09-17-2018, 01:50 PM,
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RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
मेरी योनि से बहता हुआ पानी धीरे धीरे करके बहता हुआ मेरी झांघो तक आ गया..
आअहह……. साहिब… मार डालोगे क्या.. आराम से करो.. मेम्साब कही जाग ना जाए…
अरे वो आराम से सो रही है.. सोने दे उसके चक्कर मे तू अपने मज़े क्यू खराब कर रही है.. और तू ये मुझे साहिब कहना बंद कर दे.. मेरा नाम पीनू है मुझे पीनू कह कर बुला या अमित कह कर कर ये साहिब मत कह..
अब अमित उसके उरोज को छ्चोड़ कर थोड़ा सा नीचे को खिसक गया ओर उसकी दोनो टाँगो के बीच मे आ कर बैठ गया.. वो उसके जिस्म पर खिसकता हुआ नीचे की तरफ गया था जिस कारण मुझे उसका लिंग नही दिखाई दिया.. उसका मुँह खिड़की की तरफ ही था.. मैं इस बात का पूरा ध्यान रख रही थी कि कही वो मुझे देख ना ले.. पर मुझे उसका लिंग देखे का बड़ा मन कर रहा था.. क्यूकी रूपा ने जैसा आवाज़ करते हुए कहा था कि साहिब तुम्हारा तो बोहोत बड़ा है, इस लिए मैं देखना चाहती थी कि उसका लंड कितना बड़ा है.. लंड शब्द मेरे दिमाग़ मे रूपा की बात सुन सुन कर आया था.. पर उन दोनो के मुँह से लंड-चूत सुन-सुन कर मुझे मज़ा आने लगा था..
वो उसकी टाँगो के बीच मे आकर उसकी दोनो टाँगो को उसके घुटनो से मोड़ कर उसके मुँह की तरफ कर दिया.. ओर उसकी योनि को देखने लग गया.. थोड़ी देर देखने के बाद उसने अपने एक हाथ को उसकी योनि के उपर ले कर फिराना शुरू कर दिया.. रूपा अपनी योनि पर अमित का हाथ महसूस करते ही बुरी तरह से मचल उठी.. ऑर ज़ोर ज़ोर से सिसकारिया मुँह से निकालने लगी..
सस्स्स्स्स्शह…….उूउउम्म्म्म………..आआअहह……………
उसकी निकलने वाली तेज तेज सांसो की आवाज़ मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी.. अंदर का सीन देख कर मेरी खुद की हालत बिगड़ती जा रही थी.. मेरा पूरा गला सूखा जा रहा था.. ऑर दोनो पैर बुरी तरह से कांप-कपा रहे थे.. मुझे अपने दोनो पैरो के बीच बोहोत कमज़ोरी महसूस होने लगी थी.. इतनी उत्तेजित तो मैं आज तक मनीष के साथ सेक्स करते हुए नही हुई थी जितनी अंदर का सीन देख कर हो गयी थी..
इसी उत्तेजना के कारण कब मेरी योनि ने अपना पानी बहा दिया.. पानी छ्चोड़ते हुए मैने अपनी दोनो आँखे बंद कर ली थी ऑर खिड़की के डोर को कस कर पकड़ ल्लिया था, मेरी योनि से निकले पानी के कारण जो मेरी जाँघो पर लगा हुआ था, मुझे बड़ा अजीब सा फील हो रहा था.. मैं पानी छूट जाने से थोड़ा लड़खड़ा गयी जिस कारण खिड़की का दरवाजा बंद हो गया..
खिड़की का दरवाजा बंद होने की आवाज़ से मैने अपने आप को संभाला ऑर फुर्ती के साथ खिड़की से दूर हो गयी.. खिड़की से हट कर कुछ देर बाद जब मैने दोबारा खिड़की के अंदर झाँक कर देखा तो अमित ने उसकी दोनो टांगे हवा मे उठा रखी थी ऑर उसकी योनि पर अपना मुँह लगा रखा था…
पिनुउऊुउउ…स्शह…. आआआआआआआअहह…….. ओर ज़ोर सीईईई… ओर ज़ोर सीईईई चतो खा जऊऊ इसेसीईई … ये तुम्हारी है…. चबा दू…. रुकना मात्त्तटटतत्त…
अमित बिल्कुल डॉगी स्टाइल मे जैसे डॉगी चाट’ता है…(मैने घर के बाहर एक-दो बार कुत्ते-कुतिया को देखा है.. ) ठीक वैसे ही रूपा की योनि को चाट रहा था.. ओर रूपा भी पूरी मस्ती के साथ अपने दोनो हाथो से उसके सर को पकड़ कर अपनी योनि पर दबाए चले जा रही थी.. अमित को इस तरह देख कर मुझे ज़रा भी नही लगा कि उसने मुझे देख लिया होगा.. क्यूकी जिस तरह से रूपा के साथ लगा हुआ था उसे देख कर तो लग रहा था कि उसने दरवाजे की तरफ ध्यान ही नही दिया.. अमित को रूपा की योनि चाट’ता हुआ देख कर मेरे मन मे आया…. छ्चीईई कितना गंदा आदमी है वाहा भी कोई मुँह लगाने की जगह है ?
थोड़ी देर मे मे रूपा की सिसकारिया भरी आवाज़े ऑर भी तेज़ी के साथ आनी शुरू हो गयी, ऑर उसका पूरा बंदन अकड़ना शुरू हो गया.. उसने अमित का सर पकड़ कर अपनी योनि पर कस कर दबा लिया ओर ज़ोर ज़ोर से पिनुउऊुुुुउउ मैंन्न्न् गाययययययययययीीईईई करते हुए शांत हो गयी..
अमित जब उसकी दोनो टाँगो के बीच मे से उठ कर खड़ा हुआ ऑर मेरी नज़र उसके लिंग पर गयी तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.. अमित का लिंग, लिंग नही लंड या लॉडा वर्ड ही एक दम सही है.. करीब 8” के आस-पास का था.. उसका तना हुआ लिंग देख कर मैं हैरत मे पड़ गयी कि क्या सच मे लिंग इतना बड़ा ओर मोटा भी हो सकता है, जैसा इस अमित का है.. उसने अपने दोनो हाथ रूपा के दोनो उरोज पर जमा दिए..
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09-17-2018, 01:51 PM,
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RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
पहली बार शीशे के आगे मैने खुद को पूरी तरह से नंगा देखा था.. शीशे मे अपने हुस्न का नज़ारा देख कर मेरे मुँह से सिसकारी सी निकल गयी.. आज पहली बार शीशे के आगे खुद को इस तरह से देख कर मुझे अपनी खूबसूरती का अहसास हुआ था.. आज पहली बार मुझे लगा था कि मैं कितनी सुंदर हू.. आज ही पहली बार मुझे पता चला था कि लोग मुझे घूर घूर कर क्यू देखते है.. ओर आज ही पहली बार मुझे एहसास हुआ था कि अमित की इसमे कोई भी ग़लती नही है. उपर वाले ने मुझे बनाया ही इतनी फ़ुर्सत से है..
अपने रूप को देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कान की लहर सी दौड़ गयी.. मेरी योनि के उपर जो हल्के हल्के बाल थे वो मेरी योनि के पानी से गीले हो कर चिपक गये थे.. मेरी योनि से रस अब भी बराबर निकल रहा था.. ना जाने मुझे क्या हुआ ऑर मैने मेरे एक हाथ को ले जा कर अपनी योनि के उपर रख दिया ऑर योनि की लकीर पर जो बाल बिखर से गये थे उन्हे अलग कर दिया.. बालो को सही करके मैं अपनी योनि को सहलाने लगी, थोड़ी देर योनि को सहलाने से ही मेरे घुटनो ने जवाब दे दिया.. दोनो पैर बुरी तरह से कंप-कँपाने लगे ओर योनि ने झटके लेते हुए पानी छ्चोड़ दिया…
शीशे मे ये नज़ारा देख कर मुझे खुद पर एक पल के लिए गुस्सा आया कि मैं ये सब उल्टा सीधा क्या सोच रही हू ऑर कर रही हू.. पर अगले ही पल अपने रूप का जलवा देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कान फैल गयी ओर मुझे खुद पर ही प्यार आने लग गया.. अपनी खूबसूरती को आज पहली बार मैने जाना था कि मैं क्या हू..
मेरी हाइट, मेरे मोटे-मोटे गोल उरोज, पतली कमर ऑर भरे हुए नितंब केले के तने के जैसी दो लंबी-लंबी गोरी टांगे ओर उनके बीच मे मेरी छ्होटे बालो से ढाकी योनि को शीशे मे देख कर मुझे खुद पर गर्व होने लग गया था..
इन सब चीज़ो मे जो एक चीज़ खराब लग रही थी वो थे मेरी योनि के उपर छ्होटे-छ्होटे उगे घने बाल.. मेरा हाथ अपने आप दोबारा से मेरी योनि के उपर आ गया.. योनि के उपर के बाल बुरी तरह से गीले हो कर चिप-चिपा रहे थे..
आज पहली बार सही मयनो मे मैने जाना था कि योनि को गीला होने किसे कहते है.. आज मुझे पहली बार पता चला था कि क्यू मनीष मुझे इतना प्यार करते है.. क्यू सुबह उठते ही मेरी योनि पर किस करते है.. क्यू वो रोज सेक्स करने के लिए इतने उतावले रहते है.. सब सोच कर मेरे चेहरे पर फिर से शर्मीली मुस्कुराहट आ गयी..
मेरे घुटनो मे बोहोत तेज दर्द हो रहा था ओर अब खड़ा होना मेरे लिए बोहोत मुश्किल होता जा रहा था इस लिए मैं शीशे के सामने से उठ कर अपने बेड पर आ गयी, बेड पर आ कर मैने अपनी दोनो टाँगो को फैला लिया. टाँगो को फैलाने से मेरी योनि पूरी तरह से खुल गयी ऑर कमरे मे एसी की ठंडी ठंडी हवा का अहसास मुझे मेरी योनि के अंदर हो रहा था.
मेरा हाथ मेरी योनि तक आ गया ओर धीरे धीरे उपर नीचे सहलाने लगी, थोड़ी देर योनि को सहलाने के बाद मेरा हाथ वहाँ था जहा मनीष का लिंग अंदर बाहर होता था. अपने योनि का छेद मिल जाने से मेरी एक उंगली अपने आप उस छेद के अंदर चली गयी. उंगली अंदर करते ही मैं पूरे जोश मे आ गयी थी ओर मेरे मुँह से मादक सिसकारिया निकलना शुरू हो गयी जैसे अभी थोड़ी देर पहले रूपा के मुँह से सुनी थी.
जोश मे आते ही मैने अपनी गर्दन को एक अदा के साथ झटका ऑर फिर से खुद को शीशे मे देखा. बेड के उपर पड़ा मेरा जिस्म मुझे उस समय दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ लग रहा था. मेरे बिखरे हुए बाल मेरे कंधे से होकर मेरे उरोजो को, जो छत की तरफ सीना ताने हुए थे, धक रहे थे. जोश ऑर एसी की ठंडक के अहसास के कारण दोनो निपल्स टाइट हो गये थे.
दोनो खुली हुई टांगे ओर उनके बीच मेरी रिस्ति हुई गीली योनि, ओर योनि के उपर उसे सहलाता हुआ मेरा हाथ. इस नज़ारे को देख कर मैं जोश ओर रोमांच की सारी सीमाए तोड़ कर उसमे खोती चली गयी ओर पहली बार मेरे हाथ ऑर मेरी योनि की जंग सी छिड़ गयी. मुँह से लंबी लंबी सिसकारिया निकलने लगी जो धीरे धीरे तेज होती चली जा रही थी ऑर थोड़ी देर बाद ही मेरा शरीर अकड़ता चला गया ओर मेरे मुँह से निकलने वाली सिसकारिया बंद हो गयी..
जोश ओर रोमांच का तूफान जब थमा तो मेरे जिस्म मे ज़रा भी जान बाकी नही थी. मेरी साँसे बुरी तरह से उखड़ रही थी. मनीष के साथ सेक्स करने के बाद भी मैने खुद को कभी इतना कमज़ोर नही महसूस किया था. पूरे बदन मे आज जो रोमांच की लहर उठी थी आज तक नही उठी थी.
आज अपने हाथो से खुद को इस तरह संतुष्ट करके मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैने सेक्स का मज़ा आज पहली बार लिया था. मेरी योनि से बहता हुआ पानी, बहते हुए मेरे नितंब तक आ गया था. मैने अपने आप को शीशे मे देखा ऑर खुद को देख कर मुस्कुरा उठी. थोड़ी देर बेड पर पड़े मैने अपने नंगे जिस्म को शीशे मे देखने के बाद आँखे बंद कर के लेट गयी.
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