vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:26 PM,
#71
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
‘हे सम्राट!!वास्सप?’
मैने कोई जवाब नही दिया और आगे बढ़ गया..
‘और चोदु… कैसा हैं?’
अमर ने मुझे देखते ही कहा.. मगर मैने उसे भी कुछ नही कहा. अमर ने मेरे पीछे नेहा को आते देखा..
अमर: अरे नेहा??
वो मेरे पीछे आने लगा.
अमर: सम्राट? क्या हो रहा हैं? और तू नेहा को इस तरह पकड़ कर कहाँ ले जा रहा हैं?
मैं रुक गया;
मे: वरुण कहाँ हैं??
अमर: अर्रे हुआ क्या?? नेहा? क्या हुआ? और तुम रो क्यू रही हो?? कुछ बताएगा कोई?
मे: वरुण कहाँ हैं??
मैने इस बार चिल्लाकर पूछा. मेरी आवाज़ डिपार्टमेंट के हॉलवे मे घूमने लगी..आस पास के स्टूडेंट्स भी हमारी ओर देखने लगे.. 

मे: दोबारा नही पूछुगा अमर…

अमर: सीसी..आ..कांतीन मे…
मैं कॅंटीन की ओर बढ़ गया. अब अमर के साथ और भी 3-4 लोग हमारे पीछे आने लगे. कॅंटीन पहुचते पहुँचते हम कुछ 10 लोग हो गये थे. किसी लड़की को रोते देख कर तो कोई भी क्यूरियस हो जाए कि आख़िर माजरा क्या हैं तो.. कॅंटीन पहुँच कर मैने एक नज़र घुमाई और देखा तो वो वरुण अपने कुछ दोस्तो के साथ उसी टेबल पर बैठा था जहाँ हम कभी साथ मे बैठा करते थे.. अब नेहा ने मेरा हाथ पकड़ रखी थी. मैं पलटा और उसकी ऑर देखा तो वो समझ गयी. मेरा हाथ छोड़ते हुए वो वही रुक गयी.. अब मैं कोई आक्षन हीरो तो हूँ नही. इनफॅक्ट लड़ाई झगड़ा मैं वैसे भी नही करता क्योकि मुझे लगता है कि अगर किसी को अपने हाथ चलाने की ज़रूरत पड़ती हैं उसका मतलब उस इंसान का दिमाग़ नही चलता. मगर आज लिमिट क्रॉस हो गयी थी और मुझे मजबूर कर दिया था वरुण ने.

मैं सीधा वरुण की चेर के पास गया और ज़ोर से उसकी चेर पीछे की ओर खीचा जिस वजह से वो ज़मीन पर गिर गया. इससे पहले उसके दोस्त उठा पाते;
मे: किसी ने ग़लती से भी बीच मे नही आना..
इतना सफिशियेंट था क्योकि सभी जानते थे कि मैं बिना वजह झगड़ा नही करता. इनफॅक्ट कभी नही करता.. और अगर आज मैं फिज़िकल वाइयोलेन्स पे उतार आया तो इसका कोई बोहोत बड़ा रीज़न होना चाहिए.. वरुण ज़मीन पे से किसी तरह उठ पाता उससे पहले ही मैने उसके लेफ्ट पैर पे एक ज़ोर दार लात मारी जिस वजह से वो ठीक से खड़ा नही हो पा रहा था. 

वरुण: साले..मदर्चोद्द्द…
आगे कुछ कह पाता इससे पहले ही मैने वरुण के पेट मे एक पंच कर दिया, और उसकी कॉलर को पकड़ कर एक पंच उसके चेहरे पर चढ़ा दिया..पता नही मगर मेरे हाथ पैर अपने आप ही चल रहे थे.. अब वरुण ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रहा था. पेट मे का घुसा उसे भारी पड़ा था ये मैं जानता था और उसका पैर अब बूरी तरह से दर्द कर रहा था जिस वजह से वो लंगड़ाते हुए कॅंटीन के डोर की तरफ जाने लगा और बीच मे ही उसे नेहा दिख गयी तो वो रुक गया…
वरुण: साली…तू..छिनाल..रांडी…

और वो एक बार फिर से नेहा पर हाथ उठाने के लिए आगे बढ़ा. मगर वो उसे हाथ तक लगा पाता उससे पहले ही अमर बीचे मे आ गया और उसने वरुण को पीछे धकेल दिया जिस वजह से वो ज़मीन पर गिर पड़ा.. कॅंटीन मे सब लोग अब तमाशा देख रहे थे. 

वरुण: अमर?? रंडी बाज… इस रांड़ को चोद रहा था क्या तू अब साले??
मैने नेहा की ओर देखा. उसकी साँसे अब उखड रही थी इतनी बुरी तरह वो रो रही थी.अब मुझसे नही रहा गया.. मैने वरुण को कॉलर पकड़ कर उसे उठाया और अपने घुटने से एक बार फिर उसके पेट पर अटॅक किया.. अब वरुण घुटनो के बल ज़मीन पर गिर गया. उसके होंठ मे से अब थोड़ा सा खून निकल रहा था..मगर अकड़ नही गयी थी.. वो उठने की कोशिश करने लगा मगर मैने उसके हाथ को अपने पैर से कुचल कर उसके बालो से उसके सिर को उपर उठाया और कहा;
मे: तेरी हिम्मत कैसी हुई नेहा पर हाथ उठाने की?

सब लोग इस बात को सुन कर नेहा की ओर देखने लगी..
मे: हुहह?? साले.. नमार्द हैं तू वरुण. नमार्द…

वरुण: हमारे बीच मे आकर तूने बोहोत बड़ी ग़लती की सम्राट.. वो मेरी गर्लफ्रेंड हैं, मैं चाहूं तो कुछ भी कर सकता हूँ उसके साथ.. 2 पैसे की रखैल जैसा भी ट्रीट करूगा उसे तो तू कुछ नही कर सकता था..

मेरा गुस्सा अब कंट्रोल नही हो सकता था.. मैने वरुण को उसके बालो से पकड़ कर ज़मीन पर घसीट ते हुए नेहा के पास ले गया और कहा;
मे: माफी माँग उससे!!

वरुण: हहा..इस कुतिया से.. जो अब फिर से तेरे कदम चाटने लगी..

नेहा रोते हुए कॅंटीन के बाहर जाने लगी
मे: अमर!!
वो समझ गया और उसने नेहा को रोक दिया.. 
मे: नेहा!
वो नही पलटी.. उसकी इज़्ज़त का कबाड़ा कर दिया था वरुण ने..

मे: नेहा….इधर आओ मेरे पास..
अमर उसे सहारा देते हुए मेरे पास ले आया..वरुण सब ज़मीन पर से देख रहा था..

वरुण: सालो..देख क्या रहे हो? इधर आओ..
मगर कोई नही आया…
मे: देखा तूने वरुण? कोई नही आया.. तूने इससे पहले किसी ने कभी हाथ भी नही लगाया..और आज मैं तुझे सबके सामने कुत्तो की तरह मार रहा हूँ मगर कोई नही आया तुझे बचाने के लिए.. पता हैं क्यू?
मैने उसके बालो को खीचते हुए कहा;
मे: क्योकि मैं हमेशा तुझे बचाता था.. आज तुझे बचाने वाला ही तुझे घसीट घसीट कर मार रहा हैं.. कोई आ जाए तुझे बचाने तो मैं तेरे जूते चाट लूँगा वरुण. और तू जितना चाहे मुझे मार ले, मैं कुछ नही करूगा…
इतना कह कर मैं कॅंटीन मे आस पास देखने लगा..
मे: है कोई?? 
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11-01-2018, 12:26 PM,
#72
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
किसी का कोई जवाब नही आया.. सब तमाशा देख रहे थे खड़े होकर..
मे: देखा?? नोबडी! तू कुछ भी नही वरुण.. नतिंग.. मैं था तेरा दोस्त.. तेरा एकलौता दोस्त.. और आज तू तब तक मार खाएगा जब तक तू नेहा से माफी ना माँग ले..

अब वरुण भी समझ गया था कि ना मैं मज़ाक कर रहा और ना कोई उसे बचाएगा… मगर कहते हैं ना, कुत्ते की दूम टेढ़ी की टेढ़ी..
वरुण: तू भूल गया लगता है कि किस तरह तुझे छोड़ कर ये मेरे पास आई थी. आज मुझे छोड़ कर वापिस तेरे पास चली गयी.. तुझे पता हैं कौन करता हैं ऐसा? रंडी…

वो आगे कह पाता मैने वरुण के मूह पे अब एक ज़ोर्का मुक्का मार दिया. खून और भी तेज़ी से आने लगा..

मे: हमारे बीच जो हुआ वो हुआ वरुण.. बट, तुझे कोई हक़ नही नेहा पे या किसी लड़की पे हाथ उठाने का.. नो मॅटर व्हाट शी डिड, यू नेवेर हिट आ गर्ल.. मगर तू क्या समझे ये बाते वरुण.. तेरी औकात नही हैं.. अब इससे पहले मैं तेरा मूह फोड़ दूं और भी ज़्यादा,माफी माँग…
नेहा मेरे सीने मे सिर छुपाके रोने लगी.. वरुण किसी तरह खड़ा हुआ, और बोहोत ही दबी आवाज़मे बोला;
वरुण: सॉरी!
इतना कह कर वो लंगड़ाते हुए कॅंटीन से बाहर चला गया..

मैं कॅंटीन से बाहर निकल कर ज़ोर ज़ोर से साँसे लेने लगा अपने आप को ठंडा करने के लिए. नेहा ठीक मुझसे चिपक कर चल रही थी. उसका रोना अब भी बंद नही हुआ था मगर काफ़ी कम हो गया था. उसकी बेइज़्ज़ती का बदला मैने वरुण से ले लिया था इस बात से उसे बोहोत सुकून मिल रहा था. मैं नेहा से कुछ दूर जाके खड़ा हो गया और सोचने लगा कि अब क्या?! नेहा वही पर खड़ी मेरी ओर देख रही थी. हम दोनो के होंठ सील थे.आस पास के लोगो ने भी हमे अकेला छोड़ दिया था. वरुण के दोस्त भी उसके साथ चले गये थे. कुछ देर के सन्नाटे के बाद मुझे नेहा के कदम मेरी ओर बढ़ते हुए सुनाई दिए और मेरे पीछे आकर रुक गये.
नेहा: सम्राट?!

मैने कोई जवाब नही दिया..

नेहा: लुक अट मी सम्राट..प्लीज़!

मैं फिर भी नही पलटा..

‘बुज़्ज़्ज़्ज़….बुज़्ज़्ज़्ज़्ज़’
मैने सेल पॉकेट मे से निकाला..
“पायल कॉलिंग”

मैने फोन कट कर दिया. अभी इस वक़्त मैं पायल से बात नही करना चाहता था.आइ हॅड टू मच टू डील वित. मैं पलट गया. नेहा ठीक मेरे सामने खड़ी थी. उसके आसू अब बंद हो गये थे और एक हल्की सी मुस्कान आ गयी थी उसके होंठो पर. मगर मैने कोई रियेक्शन नही दिया. जैसा मैं खड़ा था वैसा ही रहा..

नेहा: थॅंक यू सम्राट..आइ आम सॉरी …आइ आम सो सो सॉरी… मैने जो कुछ भी किया तुम्हारे साथ वो ग़लत किया…
इतना कह कर वो मुझसे लिपट गयी.. दुनिया की सबसे कंफर्टबल जगह होती हैं उस लड़की की बाहो मे जिससे आप प्यार करते हो. किसी चीज़ का डर नही,टेन्षन नही. एक दम रिलॅक्स,हॅपी,कॉंटेंट..जस्ट पर्फेक्ट.. और वोही फीलिंग मुझे इस वक़्त आ रही थी. आती भी कैसे? इट्स नेहा!! जिसके जिस्म की खुसबु से मैं खुश हो जाता हूँ, वो मुझे इतने कस कर हग कर रही थी. ये पल तो मैं चाहे कुछ भी हो जाए ख़त्म ना होने दूं. इतना प्यार करता था मैं नेहा से.एक सुकून सा मिलता हैं मुझे जब भी नेहा के साथ होता हूँ. उसकी प्यार भरी आवाज़ सुनता हूँ जब, उसके जिस्म की गर्मी को महसूस करता हूँ जब..मैने भी नेहा के कंधो को पकड़ लिया….और उसे अपने अपने आप से दूर कर दिया.

मे: नही!

नेहा बुत की तरह खड़ी होकर मुझे देखने लगी. 
नेहा: क्या??

बहुत हिम्मत जुटा कर मैने एक बार फिर कहा;
मे: नही…
दिल टूट रहा था मेरा जब मैं ये कह रहा था..मगर मैं जानता था कि क्या करना हैं और मैं वोही करने वाला था…

नेहा: ये क्या कह रहे हो सम्राट? डॉन’ट स्केर मी..

नेहा की आखो मे एक बार फिर पानी आ गया..एक गहरी साँस लेकर,थूक का एक कड़वा घुट अपने अंदर लेकर मैं बोला;
मे: अब नही नेहा! मैं जानता हूँ कि तुम इस वक़्त क्या सोच रही हो और इससे पहले कि तुम आगे बढ़ो मैं तुम्हे सॉफ सॉफ कह देना चाहता हूँ कि….ये… अब नही हो सकता…

नेहा: व्हाट??? क्या नही हो सकता सम्राट?? क्या कह रहे हो तुम?

मे: तुम अची तरह जानती हो कि मैं क्या कह रहा हूँ.. तुमने ही कहा ना कि जो तुमने मेरे साथ किया वो ग़लत था.. हैं ना?

नेहा कुछ नही बोली..

मे: जवाब दो!

नेहा: हाँ…

मे: तो बॅस..

नेहा: तो बस क्या सम्राट? मैं माफी माँग चुकी हूँ तुमसे.. मुझे पता हैं तुम्हे तक़लीफ़ हुई है…..

मे: शट अप!! तुम्हे कुछ नही पता कि मुझे कितनी तक़लीफ़ हुई हैं.. तुम्हे उस तक़लीफ़ का एहसास तक नही हैं जिस से मैं गुज़रा हूँ.. और तुम कह रही हो दट यू आर सॉरी? माफी माँग चुकी हो? तुमसे किसने कह दिया कि मैं तुम्हे माफ़ कर सकता हूँ? इतना बड़ा दिल नही रहा मेरा नेहा अब. जब तुमने इसे तोड़ा उसके बाद अब इसके छोटे छोटे टुकड़े हो चुके हैं.. 

नेहा: सम्राट! प्लीज़ मेरी बात मानो.. मैं वरुण से प्यार नही करती.. मेरा भरोसा करो.. आइ.. आइ लव यू!!

मे: आइ लव यू टू नेहा..

ये सुन कर उसका चेहरा खिल गया.. मगर वो आगे कुछ कह पाती उससे पहले ही;

मे: बट आइ लव मी मोर….

नेहा: अगर तुम मुझे नही चाहते तो क्यू किया ये सब मेरे लिए?? हाँ? बोलो…

मे: तुम्हारे लिए?? वाउ… अन्बिलीवबल… इतना सेल्फ़-सेंटर्ड रहना अच्छी बात नही हैं नेहा.. मैने अभी जो कुछ भी किया वो तुम्हारे लिए नही किया.. वो मैने एक लड़की के लिए किया.. चाहे वो लड़की तुम ही क्यू ना हो नेहा..मैने जो कहा वो सच कहा, कि चाहे कुछ भी हो जाए किसी लड़की पर कभी हाथ नही उठाना चाहिए. ये फ़र्ज़ हैं हर मर्द का कि वो हर लड़की को प्रोटेक्ट करे. वरुण तुम्हारी जगह किसी और पे भी हाथ उठाता तब भी मैं यही करता नेहा.. 

नेहा आखे फाड़ कर मुझे देखने लगी..

मे: और रही बात वरुण के और तुम्हारे प्यार की.. नेहा मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगा.. तुमने ना सिर्फ़ मेरा दिल तोड़ा, बल्कि तुम्हारी वजह से मैने अपना दोस्त भी खोया..

नेहा: मेरी वजह से? मैने क्या…

मे: डॉन’ट यू डेयर नेहा… डॉन’ट यू डेयर!! वरुण मुझसे कुछ बातो मे जलता था ये बात मैं हमेशा से जानता था, मगर तुमने उसे इस बात का यकीन दिलाया कि वो सच मे मुझसे बेहतर हैं. तुमने जब मुझे धोका दिया था, उस वक़्त वरुण को ये यकीन हो गया कि ज़िंदगी जितनी बार वो नाकाम हुआ हैं,उसका ज़िम्मेदार मैं हूँ. मुझसे नफ़रत करने लगा वो, तुम्हारी वजह से. जलन और नफ़रत मे एक छोटा सा अंतर होता हैं नेहा और वो अंतर वरुण तुम्हारी वजह से पार कर गया..


नेहा चुप चाप चोर जैसे मेरी बाते सुन रही थी. 

मे: मैं तुम्हे कुछ महीने टाइम नही दे पाया तो तुमने वरुण को इस लायक समझ लिया कि वो मेरी जगह ले सकता हैं? उसी पल तुमने मेरे दोस्त को मुझसे छीन लिया था नेहा. तुम उससे अभी प्यार नही करती और ना कभी करती थी. तुमने ना सिर्फ़ मुझे बल्कि अपने आप को भी धोका दिया हैं. मैं हमेशा तुमसे प्यार करूगा नेहा,मगर इसका मतलब ये मत समझ लेना कि तुम फिर से मेरी ज़िंदगी मे आ सकती हो…

ना चाहते हुए भी मेरी आखो से आँसू निकल आए

मे: बोहोत तक़लीफ़ दी हैं नेहा तुमने मुझे.. बहुत.. मैं उसका बदला नही ले रहा तुमसे.. मगर मैं उस के लिए तुम्हे कभी माफ़ भी नही करूगा..मैं चाहता हूँ कि तुम इस बात को सारी ज़िंदगी याद रखो कि तुमने उस लड़के का दिल तोड़ा जो तुम्हे अपनी जान से ज़्यादा चाहता था, उन दो दोस्तो की यारी तोड़ी जिनकी दोस्ती सारे कॉलेज मे फेमस थी.. अगर तुम वोही नेहा हो जिससे मैने इतना प्यार किया तो तुम ज़रूर महसूस करोगी उस दर्द को जो तुमने 3 लोगो की ज़िंदगी मे बाँटा हैं...गुडबाइ नेहा…
इतना कह कर मैं वहाँ से निकल गया.. नेहा जहाँ की वही खड़ी रही..जैसे समझने की कोशिश कर रही हो कि आख़िर हुआ क्या ये सब…मैं अब कॉलेज मे एक पल भी नही रुक सकता था..मैने बाइक स्टार्ट की और निकल गया कॉलेज से.
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11-01-2018, 12:26 PM,
#73
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैं काफ़ी देर बाहर ही रास्ते पर भटका. सोचा कि मूवी ही देख लेता हूँ. कुछ मूड डाइवर्ट हो जाएगा.. मैने फोन फ्लाइट मोड पे डाल दिया और मूवी देखने चला गया.मूवी तो बस एक बहाना था. मैं बस अभी किसी और के बारे मे नही सोचना चाहता था और कुछ नही.. मूवी देखने के बाद थोड़ा मूड ठीक हुआ. टाइम देखा..12:53.. 

मे: चलो घर ही चलते हैं…

मैं घर की ओर निकल गया. सोचा घर जाके सो जाउन्गा.. इट रेफ्रेशस मी.. घर मे,ऐज यूषुयल कोई नही था.. वो तो भी एक अच्छी बात हैं कि मेरे घर मे वर्किंग डेज़ मे कोई नही होता हैं. सो शांति रहती है घर मे बोहोत..मैं किचन मे चला गया और कुछ खाने के लिए ढूँढने लगा..मम्मी खाना बनाके गयी थी. मैने प्लेट मे खाना परोसा,फ्रिड्ज मे से पानी की बॉटल ली और डाइनिंग टेबल की ओर जाने लगा. टीवी देखने का मेरा कोई मूड नही था..किचन से बाहर निकल कर लेफ्ट साइड मे,वॉल की दूसरी तरफ डाइनिंग टेबल हैं. लाइट्स ऑफ की किचिन की और जैसे ही मैने लेफ्ट टर्न लिया…
‘फाटत्ट……’
मुझे तो जैसे दिन मे तारे दिख गये.. 2 सेकेंड झान्ट कुछ समझ नही आया कि हो क्या रहा हैं तो..आखो के सामने अंधेरा छा गया..
मे: फक!!! भैनचोद!!!
मगर मैं जल्दी ही होश मे आ गया.. मैने फट से पीछे पलट कर लाइट्स ऑन की. नज़ारा देख कर मैं तो हक्का बक्का ही रह गया.
मे: तू????

सामने मेरी चूतिया बेहन हाथ मे झाड़ू लेकर खड़ी थी…

मे: बेवकूफ़फ्फ़!! पागल हैं क्या??? क्या कर रही हैं??

आकांक्षा: मुझे लगा कोई चोर घर मे घुस आया हैं.. बेल नही बजा सकता था क्या?

मे: और जो लॉक खोलने के लिए चाबी हैं मेरे पास उसका क्या आचार डालू?? गधी… इसस्सस्स..आआहह.. 
मेरे सिर मे अब दर्द होने लगा था.
मे: और चोर क्या सीधा किचन मे आएगा क्या चोरी करने??? क्या बेवकूफ़ हैं तू आकांक्षा..दिमाग़ नाम की चीज़ ही नही तुझे ज़रा सी भी…उसमे भी आटिट्यूड दुनिया भर का..
मैं सिर को मलने लगा…आकांक्षा अब भी झाड़ू लिए खड़ी थी,,
मे: अरे गदाधारी भीम अब तो नीचे कर ये तेरा तम्बूरा…
इतना कह के मैं पास की ही चेयर पर बैठ गया.. चक्कर आना शुरू हो गये थे मुझे तो…

आकांक्षा: अर्रे…मुझ पर क्यूँ चिल्ला रहा है? मैं डर गयी थी ना..

मे: चिल्लाऊ नही तो क्या पैर पडू तेरे?? और डर गयी थी तू इसका मतलब कल को जान ले लेगी मेरी तो भी तेरी पूजा करूँ क्या मैं? ईडियट!

आकांक्षा: सॉरी बोली ना…

मे: कब बोली?? सपने मे? तू एक्सट्रीम्ली इरिटेटिंग पर्सनॅलिटी हैं..पता हैं तुझे ये बात? ज़रा खुद की दुनिया मे से निकल और देख…आस पास भी लोग हैं…

आकांक्षा: देख…मुझे पता हैं कि तेरे सिर पे चोट आई हैं इसलिए तू मुझे उल्टा सीधा बोल रहा हैं…

मे: हे भगवान!! चोट का इससे कुछ लेना देना नही हैं… मैं जो भी कह रहा हूँ वो दिल से कह रहा हूँ क्योकि तू हैं ही ऐसी.. कोई तो रीज़न होगा ना जो मैं बात नही करता तुझसे…क्योकि तू हैं ही नही बात करने लायक आकांक्षा…तुझे किसी और की कोई परवाह नही होती..

आकांक्षा: बकवास ना कर. मानती हूँ मेरी ग़लती हैं..मगर कुछ भी कहेगा तो सुन नही लुगी मैं..

मैं पहले ही गुस्से मे था.. 
मे: क्या उखाड़ लेगी तू जो मैने कुछ कह भी दिया तो??हुहह?
मैं कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से चिल्ला दिया.. आकांक्षा डर गयी थोड़ा सा..
मे: कुछ नही हैं तू? यू आर आ नोबडी आकांक्षा.. अपना ये घमंड ज़रा साइड मे रखा कर.. ऐसे से तुझसे कोई बात नही करेगा..

आकांक्षा: शट अप!! तुझे कुछ पता नही हैं..तू चुप बैठ.. 

मे: क्यू? क्यू चुप रहूं मैं? ज़रा अपने आपको सुधार.. भारी पड़ेगा नही तो बाद मे.. आज बाय्फ्रेंड नही हैं,कल को बात करने वाला भी कोई नही रहेगा..
मैं आगे कुछ कहूँ उससे पहले ही आकांक्षा ने झाड़ू एक बार फिर उठाई और मुझे मारने के लिए मेरी ओर आगे बढ़ी..मगर वो मार पाती उससे पहले ही मैने उसके हाथ से झाड़ू खीच कर फेक दिया. अब लड़का हूँ,उतना फास्ट तो रहुगा ही.. आकांक्षा वही खड़ी थी. मैं डाइनिंग टेबल पे बैठ कर खाना खाने लगा..वो कुछ देर वैसी ही रही और फिर उपर चली गयी. मुझे उसके रूम का डोर धडाम से बंद होने की आवाज़ आई..खाना खाकर मैं रूम मे चला गया अपने.बेड पर लेट कर मैं जो हुआ उसके बारे मे सोचने लगा. जो हुआ वो ठीक हुआ या नही,मैने नेहा से जो कुछ कहा वो सच था या झूठ मैं नही जानता मगर मैं अब मूव हो गया था और नेहा मुझे पीछे खीचना चाहती थी. आइ कॅंट लेट दट हॅपन. मैं सोचते सोचते ही सो गया. ज़्यादा देर नही सो पाया. पायल का मेसेज आया.
‘रीड’
मैने रिप्लाइ करना ज़रूरी नही समझा कॉज़ रिप्लाइ करता तो उसके मेसेज शुरू हो जाते. तभी मुझे याद आया अपने दूसरे सिम के बारे मे. मैं तो भूल गया था इन सब झोल मे उस सिम के बारे मे. मैने वॉलेट मे से सिम निकाला और मोबाइल मे इनसर्ट किया.. जैसे ही मोबाइल ऑन हो गया,मुझे टेक्स्ट्स मिलने लगे. अब मैं क्यूरियस हो गया था.. मैने फट से टेक्स्ट ओपन किए. सबसे पहला टेक्स्ट था,

‘माइंड युवर लॅंग्वेज,अशोल. आंड आइ आम नोट आ कॉल गर्ल. तमीज़ नही सिखाई क्या कैसे बात की जाती हैं लड़कियो से??’
नेक्स्ट था;
‘अब क्यू बोलती बंद हो गयी?? रिप्लाइ…’
नेक्स्ट;
‘हेलो?? यू देयर??’
नेक्स्ट;
‘इफ़ यू आर नोट गॉना रिप्लाइ देन डेलीट माइ नंबर..आइ डॉन’ट वॉंट टू टॉक टू यू!’

मैने सोचा अजीब पागल हैं..खुद ही टेक्स्ट किए जा रही हैं और मुझे कह रही तट शी डॅज़ंट’त वॉंट टू टॉक टू मी?
लास्ट टेक्स्ट था;
‘आइ आम सॉरी..मैं भूल गयी थी कि मैने तुम्हे अपना नंबर दिया था. रिप्लाइ इफ़ यू कॅन.’

लास्ट मेसेज पढ़ कर मैं ज़रा पिघल गया. मैने कुछ देर मोबाइल हाथ मे घुमाया और सोचने लगा. क्या किया जाए तो..
मे: ह्म्म्मज…व्हाट दा हेल!!
मैने फट से टेक्स्ट का रिप्लाइ कर दिया..
‘इट्स ओके..मैं भी कुछ ज़्यादा ही भड़क गया था उस दिन. आइ आम सॉरी टू.’
शॉर्ट सा रिप्लाइ करना मुझे ठीक लगा..मैने मोबाइल साइड मे रख दिया..हार्ड्ली 10 सेकेंड्स हुए होगे, मुझे यूथिका का रिप्लाइ आया. 
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11-01-2018, 12:27 PM,
#74
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
यूथिका: हे!
मैं खुश हो गया..
मे: हे..हाई!
यूथिका: हाई..हाउ आर यू?
मे: आइ आम गुड.. हाउ अबाउट यू?
यूथिका: आइ आम ओके..
मे: जस्ट ओके? क्यू क्या हुआ??
यूथिका: इट्स नतिंग..जाने दो. सो? व्हाट आर यू डूयिंग?
मे: टॉकिंग टू यू.. 
यूथिका: लॉल…वो तो मुझे भी पता हैं.. बिफोर दट?
मे: नतिंग मच.. सो?? व्हेयर आर यू फ्रॉम??
यूथिका: आइ आम फ्रॉम मुंबई.यू?
मे: आइ आम फ्रॉम देल्ही..
मैने सोचा कि क्यू सच सच बताऊ इसे..
मे: सो…यूथिका नाम हैं तुम्हारा? थोड़ा स्ट्रेंज नही?
यूथिका: तुमसे तो कम ही स्ट्रेंज हैं. ये कैसा नाम हैं? मेरा लंबा
मे: इट्स माइ निक नेम..असली नाम नही हैं वो
यूथिका: हाँ बट उसका मीनिंग क्या?
मे: उम्म्म… यू शुवर वॉंट टू नो?
यूथिका: व्हाई नोट?
मे: नो..ऐसे ही. वेल, हम मिले ही सेक्स साइट पे तो तुमसे क्या छुपाना..मेरा पेनिस 9 इंच लंबा हैं.. 
यूथिका: ओह्ह…ओहके..ठीक हैं.. बाइ..
मे: हुहह? अचानक बाइ? मैं कुछ ग़लत कहा क्या?
यूथिका: नही.. उम्म..आइ आम जस्ट नोट कंफोटबल इन हॅविंग सेक्स टॉक
मे: यू सीरीयस? लगता हैं तुम्हे वो वेबसाइट के बारे मे ठीक से पता नही..इट्स आ सेक्सचॅट साइट..आंड आइ मेट यू ऑन दट साइट.. सो इट्स किंडा स्टुपिड..राइट?
यूथिका: नो..नोट स्टुपिड. मैं वहाँ जस्ट सेक्स चॅट के लिए नही जाती. आइ टोल्ड यू, आइ गेट लोन्ली आंड आइ लाइक टू टॉक टू सम्वन स्ट्रेंजर..
मे: ऐसा किसी को भी नंबर दे देती हो क्या? कॉल गर्ल हो?
यूथिका: शट अप! किसी को नही दिया. पहली बार तुम्हे दिया,मगर तुमने पिछली बार आरोगेंट्ली बात की तो मैने किसी और को नंबर नही दिया मेरा..
मे: ओके! कॉल करू तुम्हे?
यूथिका: नही..अभी नही..
मे: क्यूँ?
यूथिका: अभी मैं बिजी हूँ..
मे: ओके देन..बाइ.
यूथिका: अरे वेट.. तुम्हारा नाम क्या हैं?
मे: यही मेरा नाम हैं.. 
यूथिका: प्लीज़ बताओ ना! मेरा लंबा बोहोत ऑड लगता हैं.. क्या नाम हैं तुम्हारा?
मे: कहा ना?? मेरा लंबा..चाहो तो नाम से बुलाओ,वरना कंपल्सरी नही हैं.
यूथिका: ओके! इतना रूड्ली हमेशा ही रहते हो क्या??
मे: आइ आम नोट बीयिंग रूड.. आइ आम बीयिंग ऑनेस्ट. मुझे भी पता हैं कि यूथिका तुम्हारा असली नाम नही हैं,बट आइ डॉन’ट केयर. कल मैं तुम्हे कॉल करूगा कन्फर्म करने के लिए कि तुम लड़की ही हो या नही.
यूथिका: क्या मतलब?? ऑफ कोर्स मैं लड़की हूँ.
मे: सो तुम्हे कोई प्राब्लम नही होनी चाहिए अगर मैं कॉल करू तो. बहुत सारे लोग मज़ाक के लिए जेंडररफेक करते हैं. 
यूथिका: जेंडर फेक??
मे: प्रिटेंड टू बी आ गर्ल..
यूथिका: शी!! लड़के ऐसा भी करते हैं??
मे: यप.. व्हेन कॅन आइ टॉक टू यू अगेन? 
यूथिका: मैं रात मे फ्री होती हूँ. तब मसेज करना..
मे: ओके.. बाइ नाउ.
यूथिका: बाइ!
यूथिका से बात करके अच्छा लगा. थोड़ी पागल लगती हैं, बट ओवरॉल ठीक ही हैं ना! कौनसी मुझे शादी करनी हैं उससे? मैं सोचने लगा कि आख़िर दिखती कैसी होगी यूथिका या जो भी उसका असली नाम होगा. मैं अपने काम मे लग गया.. अससिंगमेंट लिखनी थी तो मैं सोचा अभी फ्री ही हूँ और मूड भी अच्छा हैं तो लिख लेते हैं. वैसे भी अससिंगमेंट्स लिखना बड़ा बोरिंग काम हैं. सॉंग्स शुरू कर दिए और मैं अपना काम करने लगा. 3-4घंटे के बाद मेरा काम पूरा हो गया. जिम का टाइम भी होते आया था. मैं जिम के लिए रेडी होकर निकल गया. आकांक्षा का रूम अब भी लॉक्ड था..
मे: पता नही क्या करती रहती है ये पागल..
मैं जिम के लिए निकल गया. मेरा जिम काफ़ी अच्छा हैं. लोकॅलिटी वाइज़. ज़्यादा महँगा नही मगर फेसिलिटीस सभी हैं. इसलिए हाइ क्लास मेंबर्ज़ भी आते हैं. मैं सर्क्यूट वाइज़ वर्क आउट करता हूँ. हफ्ते मे 3 सर्क्यूट्स होते हैं मेरे. आज लेग्स की एक्सर्साइज़ करनी थी तो मैं अपने रुटीन पर लग गया. वॉर्म अप कर लिया. मैं काफ़ी महीनो से जिम आता हूँ तो कयि लोगो से जान पहचान हो गयी हैं. और अब तक की स्टोरी पढ़ने के बाद आप मानोगे नही मगर मैं सोशियल इंटेरएआकटिओन्स मे काफ़ी स्मार्ट हूँ. सो मैं ईज़िली ही मैं किसी से भी कॉन्वर्सेशन स्टार्ट कर सकता हूँ. मैं वर्काउट स्टार्ट कर दिया. सबसे पहले स्क्वाट्स से स्टार्ट करता हूँ मैं. 3-3 सेट्स. उसके बाद लेग कर्ल.. आप लोगो मे से जो नही जानते कि लेग कर्ल क्या होता हैं उन्हे बता दूं कि लेग कर्ल मे आपको पेट के बल लेटना होता हैं. जिस वजह से आपकी गान्ड उपर उठ जाती हैं और देन कर्ल्स करने पड़ते. मैं लेग कर्ल की मशीन के पास गया और सामने एक दम अद्भुत नज़ारा था. मेरे सामने एक पर्फेक्ट शेप की गान्ड था.. जी हाँ! कोई लड़की एक्सर्साइज़ कर रही थी. उसकी गान्ड एक दम पर्फेक्ट्ली मुझे दिख रही थी. टाइट जिम स्लॅक्स मे से उसकी पैंटी लाइन भी काफ़ी हद तक विज़िबल थी. मैं वही खड़ा होकर सामने का हसीन नज़ारा देखने लगा. स्काइ-ब्लू कलर का स्लॅक पहना था उसने और वाइट कलर की टी-शर्ट. पसीने की वजह से कपड़े उसके जिस्म से ऐसे चिपक गये थे जैसे स्किन हो. हर एक इंच का हिसाब पता चल रहा था उसकी बॉडी का. 
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11-01-2018, 12:27 PM,
#75
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
एक्सर्साइज़ ख़त्म करके वो मशीन पर से उतर गयी..मैं पागल की तरह उसे घूर रहा था और मेरा ध्यान भी नही था कि वो उठ गयी और कब वो मुझे घूर्ने लगी..
'उम्म्म...हेलो?? एक्सक्यूस मी?'
मैं अपनी हवस नगरी से बाहर आया..
मे:येआः?? व्हाट?सॉरी!
'सॉरी फॉर व्हाट??'
मे: उम्म्म...नतिंग.. आइ मेंट 'ही'.. ग़लती से सॉरी कह दिया. सो...हाई!
वो थोड़ा मुस्कुराइ..
'यू वॉंट टू वर्काउट?'
मे: यॅ! आइ वाज़ जस्ट वेटिंग फॉर यू टू फिनिश..
'आइ स्टिल हॅव 1 सेट रिमेनिंग. सो इफ़ यू डोंट माइंड..'
मे: श्योर श्योर!! नो प्राब्लम!
इतना कह के वो फिर से मशीन पे चढ़ गयी और एक्सर्साइज़ करने लगी. 2-3 ही कर्ल्स मारे होगे कि वो रुक गयी और सिर्फ़ अपनी गर्दन घुमा कर मेरी ओर देख कर बोली;
'यू डोंट हॅव टू वेट फॉर मी टू फिनिश.यू'ल्ल नो व्हेन आइ आम डन.
मैं आक्च्युयली उसकी गान्ड की ओर घूर रहा था और ये बात उसने नोटीस की. मैं शरम से लाल हो गया था. मैने वहाँ से चले जाने मे ही अपनी भलाई समझी. सो इससे पहले कि वो मेरी कंप्लेंट करती मैं वहाँ से निकल गया. 2-3 मिनट मे ही उसकी एक्सररसाइज़ हो गयी. मैं कॉर्नर मे मिरर के सामने खड़ा था. वो मुझे घूरते हुए वहाँ से जाने लगी. इससे पहले कि वो जाती,जाते जाते मुझसे बोली;
'गो!'
उसकी आवाज़ मे ही मुझे खुन्नस महसूस हो रही थी. मैने अपने आपसे ही कहा;
मे: वाह बेटा! फर्स्ट इंप्रेशन तो अवेसम था तेरा..
मैने चुप चाप एक्सर्साइज़ करना ठीक समझा..डिसट्रॅक्षन रहा तो वैसे भी वर्क आउट ठीक से होता नही हैं. मैने हेडफोन्स कान मे घुसा दिए और एक्सर्साइज़ करने लगा. आते जाते वो लड़की भी मुझे दिख रही थी और मैं चोर की नज़रों से उसे देख रहा था. मजबूरी थी. इतनी हॉट लग रही थी वो. पसीने की वजह से उसके कपड़े उसके जिस्म से चिपक गये थे. उसकी पोनी टेल उसकी हर मोमेंट के साथ उपर नीचे होती थी. मेरी नज़र बार बार उसकी क्यूट न्ड अप्प्लेशपेड़ गान्ड की तरफ ही जाती थी..और अब इसे बॅड टाइमिंग कहिए या सूपर गान्डु नसीब. मैने जितनी बार भी उसकी ओर देखा,उसने मुझे पकड़ ली. मैने सोचा कि अगर मैं एक बार और पकड़ा गया तो या तो ये मेरी कंप्लेंट कर देगी या खुद ही मेरी गान्ड मारेगी. पहली बार मैं वर्काउट आधा छोड़के चला गया.लॉकर रूम मे गया,शूस निकाले. वॉशबेसिन के पास गया, मूह धोया. बाथ स्किप करने का सोचा और जल्द से जल्द मैं बस वहाँ से निकलना चाहता था. 

मैने फट से अपना बॅग पॅक किया और बाहर निकल गया. जब मैं बाहर निकल रहा था, तो वोही हुआ जिसका मुझे डर था. मैने ज्यों शू रॅक के पास का डोर खोला, वोही लड़की पूरी तरह से झुक के अपने शूस की लेस बाँध रही थी. मुझे उसे पहचानने मे एक सेकेंड भी नही लगा क्योकि उसकी गान्ड मेरे दिमाग़ मे छा गयी थी अब पूरी तरह. मैने सोचा कि यहाँ ये मुझे फिर से ऐसे देख लेगी तो फिर सोचेगी कुछ उल्टा. मैं निकल जाता हूँ. मगर मेरे शूस अंदर थे.मैने सोचा,कुछ देर बाहर ही खड़ा रह जाता हूँ. मगर मैं निकलता,उससे पहले ही उसने मुझे देख लिया. अगेन...फक!!!! और इस बार,आइ कुड सी दट शी'स रियली पिस्ड.
मैने जल्दी से बाहर निकला,डोर बंद भी नही हुआ था कि;
'हे! योउ!'
मैं नही पलटा.
'टर्न अराउंड नाउ! शर्म नही आती क्या? रुक कंप्लेंट करती मैं. आइ हॅव सीन यू स्टेरिंग अट मी..' 
मेरे तो आँड मूह मे आ गये..मैने सोचा कि अगर उसने कंप्लेंट करदी तो जिम से निकाला जाउन्गा अलग, बदनामी भी होती उपर से. वो कंप्लेंट करने जाने ही वाली थी 
मे: अर्रे!! वेट.. प्लीज़ वेट..हेलो...
मैं उसके पीछे पीछे भागने लगा मगर वो रुक ही नही रही थी. मैं उसे ओवर टेक करके उसके सामने खड़ा हो गया..
'गेट अवे!'
मे: आटीस्ट लिसन टू मी..
मगर वो सुनने के लिए रेडी नही थी. बिल्कुल भी नही..
'गेट अवे फ्रॉम मी ऑर आइ'ल्ल शाउट'
मे: अरे बट सुनो तो..आइ वास्न'ट स्टेरिंग अट यू.
'आइ सॉ यू स्टार्टिंग अट मी....'
उसने आगे कुछ नही बोली..
मे: नो..आइ वेस्न्ट.. मैं शूस लेने आया था न्ड आइ सॉ यू..आंड...
मैं आगे कुछ कहता उससे पहले ही वो बोली,
'आंड यू स्टार्टेड स्टेरिंग अट मी बॅक..अगेन..नाउ गो अवे..एक्सक्यूस मी...'
वो चिल्लाई..
'आइ नो गाइस लाइक यू.. यू थिंक यू कॅन डू वॉटेवर यू वॉंट.. आइ विल टेल एवेरिवन दट यू वर हरासिंग मी...हेल्ल्लो..'
मेरी तो गान्ड मे से आँड निकल गये.. अब क्या करू? झाट समझ नही आ रहा था.. वो बके जा रही थी..
मे: लिसन..आइ हॅव बिन वर्किंग आउट इन दिस जिम फ्रॉम पस्त एअर. नून विल बिलीव यू कॉज़ ऐसा कभी नही हुआ. इट्स जस्ट आ मिसांडरस्टॅंडिंग..आइ आम सॉरी फॉर दट..लेट इट गो.
मैं पूरी कोशिश करके उसे समझाने लगा..
'नो वन विल बिलीव मी?? डू यू नो हू आइ आम?'
मे: आप जो कोई भी हो. पीपल नो मी हियर टू.. इट विल बी युवर इन्सल्ट. सो,डोंट पुश इट. ईवन दा जिम ओनर रजत सर लाइक्स मी. ही नोस हू आइ आम आंड व्हाट काइंड ऑफ पर्सन आइ आम..सो जस्ट ड्रॉप इट. अच्छे से समझा रहा हूँ..
वो कुछ देर चुप रही. मैने बोला बात बन गयी.. बट;
'ओह्ह यॅ?? ही नोस मी टू'
मे: यू जस्ट जायंड दा जिम टुडे..मैं यहाँ 1 साल से आता हूँ.. ही'स लाइक माइ फ्रेंड..आंड यू...
आगे कुछ कहता उससे पहले ही वो बोली;
'आंड ही'स माइ ब्रदर...'
बॅस बेटा! रेडी हो जा..गान्ड मराने के लिए..वो साला सांड़ रजत..बॉडी बिल्डर चॅंपियन..मेरी वेस्ट न्ड उसका बाइस्प.. सेम साइज़ के! बाइक आज यही रखनी होगी कॉज़ वो तो मुझे यही से घर पे फेक देगा..'
'राम नाम जपलो पुत्रा'
अंदर से आवाज़ आई मेरे.. मेरी बोलती बंद..आँड गायब..गान्ड फटी..दुर्घटना घटी..अब उसे समझा कर कोई फ़ायदा नही हैं..मगर अब मारने ही वाला तो फाइटिंग स्पिरिट ईज़ इंप टू ना.. मैने आखरी कोशिश की..
मे: लुक आइ आम सॉरी.. आइ वाज़ स्टेरिंग अट युवर..
वो रुक गयी...मूडी...
मे: अट युवर... बॅक.,,आइ डिड्न्ट मीन टू..बट मेरी ग़लती नही इसमे..
'तो?? क्या मेरी ग़लती हैं? परवर्ट.. उपर से झूठ भी बोला की स्टेर नही कर रहे...अब तो भैया से मार खिला के ही रहूगी..भागो जहाँ भागना हैं..'
उसने ऐसा कहना और वो सांड़ का डोर से बाहर आना..
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11-01-2018, 12:27 PM,
#76
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
रजत: हे गाइस! व्हाट हप्पनेड? किसी ने आवाज़ दिया क्या?
मेरा मूत निकल गया था बस चड्डी तक पहुँचने ही वाला था.. 
रजत: सम्राट? क्या हुआ??
मैं बोलने लगा...
रजत: अर्रे?? आवाज़ तो निकाल..गला खराब हैं क्या??
तब समझा मुझे कि भेन्चोद खाली हवा ही निकल रही थी. आवाज़ तो म्युट हो गयी.. एक बार फिर भगवान का नाम लिया मैने और संसार को त्यागने की आशा करने लगा..उतने मे ही;
रजत: अबे हुआ क्या?? किसने आवाज़ लगाई? आपने लगाई क्या? व्हाट'स युवर नेम? यू जायंड जस्ट टुडे..राइट? कुछ पूछना हैं क्या?
मैं आखे फाड़ फाड़ के रजत की ओर देख रहा था... गान्ड फटने का कान पे भी एफेक्ट होता ये उस दिन पहली बार पता चला.. क्योकि जो रजत ने कहा,मुझे कुछ सेकेंड के बाद सुनाई दिया..
रजत: तुम दोनो क्या पागल हो गये हो क्या? टेल मी व्हाट'स हॅपनिंग??
'ओके बाइ'
रजत: अर्रे? हेलो मेडम?? लिसन..वेट..हेलो
मगर वो आँधी तूफान के जैसी उड़ गयी वहाँ से.. मैं सब मामला समझ गया..
रजत: सम्राट??
मे: कुछ नही सर.. उसे कुछ पूछना था..उतने मे मैं आ गया. डोंट वरी सर..बाइ..सी यू टुमॉरो..
उतना कह के मैं फट से भागते हुए जिम से निकल गया उस लड़की को देखने..
मे: साली..उल्लू बना गयी.. अभी देखता हूँ. 
मैं काफ़ी देर देखता रहा.. मगर दिखी नही.. मैने सोचा कल देख लुगा उसे..मैं पार्किंग मे गया,बाइक स्टार्ट की और निकलने ही वाला था उतने मे मिरर मे मैने उसे देखा.. पिल्लर के पीछे मेडम छुपी हुई थी. मैने सोचा क्यू ना बदला लिया जाए.. मैने अपना फोन निकाला और फेक कॉल लगाया.
मे: हेलो?? हाँ अमर...सुन.. एक लड़की का पता करना हैं. 21-22 साल की हैं.. कड़क माल हैं. मेरे जिम मे आती हैं. कल जिम के बाहर आके खड़ा रह और घर तक उसके पीछे जा. साली बोहोत इतराती है.. इसको भी वो पहली वाली जैसा लेते दोनो मिलके..
और एक विलेन वाली हसी भी ठोक दी..कॉनवेंसिंग.बोर्न आक्टर,,यू नो!
अब मैं मज़ा देखने लगा.. मिरर मे सॉफ दिख रहा था कि अब मेडम की गान्ड,सॉरी,पर्फेक्ट गान्ड फट गयी हैं.. मैने बाइक स्टार्ट की और पार्किंग से निकल गया. मैं चाहता था कि वो मुझे जाते हुए देखे. मगर मैं आक्च्युयली थोड़ा आगे जाके रुक गया,बाइक पार्क की साइड मे और पार्किंग के गेट के पास छुप गया. कुछ देर बाद मुझे गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज़ आई. मैं ठीक से छुप गया.. मोप्ड थी. डियो मेडम की. जैसे ही वो पार्किंग के गेट के पास आई..मैं झट से उसके सामने टपक पड़ा..
'आआआआआआईयईईईईईईईई'''
उसने ज़ोर्से ब्रेक दबाई और मेरे ठीक सामने गिर गयी..लड़किया! ऑल्वेज़ सामने का ब्रेक दबाती है..

मैं आक्सिडेंट स्पॉट के सामने खड़ा था. वो नीचे गिरी पड़ी थी. मैं नज़ारा देखने लगा. गिरने की वजह से उसकी टी शर्ट थोड़ी उपर हो गयी थी और उसकी कर्वी कमर दिखाई देने लगी थी. 
'अरे हेलो??'
आवाज़ आई नीचे से.
'उछल की माला..नालयक'
ओह्ह..मराठी हैं मेडम. कितना कॉन्फिडेंट्ली झूठ बोलती है लड़किया भी.. रजत मारवाड़ी हैं और ये उसको अपना भाई बता रही थी. साला रे!
मे: सॉरी?? आर यू टॉकिंग टू मी?
'हो..टच! उछल माला'
मुझे भी दया आ गयी. बट इतनी ईज़िली मैं नही छोड़ने वाला था उसे.
मे: मे हाथ लावला तार पुँहा म्हनशील की,'यू वर स्टेरिंग अट मी. आंड यू टच्ड मी टू'
मैने उसे चिढ़ाते हुए उसकी ही नकल उतारते हुए कहा. मराठी हैं तो सोचा मराठी टच बेटर होगा.
'सस्सस्स..आआी...अरे उछाल बाइक,,माज़ा पाय दुख़्तोय खूप.' 
मैने सोचा चलो उठा ही लो अब इसको. बट उससे पहले;
मे: फर्स्ट से सॉरी!
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11-01-2018, 12:27 PM,
#77
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
ईगो कितना बाप रे!! सॉरी तो मूह से निकलना जैसे इंपॉसिबल ही था उसके. उल्टा नाक चढ़ा कर मुझे घूर्ने लगी..
मे: फाइन..मुझे क्या!
इतना कह के मैं वहाँ से निकलने लगा तो उतने मे ही;
'फाइन!! सॉरी..उछल आता'
मैं उसके पास गया और बाइक उसकी उपर से हटा ली. किसी तरह से वो खड़ी हुई. थोड़ी चोट आ गयी थी पैर पे उसके. बट ज़्यादा नही. मैने बाइक साइड मे की और स्टॅंड पे लगा कर उसके सामने खड़ा हो गया जाके. वो अपने कपड़े सॉफ कर रही थी. घंटा कुछ हुआ नही था, बट नौटंकी तो बाप रे.
मे: हाई! सम्राट.
इतना कहके मैने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया की चलो फर्स्ट इंप्रेशन खराब आया तो क्या हुआ? ऑल्वेज़ स्टार्ट ओवर किया जा सकता हैं. ग़लत सोचा. 
'ह्म्म्म ...'
इतना कह के वो मूढ़ गयी और बाइक की ओर जाने लगी. मैं बोला भेन्चोद! आटिट्यूड तो देखो मेडम का. हाई नही हेलो नही..बॅस ह्म्म्मक
मे: विच कंट्री आर यू फ्रॉम?
मेरे सवाल से वो ज़रा चौंक गयी, क्योकि अभी कुछ देर पहले वो मराठी बोल रही थी और मैं ऐसा नॉनसेन्स सवाल उससे पूछ रहा था. किसी पागल को देखते हैं ऐसा लुक वो मुझे देने लगी.
मे: वो आक्च्युयली इंडिया मे आंड प्रेटी मच किसी और कंट्री मे अगर कोई हेल्प करे तो थॅंक यू कहा जाता हैं. आपके देश मे शायद,'ह्म्म्म' कहते हैं. सो?? विच कंट्री? 
'इंडिया!'
मे: अरे!?? सेम हियर.. 
'और थॅंक यू किस बात का? तुम्हारी वजह से मैं गिरी. और तुम्हे ही थॅंक्स कहूँ?'
मे: फेयर एनफ,.. एक्सेप्ट इट्स नोट ट्रू. तुम गिरी कॉज़ तुमने ब्रेक लगाई सामने का. कितना झूठ एक दिन मे? बापा!!
'मैने कोई झूठ नही बोला...'
मे: हाँ.. वो रजत तुम्हारा भाई हैं. उसकी फॅमिली मारवाड़ी हैं और तुम अकेली ही मराठी. राइट?
'हाँ..राइट! बाइ'
इतना कह के वो बाइक पे बैठ गयी और बाइक स्टार्ट करके निकल भी रही थी..मैने थोड़ा उची आवाज़ मे कहा.
मे: यू डू रीयलाइज़ तट आइ कम हियर एवेरिडे??
नॉनस्टॉप एक्सप्रेस की तरह वो सीधा चली गयी..
मे: हहे..अजीब कार्टून हैं ये तो!
मैं घर की ओर निकल गया. घर पहुँचा तो मम्मी पापा हॉल मे बैठ कर चाइ पी रहे थे. मैने शूस निकाले.
मे: हेलो जन्मदाता लोग!
मम्मी: चाइ पिएगा? 
मे: हाँ.अब बनी ही हैं तो चल जाएगी थोड़ी सी. कोई प्राब्लम नही..
पापा: बेटा इतनी तक़लीफ़ से बोल रहा हैं. मत पी!
मम्मी: हाहाहा..
मे: क्या देख रहे?
पापा: शादी की सीडी.
मे: क्या?? इतनी जल्दी आ भी गयी?
मम्मी: हां..तेरी बुआ को इतनी जल्दी थी कि उन्होने हाथो हाथ सीडी दे दी हमे. और देते देते ये भी सुना गयी कि सबसे सुंदर दिखती हैं बेटी मेरी..
मे: अर्रे जाने दो ना! आप भी.. बुआ तो बचपन से ही ऐसी हैं..
पापा: हा हा..तुमने ही तो बचपन से पाला पोसा हैं तुम्हारी बुआ को…तुझे तो पता ही होगा.. नही?
मे: जो भी हैं.. खैर जाने दो..
मम्मी चाइ बना कर ले आई..मैं भी चाइ पीते पीते वीडियो देखने लगा शादी का.. कॅमरा मेन लोगो को डिन्नर करते हुए शूट कर रहा था. मुझे समझ नही आता कि खाना खाते हुए क्यू शूटिंग लेते हैं कॅमरा में? जैसी कि प्रूफ हो कि,’हाँ भाई, हम ने हमारी घर की शादी मे खाना रखा भी था और लोगो ने खाया भी था.’ और भेन्चोद शादियो मे लोग खाते भी इतना भर भर के हैं कि ऐसा लगता है की आज खाना खाने के बाद सीधा अगली शादी मे ही खाने को मिलेगा. कोई बैठ के खा रहा है, कोई खड़े होकर खा रहा है. एक अंकल तो काउंटर के पास ही खड़े थे खाते वक़्त. हाउ एफीशियेंट! कुछ लगा तो बाजू से ही उठा लिया. और सीडी मे ऐसे ऐसे दरदी गाने डालते साले स्टूडियो वाले,क्या बटाऊ! डिन्नर के सीन मे ‘सजना हैं मुझे, सजना के लिए’..माँ की आख.. ये भी कोई गाना हैं? खैर! मैं वीडियो देख रहा था, तभी मेरी नज़र दूल्हे से बात करती एक लड़की पे पड़ी.. ब्लॅक कलर की साड़ी पहनी थी उसने और क्या जच रही थी उसपे कि कभी रात भी इतनी सुंदर ना दिखी ही पूर्णिमा के दिन. मैं अब थोड़ा ध्यान से देखने लगा. वो दूल्हे से यानी मिस्टर. धीरज से बात कर रही थी..हसी मज़ाक कर रही थी.
मे: बेहन हैं उसकी लगता..मौज हैं साले की..
मैने अपने आपसे ही कहा और उसे देखने लगा.. 
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11-01-2018, 12:27 PM,
#78
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
बड़ी क्यूट सी लग रही थी वो. छोटी सी,क्यूट सी…गेहूवा रंग उसका और मासूम शक़्ल.. उतने मे ही मम्मी बोली;
मम्मी: सम्राट…वो देख..वो धीरज से जो लड़की बात कर रही ना?
मे: कॉनसी लड़की?
मम्मी: अर्रे वो देख ना..ब्लॅक कलर की साड़ी पहनी हैं उसने.. दिखी??
मे: हाँ हाँ..दिखी..क्या उसका?
मम्मी: अरे तू पहचाना नही क्या उसे?
मे: नही तो? कौन हैं वो?
पापा: अरे चीक्की हैं ना वो!!
मेरी तो आखे,कान,नाक, गान्ड..सारे छेद फट गये.. और अंजाने मे ही मैने कह दिया..
मे: फफफफफकुकक….!!
मम्मी: हुहह?क्या??
मैने रीयलाइज़ किया कि मैने ज़ोर्से कह दिया..
मे: सच???
मम्मी: तू कुछ और बोला.
मे: नही मम्मी.. सच ही बोला..
मम्मी: क्या बेशरम हैं तू.. ऐसी बाते कब्से करने लग गया तू?
मे: अरे..मैने सच ही कहा
पापा: सच ‘फ’ से स्टार्ट होता??
मे: ओह…वो तो ऐसे ही..फॅक बोला…आक्च्युयली एक फरन्ड हैं मेरी. मनीषा.. वो ‘स’ को ‘फ’ बोलती..सो आदत लग गयी..
मम्मी: ऐसा क्या! बना उल्लू और..
मे: बनाना क्या पड़ता है?
मैने दबी आवाज़ मे कहा..
मम्मी: फिर कुछ बोला?
मे: अरे कुछ नही..जाता हूँ अब मैं उपर.. फ्रेश होना हैं..
मम्मी: हाँ जा..
मैं काल्टी मारके निकल गया और उपर आके चेंज करके अपना काम करने लगा.. राटको खाना खाने के बाद भी 1 बजे तक काम चला. मैने एक अंगड़ाई भरी और सीधा चेयर पर से बेड पर उड़ी मारके पसर गया. मेरे दिमाग़ मे चिकी घूम रही थी अब. मैं जानता हूँ लोगो के लुक्स चेंज होते हैं मगर ये नही जानता था कि कोई ‘ए’ लड़की सीधा ‘XXX’ हो जाएगी. कसम से क्या लग रही थी वो..और ऐसी लड़की ने मेरा नंबर माँगी..अब मैं बेसब्री से वेट कर रहा था कि कब वो मेसेज या कॉल करे..ज़्यादा जल्दी भी नही कर सकता था मैं नही तो समझ जाती कि आइ आम ईगर टू टॉक टू हर..उतने मे ही मुझे यूथिका की याद आई. मैने फट से मेरा सिम चेंज किया..सेल स्टार्ट होते ही मुझे मेसेज आने स्टार्ट हो गये.
‘हे!’
“यौ देयर?’
‘हेल्ल्लो???’
मैं खुश हो गया.. बंदी, आइ मीन होप्फुली बंदी ही हो, डेस्परेट हैं बात करने के लिए हम से…मैने भी रिप्लाइ कर दिया.
‘हे’
और वेट करने लगा.. 15-20 मिनट बात करने के बात मैने सोचा कि अब शायद इसका रिप्लाइ ना आए..सो गयी होगी लगता..सब मेरे जैसे भूत तो रहते नही हैं.. मैने सोचा मैं भी सो ही जाता हूँ.

अगले दिन मैं सुबह उठके कॉलेज चला गया.कॉलेज जाके मैने सबसे पहले पायल को कॉल किया..’आउट ऑफ कवरेज एरिया’.
मे: हुहह? आउट ऑफ कवरेज एरिया?? कोन्से जंगल मे हैं मेडम. 
मैने सोचा कि कॉलेज आएगी तो खुद ही कॉल करेगी.. लेक्चर्स स्टार्ट हो गये मगर पायल का कही आता पता नही था. मैने 3 4 बार कॉल किया,,सेम रेस्पॉन्स. .कॉलेज ख़त्म हो गया..मुझे लगा कि शायद आई नही अब तक वो नासिक से. मैने सोचा जाने दो.. जब भी पासिबल होगा कॉल करेगी खुद ही वो.. कॉलेज के बाद मैं घर चला गया..पढ़ाई की, असिगमेंट्स लिखे..वो सब करते करते शाम हो गयी.. मैं शाम का वेट ही कर रहा था क्योकि आज वो पागल मिलेगी. मैं थोड़ा सा एग्ज़ाइटेड था उसे मिलने के लिए. मैं फ्रेश होने चला गया..फाटसे चेंज किया और बाग भरने लाहा. इतने मे ही मुझे यूथिका की यादाई. कल रात को उसका कोई रिप्लाइ नही आया सो मैने सोचा एक बार चेक करने मे क्या हर्ज़ हैं. मैने सिम चेंज किया और सिम चेंज करते ही मेसेज आने लगे. 
“हे! श्र्य मैं थोड़ी बिजी थी तो रिप्लाइ नही कर पाई. वस्सूप?”
मैने भी रिप्लाइ ठोक दिया;
“इट्स ओके.. आइ आम गुड. हाउ अबाउट यू?”
मसेज सेंड ही करने वाला था की मुझे याद आया कुछ;
“लिसन. आइ थिंक हम ने एक टाइम डिसाइड कर लेना चाहिए हमारी बात करने का. ऐसे तो कभी हमारी बात नही हो पाएगी. मैं रात मे अवेलबल रहता हूँ. लेम्मे नो!”
मसेज सेंड कर के मैने सिम चेंज कर दिया और जिम चला गया. रास्ते मे मैं सोच रहा था कि आज बात होगी या नही मेडम से. या आज आएगी भी या नही जिम को..कल के आइटम के बाद. ऐसे कई सारे सवाल मेरे दिमाग़ मे घूम रहे थे. मैं जिम पहुँच गया और पार्किंग मे गाड़ी पार्क करके उपर जाने ही वाला था तो मैने सोचा कि क्यू ना पार्किंग मे एक बार मेडम की गाड़ी देख ली जाए कि हैं या नही. मैने पूरी पार्किंग छान मारी. कही कोई आता पता नही था. मैं थोड़ा मायूस हो गया..कही उसने दूसरा जिम तो जाय्न नही कर लिया? मैं अपना मन मारके उपर चला गया..
ज्यों जिम मे घुसा रजत ने पकड़ लिया मुझे मेरे हाथ से जाकड़ के.. अब वो साला हल्क की पैदाइश, मेरा नन्हा सा बाइस्प उसके हाथ मे अपनी जान तोड़ रहा था..
मे: अर्रे सर!! एक ही हाथ हैं मुझे..
रजत: हुहह??

मे: आइ मीन राइट वाला सर..एक ही हैं..तो थोड़ा सा….
वो समझ गया..हँसके उसने हाथ छोड़ दिया मेरा और बोला;
रजत: कल क्या चल रहा था रे तेरा और वो लड़की का सम्राट? वो भी भाग गयी आंड उसके पीछे तू भी? चक्कर क्या हैं?
मे: अर्ररे कुछ नही सर.. उसको पूछना था कि जिम मे फीमेल ट्रेनर का कितना फीस हैं.
रजत: तो तुझसे क्यू पूछ रही थी वो??
मे: उसको लगा कि मैं ट्रेनर हूँ..
मेरी इस बात पे वो सांड़ ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा और बोला;
रजत: तू?? ट्रेनर?? जा भाई जा.. अंदर हैं तेरी स्टूडेंट…कर ट्रेन उसको.
मेरी तो बत्ती ही जल गयी ये सुनके की वो ऑलरेडी अंदर हैं जिम के. 
मे: ओके सर.. मैं जाता हूँ अंदर..
इतना कह के मैं अंदर चला गया. शूस पहने और सीधा जिम फ्लोर पे. फ्लोर पे जाके मैं अपने पहचान के लोगो को ही हेलो करने लगा. रोज़ का ही रिचुयल था.. थोड़ा है शाइ करना और देन अपने काम मे लग जाना.. मैं इधर उधर ही बोलता हुआ आगे बढ़ता गया और उतने मे ही….
‘अरी.आआईई???’
मैं किसी से टकरा गया..2 सेकेंड संभलने को लगे और उसका आधा ये जानने मे कि टकराया भी किस से?? 
मे: ओह्ह.. यू!!
‘अर्रे कुठे बघतोस?? क्या मेरे पीछे पड़ गये तुम??’
मेडम ने आज ग्राइश कलर का टॉप पहना था और ब्लॅक स्वेट पॅंट्स.. थोड़ा सा क्लीवेज दिख रहा था टॉप मे से.तो नॅचुरली मेरी नज़र नीचे चली गयी. आप भी देख लो खुद.. 


अब ऐसा नज़ारा सामने आया तो कौन भला अपनी नज़रें मोड़ ले?? मैं भी देखने लगा.. मगर ज़्यादा देर नही देख पाया..
‘ओये हेलो??’
मैने सोचा अगर आज भी ये पकड़ लेगी मुझे घूरते हुए..तो वांदे हो सकते.. कुछ तो सोचना पड़ेगा..
मे: हुहह?? मैं..मैं तुम्हारे पीछे पड़ा हूँ?? ठीक हैं..मानता हूँ मेरा ध्यान नही था आगे की तरफ कॉज़ मैं मेरे फरन्डस को ग्रीट कर रहा था.. मगर तुम?? तुम्हारा ध्यान कहाँ था?? हुहह?? तुम तो आगे ही देख रही थी ना? और आगे मैं था.. मतलब तुमने मुझको देख कर भी सीधा मुझसे भीड़ गयी… हैं ना??
उसने शायद सोचा नही होगा कि मैं ऐसा भी कहूँगा..मेरे सवाल से वो कन्फ्यूज़ हो गयी..और हड़बड़ाने लगी.
‘ वो…माआ..मैं… उधाअर… तुमने….’
मे: क्या कोडवर्ड हैं क्या ये? हिन्दी मराठी इंग्लीश?? आती क्या कुछ? अभी तो बड़ी टॅपर टॅपर चल रही थी.. अब क्या हुआ?? बोलती बंद?? कल घुटने पे चोट लगी तो क्या दिमाग़ बंद हो गया?? हुहह?? बोलो
मैने सोचा कि अब ज़रा ऊट पहाड़ के नीचे आया.. इतने आसानी से तो नही छोड़ुगा.
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11-01-2018, 12:27 PM,
#79
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मे: सो मतलब तुमने जान बुझ कर मुझे धक्का मारा..
‘नही’ 
मे: तो टकराई कैसे मुझसे?
‘ तू आला माज़या आंगवार..नालयक’
मे: अरे चुप!! मे तार बघात पन नवहतो तुज़या कड़े आनी तू माला बघात होती तरी ही सरल माला धड़कली.. म्हन्जे जानूँ बुझुँ ना..हरस्स्मेंट??
‘अर्ररे आएएयएए…. काका न्ड कुठला हरस्स्मेंट? ग़लती से धड़क लग गयी..सॉरी..
मे: ऐसे कैसे धड़क लग गयी ग़लती से?? हुहह? नाम क्या हैं तुम्हारा?
‘हुहह??’
मे: नाव नाव..नेम ..नाम! 
‘वो मैं क्यू सांगू??..उहह…बताऊ?’
मे: मैं विचार रहा इसलिए सांग..जितना बोला उतना सांगो..
‘सस्स.सस्स्ससा…’
मे: क्या सस्स्सस्स…? साप हैं क्या??
‘अरे सारिका’
मे: अरे सारिका?? ये कैसा नाम हुआ??
‘पतच्छ…सारिका..सिर्फ़,,’
मे: ओके सारिका सिर्फ़.. अभी मुझे जाना है..जिम हैं..वर्क आउट करते लोग.. अभी मुझे धड़क दी ना..मैं तुम्हारा नाम की कंप्लेंट कर दूँगा…समझी क्या??’
‘ आईई तू जा रे.’
मे: अर्रे??
इतना कह के वो भाग गयी मेरे सामने से.. मैं मन ही मन हँसने लगा.. मज़ा आ गया आज तो.

जिम मे सारिका से मेरी फिर ना ही कोई टक्कर हुई और ना कोई मुलाकात हुई उस दिन. वो जैसे पर्पस्ली ही मुझसे दूर रही उस दिन. मैं सोचने लगा कि वैसे तो बंदी उस दिन बड़ा आटिट्यूड दिखा रही थी..मगर आज जब ज़रा मैने उसके उपर दबाव डाला तो झट्से बोलती बंद हो गयी उसकी.. मुझे ताज्जुब होने लगा कि ऐसे कैसे हो सकता हैं. मैने ज़्यादा ध्यान नही दिया उस बात पे और अपना काम करने लगा. जिम के बाद मैं घर जाने के लिए निकलने लगा तो मुझे कॉल आया. पायल थी;
मे: हेलो??
पायल: हे 
मे: अबे कहाँ हैं तू? मैने कितने कॉल किए तुझे..कोई रिप्लाइ ही नही की तूने.. नासिकसे आई नही क्या अब तक? 
पायल: अर्रे वहाँ से तो कबका आ गयी मैं!
मे: क्या?? सो मिली क्यू नही अब तक?? कब्से वेट कर रहा मैं कि तू अब आएगी,तब आएगी. तेरा तो कोई अता पता ही नही.. अभी कहाँ हैं?
पायल:उम्म्म..अभी तो बाहर हूँ मैं..कल मिलती हूँ ना.
मे: बाहर कहाँ? अभी मिलते हैं ना.मैं जिम से घर ही जा रहा था अभी.
पायल: अभी..अभी नही..मम्मी के साथ बाहर आई हूँ..तेरा मिस कॉल देखा तो सोचा कॉल करलू..
मे: कॉल मैने सुबह किया था..तूने अभी देखी वो??
पायल: अरे सोई थी ना..
मे: दिन भर??
पायल: तू क्या ऐसे पीसी सरकार जैसे 50 सवाल कर रहा है?? थक गयी थी सो नींद लग गयी..ऱात को लेट आई मैं. इतना क्या पूछ रहा? और कुछ पूछना हैं??
मे: हाँ..व्हाट आर यू वेआरिंग?
पायल: पतच्छ…तू नही सुधरेगा…कामीने! अब मार्केट मे आई हूँ तो कपड़े पहन के ही . ना.. 
मे: अर्ररे?? इतना क्यू भड़क रही है? ऐसे ही टाँग खीच रहा था मैं तेरी..
पायल: वेल..दूर रह टाँगो से मेरी..
मे: उम्म्म…वो तो मुश्किल हैं पायल.. तेरी टाँगो के बीच मे ही सोने का वेट कर रहा था मैं.. कितने दिन हो गये…!!!
पायल: 5 दिन हुए..ऐसा कर रहा है जैसे सालो से नही मिली.. ड्रामेबाज़ साला..
उतने मे ही उसे उसकी मम्मी ने पीछे से आवाज़ दी..
पायल: हाँ..आई…अच्छा सुन..कल मिलते कॉलेज मे. स्या!
मे: हाँ..स्या.
कॉल कट करके मैं निकल ही रहा था कि उतने मे सारिका दिख गयी..वो सीढ़ियो से उतर रही थी..उतरते हुए उसके बूब्स मस्त उपर नीचे बाउन्स कर रहे थे.. देख के ही मज़ा आ रहा था इतना तो सोचो कि उन्हे मसल्ने मे कितना मज़ा आएगा? उतने मे ही उसकी नज़र मुझ पड़ी..तो वो थोड़ा रुक गयी..हिचकिचाके 2 सीढ़िया पीछे हो गयी.... मैं मन मे ही हंसा और मामला समझ गया. मैने बाइक स्टार्ट की तो वो एक दम कॉर्नर से मुझे देख रही थी मैं अब जाउन्गा तब जाउन्गा.. मैं भी कमीना तो हूँ. मैने बॅस बाइक स्टार्ट की मगर गियर नही डाला. तो वो फिर से रुक गयी.. मैने बाइक बंद करदी.. तो वो वही रुकी रही और मुझे घूर्ने लगी.. मैने एक बार दोबारा बाइक स्टार्ट की..1 2 बार रेज़ की और गियर डाल दिया इस बार. तो वो आश्वासित हो गयी कि मैं निकल रहा हूँ.. मैने बाइक आगे बढ़ाई और ऐसा दिखाया कि उसे मैने देखा ही नही. तो वो फिर से सीढ़ियो से उतरने लगी. 3 4स्टेप्स के उतरने के बाद ही मैने गाड़ी ठीक सीढ़ियो के सामने रोक दी. तो वो चौंक के उसी स्टेप पर खड़ी हो गयी.. मैने बाइक बंद कर दी और इस बार ठीक उसकी तरफ देखने लगा. वो अब नीचे देख रही थी.. तो मैं बाइक से उतरा और साइड स्टॅंड पे लगा दी.. जो ही मैने बाइक स्टॅंड पे लगाई वो एक दम से पीछे मूड गयी और वापिस सीढ़िया चढ़ने लगी.. वो 2सरी स्टेप चढ़ पाती उसे पहले मैं ही बोल पड़ा;
मे: अगर मैं रात भर यही खड़ा रहा तो क्या तुम घर नही जाओगी??
मेरे सवाल से वो ज़रा खिसिया गयी.. मगर कुछ बोली नही..सो मैं फिर बोला..
मे: ओये! हेलो?? मैं तुमसे ही कह रहा हूँ..
इस बार वो पलटी..और सीधा नीचे उतर कर मेरे ठीक सामने 2 स्टेप्स उपर आके रुक गयी..मैं उसकी तरफ देखने लगा..कुछ बोलता उससे पहले ही वो बोल पड़ी..
सारिका: ये देखो….
मे: हांजी??
अब उसकी शक़्ल पे सॉफ दिख रहा था कि वो चिड गयी हैं..
सारिका: शट अप! तुम ये जो कर रहे हो ना..मुझे सब पता हैं..अकेले नही हो जो तुम ऐसा कर रहे हो मेरे सामने..50 आके गये तुम जैसे और 1000 आके जाएगे..इसलिए ये जो तुम्हारा आइडिया हैं ना पटाने का मुझे.. उसे अपने दिमाग़ से निकाल दो..सो चुप चाप यहाँ से निकल जाओ..वरना आई शप्पत लाता खाशील.. मुझे हॅंडल करना आता हैं तुम जैसो को..
मे: अर्रे अरे अरे?? चेन्नई एक्सप्रेस..ज़रा ब्रेक लगाओ..
मैं उसे बीच मे टोकते हुए बोला.
मे: तुमसे किसने कहा कि मैं तुम्हे पटाने की कोशिश कर रहा हूँ? मैने कहा ऐसा कुछ?
सारिका: कहने की ज़रूरत ही नही कुछ..मुझे सब समझता है.. तुम्हे लगता है कि तुम कुछ ओरिजिनल हो.. ट्रस्ट मी.. बहुत देखे तुम जैसे.. ये बाइक रोक के खड़े हो गये मेरे सामने..बपाछ आहे का रास्ता?
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11-01-2018, 12:27 PM,
#80
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मे: नही.. रजत छा! तुज़ा भाउ.. जो मारवाड़ी आहे बाइ दा वे!
मैने उसे चिढ़ाते हुए कहा..वो और चिड गयी इस बात पे.
सारिका: ये देखो.. मुझे परेशान मत करो..और मुझे पटाने का सपना भी मत देखो.. ये सब जो तुम कर रहे हो ना मुझे पता हैं सब..सब जानती मैं..
मे: ओके! मतलब मैं बाइक रुका के यहाँ खड़ा रहा इसका मतलब मैं तुम्हे पटाना चाहता हूँ.. ऐसा तुमको लगता हैं.
सारिका: लगने का क्या? आइसयच हैं.. 
मे: ठीक हैं..देन आइ गेस इट्स वेरी बॅड आइडिया कि मैने ऐसा सोचा भी..सो सॉरी
मुझे हार मानते देख कर वो ज़रा खुश हुई..
सारिका: गेट लॉस्ट नाउ..
मे: श्योर श्योर.. अब मुझे नही पिटना तुम्हारे बाय्फ्रेंड से..
वो मुझे घूर्ने लगी..टमाटर से थोड़ा हल्का रेड सा चेहरा उसका..और रॅबिट जैसे डऔट..फुल कार्टून..
सारिका: आए…काय बड़बड़ आहे हे??
मे: बड़बड़?? अरे? अब अगर मैं बाइक रोक के खड़ा हूँ इसका मतलब तुमने ये निकाला कि मैं तुम्हे पटाना चाहता हूँ..राइट?
वो कुछ नही बोली;
मे: सो…..बाइ दट लॉजिक..वो जो ऑटो वाला भैया रोज़ खड़ा रहता वो तुम्हारा बाय्फ्रेंड ही हुआ ना? कब्से चल रहा है तुम्हारा प्रेम प्रकरण??
सारिका: व्हाट नॉनसेन्स! हटो रास्ते से नही तो मैं पोलीस कंप्लेंट कर दुगी.. कि तुमने मुझे छेड़ा..
मे: यार तुम बचपन से ही ऐसी कड़वी करेला हो या ये टेलेन्त अभी अभी आया हैं तुम मे??
सारिका: आइ आम वॉर्निंग यू!
मे: सिंपल क्वेस्चन हैं..
सारिका: तुम्हे इससे क्या? 
मे: वेल..मुझे कुछ ख़ास तो नही इससे.. बट आइ थिंक वी स्टार्टेड अट आ रॉंग फुट..सो आइ वॉंट टू मेक अप टू इट..
सारिका: मुझे कोई इंटेरेस्ट नही हैं. ये जिम मेरे घर के पास हैं..इसलिए यहाँ आती हूँ..परेशान कर रहे हो तुम मुझे जबसे मिले हो..आज भी टकराए मुझसे..
मे: आब्बी? मैं टकराया? फिर से बताऊ क्या कि कौन और कैसे टकराया?? बोलो!!?
बोलती बंद..
मे: इतना गरम मत रहा कर हमेशा..मेल्ट हो जाओगी कभी.. देखो..लाइन नही मार रहा तुमपे.. लाइन मार रहा होता तो सॉफ सॉफ बता देता कि मार रहा हूँ लाइन..यहाँ सब मेरे फरन्डस हैं..सो मुझे अच्छा नही लगेगा कि किसी मिसांडरस्टॅंडिंग की वजह से एक दुश्मन हो जाए..
वो मेरे तरफ देखने लगी अब;
मे: एस्पेशली इतनी क्यूट दुश्मन.. मुश्किल होती हैं निभाने मे दुश्मनी..
मेरे ऐसा कहते ही, वो एक दम गाल के गाल मे हसी. मुझे दिखाई नही मगर मैं समझ गया.
सारिका: व्हाटेवेर.. हटो अब! जाने दो..
मे: मेरे हटने की ज़रूरत नही कुछ..तुम वैसे भी जा सकती हो..बोहोत जगह हैं..और तुम्हे देख कर लगता नही कि तुम्हे ज़्यादा स्पेस चाहिए ऐसा..खुद ही रुकी तुम. गॉड नोस व्हाई!!
मैं उसे छेड़ते हुए बोला..
सारिका: व्हाटेवेर!!!
मे: लगता हैं आज घर से एक ही वर्ड याद करके आई हो इंग्लीश का..
सारिका: क्या??
मे: कुछ नही कुछ नही..जाओ..
मैने फिर भी थोड़ी बाइक पीछे ले ली ताकि वो जा सके..अच्छे से..वो सीढ़ियो से उतार कर चलती बनी..
मे: अरे बाइ नही बोलते क्या तुम लोगो मे?
नो रिप्लाइ! मैं हँस दिया.. इस लड़की से जितनी बार बात करूँ..और भी ज़्यादा कार्टून होते जाती हैं ये..

मैं उसके बारे मे सोचता हुआ घर आ गया. घर आते आते 8 बज गये. मैं फ्रेश हुआ और डिन्नर करने नीचे चला गया. .आकांक्षा नीचे डाइनिंग टेबल पे बैठी थी.. अब जबसे वो सुबह का किस्सा हुआ था तबसे वो मुझे सॉर्ट ऑफ अवाय्ड ही कर रही थी. मैने 2 बार नोटीस किया इससे पहले भी कॉज़ ऐसा हुआ कि मैं और वो साथ मे ही अपने अपने रूम्स से निकले मगर उसने मुझे देखते ही डोर बंद कर लिया.. पहले मुझे ऐसा लगा कि ये तो पागल ही हैं..सो हो सकता हैं कोई नया भूत सवार हो गया हैं. मगर अब जब मैं डाइनिंग टेबल के पास आया और रूम मे कोई नही था, आकांक्षा ने झट्से अपनी नज़रें नीचे झुका ली.
मैं समझ गया कि ये अब भी उस दिन के किस्से की वजह से मुझसे नज़रें नही मिला पा रही.. तो मैने सोचा कि मैं ही चला जाता हूँ..मैं किचन मे चला गया… मम्मी खाना बना रही थी.
मे: क्या पकाया हैं?
मम्मी: आलो मेथी…
मे: अर्र्र्ररर….
मम्मी:क्या अर्ररर??
मे: मम्मी..मेथी खाना अच्छा नही रहता..
मम्मी: ऐसा क्या?! क्यू अच्छा नही रहता?
मे: क्यूकी मेथी खाने से मुझे अच्छा नही लगता.. सो उससे मेरा मूड खराब होता..मूड खराब रहा तो उसका डाइरेक्ट असर इंसान के दिमाग़ पे होता हैं..
मम्मी हँसने लग गयी..
मम्मी: क्या लंबी लंबी फैंकते तू… बाप रे! कहाँ से सीखा?
मे: हेयरिडेटरी…
मम्मी: हाँ क्या!! जा अब..बनाने दे खाना..
मैं मुड़ने से पहले मम्मी बोली;
मम्मी: अच्छा सुन..चिकी का कॉल आया था??
मे: नही ना मम्मी..ऐसा ही कहते हैं ये रिलेटिव्स सब. तुमको नही पता..ऐसा दिखाते हैं कि जैसे बोहुत ही इच्छा हैं मिलने जुलने की..और रिश्ता बढ़ाने की..इसीलिए पूछ लिया उसने आपको मेरे बारे मे..नंबर भी ले लिया ताकि आपको लगे कि सच मे कॉल करेगी..सब बंड्लबाज हैं…
मैं आगे कहूँ उससे पहले ही;
‘मुझे आया था दीदी का फोन…आज सुबह ही आया था’
मे: आंड व्हाट आ सर्प्राइज़? एक पागल ने दूसरी पागल को कॉल किया..आज की ताज़ा खबर…
मम्मी: सम्राट!!!
मे: सॉरी…
मम्मी: क्या बोली चिकी? कैसी हैं वो?
आकांक्षा: अरे बोहोत ही अच्छी हैं वो..इतना मज़ाक करती ना वो कि क्या बताऊ मम्मी तुमको..ओह माइ गॉड…
मे:ऊऊहहानन्न नॅना ना…ओ माइ गॉड वो भी इंग्लीश मे..
आकांक्षा: ममी!!!!!!?
मम्मी: सम्राट!! बॅस कर.
मे: हुफफफ्फ़…..ओके!
आकांक्षा ने टेप स्टार्ट कर दिया अपना.. 
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