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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
गौरव ने सैली को अपने बदन से अलग किया... उसके आँसू पोछे और कहने लगा... "सैली क्या प्यार के केवल इतने ही मायने है. क्या जिस्मानी संबंधों से ही रिस्ता बनता है और बिगड़ता है. धोका तब होता जब सब कुछ तुम जान कर करती, इसमे ज़रा भी तुम्हारी ग़लती नही. समझी तुम.
"और सैली ग़लतियाँ किस से नही होती.... हर इंसान ग़लतियाँ करता है, इसका मतलब ये थोड़े ना होता है कि हर कोई यूँ टूट जाए. जीना छोड़ कर बस दिन भर खामोश रहे और उन्हे भी दर्द देता रहे जो उनसे प्यार करते हैं".
गौरव की प्यार भारी बातें उसे और रुला रही थी. चाह कर भी सैली अपने आँसू रोक नही पा रही थी. आँसुओं की धारा उसकी दोनो आँखों से बह रही थी.
गौरव थोड़ा आगे बढ़ता हुआ, उसकी आँखो को चूम लिया. अपने दोनो हाथों से उसके बिखरे बालों को पिछे समेट कर दोनो हाथों से गालो को थाम लिया. गौरव की आँखों मे अपने लिए इतना प्यार और विस्वास देख कर सैली को अंदर से काफ़ी अच्छा लग रहा था. फिर से रोती हुई वो ज़ोर कहने लगी...
"आइ लव यू क्रेज़ी बॉय, आइ लव यू. मुझे छोड़ कभी मत जाना नही तो कसम से मैं मर जाउन्गी"
गौरव, सैली को गले लगाते हुए कहने लगा... "सैली, तुम्हे सिर्फ़ खोने के ख्याल से मैं रोज मरा हूँ... पागल तुम्हे छोड़ना मतलब ज़िंदगी छोड़ना है"
सैली, गौरव के होंठो पर अपनी उंगली टिकाटी कहने लगी...... "अभी तो हम मिले हैं, अभी तो हमें साथ जीना है. मुझे जीना है, तुम्हारे प्यार के साथ... तुम्हारे विस्वास के साथ".
दोनो एक दूसरे की आँखों मे अपने लिए उमड़ते प्यार को देखने लगे. ऐसा लग रहा था, जैसे अरसा बीत गया हो इस प्यार को महसूस किए. बस नज़रें एक दूसरे पर टिकी हुई सी थी.
गौरव को लगातार यूँ देखते सैली को फिर से वो दर्द सताने लगा, उसे रह-रह कर बस अपना नंगा जिस्म और अमोल के साथ बनाए संबंध याद आ रहे थे. नज़रें मिली तो वो सब याद आने लगा और सामने गौरव का ये प्यार भरा चेहरा....
मुश्किल से उबर पाई थी, पर आज गौरव का प्यार उसे बार-बार मजबूर कर रहा था. दिल उसे खोना नही चाहता था, पर जमीर धिक्कार रहा था. सैली के आँसू एक बार फिर खुद-व-खुद निकल आए.
इस बार गौरव शायद उसके दिल के अंदर चल रही हलचल को भाँप गया हो. गौरव बहते आँसू की धारा के आगे अपना होठ लगा दिया. और बारी-बारी से दोनो आँखों से बहते आँसू को, अपने होंठो से सॉफ कर दिया.
मुरझाई सी सैली पर ये गौरव का प्यार, जैसे नयी उर्जा डाल रहा हो. जितने उसके आँसू गिरे उस से ज़्यादा गौरव उसे प्यार दिखा रहा था, जो सैली के दिल को काफ़ी सुकून दे रहा था.
गौरव, सैली के मुरझाए मासूम से चेहरे को नज़र भर कर देखा और प्यार मे उसके खोते हुए कब गौरव के लब सैली के लबों से मिल गये उसे पता ही नही चला. गौरव पूरा खो कर उसके होंठो को चूमने लगा.
सैली भी इन अहसासों को समेट'ती उसे चूमने लगी. चूमते हुए गौरव उसके बदन पर हाथ फेरने लगा और सैली भी उसके बालो को सहलाने लगी. गौरव का ध्यान जैसे टूटा हो, उसे लगा कि अभी तो सैली अपने दर्द से उबर नही पाई है और मैं उसके साथ ये क्या कर रहा हूँ.
गौरव झटके के साथ सैली को छोडा और उस से दूर अलग हो गया..... गौरव ने सैली को सॉरी कहा, और बिस्तर से नीचे उतरते खड़ा हो गया...
गौरव अचानक से सॉरी बोल कर उस से अलग हो गया, पर सैली के मन के अंदर क्या चल रहा है वो भाँप नही पाया. सैली जल्दी से उतर कर गौरव को पिछे से पकड़ कर सिमट गयी.
"क्रेज़ी बॉय, आज मुझ से प्लीज़ दूर मत रहो, तुम से ये दूरी मैं बर्दास्त नही कर पाउन्गी. तुम ने मुझे छोड़ा तो मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरा बहिस्कार कर रहे हो. तुम अब ये सोच रहे हो कि ना जाने किस-किस से संबंध बना कर आई है, इसके साथ संबंध रखना चाहिए या नही".
खड़े-खड़े पैरो तले से ज़मीन खिसक गयी गौरव की. आख़िर सैली ऐसा सोच भी कैसे सकती है. वो तुरंत पलटा. देखा तो फिर से सैली के आँखों मे आँसू थे. पलट कर उसने अपने होठ सीधा शैली को होंठो से लगा दिया और बड़ी शिद्दत से उसके होठ चूमता रहा.
"नही सैली, यू आर माइ लव, तुम सोच भी ऐसा कैसे सकती हो"... इतना कहा और फिर चूमने लगा...
"क्रेज़ी बॉय मैं अधूरी हूँ तुम्हारे बिना... मुझे पूरी कर दो".. सैली भी चूमना छोड़ कर अपनी बात कही और फिर से दोनो एक दूसरे को चूमने लगे.
ऐसे चूम रहे थे जैसे आज बरसों बाद मिले हो. लगातार बेतहासा चूमे ही जा रहे थे. होंठ, गला, कान.... हर जगह दोनो ऐसे चूम रहे थे जैसे एक लंबी जुदाई के बाद मिलन हो रहा हो.
चूमते हुए गौरव ने अपने हाथों से सैली की टी-शर्ट को निकाल दिया. सैली भी तेज़ी दिखाती हुई गौरव की टी-शर्ट को उतार दी.
गौरव की टी-शर्ट को उतारती उसके नंगे बदन को एक बार गौर से देखी और उस पर हाथ फेरती हुई वो बेहतासा चूमने लगी. गौरव खड़ा होकर बस सैली को चूमते हुए देख रहा था. बरी तेज़ी से सैली के होंठ गौरव के बदन पर चल रहे थे.
वो तो जैसे बरसों की प्यासी हो इस मिलन के लिए. गौरव के सीने पर कभी अपनी नाक फिराती तो कभी उसकी छाती के निप्पल को अपने होंठो तले दबाती... तो कभी उसके छाती के बालों को अपनी उंगलियों मे फसा कर उस से खेलने लगती.
गौरव भी प्यार के इस खेल मे डूब कर आनंद ले रहा था, और सैली की खुली पीठ पर हाथ फेर रहा था. गौरव ने अपनी उंगलियाँ ब्रा की स्ट्रीप मे फसा कर उसे थोड़ा उपर किया और उसे खोल कर सैली के बदन से अलग कर दिया.
सैली अपने बदन से ब्रा हट'ते ही वो गराव के सीने से चिपक गयी. सैली के बूब्स पूरे गौरव की छाती मे दबे हुए थे और वो चिपकी उस से एक बार फिर गौरव के होठों को चूमने लगी.
होठ चूमते हुए गौरब उसे अपनी गोद मे उठाया और ले जा कर बिस्तर पर लिटा दिया. सैली बिस्तर पर लेटी तेज-तेज साँसे ले रही थी जिसकी गवाही उसकी उपर-नीचे होती चुचियाँ दे रही थी. वो तेज-तेज साँसें लेती बस गौरव को ही देख रही थी.
गौरव अपना पैंट उतारते हुए बिस्तर पर चढ़ गया और सैली की गर्दन पर अपने होठ लगा कर उसे चूमने लगा और उसपर अपने जीभ फिराने लगा.
सैली, गौरव की पीठ पर हाथ फिराती हुई उसकी कमर तक ले गयी, उत्तेजना मे अपने हाथ पिछे से गौरव के अंडरवेअर मे डाल कर उसके नितंबों पर फिराने लगी.
सैली का हाथ अपने पिछे महसूस करते ही गौरव मस्ती मे आ गया... उसने भी गर्दन से जीभ फिराते हुए सैली के बूब्स तक ले आया और उसे अपने होटो मे भर कर उसे चूसने लगा....
प्यारी सी मादक सिसक सैली के होटो से निकल गयी, और सैली गौरव के नितंबों पर अपने पंजों की पकड़ मजबूत करती.... "आहह" करने लगी.
एक हाथ से लगातार उसके बूस को दबाते हुए, वो दूसरे बूब्स को बड़ी तेज़ी से चूस रहा था. दोनो एक दूसरे के सरीर से लगातार खेल रहे थे. उत्तेजना दोनो के अंदर बढ़ती ही जा रही थी. गौरव नीचे की ओर बढ़'ता हुआ आया और सैली की जीन्स की जिप को खोलते हुए धीरे से उसके पाँव से सरकाता हुआ निकाल दिया.
गोरी जाँघो पर अपने होठ फिराते वो नीचे से उपर उसे चूमते हुए गया.... सिर उठा कर कर एक बार उपर देखा.... तेज-तेज साँसे लेती सैली की आँखों मे वासना सॉफ दिख रही थी, जो गौरव को आगे बढ़'ने की सहमति दे रही थी.
गौरव दोनो जांघों के बीच अपना होठ रखता, उसकी योनि पर जीभ फिराने लगा.... सैली का पूरा बदन तिलमिला उठा और वो गौरव के बालों पर अपने हाथ तेज़ी से फिराने लगी.
गौरव दाँतों से उसकी पैंटी पकड़ कर नीचे थोड़ा सरकाया और योनि के उपर उस सपाट पैरो के हिस्से मे अपने होठ लगा कर चूमने लगा.
अलग ही नशा सा सैली पर छाने लगा. वो इतनी उत्तेजित हुई की गौरव के सिर को खिसकाती हुई योनि तक ले आई और क़पने हाथों से दबाव बनाए लगी....
उखड़ी साँसों के साथ ... तेज-तेज आहे भरती सैली की सांस तब उपर की उपर रह गयी, जब एकदम से गौरव ने अपनी जीभ योनि मे डाल कर उसे वाइब्रटर की तरह हिलाने लगा. चिहुक सी गयी .... लंबी आहें.... "आआहह क्राज़ययययययी बोययय्ययययी, इसस्स्शह" और तेज तेज साँसे.
क्रेज़ी बॉय ने अपनी भी चड्डी उतार दिया. जोश मे तो पहले से था, अब होश खोने की बारी थी.... सैली के एक पाँव को अपने कंधे पर रखा... और योनि से अपना लिंग टिकाते हुए उसे धक्का दिया... सैली का पूरा बदन काँप गया...
हाथों से चादर भींचती तेज से सिसकारी ली, और मस्ती मे सैली भी अपनी कमर हिला कर गौरव का साथ देने लगी .... दोनो अपने काम की क्रिया मे लीन रहे और मस्ती का लुफ्त उठा'ते रहे.
सेक्स का नशा ऐसा मज़ा दे रहा था, कि इस उत्तेजना मे बीते दिन के विकार भी नज़र नही आए .... बस तेज सिसकारियों की आवाज़ मे दो जिस्मों का मिलन हो रहा था.
पूरा मज़ा लेने के बाद दोनो निढाल हो कर बिस्तर पर लेट गये...... दिन के दो बजे तक वासू और अनु भी घूम कर वापस आ गये... और आते ही वासू, सैली से मिलने जाने लगी....
अनु..... रहने दो वासू, क्या कर रही हो... दोनो साथ मे अकेले हैं...
वासू.... अकेले हैं तो...
अनु..... ओह ! पागल चलो मेरे साथ कमरे, हम दोनो अकेले होंगे तो क्या होता है बताता हूँ...
वासू.... छ्हि गंदे कहीं के. हर वक़्त दिमाग़ मे सेक्स ही भरा रहता है... उसकी हालत देखी नही कितनी उदास थी, और तुम्हारा गंदा दिमाग़ इस सिचुयेशन मे भी.... हद है अनु...
अनु.... पागल सुनो थियरी..... उदासी टर्न इंटो सॅड कॉन्वर्सेशन आंड कॉन्वर्सेशन कॉनवर्ट ऑंटू सेडक्षन लीड टू सेक्स...
वासू घुरती आँखों से अनु को देखती हुई कहने लगी.... "बंद करो अपनी ये बकवास थियरी नही तो मुझ से बुरा कोई ना होगा". अनु अपना हाथ के इशारे से उसे आगे बढ़ने कहा.... वासू बेल बजाई....
गौरव और सैली अब भी बिस्तर पर एक दूसरे से लिपटे सोए हुए थे, बेल बजते ही दोनो प्यार भरी एक सुकून की नींद से जागे..... सैली, गौरव को हिलाती हुई जगाने लगी.....
"क्रेज़ी बॉय देखो बाहर कोई आया है".... इतने मे वासू को आवाज़ भी आ गयी..... "गौरव... सैली"... सैली हड़बड़ा कर उठी और बाथरूम मे घुस गयी, वहीं गौरव ने जल्दी से लोवर और टी-शर्ट डाला और दरवाजे तक पहुँचा....
गौरव की पहली झलक जैसे ही अनु ने देखा, उसकी हँसी छूट गयी, वासू को भी समझ मे आ गया कि अनु क्यों हंस रहा है, पर वो अनु के रिक्षन को इग्नोर करती गौरव से कहने लगी....
"एक घंटे मे फिर घूमने निकलेंगे, इस बार कोई बहाना नही चलेगा"... इतना कह कर वासू वहाँ से वापस आ गयी.....
अनु..... क्या हुआ वासू, नही मेरे दिमाग़ मे तो कचरा भरा है ना.... मैं तो कुछ भी सोचता हूँ ना.
वासू.... बस-बस... रहने दो ज़्यादा एक्सप्लेन करने की ज़रूरत नही है....
अनु.... हां मैं क्यों एक्सप्लेन करने लगा, तुम खुद समझदार हो अंदर का सीन बना सकती हो...
वासू.... अनु बस भी करो, वैसे भी मुझे खुशी है, चलो कम से कम उस दर्द से बाहर तो आई सैली.
अनु.... हां ये सही कही तुम. अच्छा किया जो बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया.... कुछ बदलाव तो आएगा.... साथ मे गौरव का प्यार उसे फिर से पहले के जैसा कर देगा...
कुछ देर के बात-चीत के बाद उसके कमरे की बेल बजी.... गेट खुला, बाहर गौरव और सैली खड़ी थी....
सैली.... ये तुम लोग घूमने आई हो या यहाँ होटेल मे गुटार-गु करने.....
वासू हँसती हुई उसे देखने लगी..... 10 मिनट रुकने का कह कर कही.... "आती हूँ मैं चेंज कर के"...
सैली..... बाथरूम मे चेंज करने का कष्ट क्यों कर रही है. वैसे भी मेरा क्रेज़ी बॉय तुम्हे देखेगा नही, जो देखेगा वो तो तुझे कई बार देख चुका होगा, और मेरे देखने से क्या फ़र्क पड़ने वाला है, जो तेरे पास है वो मेरे पास है...
वासू.... "अच्छा ऐसा क्या, ले ठीक है मैं यहीं पर चेंज कर लेती हूँ, गौरव ज़रा दूसरी ओर मुड़ना"
गौरव बिल्कुल वासू के सामने ही घूम कर बैठ गया और कहने लगा..... "बिलीव मे मेरी आँखें खुली भी होगी तो भी मैं कुछ नही देखूँगा"
वासू.... सैली संभाल अपने क्रेज़ी बॉय को, मैं चली बाथरूम.
थोड़ी देर बाद फिर से सब शिमला की वादियों का लुफ्त उठाने निकले. इस बार सब ग्रूप मे थे और सैली का खुल कर सब के साथ बात करना, हसना, बोलना... सबको काफ़ी सुकून दे रहा था.....
शिमला की वादियों ने कमाल कर दिया, सब घूम कर रात को पहुँचे.... आज बहुत दिनो बाद सैली काफ़ी खुश नज़र आ रही थी... सबने इस बात को महसूस किया और सैली के लिए सभी खुश थे.
वापस आते ही ... सैली फिर से गौरव के आगोश मे एक सुकून की नींद सो गयी... अनु और वासू अपने कमरे मे पहुँचते ही बस सैली के बारे मे ही बात करने लगे...
अनु.... वासू, आज सैली काफ़ी खुश नज़र आ रही थी ना....
वासू... हां, खुश तो नज़र आ रही थी, मैं ज़रा ये बात रीति को भी बता दूं...
अनु.... हां कर दो अब उस बेचारी को भी डिस्ट्रब...
वासू.... अनुउऊउ... तुम भी ना, और डिस्ट्रब होती हो तो होये, मेरा हक़ बनता है....
वासू, अनु की बात काट'ती रीति को कॉल लगा दी... 3-4 रिंग के बाद रीति कॉल पिक-अप करती "हेलो" कही...
वासू.... कैसी हैं मेडम, आज कुछ मस्ती की या पूरा सूखा ही रहा....
रीति.... वासू, आप फोन करते ही ये क्या पुच्छ ने लग गयी... वो सब छोड़िए.. कैसा रहा आप का दिन.
वासू.... अवेसम रीति, बिल्कुल माइंड-ब्लोयिंग.... "आऊ क्या कर रहे हो अनु"
जब वासू इधर बात करने मे लगी थी, और अनु ने उसके कंधे पर होंठो से काट लिया....
रीति.... कल बात कर लेना वासू, अभी अनु को समय दे दो... हहे
वासू.... अच्छा जी, अब कौन क्या बातें कर रहा है....
रीति.... हहे, मैं तो बस समय देने के लिए कह रही थी, वैसे सैली कैसी है. वहाँ भी वही आलम था, खुद मे खोई हुई या कुछ सुधार था...
वासू... इसी बात के लिए फोन की थी, सोची तुम्हे बता दूं. सैली काफ़ी नॉर्मल है और चीज़ों को एंजाय कर रही है...
रीति.... ये तो बड़ी ही खुशी की बात है वासू. बेचारी ने बहुत कुछ झेला था, उसके बारे मे सोच कर काफ़ी दुख होता था.
वासू.... और मुझे तुम्हारे बारे मे सोच-सोच काफ़ी दुख होता है...
रीति.... मैने ऐसा क्या कर दिया...
वासू.... नेनू को तडपा रही हो.... पूरा समय मिला है, इस समय को बर्बाद मत करना... समझ गयी ना...
रीति.... ह्म्म्म्म !
वासू.... चल मैं फोन रखती हूँ.... मिल कर बातें करते हैं....
वासू के फोन रखते ही अनु कहने लगा...... "उसे समझा दिया, और खुद क्या कर रही हो, मुझे तडपा रही हो"
वासू.... मुझे शवर लेनी है, जिसे आना है आ सकता है...
आईयी हाय्यी क्या आँखें चमकी अनु की.... भागता हुआ वही सबसे पहले बाथरूम पहुँच गया... जैसे ही वासू अंदर आई... उसे अपने बाहों मे समेट'ते शवर चालू कर दिया...
वासू.... सोच भी कैसे लिया अनु मैं ये समय बर्बाद कर दूँगी, आज तैयार हो जाओ कच्चा चबा जाउन्गी...
अनु.... तैयार ही हूँ कब से...
इतना कहते ही अनु ने अपने होठ वासू के होंठो पर रखते हुए उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा... वासू भी अनु का साथ देती उसके होंठो को चूसने लगी......
अनु ने हाथ पिछे ले जा कर वासू के बँधे बालों को खोल दिया..... वासू, अनु की पीठ पर हाथ फेरती काफ़ी तेज़ी मे उसकी टी-शर्ट को उसके बदन से अलग कर दी, और उसके सीने पर अपने होठ लगा कर चूमने लगी.....
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
आज तो जैसे फ़ुर्सत मे हो .... वासू अपनी जीभ को सीने के नीचे से उपर तक फिराती हुई उसे चूम रही थी और काट रही थी.... अनु पर जैसे खुमारी सी छा गयी... अपना हाथ वासू के जिस्म पर ले गया और उसके जिस्म पर फिराने लगा...
अनु को अब देरी बर्दास्त नही हुई... उसने वासू के उपर के कपड़े मिनिट भर से भी कम समय मे खींच कर निकाल दिए और वासू के नंगे जिस्म से खेलने लगा....
पानी की बूँदें वासू के जिस्म पर टपक रही थी, और अनु उसके पेट पर अपने होठ लगाए उन बूँदों को समेट'ते हुए, अपने होठ नीचे से उपर ले जाता और मस्त हो कर चाट रहा था....
"वासू आज तो मसाज बनती है" ... और इतना कह कर अनु अपने दोनो हाथ पानी से गीले हुए बूब्स पर लगाते हुए अपने मजबूत हाथों की मसाज देने लगा....
"आअहह अनुउऊउ .... थोड़े सॉफ्ट हण्द्द्द्द्ड प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़.... ओह ! हां बाबयययी .... आईसीए हीए इस्शह"
अनु थोड़े सॉफ्ट हॅंड से उसके बूब्स को दबाने लगा.... बूब्स पूरी तरह एरेक्ट हो चुकी थी... उत्तेजना अंदर की आग भड़का रही थी जिसे उपर से गिरता पानी भी नही बुझा पा रहा था.... अपने होठ दाँतों तले दबाए वासू मस्त होकर सिसकारियाँ ले रही थी... और अनु पूरे जोश से से बूब्स को दबा रहा था... अपने दाँतों से काट रह था....
वासू, अनु को बात टब मे धकेल्ति हुई... उसके बदन के दोनो ओर पाँव फैला कर खड़ी हो गयी. अनु बाथ टब मे बैठ कर हाथों को उसकी कमर तक लाया.... लोवर को पैंटी के साथ खींचता हुआ नीचे पाँव तक ले आया....
वासू दीवाल मे लगे हॅंडेल को पकड़े बस जो हो रहा था उसके मज़े के रही थी.... अनु अपना हाथ वासू की योनि पर टीकाया और उस पर फिराने लगा.... क्या ठंडा गरम का अहसास था... शवर का पानी... जब तपते बदन से गुज़रता तो वो भी गरम हो कर नीचे गिर रहा था.
वासू अपने हाथों को हॅंडेल से हटा कर अनु के सिर पर डाली, और अपनी कमर थोड़ी झुका कर अपनी योनि को अनु के सिर के सामने कर दी, और उसके बाल को पकड़ कर उसका चेहरा योनि से टिकाई और अपने कमर गोल-गोल हिलाने लगी.....
कितनी उत्तेजित थी... वासू अपनी कमर लगातार हिला रही थी और "आआहह-इष्ह" कर रही थी ..... कुछ ही देर बाद उसका बदन अकड़ गया और अनु के बाल को ज़ोर से पकड़ती भींच ली और तेज-तेज साँसों से हाँफने लगी....
कुछ देर साँसों को समेटने के बाद कतल करने वाली अदा से अनु के उपर लेट गयी और उसके नीचे चली गयी... अनु भी वासू की तरह ही अपने पाँव उसके बदन के दोनो ओर फैला कर खड़ा हो गया...
वासू भी बड़ी तेज़ी दिखाती हुई.... अनु के लोवर को खींच कर नीचे कर दी... आधे जागे आधे सोए लिंग पर जैसे ही अपने ठंडे हाथ लगाई.... अनु के बदन मे सन-सनी दौड़ गयी..... वासू उसे प्युरे मुट्ठी मे ज़ोर से पकड़ती आगे पीछे करने लगी.... अनु भी तेज-तेज साँसें लेता .... "हााआ... आहह.... वासूउउउ" करने लगा....
साँसे तब थम गयी जब काम उत्तेजना मे आज वासू ने अनु का लिंग अपने होठों से लगा कर अपने मुँह मे ले ली..... "ओह वासूउुुुुुुुउउ" करता उसका सिर पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से उसके सिर को आगे पिछे करता अनु अपनी कमर हिलाने लगा.....
कुछ देर मे ही जोश उफान पर था और अंदर से तूफान इतना बढ़ा था कि उसने वासू को उठाया और हॅंडेल पकड़ने का इशारा किया...
वासू खड़ी होकर दीवाल मे लगे हॅंडेल को पकड़ती हुई अपनी कमर झुका ली.... अनु उसके एक पाँव को अपने हाथो मे उठा कर अपने लिंग को योनि से टिकाया ... और "आआहह" करता धक्का दिया...
"इष्ह अनुउऊुुुुुउउ" करती वासू भी मज़े लेने लगी.... धक्कों पर धक्का लग रहे थे और दोनो अपनी मस्ती मे अपने शिमला ट्रिप को एंजाय कर रहे थे.....
कुछ देर बाथरूम मे धामसान मचाने के बाद दोनो पहुँचे होटेल के मखमली बिस्तर पर ... और आज तो जैसे पूरा बिस्तर भी इनकी मस्ती मे हिचकोले खा रहा हो.... दोनो अपने अकेलेपन का पूरा लुफ्त उठाते अपने चरम पर पहुँचे और वहीं पड़े निढाल हो गये.....
सुबह वासू के लिए काफ़ी खिली हुई थी.... अनु का हाथ हटाते वासू तैयार होने जाने लगी. अनु, वासू का हाथ पकड़ते उसे अपने सीने पर गिरा लिया और कहने लगा....
"उनह ऐसे ही आज रहो हम पूरा दिन यूँ ही एंजाय करेंगे"...... वासू, अनु को झटकी और बिना कुछ कहे बाथरूम मे चली गयी तैयार होने....
तकरीबन एक घंटे बाद सभी नाश्ते पर इकट्ठा हुए.... सैली को देख कर सबने खुशी जताते हुए कहा.... "ऐसे मुस्कुराती अच्छी लग रही हो"....
सैली गौरव का गाल चूमती कहने लगी.... "ये सब तुम लोगो और मेरे क्रेजी बॉय का विस्वास था, वरना मैं तो हार ही चुकी थी, अब बस एक ही बात रह गयी है... उस कामिनी इंदु से बदला"
गौरव.... तुम चिंता मत करो सैली, नेनू हमे ज़रूर मौका देगा इसका भी .....
गौरव को पूरा यकीन था नैन पर हालाँकि यकीन तो सब को ही था, उन सब के ज़िंदगियों मे ज़हर घोलने वाली को नैन ज़रूर सबक सिखाएगा....
नैन लगा भी था पूरे ज़ोर से अपने कामो मे... जब से परवानो के इन्वेस्टिगेशन मे नैन को वो बॅग से सबूत मिला था ... वो अपने केस के पूरा करीब पहुँच चुका था....
सारे सबूत इकट्ठा थे अब बस गिरफ़्तारियाँ बाकी थी..... अबोधि पूरी और ड्रग डीलिंग मे कयि नये खुलासे हो चुके थे, पर पोलीस भी अपनी ताक मे थी, और गिरफ्तारी से पहले कागज़ी कार्यवाही को आखरी रूप दे रही थी.....
आज लेकिन काम मे ज़रा भी मन नही लग रहा था नैन का, उसके आँखों के सामने बार-बार रीति का मुस्कुराता चेहरा घूमने लगता था....... ऑफीस के सारे स्टाफ भी ये नोटीस कर रहे थे, आज नैन सर कहीं खोए-खोए हैं....
नैन खुद को बहुत रोका पर शाम होते-होते धड़कने कुछ ज़्यादा ही बेकाबू हो गयी, मिलने की तड़प ऐसी थी कि एक पल भी दूर रहना गवारा नही था.... नैन ने ईव्निंग शो की दो टिकेट बुक करवाई और घर चला आया.....
घर मे चुपके से घुसा.... चारो ओर नज़रें घुमा कर देखने लगा... दिल से जो आवाज़ आई वो था "वॉववववव". पूरा घर चका चक. नये पर्दे चादर, कालीन फ़्लास्क... ना जाने क्या-क्या खरीददारी की रीति ने लेकिन पूरा घर को बिल्कुल नया बना कर रखी थी....
सभी कमरों मे देख लिया पर रीति कहीं नही थी, तभी जब नैन आखरी के कमरे से निकल रहा था, तब उसे बाथरूम से पानी के गिरने की आवाज़ सुनाई दिया.... "लगता है अभी ही फ़ुर्सत हुई है काम से इसलिए नहा रही है"
नैन भी अपनी दोनो बाहें फैलाए बिस्तर पर लेट गया....
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति बड़े से टवल मे बदन को ढके गीत गुनगुनाते.... बाहर निकली....
आजा पिया तोहे प्यार दूं, गोरी बैंया तोपे वार दूं
किस लिए तू इतना उदास, सूखे सूखे होंठ अँखियो मे प्यास
किस लिए किस लिए हो.....
आजा पिया तोहे प्यार दूं, गोरी बैंया तोपे वार दूं
जल चुके हैं बदन कयि पिया इसी आग मे
थके हुए इन हाथो को देदे मेरे हाथ मे
हो, सुख मेरा ले ले, मैं दुख तेरे ले लूँ
मैं भी जियु तू भी जिए हो..........
अपनी ही धुन मे गीत गुन-गुना रही थी, आँखे मुन्दे दोनो बाहें फैलाए.. इधर से उधर, उधर से इधर करती बस गीत गाये जा रही थी..... आखरी लाइन गाते वक़्त अपने कपड़े निकाल कर बिस्तर पर रख कर "हूऊ" कर रही थी और उसका गाना "हूऊ" पर ही अटक गया.....
नैन बिस्तर पर बैठ उसकी मासूम सी अदा को बस देखे जा रहा था..... एक पूरा नज़र उसके बदन पर डाला, रीति खुद मे सिमट सी गयी.... क्या लग रही थी अभी ... गीले बालों से हल्की टपकते पानी की बूंदे जो चेहरे और गर्दन को चूमती नीचे जा रही थी....
रूप जैसे दिल मे उतर रहा हो नैन के, और रीति खुद मे सिमट'ती चली जा रही थी.... एक नज़र नैन की उसके कपड़ों पर गयी.... रीति ने भी देखा ... एक खूबसूरत सा टॉप और उसके उपर उसके अंत वस्त्र रखे थे... रीति झट से अपनी ब्रा और पैंटी उठाई और पिछे मूड गयी.....
नैन बिस्तर से उतरता ठीक उसके पिछे जा खड़ा हुआ और उसके बालों को साइड करता रीति के गले पर अपने होठ टिका दिए.... गरम साँसे जब गर्दन से टकराई तो एक नशा सा अनुभव करती रीति अपने गर्दन को हल्की मोड़ ली....
"उफफफ्फ़ ये भींगी ज़ुल्फो से टपकता पानी..... खुदा खैर करे कम्बख़्त दिल ये सीने से निकला जा रहा है. बेबी ऐसी कातिल अदा से रहोगी तो आज तो मेरा मरना तय है"
मरने का नाम सुनते ही रीति अपने हाथों से कपड़े छोड़ती हुई सामने मूड गयी और नैन के होटो पर हाथ रखती धीमे से कहने लगी.... "ये रूप कातिल हो जाए तो नही चाहिए ये रूप, मुझे बस आप चाहिए"
नैन मुस्कुराता हुआ रीति के चेहरे को उपर किया और उसकी आँखों मे देखने लगा... रीति शर्म से अपनी पलकें झुकाती कहने लगी..... "ऐसे नही देखिए, मुझे शर्म आती है"
नैन.... साची ... पर आज इस चेहरे से नज़र ही नही हट रही....
रीति.... जाइय भी, मैं थोड़ा चेंज कर लूँ...
नैन.... एक दिल की तमन्ना है कह दूं क्या...
रीति.... क्या...
नैन.... मैं चाहता हूँ ये कपड़े मैं तुम्हे पहनाऊ.....
रीति, नैन की इस शरारती अर्जी पर कुछ कह नही पाई, वो ना तो "हां" कह पा रही थी और ना "ना"... बस द्विविधा मे फँस चुकी थी...
नैन मुस्कुराता ज़मीन पर पड़ी रीति की ब्रा और पैंटी को अपने हाथों मे लिया ... और पिछे से टवल की गाँठ खोलते उसे नीचे जाने दिया....
रीति शर्म से अपने दोनो हाथ अपनी छातीयों से लगा ली, और अपने पाँव को और ज़्यादा समेट ली. नैन बिल्कुल रीति की आँखों मे झाँकते हुए... उसे अपने पास खींच लिया... सीने से लगी नैन के रीति बस शर्म से पानी-पानी हुई जा रही थी...
उसने पिछे हाथ ले जा कर ब्रा के हुक को लगाया और अपने हाथों से उसे आगे तक फिट किया. नैन के हाथ लगते ही रीति उसके बदन से चिपकती चली गयी..... रीति के बदन पर हाथ फिराते हुए नैन नीचे बैठा और उसके खूबसूरत पेट पर एक हल्की चींटी काट लिया. रीति के पाँव अपने हाथों मे उठाया....
पाँव पर किस किया... और दोनो पाँव मे बारी-बारी पैंटी डाल... उपर तक सरकाता हुआ खुद भी खड़ा हो गया.... आखरी बचे टॉप को भी वो उसके बदन मे डाल कर रीति को गले लगाते हुए पिछे से उसकी जिप बंद कर दिया....
उखड़ी सी साँसों के साथ रीति कहने लगी... "अब बस ... मुझे थोड़ा तैयार हो जाने दीजिए... आप भी तैयार हो जाइए, हम घूमने चलेंगे"....
नैन, रीति की बात मान कर तैयार होने चला गया.... नैन के जाते ही रीति वहीं बिस्तर पर बैठ कर अभी हुई घटना पर मुस्कुरा रही थी, अब भी नैन का हाथ उसे अपने बदन पर महसूस हो रहा था.
कुछ देर बाद दोनो तैयार होकर निकले. आज तो नैन की नज़रें बस रीति पर ही थी, और रीति भी नैन को बड़े प्यार से देख रही थी. दोनो सबसे पहले मूवी गये... फिर देल्ही की सड़कों पर कुछ दूर बाहों मे बाहें थामे पैदल चले... और अंत मे डिन्नर कर के घर वापस चले आए....
घर जैसे ही आए रीति के फोन की रिंग बजने लगी.... वासू का कॉल था... रीति फोन पिक करती "हेलो" कहने लगी....
वासू.... कैसी हैं मेडम, आज कुछ मस्ती की या पूरा सूखा ही रहा....
रीति.... वासू, आप फोन करते ही ये क्या पुच्छ ने लग गयी... वो सब छोड़िए.. कैसा रहा आप का दिन
वासू.... अवेसम रीति, बिल्कुल माइंड-ब्लोयिंग.... "आऊ क्या कर रहे हो अनु"
वासू को ऐसा रिएक्ट करते ही रीति बस इतना ही सोची ... ये अनु और वासू भी ना...
रीति.... कल बात कर लेना वासू, अभी अनु को समय दे दो... हहे
वासू.... अच्छा जी, अब कौन क्या बातें कर रहा है....
रीति.... हहे, मैं तो बस समय देने के लिए कह रही थी, वैसे सैली कैसी है. वहाँ भी वही आलम था, खुद मे खोई हुई या कुछ सुधार था...
वासू... इसी बात के लिए फोन की थी, सोची तुम्हे बता दूं. सैली काफ़ी नॉर्मल थी और चीज़ों को एंजाय कर रही थी.
रीति.... ये तो बड़ी ही खुशी की बात है वासू. बेचारी ने बहुत कुछ झेला था, उसके बारे मे सोच-सोच काफ़ी दुख होता था.
वासू.... और मुझे तुम्हारे बारे मे सोच-सोच काफ़ी दुख होता है...
रीति.... मैने ऐसा क्या कर दिया...
वासू.... नेनू को तडपा रही हो.... पूरा समय मिला है, इस समय को बर्बाद मत करना... समझ गयी ना...
रीति.... ह्म्म्म्म !
वासू.... चल मैं फोन रखती हूँ.... मिल कर बातें करते हैं....
वासू की बात सुन कर रीति थोड़ा शर्मा गयी.... रीति अपने कपड़े बदल कर नाइट ड्रेस पहन ली, और बस बैठ कर नैन के बारे मे ही सोचने लगी....
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12-27-2018, 01:53 AM,
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
"क्या सोचा जा रहा है अकेले-अकेले" रीति इतनी गहराई मे खोई थी कि उसे नैन का आना तक पता नही चला... रीति एकदम से चौुक्ति हुई पुछ्ने लगी... "आप कब आए"
नैन.... बात ये ज़रूरी नही कि मैं कब आया, बात ये ज़रूरी है कि बेबी क्या सोच रही थी..
रीति मुस्कुराती अपने दोनो बाहें नैन की गर्दन पर रखती कहने लगी.... "कुछ भी तो नही जी"
नैन.... अच्छा एक गुज़ारिश की अर्जी है, आगे आप की मर्ज़ी है...
रीति.... ह्म्म्मक ! क्या है गुज़ारिश...
नैन.... एक गाना सूनाओ ना प्लज़्ज़्ज़.... क्या खूबसूरती से गाती हो...
रीति.... हहे, मैं तो बस बाथरूम सिंगर हूँ....
नैन.... प्लीज़ ना बेबी.....
रीति मुस्कुराती हुई ... नैन को देखने लगी और नज़रें नीचे करती गाना शुरू की...
कभी नीम नीम , कभी शहद शहद
कभी नरम नरम, कभी सख़्त
मोरा पिया... मोरा पिया.. मोरा पिया....
नज़रों के तीर, मे बसा है प्यार
जब भी चला है वो दिल के पार
लज्जा से मरे रे ये जिया
बैरागी मन तेरा है सहेली
मेरे सीने में है क़ैद हूँ अब जी
प्रीत की राखों लाज ए मेरे रब
रुसवा हुई तो , दुनिया हसी तो
लज्जा से मारेर रर ये जिया
गाना समाप्त कर रीति मुस्कुराती हुई नैन को देखने लगी.... नैन भी मुस्कुराते हुए रीति की आँखों मे देखते हुए कहने लगा..... आइ लव यू बाबययी.... "मी टू" मे रीति भी जबाव दी...
नज़रों मे झाँकते हुए, नैन ने रीति का चेहरा अपने दोनो हाथों मे थाम लिया. दोनो के चेहरे पर फैली हुई मुस्कुराहट कई अफ़साने बयान कर रही थी.... प्यार के इस पल मे दोनो ने अपने होठ एक दूसरे के होठों से लगा कर चूमना शुरू कर दिया....
चूमते हुए नैन ने रीति को धीरे से बिस्तर पर लिटा दिया.... उसके बालों को माथे से समेट'ते हुए पिछे जाने दिया. नज़रें एक बार फिर दोनो की टकरा गयी... और होठ खुद-व-खुद चूमने को मचल उठे.
हल्का नशा दोनो को छाने लगा था.... चूमते हुए साँसें दोनो की चढ़ने लगी थी, और खून मे उत्तेजना की लहर दौड़ना शुरू हो चुका था....
चूमते हुए ही एक कर के कुर्ते के सारे बटन खोल दिए... रीति अपनी पीठ थोड़ा उपर की और कुर्ता बदन से अलग हो गया.... लबों से लब ऐसे मिले थे कि साँसें उखड़ी हो गयी, पर चूमना किसी ने नही छोड़ा. जब सांस बिल्कुल भी नही बची तो हान्फते हुए एक दूसरे के होठ को छोड़ा.
अभी तेज साँसे धीमी भी नही हुई थी कि, तेज साँसों की गर्मी रीति को अपने गर्दन पर महसूस होने लगी, आँखे खोल कर एक बार देखी और फिर अपनी आँखों को मूंद कर काम के मधुर अहसास मे डूब गयी...
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12-27-2018, 01:54 AM,
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
नैन बदन की खुसबु लेते हुए नीचे कमर तक आया और अपने होंठो की छुअन को नाभि पर देते हुए उपर की ओर बढ़ा. रीति हल्की मादक आवाज़ मे कहने लगी .... "अहह ! ये क्या कर रहे हैं"....
नैन बिना कुछ बोले उपर तक आया और फिर से होठ चूमने लगा. रीति भी नैन का साथ देती उसके होंठो को चूमने लगी. धीरे से होठ को चूमते हुए, उसके गर्दन तक होंठो को लेकर आया, गर्दन से सीने तक....
वक्ष के उपर के हिस्से को नज़र भर देखते हुए नैन ने हाथों की हल्की छुअन उसपर दिया, और बाएँ से दाएँ और दाएँ से बाएँ फिरान लगा.... अंदर एक मस्ती की सिहरन दौड़ गयी रीति के तन बदन मे, और वो हल्की मचलती ... सांसो से भी धीमी आवाज़ मे ....."इष्ह... आहह" की सिसकारियाँ लेने लगी.....
नैन प्यार से अपने हाथ उसके वक्षों की गोलाईयों पर फिराने लगा.... हल्के छुने से मस्ती की सिहरन के दाने रीति के बदन पर उठ रहे थे जो उसके मस्ती मे होने का का प्रमाण दे रहे थे.... नैन के अंदर भी काफ़ी हलचल सी मची हुई थी.... धीर-धीरे हाथ फिराते उसके वक्षो को हौले-हौले दबाने लगा....
अपने बदन को मचलाती रीति सिसकारियाँ लेती हुई.... अपने जीवन के पहले क़ाम-रति मे खोती चली गयी... आँखें अब ऐसी बोझिल हुई कि खुलने का नाम हे नही ले रही थी... और मधुर मिलन की प्यास धीरे-धीरे बढ़'ती ही जा रही थी.
नैन होठों को वक्षों से लगाते हुए अब उसे लगातार बड़े प्यार से चूस रहा था और एक हाथ को नीचे ले जाकर उसकी कमर के पास फिराने लगा.....
उंगलियाँ सरकती हुई पाजामे के अंदर जाने लगी और रीति को हल्की गुदगदी सी होने लगी.... धीरे-धीरे हाथ अंदर और अंदर की ओर गया.... योनि के पास हाथ पहुँचते ही हल्की गर्मी सी महसूस हुई... इस मादक उत्तेजित भरे महॉल मे ... योनि से भी रस वर्षा हो रही थी और उसकी तपन हल्की दूरी से भी महसूस हो रही थी....
जैसे ही हाथ का पहला स्पर्श योनि पर हुआ, रीति छटपटा उठी, लंबी सी सांस लेती उपर उठी और छोड़ती हुई नीचे आई... नैन भी वक्षों का रस-पान करने के बाद अपने होंठो को उसके बदन पर फिराते हुए धीरे-धीरे नीचे ले आया....
रीति लगातार सिसकती हुई बस अपने हाथों से चादर को भींच रही थी और बदन को उपर नीचे लहरा कर इस पल का आनंद उठा रही थी....
कमर के दोनो ओर हाथ रख कर नैन ने उसके पाजामे को धीरे-धीरे नीचे सरकाना शुरू कर दिया... हर एक स्टेप पर जब गोरी जांघे नज़र आ रही थी, नैन के आँखों मे वासना की अजीब सी चमक ला रही थी...
स्लो मोशन मे पाजामे को उतारने के बाद ... पैंटी पर हाथ फिरना शुरू हो गया.... अहह क्या एहसास था दोनो के लिए.... सब कुछ भूल कर बस मस्ती मे डूब गये थे....
टाँगों से सरकती पैंटी भी बाहर आ गयी.... उत्तेजना मे जल रही योनि जब नग्न हुई और हल्की ठंडी हवा का जब उसपर अहसास हुआ तो रीति का बदन सिहर उठा .... काम की आग को और भड़काते हुए ... नैन ने तलवो से चूमना शुरू किया... अपने होठ धीरे धीरे उपर करता जांघों तक लाया....
गोरी चिकनी जांघों पर जैसे विराम लग गया हो... अपने होठ और जीभ जांघों पर फिराते हुए अपने नाक भी रगड़ने लगा... रीति की योनि के अंदर तो जैसे हलचल मची हो .... उसे अपने अंदर काफ़ी बेचैनी और अजीब ही प्यास फील होने लगी थी... उत्तेजना ऐसी बढ़ी थी कि अब और बर्दास्त कर पाना मुश्किल था....
अपने बदन को मचलाती रीति, अपने हाथो से बिस्तर को ज़ोर-ज़ोर से बस भिंचे ही जा रही थी..... "आहह.... इसस्स्शह...... नाइनुउऊउउ..... ओह"
रीति बिल्कुल मचलती अब तो और तेज-तेज सिसकारियाँ लेने लगी थी... अंदर की आग अब बिल्कुल सम्भल नही रही थी... नैन, रीति की जांघों को छोड़ अब ... अपने नाक को योनि के पास लाया और उसपर बड़ी तेज़ी से फिराने लगा....
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12-27-2018, 01:54 AM,
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
जैसे ही योनि के अंदर हल्का दबाव बना ... रीति ने नैन के सिर पर अपनी जांघों की पकड़ मजबूत कर दी .... और उसके बालों को अपने हाथों मे लेकर भिचने लगी, ज़ोर-ज़ोर से बदन मचलाने लगी.
पहली बार दोनो सेक्स की क्रिया मे लीन हो रहे थे... नैन से भी अब रुका नही जा रहा था... लिंग मे उसके भी हलचल सी होने लगी थी.... नैन बड़ी तेज़ी से अपने कपड़े उतारते दोनो पाँव के बीच मे आ गया...
रीति की कमर के नीचे तकिये को डाला और योनि से लिंग को टिकाते हुए पहला धक्का दिया... जोश ज़्यादा था और होश का कोई काम नही .... इस अन्तर्मयि अती प्यारे खेल मे पहली बार हल्के दर्द का अनुभव हुआ रीति को ... पर वो शायद इसके लिए पहले से तैयार थी...
अपने होंठो को दाँतों तले दबा कर इस धक्के को झेला रीति ... दर्द की एक आहह निकली थी पर अंदर ही सिमट कर रह गयी.... दो तीन धक्कों तक उसे हल्के दर्द का अनुभव होता रहा पर उत्तेजना की फुहार जैसे ही योनि से बरसी ... रीति भी नैन का साथ देती अपनी कमर हिलाने लगी....
काम की ऐसी खुमारी थी कि सब कुछ भूल कर दोनो सेक्स का आनंद उठा रहे थे. मस्ती की लहर मे पड़ते हर धक्कों पर मन की मस्ती तरंगे उठ जाती थी .....
दोनो काम मे जलते बदन को प्युरे तृप्ति देते हुए, निढाल एक दूसरे के उपर ही लेट गये.... खिली सी सुबह की शुरुआत थी रीति के लिए... अपने आप मे वो पूर्ण महसूस करती रात को उस प्यारे से खेल को याद करती अपना काम कर रही थी और मुस्कुरा रही थी.....
हर किसी को जहाँ अपने प्यारे से साथी का साथ मिला वहीं एक इंदु थी जो हर साथी का इस्तेमाल करती अपने आगे बढ़ने का ज़रिया बना लेती.... अब तो बस बात उसके एक आखरी दाँव की थी... और फिर वो उन बुलंदियों पर होती जहाँ पर कयि पहुचने तक का ख्वाब भी नही देखते.....
इंदु और अमोल को अब तक भनक हो चुकी थी नैन किस मकसद मे लगा है.... कुछ उनका भी अपना मकसद था.... सब को सॉफ कर के खुद सबसे उपर की जगह पर बैठ'ना.... सारी प्लॅनिंग हो चुकी थी ... अब बस एक आख़िरी दाँव खेलना बाकी था.....
इधर अगले दिन जब नैन ऑफीस पहुँचा तो सारी फाइल ले कर वो सीधा आइजी के ऑफीस गया... 2 घंटे की मीटिंग के बाद सब रोड मॅप तय हो गया..... कब कहाँ कैसे ... किसकी गिरफ्तारी करनी है और किस का इनकाउंटर करना है....
शाम तक सारे स्क्वाड को सूचित कर दिया गया... देल्ही के अलावा देश भर मे जहाँ-जहाँ उनके लोग और अड्डों का पता था... हर जगह की पोलीस को इत्तला कर दी गयी थी... बस किसी को ये नही पता था कि कहाँ और किसके यहाँ रेड करनी है.....
नैन अपने ऑफीस से निकल ही रहा था, कि तभी इंदु और अमोल उसके पास पहुँचे..... नैन दोनो को देखते हुए थोड़ा सा हैरान हुआ.....
नैन.... हां जी फरमाएए...
इंदु.... सर, हमे आप से अकेले मे बात करनी है, क्या आप के पास हमारे लिए थोड़ा समय है...
नैन.... आओ, दोनो अंदर आओ....
दोनो के अंदर बैठ'ते ही.... "क्या काम था".....
अमोल.... मैं जानता हूँ बहुत ही जल्द आप हमारे खिलाफ आक्षन लेने वाले हैं...
इंदु.... और ये भी जानते हैं कि जल्द ही गिरफ़्तारियाँ शुरू हो जाएगी...
नैन.... ओह्ह्ह ! ऐसी बात है क्या. तो क्या तुम दोनो सरेंडर करने आए हो या कोई ऑफर ले कर आए हो....
अमोल.... कैसी ऑफर चाहिए आप को सर जी, एक बार सेवा का मौका तो दो....
नैन.... एक गोली तेरे भेजे मे... प्रपोज़ल आक्सेप्ट है क्या रे...
अमोल.... एसपी, इतना ना इतराओ, हमारी पहुँच के आगे तुम्हारा डिपार्टमेंट कुछ नही कर सकता...
नैन.... हो गया तेरा तो अब निकल यहाँ से या जुते मार निकालु... बाकी पूरी हॉस्पिटालिटी हम बाद मे पूरी कर देंगे ये वादा है...
इंदु..... देखिए सर, हमारे पास एक कमाल का ऑफर है, बस हमे जाने दो बदले मे हम ऐसे एविडेन्स देंगे जिस से अबोध पूरी और उसके पूरे गॅंग का सफ़ाया हो जाएगा.
नैन.... वो तो वैसे भी मैं सॉफ कर दूँगा और साथ मे तुम दोनो को भी. अब निकलो यहाँ से और बचे खुचे दिन गिन लो...
अमोल.... एक बार फिर सोच लो सर जी, चाह कर भी तुम अबोध पुरी तक नही पहुँच सकते, क्योंकि ना तो उसे आज तक किसी ने देखा है और ना ही पोलीस रेकॉर्ड मे उसकी कोई तस्वीर. यदि वो तुम्हारे सामने भी हो तो पहचान नही पाओगे.....
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12-27-2018, 01:54 AM,
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
नैन थोड़ी देर तक सोचता रहा... फिर आपने जूनियर अमित को बुला कर सारी बातें डिसकस किया... अंत मे सब सारी बातों पर सहमति हुई.... अमोल और इंदु सरकारी गवाह होंगे और वो पूरे गॅंग के खिलाफ सबूत देंगे....
नैन वहाँ से रास्ते भर इसी केस पर सोचते हुए निकला..... घर जब पहुँचा तो वहाँ का अलग ही मंज़र था... पूरा घर कबड बना था और रीति कहीं भी नज़र नही आ रही थी....
सामने टीवी पर एक नोट चिपका था.... "इफ़ यू वान्ट दिस गर्ल कॉल मी"
नैन पहले सकते मे आ गया... उसे समझ मे नही आया कि ये आख़िर किसने किया, चूँकि जिस केस को वो हॅंडल कर रहा था उस केस से जुड़ा कोई भी आदमी यहाँ तो नही आ सकता, फिर ये कौन है...
नैन ने चुप-चाप कॉल लगाया और उस आदमी के बताए पते पर पहुँचा.... पता एक फ्लॅट का था, बाहर खड़े लोगों ने नैन की सर्विस गन निकाल कर अपने पास रखा और अंदर जाने के लिए कहा. नैन जब अंदर गया तो वहाँ रीति के साथ-साथ वासू, अनु, गौरव, सैली और साथ मे तोशिब भी था...
मामला समझ मे अब पूरा आ गया था... उस दिन एरपोर्ट का हमला और ये किडनॅपिंग सब उस सेंट्रल मिनिस्टर के कहने पर हो रहा था....
नैन को देख कर सब अपने बँधे मुँह से उनन्ं-उनन्ं करने लगे... बंधकों मे कोतुहल देख कर अंदर से वो सेंट्रल मिनिस्टर भी बाहर आया....
सेंटेराल मिनिस्टर..... तो वो तू है जिसकी वजह से मेरा बेटा फँसा है...
नैन.... सर, इन लोगों को जाने दो, आप लॉ के अगेन्स्ट काम कर रहे हो.
सेंटरल मिनिस्टर.... हम ही लॉ हैं यहाँ के... जितना मैं परेशान हुआ हूँ, उस से ज़्यादा खून के आँसू रुलाउन्गा...
नैन.... सर जी सड़क का टपोरी समझा है क्या.... औकात पर आ गया तो पिच्छवाड़े मे डंडा घुसेड मार ठंडा कर दूँगा......
तभी पिछे से एक आवाज़ आई .... एसपी.. तेरी इतनी... ओउुुउउ...... आआऊओ आआआआआअ
एक आदमी पिछे से चिल्लाता हुआ... औकात का "ओउूउ" ही बोला था कि नैन ने अपने साथ लाया दूसरी गन को निकाला और एक गोली उसके पाँव मे मारते हुए मिनिस्टर के कनपटी पर गन रख कर कहने लगा.....
"कोई फिल्म स्टार हूँ कि उछल-उछल कर हाथ पाँव चलाऊ, एक काम मे ट्रैन्न्ग के दौरान गोल्ड मेडेल मिला था शूटिंग मे.... बस मुझे सही निशाने पर फाइयर करने आता है... और वो मैं बखूबी कर दूँगा"....
सेंटरल मिनिस्टर.... एसपी तू यहाँ से किसी को भी जिंदा नही ले जा सकता...
नैन... पर तुझे मार कर अपने साथ उपर ज़रूर ले जा सकता हूँ... और सुनो ओये चम्चो ... भले यहाँ मैं मर जाऊ पर इस मिनिस्टर को भी साथ लेता जाउन्गा... और यदि तेरे सिर से तेरे बाप का हाथ हटा तो सोच पोलीस क्या करेगी तुम्हारे साथ, दौड़ा-दौड़ा कर मारेगी, और घसीटेगी वो अलग.
नैन की बात सुन कर वहाँ मौजूद जितने भी हतियार धारी थे सब अपने हथियार नीचे करते दो कदम पिछे हो गये....
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12-27-2018, 01:54 AM,
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
नैन.... चिंता मत करो सर जी मैं यहाँ कुछ करने नही आया था, लेकिन आप ने बात को बढ़ा दिया तो करना पड़ा... अब मेरे दोस्तों को जाने दो ज़रा हम बैठ कर कुछ बातें कर ले.
सेंट्रल मिनिस्टर के इशारे पर सब को छोड़ दिया गया. नैन ने अनु और गौरव को सब को लेकर उसके फ्लॅट पर पहुँच कर इंतज़ार करने के लिए कहा.
नैन.... तोशिब तुम कैसे किडनॅप हो गये...
तोशिब.... यार इसने इतने लोगों को गन पॉइंट पर रखा था कि मैं बेबस हो गया, पर मुझे क्या पता था इन सब को तुम जानते हो.
सेंट्रल मिनिस्टर..... बंद करो अपनी कहानी, और क्या बात करनी थी वो बताओ.
नैन.... आप को शोभा नही देता सर यूँ किसी की फॅमिली को उठवा लेना. हम अपने काम को और फॅमिली को दूर रखते हैं किसी ने बताया नही. और उठाया भी तो किसे एक पोलीस वाले की फॅमिली को, पूरा डिपार्टमेंट दौड़ा-दौड़ा कर मारता.
सेंट्रल मिनिस्टर..... पहले तुम लोगों ने जाल बिछा कर मेरे बेटे को ग़लत केस मे फसाया.... केस झूठा था तुम्हारा एसपी. यदि तुम सही तरीके से आते तो मैं सही तरीके से आता, अब बताओ मेरे बेटे पर लगाए चार्जस हटा रहे हो या नही.
नैन.... देखो सर ग़लती तो उसने की है, मैं चाहता तो रेप केस उस पर लगाता, इस से तो आप की कुर्सी भी चली जाती.
सेंट्रल मिनिस्टर.... तब क़ानूनी दाँव-पेंच होता एसपी, मैं आराम से प्रूफ कर देता मेरा बेटा उस रात इस सहर मे तो क्या, इस देश मे भी नही था. लेकिन तुम ने झूठे केस मे उसे अंदर किया, वो भी इतने स्ट्रॉंग एविडेन्स के साथ कि मैं छटपटा कर रह गया.... तुम सही तरीके से आते तो मैं भी सही तरीके से आता.
नैन..... आप ने मुझे एरपोर्ट पर मारने की कोशिस भी की थी..
सेंट्रल मिनिस्टर.... हां वो हमला मैने ही करवाया था, पर वो तुम्हारे लिए नही, उस लड़की के लिए था जिसे तुम्हारे घर से उठाया था....
नैन..... पर उसे क्यों टारगेट किया... इन्वेस्टिगेशन और एविडेन्स तो मेरे थे...
सेंट्रल मिनिस्टर.... पर उस रात वो लड़की और उसके साथ उसकी वो सहेली भी थी जो यहाँ उस कुर्सी पर बैठी थी, (वासू जहाँ बँधी थी, उस कुर्सी को इशारा करते कहा) जिनकी वजह से मेरा बेटा फसा उनको क्या मैं यूँ ही जिंदा छोड़ देता....
"पर उस रात तो सैली थी इसके बेटे के साथ फिर ये रीति और वासू पर क्यों हमला करवा रहा था"......... सर कुछ तो कन्फ्यूषन है, आप को ग़लत इन्फर्मेशन है, वो दोनो लड़कियाँ तो आज तक वो डिस्को गयी ही नही जहाँ से आप का बेटा किसी लड़की को ले गया था.
सेंट्रल मिनिस्टर..... क्या ? उस हरामी अमोल ने मुझे ग़लत इन्फर्मेशन दी. एसपी बात कुछ भी हो, पर तुम्हारे झूठे केस मे मेरी फॅमिली फसि, अब तो मेरी भी नज़र रहेगी तुम्हारी फॅमिली पर...
नैन..... ठीक है सर, आप क्या चाहते हो वो बताओ...
सेंट्रल मिनिस्टर.... मेरे बेटे पर लगाए चार्जेज से वो बरी होना चाहिए बस.
नैन..... हो जाएगा, पर उसकी भी एक कीमत है, जिसे आप को पूरा करना होगा...
तोशिब.... नैन, तूने भी काली कमाई शुरू कर दी, घटिया कहीं का....
सेंट्रल मिनिस्टर..... क्या कीमत है...
नैन.... अबोध पूरी के केस मे आप साइड मे रहोगे, बदले मे मैं आप के बेटे पर लगाए चार्जेज को हटा दूँगा....
सेंट्रल मिनिस्टर..... तुम जानते भी हो किसका नाम ले रहे हो, मैं नही सपोर्ट करूँगा तो कोई और कर देगा.... तुम ग़लत जगह हाथ डाल रहे हो एसपी.
नैन..... आप कब काम आओगे, केवल होम मिन्सटर साहब को आप संभाल लो, इस केस के पूरा होने तक मेरा और मेरी टीम का ना तो ट्रान्स्फर हो और ना ही ये केस किसी और को मिले.
सेंट्रल मिनिस्टर..... एसपी मैं अपने बेटे को किसी तरह तो बचा ही लूँगा, पर पूरी को पता चला कि मैने तुम्हारा साथ दिया है तो मेरा बेटा बचेगा हे नही. अर्रे तुम्हारे पास बस उसका नाम और पता हो सकता है, पर उस शक्स की सिनाख्त तुम कभी नही कर सकते. वो कभी अरेस्ट नही होगा इसलिए मैं ये रिस्क नही ले सकता....
नैन.... फिर मेरा वादा है कि आप के बेटे को मैं अगली सुनवाई मे सज़ा दिलवा कर रहूँगा, और साथ मे आप भी फसोगे क्योंकि भले आप का बेटा आप के खिलाफ गवाही ना दे लेकिन उसका दोस्त यही कहेगा... "वो ये ड्रग्स का काम आप के कहने पर करता था"....
सेंट्रल मिनिस्टर.... मुझे धमकाने का अंजाम जानते हो...
तोशिब.... पोलीस वालों से भिड़ने का अंजाम जानते हो, ठोक देंगे कहीं भी और उसके लिए हमे कोई चार्ज भी नही लगाना परेगा...
नैन.... मिनिस्टर साब मेरे प्रपोज़ल पर आप पॉलिटिक्स खेल जाओ .... ध्यान से सुनो आप को करना क्या है.....
नैन ने सारी प्लॅनिंग सेंट्रल मिनिस्टर को बता दिया.... सेंट्रल मिनिस्टर अंत मे राज़ी हो गया नैन की बात मान'ने के लिए. वहाँ से तोशिब और नैन साथ मे निकले...
तोशिब..... नैन बड़ी मुश्किल से तो उस हरामी मिनिस्टर का बेटा फसा था, मादरचोद के खिलाफ बहुत कंप्लेन थे, उसे ऐसे यूँ ही नही जाने दे सकते....
नैन.... कम डाउन तोशिब, उसकी कमज़ोरी पता है, उसे कभी भी लपेट सकते हैं, पर अबोध पूरी नही बचना चाहिए. पिच्छले 5 सालों से सबको घुमा कर रखा है....
तोशिब, नैन की बातों का समर्थन करता अपने-अपने राह को चल दिया. नैन के वापस फ्लॅट मे आए सारे लोग थोड़ा डरे हुए थे. नैन के आते ही रीति उस से लिपट कर गले लग गयी और गले लग कर रोने लगी....
नैन..... ए माज़ी भोली, रोती क्यों हो, मेरे रहते किसी को कुछ नही हो सकता.... हां एक खुश-खबरी और .... बस कुछ दिन और फिर तुम लोगों के दिल की हसरत भी जल्दी ही पूरी हो जाएगी..... तब तक तुम सब देल्ही घुमो-फ़िरो, अपना ख्याल रखो.... वैसे तुम सब शिमला से यहाँ कब आए और इनके हाथ कैसे लग गये....
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12-27-2018, 01:54 AM,
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
वासू मुँह बनाते कहने लगी.... घूम रहे थे शिमला, हमे तो वहीं से उठवा लिया कमिनो ने....
सैली.... ये ज़रूर उस कमिनि इंदु का काम होगा, नेनू कहाँ है वो मैं उसका खून पी जाउन्गी...
नैन... कम डाउन गर्ल्स, हर काम का अपना एक वक़्त होता है.... चलो तुम सब कहीं बाहर के खाने का प्रोग्राम बनाए हो या हम यहीं घर पर खाए...
सैली.... कोई बाहर नही जाएगा, बहुत दिनो बाद हम सब साथ मे हैं, यहीं घर पर बैठ कर गप्पे लड़ाएंगे और यहीं तुम सब हमारे लिए खाना खाएँगे.....
सैली की बात पर रीति और वासू की सहमति बन गयी ... बेचारे सारे लड़के बावरची बने थे.... हालाँकि रीति बीच-बीच मे कभी-कभी किचन चली जाती .... लेकिन वासू और सैली उसे आँखें दिखाती तो वापस लौट आती.
उस शाम से लेकर रात तक सारे दोस्तों की जो महफ़िल सजी काफ़ी लेट नाइट तक थी. अगली सुबह सब के सोए मे ही नैन निकल गया.
सारी टीम तैयार थी... कंट्रोल रूम मे बैठ कर नैन हर नामो और अड्डों की जानकारी देता रहा... देश भर से ड्रग की डील करने वाले कुल 78 लोगों की गिरफ्तारी हुई... लेकिन एक नाम जो था अबोध पूरी वो अब तक छिपा हुआ था, लाख कोशिसों के बाद भी उसकी गिरफ्तारी नही हो पाई.
अमोल और इंदु का कहना सही था, वैसे भी अमोल ने मदद करने का वादा किया था बदले मे पोलीस उसे और इंदु को क्लीन चिट देती. तय ये हुआ अमोल उन 78 गिरफ्तार लोग और अबोध पूरी के खिलाफ और पुख़्ते सबूत देगा उपर से उनकी सिनाख्त कर के सब के खिलाफ गवाही भी.....
गिरफ्तारी के बाद महॉल पूरा शांत हो गया था...... अमोल अपने कहे अनुसार सारे सबूत दे चुका था, उन 78 लोगों के खिलाफ और अबोध पूरी के खिलाफ भी, बस एक उसकी ग्रिफ्तारी बाकी रह गयी थी.
तीसरे दिन वादे अनुसार अमोल का कॉल आया नैन के पास.... अबोध पूरी के ठिकाने को लेकर... पोलीस की एक टुकड़ी को लीड करते हुए नैन अमोल के साथ उसके बताए ठिकाने पर चल दिया.....
मुंबई-नासिक एक्सप्रेस हाइवे के 30किमी दूर चलने के बाद उत्तर की दिशा मे जंगल के अंदर पूरी टीम पहुँची. जैसे ही आधा किमी अंदर चले होंगे पोलीस की टीम को गुण्डों ने घेर लिया, और सबको और अंदर ले कर गये.... उन सब को एक गॉडाउन मे ले कर पहुँचे..
नैन.... तो कमिने जाल बिच्छाया था तू हमारे लिए और मैं तुझ पर भरोसा कर गया....
अमोल.... नही, मैं तो इतनी दूर की सोचा भी नही था, ये तो इंदु का दिमाग़ था, जिसने सारे दोस्त और दुश्मन को सॉफ कर दिया....
नैन.... हरामज़ादे अब भी वो अबोध पूरी बचा है, ये क्यों भूल गया..
अमोल.... हा हा हा हा.... कौन अबोध पूरी, कहा था ना तुम्हारे सामने होगा तो भी पहचान नही पाओगे... मैं ही हूँ अबोध पूरी, और अब मेरा कोई दुश्मन नही बचा.... जल्द ही हम यहाँ से निकल जाएँगे... और हां चिंता मत करो... तुम्हारी गिनती सिर्फ़ सहीदों मे की जाएगी... क्योंकि मुझे जान'ने वाले मेरे दुश्मन ज़्यादा देर तक जिंदा रहे वो मैं बर्दास्त नही कर सकता....
अमोल ने गॉडाउन का सेफ खोला... और वहाँ से अपने सारे ज़रूरी कागजात और कॉंटॅक्ट निकाल लिए.... बाहर आते ही फोन करने लगा.... "किशोर सब रेडी है ना"....
किशोर..... हां सब रेडी है अमोल... चलो निकला जाए ये देश छोड़ कर...
अमोल... ठीक है हम अभी आए..... बाय्स किल देम... और आज से तुम सब किशोर के साथ काम करना...
पर ये क्या कहानी उल्टी हो गयी... तकरीबन 20 लोग थे वहाँ अमोल के, लेकिन सभी ने उल्टा गन उसी पर तान दिया... तभी गोडाउन के अंदर किशोर आकर नैन के पास खड़ा हो गया....
नैन.... क्यों पूरी साहब पसीने क्यों छूटने लगे, ये दाँव उल्टा कैसे पर गया वही सोच रहे हो ना....
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
इंदु.... नैन सर, मैं तो कब से आप को इसके बारे मे बताना चाह रही थी, लेकिन जान जाने के डर से चुप रही... ये देखो लेटर (इंदु एक लेटर अपने पर्स से निकल कर नैन की ओर बढ़ाती हुई) जो मैं कब से आप को देना चाह रही थी, पर ये साथ छोड़ ही नही रहा था.... किशोर से पुछ लीजिए, मैं तो अपनी जान के डर से इसके साथ काम कर रही थी...
किशोर.... हां सर ये सच कह रही है... आ जा जानेमन तू हमारी पार्टी मे आ जा...
अमोल.... कुतिया कहीं की, तू भी इसके साथ मिली है....
इंदु तेज़ी से उनके पास पहुँच गयी... तभी किशोर ने ताली बजाई और कहने लगा.... "गर्ल्स मेडम का स्वागत ज़रा जोरों से करना"
इंदु सामने देख कर चौक गयी.... वासू, रीति और उनके पिछे सैली खड़ी थी.... सैली काफ़ी गुस्से मे आगे आई और एक तमाचा उसके गाल पर ज़ोर से मारी..... चटकककक की आआज़ पूरे महॉल मे गूँज गयी.... सैली को पिछे करते वासू आगे आई वो भी खींच कर एक तमाचा दूसरे गाल पर दी...
अब बारी थी रीति की... रीति भी आगे आई और दोनो गालों पर तमाचा जमा दी...
सैली.... ये चीटिंग है रीति, मैने तो एक गाल पर ही मारा था... मैं भी दोनो गाल पर मारूँगी..
अपनी बात कहती हुई सैली फिर आगे आई, और वो भी इंदु के दोनो गालों पर कस कर तमाचा मार दी.. इंदु के तो सिर के उपर जैसे पूरा ब्रह्मांड नाच रहा हो... वासू भी पिछे क्यों रहती.. वो भी अपना टर्न संभालती इंदु के दोनो गाल पर तमाचा रसीद कर दी...
रीति... ये चीटिंग है तुम दोनो दो बार मारी इसे और मैं बस एक बार .. मुझे भी दोबारा मारना है...
लड़कियों की हरकत देख कर सब हंस रहे थे .... नैन कहने लगा... "बस करो और बंद करो टर्न बाइ तुर्न मारना... अमित इन सब को यहाँ से ले कर जाओ"...
अमोल..... तो ये सारा खेल तुम्हारा था...
नैन... तुम्हे क्या लगा हम घास छिल कर आइपीएस बने हैं क्या रे... शक तो मुझे उसी दिन हो गया था जब तूने रशीद गॅंग जाय्न किया था... अबोध पूरी गॅंग का मेंबर रशीद को जाय्न करे और वो जिंदा भी बचा है, और अबोध पूरी के गॅंग मे भी साथ-साथ काम कर रहा है....
"खेल अच्छा था अपने राइवल को सॉफ करने का, फिर क्या था मर तो गॅंग्स्टर ही रहे थे इसलिए हम ने भी किशोर को चिपका दिया तुम लोगों के साथ. यकीन तो मुझे परवानू मे हुआ जब एक फॅक्टरी का चलान अमोल के नाम से था और डील अबोध पूरी की थी, चूक कर गये तुम यहाँ अमोल वैसे खेल अच्छा था"...
अमोल.... खेल तो तुम्हारा भी अच्छा था एसपी पर तुम चाहते तो मुझे कब का अरेस्ट कर चुके होते, मुझ पर अब तक ये मेहरबानी क्यों....
नैन... बस तुम्हारे फॅक्टरी की लिस्ट नही थी अमोल जो मुझे अब मिल जाएगा... और कुछ..
अमोल.... सीधी बात कहता हूँ नैन, मुझे जाने दो मुँह माँगी कीमत दूँगा...
नैन.... अब आए ना सही ट्रॅक पर अमोल... 20 लोग पहले से है यहाँ और 5 हम अभी आए तो ऑफर क्या है हम 25 लोगों के लिए....
अमोल... तुम मे से हर एक को 2-2 करोड़ अभी और 2-2 करोड़ मेरे देश छोड़ते ही...
नैन.... क्यों टीम क्या कहते हो....
किशोर.... सर वन टाइम ऑफर की तरह है, बाद मे मुकर भी सकता है, वैसे भी हमारी बात मान'ने के सिवा इसके पास कोई चारा नही ... 5 करोड़ पर डील डन करवाओ...
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