मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:16 PM,
#71
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
अगले दो दिन मैं अमोल की याद मे खोई रही. खुले खेत मे उससे चुदाई की बात याद करके मन ही मन मुसकुराती थी. देर रात तक उसके साथ चुदाई की कल्पना करके अपनी चूत मे बैंगन पेलती रहती थी. अपने घर पहुंचकर उसने मुझे एक प्यारी सी चिट्ठी लिखी थी जिसे मैं बार-बार पढ़ती थी.

तीसरे दिन जब मीना भाभी की चिट्ठी आयी, तब मेरी तन्द्रा टूटी. चिट्ठी नही कोई पोथी लग रही थी. न जाने भाभी ने उसमे क्या लिखा था! खुश होकर मैं अपने कमरे मे भागी और उसकी चिट्ठी पढ़ने लगी.

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मेरी प्यारी ननद रानी,

तुम्हारा ख़त मिला. पढ़कर मुझे बहुत खुशी हुई. मुझे पूरा भरोसा था तुम्हे मेरा छोटा भाई बहुत पसंद आयेगा. पर मुझे यह अंदाज़ा नही था कि तुम उससे पहली मुलाकात मे ही चुदवा बैठोगी! पर तुम्हारा भी क्या कसूर! चूत की प्यास के मारे एक औरत कुछ भी कर सकती है.

वैसे देखने मे तो मेरा भाई सुन्दर है ही. शहर मे बहुत सी लड़कियाँ उससे चुदवाने के लिये मरती हैं. अब तुम ने पूछ ही लिया तो बता दूं. वह सच मे बहुत सी भाभीयों और कुंवारी लड़कियों को चोदे फिरता है, हालांकि मैं यह नही जानती वे कौन हैं. इसलिये चुदाई के मामले मे वह बहुत निपुण हो गया है. मुझे खुशी है कि तुम्हे इसमे कोई आपत्ती नही है. तुम एक खुले विचारों की लड़की हो और मैं अपने भाई के लिये तुम्हारे जैसी खुले विचारों की पत्नी चाहती थी.

अब आती हूँ तुम्हारे दूसरे सवालों पर. मैने अमोल को तुम्हारे घर भेजने से पहले सब कुछ साफ़ साफ़ बता दिया था. हम दोनो का जो सोनपुर मे रमेश और उसके दोस्तों के हाथों बलात्कार हुआ था. फिर विश्वनाथजी के घर पर दावत मे हम दोनो की जो सामुहिक चुदाई हुई थी. मैने उसे यह भी बता दिया था कि हम दोनो तुम्हारे मामाजी याने मेरे ससुरजी से भी बहुत चुदवाये हैं. और यह भी कि सोनपुर मे बेलगाम ऐयाशी के चलते हम दोनो का गर्भ भी ठहर गया है.

यह सब जानने के बाद भी अमोल तुम से शादी करने को तैयार हुआ है. बल्कि मैं तो कहूंगी कि यह सब जानकर ही अमोल तुमसे शादी करने तो तैयार हुआ है!

वह तो तुम्हारा दिवाना तब से है जब से मेरी शादी मे उसने तुम्हे देखा था. जब उसे पता चला कि तुम एक बहुत ही बड़ी चुदैल हो, वह फूला नही समाया और उसने मेरी माँ और पिताजी से ज़िद की कि वह सिर्फ़ तुम से ही शादी करेगा. इसका कारण यह है कि अमोल शादी के बाद अपनी ऐयाशियां जारी रखना चाहता है. और यही नही, उसे कोई आपत्ती नही है अगर तुम भी दूसरे मर्दों से जवानी का मज़ा लो. तुम्हारे ख़त से मुझे लगा तुम भी यही चाहती हो. मेरा खयाल है अब तुम्हारे मन की शंका दुर हो गयी होगी.

तुम शायद सोच रही होगी, एक बहन होकर मैने अपने छोटे भाई से ऐसी अश्लील बातें कैसे कर ली! भला कोई बहन अपने भाई को अपने बलात्कार और सामुहिक चुदाई के बारे मे बताती है? और कौन आदमी एक बदचलन, गर्भवती लड़की को अपनी पत्नी बनाना चाहता है? ननद रानी जी, इसके लिये मुझे अमोल को तैयार करना पड़ा. मैने अमोल को तुम्हारे लिये कैसे तैयार किया इसकी कहानी अब मैं तुम्हे खोलकर बताती हूँ. उम्मीद है तुम्हे पढ़कर आनंद आयेगा.


यह सब घटनायें अमोल के आने के हफ़्ते दस दिनों मे हुई.

मेरे माँ बाप के शहर लौटने के बाद अमोल मुझे एक पल अकेला नही छोड़ता था. बस एक ही रट लगाये हुए था, "दीदी, मुझे उस गंवार लड़की से शादी नही करनी है. तुम माँ और पिताजी को समझाओ ना!"

मैने अपने पिताजी से बात कर ली थी और उन्होने ख़त मे जवाब दिया था कि अगर अमोल राज़ी नही है तो वह शादी के लिये ज़ोर नही डालेंगे. पर मेरी माँ को भी समझाना पड़ेगा क्योंकि वह अमोल की जल्दी शादी करवाना चाहती है.

अमोल के घर पर होने से हम सब को चुदाई मे बहुत मुश्किल हो रही थी. हर समय वह या तो मेरे साथ, या फिर किशन या तुम्हारे बलराम भैया के साथ रहता था. खेत मे, बैठक मे, या बगीचे मे किसी से भी नंगे होकर चूत मरा लें यह सम्भव ही नही था. किसी और के कमरे मे जाकर चुदवाने से भी डर लगता था. चुदाई बस रात को होती थी और वह भी अपने अपने पति से. भला रोज़ रोज़ एक ही आदमी से चुदवाकर कोई मज़ा आता है?

एक दिन तुम्हारे मामाजी किशन को बोले, "किशन, अमोल बेचारा घर पर बैठे-बैठे उब गया होगा. उसे ज़रा हाज़िपुर ले जा और थोड़ी सैर करा ला."
"मुझे खेत मे काम है, पिताजी." किशन बोला, "आप भैया को बोलिये ना खेत मे जाने को."

तो तय हुआ कि मेरे वह रामु के साथ खेत मे जायेंगे और किशन मेरे भाई को लेकर हाज़िपुर जायेगा.

उन सबके जाते ही सासुमाँ ने गुलाबी के हाथों मुझे बुला भेजा. मैं सासुमाँ के कमरे मे गयी तो देखी ससुरजी और सासुमाँ पलंग पर बैठे हुए बातें कर रहे हैं.

मुझे देखते ही ससुरजी बोले, "आ बहु! आजकल तो तु नज़र ही नही आती है!"
"बाबूजी, मैं तो हमेशा आपके पास ही रहना चाहती हूँ. पर क्या करुं, मेरा भाई जो आकर ठहरा हुआ है!" मैने कहा.
"तभी तो मैने किशन को उसके साथ हाज़िपुर भेजा है." ससुरजी मेरा हाथ पकड़कर मुझे पलंग पर बिठाते हुए बोले, "बहुत दिन हो गये हैं तेरी जवानी का रस पीये हुए."
मैं हंसकर बोली, "मुझे भी तो कितने दिन हो गये हैं आपके लौड़े का रस पीये हुए."
"चल, जब तक तेरा भाई सैर करके आये, हम थोड़ी अपनी चुदास मिटा लेटे है." ससुरजी बोले.

उन्होने मुझे अपनी ताकतवर बाहों मे भर लिया और मेरे नर्म होठों को अपने मर्दाने होठों से चिपकाकर मुझे चूमने लगे.

मै भी ससुरजी से लिपटकर उनके होठों का मज़ा लेने लगी. ससुरजी का हाथ मेरी ब्लाउज़ मे कसी चूचियों को दबाने लगे और मेरे हाथ लुंगी मे उनके लन्ड पर चले गये. कुछ देर हम ससुर-बहु एक दूसरे के प्यार मे खोये रहे.

सासुमाँ हम दोनो को देख रही थी. वह बोली, "बहु, वीणा की कोई चिट्ठी आयी कि नही?"
"हाँ, माँ." मैने ससुरजी के होठों से मुंह हटाकर जवाब दिया.
"क्या कहती है? उसका गर्भ तो नही ठहर गया?"
"उसका मासिक नही हो रहा है." मैने कहा, "उसका गर्भ यकीनन ठहर गया है."
"मुझे इसी बात का डर था." सासुमाँ बोली, "सुनो जी, अब क्या करोगे उस बेचारी का?"

ससुरजी मेरे गले और कंधों को चुम रहे थे. वह बोले, "क्यों, क्या करना है?"
"ज़रा बहु की जवानी से मुंह हटाओ तो बताऊं!" सासुमाँ बोली, "तुम्हारी अपनी भांजी है. जब सबके साथ मिलकर उसकी चूत मार रहे थे तब तो नही सोचा. अब पेट ठहर गया है, तो मामा होकर तुम्हे कुछ तो सोचना चाहिये!"
"सोच रहा हूँ, भाग्यवान!" ससुरजी बोले. वह मेरी ब्लाउज़ के हुक खोलने लगे और बोले, "अब तो एक ही रास्ता बचा है. उसकी शादी करवानी पड़ेगी."

"बाबूजी, उसका गर्भ गिरया भी तो जा सकता है?" मैने कहा.
"अरे बहु, अब हाज़िपुर जैसे छोटे से शहर मे ऐसा डाक्टर कहाँ मिलेगा? सब डाक्टर राज़ी नही होते ऐसा काम करने को." ससुरजी मेरे ब्लाउज़ को मेरे हाथों से अलग करते हुए बोले, "पूछ्ताछ करने पर उलटे बदनामी हो जायेगी. नही, वीणा की शादी ही करवानी पड़ेगी."
"पर इतनी जल्दी मे एक अच्छा लड़का कहाँ मिलेगा!" मैने कहा.

सासुमाँ बोली, "एक लड़का है मेरी नज़र मे. मुझे तो बहुत पसंद है लड़का, पर उसे वीणा से शादी करने के लिये राज़ी करना पड़ेगा."
"कौन है, माँ?" मैने उत्सुक होकर पूछा.
"बहु, मैं तेरे भाई अमोल की बात कर रही हूँ." सासुमाँ बोली, "कितना सुन्दर नौजवान है. और अपनी वीणा भी बहुत सुन्दर है. खूब जंचेगी दोनो की जोड़ी."

"अमोल!" मैने चौंक कर पूछा, "उसकी और वीणा की शादी?"
"क्यों, क्या बुराई है वीणा मे?" सासुमाँ ने पूछा.

"माँ, आपको तो सब पता ही है!" मैने कहा, "वीणा कितनी बदचलन है! सोनपुर मे कितने सारे मर्दों से वह चुदवाई थी. अब तो उसका गर्भ ठहर गया है और पता नही बच्चे का बाप कौन है!"
"ठीक तेरी तरह..." सासुमाँ ने हंसकर मुझे याद दिलाया, "मेरे बेटे ने भी तो तेरे जैसी एक बदचलन, आवारा, चुदैल लड़की से शादी की है और निभा भी रहा है."
"पर माँ, मेरा भाई बहुत सीधा है." मैने कहा, "वह वीणा से शादी करके निभा नही पायेगा. वीणा शादी के बाद कोई पतिव्रता थोड़े ही बन जायेगी? वह तो जहाँ मौका मिलेगा मुंह मारेगी."

मैने अपने हाथ ऊपर किये तो ससुरजी ने मेरी ब्रा उतार दी और मेरी नंगी चूचियों को मसलने लगे.

ससुरजी बोले, "बहु, अमोल उतना सीधा नही है जितना दिखता है. आजकल 22 साल के होते होते लड़के बहुत ही सयाने हो जाते हैं और चुदाई का स्वाद चख लेते हैं. ऊपर से मैने गौर किया है तेरा भाई बहुत ही लंपट नज़रों से गुलाबी की चूचियों को घूरता रहता है."
"पर माँ, मैं अपने छोटे भाई की शादी एक गर्भवती लड़की से कैसे करवा दूं?" मैने कहा, "मै उसे ऐसा धोखा नही दे सकती!"

सासुमाँ ने प्यार से मेरी गालों को सहलाया और बोली, "बहु, तुझे अपने भाई को धोखा देने को कौन कह रहा है! हम अमोल को वीणा के चरित्र के बारे मे सब कुछ बता देंगे. यह भी बता देंगे कि वह गर्भवती है. उसके बाद भी अगर वह वीणा से शादी करने को तैयार हो जाये, फिर तो तुझे आपत्ती नही होनी चाहिये?"
"अरे नही होगी बहु को आपत्ती." ससुरजी मेरे निप्पलों को मुंह मे लेकर चूसते हुए बोले, "हमारी बहु बहुत खुले विचारों की है."
"मगर बाबूजी," मैने कहा, "मेरे माँ-बाप, आनन्द भैया - यह सब लोग क्या सोचेंगे?"
"उन्हे बताने की क्या ज़रूरत है?" ससुरजी बोले, "अगर अमोल वीणा से खुश हो तो बात उन दोनो के बीच रह जायेगी."
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अपने निप्पलों पर ससुरजी के चुंबनों से मुझे मस्ती चढ़ने लगी थी. मैने ससुरजी के लुंगी की गांठ को खोल दी और उनके खड़े लौड़े को बाहर निकालकर हिलाने लगी.

मैने कहा, "यह सब तो ठीक है, पर अमोल को वीणा के कारनामों के बारे मे बतायेगा कौन? मैं उसकी दीदी हूँ. मैं उससे ऐसी बातें नही कर सकती."
"तुझे कौन कह रहा है अपने भाई से ऐसी बातें करने को?" सासुमाँ बोली, "और तु करेगी भी तो क्या वह तेरी बात सुनकर एक छिनाल से शादी कर लेगा?"
"फिर?" मैने पूछा.
"पहले तेरे भाई को तैयार करना पड़ेगा, बहु." सासुमाँ बोली, "जैसे हमने किशन, बलराम और रामु को तैयार किया है. पहले उसे जवानी का ऐसा चस्का लगाना पड़ेगा कि वह चोदा-चोदी के लिये पागल हो जाये. फिर उसे बतायेंगे कि एक सुन्दर लड़की है जो उसी की तरह ऐयाश है, और जो शादी के बाद उसे सारी ऐयाशियां करने देगी. देखना तब अमोल खुशी खुशी वीणा से शादी करने को राज़ी हो जायेगा."

मैं चुप रही तो सासुमाँ बोली, "क्या सोच रही है बहु?"
"माँ, फिर तो अमोल को मेरे बारे मे भी सब पता चल जायेगा. मैने सोनपुर मे क्या क्या किया था और यहाँ बाबूजी, देवरजी, और रामु के साथ क्या क्या करती हूँ." मैने कहा, "क्या सोचेगा वह मेरे बारे मे? यही कि उसकी दीदी एक रांड है?"

"यही तो मैं चाहती हूँ, बहु." सासुमाँ बोली, "जब वह देखेगा उसकी अपनी दीदी और जीजाजी खुलकर चुदाई का मज़ा लेते हैं उसे भी मन करेगा कि वह तेरे जैसी एक पत्नी लाये."
"हाय, माँ! वह मेरा भाई है. कैसे चुदवाऊंगी मैं उसके सामने? मै तो शरम से मर जाऊंगी!" मैने कहा. पर मैं मन ही मन उत्तेजित भी होने लगी.
"अरे कुछ नही होगा, बहु." सासुमाँ बोली, "और मैं कौन सा कह रही हूं तु पहले ही दिन उसके सामने रामु से चुदवा. सब कुछ धीरे धीरे करेंगे ना."

"और बहु, समय आने पर तु भी अपने भाई से चुदवा लेना." ससुरजी बोले.

सुनकर मैं गनगना उठी पर बोली, "हाय, आप यह क्या कह रहे हैं, बाबूजी! मैं अपने भाई के साथ यह सब नही कर सकती!"
"क्यों री?" सासुमाँ ने पूछा, "तु तो न जाने किस किससे चुदवाती रहती है. अमोल मे ऐसी कौन सी खराबी है?"
"दूसरे मर्दों की बात और है, माँ. पर मेरा और अमोल का खून का रिश्ता है!" मैने कहा.
"बहु, एक बार अमोल से चुदवाकर देख लेना. अनाचार मे बहुत मज़ा होता है. तुझे भी मज़ा आयेगा अमोल से चुदवाने मे." सासुमाँ बोली, "मै तो अपने दोनो बेटों से खूब चुदवा रही हूँ. मुझे तो अनाचार मे बहुत मज़ा आता है."

"और बहु, हम अमोल को ऐसे तैयार करेंगे कि वह खुद तेरी चूत मारने के लिये पागल हो जायेगा." ससुरजी बोले, "तु घबरा मत. तुझे भी बहुत मज़ा आयेगा अपने भाई को तैयार करने मे."

यह सब बातें सुनकर मेरे अन्दर की चुदास बढ़ती जा रही थी. कैसा लगेगा अमोल को किसी और औरत को चोदते हुए देखना? देखने मे तो वह बहुत गठीला नौजवान है. उसका लन्ड कितना बड़ा होगा? कैसा लगेगा उसे दिखाकर किसी और से चुदवाना? क्या वह अपनी दीदी को नंगी देखकर कामुक हो उठेगा? कैसा लगेगा उसके होठों का स्पर्श अपने निप्पलों पर? कैसा लगेगा उसके नंगे जिस्म से लिपटकर उसका लन्ड अपनी चूत मे लेना?

यह सब सोच सोचकर मेरी उत्तेजना बहुत ही बढ़ गई. मैने अपनी साड़ी उतार दी और अपनी पेटीकोट ऊपर उठा दी. देखकर सासुमाँ ने मेरी चूत मे अपनी उंगली घुसा दी और मुझे मज़ा देने लगी. ससुरजी तो चाव से मेरी गोरी गोरी चूचियों को पीये जा रहे थे और मैं उनके लौड़े को हिलाये जा रही थी.

मै मज़े से सित्कार के बोली, "माँ, पर यह सब होगा कैसे?"
"ठहर, मैं बताती हूँ." सासुमाँ बोली और उठकर दरवाज़े के पास गयी. दरवाज़े को खोलकर उन्होने गुलाबी को आवाज़ लगाई.
गुलाबी रसोई से हाथ पोछते हुए आयी.
"आप बुलायीं, मालकिन?" उसने अन्दर आते हुए कहा.

अन्दर का नज़ारा देखकर वह उत्तेजित होकर बोली, "हाय, भाभी! आप मालिक से जवानी का मजा ले रही हैं! हमे भी बहुत मन करता है मालिक, बड़े भैया और किसन भैया से मजे लेने का! पर का करें, अमोल भैया के आने से हम खुलकर मजा नही ले पा रहे. रोज अपने ही मरद से चुदा-चुदाकर उब गये हैं!"
"इसलिये तो तुझे बुलाया है." सासुमाँ बोली, "मेरी बात ध्यान से सुन."

गुलाबी पलंग के पास आकर मेरे और ससुरजी के कुकर्म तो देखने लगी और सासुमाँ की बातें सुनने लगी.

"गुलाबी, तुझे अमोल पसंद है?" सासुमाँ ने पूछा.
"हम का कहें, मालकिन! अमोल भैया भाभी के भाई हैं." गुलाबी ने कहा.
"अरे नखरे छोड़!" सासुमाँ खीजकर बोली, "तुझे अमोल पसंद है कि नही?"
"पसंद है ना!" गुलाबी ने जवाब दिया, "बहुत सुन्दर हैं अमोल भैया. और बहुत नटखट भी हैं."

"क्यों, क्या किया उसने तेरे साथ?" मैने उत्सुक होकर पूछा.
"ऊ हमेसा हमरे जोबन को घूरते रहते हैं, भाभी." गुलाबी बोली, "और मौका मिलते ही हमसे बात करते हैं, और कभी हमरे हाथ को पकड़ लेते हैं, और कभी हमरे चूतड़ पर हाथ लगाते हैं."

सुनकर मैं मुस्कुरा दी और बोली, "उसने कभी तेरे साथ जबरदस्ती की है क्या?"
"यही तो मुसकिल है, भाभी! ऊ और कुछ करते ही नही हैं!" गुलाबी हताशा दिखाकर बोली, "जबरदस्ती करें तो मजा आये ना!"

"मतलब तु उससे चुदवाने को पूरी तरह तैयार है." सासुमाँ बोली.
गुलाबी आंखें नीची करके बोली, "ऊ चोदना चाहेंगे तो हम ना नही कहेंगे, मालकिन."

उसके लाज-शरम के नाटक को देखकर मैं जोर से हंस दी.

"सुन, हम यह चाहते हैं तु अमोल से चुदवा ले." सासुमाँ बोली.
"काहे मालकिन?" गुलाबी ने पूछा.
"तुझे काहे मे जाने की ज़रूरत नही है." सासुमाँ बोली, "तुझे जिससे चुदवाने को कहा जाये चुपचाप चुदवा लिया कर."
"ठीक है, मालकिन." गुलाबी धीरे से बोली, पर चुदास और उत्तेजना से उसका चेहरा खिल उठा था.

"अमोल तेरी चूचियों को घूरे तो उसे अपने नंगी चूचियों का नज़ारा कर." सासुमाँ ने सलाह दी, "तुझसे बातें करें तो अपने घाघरे को उठाकर अपनी जांघों का नज़ारा कर. तेरे चूतड़ों को छूये तो अपनी गांड मटका मटका कर चल के दिखा. हाथ पकड़े तो उससे लिपट जा. समझी?"
"समझे, मालकिन." गुलाबी उत्साहित होकर बोली, "बहुत मजा आयेगे अमोल भैया को रिझाने मे!"
"और तेरे जोबन को हाथ लगाये तो उसे कहीं अकेले मे ले जा और उसे अपनी जवानी से खेलने दे."
"जी, मालकिन."
"चोदना चाहे तो चुदवा लेना. और फिर उसे रोज़ चोदने का मौका देना. समझी?" सासुमाँ ने कहा.
"समझे, मालकिन." गुलाबी खुश होकर बोली.

"ठीक हैं ना, बहु?" सासुमाँ ने पूछा.
"मै क्या कहूं, माँ." मैने कहा, "आप जो ठीक समझें."
"पहले अमोल को गुलाबी का रस चखा देते हैं. बाद मे उसे तेरी जवानी का मज़ा भी दिला देंगे." सासुमाँ बोली, "धीरे धीरे वह बलराम की तरह पूरा भ्रष्ट हो जायेगा."
"कौशल्या, यह क्यों नही कहती कि तुम भी अमोल से चुदवाओगी?" ससुरजी बोले.
"मैं कब मना का रही हूँ?" सासुमाँ बोली, "जब से लड़के को देखा है जी कर रहा है उसे अपने ऊपर चढ़ाकर अपनी प्यास बुझा लूं. गुलाबी के बाद मैं उसे पटाकर चुदवाऊंगी. फिर बहु की बारी आयेगी."

"हाय मालकिन! कितना मजा आयेगा जब अमोल भैया हमरी चुदाई मे सामिल हो जायेंगे!" गुलाबी खुशी से उछलकर बोली. फिर अपनी उंगलियों पर गिनती हुई बोली, "फिर हम बड़े भैया, किसन भैया, अमोल भैया, मालिक, और अपने मरद - पांच लोगन से एक साथ चुदायेंगे!"

"रंडी कहीं की!" ससुरजी हंसकर बोले, "चल जा रसोई मे और अपना काम कर."

गुलाबी जाने लगी तो सासुमाँ बोली, "अरी तु कहाँ जा रही है? ठहर थोड़ा. दरवाज़ा बंद कर और अपने कपड़े उतारकर पलंग पर लेट."

गुलाबी ने सासुमाँ की आज्ञा का पालन किया. दरवाज़ा बंद करके वह अपनी घाघरा चोली उतारने लगी. आज उसने चड्डी और ब्रा भी पहन रखी थी, जो वह नही पहनती थी.

"तुझे यह चड्डी और ब्रा पहने को किसने कहा?" ससुरजी ने पूछा.
"हमे अमोल भैया के सामने बिना चड्डी और बिरा के सरम आती है." गुलाबी ने कहा.
"बेवकुफ़ लड़की!" सासुमाँ बोली, "ब्रा पहनेगी तो अपनी चूची कैसे दिखायेगी? और चड्डी पहनेगी तो अपने चूत के दर्शन कैसे करायेगी?"

"ठीक है मालकिन. अबसे नही पहनेंगे." गुलाबी ने कहा और अपनी चड्डी और ब्रा उतारकर पूरी नंगी हो गयी. फिर वह ससुरजी का बगल मे लेट गयी.

सासुमाँ ने भी उठकर अपने सारे कपड़े खोल लिये और फिर गुलाबी के नंगे जिस्म पर चढ़ गयी.

वीणा, तुम्हारी मामीजी को जवान लड़कियों को भोगने का बहुत शौक है. गुलाबी के नरम होठों पर अपने होठों को रखकर वह उसे चूमने लगी. अपनी जीभ गुलाबी के मुंह मे घुसाकर उसके जीभ से लड़ाने लगी. साथ ही अपने हाथों से वह गुलाबी के मांसल चूचियों को मसलने लगी.

गुलाबी ने मस्ती मे सासुमाँ को खुद से जकड़ लिया और अपने घुटनों को मोड़कर अपनी चूत सासुमाँ के मोटी बुर पर रगड़ने लगी.

सासुमाँ ने गुलाबी के होठों से मुंह हटाया और कहा, "गुलाबी, तेरे मुंह से शराब की बू क्यों आ रही है? तुने शराब पी रखी है?"
"हाँ, मालकिन." गुलाबी बोली, "थोड़ी सी पिये हैं. हमे बहुत मन करता है सराब पीने का. पी के बहुत मस्ती आती है."
"कहाँ मिली तुझे शराब?" सासुमाँ ने पूछा.
"मेरा मरद घर पर रखता हैं न एक बोतल."
"साली बेवड़ी!" सासुमाँ डांटकर बोली, "तो आजकल शराब पीकर घर का काम करती है?"
"दिन मे ज्यादा नही पीते, मालकिन." गुलाबी बोली, "बस रात को अपने मरद के साथ ज्यादा पीते हैं. फिर हम दोनो चुदाई करते हैं."

तुम्हारे मामाजी बोले, "गुलाबी, शराब बहुत बुरी आदत है. चुदाई के समय पीना ठीक है - शराब पीने से चुदाई का मज़ा दोगुन हो जाता है. पर हमेशा पीती रहेगी तो लत पड़ जायेगी और पीने का मज़ा भी नही आयेगा."
"जी, मालिक." गुलाबी मायूस होकर बोली.

सासुमाँ फिर गुलाबी के जवानी को भोगने लगी.

इधर मैं बहुत ही गरम हो चुकी थी. मैने ससुरजी को नंगा कर दिया और अपनी पेटीकोट उतार दी. फिर ससुरजी को अपने ऊपर खींचकर बोली, "हाय, बाबूजी! अब चोद डालिये मुझे! कितने दिन हो गये आपसे चुदवाये हुए!"
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10-08-2018, 01:16 PM,
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RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
ससुरजी मेरे नंगे जिस्म पर चढ़ गये और मेरे होठों का गहरे चुंबन लेने लगे.

मुझसे और रहा नही जा रहा था. उनका लन्ड अपने हाथ से पकड़कर मैने अपनी चूत के मुख पर रखा और अन्दर लेने के लिये अपनी कमर उचकाने लगी. ससुरजी ने थोड़ा सा दबाव दिया तो उनका लन्ड मेरी गरम और गीली चूत मे घुस गया.

मैं मज़े से गनगना उठी और अपनी कमर उचका उचका कर ससुरजी के लन्ड को अपनी चूत मे लेने लगी.

हमारी चुदाई शुरु हुई ही थी कि बाहर से किशन और अमोल की आवाज़ आने लगी. बैठक मे दाखिल होते ही अमोल मुझे पुकारने लगा, "दीदी! कहाँ है तु?"

मै झल्लाकर बोली, "उफ़्फ़! यह लड़का मुझे चैन से चुदवाने भी नही देगा!"

"किशन, देख तो दीदी अपने कमरे मे है क्या?" बाहर से अमोल की आवाज़ आयी.

"अरे यह इतनी जल्दी वापस क्यों आ गया?" ससुरजी मुझे पेलते हुए बोले, "किशन को तो मैने समझाकर भेजा था...के हम लोग यहाँ चुदाई करेंगे...वह दो-चार घंटे बाद ही लौटे."

"पता नही कहाँ गयी, दीदी!" अमोल कह रहा था, "गुलाबी भी नही दिख रही रसोई मे. सब लोग गये कहाँ?"

"बाबूजी, इसलिये आजकल मेरे चूत की प्यास नही बुझ रही है. मुआ वक्त-बेवक्त मुझे ढूंढता हुआ आ जाता है." मैने कहा.

मेरी मस्ती बिलकुल उतर गयी थी और पूरा मज़ा किरकिरा हो गया था.

"माँ, आप जल्दी से अमोल को तैयार करो ना! मुझसे अब सहन नही हो रहा है." मैने सासुमाँ को कहा.
"करती हूँ, बहु!" सासुमाँ हंसकर बोली, "जल्दी ही वह सब कुछ सीख जायेगा. फिर तुझे उससे छुपकर चुदवाना नही पड़ेगा."

"किशन, दीदी तुम्हारे माँ-पिताजी के कमरे मे तो नही है?" अमोल की आवाज़ आयी.
"अरे नही, अमोल भैया! वह वहाँ क्या करेगी!" किशन ने झट से जवाब दिया, "भाभी शायद खेत मे गयी होगी. तुम अपने कमरे मे जाओ. आते ही तुम्हारे पास भेज दूंगा."
"नही मैं बैठक मे बैठता हूँ." अमोल बोला, "मुझे दीदी से एक ज़रूरी बात करनी है."

सासुमाँ बोली, "बहु, तु कपड़े पहन और देख तेरा भाई क्या बात करना चाहता है. बाकी की चुदाई रात को बलराम से करवा लेना. गुलाबी, तु भी उठ और रसोई मे जा."

ससुरजी बहुत अनमने होकर मेरे ऊपर से उतरे. उनका मूसल जैसा लौड़ा मेरी चूत के रस से चमक रहा था.

मै उठी और अपने कपड़े पहनने लगी. गुलाबी ने भी उठकर अपनी घाघरा चोली पहन ली.

सासुमाँ उठने लगी तो ससुरजी ने उन्हे अपने पास खींच लिया और बोले, "अरे तुम कहाँ चल दी, भाग्यवान! तुम तो मेरी बीवी हो. तुम्हे चोदने से तो अमोल कुछ नही कहेगा!"

ससुरजी सासुमाँ के ऊपर चढ़ गये और अपना मोटा, चिकना लन्ड अपनी पत्नी की चूत मे पेल दिया और उन्हे चोदने लगे.

गुलाबी और मैने धीरे से कमरे का दरवाज़ा खोला और बाहर आकर जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया. मुझे देखते ही अमोल बोला, "अरे दीदी! तु अन्दर थी? मैं कब से पुकार रहा हूँ!"

गुलाबी भागकर रसोई मे चली गयी. 

अमोल मेरे पास आया और मुझे देखकर बोला, "दीदी, तेरा चेहरा कैसा तो लग रहा है...तेरी आंखें लाल क्यों हैं और तेरे बाल भी बिखरे हुए हैं. और तेरा सिंदूर..."

मैने उसे चुप रहने का इशारा किया और कहा, "धीरे बोल! बाबूजी की तबीयत ठीक नही है. मैं और गुलाबी उनके हाथ पाँव दबा रहे थे. तु इतनी जल्दी क्यों आ गया?"

अमोल मुझे आंगन मे ले गया और बोला, "दीदी, किशन और मैं तांगा लेकर हाज़िपुर जा रहे थे. पर पता है रास्ते मे कौन मिला?"
"कौन?"
"वह जो गंवार लड़की है ना, जिसे माँ ने पसंद की है? उसके माँ-बाप भी हाज़िपुर जा रहे थे." किशन बोला, "मुझे देखकर ऐसे करने लगे जैसे मैं अभी से उनका दामाद बन गया हूँ! मुझे बोले उनके साथ हाज़िपुर चलने को. मैं किसी तरह उनके चुंगल से बच निकला हूं. दीदी, मुझे इस लड़की से बचा!"

"बचा रही हूँ, भाई! तु इतनी फ़िक्र क्यों कर रहा है? आया है तो यहाँ कुछ दिन मौज मस्ती कर." मैने कहा, "मैं कुछ जुगत लगा रही हूँ."
"पर माँ तो मेरी अभी शादी करवाने पर तुली है!"
"माँ को तो एक सुन्दर सुशील बहु ही तो चाहिये ना." मैने कहा, "उसका मैं इंतज़ाम कर दूंगी."
"कौन है वो?"
"है कोई मेरी नज़र मे, पर बात अभी जमी नही है." मैने कहा, "तु एक काम कर. तेरे जीजाजी खेत मे गये हैं. तु किशन को लेकर वहाँ जा."

तभी गुलाबी रसोई से निकलकर आंगन मे आयी. उसे देखकर अमोल खिल उठा और बोला, "नही, मुझे खेत मे नही जाना. मैं घर पर ही ठीक हूँ."

मै उसे छोड़कर रसोई मे घुस गयी ताकि वह गुलाबी के साथ समय बिता सके.


दो दिन बाद फ़ुर्सत पाकर मैने गुलाबी को पकड़ा. "क्यों री, तेरा कुछ काम बना क्या?"
"का काम, भाभी?" गुलाबी ने पूछा.
"अरे मेरे भाई से अभी तक चुदवाई कि नही?"
"ऊ काम! नही, भाभी. कुछ नही हुआ अभी तक."

"क्यों? एक जवान लड़के को पटाने मे तेरे जैसी चुदैल को कितना समय लगता है?"
"हम का करें, भाभी!" गुलाबी बोली, "मालकिन जो जो बोली, हम ऊ सब किये. अमोल भैया को चाय-पानी देने के बहाने झुकते हैं और अपने नंगे जोबन का नजारा देते हैं. ऊ बहुत चाव से देखते हैं."
"और क्या किया तुने?"
"हम छत पर बैठकर दाल चुग रहे थे, तब अमोल भैया वहाँ आ गये." गुलाबी बोले, "हम अपना घाघरा ऊपर कर दिये और अपनी नंगी जांघ भी दिखाये."

"थोड़ा और ऊपर कर देती तो तेरी चूत भी दिख जाती." मैने कहा.
"हम ऊ भी किये, भाभी!" गुलाबी बोली, "हम उठने के लिये अपने घुटने मोड़ दिये जिससे हमरा घाघरा कमर तक आ गया, और हमरी चूत अमोल भैया के सामने पूरी नंगी हो गयी."
"फिर? उसने क्या किया?"
"ऊ हमरी चूत को देखकर हंसे और हमरा हाथ पकड़कर हमे उठाये." गुलाबी ने कहा, "जैसा मालकिन बोली थीं, हम वैसा ही किये. उठकर हम अमोल भैया से लिपट गये."
"फिर?"
"अमोल भैया हमको सीने से लगा लिये और हमरे चूतड़ों को दबा दिये." गुलाबी बोली.
"फिर क्या हुआ?"
"और कुछ नही हुआ, भाभी." गुलाबी उदास होकर बोली, "अमोल भैया को हम बहुत मौका दे रहे हैं, पर वह आगे नही बढ़ रहे हैं."

मैने कुछ सोचकर कहा, "अमोल शायद डर रहा है कहीं तुझे चोदकर मेरे परिवार मे कोई झमेला न हो जाये. लगता है कुछ और जुगत लगानी पड़ेगी."
"अब हम का करें, भाभी?’
"तु जो कर रही है करती रह." मैने कहा, "मैं सासुमाँ से बात करती हूँ."
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10-08-2018, 01:16 PM,
#74
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
अगले दिन नाश्ते के बाद तुम्हारे बलराम भैया और किशन दोनो खेत को चले गये.

गुलाबी, सासुमाँ, और मैं रसोई मे थे. मैने देखा अमोल घर के अन्दर बेचैन होकर घूम रहा था.
गुलाबी को कोहनी मारकर मैने कहा, "अमोल तुझे ढूंढ रहा है. जा थोड़ा मज़ा दे उसे."
"का फायदा?" गुलाबी सब्जियाँ काटती हुई बोली, "ऊ कुछ करते तो है नही. बेकार हमको चुदास चढ़ जाती है. फिर बहुत मुसकिल होती है."

"आज तेरी चुदास अच्छे से बुझेगी." सासुमाँ बोली, "तु खेत मे बलराम और किशन के पास जा. मैने बलराम को सब समझा दिया है. वह जो जो कहे तु करना. ठीक है?"

सासुमाँ की योजना मुझे मालूम नही थी, पर मुझे लगा आज कुछ बहुत रोचक होने वाला है.

मैने कहा, "माँ, मैं भी देखूंगी खेत मे क्या होता है!"
"बहु, तु वहाँ होगी तो तेरा भाई कुछ नही करेगा." सासुमाँ बोली, "अमोल तेरे से डरता है. इसलिये गुलाबी चूत खोलकर दे रही है तब भी नही मार रहा है."
"नही माँ, मुझे देखना है!" मैने ज़िद की.
"अच्छा, ठीक है." सासुमाँ बोली, "तु भी गुलाबी के साथ खेत मे चली जा. और वह जो झाड़ी है जहाँ रामु ने तेरा बलात्कार किया था, वहाँ कहीं छुप जाना. मैं थोड़ी देर मे अमोल को वहाँ किसी बहाने भेजुंगी. तब तक बलराम और किशन अपना काम शुरु कर चुके होंगे."
"ठीक है माँ!" मैने खुश होकर कहा.

गुलाबी और मैं घर से निकल रहे थे तो अमोल ने पूछा, "दीदी, तुम लोग कहाँ जा रहे हो?"
"गुलाबी तो खेत मे जा रही है. मैं तो गाँव मे एक सहेली से मिलने जा रही हूँ." मैने कहा.

गुलाबी और मैं घर से निकलकर खेतों की पगडंडी पर चलते हुए जल्दी ही अमोल की आंखों से ओझल हो गये.

करीब 10-15 मिनट बाद वह सुनसान जगह आयी जहाँ खेतों के एक तरफ़ ऊंचे पेड़ थे और बहुत सी झाड़ियां थी. इसी जगह पर रामु ने मुझे पहली बार जबरदस्ती चोदा था. वहाँ मुझे किशन और तुम्हारे बलराम भैया खड़े नज़र आये.

"मीना, मुझे पता था तुम तमाशा देखने ज़रूर आओगी!" मेरे वह बोले और उन्होने मुझे गले से लगा लिया.
"आप दोनो यहाँ घर की नौकरानी को लूटो और मैं न देखूं?" मैने उन्हे चूमकर कहा.

"बड़े भैया, हमको का करना है हम समझ नही रहे हैं." गुलाबी बोली.
"तुझे अपनी चूत मरानी है. यह तो तु खूब कर सकती है." किशन ने कहा और उसकी गांड को घाघरे के ऊपर से दबा दिया.
"ऊ तो हम भी जानते हैं!" गुलाबी बोली, "पर किसके साथ? और भाभी भी हमरे साथ चुदायेगी का?"

"नही, तेरी भाभी बस फ़िल्म देखने आयी है." मेरे वह बोले, "मीना, तुम झाड़ियों के उस तरफ़ जाकर छुप जाना. तुम्हे चाहे जितनी भी चढ़ जाये बाहर नही आना. अमोल ने तुम्हे देख लिया तो पूरी योजना पर पानी फिर जायेगा."
"मै आप लोगों की चुदाई देखकर चूत मे उंगली तो कर सकती हूँ?" मैने तुम्हारे भैया को छेड़कर कहा.
"हाँ कर लेना, पर जब झड़ो तो कोई आवाज़ नही करना." तुम्हारे भैया ने मेरे गालों की चुटकी लेकर जवाब दिया.

फिर मेरे वह किशन को बोले, "किशन तु गुलाबी को लेकर झाड़ी के पीछे जा और चुम्मा-चाटी शुरु कर. मुझे अमोल आता दिखायी दिया तो तुझे बता दूंगा."

किशन गुलाबी का हाथ पकड़कर झुरमुट के पीछे चला गया. गुलाबी खुशी खुशी उसके साथ चली गयी क्योंकि काफ़ी दिनो बाद उसे ऐसी मस्त चुदाई करने का मौका मिल रहा था.

अब मैने तुम्हारे भैया से पूछा, "क्यों जी, माँ ने क्या योजना बनाई है, मुझे भी तो बताईये!"
"मीना, गुलाबी तुम्हारे भाई को चोदने का खुला आमंत्रण दे रही है पर वह कदम आगे नही बढ़ा रहा. शायद किसी बात से डर रहा है." मेरे वह मुझे बाहों मे लेकर पुचकारते हुए बोले, "मै और किशन उसे दिखायेंगे कि गुलाबी एक बहुत ही बदचलन लड़की है, और दुजे हम लोग उतने शरीफ़ नही हैं जितने दिखते हैं."
"और आप यह कैसे करेंगे?"
"तुम बस देखती जाओ." मेरे वह बोले.

झाड़ी के पीछे गुलाबी के खिलखिला के हंसने की आवाज़ आ रही थी. मैं और मेरे वह कुछ देर अमोल का इंतज़ार करते रहे.

करीब 15 मिनट बाद फसलों के ऊपर से दूर उसका सर नज़र आया.

"मीना, जाओ झाड़ी के पीछे छुप जाओ." तुम्हारे भैया ने मुझे धक्का देकर कहा.

मैं झाड़ी के पीछे गयी जहाँ गुलाबी घाँस पर लेटी हुई थी. उसका घाघरा कमर तक चढ़ा हुआ था और किशन उसके बगल मे लेटकर उसकी नंगी चूत को सहला रहा था.

"अमोल आ रहा है!" मैने उन दोनो का कहा और एक ऐसी जगह छुप गयी जहाँ मुझे कोई देख न सके.

मेरी बात सुनकर अमोल ने गुलाबी की चोली को उतार दिया और उसके चूचियों को नंगा कर दिया. फिर उसके निप्पलों को मुंह मे लेकर चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत मे अपनी उंगली पेलने लगा. 

गुलाबी आज बहुत खुश लग रही थी. उसे बहुत चुदास चढ़ गयी थी और वह जोर जोर से मस्ती मे कराह रही थी.

5-10 मिनट बाद झाड़ी के पीछे तुम्हारे बलराम भैया की आवाज़ आयी, "अरे अमोल, तुम इधर कहाँ जा रहे हो?"
"जीजाजी, आपकी माँ ने मुझे यह दरांती देकर आपके पास भेजा है. बोली आप लेना भुल गये हैं." अमोल बोला.
"अरे हाँ. मैं वही लेने घर जा रहा था. चलो अच्छा हुआ तुम ही ले आये." मेरे वह बोले, "मैने किशन को कब का भेजा था दरांती लाने. न जाने कहाँ गायब हो गया!"

तभी किशन ने गुलाबी के एक निप्पल को थोड़ा सा काट दिया जिससे वह जोर से कराह उठी, "आह!!"

अमोल की आवाज़ आयी, "जीजाजी, यह किसकी आवाज़ है?"
"कैसी आवाज़?"
"अभी मैने सुनी." अमोल बोला, "एक लड़की की आवाज़ थी. उधर पेड़ों के पास से आयी. आपके गाँव मे भूत-प्रेत तो नही हैं?"
"नही, साले साहब. लड़की की आवाज़ थी तो लड़की ही होगी. कोई भूत-प्रेत नही." मेरे वह बोले.

किशन ने गुलाबी की चूत मे जोर से उंगली पेली तो गुलाबी, "आह!! आह!!!" कर उठी.

अमोल बोला, "जीजाजी, फिर वही आवाज़ आयी. सुना आपने?"
"हाँ, लगता है उधर झाड़ी के पीछे से आ रही है."
"आवाज़ जैसे जानी पहचानी सी है." अमोल ने कहा, "मुझे तो गुलाबी की आवाज़ लग रही है."

"क्यों अमोल, तुम आजकल गुलाबी पर बहुत मेहरबान हो!" मेरे वह बोले, "जंगल मे भी तुम्हे गुलाबी ही नज़र आ रही है?"
"ऐसी बात नही है, जीजाजी." अमोल बोला.
"अरे ऐसी बात है भी तो क्या बुराई है?" मेरे वह बोले, "गुलाबी थोड़ी छम्मक-छल्लो किस्म की लड़की है. गाँव मे बहुत से यार हैं उसके."
"पर वह तो रामु की जोरु है ना."
"अरे भाई, घर की नौकरानी सब की जोरु होती है." मेरे वह बोले, "तुम्हे पसंद है तो तुम भी मुंह मार लो. कोई कुछ नही कहेगा."
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10-08-2018, 01:17 PM,
#75
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
इधर गुलाबी और किशन को नाटक करने मे बहुत मज़ा आ रहा था. गुलाबी ने किशन के पैंट को खोलकर उतार दिया था. किशन ने कोई चड्डी नही पहनी थी और उसका 7 इंच का किशोर लन्ड तना हुआ था.

गुलाबी उसके ऊपर चढ़ गयी. अपने घाघरे को कमर तक उठाकर उसने अपनी चूत किशन के मुंह पर दबा दी. फिर उसके लन्ड को मुंह मे लेकर मज़े से चूसने लगी. उसकी नंगी चूचियां किशन के पेट पर दब रही थी. नीचे से किशन उसकी चूत को चाटने लगा तो गुलाबी जोर जोर से "उम्म!! उम्म!! उम्म!!" की आवाज़ करने लगी.

गुलाबी की आवाज़ को सुनकर अमोल बोला, "गुलाबी यह कैसी आवाज़ें निकाल रही है, जीजाजी?"
"साले साहब, इस मामले मे मेरा वर्षों का अनुभव कहता है वह किसी के साथ मुंह काला कर रही है." मेरे वह बोले, "पर यह उसके लिये कोई नई बात नही है."

"जीजाजी, रामु कुछ कहता नही है?" अमोल ने हैरान होकर पूछा.
"वह क्या कहेगा?" मेरे वह बोले, "उसकी जोरु गाँव भर मे सबसे मुंह काला करवाये फिरे तो वह कर भी क्या सकता है?"
"तो क्या वह गुलाबी को संतुष्ट नही कर पाता?" अमोल ने पूछा.
"ऐसी बात नही है." मेरे वह बोले, "रामु एक जवान पट्ठा है, पर गुलाबी जैसी छिनाल की प्यास कभी एक मर्द से नही बुझती. इसलिये रामु दुखी होने की बजाय गुलाबी के कुकर्मो को देखकर मज़े लेता है."
"जीजाजी, गुलाबी किसी और के साथ मुंह काला करे तो रामु को मज़ा कैसे आ सकता है?" अमोल ने और हैरान होकर पूछा.

मेरे वह हंसे और बोले, "अमोल, तुम ने कभी एक मर्द-औरत को चुदाई करते देखा है?"
अमोल थोड़ा हिचकिचा कर बोला, "फ़िल्म मे देखा है, जीजाजी."
"मज़ा आता है देखकर?"

अमोल कुछ नही बोला तो मेरे वह बोले, "अमोल, हम दोनो ही वयस्क ज़िम्मेदार मर्द हैं. दुनियादारी समझते हैं. यौन-सुख के विषय मे संकोच करने की अब तुम्हारी उम्र नही है."
"मज़ा आता है, जीजाजी." अमोल ने जवाब दिया.
"जब फ़िल्म देखकर इतना मज़ा आता है, तो सोचो अपनी आखों से एक औरत को एक मर्द से चुदवाते देखोगे तो कितना मज़ा आयेगा."
"बहुत मज़ा आयेगा, जीजाजी." अमोल उत्साहित होकर बोला.
"रामु को भी आता है." मेरे वह बोले, "खासकर जब अपनी पत्नी किसी और मर्द से चुदवाये तो देखकर बहुत ही उत्तेजना होती है."

अमोल चुप रहा तो मेरे वह बोले, "अमोल, तुम देखना चाहोगे एक मर्द-औरत की चुदाई?"
"जी, जीजाजी." अमोल ने कहा.
"तो फिर चलो, देखते हैं गुलाबी किससे चुदवा रही है." मेरे वह बोले.

तभी झाड़ी के पीछे से गुलाबी की मस्ती भरी आवाज़ आयी, "हाय किसन भैया! बहुत मस्त चाट रहे हैं आप! आह!! हम तो झड़ जायेंगे!"

सुनकर मेरे वह बोले, "अच्छा तो किशन यहाँ गुलाबी को लेकर जवानी का मज़ा लूट रहा है."

अमोल ने हैरान होकर कहा, "गुलाबी किशन से भी करवाती है?"
"हूं. बहुत दिनो से वह किशन से चुदवा रही है."
"आप अपने भाई को कुछ नही कहते?" अमोल ने पूछा.
"इसमे कहने का क्या है? जवान लड़का है. लड़की चूत देगी तो मारेगा ही." मेरे वह बोले, "ऊपर से मैं किस मुंह से उसे कुछ कहूं?"
"क्यों?"
"गुलाबी की यह हालत मैने ही तो बनायी है."

"आपने?" अमोल और हैरान हो गया.
"हाँ. गुलाबी पहले एक अच्छी भली पतिव्रता लड़की थी." मेरे वह बोले, "एक दिन मैने उसका बलात्कार किया और अपने लन्ड का ऐसा स्वाद चखाया कि अब वह अपनी चूत मे नये नये लन्ड न ले तो उसे चैन नही आता है."
"आपने उसका बलात्कार किया था?" अमोल ने हैरान होकर पूछा.
"साले साहब, अपने घर मे ऐसी कसक माल गांड मटकाते घूमती रहेगी तो कोई भी जवान मर्द उसका बलात्कार कर बैठेगा!" मेरे वह बोले.
"यह आप बिलकुल ठीक कहते हैं, जीजाजी!" अमोल ने सम्मती जतायी.
"लगता है इस मामले मे तुम्हे भी बहुत अनुभव है!" मेरे वह हंसकर बोले, "चलो देखते हैं गुलाबी क्या कर रही है."

अमोल और तुम्हारे भैया झाड़ी की ओट मे आये और झांक कर गुलाबी और किसन को देखने लगे. दोनो दबी आवाज़ मे बातें करने लगे, पर मैं ऐसी जगह पर छुपी थी कि मुझे उनकी बातें साफ़ सुनाई दे रही थी.

गुलाबी अब भी किशन पर चढ़ी हुई थी. उसका घाघरा कमर तक चढ़ा हुआ था और उसने अपनी चूत किशन के मुंह पर दबा रखी थी. किशन उसकी सफ़ा की हुई चूत को मज़े से चाट रहा था. गुलाबी भी किशन के लन्ड को मुंह मे लेकर मज़े से चूस रही थी और अपनी नंगी गांड को हिला हिलाकर अपनी चूत किशन के मुंह पर घिस रही थी. उसकी "उम्म!! उम्म!! ओह!! आह!!" की आवाज़ खेत के सन्नाटे मे गूंज रही थी.

उसे देखकर अमोल के मुंह से निकला, "हे भगवान!"

"कितना कामुक दृश्य है, है ना?" तुम्हारे भैया बोले.
"हाँ, जीजाजी." अमोल ने जवाब दिया, "बहुत ही अश्लील लग रहे हैं दोनो. और बहुत ही उत्तेजक!"
"देखकर तुम्हारा लन्ड ठनका कि नही?" मेरे वह बोले, "मेरा लन्ड तो पैंट फाड़कर बाहर आने को है."
"हाँ, जीजाजी." मेरा भाई बोला, "मेरी भी यही हालत है."
"तो अपना लन्ड बाहर निकाल लो, आराम मिलेगा."
"आपके सामने?"
"अरे संकोच छोड़ो, यार!" मेरे वह बोले, "संकोच से चुदाई का मज़ा खराब होता है. अपना लन्ड हाथ मे पकड़कर हिलाओ और गुलाबी की चुदाई का मज़ा लो. लो, मैं भी अपना निकाल लेता हूँ."

मुझे दिखाई तो नही दिया, पर शायद दोनो ने अपना अपना लन्ड पैंट से निकाल लिया और मुट्ठी मे लेकर हिलाने लगे. मुझे अपने भाई के लन्ड को देखने की बहुत उत्सुकता होने लगी.

उधर गुलाबी को बहुत ही चुदास चढ़ गयी थी. वह उठ बैठी और बोली, "किसन भैया, अब हमसे और रहा नही जा रहा! अब हमको चूत मे आपका लौड़ा लेना है."

फिर वह खड़ी हुई और उसने अपना घाघरा उतार दिया और पूरी तरह नंगी हो गयी. उसके पाँव मे पायल, हाथ मे कांच की चूड़ियाँ, गले मे मंगलसूत्र, और माथे पर सिंदूर था. बाहर खुले मे इस तरह नंगी खड़ी वह बहुत ही कामुक लग रही थी.

"जीजाजी, यह गुलाबी तो बहुत ही सुन्दर चीज़ है!" अमोल बोला, "उफ़्फ़, क्या क़यामत लग रही है नंगी होकर!"
"गुलाबी चोदने के लिये भी बहुत उमदा माल है, साले साहब!" मेरे वह बोले, "मेरा तो उसे चोदकर जी नही भरता. लगभग रोज़ ही उसे चोदता हूँ."

"जीजाजी!" अमोल चौंक कर बोला, "यह आप क्या कह रहे हैं? मेरी दीदी के रहते आप गुलाबी के साथ..."

"भाई, बुरा मत मानना," मेरे वह बोले, "तुम्हारी दीदी भी बहुत ही मस्त चीज़ है और चुदवाने की बहुत शौकीन है. मैं उसे बहुत प्यार करता हूँ. पर एक आदमी का मन एक औरत को चोदकर नही भरता. तुम शादी करोगे तो तुम भी समझोगे. पति-पत्नी जल्दी ही आपस की चुदाई से ऊब जाते हैं. फिर आदमी मौका मिलते ही दूसरी औरतों को चोदने लगता है. और औरत भी मौका मिलते ही दूसरे मर्दों से चुदवाने लगती है."
"पर मेरी दीदी..."
"अमोल, तुम्हारी दीदी भी कोई सती-सावित्री नही है." मेरे वह बोले, "वह मेरे पीछे क्या किये फिरती है मुझे पता है, पर मैं नज़र अंदाज़ करता हूँ. और वह भी मेरी ऐयाशियों को नज़र अंदाज़ करती है. यही है एक सुखी दामपत्य का राज़. मज़े लो और मज़े लेने दो."

"मतलब, दीदी को पता है आपके गुलाबी के साथ संबंध हैं?"
"पता भी है और उसने कई बार गुलाबी और मेरी चुदाई को देखा भी है." मेरे वह बोले, "तुम्हारी दीदी एक खुले विचारों को औरत है. आम औरतों की तरह लड़ाई-झगड़ा करने की बजाय वह इसका आनंद उठाती है."
"और आपने मेरी दीदी को भी देखा है..." अमोल ने कहा.
"कई बार देखा है. बहुत मज़ा आता है उसकी चुदाई देखकर." मेरे वह बोले.

सुनकर अमोल खामोश हो गया. मुझे लगा उसे मेरे बारे मे यह सब सुनकर सदमा लग गया है. 

"क्या हुआ, साले साहब?" मेरे वह बोले, "अपनी दीदी के बारे मे सुनकर सदमा लग गया क्या?"
"नही, जीजाजी...मेरा मतलब हाँ..."

"अमोल, तुम्हारी दीदी तुम्हारी बहन ही नही, एक औरत भी है. और एक बहुत ही चुदक्कड़ औरत है." मेरे वह बोले, "अपनी चूत और गांड मरा मराकर थकती नही है. तुम ने तो गौर किया ही होगा कितने सुन्दर, उठी उठी चूचियां हैं उसकी. और कैसे अपनी सुडौल गांड को मटका कर चलती है. जो भी मर्द देखता है उसका लन्ड खड़ा हो जाता है. तुम्हारा भी होता होगा."
"जीजाजी, वह तो मेरी बहन लगती है..."
"अरे छोड़ो यार, यह मत बोलो तुम ने कभी अपनी दीदी को गलत नज़रों से नही देखा है." मेरे वह बोले, "सब मर्द देखते हैं और अपनी बहन को चोदने की कल्पना करके अकेले मे मुठ मारते हैं."

अमोल भी शायद ऐसा ही करता था, इसलिये वह चुप रहा. मेरा भाई मेरी जवानी को ताकता रहता है और मुझे चोदने की कल्पना करता है सोचकर मैं रोमांच से भर उठी.

उधर किशन ने अपनी कमीज उतार दी थी और पूरा नंगा हो गया था. गुलाबी उसके पास बैठी और उसे अपने घाघरे पर लिटाकर उस पर चढ़ गयी. अपने पैरों को किशन के दोनो तरफ़ रखकर वह अपनी चूत किशन के खड़े लन्ड पर रगड़ने लगी. किशन के खड़े लन्ड का सुपाड़ा गुलाबी की गीली और चमकती चूत के फांक मे ऊपर-नीचे होने लगा.

किशन ने गुलाबी की लटकती मांसल चूचियों को अपनी मुट्ठी मे ले लिया और दबाने लगा और उसके नर्म होठों को पीने लगा. उसकी सांसों को सूंघकर बोला, "गुलाबी, तुने शराब पी रखी है?"
"बस थोड़ी सी पीये हैं, किसन भैया!" गुलाबी मचलकर बोल, "सराब पीये बिना हमको चुदाई का पूरा मज़ा नही आता."
"साली बेवड़ी!" किशन बोला और गुलाबी को चूमने लगा.

सुनकर मेरा भाई बोला, "जीजाजी! यह गुलाबी शराब भी पीती है?"
"यह पूछो कि यह क्या नही करती!" मेरे वह बोले, "इसे चरस-गांजा मिल जाये तो यह वह भी पीने लगेगी. बिलकुल ही बर्बाद हो गयी है."
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10-08-2018, 01:17 PM,
#76
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
उधर गुलाबी और किशन एक दूसरे से लिपटकर प्यार किये जा रहे थे.

"हाय, किसन भैया! कितना मजा आ रहा है इधर खेत मे आपके साथ चुदाई करने मे!" गुलाबी बोली, "हम अपने मरद से इस जगह पर बहुत चुदाये हैं. पर आपके साथ पहली बार है."

उसने किशन का लन्ड पकड़कर अपनी चूत के छेद पर रखा और अपनी गांड को नीचे करके पूरा लन्ड अपनी चूत मे ले लिया. किशन अपनी आंखें भींचकर गनगना उठा. उसके होठों को चूसते हुए गुलाबी अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने लगी और उसके लन्ड पर चुदने लगी.

"कैसा लग रहा है, साले साहब?" मेरे वह बोले.
"बहुत ही गरम, जीजाजी!" अमोल बोला.
"तुम्हारे लन्ड की हालत से लग रहा है अभी पानी निकल जायेगा."
"हाँ, जीजाजी. ऐसा नज़ारा मैने कभी नही देखा है." अमोल ने जवाब दिया, "यह तो ब्लू फ़िल्म से हज़ार गुना ज़्यादा मस्त है."
"तो फिर यहाँ खड़े-खड़े मुठ मारने की बजाय जाओ, जाकर गुलाबी को चोद लो."

"अभी? अभी तो किशन चोद रहा है उसे!" अमोल ने हैरान होकर कहा.
"तो क्या हुआ?" मेरे वह बोले, "गुलाबी क्या दो आदमियों को एक साथ सम्भाल नही सकती? वह बहुत ही मस्तानी लड़की है. चार-चार मर्दों से एक साथ चुदवाती है."
"मेरा मतलब मैने कभी ऐसा किया नही है."
"अमोल, बहुत मज़ा आता है सबके साथ मिलकर एक लड़की को चोदने मे. और औरत को भी मज़ा आता है एक साथ बहुत से लन्ड लेने मे."
"जीजाजी, किशन क्या सोचेगा?" अमोल ने कहा, "वह गुलाबी को यहाँ अकेले मे चोदने लाया है."

"यार, तुम भी कैसे फट्टु हो!" मेरे वह झल्लाकर बोले, "तुम नही जाते तो मैं ही जाता हूँ. मुझे तो इतनी चढ़ गयी है कि जी कर रहा है गुलाबी की गांड मे पूरा लौड़ा एक बार मे पेलकर उसकी गांड फाड़ दूं! तुम्हे मन करे तो तुम भी आ जाना. लड़की की सामुहिक चुदाई जैसा मज़ा तुम ने ज़िन्दगी मे नही लिया होगा."

मेरे पति देव झाड़ी की आड़ से निकले और गुलाबी और किशन के पास पहुंच गये.
मेरे उनको देखते ही किशन बोला, "भैया, आप यहाँ?"
गुलाबी तुम्हारे भैया के पैंट से बाहर लटकते लन्ड को देखकर मुसकुराई और बोली, "हाय बड़े भैया! अच्छा हुआ आप आ गये. अब बहुत मजा आयेगा दोनो से चुदवाने मे!"

"बच्चु, अकेले अकेले परायी स्त्री की जवानी को भोग रहा है!" मेरे वह अपने भाई को बोले और अपने कपड़े उतारने लगे.
"आप भी आइये ना, भैया. गुलाबी तो हम सबकी रखैल है." किशन ने कहा.

मेरे पति ने भी चड्डी या बनियान नही पहनी हुई थी. गुलाबी को चोदने की पूरी तैयारी कर के दोनो भाई खेत मे आये थे. अपनी शर्ट-पैंट उतारकर वह पूरे नंगे हो गये. उनका गठीला शरीर बहुत ही सुन्दर लग रहा था. उनकी कसी हुई मांसल गांड बहुत कामुक लग रही थी. वीणा, तुम्हारे बलराम भैया मेरे अपने पति हैं और मैने उन्हे बहुत भोगा है, पर उन्हे नंगा देखकर मेरी चूत मे आग लग गयी. मैने पहले ही अपनी ब्लाउज़ सामने से खोल ली थी और अपने चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबा रही थी. अब मैने अपनी ब्रा ऊपर कर दी और अपने निप्पलों को छेड़ने लगी.

मेरे वह गुलाबी के सामने खड़े हो गये तो गुलाबी ने उनके लन्ड को अपने मुंह मे ले लिया और मज़े लेकर चूसने लगी. वह गुलाबी के सर को पकड़कर उसके मुंह को चोदने लगे. नीचे से किशन भी अपना लन्ड उसकी चूत मे पेल रहा था. तीनो जल्दी ही चुदाई मे खो गये.

कुछ देर बाद मेरे वह बोले, "किशन तेरा हो गया तो मुझे गुलाबी पर चढ़ने दे."
"बड़े भैया, आप हमरी गांड मे अपना लन्ड डालिये ना!" गुलाबी बोली, "हमको फिर से चूत और गांड मे एक-एक लन्ड लेना है."
"तुझे दर्द तो नही होगा?"
"नही, बड़े भैया." गुलाबी किशन के लन्ड पर चुदती हुई बोली, "अब हम रोज अपने मरद से अपनी गांड मरा रहे हैं. अब हमे दर्द नही होता."

मेरे वह किशन के पैरों के बीच बैठे और उन्होने गुलाबी के चूतड़ों को अलग करके उसकी गांड की छेद पर खूब सारा थूक गिरया. फिर उस थूक मे अपने लन्ड के सुपाड़े को भिगोया.

गुलाबी के चूतड़ों को कसके पकड़कर उन्होने कमर से धीरे का धक्का दिया जिससे उनका मोटा सुपाड़ा गुलाबी की गांड को खोलकर अन्दर चला गया.

गुलाबी जोर से "आह!!" कर उठी.

"तुझे लगा तो नही?" तुम्हारे भैया मे पूछा.
"नही बड़े भैया." गुलाबी बोली, "बहुत मजा आया जब आपका लन्ड अन्दर घुसा."
"फिर तो तु गांड-चुदाई मे पूरी निपुण हो गयी है." मेरे वह बोले.

उन्होने गुलाबी के कमर को पकड़कर धीरे से अपना पूरा 8 इंच गुलाबी की गांड मे पेल दिया.

"हाय दईया!" गुलाबी मज़े मे बोल उठी, "कितना मजा है गांड मराने मे! ओह!!"

किशन भी अपने बड़े भाई के लन्ड को अपने लन्ड पर महसूस कर पा रहा था. वह भी मज़े मे "ऊंघ!!" कर उठा.

अपनी कमर उचका कर किशन गुलाबी को नीचे से चोदने लगा. मेरे वह भी गुलाबी की कमर पकड़कर उसकी गांड मे अपना लन्ड पेलने लगे.

इस दोहरे आक्रमण से गुलाबी और खुद को सम्भाल नही पायी. किशन के कंधों मे अपने नाखून गाड़कर वह "आह!! आह!! आह!!" करने लगी और झड़ने लगी.

पर किशन और तुम्हारे भैया ने उसे चोदना बंद नही किया. खेत के उस सन्नाटे मे, पेड़ों के नीचे नंगे होकर वह गुलाबी के पस्त शरीर के दोनो छेदों को पेलते रहे.

कुछ देर की चुदाई के बाद गुलाबी मे फिर जान आ गयी. वह फिर चुदासी होकर अपनी कमर हिला हिलाकर दो दो लन्ड अपनी चूत और गांड मे लेने लगी.

"हे ईश्वर!" अमोल के मुंह से निकला.

उसकी आवाज़ सुनकर तुम्हारे बलराम भैया ने झाड़ी की तरफ़ देखा और कहा, "साले साहब, अब तो आ जाओ मैदान मे! शरम वरम छोड़ो और खुलकर चुदाई का मज़ा लो!"

मैने देखा कि अमोल झाड़ी की आड़ से निकल आया और चुदाई के उस ढेर के पास पहुंचा.

"आओ अमोल भैया. कबसे देखे रहे हो हमारी चुदाई?" किशन ने गुलाबी की चूत मे अपना लन्ड पेलते हुए कहा.
"बस अभी कुछ देर से."
"कैसी लगी अपनी गुलाबो रानी?" किशन ने कहा, "भाभी के बाद इतनी बड़ी चुदैल पूरे गाँव मे नही है."

"किशन!" अमोल गुस्से से बोल उठा.

"अरे अमोल, तुम्हारे दीदी की ऐयाशियां किसी से छुपी नही है." मेरे वह बोले, "चलो कपड़े उतारो और तुम भी हमारे साथ मिलकर गुलाबी को चोदो. क्यों गुलाबी, तु चुदवायेगी अमोल से?"

गुलाबी खुश होकर बोली, "हम तो कबसे उनको अपनी चूत खोलकर दे रखे हैं. ऊ ही हमे अब तक चोदे नही हैं."
"तो फिर आओ अमोल भैया! अपने कपड़े उतार लो." किशन ने कहा.

अमोल ने कांपते हाथों से अपनी कमीज, पैंट, बनियान और चड्डी उतार दी और नंगा हो गया.

मै अपने भाई को पहली बार ऐसा मादरजात नंगा देख रही थी. गोरा-चिट्टा रंग था उसका. शरीर गठा हुआ, पूरा शरीर मांसल था और हिलने पर पेशियां उभर का आती थी. और उसके मजबूत जांघों के बीच उसका मोटा लन्ड ठनक कर खड़ा था. लंबई अच्छी ही थी, करीब 7 इंच की. पेलड़ भी आलू की तरह बड़ा था.

खैर, वीणा, तुम्हे क्या बताना. तुम ने तो अमोल को नंगा देखा ही है. हालांकि अमोल मेरा भाई है, उसे नंगा देखकर मैं एक दुराचारी हवस से पागल होने लगी.

क्योंकि गुलाबी की गांड और चूत दोनो लन्ड लेने मे व्यस्त थे, अमोल जाकर गुलाबी के मुंह के पास घुटने टेक कर बैठ गया. गुलाबी ने तुरंत उसके लन्ड को अपने मुंह मे ले लिये और मज़े लेकर चूसने लगी.

उफ़्फ़! क्या अश्लील दृश्य था, वीणा! मेरा देवर नीचे से घर की नौकरानी की चूत मे अपना लन्ड पेल रहा था. मेरे पति गुलाबी के कमर को पकड़कर उसकी गांड मे अपना मूसल पेल रहे थे. और मेरा भाई उसके नर्म होठों मे अपना लन्ड डालकर उसके मुंह को चोद रहा था. चारों पूरी तरह नंगे थे और खुली हवा मे चुदाई मे डूबे थे. मुझे जी कर रहा था कि काश मैं गुलाबी की जगह होती और वे तीनो लन्ड मेरे छेदों मे होते!

गुलाबी तीन तीन लन्डों का मज़ा पाकर स्वर्ग की सैर कर रही थी. वह इतने मज़े मे थी कि उसे खुद पर कोई काबू ही नही था. उसके मुंह से घुटी हुई "ऊं!! ऊं!! ऊं!! ऊं!!" की आवाज़ आ रही थी. उसका शरीर बीच-बीच मे थर्रा उठता था और वह अतिरेक आनंद से झड़ जा रही थी.

दोनो भाई ताल मिलाकर गुलाबी की चूत और गांड को पेल रहे थे. जब लन्ड अन्दर जाता तो चूत और गांड की दीवार के ऊपर से लन्ड से लन्ड रगड़ जाता.

किशन से यह और बर्दाश्त नही हुआ. उसने गुलाबी को जोर से पकड़ लिया और बोला, "गुलाबी, मैं झड़ रहा हूँ रे! आह!! ले अपनी चूत मे मेरा पानी! आह!! आह!! आह!! आह!!"
नीचे से जोर के धक्के देते हुए वह गुलाबी की चूत मे झड़ने लगा.

तुम्हारे भैया ने गुलाबी की गांड को पेलना जारी रखा.

किशन जब पूरा झड़ गया तो मेरे पति ने कहा, "चलो अमोल, अब तुम गुलाबी की चूत मारो."
बोलकर उन्होने गुलाबी की गांड से अपना लन्ड निकाल लिया और किशन को हटाकर गुलाबी के घाघरे पर लेट गये. किशन घाँस पर नंगा बैठकर उन्हे देखने लगा.

"गुलाबी, तु मेरे लन्ड पर बैठ और मेरे लन्ड तो अपनी गांड मे ले." तुम्हारे भैया बोले.
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10-08-2018, 01:17 PM,
#77
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
गुलाबी झड़ झड़कर पूरी पस्त हो चुकी थी. उसका सिंदूर फैल गया था और उसके बाल बिखर गये थे. बहुत थकी हुई लग रही थी वो.

फिर भी वह उठकर तुम्हारे भैया के पैरों की तरफ़ मुंह करके बैठी और उसने उनके लन्ड को पकड़कर अपनी गांड की छेद पर रखा. फिर थोड़ा दबाव डालकर पूरे लन्ड को पेलड़ तक अपनी गांड मे ले लिया.

फिर वह तुम्हारे भैया के चौड़े सीने पर पीठ के बल लेट गयी और तुम्हारे भैया ने उसे अपने सीने से चिपका लिया. अब उसकी गांड के अन्दर मेरे उनका लन्ड पेलड़ तक घुसा हुआ था और उसकी चूत ऊपर की तरफ़ थी. उसकी खुली हुई जांघें अमोल को खुला आमंत्रण दे रही थी. उसकी चूत से किशन का सफ़ेद वीर्य चू रहा था.

"साले साहब, पेल दो गुलाबी की चूत मे अपना लन्ड." मेरे वह बोले, "और मत तरसाओ बेचारी अबला नारी को."

अमोल गुलाबी के फ़ैले टांगों के बीच घुटने टेक कर बैठ गया और उसने अपना लौड़ा पकड़कर गुलाबी की चूत पर रखा. सुपाड़े से चूत के होठों को फैलाकर उसके कमर का एक धक्का दिया जिससे उसका लन्ड आधा गुलाबी की चूत मे घुस गया. दूसरे धक्के मे पूरा लन्ड अन्दर चला गया और वह गुलाबी के टांगों को पकड़कर उसे चोदने लगा.

गुलाबी की चूत मे किशन का वीर्य भरा था. अमोल के धक्कों से सफ़ेद वीर्य "फच! फच!" की आवाज़ के साथ बाहर निकलने लगा और रिस कर मेरे पति के पेलड़ पर गिरने लगा.

अमोल का पूरा लन्ड किशन के वीर्य से सन गया और बहुत चिकना हो गया. वह गुलाबी को जोर जोर से ठाप लगाने लगा.

उसके ठापों से मेरे पति का लन्ड भी गुलाबी की गांड मे आने-जाने लगा. वह गुलाबी के नंगे चूचियों को नीचे से दोनो हाथों से दबाने लगे. गुलाबी पस्त होकर दोनो मर्दों के बीच अपनी चूत और गांड खोले पड़ी रही. उसे मज़ा तो आ रहा था पर उसमे बस इतनी ही जान थी कि वह थकी आवाज़ मे "ऊं!! ऊं!! ऊं!!" कर सके.

अमोल बहुत मज़े लेकर गुलाबी की चुदी हुई चूत को चोद रहा था और मस्ती मे "आह!! ओह!! उफ़्फ़!!" कर रहा था.

सुनकर मेरे वह बोले, "क्यों अमोल, लड़की चोदने मे ऐसा मज़ा पहले कभी मिला है?"
"नही, जीजाजी!" अमोल ठाप लगता हुआ बोला, "चुदाई मे...इतना मज़ा मिल सकता है...मुझे पता ही नही था!"
"यह तो बस शुरुवात है, साले साहब!" मेरे वह गुलाबी की गांड को पेलते हुए बोले, "मेरे साथ रहोगे तो इतना मज़ा पाओगे जो तुम ने सपने मे भी नही सोचा होगा."

"सच, जीजाजी?" अमोल ने गुलाबी की चूत को पेलते हुए पूछा.
"एक से एक चूतों का स्वाद मिलेगा." मेरे वह बोले, "बिना किसी रोक-टोक के, खुले आम चुदाई मे डूबे रहोगे. जैसी चुदाई तुम ने सिर्फ़ ठरकी फ़िल्मों मे देखी है, वैसी चुदाई का खुद मज़ा उठा पाओगे."

"हाय, जीजाजी!" अमोल मस्त होकर बोला, "क्या यह हो सकता है? ऐसा मज़ा लेने के लिये...मै कुछ भी कर सकता हूँ!"
"ऐसा मज़ा लेने के लिये अपनी दीदी को चोद सकते हो?"
"हाय, यह क्या कह रहे हैं आप!" अमोल बोला. वह बहुत ही गरम हो गया था. गुलाबी को बेरहमी से ठोकता हुआ बोला, "मै कुछ भी...कर सकता हूँ! आह!! जीजाजी!! मेरा पानी निकलने वाला है!! आह!!"
"निकाल दो, गुलाबी की चूत मे." मेरे वह बोले.
"उसका पेट ठहर गया तो?"
"उसका पेट पहले ही ठहरा हुआ है, मेरे दोस्त." मेरे वह बोले, "तुम एक गर्भवती औरत को चोद रहे हो."

सुनकर अमोल अपना आपा खो बैठा. गुलाबी को पगालों की तरह पेलते हुए वह झड़ने लगा. लंबे लंबे ठाप लगाकर वह गुलाबी की चूत मे अपना पानी छोड़ने लगा. उसके धक्कों से गुलाबी का थका हुआ शरीर एक गुड़िया की तरह हिलने लगा.

झड़कर अमोल ने अपना लन्ड गुलाबी की चूत मे पूरा ठूंस दिया और उस पर थक कर लेट गया.

"अमोल, अब ज़रा मुझे भी अपना पेलड़ खाली करने दो." मेरे पति ने कहा.

मेरा भाई गुलाबी के ऊपर से उतर गया और किशन के पास नंगा बैठ गया. गुलाबी की चूत से उसका वीर्य बहकर निकलने लगा था.

तुम्हारे भैया ने गुलाबी को उठाया और उसकी गांड से अपना लन्ड निकला.

उसे घाघरे के ऊपर चित लिटाया तो वह थकी हुई आवाज़ मे बोली, "बड़े भैया! हम झड़ झड़ के थक गये हैं! अब हमे और मजा नही आ रहा है!"
"साली, तेरे थकने से क्या होता है?" मेरे वह गुलाबी के नंगे शरीर पर चढ़ते हुए बोले, "जब तक हर मर्द की प्यास नही बुझती तुझे चुदते रहना है, समझी!"

गुलाबी ने मजबूर होकर अपने पैर फैला दिये. तुम्हारे भैया ने अपना खड़ा लन्ड उसकी वीर्य से सनी हुई चूत पर रखा और एक धक्के मे पूरा लन्ड उसकी चिकनी चूत मे पेल दिया. अमोल का वीर्य लन्ड के चारों तरफ़ से बाहर निकलने लगा.

"पचक! पचक!" की आवाज़ के साथ मेरे वह गुलाबी की चूत मे अपना लन्ड पेलने लगे. गुलाबी कपड़े की गुड़िया की तरह पड़ी रही और धक्के खाती रही.

किशन और अमोल नंगे बैठकर गुलाबी की चुदाई देख रहे थे. मैं भी झाड़ी मे छुपी हुई अपने चूचियों को मसल रही थी. मैने अब तक अपने सारे कपड़े उतार दिये थे और पूरी नंगी हो चुकी थी. चुदास से मेरा अंग अंग अंगड़ाई ले रहा था. अपनी चूत मे उंगली पेल रही थी और अपने पति को घर की नौकरानी को चोदते हुए देख रही थी.

तुम्हारे भैया भी ज़्यादा देर नही रुके. गुलाबी के पस्त हो जाने से उन्हे उतना मज़ा नही आ रहा था. गुलाबी इतनी झड़ चुकी थी कि वह आंखें बंद किये पड़ी थी.

जोर जोर से "ओह!! ओह!! ओह!! ओह!!" करके वह झड़ने लगे. जिस वीर्य पर मेरा हक था उसे गुलाबी की चूत मे भरने लगे.

झड़ने के बाद कुछ देर तक वह गुलाबी के ऊपर पड़े रहे. फिर उठकर उन्होने उसकी चूत से अपना लन्ड निकाला.

गुलाबी घाघरे पर नंगी ही पड़ी रही. उसकी चूत से तीसरे मर्द का वीर्य रिस कर बहने लगा था.

तीनो मर्द उठकर अपने कपड़े पहनने लगे.

"अमोल, तुम्हे जब भी मन करे गुलाबी को पकड़कर चोद सकते हो." मेरे वह बोले, "तुम चाहो तो गुलाबी को रोज़ रात अपने कमरे मे लेकर सो सकते हो."
"रामु कुछ कहेगा तो नही?" अमोल ने पूछा.
"नही, बस शायद अपनी बीवी की चुदाई देखकर लन्ड हिलायेगा." मेरे वह हंसकर बोले. फिर उन्होने गुलाबी को कहा, "गुलाबी, तु आज से अमोल भैया के साथ सोयेगी, समझी?”
“ठीक है, बड़े भैया!” गुलाबी ने अपनी आंखें खोली और मुस्कुराकर बोली.

तीनो आदमी उठकर जाने लगे तो अमोल ने पूछा, "गुलाबी को नही लेना है? ऐसे ही नंगी पड़ी रहेगी क्या?"
"वह आ जायेगी थोड़ी देर मे. यहाँ कोई आता जाता नही है." किशन ने कहा.

तीनो घर की तरफ़ चल पड़े.
तब मैं झाड़ी मे से नंगी ही निकली और गुलाबी के पास गयी.

"ये गुलाबी!" मैने उसके पास बैठकर पुकारा.
"भाभी!" गुलाबी ने आंखें खोली और धीरे से पूछा, "आप सब देखीं का?"
"और क्या?" मैने उसकी चूचियों को दबाकर कहा, "तुने तो बहुत मज़ा लिया आज!"
"हम चुद चुदकर थक गये, भाभी." गुलाबी ने शिकायत की, "बड़े भैया फिर भी हमे नही छोड़े."
"तीन तीन मर्दों से चुदवायेगी तो ऐसा ही होगा." मैने कहा.

मेरी नज़र उसके वीर्य से सने चूत पर गयी. उसके सांवले चूत के होठों के बीच से सफ़ेद वीर्य बह रहा था.

मैं गुलाबी पर चढ़ गयी और अपनी चूत उसके मुंह पर रख दी.

"गुलाबी, ज़रा मेरी चूत चाट दे ना!" मैने कहा, "तुम लोगों की चुदाई देखकर मैं बहुत गरम हो गयी हूँ!"

गुलाबी मेरी चूत मे जीभ लगाकर चाटने लगी.

मैने भी अपना मुंह उसकी चूत पर रखा और उसकी चूत से बहते वीर्य को चाटकर खाने लगी. वीर्य का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगता है, और यहाँ तो गुलाबी की चूत पर तीन तीन मर्दों का वीर्य लगा था. उनमे से एक मेरा छोटा भाई था जिसका वीर्य भी मैं चाटकर खा रही थी. सोचकर ही मैं गनगना उठी और गुलाबी के मुंह पर अपनी चूत दबाकर झड़ने लगी.

"ऊंह!! ऊंह!! ऊंह!! ऊंह!!" गुलाबी के मुंह पर अपनी चुत को घिसते हुए मैं जोर जोर से कराहने लगी, और उसकी चूत से बहते वीर्य को चूस चूसकर खाने लगी.

"भाभी, आप तो अपने भाई की मलाई खा रही हैं!" गुलाबी मेरी चूत से मुंह हटाकर बोली, "सरम नही आ रही आपको?"

"चुप कर चुदैल!" मैं बोली, "मलाई मलाई होती है...चाहे भाई की हो...या बाप की....और इस वक्त चुदास से मेरा दिमाग....खराब हो गया है. आह!! उम्म!! गुलाबी चाट मेरी चूत को ठीक से!! वह तीनो तेरी तरह मुझे भी रंडी की तरह चोदते तो मुझे चैन आता!! ओफ़्फ़!! उफ़्फ़!!"

"भाभी, उन तीनो मे से एक आपका अपना भाई है!" गुलाबी मुझे छेड़कर बोली.
"आह!! गुलाबी...अभी अपनी चूत की शांति के लिये....मै कुछ भी कर सकती हूँ रे!! उम्म!!" मैं चिल्लाकर बोली, "अभी मैं अपने बाप से भी चुदवा सकती हूँ...भाई क्या चीज़ है! हाय!! साली, चाट ठीक से रे!! मैं झड़ रही हूँ!! आह!!"

गुलाबी प्यार से मेरी चूत को चाटती रही जब तक न मैं झड़कर ढीली पड़ गयी.

कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर से उठी और अपने पेटीकोट, साड़ी, ब्लाउज़ वगरह पहनने लगी. गुलाबी ने भी उठकर अपनी घाघरा चोली पहन ली.


गुलाबी और मैं झाड़ी के पीछे से निकले ही थे कि सामने मेरे पति और मेरा देवर नज़र आये.

"अरे, तुम लोग गये नही अभी तक?" मैने हैरान होकर पूछा.
"हम जा तो रहे थे, पर फिर सोचा देखते हैं तुम क्या करती हो!" मेरे पति ने शरारत से कहा. "मीना, बहुत मज़े लेकर खा रही थी अपने भाई का वीर्य?"
"चुप रहो जी!" मैने कहा, "तुम क्या जानो गुलाबी की चुदाई देखकर मेरी चुदास से क्या हालत हुई थी. मुझे गुलाबी की जगह अमोल मिल जाता तो शायद उसी से चुदवा बैठती."

"बहुत रंगीन मिजाज़ की हो तुम, मीना. " मेरे पति ने मुझे चूमकर कहा, "मुझे तुम्हारी यही बात अच्छी लगती है."
"बातें बनाना छोड़ो. अमोल कहाँ है?" मैने पूछा.

थोड़ी दूर की तरफ़ इशारा करके किशन बोला, "अमोल भैया उधर खड़े हैं."

मैने देखा अमोल कुछ दूर सर झुकाकर खड़ा था.

"हे भगवान!" मैं चिल्ला उठी, "अमोल ने मुझे देखा लिया क्या गुलाबी की चूत चाटते हुए?"

"भाभी, हमने तो उसे घर जाने को कहा था, पर वह जाते जाते वापस आ गया." किशन थोड़ा सकुचा के बोला, "भैया और मैं आप को देख रहे थे. उसने भी देख लिया."
"उसने मुझे नंगी देख लिया?"
"हाँ भाभी." किशन बोला.
"मैं गुलाबी की चूत से उसका वीर्य भी चाट चाट का खा रही थी..." मैने कहा.
"सब देख लिया उसने."
"और मैं जो बोल रही थी..."
"उसने सब सुन लिया." किशन ने कहा.

सुनकर मेरा दिल बैठ गया.

"हाय, अब मैं क्या करूं जी!" मैने तुम्हारे भैया को पकड़कर कहा, "मेरा भाई न जाने क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे! छी! मैं गुलाबी की चूत से उसका वीर्य चाट चाट का खा रही थी. छी! छी! छी!!"

"ओफ़्फ़ो, मीना! बस भी करो!" तुम्हारे भैया मुझे झकोरकर बोले, "मैने उसे पहले ही बता दिया था कि तुम बहुत बड़ी चुदक्कड़ हो. यहाँ वहाँ चुदवाती रहती हो. तुम्हे देखकर उसे कोई सदमा नही लगा है. बल्कि मुझे पूरा विश्वास है वह बहुत उत्तेजित हो गया है."
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10-08-2018, 01:17 PM,
#78
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
"हाय राम! और मैं मस्ती मे जाने क्या अनाप-शनाप बक रही थी! मैने कहा मैं उससे ही नही अपने पिताजी से चुदवा सकती हूँ!!" मैने कहा, "हाय, क्या सोच रहा होगा वह अपनी बहन के बारे मे! मुझे कितनी घिनौनी औरत समझ रहा होगा! एक कोठे की रंडी से भी गिरा हुआ समझ रहा होगा!"
"कुछ नही सोच रहा है वह, मीना. अमोल काफ़ी चोदू किसम का लड़का है. मौका मिले तो तुम्हे भी चोद देगा." मेरे वह बोले, "हमारी तो योजना ही है कि तुम एक दिन अपने भाई से चुदवाओगी. फिर इतनी परेशान क्यों हो रही हो? तुम्हे अमोल को वीणा के लिया तैयार करना है कि नही?"

मै चुप हो गई. हम चारों घर की तरफ़ चल पड़े.

अमोल कुछ दूर खड़ा था. मुझे देखकर वह सर झुकाकर खड़ा रहा. मैं भी उससे नज़रें नही मिला पा रही थी. हम दोनो ही कुछ नही बोले. अब बोलने को बचा भी क्या था! हम दोनो ने एक दूसरे को हवस की पूजा करते हुए देख लिया था. लाज शरम का पर्दा दोनो के आंखों से उठ चुका था.

हम सब साथ साथ खेतों मे से होते हुए घर की तरफ़ चलने लगे.

अमोल कनखियों से मेरी चूचियों को देख रहा था और पकड़े जाने पर नज़रें नीचे कर ले रहा था. वीणा, तभी मैं समझ गयी. यह लड़का अब अपनी प्यारी दीदी को फिर कभी इज़्ज़त की नज़रों से नही देख पायेगा. उसे मुझमे अपनी बहन नही एक चुदक्कड़ छिनाल दिखाई देगी. उसकी आंखों के सामने बस मेरा नंगा जवान जिस्म ही तैरेगा जो गुलाबी की चूत से उसके वीर्य को चाट का खा रही थी.

और मैं भी अब कभी उसे अपने भोले-भाले छोटे भाई की तरह नही देख पाऊंगी. मुझे उसमे एक कामुक और चोदू मर्द दिखाई देगा. मेरी आंखों के सामने उसका कमोत्तेजक बलिष्ठ नंगी गांड तैरेगी जिसे हिला हिलाकर वह गुलाबी को चोद रहा था. मेरी नज़र बार-बार उसके पैंट की तरफ़ जायेगी जिसमे उसका मोटा लन्ड छुपा होगा.

एक ही दिन मे हम दोनो के बीच भाई-बहन का रिश्ता हमेशा के लिये बर्बाद हो गया था. सोचकर मुझे दुख हुआ पर एक अजीब से रोमांच से मेरी चूत कुलबुलाने भी लगी.


उस रात से सब की मौन सहमति से अमोल गुलाबी को लेकर सोने लगा. रात के खाने का बाद गुलाबी एक शराब की बोतल लेकर उसके कमरे मे चली जाती थी. फिर शराब पीकर दोनो देर रात तक पति-पत्नी की तरह चुदाई करते थे. सुबह अमोल देर से उठने लगा जिससे हम सबको काफ़ी सुविधा हो गयी. तुम्हारी मामीजी फिर से अपने बड़े बेटे के साथ सोने लगी और उससे चुदवाने लगी. मैं कभी ससुरजी, तो कभी किशन, तो कभी रामु के बिस्तर मे सोती थी और उनसे चुदवाती थी. जब तक अमोल उठता था तब तक हम सब उठकर तैयार भी हो जाते थे.

अमोल और मेरे बीच बातचीत लगभग बंद ही हो चुकी थी. हम दोनो को एक दूसरे की सच्चाई मालूम थी पर संकोच के मारे हम दोनो ही एक दूसरे से नज़रें नही मिला पाते थे.

एक दिन सासुमाँ बोली, "बहु, तुम दोनो भाई-बहन के झिझक के चलते मेरी पूरी योजना धरी की धरी रह गयी है. और उधर वीणा बेचारी का पेट तो फुलने लगा होगा."
"पर मैं क्या करुं, माँ?" मैने लाचारी जताकर कहा.
"अमोल की झिझक दूर कर! उसे खुलने का मौका दे!" सासुमाँ बोली, "उसे जता कि हमारे घर मे नौकरानी को चोदना एक आम बात है."

सासुमाँ की हिदायत के मुताबिक सुबह मैं अमोल के कमरे मे चाय देने जाने लगी. किशन ने पहले ही उसके कमरे की छिटकनी खराब कर दी थी जिससे वह दरवाज़े को अन्दर से बंद ना कर सके.

अकसर अन्दर जाकर देखती थी अमोल और गुलाबी शराब पीकर, एक दूसरे से लिपटे नंग-धड़ंग पड़े है. अपने भाई के नंगे जिस्म और उसके मुर्झाये लन्ड को देखकर मेरी चूत मे पानी आने लगता था. जी करता था उसके लन्ड को मुंह मे लेकर चूसने लगूं. मुश्किल से खुद को रोक पाती थी.

मैं गुलाबी को हिलाकर जगाती थी, "गुलाबी! बेहया, उठकर कपड़े पहन! तुझे बोला था ना रात को इतनी शराब मत पिया कर? सब लोग उठ गये हैं और तु यहाँ चूत फैलाये पड़ी है!"

मेरी आवाज़ सुनकर अमोल उठकर जल्दी से अपने नंगेपन को चादर से ढक लेता था. मैं उसे यूं ही बोलती जैसे उसे नौकरानी के साथ नंगा सोते देखना कोई बड़ी बात नही है, "अमोल, चाय पीकर तैयार हो जा. सब लोग नाश्ता भी कर चुके हैं."

जल्दी ही अमोल की झिझक कम हो गयी और वह मुझसे यहाँ वहाँ की बातें भी करने लगा. पर बात करते समय उसकी नज़र हमेशा मेरी चूचियों पर ही टिकी रहती थी.

एक दिन मैं सुबह अमोल के कमरे मे चाय देने घुसी तो देखी वह सुबह-सुबह गुलाबी को चोद रहा था. गुलाबी बिस्तर पर पाँव फैलाये पड़ी थी और अमोल उस पर चढ़कर उसकी चूत मे अपना लन्ड पेल रहा था. उसका गोरा, मोटा लन्ड गुलाबी की सांवली चूत के अन्दर बाहर हो रहा था. यह अश्लील नज़ारा देखकर मैं चुदास से कांप उठी.

"अरे तुम दोनो सुबह-सुबह फिर शुरु हो गये! रात भर करके भी प्यास नही बुझी क्या?" मैने हंसकर कहा.

मेरी आवाज़ सुनकर अमोल झट से उछला और गुलाबी की चूत से अपना लन्ड निकलकर चादर के नीचे हो गया. उसका लन्ड चादर के अन्दर तंबू बनाये खड़ा रहा. मैने मुस्कुराकर उसके चादर मे ठुमकते लन्ड को देखा और चाय की कप को मेज पर रख दिया.

मैने कहा, "अमोल, तुम दोनो का हो जाये तो चाय पी लेना. मैं इधर मेज पर रख दी हूँ. और देर मत करना! गुलाबी को रसोई मे बहुत काम है."

अमोल मुझे हवस भरी नज़रों से देख रहा था. उसकी सांसें फूली हुई थी और आंखें वासना से लाल थी. मुझे लगा कहीं मुझे पटककर चोद ही न दे. हालांकि मैं पिछले रात रामु से खूब चुदी थी, अपने भाई के खड़े लन्ड को देखकर मेरी चूत फिर से पनिया गयी थी.

अमोल मेरी चूचियों पर आंखें गाड़कर बोला, "दीदी, तु रोज़ सुबह-सुबह चाय देने क्यों आ जाती है?"
"अरे नही आऊंगी तो तुम दोनो उठोगे क्या? सारा दिन बिस्तर मे लगे रहोगे." मैने कहा.

अमोल मुझे चुपचाप देखता रहा.

मुझे एक शरारत सूझी. मैने अचानक उसके शरीर के ऊपर से चादर खींच लिया और समेटने लगी. उसका नंगा जवान बदन खुलकर सामने आ गया. 

"दीदी! यह क्या कर रही है!" अमोल चिल्लाया और अपने पाँव मोड़ कर अपने खड़े लन्ड को छुपाने लगा.
"बिस्तर जंचा रही हूँ, और क्या?" मैने उसके खड़े लन्ड को देखते हुए कहा, "पुरा दिन घर ऐसे ही पड़ा रहेगा क्या? गुलाबी, उठ और कपड़े पहन!"

गुलाबी बेशर्मी से अमोल के नंगे बदन से लिपट गयी और उसके खड़े लन्ड को मुट्ठी मे लेकर बोली, "भाभी, अभी तो हमरी चुदास ही नही मिटी है!"
"तेरी बाकी की चुदास अमोल भैया रात को मिटा देंगे." मैने कहा, "छिनाल, कभी कभी अपने पति के साथ भी एक रात सो लिया कर!"
"अपने मरद से चुदाके हमको उतना मजा नही आता." गुलाबी बोली और अमोल ने एक निप्पलों को चूसने लगी और एक हाथ से उसके लन्ड को हिलाने लगी.

अमोल एक तरफ़ शरम से पानी-पानी हो रहा था और दूसरी तरफ़ अपनी दीदी के सामने ऐसा कामुक काम करके उत्तेजित भी हो रहा था.

"बस, बातें बहुत बना ली." मैने कहा, "अमोल, चाय ठंडी हो रही है, भाई! तुझे गुलाबी के साथ कुछ करना है तो कर ले. पर उसे जल्दी से छोड़ दे. उधर सासुमाँ पूछ रही है कि गुलाबी कहाँ है."

बोलकर अपने हैरान भाई को गुलाबी के साथ चुदाई करने की अनुमति देकर बाहर आ गयी.

अपने पीछे दरवाज़ा बंद करते ही मैं एक छेद से अन्दर देखने लगी. मेरे निकलते ही अमोल गुलाबी पर चढ़ गया और उसे जोर जोर से चोदने लगा था.

"का अमोल भैया, बहुत जोस मे आ गये आप?" गुलाबी उसका लन्ड अपनी चूत मे लेती हुई बोली, "अपनी दीदी को देखकर गरम हो गये का?"
"चुप कर लड़की!" अमोल बोला और जोरों का ठाप लगाने लगा.
"आप जैसे अपना लौड़ा खड़ा कर रखे थे, हम तो सोचे आप भाभी को पटककर चोद ही देंगे." गुलाबी हंसकर बोली.
"तुझे कहा ना चुप कर!" अमोल बोला और गुलाबी को चोदना जारी रखा.

दोनो 10-15 मिनट और चुदाई करते रहे. गुलाबी गरम होकर झड़ने के करीब आ चुकी थी और अमोल भी. अमोल गुलाबी के ऊपर लेटकर उसके होठों को चूसते हुए अपनी कमर चला रहा था. 

अचानक गुलाबी बदमाशी कर के बोली, "अमोल...चोद मुझे अच्छे से, भाई! आह!! अपनी दीदी को चोद चोदकर ठंडी कर! उम्म!! बहुत गरम हो गयी है तेरी दीदी! उफ़्फ़!!"

अमोल ने सुना पर उसने कोई प्रतिकिर्या नही की. चुपचाप गुलाबी को हुमच हुमचकर चोदता रहा.

10-15 ठापों के बाद वह अचानक जोर से कराह उठा और झड़ने लगा. गुलाबी के कंधे मे अपना सर छुपाकर बोला, "दीदी! मैं झड़ रहा हूँ, दीदी!"

गुलाबी भी झड़ रही थी. उसने जवाब दिया, "हाँ भाई...अपनी रंडी दीदी की चूत मे...अपना पानी भर दे...आह!! उस दिन मैने गुलाबी की चूत से....तेरी मलाई खायी थी ना...आज मुझे चोदकर मेरा गर्भ बना दे, भाई! ओह!! उम्म!! मैं झड़ रही हूँ, अमोल! तुने अपनी दीदी को चोदकर झड़ा दिया है रे! आह!!"

अमोल झड़कर चुपचाप गुलाबी के नंगे बदन पर थक कर पड़ा रहा.

गुलाबी और अमोल की बातों से मैं बहुत हैरान भी हुई और उत्तेजित भी. यानी मेरा भाई भी मुझे चोदने के लिये बेकरार है. सासुमाँ का काम तो समझो बन ही गया है.
मैने बाद मे तुम्हारे भैया को यह सब बताया तो वह बोले, "बहुत अच्छे! मीना, बस अब एक दो काम और बचे हैं. अमोल तुम्हे चोदना चाहता है. उसने तुम्हे गुलाबी की चूत चाटते हुए देखा है. पर किसी और मर्द से चुदवाते नही देखा है. तुम कल रामु से चुदवाना, तब मैं उसे लेकर आऊंगा. वह तुम्हे घर के नौकर से चुदवाते देखेगा तो तुम्हारे बारे मे उसका बचा कुचा भ्रम भी दूर हो जायेगा."
"हाय, मुझे तो बहुत शरम आयेगी जी!" मैने कहा.
"अरे तुम्हे बहुत मज़ा आयेगा अपने भाई को दिखाकर चुदवाने मे." मेरे वह बोले, "शरम आये तो थोड़ी शराब पी लेना."
"ठीक है. मुझे बाज़ार से एक बोतल ला के देना." मैने कहा, "और उसके बाद क्या होगा?"
"उसके बाद कुछ करने की ज़रूरत नही पड़नी चाहिये." तुम्हारे भैया बोले, "या तो अमोल खुद ही तुम्हे पकड़कर चोद देगा. या फिर तुम उसे पटाकर चुदवा लेना. फिर घर की सारी पोल उसके सामने खोल देंगे. माँ तो अमोल से चुदवाने के लिये पागल हो रही है."


अगले दिन मैं रसोई मे सासुमाँ और गुलाबी के साथ काम कर रही थी जब तुम्हारे बलराम भैया वहाँ एक शराब की बोतल लेकर आये.

"मीना, चलो अब तुम्हारा नाटक शुरु होना है." वह बोले.

"कैसा नाटक, बड़े भैया?" गुलाबी ने उत्सुक होकर पूछा.
"अभी अमोल के सामने तेरी भाभी चुदेगी." सासुमाँ बोली, "जा बहु, अच्छे से नज़ारा करा अपने भाई को अपनी चुदती हुई चूत का."

"हाँ, मीना!" मेरे वह शरारत से बोले, "जल्दी से पटाओ अमोल को. इधर माँ कबसे आस लगाये बैठी है उसका लन्ड लेने के लिये!"
"चुप कर, मादरचोद!" सासुमाँ डांटकर बोली.

सुनकर गुलाबी खिलखिला कर हंस दी.

मै उठी और अपनी साड़ी ठीक करने लगी. मेरे अन्दर उत्तेजना और बेचैनी उफ़ान लेने लगी थी. रात को मैं ससुरजी के साथ सोई थी, पर मेरी चूत तुरंत गीली हो गयी.

"मुझे क्या करना होगा?" मैने पूछा.
"तुम्हे पिताजी के कमरे मे जाकर उनसे चुदवाना है." मेरे वह बोले, "मै किशन और रामु को भी उधर भेजता हूँ. अमोल और मैं बाहर खड़े होकर खिड़की से देखेंगे."
"हाय, यह क्या कह रहे हो जी?" मैने चौंकर कहा, "कल तो तुम कह रहे थे सिर्फ़ रामु से चुदवाना है? आज तुम बाबूजी और किशन से भी चुदवाने को कह रहे हो!"
"तो क्या हुआ? तुम एक साथ तीनो को नही सम्भाल सकती क्या?" मेरे वह बोले, "गुलाबी से पूछो कितना मज़ा ली थी उस दिन तीन तीन लन्ड लेकर."

"अरे सम्भाल क्यों नही सकेगी?" सासुमाँ बोली, "बहु सोनपुर मे एक साथ छह छह लन्ड सम्भाल चुकी है. बहु, क्या चिंता है तुझे?"
"माँ, मेरा भाई मुझे अपने देवर और ससुर से चुदवाते देखेगा तो क्या सोचेगा?" मैने कहा, "हमारे परिवार के बारे मे क्या सोचेगा?"
"वही सोचेगा जो हम चाहते हैं, बहु! यही कि तु एक छटी हुई चुदैल है और हमारा एक बहुत ही चुदक्कड़ परिवार है." सासुमाँ बोली, "बहु, अब समय आ गया है सारे राज़ों पर से पर्दा उठाने का."

उत्तेजना से मेरा शरीर कांप रहा था पर मुझे बहुत डर भी लग रहा था.
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10-08-2018, 01:17 PM,
#79
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
मैने अपने पति की तरफ़ देखा. वह मुस्कुरा रहे थे पर उनकी आंखों मे वासना छलक रही थी. लुंगी के अन्दर उनका लन्ड ठनक कर खड़ा था.

मैं उनके सीने से लिपट गयी और बोली, "मुझे तो डर लग रहा है जी. और शरम भी आ रही है."

अपने हाथ का बोतल मेरे हाथ मे पकड़ाकर बोले, "इसलिये तो तुम्हारे लिया यह बोतल लाया हूँ. लो, दो चार घूंट गटागट गले से उतार लो. फिर ऐसी मस्ती और चुदास चढ़ेगी कि सब शरम वरम भुल जाओगी और गाँव के चौराहे पर जाकर चुदवाने लगोगी."

मैने कांपते हाथों से शराब की बोतल खोली और अपने मुंह मे लगाकर दो घूंट पी गयी. नीट रम पिघले आग की तरह मेरे गले से नीचे उतारा और मेरा दिमाग झनझना उठा. मैं कुछ देर आंखें बंद किये खड़ी रही.

"बहु, दो चार घूंट और पी. और जा अपने ससुरजी के कमरे मे. मैने उनको सब समझा दिया है." सासुमाँ बोली, "तीनो मर्दों के साथ जी भरके मज़े लूट. तेरे भाई को हम यहाँ सम्भाल लेंगे."

मैने हिम्मत करके और पांच-छह घूंट शराब के पी लिये. जल्दी ही मेरा सर घूमने लगा और पूरे बदन मे मस्ती छा गयी.

नशे में झूमते हुए मैं रसोई के बाहर जाने लगी तो मेरे वह बोले, "अरे मीना, यह बोतल तो छोड़ती जाओ!"
"क्यों जी?" मैने लड़खड़ाती आवाज़ मे कहा, "अभी मुझे घंटे भर चुदना है. यह पूरी बोतल मैं पीऊंगी और चुदवाऊंगी! तुम जाओ और मेरे भाई को लेकर आओ. मैं उसे दिखाऊंगी कि उसकी दीदी भी गुलाबी की तरह अपनी गांड, बुर, और मुंह एक साथ मरा सकती है! जाओ! लेकर आओ मेरे बहनचोद भाई को!"

मैं शराब की बोतल हाथ मे लिये, डगमगाते हुए तुम्हारे मामाजी के कमरे मे चली गयी.

तुम्हारे मामाजी अपने पलंग पर लेटे अखबार पड़ रहे थे. कमरे की खिड़की जो बगीचे पर खुलती थी, खुली हुई थी.

मुझे शराब की बोतल हाथ मे लटकाये, लड़खड़ाते हुए आते देखकर बोले, "अरे बहु, तुने सुबह-सुबह शराब पी ली है?"
"हाँ बाबूजी! मैने बहुत शराब पी है! आपके बेटे अपनी प्यारी पत्नी के लिये यह शराब की बोतल लाये हैं." मैने नशे मे मचलते हुए कहा, "गुलाबी घर की नौकरानी होकर रोज़ शराब पी सकती है तो मैं भी घर की बहु होकर सुबह-सुबह शराब पी सकती हूँ!"
"आ मेरे पास बैठ." ससुरजी बोले.
"आपके पास बैठने नही आयी हूँ, बाबूजी!" मैने कहा. बोतल खोलकर एक और घूंट पीकर मैं पलंग पर चढ़ गयी और उनसे लिपट गयी. "आपसे चुदवाने आयी हूँ! मुझे बहुत चुदास चढ़ी है! कल रात आपसे चुदवाकर मेरी प्यास नही बुझी थी!"

ससुरजी का लन्ड लुंगी मे तुरंत खड़ा हो गया. वह लुंगी मे हाथ डालकर अपने लन्ड को सहलाने लगे.

वह मुझे बोले, "बहु, तेरी तो अभी भरपूर जवानी है. तेरी प्यास भला एक मर्द से थोड़े ही बुझती है."
"तभी तो देवरजी और रामु भी आने वाले हैं!" मैने कहा, "मै आज तीन तीन लन्डों से चुदूंगी! गुलाबी घर की नौकरानी होकर तीन मर्दों से चुदवा सकती है, तो मैं भी घर की बहु होकर तीन तीन मर्दों से चुदवा सकती हूँ!"
"कहाँ है वह दोनो?"
"मादरचोद लोग आते ही होंगे!" मैने कहा, "बाबूजी, आप मेरी जवानी को लूटना शुरु कीजिये. मेरा भाई भी देखे कि उसकी रंडी दीदी कैसे अपने ही ससुर से चुदवाती है."

मैने शराब की बोतल मे मुंह लगयी और एक और घूंट ली तो तुम्हारे मामाजी ने मेरे हाथ से बोतल ले ली और कहा, "बस, बहु. बहुत पी ली है तुने. पी के टल्ली हो जायेगी तो चुदवाने का मज़ा कैसे आयेगा?"
"ठीक कहा आपने, बाबूजी! मैं और नही पीऊंगी!" मैने कहा, और दरवाज़े की तरफ़ चिल्लाकर अपने पति को बोली, "सुनो जी! यह हरामज़ादे लोग क्यों नही आ रहे हैं! यहाँ मेरी चूत लन्ड लेने के लिये पनिया रही है!"

तुम्हारे मामाजी ने हंसकर मुझे अपनी ओर खींच लिया और मेरे नरम, गुलाबी होठों को चूमकर बोले, "बहु, तु पीकर बहुत ही मस्त हो जाती है. वह लोग आते ही होंगे. तब तक मैं तेरी जवानी का मज़ा लेता हूँ."

मेरा आंचल तो पहले से ही गिर चुका था. उन्होने मेरी ब्लाउज़ के हुक खोल दिये तो मेरी सुडौल चूचियां छलक कर बाहर आ गयी.

"बहु, तुने तो ब्रा भी नही पहनी है!" ससुरजी बोले.
"आपको अपने जोबन जो पिलाने हैं!" मैने मचलकर कहा, "मैने तो चड्डी भी नही पहनी है. चुदवाने की पूरी तैयारी करके आयी हूँ, बाबूजी!"
"अच्छा किया तुने, बहु. अब से ब्रा मत पहना कर."
"बाबूजी, मेरा भाई एक बार पट जाये तो मैं तो साड़ी भी नही पहनुंगी." मैने कहा, "बल्कि मैं तो पूरे घर मे नंगी ही घूमूंगी! जहाँ जिसका लन्ड मिले अपनी चूत मे ले लुंगी. और अपने बहनचोद भाई को दिखाऊंगी!"

मेरी ब्लाउज़ उतरते ही मैं ससुरजी के ऊपर चढ़ गयी और उनके मुंह मे अपने निप्पलों को डालकर उन्हे अपनी चूची पिलाने लगी.

"आह!! बाबूजी, अच्छे से चुसिये अपनी पुत्र-वधु के मम्मों को!" मैं मस्ती मे बोली, "बहुत मज़ा आ रहा है! यह मेरा गांडु भाई कहाँ है? साला देख रहा है कि नही कि उसकी रंडी दीदी अपने ही ससुर को अपनी चूची पिला रही है?"
"बहु, अभी आ जायेगा अमोल." ससुरजी बोले, "तु ज़रा अपनी साड़ी-पेटीकोट उतारकर नंगी हो जा."

मै डगमगाते हुए उठी और अपनी साड़ी और पेटीकोट उतारने लगी. मुझे शराब का बहुत ही नशा चढ़ चुका था.

कमरे की खिड़की जो बगीचे मे खुलती थी खुली हुई थी. मैने उधर नज़र डाली तो पाया कोई छुपके अन्दर देख रहा है. मैं समझ गयी वह मेरा भाई ही होगा. मेरा भाई अपनी दीदी को अपने ससुर के कमरे मे नंगी देख रहा था. मैं इतने नशे मे न होती तो शायद घबरा जाती पर. पर उस वक्त मुझे हद से ज़्यादा चुदास चढ़ गयी थी.

उधर ससुरजी ने भी अपनी बनियान और लुंगी उतार दी थी और पूरे नंगे हो गये थे. उनका मस्त मोटा लन्ड तनकर लहरा रहा था. मैं नंगी होकर उन पर टूट पड़ी.

"बाबूजी!" मैं अपने भाई को सुनाकर जोर से बोली, "चोद डालिये अपनी बहु को! अब मुझसे रहा नही जा रहा!"

ससुरजी मेरे नंगे बदन पर चढ़ गये और मेरी बहुत ही गीली चूत मे अपने फूले हुए सुपाड़े को रखकर कमर का धक्का देने लगे. मैं भी अपनी जांघों को पूरी खोलकर उनका स्वागत कर रही थी. एक ही धक्के मे ससुरजी का लन्ड आराम से मे चूत मे घुस गया और उनका पेलड़ मेरी गांड पर लगने लगा. 

मैने जोर की आह भरी और अपनी कमर को उचकाने लगी. मेरी हालत को देखकर ससुरजी ने अपना लन्ड मेरी चूत से निकाला और फिर जोर के धक्के मे पूरा पेल दिया.

"आह!" मैने मस्ती मे कहा, "कितना मज़ा आ रहा है, बाबूजी! मुझे ऐसे ही जोर जोर के ठाप लगाइये. मेरी चूत का भोसड़ा बना दीजिये!"

ससुरजी मुझे पेलने लगे और मैं जोर जोर से मस्ती की आवाज़ें निकालने लगी.

मुझे पूरा यकीन था मेरा भाई ससुर-बहु के इस व्यभिचार को मज़े लेकर देख रहा है. उसका खयाल आते ही मैं गनगना उठी और ससुरजी को जकड़कर जोर से झड़ गयी.

ससुरजी अपनी हवस मिटाने के लिये मुझे चोदते रहे और मैं उनके नीचे पड़ी रही.

तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और रामु अन्दर आया.

मुझे ससुरजी से चुदते देखकर बोला, "साली कुतिया, सुबह-सुबह अपना मुंह काला करवाने लग गयी? वह भी अपने ससुर से?"
"क्या करूं, रामु? तुम तो जानते हो मैं कितनी चुदैल औरत हूँ!" मैने कहा. मेरा शरीर ससुरजी के धक्कों से हिल रहा था.
"तभी तो हम तेरी चूत फाड़ने आये हैं." रामु बोला और अपनी पैंट उतारने लगा.

उसने चड्डी नही पहनी हुई थी. पैंट उतारते ही उसका काला लन्ड उछलकर बाहर आ गया. "ले रांड! थोड़ा चूस दे हमरे लौड़े को!" उसने हुकुम दिया.

रामु पलंग पर चढ़कर मेरे पास आया तो मैने उसका गरम लन्ड अपने हाथ मे पकड़ा और पूछा, "रामु, मेरा भाई बाहर से देख रहा है, क्या?"
"हाँ, देख रहा है ना." रामु ने अपना लन्ड मेरे मुंह मे ठूंसते हुए कहा, "तेरा बहिनचोद भाई बाहर छुपकर तेरी चूत-मरायी देख रहा है और अपना लौड़ा हिला रहा है. बड़े भैया खुदे भेजे हैं उसे देखने के लिये."

मै मज़े से रामु का लन्ड चूसने लगी और उधर ससुरजी भी मेरी चूत को मारे जा रहे थे. जल्दी ही मैं फिर गरम हो गयी.
तभी कमरे का दरवाज़ा फिर खुला और अब की बार किशन अन्दर आया.

उसे देखकर रामु बोला, "आओ, किसन भैया. मालिक और हम मिलकर तुम्हारी चुदैल भाभी की जवानी की प्यास को बुझा रहे हैं. बहुत छटी हुई रंडी है तुम्हारी भाभी. तुम भी नंगे होकर आ जाओ पलंग पर और लूटो हरामन की जवानी को!"

किशन का लन्ड पहले से ही उसके पजामे को फाड़कर बाहर आ रहा था. अपनी भाभी को बाप से चूत मराते हुए और नौकर का लन्ड चूसते हुए देखकर वह बहुत खुश हो गया. जल्दी से उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये और नंगा होकर पलंग पर चढ़ गया.

मेरे दूसरे तरफ़ आकर उसने भी अपना खड़ा लन्ड मेरे हाथ मे दे दिया. मैने रामु का लन्ड अपने मुह से निकाला और किशन का लन्ड चूसने लगी.

बारी बारी से मैं दोनो मर्दों से अपना मुंह चुदवाने लगी. दोनो के मोटे और लंबे लन्ड का सुपाड़ा जा जाकर मेरी हलक मे लग रहा था.

ससुरजी तो मेरी टांगों को पकड़कर एक मन से मुझे चोदे जा रहे थे. उनका मोटा लन्ड मेरी चूत मे घुसता तो जैसे मैं अन्दर से भर जाती और लन्ड बाहर निकल जाता तो जैसे खाली हो जाती. हर धक्के के साथ मेरी नंगी चूचियां नाच उठती थी.

"रामु, आ जा. अब तु चोद ले बहु की चूत को." कुछ देर बाद ससुरजी ने मेरी चूत से अपना मूसल निकाला और कहा.
"मालिक, हम तो इसकी की गांड ही मारेंगे." रामु बोला, "अपनी गांड बहुत हिला हिलाकर चलती है साली."
"ठीक है तु गांड ही मार ले." ससुरजी बोले, "किशन, तो फिर तु ही अपनी भाभी की चूत को मार."

"पर पिताजी, आप?" किशन ने पूछा. घर की बहु की चूत पर बड़ों का पहला हक होता है ना!
"मै तो बहुत गरम हो गया हूँ, बेटा! और चोदुंगा तो मेरा पानी निकल जायेगा." ससुरजी बोले और बगल मे बैठ गये.

किशन और रामु ने मेरे मुंह से अपने लन्ड निकाल लिये.

"किसन भैया, आप इसकी चूत नीचे से मारिये." रामु बोला, "हम जरा ऊपर से इसकी गांड को अच्छे से मारते हैं."

किशन पलंग पर नंगा लेट गया. उसका 7 इंच का लन्ड, मेरी थूक से तर, छत की तरफ़ उठकर हिल रहा था.

"ए बाप की रखैल!" रामु मेरी एक चूची को जोर से भींचकर बोला, "अईसे चूत फैलाये काहे पड़ी है? देखती नही किसन भैया लन्ड खड़ा करके प्रतीक्सा कर रहे हैं? चल उठ और अपनी भोसड़ी मे उनके लन्ड को ले!"

मैं रामु के आज्ञानुसार उठी और अपने देवर के नंगे बदन पर चढ़ गयी. उसके कमर के दोनो तरफ़ अपने घुटने रखकर मैने अपनी चूत उसके खड़े लन्ड पर रख दी.
रामु ने किशन के लन्ड को पकड़कर मेरी चूत के फांक मे रखा और बोला, "साली, गांड का धक्का लगा और ले ले अपनी चूत मे लन्ड को."

मैने किशन के लन्ड पर दबाव डाला तो उसका लन्ड पेलड़ तक मेरी चूत मे घुस गया.

मै बहुत जोश मे आ गयी थी. किशन के होठों को पीते हुए मैं अपनी कमर जोर जोर से हिलाने लगी और उसके लन्ड पर चुदने लगी.

"कुतिया, अपनी गांड इतनी काहे हिला रही है?" रामु चिल्लाया, "हम अपना लौड़ा कैसे डालेंगे?"

मैने अपनी कमर हिलानी बंद की तो रामु किशन के दो पैरों के बीच बैठ गया. मेरे चूतड़ों को अलग करके उसने अपने लन्ड का मोटा, काला सुपाड़ा मेरी गांड के छेद पर रखा. उसका लन्ड पहले से ही मेरी थूक से तर था. मेरी कमर को जोर से पकड़कर वह सुपाड़े को मेरी गांड के छेद मे दबाने लगा.

"रामु, आराम से घुसाना नही तो लगेगा!" मैने कहा.
"चुप कर, छिनाल!" रामु ने मुझे डांटकर कहा, "गांड मरायेगी तो लगेगा ही. ज्यादा नखरे करेगी तो तेरी गांड मार मारकर फाड़ देंगे!"

उसकी इन बदतमीज़ी भरी बातों से मेरी चुदास और भी बढ़ गयी. न जाने मेरा भाई मेरे बारे मे क्या सोच रहा होगा! उसकी दीदी सिर्फ़ अपने ससुर, देवर, और नौकर से चुदवाती ही नही है. घर का नौकर उसे एक रंडी की तरह बेइज़्ज़त कर कर के चोदता भी है.
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10-08-2018, 01:17 PM,
#80
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
रामु का लन्ड मेरी गांड मे पेलड़ तक घुस गया. हालांकि मैं गांड बहुत मरवा चुकी थी, पर रामु का लन्ड औरों की अपेक्षा मोटा है. मेरे गांड की स्नायु पूरी फैल गयी और मेरी गांड उसके लन्ड से पूरी भर गयी.

मेरी चूत मे मेरे देवर का लन्ड भी पेलड़ तक घुसा हुआ था. मेरा शरीर एक सुखद अनुभुति से सिहरने लगा. मेरे गांड और चूत के स्नायु दोनो लौड़ों को जकड़ने लगे.

"आह!! रामु, अब मेरी गांड को अच्छे से मारो!" मैने कराहकर कहा, "देवरजी, तुम भी मेरी चूत को अच्छे से मारो!"

किशन नीचे से अपनी कमर उचकाने लगा जिससे उसका लन्ड मेरी चूत मे आने-जाने लगा. रामु ने अपना लन्ड खींचकर सुपाड़े तक निकाल लिया, फिर धक्का लगाकर अन्दर तक पेल दिया. दोनो मिलकर मेरी चूत और गांड का कचूमर बनाने लगे.

5-7 मिनट की लगातार ठुकाई के बाद मैं और खुद को सम्भाल नही पायी. एक तो शराब का नशा. ऊपर से मेरी चूत और गांड मे दो दो मोटे लन्ड! मैं अपने आपे से बाहर हो गयी. मैं जोर जोर से मस्ती मे कराहने लगी और बिस्तर के चादर को मुट्ठी मे लेकर नोचने लगी.

"ऊह!! रामु! कितना मज़ा आ रहा है...तुम्हारा काला लन्ड...गांड मे लेने मे!! आह!! आह!! देवरजी! और जोर से पेलो! उम्म!! और जोर से! रामु! आह!! फाड़ दो मेरी गांड! आह!! मैं बस झड़ने वाली हूँ! ओह!!"

रामु जोर जोर से मेरी गांड को पेलने लगा. "ले साली कुतिया! गांड मराने का...बहुत शौक है न तुझे! ले मेरा लन्ड गांड मे...ले और जी भर के झड़!" रामु बोला.

मेरी चूत और गांड मे एक साथ दो दो लन्डों की पेलाई से मुझे इतना तीव्र सुख मिलने लगा कि मैं जोर से झड़ गयी. जोर जोर से आह!! आह!! आह!! आह!! करके मैं अपना पानी छोड़ने लगी.

"अरे किसन भैया!" रामु बोला, "ई साली तो झड़ गयी! ठहर, साली! हम भी तेरी गांड भरते हैं अपनी मलाई से!"

मैं इधर झड़ रही थी और उधर रामु जोर जोर से मेरी गांड मारते हुए झड़ने लगा. वह मेरी पीठ पर लेट गया था और ऊंघ!! ऊंघ!! करके मेरी गांड की गहराइयों मे अपना वीर्य भरने लगा.

रामु झड़ गया तो तुम्हारे मामाजी बोले, "रामु, तु उतर. अब मैं थोड़ी बहु की चूत मारुं."

आज्ञाकारी सेवक की तरह रामु मेरी पीठ पर से उठ गया और मेरी गांड से अपना चिपचिपा लन्ड निकाल लिया. मेरी गांड से उसका वीर्य रिसने लगा.

मेरा देवर अब भी मुझे नीचे से चोदे जा रहा था.

ससुरजी उसके पाँव के बीच बैठे तो मैने सोचा अब वह मेरी गांड मे अपना लन्ड डालेंगे. पर वह अपने लन्ड का सुपाड़ा मेरी चूत पर दबाने लगे.

"बाबूजी, यह आप क्या कर रहे है?" मैने हैरान होकर पूछा.
"तेरी चूत मे अपना लन्ड घुसा रहा हूँ, बहु!"
"पर बाबूजी, मेरी चूत मे तो पहले से ही देवरजी का लन्ड है!"

"अरे तु रुक ना!" ससुरजी ने कहा. वह अपना लन्ड पकड़कर मेरी चूत मे घुसाने की कोशिश कर रहे थे. "चूत मे दो दो लन्ड लेगी तो बहुत मज़ा आयेगा. तु पहले कभी ली नही ना, इसलिये डर रही है. बलराम और मैने तेरी सास की चूत मे एक साथ अपना लन्ड डाला था. वह भी बहुत मज़ा ली थी."
"पर बाबूजी, सासुमाँ की चूत तो पूरी भोसड़ी है. मेरी चूत तो फट जायेगी!"
"चूत मराकर कभी कोई चूत फटी नही है, बहु! चाहे लन्ड एक हो कि पांच. बस...प्यार से...डालना चाहिये..." ससुरजी मेरी चुत पर अपने मोटे सुपाड़े को दबाकर बोले.

मै किशन के लन्ड को चूत मे लिये उसके नंगे सीने पर पड़ी रही. अपनी मुट्ठी मे मैने बिस्तर के चादर को जोर से पकड़ रखा था.

थोड़ी कोशिश के बाद ससुरजी के लन्ड का सुपाड़ा मेरी चूत मे घुस गया. मेरे कमर को पकड़कर उन्होने अपने कमर से जोर लगाया तो उनका लन्ड भी मेरी चूत मे पूरा घुस गया. अब बाप-बेटे दोनो के लन्ड साथ साथ मेरी चूत मे घुसे हुए थे.

वीणा, मुझे लग रहा था जैसे मेरी चूत चौड़ी होकर इंडिया गेट बन गयी है! मैने पहले कभी अपनी चूत को इतना भरा हुआ महसूस नही किया था.

अब बाप और बेटा मेरी चूत को मिलकर चोदने लगे. कभी कभी ताल मे उन दोनो का लन्ड एक साथ मेरी चूत मे घुसता और निकलता. और कभी एक घुसता तो दूसरा निकलता. अपनी इस मजबूर हालत में मुझे इतना मज़ा आने लगा कि मैं फिर से गरम हो गयी.

उन दोनो के लन्ड मेरी चूत के अन्दर एक दूसरे से घिस रहे थे और उन्हे बहुत आनंद आ रहा था. किशन ने ऐसा मज़ा पहले कभी नही लिया था. वह मस्ती मे कराहने लगा और झड़ने लगा.

ससुरजी भी और एक मिनट ही पेल सके. वह भी मेरी चूत मे अपना वीर्य छोड़ने लगे. दोनो बाप और बेटे एक साथ अपने वीर्य से मेरी चूत की सिंचाई करने लगे.

मेरी चूत इतनी चौड़ी हो गयी थी कि लन्डों की पेलाई से "फचक! फचक!" आवाज़ हो रही थी और हर धक्के के साथ बहुत सारा वीर्य बाहर निकल रहा था.

पूरे झड़ जाने के बाद ससुरजी मेरी पीठ पर लेट गये. उनका लन्ड मेरी चूत मे घुसा ही रहा. मैं अपने ससुर और देवर के बीच पिचक कर पड़ी रही. मेरी प्यास अभी बुझी नही थी, पर यह दोनो तो खलास हो गये थे.

उधर रामु जो अब तक मेरी चुत की दोहरी चुदाई देख रहा था, खिड़की के पास गया और बाहर देखने लगा.

फिर पलंग के पास आकर बोला, "मालिक, जरा उठकर देखिये अमोल भैया का कर रहे हैं!"
"क्या कर रहा है अमोल?" मैने उत्सुक होकर पूछा, "अपनी दीदी की सामुहिक चुदाई देख रहा है कि नही?"
"नही, भाभी. खिड़की के पास आइये तो दिखायें!" रामु ने कहा.

ससुरजी मेरी पीठ पर से उठ गये और उन्होने मेरी चुत से (जिसे अब भोसड़ी कहना ज्यादा ठीक होगा) अपना लन्ड निकाल लिया. मैं जल्दी से किशन के ऊपर से उठ गयी और नंगी ही खिड़की के पास चली गयी. मेरी चूत से मेरे ससुर और देवर का भरपूर वीर्य निकलकर मेरी जांघों पर बहने लगा.

मेरा नशा थोड़ा उतर गया था. इसलिये मेज़ के ऊपर से मैने शराब की बोतल भी उठा ली और जल्दी से दो घूंट गले से उतार ली.

कमरे की खिड़की बगीचे मे खुलती थी. यहीं खड़े होकर अमोल ने मेरी चुदाई देखी थी. पर अब वह वहाँ नही था.

खिड़की से थोड़ा हट के बगीचे मे एक नींबू का पेड़ है. वहाँ घाँस पर सासुमाँ लेट हुई थी. वह ऊपर से नंगी थी और उनकी साड़ी और पेटीकोट कमर तक चढ़ा हुआ था. अमोल उनके ऊपर चढ़ा हुआ था. वह पूरा नंगा था और हुमच हुमचकर सासुमाँ को चोद रहा था. उसका गोरा गोरा लन्ड सासुमाँ को मोटी बुर के अन्दर बाहर हो रहा था. वह सासुमाँ की विशाल चूचियों को मसल रहा था और सासुमाँ उसके जवान होठों को मज़े से पी रही थी. दोनो चुदाई मे इतने डूबे हुए थे कि उन्हे खबर ही नही थी कि हम उन्हे देख रहे हैं.

तभी पीछे से कमरे का दरवाज़ा खुला और मेरे पतिदेव अन्दर आये. आते ही उन्होने देखा हम चारों नंगे होकर खिड़की के बाहर झांक रहे हैं.

उन्हे देखते ही मैं मुस्कुरा दी.
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