Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
09-17-2018, 01:56 PM,
#31
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
एक दूसरे का पानी सॉफ करने के बाद मनीष ने मुझे किस करते हुए ही बेड पर लेटा दिया और मेरे बगल मे ही लेट गये. थोड़ी देर यूँ ही लेटे रहने के बाद जब हम दोनो कुछ नॉर्मल हुए तो मनीष ने वापस मेरे होंठो को किस करना शुरू कर दिया और मेरे उपर चढ़ गये. मनीष का लिंग मुझे मेरे थाइस पर महसूस हो रहा था. उन्होने मेरे होंठो को छ्चोड़ कर एक हाथ से मेरे उरोज को पकड़ कर उसको दबाना शुरू कर दिया. और दूसरे उरोज को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया.

मनीष के यूँ लगातार 15-20 मिनट तक मेरे उरोजो को चूसने से मैं एक बार फिर से उत्तेजना के असीम सागर मे गोते खाने लगी थी.

मनीष- “निशा मेरी जान तुम बोहोत खूबसूरत हो दिल ही नही भरता तुम से.. जान प्लीज़ आज मेरे इस को चूसो ना. तुम्हे भी बोहोत मज़ा आएगा” मनीष ने अपने लिंग को हाथ मे लेकर उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा.

मैं तो कब से मनीष के लिंग को चूसने की सोच रही थी पर पहल करने से डर रही थी कि पता नही मनीष क्या सोचेगे. यही सब मेरे दिमाग़ मे चल रहा था. मुझे यूँ सोच मे खोया हुआ देख कर मनीष ने कहा “ ओके ठीक है कोई बात नही तुम्हे नही पसंद तो कोई ज़बरदस्ती नही है” कह कर मनीष ने मुस्कुरा दिया.

मैने बिना कुछ बोले हुए ही मनीष के लिंग को अपने हाथ मे ले लिया. मनीष मेरे दूसरी तरफ लेटे हुए थे. मनीष को लिंग को जो हल्का हल्का खड़ा हुआ था मेरे हाथ लगते ही झटके लेटा हुआ खड़ा होने लगा और देखते ही देखते सख़्त हो कर एक दम किसी रोड के जैसा सख़्त हो गया. मैने मनीष के लिंग को हाथ मे पकड़ कर लिंग का सूपड़ा अपने मुँह मे ले लिया. मुँह के अंदर लिंग का सूपड़ा जाते ही मुझे बड़ा अजीब लगा एक बार तो ऐसा लगा कि मुझे उल्टी ना हो जाए. और मैने फॉरन मनीष के लिंग को अपने मुँह से निकाल दिया.

“क्या हुआ ? अच्छा नही लगा क्या ?” मनीष ने मेरे चेहरे पर आए उलझन के भाव को देखते हुए कहा.

“नही कुछ नही मैं ठीक हू. बस थोड़ा अजीब सा लग रहा था” मैने अपने मन की बात मनीष को बता दी.

“जान शुरू शुरू मे अजीब ही लगता है पर बाद मे मज़ा आने लग जाता है.” मनीष ने मेरे सर पर प्यार से हाथ फिराते हुए कहा.

मैने दोबारा से अपने उपर कंट्रोल करते हुए मनीष के लिंग को मुँह मे ले कर चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक तो अजीब लगा पर धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा. मैने मनीष के लिंग के आराम-आराम से चूस रही थी और एक हाथ से उसके टटटे को भी सहलाने लगी. मैं मनीष के लिंग के सूपदे को चूस्ते हुए बीच बीच मे काट लेती थी जिस कारण मनीष के मुँह से मस्ती भरी “आआअहह” की आवाज़ निकल जाती. अब मुझे लिंग चूसने मे बड़ा मज़ा आने लग गया था. और मैं तेज़ी के साथ मनीष के लिंग को चूसे जा रही थी. मनीष ने भी अपने हाथो को मेरे उरोज पर रख दिया और एक उरोज को हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया. मनीष का लिंग मेरे मूह मे अंदर बाहर हो रहा था और यहाँ तक कि मैं बीच बीच मे उसके टॅटू को भी चूस जया करती मज़े मज़े मे. बात नही तुम्हे नही पसंद तो कोई ज़बरदस्ती नही है"आर रही थी कि पता नही मनीष क्या सोचेगे. यही आएग

थोड़ी देर तक मैं यूँ ही मनीष के लिंग और उसके टॅटू को चुस्ती रही चाट’ती रही फिर मनीष ने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरी दोनो टाँगो को फैला कर मेरी योनि को देखने लगे और फिर मेरी योनि को फैला कर अपनी जीभ को उसमे डाल कर घुमाने लगा..

सस्स्सीईई….. आहहााअ सस्स्सीईई….

मनीष के जीभ को योनि पर घूमाते ही मेरे मुँह से ज़ोर-ज़ोर से सिसकारिया निकालने लग गयी और मैने मनीष के सर को अपनी योनि पर दबाने लगी. मनीष भी योनि को सक करते हुए मेरे नितंब को मज़े से दबाए जा रहे थे. पता नही मनीष को क्या सूझा और वो 69 पोज़िशन मे हो गये अब मनीष का लिंग मेरे चेहरे के ठीक सामने था और मनीष मेरी योनि पर अपना मुँह लगा कर उसको बराबर सक किए जा रहे थे. मैने भी मनीष का इशारा समझते हुए उनके लिंग को हाथ मे पकड़ कर अपने मुँह मे लेकर उसको सक करने लगी.
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09-17-2018, 01:56 PM,
#32
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
मैं- “जानू अब नही रहा जा रहा है अपना लिंग डाल दो ना” जब मुझसे बर्दाश्त नही हुआ तो मैने मनीष को कह दिया.

मनीष- “हाँ मेरी जान… मुझसे भी अब नही रहा जा रहा है लंड बेताब हो रहा है तुम्हारी चूत मे जाने को.”

मैं- “क्यूँ तडपा रहे हो मनीष अब करना शुरू भी करो ना” मैने बैचैन होते हुए मनीष से कहा.

मनीष- “ओह्ह मेरी जान… ये ही तो मे सुनना चाह रहा था लो मेरी जान.” मनीष ने वापस मेरी टाँगो मे बीच मे बैठते हुए कहा.

मानिीश ने एक दम से अपना लिंग मेरी योनि मे डाल दिया.

आआहह मेरी मूह से दर्द और मज़े से मिली जुली आवाज़ निकली आअहह मज़ा आ गया जान करते रहो ना

मनीष ने भी अब फुल स्पीड पकड़ ली थी और तेज़ी के साथ अपने लिंग को योनि मे अंदर बाहर कर रहे थे जिस कारण मेरे मूह से सेक्सी आवाज़े बाहर आनी शुरू हो गयी.

पूरा बेड हिल रहा था लेकिन उस टाइम किस को परवाह थी इन चीज़ो की मैं तो बस चुदवाना चाहती थी. मनीष का लिंग मेरी योनि से चिपक कर अंदर बाहर हो रहा था. मनीष के साथ सेक्स करने मे जो ख़ासियत थी कि वो पूरा लिंग बाहर निकल फिर अंदर डालते है हर बार योनि मे इससे फुल मज़ा मिलता है. मनीष फुल स्पीड के साथ सेक्स कर रहे थे जिस से मेरी योनि को और मुझे फुल मज़ा आ रहा था. पूरे कमरे मे हमारी सिसकारिया की और मनीष के लिंग के अंदर जाते ही उसके टॅटू के टकराने से ठप-ठप की आवाज़ घूंज रही रही.

थोड़ी देर बाद ही मैं झाड़ गयी पर मनीष थे कि रुकने का नाम ही नही ले रहे थे. सेक्स का मज़ा तो आ रहा था पर जो मज़ा अमित के साथ आया था वो मज़ा नही आ रहा था. अमित का लिंग सीधे मेरी बच्चे दानी को चोट करता था पर मनीष का बाहर ही रह जाता था मज़ा तो आ रहा था पर कुछ कमी सी महसूस हो रही थी. मैं मन ही मन मे दुआ कर रही थी कि काश की मनीष का थोडा बड़ा और होता. लेकिन… मनीष लगातार योनि मे धक्के पर धक्के लगाए जा रहे थे. थोड़ी देर और धक्के लगाने के बाद मनीष का भी शरीर अकड़ने लग गया और उन्होने मेरे उरोजो को पकड़ कर मेरे होंठो को किस करना शुरू कर दिया. और झटके लेता हुआ उनका लिंग मेरी योनि मे पानी छोड़ने लग गया.

सेक्स करने के बाद हम दोनो नंगे ही बेड पर सो गये कब हम दोनो को नींद आ गयी पता ही नही चला. सुबह जब आँख खुली तो 7 बाज रहे थे. मैने जल्दी से बेड से उठी ही थी की मनीष ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया.

“सो कर उठ गयी तुम ?” कहते हुए मनीष ने वापस मुझे अपने उपर खींच लिया. “छ्चोड़िए ना क्या कर रहे है सुबह हो गयी है, आप भी उठ जाइए मैं जा कर आप के लिए चाइ बना कर लाती हू.” मैने मनीष के सर पर प्यार से हाथ फिरते हुए कहा.

“गरम चाइ मे क्या मज़ा मिलेगा जो सुबह-सुबह तुम्हारे होंठो को किस करने मे आता है” कहने के साथ ही मनीष ने मेरे होंठो को अपने होंठो के बीच मे कस कर जाकड़ लिया और किस करना शुरू कर दिया. किस करने मे मैने भी मनीष का साथ दिया और मैने भी उनके होंठो को किस करने लगी. थोड़ी देर यूँ ही किस करने के बाद मैं मनीष से अलग हो गयी और उठ कर किचन मे जाने लगी तो मनीष ने मुझे फिर से पकड़ लिया.

“जान बिना चुम्मा दिए कहाँ जा रही हो ? बिना चुम्मा लिए मेरा दिन कैसे होगा ?” मनीष ने फिर से मुझे पकड़ लिया.

मुझे अच्छे से पता था कि मनीष किस चुम्मा की बात कर रहे है पर मैने अंजान बनते हुए कहा “अभी तो किस किया ना दोनो ने और कॉन सा चुम्मा चाहिए तुम्हे. हहहे” कह कर मैं हंस दी. और बेड से उतर कर किचन की तरफ चल दी, इस से पहले की मैं एक कदम भी आगे बढ़ाती मनीष ने बेड से लेटे लेटे ही मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया.

“तो आप को नही पता कि मैं किस चुम्मे की बात कर रहा हू” कहते हुए मनीष ने मेरे हाथ को छ्चोड़ कर अपने दोनो हाथो से मेरी दोनो थाइ पकड़ ली.

मैं मनीष के चेहरे पर एक दम झुक गयी जिस कारण मनीष के चेहरे पर मेरे बाल फैल गये और मैने ना मे गर्दन हिला दी और हल्के से हंस दी.

“अभी आप को पता चल जाएगा कि हम किस चुम्मा की बात कर रहे थे.” कहते हुए मनीष बेड से उठ कर अपने चेहरे को एक दम मेरी योनि की तरफ ले आए.

मनीष के चेहरे को अपनी तरफ आता देख मैने मनीष की पकड़ से छूटने की कोसिस की ताकि मनीष को परेशान कर सकु. उस वक़्त हम दोनो ही एक दम नंगे थे. और मैं उनकी क़ैद से छूटने मे भी कामयाब हो गयी और मनीष की पकड़ से छूट कर थोड़ा दूर पीछे की तरफ हो गयी. और उन्हे दूर खड़े हो कर चिढ़ाने लग गयी.

मनीष इतनी फुर्ती के साथ बेड से उठे कि मुझे पता ही नही चला कि कब वो मेरे पास तक आ गये और मुझे पकड़ अपनी गोद मे उठा लिया. गोद मे उठाए हुए ही मनीष ने मेरे गालो को अपने मुँह मे भर लिया और हल्के से काट लिया. “अओुच्च क्या कर रहे हो” मनीष के यूँ मेरे गाल पर काट लेने से नखरे दिखाते हुए मनीष से कहा और अपने चहरे को शर्म के मारे दोनो हाथो से ढक लिया.

मनीष ने मुझे गोद मे उठाए हुए ही दोबारा से बेड पर ले जा कर लेटा दिया. मैने अब भी अपना चेहरा अपने दोनो हाथो से ढक रखा था. मनीष मेरी दोनो टाँगो को फैला कर उनके बीच मे आ गये और अपने होंठो को मेरी योनि पर लगा कर उसे किस करने लगे उनके हाथ कभी मेरी थाइ पर तो कभी मेरे पेट पर चल रहे थे जिस वजह से मुझे हल्की हल्की गुद-गुडी सी होने लग गयी. मनीष बराबर मेरी योनि को किस किए जा रहे थे. मैं बेड पर धीरे धीरे मचलने लग गयी. तभी मनीष का मोबाइल बजने लग गया.
क्रमशः................
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09-17-2018, 01:56 PM,
#33
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
तड़पति जवानी-पार्ट-11

गतान्क से आगे.........
मनीष का मोबाइल बजते ही मैने एक राहत की साँस ली. और अपनी आँख खोल कर मनीष को देख कर उन्हे चिढ़ने लग गयी. मनीष मेरे पास से उठे और अपना मोबाइल उठा कर बात करने लगे. वो फ़ोन ड्राइवर का था जिसे मनीष ने अपने साथ गाड़ी चलाने के लिए कहा था. रास्ता ज़्यादा लंबा नही था गाँव का पर गाँव मे अपनी रेप्युटेशन दिखाने के लिए मनीष ने उसे हाईयर कर लिया था.

मैं भी वही खड़ी हुई थी और ड्राइवर और मनीष की बात सुन रही थी. जब मनीष ने फ़ोन रखा तो मैने मनीष से मना कर दिया और कहा “क्या ज़रूरत है अपने साथ ड्राइवर को ले जाने की. आप और मैं आराम से अपनी गाड़ी मे बैठ कर चलेगे.”

मनीष ने मेरी बात सुनी और एक नज़र मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दिए और बोले “ठीक है मेरी जान कोई ड्राइवर हमारे साथ नही चलेगा अब खुश इसी बात पर एक किस और दे दो.” मनीष की बात सुन कर मैं मुस्कुरा दी और “धात्त” बोल कर अलमारी से अपने और मनीष के लिए कपड़े निकालने लग गयी.

मनीष मेरे पीछे ही आ कर खड़े हो गये और पीछे से ही मुझे कस कर पकड़ लिया. “क्या कर रहे हो छ्चोड़ो ना कपड़े निकालने दो पहने के लिए” मैने मनीष से नखरे दिखाते हुए कहा.

“अरे गोली मारो कपड़ो को मेरा तो दिल करता है कि तुम्हारे साथ यूँ ही बिना कपड़ो के सारी जिंदगी पड़ा रहू.” मनीष ने मेरी गर्दन पर किस करते हुए कहा. मनीष का लिंग ठीक मेरे नितंब पर महसूस हो रहा था. उन्होने भी अपने लिंग को मेरे नितंब की दरार पर रगड़ना शुरू कर दिया. “क्या कर रहे हैं आप छ्चोड़िए ना… आप को तो बस मौका चाहिए कभी भी शुरू हो जाते है” मैने भी पीछे की तरफ देखते हुए मनीष से मुस्कुराते हुए कहा.

“चलो निशा एक बार और सुबह सुबह कर लेते है फिर पता नही गाँव मे मौका मिला नही मिला करने का” मनीष ने अपना एक हाथ मेरे उरोज पर रख कर उसे दबाते हुए और दूसरे हाथ से मेरे नितंब को मसल्ते हुए मेरी गर्दन पर किस करते हुए कहा.

“ना मिले तो अच्छा ही है. कम से कम आप मुझे तंग तो नही कर पाएगे. हहहे” मैने मनीष की बात पर हंसते हुए कहा.

मैने अलमारी से अपने और मनीष के कपड़े निकाल लिए और पलट कर मूड गयी पर मनीष तो जैसे मेरे से चिपक ही गये थे छ्चोड़ ही नही रहे थे मुझे “अरे अब छ्चोड़ो भी मनीष हमे तैयार हो कर गाँव के लिए भी निकलना है. आप भी जब तक फ्रेश हो लो जब तक मैं चाइ बना लेती हू” मैने मनीष को समझाते हुए कहा.

मनीष का दिल तो नही था मुझ से अलग होने का पर मैने जब थोड़ा सा गुस्से से उनकी तरफ देखा तो वो मान गये और अपने कपड़े ले कर फ्रेश होने चल दिए. मैं भी वहाँ से मेक्शी पहन कर किचन मे आ गयी चाइ बनाने के लिए. और अपनी लाइफ के बारे मे सोचने लगी.. कितना चाहते है मनीष मुझे कितना प्यार करते है और मैने उन्हे धोका दिया है. ये सोच कर ही मेरा मन ग्लानि से भर जाता है. मैने कितना ग़लत किया है मनीष के साथ मैने मनीष के प्यार और विश्वास दोनो का खून कर दिया. जिस दिन उन्हे पता चलेगा क्या बीतेगी उनके दिल पर. मैं अभी सोच ही रही थी कि तभी मनीष के बाथरूम से नहा कर बाहर निकलने की आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा और मैं वापस चाइ की तरफ ध्यान देने लगी. थोड़ी देर मे चाइ ले कर मैं मनीष के पास आ गयी और उनके साथ चाइ पीने लगी. मनीष को थोड़ा काम था ऑफीस से इस लिए वो चाइ नाश्ता करके थोड़ी देर मे वापस आने की ओर जाने की तैयार करने की बोल कर चले गये.

मैं भी जल्दी जल्दी से जो सामान मनीष कल ले कर आए थे वो और अपने मतलब का सब सामान पॅक करने लगी थोड़ी ही देर मैने मैने जाने की सारी पॅकिंग कर ली और तैयार होने के लिए मैं बाथरूम मे आ गयी. नहा कर मैं बेड रूम मे आ गयी और पहने के लिए कपड़े देखने लगी कि क्या पहन कर जाया जाए. काफ़ी देर तक सोच विचार करने के बाद एक हल्के स्काइ-ब्लू कलर की साड़ी पहन ली. हल्के होने की वजह से गर्मी मे भी ठीक थी.

थोड़ी ही देर मे मनीष भी आ गये. मुझे देख कर एक पल के लिए तो उनकी आँखे मुझ पर जमी की जमी रह गयी. “तुम तो सच मे आज कयामत लग रही हो. आज तो जो भी तुम्हे देखेगा तुम्हारा दीवाना ही हो जाएगा.” मनीष ने मुझे तैयार देख कर कहा.

“क्या फालतू की बात कर रहे हो आप” मैने भी बनते हुए कहा.

मनीष- “नही जान सच मे आज तुम सच मे कयामत लग रही हो गाँव हम बाद मे चलेगे चलो पहले एक बार हो जाए” मनीष ने मेरे करीब आते हुए कहा.

“ऐसा कुछ भी नही है. और अब आप ये बाते बनाना बंद कीजिए और चुप चाप गाँव के लिए चलिए.” मैने अपने हाथ मे सामान पकड़ कर मनीष को पकड़ते हुए कहा.

“तुम भी ना एक दम पूरे मूड की वॉट लगा देती हो” मनीष ने मायूसी भरा चेहरा बनाते हुए कहा.

और हम दोनो ने अपना सामान पूरा कार के अंदर रख लिया. सब सामान रखने के बाद मैने सूटकेस की चाभी वगेरह मनीष को दे दी. जिसे उन्होने अपनी पेंट की जेब मे रख लिया. पूरा सामना गाड़ी मे रखने के बाद हम दोनो कार मे बैठ कर गाँव के लिए चल दिए.
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09-17-2018, 01:56 PM,
#34
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
मनीष गाड़ी चलते समय मुझे देख कर मुकुरा रहे थे. “ऐसे मेरी तरफ देख कर क्यू मुस्कुरा रहे है ? सामने देख कर गाड़ी चलाइए ना” मैने मनीष से चुटकी भरे अंदाज मे कहा.

“देख रहा हू की तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो. आज तो तुम शादी वाले दिन से भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही हो” कह कर मनीष ने गाड़ी चलते हुए ही मेरे गले मे हाथ डाल दिया और मेरे गाल को पकड़ कर कूची मूची मूष करने लगे.

“आप को तो बस बहाना चाहिए” मैने भी मनीष की इस हरकत पर मुस्कुराते हुए कहा.

“आइ लव यू निशा. सच मे आज तुम बोहोत खूबसूरत लग रही हो मन कर रहा है कि” मनीष अपनी बात पूरी करते इस से पहले ही मैने उन्हे बीच मे ही टोक दिया.

“तो क्या अब रोड पर ही करोगे क्या ?” मैने भी मनीष से मज़े लेने के लिए रोमॅंटिक अंदाज मे कहा जैसे मुझे भी वही फीलिंग आ रही हो जैसे मनीष को आ रही थी.

अभी हम आधे रास्ते मे ही आए थे कि मनीष ने कार बीच रास्ते मे ही रोक दी. “क्या हुआ मनीष गाड़ी क्यू रोक दी ?” मैने घबराते हुए पूछा.

हमारी कार खेतो से कुछ दूरी पर रुकी हुई थी. मनीष ने मुझे अपने हाथ से इशारा करते हुए कहा “निशा उधर देखो सामने”

मैने मनीष के हाथ की दिशा मे देखा जिस तरफ उन्होने देखने को कहा था मेरी तो आँखे खुली की खुली रह गयी. एक नयी उमर की लड़की दो लड़को के साथ जो उस से उमर मे थोड़े ही बड़े लग रहे थे के साथ मे बैठी हुई थी. और उसकी कमीज़ के बटन खुले थे और उसके छोटे छोटे उरोजो को वो दोनो लड़के अपने हाथ से पकड़ कर मसल रहे थे.

“देखो निशा कैसे मज़ा कर रहे है ये लोग और एक तुम हो जो मुझे कुछ करने नही देती हो.” मनीष ने मुझे एक तक उस तरफ देखते हुए कहा.

“ये सब क्या है मनीष आप फॉरन गाड़ी स्टार्ट कीजिए और चलिए यहाँ से” मैने मनीष पर थोड़ा सा गुस्सा करते हुए कहा.

“अरे रूको ना जानेमन थोड़ा देखने तो दो की ये लड़के आख़िर करते क्या है उस लड़की के साथ” मनीष ने मुझे चुप होने का इशारा करते हुए कहा.

“उन्हे जो करना है आप उन्हे करने दीजिए और आप यहा से चुप-चाप कार स्टार्ट करके चलिए” मैने मनीष से चलने को कहा क्यूकी मुझे पता था कि ये सब देख कर इनका भी मूड बन जाएगा और ये भी शुरू हो जाएगे.

मनीष का मन नही हो रहा था वहाँ से हटने का पर मैने ज़ोर दे कर उन्हे वहाँ से चलने को कहा. जाते हुए मैने एक नज़र दोबारा उनकी तरफ देखा वहाँ पर उन लड़को के साथ कॅमरा भी रखा हुआ था. कॅमरा को देख कर मैं सोच मे पड़ गयी की पता नही क्या होने वाला है, कही ये उस लड़की की ब्लूफिल्म तो नही बना रहे है. पर फिर ख़याल आया कि मुझे क्या लेना देना ये उस लड़की की अपनी पर्सनल लाइफ है. वो चाहे जो करे मैं कॉन हू उसके बीच मे बोलने वाली. उस लड़की का चेहरा मेरी आँखो मे बस गया था. मनीष को शायद लड़की का चेहरा नही दिखा था इसलिए वो बार बार मेरी सीट की तरफ आ कर देखने की कोसिस कर रहे थे पर मेरे चेहरे पर गुस्से के भाव को देख कर वो वापस अपनी सीट पर बैठ जाते.

कार दोबारा अपनी स्पीड से चलने लगी. मनीष का चेहरा बोहोत बुझा बुझा सा हो गया था क्यूकी मैने उन्हे वो सब नही देखने दिया था इसलिए. थोड़ी देर कार मे एक दम खामोशी सी च्छा गयी और फिर मनीष ने एक ठंडी आह भरते हुए कहा “तुम बोहोत गंदी हो कुछ भी नही देखने दिया अच्छा ख़ासा लाइव शो देखने को मिल रहा था. तुमको नही देखना था तो नही देखती मुझे तो देखने देती, कैसे वो लड़के उसके बूब्स दबा रहे थे.” कहते हुए मनीष ने अपने पेंट मे अपने लिंग को ठीक करते हुए कहा.

“तुम्हे तो बस मौका चाहिए ये सब के लिए जहाँ देखो वाहा शुरू हो जाते हो” मैने फिर से गुस्से मे कहा.

“अरे तो जान किसी और के साथ नही सिर्फ़ तुम्हारे साथ ही तो करता हू. वरना मेरे जैसे हॅंडसम लड़के के लिए लड़कियो की कमी नही है लड़किया लाइन लगा कर खड़ी रहती है मेरे इंतजार मे.

“हां पता है कितनी लड़किया लाइन लगा कर खड़ी रहती है” उनकी ये बात सुन कर मेरी हँसी निकल गयी.

मुझे हंसता हुआ देख कर मनीष भी मुस्कुरा दिए “वैसे निशा तुम गुस्से मे ज़्यादा खूबसूरत लगती हो. पूछो क्यू ?” मनीष ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा. “तुम्हारी दोनो आँखे एक दूसरे को किस करने लग जाती है गुस्से मे. हहहे” कहते हुए मनीष ज़ोर ज़ोर से हँसने लग गये.

मैने उनके हाथ पर प्यार से हाथ मारा और मैं भी ज़ोर से हँसने लग गयी.
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09-17-2018, 01:57 PM,
#35
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
थोड़ी देर यूँ ही हँसी मज़ाक करते हुए हम गाँव मे आ गये. गाँव के अंदर आते ही जो जान पहचान वाले लोग थे हमे देख कर नमस्ते वगेरह करने लग गये. मनीष भी हाथ हिला कर सबको थॅंक्स कर रहे थे. थोड़ी ही देर मैं हमारी कार सीधे आ कर हमारे घर पर खड़ी हो गयी.

गाँव वाले घर मे आते ही सारे घर वाले हमारे स्वागत के लिए आ गये. शादी के बाद से अब वापस आना हुआ था गाँव मे. इस लिए सब लोग बड़ी ख़ुसी-ख़ुसी आ कर हम लोगो का स्वागत करने लगे. मम्मी-पापा, चाचा-चाची, मेरे देवर और बाकी के घर वाले सबने मिल कर हमारा खूब स्वागत किया.

मैने और मनीष ने मम्मी पापा चाचा-चाची के पैर छू कर उनसे आशीर्वाद लिया और बाकी घर वालो से गले मिल ली. मनीष भी बाकी घर वालो के साथ घुल मिल कर अपने हाल चल लेने लगे.

“अरे यही बाहर खड़े रहोगे या अंदर भी चलेगे” मॅमी ने हम दोनो को अंदर चलने के लिए कहा.

हम सभी अब घर मे आ गये थे पापा और चाचा ने बाकी लोगो से कह कर गाड़ी से सामान उतरवा लिया. अंदर आ कर मैं मम्मी के साथ ही हो गयी. जो मुझे बाकी लोगो से मिलवाने लगी. शादी का महॉल था इसलिए काफ़ी सारे रिश्तेदार आए हुए थे जिनमे से कुछ मे जानती थी कुछ को नही. मम्मी एक एक करके मुझे सब लोगो से मिल्वाति गयी. सब से मिल लेने के बाद मुझे काफ़ी ख़ुसी हुई पर गाड़ी मे सफ़र करके आने के कारण शरीर मे काफ़ी थकावट भी थी.

शादी को अभी 1 हफ़्ता था, शादी घर मे ही थी इस लिए हमे जल्दी आना पड़ा. ताकि शादी मे होने वाली रस्मो को पूरा किया जा सके, गाँव के लोग वैसे भी पुराने ख़यालात के होते है जल्दी बुरा मान जाते है. और हमारा जो घर था वो इस गाँव का सबसे माना हुआ घराना था. पूरा गाँव हमारे घर वालो की इज़्ज़त करता था.

मैं सब से मिल कर मम्मी से कहने ही वाली थी कि मम्मी मैं थक गयी थोड़ा फ्रेश होना चाहती हू. उस से पहले ही कुछ लोग और भी आ गये शायद मनीष के आने की खबर सुन कर आए थे. मम्मी ने उनका स्वागत किया और मुझे भी उनसे मिलवाया. “बेटी इनसे मिलो ये है शर्मा जी और इनकी पत्नी, बेटी पैर छुओ इनके” मम्मी ने मुझे उनसे मिलवाते हुए पैर छूने का इशारा किया. आंटी जी के पैर छू कर मैने जैसे ही अंकल जी के पैर छूने को झुकी अंकल जी ने मेरे कंधे से मुझको पकड़ लिया. “अरे बेटी क्या कर रही हो तुम्हारी जगह पैरो मे नही है” मैने शर्मा जी की तरफ देखा तो मुझे उनकी आँखे कुछ अजीब लगी उनकी आँखो मे वासना की झलक सॉफ दिख रही थी.

शर्मा जी की आँखे कभी मेरे चेहरे तो कभी मेरी छाती पर चुभती हुई महसूस हो रही थी. “अरे बेहन जी बोहोत ही सुन्दर बहू मिली है आप को” शर्मा जी ने मेरी तारीफ करते हुए कहा. पर उनकी नज़र अब भी मेरे उपर चल रही थी.

“हां भाई साहब अब ये दोनो आ गये है तो काफ़ी मदद मिलेगी शादी के काम काज मे. आप लोग बैठिए ना जब तक मैं ज़रा दूसरे और काम देख लेती हू.” मम्मी कह कर वहाँ से दूसरी तरफ चली गयी.

“अच्छा तुम जब तक बहू से बैठ कर बात करो मैं भी ज़रा मनीष से मिल लेता हू” अपनी पत्नी से कह कर शर्मा अंकल बाहर की तरफ चले गये जहा पर मनीष खड़े हुए थे. वो अब भी मनीष और पापा से बात करते हुए मेरी छाती की तरफ ही नज़रे चुरा कर देखते और गंदी सी स्माइल पास कर देते मेरी तरफ.

देखने से शर्मा अंकल की एज करीब 50-55 साल के आस-पास होगी पर उनका शरीर एक दम कसा हुआ था. शरीर की डील डोल देखने से पता चलता था कि वो अब भी कसरत वगेरह करते है जिस से उनका शरीर एक दम कसा हुआ है. अपनी तरफ उनको यूँ घूरता हुआ देख कर मुझे बड़ा अजीब लग रहा था. पर जिस तरह से मम्मी जी उनकी रेस्पेक्ट कर रही थी. मैं एक दम स्पीचलेस हो गयी थी. कि क्या काहु क्या ना कहु उनकी इस हरकत के बारे मे. जितनी उमर शर्मा जी की लग रही थी उस से भी कम उनकी वाइफ की लग रहीथी देखने से उनकी वाइफ की एज करीब ज़्यादा से ज़्यादा 35-36 साल के करीब ही लग रही थी. मैं उनकी पत्नी को बड़ी हैरानी से देख रही थी. थोड़ी देर हम दोनो ने आपस मे बात चीत भी की और वहाँ पर मौजूद बाकी लोगो से भी.

थोड़ी ही देर मे धीरे धीरे करके सारी भीड़ कम होती चली गयी. मैं भी अब काफ़ी तक गयी थी. और कपड़े चेंज करके फ्रेश होना चाहती थी. अभी मैं सोच ही रही थी कि तभी मुझे मम्मी ने आवाज़ लग दी “निशा बेटी सुन ज़रा इधर आ” मम्मी की आवाज़ सुन कर मैं वाहा जहाँ पर बुला रही थी आ गयी. अंदर सब घर वाले ही बचे हुए थे जहा पर विकास मेरे देवर, अनिता चाचा जी की लड़की और चाची बैठे हुए थे. “अरे बेटा चल कुछ नाश्ता पानी कर ले, भीड़ भाड़ के चक्कर मे तूने और मनीष ने कुछ खाया पीया ही नही है. मैं ज़रा मनु को बुला कर लाती हू” मम्मी ने बड़े प्यार से मेरे सर पर हाथ फिराते हुए कहा और मनीष को बुलाने के लिए जाने लगी तभी चाची जी भी उनके साथ हो ली. मनीष का घर का नाम मनु था.

मम्मी और चाची के वहाँ से जाने के बाद अब हम तीन लोग ही बचे थे.

“तो देवर राजा जी कैसी है हमारी आने वाली देवरानी?” मैने विकास से चुटकी लेते हुए कहा.

“अब भाभी जी मुझे कैसे पता होगा कि कैसी है मुझे तो केवल उसकी फोटो दिखाई गयी थी. बाकी तो ये लोग ही मिल कर आए है” विकास ने अनिता की तरफ इशारा करते हुए कहा.

“भाभी जी भैया झूठ बोल रहे है घंटो हमारी होने वाली भाभी के साथ फ़ोन पर लगे रहते है. किसी की भी नही सुनते है” अनिता ने भी हंसते हुए लहजे मे कहा.

“तो यानी आप हमे कुछ नही बताना चाहते हो, सब कुछ प्राइवेट रखना है.. ह्म्म..” मैने भी अब खींचाई करने वाले अंदाज मे कहा.

अनिता हम दोनो की बाते सुन कर मंद मंद मुस्कुराए जा रही थी.

“नही भाभी ऐसी कोई बात नही है..” विकास ने शरमाते हुए कहा.

“अच्छा वैसे करती क्या है हमारी होने वाली देवरानी जी ? यही गाँव मे ही है ?”

“नही भाभी जी वो इस समय कोटा मे है और वहाँ से इंजिनियरिंग कर रही है. और वही हॉस्टिल मे ही रह रही है”

“अच्छा तो इंजिनियर से शादी हो रही है हमरे देवर जी की..” कह कर मैं मुस्कुरा दी.

तब तक मम्मी भी आ गयी चाइ नाश्ता ले कर. मैने आगे बढ़ कर मम्मी के हाथ से चाइ नाश्ता ले कर वही मेज पर रख लिया. “मम्मी मनीष नही आए ?” मैने मनीष को ना पाते हुए थोड़ा बेचैन होते हुए कहा.

“अरे भाभी जी आ जाएगे क्यू इतना बेचैन हो रही है” अनिता ने इस बार मेरी चुटकी लेते हुए कहा.
क्रमशः................
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09-17-2018, 01:57 PM,
#36
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
तड़पति जवानी-पार्ट-12

गतान्क से आगे.........
अपनी ननद की बात सुन कर मैं शरम से लाल हो गयी और चुप चाप हो कर चाइ नाश्ता करने लग गयी. चाइ नाश्ता करने के बाद मैं वहाँ से उठ कर अनिता के साथ अपने कमरे मे जो मनीष का कमरा था वहाँ आ गयी. शाम भी हो गयी थी और मुझे इन कपड़ो मे गर्मी भी बोहोत लग रही थी. इस लिए मैने जैसे ही कपड़े निकालने के लिए सूटकेस उठाया जो लॉक्ड था. मुझे याद आया कि मैने चाबी तो मनीष को दे दी थी. मुझे यू परेशान देख कर अनिता बोली..”क्या हुआ भाभी जी बड़ी परेशान देख रही हो… अभी भी भैया को ही याद कर रही हो… हहे” कह कर वो हंस दी.

“नही.. वो मुझे कपड़े चेंज करने है और सूटकेस की चाबी मनीष के पास है.” मैने अपनी समस्या उसे बताते हुए कहा.

“ले बस इतनी सी बात के पीछे इतना दुखी हो रही हैं हमारी प्यारी भाभी… अरे भाभी जी आप मेरे साथ आइए” कह कर अनिता ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने साथ अपने रूम मे ले आई.

उसका रूम काफ़ी सुंदर था और उसने अपने कमरे की दीवार पर शाहरुख और अजय देवगन के पोस्टर लगा रखे थे. मैं बड़े गौर से उसके रूम को देख रही थी… “तो आप को शाहरुख और अजय देवगन काफ़ी पसंद है” मैने पोस्टर देखने के बाद मुस्कुराते हुए उस से कहा.

“अरे ये पोस्टर तो बस ऐसे ही लगा रखे है… अच्छा आप ये ट्राइ करके देखो” उसने अपनी अलमारी से एक सूट निकाल कर मुझे देते हुए कहा. देखने मे सूट काफ़ी अच्छा था पर मैं आते ही सूट नही पहनना चाहती थी. इस लिए मैने अनिता को सूट के लिए मना कर दिया.

थोड़ी देर इधर उधर अपनी अलमारी मे कपड़ो को करने के बाद उसने एक साड़ी को निकाल कर मुझे दी…”ये साडी पहन लो भाभी जी आप हल्की भी है और आप पर काफ़ी अच्छी भी लगेगी” कह कर उसने वो सारी मेरे हाथ मे थमा दी.

साडी सच मे काफ़ी हल्की और सुंदर थी पर दिक्कत पेटिकोट और ब्लाउस की थी. जो अनिता ने साडी के साथ मुझे पहनने के लिए दिए थे. “अनिता साडी तो ठीक है पर मुझे नही लगता कि तुम्हारे ब्लाउस और पेटिकोट मेरे फिट आएगे” मैने अपने मन की बात उसे बता दी.

“ अरे भाभी केवल आज की ही तो बात है और वैसे भी थोड़ी देर मे भैया तो वैसे ही घर आ जाएगे फिर आप को कॉन सा साडी पहन्नी है… हहे” कह कर वो मेरे एक दम पास आ कर हँसने लग गयी.

उसकी बात सुन कर मैं एक दम हैरान रह गयी मुझे उम्मीद नही थी कि वो इतनी जल्दी मेरे साथ इतना फ्रॅंक हो कर बात करना शुरू कर देगी. शादी के समय मैं ज़्यादा दिन गाँव मे नही रही थी इस लिए मेरी घर वालो से अच्छे से बात चीत नही हो पाई थी. मम्मी पापा कभी कभी घर पर आ जाते थे तो उनसे बात चीत होती रही. उसकी बात सुन कर मैने प्यार से उसकी सर पर एक चपत लगाई और कहा… “चल बदमाश.. बोहोत शरारत सूझ रही है तुझे.”

“अब भाभी देखती रहोगी या पहनोगी भी” अनिता ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

मैने साडी को खोला तो वो एक दम पतली झिल्ली दार साड़ी थी ऐसी कि आर पार का सब कुछ सॉफ सॉफ दिखाई दे. मैने जब पूरी सारी खोल कर देखी तो मेरी हिम्मत नही हुई उसे पहनने की.. “अनिता मैं ये सारी नही पहन सकती ये नेट सारी यहाँ पर नही पहन सकती किसी ने देखा तो क्या कहेगा.. लो अपनी साडी वापस रख लो.” कह कर मैने उसे साडी वापस पकड़ा दी.

“अरे भाभी ये साडी सिल्क की है और क्रीम कलर मे है. ये मैने पीछले साल शर्मा अंकल के लड़के की शादी मे खरीद कर पहनी थी. और आप पर तो ये सारी एक दम फिट रहेगी.” अनिता ने ज़ोर दे कर मुझे साडी वापस दी और पहन कर ट्राइ करने को कहा.
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09-17-2018, 01:58 PM,
#37
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
मैने साडी ले ली और ब्लाउस को देखने लगी.. वो बॅक ओपन ब्लाउस था. घर पर तो मेरे सारे ब्लाउस ऐसे ही बॅक ओपन टाइप ही थे पर ये गाँव था इस लिए मैने यहाँ के लिए अलग ब्लाउस सिलवाए थे. पर वो सब सूटकेस मे बंद थे. मैने ब्लाउस को हाथ मे लिया और वहाँ से उसे ले कर अपने कमरे मे जाने लगी.

“अरे कहाँ जा रही हो भाभी यही पर ट्राइ कर लो मुझे कोई दिक्कत नही है.” उसने इस अंदाज से कहा जैसे मैं उसे देख कर शर्मा कर वहाँ से अपने कमरे मे जा रही थी.

उसका वो मुस्कुराता चेहरा देख कर मैं अपने कमरे मे जाते जाते रुक गयी. और वही उसके कमरे मे ही अपना ब्लाउस उतार कर उसका दिया हुआ ब्लाउस ट्राइ करने लगी. उसका दिया हुआ ब्लाउस मेरे काफ़ी टाइट था पूरी ताक़त लगाने के बाद भी वो मेरे फिट नही आ रहा था. थक हार कर मैने अनिता को आवाज़ लगा कर उसे बुलाया ताकि उसे दिखा सकु कि उसका दिया हुआ ब्लाउस मेरे ज़रा भी फिट नही आ रहा है…

मेरी आवाज़ सुन कर वो मेरे एक दम नज़दीक आ गयी और मैं उस से कुछ कहती उस से पहले ही वो बोल पड़ी..”भाभी इसमे ब्लाउस की कोई ग़लती नही है आप के दोनो पर्वत ही इतने उँचे उँचे है कि ब्लाउस मे क़ैद हो ही नही रहे है. भैया काफ़ी महनत करते है लगता है इन पर्वतो पर..हहे” कह कर उसने ब्लाउस को आगे से थोड़ा सा खींच कर उसके हुक लगा दिए. ब्लाउस पहनने मे ही मुझे 10-15 मिनट लग गये…

ब्लाउस पहनने के बाद अब मैने पेटिकोट को ले लिया पहनने के लिए. अनिता से टवल ले कर मैने अपने नितंब पर टवल लपेट लिया और अपना पेटिकोट उतार कर अनिता का दिया हुआ पेटिकोट पहन लिया. अनिता का दिया हुआ पेटिकोट मेरे नितंब पर एक दम कस रहा था. उस पेटिकोट को पहन कर ऐसा लग रहा था जैसे मैने कोई स्किन टाइट स्कर्ट पहन ली हो. एक दम कसी कसी. पेटिकोट पहन ने के बाद मुझे नाडा बाँधने की भी ज़रूरत नही थी पूरा का पूरा पेटिकोट मेरे नितंब पर कसा हुआ था.

पेटिकोट पहन कर जब मैने अनिता की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ एक तक देखे जा रही थी. अगर कोई लड़का या आदमी मेरी तरफ इस तरह देखता तो मैं समझ भी सकती थी की वो क्यू देख रहा है पर अनिता क्यू देख रही है… मुझसे रहा नही गया और मैने उस से पूछ ही लिया… “ऐसे क्या देख रही हो किसी को पहले नही देखा क्या ?”

“भाभी जी देखा तो बोहोत सारी औरतो को है पर आप अपने आप को एक बार शीशे मे देख लो आप खुद को देखने से रोक नही पाओगे… काश की मैं लड़का होती तो आज आप को..” कह कर वो मुस्कुरा दी.

उसकी बात सुन कर मुझसे रहा नही गया और मैं शीशे के सामने हो गयी और खुद को देखने लगी जैसे ही शीशे मे मैने खुद को देखा. मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. शीशे मे जो मेरी झलक मुझे मिल रही थी वो किसी काम की देवी से कम नही थी. शीशे मे देखने पर मेरे दोनो उरोज मेरे ब्लाउस से झाँकते हुए मेरे गले को छूने की कोसिस कर रहे थे. सांसो के साथ उपर नीचे होते हुए उरोज देख कर मैं खुद ही शर्मा गयी. और नीचे पेटिकोट जो मेरे नितंब पर एक दम कसा हुआ था जिस कारण मेरे नितंब की शेप सॉफ दिखाई दे रही थी.

थोड़ी देर तक खुद को शीशे मे देखने के बाद मैने अनिता से कहा कि “अनिता क्या मुझे तुम्हारे ये कपड़े सही मे पहन ने चाहिए ?”

“अरे भाभी क्या बुराई है इसमे और वैसे भी आप अपने घर पर इसी तरह के कपड़े तो पहनती होगी. ना और वैसे भी आप पर ये साडी बोहोत अच्छी लगेगी और वैसे भी थोड़ी देर के लिए ही तो आप को साडी पहन नी है.” अनिता ने शरारती मुस्कुराहट के साथ कहा.

मैने भी अपने आप को शीशे मे देख कर जोश मे आ गयी थी. और साडी पहन ली. साडी पहन कर जब मैने अनिता से पूछा कि “कैसी लग रही है साडी अनिता ज़्यादा ओल्ड तो नही लग रही है ?”

“भाभी जान आप तो बिजलिया गिराने वाले हो पूरे गाँव पर जो भी आप को देखेगा रात भर सो नही पाएगा. और भैया तो आज आप को नही छ्चोड़ने वाले है. हहहे” उसने फिर से वही शरारती हँसी हंसते हुए कहा.
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09-17-2018, 01:58 PM,
#38
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
साडी पहन कर मैं वापस अपने कमरे मे आ कर अपने कपड़े बॅग मे रखे और थोड़ा आराम करने की सोच ही रही थी कि मा जी की आवाज़ आ गयी..

“अरे निशा बेटी…” आवाज़ लगते हुए मम्मी मेरे कमरे मे आ गयी. मैं इस साडी को पहन कर शरमा रही थी. मेरे दिमाग़ मे यही चल रहा था कि पता नही मम्मी क्या सोचेगी कि मैं इस तरह के कपड़े पहनती हू… “अरे बेटा सुन आज गीत संगीत का प्रोग्राम है और बाहर मेहमान भी आ रहे है चल मेरे साथ वहाँ मेहमानो के बीच चल कर बैठ यहाँ अकेले मे क्या करेगी”

मैने सोचा था कि थोड़ी देर आराम कर लू पर “जी मम्मी जी चलिए” मैने अपने कपड़े बॅग मे रखते हुए कहा.

मैं मम्मी के साथ कमरे से बाहर निकली ही थी कि तभी सामने से अमित आता हुआ दिखाई दिया. अमित को देख कर मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी. वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा दिया.

“अरे पीनू कहाँ डोल रहा है. अंदर वाले कमरे मे लाइट का इंतज़ाम कर दिया ? पंखे वगेरा सब चल रहे या नही “ मम्मी ने उसे सामने से आता हुआ देख कर टोकते हुए कहा.

वो आगे बढ़ कर मेरे करीब आया और मुस्कुराते हुए मेरे पैर छू कर बोला “नमस्ते भाभी जी गाँव कब आए आप ?” उसकी शकल देख कर मुझे गुस्सा तो बोहोत आ रहा था पर मम्मी के सामने कुछ बोल नही सकती थी. “जी वही इंतज़ाम करने मे लगा हुआ हू. एक दो पंखे और लगाने है बस” अमित ने हसते हुए मम्मी से कहा जिसे सुन कर मम्मी ने कहा “अच्छा चल ठीक है जल्दी जाकर सब काम कर और बिजल्ली भी देख ले रोशनी हो रही है कि नही.” कह कर मम्मी मेरे साथ आगे बढ़ गयी और वो दूसरी तरफ चला गया.

उसके वहाँ से चले जाने से मुझे कुछ शांति मिली वरना मेरा दिल जोरो से घबराए जा रहा था. मैं मम्मी जी के साथ आगन मे आ गयी जहाँ गाने बजाने का प्रोग्राम होना था. घर बड़ा होने की वजह से वहाँ इस सब प्रोग्राम को करने के लिए जगह खूब सारी थी और फिर गाँव मे शादी थी तो मेहमान लोग भी खूब सारे आने थे. थोड़ी ही देर मैं देखते ही देखते खूब सारी औरते जमा हो गयी. मैं भी अपनी उमर की औरते जो रिश्ते मे मेरी भाभी थी उनके साथ बैठ गयी और मम्मी जी वहाँ से किसी काम के चक्कर मे चली गयी.

मैं जिन भाभी वगेरह के साथ बैठी थी वो मुझे देख कर मेरी फिटनेस की तारीफ किए बिना नही रह सकी. तभी उनमे से एक भाभी जो मुझसे उमर मे थोड़ी बड़ी थी बोली “नये मेहमान के आने मे कितना टाइम बाकी है ?” भाभी जी बात सुन कर मैं शरमा गयी “अभी कुछ सोचा नही है” मैने शरमाते हुए लहजे मे धीरे से जवाब दिया.

मेरी बात सुन कर पास मे ही जो एक और भाभी थी वो बोल पड़ी “कुछ सोचा नही नही है तभी इतना सुंदर शरीर बना रखा है, वरना शादी के बाद च्चरहरा शरीर कहाँ रहता है… हहहे”

"अच्छा हुआ हमारे जैसे मरद नही है जो कि एक महीने मे ही सारा फिगर बिगाड़ देते है दबा दबा के लटका देते है" फिर से मुझसे उमर मे बड़ी जो भाभी थी वो बोल पड़ी. उन भाभी जी बात सुन कर सब लोगो की हँसी निकल गयी. गाँव की औरतो की ऐसी बात सुन कर मुझे बोहोत शरम आ रही थी. तभी मेरी नज़र सामने की तरफ गयी जहाँ पर शर्मा अंकल खड़े हुए थे और मेरी तरफ ही देखे जा रहे थे.

थोड़ी ही देर मे वहाँ पर परदा टाइप का कपड़ा लगा दिया गया जिस से कोई भी आदमी अंदर का प्रोग्राम ना देख सके. ये इंतज़ाम देख कर मुझे बोहोत ख़ुसी हुई पर मैं इन कपड़ो मे अपने आप को बोहोत कसा हुआ महसूस कर रही थी.

थोड़ी ही देर मे गाने बजाने का प्रोग्राम शुरू हो गया. बाकी की जो गाँव वाली पुरानी लॅडीस थी वो वही गाँव वाले स्टाइल मे गाने गा रही थी. जिन पर कुछ औरते डॅन्स भी कर रही थी और बाकी की क्लॅप्स कर रही थी. थोड़ी देर उस तरह गाने का प्रोग्राम चलने के बाद. म्यूज़िक सिस्टम ऑन कर दिया गया जिस पर “मेरे हाथो मे नो नो चूड़िया है” गाना चल रहा था फिल्म चाँदनी का. और उस गाने पर सब औरतो के बीचो बीच मे एक लड़की डॅन्स कर रही थी.

उस लड़की का डॅन्स देख कर मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गये जब मैं कॉलेज मे डॅन्स सीखा करती थी. “ये लड़की अच्छा डॅन्स कर रही है.” मैने अपने पास बैठी भाभी से कहा.

“अरे वो सुजाता है हमारे गाँव मे सबसे अच्छा डॅन्स करती है.” भाभी ने भी उसकी तारीफ करते हुए कहा.

“डॅन्स तो अच्छा कर रही है भाभी जी पर एक्सप्रेशन मे मजेदारी नही आ रही है.” मैने उसकी तारीफ से जलते हुए अंदाज मे कहा.

“ आरीए हां मेने सुना है तुम भी बहुत अच्छा डॅन्स करती हो चलो आज तुम्हारा ही डॅन्स देखते है” भाभी ने मेरी बात को सुन कर कुछ याद करते हुए कहा.

“नही..भी ने मेरी बात को सुन कर कुछ याद करते हुए कहाँ.मजेदारी नही आ रही है."हुआ महसूस कर ..म करने लगी. मेहमान ल नही.. भाभी मैं नही कर सकती. डॅन्स छ्चोड़े हुए मुझे बहुत टाइम हो गया है” मैने उन्हे सॉफ सा इनकार कर दिया और वैसे भी अगर मैं जिस तरह के कपड़े पहने हुए थी उन्हे पहन कर डॅन्स करती तो मेरे शरीर का पूरा फिगर दिखने लग जाता...

“ अब कोई बहाना नही चलेगा और वैसे भी तुम्हारे देवर की शादी है.. अरे सुनो निशा बहुत अच्छा डॅन्स करती है, अब ये डॅन्स करेगी” भाभी जी ने इतने ज़ोर से कहा कि वहाँ मौजूद सभी औरते एक साथ उनकी और मेरी तरफ देखने लग गयी.

“ वो मईएईन.. नो नू वो मी… नही नही…” मेरे मुँह से कुछ कहते ही नही बन रहा था.

तभी वहाँ दो लॅडीस आई और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सब औरतो के बीचो बीच खड़ा कर दिया. अब मेरे पास कोई ऑप्षन ही नही बचा था सिवाए इसके की मैं अब डॅन्स करू. मैने चारो तरफ नज़र घुमा कर वहाँ बैठी औरतो को देखा. वहाँ पर कुछ काम करने वाले लड़के भी थे जो औरतो को चाइ नाश्ता बाँट रहे थे. चारो तरफ नज़र भर देखने के बाद मैने आँख बंद करके डॅन्स करने का फ़ैसला कर लिया.
क्रमशः................
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09-17-2018, 01:58 PM,
#39
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
तड़पति जवानी-पार्ट-13

गतान्क से आगे.........
तभी म्यूज़िक सिस्टम पर फिर से किसी ने “मेरे हाथो मे 9-9 चूड़िया है” सॉंग प्ले कर दिया. मैने भी अपना मन पक्का कर लिया और अपनी साडी के पल्लू को नवल से नीचे कमर के अंदर की तरफ कर लिया. क्यूकी मैं नही चाहती थी कि डॅन्स करते हुए मेरी साड़ी का पल्लू हवा मे उड़े और मुझे बार बार उसे समेटने मे परेशानी हो. पर पल्लू को कमर मे कसने से मेरा पूरा शरीर खिल कर सामने आ गया था. एक तो वैसे ही कपड़े एक दम चुस्त थे जिस पर मैने डॅन्स करना है.

पर मुझे मेरे डॅन्स पर पूरा भरोसा था कि मैं बढ़िया डॅन्स करूगी. डॅन्स को छ्चोड़े हुए काफ़ी लंबा टाइम हो गया था और अपने देवर की शादी मे नही करूगी तो कब करूगी सोच कर मैने डॅन्स करने की ठान ली. जैसे ही गाना शुरू हुआ मैने मेरे पैरो के साथ अपने कूल्हे मटकाना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर मैं मेरे कुल्हो ने गाने की धुन पर मटकना शुरू कर दिया.

जैसे गाने मे श्री देवी ने कई जगह जंप की थी मुझे भी गाने मे डॅन्स करते हुए जंप करनी पड़ी. मैं जैसे ही जंप करने के लिए उछलती मेरे दोनो उरोज भी उछल कर मेरे मुँह को आने लगते. जो पास से देखने मे आधे से ज़्यादा बाहर निकल आते थे. पर इस समय यहाँ पर सभी औरते बैठी थी इसलिए मुझे इस बात की कोई चिंता नही थी. गाना ख़तम होते होते मैं पूरे जोश मे आ कर डॅन्स करने लग गयी थी. जैसे ही गाना ख़तम हुआ वहाँ पर मौजूद सभी औरतो ने ताली बजा कर मेरी प्रशन्शा की. तालियो की आवाज़ सुन कर मुझे बोहोत ख़ुसी महसूस हो रही थी.

डॅन्स करके मैं पूरी तरह से पसीने से भीग चुकी थी और आ कर वही बैठ गयी. लेकिन वहाँ पर बैठी नयी उमर की लड़कियो ने शोर करना शुरू कर दिया “एक और डॅन्स एक और डॅन्स” मैं बोहोत खुस हो रही थी वो आवाज़े सुन कर कि सभी लोगो ने मेरा डॅन्स पसंद किया.

“अरे निशा भाभी ने तो सुजाता की भी छुट्टी कर दी” मेरे पास बैठी एक लड़की ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा.

“अरे सुजाता भी तो अच्छा डॅन्स करती है दोनो ही अच्छा डॅन्स करते है” सुजाता के पास बैठी एक लड़की ने कहा.

“ इस बार सुजाता और निशा एक साथ डॅन्स करेंगी देखते है कों अच्छा डॅन्स करता है” वही पास मे ही बैठी एक और लड़की ने कहा. अब ये बिना मतलब के कॉंपिटेशन जैसा होता जा रहा था.

“ हां हां क्यू नही मे तो भाभी के साथ डॅन्स करूँगी” सुजाता ने बड़े विश्वास के साथ मुस्कुराते हुए कहा..


अभी कोई कुछ कहता उस से पहले ही लाइट चली गयी. एक दो बल्ब को छ्चोड़ कर बाकी सब तरफ अंधेरा ही अंधेरा हो गया सब फॅन भी बंद हो गये जिस वजह से मुझे बुरी तरह से गर्मी लगने लगी एक तो वैसे ही गर्मी थी उपर से ये लाइट भी चली गयी. मैने मन ही बड़बड़ाया. तभी किसी ने आवाज़ लगा कर कहा “अरे पीनू कहा मर गया म्यूज़िक सिस्टम पर ही बैठा रहेगा या लाइट भी चालू करवाएगा” पीनू म्यूज़िक सिस्टम पर बैठा हुआ था यानी वो मुझे डॅन्स करते हुए देख रहा था. एक पल के लिए मैं सोच कर घबरा गयी पर अगले ही पल मैने सोचा अच्छा है.. देख देख कर जलने दो. मैं गर्मी की वजह से भीड़ से थोड़ा दूर हट कर खड़ी हो गयी ताकि कुछ राहत मिल सके तभी मेरे कानो मे पीनू की आवाज़ आई..

“अरे कोई नही देखेगा तू बस मौका देख कर छत पर आ जा जल्दी से” उसकी आवाज़ सुन कर मैं सोच मैं पड़ गयी ये किस से कह रहा है छत पर आने की.. कह रहा होगा किसी से मुझे क्या.

“तुम समझते क्यू नही हो.. विकास भैया छत पर ही टहल रहे है.” ये आवाज़ सुन कर मैं चौंक गयी.. ये आवाज़ कुछ सुनी सुनी सी लग रही थी पर खुस-फूसाने की वजह से साफ साफ समझ नही आ रही थी कि कॉन है

“मुझे कुछ नही पता 11 बजे मे छत पर तेरा इंतजार करूगा, अब मैं जा रहा हू लाइट चालू करने के लिए तू मस्त डॅन्स कर निशा के साथ एक दम मस्त माल है निशा भी” जब उसने डॅन्स की बात करी तब मेरी समझ मे आया की वो सुजाता से कह रहा था छत पर आने के लिए.

अमित की इस तरह की बात सुन अमित की वो हरकत याद आ गयी जो उसने मेरे साथ की थी. किस तरह उसने मुझे अपने कमरे मे पकड़ लिया था और मुझे टेबल के साथ झुका कर मेरे मे धक्के लगाना शुरू कर दिया था. रूपा के साथ भी उसने वही किया था. रूपा को भी उसने अपने जाल मे फँसा लिया था और अब वो इस सुजाता को भी... मैं अपनी सोच मे डूबी हुई ये सब सोच ही रही थी कि पीछे से सुजाता ने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया गर्मी की वजह से मेरे चेहरे पर वैसे ही पसीना था पर अमित के साथ घर वाली घटना याद करते ही मेरा चेहरा पसीने से तर बतर हो गया उस पर सुजाता का पीछे से हाथ रखना मैं बुरी तरह से घबरा गयी.
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09-17-2018, 01:58 PM,
#40
RE: Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी
“क्या हुआ भाभी आप एक दम से घबरा क्यू गयी”

“कुछ नही वो बस ऐसे ही…” मैने हड़बड़ाते हुए कहा.

“चलो भाभी जी लाइट आ गयी है. सब आप का वेट कर रहे है” सुजाता ने कहा तो मैने उसे गौर से देखा. देखने वो काफ़ी सुंदर थी और एज से करीब 20-21 साल की लग रही थी. हाइट मे भी वो लगभग मेरे बराबर ही थी. बॉडी फिगर भी उसका ठीक था. उसने इस समय सलवार सूट टाइट चूड़ीदार पाजामा के साथ पहन रखा था और उपर गले मे चुन्नी डाल रखी थी. पसीने मे होने के कारण और पतली कमीज़ वला सलवार सूट पहन ने के कारण उसके दोनो उरोज पसीने मे भीग जाने की वजह से सॉफ सॉफ दिखाई दे रहे थे. कोई भी उन्हे देख कर उनका साइज़ बता सकता था, उसके दोनो निपल भी पसीने की वजह से सॉफ चमक रहे थे.

मैं उसके साथ वहाँ से वापस चल दी तब मेरी नज़र उस तरफ जहाँ म्यूज़िक सिस्टम लगा था वहाँ गयी उस तरफ अमित और उसके साथ मे एक और लड़का बैठा हुआ था. देखने से उसके साथ वाला लड़का पढ़ा लिखा लग रहा था और काफ़ी हॅंडसम भी. पर मैने गौर किया कि अमित हमारी तरफ देख कर स्माइल पास कर रहा है और सुजाता भी अपना सर झुका कर उसको स्माइल पास कर रही है. अमित की ये स्माइल सुजाता के लिए थी या मेरे लिए ये समझ पाना काफ़ी मुश्किल था. मैने उस की तरफ बिना कोई रेस्पॉन्स दिए वापस अपना चेहरा घुमा लिया.

हम दोनो के वहाँ औरतो के बीच मे आते ही सब औरते और लड़किया ताली बजा कर और हम दोनो के नाम पुकार कर पुकारने लगी. ना जाने क्यू वहाँ पर आ कर मेरी नज़र बार बार घूम कर अमित की तरफ जा रही थी. दो लड़को के सामने डॅन्स करने की सोच कर ही मुझे शर्म और घबराहट हो रही थी. और अमित को वहाँ पर देख कर तो और भी ज़्यादा. हम दोनो के बीच मे आते ही अमित ने “डोला रे.. डोला रे..” गाना लगा दिया ताकि हम दोनो के बीच मे कंपॅक्षन हो सके. गाना शुरू होते है मैने हिम्मत दिखा कर काम लिया और मधुरी वाले स्टेप मेरे हो गये और ऐश्वरिया वाले सुजाता के हो गये. कसे हुए कपड़े होने की वजह से मुझे मधुरी के स्टेप करने मे काफ़ी दिक्कत हो रही थी और वो सूट मे होने के कारण ऐश के स्टेप काफ़ी अच्छे से कर रही थी जिसे देख कर वहाँ मौजूद औरते और लड़किया सब उसका नाम ले कर ताली बजाने लगी ये देख कर और सुजाता की तारीफ सुन कर मुझे बोहोत जलन होने लगी. अपनी बेज़्जती होते देख कर मैं पूरे जोश मे आ गयी. मैं वहाँ माजूद सब औरतो को ये साबित करवाने चाहती थी कि मैं साडी और पेटिकोट मे भी सुजाता से अच्छा डॅन्स कर सकती हू.

यही सब कुछ सोच कर मैं फुल जोश मे आकर पूरे रिदम के साथ एक-एक स्टेप को ये सब भूल कर कि मैं साडी पहने हुए हू करने लगी. टाइट सारी होने की वजह से मेरे शरीर का एक-एक अंग थिरक रहा था. थोड़ी ही देर मे सब औरते सुजाता के नाम को भूल कर मेरा नाम का शोर करने लगी. थोड़ी ही देर मे गाना ख़तम हो गया और सब तरफ मेरा ही नाम गूँज रहा था.. “निशा…. निशा…. निशा…” अपना नाम सुन कर मेरी ख़ुसी का टिका नही रहा.

“ आप बोहोत अच्छा नाचती है भाभी जी… मुझे भी सिखाइए ना आपने सीखा है क्या कही ?” सुजाता ने मेरी तारीफ करते हुए कहा.

“ हां मैं पहले सीखती थी, तुम भी बोहोत अच्छा डॅन्स करती हो थोड़ी महनत करोगी तो तुम भी अच्छी डॅन्सर बन जाओगी.” मैने अपनी जीत से खुस होते हुए जवाब दिया. मैं डॅन्स मे उसको हाराने से ज़्यादा इस बात से खुस थी कि शादी शुदा होने के बाद भी मैं एक अनमॅरीड लड़की को डॅन्स मे हरा दिया.

“सभी औरते और लड़कियो का खाना खाने का इंतज़ाम करवा दिया गया है.” चाची जी ने वहाँ आ कर सब औरतो से खाना खाने की रिक्वेस्ट की.

मैने दोबारा से सुजाता की तरफ देखा, वो थोड़ा दुखी लग रही थी और उस देहाती अमित की तरफ देखे जा रही थी. जिस तरह से वो दोनो एक दूसरे की तरफ देख रहे थे मुझे पूरा पक्का यकीन हो गया था कि अमित उसके साथ आज ज़रूर कुछ करने की प्लॅनिंग किए हुए है. पर मुझे सुजाता के लिए बोहोत दुख हो रहा था कि वो इतनी सुंदर और भोली भाली लड़की इस अनपढ़ देहाती के चक्कर मे पड़ कैसे गयी. मैं सोच ही रही थी कि तभी मम्मी जी ने मुझे आवाज़ लगा कर अपने पास बुला लिया और वहाँ आई हुई कुछ औरतो से मेरा परिचय करवाने लगी.

मैने जब थोड़ी देर बाद उस तरफ देखा तो अमित वहाँ से जा रहा था और सुजाता भी उसके पीछे-पीछे जा रही थी. मेहमानो के साथ खड़े होने की वजह से मैं उस तरफ नही जा सकती थी, पर मैं सुजाता के लिए काफ़ी परेशान हो गयी कि कही वो देहाती अमित का बच्चा बेचारी भोली भली सी लड़की की लाइफ ना खराब कर दे. थोड़ी ही देर मे मैं मेहमानो से मिल कर फ्री हो गयी, और उस तरफ चल दी जहाँ अमित और सुजाता गये थे. जैसे जैसे मैं आगे बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे लाइट कम हो कर अंधेरा बढ़ता जा रहा था. वो रास्ता घर के पीछे वाले जीने के लिए जाता था. जीना चढ़ कर मैं भी दबे पाँव छत पर आ गयी. पर मुझे छत पर कोई दिखाई नही दिया वो दोनो आए तो इसी तरफ थे फिर अचानक कहाँ चले गये. मैं इधर-उधर देखने की कोसिस ही कर रही थी कि तभी मेरे कानो मे कुछ दूरी से आती हुई आवाज़ सुनाई दी. आवाज़ सुन कर मैं बुरी तरफ घबरा गयी और छत पर बनी हुई आधी अधूरी दीवार के पीछे छुप गयी. शायद कोई छत पर आ रहा था. मैने दीवार के पीछे से ही झाँक कर देखा वो सुजाता ही थी. उसे देख कर मेरा शक़ यकीन मे बदल गया कि अमित और सुजाता का अफेर चल रहा है. वो जीने से आ कर अमित के घर की छत की तरफ चल दी. ये जीना बहोत पहले का था अमित और हमारे घर के रीलेशन भी काफ़ी अच्छे थे इस लिए एक साथ जुड़ा होने की वजह से इस जीने का यूज़ दोनो घरो की छत पर आने जाने के लिए किया जाता था.
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