Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:12 AM,
#31
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
सभी ने इस बात पर हामी भरी और अजय को यह समझ आ गया था कि अगर बाली को कोई समझा सकता है तो वह सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर ही है,

सभी ने एक दूसरे से विदा मांगा और वहां से चले गए लेकिन दो आंखें यह सब देख रही थी शायद अनजान सी वह दो आंखें किसी के आकर्षण में आए बिना ही सभी के हाव-भाव को पढ़ रही थी, वह शक्स इनका प्यार देखकर अंदर ही अंदर जल गया उसकी आंखें लाल सुर्ख लाल हो गई थी बदन तपने लगा, जैसे कुछ अनचाहा सा हो गया हो,
“ दोनों परिवार मिलकर ऐसा नहीं हो सकता मेरे जीते जी ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता मैं नहीं मिलने नहीं दूंगा मैं कभी एक नहीं होने दूंगा, इन्हें इनके कर्मों की सजा मिलेगी मैं उनके परिवार की एक एक शख्स को तड़पा तड़पा के मारूंगा जैसे मैंने वीर को मारा और उसकी पत्नी को मारा, आज सभी अनजान है कि मैं कौन हूं लेकिन एक दिन आएगा जब यह लोग अपने किए हुए कामों पर पछताएंगे बाली महेंद्र कलवा बजरंगी तुम सभी पछताओगे मैं किसी को नहीं छोडूंगा, तुम्हारे घर की हर एक लड़की को नंगा करके रहूंगा और हर लड़के को जान से मार दूंगा जैसा तुमने मेरे साथ किया वैसा ही मैं तुम्हारे साथ करूंगा, आज मैं तुम्हारे घर में घुस गया हूं कल मैं तुम्हारे दिमाग में घुसूंगा, तिल तिल कर तड़पऊंगा, देखता हूं कब तक बचोगे, यह अजय यह विजय यह नितिन कब तक बचाएगा तुम्हे देखता हूं *तुम खुद ही लड़ोगे खुद ही मरोगे और मैं तमाशा देखूंगा,”

एक शैतानी सी हंसी पूरे माहौल में गूंज गई…...

अजय अपने कमरे में बैठा बेचैन से इधर उधर झांक रहा था,निधि उसे ध्यान से देख रही थी,वो अपने हाथों में मोबाइल पकड़े कुछ सोच रहा था बेचैन सा था,
“क्या हुआ भईया, आप यू क्यो परेशान हो”
“ कुछ नहीं यार बस सोच रहा हूं कि दोनों परिवार को कैसे मिलाऊं डॉक्टर से कैसे बात करें, बाली चाचा को समझाना बहुत जरूरी है वह शायद ही इस बारे में मानेंगे,”
निधि अपने हाथ अजय के बाहों में डाल कर उसकी गोद में बैठ गई, अजय उसके बालों को सहलाने लगा,
“ भैया इसमें डरने वाली क्या बात हैं, चाचा आप की बात समझ जाएंगे मुझे इस बात का पूरा यकीन हैं, आप बस डॉक्टर से बात कीजिए और उसे समझाइए कि वह चाचा से बात करें,”
अजय ने हामी में सर हिलाया,और डॉ को काल लगाया,उसने आज होने वाली सभी बातें डॉ को बता दी...डॉ भी उसकी बाते सुनकर खुस हुआ और बाली से इस बारे में बात करने के लिए राजी हों गया,...
अजय को अब राहत महसूस हो रही थी वो जाकर निधि के बाजू में लेट गया,निधि एक प्यारा सा पारदर्शी स्कर्ट पहने हुए थी उसने बहुत से कपड़े खरीदकर शहर से लाये थे,जिसमे कुछ बहुत ही उत्तेजक थे,उसे इन सबका कुछ पता नही था वो तो बस खुला खुला रहना चाहती थी ,उसका बस चले तो पूरे घर मे नंगे घूमे पर क्या करे उसे भी जवानी की दहलीज पर इस बात का भान हो गया था कि उसका जिस्म अब पहले सा नही राह गया है,चोर नजरो से कुछ लोग उसे देख ही लिया करते है,ठाकुरो के घर की लड़की को घूरने की हिम्मत तो शायद किसी मे न थी पर जिस्म के आकर्षण से कोई कैसे बच सकता था,वही आकर्षण लोगो को उसे देखने पर मजबूर कर देता था,गोरा दमकता रंग,भरा हुआ शरीर ,भारी स्तन और पिछवाड़े ,मादक बड़ी बड़ी आंखे और लाल रसीले होठ...और अगर कोई उसके चेहरे पर नजर फेर दे तो बस वही रुक जाय,नशीली जवानी और मासूम सा चहरा कातिलाना कॉम्बिनेशन था,और वो दोनो निधि के पास था,लोग चाहकर भी उससे नजर नही हटा पाते,पर अजय विजय का ख़ौफ़ भी तो कातिलाना ही था….युही गांव ने नए जवान हुए लड़के निधि को अपने रातो की रानी माना करते थे,हर रात उसके नाम से ही वो अपना वीर्य छोड़ते चाहे वो हाथो में हो या किसी के अंदर…
उनमे ही पास के गांव का एक और भी बासिन्दा था जो निधि की मादकता में खोया था,पर ठाकुरो के डर से वो बेचारा उसे आंख उठाकर भी नही देख पाता….उसका नाम था बनवारी और अब वो रेणुका का पति था...इसकी कहानी बाद में अभी आते है अजय के कमरे में जहाँ हुस्न की मलिका और कई नवजवानों की रातो की रानी निधि अपने बड़े भाई से पूरे प्यार और समर्पण के साथ आलिंगन में थी,एक दूजे के अहसास में खोए हुए ये भाई बहन ऐसे तो अब एक दूसरे के शरीर का सुख भी भोग चुके थे पर वासना की आग ने अब भी इन्हें जलाया नही था….
वो अपने ही दुनिया मे रहने वाले लोग थे ,जो अपना प्यार समझते थे उनके बीच अब सामाजिक मर्यादा और बंधन नही थे,वो अपने नंगे जिस्म को एक दूसरे से छिपाते नही थे ना ही उसके प्रति राग से भरते थे,वो प्यार की नई परिभाषा गढ़ रहे थे जो दुनिया की नजरों में मान्य नही थी पर इनके लिए तो इनकी दुनिया ही थी……
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12-24-2018, 01:12 AM,
#32
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
निधि ने मचलते हुए अजय को अपने बांहो में भर लिया और उसके कानों के पास आकर हल्के से एक फूक मार दी,अजय गुदगुदी से हस पड़ा,और जोरो से निधि को अपने ऊपर भीच लिया,दोनो की नजरें मिली और एक दूसरे के होठो को मिला कर दोनो ने अपने दिल मे बसे प्यार का इजहार किया,..
उस कोमल नरम होठो की नाज़ुकता ने अजय को निधि को अपनी ओर और भी जोर से खिंचने को मजबूर कर दिया,दोनो जिस्म ऐसे मिले जैसे सदियों से प्यासे हो ,एक दूजे से इंच भर भी दूर रहना अब उनको गवारा नही था,निधि अपने होठो को अजय के अंदर धसाय जा रही थी और अजय उसके जीभ को खीचकर अपने जीभ से सहला रहा था…
स्कर्ट तो बस नाम की पहनी थी,अंदर से उसके जिस्म की एक एक करवट का पता अजय को अपने हाथों पर हो रहा था,उसने भी अपने को निर्वस्त्र किया और अपनी सबसे प्यारी बहन की जवानी को भीगने को तैयार हो गया,उस नाजुक सी अप्सरा के कसावो को छूता हुआ वो अपने लिंग को उसकी गीली योनि के पंखुड़ियों पर रगड़ने लगा,निधि ने भी अपने भाई के प्यार को अपनाने के लिए अपने कूल्हों को उचकाए पर लिंग था इतना बड़ा और योनि तो अभी अभी ही खुली थी,खून के भराव से फूली हुई उसकी योनि ने अपने सीमित जगह के कारण उसके लिंग को ठुकरा दिया,पर अजय ने अपने हाथों के सहारे फिर से उस कठोर से लोहे को इसके योनि की पंखुड़ियों के बीच लेजाकर उसे सहलाता हुआ उस छेद तक पहुचा जिसे लोग जन्नत का द्वार कहते है….
निधि की भगशिश्न(claitoris) रगड़ खाने से वो भी उसी नशे में थी जिसमे अजय था वो भी लगातार अपने कूल्हों को अपने भाई के कूल्हों पर रगड़ रही थी,प्यार की इस बेताबी ने आखिरकार अपना अंजाम ढूंढ ही लिया उस जन्नत की छेद में अजय ने अपने लोहे जैसे सरिये को हल्के से प्रवेश कराया,...

दोनो ने प्यार की एक चीत्कार लगाई और एक दूसरे के हो जाने के अहसास में डूब गए,जैसे जैसे अजय का लिंग निधि की गहराइयों में जा रहा था निधि अपने भाई के लिए असीम प्यार का अनुभव कर रही थी वो अपने को पूरी तरह से अजय को समर्पित कर रही थी तन से भी और मन से भी….

पूरी तरह अंदर जाकर अजय रुका और अपने बहन के गद्देदार नितंबो के मुलायमता को मसलता हुआ उसे अपनी ओर खींचा, दोनो कि नजरें फिर से मिली इस बार दोनो की आंखे आधी बंद थी,शायद दोनो ही एक दूजे को पूर्णतः नही देख पा रहे थे पर दोनो ही उस प्यार का ,उस एक होने के अहसास को बखूबी महसूस कर रहे थे ,दोनो इस मिलन पर खुद को भूलकर दूसरे के हो चले थे….

दोनो फिर से अपने होठो को एक दूजे के होठो की गहराई में धकेल दीया…

निधि ने अपने कमर को हल्के से हिलाया पर इस हिलाने से मिलने वाले सुख को वो सम्हाल ना पाई और अजय से जोरो से लिपट गई… ईस सुख की भी अजीब सी फितरत है इसे भी सहना पड़ता है और उसके लिए अपने प्यार के सहारे की जरूरत पड़ती है…

वो रगड़ इतनी उतेजक थी कि निधि के अंग अंग में एक सिहरन सी दौड़ पड़ी,वो फिर से मछली की तरह फड़फड़ाने लगी,अजय ने उसे अपने मजबूत बाजुओ में कस लिया,ये वही बाजू थे जिनमें वो दुश्मनों को कसकर मार डालता था आज वही अपनी नाजुक सी बहन को कसे था और वाह रे प्यार उसकी नाजुक कोमल सी बहन उसके बाजुओ में कसकर मर जाना चाहती थी,...

इसबार कमर अजय ने हिलाई थी एक एक वॉर दोनो की गहराइयों से निकलते प्यार की पैदाइश थी और दोनो को एक सुखद अहसास से भर देती थी,दोनो फिर एक दूजे के बाहों में जकड़ लेते,एक दूसरे में मिट जाने की तमन्ना ही ऐसे होती है,वो इतने जोरो से एक दूसरे को कसते जैसे सामने वाले में समान चाहते हो…

हल्के हल्के ही सही पर धक्के बढ़ने लगे ,कभी एक जोरदार से धक्का दिया जाता और पूरे कमरे में निधि की मादक चीख सी गूंज जाती,सुख की अभिव्यक्ति जब हो ही नही पाए तो या तो चीख बन जाती है या आंसू ...आज दोनो ही निधि कें पास थे,वो सिसकियां लेती तो कभी चीखती आंखों में आंसू की बूंदे भी शोभा बड़ा रही थी ,वही हाल अजय का भी था,जिसके नाम से लोग काँपते थे वो आज खुद के मजे को काबू में नही कर पा रहा था होठो से सिसकियां निकल रही थी

“आह आह आह आह” बस “हा हा हा “ “नही हिहिहिहि “

ये शब्द कमरे में गूंज रहे थे,और दो नंगे जिस्म अपनी मस्ती में दुनिया को भूले हुए बस गुथे हुए प्यार का खेल खेल रहे थे…

आखिर जब अजय ने अपने प्यार की धार निधि के अंदर छोड़ी तो उसका गीलापन गाढ़ापन और गर्मी ने निधि को टूटने पर मजबूर कर दिया वो भी अजय को कसकर पकड़े हुए झरने लगी,दोनो ही रस एक साथ मिलकर निधि और अजय के उस जोड़ से बाहर को टपकने लगे ….

पर होश कहा था ,ये प्यार का कारवां था,जो चल निकला था तो आसानी से थमता नही...दोनो अब भी एक दूजे को खुद में समाए हुए थे और इस आनन्द से आनंदित हो रहे थे…

अब थोड़ा आते है रेणुका और बनवारी की कहानी पर,
बनवारी गांव का एक सीधा साधा से लेकिन मजबूत लड़का था,अपने खेतो में वो बैलो की तरह मेहनत करता,अपनी सौतेली मा के तानो को नजरअंदाज कर अपने काम को मन लगा कर करने वाले बनवारी की ऐसे तो कोई भी बुरी आदत नही थी सिवाय की वो प्यार में था…...किसके?????
बात उसकी शादी से दो साल पहले की है जब वो एक दिन अपने पिता किशोरीलाल और मा के साथ बाजार में कुछ समान लेने अपने गांव से ठाकुरो के गांव आया था,भारी भारी थैलो को बड़ी मुश्किल से सम्हालता हुआ बनवारी दोनो के पीछे चल रहा था की गांव के स्कूल की छुट्टी हुई और उसे स्कूल की ड्रेश में एक अप्सरा दिखी….उसके बदन और चहरे को देख बनवारी जैसे बूत बना वही खड़ा हो गया..लेकिन जैसे ही उसकी मा की नजर उस पर पड़ी उसके गालो में एक जोरदार चाटे की रसीद दे दी…
“कलमुहे हमारी जान लेगा क्या ,ठाकुर की बहन को ऐसे गुर रहा है”
उसने फुसफुसाते हुए कहा,बनवारी को जैसे कोई भी दर्द नही समझ आ रहा था वो तो बस उसके रूप यौवन में खोया था,लेकिन किशोरीलाल ने उसे झकझोर कर वहां से ले गया पर बनवारी के मन में वो प्रतिमा छप गयी और वो उसे पाने को बिल्कुल उतेजित सा हो गया,वो जब भी समय मिलता स्कूल पहुच जाता और बस दूर से ही उस हसीन से चहरे को घूरता रहता,धीरे धीरे उसे ये भी पता चल गया की जिसे वो पाना चाहता है उसका नाम निधि है और वो ठाकुर अजय की बहन है,जिनके नाम से सभी काँपते थे वो नाम उसेमें कोई भी दहसत पैदा नही कर पाते,लेकिन एक दिन उसकी इन हरकतों का पता किशोरीलाल को चला और उसने अपने बेटे को बैठा कर ठाकुरो की असली ताकत के बारे में बतलाया,तब से धीरे धीरे ही सही बनवारी को मजबूरन निधि को अपने दिल से निकलना पड़ा,लेकिन किसी को ना दिल में बसना अपने बस में होता है ना ही निकलना……..दिल के किसी कोने से एक टिस सी बनवारी को हमेशा ही सताती थी की काश वो उस हसीन ख्वाब को पा सकता ,उसे भी ये यकीन हो गया था की ये ख्वाब ही है लेकिन ख्वाब का अपना ही मजा होता है,
जब उसकी शादी रेणुका से तय हुई तो उसे जितनी खुसी अपने शादी की नही थी उससे ज्यादा खुशी उसे उस घर में रहने का हो रहा था ,वो सोचता था की चलो इसी बहाने ही सही निधि के रोज दर्शन तो हो जाएंगे...लेकिन रेणुका से उसकी शादी ने उसके मन को ऐसे ही बदल दिया जैसा की रेणुका के मन को बदल दिया,दोनो ही एक दूजे से मिलकर एक दूजे के प्यार में पड़ गए,
जहा रेणुका को बनवारी की सादगी और उसका इतना खयाल रखना भा गया वही बनवारी को रेणुका की खूबसूरती और प्यार ने मोह लिया ,दोनो ही एक दूजे के हो चुके थे,और एक दिन इसी प्यार के आगोश में आकर बनवारी ने रेणुका को अपने दिल की हर वो बात बता दी जो उसके दिल में निधि के लिए हुआ करता था,अपने पति की मासूमियत और सच्चाई से प्रभावित रेणुका भी उसे अपने और विजय के रिस्ते के बारे में बोल गयी ,दोनो ही एक दूजे के प्यार में ही रहना चाहते थे और ये उस प्यार के ही कारण था की दोनो ही एक दूजे के अतीत को भूलकर एक नई जिंदगी जीने की राह में चल पड़े………
जब रेणुका और बनवारी आकर ठाकुरो की हवेली में रहने लगे तब रेणुका को बस यही डर था की विजय उसे कुछ करने को ना कहे लेकिन वक़्त भी अजीब करवट ले रहा था और विजय रेणुका को लगभग भूल ही चुका था,इतने दिनों में विजय ने कभी भी रेणुका से संबंध बनाने की कोशिस नही की थी और रेणुका जानती की अगर विजय ने ये कोशिस की तो शायद वो उसे इनकार भी नही कर पाएगी….अपने पति को वो बहुत ही प्यार करती थी पर विजय उसकी आग को बढ़ाने और फिर अच्छे से बुझाने वाला शख्स था उसे मना करना रेणुका के लिए आसान तो बिल्कुल भी नही था…….
जो भी हो वक़्त बीत रहा था और एक दिनविजय और रेणुका का सामना हो ही गया...दोनो की आंखे मिली और रेणुका ने हँसकर उसका अभिवादन किया,
“कैसी हो तुम “
“अच्छी हु आप कैसे हो ठाकुर साहब “
“देख तो रही थी तेरे बिना तो मेरी राते ही सुनी हो गयी….”
रेणुका को एक करेंट सा लगा,वो अपनी आंखे नीची कर खड़ी रही ,
शायद विजय उसकी ये खामोशी समझ चुका था,
“ऐसे क्यो सर नीची कर ली,तू अब शादी शुदा है और मैं किसी भी बात के लिए तुझे जोर नही डालूंगा,शायद तू ये बात जानती है ,ऐसे तेरा पति कैसा है…”
विजय की बातो से रेणुका को थोड़ी सी राहत मिली और उसने अपना सर उठाकर उसे देखा और हल्के से मुस्कुराया 
“अच्छे है ,.......बहुत अच्छे है’”
“ओहो ऐसे बहुत अच्छे है ,तुझे अच्छे से चोदता है की नही ,सचमे मुझसे भी अच्छा चोदता है “
रेणुका के लिए ये बहुत ही बडा प्रश्न था शायद बनवारी के प्यार ने उसे बदल दिया था नही तो ऐसी बातें तो विजय के साथ उसके रोज का काम था,
“क्या हुआ फिर से सर नीचे अरे यार आशिक नही दोस्त तो समझ सकती है ,ऐसे भी मैंने तुझे कहा ना की तुझसे कोई भी जबरदस्ती नही करूँगा..अब हस भी दे मेरी जान “
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12-24-2018, 01:12 AM,
#33
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
विजय ने उसके गालो को पकड़ कर उसे हिला दिया ,रेणुका हस पड़ी और बड़े ही गौर से देखने लगी…
“क्या सच में आप मुझसे सिर्फ दोस्त बनकर रह सकते हो …”
“ह्म्म्म पहले शायद नही रह पता पर कुछ दिनों से पता नही मेरे साथ क्या हुआ है की मुझे अब लड़कियों की इज्जत करने का दिल करता है”
रेणुका ने उसे थोड़े आश्चर्य से देखा और खिलखिला के हस पड़ी 
“अच्छा सचमे”
विजय भी थोड़ा झूठे गुस्से में मुह बनाया और हस पड़ा,
“हा सचमे...लेकिन तुम उस चोमू के प्यार में कैसे पड़ गयी”
अब रेणुका ने झूठ गुस्सा अपने मुह पर लाया 
“वो जैसे भी है पर सच में वो बहुत ही प्यारे है और मेरी बहुत ही फिकर करते है ,और हा आपके जैसा तो कोई मुझे नही कर सकता पर वो जितना भी करते है मैं उसमे खुश हु,सच में ठाकुर साहब मैं उनके साथ बहुत ही खुश हु….”बोलते बोलते रेणुका के आंखों में एक चमक सी आ गयी ,विजय भी अपना हाथ बढ़ाकर उसके सर को प्यार से सहला दिया और बड़े ही प्यार भारी आंखों से रेणुका को देखा ,
“हमारे बीच जो भी हुआ उसे अब भूलने का समय आ गया है ,और हा तुझे खुश देखकर मुझे बहुत खुशी हुई ,”
रेणुका विजय को अपनी ओर खिंच कर उसकी बांहों में समा गयी ,
“छोटे ठाकुर आप बहुत ही अच्छे हो मैंने कभी नही सोचा था की आप ऐसे मान जाओगे सचमे अगर आप जिद करते तो मैं आपने को कभी नही रोक पाती….मै हमेशा आपको अपना दोस्त मानूँगी सबसे अच्चा दोस्त,धन्यवाद छोटे ठाकुर अपने मुझे मेरी नजर में गिरने नही दिया…”
रेणुका के आंखों में आंसू था वही विजय के मन में एक अजीब सी खुशी थी वो कभी भी किसी लड़की के साथ जबरदस्ती नही करता था पर पहली बार उसके उसे एक अलग सी खुशी मिल रही थी जो कभी उसकी अय्याशी का समान थी आज वो किसी और की बीवी थी और उसे भी विजय बड़ी इज्जत से देख रहा था ……….
किसी ने सच ही कहा है की लडकिया प्यार करने ,इज्जत करने के लिए होती है आप उसे जितना प्यार और सम्मान दोगे उससे कही ज्यादा वो आपको लौटती है ,लडकियो से हिंसा और जबरदस्ती करने वाला तो मर्द ही नही होता…
आज विजय को असली मर्द होने का अहसास हुआ……..

वक्त निकलने लगा था और निधि और सुमन दोनो ही कॉलेज जाने लगे थे ,विजय उनको छोड़ने और लेने जाता था लेकिन उसे काव्या से मिलने का मौका ही नही मिल पता,उसने देखा उसका नम्बर लिया और उससे बातें करने लगा,दोनो रात को घंटो ही बाते किया करते थे,लेकिन उससे आगे बढ़ने का समय ही नही मिल पा रहा था ,वही अब निधि के और नए भाई धनुष की भी उनसे बहुत जमने लगी थी ,ऐसे तो धनुष हमेशा से ही अकेले गांव में रहकर पला था और उसके खून में ही जमीदारो वाली बात थी पर वो निधि और सुमन के लिए बहुत ही सुलझा हुआ लड़का होता था,तीनो से कॉलेज के छात्र और यहां तक की टीचर भी घबराते थे ऐसे तो किसी को इनसे कोई भी प्रॉब्लम नही थी पर क्या करे लोगो को डरने की आदत पड़ चुकी थी,
कॉलेज को बने हुए पहला ही साल था पर वहां सभी इयर के बच्चों ने एडमिशन लिया हुआ था,जो बच्चे अभी तक शहर में पड़ रहे थे या कॉलेज नही जा सकने के कारण वहां की वो लडकिया जो डिस्टेन्स से पढ़ाई कर रहे थे सबके लिये ये कॉलेज एक उम्मीद ले के आया था ,वही एक और उम्मीद यहां पनप रही थी वो थी ठाकुरो और तिवारियो के सत्ता को तोड़कर अपनी नई सत्ता स्थापित करने का प्रयास………
ऐसे तो अभी तक ऐसा कुछ बड़ा प्रयास नही किया गया था और उसकी जरूरत भी बहुत ज्यादा नही थी पर लोगो के पड़ने के कारण और शहर से जो लड़के फिर से गांव आये थे उन्होंने एक नए वर्ग का निर्माण करना शुरू कर दिया था,वो वर्ग ना तो बहुत ही पढ़ा लिखा और ना ही अनपढ़ था ,ना ही ज्यादा गरीब था और ना ही ज्यादा अमीर एक मध्यमवर्ग का निर्माण एक नई क्रांति का संकेत था,ये किसी को मिटाना नही चाहते थे बस अपनी एक नई पहचान बनाना चाहते थे ,ऐसे तो अब बाजारों में बाहर और वही से आने वाले लोगो ने पैसे कमाने शुरू कर दिए थे और सर्विस क्लास लोगो की संख्या भी बढ़ गयी थी ,इसलिए अब ठाकुरो और तिवारियो के अलावा कई लोग ऐसे थे जिनके पास पैसा तो था,बहुत नही पर था,लोगो के पास कारे थी महंगी गाड़िया भी लोगो के पास थी ,वही घरों में उपयोगी सभी समान लोगो के पास आने शुरू हो गए थे ,लोगो के रिस्तेदार गवर्मेंट के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक थे ,कुछ लोग राजनीति में भी अच्छा नाम कमा रहे थे ,मतलब की एक नए से और शक्तिशाली मध्यमवर्ग और निम्न उच्चवर्ग का उदय वहां हो रहा था………
सत्ता का टकराव अभी तक जो दो बिंदुओं के बीच था वो एक नए बिंदु की ओर बढ़ सकता है ये तो किसी को भनक भी नही थी पर पहली भनक पड़ी जब कॉलेज का इलेक्शन होने वाला था...पहला इलेक्शन था और वहां दोनो शक्तिशाली परिवार के बच्चे पढ़ रहे थे….
ये स्वाभाविक था की प्रेजिडेंट के लिए अगर वो खड़े हो जाते है तो कोई दूसरा खड़ा भी ना हो,लेकिन नया संघर्ष यही से शुरू हुआ जब धनुष ने फैसला किया की वो चुनाव में खड़ा होगा,उस कॉलेज में लगभग 15-20 गांव के लोग आते थे वही जहा वो कॉलेज था वो खुद एक विकसित कस्बा था,वहां के एक सेठ के बेटे अभिषेक ने भी फार्म भर दिया,वो लास्ट ईयर का स्टूडेंट था और शहर से यहां एडमिशन लिया था वहां उसे राजनीति की थोड़ी समझ भी थी, 
सभी ने सोचा था की एकतरफा चुनाव होगा,पर भईया इंडिया डेमोक्रेटिक देश है….
माहौल में तनाव सा फैल गया और वहां के सभी पैसे वाले सेठ और बिजेनसमेन जो प्रायः वहां के मूल निवासी नही थे और ठाकुरो और तिवारियो से जिनका कोई मतलब नही था वो एक होकर अभिषेक का साथ देने लगे,बात छोटी सी थी पर अभिषेक राजनीति का पुराना खिलाड़ी रह चुका था और उसने छात्रों को इकट्ठा करने की अपनी कबिलियात को भुनाया और साथ ही अपने बाप की मदद से कॉलेज के बाहर भी अपना समर्थन खड़ा कर लिया,लोग बोलने लगे की एक आजाद देश में चुनाव में खड़ा होने का हक तो सभी को है तो क्यो हम ठाकुरो और तिवारियो के गुलाम बने फिरे,कॉलेज के चुनाव की बातें कॉलेज से निकालकर बाहर बाजारों और घरों में होने लगी अभी धनुष और अभिषेक ने बस अपना नामांकन डाला ही था लेकिन अभिषेक ने बातो को ऐसे फैलाया की सभी जगह गहमा गहमी सी फैल गयी थी ,बात इतनी फैली की सीधे महेंद्र तिवारी के कानों में पड़ी,बात बड़ी नही थी पर अपनी जमीदारो वाली शान का क्या करे,अगर सचमे धनुष चुनाव हार गया तो उनकी साख का क्या होगा,इससे उनकी इज्जत पर सीधे धक्का लगता,महेंद्र भी सोच में पड़ गया और उसने वही किया जो वो हमेशा से करते आ रहा था,अभिषेक के बाप के घर पहुचा और उसे चेतावनी दे डाली,लेकिन साला अभिषेक तो बड़ा खिलाड़ी निकल गया उसने ना सिर्फ उसका वीडियो रिकॉर्ड किया बल्कि वहां लोगो को इकठ्ठा कर लिया,ऐसे भी लोग तिवारियो से थोड़े से नाराज रहते थे और अब तो उनके पास एक नेता भी आ गया था जो खुद भी मारने को तैयार था और ऐसे भी अभिषेक ने पहले से ही सभी को भड़का के रखा था,सभी उसके समर्थन में कूद पड़े और महेंद्र को जनमत के सामने झुकना पड़ा और वहां से वापस आना पड़ा,
ये उसके लिए और भी बड़ी चोट थी क्योकि अभिषेक ना केवल उस वीडियो को फैला रहा था,वो भी फैला रहा था की देखो जिससे तुम डरते हो वो कुछ भी नही है मेरे घर में आया था और दुम दबा के उसे भागना पड़ा…..
इज्जत को बड़ा आघात लग रहा था और धनुष का हारना भी लगभग तय दिख रहा था,इससे ना केवल महेंद्र बल्कि धनुष भी टेंशन में रहने लगा,राजनीति की समझ ना होने से पॉवर खोखली से रह जाती है और डेमोक्रेटिक देश में पॉवर का उपयोग दिमाग से ही किया जाता है…
निधि को धनुष का ये चहरा देखे नही जाता था और साथ ही अब लोगो की हिम्मत भी बढ़ने लगी थी और ऐसे ही एक वाकये ने अजय विजय को मैदान में आने को मजबूर कर दिया…

शहर का एक आलीशान बार जो तिवारियो का था ,एक पर्सनल कमरे में एक सोफे पर महेंद्र बैठा था,पास ही बजरंगी भी बैठा था,तभी कमरे में अजय विजय और कलवा आते है,सभी को देखकर महेंद्र खड़ा हो जाता है और सभी से गले मिलता है,
सभी बैठकर बातें करने लगते है महेंद्र बहुत ही परेशान सा दिख रहा था वो पूरी बात अजय को बताता जाता है जिसे सुनकर विजय का खून तो खोलता है पर अजय बड़े ही ध्यान से सुन रहा है…...
महेंद्र अपनी बात का अंत करता है …….
“मैं सभी सह सकता हु लेकिन उन्हेंने जो मेरी बेटियों (निधि और सुमन)के साथ किया वो ,हिम्मत कैसे हो गयी उनकी उनसे ऐसे बात करने की,और ये साला इंस्पेक्टर भी उन्हें अरेस्ट करने को तैयार ही नही,सभी मंत्री साले मुह फेर कर बैठ गए,क्या हो गया है हमारी इज्जत का सभी कहते ही की वो अपना हाथ नही फसा सकते अरे साले हमारा दिया ही तो खा रहे है और अब ….”ये कहते हुए महेंद्र अपना पूरा पैक एक सांस में खत्म कर देता है…..तभी एक वेटर आकर पेग बनाने लगता है ,कलवा और अजय मना कर देते है पर विजय ललचाई निगाह से उसे देखता है पर अजय के पास होने से वो भी मना कर देता है जिसे महेंद्र देख लेता है उसके चहरे पर एक मुस्कान आ जाती है ….वो कोल्ड्रिंक मांगता है और विजय के कोल्ड्रिंक में चुपके से दो बड़े पेग मिला कर उसे पीने का इशारा करता है ,विजय के चहरे पर चमक आ जाती है ,अजय भी उसे शराब मिलते देखता है पर कुछ नही कहता...अजय बोलना शुरू करता है ……..
“मामाजी अब ये हमारी इज्जत पर बात आ गई है,और ये लड़का (अभिषेक)बहुत ही चालक है इसे दिमाग से ही हराया जा सकता है ताकत से नही,कोई भी नेता अपना हाथ सीधे इस मामले में नही डालेगा उन्हें भी तो वहां से वोट चाहिए.,आप फिक्र मत करो मैं देख लूंगा,धनुष चुनाव भी जीतेगा और हमारे सभी विरोधी जमीन में भी मिल जाएंगे.लेकिन मार से नही प्यार से,आप कुछ भी नही करेंगे अब से पूरा मामला मैं देखूंगा….”
एक शांति सी वहां पर छा गयी ,कलवा और बजरंगी वीर को याद करने लगे कैसे वो बड़े से बड़े मसलो पर बड़े ही शांत ढंग से सोचता था,अजय पर वीर की छाप साफ दिखती थी…….
“सबसे पहले हमे इस इंस्पेक्टर का ट्रांसफर किसी ऐसे जगह करवाना होगा की सभी को समझ आ जाय की हमारे खिलाफ जाने से क्या होता है….पर सीधे नही इसका कोई पुराना मामला निकलना पड़ेगा,फिर हमे धनुष का एक संगठन बनाना पड़ेगा जो बहुत मजबूत हो और जिसमे सभी तरह के लोग हो ,ताकि हमे सबकी सहानुभूति मिल सके,गरीब पिछडो को साथ लेना होगा,जो आपके और हमारे घरों में खेतो में मजदूरी करते है उनके बच्चों को आगे लाकर उन्हें भी दूसरे पदों में खड़ा करना होगा...फिर रही सेठो की बात तो उनकी लाइफ लाइन उनका धंधा है,उन्हें तोडना है तो उनके सभी धंधों पर चोट करना होगा,अगर तिवारी और ठाकुर अपना धंधा मिला ले और बांट ले तो हमारे सामने वो कुछ भी नही है,हर समान हम उनसे सस्ते में खरीदेंगे और सस्ते में ही बेचेंगे,उनके माल की कमी बाजार में कर देंगे उन्हें माल ही नही मिल पायेगा,फिर देखते है साले कैसे नही आते हमारे पास…आपकी नदी के किनारे जो बगीचे की जमीन है वहां से आने जाने वाली सभी गाड़ियों रो रोककर उनसे पैसे लो,आपकी जमीन से गाड़ी निकल रहे है तो आपका पैसा लेना भी जायज है और इससे उनकी लागत भी बढ़ जाएगी,लेकिन सभी सेठो से दुश्मनी नही की जा सकती कुछ को अपनी तरफ भी मिलना पड़ेगा,जो हमारे पुराने वफादार है और जो अभी चुप बैठे हुए ही उन्हें अपनी तरफ मिला लेते है ,कम से कम वो दुसरो को बस भड़का दे तो उनकी ताकत कम हो जाएगी,20 % भी हमारे तरफ आ गए तो पूरा मार्केट हम अपनी तरफ खिंच लेंगे,रही कॉलेज की बात तो जो लड़के अभी तक नही पड़ पा रहे थे उन्हें ये बताओ की ये कॉलेज ही हमने यहां खुलवाया है ,धनुष को हर बच्चे से अच्छे से बात करने को कहो,निधि और सुमन अब लड़कियों को मिलने का काम करेंगी……...जब बड़े घर के बच्चे गरीबो से प्यार से बात भी कर दे तो वो उनके गुलाम हो जाते है ,प्यार की ताकत बहुत होती है मामाजी,और प्यार बस दिखावे का ना हो वो सचमे उनकी समस्या सुने और समझे तो कुछ ही दिन में सब हमारे ही हो जाएंगे ,और रही उन लड़को की बात जो मेरी बहनों को सुना कर गए तो उनका कुछ भी करने की अभी जरूरत नही है उनमे से कई खुद ही आकर उनसे माफी मांगेंगे..बाकियों को इंस्पेक्टर ठाकुर सम्हाल लेगा…(सभी उसे देखते है) हा हालात को देखते हुए उसकी पोस्टिंग यहां करनी होगी वो हमारा भरोसेमंद आदमी है ,अगर कुछ मार पिट की नोबत आती है तो सब कुछ आराम से निपटा लेगा……….बस जीत हमारी ही होगी और लोग भी हमे पहले से ज्यादा प्यार और इज्जत देंगे,ये महज एक चुनाव नही है ये हमारे वजूद को और भी पुख्ता करने का समय है…………..”


सभी अजय को ध्यान से अपलक देख रहे थे उसका दिमाग पूरी प्लानिंग करके आया था,सभी उसकी बात से सहमत थे…………..
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12-24-2018, 01:13 AM,
#34
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
अजय के प्लान पर अमल होना शुरू हो गया और उसका रिजल्ट बहुत जल्द ही दिखाना शुरू हो गया,
पहली चीज जो हुई वो थी तिवारियो के परिवार से एक नए नेता का उदय एक ऐसा नेता जो सचमे ही दुसरो के दुखो को सुनता समझता और उसे हल करने की पुरजोर कोसिस करता था,धनुष के मन में ना जाने ये दया का भाव कहा से पनपा पर दुसरो के तकलीफों को सुनते हुए वो भावभिभोर सा हो जाता उसके आंखों में आंसू आ जाते और वो सच्चे दिल से उनकी मदद को तत्पर रहता,उसका जमीदारो वाला रुआब भी जाता रहा वो इतना विनम्र और शांत हो गया था की उसे जानने वाले भी हैरान थे,पर लोगो के लिए ये एक बड़ी तसल्ली की बात थी ,अजय और ठाकुर तो ऐसे भी अपने दयाशीलता के लिए प्रसिद्ध थे पर तिवारियो के परिवार में ये पहला शख्स था,अब उसे कॉलेज के चुनाव से भी मतलब नही रह गया था,और वो सभी से मिलता था साथ ही निधि और सुमन भी लड़कियों के बीच बहुत ही पॉपुलर हो गए थे ,ऐसे भी वो बहुत ही संवेदनसील तो पहले से ही थे अब उन्हें मौका मिला था की वो दुसरो की मदद कर सके वो अपनी पूरी ताकत लगा रहे थे,,,,,,लोग उन्हें देखते तो उनका दिल गदगद हो जाता सुमन को गरीबी और अभाव का बहुत ही ज्ञान था जो उसे लोगो से इंटरेक्ट होने और मुस्किलो को सही तरह से समझने में मदद कर रहा था ,कुल मिला कर हवा धनुष के तरफ बहने लगी जो लोग उन्हें गालिया देते नही थक रहे थे वो अब उनकी तारीफ करते नही थकते थे,उन्हें उनकी सच्चाई दिखाई दे रही थी,अभिषेक बुरी तरह से झल्ला गया था ,लोग उसका साथ देना छोड़ रहे थे ,जो गुंडे उसने पाले थे वो सभी अब ठाकुर के निशाने पर थे और अधिकतर जेल में थे उसके डर से कई अभिषेक का साथ छोड़ चुके थे………..
इधर सेठो की हालात खराब हो चुकी थी और धंधे में हो रहे भारी नुकसान की भरपाई के लिए वो जमीदारो और ठाकुरो के आगे झुक ही गए,वहां सभी कुछ तो इन दोनो परिवारों का ही था ,इनकी लड़ाई के कारण ही दूसरे अपना धंधा जमा पाए थे ,दोनो परिवारों का मिलने की खबर जंगल के आग की तरह फैल गयी थी और सभी को पता था की अब इनसे मुकाबला करना लगभग ना मुमकिन ही,...यहां तक की अभिषेक के पिता ने भी अपने हाथ उठा लिए………………..
लेकिन अभिषेक ने हार नही मानी थी उसे अब भी यकीन नही हो रहा था की उसके इतने मेहनत से बनाया गया किला कुछ ही वॉर से ढह गया है…उसने मन में कुछ ठाना और धनुष से मिलने चला गया...उस समय धनुष निधि और सुमन केम्पस में ही बैठे किसी मुद्दे पर बात कर रहे थे साथ ही वहां और भी बहुत से लोग बैठे थे...अभिषेक धनुष के पास जाता है,सभी उसे ही देखने लगते है….
“धनुष मैं इस चुनाव से अपना नाम वापस ले रहा हु…”
सभी अब भी उसे ही देख रहे थे…
“क्यो क्या हुआ “
“मुझे लगता है की मैं ये चुनाव नही जीत सकता”
“तो इसमें क्या हुआ ,असली बात जितना नही लड़ना है,और हम लोकतंत्र में रहते है मेरे दोस्त यहां सभी को अधिकार है की वो चुनाव लड़े और लोगो की सेवा करे,मैं कौन होता हु तुम्हे रोकने वाला,और तुमने जो किया वो बहुत ही बड़ा काम था तुमने पहली बात इस क्षेत्र में दो सबसे ताकतवर परिवारों के विरुद्ध लड़की लड़ी और मुझे लगता है की लोकतंत्र के लिए ये बहुत जरूरी है की एक मजबूत विपक्ष सदा मौजूद रहे….”
धनुष अब बड़ी बड़ी बाते करना भी सीख गया था ,जिसे देख कर निधि बहुत इम्प्रेष हुई,साथ ही वहां मौजूद सभी लोग भी …
“नही धनुष मुझे गलत मत समझना लेकिन मैं हार के डर से नही बल्कि तुम्हारे किये काम से खुस होकर चुनाव से अलग होना चाहता हु,मैंने ये चुनाव किसी का भला करने के लिए नही लड़ा था ,मैं तो बस खुद को दिखना चाहता था,(अभिषेक ने निधि को देखा,निधि उसके किये इशारे से थोड़ी हस्तप्रद सी हुई पर उसे समझ आ रहा था की जब से वो कॉलेज में आयी तबसे अभिषेक उसे देखा करता है पर कभी भी उससे बात करने की हिम्मत शायद वो नही जुटा पाया,शायद इसी लिए उसने खुद को साबित करने के लिए ये कदम उठाया था,निधि ने मन में ही एक मुस्कान जगाई लेकिन उसे होठो तक नही आने दिया) लेकिन मैं जब से तुम्हे लोगो की मदद करते देखा है तबसे मेरे दिल में एक बेचैनी सी हो गयी है ,मैंने ये चुनाव जितने के लिए क्या नही किया लेकिन तुम बस लोगो की मदद कर रहे हो,मैंने तुम्हे और तुम्हारे परिवार को बदनाम करने की साजिशें रची और तुम अब भी मुझसे इतने प्यार से बात कर रहे हो ,”
अभिषेक के आंखों में पानी आ चुका था जिसे देखकर धनुष भी अपनी जगह से उठकर उसके गले लगा लिया,
‘मैं तुम्हारे साथ काम करना चाहता हु धनुष ,मुझे कोई भी पद नही चाहिए बस तुम्हारे साथ काम करने का एक मौका चाहिए मैं कभी भी तुम्हे निराश नही करूँगा”
“ह्म्म्म “धनुष उससे अगल होता है,
“मुझे अपने भैया से बात करनी होगी तुम थोड़ी देर को यही रुको “
धनुष अजय से बात करता है और अजय उसे थोड़ी में कॉलेज पहुचने का कहकर फोन रख देता है,वो लोग फिर से बातें करने लगते है और अभिषेक ने ज्ञान से धनुष और सभी लोग प्रभावित होते है जैसे की उसे पहले भी राजनीति का थोड़ा ज्ञान था,धनुष मन में ही उसकी सिफारिस अजय से करने की ठान लेता है साथ ही एक हलचल सी निधि के जेहन में भी होती है इतना हेंडसम सा लड़का,और बड़ा ही प्रभावी,नाक नक्श के अलावा निधि को उसके साहस हिम्मत ने भी बड़ा प्रभावित किया था,साथ में उसकी वो आंखे जो हमेशा ही निधि को चोर निगाहों से देखती थी ,निधि भी अपने जवानी के ऐसे मुकाम में थी जहा उसके सीने में भी ऐसी बातो से हलचल होनी तो स्वाभाविक था,उसे कॉलेज का पहला दिन याद आया जब अभिषेक को उसने पहली बार देखा था वो उसे दूर से ही घूर रहा था जो की निधि को बिल्कुल भी पसंद नही आया था ,पर धीरे धीरे उसे वो पसंद आने लगा था ,खासकर जब उसने धनुष के सामने अपना नामांकन डाल दिया...और आज उसने ये भी इशारों में काबुल लिया था की ये उसने निधि के लिए ही किया था ,और भी शायद वो उसके लिए ही धनुष के साथ मिलने को तैयार हो गया हो...सोचकर निधि के चहरे में एक मुस्कान आयी पर ये मुस्कान अब मन तक सीमित नही रह सकी और उसके होठो भी साथ ही हिल गए…….
अजय ने आकर सभी का अभिवादन किया धनुष ने उसे सभी बातें बताई और अपना सुझाव दिया ,इससे पहले की वो कुछ कहता निधि ने अजय को अलग में लेजाकर थोड़ी बात की और मुड़कर अभिषेक को देखते हुए मुस्कुरा दिया ,,अभिषेक को अपना तीर निशाने पर लगता हुआ दिखा…
“हम्म्म्म मैंने बहुत सोचसमझकर एक फैसला किया है,धनुष मुझे लगता है की अभिषेक के पास बहुत नॉलेज है जो की इस कॉलेज के बहुत ही काम आएगा,अभी ये कॉलेज नया है और इसे एक एक्सपीरियंस नेता की जरूरत ही और मुझे नही लगता की तुम्हे इस पद का कोई भी मोह है ,इसलिए मुझे लगता है की अभिषेक को ही कॉलेज का प्रेजिडेंट बनाना चाहिये ...:”
सभी स्तब्ध से अजय को ही देखने लगे थे,लेकिन निधि और धनुष इससे संतुस्ट से दिख रहे थे ,यहां तक की अभिषेक के चहरे में भी कोई भी एक्सप्रेशन नही था उसे भी समझ नही आ रहा था की आखिरकार हो क्या गया उसे लगा था की शायद कोई छोटा मोटा पद उसे दे दिया जाएगा पर यहां तो प्रेजिडेंट का पोस्ट ही उसे दिया जा रहा है वो भी उनके द्वारा जिसका उसने इतना विरोध किया था ,,,,,सभी अपने कानो की खराबी समझकर थोड़ी देर तक रुके रहे पर जैसे ही धनुष ने अभिषेक के गले से लगकर उसे बधाई दी सभी को होश आया ,साथ ही निधि और सुमन ने भी उसे हाथ मिलाकर बधाइयां दी ,निधि से हाथ मिलते हुए उसने थैंक्स कहा और उसका जवाब निधि ने मुस्कुराते हुए वेलकम कहकर दिया,अभिषेक के दिमाग में ये तो साफ हो चुका था की निधि भी उसमे इंटरेस्ट ले रही थी ,
तभी एक लड़का खड़ा हुआ और जोरो से चिल्लाया 
“धनुष भैया “
“जिंदाबाद “सभी लोग जोरो से नारे लगाने लगे …
“निधि दीदी “
“जिंदाबाद “
लेकिन धनुष ने उसे रोक और धनुष ने नारा लगाया 
“अभिषेक भैया “
“जिंदाबाद”
“हमारी एकता “
“जिंदाबाद “............

इधर 
महेंद्र को समझ नही आ रहा था की ये क्या हो रहा है ,अजय के ऊपर उसे पूरा भरोषा था बार जीती सीट किसी और को ऐसे ही दे देना उसके समझ के परे था ,तभी निधि, सुमन ,धनुष ,अजय विजय ,तिवारियो की हवेली में पहुचते ही ….महेंद्र ये देखकर भावविभोर हो जाता ही और उन्हें अपने गले से लगा लेता है ,उनका परिचय रामचंद्र से करवाता है ,उसे अपनी आंखों में एक क्षण को तो विस्वास ही नही होता….कभी भी इसकी उम्मीद नही थी की वो अपने नाती नातिनिनो को कभी देख भी पायेगा...वो गले लगाकर रोने लगता है,बच्चे भी अपने नाना से मिलकर बहुत खुस होते है माहौल बिल्कुल ही बदल सा जाता है ,खासकर निधि को देखकर रामचंद्र को अपनी बेटी की याद आ जाती है ,वो उसे अपना सबकुछ लूट देने को तैयार हो जाता है...भावनाए उफान पर थी वही बजरंगी भी सुमन को झकडे खड़ा था,वो अभी भी उसकी मा से नही मिल पाया था हा उसतक खबर जरूर पहुच चुकी थी पर शायद आज वो उसके साथ ही उनके घर जाय या बाली को सब पता चलने तक और उसके शांत होने तक इंतजार करे…...भावनाओ का सैलाब खत्म होने पर अजय,विजय ,धनुष,बजरंगी और महेंद्र थोड़े अलग से जाकर बैठे निधि को तो उसके नाना छोड़ने को तैयार नही थे ना ही निधि उन्हें….
“मुझे माफ कर दीजिये मामा जी मैंने आपसे पूछे बिना ही फैसला कर लिया “
“अरे बेटा मुझे तुमपर पूरा भरोषा है की तुम कुछ भी गलत नही करोगे,पर मुझे ये बात समझ नही आयी “
धनुष और विजय हसने लगे 
“मामाजी इससे पहले तो हमारी इज्जत समाज में बढ़ेगी ,दूसरा मैं अपने भी को मामूली से कॉलेज का प्रेजिडेंट नही बल्कि इस स्टेट का मुख्यमंत्री बना देखना चाहता हु…”
अजय की बात से सभी हस्तप्रद से हो गए ,अभी तक दोनो के परिवार से किसी ने भी प्रोफेशनल राजनीति नही की थी तो सबका चौकाने स्वाभाविक ही था………
“बेटा ये तुम क्या कह रहे हो और इसमें तो बहुत ही समय लगेगा “
“हा बिल्कुल लगेगा ,पर मैंने धनुष के अंदर एक बात देखी है ,वो राजनीति और समाजसेवा के लिए ही बना है ,मैं चाहता हु की ये अपनी साख ना केवल इस कॉलेज और इस क्षेत्र में बल्कि पूरे प्रदेश में फैलाये और किसी भी पार्टी से जुड़कर नही ,खुद का एक संगठन बनाकर जो की अभी तो राजनीति में सक्रिय नही होगा ,पर जब होगा तो पूरे दम के साथ होगा….अभी अपने संगठन में अच्छे और कर्मठ लोगो को जोड़ता जाय ,जो की काबिल भी है और परिवारवाद और गंदी राजनीति के कारण काबिल होकर भी कुछ नही कर पा रहे है ,दुसरो को मौका देकर ही आगे बढ़ा जा सकता है ,और ये हमारी पहली पहल थी…
अपने अभी इस चुनाव में देख ही लिया होगा की हमारे ही पैसे से नेता और मंत्री बने लोग भी मुसीबत में हमसे मुह मोड़ लेते है तो क्यो न इन लोगो को भी राजनिति से साफ कर दे और ऐसे लोगो को सत्ता में बैठाए जो की हमारे लिए और जनता के लिए काम करे ,...............”
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12-24-2018, 01:13 AM,
#35
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
उसकी बात से सभी थोड़े सोच में पड़ गए फिर महेंद्र उठाकर उसको गले से लगा लेता है ………...

इधर 
घने जंगल में एक छोटी सी पहाड़ी के नीचे एक पत्थर में बैठा वो शख्स अभिषेक को दखते ही उसपर बरस पड़ा…
“क्या सोचा था मैंने की तू दोनो परिवार को हराकर उनकी इज्जत को मिट्टी में मिला देगा लेकिन तू साले दोगला निकल लड़की और सत्ता के लालच में तूने मुझे धोखा दिया …”
वो शख्स बंदूक की नोक अभिषेक के माथे पर टिका देता है,
“अगर धोखा ही देना होता तो तुम्हारे पास क्यो आता “
अभिषेक की बात सुनकर वो थोड़ा सा शांत होता है….
“चुनाव जीतकर भी क्या हो जाता ,लेकिन सोचो अगर अजय की लाडली मेरी हो जाय तो क्या होगा...ऐसे भी मैं उसे पाना चाहता था,मेरा काम भी हो जाएगा और उसके जरिये तुम्हारा काम भी हो जाएगा ,और मेरे नाम वापस लेने से निधि के ऊपर मेरा सॉलिड सा इम्प्रेशन पड़ा है ,जो लड़की मुझे बिल्कुल भी भाव नही दे रही थी अब वो अजय से मेरी सिफारिस करती है ,तुझे क्या लगता है की अब भी मैं उसे नही पटा पहुँगा ,”
“हम्म्म्म पटा उसे और जितना चाहता है चोद उसे ,मैं चाहता भी यही हु की उसके घर की सभी लड़कीयो को मैं रंडी बना कर रख दु”
उसके आंखों में खून सा उतर गया था,
“चोदने के अलावा भी आता है तुम्हे कुछ ….इससे तो मैं उसकी पुरी की पूरी जायजाद भी हड़प सकता हु….”अभिषेक ने एक शैतानी हँसी हँसी ...और उस शख्स के चहरे पर भी एक मुस्कान खिल गयी…….

इधर डॉ बाली से बात करके तिवारियो की सच्चाई से परिचित करता है,पर बाली वो बात मानने को तैयार ही नही था,

“मैं ये मान ही नही सकता की मेरे भैया भाभी को तिवारियो ने नही मारा है मैं जानता हु की तुम बस मुझे बहलाने को ये सब कह रहे हो ,तिवारियो से मैं बदला ना लू ये तो हो ही नही सकता……..”

“तुम्हे क्यो लगता है की तिवारियो ने वीर को मारा था,”

“मुझे लगता नही मुझे ये यकीन है….”

“क्यो ऐसे क्यो तुम्हे यकीन है”

“मैं उनकी फितरत हमेशा से जानता हु…..”
डॉ कुछ देर तक शांत ही रहा….दोनो ओर से एक सन्नाटा था…

“चलो छोड़ो वो सब और बताओ की क्या चल रहा है …”

बाली थोड़ा गुस्से में था..

“क्या चलेगा,बस साले सभी पागल हो गए है इन्हें लगता है की मुझे कुछ भी पता नही है ,पर मैं सब कुछ जानता हु की यहां क्या हो रहा है…...उस महेन्द के बेटे के साथ मिलकर सुमन और निधि घूम रही है और अजय को कोई भी परवाह ही नही है…….पता नही इस बात पर अजय को कैसे यकीन हो गया की उसके पिता को तिवारियो ने नही मारा है,,,मैं बता देता हूं की मैं कुछ कर जाऊंगा,भूल जाऊंगा की वो मेरे ही भाई का खून है……..”

डॉ को कुछ भी समझ नही आ रहा था की बाली को कैसे समझाए और वो भी इतने गुस्से में है,सब सोच रहे थे की बाली को कुछ भी पता नही है पर उसे सब कुछ पता था...पर वो अजय की इज्जत के कारण कुछ कह नही रहा था उसे लग रहा था की वो इस घर में बिल्कुल ही अकेला हो गया है,अजय विजय ,कलवा सुमन निधि सभी अपने ही धुन में रहते थे किसी को भी इस बात की फिकर नही थी की उसे कैसे लग रहा है….

इधर तिवारियो के बड़े भाई गजेंद्र भी कुछ दिनों के लिए गाँव आ चुका था ,महेंद्र ने उसे बहुत समझने की कोशिस की पर वो भी बेकार ही रहा,उसे अब भी यही लगता था की ठाकुरो के कारण ही उनके बहन की जान गयी है….

गजेंद्र ने महेंद्र और धनुष को भी ये धमकी दे दी की अगर ठाकुरो के परिवार से किसी से भी कोई दोस्ती रखी तो वो उन्हें ही जान से मार देगा…

कुछ दिन और ही ऐसे ही बीत गए,दोनो परिवारों के बुजुर्गों के कारण पूरे ही माहौल में एक तनाव सा पैदा हो गया था,...

एक दिन डॉ गांव आये हुए थे और बाली के साथ बैठे चाय पी रहे थे,साथ ही अजय , विजय और किशन भी बैठे थे ,की एक लड़का जो की निधि के खुफिया बॉडीगार्ड के तौर रखा गया था दौड़ते हुए वहां आया सर से खून की धार निकल रही थी,गाड़ी को पटक कर वो इतने तेजी से घर के अंदर घुसा की उसकी सांसे फूल गयी थी वो हफ़ता हुआ जाकर सबके सामने खड़ा हो गया…

“ठाकुर साहब “उसने जोर जोर से कहा 

“क्या हुआ ,ये क्या हाल बना रखा है क्या हुआ तुझे तपन “अजय और विजय उसे देखकर खड़े हो गए थे,दोनो के चहरे पर चिंता और अनहोनी के डर के भाव साफ दिख रहे थे,

“ठाकुर साहब वो निधि ….निधि …”

“क्या हुआ निधि को “इसबार बाली और डॉ भी खड़े हो चुके थे बाली के इस सवाल से पूरा घर गूंज गया …

“निधि को वो धनुष उठाकर ले गया “वो टूटती हुई सांसो से कह पाया ,

“उठाकर ले गया “अजय ने धीरे से कहा ..

“वो दोनो आज सुबह कॉलेज के लिए निकले पर वो और सुमन कॉलेज ना जाकर सीधे मंदिर गये ,मैं उनके साथ ही था ,वहां धनुष और निधि ने शादी कर ली और उनके गुंडों ने हमारे आदमीयो को बहुत मारा ,सबको बंदी बना लिया है मैं जैसे तैसे वहां से भाग पाया हु,वो निधि और सुमन को लेकर तिवारियो के बंगले से गए है…”उसने सभी कुछ एक ही सांस में कह दिया ………

बाली जैसे जमीन पर गिरने वाला था ,उसे डॉ ने सम्हाला लेकिन अजय का चहरा पूरी तरह से लाल हो चुका था,विजय और किशन को समझते देर नही लगी की अब आगे क्या करना है,तुरंत ही वहां गाड़ियों का काफिला सा लग गया ,सभी हथियार जो भी घर में कही भी छुपे थे वो निकल के लाए गए,बाली अब थोड़ा सम्हाल चुका था…

“देखा देखलिया ना ,क्यो बे चूतिए क्या कहा था तूने मुझसे की वो सुधार गए है ,सब कुछ भूल जाऊ देख लिया ना कमीनगी तो उनके खून में है ...मेरी भोली भाली दी बेटी को गुमराह करके ले गए साले ….”

“ले तो गए चाचा पर अब खून की नदिया बहेंगी ,उसके परिवार में मैं किसी को भी नही छोडूंगा”

एक गरजती आवज ने सबके दिलो को चिर कर रख दिया ये आवाज अजय की थी ,

“लेकिन हो सकता की वो एक दूसरे को प्यार करते हो ,और निधि अपने मर्जी से उनके साथ गयी हो “

डॉ ने थोड़ा डरते हुए कहा …

“मैंने अपनी बहन से बहुत प्यार किया है डॉ और उसने मुझे इतना बड़ा धोखा दिया….अब वो क्या उसकी लाश भी इस घर में नही आएगी ,जिसे वो अपना ससुराल समझ कर निकली है उसे उसी जगह पर दफना कर आऊंगा….”

इतना कह कर ही अजय एक गाड़ी में बैठता है और वहां से निकल जाता है,लेकिन उसके बात से बाली के प्राण तक कांप जाते है,बूढा सा हो चला बाली अपने को ऐसा असहाय कभी भी महसूस नही किया था,आज उसका ही बेटे के समान भतीजा अपनी सबसे प्यारी बहन को मारने की कसम खाकर निकला था वो भी अपने दुश्मनों के कारण ,वो उठ खड़ा हुआ ,...

“नही नही डॉ उसे रोको उसे रोको ,वो उन कमीनो की गलती की सजा मेरी फूल सी बेटी को नही दे सकता “बाली के इतने कहने तक सभी गाड़िया वहां से जा चुकी थी ,बाली और डॉ दौड़ाते हुए बाहर जाते है और डॉ की गाड़ी से उनके गाड़ी के पीछे चलने लगते है ….

तिवारियो का बंगाल किसी किले से कम ना था ,इस एक कदम से खून की नदिया बहना तो तय था ,,.....

तेज गाड़ियों का काफिला तिवारियो के बंगले पर पहुच चूका था,ये बंगला कम और कोई किला सा ज्यादा लग रहा था,चारो ओर बस बंदूक लिए लोग मौजूद थे ,जो बस किसी के इशारे के इंतजार में थे की एक इशारा और गोलियों की बौछार हो जाय,बंगले के बाहर सभी गाड़िया रुक गयी और बंदूक धारी लोगो ने अपनी पोजीशन लेनी सुरु कर दी,अजय बिना किसी की परवाह किये सीधा गेट को एक लात मार कर खोल देता और अंदर आ जाता है,उसके साथ ही कुछ 50 की संख्या में लोग है जो विविध हथियारों से लेस है,सभी बंदूक धारी अपने अपने निशाने को सेट कर चुके थे,चाहे वो अजय के लोग हो या तिवारियो के सभी को पता था की किसे मरना है और कब मरना है ,हाथो में तलवार लिए लोग अपने प्रतिद्वंदी के आंखों में सीधे ही देखते हुए बढ़ रहे थे सभी को पता था की बस एक इशारा और खून की नदिया बहने वाली है………..
अजय विजय किशन सबसे आगे होकर चल रहे थे,तिवारि भी अपने घर के बाहर आ चुके थे,महेंद्र ,गजेंद्र ,बजरंगी,एक साथ खड़े थे वही रामचंद्र अपने वीलचेयर में बैठा था जिसे सुमन पकड़े थी ,निधि और धनुष घर की बाकी महिलाओं के साथ खड़े थे लेकिन सभी घर से बाहर आ चुके थे जैसे की वो इन्ही का इंतजार कर रहे हो ,विजय के इशारे से उसके सभी लोग थोड़ी दूर ही रुक गए लेकिन सभी विजय के एक इशारे के मोहताज थे ,वही तिवारियो के सभी लोग महेंद्र एक इशारे का इंतजार कर रहे थे,सभी ने अपने लक्ष्य साध लिए थे….
पीछे डॉ ,बाली और कलवा भी पहुच चुके थे और सभी अजय के बराबर में आकर खड़े हो गए…
बाली को देखकर गजेंद्र ने एक कातिल सी मुस्कान छोड़ी जिससे बाली का कालेजा ही जल गया,अजय और उनके बीच कुछ ही फासला रह गया था की अजय निधि को देखकर वही रुक गया ,निधि अजय को देखकर भागते हुए उसके पास आने लगी उसकी आंखों में बस आंसू थे ,उसने धनुष का हाथ पकड़ा और अजय के पास चली गयी ,..............
अजय की आंखों से खून और पानी साथ ही निकल रहा था,वो लाल आंखे जो किसी को भी डरा दे,अजय ने पिस्तौल की नोक धनुष की ओर कर दी,धनुष और निधि अजय से कुछ एक हाथ की ही दूरी पर थे,
इससे पहले की कोई कुछ भी बोले निधि ने बंदूक की नोक अपने सर पर टिका दिया,
“भईया मैं अपनी मर्जी से यहां आयी हु ,”
अजय ने एक गर्जना की …
“तो फिर पहले तुझे मरूँगा “
बाली अजय के इस गुस्से को देखकर सहम गया ,लेकिन तभी एक और जोरो की गर्जना हुई जो गजेंद्र की थी ,
“खबरदार ...ये तेरी बहन नही अब मेरी बहू है,इसे छूने से पहले तुझे मेरी लाश से गुजरना पड़ेगा.”
उस लंबे चौड़े आदमी की गर्जना से पूरा माहौल ही कुछ पलो के लिये शांत हो गया ऐसा लगा की उसकी आवाज अभी भी लोगो के कानो में गूंज रही हो ,
“क्या मेरे प्यार में कभी कोई भी कमी आयी थी जो तुने इतना बड़ा कदम उठा लिया,कितना प्यार किया था मैंने तुझे और तू इसके लिए मुझसे लड़ने को तैयार हो गयी है ….तुझे मा बाप सा प्यार दिया मैंने और तू ………..”
अजय के हाथ अब काँपने लगे थे ,निधि की वो प्यार से भारी हुई आंखे जिनमे बस प्यार के सिवाय कुछ भी ना था,वो बड़ी बड़ी आंखे आंसुओ से भरी थी जिनमें एक भी आंसू आता था तो जो भी अपने होठो से उसे पी लेता था आज वही उसके माथे में बंदूक टिका कर खड़ा था…….
तभी एक हँसी माहौल में गूंज गयी ,ये गजेंद्र ही था….वो बाली की तरफ मुखातिब हुआ 
“देखा बाली एक भाई का प्यार देखा ,मैं भी अपने बहन को ऐसे ही प्यार करता था ,और तू और तेरा भाई इसीतरह मेरी प्यारी सी बहन को मुझसे दूर ले गए,याद है वो दिन जब मैं अपनी बहन के सर पर यू ही पिस्तौल टिका कर खड़ा था ,और वो वीर के सामने ऐसे ही खड़ी थी…..
बाली और गजेंद्र दोनो के आंखों में वो दृश्य घूम गया और दोनो की ही आंखे नम हो गयी ,गजेंद्र को निधि में अपनी बहन का चहरा दिख रहा था,उसके दिल ने अब सबर का बांध तोड़ दिया था और वो फुट फुट कर रोने लगा,
“नही अजय तू उसे नही मार पायेगा ,मैं भी नही मार पाया था ,मेरे भी हाथ यू ही कांप रहे थे जैसे की तेरे कांप रहे है…...मैं भी तेरी मा से उतना ही प्यार करता था जितना की तू अपनी बहन से करता है……..मेरी बहन मेरी प्यारी बहन ,तुमने उसे मार डाला बाली तुम मेरे बहन के हत्यारे हो और अब ये मेरी बहु है देखता हु कौन इसे हाथ लगता है ”
माहौल में कुछ अजीब सी तब्दीली हो रही थी ,जो लोग गुस्से से भरे हुए हाथो में हथियार लेकर खड़े थे उनकी आंखे भी अब नम थी,
“आप नही मार पाए होंगे पर मैं इसे नही छोडूंगा,इसने मेरी इज्जत,से खेला है ,इसने मेरे भरोशे को चकनाचूर कर दिया,,,”अजय फिर से गरजता है और अपने हाथो और निधि के सीधा कर देता है ,तभी बाली दौड़ता हुआ आकर उसका हाथ नीचे कर देता है और एक जोर का झापड़ अजय के गालो में रसीद करता है ,
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12-24-2018, 01:13 AM,
#36
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
बाली गुस्से से भरा था पर उसकी आंखे कुछ अलग ही कहानी कह रही थी उसे वो लम्हा बार बार याद आ रहा था जब उसकी भाभी गजेंद्र के सामने वीर की रक्षा के लिए खड़ी थी और गजेंद्र इतना क्रूर होकर भी अपनी बहन पर गोली नही चला पाया था ,लेकिन आज अजय जो निधि पर अपनी जान छिड़कता था आज उसे मारने को उतावला है ,उसकी आंखे रोती नही तो क्या करती…
“तू अपनी बहन को मरेगा,जिसे तूने अपनी गोदी में खिलाया है उसे मरेगा तू ,एक गलती क्या उसने इतनी बड़ी कर दी ,क्या तेरी इज्जत तेरा प्यार इतना बड़ा हो गया की तू इसे मरेगा…..
क्या एक भाई जो अपनी बहन से प्यार करता हो वो उसे मार सकता है …”बाली ने गरजते अजय का गिरेबान पकड़ लिया ,
“हां चाचा सही कहा अपने ,”अजय की आवज अब कुछ धीमी थी 
“एक भाई जो अपनी बहन से प्यार करता है वो उसे नही मार सकता,”
लेकिन फिर अजय गरजा …
“लेकिन ये बात आप लोगो को कौन समझायेगा जो दिल में नफरत की ऐसी आग लेकर चल रहे है…”बाली अब उससे अलग हो गया था ,और वो आश्चर्य से अजय को देख रहा था ,वही गजेंद्र भी उतने ही आश्चर्य से भरा हुआ था…
“यही तो मैं आपको इतने दिनों से समझा रहा था की मेरी माँ को इन्होंने नही मारा है,ये उनसे इतना प्यार करते थे की उन्हें मार ही नही सकते...और मामा आप(अजय गजेंद्र की तरफ देखता है ) ,आज बहन की बहुत याद आ रही है,बहुत प्यार उमड़ रहा है ,हम चार बच्चों को उसने जन्म दिया तब कहा थे आप,मेरे पिता पर आपने हमले करवाये ,तब कहा था आपका प्यार ,कभी अपने अहंकार को छोड़कर आप मेरी माँ से मिलने आये ,अभी ये जानने की कोशिस की कि आपके भांजे भांजियों कहा है,जिंदा है या मर गए ,अब याद करके रोने से क्या होगा मामाजी अगर अपने अहंकार छोड़ दिया होता तो शायद मेरी माँ और मेरे पिता दोनो ही इस दुनिया में होते….शायद हमारी इसी दुश्मनी का फायदा कोई और उठा ले गया…
और छोटे मामा(गजेंद्र का सबसे छोटा भाई जो की वीर की गोली से मारा गया था) को मेरे पिता ने नही मारा था ,वो एक गलती थी आप भी जानते ही की मेरे पिता ऐसे नही थे ,वो मेरी मा की खुसी के लिए जान भी दे सकते थे,सबको लगा था की छोटे मामा पिता जी की गोली से मारे गए पर वो गोली किसी और ने चलाई थी जिसका निशाना मेरे पिता थे,पर किश्मत से वो गोली मामाजी को लगी….अपने तो कभी उस पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़ने की भी जहमत नही उठाई होगी….”
अजय का इतना बोलना था की गजेंद्र और बाली की नजरे मिली जैसे की कोई बहुत पुरानी दीवार एक झटके में मोम सी पिघलकर बह गयी हो….गजेंद्र से रहा नही गया वो दहाड़े मार कर रोने लगा...इतना मजबूत दिखने वाला शख्स ऐसे रोयेगा किसे पता था ,सभी लोग जो वहां खून की होली खेलने आये थे वो अपने आंसू पोछ रहे थे….बाली आवक का गजेंद्र को देख रहा था ,वो कभी अजय को देखता तो कभी गजेंद्र को ...गजेंद्र उठता है और बाली के गले से लग जाता है ...बाली भी उसे ऐसे कसकर पकड़ लेता है जैसे उसे अपने बड़े भाई मिल गए हो,इतने दिनों की या कहे पीढियो की दुश्मनी ऐसे खत्म हो जाएगी किसी ने नही सोच था...दोनो अलग होते है,...
बाली अजय को देखता है,और अपनी आंसू पोछते हुए कहता है …
“जो हुआ उसे भूल जाओ अजय हम धनुष और निधि की शादी धूमधाम से कराएंगे ,”
“हा अजय जो गलती एक बार हमसे हुई थी वो दोहरानी नही चहिये “
अजय के होठो में एक मुस्कान आ जाती है ,वो निधि को देखता है ,निधि के आंखों में अब भी आंसू थे ,वो अपनी रोनी सी सूरत लिए बाली को देखती है ,
“किसकी शादी ,मैं तो अभी बच्ची हु ,और धनुष मेरा भाई है ,”
वो अजय को देखती है ,
‘अब बहुत हुआ भैया देखो आप ने मुझे कितना रुला दिया ,सच में कभी ऐसा हुआ तो आप मुझे मार दोगे “निधि की मासूमियत को देखकर अजय के दिल में एक प्यार की लहर सी उठ गयी और उसने उसका हाथ खीचकर अपने सीने से लगा लिया ,और उसके गालो और माथे को चूमने लगा जैसे की वो बहुत ही दिनों बाद उससे मिली हो...सच में अजय के लिए नाटक में भी निधि के ऊपर गुस्सा करना कितना कठिन था आज उसे पता चला ,और निधि भी अपने भाई के झूठे गुस्से को देखकर ही सचमे रो पड़ी थी जिसे देखकर अजय के हाथ काँपने लगे थे…
“नही मेरी जान मैं सपने में भी ये नही सोच सकता मेरी रानी “
गजेंद्र और बाली कभी एक दूजे को देखते तो कभी अजय और निधि को उन्हें तो अभी भी समझ भी आ रहा था की ये हो क्या रहा है,बजरंगी दौड़कर कलवा के गले लग जाता है और सुमन इन दोनो के वही विजय महेंद्र के गले से लग जाता है ,सभी के आंखों में आंसू थे ,रामचंद्र अपने परिवार को देखकर अपने आंसुओ को रोक ही नही पा रहा था ,धनुष उसके कंधे पर हाथ रखे खड़ा था,
‘ये हो क्या रहा है “बाली एक आश्चर्य भरे स्वर में कहता है ,
“आप दोनो को समझने के लिए बस एक छोटा सा नाटक “
महेंद्र अपने कानो को पकड़ता है ,और बाली के गले से लग जाता है ,
“लेकिन ये ….”
बाली उस लड़के की तरफ इशारा करता है जो खून से सना हुआ भागता खबर देने आया था,
“वो विजय भैया ने बोला तो ….”
उसके चहरे पर भी एक मुस्कान आ गयी और अब सबके चहरे पर मुस्कान आ गयी थी ,सब एक दूजे के गले से लग रहे थे….
अंत में अजय और सभी बच्चे रामचंद्र के पास पहुचते है वो सभी के गले से लगता है ,
“अजय आज तुमने वो पुरानी जिम्मेदारी निभा दी जो ना मैं निभा पाया था ,ना ही तुम्हारे माता पिता निभा पाए...बेटा तुमने दोनो परिवारों को एक कर दिया है “रामचंद्र उसके माथे को चूमता है…
“ऐसे ये आईडिया किसका था ,”बाली एक स्वाभाविक से प्रश्न करता है …..
“डॉ साहब का “
बाली और गजेंद्र सबसे दूर खड़े हुए डॉ को देखते है जो की अभी हल्के हल्के से मुस्कुरा रहा था...वो दोनो जाकर डॉ के गले से लग जाते है …….

सभी ओर खुशिया फैली हुई थी वही जंगल के एक पत्थर पर बैठा वो शख्स बड़ा ही गंभीर लग रहा था,अभिषेक भी वही था जो बहुत ही खुश दिख रहा था ,
“मेरी तो फट ही गयी थी जब मुझे ये पता चला की धनुष और निधि ने शादी कर ली ,साला सारे सपने ही चूर हो गए थे ,अब थोड़ा अच्छा लग रहा है,”उसने अपने पेंट के ऊपर से ही अपने लिंग को मसला और एक आह भरी,जिसे उस शख्स ने देख लिया और उसके चहरे पर गुस्से का भाव आ गया,वो अपनी जगह से उठता है और पास ही पड़े लकड़ी से अभिषेक पर हमला कर देता है ,वो उसे पिटे जा रहा था,
“मादरचोद मेरी सालो की मेहनत बर्बाद हो गयी और तुझे अपने ही लंड की पड़ी है,तुझे बस निधि की चुद के अलावा और कुछ सूझता नही क्या,...अगर दोनो शादी कर लेते तो शायद दोनो परिवारों में फिर से वैसे ही दुश्मनी हो जाती और मेरा काम आसान हो जाता और तू कह रहा है की ठीक ही हुआ”
“लेकिन लेकिन सोचो ना अगर मैं निधि को पटा लेता हु तो पूरी दौलत …..”
अभिषेक उससे बचने की ही सोच रहा था वही वो शख्स बस उस मारे जा रहा था ,
“साले मुझे दौलत नही चाहिये मुझे उनकी बर्बादी चाहिये ,दोनो परिवार के लोगो की बर्बादी मैंने तुझपर फालतू में ही भरोषा कर लिया साले तुझे तो आज मार ही डालूंगा….”अभिषेक की हालात खराब हो रही थी उसके घुटनो पर एक वार होता है और वो चिल्ला पड़ता है”
“आह नही मुझे छोड़ दो मैं तुम्हारे बहुत काम आने वाला हु “
“तू मादरचोद मेरे क्या काम आएगा मैं खुद ही सब कर लूंगा,”
“नही नही “
जब उसका मन भर जाता है तो वो अभिषेक को छोड़ देता है …..
“आज के बाद बोलने से पहले सोच लेना की क्या बोल रहा है वरना आज तो तुझे छोड़ रहा हु फिर कभी नही छोडूंगा,उनकी बर्बादी ही मेरे जीवन का एक मात्र मकसद है समाझ गया की नही,चल तुझे हॉस्पिटल छोड़ देता हु “
अभिषेक लंगड़ाते हुए उठता है और वो उसे उठाकर वहां से निकल जाता है ,....

इधर 
सभी लोग बहुत ही खुस थे और इसी सिलसिले में रामचंद्र गजेंद्र से कहता है की नितिन और खुसबू को भी यही बुला लो,अपने परिवार से सबका परिचय हो जाएगा ,वैसे ही यही प्लान अजय और बाली भी कर रहे थे,बिजय के चहरे पर सोनल का नाम सुनते ही मुस्कान आ जाती है….वही किशन भी रानी से मिलने को लेकर बेताब हो जाता है ,उसका चहरा देख कर सुमन हस पड़ती है उसके साथ ही अजय ने सुशीला(सुमन की मा जो बेटे की पढ़ाई के कारण फिर से शहर चली गयी थी,इसबार उसे परमानेंट यहां रखने के लिए लाया जा रहा था,बजरंगी उसे अपने पास रखना चाहता था ) और उसके बेटे को भी लाने की बात की जिससे सुमन भी बहुत खुश थी पर पास ही चम्पा खड़ी थी जो उसे एक अजीब से निगाह से देखती है,जिसे देखकर सुमन चुप हो जाती है वही किशन को भी उसकी मा के भाव समझ आ जाते है,वो विजय के पास चला जाता है,और उसके कानो में…
“भाई के बात करनी है अकेले में चल ना “
विजय उसे देखता है कुछ समझने की कोशिस करता है पर उसे कुछ भी समझ नही आता वो उसके साथ चल देता है ,
“क्या हो गया,”
“यार कुछ भी समझ नही आ रहा है ,की मा को क्या हो गया है,”
“क्या हो गया है चाची को”
“पता नही मेरे और सुमन को लेकर उनका व्यवहार कुछ अलग ही हो रहा है ,”
विजय की आंखे चढ़ जाती है,वही किशन उस दिन हुए हर बात को बताता जाता है…..
“ये बड़ी ही अजीब बात है ,अब तो चाची को और भी कुछ प्रॉब्लम नही होनी चाहिये थी,मैं चाची से बात करता हु “
“नही भाई इतने सालो के बाद तो मा हमारे परिवार का हिस्सा बनी है और उसे सुमन से कोई भी परेशानी नही है बस उसे मेरे और उसके रिस्ते को लेकर परेशानी है ,’”
“बिना बात किये कुछ भी समझ नही आएगा की क्या परेशानी है और चाची से नही तो चाचा से बात करता हु “
“पागल हो गया है क्या ,जानता नही की पापा इतने सालो के बाद तो मां से बात करना शुरू किये है मैं नही चाहता की कोई ऐसी बात हो जाय की वो दोनो फिर से अलग हो जाय….”
“ह्म्म्म तो कौन किससे बात किया जाय ,अच्छा मैं कलवा चाचा से बात करता हु वो दोनो के नजदीक रहे है वो चाची से बात कर लेंगे ….”
“हा ये ठीक रहेगा ….“
इधर 
सभी को बुलावा भेज दिया जाता है,खुसबू और सोनल दोनो ही गांव जाने के खबर से बहुत ही खुश थे ,नीतिन अपने भाई बहन के साथ तुरंत ही निकल गया वही सोनल और रानी को लाने सुबह के ही विजय और किशन निकल पड़े…
इधर विजय ने कालवा से ये बात की और सुमन और किशन की प्रॉब्लम के बारे में बताया,कालवा को तो पहले से ही ये पता था की आखिर क्यो चम्पा उन दोनो के प्यार को स्वीकार नही कर रही है पर बच्चों के प्यार को भी समझ सकता था और इसलिए वो चम्पा से बात करने पहुचा,इस समय बाली घर में नही था और डॉ भी चले गए थे,सो उसे यही समय उचित लगा ,कलवा चम्पा के कमरें में जाता है उसे देख चम्पा चहक उठती है,
“इतने दिन हो गए कभी फुरसत से बात करने की नही सोची आज क्या बात है की हमारे द्वार पर आ रहे हो “
उसकी बात सुनकर कालवा को वही पुरानी चम्पा याद आ गयी जो कभी उसकी दोस्त और बाद में दुश्मन हुआ करती थी ,जवानी के दिनों में उसने और बजरंगी ने उससे बहुत मस्ती की थी ,सभी यादे उसके जेहन में एक चित्र की तरह एक ही पल में गुजर गयी ,जो उसकी आंखों से चम्पा को भी समझ आ गया और वो भी कुछ असहज हो गयी ,उसने कालवा से बाहर चलकर बात करने को कहा,कालवा भी समझता था की इसतरह उसके कमरे में बात करना उचित ना होता,ऐसे किसी को कोई भी परेशानी तो नही होती पर जो भी उनके बीच हो चुका था वो इन्हें इसतरह अकेले में बात करना गवारा नही कर रहा था….
दोनो कमरे के बाहर जाकर एक गैलरी में बैठे और बाते करने लगे ऐसे तो दोनो को ही ये समझ नही आ रहा था की आखिर बात कहा से स्टार्ट की जाय,...
“जो हमारे बीच हुआ वो सब पुरानी बाते थी कालवा इन्हें हमे भूल जाना चाहिये,”
“तुम्हे क्या लगता है की मैं इन सभी बातो को याद कर रहा हु “
चम्पा के होठो पर एक मुस्कान सी खिल गयी,
“बीती बातो को भुलाना इतना भी तो आसान नही होता ना,क्या करे ना चाहते हुए भी वो जेहन में आ ही जाती है “
चम्पा ने धीरे से कहा 
“हा ये तो है,पर मैं यहां तुमसे कुछ और बात करने आया हु ,देखो चम्पा हमने तो हमारी सारी जिंदगी दुसरो से लड़ने में ही निकल दी,हमे तो नफरतों और तन्हाई के सिवा कुछ भी हाथ नही लगा,तुम्हारी और मेरी दोनो की कहानी एक सी ही है,(चम्पा की नजरे नीची थी और आंखों में पानी जो शायद कालवा को भी महसूस हो रहा था पर वो उसे कुछ भी कहना चाहता ,शायद जो दर्द चम्पा के सीने में दफन था आंसू बनाकर बाहर आ रहा था,)
लेकिन हमे अपने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नही करना चाहिये ,उन्हें वो प्यार मिला है जो हमे कभी भी नही मिल पाया और तुम उसे उनसे छीनना चाहती हो ,नही चम्पा ये अन्याय होगा,ये अन्याय होगा बच्चों पर ,तुम हमारी गलती की सजा उन्हें क्यो देना चाहती हो …”
चम्पा ने अपने आंसू पोछे 
“तुम हमारी गलती क्यो कह रहे हो कालवा,गलती तो सिर्फ मेरी ही थी मैंने ……..”बोलते हुए वो रुक गयी और कुछ देर का सन्नाटा वहां फैल गया ,
“गलती मेरी ही थी चम्पा की मैंने बाली को नही रोका ,तुमसे मैं इतनी नफरत करता था की ….”
चम्पा कालवा को देख कर हल्के से मुस्कुराती है ,
“नफरत ….हा कालवा मैंने काम है ऐसा किया की तुम मुझसे नफरत करो ,ये तुम्हारी गलती नही थी की मैं तुम्हारे भाई के साथ सो गयी,ये तुम्हारी गलती नही थी की मैंने तुम्हारे भाई के बच्चे को अपने पेट में रखा ,ये तुम्हारी गलती नही थी कालवा की मैंने बाली को फसाया और उससे शादी करके फिर से तुम्हारे घर में आ गयी ,मेरे ही कारण तुमने इतने सालो का वनवास काटा...ये तुम्हारी गलती नही है कालवा की वही बच्चा आज बड़ा होकर अपनी ही सौतेली बहन के प्यार में पड़ गया है…..तुम्हारी तो बस एक ही गलती थी की तुमने मुझ ऐसी बाजारू लड़की को इतना प्यार किया जो कभी भी उसका प्यार समझ नही पाई...जो उसके सामने ही उसके भाई के बांहो में जाकर सो गयी,जिसने उसके दोस्त को फसाया सिर्फ अपने फायदे के लिए जिसने तुम्हारा दिल तोड़ा ये जानते हुए भी की तुम मुझसे कितना प्यार करते हो...हा कालवा मुझे हमेशा से पता था की तुम मुझे कितना प्यार करते हो पर मैंने हमेशा इसी प्यार का फायदा उठाया और तुम्हे असीमित दुख पहुचाया ….हो सके तो मुझे माफ कर दो कालवा हो सके तो मुझे माफ कर दो ….
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12-24-2018, 01:17 AM,
#37
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
चम्पा फुट फुट कर रोने लगी ,और कालवा….जैसे बरसो से दबाया जख्म फिर से हरा हो गया पर उसे अब चम्पा पर गुस्सा नही था ,वो भी जानता था की वक़्त ने चम्पा को कितना बदल दिया है,वो उसके रोते हुए चहरे को देखता है,वही वो लड़की थी जो गांव में यू इठलाती हुई चलती थी की सभी की सांसे रुक जाय,कालवा ही वो पहला शख्स था जिसने इसके यौवन के उस नाजुक डोर को तोड़ा था,कालवा पहले तो उसे सिर्फ भोगता था पर धीरे धीरे वो इसके प्यार में पड़ गया ,लेकिन अपने यौवन के द्वार के टूटते ही चम्पा की खुजली ऐसे बढ़ी की वो मतवाली सी होकर इधर उधर मुह मारने लगी ,और लोगो के लिए वो एक रखेल की तरह हो गयी ,जिसमे सबसे अय्याश लोग शामिल थे ,एक था बजरंगी और दूसरा महेंद्र तिवारी,...ये अपने इलाके के सबसे प्रभावशाली लोग थे और बहुत ही अय्याश भी थे ,कालवा और बजरंगी उस समय एक जिस्म दो जान हुआ करते थे ,पर ना कालवा ने कभी बताया और ना ही बजरंगी कभी समझ पाया की कालवा चम्पा से इतना प्यार करता है,उसे तो ऐसे ही लगा की जैसे बाकी लडकियो को वो साथ भोगते है वैसे ही ये भी है,लेकिन चम्पा को हमेशा से ये पता था,क्योकि जब भी कालवा के सामने ही बजरंगी चम्पा को नंगा कर उसे भोगता तो कालवा के चहरे पर एक उदासी सी आ जाती ,जो चम्पा को बहुत ही पसंद आती थी ,वो उसे यू ही दर्द पहुचने में मजा लेती …आखिरकार कालवा ने सबको अपने दिल की बात बताने की ठान ली,लेकिन पहले वो चम्पा से पूछना चाहता था,उसने चम्पा से अपने दिल की बात कर ही ली ,लेकिन चम्पा ने उसका तिरिस्कार ये कहकर कर दिया की उसके आशिको में तो तेरे मालिक भी है ,तू तो बस उनका कुत्ता है ,उस समय तक बजरंगी के बाली भी चम्पा के पास आने लगा था,वो एक तरह से महेंद्र ,बजरंगी ,और बाली की रांड थी पर बाली वहां कम ही आता था और महेंद्र को भी नई नई लडकिया चहिये थी इसलिए वो बजरंगी की ही माल थी, इसका असर ये हुआ की कालवा चम्पा के पास आना ही छोड़ दिया और उसके प्रति एक नफरत से भर गया,और उसने अपने दिल की बात किसी को भी नही बताई….वक़्त बढ़ता गया और बजरंगी ने चम्पा के पेट में अपना बच्चा छोड़ दिया,उसी समय बजरंगी शहर गया और उसे सुशीला से प्यार हो गया उसके बाद वो सब कुछ भूल कर उसके ही पीछे पड़ गया ,इसी समय बाली भी चम्पा के पास आया लेकिन बजरंगी और कालवा के ना रहने के कारण तिवारियो को इसका पता चल गया ,और उन्होंने साजिस के तहत बाली को फंसा दिया ,उन्हें भी पता था की अगर बजरंगी को ये पता चलेगा तो वो कभी भी इसके लिए तैयार नही होगा,बजरंगी के आते तक बाली की शादी भी हो चुकी थी ,बजरंगी चाह कर भी कुछ नही कर पाया ,किशन बाली का नही बजरंगी का बच्चा है ये बात केवल चम्पा को ही पता थी ना ही तिवारियो को ना ही बजरंगी को,ना बाली को और ना ही कालवा को ….लेकिन चम्पा को तो कालवा को जलाने में मजा आता था,उसने कालवा को जलाने के लिए सारी बात उसे बता दी,और कालवा भी खून का घुट पीकर रह गया क्योकि किसी को अब बताने से भी कोई फर्क नही पड़ना था,कुछ दिनों बाद ही बजरंगी ने सुशीला से शादी कर ली और सुमन का जन्म हुआ,और कुछ दिनों बाद वीर की मौत और फिर दोनो भाइयो में दुश्मनी ,वीर की मौत के बाद से कालवा बहुत टूट गया था,वो इस घर में वीर के कारण ही रह रहा था,इसलिए वो वहां से जाने की ठान लिया…..
सभी यादे उसके जेहन में एक तीर सी चल गयी और उससे उठाने वाला दर्द उसके चहरे पर बस एक आंसू के रूप में बह गया,वो अपनी आंखों को पोछ कर चम्पा को देखा वो अब भी आंसू बहा रही थी ,उसने अपना हाथ चम्पा के कंधे पर रख दिया ,
“जो हुआ वो हो चुका है चम्पा अब हमारे और तुम्हारे सोचने से कुछ भी बदल नही जाएगा,मुझे अपना प्यार नही मिला और मैं जानता हु की प्यार को ना पाने की तकलीफ क्या होती है,मैं चाहता हु की बच्चों को उनका प्यार मिले ….”
चम्पा अब भी सुबक रही थी ,
“हा कालवा मैं भी यही चाहती हु पर ...वो भाई बहन है .कैसे ….नही कालवा मैं जानते हुए भी ये पाप नही कर सकती ..”
कालवा ने उसके कंधे पर रखे अपने हाथ को जोर से दबाया ,जिससे चम्पा उसकी तरफ देखने लगी .
“ये बात सिर्फ मुझे और तुन्हें पता है ….तो दुनिया के नजर में तो ये गलत नही हुआ ,और रही बात पाप की तो जब दोनो ही एक दूसरे से प्यार करते है तो क्या पाप और क्या पूण्य ….”
चम्पा ने भी अपनी सहमति में सर हिलाया ….
और कालवा को देखकर मुस्कुराई …
“क्या तुमने मुझे माफ कर दिया “चम्पा हल्के से हँसकर कहा जिसे देखकर कालवा का दिल खिल गया ,
“सालो पहले …”कालवा और चम्पा दिनों के चहरे पर एक मुस्कान थी …
पर कोई था जिसके आंखों से इनकी बात को सुनकर आंसू टपक रहे थे,वो थी सुमन …
आज शहर जाने से पहले किशन ने उसे बताया था की कालवा चाचा माँ से हमारे बारे में बात करेंगे और इससे वो बहुत ही खुस थी वो कालेज से आकर पहले चम्पा के कमरे की तरफ भागी और कालवा और चम्पा को गैलरी में बैठे बात करते देख उनकी बात सुनने लगी….पर जैसे जैसे बात आगे बड़ी सुमन के आंखों में बस पानी था,चम्पा और कालवा सच जानते हुए भी उनके प्यार के संबंध के लिए राजी हो गए थे पर क्या सुमन अपने ही भाई के साथ…….
उसका मन उत्तर देने के हालात में तो नही था….और ना मैं अभी उत्तर देने के हालात में हु,....

इधर विजय और किशन शहर पहचे ,सोनल और रानी की ख़ुर्शी का ठिकाना नही था,दोनो उनसे ऐसे लिपटे की अलग ही ना हो ,विजय को तो ऐसे लगा की जैसे कोई खालीपन भर गया हो ,वो अनचाहे ही सोनल को अपने ओर इतने जोरो से खिंच रहा था जैसे वो उसे अपने अंदर ही भरना चाहता हो ,वासना नही प्यार भी इतनी बेसब्र हो सकती है ये उन्हें देख कर जाना जा सकता था,जब सभी अलग हुए तो सभी के आंखों में आंसू था,ये अजीब सा प्यार इनके बीच था ,अजय और निधि के बीच सोनल और विजय के बीच और रानी और किशन के बीच…
ये इतना गहरा लगाव था जो कभी कभी रिस्तो की सीमा को भी तोड़ देता था,वो उफान सा आता और उनके बीच के रिस्तो की दीवार को तहस नहस ही कर देता,..
रानी ने विजय को देखा और उसके गले से लग गयी वही सोनल के लिए तो किशन मानो बच्चा था,वो भी उसे अपनी छाती से लगा ली,दोनो तैयार अपने भाइयो के इंतजार में बैठी थी,वो जल्द ही गांव के लिए निकल जाना चाहती थी ,कुछ ही देर में सुशीला और उसका बेटा(वरुण )भी वहां आ गए ,सभी गांव की ओर निकल पड़े थे….
इधर 
सुनसान जंगल में वो शख्स जिसे लोग मिस्टर एक्स कहते थे,जो दोनो परिवारों का जानी दुश्मन था अलग अलग रूपो में घूमने वाला ,आज किसी की तलाश में भटक रहा था ,उसके साथ ही गांव का कोई व्यक्ति था,जो की वहां की आदिवासी भाषा में बात कर रहा था,
“यही है “उस आदिवासी ने एक गुफा की ओर दिखते हुए कहा ,एक्स उसे अपने जेब से थोड़े पैसे निकाल कर देता है और वो आदिवासी वहां से चला जाता है ,वो थोड़ा डरा हुआ भी लग रहा था,वो जल्दी से अपना रास्ता नापता है,एक्स वहां खड़े उस गुफा को देखता है,उसकी फूली हुई सांसे और आंखों ने एक अजीब सी उम्मीद के साथ ही एक भय की धार भी उसके शरीर मर दौड़ रही थी,एक सकरा सा गुफा था ,जिसमे इतनी जगह नही थी को कोई खड़ा हो सके ,बहुत हिम्मत के बाद वो बड़ी उम्मीद से वहां आया था,उसने सुन रखा था की यह कोई बहुत ही पॉवरफुल तांत्रिक रहता है ,जो की शैतान की साधना करता है,साफ था की उसका काम वही कर सकता था,अच्छे तांत्रिक तो बुरे विचार भी अपने से दूर रखते है,शैतानी साधना करने वाले को तांत्रिक कहना गलत होगा लेकिन ये तो एक मजबूरी ही है की उसे कुछ और नाम से नही पुकारा जा सकता,
उसकी सांसे सर्द हो रही थी ,एक डर की लहर से उसके शरीर में झुनझुनी सी दौड़ रही थी,पर वो हिम्मत करके उस गुफा के तरफ बड़ा,उसे अपने घुटने के बल चल कर जाना था,पता नही की आगे और कितनी सकरी हो जाय ,वो हिम्मत कर आगे जाता गया ,,थोड़ी दूर जाने के बाद वो घने अंधेरे से घिर गया,उसने अपनी टार्च जलाई और आगे के मार्ग में सरकने लगा,उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वो किसी नर्क में आ गया हो ,लेकिन उसे एक आश जगी उसे कुछ रोशनी सी आती हुई दिखी,अब उसका डर और रोमांच दोनो ही बड़ गया था,उसने बहुत कुछ सुन रखा था पर उसे देखने वाला कोई भी अभी तक जिंदा नही बचा था,उसे अपने जीवन की परवाह भी नही थी उसे तो बस ठाकुरो और तिवारियो की बर्बादी से ही मतलब था,उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी पर वो फिर भी हिम्मत नही हारा और चलता गया,...
लगभग 20 मिनट ही चलने के बाद उसे के बड़ी सी जगह दिखाई दी ,जिसे वो क्या कोई भी नही सोच सकता था की जमीन के अंदर इतना भव्य सी जगह है ,एक काले राक्षस की विशालकाय मूर्ति वो देखने में ही भयानक लगता था उसके चरणों के पास बैठा वो तांत्रिक ,जो अभी आंखे मूंदे ऐसे बैठा था जैसे की वो धयन में बैठा हो ,पास में बहुत से नर कंकाल पड़े थे…..जिसे देखकर एक्स की हालात ही खराब हो गयी,पर वो हिम्मत कर उसके पास पहुचा,और उसके पैरो के पास देशी दारू और बकरे का मांस रख दिया जैसा की उसने सुन रखा था,की अचानक ही वो तांत्रिक अपनी आंखे खोल जिसे देखकर एक्स दो कदम पीछे हो गया ,पूरी तरह लाल आंखे ,जैसे जलते हुए अंगारे हो ...बड़े बड़े बाल जो बिखरे हुए थे,लंबा चौड़ा और हट्टा कट्टा उसका बदन बड़ी हुई दाढ़ी मूंछे ,और पूर्ण रूप से नग्न उसे देखकर तो कोई भी डर जाय ,वो एक्स को देखकर जोरो से हँसने लगा ,.....
“हा हा हा इतने दिनों बाद किसी ने मेरे पास आने की कोसिस की ,जो भी यहां आया वो कभी भी बाहर नही जा पाया ये देख उनके कंकाल ...तुझे किसी ने बताया नही की मैं नरभक्षी हु ...और तू यहां मरने चला आया …”
उसकी हँसी से पूरी गुफा गूंज गयी ,गुफा में एक ओर से पता नही कहा से कुछ रोशनी फैली थी और एक हल्की सी जलप्रवाह की आवाज आ रही शायद पास ही कोई जलस्रोत हो,हवा तो वहां बिल्कुल भी नही चल रही थी पर जहा रोशनी पहुच रही हो वहां कही से हवा भी आ ही रही होगी …
उसकी हँसी से एक्स में दहसत फैल गयी पर वो वहां डरने तो नही आया था वो पहले आने वालो की तरह किसी खजाने की तलाश में या और किसी प्रलोभन में नही आया था उसका मकसद कुछ जायद ही तबाही थी ,वो अपनी जान की परवाह करता तो शायद यहां कभी नही आ पता….
“मैं आपके समक्ष कुछ बहुत ही जरूरी काम से आया हु महाराज आप ही मेरा काम कर सकते है …’
“यहां हर कोई अपने ही प्रलोभनों से आता है मूर्ख ...लेकिन तूने मेरे लिए इतनी शराब और बकरा लाया इसलिए जब तक ये खत्म ना हो जाय मैं तेरी बात सुनूंगा फिर तुझे भी मार कर अपने शैतान को भोग लगाऊंगा...बोल “
वो बिना पके मांस को ही चबाना शुरू कर दिया ,जिसे देख एक्स को भी उल्टी सी आने लगी पर उसके पास समय बहुत ही कम था…
“मुझे वीर ठाकुर और रामचंद्र तिवारी के परिवार को तबाह करना है ,और मुझे आपकी मदद चाहिये …”वो थोड़ा निर्भीक होते हुए कहा ...लेकिन उनका नाम सुनकर वो अपना खाना ही छोड़ दिए वो रुक सा गया और उसके चहरे को ध्यान से देखने लगा ……
“पुनिया ….तू पुनिया है “
एक्स घबरा गया ,ये तो वो नाम था जो की उसने सालो पहले ही छोड़ दिया था….ये कौन है जो उसे इतने अच्छे से पहचानता है आज उसका ना तो पुराना नाम कोई जानता था ना ही उसका अतीत के बारे में और कुछ…
वो उसे घूर के देखने लगा ….
“तूने मुझे नही पहचाना,देख मैं हु “वो खड़ा हो गया ,लेकिन ये क्या उसके दोनो पैर लकडी के थे वो लड़खड़ाता हुआ पुनिया तक पहुचा 
“देख मैं हु “
पुनिया उसे देखते हुए मानो दुखो के सागर में डूब गया ,उसके आंखों से आंसू की धार निकलने लगी वो जैसे जैसे उसके पास आ रहा था उसका दिल और भी दहल जा रहा था ,उसे पता था की उसे चलते हुए कितनी तकलीफ हो रही होगी ,वो लकड़ियां उसी ने तो बंधी थी वो अपने घुटनो पर गिर जाता है साथ ही वो तांत्रिक भी उसके पास बैठ जाता है ,और उसके चहरे को अपने हाथो में ले लेता है ,
“जग्गू मेरे भाई,उस गजेंद्र ने तेरा क्या हाल बना दिया है ….तू यहां कैसे पहुचा ...ये सब तू तांत्रिक कैसे बन गया …”
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12-24-2018, 01:18 AM,
#38
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
अब जग्गू एक जोरो की हँसी हँसता है,और पुनिया को देखकर उसे उठाकर पास ही बैठा देता है और खुद वो उसी जगह पर बैठ जाता है जहा पर वो पहले था,
“तू तो गांव और मुझे छोड़कर चला गया ,और मैं इस जख्मी पैरो को लेकर कहा जाता ,मैं निराश सा जंगल में आकर रहने लगा,मेरी बीवी को वो हरामी अपनी रखेल बना कर रखे थे,उसके पैसे से ही घर चल रहा था,मेरी निराशा जब ज्यादा बढ़ गयी तो मैंने अपनी जान देने की ठान ली और जंगल में चलता हुआ सोच रहा था की किसी जंगली जानवर के सामने अपनी जान दे दु ,पर इसी गुफा से एक तांत्रिक निकाला उसे देखकर मैं डर से काँपने लगा पर मुझे याद आया की मैं तो यहां पर मारने आया हु तो मैं इससे क्यो डर रहा हु ,वो वही तांत्रिक था जिसकी खोज में तू यहां आया है,उसी नरभक्षी तांत्रिक की सभी जगह पर इतनी दहसत है ,आज लोग मुझे वही समझते है पर वो मैं नही बल्कि मैं तो उसका शिष्य हु,वो तो कब के मर चुके है .,,,मेरी हालात को देख और मेरे साहस को देख उसने मुझे यहां आने का कारण पुझा मैंने उन्हें सब बताया वो बोले की अगर तू मरने मारने को तैयार है तो मैं तुझे ये विद्या सीखा दूंगा,मेरा कोई भी शिष्य नही है सब मुझसे इतना डरते है ,
मुझे तो मरना ही था मेरे भाई मैं उसकी बात मानकर ये विद्या सिख ली और देख आज तेरे भाई से दुनिया डरती है ,”
एक जोरो की हँसी माहौल में गूंज गयी ….
पुनिया के चहरे पर भी एक मुसकान आ गयी …
“मैं भी उनके अत्याचारों को नही भुला हु,और उनसे बदला लेने को तडफ रहा हु….”
उसने अपनी जेब से दो फ़ोटो निकाली ,और गज्जू को दिखाया जिसे देखकर उसके चहरे में चमक आ गयी …
“ये उनके घर की लडकिया है,ये निधि है अभी मासूम है ,ये वीर की बेटी है,और ये जिसका शायद तुझे बेसब्री से इंतजार होगा,इसका नाम खुसबू है ये गजेंद्र की बेटी है….”
गज्जू के चहरे में बदले की आग धधक उठी थी वो चिल्ला उठा …
“इनका भी वही हश्र होगा जो हमारी बीबियों और बहनों का उन्होंने किया था,चहरे तो मासूम लग रही है इनकी सील तो मैं तोडूंगा,और इन्हें शैतान से चुदवाऊंगा ….इनकी बली से शैतान मुझे और भी शक्ति देगा जब वो इन दोनो कुवारी लड़कियों को भोगेगा..हा हा हा ….हम इन्हें अपनी रंडिया बना कर रखेंगे…”
ऐसी हँसी की दिल दहल जाय,शैतानियत उनके चहरे से टपक रही थी…
“हा जग्गू ये दोनो अभी तक सील बंद है,इसे हमारे बदले के लिए ही बनाया गया है…(उन्हें नही पता था की निधि अब कुवारी नही है,अजय ने ही अपनी बहन को भोगा है,और खुसबू का कोई भरोसा नही की कब अजय उसे भी भोग ले)”
“पुनिया मेरे भाई ना जाने कितने दिन हो गए किसी लड़की को भोगे हुए इन कच्ची कलियों का तो मैं मांस ही उतार दूंगा...जल्दी से इनको मेरे पास ले के आ फिर कोई भी हमे नही रोक सकता उन्हें बर्बाद करने से …”
फिर से दोनो की हँसी से पूरी गुफा गूंज उठी …..

सभी लोग घर पहच चुके थे,किशन को कलवा ने खुशखबरी दी जिसे सुनकर वो झूम गया...सभी एक दूजे से मिलने में व्यस्त थे,कल वो समय तय किया गया था जब तिवारियो का पूरा परिवार ठाकुरो के घर आने वाला था ,सभी बहुत ही जोश से भरे हुए थे ,यहां तक की वहां काम करने वाले भी जोश से भरे थे,डॉ को भी बुलाया गया था,वो अपनी सेकेट्री मेरी के साथ आने वाले थे,इंस्पेक्टर ठाकुर ,कुछ नेता गण,सभी पार्टी के मंत्री,यहां तक की मुख्यमंत्री जी भी, धनुष और निधि की पार्टी के लोग,जिनमे अभिषेक प्रमुख था,कॉलेज की प्रिंसिपल मेडम काव्या सेठ सभी को बुलाया गया था,कुल मिलाकर एक जश्न का आयोजन किया गया था,उस क्षेत्र के सबसे शक्तिशाली दो परिवारों के मिलान का समारोह था,तैयारिया जोरो पर थी और सभी बहुत ही खुस थे,वहां के लोग भी सालो की दुश्मनी के समाप्त होने से खुश थे……..
किशन अब बस सुमन से मिलना चाहता था,वो उसके कमरे के पास ही फटक रहा था लेकिन सुमन की मा और उसका भाई अंदर थे,वो बाहर कभी आता एक नजर डालता और फिर चला जाता,वही उसकी इस हरकत को रानी ने पकड़ लिया…
“क्यो मेरे प्यारे भइया जी ,भाभी से बात किये बिना चैन नही मिल रहा है क्या “
किशन उसे देखकर चौक गया 
“नही यार मैं तो बस यहां यू ही घूम रहा था,”
‘“अच्छा अब बनो मत सब जानती हु मैं,चलो मेरे साथ “
वो उसका हाथ पकड़ कर उसे सीधे सुमन के कमरे में ले जाती है वहां सुशीला ,वरुण (सुमन का छोटा भाई ),और निधि बैठे हुए थे,साथ ही सुमन भी थी सभी अपनी बातो में खोये थे वही वरुण कोई किताब निकाल कर पड़ रहा था…
“चाचीजी देखो आपका दमांद सुमन से मिलने के लिए कितना बेचैन हो रहा है,”
रानी के ऐसा बोलने से ही किशन की सांसे रुक गयी ,वही सभी हँसने लगे,घर में सभी को ये पता चल चुका था,और सभी इस रिस्ते से काफी खुश भी थे...सुशीला उठी और भरे हुए नयन से किशन को अपने गले से लगा लिया,
“भगवान इतनी खुसी एक साथ दे रहा है कही नजर ना लग जाय,”वो रोते ही अपने आंखों से काजल निकल कर किशन के माथे के पास लगाती है,किशन तो इस बात से फुला नही समा रहा था पर सुमन के चहरे पर वो खुसी नही दिख रही थी…
“चल अपनी जीजा जी को प्रणाम कर “सुशीला ने वरुण से कहा पर वो अभी भी अपनी पुस्तक में खोया था,
“ये तो ना पुस्तक मिल जाय तो इसे कुछ भी नही सूझता “
“लगता है किताबी कीड़ा है “निधि ने कहते हुए वरुण के सर पर एक हल्की सी चपत मार दी,वरुण उसे गुस्से से देखता है ,पर अगले ही पल वो फिर से किताब में घुस जाता है….
“बेटा अब बात तो तुम्हे जिंदगी भर करना है तो अब थोड़ा सबर रखो …”सुशीला ने हँसते हुए कहा जिससे किशन शर्मा गया,
“जी चाची “
“चाची नही बेटा अब मुझे मा कहकर पुकारा कर “
“जी माजी “किशन वहां से चला जाता है .
वही निधि और रानी सुमन को छेडने लगे पर वो बेचारी क्या करती चाह कर भी उसके चहरे पर वो ख़ुर्शी नही आ पा रही थी जो होनी चहिये थी….
रात हो चली सभी अपने कमरे में थे,सोनल विजय के पास चली गयी थी और रानी किशन के पास ….निधि तो अजय के साथ ही सोती थी..

आजय के कमरे में

“भइया कितना अच्छा है ना ,अब किशन भइया की शादी हो जाएगी …”निधि ने अजय के सीने में हाथ फेरते हुए कहा …
“हा बहन सचमे बहुत खुशी हुई ये जानकर “
“लेकिन भैया आप कब करोगे शादी ,नियम से तो आपकी पहले होनी चहिये ना आप तो सबसे बड़े हो “
अजय निधि को देखता है जो हल्के हल्के से मुस्कुरा रही थी,
“बहुत बड़ी हो गयी है तू बड़ी बड़ी बातें करने लगी है…”अजय उसे अपने ऊपर ले लेता है,हमेशा की ही तरह निधि ने बस एक स्कर्ट पहना था वही अजय पूरा नंगा ही था,उसके ऊपर आने से उसकी कमर अजय के लिंग को छू जाती है ,अपनी प्यारी बहन के नाज़ुकता का अहसास अजय को रोमांचित कर देता है,वो उसे अपने ऊपर भीच लेता है,कितनी प्यारी और नाजुक थी निधि जो इस तरह अजय के मर्दाने और मजबूत बांहो में सोई थी,अजय के सीने के घने बाल निधि के छातियों से रगड़ खाकर निधि और अजय दोनो को ही एक सुखद अहसास दे रहे थे…
निधि अपना सर ऊपर उठाती है और अजय की आंखों में देखती है,हमेशा की तरहः ही उसके आंखों में बस प्यार ही दिखता है ,वो चंचल की कोमल सी प्यारी सी गुड़िया अजय के होठो को अपने नरम गुलाबी पतले से होठो से मिलती है…
अजय अब उसके होठो का रस पी रहा था ,दोनो ही एक दूसरे के प्यार के अहसास में गम थे,निधि अपने स्कर्ट को निकलने के लिए अजय से अलग हुई पर अजय ने उसे फिर से अपने ऊपर खिंच लिया और उसके मजबूत लोहे जैसे शरीर में निधि के कोमल यौवन से भरे जिस्म को छुपा लिया,
अजय का लिंग अब अपने बहन की योनि की गर्मी में भीगना चाहता था,वो अपनी अकड़ दिखा रहा था,उसने अपने लिंग को निधि के कोमल योनि के पास लाया ,उसकी योनि के घने बालो से रगड़ खा कर वो और भी अकड़ गया वही निधि भी अपने भाई का प्यार पाकर गीली हो गयी थी ,वो जोरो से अपने होठो को उसके होठों के अंदर करती है और अजय नीचे से अपने लिंग को निधि की गहराइयों में उतार देता है,ये इतना सहज और प्यार भरा अहसास था जिसमे ना तो कोई छल था ना ही कोई वासना….बड़ी आसानी एक अजय का पूरा लिंग उसके अंदर समा गया ,इतने दिन में दोनो लगभग रोज ही एक दूसरे को प्यार देते थे ,और इसी प्यार के कारण निधि की अनछुई योनि आज इतनी जवान हो गयी थी की अजय जैसे मजबूत लिंग को भी आसानी से अपने अंदर ले ले ,,,,अब दर्द का नाम तक उसे नही आता था ,आता था तो बस उस गर्म अहसास का मजा जो वो जिंदगी भर लेना चाहती थी……
निधि ने हल्की मदहोश आंखों से अजय को देखा ,उस आंखों में अब ना तो कोई शर्म थी ना ही कोई भी ग्लानि ,ना कोई वासना था तो बस अपने भाई के लिए वो असीमित प्यार जिसका बयान शायद वो लफ्जो में नही कर सकती थी और ये ही एक माध्यम था जिसके द्वारा वो अपने भाई से उस प्यार का जिक्र कर पाती थी ,ये उनके एक दूजे से प्यार को बयान करने का एक साधन ही था,वो बस अपने भाई के मजबूत बदन से लिपटी हुई उसके शरीर के मजबूती से गदगद हो रही थी ,
“खुसबू दीदी आपसे बहुत प्यार करती है भइया ,मेरे खातिर आप उनसे बात कर लेना “
वो सोए हुए ही अजय से कहती है ,
“कौन “
“सोनल दीदी की सहेली ,सोनल आप उससे मिले भी हो वो पब वाली लड़की याद है,सोनल दीदी आप से ये बात कहने से डर रही थी इसलिए सबने मुझे ये बात करने को कहा …….”
अजय के चहरे पर एक मुस्कान आ जाती है,
“जिसे मेरी बहने पसन्द कर ले उसे मुझे पसंद करने में कोई भी दिक्कत नही है ,पर जान मेरे ऊपर सबकी जिम्मेदारियां है,पहले अपनी प्यारी बहनों के हाथ तो पीले कर लू फिर अपने बारे में सोचूंगा “
वो निधि के चहरे पर एक प्यार भरा चुम्मन देता है,उसका लिंग जरूर निधि की योनि में समाया था पर उन्हें वासना के हिलोरों में नही बहना था उन्हें तो बस अपना प्यार देना था वो बस ऐसे ही रहते थे ,कभी धक्के देने की कोई भी जल्दबाजी कोई नही करता ,वो बस उस अहसास के साथ रहना चाहते थे…..
“लेकिन आप मिलोगे उनसे जल्द ही ,प्रोमिश करो “
निधि ने अपना सर उठाया और अजय को देखते हुए प्यार से कहा 
अजय को उसकी मासूमियत देखकर उसपर बड़ा प्यार आया और उसकी आंखों में देखने लगा 
“प्रोमिश मेरी जान “
और अजय उसके होठो पर ऐसे खाने लगा जैसे वो कोई बर्फी हो ….
इधर विजय के कमरे में
विजय काम निपटाकर आता है वो आज बहुत ही थक गया था सुबह से वो काम ही कर रहा था ,लेकिन कमरे में दाखिल होते ही उसकी आंखों में चमक आ जाती है ,सोनल के जिस्म को वो ऐसे देख रहा था जैसे की कोई अजूबा देख लिया हो वो लग भी तो कमाल रही थी ….
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12-24-2018, 01:18 AM,
#39
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
उसकी नाइटी से उसके शरीर का हर हिस्सा बड़ा ही मादक लग रहा है वो भी उसे देखकर खड़ी हो गयी और उसे ऐसे देखता पाकर थोड़ी शर्मा गयी पर फिर उसने अपनी बांहे फैला कर उसे अपने पास बुलाया ,विजय दौड़ता हुआ जाकर उससे लिपट गया,दोनो जैसे सदियों के बिछड़े हो एक दूजे से चिपक गए ,
“आज तो मेरी रानी बहुत ही सेक्सी लग रही है,इतने पतले कपड़े पहन के रहेगी तो मेरी भी नियत डोल जाएगी “
विजय ने उसे शरारती निगाहों से देखा 
“मैं तो अपने भाई की ही हु,नियत डोले या कुछ भी हो जाय “
इसबार सोनल इमोशनल हो गयी थी ,उसकी आंखों में आंसू थे और वो फिर से विजय से लिपट गयी,विजय ने उसे अपने बिस्तर में लिटाया,उसके नाजुक जिस्म से आती हुई वो महक विजय के होश उड़ाने को काफी थे वो उसके बालो को सहलाता हुआ उसके यौवन को निहारता है और उसे ऐसे देखता पाकर सोनल भी शर्मा जाती है,और उसके गाल पर एक प्यारी सी चपत मार देती है,
वो सोनल के नितंबो को अपने हाथ में भर कर उसे अपने ऊपर ला देता है और उसके नितंबो को सहलाने लगता है ,सोनल थोड़ी गदराई थी ,उसके गोल नाजुक और भारी नितम्भ विजय को एक अलग ही अहसास दे रहे थे पर वो अहसास दूसरी लड़कियों से मिलने वाले हर अहसास से बहुत ही जुदा था,ना जाने आजतक उसने कितनी लड़कियों के साथ सेक्स किया था कितनो के जिस्मो से खेला था पर सोनल के साथ बात अलग थी उसके बदन को छूना उसके अंदर वासना को नही बल्कि एक अजीब से अहसास को जगती थी जिसे शायद लोग प्यार कहते थे,वो उसके लिए कुछ भी कर सकता था और सोनल भी उसके लिए कुछ भी कर सकती थी ,वो महज एक जिस्म नही थे वो भी बहन थे और उनका प्यार कोई वासना से भर हुआ खेल नही था बल्कि वो उस प्यार की अभिव्यक्ति थी जो वो एक दूसरे से करते थे,
सोनल की गोलियो को छुता हुआ विजय उसकी आंखों में खो गया,उसे अपनी बहन की आंखों में आया वो पानी पसंद नही आया वो उसे अपने होठो से पी गया ,
“हमे कितने दिनों तक अलग रहना पड़ता है भाई ,साले तेरे साथ सोने को तरस जाती हु “
“मैं भी जान “
“चल ना झूठे कही के ,तुझे दूसरी लड़कियों के साथ सोने में फुरसत मील तब ना तू मुझे याद करेगा “
“अरे इतनी सारी तो तेरी छमिया है यहां पर ,साले अय्याशी तू करता है और मुझे बोल रहा है की कोन सी लडकिया “
“नही जान अब कोई भी है,आख़िरीबार जो हुआ था वो रेणुका से हुआ था,शादी वाले दिन फिर तो कोई भी नही है,”
“अच्छा और सेठ मेडम ‘
“अरे उनके लिए तो समय ही नही मिल पा रहा है,अब सब ठीक हो गया तो अब शायद कुछ हो जाय “
“ओह तो मेरा शेर भाई कई दिनों का भूखा है “
:हा जान “
विजय ने मुह बनाते हुए कहा ,सोनल खिलखिलाकर हँस पड़ी ,और उसके गालो में एक प्यार भरी पप्पी दे दी ,
“ह्म्म्म तो मेरे भाई के भूख को मुझे ही मिटाना पड़ेगा,”उसने बड़ी ही शरारत भरे लहजे में कहा पर विजय उसे बड़े ही गंभीर भाव से देख रहा था ,
“क्या हुआ साले ऐसे क्यो देख रहा है,”
सोनल हल्के से फुसफुसाई ,और विजय उसे खीचकर अपने सीने से लगा लिया ,सोनल को भी उसके हालात का पता चल गया था वो भी बहुत ही सेंटी हो चुका था ,सोनल ने मजाक छोड़कर अपने भाई को प्यार देने की सोची और उसके होठो पर अपने होठो को सटा दिया,
विजय सोनल के होठो को भरपूर ताकत से खाने लगा जैसे की उसे और कभी ये नही मिलेगा,सोनल भी अपने प्यारे भाई पर अपना सबकुछ लुटाने को आमादा थी ,वो अपने शरीर को विजय से सटा ही दी और अपने जिस्म को उसके जिस्म में रगड़ने लगी,दोनो ही एक दूसरे में खो जाना चाहते थे और उन्हें भी वही एक तरीका पाता था…..
लेकिन एक रिस्तो की दीवार अब भी उनके बीच थी ,शायद मन के किसी कोने में….
विजय सोनल के नितंबो को सहलाने की बजाय अब उसे मसलने लगा था,वही सोनल के मुह से भी सिसकिया निकल रही थी ,उसे समझ भी नही आ रहा था की जो वो कर रही है ये सही है या गलत पर जो भी हो रहा है वो उसे सही गलत के दायरे से बाहर ही रखना चाहती थी ,इतने दिनों के बाद वो अपने भाई के साथ थी वो अपने को सही गलत के दायरे में बांधकर अपने भाई को प्यार से वंचित नही करना चाहती थी…
विजय के हाथ अब उसके नाइटी के अंदर थे ,सोनल की झीनी सी पेंटी से उसके कोमल शरीर का अहसास विजय को हो रहा था ,पहले की तरह आज वो वासना से भरा हुआ नही था ना ही उसमे कोई भी उत्तेजना आयी थी,वो तो बस सोनल को भरपूर प्यार देना चाहता था,जितना उसमे भरा है वो सब उसमे उढेल देना चाहता था…
उसका हाथ कब उसके पेंटी के अंदर चला गया उस पता भी नही चला,पुरानी आदते अपना असर जरूर दिखती है वही विजय के साथ भी हो रहा था,वो उसकी पेंटी को स्वाभाविक तौर पर ही उतारने लगा,वो तो बस सोनल के होठो के रस पीने में मगन था पर कब उसने उसके पेंटी की इलास्टिक को पकड़ कर सरकना शुरू किया उसे भी पता नही चला,हा ये सोनल को जरूर पता चला पर उसके होठो में और मन में बस एक मुस्कान आयी वो अपने भाई के आदत से वाकिफ थी,उसे पता था की उसे ये भी होश नही था की वो उसकी पेंटी उतार रहा है ,पर सोनल ने उसे नही रोका वो अब उसे रोकना ही नही चाहती थी ,ना जाने कब वो भी शादी के बंधन में बांधकर चले जाय और विजय से ऐसे मुलाकात कब हो ,वो अपना सब कुछ उसे देख देना चाहती थी पर उसे भी पता था की मर्यादाओ की दीवारे विजय को ही रोक देंगी उसे अपने भाई के प्यार पर पूरा विश्वास था,वो जानती थी की विजय का प्यार किसी वासना से प्रेरित नही है और वो अपनी सीमाओं को नही लांघेगा और अगर लांघेगा तो भी सोनल को वो सहर्ष स्वीकार था…
विजय उसे पागलो की तरह चुम रहा था,दोनो की ही आंखे बंद थी और कब विजय ने अपने नीचे के कपड़े निकल फेके उसे पता नही चला,अब दोनो जने नीचे से नंगे थे और उनके गुप्त कहे जाने वाले अंग अब गुप्त नही रह गए थे ,उनका मिलान हो रहा था वो एक दूजे में रगड़ खा रहे थे .पर इन बावरे प्यार के पंछियों को क्या फर्क पड़ने वाला था ,वो बस अपने प्यार की लहरों में सवार ना जाने कहा जाने को निकल पड़े थे ,ऐसे सफर पर जिसकी कोई मंजिल ही नही थी ,और जो उसकी मंजिल थी वो एक भाई-बहन के रिस्ते में जायज नही माना जाता था…….
सोनल की योनि और विजय के लिंग का टकराव जारी रहा पर प्यार का खुमार ऐसे छाया था की ना तो विजय के लिंग में कोई भी तनाव था ना ही सोनल के योनि में कोई गीलापन,दोनो बस एक दूजे को पकड़े हुए चुम रहे थे,लेकिन थे तो वो भी शरीर ही ना ...कब तक वो शरीर के बंधनो से बच सकते थे लगातार हो ने वाले टकराव ने आखिर धीरे धीरे विजय के लिंग में तनाव भरना शुरू कर दिया,जब हल्का ताना हुआ लिंग सोनल के योनि से टकराया तो उसे जैसे होश आया की वो क्या कर रही थी और ये सोचकर ही उसके योनि में अचानक ही एक दरिया सी बहने लगी वो विजय को जोरो से चूमने लगी,और जैसे ही वो विजय के बालो को अपने उंगलियों में फसाकर उसके चहरे की तरफ ऊपर बढ़ी उसके कमर ने ऊपर की तरफ गति की और विजय का तन चुका लिंग जो की सोनल के योनि के द्वार पर ही खड़ा था वो हल्के से योनि के अंदर चला गया ,
“आह ,मेरी जान “
सोनल के मुह से अनायास ही निकल गया ,लिंग अभी थोड़ा ही अंदर गया था पर सोनल की योनि अभी बहुत ही टाइट थी ,उसे अभी भी खुलने का मौका ही नही मिला था ,अचानक हुए इस झटके से विजय ने अपनी पुरानी आदत के अनुसार ही एक जोर का झटका दिए और इसबार उसका हाथ भी सोनल के नितंबो को थामे था,और ये झटका विजय के पूरे मूसल से लिंग को सोनल के अंदर पहुचा दिया ,वो लिंग जिसने खेली खाई भरीपूरी औरतों की सांसे रोक दी थी ,और चीख निकल दी थी आज उसकी सबसे प्यारी बहन की लगभग अनछुई योनि की दीवारों को चीरता हुआ अंदर चला गया,सोनल के मुह से चीख निकलना तो स्वाभाविक था,
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12-24-2018, 01:18 AM,
#40
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
“आह भाई “वो जोर से चीखी ,भला हो उस हवेली का जो इतनी बड़ी थी,और विजय के होठो का जो सोनल के होठो को भरे हुए थे, वरना सारा घर ही उठ जाता ,
विजय को भी अब अहसास होने लगा था की वो क्या कर रहा है,सालो से उसने इतनी टाइट चुद में अपना लिंग नही घुसाया था,उसे अचानक ही याद आया की मैं किसके अंदर चला गया ,भाई ….है भगवान फिर से ,उसने ऊपर देखा सोनल ही थी …
जो उसके चहरे पर आये एक्सप्रेशन को देखकर समझ गयी की विजय को अभी अपनी गलती का अहसास हो रहा है ,उसे हँसी आ गई ,उसे हँसता देखकर विजय के होठो पर भी एक मुस्कान आ गयी,
“कामिनी रोक नही सकती थी “
सोनल ने शरारती मुस्कान से उसे देखा 
“मैं क्यो रोकू तुझे इतनी समझ नही है क्या की किसके अंदर डालना है किसके अंदर नही,कोई अपनी बहन के अंदर डालता है क्या भला,और वो भी इतने जोर से हाय ,”
विजय सोनल को झूठे गुस्से से देखा पर अपनी बहन की इन्ही बातो पर तो मरता था,सोनल के एक मुस्कान की खातिर तो वो जान भी दे सकता था,आज उसे कोई भी ग्लानि के भाव नही आये क्योकि वो जानता था की उनका प्यार समाज के हर बंधनो से बढ़कर है ,वो सोनल को और कस लेता है,अब उसे अपने लिंग में सोनल के प्यार की गर्मी का अहसास हो रहा था ,सोनल को भी अपने भी के लिंग का अहसास अपने अंदर हो रहा था ,वो अपने को भरा हुआ महसूस कर रही थी ,उसे ऐसा लगा जैसे बस ऐसे ही जिंदगी गुजर जाय और उसे कुछ नही चाहिये…….
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