Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
07-15-2017, 01:01 PM,
#11
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक खुशी खुशी उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी..

थोड़ी ही देर मे उसका लंड पूरी तरह तन गया था.. वहीं रजनी इन

दोनो को देखते हुए अपनी चूत रगड़ रही थी.. वो सिसक रही

थी...वो देख रही थी की किस तरह मान लगाकर महक राज के मोटे

लंबे लंड को अपने मुँह मे गले तक ले चूस रही थी... उसका भी

दिल करने लगा की इस भीमकाए लंड को चूसे.. वो उठ कर उनके पास

जाने ही वाली थी की राज ने महक को अपने लंड से अलग किया, "अब

जाकर रजनी की चूत चूसो" राज ने कहा.

महक खिसक कर वापस अपनी पुरानी जगह पर आ गयी... रजनी ने

अपनी टाँगे फैला उसे और जगह दे दी.. तभी राज ने महक के पीछे

अपनी जगह बना ली.. महक ने जैसे ही अपना मुँह रजनी की चूत पर

रखा राज ने अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.. और उसे चोद्ने

लगा.

रजनी पहले की जैसे सिसक रही थी फेडक रही थी.. उसकी चूत एक

बार फिर पानी छोड़ने को तय्यार थी.. वो देख रही थी की किस तरह

राज का विशाल लंड महक की चूत के अंदर बाहर हो रहा है...

महक के गले से निकालने वाली आवाज़ें सुनाई दे रही थी... उसे पता

था की राज का लंड महक को अछा लग रहा है.. उसे भी राज के लंड

की तमन्ना होने लगी.

"अपना ब्लाउस उत्तर दो" राज ने रजनी से कहा, "में तुम्हारी ये भारी

भारी चुचियाँ देखना चाहता हूँ."

रजनी ने धीरे से अपने ब्लुसे के बटन खोल दिए.. राज ने देखा की

उसकी चुचियाँ काले रंग की ब्रा मे क़ैद थी.. निपल तन कर खड़े

थे जिनका उभर ब्रा के उपर से दीखाई दे रहा था... रजनी ने अपने

निपल को पकड़ा और ज़ोर से काट लिया फिर अपने हाथों को पीछे

लेजकर उसने ब्रा का हुक खोला और अपनी चुचियों को आज़ाद कर दिया.

वो अपने हहतों से अपनी चुचियों को मसालने लगी.. उन्हे भींचने

लगी.. उसकी उसकी चूत पूरे उबाल पर थी.. वो सिसक रही थी. उसकी

सिसकियों को सुन राज ज़ोर ज़ोर से महक को चोदने लगा.. उसने महक के

कुल्हों को पकड़ा और किसी घोड़े की तरह उस पर चढ़ उसे चोदने

लगा.... महक भी जोरों से रजनी की चूत चूस रही थी.. तभी

रजनी की चूत ने पानी छोड़ दिया.

महक खुद इतनी उत्तेजित थी की उसकी चूत भी झड़ने लगी.. उसकी

सिसकियाँ गूंजने लगी.. दोनो को झाड़ते देख राज रुक गया और रजनी

से बात करने लगा.

"ये जो मेरी रांड़ है ना बहोत ही अछी तरह से चूत को चूस्ति और

चाटती है.. है ना?" राज ने पूछा.

"श हां बहोट अक्चा.. और ये कोई पहली बार नही है जो इसने मेरा

पानी छुड़ाया है.. लगता है की काफ़ी कुछ सीखा दिया है तुमने

इसे..." रजनी ने जवाब दिया.

महक अपनी साँसों को संभाल चुकी थी और दोनो की बातों को सुन

रही थी.. दोनो अभी भी उसके साथ एक रंडियों वाला ही व्यवहार कर

रहे थे... राज अब धीरे धीरे उसे चोद रहा था और उसका मुँह

अभी भी रजनी की चूत मे धंसा हुआ था..

"लेकिन एक बात की में शर्त लगा सकती हूँ की में इससे अछा लंड

चूसना जानती हूँ." रजनी ने दावे के साथ कहा.

"तुम्हे लगता है ऐसा." राज ने जवाब दिया.

"मुझे लगता नही है में जानती हूँ," रजनी ने अपनी बात पर ज़ोर

दिया और अपनी चुचियों को मसालते हुए उसे चिढ़ने लगी.

"तो तुम मेरा लंड चूसना चाहती हो.. " राज ने मुस्कुराते हुए कहा.

फिर उसने अपने लंड को महक की चूत से बाहर निकाला और अपने लंड

को उसकी आँखों के सामने मसालने लगा.

"क्या तुम चाहते हो की में अपनी बात को साबित करूँ?" रजनी ने

पूछा.

राज के मोटे लंड ने रजनी को काफ़ी आकर्षित कर दिया था.. और यही

राज चाहता था.. महक के साथ साथ उसे एक और औरत मिल गये थी जो

उसके इशारे पर नाचने को तेयार थी.. वो उसकी हो चुकी थी.
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07-15-2017, 01:02 PM,
#12
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
"अगर तुम्हे मेरा लंड चूसना है तो तुम्हे गिड़गिडना पड़ेगा भीक

माँगनी पड़ेगी.. क्या तुम तय्यार हो?" राज ने अपना लंड दीखा उसे

चिढ़ाते हुए कहा.

"मुझे नही तुम्हे गिड़गिडना पड़ेगा मेरे सामने." रजनी ने उसपर हावी

होने की कोशिश की.

"मुझे गिड़गिदाने की या भीक माँगने की कोई ज़रूरत नही है."

कहकर राज ने अपना लंड वापस महक की चूत मे डाल दिया और उसे

चोदने लगा.

रजनी को लगा की राज के लंड का मज़ा लेने का मौका हाथ से निकल

जाएगा.. वो घबराकर बोली.

"नही... वापस उसकी चूत मे मत डालो में तुम्हारे लंड को देखना

चाहती हूँ."

राज चेहरे पर मुस्कान लिए महक को चोद्ता रहा और बोला, "मुझसे

भीक माँगो"

राज का महक को चोदना साथ ही खुद का अपनी चुचियों को मसलना...

महक का उसकी चूत का चूसना... रजनी से अब सहन नही हो रहा

था.. वो तड़प रही थी. आख़िर उसने राज के आगे हार मान ली.

"प्लीज़ अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकालो..ल. में तुम्हारे

लंड को जी भर देखना चाहती हूँ.. चूसना चाहती हूँ.. तुम्हारे

रस को पीना चाहता हूँ."

"तो तुम मेरे रस का स्वाद चखना चाहती हो?" राज ने उसपर फिर टॉंट

कसते हुए कहा.

"हां.. मुझे महक ने बताया था की तुम्हारे वीर्या का स्वाद बहोत

अछा है.. मुझे चाहिए.. मुझे ज़रूरत है"

राज ने अपने लंड को महक की चूत से बाहर निकाला और रजनी के पास

आ गया.. रजनी ने महक को अपनी टाँगों के बीच से हटाया और राज

के नज़दीक आ कर उसके लंड को पकड़ने की कोशिश करने लगी तो राज

ने उसे रोक दिया.

"अभी नही.. किसी अची रंडी की तरह मेरे आगे गिद्गिदाओ.. मुझसे

भीक माँगो.. फिर.. ही ये तुम्हे मिलेगा." राज ने कहा.

"प्लीज़ दे दो ना...में हाथ जोड़ कर भीक मांगती हूँ.. मुझे अपना

लंड चूसने दो.. मेरे मुँह मे अपना पानी छोड़ो... में चखना

चाहती हूँ." रजनी गिड़गिदा कर बोल पड़ी.

"ठीक है पहले अपनी जीब निकालो और इसे उपर से नीचे तक

चतो..." राज ने उससे कहा.

राज ने अपने लंड को पकड़ रखा था और रजनी अपनी जीब को बाहर

निकाल उसके लंड को उपर से नीचे तक चाटने लगी.. जैसे की कोई

बच्चा आइस क्रीम कोने को नीचे से उपर तक चाटता है..फिर राज ने

उससे कहा की अब वो लंड को मुँह मे ले चूस सकती है....

राज को तो मज़ा आ रहा था.. वो रजनी से भी उसी तरह पेश आने

लगा जैसे महक के साथ आता था. "तुम भी ठीक म्र्स सहगल की

तरह छीनाल हो."

रजनी किसी कुशल खिलाड़ी की तरह उसके लंड को चूसने लगी.. राज

उसकी ये कला देख डांग रह गया... वो अपने हहतों का.. मुँह का..

जीब का इतनी कुशल तरीके से इस्टामाल कर रही थी की जल्दी ही राज

का लंड अकड़ने लगा... राज को अपनी उम्र की लड़कियों के साथ बिताए

पल याद आने लगे... कोई भी लड़की इतनी अची तरह लंड चूसना

नही जानती थी...

"हां मेरी बुद्धि छीनाल चूवस मेरे लंड को तुम्हे मेरी दूसरी

छीनाल का रस का स्वाद मेरे लंड पर अछा लग रहा है ना.. हां

चूस और चूस"

रजनी ने उसके लंड को चूस्ते हुए अपनी गर्दन हिला दी.. राज ने उसके

बालों को पकड़ा और उसके मुँह को चोदने लगा... रजनी जोरों से सिसक
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07-15-2017, 01:02 PM,
#13
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--5

रजनी सिसक रही थी... उसने राज के दोनो कुल्हों को पकड़ उसके लंड को अपने
गले तक लेने लगी... उसका लंड और अकड़ रहा था.. वो समझ गया
की अब उससे रुकना मुस्किल है.. .

"ळे और ळेएए.. मेरी शैतान रांड़ ळेए अपने गले मईए ळे चूस मेरा
छूटने वाला है.. ऑश हां ये ळेएएए ये आय्याअ."

रजनी और जोरों से चूसने लगी.. उसके हाथों का कसाव राज की गॅंड
पर और बढ़ गया.... राज ने अपने लंड को पूरा उसके गले तक घुसा
वीर्या छोड़ दिया.... गरम वीर्या की धार जैसे ही रजनी के गले से
टकराई वो उसे पी गयी.... राज ने अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा
और एक ज़ोर का धक्का मार वापस उसके गले तक डाल दिया.... उसके लंड
ने फिर पिचकारी छोड़ी... दो तीन बार राज ने ऐसा ही किया.... जब
सारा वीर्या निकल गया तो उसने रजनी को हटा दिया और सोफे पर बैठ
गया.

रजनी अपने होठों पर लगे राज के वीर्य को चाटते हुए राज के बगल
मे सोफे पर पसर सी गयी.

"सच मे तुम बहोत अछा लंड चूस्ति हो ठीक किसी 200/- रुपये की
रंडी की तरह.. " राज ने रजनी से कहा, "हम जल्दी ही मिलेंगे."

"में चाहती हूँ की तुम मुझे चोदो." रजनी ने उसे कहा.

राज जवान था इसलिए उसका लंड तुरंत ही वापस अपने पूरे आकार मे आ
गया... वो भी रजनी को चोदना चाहता था लेकिन इतनी आसानी से
नही...

"अगर तुम चाहती हो की में तुम्हे चोदु तो तुम्हे साबित करना होगा
की तुम्हारी चूत को कितनी मेरे लंड की ज़रूरत है.. मेरे लंड का
भी ख़याल करो... में चाहता हूँ की तुम अपने साथ खेलो... फिर
तुम जैसे कहोगी में तुम्हे चोदुन्गा." राज ने कहा.

रजनी तुरंत अपनी चूत को मसालने लगी.. उसने दो उंगलियाँ अपनी
चूत मे डाली और अंदर बाहर करने लगी..... दूसरे हाथ से अपनी एक
चुचि को पकड़ मसालने लगी.. कभी चुचि को उठा अपने मुँह के
पास लाती और निपल पर अपनी जीब घूमने लगती.. वो ठीक किसी
रंडी की तरह कर रही थी और राज को रिझाने की कोशिश कर रही
थी...

महक चुपचाप तमाशा देख रही थी.. जो रजनी उसके साथ इतने
प्रभावी रूप से पेश आ रही थी वही इस वक्त राज के सामने गिड़गिदा
रही थी.. राज ने उसे भी छीनाल और रंडी बना डाला था...

"तुम भी मिसिस सहगल की तरह एक रंडी एक छीनाल हो.. है ना? अपनी
चूत मे लंड लेने के लिए तुम कुछ भी कर सकती हो... मेरा लंड
तुम्हे अछा लगता है है.. इसे अपनी चूत मे लेना चाहती हो...? राज
ने रजनी से पूछा.

"हां मेरी चूत को तुम्हारे लंड की ज़रूरत है.. ये तड़प रही
है." रजनी ने जवाब दिया.

"कितना तड़प रही है.. कितनी ज़रूरत है तुम्हारी चूत को मेरे
लंड की..." राज ने फिर पूछा.

"बहोट सख़्त ज़रूरत है... अंदर जैसे आग लगी हुई है.. अंदर
चीटियाँ चल रही है.. और इस तड़प इस जलन को तुम्हारा लंड ही
बुझा सकता है.. अपने लंड इस तड़प को मिटा दो." रजनी ने कहा.

"तुम भी एक ख़ास बूढ़ी रांड़ हो... जो हर समय लंड के लिए
तड़पति रहती है.. बताओ मुझे की इस रंडी को मेरा लंड कितना अछा
लगता है.. ." राज ने फिर कहा.

रजनी की चूत ने फिर उबाल खाना शुरू कर दिया था.. वो पानी
छोड़ने वाली थी.. लंड के लिए वो कुछ भी कहने और करने को तय्यार
थी.. जैसा राज ने कहा वो कहने लगी.

"हाआँ ... हाआँ.. में वो रॅंड हूँ जिसे लंड की हर वक्त ज़रूरत
रहती है.. मुझे लंड बहोत आछे लगते है.. मुझे तुम्हारा ये मोटा
गधे जैसा लंड अपनी छूट मे चाहिए.. ओह्ह्ह्ह्ह मेरा पानी छ्छूता
कहते हुए वो सिसक पड़ी और उसकी चूत ने तीसरी बार पानी छोड़
दिया.
राज के चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया नही थी.. वो वैसे ही खड़ा रहा
जैसे की कुछ हुआ ही ना हो.. उसने महक की और देखा और कहा.. "म्र्स
सहगल क्या तुम अपनी इस रंडी किस्म की सहेली की चुदाई देखना पसंद
करोगी?" उसने पूछा.

महक ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.

"इसका पूरा नाम क्या है?" राज ने पूछा.

"शर्मा, रजनी शर्मा." उसने जवाब दिया.

"ठीक है फिर यहाँ आओ और मेरे लंड को अपने हाथों से म्र्स शर्मा
की चूत मे डाल दो." राज ने कहा.
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07-15-2017, 01:02 PM,
#14
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक खड़ी हुई और राज के पास आ गयी.. राज रजनी की टांगो के
बीच झुका हुआ था.. महक ने उसके लंड को पकडा और उसे पहले तो
थोड़ी देर मसाला फिर उसे रजनी की चूत के मुँह पर लगा दिया...
जब लंड रजनी की चूत पर टीका था राज ने एक बार फिर रजनी से
कहा.

"म्र्स सहगल से कहो की तुम्हे क्या चाहिए? साली छीनाल रांड़ भीक
माँग." राज ने ज़ोर से कहा.

"ओह्ह्ह महक प्लीज़ मुझे दे दो ना... इसके लंड को मेरी चूत मे
घुसा दो." वो गिड़गिदने लगी.. उसे विश्वास नही हो रहा था की ये
एक जवान लड़का जो उससे आधी उम्र का था इस तरह उस पर हावी हो
सकता है.. हमेशा से वो ही दूसरों पर हावी होती आई थी लेकिन
आज इस लड़के ने उसे अपना गुलाम बना लिया था.. वो किसी रंडी की
तरह लंड की भीक माँग रही थी... अब उसकी समझ मे आया की महक
क्यों इसके लंड के लिए पागल रहती है... कुछ बात तो है इस लड़के
राज मे.

महक ने राज के लंड को पहले तो रजनी की चूत पर थोड़ी देर घिसा
फिर ठीक से लगा अपना हाथ हटा लिया.. उसकी चूत इतनी गीली थी
राज के एक ही झटके मे पूरा लंड अंदर चला गया. ..

रजनी खुशी से चिल्ला पड़ी.. उसे विश्वास नही हो रहा था की कोई
लंड इतना सख़्त और मोटा हो सकता है. उसे लगा की उसकी चूत की
दीवारें फट गयी.... बुड्ढे मर्दों के लंड से चुडा चुडा कर
वो किसी जवान लंड का स्वाद ही भूल चुकी थी.. और एक जवान मोटा
लंड उसे चोद रहा था.. वो पागल हो रही थी... सिसक रही थी ..

राज उसकी चूत मे धक्के मारता रहा.. "बुद्धी है तो क्या हुआ साली की
चूत है जोरदार कितनी गरम है अंदर से मज़ा आ गया" उसने अपने
आप से कहा... कितना गॅतीला बदन है इस रंडी का और लंड तो ऐसे
चूस्ति है जैसे की कोई छोटा बचा कॅंडी आइस क्रीम चूस्ता हो...
सोचते हुए राज झपाक झपाक धक्के मार उसे चोद रहा था... अब दो
बुढ़ियाँ उसकी रंडियां बन चुकी थी.. वो जब चाहे इन दोनो को चोद
सकता था.. अपने इशारों पर नाचा सकता था...

महक वहीं कुर्सी पर बैठ अपने यार को अपनी प्यारी सहेली की
चुदाई करते देख रही थी.. वो खुद गरम होती जा रही थी.. उसने
अपनी चूत मे उंगली डाल अंदर बाहर करना शुरू कर दिया...

थोडी ही देर मे रजनी को महसूस हुआ की उसकी चूत के अंदर से कोई
लावा फूटने वाला है.. उसे लगा की चूत की सभी नसे तन गयी...
उसका पूरा बदन कांप उठा और .. निढाल पड़ गयी.. उसकी गर्मी शांत
हो चुकी थी.

राज दोनो रंडियों की चूत को पानी छोड़ता देखता रहा उसका लंड खुद
तन कर रजनी की चूत मे मचल रहा था..

"हां रांड़ ले मेरे लंड को और ले. हाआँ ळे ओ मेरा भी छूटने
वाला है.." राज ने कहा.

"हां चोडो मुझे और ज़ोर से ओह चोडो श छोड दो अपने पानी को
मेरी चूत मे भर डो इसे अपने रस से.." रजनी सिसक पड़ी.

राज के दिल मे तभी एक शैतानी ख़याल आ गया उसने अपनी रफ़्तार
धीमी की और रजनी को देखने लगा... "नही तुम जैसी रंडियन को
मेरे लंड का पानी नही मिल सकता..." फिर वो महक की और घुमा...
और अपना लंड रजनी की चूत से बाहर निकाल बोला.

"मेरी छीनाल रॅंड ज़रा मेरे पास आना और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से
मसल और मेरे पानी को इस दूसरी रॅंड के बदन पर छुड़ा दे. "

महक ने उसके लंड को पकडा और ज़ोर ज़ोर से मसालने लगी.. लंड रजनी
की चूत के रस से गीला और किसी लोहे की सलाख की तरह सख़्त
था... वो उसे अपनी मुति मे भर ज़ोर ज़ोर से मुठियाने लगी... राज ने
एक हुंकार भरी और उसका लंड पिचकारी पर पिचकारी रजनी के बदन
पर छोड़ने लगा.. महक असचर्या से उसके वीर्या को डेक्ति रही थी...
उसे विश्वास नही हो रहा था की कोई लंड इतना पानी भी छोड़ सकता
है.. रजनी का बदन उसके वीर्या से नहा गया.

जब उसके लंड ने एक एक बूँद रजनी के चेहरे पर, बालों पर और उसकी
चुचियों पर छोड़ दी तो राज ने महक को उसका लंड चूस कर सॉफ
करने को कहा... महक ने झुक कर उसके लंड को अपने मुँह मे लिया...
रजनी और राज के रस से भीगा लंड का स्वाद उसे अछा लगने लगा.

राज को जब लगा की उसका लंड सॉफ हो गया है तो वो खड़ा हो गया
और अपने कपड़े पहने लगा और बोला, "म्र्स शर्मा आप मेरा नंबर म्र्स
सहगल से ले सकती.. है और जब भी आपकी इस चूत मे खुजली मचे
तो मुझे याद कर सकती है." फिर वो चला गया.

दोनो औरतें सूखा का परम आनंद प्राप्त पर सोफे पर लेती थी..
तभी रजनी को लगा की शायद उसने महक पर अपना प्रभाव कम कर
दिया हो.. इसलिए अपना वर्चस्वा साबित करने के लिए उसने महक से
कहा.

"महक आओ और ज़रा मेरी चुचियों को चूसो."

महक राज के वीर्या से भरी उसकी चुचियों को चूसने लगी.. उसके
वीर्या को अपनी जीब से चाटने लगी.. उसके निप्पेल को मुँह ले चूसी तो
उन मे फिर से जान आ गयी वो फिर तन कर खड़े हो गये."

"तुम मेरी बहोत ही प्यारी छीनाल हो.... हां क्या मुँह पाया है
तुमने..

"चूवसो मेरी चुचियों कू.. हां मेरे निपल को चूसो." महक
फिर गमने लग गयी थी.
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07-15-2017, 01:02 PM,
#15
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक उसकी चुचियों को चूस थोडी देर के लिए रुक गयी.. जैसे की
काम हो गया हो.. लेकिन रजनी उसे इतनी जल्दी थोड़े ही जाने देने
वाली थी.. "रूको मत अब तुम्हे मेरी चूत चूस कर सॉफ करनी है."

महक तो जैसे खुश हो गयी.. उसे रजनी के साथ ये सब करना अक्चा
लगता था.. वो खुशी से उसकी चूत पर झुक चूसने लगी... थोड़ी
ही देर मे रजनी की चूत ने एक बार फिर पानी छोड दिया
दोनो तक कर एक दूसरे के बगल मे लेट थे... महक ने धीरे से
रजनी से कहा, "मेने कहा था ना राज का कोई जवाब नही.. "

रजनी घूम कर उसकी तरफ देखने लगी और मुस्कुराने लगी, "हन ये
तो है.. उस जैसा लंड मेने नही देखा क्या चोदता है वो लड़का.."

रात को दोनो औरतें जब महक के पलंग पर लेती थी तो रजनी ने
कहा, "तो यहीं तुम्हे अजय चोद्ता है है ना?"

रजनी की बात सुनकर महक चौंक पड़ी.. आज से पहले कभी रजनी ने
उससे उसके पति के बारे मे कोई बात नही की थी.. फिर अचानक अजय
का नाम क्यों... थोड़ी देर चुप रहें के बाद वो बोली, "हन जिस
तरह वो छोड़ता है और उसे ही चुदाई कहते है तो वो मुझे यहीं
चोद्ता है.. जितनी जलादी उसका लंड अंदर घुसता है उससे भी जल्दी
उसका लंड झाड़ जाता है"

फिर दोनो एक दूसरे को अपनी बाहों मे ले सो गये



राज के साथ हुए हादसे के बाद रजनी सोच मे पड़ गयी थी.. उसे
लगने लगा की उसका लोगों पर दबदबा ख़तम हो गया है.. उसे वो
दबदबा वापस लाना होगा.. उसके पास कई नामो की लिस्ट थी जिन्हे बुला
कर वो उन्हे अपने वश मे करती थी.. और मन चाहे वो करती थी...
उस लिस्ट मे एक ख़ास नाम था जिसे बुला उस पर हुक्म चलाना उसे अपना
गुलाम बनाना उसे अक्चा लगता था.. उसने उसे फोन लगाया.. वो ऑफीस
मे काम पर था.. तो उसने व्हन फोन किया.. उसने फोन उठाया तो
रजनी ने कहना शुरू किया.

"क्या पहन रखा है जान?" रजनी ने मादक आवाज़ मे कहा.

"तुम्हे पता है की मेने क्या पहन रखा है.." उसने झल्लाते हुए
कहा,, सिर्फ़ उसकी आवाज़ मे इतना असर था की उसका लंड उसकी पॅंट मे
उछालने लगा.

"क्या तुम्हारा लंड तुम्हे तंग कर रहा है?" उसने पूछा.

"नही." उसने झूठ कहा.. वरना उसका दिल तो कर रहा था की अभी
अपने लंड को पॅंट के बाहर निकले और मसालने लगे.

"शर्त लगा सकती हून, में जानती हून मेरी आआवाज़ ही तुम्हारे लंड
को खड़ा कर देती है.." रजनी ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "तुम्हे पता
है में इस समय बिस्तर पर लेट हुए अपनी उंगलियों को अपनी चूत मे
डाले तुम्हारे बारे मे ही सोच रही थी.

वो उस दृश्या की कल्पना करने लगा.. उसका हाथ पॅंट के उपर से ही
लंड को मसालने लगा...

"क्या तुम्हारा लंड खड़ा नही हुआ?" उसने पूछा.

"हन बहोत तंग कर रहा है" उसने जवाब दिया.. झूठ बोलना बेकार
था वो अपने आपको रोक नही पा रहा था.

"अपने लंड को अपनी पॅंट से बाहर निकालो" उसने आदेश दिया.

"नही में ऐसा नही कर सकता में ऑफीस मे हून." उसने जवाब
दिया.

"तुम कहाँ हो उसकी मुझे परवाह नही.. अपनी ज़िप खोलो और अपने लंड
को बाहर निकाल कर मेरे लिए मस्लो..... " अपने शब्दों के जाल से वो
उसे अपने वश मे करने लगी.

"ठीक है" उसने हार मन ली.. उसने वैसा ही किया जैसा की उसे रजनी
ने करने के लिए कहा था.. वो अपनी डेस्क के पीछे छिप गया जिससे
की अगर कोई अंदर आए तो ना देख पाए की वो क्या कर रहा है.

"क्या तुम्हारा लंड पूरी तरह टन कर खड़ा है?" उसने फिर अपनी
मादक आवाज़ मे पूछा.
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07-15-2017, 01:03 PM,
#16
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--6

"हां" उसने जवाब दिया.

"और मेरी चूत गीली हो गयी है जिसे में अपनी उंगलियों से चोद
रही हूँ." उसने कहा.

वो अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा और भींचने लगा.

"क्या तुम्हे नही लगता की मेरी उंगलियों की जगह तुम्हारा लंड मेरी
चूत मे होना चाहिए?' उसने फिर पूछा.

"हां... हां.. " उसने अपने लंड को जोरों से मसल्ते हुए कहा.

"तो फिर बताओ मुझे तुम मेरी ये फल जैसी चूत का रस पीने कब
आ रहे हो." उसने पूछा.

"में अपनी जीब तुम्हारी चूत मे घुसा चाटना चाहता हूँ." वो
सिसकते हुए बोला.

"क्या तुम मेरा ये रस पीना पसंद करोगे?" उसने पूछा.

"हां"

"तो फिर रात को आ जाओ." उसने कहा.

"नही... मेरी पत्नी.." उसने जवाब देना चाहा और अपने लंड को
मसलना बंद कर दिया.

रजनी को पता था की वो अपने आप को रोक नही पाएगा.. उसकी हालत ही
ऐसी थी.. उसने फिर कहा, "अपनी पत्नी से कह देना की तुम्हे ऑफीस
मे काम है.. तुम्हे मेरी चूत पसंद है ना.. तुम इसे चूसने के
लिए तरस रहे हो है ना?" उसने कहा.

रजनी सही थी.. उसे अपनी ताक़त का अंदाज़ा था. अपनी मादक और
उत्तेजञात्मक हरकतों से वो आछे आछे मर्द को बहका सकती थी.. उसकी
पत्नी एक सुखी और शांत औरत थी.. रजनी उसके अंदर एक नई जान
डाल देती थी.. उसके लंड को एक नया आकार देती थी.. और जो कुछ वो
रजनी के साथ कर सकता था वो सब कुछ उसकी पत्नी के साथ नही कर
सकता था... साथ ही ना वो अपने लड़के की मा को वो सब कुछ करने के
लिए कह सकता था.. थोडी देर बाद उसने कहा.

"ठीक है में शाम 6.30 तक आ जौंगा."

"ये हुई ना मेरे आछे सनम वाली बात.." रजनी ने कहा, "अब आछे
बचे की तरह अपने लंड को वापस पॅंट मे डालो और अपनी ताक़त मेरे
लिए बचा कर रखो.. ठीक है शाम को मिलते है."

उस शख़्स ने फोन रख दिया और फिर अपने घर अपनी पत्नी को फोन
मिलने लगा...

"हेलो?" महक ने जवाब दिया.

"हाय जान.. मुझे ऑफीस मे टूर की कुछ रिपोर्ट्स तय्यार करनी है..
इसलिए थोडी देर हो जाएगी.. इसलिए तुम खाना खा लेना और सो
जाना.. ठीक है बाद मे मिलते है."

"ठीक है डियर.. अपना ख़याल रखना," महक अपने पति की बात
सुनकर खुश हो गे थी. वो राज को बुलाने की सोचने लगी... उसने
तुरंत राज का नंबर मिलाया.

अजय ने फोन रख दिया.. उसका लंड अभी भी खड़ा था... वो अपने
लंड को मसलना चाहता था अपना पानी छोड़ना चाहता था लेकिन वो डर
रहा था की कहीं रजनी को पता चल गया तो.. वैसे भी ऑफीस मे
कोई जगन नही थी जहाँ वो पानी छोड सके. उसने अपने लंड को वापस
पॅंट के अंदर किया... और रजनी को अपने दीमग से झटक वो अपने
काम मे लग गया.

अजय से फोन पर बात करने के बाद उसने फोन रख दिया. हंसते हुए
वो किचन मे कुछ खाना बनाने चली गयी.. वो नंगी नही थी वो
पूरे कपड़े पहने हुए थी... सिर्फ़ अजय के साथ मज़ाक कर खेल रही
थी.

अजय को अपने वश मे किए रजनी को करीब एक साल हो गया था.. वो
तो उसके हुक्म का गुलाम था.. जब भी उसे किसी की ज़रूरत होती तो वो
अजय को बुला लेती.. वो एक तरह से उसकी पूजा करता थ.ऽउर रजनी
को उसके साथ खेल खेलने मे मज़ा आता था.. अजय का लंड इतना बुरा
भी नही था.. अछा ख़ासा था जो रजनी को पसंद था.. सबसे बड़ी
बात की वो चूत बहोत अची चूस्ता था...
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07-15-2017, 01:03 PM,
#17
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
5.00 बजते ही अजय अपनी ऑफीस से भागा और रजनी के घर की और
रवाना हो गया... उसके घर पहुँच उसने घंटी बजाई तो रजनी ने
दरवाज़ा खोला. रजनी को देखते ही अजय चौंक पड़ा.. उसने आज बड़ा
जान लेवा लीबस पहन रखा था.. वो सिर्फ़ टू पीस बिकनी मे थी..
उसकी पेंटी इतनी छोटी थी की चूत बाहर तक निकल आई थी.. वो
समझ गया की आज रजनी काफ़ी मूड मे है... वो नज़रे झुका कर उसके
आदेश का इंतेज़ार करने लगा.

"साले देख क्या रहा है.. नीचे बैठ." रजनी ने हुक्म दिया.

"हां मालकिन." उसने जवाब दिया.. और फिर अपने घुटनो के बाल उसके
सामने बैठ गया.

रजनी ने पहले दरवाज़ा बंद किया और फिर अपनी चूत उसके चेहरे के
सामने कर डी.. "अब चातो इसे."

अजय ने अपनी जीब निकाली और उसकी चूत को कपड़े के उपर से ही
चाटने लगा .. महीन कपड़े के नीचे से रजनी को अपनी चूत पर अजय
की जीब का एहसास हो रहा था..

"तुम मेरे गुलाम हो वो बहोत अछा है." रजनी ने कहा, उसकी चूत
काफ़ी गरम हो चुकी थी... उसने उसके सिर को पकडा और अपनी चूत
पर दबा दिया....

"तुम्हे मेरी चूत अची लग रही है ना?" रजनी ने पूछा.

"ऊह...उह्ह" वो सिर्फ़ गुण गुण कर के रह गया.. वो ज़ोर ज़ोर से उसकी
चूत चाटने मे लगा हुआ था.. उसका लंड पॅंट फाड़ कर बाहर आने को
तय्यार था.

रजनी की चूत रस से लबालब भर चुकी थी उसे अजय का लंड
चाहिए था... उसने अपनी चूत उसके मुँह से हटाई और उसका हाथ
पकड़ उसे अपने बेडरूम मे ले आई.. कमरे मे आते ही अजय ने बिना
कहे अपने कपड़े उत्तर दिए.. वो उसे लेका पलंग पर आ गयी और उसके
हाथ पावं उसने पलंग के चारों कोने से बाँध दिए.. वो असहाय सा
पलंग पर पसरा पड़ा था.. हाथ उपर को और टाँगे फैली हुई सब
बँधे हुए.. लेकिन उसे ये सब अछा लगता था... रजनी ने अपनी पनटी
निकाली और उसे अजय के पास आ गयी .. और फिर उसके
चेहरे के उपर अपनी जांघों को रख चढ़ गयी और उसे अपनी चूत
चूसने के लिए कहा.

"हरामी साले मेरी चूत चूस.. " उसने हुक्म दिया.. "मेरी चूत का
पानी छुड़ा.. फिर में तुझे मेरी मखमल सी चूत दूँगी चोदने के
लिए.. " कहते हुए उसने अपनी चूत उसके मुँह पर दबा डी.

अजय ने जीब निकाली और उसकी चूत के अंदर तक घुसा दी.. और उसकी
चूत से बहते शहद को चाटने लगा... रजनी अपनी चूत को उसकी
जीब पर घिसने लगी.. वो और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूसने लगा
चाटने लगा.

"साले आज क्या हो गया है तुझे.. हरामी साले ज़रा ज़ोर ज़ोर से
चूस.... में तेरे मुँह पर अपनी चूत का पानी छोड़ना चाहती
हूँ... तुम्हे मेरे रस का स्वाद अछा लगता है ना?" रजनी ने अपनी
चूत को और उसके मुँह पर घिसते हुए कहा.

"हां हाआँ" वो इतना ही कह पाया.

अपने प्रभाव और ताक़त को देख रजनी खुश हो गयी और उसकी चूत ने
पानी छोड़ना शुरू कर दिया.. वो चिल्ला उठी.

"श हां ऐसे ही चूस ओह मेरा छूट रहा है चाट मेरे रस
को.. ऑश पी जा सारा सारा का" रजनी ने फिर उसे हुकुम दिया.

अजय खुशी खुशी उसकी चूत से बहते अमृत को पीने लगा.

रजनी अपनी चूत को और उसके मुँह पर दबा पानी छोड रही थी.. जब
उसकी चूत की गर्मी थोडी शांत हुई तो वो घूम कर उसके पेट पर
बैठ गयी.

रजनी ने फिर अपनी ब्रा भी निकाल उस पर झुक गयी.... उसके चुचि
के निपल अजय के मुँह से कुछ ही दूरी पर थे.

"साले हमेशा मेरी चुचि को देख फुदकता रहता है. अब क्या सोच
रहा हाई. चूस इसे भी." रजनी ने अपना एक निपल उसके मुँह मे
डालते हुए कहा.

अजय अपनी जीब से उसकी चुचि को चाटने के लिए आगे बढ़ायी तो
रजनी ने अपनी चुचि को पीछे कर लिए.

"तुझे मेरी चुचि बहोत पसंद है है ना?"

"हां"

"तो गिड़गिदा भीक माँग मुझसे" रजनी ने कहा.

"प्लीस मालकिन मुझे आपकी चुचि चूसने दीजिए ना... कितनी प्यारी
है... हां में इन्हे पीना चाहता हूँ." अजय ने गिड़गिदते हुए
कहा.

रजनी ने अपनी चुचि उसके मुँह मे दे दी.. और वो सुके निपल को अपनी
जीब से चाटने लगा... रजनी मदमस्त हो अपनी गीली चूत को उसके
खड़े लंड पर घिस रही थी.. वो फिर अपने पूरे वर्चस्वा पर थी..
किसी को अपना गुलाम बनाना उसे अछा लगता था.. उसने एक बार फिर अपनी
चुचि को उसके मुँह से निकाला और थोड़ा उपर हो उसके खड़े लंड को
अपनी चूत से लगा लिया.

"अब अपनी मालकिन को अची तरह चोदोगे ना?" रजनी ने उसके लंड पर
धीरे धीरे उछलते हुए कहा.

"हां हां मालकिन" अजय ने जवाब दिया.

"मुझसे पहले मत झड़ना .. हम दोनो साथ साथ पानी छोड़ेंगे..
समझे" रजनी ने फिर उससे कहा.
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07-15-2017, 01:03 PM,
#18
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
अजय की समझ मे नही आय की क्या कहे.. ये उसके वश की बात नही
थी.. अपने लंड को कुछ देर के लिए शांत करने के लिए वो अलग अलग
ख़याल अपने दीमग मे लाने लगा... व्हाइं रजनी उछाल उछाल कर उसके
लंड को अपन चूत मे ले रही थी.. लेकिन उसके दीमग मे तो राज का
लंड बसा हुआ था.. उसे एहसास हुआ की अजय राज के मुक़ाबले कुछ भी
नही है... राज जो धक्के मार चोद्ता है तो उसका कोई जवाब बही..
उसका लंड... श वो तड़प के रह गयी.

"चोद साले चोद मुझे क्या मरियल टट्टू की तरह धक्के लगा रहा
है. हां चोद और ज़ोर से चोद." रजनी चिल्ला उठी.. वो अपनी चूत
का पानी छुड़ाना चाहती थी और जल्दी ही छुड़ाना चाहती थी.

रजनी का इस तरह उसके लंड पर उछाल उसे चोदना और उपर से ऐसी
बातें करना .. अजय को अपने आपको रोकने मे बड़ी मुश्किल हो रही
थी...

रजनी और तेज़ी से उछाल उछाल कर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगी..

"हां चॉड साले चॉड और ज़ोर से चॉड श हां और ज़ोर ज़ोर से" वो
फिर से चिल्लाई.. उसकी चूत पानी छोड़ने वाली ही थी.. लेकिन उसके
ख़याल मे फिर राज आ गया.. उसका लंड कितना प्यारा है.. वो अपनी
आँखे बंद कर उसके ख़याल मे खो गयी.... और उसकी चूत ने
सनसनी मची गयी..

"श हां श हां मेरा चूत रहा है." वो सिसक पड़ी.

अजय ने भगवान का शुक्रिया अदा किया.. वो अपने आपको बड़ी मुश्किल से
अभी तक रोक पाया था.. उसने अपनी कमर उठा अपने लंड को और जड़
तक उसकी चूत मे घुसाया और अपना पानी छोड दिया.

रजनी तब तक उसके लंड पर उछालती रही जब तक की उसकी चूत झाड़
कर शांत नही हो गयी. वो निढाल हो उसके बगल मे लेट गयी.. लेकिन
थोडी देर मे ही वो उसके लंड से फिर खेल उसमे जान फूँकने की
कोशिश करने लगी.

"तुम्हे पता है की इसका अब कुछ नही होने वाला" अजय ने उससे कहा.

"नही ये अभी खड़ा हो जाएगा... बस इसे कुछ मदद की ज़रूरत है"
कहकर रजनी उसके लंड को मसालने लगी
"नही कुछ नही होगा" अजय ने थोड़ा गुस्से मे कहा.. रजनी का इस
तरह ज़िद करना उसे अछा नही लगा.. रजनी के ख़याल मे फिर राज आ
गया.. किस तरह उसका लंड कुछ मिनिट मे ही फिर तन कर खड़ा हो
गया था... उसे राज के लंड की चाहत होने लगी. वो आज रात को ही
उसका लंड पाना चाहती थी.

अजय अपनी ही धुन मे था.. राज नाम का नौजवान कब उसकी बीवी और
और सूकी माशूक के दिलो दीमग पर हावी हो गया था उसे ये पता ही
नही था.

रजनी अजय के शरीर पर से उठी और उसने उसके हाथ पावं खोल
दिए.. और फिर अपना फोन लेने कमरे से चली गयी. .. फोन लेकर
वो राज का नंबर डेल करने लगी जो उसे महक ने दिया था..... उसने
जवाब नही दिया तो उसने महक की तरह मेसेज छोड दिया.

तभी अजय आया और उसने कहा की वो थोडी देर रुकना चाहता है क्यों
की उसने अपनी बीवी से कह दिया था की वो देर से आएगा.. और हो सकता
है की वो घर पर ना हो.

"तुम यहाँ नही रुक सकते... मुझे अब तुम्हारी ज़रूरत नही.. समय
ही काटना है तो किसी बार मे जाकर समय बीता लो." रजनी ने बड़ी
बेरूख़ी से कहा.

रजनी की बेरूख़ी देख अजय को गुस्सा तो बहोत आया लेकिन वो करता भी
क्या... रजनी जब मूड मे होती तो घंटों उसके लंड के साथ खेलती
और उसे वो आनंद देती जो उसे अपनी बीवी से कभी नही मिला... वो
चुपचाप वहाँ से निकल गया.

रजनी के घर से निकल अजय का मन किया की वो घर चला जाए लेकिन
क्या उसके दिल मे आया वो पास ही एक बार मे घुस गया और ड्रिंक पीने
लगा... वैसे भी ये उसके लिए अहका हुआ.. क्यों की उसी वक्त उसकी बीवी
महक उसी के पालन पर अपनी गॅंड उठाए राज के लंड को अपनी गॅंड मे
ले रही थी.

राज ने महक के फोन का जवाब इस बार थोड़ा जल्दी दे दिया.. जब उसे
पता चला की महक शाम को फ्री है तो वो अपने आपको रोक ना सके..
वैसे भी कई दिन हो गये थे महक की चूत और गॅंड मारे.. उसने
उसे फोन कर के कह दिया की वो शम्म 6.00 तक पहुँच जाएगा.

जब वो महक के घर पहुँचा तो हर बार की तरह महक ने एक सेक्सी
ड्रेस पहन रखी थी.. राज ये देख कर खुश हो गया... उसने सफेद
रंग की सिल्क की पनटी पहन रखी थी और काले रंग की ब्रा... और
उसपर काले और सफेद रंग का सॅटिन का गाउन.

"पसंद आई? ये नई ड्रेस में सिर्फ़ तुम्हारे लिए ही खरीद कर
लाई हूँ..." महक ने राज से कहा. इस बुद्धी को सही मे मर्दों को
रिझाना आता था.

राज का लंड तो महक के ख़याल से ही खड़ा था और जब उसने उसे इस
सेक्सी ड्रेस मे देखा तो वो और तन कर उसकी पॅंट के अंदर मचलने
लगा.... उसने बिना समय बिताए... उसे हॉल मे ले आया... उसे सोफे
के सहारे झुकाया... उसके गाउन को उसके कुल्हों तक उठा दिया और उसकी
पनटी को नीचे खिसका दिया....

राज ने फिर अपनी पॅंट को नीचे खिसकाई.. और अपने खड़े लंड को एक
ही धक्के मे उसकी चूत मे दल दिय.....Mएहक की चूत पूरी गीली
थी... उसे ये नही पता था की उसे मेसेज देने से लेकर अभी तक
महक अपनी उंगलियों को अपनी चूत मे डाले अपने आप से खेल रही थी.
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07-15-2017, 01:03 PM,
#19
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--7

राज ने अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का
मार अंदर घुसा दिया... महक सिसक पड़ी... राज उससे बात करने
लगा.

"साली रंडी की चूत तो पहले से ही गीली है.. क्या मेरे लिए रुक
नही सकती थी.." राज ने गुस्से मे ज़ोर का धक्का मार कहा.

"हां... नही रुक सकती.. कितना तड़प रही थी तुम्हारे लंड के
लिए.. इसलिए अपनी उंगलियों को चूत मे डाल तुम्हारा इंतेज़ार करती
रही." महक ने जवाब दिया.

"तो तुम मेरे लंड के बिना नही रह सकती... उसका इंतेज़ार नही कर
सकती..." राज ने फिर कहा.

"क्या करूँ में अपने आप को रोक नही पाती.. तुम्हारे लंड के ख़याल
से ही मेरी चूत गीली हो जाती है.. तुम्हारा लंड मेरी चूत मे है
ये सोचते ही मेरी चूत मचल पड़ती है.. मुझे तुम्हारे लंड बहोत
अछा लगता है.... हां चोदो मुझे ज़ोर ज़ोर से चूदूओ और बुझा दो
इस चूत की प्यास." महक बोली.

जैसे कोई भॉदबी कपड़ों को मूसल मार मार धोता है वैसे ही राज अपने
लंड से उसकी चूत को रौंदने लगा... वो खुद बहोत उत्तेजित था और
वो झड़ना चाहता था... हर धक्के के साथ उसके मुँह से ज़ोर की
हुंकार निकाल पड़ती.. वो उछाल उछाल कर किसी घोड़े की तरह उसकी
चूत मरने लगा... जब भी उसका लंड चूत के अंदर तक घुसता तो
उसके भरी अंडकोष महक की गॅंड से जोरों से टकराते..... महक
खुशी से सिसक पड़ती...

"ऑश हाआं ऐसे ही छोओओ डोओओ ऑश ओह ज़ोर से चोडो ऑश."

"म्र्स सहगल अछा लग रहा है ना? मेरा लंड तुम्हारी चूत के अंदर
बाहर होता है तो उतमहे मज़ा आता है ना? राज ने उससे पूछा.

"हाआँ बहोट अछा लगता है.. ओह हां चोदते ज़ाआओओ रूको मत... ऑश
में तो गयी..." उसकी चूत फड़फदाई.. . और आनंद की एक मीठी
लेहायर दौड़ी उसकी चूत मे... "ओओओः छूट गया मेरा..." वो जोरों से
सिसकी.

राज उसकी सिस्काइयाँ सुन रहा था.. उसका खुद का लंड पानी छोड़ने को
तय्यार था... उसने अपना लंड बाहर निकाला और उसे घूमने
कहा... "में तुम्हारी इस ब्रा को आपने पानी से नहलाना चाहता हूँ."

महक घूमी और उसके सामने घूटने के बाल बैठ गयी.. राज ज़ोर ज़ोर
से अपने लंड को मुठियाने लगा.. की उसका लंड पिचकारी छोड उसकी
नही काली ब्रा को भीगोने लगा.... गरम गरम वीर्या उसकी ब्रा के
अंदर से उसकी चूसी तक पहुँचा तो महक को मज़ा आने लगा...

जब उसका लंड पूरी तरह झाड़ गया तो उसने महक से कहा, "चल रांड़
अब मेरे लंड को सॉफ कर.."

महक तो खुश हो गयी.. मानो उसे मन की मुराद मिल गयी. उसने उसके
लंड को अपने मुँह मे लिया और ज़ोर ज़ोर से भींहति हुई चूसने लगी..
अपनी चूत और राज के वीर्या का मिश्रण उसे अछा लग रहा था.. वो
चटकारे ले उसके लंड को साफ कर चूस रही थी... थोडी देर के लिए
तो उसका लंड ढीला पड़ा लेकिन तुरंत ही उसमे जान आने लगी और वो
एक बार फिर तन कर खड़ा होने लगा.... उसने अपना हाथ नीचे किया
और अपनी चूत को रगड़ने लगी.. उसे एक बार फिर राज का लंड चाहिए
था.. वो इतनी जल्दी उसे जाने देने वाली नही थी... वो अपनी चूत को
रगड़ते हुए उसके लंड को चूस्ति रही.

"तो तुम्हे मेरा लंड चूसना बहोत अछा लगता है.. है ना म्र्स
सहगल?" राज ने उसे चिढ़ाते हुए पूछा.

महक ने कोई जवाब नही दिया और उसके लंड को चूस्ति रही.

"मेरी छीनाल रांड़ मेरे लंड को चूस तय्यार कर रही है.. वापस
मेरे लंड से चुदवाना चाहती है.. है ना मेरी बूढ़ी रांड़?" राज ने
पूछा.

महक ने अपनी नज़रिएन उठाई और उसके लंड को अपने मुँह से बाहर
निकाल दिया... "हां लेकिन इस बार में तुम्हारे लंड को अपनी गॅंड मे
लेना चाहती हूँ."
Reply
07-15-2017, 01:03 PM,
#20
RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
"ठीक है तुम्हे गॅंड मे लंड चाहिए तो गॅंड मे लंड मिलेगा...."
राज ने कहा, "लेकिन में तुम्हारे पति के बिस्तर पर तुम्हारी गॅंड
मारना चाहता हूँ."

महक तो उसकी बात सुनकर मुस्कुरा पड़ी.. वो दौड़ते हुए अपने कमरे की
और भागी... राज भी उसके पीछ पीछे उसके कमरे मे आ गया ... जब
वो कमरे की और आ रहा था तो उसे अपने सेल फोन की घंटी सुनाई
पड़ी... उसने उसपर ध्यान नही दिया और महक के कमरे में आ
गया... जब वो कमरे मे पहुँचा तो देखा की महक पलंग का सहरा
लिए अपनी गॅंड हवा मे उठाए घोड़ी बही हुई थी.

"आओ मेरे राजा.... कहाँ रुक जाता हू.. देखो ना मेरी गॅंड कैसे
तरस रही है.. प्लीज़ इसे जल्दी से तुम्हारे लंड से भर दो.."
महक ने किसी रंडी की तरह उसे रिझते हुए कहा.

राज उसके पीछे आया और अपने लंड को उसकी गॅंड के छेद पर रख
दिया... और धीरे धीरे अंदर घुसने लगा... महक दर्द के मारे
कराह उठी.

"ऑश मर गयी.... प्लीज़ धीरे धीरे करो ना दर्द हो रहा है..
क्या आआज़ सूखी ही ..?

राज ने अपने लंड को बाहर खींच उसकी चूत मे घुसा अंदर बाहर
करने लगा... जब उसका लंड अची तरह गीला हो गया तो फिर उसकी
गॅंड मे घुसा दिया....

"हां अब आछा लग रहा है.. तुम्हारा लंड कितना मोटा और लंबा है..
मेरी गॅंड तो भर तुम्हारे लंड से ...ओह हाआन्ं" महक जोरों से
बड़बड़ा रही थी.. अब उसे पड़ोसियों की भी परवाह नही थी....

'हाआँ मारो मेरी गेंड आअज इसका भुर्ता बना डो ऑश और ज़ोर से
मारो." वो और ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी.

राज ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से उसकी गॅंड मरने लगा.. वो
उसके कूल्हे पकड़ धक्के मार रहा था की एक बार फिर उसके दीमग मे
शैतानी आ गयी..

"तुम्हे मेरा लंड अपनी गॅंड मे अछा लगता है ना म्र्स सहगल?" उसने
पूछा.

"हां" महक ने जवाब दिया.

"ठीक है तो फिर आज तुम्हे साबित करना होगा की तुम्हे अपनी गॅंड मे
मेरा लंड लेना अछा लगता है.. आज सब मेहनत तुम्हे करनी होगी."

इतना कहकर राज ने अपना लंड उसकी गॅंड से निकाला और पलंग पर अपनी
टाँगे नीचे किए बैठ गया..."अब आजा और चढ़ जा मेरे मस्ताने
लंड पर.. में भी तो देखूं की तेरी गॅंड कैसे फुदक्ति है.. मेरे
लंड पर."

महक अपनी दोनो टांगो को उसकी टांगो के अगल बगल डाल उसकी तरफ
गॅंड करके खड़ी हो गयी.. फिर अपने हाथों से उसने उसके लंड को
अपनी गॅंड के छेड़ से लगा.. नीचे बैठ गयी और उसके लंड को अपनी
गॅंड मे ले लिया.

"ओह्ह्ह.. कितना अचययाया लग रहा है... " वो सिसकी... और उछाल
उछाल कर उसके लंड को लेने लगी...

"ओ ऱाज़ा तुम्हारा लंड कितना अछा हॅयाययी.. मेरी तो गॅंड ही भर गयी
तुम्हारे लंड से.. ओह मेरा तो फिर छूटने वाला है.... मुझसे बात
करो... मुझे गंदी रांड़ बोलो .. अपनी छीनाल बुलाऊओ में एक़ कुतिया
हूँ..."
"हां म्र्स सहगल तुईं बहोत ही गंदी रांड़ और कुटिया हो... वरना
अच्छी बीवियाँ अपने ही पति के बिस्तर पर अपने यार से गॅंड नही
मरवती.... .." राज ने उसके कुल्हों पर ज़ोर के दो तीन थप्पड़ मरते
हुए कहा, "अब उछाल उछाल कर मेरे लंड को अपनी गॅंड मे लो.. और
आगे से अपनी चूत मे उंगली डाल उसे चगोडो.."
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