Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
08-23-2019, 01:20 PM,
#51
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
अगली सुबह जब बेला सेठ चन्डीमल के घर पहुँचती है, तो सेठ के घर के बाहर तांगा खड़ा देख कुछ सोच में पड़ जाती है।
‘आज इतनी सुबह-सुबह कौन आ गया सेठ जी के घर…?’ ये बोलते हुए बेला सेठ के घर के अन्दर दाखिल होती है।
जैसे ही वो घर के आँगन में पहुँचती है, तो रजनी अपने बैगों के साथ तैयार खड़ी हुई दिखती है।
बेला- आप कहीं जा रही है मालकिन?
रजनी- हाँ.. वो मैं मायके जा रही हूँ।
बेला- अचानक से कैसे और अकेली जा रही हैं क्या?
रजनी (अपने होंठों पर घमंड से मुस्कान लाते हुए)- नहीं तो.. सोनू भी साथ जा रहा है।
बेला ने एकदम से चौंकते हुए पूछा- क्या.. सोनू?
रजनी- हाँ.. वो 7-8 दिन के लिए जा रही हूँ ना… तो सामान थोड़ा ज्यादा है। इसलिए सोनू साथ में जा रही हूँ।
बेला अपने मन में सोचती है कि साली छिनाल की चूत में ज़रूर खुजली हो रही होगी।
‘अच्छा वैसे सोनू भी 8 दिन रहेगा?’
रजनी- हाँ क्यों… तुम्हें कोई परेशानी है?
रजनी बेला को आँखें दिखाते हुए बोली।
बेला घबराते हुए बोली- नहीं मालकिन.. आप ऐसा क्यों सोच रही हैं?
बेला बिना कुछ बोले रसोई में चली गई।
उसके बाद सोनू ने अपना और रजनी का सारा सामान उठा कर तांगे में रख और खुद तांगे में आगे की तरफ बैठ गया और रजनी तांगे के पीछे की तरफ बैठ गई।
रजनी के मायके का गाँव उनके गाँव से कोई 3 घंटे के दूरी पर था.. उस जमाने में बस या और कोई साधन नहीं हुआ करता था क्योंकि एक गाँव से दूसरे गाँव तक लोग तांगे में ही सफ़र किया करते थे और जो लोग ग़रीब थे, वो तो इतना लंबा सफ़र भी पैदल चल कर ही करते थे।
दोपहर हो चुकी थी, तांगे वाला भी चन्डीमल के गाँव से ही था।
इसलिए रजनी और सोनू के बीच में पूरे रास्ते कुछ ज्यादा बातचीत नहीं हुई थी।
जब वो रजनी के मायके पहुँचे तो उनका स्वागत रजनी की माँ, भाई और भाभी ने किया।
तीनों रजनी को देख कर बहुत खुश थे, वो सोनू और रजनी को घर के अन्दर ले आए और रजनी को उसकी माँ ने अपने साथ पलंग पर बैठा लिया और अपनी बहू रेशमा को सोनू और रजनी के लिए चाय नास्ता लाने के लिए कहा। रमेश रजनी का भाई भी उनके साथ बैठ गया।
जया (रजनी की माँ)- और बेटी कैसी हो? आख़िर तुम्हें अपनी माँ की याद आ ही गई।
रमेश- हाँ दीदी.. आज आप बहुत समय बाद आई हो, आप तो जैसे हमें भूल ही गईं।
रजनी (मुस्कुराते हुए)- नहीं माँ.. ऐसी कोई बात नहीं है.. वो दरअसल इनको (चन्डीमल) काम से फ़ुर्सत नहीं मिलती और आप तो जानती ही हो, वो मुझे अकेले कहीं नहीं भेजते।
जया- अच्छा ठीक है ये छोरा कौन है?
रजनी- ये.. इसे सेठ जी ने घर के काम-काज के लिए रखा है। अच्छा रमेश तुम दोनों शादी के लिए कब निकल रहे हो?
रमेश- जी दीदी बस आपका इंतजार था.. बस अभी ही निकलने वाले हैं। इसलिए तांगे वाले को रोक लिया..
दरअसल रमेश के साले की शादी थी और वो और उसकी पत्नी 7 दिनों के लिए जा रहे थे, इसलिए उन्होंने रजनी को यहाँ पर बुलवाया था, क्योंकि उनके पीछे उनकी माँ अपने पति के साथ अकेली रह जाती।
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08-23-2019, 01:20 PM,
#52
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
जया के पति यानि रजनी के पिता की टाँग की हड्डी टूटी हुई थी.. जिसकी वजह से वो चल-फिर नहीं पाता था, इसलिए रजनी अपनी माँ का कुछ हाथ बटा सके, चाय और नास्ते के बाद रमेश अपनी पत्नी के साथ अपनी ससुराल जाने के लिए निकल गया, उनके जाने के बाद रजनी ने अपनी माँ से अपने पिता के बारे में पूछा।
जया- वो अपने कमरे में हैं, जा.. जाकर मिल आ।
रजनी- अच्छा माँ मैं बाबा से मिलकर आती हूँ.. तुम मेरा सामान मेरे कमरे में रखवा दो।
जया- अच्छा सुन इसको कहाँ पर रखना है.. मेरा मतलब ये कहाँ सोएगा?
रजनी- माँ पहले तुम मेरा सामान तो रखवाओ। इसके बारे में बाद में बताती हूँ।
ये कह कर रजनी अपने पिता से मिलने के लिए उसके कमरे में चली गई और जया रजनी का सामान सोनू से उठवा कर दूसरी मंज़िल पर बने हुए उसके कमरे में रखवाने लगी।
रजनी जब भी अपने मायके आती थी, वो उसी कमरे में रुकती थी, उस कमरे के पीछे वाली खिड़की खेतों की तरफ खुलती थी।
अब रजनी की माँ और पिता के बारे में कुछ बता दूँ।
रजनी का बाप राजेश अपने माँ-बाप की इकलौती औलाद था.. जवानी के दिनों में वो बहुत ही घुम्मकड़ और अय्याश किस्म का इंसान था और वो शादी को बंधन मानता था इसलिए उसने काफ़ी दिनों तक शादी नहीं की..
पर उम्र के बढ़ने के बाद उसे परिवार की ज़रूरत महसूस होने लगी और आख़िर 30 साल की उम्र में उसने जया से शादी कर ली।
जया उससे उम्र में दस साल कम थी और रजनी उसकी अपनी बेटी नहीं थी।
रजनी जया की बहन की बड़ी बेटी थी.. जो उसकी शादी से 8 साल पहले पैदा हुई थी, पर रजनी के माँ-बाप चल बसे..
और जया ने रजनी को गोद ले लिया था, वो भी शादी के महज एक साल बाद और दूसरे साल रमेश पैदा हुआ था।
राजेश की शादी को अभी साल भी पूरा नहीं हुआ था।
जैसे ही रमेश 18 साल को हुआ तो उसकी शादी करवा दे गई थी, इसलिए 18 साल की उम्र का बेटा होने के बावजूद भी जया सिर्फ़ 38 साल की थी और रजनी की बड़ी बहन जैसी लगती थी।
भले ही रजनी उम्र में उससे कुछ साल छोटी थी.. पर दोनों को देख कर दोनों में एक साल का फर्क लगता था।
अपने पिता से मिलने के बाद रजनी बाहर आँगन में आकर अपनी माँ के साथ बैठ गई और इधर-उधर की बातें करने लगी।
सोनू आँगन के एक कोने में बैठा हुआ धूप का आनन्द ले रहा था।
जब जया की शादी को 3 साल बीत चुके थे, तब रजनी किशोर हो चुकी थी और जया का पति अपनी आदतों से निकल नहीं पाया था।
दिन भर दारू पीना, रण्डीबाजी करना और घूमते रहना यही उसका काम का था।
उन्हीं दिनों की बात है, एक दिन रजनी जब छोटी थी.. अपने कमरे में सो रही थी.. दोपहर का समय था।
अचानक से उसकी नींद खुली और वो उठ कर जया को खोजते हुए उसके कमरे की तरफ जाने लगी..
पर जैसे ही वो कमरे के दरवाजे पर पहुँची.. तो जो उसने देखा उसे कुछ समझ में नहीं आया।
उनके खेतों में काम करने वाला एक मजदूर बिस्तर के किनारे पर खड़ा हुआ था।
उसकी धोती उसके पैरों में पड़ी हुई थी और वो जया को पीछे से कमर से पकड़े हुए तेज़ी से अपने लण्ड को उसकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था और जया, ‘ओह्ह..धीरे ओह्ह..’ जैसे मादक सिसकियाँ भर रही थी।
नादान रजनी समझ रही थी कि वो मजदूर उसकी माँ को मार रहा है और उसने वही खड़े-खड़े रोना शुरू कर दिया।
रजनी के रोने की आवाज़ सुनते ही, दोनों हड़बड़ा गए।
जया ने अपनी साड़ी को नीचे किया और उस मजदूर को घूरते हुए लुँगी को बांधने के लिए कहा और खुद रजनी को दूसरे कमरे में ले गई।
‘अरे मेरी प्यारी गुड़िया क्या हुआ तुझे..? रो क्यों रही है?’
रजनी (सुबकते हुए)- माँ वो कल्लू आपको मार रहा था?
जया- नहीं तो तुमसे किसने कहा.. वो तो मुझे चोट लग गई थी.. इसलिए दवाई लगा रहा था।
रजनी- माँ ऐसे भी कोई दवाई लगता है अपनी नूनी से।
जया- वो क्या है ना.. मेरे सूसू वाली जगह के अन्दर चोट लगी है ना.. अब चुप कर और ये बात अपने बाबा से मत कहना.. ठीक है, नहीं तो वो भी रोने लगेंगे।
रजनी- सच माँ.. ज्यादा चोट है।
जया- नहीं.. अब ठीक है..पर ध्यान रखना अपने बाबा से मत कहना।
रजनी- ठीक है माँ।
उस वक़्त नादान रजनी ना समझ सकी कि जया और कल्लू के बीच क्या हो रहा है..
पर जैसे-जैसे रजनी सयानी हुई तो उसे सब पता चजया गया।
कल्लू और जया की रंगरेलियाँ जारी थीं, पर रजनी ने अपना मुँह नहीं खोला।
कई बार तो कल्लू और जया को रजनी ने देखा और पकड़ा भी.. पर जया जान चुकी थी कि रजनी उससे बहुत प्यार करती है और वो कुछ नहीं बोलेगी।
दोनों के बीच आम सहेलियों जैसी बातें होने लगी थीं और जया रजनी को अपने और कल्लू के किस्से खूब सुनाया करती थी, पर रजनी की शादी के बाद कल्लू को खेतों में काम करते हुए साँप ने डस लिया और उसकी मौत हो गई।
उसके बाद से उसका पति ही उसकी महीने में एक-दो बार चोदता था.. पर जया जैसी गरम औरत को संतुष्ट नहीं कर पाता था।
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08-23-2019, 01:20 PM,
#53
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
रजनी- और सुनाओ माँ.. सब कैसा है? कोई नया शिकार किया कि नहीं…
जया- अरे कहाँ.. तुम तो जानती हो। अब बहू सारा दिन घर में होती है और वैसे भी कल्लू के जाने के बाद तेरे बाबा ने खेतों में कोई ढंग का मजदूर नहीं रखा। मेरी छोड़ तू बता.. दामाद जी तो खूब निचोड़ते होंगे तुम्हें.. कि नहीं?
रजनी- कहाँ माँ.. क्यों मज़ाक कर रही हो। अब वो तो मरी उस रखैल के कमरे से बाहर ही नहीं निकलते और वैसे भी पहले भी कहाँ कुछ करते थे, दुकान से आकर सो जाते थे।
जया- ये सब छोड़.. ये बता इस लड़के को कौन से कमरे में ठहराऊँ?
रजनी- वो मेरे कमरे में रहेगा माँ।
जया ने हैरान होते हुए पूछा- अरे तू ये क्या कह रही है.. तू नौकर के साथ एक कमरे में रहोगी?
रजनी (शर्मा कर मुस्कुराते हुए)- हाँ माँ।
जया (रजनी के चेहरे पर उभरी हुई ख़ुशी को पढ़ते हुए)- क्या सच कह रही है… तू उस नादान के साथ… मेरा मतलब अभी तो उसकी उम्र ही क्या है?
रजनी- माँ.. जिसे तुम बच्चा समझ रही हो.. वो तो तुम्हारी चूत को भी सुजा देगा।
जया- धत.. कैसी बेशर्मों जैसी बातें कर रही है। उस लड़के को देख कर तो ऐसा नहीं लगता और वैसे भी अगर किसी को पता चला कि तू उस नौकर के साथ एक कमरे में रह रही है, वो भी मेरे मौजूदगी में… तो लोग क्या कहेंगे.. मैं तो कहीं की नहीं रहूंगी।
रजनी (अपनी माँ जया के गले में बाहें डालते हुए)- ओह्ह.. माँ तुम भी ना बच्चों जैसी बात करती हो.. तुम्हारे सिवा और कौन जान सकता है.. इस घर में क्या हो रहा है? वैसे भी माँ तुम तो जानती हो अब मेरे जिंदगी में ये सुख के पल कभी-कभार ही आने वाले हैं।
जया (थोड़ी देर सोचने के बाद)- अच्छा.. चल ठीक है, पर जो तू उस छोरे के बारे में कह रही है.. क्या वो सच है?
रजनी (मुस्करा कर जया की तरफ देखते हुए) अगर यकीन ना हो तो एक बार उसका लण्ड चूत में लेकर देख लो… अगर दो मिनट में झड़ ना जाओ, तो मेरा नाम रजनी नहीं।
जया (सवालिया नज़रों से रजनी की ओर देखते हुए)- और तू ये सब बर्दाश्त कर लेगी?
रजनी- क्यों नहीं.. आख़िर तुमने मेरे माँ ना होने के बावजूद भी इतना प्यार दिया है। तो अगर मेरी किसी चीज़ से तुम्हें सुख मिजया है तो…मुझे क्या ऐतराज हो सकता है?
जया- पर वो क्या मानेगा?
रजनी- बस माँ.. तुम आज रात का इंतजार करो.. अभी वो भी थका हुआ है, थोड़ी देर बेचारे को आराम करने दो, मैं उससे ऊपर कमरे में छोड़ कर आती हूँ।
रजनी सोनू को अपने कमरे में ले गई और सोनू को ऊपर कमरे में आराम करने के लिए बोला और खुद नीचे अपनी माँ के कमरे में आकर लेट गई।
रजनी तो सो गई, पर रजनी की बातों ने जया की चूत में आग लगा दी थी।
आख़िर आज कई सालों बाद उसे एक लण्ड मिलने वाला था।
वो भी एक जवानी की दहलीज पर खड़े लड़के के लम्बे लंड का स्वाद मिलने वाला था।
दूसरी तरफ बेला के घर पर बिंदया की शादी की तैयारी जोरों पर थी।
कल बिंदया की शादी का दिन तय हुआ था, अब आप ज़रा बिंदया की ससुराल के लोगों से मिल लीजिए।
जैसा कि आप जानते ही हैं कि बिंदया के होने वाले पति का नाम रघु है और उसके ससुर का नाम किसन है।
इसके अलावा उसकी ससुराल में उसकी सास कमला और रघु की चाची नीलम है।
नीलम के एक लड़का और एक लड़की है.. दोनों अभी कम उम्र के हैं।
नीलम के पति का देहांत आज से दस साल पहले हो चुका था।
इन सब किरदारों का रोल अपने वक्त आने पर सामने आएगा।
फिलहाल हम रजनी के मायके का रुख़ करते हैं.. क्योंकि वहाँ आज की रात कुछ ज्यादा ही रंगीन होने वाली है।
उधर जया के घर पर रात के समय था।
सब खाना खा चुके थे और सोनू और रजनी ऊपर अपने कमरा में थे।
सोनू रजनी को बाँहों में भरे हुए उसकी मांसल चूचियों को मसल रहा था।
रजनी (सोनू के हाथों को रजनी के चूचियों पर से हटाते हुए)- आज नहीं.. आज मैं बहुत थक गई हूँ.. तुम तो दोपहर को खूब सो लिए।
सोनू (थोड़ा उदास होते हुए)- अच्छा ठीक है मालकिन.. जैसी आप की मर्ज़ी।
सोनू पलट कर बिस्तर की तरफ जाने लगा।
रजनी (पीछे से सोनू को बाँहों में भरते हुए) ओह्ह.. नाराज़ हो गया मेरा बच्चा।
रजनी की चूचियाँ सोनू के पीठ पर धँस गई। रजनी अपना हाथ आगे लाकर सोनू के लण्ड पर ले आई और उसके पजामे के ऊपर से लण्ड को पकड़ कर मसलने लगी।
‘आहह.. मालकिन..’ सोनू के मुँह से मस्ती भरी ‘आहह’ निकल गई और आँखें बंद हो गईं।
रजनी ने दूसरे हाथ से सोनू के पजामे के नाड़े को खोल कर उसके लण्ड को बाहर निकाल लिया और लण्ड पकड़ कर पीछे खड़े हुए तेज़ी मुठ्ठ मारने लगी।
कुछ ही पलों में सोनू का लण्ड तन कर अपनी औकात पर आ गया।
इस बात से अंजान कि दरवाजे पर खड़ी जया ये सब देखते हुए अपने पेटीकोट के ऊपर से अपनी चूत को मसल रही थी।
जया को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था..सोनू का 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड किसी मूसल के तरह खड़ा हुआ था।
जिसे देखते ही जया की चूत में नमी आने लगी।
अचानक से दरवाजा हिलने की आवाज़ से दोनों चौंक गए।
चौंका तो सिर्फ़ सोनू था और रजनी तो सब जानते हुए बनने का नाटक कर रही थी।
जैसे ही सोनू की नज़र जया पर पड़ी.. मानो उसकी गाण्ड फट गई हो।
रजनी तो कब से पीछे हट कर जया की तरफ पीठ करके सर झुकाए खड़ी थी।
सोनू कभी जया की तरफ देखता.. कभी रजनी की तरफ देखता.. तो कभी अपने झटके खाते हुए लण्ड की तरफ देखता।
‘आज तो मर गया तू..’ सोनू ने मन ही मन सोचा, पर अगले ही पल जया के होंठों पर वासना से भारी मुस्कान फ़ैल गई।
जिससे देख सोनू उलझन में पड़ गया।
‘वो अपना पजामा ठीक कर।’ जया ने सोनू के लण्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा।
‘और तुम रजनी ज़रा बाहर आओ.. ये क्या गुल खिला रही थी?’
यह कह कर जया वापिस चली गई.. रजनी अपनी हँसी को छुपाते हुए कमरे से बाहर चली गई और सोनू वहीं ठगा सा खड़ा रह गया। कुछ पलों के लिए मानो उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया हो।
जब उससे होश सा आया तो उसने लपक कर अपने पजामे को ऊपर किया.. उसका पूरा बदन डर से थरथर काँप रहा था.. अब क्या होगा?
सेठ को पता चला तो वो मुझे जान से मार देंगे… नहीं नहीं.. मैं यहाँ से भाग जाऊँगा।
सोनू अपने सर को पकड़ कर बिस्तर पर बैठ गया।
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08-23-2019, 01:20 PM,
#54
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
रजनी के जाने के बाद सोनू उस कमरा में ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे वो किसी क़ैद खाने में बैठा हो और अभी बाहर से कुछ लोग आयेंगे और उसकी पिटाई शुरू हो जाएगी।
एक अजीब सा सन्नाटा उस कमरा में फैला हुआ था.. तभी कमरे के बाहर से कुछ क़दमों की आहट हुई।
जिससे सुन कर सोनू के हाथ-पैर काँपने लगे.. लेकिन तभी रजनी कमरे में दाखिल हुई, उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था.. जैसे उसको कोई फर्क ना पड़ा हो।
सोनू (हकलाते हुए)- क्या.. क्या हुआ मालकिन?
रजनी (एकदम से सीरियस होकर बिस्तर पर बैठते हुए)- सोनू अब सब तुम्हारे हाथ में है.. अगर तुम चाहो तो ये बात माँ किसी को नहीं कहेगी।
सोनू- मैं.. पर कैसे मालकिन?
रजनी- तू एक काम कर.. यहाँ पर बैठ… माँ थोड़ी देर में आ रही हैं। वो तुझ से जो भी कहें कर लेना.. मना मत करना अब सब तुम्हारे हाथ में ही है।
यह कह कर रजनी बिना सोनू से आँख मिलाए कमरे से बाहर निकल गई, एक बार फिर से वो जान निकाल देने वाला सन्नाटा कमरा में छा गया।
सोनू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
रजनी जब सीड़ियाँ नीचे उतर रही थी, तब जया उसे सीड़ियों पर मिली।
दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और फिर दोनों के होंठों पर वासना से भरी मुस्कान फ़ैल गई।
‘ध्यान से माँ.. छोरे का लण्ड बहुत तगड़ा है।’ रजनी ने जया के पास से गुज़रते हुए कहा।
रजनी की बात सुन कर जया सीड़ियों पर खड़ी हो गई।
‘तो मैं कौन सा पहला लण्ड चूत में लेने वाली हूँ।’
रजनी ने पीछे मुड़ कर जया की तरफ देखा और एक बार फिर दोनों के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई, फिर रजनी नीचे की ओर चली गई।
उधर कमरे में बैठा, सोनू अपनी किस्मत को कोस रहा था कि आख़िर वो रजनी के साथ यहाँ क्यों आया।
एक बार फिर से कमरे के बाहर से आ रही क़दमों की आहट सुन कर सोनू के रोंगटे खड़े हो गए।
वो जानता था कि अन्दर कौन आने वाला है और वो बिस्तर से खड़ा हो गया।
जैसे ही जया उसके कमरा में आई तो उसने अपने सर को झुका लिया।
जया ने एक बार सर झुकाए खड़े सोनू की तरफ देखा, फिर पलट कर दरवाजे को बंद कर दिया।
जया ने अपने ऊपर शाल ओढ़ रखी थी।
दरवाजा बंद होने की आवाज़ सुन कर सोनू एकदम से चौंक गया..
उसे समझ में नहीं आया कि आख़िर जया ने दरवाजा किस लिए बंद किया है..
दरवाजा बंद करने के बाद जया ने अपनी शाल उतार कर टाँग दी और सोनू की तरफ देखते हुए, बिस्तर के पास जाकर खड़ी हो गई।
अब जया सिर्फ़ नीले रंग के ब्लाउज और पेटीकोट में थी, उसकी कमर पर चाँदी का कमरबंद बँधा हुआ था।
जया का पेट हल्का सा बाहर निकला हुआ था और उसका रंग रजनी के गेहुँआ रंग के उलट एकदम गोरा था..
उसका पेटीकोट नाभि से 3 इंच नीचे बँधा हुआ था और पेटीकोट के इजारबन्द के ऊपर वो कमर बन्द तो मानो जैसे कहर ढा रहा हो।
सोनू ने तिरछी नज़रों से जया की तरफ देखा, जो उसकी तरफ देख कर मंद-मंद मुस्करा रही थी।
अपने सामने खड़ी जया का ये रूप देख उससे यकीन नहीं हो रहा था।
उससे देखते ही, सोनू का मन मचल उठा.. पर कुछ करने या कहने के हिम्मत कहाँ बाकी थी..वो तो किसी मुजरिम की तरह उसके सामने खड़ा था।
‘ओए छोरे इधर आ..’ जया ने बिस्तर पर बैठते हुए कहा।
सोनू ने एकदम से चौंकते हुए कहा- जी क्या..?
जया- जी.. जी.. क्या लगा रखा है, इधर आकर खड़ा हो…ठीक मेरे सामने।
सोनू बिना कुछ बोले जया के सामने बिस्तर के पास जाकर खड़ा हो गया। अब भले ही वो सर झुका कर खड़ा था, पर नीले रंग के ब्लाउज में से जया की झाँकती
चूचियों का दीदार उसे साफ़ हो रहा था, क्योंकि जया उसके सामने बिस्तर पर बैठी हुई थी।
‘क्या कर रहा था..तू मेरे बेटी के साथ?’ जया ने कड़क आवाज़ में सोनू से पूछा, जिसे सुनते ही सोनू की गाण्ड फटने को आ गई.. पर वो बिना कुछ बोले खड़ा रहा।
‘सुना नहीं.. क्या पूछा मैंने?’
इस बार सोनू के लिए चुप रहना नामुनकिन था।
‘वो मैं नहीं.. मालकिन कर रही थीं..’ सोनू ने जया की तरफ देखते हुए कहा।
‘अच्छा तो तेरे मतलब सब ग़लती मेरी छोरी की है.. इधर आ..’
जया ने सोनू का हाथ पकड़ कर उसे और पास खींच लिया..
सोनू अवाक सा उसकी ओर देख रहा था..
इससे पहले कि उसे कुछ समझ आता, जया ने उसके मुरझाए हुए लण्ड को पजामे के ऊपर से पकड़ लिया और ज़ोर से मसल दिया।
‘आह दर्द हो रहा.. मालकिन ओह्ह..’
सोनू ने जया का हाथ हटाने की कोशिश करते हुए कहा।
जया ने सोनू की तरफ वासना से भरी नज़रों से देखते हुए कहा- क्यों रे, अब तो ये ऐसे मुरझा गया है…जैसे इसमें जान ही ना हो…पहले कैसे इतना कड़क खड़ा था.. साले.. मेरी जवान बेटी पर ग़लत नज़र रखता है।
ये कहते हुए जया ने उसके लण्ड को थोड़ा और ज़ोर से मसल दिया।
सोनू की तो जैसे जान ही निकल गई, उसके चेहरे से साफ़ पता चल रहा था कि वो कितने दर्द में है।
उसके चेहरे को देख कर जया को अंदाज़ा हुआ कि उसने कुछ ज्यादा ही ज़ोर से उसके लण्ड को मसल दिया।
जया ने उसके लण्ड को छोड़ दिया, फिर उसके लण्ड को हथेली से रगड़ने लगी..
सोनू को जैसे लकवा मार गया हो। वो बुत की तरह जया को देख रहा था, जो उसकी तरफ देखते हुए, एक हाथ से अपनी चूची को ब्लाउज के ऊपर से मसल रही थी और दूसरे हाथ से सोनू के लण्ड को सहला रही थी।
रजनी- क्यों रे मेरे बेटी को खूब चोदता है.. एक बार मुझे भी चोद कर देख। साली उस छिनाल से ज्यादा मज़ा दूँगी।
ये कह कर उसने एक झटके से सोनू के पजामे का नाड़ा खोल दिया।
इससे पहले कि घबराए हुए सोनू को कुछ समझ आता.. उसका पजामा उसके घुटनों तक आ चुका था और उसका अधखड़ा लण्ड जया के हाथ की मुठ्ठी में था।
‘ये… ये आप क्या रही हैं मालकिन… ओह्ह नहीं मालकिन आ आहह..’
जया ने उसके लण्ड के सुपारे पर चमड़ी पीछे सरका दी और गुलाबी सुपारे जो कि किसी छोटे सेब जितना मोटा था, उसे देख जया कर आँखों में वासना छा गई..
उसकी चूत की फांकें फड़फने लगीं और चूत ने कामरस की बूंदे बहाना शुरू कर दिया।
क्योंकि अब सोनू का लण्ड अपनी असली विकराल रूप में आना चालू हो गया था, जया ने अपने अंगूठे के नाख़ून से सोनू के लण्ड के सुपारे के चारों तरफ कुरेदा..
तो सोनू की मस्ती भरी ‘आहह’ निकल गई और अगले ही पल उसे अपने लण्ड का सुपारा किसी गरम और गीली जगह में जाता हुआ महसूस हुआ।
उससे ऐसा लगा जैसे किसी नरम और रसीली अंग ने उसके लण्ड के सुपारे को चारों तरफ से कस लिया हो..
जब सोनू ने अपनी मस्ती से भरी आँखों को खोल कर नीचे देखा।
तो जो हो रहा था, उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ।
जया ने एक हाथ से उसके लण्ड को मुठ्ठी में पकड़ रखा था.. उसके लण्ड का सुपारा जया के होंठों के अन्दर था और दूसरे हाथ से जया अपनी चूची को मसल रही थी।
ये नज़ारा देख सोनू एकदम से हैरान था, जया ने उसके लण्ड के सुपारे को चूसते हुए.. ऊपर सोनू की तरफ देखा.. दोनों की नज़रें आपस में जा मिलीं।
जैसे कह रही हों, ‘मेरी बेटी को जैसे चोदता है.. आज मेरी चूत की प्यास भी बुझा दे।’
सोनू का लण्ड अपनी पूरी औकात पर आ चुका था।
जिससे हाथ की मुठ्ठी में जया ने सोनू के लण्ड को भर रखा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इस उम्र के छोरे का लण्ड भी इतना बड़ा हो सकता है।
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08-23-2019, 01:21 PM,
#55
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
अचानक से जया ने सोनू के फनफनाते हुए लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकाला और बिस्तर पर लेट गई।
उसकी टाँगें बिस्तर के नीचे लटक रही थीं..उसने अपनी टाँगों को उठा कर घुटनों से मोड़ा और अपने पेटीकोट को टाँगों से ऊपर उठाते हुए, अपनी कमर तक चढ़ा लिया।
यह देख कर सोनू की हालत और खराब हो गई।
जया की चूत की फाँकें फैली हुई थीं और उसमें से कामरस एक पतली सी धार के रूप में बह कर उसकी गाण्ड के छेद की तरफ जा रहा था।
उसकी चूत का छेद कभी सिकुड़ता और कभी फ़ैजया।
सोनू बिना अपनी पलकों को झपकाए हुए, उसकी तरफ देख रहा था।
यह देख कर जया के होंठों पर कामुकता भरी मुस्कान फ़ैल गई।
‘देख.. तेरे लण्ड के लिए पानी छोड़ रही है।’ जया ने अपनी चूत की फांकों को फ़ैलाते हुए अपनी चूत के गुलाबी छेद को दिखाते हुए कहा।
यह सुन कर सोनू की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। अब उससे समझ में आ रहा था कि रजनी क्यों कह रही थी। उसके मायके के घर में कोई डर नहीं है और ये सच अब सोनू के सामने आ चुका था।
सोनू को यूँ खड़ा देख कर जया से रहा नहीं गया, उसने अपना हाथ आगे बढ़ा कर सोनू के लण्ड को पकड़ा और उसके लण्ड के गुलाबी मोटे सुपारे को अपनी गीली चूत के छेद पर रगड़ने लगी।
सोनू के लण्ड के गरम और मोटे सुपारे का स्पर्श अपनी चूत के छेद पर महसूस करते ही.. जया के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई।
जया की वासना से भरी हुई आँखें बंद हो गईं।
उसने बड़ी ही अदा के साथ एक बार अपने होंठों को अपने दाँतों से चबाया और काँपती हुई आवाज़ में सोनू से भीख माँगने वाले लहजे से बोली- ओह्ह.. बेटा डाल दे.. मेरी चूत में भी अपना ये मोटा लण्ड पेल दे… चोद मुझे साले जैसी मेरी बेटी को चोदता है, ओह्ह..
सोनू का लण्ड अब पूरी तरह से तन चुका था और अब सोनू भी पूरे जोश में आ चुका था।
जया उसके लण्ड को अपनी दो उँगलियों और अंगूठे के मदद से पकड़े हुए, अपनी चूत के छेद पर उसका लण्ड का सुपारा टिकाए हुए थी।
सोनू ने जया की टाँगों को घुटनों से पकड़ कर मोड़ कर ऊपर उठाया और अपनी पूरी ताक़त के साथ एक जोरदार झटका मारा।
सोनू का लण्ड जया की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ तेज़ी के साथ अन्दर घुसता चला गया।
जया जो इतने सालों बाद चुद रही थी.. इस प्रचण्ड प्रहार के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी, वो एकदम से कराह उठी.. पर तब तक सोनू का 8 इंच लंबा पूरा का पूरा लण्ड जया की चूत की गहराईयों में उतर चुका था।
जया- हइई.. माआअ मार..गई.. ओह हरामी.. धीरे नहीं पेल सकता था.. ओह्ह ओह्ह निकाल साले.. अपने लण्ड ओह मर गइईई.. फाड़ के रख दी.. मादरचोद.. मेरी चूत ओह्ह..
जया ने अपने कंधों और गर्दन को बिस्तर से उठा कर अपनी चूत की तरफ देखने की कोशिश करते हुए कहा।
सोनू भी जया के कराहने की आवाज़ सुन कर थोड़ा डर गया और अपना लण्ड जया की चूत से बाहर निकालने लगा।
अभी उसने अपना लण्ड आधा ही बाहर निकाला था कि जया ने उससे कंधों से पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया।
जिससे सोनू का लण्ड एक बार फिर जया की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अन्दर घुस कर उसके बच्चेदानी के मुँह से जा टकराया।
जया ने सिसकते हुए सोनू के चेहरे को अपनी चूचियों में ब्लाउज के ऊपर से दबा लिया।
भले ही जया की चूचियाँ बहुत बड़ी नहीं थीं.. पर एकदम कसी हुई थीं।
सोनू अब जैसे पागल हो चुका था…
अपने आप ही उसके हाथ जया की चूचियों पर आ गए और ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूचियों को मसलने लगे।
जया का रोम-रोम रोमांच से भर उठा। नीचे से उसके चूतड़ ऊपर की तरफ उछल पड़े.. यह सीधा संकेत था कि वो सोनू का पहला जोरदार वार झेल कर अब चुदवाने के लिए तड़फ रही है।
सोनू जया के ऊपर लेटा हुआ दोनों हाथों से जया की चूचियों को मसलते हुए.. अपने होंठों को जया के ब्लाउज के ऊपर से बाहर आ रही चूचियों पर रगड़ रहा था।
जया की आँखें फिर से मस्ती में बंद होने लगी थीं।
उसकी मादक सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं।
जया ने अपने ब्लाउज के हुक्स खोल कर अपनी चूचियों को आज़ाद कर दिया और एक हाथ से अपनी बाएं चूची पकड़ कर उसका चूचुक सोनू के मुँह पर लगा दिया।
जया- यहाँ.. ओह्ह ये ले.. चूस्स्स इसे.. ओह्ह ओह्ह ह आह्ह..
जया ने नीचे से अपनी कमर को हिलाते हुए कहा।
सोनू ने भी झट से जया की चूची को आधे से ज्यादा मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसना चालू कर दिया।
सोनू ने अपने लण्ड को आधे से ज्यादा बाहर निकाला और फिर पूरी ताक़त से अन्दर पेल दिया। सोनू का लण्ड पिछले आधे घंटे से खड़ा था..
अब सोनू के बर्दाश्त से बाहर हुआ जा रहा था।
वो बिस्तर के किनारे खड़ा हो गया और जया की टाँगों को घुटनों से मोड़ कर ऊपर उठा कर पूरी तरह से फैला दिया।
जिससे उसकी चूत ठीक उसके लण्ड के लेवल पर आ गई और सोनू तेज़ी से अपने लण्ड को जया की चूत की अन्दर-बाहर करने लगा।
बरसों बाद चुद रही चूत.. सोनू का मोटा लण्ड पाकर मानो ख़ुशी के आँसू बाहर निकालने लगी।
जया की चूत एकदम गीली हो चुकी थी और सोनू का लण्ड भी जया की चूत से निकल रहे गाढ़े पानी से एकदम सन गया था।
अब सोनू का लण्ड ‘फच-फच’ की आवाज़ करता हुआ तेज़ी से जया की चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था और जया भी अपनी गाण्ड को उछाल कर सोनू का साथ देने की कोशिश कर रही थी।
पर सोनू के मूसल लण्ड के सामने जया की चूत की नहीं चल रही थे।
उसका पूरा बदन सोनू के लगाए हुए हर धक्के के साथ हिल रहा था और जया अपने सर को इधर-उधर पटकते हुए मछली के जैसे तड़फ रही थी।
जया कभी अपनी दोनों चूचियों को मसलती, कभी वो बिस्तर की चादर को अपने हाथों में दबोच लेती।
उसकी चूचियाँ हर धक्के के साथ हिल रही थीं, जिससे देख कर सोनू का जोश और बढ़ता जा रहा था।
जया- ओह धीरेए ओह्ह ओह्ह ह आह्ह.. उँघह धीरेए ऊहह फाड़ डाली री मेरी भोसड़ी.. ओह्ह रजनी तेरे नौकर ने मेराआ..भोसड़ा.. फाड़..दिया.. ओहह.. आह्ह.. धीरेए ओह्ह मर गइई ओह्ह ओह्ह..
जया की चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया और वो अपनी गाण्ड को पागलों की तरह उछालते हुए झड़ने लगी।
उसने अपने बिखरे हुए बालों को नोचना शुरू कर दिया।
पर सोनू अभी भी पूरी रफ़्तार के साथ जया की चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर कर रहा था।
जया का पूरा बदन एकदम से ऐंठ चुका था, पर सोनू के ताबड़तोड़ धक्कों ने एक बार फिर से उसकी चूत को ढीला कर दिया था।
जया झड़ने के बाद पूरी तरह शांत हो चुकी थी और अपनी टाँगों को फैलाए हुए सोनू के लण्ड को अपनी चूत में मज़े से रही थी।
आज कई सालों बाद वो झड़ने के बाद भी मज़ा ले रही थी।
आख़िर 5 मिनट की और चुदाई के बाद जया दूसरी बार झड़ गई और इस बार सोनू के लण्ड ने भी उसकी चूत में अपना वीर्य उड़ेल दिया।
जैसे ही सोनू का लण्ड सिकुड़ कर बाहर आया.. जया जल्दी से उठ कर बाहर चली गई.. उसने अपने कपड़े तक ठीक नहीं किए।
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08-23-2019, 01:21 PM,
#56
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
सोनू ने अपने मुरझाए हुए लण्ड की ओर देखा, वो जया की चूत की कामरस से एकदम भीगा हुआ था।
उसने कमरे में इधर-उधर नज़र दौड़ाई..
तो उसे जया की शाल दरवाजे के पास टंगी हुई नज़र आई.. वो शाल के पास गया और उसके एक छोर को पकड़ कर उससे अपना लण्ड साफ़ करने लगा.. तभी रजनी अचानक से कमरे में आ गई।
उसने सोनू के लण्ड की तरफ देखा।
जो शिकार करने के बाद लटक रहा था।
रजनी- क्यों कैसी लगी मेरे माँ की चूत?
सोनू रजनी की बात सुन कर एकदम से हैरान रह गया.. उससे यकीन नहीं हो रहा था कि रजनी उससे अपनी माँ की चूत की बारे में पूछ रही है।
‘आज रात वो तेरे पास ही लेटेगी.. साली की चूत सुजा दे चोद-चोद कर.. इतना चोद कि सुबह चल भी ना पाए।’
सोनू रजनी की ऐसे बातें सुन कर मुँह फाड़े बुत की तरह खड़ा था.. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रजनी ये सब कह रही है।
‘जा देख कर साली नीचे मूतने गई है। अगर तुम मुझे अपनी मालकिन मानते हो तो जहाँ मिले वहीं पटक कर चोद देना..’
सोनू रजनी की बात का जवाब दिए बिना अपना पजामा पहने नंगा ही नीचे चला गया.. जब वो आँगन में पहुँचा तो उसे गुसलखाने से कुछ आवाज़ सुनाई दी।
वो धीरे-धीरे गुसलखाने के तरफ बढ़ा और जया के मूतने की सुरीली सी आवाज़ उसके कानों में पड़ी…
सोनू गुसलखाने के दरवाजे के पास खड़ा होकर अन्दर झाँकने लगा।
अन्दर का नज़ारा देख कर एक बार फिर से सोनू का लण्ड पूरे उफान पर आ चुका था।
जया मूतने के बाद झुक कर अपनी चूत को एक कपड़े से साफ़ कर रही थी.. पीछे खड़े सोनू के सामने जया के बड़े-बड़े चूतड़ों के बीच लबलबा रही चूत का गुलाबी छेद उस पर कहर बरपा रहा था।
जया को इस बात का पता नहीं था कि सोनू उसके पीछे खड़े होकर उसकी बड़ी गाण्ड को देख रहा है।
अगले ही पल सोनू का 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड किसी सांप की तरह फुंफकार रहा था।
गुसलखाने के अन्दर एक बड़ा सा पुराना मेज रखा हुआ था.. जिस पर कुछ पानी के मटके और लालटेन रखी हुई थी।
जया अपनी चूत की फांकों को अपनी उँगलियों से सहला रही थी, उसके होंठों पर ख़ुशी से भरी हुई मुस्कान फैली हुई थी।
अचानक से उससे अपनी चूत पर एक बार फिर से सोनू के लण्ड के मोटे और गरम सुपारे का अहसास हुआ.. जिसे महसूस करते ही.. उसके पूरे बदन में मस्ती की कंपकंपी दौड़ गई।
‘आह क्या कर रहा है ओह्ह..छोड़ मुझे!’
इसके पहले कि जया कुछ संभल पाती.. सोनू का लण्ड उसकी चूत की फांकों को फैला कर चूत के छेद पर जा लगा।
‘ओह्ह आह सीईईई..’ जया के मुँह से मस्ती भरी ‘आह’ निकल गई।
जया ने एक बार अपनी गर्दन पीछे घुमा कर सोनू की तरफ अपनी वासना से भरी मस्त आँखों से देखा और मुस्करा कर फिर से आगे देखते हुए.. अपने दोनों हाथों को उस पुराने मेज पर टिका कर झुक गई।
फिर बड़ी ही अदा के साथ अपने पैरों को फैला कर पीछे से अपनी गाण्ड ऊपर की तरफ उठा लिया।
अब सोनू का लण्ड बिल्कुल जया की चूत के सामने था।
सोनू ने जया के चूतड़ों को दोनों तरफ से पकड़ कर फैला दिया और अपने लण्ड को चूत के छेद पर टिका दिया।
इससे पहले कि सोनू अपना लण्ड जया की चूत में पेलने के लिए धक्का मारता.. जया ने कामातुर होकर अपनी गाण्ड को पीछे की तरफ धकेलना शुरू कर दिया।
सोनू के लण्ड का मोटा सुपारा जया की चूत के छेद को फ़ैलाता हुआ अन्दर घुस गया।
जया अपनी चूत के छेद के छल्ले को सोनू के लण्ड के मोटे सुपारे पर कसा हुआ साफ़ महसूस कर पा रही थी।
कामवासना का आनन्द चरम पर पहुँच गया।
चूत ने एक बार फिर से अपने कामरस का खजाना खोल दिया।
जया की मस्ती का कोई ठिकाना नहीं था, उसकी चूत में सरसराहट बढ़ गई थी और वो सोनू के लण्ड को जड़ तक अपनी चूत में लेने के लिए मचल रही थी।
‘ओह्ह आह.. घुसाआ.. दे रे.. छोरे ओह फाड़ दे.. मेरी चूत ओह्ह आह… और ज़ोर से मसल मेरे गाण्ड को ओह्ह हाँ.. ऐसे ही…’
सोनू बुरी तरह से अपने दोनों हाथों से जया की गाण्ड को फैला कर मसल रहा था। उसके लण्ड का सुपारा जया की चूत में फँसा हुआ, जया को मदहोश किए जा रहा था।
सोनू को भी अपने लण्ड के सुपारे पर जया की चूत की गरमी साफ़ महसूस हो रही थी।
उसने जया के चूतड़ों को दबोच कर दोनों तरफ फैला लिया और अपनी गाण्ड को तेज़ी से आगे की तरफ धकेला। सोनू के लण्ड का सुपारा जया की चूत की दीवारों को चीरता हुआ आगे बढ़ गया, जया के मुँह से एक घुटी हुई चीख निकल गई।
जो गुसलखाने के दीवारों में ही दब कर रह गई।
सोनू का आधे से अधिक लण्ड जया की चूत में समा चुका था।
‘ओह्ह आपकी चूत बहुत कसी हुई है.. बड़ी मालकिन… ओह्ह मेरा लण्ड फँस गया है.. ओह्ह..’
जया ने पीछे की तरफ अपनी गाण्ड को ठेल कर अपनी चूत में सोनू का मोटा लण्ड लेते हुए कहा- आहह.. आह जालिम मेरी चूत.. ओह फाड़ दी… ओह्ह ओह तेरे इस मूसल लण्ड की तो मैं आह.. आह.. कायल हो गई उह्ह.. ओह्ह चोद दे.. मुझे.. और तेज धक्के मार..
सोनू भी अब नौकर और मालिक की मर्यादाओं को भूल कर जया के चूतड़ों को फैला कर अपने लण्ड को उसकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था।
जया का ब्लाउज अभी भी आगे से खुला हुआ था और सोनू के हर जबरदस्त धक्के के साथ उसकी चूचियाँ तेज़ी से हिल रही थीं।
‘ओह रुक छोरे.. ज़रा ओह्ह ओह्ह.. मैं खड़ी-खड़ी थक गई हूँ..ओह्ह ओह्ह आह्ह..’
सोनू ने अपने लण्ड को जया की चूत से बाहर निकाल लिया.. जया सीधी होकर उसकी तरफ पलटी और सोनू के होंठों पर अपने रसीले होंठों को रखते हुए उसे से चिपक गई।
सोनू ने उसकी कमर से अपनी बाँहों को पीछे ले जाकर उसके चूतड़ों को दबोच-दबोच कर मसलना शुरू कर दिया।
सोनू का विकराल लण्ड जया के पेट के निचले हिस्से पर रगड़ खा रहा था।
‘चल छोरे दूसरे कमरे में चलते हैं।’ जया ने चुंबन तोड़ते हुए कहा और फिर अपने कपड़ों की परवाह किए बिना गुसलखाने से निकल कर एक कमरे में आ गई, यहाँ पर अब वो अकेली सोती थी।
सोनू उसके पीछे अपना पजामे को थामे कमरे में दाखिल हुआ और जया ने उसे पकड़ कर बिस्तर पर धक्का दे दिया।
फिर अपने ब्लाउज को अपने जिस्म अलग कर एक तरफ फेंक दिया और फिर पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया।
नाड़ा खुलते ही पेटीकोट सरक कर नीचे आ गया और फर्श की धूल चाटने लगा। जया ने अपनी हथेली में थूका और अपनी चूत के लबों पर लगाते हुए, किसी रंडी की तरह सोनू के ऊपर सवार हो गई।
सोनू जया का ये रूप देख कर भावविभोर हो रहा था। उसने अपनी जिंदगी में कभी कल्पना भी नहीं की थी, उसे इतने कम समय में तीन चूतें चोदने को मिल जायेंगी।
जया ने सोनू के ऊपर आते ही उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा कर.. उस पर अपनी चूत को दबाना चालू कर दिया।
जया की चूत पहले से सोनू के लण्ड के आकार के बराबर खुल चुकी थी, चूत को लण्ड पर दबाते ही सोनू का लण्ड जया की चूत की गहराईयों में उतरने लगा।
‘ऊहह माआ.. ओह्ह रजनी सच कह रही थी.. तेरे लौड़े के बारे में.. ओह क्या कमाल का लण्ड पाया है तूने.. ओह्ह…’ जया ने अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे उछालते हुए कहा।
सोनू- आह्ह.. बड़ी मालकिन.. आपकी चूत भी बहुत गरम है.. कितना पानी छोड़ रही है.. पर आपने थूक क्यों लगाया?
जया ने तेज़ी से सिस्याते हुए, सोनू के लण्ड पर अपनी चूत पटकती है, ‘आह्ह.. आह्ह.. तेरे मूसल लण्ड के लिए तो जवान लड़की की चूत का पानी भी कम पड़ जाए.. हाय.. ओह सीई. मेरी तो फिर उमर हो गई है।’
सोनू ने नीचे से अपनी कमर को उछाल कर जया की चूत में लण्ड अन्दर-बाहर करते हुए कहा- आ आह.. पर तुम्हारी चूत सच में बहुत पानी बहा रही है.. मालकिन ओह.. ओह्ह।
जया- हाँ मेरे राजा.. ओह आह्ह.. ओह्ह तेरे लण्ड का कमाल है रे.. बहुत गहरी टक्कर मार कर चूत को खोदता है रे..ईई तेरा लण्ड आह.. आह्ह.. ओह्ह देख ना एक बार फिर से झड़ने वाली हूँ…ओह्ह चोद मुझे.. और ज़ोर से चोद आह्ह.. ओह्ह सीईइ मैं गइई… ओह ओह।
जया का बदन एक बार फिर से अकड़ गया और उसकी चूत से पानी का सैलाब बह निकला.. सोनू भी जया की चूत में झड़ गया।
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08-23-2019, 01:21 PM,
#57
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
उस रात सोनू ने जया की दो और बार जम कर चुदाई करके उससे बेहाल कर दिया।
चलिए अब ज़रा बेला के घर की तरफ रुख़ करते हैं।
यहाँ अगली सुबह बड़ी चहल-पहल से भरी हुई थी, गाँव भर की लड़कियाँ और औरतें बेला के घर में हँसी ठिठोली कर रही थीं.. आज बिंदया की शादी है।
अब शादी के बारे में ज्यादा लिखना वक्त बर्बाद करने जैसा होगा.. रघु की शादी बिंदया से हुई और रघु बिंदया को साथ लेकर अपने गाँव आ गया।
वहाँ बिंदया की सास कमला ने उससे घर के बाकी सदस्यों से मिलवाया.. जैसे उसकी चाची सास, नीलम और उसके बच्चों से.. और घर आए हुए कुछ मेहमानों से भी मिलवाया।
दिन का समय तो यूँ ही गुजर गया।
बिंदया की ससुराल के माली हालत उसके मायके से कहीं बेहतर थे।
सभी के लिए अपने-अपने कमरे थे।
कुछ तो सिर्फ़ मेहमानों के लिए थे.. जैसे कि मैं पहले ही बता चुका हूँ कि रघु की चाची नीलम विधवा है और उसके दो बच्चे हैं, पर नीलम के चेहरे को देखने से ऐसा नहीं लगता कि वो एक विधवा है, उसके होंठों पर सदा मुस्कान फैली रहती है, जैसे उसने अपनी जिंदगी में सब कुछ पा लिया हो।
रात के वक़्त रघु के घर पर आए हुए मेहमान और बाकी घर के सभी लोग खाना खा कर सोने की तैयारी कर रहे थे।
उधर बिंदया थोड़ी घबराई हुई सी सेज पर दुल्हन के रूप में बैठी.. रघु के अन्दर आने का इंतजार कर रही थी।
इतने में रघु भी कमरे में दाखिल हुआ, अन्दर आते ही दरवाजे की कुण्डी लगा कर वो चारपाई पर बिंदया के पास आकर बैठ गया।
बिंदया सहमी सी सर झुका कर बैठी हुई थी।
‘अरे जान.. अब मुझसे क्या परदा..?’ रघु ने बिंदया की चुनरी उसके चेहरे से हटाते हुए कहा।
बिंदया ने शरमा कर अपने चेहरे को दोनों हाथों से ढक लिया।
फिर रघु ने उसे कंधों से पकड़ कर चारपाई पर लिटा दिया, बिंदया के दिल की धडकनें एकदम से बढ़ गईं.. उसके हाथ-पैर आने वाले पलों के बारे में सोच कर रोमांच से काँप रहे थे।
रघु अपने सामने लेटी उस कच्ची कली के हुश्न को देख कर तो जैसे पागल हो गया।
कमसिन बिंदया का जिस्म एकदम गदराया हुआ था, आप उसे मोटी तो नहीं कह सकते, पर उसका पूरा बदन भरा हुआ था।
एकदम मोटी-मोटी जाँघें.. मांसल और एकदम कड़क गुंदाज चूचियाँ… रघु के लिए इतना हुश्न देखना बर्दाश्त से बाहर था।
उसने एक ही झटके में आँखें बंद करके लेटी हुई बिंदया के लहँगे को उसकी कमर तक चढ़ा दिया।
बिंदया इस तरह के बरताव से एकदम सहम गई, सब कुछ उसके उलट हो रहा था.. जैसा कि उसने अपनी ब्याही हुई सहेलियों और पड़ोस के भाभियों से सुना था।
रघु ने ना कोई प्यार भरी बातें की और ना ही रघु ने उसके अंगों को सहलाया और ना ही चूमा और उसके दिल के धड़कनें और ज़ोर से बढ़ गईं।
ये सोच कर अब वो नीचे उसके जिस्म पर केवल एक चड्डी ही बची है जो उसकी चूत को ढके हुए थी।
पर रघु तो जैसे उस कामरूपी कच्ची कली को देख कर पागल हो गया था।
उसने दोनों तरफ से बिंदया की चड्डी को पकड़ कर खींचते हुए उसके पैरों से निकाल दिया।
बिंदया का पूरा बदन काँप गया.. उसकी साँसें मानो जैसे थम गई हों और उसका दिल, जो थोड़ी देर पहले जोरों से धड़क रहा था… मानो धड़कना ही भूल गया हो।
लाज और शरम के मारे, बिंदया ने अपना लहंगा नीचे करना चाहा, तो रघु ने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर झटक दिया।
अब उसके सामने मांसल जाँघों के बीच कसी हुई कुँवारी चूत थी, जिसे देख कर रघु का लण्ड उसकी धोती के ऊपर उठाए हुए था।
वो चारपाई से खड़ा हुआ और अपनी धोती और बनियान उतार कर एक तरफ फेंकी।
अब उसका विकराल लण्ड हवा में झटके खा रहा था।
अपने पास रघु की कोई हरकत ना पाकर बिंदया ने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल कर देखा, तो उसके रोंगटे खड़े हो गए।
रघु अपने कपड़े उतार चुका था और उसकी चूत की तरफ देखते हुए.. अपने 7 इंच के लण्ड को तेज़ी से हिला रहा था।
ये देख कर बिंदया ने अपनी आँखें बंद कर लीं और रघु चारपाई के ऊपर घुटनों के बल बैठ गया।
उसने बेरहमी से बिंदया की टाँगों को फैला दिया और टांगों को घुटनों से मोड़ कर ऊपर उठा कर फैला दिया.. जिससे बिंदया की कुँवारी चूत का छेद खुल कर उसकी आँखों के सामने आ गया।
‘आह धीरे…’
बिंदया ने अपने साथ हुई उठापटक के कारण कराहते हुए कहा, पर रघु तो जैसे अपने होश गंवा बैठा था.. उसने अपने लण्ड को बिंदया की चूत के छेद पर लगा दिया और बिंदया की चोली के ऊपर से ही उसकी गुंदाज चूचियों को पकड़ते हुए.. एक ज़ोरदार झटका मारा।
कसी चूत के छोटे से छेद में लण्ड जाने की बजाए, रगड़ ख़ाता हुआ एक तरफ निकल गया।
भले ही पहले झटके में बिंदया की चूत की सील नहीं टूटी, पर सील पर दबाव ज़रूर पड़ा और बिंदया दर्द से तिलमिला उठी.. उसके मुँह से चीख निकल गई।
‘हाए माँ.. दर्द होता.. है…’
रघु- चुप कर बहन की लौड़ी.. चिल्ला कर सारे गाँव को इकठ्ठा करेगी क्या..? पहली बार तो दर्द होता ही है।
अपने पति रघु के मुँह से ऐसे अपमानजनक शब्द सुन कर बिंदया की आँखों में आँसू आ गए, जिसे देख कर रघु गुस्से से आग-बबूला हो गया।
उसने एक बार फिर से बिंदया की परवाह किए बिना अपने लण्ड के सुपारे पर ढेर सारा थूक लगाकर उसकी चूत के छेद पर लगाया और एक बार फिर से जोरदार धक्का मारा, पर लण्ड फिर बिंदया की चूत की सील नहीं तोड़ पाया और सरक कर बाहर आ गया।
बिंदया एक बार फिर से दर्द से चीख उठी।
रघु- चुप साली बहन की लौड़ी.. सारा गाँव इकठ्ठा करेगी क्या.. मादरचोदी.. तू किसी काम की नहीं..
नशे में धुत्त रघु खड़ा हुआ और खीजते हुए अपने कपड़े पहन कर बाहर निकाल गया।
बिंदया सहमी से वहीं उठ कर बैठ गई, उसने अपने लहँगे को ठीक किया।
अब रघु बाहर जा चुका था और ये उसके लिए और शरम की बात थी कि अगर किसी को पता चला कि दूल्हा सुहागरात को अपनी पत्नी के साथ नहीं है, तो वो किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहेगी।
अगर कोई इधर आ गया तो क्या जवाब देगी, बिंदया खड़ी होकर दरवाजे के पास आ गई और बाहर झाँकने लगी.. बाहर कोई नहीं था।
चारों तरफ घोर सन्नाटा फैला हुआ था और रघु भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। बिंदया की आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे.. वो अपनी किस्मत और बेबसी पर रो रही थी।
जब काफ़ी देर तक रघु वापिस नहीं आया, तो वो कमरे से बाहर निकल आई और घर के आँगन में आगे बढ़ने लगी, पर रघु का कोई ठिकाना नहीं था।
आख़िर तक हार कर बिंदया अपने कमरे की तरफ जाने लगी, जब वो अपने कमरे की तरफ जा रही थी, उसे एक कमरे से किसी के खिलखिलाने की आवाज़ सुनाई दी।
‘इतनी रात को इस तरह खिलखिला कर कौन हँस रहा है?’
यह हँसी सुनते ही एक बार बिंदया का माथा ठनका पर बिंदया ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया और अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगी।
पर एक बार फिर से उस चहकती हुई आवाज़ ने बिंदया का ध्यान अपनी तरफ खींचा।
इस बार बिंदया से रहा नहीं गया और वो कमरे के दरवाजे पास आकर अन्दर हो रही बातों को सुनने की कोशिश करने लगी।
पर अन्दर जो भी था.. वो बहुत धीमी आवाज़ में बात कर रहा था।
इसलिए अन्दर हो रही वार्तालाप बिंदया की समझ में नहीं आ रही थी।
आख़िर जब कुछ हाथ ना लगा, तो बिंदया अपने कमरे में आ गई.. उसका कमरा ठीक उसी कमरे के बगल में था।
रघु का अब भी कोई ठिकाना नहीं था, बिंदया ने दरवाजा बंद किया और चारपाई पर बैठ गई।
जब इंसान के पास काम ना हो तो उसका इधर-उधर झाँकना स्वाभाविक हो जाता है.. सुहाग की सेज पर बैठी.. बिंदया तन्हाई के वो लम्हें गुजार रही थी, जिसके बारे में कोई भी नई ब्याही लड़की नहीं सोच सकती थी।
कमरे के अन्दर इधर-उधर झाँकते हुए.. अचानक उसका ध्यान कमरे के उस तरफ वाली दीवार पर गया..जिस तरफ वो कमरा था।
बिंदया ने गौर किया, उस दीवार में काफ़ी ऊपर दीवार में से एक ईंट निकली हुई थी।
ये देखते ही बिंदया से रहा नहीं गया और उसने कमरे में चारों तरफ नज़र दौड़ाई और उसे अपने काम आ सकने वाली एक चीज़ मिल ही गई।
कमरे के उसी तरफ दीवार के एक कोने में एक बड़ी सी मेज लगी हुई थी, जिस पर चढ़ कर दूसरे कमरे में उससे छेद से झाँका जा सकता था।
बिंदया तुरंत खड़ी हो गई और उस मेज को ठीक उस दीवार में बने छेद के नीचे सैट करके ऊपर चढ़ गई और दूसरे तरफ झाँकने लगी।
कुछ ही पलों में उस कमरे का पूरा नज़ारा उसकी आँखों के सामने था और जो उसने देखा, उसे देख कर बिंदया एकदम हक्की-बक्की रह गई, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसा भी हो सकता है।
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08-23-2019, 01:21 PM,
#58
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
एक पल के लिए बिंदया के हाथ-पाँव मानो जैसे सुन्न पड़ गए हों।
उसे ऐसा लग रहा था, मानो जैसे उसके पैरों में खड़े रहने की जान ही ना बची हो।
दूसरे कमरे के अन्दर ठीक उसकी आँखों के सामने नीलम का बेटी-बेटा बिस्तर पर एक किनारे पर सो रहे थे और दूसरी तरफ रघु बिस्तर पर नीचे पैर लटका कर बैठा हुआ था।
उसके तन से उसकी धोती गायब थी और उसका 7 इंच लम्बा काले रंग का लण्ड हवा में झटके खा रहा था, पर नीलम उसे दिखाई नहीं दे रही थी।
रघु कमरे के उस कोने की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए.. लगातार अपने लण्ड को मुठिया रहा था, जिससे उसके काले रंग के लण्ड की चमड़ी जब पीछे होती और उसका गुलाबी रंग का सुपारा बिंदया की आँखों के सामने आ जाता।
बिंदया ने उस छेद से उस तरफ देखने की कोशिश की जिस तरफ देखते हुए रघु मुठ्ठ मार रहा था, पर उसे छोटे से छेद से कमरे के उस कोने के तरफ की कोई भी चीज नज़र नहीं आ रही थी।
बिंदया अपनी साँसें थामे हुए.. उस शख्स को देखने का इंतजार कर रही थी, जो उस समय वहाँ मौजूद था और ऊपर से लालटेन की रोशनी भी कम थी।
तभी बिंदया को वो शख्स दिखाई दिया, जिसके बारे में उसके मन में आशंका थी।
नीलम रघु की काकी बड़ी ही मस्तानी चाल के साथ रघु की तरफ बिस्तर की ओर बढ़ रही थी।
उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था।
नीलम के ब्लाउज के हुक खुले हुए थे और उसकी साड़ी उसके बदन पर नहीं थी, नीचे सिर्फ़ पेटीकोट ही था।
नीलम की 40 साइज़ की बड़ी-बड़ी चूचियाँ ब्लाउज के पल्लों को हटाए हुए बाहर की तरफ हिल रही थीं।
जैसे ही नीलम बिस्तर के पास पहुँची.. वो अपने पैरों पर मूतने वाले अंदाज़ में रघु के सामने नीचे बैठ गई और उसके हाथ को उसके लण्ड से हटा कर खुद उसके लण्ड को पकड़ लिया और उसकी और देखते हुए बोली- आज तो सच में सुबह से मेरी चूत में खुजली और बढ़ गई है.. ये सोच कर कि जिस लण्ड को मैं इतने बरसों से अपनी चूत में ले रही हूँ, वो अब मेरी उस सौत की चूत को चोदेगा.. जिससे तुम ब्याह कर लिया है मेरे लाला..
रघु- क्या काकी.. मैं तो सुहागरात भी तुम्हारे साथ ही मनाऊँगा.. वो साली तो ऐसे चिल्लाने लगी.. जैसे अभी चीख-चीख कर गाँव को इकठ्ठा कर लेगी।
नीलम ने रघु के लण्ड के गुलाबी सुपारे पर अपनी ऊँगलियाँ घुमाते हुए कहा- मैंने तो पहले ही तुझसे कहा था.. वो साली रांड तुझे वो सुख कभी नहीं दे पायगी… जो इतने सालों से मैं तुझे अपनी चूत में तेरा लण्ड डलवा कर देती आई हूँ।
रघु- हाँ काकी.. मैं तो शुरू से ही तुम्हारा गुलाम रहा हूँ, वो तो मेरा दिमाग़ खराब हो गया था, जो उससे शादी कर ली.. देख ना काकी तेरी मस्त चूचियों को देख कर मेरा लौड़ा कैसे तन गया है।
नीलम- हाँ देख रही हूँ मेरे लाला.. मेरी चूत भी तो तेरे लण्ड को देखते ही पानी छोड़ने लगती है। मैं कैसे बर्दाश्त करती.. इस लण्ड को किसी और की चूत में घुसता देख कर… जिससे मैंने रोज मालिश करके इतना तगड़ा बनाया है.. याद है जब तूने मुझे पहली बार चोदा था.. तब तू इतना छोटा था कि सारा दिन तेरी नाक बहती रहती थी।
रघु ने धीमे स्वर में हँसते हुए कहा- हाँ काकी.. खूब याद है, तुमने ही तो मुझे चोदना सिखाया था।
नीलम ने नखरे से मुसकराते हुए कहा- चल हट बदमाश.. तूने ही तो उस उम्र में भी मेरी चूत की आग बढ़ा दी थी।
रघु- वो काकी.. तब तो मैं नादान था। वो तो मुझे पता भी नहीं था कि मैं क्या कर रहा हूँ।
नीलम- अच्छा छोड़ ये सब.. आज कितने दिनों बाद मेरी चूत और जीभ तेरे लण्ड का स्वाद चखने वाली है… खाली गप्पें लगा कर वक्त बर्बाद ना कर मेरे लाल.. मेरे भोसड़ी में आग लगी हुई है, अब तो मुझे ये तेरा लौड़ा अपनी चूत में लेने दे।
यह कहते हुए नीलम ने झुक कर रघु के लण्ड के सुपारे पर अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी ओर देखते हुए.. चारों तरफ से चाटने लगी।
रघु ने पलक झपकते ही.. नीलम के बालों को कस कर पकड़ लिया।
‘आह चूस साली रांड.. ओह बहुत अच्छा चूसती है तू.. ओह साली दिल करता है… दिन-रात तेरी चूत और मुँह में लौड़ा पेजया रहूँ।’
नीलम ने रघु की ओर बनावटी गुस्से से देखते हुए कहा- धीरे.. बच्चे सो रहे हैं.. कहीं देख लिया तो?
रघु ने नीलम के सर को पकड़ कर अपने लण्ड पर झुकाते हुए कहा- तू चूस ना साली… मुझे पता है, जब तक तू मेरे साथ है, कोई बहन का लौड़ा मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
नीलम ने एक बार रघु की ओर देखा फिर अपने बच्चों की तरफ देखा और फिर अपने होंठों को खोल कर रघु के लण्ड के सुपारे को मुँह में ले लिया।
रघु की आँखें मस्ती में बंद हो गईं।
ये नज़ारा देख कर बिंदया एकदम से हैरान रह गई।
उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि आख़िर उसके साथ हो क्या रहा है।
उसकी आँखों से आँसू सूखने का नाम नहीं ले रहे थे, पर अब उसे भी अपनी चूत की बीच नमी महसूस होने लगी थी।
उधर नीलम रघु के लण्ड को मुँह के अन्दर-बाहर करते हुए चूस रही थी और रघु अपने एक हाथ से उसकी चूचियों को मसल रहा था। बीच-बीच में नीलम अपनी जीभ की नोक से उसके लण्ड के पेशाब वाले छेद को कुरेद देती और रघु एकदम से मचल उठता।
तभी उसने नीलम को उसके कंधों से पकड़ कर ऊपर उठा लिया।
जैसे ही नीलम सीधी खड़ी हुई.. रघु ने उसके पेटीकोट के नाड़े को पकड़ कर खींच दिया।
इससे पहले के नीलम का पेटीकोट सरक कर नीचे गिरता.. नीलम ने उससे लपक कर थाम लिया।
‘आह्ह.. क्या कर रहे हो..? इसे क्यों खोल रहे हो, अगर बच्चे उठ गए और मुझे इस हालत में देख लिया तो..?’ नीलम ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा।
रघु ने नीलम के हाथों से उसके पेटीकोट को छुड़ाते हुए कहा- काकी जब तक तुझे नंगा करके नहीं चोद लेता.. मेरा लण्ड नहीं झड़ता.. तुम्हें तो मालूम है।
ये कहते ही, रघु ने अपनी काकी नीलम का पेटीकोट को पकड़ कर नीचे सरका दिया..
अब नीलम के बदन सिर्फ़ एक ब्लाउज रह गया था, वो भी आगे से पूरा खुला हुआ था।
जैसे ही नीलम के बदन से पेटीकोट अलग हुआ.. रघु ने अपने हाथों को पीछे ले जाकर नीलम की मांसल गाण्ड को अपने हाथों में भर कर मसलना चालू कर दिया।
नीलम की आँखें मस्ती में बंद हो गईं, उसके पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई। रघु दोनों पैरों को लटका कर बिस्तर के किनारे बैठा हुआ था।
नीलम रघु से लिपटे हुए.. अपने दोनों पैरों को रघु के दोनों तरफ बिस्तर के किनारों पर रख कर उकड़ू होकर बैठ गई।
उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर रघु के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अपनी चूत को रघु के लण्ड के सुपारे पर दबाने लगी।
रघु का लण्ड फिसजया हुआ नीलम की चूत की गहराईयों में घुसने लगा। जैसे ही रघु का पूरा लण्ड नीलम की चूत की गहराईयों में समाया, नीलम ने अपनी बाँहों को रघु की पीठ पर कस लिया और अपनी गाण्ड को ऊपर-नीचे उछाल कर रघु के लण्ड से चुदवाने लगी।
नीलम ने पूरी रफ़्तार से अपनी चूत को रघु के लण्ड पर पटकते हुए सीत्कार भरी, ‘आह ह.. हाँ बेटा.. मसल मेरी गाण्ड को.. ओह तेरे लण्ड के बिना नहीं रह सकती.. ओह ओह्ह और ज़ोर से चोद अपनी काकी को.. ओह्ह माआआ मर गई ओह्ह आह्ह.. आह्ह..’
रघु के दोनों हाथ नीलम के मांसल चूतड़ों को ज़ोर-ज़ोर से मसल रहे थे। उधर दूसरे कमरे में खड़ी बिंदया की हालत ये नज़ारा देख कर खराब हुई जा रही थी और दूसरे कमरे में चुदाई का खेल अपने जोरों पर था।
आख़िर बिंदया कब तक ये सब सहन करती.. उसका पति उसके सामने ही अपनी काकी को चोद रहा है।
वो भी अपनी शादी की सुहागरात को अपनी नई ब्याही पत्नी को छोड़ कर….
अब बिंदया से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेज से नीचे उतरी और गुस्से से बौखलाई हुई.. अपने कमरे से बाहर आई और नीलम के कमरे के सामने पहुँच कर दरवाजे पर दस्तक दी, पर तब तक दोनों झड़ चुके थे।
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08-23-2019, 01:22 PM,
#59
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
अन्दर नीलम रघु के गोद में बैठी हुई हाँफ रही थी और उसकी चूत में रघु का लण्ड अभी भी घुसा हुआ था।
दरवाजे पर दस्तक सुन कर दोनों एकदम से हड़बड़ा गए, दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और नीलम ने कमरे का दरवाजे खोला.. तो उसने बिंदया को सामने खड़ा पाया।
बिंदया को सामने देख कर नीलम के चेहरे का रंग उड़ गया.. इस बात की परवाह किए बिना कि नीलम उसकी काकी सास है.. बिंदया नीलम को पीछे धकेलती हुई कमरे के अन्दर आ गई।
रघु बिस्तर के पास बदहवास सा खड़ा रह गया।
नीलम- अरे.. ये क्या तरीका हुआ, किसी के कमरे में ऐसे घुस आने का? माँ-बाप ने तुझे कुछ अकल दी है कि नहीं?
बिंदया- अच्छा अगर मेरा तरीका ठीक नहीं है, तो आप इस वक़्त मेरे पति के साथ अन्दर क्या कर रही हैं?
नीलम एक झूठी मुस्कान चेहरे पर लाते हुए बोली- वो रघु तो इसलिए आ गया था कि उससे तेरा झगड़ा हो गया था.. बेचारा सर्दी में बाहर खड़ा था, इसलिए मैंने उसको अन्दर बुला लिया।
बिंदया- हाँ.. वो तो देख चुकी हूँ कि उसे आपने कैसे गरम किया.. आप ये सब ठीक नहीं कर रही हैं.. मैं पूरे घर वालों को बता दूँगी कि आप रघु के साथ क्या कर रही थीं।
बिंदया की बात सुनते ही नीलम के चेहरे का रंग एकदम से उड़ गया, वो कभी बिंदया की तरफ देखती तो कभी रघु की तरफ बेबस सी देखती।
रघु को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर हो क्या रहा है।
दूसरी तरफ नीलम के बच्चे शोर सुन कर उठ ना जाए, ये सोच कर रघु ने बिंदया का हाथ पकड़ा और उसे खींचता हुआ अपने कमरे में ले गया।
नीलम ने एक बार अपने सो रहे बच्चों की तरफ देखा और फिर कमरे से बाहर आकर दरवाजे बन्द करके, रघु के कमरे में आ गई।
कमरे में बिंदया चारपाई पर सहमी सी बैठी हुई थी, रघु बोला- साली.. अगर मुँह खोला तो कल ही तलाक़ दे दूँगा.. तेरी जिंदगी नरक बना दूँगा..
रघु की बात सुन कर बेचारी बिंदया और सहम गई।
उधर नीलम अपने होंठों पर तीखी मुस्कान लिए दोनों को देख रही थी।
बिंदया को शांत देख कर वो रघु से बोली- तू बाहर जा.. मैं इसे समझाती हूँ।
रघु गुस्से से भड़कता हुआ बाहर चला गया, रघु के जाते ही, नीलम ने दरवाजे बन्द किए और बिंदया के पास आकर चारपाई पर बैठ गई, ‘ए सुन छोरी.. देख अगर हंगामा करेगी तो हमारा कुछ नहीं जायगा, तुम्हारी बात कोई नहीं मानेगा.. उल्टा ये कह कर घर से निकाल दिया जाएगा कि तूने सुहागरात को अपने पति को कमरे से बाहर निकाल दिया.. और अपने ग़रीब माँ-बाप के बारे में तो सोच.. कैसे-तैसे करके उन्होंने मुश्किल से तेरा ब्याह किया है, वो तो किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।
बिंदया बहुत डर गई थी उसने सुबकते हुए कहा- ठीक है.. नहीं कहूंगी, पर आप रघु को छोड़ दो।
नीलम ने मुस्कुराते हुए कहा- अरे ऐसे कैसे छोड़ दूँ.. तू तो आज आई है यहाँ पर… मैंने उससे तब से चुदवा रही हूँ, जब उसके दूध के दाँत भी नहीं टूटे थे। अब जब मज़ा लेने की बारी आई तो तू मेरी सौत बन कर आ गई.. देख रघु मेरा है और सिर्फ़ मेरा ही रहेगा.. हाँ.. अगर कभी उसका दिल कर आया तो मैं रघु को मना नहीं करूँगी।
बिंदया एकटक नीलम की तरफ देखते हुए उसकी बातों को सुन रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसा भी हो सकता है।
बिंदया को चुप देख कर एक बार फिर नीलम ने कहा- देख ले मर्ज़ी तेरी है.. तेरी बात पर यहाँ कोई यकीन नहीं करेगा।
ये कह कर नीलम अपने कमरे में चली गई और अन्दर से दरवाजे बन्द करके.. बिस्तर पर लेट गई, लेटते ही बीते सालों की यादें उसके दिमाग़ में एक-एक करके ताज़ा होने लगीं…
फ़्लैशबैक-
यह उस समय की बात है, जब नीलम ने अपनी दूसरी संतान के रूप में अपने बेटे को जन्म दिया था और बेटे के जन्म के एक साल बाद ही नीलम का पति दुलारा चल बसा था, तब नीलम सिर्फ़ 24 साल की थी।
शादी के महज 3 साल में उसने दो संतानों को जन्म दिया था और पति की मौत ने उसे तोड़ कर रख दिया था, वो भरी जवानी में विधवा हो गई।
तब रघु की उम्र कम थी और तब रघु अक्सर नीलम के बच्चों के साथ खेला करता था और घर में सब का लाड़ला था।
वो अक्सर नीलम के कमरे में उसके बच्चों के साथ ही सोता था।
एक रात की बात है.. गर्मियों के दिन थे। रघु नीलम के कमरे में उसके बच्चों के साथ खेल रहा था।
नीलम के बच्चे खेलते-खेलते सो गए.. इतने में नीलम घर का काम निपटा कर कमरा में आ गई।
उसने देखा कि बच्चे सो गए हैं और रघु उनके पास बिस्तर पर लेटा हुआ है।
नीलम अपने साथ में रघु के लिए दूध से भरा गिलास लेकर आई थी।
उसने रघु को दूध पीने के लिए कहा। रघु बिस्तर से नीचे उतर कर खड़ा होकर दूध पीने लगा।
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08-23-2019, 01:22 PM,
#60
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
नीलम ने दरवाजे बन्द किए और अपने कपड़े बदलने लगी। गरमी के वजह से नीलम अक्सर रात को एक पतला सा पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर सोती थी और वो अक्सर रघु के सामने अपने कपड़े बदल लेती थी।
क्योंकि रघु की उम्र उस समय बहुत ज्यादा नहीं थी, उस रात भी नीलम ने अपने कमरे में आने के बाद दरवाजे बन्द किए और अपने कपड़े बदलने लगी, रघु एक तरफ खड़ा होकर दूध पी रहा था…
नीलम ने सबसे पहले अपनी साड़ी को उतार कर टांगा और उसके बाद अपने ब्लाउज को खोल कर दूसरा ब्लाउज पहन लिया और फिर उसने अपना पेटीकोट को उतारा और टाँगने लगी.. इस दौरान रघु अपना दूध पीकर गिलास नीचे रख चुका था।
रघु ने गिलास नीचे रखा और बिस्तर पर जाकर बैठ गया।
उसने देखा कि नीलम काकी नीचे से पूरी नंगी हैं, उसके मोटी माँस से भारी पिछाड़ी देख कर रघु के लण्ड में पहली बार कुछ हरकत हुई, पर रघु सेक्स से एकदम अंजान था।
वो तो बस पूरा दिन इधर-उधर खेजया रहता था, पर आज मनुष्य की सहज प्रवत्ति के कारण उसके नजरें नीलम के मोटे-मोटे चूतड़ों पर जम गई।
नीलम ने अपना पेटीकोट उठाया, जो वो रात को सोने के समय पहनती थी और बिस्तर की तरफ बढ़ी। अब उसका मुँह रघु की तरफ था.. इस बात से अंजान थी कि रघु उसकी झाँटों भरी चूत को देख रहा है।
जैसे ही नीलम बिस्तर के पास पहुँची.. तो रघु के पैरों के नीचे से एक मोटा सा चूहा दौड़ता हुआ निकल गया। रघु एकदम से डर गया।
आख़िर उसकी उम्र ही क्या थी.. चूहे से डरते ही रघु एकदम से उछल पड़ा और पास खड़ी नीलम की कमर में अपनी बाहें डालते हुए उससे एकदम से चिपक गया।
अब नज़ारा यह था कि रघु बिस्तर पर बैठा हुआ था और नीलम उसके सामने खड़ी थी।
नीचे से एकदम नंगी और रघु उसके कमर में बाहें डाले डर के मारे उससे चिपका हुआ था।
रघु अपने चेहरे को डर के मारे नीलम की जाँघों के बीच में छुपाए हुए था।
नीलम का बदन एक पल के लिए अकड़ गया, जैसे उसके बदन में जान ही ना हो.. रघु की गरम साँसें उसे अपनी चूत पर साफ़ महसूस हो रही थी।
आज तकरबीन एक साल बाद नीलम की सोई हुई वासना एक बार फिर से अंगड़ाई लेने लगी.. नीलम ने काँपती हुई आवाज़ में रघु से पूछा- क्या हुआ बेटा..
रघु जो एकदम से घबरा गया था.. अपने चेहरे को उसकी जाँघों के बीच में छुपाए हुए बोला- काकी वो चूहा.. बहुत मोटा था।
जैसे ही रघु ने बोलने के लिए मुँह खोला तो उसके हिलते हुए गाल नीलम की चूत की फांकों पर रगड़ खा गए। नीलम एकदम से सिहर गई, उसके पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई।
उसने रघु के बालों में प्यार से हाथ फेरा और उसके सर को पीछे हटाना चाहा..पर रघु बहुत ज्यादा डर गया था। वो अपना सर वहाँ से हटाना नहीं चाहता था।
‘बेटा वो चूहा चला गया है.. ओह्ह बेटा हट न..’ ये कहते हुए.. नीलम की चूत की फाँकें कुलबुलाने लगीं और उसकी चूत का कामरस चूत को नम करने लगा।
किसी तरह नीलम ने उससे अपने से अलग किया और इस बात की परवाह किए बिना कि उसने पेटीकोट नहीं पहना है… रघु को बिस्तर पर लेटने दिया और खुद पेटीकोट पहन कर रघु के बगल में लेट गई।
अब तक पति के मौत के बाद नीलम ने किसी पराए मर्द की तरफ देखा तक नहीं था.. भले ही गाँव के कुछ मनचले लड़के उसे आते-जाते खूब छेड़ते थे, पर वो अपने घर की इज़्ज़त को बचा कर रखना चाहती थी और आज भी नीलम के मन में ऐसा कोई भाव नहीं था।
नीलम- क्या रघु एक चूहे से डर गया.. अरे तू तो मेरा शेर है.. ऐसे थोड़ा डरते हैं।
‘काकी.. पर वो चूहा बहुत मोटा था।’ रघु ने भोलेपन से कहा।
ये देख कर नीलम के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई।
इससे पहले कि नीलम कुछ बोलती.. रघु नीलम से एकदम सट गया और एक बाजू को नीलम की कमर पर कस दिया।
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