Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
08-23-2019, 01:34 PM,
#91
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
अपने दामाद के लण्ड का गरम सुपारे को अपनी चूत के छेद पर महसूस करके बेला एकदम मस्ती में काँप उठी। उसकी गाण्ड तकिए से थोड़ी ऊपर उठ गई.. जैसे वो लण्ड को अपनी चूत में लेने के लिए मचल रही हो और फिर रघु के एक जोरदार धक्के ने बेला की चूत की दीवारों को हिला कर रख दिया।

रघु के लण्ड का वार इतना तेज और जबरदस्त था कि रघु का लण्ड एक ही बार में बेला की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ.. पूरा का पूरा अन्दर जा घुसा। बेला के मुँह से दर्द और मस्ती भरी ‘आहह..’ निकल पड़ी। उसने हाथों को अपने टाँगों के नीचे से ले जाकर रघु की कमर को कस कर पकड़ लिया।

रघु ने भी उसकी टाँगों के नीचे से हाथ ले जाकर उसके कंधों को कस कर पकड़ लिया। अब रघु अपनी गाण्ड को हिलाते हुए.. उसकी चूत में अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा। बेला की मस्ती भरी सिसकारियाँ फिर से पूरे कमरे में गूंजने लगीं। बेला तो बस बैठी थी.. वो चाह कर भी हिल नहीं पा रही थी और रघु अपने मूसल लण्ड को पूरी ताक़त और बेरहमी के साथ बेला की चूत की गहराईयों में पेल रहा था।

रघु- आह्ह.. साली क्या.. चूत है तेरी..एकदम कसी हुई.. आज कल की छोकरियों की भी इतनी कसी नहीं होती.. ओह साली भोसड़ी है या भट्टी.. ओह्ह कितनी गरम है…।

रघु के जबरदस्त धक्कों से बेला का पूरा बदन मस्ती में थरथरा रहा था। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां हर धक्के से हिल रही थीं।

“अह.. मादरचोद अब बातें..चोदना बंद कर.. आह.. साले अपने माँ को भी इसी. आसन में चोदता है क्या.. आह्ह.. हरामी कुत्ते.. ओह फाड़ दे रे.. मेरी..ई चूत ओह्ह धीरेए… धीरेए अह आह ओह्ह..।”

बेला के होंठों की जकड़न लगातार बढ़ती जा रही थी। रघु के लण्ड का सुपारा बुरी तरह से उसकी चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अन्दर-बाहर हो रहा था। बेला भी जितना हो सकता था.. उतनी अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल कर रघु के लण्ड को अपनी चूत की गहराइयों में लेने की कोशिश कर रही थी। “साली तू आज चाहे मुझे जितनी भी गाली दे…. देखना मैं तुझे अपनी रांड बना कर रखूँगा… आह क्या कसी हुई चूत है तेरी…।”

बेला ने मस्ती में अपने होंठों को दाँतों से काटते हुए कहा- क्या.. क्या कहा.. तूने बहनचोद.. तू मुझे अपनी रांड बनाएगा..आआअ.. आह्ह.. साले वो तो मेरा..अह.. मर्द किसी काम का नहीं है.. वरना तेरी आह्ह.. धीरेए भोसड़ी के.. वरना तेरे जैसे कितने अपनीई चूत से निकाल देती अब तक…।

रघु- आहह.. चुप कर बहन की लौड़ी.. मैं हूँ ना अब निकाल लेना.. अपनी चूत से..उइई मेरे बच्चों को.. ।

रघु के ताबड़तोड़ धक्कों से बेला की हालत खराब होने लगी। उसकी चूत में सरसराहट और बढ़ गई और उसका पूरा बदन ऐसे अकड़ने लगा जैसे उसको कोई दौरा पड़ रहा हो। रघु जान गया कि अब ये रांड अपनी चूत से कामरस की नदी बहाने वाली है। उसने बेला के कंधों को और ज़ोर से पकड़ कर ‘धनाधन’ शॉट लगाने चालू कर दिए।

बेला- आह्ह.. चोद साले.. भोसड़ी के.. और ज़ोर लगा..आ बहनचोद.. मुझे रांड बनाएगा..आह दिखाअ.. तो सही अपने लौड़े का दमम्म्म आह्ह.. ऊंघ ओह्ह ओह्ह.. मैं गइई आह्ह..।

बेला की चूत से लावा के जैसी नदी बह निकली। वो बुरी तरह काँपते हुए झड़ने लगी। रघु के लण्ड ने भी बेला की चूत में अपने वीर्य की बौछार कर दी और दोनों हाँफने लगे। थोड़ी देर बाद जब दोनों की साँसें दुरस्त हुईं, तो रघु ने बेला के टाँगों को अपने कंधों से नीचे उतारा और उसके होंठों को एक बार चूस कर बोला।

रघु- क्यों सासू जी.. कैसा लगा अपने दामाद का लवड़ा.. अपनी चूत में लेकर…।

अब जब कामवसना का भूत बेला के दिमाग़ से उतर गया.. तो रघु के मुँह से अपने लिए ऐसी बात सुन कर वो बुरी तरह झेंप गई। रघु उठ कर खड़ा हो गया और पास पड़ी बेला की चोली को उठा कर अपने लण्ड पर लगे वीर्य और बेला की चूत के कामरस को साफ़ करने लगा। बेला चोर नज़रों से रघु को देख रही थी, जो अपने लण्ड को उसकी चोली से उसके सामने ही साफ़ कर रहा था।

बेला ने नाराज़ होने का नाटक करते हुए कहा- क्या दामाद जी.. मेरी चोली खराब कर रहे हो..।

रघु- एक बार मेरी रांड बन जा.. हर महीने तुझे नया लहंगा-चोली दिलवाता रहूँगा।

बेला रघु की बात सुन कर मुस्कराए बिना रह नहीं सकी। रघु अपना पजामा पहन कर बाहर चला गया और बेला अपने दूसरे कपड़े पहने लगी।
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08-23-2019, 01:34 PM,
#92
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
जैसे ही बेला ने अपने दूसरे कपड़े पहने.. बाहर दरवाजे पर दस्तक हुई। जब बेला ने जाकर दरवाजा खोला तो बिंदिया सामने खड़ी थी। बिंदिया को देखते ही.. उसने अपने सर को झुका लिया। वो बिंदिया से नज़रें नहीं मिला पा रही थी।

अब हम सीमा के मायके का रुख़ करते हैं। यहाँ पर सीमा दीपा और सोनू के साथ अपने मायके के घर पहुँच चुकी है।
उसी शहर में सोनू के माँ-बाबा का घर भी था। जैसे ही सोनू उस शहर में पहुँचा तो वो सीमा से इजाज़त माँग कर अपने घर अपने माँ-बाबा को मिलने के लिए चला गया।

दूसरी तरफ सेठ के घर में रजनी आज रात का बेसब्री से इंतजार कर रही थी कि कब रात हो और सेठ घर पर आए और वो उसके साथ हम-बिस्तर हो।
जिससे उसके पेट में पल रहे सोनू के अंश को वो सेठ का कह कर बेरोकटोक इस दुनिया में ला सके। आज रजनी को फिर से सब कुछ अपनी मुट्ठी में आता नज़र आ रहा था।

आख़िर अब फिर से उसके वश में हो सकता था.. सेठ तो अपने घर के वारिस के लिए कहाँ-कहाँ नहीं भटका था। अगर रजनी इस बात को साबित कर देती है कि उसके पेट में सेठ का वारिस पल रहा है, तो सेठ भी उसकी मुठ्ठी में आ जाएगा।


रात ढल चुकी थी, आज रजनी कुछ ज्यादा ही सजी-संवरी थी… नीले रंग की साड़ी और मैचिंग के ब्लाउज में वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी और रजनी ने जब से सोनू के लण्ड का स्वाद चखा था, तब से उसका बदन और भर गया था और वो पहले से भी ज्यादा कयामत लगने लगी थी।

जब सेठ घर वापिस आया तो रजनी का ये रूप देख कर सेठ भी हिल गया।
आज कई महीनों बाद उसने अपनी पत्नी रजनी को ध्यान से देखा था और रजनी आज खुद भी सेठ को अपने मस्त अदाएं दिखाते हुए अपने मखमली बदन के दर्शन करवा रही थी। रजनी के मस्त कर देने वाली अदाओं का जादू सेठ के सर पर चढ़ कर बोलने लगा। रजनी ने सेठ के लिए खाना लगाया और सेठ खाना खाने लगा।

खाना परोसते वक़्त वो सेठ को कुछ ज्यादा ही झुक कर अपने पहले से और ज्यादा और भर चुकी चूचियों के दर्शन करवा रही थी… जिससे देख कर सेठ की धोती के अन्दर हलचल होने लगी।
सेठ- क्या बात है रजनी.. आज तो तुम कयामत ढा रही हो.. कहीं मेरा कत्ल करने का इरादा तो नहीं है..।

रजनी- क्या आप भी ना… मैं भला ऐसा कर सकती हूँ..?
सेठ ने खाना खा कर उठते हुए कहा- मुझे आज लग तो कुछ ऐसा ही रहा है..।

रजनी- तो फिर यही समझ लीजिए.. आप हाथ धो कर अपने कमरे में चलिए… आज आपका कत्ल वहीं करूँगी।

रजनी ने एक बार सेठ की तरफ मुस्कुरा कर देखा और फिर बर्तन उठा कर रसोई की तरफ जाने लगी। रजनी जानबूझ कर आज अपनी गाण्ड को कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी और रजनी के भारी चूतड़ों को देख कर सेठ की हालत खराब होती जा रही थी। सेठ ने जल्दी से हाथ धोए और अपने कमरे में चला गया।
रजनी ने घर का बाकी का काम निपटाया और सेठ के कमरे में चली गई।

जब रजनी सेठ के कमरे में पहुँची, तो उसने अपनी साड़ी उतार दी.. सेठ रजनी के बदन को सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में देख कर पागल हो उठा। उसका लण्ड उसकी धोती में एकदम से तन गया… उसने पलंग पर से उठते हुए.. रजनी को अपनी बाँहों में भर लिया। उस रात ना चाहते हुए भी रजनी को अपनी चूत में सेठ के लण्ड को लेना पड़ा.. जिससे वो सिर्फ़ तड़फ कर रह गई.. पर अपने पेट में पल रहे सोनू के बीज को सेठ का नाम देने के लिए ये करना बहुत ज़रूरी था।

दूसरी तरफ बेला रघु से चुदाने के बाद.. अपनी नजरें रघु से नहीं मिला पा रही थी, पर रघु जैसे जवान मर्द के लण्ड का स्वाद पाकर उसकी चूत में तब से खुजली मची हुई थी। बिंदिया रघु के बगल में लेटी हुई थी और वो गहरी नींद में सो रही थी।

बेला बार-बार अपना सर उठा कर रघु की तरफ देखती… पर रघु भी आँखें बंद किए हुए लेटा हुआ था और बेला की चूत का बुरा हाल हो रहा था। आख़िर थक कर बेला भी सोने की कोशिश करने लगी। सुबह जब बेला की आँख खुली.. तो 6 बज रहे थे। गाँव में सभी लोग सुबह जल्दी उठ जाते हैं और बिंदिया पड़ोस की भाभी के साथ शौच के लिए खेतों में जा चुकी थी।

जैसे ही बेला नींद से जागी.. तो उसने कमरे में रघु को अकेला पाया। वो उठ कर बाहर गई और फिर ये सोच करके बिंदिया खेतों में चली गई है.. उसने दरवाजा बन्द किया और फिर से कमरे में आ गई। जैसे ही वो कमरे में दाखिल हुई.. तो उसने देखा रघु भी उठ गया था।
उसका लण्ड सुबह-सुबह उसकी धोती के आगे से उठा हुआ था। ये देख कर बेला ने अपनी नजरें झुका लीं और अपने बिस्तर की तरफ जाने लगी।

रघु- बिंदिया कहाँ गई…?

बेला- खेत में..

रघु बेला के बात सुन कर लपक कर खड़ा हो गया और बेला के पास जाकर बिस्तर पर बैठ गया…। बेला पर बिस्तर पर लेटी हुई.. रघु को सवालिया नज़रों से देख रही थी।

रघु अपनी धोती के ऊपर से अपने लण्ड को मसलते हुए, अपने होंठों को बेला के होंठों की तरफ बढ़ाने लगा। बदले में बेला ने अपनी आँखें बंद करके.. अपनी मूक सहमति रघु को जता दी।

रघु बेला के ऊपर झुक गया और उसकी दोनों चूचियों को उसके ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए.. उसके होंठों को चूसने लगा। बेला ने भी मस्त होकर अपने बाँहों को रघु के गले में डाल दिया।

रघु बेला के ऊपर आ गया, रघु के ऊपर आते ही.. बेला ने अपने पेटीकोट को पकड़ कर अपनी कमर तक उठा लिया और अपनी टाँगों को फैला कर रघु के कमर के इर्द-गिर्द कस लिया।
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08-23-2019, 01:35 PM,
#93
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
रघु अभी भी उसके होंठों को चूसने में मस्त था.. बेला जानती थी कि उनके पास समय बहुत कम है।

उसने अपने होंठों को रघु के होंठों से अलग किया और बोली- अभी समय बहुत कम है.. जल्दी से कर लो..।

बेला की बात सुन कर रघु के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई। उसने अपनी धोती को उतार कर एक तरफ रख दिया और अपने लण्ड को पकड़ कर बेला की चूत के छेद पर लण्ड का सुपारा टिका दिया।

सुबह-सुबह रघु के लण्ड के गरम सुपारे को अपनी चूत के छेद पर महसूस करके बेला एकदम मस्त हो गई। उसके मुँह से मस्ती भरी ‘आहह’ निकल गई।
“अह.. रघु जल्दी से चोद डाल अपनी रांड को..।”

बेला की बात सुनते ही.. रघु ने एक जोरदार धक्का मारा और रघु का लण्ड बेला की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ.. अन्दर जा घुसा। बेला के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई।

उसने जल्दी से अपने ब्लाउज के सारे बटनों को खोल कर.. अपनी बड़ी-बड़ी गुंदाज चूचियों को आज़ाद कर दिया। बेला की चूचियां बाहर आते ही.. रघु ने किसी भूखे बच्चे की तरह उसकी चूचियों को बारी-बारी से चूसना चालू कर दिया। बेला एकदम मस्त हो गई।
“आह.. चूस्स्स साले.. अपनी रांड को आह्ह.. चोद मुझे कुत्ते.. अह अह..मेरे चूत..।”

रघु पागलों की तरह बेला की चूत में अपने मूसल लण्ड को अन्दर-बाहर करते हुए.. उसकी चूचियों को दबा-दबा कर चूस रहा था और बेला भी अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उछाल कर रघु के लण्ड को अपनी चूत में ले रही थी।

करीब दस मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद दोनों झड़ गए। थोड़ी देर बाद रघु बेला के ऊपर से उठा और अपने कपड़े पहन कर बाहर चला गया।
बेला ने भी रघु के जाने के बाद अपने कपड़े पहने और बाहर आकर हाथ-मुँह धोने के बाद घर के काम में लग गई।
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08-23-2019, 01:35 PM,
#94
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
दूसरी तरफ एक रात अपने माँ-बाप के पास रहने के बाद अगली सुबह नास्ता करने के बाद सीमा के मायके लौट आया। सीमा के मायके में उसके माँ और भाई और उसकी पत्नी भी थी। सब अपने-अपने काम में व्यस्त थी। जब सीमा ने सोनू को देखा, तो उसने सोनू को अपने पास बुलाया।

“तुम तो इसी शहर के हो ना… तुम्हें तो यहाँ का सब पता होगा..।”

सोनू- जी मालकिन…।

सीमा- अच्छा… फिर एक काम करो… दीपा को अपने साथ बाजार ले जाओ… उसके अपने लिए कुछ सामान खरीदना है… तुम्हें तो पता है माँ की तबियत खराब है.. और मैं उसके साथ बाजार नहीं जा सकती।

सोनू- जी मालकिन..।

सीमा- अच्छा तुम रूको.. मैं दीपा को बोल कर आती हूँ कि वो तैयार हो जाए… पर ध्यान रखना जल्दी वापिस आ जाना।

सोनू- जी जैसा आप कहें…।

सीमा कमरे में चली गई.. यहाँ पर दीपा अभी नहा कर कपड़े पहन रही थी।

“जल्दी से तैयार हो जाओ.. बाजार जाना है ना..?”

दीपा ने सीमा की ओर देखते हुए कहा- पर आप तो कह रही थीं कि कल चलेंगे।

सीमा- हाँ.. पर मैं नहीं जा पाऊँगी, वो सोनू आ गया है.. उसके साथ चली जाओ… मुझे पता नहीं समय मिले या ना मिले…।

दीपा ने थोड़ा सा घबराते हुए कहा- पर वो.. में. आप भी चलो ना साथ में…।

सीमा- अरे घबरा क्यों रही है… सोनू भी इसी शहर का है.. उससे यहाँ के रास्ते मालूम हैं, तुम बेफिकर उसके साथ जाओ… चलो अब तैयार हो जाओ।

ये कह कर सीमा कमरे से बाहर आ गई। सोनू भी बाहर बैठा इंतजार कर रहा था। जब थोड़ी देर बाद दीपा तैयार होकर बाहर आई। सोनू उसे देखता ही रह गया, वो काले रंग की सलवार कमीज़ में कयामत ढा रही थी। काला रंग उसके गोरे रंग पर बहुत अच्छा लग रहा था… सोनू को यूँ अपनी तरफ देखता देख कर दीपा ने शर्मा कर नजरें झुका लीं।




सोनू बिना कुछ बोले.. बाहर की ओर चल पड़ा। दीपा भी उसके पीछे चलने लगी… जैसे ही दोनों घर के बाहर आए.. तो सोनू ने दीपा से पूछा- कहाँ जाना है आपको..?
सोनू ने आज पहली बार दीपा से बात की थी।

सोनू की आवाज़ सुन कर वो थोड़ा सा हड़बड़ा गई। “वो.. बाजार जाना है.. कुछ सामान लेना है मुझे..।”

सोनू- वैसे यहाँ से बाजार ज्यादा दूर नहीं है। पैदल चलें ?

दीपा ने ‘हाँ’ में सर हिलाते हुए कहा- ठीक है।

दोनों बाजार की तरफ पैदल चल पड़े। दोनों खामोशी से बाजार की तरफ बढ़ रहे थे। बाजार पहुँच कर दीपा ने अपने लिए कुछ खरीदारी की और फिर वो दोनों घर की तरफ चल पड़े।

सोनू- मैं आपसे एक बात कहूँ…।

दीपा ने थोड़ा चौंकते हुए उसकी तरफ देखा।

“आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो..।”

दीपा सोनू की बात सुनकर शर्मा गई और अपने सर को झुका कर मुस्कारने लगी। दोनों घर की तरफ चलते हुए.. एक बाग के सामने से गुजर रहे थे।

“चलिए कुछ देर यहाँ बाग के अन्दर घूम कर आते हैं.. बहुत अच्छी जगह है।”

सोनू की बात सुन कर दीपा के दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो सोनू के साथ चले या नहीं..।

दीपा को यूँ सोचता देख कर सोनू समझ गया कि वो शायद घबरा रही है।

“चलिए अगर आपका दिल नहीं है तो कोई बात नहीं… रहने दीजिए…।”
ये कह कर सोनू आगे बढ़ने लगा।

“रूको मुझे देखना है ये बाग… छोटी माँ भी उसके बारे में बात कर रही थीं..।”

दीपा ने सोनू के नाराज़ चेहरे की ओर देखते हुए कहा और दीपा की ये बात सुन कर तो जैसे सोनू की बाँछें खिल गईं।
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08-23-2019, 01:35 PM,
#95
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
दोनों बाग़ के अन्दर चले गए.. दोपहर का समय था… ज्यादातर वहाँ के लोग उस बाग़ में सुबह या शाम को घूमने आते थे और दोपहर को बाग़ में बस कुछ गिने-चुने लोग ही देखे जा सकते थे। सोनू तो पहले भी कई बार यहाँ आ चुका था और इस बाग के कोने-कोने से वाकिफ़ था। दोनों खोमाशी से बाग़ के अन्दर बढ़ते जा रहे थे। बाग़ के काफ़ी अन्दर आने के बाद सोनू एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया।

दीपा जो यहाँ पहली बार आई थी, वो बाग़ की सुंदरता को देख कर मन्त्र-मुग्ध हो रही थी। वो सोनू के सामने इधर-उधर टहल रही थी और सोनू दीपा के बदन से अपनी आँखें सेंक रहा था। टहलते हुए अचानक दीपा के कदम थम गए, वो कुछ पलों के लिए भूल गई कि उसके साथ सोनू भी है, जो उसी की तरफ देख रहा है।

दीपा खड़ी हुई जो कुछ देख रही थी, वो नीचे बैठे सोनू को शायद नहीं दिखाई दे रहा था… सोनू तो बस वहीं बैठा हुआ दीपा के चेहरे के बदलते भावों को देख रहा था। दीपा की साँसें तेज चल रही थीं… उसकी कसी हुई चूचियां तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थीं… जिसे देख सोनू के लण्ड में हरकत होने लगी। दीपा उसी ओर टकटकी लगाए देखे जा रही थी। सोनू एकदम से खड़ा हो गया और दीपा के पीछे आ गया।

इस बात से अंजान दीपा अभी भी उसी तरफ टकटकी लगाए देखे जा रही थी। सोनू ने उसकी नज़रों का पीछा करते हुए.. उस तरफ देखा जिस तरफ दीपा देख रही थी और सोनू ने जो देखा वो देख कर उसके होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई। उनसे कुछ दूर एक पेड़ के नीचे एक लड़का और लड़की बैठे हुए थे। वे दोनों एक-दूसरे की बाँहों में समाए हुए.. एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे।

लड़के का हाथ लड़की की सलवार के अन्दर था और वो उसकी चूत को सहला रहा था। लड़की मचल कर उससे लिपटे जा रही थी। अपने सामने ये नज़ारा देख कर कर दीपा कुछ पलों के लिए सब भूल गई थी। उसके पूरे बदन में अजीब सी झुरझुरी हो रही थी। तभी उसे अपनी कमर पर किसी के हाथ का अहसास हुआ.. जिससे दीपा एकदम हड़बड़ा गई। उसने पीछे मुड़ कर देखा.. तो सोनू उसके पीछे खड़ा मुस्कुरा रहा था।

दीपा एकदम से शरमा गई.. उसने अपने सर को झुका लिया… दीपा के गोरे गाल शरम के मारे लाल होकर दहकने लगे। वो एकदम पीछे की तरफ भाग कर उस पेड़ के पीछे चली गई, जिस पेड़ के नीचे सोनू बैठा था। दीपा की साँसें अब भी तेज चल रही थीं। उसके हाथ-पाँव बुरी तरह से काँप रहे थे। सोनू को इससे अच्छा मौका नहीं मिलने वाला था और वो इस मौके को हाथ से नहीं देना चाहता था.. वो तेजी से उस पेड़ के पीछे गया.. यहाँ पर दीपा खड़ी हो कर तेज़ी से साँसें ले रही थी।
उसका पूरा बदन अनज़ान उत्सुकता और डर के मारे काँप रहा था। उसकी पीठ सोनू की तरफ थी, तभी उसे अपनी कमर के दोनों तरफ फिर से सोनू के हाथों को अहसास हुआ और उसके दिल की धड़कनें थम गईं। उसने अपने चेहरे को पीछे घुमा कर देखा.. सोनू वासना भरी नज़रों से उसके बदन को घूर रहा था। इससे पहले कि दीपा कुछ बोलती.. सोनू के हाथ दीपा की कमर से उसके पतले पेट की ओर बढ़ने लगे।

दीपा के पूरे बदन में सनसनी दौड़ गई.. उसका पूरा बदन कँपने लगा। दीपा की आवाज़ उसके मुँह में ही बंद होकर रह गई। उसके पाँव तो मानो वहीं जम गए हों.. वो चाह कर भी ना तो हिल पा रही थी और ना ही सोनू को रोक पा रही थी। दीपा ने आज से पहले कभी ऐसी परिस्थिति का सामना नहीं किया था। जैसे ही सोनू ने अपने हाथों को दीपा की नाभि के पास ले जाकर हल्का सा दबाया… तो दीपा के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई।

सोनू दीपा की हालत समझ चुका था.. उसने फिर से अपने हाथों को दीपा की कमर पर रखा और उसे अपनी तरफ घुमा दिया। दीपा किसी कट्पुतली की तरह उसकी तरफ घूम गई। वो अपनी अधखुली आँखों से ज़मीन की तरफ देखते हुए.. तेज़ी से साँसें ले रही थी। उसके गाल और कान दोनों लाल होकर दहक रहे थे। सोनू ने अपने हाथों को अब उसकी कमर से सरकाते हुए उसकी पीठ की तरफ ले जाना शुरू कर दिया।

हर पल दीपा मदहोश होती जा रही थी। उसे अपने आप पर काबू नहीं रहा और सोनू की बाँहें अब दीपा की पीठ पर कसती जा रही थीं। जिससे दोनों के जिस्मों की दूरी कम होने लगी। जैसे ही दीपा को अपने चेहरे पर सोनू की गरम सांसों का अहसास हुआ.. दीपा के पूरे बदन में बिजली की लहर सी दौड़ गई। सोनू ने दीपा को पीछे करते हुए पेड़ से सटा दिया, पर अगले ही पल जैसे ही दीपा को होश आया तो उसने अपने आप को सोनू के बाँहों में क़ैद पाया।

“ये.. ये.. क्या कर रहे हो तुम..?” इससे पहले कि दीपा आगे कुछ बोल पाती.. सोनू ने दीपा को बाँहों में कसते हुए.. उसके रसीले होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया।

दीपा ने अपने दोनों हाथों को उसके कंधों पर रख कर उससे पीछे धकेलने की कोशिश की, पर सोनू ने उसे मजबूती से अपनी बाँहों में जकड़ा हुआ था।

दीपा उसकी बाँहों में मछली की तरह छटपटा रही थी, पर उसे पीछे नहीं हटा पा रही थी। सोनू के ऊपर तो जैसे वासना का भूत सवार हो गया था। वो पागलों की तरह दीपा के होंठों को चूस रहा था। कभी वो दीपा के ऊपर वाले होंठों को चूसता.. तो कभी नीचे वाले होंठों को.. उसके हाथ दीपा की कमर पर थिरक रहे थे और अचानक उसने अपने हाथों को नीचे सरका कर दीपा की सलवार के ऊपर से उसके चूतड़ों पर रख कर धीरे-धीरे सहलाना शुरू कर दिया। दीपा की गाण्ड को मसलते ही दीपा एकदम से पागल हो उठी। उसके हाथों ने उसका साथ छोड़ दिया.. अब दीपा के हाथ भले ही उसके कंधों पर थे, पर वो उसे पीछे नहीं धकेल रही थी।

सोनू दीपा के होंठों को चूसते हुए.. धीरे-धीरे अपनी हथेलियों को उसकी गाण्ड के ऊपर घुमाते हुए सहला रहा था। दीपा अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी और वो सोनू की बाँहों में पिघलने लगी थी। मौके फायदा उठाते हुए.. सोनू ने और ज़ोर से दीपा के रसीले होंठों को चूसना शुरू कर दिया। दीपा के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ जाती और वो सोनू के कंधों को और ज़ोर से दबा देती।

सोनू ने अपना एक हाथ आगे ले जाकर एक पल में उसकी सलवार के अन्दर घुसा दिया। दीपा के दिल ने धड़कना बंद कर दिया। सोनू ने अपना हाथ सीधा उसकी चूत के ऊपर रख दिया। दीपा की चूत पूरी पनियाई हुई थी। सोनू का हाथ अपनी चूत पर महसूस करते ही दीपा के बदन ने एक जोरदार झटका खाया और वो एकदम से सोनू से चिपक गई।
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08-23-2019, 01:36 PM,
#96
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
दीपा- आहह.. सोनू छोड़ दो मुझे… कोई देख लेगा आह..।
दीपा ने काँपती हुई आवाज़ में कहा।

सोनू ने दीपा की सलवार से हाथ बाहर निकाला और अपने चेहरे पास ले जाकर उसे देखने लगा…
उसकी ऊँगलियाँ दीपा की चूत से निकले काम-रस से सनी हुई थीं। दीपा की आँखें अभी भी बंद थीं और वो तेज़ी से साँसें ले रही थी। सोनू ने दीपा का हाथ पकड़ा और पेड़ के नीचे बैठ गया और दीपा को भी खींचते हुए नीचे बैठाने की कोशिश करना लगा।
दीपा मदहोश सी उसके साथ बैठ गई.. सोनू ने अपनी टाँगों को फैला कर दीपा को बीच में बैठा लिया।

“कोई देख लेगा यहाँ..।” दीपा ने फिर से धड़कते हुए दिल के साथ एक बार फिर कहा।

“कोई नहीं आएगा यहाँ…” सोनू ने दीपा को अपने बदन से चिपकते हुए कहा और अपने दोनों हाथों को आगे ले जाकर दीपा की चूचियों को कमीज़ से ऊपर पकड़ कर धीरे-धीरे मसलने लगा।

दीपा ने अपनी अधखुली आँखों से सोनू के हाथों की हरकत देखते हुए कहा- उई..अह.. ईए.. ईए क्या कर रहे हो.. आह्ह.. दर्द हो रहा है।

सोनू ने अपने दहकते हुए होंठों को दीपा की गर्दन पर लगा दिया और दीपा के मुँह से मस्ती भरी सिसकारी निकल गई..।
“यहाँ कोई नहीं देखेगा… मैं तुम्हें प्यार कर रहा हूँ…तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा क्या..?”

सोनू की बात का दीपा ने कोई जवाब नहीं दिया, सोनू उसकी दोनों चूचियों को धीरे-धीरे अपने हाथों में भर कर मसलते हुए.. उसके गर्दन पर अपने होंठों पर रगड़ रहा था।

दीपा की साँसें एक बार फिर से पूरी तेज़ी से चलने लगी थीं और वो घुटी सी आवाज़ में सिसिया रही थी। जिसे सुन कर सोनू के हिम्मत और बढ़ती जा रही थी। उसने अपना एक हाथ उसकी चूची से हटा कर नीचे सलवार के जाबरान की तरफ ले जाना शुरू कर दिया।
जैसे ही दीपा को इस बात का अहसास हुआ, उसने अपने सलवार के नाड़े को कस कर पकड़ लिया.. ताकि सोनू अपना हाथ अन्दर ना ले जा सके.. पर सोनू के आगे दीपा की एक ना चली और सोनू ने थोड़ी सी मशक्कत के बाद अपना हाथ दीपा की सलवार और चड्डी के अन्दर घुसा दिया।
आहह.. क्या अहसास था…उस कुँवारी चूत का.. एकदम गरम और गदराई हुई.. दीपा की चूत एकदम चिकनी थी। शायद उसने एक दिन पहले ही अपनी चूत की बालों को साफ़ किया था।
अपनी चूत पर सोनू के हाथ का अहसास पाते ही.. दीपा एकदम से मचल उठी। उसने अपने दोनों हाथों से सोनू की जाँघों को दबोच लिया और उसने अपनी पीठ को सोनू की छाती से सटा लिया। जिससे सोनू का हौसला हर पल बढ़ता जा रहा था। सोनू ने दूसरे हाथ को नीचे ले जाकर दीपा की कमीज़ और नीचे पहनी हुई समीज़ के नीचे से डालते हुए.. उसकी चूचियों पर पहुँचा दिया।


दीपा की नंगी चूचियों को महसूस करते ही.. सोनू का लण्ड अपनी औकात पर आ गया और पीछे दीपा की कमर पर जा धंसा। सोनू के लण्ड के गरमी को अपनी कमर महसूस करते ही दीपा एकदम से सिहर उठी, उसकी साँसें और तेज हो गईं.. उसके होंठ उत्तेजना के कारण काँप रहे थे।

सोनू ने दीपा के बाईं चूची को अपने हाथ में लेकर धीरे से मसल दिया।

“आह.. उफ़.. बसस्स ओह्ह..” दीपा एकदम से सिसक उठी।

उसकी ये सिस्कारियां बयान कर रही थीं कि वो कितनी गरम हो चुकी है। फिर सोनू ने दीपा की गर्दन पर अपने दहकते हुए होंठों को रख कर.. उसकी चूची के चूचुक को अपनी उँगलियों के बीच में लेकर मसलना शुरू कर दिया। दीपा के चूचुक एकदम नुकीले होकर कड़क हो चुके थे। दीपा की मस्ती का कोई ठिकाना नहीं था।

दीपा की चूत में सरसराहट और तेज हो गई थी और उसकी कुँवारी चूत लगातार अपना कामरस बहा कर लण्ड को लेने के लिए तड़फ रही थी। मदहोश हो रही दीपा ने अपना सारा वजन सोनू के ऊपर डाल दिया था.. उसका सर पीछे लुड़क कर सोनू के कंधे पर टिका हुआ था, जिसका फायदा उठाते हुए.. सोनू ने एक बार फिर से अपने होंठों को दीपा के रसीले होंठों पर टिका दिया।

इस बार दीपा ने कोई विरोध नहीं किया और उसने अपने होंठों को ढीला छोड़ कर सोनू के हवाले कर दिया। उसके पूरे बदन में मस्ती के लहरें दौड़ रही थीं और उसका बदन आग के तरह तप रहा था, पर सोनू जानता था कि वो यहाँ कुछ ज्यादा नहीं कर सकता। सोनू अब आराम से दीपा के होंठों को रस चूस-चूस कर पी रहा था और दीपा भी अपने होंठों को ढीला को छोड़ कर सोनू से चुसवाते हुए मदहोश होती जा रही थी।

तभी दोनों को किसी के क़दमों की आहट पास आते हुए महसूस हुई। दोनों एकदम से अलग हो गए..खड़े होकर अपने कपड़ों को दुरस्त करने लगे। तभी उनके पास से एक आदमी गुज़रा और वो आगे की तरफ चला गया। दोनों ने चैन की साँस ली।

“अब घर चलना चाहिए…” दीपा ने घबराए हुए हड़बड़ाते हुए सोनू से कहा।

सोनू- हाँ चलो.. घर पर सब इंतजार करते होंगे..।

फिर दोनों बाग़ से निकल कर घर की तरफ चल पड़े। रास्ते में दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई.. घर आते ही दीपा कमरे में घुस गई और अपनी सलवार उतारने के बाद अपनी चड्डी निकाल कर देखने लगी। उसकी पैन्टी नीचे से एकदम उसके कामरस से सनी हुई थी। जब उसने अपनी चूत की फांकों को अपनी उँगलियों से छुआ, तो उसकी ऊँगलियाँ भी उसकी चूत से निकल रहे पानी से लसलसा गईं।दीपा- आहह.. सोनू छोड़ दो मुझे… कोई देख लेगा आह..।
दीपा ने काँपती हुई आवाज़ में कहा।

सोनू ने दीपा की सलवार से हाथ बाहर निकाला और अपने चेहरे पास ले जाकर उसे देखने लगा…
उसकी ऊँगलियाँ दीपा की चूत से निकले काम-रस से सनी हुई थीं। दीपा की आँखें अभी भी बंद थीं और वो तेज़ी से साँसें ले रही थी। सोनू ने दीपा का हाथ पकड़ा और पेड़ के नीचे बैठ गया और दीपा को भी खींचते हुए नीचे बैठाने की कोशिश करना लगा।
दीपा मदहोश सी उसके साथ बैठ गई.. सोनू ने अपनी टाँगों को फैला कर दीपा को बीच में बैठा लिया।

“कोई देख लेगा यहाँ..।” दीपा ने फिर से धड़कते हुए दिल के साथ एक बार फिर कहा।

“कोई नहीं आएगा यहाँ…” सोनू ने दीपा को अपने बदन से चिपकते हुए कहा और अपने दोनों हाथों को आगे ले जाकर दीपा की चूचियों को कमीज़ से ऊपर पकड़ कर धीरे-धीरे मसलने लगा।

दीपा ने अपनी अधखुली आँखों से सोनू के हाथों की हरकत देखते हुए कहा- उई..अह.. ईए.. ईए क्या कर रहे हो.. आह्ह.. दर्द हो रहा है।

सोनू ने अपने दहकते हुए होंठों को दीपा की गर्दन पर लगा दिया और दीपा के मुँह से मस्ती भरी सिसकारी निकल गई..।
“यहाँ कोई नहीं देखेगा… मैं तुम्हें प्यार कर रहा हूँ…तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा क्या..?”

सोनू की बात का दीपा ने कोई जवाब नहीं दिया, सोनू उसकी दोनों चूचियों को धीरे-धीरे अपने हाथों में भर कर मसलते हुए.. उसके गर्दन पर अपने होंठों पर रगड़ रहा था।

दीपा की साँसें एक बार फिर से पूरी तेज़ी से चलने लगी थीं और वो घुटी सी आवाज़ में सिसिया रही थी। जिसे सुन कर सोनू के हिम्मत और बढ़ती जा रही थी। उसने अपना एक हाथ उसकी चूची से हटा कर नीचे सलवार के जाबरान की तरफ ले जाना शुरू कर दिया।
जैसे ही दीपा को इस बात का अहसास हुआ, उसने अपने सलवार के नाड़े को कस कर पकड़ लिया.. ताकि सोनू अपना हाथ अन्दर ना ले जा सके.. पर सोनू के आगे दीपा की एक ना चली और सोनू ने थोड़ी सी मशक्कत के बाद अपना हाथ दीपा की सलवार और चड्डी के अन्दर घुसा दिया।
आहह.. क्या अहसास था…उस कुँवारी चूत का.. एकदम गरम और गदराई हुई.. दीपा की चूत एकदम चिकनी थी। शायद उसने एक दिन पहले ही अपनी चूत की बालों को साफ़ किया था।
अपनी चूत पर सोनू के हाथ का अहसास पाते ही.. दीपा एकदम से मचल उठी। उसने अपने दोनों हाथों से सोनू की जाँघों को दबोच लिया और उसने अपनी पीठ को सोनू की छाती से सटा लिया। जिससे सोनू का हौसला हर पल बढ़ता जा रहा था। सोनू ने दूसरे हाथ को नीचे ले जाकर दीपा की कमीज़ और नीचे पहनी हुई समीज़ के नीचे से डालते हुए.. उसकी चूचियों पर पहुँचा दिया।


दीपा की नंगी चूचियों को महसूस करते ही.. सोनू का लण्ड अपनी औकात पर आ गया और पीछे दीपा की कमर पर जा धंसा। सोनू के लण्ड के गरमी को अपनी कमर महसूस करते ही दीपा एकदम से सिहर उठी, उसकी साँसें और तेज हो गईं.. उसके होंठ उत्तेजना के कारण काँप रहे थे।

सोनू ने दीपा के बाईं चूची को अपने हाथ में लेकर धीरे से मसल दिया।

“आह.. उफ़.. बसस्स ओह्ह..” दीपा एकदम से सिसक उठी।

उसकी ये सिस्कारियां बयान कर रही थीं कि वो कितनी गरम हो चुकी है। फिर सोनू ने दीपा की गर्दन पर अपने दहकते हुए होंठों को रख कर.. उसकी चूची के चूचुक को अपनी उँगलियों के बीच में लेकर मसलना शुरू कर दिया। दीपा के चूचुक एकदम नुकीले होकर कड़क हो चुके थे। दीपा की मस्ती का कोई ठिकाना नहीं था।

दीपा की चूत में सरसराहट और तेज हो गई थी और उसकी कुँवारी चूत लगातार अपना कामरस बहा कर लण्ड को लेने के लिए तड़फ रही थी। मदहोश हो रही दीपा ने अपना सारा वजन सोनू के ऊपर डाल दिया था.. उसका सर पीछे लुड़क कर सोनू के कंधे पर टिका हुआ था, जिसका फायदा उठाते हुए.. सोनू ने एक बार फिर से अपने होंठों को दीपा के रसीले होंठों पर टिका दिया।

इस बार दीपा ने कोई विरोध नहीं किया और उसने अपने होंठों को ढीला छोड़ कर सोनू के हवाले कर दिया। उसके पूरे बदन में मस्ती के लहरें दौड़ रही थीं और उसका बदन आग के तरह तप रहा था, पर सोनू जानता था कि वो यहाँ कुछ ज्यादा नहीं कर सकता। सोनू अब आराम से दीपा के होंठों को रस चूस-चूस कर पी रहा था और दीपा भी अपने होंठों को ढीला को छोड़ कर सोनू से चुसवाते हुए मदहोश होती जा रही थी।

तभी दोनों को किसी के क़दमों की आहट पास आते हुए महसूस हुई। दोनों एकदम से अलग हो गए..खड़े होकर अपने कपड़ों को दुरस्त करने लगे। तभी उनके पास से एक आदमी गुज़रा और वो आगे की तरफ चला गया। दोनों ने चैन की साँस ली।

“अब घर चलना चाहिए…” दीपा ने घबराए हुए हड़बड़ाते हुए सोनू से कहा।

सोनू- हाँ चलो.. घर पर सब इंतजार करते होंगे..।

फिर दोनों बाग़ से निकल कर घर की तरफ चल पड़े। रास्ते में दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई.. घर आते ही दीपा कमरे में घुस गई और अपनी सलवार उतारने के बाद अपनी चड्डी निकाल कर देखने लगी। उसकी पैन्टी नीचे से एकदम उसके कामरस से सनी हुई थी। जब उसने अपनी चूत की फांकों को अपनी उँगलियों से छुआ, तो उसकी ऊँगलियाँ भी उसकी चूत से निकल रहे पानी से लसलसा गईं।
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08-23-2019, 01:36 PM,
#97
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
दूसरी तरफ बेला के घर पर आज रघु और बिंदिया के वापिस जाने का दिन था… बिंदिया का दिल वहाँ से जाने को नहीं कर रहा था और वो बुझे हुए मन से जाने की तैयारी कर रही थी। बेला अभी तक सेठ के घर से नहीं लौटी थी। रघु चारपाई पर बैठा हुआ बिंदिया को देख रहा था।

“क्या हुआ इतनी उदास क्यों है?” रघु ने बिंदिया के उदास चेहरे को देख कर पूछा।

बिंदिया- कुछ नहीं,

रघु- अरे बता ना।

“क्या हम कुछ और दिन नहीं रुक सकते..?”बिंदिया ने डरते हुए पूछा।

“अरे घर में माँ-बाबा नाराज़ हो जाएँगे कि इतने दिन सुसराल में बैठा रहा… चल फिर भी अगर तू कहती है.. तो कम से कम आज का दिन और रुक जाते हैं और हाँ.. जितनी भी बातें अपनी सहेलियों से करनी हैं.. आज खत्म कर ले.. वैसे भी तू मेरी तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं देती..।” रघु ने मुस्कुराते हुए कहा।

बिंदिया ने अपना सर झुका लिया और बाहर की तरफ जाने लगी।

तभी बेला घर में दाखिल हुई.. बिंदिया को बाहर जाता देख कर उसने पूछा- तैयारी हो गई तुम्हारी..?

बिंदिया- हाँ माँ.. पर हम कल जा रहे हैं… वैसे भी आज वक्त बहुत हो गया है.. रात को देर से पहुँचेगे नहीं तो.. अभी मैं मीना के घर जा रही हूँ..।
ये कहते हुए.. बिंदिया पड़ोस के घर में चली गई। बाहर के दरवाजे पर खड़ी बेला ने एक बार बिंदिया को पड़ोस के घर में घुसते देखा और फिर एक तरफ अन्दर वाले कमरे में वहाँ खड़े-खड़े नज़र डाली। रघु कमरे में चारपाई पर नीचे पैर लटका कर लेटा हुआ था। उसने दरवाजा बंद किया और कमरे में आ गई।

बेला- क्या बात है दामाद जी.. आज अचानक से जाने के फैसला कैसे बदल लिया?
बेला ने होंठों पर कामुक मुस्कान लाते हुए कहा।

“अरे सासू जी… आपका प्यार जाने नहीं दे रहा…।” रघु ने अपने लण्ड को धोती के ऊपर से मसलते हुए कहा।

रघु की इस हरकत से बेला के चेहरा शरम से लाल हो गया।
“क्या सोच रही हो.. अब वहाँ ही खड़ी रहोगी..?” रघु ने अपनी धोती को बगल से हटाते हुए अपना लण्ड बाहर निकाल कर कहा।

रघु का लण्ड एकदम तना हुआ था और काले साँप की तरह फुंफकार रहा था।

“ये हरदम ऐसे ही खड़ा रहता है..?” बेला ने रघु के लण्ड को देखते हुए, अपने होंठों को दाँतों में लेकर चबाते हुए कहा।

रघु ने अपने सुपारे की चमड़ी को पीछे करके लाल सुपारे बेला को दिखाते हुए कहा- हरदम तो नहीं पर.. आपकी चूत की खुशबू इससे दूर से ही मिल गई थी.. इसलिए उसके सम्मान में खड़ा हो गया।

बेला तिरछी नज़रों से रघु के लण्ड को लालसा भरी नज़रों से देख रही थी। रघु के लण्ड के लाल और मोटे सुपारे को देख कर बेला की चूत की फाँकें फड़फड़ाने लगीं…. उसके बदन में वासना की लहर दौड़ रही थी।



“क्यों चूत पानी छोड़ रही है न.. मेरे लण्ड को अन्दर लेने के लिए…?” रघु ने वैसे ही लेटे-लेटे अपने लण्ड को हिलाते हुए कहा।

बेला- नहीं.. मेरी चूत क्यों टपकाए अपना पानी तेरे इस लण्ड के लिए।

बेला ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा और दूसरी तरफ मुड़ कर जाने लगी।

रघु ने चारपाई पर उठ कर बैठते हुए.. बेला का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।

“आहह क्या कर रहे हो छोड़ मुझे..” रघु के खींचने से बेला रघु के पैरों के बीच नीचे पैरों के बल जा बैठी।

“चल चूत में ना ले.. पर एक बार इसे पकड़ कर सहला तो दे… देख ना कब से अकड़ कर खड़ा है..।”

रघु ने बेला के हाथ को अपने लण्ड पर रखते हुए कहा। अपनी हथेली में रघु के लण्ड की गरमी को महसूस करते ही.. बेला की चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया और

बेला ने रघु के लण्ड को अपनी मुठ्ठी में कस कर दबा दिया।

“आह्हह.. साली दबा क्यों रही है.. धीरे-धीरे हिला ना..” रघु ने बेला की आँखों में देखते हुए कहा।
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08-23-2019, 01:36 PM,
#98
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
बेला के होंठों पर कामुक मुस्कान फ़ैल गई, “साला हरामी”
बेला ने मुस्कुराते हुए कहा।

उसकी आँखों में देखते हुए.. रघु के लण्ड को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करते हुए मुठ्ठ मारने लगी।

रघु मस्ती से एकदम सिसक उठा, “आह क्या मस्त हिलाती है तू… आह बस ऐसे ही हिलाती रह मेरा लौड़ा.. आह्ह..।”
रघु के आँखें मस्ती में बंद होती जा रही थीं। “हट साले.. भोसड़ी के.. मैं हिलाती ही रहूँ क्या.. और मेरी चूत को तेरा बाप आकर चोदेगा..।”
ये कहते हुए बेला ने अपने लहँगे को अपनी कमर तक उठा लिया और फिर अपनी भारी गाण्ड को नीचे ज़मीन पर टिका कर बैठ गई। उसने एक हाथ से उसने रघु के लण्ड को हिलाना जारी रखा और दूसरी हाथ से रघु के पैर को पकड़ कर.. उसके अंगूठे को अपनी चूत के छेद पर लगा दिया और रघु की आँखों में देखते हुए मुस्कुराई।

रघु को समझते देर ना लगी कि उसकी चुदैल सास उससे क्या चाहती है और उसने अपने पैर के अंगूठे को उसकी चूत के छेद पर दबा दिया।
रघु के पैर का अँगूठा.. बेला की लबलबा रही चूत के छेद में अन्दर जा घुसा।

“आह हरामी धीरे से..उइईइ…” बेला एकदम से सिसक उठी और रघु के टांग को अपनी एक बाजू में कस कर जकड़ लिया।

रघु अपनी सास के इस चुदैलपने को देख कर मस्त हो गया.. उसने एक हाथ से बेला के सर को बालों को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपने लण्ड को.. और फिर उसने अपना लण्ड बेला के होंठों के साथ भिड़ा दिया।
किसी बाजारू रांड की तरह बेला ने झपाक से रघु के लण्ड को अपने होंठों के बीच में दबा लिया और उसके लण्ड के सुपारे पर अपने होंठों को रगड़ते हुए.. अपने मुँह के अन्दर लेने लगी।

“आह्ह.. चूस्स्स साली.. बहुत मस्त चूसती है तू.. तभी इधर से जाने को मन नहीं कर रहा मेरा…।”

बेला अपनी गाण्ड को आगे की तरफ झटके देती हुई.. रघु के लण्ड को चूसने लगी। जब उसने रघु के लण्ड को मुँह से बाहर निकाला, तो रघु का लण्ड उसके थूक से सना हुआ चमक रहा था। उसने रघु के पैर के अंगूठे को अपनी चूत से बाहर निकाला और खड़ी हो गई। फिर उसने अपनी चोली के बटन खोल कर… एक तरफ फेंक दिया। बेला की बड़ी-बड़ी गुंदाज चूचियां उछल कर बाहर आ गईं।

बेला ने रघु को कंधों से पकड़ कर पीछे की तरफ धकेल दिया.. अब वो चारपाई पर पेट के बल लेटा हुआ था.. पर उसके पैर अभी भी चारपाई से नीचे की तरफ लटक रहे थे। बेला ने अपने लहंगे को ऊपर उठा कर कमर के पास पकड़ा हुआ था। बेला ने अपने दोनों पैरों को रघु की टाँगों के दोनों तरफ चारपाई के किनारे पर टिका कर अपने पैरों के बल बैठ गई।
जिससे उसकी चूत का छेद ठीक रघु के लण्ड के सीध में आ गया। रघु ने बेला की आँखों में देखते हुए अपने लण्ड को पकड़ कर उसकी चूत के छेद पर टिका दिया। बेला की चूत का छेद किसी भट्टी के मुहाने के तरह दहक रहा था। चूत के छेद पर लण्ड का सुपारा लगते ही, बेला एकदम से सिसक उठी और साथ ही उसने अपनी चूत को रघु के लण्ड पर दबाना चालू कर दिया।
“आह्ह.. शीए आह्ह..”


बेला की मस्ती भरी सिसकारी निकल पड़ी। उसकी चूत का छेद अपना छल्ला फ़ैलाते हुए.. रघु के लण्ड के सुपारे पर दबाव बनाते हुए.. आगे की तरफ बढ़ने लगा और धीरे-धीरे रघु का लण्ड चूत के छेद में घुसता चला गया।

जोश में आकर रघु ने अपने हाथों को पीछे ले जाकर उसके चूतड़ों को अपने हाथों में भर कर कस कर दबा दिया।

बेला ने मदहोशी भरी आवाज़ में कहा- आह्ह.. मादरचोद गाण्ड ही दबाएगा क्या.. भोसड़ी के पहले मेरी चूत में जो आग.. लगाइ है.. उसे.. बुझाआअ दे..।
बेला की मस्ती भरी सिसकियाँ और गरम बातों को सुन कर रघु एकदम से जोश में भर गया और उसने बेला के चूतड़ों को कस कर मसलते हुए.. अपनी गाण्ड को पूरा ज़ोर लगाकर ऊपर की तरफ उछाला।

“आह्ह.. धीरे.. भोसड़ी वाले.. आह्ह..” बेला के पूरे बदन में मस्ती और दर्द भरी लहर दौड़ गई। उसने अपने हाथों को रघु की छाती पर टिका दिया और अपनी गाण्ड को पूरी रफ़्तार से ऊपर-नीचे उछालते हुए, रघु के लण्ड को अपनी चूत की अन्दर-बाहर करने लगी।

बेला- आह्ह.. आह्ह.. ओह्ह ले साले चोददद मुझे.. आह्ह.. आह चोदद ना..अह ओह.. मर गई ओह.. मेरी फुद्दी.. ओह ओह्ह आह्ह.. आह।

रघु- अह.. साली और उछल.. तेरा ही लौड़ा है..ए लेए साली पूरा का पूरा ले ले..ए आह्ह. क्या चूत है तेरी.. साली मादरचोदी राण्ड.. एकदम कसी हुई चूत.. आह्ह..।

बेला पागलों की तरह ऊपर-नीचे होते रघु के लण्ड को अपनी चूत की गहराईयों में ले कर चुद रही थी। बेला की मस्ती का कोई ठिकाना नहीं था और रघु बेला के धक्कों की रफ़्तार को ज्यादा देर तक नहीं झेल पाया और उसके लण्ड से पानी की बौछार होने लगी, जिससे बेला अपनी चूत के हर एक कोने में महसूस कर रही थी और वो भी काँपते हुए झड़ने लगी।
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08-23-2019, 01:38 PM,
#99
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
बेला का पूरा बदन झड़ते हुए, काँप रहा था। थोड़ी देर बाद रघु का लण्ड सिकुड़ कर बेला की चूत से बाहर आ गया। बेला ने अपनी आँखें खोलीं.. जो कुछ देर पहले वासना के कारण बंद थीं। आँखें खुलते ही.. बेला की नज़रें रघु से जा टकराईं.. जो उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुरा रहा था..। बेला की बड़ी-बड़ी चूचियां ठीक रघु की आँखों के सामने तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थीं।
बेला अपनी हालत पर एकदम से शर्मा गई और रघु के ऊपर से उठने लगी, पर रघु ने अपने दोनों हाथों से बेला के सर को पकड़ कर अपने ऊपर झुका लिया और उसके होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। बेला अपने हाथों से रघु के छाती को सहलाने लगी। कुछ ही देर में बेला को अपनी चूत की फांकों पर रघु के लण्ड की हरकत पुनः महसूस हुई।
बेला जान गई कि रघु का लण्ड एक बार फिर से खड़ा होने लगा है। उसके लण्ड को फिर से खड़ा होता महसूस होते हुए.. बेला ने अपने होंठों को रघु के होंठों से अलग किया और उसके हाथों को झटकते हुए.. रघु के ऊपर से उठ कर नीचे खड़ी हो गई।
उसने देखा रघु का लण्ड एक बार फिर अपना सर उठा रहा था और रह-रह कर झटके खा रहा था।
बेला ने अपनी नजरें नीचे कर लीं और मुड़ कर अपने चोली को उठा कर टाँग दिया। फिर वो दूसरे कपड़े निकालने के लिए संदूक की तरफ गई और संदूक के पास जाकर झुक कर अपने दूसरे कपड़े निकालने लगी। तभी रघु ने चारपाई से उठते हुए.. पीछे से बेला को अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
“आह क्या कर रहे हो.. छोड़ो मुझे..”
रघु- आह्ह.. क्या मस्त चूत है तेरी.. रांड तुझे छोड़ने का तो दिल ही नहीं करता.. देख ना मेरा लौड़ा तेरी चूत में जाने के लिए फिर से खड़ा हो गया है।
ये कहते हुए रघु ने अपना हाथ बेला के लहँगे के नाड़े पर ले जाकर उसके नाड़े को खींच कर खोल दिया। अगले ही पल बेला का लहँगा भी ज़मीन पर आ गिरा। रघु ने पलक झपकते ही.. अपने तने हुए लण्ड को पीछे से बेला की चूत के छेद पर लगा दिया।
“ओह्ह शईई..”
रघु के लण्ड को अपनी चूत के छेद पर महसूस करके बेला की सिसकारी निकल गई।
“आह्ह.. ओह धीरे अई रघु..”
रघु ने बेला की कमर को दोनों तरफ से पकड़ कर दो जोरदार धक्के मारे और अपने लण्ड को बेला की चूत की गहराईयों में फिर से उतार दिया। बेला की चूत पहली चुदाई से पूरी तरह पनियाई हुई थी, इसलिए इस बार रघु का लण्ड दो धक्कों में ही पूरा का पूरा बेला की चूत में समा गया।


उसके लण्ड का सुपारा बेला के बच्चेदानी के छेद पर रगड़ खा रहा था.. जिसे महसूस करते ही बेला के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई।
चूत की दीवारों ने रघु के लण्ड के ऊपर अपनी पकड़ बनाना शुरू कर दी और मस्ती में आकर बेला ने अपनी गाण्ड को पीछे की ओर दबाते हुए.. गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया।
“आह उन्ह ओह्ह…उइईईईईई सी आह्ह.. रघुऊऊउउ चोद मुझे.. आह्ह.. मेरी चूत ओह्ह चोदद नाअ मुझे.. ओह आह्ह.. फाड़ दे मेरी चूत..।”
बेला एकदम गरम हो चुकी थी और वो अपनी गाण्ड को गोल-गोल घुमाते हुए.. अपनी चूत में रघु के लण्ड को महसूस करके मस्त होती जा रही थी। रघु पीछे से बेला के चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में भर कर बुरी तरह से मसल रहा था और अपनी चुदक्कड़ सास को लण्ड के लिए यूँ मरता देख कमीनी मुस्कान के साथ मुस्कुरा भी रहा था।
अब बेला ने धीरे-धीरे अपनी गाण्ड को हिलाना शुरू कर दिया।
“आह साले.. ऐसे खड़ा रहेगा क्या.. मेरी भोसड़ी में अपना लौड़ा क्यों डाला था.. अह.. जब चोदना नहीं था.. हरामी.. अई चोद मुझे आज ..उहह बहनचोद.. चोद ना…।”
बेला की चुदाई की बातें सुन कर रघु एकदम से जोश में आ गया। उसने बेला के बालों को हाथ से पकड़ कर पीछे की तरफ खींचा, जिससे बेला की गर्दन ऊपर की तरफ उठ गई और उसके बालों को खींचते हुए.. अपनी गाण्ड को हिलाते हुए तेज़ी से बेला की चूत में लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा। जब रघु अपना लण्ड बेला की चूत की गहराइयों में उतारता… तो रघु की जाँघें बेला के उठे हुए चूतड़ों से टकरा कर ‘थाप-थाप’ की आवाज़ करतीं, जो पूरे कमरे में गूँज जातीं।
बेला ने रघु के हर जबरदस्त धक्कों से सिसयाते हुए कहा- आह चोद साले भढ़वे.. चोद.. मुझे कुतिया की तरह चोद कुत्ते.. अपने मोटे लौड़े से.. आह्ह.. आह्ह.. ओह फाड़ दे.. ओह्ह उफ्फ मेरी चूत.. ओह्ह ओह्ह आ तेरे लौड़े को लेकर मेरी चूत का उद्धार हो गया रे..।
रघु बेला के बालों को पकड़ कर ऐसे धक्के लगा रहा था.. जैसे वो किसी घोड़ी पर सवार हो और रघु के हर धक्के के जवाब में बेला अपनी गाण्ड को पीछे की ओर करके ऊपर उठा देती और अपनी चूत को फैला लेती।
रघु भी लगातार तेज धक्कों से बेला की चूत की गहराईयों को अपने लण्ड से नाप रहा था। इस बार बेला की चूत ने पहले मैदान छोड़ दिया और उसकी चूत से लावा बह निकाला।
रघु के लण्ड ने भी अपने वीर्य की बौछार बेला की चूत में कर दी।
इधर तो सासू अम्मा ने अपने दामाद के लौड़े को खा लिया था.. आइए अब उधर दूसरी तरफ का नजारा देखते हैं।
रात के वक्त सीमा के मायके के घर.. सीमा अपनी माँ के कमरे में माँ से बातें कर रही थी।
उसकी माँ ने सीमा से कहा- वो आज रात उसके साथ सो जाए.. मेरा तुमसे बातें करने का बहुत मन हो रहा है। इसलिए सीमा ने माँ की बात मान ली। खाना खाने के बाद सीमा को सोनू का ध्यान आया..
वो कहाँ पर सो गया.. वो उस कमरे में गई.. यहाँ दीपा सोने की तैयारी कर रही थी। सीमा ने बिना कुछ बोले.. एक बिस्तर को ज़मीन पर लगाना शुरू कर दिया।
जब दीपा ने सीमा से पूछा- आप ज़मीन पर बिस्तर क्यों लगा रही हो?
सीमा ने उसे बताया, “माँ उसे अपने साथ सोने के लिए कह रही हैं और सोनू यहाँ नीचे सो जाएगा।
बिस्तर लगाने के बाद सीमा बाहर चली गई.. पर दीपा का बुरा हाल था ये सुन कर कि वो सोनू के साथ अकेली इस कमरे में… वो तो कुछ भी कर देगा और मैं सुबह उसे रोक भी नहीं पाई थी..। यही सब सोचते हुए.. दीपा बिस्तर पर बैठ गई।
थोड़ी देर बाद सोनू कमरे में दाखिल हुआ, घर के सभी लोग अपने-अपने कमरों में सोने के लिए जा चुके थे। उसने अन्दर आते ही एक बार दीपा की तरफ देखा।
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08-23-2019, 01:38 PM,
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
दीपा का दिल जोरों से धड़क रहा था। सोनू ने अन्दर आते ही दरवाजा बंद कर दिया और धीरे-धीरे दीपा की तरफ बढ़ने लगा। दीपा सोनू को अपने चोर नज़रों से देख रही थी। जैसे-जैसे सोनू उसके करीब आ रहा था.. उसकी साँसें उत्तेजना और डर के मारे और तेज होती जा रही थीं। कुछ ही पलों में सोनू दीपा के एकदम सामने उसके पास खड़ा था… इतना पास कि अब वो दीपा के दिल की तेज धड़कनों को सुन पा रहा था।

दीपा ने घबराते हुए, अपने सर को उठा कर सोनू की तरफ देखा। सोनू अपने चेहरे पर वासना से भरी मुस्कान लिए.. उसकी तरफ ही देख रहा था और अगले ही पल दीपा की नजरें फिर से झुक गईं। सोनू ने अपने दोनों हाथों से दीपा को उसके कंधों से पकड़ा और उसे उठाने लगा।

सोनू के हाथों को अपने कंधों पर महसूस करते ही.. दीपा का पूरा बदन काँप गया। उसने पीछे हटाने के कोशिश की, पर सोनू ने उसके कंधों को मजबूती से पकड़ा हुआ था।

दीपा किसी कठपुतली की तरह सोनू के हाथों का आदेश मानते हुए खड़ी हो गई..।
उसके साँसें और तेज़ी से चलने लगीं.. अपने चेहरे पर दीपा के गरम और मस्त कर देने वाली सांसों को महसूस करते ही सोनू एकदम से मस्त हो गया और वो अपने होंठों को

दीपा के होंठों की तरफ बढ़ाने लगा। उन रसीले और कांपते हुए होंठों की तरफ.. जिसे आज दोपहर को सोनू ने जी भर कर चूसा था।
जैसे ही दीपा को सोनू के इरादों का अहसास हुआ… उसका पूरा बदन थर-थर कांपने लगा। अब दीपा सोनू से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी.. शरम और संकोचवश उसकी आँखें बंद हो गईं और अगले ही पल सोनू ने दीपा के काँप रहे रसीले गुलाबी होंठों को अपने होंठों में भर लिया

सोनू के होंठों का स्पर्श अपने होंठों पर महसूस करते ही.. दीपा के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई और वो ना चाहते हुए भी कामातुर होकर गरम होने लगी। उसके हाथ-पैर उसका साथ छोड़ने लगे और सोनू इस बात का फायदा उठाते हुए.. उसके होंठों को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।

जब सोनू दीपा के नीचे वाले होंठ को अपने होंठों में दबा कर चूसता.. तो दीपा के होंठों में सनसनी दौड़ जाती।
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