vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:28 PM,
#81
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
आकांक्षा: बता रही थी सब कुछ.. भैया भाभी हनिमून को गये हैं बोली. बहुत लंबी बात चली हमारी.. मुझे ना मम्मी आपने बड़ी बेहन देनी चाहिए थी..ये यूस्लेस जानवर दे दिया..
मे: हाँ मम्मी… मैं भी कयि बार ऐसा ही सोचता हूँ.. ये यूस्लेस जानवर कहाँ से दे दिए आपने मुझे.. हमारे ख़यालात काफ़ी मिलते हैं.. हैं ना जानवर??
वो मूह बनाते हुए मेरी ओर देखने लगी और बोली;
आकांक्षा: अब ऐसे लड़के से कौन बात करेगा आप ही बताओ?
मे: हू केर्स…? बात ना भी करे तो मेरा क्या जा रहा है…
मम्मी: अच्छा ये अब नेवेर एंडिंग वॉर ख़त्म करो और पानी वानी लो..चलो जल्दी..
हम खाना खाते हुए बाते करने लगे..
मम्मी: तू खुद ही कॉल कर लेना उसे?
मे: अर्ररे यार..अब ये क्या नया नाटक हैं? इतनी पीछे क्यो लगी हैं? अब मेरा कोई कॉंटॅक्ट नही हैं. क्या बात करूँ उससे? वैसे भी रिलेटिव्स से बात करना मुझे नही आता.. कुछ सूझता ही नही हैं..
पापा: सिर्फ़ रिलेटिव्स से बात करते वक़्त ही नही सूझता हैं ऐसा नही हैं सम्राट..
आकांक्षा: हाहहहाहा….
मे: हहा.. आपकी ही कमी थी.. आ जाओ आप भी मैदान मे.. आंड ओये..तू क्या हँस रही? खाना खा चुप चाप से..
पापा: देख बेटा.. अब उसने तेरे बारे मे पूछा तेरी मम्मी से.. और नंबर भी लिया तेरा.. मतलब वो बात करना चाहती हैं. बेहन हैं तेरी. रिश्तो को ऐसे नही तोड़ते रहते बेटा.
मे: पापा..उसने मेरा नंबर लिया? करेक्ट?
पापा: हाँ..तो?
मे: तो नंबर क्या दिन भर देखते रहती हैं क्या? इस पागल को अगर वो कॉल कर सकती हैं तो क्या मुझे नही?
मम्मी: अर्रे..अककु छोटी हैं उससे..तू तो बड़ा हैं ना..?
मे: ओके..अगर मैं कह दूं कि मैं उसे कॉल करूगा तो क्या आप लोग मेरी जान खाना छोड़के खाना खाओगे?
मम्मी: हाँ..ठीक हैं.
पापा: नही.. नही..
मे: हुहह? नही क्या नही? अब क्या हुआ? कह तो दिया कॉल करने के लिए..और क्या चाहिए?
पापा: बेटा..मैं बाप हूँ तेरा..मुझे ही टोपी पहनाएगा.
मे: अभी तो नही पहना रहा..यूष्यूयली आइ डू..
पापा: अच्छा?? 
मे: हाँ बट अब क्यू नही कहा?
पापा: जब तू कॉल करेगा तब हम तेरी जान खाना छोड़ेगे..
मे: मुझे समझ नही आता.. इससे पहले तो किसी और को कॉल करने के लिए आपने नही ऐसा फोर्स किया..अब क्या हुआ??इसमे ऐसा क्या हैं?
पापा: वेल..टू बी ऑनेस्ट.. तेरी मम्मी कह रही हैं..बॅस..
मम्मी ने पापा को थोड़ा लुक दिया..
पापा: मे ,…मेरा मतलब हैं कि मम्मी कह रही हैं इसलिए ही बॅस नही.. करना चाहिए तूने कॉल..
आकांक्षा: हहहे…स्मार्ट पापा..
मे: तुझे तो हहेहहे करने के लिए ही पैदा किया हैं बस. और कुछ काम की नही..
मम्मी: अरे बॅस भी करो अब तुम लोग..और सम्राट..
मे: हां माताजी..मैं धरती माँ की सौगंध खाता हूँ कि मैं कल कॉल करूगा?
आकांक्षा: किसे?
पापा: गुड क्वेस्चन बेटा..
मे: अरे वोही..चैत्राली को..खुश? खाना खाओ अब शांति से सब..
मैने टेबल के नीचे से आकांक्षा को एक लात मारी और कहा;
मे: तू तो रुक..बताता हू तुझे मैं..देख ना तू.
वो मुझे जीभ दिखाती हुई चिढ़ाने लगी..
खाना ख़ाके मैं रूम मे चला गया.. और सोचने लगा कि क्या नया झोल हैं साला ये? क्या घंटा बात करू मैं उससे? एक तो रिलेटिव,उसमे भी लड़की.. कुछ हैं ही नही बात करने के लिए मेरे पास उससे..? जहा तक मुझे याद था बचपन मे बोहोत ही ज़्यादा हद तक बोरिंग लड़की थी वो. कुछ नही कहेगी? बॅस पागल जैसी एक जगह बैठी रहेगी..
मे: फक ब्बीयी..
मैं अपना काम करने लगा..उतने मे ही मसेज आया वाट्सॅप पे.. पायल का था.
‘हे’

मैने एक घुस्से वाला एमो सेंड कर दिया..
मे: 
पायल:ओई?? ये क्या?
मे:तुझे मीनिंग नही सम्ज़ा इस एमो का
पायल:अरे..वो पता हैं..बट ये??? 
मे:व्हाई?? कहाँ मर गयी तू?
पायल:अरे मरे मेरे ढहूऊस्समन..
मैं क्यू मारने लगी??
मे:लग तो ऐसा ही रहा हैं? कल कितने मेसेज किए तुझे..नो रिप्लाइ.नो मसेज..अम्तंग.
पायल:अरे बताया था ना..नासिक आई थी
नेटवर्क का झोल हैं वहाँ.
मे:और उसके बाद.??
पायल:अरे..काम मे थी..तेरे जैसी नही मैं.... 
मे:हाँ हाँ..दुनिया मे एक तुझे ही काम रहते हैं ना.
पायल:अरे बॅस ना अब..फ्री होते ही तुझे.मसेज की मैने..सी!!
मे:हाँ..आपका बोहोत बोहोत शुक्रिया मेसेज करने का..
पायल:इतना क्या भड़क रहा तू..शांत होज़ा..वस्सूप
मे:नतिंग..जस्ट हॅड डिन्नर..यू?
पायल:मी टू.
मे:ह्म्म्मय…
पायल:क्या ह्म्म्म ?? भड़क तो ऐसे रहा हैं तू..जैसे 1000 बाते करनी थी मुझसे..
मे: हाँ तो करनी ही थी..नोट एग्ज़ॅक्ट्ली बाते..बट 1000 बार करना हैं ना कुछ..
पायल:क्या करना हैं?द
मे:अरे वोही..जो करने मे बोहोत मज़ा आता हैं..हम दोनो को..
पायल:ऐसा क्या हैं जो करने मे दोनो को मज़ा आता हैं??
मे:सोच ना तू ही..
पायल:उम्म्म..नही तो ..ऐसा तो कुछ नही जो करने मे हम दोनो को मज़ा आता हैं.
मे:सीरियस्ली? कुछ नही याद आ रहा ?
पायल:नही नाअ.नोथनग..
मे:हिंट दूं?
पायल:हाँ दे ना.
मे:वो करते वक़्त हम ने कपड़े नही पहने होते हैं.
पायल:ओह्ह…कमीना..समझ गयी..तू ना…
मे: वोही…
पायल:ह्म..वो तो हो गया कबका!!
मे:हुहह??हो गया?? कैसे हो गया?अकेले कैसे की??
पायल:अरे? उसमे क्या हैं? अकेले ही करती हूँ वो मैं. 
मे:वोही तो पूछ रहा??
पायल:अरे..बोहोत मज़ा आया..सीरियस्ली.. बड़ा सुकून मिला मुझे तो वो करके!
मे:तू क्या कह रही??
पायल:तू नहाने की ही बात कर रहा ना??
मे:अर्रे उल्लू की दूंम..मरजा कही ..मर जा कही जाके तू.. 
पायल:अब्बे?? मैं क्यू मरूं? मैने क्या किया..?? 
मे:ग्न..म स्लीपिंग..
पायल:ओये…
हेलो??
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11-01-2018, 12:28 PM,
#82
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
सम्राट? कहाँ गया?? हहहीहे..
लॉल…..
तू तो चिढ़ गया.. हहे…
गुडनाइट 

पायल से बात करने के बाद मैं अपना काम करने लगा. काम करते करते मुझे यूथिका की याद आई. मैने उसे लास्ट टाइम मसेज किया था अबाउट सेट्टिंग अप आ टाइम सो दट वी कॅन टॉक. मैने सोचा चलो चेक करते हैं कि कुछ रिप्लाइ आया हैं या नही. मैने दूसरा सिम डाल दिया मोबाइल मे और वेट करने लगा. कुछ ही देर मे मेसेज आने स्टार्ट हो गये. 
“हे… हा.. आइ ऑल्सो थिंक सो. व्हाट टाइम आर यू फ्री?”
मे: हाई.. अरे बताया ना कि आइ गेट फ्री अट नाइट..
यूथिका: ओह्ह हाँ.. कूल..
मे:सो?? हाउ’स इट गोयिंग??
यूथिका:चल रहा हैं..जस्ट हॅड डिन्नर.
मे: सेम हियर..एनीवे.. तुमने बताया नही कि तुम हो कौनसी सिटी से?
यूथिका: ई नो!
मे: सो?? व्हेयर आर यू फ्रॉम?
यूथिका: अगर मुझे वो बताना ही होता तो पहले ही बता दिया होता.. दा फॅक्ट दट आइ हेवन’ट टोल्ड इट टू यू सो फार मीन्स दट आइ डॉन’ट वॉंट यू टू नो..राइट?
मे: व्हाई? सीक्रेट एजेंट हो क्या? 007??
यूथिका: नही..लड़की हूँ ना..
मे: अगर इतनी ही कन्सर्वेटिव हो तो तुम ऐसी साइट पे क्या कर रही थी? 
यूथिका: मतलब?
मे: मतलब ये कि इट’स आ सेक्स चॅट साइट.. आंड जैसा तुम दिखा रही हो कि तुम ‘वो’ टाइप की लड़की नही.. सो व्हाट वर यू डूयिंग देयर? कॉज़ वहाँ मोस्ट्ली सब हॉर्नी लोग ही रहते हैं.
यूथिका: दट’स नोन सेन्स..
मे: ईज़ इट?? चेक दा नेम ऑफ दा साइट.. यू विल फाइंड दा सेन्स..
यूथिका: आइ नो कि इट’स आ सेक्स साइट.. बट डज़न्’ट मीन दट यू हॅव टू बी देयर जस्ट फॉर सेक्स ओन्ली.. पीपल कम देयर टू जस्ट टॉक ऑल्सो..
मे: या..राइट..एवर सिन्स फ़ेसबुक वाज़ शट डाउन..सब लोग वही तो आते हैं सोशियल नेटवर्किंग के लिए.. इट्स बूमिंग रियली..
यूथिका: हुहह? फ़ेसबुक क्लोज़ हो गया? ये कब हुआ?
मे: हे राम! सार्कॅज़म से कोई रीलेशन नही लग रहा तुम्हारा दूर दूर तक..
यूथिका: इसमे क्या सार्कॅज़म? आइ आम जस्ट आस्किंग..
मे: व्हेन वाज़ दा लास्ट टाइम यू चेक्ड युवर फ्ब पेज?
यूथिका: अभी 15 मिनट पहले..
मे: सो अगर फ्ब क्लोज़ होता तो चेक कैसे कर पाती फ्ब पेज खुदका? यू डॉन’ट सीम टू बी वेरी ब्राइट..
यूथिका: शट अप! आइ आम ब्राइट..
मे: हा हा..चमक दिख रही हैं.
यूथिका: लुक अगर तुम मेरी इन्सल्ट ही करना चाहते हो तो आइ डॉन’ट थिंक आइ वाना टॉक टू यू.
मे: इन्सल्ट का क्या इसमे? यू आर दा वन हू ईज़ ट्राइयिंग टू बी सम्वन एल्स एंटाइर्ली आंड हाइडिंग व्हाट यू आर ट्रूली लुकिंग फॉर..
यूथिका: व्हाट डज़ दट ईवन मीन?
मे: वेल..फॉर स्टार्टर्स.. यू अरे रियली ट्राइयिंग हार्ड टू शो दट यू आर आब्सोल्यूट्ली कन्सर्वेटिव गर्ल.
यूथिका:व्हाट डू यू मीन ‘ट्राइयिंग?’ आइ आम व्हाट आइ से आइ आम..
मे: आर यू?? रियली? लुक..आइ सी प्लेंटी ऑफ गर्ल्स लाइक यू अवर्रडे..ट्राइयिंग टू फूल अदर्स..
यूथिका: आइ आम नोट फूलिंग यू..तुम्हे अब भी लगता हैं कि मैं लड़का हूँ? लड़की नही?
मे: ओह्ह आइ नो कि तुम लड़की हो..वो डाउट नही रहा मुझे अब
यूथिका: सो?? व्हाट इट ईज़ युवर डाउट नाउ?
मे: क्वेस्चन ईज़ व्हाट ईज़ युवर डाउट नाउ?
यूथिका: लुक…यू आर बीयिंग रियली वियर्ड.. लगता हैं ग़लती हो गयी मेरी जो तुम्हे मैने अपना नंबर दिया.
मे: मेबी यस.. बट आ गर्ल हू गोज़ टू सेक्स चॅट साइट्स जस्ट सो दट शी कुड टॉक टू सम्वन आंड नोट अबाउट सेक्स.. इट’स मोर वियर्ड दॅन यू थिंक आइ आम बीयिंग…. सो दो ही बाते हो सकती हैं.. या तो तुम बोहोत ही ज़्यादा दिखावा कर रही हो कि तुम बोहोत ही अच्छी लड़की हो और सेक्स के बारे मे कुछ भी नही जानती..या तुम बोहोत ही अकेली हो कि तुम्हारी लाइफ मे कोई नही हैं जिससे तुम बात कर सको..
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11-01-2018, 12:28 PM,
#83
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
यूथिका: तुम मुझे जानते भी नही हो और इतनी बकवास करने लगे मेरे बारे मे.. समझते क्या हो तुम खुद को? ईडियट.. ग़लती हो गयी तुमसे बात की जो मैने.. इसीलिए हम इंडियन गर्ल्स देसी लड़को से चॅट नही करती हैं..तुम्हारे सवाल का जवाब मिल गया अब? गुडबाइ..गेट लॉस्ट..
मे: हाँ.इंडियन लड़किया होती ही ईडियट हैं..तभी तो ऐसी बाते करती हैं.. गेट लॉस्ट टू यू टू..
मैने फोन बेड पे रख दिया और कहा;
मे: ह्म्म्म …नाउ लेट्स वेट फॉर दा आउटकम..
आप सोच रहे होगे कि ये क्या चूतिया लड़का हैं जो हाथ आई लड़की से ऐसे बाते करके उसको भगाने के पीछे पड़ा हैं.. वेल. इट मे लुक लाइक दिस.. बट अगर आप किसी से कुछ चाहते हो तो आपको उस इंसान को मनिपुलेट करना ज़रूरी होता हैं. उससे सिवा आपको वो चीज़ कभी नही मिलेगी जो आप चाहते हो.और किसी को मनिपुलेट करने का सबसे आसान तरीका हैं कि ये पता करो कि वो इंसान चाहता क्या हैं? ऐसी कौनसी चीज़ हैं जो वो ढूँढ रहा हैं मगर उसे मिल नही रही हैं? ऐसे लोगो को ये यकीन होता हैं कि कभी ना कभी जो वो ढूँढ रहे हैं,ज़रूर मिल जाएगा..चाहे आज,या कल या परसो..कभी ना कभी तो मिलेगा. एक बार अगर आप ये पता कर लेते हो कि वो इंसान चाहता क्या हैं तो आपको बॅस एक सिंपल सी चीज़ करनी होती हैं.. वो ये कि उस इंसान को इस धोके मे रखो कि वो चीज़ उसे मिलने नही वाली.. और जो चीज़ हमे नही मिलती, उस चीज़ के लिए तड़प बढ़ती ही जाती हैं. जितना तडपाओगे, उतना ही वो अपना आपा खोते जाते हैं और जल्दबाज़ी मे ऐसा कुछ कर देते हैं जिससे कंट्रोल आपके हाथ मे आ जाता हैं.

यूथिका,एक लड़की जो सिर्फ़ इसलिए साइट्स तो साइट्स घूमती हैं ताकि उसे कोई बात करने के लिए मिल जाए. इसका एक ही मतलब हो सकता हैं..वो ये कि वो बोहोत ही ज़्यादा अकेली हैं और चाहती हैं कि कोई उसे सुने जो वो कहना चाहती हैं. लोन्लिनेस ईज़ दा मदर ऑफ डेस्परेशन..और एक डेस्परेट इंसान कुछ भी कर सकता हैं. मैने बॅस उसे इस डेस्परेशन की याद दिलाई हैं. अब मुझे वेट करना हैं कि वो बात उसे कब चुभती हैं और वो कब अपना आपा खो कर मुझे मेसेज करती हैं. अगर मेरा प्लान सक्सेसफुल हुआ तो मैं इस लड़की को जैसा चाहूं वैसा मनिपुलेट कर सकता हूँ. ये मनिप्युलेशन की टेक्नीक आप किसी भी इंसान पे चला सकते हो.. बॅस आपमे उतनी समझ और उतना पेशियेन्स होना चाहिए. 
हमेशा से ये सब मैं नही जानता था. नही समझ पाता था कि कैसे किसी को यूज़ किया जा सकता हैं, या किसी को कंट्रोल किया जा सकता हैं. कंट्रोल की पवर क्या होती हैं? नही जानता था. मगर जब आप खुद पवरलेस होते हो तो आपको उसकी एहमियत समझ आती हैं. नेहा से ब्रेक अप होने के बाद मैने इस बात को समझा. सिर्फ़ समझा ही नही, उसे महसूस भी किया हैं कि कंट्रोल जब छूट जाता हैं तो कैसा लगता हैं. सो,ऑनेस्ट्ली, क्रेडिट गोज़ टू माइ डियरेस्ट फरन्ड वरुण. 
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11-01-2018, 12:28 PM,
#84
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
10 मिनट हो चुके थे लास्ट मेसेज आने को यूथिका का.
मे: दट’स अबाउट टाइम नाउ.. टिक टिक 1………….
नतिंग..
मे: टिक टिक 2……………
स्टिल नतिंग…
मे: टिक ती……….
‘बीप’
मे: बिंगूऊऊ…..!!!!!
मोबाइल पे मेसेज आया..चेक किया…
‘यू देयर??’……………………

मसेज देख कर मैं मुस्कुरा दिया..नाउ ऑल आइ हॅव टू डू ईज़ टू चेक दा लेवेल ऑफ हर डेस्परेशन. मैने मोबाइल मे से सिम निकाल दिया. उसका एक बड़ा सिंपल रीज़न हैं. हम मसेज पॅक आक्टीवेट करते हैं.पैसे देकर रीचार्ज करवाते हैं. चाहे कोई भी क्यू ना हो, अपने पैसे वेस्ट तो नही जा रहे ना इस बात की गॅरेंटी सभी लोगो को चाहिए होती हैं. इसीलये लोग,स्पेशली हम लोग, मसेज डेलिवर हुए या नही इस के लिए ‘डेलिवरी रिपोर्ट’ आक्टिव करके रखते हैं. अगर मसेज डेलिवर हुआ तो एक रिपोर्ट मेसेज आ जाएगा. सिंपल! अब अगर मेसेज डेलिवर नही हुआ तो बेचैनी बढ़ती जाती हैं. धीरे धीरे..मैने मोबाइल स्विच ऑफ करने से मुझे मेसेज डेलिवर नही हो रहे थे. मगर ये बात उसे नही समझ आएगी., उसकी बेचैनी बढ़ती जाएगी. कॉज़ आइ हॅव पोक्ड हर व्हेयर इट मॅटर्स दा मोस्ट. दा फॅक्ट दट शी ईज़ लोन्ली मेक्स हर वल्नरबल. 
आइ नो, आइ नो..आप सोचोगे कि कितना कमीना इंसान हूँ मैं.. मगर भाइयो और उनकी बहनो.. कभी कभी कुछ जीतने के लिए,कुछ हारना भी पड़ता हैं.. जो मुझे चाहिए वो पाने के लिए मैने अपनी अच्छाई खोई..अब यूथिका मेसेज पे मेसेज करेगी..बार बार लगातार..जो मुझे डेलिवर होगे नही..गेम बिगिन्स..

मैं मोबाइल मे से सिम निकाल के आराम से सो गया और अब सीधा कल रात को ही चेक करूगा मैं यूथिका के मेसेज. कल आने वाले उसके मसेज की टोन पर से मैं समझ जाउन्गा की आख़िर ये लड़की चाहती क्या हैं और किस हद तक चाहती है. कुछ ही देर मे मुझे नींद लग गयी और मैं सो गया. अगले दिन सॅटर्डे था इसीलिए मुझे सुबह उठने की ज़्यादा कोई गड़बड़ नही थी. आरामसे सो सकता हूँ. इतना सोच के उतने मे ही मेरे दिमाग़ मे घंटी बजी;
‘आकांक्षा की डाइयरी!!!’
मेरे दिमाग़ मे से ही निकल गया था कि मैने आकांक्षा के रूम मे जीतने भी लॉक्स हैं, सबकी एक एक कॉपी कीस बनाके रखी हैं. ट्यूसडे को आकांक्षा का बर्थ’डे भी हैं. मतलब वो कल ही शॉपिंग को जाएगी. देन आइ कॅन स्नीक इंटो हर रूम आंड सी व्हाट’स नेक्स्ट? मैं एग्ज़ाइटेड हो गया था सोच के कि कल मुझे आगे क्या क्या हुआ वो पता चलेगा..मैं सो गया.
सुबह 9 बजे मेरी नींद खुल गयी. मैं आराम से ब्रश करते करते घर मे घूमने लगा. ऐज एक्सपेक्टेड घर मे कोई नही था. मैने ब्रश किया,बढ़िया सी कॉफी बनाके अपनी रूम मे गया,कॉफी का मग टेबल पे रखा,क्लॉज़ेट खोला और आकांक्षा के रूम की कीस निकाली. उस दिन के बाद आज पहली बार मैं आकांक्षा के रूम मे आया हूँ. ऐज यूषुयल, एवेरितिंग वाज़ पिंक..मुझे समझ नही आता कि ये पिंक का अब्सेशन क्या होता हैं गर्ल्स को इतना? एक बार रूम का एक चक्कर लगाया.. आकांक्षा कैसी भी बेवकूफ़ क्यू ना हो,मगर रूम एक दम क्लीन रखती हैं वो. इनफॅक्ट एक धीमी धीमी सी खुश्बू सी आती हैं उसकी रूम मे. वेरी प्लेज़ेंट!
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11-01-2018, 12:28 PM,
#85
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैने ज़्यादा टाइम वेस्ट करना ज़रूरी नही समझा. आइ वाज़ जस्ट टू डॅम एग्ज़ाइटेड अबाउट रीडिंग डाइयरी. मैने बेड के नीचे का प्लांक उपर उठाया और सब कुछ उसी तरह से रखा था जैसा मैने पहली बार देखा था. टिप टॉप! बॉक्स के अंदर डाइयरीस रखी थी. मैने लास्ट पढ़ी हुई डाइयरी उठाई और वापिस से प्लांक नीचे करने ही वाला था तो मुझे कुछ याद आया और मैने लेटेस्ट वाली डाइयरी भी साथ मे ले ली और रूम मे चला गया. डोर लॉक किया और कॉफी पीते पीते डाइयरी पढ़ने लगा.
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आज पहली बार ऐसा हुआ हैं कि मैं एक ही दिन मे दो दो बार लिख रही हूँ डाइयरी मे कुछ.. आज स्कूल से आने के बाद जो हुआ मेरे साथ..वो मैं किसी के साथ शेयर नही कर सकती. इसीलिए मैं फिर से लिख रही हूँ. क्योकि जबसे मैं अपने रूम मे आई हूँ,मेरे दिमाग़ से वो बात जा नही रही बिल्कुल. और ना ही वो एहसास मैं भुला पा रही हूँ जो मुझे तभी हो रहा था. मम्मी ने तभी डोर नॉक करके जैसे मुझसे कुछ छीन लिया. मैं समझ नही पा रही कि आख़िर मैं करूँ तो क्या करूँ? क्या मैं दोबारा????...आख़िर ये सब क्या हो रहा हैं? शायद निशा इस के बारे मे कुछ जानती होगी..मगर उससे बात करना सही होगा या नही? मैं नही जानती. वो मेरी दोस्त हैं..सबसे अच्छी.. मुझे पीरियड्स के वक़्त भी उसीने समझाया था. मैं कल उसीको पूछ कर देखती हू इस बारे मे….
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अगले दिन मैं स्कूल बस का वेट कर रही थी और मेरे दिमाग़ मे 1000 बार एक ही सवाल घूम रहा था. राजीव मेरे बारे मे क्या सोच रहा होगा मेरी कल की हरकत के बाद? और 500 बार ये सवाल घूम रहा था कि निशा से कैसे बात करूँ. मैं अपनी सोच मे ही थी कि मुझे स्कूल बस के हॉर्न की आवाज़ आई..मैं बस मे चढ़ते से ही…
“ओईए…”
मैने नज़र घुमा कर देखी..निशा थी..इशारा कर के बुला रही थी..
निशा: कितना टाइम लगाती तू आने मे? कब से सीट बचा कर रखी तेरे लिए!!
मे: मैं खुद तो बस नही चलाती जो मेरी ग़लती होगी! अब जब बस आती हैं तब मैं बैठ जाती हूँ..
निशा: व्हाटेवेर!!
मे: हहे..आ गयी तेरी गाड़ी व्हाटेवेर पे??? अच्छा सुन..
निशा: फरमाइए..
मे: मुझे ना तुझसे कुछ बात करनी हैं..
निशा: हाँ तो बोल ना..
मे: अर्रे पागल.. यहाँ नही..अकेले मे बात करनी हैं.
निशा: ऐसी क्या बात करनी हैं?? ओईईोईए…लगता हैं किसी ख़ास इंसान के बारे मे बात करनी हैं तुझे!!
मे: तू कभी तो सीरियस्ली लिया कर मेरी बाते निशा!!
निशा: अरे रिलॅक्स..इतना क्यू भड़क रही?? करेगे ना बात..वो सब जाने दे..कल क्या कहा राजीव ने??
मैं राजीव का नाम सुनके शरम गयी.. 
निशा: हाए री मेरी बन्नो रानी.. शर्मा तो ऐसी रही है जैसीए….
मैं निशा की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी..
मे: शट अप निशा..
कहके मैं झूठमूठ का थप्पड़ लगा दिया निशा को..हम इधर उधर की बाते करने लगी..उतने मे स्कूल भी आ गया.
मे: रिसेस मे बात करनी हैं..याद रखना..
निशा: नही नही…शांति से खाना खाना हैं मुझे..रिसेस नही.
मे: तो??
निशा: तू टेन्षन ना ले..मैं मॅनेज कर लुगी..
मैं कुछ कहूँ उससे पहली मेरी नज़र राजीव पर पड़ी.. उसके पापा उसे ड्रॉप करके जाते हैं ऑफीस.. कितना हॅंडसम दिखता हैं वो वाइट शर्ट और ब्लॅक पॅंट मे…वाउ! मैं उसे ही देखने लगी..वो जब भी सामने आता हैं मेरी साँसे उखड़ने लगती हैं और बोलती बंद हो जाती हैं..सो एंबॅरसिंग..मैं उसे घुरे जा रही थी और उतने मे ही उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और मैं तो जैसे डर के मारे पानी पानी होने लगी..वो आगे बढ़ते बढ़ते एक दम रुक गया..
‘ये क्यू रुक गया??’
मैने अपने आपसे ही कहा.. वो अब हमारी तरफ आने लगा..
मे: शिट!!!
निशा: हुहह? अभी? घर पे नही की क्या??
मे: सस्स्सस्स..शट अप निशा…चुप कर..वो देख..
निशा इधर उधर देखने लगी…
णीश: क्या देख??
मे: अरे..अक्कल की बेवकूफ़… वो…राजीव..यहीं आ रहा हैं..चल..
निशा: कहाँ चल?
मे: कही भी चल.. मगर यहाँ से चल..वरना….
मैं कुछ और कह पाती उससे पहले ही..
राजीव: हे!!
निशा: हाई..
मुझे समझ ही नही रहा था कि क्या कहूँ..वो मेरी तरह देखने लगा.
राजीव: आकांक्षा?? हाई..
मेरे फ्यूज़ उड़ गये थे..
मे: हूउहह??
निशा: हाई बोला वो…उल्लू..सॉरी राजीव..कान मे कुछ गया हैं इसके..सुबह से सुनाई नही दे रहा उसे..
निशा ने मुझे पिंच करते हुए कहा;
निशा: हाई बोल!!!
मे: हह..हह..हही…हाई..हेलो..
निशा: इतना नही….
मैं शरम से लाल पीली होने लगी. और वो मुझे ही देख रहा था.. क्या नसीब हैं…
राजीव: हेलो टू यू टू. तुम ठीक तो हो आकांक्षा? कल भी तुम अचानक चली गयी बात करते करते..और आज भी???
मे: वो….. कल….कल…कल कुछ याद आ गया मुझे..सूऊ…..
निशा: लंच बॉक्स छोड़ के आ गयी थी कॅंटीन मे..सो लेने चली गयी…
मे: हां..वो….वो..वोही..भूल गयी थी….मैं…म्म्म्मे रा…वऊू…
निशा: टिफिन..
मे: येस्स..टिफिन…टिफिन..भूल गयी थी…..वो…वाआहाआ…उम्म्म्म…
निशा: टाय्लेट मे!!
मे: हाँ..टाय्लेट मे..टिफिन…
राजीव: हुहह????टाय्लेट मे टिफिन…
मेरी ज़बान डाट नीचे दब गयी.ये क्या कह दिया? टाय्लेट मे टिफिन खाता हैं क्या कोई उल्ल्लू??
मे: नही…वो.टिफिन भूली कॅंटीन मे…. और ..उम्म्म्म…वो…याद आया…वाहा…उम्म्म्म…टाय्लेट मे…
निशा: हां..ये राइट हैं.
राजीव: ओह्ह्ह्ह…ओके कूल..सी यू देन…
निशा: हाँ..सी या राजीव..
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11-01-2018, 12:28 PM,
#86
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैने जस्ट बाइ किया किसी तरह और वो चला गया..वो जाने के बाद मुझे निशा की हँसी सुनाई दी.
मे:निशॅयायाया.आ…कामिनियियीयियी…रुक तो..बताती हूँ तुझे…
मैं उसकी जान ले लेती उससे पहले वो भाग गयी वहाँ से और मैं उसके पीछे पीछे . क्लास शुरू हो गयी.. 1’स्ट लेक्चर होने के बाद पता नही निशा को क्या हो गया..वो अपना सिर डेस्क पे डाल कर सो गयी..पहले 5 मिनट तो कुछ नही हुआ मगर कुछ देर बाद मेडम ने निशा को घूर्ना स्टार्ट काइया. मैने उसे 2-3 बार पोक किया निशा को की वो उठ जाए. मगर वो थी की टॅस से मस्स नही हो रही थी. फाइनली वोही हुआ जिसका डर था. निशा को मेडम ने पकड़ लिया..
मेडम: निशा?? स्टॅंड अप…
सारी क्लास हमारे बेंच की तरफ देखने लगी. मुझे बड़ा डर लगने लगा. वो भी देख रहा था. मेडम के कहने पर भी निशा खड़ी नही हुई तो मदन ने चिढ़ के कहा;
मेडम: निशा!!! आइ सेड स्टॅंड अप..
फिर कही जाके निशा खड़ी हुई..उसकी आखे लाल हो गयी थी जैसे रो रही हैं काफ़ी देर से.
मे: निशा?? क्या हुआ?? निशा?!!
सब लोग घूर रहे थे निशा को.मेडम भी आ गयी निशा के पास?
मेडम: व्हाट हॅपंड निशा? आर यू ओके?
निशा: मॅम`, आइ आम नोट फीलिंग वेल. 
मेडम: ओह्ह्ह…क्या हुआ? फीवर हैं?
मे: नही मेडम. अभी स्कूल मे आते वक़्त तो ठीक थी..
मेडम: अचानक क्या हो गया??
निशा: आइ डॉन’ट नो मेडम. अच्छा नही लग रहा..
मेडम: ह्म्म्म्…ओके..यू गो टू दा रेस्टरूम..टेक सम रेस्ट. अगर फिर भी अच्छा ना लगा तो वी विल कॉल युवर पेरेंट्स आंड सेंड यू होम.
निशा कुछ नही बोली;
मेडम: आकांक्षा, गो वित हर!
मे: यस मॅम!
मैने निशा का हाथ पकड़ के उसे सहारा देते हुए बाहर निकली..
मे: आराम से निशा! चल..
उसकी आखे बोहोत लाल हो गयी थी. उसने अपना सर मेरे कंधे पे रख दी और हम क्लास रूम से निकल गये. निशा कुछ नही कह रही थी. मुझे बड़ा डर लगने लगा कि आख़िर अचानक हुआ क्या? रेस्टरूम तक जाने तक वो कुछ नही बोली. हम अंदर पहुँच गये. 
निशा: अककु??
बड़ी दबी आवाज़ से वो किसी तरह बोल रही थी.
मे: हाँ निशा!? बोल..क्या चाहिए?
निशा: ज़रा देख तो बाहर कोई हैं क्या? नर्स या और कोई?
मैने बाहर जाके देखा..कोई नही था. 
मे: रुक..मैं बुलाके लाती हूँ किसी को अभी.. यही रुक..
मैं मुड़ती उससे पहले ही;
निशा: आब्ब्बे ओये बेवकूफ़…
मैं तो घबरा के वही रुक गयी..
मे: हुहह??
निशा: अबे क्या हुहह हुहह करती रहती है.. बैठ चुप चाप.. तुझे बात करनी थी ना..यहा अब हम आराम से बाते कर सकते हैं..
मेरी समझ मे आ तो सब गया था मगर भरोसा नही हो रहा था कि निशा इतनी नौटंकी हैं.
मे: अरे ड्रामेबाज़ हैं तू बड़ी.. बाप रे!! बताई क्यू नही ऐसा करने वाली हैं? नालयक..
निशा: क्या? तुझे बता दूं और मिस कर दूं इतना फन?? शॅक्ल देखनी चाहिए थी तेरी तूने..मेरी तो हँसी छूट रही थी.
मे: बड़ी कामिनी हैं तू.. 
निशा हँसने लगी. मैं झूठ मूट का गुस्सा दिखाने लगी मगर कुछ देर बाद मुझे भी हसी आ ही गयी..
निशा: आ बैठ ज़रा पेशेंट के साथ..
मे: बॅस कर अब…
निशा: फाइन…. बोल,क्या बात करनी थी तुझको?
मे: ओह्ह..वो..आक्च्युयली ना…
निशा:बूओल्ल्ल्ल!!! फिर से कुछ हुआ क्या उस दिन जैसा?
मे:अर्रे नही..वो मंत मे एक ही बार होता हैं ना?
निशा: वोही तो..क्या हुआ देन?
मे: आक्च्युयली ना..कैसे बताऊ तुझे अब?
निशा: अककु..तू मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं..मुझे नही बताएगी तो किसे बताएगी?
बात तो सही थी उसकी.. इतना ड्रामा कोई बेस्ट फरन्ड ही कर सकती हैं. मैने एक गहरी साँस ली;
मे: ह्म्म्म्म …ओके! उस दिन याद हैं जब मैं वाइट टॉप पहन के आई थी? बर्थ’दे के दिन?
निशा: अर्रे कैसे भूल सकती हूँ वो दिन मैं?? क्या लग रही थी तू उस दिन? हर लौंडा तुझे घूर रहा था उ दिन..कसम से.. मेरा भी ईमान डगमगा गया था.
Reply
11-01-2018, 12:28 PM,
#87
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
निशा हँसने लगी..
मे: ट्च..शट अप! ऐसा करेगी तो नही बताउन्गी मैं कुछ..
निशा: अच्छा..सॉरी सॉरी..बता..क्या हुआ?
मे: उस दिन जब मैं राजीव से बात कर रही थी. तब ना…
निशा: अर्रे बताएगी?
मे: तब बात करते करते मुझे कुछ होने लगा था. मेरी साँस बड़ी तेज़ चलने लगी थी..अजीब सा लग रहा था..और ना..मेरे…वो…
मैं अब भी कशमकश मे थी कि कहूँ या ना कहूँ..
मे: एम्म्म…मेरे….
आगे कहती उससे पहले ही;
निशा: निपल्स हार्ड हो गये थे…
मैं शॉक हो गयी निशा की बात सुनके..
मे: ओह्ह माइ गॉड! तुझे कैसे पता? किसने बताया तुझे? किसी ने देखा क्या उस दिन? हे भगवाअनन!!!
मैने अपना चेहरा हाथ मे छुपा लिया..
निशा: अर्रे ओये ड्रामा क्वीन… किसी ने कुछ नही बताया!
मे: नही नही,.तू झूठ कह रही. किसी ने तो बताया ही होगा. वरना तुझे कैसे पता चलता?? 
निशा: मुझे कैसे पता चलता??उम्म्म्म…हेलो????
मे: क्या? यही तो हूँ..
निशा: तू कुछ भूल नही रही?? 
मे: मैं तो खुदका नाम भी नही याद रखना चाहती..माइ लाइफ ईज़ ओवर..
निशा: शट अप!!! तू ये भूल रही हैं कि मैं भी एक लड़की हूँ..
मे: आआआहह….राइट.. तू भी..उम्म्म्म…सूऊओ..उम्म्म..ये जो भी मुझे हुआ..वो तुझे भी???
निशा: ऑफ कोर्स यार! कैसी बात कर रही हैं तू? पागल.. हर लड़की को होता हैं वो. और तुझे याद हैं मैने तुझे कहा था कि अब तेरा बेस्ट टाइम स्टार्ट होने वाला हैं? 
मे: हाँ..याद हैं..
निशा: समझ ले हो गया..
मे: अरे मुझे कुछ अमझ नही आ रहा.
निशा: अरे मेरी भोली भाली दोस्त.. एक बात बता. जब तेरे निपल्स हार्ड हो गये थे..तेरे पेट मे भी कुछ फील हो रहा था?
मे: हाँ..
निशा: क्या?
मे: उम्म्म….गुदगुदी सी होने लगी थी.
निशा: और कही कुछ फील हो रहा था?
मे: नही..
निशा: झूठी… बता सच सच..
मैं इतनी एंबरीस्स हो रही थी.
मे: अर्रे..सच मे ना..
निशा: फिर झूठ..बताती हैं या दूं?
मे: ओके फीनी!!!! हो रहा था.
निशा: कहाँ?
मे: वो...वहाँ पर…
निशा: कहाँ पर??
मे: आररीए!!! वही..लेग्स के बीच मे.
निशा: हहेः…लेग्स के बीच मे.. बच्ची ही हैं तू..
मे: अब इसमे बच्ची का क्या हैं? जहा फील हुआ वही पे बताई तुझे…
निशा: हाँ तो उसे लेग्स के बीच मे नही कहते..नाम हैं उसका कुछ..
मे: वो फीलिंग को??
निशा: नही नही.. उस जगह को.
मे: क्या नाम हैं?
निशा: इंग्लीश मे उसे क्रॉच कहते हैं..मैने अपने पापा की एक बुक मे पढ़ा था..कुछ मेडिकल अनॅटमी की कुछ बुक थी..
मे: क्रॉच? 
निशा: हाँ..
मे: और हिन्दी मे??
निशा: हिन्दी मे क्या कहते हैं मैं नही जानती…
मे: ओह्ह..
निशा: मगर मैने एक बार कुछ सुना था..
मे: क्या??
निशा: तुझे याद हैं क्या मेरे घर के ठीक सामने एक छोटी सी दुकान हैं?
मे: हाँ..पता हैं..जनरल स्टोर ना?
निशा: हां..वोही वोही.. वहाँ ना शाम को लड़के खड़े रहते है टाइमपास करते हुए..अपने से थोड़े बड़े..
मे: हाँ??
निशा: हाँ..तो उनकी बाते एक दिन मैं सुन रही थी बाल्कनी मे खड़ी होकर..कि आख़िर ये इतनी बाते करते हैं और हँसते क्यू हैं?
मे: तो? क्या सुनी तूने?
निशा: सब ठीक से नही सुनी मैने..मगर वो किसी लड़की के बारे मे बात कर रहे थे. दट’स फॉर श्योर.
मे: क्या कह रहे थे?
निशा: पता नही..मगर वो कह रहे थे कि वो लड़की का फिगर कितना अच्छा हैं..और उसके बोहोत ही बड़े हैं कह रहे थे..
मे: क्या बड़े हैं?
निशा: ओहू..वोही जो तेरे अभी बड़े हो रहे हैं..
पहले तो मुझे समझा नही.मगर जब निशा की नज़र वहाँ गयी तो मैं शरमा गयी.
मे: ओह्ह्ह..वो..ओके..
निशा: और एक लड़का कुछ उसके पैरो के बीच मे इशारा करके कह रहा था..एक वर्ड..मैने ठीक से सुना या नही पता नही..
मे: बता ना..क्या सुनी?
निशा: कुछ अजीब सा वर्ड कहा उसने. लंड!!!
मे: लंड???
निशा: हाँ..आइ थिंक हिन्दी मे ना क्रॉच को लंड कहते हैं..
मे: अजीब सा वर्ड हैं..
निशा: मुझे भी ऐसा लगा..लंड…तू आगे बता ना..
मे: हां तो वहाँ भी गुड़गुली होने लगी थी..
निशा: हां. होता हैं ऐसा..
मे: हाँ मगर घर जाके वो फीलिंग और भी बढ़ गयी. मैं जैसे ही रूम मे गयी उस दिन घर जाने के बाद..मुझे रोना आ गया.
निशा: तू तो किसी भी चीज़पे रोती हैं..
मे: नही निशा..उस दिन मैं डर रही थी.. मैं समझ नही पा रही थी कि निपल्स हार्ड कैसे हो गये. मैं देखना चाहती थी कि आख़िर हो क्या रहा हैं? तो…
निशा: क्या?
मे: तो ना..मैने अपना टॉप निकाली और मिरर के सामने खड़ी हो गयी. मैने पहली बार खुदको उस दिन वैसे देखा.. वो फीलिंग बड़ी स्ट्रॉंग होने लगी थी. मेरी साँस बोहोत तेज़ चलने लगी. पेट मे गुदगुदी होने लगी थी. मैने टॉप के अंदर से मॅक्सी पहनी थी..मगर उसमे से भी..
निशा: वेट….मॅक्सी?? तू अब भी मॅक्सी पहनती हैं?
मे: हां..क्यू? तू नही पहनती??
निशा: नही..
मे: हुहह??!!! मतलब तू वैसी ही??
निशा: अर्रे नही उल्लू..आइ मीन ब्रा पहनती हूँ मैं अब.
मे: ब्रा?
निशा: हाँ.ट्रैनिंग ब्रा..
मे: मैं तो मॅक्सी ही पहनती हूँ..
निशा: मगर अब ज़्यादा दिन नही पहन पाएगी ऐसा लग रहा हैं मुझे. 
उसने मुझे छेड़ते हुए कहा..
Reply
11-01-2018, 12:28 PM,
#88
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
निशा: आगे बता!
मे: ओह्ह..हाँ. मॅक्सी मे से भी मुझे निपल्स दिख रहे थे..हार्ड हुए.. और जाने अंजाने मे ही मेरा हाथ अपने आप मॅक्सी के नीचे चला गया और एक ही झट्के मे मैने मॅक्सी निकाल फेकि.. 
निशा: फिर???
मे: निशा मैं सच कहती हूँ.उसके बाद जो हुआ वो ऐसा लगा जैसे कि कोई करवा रहा मुझसे. क्योकि मेरा खुद पे काबू ही नही था कुछ. मैने पहली बार अपने आपको मिरर मे ऐसे देखा.. उपर से ओपन बिल्कुल. मैं समझ नही पा रही थी कि अपनी ही बॉडी देख कर ये क्या हो रहा हैं मुझे? मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था,पेट मे ऐसी अजीब सी गुड़गुली होने लगी और मेरे लेग्स डगमगाने लगे थे.
निशा: फिर??
मे: मैं डर रही थी. मुझे लगा मैं बीमार हो रही हूँ. तो मैं वैसे ही बेड पे जाके लेट गयी. जैसे ही मैं बेड पे लेटी मेरी चेस्ट एक दम आगे की तरफ निकल गयी और ऐसा करेंट लगा वैसे फीलिंग मुझे मेरे निपल्स के आसपास होने लगी.
निशा: फिर??
मे: मेरे लेग्स एक दूसरे पर कस के रगड़ रहे थे एक दूसरे को.. और हर बार जब वो रगड़ते थे मेरे मूह से ऐसी आवाज़ निकालती थी..
निशा: सीईईईईईईईीीइसस्स्स्सस्स….
मे: हां ऐसी ही….एग्ज़ॅक्ट्ली..तुझे कैसे पता??सेम आव्आआज़ आई मेरे मूह से..
निशा: फिर??
मे: फिर मेरे हाथ जैसे मेरे काबू मे ही नही थे और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती मैने अपनी उंगलियो से अपने निपल को छू लिया.
निशा: उम्म्म्ममममम….सस्स्सस्स..फिर??
मैं जैसे जैसे निशा को बता रही थी उसकी आखे जैसे भारी हो रही थी..थोड़ी बंद सी होने लगी थी लगता. और वो बार बार बेड पे हिल रही थी. उसके पैर ऐसे जैसे घिसने लगे थे एक दूसरे पर.. और वो….
मे: ओह्ह्ह गॉड!! निशा???
मुझे समझने मे देर नही लगी कि उस दिन मुझे जैसा हो रहा था..आज ठीक वोही सब निशा को होने लगा हैं अभी.. 
निशा: आकांक्षा!!
मे: हाँ निशा? तू ठीक तो हैं ना?
निशा कुछ नही बोली..बल्कि उसने मेरा दाया हाथ पकड़ा और ऐसा कुछ किया जो मैने एक्सपेक्ट नही की थी. उसने मेरे दाएँ हाथ को अपनी चेस्ट के पास लेकर गयी और किसी ऑटोमॅटिक सिस्टम की तरह मैने भी अपने हाथ की उंगली से कुछ फील किया..मेरी आखे बड़ी हो गयी और निशा की आखे बंद सी हो गयी..
मे: हार्ड??
निशा: उम्म्म्ममम….. जो तुझे उस दिन फील हुआ ना..वो मुझे काफ़ी हफ़्तो पहले हुआ..मेरे पीरियड्स स्टार्ट होने के बाद.. 
मेरा हाथ अब भी निशा की चेस्ट पर था. मैं उसका हार्ड निपल सॉफ महसूस कर पा रही थी. और पता नही क्या हो गया मुझे उस दिन वाली फीलिंग फिर से आने लगी. साँस तेज़ हो गयी,दिल ज़ोर से धड़कने लगा, पेट मे गुड़गुली और निपल्स हार्ड..
मे: ऊऊहह….प्पफीवववववव….
मेरी मूह से निकल गया.. और मैं खड़ी होने ही वाली थी उतने मे निशा ने मेरा हाथ पकड़ ली और मुझे बेड पे बैठे रहने पर मजबूर करदी. 
मे: निशा…जाने दे.. प्लीज़.. 
Reply
11-01-2018, 12:28 PM,
#89
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
निशा: आगे बता!
मे: ओह्ह..हाँ. मॅक्सी मे से भी मुझे निपल्स दिख रहे थे..हार्ड हुए.. और जाने अंजाने मे ही मेरा हाथ अपने आप मॅक्सी के नीचे चला गया और एक ही झट्के मे मैने मॅक्सी निकाल फेकि.. 
निशा: फिर???
मे: निशा मैं सच कहती हूँ.उसके बाद जो हुआ वो ऐसा लगा जैसे कि कोई करवा रहा मुझसे. क्योकि मेरा खुद पे काबू ही नही था कुछ. मैने पहली बार अपने आपको मिरर मे ऐसे देखा.. उपर से ओपन बिल्कुल. मैं समझ नही पा रही थी कि अपनी ही बॉडी देख कर ये क्या हो रहा हैं मुझे? मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था,पेट मे ऐसी अजीब सी गुड़गुली होने लगी और मेरे लेग्स डगमगाने लगे थे.
निशा: फिर??
मे: मैं डर रही थी. मुझे लगा मैं बीमार हो रही हूँ. तो मैं वैसे ही बेड पे जाके लेट गयी. जैसे ही मैं बेड पे लेटी मेरी चेस्ट एक दम आगे की तरफ निकल गयी और ऐसा करेंट लगा वैसे फीलिंग मुझे मेरे निपल्स के आसपास होने लगी.
निशा: फिर??
मे: मेरे लेग्स एक दूसरे पर कस के रगड़ रहे थे एक दूसरे को.. और हर बार जब वो रगड़ते थे मेरे मूह से ऐसी आवाज़ निकालती थी..
निशा: सीईईईईईईईीीइसस्स्स्सस्स….
मे: हां ऐसी ही….एग्ज़ॅक्ट्ली..तुझे कैसे पता??सेम आव्आआज़ आई मेरे मूह से..
निशा: फिर??
मे: फिर मेरे हाथ जैसे मेरे काबू मे ही नही थे और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती मैने अपनी उंगलियो से अपने निपल को छू लिया.
निशा: उम्म्म्ममममम….सस्स्सस्स..फिर??
मैं जैसे जैसे निशा को बता रही थी उसकी आखे जैसे भारी हो रही थी..थोड़ी बंद सी होने लगी थी लगता. और वो बार बार बेड पे हिल रही थी. उसके पैर ऐसे जैसे घिसने लगे थे एक दूसरे पर.. और वो….
मे: ओह्ह्ह गॉड!! निशा???
मुझे समझने मे देर नही लगी कि उस दिन मुझे जैसा हो रहा था..आज ठीक वोही सब निशा को होने लगा हैं अभी.. 
निशा: आकांक्षा!!
मे: हाँ निशा? तू ठीक तो हैं ना?
निशा कुछ नही बोली..बल्कि उसने मेरा दाया हाथ पकड़ा और ऐसा कुछ किया जो मैने एक्सपेक्ट नही की थी. उसने मेरे दाएँ हाथ को अपनी चेस्ट के पास लेकर गयी और किसी ऑटोमॅटिक सिस्टम की तरह मैने भी अपने हाथ की उंगली से कुछ फील किया..मेरी आखे बड़ी हो गयी और निशा की आखे बंद सी हो गयी..
मे: हार्ड??
निशा: उम्म्म्ममम….. जो तुझे उस दिन फील हुआ ना..वो मुझे काफ़ी हफ़्तो पहले हुआ..मेरे पीरियड्स स्टार्ट होने के बाद.. 
मेरा हाथ अब भी निशा की चेस्ट पर था. मैं उसका हार्ड निपल सॉफ महसूस कर पा रही थी. और पता नही क्या हो गया मुझे उस दिन वाली फीलिंग फिर से आने लगी. साँस तेज़ हो गयी,दिल ज़ोर से धड़कने लगा, पेट मे गुड़गुली और निपल्स हार्ड..
मे: ऊऊहह….प्पफीवववववव….
मेरी मूह से निकल गया.. और मैं खड़ी होने ही वाली थी उतने मे निशा ने मेरा हाथ पकड़ ली और मुझे बेड पे बैठे रहने पर मजबूर करदी. 
मे: निशा…जाने दे.. प्लीज़.. 
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11-01-2018, 12:29 PM,
#90
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मगर मेरी बात उसके कान तक ही नही गयी और मैं कुछ कहती उससे पहले ही निशा का लेफ्ट हॅंड मेरी चेस्ट पे था और ना कि हाथ था बल्कि वो अब दबा भी रही थी.. अंजाने मे ही मेरे मूह से चीख निकल गयी..
मे: सस्स्सस्स..आआहह..निष्ाअ!!!

वो डर गयी.. मैं डराना नही चाहती थी उसे..मुझे खुद नही समझ रहा था कि ये हमे क्या हो रहा हैं? हम दोनो ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी, हमारी टांगे मसल रही थी एक दूसरे पर.

निशा: अककु??!!

मे: उम्म्म्ममम….हहाा…

निशा: तुझे गीला गीला लग रहा हैं कुछ?

मैं समझ गयी कि वो क्या कह रही थी. मुझे पैंटी भीगी हुई फील होने लगी थी. और इसमे कोई डाउट नही था कि निशा की भी पैंटी भीगने लगी थी.
मे: हाँ..निशा!!

निशा: मुझे ऐसा लग रहा हैं कि मुझे टाय्लेट जाना होगा…चल जल्दी चल..

मे: मुझे भी..

हम दोनो एक साथ टाय्लेट की तरफ भागी..हाथ हाथ पकड़ के.. ये सब क्या होने लगा हैं मेरी बॉडी मे? और आज जो निशा और मेरे बीच हुआ ये सब क्यू और कैसे हुआ? 1000 सवाल दिमाग़ मे घूम रहे थे हम दोनो के और जवाब अब हम दोनो के पास नही थे. अब क्या करे??

मे: मॅन!! दट वाज़ डॅम सेक्सी!

आकांक्षा की डाइयरी पढ़के मुझे ऐसा फील हो रहा था कि जैसे कोई पेंटहाउस का लेटर पढ़ रहा था. इतना हॉट!!!? मैं तो जानता भी नही था कि लड़कियो को भी ऐसा ऐसा कुछ होता हैं.सेक्स पे उनकी ट्रेन एक दम लेट पहुँचती होगी हमेशा. मगर आज तो मेरी आखे ही खुल गयी. सो मेरी छोटी उल्लू की दुम बेहन ने लेज़्बियेनिज़्म से भी इंट्रो कर चुकी हैं.वाह! 
मे: भाई तू क्या अब फट जाएगा??
जी हा..सही समझा.. मैने नीचे देख कर कहा अपने लोड्‍े से..ऐसा बूरी तरह से खड़ा हो गया था..कुछ तो करना ही पड़ेगा. 
मे: ह्म्म्म्म …हॉर्नी!!!
मैने टेबल पर से अपना फोन उठाया..पायल का गुड मॉर्निंग आया था..मैने फट से पायल को कॉल लगाया;
मे: हेल्ल्लो??

पायल: हे..हाई..गुड मॉर्निंग.

मे: इतने बार बोलने से मॉर्निंग गुड नही हो जाती. सच मे चाहती हैं कि मॉर्निंग गुड हो जाए तो कुछ करना पड़ता हैं.

पायल: हहे..क्या करना पड़ता हैं बता दे ज़रा..

मे: वेल..मैं सोच रहा था..आज सॅटर्डे हैं. अपना कॉलेज नही हैं, मेरे घर पर भी कोई नही हैं.

पायल:सो???

मे: सो..व्हाट इस आ बेटर वे तो हॅव आ गुड मॉर्निंग दॅन हॅविंग दा मोस्ट ब्यूटिफुल गर्ल नेकेड अराउंड मी? राइट??
पायल: हाँ..बात तो सही हैं..

मे: आइ नो..सो क्या प्लान हैं?

पायल: तू एक काम कर..गेट फ्रेश..थोड़ा पर्फ्यूम दिओ लगा. आंड गिव हर आ कॉल.

मे: किसको?

पायल: जिस मोस्ट ब्यूटिफुल लड़की की तू बात कर रहा हैं.. उसे ही.

मे: तू कभी तो भी मेरी बात को सीरियस्ली लेती हैं क्या??

पायल: अर्रे सीरियस्ली कह रही हूँ..कॉल हर.

मे: आइ आम कॉलिंग हर..

पायल:ओह्ह..थॅंक यू सम्राट.. बट आइ आम नोट गॉना बी नेकेड अराउंड यू.

मे: अर्ररे नालयक…क्या तडपा रही है? एक तो बीच मे ही गायब हो गयी तू..और अब नाटक तेरे?

पायल: हाँ तो? यू गेट टू स्लीप वित मी, व्हाट डू आइ गेट?

मे: व्हाट डू यू मीन बाइ व्हाट डू यू गेट?

पायल: मुझे ना सेक्स मे इतना मज़ा नही आता आक्च्युयली..

मे: आस्सा? जो चीखे तेरी मेरे घर मे गूँजी हैं ना तुझे चोदते वक़्त वो क्या थी?

पायल: अर्रे वो तो दुख की चीखे थी..बहुत बड़ा दुख..

मे: ऐसा? फाइन..ओके..बाइ.

पायल: अर्रे..ओये??? अबे ओये हीरो…?? सुन ना

मे: बोला ना बाइ. फोन रख.

पायल: ठीक हैं..रख देती..बट मैं ऑलरेडी तेरे घर के पास के स्क्वेर तक आ गयी हूँ. चली जाती हूँ..बाइ..

मे: अर्ररे…ओये?? अबे ओये हेरोयिन..?? सुन ना..

पायल: हाहहहहहाहा…ले ना पंगे और मुझसे.. जा रही हूँ मैं..बाइ!!

मे:अर्रे सुन तो..हेलो?? पायल?? हेलो!!!

फोन कट हो गया था..
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