non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:44 AM,
#21
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
स्पीड कम थी, पर इतनी स्पीड भी काफ़ी थी की वो ठेला और उसपर का समान को नुकसान पहुँचा सके. ठेले से टकरा कर स्कूटी अनबॅलेन्स हुई, और सैली भी गिरी स्कूटी के साथ.....


चांट-फुल्की की ठेला थी, सारा समान उस ग़रीब का समान ज़मीन पर बिखर गया, काँच की एक बॉक्स थी वो भी टूट गयी, ठेला वाला दौड़ा-दौड़ा आया ..... सैली अभी नीचे ही पड़ी थी ... और ठेले वाले का चिल्लाना सुरू...


"आँखें नही है क्या पागल लड़की, इतनी बड़ी सड़क नही नज़र आई जो मेरा नुकसान कर दिया, इसके पैसे कौन भरेगा"


बेचारे का नुकसान हो गया था, उसे भी सैली के गिरने का ख्याल नही था, इधर सैली चोट के दर्द के कारण उसकी आँखों से आँसू निकल आए थे, उसपर से वो ठेले वाले ने चिल्लाना शुरू किया.


सैली गुस्से से तो पागल हो गयी... गुस्से मे लाल आँखें किए वो उठी. आक्सिडेंट देख कर वहाँ लोग भी जमा हो गये. एक बुजुर्ग ने सैली की बाँह पकड़ के कहने लगा, "तुम ठीक हो, तो सुनो".....


बेचारा इतना ही बोला होगा, कि सैली ने अपनी बाँह झटकी, गुर्राते हुए उस ठेले वाले पर बरस पड़ी .... 


"कितना नुकसान हुआ, बता मुझे. ये फूटपाथ क्या तुम लोगों की है, जो यहाँ ठेला लगाते हो. जान-बुझ कर टक्कर मारी क्या. ग़लती से हुई ना. पैसे बोल ... पैसे बोल अभी"......


बाप रे इतना गुस्सा ... इतनी ज़ोर की चींख... सबके मुँह खुले रह गये, सब जैसे चकित हो गये हों. आस-पास जो सड़कों पर लोग थे वो गाड़ियाँ रोक कर बस उसी ओर देखने लगे थे.


ठेले वाले ने जल्दी से 2000 लिए, और वहाँ से चलता बना. गिरने की वजह से चोट सैली को भी आई थी, साइड मे बैठ कर वो अपने छिले हाथों को देखने लगी. देखते देखते अचानक ही याद आया ..... गौरव कहाँ है .......


चारो ओर नज़र दौड़ाई, स्कूटी साइड मे खड़ी लगी थी, पर गिरने के बाद से तो गौरव कहीं दिखा ही नही...........

गौरव को ना देख कर सैली काफ़ी हैरान रह गयी, गिरने के बाद से ख्याल ही नही रहा गौरव का, और जब ख़याल आया तो गौरव नही था.


कुछ देर इधर उधर देखी, फिर सिर पर हाथ रख कर बैठ गयी. सैली एक तो खुद के दर्द से परेशान थी उपर से गौरव का इस तरह से गायब होना. तभी वो बूढ़ा आदमी फिर आया और सैली के कंधे पर हाथ रख कर...


"बेटी तुम अपने साथी को ढूंड रही हो ना"


सैली "हाँ" मे गर्दन हिला कर उसे जवाब दी. फिर वो बूढ़ा बोला, "बेटा वो नाले मे गिर गया था, और सिर पर काफ़ी चोट आई थी, तुम यहाँ झगड़ा करने मे लगी थी, तो हम सब उसे अबुलेन्स मे हॉस्पिटल भेज दिया"


सैली एक बार फिर गुस्से मे आती हुई कहने लगी ... "क्या, उसे इतनी चोट आई, आप बता नही सकते थे, अभी कहाँ है" ?


बुड्ढ़ा..... वो तो अमरजेंसी मे अड्मिट होगा गवरमेंट. हॉस्पिटल मे, वैसे बेटा मैने बताना चाहा था, पर तुम्हे लड़ने की ज़्यादा जल्दी थी इसलिए तुम सुनी नही.


सैली.... ओह्ह्ह ! सॉरी बाबा, थॅंक्स जो भी आप सब ने किया, चलती हूँ मैं.


बुड्ढ़ा..... सुनो बेटा, वैसे जो तुम दोनो ऐसे सड़कों पर कर रहे थे वो ग़लत था, इसका भी ख्याल रखना. सड़क पर ऐसे खुल्ले मे ....


सैली बिना कुछ बोले बस खा जाने वाली नज़रों से उस बुड्ढे को देखती हुई वहाँ से चली गयी. अंकित को कॉल कर के सारे हालात बताई, साथ मे ये भी कि वो ड्राइव नही कर पाएगी, हाथ और पाँव मे चोट लगी है. अंकित ने सबसे पहले नेनू को सारा इन्फर्मेशन दिया बाद मे निकल गया सैली को लेने.


सैली को लेता अंकित सबसे पहले पास मे जो भी हॉस्पिटल मिला उसमे गया. रास्ते मे फर्स्ट-एड लेने के बाद सैली काफ़ी रिलीफ महसूस कर रही थी, वहीं से फिर हॉस्पिटल चली गयी गौरव को देखने. वॉर्ड के बाहर स्टूडेंट का हुजूम लगा हुआ था, उसके हॉस्टिल के काफ़ी लड़के थे वहाँ पर. 


सैली अंदर गयी, नेनू पहले से वहाँ था, थोड़ा चिंता मे था अपनी दोस्त का हालात देखते हुए, नेनू ने शांत भाव से सैली को देखा और फिर उठकर वहाँ से चला गया.


सैली गौरव को देख कर सहम गयी, क्योंकि चोट काफ़ी आई थी, वहीं रुकी रही डॉक्टर से सारी हालात मालूम की, पर घबराया दिल शायद उसका, और वो गौरव के पास से उठना ही नही चाह रही थी.


अंकित किसी तरह उसे समझा कर वहाँ से ले गया. जाते-जाते नेनू बाहर ही मिल गया, सैली धीरे से हाथ जोड़ती "सॉरी" कह कर चली गयी.


दो दिनो तक सैली हॉस्पिटल आती रही मिलने, दो दिन बाद डिसचार्ज हो गया गौरव, फिर सैली के लिए मजबूरी हो गयी ना मिल पाना, क्योंकि वो बार बार हॉस्टिल नही जा सकती थी, फिर भी दिन मे एक बार तो कम से कम जाती ही थी, और उसके बाद मोबाइल सर्विस वालों की फ्री लोकल कॉल का फ़ायदा उठाते थे.


गौरव को रिकवर होते-होते 15 दिन लग गये, पर गौरव खुश था क्योंकि बुरे वक़्त मे दो लोगों ने उसका साथ नही छोड़ा था... सैली और नेनू ने.


वैसे गौरव भी अब कुछ ज़्यादा बेचैन था, क्योंकि हाई रे किस्मत, लव प्रपोज़ल के बाद मिले भी नही थे ठीक से कि ये आक्सिडेंट. गौरव बहुत ज़िद करता बाहर जाने की, घूमने की, पर उसकी एक ना सुनी जाती और बेचारा मॅन मार कर कमरे मे ही रहता था.


15 दिन बाद भी पूरी तरह रिकवर नही हुआ था, पैदल चलना माना था ज़्यादा पर थोड़ा बहुत टहल सकता था. सैली रोज गौरव को लेने आती, दोनो फिर स्कूटी से निकलते एक लोंग ड्राइव पर. कभी-कभी गौरव सैली को बोल भी देता ... "इस बार उपर की टिकेट मत कटवा देना" 


सैली बस चुप-चाप सुनती, पर जबतक स्कूटी पर होती अपनी नज़रें बिल्कुल सड़क पर ही जमाए रखती थी.


छोटी-छोटी मुलाक़ातों मे लंबी बातें हुआ करती थी, दोनो आपस मे बैठ कर घंटो टाइम बिताया करते थे. दोनो अपने से जुड़े लोगों से बस माफी माँगते यही कटे ... "समझा करो यार ... हाई ये हमारा पहला-पहला प्यार"


सैली और गौरव दोनो एक दूसरे के साथ काफ़ी खुश थे, और रोमॅन्स का मज़ा हर पल उठाते थे. खैर ये आक्सिडेंट की बात का दूसरा महीना था जब गौरव के मिड टर्म एग्ज़ॅम्स होने वाले थे.


इंजीनियरिंग स्टूडेंट, और हर हाइयर एजुकेशन कर रहे स्टूडेंट का सिर दर्द यही होता कि उनके एग्ज़ॅम हर 6 महीने पर होते थे. एक एग्ज़ॅम दिए नही की दूसरा सिर पर होता था, उसपर से तो कइयों के पेपर बॅक.


नेनू ने कुछ नोट्स गौरव को पढ़ने के लिए दिए थे, और वो नोट्स उसे अर्जेंट्ली चाहिए थे, क्योंकि किसी स्टूडेंट से एक्सचेंज करने थे पेपर. 


पर गौरव सुबह 10 बजे से गायब था, कई बार नेनू आया देखने की कहाँ हैं गौरव, पर शाम के 4 बाज गये थे और गौरव का अब भी कोई पता नही था. नेनू पूरे गुस्से मे गौरव को कॉल लगाते हुए...


गौरव... हां भाई 


नेनू.... कहाँ है गौरव अभी.


गौरव..... मैं वो एक लड़के के पास आया था नोट्स लेने, एक घंटे मे पहुँचुँगा. 


नेनू.... ठीक है जल्दी आओ. 


गुसे मे फोन रखा नेनू ने, और निकल गया तेज़ी से, जहाँ ये दोनो रोज पार्क मे बैठ'ते थे. जब नेनू पहुँचा तो गौरव, सैली की गोद मे लेटा था और सैली, गौरव के बालों मे हाथ फिरा रही थी.


नेनू.... तो ये तू एक लड़के के घर से आ रहा है, और एक घंटा टाइम तुम्हे और लगेगा.


गौरव हड़बड़ा कर उठा, नेनू के हाव-भाव से उसे लग गया कि वो काफ़ी गुस्से मे है.....


गौरव.... लेकिन तू इतने टेन्षन मे क्यों है, बात क्या हो गयी वो तो बताओ.


नेनू.... बात क्या होगी, आप मेडम के गोद मे लेट कर एग्ज़ॅम की तैयारी करो, मैं ही बेवकूफ्फ हूँ जो फालतू की बातों मे अपना समय गँवाता हूँ.


नेनू आपस के मॅटर मे सैली को एक बार फिर ले आया, हालाँकि सैली भी वहीं थी, पर वो दोनो दोस्तों के बीच मे ना बोलने का फ़ैसला किए थी.


गौरव.... नेनू देख तू ओवर-रिएक्ट कर रहा है, कहाँ की बातें कहाँ कर रहा है.


नेनू.... तू कुछ भी कर मुझे उस से क्या, हॉस्टिल आना तो मेरे नोट्स पहुँचा देना बस.


गौरव..... ठीक है हॉस्टिल आकर ही बात करता हूँ.


नेनू वहाँ से चला गया, गौरव को अच्छा नही लगा सैली के सामने नेनू ने उस से इस तरह की बातें की. कोई भी बात थी वो हॉस्टिल मे कर लेता, पर यहाँ उसे ऐसा नही करना चाहिए था,


सैली, गौरव के कंधे पर हाथ रख'ती हुई .... क्या हुआ क्रेज़ीबॉय, तुम क्या सोचने लग गये.


गौरव.... कुछ नही, पता नही इसे क्या हो गया है, ऐसा लगा जैसे वो किसी और बात की खुन्नस निकाल रहा हो. पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है, पर आज तक इसने ऐसे बात नही किया.


सैली.... मैं जानती हूँ, वो मुझे देख कर ऐसा तुम को सुना कर गया.


गौरव... उफ़फ्फ़ हो ! अब तुम प्लीज़ कहीं का तार कहीं मत जोड़ो. 


सैली..... अच्छा गौरव मान लो, नेनू ने कहा कि या तो तुम मेरे साथ रहो या सैली के साथ फिर क्या करोगे ?


गौरव..... अजीब हो तुम और उपरी मंज़िल खाली है, जो चीज़ होगा ही नही वो मैं कैसे मान लूँ.


सैली.... नही गुरव, मुझे नेनू का बर्ताव अच्छा नही लगता, वो मेरे बारे मे पता नही क्या सोचता है. तुम दोनो खुश रहो, मैं ही साइड हो जाती हूँ, मुझ से तुम्हारी बेज़्जती देखी नही जाती. 


गौरव, सैली को गले लगाते हुए ... पागल हो गयी हो क्या ? तुम क्या क्या बोल रही हो तुम्हे भी पता नही. पहले कहती हो, नेनू कहेगा .. हम दोनो मे से किसी एक को चुनो, फिर कहती हो मैं ही साइड हो जाती हूँ. तूहरा दिमाग़ तो सही है ना. जो बातें नही हुई उनपर चर्चा क्यों कर रही हो. और ऐसा कभी होगा भी नही.


सैली गुस्से मे बिल्कुल.... अच्छा मान लो ऐसा हुआ तो, नेनू पर तुमको विस्वास है ना, पर उसके रवैय्ये को देखते हुए किसी दिन मैं ही बोल दूँगी तो क्या जवाब होगा तुम्हारा ?


गौरव, सैली को छोड़ते हुए खड़ा हो गया और उदास मन से कहने लगा.... फिर मैं तुम दोनो से दूर चला जाउन्गा, ना मैं रहूँगा ना तुम दोनो का आमना सामना होगा, पर मैं किसी को नही छोड़ सकता. मैं जा रहा हूँ कल मिलता हूँ.


गौरव चला गया और सैली वहीं बैठ कर उसे जाते देखती रही और बस इतना सोचती रही ....... गौरव, को शायद तुम्हे मुझ पर पूरा यकीन नही हुआ, शायद इसलिए तुम अब भी मेरी बातों पर सवाल उठा रहे हो ... लेकिन मैं वो विस्वास आने तक इंतज़ार करूँगी...

होस्टल जब पहुँचा गौरव तो सीधा नोट्स उठाया और नेनू के कमरे मे जाकर उसे दे दिया. नेनू ने नोट्स देखा और चुप-चाप अपना काम करने लगा. गौरव थोड़ी देर खड़ा रहा और इंतज़ार करता रहा कि नेनू कुछ बोलेगा, पर नेनू ने कोई भी ध्यान नही दिया बस अपना काम करता रहा.


गौरव ने चिढ़े से भाव मे नेनू से सीधा पुछा ... "आख़िर तुम्हे सैली से क्या परेशानी है"


नेनू भी प्रति-उत्तर मे सिर्फ़ इतना कहा कि .... "तुम्हे नही लगता कि तुम दोनो काफ़ी जल्दी क्लोज़ हो गये, आख़िर इन बातों पर तुम गौर क्यों नही करते"


गौरव.... तू सीधा-सीधा क्यों नही कहता कि तुम्हे सैली के साथ मेरा मिलना पसंद नही. दिल ही दिल मे तुम उसे चाहते हो, मेरे जल्दी इकरार करने से तुम्हारे रास्ते बंद हो गये.


नेनू हँसता हुआ.... थॅंक्स क्रेज़ीबॉय, मुझे वोमेन्सर बताने के लिए, और कुछ दिल मे है तो वो भी कह दो, आज मैं सब सुन'ने के मूड मे हूँ.


गौरव... मैने ऐसा नही कहा नेनू, मेरी बातों का ग़लत मतलब निकाल रहे हो.


नेनू.... हो गया, अब जाओ पढ़ाई करो एग्ज़ॅम है, और मुझे भी पढ़ने दो, प्लीज़.


गौरव चुप-चाप चला आया. जब दिमाग़ शांत हुआ तो उसे अफ़सोस हो रहा था कि गुस्से मे उसने बहुत कुछ सुना दिया. इधर नेनू बस यही सोच रहा था, "अब वो क्या करे क्यों गौरव को इतना नही समझ मे आ रहा कि वो लड़की उसके साथ बस खेल रही है".


तकरीबन दो घंटे बीतने के बाद नेनू ने सोचा हटाओ, जब बात गौरव पर आएगी तो मैं संभाल लूँगा, पर अभी पक्का ये डफर उलझा होगा, मैं ही बॅक फुट पर आता हूँ और इनके मॅटर से खुद को अलग करता हूँ.


नेनू चला गौरव के कमरे में जहाँ वो लाइट बंद कर के पड़ा था अपने बिस्तर मे. नेनू रूम की लाइट ऑन करते हुए.....


"लेटा क्यों है ऐसे, तुम्हे तो कहा था ना एग्ज़ॅम है पढ़ो जाकर"


गौरव.... मॅन नही किताब छुने का, लाइट बंद कर दे. मैं रात को उठ कर पढ़ लूँगा.


नेनू..... पक्का पढ़ लेगा ना, या कहे तो मैं उठा दूं आकर.


गौरव.... नही पक्का उठ जाउन्गा, चाहे तो आकर चेक कर लेना.


नेनू.... ह्म्‍म्म ! चल सो जा कुछ हो तो बता देना.


नेनू इतना बोल कर, लाइट बंद करता चला गया. गौरव कुछ देर जूझता रहा अपनी सोच मे, फिर खुद ही नेनू के कमरे मे गया, नेनू अपनी पढ़ाई मे लगा था, गौरव आकर उसके पास बैठ गया.


नेनू..... तू तो कह रहा था सो रहा हूँ, फिर जाग क्यों रहा है ?


गौरव कुछ नही बोला, कुछ देर शांत रहा फिर अचानक से नेनू के गले लग गया. नेनू कुछ देर बाहें फैलाए रहा फिर दोनो हाथ समेट कर गले लगा लिया. थोड़ी देर बाद दोनो अलग हुए ....


गौरव..... सॉरी यार, मैं गुस्से मे कुछ ज़्यादा ही बोल गया.


नेनू..... जाने दे क्रेज़ीबॉय, कुछ ओवर-रिक्ट मैं भी कर रहा था, पर चलता है ये सब.


गौरव..... नेनू सच सच बता भाई, आख़िर क्या परेशानी है सैली से. देख भाई तू जबतक कुछ कहेगा नही मुझे पता कैसे चलेगा ?


नेनू..... कुछ नही गौरव, बस मैं जब उसे देखता हूँ तो लगता है कि उसका प्यार तुम्हारे लिए दिखावा है. मुझे अच्छा नही लगता, सब बनावटी दिखता है.


गौरव हँसते हुए .... भाई तू भी ना क्या क्या सोच लेता है. वो सच मे बहुत प्यारी है, और तुम दोनो जब से मिले हो झगड़े ही हो, कभी आराम से दोस्त की तरह मिलो वो तुम्ह भी अच्छी लगेगी.


नेनू.... ह्म ! ठीक है, खैर अब मिलना-मिलना तो एग्ज़ॅम बाद ही होगा, और तू भी थोडा कम मिल-जुल, एग्ज़ॅम के बाद पूरा वक़्त होगा तुम्हारे पास.


गौरव.... ठीक है नेनू, अब मिसन ओन्ली एग्ज़ॅम, वैसे भी कॅरियर ना रहा तो छोकरी भी छोड़ कर चली जाएगी.


नेनू.... ये की ना पते वाली बात, तो बैठ आज एक चेप्टर एंड ही कर लेते हैं.


गौरव.... कल से करते हैं ना, आज अब रहने दे भाई.


नेनू..... ठीक है जा आज रेस्ट ले लेना, लेकिन कल से मेरातन दौड़ लगानी है, याद रखना.


दोनो का मिलाप होने के बाद फिर गौरव वहाँ से चला गया. अजीब होती है दोस्ती का रिस्ता भी, यदि दोस्त सच्चे हों तो बात कितनी हे बड़ी क्यों ना हो पर एक छोटी सी पहल सारे गिले-सीकवे दूर कर देती है.


एक बड़े तूफान के बाद जैसे सब शांत हो गया हो, वैसी हे शांति गौरव महसूस कर रहा था. मन शांत हुआ तो याद आया इन सब मे तो शाम के बाद से सैली से बात भी ना हुई थी. गौरव सैली को एसएमएस किया ... "हेययय ! माइ लव, कैसी है"


एसएमएस देने के 10 मिनट बाद एक रिप्लाइ मेसेज आया..... "राइट नाउ आइ आम बिज़ी, कल बात करती हूँ"


गौरव हँसते हुए, एसएमएस रिप्लाइ किया .... यदि तुम ऐसे ही 10मिनट और बिज़ी रही तो मैं तुम्हारे रूम मे आकर देखूँगा, वाकई बिज़ी हो कि नही.


सैली का कोई रेस्पॉंड नही आया इस मेसेज के बाद भी. तकरीबन आधे घाते इंतज़ार किया सैली के रिप्लाइ का, पर जब नही आया मेसेज तो हार कर फिर एक एसएमएस किया ..... "बेबी, आइ आम नोट जोकिंग. मैं सच मे आ रहा हूँ, इन-फॅक्ट मैं निकल गया हूँ"


इस बार सैली का तुरंत रिप्लाइ आया ..... "मुझे लगा पहुँच गये होगे, मैं तो अपने कमरे मे तुम्हे ढूंड रही हूँ. बेस्ट ऑफ लक ... आइ आम वेटिंग 


गौरव अपने आप से ही बात करते .... "इसे मज़ाक लग रहा है क्या, रुक तुझे अभी बताता हूँ"


गौरव अब निकल गया हॉस्टिल से, अपनी लिखे मेसेज को प्रूफ करने. उसे बस दिखाना था कि वो सच मे ऐसा कर भी सकता है. पर बेचारा गौरव, दिखाने के चक्कर मे खुद ही फँस गया.

रात के 12 से उपर हो रहे थे. हॉस्टिल के बाहर सन्नाटा छाया था, और गेट पर गार्ड झपकीयाँ लेते निगरानी कर रहा था. नीचे जैसे ही पहुँचा था वैसे ही हाथों से लग कर एक फूल का गमला नीचे गिर गया, आवाज़ तेज थी. गार्ड गेट से चिल्लाया,

"कौन है, कौन है वहाँ"


गौरव भागा अपने कमरे मे, और जैसा सोचा था, वॉर्डन ने आकर सारे रूम चेक किए. एक बार फिर नीचे आया बहुत ही सावधानी से, हॉस्टिल के बाईं ओर की बौंड्री से लगा एक स्टेंड था. उस के सहारे बौंड्री पर चढ़ा और बड़े आराम से दूसरी तरफ उतरा.


पास के स्टॅंड मे इनकी बाइक खड़ी रहती है, 50 का एक नोट देकर वहाँ के स्टाफ को बोल दिया किसी को पता नही चलना चाहिए कि वो रात को यहाँ आया था. वहाँ से लेकर पहुँचा वो सैली के घर. 


पर जब आज ध्यान दिया तो सैली के घर की बौंड्री 8 फिट की थी और उपर काँटों के तार की फेन्सिंग थी. अब क्या करे बेचारा, घर के चारो ओर की दीवारों को मुआयना करने लगा. घर की सारी लाइट बंद थी, यानी सब सो रहा था.


एक मन हुआ गौरव का कि चलो चला जाए, क्या होगा कल थोड़ा मज़ाक ही उड़ाएगी ना. फिर अगले ही पल ख्याल आया कि, जब इतनी दूर आ गया हूँ तो एक बार चल कर देख ही लिया जाए. 


डूबते को तिनके का सहारा, अशोक का पैर लगा था घर के दाएँ साइड की दीवार से, गौरव उसी के सहारे तो चढ़ा पर अब उस ऑर कैसे जाए. कुछ देर उँचाई को देखता रहा, फिर आव देखा ना ताव और कूद गया उस पार.


धम्म की तेज आवाज़ हुई, घर के अंदर का कोई सद्स्य तो नही जगा पर बाहर सो रहे दो डॉग्गी जाग चुके थे, और भौंकते हुए बिल्कुल बिजली की तेज़ी से दौड़ लगा दिया गौरव की ओर. 


कुत्ते की आवाज़ सुन कर और अपनी ओर ही आते जान कर, वो भी भागा तेज़ी मे, कुछ ना सूझा, कोई ऐसी जगह भी नही थी जहाँ पर वो खुद को सुरखित करे. दौड़ते दौड़ते बाइक, बाइक से कार और कार से फिर एक छज्जा पकड़ कर उसके उपर चढ़ गया. 


कुत्ते कार के उपर चढ़ कर लगातार भौंक रहे थे. आवज़ें घर तक गयी थी, कुत्ते पहले भौकने के आवाज़ से ही, सैली समझ गयी थी कि बाहर क्या हो रहा है, उसे लग ही रहा था कि गौरव शायद यहाँ आने की बेवकूफी ना कर जाए. 
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12-27-2018, 01:44 AM,
#22
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
सैली तेज़ी से अपने कमरे से बाहर आई. हॉल की लाइट ऑन होते ही सामने से सैली के मोम-डॅड भी अपने कमरे से बाहर आते दिखाई दिए.

मोम.... ये कुत्ते क्यों भौंक रहे हैं.


डॅड.... लगता है कोई चोर घुस आया है, रूको पोलीस को कॉल करता हूँ.


सैली..... नही पापा, वो मुझे नींद नही आ रही थी, तो मैं रिमोट वाली प्लेन उड़ा रही थी, और उसे ही देख कर दोनो भौंक रहे हैं.


सैली के मोम-डॅड गुर्राए हुए, सैली को डाँटने लगे और अपने कमरे मे चले आए. उनके जाने के बाद सैली की बढ़ी ढकान को थोड़ा राहत मिली. तेज़ी से वो पहुँची, कुत्ते अब भी भौंक रहे थे. 


सैली के आते ही दोनो उसके पाँव के पास दौड़ कर आए, कूऊ-कूऊ कर के सूंघने लगे और वापस फिर से अपनी जगह पकड़ कर भूकने लगे. सैली ने दोनो को बुलाया, शांत की और उसे उसकी जगह पर बाँध दी.


गौरव अब भी छज्जे पर सुकुडा बैठा था. हालत खराब लग रही थी उसकी. डर के मारे धड़कने भी बढ़ी थी, और कांप रहा था बेचारा.


सैली.... क्रेज़ीबॉय पागलपन उतर गया हो तो, तुम भी उतर आओ नीचे.


गौरव धीरे से उतरा, सैली के पास पहुँच कर, अपना सिर नीचे कर के सिर्फ़ "सॉरी" कह कर शांत हो गया. 


सैली.... ये सब करने की क्या ज़रूरत थी तुम्हे, बताओगे. इस से क्या प्रूफ कर रहे थे कि तुम बहुत बहादुर हो.


गौरव.... मुझे लगा तुम्हे भी देखना था कि मैं आ सकता हूँ कि नही. इसलिए चला आया. इतनी मेहनत की हॉस्टिल से यहाँ तक आने मे और तुम हो कि डाँट रही हो.


बात करते हुए गौरव की नज़रें क्लीवेज़ पर चली गयी, और कुछ पल के लिए नज़रें वहीं रुक गयी. सैली को जब ये फील हुआ तो अपनी नाइट ड्रेस की बूंदी को समेट'ती हुई ...... "बेशरम कहीं के, नज़रें उपर करो. सब लड़के एक जैसे होते हो"


गौरव.... सैली एक बात कहूँ, तुम इस ड्रेस मे तुम काफ़ी हॉट लग रही हो, और वैसे भी रात ही बेशरम होती है इसमे मेरा क्या कसूर.


इतना बोलते ही गौरव ने सैली को बाहों मे ले लिया. सैली ने प्यार भरा विरोध दिखाती उसकी बाहों मे गयी. बालों की लटो को माथे से हटा'ते उसके होठों को चूम लिया. होंठ चूमते हुए गौरव के हाथ सैली के पीठ पर फिर रहे थे, और पीठ से फिरते फिरते उसके हिप तक जा पहुँचे, और अपने हाथो से उसे एक बार हल्का प्रेस कर दिया.


सैली धक्के देती गौरव को खुद से दूर की और आँखें दिखाते गौरव को.... कुछ ज़्यादा ही आज बेशरम हो रहे हो क्रेज़ीबॉय, चलो दूर हटो, बहुत मेहनताना वसूल कर लिए. अब जाओ यहाँ से.


गौरव मायूस भरी निगाहों से ..... साची चला जाउ


सैली.... जाते हो या मैं अपने डॉग्गी को बुलाऊ.


गौरव.... ना ना, रहने दो कुछ देर पहले जो हुआ वो काफ़ी था, पर गेट तो खोल दो, इधर से चढ़ने का कोई रास्ता भी नही, और उपर काँटेदार तारों की फेन्सिंग है. 

सैली ने सॉफ मना कर दिया, "नहियीईई जैसे आए थे वैसे जाओ. अब जल्दी जाओ नही तो मोम-डॅड बाहर आ जाएँगे, हॉल की लाइट जाली हुई ही है"


गौरव, सैली को निष्ठुर और ज़ालिम कहता फिर उसी छज्जे पर चढ़ गया, किसी तरह से जैसे तैसे बौंड्री कूड़ा, और बिके लेकर हॉस्टिल वापस आ गया. रूम मे पहुँचा तो उसे बस सैली ही सैली दिख रही थी. और आज जो उसके घर के लॉन मे हुआ उसे सोच-सोच मुस्कुरा रहा था.


कुछ देर बाद ही सैली का एक मेसेज आया.... "नींद नही आ रही, सो गये क्या"


गौरव..... ख्यालों मे जिसके तुम हो वो भला सो कैसे सकता है.


सैली.... रहने दो मुझे ना समझाओ कि किन ख्यालों से जागे हो.


गौरव..... अच्छा जी, और ज़रा बताएँगी किन ख़यालों से जगा हूँ अब तक.


सैली.... मुझे नही इस पर बात करनी, तुमने अब तक स्मार्टफ़ोन क्यों नही लिया. इसमे मेसेज आने का इंतज़ार करना पड़ता है.


गौरव.... फिर से वही बात, इंतज़ार नही कर सकती तो कॉल करता हूँ ना.


सैली.... घर मे मोम-डॅड हैं और मैं रात मे बात करूँ. एक काम करती हूँ बात ही नही करती. बाइ


गौरव ने कयि मेसेज किए पर कोई जबाव नही आया. आखरी मेसेज किया, "ओके बाबा करता हूँ कुछ उपाय. गुडनाइट सो जाओ अब.


गौरव मसेज करने के बाद कुछ देर जागा रहा, कोई मेसेज नही आया, इंतज़ार करते करते सो गया, सुबह जब जगा तब मोबाइल पर सैली का एसएमएस था...


"शाम 6 बजे, ट्रेषर आइलॅंड, विदाउट फैल"


गौरव मसेज पढ़ कर "ओके" का रिप्लाइ किया और अपनी पढ़ाई पर कॉन्सेंट्रेट किया. शाम के 6 बजे दोनो मिले शॉपिंग माल के पास. गौरव समझ गया सैली रात की बात से थोड़ी खफा है..........


गौरव प्यार से पुछ्ता हुआ.... कैसी हो बेबी.


सैली.... मैं पहले ही कही थी, जबतक स्मार्ट फोन नही तबतक कोई बात नही.


गौरव.... अजीब सी डिमॅंड है सैली, प्यार मे तो लोग कबूतरों से खत भेजा करते हैं, "मैने प्यार किया" मूवी नही देखी क्या ?


सैली.... मुझे कुछ नही सुन'ना जिस समय की जो फेसिलिटी अवेलबल थी लोग उसे यूज़ करते थे. मुझे रात मे बात करते नही बनता, अभी खरीद रहे हो कि नही.


गौरव.... भड़कती क्यों हो. चलो अपनी पसंद का कोई चूज कर लो.


सैली खुश होती उसके गले लग गयी, दोनो चल दिए नया मोबाइल खरीदने, बजेट को देखते हुए सैली ने ₹12000 का एक फोन सेलेक्ट किया, गौरव उसे खरीद'ते हुए कहने लगा .... एक-एक पैसा घर के आए पैसे से बचाया था, लुटवा दिया इस लड़की ने, अब तो खुश हो ना तुम.


सैली.... जी हां बहुत खुश.


गौरव.... मैं वैसे तो लेता ही फोन लेकिन एग्ज़ॅम बाद, अभी लेने से कोई फ़ायदा भी नही, क्योंकि मैं आज से एग्ज़ॅम की तैयारियों मे बिज़ी हो जाउन्गा.


सैली.... कोई बात नही, आधे घंटे बस रोज पढ़ाई से बोर होकर, उतना तो टाइम होगा ही.


गौरव.... अर्रे तुम समझी नही, मैं और नेनू कम्बाइंड स्टडी करेंगे.


सैली.... अच्छा तो ये बात है, अब तुम उसके साथ रहोगे तो मुझ से बात नही करोगे. फाइन मिस्टर. गौरव मैं समझ गयी.


गौरव सिर पीट'ते हुए .... कभी तो अकल से काम लो, ये क्या सोच लेती हो.


सैली.... हां हां, अब तो मैं ही ग़लत सोच'ती हूँ. दोनो मिल गये तो मुझे ही साइड कर दो.


गौरव.... शांत हो जाओ ज़रा, पूरी बात तो समझ लिया करो.

सैली... कहो, मैं सुन रही हूँ.


गौरव.... तुम जैसा सोच रही हो वैसा कुछ भी नही है, हम तो बस साथ स्टडी करेंगे, और पढ़ाई के बीच मे उसे अकेला छोड़ कर कैसे मैं चॅट मे लग जाउ. समझा करो बाबा, प्राब्लम नेनू को लेकर नही है, प्राब्लम बीच मे चॅट की है.


सैली.... ज़्यादा सफाई मत दो. मैं भी पढ़ती हूँ. हर स्टूडेंट बीच मे आधे घंटे का ब्रेक लेता है. यदि नेनू से कोई प्राब्लम नही तो वो टाइम मेरा हुआ, नही तो मैं सही सोच रही हूँ.


गौरव अपने दोनो हाथ जोड़ता हुआ..... ठीक है बाबा ले लेना तुम एक घंटा रोज रात को, आधे घंटे से क्या होता है, मैं ऑनलाइन आने से आधा घंटा पहले तुम्हे मेसेज कर दूँगा. अब तो हंस दो माइ हार्ट बीट, ऐसे गुस्सा हो जाती हो तो लगता है साँसों का चलना ही बंद हो गया.


सैली मुस्कुराती हुई कहने लगी ... दट'स माइ क्रेज़ीबॉय, अब चलो भी भूख लगी है जोरों की.


दोनो पिज़्ज़ा, बर्गर का लुफ्त उठा'ते हुए अलग हो गये. सैली ने आख़िर अपनी ज़िद पूरी करवा ही ली, और गौरव खुद के लूटने के बाद भी काफ़ी खुश था, क्योंकि सैली जो खुश थी.

वक़्त का मंज़र और प्यार का कारवाँ थमता कहाँ है, भले चाहे प्यार की राह मे कोई इम्तिहान ही क्यों ना आए. रात को एग्ज़ॅम तैयारी करते-करते बीच का ब्रेक गौरव लिए तूफ़ानी होता था. 


आलम ये था कि चलते हुए एक मेसेज रिप्लाइ हो रहा है तो खाते समय भी, जब भी वक़्त मिले, जितना भी वक़्त मिले बस नेनू की नज़रों से छिप्तते मेसेज का आदान-परदान चल रहा था. दोनो प्रेमी प्यार का लुफ्त मेसेज के आदान-प्रदान से उठा रहे थे. 


एग्ज़ॅम्स से कुछ रात पहले की बात होगी, जब गौरव का पेट खराब हो गया और वो अपने वॉशरूम मे गया हुआ था. मोबाइल की स्क्रीन की लाइट जली, नेनू ने मोबाइल उठाया और नोटिफिकेशन देख कर नेनू मसेज पढ़ने लगा..... "कैसा है बेबी और खाड़ुस नेनू कहाँ है"


नेनू ने रिप्लाइ किया .... "फाइन, आज खाड़ुस सो गया है"


सैली.... क्यों, अब क्या एग्ज़ॅम का भूत नही है उसके सिर पर ?


नेनू..... पता नही, थका था शायद.


सैली..... वो तो वैसे भी थाकेला था 


नेनू.... क्या कर रही हो अभी ?


सैली..... उम्ााअहह ! अपनी जान को किस्सी, रिटर्न क़िस्सी दो अब चलो 


नेनू.... वूऊओ, आए चोरी ये मैं ही हूँ खाड़ुस, थाकेला, इस गौरव की तो मैं आज खबर लेता हूँ.


सैली.... व्हाट ?


नेनू.... जी हां


सैली..... नेनू, गंदे इंसान. किसी दूसरे का मेसेज पढ़ते शरम नही आती, और उपर से रिप्लाइ भी करते हो.


नेनू.... अच्छा, वो कोई दूसरा नही मेरा दोस्त है. वैसे भी डफर तुम हो इतने दिन बात करने के बाद भी तुम्हे फ़र्क समझ मे नही आया.


सैली.... हाउ डेर यू टू कॉल मी डफर. मुझे क्या सपना आया था कि उस तरफ से कौन रिप्लाइ कर रहा है. 


नेनू.... बाप रे इतनी इंग्लीश, मैं मैं तो सरकारी. स्कूल मे पढ़ा हूँ. वैसे डफर वाली ही तो बात है, राइटिंग स्टाइल भी नही समझ मे आई क्या ?


सैली..... अब चार लाइन तो लिखे थे वो भी फॉर्मल उसमे क्या समझती.


नेनू..... ओके आइ आम सॉरी. अब खुश 


सैली..... वॉवववववववव ! नेनू ने सॉरी कहा. वैसे मी टू सॉरी.


नेनू.... अब तुम क्यों सॉरी बोली.


सैली..... मैने भी तो खाड़ुस और थाकेला कही था. वैसे एक बात कहूँ.....


नेनू.... क्या ?


सैली..... क्या हम एक नयी शुरुआत कर सकते हैं, अपने बीच के कोल्ड वॉर को ख़तम कर के....


नेनू..... अच्छा, हमारे बीच कोल्ड वॉर भी था, मुझे तो नही लगता.


सैली..... अच्छा, तो फिर तुम इतने चिढ़ते क्यों थे मुझ से, और मुझ पर बार-बार इल्ज़ाम लगाना....


नेनू..... मैने कब इल्ज़ाम लगाया और कैसा इल्ज़ाम लगाया ? क्या आज इल्ज़ाम मूवी देख रही हो ?


सैली..... वेरी फन्नी ! क्या तुमने नही कहा था गौरव को "इतनी जल्दी वो लड़की खुद तुम्हे प्रपोज की है, वो बस टाइम पास कर रही है तुम्हारे साथ. तुमसे प्यार नही करती"


नेनू खुद मे कहता हुआ... "क्रेज़ीबॉय, फटा ढोल मेरी सारी बातें उसको बता दिया" ... फिर रिप्लाइ दिया.... नो, मैने कभी ऐसा नही कहा, वो गौरव की मंघाड़ंत कहानी थी. शायद तुम से कुछ फेवर चाहिए होगा. मैं तो बस पहली मुलाकात के लिए चिढ़ा था.


सैली.... नही तुम झूट बोल रहे हो नेनू, गौरव को कहानी बनानी नही आती. कहानी तो तुम बना रहे हो.


नेनू.... अच्छा, इतनी जल्दी इतना भरोसा......


सैली.... य्स्स, मुझे पूरा यकीन है उसकी बातों पर.


नेनू.... और कौन-कौन सी बातों पर यकीन है उसके....


सैली.... बहुत सारी बातें हैं उसमे, बताने बैठी तो रात कम पड़ जाएगी. रूको-रूको.....


नेनू.... क्या हुआ गौरव के बारे मे कुछ याद आ गया क्या ?


सैली... टू स्मार्ट नेनू, टॉपिक से भटकाओ नही, तुमने मुझ पर इल्ज़ाम लगाया था और मेरे बारे मे अपने अंदर ग़लत धारणा कायम कर चुके हो, इस बारे मे बात हो रही थी.


नेनू.... ऊप्स ! मुझे लगा तुम्हारे पास दिमाग़ नही है, पर दिमाग़ भी है 


सैली.... वेरी फन्नी, अब सीधे-सीधे बताओगे जो मैं पुच्छ रही थी ?


नेनू... हां मैं ऐसा सोचता था. पर अब एक फ्रेश स्टार्ट. डील डन पर एक शर्त पर....


सैली.... क्या ?


नेनू..... गौरव को रोज पप्पी देती हो, मुझे कम से कम झप्पी ही दे दिया करना 


सैली.... छ्हि, गंदे नेनू. तुम्हारी सोच ही गंदी है मुझे पक्का यकीन हो गया. देखना ये पूरी चॅट मैं गौरव को दिखा दूँगी.


नेनू.... दिखा देना, मुझे क्या फ़र्क पड़ता है. झप्पी का प्रपोज़ल आक्सेप्ट हो तो बात करो...


सैली..... मज़ाक बंद करो प्लीज़, क्या हम एक फ्रेश स्टार्ट नही कर सकते ?


नेनू.... ओके बाबा, पर एक शर्त है कहा तो था तुम्हे अभी


सैली..... अनन्नह ! तुम नही सुधरोगे


नेनू.... पहले बिगड़ने तो दो. वैसे देखो बीती बातों को मैने कब का भुला दिया है. तुम दोनो एक दूसरे के साथ खुश हो, बाकी मुझे कोई प्राब्लम नही. मैने उस दिन के बाद से कोई चर्चा भी नही किया.


सैली.... थॅंक्स आ लॉट. 


नेनू.... अब सो जाओ, और हां हमारे एग्ज़ॅम के चन्द ही दिन बचे हैं तो क्या तुम प्लीज़ अब गौरव को एक आखरी मेसेज कर दोगि. एग्ज़ॅम के बाद बात करने और मिलने की.


सैली.... पर गौरव है कहाँ ?


नेनू.... वो वॉशरूम की सैर पर है, जुलाब लग गये हैं


सैली.... एग्ज़ॅम का इतना प्रेशर आ गया 


नेनू... अब वो तो गौरव ही बता सकता है 


सैली.... ठीक है मैं जा रही हूँ सोने. सुनो मैं तुम्हारे मेसेज डेलीट कर रही हूँ, मन हो तो वहाँ तुम भी कर देना. नही तो गौरव को लगेगा तुम्हारे कहने पर मैं उसे मना कर रही हूँ.


नेनू.... ऑश हूओ ! मतलब अब तुम दिखाना चाहती हो तुम्हे उसकी कितनी फिकर है और पूरा क्रेडिट खुद ले जाना चाहती हो.


सैली.... बेचारे उस सीधे को क्रेज़ीबॉय का नाम दे दिया, वरना पूरा पागल तो तुम हो. बाइ गुडनाइट मैं चली सोने.


नेनू.... गुडनाइट, जाओ सो जाओ. आज सपने मे ही मिल लेना. लेकिन सिर्फ़ मिलना.


फिर कोई मेसेज नही आया. आज की हुई चॅट के बाद नानू ने भी अपने विचारों पर पूनर-विचार करते हुए सैली के लिए अपने मन के विकारों (ग़लत भावना) को ख़तम कर दिया. नेनू सारी बात-चीत को डेलीट कर के मोबाइल को अपनी जगह रख दिया और पढ़ाई करने लगा.


तकरीबन इस चॅट के आधे घंटे बाद गौरव आया भागता हुआ, गेट पर खड़ा होकर अंदर का महॉल देखने लगा, नेनू पढ़ रहा था और उसका मोबाइल बिस्तेर पर रखा था.


नेनू.... क्या हुआ, कहाँ रह गया था ?


गौरव.... मेरी तबीयत ठीक नही थी, इसलिए कब आँख लगी पता हे नही चला.


नेनू.... ठीक है जाओ आज रेस्ट कर लो. दवा लिया कि नही ?


गौरव ने "हां" बोलता अपना मोबाइल उठाया और आराम से गेट से बाहर निकल कर जल्दी मे मेसेज चेक करने लगा. मोबाइल पर कोई मेसेज ना देख कर राहत का सांस लिया और अपने कमरे मे जाकर सैली को मेसेज करने लगा.


बहुत सारे मेसेज किए पर कोई रेस्पॉंड नही आया. गौरव को चिंता होने लगी, कि आख़िर हुआ क्या है ? रोज मेसेज आते थे आज नही आया, आख़िर बात क्या हो गयी ?


अंत मे गौरव ने कॉल लगा दिया. दो रिंग होते ही सैली ने फोन पिक-अप की......


गौरव... तुम ठीक तो हो लव, आज कोई मेसेज नही की ?


सैली.... मैं मेसेज इसलिए नही की, क्योंकि एग्ज़ॅम मे अब कुछ ही दिन बचे हैं, तैयारी करो. और परेशान होने की ज़रूरत नही है मैं अच्छी हूँ.


गौरव.... पर ये तो पढ़ाई से ब्रेक-टाइम है ना 


सैली.... मेरे क्रेज़ीबॉय, ब्रेक-टाइम नही. अब पढ़ कर रेस्ट कीजिए और अच्छे से एग्ज़ॅम की तैयारी, जब बर्दास्त ना हो तो कॉल कर लेना. आज से एग्ज़ॅम तक नो मेसेज, नो कॉल सिर्फ़ एग्ज़ॅम की तैयारी. हां बस 2मिनट की बात इतना ही. समझे


गौरव... हां समझ गया.


सैली.... तो फोन रखो अच्छे बेबी की तरह और सो जाओ. 


गौरव ने भी गुडनाइट बोल कर सो गया. एग्ज़ॅम्स की तैयारियों मे गौरव के दिन कैसे बीत रहे थे चॅट और मिलना लगभग बंद. सैली भी इधर अपने दोस्तों और इधर उधर के काम मे बिज़ी हो गयी. अब तो बस दोनो को एग्ज़ॅम ख़तम होने का इंतज़ार था.

एग्ज़ॅम भी आख़िर ख़तम ही हो गया. छुट्टी मनाने का दिन था, मस्तियों का दिन था सभी लड़के अपने घर निकल गये सिवाए कुछ लड़कों के. ऑफ-कोर्स उनमे से दोनो, नेनू और गौरव भी था.


एग्ज़ॅम हॉल से निकलते ही गौरव ने सबसे पहले सैली को कॉल किया और उस से अपने हाल-ए-दिल बयान करने लगा. सैली भी अपनी सूरत-ए-हाल बयान करने लगी. दोनो इतना बात मे खोए थे कि गौरव भूल ही गया कि एग्ज़ॅम हॉल से निकलने के बाद नेनू भी साथ मे है.


तकरीबन आधे घंटे की बात के बाद नेनू ने आख़िर टोक ही दिया. गौरव अपनी बात-चीत को ख़तम करता हुआ, नेनू से सॉरी कहा और दोनो हॉस्टिल की ओर चल दिए. नेनू अपने काम से निकल गया और गौरव लग गया मेसेज करने मे.


दोनो की बातें लगातार चलती रही, रात भर दोनो डूबे रहे अपनी बातों मे. प्यार का दौड़ थामे नही थमा और बात चीत का सिलसिला लगातार जारी रहा.
Reply
12-27-2018, 01:44 AM,
#23
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
दोनो अगले दिन सुबह के 11 बजे ही मिले, मिलते ही गौरव ने सैली को अपने बाहों मे भर लिया और खुद से चिपकाते हुए...


"तुम से ना मिल पाना किसी सज़ा से कम नही था सैली"


सैली भी गौरव से चिपकी.... "आइ टू मिस यू आ लॉट मेरे क्रेज़ी बॉय"


गौरव सैली की बाहें पकड़ कर उसकी आँखों मे झाँका. सैली की पलकें कभी नीची तो कभी उपर होती, एक हया की लाली होंठों पर छोड़ रही थी, और एक प्यारी सी मुस्कान के साथ गौरव को देख रही थी. 


एक लंबे समय के बाद दो प्रेमियों का मिलन था, दोनो एक दूसरे की आँखों मे डूब गये, धीरे-धीरे होंठ आगे बढ़ चले और प्यार के पहले चुंबन का एहसास करने लगे. किस करते हुए दोनो एक दूसरे के बदन पर हाथ फेर आपस मे होने का अनुभव कर रहे थे.


प्यार का ये पल काफ़ी देर तक चला, दोनो की आँखें अब तो जैसे नशे मे आ गयी हो, तभी सैली ने गौरव को खुद से दूर किया और धीमी सी आवाज़ मे कही....


"अब हटो भी, मुझे कुछ कुछ हो रहा है"


गौरव मुस्कुराते हुए कहने लगा.... "मुझे भी सैली", इतना बोलते हुए एक बार फिर उसने सैली को अपने गले लगा लिया. 


दोनो रेस्टोरेंट मे बैठ कर दिन का लंच ले रहे थे तभी सैली, नेनू के बारे मे पुच्छ ने लगी ...... गौरव, नेनू कहाँ है, घर गया क्या छुट्टियों मे ?


गौरव.... नही, नही गया है, यहीं है.

सैली.... क्यों, एग्ज़ॅम तो ख़तम हो गये फिर भी.

गौरव.... उसे कुछ काम था इसलिए नही गया.

सैली.... और तुम

गौरव.... मुझे, मुझे प्यार हो गया इसलिए नही गया.

सैली.... फिर तो मुझे भी काम है और मुझे जाना चाहिए.

गौरव अपना छोटा सा मुँह बनाते.... पर अचानक से हो क्या गया ?

सैली.... तुम्हारा दोस्त अकेला है, और तुम्हे उसका ख़याल भी नही ?

गौरव.... हे हे हे, उसका ख़याल, वो वन पीस अवेलबल है, उस की चिंता करने की ज़रूरत नही, वो अकेला भी खुश रह लेता है.

सैली.... ऐसा क्यों है. उसकी कोई गर्लफ्रेंड नही है क्या अब तक ?

गौरव.... वो ऐसा हे है. नही अब तक नही है कोई गर्लफ्रेंड. उसके लिए उसका काम और दोस्त और उसके दिमाग़ के फालतू के कारनामे.

सैली.... चलो ठीक है, अब हम चले क्या, मुझे घर भी जाना है.

गौरव... पर इतनी जल्दी घर क्यों ?

सैली.... हद है क्रेज़ीबॉय, साम को मिलूंगी ना, अब प्लीज़ जाने दो.


दोनो लंच ख़तम कर के वहाँ से निकले, पता नही गौरव की बात सुन'ने के बाद सैली को क्या हुआ, गौरव के जाते ही सैली ने नेनू को कॉल लगाया...


नेनू.... हेलो, कौन बोल रहे है ?

सैली.... बोल रहे नही, बोल रही हूँ.

नेनू.... कौन, पहचाना नही मैं.

सैली.... उसी जान पहचान के लिए तो फोन की है, सैली बोल रही हूँ फटाफट होटेल सयाजी के पास चले आओ.

नेनू.... जी नही, मैं अभी काम कर रहा हूँ अभी नही आ सकता

सैली.... भाव खाना बंद करो और जल्दी से चले आओ, नही तो मुझ से बुरा कोई नही होगा

नेनू.... क्यों मुझ से अपने प्यार का इज़हार करोगी जो जुदाई बर्दस्त नही कर पा रही.

सैली.... मज़ाक छोड़ो और जल्दी से चले आओ.


नेनू ने सोचा चलो चल कर मिल आया जाए, पर उसे क्या सूझा उसने गौरव को भी कॉल लगा दिया. सैली से मिलने के बाद अभी वो हॉस्टिल पहुँचा भी नही था, लेकिन बिना कुछ बोले की कहाँ जाना है चुप-चाप नेनू के साथ चलने के लिए राज़ी हो गया.


दोनो रास्ते मे हे होंगे तभी गौरव के मोबाइल पर सैली का मेसेज आया .... नेनू से आज दोस्ती कर रही हूँ ... हमारे बीच की सारी प्राब्लम आज बैठ कर सॉल्व कर लेंगे. बस उस से मिल कर घर निकल जाउन्गी, अपना ख़याल रखना.


गौरव ने बस एक स्माइल भेजा और चुप-चाप नेनू के साथ निकल गया. तीनो मिले हाई-हेलो भी हुई, पर गौरव और सैली ऐसे आक्ट कर रहे थे जैसे अभी ही मिले हो. नेनू को हँसी आ गयी और ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा.


सैली ... क्या हुआ ऐसे क्यों हंस रहे हो.

नेनू.... नही कुछ अजीब देख कर हँसी आ गयी

गौरव... क्या अजीब देखा ?

नेनू.... यही की कुछ घाते पहले दोनो एक दूसरे की बाहों मे थे और अभी ऐसे आक्टिंग कर रहे हो जैसे अभी-अभी मिले.


सैली अपनी आँखें बड़ी करती गौरव को दिखाने लगी, गौरव भी ज़ोर से हंसता हुआ कहने लगा ... मेरी कोई ग़लती नही है सब तुम्हारे मेसेज का किया धरा है. जब मैं मेसेज देख रहा था तभी इसने पकड़ लिया और मजबूरन मुझे बताना पड़ा.


सैली.... वेरी फन्नी, अब देखना मैं तुम्हारा क्या करती हूँ, वैसे मैने केवल नेनू को बुलाया था, तुम कोशिस भी मत करना मुझ से बात करने की.

नेनू.... वूऊ वूऊ ! अब जाने भी दो सैली, वैसे भी यहाँ लड़ाई ख़तम करने आई हो ना तो फिर से अब शुरू ना करो.

सैली.... नोप नेनू, इसे मिलने का बताना था इसने ना जाने क्या क्या बताया, आइ हेट हिम. गंदी मेनटॅलिटी, ये भी उन्ही मे से है जो लड़कियों से मिलने के बाद अपने दोस्तों मे उसके बारे मे ना जाने क्या क्या बताता है.

गौरव.... मैने बस मिलने का ही बताया था, साची, तुम्हारी कसम 

सैली.... अभी मैं तुम से कोई बात करने के मूड मे नही हूँ, सो प्लीज़ अब अपना मुँह बंद रखो, तुम से मैं बाद मे निपाटूंगी.

नेनू.... अर्रे अर्रे इसने ऐसा कुछ भी नही कहा, ये सच बोल रहा है

सैली.... अच्छी दोस्ती है नेनू, तुम तो इसी का पक्ष लोगे ना, वैसे मुझे बस इतना कहना था कि प्ल्ज़ बीती बातों को भुला दो, हम सब एक फॅमिली की तरह रह सकते हैं.

नेनू.... फॅमिली ही तो हैं, ठीक है अब से कोई सवाल जबाव नही होगा, अब तो गुस्सा ख़तम कर दो. और क्या हम ऐसे ही सड़क पर बातें करे या कहीं बैठ कर.

गौरव.... हां चलो कहीं बैठ कर आराम से सारी बातों पर चर्चा करते हैं.

सैली.... सॉरी घर से फोन आया था, मैं जा रही हूँ नेनू, अपने दोस्त को बोलना मुझे कोई मसेज या कॉल ना करे.


इतना कहती बड़ी गुस्से मे सैली वहाँ से निकल गयी. सैली के जाते ही गौरव का रोना शुरू हो गया....


"कामीने, मिल गयी कलेजे को ठंडक, करवा दिया हमारा झगड़ा"

नेनू.... चिल मार, थोड़ा सा मनाना ही पड़ेगा ना मना लेना, गाना गाते हुए फिल्मी स्टाइल मे या फिर शायरी सुनाते हुए.

गौरव.... अब भी मज़ाक सूझ रहा है, तुझे क्या ज़रूरत थी अपने मन से कुछ भी बोलने की. तेरी बातों का कैसा मतलब निकाल कर गयी पता भी है तुझे

नेनू.... सच मे, पर मुझे तो नही पता. चल तू ही उन बातों की गहराई बता दे

गौरव.... भाड़ मे जाओ, मैं भी चला. अब तुम से बात तभी होगी जब ये तुम्हारा किया धारा सॉफ होगा. गुड बाइ


लो सैली, गौरव से गुस्सा होकर निकली और गौरव, नेनू से. अकेला खड़ा नेनू बस सोचने लगा ..... ये तो त्रिकोनिया वार्ता बना कर चले गये, लगता है क्रेज़ीबॉय कुछ ज़्यादा ही सीरीयस हो गया कुछ करना पड़ेगा, नही तो खा-म-खा मैं पिक्चर मे आ जाउन्गा. ओह्ह्ह ! आ क्या जाउन्गा आ ही गया हूँ.


गौरव ने उस दिन सैली को काई मेसेज किए लेकिन कोई रेस्पॉंड नही, कॉल लगाया तो पता चला मोबाइल भी स्विच-ऑफ है. गौरव की हालत रोने जैसे हो गयी, गौरव ने नेनू को एक मेसेज किया...

"आग लगा कर खुश हो गया भाई, मैं जा रहा हूँ हॉस्टिल से, अब जबतक सैली से बात नही होगी तबतक लौटूँगा नही"


गौरव का मेसेज देख कर नेनू ने तुरंत कॉल लगाया पर गौरव का कोई रेस्पॉंड नही था, नेनू ने लगातार कॉंटॅक्ट करने की कोशिस की पर जबाव मे एक ही मेसेज आया.... अभी मैं बात नही कर सकता, प्ल्ज़ पहले हमारे बीच का झगड़ा सेट्ल करो.


बुरा फँसा बेचारा, नेनू ने एक सेनटी सा मेसेज दल दिया.... वाह दोस्त जब मैं नाराज़ था तब तो तुमने सैली को नही कहा होगा कि तुम्हारी वजह से हम दोस्तों मे झगड़ा हुआ पहले उसे सेट्ल करो, क्योंकि ऐसा बोलते तो लड़की हाथ से चली जाती. मैं कहीं नही जाउन्गा इसलिए मुझ ग़रीब पर ही ज़ुल्म कर लो.


इस मेसेज को गौरव ने सिंगल रिप्लाइ दिया..... मुझे सेनटी मत कर, नही तो मैं सहर छोड़ कर चला जाउन्गा. 


नाराज़ प्रेमिका की तड़प मे तडपा क्रेज़ीबॉय, और नेनू बना उनके झगड़े का कारण, दरमियाँ इश्क के फँसा था नेनू और बेचारा सच मे फँस कर ही रह गया.
नेनू को अब उन दोनो का झगड़ा सेटल करना था. अगले दिन नेनू, सैली से कॉंटॅक्ट किया. नेनू का कॉल पिक-अप किया सैली ने... "हां नेनू"


नेनू.... सॉरी सैली, कल वाकई गौरव ने मुझे बस इतना कहा था कि "तुम और वो बस मिले थे और साथ लंच किए"


सैली.... हा हा हा, मैं जानती हूँ. मैं तो बस अपने क्रेज़ीबॉय को परेशान कर रही थी. कहाँ है वो.


नेनू..... कल रात से हॉस्टिल नही आया कहता है, मामला सेट्ल करो तभी मैं तुमसे बात कारूगा. तो क्या तुम प्लीज़ उस से बात कर लोगि.


सैली..... एक शर्त पर


नेनू.... अब ये क्या है, तुम तो जान बुझ कर उस से नाराज़ हो, फिर मुझ पर ये कैसी शर्त


सैली.... ऐसे ही, मेरा मॅन. अब मान'ना है तो मानो नही तो तुम जानो और गौरव. बाकी मैं गौरव से नाराज़ हूँ तो उसे सेट्ल करने दो.


नेनू... ओके तो वही सेट्ल करेगा. बयए


सैली... आररी सुनो तो नाइनुउऊउ


लेकिन तबतक कॉल कट हो चुकी थी. नेनू, सैली की नाराज़गी का कारण जान चुका था इसलिए उसने गौरव को कॉल कर के सिर्फ़ इतना कहा "वो नाराज़ नही है बात कर लो".


गौरव को कॉल लगाने के 10 मिनट बाद ही उसका वापस से कॉल नेनू के मोबाइल पर आया और बड़े चिढ़े शब्दों मे कहा .... झूठा कहीं का, वो तो मेरा कॉल पिक-अप हे नही कर रही है. बस एक मेसेज डाल दी, ज़्यादा परेशान किया तो मोबाइल स्विच ऑफ कर दूँगी.


नेनू.... कैसा आशिक़ है रे, जा अपनी माशुका को खुद मना ले, ऐसे रूठने मनाने मे मैं क्या हेल्प करूँ


गौरव.... मना लेता, पर आग तुमने लगाई है, और तुम ही बुझाओगे और कोई ऑप्षन नही तुम्हारे पास.


इतना बोल कर गौरव ने भी कॉल डिसकनेक्ट कर दिया. बुरा फँसा बेचारा नेनू. दो प्रेमियों के झगड़े मे ग़रीब बेचारा पिस गया. एक ओर सैली जो जान बुझ कर नाराज़ थी, तो गौरव को स्टेप लेना चाहिए था, तो दूसरी तरफ गौरव था जो किसी रौंदू की तरह एक ही रट लगाए था कि इस मामले को नेनू सेट्ल करे.


मरता क्या ना करता, नेनू ने सैली को कॉल लगाकर सीधा कहा.... बता दीजिए मेडम आप की शर्तें क्या हैं ?


सैली.... ऐसे नही पहले मुझ से मिलो, आमने सामने शर्त बताउन्गी.


सैली के मोम-डॅड नही थे इसलिए सैली ने उसे अपने घर पर ही बुला लिया. नेनू जब उसके घर पहुँचा तो बस सीधा शर्त के बारे मे पुच्छने लगा. एक अच्छी होस्ट की तरह सैली ने उसे बिताया और ज़बरदस्ती उस से चाय, नाश्ता पुच्छने लगी. थोड़ा ख़ान-पान और स्वागत करने के बाद, चाय की चुस्कियाँ लेती सैली, नेनू से कहने लगी......"तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड अब तक क्यों नही"


नेनू.... पता नही, जब होना होगा हो जाएगी, मैं नही सोचता इस बारे मे.


सैली.... ऐसे कैसे कोई लड़की सामने से आकर तुम्हे प्रपोज कर देगी, उसके लिए तो तुम्हे ही पहल करनी होगी.


नेनू.... तुम मुझे यहाँ इन सब के लिए बुलाई हो, मेरा जान छोड़ो दोनो पागल और अपनी बात कहो


सैली.... कितना खाड़ुस हो, शर्त यही है तुम एक लड़की को प्रपोज करोगे तभी मैं मानूँगी.


नेनू..... क्या ? ये हो क्या रहा है, कहाँ की बातें कहाँ कर रही हो, मुझे तो कल से कुछ समझ मे नही आ रहा. कल भी मुझे मिलने बुलाई, और छोटी सी बात पर नाराज़ हो गयी. आज भी मुझे बुलाई हो और ये फालतू के काम कह रही हो करने. चीज़ें बहुत ही रॅंडम और समझ से परे है मेरे.


सैली..... तुम्हारा दिमाग़ कुछ नॉर्मल क्यों नही सोच सकता. सुनो पूरी बात, कल गौरव ने कहा कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नही है, तो मैने सोचा क्यों ना तुम्हारी भी एक गर्लफ्रेंड हो ताकि तुम उधर बिज़ी हो जाओ और गौरव मुझे समय दे. कल जब उसने कहा कि वो तुम्हे अकेला छोड़ आया है, तब मुझे लगा कि कभी-कभी जो तुम उसपर मेरे लिए नाराज़ होते हो वो जायज़ है. और रही बात मेरी नाराज़गी की तो मैं बस चाहती थी वो आज पूरा दिन तुम्हारे साथ रहे.


नेनू.... ओह माइ गॉड ! इत्ते छोटे ब्रेन मे इतना ज़्यादा ख़याल. हटो मैं अकेला हे ठीक हूँ, तुमको गौरव मुबारक. मैं अलग हो जाउ उसके लिए तुम चाहती हो कि मैं किसी लड़की का चक्कर काटू. जाओ अब कभी नही आउन्गा तुम दोनो के बीच. पर मुझ से ये सब नही होगा.


सैली.... हुहह ! जब भी सोचोगे उल्टा ही सोचोगे. प्लीज़ अब हम दोस्त है ना, और दोस्त की बात नही मनोगे. प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्ल्ज़


नेनू.... जिद्दी लड़की, पर मैं सड़क पर जाकर किसी को भी प्रपोज कर दूं क्या. ठीक है मान लिया तुम्हारी बात यदि कोई लड़की मिली तो मैं पर्पस भी कर दूँगा और मिलवा भी दूँगा. अब खुश, अब तो बात कर लो गौरव से पता नही खाना भी खाया या नही अब तक.


सैली.... मसेज दे देती हूँ, उसे भी यहीं बुला लेती हूँ, पर एक बात, जब लड़की मिलेगी तब की तब उसे पर्पस कर लेना .... अभी प्ल्ज़ एक डेमो


नेनू.... अजीब हो तुम भी, मुझ से नही होगा ये.


सैली.... कभी तो एक बात पर हां बोल दिया करो, प्ल्ज़ एक डेमो. देखो मैं कितना गिडगिडा रही हूँ.


नेनू.... ठीक है, पर हसना मत. और तुम दूसरी ओर घूम जाओ.


सैली, नेनू की इस बात पर बस अपनी दोनो आँख दिखाई और हाथों से इशारा की डेमो दिखाने की. नेनू ने पहले अपने सीने पर हाथ रखा, आँखें मुन्दि कुछ देर, और आँखें खोल कर कहने लगा..... "मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ, क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी"


सैली.... एक थप्पड़ लगेगा. ये क्या तरीका है ?


नेनू.... क्यों क्या हुआ, इसलिए मैं कहता था मुझ से नही होगा.


सैली..... और इसलिए मैं कहती थी कि डेमो दो, कहीं ऐसे बोल दिए उसके सामने तो.


नेनू.... जी नही ऐसा नही होगा, क्योंकि मैं जब उसे देखूँगा तो उसे देख कर मुझे फील होना चाहिए कि हां ये वही लड़की है. जानती हो सैली, शब्द कोई मायने नही रखते, यदि प्यार होता है तो नज़रें ही काफ़ी है इज़हार के लिए, फिर उन्हे शब्दो की ज़रूरत नही होती.


सैली.... ब्रउूओ, प्ल्ज़ अब आँख मूंद कर यही फील कर के बोलो, प्लज़्ज़्ज़्ज़


नेनू तैयार हो गया अपने दूसरे डेमो के लिए.... एक बार फिर आँखें मुन्दि और इज़हार करने लगा....


"जब से तुम्हे देखा है, अब खुद का होश भी नही रहा. लगता है ज़िंदगी यहीं तुम मे बस गयी हो. जब भी तुम पास होती हो, धड़कने यूँ बेकाबू हो जाती हैं की जैसे इनपर अब मेरा कोई ज़ोर नही. सच कहूँ तो तुम्हारे साथ जिंदगी बिताने का इरादा है, क्या तुम्हे भी ऐसा लगता है"


सैली.... ह्म ! ये अच्छा था, पर मुझे कुछ थोड़ा फिल्मी सा लगा, हो सकता है अभी फील नही कर पा रहे.


नेनू.... कितनी रूड हो, दिल चीर कर सामने रख दिया और कहती हो बनावटी था. हुहह ! पागल लड़के की पागल लड़की.


सैली.... अच्छा बैठो कुछ देर मैं थोड़ा काम निपटा कर आई.


मैं..... बैठना क्या है, मैं जा रहा हूँ, हो तो गया जितना कही उतना कर तो दिया.


सैली.... अर्रे क्रेज़ीबॉय को भी बुलाया है ना, आती हूँ निपटा लूँ थोड़ा काम.


सैली तबतक अपने रूम मे ही रही जबतक की उसका डोरबेल नही बजा, डोर बेल बजते ही सैली दौड़ कर गेट पहुँची, उसके आँखों मे आँसू थे, और नज़रों के सामने गौरव.


गौरव ने सैली को रोता देखा तो बेचैन हो गया, गेट से एक कदम अंदर आया, एक नज़र नेनू को देखा और सैली से पुच्छने लगा "क्या हुआ"


सैली, गौरव की आवाज़ सुनते ही उसे खींच कर एक तमाचा लगाई और चिल्लाते हुए कहने लगी .... निकल जाओ तुम दोनो मेरे घर से.


नेनू ने जब सैली को ऐसा करते देखा तो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा और कहने लगा... आक्टिंग मे तुम्हारा भी कोई जबाव नही. बेचारा क्रेज़ीबॉय, बेवजह पिट गया.


सैली.... कुत्ते, तू अब भी बैठा है यहाँ, निकल जाओ मेरे घर से नही तो पोलीस बुलवा दूँगी.


गिरते आँसू और इस तरह से चिल्लाना गौरव का तो दिमाग़ हे ठनक गया, अभी ये सब हो ही रहा था कि इतने मे अंकित और उसके मम्मी पापा भी चले आए. अब उस समय की हालत देख कर सब सैली से पुच्छने लगे कि आख़िर हुआ क्या है.....


सैली ने जबाव देने के बदले सबको कहा कि ये देखिए .... उसने बीते महीने एग्ज़ॅम के दौरान अपनी और नेनू के बीच हुई उस चॅट को कुछ मॉडिफाइ कर के कुछ यूँ दिखा दी....


सैली.... कैसा है बेबी और खाड़ुस नेनू कहाँ है

नेनू..... फाइन, आज खाड़ुस सो गया है

सैली.... क्यों, अब क्या एग्ज़ॅम का भूत नही है उसके सिर पर ?

नेनू..... पता नही, थका था शायद.

सैली..... वो तो वैसे भी थाकेला था 

नेनू.... क्या कर रही हो अभी ?

सैली..... ऊमाआअह्ह्ह ! अपनी जान को क़िस्सी, रिटर्न क़िस्सी दो अब चलो 

नेनू.... वूऊओ, आए छोरी ये मैं ही हूँ खाड़ुस, थाकेला, इस गौरव की तो मैं आज खबर लेता हूँ.

सैली.... व्हाट ?

नेनू.... जी हां

सैली..... नेनू, गंदे इंसान. किसी दूसरे का मेसेज पढ़ते शरम नही आती, और उपर से रिप्लाइ भी करते हो.

सैली..... क्या हम एक नयी शुरुआत कर सकते हैं, अपने बीच के कोल्ड वॉर को ख़तम कर के....

नेनू..... अच्छा, हमारे बीच कोल्ड वॉर भी था, मुझे तो नही लगता.

सैली..... अच्छा, तो फिर तुम इतने चिढ़ते क्यों थे मुझ से, और मुझ पर बार-बार इल्ज़ाम लगाना....

नेनू..... मैने कब इल्ज़ाम लगाया और कैसा इल्ज़ाम लगाया ? क्या आज इल्ज़ाम मूवी देख रही हो ?

सैली..... वेरी फन्नी ! क्या तुमने नही कहा था गौरव को "इतनी जल्दी वो लड़की खुद तुम्हे प्रपोज की है, वो बस टाइमपास कर रही है तुम्हारे साथ. तुमसे प्यार नही करती"

नेनू...... नो, मैने कभी ऐसा नही कहा, वो गौरव की मनघड़ंत कहानी थी. शायद तुम से कुछ फेवर चाहिए होगा. मैं तो बस पहली मुलाकात के लिए चिढ़ा था.

सैली.... नही तुम झूट बोल रहे हो नेनू, गौरव को कहानी बनानी नही आती. कहानी तो तुम बना रहे हो.

नेनू.... अच्छा, इतनी जल्दी इतना भरोसा......

सैली.... य्स्स, मुझे पूरा यकीन है उसकी बातों पर.

नेनू.... ऊप्स ! मुझे लगा तुम्हारे पास दिमाग़ नही है, पर दिमाग़ भी है 

सैली.... वेरी फन्नी, अब सीधे-सीधे बताओगे जो मैं पुच्छ रही थी ?

नेनू... हां मैं ऐसा सोचता था. पर अब एक फ्रेश स्टार्ट. डील डन पर एक शर्त पर....

सैली.... क्या ?

नेनू..... गौरव को रोज पप्पी देती हो, मुझे कम से कम झप्पी ही दे दिया करना 

सैली.... छ्हि, गंदे नेनू. तुम्हारी सोच हे गंदी है मुझे पक्का यकीन हो गया. देखना ये पूरी चॅट मैं गौरव को दिखा दूँगी.

नेनू.... दिखा देना, मुझे क्या फ़र्क परता है. झप्पी का प्रपोज आक्सेप्ट हो तो बात करो...


इस मेसेज को दिखाने के बाद सैली, अपने मोबाइल की कुछ रेकॉर्डिंग्स भी सुना दी सब को जो अभी-अभी प्रपोज़ल के दौरान कही गयी बातें तू.... वो भी केवल अगेन्स्ट नेनू के ही था. 
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12-27-2018, 01:45 AM,
#24
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
बहुत ही शानदार ढंग से सैली ने अपने मकसद को अंजाम दिया था. उसके दिल मे गौरव के लिए कुछ फीलिंग्स हो कि नही हो, लेकिन पार्टी वाली रात के लिए जो नफ़रत नेनू के लिए थी वो उसके बदले के रूप मे यही था... दोनो दोस्तों को अलग करना.


कमरे मे सैली बस रेकॉर्डिंग सुन'ने गयी थी, जहाँ कहीं भी लगा कि ये नही होना चाहिए उसे एडिट कर दी, जब एडिटिंग हो गया तो बड़ी बेचैनी से गौरव को बुलाई और डोर बेल बजते ही, उसने अपने पड़ोस मे रह रहे अंकित को एक मेसेज सेंड कर दी.... घर आओ जल्दी मुसीबत मे हूँ.... और सारा ड्रामा शुरू हो गया था.


प्लॅनिंग तो पहले ये था कि नेनू को फासना और गौरव को अलग करना है, बाद मे नेनू को बेज़्जत कर के दिल तोड़ देना. पर नेनू का रुझान कभी सैली पर था ही नही, इसलिए सब उल्टा करना पड़ा.


गौरव जब साथ मे था तब शुरुआत मे ही सैली ने दोनो की दोस्ती पर अटॅक की, पर तब इनके रिश्ते काफ़ी मजबूत थे और वहाँ हर बार सैली को ही मुँह की खानी पड़ी. इसलिए अंत मे सैली ने अपनी चाल उल्टी की, पहले गौरव के प्रति अपनी परवाह दिखाना शुरू की. 


उसे ज़्यादा से ज़्यादा अपने पास और नेनू से दूर, साथ मे वो नेनू के लिए अच्छा ही बोलती, जबकि उल्टा नेनू ही कई बार गुस्सा दिखाया था गौरव को सैली के साथ होने पर.


आम बात चीत के दौरान हुए मज़ाक को एक ऐसी साज़िश के तहत पेश की, कि घुट कर रह गया नेनू. कल भी दिन मे नेनू से मिलने का मतलब ही इतना था कि, कोई कॅषुयल टॉक मे उसे कुछ और बातें मिल जाए नेनू के खिलाफ ईस्तमाल करने मे, क्योंकि नफ़रत की आग उसे बर्दास्त नही हो रही थी, और वो जल्द से जल्द नेनू को सबक सिखाना चाहती थी.


पर शायद किस्मत सैली के साथ ही थी, ये झगड़ा और नेनू का सैली से कॉंटॅक्ट करना, फिर उसके घर आना.... सब उसी के फेवर मे था. उसे ज़्यादा मेहनत भी नही करनी पड़ी.


जब अंकित के मोम डॅड ने सवाल उठाया कि क्यों वो इस लड़के को अब तक बर्दास्त करती आ रही है, और ऐसा था तो इसे घर मे क्यों घुसने दी ... इश्स बात पर बड़ी सफाई से सैली कह गयी....


"मैं, गौरव से अलग नही रह सकती, मैं मर जाउन्गी इसके बिना, और बस इसी बात के लिए बर्दास्त कर रही थी. मुझे अपने प्यार पर भी गुस्सा आ रहा है, कि उसने इस कमीने का पूरा मेसेज देखा अपने मोबाइल मे फिर भी इसने इसे कुछ नही कहा, ये तो गैर था गौरव तुम तो मेरे अपने, तुम्हे क्यों नही समझ मे आई मेरी बात, और रही बात इसे घर मे आने देने की, तो गिडगिडाता कहने लगा बस मैं यहाँ माफी माँगने आया हूँ, अपने किए की .... माफ़ कर दो चला जाउन्गा".


जब मेसेज की रात याद आई कि कैसे सैली ने गौरव को उस रात के बाद मेसेज नही की, तब दिमाग़ ने सिंपल सा दो कॅल्क्युलेशन बिठा लिया..... एक कि नेनू की वजह से वो वापस कभी मेसेज नही की, और दूसरी ये कि उसने एग्ज़ॅम टाइम इसलिए नही चर्चा की क्योंकि इस से पढ़ाई मे बाधा होगी, जो सैली कभी नही चाहती.


गौरव गुस्से से आँखें लाल पीली करता हुआ... सैली को अपना मोबाइल देकर बस इतना कहा.... "इस कमीने ने मेसेज पूरी डेलीट कर दी, नही तो मैं खबर उसी दिन ले लेता, तुम रोना मत, इसके किए की सज़ा इसे मैं दूँगा".


इतना कह कर गौरव, नेनू के पास गया... कॉलर पकड़ कर खींच कर दो थप्पड़ दिए, धक्का देता कहने लगा.... अंदर से इतना काला होगा मुझे पता नही था, आज के बाद शकल नही दिखाना अपनी, नही तो जान से मार दूँगा.


सारा मामला नेनू के आँखों के सामने चलता रहा, पर उसने ना तो अपने डिफेंड मे कुछ कहा और ना ही सफाई देने की कोशिस किया, वो जानता था कि कुछ सुनने की गुंजाइश नही यहाँ पर, बस दो बूँद आँसू तब निकल आए जब दोस्त दूर हो गया.


चुपचाप नेनू वहाँ से चला गया, फिर ना तो हॉस्टिल मे दिखा और ना ही कॉलेज मे, उसका कोई पता ही नही था. ये एक लड़की का बदला था जिसने ठान ली थी कि उसे किसी तरह अपना बदला लेना है और वो ले भी ली. 


इन सब मामलो मे लेकिन एक भूल हो गयी सैली से कि उसे गौरव के बारे मे सबको बताना पड़ा और साथ मे ये भी कि वो "मर जाएगी उसके बिना"


इसलिए गौरव उसी के साथ ही रहा. सैली के बदले की उड़ान जितनी उँची थी उतनी ही उसकी चाहत ने भी उड़ान भरा. उसी साल आई प्रियंका चोपड़ा की "फैशन" मूवी ने उसके दिमाग़ पर ग्लॅमर वर्ल्ड का ऐसा भूत सवार किया कि वो फैशन डेसिनेर बन'ने का फ़ैसला की. 


आज गौरव और सैली दोनो साथ मे देल्ही के लिए निकले, दोनो फैशों डेसिनेर बन'ने क्योंकि जो सैली की चाहत थी वही गौरव की भी......
दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा
मस्ती भरे मॅन की भोली सी आशा
चाँद तारों को छूने की आशा
आसमानों में उड़ने की आशा

दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा....

महेक जाऊं मैं आज तो ऐसे
फूल बगिया में महेके है जैसे
बादलों की मैं ओढूं चुनरिया
झूम जाऊं मैं बनके बावारिया
अपनी चोटी में बाँध लूँ दुनिया

दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा
मस्ती भरे मॅन की भोली सी आशा
चाँद तारों को छूने की आशा
आसमानों में उड़ने की आशा

दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा
मस्ती भरे मॅन की भोली सी आशा

स्वर्ग सी धरती खिल रही जैसे
मेरा मॅन भी तो खिल रहा ऐसे
कोयल की तरह गाने का अरमान
मछली की तरह मच लूँ यह अरमान
जवानी है लाई रंगीन सपना

दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा
मस्ती भरे मॅन की भोली सी आशा
चाँद तारों को छूने की आशा
आसमानों में उड़ने की आशा

दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा
मस्ती भरे मॅन की भोली सी आशा


फेरी टेल्स, फेरी लॅंड जैसी ही कहानी थी, छोटी छोटी चीज़ों मे बड़ी बड़ी ख़ुसीया ढूँढती रही थी . परिवार मे पली-बढ़ी हर मिड्ल क्लास फॅमिली की आग्यकारी सुपुत्री, घर का काम, पढ़ाई, और घर के दिए संस्कार. इन सब से बढ़ कर उसकी अपनी एक चाहत "कोई सपनो का राजकुमार आएगा और उसे दुल्हन बना कर ले जाएगा"


जिंदगी हर पल कुछ नया सीखती और सिखाती है, और सीखने की चाहत अपर थी रीति मे. रूप जितना सुंदर था, स्वाभाव उतना ही चंचल, पर घर के मिले महॉल के कारण सिर्फ़ उन से ही बातें करती थी, जिनको जानती थी. 


कभी बहुत ज़्यादा उतार चढ़ाव नही देखी अपनी जिंदगी मे, सिवाय इसके की जब कोई उँची आवाज़ मे बात कर दे तो आँखों से गंगा-जमुना निकल आती थे. हिमालय की गोद मे बसा हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले से थी. 


नहन, सिरमौर के हार्ट ,मे ही पूरे परिवार का रहना होता था. संगीत से काफ़ी लगाव था और मोहित चौहान की फॅन क्योंकि वो भी उसी सहर से हैं. 


नहन मे किसी बात की कमी नही थी, पढ़ने मे हमेशा आगे थी, पर कहते है ना कोई परफ़ेक्ट नही होता, ऐसी ही कहानी थी रीति की.... एक तो कोई रो कर कुछ कहे तो दिल जल्दी पिघल जाता था, और दूसरी जो आमूमन 60% लड़कियों मे ये खामियाँ पाई जाती हैं .... कंजूस.


खैर जिंदगी बिल्कील सीधी चल रही थी, दो भाइयों की एकलौती लाडली, हमेशा दो सहेलियाँ.... लाडली और प्रिया के साथ वो अपना हर दिन प्यार से गुज़ार रही थी.


लेकिन ये जीवन है, और कहीं ना कहीं, कभी ना कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जिसका परस्पर अच्छा या बुरा प्रभाव ता-उम्र रहता है. 


कहते हैं कॉलेज लाइफ जिंदगी के सबसे हसीन दिनो मे गिनी जाती हैं. काम-काम और जीवन की व्यस्त'ता मे फँसने के बाद लोग अपने मोज-मस्ती से बिताए इन्ही दिनो की कल्पना करते हैं, पर एक सच्चाई और भी है, उस वक़्त मे हुए सितम पूरे जीवन पर एक अलग ही छाप छोड़ते हैं. 


कॉलेज के सेकेंड एअर की ये बात थी, जब छोटी-छोटी घटनाएँ फन फैलाए एक विकराल रूप लेने के लिए तैयार थी, और इन सब से बेख़बर रीति अपनी दोस्त लाडली और प्रिया के साथ अपने कॉलेज के आन्यूयल डे के फंक्षन की तैयारी मे लगी थी......


प्रिया..... आह ! घंटे भर से बैठे बैठे कमर अकड़ गयी, तुम दोनो अब भी बैठे हो, छोड़ो इसे और चलो, कल कर लेना.


लाडली..... कामचोर, एक तो पूरा दिन काम करेगी नही, और रोएगी ज़्यादा, उपर से तुझे बैठने मे भी थकान हो रही है.


प्रिया..... हां बिल्कुल थकान होगी ही, यहाँ सबसे ज़्यादा काम मैं ही करती हूँ, अब ज़्यादा बोल मत.


लाडली.... तू और काम, रहने दे, रहने दे, अभी महीने दिन पहले की ही बात है ज़्यादा दिन भी नही हुए उस कहानी को ?


रीति..... लाडली कौन सी कहानी रे, मुझे तो तुम कुछ बताती ही नही.


लाडली.... तुझे नही पता क्या ?


प्रिया.... कोई कहानी नही है रीति, ये बस फेंक रही है.


लाडली... अच्छा मैं फेंक रही हूँ, तो चुप बैठ थोड़ी देर अभी पता चल जाएगा.


प्रिया.... कोई कहानी होगी तो ना, झूठी कहीं की.


रीति.... चुप करो दोनो, और यदि यूँ ही झगड़ा करना है तो निकल जाओ यहाँ से, मुझे फंक्षन की तैयारी करनी है. लाडली अब बोलेगी भी बात क्या थी.


लाडली... कुछ नही रीति, अंकल-आंटी तीन दिन के लिए बाहर गये थे, बाकी कामों के लिए तो नौकर थे, पर खाना बनाने की ज़िम्मेदारी प्रिया की ही थी, पर एक ही दिन किचेन का काम करने के बाद बीमार पड़ गयी, और मजबूरन उन्हे अपना काम बीच मे ही छोड़ कर आना पड़ा.


रीति.... हीए हीए ही ही, सच मे .... कामचोर प्रिया


प्रिया.... बस भी करो तुम सब, वो तो मात्र एक संयोंग था, उसे मेरे काम से जोड़ दी. पागल कहीं की.


रीति और लाडली लगातार प्रिया की खिंचाई करते रहे, तभी एक लड़का उन तीनो के पास पहुँचा, तीनो उस लड़के को देख कर शांत हो गयी, महॉल कुछ ऐसा बना की तीनो उसे हे देख रही थी, और वो सिर झुकाए चुपचाप खड़ा था.


लाडली.... आप कौन है और क्यों आए हो.


लड़का..... जी मैं राजीव हूँ, प्रोफ़ेसर. आचार्या ने भेजा है, आप की हेल्प के लिए.


रीति.... सर ने मुझे कुछ नही कहा इस बारे मे, और कहा भी होता तो हमारा काम लगभग ख़तम हो गया है, कोई ज़रूरत होगी तो मैं बता दूँगी.


राजीव...... जी ठीक है, कोई हेल्प चाहिए होगा तो बता दीजिएगा.


इतना कहने के बाद वो लड़का वहाँ से चला गया, कुछ देर बात करने के बाद तीनो भी कॉलेज से अपने घर की ओर चल दी.
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12-27-2018, 01:45 AM,
#25
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रोज की तरह रीति अपनी मोम के साथ मार्केट निकली, हल्की-फुल्की खरीददारी और एक वॉक के लिए. सब्जी की एक दुकान पर जब दोनो मान-बेटी खरीद डारी कर रही थी, पिछे से एक लड़के की आवाज़ आई.... "हेलो मेम, हाउ आर यू"


रीति'स मोम.... कौन हो बेटा तुम.


राजीव.... जी आंटी मैं, मेम का जूनियर हूँ और इनके ही कॉलेज मे पढ़ता हूँ.


रीति.... राजीव आप ऐसे सड़कों पर नही टोका कीजिए, मुझे अच्छा नही लगता. ओके बाइ, अब हम चलते हैं.


दोनो वहाँ से थोड़े आगे निकलने के बाद रीति की मोम कहने लगी.... "कौन था ये, लगता है यहाँ नया आया है क्या"


रीति.... पता नही मोम, आज मिला था कॉलेज मे, आचर्या सर उसे हमारी हेल्प के लिए भेजे थे.


मोम.... कहीं तुम्हारा पिच्छा तो नही कर रहा था. दूर रहना...


रीति आँखें दिखाती .... मोममम ! तुम भी ना, वो कॉलेज मे मिला था, अब क्या कोई मार्केट मे मिल जाए तो पिच्छा ही कर रहा था क्या ? कुछ भी सोचने लगती हो. वैसे भी आचर्या सर ने हेल्प के लिए कहा था, तो अब वो कुछ सोच कर ही कहेंगे ना.


मोम.... अच्छा ठीक है बेटा, चल अब घर चलते हैं.


रीति.... नही, पहले सुमित भैया की दुकान चलते हैं, फिर घर चलते हैं.


मोम वहाँ जाना तो नही चाहती थी पर रीति की ज़िद, जाना ही पड़ा. 


सुमित.... नमस्ते आंटी, कैसी है रीति.


रीति.... अच्छी हूँ भैया, मोहित सर का कोई सॉंग आया क्या ?


सुमित.... अर्रे तुम्हे पता नही, मोहित अभी नहन मे ही है.


रीति.... साची... कब, कहाँ पर हैं वो. मुझे भी मिलना है. 


रीति का एक्सप्रेशन देख दोनो, सुमित और रीति की मोम, दोनो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे, उन्हे हस्ता देख रीति का छोटा सा मुँह हो गया और वो समझ चुकी थी कि सुमित उसे छेड़ रहा था.


बस इतनी सी ही बात थी, और रीति वहीं रोना शुरू.... "क्या मिलता है रुला कर, जब देखो तब एक ही बात लेकर छेड़ते रहते हो, जाओ मैं किसी से अब बात नही करती"


काफ़ी समझाने के बाद शांत हुई, जाते-जाते पता नही मोम को क्या सूझा और उसने सुमित को ये कह दी ..... "कि कोई लड़का रीति का पिछा कर रहा था". रीति अपनी मोम पर आँखे गुर्राती, फिर से "बस एक संयोग" बता कर सबको शांत कर दी.


पर किसी के दिल मे क्या है ये कौन जानता था, और आने वाला वक़्त कितना भयावना था या मात्र एक संयोग.......
अगले दिन कॉलेज मे तीनो सहेलियाँ लग गयी आन्यूयल डे फंक्षन की तैयारी मे. रीति & फ्रेंड्स के पास स्टेज होस्टिंग का काम था, रीति के पास सारे लोगों को को-ऑर्डिनेट कर के उनको स्टेज पर भेजने की टाइमिंग मॅनेज करना था, वहीं प्रिया और लाडली को आंकरिंग करनी थी.


तीन दिन बाद ये फंक्षन ऑर्गनाइज़ होना था और इन तीनो का काम लगभग समाप्त था. आज भी तीनो कॉलेज के बाद सभी पार्टिसिपेंट से मिल रही थी और सब मॅनेज कर रही थी.


सब फंक्षन हॉल के स्टेज पर बैठे थे, और रीति सब के पार्फमेन्स की नुंब्रिंग और टाइमिंग को मॅच कर रही थी, विचार विमर्श काफ़ी गहराई से चल रहा था इतने मे वहाँ पर कल वाला वो लड़का स्टेज पर चला आया.


अचानक से उसे देख कर, रीति और उसके दोस्त हैरान रह गये, और उसकी हरकतें भी काफ़ी अजीब थी. वो तेज़ी से हॉल मे आया था और सीधा रीति के पास जाकर खड़ा हो गया.


वहाँ जितने भी स्टूडेंट थे, सबको लगा कि रीति का कोई रिलेटिव है, जो यहाँ आया है. अब महॉल कुछ ऐसा था कि राजीव, रीति के पास सिर झुकाए खड़ा था, रीति काफ़ी हैरानी से उसे देख रही थी, और कॉलेज के बाकी स्टूडेंट चुप उन्हे ही देख रहे थे.


रीति.... तुम फिर आ गये, बोली थी ना की कोई हेल्प होगी तो मैं तुम्हे याद कर लूँगी.


राजीव.... लेकिन मैं, मुझे लगा कहीं आप को मेरी हेल्प की ज़रूरत होगी और आप के पास मेरा नंबर नही होगा, और कॉंटॅक्ट ना होने से आप मुझे ढूंदेंगी कहाँ, इसलिए आ गया.


रीति को उसके हाव-भाव कुछ ठीक नही लगे, पर वो कोई तमाशा नही चाहती थी, इसलिए .. "थॅंक्स" कह कर उसे अपना नंबर देने के लिए बोली. जब वो अपना नंबर दे दिया तब फिर रीति उससे से कही ..... "ठीक है अब है आप का नंबर मेरे पास, कोई काम होगा तो कॉल कर लूँगी. 


राजीव ख़ुसी से अपना नंबर लिख कर रीति को दे तो दिया पर वहाँ से गया नही, इस पर रीति चिढ़ गयी, और चिढ़ती हुए कहने लगी ... कहीं तो जाओ, अब यहाँ मूरती की तरह क्यों खड़े हो.


राजीव... मैं, आपने तो अपना नंबर दिया ही नही.


अब क्या करे रीति, जितना बात को टालने की कोशिस कर रही थी, राजीव उतना ही पिछे पड़ा था. चिंता से भरा रीति का चेहरा सॉफ देखा जा सकता था. राजीव अब भी वहीं पर चुप-चाप खड़ा था, और सभी स्टूडेंट अब समझाने की कोशिस कर रहे थे, "कि ये कौन है, और यहाँ हो क्या रहा है". 


रीति..... कोई आचर्य सर को बुलाएगा.


वहाँ बैठे स्टूडेंट मे से एक ने पुच्छ दिया..... क्या हुआ, और ये लड़का कौन है.


इधर आचर्य सर का नाम सुनकर वो लड़का वहाँ से जाने लगा. तब रीति ने "कल की हेल्प" वाली बात बता दी सबको. थोड़ी ही देर मे आचार्या सर भी चले आए थे और पुच्छने पर पता चला, उन्होने किसी को नही भेजा.


आचर्या सर ने सबकॉ उस लड़के को ढूंड कर लाने को कहे, लेकिन पूरे कॉलेज मे उसका कोई नामो-निशान नही था. रीति को उस लड़के द्वारा की गयी हिमाकत पर बड़ा ही गुस्सा आ रहा था.


कॉलेज ख़तम होने के बाद, अपनी सहेलियों के साथ वो घर निकल गयी. शाम को अपने रूटीन के हिसाब से जब तैयार हो रही थी, तभी उसके मोबाइल पर एक अंजाना कॉल आया.


रीति कॉल पिक करती.... हेलो, कौन है

दूसरी ओर से कोई जबाव नही.

रीति.... हेल्लूऊ

दूसरी ओर से फिर कोई आवाज़ नही.


इसी तरह 4/5 बार हेलो की होगी, पर कोई जबाव नही आया. इतने मे मोम भी चली आई, और पुच्छने लगी "कौन है बेटा"


रीति.... पता नही माँ, उधर से कोई बोल ही नही रहे, लगता है नेटवर्क प्राब्लम है.


इतना कह कर दोनो वहाँ से बाजार निकल गये, मार्केट किया और वापस अपने घर पर. रात को रीति अपनी पढ़ाई मे लगी थी, तभी उसके मोबाइल पर एक के बाद 3 मेसेज लगातार आए.


पहला मेसेज.....

एक ख्वाब सी आँखों मे बसी हो
जब से देखा दीवाने हुए हैं
रह गयी आशिक़ी अपनी बज़ुबान
एक नज़र करम हम पर भी करो


दूसरा मेसेज.....

बहुत प्यारी आवाज़ है .... जी करता है पूरा दिन सुनता ही रहूं, पर ये क्या तुम केवल हेलो, हेलो ही करती रही.


तीसरा मेसेज.....

तुम बहुत खूबसूरत हो तुम से मिलने को दिल करता है, प्लीज़ एक बार मिलना मुझ से.


सारे मेसेज चेक करते करते रीति के चेहरे पर चिंता की सिकान सॉफ नज़र आ रही थी, उसे समझ मे नही आ रहा था क्या करे .... उसने वो तीनो मेसेज प्रिया को सेंड कर दी... थोड़ी देर बाद प्रिया का कॉल आया... "रीति, ये कैसे मेसेज भेजे हैं"


रीति..... प्रिया, ये मेसेज मेरे पास अभी अभी आए हैं, पता नही कौन भेज रहा है.


प्रिया.... ओह्ह ! ये बात है, पर ये तो अच्छी खबर है डार्लिंग, लगता है तेरे सपनो का राजकुमार मेसेज कर रहा है, कब मिलवा रही है.


रीति.... तू पागल है क्या, यहाँ मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा और तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है.


प्रिया.... अर्रे पसंद है तो हां कर नही तो इग्नोर कर, लड़कियों को ऐसे मेसेज आते रहते हैं.


रीति.... ह्म्म्मर ! ये भी ठीक है, इग्नोर करना ही सही रहेगा. वैसे मैं क्या सोच रही थी भैया को बता दूं, ताकि उसकी अच्छी खबर ले.


प्रिया.... पागल है क्या, इसमे भाई को बीच मे लाने की क्या ज़रूरत है. 


रीति.... ठीक है, मैं नंबर चेंज कर लेती हूँ कल. ना रहेगा नंबर और ना ही मुझे वो तंग करेगा.


इस एक छोटे से सल्यूशन के बाद रीति पढ़ाई कर के सो गयी. अगले दिन सुबह भी कयि मेसेज आए थे, रीति बिना देखे सब को डेलीट कर दी, और कॉलेज जाते वक़्त उस सिम को डिसकार्ड कर के नयी सिम ले ली.


पर इन सब से होने क्या वाला था, क्योंकि ये किसी लड़के की आम फॅंटेसी नही थी, रीति के पिछे तो कोई सायको पड़ा हुआ था, और ये कोई और नही वही लड़का राजीव था. दिन भर जब उसे कोई कॉंटॅक्ट नही हुआ रीति से, तब वो कॉलेज ओवर होने के टाइम पर बाहर उसके रास्ते मे इंतज़ार कर रहा था.


तीनो सहेलियाँ बस दो दिन बाद के फंक्षन के बारे मे बात कर रही थी, तभी अचानक से राजीव उनके सामने खड़ा हो गया, और सीधा रीति से पुच्छने लगा... "आप ने अपना नंबर बंद क्यों रखा है, इतना ट्राइ किया पर हर बार स्विच ऑफ ही सुन ने को मिला"

रीति तो उसके हाव-भाव देख सहमी खड़ी थी, जबाव क्या दे वो तो बहुत दूर की बात थी. प्रिया मोर्चा संभालते उसे जबाव देने लगी, पर एक वो था कुछ भी सुन ने को तैयार नही, वो तो बस अपनी ही राग अलापता रहा और कहता रहा.... प्ल्ज़ आप सब मेरी बात सुन ने की कोशिस करो.


कोई नतीजा नही निकला, उस से बात करना ही व्यर्थ था, अंत मे तीनो उसे वहीं छोड़कर चली गयी. आलम ये था कि अब वो रीति को हर जगह मिलने की कोशिस करता, कभी घर के बाहर नज़र आता, कभी कॉलेज जाने के रास्ते पर तो कभी मार्केट मे चुपके से.


इस बात को बीते 20 दिन से उपर हो गये थे, अभी तक इसके बारे मे सिर्फ़ तीन लोगों को ही पता था, और जितना रीति उसे इग्नोर करने की कोशिस करती वो उतना ही पिछे पड़ा था.


अंत मे तीनो सहेलियों ने फ़ैसला किया कि रीति को एक बार उस से अकेले मिल कर उसे समझाना चाहिए. तीनो मे सहमति तो बन गयी, पर अंदर से रीति काफ़ी डरी हुई थी.


रीति अपने साथ हो रही परेशानियों के बारे मैं सोच कर बेचारी गुम्सुम बैठी थी, उसका छोटा भाई सोनू उसके पास बैठ'ते हुए सीधा पुच्छने लगा "क्या बात है, इतनी उदास क्यों बैठी हो". पहले तो वो सोनू को टालती रही, फिर अंत मे उसने वो सब बता दी, जो भी उसके साथ पिच्छले कयि दिनो से हो रहा था.


सोनू एक समझदार लड़का था, उसने बात की गहराई को समझ ते हुए बस इतना कहा.... ठीक है उस से मिल लो और बात कर के प्राब्लम सॉल्व कर लो.


रीति को कुछ समझ मे नही आया कि "क्या करना चाहिए, और क्या नही". अपने भाई के बात पर हामी भरती उसने मिलने का फ़ैसला कर लिया,


अगले दिन कॉलेज से वो अकेली लौटी, और वो बस अपने रास्ते चलती चली गयी. दिमाग़ मे काई ख़याल आ रहे थे, और क्या होगा बस इसी की चिंता सता रही थी. अंदर जैसे एक घुटन सी हो रही हो.


अपने झूझते ख़यालों मे वो बस चली ही जा रही थी, और जैसा कि उम्मीद किया जा रहा था, रीति को अकेला देख राजीव बिल्कुल उसके सामने आ गया. आया और बस चुप-चाप खड़ा रहा...


रीति.... तुम क्यों परेशान कर रहे हो, तुम्हारी वजह से मैं ठीक से जी नही पा रही हूँ.


राजीव... और मैं ठीक से मर नही पा रहा. तुम मुझे देखती तक नही, और ये ज़िंदगी बिना तुम्हारे कुछ भी नही.


रीति.... देखो ये ज़बरदस्ती है, मुझे अभी पढ़ाई करनी है, अपना कॅरियर बनाना है, और शादी का डिसिशन मेरे फॅमिली का है, फिर क्यों तुम मेरा पिच्छा करते हो.


राजीव... तुम्हे कॅरियर बनाना है बनाओ, मैं इंतज़ार कर लूँगा, शादी का डिसिशन आप की फॅमिली का है वो भी चलेगा, पर एक बात रह गयी ... इन सब मे जो एक लड़का होगा वो मैं ही हूँ.


रीति.... आप समझते क्यों नही, मुझे चिढ़ हो रही है, आप क्यों मेरा पिछा कर रहे हैं. भूल जाइए मुझे और अपने काम मे ध्यान दीजिए.


राजीव... आसान नही है रीति, मैने जब से तुम्हे देखा है, ठीक से सो नही पाया और आप मुझे भूल जाने के लिए कहती हैं.


कोई फ़र्क नही पड़ने वाला था राजीव को, ये कैसा प्यार था जो पागलपन की सीमा पार कर चुका था, और उसे अपने प्रियासी की परेशानियों का ज़रा भी अंदाज़ा नही था. जब किसी भी बात का कोई असर नही हुआ तो रीति वहाँ से अपने कदम आगे बढ़ा दी.


पर राजीव ने ऐसा होने नही दिया, वो तेज़ी से उसके आगे आकर उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी ज़िद पर अड़ गया.... "कह दो कि तुम भी मुझे चाहती हो, प्लज़्ज़्ज़ कह दो ना. देखो एक बार कह दोगि तो मैं फिर तुम्हारे पिछे कभी नही आउन्गा. कहो ना प्लज़्ज़्ज़. तुम कुछ कहती क्यों नही, तुम रो क्यों रही हो"


बहुत कोशिस की, पर रीति सहमी सी बस उसकी बातें सुन कर सिसक रही थी, दिमाग़ जैसे सुन्न पर गया हो, और हाथ पाँव कांप रहे थे. इधर जब रीति ने कोई जबाव नही दिया तो गुस्से मे आकर वो अपना सिर एक पत्थर पर खुद ही पटकने लगा. 


सिर इतना ज़ोर टकराया कि खून की धारा सिर से होती हुई पूरे चेहरे पर आने लगी, और इस खून को देख रीति को चक्कर आ गया. उसके बाद क्या हुआ उसे याद नही पर जब आँख खुली तो वो अपने घर मे थी.
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12-27-2018, 01:45 AM,
#26
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति को ऐसा लगा जैसे अभी भी वो लड़का उसके आस पास ही है, वो बैठ कर बड़ी अजीब नज़रों से चारो ओर देख रही रही थी, तभी उसके छोटे भाई ने उसके कंधे पर हाथ रखा, रीति को ऐसा लगा जैसे वही है. डर कर वो बिल्कुल पिछे खिसक गयी, और खुद को समेट ली.


थोड़ी हे देर मे पूरा परिवार उसके साथ था. सभी लोगों ने रीति को हौसला दिया, और कहने लगे .. वो अब नही आएगा, उसे पोलीस के हवाले कर दिया.


पर सच्चाई क्या थी ये उसका भाई सोनू ही जनता था. पोलीस स्टेशन से जो उसकी हिस्टरी की खबर निकाली गयी, उस से पता चला कि वो एक पागल था जिसकी दिमागी हालत कुछ ठीक नही थी.


कुछ दिन बीते होंगे, उस घटना की यादें रीति के जहाँ मे धुंधली सी होने लगी थी, लाइफ भी नॉर्मल हो गया था, लेकिन यदि कोई पागल है तो उस पागल से पिच्छा कैसे छूटे.


एक रात पूरी फॅमिली जब खाने के टेबल पर थी, तभी वो लड़का सीधा उस घर मे रीति-रीति कहता हुआ घुसा. आज तो सच मे किसी पागल की तरह ही लग रहा था, बाल बिखरे चेहरे पर दाढ़ी और गंदे फटे कपड़े, जो उस दिन पहना था, शायद जैल से छूटने के बाद सीधा यहीं आ रहा था.


उसे देख कर रीति एक बार फिर सहम गयी, उसके कानो मे बस उसके घर वालों के चिल्लाने की आवाज़, उस लड़के के मार खाने की आवाज़ आ रही थी. जो भी उनकी फॅमिली से बन पड़ा वो उस समय राजीव के साथ किए. मारा-पिटा और रिपोर्ट दर्ज करवा दिया.


पर इन सब का कोई असर नही हुआ. उसे जितना दबाया गया वो उतना ही खुल कर सामने आया. हालत रीति की बदतर होती जा रही थी. आए दिन कभी वो कॉलेज मे पहुँच जाता, तो कभी घर पर. ना पोलीस का कोई डर, ना मार की कोई परवाह, जैसे अंदर ठान लिया हो कि "कुछ भी हो जाए रीति को मैं पा कर रहूँगा".


जिसने जिंदगी मे कोई दुख ना देखे हो, वो जिंदगी के सबसे बड़े डर का सामना कर रही थी. अब तो जैसे हसना भूल गयी हो. अचानक यदि कोई आहट भी होती तो रीति डर कर चिल्ला देती, और रोती अपनी कमरे मे चली जाती.


जिंदगी दिन-प्रति दिन बद से बदतर होती जा रही थी. घर की लाडली का ऐसा हाल देख कर घर के लोगों ने भी हसना छोड़ दिया. वो सब भी क्या कर सकते थे, ना तो उस पागल को मार का डर था और ना ही किसी बातों का असर.


अंत मे यही फ़ैसला हुआ की रीति को नहन से दूर भेज दिया जाए, और रीति अपने कॉलेज के दूसरे एअर मे ही देल्ही अपनी मासी के पास शिफ्ट हो गयी. घर वालों के अलावा बाकी सभी लोगों को यही पता था कि रीति, पुणे मे है, अपने चाचा के पास.


उस सहर से तो दूर हो गयी रीति, पर दिल से डर नही दूर हुआ. किसी से बात नही कर पाती थी, बस सारा दिन अपने कमरे मे पड़ी रहना, यही काम था.


धीरे-धीरे उसकी मासी ने विस्वास दिलाना शुरू कर दिया की यहाँ अब कोई डर नही. उसे वहाँ भी वही फॅमिली सपोर्ट मिला जो उसे अपने घर मे मिला था, रीति को नॉर्मल होते-होते तकरीबन 3 महीने लग गये. 


इस बीच उसके सेकेंड एअर का एग्ज़ॅम भी हो गया था, लेकिन उसका एक साल बर्बाद हो गया. अपनी मौसेरी बहन काव्या ने उसे फिर अलग-अलग आक्टिविटी मे लगाई. उसे बाहर ले जाना, घुमाना और ये अहसास कराना कि जिंदगी मे परेशानियों का सामना किया जाता है डरा नही जाता.


अब रीति का ज़्यादातर समय काव्या के साथ गुज़रता, वो उसके बुटीक सेंटर मे उसकी हेल्प करती और सारा दिन वहीं रहती. यूँ तो अब उसके जहाँ मे कॉलेज के नाम पर पुदाना दर्द उजागर हो जाता था, पर काव्या की ज़िद की वजह से रीति ने फैशन डेसिनिंग करने के लिए हामी भर दी.


रीति देल्ही मे थी, उसने अपनी मेहनत से एंट्रेन्स पास कर ली और इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ फैशन डेज़ाइनिंग मे उसका अडमिज़न हो गया. रीति अपने मासी के यहाँ से ही कॉलेज करना चाहती थी, पर अकेले रहने और दुनिया को अपने नज़रिए से समझने के तर्ज पर काव्या ने उसे हॉस्टिल मे रहने का सजेस्ट की.


काव्या की सारी बात रीति ने मान ली, पर ये इकलौती ऐसी लड़की थी, जिसकी कोई चाहत नही थी, देल्ही आना और फैशन डेसिंग कभी उसका सपना नही था पर किस्मत ने शायद कुछ और ही सोच रखा था और रीति देल्ही मे थी.

जैसे किसी शायर ने एक खूबसूरत ग़ज़ल लिखी हो, इंदु बिल्कुल उसी शायर की कल्पनाओ जैसी थी. जैसे किसी ने खूबसूरती का उदाहरण की कल्पना की हो तो इंदु का चेहरा ही नज़र आए. खूबसूरती, जिसके कायल कोई भी हो जाए और जिसके लिए हंस कर लोग कत्ल हो जाए.


इसकी जिंदगी ने आज तक कोई उतार-चढ़ाव नही देखा. नागपुर की एक अत्यंत खूबसूरत बला थी, जो उपर मिड्ल क्लास से बिलॉंग करती थी. फॅमिली ऑर्तोडॉक्स थी इसलिए सादगी से रहना और फॅमिली रिस्ट्रिक्षन्स को मान ना इसका बस इतना ही काम था.


पहनावा बिल्कुल भारतीय लड़कियों की परिधान की तरह था, सलवार कुर्ता. किसी लड़के से बात ना करना और किसी को नज़र उठा कर भी नही देखना. पर देखने वाले जब इसे एक झलक देखते तो उनका खून करेंट की तरह दौड़ने लगता था.


इसके दीवानो की कमी नही थी, बिना इंदु की जानकारी के कितने ही लड़के आपस मे लड़ गये हो सिर्फ़ इस बात के लिए की उसके रास्ते की पहरेदारी सिर्फ़ मैं करूँगा, और यदि कोई दूसरा उसे पटाने की कोशिस किया तो गया. 


इंदु के लिए ऐसे मार करने वालों की कमी नही थी. कइयों ने हिम्मत कर के उसे प्रपोज भी किया पर वो सबकी बात अनसुनी कर के चली जाती थी.


सॉफ सुथरी छवि ऐसी कि कयि मनचलों की पिटाई उसके जान ने वालों ने कर दी थी और कयि पोलीस के हवाले चले गये. उसके आशिकों मे रोहित सबसे बड़ा आशिक़ था. यूँ कह ले, तो दीवाना था उसका, और उसका बस एक ही लक्ष्य, किसी तरह इंदु उसकी बाहों मे आ जाए.


बाहर की लाइफ से लेकर घर के लोगों का पूरा बायो-डेटा रोहित के पास था. उसे पाने की कोशिस मे उसके भाई से भी दोस्ती किया, पर कोई फ़ायदा नही. केयी बार उसके घर जा चुका था, पर घर मे एक झलक तक नही मिली, यदि कोई अंजान आता तो वो अपने कमरे तक से बाहर नही निकलती थी.


अब हाल-ए-दिल रोहित का कौन समझे कि वो क्यों इंदु के घर जाता है. कोई भी चाल, कोई भी पैंतरा उसे कामयाब नही कर पा रही थी. पर उसे क्या पता था कि इस सादगी का सच कुछ और ही है, और जब पर्दे के पिछे की सच्चाई सामने आएगी तो रोहित के पाओं तले ज़मीन खिसक जाएगी.


सनडे के दिन किसी तरह की कोई उम्मीद ही नही होती कि इंदु अपने घर से बाहर आए. लेकिन इसे किस्मत कहे या रोहित का बॅड लक. सनडे रोहित होटेल ले मेर्दियन, नागपुर मे एक कमरा बुक करवा कर उसकी लॉबी मे एक लड़की का इंतज़ार कर रहा था.


दिन के करीब 11 बज रहे होंगे, तभी उस होटेल मे मुँह बाँधे एक लड़की ने एंट्री की सुर सीधा फर्स्ट फ्लोर की ओर चल दी. चल ढाल से रोहित को शक़ हुआ कि ये इंदु ही है, और वो उसके पिछे गया. रूम नंबर. 1106 के पास वो लड़की थोड़ा रुकी, लेफ्ट-राइट देखी, और उस कमरे मे घुस गयी.


उस लड़की के अंदर जाते ही रोहित भी रूम 1106 के पास गया, और की होल से अंदर झाँकने लगा. कुछ नज़र नही आ रहा था. होटेल के उस कमरे मे कोई नही था. थोड़ी देर ताका-झाँकी करी, फिर सोचा शायद ये उसका वहम हो सकता है. 


जैसे ही रोहित ने मन बनाया कि अब उसे अपनी बुलाई लड़की पर ध्यान देना चाहिए, वैसे ही उसकी धड़कने बाहर आ गयी. नज़रों ने जो देखा वो विस्वास से परे था, और जिस लड़की के सपने वो तन्हा रातों मे देखता वो नंगी किसी की बाहों मे थी, जिसे वो आदमी शायद बाथरूम से ला रहा था और ला कर बिस्तर पर पटक दिया.


रोहित का खून जैसे खौल उठा हो... ना जाने कितनी फीलडिंग किया था, पर यहाँ मॅच का मैन प्लेयर कोई और. आगे जो उस कमरे मे हो रहा था वो रोहित की बर्दास्त से परे था, लेकिन कर भी क्या सकता था.


उसे कुछ नही सूझा और रूम का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से खत-खटाने लगा. खत-खाटाने के बाद जब अंदर झाँका, तो देखा इंदु अपने कपड़े समेट कर बाथरूम की ओर जा रही थी, और उस आदमी ने लोवर पहन कर दरवाजा खोला.


अंदर आते ही रोहित आग बाबूला होकर इंदु-इंदु चिल्लाने लगा. इस से पहले वो आदमी कुछ समझ पाता और कोई आक्षन ले पता, इंदु बाथरूम से बाहर आई. बदन चादर से ढका था, और आँखें बिल्कुल गुस्से मे लाल.


इंदु.... क्या है, क्यों गला फाड़ रहे हो.

रोहित ने पहली बार उसकी बात सुनी थी ... और सुन कर बिल्कुल दंग रह गया. वो आदमी इंदु को कुछ कहने ही वाला था उस से पहले ही इंदु बोल पड़ी ... सुनिए सिन्हा सर आप को घबराने की कोई ज़रूरत नही है, और सुनो तुम .... तुम यहाँ खड़े क्या देख रहे हो, क्या पूरा शो लाइव देखना है, निकलो यहाँ से, और नीचे इंतज़ार करो, मैं ज़रा काम निपटा कर तुम से बात करूँगी.


रोहित बिल्कुल गुस्से मे पागल होता.... तू समझती क्या है अपने आप को, मैं अभी पोलीस को कॉल करता हूँ, और तब ये अकड़ उसे दिखाना. तुम्हे तो मैं बर्बाद कर दूँगा. साला दिन रात पागलों की तरह पिछे पड़ा रहा मैं, और तुम यहाँ .... रुक तुझे तो मैं सबक सीखा कर रहूँगा.


इंदु.... तुझ से जो बन पड़े वो कर लेना, पर एक बात तय है फँसेगा तू, और मेरी इमेज अपनी जगह पर रहेगी, अब पुच्छ कैसे....


रोहित बस गुस्से से हुंकार भरते सवालिया नज़रों से देखता रहा ... तब इंदु ने उसकी बात क्लियर कर दी .... मुझे बस पोलीस से इतना कहना होगा, तुम मेरे भाई के दोस्त हो और मैं यहाँ काम से आई थी तब मुझे तुम यहाँ ज़बरदस्ती ले आए और मेरे साथ ज़बरदस्ती कर रहे थे, तब सिन्हा जी ने आकर मुझे बचा लिया. गधे हो .. लगता है फ़िल्मे नही देखते. अब भागता है या मैं खुद ही पोलीस बुला दूं.


रोहित जैसे पागलों की तरह करने लग गया हो. उसे तो यकीन ही नही हो रहा था कि एक निहायत ही सारीफ़ दिखने वाली लड़की ऐसा करेगी और इतने कॉन्फिडेन्स से उसे कहेगी भी. वक़्त उल्टा था, और रोहित इन सब मामलों की नज़ाकत समझता था, इसलिए उसने जाने मे ही अपनी भलाई समझी.


लॉबी मे तकरीबन 3 घंटे इंतज़ार के बाद इंदु नीचे आई, रोहित को इशारा की, और उसके साथ बाहर चल दी. दोनो बैठे कार मे ....


रोहित.... ये सब क्या था, और तुम ऐसे...


इंदु... तो तुम क्या मेरी आरती उतारने वाले थे या तुम भी मुझ से वही सब चाहते थे जो अभी मैं कर के आई.


इंदु के द्वारा ये एक और झटका था रोहित को. इतनी तेज-तर्रार भी हो सकती है इस बात की कभी कल्पना भी रोहित ने नही किया था.


रोहित.... तुम ऐसा कैसे कह सकती हो, आख़िर जानती ही क्या हो मेरे बारे मे.


इंदु... तुम एक थर्ड क्लास आवरा हो, जो यहाँ के एफजी माल के ओनर सुरेश नकतोड़े का लड़का है. अब तक मेरे लिए कइयों को मार चुके हो, और तुम्हारे बिस्तर तक मैं कैसे पहुँचू इस बात के ख्वाब देखते रहते हो.


रोहित... नही मैं ऐसा नही हूँ


इंदु.... चल बे, ये सराफ़त का पाठ उनको पढ़ाना जो अली बाग से आए हैं. इंदु हूँ मैं इंदु. मेरे आगे पिछे दोनो आँखें हैं.


रोहित..... ह्म्‍म्म ! तू तो बहुत चालू निकली, मैं खा-म-खा इतना परेशान हो रहा था तेरे लिए. पहले पता होता तू ऐसी है तो अब तक मज़े लूट चुका होता.


इंदु.... दोबारा ऐसे बात की ना तो कहाँ गायब करवा दूँगी तुझे पता भी नही चलेगा. तुमने क्या मुझे कॉल गर्ल समझ रखा है. वो उपर जो आदमी था ना वो सेंट्रल मिनिस्ट्री से था, मैं ना आती बीच मे तो आज ही गायब हो जाता.


रोहित.... पागल हो रहा हूँ मैं तुम्हे सुन कर, तुम हो क्या आख़िर, और ये सब क्यों करती हो.


इंदु... तुझे मेरे बारे मे ज़्यादा जान ने की ज़रूरत नही है, और ये सब मैं अपने मज़े और अपना काम आसानी से हो जाए इसलिए करती हूँ.
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12-27-2018, 01:45 AM,
#27
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रोहित अब शांत होकर उसे उपर से नीचे तक देखने लगा ... और सोचने लगा .. इतनी बोल्ड तो मिनी-स्कर्ट वाली भी नही होगी. पता नही ये चीज़ क्या है, इसे दिमाग़ से डील करना होगा. अब जब जान ही गया हूँ तो क्यों ना ये मेरे भी बिस्तर गरम कर दे.


इंदु.... मेरे साथ सेक्स के बारे मे सोच रहा है हराम्खोर.


रोहित... एयेए, ब्ब्ब्ब, वूऊ.. नही तो, मैं बस सोच रहा था कि कितना कुछ राज है जो दुनिया नही जानती है तुम्हारे बारे मे.


इंदु.... मैं क्या सेलेब्रिटी हूँ, जिसके ब्रा का साइज़ भी न्यूज़ बनता है. दुनिया नही जानती और तुम बताने भी गया तो इस दुनिया को कोई इंटरेस्ट नही. मुझे तो ऐसा बन'ना है जिसकी एक कहानी के लिए, पेपर, मीडीया सब आँख गढ़ाए रहे. मुझे बस पेज थ्री का स्टार बन'ना है.


रोहित..... अच्छा तो ये बात है, इसलिए अभी से प्रॅक्टीस कर रही थी.


इंदु.... तू पागल है, ज़्यादा ना सोच मेरे बारे मे नही तो मेंटल हॉस्पिटल मे अड्मिट हो जाएगा. रही बात प्रॅक्टीस की तो वो तो मैं ना जाने कितने सालों से करती आ रही हूँ, काम का काम और मज़े के मज़े हो जाते हैं. वैसे तेरे लिए मुझे हमदर्दी है, मेरे कुछ काम है वो कर दे तो तेरे सपने भी पूरे हो जाएँगे.


रोहित अपनी आँखें फाड़ पुच्छने लगा .... क्य्ाआआ ????


इंदु.... उस आदमी को देखा ना, उसने मेरे अद्मीशन का काम कर दिया है फैशन डेज़ाइनिंग के टॉप कॉलेज मे, तुझे बस 2 काम करना है. एक तो ये कि मेरे घर वालों को राज़ी करना मुझे देल्ही भेज दे पढ़ने, और दूसरी की देल्ही मे एक स्कूटी का बंदोबस्त.


रोहित..... स्कूटी क्या मैं तो कार का इंतज़ाम भी कर दूं देल्ही मे, पर ये तुम्हारे घर से पर्मीशन लेने की बात समझ मे नही आई.


इंदु.... कार देगा तो क्या उसका पेट्रोल तेरा बाप भरवाएगा, स्कूटी ही ठीक है, वैसे भी टू वीलर जाम मे नही फँसती. और घर की बात पर शॉक क्यों है, वो मेरे घर वाले हैं, सब पुराने ख्यालातो वाले. मेरी पढ़ाई के बाद मेरी शादी करवा देंगे और पुछेन्गे भी नही. हालाँकि यदि ऐसा होता तो मैं घर छोड़ कर चली जाती, पर अभी की समस्या मे घर छोड़ कर भी नही जा सकती, इसलिए उनको राज़ी कर दे, और फिर...... 


रोहित.... पर कैसे...


इंदु.... तुम पहले ऐसे लड़के हो जिसे मेरा भाई घर तक लाया, अब भाई को पटा कर तुम्हारा काम तो नही बना, पर इस आर्ट से मेरे घर वालों को पटा लो, शायद तुम्हारा काम भी हो जाए.


रोहित के अकल से परदा हटा, उसे समझ मे आ गया क्या करना है, और जीत मे मिली थी इंदु का साथ. रोहित लग गया अपने काम मे. वैसे तो उसकी रूढ़िवादी परिवार को समझाना काफ़ी मुश्किल था, पर किसी तरह उसने पहले इंदु के भाई के दिमाग़ मे अपनी बात डाल दिया, और फिर वहाँ से उसका काम आसान हो गया.


फाइनली सब राज़ी हो गये और रोहित को अपने इस काम के बदले अपनी लस्टी डिज़ाइर पूरे करने का मौका भी मिल गया. इंदु को तो बस अपना काम होना चाहिए, फिर चाहे जैसी भी हो. इंदु भी उसी जगह के लिए निकली जहाँ वैसवी, श्रयलन, और रीति पहुँची थी...


सपनो से मुलाकात ::::: मीट वित फॅंटेसी



वैसवी, सैली, रीति और इंदु....... चारों अपने-अपने सहरों से रुख़ करती देल्ही पहुँची. सब के अंदर देल्ही आने को ले कर अपने ही सपने थे सिवाय रीति के, पर आज से पहले इन चारो ने ना तो कभी एक दूसरे को देखी और ना ही मिली थी.


कॉलेज की तरफ से ही लड़कियों को हॉस्टिल की सुविधा मिली थी. हॉस्टिल की सेकेंड बिल्डिंग के सेकेंड फ्लोर के फ्लॅट नंबर 202 मे रीति और सैली का कमरा था, वहीं ठीक बगल मे 201 मे इंदु और वैसवी को कमरा मिला था.


रीति को छोड़ने काव्या आई थी और सैली के साथ था उसका क्रेज़ीबॉय. वहीं वैसवी अपने पापा के साथ आई थी, और इंदु, उसको तो अपनी स्कूटी लेनी थी वो भी देल्ही पहुँचने के पहले दिन ही, इसलिए वो अकेली आई थी, और आते ही रोहित के पैसे का सही ईस्तमाल की.


ट्रेन के टाइम के हिसाब से सबसे पहले सैली हॉस्टिल पहुँची. कॉलेज की ओर से रहने की काफ़ी अच्छी व्यवस्था की गयी थी. कॅंपस के अंदर दो पार्ट मे चार बुल्ड़ींग थी. ए और बी ब्लॉक एक साथ थे. ए ब्लॉक कॉलेज के स्टाफ और प्रोफ़ेसर के लिए था. बी ब्लॉक गर्ल्स के लिए रिज़र्व था, और सी और डी ब्लॉक जो कॅंपस के दूसरे पार्ट मे थे, वो बाय्स हॉस्टिल था.


ट्रेन से थके सैली और गौरव दोनो कॅंपस मे इन किए. अपनी-अपनी आइडी बताई और उनको अल्टेड रूम का पता मिल गया. गौरव डी ब्लॉक मे था और सैली बी ब्लॉक मे.


सैली..... क्रेज़ीबॉय मैं तो पूरा थक गयी और भूख भी लगी है.

गौरव.... सैली तुम रूम मे चलो मैं खाने की व्यवस्था कर के आता हूँ.


गौरव वहीं से बाहर चला आया और कुछ खाने पीने का समान देखने लगा. सैली भी थकि थी, और जाकर सबसे पहले शावेर ही लेने लगी. थोड़ा टाइम बाद गौरव भी खाना लेकर आया और बी ब्लॉक मे जाने लगा, पर वॉचमन ने उसे वहीं रोक दिया.


गौरव फर्स्ट डे का नाम लेकर और सैली को छोड़ने आया है यहाँ ये कहकर एंट्री ले लिया बी ब्लॉक मे. गौरव सैली को खाना देकर वो भी बाथरूम मे चला गया....


सैली..... क्रेज़ीबॉय जल्दी करो, बहुत भूख लगी है.


गौरव.... आता हूँ सैली, वैसे ये तुम्हारे छोटे-छोटे अंतः वस्त्र मुझे काफ़ी परेशान कर रहे हैं, इसे तुम्हे बाथरूम मे ही सूखने का जगह मिला था. देहाती, बाथरूम मे ही रस्सी टाँग दी.


सैली.... मार डालूंगी क्रेज़ीबॉय, देख रही हूँ आज कल कुछ ज़्यादा ही बोलने लगे हो. अब आओ भी जल्दी.


गौरव भी जल्दी से बाहर आया, भूख उसे भी लगी थी, दोनो ने साथ खाना खाया, और दोनो इतने थके थे कि उसके बाद जागने की हिम्मत ही नही हुई, और बिच्छ गये दोनो वहीं पर खा कर.


वैसवी जब देल्ही पहुँची तो बस अनु को ही कोस रही थी. बस उसे रह रह कर यही ख्याल आता रहा कि, "इतने लोंग रीलेशन के बाद लोग शादी कर लेते हैं, और एक ये है, जिस काम से मैं भागती हूँ वही करने भेज दिया... पढ़ने"


अभी तो वो काफ़ी चिढ़ि हुई थी अनु पर, लेकिन कर भी क्या सकती थी, प्यार जो करती थी मना नही कर पाई और आ गयी देल्ही. वैसवी ने भी अपनी एंट्री कर अपने कमरे मे शिफ्ट हो गयी. उसके पापा जब उसे छोड़ने आए तो वो बहुत खुश थे ... "क्योंकि उसकी बेटी का अड्मीशन इंडिया के टॉप कॉलेज मे हुआ था".


सारा समान सेट करने के बाद, अपनी बेटी को खिला-पीला कर पापा जी वापस वाराणसी के लिए रवाना हो गये. अपने पापा के जाते ही वैसवी थोड़ी देर आराम की और फिर लग गयी अपनी नॉवेल रीडिंग मे.


सहर मे उतरते ही इंदु ने जो सबसे पहला काम किया था, वो जाकर पहले एक स्कूटी खरीदी, फिर वापस अपनी हॉस्टिल आई वो भी अपनी ही स्कूटी से. कभी कभी होशयार भी बेवकूफ्फ बनते है, कुछ ऐसी ही कहानी थी इंदु की.


स्कूटी ली न्यू देल्ही रेलवे स्टेशन के पास के एरिया से और जाना था गुरगाँव उसमे भी कहाँ था वो हॉस्टिल पता नही. पूरा दिन पुछ्ते पुछ्ते बेचारी घूमते फिरते पहुँची अपने हॉस्टिल.


स्कूटी खरीदने का जितना नशा उसे था, वो चन्द घंटो मे ही उतर गया, 11 बजे दिन मे पहुँची थी देल्ही, और स्कूटी के चक्कर मे वो हॉस्टिल शाम 4 बजे पहुँची. थकि हरी बेचारी, जब अपने कमरे मे पहुँची तो गेट पहले से खुला था. 


वैसवी और इंदु की ये पहली मुलाकात थी, वैसवी जब इंदु को देखी तो उसकी हँसी छूट गयी, इंदु ने जले बुझे भाव से कही .... दोस्त कभी भी देल्ही मे अपने जगह के नियर बाइ ही कोई समान खरीदना और खास कर गाड़ी, नही तो मुझ जैसा हाल हो जाएगा. हाई, मैं इंदु हूँ, नागपुर से.


वैसवी... ही ही, क्या हुआ जो तुम ऐसे बोल रही हो, कहीं तुमने भी तो कुछ ना खरीददारी कर ली और उसी का रोना है. वैसे मैं हूँ वैसवी और मैं वारणसी से हूँ.


इंदु... सच कही वैसवी, पापा ने स्कूटी लेने के लिए पैसे दिए थे, और मुझे इतनी जल्दी थी कि स्टेशन के पास ही पता कर के खदीद ली. सोचो खाना नही खाई, पहले जा कर स्कूटी खरीदी, बाद मे जब गुरगाँव का पता पुछि और रास्तों पर चली, तो मेरी नानी याद आ गयी.


वैसवी.... कुछ खाई की नही तुम.


इंदु.... हां, खा तो ली रास्ते मे पर भूख अब भी जोरों की लगी है, तुम्हारे पास है कुछ खाने के लिए.


वैसवी.... हां है, तुम फ्रेश हो जाओ मैं निकालती हूँ.


इंदु.... फ्रेश को मारो गोली, पहले कुछ खिला पिला दो नही तो भूखी मरी, तो पोलीस स्टेशन के चक्कर तुम्हे ही काटने पड़ेंगे.


वैसवी.... ही ही ही, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.


वैसवी ने घर का बना जो साथ लाई थी वो निकाल कर दे दी, और वापस से नॉवेल पढ़ने बैठ गयी. 


रीति भी अपनी मस्सी के घर से तकरीबन 3 बजे काव्या के साथ निकली. गुरगाँव पहुँच कर काव्या ने पहले रीति के लिए कुछ शॉपिंग की, हालाँकि रीति का ज़रा भी मन नही था इन सब चीज़ों का, पर काव्या के आगे उसकी एक नही चलती.


कुछ ड्रेस, थोड़े क्रीम पाउडर, नया बॅग और चल दी अपने हॉस्टिल की ओर. शाम हो चुकी थी, हल्का अंधेरा सा था, काव्या नॉक करने के लिए हाथ दरवाजे पर रखी थी कि दरवाजा खुल गया. अंधेरे मे कुछ देख पाना मुमकिन नही था, इसलिए दरवाजे के बगल मे कुछ स्विच ऑन किया काव्या ने...


रूम की लाइट जली, रीति और काव्या की आँखें खुली की खुली रह गयी, जो पहला सीन दोनो को नज़र आया वो कुछ यूँ था ....


गौरव केवल तौलिए मे चित लेता था, उसके हाथ के उपर सिर रखे, गौरव की ओर चेहरा किए सैली, और दोनो सो रहे थे.


लाइट ऑन होने से, गौरव की नींद खुल गयी, अपनी हालत देखा और खुद की इज़्ज़त बचाने के लिए अपने उपर चादर ओढ़ लिया, सैली अब भी बेसूध लेटी हुई थी. गौरव कंधे से हिला कर उसे जगाया... सैली आँखें मुंडे ही कहने लगी....


"क्या हुआ क्रेज़ीबॉय सो जाओ, मुझे बहुत नींद आ रही है"


गौरव बिल्कुल धीमी आवाज़ मे.... सैली आँखें तो खोलो, सैलययी...


इतना कह कर गौरव ने एक बार फिर सैली को हिलाया, बड़ी ज़ोर से हिलाया. आँखें मुन्दे ही योगा आसान मे सैली बैठ गयी बिस्तर पर और बड़बड़ाती कहने लगी ...


"सब के सब मेरे दुश्मन हूऊओ..... "


आगे भी कुछ कहने वाली थी पर आँखें जब खुली तो नज़रों के सामने दो लड़कियाँ थी, और वो बोलते-बोलते रह गयी. बगल मे देखा तो गौरव चादर से खुद को ढके सैली की ओर ही देख रहा था, और जब दोनो की नज़रें मिली तो मानो गौरव पुछ्ना चाह रहा हो, "ये कौन है, और यहाँ क्या कर रहे हैं"
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12-27-2018, 01:46 AM,
#28
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
इधर रीति और काव्या दोनो अस्चर्य चकित थे. गर्ल्स हॉस्टिल मे ऐसा देखने को मिलेगा वो भी पहले दिन, समझ से परे था. सैली और गौरव की हालत देख कर जो विचार आ रहे थे, उसका सोच रीति तो फ़ैसला कर चुकी थी वो अब अपनी मासी के पास ही रहेगी.


गौरव धीरे से उठा बिस्तर से, खुद को चादर मे समेटे, और अपना बॅग उठा कर भाग गया बाथरूम मे.


सैली.... अर्रे आप लोग प्लीज़ ऐसे घुरिये मत, जो भी सोच रही हैं ऐसा कुछ नही है.


काव्या.... तुम ये सब करने आई हो यहाँ. तुम्हारे मोम-डॅड ने इसी दिन के लिए यहाँ भेजा था.


सैली.... आप बेवजह कुछ भी बोल रही हैं. हम दोनो एक ही सहर के हैं, बहुत थक गये थे, 48 घंटे का सफ़र, भूखे प्यासे जब पहुँचे तो खाने के बाद होश ही नही रहा और हमे पता नही कब नींद आ गयी.


रीति.... दीदी चलो यहाँ से, इन दोनो को रहने दो. आप पुच्छने वाली कौन हो. मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी. मुझे नही रहना कोई हॉस्टिल वॉस्टिल मे.


इतने मे गौरव अपने कपड़े पहन कर वापस आया. वो उन दोनो के मन के अंदर उठ रहे सवालों को समझ रहा था, इसलिए अपनी प्रियासी की सफाई को आगे बढ़ाते गौरव ने एमोशनल अत्याचार कर दिया....


"देखिए, मेरी वजह से आप ऐसा ना कहिए, प्लीज़. आप मेरी बहन की तरह हैं, और मैं झूट नही कहूँगा. हम दोनो एक दूसरे से प्यार करते हैं, और एक ही सहर के रहने वाले हैं. रही बात सैली के मोम डॅड की. तो उन्होने ही मुझे इसकी ज़िम्मेदारी सौंपी है. अब आप ही बताइए जब एक लड़की के मोम-डॅड मुझ पर भरोसा कर सकते है, तो कुछ तो यकीन होगा उनको मुझ पर. सैली सच बोल रही गई. हमे तो इतना होश तक नही था कि हम दरवाजा बंद कर सके. बाकी फ़ैसला आप का. चलता हूँ सैली, कल मिलता हूँ कॉलेज मे".


इतना कह कर गौरव चला गया. रीति भी सहमत हो गयी गौरव की बात से. काव्या को भी लगा "नही सच ही कह रहे हैं दोनो". और रीति को गले लगाती काव्या वहाँ से चली गयी.


सैली, रीति की ओर हाथ आगे बढ़ाती हुई ... अपना इंट्रो देने लगी .... "हाई मैं हूँ श्रयलन, और ईन्दोर से आई हूँ"


रीति एक बुझी सी मुस्कान देती हाथ मिलाई और कहने लगी... मैं हूँ रीति, और मैं नहन की रहने वाली हूँ. फिर कोई बात नही हुई.


अजीब सी मूलककत थी चारों की .... इंदु जब वैसवी से मिली तो बदहाल थी, और रीति जब सैली से मिली तो बहाल थी. दो दो की जोडियों मे मुलाकात हुई थी और चारों एक दूसरे के पड़ोसी. रीति रात को कुछ पढ़ कर 12 बजे तक सोने की आदि थी, वहीं सैली फेसबुक पर रात को बात करती थी और कभी 2 तो कभी 3 बजे तक सोती थी.


ऐसा ही कुछ इधर भी था... वैसवी, नॉवेल पढ़ते और अपनी फसेफूक की फेक आइडी उसे करते रात को 2,3 बजे तक सोती थी, तो इंदु को रात की कोई आदत नही थी, अपने घर के सख़्त नियम की वजह से, इसलिए वो तो 10 बजे ही सो जाया करती थी.


जोड़ियाँ काफ़ी मिसमॅच सी हो गयी थी, और चारों की कोई आदतों का मेल मुश्किल था. पहले दिन थोड़े बात के बाद सब अपने कामो मे लग गये.


सुबह कॉलेज का पहला दिन था, जिसने सपने पिरोए थे, उनकी दिल मे काफ़ी उत्सुकता थी कल के लिए, और जो बस एक कॉलेज समझ कर आई थी, वो बस अपने रूटीन मे काम कर रही थी. 


लेकिन कॉलेज का पहला दिन सर्प्राइज़िंग था, एक उम्मीद से परे जिसकी कल्पना चारो मे से किसी ने नही की हो......
पहला दिन, सैली और इंदु काफ़ी उत्साहित थी अपने पहले दिन को अटेंड करने के लिए, वहीं रीति और वैसवी को कोई बहुत ज़्यादा इंटरेस्ट नही था. सुबह से ही सैली और इंदु सजने-सवर्ने लगी थी वहीं वैसवी और रीति नॉर्मली तैयार होकर निकले.


संयोग ऐसा था कि चारो एक ही समय पर निकले. सब पड़ोसी ही थे. इसलिए आगे पिछे चल रहे थे....


इंदु.... वैसवी, आइ आम टू एग्ज़ाइटेड, मैं ग्लॅमर वर्ल्ड से जुड़ने जा रही हूँ.


वैसवी.... कपड़े सीलने के लिए इतनी बेकरारी, देख कर अच्छा लगा.


इन दोनो के पिछे सैली और रीति चल रही थी. रीति, वैसवी की बात सुन कर ज़ोर से हंस दी. इंदु और वासू दोनो पिछे मूड कर एक बार देखे. दोनो जब पिछे मुड़े तो रीति को लगा कि शायद कोई ग़लती तो नही कर दी हंस कर .... वो हाथ दिखा कर हाई करने लगी दोनो को. 


रीति का हसना शायद इंदु को अपनी कही बात का समर्थन लगा. वासू की कम अकल पर रीति हँसी, यही बात सोच कर इंदु, वासू को टॉंट करने लगी...

"देखी, तुम्हारी बच्चों जैसी बातें सुन कर ये भी हंस दी, अर्रे हम कोई ऐसी वैसी नही फैशन डेज़ाइनिंग का कोर्स करने जा रहे हैं"


रीति.... नही, नही मैं उनकी बात के समर्थन मे हँसी हूँ. क्या व्यू दिया उन्होने, एकदम करेक्ट. हाई, मैं रीति हूँ, आप के पड़ोस 201 मे हूँ, और ये हैं मेरी रूम मेट श्रयलन.


वैसवी... थॅंक्स रीति. मैं वैसवी हूँ, और ये है मेरी रूम मेट इंदु. तुम कहाँ से हो.


रीति.... मैं नहन से हूँ, पर दो सालों से अपनी मासी के पास देल्ही मे ही रह रही थी.


रीति बहुत दिन बाद सब भूल कर किसी अंजाने से बात कर रही थी, सैली और इंदु दोनो मे से किसी को अभी बात करने मे कोई इंटरेस्ट नही था इसलिए वो दोनो आगे-आगे और ये दोनो बातें करते पिछे-पिछे, पहुँचे कॉलेज ऑडिटोरियम मे.


ऑडिटोरियम तो जैसे मानो किसी रंगारंग कार्यक्रम की जगह हो और वहाँ की सज़ावट देखते बनती थी. 


वैसवी.... यहाँ क्या सामूहिक विवाह का आयोजन करवा रहे हैं, जो इतना सज़ा धज़ा कर रखा है इस जगह को.


रीति.... ये गालमौर वर्ल्ड है, कुछ हो कि नही हो दिखावा ज़रूर करते हैं.


वैसवी.... हां सच कही, वो देखो मेरे रूम मेट को, कैसे तैयार होकर आई है, लगता है पढ़ने नही कॅट-वॉक करने आई है.


रीति.... यहाँ भी कोई कम नही है. मेरी रूम मेट सुबह 6 बजे से ही तैयार हो रही थी, और 8 बजे तक उसका शृंगार चला.


वैसवी... सुबह 6 बजे से. वैसे एक बात बताओ ऐसा क्या कर रही थी तैयारियों मे बाहर से तो नॉर्मल ही दिख रही है, और वहाँ की सज़ावट का क्या फ़ायदा जो प्राइवेट हो.


रीति.... हे हे, आप भी ना...


वैसवी.... देखो रीति, तुम्हारी रूम मेट, लगता है आते ही बाय्फ्रेंड बना रही है.


रीति.... नही, सैली पहले से बाय्फ्रेंड बना कर लाई है. वो दोनो एक ही सहर के हैं और साथ आए हैं.


वैसवी... ओह हो, ये तो काफ़ी फास्ट है. वैसे उसे देखो, लास्ट के रॉ मे जो लड़का है, कैसे घूर रहा है इंदु को, लगता है मौका मिले तो कच्चा चबा जाए.


रीति.... मॅग्ज़िमम ऐसे ही हैं, विस्वास ना हो तो मौका दो इन लड़को को, सच मे कच्चा चबा जाएँगे. हे हे हे...


वैसवी.... कमाल का सेन्स ऑफ ह्यूमर रीति, वैसे केवल लड़के ही कच्चा चबाते हैं ... हुन्न्ं !


अटेन्षन स्टूडेंट्स....


ऑडिटोरियम के स्टेज से एक अनाउन्स्मेंट हुई और सारे स्टूडेंट की मुंब्रिंग चुप्पी मे बदल गयी और सब आगे मूड गये. स्टेज पर एक ओल्ड लेडी अनाउन्स कर रही थी, जो कि कॉलेज किडाइरेक्टर थी. काफ़ी लंबा चला उसका भाषण, आने वाला साल ऐसा होगा, वैसा होगा ... ब्ला ब्ला. 


हर होनहार स्टूडेंट की तरह यहाँ भी डाइरेक्टर की बात सुन कर लगभग सभी स्टूडेंट जमहाई ले रहे थे... तभी उस डाइरेक्टर ने अपने पहले गेस्ट का अनाउन्स की जो फैशन डिजाइनिंग क्या है और उसका क्या महत्व है .... वो समझने आई थी...


और जो गेस्ट आई, उसे देख कर सब चिल्ला दिए ... और हूटिंग भी हुई ... ये थी सेलेब्रिटी प्रियंका चोपड़ा. सब देखे तो देखते रह गये. तकरीबन 2 मिनट वो बोली स्टेज पर और वहाँ से चली गयी. पर ये 2 मिनट सभी स्टूडेंट का ध्यान खींचने के लिए काफ़ी था.


सब को लगने लगा कि ये दुनिया कितनी आसान इन जैसे बड़े सेलेब्रिटी से मिलने का. आज जब कुछ सीखा नही तो ये हाल है, पूरा कोर्स कंप्लीट होने के बाद पता नही हम किस स्टार के डेज़ाइनर बनेगे और हमारे डिजाइन वर्ल्ड फेमस होंगे.


प्रियंका चोपड़ा के बाद शाहिद कपूर ने भी अपना विचार दिया, उसके बाद मोहित चौहान और श्रेया घोसाल ने सबके लिए एक डुयेट गाना भी गाया. सब के होश उड़े थे. कॉलेज प्रबंधन ने पहले दिन ही पूरा ग्लॅमर दिखा दिया.


आखरी के सबमिज़न मे डाइरेक्टर बस इतना ही बोली .... ये ग्लॅमर वर्ल्ड अपने कपड़ों पर टीके हैं जिनके डिजाइन हम देते हैं, सो स्टूडेंट ये पूरा ग्लॅमर वर्ल्ड आप का इंतज़ार कर रहा है, आने वाले साल मे आप की मेहनत आप को वो एक मुकाम देगी जिसकी कल्पना आप सब ने कभी नही की होगी. कल से आप सब के क्लास शुरू हो जाएँगे.


मुंब्रिंग करते सारे स्टूडेंट बाहर निकले. सब जैसे शॉक्ड थे कि कॉलेज के पहले दिन इतनी महान हस्तियों से मुलाकात भी हो जाएगी. सब की अपनी अलग ही मनोदसा थी इन सब स्टार्स को देखने के बाद.


रीति और वासू साथ मे थे, गौरव और सैली वहाँ से निकलने के बाद देल्ही भ्रमण को निकले थे और इंदु लगी थी कॉलेज मे अपनी पहचान बनाने मे.


रीति और वासू ......


ऑडिटोरियम से निकलने के बाद रीति बहुत ही खुश थी, उसका फेव. मोहित आज उसके सामने था. रीति को खोए देख कर वासू उसकी हालत पर चुटकी लेते बोली....


"पहले दिन ही हवा लग गयी, मुझे लगा तुम इन स्टार्स मे इंटरेस्टेफ नही होगी"


रीति.... सब की अपनी चाहतें होती हैं, वॉववव ! मोहित चौहान आए थे कॉलेज पहले से पता होता तो मैं भी तैयार होकर आती.


वासू.... ओह हो ! मेडम रीति तैयार होकर आती और मोहित चौहान पर बिजलियाँ गिरा देती, वो क्या तुम्हे देखने आया था. 


रीति.... कुछ फेवर मे ही बोल दो मेरा दिल रखने के लिए. यू नो मैं उसकी फॅन हूँ. वैसे आँखें फाड़ कर आप भी तो सबको देख रही थी, और यहाँ का दिखावा की. मुझे किसी से कोई मतलब नही है.


वासू.... रीति .. सब की अपनी चाहतें होती है. हे हे हे. अर्रे बाबा सच कहूँ तो मुझे लगा ये कोई सपना तो नही, ये कॉलेज वाले तो दिल मे अरमान जगा गये. क्या सच मे एक फैशन डेज़ाइनर की इतनी इंपॉर्टेन्स है.


रीति... हो सकता है हो, टीवी मे भी तो कई बार ये लोग बड़े प्राउड से नाम लेते हैं मैं इस डेज़ाइनर के कपड़े पहनती हूँ.


वासू... हां पर हम कभी ध्यान नही देते. हे हे हे..


रीति... हे हे हे .. हां सच है ये, मतलब हम वो फालतू लोग है जिसका नाम बस लिया जाता है. 


वासू... चल हॉस्टिल चल कर गप्पे लड़ाते हैं. वैसे तुम से मिलकर अच्छा लगा. 


रीति.... मुझे तो बिल्कुल बुरा लगा है. 


दोनो हस्ती हुई चल दी हॉस्टिल के तरफ़. आज बहुत दिन के बाद रीति काफ़ी खुश नज़र आ रही थी, वहीं वासू को एक नयी दोस्त मिल गयी थी. दोनो अभी रास्ते मे ही होंगे की वासू को अचानक ख्याल आया नीमा भी देल्ही मे ही है क्यों ना उस से मिल आया जाए.


वासू.... रीति देल्ही मे हूँ, मुझे देल्ही नही घूमाओगी.


रीति.... देल्ही घूमना, नही होस्टल हे चलते हैं.


वासू.... प्ल्ज़ चलो ना, देखो आज के बाद वैसे भी हम पढ़ाई मे बिज़ी हो जाएँगे फिर पता नही कब समय मिले.


रीति.... नही, मुझे समय भी मिलता है तो मैं घूम कर नही बिताती.


वासू... कितनी नीरस हो, अब चलो भी.


रीति.... एक बात कहूँ वासू, मैं सच मे बोरिंग हूँ, आप चली जाओ नही तो बोर हो जाओगी. मुझे किसी चीज़ मे कोई इंटरेस्ट नही.


वासू जैसे रीति की कही बातों की गहराई मे झाँकने की कोशिस कर रही हो, उसे लग गया कि हो ना हो इसके साथ ज़रूर कुछ ऐसा हुआ है जिस से ये टूट गयी है. हो सकता है प्यार मे धोके का चक्कर हो, ये सोच कर वासू इस बात को ना आगे बढ़ाते हुए एमोशनल ड्रामा शुरू कर दी.


वासू.... ठीक है मत जाओ, मैं भी अकेली जाकर क्या करूँगी. वैसे मेरी एक दोस्त यहीं है, दोस्त क्या मेरे लिए वो सब कुछ है, उस से सोच रही थी मिलने की, अब तुम मना कर दी तो मैं भी नही जाती.


रीति.... अर्रे मेरा मन नही है, आप जाओ ना.


वासू.... नही, मैं तुम्हे अकेले छोड़ कर नही जा सकती, वैसे भी आने वाले साल तुम्हारे साथ ही गुजरेंगे, तो मुझे भी तुम्हारी आदतों को समझना होगा.


रीति.... हद है ये तो, आप के अकेले जाने से हमारे साथ का क्या संबंध.


वासू... इतना लॉजिक नही जानती मैं, बस तुम नही जाओगी तो मैं अकेले देल्ही घूम कर क्या करूँगी.

रीति... बहुत जिद्दी हैं आप, चलिए कहाँ चलना है...


रीति के हामी भरते ही वासू ने नीमा को कॉल लगा दी और दोनो निकल गये उस से मिलने.


इधर सैली और गौरव दोनो साथ मे निकले ऑडिटोरियम से. गौरव और सैली दोनो बहुत खुश लग रहे थे.


गौरव.... थॅंक्स सैली, मुझे उस बोरिंग इंजिनियरिंग से छुटकारा दिलाने के लिए. यहाँ तो ऐसा लगा जैसे सपनो की दुनिया मे आ गये हैं.


सैली.... क्रेज़ीबॉय, मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा. इसी बात पर कहीं घूम कर आया जाए.


गौरव... तुम्हे तो हर बात के अंत मे घूमना ही नज़र आता है. ओ' मेडम अभी जो देखी ना वो घूम कर नही मेहनत से आता है. अब देखो एनगनीरिंग कर के लोग डॉलर मे पैसे कमाते हैं, इसका ये मतलब तो नही कि सारे इज़ीनियर उसी मुकाम पर आहुँचते हैं. सच तो ये है कि 60% इंजीनिया तो बेरोज़गार होते हैं और 10% ही ऐसे होते हैं जिन्हे अपना मुकाम मिलता है.


सैली.... क्रेज़ीबॉय, पहले दिन मैं कोई झगड़ा नही करना चाहती. मुझे नही सुन'ना कि कौन क्या होता है. प्रवचन बंद और देल्ही घूमना शुरू.


गौरव... अब ना कहूँगा तो तुम थोड़े ना मान'ने वाली हो. चलो चलते हैं...


गौरव और सैली हाथों मे हाथ थाम निकले देल्ही घूमने के लिए. सबसे पहले पहुँचे माल और दोनो मल्टिपलेक्स मे पिक्चर देखने चले गये. लाइट बंद हुई और पिक्चर शुरू. जैसे ही पिक्चर शुरू हुई, गौरव ने एक झटके वाला किस सैली के गालों पर कर दिया.


सैली फुसफुसाती कहने लगी.... क्या कर रहे हो, पागल तो नही हो गये.


गौरव.... मैं तो हूँ ही क्रेज़ीबॉय, तुम्हारा क्रेज़ीबॉय.


सैली, गौरव की बात सुन कर मुस्कुरा दी, और अपनी ओर मुड़ा गौरव के चेहरे को सामने के पर्दे की ओर करती हुई कहने लगी... मेरे पास तुम्हारे लिए एक फॅंटॅस्टिक ऑफर है...


गौरव.... ऑफर को मारो गोली, वो बाद मे देखेंगे, अभी तो बस एक पप्पी दे दो, आज मूड बड़ा रोमॅंटिक रोमॅंटिक हुआ जा रहा है.


सैली..... हुन्न्ञन् ! तो जाओ रोमॅन्स कहीं और दिखाओ, मैं जा रही हूँ हॉस्टिल.


गौरव.... जब देखो तब धमकी, बताओ क्या ऑफर है.


गौरव थोड़ा उखड़ा सा चेहरा बना कर शांत बैठ गया. सैली, गौरव के चेहरे पर हाथ फेरती .... "ओ' मेरा क्रेज़ीबॉय, गुस्सा हो गया. वैसे ऑफर तुम्हारे फेवर मे ही था, और वो ये था कि रोमॅंटिक सीन पर हेरोइन के साथ हीरो जो भी करेगा वो तुम कर सकते हो"


गौरव एक्सिटमेंट मे थोड़ा ज़ोर से कहता ... सच !


सारे बैठे आस पास के लोग, एक दम से पिछे मुड़े, सैली फुसफुसाते बोली ... हद है थोड़ा तो भावनाओ को कॉंट्रोल किया करो.


गौरव.... अब ऐसे ऑफर कभी रूम मे पिक्चर देखते समय तो नही दी, जो खुल कर एक्सप्रेस कर पाता. जहाँ दी वहीं एक्सप्रेस हो गया.


सैली.... हुहह ! मैं सब समझती हूँ, अब पिक्चर देखो, वैसे भी तुम्हारा एक सीन तो निकल ही गया.


गौरव.... बात मे उलझा कर एक मौका गवाँ दिया मैने.
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12-27-2018, 01:46 AM,
#29
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
अब गौरव स्क्रीन पर नज़रें जमाए देख रहा था, और चिढ़ भी रहा था, साला ये आक्षन मूवी मे रोमॅन्स का कोई सीन भी नही आता. ये कैसी मूवी है. दोनो हॉलीवुड मूवी ग्रीन ज़ोन देख रहे थे जो एक कॉन्स्पिरेसी और मिलिटरी ओपरेशन पर बेस्ड थी. 


पूरी मूवी निकल गयी, रोमॅन्स सीन तो दूर, एक हग करने तक सीन नही था. बेचारा गौरव टक-टॅकी लगाए पूरी मूवी देख गया और अंदर से चिढ़ता रहा. मूवी ख़तम हुई और मुँह लटकाए गौरव बाहर निकला....


"तुम जानती थी ना इस मूवी के बारे मे पहले से"


सैली... नही क्रेज़ीबॉय सच्ची नही जानती थी, मैं भी नीरस हूँ


गौरव.... झूठी कहीं की, नीरस होती तो अब तक गले लग चुकी होती.


सैली, गौरव की बात पर मुस्कुराती कहने लगी, "चलो कोई शांत जगह, यहाँ बहुत भीड़ है". दोनो बड़ी बेकरारी से अपने लिए जगह ढूँढने लगे, पर नही मिल पा रही थी कोई खाली स्पेस.


ढूँढते ढूँढते उनको आख़िर एक जगह मिल ही गयी... ये था माल के अंदर बना एक हॉरर प्लेस, जहाँ दिन मे भी अंधेरा रहता और हॉरर आवाज़ के साथ स्कल्स और दरवानी शकल के सिर, पैर ये सब अचानक से सामने आते थे.


गौरव.... चलो हॉरर सीन देखने


सैली.... ये रोमॅन्स के बीच मे हॉरर, तुम पागल हो गये क्रेज़ीबॉय, वैसे भी मैं इन सब जगहों पर नही जाती.


गौरव..... सीधे कहो ना कि डर लगता है, वैसे यहाँ पर अभी रोमॅंटिक हॉरर सीन लिखा जाएगा .. इसलिए चलो चलते हैं.


गौरव ने दो टिकेट लिया और अंदर जाते हे सैली की आँखों को अपने हाथों से ढक दिया.


सैली.... अंधेरा है पूरा फिर भी आँखों को क्यों ढक रहे हो


गौरव.... क्योंकि डर के मारे तुम्हारा मूड ना बदले अब म्यूज़िक सुनो और बस मेरे साथ चलो.


पूरा अंधेरा था, गौरव जब अपना हाथ हटाया तो भी वही महॉल था जो आँखें मून्दने पर. सैली बिल्कुल कस कर चिपक गयी गौरव से, उसे भींच ली और कहने लगी ....


"यहाँ तो कुछ भी कर लो किसी को पता भी नही चलेगा, ऐसी जगह ये लोग बनाते ही क्यों हैं"


गौरव.... अर्ररे अब शांत ज़रा .. शांत्त .. शांत्त .. शांत्त


कहते हुए गौरव, सैली के बदन पर हाथ फेरने लगा और उसे किस करने लगा. सैली भी गौरव से खुल कर मिल रही थी, वो भी किस का आनंद उठा रही थी. अभी दोनो एक दूसरे मे डूबे ही होंगे कि उपर से एक हाथ सैली के सिर पर लगा और बिजली की तरह चमक हुई उस जगह मे.


झटके से चिल्लाती हुई सैली, गौरव से अलग हुई. डर से उसकी साँसें चढ़ गयी, और हाँफती हुई अपने सांसो को नॉर्मल करने लगी. सैली डरी सी आवाज़ मे कहने लगी ... "चलो यहाँ से बाहर" 


गौरव इस जगह को बनाने वालों को कोसने लगा, और बाहर आ गया. सैली बाहर आते ही वॉशरूम चली गयी, और वापस आकर लगी गौरव का क्लास लेने.


"भला अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कोई ऐसी जगह पर भी आता है. दूर हटो मुझ से, मुझ से बात करने की कोशिस भी मत करना. पागल कहीं के"


गुस्से मे वो बस बोले ही जा रही थी. दबी नज़रों से गौरव बस आस पास ही देख रहा था. पॉइंट ऑफ अट्रर्क्षन हुआ जा रहा था गौरव. गौरव हाथ ज़ोर कर शांत होने के लिए कहने लगा और इशारों मे समझने लगा, लोग देख रहे हैं यहाँ.


चिढ़ि हुई पूरी सैली, गौरव मुँह लटकाए खड़ा था. देल्ही घूमने और रोमॅन्स दोनो का भूत उस हॉरर प्लेस के आर्टिफिशियल भूत ने उतार दिया और दोनो वापस हॉस्टिल आ गये.


इंदु सब मे अकेली थी, और शायद उसे ऐसे रहना ही अच्छा लगता था. कोई उसके बारे मे ज़्यादा जाने उसे पसंद नही था. उसकी नज़रें तो बस पेज 3 के स्टार बन ने की थी, जिसकी शुरुआत वो कर चुकी थी, और आज के महॉल को देखती हुई, उसे लगने लगा था कि वो सही जगह पहुँच गयी है.


अब उसका मकसद यहाँ अपने कॉंटॅक्ट बनाने और उपर बढ़ने का था. क्योंकि उसे पता था कि बिना कॉंटॅक्ट के ग्लॅमर वर्ल्ड अधूरा है. 


वो बस अकेली इधर उधर टहल रही थी, और सारे चीज़ों का आंकलन कर रही थी. चलते चलते जब वो ऑफीस के पास पहुँची तो एक बड़ी सी कार आकर रुकी ऑफीस के सामने और सारे स्टाफ दौड़ कर उस कार के इर्द-गिर्द नज़र आने लगे.


इंदु को लगा जैसे फिर कोई स्टार उतर रहा हो उस कार से. पर उसमे से जो उतरा वो अंजान व्यक्ति था तकरीबन 40-42 साल का. बिल्कुल फिट बॉडी और प्रेसोनालिटी. इंदु वहाँ की चल रही गहमा गहमी को देख रही थी, और सोच रही थी कि अभी जो आया वो कौन हो सकता है. 


वो एक स्टाफ के पास जाकर पता की, तो पता चला ये आदमी इस कॉलेज का ट्रस्टी है, और पूरा कॉलेज इसी का है. इंदु को लग गया कि उसकी तलाश सही जगह रुकी है, ये है अपने काम का बंदा.


थोड़ी देर रुकी, देखी, सारे स्टार उस से हाथ मिलाते वहाँ से निकल गये, वो आदमी भी अपने कार की ओर बढ़ा और जाने ही वाला था, कि इंदु उसके पास पहुँच गयी.


थी तो बहुत ही खूबसूरत इसलिए उस आदमी का ध्यान भी इंदु की ओर गया, इंदु उसके पास जाकर "हेलो सर" कह कर उसको विश की.


आदमी.... कौन हो तुम 


इंदु... सर, मैं इंदु हूँ, फर्स्ट एअर मे. आज मेरा पहला दिन है..


आदमी... डॉन'ट कॉल मी सर, मैं भूपेन थापर हूँ. लोग मुझे विक्की के नाम से जानते हैं.


इंदु... सर, मुझे सिन्हा जी रेकमेंड किए थे.


इंदु भी अपना दाव खेल गयी, उसे अच्छे से पता था कि वो किसका नाम ले रही है और उसके बाद रिक्षन क्या आने वाला है.


विक्की.... ओह्ह्ह्ह ! वो तुम हो. वैसे मैं खुद तुम से मिलता. अच्छा कि जो मिल ली मुझ से. यहाँ सब ठीक तो लग रहा है ना.


इंदु.... विक्की सर, आज तो पहला दिन है, कुछ बता नही सकती.


विक्की.... पहले दिन से ही लोग स्टार की रेस मे आते हैं, जो बाद मे प्लान करते हैं वो गली स्टार बन कर रह जाते हैं. तुम समझ रही हो ना मैं क्या कहना चाहता हूँ.


इंदु.... जी बिल्कुल सर, और मेरी भी इच्छा पहले दिन से ही है.


विक्की.... ओके इंदु, ये रखो मेरा कार्ड, कॉल मे 6 पीएम स्टार की रेस मे कैसे उतरना है मैं बता दूँगा.


विक्की उसे कार्ड देते चला गया, इंदु मुस्कुराती उसका कार्ड पर्स मे डाली और शाम 6 बजे की प्लॅनिंग अपने हिसाब से करने लगी.




ठीक सम 6 बजे इंदु, विक्की को कॉल की .... विक्की ने उसे वहीं पास के एक बंग्लॉ का पता दिया जहाँ उसे मिलना था. इंदु हॉस्टिल से ठीक 5 बजे निकली, बाहर आकर उसने विक्की के बताए अड्रेस की ओर रुख़ की और तकरीबन 5.30 मे वहाँ पहुँच गयी.


बाहर गेटकीपर ने वहीं इंतज़ार करने के लिए कह कर अंदर फोन लगाया, अंदर से जो भी बात हुई हो, गेटकीपर उसे वहीं इंतज़ार करने के लिए कहने लगा.


इंदु चारो ओर नज़र घुमा कर देख रही थी, आलीशान बंग्लॉ और आगे की फेन्सिंग काफ़ी लाजबाव थी. थोड़ी देर बाद विक्की भी बाहर आया, कार निकाला और इंदु को उसमे बैठ'ने के लिया कहा. मुस्कुराती इंदु बैठी उस कार मे, और निकल गयी बिना जाने किसी अंजाने के साथ अंजान राहों पर.


विक्की.... 6 बजे बोला था, पहले चली आई.


इंदु.... सर, आप ही तो कहे थे, स्टार्स स्टार्ट अर्ली, इसलिए पहले आ गयी.


विक्की.... काफ़ी तेज हो..


इंदु.... थॅंक यू सर, वैसे अभी कहाँ जा रहे हैं.


विक्की..... तुम्हे स्टार बनाने, सुनो वहाँ जो भी हो चुप-चाप सुन ना, और जब मैं तुम्हारी ओर देखूं, बस इतना कहना ... "चलो डार्लिंग, आइ म गेटिंग बोर". वहाँ बिल्कुल भी अपना दिमाग़ नही लगाना.


इंदु.... जैसी आप की मर्ज़ी सर.


कुछ ही पल मे दोनो एक 5 सितारा होटेल मे थे, विक्की, इंदु को अपने पिछे आने का इशारा किया. दोनो लॉबी मे पहले से बैठे एक कपल के पास पहुँचे. विक्की बैठते हुए उसे .. हेलो मिस्टर. अमोल. दोनो हाथ मिलाए और बातें शुरू हो गयी.


मज़े की बात तो ये थी कि वहाँ बैठी दोनो लड़कियाँ बस चुप-चाप थी, और दोनो की बातें सुन रही थी. इंदु को समझ मे आ गया कि ये अमोल काफ़ी भारी पड़ रहा है विक्की पर, काफ़ी गुस्सा था विक्की की किसी हरकत को लेकर और उस पर लगातार बोले ही जा रहा था. 


बात की बारीक़ियाँ तो समझ मे नही आई उसे क्योंकि मॅटर नही जानती थी, लेकिन कुछ तो विक्की ने ऐसा किया था जिस से दोनो की जान अटकी थी, और विक्की के किए पर उसे काफ़ी सुना रहा था, यहाँ तक कि ये भी कह दिया अमोल ने, "कि यदि जल्द हे मामला ठीक नही किए तो वो अपनी बर्बादी देखने के लिए तैयार हो जाए...."
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12-27-2018, 01:46 AM,
#30
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
इंदु.... देखिए अमोल जी, आप का इतना सुना'ना समझ मे आ रहा है, पर यदि अभी बीती बातों पर ही एक दूसरे की खिंचाई करेंगे तो इस से मॅटर सॉल्व नही होना है, यदि आप को उस बात के लिए आक्षन लेना है तो अभी ले लीजिए बाकी जो भी हुआ है सॉल्व हो जाएगा, और नही हुआ तो जो आप को करना है कर लेना, चलो डार्लिंग यहाँ से.


इंदु जान बुझ कर कूद गयी बीच मे, विक्की तो हक्का-बक्का बस उसी को देख रहा था और समझने की कोशिस कर रहा था कि ये लड़की बिना इसे जाने आख़िर इतना बोल कैसे गयी.


खैर अब तो जो होना था हो गया, विक्की उठा और इंदु के साथ चल दिया. कार के अंदर पहुँचते हे गुस्से मे विक्की ने उसका गला दबा दिया....


"कमीनी, तुझे बोला था अपना मुँह बंद रखने, फिर अपना मुँह क्यों खोली. जानती भी है कौन है वो"

इंदु.... उन्न्नह, उनह, गला तो छोड़ो. 


हाँफती साँसों को नॉर्मल करती हुई ...... आप के पास दिमाग़ की कमी है, इसलिए गुस्से से काम ले रहे हो.


विक्की.... तू मुझे समझाने वाली कौन होती है, यदि उसने कुछ आक्षन लिया अभी की बात पर, तो मैं तो निकल जाउन्गा किसी तरह, पर तुझे जान से मार दूँगा.


इंदु.... पहले अपनी जान बचा लो, इतना हे मॅटर सॉल्व करने वाले होते तो वो इश्स तरह से बातें नही करता. दूसरी बात ये, कि उसे बस अपना काम होने से मतलब है. और मैने वहाँ इसलिए ऐसा किया क्योंकि सिर आप कुछ जबाव नही दे रहे थे और उसे सुन ना था कि, उसका काम हो रहा है कि नही.


विक्की.... कहने का क्या मतलब है तेरा....


इंदु.... मतलब ये है सर, कि उसका जो भी नुकसान है या बिगड़ा काम है सॉल्व कर दो बस, उसे बस वही सुन ना था. और हां काम तो उसका आप को करना ही था, क्योंकि जो हाव-भाव थे उसके उस से यही पता चलता था कि या तो करो या तैयार हो जाओ आगे के लिए.


विक्की... यू बिच ! ये तो मैं भी जानता था, कम-अकल लड़की, पर उसके इंटेन्षन जान ना था मुझे. मैं उस से बात इसलिए नही कर रहा था ताकि वो जाते जाते मोहलत देता जाए, जब उसका गुस्सा नॉर्मल हो जाए तो मैं उस से कुछ हेल्प ले सकूँ. अब बता तेरे साथ मैं क्या करूँ, तू क्या सोचती है बिना दिमाग़ के मैं यहाँ पर हूँ. बोला था ना चुप-चाप रहना.....


इतना कह कर विक्की ने गुस्से मे एक थप्पड़ लगा दिया उसे, और कार ड्राइव करने लगा. इंदु को अपनी कुछ एक्सट्रा ऑर्डिनरी प्रेज़ेन्स ऑफ माइंड पर अब रोना आ रहा था, अच्छा ख़ासा उसका एक कॉन्टेक्ट उसकी बेवकूफी की वजह से हाथ से चला गया, वो तो सिर्फ़ एक कॉंटॅक्ट जाने का सोच रही थी, पर आगे जो होना था उस पर उसका ख्याल ही नही गया.


विक्की कार तेज़ी के साथ अपने बंग्लॉ के अंदर लाया, और इंदु के बाल पकड़ कर खींचता हुआ उसे घर मे ले गया. जोरदार एक थप्पड़ इंदु के गाल पर पड़ी..... "तुझे तो आज मैं दिखाता हूँ, बीच मे बोलने का क्या मतलब होता है, स्टार बनेगी, तुझे तो मैं पॉर्न स्टार बना दूँगा"


ज़ोर का थप्पड़ पड़ने से इंदु के होश उड़ चुके थे, आँखों से आँसू आ गये, रोती हुई वो सॉरी सॉरी कहने लगी, मगर विक्की का तो दिमाग़ खराब हो चला था इंदु की हरकत देख कर. 


विक्की, इंदु को खड़ा किया और उसके होंटो को काट'ते हुए चूम लिया, और फिर चूमते हुए ही एक धक्का दिया और इंदु फर्श पर गिरी. गिरी ही थी, कि विक्की ने इंदु का टी-शर्ट खींच कर निकाल दिया, बड़ी बेरहमी से पेश आ रहा था, टी-शर्ट खींचने के चक्कर मे इंदु के कयि जगह छिल भी गया.


किसी तरह छूट कर उस से, इंदु भागी. भागते हुए वो एक कमरे मे पहुँच गयी, गेट अंदर से लॉक कर ली, और वहाँ लगे बिस्तर पर बैठ कर अपने आँसू पोच्छने लगी.


नॉर्मल हुई भी नही होगी, कि विक्की गेट खोलता चिल्लाता अंदर घुसा.... ये मेरा घर है कमीनी, आज तुझे कोई नही बचा सकता मुझ से. यहाँ के सारे गेट मेरे इशारे से खुलते हैं.


इंदु जैसे ही विक्की को अंदर गुस्से मे आते देखी, उसके होश एक पल मे ही उड़ गये, जान बचाती फिर रही थी, किसी के मॅटर मे एक्सट्रा दिमाग़ लगाने की उसकी सज़ा मिल चुकी थी. उसे कुछ समझ मे ही नही आ रहा था क्या करे क्या नही करे.


वो वहाँ से फिर भागी और जाकर खुद को बाथरूम मे बंद कर ली. यहाँ अंदर घुसने से विक्की भी फैल हो गया. अंदर जाकर इंदु वहीं बैठ कर फुट-फुट कर रोने लगी. ज़्यादा जल्दी थी उसे उपर पहुँचने की और उसी जल्दी ने इंदु के साथ ये क्या कर दिया. 


इंदु अपना मोबाइल निकाल कर कॉंटॅक्ट चेक करने लगी ... और सोचने लगी किसे मदद के लिए बुलाए, यहाँ वो किसी को जानती भी नही. और तो और उसने अपने रूम मेट का भी नंबर नही ली थी जो हॉस्टिल खबर कर दे.


इधर बाथरूम के बाहर खड़ा विक्की ज़ोर से दरवाजा पीट'ते हुए.... बाहर आ जा तू, जितनी देर अंदर रहेगी उतना मेरा गुस्सा बढ़'ता रहेगा, हो सकता है कहीं आज ही तेरी मौत ना लिखी हो, वैसे भी देल्ही मे कांड होते रहते हैं.


बोल्ड और दोहरी जिंदगी जीने वाली इंदु, जिसे आज तक कोई डरा नही पाया था, वो डर से थर्र-थर्र कांप रही थी, उसकी हर तेज चिल्लाहट पर धड़कने थम जाती थी. मन मे अचानक ही ख़याल आया की पोलीस को फोन किया जाए और उसे सारी घटनाएँ बता दी जाए.


इंदु जल्दी से अपने मोबाइल से 100 डाइयल की और पोलीस को कॉल करने लगी, पर कॉल कंप्लीट नही हो पाई क्योंकि नंबर डाइयल कर के फोन लगा ही रही थी कि विक्की ने तेज गुर्राया, और डर से उसके हाथ से मोबाइल छूट गया, और पानी मे गिर गया.


वक़्त ने भी अजीब मंज़र दिखाया, क़ैद मे फँसी थी इंदु और छटपटा कर रह गयी थी, हर पल बीत'ता और हर बीते पल मे आहट होती उसे अपने मौत की. ये किसके चंगुल मे फँस गयी .....

गेट की तेज़ी से खट-खटाने की आवाज़, काँपता बदन, तेज़ी से धड़कता दिल, और रुकी सी साँसें. भय ने ऐसा घेरा इंदु को कि वो डर से बाथरूम मे ही चिल्लाने लगी .... 


इधर बाथरूम के गेट पर तेज-तेज धक्को की आवाज़, इंदु को ये अहसास करा रही थी कि गेट किसी भी समय खुल सकता है. डर के मारे हाथ से बाथरूम का सावर चालू हो गया. अचानक से पानी बदन पर गिरा तो साँसें चढ़ गयी, और साँसें जैसे थम सी गयी हो. 


बस क्षण भर का था ये, पर पानी पड़ने से दिमाग़ भी थोड़ा शांत हुआ इंदु का. घबराई तो बहुत थी इंदु, विक्की का गुस्सा देख कर, पर उसे क्या सूझा, खुद मे हिम्मत करती वो बाथरूम से बाहर निकली.


जैसे ही बाहर आई विक्की ने गला पकड़ कर उसे फर्श पर धक्का दे दिया. इंदु हिम्मत कर के उठी, इस से पहले विक्की कुछ करता, इंदु अपने पूरे मुँह मे विक्की के होंठ भरते हुए उसे ज़ोर-ज़ोर से चूमती हुई काटने लगी. 


तकरीबन दो मिनट तक का चला ये किस, विक्की ने कंधे से पकड़ कर इंदु को खुद से अलग किया और फिर एक थप्पड लगाते हुए कहने लगा....... तुझे आज मुझ से कोई नही बचा सकता.


पर इस बार का थप्पड़ पहले के मुक़ाबले आधे से भी कम ज़ोर का था. इंदु समझ चुकी थी आगे क्या करना है..... "बचना भी कौन चाहता है विक्की" ..... कहती हुई खड़ी हुई ....


थप्पड़ खाकर भी एक बार फिर उसके होंठ को जोरदार तरीके से चूमि, और अपने हाथ को उसके पैंट के अंदर डाल कर विक्की के लिंग को प्युरे मुट्ठी मे अपनी पूरी ताक़त के साथ दबा दी. ज़ोर लगाने के कारण विक्की के जो होंठ इंदु के दाँतों तले थे वो भी जोरदार तरीके से दाँतों के बीच मे आ गये.


इतना तेज पलटवार इंदु का था कि विक्की तो ढेर हो गया. दर्द मे चिल्लाने की बारी विक्की की थी. जैसे करेंट की चपेट मे आया बॉडी का हिस्सा तेज़ी से झटका ख़ाता है, उसी तरह दाँतों के बीच फँसे होंठ के कारण सिर, और हाथों मे दबोचे लिंग के कारण कमर ने झटका खाया और विक्की बड़ी तेज़ी से अलग हुआ.


जबावी हमले मे विक्की ने बड़ी तेज़ी के साथ इंदु के बदन से लगे ब्रा को खींच कर निकाल दिया और इंदु के बूब्स पर हमला बोलते, राइट वाले बूब को अपने मुट्ठी मे और लेफ्ट को अपने मुँह मे ले लिया ..


एक को हाथों से बड़े प्यार से धीरे-धीरे सहला रहा था, और दूसरे को मुँह मे भर कर पूरा चूस रहा था. इंदु ... इष्ह ! करती सिसकारियाँ लेने लगी, और विक्की के बाल पर हाथ फेरने लगी. आनन्द के पल थे ... और वासना की आग भड़कना शुरू हो गयी.... 


तभी विक्की का हाथ जो उसके बूब्स को सहला रहा था, सहलाते सहलाते एकदम से झटके से एक बार कस कर दबोच लिया, और ठीक उसी समय बूब्स को चूस्ते हुए झटके मे काट लिया.



तेज आहह की आवाज़ के साथ चीखी इंदु और विक्की के बाल को पूरी ताक़त के साथ खींच कर उसके सिर को उपर की. विक्की का सिर उपर होते ही दोनो की नज़रें मिली और कुछ पल दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखे और फिर एक दूसरे का होंठ पागलों की तरह चूमने लगे. 


होंठ चूमते हुए विक्की के हाथ इंदु के बॅक को पूरा दबोचे रहे थे वहीं इंदु भी विक्की के पीठ पर हाथ फेरती उसपर नाख़ून के ज़ोर से खरॉच रही थी.


दोनो दर्द और मस्ती मे डूबे थे, और चीख और सिसकारियों का मिला जुला एक्सप्रेशन आ रहा था. विक्की नीचे हाथ ले जाकर इंदु के जीन्स के बटन को खोलते हुए उसे उसके शरीर से आज़ाद कर दिया और अपने पैंट उतार कर नीचे से नंगा हो गया. 


अब विक्की ने इंदु का गला पकड़ा और पिछे करते हुए बिस्तर पर धकेल दिया, इंदु धम्म से गिरी बिस्तर पर, और विक्की उस पर टूट पड़ा. 


होंठो को होंठ पर रखे, एक हाथ से एक बूब्स को पकड़ा और दूसरा हाथ इंदु की योनि पर, जिसमे वो अपनी तीन उंगलियाँ डाल गोल घुमाता हुआ बड़ी तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे उंगलियों को अंदर बाहर करते नल खोल रहा हो.


इंदु तेज साँसें लेती हुई मस्ती से सिसकारियाँ ले रही थी, उसके मज़ा की कोई सीमा नही थी, खास कर जब उंगलियाँ योनि के अंदर घूमती तो इंदु मस्ती मे पागल हो जाती. और उसी बीच विक्की कभी उसके होंठ काट लेता तो बही उसके बूब्स को बरी बेरहमी से दबोच लेता.


कोई रहम नही थी आज तो. कभी दर्द से इंदु एयाया कहती .. तो कभी मस्ती मे आहह ! झटके देकर इंदु ने विक्की को नीचे किया और खुद उपर आ गयी. अपने दाँतों से विक्की के निचले होंठों को काटी, हाथों को सीने पर फिराती हुई, विक्की के निप्पल को अपने नखुनो मे फँसा कर बड़ी ज़ोर से खींच दी.


उफफफ्फ़ जान ही निकाल दी विक्की की..... "कामिनी.... आअहह ... चीखता हुआ विक्की ने एक थप्पड़ जड़ दिया फिर से. लेकिन अब विक्की के थप्पड़ मे पहले जैसी बात नही रही. जितना दर्द वो इंदु के नाज़ुक अंगों को दे रहा था कम से कम उस से तो कम ही थी. 


दोनो जैसे शिफ्ट मे खेल रहे हों. पहले विक्की फिर इंदु, फिर विक्की. विक्की उठा बिस्तर से और इंदु से पुछ्ता हुआ ... कुछ लेगी क्या...


इंदु.... हां लूँगी ना तुझे पूरा, वैसे तू दे भी क्या सकता है...... कहती हुई इंदु ने अपनी एक आँख मार दी.


विक्की..... ऐसी बात है जानेमन, फिर तो आज ज़ोर आज़माइश हो ही जाए. वाइन लेगी क्या अभी ?


इंदु.... जो भी है, आज सब ले लूँगी.


विक्की हँसता हुआ गया, एक स्कॉच की बोतल खोल कर पॅक बनाया और दोनो पीने लगे. दो पॅक के बाद इंदु ने बस कर दिया. विक्की तीसरा पॅक डालते, "अभी से सरेंडर हो गयी, अभी तो पूरी रात बाकी है. इस दो पॅक मे क्या होगा".


इंदु तीसरा पॅक पीती हुई .... नशा तो सेक्स का होना है, शराब की मदहोशी मे फिर कहाँ कुछ पता चलेगा.


विक्की मुस्कुराता हुआ बोतल बंद किया और एक ड्रॉयर से मोमबत्ती निकाला, उसे जलाया और इंदु को लेटने का इशारा किया. इंदु भी चुप चाप लेट गयी. विक्की मोबतती को जला कर आया और इंदु के पाँव को फैलाते हुए योनि के उपर जलता मोम गिराने लगा.


पतली चमड़ी के उपर जला मोम, दर्द से तो इंदु छटपटा गयी, पर इस दर्द मे भी उसे एक अलग ही मज़ा मिल रहा था. पर विक्की यहीं पर थोड़े ना रुकने वाला था, मोम को बिल्कुल योनि पर गिराकर ठीक उसके उपर से बूंदे गिराता हुया क्लीवेज़ तक पहुँचा, और हाथ वहाँ से पहले राइट फिर लेफ्ट की डाइरेक्षन मे मूड कर उसके बूब्स के उपर गिराते हुए ... बुझा दिया.


इंदु बस तेज-तेज साँसें लेकर इस जलन को झेल गयी, थोड़ी जलन हुई पर काम की मस्ती के आगे ये जलन फीकी थी. उल्टा जब मोम धीरे धीरे ठंडा हुआ तो शरीर के अंदर एक मस्ती भरी सिहरन सी पैदा होने लगी.

विक्की फिर इंदु को "लेटी रह" बोल कर गया और फ्रिड्ज से आइस क्यूब निकाल लाया. जमे हुए मोम को हाथो से खरोंच ते हुए आइस-क्यूब उसपर मल्ता हुआ उपर से नीचे आ रहा था. इंदु की साँसें काफ़ी तेज हो गयी थी. जले पर आइस क्यूब का लगाना उसे काफ़ी सुकून दे रहा था.


इंदु तो अपने काम की पूरी मस्ती मे आ गयी थी, दर्द के साथ ये एक ऐसी फीलिंग थी जो उसे दीवाना बना रही थी. नीचे आते आते अब विक्की योनि पर पहुँचा. यहाँ के लिए विक्की ने स्पेशल ट्रीटमेंट सोच रखा था.


मोम को हाथों से हटा'ते हुए आइस क्यूब को मुँह मे लेकर योनि के अंदर डाल दिया और उपर से मुँह तब तक नही हटाया जबतक वो बर्फ पानी नही हो गया. इंदु का सरीर पूरा सिहर गया. अंदर से जैसे तरंगे उठ रही हो, बदन की छटपटाहट थी ऐसी थी जैसे मानो मछली पानी के बाहर छटपटा रही हो .... और तेज चलती साँसें और इश्ह्ह्ह्ह्ह ! की आवाज़ें ये बता रही थी कि वो अब पूरी मस्ती मे थी.....


विक्कीईईईईईईईईई .... ईश्ह्ह्ह्ह्ह्ह ! हाटाआूओ, मैंन्न्न् पागलल्ल्ल हो रही हूँ...... मानो उस बर्फ ने जैसे योनि के अंदर भूचाल मचा रखी हो, वो अंदर से इतनी तेज आज तक नही मचलि. विक्की बर्फ पिघलने के बाद भी योनि को अपने मुँह से लगाए रखा और जीभ से चाट'ता रहा. 
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