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RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
पड़ोस की कुछ भाभियाँ खबर सुनते ही बेला के घर आ पहुँची और बिंदिया को आगे वाले कमरे में ले जाकर उससे छेड़छाड़ करने लगीं। बेला अपनी बेटी के उदास चेहरे को देख कर समझ गई थी, कुछ ना कुछ गड़बड़ है, कहीं लड़के में तो कोई कमी नहीं… ये सोच कर बेला भी परेशान हो गई।
शाम को सोनू ऊपर कमरे में बैठा हुआ था और बोर हो रहा था, क्योंकि नीचे रजनी और जया पड़ोस की कुछ औरतों के साथ बातें कर रही थी.. सोनू रजनी को ये बोल कर घर से बाहर निकल गया कि वो थोड़ी देर घूमने के लिए जा रहा है।
आज तो सुबह से बहुत ठंड थी, सुबह से ही सूरज नहीं निकला था और शाम होते ही कोहरा छाने लगा था।
सोनू घर से निकल कर खेतों की तरफ बढ़ने लगा, रास्ते में कुछ लोग खेतों से लौट रहे थे। सोनू अपनी मस्ती में आगे बढ़ता जा रहा था। थोड़ी देर में ही सोनू गाँव से निकल कर काफ़ी आगे आ चुका था, तभी उसे अपने आगे चलते हुए एक बंजारन नज़र आई.. उसने काले रंग का लहंगा पहना हुआ था और ऊपर एक सफ़ेद रंग का कुर्ता पहना हुआ था।
सर्दी की वजह से उसने अपने ऊपर एक कंबल सा ओढ़ रखा था। अपने पीछे से आती क़दमों की आहट सुन कर उस बंजारन ने पीछे मुड़ कर सोनू की तरफ देखा और अपने ख्यालों में खोए हुए सोनू ने जब उसकी तरफ देखा, तो दोनों की नजरें आपस में जा टकराईं।
एक पल के लिए उस बंजारन के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई और फिर से आगे देखते हुए चलने लगी। कोहरा और गहराता जा रहा था, तभी हल्की-हल्की बारिश भी शुरू हो गई।
सोनू को ध्यान आया कि वो चलते हुए.. बहुत आगे निकल आया है और अगर बारिश तेज हो गई, तो वो इतनी ठंड में गीला हो जाएगा। उसके आगे चल रही बंजारन भी बारिश शुरू होते ही तेज़ी से चलने लगी और सोनू भी तेज़ी से चलने लगा।
वो बंजारन एक पेड़ के नीचे जाकर रुक गई। सर छुपाने के लिए और कोई जगह ना देख कर सोनू भी उसी पेड़ के नीचे जाकर खड़ा हो गया। बारिश अब तेज हो चुकी थी और वो घना पेड़ भी उनको बारिश के पानी से बचा नहीं पा रहा था। दोनों थोड़ा सा भीग गए थे। वो बंजारन कनखियों से बार-बार सोनू की तरफ देख रही थी।
“तुम यहाँ के तो नहीं लगते.. किसी के घर पर मेहमान बन कर आए हो?” उस बंजारन ने सोनू से पूछा।
सोनू ने एकदम चौंकते हुए कहा- जी.. जी.. हाँ..।
फिर अचानक से उस बंजारन की नज़र थोड़ी दूरी पर बने एक कमरे की तरफ पड़ी। दूर से देखने पर ही वो ख़स्ता हालत में लग रहा था। बंजारन ने उस तरफ इशारा करते हुए कहा- वहाँ पर एक कमरा है, शायद वहाँ कोई हो..।”
ये कह कर वो बंजारन तेज़ी से चलते हुए, उस कमरे की तरफ जाने लगी। उसने अपने ऊपर ओढ़े हुए कंबल को उतार कर अपनी बाँहों में छुपा लिया, ताकि वो गीला ना हो। सोनू भी उसके पीछे हो लिया।
जब दोनों उस कमरे के पास पहुँचे, तो उस कमरे पर एक बड़ा सा ताला लगा हुआ था.. जो कि जंग खाया हुआ था.. जिससे पता चजया था कि उस कमरे में बरसों से कोई नहीं रह रहा है। जिसे देख कर वो बंजारन थोड़ा परेशान हो गई.. बारिश तेज होती जा रही थी।
उस कमरे के पीछे बहुत से पेड़ लगे हुए थे। उसने सोचा यहाँ पर भीगने से अच्छा है कि वो पीछे पेड़ों के नीचे जाकर खड़ी हो जाए और वे दोनों कमरे के पीछे के तरफ पेड़ों की तरफ आ गए। सर्दी अब बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। काले बादलों ने अंधेरा सा कर दिया था। जबकि अभी शाम के 5 ही बजे थे।
तभी सोनू को कमरे के पीछे एक खिड़की दिखाई दी, जो टूटी हुई थी।
“ये देखो.. जहाँ से अन्दर जाया जा सकता है।” सोनू ने खुश होते हुए कहा। खिड़की ज्यादा उँची नहीं थी, महज 3 फुट उँची खिड़की से आसानी से अन्दर घुसा जा सकता था।
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RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
सोनू जल्दी से उस खिड़की को लाँघ कर कमरे में आ गया। उसके पीछे वो बंजारन भी आ गई। सोनू ने उसका हाथ पकड़ कर नीचे उतरने में मदद की।
“क्या नाम है तुम्हारा..?” बंजारन ने सोनू की तरफ देखते हुए पूछा।
सोनू- मेरा नाम सोनू है और तुम्हारा..?
बंजारन- मेरा नाम रजिया है।
रजिया की उम्र लगभग 32 साल की थी। उसका बदन एकदम मस्त था। दिन भर काम करने के कारण उसका बदन एकदम गठीला था। उसकी चूचियां ज्यादा बड़ी नहीं थीं, उसकी दोनों चूचियां आसानी से हाथों में समा सकती थीं.. पर एकदम कसी हुई और ठोस थीं।
सर्दी के कारण दोनों काँप रहे थे। कमरे में अन्दर आने के बाद रजिया ने एक बार खिड़की से बाहर झाँका.. तो देखा, अब बारिश बहुत तेज हो चुकी थी।
आसमान में देखने से ऐसा लग रहा था कि बारिश जल्दी रुकने वाली नहीं है। उसने अपने ऊपर कंबल ओढ़ लिया.. कमरे में एक तरफ सूखी हुई घास का ढेर लगा हुआ था। सोनू वहाँ पर जाकर बैठ गया, रजिया भी उसके पास आकर बैठ गई।
“लगता है आज बहुत देर तक बारिश होगी..।” रजिया ने बाहर की तरफ झाँकते हुए कहा।
सोनू ने काँपते हुए कहा- हाँ.. लगता तो ऐसा ही है।
रजिया- पर तुम इस समय यहाँ क्या कर रहे थे?
सोनू- दरअसल मैं एक गाँव में सेठ के घर पर नौकर हूँ और उनकी पत्नी के साथ उनके मायके यहाँ पर आया था.. घर पर मन नहीं लग रहा था, तो सोचा थोड़ा घूम लेता हूँ..और आप क्या कर रही हैं इधर.. आपका घर कहाँ पर है?
रजिया- अब क्या बताएं बाबू.. हम बंज़ारों का कहाँ कोई घर होता है… हम तो बस अपनी भैंसों के साथ एक गाँव से दूसरे गाँव भटकते रहते हैं। एक गाँव के बाहर 3-4 महीने तक ठहरते हैं और फिर किसी और जगह जाकर अपना डेरा डाल देते हैं। थोड़ी दूर जाने पर हमारा कबीला है..वहाँ पर हमने कुछ झोपड़ियाँ बनाई हुई हैं..फिलहाल तो वहीं रुके हुए हैं।
सोनू- तो आपको आपके घर वाले ढूँढ़ रहे होंगे.. बहुत देर हो चुकी है ना..।
रजिया- नहीं बाबू ऐसी बात नहीं है.. हमारा काम ही घूमना.. कई बार तो मुझे भी ऐसे बाहर रात काटनी पड़ी है.. कभी-कभी ऐसे जगह पर डेरा डालते हैं कि पानी ढूँढने के लिए दिन-दिन भर बाहर घूमना पड़ता है।
बातों-बातों में रजिया का ध्यान सोनू की तरफ गया। जो सर्दी के कारण बहुत काँप रहा था। रजिया की शादी बहुत छोटी उम्र में हो गई थी और उसके दो बेटे सोनू की उम्र के ही थे। रजिया को उस पर दया आ गई।
रजिया ने एक तरफ से कम्बल खोलते हुए कहा- अरे तुम तो बहुत काँप रहे हो बाबू.. मेरे पास इस कंबल में आ जाओ.. अगर तुम्हें ठीक लगे तो..।
सोनू को बहुत ठंड लग रही थी, उसने एक बार रजिया की तरफ देखा और फिर उस कंबल की ओर, जो थोड़ा सा मैला था.. पर ठंड से बचाने के लिए उसके पास और कोई चारा नहीं था। सोनू खिसक कर रजिया के पास आ गया।
अभी रजिया की नज़र अचानक कमरे में पड़ी.. सूखी हुई लकड़ियों पर पड़ी और उसने उठ कर कंबल सोनू को दे दिया और लकड़ियों को अपने पास कमरे के बीच में रख दिया.. फिर अपने कुर्ते की जेब से माचिस निकाल कर आग जलाने लगी।
आग जल गई.. रजिया ने राहत की साँस ली। बाहर अब अंधेरा बढ़ रहा था और बारिश पूरे ज़ोर से हो रही थी। आग जलाने के बाद वो सोनू के पास आकर बैठ गई और ऊपर कंबल ओढ़ लिया। कंबल ज्यादा बड़ा नहीं था.. दोनों के पीठ और कंधे तो ढक गए थे, पर सामने वाला हिस्सा खुला था.. जो सामने से उनको ढक नहीं पा रहा था।
बाहर से आती तेज और सर्द हवा से वो दोनों और काँप उठते, भले ही आग से थोड़ी गरमी मिल रही थी, पर सर्दी इतनी अधिक थी कि आग की तपिश ना के बराबर थी।
रजिया ने सर्दी से ठिठुरते हुए कहा- ये कंबल थोड़ा छोटा है ना..।
सोनू- ये ऐसे हम दोनों के ऊपर नहीं आएगा। आप इसे ओढ़ लो.. मैं ठीक हूँ।
रजिया- ना बाबू.. सर्दी बहुत है। तबियत खराब हो जाएगी तुम्हारी..।
सोनू खड़ा हो गया और खिड़की के से बाहर देखने लगा.. बाहर देख कर ऐसा लग रहा था कि आज तो मानो आसामान फट पड़ेगा.. वो निराश होकर वापिस आग के पास आकर बैठ गया।
“अरे बाबू कह रही हूँ ना… कंबल के अन्दर आ जाओ ठंड बहुत है.. बारिश बंद होने दो.. फिर चले जाना..।”
सोनू- तुम मुझे बाबू क्यों कह रही हो..?मैं तो एक मामूली सा नौकर हूँ।
रजिया ने हंसते हुए कहा- अरे.. वो हमारे घर में बाबू प्यार से बच्चों को कहते हैं.. चल इधर आ जा नहीं तो ठंड लग जाएगी।
सोनू- पर ये बहुत छोटा है, हम दोनों को ठीक से ढक भी नहीं सकता।
रजिया- अरे तो कौन सा सारी उम्र यहाँ पड़े रहना है… बारिश बंद होते चले तो जाना है।
सोनू खड़ा हुआ.. रजिया के ठीक पीछे जाकर बैठ गया। सोनू रजिया के पीछे जहाँ घास पर बैठा था.. वो ढेर रजिया के बैठने वाली जगह से कुछ उँची थी। वो अपने टाँगों को घुटनों से मोड़ कर बैठ गया। उसके दोनों घुटने रजिया के बगलों को छू रहे थे।
“लाओ कंबल दो..” सोनू ने पीछे सैट होकर बैठते हुए कहा।
रजिया कुछ समझ नहीं पाई और उसने कंबल सोनू को दे दिया.. सोनू ने अपने ऊपर कंबल ओढ़ कर आगे की तरफ बढ़ाया और रजिया को पकड़ा दिया और फिर थोड़ा सा आगे खिसका। जिससे सोनू का बदन रजिया के पीठ से एकदम सट गया.. एक पल के लिए किसी अंज़ान और जवान लड़के के बदन का स्पर्श पाकर रजिया का पूरा बदन सिहर गया।
वो थोड़ी हिचकी और आगे को सरकी, पर ठीक उसके आगे आग जल रही थी।
रजिया ने सोचा अभी इस बच्चे से क्या शरमाना और कंबल को आगे से बंद कर दिया.. दोनों एकटक इसी हालत में बाहर खिड़की के ओर झाँक रहे थे कि कब बारिश बंद हो।
सोनू एक मस्त और गदराए हुए बदन की औरत के इतने करीब होते हुए भी उसका ध्यान घर की तरफ था कि रजनी चिंता कर रही होगी।
अनजाने में ही सोनू का हाथ रजिया की कमर पर जा लगा और उसने अपना हाथ वहीं रख दिया। सोनू से अनजाने में हुई इस हरकत ने रजिया के बदन को झिंझोड़ कर रख दिया। सोनू के गरम हाथ के स्पर्श को अपनी कमर पर महसूस करके उसके पूरे बदन में मदहोशी छाने लगी और उसके बदन ने एक झटका खाया.. जिसे सोनू ने भी महसूस किया।
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RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
सोनू ने झट से अपना हाथ रजिया की कमर से हटा लिया। इतने में बाहर जोरों से बदल गरजे। जिसकी आवाज़ सुन कर रजिया एकदम सहम गई और पीछे को हो गई। उसकी पीठ अब पूरी तरह से सोनू की छाती से चिपक गई थी।
इससे सोनू का लण्ड अब उसके पजामे में फूलने लगा और वो तन कर रजिया की कमर के नीचे चुभने लगा। जिससे महसूस करके रजिया एकदम से चौंक गई। रजिया के जिस्म की गरमी को महसूस करके सोनू भी अपना आपा खोने लगा और रजिया को जब उसका लण्ड अपनी कमर में चुभता सा महसूस हुआ.. तो उसने इस तरह बैठे रहना ठीक नहीं समझा और खड़ी होने लगी.. पर इससे पहले कि रजिया खड़ी होती..
सोनू ने अपना एक हाथ आगे ले जाकर रजिया की मांसल जांघ पर रख दिया। रजिया के पूरे बदन में करेंट सा दौड़ गया। उसने चौंकते हुए पीछे मुड़ कर सोनू की तरफ देखा और दोनों की नजरें आपस में जा टकराईं।
वक़्त मानो कुछ पलों के लिए थम गया हो, सोनू ने अपने हाथ से उसकी जांघ को मसलना चालू कर दिया, जिससे रजिया का हाथ फ़ौरन सोनू के हाथ के ऊपर आ गया और उसके हाथ को अपनी जांघ के ऊपर रेंगने से रोकने की कोशिश करने लगी। वो अब भी सोनू की आँखों में देख रही थी.. जैसे कह रही हो… ना बाबू ऐसा मत करो…।
इससे पहले कि रजिया कुछ और कर पाती.. सोनू ने अपना दूसरा हाथ आगे ले जाकर रजिया के बाईं चूची को दबोच लिया। रजिया की चूचियां ज्यादा बड़ी नहीं थीं। उसकी चूची लगभग सोनू के हाथ में समा गई थीं।
“अई.. ये.. क्या कर रहे हो बाबू हटो..।” रजिया ने हड़बड़ाते हुए कहा।
पर सोनू तो जैसे अपने होश में ही नहीं था.. वो एक हाथ से रजिया की चूची दबाए हुए था और दूसरे हाथ से उसकी जांघ को सहला रहा था। रजिया ना चाहते हुए भी मदहोश हुई जा रही थी।
वो, “बस ना करो बाबू..” बड़बड़ाए जा रही थी।
तभी रजिया की मानो जैसे सांस हलक में अटक गई हो…उसकी चूत में तेज सरसराहट हुई और उसने अपनी दोनों जाँघों को भींच लिया।
क्योंकि सोनू ने अपना हाथ सरका कर उसकी चूत पर रख कर सहलाना शुरू कर दिया था। रजिया एकदम से हड़बड़ा गई और उठ कर खड़ी हो गई। उसने एक बार सोनू की तरफ देखा। उसकी साँसें चढ़ी हुई थीं और उसकी चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थीं। जिसे सोनू अपनी खा जाने वाली नजरों से देख रहा था।
रजिया ने नजरें नीचे झुका लीं और खिड़की पास जाकर खड़ी होकर बाहर देखने लगी। उसकी साँसें अभी भी तेज चल रही थीं। तभी उसको सोनू के क़दमों की आहट अपने पास आती हुई महसूस हुई, रजिया का दिल जोरों से धड़कने लगा। सोनू रजिया के पीछे जाकर खड़ा हो गया, रजिया ने आगे सरकने की कोशिश की.. पर आगे जगह नहीं थी।
सोनू ने आगे बढ़ कर रजिया की गर्दन पर अपने दहकते होंठों को रख दिया। रजिया के मुँह से मस्ती भरी ‘आह’ निकल गई।
उसकी आँखें मस्ती में धीरे-धीरे बंद होने लगीं। सोनू के हाथ फिर से उसके खुली हुई जाँघों के ऊपर आ गए और वो उसके बदन को सहलाने लगा। रजिया के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई।
सोनू का खड़ा लण्ड रजिया के लहँगे के ऊपर उसकी गाण्ड के छेद पर दस्तक देने लगा। जिसे महसूस करके रजिया का पूरा बदन मस्ती में कांपने लगा। उसकी चूत की फाँकें फड़फड़ाने लगीं।
रजिया ने सोनू को पीछे धकेला और तेजी से चलते हुए फिर उसी घास के ढेर के पास आ गई और झुक कर वहाँ पड़े कम्बल को बिछा दिया। सोनू खिड़की पास खड़ा हैरान सा रजिया की तरफ देख रहा था।
कंबल बिछाने के बाद रजिया उस पर खड़ी हो गई। उसने एक बार सोनू की ओर देखा और फिर अपने नज़रें नीचे कर लीं और अपने कुर्ते को पकड़ कर एक झटके से अपने बदन से अलग कर फेंक दिया, उसने नीचे कुछ नहीं पहना हुआ था।
आग की रोशनी में उसका नंगा जिस्म चमक उठा.. उसकी चूचियां एकदम कसी हुई और तनी हुई थीं। दो बच्चे पैदा करने के बाद भी उसकी चूचियां ज़रा भी ढीली नहीं पड़ी थीं।
फिर उसने एक बार सोनू की तरफ देखा और कम्बल पर लेट गई। सोनू ये सब देख कर एकदम से पागल हो गया.. उसने अपना पजामा उतार कर एक तरफ फेंक दिया और रजिया की तरफ बढ़ा।
सोनू का 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड देख रजिया के दिल के धड़कनें बढ़ गईं.. उसने अपने लहँगे को अपनी कमर से ऊपर उठा लिया। उसकी झांटों से भरी चूत सोनू की आँखों के सामने आ गई।
सोनू सीधा जाकर रजिया की टांगों के बीच में बैठ गया। लण्ड को अपनी चूत में लेने के चाहत के कारण रजिया की टाँगें खुद ब खुद फ़ैल गईं।
सोनू ने उसकी जाँघों को घुटनों से मोड़ कर अपने लण्ड के सुपारे को रजिया की चूत के छेद पर टिका दिया। रजिया की चूत ने सोनू के गरम लण्ड के सुपारे को महसूस करते ही पानी बहाना शुरू कर दिया। सोनू ने एक बार रजिया की मदहोशी भरी आँखों में देखा। जैसे वो लौड़ा घुसेड़ने की उससे इजाज़त लेना चाह रहा हो।
रजिया ने काँपती हुई आवाज़ में कहा- आह.. बाबू रुक क्यों गए.. चोदो ना मुझे.. चोद नाअ साले..।
सोनू ने मुस्कुराते हुए एक ज़ोरदार धक्का मारा। सोनू का आधे से ज्यादा लण्ड उसकी चूत में पेवस्त हो गया।
“आह्ह.. ओह्ह तू तो बड़ा चोदू है…रेई.. पहली चोट में ही हिला कर रख दिया..आह…।”
सोनू ने एक और जोरदार ठाप मारी और उसका पूरा लण्ड रजिया की चूत में समा गया। मस्ती में रजिया की टाँगें और उँची हो गईं और वो सोनू की पीठ पर अपनी बाँहों को कस कर अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उछाल कर सोनू का लण्ड लेने लगी। रजिया की चूत पूरी पनिया गई थी.. जिससे सोनू का लण्ड चिकना होकर तेज़ी से उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।
रजिया ने मस्ती में अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उछालते हुए कहा- आह ह.. छोड़ बाबू मुझे..अए आह.. बहुत मोटा लौड़ा है तेरा..अ ह.. पूरा अन्दर तक.. जा रहा है.. ओह हाआँ चोद मुझे ऐसे ही..ईए माआ मर..गइई..।
सोनू ने हाँफते हुए कहा- आह्ह.. आह यकीन नहीं होता तूने इस चूत से दो बच्चों को बाहर निकाला है साली.. बहुत कसी है तेरी चूत ओह..।
रजिया- हाआँ… तो फाड़ दे..ईए ना मेरी ..भोसड़ी को आह्ह..।
सोनू झुक कर रजिया की एक चूची को मुँह में भर लिया और उसकी चूची को ज़ोर-ज़ोर से चूसते हुए पूरी रफ़्तार के साथ धक्के लगाने लगा। रजिया भी मस्ती में अपनी चूत को ऊपर की तरफ उछाल कर सोनू का लण्ड अपनी चूत की गहराईयों में पूरा ले रही थी।
सोनू तेज़ी से धक्के लगाते हुए झड़ने के करीब पहुँच गया था।
“आह.. साली देख अब मेरा लण्ड पानी छोड़ने वाला है..।”
“आ..ह.. तो निकाल ना साले.. मेरी चूत में निकाल दे.. बरसों से प्यासी है.. मेरी बुर आह.. निकाल साले..।”
सोनू के लण्ड ने रजिया की चूत की चूत में वीर्य की बौछार कर दी.. रजिया भी आँखें बंद करके सोनू के लण्ड से निकाल रहे गरम वीर्य को महसूस करके झड़ने लगी।
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थोड़ी देर बाद सोनू रजिया के ऊपर से उठ गया और अपना पजामा पहनने लगा। रजिया भी खड़ी हो गई और अपनी जाँघों को फैला कर अपनी चूत को देखने लगी। सोनू का वीर्य उसकी चूत से निकल कर उसकी जाँघों को भिगो रहा था। रजिया ने एक नज़र सोनू की तरफ डाली और जैसे ही सोनू ने उसकी तरफ देखा, उसने शरमा कर नजरें झुका लीं।
रजिया ने शरमाते हुए कहा- छोरे.. तेरे लण्ड ने सच में मेरी चूत की तबियत खुश कर दी.. कितने दिन और है यहाँ पर…?
सोनू- शायद 3-4 दिन..।
रजिया- फिर मिलोगे मुझे….? मेरी चूत अब तेरा लण्ड खाए बिना नहीं मानेगी।
सोनू- कोशिश करूँगा.. अगर वक्त निकाल पाया तो..।
रजिया ने बाहर देखा.. बारिश अभी भी हो रही थी, पर अब सिर्फ़ बूँदा-बांदी थी।
रजिया- अब तू घर जा सकता है.. बारिश भी धीमी पड़ गई है।
सोनू- हाँ.. वो तो देख रहा हूँ।
उसके बाद दोनों अपने-अपने ठिकानों की तरफ चल पड़े। जब सोनू घर पहुँचा तो रजनी उसके लिए बहुत परेशान थी। सोनू ने उससे बताया कि वो बारिश की वजह से रुक गया था। रजनी ने उससे ऊपर जाने के लिए कहा और खुद चाय बना कर सोनू के लिए ऊपर कमरे में ले आई। चाय पीते हुए दोनों आपस में बातें करने लगे।
दूसरी तरफ बेला के घर पर आसपास की औरतें बिंदिया से मिल कर अपने-अपने घर जा चुकी थीं। अब बेला रात के खाने की तैयारी कर रही थी। उसका मन अपनी बेटी के उदास चेहरे को देख कर बहुत दु:खी था और वो अपनी बेटी के दु:ख का कारण जानना चाहती थी।
शाम को रघु अपने ससुर के साथ घूमने के लिए बाहर चला गया.. मौका देख कर बेला अपनी बेटी बिंदिया के पास जाकर बैठ गई और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर ऊपर उठा कर उसकी आँखों में देखते हुए बोली।
बेला- क्या बात है बेटी.. मैं देख रही हूँ… जब तू आई है.. तेरा चेहरा लटका हुआ है। जरूर कोई बात हुई है तेरे मायके में.. सच-सच बता।
बिंदिया ने अपनी माँ की बात सुन कर घबराते हुए कहा- नहीं माँ.. ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, मैं बहुत खुश हूँ.. तुम बेकार ही परेशान हो रही हो।
बेला- देख बेटा… मैं तेरी माँ हूँ और तुम मुझसे कुछ नहीं छुपा सकतीं… बता ना क्या बात है…?
बिंदिया- वो माँ वो….।
बिंदिया को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि जो उसके साथ हुआ.. वो अपनी माँ को बताए या नहीं कहे।
बेला- हाँ.. बोल बेटा, मुझसे डर नहीं.. आख़िर मैं तेरी माँ हूँ.. तू अगर अपना दुख-सुख मुझसे नहीं कहेगी तो किससे कहेगी..?
बिंदिया- वो माँ कल रात को….।
बेला- हाँ.. बोल बेटा क्या हुआ कल रात को..?
बिंदिया- वो माँ कल रात को कुछ नहीं हुआ.. वो नाराज़ होकर कमरे से बाहर चले गए।
बेला ने परेशान होते हुए कहा- क्यों क्या हुआ.. कहीं दामाद जी में तो कोई कमी…।
बिंदिया ने अपनी माँ को बीच में टोकते हुए कहा- नहीं माँ… दरअसल मैं कल रात दर्द सहन नहीं कर पाई और वो मुझसे नाराज़ होकर कमरे से बाहर चले गए।
बेला- ओह्ह.. अच्छा देख बेटा, पहली बार हर औरत को ये दर्द तो सहना पड़ता है.. इसके सिवा और कोई चारा भी नहीं… बाद में तुम्हें ठीक लगने लगेगा।
बिंदिया- माँ तुम समझ नहीं रही हो..।
बेला- तो फिर खुल कर बता ना.. क्या हुआ।
बिंदिया- वो माँ अब कैसे बोलूँ….।
बेला- देख बेटा जब लड़की बड़ी हो जाती है। तो वो अपनी माँ की सहेली बन जाती है… तू मुझसे किसी भी तरह की बात कर सकती है.. बोल ना क्या बात है।
बिंदिया- वो माँ उनका ‘वो’ बहुत बड़ा है।
बेला बिंदिया की बात सुन कर थोड़ा शर्मा गई और नीचे ज़मीन की ओर देखते हुए बोली- तू किस्मत वाली है बेटी.. ऐसा पति नसीब से मिजया है… थोड़ा सबर रख कर काम लेना, सब ठीक हो जाएगा।
ये कह कर बेला बाहर आ गई और खाना तैयार करने लगी.. खाना बनाते हुए उसके दिमाग़ में अपनी बेटी की कही बातें घूम रही थीं।
“क्या जो बिंदिया कह रही थी, वो सच है…? क्या रघु का सच मैं इतना बड़ा लण्ड है कि बिंदिया सुहागरात को उसका लण्ड झेल नहीं पाई। फिर उसने अपने सर को झटक दिया कि ये मैं क्या सोच रही हूँ..वो मेरे सग़ी बेटी का सुहाग है.. मुझे उसके बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए।”
रात ढल चुकी थी और बेला अपने पति और दामाद रघु को खाना परोस रही थी.. उसका ध्यान बार-बार रघु के पजामे की तरफ जा रहा था.. यहाँ से रघु का पजामा थोड़ा फूला हुआ था। वो चाह कर भी वहाँ देखने से अपने आप को रोक नहीं पा रही थी और ये बात रघु जान चुका था कि उसकी सास उसके लण्ड की तरफ चाहत भरी नज़रों से देख रही है।
बेला का पति तो बाहर से शराब पी कर नशे में टुन्न होकर आया था और उसकी पत्नी की नजरें कहाँ पर है, वो इस बारे में सोच भी नहीं सकता था।
जब बेला खाना परोसते हुए.. रघु के आगे झुकी, तो उसका आँचल उसके कंधों से खिसक गया और उसकी चूचियों की घाटी रघु की आँखों के सामने तैर गई।
बेला ने शरमाते हुए अपना पल्लू ठीक किया और रघु की आँखों में देख कर मुस्कुराते हुए बाहर चली गई।
बेला को थोड़ा सा अजीब सा भी लग रहा था कि उसका दामाद उसकी चूचियों को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था.. ये सोच कर उसके होंठों पर मुस्कान फ़ैलती जा रही थी।
खाना खाने के बाद बेला का पति बाहर वाले कमरे में जाकर सो गया। बेला ने अपनी बेटी-दामाद और अपने लिए अन्दर वाले कमरे में नीचे बिस्तर लगा दिया। तीनों नीचे बिछे बिस्तरों पर लेट गए।
बिंदिया अपनी माँ और पति रघु दोनों के बीच मैं सो रही थी और काफ़ी देर तीनों ऐसे ही लेटे हुए थे। नींद तीनों की आँखों से कोसों दूर थी और सब के मन में अलग ही कसमकस थी।
रघु का लण्ड ये सोच कर तना हुआ था कि उसकी सास जैसे गदराई हुई औरत उसके लण्ड की तरफ कैसे हसरत भरी नज़रों से देख रही थी। दूसरी ओर बिंदिया अपने साथ हुए इस अन्याय के बारे में सोच रही थी कि अब उसकी जिंदगी कैसे गुज़रेगी और तीसरी तरफ बेला की चूत ये सोच-सोच कर पानी बहा रही थी कि उसकी बेटी की चूत कितनी किस्मत वाली है कि उसके पति का लण्ड इतना बड़ा है।
ये सोचते हुए उसके दिमाग़ में रघु के लण्ड के एक छवि सी बन गई थी और उसकी चूत कामरस छोड़ते हुए भट्टी सी दहक रही थी।
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रघु का लण्ड उसके धोती में एकदम तना हुआ था, लालटेन के धीमी रोशनी कमरे में फैली हुई थी, रघु ने बिंदिया की तरफ करवट बदली और उसकी कमर पर हाथ रख दिया।
बिंदिया जो अभी तक जाग रही थी, रघु के हाथ को अपने ऊपर महसूस करके एकदम सिहर गई, दोनों एक ही रज़ाई के अन्दर लेते हुए थे और बेला दूसरी रज़ाई में थी।
रघु ने अपने हाथ को बिंदिया के चेहरे पेट पर घुमाना चालू कर दिया। बिंदिया एकदम से काँप गई, उसने रघु के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया और रघु की तरफ चेहरे को घुमा कर देखने लगी। दोनों की नजरें आपस में जा टकराईं।
बिंदिया पीठ के बल लेटी हुई थी, वो कभी चेहरे को अपनी माँ बेला की तरफ घुमा कर देखती.. तो कभी रघु की तरफ..।
बिंदिया को इस बात का भरोसा नहीं हो रहा था कि रघु जो कल तक उससे देखना पसंद नहीं करता था। आज उससे अपनी बांहों में भरे हुए है।
रघु ने उसके कंधों को पकड़ कर अपनी तरफ घुमा लिया.. अब दोनों एक-दूसरे की आँखों में झाँक रहे थे। इससे पहले कि बिंदिया को कुछ समझ आता, रघु ने पीठ के बल लेटते हुए.. अपने दोनों के ऊपर से रज़ाई को कमर तक सरका दिया।
अब बिंदिया करवट के बल लेटी हुई थी। उसकी पीठ अपनी माँ बेला की तरफ थी और रघु पीठ के बल लेटा हुआ था।
अपने पास हो रही सरसराहट से बेला का ध्यान उन दोनों की तरफ गया। जो अभी तक सोई हुई नहीं थी और वो अपने सर को थोड़ा सा उठा कर दोनों की तरफ देखने लगी.. क्योंकि बिंदिया की पीठ उसकी तरफ थी, इसलिए बेला ठीक से देख नहीं पा रही थी।
रज़ाई को कमर तक सरकाने के बाद.. रघु ने अपनी धोती को अपने ऊपर से हटा दिया। उसका 8 इंच का फनफनाता हुआ लण्ड बाहर उछल पड़ा। जिससे देख कर बिंदिया के दिल की धड़कनें थम गईं। वो फटी हुई आँखों से कभी रघु की तरफ देखती और कभी रघु के मूसल जैसे काले लण्ड की तरफ।
“माँ उठ जाएगी..।” बिंदिया ने घबराते हुए फुसफुसाया।
रघु ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और बिंदिया का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड के ऊपर रख दिया। बिंदिया का पूरा बदन एकदम से काँप गया, साँसें मानो जैसे थम गई हों। उसको ऐसा लग रहा था.. जैसे उसने कोई लोहे के गरम रॉड पकड़ ली हो। वो बुरी तरह सहम गई और उसने अपना हाथ पीछे को खींच लिया।
ये देख रघु करके होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई, वो अपने होंठों को बिंदिया के कानों के पास ले गया और धीमे स्वर में बोला- ओए डर क्यों रही है.. हिला ना इसे.. मेरी जान..।”
ये कहते हुए उसने फिर से बिंदिया का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड के ऊपर रख दिया और उसका हाथ पकड़े हुए मुठ्ठ मारने वाले अंदाज में बिंदिया के हाथ को धीरे-धीरे अपने लण्ड पर आगे-पीछे करने लगा।
बिंदिया शरम से गढ़ी जा रही थी।
थोड़ी देर बाद रघु ने बिंदिया के हाथ से अपना हाथ हटा लिया और थोड़ा सा बिंदिया के तरफ झुकते हुए, उसके होंठों की तरफ अपने होंठों को बढ़ाने लगा। बिंदिया की धड़कनें एकदम से तेज हो गईं और उसने अपने आँखों को बंद कर लिया।
जैसे ही रघु ने बिंदिया के होंठों पर अपने होंठों को रखा.. बिंदिया के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
रघु धीरे-धीरे उसके होंठों को चूसने लगा, बिंदिया भी धीरे-धीरे गरम होने लगी। रघु ने एक हाथ बिंदिया की बाईं चूची पर रख कर धीरे से उसे मसल दिया, बिंदिया के पूरे बदन में मानो करेंट सा दौड़ गया।
उसका हाथ रघु के लण्ड पर खुद ब खुद आगे-पीछे होने लगा। पीछे लेटी हुई बेला ये नज़रा आँखें फाड़े देख रही थी।
उसकी नज़र रघु के फुंफकार रहे काले चमड़ी वाले लण्ड और उसके गुलाबी सुपारे पर से हट ही नहीं रही थी और उसकी बेटी रघु के लण्ड को धीरे-धीरे हिला रही थी।
ये देख कर बेला की चूत पूरी तरह पनिया गई, उसका हाथ लहँगे के ऊपर उसकी चूत पर आ गया और वो अपनी पनियाई हुए चूत को धीरे-धीरे लहँगे को ऊपर से मसलने लगी।
पीछे लेटी हुई बेला ये नज़रा आँखें फाड़े देख रही थी।
उसकी नज़र रघु के फुंफकार रहे काले चमड़ी वाले लण्ड और उसके गुलाबी सुपारे पर से हट ही नहीं रही थी और उसकी बेटी रघु के लण्ड को धीरे-धीरे हिला रही थी।
ये देख कर बेला की चूत पूरी तरह पनिया गई, उसका हाथ लहँगे के ऊपर उसकी चूत पर आ गया और वो अपनी पनियाई हुए चूत को धीरे-धीरे लहँगे को ऊपर से मसलने लगी।
रघु भी बिंदिया के होंठों को चूसते हुए.. उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी मसल रहा था और बिंदिया की चूत भी धीरे-धीरे पानी बहाने लगी।
रघु ने अपना दूसरा हाथ नीचे ले जाकर बिंदिया के लहँगे को ऊपर खिसकाना चालू कर दिया.. बिंदिया का जवान बदन रघु के दमदार हाथों से रगड़े जाने के कारण बेकाबू हो गया था।
वो इस कदर गरम हो गई थी कि वो ये भी भूल गई थी कि उसकी माँ भी उसी कमरे में है। लहंगा ऊपर सरकते ही.. रघु ने चड्डी के ऊपर से बिंदिया की चूत पर हाथ रख कर धीरे-धीरे सहलाना शुरू कर दिया। अपनी चूत पर रघु के हाथ पड़ते ही.. बिंदिया एकदम से मचल उठी।
उसकी चूत ने कामरस बहाना और तेज कर दिया.. उसकी साँसें और तेज हो गईं। गनीमत थी कि रघु ने उसके होंठों को अपने होंठों में भर रखा था।
ये सब देख कर पीछे लेटी बेला का बुरा हाल हो रहा था, उसकी चूत पूरी पनिया गई थी। बिंदिया का हाथ अब पूरी तेज़ी से रघु के लण्ड के ऊपर आगे-पीछे हो रहा थे। उसके हाथों में पहनी हुई चूड़ियाँ बजने लगी थीं। जो बेला को और गरम बना रही थीं।
बिंदिया की जवान चूत को पहली बार ऐसे किसी ने टटोला था। जवानी की आग और चूत पर रघु के हाथों ने बिंदिया के सबर का बाँध तोड़ दिया और उसकी चूत ने कामरस बहाना शुरू कर दिया।
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RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
ये कहते हुए रघु ने अपनी धोती को खोल कर चारपाई पर फेंक दिया और खुद बेला के सामने खड़ा हो गया। उसका काला लण्ड किसी नाग के तरह फुंफकारते हुए हवा में झटके खा रहा था। जिसे देख बेला कर आँखें झपकाना भूल गईं, उसकी साँसें तेज होने लगीं।
“ये.. ये.. क्या कर रहे हैं दामाद जी आप…?” बेला ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में कहा।
रघु ने मुस्कुराते हुए कहा- आपको अपने दिल का हाल दिखा रहा हूँ सासू जी.. देखिए ना.. जब से आपको देखा है, ये बैठने का नाम ही नहीं ले रहा है।
बेला ने घबरा कर बाहर की ओर देखते हुए कहा- ये आप ठीक नहीं कर रहे दामाद जी.. वो बाहर दरवाजा खुला है.. अगर बिंदिया ने आकर आपको इस हालत में देख लिया तो वो मेरे बारे में क्या सोचेगी।
रघु- वो कुछ भी सोचे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.. आख़िर उसने अभी तक मुझे मेरे पति होने का हक़ तो दिया नहीं।
बेला ने काँपती हुई आवाज़ में कहा- देखिए दामाद जी..आप ये धोती पहन लीजिए.. बिंदिया अभी बच्ची है… मैं उससे बात करूँगी।
इतने में बाहर से बिंदिया के हँसने की आवाज़ आई। रघु ने अपनी धोती फ़ौरन बाँध ली.. बिंदिया की आवाज़ घर के बाहर से आ रही थी.. शायद वो अपनी किसी सहेली से बात करते हुए घर के बाहर खड़ी थी। उसकी आवाज़ सुन कर बेला एक पल के लिए बुरी तरह घबरा गई।
चलिए दूसरी तरफ चलते हैं वहाँ अपना सोनू अपनी मालकिन को आपके लिए बैठा है।
दूसरी तरफ रजनी और सोनू नास्ता करके बैठे ही थे कि बाहर दरवाजे पर दस्तक हुई, जब जया ने बाहर जाकर दरवाजे खोला तो सामने सेठ गेंदामल की दुकान का नौकर खड़ा था। उसने बताया कि सेठ की नई पत्नी.. सीमा की तबियत अचानक से खराब हो गई है और सेठ ने रजनी मालकिन को जल्द ही वहाँ वापिस बुलाया है।
जया और रजनी ने उस आदमी को ये कह कर वापस भेज दिया कि वो कल पहुँच जायेंगे।
दोपहर का वक़्त था। रजनी के मायके का घर तो सोनू के लिए मानो स्वर्ग ही था और वापिस जाने के खबर को सुन कर रजनी, जया और सोनू तीनों थोड़ा दुखी थे। आख़िर एक ना एक दिन तो उनको वापिस जाना ही था, रजनी ऊपर आकर अपना सामान पैक करने लगी। उसकी माँ जया भी उसका हाथ बंटाने लगी।
“रहने दीजिए ना माँ.. मैं कर लूँगी..।” रजनी ने जया की तरफ देखते हुए कहा।
“तो क्या हुआ बेटी.. मैं वैसे भी खाली ही बैठी थी।”
रजनी- माँ अब कल वापिस जा रहे हैं, पता नहीं फिर कब यहा आना हो।
जया- कोई बात नहीं बेटी, जब चाहे आ जाना।
फिर रजनी को सोनू और अपने सामान को पैक करने में काफ़ी वक़्त लगा। सोनू बाहर जाकर एक तांगे वाले को कल के लिए बोल आया था।
रात ढलते ही सोनू और रजनी दोनों ऊपर अपने कमरे में आ गए। सोनू ने अन्दर आते ही.. रजनी को अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगा.. पर रजनी ने उसे पीछे हटा दिया।
रजनी- देखो ना हम कल जा रहे हैं.. उसके बाद माँ यहाँ फिर से अकेली हो जाएगी..।
सोनू रजनी की बात सुन कर चुप हो गया।
“मैं पेशाब करके आती हूँ।” ये कह कर रजनी कमरे से बाहर चली गई।
सोनू बिस्तर पर बैठ गया.. उसका दिल यहाँ से जाने का बिल्कुल भी नहीं था, पर वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था। सोनू बिस्तर पर बैठा हुआ था, तभी जया कमरे में आ गई..उसके हाथों में दो गिलास थे।
“ये लो तुम दोनों दूध पी लो..।” ये कहते हुए जया ने दूध के गिलास मेज पर रख दिए।
सोनू को यूँ उदास देख कर जया उसके पास जाकर बैठ गई।
“क्या हुआ इतना उदास क्यों है..?” जया ने सोनू की तरफ देखते हुए कहा।
“वो हम कल जा रहे है ना इसलिए।”
जया सोनू की बात सुन कर मुस्कुरा दी।
“तो तू क्यों उदास हो रहा है.. रजनी तो तुम्हारे साथ ही है ना.. अकेली तो मैं रह जाऊँगी।” जया ने सोनू की जांघ को सहलाते हुए कहा।
सोनू ने जया की तरफ देखा.. जया की आँखों में वासना की खुमारी छाई हुई थी। दोनों एकटक एक-दूसरे की नजरों को देख रहे थे।
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जया को इससे पहले कि कुछ समझ आता.. सोनू बिस्तर पर चढ़ गया.. उसने एक हाथ से रजनी का हाथ पकड़ा हुआ था। जैसे ही सोनू बिस्तर पर चढ़ा, उसने रजनी को बिस्तर पर खींच लिया। रजनी गिरते हुए बिस्तर पर आ लेटी।
अब जया और रजनी दोनों एक-दूसरे के बगल में लेटी हुई थीं। रजनी ने उठना चाहा तो सोनू ने ये कह कर उससे रोक दिया कि अगर वो उससे प्यार करती है.. तो उसका साथ दे..।
रजनी वहाँ आँखें बंद करके लेट गई।
सोनू जया की जाँघों के बीच में बैठा हुआ था.. उसने जया के पेटीकोट को पकड़ कर ऊपर उठा दिया। जया ने एक बार रजनी की तरफ देखा जो कि आँखें बंद किए हुए उसकी बगल में लेटी हुई थी।
सोनू ने पलक झपकते ही अपने लण्ड के मोटे सुपारे को जया की चूत के छेद पर लगा दिया.. जया की चूत पहले से ही कामरस से सनी हुई थी।
अपनी चूत के छेद पर सोनू के लण्ड के मोटे और गरम सुपारे को महसूस करते ही.. जया की आँखें मस्ती में बंद हो गईं.. उसने अपने होंठों को अपने दाँतों में दबा लिया, ताकि उसकी मस्ती भरी सिसकारियां उसकी बेटी रजनी के कानों में ना पड़ें। उसका चेहरा शरम से लाल होकर दहक रहा था। सोनू ने जया के पैरों को घुटनों से मोड़ कर टाँगों को ऊपर उठा कर एक जोरदार धक्का मारा।
सोनू का लण्ड पूरी रफ्तार के साथ एक ही बार में जया की चूत की गहराईयों में जा घुसा.. जया के मुँह से घुटी हुई हल्की सी ‘आह’ निकल गई.. जिसे सुन कर रजनी की चूत की फाँकें भी कुलबुलाने लगीं।
उसने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल कर सोनू की तरफ देखा.. सोनू जया की टांगों के बीच घुटनों के बल बैठा हुआ था और उसकी माँ जया के टाँगें हवा में झूल रही थीं।
सोनू का लण्ड पूरा का पूरा जया की चूत की गहराईयों में समाया हुआ था।
सोनू ने अपने हाथ को आगे बढ़ा कर रजनी के हाथ को पकड़ कर उठा दिया.. जैसे रजनी ठीक उसके बराबर में आकर बैठ गई। सोनू ने अपना एक हाथ उसके पीछे से ले जाकर दूसरी तरफ वाले कंधे पर रख कर रजनी को अपने से सटा लिया।
“आह मालिकन.. देखो ना बड़ी मालकिन की चूत कैसे पानी टपका रही है।”
ये बात सुनते ही दोनों को चेहरे शरम से लाल हो गईं।
सोनू के धक्कों की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी और वो पूरी ताक़त के साथ अपनी गाण्ड को हिला-हिला कर अपना लण्ड जया की चूत में पेल रहा था। सोनू के ताबड़तोड़ धक्कों ने जया की चूत की दीवारों को हिला कर रख दिया। मस्ती में आकर जया अब अपनी मस्ती भरी सिसकारियों को चाह कर भी ना दबा पा रही थी।
“आहह.. ऊंहह आह धीरे ओह ओह्ह से..इई..”
अपनी माँ की मस्ती भरी सिसकियां सुन कर रजनी की चूत भी पसीजने लगी। चूत में लण्ड लेने की खुजली और बढ़ गई। रजनी ने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल कर जया की टाँगों के बीच में देखा, तो उसके दिल की धड़कनें और बढ़ गईं।
सोनू का 3 इंच मोटा और 8 इंच लंबा लण्ड जया की चूत की फांकों को फैलाए हुए तेज़ी से अन्दर-बाहर हो रहा था, उसका लण्ड जया की चूत के रस से भीग कर चमक रहा था। लण्ड ‘फच-फच’ की आवाज़ करता हुआ तेज़ी से उसकी चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था.. जिसे देख रजनी की चूत भी पूरी तरह पनिया गई।
उसका हाथ एक खुद ब खुद अपने पेटीकोट के ऊपर से चूत पर पहुँच गया और वो अपनी चूत को मुठ्ठी में भर कर मसलते हुए अपनी माँ को सोनू का लण्ड अपनी चूत में लेते हुए देखने लगी। रजनी का दूसरा हाथ सोनू की छाती पर आ गया और वो सोनू की छाती को सहलाने लगी। सोनू समझ गया कि अब रजनी भी पूरी तरह गरम हो चुकी थी।
सोनू ने रजनी के कंधे से हाथ को सरका कर आगे ले जाकर ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को दबोच लिया और ज़ोर से मसलने लगा.. तभी रजनी का ध्यान जया की चूत से हटा और वो सोनू की तरफ देखने लगी। जैसे ही उसके नजरें सोनू से मिलीं, रजनी बुरी तरह से झेंप गई.. उसके गाल किसी सेब के जैसे लाल होकर दिखने लगे।
सोनू ने उसे अपने और पास खींच कर उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और उसके होंठों को चूसते हुए जया की चूत में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
जया भी अपनी मदहोशी भरी आँखों को खोल कर रजनी और सोनू को देख कर मस्त हुई जा रही थी। सामने का कामुक नजारा देख कर.. जया की चूत ने सोनू के लण्ड को अपने अन्दर और कसना शुरू कर दिया।
सोनू का लण्ड धक्के मारते हुए जया की चूत से बाहर निकाल गया और जया की चूत की क्लिट पर रगड़ खा गया। जया मस्ती में एकदम गनगना उठी।
सोनू ने अपने होंठों को रजनी के होंठों से हटाया और अपने लण्ड को हाथ में लेकर रजनी को देखते हुए बोला- देखो मालकिन आपकी माँ की चूत कैसे पानी बहा रही है.. मेरा पूरा लण्ड सन गया…।
ये बात सुन कर जया और रजनी दोनों शर्मा गईं।
“मालकिन एक बार इसे अपने हाथ से बड़ी मालकिन की चूत में डालिए ना…।”
ये सुन कर जया के दिल की धड़कनें बढ़ गईं, उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि अब उसकी बेटी सोनू का लण्ड अपने हाथ से पकड़ कर उसकी ही चूत में डालने वाली है। सोनू ने रजनी का हाथ पकड़ कर अपने खड़े लण्ड पर रख दिया। रजनी की साँसें अब उखड़ने लगी थीं। सोनू ने अपने लण्ड से हाथ हटा लिया और जया की दोनों टांगों को ऊपर उठा कर फैला दिया।
अब रजनी के आँखों के सामने जया की चूत का लबलबाता हुआ छेद नुमायाँ हो गया था। उसकी चूत का छेद कामवासना में कभी सिकुड़ता और कभी फ़ैल रहा था। रजनी ने अपने कंपकंपाते हाथ से सोनू के लण्ड को पकड़ कर जया की चूत के छेद पर टिका दिया.. जया की आँखें एक बार फिर से मस्ती में बंद हो गईं।
“थोड़ा सा चूत को खोलो तो सही मालकिन..” सोनू ने रजनी की चूची को दबाते हुए कहा।
अपने सामने सोनू के लण्ड को जया की चूत में जाता देख रजनी एकदम मस्तया गई.. उसने अपने दोनों हाथों से जया की चूत की फांकों को पकड़ कर फैला दिया। सोनू ने बिना एक पल रुके एक जोरदार धक्का मारा.. सोनू का लण्ड एक बार फिर से जया की चूत की गहराईयों में उतर गया। अब तक चुपचाप लेटी हुई जया भी मस्ती से सराबोर हो गई।
“ओह्ह आह्ह.. धीरेए से..इईईईई… कैसा मोटा लौड़ा है रेईए रजनी तेरे इस नौकर का..अ आह्ह.. मेरे भोसड़ी को फाड़ दिया रे.. माँ..।”
अपनी माँ की मस्ती भरी सिसकियाँ सुन कर रजनी और मस्त हुई जा रही थी। सोनू ने उसे पकड़ कर जया के ऊपर कर दिया।
अब रजनी जया के ऊपर दोनों तरफ पैरों को करके घुटनों को बिस्तर पर टिका कर बैठी थी और उसके पीछे सोनू जया की टांगों के बीच में बैठा हुआ अपना लण्ड जया की चूत में अन्दर-बाहर करता हुआ, अपने दोनों हाथों को आगे ले गया और रजनी की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा।
सोनू के होंठ रजनी की गर्दन के पीछे वाले हिस्से पर रगड़ रहे थे। रजनी कामविभोर हो चुकी थी। सोनू ने रजनी की चूचियों को दाबते हुए धीरे-धीरे करके ब्लाउज के सारे हुक खोल दिए और उसके ब्लाउज को उतार कर एक तरफ फेंक दिया।
ब्लाउज उतारने के बाद उसने रजनी को आगे की तरफ झुका दिया और उसके पेटीकोट को उठा कर कमर पर रख दिया। जैसे ही रजनी जया के ऊपर झुकी.. रजनी की बड़ी-बड़ी गुंदाज चूचियां.. जया के ठीक मुँह के सामने आ गईं।
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