा.


इंदु... कैसा काम विक्की.


विक्की.... किसान परमार, नारकॉटिक डिपार्टमेंट का ऑफीसर, बहुत काम के आदमी हैं, उन्हे ज़रा हॅंडेल करना है. तुम समझ रही हो ना.


इंदु... ह्म्म्मर विक्की. कोई बात नही है, इट'स ऑल अबाउट बिज़्नेस .... मुझे पता नही था कि मुझे किसी और के पास जाना है, मैं आई आधे घंटे से.


विक्की... अब तुम कहाँ चली.


इंदु... आती हूँ, कुच्छ ज़रूरी काम तो कर लूँ.


विक्की.... देर हो जाएगी इंदु, तुम समझती क्यों नही, ज़्यादा इंतज़ार करवाया तो भड़क जाएगा.


इंदु.... और मैं ना गयी तो और ज़्यादा भड़क जाएगा.


विक्की... क्यों क्या हुआ सो....


इंदु... मैने वहाँ वॅक्स नही करवाया है, आती हूँ मैं.


विक्की... तुम भी पागल हो, रोज ब्यूटी-पार्लर जाया करो. ठीक है जल्दी आना, टाइम मत लगाना.


इंदु, विक्की को बाइ बोलती वहाँ से निकली. जल्दी से मोबाइल शॉप गयी, वहाँ से दो एचडी वीडियो शूटिंग वाला मोबाइल ख़रीदी, और कुच्छ देर टाइम बिताने के बाद, वहाँ से विक्की के पास वापस आ गयी.


विक्की पहले से ही रेडी था, इंदु अपना स्कूटी, विक्की के यहाँ खड़ी कर के उसके साथ निकल गयी. थोड़ी देर बाद दोनो पहुँचे एक फाइव स्टार होटेल, जिसके एक कमरे मे वो नारोकॉटिक ऑफीसर किसान था.


इंदु नॉक कर के दाखिल हुई कमरे मे.... किसान एक 45/46 साल का आदमी था, जो देखने से हॅस्ट पुष्ट, और गठीला बदन का मालिक था.


लेकिन इंदु के रूप के आगे किसान की सारी प्रेसोनालिटी फीकी थी, जैसे ही पहली झलक इंदु की मिली, वो तो दीवाना हो गया. बिस्तर मे चादर के अंदर पाँव डाले, अपने खुले सीने के बालों पर हाथ फेरता किशन कहने लगा.....


"आअह्ह्ह हाा, जे छोरी तो पूरी रसमलाई है, कपड़े उतार कर जल्दी से बिस्तर मे आ जा छोरी"


इंदु, अपने चेहरे पर बड़ा ही शॉकिंग सा एक्सप्रेशन लाती हुई.... क्य्ाआ ????


इंदु के एक्सप्रेशन को देखते हुए, किशन पूरा चक्कर खा गया. 


किशन.... तुझे यहाँ किसने क्या कह कर भेजा है, जो तू ये सवाल पुच्छ रही है.


इंदु... जी विक्रम सर ने भेजा है. मुझे पार्ट टाइम जॉब की ज़रूरत थी, इसलिए उन्होने कहा आप से मिल लूँ.


किसान.... फोन लगा कर बात करा मेरी.


इंदु ने विक्रम को कॉल लगा दी, बात शुरू होते ही पहले बता दी .... विक्रम सर आप ने मुझे यहाँ नौकरी के लिए ही भेजा है ना, ये सर आप से बात करना चाहते हैं.


किसान फोन लेते हुए.... ये क्या नाटक है विक्की, किसी को भी भेज दिए, क्या चाहते हो रेप केस मे फँस जाऊ.


विक्की.... सर, कोरा माल है, डील करो, नौकरी की ज़रूरत है बात समझा करो.


किसान, विक्की के "कोरे माल" की बात सुनकर पागल हो गया.... "ठीक है फोन रख, प्यार से मामला सेटल हो गया तो तुझे बहुत ही फ़ायदा होने वाला है, और नही हुआ तो, कल तक तू सूली पर चढ़ जाएगा.


विक्की... जैसे आप की इक्षा, अब एंजाय करो.


किसान .. इंदु से.... देखो पहले ये बताओ, तुम्हे नौकरी की कितनी ज़रूरत है...


इंदु... सर कॉलेज की फीस तक नही आ पा रही, मुझे तो एक पार्ट टाइम जॉब की ज़रूरत बहुत ही ज़रूरत है.

किसान...... फिर ठीक है, जैसा मैं चाहता हूँ, वैसा करती जाओ, तो तुम्हे जॉब मिल जाएगी.


इंदु अपनी आँखें नीची करती.... जी मैं समझ गयी....


किसान..... तो ठीक है आ जाओ मेरे पास....


इंदु अपना सिर उपर कर के देखी, और किसान से कहने लगी... "सर, आप थोड़ा नहा लेते तो... मुझे ऐसे थोड़ी घृणा आ रही है .... 


किसान ... हा हा हा... चल ठीक है, मान लेता हूँ तेरी बात...


किसान चला गया बाथरूम मे .. तबतक इंदु जो दो मोबाइल अपने साथ लाई थी, उसे दो अलग-अलग जगहों पर रख कर, वीडियो रेकॉर्डिंग ऑन कर दी, और जल्दी से वापस आ कर, बिस्तर पर बैठ गयी.


किसान नहा कर जल्दी से बाहर आया, और टवल मे बिस्तर के पास खड़ा हो गया..... "चल अब शुरू कर दे"

इंदु... मैं कैसे कुच्छ करूँ मुझे शरम आती है....


किसान... जैसा तुम दिखती हो और तुम्हारी बातें कुच्छ मॅच नही हो रही.


इंदु... सर, मैं तो महाराष्ट्र के एक गाँव से हूँ, यहाँ कॉलेज मे पढ़ती हूँ. मैने अपनी समस्या जब विक्रम सर को बताई, तो उन्होने कहा लोग इंटरव्यू टिप-टॉप बनकर जाते हैं, और मुझे ब्यूटी-पार्लर भेज दिया और वहाँ फिर ... ये रूप, ये निखार, और कपड़े का अंदाज़ सब उसी के बाद हुआ....


किसान .... ब्यूटी-पार्लर.. वहाँ ऐसा करते क्या हैं, जो ऐसा होता है... ज़रा बताना....


इंदु... अब बताना क्या है सर, ऐसा काम किया है, कि आप खुद जान जाओगे... देख लेना..


किसान... उफफफ्फ़ करता अपना टवल खोल लिया, और टीवी ऑन कर के एक पॉर्न लगा दिया.... "देख उधर, और वैसे ही करना है"


इंदु एक नज़र टीवी पर देखी, उठ कर बिस्तर से नीचे आई, और अपना हाथ, किसान के लिंग पर रख दी. किसान जब उसके गोरे हाथ को अपने लिंग पर देखा ... तो आहह करते हुए, अपना सिर उपर कर के आँख मूंद लिया, कुछ देर हाथ से ही इंदु उसके लिंग को आगे पिछे करती रही.

किसान... जानेमन, वैसा कर ना जैसा उस टीवी मे लड़की कर रही है..


इंदु, नीचे देखती..... जी मुझे शरम आती है...


किसान ने इंदु का सिर पकड़ा और अपने लिंग के पास ले आया, इंदु भी थोड़े नखरे के बाद अपने मुँह मे उसका लिंग ले ली..... किसान तो बिल्कुल पागल हो गया...


ओह ! ... और ज़ोर से चुस्स्स्स ईसीईए, कहते हुए उसका सिर पकड़ कर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा. इंदु को हालाँकि ऐसा करना पसंद नही रहा कभी, पर अधिकतर समय उसे ऐसे ही लोग मिले जो सकिंग के दीवाने थे.


किसान ज़ोर-ज़ोर से इंदु का सिर पकड़ कर हिलाने लगा. अचानक ही उसकी पकड़ ढीली पड़ गयी, बदन ने अकड़ना शुरू कर दिया, इंदु समझ गयी ये जाने वाला है, मुँह से लार टपकाती, इंदु ने अपना मुँह बाहर निकाल लिया, और ठीक उसी वक़्त, किसान का कम, इंदु के पूरे चेहरे पर पड़ा. 
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12-27-2018, 01:50 AM,
#49
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
किसान खाली होकर वहीं बिस्तर पर ढेर हो गया, और इंदु अपना रुमाल निकालती, अपने चेहरे को सॉफ कर ली. थोड़ी देर लेटे रहने के बाद किसन ने स्कॉच के दो पेग बनाया, एक खुद पिया और दूसरी इंदु की ओर बढ़ा दिया.


इंदु.. मैं पीती नही.....


किसन... पी ले, बहुत कुच्छ पहली बार करना परता है, पर एक बार कर के देखो, मज़ा भी खूब आता है.


इतना कह कर किसन अपने छाती के बाल पर हाथ फिरने लगा. इंदु भी स्कॉच का पाक लेकर उसे पी गयी.... "यक्कक कड़वा है सर"


किसन ... तो अभी सब मीठा कर देते हैं.....


कहते हुए किसन उसके पास गया, और अपने हाथ उसके दोनो स्तनों पर रखता हुआ,उन्हे दबाने लगा. अपना मुँह इंदु के मुँह से लगा कर बेहताशा चूमने लगा. वेट किस, और बेतहाशा चूमते हुए अपना जीभ, इंदु के मुँह मे डाल दिया. इंदु भी लस्टी किस करती हुई, किसन के जीभ को चूस रही थी.


इंदु को भी इस खेल मे मज़ा आने लगा. उसे भी ज़्यादा मेहनत नही करनी पर रही थी, और किसन उसे नया समझ कर उसे पूरा मज़ा देने मे लगा था.


स्तनों को दबाना बंद कर के ... उसने उसके कुर्ते को निकाल दिया... और जो सामने का नज़ारा था, उसे देख कर किसन हिल गया.... गोरे बदन पर काली ब्रा.. और उसके अंदर एक परफ़ेक्ट उभार.... अब तो बर्दास्त कर पाना मुश्किल था. 


पीछे ब्रा के हुक मे उंगलियाँ फसाया और उसे जल्द ही निकाल कर फेक दिया. खुले स्तनों को देख किसन की आँखें चमक गयी. बड़ी ताक़त से दोनो हाथों से उसके स्तनों को जकड कर दबा दिया...


"आआआआआअ, सर ये क्या कर रहे हो, पूरा निचोड़ दोगे क्या" 


"क्या, मस्त-मुलायम दूध है तेरे, देख कर निचोड़ ही देने का मॅन करता है"


"ओह !!! आराम से सर, धीरे करो, ओह ! बहुत कड़क हाथ हैं"


कड़क सुन कर किसन खुश हो गया, वो बिना कोई नर्मी के लगातार अपने हाथ से इंदु के स्तनों की अच्छी सेवा करता रहा. कड़क हाथों की कड़क मिजाई से, इंदु भी फडक उठी, ... आहह .. आहह... करती वो भी किसन की पीठ पर हाथ फेरने लगी.


खड़े-खड़े सेवा के बाद इंदु को लिटा कर, अपना मुँह उसके स्तन पर लगा दिया. अपने मुँह से उसे पूरा गीला करते चूसने लगा, फिर दाँतों से उसे काट भी लेता. वो इतना हावी हुआ कि, इंदु के स्तनों पर किसन के दाँत के लाल-लाल निशान पर गये.


किसन नीचे आया, कमर को देखा और उसके लॅगी के अंदर हाथ डाल कर, इंदु के योनि को मसल दिया. हाथ का ज़ोर इतना था, कि इंदु मचल गयी.....


"काफ़ी रस निकल रहा है रे, तू तो काफ़ी गरम हो गयी, कभी किसी ने तेरे साथ पहले सेक्स किया है"


"अहह, हां एक बार बस"


किसान... मतलब खेल चुकी है ये खेल्ल्ल...


इंदु.... आहह, सर अच्छा लग रहा है.... ईश्ह्ह्ह ! हां एक बार बॉय फ्रेंड के साथ...


किसन.... कहाँ रहता है तेरा बाय्फ्रेंड...


इंदु.... उफफफफ्फ़... सिर्ररर वूऊ गाँव मे रहता है...


किसान... तो ये तेरा प्रोग्राम कब हुआ था.....


इंदु..... इष्ह ! सिर्र्र्र्र्र्ररर ... आहह डीटेल बाद मे ले लएनाअ... मुझहह से बाट्ट नही कियाअ जाएगाअ.... आहह .... ओह.... उफफफफफफफफफ्फ़.... करतीए राहूओ मज़ाअ आआ अराहा हाीइ...


किसन ने जोश मे इंदु के पाँव को उपर कर के, लॅगी को पैंटी सहित खींच कर निकाल दिया.... दोनो पाँव को जितना फैला सकता था फैला कर उसके योनि को देखने लगा.....


"तो तू ये करवा कर आई है.... साला बिना बालों की योनि कितनी खूबसूरत लगती है, ऐसा लग रहा है किसी विदेशी पॉर्न स्टार की योनि देख रहा हुन्न्ं"


किसन अपना बड़ा सा मुँह कर के, पूरी योनि को अपने मुँह से लगा कर चूसने लगा. योनि पर मुँह पड़ते ही इंदु उठ कर बैठ गयी, और अपने सिर को रोल करती, किसन के बालों को ज़ोर से पकड़ ली. किसन के बालों को पकड़ कर, ज़ोर-ज़ोर से अपने योनि मे दबाने लगी...... आहह ! सिर्र्र्र्र्ररर.... कहती इंदु का बदन अकड़ गया, और रस की फुहार योनि से छूटने लगी.


किसन, का भी लिंग अब दोबारा खड़ा हो चुका था. इंदु की जाँघो को अपनी जाँघो के उपर रख कर, लिंग को योनि पर सेट किया, और उसके नितंबों को हाथ से पकड़ कर पहला झटका दिया. 


"आआअहह, ईश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह" और इंदु ने पूरे ज़ोर से किसन के कंधों को जकड ली. बैठे बैठे किसन नीचे से इतना तेज झटका दे रहा था, कि इंदु मस्ती के सागर मे गोते खाती तेज-तेज सिसकारियाँ ले रही थी.


लगातार धक्के पड रहे थे, किसन तो इतना जोश अपनी सुहागरात मे भी नही था, जितने जोश मे वो आज लग रहा था. बैठे बैठे धक्के मारने मे परेशानी हुई तो लिटा दिया. दोनो पाँव को पूरा फैला कर. पूरी ताक़त से धक्का मारा.... पहले ही धक्के के ज़ोर ने, इंदु को पसीने-पसीने कर दिया.


दोनो सेक्स करते हुए काफ़ी उत्तेजित थे और हाँफ रहे थे, 15 मिनट के इस धुआँधार सेक्स के बाद... दोनो निढाल पड गये. इंदु वहीं लेटी रही. किसन कुच्छ देर बाद उठा, अपने कपड़े ले कर बाथरूम मे चला गया. 


वापस आकर देखा, इंदु अब भी बिस्तर पर नंगी लेटी थी, किसन ने उसके पूरे बदन पर हाथ फिराया, इंदु को देख कर मॅन तो उसका कर रहा था कि एक बार और शुरू हो जाए, पर काम की चिंता, और लड़की कहाँ जाएगी, ये सोच कर वो निकल गया.


किसन के जाते ही, इंदु भी फटा-फट उठी, बाथरूम मे जाकर फ्रेश हो गयी, और अपने कपड़े पहन कर, सारे मोबाइल की शूटिंग चेक करने लगी.


अपने सेक्स की रेकॉर्डिंग खुद देख कर, इंदु को काफ़ी एक्सिटमेंट हुआ. अजीब सी फीलिंग अंदर आई. इंदु ने मोबाइल अपने पर्स मे डाला, और वो भी विक्की को कॉल लगाती हुई.. होटेल से निकल गयी.


"सर आप का शक़ सही था, किसन इन लोगों के साथ मिला है, वो विक्रम जिस लड़की को होटेल मे चोदा था, वो भी उसी कमरे से निकली जिसमे किसन था. कहो तो लड़की को इनटेरगेशन के लिए ले कर आउ".


"सादिक़, तुम इतने डफर क्यों हो, इनटेरगेशन मे क्या पुछोगे, तुम किसन के कमरे मे क्या कर रही थी. इस से क्या साबित होगा. एक काम करो, उस विक्की पर नज़र रखो, देखो कि किसन और विक्की को कोई आमने सामने की मुलाकात होती है की नही".


"ठीक है सर करता हूँ".... इतना कह कर, नारकॉटिक डेपारमेंट के ऑफीसर सादिक़ ने अपने सीनियर को सूचना दिया. शदिक़ को खास तौर पर विक्की के पिछे लगाया था, क्योंकि ये बंदा अगर फसा तो इस ड्रग्स के रॅकेट के जो मुखिया है जल्द ही गिरफ़्त मे होगा.


पोलीस के नज़रों मे अब इंदु भी आ गयी थी, हालाकी पोलीस अभी उसे एक कॉल गर्ल ही समझ रही थी, पर आख़िर कब तक बच पाएगी.


इंदु, विक्की के साथ सीधे अपना नया फ्लॅट देखने निकल गयी. विक्की आज के इंदु के द्वारा किए गये आक्ट से काफ़ी खुश था, किसन ने जाते-जाते कुच्छ ऐसी बातें बता कर गया, जो उसके आगे बढ़ने का रास्ता खोल गया था.


इधर कॉलेज मे ऋतु अपने कल के फ़ैसले के बारे मे हे सोच रही थी. यूँ तो अभी के जाने के बाद कोई खास बदलाव नही आया था उसके दैनिक जीवन पर, लेकिन पता नही क्यों वो कुच्छ तो मिस कर रही थी.


रीति.... वासू, दिल नही लग रहा है, क्या इस क्लास के बाद हम कहीं घूमने चले.


वासू ने रीति की हालत को समझती हुई, उसके साथ बाहर जाने के लिए हामी भर दी. दोनो वहाँ से निकली, देल्ही घूमती हुई रीति काफ़ी खुश थी, इस दौरान उसे ज़रा भी याद ना आई अभी की, हां जब अकेली होती तब ज़रूर उसकी याद सताती थी. 


घूमते-घूमते रात के 9.30 बज गये. दोनो ने साथ बाहर ही डिन्नर करने का प्लान बनाया. दोनो एक रेस्टोरेंट मे गयी, अभी बैठी ही थी की अपनी बाएँ तरफ उसका ध्यान गया. बाएँ तरफ के टेबल पर अभी, और उसके साथ एक लड़की बैठी थी, जो अभी का हाथ थामे हंस-हंस कर बात कर रही थी.


रीति ने अपनी नज़रें हटा ली उस ओर से, पर रह-रह कर अपनी तिर्छि नज़रों से बाएँ ही देख रही थी. हाथों मे उसके मेनू कार्ड था और तिर्छि नज़रें अभी पर. गुस्से मे रीति उस मेनू कार्ड के कब छितरे कर दी, उसे होश ही नही रहा. 


वासू, रीति को टोकती हुई उस से गुस्से का कारण पुच्छने लगी. वासू ने रीति को जैसे हे टोका, एक झटके मे गुस्से से अपनी जगह से उठी, और सीधे पहुँच गयी अभी के टेबल पर. अभी का हाथ वो लड़की अब भी पकड़ी थी, और हंस-हंस कर बातें कर रही थी. रीति को देख अभी हड़बड़ा गया.... उस लड़की का हाथ जल्दी से छोड़ा ... और खड़ा हो गया....... रीति घुरती नज़रों से बस अभी को ही देख रही थी....

अभी मज़किया अंदाज़ मे अपना आँखें मिजा... और आँखें बंद कर के गाने लगा....


"किसी शायर की ग़ज़ल, ड्रीम गर्ल, किसी झील का कंवल, ड्रीम गर्ल
कहीं तो मिलेगी, कभी तो मिलेगी, आज नहीं तो कल"


रीति ने गुस्से मे पानी से भरा ग्लास उसके मुँह पर दे मारी.... "नींद खुली या कुच्छ बाकी है, यू चीटर, लोफर".....


रीति ने जैसे ही अभी के मुँह पर पानी मारा... वैसे ही चार पाँच लोग आ गये... सब के सब 6 फिट से उपर के थे, देखने से ख़तरनाक और ख़ूँख़ार... उन मे से एक ने बोला....


"क्या हुआ सर... आए लड़की तू कौन है, और सर के उपर ऐसे पानी क्यों फेकि"


अभी..... "तुम लोग जाओ यहाँ से"..... और फिर जो लड़की साथ मे थी.. उसे कहते हुए... "मिस आप जाइए, मैं हूँ ना सब सॉल्व हो जाएगा"....


रीति.... तुम गुंडे मवाली, आज तो मैने खुद इन आँखों से देख ली, पूरा गॅंग पाल रखा है, और लड़की के साथ कैसे हंस-हंस कर बात कर रहे थे"....


अभी मुस्कुराता हुआ.... फिर तो ये भी देखी होगी ... यहाँ रेस्टोरेंट मे खाना ख़ाता हूँ.... 


रीति... तो ज़हर का भी ऑर्डर दे दो ना... मुझे इस से क्या....


अभी ... "तो पुच्छ रही हैं मेडम.... तो बात ये है कि...... ज़रूरत है ज़रूरत है... सख़्त ज़रूरत है... ज़रूरत है ज़रूरत.....है ज़रूरत है..... एक श्रीमती की कलावती..... की सेवा करे जो पति की"


रीति... गुंडा कहीं का ... किडनॅप कर लो किसी को भी, गन के डर से तो कोई भी तुम्हारा खाना पका देगी....


एक वेटर जो अभी उनके पास आया था, वो रीति की बात सुनकर चौुक्ते हुए कहने लगा..... मेडम आप कुच्छ कन्फ्यूज़ दिखती हैं, क्योंकि सर जो हैं, वो देल्ही के एसपी हैं...


रीति चौुक्ते हुए .... "क्या" उसके मुँह से निकल गया, और वो अभी की ओर हैरानी से देखने लगी... अभी भी चुप-चाप अपना आइ'डी कार्ड निकाल कर उसे दे दिया....


पोलीस एसपी की आइ'डी कार्ड देख कर रीति पहले तो खुश हुई... फिर अचानक ही गुस्से मे चेहरा उसका लाल हो गया... और वो कार्ड अभी की ओर फेंकती हुई, वहाँ से तेज़ी से निकली.... रीति को जाते देख, उसके पुछे-पिछे वासू भी निकली... और उन दोनो के पिछे एसपी साहब.


पीछे से आवाज़ देता हुआ.... "ओ' मेडम अब ऐसा क्या कह दिया, हद है, तुम्हे क्या पोलीस वाले पसंद नही, कौन सा जॉब कहोगी ... अभी कह दो, मैं वही कर दूँगा, पर यूँ रूठ के ना जाओ बेबी, दिल बैठ जाता है"
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12-27-2018, 01:50 AM,
#50
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति आगे चलती हुई ही गुस्से मे जबाव देने लगी..... अपना आइ'डी कार्ड देखो झूठे, तुम्हे सब समझ मे आ जाएगा....


अभी चिल्लाते हुए ... गुस्से मे मैं आप से तुम पर भी आ गया... देखने तो दो आइ'डी मे क्या हो गया ऐसा, जो मेडम का पारा चढ़ गया.... ओ' मेडम वैसे सुन लो एक बात ... मैं बस तुम्ही से मरा जाता हूँ बात करने के लिए ... पर तुम हो कि मेरी फीलिंग समझती ही नही.


अभी ने जब अपनी आइ'डी देखी तो सिर पर अपने एक हाथ मारा ... और तेज़ी से रीति के सामने हो गया... अपने दोनो कान पकड़े ... और कहने लगा ... "मैं इस सहर का एसपी... लोग मुझ से डरते हैं, और मैं तुम से ... प्लीज़ अब माफ़ भी कर दो. मानता हूँ थोड़े बहुत झूट बोले हैं, पर कोई बड़ा क्राइम नही किया"....


रीति.... मैं बात ही क्यों कर रही हूँ इस से, चलो वासू हम चलते हैं...


वासू ने फिर एक थप्पड़ जल्दी-जल्दी दोनो को खींच कर दी.... "दोनो जब साथ होते हो, तो मुझे आउट ही कर देते हो, और घंटो बाद मैं सिर्फ़ घर जाने के लिए याद आती हूँ. पागल रीति, खुद गुस्सा करके बाद मे रोती है... अब तो सब सच पता है, फिर अब ऐसा नाटक क्यों"....


अभी.... तुम्हे तो पोलीस मे होना था वासू, जब देखो तब चिपका देती हो... अच्छा है कोई है नही यहाँ, नही तो मीडीया की पहली खबर ये होती. मुझे मारी तो मारी, पर रीति को क्यों मारी....


रीति.... वासूउउउ .... इसने फिर झूट कहा ... इसका नाम नैन है...


अभी मुस्कुराते हुए.... यस आइ आम नैन, पर लोग मुझे प्यार से नेनू कहते है... मुझे प्लीज़ 15 मिनट दो मैं सब समझाता हूँ .....


फिर नेनू ने अपनी बीती जिंदगी के वो राज बताए जिस से उसका दिल टूट गया था. उसने बतया कि कैसे सैली अपने गुस्से और बदले मे अंधी होकर, दो दोस्तों को अलग कर दी, और ये भी कि उस वक़्त रीति और सैली दोनो साथ रहते थे, इसलिए उसने अपना सही नाम नही बताया.


सारी सच्चाई सुन'ने के बाद ... रीति को बड़ा अस्चर्य हुआ कि कोई लड़की अपना बदला लेने के लिए इतनी प्लॅनिंग भी कर सकती है. लेकिन वासू और रीति दोनो सैली का गुस्सा और बद-दिमाग़ सोच देख चुकी थी, इसलिए उसे यकीन हो चला था नेनू की बात सुन कर.


जब सारे गीले शिकवे दूर हुए, तो रह गयी थी इनके बीच सिर्फ़ खामोशी.... दोनो फिर से एक दूसरे मे खो गये .... नज़रे जैसे एक दूसरे पर जमी हुई .... और कहीं कोई नही तीसरा इस महॉल मे ......

कहीं आग लगने से पहले
उठता है ऐसा धुआँ
जैसा है इधर का नज़ारा
वैसा ही उधर का समा
दिल में कैसी कसक सी जगी
दोनो जानिब बराबर लगी
देखो तो इधर से 
देखो तो इधर से उधर चुपके चुपके

दो दिल मिले रहे हैं
मगर चुपके चुपके
सबको हो रही है 
हां सबको हो रही है
खबर चुपके चुपके
दो दिल मिले रहे हैं
मगर चुपके चुपके


वासू भी दोनो को देखती हुई... वहाँ से चुप-चाप निकल गयी. आज उसका भी मन ना हुआ कि दोनो को किसी भी तरह से डिस्ट्रब किया जाए... शांत खामोश अकेले छोड़ कर वो भी निकल आई.


दोनो खामोश बस एक दूसरे को निहारे हे जा रहे थे, तभी अचानक मौसम ने ऐसी पलटी मारी कि बारिश की फुहारें दोनो के उपर पड़ने लगी.... दोनो का ध्यान टूटा और ... दोनो किसी जगह छिपने के लिए भागे .....

इधर वासू जब रीति और नैन को देखी तो उसकी धड़कने भी अपने प्यार अनु से बात करने के लिए बेकरार हो गयी... वासू, अनु को कॉल करने जैसे ही फोन लगाने वाली थी, उधर से ही अनु का कॉल आ गया......


वासू..... मुआअहह, मुआहह, मुआअहह


अनु..... क्या बात है, आज तो लगता है बरसात सी हो गयी है, इतना हम पर प्यार बरसाने का कारण तो बताइए मेडम....


वासू.... अभी मैं कॉल ही लगा रही थी, कि तुम्हारा कॉल आ गया अनु...


अनु.... ओह्ह्ह्ह हूऊ ऐसी बात है क्या, तो बताइए कॉल क्यों लगा रही थी...


वासू.... हुहह ! अब क्या किसी कारण से ही बात करना रह गया है तुम से, वैसे तो मैं कॉल करती ही नही ना....


और इतना कह कर वासू ने कॉल डिसकनेक्ट कर दी.... अनु ने तुरंत वापस से कॉल बॅक किया, वासू का ने फिर फोन कट कर दी... ऐसा ही तीन चार बार हुआ... वासू, मुस्कुराती हर कॉल को डिसकनेक्ट करती चली गयी.... कुच्छ देर वासू का फोन शांत रहा ... और फिर आया अनु का मसेज.....


"रूठने की अदा इतनी प्यारी है, कि आप की मुस्कान यहाँ तक महसूस करता हूँ...

अज़ी रूठना तो हक़ हुआ आप का, दिन रात आप को ही मनाने की तैयारी करता हूँ"...


मेसेज देख कर वासू का चेहरा खिल गया... फिर भी गुस्से को बरकरार रखती हुई ... मसेज रिप्लाइ की.... मैं आज तुम्हारी किसी भी बातों से पिघलने वाली नही ....


अनु का फिर से रिप्लाइ आया......

"पिघल जाएँगी आप, जब हमारे गिरते आंशु होंगे
अश्कों मे मेरी हर कहानी क्या खूब बयान होगी
मुख्तलिफ इश्क़ तो अधूरा है आप के रूठने की अदा से
उमर भर मना ना लूँ, तब तक ये इश्क़ पूरी कहाँ होगी"


वासू से अब रहा नही गया... और उसने कॉल लगा दी .... अनु बस कॉल उठा कर मुस्कुराने लगा, वासू भी इधर फोन पर मुस्कुरा रही थी.....


वासू.... फिर दोबारा कारण ना पुच्छना कॉल का, नही तो अगली बार मैं मोबाइल ही बंद कर दूँगी... फिर ना मेसेज आएगा, और ना मैं वो मेसेज पढ़ कर पिघल जाउन्गी...


अनु..... जी इस गुस्ताख़ी के लिए बंदा खुद से खुद को 100 कोडे मारने की सज़ा सुनाता है...


वासू.... अर्ररीए.. खबरदार जो उल्टी सीधी हरकत के बारे मे सोचे भी तो.. वरना मुझ से बुरा कोई ना होगा......


अनु.... हा हा हा... अब जैसी भी रहो... बुरी या अच्छी... तुम्हे ही जीवन भर ढोना है...


वासू.... हुहह ! आओ यहाँ फिर मैं बताती हूँ .... मैं बोझ हो गयी जो ढोना पड़ेगा... लगता है बहुत डिनो से तुम्हे डोज नही मिली, इसलिए तुम्हारे पंख निकल आए हैं....


अनु.. बड़ी ही म्यूसी से कहने लगा..... "हां सच ही कही, बहुत दिनो से डोज ही तो नही मिला.... लगता है सब छोड़ कर भाग आउ ... बहुत याद आती है.... और आज का ये मूवी देखने के बाद... मैं खुद को रोक नही पा रहा हूँ... मन करता है, सारी दीवारें तोड़ कर आ जाउ...


वासू.... ये क्या है सोना, अब तुम ऐसे हिम्मत हारोगे, फिर मैं रो दूँगी. अब बच्चे ही कितने दिन हैं.. बस कुच्छ महीनो की तो बात है, फिर हम सदा साथ होंगे... वैसे माना की थी ना.. रोमॅंटिक मूवी मत देखना फिर क्यों देखने बैठ गये....


अनु.... नही बेबी, तुम्हारी याद आई तो गम बुलाने के लिए मूवी ही लगाया, पर तुम्हारी कसम रोमटिक नही लगाया.... 


वासू.... ओह्ह्ह सोना, वैसे भी कोई भी मूवी हो बिना रोमॅंटिक के नही होती... वैसे अच्छी मूवी थी क्या.....


अनु.... हां बेबी... एक दम मस्त मूवी थी.... मुझे तो हर सीन मे तुम्हारी याद आई...


वासू.... वॉवववववव... नाम बताओ मैं भी देखूँगी...


अनु..... Xक्ष्क्ष टीनेजर....


वासू...... अनुउऊुुुुुुुुउउ, तुम पॉर्न देख रहे थे...


अनु.... हां बेबी, और देखते-देखते तुम्हारी याद सताने लगी.... आह्ह्ह्ह काज़ इस वक़्त हम साथ होते......


वासू.... छ्ह्हि ... गंदे.... मतलब मैं तुम्हे उस काम के लिए याद आ रही हुन्न्ं...


अनु.... अब क्या झूट कहूँ... जब रोमॅंटिक देख कर रोया और याद किया था... तब भी तो फोन किया था ना..... अभी पॉर्न देख कर ... एग्ज़ाइटेड हुआ और याद किया... तो भी फोन कर रहा हूँ ना....


वासू.... हॅट.. मुझे कोई बात नही करनी तुमसे .... तुम देखो पॉर्न ... और एंजाय करो .. मैं चली..


अनु.... अच्छा ... जब तुम राजशर्मास्टोरीडॉटकॉम पर स्टोरी पढ़ने बैठ'ती हो, और एरॉटिक एंजाय करती हो, तब तो मैं कुच्छ नही कहता, और मैने पॉर्न देख लिया तो गंदा हो गया....


वासू... ओह्ह्ह हूओ, तो उलाहना दिए जा रहे हैं ... अच्छा बताओ तो ज़रा ... क्या सब देखा ...


अनु.... मतलब .....


वासू.... मतलब सीन नारेशन करो, मुझे भी सुन'ना है...


अनु..... क्या नरेशन करूँ ..... पूरे मूवी मे तो ..... "ओह्ह्ह बेबी... कम ऑन ... यसस्स ... यसस्स ... फक हार्ड.. ओह माइ गोड्ड़.... ओह माइ गोदडड़... आहह ... ओह.... यासस्सस्स .... आअहह" यही सब डाइलॉग थे ... और बस सेक्स सीन .....


वासू.... हुहह ... शुरू से सूनाओ.... कैसे कपड़े उतारे, किस कैसे हुए, सेडक्षन पार्ट्स... पूरा.... शब्दो मे वर्णन


अनु.... तुम पागल हो गयी हो....


वासू.... हहे, अब बोलती बंद क्यों हो गयी. अच्छा चलो एक ऑफर देती हूँ...


अनु.... कैसा ऑफर ....


वासू.... तुम सीन सूनाओ, यदि आक्ट पसंद आया तूओ.... टूऊ .... टूऊ... समझ गये ... दो फुल-फिल और लस्टी डिज़ाइर वित सेम पॅशन...


अनु.... वॉवववववववववववव ! सुनाना क्या ... मैं लिंक भेज देता हूँ... देख ही लेना...


वासू.... नो, नो, नो मिस्टर.... जो बोली वो करो, वरना ... आज जिस ख्याल से याद किए हो.. वो ख्यालात उम्र भर तक कभी पूरी नही होगी... सोच लो ... 


अनु.... आररी बाप रे ... आजीवन शादी के बाद ब्रह्म्चर्य का पालन ... मेरी मति ही मारी गयी थी, जो मैने मज़ाक कर लिया तुम से ... सॉरी बेबी .. साची... मैं पॉर्न नही देख रहा था, बस मज़ाक कर रहा था ......


वासू.... मैं कुच्छ नही जानती, वो तुम्हारी प्राब्लम है तुम देख रहे थे कि नही, मुझे तो बस सुन'ना है ... और नही सुना पाए तो मेरा फ़ैसला तो समझ ही गये होगे...


अनु, अपना सिर पीट'ता हुआ.... "हेययय भगवान मैं कहाँ फस गया .... रूको मैं 10 मिनट मे वापस कॉल करता हूँ"


तकरीबन 5 मिनट बाद ही अनु का कॉल वापस आ गया.... और वो कहने लगा .... "रेडी" ....


वासू.... हां रेडी ... अब चलो शुरू करो ....


अनु...... हां बाबा सुनाता हूँ.........


"एक जवान लड़का"


"उफफफफफफफफफफ्फ़, कैसा है, गबरू जवान है कि नही"


"हुहह ! चिढ़ाना बंद करो नही तो मैं नही कहूँ'गा"


"नो बकवास ... आगे ... हम लिस्तनेर हैं, हमारे सींट ऐसे ही होंगे, तुम भटको मत, चुप-चाप, सूनाओ"


"ह्म्म्म्म ! एक हॉट सी सेक्सी मस्त लड़की, बिल्कुल दूध सी गोरी लड़की, बिस्तर मे लेटी"


"पॉज़ क्यों लेते हो ... आगे सूनाओ ना"


"कमरे मे लड़का आया, लड़की खुमारी से कही ....."ओह्ह जॅक यू आर हियर"


"फिर........."


"जॅक ने कहा.... "हियर टू फुलफिल माइ एग्ज़ोटिक डिज़ाइर".... लड़की ने उंगलियों के इशारे से बुलाई"........ आह क्या सेक्सी अड्डा है"


"ओह ! आ गई "


"जॅक बिस्तर पर कुदा, लड़की के बूस को पकड़ा... अपना मुँह डाला कपड़ों के उपर, उफफफ्फ़ अब तो सर ही टी-शर्ट के अंदर डाल दिया. अबे हट बे कुच्छ नज़र नही आ रहा ... उपर का कपड़ा हटा तब ना देखूं अंदर क्या कर रहा है"


"बॅस... बासस्स ... लिंक भेज देना" ..... और इतना कह कर वासू ने कॉल डिसकनेक्ट कर दी. अनु ने कॉल लगाया ... तो वासू, कॉल डिसकनेक्ट करती, उसे मेसेज की, "10 मिनट वेट, मैं कॉल बॅक करती हूँ"


अनु, इंतज़ार करने लगा.... तकरीबन आधे घंटे बाद वासू ने कॉल लगाया.....


अनु.... तुम्हारे 10 मिनट क्या आधे घंटे के होते हैं, क्या हो गया था, जानती हो कितनी फ़िक्र हो जाती है ऐसे. तुम अचानक से कॉल क्यों डिसकनेक्ट कर दी, और इतने देर बाद फोन कर रही हो... जानती हो कितना बेचैन हो गया था मैं....


वासू... सो सॉरी.... पर तुम्हारे वजह से ही सब हुआ...


अनु.... मेरे वजह से कैसे....


वासू..... आररीई ... अब क्या करूँ ... सुनते सुनते मुझे भी कुच्छ-कुच्छ होने लगा, और कमरे मे होती तो बात अलग थी, यहाँ सड़क पर हूँ ना... इसलिए खुद को थोड़ा नॉर्मल कर रही थी...


अनु.... क्यों क्या हुआ सो, तुम सड़क पर, वो भी रात मे, कहीं घूमने निकली हो क्या...


वासू.... हां कुच्छ ऐसा हे... आज शायद ... रीति और नैन का लव प्रपोज़ल हो जाए, इसलिए दोनो को अकेला छोड़ दिया..... खुद ही फोन आ जाएगा उनका, तो वापस चली जाउन्गी....


अनु.... पर रीति तो अभी के साथ थी ना, फिर ये नैन कहाँ से बीच मे आ गया....


वासू.... वही तो शुरू से था, और ये अभी तो कभी था ही नही....


अनु... मतलब.....


फिर वासू ने अनु को विस्तार पूर्वक, सारी कहानी बताई, अनु नैन की कहानी सुनकर बस इतना ही कहा... काफ़ी इंटरेस्टिंग है, मिलना पड़ेगा.... दोनो की बात ख़तम हो गयी. अनु ने वासू को घर पहुँच कर फोन करने के लिए कहा, और फोन रख कर अपने कामो मे लग गया.....
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