11-01-2018, 12:24 PM,
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैं नही रुका और झट्के मारते गया. जैसा सोचा था पायल मेरी कमर पे अपने हाथ पीछे करके धकेलने लगी अपने आपको मुझसे अलग करने के लिए. मगर मेरी पकड़ मज़बूत थी. मैं झट्के मारते गया और सिर्फ़ 10 वे झट्के पर ही;
पायल: स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्साआआआआआआआआआआआआआआआआआआआऐईईईईईईई उूुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईई
'फिसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स' की लंबी आवाज़ के पायल की चूत ने मूत की पिचकारी छोड़ दी. उसका मूत सीधा मेरे लंड पे आ गया. गरम मूत और गरम चूत.. समझ जाओ दोस्तो.. मैने उसी सेकेंड लंड बाहर निकाल के पीचकारी पायल की गान्ड पे छोड़ दी और पायल की टांगे डगमगाने लगी और वो सीधा जाकर कॉमोड पे बैठ गयी.. उसका सारा मूत बाथरूम मे फैल गया. मैं तो जैसे नहा लिया उसके मूत मे टाँगो के नीचे तक. पायल बेहद ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी. जैसे हार्ट अटॅक आया हो. पॉर्न मे देखा था तभी मैं समझ गया था कि अगर लड़की मूत दी चोद्ते वक़्त, मतलब उसे बेहद ही स्ट्रॉंग ऑर्गॅज़म हुआ हैं. और सच ही था. पायल पूरे 5 मिनट तक कॉमोड के उपर बेजान होकर पड़ी रही और मैं पीछे की वॉल से टिक कर खड़ा था. कुछ देर बाद जब होश ठिकाने आए तो मैं नीचे झुक कर पायल की पीठ पर चूमने लगा और उसकी कमर से उसे पकड़ कर उसे उपर उठाया और अपनी तरफ उसे घुमाया. पायल के होंठो पर एक मंद मुस्कान थी. साँसे अब भी तेज़ थी मगर मैं समझ गया कि ये बोहोत सॅटिस्फाइ हो गयी हैं अभी. वो मेरे सीने पर पैर टिका कर खड़ी थी और मेरे हाथ उसकी गान्ड पर घूम रहे थे धीरे धीरे. 5 मिनट के साइलेन्स के बाद वो बोली;
पायल: सच कहा था तूने. अब तो 2 दिन तक नो सूसू...
हम हँसने लगे. मैने पीछे शवर ऑन कर दिया और पानी हमारे जिस्मो के बीच से बहने लगा.
कहते हैं जो होता हैं अच्छे के लिए ही होता हैं. मैं पहले इस बात को कभी नही मानता था. क्योकि जब भी कुछ होता, मेरी गान्ड चुद ही जाती थी. मगर अब लगता हैं कि सच ही कहते हैं. नेहा से ब्रेक अप के बाद उस वक़्त तो लगा नही था कि कभी मैं लाइफ मे सच मे खुश रह पाउन्गा या नही. मगर आज ऐसा लग रहा हैं कि, “नही यार! लाइफ सही हैं. टेन्षन नही हैं!”. बाथरूम सेक्स के बाद हम साथ मे ही नहाए. पायल रेडी होकर कुछ ही देर मे चली गयी. जाने से पहले मेन डोर पे हम ने एक बड़ा ही पॅशनेट किस शेयर किया. उसे जाते हुए देख रहा तो लगा कि साला इस गान्ड को कितना भी क्यू ना प्यार कर लूँ, चाट लूँ, मार लूँ,... कम ही हैं. पायल की गान्ड के ख़यालो मे ही मैं घर मे वापिस आ गया.
मैं अब भी डिसाइड कर रहा था कि आज कॉलेज जाना हैं या नही? पायल जाते जाते ऑर्डर देकर गयी की चुप चाप कॉलेज आ. मैं टोपी पहनते हुए हाँ कर दिया मगर सच कहूँ तो मेरा तो मूड आज सिर्फ़ आकांक्षा की डाइयरी पढ़ने का हैं. एक अनोखी सी एग्ज़ाइट्मेंट थी एक जवान होती लड़की के दिल और दिमाग़ मे क्या चल रहा हैं ये जानने की. ख़ासकर जब वो आपकी बेहन हो. मैने सोचा जाने दो आज कॉलेज.. कॅन्सल. वैसे भी कुछ ख़ास तो चल रहा हैं नही. क्यू टाइम वेस्ट करना. मैने मैने डोर अच्छे से लॉक कर दिया. कपड़े तो क्या, सिर्फ़ एक शॉर्ट पहनी थी. एक झट्के मे निकाल कर सोफे पर फेक दी और आकांक्षा की डाइयरी लेकर सीधा अपने रूम मे जाने ही वाला था कि मैं आकांक्षा की रूम की ओर मूड गया. सोचा कि क्यू ना उसके ही रूम मे उसकी डाइयरी पढ़ी जाए. और सेकंड्ली आकांक्षा के रूम मे नंगा होकर, उसकी डाइयरी पढ़ने मे और डेफनेट्ली उसकी ही पैंटी लेकर मूठ मारने मे जो मज़ा आता वो मैं मिस नही करना चाहता था. सो मैं आकांक्षा की रूम मे चला गया और उसके बेड पर जाकर सेट्ल हो गया.
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
लड़कियो के रूम मे हमेशा एक कंफर्ट होता हैं. सॉफ्ट सॉफ्ट चीज़े, धीमी सी एक खुश्बू. अब आकांक्षा कल से घर मे नही थी. मगर फिर भी स्मेल अब भी थी जैसे उसकी. लंड सेमी हार्ड तो था ही. आज कल बैठने का नाम ही नही ले रहा लंड. थोड़ा थोड़ा खड़ा होता ही हैं हर टाइम. मैने फिर से डाइयरी पढ़ना स्टार्ट कर दिया. अगेन कुछ दिनो तक कुछ इंट्रेस्टिंग नही दिखा. यूषुयल बाते, स्कूल, पढ़ाई, राजीव के बारे मे, कहीं लिखा था कि वो डॉक्टर बनना चाहती हैं.. मैं फटाफट सब पढ़ते गया जब तक एक दिन;
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आज मैं बोहोत ही एंबरएस्स हो गयी हूँ. मेरी लाइफ का सबसे बुरा दिन था आज. पता नही कैसे अपना मूह दिखा पाउन्गी अब मैं सबके सामने. आज थर्स्डे था तो स्कूल मे आज सिविल ड्रेस पहनने की पर्मिशन रहती हैं. मैं आज लास्ट वीक खरीदा हुआ टॉप पहन कर गयी थी. वाइट कलर का टॉप और ब्लू कलर की जीन्स. मुझे बोहोत पसन्द हैं वो टॉप. मैं चाहती थी कि राजीव मुझे देखे इस आउटफिट मे इसलिए मैं आज पहली बार थोड़ा सा मेक अप भी करके गयी थी. मैं स्कूल पहुँच और क्लास मे एंटर होते ही राजीव की नज़र मुझ पर पड़ी. मैं देख कर ही समझ गयी कि वो मुझे देख रहा हैं और फिर उसने मुझे स्माइल भी दी. मैं बोहोत खुश हुई और निशा के पास चली गयी.
निशा: ओये होये! आज तो मार ही डालेगी तू.
आकांक्षा: चुप कर! गेस व्हाट? उसने मुझे आते ही देखा और स्माइल भी दी.
निशा: तो? कौनसी बड़ी बात हैं? आज तो तुझे कोई भी लड़का देखेगा तो स्माइल तो क्या पप्पी भी दे देगा!
निशा ने मुझे छेड़ते हुए कहा. मैं शरमा गयी. क्या सच मे इतनी सुंदर दिख रही थी मैं आज? मुझे नही पता. निशा तो ऐसे ही कहती रहती हैं हमेशा. पागल हैं वो! क्लास शुरू हो गयी. रिसेस मे हम ने लंच कर लिया और मैं वॉशरूम की ओर चली गयी. टाय्लेट की और जब हाथ धोने गयी तो मैने मिरर मे अपने आप को देखा. और भी गर्ल्स थी टाय्लेट मे. मैं उनसे अपने आप को कंपेर करने लगी. कोई मोटी, कोई काली, कोई भद्धि, कोई एक दम दुबली... और मैने अपने आपको देखा. निशा सच ही कहती हैं शायद. मैं एक दम गोरी हूँ, गोल चेहरा हैं मेरा. काले रेशम जैसे बाल और बड़ी बड़ी आखे. बाकी गर्ल्स से तो मैं बोहोत सुंदर दिख रही थी. मुझे थोड़ा सा घमंड सा फील हुआ. मैं अपने आप पे ही मुस्कुराने लगी और हाथ धोकर बाहर निकल आई. गर्ल्स टाय्लेट के जस्ट ऑपोसिट साइड ही बाय्स टाय्लेट हैं. मैं जैसे ही बाहर निकली उसी वक़्त सामने देखती हूँ तो राजीव भी बाहर आ रहा था टाय्लेट से. पता नही क्यू मगर उसको देख कर मेरी साँसे अपने आप तेज़ हो जाती हैं. उसके बाल, उसकी चाल... हआयाई! सब कुछ एक दम स्पेशल हैं. स्टाइलिश! मैं वही खड़ी होकर उसकी ओर घूर्ने लगी. पहले तो राजीव का ख़याल नही गया मगर जब उसने मुझे देखा तो वो भी रुक गया और स्माइल करने लगा.
हम दोनो पागल जैसे एक दूसरे की ओर स्माइल कर रहे थे. मुझे अंदर से गुदगुदी होने लगी, दिल जैसे ज़ॉरज़ोर से धड़क रहा था और मेरी चेस्ट पर दस्तक दे रहा था. आखे थोड़ी घूमने लगी और मैं समझ गयी कि कुछ दिन पहले जैसा एहसास हुआ था आज भी कुछ ऐसा ही होने वाला हैं. राजीव अब भी मुझे देख रहा था. वो थोड़ा आगे आया और बोला;
राजीव: नाइस ड्रेस!
बॅस! इतना ही कहा और मेरा तो मूह जैसे बंद हो गया, दिमाग़ भी! मैं पागलो जैसी स्माइल करने लगी और तभी मैने देखा कि राजीव की नज़र अब मेरे चेहरे पर नही थी . वो नीचे देख रहा था बड़े ध्यान से कुछ. मैने उसकी नज़र का पीछा किया और मैं समझ गयी कि वो मेरी चेस्ट की ओर देख रहा हैं. मैने भी नीचे देखी चेस्ट की ओर... और... पता नही कैसे मेरे निपल्स एक दम हार्ड हो गये थे और वाइट टॉप मे से सॉफ दिख रहे थे. मैं शरम से पानी पानी हो रही थी.. मुझे तो जैसे रोना आने वाला था. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था. राजीव क्या सोचेगा मेरे बारे मे. मैं वहाँ से जल्दी से 'थॅंक यू' कहके निकल गयी.
राजीव वही खड़ा था. किसी तरह मैं स्कूल मे बैठी और जैसे ही घर आई मुझे रोना आ गया. ऐसा क्यू हुआ?! मेरी किस्मत ही खराब हैं. मुझे बोहोत रोना आ रहा था. कुछ समझ नही आ रहा कि अब मैं कैसे अपना मूह दिखाउन्गा स्कूल मे. मैने वो टॉप निकाल कर ज़मीन पर फेक दी और वैसे ही बेड पर लेट गयी. कुछ वक़्त बाद मुझे कुछ एहसास हुआ और मैं मिरर के सामने चली गयी. अपने आपको देखने लगी. ऑफ वाइट कलर की मॅक्सी मेरे बॉडी पे सूट कर रही थी. मैने धीरे धीरे मॅक्सी उपर करते हुए निकाल दी. आज पहली बार मैं अपने आप को मिरर मे देखी. टॉपलेस! अजीब सा उभार आने लगा हैं मेरी चेस्ट मे. जो अभी कुछ महीनो पहले छोटे छोटे पायंट्स थे अब वो बड़े होने लगे हैं. लाइट पिंक कलर के मेरे निपल्स अब बड़े होने लगे हैं. और उसके आस पास का सर्कल भी अब फैल रहा हैं. मैं और करीब चली गयी मिरर के और अपने आप को देखने लगी.
कुछ ही देर मे मुझे थोड़ा खीचव सा महसूस होने लगा और पेट मे एक गुद्गुलि सी होने लगी. नोट एग्ज़ॅक्ट्ली पेट बट थोड़ा नीचे. मेरी टाँगो के बीच मे. मेरे निपल्स धीमे धीमे हार्ड होने लगे. पहले भी थे मगर अब मैं महसूस कर रही थी. ऐसा लग रहा था कि जैसे कि एक मीठी चुभन हो छाती मे मेरे. दिल ज़ोर ज़ोर से धंडकने लगा. मैं ड्रेसर की सीट पर बैठ गयी. मैं नही जानती कि क्या हो रहा था मगर जो भी हो रहा था अच्छा लग रहा था. जब कहीं खुजली होती हैं तब टच करने की जो फीलिंग आती हैं दिल मे वैसी फीलिंग्स मुझे आने लगी, मेरा दिल अब इतनी ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा था कि मैं महसूस कर पा रही थी अपनी धड़कनो को. मेरी आखे मेरे कड़े निपल्स पर टिकी थी, पैर एक दूसरे पर घीसने लगे धीरे से और आख़िर कार मैने हार मान ही ली और....और छू लिया अपने निपल्स को. आआअहह...सी अपने आप निकल गयी मेरे होंठो से और दांतो के बीचे मेरे होंठ दब गये. अजीब सा नशा आ रहा था मुझे जैसे ही मैं अपने निपल्स को छू रही थी. सारी ज़िंदगी वो वही थे जहाँ आज हैं मगर आज कुछ अजीब फील हो रहा था, कुछ अच्छा. मैने दोनो हाथ को अंगूठे और इंडेक्स फिंगर के बीच मे अपने दोनो निपल्स को मसलना शुरू कर दिया. ऐसा लग रहा था कि जैसे की कोई मेरे दिमाग़ मे कह रहा हो यह सब करने के लिए. मेरी मांदिया अब एक दूसरे को कस्स्स्के मसल रही थी. टाँगो के बीच अब मुझे फिर से वोही फीलिंग आने लगी थी जो उस दिन आ रही थी. एक हल्का सा गीलापन मुझे महसूस हुआ तो मैं डर गयी और रोकना चाहती थी, मगर मेरे हाथ ना रुक रहे थे और मेरे निपल्स भीक माँग रहे थे मेरे हाथो के सामने अपने आप को मसलवाने के लिए. एलेक्ट्रिक शॉक मुझे कभी लगा नही मगर वैसी ही फीलिंग मुझे अपने जिस्म मे आने लगी.. मेरी कमर पीछे की ओर और मेरी चेस्ट अब आगे की ओर निकल गयी. आखे अपने आप बंद हो गयी, होंठ सूखने लगे और मेरी जीभ उनकी प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करने लगी.
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मेरी साँसे तेज़ होने लगी, पता नही डर से या किसी और रीज़न से. ऐसा लगने लगा कि कोई बस आकर मुझे पकड़ ले अपनी बाहो मे और... और.. और पता नही क्या करे..मगर ये अजीब भूक मुझे महसूस होने लगी.. चाह कर भी मैं अपने आप को रोक नही पा रही थी. सुकून ही ऐसा मिल रहा था..मैं अब और भी ज़ोर से अपने निपल्स को मसल्ने लगी और तभी दरवाजे पर नॉक किया किसी ने तो मैं अपनी दुनिया मे से बाहर आई.'
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मैने पेज पलटा...
मे: भैनचोद!!!
वही पे डाइयरी ख़त्म हो गयी.. मैने अपनी लंड की ओर देखा.. एक पिन कोई मार देता तो लंड फट जाता. अभी अभी मैने अपनी बेहन ने कैसे पहली बार अपने मम्मे छुए और कैसे उसकी चूत भीगी वो पढ़ा.. शिट!! काश पायल होती.. उसकी चूत को आर पार फाड़ देता मैं.. खड़ा लंड एक बड़ी ही फ्रस्ट्रेटिंग चीज़ होती हैं. जब तक शांत ना करो, झाट कही दिमाग़ नही लगता.. मैं पागलो की तरह मूठ मारने लगा. 5-6 झट्के और दूध के जैसा मेरा कम आकांक्षा की डाइयरी पे गिर गया. दिल छाती से बाहर आ जाए इतनी तेज़ी से पटक रहा था अपने आप को.
मे: फेवववव.... वाआह!!!! मज़ा आ गया.
बुज़्ज़्ज़्ज़....बुज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़....बुज़्ज़्ज़्ज़....बुज़्ज़्ज़्ज़.....
'हुहह??'
मैं एक झट्के मे उठ गया.. देखा तो मोबाइल वाइब्रट कर रहा था. आस पास देखा, आकांक्षा की डाइयरी ज़मीन पे गिरी थी,कुछ पन्ने चिपके हुए थे. मेरे होंठो पे हल्की सी मुस्कान आ गयी वो देख कर. मैं सोफा चेर पे बैठे बैठे ही सो गया, वैसे ही नंगा. मोबाइल देखा..
'चूतिया कॉलिंग'..
मैने कॉल आन्सर किया.
मे: हेलो!!
आकांक्षा: तूने मेरा रूम लॉक किया या नही? तुझसे कहा था कि लॉक करने के बाद मुझे कॉल करना.. समझ नही आता क्या? उल्लू की दम..
जी हाँ.. मैने अपने मोबाइल मे अपनी बेहन का नाम 'चूतिया' रखा हैं..लॉल..
मे: कुछ हेलो ही होता हैं या नही? कुत्ते के जैसी सीधा भोकने लगी?
आकांक्षा: जो कहा वो बता पहले..लॉक किया या नही??
मे: ऐसा क्या हैं तेरे रूम मे जो इतनी जान अटकी हैं तेरी?
आकांक्षा: मैं तेरी जान ले लुगी.. पहले बता लॉक किया या नही?
मे: वेल, इट्स आ फोन.. सो टेक्निकली तू मेरी जान नही ले सकती.. न्ड यस! किया तेरा गंदा रूम लॉक मैने..
आकांक्षा: अर्ररघग... चुप कर.. तेरी रूम गंदी.. तू गंदा..जा!
इतना कह कर मेडम ने फोन रख दिया. ना हेलो कहती ना बाइ बोलती.. चूतिया..कुछ ही सेकेंड्स मे मम्मी का कॉल आया.
मे: हेलो?? हाँ मम्मी!
मम्मी: ह्म्म्म .. क्या चल रहा? कॉलेज नही गया आज?
मे: नही..गया था.. जल्दी आ गया..अभी जस्ट आया हूँ. आकांक्षा का कॉल आया था. दिमाग़ खा रही थी.
मम्मी: ऐसा नही कहते.. सब ठीक हैं घर पे?
मे: हां.. डोंट वरी.. क्या होगा!? सब मस्त हैं. शादी तो आज ही हैं ना?
मम्मी: नही.. आज मेहंदी हैं. कल शादी होगी. परसो सब हम यहाँ से निकल जाएगे.
मे: ओह्ह्क.. करो एंजाय..
मम्मी: ह्म्म.. घर का ध्यान रखना.. बाइ
मे: हाँ बाइ..
मैने फोन वापिस से सोफे पे फेक दिया. बेचारी आकांक्षा…जिस वजह से वो रूम लॉक करने के लिए कह रही हैं वो तो मैने ऑलरेडी देख लिया हैं. मैने ज़मीन पर पड़ी हुई डाइयरी उठा कर वापिस बॉक्स मे रख दिया और उसके बाद की नेक्स्ट डाइयरी उठा कर पढ़ना शुरू किया.
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…
बेस्ट डे ऑफ माइ लाइफ. आज राजीव ने मुझसे बात की. खुद आकर.
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मे:फक…कंप्लीट नही की पागल ने..
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…….और सिर्फ़ बात ही नही उसने मुझे उसकी बर्थ’डे पार्टी मे इन्वाइट भी किया. वाउ… बहुत सारी शॉपिंग करनी हैं मुझे पार्टी के लिए. मैं सबसे सुंदर दिखना चाहती हूँ उसके लिए. इतनी सुंदर की देखते ही वो मुझसे भी प्यार करने लगे. जितना कि मैं उससे करती हूँ. आख़िर कार मुझे कोई मिल ही गया जो मुझसे सच्चा प्यार करेगा. आइ अम सो हॅपी..मेरी लाइफ अब एक दम पर्फेक्ट होने वाली हैं. राजीव जैसा बाय्फ्रेंड मुझे मिलेगा. स्कूल मे जब पहली बार देखा था उसे तभी मुझे उससे प्यार हो गया था. लोग सच ही कहते हैं, उपर से ही जोड़िया बनके आती हैं. वरना मेरे बिना कुछ किए राजीव भी मुझसे प्यार नही करने लगता. थॅंक यू भगवान जी!! मैं कल ही निशा के साथ जाकर कुछ अच्छा सा ड्रेस खरीदुन्गी. ओह्ह्ह.. आइ आम सो एक्सक्फिटेड.. लव यू राजीव.
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.मे: ये ल्ल्लो… इसकी तो लव स्टोरी शुरू हो गयी..क्या बोर आइटम हैं ये भी. अच्छा ख़ासा मज़ा आ रहा था..
आगे के कुछ दिन ‘राजीव’ के प्यार मे ही लिखती रही मेडम. सच मे लड़को का प्यार न्ड लड़कियो का प्यार बोहोत अलग होता हैं.. जहा हम लड़के सेन्सिबल चीज़े पसंद करते वहाँ गर्ल्स की आधी बातें हवा मे ही रहती हैं. झान्ट समझ नही आती कि क्या चाहती हैं तो.. मैं आगे आगे पढ़ता गया. आक्वा ब्लू कलर का एक ड्रेस खरीद लाई थी वो ऐसा लिखा था आगे. हाँ. याद हैं मुझे. आक्च्युयली क्यूट दिखती हैं वो उस ड्रेस मे. बड़ा सूट करता था उसे वो ड्रेस. कुछ इंट्रेस्टिंग नही दिखा आगे तो मैं बोर हो गया. वैसे भी काफ़ी देर से पढ़ रहा था तो सोचा कि कुछ और किया जाए. मैने उठ कर सीधा अपनी रूम मे चला गया
मे: ह्म्म्म्म …अब क्या किया जाअए…??!!
मैने सोचा क्यू ना कुछ देर बाहर चला जाउ. कोई मूवी देख कर आ जाता हूँ. 4 घंटे के बाद पायल भी फ्री हो जाएगी तो चोदना तो हैं उसको.. सीधा इधर ही आने वाली हैं वो. मैने कपड़े पहने और मूवी देखने चला गया. ऐसी ही कोई हॉलीवुड मूवी थी. ‘दा डार्केस्ट अवर’ नाम की. चूतिया मूवी थी. भैनचोद कुछ सेन्स ही नही बन रहा था मूवी मे. हाँ. हेरोयिन माल थी वैसे. बट एक हॉट सीन नही..
मे: शिट.. पैसे वेस्ट हो गये…
मैने टाइम देखा..1पीएम. पायल आती ही होगी 2 बजे तक घर. मैने सोचा क्यूँ ना कुछ शॉपिंग की जाए अपनी नेक्स्ट चोदुम्पत्ति राउंड के लिए.. मैने सबसे पहले सीधा मेडिकल स्टोर गया. शॉप मे थोड़ी भीड़ थी तो सोचा कि किसी और मेडिकल स्टोर मे चला जाउ. आस पास देखा. दूर दूर तक कोई मेडिकल स्टोर नही दिख रहा था. मैने सोचा कि वेट कर लेता हूँ थोड़ा. कुछ देर मे खाली हो ही जाएगा स्टोर. तो मैं बाहर ही रुक गया स्टोर के. 5 मिनट बाद भीड़ ज़रा कम हुई तो मैं अंदर गया. अंकल थे काउंटर पे.. मैं बाहर जाते लोगो के बीचे मे से रास्ता बनाता हुआ स्टोर मे गया..
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मे: ओह्ह्ह..भैनचोद.. कहाँ गया..?
जो अंकल अभी काउंटर पे थे,वो पता नही कहाँ चले गये. मैने इधर उधर देखा.. नही दिखा..तभी एक आवाज़ आई..
“ भैया?? क्या चाहिए?”
मैं देखने लगा की आवाज़ कहा से आ रही तो. मगर कोई दिखा नही..फिर एक बार आवाज़ आई..
“हेलो?? क्या माँगता आपको?”
मैने फिर से इधर उधर देखा.. तभी काउंटर के उपर किसी का हाथ दिखा.. मैं ज़रा आगे हो गया तो देखा कि 1 10-11 साल का बच्चा काउंटर पे था. मैने सोचा कि अब ये क्या मुसीबत हैं.. इससे क्या कॉंडम मांगू मैं? मैने उससे कहा
मे: उम्म्म..अंकल कहाँ गये??
बच्चा: आपको क्या चाहिए? बोलो मुझे..
मैने सोचा यार ये तो क्या पीछे लग गया… अब इसको कहूँ तो क्या कहूँ.. मैने दबी आवाज़ मे कहा;
मे: बॅंड एड हैं?
बच्चा: हुहह?? क्या चाहिए??
ये क्या चूतियापा हैं साला..
मे: बेटा कोई बड़ा नही हैं? मुझे कुछ दवाई चाहिए थी.. कोई बड़ा होगा तो बुलाओ प्लीज़..
जैसे ही मैने ये कहा, वो बच्चा चूहे जैसा काउंटर के नीचे से निकल कर सीधा अंदर की रूम मे चला गया.
मे: लगता हैं किसी को बुलाने गया हैं..
मेरी जान मे जान आई. मैं शॉप मे इधर उधर उधर देखने लगा… मेडिकल स्टोर मे इतनी दवाइया होती हैं, मुझे हमेशा से ये लगता था कि इन लोगो को सब याद कैसे रहता. कोई डाटाबसे भी नही हैं दवाई की पोज़िशन का कि कौन सी कहाँ हैं.. मुश्किल काम हैं साला. मुझे किसी के आने की आवाज़ आई. मैं समझ गया कि अंकल आ गये. मैं कुछ पढ़ रहा था तो मैने बिना देखे ही कह दिया,
मे: भैया. मूड्स हैं?
मेरा कॉंडम माँगना और चूड़ियो की आवाज़ मेरे कान पर आना, बस 1 सेकेंड का डिफ़रेंस था.. मैने झट्से देखा..
मे: सस्स्स्स्स्स्स्सस्स….क्या गान्डु नसीब हैं बे..
“जी??”
सामने से एक 27-28 साल की लड़की आई स्टोर मे और बोली;
“ जी क्या चाहिए आपको?”
मैं एक ही नज़र मे समझ गया कि ये अंकल की बीवी हैं. पक्की मारवाड़ी स्टाइल की साड़ी पहनी थी. गेहूए कलर का उसका बदन ग्रीन कलर की साड़ी की नीचे छुपने की असमर्थ कोशिश कर रहा था. मेरा एक मारवाड़ी फ्रेंड था, टिपिकल राजस्थानी. दुकान वाले. मैं जब भी उसकी शॉप पे गया मैने एक बात नोटीस की. वो ये कि मारवाड़ी औरते ब्रा नही पहनती.. और ये भी वैसी ही थी. मगर इसका ब्लाउस ऐसा भरा था कि जैसे पानी का बलून. निपल का शेप सॉफ नज़र आ रहा था ब्लाउस के नीचे से… मैं एक टक उसके मम्मे को घूर रा था..
“हेलो?? क्या चाहिए आपको?”
मैं होश मे आया.. अब इसको भी कैसे कॉंडम मांगू??
मे: जीए..वो… वो…अंकल नही हैं..
आंटी: नही.. वो मार्केट मे गये हैं माल लाने को..
साला..चूतिया.. इतना अच्छा माल छोड़के माल लेने गया..
आंटी: क्या चाहिए आपको??
मे: जी वो.. वो….
मुझे कुछ सूझ नही रहा था..
मे: यहाँ और कोई मेडिकल हैं आस पास??
आंटी: क्यू? आप बताओ तो क्या दूं? हमारे दुकान मे सब मिलता है..
मैने भी सोचा की यार.. मेडिकल चलाती है.. कॉंडम तो नॉर्मल चीज़ लगती होगी इसको.
मे: वो.. मूड्स हैं आपके पास??
मैने जो ही मूड्स माँगा, उसकी नज़र नीचे झुक गयी शरम से.. लग गये लोड्े..
मे: जाने दीजिए.. कोई बात नही..
आंटी: रूको.. हैं हैं.. म..एम्म..मूड्स हैं..
इतना कह के वो मूडी.. और भाई मूडी तो कयामत आ गयी ऐसा लगा.. क्या गान्ड थी उसकी.. वाह.. एक दम पर्फेक्ट सेमिसर्कल दिख रहा था मुझे.. साड़ी मे से भी सॉफ देख पा रहा था. उसने फट से नीचे से एक कॉंडम का पॅक निकाल के मेरे सामने रख दिया..
मे: जीए.. वो.. यह वाला नही.. अल्ट्रा थिन वाला चाहिए…
अब तो आंटी शरमा के लाल हो गयी थी.. मैने भी सोचा कि लेकर भाग जाता हूँ.
मे: कोई बात नही.. ये लीजिए.. पैसे..
उतने मे फिर मूडी और कॉंडम का दूसरा पॅक मेरे सामने रख दिया..अल्ट्रा थिन.
मे: ओह्ह.. हैं आपके पास.. गुड..
अब वो मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखने लगी.. ऐसा लग रहा था कि अभी शटर डाल दूं शॉप का न्ड ले लूँ उसको.. मैने पैसे दिए और इससे पहले लंड खड़ा होता, मैं निकल गया. जाते जाते एक नज़र डाली उसपे.. अब भी स्माइल कर रही थी..
मे: नेक्स्ट टाइम भी यही से ले जाउगा कॉंडम..
इतना कह के मैने बाइक स्टार्ट की और सीधा घर की ओर निकल पड़ा.
घर आया, सबसे पहले आकांक्षा की डाइयरीस उठाकर अंदर रखी.रूम क्लीन किया,थोड़ा सेट किया. टाइम देखा…
मे: ह्म्म..ऑलमोस्ट आएगी ही अभी..
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
15 मिनट मे पायल आती ही होगी. मैने सोचा थोड़ा फ्रेश हो जाता हूँ. जल्दी से मैं बाथरूम मे गया, शवर ऑन किया और नहा कर बाहर निकला ही बाथरूम मे से कि डोर बेल बजी.
मे: ऊहह..राइट ऑन टाइम.
मैं टवल मे ही डोर ओपन करने गया.
“तू तबसे नंगा ही हैं??” मेरे डोर खोलते ही पायल ने कहा.
मे: नही नही.. तबसे नही. अभी तू आने वाली थी इसलिए जस्ट लेटेस्ट मे नंगा हुआ हूँ. मैने सोचा की शुभ काम मे देरी कैसी?
इतना कह कर मैने पायल का हाथ पकड़ कर उसे घर मे खीच लिया और वो सीधा मेरे सीने से आकर टकरा गयी. बॅस दरवाजा बंद करने ने की देरी थी कि हम दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे.
मे: उम्म्म…डेरी मिल्क खाकर आया हैं कोई लगता हैं. अकेले अकेले??
पायल के होंठो पर मैं टेस्ट कर पा रहा था चॉक्लेट का..
पायल: यप! मैने सोचा कि क्यू पैसे वेस्ट करना तेरे लिए चॉक्लेट लेने मे. आख़िर तू खाने तो कुछ और ही वाला हैं ना??
मे: ह्म्म्म .. अब एक्सट्रा जुवैसी चाहिए कुछ..
पायल: ठीक हैं..छोड़ मुझे.. कपड़े गीले हो रहे हैं..
मे: ओह्ह्ह..ऐसा क्या?? लेम्मे हेल्प देन.
पायल ने एक टील कलर का शर्ट पहना थी.. मैने उसका उपर का बटन खोलते हुए उसे कहा. बटन खोलते ही उसकी कोमल सी स्किन सामने आ गयी. हम दोनो एक दूसरे को किस करने लगे. उसके हाथ मेरे बालो से खेल रहे थे और मैं उसकी शर्ट का एक एक बटन खोल रहा था.. जैसे जैसे बटन खुल रहे थे वैसे वैसे पायल का जिस्म नंगा होने लगा. अंदर उसने वाइट कलर की ब्रा पहनी थी जो उसके दूधिया बदन पर पर्फेक्ट सूट कर रही थी. मैं पायल के होंठो से नीचे सरकते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा,फिर ब्रा के ठीक उपर और आख़िर कर उसकी क्लीवेज को चाटने लगा.. पायल अब कसमसा रही थी, उसका एक हाथ पागलो की तरह मेरे बालो मे घूम रहा था और दूसरा हाथ मेरे सीने को नोच रहा था. मैने अपनी कमर को आगे धक्का मारते हुए अपने लंड को उसकी थाइस पे रगड़ना स्टार्ट किया…हॉल मे हमारी चुम्माचाटी की आवाज़े गूंजने लगी, दोनो की साँसे तेज़ हो गयी थी अब रुकना इंपॉसिबल था. मेरा लंड पत्थर जैसा कड़ा होकर टवल मे से बाहर निकल गया था.. मैने पायल को ज़मीन पर से उठाया और सोफे पे ले जाकर पटक दिया..
पायल: ओफफ्फ़…आराअम से यार! कही नही जा रही मैं…
मे: कोशिश भी मत करना..
इतना कह कर मैने टवल को नीकाल कर फेक दिया..
पायल: उम्म्म्म..यूम्ममी!!
पायल किसी भूकि बच्ची की तरह मेरे लोड्े पे टूट पड़ी और बड़े ही प्यार से लोड्े के हेड को चूसने लगी.
मे: आआहह…सस्स्स्स्स्सस्स…दिस ईज़ सो पर्फेक्ट…
पायल: उम्म्महममम्म!!
पायल ने मूह मे लंड ठूंसते हुए कहा. उसकी नरम जीभ मेरे लंड को चाट रही थी… इतनी सॉफ्ट और वॉर्म..आअहह..क्या बताऊ!! मैं पायल के सर के पीछे हाथ रख कर धक्के मारते हुए उसके मूह को चोदने लगा.. कुछ ही देर मे मेरा सबर टूट गया और मैं पायल के मूह मे ही झड गया…
पायल: ओफफफू! सम्राट!! वॉर्निंग तो दिया कर उल्लू…
मैने साँस किसी तरह काबू मे करते हुए कहा;
मे: तू चान्स देगी तब ना…
पायल अपनी तारीफ़ सुन कर मुस्कुरा दी और मैने उसकी खुली शर्ट को उसके जिस्म के उतार कर फेक दिया.. 5 सेक मे उसकी ब्रा भी उसकी शर्ट से जा मिली और पायल मेरे सामने टॉपलेस बैठी थी.. कितनी भी बार क्यूँ ना देख लूँ,, जी नही भरता मेरा..मैं तुरंत नीचे झुक कर पायल के निपल्स को चूसने लगा और एक हाथ को पायल की जीन्स मे डाल कर उसकी पैंटी पे घुमाने लगा.. उसकी चूत की गर्मी पैंटी के बाहर भी महसूस कर पा रहा था मैं इस तरह से पायल का जिस्म गरम हो गया था.. पायल खुद खड़ी हो गयी और जीन्स और पैंटी एक साथ निकालते हुए बोली;
पायल: टॉर्चर मत कर…इससस्स.स
अब हम दोनो नंगे थे.. बिना कुछ सोचे मैने अपना लंड सीधा पायल की चूत मे घुसा दिया,,
पायल: आआअहह…उऊउककच…आग्ग..म्माआ…
हम दोनो की कमर झट्के मारने लगी.. पायल की आखे बंद थी, होंठ खुले हुए, वो स्वर्ग मे की अप्सरा थी और मैं उसकी चूत मे… हमारे जिस्म एक दूसरे से टकराने लगे,होंठ चिपक गये, आखे बंद थी.. पसीना टपकने लगा मगर हम आसमान मे थे.. पायल की चूत बिल्कुल ही सॉफ्ट और स्मूद थी. गरम इतनी कि दूध भी उबल जाए.. मैं झट्को पे झट्के मारने लगा..
मे: अया…स्सी..इसस्स.इसस्स….ऊऊ….हह…प्प्प्पाआ…ल्ल्ल्ल्ल
उसके नाख़ून मेरी पीठ मे गढ़ गये थे. दर्द हो रहा था मगर जो सुख मिल रहा था उसके आगे कुछ नही था.. मैं पायल की गान्ड को मसल्ने लगा और उसके निपल्स को चूस्ते हुए उसे चोदने लगा..
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11-01-2018, 12:25 PM,
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
पायल: यॅ..यॅ..आ..हाअ…हा…आआआ.आ.आ…..सस्स्स्सस्स………ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
हार्ड्ली 5 मिनट मे हम दोनो ने साथ मे ऑर्गॅज़म का मज़ा उठाया… कुत्तो की तरह हाफ्ते हुए हम उस सोफे पर गिर गये..वो अब भी मेरे सिर मे हाथ डालकर मुझसे लिपटी थी, मेरा लंड उसकी चूत मे था,हाथ गान्ड का मज़ा उठा रहे थे..
मे: पर्फेक्ट….
और हम दोनो एक बार फिर किस करने लगे एक दूसरे को.. दिन भर मैं पायल को चोदता रहा था और वो मुझसे चुदवाती रही. आख़िर कॉनडम्स के पैसे भी तो वसूल करने थे ना..शाम को जब मैं नींद से उठा तो पायल रेडी होकर बैठी थी चेर पे..
मे: हे सेक्सी!!
पायल ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा;
पायल: आइ हॅव टू गो नाउ. कल मैं नासिक जा रही हूँ कुछ दिनो के लिए..
मे: क्या?? व्हाट रब्बिश??
पायल: इसमे क्या रब्बिश??
मे: पहले क्यू नही बताई??
मैं बेड पर से उठते हुए बोला;
पायल: मुझे तेरा मूड नही डाउन करना था.. आइ नो कि तू अपसेट होता…
वो चेर पर से उठ कर बेड पर पैर फोल्ड करके बैठ गयी और मेरी तरफ झुकते हुए बोली;
पायल: जल्दी ही आ जाउन्गी..
मैं कुछ नही बोला…
पायल: पतच्छ..बच्चों जैसा मर कर ना सम्राट..
मे: चुप कर.. एक तो जा रही उसमे भी …
मैं कुछ कहता उससे पहले ही पायल के होंठ मेरे होंठो से जा मिले और हम किस करने लगे.. डीप पॅशनेट किस…
मे: वाउ!!
पायल: हीहेः…!! टेक केर..
और उठने से पहले वो झुकी और मेरे लंड को किस करके बोली;
पायल: टेक केर…
मे: अब तू क्यू टॉर्चर कर रही? मत जा ना….
मैने पायल का हाथ पकड़ते हुए कहा..
पायल: बाइ सम्राट… आ नीचे डोर लगा ले..
मैं मन मारके शॉर्ट्स पहन कर पायल के साथ नीचे गया. जाने से पहले हम ने एक बार फिर किस किया और वो चली गयी. पायल के जाने के बाद मैं जिम चला गया और खाना खाकर घर आके सो गया.. अगला दिन भी ज़्यादा ख़ास नही था. दिन भर आकांक्षा की डाइयरीस पढ़ी मगर कही भी कुछ ख़ास नही था.. 2-3 डाइयरीस पढ़ने के बाद मुझे बोहोत बोर होने लगा.इनफॅक्ट अब तक की डाइयरीस मे कुछ भी इंट्रेस्टिंग नही था.. लास्ट वाली डाइयरी इनकंप्लीट थी.
मे: ह्म्म्मा…लगता हैं लेटेस्ट डाइयरी साथ लेकर गयी हैं चूतिया..
मैने सोचा कि अब आकांक्षा की रूम की चाबी मेरे पास मे भी हैं.. जब वो घर पे नही होगी तब मैं आराम से उसकी डाइयरीस पढ़ लुगा.. मैने सभी डाइयरीस जैसी थी उसी तरह से रख दिया, रूम भी जैसा था वैसा सेट किया, थॅंक्स टू दा फोटोस जो मैने पहले लिए थे.. जाने से पहले मैने आकांक्षा की 1 पैंटी उठा ली..
मे: फ्यूचर प्लॅनिंग…
अब कल मेरे घर के वापिस आने वाले थे. एक बार फिर से सब कुछ चेक किया.. कॉनडम्स के कवर न्ड ऑल. सब कुछ सेट करके मैं बाहर चला गया कुछ दोस्तो से मिलने..
घर आने मे शाम को लेट हो गया था तो सीधा आकर सो गया. जैसे ही सुबह आख खुली तो मुझे धुँधला धुँधला सा एक आकार दिखाई देने लगा कुछ…अभी मैं स्लीप मोड पर से वेक अप मोड पे आने ही वाला था कि…
‘ तू मेरे रूम मे गया था???’
मुझे समझ मे देर नही लगी कि ये आवाज़ किसकी हैं…मैने दोबारा आखे बंद कर लिया और करवट लेकर सो गया..तो मेरे कंधे को पकड़ कर वो मुझे हिलाने लगी.. अब ये कौन हैं ये तो आप लोग भी समझ ही गये होगे.
मे: लगता हैं आज का दिन बड़ा ही बकवास जाने वाला हैं..
मैने अपने आप से कहा धीमी आवाज़ मे…
आकांक्षा: हुहह??? क्या कहा तूने??
मैने कुछ जवाब देना ज़रूरी नही समझा.. काश दे दिया होता..क्योकि आगे जो हुआ उस वजह से मैं बोहोत ही ज़्यादा शर्मिंदा हो गया. मैं करवट लेकर आकांक्षा की तरफ पीठ करके सोया था और आकांक्षा मेरा दिमाग़ खाना बंद नही कर रही थी. फाइनली वो चिड गयी और उसने ज़ोर से मेरे कंधे को पकड़ कर मुझे खीचा जिस वजह से मैं झट्के से उसकी ओर पलट गया और मेरे उपर की चादर मेरी टाँगो मे अटक कर पीठ के नीचे दब गयी. अब मुझे नही पता था कि ऐसा कुछ होने वाला था, वरना मैं शॉर्ट्स पहनता मगर मैने सिर्फ़ एक जॉकी की बॉक्सर शॉर्ट्स पहनी थी. अब उस वक़्त मेरे दिमाग़ मे सेक्स दूर दूर तक नही था,मगर क्या कर सकते. लड़को को ये बड़ा श्राप हैं कि सुबह सुबह उनके लंड एक दम कड़क रहते हैं जिस वजह से मेरी बॉक्सर मे एक बड़ा (एंफसाइज़िंग ऑन ) सा टेंट बन गया था. अब कुछ नही हो सकता था. अगर उस 1बड़ा’ सेकेंड मे मेरा लंड अपने नॉर्मल साइज़ का हो जाना तभी पासिबल होता जब तुषार कपूर एक दम हॅंडसम दिखता.. दोनो चीज़े एक दम इंपॉसिबल थी..सो जैसे ही आकांक्षा ने मुझे पलटा मैं अपनी पीठ के बल लेट गया और ब्लंकेट ने तो साथ छोड़ ही दिया था जिस वजह से आकांक्षा सब कुछ सॉफ देख सकती थी.इससे पहले वो आगे कुछ कह पाती उसको बोलती बंद हो गयी और वो सीधा टेंट को घूर्ने लगी. दट वाज़ एग्ज़ॅक्ट्ली ऑपोसिट टू व्हाट आइ हद एक्सपेक्टेड. मुझे लगा था कि वो या तो मुझ पर चिल्लाएगी या भाग कर सीधा मेरे पेरेंट्स के सामने सब कुछ बक्देगि..बट ऐसा हुआ नही.. उल्टा वो बिना पलके झपकाए तंबू को घूर्ने लगी..मैं चौंक गया था कि आख़िर हो क्या रहा हैं.. करीब 10 सेकेंड्स तक हम उसी पोज़िशन मे थे जब तक मैने फाइनली अपनी कमर को थोड़ा सा उपर उठा कर नीचे से ब्लंकेट निकाला और अपने लंड को कवर किया और कहा;
मे: उम्म्म्म… हेलो?? आकांक्षा???
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11-01-2018, 12:26 PM,
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
कुछ देर उसका कोई जवाब नही आया. उसके गाल लिटरल्ली रेड हो गये थे. और वैसे भी गोरे गोरे गालो पर लाली जल्दी दिखने लगती हैं..मैने फिर से कहा;
मे: आकांक्षा???
इस बार थोड़ा ज़ोर से तब जाकर कही उसे होश आया..
आकांक्षा: ह्म्म्म्म ??? क..क्य…क्या??
मे: क्या कर रही हैं ये तू?
मेरे सवाल से आकांक्षा और भी शरमा गयी..अब मुझे इस खेल मे थोडा मज़ा आने लगा.. मैने सोचा कि क्यू ना आकांक्षा को थोड़ा परेशान करूँ. इसलिए मैने हल्के से ब्लंकेट को ज़रा सा खीचना शुरू किया जिस वजह से ब्लंकेट नीचे घसरने लगा. मैं ऐसा प्रिटेंड करने लगा कि मेरा कुछ ख़याल ही नही…
मे: अर्रे?? ऐसी पागल जैसी क्यू खड़ी है तू?? बोल कुछ..
मैं जानता था कि आकांक्षा के मूह से अब झाट भी कुछ निकलने वाला हैं नही..अब तक ब्लंकेट काफ़ी उपर आ चुका था और अब मेरे शॉर्ट्स सॉफ सॉफ दिखाई देने लगे थे.. आकांक्षा अब भी उसी जगह देख रही थी.. मैने अपनी कमर को थोड़ा उपर उठा लिया जिससे अब सॉफ सॉफ आकांक्षा मेरे टेंट को देख पा रही थी..मैं आक्च्युयली अब चाहता था कि आकांक्षा अच्छे मेरे लंड के टेंट को देखे..मैं उसका रियेक्शन देखना चाहता था और जैसा की मैने एक्सपेक्ट किया था, आकांक्षा की बोलती बंद थी. उसकी डाइयरी पढ़ कर अब तक मैं ये तो समझ ही गया था कि मेरी बेहन की चूत मे भी अब खलबली मचने लगी हैं,वो वर्जिन हैं और ज़िंदगी मे अभी तक उसने लंड देखा ही नही है..डाइयरी की वजह से मुझे काफ़ी हेल्प हुई आकांक्षा को ठीक तरीके से जानने मे और उसका बिहेवियर समझने मे..
मैं जानता हूँ की कोई भी लड़की इस बात को मानेगी नही मगर सच तो ये होता हैं कि लड़किया बुरी तरह से चुदना चाहती हैं. उनके अंदर हम लड़को से ज़्यादा हवस भरी होती हैं, जो उनकी चूत को गीला और निपल्स को हार्ड रखती हैं. और इस वक़्त मेरी बेहन की शॅक्ल देख कर ये सॉफ पता चल रहा था कि जिस चीज़ को वो इतनी देर से घूर रही हैं,असली मे उसने कभी नही देखी..
मे: अब घुरेगी ही सिर्फ़ या कहेगी कुछ??
इस बार मेरी बात आकांक्षा के कान मे गयी और उसका रिप्लाइ कुछ ऐसा था;
आकांक्षा: हुहह? वो…क्या?? मॉर्निंग मे सुबह…व्हाट??? मैं…वू… उसने बोला…किी..तू…उूओ….
ऐसी पागलो जैसी बात करते हुए जब उसे रीयलाइज़ हुआ कि वो पागल जैसी बात कर रही हैं तो वो बुरी तरह शर्मिंदा हो गयी और सीधा रॉकेट की तरह मेरे रूम से निकल कर अपने रूम मे चली गयी.. क्योकि मुझे मेरा लॉक खुलने और उसके रूम का डोर बंद होने की आवाज़ मे कोई वक़्त लगा हो ऐसा नही लगा… मैं मुस्कुराते हुए फिर लेट गया और शॉर्ट्स के उपर से ही अपने लंड को सहलाने लगा..
मे: उम्म्म्म…व्हाट आ स्टार्ट!!!
कुछ ही देर मे मैं ब्रश करके नीचे आ गया.. आस एक्सपेक्टेड मम्मी किचन मे थी, पापा पेपर पढ़ रहे थे… मैने पापा के पैर पड़े और किचन मे चला गया..
मे: गुड मॉर्निंग,…! कब आए??
मम्मी: मॉर्निंग…आधे घंटे पहले.
मे: सो??? हाउ वाज़ दा वेड्डडिंग?
मम्मी: …! तू भी सुधरेगा नही.. अब मुझे कुछ शौक तो था नही जाने का.. रीलेशन हैं उस वजह से गये. ठीक थी बाइ दा वे.
मे: यप!!
मैने मम्मी को चिढ़ाते हुए कहा.
मम्मी: ओके! फाइन.. बकवास थी शादी.. एक तो मुझे तेरी बुआ पसंद नही. उसमे भी उनके नये संबधीजी एक नंबर के नशेड़ी आदमी. शादी मे धूम करने लगे ड्रिंक करके. वो कम नही था तो नयी बहू रानी पूरे 2 घंटे लेट आई,खुदकी ही शादी मे. मेक अप मे टाइम लग गया कह रही थी तेरी बुआ. और मेक अप तो… ओह माइ गॉड!! भूत भी खूबसूरत दिखे उसके सामने..
मैं पेट पकड़ पकड़ के हँसने लगा..मम्मी एक के बाद एक किस्से सुनाने लगी शादी के..
मे: शिट यार!! मैने तो अल्टिमेट वेड्डिंग मिस कर दी..पतच्छ!
मम्मी: हा हा…बॅस हुआ.! पूरी ट्रिप मे एक ही चीज़ अच्छी थी सिर्फ़..
मे: खाना??
मम्मी: वो भी बकवास था..
मे: तो? क्या अच्छा था?
मम्मी: चिकी..
मे:हुहह? लोनवाल चिक्की??
मम्मी: अर्रे बेवकूफ़! चिकी… याद नही तुझे??
मे: क्या चिकी?
मम्मी: हे राम! अच्छा हुआ पुराने ज़माने जैसे 100-100 लोग नही रहते एक फॅमिली मे.. क्या चिकी नही पागल.. कॉन चिकी बोल.
मे: कौन चिकी??
मम्मी: तू सच मे भूल गया? तेरी बुआ की छोटी बेटी, चैत्राली.
मे: श…. वो मोटू? मिस ब्रेसस? उसमे क्या अच्छा था?? कार्टून तो दिखती वो..
मम्मी: अभी उसे देखेगा ना.. ऐसा नही कहेगा तू! इतनी चेंज हो गयी वो कि क्या कहूँ तुझे! सबसे सुंदर वोही लग रही सब लोगो मे.. और उसका नेचर तो वाह! दिल खुश कर दिया बच्ची ने.. पता नही किसपे गयी हैं वो? ना तेरी बुआ इतनी अच्छी हैं और ना ही तेरे फूफा.. इतनी प्यार से बात करती हैं कि ऐसा लगता जैसे कि उसकी ढेर सारी पप्पिया ले लो..
मे: पतच्छ! मम्मी!! बच्चे क्यूट ही बाते करते हैं..
मम्मी: कॉन बच्ची?? 1स्ट्रीट एअर मे हैं वो..मेडिकल कॉलेज मे हैं देल्ही के.. और बच्ची तो बोल ही मत तू उसे.. सुना हैं शादी मे उसके लिए भी रिश्ता आ गया किसी एंपी के बेटे का..
मे: ओह्ह्ह..ऐसा क्या??
मम्मी: क्या बेशरम हैं तू सम्राट?? याद भी नही तुझे वो.
मे: उसमे क्या बड़ी बात मम्मी? उसे भी मैं याद नही होउंगा..
मम्मी: अगर उसे तू याद नही होता तो तेरे बारे मे पूछती क्यू मुझे??
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11-01-2018, 12:26 PM,
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
अब नॉर्मली मैं ऐसा किसी लड़की के बारे मे सुनू तो मैं सूपर एग्ज़ाइट हो जाता हूँ. मगर मैं जानता था कि वो कैसी दिखती हैं तो.. न्ड मेरी मम्मी को तो कोई भी अच्छा लग जाता हैं अगर वो उनसे अच्छा बिहेव करे तो.. सो नो बिग डील..
मे: ह्म्म्मा…
मम्मी: तेरा नंबर माँग रही थी वो.. दे दिया मैने…
मे: क्या?? मेरा नंबर? दे दिया? मुझसे पूछे बिना??
मम्मी: क्यू?? तू क्या PM हैं? ज़्यादा मत उड़.. अच्छी बच्ची हैं वो.. अपनी पूरी फॅमिली मे कोई बच्ची अच्छी हैं तो आकांक्षा के बाद वोही हैं..
मे: हाहहा… आकांक्षा?? अच्छी?? समझ गया मैं तुम्हारी ‘चिकी’ कैसी होगी तो..रहने दो!
मम्मी: चल जा!
मैं हँसते हँसते किचिन से निकल गया. कुछ मिनट मैने चिकी के बारे मे सोचा मगर मैने ज़्यादा ध्यान नही दिया.नहा धोकर मैं कॉलेज के लिए निकल गया..कॉलेज मे बाइक पार्क की और क्लास रूम की ओर जाने लगा तो किसी ने आवाज़ दिया मुझे..
‘सम्राट!!’
मैने एक सेकेंड मे ही आवाज़ पहचान लिया और मैं बिना मुड़े ही आगे बढ़ गया. मुझे दोबारा से आवाज़ आई..
‘सम्राट!! प्लीज़ रुक जा’
इस बार मैं रुक गया.. मगर पलटा नही.. पीछे से मुझे कदमो की आवाज़ आने लगी. क्या करूँ समझ नही आ रहा था.. पार्ट ऑफ मे चाहता था कि मैं मूड जाउ, मगर मेरा दिल कह रहा था कि ना मूड जाउ.. पीछे से आने वाले कदम मुझसे कुछ दूरी पर रुक गये.. कुछ देर हम दोनो मे से कोई नही बोला .आख़िर कार मैने बिना पलते ही कहा;
मे: व्हाट डू यू वॉंट?
मुझे उसकी भारी सांसो की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी. उन सांसो मे जो झिझक थी मैं महसूस कर पा रहा था. होंठ कुछ कहना चाहते थे,मगर दिल नही मान रहा था मेरा कि पलट कर उसे देखूं और कहूँ कुछ…पार्किंग मे कोई नही था.. हम दोनो निशब्द होकर खड़े थे.. उसके कदम आगे बढ़े और मुझसे एक हाथ दूर आकर रुक गये…
‘आटीस्ट देखो तो मेरी तरफ. मुझे कुछ बात करनी हैं..’
मैं नही पलटा.. बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोक रखा था मैने पलटने से..
‘प्लीज़!!!’
इतना कह कर मुझे सिसकिया सुनाई देने लगी. नॉर्मली, किसी का रोना मुझे पसंद नही,मगर इन आसुओ के लिए मैने बोहोत आसू खुद बहाए हैं..मैं अब भी नही पलटा तो फाइनली एक हाथ मेरे कंधे पर आकर रुक गया और मुझे पलटाने की कोशिश करने लगा…
मे: गो अवे! मैं नही जानता तुम्हे.. कोई रिश्ता नही मेरा तुम्हारा…सो प्लीज़ एक्सक्यूस मी!
इतना कह कर मैं आगे बढ़ने लगा..कि तभी वो पूरे दर्द के साथ मुझे पुकारती हुई मेरे ठीक पीछे आकर मुझसे लिपट गयी.. उसके दोनो हाथ मेरे सीने मे गढ़ गये थे,दोनो के जिस्म इस कदर चिपक गये थे कि मानो अब अलग नही होगे.. मेरा दिल भारी होने लगा. मैं अपनी दोनो हाथो से उसकी नज़ूक कलाई को अपने हाथो मे थामा और कुछ देर वैसे ही रहने दिया.. मेरी शर्ट उसके आसुओ मे भीगने लगी थी पीछे से.. हर एक सिसकी मेरे कान मे गूँज रही थी.. मैं एक बार फिर उन हाथो को जकड़ा और बोहोत मुश्किल से उन्हे अपने सीने से अलग करते हुए पलट गया..
उसकी आखे लाल हो गयी थी. ऐसा लग रहा था कि आग लगी हो आखो मे, जो आसू बुझा नही पा रहे हैं जिस वजह से वो रुक ना रहे हो. जो उसका कोमल सा, प्यारा चेहरा मुझे याद था, वो अब परेशानी की सिलवतो मे घिरा हुआ था..मगर मेरा दिल इस सब से पिघलने वाला नही था…एक वक़्त था जब उसकी आखो मे मैं आसू की एक बूँद भी नही देख पाता था, मगर अब मुझे फ़र्क नही पड़ता.. उसके बालो की खुश्बू अब भी महसूस कर पा रहा था मैं, जो एक साइड से उसके चेहरे को जैसे छुपा रहे हो. उसके होंठ सूखे हुए थे, जैसे सालो से पानी की एक बूँद भी ना पी हो उसने.. हम दोनो एक दूसरे को घूर रहे थे.. नया हेरस्टाइल सूट नही कर रहा था उसे, उसका प्यारा चेहरा छुप रहा था लेफ्ट साइड से..बट व्हाई डू आइ केर?
मे: व्हाट?? क्या चाहिए तुम्हे?? चली जाओ कहा ना..
‘सम्राट!!’
और वो और भी ज़्यादा रोने लगी.. अब आसू उसके चेहरे से नीचे टपक रहे थे.. कुछ ही देर मे हवा चलने लगी. मान्सून मे चलती ही हैं हवा तेज़.. उसके बाल हवा मे लहराने लगे. एक वक़्त था जब मैं घंटो इन ज़ुल्फो से खेलता रहता था. और अब…
मे: ये क्या??
मैं उसके करीब गया और उसके चेहरे को उपर उठाया.. वो वापिस नीचे ज़मीन को देखने लगी. जैसे अपना चेहरा छुपा रही हो..
मे: मेरी तरफ देखो..
नो रियेक्शन..
मे: नेहा!! मेरी तरफ देखो…
उसकी लाल आखे मेरी ओर देखने लगी. मैने उसके बाल हटाए..
मे: किसने???
मेरे इस सवाल पे वो फुट फुट कर रोने लगी और मेरे सीने मे जैसे पिघल सी गयी.उसके आसू इस कदर बह रहे थे कि मेरा शर्ट भीग गया था.इस कदर मुझे वो जाकड़ के रो रही थी जैसे कि कोई बच्चा अपनी माँ को पकड़ता हैं.. मैं कुछ नही बोला.. क्योकि मैं समझ गया था कि ये किसका काम हैं.. मैने नेहा को अपने से दूर किया,उसकी कलाई को पकड़ा और पलट कर कॉलेज मे जाने लगा..वो चुप चाप मेरे पीछे आने लगी..मैं डिपार्टमेंट मे एंटर हुआ…
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