Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दुबई में
03-01-2019, 11:13 AM,
#21
RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
अब कमरे में ये हालत थी. कि में सोफे पर लेटी आज पहली बार विनोद के होंठों को अपनी फुद्दि पर महसूस कर के पूरी पागल हो गई थी. और इस मज़े के आलम में अपनी गान्ड उठा उठा कर अपनी फुद्दि को ऊपर नीचे कर के विनोद के मुँह पर रगड़ने लगी थी.

मेरे इस वलिहान पन और खुद सुपुर्दगी के दिलकश अंदाज़ को देख और महसूस कर के विनोद भी पागलों की तरह मेरी चूत को मज़े से चाटते हुए कभी अपनी ज़ुबान को मेरी चूत के सुराख वाली जगह में डालता. और कभी वो मेरी चूत के दाने को ज़ुबान से रगड़ता और अपने दाँतों से मेरी चूत और रानों पर भी काट रहा था.

विनोद की इन हरकतों की वजह से मेरे सारे जिस्म में चीटियाँ सी रेगति हुई महसूस हो रही थी.

और मज़े से बे हाल हो कर में ज़ोर ज़ोर से “आआआआअहैीन” भरते हुए अपने हाथ विनोद के बालों में फेर रही थी.

मेरे मुँह से निकलने वाली सिसकियों की आवाज़ भी अब काफ़ी उँची थी. जिस की वजह से मुझे यकीन था कि मेरे मुँह से निकलने वाली इन सिसकियों की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही हो गी. 

मगर मुझे विनोद के मुँह और ज़ुबान ने इतना मदहोश कर दिया था. कि मुझे अब किसी बात की परवाह ना रही थी.

विनोद की गरम ज़ुबान ने मेरी चूत को अब इतना गीला कर दिया था. कि मेरी चूत का रस मेरी टाँगों से होता हुआ मुझे मेरे हिप्स पर बहता हुआ महसूस हो रहा था.

मेरी चूत में ज़ुबान फेरते फेरते विनोद ने ज्यों ही मेरी गुलाबी चूत के फूले हुए दाने को अपनी ज़ुबान से एक बार फिर छेड़ा. तो मुझे यूँ लगा कि जैसे मेरे जिस्म में एक तूफान सा उमड़ रहा है. 

फिर देखते ही देखते वो तूफान एक दम से ऐसे आया कि मेरा सारा जिस्म एक दम से अकड सा गया. 

मज़े से बे हाल होते हुए मैने अपने कसे हुए जवान और भारी मम्मो को अपने हाथों में ज़ोर से दबोचा. तो मेरे जिस्म को एक ज़ोर दार झटका लगा और इस के साथ ही मेरी चूत किसी आतिश फिशान (झरना) की तरह एक दम से फट पड़ी.

इधर उपर मेरे मुँह से एक दम निकला “हाईईईईईईईईईईईईईईईईई विनोद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द”. 

तो दूसरी तरफ नीचे से मेरी चूत का पानी एक गरम लावा की शकल में तेज़ी के साथ मेरी चूत से निकल कर एक भरपूर धार की बन कर विनोद के खुले मुँह में गा गिरा. 

ये मेरी दो साला शादी शुदा ज़िंदगी में पहला मोका था. जब मैने अपने शौहर यासिर के अलावा किसी गैर मर्द का नाम लेते हुए अपनी चूत का पानी छोड़ा था. और वो मर्द कोई और नही बल्कि मेरे ही शौहर का हिंदू दोस्त विनोद था.

मेरी चूत से निकलने वाले मेरी फुद्दि के गरम और लैस दार पानी की लहर इतनी तेज और मिकदर इतनी ज़्यादा थी. कि मेरी चूत के गरम पानी से विनोद के होंठ और पूरा मुँह मेरी चूत के पानी से भर गया था.

“हाईईईईईईईईईईईई तुम्हारी चूत के इस पानी का ज़ायक़ा चखने को तो में कब से तरस रहा था,आज अपनी चूत का सारा पानी पिला कर मेरी महीनों की प्यास बुझा दो मेरी जान” 

मेरी चूत के मुँह पर अपने मुँह को ज़ोर से दबाते हुए विनोद जोश और मज़े के साथ मेरी फुद्दि से निकलते हुए पानी को अपने हलक में उतारता रहा.

और में अपनी फुद्दि से फूटने वाली गरम चश्मे से निकलने वाले पानी से अपने शौहर के हिंदू दोस्त का मुँह और हलक को पूरी तरह फ़ैज़ याब करती रही.

फिर मेरा झटके ख़ाता जिस्म जब तक ना संभला उस वक्त तक विनोद मेरी टाँगों के दरमियाँ ही मेरी चूत पर अपना मुँह रख कर लेटा रहा. और मेरी फुददी से बहते जूस से अपनी प्यास बुझाता रहा.

कमरे के हल्के अंधेरे में अपनी चूत का पानी विनोद के मुँह में छोड़ने के बाद में तो सोफे पर बेसूध हो कर पड़ गई थी.

जब कि मेरी फुद्दि से निकलने वेल गरम पानी की धार से अपना मुँह भरने के बावजूद विनोद अभी तक मेरी टाँगों के दरमियाँ बैठा अपनी गरम ज़ुबान को मेरी गुदाज रानो के उपर फेर रहा था.

मेरी रानों पर अपनी गरम ज़ुबान फेरने के साथ साथ विनोद अब गोश्त से भर पूर मेरी गुदाज रानों को अपने दाँतों से काट भी रहा था.

ज्यूँ ज्यूँ विनोद मेरी गुदाज रानों के गोश्त को अपने दाँतों से काटता. त्यु त्यु दर्द और मज़े से बे हाल होते हुए मेरे मुँह से आवाज़ निकल जाती, “ओह हाईईईईईई ककककककककककक”.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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03-01-2019, 11:14 AM,
#22
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थोड़ी देर मेरी रानों पर अपने प्यार के निशान बनाने के बाद विनोद आहिस्ता आहिस्ता अपने मुँह को मेरी चूत के उपर वाले हिस्से की तरफ बढ़ने लगा. 

विनोद के प्यासे होंठ और गरम मुँह मेरे पेट पर आया. और बहुत प्यार और जोश के साथ मेरे नरम पेट को चूमते हुए विनोद ने मेरे पेट को भी अपनी ज़ुबान से गीला करना शुरू कर दिया.



फिर चन्द लम्हे मेरे पेट को चूमने और चाटने के बाद विनोद की गरम ज़ुबान ने एक दम से मेरे कसे हुए पेट पर माजूद मेरी धुनि (नेवेल) पर रेंगना शुरू कर दिया.

“हाईईईईईईईईईईईईईई यासिर ने तो पिछले दो साल में मुझे ये मज़े नही दिए, जिन मज़ू से आज विनोद मुझे आशना कर रहा है,उफ्फ्फ्फ विनोद की ज़ुबान ना जाने आज मुझे किस किस मज़े से रोश्नास करवाएगी ” सपना के बाद अब विनोद की गरम ज़ुबान को अपनी धुनि पर फिरते हुए महसूस कर के सिसकते हुए में सोचने लगी.

ये सही था कि विनोद से पहले उस की बीवी सपना भी मेरी धुनि में अपनी ज़ुबान फेर कर मुझे मज़ा दे चुकी थी. 



मगर सपना की ज़ुबान की मुक़ाबले विनोद की नोकेलि ज़ुबान को अपने नेवेल के अंदर चलता हुए महसूस करने का ये तजुर्बा मेरे लिए बिल्कुल अनोखा और दिल कश था.

अगरचे अभी थोड़ी देर पहले ही विनोद के गरम मुँह की बदोलत में अपनी चूत का पानी खारिज कर चुकी थी. मगर इस के बावजूद शायद मेरी चूत में लगी आग अभी तक बुझी नही थी. 

इसीलिए अपनी गहरी धुनि की तह में चलती हुई विनोद की गरम ज़ुबान से लुफ्त अंदोज़ होते हुए मेरे बदन में सुलगती आग के शोले फिर से अपना सर उठाने लगे थे.


इसीलिए इधर मैने अपनी धुनि पर चलती हुई विनोद की नोकेलि ज़ुबान से बे हाल हो कर जोश और मज़े में आते हुए विनोद के सर पर अपने हाथ कसे. तो नीचे से मेरी फुद्दि एक बार फिर अपना पानी छोड़ने लगी.

कुछ देर यूँ ही मेरी धुनि और मेरे कसे हुए पेट पर अपनी ज़ुबान फेरते फेरते विनोद का मुँह आहिस्ता आहिस्ता मज़ीद उपर आया. 

और कुछ ही देर बार विनोद की गरम ज़ुबान मेरे बदन पर फिसलते हुए ब्रेज़ियर से बाहर निकले मेरे जवान और मोटे मम्मो के दरमियाँ आ कर रुक गई.

मेरी जवान चुचियों के इतने करीब आ कर विनोद ने पहली बार मेरे मोटे और भारी मम्मो का बगौर जायज़ा लिया.

“उफफफफफफफफफ्फ़ तुम्हारे इन गोल गोल हसीन मम्मो को नंगा देखने को तो मेरी आँखे ही तरस गई थी, यकीन मानो तुम्हारे ये बड़े बड़े सुडोल मम्मे तो मेरे तसव्वुर से भी ज़्यादा खूबसूरत हैं ,लगता है कि उपर वाले ने तुम्हें बहुत फ़ुर्सत में बनाया है सायरा”मेरे मोटे मोटे मम्मो को यूँ अपनी नज़रों के सामने खुला हुआ देख कर विनोद की आँखों में हवस की एक चमक आई. और वो एक बार फिर मेरे हसीन जिस्म की तारीफ करते हुए बोला.



मेरे मम्मो को देखते देखते विनोद ने एक दम मेरे मोटे मम्मो को अपने दोनो हाथों में कसा और मेरे मम्मो में अपनी नज़रें जमाते हुए कहने लगा. ““हाईईईईईईईईई ये मम्मे हैं या के2 की पहाड़ियाँ मेरी जान, हाईईईईईईईई दिल करता है सारी रात इन गुदाज मम्मो को अपने हाथों में ले कर यूँ ही मसलता रहूं”[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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03-01-2019, 11:14 AM,
#23
RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
में तो पहले ही विनोद के मुँह से अपनी चूत की नंगी तारीफ़ सुन कर गरम हो चुकी थी. 

इसीलिए अब की बार जब विनोद ने फिर मेरे जवान मोटे मम्मो की शान में कसीदा पड़ा. 

तो नसीबू लाल का ये पंजाबी गाना बे इकतियार मेरे जहाँ में आ गया कि,

“केरी केरी शै तेरी अख तू लुकावान में
इंज तकिया ना कर किद्रे मार ना जावा में”

“उफफफफफफफफफ्फ़ विनोद तो मेरे जिस्म के हर हर हिस्से की ऐसे ही तारीफ कर कर के मुझे तो मार ही डालेगा” अपने शौहर के दोस्त विनोद के मुँह से अपने जवान गरम जिस्म की खूबसूरती का सुन कर में फूले ना समाई . और इस बार शरमाने की बजाय मैने अपनी छाती को अकडा कर विनोद के सामने अपने मम्मो को मज़ीद आगे कर दिया.

इस वक्त कमरे में हालत ये थी. कि मेरी 36डी डी साइज़ की गोल गोल चुचियाँ जिन्हें आज तक यासिर के अलावा किसी और मर्द ने नही देखा था. 

इने कमरे के हल्के अंधेरे में मेरे शौहर का हिंदू दोस्त ना सिर्फ़ बहुत ही नज़दीक से देख रहा था.

बल्कि वो मेरे इन जवान और खूबसूरत मम्मो को देखने और हाथों से दबने के साथ साथ अपने मुँह से मेरी जवान चुचियों की खूबसूरती का ताज़करा कर के मुझे मज़ीद गरम किए जा रहा था.

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ तुम्हारे मम्मो के उपर तने हुए इन पिंक निपल्स ने तो मेरे होश ही उड़ा दिए हैं सायराआआआआआअ” अपने हाथों में कसे हुए मेरे जवान और मोटे मम्मो को बहुत करीब से देखते हुए विनोद ने सिसकारते हुए कहा. 

इस के साथ ही दूसरे ही लम्हे विनोद के आग की तरह गरम होंठ मेरे लेफ्ट निपल पर आ कर जम गये.

और विनोद ने एक दम मेरे तने हुए ब्राउन निपल को अपने होंठों में भर कर उपर की तरफ खैंच लिया.



मेरी जवान छाती के मोटे निपल को अपने मुँह में भर कर उपर खैंचाई का विनोद का ये अमल इतना मज़े दार था. कि इस मज़े के मारे मेरी आँखे खुद ब खुद बंद हो गईं और स्वाद के मारे में चिल्ला उठी. “ओह”

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ कितने मोटे और लंबे निपल्स है तुम्हारे,दिल चाहता है तुम्हारे इन लंबे निपल्स को मुँह में भर कर सारी रात इन्हे यूँ ही सक करता रहूं”मेरे एक मम्मे के लंबे निपल को अपने मुँह में ले कर चुसते और दूसरे मम्मे को अपने हाथ में ले कर ज़ोर से मसल्ते हुए विनोद ने मुझ से कहा.

अब विनोद मेरे दोनो मम्मो को एक साथ अपने हाथों में दबाते हुए मेरे लेफ्ट मम्मे के निपल को अपनी ज़ुबान और होंठों से चूम और चाटने लगा था.

विनोद मज़े और जोश में कभी मेरे निपल को सक करता और कभी मेरे पूरे मम्मे पर अपनी गर्म ज़बान को मूव कर देता था.

और विनोद की गरम ज़ुबान की तपिश को अपनी भारी छाती और मोटे निपल पर महसूस कर के मज़े और स्वाद के मारे में तडप कर रह जाती थी.

“हाईईईईईईईईई विनोद तो मेरे मोटे और लंबे निपल को अपने मुँह में भर छोटे बच्चे की तरह ऐसे चूस रहा है,कि जैसे अगले ही लम्हे मेरे मम्मो में से दूध निकले गा, जिस को पी कर विनोद की भूक मिट जाएगी” 



विनोद को पागलों की तरह अपनी छाती के लंबे निपल पर अपनी गरम ज़ुबान चलाते हुए देख कर मेरे दिल में ख्याल आया.और इस के साथ ही नीचे से मेरी फुद्दि ने एक बार फिर अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.

मेरी चुचियों को अपनी गरम ज़ुबान से चूमते और चाटते हुए विनोद अपने एक हाथ को मेरी कमर के पीछे लाया. और फिर आहिस्ता से मेरे ब्रेज़ियर की हुक को खोल कर मेरे जिस्म से मेरे ब्रेज़ियर को भी उतार दिया.

“उफफफफफफफफफ्फ़ विनोद तो मेरे जिस्म से एक एक कर के सारे कपड़े यूँ उतार रहा है,जैसे वो मेरे शौहर का दोस्त नही,बल्कि खुद मेरा शौहर हो” अपने शौहर यासिर की बजाय आज उस के दोस्त विनोद के हाथों मुकम्मल तौर पर नंगा होने के अमल के दौरान मेरी चूत अब बेतहासा अपना पानी छोड़ने पर मजबूर हो चुकी थी.

अपने शौहर के अलावा आज पहली बार किसी गैर मर्द के हाथों यूँ पूरा बे लिबास होने के अमल के दौरान मेरी चूत इस वक्त गरम हो कर इतना पानी छोड़ रही थी कि मेरी चूत का ये पानी अब मेरी चूत से निकल कर मेरी टाँगों से बहता हुआ नीचे सोफे के फोम को भी गीला करने लगा था.

मेरे जिस्म पर बचा आख़िरी कपड़ा भी उतार देने के बाद विनोद ने फिर से मेरे मम्मो पर अपना मुँह रखा. 

और मेरे मम्मो और निपल्स को अपनी गरम ज़ुबान से गीला करते हुए मेरी चुचियों पर अपने प्यार के खेल को मज़ीद आगे बढ़ाने लगा था.

मेरे मम्मो के उपर,साइड्स और दरमियाँ वाली जगह पर अपनी गरम ज़ुबान और गीले होंठों को फेरते हुए विनोद अब मेरे मोटे और भारी मम्मो पर अपने प्यार का तूफान बरसा रहा था. 

विनोद कभी मेरे तने हुए निपल्स पर ज़बान फेरता. तो कभी मेरे निपल्स को अपने लिप्स से चूस्ता हुआ अपने दाँतों से आहिस्ता से उन पर धंडी वेदता (बाइट्स) देता था.

विनोद का इस तरह मेरा मम्मो को सक करने से मेरा तो बुरा हाल हो गया था.और में विनोद के भारी वजूद के बोझ तले दबी दबी आवाज़ में सिसकियाँ लिए जा रही थी. “उफफफफफफफफफफफ्फ़ हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई”

थोड़ी देर मज़ीद मेरे मम्मो और निप्पलो से खेलने के बाद विनोद का जब दिल भर गया. तो उस ने मेरे मम्मो पर जमे हुए अपने मुँह को हटाया और एक दम मेरे जिस्म से हाथ कर सोफे के सामने फरश (फ्लोर) पर खड़ा हो गया. 

“हाईईईईईईईईईईईईई ये मेरे पूरे जिस्म को अपने हाथों से नंगा करने और फिर अपने हाथों और मुँह से मेरे अंग अंग में हवस की आग भड़काने के बाद विनोद अब मुझे से अलग क्यों हो रहा है” सोफे पर नंगी हालत में अपनी टाँगे खोले विनोद को अपने सारे पाकीज़ा जिस्म का दीदार करवाते हुए मेरे जेहन में ख्याल आया.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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03-01-2019, 11:14 AM,
#24
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अभी में ये ही अंदाज़ा लगाने में मसरूफ़ थी. कि विनोद इस तरह अचानक क्यों सोफे से उठ गया है. कि मेरी नज़र दुबारा अपने सामने खड़े विनोद पर पड़ी.



तो देखा कि विनोद अपनी पॅंट में तने हुए अपने लौडे को अपने हाथ से मसल्ते हुए मेरी तरफ देख रहा है. और अपनी पॅंट को तंबू बनाने वाले अपाने लौडे से खेलते हुए साथ ही साथ अपनी शर्ट के बटन खोलने में मसरूफ़ हो चुका था.

“उफफफफफफफफफ्फ़ आज यासिर की जगह एक गैर मर्द मेरे सामने अपने कपड़े उतार कर मुझे अपना नंगा जिस्म दिखाने के मूड में है” विनोद को यूँ अपने सामने बे शरमाई से अपने लंड से खेलता देख कर शरम के मारे एक लम्हे के लिए मेरी नज़रें खुद ब खुद नीचे को झुक गईं.

“जब मुझे तुम्हारे जिस्म का एक एक हिस्सा देखने में कोई शरम नही आई,तो तुम मुझे नंगा होते हुए देख कर क्यों शरमाने लगी हो मेरी जान” मेरी झुकी हुई नज़रों को देख कर विनोद मुझ से मुखातिब हुआ. तो ये बात सुन कर बे अख्तीयारी में एक बार फिर में विनोद की तरफ मतवज्जो हुई. 

मेरी नज़रों के सामने विनोद अब अहिस्ता अहिस्ता अपनी शर्ट के सारे बटन एक एक कर के खोले जा रहा था.



कमरे की हल्की लाइट में अपने शौहर के दोस्त विनोद को अपने सामने एक एक कर के अपनी शर्ट के बटन खोल कर यूँ अहिस्ता अहिस्ता बढ़ाना होते देख कर मेरे दिल की धड़कन तेज होती चली गई.

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरे जिस्म में इतनी मस्ती तो उस वक्त नही छाई थी, जब विनोद के हाथों में खुद बे लिबास हो रही थी” विनोद को अपने सामने अपने कपड़े उतारते देख कर मेरी फुद्दि में लगी आग पहले से ज़्यादा तेज होने लगी थी.और मेरी चूत से बहते पानी की रफ़्तार में भी तेज़ी आती चली गई.

फिर मेरे देखते ही देखते चन्द ही लम्हों बाद विनोद अपनी पॅंट और शर्ट उतार कर सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने अंडरवेार में मलबूस मेरे सामने नीम नंगी हालत में खड़ा हो गया. 

“ हाईईईईईईईईईईईईईईई विनोद तो खुद भी किसी मॉडेल या फिल्म आक्टर से कम नही, लगता है कि विनोद ज़रूर जिम जाता है,तभी वो ऐसे कसे हुए मज़बूत जिस्म का मलिक है,काश यासिर भी कभी विनोद की तरह की बॉडी बना ले तो मज़ा ही आ जाए” विनोद के कपड़े उतराने के बाद ज्यों ही विनोद का चौड़ा सीना और उस के मसल से भेरपूर बाज़ू पहली दफ़ा यूँ आधी नंगी हालत में मेरे सामने हुए. तो विनोद के मर्दाना वझत से भेरपूर मज़बूत और स्मार्ट जिस्म को नीम नंगी हालत में अपनी नज़रों के सामने देख कर मेरी चूत में एक अजीब सी खुजली होने लगी थी.

अभी में सोफे पर नंगी लेटी विनोद के स्मार्ट जिस्म का जायज़ा लेने में मसरूफ़ थी. कि इतने में विनोद ने एक दम अपनी कमर के गिर्द कसे हुए अपने अंडरवेअर को हाथ से नीचे किया. और अपने मोटे ताज़े जवान लंड को मेरी प्यासी नज़रों के सामने पूरा नंगा कर दिया.

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इतना बड़ा लंड तो मैने कभी खुआब में भी नही देखा,ये इंसान का अनकट लंड है या किसी गधे (डोंकी) का” विनोद के तने हुए नंगे लंड का पहली बार दीदार करते ही मेरे जेहन में एक दम ये ख्याल आया.

विनोद के मोटे लंबे लंड को एकदम अपनी नज़रों के सामने नंगा पा कर ना सिर्फ़ मेरे हाथों के तोते उड़ गये थे. 



बल्कि विनोद का लंबे और फूले हुए इस सख़्त लंड का दीदार करते वक्त हैरत के मारे मेरा मुँह खुद ब खुद खुल गया. और विनोद का लंड का साइज़ देख कर मेरी आँखे फटी की फटी रह गईं.

अपनी दो साला शादी शुदा ज़िंदगी के दौरान मेरी नज़रों ने सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने शौहर यासिर के लंड का ही दीदार किया हुआ था.

इसीलिए आज अपनी पूरी ज़िंदगी में ये पहला मोका था. जब में अपने शौहर के अलावा किसी गैर मर्द के लंड को अपने नज़रों के सामने यूँ नंगा होते हुए ना सिर्फ़ देख रही थी. बल्कि विनोद के मोटे तगड़े और लंबे लंड को उस के अंडरवेार में से उछल कर बाहर निकलता देख कर मेरी तो साँस ही मेरे हलक में अटक कर रह गई थी. 



“ यासिर का लंड तो विनोद के लंड से बहुत मुक्तलफ है,यासिर के लंड पर तो इस तरह की स्किन नही,जिस तरह की स्किन विनोद के लंड की टोपी पर माजूद है, पाकिस्तानी मुस्लिम मर्दो के बदकास, इंडियन हिंदू मर्द शायद अपने लंड को कट (सरकम्साइज़्ड) नही करते,इसी लिए इस एक्सट्रा स्किन की वजह से विनोद के लंड का टोपा इतना चौड़ा है” विनोद के लंड की टोपी पर लगी स्किन को देखते हुए में सोचने लगी.

अपनी इसी सोच में गुम सूम में अपनी आँखे फाड़ फाड़ कर इस वक्त विनोद के तने हुए उस लंड को देखने में मगन थी.



जो इस वक्त मेरी नज़रों के सामने किसी शेष नाग की तरह अपने मोटा और चौड़ा फन फैलाए एक शान से खड़ा हो कर मेरी चूत की बिल में जाने का मोका तलाश कर रहा था . [url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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03-01-2019, 11:14 AM,
#25
RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
में अभी टिकटकी बाँधे विनोद के लंड को देखने में मसरूफ़ थी. कि इतने में विनोद अपने अंडरवेअर को अपने जिस्म से अलग कर के मेरी नज़रों के सामने पूरा नंगा हो गया.

“यासिर के लंड को देखने के बाद से में तो आज तक ये ही समझती रही थी,कि सब मर्दो के लंड एक जैसे और एक ही साइज़ के होते हैं.


मगर विनोद का लंड ना सिर्फ़ लंबाई में मेरे शौहर यासिर के लंड से काफ़ी लंबा है,


बल्कि विनोद के लंड की चौड़ाई भी यासिर के लंड के मुक़ाबले में काफ़ी ज़्यादा है,


और उपर से लंड पर लगी फालतू स्किन ने सोने पर सुहागे का काम करते हुए विनोद के लंड की टोपी को टोपा बना दिया हाईईईईईईईईईईईईईई,अच्छा आज मुझे समझ आई है, कि जिस तरह हर औरत की चूत और मम्मो का साइज़ मुक्तलाफ होता है,उसी तरह सब मर्दो के लंड का साइज़ भी मुक्तलफ ही होता है”विनोद के लंड को पहली बार अपनी प्यासी आँखों के सामने हाइयर हुए देखते और अपनी फुद्दि के गरम पानी को चूत से खारिज करते हुए मैने अपने जेहन में यासिर और विनोद के लंड का आपस में मोज़ना किया. तो मुझे पूरा यकीन हो गया कि विनोद के इस बड़े लंड का यासिर के छोटे लंड से कोई मुकाबला और मोज़ना ही नही है.

अब कमरे में इस वक्त हालत ये थी. कि इधर में अपनी साँस रोके सोफे पर अपनी टाँगे चौड़ी किए पड़ी हुई विनोद के मोटे लंड को देख देख कर अपनी चूत का पानी छोड़ने में मसरूफ़ थी.

उधर दूसरी तरफ विनोद सोफे के सामने खड़े हो कर मेरी खुली टाँगों में से मेरी गरम और प्यासी चूत में से रास्ता हुए मेरी चूत के पानी को देख देख कर अपने मोटे लंड की मूठ लगा कर अपने हिंदू लंड को मेरी मुस्लिम चूत में जाने के लिए तैयार करने में मसरूफ़ था.

मेरी फुद्दि जो मेरे पीरियड्स की वजह से पिछले एक हफ्ते से ज़्यादा वक्त से नही चुदि थी. 

वो इस वक्त बे तहाशा गरम हो कर एक लंड माँगने पर मजबूर हो चुकी थी.

इस वक्त कमरे के हल्के अंधेरे में विनोद का मोटा, लंबा और तगड़ा मेरी नज़रों के ऐन सामने खड़े हो कर मुझे दावते गुनाह दे रहा था.

जब कि मेरी प्यासी चूत अपनी जिन्सी हवस के हसर में जाकर कर अपने आप को विनोद के अकडे हुए लंड के हवाले करने के लिए अपने लब खोलने लगी थी.

फिर जब इधर विनोद अपने लंड को अपने हाथ से मसलता हुआ आशिस्ता आहिस्ता मेरे करीब होने लगा था.

तो दूसरी तरफ मेरे दिल और दिमाग़ में एक बार फिर से एक गुनाह और सवाब की एक जंग शुरू हो चुकी थी.

मेरा दिमाग़ मुझे समझा रहा था. कि “अभी भी वक्त है, इस गुनाह से बाज़ आ जाओ.और अपनी इज़्ज़त बचा कर बाहर निकल जाओ, वरना विनोद का ये मोटा लंबा लंड तुम्हारी चूत की धज्जियाँ उड़ा देगा ,सायरा”.

जब कि मेरा दिल मुझ से कह रहा था. कि “ जब तुम्हारा यासिर तुम्हें एक दूसरे मर्द के साथ वक्त गुज़ारने के लिए खुद तैयार कर के इधर लाया है, तो तुम्हें इस मर्द के सामने अपनी टाँगे खोलने में क्या ऐतराज है सायराआ”.

“नहियीईईईईईईई ये मर्द एक हिंदू है, और में कैसे अपनी पाकीज़ा मुस्लिम चूत में एक हिंदू मर्द का लंड ले सकती हूँ भला” मेरे दिमाग़ ने फिर मुझे समझाते हुए कहा.

लगता था कि मेरे अंदर की मशराकी औरत अचानक एक बार फिर से जाग उठी थी.और अब वो मेरे उपर लानत मालमंत करते हुए मुझे इस गुनाह भरे अमल से रोकने की कोशिस कर रही थी.

“लंड और चूत,सिर्फ़ लंड और चूत ही होते है, उन का कोई मज़हब नही होता,ऐसे मोके रोज़ रोज़ नही मिलते, इसीलिए इस सुनहरे मोके से फ़ायदा उठाते हुए तुम भी आज एक नये लंड का मज़ा चख लो,नही तो सारी ज़िंदगी पछताओगी सायराआआआ” मेरे दिमाग़ की आवाज़ कम होते ही मेरे दिल ने मेरा होसला बढ़ाते हुए मुझे सलाह दी.

अभी में अपने दिल और दिमाग़ की इसी कश मकश में मुब्तेला थी. कि इतने में कमरे के दूसरे कोने से मुझे यासिर की सिसकी भरी आवाज़ सुनाई दी “ओह तुम्हारी चूत का तो जवाब नही सपनााआआआअ”.

अभी में यासिर की आवाज़ सुन कर चौंकी थी. कि दूसरे ही लम्हे मुझे सपना की आवाज़ भी सुनाई दी.“तुम भी तो बहुत मज़े दार चोदते हो मेरी जान,हाआईययययी उफफफफफफ्फ़ ऐसे ही चोदो मुझे यासीर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर” 

“उफफफफफफफफफफ्फ़ विनोद की हरकतों और अपने जिस्म की हवस में डूबते हुए में तो भूल ही गई थी,कि हमारे अलावा यासिर और सपना भी इसी कमरे में माजूद हैं” यासिर और सपना की आवाज़ अपने कान में पड़ते ही मुझे एक दम होश आया और मैने कमरे के दूसरे कोने की तरफ देखा.

जहाँ नशे की हालत में टन हो कर मेरा शौहर यासिर, अपने दोस्त विनोद की बीवी और मेरी सहेली सपना को घोड़ी बना कर पीछे से “टका ठक” चोद कर अपने लंड की तसल्ली करने में मसरूफ़ था.

“ये ठीक है कि एक मशराकी औरत की हैसियत से मुझे अपनी चूत की हिफ़ाज़त करनी चाहिए,मगर इस के साथ साथ एक अच्छी बीवी होने के नाते, अपने शौहर की तरहकी हासिल करने में अपना हिस्सा डालना भी तो मेरा फ़र्ज़ बनता है ना, और अगर मेरे शौहर की प्रमोशन का रास्ता मेरी फुद्दि से हो कर जाता है,तो एक मशराकी औरत होते हुए मुझे आज हर हालत में अपने शौहर की फाइल पर विनोद के साइन ले कर ही घर जाना चाहिए” इधर मेरे जेहन में ये ख्याल आया. 

तो दूसरी तरफ कमरे में लगे टीवी की स्क्रीन पर एक और गरम गाना स्टार्ट हो गया.[/url]

“आजा गुफ़ाओं में आ 
आजा गुनाह कर लो”


इंडियन मूवी अक्स के इस गाने में रवीना टॅंडन,अमिताभ और एक दूसरे आक्टर के साथ गुनाह करने में मसरूफ़ थी.


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03-01-2019, 11:15 AM,
#26
RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
ज्यों ही मेरी नज़र इस गरम गाने के सेक्सी सीन्स पर पड़ी .तो इस गाने के ये बोल सुनते ही मैने सोफे पर लेटे लेटे नीचे से एक बार फिर विनोद के मोटे,तगड़े लंड का जायज़ा लिया.


विनोद के तने हुए सख़्त लंड को अपनी आँखों के इतने करीब देख कर मेरी दिमाग़ ने एक दम अपना काम करना छोड़ दिया. 

“हाईईईईईईईईईईईईईईईईई इतना सब कुछ होने के बाद खुद अब को मत रोको, और चाहे एक बार ही सही,आज एक नये लंड का स्वाद और मज़ा चख ही लो सायराआआआआ” विनोद के सख़्त लंड को देखते देखते मुझे ऐसा महसूस हुआ. जैसे हवस के मारे आज मेरी चूत ही मुझ से मुकताब हो रही है.और अपनी चूत को यूँ मुझ से बातें करते हुए महसूस कर के मुझे अपने प्यासे जिस्म की इस काफियत पर खुद भी हैरत हुई.


फिर अपने दिल की बात मानते और अपने शौहर यासिर की दिखाई हुई राह पर चलते हुए मेरी टांगे खुद ब खुद विनोद के मोटे ताज़े अनकट लंड के इस्तक़बाल करने के लिए मज़ीद चौड़ी होती गईं. 

और एक मशराकी औरत का फ़र्ज़ निभाने की खातिर यासिर की तरह में खुद भी एक हिंदू मर्द के साथ गुनाह करने पर तूल गई.

ज्यों ही अपनी फुद्दि की गर्मी की वजह से मैने टांगे चौड़ी कीं. तो औरतों के मामले में माहिर खिलाड़ी और शातिर मर्द विनोद के लिए ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही रहा. कि अपनी जिस्मानी हवस के हाथों मजबूर हो कर मेरी हालत इस वक्त एक पके हुए उस फल की तरह हो चुकी है. जो हाथ लगाते ही एक दम से इंसान की झोली में आ गिरता है.

कमरे में इस वक्त में अपनी टांगे खोले विनोद के मोटे लंबे सख़्त लंड से अपनी छोटी सी चूत फाडवाने के लिए मचलने लगी थी.

तो दूसरी तरफ विनोद भी अब एक भूके शख्स की तरह मेरी चूत का पका हुआ फ्रूट खाने के लिए बे सबरा हो चुका था.

अपने मोटे लंड को हाथ से सहलाते हुए विनोद आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ मेरी चूत के खुले मुँह के नज़दीक आया. और अपने गर्म और पत्थर की तरह सख़्त लंड को मेरी पानी से शरा बोर चूत के होंठों पर रगड़ने लगा.

विनोद के मोटे ताज़े और जवान लंड का अपनी गरम प्यासी चूत के साथ टकराव महसूस करते ही मेरी गीली चूत एक दम कांप सी गई और मेरे मुँह से बे इकतियार एक सिसकी निकल गई ““हाआआआआआआआआआअ”

“अपनी गान्ड के नीचे हाथ रख कर अपनी इस भारी गान्ड को उपर उठाओ सायराअ” ज्यों ही विनोद का लंड पहली बार मेरी फुद्दि के मुँह से छुआ. तो अपने लंड के मोटे टोपे को मेरी फुद्दि के बहते पानी से गीला करते हुए विनोद ने मुझ से कहा.

इधर विनोद ने मुझ से ये फरमाइश की और उधर मैने अपनी गान्ड के नीचे हाथ डाल कर अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठा दिया.

“उफफफफफफ्फ़ अपने शौहर के हिंदू दोस्त की फरमाइश तो में ऐसे पूरी कर रही हूँ, जैसे यासिर की जगह विनोद ही अब मेरा शौहर हो” विनोद के कहने पर अपने हाथों की मदद से अपनी गान्ड को हवा में उपर उठाते हुए मैने सोचा,तो मुझे अपनी इस हरकत पर खुद भी हैरत हुई.

असल में विनोद की बात को मानते हुए उस पर अमल करने की वजह ये थी. कि अपनी जिन्सी हवस और विनोद की दिलकश शक्सियत के सहर में खो कर मेरी हालत अब एक कठ पुतली जेसी हो गई थी. जिसे विनोद अब अपने इशारों पर नचाने लगा था.

और में भी अब किसी मजबूरी की हालत या किसी ज़ोर जबर्जस्ती की वजह से नही, बल्कि खुशी खुशी विनोद के इशारों पर नाचने में मसगूल होने लगी थी.

फिर विनोद के कहने के मुताबिक जैसे ही मैने अपने हाथों की मदद से अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठाया. तो मेरी चूत का मुँह विनोद के मोटे लंड के लिए एक दम से पूरे का पूरा खुल गया.



विनोद ने अपने लंड को मेरी चूत के खुले मुँह के ऐन उपर रख कर एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह अपना एक पावं सोफे पर रखा. और फिर अपने जिस्म को थोड़ा से नीचे झुकाते हुए अपने लंड को हल्का सा धक्का मारा.

तो विनोद के अनकट हिंदू लंड का मोटा टोपा मेरी चूत के रास्ते हुए पानी से पिच पिच करती मेरी गीली पाकीज़ा मुस्लिम चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ मेरी उस फुद्दि के अंदर दाखिल हो गया. जिस चूत ने आज तक अपने शौहर यासिर के अलावा किसी और मर्द के लंड का ज़ायक़ा नही चखा था.

इधर विनोद के अनकट लंड के छोड़ टोपे ने मेरी फुद्दि के माखन जैसे गुदाज होंठों को किसी तेज छुरी की तरह चीरते हुए नीचे से मेरी मासूम फुद्दि का मुँह खोला तो मज़े और दर्द के एक मिले जुले अहसास की वजह से उपर से मेरा मुँह खुद ब खुद खुलता चला गया. और मेरे मुँह से बे इकतियार एक लंबी सिसकी निकल गई “हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ओह”

शादी शुदा होने के बावजूद मुझे विनोद के लंड को अपनी तंग फुद्दि में लेते हुए ऐसी तकलीफ़ हुई. जैसे में आज अपनी सुहाग रात में पहली बार किसी मर्द का लंड लेने लगी थी. 

मेरी फुद्दि विनोद के मोटे लंड के इतनी टाइट थी. कि मेरी चूत काफ़ी गीली होने के बावजूद विनोद के लंड का सिर्फ़ मोटा टोपा ही मेरी फुद्दि के अंदर जा सका था.

“ओह विनोद के मोटे टोपे की मोटाई और उस के अनकट लंड की रगड़ के स्वाद से तो मेरी मुलायम फुद्दि का रोम रोम ही मचल उठा है, जो सरूर और स्वाद विनोद का ये अनकट हिंदू लंड इस वक्त मेरी इस पाकीज़ा चूत को पहुँचा रहा है, ये लज़्जत और मज़ा तो मुझे अपनी सुहाग रात को यासिर से अपनी कुँवारी चूत की सील तुड़वाते भी नही महसूस हुआ था, वैसे लंड तो लंड ही होता है,और लंड को चूत में लेने का अपना ही एक मज़ा है, मगर मुझे यासिर के लंड से कभी ऐसी लज़्जत क्यों नही मिली,जेसी इस वक्त मुझे विनोद के लंड से मिल रही है ” अपनी दो साला शादी शुदा ज़िंदगी में आज पहली बार अपने शौहर के लंड के अलावा किसी और मर्द का लंड अपनी गरम चूत में लेते हुए मेरी फुद्दि को जो अनोखा मज़ा मिल रहा था. उसी मज़े से बे हाल होते हुए मेरे ज़हन में ये ख्याल आया. 

मगर मुझे इस वक्त अपनी इस सोच का कोई फॉरी जवाब ना मिल सका. कि मर्द होने के नाते जब यासिर और विनोद दोनो के पास लंड है. तो यासिर और विनोद के लंड का मज़ा फिर अलग अलग क्यों है.

अभी में अपनी इस सोच में गुम थी. कि इतने में मुझे की विनोद की आवाज़ सुनाई दी ““उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ तुम्हारी फुद्दि तो बहुत ही टाइट है,देखो तो सही केसे मेरा लंड तुम्हारी फुद्दि में फँसा हुआ है, ऐसे लगता है जैसे यासिर ने तुम्हारी चूत को अभी तक सही तरीके से नही चोदा है, इसीलिए तुम्हारी चूत में लंड डालते वक्त मुझे यूँ लग रहा है, कि जैसे में आज किसी कुँवारी चूत में पहली बार अपना लंड डाल रहा हूँ में सायराआआआ” विनोद ने मेरी चूत के मुँह में अपने लंड की फँसी हुई टोपी की तरफ इशारा करते हुए मुझ से कहा.
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03-01-2019, 11:15 AM,
#27
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विनोद की बात सुनते ही मैने अपनी नज़रें नीचे कर के अपनी हवा में उठी हुई चूत की तरफ निगाह डाली. तो देखा कि वाकई ही विनोद के लंड का मोटा टोपा मेरी तंग चूत के मुँह पर अटक कर फँस गया था.

“ओह असल में तुम्हारा लंड ही इतना मोटा है, कि मेरी नाज़ुक सी चूत इसे अपने अंदर ले नही पा रहियीईईईईईईई” मज़े और स्वाद की हालत में बे सूध होते हुए मैने विनोद के सामने अपने मुँह से आज वो अल्फ़ाज़ खुलम खुल्ला निकाल दिए. जो अल्फ़ाज़ मैने आज तक अपने शौहर यासिर से भी कभी नही कहे थे.

मगर आज विनोद के हिंदू लंड को अपनी मुस्लिम चूत में पहली बार लेने के बाद मुझे जो मज़ा मिल रहा था. उसी मज़े में डूब कर में अपनी शरम-ओ-हेया की सभी हदें पार कर जाने पर आमादा हो चुकी थी.

इसी दौरान विनोद ने एक बार फिर एक हल्का सा धक्का मार कर अपने मोटे लंबे लंड को मेरी हवा में उठी हुई फुद्दि के अंदर दाखिल करने की कोशिश की.लेकिन इस बार भी विनोद का मोटा लंबा लंड मेरी छूट में तोड़ा सा मज़ीद ही अंदर जा सका.

“लगता है कि तुम्हारी फुददी चूँकि यासिर के लंड की आदि है, इसी लिए तुम्हारी चूत यासिर के लंड के साइज़ के मुताबिक ही अपना मुँह खोल रही है, अच्छा अब तुम अपनी चूत के लबों को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी फुद्दि का मुँह मेरे लंड के लिए खोलो,ताकि में अपने लंड को तुम्हारी इस मज़े दार तंग चूत में आसानी से दाखिल कर सकूँ मेरी जान” विनोद ने मेरी चूत के होंठों में फँसे हुए अपने मोटे लंड की तरफ देखते हुए मुझ से फिर एक फरमाइश की.



“हाईईईईईईईईईईईईई अपने शौहर की प्रमोशन की खातिर मुझे आज क्या क्या करना पड़ रहा है” विनोद की बात सुनते हुए मैने सोचा. और फिर विनोद के कहने के मुताबिक अपनी चूत की फांकों को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर अपनी तंग फुद्दि के मुँह को विनोद के मोटे लंड के लिए खोल दिया.

मैने ज्यों ही अपने हाथों से अपनी फुददी का लिप्स को चौड़ा करते हुए विनोद के लंड के लिए अपनी फुद्दि का मुँह मज़ीद खोला. तो इस के साथ ही विनोद ने मेरी चूत के मुँह पर फँसे हुए अपने लंड को खैंच कर बाहर निकला. और फिर अपने लंड को एक दम तेज़ी के साथ मेरी फुद्दि में डाल दिया.

इस बार विनोद का ये धक्का इतना अचनाक और ज़ोर दार था. कि विनोद का मोटा,चौड़ा और लंबा अनकट फॉलदी लंड मेरी नाज़ुक चूत की तंग दीवारों को पूरी ताक़त से खोलते हुए मेरी फुद्दि की उस तह तक जा पहुँचा. जहाँ तक पहुँचने का तसव्वुर भी मेरे शौहर यासिर का लंड पिछले दो साल में नही कर पाया था.

“हाईईईईईईईई मेन्ंनणणन् माररर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गई,मेरी तो चूत ही फाड़ र्र्र्र्र्ररर दी है तुम ने विनॉद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड” अपनी नाज़ुक और तंग चूत के अंदर तेज़ी से घुसते हुए विनोद के चौड़े और सख़्त लंड के झटके को महसूस कर के मैं तो सोफे से एक दम तड़प कर उछल पड़ी.

आप में से काफ़ी दोस्तों ने टीवी पर चलने वाली मिर्च मसाला की एक इंडियन एड को शायद देखा ही हो गा. जिस में कहते हैं कि,

“डेगी मिर्च का तड़का अंग अंग फड़का”

बिल्कुल इस तरह विनोद के अनकट लंड के इस ज़ोर दार झटके ने मेरी चूत की भी इस वक्त कुछ ऐसी ही हालत की थी. कि अपनी फुद्दि में विनोद के लंड को एक झटके के साथ जाते हुए महसूस कर के मेरा पूरा वजूद ही हिल गया. और इस के साथ ही मेरे जेहन में ये ख्याल आया,

“अनकट हिंदू लंड का झटका
पाकीज़ा मुस्लिम चूत का अंग अंग फड़का”.

इस दफ़ा भी मेरी चूत में जाते वक्त विनोद के अनकट लंड की टोपी के उपर लगी एक्सट्रा स्किन एक बार फिर मेरी चूत के दाने और दीवारों को छूती हुई मेरी फुद्दि के अंदर गई. तो विनोद के इस मोटे लंड की फालतू चमड़ी की रगड़ से मेरी चूत में एक बार फिर मीठी सी सन सनाहट पेदा हुई. जो देखते ही देखते फुद्दि के रास्ते मेरे सारे जिस्म में फैलती चली गई.और इस के साथ ही मेरी मुस्लिम चूत ने विनोद के हिंदू लंड पर पहली बार अपना पानी छोड़ दिया.



मेरी गरम चूत ने विनोद के मोटे लंड पर इतना पानी छोड़ा कि विनोद का पूरा लंड मेरी चूत के लैस दार पानी से भर कर पूरी तरह तर हो गया था.

“हाईईईईईईईईईईई यासिर से चुदवाते वक्त तो मेरी चूत ने कभी इतना जल्दी अपना पानी नही छोड़ा,फिर आज क्यों मेरी फुद्दि चन्द मिनटों में ही विनोद के लंड पर फारिग होने लगी है” अपनी फुद्दि में जड़ तक गये विनोद के लंबे लंड पर अपनी चूत का पानी छोड़ते हुए मैने सोचा.

“ओह अच्छाआआआअ तो ये सब विनोद के अनकट लंड की चमड़ी का कमाल है,जिस की रगड़ की वजह से मेरी फुद्दि में इतनी गरमी पेदा हुई है,और एक अजीब सी हल चल मची है, जो अपने शौहर यासिर के कटे (सर्कम्सीड) हुए लंड को अपनी फुद्दि में लेते वक्त मुझे कभी महसूस नही हुई थी,हाईईईईईईईईईईई अच्छााअ मुझे आज समझ आई है, कि वीना मलिक और मीरा समेत हमारी काफ़ी सारी पाकिस्तानी फिल्म आक्ट्रेस भाग भाग कर इंडिया क्यों जाती हैं,इंडियन मूवीस में काम करना तो सिर्फ़ एक बहाना है,असल में वो सारी इंडिया सिर्फ़ और सिर्फ़ ऐसे ही अनकट हिंदू लंड का मज़ा लेने जाती हैं, जिस मज़े से में इस वक्त लुफ्त अंदोज़ हो रही हूँ” विनोद के लंड के ताकतवर झटके ने मेरी फुद्दि में जो ये एक नई लज़्जत पेदा की थी. उस के स्वाद से लुफ्त अंदोज़ होते और विनोद के मोटे सख़्त लंड पर अपनी फुद्दि का बे तहाशा पानी छोड़ते हुए ये सारी बातें मेरे दिमाग़ में गूंजने लगीं.
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03-01-2019, 11:15 AM,
#28
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विनोद के इस मोटे लंबे और सख़्त जवान लंड से अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझवाते वक्त मुझे नसीबो लाल का एक पंजाबी गाना याद आने लगा था. इस सॉंग के असल बोल तो ये थे कि

“ तेरे नैना ने किता ऐसा जादू मेरे ते
वी सुनाया आंखा वालिया में रह गई तेरे ते”


मगर अपनी चूत में घुसे हुए विनोद के तगड़े लंड ने मेरी फुद्दि की कुछ ऐसी हालत बनाई थी,कि विनोद के लंड को इस वक्त अपनी चूत की गहराई में जज़्ब करते वक्त मेरे जेहन में इस सॉंग के बोल कुछ इस अंदाज़ में गूंजने लगे थे कि,

“ तेरे लौडे ने किता ऐसा जादू मेरे ते
वी अनकट लंड वालिया में रह गई तेरे ते”


विनोद के मोटे सख़्त लंड के स्वाद से बे हाल हो कर में एक दम अपने मोटे मम्मो को अपने हाथों में ज़ोर से मसलाते हुए पीछे की तरफ सोफे पर जा गिरी.



इस के साथ ही मेरी आँखे खुद बा खुद बंद हो गईं. तो मज़े की हालत में मेरे मुँह से एक बार फिर निकला.“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई प्लेआस्ीईईईई रुक्ककककककक जऊऊऊओ विनॉद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड”

मैने विनोद को रुकने का कह रही थी.मगर विनोद ने मेरी बात सुनने की बजाय अपने लंड को एक और झटका दिया और अपना पूरा लंड फिर से मेरी गरम और प्यासी चूत में डाल दिया.

“उफफफफफफफफफफ्फ़ ऐसे लगता है कि जैसे मैने अपना लंड किसी गरम तंदूर में डाल दिया है, ऐसी गरमी तो मैने अपनी सुहाग रात में अपनी बीवी सपना की चूत में भी नही पाई थी, जितनी गरमी इस वक्त तुम्हारी इस मज़े दार चूत में है मेरी जान” अपने बड़े और चौड़े लंड से मेरी तंग फुद्दि को आहिस्ता आहिस्ता मज़ीद खोलते हुए विनोद ने मुझे आहिस्ता से कहा.

तो अपनी फुद्दि में पहली बार घुसे विनोद के इस मज़े दार तगड़े लंड की सख्ती और गरमी को अपनी चूत की अंदूनी दीवारों से रगड़ खाते हुए महसूस कर के मेरे मुँह से बे इकतियार सिस्ककियाँ बुलंद होने लगी.

मैने “ अहह,ओह उफफफफफफफफफफ्फ़” कहते हुए अपनी टाँगों को उठा कर विनोद की कमर कर गिर्द जकड़ा. 



और मज़े से बे सुध हो कर अपना एक हाथ से विनोद के कंधे पर रखा. और दूसरे हाथ को विनोद की गर्दन में डाल कर में अपने उपर झुके विनोद के जिस्म के साथ चिपकती चली गई.

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ मैने ज़िंदगी में बहुत सारी फुद्दियो के मज़े लिए हैं,मगर आज तक इतनी तंग और गरम फुद्दि मुझे पहले कभी नसीब नही हुई, यासिर के बाद मुझे अपनी इस खूबसूरत,रस भरी,नाज़ुक और मुलायम चूत को चोदने का मोका देने पर में तुम्हारा बहुत ही शूकर गुज़ार हूँ सायराआआआआआ” विनोद ने मेरी चूत को मज़े दार तरीके से चोडेट हुए मेरा शुक्रिया अदा किया. तो विनोद के इन अल्फ़ाज़ ने मेरी चूत में लगी आग पर जैसे तैल का काम किया और मेरी फुद्दि एक बार फिर से विनोद के लंड पर फारिग हो गई. 

विनोद के अनकट ने मुझे मज़े की इस हालत में पहुँचा दिया था. कि जिस हालत को लफ़्ज़ों में बयान करना मेरे लिए अब ना मुमकिन काम था.


इसीलिए में अपनी बाहें विनोद की गर्देन में डाल कर अपने नेये आशिक़ की आँखों में आँखे डाल कर उसे कहने पर मजबूर हो गई कि “हाईईईईईईईईईईईईईईई फाड़ र्र्र्र्र्र्र्र्ररर दो मेरी फुद्दीईईईईइ को अपने मोटेयययययययययी लंड से विनूद्द्द्द्दद्ड”

“हाईईईईईईईईईईई तुम्हरीईईईई इस चूत को हासिल करने के लिए तो मैने इतने महीने सबर किया है,अब में वाकई ही तुम्हारी इस गरम प्यासी चूत को चोद चोद कर फाड़ ही डालूं गा, और तुम्हें बताउन्गा कि असली चुदाई कैसे होती है, और कैसे एक मर्द एक औरत की सही तस्सली करता है,सायराआआआ”मेरी बात सुन कर विनोद और भी जोश में आ गया. और वो अपने पूरे ज़ोर से मुझे चोदने लगा. 



विनोद अब मुझे चोदते वक्त हर धक्के पर अपनी पूरी ताक़त लगा रहा था.वो अब हर धक्के में अपना पूरा लंड मेरी गरम और प्यासी चूत में जड तक डाल देता. और उसके जोश मे कितना इज़ाफ़ा हो गया था. जिस की वजह से उस का हर धक्का मेरी फुद्दि को फाड़ कर रख देने वाला था.

मेने भी अब विनोद के कंधे मज़बूती से थामे कर अपनी लंबी टांगे विनोद की कमर के गिर्द कस लीं.और विनोद के हर ज़ोर दार दिए धक्के के जवाब में भी अब सोफे पर लेट कर नीचे से अपनी गान्ड को उपर उठा कर अपनी फुद्दि को उतने ही जोश से विनोद के लंड पर मारने लगी थी. जितने जोश और ताक़त से विनोद इस वक्त मुझे चोद रहा था. 



और इस अमल के दौरान में विनोद मेरे गुदाज मम्मो को अपने हाथों में ज़ोर से दबोचते हुए मेरे मुँह में मुँह डाल कर अपने थूक को मेरे मुँह में मुन्तिकल कर रहा था.

कमरे में अब विनोद के अनकट लंड और मेरी नरम-ओ-नाज़ुक चूत की जंग जारी थी. 

इस दौरान मेरे मुँह से फूटने वाली सिसकियाँ और मेरे भारी चुतड़ों से टकराते विनोद की मोटी जाँघो की थॅप थॅप ने पूरे कमरे के माहौल को मज़ीद रगीन बना दिया था. 

कमरे के हल्के अंधेरे में सोफे पर लेटे हुए मुझे इस वक्त बहादुर शाह ज़फ़र का लिखा हुआ एक शायर याद आ रहा था कि,

“में ख्याल हूँ किसी और का
मुझे सोचता कोई और है”


बशाक बहादुर शाह ज़फ़र ने ये शायर किसी और मोके के मुताबिक लिखा हो गा. 

मगर इस वक्त विनोद के मज़बूत और जान दार लंड से अपनी गरम चूत की गर्मी को ठंडा करवाते हुए ना जाने मुझे ये अहसास होने लगा था. कि शायद ये शेर मेरे लिए ही लिखा गया है. क्योंकि विनोद के मोटे लंड को अपनी गरम चूत में जज़ब करते वक्त में ये ही सोच रही थी. कि,

“में चूत हूँ किसी और की 
मुझे चोदता कोई और है”

मेरी चूत तो वाकई ही यासिर की थी. लेकिन यासिर की बजाय इस वक्त मेरे शौहर के दोस्त विनोद का लंबा लंड इस तेज़ी के साथ मेरी फुद्दि को चोदने में मसरूफ़ था.

विनोद के हर धक्के पर अब उस का लंड मेरी बच्चे दानी के अंदर तक जा कर ठोकर मारने में मसरूफ़ हो गया था. जिस की वजह से मेरी फुद्दि के अंदर पड़ने वाली विनोद के लंड की चोंटो से मज़े की लहरें उठ उठ कर मेरे पूरे वजूद में फैल रही थी. 

“उफफफफफफ्फ़ मेरी चूत फिर अपना पानी छोड़ने लगी हाईईईईईईईईईई विनोद”अपने शौहर के दोस्त विनोद के मोटे लंड को यूं अपनी उन्छुइ बच्चे दानी के अंदर तका जाते हुए महसूस कर के मेरी इस वक्त जो हालत हो रही थी. उसे अल्फ़ाज़ में बयान करना बहुत ही मुश्किल कम था.

विनोद की जबर्जस्त छुदाई ने मुझे इतना गरम आर दिया कि मज़े की शिद्दत की वजह से मेरा बदन एक दम अकड़ने लगा.

मुझे यूँ महसूस हुआ कि मेरे सबर का बाँध टूटने लगा है. और में एक दम फिर फारिग होने के नज़दीक पहुँच गई थी. 

“हाईईईईईईईईईईईईईईई मेन्ंनननननणणन् छूटने लगी हूँ विनॉद्द्द्द्द्द्द्दद्ड” अपनी चूत में उठने वाले तूफान को महसूस करते ही में एक दम चिल्ला उठी.

“रूको मेरी ज्ज्ज्ज्जाआअन में भी आ रहा हूँ” मेरी बात के जवाब में विनोद एक दम बोला. 

तो इस के साथ ही मुझे अपनी तंग चूत में विनोद का सख़्त लंड पहले से ज़्यादा फूलता हुआ महसूस होने लगा. लगता था कि मेरे साथ साथ विनोद भी अब फारिग होने के करीब ही था.
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03-01-2019, 11:15 AM,
#29
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फिर वो वक्त आ ही गया जिस का मुझे और मेरी फुद्दि को बहुत शिद्दत से इंतिज़ार था.और जिस की खातिर मुझे मजबूरन आज ये गुनाह भरा कदम उठना पड़ रहा था.

उधर विनोद के लंड से उस के वीर्य का बाँध टूटा. इधर मेरी चूत ने अपना पानी छोड़ते हुए मेरी बच्चा दानी का मुँह खोल दिया.और फिर विनोद के लंड का गाढ़ा वीर्य मेरी बच्चा दानी की गहराइयों में तेज़ी के साथ जा कर झड़ने लगा.

विनोद के लंड से इतना वीर्य निकला कि देखते ही देखते विनोद के लैस दार वीर्य ने मेरी फुद्दि को पूरे का पूरा भर दिया था.

“उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ यासिर तो एक हफ्ते में कभी इतना वीर्य मेरी चूत में नही डालता है,जितना विनोद ने एक ही रात में मेरी चूत में उडेल दिया,यूँ लगता है जैसे विनोद लंड के थिक जूस की वजह से मेरी चूत में सेलाब आ गया है” अपनी चूत की गहराई में तेज़ी के साथ जज़ब होते विनोद के लंड के गरम पानी को महसूस करते हुए में ने सोचा. 

मेरी चूत को अपने लैस दार वीर्य से पूरी तरह भरने के बाद विनोद थक कर मेरे जिस्म के उपर गिर तो गया.

लेकिन इस के बावजूद विनोद का लंड अभी तक मेरी चूत में पूरा अंदर तक धुंस कर झटके पर झटके मार रहा था.

जब कि इस दौरान मेरी चूत बुरी तरह से खुलते और बंद होते हुए अपने शौहर के इंडियन दोस्त के लंड को अपनी चूत के होंठों से कस कर विनोद के लंड में बाकी बचे हुए जूस को भी निचोड़ निचोड़ कर अपने अंदर मुन्तिकल करने में मसगूल थी.

हम दोनो के जवान और प्यासे जिस्म सोफे पर एक दूसरे के उपर नीचे बेसूध पड़े थे और हमारे जिस्म पसीने की वजह से चिप चिप कर रहे थे.

कुछ लम्हे बाद विनोद ने अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाला.



तो साथ ही विनोद के अनकट लंड का थिक जूस भी मेरी चूत से बह बह कर चूत से बाहर निकलने लगा.

“ मेरा जिस्म तो एक दम से हल्का फूलका हो कर जैसे आसमान पर उड़ने लगा है, ऐसा सुख और करार तो मुझे आज से पहले कभी नही महसूस हुआ, जितना जिन्सी सकून मुझे आज विनोद के लंड से मिला है” विनोद के लंड के गरम पानी को अपनी चूत की गहराई में गिरते हुए महसूस कर के में सोचने लगी. और फिर थोड़ी देर में ही आहिस्ता आहिस्ता मेरी चूत के होंठों ने फड़कना बंद कर दिया.

उधर दूसरी तरफ अपने लंड को मेरी चूत से निकालने के बाद विनोद मेरे जिस्म के उपर आया. और मेरी चूत के पानी से भीगे लंड को मेरे मोटे मम्मो के दरमियाँ रखाते हुए बोला “अपने इन बड़े मम्मो को अपने हाथों से पकड़ कर इने मेरे लंड के इर्द गिर्द कस दो सायराआआआ”

विनोद का यूँ मुझे ये हुकम देने की देर थी. कि मैने एक कनीज़ की तरह अपने बादशाह की बात पर बिना की हिच कीचाहट के अमल करते हुए ज्यों ही अपने दोनो बड़े बड़े मम्मो को अपने हाथों में पकड़ कर एक साथ जोड़ा. तो विनोद ने अपने मोटे लंड को मेरे जुड़े हुए मम्मो के दरमियाँ रख कर मेरी जवान चुचियों को अपने मोटे लंड से चोदना शुरू कर दिया.

“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आज मेरे जिस्म की किस किस जगह को अपने लंड से चोदोगे विनोद्द्द्द्द्द्द” अपने गुदाज भारी मम्मो के दरमियाँ सरकते हुए विनोद के गीले सख़्त लंड की रगड़ से पेदा होने वाले मज़े से लुफ्त अंदोज़ होते हुए मैने नीचे से अपनी आँखे उठा कर अपने जिस्म के उपर चढ़े विनोद की आँखों में देखा. और मस्ती भरे अंदाज़ में सिसकियाँ लेते हुए अपने नये चोदु आशिक़ से पूछने लगी.

“आज में तुम्हारे जिस्म के हर हिस्से को अपने लंड का मज़ा दे कर खुद भी तुम्हारे इस गरम वजूद का मज़ा लेना चाहता हूँ, मेरी जान” ये बात कहते हुए विनोद ने मेरे मम्मो के दरमियाँ फिसलते हुए अपने लंड को ज़ोर का झटका मारा. तो विनोद का लंबा लंड एक दम तेज़ी के साथ मेरी चुचियों में से सरकते हुए मेरे मुँह और होंठों के बहुत करीब आ गया.

मेरी चूत के गीले पानी से भरा हुआ विनोद का अनकट लंड का टोपा ज्यों ही मेरा मुँह के करीब आया. तो विनोद के लंड से उठती हुई एक अजीब और तीखी सी गंदी किसम की बू मुझे अपनी नाक में महसूस हुई. 

विनोद के लंड से फूटने वाली ये तेज स्मेल मुझे इतनी नागवार गुज़री कि इसे सूंघते ही मैने अपना मुँह विनोद के लंड से परे कराने की कॉसिश की.

“मेरे लौडे को अपने मुँह में डाल इसी तरह चूसो जिस तरह अभी थोड़ी देर पहले में तुम्हारी फुद्दि को चूस्ता रहा हूँ सायराआआ” विनोद ने अपने अभी तक तने हुए सख़्त लंड को मेरे मुँह और होंठों के और करीब करते हुए मुझ से एक नई फरमाइश कर डाली.

“उफफफफफफफफ्फ़ मैने तो आज तक अपने शौहर यासिर का लंड कभी नही चूसा था,और आज मेरे शौहर की बजाय उस का हिंदू दोस्त मुझे चुदाई के इस नये मज़े से रोशनास करवाने पर तुला हुआ है”विनोद के मोटे लंड के अनकट टोपे को अपने मुँह के इतने नज़दीक पा कर में सोचने लगी.

“नहियीईईईईई मैने आज तक यासिर का लंड कभी नही चूसा, तो तुम्हारा लंड केसे चूस सकती हूँ भला” मैने अपनी चूत के पानी से भरे हुए विनोद के लंड को देखते हुए विनोद की बात का जवाब दिया.

“अगर आज तक यासिर के लंड को तुम ने नही चूसा, तो आज मेरे इस लंड को पहली बार चूस कर ना सिर्फ़ मेरे लंड को लंड चुसाइ की इज़्ज़त बख़्श दो ,बल्कि मेरे को पहली बार सक कर के मेरे लौडे से अपने मुँह की सील भी तुड़वा लो,मेरी जान” विनोद ने मेरी बात सुन कर इसरार करते हुए अपने मोटे सख़्त लंड को मेरे होंठों के मज़ीद नज़दीक कर दिया था.

“जहाँ अब तक इतना कुछ हो चुका है, तो अब लंड चुसाइ का ये नया तजुर्बा कराने में भी कोई हरज नही है सायराआआआआ” विनोद के मोटे लंड को अपने मम्मो के दरमियाँ आहिस्ता आहिस्ता फिसलते हुए और अपनी नज़रों के सामने लंड चुसाइ की फरियाद करते देख कर मेरे दिल में ख्याल आया. और मैने बे खुदी में पहली बार किसी मर्द के लंड के लिए अपना मुँह खोल दिया.



इधर ज्यों ही में ने अपना मुँह खोला. तो दूसरी तरफ से विनोद ने एक दम आगे बढ़ कर मेरी ही चूत के जूस से भरपूर अपने मोटे सख़्त लंड के टोपे को मुँह में डाल लिया.

अपनी ही फुद्दि के पानी से तार विनोद के मोटे लंड को अपने मुँह में डालते ही पहले तो मुझे अजीब सी कड़वाहट होने लगी. जिस की वजह से मैने जल्दी से विनोद के लौडे को अपने मुँह से बाहर निकाल कर थूकने का सोचने लगी.

मगर विनोद सेक्स के मंझे हुए खिलाड़ी की हैसियत से औरतों के जहन को पढ़ने में माहिर था.

इसीलिए इधर मैने विनोद के लंड को अपने मुँह से निकालने का सोच कर ज्यों ही अपने मुँह को खोला. 

तो विनोद ने इस मोके से फ़ायदा उठाते हुए उपर से एक दम धक्का मारा.



जिस की वजह से विनोद का मोटा, लंबा,और सख़्त अनकट हिंदू लंड मेरे पाकीज़ा मुस्लिम पाकिस्तानी मुँह के रास्ते सीधा मेरे हलक के अंदर तक जा पहुँचा.

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ यूँ वहशियों की तरह इतने जोशेले अंदाज़ में अपने लंड को मेरे हलक में उतारने की विनोद की इस हरकत ने तो मेरे तन बदन में एक नई आग लगा दी हाईईईईईईईई” विनोद के यूँ तेज़ी से अपना लंड मेरे मुँह में पेलते वक्त दर्द होने की बजाय जो मज़ा ऑर लज़्जत मुझे उस वक्त हासिल हुई थी. उसे में लफ़्ज़ों में बयान करने से कसर थी.

शायद ये ही वजह थी कि अपने मज़ा ऑर उस मज़े की शिद्दत की वजह से मेरा अपने उपर कंट्रोल करना मेरे लिए नाकबिले बर्दास्त हो गया.

फिर हर बात और बू से बे परवाह हो कर मैने जोश मे अपने हलक में उतरे हुए विनोद के मोटे लंड को अपने हाथ में पकड़ा. 

और जोश में और मस्त गरम हो कर में विनोद के लंड पर लगे अपनी चूत के नमकीन पानी को भी अपनी ज़ुबान से चाट चाट कर पागलों की तरह सॉफ कराने लगी.
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03-01-2019, 11:15 AM,
#30
RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
विनोद की जबर्जस्त चुदाई की वजह से मुझे जो मज़ा मिला था. उस मज़े की वजह से चुदाई की ये नई मंजिले पा कर में अब सब कुछ भूल चुकी थी. और अब अपनी हवस के हाथों मजूर हो कर विनोद के अनकट हिंदू लंड को अपने पाकिस्तानी मुँह में ले के जोश और मज़े से ऐसे चूसे जा रही थी. जैसे वो विनोद का लंड ना हो बल्कि कोई लालीपोप हो.

में अब विनोद के लंड को चूमे जा रही थी ऑर फिर आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़ुबान से विनोद के लंड को चाटना भी शुरू कर दिया था.

मेरी सकिंग के दौरान मेरी ज़ुबान विनोद के अनकट लंड पर लगी लंड की एक्सट्रा स्किन पर भी तेज़ी के साथ घूम रही थी. 

में विनोद के अनकट लंड पर अपनी ज़ुबान फेरते वक्त विनोद के लंड की फालतू स्किन को अपने मुँह में ले कर कभी नीची को खींचती तो विनोद के लंड का मोटा टोपा नंगा हो जाता. तो में मज़े से बे हाल हो कर विनोद के लंड के मोटे टोपे को अपनी ज़ुबान से चाट लेती थी.

“जिस तरह विनोद ने पूरे शौक और चाहत से मेरी चूत को चाट चाट कर ये रात मेरे लिए यादगार बनाई है,उसी तरह मुझे भी कोई ऐसा कम करना चाहिए जिस से में भी विनोद को अपने मुँह से एक यादगार मज़ा दे सकूँ” विनोद के लंड को अपने मुँह और होंठों से चुसते चुसते मेरे दिल में ये ख्याल आया. तो में विनोद के लंड पर अपनी ज़ुबान फेरते फेरते अपना मुँह आहिस्ता आहिस्ता विनोद के टट्टो पर लाई और फिर विनोद के जूस से भरे भारी टट्टो को मुँह में भर कर उन को एक एक कर के चूसने लगी.

“ओह किय्ाआआआआआआअ मज़ाआआआअ है मेरी जानंननणणन्” ज्यों ही मेरा गरम मुँह और सॉफ्ट होंठ विनोद के टट्टो से छुए तो स्वाद के मारे विनोद के मुँह से एक सिसकी फूट पड़ी.

विनोद के लंड और टट्टो को चुसते वक्त मैने गिरफ़्त के लिए अपने दोनो हाथों को विनोद की गान्ड के इर्द गिर्द जकड़ा हुआ था.

में महसूस कर रही थी. कि ज्यों ही विनोद अपने लंड को मेरे मुँह में डालने के लिए आगे को झुकता. तो विनोद की गान्ड का मुँह पीछे खुल जाता था.

ये बात महसूस करते ही मुझे एक आइडिया आया. मैने विनोद के टट्टो से अपना मुँह हटा कर विनोद के लंड का टोपा एक बार फिर अपने मुँह में लिया. और बहुत जोश से विनोद के लंड को एक बार फिर से सक करने लगी थी.

विनोद भी अब मेरे मुँह को मेरी चूत समझ कर तेज़ी के साथ चोदने में मसरूफ़ हो गया.

ज्यों ही विनोद जोश में आ कर तेज़ी के साथ अपने मोटे लंबे लंड को मेरे हलक में उतराने लगा. तो मैने विनोद की गान्ड की पहाड़ियों पर जमे हुए अपने एक हाथ को विनोद के चुतड़ों में रखा. और फिर अपने हाथ की एक लंबी उंगली को एक दम विनोद की खुलती और बंद होती गान्ड की मोरी में घुसा दिया. 

ज्यों ही मेरे हाथ की उंगली पीछे से विनोद की कंवारी गान्ड के सुराख में घुसी. तो विनोद के जिस्म को एक दम से झटका लगा.

विनोद के लिए मेरी ये हरकत इतनी अचानक और मज़े दार थी कि दूसरे ही लम्हे विनोद चीखा“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ यहह किय्ाआआआआआआअ किया है तुम नेयययययी सायराआआआआआअ” और इस के साथ ही उस ने अपने मोटे लंड का पानी मेरे मुँह में उडेल दिया.

“हाईईईईईईईईईईईई विनोद का लंड के लैस दार पानी का ज़ायक़ा कितना तीखा है” विनोद के लंड से निकलने वाले गरम पानी ने ज्यों ही मेरे मुँह को पूरा भर दिया. तो इस बार मैने बिना झिझक अपने मुँह में आते हुए विनोद के पानी को शरबत समझते हुए अपने मुँह के रास्ते अपने हलक में उतारना शुरू कर दिया.

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ तुम तो ने तो कहा था कि तुम ने आज से पहले कभी लंड को सक नही किया, मगर तुम्हारी इस लंड चुसाइ ने तो मुझे वो मज़ा दिया है कि जो मैने आज तक कभी किसी और औरत से हासिल नही किया” अपने लंड का पानी मेरे हलक में उतराने के बाद विनोद एक दम से मेरे साथ सोफे पर गिरा पड़ा.

थोड़ी देर हम दोनो ने साथ साथ सोफे पर लेटे अपनी अपनी बिखरी सांसो को संभाला तो विनोद बोला “चलो उपर मेरे बेड रूम में चलते हैं सायराआआआआअ”.

विनोद की बात सुनते ही में सोफे से उठ खड़ी हुई. और इस के साथ मैने कमरे के हल्की रोशनी में सपना और यासिर की तरफ देखा तो यासिर को बदस्तूर सपना की चूत छोड़ने में मसगूल पाया.

में थोड़ी देर यूँ ही खड़ी अपने शौहर यासिर को अपनी सहेली सपना की चूत से लुफ्त अंदोज़ होता देखती रही. मगर इस दौरान यासिर अपनी चुदाई में इतना मगन था. कि उस ने एक बार भी आँख उठा कर मेरी तरफ देखना गवारा ना किया.

“चला यार उपर चल कर बिस्तर में मज़ीद एंजाय करेंगे” मुझे यूँ कमरे में खड़ा देख कर विनोद ने आवाज़ दी. तो में नंगी हालत में ही किसी रोबोट की तरह विनोद के पीछे पीछे सीढ़ियाँ चढ़ने लगी.

“विनोद लगता है कि तुम्हें इस बात की ज़रा भी परवाह नही कि मेरा शौहर इस वक्त तुम्हारी बीवी के साथ क्या खेल खेल रहा है “ मैने विनोद के साथ उस के बेडरूम में जाते हुए विनोद से कहा.

“यार जब में भी यासिर की बीवी के साथ वो ही कुछ कर रहा हूँ,जो वो मेरी बीवी के साथ कर रहा है ,तो फिर उस में और मुझ में क्या फरक बाकी रहा,वैसे भी जब तुम मुझे मिल गई हो तो फिर सपना यासिर से अपनी चूत मरवाए या किसी और से मुझे अब इस की कोई परवाह नही मेरी जान” अपने कमरे में घुसते ही विनोद ने मेरी बात का जवाब दिया. और इस के साथ पीछे से धक्का दे कर विनोद ने मुझे अपने बिस्तर पर गिरा दिया.

में ज्यों ही पेट के बल बिस्तर गिरी. तो बेड पर गिरते ही मेरी मेरी टांगे एक दम से खुल गईं और मेरी चौड़ी गान्ड पीछे से हवा में उपर की तरफ उठ गई.

मेरे यूँ बिस्तर पर गिरते ही विनोद एक दम मेरी खुली टाँगों के दरमियाँ आया. और आते साथ ही एक दम से अपने मोटे लंड को पीछे से फिर मेरी पानी पानी होती चूत में दाखिल कर दिया.

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ दो दफ़ा अपने लंड का पानी मेरी चूत और मुँह में खारिज करने के बावजूद तुम्हारे लंड में इतनी सख्ती है, अब बस भी करो कितना चोदो गे आज मुझे “ विनोद के लंड को अपनी गुदाज रानों के साथ रगड़ खा कर तेज़ी के साथ पीछे से अपनी चूत में आते हुए महसूस कर के में तड़प गई.

“उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ मैने तो अभी सारी रात तुम्हारी इस फुद्दि के मज़े लेने हैं,और तुम अभी से थकने लगी हो मेरी जान,ज़रा सबर और बर्दाश्त करो,क्योंकि अभी तो पार्टी शुरू हुई है सायराआआआआ” मेरी बात के जवाब में विनोद बोला और पीछे से मेरे घने और लंबे बालों को अपने हाथों में थामते हुए मेरी फुद्दी में एक बार फिर अपने मोटे अनकट से जोरदार धक्के मारने लगा.

उस रात पूरी रात विनोद ना खुद सोया और ना ही उस ने मुझे सोने दिया.वो पूरी रात मुतलाफ तरीकों से मुझे चोद चोद कर अपने मोटे अनकट हिंदू लंड से मेरी मासूम मुस्लिम पाकिस्तानी चूत की धज्जियाँ बिखेरता रहा.
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