Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:37 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -69 

गतान्क से आगे... 



“ ये हैं मंत्री जी. रतिंदर सिंग चीमा. नाम सुना है इनका?” स्वामी जी ने उनका इंट्रोडक्षन करवाया. मैने उनका अभिवादन मुस्कुरा कर अपने दोनो हाथों को जोड़ कर किया. उन्हों ने मेरी ठुड्डी के नीचे अपना हाथ लगा कर मेरे चेहरे को उपर उठाया. 



“ अद्भुत स्वामी……कैसे इस हूर को फाँस लिया. ये तो तेरे स्टॅंडर्ड से बहुत उपर की चीज़ है.” उनका इस तरह का बेबाक कथन सुन कर हम दोनो सकपका गये. 



वो मुझे देख कर भद्दी तरह से हंस पड़े. उनकी चील जैसी नज़रें अपने शिकार का सिर से पैर तक मुआयना कर रही थी. मैं जानती थी की मेरा उन्मुक्त योवन उस बारीक सारी के ओट से बड़े ही उत्तेजक तरीके से नज़र आ रहा होगा. मेरी पतली कमर, भरे और भारी नितंब, सपाट कसा हुआ पेट और बड़ी बड़ी चूचियाँ देख कर तो उनकी जीभ उनके काले मोटे होंठों पर फिरने लगी. 



“ मंत्री जी ये है हमारी खास शिष्या है दिशा. हमारे आश्रम की एक शिष्या है. या कहें हमारे आश्रम का कोहिनूर है. ये अभी नयी नयी आए है. इसलिए आपने इसे पहली बार ही देखा होगा. इसे ख़ास आपकी सेवा के लिए बुलाया है.” फिर मेरी ओर मूड कर उन्हों ने मुझे आदेश दिया “दिशा आज हमारे इन ख़ास अतिथि की सेवा मे कोई कमी नही रहनी चाहिए. इनके लिए हमारे आश्रम का वो ख़ास शरबत ले कर आओ.” 



“ स्वामी मंगवा उस शरबत को साला शिलाजीत भी आजकल कोई असर नही कर पाती. एक काम और करना एक बॉटल भर कर मेरी गाड़ी मे रखवा देना. अक्सर ज़रूरत पड़ती रहती है. कहाँ से लाया है इसे? हाहाहा….” वो एक बार फिर एक भद्दी सी हँसी हंसा. 



स्वामी जी ने मंत्री जी की ओर मूड कर कहा “रतिंदर जी ये शरबत बहुत ही ख़ास है. संभोग से पहले इसका सेवन करने से आदमी मे किसी घोड़े की तरह ताक़त आ जाती है. फिर तो तू घंटों तक बिना किसी कमज़ोरी के संभोग कर सकता है. बीस साल लगे इसका फ़ॉर्मूला तैयार करने मे. ढेर सारी जड़ी बूटियाँ डाली हैं इनमे. कई बार स्खलन के बाद भी लिंग की उत्तेजना कम नही होती है. इसे एक तरह से हमारा देसी वियाग्रा कह सकते हो.” अब स्वामी जी भी मंत्री जी से इस तरह बात करने लगे मानो बरसों की पहचान हो. 



मैं फ्रिड्ज से दो ग्लास शरबत का भर कर ले आई. दोनो पुरुष लंबे वाले सोफे पर बैठे थे. मैं झुक कर उनको शरबत देने लगी तो स्वामी जी ने मेरे हाथ से ट्रे ले लिया और उसे सामने की टेबल पर रख कर मेरी कलाई पकड़ ली. 



“ स्वामी इसके मम्मे तो काफ़ी बड़े और अच्छे कसे हुए लग रहे हैं. साली की चूत भी काफ़ी कसी हुई होगी. तूने इसे चोद चोद कर ढीली तो नही कर दिया ना?” मंत्री जी फिर गंदी तरीके से हँसने लगे. 



“ आओ हमारे बीच बैठ कर हमे शरबत का सेवन करा ओ.” मैं उनके हाथों मे अपना हाथ रखे उनके बीच आकर बैठ गयी. मैं दोनो को अलग अलग ग्लास से शरबत पिलाने लगी. जब मैं ग्लास लेने को झुकी तो मेरी सारी का आँचल नीचे हो गया और मेरे झूलते हुए स्तन नज़र के सामने आ गये. स्वामी जी ने मंत्री जी का एक हाथ थाम कर उसे मेरे स्तनो पर रखा. तो मंत्री जी मेरे एक स्तन को हल्के से सहलाते हुए मसल दिए. 



स्वामी जी ने मेरे कंधे पर टिकी सारी का आँचल नीचे कर दिया. मेरे दोनो दूधिया स्तन बाहर निकल आए. 



“ देखिए मंत्री जी कैसी लगी हमारी ये छ्होटी सी भेंट? ” 



“ जबरदस्त माल है. भाई स्वामी जी आपने तो हमे खुश कर दिया.” मंत्री जी की आवाज़ किसी फटे बाँस की तरह थी. स्वामी जी ने अपनी एक हथेली मेरे स्तन पर रखी और दूसरे हाथ से मंत्री जी का हाथ लेकर मेरे दूसरे स्तन पर रख दिया. 



“ छ्छू कर तो देखिए ऐसी चिकनी और मुलायम है मानो संगमरमर की तराशि हुई कोई मूरत हो. और ऐसी मुलायम मानो मक्खन की डाली.” स्वामी जी मेरे एक स्तन को बुरी तरह मसल्ने लगे थे. 



दूसरे स्तन को रतिंदर जी की उंगलिया आटे की तरह गूँथ रही थी. अचानक रतिंदर ने अपनी तरफ वाले निपल को अपनी उंगलियों से मसल्ते हुए अपने मुँह मे भर लिया. और उसे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगे. उनका एक हाथ मेरी सारी की प्लीट्स पर उलझ रहा था. उसे देख कर स्वामी जी ने एक झटके मे मेरी सारी के प्लीट्स खोल दिए अब सारी जांघों पर से हटने के लिए तैयार थी. मैं पेटिकोट और पॅंटी नही होने की वजह से सारी को एक बार कमर के इर्द गिर्द लप्पेट कर गाँठ लगा लेती थी जिससे सारी को पहनने मे कोई दिक्कत नही आए. स्वामी जी ने मेरे कमर पर लगी गाँठ को खोल कर मुझे पूरी तरह से नंगी कर दिया. 



अब रतिंदर जी एक हाथ से मेरे स्तन को मसल्ते हुए उसे चूस रहे थे और दूसरे हाथ की उंगलियों से मेरी योनि को सहला रहे थे. मैने अपनी टाँगें फैला दी जिससे उन्हे किसी तरह की कोई परेशानी नही हो. उनकी उंगलिया मेरी योनि की फांको को अलग करती हुई अंदर चली गयी. 



उन्हों ने मेरे निपल को और स्तन को चाट चाट कर गीला कर दिया था. गुटखे के कई दाने भी मेरे निपल के इधर उधर लगे हुए थे. मुझे बड़ी घिंन आई मगर कुच्छ कर नही सकती थी. मैं तो उस वक़्त उन दोनो के बीच किसी कठपुतली की तरह नाच रही थी. वो मुझसे जैसा भी चाहते थे करवा रहे थे. मैने अपने हाथ से उन गुटके के दानो को पोंच्छ दिया. 



वो मेरे आशय को समझ गये थे. उन्हे मेरी ये हरकत काफ़ी बुरी लगी कि एक लौंडिया इस तरह उनका अपमान करे. इसलिए अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए मेरे स्तनो को बुरी तरह काटने और निपल को दन्तो से चबाने लगे. मैं दर्द से बुरी तरह च्चटपटाने लगी. उनके काटने से मैं ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी. मेरी आँखे आँसुओं से भर गयी थी. 



मैं जानती थी कि स्वामी जी का कमरा पूरी तरह साउंड प्रूफ हैं इसलिए मेरी दर्द भारी चीखों का उस कमरे मे ही दम घुट जाना था. किसी को पता भी नही चला कि उस मोटे हाथी स्वरूप मंत्री ने मुझे किस बुरी तरह कुचला. 



जब काफ़ी देर तक यही दौर चलता रहा तो स्वामी जी ने ही उनको हटाया. 



“ रतिंदर जी अब तो छ्चोड़ दो बेचारी को कई जगह से खून छलक आया है. औरत है कोई बेजान पुतला तो है नही. बेचारी मर जाएगी.” उन्हों ने मेरा पक्ष लेते हुए कहा. तब जा कर रतिंदर जी ने मेरे स्तनो को छ्चोड़ कर अपना सिर उठाया. मैने देखा की उत्तेजना से उनकी आँखें लाल हो गयी हैं. वो इस वक़्त बहुत ही ख़तरनाक कोई आदमख़ोर जानवर की तरह लग रहे थे. 



मैने देखा मेरे दोनो स्तनो पर अनगिनत दांतो के निशान पड़ गये थे. कई जगह तो घाव भी हो गया था और उनसे हल्का हल्का खून निकल रहा था. वो आदमी नही पूरा जानवर था. ऐसा व्यवहार तो कोई किसी रांड़ से भी नही करता. उसकी हरकतें किसी वहशी की तरह थी, 



“ चल उठ यहाँ से. उठ कर खड़ी हो जा. देखूं स्वामी का माल कैसा है. “ उन्हों ने कहा. मैं उठ कर खड़ी हो गयी. वो मेरे बदन को उपर से नीचे तक घूरते हुए किसी सौदेबाज की तरह परख रहे थे. उनकी आँखों की रंगत और सुर्ख हो गयी. 



“ अपने हाथ सिर के उपर कर और फिर टाँगे फैला.” मैने वैसा ही किया. 



“ अब इसी अवस्था मे घूम कर पीछे हो जा.” मैं हाथ उठाए हुए पीछे की ओर घूम गयी. 



“ वाह क्या गांद हैं तेरी…….एक दम तरबूज की तरह. खूब रसीले होंगे. अब अपने हाथों से गांद चौड़ी कर.” वो मुझे ऐसे आदेश दे रहे थे मानो मैं उनकी खरीदी हुई गुलाम हू. स्वामी जी की खातिर मैं चुप रही और जैसा उसने कहा मैने वैसा ही किया. 



“ स्वामी तेरा माल तो पटाखा है. साली को रगड़ रगड़ कर चोदने मे मज़ा आ जाएगा. ये रांड़ आज खूब मज़े देगी. आज रात भर साली को कुतिया की तरह चोदुन्गा.”उन्हों ने बड़े ही भद्दे तरीके से कहा. मैने स्वामी जी की ओर देखा तो स्वामी जी ने आँखों के इशारे से मुझे अपने उपर संयम रखने को कहा. 



“ चल रंडी मेरे सामने बैठ कर मेरा लंड चूस.” उन्हों ने पॅंट के उपर से अपने मोटे लिंग को दबाते हुए कहा. 



स्वामी जी मेरे संग कर रहे बर्ताव से थोड़े विचलित हो उठे. 



“ मंत्री जी पूरी रात पड़ी है थोड़ा प्यार से इसके साथ खेलना तो ये भी आपका साथ देगी नही तो आप इसे रेप करते रहेंगे और ये दर्द से बिलखती रहेगी. कोई मज़ा नही आएगा.” स्वामी जी ने मेरा बचाव करते हुए कहा. 



“ अबे स्वामी तूने मुझे यहा मज़े के लिए बुलाया है या अपना भाषण सुनाने. चल उठ और फुट यहाँ से. दफ़ा हो जा तुरंत.” उन्हों ने स्वामी जी को फटकार लगाई. 



“लेकिन…” स्वामी जी ने कुच्छ विरोध करना चाहा. 



“ लगता है स्वामी ज़मीन मिलते ही तुझ पर चर्बी कुच्छ ज़्यादा चढ़ गयी है. मैं मंत्री हूँ ऐसा चार्ज लगाउन्गा की ज़मीन तो हाथ से जाएगी ही तू भी धोखे से सरकारी ज़मीन हड़पने के इल्ज़ाम मे जैल की रोटियाँ तोड़ेगा. अब भेजा मत खराब कर और भाग यहाँ से. हां जाते हुए दरवाजा बाहर से बंद कर देना जिससे ये मच्चली मेरे चंगुल से भाग नही सके. सुबह आकर ले जाना तेरी इस तितली को.” स्वामी जी कुच्छ समंजस भाव लिए मुझे देखते रहे. मैने याचना भरी आँखो से उन्हे रुकने का इशारा किया. 



“ क्यों बे तेरी समझ मे नही आ रहा है क्या?” अब तो वो पूरी नग्नता पर उतर आए थे. स्वामीजी जिन्हे हम इतना आदर सम्मान देते हैं वो उन्हे गाली गलोच करके बुलाने लगा. 



स्वामी जी ने हताशा से अपने कंधे उचकाय और उठ कर किसी अपराधी की तरह भारी मन से कमरे से बाहर निकल गये. 



मैने उन्हे रोकने के लिए हाथ बढ़ाया मगर उसे उन्हों ने अनदेखा कर दिया. फिर दरवाजा बंद होने की और कुण्डी लगने की आवाज़ से मेरी आँखें दोबारा छलक आई. मैं अब किसी पर कटी चिड़िया की तरह पिंजरे मे फँसी हुई थी और सामने मुझे नोच खाने के लिए बिल्ला तैयार था. 


क्रमशः............ 
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12-10-2018, 02:37 PM,
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रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -71 

गतान्क से आगे... 
वो मुझे पर से हट कर मेरी बगल मे बैठ गये. मैं उनके अगले हमले का इंतेजार करने लगी. उन्हों ने अपनी जेब से सिगरेट निकाली और उसे जला कर पफ लेने लगे. मैं असमंजस सी बिस्तर पर पड़ी रही तभी उन्हों ने सारी हदें पार कर दी. 



उन्हों ने जलती ही सिगरेट मेरी जांघों से छुआ दी. मैं दर्द से गला फाड़ कर चीख उठी मगर मेरी आवाज़ें उस कमरे के अंदर ही दम तोड़ गयीं. इस तरह का वीभत्स सेक्स मैने जीवन मे कभी नही सोचा था. 



वो एक जगह से दूसरी जगह मेरे बदन को सिगरेट की आग से झुल्साते रहे. बदन पर कई जगह लाल लाल निशान उभर आए. कई जगह तो फफोले पड़ गये. मैं जल बिन मच्चली की तरह तड़प रही थी. मेरी दोनो कलाई छिल गयी थी. उनसे खून के कतरे निकल आए थे. मेरी टाँगे भी बिस्तर पर रगड़ खा रही थी. 



मैं ये दरिंदगी बर्दास्त नही कर पाई और बेहोश हो गयी. पता नही वो मेरे जिस्म से किस दरिंदगी से पेश आया. जब होश आया तब दो घंटे गुजर चुके थे. वो मेरे जिस्म के साथ चिपका हुआ था. उसका लंड मेरी योनि मे था और मेरे सीने के उपर लेटा हुया धक्के लगा रहा था. मैं नफ़रत से उसे देखती रही मगर कर कुच्छ भी नही सकती थी. काफ़ी देर तक चोदने के बाद उसने मेरी योनि के अंदर अपना वीर्य डाल दिया और फिर किसी मेरे गेंदे की तरह मेरी बगल मे पसर कर खर्राटे लेने लगा. मेरा पूरा बदन बुरी तरह जल रहा था. हर अंग से दर्द की लहरे थी बेबसी से अपने बंधनो को लूस करने की कोशिश करती रही. मगर जब मैं अपने मकसद मे कामयाब नही हुई तो उसी हालत मे नींद मे डूब गयी. 



सुबह जब मेरी नींद खुली तो अपने आपको आश्रम की शिष्याओं से घिरा पाया. कोई कुच्छ कर रहा था तो कोई कुच्छ. मेरे बदन पर जड़ी बूटियों का लेप लगाया जा रहा था. कुच्छ महिलाएँ तो उस नेता को कोस रही थी. मैने पाया कि मेरा दर्द काफ़ी हद तक कम हो चुका है. जिस्म पर कई जगह लाल काले निशान पड़ गये थे तो कई जगह फफोले मेरे साथ घटी उस हवनियत भरी चुदाई की कहानी कह रहे थे. 



पूरे दिन मैं सिर्फ़ आराम करती रही. स्वामी जी ने सब को सख़्त हिदायत दे रखी थी कोई मुझे किसी तरह से भी परेशान नही करेगा. 



स्वामी जी खुद भी मेरी सेवा करते रहे. मुझे उन्हों ने इतना प्यार दिया कि मैं निहाल हो गयी. अगले दिन मैने वापस उत्तेजक जड़ी बूटियों के शरबत को पिया और स्वामी जी के साथ खूब संभोग किया. 



स्वामी जी भी मुझे वापस अपने पूरे जोश मे आते देख खिल उठे. उन्हों ने भी तरह तरह की आसान मुझे सिखाए. मैने भी उनके जिस्म से जितना हो सकता था उतना वीर्य अपनी कोख मे इकट्ठा कर लिया. 



दो दिन बाद जब रत्ना मेरे कपड़े ले कर आइ तो मैं फफक कर रो पड़ी. मैं स्वामी जी के जिस्म से लिपट कर रोने लगी. सात दिनो मे ही मैं उनकी दासी हो चुकी थी. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं अपने प्रियतम से बिछड़ के जा रही हू. 



स्वामी जी के सामने मैं घुटनो के बल बैठ कर उनके चरण पर अपना सिर रख कर प्रण याचना की. उन्हों ने मुझे बाँहों से थाम कर उठाया और मेरे आँसुओं से भीगे गाल्लों को पोन्छ्ते हुए मेरे होंठों को चूम लिया. 



“ अब तुम इस आश्रम की अमानत हो. तुम जब जी चाहे बेधड़क मुझसे मिलने आ सकती हो.”स्वामी जी ने मेरे होंठो को सहलाते हुए कहा. 



“ मगर….आअपसे दोबारा मुलाकात कब होगी स्वामी? मुझे आपने सुंदर सपना दिखाया अब इनमे रंग भरना भी आपको ही पड़ेगा. आप फिर कब मुझे अपनी आगोश मे लोगे? अपने जिस्म से लगने दोगे? अब मेरी संतुष्टि आपके अलावा किसी और से नही हो सकती.” मैं सूबक रही थी. 



“ तुम्हारी कोख से जब एक नये जीव का जन्म हो तब मैं आउन्गा उसे पहली तालीम देने” स्वामी जी मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए 



उन्होने मुझे पुच्कार्ते हुए काफ़ी आत्मबल दिया और हम एक बार फिर संभोग मे लिप्त होगये. 



दो घंटे बाद जब मैं घर की ओर जा रही थी तो मेरे कदम उठ नही पा रहे थे. कमज़ोरी की वजह से एक एक पग रखना भारी पड़ रहा था. अगर रत्ना नही रहती तो हो सकता है रास्ते मे चक्कर खा कर गिर पड़ती. घर आ कर रत्ना ने मुझे नहला धुला कर आराम करने दिया. घर का सारा काम वो ही कर दी. 



अगले दिन मैं वापस आश्रम जा पहुँची. स्वामी जी के बिना मन नही लग रहा था. मगर वहाँ जा कर मैं और ज़्यादा मायूस हो गयी. स्वामी जी मुझे रवाना करने के कुच्छ घंटे बाद ही आश्रम छ्चोड़ का जा चुके थे. मुझे ऐसा लगा मानो पूरा संसार सूना हो गया हो. 



दो दिन तक मैं मायूसी से भरी रही. कुच्छ दिन लगे धीरे धीरे नॉर्मल होने मे. लेकिन अब मैं इस आश्रम की सदस्या बन चुकी थी. मेरे पति भी कुच्छ ही दिनो मे इस आश्रम के उन्मुक्त वातावरण मे घुल मिल गये. वो भी इस आश्रम के एक सम्मानित व्यक्ति थे. 



गुरु जी के प्रसाद ने कुच्छ ही दिनो मे अपना असर दिखना शुरू कर दिया. मेरा जी मित्लाने लगा तो मैने डॉक्टर से कन्सल्ट किया तो उन्हों ने मेरा टेस्ट करके प्रेग्नेन्सी की सूचना दी. 



मैं खुशी से फूली नही समाई. मैने अपने प्रेग्नेन्सी की खबर रत्ना को दी तो उस के द्वारा ये सूचना स्वामी जी तक भी पहुँची. स्वामी जी ने मुझसे वादा किया की मेरी डेलिवरी के समय वो मेरे सामने रहेंगे. 



अपने वादे अनुसार जब मेरी डेट आइ उससे पहले ही वो आश्रम मे आ चुके थे. मेरी डेलिवरी के लिए उन्हे दस दिन रुकना पड़ा मगर उन्हे इसका कोई मलाल नही था. मेरी मा और दीदी आए थे. जब तक डेलिवरी नही हो गयी तब तक रोज सुबह उनसे आशीर्वाद लेने मैं उनके आश्रम जाती थी. दीदी और मा को बाहर रहने को कह कर मैं उनके कमरे मे जाती थी. स्वामी जी मुझे बहुत प्यार करते थे लेकिन संभोग से दूर ही रहते थे. जबकि मैं उनको कहती थी कि डॉगी पोज़िशन मे संभोग कर सकते हैं इससे बच्चे को कोई असर नही होता. लेकिन वो किसी तरह का रिस्क नही लेना चाहते थे. 



जिस दिन मेरी डेलिवरी हुई स्वामी जी ऑपरेशन थियेटर के बाहर ही थे. बच्चे के जन्म के कुच्छ ही देर बाद मैने उनको कमरे मे बुलवाया. बच्चा बहुत शांत था और आँखे बंद कर सो गया था. नर्स ने उसे पैदा होते ही मेरे स्तनो पर रखा और मेरे निपल को उसके मुँह मे दिया मगर वो सो गया था. उसने दूध नही चूसा. 



जब स्वामी जी पहली बार कमरे मे आए तो मैने बाकी सबको कुच्छ देर के लिए बाहर जाने को कहा. जब सब लोग बाहर चले गये तो मैने अपनी बगल मे लेटे बच्चे को उठा कर स्वामी जी को सोन्प्ते हुए कहा, 



“ कैसा लगा आपका बेटा?” मैं खुशी के मारे उनकी बाँह से लिपटी हुई थी. 



“ बहुत खूबसूरत है. अपनी मा की तरह ही सुंदर और चंचल.” उन्हों ने बच्चे के सिर पर अपनी हथेली फिराई. 



“ और बाप की तरह कुच्छ भी नही?” मैने मुस्कुराते हुए उनकी बाँह पर अपने दाँत गढ़ा दिए. 



“ ह्म्‍म्म्म देवेंदर जैसा ही पौरुष पाएगा.” उन्हों ने कहा. 



“ नही बाप जैसा….” 



“ चलो बाप जैसा ही पौरुष पाएगा.” स्वामी जी ने अब मेरे सिर पर हाथ फिराया. 



“ स्वामी जी मेरे दोनो स्तन आप के होंठो का इतेज़ार कर रहे हैं.” मैने गले तक पड़ी सफेद चादर को अपने सीने से हटा दी. उस चादर के भीतर मैं सारी और ब्लाउस मे थी. मगर मेरे ब्लाउस के सारे बटन खुले होने की वजह से दोनो स्तन बाहर निकल आए थे. दूध से भरे होकर दोनो छातिया काफ़ी बड़ी बड़ी दिख रही थी. 



मैने अपनी हथेलियों से अपने दोनो स्तनो को उठा कर उनकी ओर किया. 



“ लो इन्हे एक बार चूस लो नही तो बच्चा भी नही पिएगा. उसने अबतक दूध नही पिया है. शायद वो चाहता है कि इनकी सील उसका बाप तोड़े. “ मैने कहा तो स्वामी जी ने अपनी हथेलियों से मेरे स्तनो को दो पल सहलाया. 



“ देवी पागल मत बनो…..यहाँ कोई कभी भी आ सकता है. हम दोनो को इस हालत मे देख कर सारी बात समझ जाएगा. ये अमृत इस बच्चे के लिए है इसे पीने दो.” स्वामी जी ने मेरे स्तनो पर से अपने हाथ हटा लिए. 



“ नही …प्लीईसए. एक बार दोनो से दो दो बूँद तो चूसो.” मैं उस हालत मे भी मचल उठी. 



क्रमशः............
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रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -72 

गतान्क से आगे... 

स्वामी जी अपने सिर को झुका कर मेरे दोनो निपल्स बारी बारी से अपने मुँह मे लिए और कुछ कुच्छ दूध उन मे से चूसा. जब मेरे स्तनो से मेरा दूध निकल कर उनके मुँह मे जा रहा था तो बता नही सकती कितना अद्भुत लग रहा था मुझे. मैने उनके सिर को अपने हाथों से थाम कर अपने सीने पर दाब दिया. 



“ ऊओह स्वमीीईईई……मैं धान्य हो गइई……आपका आअशीरवााद इसीईइ तार्आआह मारतीए दम तक मेरीई साथ रहीई.” उन्हों ने धीरे से अपने सिर को मेरी पकड़ से अलग किया. 



“ स्वामी जी मुझे आपके लिंग का आशीर्वाद चाहिए . कितना अरसा हो गया उसे प्याअर किए.” मैने उनसे मिन्नतें की. 



वो मेरी बात सुन कर मुस्कुरा दिए. उन्हों ने अपने जांघों के जोड़ से अपनी धोती को सरकाया और अपने लिंग को बाहर निकाला उस वक़्त उनका लिंग धीरे धीरे सिर उठा रहा था. 



मैने अपने सिर को आगे किया तो उन्हों ने अपने लिंग के आगे के सूपदे को मेरे सिर से च्छुअया. 



“आअशीर्वाद दो स्वामी…..मेरा बेटा…हमारा बेटा…..आप जैसा बने……इस दुनिया मे हमारा नाम रोशन करे.” 



“ ऐसा ही होगा देवी ऐसा ही होगा.” उनका लिंग अब पूरी तरह खड़ा हो गया था. 



मैने उनके लिंग को अपनी हथेली से थाम कर सहलाया और अपने होंठों से उसे चूमा. मैने अपने होंठ अलग कर दिए उनके लिंग को अंदर जाने के लिए. मेरी हरकत का मतलब समझ कर वो मुझसे अलग हो गये. 



“ नही ये अभी नही…..अभी ना तो मौका है ना जगह उचित है.” 



“ प्लीज़ स्वामीयीई….ईएक बाअर बुसस्स ईएक बार इसका स्वाद ले लेने दो.” 



“ नही मनुश्य की इच्च्छाओं का कभी अंत नही होता. अगर इसे मैने मुँह मे दिया तो तुम्हारी इच्च्छा होगी वीर्यापान करने की. वीर्य पान करा दिया तो फिर तुम्हारी योनि मे सिहरन होने लगेगी. नही देवी तुम कुच्छ महीने आराम कर लो फिर तुम्हारी हर इच्च्छा पूरी करूँगा.” 



“ नही गुरुजी मुझे इस तरह अतृप्त मत छ्चोड़ो.” मैने वापस उनसे विनती की. 



“ मैं तुम्हे जानता हूँ देवी तुमने जो ठान लिया उससे तुम्हे हटा पाना बहुत मुश्किल है. ठीक है एक बार तुम इसका कुच्छ देर तक स्वाद ले सकती हो. लेकिन इससे ज़्यादा नही.” 



मैने उनके लिंग को अपनी हथेलियों मे थाम कर अपने मुँह मे डाल लिया और किसी स्वादिष्ट व्यंजन की तरह उसको चूसने चाटने लगी. उनके लिंग से एक अजीब सा स्वाद मिलता था जिसे पाकर मैं तृप्त हो जाती थी. आज भी ऐसा ही हुआ. कुच्छ देर तक मेरे चूसने के बाद उन्हों ने मेरे सिर को अपनी हथेली से अलग किया. 



उन्हों ने अपने कपड़े सही किए और मेरे बच्चे को एक बार और आशीर्वाद स्वरूप उसे अपने सीने से लगाया. 



वो एक झटके से उठे और कमरे के बाहर चले गये. मैने वापस अपनी चूचियो को चादर से धक लिया और लेट गयी. 



दिशा ने बोलना ख़त्म ही किया था कि हम दोनो के लिए स्वामी जी का बुलावा आ गया . हम दोनो तुरंत स्वामी जी के पास पहुँचे. 



“ देवियों आप दोनो को पता ही होगा कि अभी घंटे भर मे मिचेल और जोन्सन ब्लॅक हमारे आश्रम मे पधार रहे हैं. ये हमारे शिष्य हैं और दोनो हमारे आश्रम का एक विंग नैरोबी मे खोलना चाहते हैं. उन दोनो की सेवा के लिए तुम दोनो को लगाया है, उन दोनो की तुम दोनो रात भर भरपूर सेवा करोगी. उन्हे हमारे आश्रम का ऐसा जलवा दिखाना की दोनो बिना किसी शर्त पैसा लगाने को तैयार हो जाएँ. 



हम दोनो ने हामी भरी. तभी दरवाजा खोल कर दो युवतियों का प्रवेश हुया. दोनो स्वामी जी के पास सिर झुका कर खड़ी हो गयी. 



“ तुम लोग इनके साथ चली जाओ. ये दोनो शिष्याओं को मैने सब समझा दिया है. ये तुम दोनो को तैयार कर देंगी.” 



हम दोनो उन शिष्याओं के साथ कमरे से बाहर आ गये. दोनो हमे लेकर पास बने एक कमरे मे ले गये, वहाँ हमे आस पास रखे दो बेंच पर लेटने को कहा. हमने वैसा ही किया. हमे उस कमरे मे उसी अवस्था मे छ्चोड़ कर दोनो युवतियाँ बाहर चली गयी. 



तभी दो हत्ते कत्ते मर्द अपने अपने हाथों मे दो कटोरियाँ ले कर आए. दोनो ने खाली बदन पर सिर्फ़ एक एक धोती बाँध रखी थी. दोनो के सीने और बाजुओं के उभरे मुस्सलेस हम दोनो औरतों को उत्तेजित कर देने के लिए काफ़ी था. 



एक ने दिशा को सम्हाला दूसरा मेरे पास आया. दोनो सुगंधित तेल से हमारे पूरे जिस्म की मालिश करने लगे. वो तेल भी जड़ी बूटियों से तैयार किया गया था. उस तेल की मालिश से हमारे जिस्म मे उत्तेजना का प्रवाह होने लगा. पहले दोनो मर्द हमारी पीठ पर और नितंबों की मालिश करते रहे. उनके एक्सपर्ट हाथों की मालिश पाकर जिस्म फूलों की तरह हल्का होने लगा. हम दोनो के पीछे की तरफ मालिश करने के बाद उन्हों ने हमे सीधा होने को कहा. 



हम दोनो सीधे होकर लेट गयी. हमारे बेपर्दा हुष्ण पर नज़र पड़ते ही दोनो के जिस्म मे उत्तेजना भरने लगी. जिसका पता उनकी धोती पर बनते टेंट से लग रहा था. 



दोनो मर्द ख़ासकर हम दोनो के स्तनो और जांघों पर ही ज़्यादा ध्यान दे रहे थे. हमारे स्तनो पर दबाव पड़ते ही उनमे से दूध पिचकारी की तरह निकल कर दोनो के नग्न बदन पर पड़ी तो दोनो ने मुस्कुरा कर एक दूसरे की ओर देखा और फिर दोनो झुक कर हमारे स्तनो पर अपने अपने होंठ रख कर हमारे निपल को होंठों के बीच दबा लिया. अब वो हमारे स्तनो को मसल मसल कर हमारे स्तनो से दूध पीने लगे. हम दोनो तो पहले से ही उत्तेजित हो चुके थे हमने भी अपने हाथों से अपने स्तनो को मसल कर उनकी इच्च्छा की पूर्ति की. 



दोनो तब तक हमारे स्तनो से चिपके रहे जब तक हमारे दूध के कटोरे खाली नही हो गये. उसके बाद दोनो ने हमारे जिस्म की भरपूर मालिश की. फिर दोनो हमसे अलग होकर अपना समान समेट कर कमरे से निकल गये. 



उन दोनो ने हमे आश्रम के पीछे बने एक कुंड मे ले जाकर कपड़े उतारने को कहा. हम दोनो ने बिना झिझक अपने सारे कपड़े उतार दिए. एक शिष्या हमारे कपड़े उठा कर पास बने एक कपबोर्ड मे रख दी. फिर उन दोनो ने भी अपने कपड़े उतारे. हम चारों उस कुंड मे उतर गये. एक लड़की मेरे बदन को सहला रही थी तो दूसरी दिशा से लिपटी हुई थी. दोनो हमारे जिस्म को तरह तरह से मसल रहे थे. मसल क्या रहे थे हमारे गुप्तांगों को और सेन्सिटिव पायंट्स को छेड़ कर हमे उत्तेजित कर रहे थे. 



उनकी हर्कतो से हम कुच्छ ही देर मे उत्तेजित हो गये. मेरे साथ वालो लड़की ने एक हाथ से मेरे एक स्तनो को थाम रखा था और दूसरा हाथ मेरी योनि के अंदर छेड़ च्छाद कर रहा था. मैने उसे अपने सीने पर दबा रखा था. दोनो के वक्ष एक दूसरे से दब कर छिपते हो गये थे. उसने मेरे होंठों पर अंपने होंठ रख दिए और अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल कर मेरी जीभ को छेड़ने लगी. उसके हाथ अब मेरी योनि से निकल कर मेरी पीठ को दबा और मसल रहे थे. मैने देखा की दिशा भी सिसकारियाँ भर रही थी. उसने कुंड के किनारों पर अपनी बाँहे रख कर अपने जिस्म को पानी के उपर तैरा रखा था. उसकी दोनो टाँगें उसके साथ वाली लड़की के कंधों पर थी और उस लड़की का मुँह दिशा की योनि से चिपका हुया था. 



“स्लर्र्रप्प..स्ल्लर्रप्प्प” उस युवती के द्वारा दिशा की योनि को चाटने की आवाज़ आ रही थी. दिशा ने उत्तेजना मे अपने निचले होंठ को अपनी दाँतों के बीच भींच रखा था. 



पंद्रह मिनिट तक हमारे जिस्म के साथ खिलवाड़ करने के बाद उन युवतिओ ने हमे पानी से बाहर निकाला और हमारे जिस्म को तौलिए से ढँक कर हमे वापस उसी कमरे मे ले गयी. 



हम दोनो वापस उन बेंचस पर निवस्त्र हो कर बैठ गयी. तभी चार पाँच लड़कियाँ मोगरे और राजानीगंधा के फूलों से भरी दो टोक्रियाँ ले कर आए. सारी लड़कियों ने मिल कर हम दोनो का सुगंधित फूलों से शृंगार किया. हमारी कलैईओं पर, हमारे बाजुओं पर, पैरों मे, गले मे ढेर सारे फूलों से बने अभूसन पहनाए. बालों मे मोटा गजरा लगाया गया . गले मे भारी फूलों की मालाएँ पहनाई गयी जो हमारी नाभि तक लटक रही थी. 



फिर हमे फूलों से ही बने ब्रा और पॅंटी पहनाई गयी. इन सबके उपर एक झीने सूती की सफेद सारी पहनाई गयी. हमारे चेहरों पर भारी मेकप किया गया . माथे पर बड़ी बड़ी बिंदिया लगाई गयी. 



जब मैने अपना अक्स आईने मे देखा तो ऐसा लगा मानो कालिदास की कल्पना “शकुंतला” ज़मीन पर उतर आई हो. 



हम दोनो को तैयार कर सारी युवतियाँ उस कमरे से निकल गयी. सिर्फ़ वो ही दो युवतियाँ बची थी जिन्हे स्वामी जी ने हमे तैयार करने का जिम्मा सौंपा था. 



“ दीदी…” एक युवती ने हमसे कहा. 



“ बोलो..” 



“ जो दोनो आदमी बाहर से आ रहे हैं. सुना है दोनो नीग्रो हैं.” एक ने कहा 



“ ह्म्म….तो?” 



“ दीदी सुना है उनके वो….काफ़ी बड़े होते हैं.” उसी लड़की ने कहा 



“ हम जैसी नाज़ुक लड़कियों की तो वो फाड़ देते हैं. उन्हे झेलना हर लड़की के बस मे नही होता है.” दूसरी लड़की ने कहा. हमने इस पर तो गौर ही नही किया था. हम दोनो एक दूसरे को देखने लगी. 



क्रमशः............ 
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12-10-2018, 02:37 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -73 

गतान्क से आगे... 

“ दीदी लाओ हम दोनो तुम्हारे आगे और पीछे आछे से तेल लगा देते हैं जिससे उनका खंबे जैसा लंड अंदर जाते समय ज़्यादा दर्द नही हो.” दोनो ने अपने लबादे की जेब से तेल की बॉटल्स निकाल कर हम दोनो के पास आ गयी. 



“ तुम लोगों को पहले कर देना चाहिए था इस हालत मे अगर तेल लगाओगी तो हमारी पॅंटी के फूल खराब हो जाएँगे.” दिशा ने कहा. 



“ दीदी आप किसी को कहना मत ये हम किसी की आग्या के बिना ही कर रहे हैं. स्वामी जी का आदेश है कि इस तरह का कुच्छ भी नही किया जाय. जब लड़कियों को दर्द होतो हाई तब मर्द मे ज़्यादा जोश आता है.” 



“ ठीक है हम नही बताएँगी. लेकिन…” 



“ आप घबराओ नही. इसमे एक हुक लगा है जिसे खोलते ही पॅंटी खुल जाती है. कह कर उन्दोनो ने हमारी पॅंटी ढीली कर हम दोनो की योनिके अंदर अच्छे से तेल मलने लगी. 



“ सोना इनकी गांद मे भी तेल चुपद दे. इन विदेशियों का कोई भरोसा ही नही रहता कब कौन सा च्छेद पसंद आ जाए.” एक ने दूसरी को कहा. फिर दोनो ने हमारी गुदा के अंदर भी अच्छे से तेल चुपद दिया. 



फिर दोनो ने हमारी पॅंटी वापस पहना दी. अभी पाँच ही मिनिट हुए होंगे कि दरवाजे पर किसी ने खटखटाया. सोना ने जाकर दरवाजा खोला. स्वामी जी खुद अंदर आए. उन्हे देखते ही हम दोनो खड़े हो गये. उन्हों ने हमे उपर से नीचे तक निहारा तो उनके होंठों पर मुस्कान उभर आइ. 



“ अद्भुत शृंगार किया है तुम दोनो ने. इन शकुंतालाओं को देख कर अच्छे अच्छे शांतानु गश खा जाएँगे फिर ये तो विदेशी ठहरे. इन्हे तो कोई जगह मिलनी चाहिए अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए. बस दो पाँच मिनिट मे आते ही होंगे. तुम लोग तैयार हो ना.” 



“ जी गुरुजी” हम दोनो ने कहा. 



वो हमे वहीं छ्चोड़ कर कमरे से बाहर निकल गये. पाँच मिनिट मे ही हमे एक आदमी ने आकर सूचना दी कि अतिथि आ चुके हैं. 



जैसा की पहले से तय था हम दोनो अपने हाथों मे एक एक तश्तरी मे एक एक सुराही मे सुगंधित पानी ले कर हम अतिथि कक्ष मे प्रवेश किए. 



हम दोनो उस गेट उप मे खूब इठला कर चल रही थी. कमरे मे स्वामी जी एक उँचे आसान पर विराजमान थे. सेवक राम जी उनकी बगल मे बैठे थे और दोनो नीग्रो उनके दूसरी ओर बैठे थे. 



स्वामी जी ने हमे उनकी ओर इशारा किया तो हम दोनो उनके नज़दीक जा कर उनके पैरों के पास ज़मीन पर बैठ गयी. उनके सामने तश्तरी रख कर उनके पैरों को उठा कर उन तश्तरियों पर रख कर सुराही के सुगंधित पानी से हमने उनके पैरों को धोया. दोनो हमे बड़ी गहरी नज़रों से निहार रहे थे. उनके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि अगर अभी वहाँ स्वामी जी और सेवकराम जी मौजूद ना होते तो वो दोनो हम पर किसी भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ें. 



हम दोनो ने उनके पैरों को अपने साथ लाए मुलायम कपड़ों से पोंच्छा. 



स्वामी जी हमारे साथ उनका इंट्रोडक्षन कराते हुए कहा, “ ये दोनो हमारे आश्रम के मठाधीश बनने वाले हैं. ये दोनो नैरोबी मे एक बहुत बड़ा आश्रम खोलने वाले है . वहाँ का काम शुरू हो चुक्का है और कुच्छ महीनो मे सारा काम पूरा हो जाएगा. मिस्टर. मिचेल आंड मिस्टर. ब्लॅक दीज़ आर और क्लोसेस्ट डिसाइपल्स म्र्स दिशा आंड म्र्स. रश्मि. दिश और रश्मि हमारे इन अतिथियों का पूरे दिल से स्वागत करो. ये दोनो हमारे आश्रम का प्रचार देश से बाहर भी करेंगे.” 



हम दोनो सारा समान समेत कर कमरे से बाहर निकल आए बाहर दरवाजे पर ही कई युवक युवतियाँ हमारा इंतेज़ार करते हुए मिल गये. उन्हों ने हमारे हाथों मे एक एक ट्रे पकड़ा दी जिसमे वही वही नशीला शरबत और कुच्छ उत्तेजक करने वाली जड़ी बूटियों से बने व्यंजन रखे हुए थे. हम दोबारा उस कमरे मे पहुँचे. 



हम दोनो उनकी गोद मे बैठ कर उनको खिलाने पिलाने लगी. दोनो उस वक़्त हमारे बदन को सहला रहे थे. जब उन्हों ने अपना नाश्ता ख़त्म किया तो हम दोनो ने एक दूसरे को देख कर अपना अगला वॉर तय किया. 



हम दोनो उठ कर उनके वस्त्र ढीले करने लगे. इस कार्य मे वो भी हमे सहयता कर रहे थे. स्वामी जी और सेवकराम जी गहरी नज़रों से हमे देख रहे थे. उनकी उपस्थिति मे हम चारों ही खुल कर खेल नही पा रहे थे. एक हिचकिचाहट सी महसूस कर रहे थे हम चारों. 



कुच्छ ही देर मे दोनो बिल्कुल नग्न हो गये. जब हमने उनके टाँगों के जोड़ पर लटकते उनके हथियार देखे तो हमारी तो साँस ही रुक गयी. दोनो के लंड आधे जागृत अवस्था मे 6 इंच से ज़्यादा लंबे थे और उनका घेर अच्छे मर्दों को शर्म से पानी पानी कर देने के काबिल था. 



हमारी झिझक देख कर स्वामी जी मुस्कुरा कर हमे सांत्वना देने लगे. 



“ देवी हथियार जितना तगड़ा होता है मज़ा उतना ही ज़्यादा आता है. औरतों की योनि की बनावट ही ऐसी होती है कि उसे जितना चाहे फैला सकते हो. कोई फ़र्क नही पड़ता कि उसमे घुसने वाला लंड कितना लंबा या कितना मोटा है.” 



“ मगर.. स्वामी…..हर चीज़ की एक हद होती है उससे ज़्यादा बड़ा करने की कोशिश मे वो फट सकती है. स्वामी इनके लंड तो इतने लंबे हैं की मुँह से निकल आएँगे.” दिशा ने कहा. 



“ हाहाहा….देवी ये सब बोलने की बातें हैं. ऐसा कुच्छ नही होगा….इन नीग्रो पुरुषों की बीवियाँ नही होती क्या. वो भी तो इन्हे मज़े से झेल लेती हैं.” 



“ मगर स्वामी उनके बदन की बनावट ही ऐसी होती है. और उन्हे ऐसे लंड लेने की शुरू से ही आदत हो जाती है.” मैने कहा 



“ घबराओ नही देवी तुम लोगों को भी ऐसे लिंग की आदत बहुत जल्दी ही हो जाएगी. तभी तो तुम लोगों को हम अपने साथ इनके आश्रम ले जाएँगे.” स्वामी जी ने कहा. 



उन दोनो ने वापस अपना अपना आसान ग्रहण कर लिया. दोनो ने हमारी हथेलिया पकड़ कर हमे अपनी गोद मे खींच लिया. फिर दोनो के होंठ हमारे होंठों से चिपक गये. उनके काले और खुरदुरे होंठ से अपने नाज़ुक होंठ लगते हुए बहुत अजीब सा लग रहा था. 



मेरे साथ वाले ने मेरे होंठों को अपने होंठों से सहलाते हुए मेरे स्तनो को सहलाना शुरू कर दिया. उसने अपने होंठों को मेरे होंठो पर दबा कर अपने होंठों को अलग किया तो उनके साथ चिपके मेरे होंठ भी खुल गये. उसकी जीभ मेरे मुँह मे घुस गयी और मेरे मुँह मे घूमने लगी. उसकी ज़ुबान और सांसो से एक अजीब तरह की बदबू आ रही थी. उसने मुझे खींच कर अपने लोहे जैसे सीने पर दाब दिया. 



मैने देखा कि दिशा के सीने पर से फूलों वाली ब्रा मिचेल नोच कर अलग कर चुक्का है. वो उसके स्तनो को बेरहमी से मसल मसल कर उसके दूध की धार अपने मुँह पर और अपने चेहरे पर डाल रहा था. उसका दूध चट्टान जैसे सख़्त चेहरे पर गिर कर पतली धार के रूप मे बहता हुआ उसके सीने के उपर गिर रहा था. फिर वहाँ से फिसलते हुए नीचे जांघों के जोड़ पर बने जंगल मे घुस कर गायब हो जा रहा था. 

क्रमशः............ 
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12-10-2018, 02:40 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -74 

गतान्क से आगे... 


उसने दिशा को अपनी गोद से ज़मीन पर उतार कर उसे अपने सामने घुटनो पर बैठाया और उसके स्तनो को खींच कर अपने लंड के सामने लाकर उन्हे दूहने लगा. उसके स्तनो से निकलती दूध मे अपने लंड को धोने लगा. उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव सॉफ सॉफ नज़र आ रहा था. 



स्वामी जी और सेवक राम जी उठ कर उस कमरे से बाहर निकल गये. हम चारों अब उस कमरे मे बच गये थे. 



मेरे साथी जिसका नाम ब्लॅक था उसने मुझे अपनी गोद से उठा कर अपने सामने खड़ा किया और मेरे रूप को निहारने लगा. मैं उसकी नज़रो की तपन से उत्तेजित होती जा रही थी. मैने उसके सिर को अपनी हथेलियों मे थामा और उसे अपने दोनो उरजों के बीच दबा लिया. वो मेरे दोनो स्तनो के बीच की घाटी को अपनी जीभ से चाटने लगा. 



फिर ब्लॅक मेरे एक निपल को अपने होंठों के बीच लेकर चूसने लगा. मेरे पूरे बदन मे एक सिरसिराहट दौड़ने लगी. मैने अपनी हथेलियों से उसके सिर को अपने स्तनो पर भींच दिया. उसके सिर पर उगे नन्हे घुंघराले बालों को मे अपनी उंगलियों से सहलाने लगी. 



तभी कमरे की लाइट्स कम हो गयी और केवल एक नाइट बल्ब हल्की सी नीली रोशनी बिखेर रहा था. मिचेल ने दिशा को अपने घुटनो के बीच बिठा लिया और अपने लंड को उसके होंठों पर रगड़ने लगा. उसका लंड धीरे धीरे जोश मे आ चुक्का था. उसके लिंग का साइज़ देख कर दिशा के चेहरे पर असमंजस के भाव उभर आए थे. उसका लंड एक फुट के करीब लंबा और ढाई इंच की आस पास मोटा होगा. 



उसके लंड के उपर का हिस्सा भी किसी टेन्निस बॉल से क्या कम होगा. उसका साइज़ देख कर दिशा की घिग्घी बँध गयी. वो मेरी ओर सकपका कर देखने लगी. 



उसने मिचेल के ज़ोर देने पर अपने होंठ कुच्छ अलग किए. मगर उस विशाल के लंड को अंदर लेने मे ही उसके होंठ फट जाने थे. कितना भी दोनो ज़ोर लगा लेते मगर एक चौथाई से ज़्यादा इतना मोटा लंड अंदर जा ही नही सकता था. और अगर ज़ोर ज़बरदस्ती करता तो दिशा मर ही जाती. 



उसने दिशा के सिर को बालों से पकड़ा और अपने लिंग पर दबाने लगा. मगर दिशा मुँह नही खोल रही थी तो वो ज़बरदस्ती करने लगा. दिशा के विरोध से उसके चेहरे पर कठोरता उभरने लगी. उसकी आँखों मे लाल डोर तैरने लगे थे. 



मिचेल ने गुस्से से दिशा के सिर को एक ज़ोर से झटका दिया तो दिशा दर्द से कराह उठी. उसके कुच्छ बालों के टूटने की हल्की सी आवाज़ भी आई. 



मिचेल ने दिशा के दोनो निपल्स पकड़ कर इतनी ज़ोर से उमेटा की दिशा अपने जबड़ों को खोलने को विवश हो गयी. उसके मुँह के खुलते ही मिचेल ने अपने लिंग को उसके मुँह मे पेल दिया. बड़ी मुश्किल से उसके लंड का सिर सामने का हिस्सा अंदर घुस पाया. इतने मे ही दिशा के मुँह से दर्द भरी चीख निकल गयी. उसने मिचेलके लंड को अपनी मुट्ठी मे भर कर आगे जाने से रोका. 



उसने सिर्फ़ लंड के सूपदे को मुँह मे डाल रखा था और वो उसे अपने होंठों से अपनी जीभ से ऐसे चूस रही थी मानो सॉफ्टी चख रही हो. 



उधर ब्लॅक ने मुझे संपूर्ण निवस्त्र करके खुद भी एक दम नग्न हो चुका था. उसने मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया था और मेरे दोनो स्तनो से खेल रहा था. कभी उन्हे भींचता तो कभी किसी चूचक को मुँह मे भर लेता और चूसने लगता. उसके बार बार चूसे जाने से मेरे दोनो निपल्स फूल कर काफ़ी बड़े बड़े हो गये थे. मेरे दोनो स्तन भी उत्तेजना मे सख़्त हो चुके थे. उसका लंड मेरे जाँघ से सटा हुया झटके खा रहा था. 



ब्लॅक का लंड तो मिचेल से भी तगड़ा था. किसी आदमी के इतने बड़े लंड भी होते हैं मैने पहली बार जाना था. दोनो के लंड गधे की तरह हाथ हाथ भर लंबे थे. लंबाई तो दोनो की लगभग एक जैसी थी मगर ब्लॅक का लिंड इतना मोटा था कि देख कर ही मेरी घिग्घी बँध गयी थी. पता नही ये जब अंदर जाएगा तो मेरी नाज़ुक सी योनि की कैसी दुर्गति बनेगी? 



ब्लॅक सोफे पर से खुद उठा और मुझे खींच कर उस पर बिठा दिया. फिर मेरे सामने वो ज़मीन पर बैठ गया. उसने मेरी दोनो टाँगे उठा कर अपने कंधों पर रख दी. फिर झुक कर मेरी योनि को चाटने लगा. मेरे मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी. मेरे पूरे बदन पर छींटियाँ दूड़ने लगी. मेरी गोरी गोरी जांघों के बीच उसका बिल्कुल काला चेहरा बड़ा ही रोमॅंटिक लग रहा था. 



मैने अपने दोनो हाथों से उसके सिर को पकड़ कर अपनी योनि पर दाबने लगी. मैं सोफे पर ही आगे की ओर सरक आइ. उसकी खुरदूरी लाल लाल लपलपाति जीभ मेरी योनि मे घुस कर मुझे उत्तेजना के शिखर पर ले जा रही थी. 



तभी दोनो ने आपस मे कुच्छ बात की. फिर ब्लॅक ने दिशा को खींच कर अपने लंड के उपर सटा कर चूसने का इशारा किया. दिशा ज़मीन पर लगभग लेटी हुई ब्लॅक के लंड को अपनी जीभ से चाट रही थी. मिचेल उठा और सोफे के पास खड़ा होकर मेरे सिर को बालों से पकड़ कर अपने लंड पर दबाया. मैने भी अपना मुँह खोल कर जितना हो सकता था उतना लंड मुँह मे डाल कर चूसने लगी. 



अब मैं दो दो साथियों से एक साथ मज़ा ले रही थी. एक मेरी चूत चाट रहा था तो दूसरा मेरे साथ मुख मैथुन मे व्यस्त था. कुच्छ देर तक मुझे इस तरह उत्तेजित करने के बाद दोनो एक साथ दिशा पर टूट पड़े. वैसी ही हालत दिशा की भी हो गयी थी. 



दिशा उत्तेजना मे कराह रही थी. फिर हम चारों ज़मीन पर बिछे कालीन पर ही एक दूसरे से गुत्थम गुत्था हो गये. चारो एक पार्ट्नर्स बदल बदल कर दूसरे के साथ खेल रहे थे. 



जब हम चारों उत्तेजना के चरर्म पर पहुँच गये तो हम दोनो महिलाएँ बिना किसी सोच विचार के उनके लिंग अपनी योनियों मे लेने के लिए च्चटपटाने लगे. हम उनके लिंग को अपनी चूत की तरफ खींचने लगे. सबसे पहले मिचेल ने दिशा को कालीन पर लिटाया और उसकी टाँगे अपने हाथों मे थाम कर एक दूसरे से अलग कर जितना हो सकता था उतना फैलाया. 



दिशा सोफे के कुशन को अपनी मुत्ठियों मे भर कर आख़िरी खेल का इंतेज़ार करने लगी. दिशा की फैली हुई चूत से रस टपक रहा था. मिचेल उसकी योनि से निकलते हुए लिसलिसे रस को अपनी उंगलियों से अपने लंड पर लगाने लगा. उसका लंड दिशा के रश से भीग कर काले नाग की तरह चमक रहा था. 



उस वक़्त मैं ब्लॅक की ओर से ध्यान हटा कर एक तक दोनो के संभोग को देखने लगी. 

ब्लॅक मौके का फयडा उठा कर अपनी दो मोटी मोटी उंगलियाँ मेरी योनि मे डाल कर उन्हे मेरे योनि रस मे डुबो कर चाट रहा था. 



उधर मिचेल ने दिशा की योनि को चौड़ा किया और अपने लिंग के मोटे सूपदे को उसके योनि द्वार पर रख कर धीरे धीरे अपनी कमर को उसकी ओर बढ़ाने लगा. मैने देखा कि दिशा की योनि ख़तरनाक तरीके से खुल गये थे उसके लिंग को समाने के लिए. मगर इस पर भी ब्लॅक की पहली कोशिश कामयाब नही हो पाई और उसका लंड दिशा की योनि मे जगह बनाने मे नाकामयाब हो कर नीचे की ओर फिसल गया. 



“ हुउऊउन्ह….” मिचेल ने एक नाराज़गी भरी हुंकार भारी और दोबारा अपने लंड को पकड़ कर दिशा की योनि की दोनो फांकों के बीच लगाया. उसका लिंग मेरी कलाई से भी मोटा था. वो किसी क्रिकेट के बॅट के हॅंडल की तरह लग रहा था. 



दिशा ने अपनी जांघों को और फैलाया और अपने दोनो हाथों की उंगलियों से अपनी योनि की फांको को मिचेल के लिंग को जगह देने के लिए फैलाया. मिचेल ने वापस अपने लिंग को दिशा के योनि के मुहाने पर रख कर अपनी कमर को एक तेज धक्का दिया. 



“ आआआआआः………..म्‍म्माआआआआर डाालाअ.” की आवाज़ दिशा के मुँह से निकली और वो इस तरह च्चटपटाई मानो किसी बकरे को जिबह किया जा रहा हो. उसका मुँह खुला का खुला रह गया. आँखे पथ्रा गयी और बदन ढीला पड़ गया. मिचेल उसकी हालत देख कर 5-10 सेकेंड उसी अवस्था मे रुका. कुच्छ पल बाद दिशा के बदन मे हलचल हुई और वो गला फाड़ कर चीख उठी. 



“ बचााओ….माअर डााला…ऊऊहह राआष्मिईीईईईई……. बचााअ….. मुझीई….आअज्जज टूऊ ईीई मार डालेनगीए” दिशा गला फाड़ कर चीख उठी. उसकी आवाज़ सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये. 

क्रमशः............ 
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12-10-2018, 02:40 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -75 

गतान्क से आगे... 

दोनो अपनी भाषा मे कुच्छ कह कर हंस रहे थे. दोनो हबशियों का लंड ऐसा लग रहा था मानो आज हम को मार कर ही दम लेने वाले हैं. मेरे साथ वाला हंसते हुए और बुरा लगता था. उसने मुझे दिशा की बगल मे चौपाया बनाया. 



ब्लॅक ने मेरी योनि को अपनी उंगलियों से चौड़ा किया. मैने एक नज़र दिशा पर डाली. दिशा की आँखें उल्टी हुई थी और उसका मुँह खुला हुआ था. मैने देखा की मिचेल का लंड तीन चौथाई उसकी योनि मे घुस चुक्का था. मिचेल बहुत ही आराम से एक एक इंच करके अपने लंड को उसकी योनि मे सरकता जा रहा था. 



तभी ब्लॅक के सूपदे का स्पर्श अपने नितंबों के बीच पाकर मैं अपनी आँखें बंद कर और अपने जबड़ों को भींच कर अपनी बारी का इंतेज़ार करने लगी, जैसे ही उसके लंड ने मेरी योनि को च्छुआ “हा” की आवाज़ मेरे मुँह से निकली और मैं उसके अगली हरकत के बारे मे सोच कर सिहर उठी. 



तभी ब्लॅक ने अपनी उंगलियों से मेरी योनि की फांको को फैला कर उसके बीच अपने लंड को फँसा कर मेरी कमर को अपने दोनो हाथों से थामा और एक झटके से अपनी कमर को आगे की ओर धकेला. उसके लंड ने एक ज़ोर की चोट मेरी योनि पर किया. मेरे मुँह से एक “आअहह” निकल गयी मगर उसका लंड आगे बढ़ने मे नाकामयाब होकर वो नीचे की ओर फिसल गया. 



ब्लॅक ने वापस अपनी दोनो हथेलियों की दो-दो मोटी मोटी उंगलियाँ मेरी चूत मे डाल कर उन्हे मेरे योनि रस से भिगो लिया और उन उंगलियों से वो चिकना रस कुच्छ अपने लंड पर और कुच्छ मेरी चूत के होंठों पर लगा दिया. उसने अपनी हथेली पर थूक कर उससे भी अपने लंड को गीला किया. 



उसने अपनी उंगलियों से मेरी क्लाइटॉरिस को छेड़ना शुरू किया तो मेरे बदन मे करेंट सा दौड़ने लगा. पूरे बदन मे सेक्स की आग सी लग गयी थी. वो जितना मेरे क्लाइटॉरिस को छेड़ता जाता मेरे बदन मे सेक्स की भूख उतनी ही बढ़ती जा रही थी. मैं पूरी तरह सेक्स मे पागल हो रही थी. मेरी चूत मे एक अजीब से सिहरन हो रही थी. लग रहा था बस कोई मेरी योनि को रगड़ रगड़ कर मेरी खुजली को शांत कर दे. 



“आआआअहह….एम्म….ऊऊऊ…..” मैं जो अब तक दर्द से छॅट्पाटा रही थी अब उत्तेजना से छॅट्पाटेने लगी. 



“ऊऊओह….फुउककककक…..मीईए…..फुक्ककककक….मीईए……हाआअर्द” मैं उत्तेजना मे पागल हो रही थी. 



उसे मेरी हालत देख कर मज़ा आ रहा था. वो और भी तेज़ी से मेरी क्लाइटॉरिस को मसल्ने लगा. मैं उसके हाथ को वहाँ से हटाना चाहती थी मगर उसके आगे मेरी क्या चलती. मुझे पूरी तरह उत्तेजित कर वो वापस मेरी योनि को चौड़ा कर उसके मुँह पर अपने लंड को सेट कर एक ज़ोर दार धक्का मारा. 



“ आआअहह……माआआ……माआर गइईए….” एक दर्द भरी चीख मेरे होंठों से निकली और मैं भरभरा कर कालीन पर गिर गयी. कोई कितना भी उत्तेजित हो लेकिन जब उसे किसी आरी से काटा जाता है तब वो उस दर्द के आगे सब भूल जाता है. कुच्छ वैसी हालत मेरी भी थी. 



ब्लॅक ने मेरे कमर के इर्दगिर्द अपनी बाँहों का घेरा डाला और मुझे कमर से पकड़ कर उपने लिंग से हटने नही दिया. मेरी कमर उसके लंड से सटी हुई थी और बाकी का पूरा बदन नीचे कालीन पर पसरा हुया था. मैने सोफे से एक कुशन खींच कर अपने सिर के नीचे दबा रखा था. मेरा चेहरा कुशन मे घुसा हुआ था और मैने अपनी योनि से उठ रहे दर्द को बर्दास्त करने के लिए उस कुशन को अपने दाँतों से भींच रखा था. 



मैने अपनी एक हथेली को उसके लंड पर लगा कर स्थिति का जाएजा लिया तो पाया कि अभी उसके लंड के उपर का सूपड़ा ही अंदर घुस पाया है. मैने महसूस किया कि मेरी योनि का मुँह और दीवारें बड़े ही ख़तरनाक हद तक फैल चुकी थी. पता नही नीग्रो महिलयाएँ इनके लंड को किस तरह झेलती होंगी मगर हम नाज़ुक भारतिया महिलाओं के लिए तो चूत का भरता बनवाने से कम काम नही था. 



मेरी बगल मे दिशा भी लूटी पिटी हालत मे बेजान सी कालीन पर पसरी हुई थी. मिचेल पूरे जोश से उसकी चूत मे अपने मूसल लंड से ठोक रहा था. दिशा के चेहरे पर दर्द की रेखाएँ सॉफ दिख रही थी. इस तरह का संभोग हम औरतों के लिए तो किसी रेप से कम नही होता है. इसमे सिर्फ़ मर्द एंजाय करता है और हमारे लिए नीचे पड़े पड़े अपने बदन की दुर्गति बनवाने के अलावा कुच्छ नही बचता है. 



मिचेल पूरे जोश के साथ दिशा की चूत मे धक्के लगा रहा था. दिशा के मुँह से “ आअहह….आआहह…एम्म्म..आआ…न्‍न्‍णणन्” जैसी दर्द भरी सिसकारियाँ निकल रही थी. 



ब्लॅक ने भी धीरे धीरे अपने लिंग को मेरी योनि के अंदर सरकाना शुरू कर दिया. उसके लंड का आकार इतना बड़ा था की मेरी योनि के अंदर की दीवारों को बुरी तरह रगड़ता हुया वो एक एक मिल्लिमेटेर बड़ी मुश्किल से आगे सरक पा रहा था. हर धक्के के साथ उसका लंड मेरी योनि मे अपना रास्ता बनाता हुया कुच्छ अंदर सरक जाता. 



लगभग एक चौथाई लंड अंदर डालने के बाद वो रुका. फिर उसने अपने लंड को बाहर खींचना शुरू किया तो ऐसा लगा मानो मेरी कोख को भी अपने साथ हो बाहर खींच लेगा. मैं दर्द से च्चटपटा उठी. 



“ अयाया…. ब्लॅक…..डियर….प्लीईएसए….प्ल्ीआसए गूऊ स्लूव्व…….प्लीईआसीए आह दीएआर ….. लिट्टली मोर टेंडरलीयी…..ऊऊओह माआ…..ौउुउउ आआर….गूऊंग तूओ तीएआर मईए इंटो हाअलफ……वित थाआत पोले ऊफ़ यूऔरर्स” मैने अपनी एक हथेली उसके सीने पर रख कर उसे धीरे धीरे करने को कहा. 



“ यू…..लाइक….मी….टूल?” ब्लॅक ने मुझसे पूछा. 



“ईएआआह….बट…बट इट ईईईीीसस टूऊ बीईईइग…..टूऊओ हुगी. इट इस गोननाअ कीईल्ल्ल मीई” मैने उसे अपनी तकलीफ़ बताई. 



उसका लंड लगभग बाहर निकल आया था सिर्फ़ उसके आगे का टोपा ही अब मेरी योनि के अंदर फँसा हुआ था. उसने वापस मेरी क्लाइटॉरिस को छेड़ना शुरू किया. 



“ नूऊओ….ब्लाअक्क…..नूऊ…..ंूओत तेरे…..” मैने उसकी उंगलियों को वहाँ से हटाने की एक और असफल कोशिश की मगर वो तो मुझे सेक्स मे पागल कर देना चाहता था जिससे मैं उसके उस तगड़े लंड की अभ्यस्त हो जाऊ.



तभी उन्हों ने पूरी ताक़त से एक ज़ोर दार झटका मारा तो मैं दर्द से लगभग रोने लगी. 



“आआअहह….” मैं चीख उठी थी, “माआआ……आआआआः……..हाााई माअर गइईए………” 



मैने उसके लंड को अपनी उंगलियों से छ्छूना चाहा तो पाया कि उसका लंड लगभग जड़ तक मेरी योनि के अंदर घुस चुक्का था. उसकी झाँते मेरे काम रस से भीगी हुई थी. वो उसी अवस्था मे कुच्छ देर तक रुका जिससे मैं उसके उस मोटे खंबे समान लंड की अभ्यस्त हो जाऊ. 



मेरा पूरा बदन झटके खा रहा था. मैं उसकी पकड़ से निकल जाना चाहती थी. मगर मैं उसकी मजबूत पकड़ से छ्छूटना तो दूर हिल भी नही पा रही थी.



अब तक सब कुच्छ डीहरे धीरे चल रहा था इसलिए मैं बदन मे उठते हुए दर्द को सह पाने मे समर्थ थी. वो लगता है औरतो के साथ संभोग करने मे एक्सपर्ट था इसलिए उसने मेरी योनि मे इतनी आग लगा दी थी की मैं अपने बदन मे उठ रहे दर्द की परवाह किए बिना उससे चुदवाने के लिए तैयार थी. उस वक़्त तो मेरी हालत ये थी की वो मेरी चुदाई के बदले अगर मेरे जिस्म की बोटी बोटी भी नोच देता तो भी मैं उफ्फ नही करती. 



उसने मेरी कमर को पकड़ कर अब धक्के देना शुरू कर दिया. उसके धक्कों की रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी. मैं उसके साथ संभोग करते हुए अपने सिर को बुरी तरह झटक रही थी. मेरी आँखों के आगे एक ढुंधह सी च्छा रही थी. मेरा बदन अचानक एन्थ्ने लगा और कुच्छ ही धक्कों मे मेरी योनि के भीतर रस की बरसात हो गयी. 



मेरा बदन झड़ने के बाद एक दम ढीला पद गया. मुझे आस्स पास कुच्छ भी नही दिख रहा था. लेकिन उसकी रफ़्तार बढ़ती ही जा रही थी. काफ़ी देर तक संभोग करवाने के बाद मैं नॉर्मल होने लगी. वापस मेरे जिस्म मे उत्तेजना फैलने लगी. अब दर्द भी कम हो चुक्का था. मुझे उसी पोज़ मे लगभग पंद्रह मिनिट तक चोद्ता रहा. 



काफ़ी देर बाद जब मैं नॉर्मल हुई तो मैने देखा कि मेरी बगल मे मिचेल नीचे कालीन पर पसरा हुया है और दिशा उसके लिंग पर चढ़ाई कर रही थी. वो मिचेल के लिंग पर उपर नीचे हो रही थी. उसकी हथेलिया मिचेल के सीने पर टिकी हुई थी. उसका चेहरा अब उत्तेजना मे तमतमा रहा था. जिससे लगता था कि अब वो मिचेल के उस बेस बॉल के बॅट जैसे लंड को लेने की अभ्यस्त हो चली थी. तभी वो चीखने लगी, 



“आआअहह…..फुउूउक्क….मीई….फुऊूक्ककक मीई हाआऐययईईईईई….आआआहह… क्य्ाआअ…..लुउउन्ड हाईईईई….. आअज्ज टूऊओ गलीई सी हिी निक्ाअल कार मानेगाआ… आज कीए बाद…भूसदाअ बान जाईगाआ…. ऊऊऊहह मिईियचीईएल्ल्ल्ल्ल…..ईईइ आमम्म कूम्म्म्मिईईईंगग…….” और वो झड़ने लगी. मिचेल ने अपनी कमर कालीन से एक फुट उपर उठा दी और दिशा के दोनो स्तनो को अपनी काली मोटी उंगलियों मे दबोच कर इतनी बुरी तरह मसल्ने लगा कि दोनो स्तन सुर्ख लाल हो गये. वो भी दिशा के साथ ही झाड़ गया. 



ब्लॅक ने मुझे किसी गुड़िया की तरह उठा कर कालीन पर पीठ के बल पटक दिया और मेरे दोनो टाँगों को अपने हाथों से थाम कर छत की ओर उठा दिया. मैने अपने हाथों से सोफे के पयों को पकड़ लिया. 



मुझे उस हालत मे थाम कर मेरी योनि के मुँह पर अपने लंड को सटा कर एक ही धक्के मे अपने पूरे लंड को अंदर पेल दिया. मैने अपनी टाँगों को जितना हो सकता था फैला दिया था. 



“आआआआहह…..क्य्ाआ करती हूऊऊ……..यूऔू आअरए गोयिंग तूओ किल्ल मीई” मैं दर्द से चीखते हुए उसके सीने पर मुक्के बरसाने लगी. मगर उस दैत्य के बदन पर तो वो फूलों सरीखे लग रहे थे. वो हंस रहा था और मेरी योनि को फाड़ डालने के लिए धक्के पर धक्के लगाता जा रहा था. मैं अपने बदन को राहत देने के लिए उसके अत्याचार से च्छुतकारा पाने के लिए च्चटपटाना चाहती थी मगर मेरी ये कोशिश उसे कुच्छ और इशारा कर रही थी. 



वो समझ रहा था कि मई उत्तेजना मे कसमसा रही हूँ. वो और जोश से मेरी योनि को रोन्दने लगता. मैने अपने आप को उपर वाले के हवाले छ्चोड़ दिया. जब बचने की कोई उम्मीद नही दिखी तो मैने अपने बदन को ढीला छ्चोड़ दिया. जिससे तूफान आकर गुजर जाए. 


क्रमशः............
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12-10-2018, 02:40 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -76 

गतान्क से आगे... 


उसके लिए तो मानो समय रुक सा गया था. वो मुझे एक रफ़्तार से चोदे जा रहा था. आधे घंटे तक एक रफ़्तार से चोदने के बाद भी उसकी रफ़्तार मे उसके जोश मे कोई कमी नही आए. वो लगातार मुझे बिना किसी रहम के इस तरह चोद रहा था जैसे मैं कोई हाड़ माँस की बनी ना हो कर कोई बेजान गुड़िया हू. 



मेरा पूरा बदन फोड़े के समान दुखने लगा था. काफ़ी देर तक मुझे इसी अवस्था मे चोदने के बाद उसने मेरी टाँगो को छ्चोड़ दिया तो मुझे कुच्छ राहत महसूस हुई. मुझे उसी हालत मे चोद्ते हुए उसका किसी दैत्य के समान बदन मेरे फूल से बदन के उपर पसर गया. वो अपने दोनो हथेलियों मे मेरे दोनो स्तनो को थाम कर किसी आटे के गोले की तरह मथने लगा. 



ब्लॅक ने अब मुझे उल्टा कर वापस घुटनो और हथेलियों के बल पर चौपाया बना दिया. उस अवस्था मे उसने अपने लिंग को मेरी योनि से सटा कर मेरे नितंबों से सॅट गया. 



मिचेल दिशा से अलग हो कर मेरे पास आया और मेरे सिर को बालों से पकड़ कर अपने लिंग पर दबाने लगा. मैं मुँह नही खोलना चाहती थी मगर उस विशाल काय राक्षस के सामने मेरी क्या चलती. उसने मेरे निपल्स को पकड़ कर इतनी ज़ोर से उमेटा की मुझे तो दिन मे ही तारे नज़र आने लगे. मैने उनका विरोध करने का इरादा छ्चोड़ कर उनकी इच्छाओं को पूरा करने मे ही अपनी भलाई मानी. 



मैने अपना मुँह खोल दिया. मिचेल ने अपने ढीले पड़े लंड को मेरे मुँह मे डाल दिया. मैं समझ गयी कि मुझे क्या करना था. मैं उसके लंड को अपनी हथेलियों से थाम कर चूसने लगी. 



उसके लंड से उसके वीर्य और दिशा के वीर्य का मिला जुला स्वाद आ रहा था.मैं उसके लंड को चूसने लगी तो कुच्छ ही देर मे उसका लंड तन कर खड़ा हो गया मैं समझ गयी कि अब ये हम दोनो मे से किसी की योनि को रगड़ कर चौड़ा करने के लिए फिर से तैयार हो चुका है. 



उसके लिंग को अब मुँह मे लेने मे मुझे परेशानी होने लगी थी. मगर वो मेरे मुँह को मेरी योनि मान कर धक्के लगाने लगा था. मुझे लगा की आज उसका वो खंबे जैसा लंड मेरे मुँह को चीर डालेगा. 



दिशा से भी किसी तरह के मदद की उम्मीद नही कर सकती थी. वो तो मिचेल की चुदाई के बाद किसी बेजान माँस के लोतड़े की तरह बिना किसी हरकत के पड़ी हुई थी. दोनो मुझे इतनी बुरी तरह ठोक रहे थे कि मैं बेहोशी के अंधकार मे डूबने लगी ये देख कर मिचेल ने एक ज़ोर का थप्पड़ मेरे गाल पर मारा तो मैं होश मे आई. उसके थप्पड़ से मेरा होंठ फट गया था और गाल ऐसे सूज गया मानो मेरी किसी ने जम कर पिटाई की हो. ब्लॅक मुझ पर झुक कर होंठ से रिस्ते खून को चाटने लगा. दोनो ऐसे बर्ताव कर रहे थे मानो जंगल से आए हुए दो दरिंदे हों. 



लगभग आधे घंटे तक दोनो हैवनो ने मुझे बुरी तरह तोड़ मरोड़ कर रख दिया था. मैं बुरी तरह थक गयी थी. मेरे बदन का एक एक पोर दुख रहा था. तभी अचानक ब्लॅक ने मेरे बालों को अपनी मुट्ठी मे भर कर उपर खींचा तो मैं दर्द से बिलबिलाते हुए अपने सिर को उपर किया जिससे मेरे मुँह के अंदर घुसा मिचेल का लंड बाहर निकल आया. 



मिचेल ने मेरे बालों को ब्लॅक की मुट्ठी से निकाल लिया. मिचेल की उत्तेजना अपनी चरमोत्कर्ष पर थी. उसने अब नीचे झुक कर मेरे दोनो झूलते हुए स्तनो को अपनी मुट्ठी मे थामते हुए मेरी पीठ से सॅट गया. वो मेरे दोनो स्तनो को इतनी ज़ोर से मसला की मैं दर्द से बिलबिला उठी. मई दर्द से बचने के लिए और ब्लॅक की गिरफ़्त से बचने के लिए उसकी कलाई मे अपने दाँत गढ़ा दिए. 



ब्लॅक की कलाई से हल्का हल्का खून रिसने लगा मगर ब्लॅक को तो मानो किसी दर्द का अहसास ही नही हो रहा था. 



उसने अपना मोटा लंड मेरी योनि मे ठोक दिया और एक हाथ से मेरी कमर को पूरे ताक़त से अपने लंड पर दबाए रखा. दूसरे हाथ से मेरे एक स्तन को बुरी तरह से नोच दिया. वो उसी अवस्था मे लगभग दो मिनिट तक रुक कर ढेर सारा वीर्य मेरी योनि मे उधेल दिया. मैं दर्द और थकान से हाँफ रही थी. मेरी चूचियाँ हर साँस के साथ बुरी तरह उपर नीचे हो रही थी. 



मेरी बाँहें मेरे जिस्म का वजन ज़्यादा देर तक सम्हाल नही पाई और मैं मुँह के बल कालीन पर गिर पड़ी. मेरा चेहरा कुशन मे धंस चुक्का था. ब्लॅक मेरे जिस्म से सटे रहने की कोशिश मे लड़खड़ा कर मेरे जिस्म पर ही गिर गया. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे फेफड़ों से सारी हवा निकल गयी हो और एक आध हड्डी अपनी जगह से खिसक गयी हो. 



“ आआहह…..” मेरे मुँह से एक ज़ोर की साँस छ्छूट गयी. 

क्रमशः............ 
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12-10-2018, 02:41 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -77 

गतान्क से आगे... 

मेरी बाँहें मेरे जिस्म का वजन ज़्यादा देर तक सम्हाल नही पाई और मैं उन्ही के बल कालीन पर गिर पड़ी. मेरा चेहरा कुशन मे धँस चुक्का था. ब्लॅक मेरे जिस्म से सटे रहने की कोशिश मे लड़खड़ा कर मेरे जिस्म पर ही गिर गया. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे फेफड़ों से सारी हवा निकल गयी हो और एक आध हड्डी अपनी जगह से खिसक गयी हो. 

" आआहह….." मेरे मुँह से एक ज़ोर की साँस छ्छूट गयी. 

कुच्छ देर तक ब्लॅक मेरे बदन पर यूँ ही पसरा रहा. फिर दो मिनिट बाद ही दोनो इस तरह उठे मानो कुच्छ हुआ ही ना हो. इधर हम दोनो की हालत तो ऐसी हो रही थी मानो कबड्डी खेल कर लौटी हों. 

दोनो अब दिशा की ओर झपते. दिशा कुच्छ भी नही कर सकी वो वैसी ही पड़ी रही. बस मुँह से एक बार विरोध मे " नाअ…." निकला. 

दोनो जानवरों की तरह उस पर टूट पड़े. दिशा को कुच्छ करने की ज़रूरत ही नही पड़ी. वो बस हाँफ रही थी. और लंबी लंबी साँसे ले रही थी. 

दोनो ने उसे किसी मोम के पुतले की तरह उठा लिया. ब्लॅक पीठ के बल लेट गया उसका तननाया हुआ लंड छत की ओर खड़ा था. मिचेल ने दिशा को कमर से पकड़ कर मिचेल के लंड के उपर सेट हवा मे उठा रखा था. ब्लॅक दिशा की हालत देखते हुए हँसने लगा और हंसते हुए अपने लंड को अपनी एक हथेली से थामा. उसने हथेली से उसने दिशा की योनि की फांको को फैलाया. 

" ह्म्‍म्म्म" उसने एक आवाज़ निकली और मिचेल ने अपने हाथों को ढीला कर दिया. दिशा अपने जिस्म के बोझ से ब्लॅक के तने लंड पर बैठती चली गयी. 

" आआअहह…." दिशा के मुँह से एक कराह निकली. वो उसके लंड से उठने को हुई तो मिचेल ने उसके कंधों पर अपने हाथों का दबाव डाल कर उठने नही दिया. दिशा उसके लिंग पर बैठ चुकी थी. दिशा ने अपने एक हाथ को अपनी जांघों के बीच कर ब्लॅक के लिंग को टटोला. उसे विस्वास हो गया की उसकी योनि ब्लॅक के लंड को पूरी तरह निगल चुकी थी. 

" उफ़फ्फ़….." उसके मुँह से एक आवाज़ निकली और मेरी तरफ देखा. मैं उसके पास ही लेटे लेटे लंबी साँसे ले रही थी. 

ब्लॅक ने उसके दोनो निपल्स को अपने लोहे के समान सख़्त उंगलियों से पकड़ कर अपनी ओर इतनी ज़ोर से खींचा की दिशा की आँखों मे आँसू आ गये. वो ब्लॅक के जिस्म से सॅट गयी. 

"आआआहह….नूऊऊऊओ……प्लीईई" दिशा दर्द से कराह उठी. उसके ब्लॅक के जिस्म पर झुकते ही मिचेल ने अपनी उंगलियों को दिशा के गुदा द्वार पर फिराया और अपनी एक मोटी उंगली को दिशा के गुदा मे डाल दिया. 

दिशा उसकी अगली हरकत को भाँप कर छॅट्पाटा उठी. ब्लॅक ने उसके फूल से जिस्म को अपनी फौलाद समान बाजुओं मे कस कर पकड़ लिया. मिचेल ने अपनी हथेली पर धीर सारा थूक डाल कर उसे दिशा के गुदा द्वार पर लगाया और फिर अपने खंबे की तरह तने लंड को उसके गुदा द्वार पर लगा कर एक झटका दिया मगर मिचेल का लंड आधा इंच भी भीतर नही गया. 

" ऊऊऊओह…….माआआ…..प्लीईआसए……. नूऊओ…… नूऊऊ नोट तीएरीए……." दिशा चीख रही थी. लेकिन उन दोनो को उसकी चीखों से कोई लेना देना नही था. 

मिचेल ने अपने लंड को दोबारा सेट कर के फिर से एक ज़ोर दार झटका दिया. दिशा की आँखें फटी की फटी रह गयी. उसका मुँह खुला हुआ था और मुँह से " हर्र्ररर….हाअरररर" जैसी आवाज़ें निकल रही थी. इस बार भी मिचेल का लंड उसकी गांद मे नाम मात्र ही घुस पाया था. 

मिचेल ने फिर से अपने लंड को खींच कर बाहर निकाला और अपने दोनो हाथों से उसके नितंबों को अलग कर दो उंगलियों को दिशा के गुदा मे डाल कर चौड़ा किया जिससे उसकी गांद कुच्छ खुल गयी. ऐसे पोज़िशन मे उसने अपने लंड को दिशा के गांद के छेद मे लगा कर अपनी कमर से एक और झटका दिया. उसका झटका इतना ज़ोर दार था कि दिशा और उसके नीचे लेती ब्लॅक दोनो ही कुच्छ इंच आगे खिसक गये. मिचेल के लंड का किसी टेन्निस की बाल जैसा सूपड़ा दिशा के गुदा मे घुस चुक्का था. 

" माआअरर्ररर डााअलाआ………….आआआआआहह……….." दिशा किसी जिबह किए जा रहे जानवर की तरह छॅट्पाटा उठी और फिर एक दम से शांत हो गयी. वो बेहोश हो चुकी थी. 

" फक…..दिस होर हॅज़ फेनटेड." मिचेल ने ब्लॅक को कहा, " ब्रिंग दिस बिच टू कनससनेस अगेन." 

ब्लॅक ने दिशा के गाल पर दो ज़ोर दार थप्पड़ लगाए जिससे दिशा वापस होश मे आ गयी. होश मे आते ही दिशा दर्द से रोने लगी. उन हबशियों का मूसल के समान लंड चूत मे लेने का सोच कर ही डर से रोंगटे खड़े हो जाते थे फिर दिशा तो मिचेल के लंड को अपने गुदा मे झेल रही थी. 

" प्लीज़…….उफफफ्फ़…..प्लीज़…..टके युवर शाआफ़्ट आउट….आआआहह ई आम ंूओत….. उउउस्सेद तो सच आ ह्यूज शॅफ्ट इन मी अरसे………प्लीईआसए हाअवे सूओमे मेर्स्यययी ओं मीईए………..माआ…..आआअज ये मुझे माअर डालींगे." 

उन दरिंदों को उसकी चीखों से और उसके तड़प से कोई लेना देना नही था. वो दोनो दिशा की हालत पर दरिंदों की तरह हंस रहे थे. मिचेल ने दिशा को किसी रंडी की तरह ठोकना शुरू किया. अपने हाथों से उसकी गर्देन को ब्लॅक के चेहरे पर दाब दिया और उसके गुदा मे अपना लंड पेलने लगा. दिशा हर धक्के के साथ कराह उठती थी. वो दर्द से ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी. मगर उसकी चीखों पर रहम खाने वाला कोई नही था. उसकी चीखें उस साउंड प्रूफ कमरे मे घुट कर दम तोड़ रही थी. 

दोनो दिशा को अप्राकृतिक तरीके से आधे घंटे तक चोद्ते रहे. दोनो पंद्रह मिनिट तक इसी तरह उसे ठोकने के बाद अपनी अपनी जगह बदल लिए. अब मिचेल का लंड दिशा की चूत मे धँसा हुआ था तो ब्लॅक उसकी गंद मे अपना मोटा लंड डाल कर धक्के मार रहा था. 

आधे घंटे की चुदाई के बाद दोनो ने अपना अपना रस दिशा के दोनो च्छेदों मे भर दिया. दोनो पाँच मिनट तक लेटे आराम करते रहे फिर अब दोनो मुझे पर टूट पड़े. ऐसा लग रहा था मानो दोनो हाड़ माँस के नही बल्कि लोहे के बने हों. पूरी रात हम दोनो को चोद चोद कर अधमरा कर डाला लेकिन दोनो के जोश मे कभी भी रत्ती भर भी शिथिलता नही आए. 

दस पंद्रह मिनिट आराम करने के बाद तो दोनो वापस आधे घंटे की ठुकाई के लिए तैयार हो जाते थे. हम दो नाज़ुक महिलाएँ उनकी बर्बरता ना झेल पा रही थी. कई बार हम दोनो बेहोश हो जाती थी तो भी वो हमे वापस होश मे लाकर ठोकते थे. रात भर मे तो दोनो ने हमे हिलने डुलने के भी काबिल नही रहने दिया. 

मैं तो उनकी ज़्यादती झेलती झेलती इतनी थक चुकी थी की ऐसी हालत मे भी मैं नींद की आगोश मे चली गयी. लेकिन उन्हों ने मुझे वापस जगा दिया. ऐसा लग रहा था कि रात ख़तम ही नही होगी और सुबह तक हम जिंदा नही बचेंगे. 

लेकिन दोनो ही चीज़ें नही हुई. सुबह भी हुई और हम पूरे होशो हवस मे पड़े थे. पूरे दिन हम दर्द से कराहती रही. आस्रम की दूसरी महिलाओं ने हमारी भरपूर सेवा की. स्वामी जी भी काफ़ी देर तक हमारे सिरहाने बैठ कर हमे प्यार से सहलाते रहे. 

आश्रम के डॉक्टर ने भी हमे चेक किया और हम दोनो कॉसेडाटिव का इंजेक्षन दिया. ऐसा लग रहा था जैसे दोनो छेदो मे किसी ने ब्लेड से चीरा लगाया हो. दोनो के बदन पर कई कई जगह नीले नीले निशान पड़ गये थे. दोनो के स्तन और निपल इतने दुख रहे थे कि पूरे दिन हम ब्रा नही पहन पाए. 

उसके बाद अगले दिन हम वहाँ से वापस चले आए. दिशा से मैं इतनी घुल मिल गयी थी को दोनो बिच्छाड़ते समय आपस मे लिपट कर खूब रोए. हमने जल्दी ही मिलने का एक दूसरे से वादा किया. 

देवेंदर जी और मेरे पति जीवन कहाँ व्यस्त रहे पता ही नही चल पाया. क्योंकि दोनो एक दो बार से ज़्यादा हमे नही दिखे. ज़रूर रजनी या किसी और महिला को उनको व्यस्त रखने का दयित्व दिया गया होगा. दरअसल हम दोनो औरतें ही इतनी व्यस्त रही की कुच्छ और सोचने का वक़्त ही नही मिला. जीतने समय हम आश्रम मे रहे उसमे से ज़्यादातर वक़्त हमने छत देखते हुए गुज़ारी. 

हमारा कार्यक्रम इतना व्यस्त था कि हम एक दूसरे के पति से ज़्यादा घुल मिल ही नही पाए. हमने वादा किया की अगली मुलाकात सिर्फ़ हम चारों की होगी और हम चारों एक दूसरे के ज़्यादा अंतरंग होने की कोशिश करेंगे. 

हम चारों ने अलविदा कहने से पहले घंटे भर साथ साथ बिताए. उनका साथ बहुत अच्च्छा लगा. दिशा से तो बहुत ही घुल मिल गयी थी. उनके हज़्बेंड से मिल कर भी बहुत अच्च्छा लगा. बहुत हँसमुख स्वाभाव के आदमी थे. हर बात को मजाकिया तौर पर लेना उनकी आदत थी. 

तभी बस वहाँ पहुँच गयी. हमारा सामान बस मे चढ़ाया जाने लगा. हम चारों एक दूसरे के पार्ट्नर्स मे ऐसे व्यस्त थे मानो कितने सालों की पहचान हो.

बस मे चढ़ने से पहले दिशा मुझसे लिपट गयी. फिर उसने मुझे देवेंदर जी की ओर इशारा किया. देवेंदर जी ने भी मुझे अपनी बाँहों मे खींच लिया. मेरे उभार उनके सख़्त सीने पर दब गये. उन्हों ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर अलविदा कहा. 

" अगली बार तुम्हे जी भर कर देखूँगा इन कपड़ों के बिना." उन्हों ने मेरे कानो मे धीरे से कहा. 

" मुझे भी आपका इंतेज़ार रहेगा. जल्दी आना. देखो शायद यही सब बातें वो दोनो भी कर रहे हैं." कह कर मैने दिशा और जीवन की ओर इशारा किया. वो दोनो भी आलिंगन बद्ध खड़े एक दूसरे को प्यार कर रहे थे. 

तभी किसी शिष्या ने बस छ्छूटने की सूचना दी तो हम बस पर चढ़ गये. वापसी मे जीवन ने बहुत एंजाय किया पूरे रास्ते वो महिलाओं के नग्न बदन से लिपटे रहे. उन्हों ने सेक्स को तरह तरह से एंजाय किया. 
क्रमशः.......
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12-10-2018, 02:41 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -78 

गतान्क से आगे... 
मैं इतनी थॅकी हुई थी की ज़्यादा खेल नही पाई. स्वामी जी ने एक बार ज़रूर चोदा मुझे मगर मेरा एक एक अंग दर्द कर रहा था इसलिए मैने जल्दी ही हथियार डाल दिए. 

मैं भी पूरी यात्रा मे नंगी ही रही. लेकिन सहवास से दूर ही रही. मेरी कमर और योनि बुरी तरह दुख रही थी. स्वामी जी निराश ना हो जाएँ ये सोच कर मैने उन्हे मना नही किया मगर उनके अलावा और किसी के साथ सॅभॉग से बचती रही. अधिकतर समय मैने सोते हुए बिताया. स्वामी जी ने भी सबको निर्देश दे रखा था की मेरे आराम मे कोई खलल ना डाले. 

पहले उन्हों ने हमे लनोव मे घर पर छ्चोड़ा फिर बस आश्रम की ओर चली गयी. हम पर थकान हावी थी इसलिए पूरा दिन सिर्फ़ सोते हुए ही गुजरा. जीवन ने बिस्तर पर लेट कर मुझे अपने आलिंगन मे ले कर खूब प्यार किया. 

" कैसी रही यात्रा खूब मज़े किए होगे?" मैने उनके होंठों को अपने दाँतों से चबाते हुए पूच्छा. 

" होंठों को छ्चोड़ॉगी तभी तो बताउंगा." उन्हों ने मुझे हटाते हुए कहा. 

" अच्च्छा?.....अब मुझे अपने से दूर भी करने लगे हो. क्यों कौन सी भा गयी?" मैने उनके सीने पर अपने दाँत गढ़ाते हुए पूचछा. 

" दोनो ही एक से बढ़कर एक थी…..मज़ा आ गया….दोनो ऐसी एक्सपर्ट थी कि क्या बताऊ. मुझे गणना समझ कर चूस लिया दोनो ने. मुझे तो कोई मेहनत नही करनी पड़ी दोनो ने ही चोदा मुझे. " 

" हाहाहा….दोनो महिलाओं ने आपका रेप कर दिया और आप बड़े महारती बनते थे औरतों ने चूस के रख दिया ना सारी हेकड़ी?" मैं उन्हे छेड़ रही थी. 

" मेडम शेर वही होता है जिसका लंड हर वक़्त तैयार रहे. बिल्कुल एवरेडी की तरह. ज़रा सा घिसो और जिन्न तैयार." उन्हों ने मेरी हथेली अपने खड़े हो रहे लिंग पर रख कर दबाया. 

" अच्च्छा तो फिर चलो मुझसे कबड्डी खेलने को तैयार हो जाओ. आज नही छ्चोड़ूँगी तुम्हे." कह कर मैं उनके उपर सवार हो गयी. और उनकी शर्ट के दोनो पल्लों को पकड़ कर पूरी ताक़त से एक झटका दिया. शर्ट के बटन्स पाट-पाट की आवाज़ के साथ इधर उधर उच्छल उच्छल कर गिरने लगे. उनका शर्ट सामने से पूरा खुल चुका था. 

उन्हों ने भी जोश मे आकर मेरे गाउन को गिरेबान से पकड़ कर फाड़ डाला. उन्हों ने मेरे दोनो स्तनो को थाम लिया और उन्हे मसल्ने लगे. मेरे स्तनो को लोगों ने इतनी बेदर्दी से मसला था क़ि जीवन के हाथ लगते ही वो किसी फोड़े की तरह दुखने लगे और मेरे होंठों से दर्द भरी "आआहह" निकल गयी. 

"क्या हुआ?" जीवन ने पूछा. 

" बहुत दुख रहा है. छ्छूने से ही दर्द कर रहा है." मैने उनसे कहा. 

" कैसे? क्या हो गया है?" 

" तुम दूसरी औरतों को चोदोगे तो तुम्हारी बीवी की भी तो किसी और से चुदाई होगी. लोगों ने इतनी बुरी तरह इन चूचियो को मसला की ब्लाउस पहनने मे भी दर्द हो रहा है. दोनो स्तन सूज गये हैं और निपल्स पर तो हल्का घाव भी हो गया है. प्लीज़ कुच्छ दिन इन्हे मत च्छुओ. बाद मे अपने मन का कर लेना. बस दो तीन दिन रुक जाओ. प्लीज़...मेरे सोना..." मैने जीवन से मिन्नतें की. 

"अच्च्छा इतनी देर से मेरी खिंचाई हो रही थी और मेडम खुद जम कर कबड्डी खेल कर आई है. इस बारे मे कुच्छ भी नही बताया मुझे." जीवन ने मुझे कंधों से पकड़ कर अपनी ओर खींचा और मेरे होंठों को चूमने लगे. 

" क्यों बटाऊ? औरतों से कभी सेक्स के बारे मे पूच्छा जाता है क्या. मर्द तो होते ही निर्लज्ज हैं सो अपनी चुदाई की दास्तान चटखारे ले लेकर सुनाने मे उन्हे मज़ा आता है. 

मैने उनके गालों पर अपने दाँत गढ़ा दिए और अपना हाथ नीचे ले जाकर उनके पॅंट के बटन्स और ज़िप खोल कर उनका तननाया हुआ लंड बाहर निकाला. फिर एक झटके से अपने बदन से इकलौते फटे हुए गाउन को निकाल कर दूर फेंक दिया. फिर अपने हाथों से उनके लंड को अपनी योनि पर सेट करके उनकी कमर पर धम से बैठ गयी. उनका लिंग अंदर जाते ही मेरी तीस्ती हुई चूत को आराम मिला. मैने अपनी दोनो हथेलिया उनके सीने पर रख दी और बहुत धीरे धीरे अपनी योनि को उनके लिंग पर उपर नीचे करने लगी. 

मैने अपनी योनि के मसर्ल्स से उनके लिंग को भींच रखा था जिससे उनको भी भरपूर मज़ा आए. कुच्छ ही देर मे दोनो उत्तेजना मे फूँकने लगे तो मैने अपने कमर की स्पीड बढ़ा दी. अचानक मेरे जिस्म मे बिजलियों से दौड़ने लगी. मैने अपने नाख़ून उनके सीने पर गढ़ा दिए और उनके सीने को नोच डाला. अपने दाँतों को भी उनके कंधे पर गढ़ा दिए. मेरी योनि से रस की फुहार छ्छूटने लगी. 

कुच्छ ही पल बाद मैं उनके सीने पर बेजान सी लुढ़क गयी और ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगी. जीवन ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और खुद मेरे उपर सवार हो गये. 

" बस आज रहने दो....बुरी तरह थक गयी हूँ. इतना चूड़ी हूँ इन कुच्छ दिनो मे की चलने फिरने मे ही मेरी जान निकल जाती है. मैं भागे थोड़े ही जा रही हूँ. दो दिन ठहरो फिर चाहो तो पूरे दिन मुझे बिस्तर से मत उठने देना." मैने गिड़गिदते हुए कहा. 

" अच्च्छा खुद का तो निकल गया अब मुझे प्यासा छ्चोड़ रही हो. तुम्हे कोई हरकत करने की ज़रूरत नही है. बदन को हल्का कर के चुप चाप लेटी रहो. मुझे अपनी गर्मी शांत कर लेने दो फिर छ्चोड़ दूँगा." कह कर वो अपने लिंग को मेरी योनि मे अंदर बाहर करने लगे. मैने दर्द से अपने होंठ दाँतों के बीच दबा लिए. 

" प्लीज़ जल्दी निकालो अपना रस." मैने कहा. 

" मुझे बताओ क्या क्या हुया था तुम्हारे साथ फिर देखना उत्तेजना मे कितनी जल्दी झाड़ जाएगा मेरा." उन्हों ने कहा. 

" बाप रे क्या लंड थे उन नीग्रोस के. एक एक हाथ लंबे और इतने मोटे." मैने अपने हाथों से इशारा कर उन्हे दिखाया. 

" जब अंदर ठोकते तो लगता मानो मुझे टाँगों से फाड़ कर दो टुकड़े कर देगा. ऐसा लगता मानो मुँह की तरफ से बाहर निकल आएगा. जान ही निकल कर रख दी थी उन लोगों ने. दिशा का भी यही हाल था. उनसे चुड ने के बाद तो हम दोनो से सुबह बिस्तर से उठा भी नही जा रहा था. रजनी और उसके साथ की लड़कियों ने घंटों भर हम दोनो की योनि की सिकाई की और पेन किलर्स खिलाया तब हम दोनो की उठने जैसी हालत हुई थी. दिशा की चूत तो फाड़ ही डाली थी उन दोनो ने. उस से खून टपका था" मेरे इतना सुनते ही जीवन अपने उपर कंट्रोल नही रख पाया और उसके लिंग से वीर्य की धार से मेरी योनि भर गयी. 

फिर हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर उसी हालत मे सो गये. 


घर वापस लौटने के बाद अचानक मुझे एक प्रॉजेक्ट पर नेपाल भेज दिया गया . मुझे अपना काम ख़त्म करने मे दो महीने लग गये. इस बीच मैं आश्रम और उसके उन्मुक्त महॉल से दूर ही रही. 

वहाँ प्रेस की तरफ से एक कार और ड्राइवर का इंटेज़ाम किया गया था. नेपाली ड्राइवर का नाम था तेजस थापा. तेजस बहुत ही स्मार्ट लड़का था. लड़का ही कहना चाहिए 20-22 साल का गबरू जवान था. देखने मे किसी आम नेपाली की तरह था मगर हॅटा कट्ता और छह फुट के करीब लंबा था. उसकी मुस्कुराहट इतनी प्यारी थी की किसी भी लड़की का दिल जीत सकती थी. 

मुझे वो पहली नज़र मे ही भा गया था. मगर मैं उसे ज़्यादा लिफ्ट नही देना चाहती थी. क्योंकि मैं जानती थी किसी मर्द को लिफ्ट देने का अंत बिस्तर पर ख़त्म होता है और मैं किसी स्कॅंडल से दूर ही रहना चाहती थी. 

ये और बात है कि तेजस मुझ पर डोरे डालने की भरपूर कोशिश करता था. 

जहाँ भी मुझे जाना होता वो साथ जाता. मैने अक्सर देखा था कि वो अपने कार का बाक्व्यू मिरर मेरी चूचियो पर फोकस करके रखता था. मैं उसे और उकसाने के लिए जॅकेट और टी-शर्ट पहनती थी. टी शर्ट के भीतर कुच्छ नही पहनती थी. जब मैं कार मे बैठती तो अपने जॅकेट की ज़िप खोल देती थी. टी शर्ट्स टाइट होने की वजह से स्तनो के ऊपर चंदे की तरह चिपक जाती थी. टी शर्ट के उपर से मेरे दोनो स्तन और निपल्स सॉफ नज़र आते थे. ब्रा मे कसे नही होने की वजह से कार के हर झटके के साथ मेरे स्तन डॅन्स करने लगते थे. उनकी हरकतों को देख कर मैं दावे के साथ कह सकती हूँ की उसका लंड चुप नही बैठ पाता होगा. 

मुझे तो हर वक़्त यही डर लगा रहता था कि वो मेरे स्तनो को देखने के चक्कर मे उन पहाड़ी रास्तों पर कार का बॅलेन्स ना खो बैठे नही तो हम दोनो की हड्डियों का भी किसी को पता नही चल पाता. 

हम दोनो ढेर सारी बातें करते रहते थे. कई बार हमारी बातें रोमॅंटिक और अंतरंग हो जाती थी. कई बार हम एक दूसरे के पर्सनल जीवन मे भी झाँकने लगते थे. वहाँ रहने के दौरान हम काफ़ी घुल मिल गये थे. 

उसकी शादी भी हो चुकी थी. उनके यहाँ बचपन मे ही शादियाँ हो जाती थी. उसने एक बार अपनी से भी मुझे मिलवाया. किसी सुंदर गुड़िया की तरह लगती थी. उसकी पत्नी 
क्रमशः.......
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12-10-2018, 02:42 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -79 

गतान्क से आगे... 
मैं उसे लिफ्ट ज़रूर दे रही थी मगर उसकी लिमिट मैने वापस लौटने वाले दिन से पहले क्रॉस नही की. 

अक्सर जांघों के बीच सिरसिराहट मुझे वापस लौटने का आग्रह करती थी. एक अरसा बीत चुका था किसी मर्द के बदन की सुगंध अपने नथोनो मे भरे हुए. किसी मर्द के चड़े सीने पर अपने खड़े और कठोर निपल्स रगडे हुए. अपनी योनि मे किसी मजबूत लंड का ठोकर खाए हुए. जैसे तैसे मैने अपना काम ख़तम किया. काम ख़त्म कर मैने घर लौटने का प्लान बनाया. 

जब मैने ये बात तेजा को बताई तो उसकी आँखें भर आई. उसके आँखों से आँसू टपक पड़े. 

" रोको गाड़ी रोको." मैने उससे गाड़ी रुकवाया और पिच्छली सीट से सामने उसकी बगल वाली सीट पर आ गयी. मैने उसके सिर को पकड़ कर अपने सीने पर दबा दिया. 

" मर्द हो कर इस तरह रोते तुमको शर्म नही आती." मैने उससे कहा," मैं तुम्हारी लगती ही कौन हूँ? हां ये ज़रूर है की इन कुच्छ ही दिनो मे हम एक दूसरे के काफ़ी करीब आ गये थे. मगर सब अच्छि चीज़ों को एक दिन ख़त्म तो होना ही पड़ता है ना. देखो तुम्हारी इन हसीन यादों को लेकर मैं घर जाउन्गी. तुम मुझसे जब चाहे फोन पर कॉंटॅक्ट कर सकते हो. फिर कभी यहाँ आना हुआ तो हम फिर मिलेंगे." मैं उसके बालों मे अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी. इस तरह इतने प्यारे आदमी को रोते देख मेरी भी आँखे छलक आई. 

" देखो तुम मुझे चाहने लगे हो ना. मैं भी तुम्हे पसंद करने लगी हूँ. मगर हम दोनो ही अलग अलग लोगों से बँधे हुए हैं इसलिए……खैर छ्चोड़ो. आज तुम्हे प्यार करने को दिल चाह रहा है. तुम हो ही इतने अच्छे." कह कर मैने उसका आँसुओं से भरा चेहरा उठाया और उसके होंठों को चूमने लगी. ऐसा लगा मानो इतने दिनो से जमा लावा फुट कर बाहर निकल आया हो. मेरे एक बार उसको चूमने से ही वो मुझसे बुरी तरह से लिपट गया और मेरे पूरे चेहरे को चूम चूम कर गीला कर दिया. 

" बस बस….तेज...तेज..अपने उपर कंट्रोल करो. खुले रास्ते मे इस तरह की हरकतें अच्छि नही है. चलो मुझे होटेल ले चलो. पॅकिंग भी करनी है कल सुबह फ्लाइट पकड़नी है." मैने उसके चेहरे को अपने चेहरे से हटाते हुए कहा. 

वो चुपचाप सीधा होकर बैठ गया और कार स्टार्ट कर आगे बढ़ा. पूरे रास्ते हम चुप चाप अपने अपने ख़यालों मे डूबे रहे. उस वक़्त शाम के आठ बज रहे थे. 

तेज ने चुपचाप होटेल के सामने गाड़ी रोकी. उसके चेहरे पर उसकी भावनाओं का अक्स उतर रहा था. 

" मेडम कल सुबह कितने बजे आना है? कितने बजे की फ्लाइट है?" उसने पूछा. मैं कार से उतर कर दरवाजे को बंद की फिर घूम कर उसकी तरफ आइ. 

" क्यों अभी कहाँ जा रहे हो? मुझे समान पॅक करने मे हेल्प नही करोगे?" मैने उसकी ओर देख कर मुस्कराया. 

" पॅकिंग? म्‍म्माई…?' वो मेरे इन्विटेशन को सुनकर हड़बड़ा गया. 

" आओ ना…. आज ढेर सारी बातें करेंगे……प्लीज़." मैने कहा तो वो ऐसा खुश हुआ मानो उसे अपनी मन चाही मुराद पूरी होती हुई दिखी. वो झट से अपनी कार को पार्किंग मे लगा कर बाहर आ गया. 

उसने मेरे हाथों से मेरी फाइल्स ले ली और मेरे पीछे पीछे कमरे पर पहुँचा. 

" तुम बैठ कर कुच्छ देर टीवी देखो मैं अभी फ्रेश होकर आती हूँ. आज दोनो साथ ही किसी अच्छे रेस्टोरेंट मे जाकर खाना खाएँगे. घर पर फोन कर दो की लेट हो जाओगे." मैं उसे वहीं छ्चोड़ कर अपने बेडरूम मे गयी. अपने सामान मे से डिन्नर के लिए पहनने के लिए कुच्छ ढूँढने लगी. तभी मेरी नज़र एक मिनी स्कर्ट पर टिक गयी. अचानक मेरे होंठों पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ गयी. 

मैने तुरंत स्कर्ट की बाहर निकाला. वो स्कर्ट जीवन ने मुझे हनिमून पर खरीद कर दी थी. उस स्कर्ट को मिनी नही बल्कि माइक्रो कहना ही उचित होगा. वो बस इतनी ही लंबी थी कि मेरी पॅंटी ढँक सके. मैने उसके साथ पहनने के लिए एक स्लीव्ले टी शर्ट छाँट निकाली. अंदर पहनने की लिए एक बहुत ही छ्होटी और नेट वल पॅंटी और वैसी ही ब्रा निकाली. 

उन कपड़ों को लेकर मैं उठी और बाथरूम की ओर जाने लगी तभी फिर से दिमाग़ मे एक शरारत सूझी और मैने अपनी ब्रा को वापस सूटकेस की ओर उच्छाल दिया. 

मैने बाथरूम मे फ्रेश होकर उस आउटफिट को पहन लिया. मैने टी शर्ट के भीतर ब्रा नही पहनी थी. टी शर्ट टाइट होने के कारण मेरे जिस्म से एकदम चिपक सा गया था. मेरे जिस्म के एक एक कटाव बहुत ही आकर्षक तरीके से उभर कर सामने आ रहे थे. 

मैं अपने आप को आईने मे दो पल निहारा फिर एक ज्ज़ोर के झटके से अपनी जगह पर गोल घूम गयी. मेरे तेज़ी से घूमने से मेरी स्कर्ट हवा मे किसी च्छतरी की तरह फूल कर उपर हो गयी और मेरी पारदर्शी पॅंटी पूरी तरह से नज़र आ गयी. 

आज मैं पूरे मूड मे आ चुकी थी और. अब काम का टेन्षन ख़त्म हो जाने की वजह से आज की रात मैं किसी बंधन मुक्त चिड़िया की तरह उड़ना चाहती थी. मैं आज जी भर कर मज़ा करना चाहती थी. यहाँ पर मुझे कोई नही पहचानता था इसलिए आज की रात मैं सारी हदें पार करना देना चाहती थी. 

मैं उस अवस्था मे बाहर आइ तो मुझे देख कर तेज का मुँह खुला का खुला रह गया. 

" आ…..आप इस तरह बाहर जाना चाहती हैं?" तेजस मुझे झिझकता हुआ देख रहा था. 

मैं उसके सामने जाकर खड़ी हो गयी. अपनी टाँगों को थोड़ा फैलाया और कमर पर हाथ रख कर अपनी चूचियो को कुच्छ और उभारा. 

" क्यों? क्या मेरी ड्रेस ठीक नही है?" मैने इठलाते हुए उससे पूछा. 

" नही…..ठीक है…..आप पर बहुत जच रही है….मगर मुझे दूसरों की चिंता हो रही है. कहीं काठमांडू मे करफ्यू ना लग जाय." उसने मुझे नीचे से उपर तक दोबारा निहारा. ख़ास कर मेरी उभरी हुई चूचियो को और कपड़ों के भीतर से उभरे हुए मेरे बड़े बड़े निपल्स पर आ कर उसकी नज़रे मानो चिपक सी गयी. 

"ठीक है अगर तुम कहते हो तो मैं इसके उपर जॅकेट पहन लेती हूँ." कहकर मैने अपनी टी-शर्ट के उपर एक जॅकेट पहन लिया. 

"अब तो ठीक है ना?" मैने पूछा तो उसने सहमति मे सिर हिलाया. 

मैने तेज की बाँहों मे अपनी बाँहें पिरो कर उसे सोफे से उठाई. 

" चलो देर मत करो आज मैं फ्री हुई हूँ अपने काम से इसलिए आज मैं भरपूर एंजाय करना चाहती हूँ." मैने उसे उठा कर उसकी बगल मे बाँहे पिरोइ और हम कमरे से निकले. 

" तुमने घर फोन कर दिया था ना?" 

" हां जैसा आपने कहा था मैने अपनी बीवी को कह दिया था कि लेट हो जवँगा. मेरा इंतेज़ार ना करे मैं खाना खा कर ही ओँगा." 

" ह्म्‍म्म्म……क्या कहा उसने?" मैने उससे पूछा. 

" कुच्छ नही क्या कहती….. ये कोई नयी बात तो है नही. कई बार क्लाइंट्स के चक्कर मे रात भर भी घर नही जा पाता हूँ. वो सब समझती है." उसने कहा. हम होटेल से बाहर किसी नये कपल की तरह आए. मैने उसकी बाहों मे अपनी बाहें डाल रखी थी. 

" तुमने बताया नही की मैं कैसी लग रही हूँ. " कहते हुए मैने उसकी कोहनी को खींच कर अपने एक स्तन पर दबाया. मेरी उस तरह की उन्मुक्त हरकत की उसने कल्पना नही की थी इसलिए वो हड़बड़ा गया. 

" आपप….आअप की तारीफ और क्या कर सकता हूँ….ऐसा लग रहा है मेरी बगल मे कोई आसमान से उतरी परी हो." मैने उसकी ओर देख कर मुस्कुरा कर उसका होसला बढ़ाया. 

उसने इस बार पीछे का दरवाजा ना खोल कर अपने बगल वाले दरवाजे को खोला. 

" ए ड्राइवर……कोई अपनी मालकिन को बगल की सीट पर बैठता है क्या? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे अपनी बगल की सीट पर बैठने के लिए कहने की. कार मे पास वाली सीट पर लोग अपनी माशूका को बिठाते हैं." मैने उसको छेड़ते हुए मुस्कुराते हुए कहा. 

" आज इस ट्रिप के मैं आपसे पैसे थोड़े ही ले रहा हूँ. इस वक़्त मैं आपको अपना एक दोस्त मान रहा हूँ. और दोस्त तो पास ही बैठते हैं." वो बेचारा घबराहट मे पसीने पसीने हो रहा था. 

" सिर्फ़ दोस्त……उससे ज़्यादा तो नही सोच रहे ना कुच्छ?" मई उसे और च्छेदे जा रही थी. 

" ज्जज्ज…जीई नहियिइ…..मुझमे इतनी हिम्मत नही की मैं और कुच्छ सोच सकूँ." 

" ठीक है चलो…..मुझे यहाँ के एक अच्छे रेडी मेड गारमेंट की दुकान पर ले चलो." 

क्रमशः.......
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