Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दुबई में
03-01-2019, 11:12 AM,
#11
RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
इसीलिए मैने अलमारी में से एक दुपट्टा निकाला. और उसे चौड़ा के यूँ अपनी छातियों पर ओढ़ लिया. कि जिस से ना सिर्फ़ मेरी छाती किसी मर्द के सामने वज़िया ना हो. बल्कि मेरी नंगी बाहों पर भी किसी गैर की नज़र ना पड़े. 

अपनी तरफ से अपने जिस्म को छुपाने का ये इंतईज़ाम कर के में जैसे ही यासिर के सामने गई. तो ज़िंदगी में पहली बार मेरे वजूद को यूँ एक मगरबी लिबास में देख कर यासिर की आँखे खुली की खुली रह गई. 

“हाईईईईईईईईईईईईई ये ड्रेस तो तुम पे बहुत ही अच्छा लग रहा है मेरी जान” मुझे अपने सामने पा कर यासिर बे काबू हुआ. और मुझे अपनी बाहों में ले कर मेरे होंठ चूमते हुए बोला.

“अच्छा अब मसके मत लगाओ और चलिए जनाब” अपने शौहर के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर मेरी चूत गरम हुई. मगर मैने अपने आप को संभालते हुए यासिर से कहा.

“चलते हैं मगर तुम ये दुपट्टा तो उतारो ना पहले” मेरी बात सुन कर यासिर ने मेरे गले में पड़े दुपट्टे की तरफ इशारा किया.

“में आज तक दुपट्टे के बिना कभी घर से बाहर नही निकली, इसीलिए मुझे अजीब सा लगता है यासिर” अपने शौहर की बात के जवाब में मैने कहा.
“वो तो ठीक है मगर इस ड्रेस के साथ दुपट्टा सजता नही जान,वैसे भी तुम्हें किस बात की फिकर है जब में तुम्हारे साथ हूँ यार” यासिर ने मेरी बात का जवाब दिया. और मेरे मना करने के बावजूद दुपट्टे को मेरे गले से उतार कर मेरी बड़ी बड़ी गोल छातियों और मेरी गुदाज बाहों को दूसरे मर्दो की भूकि नज़रों के लिए खुला छोड़ दिया.

जब मेरा शौहर मुझे यूँ ही बाहर चलने का हुकम दे रहा था. तो एक अच्छी बीवी होने के नाते सिवाय उस हुकम को मानने के मेरे पास कोई और चारा नही था.



इसीलिए यासिर के इसरार पर मैने खामोशी से अपना लॅडीस बॅग उठाया. और फिर एक मशराकी बीवी की तरह अपने सरताज शौहर के पीछे चल पड़ी.

विनोद और सपना के घर के सामने पहुँच कर ज्यों ही में अपनी कार से बाहर निकली.

तो शाम के वक्त चलती दुबई की तेज हवा का एक झोंका एक दम से मेरे जिस्म से टकराया. 

हवा के इस तेज झोंके की वजह से मेरी लंबी स्कर्ट एक दम से उपर को उठी. 

और मुझे यूँ महसूस हुआ कि जैसे ये झोंका मेरी लंबी गुदाज रानों के दरमियाँ में से घूमता हुआ छोटी सी पैंटी में कवर मेरी फुद्दि को भी जैसे अचानक छू गया हो.

पहली बार इस तरह का ड्रेस पहने की वजह से में इस किसम के वाकियात की आदि नही थी.

इसीलिए ज्यों ही मेरी टाँगों में से होते हुए हवा के इस झोंके ने मेरी गरम फुद्दि को टच किया. 

तो एक अजीब से मस्ती की लहर मेरी चूत में से उठी. जो एक दम से मेरे सारे वजूद पर छा गई. और मस्ती की वजह से मेरे मुँह से एक दम एक लज़्जत भरी “अहह” निकल गई.

“ख़ैरियत तो है,क्यों हाईईईईई कर रही हो” मेरे मुँह से निकलने वाली आवाज़ को सुन कर मेरे आगे चलते यासिर ने एक दम मूड कर पीछे देखते हुए मुझ से पूछा.

“कुछ नही बस ज़रा सा पैर फिसल गया था” यासिर की बात का जवाब देते हुए में बोली. 

मगर इस के साथ ही मुझे शरम भी आई कि मेरे ना चाहने के बावजूद यासिर ने मेरे मुँह से निकलने वाली हल्की सी सिसकारी सुन ली थी.

में और यासिर ज्यों ही विनोद के घर में एंटर हुए. तो उस के घर के लॉन में बहुत सारे दूसरे मेहमआनो को देख कर हमे अंदाज़ा हो गया . 



कि हमारे अलावा भी दूसरे काफ़ी लोग विनोद और सपना की पार्टी में इन्वाइटेड हैं.

ज्यों ही हम दोनो मियाँ बीवी विनोद और सपना के घर में दाखिल हुए. तो विनोद और सपना ने खुश दिली के साथ हमारा इस्तिक्बाल किया.

विनोद आज भी हुस्बे मामूल पॅंट शर्ट में था. जब के सपना ने मेरी तरह आज वेस्टर्न ड्रेस तो पहना हुआ था. 

मगर मेरे बडकस उस की स्कर्ट और शर्ट दोनो ही निहायत छोटी सी थी. 
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03-01-2019, 11:12 AM,
#12
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सपना की स्कर्ट और शर्ट इतनी छोटी थी. कि सपना की सुडोल राने और गान्ड की गोली स्कर्ट में से सॉफ देखी जा सकती थी. 

जब कि सपना की शर्ट का गला डीप होने की वजह से उस के मोटे मम्मों का बहुत ज़्यादा हिस्सा बाहर छलक रहा था.

दुबई आने के बाद पहली बार सपना को इस तरह के ड्रेस में देख कर मुझे शरम आने लगी थी.

मगर सपना,विनोद और यासिर को एक दूसरे से मिलने के अंदाज़ से मुझे आइडिया हो गया .कि यासिर और विनोद सपना के शायद पहले भी इस तरह के कपड़ों के आदि हैं. 

मगर दूसरी तरफ में विनोद के दिए हुए गिफ्ट को पहन कर जब पहली बार उस के सामने गई. 

तो नज़ाने क्यों मुझे विनोद की नज़रों का सामना करते हुए एक अजीब सी शरम सी महसूस हुई.

मेरा अंदाज़ा था कि अपने दिए हुए इस स्लीव लेस ड्रेस में मलबूस देख कर विनोद मुझे पहली मुलाकात की तरह आज भी अजीब नज़रों से ताड़ने लगे गा. 

मगर विनोद से मिलते वक्त मैने एक बात नोट की कि पहली मूलकट के बार अक्स विनोद ने आज मुझे भूकि नज़रों से नही देखा था. 

बल्कि मुझ से हाथ मिलाते ही वो यासिर को साथ ले कर दूसरे मेहमानों की तरफ चला गया.

सपना से अपनी गरम फुद्दि चटवाने के बाद ये हम दोनो की पहली मुलाकात थी.

इसीलिए मुझ से मिलते वक्त सपना ने ज्यों ही मुझे गले लगाया. 



तो एक दम से मेरे कान में सेरगोशी की “हाईईईईईईईईईई तुम्हारी गरम चूत का नमकीन ज़ायक़ा मुझे अभी तक नही भुला सायराआ”

“अच्छा अच्छा अब इस मोके पर एक महीने पहले वाली बात का ज़िक्र कर के मुझे शर्मिंदा तो मत करो यार” सपना की सरगोशी को सुन कर शरम के मारे मेरे गाल सुरख हुए. और मैने नकली गुस्से से सपना से गिला किया.

“ओह मेरी जान हो शरम आ रही है, चलो नही तंग करती, आओ में तुम्हें अपना नया घर दिखा दूं” मेरी बात के जवाब में सपना भी मुस्कुराइ और फिर मुझे साथ ले कर अपने घर का विज़िट करवाने लगी.

बीच के किनारी पर वाकीया विनोद और सपना का ये डबल स्टोरी घर बहुत ही खूबसूरत था. जिसे देख कर में बहुत ही मुतसर हुई.

सपना के घर में फिरते हुए मैने विनोद और सपना के काफ़ी सारे गेस्ट्स को बियर और शराब पहते हुए भी देखा.

दुबई आने के बाद शुरू शुरू में लोगो को पार्टीस, होटेल्स और बार में बियर और दूसरी शराब पीते हुए देख कर मुझे हैरत होती थी. मगर वक्त के साथ साथ में इस चीज़ की आदि हो गई.

लेकिन मैने ना तो कभी खुद शराब को हाथ लगाया था. और ना ही अपने शौहर यासिर को कभी बियर वग़ैरा पीते हुए अभी तक देखा था.

सपना के घर को देखने के बाद हम दोनो फिर बाहर के लॉन में चली आई. तो फिर कुछ देर विनोद और सपना से सब मेहमानों के आने का शुक्रिया अदा करते हुए खाना शुरू होने का ऐलान कर दिया. 

खाने के दौरान मैने गौर किया कि आज एक तो यासिर का ध्यान खाने से ज़्यादा कोका कोला पीने पर है. 

और दूसरा कि ड्रिंक पीने के साथ साथ यासिर का ध्यान और नज़रें इधर उधर घूमती सपना की तरफ बार बार जा रही थी.

यासिर की इस हरकत को देखते हुए मैने ये भी नोट किया कि यासिर के साथ साथ सपना भी आज मेरे शौहर यासिर पर कुछ ज़्यादा ही मेहरबान थी. और वो भी आते जाते हुए अपनी अदाओं से यासिर को अपनी तरफ मतवजू कर रही थी.

“आज घर जा कर यासिर से इस बारे में ज़रूर बात करूँगी” अपने शौहर को अपने सामने यूँ एक गैर औरत की तरफ करीब होते देख कर मेरे दिल में एक जलन से होने लगी. और मैने दिल ही दिल में अपने आप से कहा.

मुझे यासिर की इस हरकत पर गुस्सा भी आ रहा था. मगर किसी और के घर में होने की वजह से में खामोश रहना ही मुनासिब समझा.

खाने का दौर ख़तम हुआ. तो विनोद और सपना ने सब के सामने खुद एक दूसरे के साथ डॅन्स करते हुए बाकी मेहमानों को भी डॅन्स करने की दावत दे दी.



जिस के बाद काफ़ी सारे कपल्स पंजाबी और इंडियन मूवी सॉंग्स पर एक दूसरे के साथ डॅन्स करने लगे.

मुझे तो डॅन्स आता नही था. इसीलिए में और यासिर एक दूसरे के साथ बैठे दूसरे लोगो के डॅन्स और म्यूज़िक से एंजाय कर रहे थे.

“ तुम दोनो क्यों ऐसे अलग थलग बैठे हो,चलो उठ कर भगड़ा डालो यार” विनोद और सपना ने हम दोनो को यूँ चेयर पर बैठा देखा. तो दोनो मियाँ बीवी हमारे पास आए और हमें डॅन्स करने को कहा.

“भन्गडे को दिल तो मेरा भी कर रहा है,मगर सायरा को डॅन्स पसंद नही है यार” विनोद की बात सुन कर यासिर ने जवाब दिया.

“अगर सायरा डॅन्स नही करना चाहती तो कोई बात नही, आप मेरे साथ डॅन्स कर लो यासिर” यासिर की बात सुन कर सपना एक दम बोल पड़ी.

“हां अगर सायरा को कोई ऐतराज नही तो तुम सपना के साथ डॅन्स कर लो” सपना की बात सुन कर विनोद ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

यासिर के सपना को ताड़ने की वजह से में तो पहले ही अपने शौहर से गुस्से में थी.और में दिल से नही चाहती थी. कि यासिर सपना के साथ डॅन्स करे.

मगर में चाहते हुए भी विनोद और सपना के सामने इनकार ना कर सकी और मुझे कहना ही पड़ गया. “अगर यासिर का दिल डॅन्स करने को चाह रहा है,तो मेरी तरफ से इजाज़त है”

मेरे मुँह से ये बात निकलने की देर थी. कि सपना ने एक दम अपने हाथ बढ़ा कर यासिर को कुर्सी से उठाया. और अपने साथ डॅन्स करने ले गई.
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03-01-2019, 11:12 AM,
#13
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“यासिर तो सपना के साथ डॅन्स करने गया है,आप भी इस खुशी के मोके पर मेरे साथ डॅन्स करना पसंद करेंगी भाभी” यासिर और सपना के जाते ही विनोद ने मेरी तरफ देखा. और एक मुस्कुराहट के साथ मुझे अपने साथ डॅन्स की दावत दी.

“असल में मुझे डॅन्स नही करना आता,इसीलिए में आप के साथ डॅन्स नही कर सकती विनोद भाई” विनोद की ऑफर को सुन कर ना जाने क्यों मेरे दिल की धड़कन एक दम तेज हुई. और मैने निहायत मुनासिब अंदाज़ में उस की डॅन्स की दावत को टालते हुए इनकार कर दिया. 

“कोई बात नही,आप यासिर और सपना का डॅन्स एंजाय करें,में अभी आता हूँ” मेरे इनकार पर विनोद ने फिर मुस्कराते हुए कहा. और मुझे कुर्सी पर अकेला छोड़ कर दूसरी तरफ चल पड़ा.

विनोद की ऑफर सुनते ही मुझे यासिर की बात याद आ गई थी. कि चूँकि विनोद ने यासिर की प्रमोशन की फाइल पर साइन करने हैं. इसीलिए में अपनी किसी बात से विनोद को नाराज़ ना करूँ.

अगर चे यासिर के समझाने के बावजूद मैने विनोद की बात मानने से इनकार तो कर दिया था. इसीलिए मुझे एक दम डर सा लग गया. कि कहीं विनोद मेरी इस बात का बुरा ना मान जाय.

मगर ज्यों ही अपने इनकार के बावजूद मैने विनोद को मुस्कुराते देखा. तो उस के जाते ही मेरी जान में जान आई और मैने सुख कर साँस लिया. कि शायद विनोद ने मेरे इनकार पर बुरा नही माना है.

विनोद के अपनी नज़रों से ओझल होते ही मैने लॉन में डॅन्स करते हुए लोगो की तरफ ध्यान दिया. 



तो यासिर और सपना को एक दूसरे के साथ चिपक कर डॅन्स करते देख कर शरम और गुस्से की मिली गुली काफियत मेरे तन बदन पर तरी हो गई.

“सच कहते हैं कि मर्द को अपनी औलाद और दूसरे की बीवी बहुत अच्छी लगती है,हाईईईईईईईई देखो तो सही,यासिर कैसे सपना के जिस्म के साथ चिपके हुए हैं” मैने अपने शौहर यासिर को अपनी सहेली सपना के गरम जिस्म से साथ अपने जिस्म रगड़ते देखा. तो मुझे अपने शौहर और सपना पर गुस्सा आने लगा.

हालाकी में खुद सपना के मम्मो और चूत के पानी से अपनी गरम ज़ुबान और चूत की प्यास बुझा चुकी थी. 

मगर इस के बावजूद मुझे अपने शौहर का सपना के साथ यूँ बे तकल्लूफ होना एक आँख नही भा रहा था.

मैने चूँकि खुद ही अपने मुँह से अपने शौहर को सपना के साथ डॅन्स की इजाज़त दी थी.
अब सबर के सिवा अब मेरे पास कोई चढ़ा नही था. इसीलिए में चुप चाप बैठी अपने शौहर को अपनी सहेली के साथ डॅन्स करता देखती और दिल ही दिल में कुढती रही.

थोड़ी देर एक दूसरे के साथ डॅन्स करने के बाद सपना और यासिर जब थक गये. तो वो दोनो दोबारा मेरे पास आ कर चेयर पर गिर पड़े.

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ आज जितना मज़ा तुम्हारे साथ डॅन्स करने में आया है,इतना मज़ा मुझे कभी नही आया यासिर” थकान के मारे मेरे पास पड़ी चेयर पर ढेर होते हुए सपना बोली. और एक महनी खेज मुस्कुराहट के साथ मेरी तरफ देखने लगी.

सपना की इस बात और खास तौर पर उस के देखने के अंदाज़ ने मेरे दिल में पेदा होने वाली जलन की आग पर तैल का काम किया. मगर में बहुत मुश्किल से अपने उपर काबू रख पाई.

“अगर डॅन्स करने का आप का शौक पूरा हो गया है,तो अब घर चलिए जानू” अपने गुस्से पर काबू पाते हुए मैने आहिस्ता से तंज़िया लहजे में यासिर से पूछा.

मेरी बात सुन कर यासिर ने लॉन में खड़े मेहमानो की तरफ नज़र दौड़ाई. तो विनोद के घर का लॉन मेहमानों से तकरीबन खाली मिला.

“लगता है हमारे सिवा,तकरीबन सब लोग जा चुके हैं” घर के खाली लॉन को देखते ही यासिर बोला. 

तो मुझे अंदाज़ा हुआ कि यासिर वाकई ही सपना के साथ डॅन्स करते वक्त इतना मगन हो चुका था. कि उसे ये अहसास ही नही हुआ. कि रात के 11 बज चुके हैं और उन के सिवा काफ़ी मेहमान रुखसत हो चुके हैं.

“अच्छा तो फिर हम लोग भी चलते हैं सायरा” यासिर ने लॉन का जायज़ा लेने के बाद मुझ से कहा. और चेयर से उठ गया.

“ नही इतने दिनो के बाद तो तुम लोग हमारे घर आए हो,इसीलिए में नही जाने दूँगा तुम्हे अभी यासिर” ज्यों ही यासिर ने जाने की बात अपने मुँह से निकली. तो घर के आख़िरी मेहमान को दरवाज़े से अलविदा करने के बाद अंदर आते विनोद ने ये सुन लिया और वो यासिर से बोला.

“रात काफ़ी हो चुकी है,इसीलिए हमें भी अब चलना चाहिए विनोद भाई” विनोद की बात के जवाब में ये कहते हुए में भी अपनी चेयर से उठ गई.


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03-01-2019, 11:12 AM,
#14
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“आप के कौन से बच्चे घर में अकेले हैं, जो आप को इतनी जल्दी जाने की पड़ गई है,चलिए अंदर चल कर बात करते है और साथ में गप शॅप करते हैं” मेरी बात के जवाब में विनोद फिर बोला. और हमारे कहने के बावजूद उस ने हमें अपने घर से जाने की इजाज़त ना दी.

“जब विनोद इतना इसरार कर रहा है,तो चलो थोड़ी देर और रुक जाते हैं” यासिर ने जब देखा कि विनोद नही मान रहा. तो उस मेरी तरफ देखते हुए कहा. और फिर विनोद के साथ घर के अंदर चल पड़ा.

सपना और विनोद कर घर एक मिनट भी मज़ीद रुकने के लिए मेरा दिल तो नही मान रहा था. 

मगर एक फर्मा बर्दार बीवी की तरह ना चाहते हुए भी मुझे अपने शौहर की बात माननी पड़ी. और सपना के साथ साथ में भी विनोद और यासिर के पीछे चलती हुई उन के टीवी लाउन्ज में पहुँच गई.

आज शाम को अपना घर दिखाते वक्त शायद जल्दी में सपना मुझे अपने इस कमरे का विज़िट करवाना भूल गई थी.

इसीलिए ज्यों ही टीवी लाउन्ज में आ कर में एक दम उस का जायज़ा लेने लगी.

विनोद का टीवी रूम अगर चे काफ़ी बड़ा था. मगर इस के बावजूद उस में दरमियाने साइज़ के सिर्फ़ दो ही छोटे छोटे सोफे आमने सामने पड़े हुए थे.

में टीवी लाउन्ज में एंटर होते हुए अभी उसे देखने में ही मसरूफ़ थी. कि इतने में सपना ने एक दम से यासिर का हाथ पकड़ा और मेरे शौहर को मेरी नज़रों के सामने अपने साथ सोफे पर बिठा लिया.

मुझे अपनी सहेली की इस हरकत पर बहुत हैरत हुई. मगर में इस बार भी खामोश रही.

अभी में सपना की तरफ से होने वाली हरकत से संभलने नही पाई थी. कि इतने में विनोद ने एक दम मेरा हाथ पकड़ा और मुझे तकरीबन जबर्जस्ती अपने साथ दूसरे सोफे पर बैठते हुए बोला “आप इधर मेरे साथ बैठ जाएँ सायरा भाभी”.

विनोद की ये हरकत इतनी अचानक थी. कि मुझे संभलने का मोका ही ना मिला और में एक दम उस के साथ एक ही सोफे में धँसती चली गई.

इस से पहले कि में विनोद से कुछ कहती. मैने हैरतजदा चेहरे के साथ सामने बैठे अपने शौहर यासिर की तरफ देखा.

मुझे यकीन था कि मेरे गैरत मंद शौहर को अपनी शरीफ बीवी का यूँ किसी गैर मर्द के साथ इतने नज़दीक हो कर एक ही सोफे पर बैठना एक आँख नही भाएगा. और वो मुझे साथ ले कर जल्दी से हमारे घर की तरफ चल पड़े गा.

मगर मेरी तव्क्को के भदकस जैसे ही मैने यासिर की तरफ देख कर आँखों ही आँखों में उस की मदद चाही. 

तो अपनी गैरत के हाथों मजबूर हो कर मेरी मदद के लिए आने की बजाय. मेरे शौहर यासिर ने आँखों ही आँखों में मुझे विनोद के पास ही बैठा रहने की इल्तिजा की. 

“उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरे शौहर को हो क्या गया है आज” यासिर की आँखों में छुपी इस इल्तिजा को पढ़ते ही मेरे दिल में ख्याल आया. और में ना चाहते हुए भी विनोद के साथ एक ही सोफे पर बैठी रही.

ज्यों ही हम सब एक दूसरे के आमने सामने सोफे पर बैठ गये. तो विनोद ने अपने हाथ को बढ़ा के पास की दीवार पर लगे बटन से कमरे की लाइट्स को भी ऑफ कर दिया.

कमरे की रोशनी ऑफ होते ही एक लम्हे के लिए कमरे में एक दम से अंधेरा सा छा गया हो.

मगर इस के साथ ही विनोद ने अपने पास पड़ा रिमोट उठ कर कमरे की दीवार पर लगा हुआ बड़ी स्क्रीन वाला टीवी ऑन किया. 

जिस के ऑन होते ही कमरे में थोड़ी रोशनी सी हुई. और टीवी की स्क्रीन पर इंडियन मूवीस का सॉंग्स चालू शुरू हो गये.

टीवी के ऑन होते ही मेरी नज़र सामने बैठे अपने शौहर यासिर और सहेली सपना पर रही. तो देखा कि वो दोनो हंस हंस कर बहुत ही धीमी आवाज़ में आपस में कुछ बातें कर रहे थे.

एक तो टीवी पर चलने वाले सॉंग्स की आवाज़ कुछ ज़्यादा थी. दूसरा यासिर और सपना भी बहुत धीमी आवाज़ में बोल रहे थे.

इसीलिए कमरे के दूसरे कोने में बैठे होने की वजह से मुझे उन की आवाज़ सुनाई नही दे पा रही थी.

“ सायरा भाभी आप को अपना दिया हुआ ये ड्रेस पहना देख कर मुझे बहुत ही खुशी हुई है, और सच पूछे तो ये सूट आप पर सज़ा भी बहुत है” में सोफे पर बैठी अभी यासिर की तरफ देखने में मसरूफ़ थी. कि इतने में मेरे साथ बैठा हुआ विनोद मेरे और नज़दीक हुआ. तो उस की मज़बूत और सख़्त टाँगे पहली बार मेरी गुदाज टाँगों के साथ टकरा गईं.

विनोद का जिस्म मेरे जिस्म से जैसे ही पहली बार टकराया. तो शरम कर मारे मेरे जिस्म से पसीना छूट गया. और में छोटे से सोफे पर और सिमट कर रह गई.

अभी में विनोद के जिस्म के साथ हो अपने जिस्म टच हो जाने के सदमे से बाहर नही निकली थी. कि इतने में कमरे के दूसरी तरफ से सपना के कहक़हे (लाफटर) की आवाज़ कमरे में गूँज गई.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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03-01-2019, 11:12 AM,
#15
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मेरी और विनोद की नज़र एक दम से दूसरे सोफे पर बैठे अपने शौहर और सपना की तरफ गई. 

तो कमरे में बहुत हल्की रोशनी होने के बावजूद दूसरे सोफे पर होने वाली हरकत और सपना और यासिर के हुलिए को देख कर मुझे काफ़ी हद तक अंदाज़ा हो गया. 

कि इस वक्त सपना ना सिर्फ़ मेरे शौहर यासिर की गोद में बैठी हुई है. बल्कि सपना और यासिर दोनो के होंठ एक दूसरे के मुँह से जड़े हुए थे. 

जब कि सोफे पर बैठे यासिर के हाथ सपना की कमर और गान्ड की पहाड़ियों पर तेज़ी के साथ फिसल रहे थे. 

इधर ज्यों ही मेरी और विनोद की नज़र सपना और यासिर की तरफ गई. तो उधर दूसरी तरफ ऐन उसी वक्त टीवी पर इंडियन मूवी जिस्म का एक गरम सॉंग जादू है नशा है शुरू हो गया.

जिस में बिपासा बसु और जॉन अब्राहम एक दूसरे के साथ अपनी मौज मस्ती में मसरूफ़ थे.

सपना का यासिर की गोद में बैठ कर आपस में किसिंग करना और टीवी पर गरम सॉंग का स्टार्ट होने वाली ये दोनो चीज़ें एक साथ इतनी अचानक हुईं. कि मुझे समझ ही नही रही थी कि में इस सारे सूरते हाल में कैसे और क्या रिक्ट करूँ.

इसीलिए में अपनी साँस रोके कभी टीवी पर बिपाशा और जॉन अब्राहम और कभी अपने सामने अपने शौहर यासिर और सपना की होने वाली गरम हरकत को देखने में मसरूफ़ रही.

वैसे तो अपने शौहर यासिर को अपनी सहेली सपना के साथ कुछ देर पहले डॅन्स करते देख कर मेरे तन बदन में जलन की एक आग भड़क उठी थी.

मगर अब इस अंधेरे कमरे में अपने शौहर को एक दूसरी औरत के साथ अपनी आँखों के सामने यूं खुलम खुल्ला मस्ती करते देख कर ना जाने क्यों गुस्सा आने की बजाय मेरे जिस्म और चूत ने एक दम से गरम होना शुरू कर दिया था.

इस की वजह शायद ये रही हो गी. कि अपने पीरियड्स स्टार्ट होने के बाद मुझे यासिर से चुदे हुए तकरीबन एक वीक हो चुका था. 

और आज शाम को नहाने के दौरान अपनी फुद्दि को सॉफ करते वक्त मैने ये ही सोचा था. कि यासिर के घर आते ही में अपने शौहर का लंड अपनी फुद्दि में डलवा कर अपनी चूत की गर्मी निकाल लूँगी.

मगर विनोद और सपना की दावत में शिरकत करने की वजह से मेरी ये ख्वाइश अधूरी रह गई. जिस की वजह से मेरी गरम चूत की अभी तक तसल्ली नही हो पाई थी.

अब शायद ये मेरी चूत में लगी इसी आग का ही ये असर था. कि टीवी के गरम सॉंग के साथ साथ सपना और यासिर के मुँह की “पुच पुच” को सुन सुन कर मेरी फुद्दि ने भी अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ ये मेरे साथ क्या हो रहा है, कि में एक गैर मर्द की मौजूदगी में अपनी फुद्दि का पानी छोड़ने पर मजबूर हो रही हूँ,इस से पहले कि बात हद से आगे बढ़ जाए, ना सिर्फ़ मुझे यहाँ से उठ जाना चाहिए,बल्कि आगे बढ़ कर यासिर को भी रोक लेना चाहिए” अपनी जिस्म की बिगड़ती हालत को संभालते हुए मैने सोचा. और सोफे से उठने का इरादा करने लगी.

इधर जैसे ही मैने अपने दिल में सोफे से उठने का ख्याल सोचा. तो उधर दूसरी तरफ विनोद ने भी शायद जैसे मेरे दिल को पढ़ लिया था.

क्योंकि मेरे उठने से पहले ही विनोद ने एक दम मेरी तरफ झुकते हुए मेरे कान में फिर सेरगोशी की “ लगता है आप के शौहर पर शराब का नशा कुछ ज़्यादा ही चढ़ गया है सायरा भाभी, इसी लिए हमारी मौजूदगी में ही वो मेरी बीवी के साथ रंग रलियाँ मनाने में मसरूफ़ हो गया है”. 

“आप केसी बात कर रहे हैं,यासिर और शराब, ,मैने तो उन को सारा वक्त कोक पीते ही देखा है, नही वो शराब नही पीते” विनोद की बात सुन कर में एक दम चोन्क्ते हुए जवाब दिया.

तो सोफे पर बैठे बैठे मेरा चेहरा एक दम खुद ब खुद विनोद के चेहरे की तरफ घूमता चला गया. 

विनोद तो पहले ही मेरी तरफ देख कर बात कर रहा था. इसीलिए ज्यों ही मैने अंजाने में अपने चेहरा विनोद की तरह घुमाया. तो विनोद और मेरा चेहरा एक दूसरे के बिल्कुल आमने सामने आ गये.

इस छोटे से सोफे पर इतने नज़दीक बैठे होने की वजह से हम दोनो के मुँह अब इतने नज़दीक हो गये थे, कि हम दोनो ना सिर्फ़ एक दूसरे की सांसो की आवाज़ सुन सकते थे.

बल्कि विनोद को मेरी और मुझे विनोद की गरम साँसे अपने मुँह और होंठों से टकराती हुई महसूस होने लगी थी.

“कोक तो सिर्फ़ दिखावा थी,असल में तो यासिर कोक में विस्की डाल कर पी रहा था मेरी जान” विनोद ने ये बात कहते और मुझे “भाभी” एक दम “जान” मुखातिब करते हुए मुझ पर हैरत का एक प्रहार किया. 

और फिर दूसरे ही लम्हे एक दम मेरे गरम वजूद को अपनी बाहों में भरते हुए अपने मुँह को हल्का से आगे बढ़ा कर मेरे गुदाज होंठों पर अपने होंठ चिस्पान कर दिए.

“उफफफफफफफफफफ्फ़ छोड़िए मुझे ये क्या कर रहे है आप” ज्यों ही विनोद के मोटे होंठों ने मेरे गरम गुलाबी होंठों को पहली बार छुआ. तो में शरम के मारे पसीना पसीना हो गई.

और एक दम किसी मछली की तरह तड़पती हुई अपने आप को विनोद की बाहों से छुड़ाने की कोशिश करने लगी.

अभी में अपने गुदाज जिस्म को विनोद की बाहों में से छुड़ाने का नाकाम कोशिश करने में मसरूफ़ थी. कि कमरे के दूसरे कोने से सपना की गरम सिसकियाँ उस के मुँह से निकल कर कमरे में गूँज उठी. 

अपनी बीवी की सिसकियाँ ज्यों ही विनोद के कानों में पड़ी . तो उस ने एक दम से अपने होंठों को मेरे होंठों से अलग करते हुए कमरे की हल्की रोशनी में मेरे खाविंद यासिर की गोद में उपर नीचे होती अपनी बीवी सपना की तरफ देखा और बोला “ लो जी उधर तो चुदाई स्टार्ट भी हो गई हाईईईईईईईई”.

विनोद के मुँह से एक दम खुलम खुल्ला चुदाई का ये लफ़्ज सुन कर मुझे शरम तो बहुत आई. 

मगर फिर भी बदस्तूर विनोद की बाहों में कसे हुए मैने एक दम अपने शौहर यासिर की तरफ देखा. 

तो हल्की रोशनी के बावजूद सपना और यासिर के जिस्मो की हरकत और उन की आवाज़ों से ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था. 

कि वो दोनो इस वक्त इंडिया और पाकिस्तान की पॉलिटिक्स नही डिसकसस कर रहे, बल्कि सच मूच चुदाई में मसरूफ़ हैं.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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03-01-2019, 11:12 AM,
#16
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मेरा शौहर शराब और सपना के शबाब के नशे में इतना मदहोश हो चुका था. कि उस ने जल्दी में सपना को पूरा नंगा करना भी मुनासिब ना समझा. 



बल्कि ऐसे लगता था कि जैसे यासिर ने अपनी गोद में बैठी सपना के छोटे से स्कर्ट को हलका सा उपर सरका कर नीचे से मेरी सहेली की गरम चूत में अपना लंड डाल दिया था.

अपने शौहर को मुझ से बे परवाह हो कर अपनी आँखों के सामने एक दूसरी औरत के साथ हम बिस्तरी करते देख कर मुझे एक लम्हे के लिए बहुत दुख हुआ.

अभी विनोद की बाहों में जकड़ी में गुम सूम हालत में अपने शौहर और सपना की तरफ देख रही थी. कि इतने में विनोद बोला “मुझे यासिर की समझ नही आई,कि सिर्फ़ एक स्टुपिड प्रमोशन की खातिर, वो अपनी चाँद सी बीवी को मुझ से शेयर करने पर राज़ी हो गया है, सच पूछो तो अगर तुम मेरी बीवी होती, तो में तुम्हें कभी किसी के साथ शेयर नही करता”.

में तो अभी तक इन चन्द लम्हों के दौरान में होने वाले इस सारे वाकिये को नही समझ पा रही थी. कि विनोद की ये बात सुन कर मैने एक बार फिर अपना चेहरा विनोद की तरफ मोड़ कर उस का मुँह देखने लगी. और बोली “क्या मतल्ब है आप का विनोद भाई”.

“मतलब ये मेरी जान, कि आज यासिर को मैने इधर इसी शर्त पर बुलाया था, कि वो अपनी प्रमोशन की फाइल पर मेरे साइन करवाने के बदले, तुम्हें मेरे दिए हुए इस ड्रेस में सज़ा कर मेरे पास लाएगा, और फिर अपने सामने मुझे तुम से फ्री होने का मोका फ़ेरहाम करे गा,क्योंकि तुम से पहली मुलाकात और फिर खास तौर पर सपना के मुँह से तुम्हारी गरम चूत की तारीफ सुनने के बाद से, मेरी ज़ुबान और मेरा लंड दोनो तुम्हारी गरम चूत के आशिक़ बन चुके हैं ,और अब तुम मुझे भाई की बजाय सिर्फ़ जान की कर बुलाओ सायराआ” 

विनोद के मुँह से ये सारी बात सुन कर मेरे तो हाथों के तोते ही उड़ गये. और इस के साथ ही मुझे अपने घर में की गई यासिर की सारी बात याद आ गई. 

कि जब यासिर ने मुझे पहले विनोद का दिया हुआ ये ड्रेस पहनने पर मजबूर किया था. और फिर घर से निकलते वक्त मुझे ताकीद की थी. क़ि में उस की प्रमोशन की खातिर विनोद की किसी बात से इनकार ना करूँ.

“उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ शौहर तो अपनी बीवी की इज़्ज़त के मुहाफ़िज़ होते हैं,और ये केसा शौहर है,जो अपने मकसद को पूरा करने के लिए अपनी बीवी को इस्तेमाल कर रहा है” ये बात सोचते ही मुझे अपने शौहर यासिर पर ना सिर्फ़ गुस्सा आ गया. 

बल्कि मेरे दिल में अपने शौहर के लिए मौजूद प्यार और अहतिराम एक दम हवा में उड़ गया.

इस दौरान ही टीवी स्क्रीन पर एमरान हाशमी और मल्लिका शेरावत का एक और गरम गाना “भीगे होंठ तेरे,प्यासा दिल मेरा” चल पड़ा.

सपना की गरम सिसकियों ने कमरे का माहौल तो पहले ही गरमा दिया था. 

अब टीवी की स्क्रीन पर एमरान और मल्लिका के गरम गाने को देखते ही, परेशानी और घबराहट के बावजूद इस गरम गाने का असर मुझे अपने वजूद पर छाता हुआ महसूस हुआ. 

गाने के गरम मंज़र देखते हुए मेरी प्यासी चूत से एक गरम लहर उठी. जो मेरी फुद्दि से निकाल कर एक दम मेरे दिमाग़ तक जा पहुँची. 

इधर जैसे ही मेरी चूत गरम हुई. तो विनोद ने भी “भीगे होंठ तेरे” सॉंग के ये बोल गुनगुनाते हुए अपने होंठ एक बार फिर मेरे होंठों पर रखे और मेरे गरम और सॉफ्ट लिप्स का रस चूसने लगा.

“उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ विनोद भाईईईईईईईईईईई ऐसा मत करिए मेरे साथ प्लीज़” मैने एक बार फिर अपने आप को विनोद से बचाने की नाकाम कोशिश की.


मगर मेरे मना करने और रोकने के बावजूद विनोद ने मेरी एक ना मानी और उस ने अपना काम जारी रखा

विनोद ने मेरे होंठों को चूमने के साथ मेरे बाकी चेहरे को भी दीवाना वार चूमते हुए मेरे होंठों और चेहरे पर चुंबनों की बरसात कर दी थी.

इधरा विनोद मुझे पागलों की तरह चूमे जा रहा था. तो दूसरी तरफ मेरे दिल और दिमाग़ में एक जंग शुरू हो चुकी थी.

मेरा दिमाग़ मुझे समझा रहा था. कि “अगर तुम्हारे शौहर ने तुम से बे वफ़ाई भी की है तो कोई बात नही, तुम तो बा वफ़ा बनो, और एक मशराकी बीवी की तरह अपने शौहर को माफ़ करते हुए अपनी इज़्ज़त बचा कर बाहर निकल जाओ सायरा”.

जब कि मेरा दिल मुझ से कह रहा था. कि “ जब तुम्हारा शौहर तुम्हारी नज़रों के सामने, एक दूसरी औरत को ना सिर्फ़ चोद रहा है, बल्कि उसी औरत के शौहर से तुम्हारे जिस्म का सौदा भी कर चुका है, तो तुम्हें भी सती सावित्री का लबादा उतार कर अपने शौहर की तरह, एक गैर मर्द से अपने जिस्म की प्यास बुझवा लेनी चाहिए सायरा”

मेरे दिल और दिमाग़ की ये जंग कुछ सेकेंड्स जारी रही. और भील आख़िर मैने अपने दिमाग़ की सुनते हुए उस कमरे से भाग निकलने का इरादा कर लिया.

“आप सुनते नहियीईई छोड़ो और मुझे घर जाने दो प्लीज़” अपना इरादा पक्का करते ही में थोड़ा गुस्से के साथ विनोद की तरफ देखा. और अपने जिस्म के साथ चिमटे विनोद को अपने हाथ के ज़ोर से पड़े हटा दिया.

विनोद की बाहों से निकल कर में जैसे ही सोफे से एक दम उठने लगी. 

मगर मेरे सोफे से उठते ही विनोद ने मुझे एक दम दुबारा अपनी बाहों में जकड कर पीछे की तरफ खैंच लिया. तो विनोद के हाथ के झटके से इस बार में सोफे पर पीछे की तरफ गिरती चली गई.

मेरे सोफे पर इस तरीके से गिरने के दौरान मेरा सर और कमर तो अब सोफे पर थे. 

जब के मेरी लंबी टाँगे एक दम नीचे से उपर उठ कर हवा में लहराने लगीं थी.

मेरी टाँगों के इस तरह हवा में एक दम उठ जाने की वजह से अब मेरी फ्रॉक मेरी टाँगों से उठ कर मेरे पेट तक आन पहुँची.

जिस की वजह ना सिर्फ़ मेरी सफेद और गुदाज रानें एक दम से पूरी नंगी हो गईं.



बल्कि मेरी छोटी सी पैंटी में कसी मेरी सॉफ और मुलायम चूत पहली बार मेरे शौहर के अलावा एक गैर मर्द विनोद की प्यासी निगाहों के सामने नीम नंगी हो गई.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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03-01-2019, 11:12 AM,
#17
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“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई तुम्हरीईईईईईई ये सुडोल रानें और इन के दरमियाँ तुम्हारी पैंटी में कसी ये गरम फुद्दि मुझे पागल कर देगी ये सायराआआआ जानंननननणणन्” कमरे की हल्की रोशनी में अपनी प्यासी निगाहों को मेरी टाँगों के दरमियाँ दौड़ाते हुए विनोद ने जब अपने होंठों पर अपनी ज़ुबान घुमाई. 

तो अपने शौहर के अलावा किसी और मर्द के मुँह से अपने जिस्म के पोषीदा खासोसी हिस्सों की तरफ सुन कर शरम के मारे मैने एक दम पेंटी में कवर अपनी चूत पर अपने हाथ रख दिए.

इस से पहले कि में सोफे से उठ कर अपने आप को संभाल पाती. कि दूसरे ही लम्हे मेरे पहलू में बैठा विनोद भी नीचे को झुका. और सोफे पर गिरे हुए मेरे जिस्म के ऐन उपर लेट कर फिर से मेरे गालों पर अपनी गरम ज़ुबान फेरने लगा.

(कहते हैं कि हर औरत के जिस्म में एक हिसा ऐसा होता है. जिसे औरत का "हॉट बटन" कहा जाता है. 

वो हिस्सा औरत की चूत का दाना,मम्मो के निपल्स,नेवेल,गान्ड का सुराख,पैरों की उंगलियाँ या तलवे वग़ैरह, जिस्म की कोई भी जगह हो सकती है.

और किसी औरत को प्यार करते वक्त जब एक मर्द औरत के जिस्म वो ख़ास हिस्सा अपने हाथों या होंठों से तलाश करने में कामयाब हो जाता है. 

तो उस के बाद वो औरत बे इंतेहा गरम हो कर अपना सब कुछ उस मर्द को सोन्प देने पर तूल जाती है. और ये ही सब उस रात मेरे साथ भी हुआ.) 

मेरे जिस्म के उपर लेटते ही विनोद ने इस बार दो हरकतें एक साथ कीं.

एक तो उस ने अपने हाथ को नीचे ला कर मेरी टाँगों के दरमियाँ रखे मेरे हाथ को जबर्जस्ती परे हटा कर, पैंटी में कवर मेरी चूत को अपने हाथ में जैसे ही दबोचा. 


तो विनोद के हाथ के दबाव और गर्मी से में ना चाहते हुए भी सिस्क उठी “हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई”.

इस के साथ विनोद ने मेरे गालों को चूमते चूमते अपने मुँह को नीचे किया.

और ज्यों ही विनोद ने अपनी गरम ज़ुबान से मेरे कान को चूमते हुए मेरे कान के अंदर अपनी गरम और नुकीली ज़ुबान घुमाई. तो सर से पैर तक मेरे सारे वजूद में सरूर की एक तेज लहर दौड़ गई.

फिर मेरे कान को चूमते हुए विनोद के मुँह का रुख़ मेरी नेक की तरफ हुआ. और मेरी सुराही दार लंबी गर्दन पर अपनी गरम ज़ुबान फेरते हुए विनोद ने जैसे ही अपने दाँत मेरी गर्दन पर गाढ़े. तो विनोद की इस हरकत ने मेरे सारे वजूद को एक दम हिला कर रख दिया. 

विनोद के दाँतों की वजह से ना सिर्फ़ मेरे मुँह से दर्द भरी एक “अह्ह्ह्ह” निकली.

बल्कि साथ ही नीचे से मेरी चूत ने भी अपनी पानी एक दम से विनोद के गरम हाथ पर खारिज कर दिया.

(मेरे कान और गर्दन का नरम गोश्त ही मेरे जिस्म का वो ख़ास हिस्सा था. जिसे शादी के तकरीबन दो साल बाद भी मेरा अपना शौहर यासिर तलाश करने में नाकाम रहा था.

मगर औरत के मामले में विनोद शायद यासिर से ज़्यादा माहिर खिलाड़ी था. इसी लिए मेरे शौहर के दोस्त ने मेरी ये कमज़ोरी पकड़ने में ज़रा देर नही लगाई थी.)

विनोद के हाथों,होंठों और गरम ज़ुबान ने मुझे पहले ही इंतिहा गरम कर दिया. कि मेरी चूत का पानी बह बह कर ना सिर्फ़ अब मेरी पैंटी को बल्कि साथ ही साथ मेरी सुडोल रानों को भी गीला करने लगा था.

मगर इस के साथ ही रही सही कसर मेरे कानों और नेक पर फिरती विनोद की गरम ज़ुबान ने निकाल दी.

मेरी गर्दन को चूमते हुए विनोद के दाँत ज्यों ही मेरी नेक के गोश्त में पेवस्त हुए.

तो में अपने उपर काबू ना रख पाई.और मुज़मत करता मेरा वजूद एक दम से ढीला पड़ता चला गया.

“उफफफफफफफफ्फ़ ये मेरे जिस्म को क्या हो रहा है,लगता है विनोद की इन सारी हरकतों के असर में खो कर मेरा जिस्म विनोद के आगे हार मानने लगी हूँ, नहियीईईईईईई चाहिए कुछ भी हो मुझे अपनी इज़्ज़त बचानी है” अपने जिस्म को विनोद की गरम हरकतों के आगे हथियार डालता देख कर मेरे दिमाग़ में ख्याल आया. 

लेकिन विनोद के हाथों और होंठों में कुछ ऐसा जादू था. कि में चाहते हुए भी अब की बार अपनी जगह से एक इंच भी ना हिल सकी.

इस दौरान विनोद ने एक बार फिर मेरी गर्दन के गोश्त को अपने मुँह में भर कर दाँत से काटा. 

तो मज़े के हाथों बे हाल होते हुए मैने सोफे से अपनी भारी गान्ड उपर उठाई. तो मेरी मोटी फुद्दि विनोद के हाथ में मज़ीद कस्ति चली गई.

जिस की वजह से विनोद के सख़्त हाथ की एक मोटी उंगली पहली बार मेरी चूत के उभरे हुए दाने से टकरा गई.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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03-01-2019, 11:12 AM,
#18
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इधर ज्यों ही विनोद के हाथ का दबाव पैंटी में कसी मेरी नरम चूत और उस के अंदर छुपे हुए चूत के दाने पर पड़ा. 

तो दूसरी तरफ टीवी पर एक नया सॉंग गूंजने लगा.


"बे खुदी में सनम
उठ गए जो कदम 
आ गए आ गए आ गए पास हम"


इस गाने को सुनते ही मैने भी अपने जवान जिस्म की हवस के हाथों मजबूर हो कर बे खुदी के आलम में मेरे बाज़ू खुद ब खुद अपने जिस्म के उपर झुके विनोद की गर्दन की जानिब गये.



विनोद तो शायद इसी पल का इंतेज़ार कर रहा था. क्योंकि मेरे मुँह खोलते ही विनोद ने अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह में डाल कर मेरी गरम ज़ुबान को अपनी लंबी ज़ुबान से काबू किया. और मेरे होंठों और ज़ुबान को अपने होंठों और ज़ुबान से चूसने लगा. 

मेरे होंठों और ज़ुबान का रस पीते पीते विनोद ने अपने एक हाथ को मेरे मोटे और बड़े मम्मे पर रखा कर ज्यों ही ज़ोर से मसला.तो विनोद की इस हरकत ने तो जैसे मेरी जान ही निकाल दी.

“ककककककककककककक आहिस्ताआआआआआआआआ प्लेआस्ीईईईई” विनोद के हाथ की सख्ती से ज्यों ही मेरा नरम मुलायम मम्मा दबा. तो विनोद के हाथ की सख्ती को महसूस करते हुए मैने हल्की आवाज़ में कहा.

“उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्याआआअ गुदाज और बड़े मम्मे हैं तुम्हारे,ऐसे लगता है कि जैसे मैने मम्मा नही, बल्कि जेल्ली से भरा हुआ कोई गुब्बारा पकड़ लिया है, इसी लिए मेरे हाथ तुम्हारे मम्मे पर से फिसले जा रहे है हैं सायराआआआआआआ” कहते हुए विनोद ने अपने पूरा हाथ खोल कर मेरी छाती पर रखा. 



तो देखते ही देखते मेरा पूरा लेफ्ट मम्मा विनोद के हाथ में समा गया. 

मेरी भारी छाती को हाथ से आहिस्ता आहिस्ता मसल्ते हुए विनोद अपना मुँह मेरे होंठों से हटा कर मेरी छाती पर ले आया. और मेरी फ्रॉक के गले में से झुकते हुए मेरे मोटे मम्मो के दरमियाँ अपना मुँह रख कर मेरे क्लीवेज़ को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा.

ज्यूँ ज्यूँ मेरी जवान और गुदाज छातियों पर विनोद की गरम ज़ुबान फिरती गई. 

त्यु त्यु मेरे मेरी फुद्दि में गर्मी और मेरी छातियों में सख्ती सी आती गई.

अपनी गरम ज़ुबान को कमीज़ के उपर से ही मेरे भारी मम्मो पर पड़ने के साथ साथ विनोद ने मेरी फ्रॉक के सामने के बटन्स को अपने हाथ से खोलना शुरू कर दिया.

“उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ यासिर के बाद आज उस का दोस्त मुझे अपने हाथ से नंगा करने लगा हाईईईईईईईईईईई” विनोद के हाथ को अपनी छाती के उपर लगे बटन खोलते पा कर मेरा जहन में ख्याल आया. और में इस ख्याल से और भी पिघलती चली गई.

मगर फिर भी शरम के मारे मैने विनोद के हाथ पर अपना हाथ रखा. और आहिस्ता से बोली “प्लेआस्ीईई ऐसाआआआ ना करिए विनोद्द्द्द्द्द्द” 

“कएसााआआआ ना करू मेरी ज़ाआाआआअँ” मेरी बात का मतलब अच्छी तरह समझने के बावजूद विनोद शायद मुझे तंग करने के मूड में था. इसीलिए उस ने जान बूझ कर मुझे ऐसा कहा.

“हाईईईईईईईई मुझे बे लिबास ना करो विनोद” विनोद की बात को सुनते ही मैने जवाब दिया.

“मेरी जान जो मज़ा दो जवान जिस्मो का आपस में नंगा हो कर मिलने में है,वो कपड़े पहन कर नही,और वैसे भी में तो कब से तुम्हारे इस हसीन जिस्म के दीदार को तरस रहा हूँ,और अब जब मोका मिला है तो इस का पूरा फ़ायदा ना उठाओ ,तो ये तुम्हारे इस दिल कश हुष्ण की भी तोहीन होगी सायराआआअ”

विनोद ने बहुत प्यार और जोश से मेरे मम्मो के बटन खोलते हुए ये अल्फ़ाज़ अपनी ज़ुबान से अदा किए. 

तो उस के लफ़्ज़ों में खोती हुई में ना चाहते हुए भी उस का साथ देने लगी.

मेरी लंबी फ्रॉक तो मेरे एक दम सोफे पर गिरने की वजह से पहले ही मेरी पावं से सरक कर मेरी चूत तक आन पहुँची थी.

जिस की वजह से मेरे जिस्म का निचला हिस्सा तो पहले ही विनोद की प्यासी आँखों के सामने नीम नंगी हो चुका था.
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03-01-2019, 11:13 AM,
#19
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अब मेरी फ्रॉक के बटन खोल कर विनोद ने मेरी फ्रॉक को नीचे से पकड़ कर उपर किया. तो दूसरे ही लम्हे ब्रेज़ियर में कसे मेरे भारी जवान मम्मो के साथ साथ पैंटी में छुपी हुई मेरी प्यासी चूत और मेरा गरम और जवान भरा हुआ जिस्म विनोद की गरम नज़रों के सामने आ गया.


“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ मुझ से अब मज़ीद सहा नही जा रहाआआआअ मेरी ज़ाआाआआअँ”मेरे नीम नंगे जिस्म को देख कर विनोद की हवस की आग और भड़क उठी. और उस के सबर का पैमाना लबरेज हुआ तो एक दम सिसकता हुआ बोला.

इस के साथ ही विनोद ने मेरी छोटी सी पैंटी को अपने हाथों में पकड़ा. और मेरी पैंटी को एक दम से उतार कर मेरी जवान फुद्दि को अपनी प्यासी और भूकि निगाहों के सामने पूरे तौर पर नंगा कर दिया.

मेरी छोटी सी पैंटी के मेरे जिस्म से उतरते ही मेरी वो गरम और प्यासी चूत जिसे आज मैने बड़े अरमानो के साथ खास तौर पर अपने शौहर यासिर के लिए अच्छी तरफ से सॉफ कर के तैयार किया था. 



बिना बालों के सॉफ,मुलायम और फूली हुई मेरी वो ही चूत मेरे शौहर यासिर की बजाय अब उस के हिंदू दोस्त विनोद के सामने अपनी पूरी आब-ओ-ताब के साथ बिल्कुल नंगी हो गई थी.

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इतनीईीई खूबसूरत फुद्दिईईईईईई मैने अपनी पूरी ज़िंदगी में नहियीईईईई देखी” मेरी शेव्ड चूत को यूँ अपनी नज़रों के सामने एक दम नंगा पा कर विनोद तो जैसे बोखला सा गया. और वो अपनी पॅंट में तने हुए अपने लंड को पॅंट के उपर से ही अपने हाथ में मसल्ते हुए मुझ से कहने लगा.

ये बात कहते ही विनोद ने मेरी पैंटी को मेरी चूत से उतार कर नीचे फैंकने की बजाए मेरी पैंटी को अपने मुँह और नाक के नज़दीक किया. 



और मेरी बारीक सी पैंटी को अपनी नाक से सूंघते हुआ बोला “उफफफफफफ्फ़ तुम्हारी इस पैंटी में से आती, तुम्हरीईई चूत की खुश्बू ने मुझे इतना पागल कर दिया है,तो तुम्हारी फुद्दि के साथ अपना मुँह लगाने के बाद मेरा क्या हाल हो गया सायराआआआअ” 

मेरी शादी के बाद अपना शौहर यासिर ही एक वो वाहिद मर्द था. जिस ने मेरे बदन का हर पोशेदा हिस्सा पूरा नंगा देखा था.

और शादी के बाद वैसे तो यासिर भी अकसर मेरे हुश्न की तारीफ करते रहते थे. 

लेकिन मेरे जिस्म के हर हिस्से को पूरा नंगा देखने के बावजूद यासिर ने मेरे जिस्म के किसी भी नंगे हिस्से की इस तरह के अल्फ़ाज़ में कभी तारीफ नही की थी. जिस तरह के नंगे अल्फ़ाज़ में विनोद इस वक्त कर रहा था. 

आम हालत में अगर कोई गैर मर्द मेरे जिस्म की तरफ ग़लत नज़र भी डालता. तो मुझे एक दम बुरा लग जाता था. 

मगर आज अपने शौहर के हिंदू दोस्त से अपने जवान भरे हुए जिस्म और खास तौर पर अपनी प्यारी और गरम चूत की यूँ खुलम खुल्ला तारीफ सुन कर मुझे शरम आने की बजाय मेरी जिन्सी भूक पहले से ज़्यादा तेज हो गई.

और में तो अपनी जिन्सी हवस के हाथों मजबूर हो कर इन विनोद की इन सब बातों का मज़ा लेते हुए अपनी चूत का पानी खारिज किए जा रही थी.

मेरी फूली हुई प्यासी चूत की तारीफ करते ही विनोद ने मेरी पैंटी को एक तरफ रखा. और फिर मेरी खुली टाँगों के दरमियाँ बैठे हुए विनोद ने दूसरे ही लम्हे मेरी गुदाज रानों को अपने हाथ से पकड़ कर मेरी टाँगों को मज़ीद चौड़ा कर दिया. 



विनोद के इस तरह मेरी टाँगों को अपने हाथों से चौड़ा करने के दौरान मेरी रानों के साथ साथ मेरी गरम फुद्दि के फूले हुए लिप्स भी एक दम से विनोद की प्यासी आँखों के सामने ऐसे खुल गये कि मेरी टाँगों के दरमियाँ झुके हुए विनोद को अब मेरी फुद्दि के अंदर का पिंक हिस्सा भी वाजिया तौर पर नज़र आने लगा था.

“हाईईईईईईईईईईई तुम्हारी फुद्दि का अन्द्रुनि हिस्सा कितना गुलाबी है, और इस गुलाबी चूत से उठने वाली ये भीनी भीनी सी महक कितनी मज़े दार है मेरी जान”

मेरी चूत के होंठों को अपने दोनो हाथों से खोलते हुए विनोद अपने मुँह को मेरी खुली पिंक चूत के होंठों के इंतिहाई नज़दीक लाया. और मेरी चूत में से खारिज होती हुई मेरी फुद्दि की खुसबू को अपनी नाक के ज़रिए सूंघते हुए बोला.

विनोद का मुँह अब मेरी शेव्ड चूत के इतने नज़दीक था. कि उस के मुँह से निकलने वाली गरम सांसो की गर्मी मुझे अपनी चूत के खुले लबों से गुज़र कर अपने दिमाग़ तक पहुँचती हुई महसूस होने लगी थी. 

“हाईईईईई विनोद के मुँह में इतनी तपिश है,तो इस के लंड में कितनी गर्मी हो गी”अपने शौहर के दोस्त के मुँह की गर्मी को महसूस करते हुए पहली बार मेरे ज़हन में अपने शौहर के लंड के अलावा किसी गैर मर्द ले लंड का ख्याल आया.

तो मुझे अपनी इस सोच पर खुद भी हैरत हुई. मगर इस के साथ ही मेरी फुद्दि पहले से ज़्यादा गरम होने लगी थी.

इधर में अभी विनोद के मुँह से निकलती हुई गरम सांसो को ही अपनी चूत के लबों से टकराते हुए महसूस कर के मज़े लेने में मसगूल थी. 

कि दूसरी तरफ मेरी चूत की खुश्बू को सूंघते हुए विनोद ने एक दम अपना मुँह मेरी चूत के मज़ीद नज़दीक किया. 



और फिर देखते ही देखते अपने सख़्त होंठ मेरी जवान,नर्म-ओ-मुलायम चूत के फूले हुए होंठों पर रखते हुए मेरी फुद्दि के होंठों को अपनी मुँह में ले कर बाहर की तरफ खैंचा .

“ओह हाईईईईईईईईईईईई उफफफफफफफफफफफफ्फ़” विनोद का यूँ मेरी चूत के लिप्स को अपने मुँह में भर कर ज़ोर से खैंचने की वजह से दर्द के मारे मेरे जिस्म को ना सिर्फ़ एक दम झटका सा लगा. 

बल्कि इस के साथ ही सरूर की एक लहर सर से ले कर पावं तक मेरे सारे जिस्म में दौड़ गई. और अपनी चूत का पानी छोड़ते हुए मेरे मुँह से सिसकियों का एक तूफान जारी हो गया.“अहह,ओह उफफफफफफ्फ़” [url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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03-01-2019, 11:13 AM,
#20
RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
अभी में अपनी चूत पर किए गये विनोद के पहले हमले से ही सम्भल नही पाई थी. कि विनोद ने मेरी चूत के होंठों को अपनी नुकीली ज़ुबान से खोलते हुए अपने गरम मुँह को मेरी प्यासी चूत के साथ चिपका दिया. 

विनोद का गरम मुँह अपनी फुद्दि पर पड़ते ही मेरे पूरे वजूद में एक हल चल सी मच गई.



मज़े से पागल होते हुए मेने सोफे से अपना सर एक दम उपर उठाया. और ब्रेज़ियर में कसे अपने जवान और गुदाज मम्मो को बेताबी से अपने हाथों से मसल्ते हुए मैने अपनी चूत को विनोद के खुले मुँह पर गरम जोशी से रगड़ कर एक ज़ोर दार सिसकारी भरी आवाज़ अपने मुँह से एक बार फिर निकाली “उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कककककककककककक ओह”

यूँ तो विनोद की गरम ज़ुबान के असर की वजह से मेरे मुँह से सिसकारियो की हल्की हल्की आवाज़ निकलने तो लगी थी. 

मगर अपने मुँह से ये आवाज़ें निकालने के बावजूद में अपने जज़्बात को थोड़ा संभाल भी रही थी. ताकि मेरी सिसकयों की गूँज मेरे शौहर के कानों में ना पड़ सके.

“हाईईईईईईईईईई सपना ने सही कहा था, तुम्हारी चूत का पानी वाकई ही इतना मज़े दार है, कि एक बार चखने के बाद, दिल करता है कि सारी ज़िंदगी तुम्हारी फुद्दि का रस पीता ही रहूं मेरी जान” मेरे मुँह से फूटने वाली सिसकयों को सुन कर विनोद का जोश मज़ीद बढ़ा . और वो गरम जोशी और वलिहाना अंदाज़ में मेरी चूत से बहते हुए पानी को अपनी ज़ुबान से चाटते हुए मुझ से कहने लगा.

चूत चाटने के इस नये मज़े से सपना मुझे पहले ही रोश्नास तो करवा ही चुकी थी.

मगर एक औरत होने के नाते सपना के मुँह में वो तासीर नही थी. जो एक मर्द के मुँह और होंठों के लामास में होती है.

इसीलिए ये ही वजह थी कि विनोद के होंठों,मुँह और ज़ुबान ने चन्द ही लम्हों में मुझे जिन्सी लज़्जत की उस मंज़िल पर पहुँचा दिया था. जिन तक पहुँचने का अपनी दो साला शादी शुदा जिंदगी में मैने इस से पहले कभी तसव्वुर भी नही किया था.

“ओह मेरा शौहर होने के नाते ये यासिर की ड्यूटी थी,कि वो मेरी फुद्दि को चाट कर मुझे चुदाई का ये मज़ा खुद देता, जिस मज़े को में अब अपने शौहर के हिंदू दोस्त से हासिल कर रही हूँ” ये बात सोचते हुए में विनोद की गरम मुँह और नुकीली ज़ुबान के हाथों इतनी गरम हो गई कि में अपने होश-ओ-हवास ही खो बैठी.

बे खुदी के आलम में ही मैने अपने हाथों से अपने ब्रेजियर को खैंचा कर नीचे किया. और अपने हाथों से अपने भारी जवान और गुदाज मम्मो को अपने शौहर के दोस्त की गरम और प्यासी निगाहों के सामने बेपर्दा कर दिया.

ये मेरे वो ही सुडोल और भारी मम्मे थे. जिन का दीदार करने के लिए मँगनी के दिन से ले कर सोहाग रात तक यासिर की आँखे तरस गई थी. 

और अपनी सोहाग रात को भी मैने काफ़ी मिन्नतों (रिक्वेस्ट्स) के बाद ही अपने शौहर यासिर को अपने इन जवान मम्मो का दीदार बख्शा था.

मगर आज विनोद की गरम ज़ुबान ने मेरी प्यासी फुद्दि और जवान जिस्म की आग को इतना भड़का दिया था. कि अपने जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर हो कर में विनोद को खुद ही अपने खूबसूरत और दूध जैसे सफेद मम्मो का दीदार करवाने पर तूल गई.

अपने जवान मम्मो को अपने ब्रेज़ियर से निकालने के बाद मैने अपनी भारी भारी छातियों को अपने हाथों में थामा और अपनी गुदाज छातियों को अपने हाथों से मसल्ने के साथ साथ अपने मुँह से सिसकियाँ लेते हुए अपनी चूत को विनोद के खुले मुँह पर तेज़ी से फेरने लगी.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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