Chodan Kahani छोटी सी भूल
11-13-2018, 12:42 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
गतांक से आगे .........................

पिंकी की शुरत रोने वाली हो रही थी, हो भी क्यो ना किसी भी लड़की के लिए ऐसा करना आसान नही था.

“देखो मुझे थोड़ा वक्त दो, इतनी जल्दी मैं कैसे मेंटली प्रिपेर हो पाउन्गि” ---- वो सुरेश की और गुस्से में देखते हुवे बोली,

“मैने तुम्हे, पीछले हफ्ते ही ये बात बता दी थी कि वो हरामी रामू हमारे बारे में सब कुछ जान गया है और संजना को सब कुछ बताने की धमकी दे रहा है. मैने तुम्हे बताया था ना कि वो अपना मूह बंद रखने की कीम्मत माँग रहा है. और कितना वक्त चाहिए तुम्हे ? ” ------ सुरेश ने भी पिंकी को गुस्से में जवाब दिया

पिंकी किसी गहरी सोच में डूब गयी, ऐसा लग रहा था जैसे कि वो मन ही मन में कोई फ़ैसला कर रही हो.

“पर तुम्हे नही लगता कि वो कुछ ज़्यादा ही माँग रहा है, आख़िर उसकी औकात क्या है ?” -----पिंकी ने सुरेश का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा.

“हाँ शायद, पर तुम ये भी तो देखो क़ि जितना माल हम संजना का उड़ा रहे है, उसके आगे ये कुछ भी नही है. और उसकी कोई औकात भले ही ना हो पर वो संजना का बहुत ख़ास ड्राइवर है और अगर उसने संजना को सब कुछ बता दिया तो हम कहीं के नही रहेंगे, समझ रही हो ना तुम”. ---- सुरेश ने पिंकी के हाथ को चूमते हुवे कहा.

“तुम्हारे लिए ये कुछ भी नही है, पर मेरे लिए ये बहुत बड़ी किम्मत है, मैं उस बद्शुरत मोटे के साथ छी….सोच भी नही सकती…. ओह गॉड ये में कौन सी मुसीबत में फँस गयी” ---- पिंकी ने अपने चेहरे को हाथो में छुपा कर कहा

सुरेश पिंकी को समझाने की कोशिश कर रहा था, और पिंकी सुरेश को समझाने की कोशिस कर रही थी.

पर्दे के पीछे खड़े खड़े मैं बहुत तक चुकी थी, पर वाहा का नाटक थमने का नाम ही नही ले रहा था. मैं सोच रही थी कि बेकार में हम इस कमरे में घुसे, सीधे 103 में चले जाते तो अछा होता.

पिंकी को ऐसी हालत में देख कर मुझे वो कहावत याद आ गयी की…..“ जो इंशान दूसरो के लिए खड्‍डा खोदता है, एक दिन खुद उसी में गिरता है ”. मुझ से बदला लेने के चक्कर में पिंकी खुद बर्बादी की ओर बढ़ रही थी.

मुझ से ये सब नही शुना जा रहा था, मैने दीप्ति को वही रोक कर कहा, “बस यार आगे मत सुनाओ, बहुत बेकार लग रहा है सब कुछ”

पर तभी नेहा बोल पड़ी, “अरे नही ऋतु, बताने दो ना, देंखे तो सही कि जिसने दीप्ति के साथ इतनी बड़ी साजिश की, उसका आगे क्या बना”.

मैने नेहा से कहा, “ देखो किसी के दुख को अपने मज़े के लिए हरगीज़ उसे नही करना चाहिए. मुझे तो नफ़रत होती है ऐसे लोगो से जो रेप की कहानिया पढ़ कर, या रेप की वीडियो देख कर खुस होते है”

“ऋतु, मेरा ऐसा कोई मकसद नही है, हम तो सिर्फ़ बाते कर रहें है, और ये जान-ने की कोशिस कर रहे है कि पिंकी को उसके किए की सज़ा कैसे मिली” ----- नेहा ने गंभीर चेहरा बना कर कहा

तभी दीप्ति बीच में बोल पड़ी, “अरे यार बस करो तुम दोनो”

हम दोनो दीप्ति की आवाज़ सुन कर चुप हो गये.

“ऋतु, मैं मानती हूँ कि तुम्हे ये सब शन-ना अछा नही लग रहा, पर ये कहानी कुछ समझा रही है, इसलिए इसे पूरा सुन लो, आधे अधूरे से हम किसी भी नतीजे पर नही पहुँच सकते” ----दीप्ति ने मेरी और देखते हुवे कहा

मैने गहरी साँस ले कर कहा, ह्म….. ठीक है सुनाओ फिर, मैं सुन रही हूँ.

“ठीक है सुनो फिर”,------ दीप्ति ने हम दोनो से कहा.

दीप्ति के शब्दो में :---------

अछा तो मैं क्या कह रही थी…. ह्म्म….. हाँ याद आया,….. “ये सच है कि इंशान को उसके किए कि सज़ा इसी जनम में मिल जाती है. इसलिए हमें हमेसा ही आछे करम करने चाहिए. हम कोई भी ग़लत काम करके उसके परिणामो से नही बच सकते है. कभी ना कभी हमें अपने किए की सज़ा ज़रूर मिलती है”. ऐसा ही कुछ पिंकी के साथ हो रहा था.

सुरेश ने पिंकी के सर पर हाथ रख कर उसके बालो को सहलाते हुवे कहा, “देखो बस एक बार की बात है, वो एक बार कर लेगा तो उसके मूह खुद-ब-खुद बंद हो जाएगा और किसी को कुछ भी बताने की हालत में नही रहेगा, उसके बाद हमें उसे मूह लगाने की ज़रूरत नही है, ठीक है ना” ?

पिंकी ने सुरेश का हाथ थाम कर कहा, “पर सुरेश मैं कैसे कर पाउन्गि, मुझ से नही होगा, देखा है ना तुमने उसे ? वो बहुत ही भयानक है. कोई और रास्ता निकालो ना.

“देखो, तुम जानती ही हो रामू को, वो पहले भी मेरी काई बाते संजना को बता चुका है, और संजना उस पर विश्वास भी करती है, वो उसका बहुत पुराना ड्राइवर जो ठहरा. और हां आजकल मुझ पर संजना का शक बढ़ता जा रहा है, ऐसे में मैं कोई ख़तरा मोल नही ले सकता” ----- सुरेश ने पिंकी के गालो को सहलाते हुवे कहा.

तभी कमरे की बेल बजी…… टिंग…टॉंग….और पिंकी ने सुरेश का हाथ थाम लिया.

“शायद वो आ गया, मैं दरवाजा खोलता हूँ”. सुरेश ने पिंकी से हाथ छुड़ाते हुवे कहा.

पिंकी ने उसका हाथ ज़ोर से जाकड़ लिया और बोली, “रूको ना प्लीज़, एक बार फिर से सोच लो, क्या कोई और रास्ता नही है” ??

सुरेश बोला, हां है !!

पिंकी ने पूछा, क्या ? बताओ

“हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाते है और रामू को संजना को सब कुछ बताने देते है और ख़ुसी-ख़ुसी सड़क पर आ जाते है. पर ये बात याद रखना कि अगर कोई हुन्गामा हुवा तो दीप्ति तक भी बात पहुँच सकती है” ------ सुरेश ने पिंकी की और देखते हुवे थोड़ा गुस्से में कहा.
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11-13-2018, 12:42 PM,
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पिंकी तभी बोल पड़ी, “नही, दीप्ति को हर हाल में बर्बाद होना है”.

सुरेश बोला, “फिर इतना सोच क्यो रही हो, बना बनाया खेल मत बिगाड़ो, हम दोनो का बहुत कुछ दाँव पर लगा है”

पर पिंकी कुछ नही बोली, और बेड पर बैठे-बैठे किसी गहरी चिंता में खो गयी.

“मैं दरवाजा खोलता हूँ, तुम चिंता मत करो, एक बार से तुम्हारा कुछ नही बिगड़ेगा, तुम कौन सा कुँवारी हो” --- सुरेश ने पिंकी के हाथो से हाथ छुड़ा कर कहा.

“तुम नही समझोगे कि मुझ पर क्या बीत रही है, मैं तुम्हारे साथ खुल कर करती हूँ तो इसका मतलब ये नही है कि मैं किसी के भी साथ…..” ---- पिंकी ने सुरेश को पीछे से आवाज़ लगा कर कहा.

पर सुरेश ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया और तेज़ी से आगे बढ़ गया.

मैं सोच रही थी कि कितना बेकार इंशान है ये सुरेश, क्या कोई किसी अपने के साथ ऐसा करता है ?? जैसा भी सही, उनका आपस में कोई ना कोई रिस्ता तो था ही. बहुत ही कमीना लग रहा था सुरेश उस वक्त. शायद पिंकी भी मन ही मन में यही सोच रही थी.

पर इतना ज़रूर था कि उशके अंदर मुझ से बदला लेने की तम्माना अभी भी, ज्यो की त्यो थी, तभी तो ऐसे में भी कह रही थी की…. “नही दीप्ति को हर हाल में बर्बाद होना है”. पता नही मेरी बर्बादी से उसे क्या हाँसिल होने वाला था.

जैसे ही सुरेश वाहा से चला गया, पिंकी ने अपने उपर झट से बेड पर रखी एक चदडार खींच ली.

कोई 5 मिनूट बाद सुरेश आता हुवा दीखाई दिया, उसके पीछे पीछे वो ड्राइवर भी आ रहा था. जैसा की पिंकी कह रही थी वो देखने में बहुत बदसूरत था और काफ़ी हॅटा कॅटा था, एक दम किसी मोटे पहलवान की तरह.

सुरेश ने ड्राइवर को कहा, तुम अभी दूसरे कमरे में रूको, मैं मेडम से बात करता हूँ.

ड्राइवर वाहा से चुपचाप चला गया, पर जाते जाते वो हवश भरी नज़रो से चदडार औधे पड़ी पिंकी की और देख रहा था.

सुरेश पिंकी के पास आ कर बोला, “पिंकी उठो, क्या बात है ? जल्दी से इस हरामी को निपटा दो और टेन्षन फ्री हो जाओ, बस एक बार की बात है. कौन सा तुम्हे रोज रोज करना है”

“ठीक है पर तुम्हे मेरी एक बात मान-नि पड़ेगी” ---- पिंकी ने मूह से चदडार हटा कर कहा

सुरेश बोला, “हां-हां बोलो क्या बात है”.

“मैं तुम्हारे सामने ये सब नही करूँगी, तुम यहा से चले जाओ” --- पिंकी ने आँखे बंद करके कहा.

“ठीक है मैं बाहर चला जाता हूँ, ड्राइवर अंदर से बंद कर लेगा, कोई बात हो तो तुम फोन कर लेना, मैं यही होटेल की बार में रहूँगा, फॉरन आ जाउन्गा” --- सुरेश ने पिंकी के सर पर हाथ फिराते हुवे कहा.

ये कह कर सुरेश जाने लगा तो अचानक पिंकी ने पीछे से आवाज़ दे कर कहा, “उसे समझा दो की मेरे साथ तमीज़ से पेश आए”.

“हां हां मैं समझा दूँगा तुम किसी बात की चिंता मत करो”------ सुरेश ने पिंकी के होंटो को किस कर के कहा

ये कह कर सुरेश दूसरे कमरे में चला गया और पिंकी ने फिर से अपने उपर चदडार ओढ़ ली.

दूसरे कमरे से सुरेश की आवाज़ आई, “रामू, मेंसाब् के साथ कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नही करना और आराम से, तमीज़ से करना, वरना मुझ से बुरा कोई नही होगा”

ड्राइवर बोला, “आप चिंता ना करो साहब, मुझे मेंसाब् अछी लगती है, मैं उन्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा, आप बेफीकर हो कर जाओ”.

तभी दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज़ आई, शायद सुरेश बाहर चला गया था और ड्राइवर ने अंदर से कुण्डी लगा ली थी.

फिर ड्राइवर के कदमो की आवाज़ शुनाई दी वो दूसरे कमरे से पिंकी की और बढ़ रहा था.

पिंकी ने कदमो की आवाज़ आते ही अपनी चदडार को आछे से अपने चारो और भींच लिया.

ड्राइवर बेड के पास आ गया और पिंकी को चदडार में लिपटे हुवे उपर से नीचे तक देखा, उसकी आँखो में किसी जानवर जैसी हवश थी.

वो पिंकी को देखते हुवे अपने पेनिस को मसालने लगा और देखते ही देखते उशके घिनोने चेहरे पर अजीब सी मुश्कान बिखर गयी.

वो चारो तरफ देखने लगा, वो शायद टाय्लेट ढूंड रहा था.

उशे टाय्लेट मिल गया और वो झट से टाय्लेट की ओर मूड गया.

पिंकी एक दम चुपि साधे पड़ी थी. ऐसा लग रहा था जैसे की बेड पर कोई नही है.

मैने मनीष से धीरे से कहा, यही मोका है चलो चलते है यहा से,

वो बोला, हां मैं भी यही सोच रहा हूँ.

हम दोनो ने दबे पाँव से पर्दे के बाहर कदम रखा ही था कि तभी टाय्लेट का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई और हम फॉरन फिर से पर्दे के पीछे अपनी अपनी जगह पर वापस आ गये.

हम हैरान थे कि ये ड्राइवर इतनी जल्दी कैसे बाहर आ गया. शायद वो बहुत ही डेस्परेट हो रहा था.

वो फिर से पिंकी के पास आ गया और बिस्तर के पास खड़ा हो गया.

वो अपने पेनिस को अपनी पॅंट के उपर से मसालते हुवे बोला, “मेंसाब्”

पर पिंकी चुप चाप लेती रही, उसने कोई हलचल नही की.

“मेंसाब् क्या आप सो रही है” ? ’ ---- ड्राइवर पिंकी के थोड़ा और करीब आ कर बोला.

पर फिर भी पिंकी ने कोई रेस्पॉन्स नही किया.

शायद वो सोच रही थी कि उसे ऐसे ही फ्रस्टरेट करके वाहा से रफ़ा दफ़ा कर देगी.

“पिंकी मेंसाब् क्या आप सो रही है ?’ इस बार ड्राइवर ने पिंकी के सर के पास झुक कर कहा.

पर इस बार भी पिंकी ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया.

ड्राइवर ने चदडार को पिंकी के सर के उपर से पकड़ा और उसे नीचे खींचने लगा.

तभी पिंकी चील्ला कर बोल पड़ी, “क्या बात है, दूर हटो” ?
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11-13-2018, 12:42 PM,
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ड्राइवर बोला, “मेंसाब्, सुरेश बाबू ने मुझे आपके पास भेजा है”.

“हां हां मुझे पता है. तुम हमें ब्लॅकमेल कर रहे हो, तुम्हे शरम आनी चाहिए. ” ?? पिंकी ने गुस्से में ड्राइवर से कहा.

पिंकी पूरी चदडार ओढ़े हुवे थी और चदडार के अंदर से ही ड्राइवर को डाँटते हुवे बोल रही थी.

“जब आप लोगो को शरम नही आती तो भला मुझे क्यो शरम आनी चाहिए. और हां ‘मेंसाब्’, आप मुझे अछी लगती हो, तभी सुरेश बाबू से आपके बारे में बात की, वरना मुझे क्या पड़ी थी यहा आने की”

“सूरत देखी है अपनी, अछी लगती हूँ….हा…… अपनी औकात में रहो”. --- पिंकी ने ड्राइवर से गुस्से में कहा.

“औकात में ही हूँ मेंसाब् वरना अबतक मैं कबका संज्ञा मेंसाब् को सब कुछ बता चुका होता” --- ड्राइवर ने हंसते हुवे कहा

पिंकी ने अपने मूह से हल्की सी चदडार हटाई और ड्राइवर की और देखते हुवे कहा, “ये सब करके तुम्हे क्या मिल जाएगा”

ड्राइवर ने मुश्कूराते हुवे कहा, “वही जो सुरेश बाबू को आप से मिलता है, मेंसाब्”

“शूट उप… योउ बस्टर्ड, तुम्हारी इतनी हिम्मत” ---- पिंकी चील्ला कर बोली.

“मैने सुरेश बाबू को वादा किया है मेंसाब् इसीलिए तमीज़ से पेश आ रहा हूँ, इसका मतलब ये नही है कि आप मुझे अँग्रेज़ी में गालियाँ दो” --- ड्राइवर ने चेहरे पर गंभीरता लाते हुवे कहा

देखो में तुम्हे अभी पैसे दे देती हूँ, तुम कहीं भी किसी प्रॉस्टिट्यूट के पास चले जाओ.

“मुझे ना पैसे चाहिए और ना ही मुझे किसी प्रॉस्टिट्यूट के पास जाना है, जो सौदा हुवा था वो पूरा कीजीए. सुरेश बाबू तो कह रहे थे कि आप तैयार है. मैं अभी उन्हे बुला कर लाता हूँ” --- ड्राइवर ने पिंकी से कहा

ड्राइवर वाहा से जाने के लिए मुड़ा ही था कि पिंकी बोल पड़ी, “नही, नही रहने दो, उसकी कोई ज़रूरत नही है”.

“ज़रूरत है मेंसाब् आप तो कुछ और ही बाते कर रहीं है, आप की खातिर मैं अपनी संजना मेंसाब् को धोका दे रहा हूँ और आप है कि मुझे यू ही तरका रही है” ---- ड्राइवर ने पिंकी की और देखते हुवे कहा.

पिंकी कुछ नही बोली और कमरे की छत को देखते हुवे किसी गहरी चिंता में खो गयी

ड्राइवर उशके पास आ गया और उसे उपर से नीचे तक देखने लगा, उशके चेहरे पर हवश के भाव सॉफ दीख रहे थे.

“पर एक बात है मेंसाब् जो बात आप में है वो किसी भी प्रॉस्टिट्यूट में नही होगी, उनके साथ करने का क्या मज़ा, आप ही मान जाओ ना” ----- ड्राइवर ने अपने पेनिस को मसालते हुवे कहा

“शूट उप,….. यू पिग..” ----- पिंकी चील्ला कर बोली

“अछा मैं पिग हूँ…….., आप ग़लत भासा का इश्तेमाल कर रही है मेंसाब्” ---- ड्राइवर गंभीरता से बोला.

ये कह कर, ड्राइवर ने पिंकी के उपर से चदडार खींच ली और खींच कर दूर फेंक दी, और बोला, “देंखु तो सही कि आप क्या है”

“बदतमीज़ ये क्या कर रहे हो, चदडार दो मुझे जल्दी” ---- पिंकी ने गुस्से में चील्ला कर कहा.

पिंकी को नंगा देख कर ड्राइवर की आँखो में चमक आ गयी. पिंकी उस से चदडार माँग रही थी और वो पिंकी को घुरे जा रहा था.

पिंकी अपने हाथो से अपने बदन को ढकने की पूरी कोशिस कर रही थी. पर ड्राइवर को पूरा नज़ारा मिल रहा था.

“अरे आप तो एक दम नंगी पड़ी है…हे..हे”….अछा अब समझ में आया, आप मेरे साथ यू ही नाटक कर रही थी, तभी तो कहूँ कि सुरेश बाबू तो कह रहे थे कि आप मेरे साथ करने के लिए तैयार है, फिर अचानक क्या हो गया.” ड्राइवर हंसते हुवे बोला.

पिंकी ने झट से एक तकिया अपने बूब्स पर रख लिया और एक तकिया अपनी टाँगो के बीच में अपनी योनि को छुपाने के लिए दबा लिया और बोली, “तुम्हे ज़रा भी तमीज़ नही है क्या, मैं कोई तैयार नही हूँ, मुझे मजबूर किया जा रहा है”.

ड्राइवर का ध्यान तो पिंकी के नंगे बदन पर था, वो पिंकी की बातो की परवाह किए बिना,उसे एक तक उपर से नीचे तक देखे जा रहा था.

“हाए रे अपनी 38 साल की जींदगी में मैने ऐसा नज़ारा नही देखा, क्या मस्त माल हो आप मेंसाब्” ------ ड्राइवर ने अपने पेनिस को मसालते हुवे कहा

“देखो मुझे चदडार दे दो, वरना” ----- पिंकी गुस्से में बोली

ड्राइवर गिड़गिदाते हुवे बोला, “देखने दो ना मेंसाब्, जब करना ही है तो प्यार से कीजीए ना. इसमें मजबूरी की क्या बात है, मैं आपको खुस कर दूँगा”.

“चुप रहो तुम, और बकवास मत करो” ---- पिंकी ने चील्ला कर ड्राइवर से कहा.

“ठीक है मेंसाब् बात कम और काम ज़्यादा करते है, मैं भी यही चाहता हूँ,… हे..हे…हे…हे” --- ड्राइवर हंसते हुवे बोला

ये कह कर ड्राइवर ने पिंकी के बूब्स पर से ज़बरदस्ती तकिया खींच लिया और उसके एक बूब्स को ज़ोर से दबोच लिया.

पिंकी चील्ला उठी, उउऊययययीीई….. आराम से. पागल हो क्या ?

“आपको नंगा देख कर थोड़ा सा हो गया हूँ. माफ़ कीजीए ज़रा ज़ोर से दब गया”. --- ड्राइवर ने मुश्कूराते हुवे कहा.

“छोड़ो मुझे दर्द हो रहा है, तुमने सुरेश से वादा किया था कि तुम तमीज़ से पेश आओगे.” ---- पिंकी ने ड्राइवर से कहा

“हां किया था पर इसका ये मतलब नही है कि मैं आपके संतरे नही निचोड़ूँगा” ड्राइवर ने पिंकी के बूब्स को फिर से ज़ोर से दबोचते हुवे कहा.

“आआहह दर्द हो रहा है, तुम आराम से नही कर सकते क्या” ---- पिंकी ने गिड़गिदाते हुवे कहा.

ड्राइवर ने पिंकी के बूब्स पर पकड़ थोड़ी ढीली कर दी और बोला, “अब ठीक है मेंसाब्” ?

“कुछ ठीक नही है, तुम मुझ से दूर हो जाओ”, मैं ये सब नही कर सकती”.---- पिंकी ने थोड़ा झल्लाते हुवे कहा.

“ठीक है मैं सुरेश बाबू को फोन लगाता हूँ, वही आकर आपको समझाएँगे” ---- ड्राइवर ने कहा

पिंकी तुरंत बोल पड़ी, “अरे नही रूको,…… अछा कर लो….. पर आराम से”.

“मैं आराम से ही तो दबा रहा था, मेंसाब्, आप भी ना बस. पर एक बात है, आप हो बहुत प्यारी. काश आपके जैसी मेरी बीवी होती तो मज़ा आ जाता ? --- ड्राइवर ने पिंकी को प्यार से कहा.

“देखो अपनी औकात मत भूलो, और तमीज़ से पेश आओ वरना” ? --- पिंकी ने गुस्से में ड्राइवर से कहा

“वरना क्या ? मुझे धमकी मत दो मेंसाब्, वरना मैं अभी जा कर संजना मेंसाब् को सब कुछ बता दूँगा” --- ड्राइवर ने पिंकी के बूब्स को ज़ोर से दबाते हुवे कहा.

पिंकी फिर से चीन्ख पड़ी, उउय्य्यीइ कहा था ना आराम से.

पिंकी के चेहरे पर दर्द सॉफ दिखाई दे रहा था.
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11-13-2018, 12:42 PM,
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“मैं तो आराम से ही कर रहा हूँ, आप ही बार बार मुझे गुस्सा दिला रहे हो” --- ड्राइवर ने कहा.

तभी ड्राइवर पिंकी के बूब्स पर झुक गया और उशके बायें निपल को मूह में लेकर बुरी तरह चूसने लगा.

पिंकी ने उशके सर को अपने बूब्स से हटाते हुवे कहा “दूर हटो, जानवर कहीं के, ये कौन सा तरीका है” ?

पर ड्राइवर पिंकी के हटाने से कहा हटने वाला था. आख़िर कहा वो मोटा तगड़ा ड्राइवर और कहा पतली सी पिंकी, उसकी उसके आगे एक नही चली.

कोई 10 मिनूट तक वो पिंकी के बूब्स को चूस्ता रहा और पिंकी बार बार उसे अपने बूब्स से हटाने की कोशिस करती रही.

और अचानक वो हांपते हुवे पिंकी के बूब्स को छ्चोड़ कर उसकी ब्रेस्ट से हट गया और बोला, आप मुझे बार बार हटा क्यो रही थी ? ये सब तो करना ही है ना, फिर क्यो ऐसा कर रहीं है आप. ऐसे मैं नही कर पाउन्गा, आप सुरेश बाबू को बुला लीजिए, जैसा वो कहेंगे वैसा कर लेंगे.

“तुम जानवरो की तरह क्यो कर रहे हो, आराम से नही कर सकते क्या, मुझे दर्द हो रहा था, तुम्हारे दाँत चुभ रहे थे मुझे, और ये लाल-लाल क्या लगा दिया यहा” --- पिंकी ने अपने बूब्स की ओर देखते हुवे गुस्से में कहा.

“ओह सॉरी मेरे मूह में पान था,….. लीजिए अब मैं आराम से चूसूंगा” ---- और ये कह कर उसने पिंकी के बायें बूब्स को मूह में ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगा.

वो थोड़ी देर चूसने के बाद बोला, अब ठीक है मेंसाब्, या थोडा और आराम से करूँ. आप जैसा कहेंगी मैं वैसा ही करूँगा.

“ठीक है, ठीक है…….. पिग कहीं का” ---- पिंकी ने ड्राइवर से गुस्से में कहा

“क्या कहा आपने मेंसाब्”---- ड्राइवर ने पिंकी से पूछा.

पिंकी ने जवाब दिया, “कुछ नही तुम अपना काम करो”

पिंकी बेड पर लेटी हुई थी, उसकी टॅंगो के बीच में तकिया था और वो ड्राइवर उशके बूब्स पर झुका हुवा था और पागलो की तरह उशके बूब्स को एक, एक करके चूस रहा था.

अचानक वो खड़ा हो गया और अपनी शर्ट उतारने लगा.

पिंकी ने कहा, “ये क्या कर रहे हो, कपड़े मत उतारो ऐसे ही कर लो, जो करना है”

“नही मेंसाब्, जब तक आपके गोरे बदन से मेरा नंगा बदन नही टकराएगा तब तक मज़ा नही आएगा” ---- ड्राइवर पिंकी की और हंसते हुवे बोला.

“तुम बहुत बदतमीज़ हो” --- पिंकी ने अपनी आँखे बंद करके कहा.

पिंकी के साथ साथ मैने भी अपनी आँखे बंद कर ली.

थोड़ी देर बाद मैने आँखे खोल कर देखा तो वो वाहा बिल्कुल नंगा खड़ा था, उष्की जाँघो में घने बॉल थे और बालो के बीच में उसका वो लटक रहा था.

“मेंसाब् मेरी तरफ देखिए ना” --- ड्राइवर ने हंसते हुवे कहा.

“क्यो ? तुम क्या बहुत शुनदर हो ?” ---- पिंकी ने गुस्से में पूछा.

“मैं शुनदर ना सही पर मेरा ये ज़रूर आपके काम का है” ------- ड्राइवर ने अपने पेनिस को हाथ में ले कर कहा.

पर पिंकी ने उसकी ओर नही देखा और चुपचाप आँखे बंद किए पड़ी रही.

“आपकी दिखाओ ना, देंखु तो सही आपकी कैसी है” --- ड्राइवर गिड़गिदाते हुवे बोला.

“शूट उप यू अग्ली पिग” ---- पिंकी झल्ला कर बोली

“शूट उप कहने से काम नही चलेगा मेंसाब्, आपको मुझे अपनी देनी है, अगर दिखाएँगी नही तो देंगी कैसे” ? ---- ड्राइवर ने कहा

ये बोल कर उसने पिंकी की टाँगो के बीच से तकिया खींच लिया और चील्ला कर बोला, “अरे क्या चिकनी है आपकी ……म्‍म्म्ममम….एक भी बॉल नही है….. मेरे यहा तो पूरा जंगल उगा हुवा है”

“मैं तुम्हारी तरह जानवर नही हूँ, तकिया वापस दो मुझे” ---- पिंकी ने गुस्से में कहा.

“तकिया नही मेंसाब् अब तो आपको कुछ और दूँगा” --- ड्राइवर मुश्कूराते हुवे बोला.

ये कह कर वो बेड पर चढ़ गया और पिंकी की टाँगो के बीच में आ गया.

पिंकी वाहा से उठने लगी पर उसने ज़ोर से उसे एक हाथ से दबा कर वही लेटा दिया. पिंकी उस मोटे के एक हाथ के नीचे ही दब गयी और छटपटाने लगी.

“देखो ज़बरदस्ती मत करो, जो करना है आराम से करो, अपना वादा मत भूलो” --- पिंकी अब गिड़गिदाते हुवे बोली.
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11-13-2018, 12:42 PM,
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ड्राइवर ने पिंकी की बात पर ध्यान नही दिया और अपने पेनिस पर थूक लगाने लगा.

उसने मूह से, थूक-थूक कर अपने पेनिस को काफ़ी चीकना कर लिया और बोला, “लीजिए मेंसाब् में आपकी लेने के लिए तैयार हूँ, क्या आप तैयार हो” ?

“नही मैं तैयार नही हूँ” --- पिंकी गिड़गिदाते हुवे बोली.

“ठीक है फिर, अभी तैयार कर देता हूँ आपको” ---- ड्राइवर हंसते हुवे बोला.

वो पिंकी की योनि के उपर झुका, और उशके उपर थूक दिया.

“ओह्ह्ह्ह छी ये क्या कर रहे हो” --- पिंकी ने ज़ोर से पूछा.

“आपको तैयार कर रहा हूँ, मेंसाब्” --- ड्राइवर फिर मुश्कूराते हुवे बोला.

उसने पिंकी की योनि में उंगली से थूक सरका दिया और बोला, “लीजिए हो गयी आप तैयार, अब मैं आपकी जी भर कर मारूँगा”

पिंकी उसके हाथ के नीचे पड़ी पड़ी सब सह रही थी.

ड्राइवर ने उसके उपर से हाथ हटा लिया और बड़ी फुर्ती से उसकी टाँगो को अपने दोनो कंधो पर रख लिया.

“रूको…. मैं अभी तैयार नही हूँ ?…”---- पिंकी ने फिर से गिड़गिदाते हुवे कहा.

“मैने आपकी चूत में थूक लगा दिया है मेंसाब् आप चिंता मत करो फिसलता हुवा आराम से जाएगा” ------- ड्राइवर बड़ी बेशर्मी से बोला.

“देखो तुम ज़बरदस्ती कर रहे हो, ये ठीक नही है, पीछे हटो” पिंकी ने गुस्से में कहा.

“ये ज़बरदस्ती नही है मेंसाब्, लगता है आपने अभी ज़बरदस्ती देखी ही नही है, ज़बरदस्ती कर रहा होता तो आप यहा पड़ी हुई रो रही होती”. ----- ड्राइवर ने कहा

“ज़बरदस्ती नही तो और क्या है” --- पिंकी ने ड्राइवर से पूछा.

अगर ये आपको ज़बरदस्ती लग रहा है तो ठीक है मैं जा रहा हूँ, संजना मेंसाब् के पास, उनको सच सच बता कर कोई अछा काम ही कर लूँ, यहा आपके साथ ज़बरदस्ती करने का क्या फ़ायडा.----- ड्राइवर गंभीरता से बोला.

“मेरा ये मतलब नही था” --- पिंकी ने कहा

“आपने मरवानी है तो आराम से मर्वाओ और ये नखरे मत करो, मुझे कोई शॉंक नही है आपके साथ ज़बरदस्ती करने का. ------ ड्राइवर ने पिंकी से कहा.

ये कह कर ड्राइवर ने अपने दायें हाथ में अपना पेनिस पकड़ कर पिंकी के होल पर लगा दिया.

“रूको ऐसा मत करो, कम से कम कॉंडम तो चढ़ा लो.” ---- पिंकी ने गिड़गिदाते हुवे कहा.

“मेंसाब् इस वक्त कॉंडम तो नही है, आपके पास हो तो दे दिजीये” ----- ड्राइवर हंसते हुवे बोला.

“मैं क्या कॉंडम ले कर घूम रही हूँ, पिग कही का” --- पिंकी गुस्से में बोली

“क्या सुरेश बाबू भी कॉंडम लगा कर करते है” --- ड्राइवर ने पिंकी से पूछा

“उस से तुम्हे कोई मतलब नही है समझे” --- पिंकी झल्ला कर बोली.

“मेंसाब् कॉंडम की कोई ज़रूरत नही है, ऐसे ही करने दो ना, आप तो गोलियाँ खाती ही होंगी” ----- ड्राइवर ने पिंकी से कहा.

“शूट उप, तुम नीच लोगो का क्या भरोसा, कहा कहा मूह मारते फिरते हो, मुझे कोई बीमारी लगा दी तो, जाओ पहले कॉंडम ले कर आओ” --- पिंकी ने कहा.

ऐसा लग रहा था जैसे कि पिंकी ड्राइवर को बातो में उलझाने की कोशिश कर रही है, वो बार बार कॉंडम की माँग कर रही थी, क्योंकि उसे पता था कि ड्राइवर के पास कॉंडम नही है. शायद वो सोच रही थी कि इस तरह से वो बच सकती है.

तबतक पिंकी की योनि के होल के उपर से ड्राइवर का लिंग हट चुका था, इसलिए वो हाथ से लिंग को उशके होल पर टीकाने की कोशिश कर रहा था.

अपने लिंग को पिंकी के होल पर रख कर ड्राइवर ने कहा, मेंसाब् में तो डालने जा रहा हूँ, आपको ऐसे ही बिना कॉंडम के करना होगा, मुझ से अब रुका नही जा रहा..

“नही मुझे कोई बीमारी लगाओगे क्या” --- पिंकी झट से बोली.

“मुझे कोई बीमारी नही है मेंसाब्, आप चिंता मत करो और आराम से कर्वाओ” ---- ड्राइवर ने पिंकी को कॉनविसे करते हुवे कहा.

उसकी हर प्लॅनिंग बेकार होते देख पिंकी ने कहा, “देखो तुम्हारा बहुत बड़ा है, अंदर नही जाएगा, ऐसा करते है मैं तुम्हारा हाथ से कर देती हूँ.

“आप डरो मत मेंसाब्, आप कोई कुँवारी तो हो नही, एक साल से सुरेश बाबू को दे रही हो, अब तक तो आपकी खुल चुकी होगी”----- ड्राइवर हंसते हुवे बोला.

“ये तुम्हे किसने बताया, की एक साल से…..” ----- पिंकी ने हैरानी भरे शब्दो में पूछा.

“क्यों झूठ है क्या” ---- ड्राइवर ने पूछा

“पहले तुम बताओ किसने बताया” --- पिंकी ने ड्राइवर से पूछा.

“यू ही पीछले हफ्ते सुरेश बाबू के मूह से निकल गया था कि वो आपको एक साल से जानते है, इसीलिए अंदाज़ा लगाया, सही है ना मेरा अंदाज़ा, मेंसाब्…हे..हे..हे” ------ ड्राइवर हंसते हुवे बोला.

“शूट उप यू बस्टरड” ------- पिंकी ने चील्ला कर कहा

“ओके, मेंसाब् हे… हे.. आप तो बुरा मान गयी, सॉरी माफ़ कर दीजिए” ड्राइवर हंसते हुवे बोला.

ये कह कर ड्राइवर ने अपने दायें हाथ में अपने पेनिस को पकड़ा और उसे पिंकी की योनि पर थोडा मसल कर, सही जगह फिट कर दिया.
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11-13-2018, 12:43 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
ड्राइवर ने एक ज़ोर दर झटका मारा और उसका लिंग पिंकी की योनि में घुस्स गया.

“उउउउउउउय्य्य्य्य्य्यी

ईईईईईईईईईईई…..म्‍म्म्ममममन….न्‍न्‍ननननननननननननणणन् नूऊऊ…………..मर गयी, तुम कोई काम आराम से नही कर सकते क्या, अब मैं चुपचाप कर तो रही हूँ” ------- पिंकी ने दर्द से चील्लने के बाद कहा.

“ःह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हुउउउउउउम्म्म्म्म्म्म्म……हह…सॉरी मेंसाब् थोड़ा जोश में आ गया था” ---- ड्राइवर अपनी सांसो को थाम कर बोला.

“आअहह ….कितना गया है” ------ पिंकी ने आँखे बंद करके पूछा.

“आपको नही पता क्या मेंसाब्…हे.हे..हे” --- ड्राइवर ने हंसते हुवे पूछा.

“पता होता तो तुमसे पूछती क्या मैं” ---- पिंकी गुस्से में बोली.

“ह्म….. आपकी चूत में पूरा जा चुका है, मेंसाब्” ---- ड्राइवर बेशर्मी से बोला.

“आआअहह…..तुमने एक दम से पूरा डाल दिया ??…. स्टुपिड कहीं के” ---- पिंकी ने दर्द से कराह कर कहा

“सॉरी मेंसाब् अपने आप फिसल गया..हे हे” ---- ड्राइवर बेशर्मी से हंसते हुवे बोला.

“फिसल गया बोलता है, जानवर कहीं का” ----- पिंकी गुस्से में बोली.

ड्राइवर ने आगे बढ़ कर पिंकी के होंटो पर अपने होन्ट रख दिए

“म्‍म्म्मममम..ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ये क्या कर रहे हो…..एम्म हटो…मेरे मूह में पान जा रहा है…छी……” ----- पिंकी ने छटपटाते हुवे कहा.

पर ड्राइवर बार बार मोका देख कर उशके होंटो को चूमता रहा.

“कितने गंदे हो तुम, कितनी बदबू आ रही है तुम्हारे मूह से, और उपर से ये पान छी दुबारा मुझे किस मत करना” ---- पिंकी गुस्से में बोली

“किस तो मैं करता रहूँगा मेंसाब्,आपके रसीले होंटो की कब से प्यास है मुझे” --- ड्राइवर हंसते हुवे बोला

ये कह कर ड्राइवर ने फिर से पिंकी के होंटो को अपने होंटो में दबा लिया और दबा दबा कर पिंकी के होंटो को चूसने लगा.

पिंकी छटपटाती रही पर ड्राइवर ने उशके होंटो को नही छ्चोड़ा

अचानक मैने देखा कि ड्राइवर उपर नीचे हिल रहा है. उसने पिंकी की मारनी शुरू कर दी थी

पिंकी उशके नीचे दबी जा रही थी, आख़िर वो ड्राइवर भारी भरकम जो था. ऐसा लग रहा था जैसे कि उशके उपर कोई हाथी चढ़ गया हो.

पर ऐसा नही लग रहा था कि उशे अब कोई दर्द हो रहा है, हां पर वो ड्राइवर के मोटे शरीर से ज़रूर परेशान दीख रही थी.

“मैं दबी जा रही हूँ, थोड़ी देर हट जाओ, बाद में कर लेना” ----- पिंकी ने हांपते हुवे कहा.

“ऐसा करते है, आप घूम जाओ मैं पीछे से डाल कर मारूँगा, तब आप पर, मेरे शरीर का बोझ नही पड़ेगा” ------ ड्राइवर भी हांपते हुवे बोला.

ये कह कर ड्राइवर ने पिंकी के होल से अपना पेनिस निकाल लिया और पिंकी को कहा, “घूम जाओ मेडम, ये पोज़िशन ठीक रहेगी, मैं तो अक्सर अपनी बीवी की ऐसे ही मारता हूँ”

“मैं तुम्हारी बीवी नही हूँ समझे जो मुझ पर हूकम चलाओगे” ------ पिंकी ने गुस्से में कहा.

“हूकम नही चला रहा मेंसाब्, मैं तो रिक्वेस्ट कर रहा था, ये पोज़िशन आपके भले के लिए ही बोल रहा हूँ” ----- ड्राइवर हैरानी भरे शब्दो में बोला.

“ह्म…..ठीक है, पर आराम से डालना ओके, कही फिर से जोश में आ जाओ” ----- पिंकी ने ड्राइवर को डाँटते हुवे कहा.

“जी मेंसाब् बिल्कुल प्यार से डालूँगा आप चिंता मत करो….हे..हे..” ------- ड्राइवर ने हंसते हुवे कहा.

“पिग कही का” --- पिंकी ने धीरे से कहा और उशके सामने घूम कर डॉगी स्टाइल में आ गयी.

ड्राइवर पिंकी के नितंबो को फैला कर रुक गया और उशके नितंबो को ध्यान से देखते हुवे बोला, “अरे मेंसाब्, ये आपके पीछले होल पर सफेद सफेद सा क्या लगा है… ह्म ….हे..हे..हे… …लगता है सुरेश बाबू आपकी गांद मार कर गये है, पर इतनी छोटी सी गांद में उन्होने लॉडा कैसे घुस्सा दिया, क्या आपको दर्द नही हुवा” ?.

“देखो तुम अपने काम से मतलब रखो, ठीक है, वरना मैं आगे कुछ नही करने दूँगी” ---- पिंकी ने पीछे मूड कर ड्राइवर की और देखते हुवे कहा.

“ओह सॉरी जी, आप तो बात बात पर बुरा मान जाते हो” --- ड्राइवर नौटंकी करते हुवे बोला.

उसने अपना लिंग हाथ में लिया और पिंकी के होल पर रख कर एक ज़ोर दार शॉट मारा

“उउउउउय्य्य्य्य्यीईईईईई…..म्‍म्म्ममममम….तुम नही सुधरोगे, जानवर, जंगली…पिग…आंड व्हाट नोट….” ---- पिंकी झल्लते हुवे बोली.

“मेरी ग़लती नही है मेंसाब् आपकी चूत में लॉडा अपने आप फिसल जाता है, बहुत चिकनी हो आप…” ---- ड्राइवर हंसते हुवे बोला

“शूट उप यू पिग” ----- पिंकी ज़ोर से बोली.

“ये सुवर आज आपकी आछे से लेगा मेंसाब्….हुउऊम्म्म्म…” ये कह कर ड्राइवर ने एक दम से ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए.

“र्र्ररर…रूको…. ये क्या कर रहे हो आराम से करो मैं गिर जाउन्गि” ----- पिंकी हांपते हुवे बोली.

“गिरने नही दूँगा आपको मेंसाब् आपकी चूत में मेरा लॉडा फँसा हुवा है, फेविकोल का जोड़ है टूटेगा नही..हे..हे” --- ड्राइवर बेशर्मी से हंसते हुवे बोला.

ड्राइवर लगातार बिना रुके पिंकी के अंदर अपना पेनिस रगड़ता रहा और पिंकी आआहह..ऊऊहह कर के चील्लति रही.
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11-13-2018, 12:43 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
अचानक ड्राइवर रुक गया.

वो ऐसी पोज़िशन में रुका था जीशमें क़ि पिंकी के अंदर उसका कोई एक इंच ही डाला हुवा था.

उसने अपने मूह को पिंकी के अशोल के ठीक उपर किया और वाहा उपर से ही धीरे से थूक दिया. थूक सीधा पिंकी के अशोल पर गिर गया. पिंकी को शायद इस बात का पता नही चला.

“हह…..हह” पिंकी की साँसे तेज तेज चल रही थी.

वो बोली, “ठीक है…हो गया ना तुम्हारा”

“नही मेंसाब् अभी कहा, अभी तो शुरूवात की है, ये सफ़र तो लंबा चलेगा” ------ ड्राइवर बोला.

ये कह कर ड्राइवर फिर से पिंकी की ज़ोर-ज़ोर से मारने लगा.

“ऊऊहह…..जल्दी करो, मुझे घर भी जाना है” ---- पिंकी हांपते हुवे बोली.

“आआहह …..ऊऊहह…चली जाना मेंसाब् इतनी भी क्या जल्दी है, आछे से मार तो लेने दो, मेरे पास तो यही दिन है. सुरेश बाबू को तो दिन, रात देती हो, मेरे टाइम पे घर जाना है” ------ ड्राइवर आहें भरते हुवे बोला.

“शूट उप यू पिग” ---- पिंकी ने गुस्से में कहा.

“शूट उप यू पिग, शूट उप यू पिग, आपको कुछ और नही आता क्या” --- ड्राइवर ने पिंकी से पूछा.

ये कह कर ड्राइवर ने अचानक पिंकी की योनि से अपना लिंग निकाल लिया और इस से पहले की पिंकी कुछ समझ पाती उसने पेनिस को उशके अशोल पर रखा, और ज़ोर से धकक्का मार कर उशके अशोल में अपना लिंग घुस्सा दिया.

“ऊउउउय्य्य्य्य्य्यीईईईईई……मर गयी…..ये क्या किया…. ओह्ह्ह नो…… तुमने… यू डर्टी अग्ली पिग निकालो जल्दी ….आअहह…नो” पिंकी दर्द से चील्लते हुवे बोली.

“रुकिये मेंसाब् थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा” ----- ड्राइवर ने पिंकी को दिलासा देते हुवे कहा.

“देखो मुझे यहा से बिल्कुल अछा नही लगता, तुम जल्दी निकाल लो…मुझे दर्द हो रहा है…उउउउह्ह्ह्ह्ह माआ” पिंकी कराहते हुवे बोली.

“सुरेश बाबू भी तो गांद मार के गये है, फिर मैं क्यो नही मार सकता” ----- ड्राइवर एक हल्का सा धक्का लगा कर बोला.

“ ऊहह यू डर्टी अनिमल, टेक इट आउट” ---- पिंकी ने चील्ला कर कहा.

“मुझे कुछ समझ नही आया मेंसाब्, अँग्रेज़ी उपर से निकल गयी” ----- ड्राइवर ने मुश्कूराते हुवे कहा.

ये कह कर ड्राइवर पिंकी के अशोल में ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. उसे शायद पिंकी के दर्द की कोई परवाह नही थी.

पिंकी ड्राइवर के धक्को को नही सह पाई और बेड पर सीधी गिरती चली गयी और उसके साथ साथ ड्राइवर भी उसके उपर गिरता चला गया.

अब पिंकी सीधी पेट के बाल लेती हुई थी और ड्राइवर उशके अशोल में लिंग डाले हुवे अपना भारी भरकम शरीर लिए उशके उपर पड़ा था.

ड्राइवर ने उसी पोज़िशन में पिंकी के अशोल की रगड़ चालू कर दी.

पिंकी ज़ोर से चील्लयि, “हट जाओ, कुत्ते कामीने कहीं के मैं दब गयी हूँ, मेरा दम घुता जा रहा है.”

पर ड्राइवर ने उसकी बात पर ध्यान नही दिया और तेज़ी से अपने धक्के मारने में लगा रहा.

“ऊओह… बहुत टाइट गांद है, लॉडा बड़ी मुश्किल से अंदर बाहर हो रहा है, लगता है सुरेश बाबू ने आपकी अभी आछे से गांद नही मारी. पर मेंसाब् अब आप चिंता मत करो इशके बाद आपकी गांद खुल जाएगी…हे..हे…..हो..हो….और आप बाद में मज़े से गांद में ले पाओगि.” ---- ड्राइवर बेशर्मी से हंसते हुवे बोला.

“चुप करो कुत्ते कहीं के, तुम्हे ज़रा भी तमीज़ नही है, और जल्दी हटो, मैं दबी जा रही हूँ.” ---- पिंकी गुस्से में बोली.

पर ड्राइवर अपना काम किए बिना हटने वाला नही था.

वो पिंकी के अशोल को काफ़ी देर तक फक करता रहा

“आआआअहह…….ऊऊहह ये गया आपकी गांद में मेरे गन्ने का रश मेंसाब्” ----- ड्राइवर ने आँखे बंद करके कहा. ‘वो अपने ऑर्गॅज़म में डूब गया था’.

ड्राइवर पिंकी के उपर से हट गया और अपने लिंग को देखते हुवे बोला, “मेंसाब् यकीन नही होता कि ये इतना बड़ा लॉडा आपकी छोटी सी गांद में घुसा हुवा था…हे..हे..हो..हो”

“दफ़ा हो जाओ यहा से अब वरना में तुम्हारी जान ले लूँगी” ---- पिंकी उशी हालत में पड़े पड़े बोली.

“थॅंकआइयू मेंसाब् आपने बहुत आछे से मरवाई है, कभी दुबारा मन करे तो मुझे याद कर लीजीएगा, बंदा हज़ीर हो जाएगा, सुरेश बाबू से ज़्यादा खुस रखूँगा में आपको” ---- ड्राइवर ने पिंकी के नितंबो को ठप-थपाते हुवे कहा.

“हाथ दूर रखो मुझ से अब, और अपने रास्ते जाओ समझे… डर्टी…. स्कम…पिग” ----- पिंकी ने गुस्से में कहा.

ड्राइवर ने अपने कपड़े पहन लिए और पिंकी को ज़ोर लगा कर सीधा किया और उसके होंटो पर ज़बरदस्ती किस करने लगा

“ऊउउउह्ह्ह हटो…एम्म तुम जाते हो की नही… जानवर…जंगली..” ---- पिंकी ड्राइवर को हटाते हुवे बोली.

“जेया रहा हूँ मेंसाब् बस आपको जाते जाते नमस्ते कर रहा था” ---- ड्राइवर ने कहा.

ड्राइवर वाहा से चला गया और पिंकी दौड़ कर टाय्लेट में घुस्स गयी.

मनीष फॉरन पर्दे के पीछे से बाहर आ गया और उसने मुझे भी इशारा किया कि जल्दी से चुपचाप मेरे पीछे पीछे आ जाओ.
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11-13-2018, 12:43 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं तो कब से वाहा से निकालने का सोच रही थी, वाहा खड़े खड़े मेरे पाँव दुखने लगे थे.

हम चुपचाप 102 से निकल कर 103 में आ गये

103 में आकर हमने चैन की साँस ली. पर मैं मनीष से नज़रे नही मिला पा रही थी. क्योंकि मनीष ने भी मेरे साथ साथ सब कुछ देखा था.

उस दिन शाम को मैने सुरेश को फोन करके घर आने को कहा.

मैने पिंकी को फोन करके उसे भी वही बुला लिया. वो आने से मना कर रही थी. कह रही थी मुझे कुछ अछा महसूष नही हो रहा है. पर मैने उशे आने के लिए मना ही लिया.

मैने अपने ख़ास ख़ास रिस्तेदारो को भी फोन करके बुला लिया.

सभी लोग 8:30 बजे तक घर पहुँच गये थे.

सभी के सामने मैने सुरेश(महेश) की चप्पल से खूब धुनाई की और सभी को उसकी शादी के बारे में बताया.

बाकी के लोगो ने भी उशे खूब मारा.

और तो और मैने उसे पिंकी से भी पितवाया.

दरअसल, मैने वाहा किसी को पिंकी और सुरेश के रिस्ते के बारे में नही बताया था. मैं नही चाहती थी कि पिंकी की बदनामी हो. पिंकी से मैने उसे इसलिए पितवाया क्योंकि उसने पिंकी को ड्राइवर के साथ करने के लिए मजबूर किया था.

पिंकी के चेहरे से यही लग रहा था कि वो उसे नही मारना चाहती, पर मैने खुद वाहा खड़े होके उसके हाथ में चप्पल दी और सुरेश की पिंकी के हाथो धुनाई करवाई.

पिंकी को मैने कुछ नही बताया कि मुझे उशके बारे में पता है कि नही. दरअसल मैने उसे बच्ची समझ कर माफ़ कर दिया. वैसे भी उसे उशके किए की सज़ा मिल चुकी थी.

मैने दीप्ति से कहा, “ह्म्म्म……. बहुत अछा किया तुमने सुरेश की धुनाई करके, वो इशी लायक था”

तभी नेहा बीच में बोल पड़ी, अछी सज़ा मिली दोनो को, वो इशी लायक थे. अरे तुम्हे पता है उस अशोक को भी भगवान ने उसके किए की सज़ा दे दी है.

मैं ये बात सुन कर चोंक गयी

मैने नेहा से पूछा, तुम्हे कैसे पता चला.

वो बोली, किसी ने मुझे बताया है.

दीप्ति ने नेहा से पूछा, “क्या बताया है”

“वो पोलीस एनकाउंटर में मारा गया, उसके साथ 2 लड़को की भी मौत हुई है” --- नेहा ने दीप्ति की और देखते हुवे कहा.

मैने मन ही मन में कहा, “बिल्लू और राजू”

तभी अचानक नेहा का मोबाइल बज उठा और वो एक्सक्यूस मी कह कर कमरे से बाहर चली गयी.

दीप्ति धीरे से बोली, तो तुम ठीक कह रही थी, वो सभी मारे गये है.

मैने कहा, “हां पर तुम मेरी कहानी नेहा को मत शुनाना, मैं ये बात किसी को नही बताना चाहती, तुम्हे इसलिए बताया क्योंकि तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो”

“अरे ये भी क्या कहने की बात है” --- दीप्ति मेरी और देखते हुवे बोली.

तभी नेहा अंदर आ गयी और बोली, “यार मुझे जाना होगा, अछा लगा तुम दोनो से इतने दीनो बाद मिल कर, फिर कभी फ़ुर्सत में मिलेंगे”

हम दोनो ने नेहा को बाहर तक उसकी कार तक सी ऑफ किया और वापस अंदर मेरे कमरे में आ गये.

“यार ये बताओ क्या सोचा तुमने फिर” --- दीप्ति ने मुझ से पूछा

“किस बारे में” ---- मैने उल्टा सवाल किया

“अरे वही कि संजय और विवेक बिल्लू को कैसे जानते है” ---- दीप्ति ने कहा

“यार अब तो कन्फर्म हो गया कि वो सभी मारे जा चुके है, मुझे नही लगता कि ये सब जान कर हमें कुछ हाँसिल हो पाएगा” ---- मैने गहरी साँस ले कर कहा.

“तुम्हे याद है, वो बिल्लू तुम्हे संजय को सब कुछ बताने को कह रहा था, आख़िर वो ऐसा क्यो चाहता था” ?? दीप्ति ने मुझ से पूछा

“मैने कहा, मुझे नही पता दीप्ति और ना ही मुझ में ये सब जान-ने की हिम्मत बाकी है, जितना मैं पिछली बातो को याद करूँगी उतना ही घुट घुट कर जीयुन्गि, अछा यही है कि मैं सब कुछ भूल कर एक नयी शुरूवात करूँ, संजय शायद मुझे ना अपनाए पर मेरा बेटा चिंटू तो है ना, उशके लिए तो मुझे जीना ही है”---- मैने दीप्ति से कहा

“यार मैं तुम्हारी दोस्त हूँ, मुझे बार बार कुछ गड़बड़ लग रही है, प्लीज़ कुछ करो ना, सच जान-ने में कोई बुराई नही है” ---- दीप्ति ने मुझे कन्विन्स करते हुवे कहा.

“बुराई है दीप्ति, पाप मैं खुद करूँ और जाशूस अपने पति के पीछे लगा दूं, ये कहा की इंशानियत है, मैं ऐसा नही कर सकती” --- मैने दीप्ति की ओर देखते हुवे कहा.

“अगर ये काम मैं अपनी तरफ से मनीष को दे दूं तो तुम्हे कोई ऐतराज तो नही” ??

“ह्म्म…. दीप्ति तुम क्यों ये सब जान-ना चाहती हो” --- मैने पूछा

“क्योंकि मेरा मन बार बार कह रहा है कि कहीं ना कहीं बहुत बड़ी गड़बड़ ज़रूर है. मैं ये नही कह रही कि संजय ग़लत है, मैं भी उशे जानती हूँ, पर पता नही क्यों मेरा मन कह रहा है कि इस राज की गहराई तक जाना ज़रूरी है” ------ दीप्ति ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा.

“ह्म्म… ठीक है, तुम सारी कहानी जान चुकी हो, करलो जो करना है, पर मेरा नाम कहीं नही आना चाहिए, संजय को पता चल गया तो उन्हे बहुत बुरा लगेगा, मैं उन्हे और कोई दुख नही देना चाहती.

“थॅंकआइयू वेरी मच ऋतु, दट’स लाइक ए ब्रेव ओल्ड ऋतु..हे हे” ---- दीप्ति मुश्कूराते हुवे बोली

मैं भी उसकी बात सुन कर हंस पड़ी

क्रमशः .............................................
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11-13-2018, 12:43 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
गतांक से आगे .........................

20 एप्रिल 2008, से लेकर 26 सेप्टेंबर 2008 तक, कोई 5 महीनो में, मेरे साथ इतना कुछ हो गया और मेरी हँसती खेलती जींदगी बर्बाद हो गयी. वो 26 सेप्टेंबर का ही दिन था जिस दिन दीप्ति मुझे अपनी इतनी लंबी कहानी शुना रही थी.

उस दिन दीप्ति के जाने के बाद मैं अंदर ही अंदर गहरे विचारो में खो गयी. मुझे भी अब ये बात परेशान कर रही थी कि आख़िर बात क्या है.

अचानक मुझे याद आया कि बिल्लू ने कयि बार मुझ से कहा था कि तुम्हे वक्त आने पर सब कुछ पता चल जाएगा. आख़िर क्या पता छल्लेगा मुझे, मुझे कुछ समझ नही आ रहा था ??

मुझे बस इतना ही पता चला था कि संजय और विवेक बिल्लू को जानते थे, क्यो जानते थे, उनकी क्या जान पहचान थी, इशके बारे में मैं किसी भी नतीज़े पर नही पहुँच पा रही थी.

वही वो पल था जीशमें की मैने अपनी छोटी सी भूल को एक डाइयरी में लिखने का फैंसला किया, ताकि उसे पढ़ कर बाद में किसी नतीज़े पर पहुँचा जा सके.

पर अगले ही दिन यानी के 27 सेप्टेंबर को घर पर डाइवोर्स के पेपर आ गये और मैं टूट कर बिखर गयी और कुछ भी नही लिख पाई. दिन रात अपने कमरे में पड़े पड़े मैं आँसू बहाती रही. इशके अलावा कर भी क्या सकती थी. जो पाप मैने किया था उशी की सज़ा तो मुझे मिल रही थी.

मुझे अंदेशा तो था कि संजय शायद ऐसा ही करेंगे और मैं खुद को मेंटली प्रिपेर भी कर रही थी, पर फिर भी जब वाकाई में ऐसा हो गया तो आंशुओं को रोकना मुश्किल हो गया. खुद से ज़्यादा में चिंटू के लिए परेशान थी, मेरे कारण वो अपने पापा के प्यार से जुदा होने जा रहा था.

आज 6 जन्वरी 2009 है और मैं पीछले चार दीनो से ये डाइयरी लिख रही हूँ. जब पीछले हफ्ते 29 डिसेंबर 2008 को संजय से डाइवोर्स हो गया तो कुछ समझ नही आया कि क्या करूँ. बार बार अपनी किशमत को रो रही हूँ.

2 जन्वरी को मैं यू ही परेशान बैठी थी कि अचानक मुझे अपनी टेबल पर एक डाइयरी दीखाई दी और मैने एक पेन उठाया और अपनी दर्द भारी दास्तान लीखनी शुरू कर दी.

आज 6 जन्वरी 2009 है और मैं मुंबई में हूँ. चिंटू अपने नाना नानी के साथ देल्ही में है. अभी 15 दिन ही हुवे है मुझे यहा आए, इसलिए यहा बिल्कुल मन नही लग रहा. यहा सेट्ल हो कर चिंटू को थोड़े दीनो बाद ले आउन्गि

दीप्ति ने मुझे बताया था कि उनकी कंपनी की सिस्टर क्न्सर्न ज़ेडको प्राइवेट लिमिटेड में असिश्टेंट मॅनेजर की पोस्ट खाली है, तुम चाहो तो जाय्न कर लो. पर तुम्हे मुंबई जाना पड़ेगा.

मैने बहुत सोचने के बाद जाय्न करने का फ़ैसला कर लिया और इस तरह मैं मुंबई आ गई. अब मुझे चिंटू के लिए तो जीना ही था इसलिए मैने जाय्न करना ठीक समझा. कंपनी ने मेरे रहने के लिए कोलाबा में एक फ्लॅट दे दिया है पर इतने बड़े घर में मुझे बहुत अकेला महसूष हो रहा है.

अभी अभी ऑफीस से आई हूँ और पहली बार इतना काम करके थक गयी हूँ. थोड़ा फ्रेश होने के बाद आगे की कहानी लीखूँगी.

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उस दिन यानी के 26 सेप्टेंबर 2008 को जाते जाते दीप्ति ने पूछा, यार एक बात पूछनी थी, बुरा तो नही मानोगी ?

मैने कहा, “पूछो ना, मैं बुरा क्यो मानूँगी”

“एक बात बताओ, बिल्लू में ऐसा क्या था जो की तुम उशके चक्कर में पड़ गयी, क्या तुम भी उन लॅडीस की तरह हो जीनके लिए लिंग का साइज़ इंपॉर्टेंट है, ना कि पति का प्यार ??

“कैसी बात कर रही हो दीप्ति, छी, तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो” ---------- मैने थोड़ा गुस्से में कहा.

“तभी पूछ रही थी कि तुम बुरा तो नही मानोगी, सॉरी इफ़ आइ हर्ट यू” ---- दीप्ति ने सॉरी फील करते हुवे कहा.

“दीप्ति….., बिल्लू देखने में बहुत भोला भला और शरीफ सा लगता था और काफ़ी स्मार्ट भी था, हां उसकी बातें ज़रूर बहुत गंदी होती थी, और सच बताउ तो मुझे खुद अभी तक नही पता कि मुझे क्या हो गया था कि मैं उशके साथ पाप के दलदल में डूबती चली गयी, और शायद मैं ये कभी जान भी ना पाउ”

“ह्म्म… अछा ठीक है, सॉरी टू हर्ट यू, मैं अब चलती हूँ, ऑफीस का कुछ काम भी करना है. तुम अब किसी बात की चिंता मत करो. बुरे से बुरा वक्त भी बीत जाता है. देखना ख़ुसीया फिर से आएँगी. भगवान ने दिन और रात यू ही नही बनाए है. ना हमेशा दिन होता है और ना हमेशा रात रहती है” ---- दीप्ति मेरे सर पर हाथ रख कर बोली.

मैने कहा, “पर दुनिया में ऐसी भी काई जगह है, जहाँ कि कयि महीनो तक सूरज नही दिखता”

“होगी ऐसी जगह, पर तुम वाहा नही हो समझी, कम ऑन, अंड हॅंग ऑन, यू विल सी दट, सूनर ओर लेटर थिंग्स आर गेटिंग बेटर” ----- दीप्ति ने मेरी पीठ तप-थपाते हुवे कहा.

“… ठीक है, देखते है, थॅंक्स फॉर बीयिंग सच ए नाइस फ्रेंड” --------- मैने दीप्ति का हाथ पकड़ कर कहा.

“मैं कल मनीष से मिल कर उसको इस काम पर लगा दूँगी, और जैसे ही कुछ पता चलेगा तुम्हे फोन करूँगी” ------- दीप्ति ने कहा.

मैने पूछा, “क्या तुम मनीष को सब कुछ बता दोगि”

“तुम चिंता मत करो, मनीष ईज़ ए नाइस मॅन, पर मैं उशे जितना ज़रूरी है उतना ही बताउन्गि, बाकी वो डीटेक्टिव है, तुम तो जानती ही हो” --- दीप्ति ने कहा
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11-13-2018, 12:43 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने कहा, “ठीक है, जैसा तुम ठीक समझो, पर मेरी बात ध्यान रखना, मेरा नाम नही आना चाहिए”

“ओक ऋतु, मैं ध्यान रखूँगी, तुम्हे फोन करके सब कुछ बताती रहूंगी, डॉन’ट वरी अबौट एनितिंग” – दीप्ति ने जाते हुवे कहा.

मैने कहा, “ओक बाइ-बाइ, मुझे बहुत अछा लगा कि तुम आई, पर तुम्हारी ट्रॅजिडी सुन कर थोड़ा दुख भी हुवा, फोन करती रहना”

दीप्ति चली गयी और जैसा की मैने पहले कहा, उसके जाने के बाद मैं गहरे विचारो में खो गयी

फरीदाबाद में तो संजय ने लॅंडलाइन लगवाया हुवा था, इसलिए कभी मोबाइल लेने की ज़रूरत ही नही पड़ी. पर वाहा देल्ही में पापा ने मुझे अपना मोबाइल दे दिया था और खुद दूसरा खरीद लिया था. वही नंबर मैने दीप्ति को दे दिया था.

अगले दिन जब संजय ने डाइवोर्स पेपर भेजे तो मैने उन्हे अपने मोबाइल से ही फोन किया था, पर उन्होने एक बार भी मेरा फोन नही उठाया.

कुछ दिन यू ही बीत गये. मैं अक्सर अपने कमरे में ही पड़ी रहती थी. एक बार चिंटू खेलता खेलता मेरे पास आया और बोला, “हम अपने घर कब जाएँगे”

ये ऐसा सवाल था जीशका की मेरे पास कोई जवाब नही था.

मैने उशे कहा, “तुम खेलो बेटा, अभी हम कुछ दिन यही रहेंगे”

और वो वाहा से खेलता हुवा भाग गया. वो तो वैसे भी वाहा खुस ही था, उसे वाहा स्कूल जो नही जाना पड़ रहा था.

पर क्योंकि संजय ने डेवोर्स केस कर दिया था इसीलिए मैने उशे वही, देल्ही में ही एक स्कूल में अड्मिट करवा दिया. मैं नही चाहती थी कि उसकी स्कूलिंग में ब्रेक आए.

10 अक्टोबर को दीप्ति का फोन आया, उसने जो बताया वो मुझे और ज़्यादा सोचने पर मजबूर कर गया.

“ऋतु तुमने कहा था ना कि बिल्लू रिक्शा भी चलाता है” ---- दीप्ति ने पूछा

“हां कहा था, क्यो क्या हुवा” ---- मैने हैरानी में पूछा

“ मनीष ने फरीदाबाद में तुम्हारे घर के आश् पास रिक्से वालो से बात की थी, उनके अनुशार वाहा कोई बिल्लू नाम का रिक्सा चलाने वाला नही है”

मैने हैरानी में पूछा, “ क्या !! ऐसा कैसे हो सकता है ? एलेक्ट्रिक शॉप और उशके घर पर पता किया”

“वो घर उसका नही था, वो वाहा मार्च 2008 से रेंट पर रह रहा था. पदोषियों को उशके बारें में कुछ नही पता. लोगो के अनुशार वो गुम शुम, चुपचाप रहने वाला लड़का था, ज़्यादा लोगो से बात नही करता था, इसीलिए किसी को उशके बारे में नही पता. हां लोगो ने ये ज़रूर बताया कि बिल्लू एक बार रिक्से में किसी खुब्शुरत लड़की को लाया था. शायद वो उशी दिन की बात होगी जब वो तुम्हे अपने घर ले गया था. उशके मकान मालिक ने बताया कि बिल्लू ने मकान ये कह कर लिया था कि कोई 5 या 6 महीनो के लिए चाहिए, उशके बाद वो वापस देल्ही चला जाएगा.अब देल्ही में वो कहा रहता था, क्या करता था अभी कुछ नही पता.” --- दीप्ति ने कहा.

मैं ये सब सुन कर चोंक गयी थी

मैने दीप्ति से पूछा, “और कुछ पता चला या फिर बस इतना ही पता चला है”

“हाँ, हां पूरी बात तो सुनो” --- दीप्ति ज़ोर से बोली.

“उशके कमरे में मनीष को एक डाइयरी मिली है. डाइयरी में एक पेपर पर संजय का नाम पता सब कुछ लिखा है. और तो और उस में विवेक का भी नाम पता लिखा है. हैरानी की बात ये है कि पूरी डाइयरी में बस उन दोनो का ही नाम, पता है” ----- दीप्ति ने कहा

“अछा और कोई बात भी है क्या डाइयरी में” ? --- मैने उत्शुकता में पूछा

“उस में संजय के क्लिनिक और घर का पूरा अड्रेस लिखा हुवा है, पता नही इश्का क्या मतलब है. खैर ये तो हम जानते ही थे कि संजय बिल्लू को जानता है, ये बात अब कन्फर्म भी हो गयी. पर सबसे बड़ी बात सुनो” --- दीप्ति ने कहा.

मैने कहा, “हां शुनाओ”

दीप्ति ने डीटेल में कहा “डाइयरी में तुम्हारे बारे में, संजय के बारे में और चिंटू के बारे में कुछ डीटेल लिखी थी. लिखा है कि संजय सुबह किस वक्त क्लिनिक जाता है, किस वक्त लंच करने आता है, और किस वक्त तक शाम को घर वापस आता है. चिंटू के बारे में लीखा है कि किस वक्त स्कूल जाता है, और किस वक्त दोपहर को वापस आता है. चिंटू के स्कूल का अड्रेस भी लिखा है.तुम्हारे बारे में काफ़ी डीटेल लीखी थी. जैसे कि तुम किस वक्त दोपहर को किचन की खिड़की से झाँकति हो, कौन से ब्यूटी पार्लर जाती हो, कब अक्सर संजय के साथ शाम को घूमने जाती हो….. इत्यादि, मतलब की उसने तुम्हारे घर का डेली रुटीन चार्ट बना रखा है”

मैने हैरानी में पूछा, “ यार ये सब उसने कहा से पता किया होगा”

दीप्ति बोली, “आगे तो शुनो”

मैने कहा, “हां, हां शुनाओ”

“डाइयरी में लाल अक्षरो में एक बात लिखी थी, जीशका की मतलब अभी क्लियर नही हो रहा. मनीष के अनुशार वो इंशानी खून से लीखी थी” दीप्ति ने कहा

“क्या लिखा था बताओ तो सही” ---- मैने ज़ोर से पूछा

दीप्ति ने कहा, लिखा था कि “डॉक्टर की तो यही सज़ा है पर वकील को हर हाल में मारना होगा”

“इसका क्या मतलब है दीप्ति, कुछ समझ नही आया” ---- मैने हैरानी में दीप्ति से पूछा.

“वही तो मैं कह रही थी, अभी कुछ नही पता, लेकिन मनीष पूरी कोशिस कर रहा है, वो इस राज की गहराई तक जा कर रहेगा. पर तुम ये देखो मैं कह रही थी ना की कही ना कही कुछ भारी गड़बड़ ज़रूर है” ---- दीप्ति बोली.

“हां यार पर मुझे अब बहुत डर लग रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे की मैं किशी क्रिमिनल के साथ इन्वॉल्व थी” ---- मैने दीप्ति से कहा.

“अगर वो क्रिमिनल था तो, वो मर चुका है, फिर अब डरने की क्या बात है” ---- दीप्ति ने मुझे दिलासा देते हुवे कहा.

मैने पूछा “और वो एलेक्ट्रिक शॉप वाहा कुछ पता चला”
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