Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
07-15-2017, 01:14 PM,
#41
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--13

जैसे ही राज ने देखा की महक झाड़ चुकी है उसके लंड ने उबाल
खाना शुरू किया और वो तेज़ी से अपने लंड को उसके मुँह के अंदर
बाहर करने लगा....

राज ने उसके सिर को और पास मे खींच अपने लंड को उसके गले मे
डाल दियाया और एक ज़ोर की पिचकारी उसके गले मे छ्चोड़ दी. महक ने
उसके वीर्या को पीना चाहा लेकिन गले मे लंड फँसा होने के कारण वो
ऐसा कर ना सकी उसने अपने मुँह को थोड़ा पीछे किया और सांस लेते
हुए उसके वीर्या को पी गयी...... तभी उसके लंड ने फिर पिचकारी
छोड़ी... और फिर... वो गतक गतक कर उसके वीर्या को पीने लगी.
महक को आदत ना होने की वजह से थोड़ा वीर्या उसके होठों के कीनरे
से बाहर को बहने लगा... उसने अपनी जीब फिरते हुए सारा वीर्या चाट
लिया.

राज जब थोड़ा सा संभाला तो उसने महक को कंधों से पकड़ उसके
पैरों पर खड़ा कर दिया... वो उसे देख मुस्कुरा दी..... वीर्या अभी
भी उसके होठों से बह रहा था.. उसने अपनी उंगली मे उस वीर्या को
लिया और अपनी जीब निकाल चाटने लगी...

तभी राज ने उसके नाइट गाउन को निकाल दिया और उसे लाकर सोफे पर
बिता दिया. फिर वो उसकी टांगो के बीच बैठ गया और उसकी टांगो को
फैलते हुए अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया. उसने महक का हाथ
पकड़ उसे थोड़ा आगे को खींचा जिससे महक के सिर्फ़ कूल्हे सोफे पर
टीके थे... और वो उसकी चूत को अपने मुँह मे भर चूसने लगा.

महक की समझ मे नही आ रहा था की वो क्या करे कैसे करे....
आज से पहले किसी ने उसकी चूत को नही चूसा था... वो अपनी टाँगे
फैलाए राज को देखती रही जो उसकी चूत को मुँह भर चूस रहा
था.. तभी उसे राज की जीब का एहसास अपनी चूत पर हुआ... एक अजीब
सनसनी मच गयी उसकी चूत मे....

एक नई और अजीब उत्तेजना उसके बदन मे भरने लगी... जब राज ने
अपनी जीब उसकी चूत मे अंदर तक डाली तो वो जैसे पागल सी हो
गयी.. उसने राज के सिर को पकड़ अपनी चूत पर जोरों से दबा दिया....

महक से सहन नही हो रहा था.. उसकी चुचियाँ कठोर हो चुकी थी
और निपल तन कर खड़े हो चुके थे... उसेन अपनी दोनो चुचियों को
हाथों मे ले मसल्ने लगी... निपल को उंगली और अंगूठे मे पकड़
काटने लगी.... तभी राज ने अपनी जीब के साथ अपनी दो उंगलियाँ
उसकी चूत मे घूसा दी और उंगलियों को अंदर बाहर करने लगा. उसकी
साँसे तेज हो गयी और उसकी चूत ने दुबारा उबाल खाना शुरू कर
दिया...

थोडी ही देर मे राज का लंड फिर तन कर खड़ा हो गया था.. वो अपनी
जगह से खड़ा हुआ और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रख
दिया...

"तुम चाहती हो की में तुम्हे चोदु?" उसने पूछा.

"हां" उसने जवाब दिया.

"तुम एक छीनाल रंडी हो.. हो ना?" उसने फिर पूछा.

महक को समझ मे नही आया की वो क्या जवाब दे. उसे ये सब बात
सुनने मे अक्चा लग रा था... लेकिन वो अपने मुँह से कैसे कबूल
करे की हां वो एक छीनाल एक रंडी बन चुकी है.. आख़िर वो एक
शादी शुदा औरत थी.. एक जवान बाकछे की मा थी... पर उसे पता
था की अगर वो जवाब नही देगी तो राज उसे नही चोदेगा और चला
जाएगा... वो उसके लंड के लिए तड़प रही थी...

"हां" उसने शरमाते हुए जवाब दिया.

"किसकी छीनाल रंडी हो तुम बताओ मुझे?" उसने फिर पूछा.

"में तुम्हारी छीनाल रंडी हूँ..' उसने धीरे से जवाब दिया.

"फिर मेरी छीनाल रंडी इस वक्त क्या चाहती है..?" उसने पूछा.

ये गंदी बातें एक बार फिर उसे उत्तेजित करने लगी.. वो लाज शरम
सब छ्चोड़ बोली... "में चाहती हूँ की तुम अपनी इस छीनाल रंडी को
अपने मोटे लंड से चोदो." कहकर उसने उसके खड़े लंड को पकड़
लिया.

राज ने उसके हाथ को बीच मे से हटाया और एक ज़ोर का धक्का मार अपने
लंड को अंदर तक घुसा दिया.

'ऑश हां" वो चिल्ला पड़ी.

राज ने अपने लंड को बाहर निकाला और उसकी टांगो को उठा अपने कंधों
पर रख दी और फिर ज़ोर से अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया...
और वो ज़ोर ज़ोर के धक्के मार उसे चोदने लगा.

"ऑश हा हाआं ऐसे ःईईईई ओह हां." महक सिसकने लगी.

राज ने देख उसके हर धक्के के साथ उसकी चुचिया उछाल रही थी...
महक ने अपनी चुचियों को पकडा और जोरों से मसल्ने लगि..तभि
उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.

थोडी ही देर मे राज का विरे भी उबाल खाने लगा... उसने अपने लंड
को बाहर निकाला और अपनी दोनो टाँगे महक के अगल बगल रख अपने
लंड को जोरों से मसल्ने लगा... दो तीन झटकों मे ही उसक लंड
पिचकारी दर पिचकारी छ्चोड़ महक के बदन को नहलाने लगा.
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07-15-2017, 01:14 PM,
#42
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--13

जैसे ही राज ने देखा की महक झाड़ चुकी है उसके लंड ने उबाल
खाना शुरू किया और वो तेज़ी से अपने लंड को उसके मुँह के अंदर
बाहर करने लगा....

राज ने उसके सिर को और पास मे खींच अपने लंड को उसके गले मे
डाल दियाया और एक ज़ोर की पिचकारी उसके गले मे छ्चोड़ दी. महक ने
उसके वीर्या को पीना चाहा लेकिन गले मे लंड फँसा होने के कारण वो
ऐसा कर ना सकी उसने अपने मुँह को थोड़ा पीछे किया और सांस लेते
हुए उसके वीर्या को पी गयी...... तभी उसके लंड ने फिर पिचकारी
छोड़ी... और फिर... वो गतक गतक कर उसके वीर्या को पीने लगी.
महक को आदत ना होने की वजह से थोड़ा वीर्या उसके होठों के कीनरे
से बाहर को बहने लगा... उसने अपनी जीब फिरते हुए सारा वीर्या चाट
लिया.

राज जब थोड़ा सा संभाला तो उसने महक को कंधों से पकड़ उसके
पैरों पर खड़ा कर दिया... वो उसे देख मुस्कुरा दी..... वीर्या अभी
भी उसके होठों से बह रहा था.. उसने अपनी उंगली मे उस वीर्या को
लिया और अपनी जीब निकाल चाटने लगी...

तभी राज ने उसके नाइट गाउन को निकाल दिया और उसे लाकर सोफे पर
बिता दिया. फिर वो उसकी टांगो के बीच बैठ गया और उसकी टांगो को
फैलते हुए अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया. उसने महक का हाथ
पकड़ उसे थोड़ा आगे को खींचा जिससे महक के सिर्फ़ कूल्हे सोफे पर
टीके थे... और वो उसकी चूत को अपने मुँह मे भर चूसने लगा.

महक की समझ मे नही आ रहा था की वो क्या करे कैसे करे....
आज से पहले किसी ने उसकी चूत को नही चूसा था... वो अपनी टाँगे
फैलाए राज को देखती रही जो उसकी चूत को मुँह भर चूस रहा
था.. तभी उसे राज की जीब का एहसास अपनी चूत पर हुआ... एक अजीब
सनसनी मच गयी उसकी चूत मे....

एक नई और अजीब उत्तेजना उसके बदन मे भरने लगी... जब राज ने
अपनी जीब उसकी चूत मे अंदर तक डाली तो वो जैसे पागल सी हो
गयी.. उसने राज के सिर को पकड़ अपनी चूत पर जोरों से दबा दिया....

महक से सहन नही हो रहा था.. उसकी चुचियाँ कठोर हो चुकी थी
और निपल तन कर खड़े हो चुके थे... उसेन अपनी दोनो चुचियों को
हाथों मे ले मसल्ने लगी... निपल को उंगली और अंगूठे मे पकड़
काटने लगी.... तभी राज ने अपनी जीब के साथ अपनी दो उंगलियाँ
उसकी चूत मे घूसा दी और उंगलियों को अंदर बाहर करने लगा. उसकी
साँसे तेज हो गयी और उसकी चूत ने दुबारा उबाल खाना शुरू कर
दिया...

थोडी ही देर मे राज का लंड फिर तन कर खड़ा हो गया था.. वो अपनी
जगह से खड़ा हुआ और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रख
दिया...

"तुम चाहती हो की में तुम्हे चोदु?" उसने पूछा.

"हां" उसने जवाब दिया.

"तुम एक छीनाल रंडी हो.. हो ना?" उसने फिर पूछा.

महक को समझ मे नही आया की वो क्या जवाब दे. उसे ये सब बात
सुनने मे अक्चा लग रा था... लेकिन वो अपने मुँह से कैसे कबूल
करे की हां वो एक छीनाल एक रंडी बन चुकी है.. आख़िर वो एक
शादी शुदा औरत थी.. एक जवान बाकछे की मा थी... पर उसे पता
था की अगर वो जवाब नही देगी तो राज उसे नही चोदेगा और चला
जाएगा... वो उसके लंड के लिए तड़प रही थी...

"हां" उसने शरमाते हुए जवाब दिया.

"किसकी छीनाल रंडी हो तुम बताओ मुझे?" उसने फिर पूछा.

"में तुम्हारी छीनाल रंडी हूँ..' उसने धीरे से जवाब दिया.

"फिर मेरी छीनाल रंडी इस वक्त क्या चाहती है..?" उसने पूछा.

ये गंदी बातें एक बार फिर उसे उत्तेजित करने लगी.. वो लाज शरम
सब छ्चोड़ बोली... "में चाहती हूँ की तुम अपनी इस छीनाल रंडी को
अपने मोटे लंड से चोदो." कहकर उसने उसके खड़े लंड को पकड़
लिया.

राज ने उसके हाथ को बीच मे से हटाया और एक ज़ोर का धक्का मार अपने
लंड को अंदर तक घुसा दिया.

'ऑश हां" वो चिल्ला पड़ी.

राज ने अपने लंड को बाहर निकाला और उसकी टांगो को उठा अपने कंधों
पर रख दी और फिर ज़ोर से अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया...
और वो ज़ोर ज़ोर के धक्के मार उसे चोदने लगा.

"ऑश हा हाआं ऐसे ःईईईई ओह हां." महक सिसकने लगी.

राज ने देख उसके हर धक्के के साथ उसकी चुचिया उछाल रही थी...
महक ने अपनी चुचियों को पकडा और जोरों से मसल्ने लगि..तभि
उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.

थोडी ही देर मे राज का विरे भी उबाल खाने लगा... उसने अपने लंड
को बाहर निकाला और अपनी दोनो टाँगे महक के अगल बगल रख अपने
लंड को जोरों से मसल्ने लगा... दो तीन झटकों मे ही उसक लंड
पिचकारी दर पिचकारी छ्चोड़ महक के बदन को नहलाने लगा.
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07-15-2017, 01:15 PM,
#43
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक अपने हाथों से उसके वीर्या को अपने समूचे बदन पर मलने
लगी..... और जीब से हाथों पर लगे वीर्या को चाटने लगी..

तुम एक अची छीनाल हो... मज़ा आएगा." कहकर राज अपने कपड़े पहने
लगा... महक उसे प्यार भरी नज़रों से देख रही थी..

तय्यार होकर राज ने अपनी जेब से एक काग़ज़ और पेन निकाला और उसपर
अपना पता लिखने लगा और बोला.. "में चाहता हूँ की गुरुवार को तुम
शाम 7.00 बजे इस पाते पर पहुँच जाना. एक आक्ची सी छिनालों वाली
ड्रेस पहन कर आना और देर मत करना."

उसने वो काग़ज़ सोफे के कीनरे पर रखा और वहाँ से चला गया.
राज के जाने के बाद महक सोफे पर लेती रही... उसका वीर्या अभी उसके
बदन पर फैला हुआ था.... उसकी चूत भयंकर चुदाई से सूजी हुई
थी.... और उसके निपल भींचने की वजह से लाल हो चुके थे...
पर उसे इन सब बातों की परवाह नही थी... उसकी जिंदगी मे फिर
बाहर आ गयी थी... जिंदगी का सही मज़ा उसे मिल रहा था...
पीछले 15 सालों से जो वो कुछ खोती आई थी वो सब उसे हासिल हो
रहा था.... पर ऐसा नही था की वो अपने पति को चाहती नही थी..
वो बहोत प्यार करती थी अपने पति को लेकिन वो उसकी जिस्मानी
ज़रूरतें पूरी नही कर पा रहा था..

राज उसे इस्टामाल कर रहा है वो जानती थी... वो उसके साथ एक
बाज़ुरी रंडी की तरह व्यवहार कर रहा था... वो उसे तभी याद
करता था जब उसके लंड को उसकी चूत की ज़रूरत होती थी..... पर
उसे ये सब आछा लग रहा था... उसे एक रंडी बनने मे मज़ा आ रहा
था.

अपने बदन पर फैले राज को वीर्या को उसने तौलिए से साफ किया और
सोफे पर लेट गयी. एक कंबल ओढ़ वो वहीं सोफे पर आँख बंद कर सो
गयी.

सुबह उसकी आँख खुली तो सुबह के 9.30 बाज चुके थे. उसने वो काग़ज़
उठाया जिसपर राज ने अपना पता लिख कर दिया था. कल गुरुवार
था... वो उठी और बाथरूम मे घुस गयी. स्नान करते वक्त वो सोच
रही थी की उसे कल क्या पहनना चाहिए... राज के कहे शब्द उसके
दीमग मे दौड़ रहे थे... एक छिनालों वाली ड्रेस पहन कर आना....
वो अपने कपड़ों को याद करने लगी की उसे क्या पहनना चाहिए....
लेकिन उसके पास ऐसी कोई ड्रेस नही थी... इसलिए उसने मन माना लिया
की वो बेज़ार जाकर राज की पसंद की ड्रेस खरीद लेगी जिससे वो
खुश हो जाए.

अगले दिन शाम को महक राज के घर जाने के लिए तय्यार होने लगी..
और ठीक 6.30 बजे घर से निकाल गयी. उसके घर पहुँच उसने
दरवाज़े की घंटी बजाई और दरवाज़ा खुलने का इंतेज़ार करने लगी.

राज ने दरवाज़ा खोला और एक तक महक को देखने लगा. उसने जो ड्रेस
पहन रखी थी वो 45 साल की औरत तो कभी ना पहेनटी. उसने मेक
उप भी एक दम रंडियों जैसा ही किया हुआ था... गालों पर ढेर सारी
लाली... आँखों मे एए शॅडो और लिनड... और होठों पर गहरे
लाल रंग की लिपस्टिक.

उसका आध खुले गले का टॉप उसकी चुचियों की नुमाइश कर रहा
था..... राज उसकी झलकती चुचियों की दरार मे झाँकने लगा.....
उसकी चुचियों के खड़े निपल सॉफ दीखाई दे रही थे.. राज सिर्फ़
इतना नही जानता था की दरवाज़े की घंटी बजाने से पहले महक ने
खुद अपने निपल भेंचे थे जिससे की वो खड़े हो जाएँ और राज को
नज़ारा देखने को मिले... उसने नज़रे नीचे डाली तो देखा की उसका
स्कृत काफ़ी छोटा था जहाँ से उसकी नंगी जंघे दीख रही थी...
और फिर पैरों मे 5 इंच की हील की संडले... वो ठीक किसी रंडी की
तरह लग रही थी जो सड़क के कीनरे किसी ग्राहक की तलाश मे हो...

"बहोट अकचे" राज ने मन ही मन सोचा, उसने जैसे चाहा था वो वैसे
ही साज कर आई थी, "कैसी हो मेरी छीनाल जान?" उसने उसे चिढ़ाते
हुए पूछा.

राज जब उसे इस तरह से बुलाता था तो उसे बहोत अक्चा लगता था..
और तुरंत उसकी चूत गरमा गीली हो जाती थी... वो शर्मा गयी और
उसकी और देख मुस्कुरा दी.

"अंदर आ जाओ"

जैसे ही वो अंदर घुसी राज उसकी गांद की गोलैईयों को देख रहा था
जो उसके हर कदम के साथ गॅंड की दरार मे धँस जाती.... यूयेसे लंड
पॅंट के अंदर मचलने लगा था... उसने अपने लंड को पॅंट मे अड्जस्ट
किया और उसके पीछे पीछे घर के अंदर आ गया.

महक जब हॉल मे पहुँची तो उसने अपने स्कर्ट को थोड़ा ठीक किया और
फिर घूम कर वापस चलतिहुई राज के पास आ गयी.

"तुम्हारी ड्रेस बहोत जान लेवा है म्र्स सहगल..." उसे महक को ये
कह कर बुलाना अक्चा लगता था. वो इस तरह उसे याद दिलाते रहता
था की वो खुद उससे उमर मे बहोत छोटा है.....

"तुम ठीक एक दम छीनाल और बाज़ुरी रंडी लग रही हो."

महक मुस्कुराते हुए उसके पास आती रही और जब उसके करीब पहुँच
गई तो उसकी कमर को पकड़ उसके सामने घुटनो के बाल बैठ गयी. वो
उसकी पॅंट के हुक खोलने लगी लेकिन राज ने उसकी कलाईयों को पकड़
उसे रोक दिया.

"ऩही... अभी नही... इन सब के लिए अभी बहोत वक्त पड़ा है. अभी
मेरे कुछ दोस्त आने वाले है और तुम्हे दूसरे बहोत काम है जो
करने है."

"तुम्हारे दोस्त." उसने पूछा.

"हां मेने अपने कुछ दोस्तों को टीवी पर फुटबॉल मॅच देखने के लिए
बुलाया है. तुम्हे उनके लिए नाश्ता तय्यार करना है और अगर वो बोर
हो रहे हों तो तुम्हे उनका दिल बहलना है. तुमने क्या सोच था की
मेने तुम्हे ऐसी ड्रेस मेरे लिए पहनने को कहा था..? उसने कहा.
Reply
07-15-2017, 01:15 PM,
#44
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--14

राज की बात सुनकर महक डर गयी.. इस तरह राज के लिए तय्यार
होकर आना अलग बात थी लेकिन उसके दोस्तों के लिए पता नही कितने
दोस्त होंगे... क्या वो उन्हे जानती है?... क्या वो उसके बेटे के दोस्त
हैं?... वो अंदर से घबरा गयी थी.

"कौन आ रहा है?" उसने डरते हुए पूछा. "में इस तरह किसी अंजान
लोगों के सामने नही आ सकती अगर यहाँ देख ली गयी तो ये बात
ज़रूर मेरे पति तक पहुँच जाएगी."

"डरो मत कुछ नही होगा... मेरे ऑफीस के कुछ दोस्त है." उसने
जवाब दिया.."जब मेने उन्हे बताया की तुम कितनी बड़ी छीनाल हो और
क्या उछाल उछाल कर चुदवाति हो तो तो तुमसे मिलना चाहते थे.... अब
जल्दी जल्दी किचन मे जाओ और नाश्ता तय्यार करो... में बाज़ार
जाकर समान ले आया था जो फ्रिड्ज मे रखा है."

एक घंटे बाद राज के दो दोस्त आ गये और तीनो हॉल मे बैठ कर
मॅच देख रहे थे. महक उन सब के लिए नाश्ता बना लिया था और
एक ट्रे मे सज़ा कर हॉल की तरफ चल दी. जैसे ही वो हॉल मे
दाखिल हुई तीनो की नज़रों टीवी से हट कर उस पर जा टिकी. उसने वो
ट्रे सेंटर टेबल पर रख दी. उसने देखा की तीनो की नज़रें उसके
बदन को ही घूर रही थी.

"विनय वरुण, ये महक एक बहोत ही छीनाल रंडी जिसके बारे मे मेने
तुम लोगों को बताया था," राज ने कहा, "दोस्तों इसे नमस्ते करो."

"हेलो एवरीबोडी." महक ने सभी को नमस्ते किया

महक सब से हाथ मिलाने लगी... और ठीक किसी छीनाल की तरह उनसे
हाथ मिलाते वक्त इतना झुक जाती की उसके खुले गले के टॉप से उसकी
चुचियाँ उन दोनो दीख जाती. दोनो तो जैसे उसकी छातियों की घाटी
मे खो के रह गये... और महक को ये देख खुशी हो रही थी की वो
जवान मर्दों को भी रिझा सकती है..... तभी राज ने उसे सब के
लिए बियर लाने के लिए कहा.

महक किचन मे गयी और सब के लिए बियर लेकर वापस हॉल मे
लौटी.... जब वो बियर के ग्लास टेबल पर लगा रही थी तब उसने
महसूस किया की किसी का हाथ उसकी नंगी टाँगो पर से होता हुआ उसकी
जाँघ के अंदरूनी हिस्से से गुज़रता उसकी चूत तक पहुँच गया था.

"उम्म्म पेंटी नही पहनी हुई है ना? उसने राज को कहते सुना, "आक्ची
रंडियों की यही पहचान होती है." इतना कहकर राज ने अपनी एक
उंगली उसकी चूत के अंदर घुसा दी.

महक वहीं टेबल को अपने हाथों से पकड़े झुकी रही और राज उसकी
चूत को भींचता रहा और साथ ही अपनी उंगली उसकी चूत मे गोल
गोल घूमाता रहा.

महक टेबल पर झुकी हुई राज के दोस्तों को देख रही थी जो इस
दृश्या का आनंद उठा र्हे थे... तभी राज ने कहा, "यहाँ मेरे पास
आओ और मेरे लंड को चूसो.... हमेशा ही मेरे दिल की ये ख्वाइश
रही है की में मॅच भी देखता रहूं और कोई छीनाल मेरे लंड को
मसालते हुए चूस्ति रहे."

महक घूमी और राज की टाँगो के बीच घुटनो के बाल बैठ गयी. राज
ने खड़े होकर अपनी शॉर्ट्स उत्तरी और वापस कुर्सी पर बैठ गया.
महक ने उसके अर्ध मुरझाए लंड को पकड़ा और अपने मुँह मे लेकर
चूसने लगी. वो अपने मुँह को उपर नीचे करने लगी... और बीच मे
अपने पूरे मुँह को खोल उसके लंड को अपने गले तक लेकर चूसने
लगी... राज के दोनो दोस्त ध्यान से इस औरत को अपने दोस्त का लंड
चूस्ते देखते रहे.
Reply
07-15-2017, 01:15 PM,
#45
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
पर राज था की उसका ध्यान तो मॅच देखने मे लगा हुआ था.. वो महक
की तरफ देख भी नही रहा था.... जब महक ने महसूस किया की राज
उसकी तरफ ध्यान नही दे रहा है तो वो और जोरों से उसके लंड को
चूसने लगी.... वो उसके लंड को अपनी मुति मे पकड़ मसालती और
कभी अपनी जीब से उपर से नीचे तक चाट्ती जिससे की वो उसकी तरफ
ध्यान दे.. लेकिन राज था की उसका ध्यान मॅच देखने मे ही लगा
रहा.... महक को अक्चा नही लग रहा था.. वो और ज़ोर ज़ोर से उसके
लंड को चूसने लगी... उसे राज का ध्यान टीवी पर से हटाना होगा..
ये सोच कर वो उसके पैरों के बीच से उठी और टीवी के सामने खड़े
होकर झुक कर उसका लंड चूसने लगी.

"थोड़ा साइड मे हटो मुझे मॅच दीखाई नही दे रहा." राज ने महक
से कहा.

राज की कही हुई बात महक को बुरी लगी.. लेकिन वो क्या करती वो उसके
लंड को मुँह से निकाल बगल मे हट गयी.

"ये क्या कर रही हो? मेने तुमसे कहा ना की मेरा लंड चूसो." राज
ने उससे कहा.

"मुझे लगा की तुम्हे मज़ा नही आ रहा है.. और तुम तो मेरी तरफ
देख भी नही रहे थे.. इसीलिए मेने लंड चूसना छोड़ दिया."
महक ने शिकायत करते हुए जवाब दिया.

"छीनाल मेरी बात ध्यान से सुनो, तुम्हे यहाँ दूसरों का दिल बहलाने
बुलाया गया है ना की तुम्हारी पसंद और खुशियों का ख़याल
रखने... अब मेरा लंड चूस और मुझे मॅच देखने दे." राज ने
गुस्से मे महक से कहा.

राज के दोनो दोस्त ये देख कर असचर्या चकित थे की किस तरह राज इस
औरत के साथ बिहेव कर रहा था. महक ने देखा की वो दोनो उसे ही
घूर रहे थे....उस्ने भी अपना मान कड़ा कर किसी छीनाल की तरह
अपने आपको इस तरह झुकाया की दोनो दोस्त उसे आक्ची तरह देख सके
और उसने राज के लंड को एक बार फिर अपने मुँह मे लिया और चूसने
लगी.
महक अब उन दोनो को चीढ़ा चीढ़ा कर अपना मुँह नीचे उपर कर
राज के लंड को जोरों से चूसने लगी. दोनो ही अपने हाथों से अपने
लंड को शॉर्ट्स के उपर से मसालने लगे.

राज का लंड चूस्ते चूस्ते वो भी गर्माती जा रही थी. वो उन दोनो
की नज़रों से नज़रें मिलाए राज के लंड को अपने तक गले तक ले लेती
फिर अपनी जीब के सहर उसे चाटते हुए बाहर निकलती.... . उसकी खुद
की चूत गीली हो चुकी थी और उससे रस बह कर उसकी जांघों को
गीला कर रहे थे. वो चाहती थी की राज का लंड पानी छोड़ दे और
इसलिए वो और ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को चूसने लगी.

उन दोनो से नज़रें मिलाए महक जोरों से राज के लंड को चूस रही
थी... आख़िर राज भी कब तक अपनी उत्तेजना को रोक पता उसका भी
शरीर अकड़ने लगा और उसने एक हुंकार भरते हुए अपना पानी महक के
मुँह मे छोड़ दिया... जिसे वो पी गयी.. उसे वीर्या का स्वाद अककचा जो
लगने लगा था.
Reply
07-15-2017, 01:15 PM,
#46
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक के होठों के कीनरों से बहते राज के वीर्या को देख विनय और
वरुण के लंड शॉर्ट्स मे और उछाल मरने लगे. वरुण से तो सहन होना
मुश्किल हो रहा था... उसे लग रहा था की अगर उसने जलादी ही कुछ
नही किया तो उसका लंड शॉर्ट्स मे ही पानी छोड़ देगा.

महक ने जब राज के लंड की हर एक बूँद पी ली तो राज ने उसे परे
हटा दिया और उसे और बियर लाने के लिए कहा. महक उसकी टाँगो के
बीच से उठी और विनय और वरुण को देखने लगी जो उसे ही घूर
रहे थे.... उसने आने मुँह पर लगे राज के वीर्या को अपनी उंगली से
सॉफ किया और फिर अपनी उंगली को मुँह मे ले चाटने लगी... फिर
दोनो को आँख मारते हुए किचन की तरफ चली गयी.

जब महक किचन मे थी तो उसने विनय और वरुण को राज को कहते
सुने की वो दोनो काफ़ी उत्तेजित हैं और उसे चोदना चाहता है. एक बार
तो उसे राज के व्यवहार पर बुरा लगा की वो किस तरह अपने दोस्तों की
बात मान गया था.. लेकिन फिर दो दो लंड के ख़याल ने उसके चेहरे
पर मुस्कान ला दी.

महक ने वापस हॉल मे आकर बियर का ग्लास राज को पकड़ाया और बाकी
के ग्लास सेंटर टेबल पर लगाने लगी... ग्लास टेबल पर रखते वक़्त
उसने ख़ास ज़्यादा झुकते हुए अपनी चुचियों की झलक विनय और वरुण
को दीखा दी.

फिर जैसे ही वो विनय की तरफ पीठ कर घूमी उसने उसकी गोल गॅंड
पर एक ज़ोर का थप्पड़ मार दिया.

"तुम्हायर चुचियों तो शानदार है साथ ही तुम्हारी गॅंड भी बड़ी मस्त
है" विनय ने कहा.

उसके थप्पड़ से महक एक बार तो चौंक कर उछाल पड़ी फिर घूमते
हुए बोली, "क्या तुम्हे पसंद है? क्या तुम देखना चाहोगे?

"हां" विनय ने जवाब दिया.

महक ने अपने टॉप को पकड़ा और उसे निकाल दिया, उसकी कठोर चुचियों
काले रंग की सॅटिन की ब्रा मे क़ैद थी... विनय और वरुण उसकी
चुचियों को घूर्ने लगे. फिर महक ने एक एक चुचि को पकड़ा और
ब्रा से बाहर निकल ली. अब वो अपनी चुचियों को मुति मे भर
मसालने लगी.... दोनो के लंड उत्तेजना मे खड़े हो शॉर्ट्स को फाड़ कर
बाहर आने को बेताब हो रहे थे. विनय उसके शरीर के नज़दीक था
इसलिए वो अपना हाथ उसकी टाँगो और जाँघो पर फिरने लगा.... महक
ने अपन टाँगे फैला दी जिससे उसका हाथ आसानी से उसकी चूत तक
पहुँच गया और उसने अपनी एक उंगली उसकी चूत मे घुसा दी.

"तुम्हारी चूत तो पूरी तरह गीली हो चुकी है." उसने कहा.

"ह्म्म्म" महक ने सिसकते हुए अपनी गर्दन हिलाई.. और विनय ने अपनी
दूसरी उंगली उसकी चूत मे डाल दी और धीरे धीरे अंदर बाहर
करने लगा. थोड़ी ही देर मे चूत गरमा गयी और वो झड़ने की कगार
तक पहुँच गयी.

"हाआँ और ज़ोर से इसी तरह मेरी चूत को अपनी उंगलियों से चोदो
ऑश हाआं और ज़ोऱ शे ऑश मेरा छूटने वाला है." महक अपनी
चुचियों को और जोरों से मसालते हुए सिसक रही थी.

विनय अब और तेज़ी से अपनी उंगलियों को उसकी चूत के अंदर बाहर कर
रहा था.

"हां और ज़ोर से ओ हां ज़ोर से." महक अब उसे और उकसा रही
थी. "ओ हाआँ मेरा छूटा ऑश ऑश" वो ज़ोर से सिसकी और उसकी
चूत ने पानी छोड़ दिया... उत्तेजना मे उसका शरीर कांप रहा था और
उसे अब खड़ा होना मुश्किल हो रहा था.

विनय ने अपना हाथ उसकी चूत पर हटाया और अपनी शॉर्ट्स उतार दी
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07-15-2017, 01:16 PM,
#47
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
जब वरुण के लंड ने पानी फैंकना बंद किया तो महक उसके वीर्या को
अपनी चुचियों पर आक्ची तरह मलने लगी... और साथ ही अपनी
उनबगलियों मे ले उसे चाटने लगी.

विनय ने जब महक को इस तरह वरुण से कहते सुना तो उसके मान भी
एक ख़याल आ गया, उसने महक को खड़े होने कहा और फिर कहा की वो
ज़मीन पर लेट जाए.

"तुम्हे ये लंड का पानी बड़ा अक्चा लगता है ना...?" विनय ने पूछा.

"हां बहोत अक्चा लगता है की इसी पानी से नहाती रहूं." महक ने
वरुण के वीर्या को अपनी चुचियों पर मलते हुए कहा.

महक के ज़मीन पर लेटते ही विनय उसके उपर चढ़ गया और उसकी
चूत पर बैठते हुए अपने लंड को उसकी चकुहियों की घाटी के बीच
रख दिया.. फिर दोनो हहतों से उसकी चुचियों को अपने लंड पर
दबा धक्के लगाने लगा जैसे की चूत चोद रहा हो.... महक की
चुचियों पर वरुण का वीर्या होने से उसका लंड पूरी तरह गीला हो
गया और बड़ी आसानी से उसकी चुहियों के बीच आगे पीछे हो रहा
था.

महक के लिए ये सब कुछ नया था.. विनय का लंड ठीक उसके मुँह
तक आता और पीछे हो जाता.... उसने अपनी जीब बाहर निकाल ली और
जब भी उसका लंड उसके मुँह तक आता तो वो उसे पानी जीब से चाट
लेती.... विनय को मज़ा आने लगा और उसका लंड पानी छोड़ने को तयार
था....
महक ने देखा की विनय अपना पानी छोड़ने लगा है तो वो वरुण की
तरह उसे भी उकसाने लगी.

"हां छोड दो अपना पानी मेरी चुचियों पर ऑश हाः और ज़ोर से
रागडो मेरी चुचियों को. ओ हां चूओडू."

विनय महक पर से उठा और खड़ा होकर अपने लंड को मसालने लगा.
थोड़ी ही देर मे उसका लंड पिचकारी छोड़ने लगा. वीर्या की धार महक
के चेहरे, उसके बावन पर उसकी चुचियों पर गीर रही थी.

महक थी की उसे और उकसाए जा रही थी, 'हाआँ छोड़ो पानी मेरे
चेहरे पर.... नहला दो मुझे अपने इस अमृत रस से... ओ हां और
छोड़ो.... ओ मज़ा अरहा है.. मुझे अपनी रंडी बना लो..
हां."

विनय के लंड से जब आखरी बूँद भी महक के जिस्म पर गिर चुकी तो
वो नीचे झुका और अपना लंड उसने उसके मुँह पर रख दिया, "मेरी
छीनाल रानी अब ज़रा इसे चाट कर सॉफ भी कर दो...."

महक ने खुशी खुशी अपनी जीब बाहर निकली और उसके लंड को चाट
कर सॉफ करने लगी. जब उसका लंड अची तरफ साफ हो गया तो विनय
खड़ा हुआ और उसने अपने कपड़े पहन लिए. वरुण ने भी वैसे ही किया
और तीनो उसे अपनी अपनी जगह पर बैठ गये और महक को वहीं
ज़मीन पर छोड़ दिया.

थोड़ी देर बाद राज ने कहा की मॅच मे मज़ा नही आ रहा इसलिए उसने
अपने दोस्तों से किसी बार मे जाकर एक दो ड्रिंक पीने के लिए कहा.
उसके दोनो दोस्त उठे और वहाँ से चले गये. राज महक की और देखने
लगा जो अभी भी ज़मीन पर ही लेती हुई थी.

"अब उठो यहाँ से और नहा धो कर तय्यार हो जाओ... शायद मुझे
फिर तुम्हारी ज़रूरत पड़े." राज ने महक से कहा.

राज के दोस्तों के जाने के बाद भी महक वैसे ही लेती रही.. उसे
अपने आप पर शरम नही आ रही थी बल्कि वो अपनी मौजूदा हालात
पर खुश हो रही थी. उसे गर्व था अपने आप पर की 45 साल की होने
के बावजूद वो जवान लकों को रिझा पाने मे कामयाब थी... आज वो हर
वो सब अनुभव कर रही थी जो उसे आज सई कई साल पहले कर लेने
चाहिए थे.... आज जितनी उसकी आत्मा और जिस्म तृप्त हुए थे उतना
कभी नही हुए और वो चाहा रही थी की ये सिलसिला यूँ ही चलता
रहे और कभी ख़तम ना हो.
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07-15-2017, 01:16 PM,
#48
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
राज ने उसे जिंदगी की उस सचाई से परिचय कराया था जो की एक
इंसान के लिए निहायत ही ज़रूरी है... उसे अपना ये नया जीवन और
संसार अक्चा लग रहा था.

महक वहाँ से उठी और अपने कपड़े ठीक कर अपने घर की और चल
पड़ी. उसे घर पहुँच कर राज के लिए तय्यार होना था या फिर राज
के किसी दोस्त के लिए......

घर पहुँच कर महक ठंडे पानी का शवर बात लिया और एक सेक्सी
ब्रा और पनटी का सेट पहन लिया और उसके उपर सिर्फ़ एक टवल का रोब
डाल राज का इंतेज़ार करने लगी.

राज हर बार की तरह उसे काफ़ी इंतेज़ार करने के बाद पहुँचा. जब
उसने दरवाज़े पर दस्तक दी तो महक ने दौड़ कर दरवाज़ा खोला.
महक को ये देख कर असचर्या हुआ की राज एकद्ूम अकेला था वरना उसे
उमीद थी की उसके साथ ज़रूर कोई आएगा.... थोड़ा निराश होते हुए
महक ने उसे अंदर आने को कहा. राज के पीछे पीछे हॉल मे आते
आते उसने अपना रोब उत्तर दिया.

राज घूम कर महक को देखने लगा, ब्रा और पनटी मे वो किसी 20 साल
की नौजवान लड़की से कम नही लग रही थी.. उसकी खड़ी चुचियाँ
ब्रा मे क़ैद थी और निपल पूरी तरह टन कर खड़े थे. राज ने अपनी
पॅंट उतार दी और उससे अपना लंड चूसने को कहा.

महक तुरंत राज के पास आई और घुटनो के बाल बथ्ते हुए उसके
लंड को मुँह मे लिया... उसे अब लंड का स्वाद आछा लगने लगा था और
उसे लंड चूसने मे मज़ा आता था. उसे समझ मे आ गया था की
मर्दों को कैसे खुश किया जा सकता है.

"हां मेरी छीनाअल इसी तरह चूस कर मेरे लंड को और खड़ा
करो... ऑश हाआँ आज की रात मेने तुम्हारे लिए खास प्रोग्राम
बनाया है." राज ने उसके मुँह मे धक्के मारते हुए कहा.

महक की समझ मे नही आया की किस तरह का प्रोग्राम उसने बनाया
है.... लेकिन उसे लगा की आज की रात मस्ती मे गुज़रने वाली है..
यही सोच कर वो ज़ोर ज़ोर से अपने मुँह को उपर नीचे कर उसके लंड
को चूसने लगी. पीछले कुछ दीनो मे राज ने जो कुछ उसे सीखया या
उसके साथ किया था वो सब महक के लिए नया और उत्तेजञात्मक था.

जब राज का लंड पूरी तरह टन कर खड़ा हो गया तो उसने महक को
रुक जाने के लिए. वो ज़मीन पर लेट गया और महक से बोला, "अब तुम
मुझ पर चढ़ कर मेरे लंड को अपनी चूत मे ले लो और उछाल उछाल
कर धक्के मरो... मेने तुम्हारी चुचियों को उछलते और झूलते
देखना चाहता हूँ."
महक के लिए ये आसान भी नया था.. उसने अपनी पेंटी निकाली और राज
के उपर चढ़ गयी... फिर उसके खड़े लंड को अपनी चूत के मुँह से
लगाया और उस पर बैठती चली गयी. फिर वो धीरे धीरे उछाल
कर उपर नीचे होने लगी. राज ने अपने हाथ बढ़ा कर उसकी
चुचियों को अपनी मुति मे भरा और भींचने लगा.

"म्र्स सहगल तुम सही में बहोत अची रॅंड बनोगी.... अपने आपको
देखो मेरे लिए तुम किस तरह से तय्यार हुई थी... तुम्हे मर्दों को
रिझाने मे मज़ा आने लगा है ना?" राज ने उसकी चुचियों को जोरों
से भींचते हुए कहा.

"हां" उसने हवाब दिया.

"ये सब कर के तुम बहोत गरम हो जाती हो ना?" राज ने पूछा.

"हां बहोत ज़्यादा." महक ने जवाब दिया.

"तुम्हारी चूत गेली हो जाती है... उसमे चिंतियाँ रेंगने लगती
है.. है ना... बतो मुझे तुम किसकी रॅंड हो.....?" राज ने उसके
निपल पर चिकोटी काटते हुए कहा.

मैं तुम्हारी रांड़ हू.. ओ जो तुम क़होगे में करूँगी..." महक
भी उत्तेजना मे बोली.. उसकी चूत मे ुआबल शुरू हो गया था और वो
झड़ने के करीब थी.

"तुम मेरी शादी शुदा रांड़ हो?"

"हां में तुम्हारी शादीशुदा रांड़ हुन...ओह्ह्ह्ह हाआँ "

"तुम्हारा पति तुम्हारी आचे से चुदाई नही करता... है नाअ. तुम्हारी
चूत की प्यास नई बुझता?" राज ने पूछा.

"हाआँ वो मुझे नही चोद्ता जिस तरह से तुम मुझे चोद्ते हो.. हाआँ
ऐसे ही अपनी रॅंड बनाकर रखना मुझे ऑश चोदो मुझे ऑश....
मुझे तुम्हारी रॅंड बनने मे मज़ाअ आता है.. तुमने मेरी चूत की
बरसों की प्यास बुझा दी..." सिसकते हुए वो ज़ोर ज़ोर से उछालने लगी
और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
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07-15-2017, 01:17 PM,
#49
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक जब शांत होकर तोड़ा ढीली पद गयी तो राज ने उसे उसपर से
उठने को कहा, "आज में तुम्हे एक नई चीज़ सिखाता हून," उसने
कहा, "ज़रा सोफे का सहारा लेकर झुक जाओ."

महक ने अपने दोनो हाथ सोफे की पुष्ट पर रखे और नीचे झुक
गयी... उसके चूतड़ हवा मे उठ गये थे. राज उसके पीछे आया और
उसने अपनी दो उंगलियाँ उसकी गीली चूत मे डाल दी. अपनी उंगलियों को
आक्ची तरह उसकी चूत मे घूमा घूमा कर उसने गीली कर ली....
फिर उसने बिना कुछ उससे कहे अपनी उंगली उसकी सुखी गॅंड मे घुसा
दी. महक उसकी इस हरकत से चौंक पड़ी... उसे राज की उंगलियाँ अपनी
गॅंड के अंदर तक महसूस हो रही थी..... राज अब अपनी उंगलियों को
उसकी गॅंड के अंदर बाहर करने लगा.

महक झुके हुए उसकी उंगलियों का मज़ा अपनी गॅंड मे लेने लगी. ये भी
उसके लिए एक नई चीज़ थी... उसने ना तो सुना था ना ही कहीं पढ़ा
था.... धीरे धीरे उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकालने
लगी.... राज की उंगलियाँ अपनी गॅंड मे उसे आक्ची लगने लगी थी.

राज ने अपनी उंगलियाँ उसकी गॅंड से निकली और एक बार फिर उसकी चूत
मे दल कर अपनी उंगलियों को गीला करने लगा.... अपनी उंगलियों को
उसकी चूत से निकाल इस बार उसने दो की बजाए टीन उंगलियाँ उसकी गॅंड
मे घुसा दी.... महक को तोड़ा दर्द हुआ लेकिन एक अजीब सा एहसास भी
महसूस हुआ.... थोड़ी देर अपनी उंगलियों को अंदर बाहर करने के बाद
उसने अपनी उंगलियाँ बाहर निकाल ली..... उसने अपने खड़े लंड को पकड़ा
और उसकी चूत मे पेल दिया..... थोड़ी देर लंड को अंदर बाहर करने
के बाद जब उसका लंड पूरी तरह उसकी चूत से बहते रस से चिकना हो
गया तो उसने लंड को उसकी चूत से निकाला और उसकी गॅंड के छेड़ पर
रख अंदर घुसा दिया.

ऊऊईईईईई माआअ...... ..मर गयी रे...." महक दर्द से कराह उठी.

राज का लंड जब उसकी गॅंड की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुसा तो
महक दर्द के मारे छटपटा उठी.... अपने होठों को भींचते हुए
उसने अपनी चीख को दबा लिया... राज ने अपने लंड को तोड़ा बाहर
खींचा और एक ज़ोर का धक्का मारते हुए पूरा का पूरा लंड उसकी गॅंड
मे पेल दिया. राज अब अपने लंड को उसकी गॅंड के अंदर बाहर करने
लगा. थोड़ी ही देर मे महक का दर्द कम होने लगा और उसके चूतड़
खुद बा खुद राज के धक्कों का साथ देने लगे.

महक को अपनी गॅंड की पहली चुदाई मे मज़ा आने लगा और वो अपना
हाथ नीचे की और लेजकर राज के लींद की गोलियों से खेलने
लगी.... फिर अपने हाथ को अपनी चूत पर रख वो जोरों से उसे
मसालने लगी....

राज ने देखा की महक अब अपने चूतड़ पीछे की और कर उसके लंड का
मज़ा लेने लगी है तो वो फिर उससे गंदी गंदी बातें करने
लगा.....

"मज़ा आ रहा है ना तुम्हे?..... अपनी गॅंड मे मेरा लंड अक्चा लग
रहा है ना...?"

"ह्म्‍म्म्म" वो इतना ही कह पाई.

"मेने सुना नही ज़रा ज़ोर से बोलो ना?"

"हाआँ...." उसने जवाब दिया.

"मुझे बताओ तुम्हे मेरा लंड कैसा लग रहा है..?"

"ऑश ऱाज़ बहोट आछा लग रहा है.... ओ हां चोडो इसी तरह मेरी
गॅंड को फाड़ दो.... तुम्हारा लंड बहोट अक्चा है...." महक सिसकते
हुए बोली.

राज जोरों से उसकी गॅंड मारने लगा. उसके छूतदों को पकड़ वो ज़ोर के
धक्के मारते हुए अपने लंड को अंदर तक पेल रहा था.

"ऑश हां इसी तरह चोडो मुझे ऑश हां गॅंड मारो मेरी.....
ज़ोर से मारो ऑश हां और जोरों से मेरा छूटने वाला है.." महक
अपनी चूत को रगड़ते हुए सिसक रही थी.

अपनी चूत को मसल मसल कर महक झाड़ गयी... राज का लंड भी
पानी छोड़ने को लिए तय्यार था... उसने अपना लंड बाहर निकाला और
महक को घूमा कर घुटनो कल बीता दिया.. वो अपना पानी महक की
चुचियों पर छोड़ना चाहता था.. जैसे ही वो घूमकर बैठी राज
अपने लंड को मसालने लगा और एक हुंकार भरते हुए उसे वीर्या की
पिचकारी महक की चुचियों पर छोड़ दि..ऽउर उसका वीर्या उछालता
हुआ महक की चेहरे उसकी बलों और चुचियों पर गीर्ने लगा.

"ऑश ऱाज़ हाआँ आअज नहला दो अपनी ईश रंडी को अपने पानी से...
हाआँ छोडो और छोड़ू..." महक उसके वीर्या को अपनी छाती पर
मसालते हुए बोली.

अपना पानी छोड़ने के बाद राज ने अपने कपड़े पहने और कहा, "फिर
जल्दी ही मिलते है मेरी जाआं." ईटन कहकर वो चला गया.

महक वही बैठी राज के वीर्या को अपने शरीर पर मसालते हुए अपने
इस नये आनंद को एहसास करने लगी.... उसे ये रणदीपन मे मज़ा आ
रहा था... अब उसे अपने पति की कोई परवाह नही थी... वो इस नई
सुख का पूरा आनंद लेना चाहती थी.... उसे अपने पति पर गुस्सा आ
रहा था की आज तक इतने सालों से उसने उसे इस चरम सुख से
वंचित रखा था... और वो जानती थी राज अब उसे हर वो सुख से
परिचय कराएगा जिसे वो आज तक ना पा सकी थी... यही सोचते हुए
वो बातरूम मे घूस गयी.
Reply
07-15-2017, 01:17 PM,
#50
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--16

उस बात को तीन चार दिन बीत गये जब राज ने पहली बार महक की
गॅंड मारी थी. महक का पति अभी भी शहर से बाहर टूर पर था.
महक अपना समय घर के काम काज मे या फिर शाम को किसी क्लब मे
जाकर व्यतीत कर रही थी. अपने आपको लाख व्यस्त रखने के बावजूद
महक राज को बहोत मिस कर रही थी... बार बार उसकी आँखों के
सामने वो सब कुछ आ जाता जो राज ने उसके साथ किया था. क्लब मे वो
दूसरे मेंबर्ज़ के साथ काम मे हाथ बँटाती जैसे की कोई शो
ऑर्गनाइज़ करना हो या फिर कोई पार्टी वग़ैरह.... .

ऐसे ही क्लब मे बैठी वो राज के ख़यालों मे खोई हुई थी... की
किसी ने उसे पुकारा... "हा महक ....कहाँ खोई हुई हो?"

"ह्म" महक ने जवाब दिया.

"क्या सोच रही हो?" किसी ने फिर कहा.

"महक ने पलट कर देखा.... वो रजनी शर्मा उसकी साथी मेंबर थी.

"मुझे वो हिसाब चाहिए जो कल रात की डिन्नर पार्टी का तुम लीख
रही थी.... क्या बात है... बहोत खोई खोई हो?" रजनी ने पूछा.

"नही ऐसा कुछ नही है." महक ने जवाब दिया... साथ ही अपने
ख़याल पर वो शर्मा गयी... वो ख़यालों मे विनय और वरुण से
चुद्वा रही थी.

"पर तुम्हारे चेहरे से तो लगता है की ज़रूर कोई बात है." रजनी
ने फिर कहा.

रजनी क्लब ऑर्गनाइज़ेशन हेड थी. कुछ साल पहले उसके पति का
देहांत हो गया था.... रजनी अकेली रहती थी.. लेकिन उसने अपनी एक
अलग पहचान बना ली थी.. वो दीखने मे काफ़ी सनडर भी थी.. उसकी
और महक की उमरा एक जैसी ही थी.. लेकिन शरीर से वो महक से 15
साल छोटी लगती थी. रजनी काफ़ी लंबी थी.. करीब 5'8 की हाइट...
काले लंबे बॉल जो उसके कंधों तक आते थे.. गोल चेहरा... भारी
हुई चुचियाँ जो किसे भी आकर्षित कर सकती थी... अपने बदन के
दम पर जो वो चाहती वो हासिल कर लेती थी... वो विधवा थी और
मर्दों का साथ उसे पसंद था.. और इस खेल की वो एक माहिर खिलाड़ी
थी.. इसलिए जब महक ने "कुछ नही" कहा वो तुरंत समझ गयी.

"ऐसा कुछ ख़ास नही बस मुझे अपने पति की बहोत याद आ रही
थी." महक ने थोड़ा सोच कर कहा.

"ठीक है अगर कुछ नही है तो कोई बात नही," रजनी ने कुछ
शंकित स्वर मे कहा, "तो फिर तुम मुझे वो हिसाब दे रही हो ना?"

"अभी नही थोड़ी देर बाद मे देती हून." महक ने कहा.

महक ऑफीस मे गयी और हिसाब टायर करके उसे रजनी के दे दिया.
फिर वो वॉश रूम मे गयी और अपने पर्स से अपना सेल फोन निकाल
कर राज का नंबर मिलाने लगी. जब राज ने कोई जवाब नही दिया तो
उसने उसे स्मस कर के बता दिया की वो उससे मिलना चाहती है.

महक का जब फोन आया तो राज उस समय समुद्रा के कीनरे अपने कुछ
दोस्तों के साथ मज़े ले रहा था. हर बार की तरह राज ने फोन नही
उठाया..... उसे महक को तरसाने मे माज़ा आने लगा था.... जब उसकी
एक दोस्त प्राची ने देखा की राज फोन का उत्तर नही दे रहा है तो
उसने उससे पूछा की कौन है.

"अरे एक रंडी है जिसे आज कल में चोद रहा हूँ," राज ने सच सच
कहा... "और वो चाहती है की इस समय भी में जाकर उसकी चूत
बजाऊँ."

"हां ऐसी कई औरतें हैं आज कल." प्राची ने खिलखिलते हुए कहा.

"और तुम भी उनमे से एक हो." राज ने जवाबद दिया.

"हां वो तो हूँ... तुम्हारा लंड ही इतना प्यारा है की जो एक बार इसका
स्वाद चख लेता है दीवाना हो जाता है." प्राची ने कहा.

शाम तक महक राज को तीन चार फोन कर चुकी... लेकिन फिर भी
उसने जवाब नही दिया..... तब उसने सोच लिया की वो एक ऐसा मेसेज
छोड़ेगी की वो तुरंत फोन करेगा.

"में तुम्हारी छीनाल रंडी महक हूँ.... जल्दी आओ.... मेरी चूत
और गॅंड तुम्हारे मोटे लंबे लंड के लिए तड़प रही है." कहकर
उसने फोन रख दिया.... उसे विश्वास था की वो जल्दी उसे पलट कर
फोन करेगा.
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