vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:12 PM,
#1
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बेनाम सी जिंदगी

"आ...आ.आ..एयेए...ईयी.ससीईसी..आआआआअहह.....न्‍न्न्नाअ...एयेए..नाइइ...ऊवू..ऊवू...म्‍म्मा..माआआ"...
मेरी आखे बंद हो चुकी थी. ज़िंदगी मे इससे ज़्यादा सुख मुझे नही मिल सकता. मुझे ही नही..अपनी पूरी ज़िंदगी मे कोई भी मर्द इस सुख से ज़्यादा कुछ नही चाह सकता.. अपनी बंद आखो से भी मैं सब कुछ देख रहा था. उसकी हर हलचल से मुझे महसूस हो रही थी, मानो वक़्त थम गया हैं और हर हलचल से मेरा लंड उस सुंदर, गुलाबी, घुंघराले बालो वाली,कोमल और गीली चूत मे अंदर जा रहा हैं. उसकी कमर के हर झटके से हमारा बेड खिसकता था, इतनी गहराई से हमारे जिस्म एक दूसरे से मिल गये थे. ना ही मेरा लंड दिख रहा था और नाही उसकी चूत. बस हमारे 2 जिस्म एक दूसरे से मिल गये थे, मानो जुड़वा बच्चे हो. बिना किसी कोशिश के मेरा एक हाथ उसके निपल्स को अपनी उंगलियों मे पीस रहा था, जिससे वो और भी चीखने लगती मगर उसकी हर सास मे मैं लस्ट महसूस कर पा रहा था. और दूसरा हाथ, अपने आप ही उसकी सॉफ्ट, स्मूद और टाइट गांद को सहला रहा था. भगवान ने भी औरत का जिस्म इस तरह बनाया हैं कि नॅचुरली मर्द उस जिस्म को छू सके, महसूस कर सके. जैसे एक नट और बोल्ट होता हैं जो बने ही इसलिए होते हैं कि एक दूजे मे फिट हो सके. उसकी गांद पे मेरा हाथ, मेरी उंगलियो के बीच उसके निपल्स. इट वाज़ ऑल सो पर्फेक्ट!

हर झटके से मैं उसके अंदर घुस रहा था. मेरी आखे मानो हमेशा के लिए बंद होने के लिए तैयार थी मगर खुल नही रही थी. धीरे धीरे मुझे महसूस होने लगा, मेरे आँड मे प्रेशर बढ़ने लगा. मैं अब उसके निपल्स नही बल्कि पूरा बूब मसल्ने लगा, अपने हाथो के निशान बनाने लगा,सुर्ख लाल निशान उसकी बिल्कुल गोरी आंड मुलायम स्किन पे. उसकी चीखे मेरे कानो मे संगीत की तरह गूँज रही थी क्योकि मैं जानता था कि उसे इतना सुख किसी ने नही दिया और मैं उसके लिए ये ज़िंदगी भर कर सकता था. वो मेरी ज़िंदगी बन गयी थी, दुनिया मे सबसे ज़्यादा किसी से प्यार किया हो मैने तो आज, इस वक़्त, इस घड़ी वोही थी. अजीब सा एहसास था जैसे जन्मो से एक दूजे को जानते थे, मगर कभी पहचाना नही. मेरी कमर भी अपने आप हिलने लगी. उसका पूरा जिस्म मेरे लंड के उपर झूम रहा था. उसकी छाती बाहर की ओर निकली थी. और वो ऑर्गॅज़म की ओर बढ़ने लगी थी. हम दोनो के जिस्म पसीने मे डूब गये थे, सासे फूल गयी थी मगर आज नही, अब नही, और नही रुक सकते थे. एक ज़ोरदार चीख से वो झड गयी और उस चीख से मेरा बाँध टूट गया और मेरा कम उसकी चूत मे निकल गया.

वो 16 सेकेंड्स, दुनिया की हर चीज़ कुर्बान कर दूं मैं उन 16 सेकेंड्स के लिए, उस जिस्म के लिए, उस एहसास के लिए, दिल की इस प्यास को बुझाने के लिए! ऑर्गॅज़म होने के बाद मेरी आखे अपने आप लग गयी और मुझे एहसास हुआ कि उसकी छाती मेरी छाती पर हैं. मैं उसके दिल की धड़कन सुनते हुए ही सो गया. उसके जिस्म की गर्मी और मेरे जिस्म की थकान की वजह से मैं सो गया. सुख किसे कहते हैं, मोक्ष कैसा होता होगा, दा फीलिंग टू बी कंप्लीट. सब कुछ मैं पा गया उस वक़्त.
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क्या आप मे से कोई मच्छर के काटने से उठा हैं??? अजीब सवाल हैं जानता हूँ मगर कभी हो तो आप समझोगे कि खून चूसने वाले ये जीव नाही आपका खून चूस्ते हैं बल्कि अगर आप नींद मे हो तो एक फ्री का थप्पड़ भी आपको पड़ सकता हैं. जिससे नींद भी टूट सकती हैं. मगर इससे पहले वो मेरा खून चुरा के उड़ पाता मैने एक ज़ोर्का थप्पड़ अपने बाए गाल पे चढ़ा दिया,जिससे मेरा खून मुझे वापिस मिल गया.. वेल, किंडा! आखे कुछ देर तो ऑन नही हुई मगर गाल पे थप्पड़ सॉफ महसूस हो रहा था. रात के 10:36 बज रहे थे. मैं एनक्रिपशन का सोर्स कोड लिख रहा था और पता नही कब नींद लग गयी. आखे मसल कर चश्मा पहना तो दुनिया दिखने लगी. अंगड़ाई भर के मैं खड़ा हुआ तो एहसास हुआ कि कोई और भी खड़ा हैं. जवान लड़को की सबसे बड़ी मुसीबत यही हैं. एवररटाइम न्ड एवेरिवेर खड़ा होता हैं.

मेरा नाम सम्राट हैं.जैसा कि आप समज़ ही गये होगे कि मैं सॉफ्ट.इंजिनियरिंग का स्टूडेंट हू, 19 साल की उमर हैं मेरी. और आज मैं आपको कहानी नही सुनाने वाला. हाँ! सही समझा.. कहानी उसे कहते हैं जो सच्चाई नही होती. मैं आपको वो नही सुनाने वाला ,वेल टेक्निकली पढ़ने जा रहा हू जो मेरी ज़िंदगी मे हुआ हैं. मैं इसे नाम नही दे पा रहा. क्योकि इसे क्या कहूँ मैं खुद नही जानता. इसलिए मैं इसे 'बेनाम सी जिंदगी' ही कहूँगा. जो लोग इसे एक शॉर्ट कट सेक्स स्टोरी समझ रहे हैं, प्लीज़ इट्स नोट आ सिंपल, सेक्स स्टोरी. "मैने उसे छोड़ा, उसने मेरा चूसा..", ऐसा होगा, मगर धीरे धीरे..

मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही हैं. कुछ वक़्त पहले तक थी, मगर जब आपको पता चलता हैं कि आपकी ही गर्लफ्रेंड आपके ही बेस्ट फरन्ड के साथ सो रही हैं तो ज़रा मुश्किल हो जाता हैं रिश्ता रख पाना. जिन्होने मेरी पहली कहानी पढ़ी हैं वो लोग नेहा के बारे मे जानते होगे. हाँ तो जैसा की क्लियर हैं, आइ आम सिंगल. दोस्तो आप तो जानते ही हो कि इश्स दुनिया मे जहाँ लड़किया हांकी से छोटे छोटे कपड़े पहनती हैं वहाँ एक सिंगल लड़का होना कितनी बड़ी मुसीबत हैं. ऐसे वक़्त पे मैं उपरवाले का शुक्रिया अदा करता हू कि उसने हमे 2 हाथ दिए. ब्रेक अप के कुछ समय बाद तक मेरे हाथ मेरे काम नही आए. मगर मैं ऑप्टिमिस्टिक हूँ, और 1 मंत बाद ही रंगीले सपने, सुबह बड़ा सा एरेक्षन, एक लंबा सा शवर और कॉलेज के लिए रेडी. कॉलेज मे फिर से डेटा कलेक्ट करके शाम को फिर एक शवर. इस तरह से ज़िदगी कर रही थी. अचानक से नॅपकिन, बेबी-आयिल और इंटरनेट मेरे बेस्ट फरन्डस बन गये थे. जितने हाथ कभी जिम मे नही चलाए उतने मैने अपने बाथरूम मे चलाए. नोट दट बॅड आइदर.!

मैने लॅपटॉप ऑन किया और क्रोम ओपन किया.
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11-01-2018, 12:13 PM,
#2
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
पिछले कुछ दिनो मे मैं इस साइट का रेग्युलर विज़िटर हो चुका था. अच्छी साइट हैं. आक्च्युयली इसी साइट पर आकर मुझे पता चला कि दुनिया मे कितने अलग अलग तरह की सेक्षुयल हॅबिट्स होती हैं. कभी कभार कोई देसी लड़की भी होती हैं मगर ऐज यूषुयल,नो अफेन्स गर्ल्स, मगर इन देसी लड़कियो की गांद मे पता नही कौनसा रहमानी कीड़ा होता हैं जो यह रिप्लाइ ही नही करती. आप ही सेंड करो तो वहाँ से 'इग्नोर' आ जाता हैं. इसीलिए मैने देसी गर्ल्स को पिंग करना ही बंद कर दिया था. मगर उस रात बात कुछ और थी. मैने पेज स्क्रोल डाउन किया और एक अजीब सा नाम दिखा मुझे,'यूथिका'. नाम ही इतना अजीब था कि मैं रोक नही पाया और उस नाम पे क्लिक किया और प्रोफाइल मे नॅशनॅलिटी आई इंडियन. अब मुझे बात तो करनी थी मगर जैसा कि मैने कहा कि देसी गॅल्स आर नोट वर्त दा अटेन्षन कॉज़ दे नेवेर रिप्लाइ. मगर फिर भी मैने एक 'ही' सेंड करके चॅट विंडो क्लोज़ करदी,क्योकि मुझे विश्वास था कि ये रिप्लाइ नही करने वाली और मैं बाकी लड़कियो से चॅट करने मे लग गया. उनसे बात करते वक़्त भी मेरे दिल मे बार बार यूथिका के रिप्लाइ की आस जाग रही थी.
मैं सेक्शय्यौंगकित्तेन नाम की कनाडा की लड़की से बात करने लगा. उसके साथ मैने 2 ही मिनट बात की होगी तो यूथिका का रिप्लाइ आया. मैं खुश हो गया मगर साथ साथ ही साथ दिल मे ये डाउट भी आया कि शायद ये जेंडरफेकर हैं. हो सकता हैं लड़का हैं. मैने भी रिप्लाइ किया,
मे:: हे.
यूथिका: हाई.
मे:: कैसी हैं?
यूथिका: आइ आम फाइन. हाउ अबाउट यू?
मे:: वेल, आइ आम हॅपी दट यू रिप्लाइड.. सो, आइ'डी से आइ आम गुड टू.
यूथिका: आइ हॅव टू गो. बाइ..
मे:: व्हाट?? अभी तो मिली और जाना भी हैं? फ्रीक्वेंट्ली आती हो यहाँ?
यूथिका: कॅंट से. दिस ईज़ माइ नंबर 95********..
उसने नंबर देते ही मुझे लगा कि ये या तो कॉल गर्ल हैं और ज़्यादा चान्सस हैं कि ये कोई बंदा हैं.
मे: हाउ आर यू सो स्योर टू शेर युवर नंबर वित मी?
यूथिका: आइ गेट लोन्ली. सो आइ नीड सम्वन टू टॉक.
मे: मैं कॉल करूगा तुझे. बाइ फॉर नाउ.
इतना कह कर मैने चॅट से लोगोफ्फ कर दिया. मैं अपना नंबर किसी से शेर नही करना चाहता था, फॉर ऑब्वियस रीज़न्स. और अगर आप भी सोचो तो ये पासिबल नही कि लड़की अपना नंबर डाइरेक्ट्ली शेर कर्दे. मुझे डाउट आया तो मैने अपना नंबर नही दिया और उसका दिया हुआ नंबर किसी .ट्क्स्ट फाइल मे सेव कर दिया. अजीब सा नाम था. यूथिका!!
तभी दरवाजे पर किसी ने नॉक किया. मैं 90% स्योर था कि ये कौन होगा. अधमरे मन से मैने दरवाजा खोला.
मे: क्या हैं? क्यू नॉक की?
आकांक्षा: तेरी शकल नही देखनी का शौक नही मुझे!! मम्मी बुला रही हैं इसीलिए नॉक किया..
मे: हा हा.. जा यहाँ से..!
मूह बिगाड़ते हुए वो चली गयी. मुझे सख़्त नफ़रत थी उससे. कोई लड़की 16 साल की उमर मे इतनी इरिटेटिंग हो सकती हैं इस बात का जीता जागता एग्ज़ॅंपल थी आकांक्षा. अजीब से तरीके से बात करेगी, अजीब से जवाब देगी. मेरे माँ-बाप ने ज़िंदगी मे सबसी बड़ी कोई ग़लती की होगी तो वो आकांक्षा ही थी. अगर मेरी सग़ी बेहन ना होती ना तो मैं उसे मेरे सामने मूह भी ना खोलने देता. जी हाँ, आकाँशा मेरी 16 साल की बेवकूफ़, निकम्मी और स्पॉइल्ट बेहन हैं जिसे मेरे पेरेंट्स हमारे घर की खुशी समझते हैं. पता नही किन पापो की सज़ा मिल रही हैं मुझे जो ऐसी बेहन मिली हैं. मैने तो पिछले 3 सालो मे उसे एक बार ठीक तरीके से देखा तक नही. हम बोहोत झगड़ते हैं. वो निकम्मी हर वक़्त चूतिया रीज़न्स पे कंप्लेंट करती रहती हैं और ये बात मुझे बिल्कुल पसंद नही आती. ना ही मैं उससे बात करता हू और नही उससे कोई रिश्ता रखना चाहता हू. मैं मम्मी के पास गया!
मे: क्या हुआ मम्मी? तुमने बुलाया?
मम्मी: हाँ बेटा. वो नेक्स्ट मंत की 14 को निमी बुआ के बेटे की शादी हैं देल्ही मे. तू चलेगा? टिकेट बुक करवाने के लिए कह रहे थे पापा. कल जाकर टिकेट बुक करवाके आजा हम सबकी.
मे: उम्म्म्म...मम्मी, तुम तो जानती हो कि मैं बोर हो जाता हू ऐसी जगहो पे. और वैसे भी निमी बुआ के बच्चो से मेरी कभी नही जमी. मैं नही आउन्गा.. प्लीज़ मम्मी!!.. प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्ल्ज़!
मम्मी: नही बेटा, उन्होने हम सबको बुलाया हैं. नही जाएगे तो अच्छा नही लगेगा. बुआ हैं वो तुम्हारे पापा की.
मे: हाँ मगर मैं क्या करूगा वहाँ आकर? और वैसे भी अगस्त मे मेरी इंट्नल्स होती हैं मम्मी. पढ़ना भी तो हैं.
मम्मी: वाह!! अचानक से पढ़ाई प्यारी लगने लगी तुझे? ठीक हैं. हम तीनो की टिकेट निकाल के आ कल.
मे: य्स्स!!
मैं मम्मी के रूम से निकला. मम्मी-पापा का रूम उपर के फ्लोर पे हैं,राइट साइड मे, बीच मे कामन बाथरूम और हॉलवे. फिर मेरा रूम और मेर ऑपोसिट साइड पे मेरी उल्लू बेहन का रूम. मैं अपने रूम मे आया और डोर लॉक करते वक़्त मेरी नज़र मेरी बेहन की तरफ गयी. वो उसके धुले हुए कपड़े लेकर आ रही थी और उससे डोर नही खुल पा रहा था कॉज़ उसके दोनो हाथो मे कपड़े थे. उसने बड़ी कोशिश की मगर नही खुला दरवाजा उससे. तभी उसकी नज़र मेरी ओर गयी और मैं स्माइल करते हुए उसकी ओर देख रहा था. अब मुझसे हेल्प मांगती तो किस मूह से मांगती और कपड़े नीचे भी रख नही सकती थी की गंदे हो जाएगे. फाइनली उसने मुझसे कहा,
आकांक्षा: वहाँ क्यू खड़ा हैं? दरवाजा खोल दे.
मे: हाँ हाँ.. क्यू नही?! और कल से मैं तेरे कपड़े भी धोना स्टार्ट कर दूँगा ना.. ईडियट!..हुहह
आकांक्षा: अर्रे खोल दे ना दरवाजा..इतना क्या आटिट्यूड दिखा रहा. मेरे दोनो हाथ भरे हैं नही तो मैं कहती भी नही तुझे.
मे: तो अब भी क्यू कह रही.
आकांक्षा: गो टू हेल..
मे: ओह्ह..मेबी लेटर डंबो..
इतना कह कर वो गुस्से मे पलट गयी और उसका राइट हॅंड डोर की नॉब से टकरा गया..और उसके हाथ से सारे कपड़े गिर गये.. मुझे बड़ी हसी आने लगी. उसने मेरी ओर गुस्से मे देखा और रुआसी शक़्ल बना कर ज़मीन पर गिरे कपड़ो की ओर देखने लगी.
आकांक्षा: हंस मत! तूने नही धोए कपड़े. मैने बड़ी मेहनत से धोए थे शाम को. सब गंदे हो गये! छी...
मे: हा हा.. वॉशिंग मशीन ऑन करना, उसमे कपड़े डालना, देन पाउडर डालना तो बड़ी मेहनत का काम हैं ना.. सच मे! आइ आम सो सॉरी..
और मैं हँसने लगा.. मगर मेरी हसी से उसे बड़ी तक़लीफ़ होने लगी और उसके आखो मे पानी आ गया. वो नीचे गिरे कपड़े उठाने लगी. मुझे अच्छा नही लगा तो मैं आगे बढ़कर नीचे गिरे कपड़े उठाने मे उसकी हेल्प करने लगा.
मे: बस हुई नौटंकी तेरी. कर रहा हूँ हेल्प. नही तो मम्मी के सामने बक देगी कुछ उल्टा सीधा और मेरी वॉट लगाएगी.
मैं एक-कपड़ा उठाने लगा. और तभी मेरे हाथ मे उसकी लाइट वाय्लेट कलर की पैंटी लग गयी. मैने उसे 2 उंगलियो से उठाया और देखने लगा. तो उसने झपट्टा मार कर मेरे हाथ से पैंटी छीन ली और कहने लगी,
आकांक्षा: बेशरम, ऐसे क्या देख रहा.? दे सभी कपड़े..
मे: वाह, एक तो हेल्प कर रहा.. उसमे भी तेरा सड़ा हुआ, बकवास आटिट्यूड.. जा.. मर..
इतना कहके मैने कपड़े फिर से ज़मीन पर फेक दिए और वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी.. मैं वहाँ से उठकर अपने रूम मे चला गया. कसम से अगर मेरी सग़ी बेहन ना होती तो इतने ज़ोर का थप्पड़ मारता उसे कि ज़िंदगी मे कभी बदतमीज़ी से बात ना करती वो मुझसे. मैने रूम का दरवाजा दोबारा लॉक कर लिया और अपना काम करने लगा. हालाकी, मेरे दिमाग़ मे अब भी यही सवाल आ रहा था कि मैने आकांक्षा की पैंटी को इस तरह से क्यू देखा? ऐसा तो नही था कि मैने ज़िंदगी मे पहली बार पैंटी देखी हो. हाँ एक पल के लिए आकांक्षा की पैंटी देख कर मेरे दिल नेहा के साथ बिताए हुए पल ज़रूर याद आ गये. उसकी सॉफ्ट,फुल और गोल-गोल थाइस. जिनको मैं धीरे धीरे चूमता था. उसे टीज़ करता था. इंच बाइ इंच चूमते हुए उसकी चूत के आस पास पैंटी से खेलता था. उसकी भीगति हुई चूत को पैंटी के उपर से छेड़ते हुए अपने हाथो से उसके निपल्स को पिंच करता. मैं नेहा के साथ बिताए हुए पॅलो को याद करने लगा और बेड पे लेट गया. धीरे धीरे मैं अपने शॉर्ट्स के उपर से अपने खड़े लंड को सहलाने लगा. हर एक पल मेरे सामने एक तस्वीर की तरह आ रहा था. और जैसे जैसे तस्वीरे आ रही थी वैसे वैसे मेरे लंड मे दर्द हो रहा था. 9 इंच का सख़्त लंड मुश्किल से टाइट शॉर्ट मे रह पाता हैं. मैने अपनी कमर उपर उठाई और एक ही झटके मे शॉर्ट्स और जॉकी दोनो ही निकाल फेकि. और जैसी ही मैने लंड आज़ाद किया वो स्प्रिंग के जैसा उछल पड़ा. मुझे अपना लंड बोहोत पसंद था. 9 इंच लंबा, 2 इंच छोड़ा और एक लाइट ब्लॅक कलर का साप जैसा दिखता था. मैं हमेशा लंड को क्लीन शेव्ड रखता हू. जितनी बार मैं अपना फेस नही धोता उसेसे ज़्यादा बार मैं अपने लंड को सॉफ करता हू, मालिश करता हू. मेरे जिस्म का सबसे फॅवुरेट पार्ट हैं मेरा लंड.


हर पल को याद करते करते मैने धीरे धीरे लंड को पंप करना स्टार्ट किया. अब मेरा लंड पूरी तरह कड़ा हो चुका था. मैने अपने बेड के साइड मे रखे क्लॉज़ेट मे से एक बेबी-आयिल की बॉटल निकाली और अपने लंड पे आयिल डाला. सिर्फ़ हेड पर नाकी पूरे लंड पे. और लंड की चॅम्डी को 2 बार आगे पीछे किया तो लंड बिल्कुल चिकना हो गया. मुझे वो एहसास बोहोत अच्छा लगता हैं क्योकि उससे मुझे नेहा के नाज़ुक होंठो की और गरम मूह की याद आती हैं. हर स्ट्रोक के साथ मुझे ऐसा लगता कि नेहा मेरा लंड उसके मूह मे अंदर लेती जा रही हैं. बीच मे ही मैं अपने लंड के हेड पर उंगली घुमा देता तो ऐसा लगता कि नेहा अपनी जीभ से मेरे लंड के साथ खेल रही हैं. मैं रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर से लंड हिलाने लगा. मेरे ज़हन मे नेहा की मुलायम और चिकनी गांद का ख़याल आने लगा. मैं ज़ोर ज़ोर से लंड को हिलाने लगा. मैं अपने आँड मे प्रेशर महसूस कर पा रहा था. मेरी कमर अपने आप ही हिलने लगी. आयेज से मेरा हाथ और पीछे से मेरी कमर. मानो मैं सच मे नेहा को चोद रहा हू. बस अब कुछ ही सेकेंड्स मे मैं छूटने वाला था. मेरी आखे बंद हो गयी थी. पैर सख़्त हो गये थे. मेरी बॅक आगे की तरफ निकली और मैने महसूस किया वो सुंदर, अद्वितीय, मोहक एहसास! ऑर्गॅज़म!! मेरी सासे तेज़ चल रही थी. किसी तरह मैने दिल की धड़कन को काबू मे करने के लिए ज़ोर ज़ोर से साँस लेना शुरू किया और तभी मुझे ये एहसास हुआ कि ऑर्गॅज़म के वक़्त मेरे दिल मे नेहा नही कोई और थी.

मैं बेड पर से उठा. साइड मे रखे टिश्यू से लंड सॉफ किया मगर उस वक़्त मेरे दिमाग़ मे कुछ और चल रहा था. ऐसा कभी नही हुआ था. आज तक नही. पिछले 6 सालो से मैं मूठ मार रहा हू. आज अचानक कैसे? मैं हैरान था अपने आप पर. आज पहली बार ये हुआ हैं. मैं गहरी सोच मे पड़ गया की यह कैसे हो सकता हैं? जिस लड़की की मैं शक़्ल भी नही देखना चाहता. जो लड़की मुझे फूटी आख नही सुहाती. जिसके ख़याल भर से मैं गुस्सा हो जाता हू. उस लड़की का ख़याल आज मुझे मूठ मारते हुए आया. आकांक्षा!? नेहा के नाम से मूठ मारनी स्टार्ट की मैने और ज़हन मे चेहरा आया तो आकांक्षा का?? 16 साल से वो मेरी ज़िंदगी मे हैं. पिछले 3 सालो से मैने उसे ठीक से देखा तक नही और आज ये कैसे हो गया? इन सब सवालो के घेरे मे आकर पता ही नही चला कि कब मेरी आख लग गयी और कब मैं सो गया.
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11-01-2018, 12:13 PM,
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
उस इन्सिडेंट को ऑलमोस्ट 3 वीक बीत गये. आज सॅटर्डे था. सॅटर्डे'स को मैं लेट उठ ता हू. कॉलेज भी नही होता और सॅटर्डेस को आकांक्षा भी स्कूल चली जाती हैं. पेरेंट्स तो ऑलरेडी बाहर ही होते हैं तो घर मे शांति होती हैं. चैन से सोकर मैं 11 बजे उठ जाता हू. 1 घंटा टीवी,ब्रश, पेपर पढ़ना, ज़ोर ज़ोर से गाने बजाना यह सब करता हूँ. और फिर आराम से 12 बजे नहाता हू. पेरेंट्स के बेडरूम मे अटॅच्ड बाथरूम हैं जिसमे बाथटब भी हैं. बढ़िया सा लोंग बाथ लेता हूँ. और फिर बाकी के काम. ये मेरा हर सॅटर्डे का रुटीन होता हैं. तो हमेशा की तरह मैं बाथरूम मे घुसा तो देखा कि अंदर का हीटर नही काम कर रहा. अब बरसात के दिनो मे मैं ठंडे पानी से तो नही नहाने वाला था. सो, नॅचुरली मुझे अपना प्लान चेंज करना पड़ा और मैने कॉमन बाथरूम मे नहाने चला गया. मैने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपने कपड़े निकाले. बाथरूम मे हमेशा नमी होने की वजह से काफ़ी ठंडा रहता हैं. ऑटमेटिकली जिस्म रेस्पॉंड करने लगता हैं. निपल्स कड़े हो जाते हैं. बाथरूम मे एक हाफ साइज़ बॉडी मिरर हैं. मैने अपने आपको मिरर मे देखा. 5 फ्ट 11 इंच हाइट हैं मेरी. हर रोज़ 2 घंटे जिम मे वर्काउट करता हू और वो सॉफ दिखाई देता हैं. आगे निकली हुई छाती,13 इंच के बाइसेप्स. सिक्स पॅक नही हैं मगर अगर इसी तरह वर्काउट करता रहा तो 1 साल मे आ जाएगे. क्लियर व शेप बॉडी है मेरी और पैरो के बीच मे नींबू के साइज़ के आँड और 9 इंच का प्यारा सा लंड. मैने शवर स्टार्ट किया और पानी मेरे जिस्म पे से बहने लगा. मैने अपने बालो मे हाथ घुमाकर पानी को रास्ता बना कर दिया और वो किसी साप की तरह रेंगता हुआ मेरे मेरे लंड से नीचे टपकने लगा. 

नॉर्मली मेरा लंड नहाते वक़्त नही हार्ड होता हैं. हाँ अगर मैं मूठ मारना चाहू तो. मगर आज मुझे कुछ अलग सा महसूस हो रहा था. मैं नहाते हुए ही गहरी साँस ले रहा था. और मैं जितनी गहरी साँस ले रहा था, मेरा लंड उसी तरह से खड़ा होता जा रहा था. ऐसा कभी नही हुआ. मेरे दिमाग़ मे भी नही था की मुझे मूठ मारनी हैं और नही मैं कुछ सोच रहा था. मगर मानो मेरे लंड का खुदका ही दिमाग़ हो. कुछ ही देर मे मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया. लंबा सा साप!! मैने नोटीस किया कि मेरी साँसे तेज़ होने लगी हैं. और सांसो के साथ ही मेरा हाथ अपने आप ही लंड हिलाने लगा. कुछ अजीब सा था आज हवा मे. एक अनोखी सी गंध थी जो मेरे लंड को बेकाबू करने लगी थी. मैने आखे खोली और नीचे अपने लंड की ओर देखा. पूरी तरह खड़ा हो चुका था. लोहे जैसा सख़्त. मैने लंड की चमड़ी पीछे खीची तो गरम पानी लंड की खुली स्किन पर गिरा. मुझे बोहोत ही मज़ा आ रहा था. मगर आज सिर्फ़ छूने तक ही नही बल्कि मेरे सीने मे भी कुछ अजीब सा एहसास था. मैने धीरे धीरे लंड को हिलाना शुरू किया. हाथ मे थोड़ा सा साबुन लगाया और लंड पे लगाया. बाथरूम मे एक कडपन हैं फोरेमिका का जिसपे सब कॉसमेटिक्स रखे होते हैं और उसके नीचे लौंड्री मे डालने वाले कपड़े होते हैं. मैं सोप को सॉपकेस मे रखने ही जा रहा था कि अचानक मुझे छींक आ गयी और सोप मेरे हाथ से छूट कर लौंड्री हम्पेर मे गिर गया. मैं नीचे झुक कर सोप उठाने की कोशिस कर रहा था तभी मुझे स्मेल आई. ये स्मेल मैं कही से भी पहचान सकता था. मगर ये आ कहाँ से रही थी. मैने हम्पेर मे चेक किया तो उसमे एक लाइट पिंक कलर की पैंटी थी. और इसमे कोई शक़ नही था कि ये पैंटी आकांक्षा की ही थी. मैं सोच मे पड़ गया की, बिना हाथ लगाए ही आज मेरा लंड खड़ा हो गया सिर्फ़ इस पैंटी की स्मेल से. ये सब क्या हो रहा था?! मैने आकांक्षा की पैंटी को उठाया तो स्मेल और स्ट्रॉंग हो गयी. बिना कुछ सोचे समझे मैने उसकी पैंटी अपनी नाक से लगा दी और एक गहरी साँस ली. जैसे ही मैने साँस ली मुझे आकांक्षा के जिस्म की खुश्बू आने लगी, जो मैने कभी भी महसूस नही की थी. मेरा दाया हाथ अपने आप ही मेरे लंड पर चला गया और मैं मूठ मारने लगा. अपनी जीभ निकाल कर आकांक्षा की पैंटी को चाटने लगा. अजीब सा एहसास था ये. मैने इससे पहले भी 2-3 लड़कियो की चूत मे जीभ घुसाई हैं मगर ऐसी मनमोहक खुश्बू किसी की नही थी. और ऐसा तो आज तक नही हुआ कि सिर्फ़ 5 झटके मारने पर ही मैं झड गया. आज मेरे लंड मे से इतना कम निकला जो आज तक नही निकला. मेरे पैर डगमगा रहे थे. खड़ा रहना मुश्किल हो गया था तो मैने ज़मीन पर गिर पड़ा. गान्ड को चोट लगी मगर अब भी आकांक्षा की चड्डी मेरी नाक पर थी. मेरा दिल उसे वहाँ से हटाने को नही कर रहा था. 2 मिनट बाद मैं उठा और आकांक्षा की पैंटी को हम्पेर मे डाल दिया
मैने नहाना ख़त्म किया. जाते वक़्त मैं 1 पल के लिए रुका और फिर से मैने पैंटी को हाथ मे लिया. जैसे ही मैने पैंटी उठाई मुझे बाहर के डोर के खुलने की आवाज़ आई. मैने झट से पैंटी हम्पेर मे डाल दी क्योकि मुझे कोई शक़ नही था कि ये आकांक्षा ही थी जो स्कूल से वापिस आ गयी थी. मैं अब भी टवल मे ही था और अंदर से कुछ नही पहना था. मैने जल्द से जल्द अपने रूम मे जाने की कोशिश करने लगा. अभी अभी नहाने की वजह से अब भी मेरा जिस्म गीला था और टवल बॉडी से चिपका हुआ था तो मेरे लंड की आउटलाइन बाहर से दिख रही थी. पैर भी गीले थे इसलिए मैं टाइल्स पर से थोड़ा स्किड होने लगा. मैने आकांक्षा के कदमो की आवाज़ सुनी जैसे वो स्टेरकेस से चढ़ने लगी. मैं अब शुवर था कि मैं उसके आने से पहले अपने रूम मे पहुँच जाउन्गा. अपने रूम से 4 फ्ट की दूरी पे पहुँचने के बाद मैने झट से दरवाजा खोलने के लिए अपना हाथ आगे किया मगर स्पेक्स ना पहने होने की वजह से मैं वॉल और मेरे बीच का डिस्टेन्स ठीक से नही जज कर पाया और सीधा जाकर वाल से टकरा के नीचे गिर पड़ा.
मे: ओह्ह्ह...फक!! भैनचोद दीवार!!! आअहहूऔच्च!
मैं ज़मीन से उठने की कोशिश करने लगा मगर तब तक आकांक्षा सीढ़िया चढ़ कर वहाँ पहुँच चुकी थी और मेरे सामने खड़े रह कर मुझे घूर रही थी.
आकांक्षा: हाहहाहा.... शराब पी रखी हैं क्या ईडियट तूने?! हहा.हहा... सीधा जाकर दीवार से टकरा गया.
मे: बकवास बंद कर और जा यहाँ से.. तेरी वजह से ही टकराया हू नालयक.
आकांक्षा: हुहह?? मेरी वजह से?? मैने क्या किया जो तू मुझे ब्लेम कर रहा. ऐसे नन्गु-पंगु घर मे भाग रहा और टकराया तो मेरी क्या ग़लती??
आकांक्षा के इस सवाल का मेरे पास जवाब नही था. कहता भी क्या की मैने उसकी पैंटी से मूठ मारी और दोबारा पैंटी लेने के चक्कर मे तू आ गयी? 
मे: हा हा..ठीक हैं. जा यहाँ से अब. 
इतना कह कर मैं खड़ा हो गया. अब जैसा कि आप जानते हैं दोस्तो की जब टवल गीला होता हैं तो जिस्म को चिपकता ज़रूर हैं मगर साथ मे ही गीला होने की वजह से उसके छूटने का डर भी लगा रहता हैं. स्पेशली जब आपने ऐसा स्टंट मारा हो. तो नॅचुरली मैं जैसे ही उठकर खड़ा हुआ मेरी वेस्ट से टवल छूटने लगा. मगर थॅंक्स तो माइ स्पाइडर सेन्सस मुझे एहसाह हो गया तो मैने झट से टवल को लूस होने से बचाने के लिए अपनी कमर से कस्स्के बाँध लिया. बदनसीबी से मैं यह तो भूल गया कि टवल सामने की ओर बीचमे से खुल गया हैं और मेरा 9 इंच का सेमिहर्ड लंड अब सॉफ दिखाई पड़ रहा हैं. 2-3 सेकेंड्स के उस ड्यूरेशन मे ये सब कुछ हुआ. झट्के से मैं पलटा और सीधा अपने रूम मे घुस गया. मुझे ये डर था कि आकांक्षा चिल्लाने ना लगे या तो पेरेंट्स से कह देगी तो?? मगर मैने सोचा कि मेरी ग़लती नही हैं. मैं गिर गया इसीलिए टवल लूस हो गया. और मुझे नही लगता कि आकांक्षा ने कुछ देखा होगा कॉज़ उसने कोई रिक्षन नही दी. कुछ देर बाद मुझे उसके रूम के लॉक होने की आवाज़ आई. मैने चैन की साँस ली और टवल निकाल दिया और ज़मीन पर फेक दिया. और नंगा ही अपने बेड पर जाके लेट गया. कुछ देर बेड पर पड़े रहने के बाद मैं उठा और लॅपटॉप ऑन किया.
मैं जब भी लप्पी लेकर बेड पर होता हूँ तो मेरी एक ही पोज़िशन होती हैं. मैं पीठ के बल लेटा होता हू, लॅपटॉप मेरे पेट पे होता हैं. सिर के नीचे 2 पिल्लोस ताकि काम करने मे आसानी हो और पैर पूरी तरह से फैले हुए. अब जैसा कि मैने कहा कि मैं पूरी तरह से नंगा था. मेरा 9 इंच का सुंदर,काला लंड मेरे पेट पर आराम कर रहा था. आप सभी ये तो जानते ही होगे कि लॅपटॉप मे पीछे की तरफ एक फॅन होता हैं ताकि लॅपटॉप सर्क्यूट्स कूल रहे. अगस्त का महीना शुरू था. बाहर कस्के बारिश हो रही थी, जिससे काफ़ी ठंड थी. अब ऐसी ठंड मे,चाहे वो शक्तिमान ही क्यू ना हो. उसके आँड बिल्कुल सिकुड जाते हैं, तो हम तो सिर्फ़ आदमी हैं. मैने ठंड की वजह से अपनी दोनो टाँगे फोल्ड कर ली और अब लॅपटॉप मेरे थाइस से लगा हुआ था. लॅपटॉप के एग्ज़ॉस्ट फॅन से निकल रही गरम हवा अब सीधे मेरे लंड पर पड़ रही थी जिससे मेरे आँड को बड़ा ही सुकून मिल रहा था. कुछ ही देर मे पोप्पिंस की गोली जैसे मेरे आँड पिंग पॉंग बॉल जैसे हो गये और मैने ज़रा लॅपटॉप को लेफ्ट साइड मे सरकाया और मेरे प्यारे लंड को पूरी तरह से खड़ा हुआ पाया! मैं अपने लंड से बोहोत प्यार करता हू और मैने कसम खाई हैं कि जब-जब ये खड़ा होगा तब-तब मैं इसकी मालिश करके इसे सुकून दुगा. आइ आम नोट अट ऑल सेल्फिश. जो भी करता था,सिर्फ़ लंड की खातिर! अब कसम ली हैं तो निभानी तो होगी ही. इसलिए मैने झट से अपने लॅपटॉप मे के 'अमेज़िंग' फोल्डर पे डबल क्लिक किया और झट से पासवर्ड डाला. जी हाँ, दोस्तो ये मेरा स्पेशल पॉर्न कलेक्षन था. जिसमे हर वो अमेज़िंग चुदाई की मूवी थी जिसको अगर आप एक वक़्त मे ही पूरा देखना चाहो तो 7 बार मूठ मारो. मैने 'फक्ड हार्ड 18' नाम की मूवी प्ले की. सीन ऐसा था कि एक रूम मे मसाज टेबल रखा था और कॅमरा ऑलरेडी सेट किया हुआ था. तभी दरवाजा खुलता हैं और एक बोहोत ही सेक्सी, गोरी चिकनी लड़की जिसने एक छोटी सी डेनिम शॉर्ट और ग्रीन कलर का टांक टॉप पहना हैं. वो अंदर आती हैं और कॅमरा की तरफ बढ़ते हुए किसी अजनबी शख्स जो उसे कुछ ही देर मे चोदने वाला हैं, उससे शाकहन्ड करती हैं. अब मूवी मे ऐसा दिखाया हैं कि 18 साल की मस्त टाइट चूत वाली लड़किया इंटरनेट पे दिए हुए,'फ्री हॉट आयिल मसाज' का आड देख कर चली आती हैं. उन्हे कुछ नही पता कि यहा उनकी गान्ड मारी जाने वाली हैं. ऑफ कोर्स ये ड्रमॅटिक प्लॉट होता हैं.
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11-01-2018, 12:13 PM,
#4
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मालिश करने वाला उस लड़की से उसका नाम, और उसकी उमर पूछता हैं. और 5 मिनट के कॉन्वर्सेशन के बाद वो लड़की अपने सारे कपड़े निकाल कर मसाज टेबल पर लेट जाती हैं. मालिश करने वाला धीरे धीरे उसके ऑलरेडी चिकने बदन पर हॉट आयिल लगाता हैं और फिर उसके कच्चे जिस्म की मालिश करने लगता हैं. बहुत ही एरॉटिक तरह से पिक्ट्यूवरिसेशन किया गया हैं मूवी का और लड़की की गान्ड देखते ही मैं अपने लंड की फॉरेस्किन को धीमे धीमे आगे पीछे करने लग गया. जैसे जैसे ही वो लड़की की गान्ड मेरी आखो के सामने दिखने लगी वैसे वैसे मैं स्पीड बढ़ाता गया. फिर ब्लोजॉब का सीन स्टार्ट हुआ और मैं अब महसूस कर पा रहा था कि मेरे लंड मे से अब ज़बरदस्त पिचकारी निकलने वाली हैं 


मैं और ज़ोर से मूठ मारने लगा और रफ़्तार बढ़ाने लगा. बस अब कुछ ही पल मे मैं झड़ने वाला था कि अचानक फोन बज उठा. मैं गुस्से मे लॅपटॉप नीचे रख कर फोन उठाने गया तो देखा किसी दोस्त का कॉल हैं. मैने कट कर दिया और फोन स्विच करने ही वाला था तो अचानक मुझे कुछ याद आ गया. मुझे यूथिका की याद आई. मैं तुरंत अपने लॅपटॉप मे वो फाइल सर्च करने लगा जिसमे मैने उसका नंबर सेव किया था. मैने अपना आल्टरनेट सिम फोन मे डाला. ये नंबर किसी के पास नही था. मेरे पेरेंट्स के पास भी नही. सिर्फ़ नेहा के पास. 15 मिनट सर्च करने के बाद मुझे वो फाइल मिली. मैने उसका नंबर टाइप किया और डाइयल करने से पहले 1 मिनट सोचा. 'अगर ये कोई ज़ोल वाला नंबर हुआ तो?'. काफ़ी सोचने के बाद मैने डिसाइड किया कि मैं कॉल नही करूगा. और मैने फोन रख दिया. लेकिन फिर से 5 मिनट मुझे आइडिया आया कि मैं उसे टेक्स्ट कर सकता हू. मैने तुरंत 'हाय!' टाइप करके सेंड कर दिया और मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा कि अब क्या होगा? काफ़ी देर रुका मगर रिप्लाइ नही आया. मैने सोचा ज़रूर उस कमिनि ने रॉंग नंबर दिया होगा. मैने सिम निकाल कर मेरा रेग्युलर नंबर शुरू कर दिया और पॉर्न देख ने लगा. 6-7 मिनट मे ही मैं झड गया और मुझे कुछ देर मे नींद भी लग गयी

जब आख खुली तो देखा कि शाम के 7 बज रहे हैं. मैं झट से उठकर कपड़े पहने और फ्रेश होकर जिम चला गया. मैं हर रोज़ 2 घंटे वर्काउट करता हू. मुझे मेरी बॉडी को फिट रखना पसंद हैं. एक वक़्त था जब मैं 100 किलो का हुआ करता था और पिछले एक साल के कंटिन्यूस वर्क आउट की वजह से अब मैं बिल्कुल रिब्ब्ड हो गया हू. सिक्स पॅक नही आए अभी तक मगर अगले 6 म्नथ्स मे आ जाएगे. रात के 9 बजे के आस पास मैं घर पहुँचा. शूस निकाल कर शोेस्टंड मे रखे और किचन की और चला गया. 
मम्मी: आ गया?? 
मे: नही! अभी आने का बाकी हूँ. अभी तो आधा ही आया हू. बाकी का पीछे आता होगा अभी कुछ मिनट मे.
मम्मी: हा हा! वेरी फन्नी.. जा जाकर फ्रेश होज़ा. तू आज लेट आया और हम ने खाना खा लिया ऑलरेडी. टेबल पे ही रखा हैं. जाकर खाले. 
मे: ओके! 
इतना कह कर मैं मुड़ा तो मम्मी ने फिर आवाज़ लगाई.
मम्मी: अर्रे सुन! वो आकांक्षा को भी कह दे खाने के लिए. सोई थी शाम से. उठाकर कह दे कि खाना खा ले.
मे: उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..! मुझे क्यू कह रहे हो तुम? 
मम्मी: जा बोला ना.. बेहन हैं तेरी.
मे: हाँ पता हैं.. पिछले जन्मो का पाप हैं.
मैं किचन से निकल कर सीढ़िया चढ़ने लगा. अपने रूम मे एंटर होने ही वाला था कि मुझे याद आया. मैने आकांक्षा के रूम का दरवाजा नॉक किया और ज़ोर से चिल्लाकर बाहर से ही कह दिया,
मे: मम्मी ने खाना खाने के लिए बुलाया हैं. खाना हो तो नीचे जा. वैसे कंपल्सरी नही हैं.
इतना कह कर मैं अपनी रूम मे चला गया. फट से मूह हाथ धोया. शवर तो जिम मे ही ले लेता हू मैं. तो सिर्फ़ चेंज करना था मुझे. शॉर्ट्स न्ड टी शर्ट डाली और मैं नीचे जाने के लिए रूम मे से निकला. थोड़ा ही आगे बढ़ा होउंगा तो मैने देखा कि आकांक्षा अब भी रूम मे ही थी. और इस बार उसने कोई उल्टा जवाब भी नही दिया. मुझे अजीब लगा कि आज इसने अपनी चोच कैसे बंद रखी.. मैने फिर से उसके दरवाजे पर नॉक किया
मे: सुनाई नही आया क्या मेडम? आकर खाना खा ले. रात को गड्ढे नही खोदती तू जो इतना सो रही है. खाना खा ले और सो जितना सोना हैं.
मैं कुछ सेकेंड्स तक दरवाजा खुलने का वेट करने लगा. फिर भी आकांक्षा कुछ नही बोली. मुझे बड़ा अजीब लगा. मैने 2-3 बार और नॉक किया. नो आन्सर!! मैं थोड़ा परेशान हो गया. मैने एक और बार आवाज़ लगाई,"आकांक्षा!!??". फिर भी कोई जवाब नही आया. फाइनली मैं डोर खोल कर अंदर चला गया. आकांक्षा के रूम मे आज मैं कयि सालो बाद आया था. रूम मे अंदर आते ही मुझे खूशबू आने लगी. स्ट्रॉबेरी की. मुझे स्ट्रॉबेरी ना पसंद होने का एक और रीज़न ये भी हैं कि मेरी बेहन का वो फॅवुरेट फ्रूट हैं. मैने रूम मे नज़र घुमाई.नाइट लॅंप ऑन था.सब कुछ पिंक पिंक था. पर्दे, कप-बोर्ड्स,शेल्फ, पिल्लोस, बेड, टेबल, उसका ड्रेसर,ब्लंकेट, आकांक्षा की शॉर्ट्स.. हुहह?? आकांक्षा की शॉर्ट्स??? मेरी नज़र बेड पर सोई हुई आकांक्षा पर पड़ी. वो पेट के बल सोई थी. अब मेरी उल्लू बेहन सोती भी जानवरों जैसे हैं. एक हाथ कही तो दूसरा कही, दोनो पैर अलग अलग डाइरेक्षन मे. मेडम का लेफ्ट लेग लंबा नीचे की ओर फैला था और राइट लेग फोल्डेड था. और ब्लंकेट तो उसका कभी भी सही तरीके से नही रहता. या तो ज़मीन पर पड़ा होता हैं या फिर बेड पर ही कही कोने मे. अभी भी उसका ब्लंकेट उसके अंकलेस तक नीचा आ गया था. 

मेरे सामने वो बेड पर सोई थी और आज पहली बार, बिना कुछ सोचे मैने ऐसा कुछ देखा जो आज तक कभी ना देखा. आकांक्षा की गान्ड! उसके गोरे चिट और टोटली वॅक्स्ड टाँगे देख कर मैं हक्का बक्का रह गया. ऐसे जैसे जादू सा देख लिया हो. जैसे जैसे मेरी नज़र उसकी टाँगो से उपर जा रही थी मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी. आज तक मैने इस बात पर कभी गौर नही किया था कि मेरी बेहन अब जवान हो गयी हैं. मैं उसकी नंगी टाँगो को इस तरह से घूर रहा था मानो कोई पिंजरे मे बंद इंसान उसके सामने रखे हुए टेबल के उपर पड़े हुए खाने को घूर रहा हो. वो उसे देख तो सकता हैं मगर छू नही सकता. मेरी नज़र आकांक्षा की चिकनी टाँगो पर से अब धीरे धीरे उपर सरक रही थी. मानो उन मखमली जाँघो पर मैं फिसल रहा हू ऐसी मुलायम स्किन थी उसकी. आकांक्षा के पर्फेक्ट, राउंड कॅव्स, उसके उपर से ही शुरू होने वाली उसकी स्मूद मांदी! नही मोटे और बड़े और ना ही दुबले-पतले से! बिल्कुल पर्फेक्ट. और फाइनली, उसकी खूबसूरत गान्ड पर मेरी नज़र पड़ी. उसके दोनो पैर फैले हुए होने की वजह से आकांक्षा की चड्डी का कपड़ा खीच सा गया था और उसकी मुलायम गान्ड पर बिल्कुल टाइट तरह से चिपक गया था. जिसस वजह से मैं सॉफ सॉफ मेरी छोटी बेहन की गान्ड देख पा रहा था. वो पिंक शॉर्ट्स तो बस नाम के लिए ही थी. असल मे तो ऐसा लग रहा था मानो आकांक्षा की गान्ड गुलाबी ही हैं. स्मूद न पिंक! मैं थोड़ा और करीब चला गया. नशे मे होऊ ऐसी हालत मे था मैं उस वक़्त. मुझे कुछ महसूस हुआ. मैने नीचे देखा और नज़ारा सॉफ था. मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और मेरी शॉर्ट मे तंबू खड़ा हो गया था. लंबा सा तंबू. मैने अपनी नज़र दोबारा से आकांक्षा की खूबसूरत गान्ड पर टिका दी. उसकी गान्ड इतनी उभरी हुई थी कि मैं उसकी कमर का नीचे का हिस्सा भी नही देख पा रहा था. ना जानते हुए ही मेरे कदम आगे बढ़ने लगे. मैं मेरे सामने सोई हुई उस कमसिन लड़की की ओर खिंचा चला जा रहा था. मैं ये भूल गया था कि अभी मेरे पेरेंट्स दोनो घर मे हैं, या मैं कभी भी पकड़ा जा सकता हू,या सबसे इंपॉर्टेंट, वो लड़की जिसके जिस्म को मैं अपनी आखो से नंगा कर रहा हू,मेरी सग़ी,छोटी बेहन हैं. इस वक़्त वो जिस्म मेरी बेहन का नही था. अब वो जिस्म एक 16 साल की, गोरी-चिकनी सी,जवान और सुंदर लड़की का था जिससे मैं बुरी तरह से चोदना चाहता था.
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11-01-2018, 12:13 PM,
#5
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैं थोड़ा आगे बढ़ा और उसके बेड के बिल्कुल पास मे जाकर खड़ा होने ही वाला था उतने मे मेरा पैर ज़मीन पर रखे एक टेडी पर गिरा. अब चूत का नसीब भी ऐसा था कि वो टेडी को दबाने से उसमे से सिटी की आवाज़ निकलती थी. मेरा पैर जैसे ही पड़ा,उसमे से ज़ोर से सिटी निकली. अब कयि लोग ये सोच रहे होगे कि जब मैने आकांक्षा को आवाज़ लगाई और वो नही उठी तो एक सिटी की आवाज़ से क्या घंटा उसकी नींद खुलने वाली थी? काश दोस्तो, जो आप सोच रहे हो वो सच होता. मगर ये खंबख़्त हमारी एअर. सीटी लो फ्रीक्वेन्सी की होती हैं और हमारे कान लो फ़्रेक़ुएकनी वाली आवाज़ो की तरफ ज़्यादा सेन्सिटिव होते हैं. (माफ़ करना यारो, साइन्स से कुछ ज़्यादा ही प्यार हैं तो एक्सप्लेन करने से रोक नही पाया अपने आप को.) हम तो जैसा कि मैं कह रहा था, मेरा पाँव ज्यों ही उस कम्बख़्त टेडी पर पड़ा, आकांक्षा की नींद खुल गयी. अब भी वो अपने पेट के बल सोई थी तो उसे मैं दिखाई नही दिया. मेरी गान्ड फटने लगी. इसलिए नही कि उसकी नींद टूट गयी और मैं वहाँ उसके रूम मे था. डरता तो मैं उसके बाप से भी नही था. सॉरी,आक्च्युयली डरता था. ही हप्पेंड टू बी माइ बाप ऑल्सो! मेरी फटी इसलिए क्योकि मेरा लंड पूरी जवानी मे था और शॉर्ट्स ढीला होने की वजह से बड़ा सा तंबू बन गया था. अब इतना सब कुछ सोचने मे मुझे 2-3 सेकण्डस लगे और उतने मे ही आकांक्षा कब पलट गयी मुझे पता ही नही चला. और जैसा की मुझे एक्सपेक्टेड था,जैसे ही उसने मुझे देखा, वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी;

आकांक्षा: तू????!! तू यहाँ क्या कर रहा हैं?? मुंम्म्मी!!!!!......
मुझे बड़ा टेन्षन आ गया. मगर तभी मुझे अचानक याद आया कि मम्मी ने ही तो इसे आवाज़ लगाने कहा था. मैं झट से बेड पर बैठ गया और उसके मूह को अपने हाथ से बंद कर दिया.
मे: चिल्ला मत!! तुझे इतनी आवाज़ दी, डिन्नर करने लिए मगर तूने कोई जवाब नही दिया. 3-4 बार मैने नॉक किया मगर तेरे मूह से कुछ नही फूटा.तो मुझे फ़िक्र होने लगी तो मैने अंदर आ गया. इतने घोड़े बेच कर सो रही थी तू. मम्मी डिन्नर के लिए कह रही हैं. आकर खाले. समझी?
मैने उसकी ओर देख कर उसे कहा. मगर वो फिर भी कुछ ना बोली...
मे: अर्रे! बहरी हो गयी क्या?? बकेगी कुछ? 
तो आकांक्षा ने,"मूऊव्व.;,मूओोव्.." ऐसी आवाज़ की. तब मुझे रियलाइज़ हुआ कि उसका मूह मैने बंद कर रखा हैं.
मे: ओह्ह..सॉरी! नीचे आकर खाना ख़ाले.
आकांक्षा : हाँ ठीक हैं.
इतना कह कर मैं बेड पर से उठ गया और बाहर जाने लगा. तभी;
आकांक्षा: सुन!!?
मे: अब क्या?? बोल जल्दी. भूक लगी हैं मुझे.
आकांक्षा: हा.. हा..इतना क्यू चिढ़ रहा?
मे: हाँ तो फर्माओं मेडम जी.
आकांक्षा: तूने कहा मैने जवाब नही दिया तो तुझे फ़िक्र होने लगी थी?
मैं उसका सवाल सुन कर ज़रा शांत हो गया. आज पहली बार उसने ये अजीब सा सवाल पूछा था. मैने एक नज़र उसकी ओर डाली. बिस्तर पर वाइट टीशर्ट और पिंक शॉर्ट्स पहन कर बैठी हुई इस काले,घने बालो वाली, गोरी चीत्ति लड़की की ओर. उसके चेहरे पर उसके बालो की एक लट लटक रही थी. मैं आज आकांक्षा को बिल्कुल अजनबी समझ रहा था. जैसे आज पहली बार उसे मिला हू.
आकांक्षा : कहेगा कुछ??!
उसके सवाल ने मुझे अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर खीचा.
मे: हुहह?? उम्म्म... खाना खा ले आकर. 
इतना कह कर मैं रूम से बाहर निकल आया.

मैं नीचे आ गया. आते आते मेरे दिमाग़ मे बोहोत कुछ चल रहा था. काफ़ी सवाल थे जिनके जवाब मैं नही जानता था. मैं सीढ़ियो से नीचे उतर रहा था, अपनी ही धूंन मे! एक एक सीढ़ी मुझे एक गहरी पहेली सी लगने लगी थी. तभी...
वाय्स: सम्राट!!??
मैं सोच रहा था कि यह अचानक मुझे अपनी बेवकूफ़ बेहन के लिए ऐसी फीलिंग्स क्यू आने लगी हैं? आज मुझे पहली बार इस चीज़ का एहसास हुआ था कि एक कुँवारा,कम्सीन और कसा हुआ जवान जिस्म मेरे ही घर की छत के नीचे था. उस जिस्म की मालकिन को मैने हमेशा ही नफ़रत की नज़रों से देखा है और आज मेरे दिल मे उस जिस्म के लिए तड़प पैदा होने लगी थी.
वाय्स: अर्रे सम्राट??!!? 
इस बार उस भारी आवाज़ से मैं अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर खिंचा चला आया. 
मे: हुहह??!! क..क्या??
देखा तो पापा आवाज़ लगा रहे थे. 
पापा: 2 बार आवाज़ दी तुझे. कौनसी दुनिया मे रहने लगा हैं आज कल?
मेरे पापा पेशे से एक डॉक्टर हैं. 48 यियर्ज़ की एज हैं उनकी. 5 फ्ट 11 इंच हाइट और वेट होगा अराउंड 75-80 केजी के बीच मे. अभी भी सर पर के सारे बाल सही सलामत और काले-घने. पापा जब मेडिकल कॉलेज मे थे तब अपने कॉलेज के वेट लिफ्टर हुआ करते थे. नॅचुरली, बॉडी आज भी बिल्कुल कसी हुई थी. और जैसे जैसे उमर होने लगती हैं, वैसे वैसे मर्दो के चेहरे पर एक मेचुरिटी आने लगती हैं जो आज कल एक सेक्स अपील सी हो गयी हैं. कहते हुए गर्व और थोड़ी जलन भी होती हैं, मगर आज भी पापा एक मचो और सेक्सी मर्द लगते हैं. मेरे पापा का नेचर बोहोत ही कूल हैं. ज़िंदगी मे मुझे पापा ने कोई एक बात बोहोत अच्छे से सिखाई हैं तो वो ये है कि, "ऐज लोंग ऐज यू हॅव होप, यू हॅव आ रीज़न टू लिव. दा मोमेंट यू लूस होप ईज़ दा मोमेंट यू लूस दा स्ट्रेंत टू सर्वाइव.!". इसलिए ज़िंदगी मे चाहे कुछ भी क्यू ना हो जाए, मुझे हमेशा पता होता हैं कि मेरे पापा मेरे साथ हैं. 
पापा: अर्रे?? क्या हुआ तुझे? तेरी तबीयत तो ठीक हैं ना? 
पापा ने मेरे माथे पर हाथ रखते हुए कहा.
सम्राट: हाँ..हाँ पापा.. आइ आम फाइन! 
पापा: फिर? ऐसा लग रहा हैं मानो कुछ बोहोत गहरा सोच रहा हैं. सब ठीक तो हैं? कुछ गड़बड़ की क्या महाराज आपने?
पापा ने मुझे छेड़ते हुए कहा.
मे: ओहू! नही पापा. बस कुछ कॉलेज का सोच रहा था.
पापा: फिर तो डिफिनेट्ली तेरी तबीयत खराब हैं.
मे: हहा.. व्हाट आ जोक!!
पापा: अच्छा ठीक हैं! वो आकांक्षा को आवाज़ लगाई तूने खाना खाने के लिए?
आकांक्षा का नाम सुनते ही मेरे दिमाग़ मे फिर से वो सब ख़याल आ गये.
मे: हाँ..लगाई तो. मेडम सो रही थी. (गान्ड उपर करके. मेरे दिल मे आया. और फिर उसकी टाइट गान्ड.आहह..).. वैसे मैने भी नही खाया हैं. किसी को यहाँ कुछ पड़ी हैं या नही मेरे खाने की?
पापा: बेटा!!.. पापा ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा. मुझे आज भी वो दिन याद हैं जब तू छोटा था और मैं तेरे लिए सेरेलेक का डिब्बा लाया था.
मे: हाँ! तो?? वो तो आकांक्षा के लिए भी लाए थे. 
पापा: बिल्कुल सही कहा बेटा तूने. और मुझे वो भी दिन याद हैं जब दूसरे ही दिन मैं तेरे लिए एक और सेरेलेक का डिब्बा लाया था. क्योकि वो तूने महज एक ही दिन मे ख़त्म कर दिया था. 
मैने अपनी नज़र चुराते हुए नीचे देखा. पापा हँसने लगे.
पापा: तो हम तेरे खाने की चिंता ना करे यह बात तू समझ सकता हैं,ऐसा मैं एक्सपेक्ट करता हू. फिर भी, जा ख़ाले खाना. . हम तो चले. गुड नाइट
मे: ओक्क..गुड नाइट पापा..
इतना कह कर मैं डाइनिंग रूम मे आ गया. मम्मी तो ऑलरेडी अपने बेडरूम मे जा चुकी थी और अब पापा भी चले गये थे. मैने किचन मे से प्लेट लेकर डाइनिंग चेर पर बैठ गया. पॉट का ढक्कन उठा कर देखा. अहहहा!!.. भिंडी.. मेरा दिल खुश हो गया. आइ लव भिंडी. मैने सब्जी और 3 रोटी अपनी प्लेट मे ले ली और चेर पर बैठ गया. तभी मैने सोचा कि सब लोग सो गये हैं तो क्यू ना मैं अच्छे से लिविंग रूम मे जाकर मस्त टीवी देखते हुए खाऊ? मम्मी बड़ी स्ट्रिक्ट थी इस मामले मे मगर अभी तो मम्मी थी नही ना..! मैं झट से अपनी चेर पर से उठा और जैसे ही मैं जाने वाला था मेरे दिल मे थोड़ा सा लालच आया और मैने पॉट मे से और थोड़ी से सब्जी लेना चाही. ज्यों ही मैने सब्जी के पॉट मे से सब्जी लेने की कोशिश की, वैसे ही;
"यहाँ बाकी लोग भी हैं खाना खाने के लिए!"
अभी तक तो आप समझ ही गये होगे कि यह किसकी आवाज़ होगी तो. मैने मूड कर डाइनिंग रूम के एंटेरंसे की ओर देखा और सामने आकांक्षा उन्ही कपड़ो मे अपनी कमर पर हाथ रख कर खड़ी थी. उसके गोरे गोरे हाथ, उसकी पतली सी कमर पे थे. वो कमर जो ज़रा सा नीचे जाते ही एक तीखा सा बाहरी मोड़ लेकर उस सुंदर और मांसल गान्ड से जाकर मिल जाती थी. पिंक शॉर्ट्स मे उसके गोरे गोरे थाइस देख कर मेरा ईमान फिर से डगमगा गया. मैं उसके जिस्म को उपर से नीचे देखने लगा था. 
आकांक्षा :हेलो???"
उसके हेलो ने मुझे अपने ख़यालो से बाहर निकाला और मैने कुछ ना कहते हुए सब्जी दोबारा पॉट मे डाल कर लिविंग रूम मे जाने लगा.
आकांक्षा: अर्रे? कहाँ जा रहा हैं? मम्मी ने मना किया है ना कि लिविंग रूम मे नही खाना.
अब मुझे गुस्सा आने लगा था. आकांक्षा की यही आदत से मुझे सख़्त नफ़रत थी. हर बात मे टाँग अड़ने की. उसकी वो गोरी गोरी, चींकनी और लंबी टाँगे.. तभी मैने अपना सिर हिलाते हुए उन विचारो को अपने दिमाग़ से निकालते हुए उसकी ओर गुस्से से देखा और लिविंग रूम की ओर जाते हुआ कहा;
मे: तुझे मम्मी दिख रही हैं यहाँ? नही ना..तो तू तेरा काम कर चुप चाप से.
आकांक्षा: वोही कर रही हू. मेरा भी घर हैं ये और इसका ख़याल रखना मेरा भी काम हैं.
मे: गुड देन! कीप इट अप..ग्रेट जॉब.
इतना कह कर मैं डाइनिंग रूम से निकल गया. हमारे लिविंग रूम मे एक शानदार सा सोफा सेट हैं. ब्लॅक इटॅलियन लेदर, शाइनिंग. अंदर से उसमे स्पेकल मेटीरियल जिसपे बैठ ते ही आपकी गान्ड आपसे कह उठे कि,'वाह! सुकून मिला!". एक 42" का सोनी का एलईडी टीवी था और मेरी मम्मी को इंटीरियर डेकोरेशन का बड़ा शौक हैं. तो फलाना फलाना तरह की चीज़ो से लिविंग रूम सजाया हुआ था. सोफा सेट के बीच मे एक टी टेबल था. एथेनिक डिज़ाइन और टेबल सागवान वुड से बना हुआ. 
मैने टीवी का मेन स्विच ऑन किया और रिमोट हाथ मे लेकर सोफा पे विराजमान हो गया.. 
मे: उफफफफफफ्फ़...!!
मेरे मूह से निकला जैसे ही मैं सोफा पर लॅंड हुआ. इतना अराम्देय था वो. मैने घड़ी देखी. 10:07 हो रहे थे. मैने झट से स्टार वर्ल्ड लगाया. टू आंड ए हाफ में आ रहा था. मेरा फॅवुरेट शो हैं वो. बड़ा ही कॉमेडी. जिन लोगो को पता ना हो उनके लिए शॉर्ट कट मे मैं बता दूं कि दा शो ईज़ अबाउट लिव्स ऑफ 2 में आंड ए किड! 2 भाई. बड़े भाई का नाम चार्ली हैं, जो एक सक्सेस्फुल जिंगल राइटर हैं और एलए के एक शानदार बीच हाउस मे रहता हैं. ना बीवी, ना बच्चा! हर रोज़ नयी लड़की को चोदता हैं और एक आलीशान से ज़िंदगी जीता हैं. ढेर सारा पैसा, ना कोई आगे ना पीछे. इंशॉर्ट आ पर्फेक्ट प्लेबाय लाइफ! और तभी एक रात उसे उसके छोटे भाई आलन का फोन आता हैं,जिसे वो 12 सालो से नही मिला हैं. आलन एक शादी शुदा इंसान हैं,जिसे 8 साल का बच्चा हैं,जेक! आलन का डेवोर्स हो जाता हैं और उसकी कमिनि बीवी उसे घर से निकाल देती हैं और इस तरह से एक बोहोत ही कॉमेडी सफ़र की शुरूवात होती हैं. अब जैसे मैने कहा कि चार्ली एक प्लेबाय की ज़िंदगी जीता हैं. शो मे बोहोत चुदाई की बाते, सुंदर जवान लड़किया और केयी हिलॅरियस किस्से हैं. 
मैने अपने आस पास देखा. पर्फेक्ट अरेंज्मेंट. ग्रेट टीवी, ग्रेट फुड, ग्रेट सोफा..बड़े ही सुकून से मैं खाने का पहला नीवाला लेने ही वाला था कि तभी अचानक;
आकांक्षा: यह क्या लगा रखा हैं तूने टीवी पर?
पीछे से आती आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी. मैने अपना हाथ रोक कर रोटी का नीवाला प्लेट मे डाल दिया और देखा तो आकांक्षा खुद भी एक प्लेट लेकर लिविंग रूम मे खाना खाने आई हैं.
मे: तू यहाँ क्या कर रही हैं?
आकांक्षा: क्यू? लिविंग रूम मे आने की पर्मिशन क्या तुझसे लूँ?
मुझे गुस्सा आना शुरू हो रहा था. मैने किसी तरह से उसे कहा
मे: क्यू? तभी तो बड़ी बकवास कर रही थी. कि.'मम्मी ने ये, मम्मी ने वो!' अब? क्या हुआ?
आकांक्षा: हाँ तो मैं अच्छे से खाती हू. तेरी तरह नही. अनिमल की तरह. 
मैने गहरी साँस ली और सोचा कि क्यू मैं इसके लिए अपना मूड खराब करूँ? एक स्माइल अपने आप को ही दी और नीवाला मूह मे डाला और खाने ही वाला था कि;
आकांक्षा: पीछे! बदल ना... मुझे वो मेरा सीरियल देखना हैं. वो कलर्स लगा ना...ओह्ह...देख 10:12 हो रहे. आधा मिस भी हो गया होगा.
मे: अच्छा हैं! 
आकांक्षा: अर्रे!!! लगा ना..
मे: खुद ही लगा ले ना रिमोट से चेंज करके..
आकांक्षा: बट रिमोट तो तेरे पास हैं ना.!
मे: ओह्ह..यॅ! दट'स राइट! रिमोट तो मेरे पास हैं. तुझे याद हैं मतलब. सो, जस्ट शट दा फू..सी....!..
आकांक्षा: क्या???!! क्या बोला तू?
मे: कुछ नही.. खाना खा चुप चाप से.
आकांक्षा: मुझे पता हैं तू क्या बोला तो. इन बकवास शोज को तुझ जैसे बकवास लोग ही देखते हैं और ऐसी गंदी बाते करते हैं. छी!
मे: हाँ सही कहा तूने. तू मत देख. तू बच्ची हैं. जा अंदर जा.
आकांक्षा: शट अप! बच्ची नही मैं. सब समझता है मुझे.
जैसे ही आकांक्षा ये बोली मैने उसकी ओर देखा. हाँ! सही कहा इसने. बच्ची तो किसी भी आंगल से नही रही ये अब. जिस्म तो ऐसा भर रहा हैं इसका जैसे किसी 20 साल की लड़की का जिस्म हो. मैने एक नज़र डाली. आकांक्षा ने अपने पैर सोफे पर अपनी पालती मार के बैठी थी. जिस वजह से उसकी चड्डी ज़रा उपर सरक गयी थी और उसके गोरे चित्ते मुलायम सी जांघे मुझे सॉफ दिख रही थी. उसने प्लेट अपनी जाँघो पर रखे पिल्लो पर रखी थी और खा रही थी. तभी अचानक मुझे टीवी मे से ज़ोर ज़ोर से हँसने की आवाज़ आई तो मेरा ध्यान उधर गया. देखा तो सीन चल रहा था जिसमे चार्ली अपने बेडरूम मे एक बोहोत ही खूबसूरत और भरे हुए जिस्म वाली लड़की के साथ चुम्मा चाटी कर रहा हैं और उसीके बेडरूम मे नीचे आलन अपने नसीब को कोस रहा हैं कि हर रात को उसका भाई किसी जवान लड़की को ठोकता हैं और वो बेचारा हाथ से ही काम चलाता हैं. सीन मे लड़की रेड कलर की लिंगरीए पहनी थी जो उसके गोरे गोरे बदन पर बड़ी जच रही थी. कोई भी देख कर कह सकता था कि उसके बूब्स आटीस्ट 36 सी तो होगे ही. चार्ली उस लड़की के होंठो को चूस रहा था और उसका हाथ उस लड़की की कमर पर घूम रहा था.
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11-01-2018, 12:13 PM,
#6
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैं सब बड़े इंटेरेस्ट से देख रहा था और तभी मेरा ध्यान आकांक्षा की तरफ गया. देख कर मैं खुद चौंक गया. वो खुद भी बड़े इंटेरेस्ट से देख रही थी. उसका लेफ्ट हॅंड पिल्लो पर था और चेहरा उसी हाथ के पाम मे. जिस वजह से वो थोड़ी झुक गयी थी और उसका टॉप थोड़ा सा नीचे लटक रहा था. आज पहली बार मैने अपनी बेहन की छाती की ओर ध्यान दिया और देखता ही रह गया. किसी पानी भरे हुए बलून को देख कर जो फीलिंग आती हैं,वो फीलिंग मुझे आने लगी. गोरे चिट उसके मम्मो के बीच की गहरी क्लीवेज मुझे दिख रही थी. मुझे अब एहसास होने लगा था की मेरा लंड अब खड़ा होने लगा हैं और अगर जल्द ही मैने अपना ध्यान नही हटाया तो बड़ी और लंबी सी गड़बड़ हो जाएगी. और ज्यों मैने यह सोच कर उपर की ओर देखा, आकांक्षा की ओर मेरी नज़रे मिल गयी और मैं सॉफ देख सकता था कि वो समझ गयी हैं कि मेरी आखे क्या देख रही थी...

मैं आकांक्षा की गोरी गोरी छाती को घुरे जा रहा था. हम दोनो ही टीवी की तरफ नही देख रहे थे. टीवी पर अब भी सीन शुरू था मगर यहाँ, इस रूम मे मेरे और आकांक्षा के बीच एक अलग सा सीन चल रहा था. जो ही हमारी नज़रे एक दूसरे से मिली, मैं सकपका गया और किसी बिल्ली के बच्चे की तरह उसकी ओर देखने लगा. एक पल के लिए तो मानो मेरा दिल ही रुक गया था. मेरे ज़हन मे केयी सारे दृश्य आने लगे थे. आकांक्षा का चीखना -चिल्लाना, फिर मेरे पेरेंट्स का नींद मे से उठ जाना, फिर उनका उनके बेडरूम मे से बाहर आना, सबसे पहले मम्मी का मुझे सोफा पर बैठ कर खाना खाते देखना, उस वजह से ऑलरेडी उनका पारा उपर चढ़ना और अल्टिमेट्ली,आकांक्षा का मेरे पेरेंट्स के सामने अपनी राम-कथा सुनाना और फिर मेरे पापा का मुझे कुत्ते की तरह पीटना या अगर नसीब अच्छा हो तो सिर्फ़ 1 थप्पड़ लगा कर मेरे रूम मे भेज देना. देखा जाए तो मेरी कोई ग़लती नही. हम मर्द बचपन से ही गोल गोल दिखने वाली चीज़ो की तरफ अट्रॅक्ट होते हैं. उसमे भी अगर हम जानते हो कि लड़कियो की छाती कितनी सुंदर होती हैं और ऐसी ही एक सुंदर,कोमल और गोरी-भारी चेस्ट मेरे सामने हो तो नज़र फिसलना लाज़मी हैं. आखे यह नही देखती कि वो किसके बूब्स देख रही हैं. वो सिर्फ़ अपना काम करती हैं. 

अब ये सब मेरे दिमाग़ मे किसी मूवी की तरह चल रहा था और एक बेहद ही फोकस्ड फॅन की तरह मैं एक टक एक दिशा मे देखा जा रहा था,ये सब सोचते हुए. अब दोस्तो, माँ कसम कहता हूँ, मेरा बिल्कुल उस बात की ओर ख़याल नही था कि मैं सोच भी आकांक्षा के बूब्स की तरह देख कर ही रहा था. अब सीन ये था कि जब मैं आक्च्युयली आकांक्षा के बूब्स को घूर रहा था और आकांक्षा ने मुझे रंगे हाथ,आक्च्युयली, रंगे आख पकड़ लिया था, और वो जानती थी कि मैं ये बात जानता हूँ कि उसने मुझे पकड़ लिया हैं,फिर भी मैं दोबारा से नीचे उसके ही बूब्स को ही घुरे जा रहा हू. हालाकी मैं घूर नही रहा था, बल्कि दिमाग़ मे ये कॅल्क्युलेट कर रहा था कि अब मैं पापा का मुझे ज़ोड़ने का वेट करूँ या फट से रूम मे भाग जाउ? मगर, ऐज यूषुयल मेरी फूटी किस्मत, आकांक्षा ये बात नही जानती थी. किसी तरह 10-15 सेकेंड्स के बाद मैं अपनी आखो को आकांक्षा की बॉडी के उपर की मज़िल पर ले गया और देखा तो इस बार आकांक्षा अपनी लेफ्ट आख के उपर की उसकी तीखी आइ-ब्रो को उपर करके अपनी नींबू जैसी आखो से मुझे ऐसे घूर रही थी जैसे शंकर भगवान किसी को भस्म करने से पहले देखते होगे. ऑनेस्ट्ली, मैं वेट कर रहा था कि कब उसकी बड़ी बड़ी आखो से एक लेज़र बीम निकले और मैं भस्म हो जाउ! मगर ऐसा हुआ नही, इनस्टेड आकांक्षा ने बड़े ताव से अपनी गोद पर रखा हुआ तकिया सोफा पर पटका राइट हॅंड से, लेफ्ट हॅंड से अपनी प्लेट उठाई और जाकर किचन के बेसिन मे पटक दी. और सीधा अपने रूम मे चली गयी. 

बॅस! अब मैने सारे भगवानो को याद करना शुरू कर दिया. केयी भगवानो को रिश्वत भी दे दी और उल्टी गिनती करने लगा कि कब और कौनसी साइड से पापा का मजबूत और बेहद बड़ा हाथ मेरे गाल पर लॅंड करता हैं. अंजाने मे मेरी आखे बड़ी हो गयी .

5 मिनट बीत गये और अब भी बमबारी नही शुरू हुई थी. मैं धीरे से सीढ़ियो तक गया और वहाँ जाकर खड़ा हो गया. दिल की धड़कने 440 बोल्ट से भी ज़्यादा तेज़ भाग रही थी. मैं 2 मिनट वहाँ रुका. चमत्कार!!! आकांक्षा ना चीखी ना चिल्लाई, मेरा शरीर भी सही सलामत था और गाल भी नॅचुरल कलर मे ही थे अब तक. मैं नीचे ज़मीन पर नमाज़ पढ़ने की स्टाइल मे बैठ गया और उपरवाले का शुक्रिया अदा करने लगा. किसी तरह मैने झट से डिन्नर ख़त्म किया और चुप चाप,दबे पावं से सीढ़िया चढ़ कर अपनी रूम की ओर जाने लगा. सीढ़िया चढ़ने के बाद,लास्ट सीढ़ी पर पैर रखते ही मैने चोर की तरह आगे झुक कर हॉलवे के राइट साइड मे देखा. मैं देखना चाहता था कि आकांक्षा के रूम का दरवाजा बंद हैं या नही? नसीब अच्छा था, दरवाजा बंद था, मगर लाइट चल रही थी अंदर की. अब जैसा कि मैने कहा कि हम दोनो के रूम्स आमने सामने हैं और बाथरूम लेफ्ट से स्ट्रेट. मैं नही चाहता था कि मुझे चलता देख कर आकांक्षा अपने रूम से बाहर निकले तो मैं बड़े ही धीरे धीरे आगे चल रहा था,इस बात का पूरा ध्यान रखते हुए कि आवाज़ ना हो. फाइनली मैं आकांक्षा के रूम से 3 फुट की दूरी पर था और मेरा रूम सिर्फ़ 7 फुट की दूरी पर. मैने धीमे से अपने कदम बढ़ाए और तभी;

आकांक्षा: अभी आगे बढ़ेगा या मारु एक लात तुझे पीछे से??

जैसे ही मैने ये सुना मेरे मूह से चीख निकली. गान्ड फट कर हाथ मे आ गयी. देखा तो आकांक्षा बाथरूम मे से निकल कर अपने रूम मे जा रही थी और मैं चूतिया की तरह उसके रास्ते मे था. मैं झट से पलट कर आकांक्षा की ओर देखने लगा. सेम एक्सप्रेशन्स थे जो 5 मिनट पहले लिविंग रूम मे थे. मैने फिर से उपर वाले को याद किया और कहा;
मे: ओह्ह्ह..! उम्म.. हहा!.. मैं तो सोने ही जा रहा था.
आकांक्षा: तो क्या आज तक वालो को बुलाऊ?? जा ना.
मैने सोचा बेटा सम्राट, यहाँ रुके रहे तो ये तेरे आँड काट देगी. भागो!
मे: हुहह? नही नही.. जा रहा.. गुडनाइट..
इतना कह कर मैं सूपर फास्ट स्पीड से भाग कर अपने रूम मे चला गया और डोर लॉक कर दिया. मैं अपनी रूम मे आया, सबसे पहले साँस ली. देखा तो टी शर्ट पसीने से थोड़ी गीली हो गयी थी. मैने अपने आप से ही कहा,"साले गान्डू!". टी शर्ट निकाल कर मैं सिर्फ़ शॉर्ट्स मे ही अपने बेड पर लेट गया. जो कुछ हुआ वो सब मेरे दिमाग़ मे आने लगा. मैं सोचने लगा कि अगर वो कल किसी से कुछ कहती हैं तो मैं तो गया काम से! अब नींद तो आनी मुश्किल ही थी. मैं 2 मिनट बाद अपने बेड पर से उठा. तभी मुझे कुछ याद आया.स्टडी टेबल पे रखे हुए वायलेट मे से मैने वो सिम निकाला. मेरा सीक्रेट सिम!. मोबाइल मे डाला और ऑन कर दिया. 10:37 हो रहे थे. मेरे पास सॅमसंग गॅलक्सी स्मार्ट फोन हैं. डॅम सेक्सी फोन! बस स्टार्ट होने मे ज़रा टाइम लगता हैं. ऑल दा सॉफ्टवेर न्ड ऑल लोड करने मे. मैने लॅपटॉप अनलॉक किया और एनिग्मा के गाने स्टार्ट कर दिए. अब जिन्होने एनिग्मा नही सुना उसने कह दूं कि एनिग्मा के सॉंग्स बड़े ही सूथिन्ग और सेनुयल होते हैं. मोस्ट्ली वो किसी मूवी के सेक्स सीन मे प्ले किए जाते हैं. मैने सोचा नींद नही आ रही तो क्यू ना सूथिन्ग म्यूज़िक सुन लिया जाए. शायद नींद आ जाए. सॉंग्स लगा कर मैं अपने बेड पर आ गया. कुछ सेकेंड्स के बाद ही मेरा मोबाइल बजा. देखा तो कोई टेक्स्ट आया था. मैने देखा तो मेसेज था;
"हू'ज दिस?"
मैं अपने बेड पर से उठ कर बैठ गया,एग्ज़ाइट्मेंट मे. वो मसेज यूथिका का था. मैं झट से रिप्लाइ कर दिया,
"हे, इट्स मी. मेरा_लंबा. वी मेट ऑन दट साइट. यू गेव मी युवर नंबर."
मेरा स्क्रीन नेम मेरा_लंबा ही हैं. अब मैं बड़ी उत्सुकता से उसके रिप्लाइ का वेट करने लगा. तभी;
"हू?? आइ डोंट रिमेंबर टॉकिंग टू यू. हाउ दा हेल डिड यू गेट माइ नंबर? स्टॉप टेक्स्टिंग मी ओर आइ विल ब्लॉक यू. गुडबाइ!"
उसका रिप्लाइ पढ़ कर मेरा दिमाग़ गरम हो गया. एक तो साली ने खुद अपना नंबर दिया और अब चूत्कि को याद भी नही. मैने गुस्से मे उसको कॉल किया. 2 रिंग्स जाते ही उसने फोन काट दिया और एक टेक्स्ट की;
"आइ टोल्ड यू नोट टू टेक्स्ट मी. सो, डोंट कॉल मी आइदर.. समझ नही आता क्या?"
अब पानी सिर के उपर जा रहा था. मैं बहुत गुस्सा हो गया, मैने भी रिप्लाइ कर दिया;
" हेलो? लिसन, मिस आंग्री! एनफ विद युवर आटिट्यूड. तू कोई हेरोयिन नही कि तेरे नंबर के लिए मैं मर मर कर रहा हूँ या तेरा नंबर कही से लीक हो कर मेरे पास आ गया. समझी? आइ डोंट गिव आ फक हू एवर यू आर, ब्लडी कॉल गर्ल. यू गेव मी युवर नंबर, यू सेड युवर नेम वाज़ यूथिका. आइ सेव्ड युवर नंबर आंड फर्गेट अबाउत इट. सोचा मेसेज कर के देखता हू. नाउ यू फक ऑफ!"
इतना कह कर मैने फोन पटक दिया. मुझे बहुत गुस्सा आ गया था. मैं अपने आप से ही बात करने लगा;
"भैनचोद साली! माँ की चूत उसकी. आटिट्यूड दिखा रही थी. साली ये लड़किया अपने आप को समझती क्या हैं.? एक चूत,एक मांसल गान्ड और 2 बूब्स के अलावा और क्या हैं उनके पास? कुतिया, साली जो देखो वो करेगी,जिसके साथ चाहे करेगी. मेरा दिल तोड़ने का हक़ किसने दिया ....."
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11-01-2018, 12:13 PM,
#7
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
इतना कहते ही मैं रुक गया. मुझे एहसास हो गया था कि एक कड़वाहट, ये गुस्सा मुझे यूथिका पर नही, ना ही बाकी लड़कियो पर. मेरे दिल मे अब भी नेहा के लिए फीलिंग्स थी जो अब नफ़रत मे तब्दील हो रही थी. मैने अपने आपको ठंडा किया. गहरी साँस लेने लगा. मुझे पता था कि अब अगर वो लड़की हैं तो बिल्कुल मेसेज नही करेगी. मैने सोचा अब वो सिम ऑन रख कर कोई फ़ायदा नही हैं तो क्यू ना स्विच ऑफ कर दिया जाए. स्विच ऑफ करने के लिए मैने जो ही फोन उठाया वो अचानक से वाइब्रट हो उठा और मेरे हाथ से छूट कर नीचे ज़मीन पर गिर गया. ज़मीन पर गिरने की वजह से फोन एक लाश के जैसा हो गया था. उसका बॅक कवर एक तरफ,बॅटरी अलग और मैं बॉडी कही ओर. मैने फोन के अंजर पंजर उठाए और सिम फिर से अंदर डाला. मगर पता नही क्यू मेरा दिल नही माना. मैने वो सिम फिर से अपने वॉलेट मे डाल कर अपना रेग्युलर सिम ऑन कर दिया और फोन फ्लाइट मोड पर डाल कर मैं सो गया. कल सनडे था. मैने अपने आप से कहा;
"सनडे हैं तो क्या हुआ? ये तक़लीफ़ तो हफ्ते के सातो दिन रहती हैं. सनडे को छुट्टी तो नही मिलेगी." 
आज भी मुझे यकीन नही हो पा रहा था कि एक लड़की जिससे मैं बेहद प्यार करता था, मुझे छोड़ कर चली गयी. जिसके साथ मैं अपना फ्यूचर देख सकता था वो मेरे आज मे से चली गयी. जिस लड़की पे मैं अपने सबसे अच्छे दोस्त से भी ज़्यादा भरोसा करता था, वो उसी दोस्त के साथ मुझे छोड़ कर चली गयी. इन सब ख़यालो मे मैं खोता गया और पता ही नही चला कि कब नींद ने मुझे अपने आँचल मे ले लिया और मैं सो गया

अगली सुबह रेडी होकर मैं कॉलेज जाने के लिए अपने घर मे से निकला. बाइक निकली. और रास्ते से लग गया. पता नही मगर आज रास्ता पूरा सुनसान था. सुबह के 9 बजे ऐसा लग रहा था जैसे की मानो रात के 3 बजे हो. ना ही कोई ऑटो रिक्शा, ना कोई दूसरा इंसान और ना कोई और. एक दम सुनसान सड़क पर सिर्फ़ मैं अकेला ही गाड़ी चला रहा था. बाइक चलाते चलाते ही पता नही क्यू मगर मुझे एहसास हुआ कि ये रोड भी मेरी ज़िंदगी की तरह हैं. खाली. सुनसान!! मैं आगे बढ़ने लगा और एक चौक सामने दिखाई देने लगा.तभी कुछ आगे मुझे एक बाइक दिखी. दूर से लग रहा था कि प्लेषर थी. मैं अपने ख़यालो मे से बाहर निकला और रास्ते पर ध्यान देने लगा. मैने सोचा कि चलो अच्छा हैं. सब नॉर्मल हैं. कोई तो दिखा रास्ते पर. मैं आगे बढ़ने लगा. धीरे धीरे मैं उस गाड़ी के नज़दीक पहुँच रहा था और मेरे और उसके बीच की दूरी कम होने लगी थी. देखा तो कोई लड़की रोड की साइड मे उसकी बाइक खड़ी कर के रुकी थी. मुझे लगा शायद मेडम की गाड़ी खराब हो गयी हैं और लिफ्ट माँगने वाली हैं. मेरा मूड अब भी रात की वजह से खराब था और मैने बाइक की स्पीड बढ़ा दी इस कोशिश मे कि झट से मैं उसे क्रॉस करके आगे निकल जाउन्गा. तब इन लड़कियो को अपनी औकात समझ मे आएगी. यह समझ मे आएगा कि हम लड़को को सिर्फ़ जिस्म की भूक ही नही होती,बल्कि वो इंसान भी देखते हैं. मैं स्पीड से आगे बढ़ने लगा और एक नज़र उस लड़की की तरफ डाली. वो लड़की का हाथ धीरे धीरे उठ रहा था और मैं समझ गया था कि अब ये लिफ्ट माँगने वाली हैं. तब मैं और स्पीड से उसे क्रॉस करके आगे बढ़ गया,बाइक के रिवर मिरर मे उस लड़की की ओर देखते हुए. मैने आक्च्युयली उसे ठीक से देखा ही नही. प्लेषर वाली लड़किया मुझे वैसे भी नही पसंद. 


अब मैने मिररो मे उसे देखा. वो लिफ्ट माँगने के लिए हाथ दिखा रही थी और ज्यों ही उसने अपना हाथ नीचे कर लिया; खह्ककचह....!!!!!!!.. मैने ज़ोर से ब्रेक दबा कर बाइक रोक दी. इतने ज़ोर से कि बाइक स्किड हो गयी और ज़रा सी टर्न हो गयी. जिनके पास पुल्सर हो वो ये बात समझ सकते हैं. मैं बाइक किसी तरह संभालते हुए अपनी बाइक रोकी. साइड स्टॅंड पे खड़ी की. हेल्मेट निकाल कर पेट्रोल टॅंक पर रखा और पीछे की ओर मूड कर ज़रा सा आगे चलने लगा. मैं अब भी शुवर नही था कि जो मैने देखा वो मेरे दिमाग़ की उपज थी या सच मे मैने उसे ही देखा. मैं धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा. जैसे जैसे मैं आगे बढ़ा,वैसे वैसे वो लड़की मुझे सॉफ दिखने लगी. मेरी दिल की धड़कने तेज़ होने लगी थी. पता नही क्यू मगर मुझे बहुत पसीना भी आने लगा था. थोड़ा नज़दीक पहुँचा तो देखा कि वो लड़की मेरी ओर पीठ करके खड़ी हैं. उसका फिगर बड़ा जाना पहचाना लग रहा था, मगर उस वक़्त मैने उस बारे मे ज़्यादा नही सोचा और ज्यों ही मैं उस लड़की के पीछे जाके खड़ा हो गया और कहा;
"उम्म्म..एक्सक्यूस मी?!"
पहले तो मुझे लगा कि उसने सुनी नही. तो मैने दोबारा से कहा;
"हेलो?! एक्सक्यूस मी मिस."
और जैसे ही मैने ये कहा वो लड़की पलट कर मेरी ओर देखने लगी. मेरी साँसे रुक गयी. मैं महसूस कर रहा था कि आक्च्युयली मुझे तक़लीफ़ हो रही थी साँस लेने मे. मैं निशब्द था. किसी पुतले की तराहा मैं वही पे स्तब्ध खड़ा था. काटो तो खून नही, पूछो तो ज़बान नही. इस तरह से! ज्यों ही मैने उस लड़की की ओर देखा मैं अपने आप से कह उठा;
"नो..!!"
वो लड़की अब भी मेरी ओर देख रही थी. उसकी आखे बिल्कुल खाली थी. बिल्कुल भी जान नही थी उन आखो मे. ऐसा लग रहा था जैसे कि रो-रोकर खाली हो चुकी हैं ये आखे, दर्द से भरी हैं आखे जो बस बंद होने का इंतेज़ार कर रही हैं;
"नेहा??"
नेहा: हाई सम्राट.
मे: नेहा? तुम....तुम? क्या कर रही हो यहाँ?
नेहा: इंतेज़ार! 
मे: यहाँ? इस चौक मे,सुनसान रास्ते पर खड़े रहकर तुम किसका वेट कर रही हो?
नेहा: तुम्हारा.
मैं उसके जवाब से सकपका गया. यह क्या कह रही हैं ये लड़की. जो खुद मुझे छोड़ कर चली गयी वो मेरा वेट कर रही हैं. ये सब क्या हो रहा हैं?
मे: क्या?? मेरा? तुम मेरा वेट क्यू कर रही हो?
पता नही क्यू मैं पसीने से भीग रहा था. उसने कोई जवाब नही दिया.
मे: बताओ?? मैने कहा कि तुम मेरा वेट क्यू कर रही हो इस चौक मे? बीच रास्ते मे?
नेहा: क्योकि मुझे लगा कि तुम आओगे यहाँ.
मे: हुहह?
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था. 
नेहा: हाँ.. मैं इस चौक मे खड़ी हू सम्राट. तुम्हारा वेट कर रही हू.मैं भटक गयी हू और मैं जानती थी कि तुम आओगे. 
मे: क्या मतलब तुम भटक गयी.? प्त्छ..खैर छोड़ो. चलो. अब आ गया मैं.
मैं इतना कह कर पलट गया अपनी बाइक की तरफ जाने के लिए. केयी विचार थे मेरे मन मे. आज अचानक नेहा ऐसे कैसे मिल गयी मुझे? यह सब क्या हो रहा हैं? इस सड़क पे और कोई क्यू नही हैं? और पता नही क्या-क्या! मैं ये सब सोचते हुए आगे बढ़ने लगा. थोड़ा आगे जाकर मैं रुक गया. पीछे देखा तो नेहा अब भी वही पर खड़ा थी. मैं दोबारा उस तक गया और कहा;
मे: अर्रे? चलो भी. अब क्या उठाकर ले जाउ?
नेहा: नही! 
उसका वो शब्द मेरी रूह तक चुभा मुझे.
मे: नही?? नही का क्या मतलब हैं? तुम मेरा वेट कर रही थी. तो लो! मैं आ गया. अब चलो भी.
नेहा: नही सम्राट! अब नही. देर हो चुकी हैं.
मे: क्या? नेहा क्या बकवास कर रही हो तुम? किस बात के लिए देर हो गयी हैं. मुझे कुछ समझ नही आ रहा.
नेहा: तुम नही समझोगे सम्राट. मगर अब देर हो चुकी हैं. मैं भटक गयी थी और मुझे तुम्हारी ज़रूरत थी. मैने तुम्हारी तरफ मदद का हाथ भी माँगा था मगर तुम मुझे पीछे छोड़ कर आगे चले गये. अब मैं नही आ सकती. 
मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. मैं पसीने से तर बतर हो गया था. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था. बस ये एहसास हो रहा था कि दिल मे कुछ बोहोत अंदर तक चुभ रहा हैं. ऐसी तक़लीफ़ जो आज कर मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन गयी हैं. कभी साथ नही छोड़ ती.
मे: ने..नेहा??!
नेहा: कभी नही........
और उसके वो शब्द जैसे मेरे ज़हन पर प्रिंट हो गये. मुझसे रहा नही गया. तक़लीफ़,डर इतने बढ़ गये कि मैं चिल्ला उठा और उठ गया. मेरा दिल बोहोत तेज़ी से भड़क रहा था. मैने आखे खोली. तो मैं अपने बेड पर ही था. पसीने से भीगा हुआ मेरा जिस्म रूम के ज़ीरो बल्ब की रोशनी मे चमक रहा था. मैं ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगा. सपना था! ये सब कुछ एक सपना था.
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11-01-2018, 12:14 PM,
#8
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैं अपने बेड पर सिकुड कर बैठ गया. मुझे समझ नही आ रहा था कि करू तो क्या करू? दिल मे अब भी चुभन महसूस हो रही थी. मैने अपनी आखे कस कर बंद कर ली इस कोशिश मे कि शायद ये चुभन कम हो जाए. मगर ऐसा हुआ नही और अचानक मेरे हाथ पर एक आसू टपक गया. मैं रोने लगा. पता नही क्यू मगर उस वक़्त, सुबह के 4:24 बजे, मुझे और कोई रास्ता नही दिखा. सिवाय रोने के. दिल खोल कर रोना ही मुझे सही लगा. आज मैं कयि सालो बाद रोया. मुझे याद भी नही था कि मैं लास्ट टाइम कब रोया था. मगर मुझे उसकी परवाह नही थी. मैं बस इस दर्द को कम करना चाहता था,इस चुभन को अपने दिल से निकालना चाहता था, इस ख़ालीपन से छुटकारा चाहता था. उस वक़्त, मैं बस रोना चाहता था!!

अब मुझे नींद आनी मुश्किल थी. आखे बंद करना भी दुश्वार हो गया था. ज्यों ही मैं आखे बंद करता तो नेहा का चेहरा मेरे सामने आ जाता. और वो मैने नही समझ पा रहा था कि ऐसा आख़िर हो क्यू रहा हैं? हम दोनो को अलग हुए अब ऑलमोस्ट 5 मंत्स हो चुके थे. तो फिर ये सपने का क्या मतलब था? और ये आज क्यू आया? मैं इन सब बातो के बारे मे सोचने लगा. मुझे ऐसा महसूस होने लगा था कि मेरा और नेहा का ब्रेक अप मेरी ही ग़लती की वजह से हुआ. कहते हैं जो हमे सपनो मे दिखाई पड़ता है वो असल मे हमारे ही दिमाग़ मे कही किसी कोने मे छुपा होता हैं,जिसे मेडिकल टर्म मे 'सबकॉनसियस माइंड' कहते हैं. तो क्या ये सपना भी बस मेरे ही दिमाग़ की उपज हैं या कही,डीप-डाउन मेरे दिल मे मैं नेहा के लिए गिल्टी फील करता हू? कही मैने तो उसे नही छोड़ दिया? मेरा दिल ये सवाल बार बार पूछ रहा था. मगर दिमाग़ अपने लॉजिक से काम कर रहा था कि नही, छोड़ा नेहा ने मुझे था. सोई वो थी मेरे दोस्त के साथ. दुनिया मे मेरे सबसे अच्छे दोस्त के साथ. ! उन दोनो ने मुझे धोका दिया था. जिन्हे मैं अपनी जान से भी बढ़कर मानता था ऐसे दो लोगो ने मिलके मेरा दिल तोड़ा था. देअर ईज़ नो फक्किंग रीज़न दट आइ हॅव टू फील गिल्टी अबाउट दट. नो!!


मैं अपने अंदर चल रही इस कशमकश से लड़ रहा था. ताकि किसी तरह से मुझे शांति मिले, मैं चैन से सो सकूँ. मगर आज ये पासिबल नही था. मैने टेबल पर रखे मोबाइल मे टाइम देखा. सुबह के 5:04 बजे थे. अभी दिन शुरू ही हो रहा था. मैने सोचा कि अब नींद नही आने वाली तो चलके रन्निंग को ही जाकर आता हूँ. जिस्म थक जायगा तो हो सकता हैं की नींद आ जाए. ऐसी उम्मीद लेकर मैं बेड पर से उठा. मैं जानता था कि आज दिन भर मेरा मूड अच्छा नही रहने वाला. तो जितना कम हो सके दूसरे लोगो के कॉंटॅक्ट मे आउन्गा और ज़्यादा तर अपने ही रूम मे रहुगा आज के दिन. मैं ब्रश करने के लिए अपने बेडरूम से बाहर निकला. जाते हुए मैं आकांक्षा के रूम के सामने से पास हुआ. देखा तो उसके रूम की लाइट ओन थी. मुझे लगा कि अगर ये जागी हुई हैं और अगर इसने मुझे देख लिया तो सुबह सुबह दिमाग़ खाने लगेगी. इसलिए मैं दबे पाव रूम से निकल कर सीधा बाथरूम मे गया. ब्रश किया, फ्रेश हुआ और रूम मे से शूस उठा कर,टीशर्ट पहनते हुए मेन डोर से बाहर निकल गया. 


सुबह सुबह ताज़ा और ठंडी हवा बह रही थी. मैने सोचा कि कम्से कम हवा आज भी सुकून देती हैं. मैं धीरे धीरे रन्निंग करने लगा. मेरे दिमाग़ मे अब भी वो सपना ही घूम रहा था. मैं नही जानता था कि जो कुछ भी हो रहा हैं वो सब क्यू हो रहा हैं? मगर मैं इतना ज़रूर जानता था कि मैने किसी को धोका नही दिया और ना ही किसी का दिल कभी दुखाया हैं. मैं अब तक अपनी घर से ऑलमोस्ट 100 मीटर के डिस्टेन्स पे आ गया था. मेरे कदम जैसे जैसे रफ़्तार पकड़ रहे थे,मेरे ख़यालो की रफ़्तार भी बढ़ रही थी. मैं रास्ते पर भाग आगे ज़रूर रहा था मगर मेरे ज़हन मे मैं वक़्त मे पीछे पीछे जा रहा था. जैसे मैं कोई मूवी का सीन देख रहा हू उस तरह से मेरे आखो के सामने वो वाकिया आ रहा था. मेरा ध्यान रास्ते पर बिल्कुल भी नही था. मैं बस भागते जा रहा था. आज भी मुझे याद था वो दिन. वो मनहूस दिन.
मैं हर रोज़ की तरह सुबह 8 बजे उठ कर रेडी होकर कॉलेज जाने के लिए निकला. ज्यों ही मैने बिके स्टार्ट की उतने मे नेहा का मुझे एक कॉल आया;
मे: हेलो?
"हेलो! सम्राट!"
मैं झट से आवाज़ पहचान गया कि ये नेहा का कॉल था.
मे: हे सन्षाइन..!मॉर्निंग! क्या बात हैं? आज तो सुबह सुबह हमारे प्यार को हमारी याद आ गयी? बड़ा अच्छा जाने वाला हैं लगता हैं दिन मेरा आज.
हुहह! सोचता हू की पता नही क्या सोच कर मैने वो शब्द कहे थे उस दिन.
नेहा: गुड मॉर्निंग सम्राट! कहाँ हैं अभी?
नेहा की आवाज़ ज़रा दबी दबी सी लग रही थी. मुझे लगा शायद सुबह सुबह होने की वजह से मेडम अभी तक उठी नही हैं. इसलिए ऐसी आवाज़ आ रही होगी. मैने ज़्यादा ध्यान नही दिया.
मे: मैं तो अभी घर से निकल रहा हू. 20 मिनट मे प्रॅक्टिकल हैं. तो जल्दी से भाग रहा हूँ. तुम अभी तक नही रेडी हुई? आज कॉलेज नही तुम्हारा? 
नेहा और मैं अलग अलग कॉलेज मे थे. मैं इंजिनियरिंग कर रहा हू और वो मेडिकल. पर्फेक्ट कंबो. डॉक्टर-इंजिनियर! या आटीस्ट मुझे ऐसा लगता था. 
मे: कुछ कहोगी? आज सुबह ही कॉल किया? मूड क्या हैं?
मैने उसे छेड़ते हुए ही कहा!
नेहा: उम्म्म.. तुम आज कॉलेज नही गये तो चलेगा क्या? मुझे मिलना था, कुछ ज़रूरी बात करनी है. 
मे: क्यू? क्या हुआ नेहा? कहो ना. 
मैं बाइक स्टार्ट करके आगे चलने लगा. ऑलरेडी लेट हो चुका था मैं इसलिए मैं बाइक चलाते हुए ही उससे बात करने लगा.
नेहा: नही! ऐसे नही. मिलकर बात करनी हैं.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था. 
मे: पतच्छ..ओह्हो शोना. कहो भी! आज मेरा कॉलेज जाना बोहोत ज़रूरी हैं. आज मेरे प्रॉजेक्ट का प्रजेंटेशन हैं ना! आज नही जाउन्गा तो मार खाउन्गा फिर. 
कुछ वक़्त तक मुझे नेहा की आवाज़ नही आई. और फिर;
नेहा: सम्राट, मुझे ज़रूरत हैं तुम्हारी. प्लीज़ आ जाओ.
अब मुझे टेन्षन आ रहा था.
मे: अर्रे नेहा, बट बताओ तो हुआ क्या हैं? तुम वजह बता नही रही और बार बार मिलने को कह रही हो. चलो ठीक हैं! मैं मिलने आ भी जाता मगर अभी इंपॉर्टेंट काम हैं मुझे. 1 बजे के बाद ही फ्री होउंगा ना नेहा. 
नेहा: क्या कोई वजह होना ज़रूरी हैं क्या? मैं मिलना चाहती हूँ ये क्या सफिशियेंट नही हैं अब तुम्हारे लिए सम्राट?
नेहा की गुस्से से भरी आवाज़ मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी. मैं समझ नही पा रहा था कि ये सब हो क्या रहा हैं और सुबह सूभ नेहा क्यू बुला रही हैं मिलने के लिए? 
मे: तुम नाराज़ क्यू हो रही हो नेहा? इट्स माइ वर्क, आइ हॅव टू बी देअर आंड प्रेज़ेंट माइ प्रॉजेक्ट. क्या तुम नही चाहती कि मैं अच्छा स्कोर करूँ? ये सब क्या बाते कर रही हो तुम नेहा?
नेहा: अभी मैं बस इतना चाहती हू कि तुम,इसी वक़्त यहा मेरे सामने आ जाओ...... प्लीज़!!
नेहा के उस "प्लीज़" की आहट आज तक मेरे कान मे गूँजती हैं. उस एक शब्द मे बोहोत भीख थी. मानो नेहा की ज़िंदगी फसि हो उसमे.
मे: नेहा? प्लीज़ बताओ कि क्या हुआ हा.......
इतना मैं कह पाता उतनी वक़्त मे मुझे मेरे कॉलेज के एक फरन्ड का कॉल आया;
मे: नेहा, मैं तुम्हे 2 मिनट मे कॉल करता हूँ. मुझे एक अर्जेंट कॉल आ रहा हैं कॉलेज से. ओके?
नेहा ने कोई जवाब नही दी.
मे: नेहा कुछ तो कहो. ओके?
अब भी कुछ नही और इससे पहले मैं और कुछ कहता नेहा ने कॉल कट कर दिया और मेरे फरन्ड की आवाज़ मुझे आने लगी. मैं बड़ी निराशा से;
मे: हेलो!
"अर्रे? कहाँ हैं तू? अब तक आया नही?"
मे: हाँ पायल. बोल
पायल: अबे बोल के बच्चे.. कब आ रहा हैं? तूने ही तो हमें यहा बुलाया था आ जल्दी ताकि हम प्रेज़ेंटेशन की प्राक्टिज़ कर सके. जल्दी आ. मैं और वरुण दोनो हैं यहा पर. वी आर वेटिंग.
मे: हन. आ रहा हू. ऑन माइ वे!
इतना कह कर मैने कॉल रख दिया और तुरंत नेहा को कॉल किया. बिजी! 2-3 बार ट्राइ किया, बट स्टिल बिज़ी. मैने हार मानके फोन रख दिया और कॉलेज की ओर निकल पड़ा. कॉलेज कुछ 10-12 किमी दूर होउंगा मेरे घर से. 20 मिनट लगते हैं आटीस्ट. मैं कॉलेज पहोचा और बाइक पार्क करके अपने डिपार्टमेंट की ओर बढ़ने लगा. मेरे दिमाग़ मे अब भी नेहा का ही ख़याल आ रहा था कि क्या हुआ उसे? ऐसा क्यू कह रही थी? और ऐसा क्या हो सकता हैं कि वो इतनी तड़प रही थी मिलने के लिए? इन सारे सवालो के जवाब मैं अपने आप मे खोजने लगा कि तभी;

"ओये हीरो?? कितना टाइम लगा दिया तूने? कब से वेट कर रहे हैं हम तेरा? ग्रूप लीडर ना होता ना बेटा तू तो इतना भाव ना देती तुझे!"
उस आवाज़ से मैं अपनी ख़यालो की दुनिया से बाहर निकला.मैने सामने देखा. तो पायल खड़ी थी. पायल मेरी 2न्ड बेस्ट फरन्ड हैं. सबसे पहला मेरा जिगरी वरुण उसके बाद पायल. और नेहा तो जान थी मेरी. पायल और मेरी दोस्ती कुछ 1 साल पहले ही हुई थी. मगर इस एक साल मे ही वो मेरी बोहोत अची दोस्त बन गयी. पायल का नेचर बड़ा ही कूल था. मैने आज तक पायल को कभी गुस्से मे नही देखा. हाँ. एक बार देखा था, जब हमारे सीनियर्स मे से एक बंदे ने उसकी ओर कुछ अजीब नज़र से देखा था. पता नही क्यू और क्या देखा था. पायल दिखती बड़ी ही प्यारी थी. गोरा सा चेहरा. बड़ी बड़ी काली आखे. खरगोश जैसे 2 डाट थोड़े से आगे. मुलायम और बच्चों जैसे उसके गाल थे और बड़े ही घने और बोहोत ही सॉफ्ट से उसके बाल. थोड़े ब्राउनिश कलर के. कपड़े बड़े अजीब पहना करती थी हालाकी वो. हमेशा उसे हम ने आज तक एक जीन्स,स्पोर्ट शूस और अलग अलग स्वेट शर्ट्स मे ही देखा हैं. ढीले से कपड़े पहनती थी. ज़रा सी डंबो दिखती थी उस वजह से. एक ही लड़की थी वो जिसे मैं दिल से दोस्त मानता था. उसके बारे मे कभी भी मेरे दिल मे बुरे ख़याल नही आए और ना कभी आएगे.
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11-01-2018, 12:14 PM,
#9
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मे: हुहह? हा.. सॉरी ट्रॅफिक था. तो लेट हो गया
पायल: ऐसा बच्चू?? ट्रॅफिक होने की वजह से तेरा फोन कैसे बिजी आने लगा? सीधा सीधा बोल ना कमिने, की नेहा के साथ गुफ्तगू चल रही थी.
उसके इस सवाल का मेरे पास जवाब नही था क्योकि मैं खुद ही नही जानता था कि वो सब क्या था जो नेहा कह रही थी. हम बाते करते करते डिपार्टमेंट मे स्टेर्स पर जाके बैठ गये.
मे: हां. उसका भी कॉल आया था.
पायल: ओये होये मेरे रोमीयो!
मे: बॅस कर यार!
पायल: हाँ बाबा.. भड़क मत! चल अभी स्टार्ट करते हैं कि क्या और कैसे करना हैं.
मे: या शुवर. व्हेअर ईज़ वरुण?
पायल: अर्रे उसे कोई अर्जेंट कॉल आ गया था. कह कर गया कि हम दोनो कंटिन्यू करे. वो आ जाएगा कुछ देर मे.
मे: शिट यार. हम तीनो का होना बोहोत ज़रूरी हैं आज. 
पायल: क्यू? तुझे तो पूरा डिज़ाइन पता हैं ना. तूने ही तो बनाया हैं. तो अगर वरुण ना भी हो तो क्या हुआ? और वैसे भी आज सिर्फ़ प्रेज़ेंटेशन हैं फाइनल डेमो नही.
मे: हाँ यार. मैने ही बनाया हैं. मगर वो एंबेडेड सर्क्यूट्स तो वरुण के हैं. उसे ही कॉनफिगरेशन पता हैं, मुझे नही.
पायल: यार ये तो गड़बड़ हो गयी. कामीने ने मुझे ऐसा कुछ नही बताया.
मे: आइ'ल्ल कॉल हिम. 
मैने पायल से थोड़ा दूर होकर वरुण को कॉल लगाने लगा. रिंग जाती रही मगर वो फोन नही उठा रहा था. मैने दोबारा से ट्राइ किया. 3 रिंग्स जाने के बाद उसने कॉल उठाया.
वरुण: हेलो?
मे: अब्बे हेलो के बच्चे भेन्चोद तू हैं कहाँ? तू जानता हैं ना कि आज प्रजेंटेशन हैं हमारा? और तू हैं कहाँ पर? आकर वापिस गया.
वरुण: उम्म्म..वो.. वो..सम्राट..वो..
मे: अबे चोदु आगे तो बोल कुछ. वो वो.. क्या लगा रखा.? जल्दी आ. 5 मिनट मे.
वरुण: ठीक हैं. आता हूँ.
इतना कह कर उसने फोन रख दिया.
पायल: क्या बोला?
मे: आ रहा हैं. साला ये वरुण ना. कभी नही सुधरेगा. ज़रूर किसी लड़की के चक्कर मे होगा साला. आने दे उसे. देखेगे कामीने को.
पायल: हाँ हाँ. ठीक हैं.अब तू रिलॅक्स कर न्ड लेट्स फोकस ऑन दा प्रेज़ेंटेशन. मैने सारे माइक्रोप्रॉसेसर न्ड इसी'स चेक कर लिए हैं. ऑल डन.
मे: गुड! कोड तो कल तक ठीक चल रहा था तो एक्सपेक्ट करता हू कि आज कोड एक्सेक्यूट हो जाए. बॅस ये वरुण आ जाए. प्रेज़ेंटेशन 15 मिनट स्टार्ट होगा. सुन! हम सीधा क्लासरूम मे जाते. सेटप करते. तब तक तुझे फ्रेश होना हैं तो होज़ा न्ड लेट्स मीट इन 10 मिनट.ओके?
पायल:कूल!
पायल ने एक आख शरारती अंदाज़ मे मारते हुए कहा.

मैं बाय्स टाय्लेट मे घुस गया. सूप्राइज़िंग्ली आज खाली ही था. मैने सोचा कि प्रेज़ेंटेशन स्टार्ट होने से पहले एक बार तो नेहा से बात करलू. नही तो तब तक मेरा दिल नही लगेगा. मैने अपना फोन निकाला और नेहा को कॉल किया;
'दा नंबर यू आर कॉलिंग ईज़ स्विच्ड ऑफ. प्लीज़ ट्राइ आफ्टर सम्टाइम.'
मैने दोबारा से उसे कॉल किया. अगेन दा सेम मेसेज. मुझे अब टेन्षन आने लगा था. मैं टाय्लेट केवाश बेसिन मे अपना फेस वॉश किया और सामने के मिरर मे देखा. परेशानी मेरी आखो मे सॉफ दिख रही थी. मैं समझ नही पा रहा था कि आज आख़िर नेहा को हुआ क्या हैं? मैने 1 बार और फेस वॉश किया. हाथ पॉच कर मैं टाय्लेट से बाहर निकला कि तभी मेरा मोबाइल वाइब्रट हुआ. मेरी तो मानो जान मे जान आ गयी. मोबाइल अनलॉक किया तो देखा की पायल का मेसेज आया था. 
"कम टू दा लॅब राइट नाउ. जोशी सर बुला रहे हैं"
मैं मायूस हो गया. अपना मोबाइल मैने साइलेंट मोड पर डाल दिया और लॅब की ओर चलने लगा. जैसे जैसे मेरे कदम आगे बढ़ रहे थे,वैसे वैसे मेरे दिल मे काई सारे ख़याल आ रहे थे. फाइनली मैं लब के एंट्रेन्स तक पहुच गया. अंदर जाने से पहले मैने एक बार फिर मोबाइल चेक किया. नतिंग. मैने एक गहरी साँस ली और लॅब मे एंटर हो गया. लॅब मे देखा तो 3 टीचर्स ऑलरेडी पहुँच गये थे और कुछ डिस्कशन कर रहे थे. मैने पोलाइट्ली उन्हे गुड मॉर्निंग कहा और लॅब के एंड मे रखे हुए टेबल के पास चला गया. देखा तो पायल ऑलरेडी वहाँ वेट कर रही थी. मैने टेबल पर नज़र डाली. मेरे पिछले 3 मंत्स की मेहनत वहाँ पर रखी हुई थी. मेरा प्रॉजेक्ट. पूरे क्लास मे एक हमारा ही ग्रूप था जिसने आक्चुयल रियल टाइम बेस्ड प्रॉजेक्ट बनाया था. आइ वाज़ वेरी प्राउड ऑफ माइ डिज़ाइन. कयि घंटो की मेहनत थी उसमे हम सबकी. बेसिक डिज़ाइन से लेकर टू फिनिशिंग टच तक मैने इससे बनाने मे मेहनत की थी. मैने पायल की ओर देखा. वो मुस्कुरा रही थी मेरी ओर देख कर.
पायल: बेटा! अब बस निहारता ही रहेगा इसे या स्टार्ट करें?
मे: हाँ हाँ. क्यू नही? वेट आ मिनट! वरुण कहाँ हैं? 
पायल: वो आया नही अब तक.
मे: क्या?? फक्क..
मैने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से 'फक' कह दिया.इतनी ज़ोर से कि कुछ फीट पर खड़े लॅब असिस्टेंट को भी वो सुनाई दिया. मैने नीचे देखते हुए 'सॉरी' कहा.
मे: अभी तक क्यू नही आया वो? 
पायल: यार मुझे क्या पता? मुझे बड़ी टेन्षन हो रही हैं.
मे: अब टेनस्षन लेकर क्या करेगी तू? उससे आख़िर तूने जाने ही क्यू दिया?
पायल: सम्राट तू मुझे पर क्यू भड़क रहा हैं? मैं उसकी माँ तो नही कि मैं उसे मना करूगी कही जाने से. और वो कह कर गया था कि 10 मिनट मे आ जाएगा. उसे बस कॉल आया और वो चला गया. मेरी क्या ग़लती हैं उसमे?
मे: ओके.. आइ आम सॉरी. मेरा मूड सुबह से ही.......
मैं पूरा कह पाता कि पीछे से जोशी सर ने आवाज़ लगा दी.
'सम्राट?'
मैने पीछे देखा और सर के सामने जाकर खड़ा हो गया.
मे: यस सर?
जोशी: आर यू रेडी फॉर दा प्रेज़ेंटेशन? 
मे: उम्म्म..यस सर. दा प्रॉजेक्ट ईज़ रेडी बट...
जोशी: बट?? बट व्हाट? आर यू रेडी ओर नोट?
मे: यस सर वी अरे. वी आर जस्ट वेटिंग फॉर और थर्ड पार्ट्नर वरुण.
जोशी: व्हाट डू यू मीन बाइ 'वेटिंग'? ही शुड हॅव बीन हियर ऑलरेडी. व्हेअर् ईज़ ही?
मे: आइ आम सॉरी सर. ही केम टू कॉलेज बट ही हॅड टू गो फॉर 10 मिनट. ही विल बी हियर अट एनी मोमेंट सर.
हम बात कर रहे थे. उतने मे ही हमारा कॉन्वर्सेशन मीनल मेडम ने सुन लिया. वो बड़ी ही कमिनि औरत हैं. 
मीनल: सो यू एक्सपेक्ट अस टू वेट फॉर हिम टू कम? 
मैने उसकी आवाज़ सुन कर पीछे देखा और कुछ कह पाता इससे पहले ही वो खुद बोल पड़ी;
मीनल: दिस ईज़ हाइली अनॅक्सेप्टबल. वी हॅव केम हियर टू सी दा प्रेज़ेंटेशन ओर युवर प्रॉजेक्ट आंड यू आर नोट ईवन प्रिपेर्ड फॉर इट.
मे: नो मेडम! वी आर रेडी. इट्स जस्ट...
मीनल: जस्ट व्हाट?? 
फिर से मेरी बात काटते हुए उसने कहा.
मे: वरुण विल बी हियर इन 5 मिनट मेडम. प्लीज़! कॅन यू वेट फॉर 5 मिनट? आइ विल कॉल हिम. ही विल बी हियर फॉर शुवर.
जोशी: दिस ईज़ नोट प्रोफेशनल सम्राट. वी कॅंट आक्सेप्ट इट. यू आइदर ड्रॉप युवर प्रॉजेक्ट ओर स्टार्ट विदाउट हिम.
मैं कुछ कह पाता उतने मे ही पायल ने कहा.
पायल: सर! वी विल स्टार्ट विदाउट हिम. आइ आम शुवर दट ही विल बी हियर बाइ दा टाइम वी बेगिन. वी आर रियली सॉरी, बुत ही हॅड सम फॅमिली एमर्जेन्सी सो ही हॅड टू गो. अदरवाइज़ ही वाज़ हियर फ्रॉम 7 एम.
जोशी: ओके ओके.. यू कॅन बिगिन.
मीनल: ही बेटर बी हियर!
सम्राट: यस मेडम. यस सर. थॅंक यू!
मैं उस वक़्त बोहोत ही गुस्से मे था. आख़िर वरुण ऐसा कैसे कर सकता हैं. अब तो मैं लॅब मे से उसे कॉल भी नही कर पा रहा था नेटवर्क ना होने की वजह से. मैं मैं टेबल के पास गया और मैने एक लंबी साँस ली, पायल की ओर देखा और कहा;
मे: लेट्स स्टार्ट!
मैं टेबल से ज़रा साइड मे हट कर आगे बढ़ा और प्रेज़ेंटेशन स्टार्ट कर दिया.
मे: गुड मॉर्निंग एवेरिबडी! थॅंक्स फॉर कमिंग हियर. वी आर सॉरी फॉर दा डेले. माइ नेम ईज़ सम्राट. पायल की ओर इशारा करते हुए मैने कहा; शी ईज़ पायल आंड और थर्ड पार्ट्नर विल बी कमिंग हियर एनी मिनट. 
मैने एक नज़र सामने बैठे 3 टीचर्स की ओर डाली. जैसा एक्सपेक्ट किया था, मीनल मेडम गुस्से का लुक दे रही थी. मैने उसकी ओर ध्यान ना देते हुए अपने प्रॉजेक्ट का प्रेज़ेंटेशन स्टार्ट किया. अब दोस्तो मैं आपको बोर नही करना चाहता, प्रॉजेक्ट की टेक्निकल बातो से. सो, मूविंग ऑन. मैने प्रॉजेक्ट का बेसिक आइडिया और सारी डीटेल्स एक्सप्लेन की, वर्किंग आंड कॉनफिगरेशन. पायल ने भी अपना काम बखूबी किया. सब कुछ सही चल रहा था. पर्फेक्ट! मैं काफ़ी खुश था हमारे काम से. मगर आज तो जैसे उपर वाले ने मेरी गान्ड मारने का ही प्लान किया था. मैने प्रेज़ेंटेशन ख़त्म किया;
जोशी: एक्सलेंट वर्क स्टूडेंट्स. कोडिंग ईज़ वेरी एफीशियेंट. ऑल्दो देअर् आर फ्यू लूप इश्यूस. बट गुड वर्क.
मैं और पायल ने साथ मे थॅंक्स कहा और तभी;
मीनल: बट आइ अम मोर कन्सर्न्ड अबाउट दा एंबेडेड सर्क्यूट्स. आइ हॅव फ्यू क्वेस्चन्स अबाउट इट.
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11-01-2018, 12:14 PM,
#10
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
यह सुन कर मुझे उस रांडी मीनल पर बोहोत गुस्सा आया. वो जानती थी कि वरुण ही उन सवालो के जवाब दे सकता हैं और वो अब तक नही आया था. जिस बात का मुझे डर था वोही हुआ और मीनल एक के बाद एक कॉंप्लेक्स सवाल पूछने लगी हमे. हम जितने जवाब दे सकते थे हम ने दिए. मगर ऑफ कोर्स, सही जवाब हम नही दे पाए. 

मैं: आइ आम सॉरी मेडम. आक्च्युयली इट वाज़ वरुण हू डिज़ाइंड दीज़ सर्क्यूट्स. ही हॅज़ बेटर आंड डीटेल नालेज ऑफ देम.
मीनल: सो? आर वी सपोज़्ड टू कन्सिडर आंड अलो युवर इनकॉंपिटेन्स? एक्सक्यूस?
मेरी नज़रें नीचे झुक गयी. 
मीनल: मिस्टर. जोशी. आइ डोंट थिंक दट देयर प्रॉजेक्ट कॅन बी कन्सिडर्ड. आइ रिजेक्ट देयर प्रॉजेक्ट.
ज्यों ही मैने 'रेजेक्ट' सुना मेरा दिल रुक गया और मेरी नज़रें मीनल की ओर देखने लगी. वो कुत्ति,छिनाल एक बड़ी ही कमिनि स्माइल से हमारी ओर देख रही थी. अब मेरे कान खड़े थे सिर्फ़ जोशी सिर के जवाब के लिए. मैं उनकी ओर काफ़ी आस लगा कर देख रहा था. वरुण सिर्फ़ आज नही था. ऐसा आगे से नही होगा. हर धड़कन को मैं महसूस कर रहा था. और आख़िर कार जोशी सर ने कहा;

जोशी: रिजेक्टेड!

मेरे जिस्म का खून सुख गया. मेरी आखे अपने आप बंद हो गयी. 
जोशी: शी ईज़ राइट स्टूडेंट्स. यू हेवेंट गिवन आ प्रॉपर प्रेज़ेनेशन. 
और बस इतना कह कर वो सब लोग अपनी अपनी चेर्स से उठ कर लब से बाहर निकलने के लिए चल पड़े. मैं वही पर ज़मीन को घूरता हुआ खड़ा था. मेरी सारी मेहनत बर्बाद हो गयी थी. पायल मेरा लेफ्ट हाथ पकड़ कर हिला रही थी कि;
पायल: सम्राट! सम्राट! चल जाके सर से माफी माँगते हैं और एक और चान्स के लिए कन्विन्स करते हैं. चल ना.
वो मुझे ज़ोर ज़ोर से हिला रही थी. मगर मैं अंदर से हार मान चुका था. मैं जानता था कि जब तक मीनल हैं, हमे दूसरा मौका नही मिलेगा. इट वाज़ ओवर! ऑल ओवर. जब मैं नही आया तो पायल अकेले ही सर से जाकर भीक माँगने लगी. मिन्नते करने लगी. मगर जैसा की मुझे पता था, कोई फ़ायदा नही था. पायल मीनल से बात कर रही थी और भीक माँग रही थी कि एक और मौका दे दे. मैने पायल के कंधे पर हाथ रखा और कहा;
मे: जाने दे पायल. इट्स नोट वर्त इट. शी वोंट अलाउ अस.
मेरे ये शब्द मीनल के कान पर पड़े तो वो पलट कर मेरी ओर बढ़ने लगी. मेरे सामने आकर उसने कहा;
मीनल: एक्सक्यूस मी? व्हाट डिड यू से? आइ विल सजेस्ट यू टू वर्क ऑर युवर आटिट्यूड सम्राट. 
अब मैं गुस्से से भर गया था. मेरा बस चलता तो खीच कर एक लाफा मारता मैं उस छिनाल के मूह पर मगर ऐसा कर नही सकता था. 
मे: वित ऑल ड्यू रेस्पेक्ट मिस मीनल मेडम, आइ डोंट थिंक तट दा कॉलेज पेस यू टू वरी अबाउट माइ आटिट्यूड. सो आइ डोंट थिंक दट इट्स एनी ऑफ युवर बिज्निस. थॅंक्स फॉर लेट्टिंग अस प्रेज़ेंट और प्रॉजेक्ट.यू हॅव आ गुड डे!

इतना कह कर मैं आगे बढ़ गया. इस बार मीनल कुछ नही बोली. मैने पायल का हाथ पकड़ कर अपना सामान उठा कर लॅब से निकल पड़ा. अब मैं कॉलेज अटेंड करने के मूड मे नही था. बिल्कुल भी नही था. तो हम डिपार्टमेंट से निकल कर सीधा कॉलेज के ग्राउंड पर चले गये. अभी 9:47 हुआ था. ग्राउंड ज़्यादा तर खाली ही होता हैं. हम जाकर स्टेर्स पर बैठ गये. मेरी सारी मेहनत बर्बाद हो गयी. सिर्फ़ और सिर्फ़ वरुण की वजह से. आख़िर ऐसा क्या हो सकता हैं, इससे भी ज़्यादा इंपॉर्टेंट जो वो इस तरह से गायब हो गया. मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता हैं वो. वो खुद भी जानता था कि कितनी मेहनत की थी उस प्रॉजेक्ट पे मैने. देन व्हाई दा फक ईज़ दिस हॅपनिंग? मैं अपने आप से ही बाते करने लगा था. मेरी राइट साइड मे पायल बैठी थी;
पायल: ये सब क्या हो गया सम्राट? आख़िर वरुण हैं कहाँ पर? तू अभी उसे कॉल कर. मैं जान ले लुगी उस कमिने की. तू कॉल कर उसे.
मैने कोई जवाब नही दिया. पायल समझ गयी और उसने खुद ही वरुण को कॉल लगाई.
पायल: रिंग तो जा रही हैं. 
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