vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:14 PM,
#11
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
अब मैं इस दुनिया मे नही था. अपने ख़यालो मे घूम था. सुबह सुबह नेहा के साथ जो हुआ, और अब वरुण ने ऐसा किया. ये सब क्या हो रहा था? 
पायल: हेलो? व्हेअर दा हेल आर यू वरुण? यू स्क्रूड एवेरितिंग.........................व्हाट??,.....................नही यार! आख़िर ऐसा क्या हो गया कि तू हमे इस तरह से छोड़ कर चला गया?.........................बहाने मत बना वरुण. हमारा प्रॉजेक्ट रिजेक्ट हो गया.................ओह्ह रियली?? यू आर सॉरी? वाह.. मेरी तो आखे भर आई...........हाँ. सम्राट यही हैं. कहाँ जाएगा? वरुण कम्से कम उसकी तो सोचता.शिट.!!...............ग्राउंड पर हैं... तू अभी इसी वक़्त यहाँ आ..........आज तो तेरी जान ही ले लुगी मैं..................कौन?? कौन हैं तेरे साथ?......आइ डोंट गिव आ क्रॅप! अभी इसी वक़्त यहा आ...
मैने सब सुना मगर ध्यान नही दिया.
पायल: आ रहा हैं. 
पायल ने मेरे कंधे पर हाथ रखी और बोली;
पायल: चियर अप यार! इतना सॅड मत हो. वी विल फिगर आउट सम्तिंग अबाउट दा प्रॉजेक्ट. मुझे पता हैं तू कुछ करेगा. आइ ट्रस्ट यू. अभी तो तू सिर्फ़ वरुण की जान लेने के बारे मे.................

पायल ये सब कहे जा रही थी. मगर मेरे दिल मे तूफान चल रहा था. सिर्फ़ प्रॉजेक्ट ही नही. मुझे नेहा की याद आ रही थी. मुझे ज़रूरत थी उसकी. मैं बस नेहा की बाहों मे कुछ देर बिताना चाहता था. उसकी बाहो मे होता हूँ तो दुनिया से डर नही लगता, सब सही लगता हैं. उसके जिस्म की खूशबू बड़ा सुकून देती हैं मुझे. उसके सॉफ्ट सॉफ्ट हाथो को पकड़ता हूँ तो मुझे ये एहसास होता हैं कि मेरे हाथ किसी भी मुसीबत से भिड़ने के लिए रेडी हैं. उसकी आखो मे देखता हूँ तो लगता हैं की पूरी ज़िंदगी इन आखो मे देखते हुए ही बिता दूं. चाहे मेरा मूड कितना भी बुरा क्यू ना हो, चाहे कितनी भी बड़ी मुसीबत क्यू ना आ जाए मुझपे नेहा की स्माइल देखता हूँ तो एक ताक़त सी आ जाती हैं अंदर मेरे. अभी मुझे बस नेहा की ज़रूरत थी.
मे: मैं जा रहा हू. वरुण से तू ही बात कर. आइ आम लीविंग.
पायल: अर्रे? मगर तू कहाँ जा रहा हैं? वरुण आता ही होगा यार. 
मैने जैसे पायल की बात सुनी ही ना हो. मैं एक एक स्टेर उतर रहा था. भारी कदमो से आगे बढ़ रहा था. मैं आखरी स्टेर से उतरता उतने मे ही कुछ 100 फुट पर मुझे वरुण हमारी ओर आता दिखाई पड़ा. और ऑलमोस्ट उसी वक़्त मुझे नेहा का कॉल आया.

मैने कॉल आन्सर किया;
मे: हेलो! नेहा! थॅंक गॉड तुमने कॉल किया नेहा. तुम नही जानती मुझे कितनी ज़रूरत थी तुम्हारी आवाज़ सुनने की. कहाँ हो तुम? मैं अभी आ रहा हूँ तुम्हारे पास.
मैं एक ही साँस मे सब कुछ कह गया बिना ये सोचे कि नेहा ने कुछ सुना भी या नही.
मे: नेहा?? मेरी आवाज़ आ आरही हैं तुम्हे? तुम कुछ कहती क्यू नही?
कुछ सेकेंड्स बीत गये मगर नेहा कुछ नही बोली. मुझे लगा नेटवर्क मे कुछ प्राब्लम हैं तो;
मे: आइ थिंक नेटवर्क मे प्राब्लम हैं. रूको. मैं तुम्हे कॉल बॅक करता हूँ.
मैं इतना कह कर बस फोन अपने कान से हटाने ही वाला था कि उतने मे;
नेहा: हेलो! सम्राट.. आइ आम हियर. 
मैने झट से फोन अपनी कनपटी पर दोबारा लगा दिया.
मे: ओह्ह! कुछ कहा क्यू नही फिर इतनी देर? तुम रेडी रहो. मैं तुम्हे 20 मिनट मे तुम्हारे घर मे से पिक अप करता हूँ. आइ हॅव हॅड आ रियली बॅड डे नेहा. आइ रियली नीड यू.
मैं वरुण को धीरे धीरे अपने नज़दीक आते देख रहा था. मेरे दिल मे उसके लिए जितना गुस्सा था वो सब नेहा की बस आवाज़ भर से चला गया था. मैं अब भी स्टेर्स पे ही खड़ा था.
नेहा: सम्राट! उम्म्म.. मैं घर पर नही हूँ! 
मे: घर पर नही हो? मुझे लगा कि तुम्हारा कॉलेज नही हैं आज. तुम घर नही होतो कहाँ हो?
नेहा: मैं आज कॉलेज नही गयी. नोट आटीस्ट अपने कॉलेज.
मे: क्या मतलब नेहा? किसी फ्रेंड के साथ हो क्या? तुम कहो तो मैं तुम्हे वही से पिक अप कर लेता हूँ.
नेहा: नही सम्राट. मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी. इसीलिए कॉल की मैने.
मे: हाँ तो मिल कर बात करते हैं ना. तुम ही तो सुबह कह रही थी ना कि मिलना हैं. आइ नीड टू सी यू नेहा. मैं अभी बोहोत उदास हूँ. इट्स लाइक दा वर्स्ट डे ऑफ माइ लाइफ. तुमसे मिलुगा तो अच्छा लगेगा.
मुझे नेहा की सासों की आवाज़ आने लगी. मैं महसूस कर पा रहा था कि नेहा बोहोत गहरी साँसे ले रही हैं. 
मे: नेहा? तुम्हारी तबीयत तो ठीक हैं ना? तुम कुछ ज़्यादा ही हेविली ब्रेत कर रही हो? क्या हुआ?
नेहा: सम्राट!!?
मैं अब ज़रा परेशान होने लगा था.
मे: हाँ कहो ना!!
नेहा ने एक गहरी और लंबी साँस ली और;
नेहा: सम्राट मैं इस वक़्त तुम्हारे ही कॉलेज मे हूँ.
मे: क्या?? मेरे कॉलेज मे? तुम यहाँ क्या कर रही हो? और हो कहाँ तुम? अभी आता हूँ मिलने तुम्हे.
इतनी देर मे वरुण भी आ गया था. वो मेरे सामने खड़ा था. कुछ 3-4 फीट की दूरी पर. मैने उसकी ओर देख कर उसे एक फिंगर दिखाया. मैं अब भी नाराज़ था उसपर. 
नेहा: मैं यहीं हूँ सम्राट!!
मे: यहीं?? कहाँ पर? 
मैने ग्राउंड पे देखने लगा. कही कोई नही दिखाई पड़ा. बिल्कुल सुनसान था.
मे: मुझे तो कोई नही दिखाई दे रहा! क्यू मज़ाक कर रही हो नेहा?
नेहा: नही सम्राट. मैं मज़ाक नही कर रही. मैं यही हूँ, ग्राउंड पे. जस्ट टर्न अराउंड!
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11-01-2018, 12:14 PM,
#12
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
नेहा के वो शब्द सुनते ही मैं पीछे मूड गया और सामने देखा तो नेहा कुछ 10-15 सीढ़िया उपर खड़ी थी. मैने नेहा की ओर देखा. वाआह! मैने उपर वाले को शुक्रिया करते हुआ सोचा कि इतना सुंदर कोई कभी हो सकता हैं क्या? नेहा ने एक स्काइ ब्लू कलर का कुर्ता और नीचे वाइट कलर की सलवार पहन रखी थी. नेहा ख़ास मेरे कहने पर अपने बालो को कभी बाँधती नही थी. क्योकि वो अपने खुले बालो मे बोहोत ही सुंदर दिखती थी. उसके घने काले बाल. उसका दूध जैसा गोरा रंग और दुनिया मे सबसे गहरी आखे मैने किसी की देखी हो तो वो नेहा की ही थी. बिल्कुल काली रात से भी काली और किसी महासागर से भी गहरी. बचपन से स्पोर्ट्स टीम मे होने की वजह से नेहा का जिस्म बड़ा ही कसा हुआ था. और वो स्लीवेलेस्स कुर्ता उसके जिस्म को बखूबी जच रहा था. उसके गोरे गोरे हाथ जिनपे बालो का नामो-निशान नही था. नेहा कभी नाइल पैंट नही लगती थी और ना ही मैने कभी उसे मेक-अप करते देखा हैं. ज़्यादा से ज़्यादा टॅल्क या सनस्क्रीन. ज़रूरत ही नही थी उसे. मेरी नेहा दुनिया मे सबसे सुंदर नही थी ये मैं हमेशा से जानता था! आक्च्युयली पायल का चेहरा नेहा से थोड़ा ज़्यादा कोमल था. मगर मैं इतना ज़रूर जानता था कि मेरी दुनिया मे नेहा से खूबसूरत और कोई चीज़ नही थी. जिस दिन मैने नेहा को पाया उस दिन के बाद मुझे और किसी चीज़ के लिए तड़प नही रही. उसकी सादगी, उसकी मुस्कान और सबसे कीमती;उसका दिल!
ज्यों ही मैने नेहा को देखा मेरे चेहरे पे अपने आप मुस्कान आ गयी. कॉल अब भी शुरू था. मैने नेहा से कहा;
मे: वाह! आज कसम खाई हैं क्या कि कॉलेज के हर लड़के को मेरा दुश्मन बना दोगि. क्योकि जिसे मैं देख रहा हूँ उस लड़की से सुंदर तो कोई नही हो सकती.
नेहा ने कुछ नही कहा. वो मेरे तरफ देखे जा रही थी. मैं जल्दी से सीढ़िया चढ़ने लगा और अचानक;
नेहा: नही..रूको सम्राट.
मेरे कदम मानो जम से गये थे. मैं उसी पल रुक गया.
मे: क्यू?क्या हुआ नेहा? 
नेहा ने अपने बाए हाथ से रुकने का इशारा किया और कहने लगी;
नेहा: क्या तुम मुझसे प्यार करते हो सम्राट?
मे: ये कैसा सवाल हैं नेहा?
नेहा: जवाब दो सम्राट. क्या तुम मुझसे प्यार करते हो?
मे: व्हाट नोन-सेन्स ईज़ दिस नेहा? तुम जानती हो कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ. ये तुम्हे हो क्या गया हैं आज?
मैने नेहा की ओर देखा और एक सीधी उपर चढ़ने लगा,तभी;
नेहा: वही पर रूको!
मैने रुक गया और सवालिया नज़रों से मैं नेहा की ओर देखने लगा. अब तक वरुण ठीक पीछे खड़ा था. पायल भी नही समझ पा रही थी की हो क्या रहा हैं?
नेहा: कितना प्यार करते हो तुम मुझसे?
नेहा के ये सवाल मुझे बड़ा अजीब लगा. मैं नही जानता था कि कोई किसी को एक मात्र मे भी प्यार कर सकता हैं. शायद 10 किलो,15 किलो. पता नही!
मे: क्या मतलब? नेहा आइ आम कमिंग देयर.
इतना कह कर मैं आगे बढ़ने ही वाला था कि;
नेहा: नही सम्राट!! अगर तुम आगे बढ़े तो मैं यहाँ से चली जाउन्गी. मैं बोहोत हिम्मत करके आई हूँ यहाँ पे. प्लीज़! 
मैं रुक गया.
नेहा: तो? जवाब दो!
मे: मैं तुमसे इतना प्यार करता हूँ कि अगर तुम इस वक़्त जान के अलावा कुछ भी माँग लो तो मैं दे दूं, तुम्हे सारी ज़िंदगी खुश रखू और जब तक तुम खुश रहना चाहो तब तक मैं ज़िंदा रहूं.
मैने ये कहते हुए नेहा की आखो मे देखा. और फोन पर मुझे एक सिसकी सुनाई पड़ी.
मे: नेहा? नेहा!? तुम रो रही हो? क्या बात हैं नेहा? 
मैं पागल सा हो रहा था. नेहा मेरे सामने खड़ी थी मगर मैं उसको छू नही पा रहा था. मुझे एहसास हुआ कि वरुण मेरे पीछे खड़ा था. मेरा सबसे अच्छा दोस्त. मेरा जिगरी. मैने वरुण से कहा;
मे: वरुण! वरुण! देख ना यार ये नेहा को पता नही क्या हुआ हैं? अजीब सी बाते कर रही हैं. और..और...अब तो रो भी रही हैं. जा! जाके समझा तेरी भाभी को यार. मुझे नही आने दे रही वो.

मैने वरुण से ये सब एक साँस मे हो कह दिया और मैं नेहा को देखने लगा. कुछ सेकेंड्स के बाद मुझे एहसास हुआ कि वरुण पुतले की तरह उसी जगह पर खड़ा था. मैं पीछे मुड़ा और वरुण से कहा;
मे: साले देख क्या रहा हैं? जा जाकर उसे मना. तेरी भाभी को सा............
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11-01-2018, 12:14 PM,
#13
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैं आगे कुछ और कह पाता उतने मे ही वरुण बोला;
वरुण: कौन भाभी सम्राट?
मैं वरुण के इस सवाल से ज़रा चिड गया.
मे: कामीने! अभी सुबह से नेहा अजीब बाते कर रही हैं और अब तू भी.. नेहा की बात कर रहा हूँ. मैं क्या किसी और से प्यार करता हूँ क्या? तू जानता हैं कि एक ही भाभी हैं तेरी. जा जल्दी.
इतना कह कर मैं फिर से नेहा को देखने लगा.
मे: नेहा. आइ अम कमिंग देयर. वही रूको और तुम रोना बंद करो प्लीज़!
इतना कह कर मैने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया और जो ही सीढ़िया चढ़ने के लिए मैने कदम उठाया;
वरुण: मैं जानता हूँ कि तू एक ही लड़की से प्यार करता हैं सम्राट. मगर अब वो मेरी भाभी नही रही.
आज भी वरुण के वो शब्द मेरे दिल मे चुभते हैं. और हर चुभन के साथ मेरे दिल मे से जान निकलती जाती हैं. वरुण ने जो कहा वो सुन कर मैं सकपका गया और तुरंत मैं मूड कर वरुण के सामने चला गया.
मे: क्या?? क्या कहा तूने? फिर से बोल साले! बकवास ना कर. आज तेरी ही वजह से हमारी गान्ड लग गयी और अब तू ऐसी बाते कर रहा हैं? क्या मतलब वो तेरी भाभी नही रही?
मैं अब बोहोत गुस्सा हो गया था वरुण पे. 
वरुण: वही कहा जो तूने सुना सम्राट. तू जानना चाहता था ना कि मैं कॉलेज आकर वापिस कहाँ चला गया? ऐसा क्या काम आ गया था और किसने मुझे कॉल किया था?
मैं अब वरुण की बातो को गौर से सुन रहा था. जैसे नशे की हालत मे से उभरता हुआ आदमी हो वैसे मेरे होश ठिकाने आ रहे थे. मैने लड़खड़ाते हुए पूछा;
मे: क...क्का...कओ.क्या..क्या बात कर रहा हैं तू वरुण?
वरुण: हम दोनो बचपन से साथ हैं सम्राट. किलो से हम दोनो दोस्त हैं. तुझमे और मुझमे ज़्यादा फ़र्क भी नही हैं. अब जबकि तू फिट भी हो गया हैं तो लोग हमे भाई-भाई भी कह सकते हैं. हैं ना?
मे: क्या कह रहा हैं तू? तू जानता हैं कि मैने तुझे हमेशा मेरा भाई माना हैं. यार तेरी मोम को मैं खुद भी मम्मी ही कहता हूँ. 
वरुण: सही हैं. तेरी हर बात सही हैं. तो फिर ऐसा क्यू सम्राट?
मे: क्या वरुण? क्या कैसा क्यू?
वरुण: यही कि बचपन से लेकर आज तक तुझे वो सब मिला जो मुझको चाहिए था. तुझे याद हैं बचपन मे जब हम स्कूल मे स्पोर्ट्स मे पार्टिसिपेट करते थे और तू हमेशा 1स्ट आता था और मैं अक्सर तुझसे चिढ़ता था कि तू मुझे कभी 1स्ट नही आने देता.
मैने 'हाँ' करते हुए अपना सिर हिलाया.
वरुण: क्यू नही तूने कभी आने दिया मुझे 1स्ट सम्राट? एक बार अगर मैं जीत जाता तो क्या तुझपे कयामत आ जाती?

मैं वरुण की कोई बात नही समझ पा रहा था. मगर मुझे ये सॉफ महसूस हो रहा था कि वरुण बोहोत टेश मे था. उसकी नाक फूल गयी थी, आखे गुस्से मे लाल थी और उसकी मुत्ठिया कस्के बंद थी.
मे: हाँ. हाँ. मुझे सब याद हैं वरुण! मगर वो सब बातो का अब क्या मह्त्व हैं वरुण?
वरुण: महत्व?? तू जानना चाहता हैं कि क्यू वो बाते आज तक मेरे दिल मे हैं? कि क्यू केजी से लेकर आज तक मैं तुझसे नफ़रत करता हू क्योकि हर बार तू जीता हैं. जो चीज़ मुझे चाहिए वो हमेशा तुझे मिली हैं. मेरी अपनी माँ मुझसे ज़्यादा तुझको पसंद करती हैं! स्कूल मे सबसे फेमस तू, स्कूल बॉय तू, मेरी माँ का लाड़ला तू, मेरा छोटा भाई भी तुझे अपना बड़ा भाई मानता हैं सम्राट! यहाँ कॉलेज मे भी तुझसे मेरा पीछा नही छूटा. यहाँ भी मैं हमेशा तेरी ही परछाई मे रहा हूँ. ग्रूप लीडर तू. 

वरुण के मूह से अब थोड़ा थूक भी निकल रहा था. वो बोहोत गुस्से मे था. अचानक उसकी नज़र हमारे पीछे खड़ी पायल पे पड़ी और अब वो ऑलमोस्ट चीखते हुए बात करने लगा और पायल से कहने लगा;
वरुण: तुझे तो पता था ना कि इसकी गर्लफ्रेंड हैं? हुहह? फिर भी तू इसे ही पसंद करती हैं? साली मैं नही दिखता क्या? मुझे क्या गे समझती हैं तू?
अब मेरा पारा उपर चढ़ गया था. जब तक वो मेरे बारे मे बात कर रहा था तब तक मैं सह सकता था मगर;
मे: वरुण!!! ज़बान संभाल अपनी. पायल से इज़्ज़त से बात कर और ये बकवास बंद कर और सॉफ सॉफ कह कि क्या बात हैं?
वरुण अब मुझे क्रॉस करके 5-6 सीढ़िया उपर चढ़ गया,नेहा की ओर.
वरुण: मैं चाहता नही,मैं कह रहा हूँ सम्राट. दट आइ हॅव ऑल्वेज़ हेटेड यू. हर बार सब लोग यही कहते थे कि 'सम्राट ये. सम्राट वो'. ऐसी कौनसी एग्ज़ॅम थी जिसमे मैं तुझसे बोहोत पीछे रहा? मगर फिर भी. वो साले कुत्ते स्कूल वालो को तो स्कूल का हेडबॉय तो सम्राट ही चाहिए था. तुझे याद हैं सम्राट आज से कुछ साल पहले जब हम सब एक ही हाइस्कूल मे थे और मैने तुझसे कहा था कि मुझे एक लड़की से बोहोत प्यार हो गया हैं.
मैने यूयेसेस बात को याद किया जिसे अब तक ऑलमोस्ट 4 साल हो गये थे. मगर मुझे अच्छे से याद भी आ गया था.
वरुण: याद हैं? बोल!!
मे: हाँ याद हैं. तो क्या?
वरुण: तब तो तुझे ये भी याद होगा कि तूने मेरा मज़ाक उड़ाया था उस वक़्त. आज भी तेरी हसी मेरे कानो मे चुभती हैं सम्राट. खून जलता हैं मेरा तेरी हसी याद करके. तुझे दोस्त समझ कर बताई थी मैने वो बात.
मे: हाँ याद हैं मुझे. उस वक़्त तो मैं इसलिए हसा था कि तुझे हर 2 महीने मे एक नयी लड़की पसंद आती थी वरुण. आइ आम सॉरी अगर तुझे बुरा लगा होगा तो.
वरुण: मगर उस वक़्त मैने 'प्यार' कहा था सम्राट, 'पसंद' नही कहा था. और अब बोहोत देर हो चुकी हैं सम्राट. तेरे सॉरी होने के लिए. तूने मेरा मज़ाक उड़ाया था और उस मज़ाक मे तूने ये भी जानना ज़रूरी नही समझा कि वो लड़की कौन थी जिससे मैं बेहद प्यार करता था.
बीच मे ही पायल बोल पड़ी.
पायल: वरुण ये सब क्या बकवास कर रहा हैं तू? शराब पीकर आया हैं क्या तू?
वरुण ने गुस्से मे पायल की ओर देखा.
वरुण: तू चुप कर. मौका था तेरे पास और तू गँवा बैठी.
अब मुझसे नही रहा जा रहा था.
मे: क्या मौका? कैसा मौका वरुण? तू ये सब क्या बेतूकी बाते कर रहा हैं? और कौनसी लड़की की बात कर रहा हैं तू?
वरुण के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी जो मेरी आखो मे आज भी मौजूद हैं. नासूर की तरह!


वरुण: वही लड़की सम्राट, जिसे मैं सबसे ज़्यादा प्यार दे सकता था,जिसकी हर मुश्किल घड़ी मे मैं उसके काम आ सकता था,जिसके होंठो की प्यास मैं बुझा सकता था. मगर उस लड़की ने तुझे चुना. तुझे!!

वरुण के होंठो से ज्यो ही ये बात निकली,मुझपे हज़ारों बिजलिया गिर गयी. पैरो के नीचे से ज़मीन खिसक गयी.
मे: नेहा??!!
वरुण: हाँ सम्राट नेहा. तेरी नेहा, जो मेरी नेहा हो सकती थी. 4 साल सम्राट. 4 सालो से मैं उसे प्यार करता हू. दम निकलता हैं मेरा जब जब तुझे उसके साथ देखता हूँ. हर पल अपने नसीब को कोसा हैं मैने. मगर कहते हैं ना, "उपरवाले के घर देर हैं,अंधेर नही". अब मैने उसे तेरा असली चेहरा दिखा दिया हैं सम्राट. कि तू सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने बारे मे ही सोचता हैं ना कि किसी और के बारे मे. नेहा के बारे में भी नही. अब वो जान गयी हैं कि उसे असल मे कौन प्यार करता हैं. अगर मैं तेरी जगह होता और नेहा अगर मुझे कॉल करती तो मैं सारी दुनिया से लड़ कर भी उसके पास जाता. ना कि यहा आकर प्रॉजेक्ट रेप्रेज़ेन्षन देता. क्योकि नेहा मे जान हैं मेरी. यू फक्किंग सेल्फ़-ऑबसेस्ड लूसर.

वरुण ने जैसे मेरे ज़मीर पे एक ज़ोरदार तमाचा मारा हो. मैं आसमान से नीचे गिर पड़ा. मेरी ज़बान हिल नही रही थी. मैने नेहा की ओर देखा जो मुझसे सिर्फ़ 10 फीट पर खड़ी थी. वो 10 फीट भी 1000 किलोमीटर जैसे लग रहे थे. बीच मे वरुण खड़ा था. मैं बोहोत कोशिश कर रहा था मगर कुछ कह नही पा रहा था.

वरुण: अर्ररे? क्यू सम्राट? आज हमारे स्कूल के ऑल टाइम बेस्ट स्पीकर की ज़बान को क्या हुआ? चल नही रही?............
अब मैं सिर्फ़ नेहा को देख रहा था. वरुण की बाते मेरे कानो मे से आर पार जा रही थी. मैं उससे आखो मे ही बाते करने लगा, कि आख़िर क्यूँ? जब आप रीलेशन मे हो तो एक सेन्स डवलप हो जाता हैं. नेहा समझ गयी. वो धीरे धीरे 2 सीढ़िया नीचे उतरी. वरुण अब भी बीच मे था.
नेहा: तुमने मुझे ये बात कभी नही बताई कि वरुण मुझसे प्यार करता हैं!
किसी तरह मैने अपनी ज़बान को मजबूर किया और कहा;
मे: म...म..मैं खुद नही जानता था नेहा. और अगर बता भी देता तो उससे क्या फरक पड़ता नेहा? तुम मुझसे प्यार करती थी और मैं तुमसे.
अब नेहा की आखे भरने लगी थी. उसने सिसकिया लेते हुए कहा;
नेहा: क्या फरक पड़ता???? बिल्कुल पड़ता. इन 4 सालो मे मुझे पता होता कि जब मुझे ज़रूरत हो तो कौन मुझे सहारा देगा? जब मैं भटक जाउ तो कौन मुझे रास्ता दिखाएगा? जब मैं ज़िंदगी मे अटक जाउ तो कौन मेरा साथ देगा?
नेहा के उन सवालो का एक ही जवाब था. मैं! सम्राट. मगर अब वो जवाब नही चाहिए था उसे. 
मे: नेहा! जबसे मैं तुमसे मिला हूँ, उस पल से मैने तुम्हारा साथ दिया हैं, सहारा दिया हैं. ऐसा कौनसा पल था जब तुम्हे मेरी ज़रूरत थी और मैं नही आया? 
नेहा ने मेरी आखो मे देखा और कहा;
नेहा: आज!!
मेरी आखे फटी की फटी रह गयी.
नेहा: आज सुबह मैने तुम्हे कॉल किया. ये भी कहा कि मुझे तुम्हारी ज़रूरत हैं. मगर तुम नही आए. इन पिछले 3 महीनो मे तुमने मुझे वक़्त ही कितना दिया हैं सम्राट? बस तुम, तुम्हारा प्रॉजेक्ट, तुम्हारा कैरियर,पायंटर! ये सब? व्हेअर आम आइ इन युवर लाइफ सम्राट? व्हेयर?
नेहा की आखो से एक आसू टपक कर उसके मुलायम गालो से नीचे होता हुआ ज़मीन से जा मिला. मैं फटी आखो से नेहा को देख रहा था.
मे: नेहा. मेरा प्रॉजेक्ट था. हम सबका था. मैं,पायल और वरुण का भी. 
नेहा: हाँ था. मगर फिर भी जब मुझे ज़रूरत थी तब वरुण आया, तुम नही. सम्राट, मैं ऐसे रिश्ते मे नही रहना चाहती जहाँ सिर्फ़ तुम ही इंपॉर्टेंट हो, और मैं नही. वरुण ने मुझे सच्चाई बताई हैं सम्राट, कि तुम्हारे लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम खुद ही सबसे ज़्यादा ज़रूरी हो. और कोई नही. 
नेहा की इस बात को सुन कर मेरी नज़रें वरुण से जा मिली. जीत का खुमार था उन आखो मे. शैतानी की मुस्कान थी उसके होंठो पर. मेरी आखो मे से आसू तड़प रहे थे निकलने के लिए, मगर मैने किसी तरह से उनको रोक कर रखा था. 
नेहा: नही हैं जवाब मेरे सवालो का? आइ थॉट सो सम्राट. मुझे कोई ऐसा चाहिए जो मेरी ज़िंदगी को भी इंपॉर्टेन्स दे. ना कि सिर्फ़ अपनी. 
नेहा के इस बात से मेरा ध्यान उसकी ओर गया और;
मे: नेहा! लुक, आइ आम सॉरी अगर मैं तुम्हे वक़्त नही दे पाया. बट आइ लव यू नेहा. तुम्हे मेरी ज़रूरत हैं तो मैं हूँ नेहा तुम्हारे साथ. वी विल वर्क इट आउट नेहा. प्लीज़! 
मैने अपनी पूरी जान से, पूरी शिद्दत से नेहा से भीक माँगी कि वो ऐसा ना करे. मुझे एक मौका दे.
नेहा: नही सम्राट! अब नही. देर हो चुकी हैं. 
इतना कह कर नेहा एक कदम पीछे हो गयी और बोली;
नेहा: अब हमारे बीच कुछ नही रहा सम्राट. वी आर डन नाउ!
मुझपर तो जैसे आसमान फट गया. मैं नही मान सकता था. नही.. ये नही हो सकता. ऐसे नही. नेवेर! मैने नेहा की ओर बढ़ने ही वाला था कि वरुण बीच मे आ गया और बोला;
वरुण: रुक जा सम्राट! अब वो मेरी गर्लफ्रेंड हैं. क्योकि हम दोनो एक दूसरे से प्यार करते हैं. स्टे अवे फ्रॉम हर.
इतना कह कर वरुण मुस्कुराते हुए मूड गया और नेहा का हाथ पकड़ कर उसे ग्राउंड मे से ले गया. वो सुनसान ग्राउंड मेरी आज की सुनसान ज़िंदगी की तरह था. मेरे पैरो मे ताक़त नही बची और आख़िर कार वो डगमगा कर मूड गये. मैं घुटनो के बल,ज़मीन की ओर देखते हुए सीढ़ियो पे गिर पड़ा. आस पास की दुनिया अब मेरे लिए जैसे खामोश हो गयी थी. पंछी, हवा, पेड़ की सरसराहट. सब कुछ. खामोश!
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11-01-2018, 12:15 PM,
#14
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
उस खामोशी का सन्नाटा आज भी मेरे कान मे चीखता हैं. जब भी वो पल मेरे ज़हन मे आता हैं,मेरा दिल तड़प उठता हैं. मैं उस पल की खामोशी से आज तक भाग रहा हूँ. अपने पैरो मे मैं दर्द महसूस कर सकता हूँ मगर उनपे मेरा काबू नही हैं. वो बस भागते जा रहे हैं और मेरे बदन के अपने उपर धो रहे हैं. मुझे ऐसा एहसास हो रहा था कि मैं किसी ऐसी चीज़ से भाग रहा था जो कभी मेरा पीछा नही छोड़ेगा. मेरी साँसे उखड ने लगी थी,मगर किसी ब्रेक फैल कार की तरह मैं आगे बढ़ता जा रहा था. और तभी;

"अबी ओये भडवे!!"

अचानक मुझे एक चीख सुनाई दी और कर्कश हॉर्न की आवाज़ से मेरे कान सुन्न हो गये. मैं अपनी ख़यालो की दुनिया से बाहर आ गया और देखा तो मैं रोड के रॉंग साइड से भाग रहा था. पता नही कब मैं फूटपाथ पर से उतर गया और रास्ते पर भागने लगा. सुबह सुबह दूध पहुँचाने वाले मिनी-ट्रक्स के ठीक सामने मैने अपने आप को पाया. ट्रक की खिड़की मे एक भद्दा सा आदमी अपना सिर बाहर निकाल कर मुझसे कह रहा था;

"अबे ओये भडवे!! नशे मे चल रहा हैं क्या? कुत्ते की तरह मेरी ही गाड़ी मिली तुझे मरने के लिए? चल हट!"
इतना कह कर उसने दोबारा से उसकी गाड़ी आगे बढ़ाई. मैं कुछ नही कह पाया और साइड मे सरक गया. वो ड्राइवर मुझे गालियाँ देते हुए आगे बढ़ गया. मैं साइड मे फूटपाथ के किनारे पर बैठ गया. पता नही मैं कब्से और कितनी दूर तक भाग रहा हूँ.मैने आस पास देखा. ऑलमोस्ट 2 किमी दूर आ गया था मैं मेरे घर से. मैने थोड़ा आराम किया और सोचा कि अब घर वॉक करते हुए जाता हूँ. मैं अब उस दिन जो कुछ हुआ उसके बारे मे कुछ सोचना नही चाहता था. मैने झट से अपना मोबाइल निकाला और गाने सुनते सुनते वॉक करने लगा. टाइम देखा तो सुबह के 5:40 हो रहे थे. मैं वॉक करते करते घर की ओर बढ़ने लगा. अब तक रास्ते पर और भी लोग मुझे दिखाई देने लगे थे. बुड्ढे तो सुबह सूभ वॉक पर निकलते हैं,

पेपर पहुँचने वाले, दूधवाले. धीरे धीरे सारा जनजीवन जागने लगा था. मैं पूरी कोशिश कर रहा था कि नेहा और उस दिन जो हुआ उसके बारे मे ना सोचु. जितने भी सेनटी सॉंग्स हैं मेरे मोबाइल मे,मैं उन्हे स्किप करता हुआ घर की ओर चल पड़ा.
घर पहुँचते पहुँचते मुझे 30 मिनट के आस पास लग गये. मैं पसीने से भीग गया था. पसीने की वजह से टी-शर्ट पूरी तरह से भीग गयी थी और मेरे बदन से चिपक गयी थी. मैं घर का दरवाजा खोल कर घर मे एंटर हुआ. न्यूज़ पेपर उठा कर लिविंग रूम के टेबल पर रखा. अभी भी मेरे हिसाब से घर के सभी लोग सो रहे होगे. मुझे बड़ी गर्मी लग रही थी. मैने शूस निकाले और सोचा की जल्दी से पहले नहा लेता हूँ. तो मैने सीढ़िया चढ़ना शुरू किया और सीढ़िया चढ़ते हुए ही मैने गीली,पसीने से भीगी हुई टी-शर्ट निकाल दी. अब जैसा कि मैने कहा दोस्तो कि मैं पिछले कयि महीनो से बोहोत ही सीरीयस वर्क आउट कर रहा हूँ. हर रोज़ 2 घंटे. तो अब मेरी बॉडी भले ही जॉन अब्राहम तो नही मगर बड़ी ही आकर्षक हो गयी थी. बलून्स की तरह फूले हुए मेरे सख़्त बाइसेप्स बन गये हैं. 14 इंच के आस पास. चेस्ट बिल्कुल मर्दाना. मैं मानता हूँ कि एक मर्द की छाती पे बाल होने चाहिए. इट लुक्स रियल सेक्सी. इसलिए मैने अपनी छाती के बाल वैसे के वैसे ही रखे थे. थोड़े घने और ज़रा से घुँगराले. हर रोज़ 50 डिप्स मारने की वजह से अब मेरी विशाल छाती बड़ी ही सेक्सी लगने लगी थी. बिल्कुल सख़्त कि अगर कोई एक .5 इंच की छड़ी भी मेरी छाती पर मारे तो छड़ी टूट आए मगर मुझे कुछ ना हो. जिम मे मैने एक और बात ये सीखी कि अगर सही तरीके से आप वर्क आउट करने लगो तो मसल्स बोहोत ही अच्छे से टोन अप होते हैं. बहुत रिसर्च करने के बाद मैने अपनी बॉडी टाइप के हिसाब से अपना वर्क और शेड्यूल डिसाइड किया और स्पे जाता रहा. नतीजा सॉफ था. अगर आप लोगो ने X-में मूवी देखी हो और उसमे वॉल्वेरिने का रोल प्ले करने वाले आक्टर ह्यूज जॅक्मन की बॉडी की तरह ही मेरा बदन गथिला हो चुका हैं अब. एक वक़्त था जब सब मुझे मोटू कहते थे. अब लोग मुझे सेक्सी कहते हैं!


तो ऐसे जिस्म का मालिक बन जाने के बाद,मुझे अब शर्म नही आती कि मैने टी-शर्ट पहनी हैं या नही, या कोई शर्ट मुझपर जचेगा या नही? अब आइ आम वेरी मच कॉन्फोर्टब्ले वित एनी क्लोद्स ओर ईवन विदाउट देम. मैं जल्दी से सीढ़िया चढ़ कर अपने रूम मे गया. रूम के क्लॉज़ेट मे से फ्रेश अंडरवेर और शॉर्ट उठाई और बाथरूम को ओर चल पड़ा. ज्यों ही मैं अपने रूम मे से बाहर निकला और ज़रा सा आगे गया मुझे बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई. अब भी मैने उपर कुछ नही पहना था. मैने बाथरूम की ओर देखा और सामने देख कर मेरी आखे फैल गयी. एक लाइट पिंक कलर के बाथरोब जो कि घुटनो के भी उपर तक था, पहन कर आकांक्षा बाहर आई. मैं उसी जगह पर रुक गया और सामने का नज़ारा देखने लगा. आकांक्षा का सिर अब भी बाथरूम की दिशा मे मुड़ा हुआ था,जैसे कुछ ढूँढ रही थी वो. इसलिए वो ये नही देख पाई थी कि मैं उससे महज 5 फुट की दूरी पर खड़ा था और उसकी ओर देख रहा था. उसके गीले गीले बाल उसके कंधो के उपर चिपक से गये थे. 

मैने आकांक्षा को उपर से नीचे देखा. बाथरोब तो उसके जिस्म को ठीक से ढक रहा था मगर जैसा कि मैने कहा कि उसकी लेंग्थ सिर्फ़ घुटनो के उपर तक ही थी तो मुझे आकांक्षा की थाइस के लोवर पार्ट से लेकर तो उसके पैर के अंगूठे तक उसकी नंगी टांगे दिखाई दे रही थी. एक भी बाल नही था उसके पैरो पे. एकदम सॉफ्ट,स्मूद और ज़रा से गीले होने की वजह से वो बोहोत ही चमक रहे थे. मुझे लड़कियो की टाँग मे इतना इंटेरेस्ट नही था,मगर उस पल आकांक्षा की नंगी टाँगो को देख कर मैं धरा का धरा ही रह गया. 


मैं आकांक्षा को घुरे जा रहा था और अब इसे मेरी बदक़िस्मती ही कहिए,उसी वक़्त आकांक्षा ने मुझे उसकी नंगी टाँगो की ओर घूरते देख लिया. ज्यों ही वो मेरी दिशा मे आगे बढ़ने लगी मेरी नज़र आकांक्षा की टाँगो से उपर होकर उसकी शक़ल पर गयी. दोस्तो, अगर आपने भी ये कभी नोटीस किया होगा तो आप जानते होगे कि एक लड़की जैसे ही नहा कर बाहर आती हैं,उसके जिस्म से एक भीनी सी खुश्बू आती हैं और वो बड़ी ही सुंदर दिखने लगती हैं. और आज मैने 3 सालो के बाद इस बात को नोटीस किया हैं कि आकांक्षा एक बड़ी ही सुंदर और कसे हुए जिस्म की लड़की मे तब्दील हो गयी हैं और सिर्फ़ 16 की उमर मे ही मैं उसकी ओर अट्रॅक्ट होने लगा हू. अफ़सोस इस बात का हैं कि ये सब सोचते हुए मैं अब भी उसकी ओर घूर रहा था. मगर ज्योंही मैने आकांक्षा की आखो मे देखा,मुझे कुछ अजीब महसूस हुआ. मुझे ऐसा लगा कि आकांक्षा मेरी तरफ देख तो रही हैं,मगर उसकी आखें मुझे नही देख रही थी. उसकी नज़रें मेरे चेहरे पे नही थी. कही ऑर थी. और उस वक़्त मैने इस बात को नोटीस किया कि आकांक्षा भी मेरे नंगी छाती को देख रही हैं. मेरे चौड़े सीने और तगड़े बाइसेप्स को देख कर आकांक्षा की आखे जैसे चिपक सी गयी थी. उसकी आखे धीरे धीरे मेरे जिस्म को निहार रही थी. और तभी मैने आकांक्षा के नीचले होंठ को ज़रा सा खुल कर अपने दाँतों से दबाते देखा. जैसे कोई कसक जागी हो उसके अंदर. 
हम दोनो एक दूसरे को निहार रहे थे. धीरे धीरे हम दोनो ने एक दूसरे की ओर बढ़ना शुरू किया. हर कदम के साथ हमारे बीच की दूरी कम होने लगी थी और हर नज़दीकी के साथ मैं ये सॉफ देख पा रहा था कि आकांक्षा की नज़रें मेरे जिस्म से हट ही नही रही. जैसे ही मैं आकांक्षा के सामने आ गया;

मे: गुड मॉर्निंग! आज सुबह सुबह?

मैं ये कह कर किसी उल्टे जवाब को एक्सपेक्ट करने लगा. मगर अजीब बात ये हुई कि आकांक्षा कुछ नही बोली,और वो अब भी मेरी छाती को घूर रही थी. ऑलमोस्ट 30 सेकेंड्स के बाद मैने आकांक्षा के सामने चुटकी बजाते हुए फिर से कहा;
मे: हेल्ल्लो??? मेडम? सोई हैं क्या अब तक? मैने कुछ पूछा तुझसे!

आकांक्षा : हुहह?? क..क्या?? जैसे नींद मे से जागी हो जैसे,ऐसे तरीके से आकांक्षा ने मुझसे पूछी. और अब जाकर उसकी नज़रें मुझसे मिली.

मे: अर्रे! मैने कहा कि, आज सुबह सुबह?

आकांक्षा : हाँ..! वो..वो जाना हैं ना.! शादी मे जाना हैं तो रेडी हो रही हूँ. 
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11-01-2018, 12:15 PM,
#15
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मुझे अचानक से याद आया कि आज तो घर के सभी लोग शादी मे जा रहे हैं, निमी बुआ के बेटे की,देल्ही मे. मैं नही जा रहा था. मैने बहाना बना दिया था जब मम्मी टिकेट निकालने के लिए कह रही थी,कि पढ़ाई हैं न्ड ऑल. असल मे मुझे इन शादी-ब्याह मे जाना बिल्कुल पसंद नही हैं. कोई 2 लोग सिर्फ़ एक दूसरे के साथ ही अपनी ज़िंदगी गुज़ार दे ये बात मुझे कुछ हजम नही होती. ख़ास कर जो कुछ भी नेहा और मेरे बीच हुआ उसके बाद तो बिल्कुल भी नही. और वैसे भी, निमी बुआ के बेटे से मेरा कोई ख़ास रिश्ता तो था नही जो मैने उसकी शादी के लिए देल्ही जाउ. खैर!! अच्छी बात तो ये थी कि आज से 6 दिनो तक घर मे कोई नही होगा और सिर्फ़ मेरा राज रहेगा. मैने बड़ा खुश हो गया.

मे: अर्रे वाह! हाँ याद आया. कितने बजे की हैं गाड़ी?

आकांक्षा: सुबह 9:50 बजे. 
मे: अच्छा हैं. मज़े करना तुम लोग शादी मे.
आकांक्षा: तुम लोग? क्या मतलब हैं? तू नही आ रहा?
मे: नोप!!
आकांक्षा: मगर मम्मी ने तो कहा था कि हम सब जा रहे हैं. 
मे: हाँ. तुम सब जा रहे हैं. नोट मी!
मैने मुस्कुराते हुए कहा और मेरी मुस्कान को देख कर आकांक्षा बिगड़ गयी.
आकांक्षा: दिस ईज़ नोट फेर! जब तू नही जा रहा तो मुझे क्यू ज़रबारदस्ती ले जा रहे हैं?
मे: सिंपल! क्योकि एक तो मैं तुझसे बड़ा हूँ,समझदार हूँ इसलिए मैं घर पे अकेला रह सकता हूँ. और दूसरे ये कि तू बेवकूफ़ हैं.
इतना कह कर मैं ज़ोर से हंस पड़ा,जो कि आकांक्षा को बिल्कुल पसंद नही आया.
आकांक्षा : बकवास बंद कर तेरी! तुझ जैसे बहाने नही आते मुझे बनाना. आइ आम आ ऑनेस्ट गर्ल.
मे: हाँ हाँ.! लगता हैं ऑनेस्ट कोई नया वर्ड हैं ईडियट के लिए.
आकांक्षा अब चिढ़ गयी थी. एक तो उसे मेरे पेरेंट्स ज़बरदस्ती ले जा रहे थे और दूसरा मैं उसे बेवकूफ़ कह रहा हूँ ये बात उसे हजम नही हो रही थी. 
आकांक्षा: एक थप्पड़ मारूगी ना तुझे. मूह बंद रख अपना.
मे: ओह्ह्ह...अर्र्रेर्ररे.. आकांक्षा बेटी तो रोने लगी.. 
आकांक्षा : आइ साइड, शट अप! एक खीच के लगाउन्गी तुझे.. सुबह सुबह पिट जाएगा मेरे हाथो.
मे: अर्रे जा जा..!
इतना कह कर मैने आकांक्षा के सिर पे धीमे से एक टपली मारी और आगे बढ़ गया बाथरूम मे जाने के लिए. जो ही मैं थोड़ा सा आगे बढ़ा;
आकांक्षा: अब मरा तू मेरे हाथो.
इतना कह कर आकांक्षा झट्के से मूड़ गयी और मेरे ओर उसने अपना हाथ बढ़ाया ताकि मुझे मार सके. अब जैसा कि मैने कहा कि वो अभी बाथरूम से निकली थी और उसके पावं गीली थे और बाल भी. उसके बालो मे से पानी टपक कर नीचे फ्लोर पर गिर रहा था जिस वजह से फ्लोर स्लिपरी हो गया था. जो ही आकांक्षा मेरी ओर झट्के से मूडी, उसका पैर स्लीप हो गया. अब आपने भी मूवीस मे कई बार ऐसा देखा होगा कि हेरोयिन का पैर स्लीप होता है और हीरो बड़ी ही तेज़ी से उसे पकड़ कर संभाल लेता हैं और अपनी बाहों मे पकड़ लेता हैं. ठीक हेरोयिन की तरह आकांक्षा स्लीप हुई,मैं झट से पीछे मुड़ा और आकांक्षा को स्लीप होते हुए देखा और वो स्लीप होकर मेरी और आने लगी. मैने बड़ी ही तेज़ी दिखाते हुए अपना लेफ्ट पैर पीछे की ओर खिसका दिया और इसके पहले आकांक्षा मेरे उपर गिरती, मैने पीछे सरक गया और आकांक्षा मेरे सामने से स्लीप होते होते सीधा जाकर फ्लोर पे लॅंड हो गयी और धडाम से जाकर अपने पेट के बल गिर गयी.

मेरी तो बोहोत ही ज़ोर से हँसी चूत गयी. मैं अपना पेट पकड़ पकड़ के हँसने लगा और आकांक्षा की ओर देखने लगा. अब पेट के बल गिरने से आकांक्षा का बाथरोब काफ़ी उपर खिसक गया था और जो ही मैने आकांक्षा की तरफ देखा मुझे कुछ ऐसा दिखा जिससे मेरी यादे ताज़ा हो गयी. आकांक्षा ने आज वहीं पिंक कलर की पैंटी पहनी थी जिसको सूंघ कर मैने मूठ मारी थी. मेरी नज़रें जैसे आकांक्षा की गान्ड की ओर जम सी गयी थी. मैं बयान नही कर सकता था इस तरह की बाउन्सी और रसीली गान्ड हैं आकांक्षा की. जिसे अगर हाथ मे जकड़ा तो आपको ऐसा लगे जैसे मखमल के किसी पानी से भरे गुब्बारे को जाकड़ लिया हो. और इतनी गोरी की अगर उंगली से ज़रा भी दबाओ तो निशान आ जाए. ऐसी गान्ड पर उसकी पिंक कलर की पैटी इतनी जच रही थी कि सिर्फ़ 5 सेकेंड्स के टाइम मे ही मेरा लंड ऐसा खड़ा हो गया जैसे उसे बिजली का झटका दिया गया हो. 

आकांक्षा घुटनो के बल इस तरह बैठ गयी,मानो डॉगीस्टाइल का इन्विटेशन दे रही हो. उसकी गान्ड मेरे सामने अपनी पूरी जवानी मे थी. मेरा लंड भी अब पूरी तरह से खड़ा हो चुका था. आकांक्षा धीरे धीरे ज़मीन पर से उठने लगी. मैने तुरंत नीचे देखा और अपनी शॉर्ट्स मे बने तंबू के सामने टॉवेल ले जा कर उसे ढक दिया. इससे पहले आकांक्षा नोटीस करती मैं वहाँ से निकल जाना चाहता था. मैं बड़ी ही तेज़ी से आकांक्षा के राइट साइड से गुजर रहा था;

आकांक्षा : बेशरम! कम से कम उठा तो सकता हैं ना मुझे??

अब ये एक बड़ी मुसीबत थी मेरे लिए. यहाँ मेरा 9 इंच का लंबा लंड पूरी जवानी पे था और आकांक्षा जैसी लड़की ज़मीन पर पड़ी थी. मैं चाहते हुए भी आकांक्षा की हेल्प नही कर सकता था,क्योकि कल रात को जो हुआ उसके बाद अगर आकांक्षा मेरा खड़ा लंड देख लेती तो मेरी शामत आ जाती. मैं आकांक्षा की तरफ मुड़ा और कहा;
मे: मैने कहा था तुझे ज़मीन चाटने के लिए? खुद गिरी, खुद ही उठ जा.
मेरे इस बात पे आकांक्षा आग-बाबूला हो गयी और मुझे कोसने लगी. मगर मैं वहाँ 1 सेकेंड भी नही रुका और सीधा बाथरूम मे चला गया.

बाथरूम मे जाकर मैने फट से अपने कपड़े निकाल दिए और पूरी तरह नंगा हो गया. बाथरूम मे एक बड़ा सा मिरर हैं. फुल बॉडी मिरर तो नही मगर कमर के नीचे तक का पार्ट दिख जाता हैं. मैं उस मिरर के सामने जाकर खड़ा हो गया. दोस्तो, हर लड़का ये बात जानता हैं कि उसके लिए उसका लंबा,खड़ा,तगड़ा लंड एक बोहोत ही फक्र की बात हैं. लड़किया ये बात नही समझेगी मगर जब खुदका लंड जब पूरी जवानी मे होता हैं और आप उसे देख भी पाते हो, एक अलग सा एहसास होता हैं. मैने मिरर मे देखा. जैसे कि मैने पहले ही एक्सप्लेन किया हैं कि मैं एक बड़े ही चुस्त और कसे हुए जिस्म का मालिक हूँ और ऐसे मे एक 9 इंच का काले साप जैसा लंड मेरे जिस्म से जुड़ा हुआ हैं, तो मैं ये दावे से कह सकता हूँ कि ये पढ़ने वाली लड़कियो की चूत थोड़ी तो गीली हुई ही होगी,सिर्फ़ सोच कर ही.
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11-01-2018, 12:15 PM,
#16
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मेरा लंड अपने पूरे जोश मे था,मैं उसे निहार रहा था और तभी दरवाजे पर नॉक होती हैं;
आकांक्षा: सम्राट!?
मैने झट से टवल अपनी कमर के आस पास लपेट लिया. मगर फिर मुझे याद आया कि मैं तो बाथरूम मे हूँ,मुझे टवल लपेटने की क्या ज़रूरत? तो मैने टवल दोबारा से लटका दिया और कहा;
मे: अब क्या हैं?
आकांक्षा: बाहर निकल! 
आकांक्षा ने जैसे ही ये कहा मुझे बड़ा अजीब लगा..

मे: क्या??? जा यहाँ से. नहाने दे मुझे.

आकांक्षा: हाँ हाँ.. नहा लेना. बट अभी बाहर निकल. इसी वक़्त.

मुझे ज़रा सा गुस्सा आ रहा था.
मे: .. आकांक्षा सुबह-सुबह दिमाग़ मत खराब कर. कसम से अगर मैं बाहर आ गया ना तो आज तू मरी मेरे हाथो. जा यहाँ से!!

मैने चिढ़ते हुए कहा. कुछ देर आकांक्षा कुछ नही बोली. मुझे लगा कि शायद चली गयी हो. मैं शवर की तरफ बढ़ा और जैसे ही मैं शवर शुरू करने ही वाला था कि;

आकांक्षा: तू बाहर निकल जल्दी नही तो मैं चिल्ला-चिल्ला के मम्मी को बुलाउन्गी.. 
अब मेरे गुस्से का पारा बोहोत उपर हो गया था. मुझसे रहा नही गया.

मे: आकांक्षा, एक कस्के थप्पड़ लगाउन्गा तुझको मैं. क्या काम हैं तुझे? क्या नौटंकी लगा रखी हैं ये तूने?
फिर से कुछ देर तक सन्नाटा लगा रहा. मुझे लगा कि शायद मम्मी को बुलाने गयी हैं. मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी. मैं सोचने लगा कि आख़िर हुआ क्या इस पागल लड़की को? बार बार बाहर आने को कह रही हैं. मैने सोचा कि बाहर निकल कर देखता ही हूँ कि आख़िर माजरा क्या हैं? मैने हॅंगर पे से अपना टवल लिया और ज्यों ही मैं टवल को अपनी कमर पे बाँधने ही वाला था कि मुझे कुछ ऐसा दिखा जिसे देख कर मेरी हसी भी छूट गयी और मेरे लंड मे ज़रा सी हलचल भी मच गयी. हॅंगर पे एक ब्लॅक कलर की लेस-पैंटी लटकी हुई थी. मैने बाथरूम मे आते से ही उसके उपर अपना टवल टाँग दिया इसलिए मुझे पैंटी दिखी ही नही. मैं आगे बढ़ गया और दोबारा से अपना टवल हॅंगर पर टाँग दिया. अब भी आकांक्षा की कोई आवाज़ नही आ रही थी. मैने सोचा कि इससे पहले वो नौटंकी शुरू करे मैं उसे आवाज़ देकर उसे पैंटी दे देता हूँ. मैने आगे बढ़ कर हॅंगर पर से पैंटी निकाली और ज्यों ही मैने वो पैंटी हाथ मे ली, आअहह!!! खुदा कसम, जितने मुलायम लड़कियो के जिस्म होते हैं उतनी ही मुलायम उनकी पॅंटीस भी. ब्लॅक कलर की वो लेस पैंटी इतनी सॉफ्ट थी कि हाथ मे लेते ही ऐसा लगा की मखमल छू लिया हो जैसे. ना चाहते हुए भी मैं उस पैंटी को अपने हाथ मे महसूस करने लगा. उसका मुलायम कपड़ा मुझे भा गया. अचानक मेरे ज़हन मे पता नही कहाँ से मगर ये ख़याल आया कि आकांक्षा के गोरे चिट बदन पर ये काले रंग की पैंटी कैसी लगती होगी. एक तो उस 16 साल की लड़की का मुलायम और स्मूद जिस्म, और उसपे ये पैंटी. वाह!! जवाब मेरे लंड ने ही दे दिया और एक बार दोबारा से मेरा लंड पत्थर जैसा हो गया. 
मैने पैंटी को अपने चेहरे के नज़दीक किया. देखा तो एनमोर ब्रांड की थी;

मे: वाह! बड़ी ही ब्रॅंडेड पहनती हैं.

उतने मे ही आकांक्षा ने एक बार और दरवाजा ठोका और आवाज़ लगाई. मगर इस बार उसकी आवाज़ मे ज़रा नम्रता थी.
आकांक्षा: सम्राट, प्लीज़ खोल ना दरवाजा. मुझे अर्जेंट काम हैं. प्लीज़ खोल ना!

अब मुझे थोड़ा सा तरस आ रहा था उस पे. चाहे कुछ भी क्यू ना हो, थी तो मेरी सग़ी,छोटी बेहन ही. मेरा भी दिल पिघल गया. मगर उस पैंटी का स्पर्श मेरे लंड को अपनी ओर अट्रॅक्ट कर रहा था. पैंटी मैने अपने राइट हॅंड मे पकड़ी थी. मैं धीरे से अपना हाथ नीचे ले गया, अपने दाए हाथ से मेरे लंड की फॉरेस्किन को पीछे किया और पैंटी को अपने लंड से लगा दिया. ऊहह!! क्या एहसास था! केयी दिनो बाद मुझे ऐसा एहसास हुआ था. मैं धीरे धीरे आकांक्षा की पैंटी को अपने लंड पर रगड़ने लगा. आगे-पीछे.. बड़ी ही धीमी रफ़्तार पर मैं आकांक्षा की पैंटी से मूठ मारने लगा. उस पैंटी के कपड़े के हर एक रेशे को मैं महसूस कर रहा था. तुरंत ही मुझे मज़ा आने लगा था और तभी;
आकांक्षा: ओपन दा फक्किंग डोर सम्राट!!
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11-01-2018, 12:15 PM,
#17
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
आकांक्षा की बात सुन कर मैं तो जैसे हिल गया. मैने बाथरूम के दरवाजे के पीछे खड़ा होकर दरवाजा खोला और सिर्फ़ अपना सिर निकाल के ही मैने कहा;
मे: क्या? क्या कहा तूने?? फिर से बोल ज़रा!!?
आकांक्षा ज़रा सी सकपका गयी थी.
आकांक्षा: वो..वो...
मे: हाँ क्या वो वो?? बक ना अब?
मैने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

आकांक्षा: वो कब्से कह रही हूँ बाहर निकल. कुछ काम हैं. 

मे: क्या काम हैं? 1 घंटे से क्या सो रही थी क्या बाथरूम मे जो अभी भी काम बाकी हैं.

आकांक्षा के गाल अब ज़रा से लाल हो गये थे. मैं सॉफ देख पा रहा था कि उसे शरम आ रही हैं कहने मे कि वो उसकी पैंटी भूल गयी हैं.

आकांक्षा: तू बस बाहर निकल ना. प्लीज़!

मे: अच्छा रुक 2 मिनट.
इतना कह कर मैने फिर से दरवाजा बंद कर दिया. आकांक्षा को लगा कि मैं बाहर आने ही वाला हूँ. मगर मैने दरवाजा बंद करके हॅंगर पे से पैंटी ली, एक बार और अपने लंड पर रगडी और दरवाजा खोला. ज्यों ही मैने दरवाजा खोला;
आकांक्षा: थॅंक यू! बस 1 मिनट.
इतना कह कर आकांक्षा आगे डोर की तरफ बढ़ गयी. उसे रोकते हुए मैने कहा;
मे: ओये?? हेलो? किधर?
आकांक्षा सवालिया नज़रों से मेरी ओर देखने लगी और बोली;
आकांक्षा: तू.. तू बाहर निकल रहा है ना?
मे: नही!!
इतना कह कर मैने अपने लेफ्ट हंड को डोर से बाहर निकाला और उसे देख कर आकांक्षा शरम से पानी पानी हो गयी. उसके माथे पर सॉफ पसीना दिख रहा था. शरम से वो लाल हो गयी थी. मैने अपनी मुट्ठी खोली और आकांक्षा के सामने उसकी पैंटी पेश कर दी. एक मुस्कान के साथ मैने कहा;.
मे: फर्गॉट सम्तिंग मिस???

आकांक्षा को जैसे साप सूंघ गया हो. वो कुछ देर एक शब्द भी नही बोली. मैने एक बार उसके सामने अपना हाथ हिलाया और तब वो होश मे आई. उसने झट्के से मेरे हाथ मे से अपनी पैंटी छीन ली, और बड़ी ही तेज़ी से मूड कर अपने रूम की ओर बढ़ने लगी. मैने उसे पीछे से आवाज़ लगाते हुए कहा;

मे: आज कल मॅनर्स ही नही लोगो को! थॅंक्स तो कह देती कम्से-कम.
आकांक्षा कुछ नही बोली और सीधा अपने रूम मे घुसी और धदामम्म!! उसके रूम का डोर इतनी ज़ोर से बंद हुआ कि मुझे लगा शायद टूट जाएगा. मैने बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया और नहाने लगा. इट्स गॉना बी आ फन वीक. 6 दिन बिना किसी की झक-झक के. मैं बड़ा ही खुश था. इतना खुश कि मैं अपने खड़े लंड के बारे मे भी भूल गया था. मैं बड़े ही आराम और सुकून से नहाने लगा. पहले शॅमपू,फिर कंडीशनर, देन बॉडयवाश और आख़िर मे फेस वॉश. 20 मिनट मे मैं नहा कर बाहर आया. होंठो पर बरफी के सॉंग की ट्यून गुनगुनाते हुए मैं अपने रूम मे चला गया. अब तक मेरा मूड काफ़ी अच्छा हो गया था. नेहा का ख़याल भी मेरे दिमाग़ से चला गया था.

मैं बाथरूम से बाहर की निकल कर अपने रूम मे चला गया. मैने इस वक़्त सिर्फ़ टवल ही पहना हुआ था. डोर लॉक करते ही मैने टवल निकाल कर फेक दिया. क्लॉज़ेट मे से अपने कपड़े निकाले और बेड पर कपड़े पहन ने के लिए ज्यों ही मैं बैठा उतने मे ही मेरी नज़र मेरे सेल फोन पर पड़ी. टाइम देखा तो 6:50 हो रहा था. तभी पता नही कहाँ से मेरे दिमाग़ मे ये ख़याल आया. मैं बेड पर से उठा, वॉलेट मे से वो दूसरा सिम निकाला और मोबाइल मे डाल दिया. मुझे याद आ गया था कि कल रात को उस लड़की से मेरी बात हुई थी और मैने उसे गालिया भी दी थी और मैं 100% शुवर था कि उसका अब कोई रिप्लाइ नही आने वाला. फिर भी मैने मोबाइल स्विच ऑन करके देखा. ज्यों ही मोबाइल स्टार्ट हुआ, मेरा फोन वाइब्रट हुआ. मैने झट से फोन उठाया और देखा तो एक मसेज आया था. मैने बड़ी ही एग्ज़ाइट्मेंट से मसेज खोला-
" आइ आम नोट आ कॉल गर्ल. माइंड युवर लॅंग्वेज! आइ आम सोफिस्टीकेटेड गर्ल. आइ नाउ रिमेंबर यू. यू शुड हॅव टोल्ड मी.". 
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11-01-2018, 12:15 PM,
#18
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मसेज पढ़ कर मुझे थोड़ी हसी आ गयी. मैने सोचा सोफिस्टीकेटेड गर्ल्स ऐसे रांड़ की तरह अपना नंबर किसी को भी दे देती हैं क्या? मैने सोचा कि क्यू मैं अपना मूड इस कुतिया के लिए खराब करू. मैने एक सिंपल सा रिप्लाइ कर दिया कि;
"आइ डिड नोट नो यू आर ब्लाइंड. आइ आम सॉरी!"

सेंड करके मैं स्माइल करने लगा. आइ आम रियली गुड अट सार्कॅज़म. मसेज सेंड करके मैं बेड पर से उठ गया. लॅपटॉप पे लिंकिन पार्क के सॉंग्स लगा दिए और प्लॅनिंग करने लगा कि आज दिन भर क्या किया जाए? और तभी मुझे याद आया कि, नोट जस्ट टुडे. अगले 7 दिन का प्लॅनिंग करना हैं. मैं बड़ा खुश हो गया;
"यहूओ!!!"
मैने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए और नीचे ब्रेकफास्ट करने के लिए जाने ही वाला था कि फिर से मेरा मोबाइल वाइब्रट हुआ. देखा तो उसीका का मेसेज था;
"आर यू स्टुपिड? इफ़ आइ वुड हॅव बिन ब्लाइंड देन हाउ वुड आइ हॅव मेसेज यू?"
उसका रिप्लाइ पढ़ कर मेरी हसी छूट गयी. मैं समझ गया कि बंदी बड़ी ही चूतिया हैं और सार्कॅज़म से उसका दूर दूर का रिश्ता नही हैं. मैं दोबारा से बेड पर बैठ गया और रिप्लाइ किया;
" अगर तुम ब्लाइंड नही हो तो तुमने मेरा मसेज तो पढ़ा ही होगा,स्पेशली दट पार्ट व्हेयर आइ प्रिसाइस्ली टोल्ड यू दट वी मेट ऑन दट साइट,ऑल्सो गेव माइ नेम आंड टोल्ड यू दट यू गेव मी युवर नंबर. ओन्ली ब्लाइंड पीपल कॅंट रीड दट. ऑर यू आर टू स्टुपिड टू अंडरस्टॅंड दट?"
मैने मेसेज सेंड कर दिया और अब मैं वेट करने लगा था उसके रिप्लाइ का. मैं एक बात तो जानता ही था कि उसका मेसेज आने ही वाला हैं. इसलिए मैं वही पर बैठे रहा और कुछ 1 मिनट मे ही उसका रिप्लाइ आया;
" यॅ! आइ रीड दट मेसेज.आइ आम आ गर्ल सो आइ हॅड टू इग्नोर मेसेज फ्रॉम पीपल आइ डोंट नो. आंड यू सेड युवर नेम वाज़ मेरा_लंबा इन दट मसेज. व्हाट सॉर्ट ऑफ स्टुपिड नेम ईज़ तट?"
अब मैने मेरा_लंबा नाम अपने प्यारे लंड के ऑनर मे रखा हैं. लंड लंबा हैं तो सोचा कि चलो,मेरा_लंबा ही रख लूँ नाम अपना. लेकिन मैं ये बात उसे नही बताना चाहता था;
"यॅ! इट्स प्रेटी स्टुपिड नेम. मैने ये नाम तुम्हारे स्टुपिड नाम से कॉंपीट करने के लिए रखा हैं.बट इट सीम्स लाइक युवर'स ईज़ विन्निंग,यूथिका!!"
मुझे लगा कि अब बंदी चिढ़ जाएगी. उसका रिप्लाइ आया. अब हमारी चाटिंग स्टार्ट हो गयी थी.
यूथिका: शट अप! इट्स नोट आ स्टुपिड नेम आंड आइ आम नोट आ स्टुपिड ओर ब्लाइंड पर्सन. आइ जस्ट डोंट लाइक टू रिप्लाइ टू स्ट्रेंजर्स.
मे: कॅन यू स्पीक हिन्दी?
यूथिका: यस. आइ स्पीक फ्लूयेंट हिन्दी.
मे: तो इंग्लीश क्यू झाड़ रही? हिन्दी मे बोल.
यूथिका: व्हाई? कॅंट यू स्पीक प्रॉपर इंग्लीश?
मे: नही. मुझे इंग्लीश नही आती. हिन्दी मे बात करो चुपचाप. आंड आइ डोंट ट्रस्ट यू! अगर स्ट्रेंजर्स से बात करना पसंद नही तो मुझे अपना नंबर क्यू दिया? कॉल गर्ल्स करती हैं ऐसा, पता हैं? आंड आइ स्टिल डोंट बिलीव दट यू आर आ गर्ल.
यूथिका: मुझे पता नही था कि कॉल गर्ल्स ऐसे करती हैं. आंड व्हाई डोंट यू बिलीव मी दट आइ आम आक्च्युयली आ गर्ल?
मे: कॉज़ गर्ल्स डोंट गिव देयर नंबर्स टू पीपल दे जस्ट मेट अनलेस शी'स आ होर.
यूथिका: शट अप!
मे: स्टॉप टेल्लिंग मी टू शट उप! मैं वोही कह रहा हूँ जो सच हैं. जब प्रूफ करेगी कि तू सच मे लड़की हैं तभी बात करूगा मैं तुझसे. टिल देन, डोंट बॉदर मी.
इतना कह के मैने झट से फोन स्विच ऑफ करके सिम वापिस अपने वॉलेट मे डाल दिया और रेग्युलर नंबर स्टार्ट करके मैं नीचे चला गया. अभी तक घर के सभी लोग उठ गये थे. आख़िर 2 घंटे मे उन्हे गाड़ी भी तो पकड़नी थी! मैं गुनगुनाते हुए नीचे आया तो आते से ही मम्मी सामने आ गयी:
मम्मी: बड़ी जल्दी उठ गया आज तू? कहाँ जा रहा? 
मे: मैं कही नही जा रहा. जा तो आप लोग रहे हैं.
मम्मी: इसलिए इतना खुश हैं क्या तू कि कुछ दिनो के लिए ही सही तुझे हम से, ख़ास कर तेरी बेहन से छुटकारा मिल रहा हैं?
जैसे ही मम्मी ने ये कहा, स्टेर्स पर से नीचे उतरती हुई आकांक्षा ने ये बात सुन ली और;
आकांक्षा: फिर तो खुश मुझे होना चाहिए जो इस उल्लू के पट्ठे से छुटकारा मिल रहा हैं मुझे.
ज्यों ही आकांक्षा ने ये कहा, उधर बेडरूम मे से शर्ट की स्लीव्स के बटन लगाते हुए पापा बाहर आए और कहा;
पापा: भाई क्या ज़माना आ गया हैं! अब तो बेटी ही बाप को 'उल्लू' कह रही हैं.
ये सुन कर आकांक्षा को ज़रा शरम आ गयी और;
आकांक्षा: नही पापा! मैं तो इसे उल्लू का पट्ठा कह रही थी. आपको नही.
और इतना कह कर वो पापा के पास जाके खड़ी हो गयी, जैसे कोई कुत्ता जाके रोटी के लिए खड़ा हो जाता हैं. आकांक्षा की बात सुन कर मुझे हसी आ गयी.
मे: पापा! मेरा तो पता नही मगर आपकी बेटी सर्टिफाइड उल्लू हैं.
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11-01-2018, 12:15 PM,
#19
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
ज्यों ही मैने ये कहा, आकांक्षा मुझे मारने के लिए मेरी ओर भागने लगी. अब नॉर्मली ऐसे सिचुयेशन मे मैं कभी भी उसके हाथ नही आता, मगर आज कुछ अजीब बात थी. आकांक्षा मेरी तरफ बढ़ने लगी और मैने उसकी तरफ देखा. उसने एक स्कयबलुए कलर का टी-शर्ट पहना था और एक वाइट कलर की जीन्स. अब मैं नही जानता उस वक़्त मुझे क्या हुआ. आकांक्षा पैर पटकते हुए मेरी ओर बढ़ने लगी और हर मूव्मेंट के साथ उसके बूब्स उपर-नीचे,उपर-नीचे होने लगे थे. और मेरी नज़रें उन पर उसी तरह से जम गयी थी जैसे मेरे पैर ज़मीन पर. हर एक कदम के साथ मैं महसूस कर रहा था कि किसी पानी भरे बालों की तरह उसके बूब्स उपर जाते और ग्रॅविटी की वजह से नीचे आते. कभी गौर नही किया मैने कि इस लड़की का उपरी हिस्सा इतना मादक हो गया हैं. मैं अपने ही ख़यालो मे आकांक्षा के बूब्स को चूम रहा था और तभी;
'फात्त्त्त!!'
मुझे एक ज़ोरदार चाँटा महसूस हुआ अपने राइट बाइस्प पर.. आकांक्षा कब मेरे पास आ गयी और कब उसने एक चाँटा मेरे हाथ पे मार दिया मुझे पता ही नही लगा. इस कदर मैं खो गया था उन सुंदर बूब्स के ख़यालो मे. 
मे: ओओउच!!
आकांक्षा हँसने लगी.
आकांक्षा: हुहह! बड़ा खुदको सूपर फास्ट कहता हैं ना कि कभी मेरे हाथ नही आएगा. निकल गयी हेकड़ी??!
मेरे दिल मे आया कि अब इसे मैं क्या बताऊ कि मैं कैसे इसके हाथ मे आ गया. 
मे: हाँ हाँ! ठीक हैं. तू कछुए से भी तेज़ हैं.खुश??!

आकांक्षा अपना मूह बिगाड़ते हुए किचन मे चली गयी. अब ठीक 8 बज रहे थे. सब लोग अपनी अपनी पॅकिंग मे बिजी थे और मैं मस्त बैठ कर ब्रेकफास्ट कर रहा था और प्लान कर रहा था कि कैसे अगले 7 दिनो का मज़ा लिया जाए. सबसे पहले पापा उनका और मम्मी के बॅग्स लेकर बेडरूम से बाहर आए. 2 बॅग्स थे. सफिशियेंट सामान था 2 लोगो के लिए. 
मे: ऑल पॅक्ड??
पापा: यस! लिस्ट मे जो जो लिखा था वो सब पॅक कर लिया.
मे: वाह! अच्छा हैं.
पापा: हाँ तो बर्खुरदार अब ज़रा सुनो! घर अगले एक हफ्ते तक तेरे ही भरोसे हैं. मैने तेरे अकाउंट मे 5000 रुपये डाल दिए हैं. ज़रूरत पड़ने पर काम आएगे. 
5000 का नाम सुन कर मैं खुश हो गया.
मे: बहुत खूब!
पापा: हाँ लगा ही था मुझे खुश होगा तू. घर का ख़याल रखना. कुछ उल्टा सीधा मत करना......
पापा के बोल-बच्चन शुरू थे जो मैं सुन नही रहा था. मेरे दिमाग़ मे तो बस यही चल रहा था कि क्या करू और क्या नही??!
पापा: ......... सम्राट??
मे: हुहह?? हा?
पापा: मैने कहा समझा या नही? 
अब मैने कुछ झाट भी नही सुना था मगर हाँ कहना मुझे ठीक लगा.
मे: सब कुछ समझ गया. आप टेन्षन ना लो.घर सही सलामत रहेगा. 
पापा: हाँ वो तो रहेगा ही. अगर वो नही रहा तो तू नही रहेगा.
हिन्दी फिल्म के विलेन के जैसे पापा मुझे धमकी देकर चले गये. मैं किचन मे जाने के लिए मुड़ने ही वाला था कि पापा के बाद मम्मी ने भी सेम इन्स्ट्रक्षन्स दिए.
मम्मी: बेटा! घर का ख़याल रखना.. नो मस्ती! अच्छे से रहना. कबाड़ मत बना देना.
मैने 'हाँ' मे अपनी मंडी हिला दी. तभी मम्मी चिल्लाई;
मम्मी: अर्रे सुनते हो!!?? 
पापा तब तक बाहर निकल गये थे.
मम्मी: ओो!! तेरे पापा भी ना! पैसे तो दिए नही होगे कुछ भी. रुक!
इतना कह कर मम्मी ने एक हॅंडबॅग मे से एक और पर्स निकाली और मेरे हाथ मे 500 के 6 कड़क-कुरकुरे नोट रख दिए और कहा;
मम्मी: ये ले! 3000 हैं. संभाल कर रखना. ज़रूरत मे काम आएगे.
मैने अपने दिल मे मुस्कुराते हुए सोचा कि,'कॅन दिस दे गेट एनी फक्किंग बेटर दॅन दिस?'. अब मेरे पास 8000 थे. पापा नही जानते थे कि मम्मी ने 3000 दिए और मम्मी को नही पता था कि पापा ने 5000 दिए. और मैं एक अच्छा बेटा होने के नाते उनके बीच के इस कन्फ्यूषन वाले रिश्ते को तोड़ना नही चाहता था तो मैने चुप रहना भला समझा और फिर से एक बार 'हाँ' मे मंडी हिला दी बैल के जैसी!
मे: मैं पूरा ख़याल रखुगा घर का. अभी आप लोग निकलो नही तो गाड़ी छूट जाएगी.
मम्मी: हाँ हाँ..! ..ये आकांक्षा कहाँ हैं? 
मम्मी ने इधर उधर उसे ढूँढा और ज़ोर से आवाज़ लगाई;
मम्मी: आकांक्ष्ााआआअ!!!!!
और एक बड़ी दबी सी आवाज़ आई उपर से;
'आई!!'
मम्मी: चल बेटा! हम निकलते हैं. बाइ.
इतना कह कर मम्मी भी बाहर चली गयी. मैने प्लेट किचन मे रख दी और एक पानी की बॉटल लेकर दीवार के सहारे मैं बाहर के दरवाजे के पास खड़ा हो गया. मुझे लगा कि आकांक्षा भी निकल गयी और तभी मुझे ठक ठक की आवाज़ आई. मैने पीछे मूढ़ कर देखा तो आकांक्षा के दोनो हाथो मे 2 बड़े बड़े बॅग्स थे और वो बड़ी ही मुश्किल से कोशिश कर रही थी उन बॅग्स को नीचे लेकर आ सके. बॅग्स इतने बड़े थे कि कोई देखता तो सोचता कि बंदी यूएस जा रही हैं. मैं आकांक्षा की कोशिश को देखने लगा और ना चाहते हुए भी मुझे हसी आ गयी. आकांक्षा ने मुझे हस्ते देखा तो और चिढ़ने लगी वो.
आकांक्षा: हंस क्या रहा हैं तू? कोई जोकर दिख गया क्या?
मे: दिख गया नही,'दिख गयी!
आकांक्षा अब गुस्से से फूल रही थी.
आकांक्षा: कामीने! किसी काम का नही. रोज़ 2 घंटे जिम मे कुछ करता भी हैं या बस हवा भारी हैं तेरे अंदर.. हिम्मत हैं तो उठा बॅग्स.
मैं समझ गया कि वो क्या करने की कोशिश कर रही हैं. मैं भी कमीना हू.
मे: हाँ.. हवा ही भरी हैं. तुझे खुद ही उठाना पड़ेगा.
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11-01-2018, 12:16 PM,
#20
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
अपना पासा खुद पर ही उल्टा पलटा हुआ देख कर आकांक्षा और चिढ़ गयी और गुस्से मे ही दोनो बॅग्स उठाने लगी. और वो बॅग उससे झाट नही उठने वाले थे ये बात मैं उसकी लाल शक़्ल और फूली हुई सास देख कर ही समझ गया. किसी तरह बड़ी ताक़त लगा कर उसने एक बॅग उठाई. मगर ताक़त ज़्यादा काम नही आई और मेडम के हाथ से बॅग छूट कर उसीके पैर पर गिर गया. ये देख कर मेरी हसी छूट गयी. मुझे हस्ता देख कर अब आकांक्षा की आखो मे से जैसे पानी आने वाला था. मैने हसना बंद किया और कहा;
मे: अगर कोई रिक्वेस्ट करे तो मैं कभी ना नही कहता.
मेरी बात सुन कर आकांक्षा मेरी ओर घूर्ने लगी और तभी बाहर से टॅक्सी के हॉर्न की आवाज़ आई. अब उसके पास कोई ऑप्षन नही था;
आकांक्षा: हाँ हाँ ठीक हैं. उठा दे बॅग्स मेरे.
मैं धीरे धीरे पहली सीधे पे चढ़ा और कहा;
मे: मैने 'रिक्वेस्ट' कहा. ऑर्डर नही!!
मैं सॉफ महसूस कर रहा था कि आकांक्षा अब मेरी जान लेना चाहती हैं. मगर उसके पास कोई और रास्ता नही था. उसने एक गहरी सास ली और कहा;
आकांक्षा: ओके ओके! प्लीज़ मेरे बॅग्स उतार दे नीचे!
मैने मुस्कुराते हुए कहा;
मे: अब आई ना औकात पे?!
मैं फुर्ती से आकांक्षा तक गया और सिर्फ़ 1 बॅग उठाकर नीचे बढ़ने लगा.
आकांक्षा: ओये हेलो??! दूसरा कौन उठाएगा??
मैने बिना रुके ही कहा;
मे: तू! सिर्फ़ एक बॅग ही उठाने वाला था मैं.
इतना कह कर मैं निकल गया मगर पीछे से मुझे आवाज़ आई;
आकांक्षा: सम्राट कामीने!!
मैं झट से बाहर तक आया और कॅब की डिकी मे बॅग रख दी. पापा ने कहा;
पापा: अर्रे? आकांक्षा कहाँ हैं? 
और मैने पीछे की ओर इशारा कर दिया. पीछे देखा तो बड़ी ही मुश्किल से आकांक्षा कॅब तक अपना बॅग लेकर आई और बुरी तरह हाफ़ रही थी. पापा ने मुझे डाट लगाते हुए कहा;
पापा: बेशरम! हेल्प नही कर सकता था उसकी?
मैने मुस्कुराते हुए कहा;
मे: दट'स ऑप्षनल!!
आकांक्षा अब भी हाफ़ रही थी. किसी तरह वो मुझे घूरते हुए कॅब मे बैठ गयी. मैने डिकी बंद करदी और मम्मी की साइड की विंडो के पास खड़ा हो गया. मम्मी ने दोबारा वोही इन्स्ट्रक्षन्स दिया और मैने फिर से नही सुने, बस मुन्डी हिला दी! मेरे चेहरे पर से एक हाथ फेरते हुए मम्मी ने कार का डोर बंद कर दिया.
मे: बाइ मम्मी. बाइ पापा! और तू, कार्टून! इसे उधर ही छोड़ कर आओ पापा!
मेरी इस बात पे सब हँसने लगे,मगर आकांक्षा तो जैसे उसके ख़यालो मे मेरी जान ही ले रही थी. उनकी टॅक्सी जब निकल गयी तो मैने एक चैन की साँस ली और अपने घर मे आ गया. नाचते गाते मैं अपने रूम मे आया और अपना मोबाइल उठाया. देखा तो 4 मिस्स्कल्ल थे

मैने फोन अनलॉक किया. पायल का कॉल आया था. 
"अर्रे?! आज सुबह सुबह!?"
मैने अपने आप से ही कहा. जब मेरा और नेहा का ब्रेक अप हुआ हैं और नॅचुरली, मेरी और वरुण की दोस्ती टूट गयी, उसके ही नेक्स्ट दिन पायल ने एक सीन क्रियेट कर दिया था. मैं उस वक़्त मौजूद तो नही था इसलिए जो भी हुआ वो सब मुझे बाकी दोस्तो ने ही बताया. अगले दिन जब वरुण कॉलेज मे आया तो बड़ा ही खुश लग रहा था. होता भी क्यू नही? उसने इतनी बड़ी जीत जो हासिल कर ली थी उसकी ज़िंदगी मे!! मेरे एक दोस्त,अमर, ने मुझे बताया कि लेक्चर स्टार्ट होने से 20 मिनट पहले वरुण क्लास रूम मे आया. कुछ 15-20 लोग ही थे क्लास मे. पायल कही 2न्ड लास्ट बेंच पर बैठी थी. यूष्यूयली वो इतने पीछे नही बैठती कभी. 1स्ट या 2न्ड बेंच पर ही बैठेगी हमेशा. उस दिन वो पीछे बैठी थी. वरुण ने अपनी बॅग रखी और दोस्तो से बात करने लगा. कुछ देर बाद उसकी नज़र पायल पर पड़ी जो पीछे बैठी थी. उसने उसके दोस्तो से कुछ कहा और वो पायल के बेंच के सामने जाकर खड़ा हो गया. उसने बड़ी ही स्टाइल से चुटकी बजा कर उससे कहा;
"ओये मेडम!! आज पीछे?"
पायल ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. वरुण ने दोबारा से पायल से कहा;
"अबे ओये? तुझ से ही बात कर रहा हू."
इस बार पायल ने वरुण की ओर बड़ी तीखी नज़र से देखा और उससे कहा;
"चला जा यहाँ से वरना मार खाएगा"
उसकी बात सुन कर वरुण को हँसी आ गयी और उसने कहा;
"ओह्ह्हो! अब तुझे क्या हुआ नौटंकी? किसका गुस्सा उतार रही है मुझ पर?"
पायल: दिस ईज़ युवर सेकेंड आंड लास्ट वॉर्निंग वरुण. चला जा, वरना तेरे लेफ्ट गाल पे ठीक 40 सेकेंड्स के बाद एक गहरा लाल रंग का निशान होगा. आइ प्रॉमिस दट!
पायल ने नीचे देखते हुए ही कहा. उतने मे ही वहाँ पर अमर आ गया और वरुण के पीछे जाकर खड़ा हो गया. वरुण ने अपनी मुन्डी घूमके अमर से कहा;
वरुण: ड्यूड! ये तो धमकी दे रही हैं. कह रही हैं कि अगर मैं यहाँ से नही गया तो ठीक अगले 40 सेक.....ओह्ह वेट नाउ 30 सेकेंड्स मे एक ज़ोरदार तमाचा मुझे मारेगी
अमर को भी हसी छूट गयी और वरुण दोबारा से पायल की ओर देख रहा था,बड़ी कामिनी मुस्कान के साथ. पायल अब भी नीचे ही देख रही थी;
वरुण: 25..24..23..22..21..20..19..18..17..16..15..14..13..12..11.10...ओह माइ गॉड! !8 सेकेंड्स रिमेनिंग..
पीछे से अमर भी बोल पड़ा;
"8..7..6..5..4..3..2..1..!!"
और जो ही अमर के मूह से '1' निकला, पायल अपनी बेंच पर से उठी और बोहोत ही खीच कर वरुण के गाल पे एक ज़ोरदार तमाचा दे मारा. इतना ज़ोर का कि पूरी क्लास मे ऐसा आवाज़ आई जैसे कि बाइक का टाइयर बर्स्ट हुआ हो. आवाज़ की वजह से सब लोगो की नज़रें पीछे मूढ़ गयी और उनकी ज़बान अपने आप ही रुक गयी. चांटा इतनी ज़ोर का था कि कुछ वक़्त तो वरुण को अपनी आस-पास की दुनिया का एहसास ही नही हुआ.और जब हुआ तो उसने सब लोगो को अपनी ओर घूरते हुए पाया और अपने गाल पे एक ज़ोरदार तमाचा पड़ने का एहसास भी उसे हो गया था. उसकी आखो मे पानी भी आ गया था ज़रा सा और वो फटी आखो से पायल की ओर देख रहा था. पायल दोबारा से अपनी बेंच पर बैठ गयी और बैठे बैठे ही बोली;
पायल: मैं तुझ जैसी नही हूँ वरुण. दोस्ती मे किए हुए प्रॉमिसस मैं हमेशा पूरे करती हूँ. चाहे कुछ भी क्यू ना हो जाए!
वरुण को तो जैसे साप सूंघ गया था. ना वो कुछ कह रहा था और ना ही वो अपनी जगह से हिल रहा था. अमर ठीक उसके पीछे खड़ा था. पायल ने बिना उपर देखे ही कहा;
पायल: अमर, लेकर जाओ इसे. नही तो थप्पड़ पार्ट 2 जल्द ही लॅंड करेगा इसके दूसरे गाल पर.
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