Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:18 AM,
#41
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
इधर किशन के कमरे में
किशन और रानी साथ ही लेटे थे,
“भाई सुमन कुछ खास खुस नही लग रही थी बात क्या है ,कोई परेशानी तो नही हो गई तुम दोनो के बीच ,,,”
“नही जान ऐसा तो कुछ भी नही हुआ है,मैंने भी ये देखा की वो पहले की तरह नही दिख रही थी,”
“पर क्या हो गया है उसे”
“मुझे क्या पता यार”
तभी सुमन उसके कमरे के बाहर से गुजरती है और वो किशन और रानी के बातो में अपना जिक्र पाकर रुक जाती है,वो हल्के से खुले हुए दरवाजे को धकेलती है और वो दरवाजा खुलता जाता है,दोनो ही सुमन को यहां देखकर चौक जाते है,और उन्हें देखकर सुमन भी चौक जाती है,कारण था सुमन का कपड़ा...जो कपड़ा वो पहनी थी वो बिल्कुल ही पारदर्शी था और उससे उसके अंगों का हर कटाव दिख रहा था,वो भी एक नाइटी था,रानी निधि और सोनल जितनी गोरी और भरीपूरी तो नही थी पर वो भी जवानी के दहलीज पर थी और उसके बदन से चम्पा की जवानी वाले दिनों की याद आ जाती थी,उज्जवलता और कौमार्य की मसुमता दोनो ही उसके चहरे पर खिले होते थे,जिन अंगों को खेलने के लिए कोई भी मर्द बहक जाय वो मतवाले अंग जवानी की खूबसूरती से नही बच सकते,यही कारण था की रानी भी उन कपड़ो में किसी परी से कम नही लग रही थी और किशन अपना प्यार उस परी पर लूटाने को बस एक निकर में तैयार बैठा था,उसका बदन ऊपर से पूरी तरह वस्त्र विहीन था,और उसे देखकर तो सुमन भी थोड़ी शर्मा गयी थी,
रानी थोड़ी सम्हलकर 
“आओ भाभी जी ,आखिरकार भैया की याद आपको आ ही गयी ,”
वो उठाकर सुमन की ओर बढ़ती है ,और सुमन के छाती से लग जाती है,सुमन को उसके उजोरो का पता साफ चलता है ,वो फिर के एक आश्चर्य में पड़ जाती है की ये तो किशन को भी हो रहा होगा,रानी ने पतले से नाइटी ने अंदर कुछ भी नही पहना था और उसके एक एक अंगों का आभास सुमन को साफ हो रहा था,कोई भी बहन अपने भाई के साथ ऐसे कैसे सो सकती है,सुनम के तो समझ के बाहर थी ,वो रानी से अलग होती है ,
“अच्छा भैया अब भाभी जी आ गयी तो मैं चलती हु “ वो जाने को हुई पर किशन ने दौड़कर उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया 
“अरे तेरी भाभी का कोई भरोषा थोड़ी है की वो कितने देर मुझसे नाराज हो जाय ,तू रुक और मेरे साथ ही सोना आज कितने दिन हो गए तेरे साथ सोए …”
सुमन फिर से चौकी ये इस हालत में किशन के साथ सोने वाली थी,उसे थोड़ी जलन भी होने लगी ,लेकिन आखिरकार वो दोनो भाई बहन थे और उनके रिस्ते पर शक करना अजीब था,लेकिन वो भी तो किशन की बहन थी …..
ये खयाल आते ही सुमन का चहरा उतारने लगा...जिसे देख कर किशन उसके पास आया और उसे अपनी बांहो में ले लिया ,
“क्या हुआ मेरी जान मैं तो बस मजाक कर रहा था,तुम आज क्यो ऐसे उदास हो,नाराज हो क्या मुझसे,...”
सुमन उसे देखती है और फिर से उसके बांहो में आ छुपती है…
“नही लेकिन कुछ सही नही लग रहा है,एक अजीब से घबराहट मेरे मन में छा रही है,”
“कुछ भी तो नही हुआ है सब तो ठीक है,”
रानी दोनो को ऐसे देख कर वहां से जाने लगती है,किशन उसका हाथ पकड़कर रोक लेता है,
“रुक जाओ आज साथ ही सोते है,”किशन रानी और सुमन को अपने बिस्तर में ले जाता है और दोनो के बीच खुद भी सो जाता है,दोनो ही उसे जकड़कर उसकी छाती में सर रख लेते है,....किशन दोनो के गालो पर प्यार से किस करता है और दोनो बदले में उसे साथ ही किस करते है,....
रात चढ़ने लगती है और सुबह की पहली किरण आने के इंतजार में थी,सुमन की नींद खुलने पर वो चौक जाती है,रानी की नाइटी उसके कमर के ऊपर थी और उसकी पतली सी पेंटी से उसके गोल गद्देदार नितम्भ झांक रहे थे,वही किशन रानी की तरफ ही करवट लिए लेटा था,उसके हाथ रानी के नग्गे कमर पर थे ,दोनो के ही कमर चिपके हुए थे,रानी के पाव भी किशन के कमर से लिपटे थे,ये देखकर सुमन एक अजीब से जलन से भर गयी उसे ये बिल्कुल भी पसंद नही आ रहा था,वो किशन को अपनी ओर खिंचती है,वो नींद में ही था,लेकिन उसके खिंचने से उसकी नींद हल्के से टूट गयी,वो उसका हाथ पकड़कर अपने कमर में लगा देती है,किशन हल्की रोशनी में उसका चहरा देखता है और उसके होठो पर एक मुस्कान आ जाती है वो उसके कमर को पकड़कर अपनी ओर खिंचता है,सुमन उसके ओर खिंची चली जाती है,सुमन ने सलवार कमीज पहन रखी थी जो थोड़ी ढीली सी थी ,किशन उसके पिछवाड़े में हाथ फिरता है ,सुमन के मुह से एक आह निकलती है और वो उससे अलग होने की कोशिस करती है पर किशन फिर से थोड़ा जोर लगता है और उसे अपनी ओर खिंच लेता है,वो अपने सर को उठाकर सुमन के होठो में अपने होठो को रख देता है,कुछ देर तो सुमन अपना सर इधर उधर हटाती है फिर वो अपने होठो को खोलकर उसके जीभ को अपने मुह में प्रवेश दे ही देती है,दोनो के जीभ मिलते है और वो एक दूजे को और भी कस कर जकड़ लेते है,किशन अपने हाथ सुमन के पीछे ले जाता है और सुमन भी उसके बालो में अपने हाथ फंसा लेती है,दोनो ही एक दूजे में खो जाते है और प्यार की गहराई का अहसास करने लगते है,
होठ दोनो के ही गीले थे,और जस्बात का एक उफान दिलो में था,
किशन का हाथ फिर से उसके कमर से होता हुआ उसके नितम्भो पर पहुचता है पर इस बार सुमन मना नही करती और किशन उसे जोर जोर से मसलने लगता है,सुमन के मुह से आहे फुट पड़ती है और किशन का लिंग उसकी अहो को सुनकर फुंकार मारने लगता है,उसके कड़ेपन का आभास सुमन को अपने योनि के ऊपर होता है और जैसे उसकी सांसे ही रुक जाती है वो अपने को किशन से अलग करने की कोशिस करती है पर वो उस उन्माद में इतना जोर ही नही लगा पाती की उससे अलग हो जाय…..
किशन फिर से उसे अपनी ओर खिंचता है और इस बार वो अपना लिंग उसकी योनि के ऊपर थोड़ा रगड़ भी देता है,सुमन फिर से थोड़ा छटपटाती है फिर एक झूठा गुस्सा किशन पर दिखाते हुए उसके पीठ पर मुक्का मरती है ,लेकिन शरीर की कहानी तो कुछ और ही थी उसकी योनि से रस की धार निकालनी शुरू हो चुकी थी ,वो एक आनंद की दुनिया में थी जिससे वो अब तक अनजानी ही थी,वो भी अपने पैरो को किशन के कमर पर जकड़ने लगती है पर किशन मौका देख उसके सलवार के नाड़े को खोल देता है ,सुमन को उस उन्माद में इसका पता भी नही चलता ,लेकिन जब चलता है तो देर हो चुकी होती है ,किशन उसके सलवार को नीचे कर चुका था,अब तक सुमन के पैर किशन के कमर पर लिपट चुके थे और सलवार उसके घुटनो के नीचे चला गया था,वो अपने पैरो को खोलने की कोशिस करती लेकिन किशन तो अपने पैरो के उसके पैरो को जकड़ चुका था,
“नही ना ….”वो बस इतना ही बोल पाई थी की किशन ने फिर से अपने होठो को उसके होठो से लगा लिया और सुमन फिर से अपनी दुनिया में खो गई ,उसे होश तब आया जब उसे एक ताजा सा मूसल उसके योनि में रगड़ खाने का अहसास हुआ,किशन अपने निकर को सरका चुका था और अपने लिंग को आजाद कर सुमन के पेंटी के ऊपर से ही रगड़ रहा था,उसकी योनि के गीलेपन के कारण पेंटी का वो हिस्सा भी भीग चुका था,और ये अहसास किशन को हो रहा था,भले ही ये सुमन के लिए नई बात हो पर किशन तो इस खेल का पुराना खिलाड़ी था…..
“हे भगवान ये आप क्या कर रहे हो …”सुमन की सांसे पूरी तरह से उखड़ी हुई थी..
वो अपने को छुड़ाने को थोड़ी छटपटाई पर किशन ने उसे ऐसे जकड़ा था की वो असफल ही हुई,उसने आखिरकार वो कर दिया जिसका डर सुमन को था,वो पेंटी के एक सिरे को उसके योनि से हटा कर उसपर अपने लिंग को रगड़ दिया,,,,,वो बहुत ही जोर से छटपटाई और इससे रानी की नींद ही खुल गयी…
“मैंने कहा था ना की शादी से पहले कुछ भी नही ,प्लीज् नआआआआ “
रानी तब तक उठ चुकी थी ..
“आप लोगो को शर्म वर्म है की नही बहन बाजू में सोई है और आप चालू हो गए,बोल देते अपने रूम में चली जाती “
वो अपने आंखों को मलते हुए बोलती है,किशन की हालत खराब हो गई और जिसे ही उसकी पकड़ ढीली हुई 
“हे भगवान ,”सुमन किशन को झटके से पीछे करते हुए अपने कपड़े सम्हालते हुए वहां से भागी ,उसका चहरा शर्म से पूरी तरह लाल हो चुका था..
किशन भी अपने लिंग को जल्दी से अंदर करता है,सुमन के जाने के बाद वो उसे शिकायत के भाव से देखता है और रानी हस्ते हुए उसे देखने लगती है…
“बहुत जल्दी है भईया “
“तेरी तो “
किशन रानी के ऊपर कूद जाता है ,उसका लिंग अभी भी ताना हुआ था और रानी के कमर से कपड़ा अभी भी उठा हुआ था,उसकी पेंटी तो सुमन से भी छोटी थी,किशन का लिंग अनायास ही उसकी पेंटी के ऊपर से योनि पर रगड़ खाता है,
“आउच गर्लफ्रैंड की हवस बहन पर निकलोगे क्या”रानी उसके पीठ को मरते हुए कहती है,
“ये हवस नही जान ये तो मेरा प्यार है,”
किशन उसे हँसते हुए देखता है वो भी उसे देखकर मुस्कुराती है और दोनो के होठ मिल जाते है….दोनो एक दूजे के बांहो में पड़े हुए फिर से नींद के आगोश में चले जाते है….
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12-24-2018, 01:18 AM,
#42
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
जुनून प्यार या हवस,जो भी हो एक रात तो इन सबमे ही चली गई,सुबह सभी को इंतजार था,इंताजर इस पीढ़ी को एक दूसरे से मिलाने का था,वीर ,बाली,गजेंद्र,महेंद्र के बच्चे अपने भाई बहनों से मिलने को बेताब थे,ठाकुरो की हवेली तो दुल्हन की तरह से सजी हुई थी,मेहमानों का आना जाना सुबह से शुरू हो चुका था,सभी व्यस्त थे अपने अपने कामो में लगे हुए थे.सीता मौसी अपने बच्चे से मिलने को बेताब थी तो सुशीला अपने पति से….वही तिवारियो की हवेली में भी हलचल सुबह से ही थी,सभी लोग तैयार बैठे थे,लेकिन एक शख्स की धड़कने बड़ी हुई थी वो थी खुसबू...उसे ये सोचकर ही डर लग रहा था की जब नितिन और सोनल को पता लगेगा तो अंजाम क्या होगा,के ये भी पता था की उनके बारे में विजय को भी पता चल चुका है,विजय का रिएक्शन कैसा होगा….और सबसे ज्यादा अजय ...आज वो अजय से मिलने वाली थी,सोनल भी उसे अजय के नाम से चिढ़ाने लगी थी,लेकिन जब उसे पता लगेगा की वो उसके बुआ का ही लड़का है तो क्या रिएक्शन होने वाला है ये सोचकर ही उसका दिल जोरो से धड़क रहा था…..
आखिरकार सभी तैयार होकर वहां पहुच जाते है,,,जोरो से उनका स्वागत होता है….सभी बच्चे..
तिवारी परिवार का परिचय एक बार और दे देता हु…
दादा रामचंद्र,उसके 3 बेटे,गजेंद्र,महेंद्र और वीरेंद्र..वीरेंद्र मर चुका है,गजेंद्र के दो बच्चे -नितिन और खुसबू,महेंद्र के 3 -राकेश ,भूमिका,और धनुष ….
तीनो भाइयो की पत्नियां भी साथ आयी थी लेकिन उनका नाम समय पर ही बताऊंगा…
गाड़िया रुकती है और सभी बाहर आते है ,उनके हाथो में बड़े बड़े गिफ्ट के पैकेट थे,और आंखों में अपार खुशी...ठाकुरो का परिवार भी आरती और फूल मालाएं पकड़े उनका स्वागत करता है,तभी नजरे मिलती है और कुछ चहरो से खुशी अचानक ही गायब हो जाती है,हँसने की आवाजे तो ऐसे चारो ओर फैल रही थी पर फिर भी एक शांति सी कुछ मनो में चल रही थी,उन्हें समझ ही नही आ रहा था की कैसे रिएकट करे …
तभी अचानक अजय की नजर खुसबू पर पड़ती है और वो उसे पहचानने की कोशिस करता है,और तभी निधि की आवाज आती है,....
“अरे आप तो वही है ना वो पब वाली...जो अजय भइया को लाइन मार रही थी…आप तो सोनल दीदी की सहेली है ना …”
चहरो पर पसीने आ जाते है और अजय को भी सब याद आता है ,वो निधि के माथे में एक चपत मरता है,
“कुछ भी बोलती है,”
चोरी पकड़े जाने पर अनजान बनने की जरूरत अब किसी को भी नही थी,सोनल और खुसबू गले मिलते है वही रानी और भूमिका भी ,एक दूसरे से गले मिलते है,सोनल नितिन को हल्के से हाय कहती है,लेकिन जब बात विजय और नितिन की आती है तो विजय अब भी फैसला नही कर पा रहा था की वो क्या करे….नितिन अपना हाथ विजय की ओर बढ़ाता है,लेकिन विजय बस उसे घूरे जा रहा था…
तभी एक हाथ पीछे से विजय के कंधे पर आता है...वो बाली था.
“बेटा हमारे बीच जो भी गलतफहमियां थी उसे छोड़कर अब हाथ मिलने का समय आ गया है,ये तुम्हारा भाई है,इससे हाथ मिलाओ ...विजय की इस हरकत से सभी थोड़े स्तब्ध थे,अजय को भी ये समझ नही आ रहा था की विजय ऐसा क्यो कर रहा है,लेकिन सोनल और नितिन और खुसबू सब कुछ समझ रहे थे,विजय जैसे अचानक ही तंद्रा से उठता है,वो सीधे सोनल की ओर देखता है,सोनल हल्के से अपना सर सहमति में हिलती है और विजय नितिन के आंखों में देखता हुआ उसके हाथो से अपना हाथ नही मिलता बल्कि सीधा उसके गले से लग जाता है,सभी को इससे सकून आता है,और विजय नितिन के कानो में हल्के से कहता है…
“मुझसे अकेले में मिलना “
नितिन कुछ भी नही बोल पता उसकी खामोशी ही असल में उसकी हा थी,स्थिति कुछ अजीब सी तो थी लेकिन सभी उसे सम्हालने में लगे थे….
“कुदरत का करिश्मा देखो सभी भाई -बहन एक ही जगह पर पढ़ रहे थे और ना इन्हें कुछ पता था ना ही हमे ,,,चलो अच्छा है ये एक दूसरे को पहले से ही जानते है…”
गजेंद्र ने कहा….अजय ने सभी को अंदर बुलाया ,और फिर मेहमान ,खाना, परिचय, और भी बहुत कुछ सबसे ज़्यादा इंजॉय धनुष और निधि कर रहे थे,सभी उनपर जी भरकर प्यार भी लुटा रहे थे,सुमन का भाई वरुण जैसे इन सबसे अछूता अकेले बैठा था उसे तो अपने पिता से मिलने की भी कुछ खास खुसी नही हुई,उसे ये सब ऐसा लग रहा था जैसे की सब दिखावा हो रहा है,निधि और धनुष ने उसे कई बार पकड़कर ले जाने की कोशिस की ,कभी उसे डांस करने की कोशिस करते तो कभी उसे किसी गेम में पार्टिसिपेट कराने की कोशिस करते लेकिन वो साला पूरा सुस्त आदमी था,उसे अपनी किताबे ज्यादा याद आ रही थी और उसकी मा ने उसे सख्त हिदायत दे रखी थी की आज पढ़ाई नही करेगा...उसे असल में सबपर ही बहुत गुस्सा आ रहा था,उसे ये सब सिर्फ वक़्त की बर्बादी ही लग रही थी,वो बेचारा करता भी तो क्या,आज इतने सालो के बाद एक आदमी उसपर इतना प्यार देखके कहता है की वो उसका बाप है,उसे तो बचपन से ही बस अपनी माँ और बहन का पता था,और पता था तो बस इतना की जिंदगी कितनी कठिन है,मुफलिसी क्या होती है,जमाने की सामने जब कोई आपकी जवान बहन को जलील करता है ,मा को गली देता है तो वो दर्द क्या होता है,छोटी सी उम्र में ही उसे वो पता चला जो शायद लोगो को अपनी जिंदगी भर में पता नही चलता ,वो था दर्द एक अजीब सा दर्द ,जब से उसे समझ आयी थी उसे बस इतना ही समझ आया की दर्द क्या होता है और जीने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है….और उसे ये ही बताया गया था की उसे पढ़ना है इतना की वो अपनी बहन और माँ की अच्छे से परवरिस कर सके,उनकी जिम्मेदारी उठा सके…
वो जिम्मेदारी का अहसास उसमें बचपन से भर दिया गया था,सुमन उसे कभी भी कोई काम नही करने देती सब कुछ उसने अपने ही नाजुक कंधों में उठाया था,क्योकि वो चाहती थी की वो अपने भाई को खूब पढ़ाये और खूब बड़ा आदमी बनाये,उसकी मा लगभग उसे ये अहसास दिलाती की देख तेरी बहन कितनी मेहनत करती है सिर्फ इसलिए की तू पढ़ सके ….और इसी सब बातो का असर ये था की उसके लिए अगर जीवन में कुछ सबसे जरूरी था तो वो था पढ़ाई ….शायद सुशीला और सुमन भी ये कभी ना समझ पाते की वो वरुण को क्या बना दिए है,वो जज़्बातों से कोसो दूर हो चुका था,क्योकि उसे बचपन से भावनाओ से दूर रहना ही सिखाया गया था,नही तो शायद वो अपनी माँ और बहन की हालत को देखकर कुछ गलत रास्तो पर निकल पड़ता...बहुत ही खूबी से उसे पाला गया था और यही अब उसके लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गयी थी,सुमन और सुशीला भी समझ नही पाते थे की इसे इस माहौल में कैसे ढाले वो तो अब भी वही पुराना वरुण था जो झोपड़ों में पला था,ऐसा नही था की वो संवेदनहीन हो उसे भी दुनिया की समझ थी पर एक अजीब सा डर उसे घेरे रहता एक असुरक्षा की भावना….की ये जो सब अच्छा है वो खत्म हो जाएगा और उसे फिर से वही जाना पड़ेगा जहा से वो आया है और इसलिए उसे पड़ना है और कुछ ऐसा बनाना है की वो अपनी माँ और बहन को एक अच्छी सी जिंदगी दे सके जो किसी की खैरात ना हो जो उनकी हो ….
और ये उसका बाप जो ना जाने कहा से अभी अचानक ही प्रगट हो गया है,क्या पता फिर से वो कब यहां से चला जाएगा…और आज माँ को क्या हो गया है हमेशा तो खुद ही कहती थी की तू बस पढ़ यही हमारी जिंदगी बदलेगा और अब पुस्तक से ही दूर कर दी….
वो बेचारा अपने सोच में बैठा हुआ था,एक कोने में एक कुर्सी में,उसने कभी भी कोई ढंग का कपड़ा भी तो नही पहना था और आज उसे जबरदस्ती कोई महंगा सा जैकेट पहना दिया गया था वो इसमें भी बहुत ही अनकंफर्टेबल फील कर रहा था ,
तभी उसके पास एक अधेड़ उम्र की एक औरत आकर बैठी ,
“हैल्लो ,क्या नाम है तुम्हारा,तुम बजरंगी भइया के बेटे हो ना,कितने क्यूट हो…”
उस महिला ने उसके गालो को खिंचा और वो गुस्से से उसे देखा ,सफेद साड़ी में लिपटी हुई वो महिला,वरुण शायद उसके हुस्न की कदर ना जानता हो पर वो बहुत ही खूबसूरत थी,मांग में सिंदूर नही था,हाथो में कुछ ही चूड़ियां थी वो भी सादी ,एक पतली सी घड़ी,और चहरे से बहुत सी शालीन और पढ़ी लिखी लग रही थी,गोरा रंग पर कोई भी श्रृंगार नही ,उज्वल चहरा ,और भरा हुआ शरीर ,लेकिन वरुण ने तो शायद उसके चहरे को ही देखा वो भी गुस्से से और वो फिर से आगे देखेने लगा..
“अरे बहुत गुस्से में दिख रहे हो ,आदत डाल लो तुम्हे मेरे ही साथ रहना है,”वो खिलखिलाती है और उसके कसे हुए सुंदर दांतो की पंक्तिया चमक उठती है,
वरुण भी उसे घूरकर देखता है,
“हा तुम्हारी माँ और तुम अब बजरंगी भइया के साथ ही रहोगे ना ,तो मुझसे दोस्ती कर लो मैं तुम्हारे काम आऊंगी “
वो हँसते हुए उसके सामने अपना हाथ बढ़ाती है पर वरुण कोई भी इंटरेस्ट नही दिखता …
“और मैं तुम्हे पढ़ाऊंगी भी,मुझे सब आता है,जो तुम्हे सीखना है “इस बार उसकी बात में थोड़ी शरारत और थोड़ी मदहोशी भी थी जिसे वरुण समझ ही नही पता लेकिन उसके चहरे को वो एक बार फिर से देखता है उसे अपने स्कूल टीचर की याद आ जाती है और वो खुस होकर उससे हाथ मिलता है,चलो कोई थो था जो उसे पढ़ाई की बातें कर रहा था….
तभी बाली और बजरंगी मंच पर चढ़ते है ,और बाली माइक पकड़कर सुमन और किशन की सगाई की अलाउंसमेन्ट कर देता है,सभी खुस हो जाते है,सुमन और किशन को स्टेज में बुलाया जाता है,सुमन इधर उधर देखती है उसे वरुण एक कोने में बैठा दिखता है,वो पहले दौड़कर वरुण के पास आती है ,
“अरे मेरे साथ चल आज मेरी सगाई है और तू यहां बैठा है,”
वो उसका हाथ पकड़कर उसे खड़ा करती है वरुण बड़े ही बेमन से खड़ा होता है,
“चाची जी आप भी चलिए ना …”
वो उस महिला को देखकर कहती है,
“हा बेटा तुम चलो मैं आती हु”सुमन वरुण को लेकर वहॉ से चली जाती है और वो महिला उन्हें जाते हुए देखती है,उसकी आंखों से शायद कोई भारी दर्द फूटने को होता है पर वो जैसे तैसे उस दर्द को सम्हालती है,उसके चहरे पर खुसी तो आ ही नही पा रही थी ,पर वो अपने आंसुओ को निकलने से जैसे तैसे रोकती है,और स्टेज की तरफ देखने लगती है,इस भीड़ में कोई ऐसा नही था जिसे उसकी फिकर थी,सभी अपने बच्चों के साथ खुस थे ,हा ये उसका ही परिवार था लेकिन शायद सिर्फ कहने को….
ये महिला वीरेंद्र की विधवा थी,...नाम था आरती,,,
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12-24-2018, 01:19 AM,
#43
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
इधर समारोह पूरे सबाब पर था और इधर दिलो में भी आग सी लगी थी,नितिन खुसबू और सोनल को इशारा करता है,और सोनल विजय को सभी के दिलो की धड़कने बढ़ी हुई थी,सभी विजय के रूम में चले जाते है,विजय जब पहुचता है तब तक सोनाल खुसबू और नितिन पहुच चुके होते है,सभी बैठ कर एक दूजे को देखरहे होते है,शमा गंभीर सा था…..
विजय भी कमरे में आता है,और आते ही सीधे नितिन के गले को पकड़ लेता है….
“साले प्यार के नाम पर तूने इतना बड़ा धोखा दिया…”
सोनल और खुसबू इससे डर गए साथ ही नितिन भी घबरा गया...सोनल दौड़कर विजय के पास पहुचती है,
“विजय ये क्या कर रहा है,”
“इसने …..इसने तेरे प्यार से खेला है सोनल,इसे पता था की तू कौन है और ये….”
“इसे कैसे मालूम होगा की मैं कौन हु और हमे भी कहा पता था की ये कौन है,विजय प्लीज़ मामले को बिगड़ मत …”
विजय सोनल के चहरे पर आये आंसुओ को देखता है और उसका हाथ अपने ही आप ढीला होता जाता है…
वो नितिन को छोड़कर अपने कमरे में एक दराज से विस्की की बोतल निकलता है और 3-4 घुट सीधे ही पी जाता है,उसे भी समझ नही आ रहा था की क्या करे….
“मुझे सचमे नही पता था था विजय की ये कौन है और अब जानने के बाद की ये मेरी बहन है मैं कैसे……..कैसे इस रिस्ते को आगे बड़ा सकता हु,....तुम अगर कहो तो मैं अभी से सोनल की जिंदगी से दूर हो जाऊंगा…”
नितिन अपनी आंखे अभी भी नीचे किये हुए था…
“हा एक को अपनी मर्यादा की पड़ी है और एक को समाज की,,,”खुसबू की बातो में दर्द और व्यंग दोनो था...वो आगे कहती है..
“लेकिन तुम दोनो ने ये पूछा भी की आखिर सोनल क्या चाहती है,उसे क्या चाहिए ….एक लड़की के दिल को समझने की तो किसी को कोई फुरसत ही नही है,ठीक है की अब सोनल नितिन की बहन है पर इसका मतलब क्या हुआ...की जो प्यार वो दोनो एक दूजे से करते है वो खत्म हो जाएगा….नही मुझे पता है ये नही हो सकता,क्योकि मुझे भी प्यार हुआ है…”नितिन खुसबू को घूर कर देखता है उसके लिए ये बात एक आश्चर्य} ही थी अभी तक खुसबू ने उसे कुछ भी नही कहा था….
“हा नितिन मैं अजय से प्यार करती हु,ये बात तो उसे भी नही पता,लेकिन सच यही है और एक सच किसी को भी नही पता….मैं पहले से जानती थी की तुम कौन हो ,”सभी आश्चर्य से खुसबू को देखते है…
“जब सोनल ने पब में मुझे तुम्हारे नाम बताये तब ही मुझे पता चल गया था की तुम लोग कौन हो ,दादा जी ने मुझे तुम्हारे नाम बतलाए थे और मैं दादा जी की बहुत करीबी हु,उन्होंने मुझसे वचन लिया था की मैं दोनो परिवारों को मिलने के लिए जो भी कर सकू करूँगी,लेकिन इत्तफाक देखो मुझे अजय से उसे देखते ही प्यार हो गया,और वो प्यार तो तब भी कम नही हुआ जब दोनो परिवार एक दूजे के खून के प्यासे थे और तुम सोचते हो की अब तुम दोनो एक दूसरे से अलग हो जाओगे तो ये बहुत बड़ी गलती होगी…”
“लेकिन ये दोनो भाई बहन है”विजय चिल्लाता है
“तो क्या हुआ”सोनल विजय को झकझोर देती है,दोनो की आंखे मिलती है और उसे रात का वो शमा याद आ जाता है ,वो प्यार था की एक ग्लानि का भाव या शर्म या और कुछ लेकिन विजय का सर अपने आप ही नीचे हो जाता है उसका सारा गुस्सा जाता रहता है और उसके आंखों में आंसू की बूंदे आने लगती है...सोनल उसे अपने गले से लगा लेती है…
“भाई कुछ भी गलत नही हुआ,जो हमने किया वो भी और जो हम करने वाले है वो भी ,,,...”विजय को ये समझ नही आ रहा था की सोनल अपने और उसके बारे में बोल रही है या अपने और नितिन के बारे में पर जो भी हो उसे कुछ कुछ समझ तो आ रहा था,
“भाई प्यार तो प्यार होता है ना सब भूलकर बस मेरी खुशी देखो ना,मैं खुश हु और खुस रहूंगी मुझे इन रिस्ते के बंधनो में मत बांधो भाई ….”विजय का हाथ उसके बालो पर चला गया वो उसे कसकर पकड़ लेता है …
“चाहे दुनिया वाले कुछ भी कहे पर तेरी शादी होगी तो नितिन से ही होगी ,और वो साला अगर मना करे तो उसे बांधकर मंडप पर बैठूंगा…”
वो नितिन को देखता है जो अभी भी थोड़ा सा सोच में था पर विजय के आखिरी लाइन से वो भी हँस पड़ता है साथ ही विजय खुसबू की तरफ देखता है,
“और आप बनोगी मेरी भाभी …”
खुसबू थोड़ा शर्मा जाती है…
तभी कमरे में मिसेस कव्या सेठ (जो अभी कॉलेज की प्रिंसिपल है) आ जाती है ,
“ओह मुझे माफ करना समझ नही आ रहा था की टॉयलेट कहा पर है,इतना बड़ा घर है तुम लोगो का “
“अरे आप आइए ना मेडम “
सोनल कहती है,
“अरे प्रोग्राम तो वहां चल रहा है और तुम लोग यहां बैठे हो “
“वो मेडम “नितिन कुछ बोलने वाला होता है.तभी सोनल उसका बात काट। देती है.
“मेडम वो सब आप छोड़िए ना और भइया का ही रूम है आप इसका टॉयलेट इस्तेमाल} कर लीजिये …
“ओके “ कव्या विजय को देखते हुए हल्की मुस्कान के साथ टॉयलेट में घुस जाती है,
“चलो हम सब चलते है ,”
सभी बाहर निकल रहे होते है तो सोनल विजय को रोकती है ,
“अरे आप कहा जा रहे है ,मेहमान आया है यहां कुछ खातिरदारी करो “
विजय के चहरे पर मुस्कान आ जाती है वही नितिन और खुसबू उसे अजीब निगाहों से देखते है…
“मतलब की उन्हें अकेला मत छोड़ो साथ ही आ जाना ना “
“ओके मैं भी रुक जाता हु “नितिन कहता है.
“भइया उसे सम्हाल लेंगे तुम्हे होशियारी दिखाने की कोई जरूरत नही है”सोनल नितिन का हाथ पकड़ती है और खीचकर उसे ले जाने लगती है,साथ ही वो विजय को हल्के से आंख भी मार देती है और साथ ही विजय के चहरे पर एक शैतानी मुस्कान उभर जाती है…
इधर कव्या तो आयी ही विजय से मिलने को थी ,वो जल्दी से निकलती है
“कैसी हो मेडम जी “विजय उसके कमर में हाथ डालकर उसे अपनी ओर खिंचता है,
“भागो तुम ,यहां मैंने खुशी खुशी ट्रांसफर मंजूर किया था की तुम यहां हो ,और एक् तूमहो की हाल चाल पूछने भी नही आये,”
“अरे मेडम जी क्या करे काम ही ऐसे आ गए थे की आपसे मुलाकात ही नही हो पा रही थी ,पर आप फिकर मत करे अब तो आपके लिए पूरा समय है मेरे पास”
“अच्छा तो क्या करोगे”
“जो भी काम उस दिन बच गया था सब आज ही पूरा कर लेते है”
“अच्छा “
कव्या एक घाघरा पहने हुई थी ,मांग में गढ़ा सिंदूर और हाथो में भरी हुई चूड़ियां ,उसके मादक जिस्म में कहर ढहा रहा था,वो ये श्रृंगार भी तो विजय के लिए ही कर के आयी थी 

,मादकता में और भी मादक उसके होठो की वो लाली थी जो विजय को उसे चूसने को कह रही थी और विजय ने वही किया ,वो उसे अपने हाथो से उठाकर सीधा ही अपने बिस्तर पर लिटा दिया ,उसने देखा की वो विस्की का ढक्कन अब भी नीचे ही गिरा था,उसने उस बोतल को पकड़ा और दो घुट खुद लगाए फिर कव्या के होठो से लगा दिया ,वो भी दो घुट ऐसे लगा गयी जैसे की कोई पुरानी शराबी हो ,....
उसके ब्लाउज़ से झांकते हुए उसके बेहतरीन उजोरो को वो अपने होठो से महसूस करने लगा और हाथो को पीछे लाकर वो ब्लाउज़ की चैन खोल दिया,कव्या की एक सिसकारी पूरे कमरे में फैली तभी दरवाजा फिर से खुलता है….
“कम से कम दरवाजा तो लगा दिया करो “और एक हँसी पूरे माहौल में गूंज जाती है कव्या जल्दी से अपने को सम्हालने और ढकने में लग जाती है पर विजय के होठो में एक मुस्कान आ जाती है,सामने मेरी खड़ी थी (मेडम मेरी ,डॉ की सेकेट्री )वो एक हल्के रंग की साड़ी पहने सनी लीओन सी लग रही थी ,हाथो में हल्के डिजाइनर चूड़ियां ,और उसका गजब का गदराया बदन ,देखने वाले का मन तो डोल ही जाय,

दोनो औरतें विजय के ताकत की गुलाम और शादीशुदा था,दोनो ही गदराये हुस्न की मलिका थी ,और दोनो को ही विजय चाहिये था ….वप इठलाते हुए बिस्तर की ओर बढ़ती है,
“जानेमन तुम आदमी हो या घोड़े,कितनी औरतों को अपने नीचे लाओगे…”विजय उसे बस मुस्कुराते हुए देखता है और उसे अपने ऊपर डाल देता है,
“बाकियों का तो नही पता लेकिन आज तुम दोनो को “
उसकी इस हरकत और इस बात से कव्या भी सामान्य हो चुकी थी और तीनो एक साथ ही जोरो से हस्ते है…
“अब तो दरवाजा लगा दो या किसी और की राह देख रहे हो “
मेरी हँसते हुए कहती है,विजय जल्दी से दरवाजा लगता है ,उसके टाइट जीन्स से भी उसका अकड़ा हुआ लिंग दिख रहा था जिसे दोनो ही बड़ी कामुक नजरो से देख रही थी ….
विजय उनके पास आता है दोनो ही अपने जीभ पर उंगलिया फिराती है,
आज तक ने ना जाने कितनी लड़कियों के साथ ये खेल खेला था पर आज पहली बार दो लडकिया और वो इतनी हरीभरी और खेली खाई ...विजय जैसा आदमी ही ये रिस्क लेने को तैयार हो सकता था और दोनो को ही खुश करने की गारेंटी भी दे सकता था,विजय जैसे ही बिस्तर पर पहुचा दोनो ही उसपर झपड़ पड़ी जहा कव्या उसके ऊपर के भाग को सम्हाल रही थी वही मेरी ने नीचे के भाग की जिम्मेदारी ले ली थी ,मेरी ने उसे नीचे से नंगा कर दिया और कव्या ने ऊपर दे कव्या अपने होठो को उसके होठो पर भर कर उसका रस चूस रही थी और वही मेरी उसके अकड़े हुए लिंग को अपने होठो से गिला कर रही थी ,विजय की सांसे तेज हो रही थी और उसकी आंखे बंद,आज तक दुसरो के अंगों को निचोड़ने वाले विजय के अंगों को आज कोई दूसरा निचोड़ रहा था और वो बस सोया हुआ था,काव्या ने अपने उजोरो को अपने तने हुए ब्लाउज़ से अलग किया और ब्रा के ऊपर से ही उसे विजय के मुह में घुसेड़ दिया वो कुछ कह पता उससे पहले ही काव्या ब्रा को एक ओर कर अपने उभरे हुए निप्पल को उसके हल्के से खुले मुह में घुसा देती है,विजय भी उस उतेजित निपल को अपने मुह में पाकर खुस हो जाता है और जोरो से चूसने लगता है…
“आह मेरी जान “काव्या विजय के बालो को अपने उंगलियों में फंसा लेती है,वही विजय उसके निप्पल को दांतो से हल्के से काट देता है ,
“हाय कमीने कही के ,बहुत ही शरारती हो तुम ,हाय “
“अभी शरारत दिकहि कहा हो जान “
“मेरे बारे में भी तो कुछ सोचो “मेरी ने अपने मुह से विजय का लिंग निकल कर कहा ,विजय ने उसे मुस्कुराकर देखा और उसके पैर जो उसके सर के पास थे को पकड़कर उसकी साड़ी को ऊपर किया और अपना सर वहां घुसा दिया,हुस्न के दीदारे खयालो में जम गए,मेरे सारे बच्चे रूमालों में जम गए...हुस्न के दीदारे खयालो में जम गए,मेरे सारे बच्चे रूमालों में जम गए...हुस्न के दीदारे खयालो में जम गए,मेरे सारे बच्चे रूमालों में जम गए...हुस्न के दीदारे खयालो में जम गए,मेरे सारे बच्चे रूमालों में जम गए...हुस्न के दीदारे खयालो में जम गए,मेरे सारे बच्चे रूमालों में जम गए...
काव्या का चहरा थोड़ा उतर सा गया,तो मेरी ने उसे अपने पास खिंचा और उसके घाघरे में अपना मुह घुसा दिया,विजय ने मेरी के योनि में दांतो से कलाकारी की वो उचक पड़ी और उतेजना में काव्या के पेंटी से ही उसके योनि को खा गयी …
“आह पागल हो तुम लोग,मार ही डालोगे “काव्या छटपटाई 
और जाकर विजय के कमर से चिपकने लगी ,विजय ने अपने हाथ से उसका से अपने लिंग की ओर मोड़ दिया और वो जैसे इशारा समझ गई हो विजय का लिंग अपने होठो में भर लिया…..
सभी एक दूसरे को स्वर्ग की सैर करा रहे थे,जब जब विजय कोई कलाकारी मेरी के योनि से करता ,मेरी उतेजना में आकर काव्या की योनि में घुस कर उसे खा सी जाती और काव्या उतेजना में विजय के लिंग को और जोर से अपने मुह में भिचा लेती,विजय का चहरा पूरी तरहः से मेरी के कामरस से गिला हो चुका था ,वही हाल मेरी का भी था ,वही काव्या के थूक से विजय का लिंग पूरी तरह भीग था चुका,सभी की सांसो की ही आवाज से कमरे में एक हलचल सी हो चुकी थी ,मेरी और काव्या एक जोरो की धार छोड़ते हुए अपनी योनि की आग शांत कर ली ,लेकिन अब विजय की आग अच्छे से बड़ी थी बस बात ये था की इस आग का पहला शिकार कौन होने वाला था…
वो उठकर दोनो को ही अपने ओर खिंच लिया ,सभी एक दूसरे के होठो को,गालो को चुम रहे थे ,सभी के चहरे अब रस से भीगे थे,मेरी और काव्या के कपड़ो की हालत बहुत ही खराब हो चुकी थी ,कोई कुछ कहता उससे पहले ही विजय ने काव्या को अपने नीचे ला लिया और उसके घाघरे का नाडा खोल कर उसे नीचे कर दिया,नीचे उसकी पेंटी पूरी तरहः से उतरी नही थी उसे बस एक तरफ सरकाया गया था,विजय ने उसे उतारने की जहमत भी नही की और अपना तना हुआ लिंग उसके अंदर पेल दिया….ऐसे तो मेरी के थूक ने उसे बहुत चिकना बना दिया था फिर भी वो सालो से किसी मर्द का लिंग अपने अंदर नही ली थी वो चीख ही गई होती अगर मेरी ने उसकी हालत भाप कर उसके होठो पर अपने होठ को नही रख दिया होता,विजय का मूसल एक पिस्टल की तरह अंदर बाहर हो रहा था,काव्या की आंखे फट कर बाहर निकालें को हो गयी थी पर मेरी के सहलाने से और विजय के धक्कों से वो फिर से गीली हो गयी ….
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12-24-2018, 01:19 AM,
#44
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
“आह मेरी जान ,आह हाय विजय आह ,सालोओओओ से कोई नही कीईईईईई याआआआआआ है मुऊऊऊ झे ….आह आह आह “जोरदार धक्कों से काव्या का शरीर ही नही बल्कि पूरा बिस्तर भी हिलने लगा था….वही मेरी ने उनपर उठाकर अपने होठो को विजय के होठो से मिला दिया और दोनो के होठ मिलते ही विजय पर फिर से एक नशा चढ़ा और वो फिर से बहुत ही जोतो से धक्का देने लगा…
“मैं मर जाऊंगी थोड़ा धीरे प्लीज़ प्लीज़ “वो चिल्लाने को हुई मेरी ने फिर से अपने होठ उसके होठो पर रख दीये लेकिन विजय ने अपनी स्पीड और ताकत कम नही की ,काव्या की आंखे बाहर को हो रही थी उसका चहरा पूरी तरह से पसीने से भीग चुका था लेकिन उसकी आहे मेरी के मुह में दबकर रह जाती उसकी आंखों से आंसू आने लगे थे ,और ये देखकर विजय को बड़ा मजा आ रहा था ,सालो के बाद ऐसा हुआ था की वो किसी को ऐसे बेदर्दी के साथ पेल रहा हो …
काव्या ने खुद को पूरी तरहः से छोड़ ही दिया वो बेहाल ,बेबस और पूरी तरहः से थक चुकी थी उसे नही पता था की विजय इतना बड़ा शैतान है ,वो उसके मर्दानगी के कायल भी हो रही थी पर वो साथ ही वो अपने को बिल्कुल असहाय भी महसूस कर रही थी उसके लिए इंचभर भी हिलाना मुश्किल हो रहा था,वो झटपटाना चाहती थी पर उसके लिए ये मुश्किल था,विजय का विशाल शरीर और मेरी की पकड़ के सामने वो बेबस थी लेकिन ये भी सच था की उसे ऐसा मजा जिंदगी में पहली बार आ रहा था,वो भीग जाती और फिर से गीली हो जाती ,वो अकड़ी। और तेज फुहारे उसने छोड़े अपने चरम सुख की अनुभूति कर वो निढल हो गई,लेकिन ये तो विजय था की अभी भी उसमे पूरा खजाना बाकी था,मेरी ने विजय को रोका और खुद अपने कपड़े उतार कर काव्या के ऊपर आ गई 

वो एक कुतिया के तरहः अपने घुटनो और हाथो के बल थी और नीचे काव्या थी जिसके मुह में उसने अपने स्तनों को घुसा रखा था,वही विजय को उसकी चिकनी योनि की वो दरार दिखी जिसे लोग जन्नत का दरवाजा भी कहते है,वो अपने लिंग को जो की काव्या के रास से भीगा था उस दरवाजे में लेजाकर एक जोर का धक्का दिया,मेरी अपेक्षाकृत आसानी से उस वॉर को सह गई वो ,आनद के सरोवर में तैरने लगी और विजय लगातार उसे धक्के देने लगा….मेरी के झरने के बाद भी विजय बचा हुआ था वो फिर से काव्या को देखता है जिसे देखकर वो थोड़ी घबरा जाती है ,
“फिकर मत कर जान ये तुझे बड़ा मजा देगा”मेरी काव्या के होठो पर अपने उंगलियों को फेरते हुए कहती है,इस बार मेरी भी चाहती थी की अब विजय झर ही जाय वो काव्या के पैरो को विजय के कंधे पर टिका देती है ,जिससे उसकी योनि दो फांको में साफ तौर से बंट जाती है ,विजय अपनी पूरी हवस निकलने के उद्देश्य} से पूरे जोर से धक्के लगा रहा था और आखिर वो समय भी आया की विजय ने अपने वीर्य की पहली धार सीधे काव्या के गर्भ में उतार दी,......और मानो एक तूफान शांत हो गया...तीनो एक दूसरे से लिपटे कुछ देर तक पड़े रहे पर कब तक….मेरी काव्या और विजय की आग फिर से भड़की और इसबार सभी को बहुत मजा आया ...विजय पूरे खेल में तीन बार झडा और भेदभाव ना करते हुए वो एक बार मेरी के अंदर भी झडा ,और एक बार दोनो के चहरे पर...दोनो औरते अब पूरी तरहः से नंगी थी और पसीने से भीगी हुई थी ,विजय ने ना जाने कितनी बार उन्हें चरमसुख तक पहुचा दिया था……………

“तुम पागल हो गयी हो”
“भैया वो अच्छी लड़की है ,”
“तो,जानती है ना अब वो हमारी बहन है”
“तो क्या हुआ और अपने तो मुझे प्रोमिश किया था ”
“देखो निधि तब की बात और थी अब की और है,
“क्या बदल गया”
“अरे पागल लड़की तुझे इतना भी समझ नही आता क्या,बड़ी नेता बनकर घूमती है ,अब वो हमारी बहन है “
“तो क्या हुआ “
“अब तू इस टॉपिक में मुझसे बात नही करेगी बस”
निधि अजय को घूर रही थी,
“अब ऐसे घूरना बंद कर ,और मुझे काम करने दे,इतने लोग आये है यहां और तू ये सब बात कर रही है और ये विजय कहा चला गया,”अजय वहां से जाने को होता है,लेकिन निधि ने उसका हाथ पकड़ रखा था ,
“अब छोड़ भी दे “
“आप मुझसे गुस्सा हो “
“नही जान मैं अपनी प्यारी बहन से कैसे गुस्सा हो सकता हु “
“तो जो बात मैंने कही वो करोगे ना ,खुसबू अच्छी लड़की है भइया “
“अच्छा लेकिन तुम तो उसे पसन्द नही करती ना “
“वो मेरे भइया को मुझसे छीन लेगी तो मैं उसे क्यो पसंद करूँगी लेकिन भइया सच में वो बहुत अच्छी है और वो आपसे बहुत प्यार करती है उसकी आंखों से पता चलता है…”
“मैंने कहा ना की अब उस टॉपिक में कोई बात नही “
“मैं तो करूँगी आप को गुस्सा आये तो आय “
अजय सर पकड़ लेता है,
“ठीक है करते रह बात लेकिन मूझे छोड़ दे अभी काम है ना बेटा “
“ठीक है “
अजय उसके माथे में एक प्यार भरा चुम्मन देखर वहां से निकलता है मेहमान सभी अपनी मस्ती में थे,लेकिन विजय को ना देखकर अजय थोडा चिंतित हो जाता है ,तभी उसे सोनल खुसबू और नितिन आते हुए दिखते है 
“अरे सोनल अजय कहा है “
“भैया वो तो किसी काम से गए है “
“कहा “
“अरे वो मेरे ही काम से बाहर गए है “
“घर में इतने लोग आये है और तुमने उसे बाहर भेज दिया ,तुम लोग भी ना “
अजय के जाने के बाद नितिन और खुसबू उसे देखने लगते है 
‘क्या देख रहे हो चलो यार पार्टी इंजॉय करते है “
खुसबू की नजर अभी भी बार बार अजय की ओर चले जाती थी,अजय ने उसे महसूस तो किया लेकिन हर बार उसे इग्नोर कर दिया,
“क्या देख रही हो मेरी जान “
सोनल ने खुसबू को कोहनी मरते हुए पूछा 
“बस देख रही हु की तेरे भइया कितने अच्छे है “
वो हल्के से शर्मा गयी 
“अच्छा “
“हा “
“तो बात चलाऊ क्या ,भइया “
“अरे नही “
लेकिन तब तक अजय सोनल की बात सुन चुका था और वो उसके पास आ जाता है,
“क्या हुआ सोनल “
“भइया ये खुसबू है “
“हा जानता हु ,बडें मामा की बेटी और तुम्हारी दोस्त ,और मेरी प्यारी बहन “
अजय ने अपना हाथ खुसबू के सर पर चलाया लेकिन इससे खुसबू को जरा भी अच्छा नही लगा ,वो जिसे अपना पति मानती थी वो उसे अपनी बहन बनाने में लगा था,सोनल का भी चहरा उतर गया था और अजय सब समझता भी था पर वो जानबूझ कर ऐसा कर रहा था ,वो फिर से दोनो परिवारों के बीच कोई भी दीवार नही बनाना चाहता था,तभी अभिषेक की इंट्री हुई ,
“नमस्ते सर “
“ये क्या सर सर लगा के रखा है ,तुम मुझे भैया ही कहा करो ,और ये है मेरी बहने सोनल और खुसबू,और ये है अभिषेक हमारे कॉलेज के प्रेजिडेंट और पार्टी के बड़े ही अच्छे कार्यकर्ता और धनुष निधि के बहुत अच्छे दोस्त “
अभिषेक तो खुसबू को बस देखता ही रह जाता है ,वो भी निधि से कम हसीन ना थी और सोनल वाह
‘साला इसके परिवार की तो हर लड़की माल है ‘अभिषेक मन में सोचता है 
“हलो मेम “
“क्या मेम लगा के रखे हो भइया ने बोला ना तुम हमे भी दीदी ही कहो “
सोनल ने उसे खिंचते हुए कहा ,तभी निधि ,धनुष सोनल और बाकी बच्चे भी आ गए वहां विजय के अलावा सभी थे ,अजय ने उन्हें थोड़ा कंफर्ट देने के लिए वहां से जाना ठीक समझा ….
प्रदेश के कुछ मंत्री भी वहां पहुचे थे थोड़ी देर में मुख्यमंत्रि भी पहुच गए ,अजय भी उनका स्वागत करने सभी बड़ो के साथ ही खड़ा था …
“तो अजय कैसे चल रहा है तुम्हारा कारोबार “
मुख्यमंत्रि राजन बंसल साहब ने खाने की प्लेट से एक टुकड़ा उठाते हुए कहा ,सभी नेता और बड़े लोग एक साथ ही बैठे थे ,बंसल के बाजू में अजय खड़ा था और बाली और गजेंद्र उसके आजु बाजू में बैठे थे ,
“बस बढ़िया है सर आपकी कृपा है “
“यार लेकिन तुम इस कृपा का गलत फायदा उठा रहे हो …”जिसने भी उसकी आवाज सुनी वो उन्हें ही देखने लगा …
“मैं समझा नही “
“मैं तुम्हारी पार्टी की बात कर रहा हु ,देखो यहां तो विपक्ष के लोग भी आये है और सरकार में बैठे लोग भी….लेकिन यार तुम्हे क्या पार्टी बनाने की जरूरत पड़ गयी “
“अरे सर वो तो बस बच्चों के कारण ,और वो कोई राजनीतिक पार्टी नही है ,बस बच्चे कुछ काम करना चाहते है तो साथ मिलकर कर रहे है.”
“अरे तो हमारी पार्टी जॉइन करा दो उन्हें हम भी तो समाज की भलाई के लिए ही काम कर रहे है “
अजय के चहरे में बस एक मुस्कान आ गई 
“अरे बंसल साहब क्या आप अजय को भड़का रहे हो ,और आप कितना समाज की भलाई के लिए काम करते हो हमे सब पता है “
ये आवाज विपक्ष के नेता की थी ,
“अरे चुप करो यार तुम सब क्या इसे संसद समझ रखा है ,तुम लोग दोस्त हो इसलिए यहां बुलाया और तुम यहां भी चालू हो रहे हो “
गजेंद्र ने दोनो को ही झपडते हुए कहा और दोनो ही बस बदले में हकले से मुस्कुरा दिए 
“और अगर मेरे बच्चे राजनीति में आ गए ना बेटा तुम दोनो की गद्दी चले जाएगी समझ गए ना अपनी गद्दीयां बचा के रखो हा हा हा “गजेंद्र ने फिर कहा और सभी हस पड़े …
“हा ये बात तो है “बंसल ने भी मुस्कुराते हुए कहा 
कार्यक्रम समाप्त होने को आ रहा था शाम होने वाली और विजय अभी भी दोनो स्त्रियों की ठुकाई में व्यस्त था,बंसल ने जाते हुए अजय को अकेले में बुला ही लिया …
“देखो अजय बाली और गजेंद्र दोनो ही मेरे दोस्त रहे है और दोनो ही हमे बहुत बड़ी राशि चंदे में देते है ,लेकिन मेरी बात को याद रखना अगर कभी राजनीति में आने की जरूरत महसूस हो तो हमारे ही साथ आना ,राजनीति बहुत ही खतरनाक चीज है ,मैं तुमसे ये कह रहा हु क्योकि तुम समझदार हो...और तुम इतना भी जानते होंगे की हम अगर 15 सालो से सत्ता में है तो इसकी कोई तो वजह होगी ,यहां साम दाम दंड भेद सभी का सहारा लेना पड़ता है ,और मैं कभी नही चाहूंगा की तुम्हारे जैसा इतना ताकतवर परिवार हमारे पार्टी का दुश्मन बन जाय “
इस बार बंसल के चहरे पर कोई भी मुस्कुराहट नही थी ,अजय ने उसे महसूस किया उसे कुछ अजीब सा अहसास हुआ ,जैसे बंसल उसे सीधे सीधे धमका रहा है ,
“अच्छा मैं चलता हु “बंसल अपने कार में बैठने लगा 
“रुकिए मुझे आपसे कुछ और भी बात करनी है मैं आपके साथ कार में ही चलता हु थोड़ी दूर उतर जाऊंगा “
बंसल के चहरे में एक मुस्कान आ गयी जैसे उसे मनमांगी मुराद मिल गयी हो ,लेकिन वहां खड़े बाकी लोग अजय को अजीब नजरो से देखने लगे ,अजय ने कलवा को बस कुछ इशारा किया कलवा ने भी सर हिलाया और अजय बंसल के साथ उसकी गाड़ी में बैठ गया …
“तो अजय क्या कहना चाहते हो “
“बस यही की आप इतने क्यो डरे हुए है “
बंसल ने अजय को थोड़े आश्चर्य से देखा 
“तुम सचमे समझदार हो अजय ,तुम्हारी पार्टी का जनाधार बढ़ रहा है और उससे वो लोग भी जुड़ने लगे है जिन्हें राजनीति में जगह नही मिल पाई थी ,माना की अभी वो बस एक छात्र संगठन है लेकिन कब तक जो लोग तुम्हारे साथ जुड़ रहे है वो उसे बस एक समाज सेवी संगठन बनकर नही रहने देंगे ….और मेरे डर का कारण ये है की अगला चुनाव बस आने को ही है ऐसे में अगर तुम्हारी पार्टी ने चुनाव लड़ा तो …”
“आपको डर है की आपकी सीटे उन्हें मिल जाएगी ,क्योकि वो बहुत एक्टिव है और आपकी सरकार से लोग बोर हो चुके है “
बंसल मुस्कुराया 
“विपक्ष से लड़ने को हमारे पास पूरा प्लान है ,उनकी सभी कमियां हमारे पास है ,सभी किच्छा चिट्ठा हमे पता है ,लेकिन इस बार हमारे खिलाफ भी बहुत ही जनाक्रोश है अगर तुमने पार्टी उतारी तो शायद तुम्हे कोई फायदा ना हो पर हमे घटा जरूर होगा,विपक्ष जीत सकता है ,जिससे तुम्हे कोई फायदा नही होगा ,लेकिन मेरा 4था कार्यकाल पूरा करने का सपना खतरे में पड़ जाएगा ….तुम हमारे आदमी हो और तुम्हारे दादा के साथ मैं भी लड़ा था,तुम्हारे पापा भी मेरे अच्छे दोस्त रहे है ,हम दोनो ही बहुत ही मुस्किलो से ऊपर उठे है ,तुम हमारे साथ आ जाओ...निधि और धनुष को मंत्री पद दिला देंगे हमारे ही बच्चे है दोनो ,अबतक के सबसे युवा मंत्री होंगे हमारे बच्चे उनका शौक भी पूरा हो जाएगा और मेरा सपना भी …”
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12-24-2018, 01:19 AM,
#45
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
बंसल की बात पूरी की पूरी अजय को समझ आ गई लेकिन उसे भी पता था की लोग सरकार से कितने परेशान है ,उसे भी एक्टिव पॉलिटिक्स में जाना था और ये एक अच्छा ऑप्शन हो सकता था लेकिन ………
“आपकी बात तो ठीक है सर पर अभी तो उन्हें बहुत कुछ सीखना है और जहा तक रही राजनीति की बात तो हा हम राजनीति में आ रहे है लेकिन किसी भी पार्टी के साथ नही ….जब हम आप लोगो को चंदा देकर जीता सकते है तो अपने बच्चों को क्यो नही ,हा अगर आपको सरकार बनाने में हमरी मदद लगेगी तो हम आपका समर्थन जरूर करेंगे लेकिन विधायक तो हम जीत कर ही बनेंगे और वो भी अपनी पार्टी से ….
बंसल का चहरा उतर गया उसे शक तो था लेकिन अब ये यकीन हो गया ,ये सब अजय का फैलाया हुआ जाल ही था ,वो धीरे धीरे अच्छे लोगो को दूसरी पार्टीयो से खीचकर अपनी पार्टी में मिला रहा था ,वो सभी उसके समाज सेवा कार्यक्रम का हिस्सा होते थे वो लोग अपनी पार्टीयो में रहते हुए अजय की पार्टी के साथ काम कर रहे थे ,क्योकि अजय की पार्टी कोई पॉलिटिकल पार्टी नही थी किसी को भी शक नही होता लेकिन बंसल ने ये भांप लिया था ,
“तुम तो सीधे दुश्मनी पर उतर आये यार …”
“अपने ही कहा था सर की राजनीति में कोई किसी का सगा नही होता ,”
अजय के चहरे पर एक मुस्कान आ गई 
“अजय राजनीति गंदी चीज है और तुम अच्छे आदमी हो तुम्हारे जैसे आदमी को ये सब सोभा नही देगा “
“आप भूल गए की तिवारी और ठाकुर परिवार एक हो चुका है और तिवारी कमीनेपन में आप सबके बाप रह चुके है ,वही ठाकुरो का जनाधार आज भी कायम है ,आप अपनी गद्दी बचाइए बंसल साहब,हमारे क्षेत्र से तो जितने की सोचना भी भूल जाइये …..”
एक लड़का जो उनके ही सामने पैदा हुआ था ,बंसल को ऐसी बाते बोल रहा था,बंसल साहब की तो भवे चढ़ गयी लेकिन थे तो वो भी एक माने हुए राजनितज्ञ ,उन्हने अपने को शांत ही रखा
“सोच लो अजय आज तुम जितना सोचते हो उससे कही ज्यादा पवार हमारे पास है,अब जमीदरियो का दौर गया और दौर गया की लाठी के बल पर बाहुबली बने फ़िरो ,आज पुलिस और सत्ता से ज्यादा पावरफुल कोई भी नही है “
“जानता हु सर इसलिए तो कह रहा हु ,ये सत्ता आती कहा से है ,ये भी तो जनता के द्वारा ही चुनी जाती है ,और लोकतंत्र में जनता से पावरफुल कोई नही हो सकता और मेरे पास आज जनता का सपोर्ट है,हमारे पूर्वजो ने कभी यहां राज किया था,और जनता आज भी हमे अपना राजा मानती है ……….”
अजय की आंखों में ऐसी चमक बंसल ने कभी नही देखी थी ये एक अजीब सी चमक थी,अजय का रूप कुछ अलग सा हो गया था ,मानो सचमे कोई राजा हो ….बंसल के दिमाग में ये बात कौध गई,वो अजय के दादा और पिता(वीर )के साथ भी काम कर चुका था ,उसने ये चमक उसके दादा में देखी थी लेकिन कभी वीर में वो चमक नही दिखी वीर को तो अपने को सम्हालने में ही बहुत वक़्त लगा था,लेकिन अजय में वही चमक,जनता आज भी हमे राजा मानती है,बंसल उस वाक्य को खोजने की कोसिस कर रहा था ,यहां के जमीदार तो तिवारी थे ,फिर राजा ठाकुर कैसे हो सकते थे??????
तिवारियो की जमीदारी जिस राज में आती थी वो भी किसी दूसरे रियासत में थी ,हो सकता था की ये उन्ही ठाकुरो के परिवार से संबंध रखते हो जो वहां के रियासत के राजा थे ,लेकिन इसके बारे में बंसल को नही पता था,
“तुम कहना क्या चाहते हो अजय “इसबार बंसल की आवाज कुछ धीमी थी ,
“कुछ नही सर बस हम आपकी बहुत इज्जत करते है और भले ही हम राजनीतिक रूप से प्रतिद्वंदी हो जाय लेकिन आप हमारे पिता के मित्र रहेंगे और आपके लिए हमारे दिल में सम्मान कभी भी खत्म नही होगा”
बंसल के चहरे पर एक मुस्कान आ गई 
“तुम्हे भी हमारी कभी भी जरूरत पड़े तो याद करना,लेकिन फिर भी मैं तुम्हे ये हिदायत दूंगा की राजनीति से दूर रहो वो तुम्हारे बस का नही है ,और मैं तुम्हारे लिए हमेशा शुभकामना करूँगा “
गाड़ी रुकती है और अजय बाहर निकलता है,और पीछे आ रही गाड़ी जिसमे कलवा सवार था बैठकर फिर से अपने हवेली की ओर चल पड़ता है…..
वहां सभी अजय का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे ,सभी मेहमान जा चुके थे केवल दोनो परिवारों के लोग ,डॉ चुतिया ,बस बचे थे …
“क्या हुआ अजय ऐसे बंसल के साथ कहा चले गए थे…”गजेंद्र चिंतित होते हुए पूछता है..
अजय उसके कंधे पर हाथ रखता है ,
“कुछ नही मामा जी बस अब हमारा राज फिर से प्राप्त करने का समय आ गया है…”
सभी उसे प्रश्नवाचक निगाह से देख रहे थे,
वो बाली की तरफ देखता है ,
“कल केशरगढ़ चलना है “
बाली उसे आश्चर्य से देखता है और अजय बिना कुछ बोले ही वहां से चला जाता है ……...

“भइया हम केशरगढ़ क्यो जा रहे है,”
निधि अपने भाई के बाहों में आकर लेट गई.
“क्योकि हमे वहां कुछ काम है “
“क्या काम है भइया “
“तुम्हे रानी बनाना है”
“अरे आप भी ना रानी तो राजा की होती है ,”
“हा वो तो है बहन ,तो राजकुमारी बनाना है “
“अरे लेकिन राजकुमारी तो वो होती है ना जिसके पापा राजा होते है “
अजय उसकी बात पर उसे देखने लग जाता है ,अजय की प्यार भरी आंखे जैसे ही निधि से मिलती है निधि उठकर उसके होठो को चुम लेती है,और फिर उससे लिपट कर उसके सीने में छिप जाती है.
“भइया बताइये ना “
“हमारे पापा राजा ही थे बेटा बस उन्होंने हमे बताया नही “
“क्या “निधि जैसे खुसी और आश्चर्य से उछल जाती है,
“हा”
“पर भइया हम कहा के राजा है”
“केशरगढ़ “
“हा हा हा “निधि जोरो से हँसती है 
“अच्छा मजाक था भइया ,हम उस खण्डर के राजा है ,जहा कुछ भी नही है उससे अच्छा तो हमारी हवेली है “
“केशरगढ़ कोई किला बस नही है निधि ,वो एक जगह थी कभी,जिसके अंदर आज के कई शहर आते है, हम वहां के राजपूत ठाकुरो के वंसज है ,जिसका हमारे दादाजी को पता था लेकिन उन्होंने कभी इसका जिक्र हमारे पापा से नही किया क्योकि इसका कोई भी मतलब नही था लेकिन अब उसका बहुत मतलब होने वाला है…”अजय गंभीर था ,और निधि परेशान 
“ये क्या बोल रहे हो भइया “
“तू मेरी सबसे प्यारी गुड़िया है और तुझे मैं एक राजकुमारी बनाऊंगा “
निधि अपने भाई को बड़े ही प्यार से देखते है ,
“सच में “
“हा मेरी जान सच में “वो उसके माथे में एक किस करता है ,
तभी उसकी नजर निधि के हाथो में पहने एक पतले से घड़ी पर जाती है ,वो उसने पहले कभी नही देखी थी ,
“ये घड़ी ???”
“अभी ने दी है अच्छी है ना “
“कौन अभी “
“अरे भईया अभिषेक …”
“ओह हा अच्छी है,”
अजय उस घड़ी को ध्यान से देखता है ,और थोड़ा गंभीर हो जाता है .
निधि अजय को ऐसे गंभीर देख कर उसके गालो को अपने हाथो से सहलाती है 
“क्या हुआ भइया “
“कुछ भी तो नही “
“बताओ ना “
“तुम अभिषेक को पसंद करती हो ???“
निधि थोड़ा सा शर्मा जाती है साथ ही उसका दिल जोरो से धड़कता है वो अजय से सटकर सोई थी अजय को उसके धड़कन का आभास हो जाता है,
“ये कैसा सवाल है भइया,वो मेरा अच्छा दोस्त है “
“बस दोस्त है या दोस्त से कुछ जाता “
“आप भी ना कुछ भी बोलते हो दोस्त से ज्यादा क्या होगा,और मैं किसी को भी अपना भाई नही बना लेती जैसे आप बना लेते हो …”
निधि ने अपना मुह फूलते हुए कहा ,अजय ने उसे देखा जैसे पूछ रहा हो किसीके बारे में बोल रही है 
“क्या देख रहे हो वो खुसबू …”
“वो हमारी बहन है समझी “
“बहन होगी आपकी मेरी तो भाभी है”
“चुपकर पागल कही की और बात मत घुमा जो पूछा वो बता ना “
“मैं बात नही आपको घुमा दूंगी मैं राजकुमारी हु वो भी केशरगढ़ की ,समझे “
निधि ने बात सचमे घुमा दिया था और अजय को पता था की उसे क्या करना है वो बात को वही छोड़ देता है और उसे अपने बहन की बदमाशियों में बहुत प्यार आता है ,
“अच्छा मेरी राजकुमारी जी पहले ये घड़ी उतार दो कही तुम्हारे अभी की घड़ी टूट ना जाय,जाओ अपने रूम के रख दो “
निधि मुह बनाते हुए चले जाती है...
“अच्छा मेरी राजकुमारी जी अब आज्ञा हो तो सो जाय …”
“राजकुमारी चाहती है की आप उससे प्यार करे ,वो पलंगतोड़ वाला “
निधि अपना जीभ निकल कर उसके होठो पर रख देती है ,और अजय उसके जीभ को अपने दांतो से दबा लेता है,और हल्के से काटता है ,निधि झूठे गुस्से से अजय के छाती में एक मुक्का मरती है ,
“चूसने को दिया था काटने को नही “
अजय बस उसे देखने लगता है ,कितनी प्यारी थी निधि ,और अभिषेक ….उसका तो पता करना पड़ेगा,अजय निधि को किसी भी के भरोसे नही सौप सकता था जबकि उसे पता था की उसके कई दुश्मन घूम रहे है,और सभी को पता था की निधि ही अजय की सबसे बड़ी कमजोरी है,अजय निधि को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाना चाहता था ना की कमजोरी…
अजय निधि को निहारते निहारते फिर से अपने विचारों में खो गया था,
“आउच ,क्या कर रही है “निधि की खिलखिलाहट उसे सुनाई दी ,निधि ने अजय निचले होठों को जोरो से काटा था,
“कहा खो जाते हो जल्दी से आओ कल सुबह जल्दी से जाना है ना “
“तेरी तो “
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12-24-2018, 01:20 AM,
#46
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
अजय पूरे ताकत से निधि को पकड़कर बिस्तर में डाल देता है और फिर से उनके प्यार का करवा चल पड़ता है….
सुबह से सभी तैयार होकर केशरगढ़ की ओर निकल जाते है साथ में तिवारियो का परिवार भी था,सभी को यही उत्सुकता थी की जो अजय ने उन्हें बताया है क्या वो सच है,अगर वो सच होता तो हजारों सालो का वो रहस्य खुल जाने वाला था,और अजय को वो राजगद्दी आधिकारिक तौर पर मिल जाती जो कभी केशरगड़ के राजाओं की थी,
घने जंगलो के बीच वो खण्डर सा किला था,जिसमे किले के अवशेष ही बचे थे,पता नही वहां कौन सा ऐसा खजाना था जिससे अजय को फायदा होने वाला था,जब वहां लोग पहुचे तो देखा की पूरी जगह पुरातात्विक विभाग ने घेर रखा था,
“अरे यहां तो कुछ काम चल रहा है,”
बाली ने वहां मौजूद मजदूरों को देखते हुए कहा 
“फिक्र मत कीजिये चाचा डॉ की यहां की सुपरवाइजर से पहचान है,
“सुना है कोई विदेशी महिला है ,इटली से आयी है “
“हाँ मामा जी मैंने भी सुना है “
“अरे तुम लोग क्यो दिमाग लगा रहे हो हमारी ही बंदी है …”डॉ ने सबको टोका ,
सामने से एक अग्रेजो जैसे गोरी हल्की मोटी सी लगभग 35-40 साल की महिला आ रही थी ,जो डॉ को देखते ही उसे हाथ हिलाकर दिखती है ,उसे देखकर मेरी (सेकेट्री ) भी बहुत खुस हो जाती है ,वो पास आकर डॉ के गले से लगती है ,
“वाओ डॉ बहुत दिनों बाद मिले “
“बस इधर आना ही नही होता यार “
“वाओ ये तो मेरी है ना इकबाल भाई की वाईफ ,कैसे है इकबाल भाई ,सुधरे की तुमने उन्हें छोड़ दिया “
“नही दीदी वो तो नही सुधरे मै उन्हें छोड़ कर अब डॉ साहब की सेकेट्री बन गई हु “
दोनो गले मिलते है,
डॉ उसका परिचय बाकियों से कराता है,
“ये मलीना है ,यहां की सुपरवाइजर .15 साल पहले ये यहां आयी थी तब इस जगह पर किसी का भी ध्यान नही गया था .आज इसके मेहनत से इसने यहां के इतिहास को जानने में बहुत मदद मिली और साथ ही मिला कुछ कीमती चीज ,कुछ तस्वीरे,कुछ लेख ,और एक सुराग जो बताता है की यहां से उनके परिवार के लोग आखिर गए कहा,अभी कोई भी ऐसा नही सामने आया जो उनका वंसज होने का दावा करे ,आज भी यहां के लोग उन्हें ही अपना राजा मानते है ,अगर अजय या आपके परिवार के किसी भी का डीएनए यहां मौजूद खून के छिटो से मिल गया तो ये साबित हो जाएगा की आप ही इनके वंसज है ….”
“लेकिन इससे हमे क्या फायदा होगा “
विजय ने सवाल किया 
“इससे हमारी शाख का हमे पता चलेगा …”
अजय के चहरे में एक अजीब सी चमक आ गई ,
“मुझहे लगता है,मलीना जी की मैंने आपको कही देखा है …”
बाली की बात से डॉ और मलीना दोनो ही हँस पड़े ,
“क्या यार बाली आप भी हमे भूल गए ,”
मलीना ने उसे हँसते हुए देखा 
“सच में याद नही आ रहा है की कहा देखा है ,तुम काजल की दोस्त हो क्या “
मलीना और डॉ जोरो से हँसते है,
“पकड़ तो लिए बाली जी ,लेकिन आपको काजल याद रही हम नही “
“सॉरी यार “
बाली भी आकर मलीना के गले लगता है,
“साले बाली काजल को तू कैसे भूलेगा “
डॉ उसे कोहनी से मारता है,
“चुप कर बे मरवाएगा क्या “
“तो कैसे है विकास और काजल “
काजल का नाम लेते ही बाली के चहरे में एक चमक सी आ गई थी ,
“बहुत अच्छे है ,विकास अब IAS बन चुका है और काजल का वही पुराना होटल का बिजनेस …”
“हम्म आदित्य इंटरनेशनल”
“चलिए जब यहां तक आ गए तो कभी उनसे भी मिल लीजिएगा,ऐसे आप तो हमे भूल ही गए “
“हा भैया के मौत के बाद से सबकुछ बदल सा गया “
“बहुत दुख हुआ वीर का सुनकर ,इतना अच्छा इंसान था ,दोस्तो के लिए जान देंने वाला “
डॉ सभी का परिचय एक एक कर मलीना से करता है,
“ऐसे गजेंद्र और महेंद्र तुम भी इसके पिता जी को जानते हो “
दोनो डॉ को धयन से देखते है ,
“ये मिश्रा जी की बेटी है ,मिश्रा जी याद है जो कभी चीफ सेक्टरी हुआ करते थे “
“यार उन्हें कैसे भूल सकते है ,बहुत अच्छे इंसान थे ,दुख हुआ उनके बारे में जानकर “
मलीना के चहरे पर एक फीकी मुस्कान आ गई 
“हा अच्छे इंसान तो थे……..”
डॉ अपना हाथ उसके कंधे में रखता है,
(नोट-मलीना ,काजल ,विकास,इकबाल,मिश्रा के बारे में ज्यादा जानने के लिए मेरे दूसरी कहानी बीवी के कारनामे पढ़े )
“तो कौन है हमारे राजा साहब “
“ये “
अजय आगे आता है,मलीना उसे ध्यान से देखती है,
“पूरा वीर है ये तो ,मैं जब वीर को पहले बार देखी थी तभी समझ गई थी की वो किसी राजघराने से होगा,राजाओं की तरह पर्सनाल्टी थी उसकी ...अजय तुम्हारा ब्लड सेम्पल चाहिए होगा मुझे,और आइए आप सब आपको कुछ दिखाना है ….”
खण्डर सा हो चुका वो महल आज बड़ा ही अद्भुत लग रहा था सामान्य जानो का वहां आना जाना निषेध था,उनलोगों के उसे खोद खोद कर बहुत सारा भाग बाहर ले आये थे,एक एक पत्थर को साफ किया गया था,और उनमे बनी कलाकृतियां बेहद खूबसूरत लगने लगी थी,
“वाओ “
निधि के मुख से अनायास ही निकल गया,
“भइया मैं तो सोच रही थी की ये बस खण्डर होगा लेकिन ये तो पूरा महल जैसा है कितना सुंदर है,बस थोड़ी छत को बनवाना पड़ेगा “निधि के बात सुनकर सभी हँसने लगे ,अजय ने अपना हाथ उसके सर पर रखा,
“सच में तुमने बहुत मेहनत की है मलीना ,जब मैं पहले यहां आया था तो ये बस अवशेष ही बचे थे,इतना मेहनत किया है तुमने इन सबको सम्हालने में “
“मूल्यवान चीज को सम्हालने और खोजने में मेहनत तो लगती है डॉ ,मैंने तो अपनी पूरी जवानी यही बिता दी तब जाकर कुछ पता चल पा रहा है,ये देखो ये तुम लोगो को देखना चाहिए…”
एक बड़ी सी मूर्ती कमरे के कोने में रखी थी ,थोड़ी टूटी थी लेकिन फिर भी अच्छी कन्डीशन में थी ,
“ये हमे जमीन के नीचे से मिली जब हम इस कमरे को खोदना शुरू किये थे,ये कमरा शायद राजा का कमरा रहा होगा,ये इतना बड़ा है ,कई एकड़ के फैले किले के क्षेत्र के महल के हिस्से में ये सबसे बड़ा कमरा है,और इसकी नक्कासी देखो...अभी तो मुझे और 15 साल लग जाएंगे इस किले को पूरी तरह समझने में “
वो आधी बाते फुसफुसाते हुए कह गई……….
उस मूर्ती को तो सब देखते ही रह गए …
“अब समझे अजय की मैंने तुम्हे ये क्यो कहा था की तुम हो ना हो राजपरिवार के सदस्य होंगे ..”
डॉ ने मुस्कुराते हुए अजय से कहा जो की बड़े ही ध्यान से उस मूर्ति को देखे जा रहा था…
“सचमे अद्भुत …”
बाली और गजेंद्र के मुह से एक साथ ही निकला,
“ये तो हु ब हु भईया जैसी दिख रही है “
निधि भी उछाल गई …
लेकिन मलीना थोड़ी गंभीर थी ,
“मुझे पूरा विस्वास है की तुम राज परिवार के ही वंसज हो ,लेकिन इसे सिद्ध करना बहुत ही कठिन होने वाला है ,यहां के पुरातात्विक विभाग के अधिकारी इस मूर्ती को यहां से ले जाना चाहते है ...वो ऐसे तो कह रहे है की वो इसे किसी म्यूजियम से रखेंगे लेकिन मेरा ख्याल है की ये इसे नष्ट करने की कोसिस करेंगे ..”
“क्यो ,कही बंसल तो इसमें इन्वॉल्व नही है”
अजय की बात से मलीना उसे देखने लगी जैसे की उसने उसके मन की बात समझ ली हो …
“हा मुख्यमंत्रि का इतना प्रेशर कभी नही था,पहले भी कहा गया था की इस मूर्ति के बारे में किसी को भी भनक ना लगे,और इसे कई बार यहां से ले जाने की कोसिस भी की गई थी लेकिन मेरे दबाव में सभी झुक जाते थे ,लेकिन इस बार तो हद हो गई मुझे ही चार्ज से निकलने की धमकी दे दी..जब मैंने पहली बार इस मूर्ति को देखा था तो मुझे ये बहुत कुछ वीर की याद दिलाता था,लेकिन तबतक वीर की मौत हो चुकी थी ,बंसल साहब भी इसे देखकर शॉक हो गए थे,और उन्होंने आनन फानन में ही मुझपर दबाव डाला था की इस मूर्ती को यहाँ से गायब कर दिया जाय ,लेकिन मेरे पास यहां का फूल चार्ज था और सीधे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरातात्विक महकमो के दबाव में आकर बंसल चुप हो गया ,कभी कभी और भी कोसीसे की गई पर वो भी नाकाम हो गई ,बदले में राष्ट्रीय विभाग ने उन्हें लताड़ भी दिया,तब से वो चुप बैठ गया,लेकिन कल से उसने पूरी ताकत लगा दी है इस मूर्ती को यहां से ले जाने की आज शाम तक वो परमिशन भी ले आएगा,...मुझे तो लगता है की वो चाहता ही नही की राजाओं के वंसजो का पता चले….मुझे समझ ही नही आ रहा है की क्या किया जाय ”मलीना कहते हुए रुक गई 
“आप आज छुट्टी ले लीजिये ,आपकी तबियत आज अचानक खराब हो जाएगी “
“क्या “अजय की बात मलीना को समझ नही आयी 
“ये मजदूर कहा के है ,और आपके सिवा यहां और कौन कर्मचारी या अधिकारी है “
“सभी मजदूर तो पास के गांव वाले ही है ,कुछ कर्मचारी है जो अलग अलग काम देखते है ,और कुछ जूनियर भी यहां पर होंगे...कुछ बाहर के होंगे कुछ आये नही है..”
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12-24-2018, 01:20 AM,
#47
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
“ठीक विजय ,नितिन ,धनुष,किशन,राकेश ….सभी को ख़रीद लो ,और आप यहां से चले जाइये आज की छुट्टी ले लीजिये..सभी को समझा दो की हम यहां आये ही नही थे,चाचा जी,मामा जी प्रेस को फोन लगाइए,जितने भी हमारे विस्वसनीय लोग प्रेस में है सबको काल कीजिये किसी को भी भनक नही लगनी चाहिए की वो क्या रिपोर्टिंग करने वाले है,और आज दोपहर तक ये मूर्ती इंटरनेशल न्यूज़ होनी चाहिये,हर एंगल से इसका फ़ोटो खीचकर छपवाये और हम भी यहां से निकलते है बस कुछ लोग यहां देख रेख में होंगे विजय तुम नितिन के साथ रुक जाओ ,जैसे ही न्यूज़ वाले आ जाए हम भी आ जायेगे,आसपास से भीड़ भी इकठ्ठी करनी है ,कलवा चाचा बजरंगी चाचा आप ये काम करो ,लोगो को अपनी गाड़ी में भरकर लाओ और यहां एक माहौल तैयार कर दो...एक बार इंटरनेशनल लेबल में बात पहुच गई तो बंसल का बाप भी इस मूर्ती को नष्ट नही पायेगा...ये हमारे लिए बहुत ही इम्पोटेंट है,पैसा बहा दो सबको खरीद लो ,जितना चाहे उतना दे दो ……”अजय के फैसला सुनने की देरी थी की सभी अपने काम में व्यस्त हो गए…
मलीना आंखे फाड़कर देखने लगी ,
“आप अगर ये कल ही बता देती तो शायद अभी तक ये इंटरनेशल न्यूज़ होती “
“लेकिन इससे तुम्हे क्या मिलेगा,अगर तुम राजा के वंसज साबित भी हो जाते हो तो भी ये प्रोपर्टी तो सरकार की ही होगी और यहां से तुम एक ढेला भी नही ले जा पाओगे “
“मुझे बस वो नाम चहिये आपको पता नही की बंसल इसके पीछे हाथ धो कर क्यो पड़ा है,ये इस राज्य की राजनीतिक साख की बात है …….”
मलीना बस उसके चहरे को देखते रह जाती है...

“नही मुझे कुछ नही पता “
एक जोर का डंडा फिर से अभिषेक के पेट में पड़ता है,
और उसकी चीख सुनाई देती है……..
“बस करे क्या भाई अब तो भूख भी लग गयी,”
राकेश की आवाज सुनाई देती है,
“अबे तुम अभी इस परिवार का हिस्सा बने हो हमारा तो नियम है पहले जी भर के मारो फिर जी भर के खाओ “
विजय ने हँसते हुए कहा और फिर डंडा घुमा दिया,अभिषेक के चीख के साथ ही किशन और विजय की हँसी निकल गई,
तभी गेट खुला और अजय और नितिन कमरे में आते है,वो एक गेरेज जैसा कमरा था जहा ज्यादा समान नही थे,बीचो बीच अभिषेक को उल्टा लटकाया गया था,जो की बस एक जीन्स पहने था,ऊपर वो कुछ भी नही पहने था और डंडों की चोट साफ नजर आ रही थी,
“चलो साले की किश्मत अच्छी है की भैया आ गए”
किशन की भी हँसते हुए आवाज अभिषेक को सुनाई दी और वो भी थोड़ा रिलेक्स हुआ…..
“क्या कहा इसने”
अजय का पहला सवाल यही था,
“बोलता है कुछ पता नही “
विजय ने साफ शब्दो में कहा 
“अच्छा नीचे उतार”
अजय के आदेश मिलते नही उन्होंने उसे नीचे उतार के बैठा दिया,
अजय और नितिन उसके पास ही गए थे की अभेसेक का रोना शुरू हो गया,
“भइया मैं सच कहता हु मुझहे कुछ भी नही पता,आप लोग मुझे क्यो उठाकर लाये है मुझहे समझ नही आ रहा “
“घड़ी……...याद है ना जो तूने निधि को दी थी ,उसमे एक माइक्रोफोन था ,हमारी बात सुनकर तू क्या करना चाहता था,बस इतना बता दे,तेरा बाप तुझे हर जगह ढूंढ रहा है,मैं नाही चाहता की उसके इकलौते बेटे लाश उसे मिले वो भी ऐसे की वो उसे पहचान ना पाए “
अजय ने बड़े ही सरल शब्दो में अभिषेक को समझा दिया,लेकिन नितिन के लिए ये पहली बार था ,किसी के साथ इस तरह पेश आना उसे तो इसकी भनक भी नही थी,वो थोड़ा चौका तो जरूर लेकिन उसे भी याद आया की वो भी तिवारियो के परिवार से है जंहा ये सब घटनाये रोज का काम है…
“मुझे तो ये घड़ी मिस्टर एक्स ने दी थी निधि को देने के लिए ….बस भइया मुझहे इससे ज्यादा कुछ भी नही पता “
“भाई ये जबसे हमे चुतिया बना रहा है मिस्टर एक्स बोल कर बोलो तो इसकी खाल खिंचवा दु “
इसबार विजय सचमे गुस्से में था ,लेकिन अजय ने उसे रुकने को कहा 
“कौन है ये मिस्टर एक्स “
अभिषेक पूरी कहानी बताने लगा की कैसे एक आदमी उसे मिला और निशि की तस्वीर दिखाकर उसे बहलाया ,कैसे उसने ही उसे चुनाव में खड़े होने को कहा और वो दोनो परिवारों से इतनी नफरत करता है...उसका नाम किसी को नही पता लेकिन जो भी उसे जानते है वो उसे मिस्टर एक्स के नाम से जानते है,उन्होंने ही उनकी गाड़ी पर हमला कराया था और शायद उनके पिता की हत्या के पीछे भी उसका ही हाथ है,और उस घड़ी से उसे ये भी पता चल गया की वो केशरगढ़ जा रहे है,लेकिन वो कुछ भी नही कर पाया,अब उसका प्लान उनकी बहनों को पटा कर …………..
“अभेसेक उससे आगे नही बोल पाया क्योकि उसे पता था की उससे आगे सुन पाना शायद ना तो अजय ना ही नितिन के लिए संभव था,वो बस इतना ही बोल पाया की उनकी नजर निधि और खुसबू पर है………
अजय और नितिन जो अपन बहनों से जान से भी ज्यादा प्यार करते थे,उसकी बात से आग से जलने लगे लेकिन वक़्त जलने का नही जलाने का था……….
सबसे बड़ी समस्या थी की क्या ऐसी प्रॉब्लम थी की मिस्टर एक्स उनके परिवार को बर्बाद करना चाहता है,
“छोड़ दे इसे जाने दे “
अजय ने विजय को आदेश दिया …
“लेकिन भाई ……”
“बस बोला ना जाने दे इसे ,और अगर वो जो भी हो तुझे मिलने बुलाये तो जरूर जाना लेकिन हमे बताकर ,और तू आज सुबह से यहां था ये किसी को भी पता नही चलना चाहिए ….”
“जी भइया “
अजय उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखता है,
“देख भाई तूने मुझे भइया कहा है और निधि ने तुझे अपना दोस्त माना है,दोस्त ही नही शायद दोस्त से कुछ ज्यादा ,और मुझे कोई भी एतराज नही है,लेकिन अगर वो लोग कामियाब हो गए तो ना तुझे निधि मिलेगी और ना ही हमारा साथ,तुझे ये सोचना है की तुझे क्या चाहिए ,तू हमारे साथ रह उसके बारे में जो भी तुझे पता चले वो हमे बता ,मैं तो तुझे इस राज्य के मंत्री के रूप में देख रहा था और तू ही यू गद्दार निकला …”
विजय की आंखे लाल हो चुकी थी पर अजय ने उसे इशारे से शांत रहने को कहा वही अजय के प्यार भरे बातो से अभिषेक पिघल गया और रोने लगा,वो अजय से माफी मांगने लगा अजय उसे सहानुभूति ही दिखता रहा और उसे सही सलामत वापस भेज दिया ,.....
“इसपर नजर रखने के लिए आदमी इसके पीछे लगा दे “
अजय के कहने से ही किशन तुरंत ही उसके पीछे वहां से निकल गया…
“माना की आप निधि से बहुत प्यार करते है और हमारे घर के सबसे बड़े आप है लेकिन भाई वो मेरी भी तो बहन है….और आप उसे ये कह रहे है की आपको उससे कोई भी प्रॉब्लम नही है…”
विजय सचमे गुस्से में था…
“बात को समझ उसे अपनी ओर करना सबसे जरूरी था,
“अरे मा चुदाये आपकी ये राजनीति भरी बाते ,आपको पता था की ये हमारी बहन के लिए ये सोच रहा है लेकिन आपने उसे जाने दिया,साले की लाश भी नही मिलनी थी कही …’”
विजय गुस्से को यू पी रहा था की उसके आंखों में पानी आ गए ..
आज पहली बार था की विजय ने अजय के किसी भी फैसले पर सवाल उठा दिया था ,यू तो अजय को भी कहते हुए कुछ भी नही बना वो भी जवाब की तलाश में था…..विजय को अपनी गलती का आभास हुआ और वो कमरे से निकल गया ,अजय के आंखों में बस आंसू थे ...नितिन अपना हाथ उसके कंधे पर रखता है…
“भाई विजय दिल से सोचता है दिमाग से नही “
नितिन ने अजय को सहानुभूति देते हुए कहा ,
“वो भी निधि से उतना ही प्यार करता है जितना की मैं,बस दिखता नही है,,,सच में नितिन परिवार की जिम्मेदारी निभाते निभाते कुछ फैसले ऐसे भी लेने पड़ते है जो दिल से नही दिमाग से लेने पड़े,उसने कुछ भी गलत नही किया और मैंने भी जो किया वो हमारे परिवार की भलाई के लिए ही था…”
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12-24-2018, 01:20 AM,
#48
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
अजय का यू रोना शायद की कोई समझ सकता था,नितिन उसे बस सहारा दे रहा था,...............
“छि कितनी बदबू फैला के रखे हो रूम में …”
निधि की प्यारी सी आवाज से विजय चौका जब वो अपने ओल्ड मोंक की बोलत से 4 था पटियाला पैक बनाकर तैयार था,आज उसे इसी हार्ड दारू का सहारा था,वो बड़ा ही परेशान था,निधि यू तो उसके कमरे में नही आती थी लेकिन अजय से सब सुनने के बाद वो खुद को रोक नही पाई थी…
कमरे में घुसते ही उसे रम की वो खुसबू/बदबू आयी (खुसबू उनके लिए जो पीते है और बदबू उनके लिए जो……..छोड़ो यार 0
“ये क्या कर रहे हो छोड़ो इसे”
निधि ने ग्लास हाथ से छिनने की कोसीस की लेकिन विजय की लाल आंखे उसे भी थोड़ा डरा गई …………….
“तू यहां क्यो आयी है तेरा तो एक ही भाई है ना जा उसके पास ,मुझे क्या हक है तेरे जिंदगी के फैसले लेने का,जो अजय भइया कहे वही सही है,कोई तेरी जिंदगी बर्बाद भी करदे तो हमे हक नही है बोलने का………”
विजय की आंखों में आंसू थे ,और दिल में एक अजीब सा दर्द जो उसे कभी भी फील नही हुआ था,वो शराब का सहारा ले रहा था,लेकिन शराब साली किसकी सगी है,जब दिल के गम भुलाने को पियो तो गड़े दर्द को और जगा देती है ,...
निधि बेचारी बस उसे देखती ही रह गई वो विजय को प्यार करे या उस लाचारी पर रोये उसे समझ ही नही थी ,लेकिन सोनल जो उनके पीछे खड़े सब सुन रही थी वो गुस्से में आ गई और उसके हाथ से वो ग्लास पकड़कर पटक दिया ….
विजय उसे भारी हुई आंखों से ही देखता रहा…
“हा साले तुझे कुछ भी हक नही है अपने बहनों की जिंदगी के लिए फैसला करने का किया ही क्या है तूने ……”
निधि डरकर सोनल को चुप करने गयी लेकिन उसने उसे अलग कर दिया 
“क्या आता है तुझे और क्या जानता है तू अजय भइया के बारे में ,सब कुछ सहकर जिसने हमे इस मुकाम में पहुचाया आज तू उनका ही दिल दुखा आया ,तुझे तो बस यही समझ है की मारो या मारो,और तुझे क्या चाहिये दारू और लड़की ……..”
सोनल के इतने कहने पर ही विजय फफककर रोने लगा निधि जाकर उसे अपने गले से लगा ली,निधि की कमर पर विजय का सर था और वो रोये जा रहा था.लेकिन सोनल का गुस्सा शांत नही होने वाला था,
“क्या बहन की जिम्मेदारी की बात कर रहा है तू….क्या किया है तूने आज तक बहनों के लिए “
“दीदी बस करो भाई को देखो कितने दुखी है और आप हो की …”
“ए भईया की चमची जा तू जाकर अजय भइया के साथ सो जा ,मेरे भाई को मेरे लिए लिए छोड़ दे ……”
विजय और निधि सोनल का चहरा देखने लगे ….अब सबके आंखों में आंसू था,निधि तो वही बैठ गयी उसे यकीन नही हो रहा था की उसके घर में ये क्या हो रहा है,आज एक भाई किसी एक बहन का तो दूसरा दूसरे बहन का हो गया,
लेकिन कुछ ही देर में सोनल के चहरे पर एक मुस्कान आयी …
“क्यो लगा हुआ ना दर्द ….सोच कैसा लगा होगा भैया को जब तूने उन्हें ये कहा ,उन्होंने हममें कब कोई फर्क समझा जो हम समझ रहे है,और उन्होंने जो फैसला किया है वो कुछ सोचकर ही किया होगा,वो हम सबकी भलाई चाहते है,निधि ,मुझहे और रानी को अगर कोई सबसे ज्यादा प्यार करता है तो वो अजय भइया है ,साथ सोने से ही सब कुछ नही हो जाता समझे…”सोनल के साथ इसबार विजय और निधि भी हल्के से हँसे …
“माफ कर दो यार गलती हो गई बस समझ नही आया उस समय …”विजय मुस्कुराते हुए कह गया 
“और भइया आई लव यू ...और मेरे भी भैया है समझी नितिन की gf “
निधि ने विजय के गालो पर एक जोर का किस किया ,लेकिन वो gf वाली बात पर सोनल उसे मारने लगी निधि विजय के पीछे छुप गई ,
,माहौल अचानक ही बदल गया था,निधि विजय के गोद में बैठ जाती है ,
“भइया इतनी बदबू है इसमें आप पी कैसे लेते हो ….”
सोनल और विजय बस मुस्कुरा दिए और जवाब में विजय ने निधि के गालो को पकड़कर एक जोर का किस ले लिया ………….

केशरगड़ की खबर जंगल में आग की तरह फैली और कुछ ही घंटे में पुरातत्व के बड़े अधिकारियो का जमावड़ा वहां हो गया,अजय की तरफ से वहां के कुछ बंदों ने सिफारिश भी करदी,और अजय के ब्लड का सेम्पल भी लिया गया,ये भी एक न्यूज़ बन गई की अजय ठाकुर नाम के शख्स ने केसरगढ़ के राजपरिवार का होने का दावा किया,डीएनए टेस्ट के बाद असलियत का खुलासा होगा,,लेकिन उस शख्स का चहरा वहां मिले मूर्ति से हूबहू मिलती है,
बंसल को भी समझ आ चुका था कि उसने देरी कर दी है और अब कुछ भी कर पाना मुश्किल है,अजय को उसका नाम तो मिल ही जाएगा,बस उसे अब राजनीति में उसे आगे बढ़ने से रोकना था,और साथ ही अपने को ज्यादा मज़बूत करना था,
इधर अभिषेक से मिस्टर x (पुनिया ) ने संबंध ही काट लिया क्योकि उसे पता चल गया था की उसे पकड़ लिया गया है,उसे इस बात का भी पता चल गया था की अजय राजनीति में आना चाहता था,उसने बंसल से बात करने की ठानी…
वो अपने दोस्त जग्गू जो की एक तांत्रिक था,के पास बैठा अपने मन की बात कर रहा था,
“तुम्हे क्या लगता है बंसल से बात करना ठीक होगा,”
“तू चुतिया है ,बंसल तो तुझे ही अजय के सामने पेश कर देगा की तू ही उसके मा बाप का कातिल है ,और भूल मत वो राजनीतिज्ञ है कोई चुतिया नही जो तेरी मदद करेगा,अजय के लिये तुझसे बड़ा गिफ्ट क्या होगा,और बंसल बदले में उसे अपने पार्टी में मिला ले तो क्या अजय मना कर पायेगा,नही …….बंसल को इतनी समझ तो होगी ना ..”
“हा यार जग्गू तू ठीक कहता है,लेकिन अब क्या एक मोहरा इतने दिनों की मेहनत से जुटाया था वो भी गया,”
“कुछ तो जल्दी करना होगा,मेरा भी लंड अब सब्र नही कर रहा जबसे इन कमसिन हसीनाओं को देखा है”
पुनिया का तो माथा ठनक जाता हैं,
“साले तुझे बस चुद दिखाई दे रहा है,इतने सालो का बदला भूल गया तू “
जग्गू ने अपने पीले और बेहद ही बेकार दांत निकले और हँसने लगा 
“भाई सालो हो गए है ना ,तू क्या समझे गा,मेरे गुरु तो हाथ से भी हिलाने नही देते थे,बस जब कोई लड़की की बलि दो तब ही उसे कर सकते हो,जल्दी दिला यार …”
पुनिया गहरे सोच में पड़ गया था,की आखिर किया क्या जाय ,की अचानक उसे एक आईडिया आया ,
“क्योना तिवारियो के हवेली में सेंध डाली जाय ?????”
“कैसे “
पुनिया ने चहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गई ….
इधर तिवारियो की हवेली में ,
राकेश महेंद्र का बेटा अपने कमरे में मोबाइल पर कुछ देख रहा था की उसके कमरे का दरवाजा हल्के से खुला ,उसने नजर उठाकर देखा तो सामने आरती(वीरेंद्र रामचंद्र के सबसे छोटे बेटे की पत्नी ) खड़ी थी ,उसके हाथ में दूध का ग्लास था,वो सफेद साड़ी में भी किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी,उसकी उबलती हुई प्यासी जवानी मर्द के स्पर्श को लगभग भूल सी गई थी,उसके स्तन मलवाले से उसके तने हुए ब्लाउज़ को फाड़ने को तैयार थे,उनके बीच की घाटी की गहराई भी उसके चमकदार और मांसल स्तनों का आभास दे रहे थे,उसे देखकर ही राकेश के चहरे पर एक मुस्कान आ गई ,
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12-24-2018, 01:20 AM,
#49
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
वो कमरे के अंदर आयी और अपने पीछे ही कमरे का दरवाजा बन्द कर दिया,सफेद साड़ी जो की इतनी पतली थी की उसके उजोरो की घाटी साफ दिख रही थी,उसके बड़े नितम्भ और पतले कमर की वो लचक ,किसी काम की देवी सी वो लचकते हुए राकेश के पास पहुची और उसके बिस्तर पर बैठ गई ,
“तुम्हारे लिए दूध लायी हु “
उसके हर शब्द से वासना की महक आ रही थी,
“आप तो जानती हो चाची की मुझे दूध कैसे पीना पसंद है,”
राकेश का लिंग उसके पतले निकर को फाड़ रहा था,आरती की नजर उसके अकड़े लिंग में गयी और उसके योनि से भी कुछ रस काम का टपक पड़ा,वो एक खुजली के अहसास से मचल गई,
“पहले ग्लास से तो पी लो ,साथ ही शिलाजीत भी लायी हु “
वो दो गोलिया शिलाजीत की दूध में मिला देती है जो की आसानी से घुल जाता है,राकेश उस दूध को पकड़ता है वो केशर की महक से महक रहा था,राकेश के चहरे पर एक मुस्कान आ गई ,और वो जल्दी से उसे पी गया ,आरती उसके पास आई उसकी सांसे तेज थी ,राकेश की भी सांसे कुछ तेज हो रही थी,
राकेस ने अपने हाथ उसके कमर पर लगाया और वो मचल गई 
“आह बेटा “
राकेश फिर से मुस्कुराया और उसे फिर से अपने पास खिंचा उसका जिस्म किसी गर्मी से पसीना छोड़ रहा था ,जिससे आरती एक शरीर गिला हो गया था,उसके नरम त्वचा के अहसास से राकेश के जिस्म पर भी एक झुंझुरी सी दौड़ गई ,
पसीने के गीले पतले साड़ी के कारण जिस्म का कटाव उभर कर आ रहा था,आरती की खुसबू से राकेश के अंगों में अकड़ान बढ़ रही थी,
वासना की आग उम्र और रिस्तो के बंधन को नही मानती वो हर दीवार तोड़ कर उस आग को शांत करना चाहती थी,एक विधवा औरत अपने बच्चे की उम्र के लड़के के साथ आज सबकुछ करने को तैयार थी,शायद ये उनका पहले बार भी नही था,लेकिन आरती करती भी क्या,उसकी शादी नई नई थी की बेचारी का पति पारिवारिक झगड़े के कारण मारा गया,एक अच्छे घर की लड़की जो एक जमीदार खानदान की बहु थी,पढ़ी लिखी थी,समाज के सामने शालीन थी,मर्यादित थी,लेकिन जिस्म की आग जो उसके पति ने उसे लगाई थी लेकिन उम्र के उस दौर में जब ये आग सबसे ज्यादा होती है उसके पति की मौत हो गई,आरती की ये मजबूरी थी की वो अपने को किसी ऐसे के हाथो में सौपे जो की उसकी इज्जत के ना उछाले ,राकेश जब जवान हुआ तब से ही आरती ने उसे सम्हाल लिया,राकेश सबसे ज्यादा प्यार अब आरती को ही करता था,वो उसके लिए पहले मा थी ,बाद में उसकी सबसे अच्छी दोस्त और उसके बाद उसकी गर्लफ्रैंड बन गई,आज भी राकेश के दिल में उसके लिए बहुत प्यार और सम्मान था,लेकिन शायद राकेश को भी उसकी मजबूरी समझ आती थी और वो उससे जिस्म का रिश्ता निभाने में संकोच नही करता ……..
आरती आज बड़े दिनों के बाद फिर से राकेश के साथ थी,आज वो अपनी सभी जलन मिटाना चाहती थी,वो राकेश के होठो के पास आकर उसके आंखों में झांकती है,राकेश की आंखे उससे टकराती और वो अपने होठो को आरती के होठो में मिला देता है,
दोनो एक दूजे के जिस्म से खेलने लगते है और राकेश उसके पल्लू को सरकाकर उसके बड़े बड़े आमो के रस को पीने की कोशिस उनके ब्लाउज़ के ऊपर से ही करने लगता है….
उसकी जीभ का स्पर्श पाकर आरती की आहे निकलने लगती है,
“आह बेटा थोड़ा आराम से ,नही दांत मत गड़ा ना “
“आज तो पूरे मन की करूँगा चाची आप को नही छोडूंगा,इतने दिनों के बाद मिली हो “
राकेश उतेजित था और उसके दन्तो के निशान आरती के उजोरो पर पड़ रहे थे वो उसके बालो को अपने हाथो से कसकर पकड़े हुए थी ,राकेश अपने दांतो को गड़ाता और थूक से उसके ब्लाउज़ को भिगोने लगा,आरती को मजबूरन ब्लाउज़ के बटन खोलने पड़े ,अंदर अंतःवस्तो की कमी के कारण उसके उजाले स्तनों की चोटी के दर्शन राकेश को आसानी से हो गए,और वो अपनी आदत के अनुसार अपने दन्तो और लार से उसे भिगोने लगा,उसके निप्पलों को अपने मुह से भरकर वो उसे पूरी तकत से चूसने लगा,आरती के लिये सहन से बाहर हो रहा था,उसका शरीर मादकता से भरा हुआ था और किसी मर्द के ना छूने के कारण वो जलते तवे सा हो गया था,थोड़े से पानी के छीटे भी धुवा उठा देते थे,
राकेश का इतना सा खेल ही उसे झड़ने को काफी था,वो पागलो की तरह मतवाली से झूमि और एक धार उसके पेंटी को भिगो दी ,राकेश उसकी हालत पर मुस्कुराया ,और आरती उसे झूठे गुस्से से देखने लगी,
“शैतान कही का “और उसके गालो को पकड़ कर उसके होठो को अपने होठो से भिगोने लगी…
माहौल की गर्मी बढ़ रही थी,और दोनो की उत्तेजना भी,और राकेश से और नही सहा गया वो अपनी प्यारी चाची को बिस्तर में लिटा कर सीधे उसके साड़ी को पकड़कर उठाने लगा,एक ही झटके में उसे कमर से ऊपर खिंच दिया राकेश का हाथ पेंटी पर गया ही था,
“अरे इतनी क्या उतावली है मैं उतार देती हु,’
लेकिन खड़ा लिंग किसकी सुनता है,वो उसे उतारा जैसे की वो इसे फाड़ ही देगा,आरती को उसके उतावले स्वभाव को देखकर हँसी भी आ गई,लेकिन उसकी हँसी ज्यादा समय तक नही रही ,क्योकि राकेश ने सीधे ही उसके योनि में अपना लिंग धसा दिया,वो बेचारी एक आह भरकर रह गई,और अपने बांहो के घेरे से राकेश को घेर लिया,वो उसे अपनी पूरी ताकत से धक्के लगाए जा रहा था……..
कमरे में छप छप छप की आवाजे आ रही थी ,आरती ने पहले ही अपना पानी निकल दिया था और वो फिर से उतेजित हो चुकी थी,और राकेश का लिंग पूरी तरह से भीगा हुआ अंदर बाहर हो रहा था,कमर चलता रहा आहे निकलती रही ,और दिल धड़कते रहे ,और वो लावा राकेश के अंदर से निकल कर सीधा आरती के अंदर समा गया….

“सुरेश है ये हमारे काम आ सकता है”
पुनिया आज बहुत खुस दिख रहा था,सुरेश आरती के मामा का लड़का था,और वीरेंद्र की मौत तथा आरती के इस तरह जवानी में ही विधवा हो जाने को लेकर बहुत ही दुखी भी रहता था,वो वन विभाग में एक अधिकारी के पोस्ट में था,और उसकी नफरत ठाकुरो और तिवारियो से हमेशा से थी,ठाकुरो से इसलिए क्योकि उनके कारण वीरेंद्र की जान गई और तिवारियो से इसलिए क्योकि उन्होंने उसके बहन को दूसरी शादी नही करने दिया,कभी सुरेश पुनिया के गांव में ही इंचार्ज हुआ करता था और जग्गू और पुनिया के लिए सहानुभूति भी रखता था,लेकिन सालो से उनका इससे कोई भी मेल मिलाप नही था….
“लेकिन क्या वो मानेगा,खफा होना और दुश्मनी होने में बहुत ही फर्क है ,सुरेश चाहे कितना भी नफरत करता हो वो हमारे साथ आएगा उसकी गुंजाइस थोड़ी कम ही है,”
जग्गू ने नाम तो सुझा दिया था लेकिन वो भी कंफर्म नही था की सुरेश उनकी मदद करेगा की नही ,
“सुरेश क्या कर सकता है मुझे तो आरती की मदद चाहिए वो अगर हमारे साथ आ गई तो काम हो जाएगा,”
जग्गू को नही पता था की पुनिया क्या करने वाला है पर उसे उसपर पूरा भरोसा था,
इधर 
ठाकुरो की हवेली में चहलपहल बढ़ गयी थी ,अजय को केशरगढ़ के राज परिवार का वारिस घोषित कर दिया गया था,इस हैसियत से उसे राजा घोषित किया गया उसका राज तिलक हुआ और एक बड़ी पार्टी की गई साथ ही परंपरा के अनुसार वो गरीबो में बहुत सा दान भी दिया. ,वहां के लोग अपने राजा को देखने को दूर दूर से आने लगे रोज ही अखबारों में तस्वीरे वगैरह कुल मिलाकर पूरे इलाके में बात का एक ही विषय था ,अजय का राजा बनना….
इससे उनको कोई आर्थिक मदद नही मिलने वाली थी पर एक सम्मान जो अजय और उसके परिवार का वहां था वो कई गुना बढ़ गया था,
हवेली की रंगत ही कुछ और हो चुकी थी और साथ ही समय पास आ रहा था सुमन और किशन की शादी का...सुमन अब हर दुख को छोड़कर बस किशन को अपना पति बनाने को बेताब थी ,कुछ ही दिनों में उनकी शादी थी ,बाली चाहता था की उससे पहले अजय और विजय की भी शादी हो जाय लेकिन उसे भी पता था की ये मुमकिन नही है,
वक़्त चलता चला गया और चुनाव को भी एक ही साल का समय बचा था,निधि और धनुष बड़े ही ताकत से चुनाव की तैयारी में लगे थे,वही अब अभिषेक निधि से दूर रहने लगा था उसे पता था की उसकी एक छोटी सी गलती उसे कही का नही रहने देगी….निधि को पहले तो ये अजीब लगा लेकिन फिर वो अपने काम में इतनी व्यस्त होने लगी की उसे इसकी सुध भी नही रहती थी………
उस रात बाली अपने कमरे में गया ,वो अब चम्पा के साथ ही सोया करता था,लेकिन अलग अलग बिस्तरों में ,इतने दिनों की दूरी अब भी नही भरी थी ,
“शादी की तैयारीया कैसे चल रही है …”
ऐसे तो वो दोनो बहुत ही कम बात किया करते थे पर जब से किशन की शादी फिक्स हुई थी वो कुछ चीजो के लिए बात कर ही लिया करते थे,
“ठीक है और ये बच्चे मुझे कुछ करने ही कहा देते है,अब तो इनकी ही चलती है अब मैं बुड्ढा हो गया हु “
बाली हँसते हुए कहा,
“आप भी ना अभी तो आप किसी जवान को भी मात दे दे ...अभी भी तो वैसे ही है “
बाली की नजर सीधे चम्पा पर गई वो उसके बदन को ही घूर रही थी ,बाली से नजर मिलते ही उसकी नजर शर्म से झुक गई ,बाली को भी बड़ा अजीब सा लगा,ये सालो की दूरियां जिसने मन के जज़बातों को दफना दिया था,एक हल्की सी आहत ने उसे हिलोरे मारने पर मजबूर कर दिए था.,
दोनो ही चुप होकर सोने की कोशिस करने लगे वो अलग अलग बिस्तर में सोए थे ,चम्पा के दिल की धड़कन बाली तक पहुच रही थी लेकिन वो मूरत बना बस सोया हुआ था,की चम्पा उठी जैसे वो इस आग को बर्दास्त नही कर पाएगी उसके उठने की आहट से बाली भी उसकी ओर देखने लगा ,जैसे ही चम्पा बिस्तर से उठी उसका पल्लू नीचे गिर गया….
वो अभी बेफिक्र थी उसे लगा की हमेशा की तरह बाली दूसरी ओर मुह किया सोया होगा,लेकिन बाली की नजर सीधे ही उसके उजोरो पर गई,आज भी चम्पा की कातिल अदाएं वही थी जो सालो पहले हुआ करती थी,उसके उजोरो के मदमस्त पर्वत ब्लाउज के उस दर्रे से झांक रहे थे,वो मखमली जिस्म का वो हिस्सा बाली के मन को बहकाने को काफी था,सालो से किसी औरत के जिस्म का स्वाद उसे नही मिला था यही हाल कुछ चम्पा का भी था और दोनो एक दूसरे के सामने इस हालत में थे की वो कुछ कर भी नही पा रहे थे और किये बिना रहना भी मुस्किल हो रहा था…..
दूधिया रोशनी में चमकता हुआ चम्पा का जिस्म और उससे आने वाली वो मनमोहक खुशबू,उम्र के इस पड़ाव में वो उसका शरीर और भी गदरा गया था,भारी नितम्भ,उभरे उरोज ,और चहरे पर वही कातिलाना अंदाज,...
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12-24-2018, 01:21 AM,
#50
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
कभी वो कई लोगो का बिस्तर गर्म करती नही थकती थी,और उसके अदाओं ने ना जाने कितनो को पागल बना रखा था,दोनो ही एक दीवार से खुद को अलग पा रहे थे और उस दीवार को तोडना दोनो की हसरत थी,लेकिन ….
मजबूर आकांक्षाओं की दीवार एक ही चोट में धराशायी हो जाती लेकिन वो चोट पहले कौन लगाता,वो अपनी नजर झुकाए बालकनी में चली गई ,और हवा के हल्के झोको ने चम्पा को उस आग से कुछ आराम दिया,उसने अपने पल्लू के पर्दे को हटा कर अपनी उरोजों को सांस लेने के लिए खुला छोड़ा वो उसे मसल कर अपनी भावनाओ को सकून दे रही थी,
नीचे कलवा अभी अभी कुछ काम निपटा कर लौट रहा था,चम्पा के कमरे के नीचे एक सन्नटा होता था,वो जगह उनके बगीचे की थी,कलवा अपनी अकेली रातो में वहां आकर कुछ सकून के पल बिताया करता था,दोनो की नजरे मिली और कलवा भी उस काम की मूरत को देखता रह गया,,,...
चम्पा को अपने स्थिति का आभास कलवा के नजरो से ही हुआ और उसके चहरे पर शर्म की लाली खिल गई ,वो उसे देखकर हल्के से मुस्कुराई ,वो बहुत अच्छे दोस्त थे ,कलवा कभी चम्पा का आशिक हुआ करता था और ये बात चम्पा को भी पता थी,आज इतने दिनों बाद दोनो की वही भावनाएं फिर से जाग गई ,कुछ देर को ही सही लेकिन कलवा उसे वैसे ही घूर रहा था जैसे की वो पहले घूरा करता था और चम्पा की अदाएं कुछ टिस करती हुई कलवा तक पहुच रही थी,उसके चहरे पर शर्म ने एक मुस्कान की जगह ले ली थी जो की एक कामोत्तेजक मुस्कान थी,महिलाओं की ये मुस्कान किसी भी समझदार आदमी के दिमाग को बिगड़ देती है ,ये एक सिग्नल होता है की वो महिला आपमे उत्सुक है,
कलवा का दिल सालो बाद यू जोरो से धड़का था,और अचानक ही मानो दोनो को होश आया की वो ये क्या कर रहे है……
चम्पा ने अपने को झट से ठीक किया और नजर नीची कर अपने कमरे में चली गई वही कलवा को भी ये आभास हुआ और वो भी वहां से निकल जाना ही बेहतर समझा ….
चम्पा कमरे में दाखिल हुई तो उसने बाली को जागता पाया,वो अपने बिस्तर में बैठा किसी सोच में गुम था…
“क्या हुआ नींद नही आ रही आपको “
चम्पा जुबान में अचानक ही एक मीठापन आ गया था,कुछ ही देर पहले हुए सभी वाक्यो ने उसके योनि में कुछ रिसाव शुरू कर दिया था और अपने बिस्तर में लेटकर चादर के नीचे उसे शांत करना चाहती थी लेकिन अभी बाली जाग रहा था,और उस उत्तेजना ने उसमे एक हिम्मत ला दी वो सीधे बाली के बाजू में बैठ गई,और अपना हाथ बाली के हाथो में ले लिया ,
“पता नही कुछ अजीब लग रहा है..”
बाली मुड़ने वाला ही था की चम्पा ने बड़ी अदा से अपने पल्लू को नीचे गिरा दिया,बाली की आंखे सीधा उसके ब्लाउज़ के दरार पर पड़ी...और वो अपनी थूक गटक गया,
चम्पा की हिम्मत और बड़ी वो बाली के पैजामे से झांकते उसकी मर्दानगी को देखने लगी,जो तन कर किसी रॉड की शक्ल ले चुका था,इसके आभास ने ही उसे और उत्तेजित कर दिया ,और वो अपना हाथ बाली के बालो में ले आयी और उसे अपनी ओर खिंचने लगी ,इतना बलशाली बाली भी किसी कठपुतली की तरह उसके इशारों पर खिंचा चला गया और उसके सीने से जा लगा….
बाली की सांसे अब चम्पा के दरारों पर पड़ रही थी,जिससे दोनो ही जिस्मो की आग बढ़ती जा रही थी,अब बाली से भी सहन करना कठिन हो रहा था और वो अपने मुख को खोलकर थोड़ा नीचे जाता हुआ उसके खुले जगह पर अपनी जीभ लगा दिया..
चम्पा के लिए ये सहन करना कठिन था,वो बाली के सर को अपनी छाती पर जोरो से भिच ली..और वो दीवार टूट गई ...वो संकोच की दीवार आगे क्या होने वाला था दोनो ही जानते थे और इस उमंग से ही दोनो के दिल की धड़कन तेज हो गई थी,बाली ने चम्पा की सहमति पा कर अपने हाथो और मुह को काम में लगा दिया वो धीरे धीरे बढ़ता हुआ उसके उजोरो को हर जगह से चाटने लगा और उसे निर्वस्त्र करने लगा चम्पा को भी अब ये कपड़े सुहा नही रहे थे,दोनो ही सालो के प्यासे थे और कब ये आग फुट जाय इसका कोई भी भरोसा नही था,बाली के अंदर का जानवर अब धीरे धीरे जागने लगा था,वो चम्पा के दूध को दुहने में आमादा था वो इतने जोरो से उसे निचोड़ रहा था की चम्पा को लगा की कही इनसे खून ना निकल जाय बाली अपनी जवानी में लौट गया था,वो चूसता मसलता,चम्पा के शरीर को तोड़ रहा था,और चम्पा की आहे पूरे सबाब में गूंज रही थी…
बाली ने आखिर चम्पा का वो आखरी वस्त्र भी निकाल फेका और खुद भी पूरी तरह निर्वस्त्र हो उसके उस गुफा में अपने लिंग को घुसाने लगा,दोनो ही इतने गर्म थे की कुछ ही धक्कों ने दोनो को तोड़ दिया और दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे….
जल्दी झरने का कोई दुख किसी को भी नही था क्योकि वो जानते थे की अब तो हर रात जवान होने वाली है ………..
“तुम बहुत ही कसी हुई हो ,जैसे जवानी में होती थी…”
बाली का प्यार पाकर चम्पा और भी खिल गई थी,उसने मादक अदा दिखाते हुए बाली को अपनी ओर खिंचा 
“और आप वैसे ही जानवर है जैसे पहले हुआ करते थे,,..”
चम्पा की बात सुनकर बाली के अर्ध तने लिंग ने फिर से फुंकार मारी 
“अब दिखता हु की जानवर किसे कहते है…”
दोनो का ठहाका पूरे कमरे में गूंज गया और बाली चम्पा के ऊपर सच में जानवरो जैसा झपटा...

किशन की शादी की शॉपिंग करने पूरा परिवार शहर गया हुआ था,शहर के उसी माल में जहा कभी सुमन उन्हें मिली थी आज वो माल ठाकुरो का था,तिवारी परिवार की तरफ से गए थे खुसबू और नितिन ,आरती स्वाभाविक था की शॉपिंग दिन भर चलनी थी ,वहां के कई दुकान भी अजय ने ही खरीद लिए थे,कुछ को महेंद्र ने ,कुछ बाकियों के भी थे...माल में चहलकदमी सुबह से जोरो पर थी ,जब खुद मालिक का परिवार आ रहा हो तो ये होना स्वाभाविक भी था,
सुमन आज उसी दुकान में बैठी थी जंहा कभी वो काम किया करती थी,वो अपने सभी साथियों को देखकर भावुक हो गई,सभी उससे ऐसे मिल रहे थे जिसे की कोई नई दुल्हन पहली बार मायके आयी हो,लेकिन सभी को पता था की अब ये यहां की कर्मचारी नही बल्कि मालकिन है, अपने आंखों में आंसू और दिल में विनय का भाव लिए वो वहां बैठी थी ,उसे तो अपनी किश्मत पर कभी कभी यकीन भी नही होता था,क्या ये एक सपना था,लोग उसे किसी महारानी की तरह से ट्रीट कर रहे थे,लेकिन उसके आंखों में बहुत ही विनम्रता उन लोगो के लिए थी होती भी क्यो ना कभी वो भी उन्ही में से एक हुआ करती थी,
सुमन का साथ निधि ने कभी नही छोड़ा,सभी उसको देख कर ही पहचान गए की यही वो लड़की है जिससे हुई लड़ाई ने सुमन की पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी,वक़्त भी कैसे कैसे खेल खेलता है,जिस चीज के लिए सुमन को अपनी नॉकरी से भी हाथ धोना पड़ा था वही चीज उसे नॉकर से मालकिन बना दिया…
इधर कुछ जवा दिलो के लिए ये ट्रिप किसी पिकनिक से कम नही था ये वो मौका था जहा वो एक दुसरे को निहार सकते थे,खुसबू नितिन और सोनल तो यहां आये ही इसी लिए थे की वो अपने सनम की कुछ झलक देख पाए,
विजय ने भी उन्हें थोड़ा स्पेस देने की सोची और किशन को लेकर लड़कियों के साथ बैठ गया ,जिसे कभी लड़कियों के साथ शॉपिंग करना पसंद नही था वो दोनो लवंडे आज शादी की शॉपिंग में सबका हाथ बटा रहे थे,ऐसे वो सचमे लड़को को बोझिल करने वाला होता है,पर आज दोनो ही उसे इंजॉय कर रहे थे,किशन के पास तो इसका वाजिब कारण भी था लेकिन विजय के पास क्या कारण था???सिर्फ सोनल और नितिन को स्पेस देना या खुसबू को अजय से बात करने का कोई मौका देना…??
इसके अलावा भी एक कारण उसके सामने था,वो थी सफेद साड़ी में लिपटी हुई एक अधेड़ उम्र की विधवा महिला ,जो की अपने सौंदर्य और पहनावे के तरीके से ना तो अधेड़ लग रही थी ना नही विधवा,आरती की कमाल की खूबसूरती ने विजय को सोचने पर मजबूर कर दिया था,वो ऐसे तो उसकी मामी थी और उसे किसी गंदे नजर से देखने का उसका कोई मूड भी नही था लेकिन आरती के वो इशारे जो अक्सर कोई महिला किसी को आकर्षित करने को करती है ,विजय को अंदर से तोड़ रही थी ,वो लड़कियों के मामले में हरामी लड़का था और उसे हर बात साफ समझ आ रही थी की क्यो विजय के देखने पर ही आरती अपने पल्लू को सम्हालती है जिससे कुछ छिपता तो नही बल्कि कुछ दिख ही जाता है और क्यो वो विजय के नजर पड़ते ही अपने कमर की साड़ी को थोड़ा हटा लेती है,जिससे उसकी पतली कमर का वो भाग सामने आ जाता है….
विजय पका हुआ खिलाड़ी था वो हर इशारे अच्छे से समझ रहा था और वो उसे और भी अच्छे से समझने के लिए वहां बैठा हुआ था ,दोनो में एक खेल चल रहा था जिसे बस दोनो ही जानते थे,और किसी को भी इसकी भनक तक नही लग रही थी होती भी कैसे सभी अपने कामो में इतने मसरूफ थे की उन्हें इनपर ध्यान देने की फुरसत ही नही थी,विजय ने आखिर मर्यादाओ के बंधन को तोड़कर आगे बढ़ने की सोची जब खुद लड़की तैयार है तो ट्राय करने में क्या जाता है,ऐसे भी हवस में रिस्ते नही देखा करते ,
विजय जाकर आरती के पास बैठ गया,दोनो की नजर मिली और एक मुस्कान दोनो के होठो में खिल गया,
विजय ने एक अंगड़ाई ली और उसका हाथ सीधे जाकर आरती के स्तन से टकराया,वो ऐसे था की आरती भी इसकी फिक्र ना करती अगर उसे पता नही होता की विजय का असली मकसद क्या था,विजय ने फिर से रिएक्शन देखा उसकी इस हरकत ने आरती के होठो की मुस्कान को और भी चौड़ी कर दि थी,जिससे विजय का लिंग एक जोरदार झटका लगा दिया,
उसके बालो से आने वाली खुसबू ने ऐसे भी उसे पागल बना दिया था ,और उसकी तरफ से आ रहे इस इशारे से वो झूम सा गया,उसने एक कदम आगे बढ़ाने की सोची और अपना हाथ आरती के पीछे से ले जाकर उसके खुले हुए कमर पर रख दिया ,आरती को इतनी हिम्मत की उमीद नही थी उसे लगा था की ये भी किसी आम ठरकी की तरह होगा उसे क्या पता था की ये सभी ठरकीयो का बाप निकले गा उसे इसकी बिल्कुल भी उमीद नही थी फिर भी वो कोई रिएक्शन नही दिखाई ,इससे विजय को समझ आ चुका था की वो पूरी तरह से तैयार है उसे बस मौका चाहिए था आगे बढ़ने का,
“मामी ये सब कितना बोरिंग है ना “
विजय ने आरती से पहली बार बात की थी 
“हा है तो ,ऐसे हमारा रहना भी जरूरी नही है”विजय की आंखे चौड़ी हो गई ये तो बहुत ज्यादा चालू है ,इसे खुद इतनी जल्दी पड़ी है,वो सोच में लग गया की आखिर क्या किया जाय की उसे यहां से बाहर निकाला जाय…….
इधर 
सोनल खुसबू नितिन और अजय बाहर ही खड़े थे …
“तुम लोगो को नही देखना कपड़ा “
अजय ने सोनल से पूछा 
“अरे भैया आप अकेले हो जाओगे ना इसलिए हम रुक गए “
“अरे जाओ मेरे साथ नितिन है ना “
नितिन ने ऐसे देखा जैसे की वो ही फस गया हो ,
“असल में मुझे भी शॉपिंग पसन्द नही “
खुसबू ने हल्के से कहा जिसे सोनल समझ गई ,
“ह्म्म्म एक काम करते है मैं और नितिन अंदर जाते है आप खुसबू का ख्याल रखो…”इससे पहले की अजय कुछ कह पता सोनल नितिन का हाथ पकड़कर वहां से अंदर चली गई,जब अजय ने खुसबू को देखा तो वो हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी ,वो लोग नीचे के फ्लोर में बैठे हुए थे,विजय अभी अभी ऊपर गया था…..
अजय को कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था उसे पता था की उसे खुसबू के साथ अकेले क्यो छोड़ा गया है पर वो रिश्तों के बंधन को तोडना नही चाहता था….
“तुम्हे कुछ चाहिए बहन “
अजय ने खुसबू को देखते हुए जानबूझ कर कहा ,जिससे उसका मुह उतर सा गया 
“नही और आप मुझे बहन ना कहा कीजिये “
खुसबू ने पहली बार अजय का विरोध किया था उसके आवाज में सचमे एक गुस्सा था उसे भी पता था की अजय भी ये जानता है की उसके दिल में अजय के लिए क्या है पर फिर भी वो उससे दूर जाने की कोसीसे करता है ,
“बहन को बहन ही तो कहते है ना “
“मैं आपकी बहन नही हु ये आप समझ लीजिये “
अजय ने उसके मासूम से चहरे पर वो गुस्सा देखा जिसमे गुस्सा कम और दुख ज्यादा था,अजय ने कुछ नही कहा लेकिन कुछ ही देर की ये खामोशी एक अजीब सी बेचैनी लेके आ गया ,
“चलिए काफी पीते है,”खुसबू ने कहा 
“जाओ सोनल को ले जाओ मूझे मन नही है “
खुसबू का पारा चढ़ गया और वो अजय का हाथ पकड़कर उसे माल से बाहर ले जाने लगी .
“ये क्या कर रही हो “
“आप मुझे बहन कहते है तो ठीक है हु मैं आपकी बहन अब चलिए जहा मैं ले जा रही हु “
अजय बस उसके साथ खिंचता चला गया….
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