Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:08 AM,
#21
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
"हा काका देखा है पर ,निधि को लेकर जाना और अकेले ,मुझे सही नही लग रहा है ,और आप तो जानते है की हमारे आने जाने पर कोई नजर रखे हुए है ,हमले का डर हमेशा लगा रहता है ,और इस पागल लड़की के जिद में मैं इसे मुस्किल में नहीं डाल सकता "कलवा के चहरे पर मुस्कान आ गयी 
"तुम सही कह रहे हो पर एक काम करो की तुम उसे मना कर दो ,वो रोती हुई नाराज होकर अपने कमरे में चली जायेगी तब कुछ देर बाद तुम उसके पास जाना और उसके साथ पीछे के गेट से निकल जाना ,जाने के लिए कोई ऐसी बाइक ले जाओ जिसे कोई भी पहचाने और अपने कपडे भी बदल लो ,ऐसे उस इलाके में अभी शांति है और मुझे तुम पर पूरा भरोषा है की अगर कुछ हुआ भी तो तुम सब सम्हाल लोगे ,और तुम्हे कुछ परेशानी हो गयी तो तुम बाबा जी के पास मदद को जा सकते हो ,किसी की इतनी हिम्मत नहीं है की उनके आश्रम में घुस जाए ,"
कलवा की बात अजय को समझ आ गयी और वो जाकर निधि को डांटकर मना कर देता है और सचमे निधि मुह फुलाकर वहा से चली जाती है ,

जब सब चले गए बस कलवा और बाली ही गार्डन में रह गए थे,
"अब चंपा पहले जैसी नहीं रह गयी ,मैं जब से आया हु मुझे ये देख कर ख़ुशी हुई की वो कैसे निधि को माँ जैसा प्यार कर रही थी ,"कलवा बाली की ओर देखता हुआ कहता है ,दोनों बचपन के दोस्त थे वही कलवा ही था जो चंपा को को भी बाली की शादी से पहले से जानता था,असल में तो उसे ने ही दोनों को मिलाया था क्योकि वो बजरंगी से मिलने तिवारियो के गाव जाता रहता था ,
"हा यार बात तो सही है ,मुझे भी ये देख कर बहुत ख़ुशी होती है ,पर काश वो हमेशा से ऐसी रहती तो ..."बाली की आँखे नाम हो चुकी थी ,कलवा उसके कंधे पर हाथ रखता है ,

"भाई जब जागो तभी सवेरा,तुमने भी बहुत पाप किये है अपनी जिंदगी में समझ ले ये उसका ही परिणाम था ,अब उसके साथ अच्छा बरताव किया कर ,उससे बात किया कर ,और उसने जो भी किया वो तिवारियो के भड़काने पर किया था ,लेकिन जब से वीर भईया गए है ,वो उनके संपर्क में नहीं रही ,इतने सालो से वो सबसे दूर रही है ,यही उसकी सजा सजा है मेरे भाई "कलवा की बातो से बाली की मन की दुविधा जाती रही ,कुछ दिनों से वो चंपा को देख रहा था और उसका गुस्सा उसके लिए धीरे धीरे कम हो रहा था,जो अब पूरी तरह से कम हो चूका था ,पर एक दुविधा सी उसके मन में जरुरु थी जो की अब कलवा के समझाने से कम हो चुकी थी ,
"तू तो पूरा ही बाबा बन गया बे "बाली ने मजाक में कहा और दोनों हसने लगे 
"चल आज मेरा भाई आया है आज दारू पीते है ,पहले की तरह ही शुद्ध देसी वाला मउहा,जगलो में जाकर ,देशी मुर्गे के साथ बिलकुल शुद्ध और प्राकृतिक ,क्या बोलता है फिर से जवानी के दिन जीते है "कलवा भी हस पड़ा 
"साले तू अभी भी इन सबके शौक रखता है "
"क्या करू भाई जब से तू गया है किसके साथ जाता ,सब छुट गया है ,याद है पहले कैसे हम दोनों भईया से छुपकर जगलो में जाया करते थे ,देसी मऊहा ,देसी मुर्गा ,और देसी लडकियों के साथ ,....हा हा हा क्या दिन थे यार वो भी ,"बाली याद कर थोडा इमोशनल सा हो जाता है ,
"हा यार क्या दिन थे ,पर अब नहीं ये सब छोड़ चूका हु मैं ,यही शराब थी जिसने ना जाने कितने गलत काम कराये है हमसे ,वीर भईया ने हमें कभी भी मन नहीं किया पर इसका हमने क्या फायदा उठाया ,पता नहीं कितनी लडकियों की जिंदगी से खेल गए ,"कवला थोडा उदास सा हो जाता है ,
"क्या गलत किया था भाई ,क्या कभी किसी लड़की को बिना उसकी मर्जी के कुछ किया है हमने ,"
"हा नहीं किया पर क्या हमने जो किया वो सही था "
"अबे वो हमारी जवानी थी ,लडकिय भी तो अपने कपडे हमारे लिए ऐसे ही खोल दिया करती थी ,हा हा हा "
बाली की बात सुन कर कलवा भी मुस्कुरा देता है ,
"चल बस हो गया अब हम भी बड़े हो चुके है और हमारे बच्चो के दिन आ गए है ,तू चंपा से जाकर बात तो कर ,अब उम्र के इस पड़ाव में भी क्या तू और वो अकेले ही रहोगे ,जिंदगी भर तो तूने उसे प्यार नहीं दिया अब दे दे ,"कलवा की बात बाली को समझ में तो आ चुकी थी पर इसपर अमल करना थोडा मुस्किल मामला था ..........क्योकि सालो से दोनों ने आपस में बात नहीं किया था ...

इधर शहर में ...........
सोनल ,रानी ,किशन और विजय कॉलेज के लिए निकल जाते है ,किशन ने जहा एक ब्लू टी-शर्ट पहना था वही विजय ने ब्लैक वही किशन जहा ब्लैक जींस में था वही विजय डेनिम ब्लू जींस में ,,,,,कातिल और क्लासिक कॉम्बिनेशन लेकिन विजय के सामने किशन फीका ही दिख रहा था ,उनकी बहनों ने अपने भाइयो के लिए इस्पेसल शोपिंग की थी ,ये उनकी ही चॉइस थी ,विजय का गोरा रंग काले रंग में और भी खिलकर आ रहा था ,वो किसी रियासत के राजकुमार सा लग रहा था ,बस माथे पर लाल टिका और हाथो में एक तलवार की कमी थी,....उसका लम्बा चौड़ा शारीर उसमे ऐसे खिल रहा था की कोई भी देखे तो बस थोड़ी देर के लिए देखता ही रह जाय ,ऐसे तो दोनों के परिधान बहुत ही सोबर थे पर उनकी पर्सनाल्टी को देख कर माडल भी जलन खा जाते ,विजय के कसे हुए डोले चौड़ा सीना और सपाट पेट ,दुधिया गोरा तेजमय उसका शारीर ,और उसकी लम्बाई ......दूसरो की बात छोडो दोनों बहनो की ही नजर अपने भाइयो से नहीं हट रही थी ,विजय की पर्सनाल्टी के सामने किशन टिक नहीं पा रहा था लेकिन वो किसी चोकलेटी बॉय सा लुक कर रहा था ,उसका शारीर विजय जितना चौड़ा तो नहीं था पर लम्बाई और गोरा रंग मासूम सा छरहरा बदन उसे चोकलेटी लुक दे रहे थे ,उसके चहरे में वो तेज नहीं था जो विजय और अजय के रंग में था ..........
जब चारो कॉलेज में इंटर हुए तो शायद ही कोई होगा जिसने इन दोनों नए लडको को मुड कर और घुर कर नहीं देखा हो ,सोनल और रानी तो थोड़े घबरा भी गए थे ,क्योकि उन्हें पता नहीं था की उनके भाई इतने ज्यादा हैण्डसम है,की लडकिय तो लडकिय लड़के भी उन्हें घुर रहे थे ,खासकर विजय को ,एक तो उसकी लम्बाई और शारीर ही ऐसा था की वो अलग से ही दिख जा रहा था ,ऊपर से उसके अंदर का वो तेज जो शहर में रहने वाले लडको ने शायद कभी जाना ही नहीं था ,एक आजीब सा तेज होता है जो बयां नहीं किया जा सकता ये तेज आता है ,सही खाने पिने से ,व्ययाम से ,निश्चिन्त दिनचर्या से ,और कुछ कुछ अपने खानदान से ...सोनल और रानी उन्हें केंटिन में ले गयी ,उनके लगभग सभी दोस्त अजय और विजय से मिल चुके थे इसलिए उन्होंने सच्चाई नहीं छुपाई और उन्हें सबसे इंट्रो कराया ,विजय उस दिन तो अजय के साथ था और इसलिए बड़ी ही शराफत से सबसे मिल रहा था पर आज इतनी लडकियों को देखकर वो बहुत ही खुश था ,ऐसा लग रहा था की शेर को खरगोशो का झुण्ड मिल गया हो ,वही किशन अब प्यार का मारा हो गया था उसे सभी के बीच सुमन की ही याद आ जाती है ,विजय अपने रंग में आ रहा था ,सोनल उसे बार बार आँख दिखाती और वो थोडा चुप हो जाता ,पता नहीं क्या था साले में की सभी लडकिय उससे जोक की तरह चिपकी जा रही थी,ऐसे की सोनल रानी किशन और खुसबू (सोनल की बेस्ट फ्रेंड जो अजय की दीवानी थी )दुसरे ही टेबल में आ गए ,और विजय सभी लडकियों से घिरा हुआ दुसरे टेबल में था ,
"तेरा भाई पागल है "खुसबू ने हस्ते हुए कहा 
"तो तू भी जा ना उसी के साथ बैठ "सोनल चिड़ते हुए बोली 
"अरे मैं तो तेरे अजय भईया की दीवानी हो गयी हु ,पता नहीं जब से उनको देखा है ....."खुशबु खो सी गयी अपने और अजय के बीच की गहराई को वो अच्छे से जानती थी ,वो जानती थी की अगर उनके बीच कुछ हुआ तो वही इतिहास फिर से दोहराया जाएगा जो उसके बुआ के समय में हुआ था ,वही कत्लेआम वही नफरत .........खुशबु के आँखों में फिर से पानी आ गया जिसे सोनल ने देख लिया ,
"अरे मेरी जान अब ऐसा भी क्या प्यार की जुदाई में रोना शुरू कर दो ,हा ...मेरी गारंटी है की तू ही मेरी भाभी बनेगी ,"सोनल ने खुशबु के बाजुओ को हलके से चुटकी काटी की खुशबु हस पड़ी 
"क्या पता बहन ,वक़्त को क्या मंजूर है ,"वो शून्य आकाश में देखने लगी थी 
वही किशन एक अनजान नजरो से खुशबु को देख रहा था उसे समझ नहीं आया की आखिर ये हो क्या रहा है ,
"ये हमारी भाभी जी है,अजय भईया की गर्लफ्रेंड और होने वाली बीवी चलो पाओ छुओ "रानी को मजाक सुझा ,किशन को थोडा यकीं नहीं आया पर सोनल और खुशबू की बाते और खुसबू का इतनी गंभीरता दिखाना ....वो उठा और खुशबु के पैरो को छूता हुआ ,
"पाँव लागी भाभी जी "किशन के इस कारनामे से अपने खयालो में खोयी हुई खुशबू अचानक ही जागी और खड़ी हो गई ,उसने आसपास देखा रानी और सोनल पेट पकड़ कर हस रहे थे वही बेचारा किशन मासूम सा खड़ा था ,पुरे केंटिन में उसे देखने वाला और कोई नहीं था ,एक कोने में विजय के टेबल के आसपास लकिया ऐसे मंडरा रही थी जैसे वह कोई क्लास चल रही हो ,वो उन्हें पता नहीं क्या क्या कहानिया सुना रही थी लडकिय बीच बीच में जोरो से हस्ती ,वो किसी के गालो को किसी के बालो को छूता और वो लड़की शर्मा जाती वही बाकि जलने लगते ,ऐसा लग रहा था की कोई हैण्डसम सा प्रोफ़ेसर क्लास ले रहा हो ...वही कुछ लड़के भी वहा बैठे उसे जलन की निगाहों से देख रहे थे ,
खुसबू और किशन को जब समझ आया की ये एक मजाक ही वो भी हसने लगे और खुशबु ने सोनल को एक हलके से मुक्का मारा ,
"तो तूने नितिन को बताया क्या अजय भईया के बारे में "सोनल ने बातो के दौर में ही पूछ लिया ,खुसबू ने उसे एक गंभीर सा चहरा बनाया और 
"तूने बताया क्या ..........,"खुशबु का इतना ही बोलना था की सोनल ने अपनी आँखे बड़ी करके उसे रोक दिया जैसे कह रही हो कुछ भी मत कहना ,खुशबू समझ गयी थी की किशन पास ही और किसी को कुछ भी नहीं पता ,खुशबु ने टॉपिक पलट दिया 
"तूने बताया क्या अजय को मेरे बारे में "सोनल और रानी ने राहत की साँस ली ,
"भाई देख ना ये विजय क्या कर रहा है ,हमें क्लास भी जाना है ,उसे बुला ला "
"अरे दीदी वो मेरी कहा सुनेगा "
"अरे जा ना क्यों नहीं सुनेगा "किशन उठकर विजय के पास चले जाता है ,सोनल खुशबु की तरफ रुख करती है ,
"तू पागल है क्या ,मैंने नितिन के बारे में अपने भाइयो को नहीं बताया है ,"सोनल ने धीरे से कहा ,खुशबू के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी 
"हा कामिनी तो तूने कैसे सोच लिया की मैं अपने भाई को तेरे भाई के बारे में बताउंगी"सोनल के चहरे पर भी एक मुस्कान आ गयी 
"हा यार ये भाई लोग बड़े अजीब होते है है ना ,बहनों के ऊपर जान छिडकते है ,कुछ भी करने को तैयार रहते है ,लेकिन जैसे ही किसी लड़के का नाम आया तो बस....सब प्यार की "सोनल बोलकर चुप हो जाती है ,थोड़ी देर बाद वो फिर कहती है 
"एक हम बहन है जो अपने भाईयो के लिए लडकिय ढूंढते रहती है "सोनल थोडा सा चिढ जाती है ,
"अरे मेरी जान वो इसलिए क्योकि भाइ कभी भी अपनी बहनों को गलत हाथो में जाता नहीं देख सकता ,"खुशबु बड़े ही प्यार से कहती है ,
"ऐसे मुझे लगता है अजय भईया मेरे और नितिन के रिश्ते को लेकर मान जायेंगे उन्होंने कहा भी था की हम लोग जिसे पसंद करेंगे उससे हमारी शादी करा देंगे ,"सोनल ने चहकते हुए कहा ,वही खुशबु फिर अपने ही विचारो में खो गयी ,'तुझे क्या पता बहन की जब अजय को इस रिश्ते के बारे में पता चलेगा और ये पता चलेगा की हम कौन है ,ना जाने क्या भूचाल आएगा
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12-24-2018, 01:09 AM,
#22
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
इधर किशन विजय को बुलाने आता है ,विजय किशन का हाथ पकड़कर अपने पास खीच कर बैठा लेता है ,लेकिन किशन को इसमें कोई भी इंटरेस्ट नहीं था ,वो विजय के कानो में कहता है ,
"अबे इन्हें छोड़ बहार चल मस्त प्रोफ़ेसर है ,क्या फिगर है जैसे मेरी का था ,"विजय आँखे उठाकर किशन को देखता है ,वो जल्दी से सबको बाय कहता है और वहा से उठकर किशन के साथ हो लेता है ,मेरी का नाम सुनकर ही उसे कुछ कुछ होने लगता है ,किशन उसे सीधे सोनल के पास ले जाता है ,
"तो हो गए फुर्सत ,कमीने कही के कुछ तो बहनों की इज्जत का ख्याल करता "सोनल झुटा गुस्सा दिखाती है ,विजय किशन को घुर कर देखता है वो हलके हलके मुस्कुरा रहा था ,
"अरे मेरी बहना मैं तो तुम्हारी इज्जत बढ़ा रहा था ,अब देखना कितनी लडकिया तुम्हे मेरा नम्बर मांगती है "विजय सोनल के चहरे को प्यार से हाथो से पुचकारता है ,सोनल के होठो में एक मुस्कान आ जाती है ,
"भईया आप इतनी जल्दी लडकिय पटा कैसे लेते हो ,गाव में भी शहर में भी ,कम उम्र की भी और मेरी जैसी सेक्सी को भी "रानी हस्ते हुए कहती है ,मेरी का नाम सुनकर उसे किशन की याद आ जाती है ,
"बस बहनों तुम्हारा प्यार है तुम्हारे भाई पर ,मुझे किशन से अकेले में कुछ बात करनी है मैं आता हु "विजय किशन के कंधे को पकड़कर केंटिन से बहार ले जाता है ,किशन को पता था की वो उसे क्यों ले जा रहा है पर वो चुपचाप ही साथ चल देता है ...और केंटिन से बहार निकलते ही दौड़ पड़ता है ,
"रुक साले तुझे बताता हु मैं "विजय भी किशन के पीछे पीछे दौड़ता है ,
इधर एक तेज रफ़्तार से आती हुई एक बाइक ,जिसमे दो लड़के सवार थे किशन के अचानक भागने से उनका बेलेंस डगमगा जाता है ,और तेजी से ब्रेक लगाते है ,किशन उनसे हल्का सा टकरा भी जाता है ,
"मादरचोद पागल है क्या,"बाइक चला रहे लड़के की आवाज आती है ,की विजय जाकर उसका कॉलर पकड़ लेता है ,बदले में वो शख्स भी विजय का कालर पकड लेता है 
"गाली किसे दे रहा है मादरचोद ............."पूरा केम्पस बस उन दोनों को देख रहा था ,ऐसे लगा की दो पहाड़ एक दुसरे से टकराने वाले है ,विजय किसी पर्वत सा विशाल लग रहा था वही सामने वाला शख्स भी कम ना था ,लम्बाई चौड़ाई में वो लगभग विजय के ही बराबर था ,काले रंग की कमीज और डेनिम ब्लू जींस पहने ,माथे में लाल रंग का लम्बा तिलक उसके गोर और चमकीले रंग में खिल कर दिखाई दे रहा था ,चहरे से किसी राजकुमार सा लग रहा था ,छाती के घने बाल उसके शर्ट से झांक रहे थे वही उसके एक सफ़ेद धागा उन्ही बालो में से देखी पड़ रहा था ,जो उसका जनेऊ था,इससे पता चल रहा था की वो एक ब्राम्हण कुल का लड़का है ,दोनों के चहरो में एक सा तेज था जैसे लग रहा हो की इनका खून एक ही है ,उस लड़के के पीछे बैठा शख्स भी अब निचे उतर चूका था पर दोनों एक दुसरे का कालर नहीं छोड़े थे ,पुरे केम्पस में एक शांति फ़ैल गयी थी ,,,लेकिन दोनों में से कोई भी कुछ कर नहीं रहा था वो बस एक दुसरे की आँखों में देखे जा रहे थे ,जैसे आँखों से ही जंग जितना चाह रहे हो ,दोनों की आँखे लाल थी जैसा की खून उतर आया हो ,उन्हें लग रहा था की जैसे ये दुश्मनी आज की नहीं ये उनके खून में थी ,खून का उबाल उनके चहरे पर साफ दिख रहा था ,दोनों ने ही एक ही रंग के कपडे पहने थे ,एक ही कद काठी एक ही जैसा तेजस्वी चहरा ...................दोनों ही रुके हुए थे किसी ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं की दो आवाजे जोर से आई ...भईया रुको 
लेकिन किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ा था,दोनों को किसी ने जोरो से हिलाया ..
"भईया भईया "दोनों अपनी बहनों के तरफ मुड़े ...उनके कानो में एक दूर की आवाज सी सुनाई दि ..."ये सोनल का भाई है " "ये खुशबु के भईया है "
दोनों ने एक दुसरे को छोड़ा पर दोनों की आँखे आपस में मिली ही थी ,वो खून का उबाल अभी भी शांत नहीं हुआ था ,ना जाने क्यों ये कैसा आकर्षण था जो दोनों ही समझ नहीं पा रहे थे ,,,,किशन,रानी ,सोनल ,खुशबु और वहा खड़ा हर शख्स उनकी इस हरकत को देखकर हैरान था ,की सोनल ने पानी की बोतल ली और एक एक करके दोनों के सर में डाल दिया .....
की जैसे कोई सपने से जागे हो दोनों ही हडबडा से गए ...दोनों ने आस पास देखा और एक दुसरे को देखा सब तो ठीक था फिर हुआ क्या था ,.....
"क्या कर रहे हो तुम लोग ,पागल हो गए हो क्या ...."सोनल की आवाज से दोनों का धयान उसकी तरफ गया 
"नितिन ये मेरे भाई है विजय और किशन ,और विजय ये खुसबू के भाई है नितिन और राकेश "सभी एक दूजे से हाथ मिलते है सिवाय नितिन औरर विजय के दोनों अभी भी एक दूजे को देख रहे थे 
"चलो हाथ मिलाओ क्या हुआ "सोनल फिर गुस्से से कहती है ,दोनों अपने हाथ आगे बढ़ाते है और एक दुसरे के हाथो को मजबूती से दबाते है सोनल और खुशबु ये देख कर डर ही जाते है ,सोनल तो हाल काफी अच्छा था पर खुसबू उसेकी तो रूह ही काप गयी ,,,वो जानती थी की ये क्यों हो रहा है ,खानदानी दुश्मनी इतनी ताकतवर होती है की खून भी अपना रंग दिखाना शुरू कर देता है ......उसके कानो में अपने दादा रामचंद्र तिवरी की बात गूंज रही थी ,"बेटा जिस दिन ये दोनों परिवार आपस मे दुशमनी छोड़कर प्यार से रहेंगे उसी दिन मेरा जीना सफल होगा,मैं अपने बच्चो के हाथो मजबूर हु पर बेटा अगर तुझे मौका मिले तो तू जरुर दोनों परिवारों को मिला देना ....मुझे मेरे नाती नतनिनो से मिला देना "
खुशबु को लगने लगा की उसके दादा का सपना कभी भी पूरा नहीं हो पायेगा,....

कुछ देर और दो काफी से दोनों नार्मल हो चुके थे सभी बैठ कर काफी पि रहे थे ,विजय और नितिन बाते तो नहीं कर रहे थे पर अब सामान्य व्यवहार कर रहे थे की ,एक लड़का उनके पास दौड़ता आया ,नितिन भाई आपको और (विजय की ओर देखते हुए )इसको प्रिन्सिपल मेडम बुला रही है...सोनल ने अपना सर पकड़ लिया उसे समझ आ चूका था की किसी ने उनके लड़ाई की बात प्रिंसिपल तक पंहुचा दि होगी और वो खडूस मेडम जो की नितिन को ही लाइन मारती है ऐसा मौका कैसे छोड़ सकती थी ,
मिसेस काव्या सेठ ,एक 40-45 साल की कातिल महिला थी ,पूरा कॉलेज उसके हुस्न पर दीवाना था वही काव्य नितिन पर ,सोनल और नितिन के बारे में उसे पता था की दोनों एक दुसरे से प्यार करते है इसलिए वो सोनल के पीछे लगी रहती थी ,ऐसे तो काव्य काफी स्ट्रिक्ट थी पर उसके दिल के किसी कोने में वो एक चंचल औरत ही थी ........
अब काव्य को ये पता चल गया की नितिन की लड़ाई सोनल के भाई से हुई है ,वो ये मौका नहीं छोड़ सकती थी ,लेकिन उसे ये नहीं पता था की वो जिसकी बेज्जती करने वाली थी वो विजय था,जिसने अपने भाई के अलावा किसी की नहीं सुनी ,और इसी बात का सोनल को डर था वो कुछ उल्टा सीधा ना कर दे ,
"भाई प्लीज् कुछ उल्टा सीधा मत करना मेडम के पास ,नितिन यार सम्हाल लेना प्लीज "सोनल ने हाथ जोड़कर कहा ,नितिन ने हलके से हां में सर हिलाया वही विजय को ये अच्छा नहीं लगा की सोनल नितिन को सम्हालने को कह रही है ,उसने भी हां में सर हिला दिया...
दोनों प्रिंसिपल के ऑफिस के बहार पहुचे साथ में सभी थे पर सिर्फ दोनों को ही अंदर जाना था बाकियों को अंदर आने से मेडम ने मना कर दिया था ,,,,इससे पहले की वो अंदर जाते 
"सोनल यार टॉयलेट कहा है मुझे जोरो की आई है " सोनल ने विजय को गुस्से से देखा ,और इशारे से बताया वो अंदर गया और करीब 2 मिनट के बाद वापस निकला उसके चहरे में एक कातिल मुस्कान थी जिसे सोनल और किशन समझ रहे थे ,नितिन पहले ही अंदर जा चूका था ,
"भाई प्लीज कुछ उल्टा सीधा मत करना "सोनल ने उसके कानो में कहा ,विजय उसके माथे को चूमता है
"कुछ नहीं होगा फिकर मत कर "विजय अंदर जाता है ,
"क्या मैं अंदर आ सकता हु "अंदर नितिन सर निचे किये हाथ बंधे खड़ा था ,वही काव्या उसके सामने टेबल से टिकी हुई खड़ी थी ,विजय ने जैसे ही उसे देखा उसके कमर के निचे हलचल होनी शुरू हो गयी ,उसने सही सुन रखा था ये सच में माल थी,महरून रंग की साडी पहने ,उसके तने हुए स्तनों से उसकी घाटी साफ़ दिख रही थी वही होठो में लाल रंग का लिपस्टिक ,ऐसे लग रहा था की नितिन के आने पर खास रूप से लगाया गया हो ,साड़ी से उसका पेट साफ झांक रहा था वही उसकी नाभि की गहरी और उसके सपाट पेट विजय के जानवर को जगाने के लिए काफी था ,
मेडम ने सर उठाकर देखा ,नितिन की तरह ही लम्बा चौड़ा कदकाठी का एक गबरू जवान उसके सामने खड़ा था ,वो विजय को देखकर थोड़ी देर देखते ही रह गयी ,उसने उसे ऊपर से निचे तक देखा उसका गुस्सा या कहे झूठा गुस्सा जो वो विजय पर करने वाली थी थोडा कम हो गया ...विजय आकर नितिन के सम्नातर खड़ा होता है पर नितिन की तरह मुह निचे किये हुए नहीं बल्कि उसकी जवानी को निहारते ,
काव्या उसे ऐसा घूरते देख खुद भी नर्वश हो जाती है ,की विजय उसे निचे देखने को बोलता है ,काव्य की तो सांसे ही रुक जाती है ,विजय के जींस में एक बम्बू जैसा तना था ,,विजय अपने बम्बू को सहलाता है और उसे टेढ़ा कर काव्य को उसकी मोटाई और लम्बाई दिखता है ,....उसे तो ये यकीन ही नहीं आ रहा था की कोई उसके सामने ऐसा भी कर सकता है वही किसी का इतना बड़ा भी हो सकता है ,काव्या ललचाई आँखों से उसे देख रही थी ,तभी नितिन को ये शांति समझ नहीं आती वो सर उठा कर 
"मेडम "
नितिन का ये कहना काव्या को जैसे सपने से जगाता है ,वो थोड़ी देर तक तो खुद को ही सम्हालती है ...
"हा हा नितिन तुम जाओ बाहर ,इसे मैं देख लुंगी "
"मेडम इसकी कोई गलती नहीं है ,प्लीज ,ये तो इस कॉलेज का भी नहीं है "
"मैंने कहा ना ,जाओ "नितिन बुरा सा मुह लिए वहा से निकल जाता है ,बहार सभी नितिन को इतनी जल्दी आते देख घबरा जाते है ,
"नितिन विजय कहा है "सोनल घबराते हुए उसे पूछती है 
"मेडम ने उसे रोक लिया है ,बहुत गुस्से में है "
"हे भगवान मेरे भाई को बचाना उस चुड़ैल से "सोनल हाथ जोड़कर ऊपर देखती है वही किशन सोनल के पास आकर हलके से फुसफुसाता है 
"दीदी भगवन से विजय की नहीं मेडम की सलामती की दुआ मांगो ,वो अपनी कच्छी टॉयलेट में उतार कर गया है "सोनल आश्चर्य से किशन को देखती है किशन हां में सर हिलाता है और सोनल अपना सर पकड़कर बैठ जाती है ...............
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12-24-2018, 01:09 AM,
#23
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
इधर काव्या को समझ नहीं आ रहा था की आखिर वो उसे बोले क्या ,
"तो तुम सोनल के भाई हो ,"अपने सूखे गले से थूक की एक घुट गटकते हुए कहा 
"जी मेडम जी " विजय के चहरे पर वही मुस्कान अब भी थी 
"अच्छा यहाँ पर गुंडा गर्दी करने आये हो ,मैं इस कॉलेज का अनुशासन कभी ख़राब नहीं होने दूंगी "काव्या का धयान बार बार उसके मुसल पर चले जाते थे,
"मैं यहाँ करने तो कुछ भी नहीं आया था ,पर अब लग रहा है कुछ तो करना ही पड़ेगा "विजय काव्या के थोड़े और पास जाता है ,उसका चहरा काव्य के चहरे के बिलकुल नजदीक था ,काव्या की भार्री होती सांसे विजय के चहरे से टकरा रही थी,काव्या के नथुनों में एक अजीब सी गंध आई मर्दाना शारीर की ,वैसे ही शारीर की जिसकी वो भूखी थी ,उसने एक गहरी साँस लेकर पूरी खुसबू अपने अंदर उतार ली ,विजय तो खिलाडी था उसे लडकियों से खेलना बहुत अच्छे से आता था,वो अपने हाथ काव्या के कमर पर ले जाता है उसे जकड़ता नहीं बल्कि हलके से उसके पेट पर हाथ चला देता है ,काव्या के शारीर में एक झुनझुनाहट सी दौड़ जाती है ,उसके मुह से एक गर्म आह छूटती है ,विजय अपने हाथ बढाता है और बड़े ही हलके हाथो से उसे ऊपर की ओर ले जाने लगता है वो उसके साड़ी के पल्लू को गिरा देता है उसके कसे हुए ब्लाउस से उसके तने हुए भराव लिए हुए स्तन विजय के सांप में एक जोरदार हलचल मचा देते है और वो उसकी कमर को पकड़ कर उसे अपनी ओर खीच लेता है ,
"आहाह्ह्ह नहीं बाह र सभी खड़े है ,"काव्या के मुह से अनायास ही निकल जाता है ,
"अरे मेडम जी दुनिया की इतनी भी क्या चिंता ,उन्हें खड़ा रहने दो ,मेरा भी तो खड़ा है उसका कुछ सोचो ,"वो उसे और कसकर अपनी ओर खिचता है ,काव्या की कमर जाकर विजय की कमर से सट जाती है उसका लिंग सीधे उसकी योनी से टकराता है की काव्या की आह ही निकल जाती है ,विजय उसके मासल निताम्भो को अपने हाथो से भरकर जोर से अपनी ओर खिचता है ,फिर उसमे भरा मांस अपने हाथो से मसलता है काव्या ऐसे तो विरोध ही नहीं कर पा रही थी पर उसे अपने सम्मान की चिंता होने लगी ..........
ना जाने कितने सालो से वो अपने काम की आग को दबा कर रखी थी,जब उसने पहले पहल नितिन को देखा था तभी उसके काम की अग्नि ने सर उठाया उसे एक मर्द दिखा जो उसे संतुस्ट कर सकता था ,पर नितिन तो जैसे सोनल का दीवाना था और उसका शांत स्वभाव ...........बहुत कोसिसो पर भी वो कुछ नहीं किया ,और एक ये था नितिन के टक्कर का मर्द साले ने आते ही .....हे भगवन मैं क्या करू ,कैसे सम्हालू खुद को मैं अपने को रोक क्यों नहीं पा रही ,कितना मजबूत है ये ,कितना जालिम है हे भगवान ...काव्या अपने ही खयालो में खोयी थी और विजय ने उसे मसलना शुरू कर दिया ,उसके पिछवाड़े को मसल मसल कर लाल कर दिया इतने कोमल की विजय को मजा ही आ गया था ,लेकिन काव्या जैसे भी थी वो इस कॉलेज की प्रिंसिपल थी और इस समय वो अपने ऑफिस में थी जहा कोई भी आ सकता था ,ऑफिस का गेट अब भी अंदर से बंद नहीं था इसका सवाल ही पैदा नहीं होता ,कोई भी बिना नोक किये ऐसे तो अंदर नहीं आता पर अगर आ गया तो ..........क्या करू इतने सालो की मेहनत और परिश्रम से ये इज्जत बनायीं है और एक ही पल में सब खत्म हो जाएगा ,पर इस आग को बुझाने वाला भी तो इतने सालो बाद ही मिला है ,...हे भगवान .....
काव्या जहा भगवान् से सलाह मशवरा कर रही थी वही विजय तो अपनी ही धुन में था उसे क्या पड़ी थी इज्जत की या किसी और चीज की ,वो तो काव्या के अंगो से ऐसे खेल रहा था जैसे उसकी ही जागीर हो वही काव्या के अंग भी उसे अकड़कर समर्थन दे रहे थे ...विजय के हाथ काव्या के पीठ तक पहुचता है वो उसके ब्लाउस के चैन को खोलने लगता है ,काव्या जैसे बेसुध हो चुकी थी उसे इतना मजा आ रहा था की वो कुछ नहीं कर पा रही थी उसका दिमाग अब भी एक अजीब द्वन्द में फसा था ,पर वो उसे रोक नहीं पा रही थी ...
विजय काव्य के ब्लाउस की चैन खोलकर उसके ब्रा की हुक भी खोल देता है ,जैसे अचानक ही काव्या को होस आया वो उसके बांहों में मचलने लगी ,
"प्लीज् छोड़ दो ना ये ऑफिस है मेरी इज्जत है "
विजय उसके चहरे को देखता है उसकी सूरत रोनी सी हो गयी है ,ये उस मज़बूरी के कारन जो काव्या को जकड़े हुए था ,वो बेचारी चाहती भी थी और नहीं भी चाहती थी ,,,दोनों ही पक्ष बड़े ही मजबूत थे ....उसे जितना प्यार अपनी इज्जत से था उतना ही अपने शारीर की आग को बुझाने की तलब भड़क उठी थी ,इसी द्वंद ने उसके आँखों में वो पानी ले आया था ,विजय को उसकी मज़बूरी से ऐसे तो कोई भी फर्क नहीं पड़ने वाला था पर उसके चहरे पर वो पहली बार एक मासूमियत देखता है जो उसे भा जाता है ,वो उसके सर को अपने हाथो में लेकर अपने होठो को उसके होठो से सटा देता है ,काव्या तो ऐसे भी सब कुछ हार ही चुकी थी ,वो उसके होठो में समाते चले गयी ,दोनों के होठ एक दूजे में खो ही गए काव्या की आँखे बंद हो गयी और वो अपनी सभी दुविधा से मुक्त हो गयी उसे तो बस अब विजय में सामना था उसकी हो जाना था ..............साला ये प्यार और वासना बड़े ही अजीब तरह से एक दुसरे से मिलते है एक पतली लकीर होती है दोनों के बीच ,जब प्यार उमड़ता है तो एक समर्पण का भाव पैदा होता है और जब वासना जागती है तो कुछ पाना चाहता है,पर प्यार कब वासना बन जाय और बासना कब प्यार बन जाय कोई नहीं कह सकता ...यहाँ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था काव्या और विजय वासना के एक तूफान से शुरू हुए थे और प्यार के एक झोके पर आकर खो जा रहे थे ................
दोनों की लबो की गहराइया एक दूजे में मिल रही थी वो काव्या के मन में समर्पण आ गया था वही विजय के मन से उसे पाने का भाव चला गया था ,दोनों ही पागल हो रहे थे पर उतावले नहीं ,विजय हाथ बड़ा कर उसकी नग्गी पीठ को सहलाने लगा ,उसके दांत काव्या के होठो को हलके हलके से काटते थे..जिससे काव्या के अंदर भी एक हल्का हल्का सा नशा छा रहा था ,वो भी अब विजय के बालो को अपने पंजे ने दबाये जा रही थी और उसके चहरे को अपनी ओर खीच रही थी ,
इधर बहार सभी बेचैन थे की आखिर अंदर हो क्या रहा होगा ,सोनल और किशन के अलावा,
सबसे जादा बेचैन तो खुशबु लग रही थी ,तभी सामने से एक चपरासी हाथ में फाइल लेकर आता हुआ दिखाई दिया ,वो अपनी ही धुन में मगन सा सर निचे किये चला आ रहा था ,किशन की नजर उसपर पड़ी उसने सोनल को इशारा किया सोनल भी थोड़ी सी डर गयी पर जैसे ही वो चपरासी उनके पास पंहुचा ,
"भईया आराम से मेडम बहुत गुस्से में है आज ,"सोनल ने तीर छोड़ दिया ,उसका उद्देश्य था की वो चपरासी अंदर ना झाके और बाहर से ही नोक करे ताकि विजय और मेडम को सम्हालने का थोडा समय मिल जाय ,मेडम के गुस्से में होने की बात सुनकर वो थोडा सचेत हो गया और धीरे धीरे केबिन की तरफ बढ़ने लगा ,जैसे ही उसने दरवाजा नोक किया ...
अंदर काव्या अपने नशे से छुटी और उसने विजय को झटके से अपने से अलग किया और अपने कपडे ठीक किये विजय पहले की तरह उससे दूर खड़ा हो गया था ,उसके होठो काव्या के लिपस्टिक से सने हुए थे ,वही काव्या का लिपस्टिक पूरी तरह से फ़ैल चूका था ,वो प्यार से विजय को देखती है और अपने पर्स से एक रुमाल निकल कर उसके होठो से अपने लिपस्टिक को पोछती है वही फिर एक छोटा सा दर्पण निकल कर अपने होठो के लिपस्टिक को भी सही करती है और अपने बालो को सवरती है ,,,इशार चपरासी देरी होते देख फिर से एक बार दरवाजे में दस्तक देता है ,
"कौन है क्या हो गया "एक गरजती हुई आवाज उसके कानो में पड़ती है ,काव्या को सचमे उसपर बहुत गुस्सा आ रहा था ,वो एक शेरनी से गरजती है जिससे वो बेचारा सहम सा जाता है ,
"मेडम वो आज शिक्षा मंत्री का दौरा होना है यहाँ ,सर ने ये फाइल तत्काल देने को कहा था ,वो दरवाजा खोलने की भी हिम्मत नहीं करता ,वही काव्या के दहाड़ से खुसबू और बाकियों का दिल भी थोडा सा काप जाता है उन्हें लगता है की ये विजय को लेकर गुस्से में है ,सभी जानते थे की वो नितिन को कितना लाइन मारती थी ....
"ठीक है आ जाओ "चपरासी जब अंदर पहुचता है विजय सर निचे किये खड़ा होता है और काव्या अपने चेयर पर बैठी होती है ,
"मेडम ये "
"ह्म्म्म कितने समय आ रहे है मंत्री जी "
"मेडम मंत्री है कभी भी पहुच सकते है " तभी एक सायरन की आवाज सुनाई देती है 
"मेडम लगता है वो आ गए "
"ह्म्म्म और बहार ये क्या भीड़ लगा के रखा है सबने सबको भेजो यहाँ से "चपरासी जल्दी से जाता है और सबको वहा से जाने को कहता है 
"क्या हो रहा है अंदर "खुसबू बड़े ही बेचैनी से पूछती है 
"वो लड़का सर झुकाए खड़ा था ,और मेडम बहुत गुस्से में थी ,लड़का तो आज बच गया मंत्री जी आ रहे है ना ,चलो सब यहाँ से भागो जल्दी "सभी वहा से ना चाहते हुए भी चले जाते है 
इधर काव्या उठकर विजय से लिपट जाती है ,
"सॉरी जान पर आज कुछ नहीं वो बस पहुचते ही होंगे ,"
"कोई बात नहीं तुम्हे मैं इतनी जल्दी तो नहीं छोडूंगा ,पर क्या करू कल ही गांव जाना पड़ेगा,पता नहीं फिर कब मिल पाए हम "काव्या का चहरा उदास हो जाता है वो उससे अलग होकर थोड़ी दूर चले जाती है और उदास आँखों से विजय को घूरने लगती है विजय आगे बदने ही वाला होता है की दरवाजा फिर से खुलता है इसबार बिना किसी भी पूर्व अनुमति के ,,,,कुछ लोग सीधे अंदर आ जाते है ,
"क्या मेडम जी आज तो आप हमारे स्वागत में भी नहीं आई "एक अधेड़ सा शख्स जो इस राज्य का शिक्षा मंत्री था ललचाई नजर से काव्या के भरपूर जवानी को देखता हुआ कहता है ,इससे पहले की काव्य कुछ जवाब देती ....
"बिना अनुमति किसी के ऑफिस में घुस जाना कहा की सराफत है मंत्री साहब ,"विजय की आवाज से सब चौक जाते है वही काव्या के चहरे पर एक डर फ़ैल जाता है ,मंत्री को गुस्सा आता है वो मुड़कर उस शख्स को देखता है और उसे देखते ही उसका सारा गुस्सा काफूर ..........
"अरे विजय तुम यहाँ ,"विजय के चहरे में एक मुस्कान तैर जाती है ,
"हां आया था किसी काम से ,आप तो बड़े आदमी हो गए हो आते ही नहीं अब घर "दोनों आगे आकर एक दुसरे से हाथ मिलाते है ,
"अरे क्या करे यार जब विधायक थे तब तक तो समय मिल ही जाता था जब से मंत्री बने है साला समय ही नहीं होता ,आखरी बार कॉलेज के सिलसिले में ही तुम्हारे घर गया था ,अब तो कॉलेज बन गया है इस साल से तुम्हारी प्यारी बहन की पढाई भी शुरू हो जायेगी ,अजय का बहुत प्रेसर था इस कॉलेज का काम जल्दी करवाने को लेकर ..."सबी लोग इस लम्बे चौड़े शख्स को धयान से देखने लगते है ,कुछ लोग इसे पहचान भी लेते है या अंदाजा लगा लेते है की ये अजय ठाकुर का भाई है ,
"हा तो क्या मेरी बहन एक साल बर्बाद करती कॉलेज के लिए ,,ऐसे मुझे आपसे एक काम है अभी ,"
"हां बोलो बोलो "
"काव्या मेडम का यहाँ से ट्रांसफर करा दो "सभी चौक से जाते है बेचारी काव्या भी ,यहाँ शहर में पोस्टिंग के लिए उसने कितने पापड़ बेले थे और ये ....
"क्या???? यानि क्यों ?? कुछ गलती हो गयी क्या मेडम से "
"नहीं मंत्री मोहोदय हम चाहते है की ये हमारे कॉलेज का भार सम्हाले ,उस क्षेत्र का ये पहला कॉलेज है ,हम चाहेंगे की किसी बड़े ही जिम्मेदार और मेडम जैसी स्ट्रिक्ट प्रिंसिपल वहा रहे ,इससे वहा का स्तर बढेगा "विजय के चहरे में एक मुस्कान फ़ैल गयी वही काव्या ने एक झूठे गुस्से से विजय को देखा 
"हा ये तो ठीक है ,पर वहा तो दूसरा प्रिंसिपल पहले से अपोइन्ट कर चुके है और अगले ही सप्ताह से वहा क्लास शुरू होने वाली है,ऐसे में ,और मेडम तो खुद ही बड़ी मुस्किल से शहर में तबादला कराया था वो फिर किसी छोटी जगह नहीं जाना चाहेंगी "इससे पहले कोई कुछ बोले काव्या बोल पड़ी 
"मैं तैयार हु "वो इतनी उत्सुक्रता से कह गयी की सभी उसे देखने लगे वो थोड़ी असहज हो गयी ,विजय के चहरे में भी एक मुस्कान आ गयी ,वो थोड़ी सम्हली 
"यानि मुझे वहा कोई दिक्कत नहीं होगी ठीक है मैं जाने को तैयार हु ,कम से कम बच्चो का भविष्य तो सुधरेगा "
"ओके ठीक है मैं आज ही उस प्रिंसिपल को यहाँ के लिए और मेडम को वहा के लिए ट्रांसफर आर्डर निकलवाता हु "
"धन्यवाद "विजय एक मुस्कान देता है और वहा से निकल जाता है ..........
Reply
12-24-2018, 01:09 AM,
#24
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
इधर अजय और निधि गाव से निकल चुके थे कोई उन्हें ना पहचान ले इसलिए वो स्कार्फ बांधे हुए थी वही अजय ने हेलमेट लगा रखा था ,दोनों पहाड़ी के निकट पहुच गए,पहले गाड़ी एक जगह लगाकर वो ऊपर चले गए क्योकि शाम होने ही वाली थी इसलिए पहले अजय ने कलवा के झोपड़े का जायजा भी ले लिया था ,एक आदमी के रहने के लिए परियाप्त जगह थी ,एक कोने में एक बिस्तर पड़ा था,और एक लालटेन और एक माचिस बस इतना ही ,घास की कुटिया थी जहा पर और किसी चीज की जरुरत ही नहीं थी ,लकड़ी का दरवाजा था जिसपर ताले का होना ना होना एक ही था ,पास के झरने की मनमोहक आवाज वहा तक आ रही थी...झरना देखने और पास के फूलो के बगीचे में घुमने से पहले वो पहाड़ी के ऊपर जाकर बाबा जी के दरसन कर लेना चाहते थे वही आश्रम से खाना खाकर निचे आने की योजना थी ,और बाबा जी को ये भी पता होना चाहिए की ये निचे है ,ताकि कोई भी परेशानी हो तो मदद मिल सके ,....
ऊपर जाकर बाबा जी से मिलने और फिर खाना खाने के सिलसिले में रात हो गयी ,एक सेवक ने उन्हें टार्च ला दिया ...
"ठाकुर साहब कोई भी परशानी नहीं होगी यहाँ पर आपको आज चांदनी रात है आज तो झरने की सुन्दरता कमाल की होती है ," सेवक ने बड़े ही आत्मीयता से कहा 
"हा काका ,कालवा काका के झोपड़े में ही रात गुजरेंगे हम लोग ,कोई समस्या तो नहीं होगी ना "
"अरे कोई भी समस्या नहीं होगी ,पिने को पानी और कुछ फल रख लो यहाँ से ,जगली जानवरों की भी दिक्कत नहीं है यहाँ पर आप बेफिक्र होकर जाइये .."
दोनों ख़ुशी ख़ुशी निचे चले जाते है ,हलकी हलकी फुहारे पड़नी शुरू हो गयी थी ,कोई 6-7 बजे होंगे ...निचे जाते जाते बारिस की बुँदे कुछ मोटी हो चुकी थी जिससे दोनों थोड़े से भीग भी गए थे ,
आज निधि ने एक पिंक रंग का सलवार कमीज पहना हुआ था जिसमे उसका दुधिया रंग निखर कर आ रहा था ,वही अजय एक टी शर्ट और जींस में था ,उसे अभी भी यही डर था की कही बारिश तेज ना हो जाए ,
झरने की मनोरम सुन्दरता को कर दोनों ही मंत्रमुग्ध हो गए ,पूरी चांदनी में झरने का बहता साफ़ पानी और निर्मल लग रहा था ,पास बनाये गए बगीचे के फूलो की सुगंध से पूरा वातावरण महक रहा था और झरने की मादक आवाज ने रोंगटे खड़े करने वाले शांति का अनुभव चारो और बिखेरे हुए थे ....दोनों पास के एक समतल सी रेत वाली जगह पर बैठे थे ,एक दूजे की बांहों में बठे बस झरने को देख रहे थे ...
"भईया कितना प्यारा है ना यहाँ पर ,इसीलिए काका ने यहाँ पर अपनी झोपडी बनायीं है ,"
"हा कितनी शांति है यहाँ पर ,"
तभी कुछ लोग वहा और आ गए देखा की पास के गाव वाले ही थे जो ऊपर भी उन्हें दिखे थे ,अधिकतर प्रेमी जोड़े या नए शादी शुदा लोग से लग रहे थे ,इस जगह पर प्रेम खिल जाए तो कोई भी आश्चर्य ही नहीं ...सभी युगल अपना अपना स्थान सुनिश्चित कर वह बैठ गए ,जैसे सभी को पता ही था की ये दोनों भाई बहन है तो सभी इनसे दूर ही रहे ,
"भईया यहाँ भी शांति नहीं है चलो गार्डन घूम के आ जाते है ,"
"अरे बेटा ये सबके लिए है ,और आज चांदनी रात है ना तो ये लोग थोड़ी देर यहाँ बैठने के लिए आते है यहाँ पर ,रात होने पर सब चले जायेंगे ,और गार्डन सुबह घूम लेंगे ना..."
"नहीं चलो ना भईया "निधि के जिद में अजय कुछ बोल ही नहीं पाता था 
"चल ठीक है "
दोनों कुछ देर तक पास के गर्दन ही घूमते रहे ,बारिस की फुहारे अभी भी थी पर रुकने को स्थान ठो उनके पास था ,और वो फुहारे इतने अच्छे लग रहे थे की उनसे बचने का कोई भी प्रयास वो नहीं कर रहे थे ...एक दो घंटे तक वो वही घूमते रहे,छोटी सी जगह थी पर बहुत से अलग अलग फूलो का संग्रह वहा पर था इसलिए दोनों को मजा आ रहा था ,वो फिर झरने में कुछ देर बैठने को चले गए इसबार झरना पूरी तरह से सुना था ,कोई भी नहीं दिख रहा था ,निधि थक चुकी थी और फुहारों में पूरी तरह से भींग भी चुकी थी ,उसकी कमीज पूरी तरह से उसके शारीर में आकर के चिपक चूका था और उसके बदन की मसलता पूरी तरह से दिख रही थी ,अजय की नजर बार बार उसके स्तनों ,उसके बड़े चौड़े निताम्भो और उसकी पतली कमर में चले जाते ,पता नहीं ये क्या हो रहा था ,क्यों हो रहा था पर अब निधि के शारीर का एक आकर्षण अजय के अदर आ रहा था ,औरत के शारीर को वो निधि से ही तो जानता था ,कभी भी किसी लड़की या औरत के ऊपर उसने गलत निगाह नहीं डाली थी ,पर आज अपने ही बहन पर ,,......नहीं नहीं ये तो बस प्यार था ,,,हा प्यार थोडा जिस्मानी सा प्यार .........
दोनों झोपड़े में अपने जूते उतर रेत में चलने के लिए नग्गे पर झरने की ओर निकल पड़े ,निधि थके हुए थी इसलिए अजय ने निधि को अपने कंधे पर उठा लिया,निधि अपने बांहों के घेरे अजय के गले में डाले थी ,अजय को अनायास ही ये महसूस हुआ की बालो के भीग जाने से निधि को सर्दी सी लग रही है वो अपना शर्ट उतर निधि के बालो को पोछता है निधि एक प्यारी सी मुस्कान उसे देती है ,वो अपना शर्ट वही छोड़कर नग्गे बदन ही उसे उठा लेता है निधि उसके कसे हुए मजबूत और चौड़े सीने में अपने सर को ठिकाकर अपने भाई के बदन की गर्मी का अहसास करती है ,निधि उससे जितना चिपक सकती थी चिपक गयी ,अजय रेत में चलता हुआ किसी अच्छे से जगह की तलास कर रहा था पुरे वातावरण में बस झरने की आवाज थी ,दोनों भी अभी चुप थे ,अजय ने निधि को निचे उतरा निधि ने अजय को पेशाब जाने का इशारा किया ,अजय ने भी सहमती में सर हिलाया ,निधि पास के ही एक झाडी के पीछे चली गयी ,थोड़ी देर में वो दबे पाँव वापस आती है और अजय के कान में धीरे से ...
"भईया चुप रहना कोई आवाज मत करना आपको कुछ दिखाना है "
"क्या ....."निधि उसके होठो में अपने उंगलियों को रख देती है ,इधर बारिस की फुहारे कुछ और तेज होने लगी थी ...निधि अजय का हाथ पकडे एक पेड़ के पास जाकर रुकी अजय ने चाँद की रोशनी में वहा जो देखा वो बस एक टक उसे देखता ही रह गया ........
पास ही झाड़ियो के आड़ में दो जिस्म नग्गे एक दूजे में समां रहे थे ,अजय को उस लड़की का चहरा देख याद आया की ये तो वही नव जोड़ा है जिनकी अभी अभी शादी हुई है और वो यहाँ घुमने आये है ,पास के ही गाव से लेकिन लड़की ने तो लाल रंग की साड़ी पहने हुए थी ...अजय ने नजर दौड़ाई उसे वो लाल साड़ी वही पड़े मिली साथ ही बाकि के कपडे भी सायद लड़के के कुछ कपडे और लड़की के अंदर के कपड़ो को लेटने के लिए बिछाया गया था ,उसके चूडियो से भरे हाथ अभी खन खन की आवाजे पैदा कर रहे थे दोनों की सिसकियो से पूरा माहोल मादक हो रहा था ,उन्हें लगा होगा की यहाँ अब कोई भी नहीं है और वो बिलकुल ही बेफिक्र होकर प्यार में उतर गए थे ,बारिश की बुँदे उनपर पड़ रही थी और इससे उनके जिस्म की आग और भी बड रही थी .........लड़की का गोरा बदन उस काले सांड से शारीर वाले इन्सान के निचे पिस रहा था ,और साफ साफ पता चल रहा था ,
अजय के लिंग में ये मादक दृश्य देख कर तनाव होने लगा वो निधि के साथ था उसे जैसे ही ये होश आया वो वहा से जाने लगा पर निधि ने उसका था पकड़ लिया ,,,निधि के होठो में एक चंचलता की मुस्कान थी ,कोई भी बुरा भाव उसे अभी भी नहीं पकड़ पाया था वो तो बस मजे के लिए इसे देखना चाहती थी ,निधि ने अजय को पेड़ के निचे बैठने को कहा जिससे वो तो उन्हें देख सके पर उन युगल को कुछ पता नहीं चले अजय ने आँखों से इंकार किया तो निधि ने झूठे गुस्से से उसे आँख दिखाई ,अजय को अपनी बहन की मासूमियत पर बहुत प्यार सा आया वो पगली यहाँ भी जिद कर रही है ,हारकर अजय वहा बैठ ही गया और निधि उसकी गोदी में ...
अजय का लिंग अब भी पूरी ताकत से खड़ा था जो निधि के कोमल निताम्भो में चुभ रहा रहा था ,
"आपका वो चुभ रहा है ,हटाओ ना उसे "निधि ने अजय के कानो में कहा अजय बुरी तरह से नर्वस हो गया पर निधि के चहरे को देखकर उसे समझ आ गया की उसकी बहन को उससे कोई तकलीफ नहीं है ,उसने उसे अर्जेस्ट किया और निधि को अपनी बांहों में भरकर उसके गालो में एक प्यारा चुम्मन रसीद कर दिया ,निधि अपना पूरा भर अजय के ऊपर डाल दि अजय भी पेड़ से ठीक गया और अपनी बहन को अच्छे से जकड लिया निधि ने अपना सर अजय के कंधे पर ठीक रखा था दोनों की आँखे मिली और निधि ने अपने होठो को अजय के होठो पर मिला दिया ..............
प्यार का एक उफान तो सुरु हो चूका था ,दोनों ने बड़े देर तक एक दूजे के होठो का रसपान किया अजय के हाथ अनजाने में ही निधि के कोमल वक्षो पर आ गए वो उन्हें हलके हलके से मसलने लगा निधि की आँखे भी बंद हो रही थी ,अजय को जब ये होस आया की वो क्या कर रहा है तब उसने अपने हाथो को रोका और निचे ले आया पर निधि ने उसके हाथो को पकड़कर फिर अपने वक्षो में ले गयी ,बारिस से भीगा उसका बदन और अंदर अंतःवस्त्रो की कमी ने अजय को उसके कोमल और भीगे वक्षो का जो अहसास दिया उससे उसका लिंग फिर से दर्द करने लगा था ,वो निधि के निताम्भो के निचे घुटा सा जा रहा था ....
इधर वो युगल अपनी मस्ती के चरम पर थे ,की लड़की उठी और कुतिया की पोजीशन में आ गयी ,लड़के ने अपना काला लिंग निकल कर उसके पिछवाड़े में डाल दिया ,और उसके बालो को अपने हाथो से जकड कर घुड़सवारी करने लगा ......
ये दृश्य अजय और निधि के लिए बहुत ही जादा मादक हो रहा था निधि अपना मुह खोले उन्हें एक टक देख रही थी वही अजय की सांसे भी बहुत ही तेजी से चल रही थी दोनों ही अपने आपे में नहीं थे ,अजय के हाथ जहा निधि के वक्षो पर बड़े ही तेजी से चल रहे थे वही निधि भी अपने सांसो को सम्हालने में नाकामियाब हो रही थी ,बारिस और तेज हो रहा था और उस युगल की काम लीला भी ...निधि जैसे आज अचानक से जवान हो गयी हो और अजय जैसे आज अचानक से सेक्स का दीवाना हो गया हो ,निधि ने अपना हाथ बढाकर अजय के एक हाथो को पकड़कर निचे ले आई और अपने सलवार के ऊपर से अपनी योनी में उसका हाथ रगड़ने लगी अंदर तो कुछ पहना नहीं था इसलिए हाथो का सीधा संपर्क उसकी योनी से हो रहा था ,तेज होने वाली बारिस की फिकर किसे थी दोनों ही अपनी मस्ती में मस्त हो चुके थे,दोनों ही ओर हवास का नाच चल रहा था ,हा ये हवास ही था यहाँ प्यार की कोई भी संभावना बाकि नहीं थी ,अजय और निधि अपने जीवन के पहले यौनसुख में डूबे थे ,वो अपने चरम के नजदीक थे ...अजय अपनी बहन की योनी को ऐसे मसल रहा था जैसे वो उसी के लिए बने हो ,बालो से भरी हुई उसकी योनी में बालो की रगड़ इतनी सुखद होगी ये ना तो अजय ने सोचा था ना ही निधि ने .....
इधर युगल अपने चरम में पहुच चुके थे और एक तेज धार के साथ ही उनकी काम लीला समाप्त हो गयी दोनों एक दूजे में लिपटे हुए अपनी सांसो को सम्हाल रहे थे वही निधि ने भी अपने जीवन का पहला काम की बौछार कर दि ,,,,,,निधि निढाल हो गयी अजय को अपने हाथो में कुछ गरम सा महसूस हुआ जैसे निधि ने पेशाब कर दिया हो वो रुका नहीं,उसकी उमंग तो अभी भी शांत नहीं हुई थी पर निधि ने उसके दोनों हाथो को अपने हाथो से रोका और नहीं में ना का इशारा अपना सर हिला कर किया .....अजय को होश में आने को कुछ समय लग गया वो अब भी उसे दबाये जा रहा था निधि निढाल होकर उसके ऊपर लेट गयी ...दोनों भरी बारिस में पेड़ के निचे बैठे थे ,बारिश काफी तेज हो चुकी थी पर वासना की गर्मी से दोनों को पसीना आ रहा था ......जब अजय रुक गया और कुछ सम्हला तो निधि ने अपना सर उठा कर उसके होठो में अपने होठो को मिला दिया ,ये क्या हुआ था इसकी समझ तो दोनों को नहीं थी पर जो भी हुआ वो उनके जीवन में एक नया अध्याय जरुर लिखने वाला था ऐसा अध्याय जो उनकी जिंदगी की धरा ही बदल देने वाली थी ..........
अजय जब अपनी प्यारी बहन को भरपूर किस कर के होश में आया तो उसने निधि के चहरे को देखा उसकी आँखों में पानी था ,अजय की धड़कने फिर से बड गयी उसकी आँखे किसी अनजाने डर से डबडबा गयी ,ना जाने क्या हो गया आज क्यों हो गया आज .........प्यार का तो कही भी नामोनिशान नहीं था.....था तो बस हवास की एक आज जो अब तो बुझ चुकी थी लेकिन अपने साथ कई सवाल लाकर रख दिए थे....सही गलत के फेरे से तो शायद वो निकल ही जाता पर अपनी बहन को दुःख देने के अपराध से कैसे मुक्त हो पाता........
दोनों अपनी भरी आँखों से एक दूजे को निहारे जा रहे थे ,कोई भी बात उनके बीच नहीं हो रही थी ,इधर प्रेमी युगल वहा से जा चुके थे और ये बारिस में उस ठंडी बारिस में पसीने से भीगे हुए अपने जिस्म की तपिस लिए एक दूजे के आँखों में देख रहे थे ............
"मुझे माफ़ कर दे बहन "अजय लग्भाग रोते हुए कहा लेकिन निधि के चहरे में एक मुस्कान आ गयी और वो ऊपर होकर अजय के होठो को अपने होठो में भर ली ,और पहली बार अजय से एक समझदारी की बात कह गयी 
"थैंक्स भईया ,ऐसा मजा मुझे जिंदगी में कभी नहीं आया था ,दुनिया कुछ भी बोले लेकिन मैं आपसे बहुत प्यार करती हु ,और ये मजा मुझे देने का हक़ सिर्फ आपका था और आपका है और आपका रहेगा ...................."
अजय बस अपनी चंचल सी झल्ली सी दिखने वाली बहन के मुह से निकले पहले समझदारी के शब्दों का विश्लेषण करता हुआ उसके आँखों में देखता रहा .....
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12-24-2018, 01:09 AM,
#25
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
बारिस बढ़ने लगी थी और जगल का माहोल और भी शांत हो रहा था ,निधि और अजय अपने खयालो की दुनिया से बाहर आये और झोपड़ी के तरफ भागे ,आज इनके बीच कुछ ऐसा हो चूका था की दोनों ही बड़े गुमसुम से थे ,पर कब तक दोनों के बीच का प्यार तो खत्म नही हुआ था ,निधि को ये खामोशी बर्दास्त नहीं हो रही थी ,
"भईया मुझे उठाकर ले चलो "निधि ने अपने स्वाभाविक से लहजे में कहा ,अजय ने उसकी आँखों में फिर से वही मासूमियत देखि अजय मुस्कुराता हुआ उसे अपने बांहों में उठा लिया ,निधि के लिए अजय की मुस्कान ही बड़ी चीज थी ,वो अपने बांहों का हार अजय के गले में डाले हुए अपने शारीर का भार उसके ऊपर डाल दि ......
"भईया आई लव यु "निधि ने उसके सीने में अपने को छुपाते हुए कहा 
"लव यु टू मेरी रानी "अजय ने उसके माथे को एक किस कर लिया 
दोनों की बारिस में पूरी तरह से भींग चुके थे ,झोपड़े में पहुच कर अजय ने टार्च जलाया और वही पड़े हुए अपने शर्ट से निधि को फिर खुद को पोछा ,दिक्कत ये थी की अब दोनों को ही अपने कपडे उतरने थे क्योकि दोनों ही पूरी तरह से भींग चुके थे ,बहार बारिश जोरो पर थी और वो घास का झोपड़ा पानी से भीगा हुआ एक मादक गंध छोड़ रहा था ,ये वही अनुभव कर सकता है जिसे कभी ऐसे जगहों पर बरसात में रहने का अवसर मिला हो ,बेहद मादक और मस्त कर देने वाली गंध होती है और एक हलकी गर्मी झोपड़े में थी ,अजय पहले लालटेन जलाता है और टार्च बंद कर निधि को देखता है वो अपने कपडे उतर रही थी ,अजय घबरा सा जाता है क्योकि दरवाजा अभी भी खुला हुआ ही था ,वो जल्दी से दरवजा बंद करता है और लालटेन की रोडनी को बहुत ही धीमा कर देता है ,उस दुधिया से प्रकास में निधि का अंग अंग खिल कर दिख रहा था अजय सांसे रोके उसे देख रहा था ,,,,जिस शर्रीर को अजय ने पाल पोस कर इतना बड़ा किया था ,जिस जिस्म को अजय उसके बचपन से देख रहा था वही शारीर आज अचानक उसके अंदर वासना की लहरे पैदा कर देगा उसने सोचा ही नहीं था..........
अजय को यु घूरता देख निधि भी शर्मा गयी ..वो लड़की जो कभी भी अपने भाई से नहीं शर्माती थी आज उसके सामने शरमा रही थी और वो भाई जो कभी भी अपने बहन के बारे में कुछ भी ग़लत नहीं सोच सकता था आज उसे नग्न देखकर उसका लिंग तनाव से भरने लगा था ...अजय ने जल्दी से बिस्तर को बिछाया ,बिस्तर के नाम पर एक चटाई थी एक घास एक बना हुआ गद्दा और एक उसपर बिछाने के लिए कपडा ,एक झीना और पतला सा कपडा ओढ़ने को था .अजय ने जल्दी से सभी को जमाया और निधि जल्दी से उसके अंदर घुस कर वो पतली सी चादर ओढ़ ली ,अजय खुद अपने कपडे उतरने में शर्मा रहा था वजह था उसका अकड़ा हुआ लिंग ....वो अपने जींस को पहने हुए वही बैठ गया एक झरोखा भी उस झोपड़े में था जिससे बाहर की मनोहर प्रकाश किरणे अंदर आ रही थी ,और साथ ही ठन्डे ठन्डे हवा के झोके भी जो आकर दोनों को सिहरन से भर देते थे ....निधि को ठण्ड लगने लगी जो भी उसने ओढा था वो उसके ठण्ड को भगाने को काफी नहीं था ,
"भईया आओ ना ठण्ड लग रही है ,"अजय के मन में एक अजीब सी असमंजस थी ,ये क्यों था उसका लिंग का तनाव यु क्यों था ,की वो अपनी बहन को ठण्ड में यु सिहरता हुआ छोड़ कर बैठा है ,क्या हुआ है उसे ,वो इतना स्वार्थी कैसे बन गया है ,क्यों बन गया है ,वो अपनी बहन से प्यार क्यों नहीं कर पा रहा है ,ये लिंग उसे प्यार करने क्यों नहीं दे रही है ,ये क्यों इतनी उत्तेजित सा हो रहा ही ,अजय सर गडाए हुए सोच रहा था की निधि के दांतों के कडकडने की आवाजे अजय के कानो में पड़ी ,अजय का दिल दहल गया उसकी बहन को उसकी जरुरत थी और वो यु ,....अजय के आँखों में आंसू आ गए थे वो उठा और अपने शारीर से पुरे वस्त्र निकल फेका और लालटेन को बुझा दिया ,लालटेन के बुझाते हु कमरे में अँधेरा हो गया पर कहते है ना अँधेरा कितना भी घना क्यों ना हो एक प्रकाश की किरण के सामने कुछ भी नहीं है .....उस छोटे से झरोखे से चाँद की निर्मल रोशनी कमरे में आ रही थी और सोने पर उस झरोखे से चाँद के दर्शन भी हो रहे थे ,बदलो में छिपा हुआ चाँद कभी कभी प्रगट हो जाता कभी चिप जाता ,और बहार की तेज बारिस की फुहारे कभी कभी हवा के झोको के साथ होते हुए कमरे में आ जाते थे ,जो इस ठण्ड में हलकी सी और सिहरन पैदा कर देते ....कमरा पूरी तरह से दिख रहा था ,इतना प्रकाश तो था ,पर इतना भी नहीं था की सब स्पष्ट दिखाई दे ,
अजय आकर निधि से लिपट गया निधि के कसकर उसे जकड लिया ,उसके वक्ष हलके से गिले ही थे और ठण्ड के कारन उसके रोंगटे खड़े हुए थे ,अजय और निधि ने अपने अपने शारीर की गर्मी एक दुसरे से साझा की और दोनों को ही उस स्पर्श से एक सुखद अनुभूति हुई ...इस सुखद अनुभूति से दोनों और भी पिघल गए और एक दुसरे के और पास आ गए ,निधि ने अपने एक पैर को अजय के कमर के ऊपर से उसे घेर लिया ,जिससे अजय का तना हुआ लिंग सीधे ही निधि के योनी की दीवारों पर रगडा गया ,अजय और निधि दोनों के ही मुह से एक हलकी सी आह निकली ,जहा अजय इससे थोडा घबरा गया वही निधि के होठो पर एक मुस्कान सी आ गयी ,अजय अपने लिंग को पकड़कर तिरछा करता है और निधि अपने कमर को और भी सटा देती है जिससे अजय का लिंग उसकी जन्घो में रगड़ खा जाता है ,फिर से दोनों की एक मादक आह निकल आती है ,अजय का लिंग इस छुवन से और भी अकड़ सा जाता है और झटके मरने लगता है ,निधि की आँखे उस अहसास से हलके से बंद हो रही थी वही अजय की आँखों में आंसू आने लगे ,वो चाहकर भी इसे कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था ,ये गलत था उसका दिल चीख चीख कर यही कह रहा था...गलत गलत होता है ,ये तेरी बहन है जिसे तू जिंदगी में अपने आप से भी जादा प्यार किया ,अब क्या हुआ सिर्फ जिस्म की आग ने तुझे इतना अँधा बना दिया की तू अपने बहन से अपनी जान से .....ऐसी हरकत अजय के आँखों का पानी छलकने लगा था वो सिसकिय ले रहा था ,उसके मन में उठी हुई इस हलचल का असर उसके लिंग में भी पड़ने लगा वो हलके हलके मुरझाने लगा ,निधि आखे खोले अपने भाई को देख रही थी ,उसके आँखों से गिरते हुए आंसू को देख रही थी वो अपने भाई की दुविधा को पहचान पा रही थी इसका साबुत था उसका कुछ भी ना कहना और उसके आँखों से बहाने वाले वो अनमोल आंसू की बुँदे .........कुछ देर तक अजय अपने ही खयालो में रहा जब वो आँखे उठा कर निधि को देखा तो निधि को भी उसने रोता हुआ पाया,
"क्या हुआ मेरी रानी "अजय ने अपने हाथो से निधि के चहरे को मलते हुए कहा ,
"भाई आपका प्यार कभी भी मेरे लिए गलत नहीं हो सकता ,कोई भी फुल की खुशबू कभी माली के लिए गलत नहीं होती,माली ही तो होता है जिसने बागो को सीचा है ,अब अगर वो थोड़ी खुसबू ले भी ले तो क्या ये गलत है ,भईया मेरा ये जिस्म एक फुल है और इसकी सुगंध बस आपके लिए है ,क्योकि आप ही इसके माली हो ......."
निधि की समझदारी भरी बाते सुनकर अजय के चहरे में एक मुस्कान सी आ गयी ,उसने अपनी प्यारी सी गुडिया को अपने पास खीचा ,उसके स्तनों को अपने चौड़े और मजबूत सीने से सटाया ,
"मेरी गुडिया इतने समझदारी भरी बाते कर रही है ,तू फुल है मेरी जान और मैं इसे हमेशा ही सम्हाल कर रखूँगा ,इसे गन्दा नहीं होने दूंगा "
"आपका प्यार मुझे मिलेगा तो मैं और खिल जाउंगी भाई ,गंदगी सोच में होती है किसी काम में नहीं "निधि की आँखे अब भी भरी थी वो अपने भाई को कसकर पकड़ी थी दोनों नग्गे जवान जिस्म एक दूजे में सामने को तैयार थे पर ये तो बस प्यार में ही हो सकता है की कोई भी उत्तेजना उनमे नहीं थी था तो बस एक अनोखा सा प्यार ,..........
दोनों बड़े ही देर तक यु ही एक दुसरे से लिपटे रहे धीरे धीरे दोनों के जिस्म की ठंडक कम होने लगी पर मौसम की ठंडक ने दोनों को अलग होने नहीं दिया ,जब जस्बातो की आंधी थोड़ी कम हुई तो अजय उठकर बहार देखता है रात घनी हो चुकी थी ,बारिस अब भी अपने सबाब पर था चाँद गाने बदलो में कही छिप सा गया था ,पूर्णिमा की ये रात घोर अमावास सी लग रही थी ,निधि भी उठकर उस झरोखे से बहार देखती है और फिर दरवाजा खोलकर बहार निकल पड़ती है ,अजय उसे ऐसा करते देख घबरा जाता है ,वो उसके पीछे भागता है निधि दौड़ते हुए बारिश में भीगते हुए झरने की तरफ जाने लगती है ,कैसी पागल लड़की है ,जिस्म में कोई भी कपडा नहीं तेज बारिश ,सुनसान सन्नाटे से भरा हुआ माहोल ,घनी रात जो अब अंधियारी भी हो चुकी है और ये है की ऐसे ही निकल भागी ,
अजय जाते जाते टार्च और एक निधि के कपड़ो को साथ रख लेता है वो जब निधि के पास पहुचता है निधि एक चट्टान पर लेटे हुए थी ,चाँद फिर से कुछ किरणे बिखेरता है ,दुधिया रोशनी में निधि का दुधिया जिस्म चमक रहा था ,अजय उसके पास जाता है निधि उसे पकड़ कर अपने ऊपर खीच लेती है ,और उसके होठो में अपने होठो को लगा उसकी गहराई में गोते लगाने लगती है ,....अजय फिर से उत्तेजित होने लगाया है उसका लिंग फिर से पुरे आकर में आने लगता है और निधि के जन्घो के बीच दस्तक देने लगता है ,निधि उसे अपने ऊपर खीच कर सुला लेती है दोनों ही जिस्म एक दूजे में लिपट रहे थे ,कभी निधि ऊपर तो कभी अजय निधि अजय के लिंग को पकड़ अपने योनी की दीवारों में रगडती है ,अजय को इसका भान होते ही उसे एक झटका लगता है और वो उठाकर खड़ा हो जाता है ,वो बड़ी बड़ी आँखों से निधि को देखे जा रहा था ,,,,,निधि की आँखे थोड़ी नशे में थी वो अधखुली ही थी वो बड़े ही आग्रह और प्रेम से अजय को देख रही थी जैसे कह रही है छोड़ भी दो ये दुनिया दारी की बाते और आजाओ मुझे अपना बनाने ...लेकिन अजय ..........अजय के हाथ पाँव काप रहे थे वो अपने प्यार से अलग नहीं होना चाहता था पर कुछ मरियादा की लकीरे थी जो उसे अपने प्यार से अलग किये हुए थी ,वो उठाकर सीधे झोपड़े की ओर चला जाता है ..
झोपड़े में जाकर वो खुदको पोछता है और कपड़ो को फिर से निचोड़ कर सुखा देता है ,वो दरवाजे से झाकता है निधि अब भी दरवाजे के बहार कड़ी थी ,बाल बिखरे हुए थे पुरे नग्न शारीर से पानी की धारे बह रहे थे वो दरवाजे के बहार ही थी पर झोपड़े में नहीं आ रही थी ,अजय उसे धयान से देखता है पुरे गिले शारीर में उसकी आंखो का पानी साफ़ दिखाई पड़ रहा था ,अजय के आँखों में भी पानी था और निधि की आँखों में भी ,,,निधि तैयार थी लेकिन अजय नहीं अजय चाहता था की ये रात कैसे भी खत्म हो जाय और निधि चाहती थी की ये रात कभी भी खत्म मत हो ..........................
अजय आज पहली बार निधि के प्रति ऐसे व्यवहार कर रहा था ,की निधि बहार खड़ी भीग रही हो और अजय उसे अंदर भी ना बुलाय ,,....निधि के आंसू बाहरी नहीं थे वो उसके जेहन के किसी कोने से आ रहे थे ,वो अपने भाई को अपने सबकुछ को आज ऐसे उससे मुह मोड़ते देख रही थी .......अजय से रहा नहीं गया वो बहार जाता है निधि को उठाने की कोसिस करता है निधि ने उसका हाथ झटक दिया उसके चहरे पर एक दुःख साफ़ दिख रहा था दुःख था अपने भाई के मुह मोड़ लेने का दुःख उसकी अवमानना का दुःख ...
निधि हाथ छुड़ाती है पर अजय फिर से उसका हाथ पकड़ने की कोसिस करता है वो बस उसे अंदर लाना चाहता था ,निधि फिर हाथ छुड़ा लेती है ,अब अजय से सहन नहीं हुआ वो अपनी प्यारी फुल सी बहन पर अपने बल का प्रयोग नहीं करना चाहता था पर उसे थोड़ी जबरदस्ती करनी पड़ी वो उसे जबरदस्ती उठाने की कोसिस करने लगा पर निधि ने चिल्लाते हुए उसे अलग कर दिया अजय डर के उसे छोड़ दिया ......दोनों एक दुसरे के आमने सामने बिलकुल ही नग्गे खड़े थे ,जोरदार होने वाली बारिस दोनों को भीगा रही थी वो दोनों बस एक दूजे के चहरे को देख रहे थे ,निधि के चहरे में अब दुःख की जगह गुस्सा था ,उसकी आँखे लाल हो चुकी थी इतनी देर से पानी में भीग रही थी की उसे खुद पता नहीं था पर ठण्ड का कही नामोनिसन नहीं था ,अजय को ने उसे प्यार से समझाने की कोसिस की पर बात नहीं बन पा रही थी ,आखिर अजय के सब्र का बांध भी टूट गया वो उसकी ओर झपटा निधि ने पुरे ताकत से उसे अलग करना चाहा पर अजय अब सचमे ताकत का प्रयोग कर रहा था ,वो उसके मुह को अपने हाथो से पकड़कर उसके होठो में अपने होठो को डाल देता है और उसके होठो को अपने पूरी ताकत से चूसने लगता है ,निधि पहले तो छटपटाती है पर थोड़ी देर में अजय के बालो को पकड़कर उसका साथ देने लगाती है ,
बड़ा ही अजीब सा दृश्य था ...दोनों भाई बहन बिलकुल नग्गे जोरो की बारिश में एक सुनसान और निर्जन जंगल में खड़े है और एक दूजे से चिपके हुए अपनी पूरी ताकत से एक दूजे के होठो को खा रहे है ........उनके प्यार का उफान जब पुरे शबाब में था तो अजय ने निधि की कमर को पकड़कर उठाया निधि ने भी अपने पैर्रो को अजय के कमर में जकड लिया अजय उसे झोपड़े में ले आया और दोनों के होठ एक क्षण के लिए भी अलग नहीं हुए थे ,अजय दरवाजा लगता है और निधि को बिस्तर मे सुला देता है सबकुछ करते हुए भी दोनों एक दूजे से अलग नहीं हुए थे आज उन्हें एक दुसरे से कोई अलग नहीं कर सकता था ,दोनों किसी जगली जानवरों जैसे तब तक एक दुसरे के होठो को खाते रहे जब तक की सांसो ने अंतिम जवाब नहीं दे दिया ,....दोनों हफ्ते हुए अलग हुए और एक दुसरे के आँखों में देखकर फिर से अपने होठो को मिला लिया ......
जब ये उफान थमा तब तक दोनों के मन में प्यार ही बच गया था .....
"बहुत जिद्दी हो गयी है तू आजकल ,क्या जरुरत थी पानी में ऐसे भीगने की "
"आप मुझे छोड़कर क्यों गए ,"
"नहीं तो और क्या करता जो तू कर रही थी ना वो .......हम भाई बहन है मेरी जान ,मैं तुझे कुछ ऐसा नहीं कर सकता जिससे तेरी जिंदगी बर्बाद हो जाए "
निधि ने अजय को बड़े प्यार से देखा और उसके होठो में एक प्यारी सी किस ली 
"कौन कहता है की इससे मेरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी ,भाई याद रख लो आज नहीं तो कल लेकिन मुझे अगर कोई कलि से फुल बनाएगा रो वो आप ही बनोगे समझे "निधि में गंभीरता और शरारत दोनों के मिश्रण से कहा ,अजय के चहरे पर एक मुस्कान तैर गयी 
"बड़ी बड़ी बाते करती है कहा से सिखा ये सब "
"आपके प्यार से "
"अच्चा ,तेरी तो "अजय फिर से अपनी चंचल शरारती बहन के होठो को अपने होठो में भर लेता है ,वो उसके स्तनों से खेलता है उसके जन्घो को,निताम्भो को जी भर के मसलता है पर हवस.....हवस कही खो गयी थी बस प्यार ही बाकी था ना अजय के लिंग में कोई तनाव था ना ही निधि को अजय का लिंग चाहिए था ,दोनों को बस एक ही चीज चाहिए थी एक दुसरे का बेपनाह प्यार ,...........और प्यार की कामना नहीं की जाती वो किया जाता है बिना किसी उम्मीद के ,बिना कुछ पाने की चाहत के ...
दोनों एक दूजे में लिपदे कब नींद के आगोश में खो गए पता ही नहीं चला ....
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12-24-2018, 01:10 AM,
#26
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
इधर शहर में विजय किशन ,रानी,सोनल ,खुशबु,नितिन,और राकेश सभी एक बार कम पब में बैठे हुए थे अब नितिन और विजय की कुछ कुछ बनने लगी थी जिसे देखकर उनकी दोनों बहने बहुत खुस दिख रही थी ,विजय को नितिन में अजय की छबि दिखाई दे रही थी ,होती भी क्यों ना थे तो वो दोनों एक ही खून बस पता नहीं था,नितिन के अंदर अजय सी गंभीरता थी ,सभी बैठे बैठे बाते कर रहे थे ,विजय ने कुछ और भी नोटिस किया वो था सोनल और नितिन का एक दुसरे के प्रति बिहेविअर ,उसे समझते ज्यादा समय नहीं लगा की दोनों के बीच कुछ तो हो रहा है ,सोनल का यु उसे देखना और नितिन का भी उसे नज़ारे बचाकर देखना ,विजय को समझ आ रहा था की उसकी बहन उससे कुछ छिपा रही है ,पर विजय तो इतना खेला खाया हुआ आदमी था उससे कुछ छिपा पाना थोडा मुस्किल काम था ,थोड़ी देर में जब सब बिजी हो गए तो सोनल ने खुसबू को इशारा किया ,खुसबू ने नितिन को चुटकी मार कर इशारा कर दिया तीनो समझ चुके थे की क्या करना है ,नितिन टॉयलेट के लिए निकल पड़ा वही खुशबू और सोनल भी वहा से टॉयलेट के लिए निकल पड़े ,इधर राकेश एक बहुत ही खुशमिजाज पतला दुबला सा लड़का था ,जो सोनल को दीदी और रानी को बहन कहकर पुकार रहा था ,लग ही रहा था की ये सब एक दुसरे को बहुत अच्छे से जानते है ,किशन रानी और राकेश की खूब जम रही थी ,
तीनो का थोड़ी थोड़ी देर में वहा से उठाकर जाना विजय को खटक गया वो कुछ बहाना बनाकर वहा से निकल गया ,बाकि बचे तीनो लोग एक दुसरे की बातो में इतने खोये थे की उन्हें कुछ भी पता नहीं लगा ,इधर नितिन,खुशबु और सोनल निचे बेसमेंट में पहुचे खुसबू उन्हें अकेला छोड़कर वहा से थोड़ी दूर खड़ी हो गयी नितिन और सोनल एक कार के पीछे एक दुसरे के गले में बांहे डाले खड़े थे .......
"नितिन यार मेरे भाई को हमारे बारे में कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए "सोनल नितिन के गालो में हाथ फेरते हुए बोली 
"लेकिन कब तक सोनल .......कभी तो हमें ये बताना पड़ेगा ना ,मैं तुमसे प्यार करता हु और प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं है ना ,मैं तो चाहूँगा की आज ही तुम विजय को हमारे बारे में बताओ "सोनल घबरा जाती है 
"नहीं नितिन पता नहीं विजय कैसा रियेक्ट करेगा ,ये भाई लोग होते ही ऐसे है जब खुद करे तो सब ठीक पर जब बहन करे तो ये गुस्से से आग बबूले हो जाते है ,तुम ही सोचो खुसबू हमें मिलाने में मदद करती है पर अगर तुम्हे पता चले की खुसबू किसी से प्यार करती है तो ......तो तुम क्या करोगे "सोनल की बातो से नितिन सचमे सोच में पड़ गया पर अगले ही पल उसके होठो में मुस्कान आ गयी ,
"सोनल मेरी जान मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करता हु और उसकी पसंद मेरी पसंद होगी ,हा बस वो मेरी बहन को खुस रखे ,"नितिन एक गहरी साँस लेता है और बोलना जारी रखता है 
"पता है सोनल मेरी बुआ भी किसी से प्यार करती थी ,और मेरे पापा और दादा के मर्जी के खिलाफ उन्होंने शादी की ,मेरे दादा को तो बात समझ आ गयी पर मेरे पापा कभी नहीं माने और एक खुनी जंग हो गयी ,मेरी माँ ने हमें इससे दूर ही रखा वो नहीं चाहती थी की हमारे ऊपर हमारे परिवार के खून खराबे वाले माहोल का साया भी पड़े ....खास मेरे पापा मेरी बुआ को समझ पाते वो उनसे बहुत प्यार करते थे और करते है पर क्या करे ये ईगो चीज ही ऐसी है की रिस्तो को खा जाती है .....मैं अपनी बहन के साथ ऐसा कभी नहीं होने दूंगा चाहे मुझे अपने परिवार से लड़ना पड़े या अपने सीने में गोली खानी पड़े पर मैं अपनी बहन को उसका प्यार दिलाकर रहूँगा ......."नितिन के आँखों में आंसू थे वही सोनल के आँखों में भी नितिन का अपनी बहन के लिए प्यार देखकर आंसू आ गए उसे अजय और विजय की याद आ गयी ,उसने नितिन की आँखों में अपने होठो को रखा और सारा खारा पानी अपने होठो में ले ली ,सोनल नितिन के होठो को अपने होठो के पास लायी और जैसे ही उनके होठ मिलाने वाले थे ,किसी के खासने की आवाज से दोनों चौके देखा तो एक और विजय खड़ा था वही दूसरी ओर खुसबू ,दोनों ने उनकी बाते सुनी थी और दोनों के आँखों में पानी था ,नितिन और सोनल विजय को देखकर घबरा गए पर उसके चहरे में मुस्कान देख कर सोनल को राहत मिली ...उसकी आँखों में आंसू देखकर उसे समझ आ गया की उसका भाई क्या सोच रहा था ,वही खुसबू को नितिन और सोनल ने अस्चर्य चकित होकर देखा ,हुआ ये था जब बेसमेंट में तीनो आये तो साथ ही उनके पीछे विजय भी आ गया और जब विजय सोनल और नितिन की बाते सुनने को कार के पीछे छिपा तो खुसबू ने उसे देख लिया ,खुशबु दोनों को सचेत करने आई थी पर अपने भाई की बाते सुनकर वो वही रुक गयी ,सोनल दौड़कर विजय के गले से लग जाती है और अपना सर उसके छाती में छिपाकर रोने लगती है ,दोनों का प्यार देखकर खुशबू भी नितिन से चिपक कर रोने लगती है ,थोड़ी देर बाद जब सोनल विजय से अलग होती है तो विजय नितिन को अपने गले लगने का इशारा करता है ,नितिन आकर विजय के गले लग जाता है .
"अगर मेरी बहन को थोड़ी भी तकलीफ दि ना तो काट दूंगा "विजय नितिन को छोडते हुए कहता है ,सोनल उसे एक मुक्का मरती है वही नितिन हसाते हुए उसे उसके कंधे पर हाथ रखता है ,
"भाई मैं सोनल से बहुत प्यार करता हु ,पर आप से जादा नहीं कर सकता ,क्योकि भाई बहन का प्यार बहुत ही पवित्र और मजबूत होता है ,लेकिन मैं आपसे वादा करता हु की मेरे कारन सोनल को कभी कोई तकलीफ नहीं होगी ,"नितिन का इतना कहना था की विजय फिर से उसे खीचकर अपने सीने से लगा लेता है ,दोनों कन्याए भी दौड़कर उनके गले से लग जाती है ................................
शाम ढल चुकी थी रात हो चुकी थी सभी घर पहुच चुके थे आज सोनल और विजय एक कमरे में और किशन और रानी दुसरे कमरे में सोने चले जाते है 2 दिनों बाद उन्हें जाना है फिर जाने कब मिले दोनों अपनी सबसे अजीज बहनों को भरपूर समय देना चाहते थे ...
सोनल आज बहुत खुश थी खुश होती भी क्यों ना आज उसे जो सबसे बड़ा डर था वो खत्म हो गया था ,सोनल जब बाथरूम से बहार आती है तो विजय उसे देखकर दंग रह जाता है ,वो एक झीनी सी nighty में थी ,काले कलर की वो nighty सोनल के दुधिया और भरे हुए जिस्म में खूब खिल रही थी ,सबसे आकर्षक उसके जांघ लग रहे थे ,जो की अपनी मसलता लिए हुए बिलकुल खिल कर सामने आ रहे थे ,उसकी nighty उसके कमर से कुछ ही नीच निचे तक थी ,जांघे पूरी तरह से दृश्य थी वही अगर वो थोड़ी भी झुकती तो उसकी काली पेंटी भी साफ़ दिख जाती ऐसे विजय को वो भी एक दो बार दिख ही गयी ,ये nighty सोनल के जिस्म का पूरा प्रदर्सन कर रहा था ,उसके वक्षो की सोभा भी निराली थी जो बिना ब्रा के पारदर्शी कपडे से झांक रहा था पर कपडे का रंग काला होने के कारन सिर्फ हलके हलके दिखाई दे रहा था ,लेकिन अजय की निगाहे तो सोनल की जन्घो और उसके बलखाते हुए भारी निताम्भो में टिक गयी ,सोनल को जब इसका आभास हुआ की विजय क्या देख रहा है तो वो शर्मा के पानी पानी हो गयी .......विजय ने अपनी प्यारी बहन को जब शरमाते देखा तो उसे अपनी गलती का आभास हुआ पर दोनों काफी खुले हुए थे ,वो बिस्तर से खड़ा हुआ और सोनल के पास आया और उसे पीछे से जकड लिया ,विजय बस एक निकर में था ,ना अंदर ना बाहर ही उसने कुछ पहना हुआ था,अपने बहन के जवानी को देखकर उसका लिंग भी तन चूका था जिसे छोर निगाहों से सोनल ने भी देख लिया था ,और मन ही मन मुस्कुरा गयी थी .......
विजय का उसे पीछे से पकड़ना और उसके लिंग का सोनल के निताम्भो से रगड़ खाना सोनल की तो सांसे ही रुक गयी उसके मुह से एक आह निकल गयी ,वही विजय को अपने किये पर थोडा पछतावा हुआ और वो वहा से जाने लगा तो सोनल ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास खीचा और अपने एडी उठाकर उसके होठो में अपने होठो को रख दिया ,,ये बिन बोला और अनजाना सा रिश्ता दोनों के बीच बन चूका था की वो जब भी मन करे एक दुसरे के होठो पर अपने होठो को टिका देते और एक दूजे के होठो का रसावादन करते ...दोनों एक दुसरे में ऐसे डूबे की उन्हें ये भी ख्याल नहीं रहा की वो बिस्तर तक आ गए और सोनल को बिस्तर में लिटा विजय उसके ऊपर आ गया ,,,,सोनल ने अपने हाथो से अपने भाई के सर घेरे उसे अपने पास खीच रही थी ,वही विजय भी अपनी पूरी ताकत से अपने बहन के होठो के चिथड़े निकल रहा था ,उसका लिंग अब सीधे सोनल की योनी के ऊपर रगड़ खा रहा था ,परिणाम ये हुआ की सोनल का शारीर अकड़ने लगा वो अपनी कमर को उठा उठा कर उसके लिंग को अपनी योनी में रगड़ खाने में मदद कर रही थी ,उन दोनों को पता भी नहीं था की वो ये क्या कर रहे है ,असल में वो इतने खोये थे प्यार की गहराईयो में की उन्हें भान भी नहीं रहा की वो भाई बहन है ,.....दोनों की आँखे बंद थी और दोनों के हाथ एक दुसरे के सर को पकडे थे ,विजय के हाथ सोनल के सर के ऊपर थे और उसके बालो में फसे थे वही सोनल के हाथ विजय के गले के चारो ओर और वो उसे अपनी ओर खीच रही थी ,,....
विजय का हाथ अपने आप नीछे चला गया और सीधे सोनल की योनी के ऊपर जा लगा उसने अपने निकर को निकल फेका और जैसा की उसे आदत थी उसने सोनल के पेंटी को भी निकल फेका ,उसे होस नहीं था की वो किसी और लड़की नहीं बल्कि अपने बहन के साथ है ,वो बहन जो उसे सबसे जादा प्यार करती है उसे एक पल को इसका ख्याल नहीं रहा था ,,,,वो अपनी पुरानी आदतों से मजबूर था जो उसे एक यन्त्र की तरह ये सब करा रही थी,वही सोनल को ये अहसास पहली बार हो रहा था वो भी अपने मजे में ऐसे डूबी थी की उसे भी होश नहीं रहा की वो अपने भाई के साथ है ,,
विजय ने सोनल की पेंटी निकल दि दोनों के होठ अब भी मिले हुए थे और आँखे अब भी बंद थी ,विजय ने अपने विशाल मुसल को सोनल की अनछुई योनी में घिसना शुरू किया सोनल तो जैसे स्वर्ग में पहुच गयी हो वो मजे के कारन सांसे भी नहीं ले पा रही थी ,वो अपनी आँखे खोलना भी चाहती तो उसकी आँखे नहीं खुल पा रहे थे ,वही उसके शारीर का हाल उसकी गीली योनी बयां कर रही थी ,जैसे एक सैलाब सा फुट पड़ा हो विजय हलके हलके अपने हाथो से अपने लिंग को पकड़कर धीरे धीरे सोनल की गीली योनी के दीवारों पर और थोड़े अंदरूनी दीवारों पर रगड़ रहा था ,पर उसने उसे अंदर नहीं किया वो उसी तरह सोनल को तडफा रहा था जैसे वो लगभग हर लड़की को तडफाता था ,जब तक की वो कुछ अपना कमर उठा कर के उसके लिंग को अपने अंदर ना ले ले ,पर सब और सोनल की बात बहुत ही अलग थी सोनल अभी तक अनछुई थी ,वो अपने कमर ऊपर भी कर रही थी पर लिंग फिसल जाता था उसे इससे बहुत मजा आता था ,इशार विअय भी माहिर खिलाडी के जैसे अपना सर निचे लता है और उसके वक्षो को अपने मुह में भर उनका रस पिने लगता है हवास की आग ने दोनों को अँधा बना रखा था ,दोनों को आंखे खोलकर हकीकत को देखने की भी फुर्सत नहीं मिली ,तूफान आता गया बढता गया की विजय ने एक उंगली सोनल के पूरी तरह से गिले चूत में घुसा दि ....नयी नवेली सोनल के लिए ये असहनीय वार था 
"आआह्ह्ह अआह्ह्ह भाई ईईईईईईईई ..........."सोनल का पूरा शारीर अकड़ गया और जैसे एक जवालामुखी फूटा हो ,कामरस का एक फुहार बड़े जोरो से फूटा और सोनल निढल होकर लेट गयी ,पर विजय "भाई ईईईईईइ "ये शब्द विजय को चौकाने वाले थे वो सर उठा कर देखता है ,निचे उसकी बहन हाफ रही थी ,विजय का चहरा शर्म और ग्लानी से लाल हो जाता है ,वही सोनल जब आंखे खोलती है तो उसे सच्चाई का आभास होता है ,सोनल का हाल भी विजय से अलग नहीं था ,दोनों की आँखे मिलती है ,कुछ भी कहने को दोनों के पास कुछ भी नहीं था ,,,
विजय अपनी हालत को देखता है और अपनी निकर पहन कर वहा से लगभग भागता हुआ बहार निकल जाती है ,और सोनल .........सोनल अपने आँखों में आंसू लिए एक टक बस छत को घूरते रह जाती है .........
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12-24-2018, 01:10 AM,
#27
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
सोनल और विजय के बीच जो भी हुआ इससे दोनो ही बहुत कशमकश में थे,विजय तो वहां से चला गया पर वो उस हसीन से हादसे को भूल नही पा रहा था,यही हाल कुछ कुछ सोनल का भी था ,
इधर रानी और किशन भी अपने दुनिया में मस्त थे ,दोनो एक दूजे के बांहो में बांहे डाले लिपटे हुए अपने प्यार का अहसास एक दूजे तक पहुचा रहे थे,
“भाई मन करता है की युही हमेशा आपकी बांहो में रहू पर आप फिर कल मुझसे दूर हो जाओगे….”रानी का चहरा थोड़ा सा मुरझा गया,
“क्या करे बहन जाना तो पड़ेगा ही ना,पर मैं जल्दी ही आऊंगा,अपनी प्यारी बहना के पास “किशन कहता हुआ रानी के चहरे पर एक किस करता है ,दोनो के नाक एक दूसरे से टकरा रहे थे,
“हा हा जानती हु आप मुझे याद भी नही करोगे,वहां तो आपकी सुमन होगी ना,अब तो उसके बांहो में ही पड़े रहोगे दिन भर “रानी के चहरे पर के मुस्कान आ जाती है वही किशन भी मुस्कुरा देता है ,
“अरे पागल कोई भी लड़की मेरी बहन की जगह थोड़े ले सकती है ,तुम तो मेरी जान से भी ज्यादा प्यारी हो मुझे ,और रही बात सुमन की तो हा पहली बार मुझे किसी लड़की से इतना प्यार हुआ है ,ऐसे तुझे तेरी भाभी कैसे लगती है..”
रानी के चहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान खिल जाती है और वो किशन के होठो को प्यार से एक किस करती है ,
“मेरी भीभी भी मेरे भाई की तरह मीठी है “ रानी की हसी पूरे कमरें में गूंज जाती है ,वही किशन अपने को सम्हाल कर रानी पर टूट पड़ता है और उसके गालो पर चुममनो की झड़ी लगा देता है ……….
इधर सोनल जब बाहर आती है तो विजय की हालत देखकर बहुत चिंतित होती है,विजय बाहर सोफे में बैठा हुआ बस सिसक रहा था,चहरा लाल ,आँखों मे जैसे खून उतर आया हो,सांसो को अब भी सम्हालने के कोशिस में था, सोनल की आंखों में भी आंसू थे,वो विजय के पास जाती है और बड़े ही प्यार से उसके बगल में बैठ जाती है ,सोनल अपने नाजुक हाथो से अपने प्यारे भी के गालो को सहलाती है ,विजय जैसे नींद से जागा हो सोनल को पकड़कर फुट फुट के रोने लगता है,वो अपने मजबूत बांहो में सोनल को ऐसे जकड़ लेता है मानो वो उसे अपने में मिलाना चाहता हो,सोनल के बड़ी उभार वाली छाती में सर रखकर विजय को बड़ा सुकून मिलता है वही वही सकून सोनल के मन में भी पैदा हो जाता है,वो उसके सर को अपने हाथो से सहलाती है और बड़े ही प्यार से धीरे से उसे अपने से और चिपकती है ……..
“भाई ए भाई सुन ना,रो मत यार मैं तो तेरी ही हु ना फिर क्यो रो रहा है ,जो हुआ वो हो गया प्लीज़ रोना बंद कर “सोनल अपने भाई को मना रही थी पर खुद ही रोये जा रही थी ,बड़ी देर तक दोनो इसी तरह एक दूजे के बांहो में पड़े हुए आंसू बहाते रहे ,सोनल ने माहौल को सहज बनाने के लिए फिर अपने पुराने अंदाज में कहा …
“साले हो गया अब तेरा नाटक चल जल्दी मुझे नींद आ रही है ,”सोनल ने उसे अपने से अलग करते हुए कहा ,
विजय ने घूरकर सोनल को देखा वो अपने आंसू पोछ रही थी और एक मुस्कान उसके चहरे पर था,वो फिर से उसके गालो को धीरे से सहलाती है और एक प्यारी सी चपत उसके गालो पर लगा देती है,,विजय के चहरे पर भी एक मुस्कान खिल जाती है पर वो अब भी बहुत दुखी लग रहा था,
“सॉरी बहन में बहक गया था ,”विजय के आंखों में फिर से आंसू आने लगे,सोनल उसे घूर के देखती है 
“क्या सॉरी ,साले जब हर लड़की के साथ ऐसी हरकत करेगा तो बहकेगा ही न ,ऐसे एक बात बताऊ यार सचमे बहुत मजा आ रहा था ,काश तू मेरा भाई न होता तो मैं तुझे खीचकर अपने पास बुला लेती ,,,,(सोनल के होठो पर एक शरारती मुस्कान खिल गयी)हाय रे साली किश्मत भाई से ही इतना प्यार होना था “
विजय स्तब्ध सा सोनल को देखता है जिसे देखकर सोनल खिलखिलाकर हस पड़ती है ,विजय अब भी उसे प्रश्नवाचक निगाहों से देख रहा था ,सोनल फिर उसके गालो पर अपने हाथ ले जाती है ,
“क्यो क्या हुआ कुछ गलत कहा क्या मैंने ...तू अपने दिल से बता जिंदगी में सबसे ज्यादा प्यार तूने किस्से किया है ….”विजय की आंखे अपने आप बन्द हो जाती है उसके नजरो के सामने वो सभी लडकिया घूमने लगती है जिससे कभी उसने सेक्स किया हो ,,,उसकी नजर कुछ देर को मेरी और रेणुका पर आकर रुकती है कभी निधि और अजय पर लेकिन फिर उसे सफेद कपड़े में सोनल दिखाई देती है ,मुस्काती हुई प्यारी सी मुस्कान उसके चहरे पर थी जैसे वो कह रही हो क्यो क्या देख रहा है ,बचपन से लेकर आज तक की सभी धुंधली यादे उसके जेहन में घूमने लगती है...जो पल उसने सोनल के साथ बिताये थे वो सभी उसके जेहन में एक एक कर आने लगते है ,और आखिर में आज का उसका रूप जिसपर वो दीवाना हो गया था ,खुसी से उसका चहरे खिल जाता है और …
“आई लव यू सोनल “अनायास ही उसके मुह से निकलता है 
“लव यू भाई “सोनल की आवाज कानो में पड़ते ही वो आंखे खोलता है सोनल उसके सामने मुस्काती हुई खड़ी थी ,उसे बिल्कुल भी सब्र नही रह जाता वो उससे लिपट कर उसे अपने बांहो में जकड़ लेता है ,और उसके गालो को किश करने लगता है ,वो उसके चहरे को भिगो देता है 
“आई लव यू सोनल,आई लव यू सोनल,आई लव यू सोनल,आई लव यू सोनल,आई लव यू सोनल,आई लव यू सोनल,लव यू ,लव यू, लव यू ,लव यू”विजय पागलो की तरह यू ही उसके चहरे पर चुममनो की बरसात कर देता है ,सोनल भी अपने भाई के अपने लिए पागलपन को देखकर बस उसके प्यार को महसूस करती है …...जब विजय उसे छोड़ता है तो सोनल उसे अपने पास खीचकर उसके होठो पर अपने होठो को ठीक कर उसके होठो को प्यार से और धीरे धीरे चूसने लगती है ,दोनो एक दूजे को छोड़ते है और एक दूजे की आंखों में देखकर हल्के से मुस्कुरा देते है …
“हो गया या और भी कुछ है चल अब सोते है ,पर अब कोई प्यार नही दिखाना नही तो फिर से बहक जाएगा “सोनल विजय का हाथ पकड़कर उसे अपने बिस्तर तक लाती है ,विजय किसी कठपुतली की तरह उसके पीछे पीछे चला जाता है ,सोनल उसे बिस्तर में लिटा उसके बाजू में आकर उसे अपने बहो में भरकर एक किस उसके होठो पर देती है ,
“लव यू भाइ गुड नाईट “

दो दिन बिता और रिस्तो ने नई करवट ले ली,वो दिन भी आया जब सबको वापस जाना था,डॉ भी सुमन और उसकी माँ के साथ वहां पहुच चुका था ,सभी गांव की ओर चल पड़े,सुमन को देखकर किशन की बांछे खिल उठी और दोनों ने नैनो की भाषा मे एक दूजे को प्यार का संदेशा भेजा, पूरे रास्ते सुमन की माँ एक दुविधा में थी,
गांव पहुचने पर डॉ ने सुमन की माँ का परिचय सबसे करवाया, लेकिन कलवा वहां नही दिख रहा था,सभी बैठ कर बाते कर रहे थे कि कलवा भी वहां आ गया,उसकी नजर सुमन की माँ पर गयी दोनो की आंखे मिली और जैसे दोनो एक दूजे को देखकर हस्तप्रद हो गए,,कुछ देर वहां एक सन्नाटा पसर गया दोनो की आंखों में आंसू थे।
“भाभी आप “
“भइया आप”
कलवा ने सुमन की ओर देखा और जाकर उसे अपने गले से लगा लिया,सभी उनको बस आंखे फाडे देख रहे थे,
“माँ ये सुशीला है,बजरंगी भइया की पत्नी और ये सुमन उनकी बेटी है,है भगवान कहा कहा नही ढूंढा मैंने आप लोगो को “
कलवा के आंखे भर गई थी वही सुमन की खुशी का कोई ठिकाना ही नही था ,जो हमेशा अपने को अकेला समझती थी आज उसे उसका असली परिवार मिल गया था,वो भी कलवा को जकड़ लेती है,
“चाचा आप मे चाचा हो”
“हा बेटी और ये तुम्हारी दादी है” कलवा सीता मौसी की ओर इशारा करता है ,सीता की आंखे खुशी से डबडबा रही थी उसने अपनी बांहे फैला दी और सुमन दौड़ कर उसके गले से लग गयी,सीता ने सुशीला को भी पास आने का इशारा किया वो भी उसके गले लग गयी,
“माँ आपका एक पोता भी है,आज वो नही आया” सुशीला ने सीता से कहा,सीता ने उसके उसके सर पर हाथ फेरा,
सभी के चहरे खुसी से खिले हुए थे,किशन ने फोन कर रानी और सोनल को भी ये बात बता दी,,,,,आज इस परिवार के लिए मानो त्योहार था ,
पर इन सबके खुशियों के बीच एक चेहरा उदास था वो थी चम्पा,,,कलवा को उसकी उदासी का कारण पता था,और चम्पा के दिमाग में बस एक ही बात गूंज रही थी,
‘सुमन बजरंगी की बेटी है’ उसका चेहरा एक अजीब से तनाव से लाल हो चुका था पर शायद उस दर्द को वो नही जताना चाहती थी इसलिए वो चुपके से अपने कमरे में चली गयी,,,....

घर मे ख़ुशियाँ छाई थी,लेकिन सबसे खुश थे किशन और सुमन,वो प्रेम के पंछी अपनी ही दुनिया मे खोये थे,जहा एक ओर सुमन को उसका पूरा परिवार मिल गया था वही किशन अपने पहले प्यार के खुमार में डूबा हुआ था,मगर चम्पा की खुशियो को मानो ग्रहण लग गया हो ,उसे क्या हुआ था ये तो कोई भी नही जानता था पर उसके चहरे की उदासी बाली की भी समझ आ गयी……

बाली अपने कमरे में जाता है ,चम्पा किसी बहुत गहरे खयालो में डूबी थी ,बाली आज सालो के बाद चम्पा और अपने पुराने कमरे में गया जहा कभी उसने ऐयासिया की थी वही कमरा जो कभी उसका हुआ करता था ,पर वीर की मौत के बाद से वो कमरा बस चम्पा का रह गया था,बाली के मन में चम्पा को लेकर फिर से एक सम्मान का भाव जागने लगा था,कलवा की कोशिशो से बाली फिर से एक नई शुरुवात करना चाहता था,वो अब चम्पा से प्यार करना चाहता था जो उसने कभी भी उससे नही किया था,चम्पा तो बस इस घर में समान की तरह बन कर रह गयी थी,उसे बाली वो स्थान देना चाहता था जो चम्पा का ही था पर उसकी गलतियों की वजह से उसे नही मिल पाया था,

बाली अपने कमरे में अपना समान पहले से रखवा लिया था ,जिससे चम्पा को ये आभास हो चुका था की बाली अब इसी कमरे में रहने वाला है ,उससे उसका सामना कैसे होगा ये तो उसे भी नही पता था,पर वो खुस थी शायद बहुत ही खुस क्योकि यही तो उसके जिंदगी की एक मात्र इच्छा रह गयी थी………..

बाली की आहट से चम्पा थोड़ी हड़बड़ा कर खड़ी हो जाती है ,
“आप ……”

“हा मैं ,”बाली उसके पास जाकर बैठ जाता है और उसका हाथ पकड़ कर उसे भी अपने पास बिठा लेता है ,इतने सालो बाद दोनो साथ थे ,पूरी जवानी उन्होंने अलग होके बिता दी…

बाली को भी ये समझ नही आ रहा था की आखिर वो कहे तो क्या कहे …...शब्द तो कुछ थे नही ,दीवार जो उनके बीच थी वो इतनी बड़ी हो चुकी थी की कोई शब्द शायद अब उसे नही तोड़ पाती...फिर भी बाली ने कुछ कहना चाहा पर उससे पहले ही चम्पा बोल पड़ी 

“मुझे माफ कर दीजिये,मैं जानती हु की मेरी गलती माफ् करने के लायक नही है पर फिर भी………..मैं आपकी बहुत इज्जत करती हु.मुझे माफ् कर दीजिये …..”

चम्पा की आंखों से पानी की एक धार बह निकली शायद सालो से वो ये बाली से कहना चाहती थी पर बाली कभी उसे ये सुनने को तैयार ही नही था….

बाली भी उसके इस जस्बात को समझता था ,उसने उसके हाथो को अपने हाथो में ले लिया,

“तुमने जो भी किया उसकी सजा तो तुम्हे मिल ही गयी ,अब उन सबको छोड़कर हमे अपनी आगे की जिंदगी जीनी है ,चम्पा के आंखों में खुसी के आंसू छलक उठे बाली ने आगे बढ़कर उसे अपने गले से लगा लिया ,चम्पा के शरीर में एक झुनझुनाहट दौड़ पड़ी जो उसके इतने दिनों से दबाये गए अरमानो की वजह से आ रहा था ,बाली उससे थोड़ा अलग हुआ ,वह भी इतने सालो की दूरी से संकोच में था पर शरीर की छुवन तो अपना काम कर गई थी ,उसने चम्पा को ध्यान से देखा ,आज भी वो उतनी ही सुंदर लग रही थी ,असल में चम्पा को सूंदर कहना थोड़ा गलत होगा उसे कामुक कहना ज्यादा सही होगा,उसने अपनी जवानी में अपनी मादकता से ना जाने कितने मर्दो को अपना दीवाना बना दिया था ,उसके विशाल स्तनों की शोभा उसके कसे हुए ब्लाउज़ में चमकीले से लगते और उसके चमड़ी की लालिमा से दमकते थे ,आज वो सौंदर्य कई सालो से अनछुई थी ,इसलिए थोड़ी सी ढीली पड़ गयी थी ,पर वो मादकता का झरना अभी भी उतना ही ताजा और मिठास से भरा हुआ था ,.......
बाली की नजर जैसे ही उस पर्वत शिखर पर गयी उसकी सांसे तेज होने लगी ,जिसका आभास चम्पा को भी हो चला था,उसे इस बात से एक झुनझुनाहट सी महसूस हुई की शायद फिर से बाली उसके यौवन का रस वैसे ही पियेगा जैसा की वो पहले पिया करता था,उसके यौवन को वो निचोड़ कर रख देगा,बाली की ताकत का अंदाज उसे था वो जब भी वासना के आग में जलता था तो सामने वाली चाहे कितनी भी मजबूत हो उसे निचोड़ कर ही दम लेता ,पुरानी यादो और नई आशंकाओ से चम्पा के बदन में एक करेंट सी दौड़ गयी उसे अपनी सालो सी सूखी पड़ी हुई योनि में एक हलचल सी महसूस हुई ,मानो आज उसने अपने प्रियतम के लिए अपना द्वार खोलने की ठान ली हो...दोनो की कुलबुलाहट साफ थी और दोनो ही एक अजीब सी मर्यादा के बंधन में बंधे थे ,मर्यादा थी उम्र की और बंधन था उस संकोच का जिसे वो सालो से जीते आ रहे थे…..
दोनो ही आगे बढ़ाना चाहते थे पर क्या करे दीवार कैसे गिरे ,बाली ने कोशिस करने की सोची पर दीवार इतना बड़ा था की एक ही झटके में गिरना उसने भी ठीक नही समझ ,आज उस उमंग की शुरुवात तो हो चुकी थी ,अब वो आग उन्हें आज नही तो कल मिला ही देगा………………..

कई आग इस घर के लोगो में एक साथ लगी थी ,अजय और निधि के बीच ,किशन और सुमन के बीच ,विजय और सोनल के बीच ,,,सोनल और नितिन के बीच ,अजय और खुसबू के बीच ,,बाली और चम्पा के बीच ,,,और एक आग और थी जिसका जिक्र अभी तक नही हुआ है ,वो आग थी रेणुका और बनवारी (रेणुका का पति ) के बीच ………

पता नही कौन सी आग किसे कब जलाने वाली थी पर जो भी होना था वो तो बस होना था ………..

किशन अपनी प्रेमिका के गले में हाथ डाले अपनी ही दुनिया में मगन अपने कमरे में बैठा था ,सुमन और किशन दोनो के बीच का प्यार अपने परवाने चढ़ने लगा था ,दोनो एक दूजे के हमेशा पास रहना चाहते थे ,किशन उसके गालो को चूमता है ,
“क्यो अब तो तुम ये नही कहोगी न की मैं कहा इतना अमिर और तुम एक गरीब की बेटी “किशन सुमन को थोड़ा और कस लेता है ,
“आप ऐसे क्यो कह रहे हो ,मैं तो आपसे तब भी उतना ही प्यार करती थी जितना आज करती हु,आप चाहे कुछ भी रहो आप मेरे पति हो “सुमन एक मुस्कान के साथ कहती है और उसके गालो को चुम लेती है ,किशन के चहरे पर भी एक मुस्कान आ जाती है ,
“अच्छा जी तो अपने पति को बस किस से मनाना चाहती हो ,मुझे तो और भी बहुत कुछ चाहिए “किशन उसे थोड़ा और जकड़ता है और सुमन हँसते हुए उसे अलग होने के लिए जोर लगती और उससे छूट जाती है ,
“मैन आपको पहले भी कहा था ना की शादी से पहले कुछ भी नही ,तो…...और आप मेरे पति है लेकिन अभी आधे है जब शादी हो जाए तो पूरे होंगे ,”सुमन एक मस्तीभरी अदा से कह जाती है और किशन का चहरा थोड़ा मायूस से हो जाता है पर उसके चहरे की मुस्कान कम नही होती ,वो फिर से अपनी बांहे फैला देता है ,सुमन ना में सर हिलती है ,किशन उसे इशारे से प्लीज् कहता है ,सुमन अपने होठो पर एक हल्की सी मुस्कान लिए उसके पास आती है और उसके सीने में सर रखकर खुद को छोड़ देती है ,,,,किशन उसके बालो को सहलाता रहता है ,उसके घने बालो में वो अपनी उंगलिया फिरता है और उसके प्यारे चहरे को धयान से देखता है ,इतनी मासूमियत थी उसके इस चहरे में पर फिर भी कितनी दृढ़ता ,एक ओज का प्रवाह था जो बहुत ही शीतल था पर इस बात को भी प्रामाणिक करता था की वो कितनी मजबूत है …………
दोनो ने अपने होठो को एक दूजे के पास लाया दो काँपते हुए होठ बस मिलने ही वाले थे की एक जोरदार आवाज ने उन्हें हिला दिया..
“किशन “ किशन और सुमन दोनो ही चौककर और घबराकर उस शख्स की और देखने लगे ,चम्पा जैसे बुखार से कॉप रही हो ,आंखे लाल और चहरा गुस्से से तमतमाया हुआ,काँपते होठो से उसके शब्द तो निकल चुके थे पर वो कपन अब भी जारी थी,दोनो ही डर गए थे ……
“ये क्या कर रहा है “चम्पा की आवाज पहले से कम पर फिर भी जोर से थी,
“मा वो वो …”किशन अपनी जगह से उठता है 
“खबरदार किशन अगर मैंने आज के बाद फिर से तुम्हे इस लड़की के साथ देखा तो ,ये लड़की निकल जा यहा से और आईन्दा मेरे बेटे के पास भी मत आना …”किशन और सुमन दोनो ही भौचक्के से चम्पा को देख रहे थे और उसके बोले हुए एक एक शब्द को समझने की कोसिस कर रहे थे,दोनो को जब यह समझ आया की उन्हें क्या कहा गया है तक देर हो चुकी थी चम्पा सुमन का हाथ पकड़कर उसे कमरे से बाहर निकल देती है और किशन की और पलटकर 
“अगर तूने आज के बाद फिर से इस लड़की से संबध रखने की कोशिस की तो तू मेरा मरा मुह देखेगा”
ये बात दोनो ने ही सुनी थी सुमन रोती हुई अपने कमरे की तरफ भागी वही किशन बस अपनी मा को देखता रहा जो अभी तक इस रिस्ते से खुस थी अचानक उसे क्या हो गया था…...
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12-24-2018, 01:10 AM,
#28
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
निधि आज अजय के कमरे में नही गयी,उसे जाने क्यो कुछ डर सा लग रहा था,डर किससे अपने ही भाई से,क्यो जिसे वो इतना प्यार करती है जो उसे इतना प्यार करता है उससे क्या डर था निधि को,
लेकिन उसका दिल आज अजय के नाम से ही जोरो से धड़कने लगता शायद वो अब बड़ी हो रही थी,शायद उसे अब लाज की खबर हो रही थी,शायद उसे अब अपने जिस्म में उस संवेदना का अहसास होने लगा था जिसे सारी दुनिया पाप कहती है,
और अजय उस दिन के वाकये के बाद से अजय अपनी प्यारी बहन के लिए प्यार से भरा हुआ था ,अब स्तिथि कुछ अलग ही हो चुकी थी ,अब निधि डर रही थी और अजय मर रहा था…
पर प्यार की आग है ,कब तक कोई दबाएगा,एक ना एक दिन तो बाहर आना ही था,
अजय बेचैनी से निधि का इंतजार कर रहा था पर वो नही आयी ,आज दूसरा दिन था जब निधि उससे दूर भाग रही थी,ये उसके जीवन में पहली बार हो रहा था,उससे आखिर रहा नही गया,वो अपने कमरे से निकालकर निधि के कमरे में जाता है,दरवाजा बंद था,वो खटखटाता है,निधि दरवाजा खोलती है और अजय को देखकर थोड़ी सहम जाती है,
एक सफेद सादे से सलवार कमीज में निधि किसी जन्नत की परी सी लग रही थी,जैसे अभी अभी आसमान से जमीन में उतरी हो,शायद अभी अभी उसने अपना चहरा धोया था,कुछ पानी की बूंदे अब भी उसके चहरे पर खेल रहे थे,अजय को देखकर उसके नयनो ने सहम कर कुछ प्यार के मोती छोड़ दिए,वो नजर गड़ाकर नीचे देखने लगी,अजय ने उसे इस स्थिति में देखा और देखता ही रह गया,क्या उसने गलती कर दी थी,क्या उसने अपनी बहन को नाराज कर दिया था,क्या हुआ था निधि को जो ऐसे कर रही है ,उसने कभी भी निधि को ऐसे उदास नही देखा था,
“क्या हुआ मेरी जान मुझसे कुछ गलती हो गयी क्या,”अजय ने अपनी निगाहों को उसके प्यारे चहरे पर गड़ाया,निधि ने अपना मासूम सा चहरा हल्के से उठाया ,उसके आंखों का आंसू अब साफ नजर आ रहा था,उसके मासूम भोला सा चहरा लाल हो चुका था ,वो एक फरियादी निगाहों से अजय को देख रही थी,
“भैया गलती तो मुझसे हुई है,”निधि से अब नही रहा गया वो दौड़ कर अजय के सिने से लग गयी,अजय उसके सर को सहलाता हुआ 
“क्या कह रही हो ,तुमसे कोई गलती हो ही नही सकती “
“भैया अब मुझे पता चला की आप मुझे क्यो दूर रहने को कहते थे,मैंने भी अपने जिस्म में वो संवेदना को महसूस किया है,अब मुझे समझ आया की भाई बहन क्यो एक उम्र के बाद एक दूसरे से दूर रहते है,हा भैया आप सही थे अब मैं जवान हो चुकी हु…….”
निधि जोरो से रोने लगी थी वही अपनी प्यारी सी लाडली बहन की बातो को सुनकर अजय के दिल में एक जोर का दर्द हुआ,मेरी बहन आज ये क्या कह रही है ,जो बात मैं हमेशा ही चाहता था की वो समझ जाए वो उसे इस तरह से समझेगी उसे ये यकीन ही नही हो रहा था,
“मेरी प्यारी बहन तू मेरे लिए हमेशा ही बच्ची रहेगी मैं तुझे प्यार करना नही छोड़ सकता मेरी जान”
अजय उसे अपने से अलग करता है और उसके चहरे पर चुममनो की झड़ी लगा देता है,निधि की आंखों का गीलापन अब लालिमा लिए हो जाता है,हल्की लाल आंखों में गीलापन और मासूमियत निधि की सुंदरता को चार चांद लगा रहे थे,,
उसके नरम लाल होठो की फड़कन उसके जज़्बातों की कसमकस का बयान कर रहे थे ,अजय ने उसके होठो को अपने दांतो से हल्के से दबाया निधि की आंखों में अजय के लिए बस प्यार था ,वो उसे रोक तो नही रही थी पर अपने को उसपर छोड़ दी थी वो कुछ करना भी नही चाहती थी,
हल्के हल्के वार से निधि में एक मदहोशी ने जन्म ले लिया वो अपने आंखों को बंद कर अपने भाई को बस महसूस करना चाहती थी,
उसके वो तड़फते होठ आज अपने को समर्पित कर चुके थे,अजय के दिल में भी वासना तो नही थी पर अब कोई भी ग्लानि के भाव भी नही थे,अब तो उसे बस अपनी बहन का प्यार चाहिए था,उसने निधि के नितंबो को अपने हाथो में थमा और उसे उठा लिया,निधि किसी गुड़िया सी उसके साथ उठती गयी उसने अपने पैरो को अजय ने कमर से लपेट लिया,अजय उसे उसके बिस्तर पर ले गया और उसके ऊपर सो गया,
अजय ने उसके होठो को अब अपने होठो से भर लिया,दोनो ने अपने आप को बस एक दूजे के लिए समर्पित कर दिया था…
एक कहानी बनने को थी ,प्यार से भरी हुई एक कहानी,एक दस्ता,एक आशिकी एक फकत सी बेताबी,एक हसीन सी मदहोशी,एक करवा,एक इठलाती सी नदी की धार जैसी मोहब्बत,एक तमन्ना,एक जज़बातों का तूफान,एक थमी सी धड़कन बढ़ी सी धड़कन……..
और मोहोब्बत के आग में जलते हुए दो जिस्म जो ना रिस्तो को जानते थे और ना ही दुनिया की रश्मो को, जानते थे तो बस एक दूजे की शोहबत और एक दूजे के लिए मोहोब्बत…
अजय के होठो ने निधि के गहराइयों को नापा और निधि बेहाल सी हो गयी,आज ये पहली बार था जब निधि अपने जिस्म की आग को महसूस कर पा रही थी ,ये वही भाई था जिसने कभी उसे अपने कंधे पे खिलाया था,अपने बांहो में झुलाया था,निधि उन बीते लम्हो को याद कर रो पड़ी उसे बहुत ही गहरे में ये यकीन हो चला था की जो वो कर रहे है वो गलत है,,,,,
अजय अपनी बहन को भरपूर प्यार देना चाहता था पर किस कंडीशन में...नही क्या उसकी मर्जी के बगैर उसे प्यार करे ये नही कर सकता था,निधि के आंसुओ का मतलब क्या है,..
“क्या हुआ मेरी रानी,”
“नही भैया ये सही नही है,मेरा मन अजीब सा लग रहा है,”
प्यारी सी भोली सी मासूम सी निधि,चहरे पर आया आंसू ,अजय ने उसके गालो में बहते आंसुओ को अपने होठो से अपने अंदर ले लिया,
“तुझे ऐसा लगता है तो ठीक है मेरी जान ,मैं तुझे किसी भी कीमत में दुख नही पहुचा सकता ,मुझे मेरी प्यारी बहन से प्यार है बहुत ही प्यार है,और मुझे मेरी शरारती बहन चाहिए ऐसे बड़ी बड़ी बातें करने वाली नही..”अजय ने अपने हाथो से उसके चहरे को उठाते हुए कहता है,...निधि के होठो में एक मुस्कान आ जाती है ,हा उस झरने और झोपड़े वाले रात के बाद से मानो वो बड़ी सी हो गई थी जो हमेशा कहती थी की वो अपने भाई के लिए कभी भी बड़ी नही होगी वही आज अपने उसी भाई के लिये बड़ी हो गयी……
उसने फिर से अजय को देखा ,अब उसके आंखों में वही भोलापन था जिसका अजय दीवाना था,उसने आगे बढ़कर अजय के होठो को अपने होठो से लगाया और उसे बड़े ही प्यार से चूसने लगी…
“भैया i love you ,मुझे माफ् कर दीजिये की मैं आपसे ऐसा व्यवहार कर रही थी,मैं कैसे भूल गयी थी की आप मेरे वही भाई हो जिसने मुझे अपनी जान से ज्यादा प्यार किया है”..
निधि अब अजय के सीने से लिपट गयी,उसके उन्नत उरोजों ने अजय के सीने से गडकर उसे एक असीम आनंद दिया,वो अपनी प्यारी सी बहन की जवानी के अहसास में खोया उसके बालो को अपने हाथो से सहलाने लगा,
“मुझे भी माफ कर दे बहन की मैं तुझे कभी भी समझ नही पाया”
“आपको मुझे समझने की कोई भी जरूरत नही है भइया आप बस मुझे प्यार करो “निधि के चहरे पर फिर से वही शरारती मुस्कान खिल गयी जिसका अजय इंतजार कर रहा था…
अजय के अंदर से एक प्यार का बहाव हुआ और वो निधि को जोरो से पकड़कर उसे फिर से बिस्तर पर पटक दिया,और उसके ऊपर टूट पड़ा…
अजय ने जोरो से उसके चहरे को चूमना शुरू किया ,निधि बस हंस रही थी,उसकी खिलखिलाहट से पूरा कमरा गूंजने लगा था,धीरे धीरे उसकी खिलखिलाहट कम होने लगी ,वही अजय भी अब धीरे धीरे उसके बदन पर हाथ फेरता हुआ उसके होठो तक पहुचा और उसके होठो को धीरे धीरे से खाने लगा,
निधि के रसीले होठो का रस अब अजय के होठो को मिल रहे थे,निधि की हंसी ने अब हल्की और उत्तेजना से भरी हुई सिसकियों में बदल चुकी थी,अजय उसके सलवार के ऊपर से ही उसके उठे हुए मांसल नितंबो को सहला रहा था,दोनो ही उस झोंके में बहना चाहते थे,थोड़ी झिझक अब भी दोनो के जेहन में बाकी थी पर प्यार कहा कुछ देखता है………
निधि ने एक करवट मारी और अजय को अपने नीचे ले लिया,अब अजय बस अपनी जान की हरकतों को देख रहा था,वो उसके कपड़े को निकलने लगी और उसके नग्गे सीने में फैले बालो के जंगलो को अपने होठो से चूमने लगी,अजय के शरीर में एक झुनझुनाहट सी दौड़ी,उसने अपना हाथ उसके सर पर रख दिया,निधि पागल सी हो गयी थी,वो उत्तेजित हो रही थी और उसने अजय के नीचे के वस्त्रों को भी निकल फेका,उसने उसके अंतःवस्त्रों को भी निकलने में देरी नही की,अजय खुद थोड़ा सा असहज हो गया पर निधि अब कहा उसकी सुनने वाली थी,अजय बस अपनी आंखे बंद किये उसके होठो की कोमलता को अपने शरीर में महसूस कर रहा था,छाती से होते} हुए वो उसके नाभि तक पहुची फिर कमर और फिर उसके लिंग तक,अजय का लिंग फूलकर और भी भयानक लग रहा था,कोई और लड़की होती तो शायद इसे देख डर ही जाती पर निधि पर तो प्यार का भूत सवार था,उसको शरीर की बनावट नही अजय के प्यार से प्यार था,अजय का लिंग बस उसके लिए वैसे ही था जैसा की उसके शरीर के बाकी के हिस्से,अपनी बहन की निश्छलता को देख अजय को बड़ा प्यार आ रहा था,वो उसके बालो को अपने हाथो से सहला रहा था,उसकी उत्तेजना अब थोड़ी काम हो चुकी थी वो बस बिना किसी उत्तेजना के उस प्यार के नए स्वरूप को महसूस करना चाहता था जो उसे निधि दे रही थी……..
निधि उसके लिंग को अपने होठो से सहलाती है,लिंग में इससे थोड़ा झटका पड़ता है और वो उछाल पड़ता है ,जिससे निधि की हंसी छूट जाती है ,अपनी मासूम सी बहन की हंसी से अजय का दिल भी खिल उठता है,,,वो उसे बस ऐसे ही देखना चाहता था,हस्ते हुए खिलखिलाते हुए…..
अजय के पैरो तक को छुमने के बाद निधि अजय के ऊपर लेट जाती है अब बारी अजय की थी वो उसे नीचे कर उसके चहरे को देखता है,उसके शरीर और मन में अब हवस की एक रेखा भी नही थी,वो उसके बालो को प्यार से सहलाता है दोनो की नजरे मिलती है और होठ भी….
अजय धीरे धीरे उसके होठो को चूमता जाता है,उस रसीले होठो का ऐसा चुम्मन जो दोनो की सांसे भरने पर ही खत्म होता है,निधि के कोमल उरोजों की चोटी अजय का धयन अपनी ओर खिंचती है और वो उसे हल्के से मसलने लगता है,
“भाई aahhhhh…….love you “
अजय के हाथ पीछे जाकर उसके कमीज की चैन खोलते है और धीरे से उसे उसके जिस्म से निकल अलग करते है,जैसा की अजय को पता था की उसने अंदर कुछ भी नही पहना था,अजय को हसी आ जाती है और निधि उसे देख थोड़ी सी शर्माती है और उसे अपने ओर खिंचती है,दोनो के नग्गे जिस्म की गर्मी ने दोनो के प्यार की आग को हवा दे दी,अजय उसके होठो को चूमते हुए अपने शरीर को जब भी हिलाता था,निधि के विसाल स्तन उसके बालो से रगड़ खाते और एक सनसनी सी दोनो के शरीर में फैल जाती,
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12-24-2018, 01:11 AM,
#29
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
अजय के लिंग ने फिर से आकर ले लिया और वो उसे निधि के जांघो के बीच की गहरी खाई में रगड़ने लगा,निधि के मादक आवाजे कमरे में फैलने लगी थी,पर दोनो अब भी हवस और प्यार की उस सिमा के बंधन में थे,जो भाई बहन के रिस्ते की मर्यादा थी...अब ना अजय और ना ही निधि इस मर्यादा के बंधन में बांध कर रहना चाहते थे,निधि ने ही पहल की और अपने सलवार का नाडा खोल सलवार भी निकल फेका..
दोनो नग्गे जिस्म फिर से एक हो गए दोनो एक दूसरे को भरपूर प्यार देना चाहते थे ,पर दोनो अपनी मजबूरी पर रो पड़ते की वो उतना प्यार ही नही कर पा रहे थे जिससे दोनो की प्यास बुझ जाय,अब बस एक ही तरीका था,....
दोनो ही सेक्स की दुनिया में अनाड़ी थे,पर अजय के लिंग की दस्तक से निधि की योनि में कामरस का बहाव होने लगा था ,उत्तेजना चरम पर थी पर आगे क्या करना है किसी को भी नही पता था,आखिरकार दोनो ही हार गए,
“मुझे माफ कर दे बहन मुझे कुछ भी नही आता”अजय लगभग रोते हुए कहा
“हा जैसे मैं तो मास्टर हु ना”निधि भी रो रही थी उसने बड़ी ही मासूमियत से कहा.
“तो क्या करे,मुझे तुझे प्यार करना है ,और करना ही है,बहुत करना है जान”
अजय उसके होठो पर फिर से टूट पड़ा,दोनो की आंखों में आंसू उस बेचैनी के थे की वो एक दूजे को टूटकर प्यार नही कर पा रहे थे,दोनो फिर से अपने होठो को मिलाप को बेहद ही उत्तेजित लेवल में ले गए और अजय ने धीरे से अपने कमर को आगे खिसकाया ,कामरस से भीगी हुई निधि की योनि का सुराख इतना नही था की वो अजय के इस विशाल से लिंग को अपने अंदर ले ले,नतीजा यही हुआ की लिंग फिसल कर उसके बाजुओ पर जा टकराया,अजय फिर से रो पड़ा,निधि ने उसके गालो को सहलाया और अपना हाथ नीचे ले जाकर उस छेद को ढूंढा जो शायद उम्र के इस पड़ाव में भी बेहद उपेछित सी थी,उसने अजय के लिंग को पकड़कर उस छेद पर रगड़ा,अजय ने सही समय में अपनी काबिलियत दिखाई और धीरे से कमर पर जोर दिया ,उस छेद ने भी अपना गुणधर्म दिखाते हुए लिंग को अपने अंदर आने की इजाजत दे दी पर बिल्कुल ही अनछुई सी योनि के फैलाव के निधि को दर्द की लहर सी महसूस हुई ,अजय को मार्ग तो मिल गया था पर सफर अब भी बाकी था…
“आआआआहहहहहहह भईया “निधि की हल्की चीख ने अजय को रुकने पर मजबूर कर दिया ,अजय का लिंग भी पहली बार इस अजीब से अहसास को महसूस कर रहा था,उसकी चमड़ी ने पहली बार अपना स्थान छोड़ा था और उसे भी एक दर्द ने घेर लिया था,
दोनो एक दूसरे के आंखों में झांके दोनो के चहरे पर एक मुस्कान फैल गयी,
“भइया मैं अब पूरी तरह से आपकी हुई’
निधि के दिल की गहराइयों से निकली ये बात अजय के दिल की गहराइयों तक पहुची और दोनो के होठ फिर से मिल गए ,फिर से उत्तेजना ने अपना काम किया और इसबार बिना किसी मेहनत के अजय धीरे धीरे ही अपनी कमर को हिलाने लगा,दोनों को ही पता था की वो क्या कर रहे है पर बस कर रहे थे…
अजय का लिंग धीरे धीरे निधि की योनि में अपनी जगह बनाता गया काम रास ने अपना काम बखूबी किया था,वो लिंग को पूरी तरह से भिगो चुका था,और उत्तेजन ने दोनो को दर्द सहने की असीम शक्ति दे दी थी,लिंग अब पूरी तरह से निधि के योनि की सैर कर रहा था,बिना किसी रोकटोक के बिना किसी बाधा के…….दोनो ही प्रेम के पंछी अपने जज़बातों का बयान अपना प्यार एक दूसरे पर लूटा कर कर रहे थे,होठ अब भी अलग नही हुए थे ना ही कोई भी संभावना थी..एक शांति सी दोनो के जेहन में थी क्योकि एक असमंजस की एक भावनाओ की,दीवार टूटी थी...अब दोनो के बीच कोई भी दीवार नही रह गयी,प्यार बेपर्दा हो चुका था,और दोनो जिस्म ,दोनो मन एक हो चुकी थी…..
कमरे में और दोनो के मानो में फैली शांति ने उनकी कामुक उत्तेजना को समाप्त कर दिया था,रह गयी थी तो बस एक प्यार की लहर……
निधि के कामरस से गीले अजय के लिंग ने अब अंदर बाहर करना बंद कर दिया था,वो उसी गर्म गुफा में आराम कर रहा था ,और निधि अजय से लिपटी हुई बस अजय के शरीर से मिलने वाले प्यार महसूस कर रही थी दोनो बस इसी गहराई में दुबे रहे जब तक की उनकी आंखे नही लग गयी……….

अजय की नींद निधि के हिलाने से खुली,अभी सुबह नही हुई थी पर निधि की कसमसाहट से अजय के लिंग जो की अब भी निधि के योनि में फसा था,कुछ गुदगुदी दी हुई,दोनो की नींद टूट चुकी थी ,दोनो ने एक दूजे को देखा,क्या सुबह थी वो,...
ये नया अहसास था दोनो के ही लिए.
अजय ने बड़े ही प्यार से उसके बालो को सहलाया तो निधि भी शर्माकर उसके बाजुओ में खुद को समेट ली……..
अजय ने अपने लिंग को हल्के से चलाया,जिसके छुवन से ही निधि की योनि ने पानी जैसा चिपचिपा से रस छोड़ दिया,और अजय के लिंग को अपने अंदर पूरा आने को सहायक हो गया,अजय का लिंग भी ऐसे फूला जैसे अब गुब्बारे में हवा भर दी गयी हो और अब बस वो फूटने वाला ही हो...अजय अपने आप ही अपने कमर को आगे पीछे करने लगा था,हल्के हल्के धक्कों से दोनो ही प्यार के असीम दरिया में गोते लगाने लगे…
जन्नत का मजा उनके लिये खुल चुका था और वो वहां से बाहर ही नही आना चाहते थे…
दोनो के अंगों की चमड़ी के मिलान से इतना मजा भी हो सकता है ये तो शायद उन्हें भी नही पता था,पर जो हो रहा था उससे उनका इनकार भी नही था,वो बस अपने आंखों को बन्द किये इस मजे को अपने अंदर जितना हो सके उतना इकट्ठा कर रखना चहते थे,
दोनो की सांसे अब फूलने लगी थी ,लेकिन अजय ने हार नही मानी उनसे धक्के थोड़े तेज कर दिए,निधि को सहन मुश्किल हो गया था,उसकी आहों से कमरा गूंज रहा था,
“aaaahhh aahhh bhaaaa ईईईईई yaaaaa “
उसकी चीख से पूरा कमरा गूंज गया,निधि ने एक तेज धार छोड़ी और अजय के नीचे दबे हुए उसके तेज धक्कों को सहती हुई निढाल हो गयी,,अजय ने जब निधि को देखा तो उसकी आंखों में आंसू था,
अजय घबरा गया वो तो अपनी नाजुक सी बहन को कोई भी तकलीफ नही दे सकता था फिर कैसे वो उसे इस तरह से दर्द में तड़फता देख सकता था,वो तुरंत रुक गया…..
“क्या हुआ जान ,मेरी बहन दर्द हुआ क्या”
अजय के इस प्यार को देखकर निधि के होठो पर एक मुस्कान खिल गयी,..वो अजय के बालो को अपने उंगलियों में फसा कर उसे अपने ऊपर खिंच लिया और उसके होठो से अपने होठो को मिलाकर एक लंबा से चुम्मन दिया…
“नही भैया कोई भी दर्द नही था,इतना मजा तो मुझे जिंदगी में कभी भी नही आया ……”निधि की हालात कुछ अजीब ही थी आंखों में पानी था,योनि में पानी था ,और होठो में एक प्यारी सी मुस्कान...अजय का लिंग अब भी उसके योनि में पूरी तरह से कसा हुआ था,पर वो अब फिर से उसे चुम कर उसे अपने ऊपर लिटा कर सो गया,वो मानो झड़ना ही नही चाहता था क्योकि झड़ने का मतलब था की उसे अपनी प्यारी बहन से अलग होना पड़ता,और अजय को ये बिल्कुल भी मंजूर ना था…..
सुबह की रोशनी जब घर में फैली तो दोनो की नींद खुली देखा तो निधि वहां से जा चुकी थी ,अजय उठा उसने अपनी हालत देखी और खुद पर ही मुस्करा दिया,उसके लिंग में निधि की योनि के कुछ बाल फसे थे और चादर में खून के धब्बे,उसने ध्यान से देखा तो उसे अपने लिंग में भी एक काटा हुआ घाव से दिखाई दिया,पहले प्यार का दर्द भी मीठा होता है,अजय बस मुस्कुरा कर वहां से उठ जाता है……..

सुबह सुबह निधि जल्दी से तैयार हुई आज उसके कॉलेज का पहला दिन था..वही साथ ही सुमन को भी जाना था,दोनो ही तैयार थे ,उन्हें पहुचने के लिए बड़े ताम झाम किये गए थे,अजय ,विजय,कलवा और चम्पा साथ जाने वाले थे...चम्पा सुमन और किशन पर नजर रखने के लिए वहां जा रही थी ,जब किशन को पता चला चम्पा भी साथ जा रही थी तो वो अपना जाना ठीक नही समझा ,विजय को तो मेडम से मिलने की चाह सता रही थी जो काम उसने अधूरा छोड़ा था उसे पूरा करना चाह रहा था,और उसने अजय से कह दिया था की दोनो को कॉलेज छोड़ने की पूरी जिम्मेवारी उसकी…….
कॉलेज पहुचने पर अजय और कलवा की आंखे तो जैसे किसी शख्स पर जम सी गयी वो और कोई नही रामचन्द्र तिवारी का छोटा बेटा महेंद्र था,साथ में बजरंगी भी था और एक लड़का भी साथ था,ऐसे तो महेंद्र अजय का मामा था पर दुश्मनी ने खून के रिस्तो को भी कहा अपना होने दिया है….
कलवा ने धीरे से अजय के कानो में कहा..
“लगता है महेंद्र अपने बेटे को भी यहां एडमिशन कराने लाया है”
अजय ने उस लड़के को देखा ,रिस्ते में तो उसका भाई था पर अब उसे निधि की चिंता सताने लगी पुरानी दुश्मनी के कारन कही उसकी बहनों पर कोई आंच ना आ जाय….कलवा अजय की चिंता समझ चुका था,
“फिक्र की कोई बात नही है अजय ,विजय तो यहां इन्हें लाने लेजाने आएगा ही साथ में ही हम थोड़ी और सिक्योरटी यहां बढ़ा देंगे कुछ लोग हमेशा यहां पर रहेंगे “
अजय ने सहमति में अपना सर हिलाया..वही महेंद्र की नजर भी ठाकुरो पर पड़ी तो जैसे किसी ने तपते तवे पर पानी के झिटे मार दिए हो गुर्राया पर बजरंगी ने उसका हाथ थाम लिया और उसे शांत किया वो अपने बेटे के साथ कॉलेज के अंदर चला गया वही अजय विजय भी निधि और सुमन के साथ अंदर गये.
इधर काव्या मेडम की हालात थोड़ी खराब थी वो ठाकुरो का रोब तो देख ही चुकी थी और उसे बहुत खुशी थी की यहां वो विजय के साथ ऐसा करेगी पर यहां आने पर उसे पता चला की यहां पर तिवारियो का भी बोल बाला है और दोनो के बीच पुश्तैनी दुश्मनी है...उसकी हालात तो खराब हो चुकी थी पर उसने अपने ट्रांसफर की बात भी की पर किसी ने एक नही सुनी ,अब तो उसे बस विजय पर ही कुछ भरोसा था की वो कुछ कर दे...महेंद्र और अजय आमने सामने हुए महेंद्र तो अजय को देख कर उसे पूरी तरह से इग्नोर की कर दिया पर अजय के दिल में ना जाने क्या आया उसने महेंद्र के पास आकर उसके पैर छू लिये...सबके लिए ये बात बहुत ही चौकाने वाली थी अजय ने निधि ,सुमन.और विजय की तरफ इशारा किया 
“ये हमारे मामा जी है इनके पैर छुओ “
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12-24-2018, 01:11 AM,
#30
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
निधि और सुमन को इसका कोई भी ज्ञान नही था उन्होंने तुरंत उनके पैर छू लिए पर विजय तो सब जानता था और उन्हें ही अपने मा बाप का कातिल मानता था,वो कैसे उसके पैर छुता विजय की नाराजगी तो अजय समझ चुका था पर वो उसे कुछ भी नही कहा…
महेंद्र ना चाहते हुए भी अपने भांजे भांजियों को आशीर्वाद दे डाला ,निधि को देखकर तो उसके आंखों में आंसू ही आ गए बड़ी ही मुश्किल से वो उसे सम्हाल पाया ,निधि में उसे अपनी बड़ी बहन का चहरा दिखा उसकी वही लाडली बहन जिसके लिए तीनो भाई अपना सबकुछ हस्ते हस्ते नॉछवार कर देने को तैयार थे ,पर एक गलती और सब कुछ बदल गया इतने सालो से वो दर्द उसके अंदर था वो आज फिर से ताजा हो गया और वो ना चाहते हुए भी निधि के बालो बड़े प्यार से सहला गया,बड़ी ही मुश्किल से उसने अपने आंसुओ को सम्हाल था,लेकिन निधि ने अपने बालो पर रखे हाथ से आने वाले प्यार के अहसास को समझ लिया और वो बड़े ही प्यार से महेंद्र को देखने लगी ,
“मामाजी ….हमे तो पता भी नही था की हमारे मामा भी है..आप कहा थे मामाजी..”निधि की बातें महेंद्र को फिर से चुभ गयी ,
“इतने दिनों तक आपको क्या हमारी याद नही आयी और जब माँ चली गयी तो क्या आपने हमसे रिश्ता ही खत्म कर दिया”
निधि की बातो से महेंद्र ही नही साथ खड़े सभी लोग हस्तप्रद थे क्योकि जवाब किसी के भी पास नही था,पर निधि ने जो किया वो महेंद्र के लिए सहन के बाहर था,वो जाकर सीधे महेंद्र के गले से लग गयी ….और रोने लगी ...महेंद्र को अपनी बहन की छवि उसमे दिख रही थी पर उसके इस तरह उससे लिपटना उसके लिए बहुत ही भावुक हो गया वो अपने को रोक नही पाया और फुट फुट कर रोने लगा जैसे कोई जवालामुखी सा आज फुट गया हो ….उन्हें दूर से देख रहे कलवा,चम्पा और बजरंगी भी वहां आ चुके थे और इस नजारे को देख कर थोड़े भावुक हो गए थे...उसके साथ आया उसका बेटा भी बड़े ही आश्चर्य से उन्हें देखे जा रहा था,पर कुछ कह नही पा रहा था ,आज तक उसने अपने पिता को दुसरो को रुलाते ही देखा था पर ये लोग कौन थे जिसे देखकर उसके पिता यू रो रहे है…
महेंद्र ने निधि को गले से लगा कर अजय को भी अपने पास बुलाया और उसे अपने गले से लगा लिया विजय को ये बिल्कुल भी पसंद नही आ रहा था पर वो मजबूरी में वहां खड़ा था …
“मेरे बच्चों मुझे माफ कर देना मेरे बच्चों ,हमारे ही कारण मेरी बहन को इतना दुख उठाना पड़ा,वो हमसे अलग हो गयी वो इस दुनिया से चली गयी हमारे ही कारण …..”
विजय को और भी गुस्सा आया ,महेंद्र अजय और निधि से अलग हुआ और दोनो के माथे पर अपना हाथ फिराया और अजय की तरफ देख कर बोला,
“मुझे पता है की तुम शायद यही सोचते होंगे की हमने ही तुम्हारे माता पिता का एक्सीडेंट करवाया है पर मेरा यकीन मानो हम आज भी अपने बहन से उतना ही प्यार करते है जितना पहले करते थे ,आज भी हमारी प्रोपर्टी का एक हिस्सा उसके नाम पर है ,लेकिन भाई (वीरेंद्र ) की मौत के बाद मैं और भइया (गजेंद्र ) तुम्हारे पापा और चाचा से बदला लेना चाहते थे जो भी हुआ पर हम अपनी बहन को चोट भी नही पहुचा सकते थे ……….”अचानक ही महेंद्र की आंखे लाल हो गयी ..
“जिसने भी मेरी बहन को मारा है मैं उसे कभी नही छोडूंगा,हम आज भी उसकी तलाश में है…”
ये वहां खड़े सभी लोगो के लिए बड़ा सा शॉक था क्योकि सभी को लगता था की तिवारियो ने ही वो एक्सीडेंट करवाया था..पर अजय को ये बात पता थी 
“मुझे पता है मामाजी की आप लोग इतना नही गिर सकते की अपनी ही बहन को इस तरह से ……...लेकिन जिसने भी ये किया है उसे मैं ढूंढ कर रहूंगा,पर अब ये दुश्मनी मुझसे बर्दाश्त नही होती हमे एक हो जाना चाहिए कितनो दिनों तक हम यू ही लड़ते रहेंगे और इस जहर से अपने परिवार के लोगो की खुशियो की बलि देंगे...प्लीज् मामाजी अब ये बंद होना चाहिए ..”महेंद्र ने अजय को ध्यान से देखा वही चमक जो वीर में थी वही सोच,....अब उसे अपने और अपने भाई के ऊपर ही गुस्सा आ रहा था ,पर शायद अब भी सब कुछ ठीक हो सकता था...उसने अजय के कन्धे पर अपना हाथ रखा…
“हाँ बेटा अब ये दुश्मनी खत्म होनी चाहिये पर भईया ...मैं अपने तरफ से पूरी कोसिस करूँगा..और अभी भैया विदेश में है शायद कुछ ही दिनों में वो आने वाले है ,जब वो आय तो तुम सब एक बार हमारे घर जरूर आना ,पिताजी तुम्हे देखकर बहुत खुस होंगे…”
अब अजय ने उस लड़के की तरफ चहरा किया …
“बिल्कुल मामाजी ,और ये हमारा भाई है ,अब तुम अपनी बहन के साथ ही पढोगे क्या नाम है तुम्हारा “
“जी धनुष “
सभी के चहरो पर हसी और मुस्कान था यहां तक की विजय की आंखों में भी कुछ आंसू आ चुके थे हालांकि विजय ने उसे छुपा लिया था…
पर एक चहरा किसी को घूर रहा था...वो था बजरंगी ….
सुमन को देखने के बाद से ही उसे कुछ अपनापन सा महसूस हो रहा था ,कलवा ने इस बात को ताड़ लिया और इससे अच्छा समय क्या हो सकता था इस राज को खोलने के लिए ,उसने बजरंगी के कंधे पर हाथ रखा 
“भैया जब ये अपने इतने पुराने दुश्मनी को रिस्तो के प्यार की खारित भुला सकते है तो हम क्यो नही ,”
बजरंगी ने कलवा का हाथ अपने कंधे से हटा लिया,
“ये दुश्मनी नही है कलवा तुमने जो किया उसे विश्वासघात कहते है”
महेंद्र को उनकी बातें समझ आ रही थी क्योकि उसने ही उन दोनो के बीच ये आग लगाई थी ,बच्चों के इस प्यार ने उसे पिघला दिया था वो अब इन भाइयो के बीच भी सुलह करना चाहता था ,वो आगे बढ़कर बजरंगी के कंधे पर हाथ रखता है …
“जिस तरह से आज तक सभी इसी गलत फहमी में थे की वीर का एक्सीडेन्ट हमने कराया है उसी तरह तुम भी एक गलतफहमी में जी रहे हो बजरंगी असल में ऐसा कुछ भी नही था जैसा तुम सोच रहे हो …..इनके बीच का रिश्ता बहुत ही पवित्र था पर शायद हम ही थे जो तुम्हे इस बात को मानने नही दिए हमारा भी इसमें एक स्वार्थ था जो तुम समझ सकते हो,पर यकीन मानो ये बस एक गलतफहमी ही थी जिसकी सजा तुम दिनों ने भुगती ही ……”महेंद्र के इतना कहने से बजरंगी थोड़ा समझ तो गया पर उसे इस बात से बिल्कुल भी फर्क नही पड़ रहा था की उसके और कलवा के संबंध कैसे है उसे तो हमेशा से ही सुशील और अपने बच्चों की तलाश थी जिसे उसने अनजाने में ही अपने से अलग कर दिया था...बजरंगी ने हा में सर हिला दिया पर वो ग्लानि का भाव जो उसे इतने दिनों तक खाये जा रहा था वो कैस कम होता …...उसकी दुविधा कलवा समझ चुका था..
“भैया ये आपकी सुमन है जिसे हम दोनो सालो से ढूंढ रहे है वो हमे अभी अभी ही मिली ,आपकी बेटी सुमन “
सुमन और बजरंगी दोनो के लिए ये शायद जिंदगी का सबसे हसीन छन था पर वो उसे कैसे इजहार करे ये उनके समझ से बाहर था....वो बस एक दूजे को देख रहे थे देख रहे थे और बस देख रहे थे...ना आंखों में आंसू ना होठो में कोई भी मुस्कुराहट बस एक अजीब सी खामोशी सी छाई हुई थी ….की अचानक बजररंगी सुमन के पास आकर उसे अपने सीने से लगा लेता है और वो धार टूट जाती है जो अब तक सम्हाल कर रखी गयी थी ….बस आंसू और मोहोब्बत…
प्यार हवाओ में था और बस प्यार था ….ना जाने कितना समय बीत गया जब चपरासी डरते हुए उनके पास आया …
“ठाकुर साहब ,तिवारी साहब वो ...एडमिशन ..”
उसे देख सभी हंस पड़े और फिर से महेंद्र ने सुमन, निधि और धनुष को अपने साथ लेकर प्रिंसिपल की आफिस की तरफ चल पड़ा साथ ही अजय और विजय उसके पीछे चलने लगे ….

सभी अंदर गए काव्या सभी को देख कर खड़े हो गई, विजय की आंखें जैसे ही काव्य के ऊपर गई उसके होठों पर एक मुस्कुराहट आ गई, दोनों की नजरें मिली लेकिन काव्या बहुत डरी हुई थी, ठाकुरों और तिवारियो की लड़ाई के बारे में उसे पता था जिसके कारण वह घबराई हुई थी घबराती भी कैसे नहीं इस इलाके में उनके जितना दमदार ताकतवर दूसरा कोई नहीं था काव्या ने ऐसे तो ठाकुरों का रुतबा भी देखा था, काव्या को देखते ही सभी लोगों ने उसे नमस्ते किया काव्या घबराई हुई अपनी जगह से उठकर आगे को आ गई, दोनों परिवारों के सदस्यों को एक साथ देख कर काव्य को ऐसे तो कुछ समझ नहीं आया इस पर विजय ने हल्की सी हंसी के साथ आंखों ही आंखों में उसे समझाया,

“ अरे मैडम आप खड़ी क्यों हो गई बैठीये बैठिए”

महेंद्र ने तत्परता से कहा,

“ हम अपने बच्चों का एडमिशन कराने लाए हैं अब इनका भविष्य आपके हाथों में मैंने आपके बारे में बहुत सुना है आप बहुत ही स्ट्रिक्ट और मेहनती शिक्षक हैं ऐसा मुझे बताया गया है, आशा करता हूं कि आप हमें निराश नहीं करेंगे,”

काव्य जैसे-तैसे अपने को संभाल रही थी, विजय ने आगे बढ़कर सब का परिचय दिया और काव्य से निधि सुमन और धनुष का परिचय कराया, एडमिशन की सारी फॉर्मेलिटी पूरी होने के बाद सभी वहां से वापस चले गए बाहर जाकर सभी फिर से एक बार इमोशनल से हो गए,

“ मामाजी अभी आप हमारे घर आइए साथ में नानाजी को भी लाइए हम बच्चे आपका प्यार पाने के लिए तरस रहे हैं,”

अजय ने फिर भरी हुई आंखों से कहां,

मैंने अजय के कंधों को कसकर पकड़ा और अपने गले से लगा लिया,

“ बेटा बात तो तुम्हारी ठीक है लेकिन बाली इस बात से कभी सहमत नहीं होगा मैं उसे जानता हूं वह अपने भाई के लिए जान छिड़कने वाला था शायद वह हमें कभी माफ न करें, वह कभी यह मानने को तैयार नहीं होगा उसके भाई का कत्ल हमने नहीं करवाया है,”

“ मामा जी मैं चाचा को समझाऊंगा वह मेरी बात समझ जाएंगे मैं चाहता हूं कि हम दोनों परिवार साथ साथ रहें हम परिवार हैं और हमें परिवार की तरह रहना है,”
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