मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:12 PM,
#51
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
"बेशरम! तुने देखा मैं नंगा सो रहा हूँ फिर भी झाड़ू लगाने लग गयी?" ससुरजी बोले, "शरीफ़ औरत की तरह बाहर क्यों नही चली गयी?"
"का करें, मालिक! बहुत काम है ना आज! मालकिन बोली बहुत देर हो गयी है. सब काम जल्दी खतम करो." गुलाबी ने सफ़ाई दी.
"बेहया औरत!" ससुरजी गुस्से से बोले, "तेरी नीयत पर मुझे पहले से ही शक था."
"ई का कह रहे हैं, मालिक?" गुलाबी ने पूछा, "हम तो कुछ किये ही नही!"
"तुने कुछ नही किया तो यह इतना खड़ा कैसे हुआ?"
"मालिक," गुलाबी सकुचाते हुए बोली, "ई तो होता है...मरद लोगन के साथ...मेरे मरद को भी सुबह-सुबह होता है!"
"लड़की, तु मुझे बेवकूफ़ समझी है, क्या?" ससुरजी तेवर दिखाकर बोले, "तेरे मरद का खड़ा होने के साथ साथ ऊपर से नीचे तक गीला भी हो जाता है क्या?"

गुलाबी अपनी सुन्दर, काली काली आंखें नीची करके खड़ी रही. ससुरजी ने चादर के अन्दर अपना हाथ डाला और गुलाबी को देखते हुए अपने लौड़े को धीरे धीरे सहलाने लगे.

"गुलाबी, जब मैं सो रहा था तु आखिर कर क्या रही थी?" ससुरजी ने पूछा.
"मालिक, हम थोड़ा हाथ लगाये थे." गुलाबी ने कहा.
"बस हाथ ही लगाया था?"
"जी, मालिक." गुलाबी ने कहा.

"कैसा लगा मेरा लौड़ा तुझे?" ससुरजी ने पूछा, "रामु जैसा है या उससे बड़ा है?"
"आपका उससे थोड़ा बड़ा है." गुलाबी ने जवाब दिया.
"फिर तो हाथ लगाकर देखने की उत्सुकता हो ही सकती है." ससुरजी बोले.

"हमसे गलती हो गयी, मालिक. माफ़ कर दीजिये." गुलाबी ने कहा.
"अरे माफ़ क्यों नही करुंगा?" ससुरजी बोले, "तु जवान लड़की है. जवानी मे गलती तो हो ही जाती है. पर बात क्या है पहले समझूं तो सही!"

"मालिक, हम हाथ मे लेकर हिलाये भी थे." गुलाबी ने थोड़ी देर बाद जोड़ा.
"हूं. बहुत शरारती है तु तो!" ससुरजी बोले, "तो यह बता मेरा लन्ड गीला कैसे हो गया."
"हमरा हाथ गीला था ना, मालिक. अभी हाथ धोकर आये थे. इसलिये." गुलाबी ने कहा. दो ही दिन मे छोकरी कैसी झूठी और चालबाज़ हो गयी थी!

"ओहो! तुने मेरे लन्ड को मुंह मे तो नही लिया होगा?" ससुरजी ने पूछा.

गुलाबी ने अपने दोनो हाथ अपने गालों पर रखा और बोली, "हाय दईया! मालिक, हम तो अपने मरद का भी मुंह मे नही लेते!"

"अपने मरद का नही लेती है, पर किसी और का तो ले सकती है?"
"नही, मालिक." गुलाबी ने अपना नाटक जारी रखा, "हम सादी-सुदा औरत हैं. किसी और मरद को हाथ भी नही लगाते हैं."

"साली चुदैल!" रामु इधर बड़बड़ाया, "लन्ड चूस चूसकर उसका मलाई निकाल के खाती है, और मालिक के सामने सराफत की देवी बन रही है!"
मैं भी गुलाबी के नाटक को देख के मुंह दबाकर हंस रही थी.

"तु पराये मर्द को हाथ नही लगाती तो क्या हुआ." ससुरजी मज़ा लेते हुए बोले, "पराये मर्द तो तुझे हाथ लगाते ही होंगे?" उनका हाथ अभी भी चादर के नीचे अपने लन्ड को सहला रहा था.
"नही, मालिक." गुलाबी बोली, "इससे पहिले कि पराया मरद हमें हाथ लगाये हम अपनी जान न दे दें!"

ससुरजी सुनकर बहुत जोर से हंसने लगे.

हंसी रुकी तो वह बोले, "कल की लौंडिया, तु इतना नाटक कैसे सीख गयी रे?"
"ह-हम का बोले हैं, मालिक?" गुलाबी ने घबराकर पूछा.
"पराया मर्द तुझे हाथ नही लगाता, तो तु किशन और बलराम के साथ आजकल क्या किये फिर रही है?" ससुरजी ने पूछा.

गुलाबी को काटो तो खून नही. चुपचाप आंखें नीची किये खड़ी रही.

"तु क्या समझी, इस घर मे जो होता है मुझे खबर नही रहती?" ससुरजी ने कहा, "मुझे पता है कि तु सुबह-शाम किशन और बलराम के कमरे मे जाकर उनसे रोज़ चुदवा रही है. अभी 6 महीने नही हुए रामु तुझे ब्याह कर इस घर मे लाया है. और तु इतने मे इतनी बड़ी छिनाल बन गयी है?"

गुलाबी के आंखों मे आंसू आ गये. वह बुत की तरह खड़ी रही.

उसे देखकर ससुरजी बोले, "अरे गुलाबी, तु तो रोने लग गयी!"

"हम ऐसी लड़की नही थे, मालिक." वह सुबक सुबक कर बोली, "पहिले बड़े भैया खेत मे हमरी इज्जत लूटने की कोसिस किये....फिर भाभी हमको समझाई....कि सब सादी-सुदा औरतें....पराये मरद से मजा लेती हैं...वही हमको किसन भैया के साथ....मुंह काला करवाई....और बड़े भैया भी हमरी इज्जत लूटे...हम अच्छी लड़की हैं मालिक...हम छिनाल नही हैं!"

"साली चुगलखोर! बाबूजी के सामने हमारी सारी पोल खोल रही है." मैने रामु को कहा, "बाहर आये तो ऐसा मज़ा चखाऊंगी की ज़िंदगी भर नही भूलेगी."
तुम्हारे मामाजी ने गुलाबी का हाथ पकड़ा और उसे अपने पास पलंग पर बिठाया.

उसके कोमल से हाथ को अपने नंगे सीने पर रखकर बोले, "अरे मैने तुझे छिनाल कहा तो इसमे रोने वाली क्या बात हो गयी, हाँ? तुझे बलराम और किशन के साथ मज़ा करना है तो कर ना. यही तो उमर है तेरी जवानी का मज़ा लेने की!"

गुलाबी ससुरजी के बगल मे बैठी सुबकती रही. कभी कभी उसकी नज़र चादर मे ढके ससुरजी के खड़े लन्ड पर जा रही थी.

"अरे तु अब भी रोये जा रही है!" ससुरजी बोले, "मीना बहु ने कुछ गलत तो नही सिखाया तुझे! सब शादी-शुदा औरतें पराये मर्दों से चुदवाती हैं. बहु खुद भी बहुत लोगों से चुदवाती है, मैं नही जानता क्या? मैं सब खबर रखता हूँ."

"फिर हम...किसन भैया और बड़े भैया से...करवाये तो आप हमे इतना सब काहे बोले?" गुलाबी ने सुबकते हुए पूछा.
"ओफ़्फ़ो! पागल लड़की!" ससुरजी उसके गालों को सहला कर बोले, "तुझे उनसे चुदवाने से मैं कब मना कर रहा हूँ! मैं तो बस यह कह रहा हूँ तुझे झूठ बोलने की क्या ज़रुरत थी?"
"हम का झूठ बोले?" गुलाबी ने सुबक कर पूछा.
"यही की जब मैं सो रहा था तुने मेरा लन्ड नही चूसा था."

"हाँ, चुसे थे, मालिक." गुलाबी ने हारकर मान लिया.
"क्यों चूसी थी?"
"हमे बहुत मन हुआ, मालिक." गुलाबी ने अपने आंसुओं मे से मुस्कुराकर कहा, "बहुत बड़ा है आपका औज़र. बड़े भैया जैसा."
"अच्छा!" ससुरजी ने कहा. उन्होने अपना हाथ गुलाबी की चूचियों पर रखा और चोली के ऊपर से थोड़ा दबाकर बोले, "बता तो कैसे चूसा तुने मेरा लन्ड."

गुलाबी की नज़र कभी ससुरजी के चेहरे पर जाती तो कभी उनके चादर मे ढके लन्ड पर. पर वह कुछ नही बोली.

"क्या हुआ, गुलाबी?" ससुरजी उसके चूचियों को अब आराम से दबाते हुए बोले, "दिखा ना तु कैसे मेरा लन्ड चूस रही थी."
"नही, मालिक. हम ई नही कर सकते हैं." गुलाबी बोली.
"क्यों?"
"आप तो हमरे पिता समान हैं, मालिक."
"छोकरी, तुने कभी अपने बाप का लौड़ा चूसा है?"
"नही मालिक."
"तो फिर अपना पिता समझकर ही चूस ले." ससुरजी बोले.
"हाय मालिक, हमको सरम आ रही है!" गुलाबी बोली.
"चूतमरानी! जब मैं सो रहा था तो तुने बिना शरम के मेरा लन्ड चूसा. अब तुझे शरम आ रही है?" ससुरजी ने गुलाबी का मुंह पकड़कर जबरदस्ती अपने लौड़े की तरफ़ झुका दिया और बोले, "चल चूस जल्दी से! तुम औरतों के नखरों से तो मैं बाज आया!"

गुलाबी ने चुपचाप ससुरजी के कमर के ऊपर से चादर हटा दिया. ससुरजी का मोटा, सांवले रंग का लन्ड तनकर खड़ा था. उसे पकड़कर उसने धीरे से अपने मुंह मे ले लिया और अपना सर ऊपर-नीचे करके चूसने लगी.

"आह!!" ससुरजी ने मस्ती की आह भरी, "कितना अच्छा लन्ड चूसती है रे तु, गुलाबी! बलराम और किशन का चूस चूसकर तु तो बहुत महिर हो गयी है! आह!!"

गुलाबी ने कुछ देर चुपचाप लन्ड चूसना जारी रखा. ससुरजी कभी कराहते और कभी मज़े मे आहें भर रहे थे.

कुछ देर बाद गुलाबी को बोले, "गुलाबी, बहुत दिनो से तेरी चूचियों को देखने का मन है. ज़रा अपनी चोली उतार दे ना."
Reply
10-08-2018, 01:12 PM,
#52
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
गुलाबी बिना कुछ कहे उठी और उसने अपनी चोली उतारकर रख दी. उसके जवान मांसल चूची के जोड़े ससुरजी के सामने खुलकर नंगे हो गये.

"जितनी मैने कल्पना की थी, तेरी चूचियां उससे भी सुन्दर हैं." ससुरजी गुलाबी की एक चूची को हाथ लगाकर बोले.
"मालिक, भाभी की तो हमसे भी सुन्दर हैं." गुलाबी बोली, "बहुत नरम और गोरी गोरी हैं."
"हाँ, मीना बहु की चूचियां बहुत गोरी गोरी हैं. बिलकुल मसलने और चूसने लायक. पर तेरी उससे बड़ी हैं." ससुरजी बोले, "चल, मेरा लन्ड छोड़ और ज़रा पास आ के बैठ."

"भाभी, मालिक की नीयत तो आप पर भी खराब है!" इधर रामु ने मुझे कहा.
"हर ससुर की नीयत अपनी बहु पर खराब होती है, रामु." मैने कहा, "तु गुलाबी को जब अपने गाँव ले जायेगा ना अपने बाप से दूर रखना, नही तो उसे पकड़कर चोद देगा."
"हम कैसे दूर रखेंगे, भाभी?" रामु हंसकर बोला, "ई साली छिनाल तो खुदे उनसे चुदवा लेगी!"

गुलाबी ससुरजी के पास आ के बैठी तो उन्होने एक हाथ से उसके नंगी चूचियों को मसलना शुरु किया. गुलाबी मस्ती मे सिसकने लगी.

"गुलाबी, जब तु ब्याह कर आयी थी, तेरी चूचियां इतनी बड़ी तो नही थी." ससुरजी बोले, "फिर इतनी जल्दी बड़ी कैसे बना ली?"
"मेरा मरद रोज इनको मसलता है ना." गुलाबी बोली, "ऊ ही इन्हे इतना बड़ा कर दिये हैं."
"और अब तो बलराम और किशन भी मसल रहे हैं, क्यों?" ससुरजी बोले, "और मुझसे भी रोज़ मलवाया कर. तेरी चूचियां जल्दी ही तेरी मालकिन जितनी बड़ी हो जायेंगी."
"आपका जो मन करे कीजिये, मालिक." गुलाबी बोली, "हम तो घर की नौकरानी हैं."
"अभी तो मुझे तेरी इन मस्त चूचियों को पीने का मन कर रहा है." ससुरजी बोले.

गुलाबी मुस्कुरायी और उसने अपनी चूचियां ससुरजी के मुंह पर झुका दी.

ससुरजी ने उसकी लटकती चूचियों को दोनो हाथों से पकड़ा और एक एक करके अपने मुंह मे लेकर चूसने लगे. उसके निप्पलों को दांत से हलके से काटने लगे और उस पर अपनी जीभ चलाने लगे.

गुलाबी मज़े मे आंखें बंद करके सिसकने लगी, "उम्म!! इस्स!! उम्म!! उफ़्फ़!!"

"भाभी, हम कहे थे ना आज मालिक के कमरे मे भी कुछ होने वाला है?" रामु अपना लौड़ा सहलाता हुआ बोला, "गुलाबी तो यहाँ से भी चुदकर ही बाहर आयेगी."
"हाँ, रामु. तुम्हारी पत्नी तो सबकी रखैल बन गयी है." मैने जवाब दिया और फिर अन्दर देखने लगी, "हाय क्या किस्मत है उसकी. एक के बाद एक तीन मर्द उसे चोद रहे हैं!"

अन्दर ससुरजी कुछ देर गुलाबी की चूचियों को जी भर से चूसते रहे.

गुलाबी बहुत ही गरम हो गयी थी और मस्ती मे कराह रही थी. जब ससुरजी ने उसे अपना घाघरा भी उतारने को कहा तो तुरंत मान गयी.

"मज़ा आ गया तेरी चूचियों को पीकर, गुलाबी!" ससुरजी बोले, "तेरा शौहर बहुत किस्मत वाला है जो इन्हे रोज़ पीता है. और बलराम और किशन भी बहुत किस्मत वाले हैं."
"हाय मालिक, आप भी रोज पीजिये ना!" गुलाबी बोली, "हमको चूची पिलाने मे बहुत मजा आता है!"
"और चुदवाने मे?" ससुरजी ने पूछा, "चुदवाने मे तुझे मज़ा नही आता?"
"आता है ना, मालिक!" गुलाबी बोली, "बहुत मजा आता है."
"तो अपना घाघरा उतार और बिस्तर पर नंगी होकर लेट जा." ससुरजी बोले, "बहुत दिनो का सपना है मेरा तेरी कसी चूत को मारने का."

गुलाबी ने तुरंत उठकर कमर से अपना घाघरा खोल दिया और नंगी होकर ससुरजी के बगल मे बिस्तर पर लेट गयी. वह इतनी चुदासी थी कि उसने अपनी टांगें फैला कर अपनी बुर ससुरजी के आगे कर दी.

खिड़की बंद होने के कारण कमरे मे रोशनी थोड़ी कम थी. इसलिये ससुरजी को दिखाई नही दिया कि गुलाबी की चूत से वीर्य चूकर उसके जांघों पर बह रहा था. पर जब उन्होने अपना सुपाड़ा गुलाबी की चूत मे घुसाया और धक्का मारा तो "पुच!" की आवाज़ के साथ लन्ड अन्दर घुस गया और खूब सारा वीर्य बाहर निकल आया.

"लड़की, ये क्या है रे?" ससुरजी बोले, "तेरी चूत से ये किसका पानी निकल रहा है? रामु ने तुझे सुबह-सुबह जुठा कर दिया क्या?"
"नही मालिक," गुलाबी हंसकर बोली, "ई तो किसन भैया और बलराम भैया का पानी है."

"रंडी कहीं की!" ससुरजी बोले और उन्होने एक जोर के ठाप से अपना पूरा लन्ड गुलाबी की चूत मे पेल दिया. "सुबह-सुबह तुने दोनो से चुदवा लिया?"
"हम तो उनके कमरे मे झाड़ू लगाने गये, मालिक." गुलाबी बोली, "पर ऊ दोनो जबरदस्ती हमे चोद दिये."
"अच्छा किया. साली, तेरे जैसी गरम औरतों को जबरदस्ती ही चोदना चाहिये." ससुरजी बोले और गुलाबी को पेलने लगे.

कमरे मे गरम सांसों और जिस्म से जिस्म के टकराने की "ठाप! ठाप! ठाप! ठाप!" गूंजने लगी.
"ऊंह!! ऊंह!! ऊंह!!" की आवाज़ कर के गुलाबी ससुरजी का ठाप ले रही थी.

"हाय, मालिक! आह!!" गुलाबी अचानक बोल उठी, "उम्म!! ऊह!! आह!! ओह!!" और वह एक बार झड़ गयी.

ससुरजी ने पेलना जारी रखा.

"गुलाबी को मस्त चोद रहे हैं, मालिक." उधर रामु ने अपनी बीवी की चुदाई पर टिप्पणी की.

"यह जो हमारी मीना बहु है ना....वह भी साली बहुत गरम औरत है." ससुरजी गुलाबी को चोदते हुए बोले.
"तो उन्हे भी चोद दीजिये ना मालिक." गुलाबी ठाप खाते हुए बोली, "बहुत चुदक्कड़ औरत है भाभी...किसी से भी चुदवा लेती है....आप से भी चुदवा लेगी."

"तुझे क्या लगता है, मेरे घर मे...ऐसी गरम माल...गांड मटका के घूमती रहती है...और मैने उसे अब तक चोदा नही है?" ससुरजी कमर चलाते हुए बोले.
"हाय मालिक, आप भाभी को भी चोद लिये हैं का?" गुलाबी ने पूछा.
"और क्या!" ससुरजी उसे पेलते हुए बोले, "साली को मैने पहली बार...सोनपुर मे जबरदस्ती चोदा था...अब तो उस चुदैल को रोज़ चोदता हूँ...और अपने बिस्तर पर...अपनी रखैल की तरह सुलाता हूँ...बहुत मज़े लेकर चुदवाती है मेरी बहु."

"फिर हमको अब तक काहे नही चोदे, मालिक?" गुलाबी ने छिनारी कर के पूछा.
"हाय गुलाबी, जिस दिन से तु ब्याह कर आयी है...तब से तुझे चोदने का...सपना देख रहा हूँ! कितनी बार सोचा...तुझे खेत मे कहीं पटककर...तेरा बलात्कार करूं." ससुरजी ठाप लगाते हुए बोले, "मुझे पता होता...के तु इतनी चुदक्कड़ लड़की है...तो तेरे सुहागरात को ही तुझे...तेरे मरद के सामने चोद देता!"
"हाय, मालिक! ओह!! अब रोज हमे चोदा कीजिये, मालिक!" गुलाबी फिर झड़ती हुई बोली, "आह!! मालिक, हम फिर झड़ रहे हैं!! कितना मजा आ रहा है!! आह!!"
Reply
10-08-2018, 01:12 PM,
#53
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
रामु ने दरवाज़े से नज़र हटायी और मुझे बोला, "भाभी, मालिक ई का कह रहे हैं?"
"वही जो तुमने सुना." मैने अन्दर देखते हुए जवाब दिया.
"ऊ सचमुच आपको सोनपुर मे जबरदस्ती चोदे थे?"
"हूं."
"और अब रोज रात को चोदते हैं?"
"हूं."
"और आप भी अपने ससुर से मजे लेके चुदवाती हैं?"
"हाँ, बाबा!" मैने कमरे के अन्दर गुलाबी की चुदाई देखते हुए कहा, "देख नही रहे बाबूजी कैसा जबरदस्त चूत मारते हैं?"

"आप रोज रात को उनके साथ सोती हैं?" रामु ने पूछा.
"हूं."
"मालकिन कुछ नही कहती?"
"उन्हूं. वह कौन सी दुध की धुली है." मैने जवाब दिया.

"और मालकिन कहाँ सोती है?" रामु ने अपनी जिरह जारी रखी.
"मेरे कमरे मे. मेरे पति के साथ."
"भाभी!" रामु ने हैरान होकर पूछा, "का कह रही हैं आप! अपने बेटे के साथ?"

"तो क्या हुआ? एक माँ अपने बेटे के कमरे मे सो नहीं सकती क्या? " मैने कहा.
"और बड़े भैया? ऊ आपको कुछ नही कहते?"
"उन्हे पता नही ना मैं बाबूजी के साथ सोती हूँ." मैने कहा,"वह सोचते हैं मैं मेहमानों के कमरे मे सोयी हूँ."

"भाभी, ई बात कुछ समझ मे नही आयी." रामु ने थोड़ा सोचकर ने कहा, "बड़े भैया पूछते नही हैं कि आप उनके साथ क्यों नही सोती हैं?"
"नही पूछते."

"भाभी, हमे तो दाल मे कुछ काला दीख रहा है..." रामु ने कहा.
"अरे रामु, चुप भी करो! मुझे अन्दर देखने दो!" मैने उसे टोक कर कहा, "तुम्हारी पत्नी अन्दर तुम्हारे मालिक से चुद रही है और तुम बेगानी शादी मे दिवाने हुए जा रहे हो."
"पर बहुत अजीब बात है, भाभी! बेटा जवान बीवी को छोड़कर अपनी अधेड़ माँ के साथ सोता है..." रामु ने कहा.

पर तभी रसोई से सासुमाँ की आवाज़ आयी, "अरे बहु, यह गुलाबी कहाँ मर गयी! तीन कमरों मे झाड़ू लगाने मे कितने घंटे लगते हैं?"
सासुमाँ रसोई से निकली तो देखा रामु और मैं उनके कमरे के बाहर खड़े हैं.

हमारे पास आकर वह बोली, "क्या देख रहे हो तुम दोनो?"

"मालकिन...वह ग-गुलाबी..." रामु हकलाने लगा.
"समझी. तेरी छिनाल बीवी अब मेरे आदमी पर डोरे डाल रही है!" सासुमाँ ने कहा.
"बस डोरे नही डाल रही है, माँ!" मैने कहा, "वह तो बाबूजी से चुदवा भी रही है. हम दोनो वही देख रहे हैं."
"हाय राम!" सासुमाँ बोली, "यह रंडी तो मुझे बर्बाद करके छोड़ेगी! पहले मेरे दोनो बेटों को खा ली. अब मेरे सुहाग पर मुंह मार रही है!"

सुनकर मैं आंचल मे मुंह छुपाकर हंसने लगी.

सासुमाँ ने छेद से एक नज़र अन्दर देखा और जोर से बोली, "गुलाबी! इतनी देर से तु अन्दर क्या कर रही है?"

अन्दर तुम्हारे मामाजी तो गुलाबी पर चढ़कर उसे पेले जा रहे थे. गुलाबी दो बार झड़ चुकी थी, और तीसरी बार झड़ने के करीब आ गयी थी. सासुमाँ की आवाज़ सुनते ही उसके होश उड़ गये.

"मालिक!" वह डर कर चिल्लायी, "मालकिन आ गयी है! अब हम का करें!"
"चुपचाप पड़ी रह और चुदवाती रह." ससुरजी बोले.
"ऊ हमको देख ली तो मार ही डालेंगी!" बोलकर गुलाबी उठाने के लिये छटपटाने लगी.
"और तु मेरे झड़ने से पहले यहाँ से उठी तो मैं तुझे मार डालूंगा." ससुरजी बोले और उसके टांगों को जोर से पकड़कर उसे पेलते रहे.

सासुमाँ ने दरवाज़े को धक्का दिया तो वह खुल गया. वह अन्दर दाखिल हुई और देखी कि उनके पलंग पर घर की नौकरानी टांगें फैलाये नंगी पड़ी है और उनके पूज्य पतिदेव नंगे होकर उसकी चूत में अपना लौड़ा पेले जा रहे हैं.

सासुमाँ को देखकर गुलाबी डर के मारे लगभग रो पड़ी. "मालकिन, हम ई सब अपनी मर्ज़ी नही कर रहे! मालिक हमारे साथ जबरदस्ती कर रहे हैं!"
"चुप कर, चुदैल!" ससुरजी बोले और अपनी कमर चलाते रहे.

"गुलाबी, आजकल बहुत लोग तेरे साथ जबरदस्ती कर रहे हैं, क्यों?" सासुमाँ हंसकर बोली "पहले मेरे बलराम ने तेरी इज़्ज़त लूटी. फिर किशन ने भी तेरा बलात्कार किया. अब तेरे मालिक भी तुझे जबरदस्ती चोद रहे हैं. घर पर बस तु ही एक भोली-भाली, पतिव्रता, सती-सावित्री है, क्यों?"

"कौशल्या, मेरे कमरे मे आने से पहले यह लौंडिया किशन और बलराम से एक एक पानी चुदवा चुकी थी. इसकी चूत से तो उनका वीर्य भी बह रहा था." ससुरजी बोले, "लड़की बहुत सयानी हो गयी है दो-चार दिनो मे. इसलिये मैने भी सोचा आज इसे चोद लेता हूँ."
"अच्छा किये तुम." सासुमाँ पलंग पर बैठकर बोली, "घर मे सब से चुद ही चुकी है. अब तुम भी चोद लिये हो तो अब छुपने छुपाने की कोई ज़रूरत नही रहेगी. जिसे जब जी करे इसे पटककर चोद सकेगा."
"हाँ, कौशल्या." ससुरजी गुलाबी को पेलते हुए बोले, "एक दिन किशन, बलराम, और मैं तीनो मिलकर गुलाबी को चोदेंगे. बहुत मज़ा आयेगा."

"हाय मालिक, हम तो मर जायेंगे!" गुलाबी बोली. सासुमाँ की बातों से उसका डर कम हो गया था और उसे फिर मज़ा आने लगा था.
"चुप कर." सासुमाँ बोली, "एक साथ तीन तीन लन्ड लेगी तो तुझे लगेगा तु स्वर्ग की सैर कर रही है. काश मुझे भी तीन लन्डों का सुख मिलता!"
"क्यों, तुम्हारा नौकर रामु है ना. आजकल तो तुम खूब चुदवा रही हो उससे!" ससुरजी बोले, "उसे ले आओ. मैं तुम्हे उसके साथ मिलकर चोदता हूँ."
"यह तो दो ही हुए जी." सासुमाँ बोली.
"और चाहिये तो किशन और बलराम को ले आओ." ससुरजी बोले, "फिर चार लन्ड हो जायेंगे तुम्हारे लिये."

"तुमको तो बस मज़ाक ही सूझता है." सासुमाँ बोली, "चलो ज़रा हटो. मैं भी थोड़ा चख लेती हूँ लड़की को."
"हाय, मालकिन आप भी?" गुलाबी हैरान होकर बोली. उसकी चूत की चुदाई जारी थी.
"मै भी क्या?" सासुमाँ बोली, "तेरे जैसी कसी कसी जवानी को भोगने का मन क्या सिर्फ़ मर्दों को होता है? चल मुंह इधर कर!"

ससुरजी, जो गुलाबी पर लगभग लेटकर उसे पेल रहे थे, उठकर बैठ गये और उसके टांगों को पकड़कर उसे चोदने लगे.

सासुमाँ ने झुककर गुलाबी के नर्म होठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हे प्यार से पीने लगी. उसके किशोरी होठों मे अपनी जीभ घुसाकर उसके जीभ से लड़ाने लगी.

"भाभी, ऐसा भी होता है का?" रामु ने हैरान होकर मुझसे पूछा.
"क्यों नही?" मैने पूछा, "तुमने तो देखा था मैने छत पर कैसे गुलाबी का मज़ा लिया था."

अन्दर सासुमाँ कुछ देर गुलाबी के होठों का रसपान करती रही. उनके हाथ गुलाबी के सुडौल चूचियों को दबाने और उसके निप्पलों को मसलने लगे.

गुलाबी को पहले थोड़ा अजीब लगा एक अधेड़ उम्र के औरत के चुंबन, पर उसे जल्दी ही मज़ा आने लगा. इधर ससुरजी भी उसे पेले जा रहे थे जिससे उसकी मस्ती दुबारा चढ़ गयी.

उसने खुद ही सासुमाँ के ब्लाउज़ के हुक खोल दिये और ब्रा को ऊपर कर दिया. सासुमाँ की बड़ी बड़ी चूचियां आज़ाद होकर झूलने लगी. गुलाबी ने उनके चूचियों को पकड़कर मसलना शुरु किया.

"आह!!" सासुमाँ आह भरकर बोली, "दबा अच्छे से, लड़की!"
"हाय मालकिन आप भी हमे बहुत मज़ा दे रही हैं!" गुलाबी बोली.

सासुमाँ ने मुंह नीचे करके गुलाबी की चूचियों को चूसना शुरु किया. उसके निप्पलों को काटने और चाटने लगी जिससे गुलाबी मस्ती की शिखर तक पहुंच गयी. वह "आह!! ओह!! उम्म!!" कर उठी और सासुमाँ के सर को पकड़कर अपने सीने पर दबाने लगी.

"कौशल्या, बहुत चढ़ गयी है लौंडिया को." ससुरजी बोले.
"हाय मालिक! एक तो आप कब से चोद रहे हैं...और अब सासुमाँ भी हमरी चूची पी रही है.....आह!! हम तो बस झड़ने ही वाले हैं, मालिक! आह!!" गुलाबी मस्ती मे बोली.
"मेरा भी बस होने वाला है." ससुरजी बोले.

उन्होने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और गुलाबी की चूत को बेरहमी से पेलने लगे.

सासुमाँ अपनी चूचियां गुलाबी के मुंह मे देकर बोली, "थोड़ा चूस दे मेरी चूचियों को, गुलाबी."

गुलाबी सासुमाँ के भूरे, मोटे मोटे निप्पलों को चूसने लगी और अपनी कमर उठा उठाकर ससुरजी का ठाप लेने लगी.

"बहुत मस्त लग रहा है यह सब!" रामु बोला. उसका हाथ उसके लौड़े को हिलाये जा रहा था. "एक तरफ़ मेरी जोरु मालिक से चुद रही है और दूसरी तरफ़ मालकिन की चूचियों को पी रही है."
"सच, रामु. सोचो गुलाबी कितना मज़ा ले रही होगी! मैं तो देखकर ही गरम हो गयी हूँ." मैने कहा. मैं भी अपनी चूचियों को अपने हाथों से दबा रही थी. "इन सबका काम समाप्त हो जाये तो मुझे अपने कमरे मे ले जाना और मेरी भरपूर चुदाई करना."
"जरूर, भाभी!" रामु खुश होकर बोला और अन्दर देखने लगा.

अन्दर ससुरजी पूरी रफ़्तार से गुलाबी की चूत को मारे जा रहे थे. सासुमाँ गुलाबी पर झुकी हुई थी और गुलाबी पलंग पर लेटे एक तरफ़ ससुरजी के धक्कों का मज़ा ले रही थी और दूसरी तरफ़ सासुमाँ की चूचियों को पी रही थी.

मस्ती मे वह सासुमाँ के गुदाज चूचियों मे मुंह छुपाये "ऊम्म!! ऊंघ!! ऊम्म!!" कर रही थी.

जब वह ससुरजी के ठाप और नही सह पायी, वह सासुमाँ के दोनो चूचियों को कसकर पकड़कर झड़ने लगी और जोर जोर से "ऊंघ!! ऊंघ!! ऊंघ!!" की आवाज़ निकालने लगी.

ससुरजी भी गुलाबी की चूत को पेलते हुए झड़ने लगे. उन्होने दो चार जोरदार धक्के लगाये जिससे गुलाबी का पूरा शरीर हिल गया, फिर उसकी चूत की गहराई मे अपना लन्ड घुसाकर वह अपने पेलड़ का पानी छोड़ने लगे.

जब गुलाबी शांत हुई उसने सासुमाँ की चूचियों को छोड़ा. चूचियों पर उसके उंगलियों के दाग पड़ गये थे.

सासुमाँ हंसकर बोली, "लड़की, तु कितनी जोर से झड़ी रे! मेरी चूचियों को तो तुने नोच ही लिया!"
गुलाबी शरमा के बोली, "हमे माफ़ कीजिये, मालकिन. मालिक इतना अच्छा चोद रहे थे और हमको हद से ज्यादा मजा आ रहा था. हम अपना काबू खो बैठे."
"हूं. तेरे मालिक चोदते बहुत अच्छा हैं." सासुमाँ बोली और अपने ब्रा को नीचे की और अपनी ब्लाउज़ के हुक लगी ली.

ससुरजी थक कर गुलाबी के नंगे बदन पर लेट गये. गुलाबी नीचे दब तो गयी, पर वह चुदाई से संतुष्ट होकर मुस्कुरा रही थी.

वह बोली, "मालकिन, भाभी सचमुच मालिक से चुदवा रही है का?"
"हाँ रे." सासुमाँ बोली, "काफ़ी दिन हो गये हैं. वह तो तेरे मालिक के साथ रात को सोती भी है."
"हाय, बहु होकर ससुर के साथ सोती है!" गुलाबी बोली.
"वह तो अपने देवर से भी चुदवा रही है. और तेरे मरद से भी." सासुमाँ बोली, "मुझसे घर का कुछ छुपा नही है."
"हाय मालकिन, आप कुछ नही कहतीं?" गुलाबी ने पूछा.
"मैं क्यों कुछ कहूं?" सासुमाँ बोली, "जिसको जिसके साथ चुदवा के मज़ा लेना है ले. मैं भी तो तेरे मरद से चुदवाती हूँ. तुझे तो पता ही होगा?"
"जी, पता है, मालकिन." गुलाबी बोली.
"और तु जो मेरे बलराम और किशन दोनो से चुदवा रही है, यह भी मुझे मालूम है." सासुमाँ बोली.

"हाय, मालकिन! आपको तो सब पता है." गुलाबी उत्तेजित होकर बोली, "भाभी, मालिक और मेरे मरद को भी सब पता है. अब तो घर मे सब खुल्लम खुल्ला हो गया है!"
"तु क्यों इतना खुश हो रही है, गुलाबी?" सासुमाँ ने पूछा.
Reply
10-08-2018, 01:12 PM,
#54
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
गुलाबी शरमा गई. फिर धीरे से बोली, "अब हमको बड़े भैया, किसन भैया, या मालिक से करवाना हो...तो बिना छुपाये कर सकते हैं."
"छिनाल कहीं की! तीन तीन मर्दों से चुदवाने के सपने देख रही है!" सासुमाँ ने कहा, "इतनी जल्दी मत कर. बलराम और किशन को पता नही कि तु, बहु, और मैं सब से चुदा रहे हैं."
"तो उनको भी बता दीजिये ना, मालकिन!" गुलाबी बोली, "हाय कितना मजा आयेगा जब सबको पता चल जायेगा! हम सब कभी भी, किसी के भी साथ खुलकर चुदाई कर सकेंगे!"

ससुरजी, जो गुलाबी के नंगे बदन पर नंगे लेटे थे, उसके होठों को चूमकर बोले, "पूरी रंडी हो गयी है तु, गुलाबी!"

सासुमाँ मुस्कुराकर बोली, "बस थोड़ा इंतज़ार कर. बलराम और किशन भी खेल मे पूरी तरह शामिल हो जायेंगे."

"पर मालकिन, आप बड़े भैया और किसन भैया के सामने कैसे चुदायेंगी?" गुलाबी ने पूछा, "आप तो उनकी माँ हो?"
"हूं. यह तो सोचने वाली बात है." सासुमाँ ने कहा. गुलाबी और रामु को पता नही था कि सासुमाँ पहले से ही मेरे पति से चुदवा रही है.

"छोटी मुंह बड़ी बात, मालकिन." गुलाबी ने सकुचा के कहा, "आप अपने दोनो बेटों से चुदवा क्यों नही लेतीं?"

तुम्हारे मामा और मामी सुनकर हंस पड़े और गुलाबी हैरान होकर उन्हे देखने लगी.

बाहर रामु मुझे बोला, "ई ससुरी गुलाबी का अनाप-सनाप बक रही है? चूत मरा मरा के उसका दिमाग ही खराब हो गया है. भला कोई माँ अपने बेटों से चुदवाती है?"
मैने कहा, "गुलाबी की चिंता छोड़ो, रामु. पहले तुम मेरा कुछ इलाज करो. मुझे अपने कमरे मे ले चलो और मेरी चूत को चोद चोदकर भोसड़ा बना दो! मेरे बदन मे जैसे आग लग गयी है!"


रामु और मैं उसके कमरे मे आ गये और हमने तुरंत अपने कपड़े उतार दिये. रामु मुझ पर चढ़ गया और मुझे गंदी गंदी गालियाँ दे दे कर मेरी चुदाई करने लगा.

हम दोनो चुदाई मे ही डूबे थे जब गुलाबी खुशी से उछलते हुए कमरे मे दाखिल हुई.

वह एक कुर्सी पर बैठ गयी और एक कपड़े से अपनी वीर्य से भरी चूत को पोछने लगी और हमारी चुदाई देखने लगी. 15-20 मिनट की चुदाई के बाद रामु और मैं झड़ कर शांत हुए.

दिन की शुरुआत बहुत अच्छी रही थी इसलिये बाकी का दिन भी अच्छा गया. नाश्ते के बाद रामु ने छत पर सासुमाँ को चोदकर ठंडा किया. दोपहर को किशन ने गुलाबी को एक बार और चोदा. रात को मैं फिर तुम्हारे मामाजी के साथ सोई और एक पानी चुदाई. तुम्हारी मामीजी अपने बड़े बेटे के साथ सोयी और उससे एक बार चुदवाई.

इस तरह हमारा वह दिन खतम हुआ, वीणा. आशा है तुम्हे हमारे घर की दशा बहुत उत्तेजक लग रही है. मैं तो आने वाले दिनो के मज़े मे खो गयी हूँ! अपना जवाब जल्दी देना.

तुम्हारी मीना भाभी

**********************************************************************


पाठकगणों को अगर मीना भाभी की कहानी पर विश्वास न हो रहा हो तो कोई हैरत की बात नही. मुझे भी कभी कभी लगता था कहीं भाभी मेरे मनोरंजन के लिये यह सब कहानियाँ बना बनाकर तो नही लिख रही?

पर मैने सोनपुर मे अपने मामा, मामी, और भाभी को जिस तरह भोग-विलास और काम-वासना का आनंद उठाते देखा था उसके बाद मुझे विश्वास था कि अपने गाँव जाकर वह ऐसा ही अनाचार का खेल खेल रहे होंगे. चुदाई की लत को तो मैं खुद भी बहुत पहचानती हूँ. एक बार कोई भ्रष्ट हो जाये तो उसका मन एक से बढ़कर एक भ्रष्ट काम करने के लिये ललचाता है.

मेरे पास मौका नही था, तभी मैं एक सुचरित्र बेटी बनकर घर पर बैठी थी. मेरे माँ-बाप को अगर पता चलता कि सोनपुर मे मैं किस तरह शराब पीकर अलग अलग मर्दों से चुदवाती थी, तो वह मुझे तुरंत घर से निकाल देते.

मैने भाभी को चिट्ठी लिखी.


**********************************************************************

मेरी प्यारी भाभी,

तुम्हारी चिट्ठी मिली. अब तो मुझे लग रहा है मामा, मामी, और तुम्हारा घर पर खुले आम चुदाई का सपना पूरा होने वाला है. बस अब मामीजी किशन से चुदवा ले तो तुम्हारी योजना पूरी हो जाये.

तुम लोग मिलकर गुलाबी को किस तरह बर्बाद कर रहे हो पढ़कर मुझे तो उस बेचारी पर दया आ रही है! पर बर्बाद होने मे मज़ा भी कितना है, गुलाबी खूब समझ रही होगी.

तुम्हारी आगे की क्या योजना है? जल्दी लिखकर भेजो!

तुम्हारी प्यासी ननद

********************************************
मीना भाभी की अगली चिट्ठी की प्रतीक्षा मे मैं आंगन के फाटक पर खड़ी थी. तभी मैने अपनी छोटी बहन नीतु को स्कूल से आते हुए देखा. उसके हाथ मे एक लिफ़ाफ़ा था. मुझे देखकर वह बोली, "दीदी, बता तो मेरे हाथ मे क्या है?"

मै तो देखकर समझ गयी उसके हाथ मे मीना भाभी की चिट्ठी थी. मेरा तो दिल कांप उठा! जिस तरह की अश्लील बातें भाभी अपनी चिट्ठी मे लिखती थी, अगर नीतु उसे पड़ ले तो शायद उसका अविकसित दिमाग खराब ही हो जाये. पर फिर मैने सोचा, नीतु अभी 18 की है. और इसी उम्र मे गुलाबी चार-चार मर्दों से चुदवा रही है! हो सकता है नीतु उतनी बच्ची नही है जितनी दिखती है.

"कहाँ मिली तुझे यह चिट्ठी?" मैने पूछा.
"डाकिया मुझे शिव मंदिर के पास मिला था." नीतु ने कहा, "मुझे बोला अपनी दीदी को दे देना."

मैने झट से वह चिट्ठी उसके हाथ से ले ली.

नीतु गुस्से से बोली, "मीना भाभी की चिट्ठी तु अकेले अकेले क्यों पढ़ती है? मुझे कभी पढ़ने क्यों नही देती? मैं माँ और पिताजी से शिकायत करूंगी!"

मैं अपने कमरे मे जाते हुए बोली, "जब तु बड़ी हो जायेगी तब तु बड़े लोगों की चिट्ठियां पढ़ना! अभी तु अपनी स्कूल की किताबें पढ़!"
"मैं अब बड़ी हो गयी हूँ!" नीतु चिल्लायी, "और बड़े लोगों की सब बातें समझती हूँ!"

अपने कमरे मे जाकर मैने अपनी साड़ी और पेटीकोट उठायी और अपने प्यासी चूत मे एक बैंगन घुसा के भाभी की चिट्ठी पढ़ने लगी.


**********************************************************************

मेरी प्यारी ननद,

तुम्हारा ख़त मिला. तुम ठीक कहती हो - हम घर पर बहुत से कुकर्म कर रहे हैं जिसका गाँव के लोग कल्पना भी नही कर सकते. पर क्या करें, चुदाई का जो मज़ा हमने सोनपुर मे लिया था, हमे घर पर वैसा ही मज़ा लेने का मन करता है. यह तो अच्छा है कि तुम्हारे मामाजी का घर गाँव से थोड़ा हटकर उनके खेतों के बीच है. और यहाँ ज़्यादातर कोई आता-जाता नही है. इससे हमे खुलकर चोदा-चोदी करने मे बहुत सुविधा होती है.

वीणा, तुम्हारे मामाजी से गुलाबी के चुदने के बाद काफ़ी राज़ सबके सामने खुल कर बाहर आ गये. गुलाबी और रामु को मालूम हो गया कि मैं ससुरजी से चुदवा रही हूँ. उन्हे बस यह नही पता था कि सासुमाँ अपने बड़े बेटे से चुदवा रही है.

कुछ भी हो, हम सब को चुदाई मे काफ़ी सुविधा हो गयी. गुलाबी जब चाहे किशन, मेरे पति, या ससुरजी से चुदवा सकती थी. मैं जब चाहूं रामु, किशन, या ससुरजी से चुदवा सकती थी. सासुमाँ भी अपने बड़े बेटे और रामु से चुदवा सकती थी. पर मुझे एक बात खटक रही थी.

दो दिन पहले की बात है. तुम्हारे बलराम भैया गुलाबी को लेके खेत मे गये थे - खेत का काम देखने और गुलाबी को थोड़ी खुली हवा मे चोदने. किशन और रामु किसी काम से हाज़िपुर के बाज़ार को गये थे. मै और तुम्हारे मामा-मामी उनके पलंग पर नंगे होकर थोड़ी चुदाई का मज़ा ले रहे थे. मैं सासुमाँ की सफ़ा की हुई मोटी बुर को चाट रही थी और ससुरजी मुझे कुतिये बना के पीछे से चोद रहे थे.

सासुमाँ बोली "क्यों जी, आजकल चुदाई मे बहुत मज़ा आ रहा है क्यों?"
"हाँ, कौशल्या." ससुरजी धीरे धीरे मेरी चूत मे अपना मोटा लन्ड पेलते हुए बोले, "तुम सास-बहु को मैं मान गया! तुम्हारी योजना से छुपने छुपाने की जरूरत बहुत कम हो गयी है. मैं तो इस माहौल मे बहुत आनंद उठा रहा हूँ. क्यों बहु? तु मज़ा ले रही है ना?"

मैने सासुमाँ के बुर से अपना मुंह उठाया और कहा, "हाँ बाबूजी, मज़ा तो बहुत ले रही हूँ. पर एक बात मुझे खटक रही है."
"वो क्या बहु?" ससुरजी ने पूछा.
"मै अपने पति के सामने खुलकर चुदवा नही पा रही हूँ." मैने ससुरजी का लन्ड चूत मे लेते हुए कहा. "जब मैं उनके के सामने रामु, किशन, और आपसे रंडी की तरह चुदवा पाऊंगी, तब मुझे जन्नत का मज़ा आयेगा."

"वह दिन भी जल्दी आयेगा, बहु. थोड़ा इंतज़ार कर." सासुमाँ बोली.
"कब आयेगा, माँ!" मैं झुंझलाकर बोली, "अब मुझसे सब्र नही होता! मेरे उनको पटा दो न मेरे लिये. वह तो आपको रोज़ रात को चोदते हैं."

"हाँ, कौशल्या," ससुरजी पीछे से मुझे ठोकते हुए बोले, "तुम बलराम को बोल दो कि बहु रामु, किशन और मुझसे चुदवा रही है."
"पता नही वह विश्वास करेगा कि नही." सासुमाँ बोली.
"तो फिर जब रामु या मैं बहु को चोद रहे होंगे, तब उसे हमारे पास ले आना." ससुरजी बोले, "अपनी आंखों से देख लेगा तो पूरा विश्वास हो जायेगा."
Reply
10-08-2018, 01:13 PM,
#55
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
"हाँ, यह ठीक रहेगा." सासुमाँ बोली, "बहु, कल तु अपने ससुरजी से चुदवाना और मैं बलराम को तेरे पास ले आऊंगी."

सासुमाँ की बात सुनकर मैं गनगना उठी. पर डर भी लगा. सोच के बहुत उत्तेजक लग रहा था कि अपने पति के सामने पराये मर्द से चुदवाऊंगी, पर जब सचमुच करने की बात हुई तो मैं पीछे हट गयी.


"हाय माँ, मैं ऐसा नही कर पाऊंगी!" मैने कहा.
"क्यों री?" सासुमाँ ने पूछा.
"कैसे करूंगी मैं यह सब?" मैने कहा, "मुझे तो बहुत शरम आयेगी!"
"शरम आयेगी, तभी तो मज़ा पायेगी, बहु." सासुमाँ बोली, "सोच अपने पति को दिखा दिखा के जब तु अपने ससुर का लन्ड चूत मे ले रही होगी, तुझे कैसा रोमांच होगा!"
"पर मुझे डर भी लग रहा है, माँ." मैने कहा.
"काहे का डर?"
"मेरे वह मुझे एक शरीफ़ पत्नी समझते हैं. मुझे नंगे होकर उनके बाप से चुदवाते देखकर उनको बहुत सदमा लगेगा." मैने जवाब दिया, "आपको तो पता है आपके बेटे कितने गुस्से वाले हैं. कहीं मुझे गुस्से से मार ही न डालें."
"मुए की हिम्मत है जो मेरी प्यारी बहु पर हाथ भी उठाये!" सासुमाँ बोली, "तु चिंता मत कर. मैं और तेरे ससुर हैं न उसे सम्भालने के लिये."

"मैं कैसे सम्भालूंगा उसे, कौशल्या?" ससुरजी ने पूछा. वह अभी भी मेरी कमर पकड़कर, मुझे कुतिया बनाकर चोदे जा रहे थे. "मै तो बहु को चोद रहा हूंगा. खड़ा लन्ड लेके समझाने जाऊंगा तो वह मेरी बात मानेगा?"
"ओफ़्फ़ो! तुमसे तो कुछ होता ही नही है!" सासुमाँ बोली, "बहु रामु से चुदवा रही होगी. अब तो ठीक है?"
"फिर मेरे वह रामु का ज़रूर कत्ल कर देंगे." मैने कहा.
"वह हम देख लेंगे." सासुमाँ बोली, "जैसा मैं कहूं वैसा ही करना. जब तु रामु से चुदवा रही होगी, मैं किसी बहाने बलराम को तेरे पास भेजुंगी. वह बखेड़ा खड़ा करेगा तो पूछुंगी कि जो आदमी अपनी माँ को रोज़ रात को चोद रहा है, उसे क्या हक बनता है अपनी पत्नी पर उंगली उठाने का."

"ठीक है माँ." मैने कहा और कल के सपनों मे खो गयी.

डर के साथ मुझे बहुत रोमांच हो रहा था. और ससुरजी की ठुकाई से मैं बहुत मस्त भी हो गयी थी. सासुमाँ की चूत मे मुंह घुसाये मैं तुम्हारे मामाजी के धक्कों का मज़ा लेने लगी. एक बार मैं झड़ ही चुकी थी. मैं दुबारा झड़ने के करीब आ गयी.

सासुमाँ अपने नंगे चूचियों को मसलते हुए "आह!! आह!!" की आवाज़ करके मुझसे अपनी बुर चटवा रही थी.

कुछ और देर की चुदाई के बाद मैं एक और बार झड़ गयी और अलग लेट गयी.

ससुरजी तब अपनी पत्नी पर चढ़े और उन्हे चोदने लगे. सासुमाँ भी झड़ने के करीब थी. अपने पति के धक्के लेते हुए वह झड़ गयी और ससुरजी भी उनकी चूत मे झड़ गये.
अगले दिन सुबह किशन खेत मे चला गया और सासुमाँ ने गुलाबी को उसे नाश्ता देने भेज दिया.

"गुलाबी किशन से चुदवाये बिना नही आयेगी. उसे काफ़ी समय लगेगा." सासुमाँ बोली, "बहु, यही मौका है. देख रामु कहाँ है और उसे पकड़कर तु उससे चुदवाना शुरु कर. मैं बलराम को तेरे पास भेजती हूँ."
"हाय माँ, मुझे तो बहुत डर लग रहा है!" मैने कहा.
"देर मत कर, कलमुही! कहीं किशन खेत से न आ जाये." सासुमाँ बोली, "जा देख रामु कहाँ है."

रामु घर के अन्दर नही था. मैने आंगन मे जा के उसे आवाज़ लगायी तो खटाल मे से उसकी आवाज़ आयी, "हम यहाँ है, भाभी!"

मेरा रोम रोम रोमांचित हो रहा था. मैं उत्तेजना और डर से कांप रही थी. खटाल के अन्दर जाकर देखा रामु गायों के लिये चारा काट रहा है. मैने अपने पीछे खटाल के टीन का दरवाज़ा बंद कर दिया.

मुझे देखकर रामु ने चारा काटना बंद किया और बोला, "का बात है, भाभी? कोई काम है का?"
"हाँ रे रामु." मैने उसके पास जाकर फुसफुसाकर कहा, "तुम तो जानते हो मुझे तुमसे क्या काम होता है."
"हाय भाभी, आप तो कल देर रात तक मालिक से चुदी हैं." रामु बोला, "आपके कमरे की बत्ती जल रही थी. हम सब देखे."
"उससे मेरे जैसी जवान औरत का क्या होता है, रामु?" मैने उसके कमीज़ के बटन खोलते हुए कहा, "जब तक घर का नौकर मुझे चोद न ले, मुझे चैन नही पड़ता."

रामु जल्दी ही उत्तेजित हो गया. मुझे अपने सीने से लगाकर मेरे होठों को चूमने लगा और बोला, "हम हैं न तेरी प्यास बुझाने के लिये, साली चुदैल. चूत मे ससुर का पानी सूखा नही कि आ गयी नौकर से खटाल मे चुदवाने के लिये."

रामु की गालियों से मेरी उत्तेजना और बढ़ गयी. मेरा शरीर बुरी तरह कांपने लगा.

रामु मेरे कंधों को चूमते हुए बोला, "का बात है, तु इतनी कांप क्यों रही है? लगता है साली रंडी बहुत चुदासी हो गयी है."
"हाँ रामु. मैने कभी खटाल मे नही चुदाया है. मैं बहुत चुदासी हूँ!" मैने कहा.

खटाल के एक कोने मे चारे का ढेर था जो हम खेत से काटकर लाये थे. उसे दिखाकर मैं कहा, "रामु, आज मुझे उसे ढेर पर लिटा कर चोदो."

"पर यहाँ कोई भी आ सकता है." रामु बोला.
"तो आये ना." मैने कहा और उसे खींचकर खटाल के कोने मे ले गयी, "ससुरजी, सासुमाँ और गुलाबी को तो सब पता ही है. और किशन खेत मे गया है."
"पर बड़े भैये तो घर पर हैं."
"वह तो आजकल कमरे से निकलते ही नही हैं." मैने रामु की कमीज़ उतारते हुए कहा, "तुम उनसे डर रहे हो क्या?"
"हम काहे डरें तेरे मरद से?" रामु जोश मे बोला, "हम तो उनके सामने तेरी चूत मारें और दिखायें कि एक चुदक्कड़ जोरु की प्यास कैसे बुझाई जाती है."
"हाँ तो बस अब मुझे चोद दो, रामु. देर मत करो." मैने कहा और उसकी पैंट खोल दी.

रामु अपने बाकी कपड़े उतारता हुआ बोला, "तु खड़ी खड़ी क्या देख रही है? चूत मरानी है तो नंगी हो!"

मैं कांपते हाथों से अपनी साड़ी खोलने लगी. साड़ी खोलकर मैने चारे के ढेर पर रख दी. फिर अपनी ब्लाउज़ और ब्रा उतार दी और नीचे रख दी.

इतने मे रामु नंगा होकर मेरे पास आ गया और मेरी नंगी चूचियों को मसलने लगा. उसके काला 7 इंच का लन्ड तनकर खड़ा था. वह भी खटाल मे यह कुकर्म करते हुए बहुत उत्तेजित हो गया था.

मैने अपनी पेटीकोट उतारकर नंगी हुई तो रामु ने मुझे धक्का देकर चारे के ढेर पर गिरा दिया. अगर मैने उस पर अपनी साड़ी और पेटीकोट नही बिछाई होती तो मेरे नरम शरीर मे भूसे के तिनके ज़रूर चुभने लगते.

रामु मेरे नंगे बदन पर लेट गया और मुझे जोश मे चूमने लगा और मेरी चूचियों को बेरहमी से मसलने लगा. उसका लन्ड मेरी चूत पर रगड़ खा रहा था. मैं अपनी कमर हिला हिलाकर अपनी गरम चूत उसके खड़े लन्ड पर रगड़ने लगी. मेरी गीली, चिकनी चूत पर उसका लन्ड फिसल रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

वीणा, तुमने तो हमारा खटाल देखा ही है. खटाल टीन से बनी है और टीन के पाटों के बीच थोड़ा थोड़ा अन्तर है. मेरी नज़रें उन फाकों की तरफ़ जमी हुई थी. किसी भी वक्त मेरे वह आ सकते थे और मुझे अपने नौकर के साथ मुंह काला करते हुए देख सकते थे. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था और मै पसीने-पसीने हो रही थी.

तभी बाहर से सासुमाँ की आवाज़ आयी, "मीना बहु! कहाँ है तु?"

रामु ने मुझे चूमना बंद किया और बोला, "छिनाल, मालकिन तुझे बुला रही है."

सासुमाँ तो जानती थी मैं कहाँ हूँ और क्या कर रही हूँ. इसलिये मैने रामु को कहा, "बुलाने दो. तुम अपना काम चालु रखो. बहुत मज़ा आ रहा है मुझे. मेरी चूत मे बहुत खलबली हो रही है. ज़रा चाट दो रामु."
"तेरी भोसड़ी हम ऐसे ही चाटेंगे का?" रामु बोला, "पहिले हमरा लौड़ा चूस दे."
"हाय, ऐसा मत करो रामु. मैं बहुत गरम हो गयी हूँ." मैने कहा, "तुम मेरे मुंह मे अपना लौड़ा दो और साथ ही मेरी चूत चाट दो."

रामु ने उठकर मेरी तरफ़ अपनी कमर कर दी. मेरे गले के दोनो तरफ़ अपने घुटने रखे और अपना खड़ा लन्ड मेरे मुंह पर झुका दिया.
"ले साली, हमरा लन्ड अच्छे से चूस के तैयार कर!" रामु ने मुझे हुकुम दिया.

मैने मुंह खोलकर उसका लन्ड अपने नरम होठों के बीच ले लिया और चूसने लगी.

रामु अब मेरी चूत पर झुक गया और उसे चाटने लगा. मैं मस्ती मे आह!! कर उठी. रामु अपनी कमर उठा उठाकर मेरे मुंह को चोदने लगा जिससे उसका सुपाड़ा जा जाकर मेरे गले मे लगने लगा.

मुझे अब बाहर की तरफ़ देखने मे मुश्किल हो रही थी क्योंकि रामु मुझ पर सवार था और उसका लन्ड मेरे मुंह मे आ जा रहा था.

कुछ देर बाद जब मैने एक नज़र टीन के पाटों के बीच डाला तो मैं कांप उठी. कोई पाटों से फांक से रामु और मुझे देख रहा था!

मुझे पूरा यकीन हो गया की वह तुम्हारे बलराम भैया ही थे जो मुझे और रामु के वासना के अश्लील खेल को देख रहे थे. मैं बुरी तरह गनगना उठी और मैने रामु के सर को पकड़कर अपने चूत पर जोर से दबा दिया. "ऊं!! ऊं!! ऊं!!" करते हुए मैं झड़ गयी.

"भोसड़ी वाली!" मैने जैसे ही अपना हाथ ढीला किया, रामु चिल्लाया, "हमरा सर अपनी भोसड़ी मे घुसाना चाहती है का?"
"गलती हो गयी, रामु." मैने कहा, "मुझे बहुत चढ़ गयी है."
"चढ़ेगी नही? खटाल मे पड़े-पड़े नौकर का काला लौड़ा चूस रही है. ठहर तेरी चूत की गर्मी निकालते हैं." रामु बोला.

उसने अपना लन्ड मेरे मुंह से निकाला और उठ गया. फिर मेरे पैरों के बीच बैठकर उसने अपना लन्ड मेरी चूत के गीले दरार मे रखा और अपना सुपाड़ा रगड़ने लगा.

मुझे अब साफ़ दिखायी दे रहा था कि बाहर से कोई हम दोनो को देखे जा रहा है.

मैने उसे सुनाकर कहा, "हाय, रामु! और मत सताओ, मेरे राजा! आह!! पेल दो मेरी चूत मे अपना हथौड़ा!"
"डाल रहे हैं, हरामन!" रामु मुझे गाली देकर बोला, "दिन भर सबका लौड़ा लेती रहती है. फिर भी सबर नही होता तुझे?"
"उम्म!! नही सब्र हो रहा, रामु! चोद डालो मुझे!" मैने उसे अपने सीने पर खींचकर कहा.

रामु ने मेरी चूत के छेद मे अपना मोटा, बैंगनी रंग का सुपाड़ा सेट किया और कमर के धक्के से लन्ड को मेरी चूत मे घुसा दिया. मैं जोर से सित्कार उठी. अपने पति को दिखा दिखाकर अपनी चूत मे नौकर का लन्ड लेने मे मुझे जन्नत का मज़ा मिल रहा था.

रामु मे तुम्हारे भैया को नही देखा था. वह मुझे मज़े लेकर चोदने लगा और मैं खटाल के बाहर खड़े अपने उनको दिखाने लगी. वह एक टक मुझे और रामु को देखे जा रहे थे. मैं "उम्म! आह!! ओह!!" की जोर जोर से आवाज़ निकालकर रामु के ठापों का मज़ा लेने लगी.
Reply
10-08-2018, 01:13 PM,
#56
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
हम कुछ देर घाँस-फूंस के बिछौने पर लेटे चुदाई करते रहे. मैं एक और बार झड़ भी गयी.

तभी बाहर से सासुमाँ की आवाज़ आयी. "बलराम! तु खटाल के पास क्या देख रहा है? बहु तुझे मिली कि नही? न जाने कहाँ चली गयी!"

सासुमाँ की बात सुनते ही रामु ने अपनी कमर चलाना बंद कर दिया और कान लगाकर सुनने लगा.

मेरे वह अपनी माँ को बोले, "माँ, तुम्हारी लाडली बहु तो यहाँ है! मुझे तो अपनी आंखों पर विश्वास नही हो रहा कि यह औरत क्या कर रही है. मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था अपनी मीना को मैं इस हालत मे देखुंगा!"

सुनकर रामु की तो हालत खराब हो गयी.

मेरी चूत से अपना लन्ड झटके से निकालकर वह खड़ा हो गया और दबी आवाज़ मे बोला, "भाभी! ई तो बड़े भैया हैं! ऊ हमको देख लिये हैं! हम तो बर्बाद हो गये, भाभी!"
"क्या हुआ, तुम तो कह रहे थे उनके सामने मेरी चूत मारोगे और उनको दिखाओगे कि चुदक्कड़ जोरु की प्यास कैसे बुझाई जाती है?" मैने मसखरा कर के कहा.
"ऊ तो हम जोस जोस मे क-कह गये, भ-भाभी!" रामु हकलाकर बोला, "बड़े भैया अब हमे जरूर जान से मार डालेंगे! ई सब आपकी वजह हो रहा है, भाभी! आपकी हवस मिटाने के चक्कर मे आज हमरी जान जायेगी!"

"क्या हुआ, बेटा?" सासुमाँ खटाल के पास आकर अपने बेटे को बोली, "बहुत परेशान लग रहा है!"
"परेशान!" वह ऊंची आवाज़ मे बोले, "तुम देखोगी तो तुम भी परेशान हो जाओगी!"

सासुमाँ अपने बेटे के पास आयी और टीन के पाटों के बीच के फांक से खटाल के अन्दर देखने लगी.

फिर वह बोली, "हाय, बलराम! बहु तो खटाल के अन्दर है. वह भी पूरी तरह नंगी! कमीनी यहाँ नौकर के साथ मुंह काला कर रही है, और मैं पूरे घर मे उसे ढूंढ रही हूँ!"

"इस रामु को तो मैं काट के टुकड़े टुकड़े कर दूंगा! हरामी ने हमारे घर की इज्जत पर हाथ डाली है." मेरे वह बोले. और फिर दहाड़े, "रामु! बेटीचोद, बाहर निकल!"

अगर उस वक्त रामु को धरती खा जाती तो वह खुशी खुशी पाताल मे चला जाता. वह कांपते हाथों से किसी तरह जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहने लगा.

"अरे बलराम, तु इतना चिल्ला क्यों रहा है?" सासुमाँ ने पूछा.
"चिल्लाऊं नही तो क्या करूं? खड़े-खड़े तमाशा देखूं?"
"हाँ देख ना!" सासुमाँ बोली, "मुझे तो दूसरे की चुदाई देखने मे बहुत मज़ा आता है. तुझे भी आयेगा."
"यह तुम क्या कह रही हो, माँ!" तुम्हारे भैया ने आश्चर्य चकित होकर पूछा.
"इतना हैरान क्यों हो रहा है तु?" सासुमाँ बोली, "बहुत मर्दों को मज़ा आता है अपनी बीवी को दूसरे आदमी से चुदवाकर. तुने बहु की गैर मर्द से चुदाई की कल्पना तो की होगी?"

तुम्हारे भैया कुछ आना-कानी करके बोले, "नही तो! मैं ऐसा क्यों करने लगा?"
"तो फिर तु इतनी देर से अपनी बीवी की चुदाई क्यों देख रहा था?" सासुमाँ बोली, "और तेरा औज़ार भी तनकर खड़ा है!"

वीणा, पता नही तुम्हे याद है कि नही, पर खटाल के पीछे की तरफ़ भी एक दरवाज़ा है. इतनी देर मे रामु उस दरवाज़े से बाहर निकला और उलटे पैर भाग खड़ा हुआ.

उसे भागते देखकर तुम्हारे भैया चिल्लाये, "भागकर कहाँ जायेगा, मादरचोद! कभी तो घर आयेगा! तब तेरी खाल खींच लूंगा!"

अपने पति के गुस्से से मुझे भी डर लग रहा था. सासुमाँ तो बोली थी सब सम्भाल लेगी. पर इधर तो मेरे वह सम्भाले नही सम्भल रहे थे.

"मीना!" वह खटाल का दरवाज़ा पीटकर बोले, "साली रंडी! बाहर निकल!"
"अरे बेटा! इतना शोर मत मचा!" सासुमाँ बोली, "कोई गाँव वाला सुन लेगा तो कितनी बदनामी होगी!"
"होने दो बदनामी!" वह गुस्से से बोले, "मुझे नही पता था मैं एक छिनाल ब्याह कर लाया हूँ."

यह सब सुनकर मुझे भी गुस्सा आ गया.

मैने अन्दर से जवाब दिया, "तो आप कौन सा दूध के धुले हैं, जी? मैं नही जानती आप मेरे पीछे क्या किये फिरते हैं?"
"क्या किये फिरता हूँ?" वह थोड़ी आवाज़ नीची करके बोले.
"आप गुलाबी की कब से इज़्ज़त लूटने की कोशिश कर रहे थे. अब तो आपने उसे चोद भी लिया है. वह भी मेरी मदद से!" मैने कहा, "आप रामु की बीवी की रोज़ चूत मारते हैं. पर रामु ने आपकी बीवी की चूत मारी तो बस आसमान ही टूट पड़ा! हुंह! पाखंडी कहीं के!"

मेरी बात सुनकर तुम्हारे भैया चुप हो गये.

सासुमाँ बोली, "बलराम, बहु ठीक ही तो कह रही है. और जो तेरे और मेरे बीच चल रहा है..."
"मैं वह भी जानती हूँ!" मैने चिल्लाकर कहा, "आप रोज़ रात अपनी माँ को अपनी रखैल की तरह लेकर सोते हैं और रात रात भर उनके साथ चोदा-चोदी करते हैं. किसी मादरचोद को क्या हक बनता है मुझे रंडी कहने का!"

"माँ, मीना को यह सब कैसे पता?" मेरे उन्होने सकपका कर पूछा.
"अरे बेटा, छोटे से घर मे कुछ छुपता नही है." सासुमाँ अपने बेटे को समझाकर बोली, "उसे पता है तु मुझे और गुलाबी को रोज़ चोद रहा है. पर बहु ने तुझे आज तक कुछ कहा क्या? वह समझती है तु एक जवान मर्द है. तुझे नयी नयी चूत मारने का मन करता है. तु भी गुस्सा थूक दे, बेटा. बेचारी बहु भी जवान है तेरी तरह. उसे भी तो मन करता है नये नये मर्दों से चुदवाने का! अभी तुम लोग जवानी का मज़ा नही लोगे तो कब लोगे? लड़ाई झगड़े से बस सबका मज़ा खराब होगा."
"पर माँ...."
"पर-वर छोड़, बेटा. तु भी खुलकर जवानी का मज़ा ले और बहु को भी लेने दे."
"पर माँ..."
"चल अन्दर चल के बात करते हैं." सासुमाँ ने बेटे का हाथ पकड़कर कहा. फिर खटाल के अन्दर मुझे आवाज़ लगाकर बोली, "बहु, तु भी कपड़े पहनकर बाहर आ जा. बलराम अब कुछ नही कहेगा."

माँ-बेटा घर के अन्दर चले गये तो मैं अपने कपड़े पहनने लगी.

कपड़े पहनकर मैं खटाल से निकली और सीधे अपने कमरे की तरफ़ गयी.
मेरे कमरे का दरवाज़ा भिड़ा हुआ था, पर बंद नही था. अन्दर सासुमाँ बिस्तर पर बैठकर अपने बेटे को समझा रही थी. मेरे उनका गुस्सा तो अब तक हवा हो चुका था. वह चुपचाप अपनी माँ की बातें सुन रहे थे.

"सच बता, तुझे बहु को रामु से चुदवाते देखकर मज़ा आ रहा था कि नही?" सासुमाँ ने पूछा.
"हाँ, माँ. पर पता नही क्यों." वह बोले, "शायद तुम ठीक ही कहती हो. आदमी को अपनी बीवी दूसरे मर्द से चुदवाते देखकर उत्तेजना होती है."
"फिर तु इतना गुस्सा क्यों कर रहा था?"
"कैसे से न करता? मेरी बीवी है मीना." मेरे वह बोले, "बहुत प्यार करता हूँ उससे. वह किसी और आदमी से - वो भी घर के नौकर से - कैसे चुदवा सकती है!"
"तु भी तो गुलाबी और मुझे चोदता है. पर बहु फिर भी तुझसे बहुत प्यार करती है, बेटा." सासुमाँ बोली, "उसे तो देखने मे मज़ा आता है जब तु गुलाबी या मुझे चोदता है."
"तुम्हे कैसे पता, माँ?"
"हम औरतें सब बातें आपस मे बाँटतीं हैं." सासुमाँ हंसकर बोली, "गुलाबी, मै, और बहु मज़े लेकर बताते हैं हम किस किससे चुदवा रहे हैं."

फिर उन्होने अपना हाथ लुंगी के ऊपर से बेटे के लन्ड पर रखा और दबाने लगी.

"माँ!" तुम्हारे भैया हैरान होकर बोले, "तुम्हे पहले से पता था मीना रामु से चुदवा रही है?"
"हाँ, बेटा." सासुमाँ बोली.

उन्होने बेटे के लुंगी की गांठ को खोल दिया और उनका खड़ा लन्ड बाहर निकाल लिया. फिर उसे हिलाते हुए बोली, "मै एक बात कहूंगी तो तु गुस्सा तो नही करेगा?"
"क्या बात, माँ?"
"मै खुद भी रामु से चुदवाती हूँ. बहुत मस्त चोदता है मुआ."
"माँ! यह तुम क्या बोल रही हो?"
"तु मुझे आंखें फाड़-फाड़कर क्या देख रहा है?" सासुमाँ ने पूछा, "मै अपने बेटे से चुदवा सकती हूँ, तो क्या घर के नौकर से नही चुदवा सकती? मैं और बहु तो कभी कभी एक साथ रामु से चुदवाते हैं."

"एक साथ! दोनो एक साथ, एक बिस्तर मे, रामु के साथ...!" मेरे वह हैरान होकर बोले. उनका लौड़ा तनकर खंबे की तरह खड़ा था जिसे सासुमाँ मुट्ठी मे लेकर हिलाये जा रही थी.

"हाँ, बलराम. बहुत मज़ा आता है सबके साथ मिलकर समुहिक चुदाई करने मे. तु भी करके देखना." सासुमाँ बोली, "हाय, तुझसे बात करते करते मुझे कितनी चुदास चढ़ गयी है! चल बेटा, जल्दी से अपने कपड़े उतार. एक बार तुझसे चुदवाये बिना मेरी हवस नही उतरेगी."
"माँ, अभी? पिताजी आ गये तो?"
"बलराम, मैने कहा न छोटे से घर मे कुछ छुपता नही है." सासुमाँ ने कहा और अपनी ब्लाउज़ और ब्रा उतारने लगी.
"मतलब, पिताजी को भी पता है तुम मुझसे चुदवा रही हो?"
"तुने कभी सोचा है मैं रोज़ रात तेरे साथ कैसे सोती हूँ?" सासुमाँ अपनी बड़ी बड़ी नंगी चूचियों को हाथ मे लेकर मसलती हुई बोली, "तेरे पिताजी को भी बहुत पसंद है अपनी बीवी दूसरे मर्द से चुदवाना - खासकर अपने ही बेटे से. उन्हे सब कुछ पता है."

मेरे पति हक्के बक्के होकर अपनी माँ को देखते रहे.

सासुमाँ उठी और अपनी साड़ी और पेटीकोट खोलकर पूरी नंगी हो गयी. फिर उन्होने अपने बेटे की लुंगी खींचकर निकाल दी. मेरे पति का लौड़ा तो उत्तेजना से फनफना रहा था.

सासुमाँ ने उन्हे बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उन पर चढ़ गयी. अपनी मोटी नंगी बुर को बेटे के खड़े लन्ड पर रगड़ने लगी और होठों के गहरे चुंबन लेने लगी.

"आह!! बलराम! उम्म!! ओह!!" वह बड़बड़ाने लगी, "हाय, आज तो मुझे बहुत चुदास चढ़ गयी है! आह!! तेरा लौड़ा कैसे खूंटे की तरह खड़ा है रे! बहु को चुदवाते देखकर लगता है तुझे बहुत जोश चढ़ गया है."
"आह!!" तुम्हारे भैया ने जवाब दिया.
"देखेगा बहु को रामु से चुदवाते हुए?" सासुमाँ लन्ड पर अपनी गीली बुर रगड़ते हुए बोली, "मैं सब इंतज़ाम कर दूंगी....आह!! बहु भी चाहती है तेरे सामने दूसरे मर्दों से चुदवाना.....आह!! औरत को बहुत मज़ा आता है रे, पति के सामने दूसरे मर्द से चोदवाने मे."
"हाँ, माँ....मै देखुंगा मीना को...रामु से चुदवाते हुए." मेरे वह बोले, "और भी किसी से चुदवायेगी तो वह भी मैं देखुंगा!"

तुम्हारे भैया ने अपना लन्ड पकड़कर अपनी माँ की बुर के मुंह मे रखा. सासुमाँ ने कमर से धक्का दिया और एक जोर के आह!! के साथ बेटे का पूरा का पूरा लन्ड अपनी चूत मे घुसा लिया.
Reply
10-08-2018, 01:13 PM,
#57
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
अपने बेटे के कंधों को पकड़कर सासुमाँ अपनी मोटी गांड उठाने और गिराने लगी और बेटे का लन्ड अपनी चूत मे लेने लगी. दोनो माँ-बेटे के ठापों के ताल पर "ऊंह!! ऊंह!! ऊंह!! ऊंह!!" की आवाज़ पूरे कमरे मे गूंजने लगी.

"बलराम, लगता है बहु दरवाज़े के बाहर से हमे देख रही है." सासुमाँ अपनी कमर चलाते हुए बोली.
"देखने दो रांड को!" मेरे पति देव बोले, "देखे उसके हिस्से का लन्ड कैसे उसकी सास की चूत मे जा रहा है! हाय, मैं बीवी को दिखा दिखाकर अपनी माँ को चोद रहा हूँ!"
"मज़ा मिल रहा है, बेटा?" सासुमाँ ने पूछा.
"हाँ, माँ! बहुत मज़ा मिल रहा है!" मेरे वह नीचे से ठाप लगाते हुए बोले.

सासुमाँ मस्ती मे सिहरकर "ओह!! उम्म!!" कर उठी और अपने बेटे को चूमने लगी.

दरवाज़े के बाहर, घर मे पूरा सन्नाटा था. तुम्हारे मामाजी शायद अपने कमरे मे अब भी अखबार पड़ रहे थे. सिर्फ़ मेरे कमरे से चुदाई की हलकी आवाज़ें आ रही थी.

इतने मे आंगन से किशन की आवाज़ आयी, "भाभी!"

मैं चौंक उठी. "न जाने यह इतनी जल्दी क्यों आ गया?" मैने सोचा और भागकर आंगन मे गयी.

मुझे देखते ही किशन बोला, "भाभी, यह रामु को क्या हुआ है? मैं और गुलाबी खेत वाली झोपड़ी के पास थे. रामु भागता हुआ आया और न जाने क्या अनाप-शनाप बकने लगा."
"क्या कर रहे थे गुलाबी और तुम?" मैने मुस्कुराकर पूछा.
"वह भाभी...हम दोनो..."
"चुदाई कर रहे थे?"
"हाँ भाभी." किशन थोड़ा लजाकर बोला, "रामु ने आकर गुलाबी को मेरे ऊपर से खींचकर उठाया और बोला, ’छिनाल, चोदा-चोदी बंद कर और कपड़े पहन. जल्दी से घर जाकर सामान बांधकर ले आ. हमे अभी अपने गाँव जाना है.’"
"क्यों?"
"पता नही भाभी, कुछ तो बक रहा था!" किशन बोला, "कहने लगा भैया ने उसे देख लिया है और भैया अब उसे गोली मार देंगे. भाभी, क्या देख लिया भैया ने?"
"वही जो वह कर रहा था." मैने मुस्कुराकर जवाब दिया.
"क्या कर रहा था रामु?"
"चोद रहा था मुझे, और क्या." मैने जवाब दिया.

किशन की आंखें फटी की फटी रह गयी.

"क्यों, देवरजी हैरान क्यों हो गये? मैं अकेले तुमसे नही चुदवाती हूँ. मौका मिले तो किसी से भी चुदवा लेती हूँ." मैने कहा, "मै रामु से खटाल के अन्दर चुदवा रही थी जब तुम्हारे भैया ने हमे देख लिया."
"फिर, भाभी?" किशन ने पूछा, "भैया ने आपको कुछ कहा नही?"
"कह तो रहे थे, पर सासुमाँ ने सब सम्भाल लिया."

"माँ ने सम्भाल लिया?" किशन की हैरत बढ़ती ही जा रही थी. "गुलाबी भी रामु को समझा रही थी कि डरने की कोई बात नही है, मालकिन सब सम्भाल लेंगी. भाभी, यह सब क्या चल रहा है? भैया ने आपको घर के नौकर से चुदवाते पकड़ लिया तो माँ क्यों मामला सम्भालने लगी?"

"देवरजी, लगता है अब समय आ गया है तुम्हे घर के कुछ राज़ बता देने का." मैने रहस्यमय मुस्कान के साथ कहा.
"कैसा राज़, भाभी?" किशन ने पूछा.
"चलकर खुद ही देख लो." मैने उसका हाथ पकड़ा और घर की तरफ़ खींचते हुए कहा.

"क्या राज़, बताओ ना भाभी!" किशन पीछे पीछे आते हुए बोला.
"अभी सब साफ़ हो जायेगा, देवरजी! तुम चलो तो सही!"

बैठक-खाने से होते हुए हम मेरे कमरे के पास आये तो मैने कहा, "देवरजी, चौंकना मत. और एक दम कोई आवाज़ नही करना. मेरे कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला है. चुपके से अन्दर देखो और मुझे बताओ अन्दर क्या चल रहा है."

किशन की कुतूहलता हद से आगे बढ़ गयी थी. वह दबे पाँव दरवाज़े के पास गया और उसने आंख लगाकर अन्दर देखा. अन्दर देखते ही जैसे वह जम सा गया.

पांच मिनट बाद मैने उसे खींचकर दरवाज़े से अलग किया और पूछा, "क्या देखा, देवरजी?"

किशन के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. वह बड़ी बड़ी आंखों से मुझे देखने लगा. अन्दर का नज़ारा देखकर जैसे वह सदमे मे आ गया था.

उसने कोई जवाब नही दिया तो मैने अपना हाथ कुर्ते के ऊपर से उसके लौड़े पर रखकर दबाया. उसका लन्ड बुरी तरह सख्त हो गया था.

प्यार से लन्ड को दबाकर मैं पूछा, "क्या हुआ, देवरजी? बताओ न अन्दर क्या देखा?"
"भाभी...माँ और भैया...अन्दर नंगे होकर..." किशन ने कहा.
"क्या कर रहे हैं?" मैने उसके पजामे के नाड़े को खोलते हुए पूछा.
"माँ भैया पर चढ़ी हुई है...और भैया नीचे से...माँ को...चोद रहे हैं!" किशन ने कहा, "भाभी, मेरी माँ ऐसा कैसे कर सकती है? वह भी अपने ही बेटे के साथ!"

मैने किशन का पजामा उतार दिया और उसकी चड्डी नीचे करके लन्ड को बाहर निकाल लिया. फिर उसके सामने बैठकर मैने उसके लन्ड को मुंह मे ले लिया.

किशन के लन्ड को थोड़ा चूसकर बोली, "देवरजी, अब समझे तुम्हारे भैया ने मुझे और रामु को चुदाई करते पकड़ लिया तो सासुमाँ ने मामला क्यों सम्भाल लिया?"
"नही भाभी." किशन मेरे मुंह मे अपना लन्ड पेलकर बोला.
"तुम अपनी माँ को नही जानते. एक छटी हुई रंडी है वो. घर मे बस एक तुम ही बचे हो जिससे उन्होने नही चुदवाया है." मैने कहा.
"मतलब रामु से भी...?"
"हाँ, देवरजी. तुम्हारी माँ रामु से भी चुदवाती है." मैने उसका लन्ड हिलाते हुए कहा, "कभी कभी हम सास-बहु मिलकर रामु से चुदवाते हैं. पर यह बात तुम्हारे भैया को नही पता था. इसलिये जब उन्होने मुझे और रामु को पकड़ लिया सासुमाँ को बीच मे आना पड़ा."
"हाय, भाभी यह आप क्या कह रही हैं?" किशन और उत्तेजित होकर बोला, "घर मे यह सब अनाचार चल रहा है और मुझे कुछ पता ही नही!"

मैने कुछ देर किशन का लन्ड चूसा फिर कहा, "आज तुम्हे सब पता चल जायेगा. देवरजी, खेत मे गुलाबी को चोदकर पानी निकाले थे कि नही?"
"नही भाभी, हमने चुदाई शुरु ही की थी कि रामु भागता हुआ आ गया."
"तभी तुम्हारे लन्ड की यह हालत है. जल्दी पानी नही निकलोगे तो दुखने लगेगा." मैने कहा, "अब बताओ, मुझे चोदोगे या अपनी माँ को?"
"माँ को?" किशन बोला, "वह मुझसे चुदवायेगी?"
"क्यों नही?" मैने कहा, "जब एक बेटे से चुदवा रही है, तो दूसरे बेटे से चुदवाने मे हर्ज ही क्या है? तुम चोदोगे अपनी माँ को?"
"हाँ भाभी!" किशन खुश होकर बोला.
"देवरजी, लगता है तुम्हारा बहुत दिनो का सपना है अपनी माँ को चोदने का!" मैने कहा, "जाओ अन्दर जाओ और चोद डालो अपनी छिनाल माँ को."

किशन ने जल्दी से अपनी चड्डी चढ़ा ली और अपने खड़े लौड़े को अन्दर किया. फिर अपना पजामा नीचे से उठाकर बांध लिया.

हम दरवाज़े के पास गये और मैने अन्दर झाँका. माँ-बेटा अभी भी चुदाई मे लगे थे, पर अब वह अलग तरीके से मज़ा ले रहे थे. दोनो एक दुसरे के यौन-अंगो को चूसकर आनंद दे रहे थे. सासुमाँ अपनी बुर बेटे के मुंह पर रगड़ रही थी और बेटा नीचे से माँ की सफ़ा की हुई मोटी बुर को चाट रहा था. सासुमाँ बेटे का लौड़ा मुंह मे लेकर चूस रही थी. उनका मुंह दरवाज़े की तरफ़ था.

किशन देखकर गनगना उठा.

मैने कहा, "जाओ ना, देवरजी. देख क्या रहे हो?"
"पर भैया हैं अन्दर! कुछ बोलेंगे तो?"
"अरे बुद्धू, जो आदमी अपनी माँ को चोद रहा है वह क्या बोलेगा?" मैने कहा, "जाओ जाकर अपनी माँ के मुंह मे अपना लौड़ा ठूंस दो. एक लन्ड चूस रही है. दूसरा भी चूस लेगी."

बाहर हमारी बातों की आवाज़ सुनकर सासुमाँ अन्दर से बोली, "बहु, बाहर क्यों खड़ी है? अन्दर आ जा और मेरे साथ बलराम से चुदवा ले. रामु तो तुझे आधी चुदाई मे छोड़ गया था."

मैने दरवाज़े को थोड़ा खोला और किशन को धक्का देकर अन्दर भेज दिया.

उसे देखकर सासुमाँ चौंक उठी और बोली, "किशन, तु? मैं समझी बहु है. तु यहाँ क्या कर रहा है?"
"माँ, वो...मै ख-खेत से आ ग-गया था..." किशन हकलाकर बोला.

सासुमाँ तुम्हारे भैया के नंगे बदन से उतर कर पलंग पर बैठ गयी और अपने विशाल चूचियों के हाथों से ढकने की नाकाम कोशिश करके पूछी, "कब से देख रहा है यह सब?"
"बस अभी...थ-थोड़ी देर से."

तुम्हारे भैया भी उठकर बैठ गये और गुस्सा दिखाकर किशन को बोले, "तुझे शर्म नही आती दूसरों के कमरे मे ताक-झांक करता है?"
"बलराम! चुप भी कर!" सासुमाँ बोली, "हम कौन सा यहाँ पूजा-पाठ कर रहे हैं."

मेरे वह चुप हो गये और उन्होने अपनी लुंगी से अपने खड़े लौड़े को ढक लिया.

सासुमाँ बोली, "अब इसने सब देख ही लिया है तो और क्या छुपाना. किशन बेटा, मेरे पास आ."
Reply
10-08-2018, 01:13 PM,
#58
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
किशन पलंग के पास गया तो सासुमाँ ने उसके गोरे गालों पर हाथ फेरा और पूछा, "बता, अब तु क्या करना चाहता है?"
"माँ...मैं...वो..." किशन हकलाकर रुक गया.
"मुझे चोदना चाहता है?" सासुमाँ ने कुर्ते के ऊपर से उसके लौड़े को दबाकर पूछा.

किशन ने मस्ती मे आंखें बंद कर ली और हाँ मे सर हिलाया.

तुम्हारे बलराम भैया ने व्यंग करके पूछा, "तुझे चूत मारनी आती भी है?"

सासुमाँ ने किशन के पजामे का नाड़ा खोला और बोली, "बलराम, तु खुद को समझता क्या है रे? कितने दिन हो गये हैं किशन तेरी बीवी की चूत मार रहा है. तुझे कोई खबर है?"
"माँ! यह क्या कर रही हो तुम?" मेरे उन्होने चौंकर पूछा, "मीना अपने देवर से भी चुदवा रही है?"
"घर मे कोई है जिससे तेरी रंडी बीवी चुदी नही है?" सासुमाँ बोली, "और किशन गुलाबी को भी चोद रहा है. क्यों किशन, तु अभी खेत मे गुलाबी को चोद रहा था ना?"

किशन ने हाँ मे सर हिलाया.

सासुमाँ ने उसका पजामा खोल दिया और उसके 7 इंच के लन्ड को पकड़कर बोली, "हाय किशन, तु कितना बड़ा हो गया है रे! तभी बहु और गुलाबी तुझसे इतना मज़ा लेकर चुदवाती है! चल अपने सारे कपड़े उतार और पलंग पर आ जा. आज अपने दोनो बेटों से चुदकर अपने पाप का घड़ा भर लेती हूँ."

किशन ने कांपते हाथों से अपनी चड्डी उतारी, फिर अपना कुर्ता और बनियान उतारकर पूरा नंगा हो गया. फिर पलंग पर उठकर अपने माँ के पास बैठ गया.

सासुमाँ की आंखें हवस से लाल थी. उहोने किशन को बिस्तर पर लिटा दिया और उस पर चढ़ गयी. अपने चूचियों को किशन से सीने पर और अपनी मोटी बुर को उसके लौड़े पर रगड़ने लगी और उसके नर्म किशोर होठों को पीने लगी.

तुम्हारे भैया को अपनी माँ की यह घिनौनी हरकतें देखकर बहुत जोश आ गया. उन्होने अपने लौड़े पर से अपनी लुंगी हटायी और लन्ड को मुट्ठी मे लेकर हिलाने लगे.

मै इधर दरवाज़े के बाहर खड़ी अन्दर की नाजायज़ चुदाई देख रही थी. मैने सोचा अब ससुरजी को बुलाने का समय आ गया है.
मै ससुरजी के कमरे मे गयी तो देखी वह खिड़की के पास एक कुर्सी पर बैठकर अखबार पढ़ रहे हैं.

मुझे देखकर तुम्हारे मामाजी बोले, "क्या बहु, बलराम क्यों चिल्ला रहा था? तेरा कुछ काम बना?"
"हाँ बाबूजी, लगभग सब काम बन गया है." मैं उनके पास जाकर बोली.

उन्होने मेरे कमर मे हाथ डाला और खुद से चिपका लिया.

"पति के सामने गैर मर्द से चुदवाने की तेरी इच्छा पूरी हुई?" तुम्हारे मामाजी ने पूछा. वह एक हाथ से लुंगी मे अपने लौड़े को सहलाने लगे.
"हाँ, बाबूजी. मैं खटाल मे रामु से चुदवा रही थी, तब आपके बड़े बेटे आ गये. हमे देखकर बहुत चिल्लाये." मैने कहा, "पर सासुमाँ ने सब सम्भाल लिया. अब मैं जिससे चाहे उनके सामने चुदवा सकती हूँ."
"बहु, मुझे कौशल्या पर पूरा भरोसा था." ससुरजी बोले, "अब बता तुम दोनो सास-बहु की क्या योजना है?"
"एक योजना को तो सासुमाँ अभी अंजाम दे रही है." मैने मुस्कुराकर कहा.
"कौन सी योजना?" ससुरजी ने उत्सुक होकर पूछा.
"मेरे साथ चलिये तो दिखाती हूँ." मैने कहा और उनका हाथ पकड़कर उन्हे कुर्सी से उठाया.

लुंगी मे उनका लन्ड ठनक कर खड़ा था. उन्होने चड्डी नही पहनी थी.

तुम्हारे मामाजी और मैं कमरे से निकले और मेरे कमरे के पास आये. दरवाज़ा थोड़ा खुला था और अन्दर से मस्ती की "ऊह!! आह!! ऊंह!" कि आवाज़ आ रही थी.

ससुरजी ने अन्दर झाँका और मुझे धीरे से बोले, "तो यह कुकर्म कर रही है कौशल्या? साली पूरी की पूरी रंडी हो गयी है."

मैने अन्दर झाँका तो देखा किशन बिस्तर पर नंगा लेटा था और सासुमाँ उसका लन्ड मुंह मे लेकर चूस रही थी. उनके चूतड़ उठे हुए थे. मेरे पति अपनी माँ के कमर को पकड़कर उन्हे कुतिया बनाकर चोद रहे थे. उनके धक्कों से सासुमाँ का पूरा शरीर कांप रहा था और उनकी लटकती चूचियां झूल रही थी.

मैने ससुरजी की लुंगी खोल दी और उनके खड़े लन्ड को पकड़कर हिलाने लगी. ससुरजी ने भी मेरी ब्लाउज़ उतार दी और मेरी ब्रा मे कसी चूचियों को दबाने लगे. उनकी सुविधा के लिये मैने अपनी ब्रा भी उतार दी.

अन्दर सासुमाँ छोटे बेटे का लन्ड चूस रही थी और बड़े बेटे से चुदवा रही थी. कुछ देर बाद वह बोली, "बस कर बलराम. अब ज़रा किशन को चोदने दे."

मेरे उन्होने अपनी माँ की बुर से अपना लन्ड निकाल लिया. सासुमाँ दरवाज़े की तरफ़ पाँव करके चित लेट गयी. अपने जांघों को चौड़ी कर के अपनी अभी अभी चुदी बुर किशन के आगे करके बोली, "आजा किशन. आ चोद ले अपनी माँ को. तु भी मादरचोद बन जा."

किशन एक मिनट की देर किये बिना अपनी माँ के जांघों के बीच बैठा गया और अपने खड़े लन्ड के सुपाड़े को अपनी माँ की चूत के दरार मे रगड़ने लगा.

"और तड़पा मत, किशन!" सासुमाँ अपनी कमर उचका कर बोली, "पेल दे मेरी चूत मे अपना लौड़ा!"

किशन ने कमर का धक्का लगाया तो उसका लन्ड पेलड़ तक सासुमाँ की गीली भोसड़ी मे घुस गया.

सासुमाँ जोर की आह भरकर बोली, "आह, बेटा! कितना मज़ा आ रहा है. अब धीरे धीरे चोद मुझे. जल्दी मत कर. मुझे तुम दोनो से अभी लंबी चुदाई करनी है!"
"ठीक है, माँ." किशन बोला और धीरे धेरे अपनी माँ की बुर मे लन्ड पेलने लगा.
"हाय, किशन! क्या मस्त चोद रहा रे तु!" सासुमाँ कमर उचका कर बोली, "लगता है बहु ने तुझे चुदाई का पूरा ज्ञान दिया है!"

इधर ससुरजी ने मेरी साड़ी भी उतार दी थी, मैं अब सिर्फ़ पेटीकोट मे थी और ऊपर से पूरी नंगी थी. ससुरजी ने सिर्फ़ एक बनियान पहनी हुई थी. मैं उनके लन्ड को हिला रही थी और वह मेरी नर्म, गोरी गोरी चूचियों को मसल रहे थे.

"बलराम, बेटा ज़रा मेरे मुंह को चोद दे!" सासुमाँ बोली.

तुम्हारे भैया ने अपने दोनो घुटने सासुमाँ के कंधों के दोनो तरफ़ रखा और अपना लौड़ा अपनी माँ के मुंह मे दे दिया.

सासुमाँ बड़े बेटे का लन्ड को चूसने लगी. मेरे वह अपनी कमर को चला कर अपनी माँ के मुंह को चोदने लगे. उनका भारी पेलड़ जाकर सासुमाँ के ठोड़ी से टकराने लगा. शायद उनका मोटा सुपाड़ा सासुमाँ के हलक मे उतर जा रहा था. सासुमाँ "उम्म! ऊंह!! ऊंघ!" की आवाज़ कर रही थी और कमर उठा उठाकर किशन का लन्ड ले रही थी.

"मज़ा आ रहा है, बाबूजी?" मैने ससुरजी से पूछा.
"बहुत मज़ा आ रहा है, बहु!" ससुरजी मेरी चूचियों को जोर से भींचकर बोले, "अपनी बीवी को अपने दो बेटों से चुदवाते देखने की मेरी बहुत इच्छा थी. तुने मेरा यह सपना पूरा कर दिया, बहु."
"हाय, बाबूजी. मैने तो यह सब अपने मज़े की लिये किया है!" मैने कहा, "अब जल्दी ही हम सोनपुर की तरह खुलकर आपस मे चुदाई कर सकेंगे. हाय कितना मज़ा आयेगा सामुहिक संभोग मे!"
"मेरी प्यारी सी चुदक्कड़ बहु!" ससुरजी मेरे गाल को चूमकर बोले, "यह सब देखकर अब रहा नही जा रहा. अब तुझे एक पानी चोदना ही पड़ेगा."
"चलिये न बाबूजी, अपने कमरे मे ले जाकर मुझे चोदिये." मैने कहा.
"मेरे कमरे मे जाने की क्या ज़रूरत है?" ससुरजी बोले, "अब जब सारे राज़ खुल ही रहे हैं, तो यह राज़ भी खुल जाये कि तु अपने ससुर से चुदवाती है!"
"मतलब आप मुझे उनके सामने..."
"हाँ बहु, तुझे मैं तेरे पति के सामने चोदना चाहता हूँ." ससुरजी बोले और उन्होने दरवाज़ा खट्खटाया.

"अन्दर आ जाओ मीना!" अन्दर से मेरे पति ने आवाज़ लगाई. "मै कुछ नही कहूंगा. तुम भी आकर हमारी चुदाई मे शामिल हो जाओ. मैं भी देखूं, मेरी बीवी कैसे अपने देवर से चुदती है."
Reply
10-08-2018, 01:13 PM,
#59
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
मै और ससुरजी कमरे के अन्दर घुसे. किशन और तुम्हारे भैया का मुंह दीवार के तरफ़ था. सासुमाँ बड़े बेटे से अपनी मुंह चुदा रही थी. इसलिये किसी ने हमे नही देखा.

"बलराम, सिर्फ़ देवर से ही क्यों? अपनी बीवी को अपने ससुर से भी चुदते हुए देख ले!" तुम्हारे मामाजी ने हंसकर कहा.

ससुरजी की आवाज़ सुनकर किशन और मेरे वह चौंक उठे. दोनो ने अपनी माँ को चोदना बंद किया और दरवाज़े की तरफ़ मुड़े.

उन्होने देखा कि उनके पूज्य पिताजी ने एक बनियान पहनी हुई थी और कमर के नीचे नंगे थे. उनका 8 इंच का मोटा लौड़ा तनकर खड़ा था. साथ मे मैं खड़ी थी, एक पेटीकोट पहने, ऊपर से पूरी नंगी. मेरी कसी कसी चूचियां खुलकर थिरक रही थी.

सासुमाँ के मुंह मे मेरे उनका लौड़ा ठूंसा हुआ था. वह, "ऊंह! ऊंघ!" करके कुछ बोलने लगी.

ससुरजी हंसकर बोले, "अरे तुम दोनो रुक क्यों गये? चालु रखो अपनी रंडी माँ की चुदाई. मैं और बहु यहाँ बैठकर देखते हैं."

वह मुझे लेकर सासुमाँ के बगल मे पलंग पर बैठ गये.

"पिताजी आप और मीना..." मेरे वह बोले.
"तु सोच रहा है हम दोनो अध-नंगे क्यों हैं?" ससुरजी ने पूछा, "दर असल मैं काफ़ी दिनो से बहु को चोद रहा हूँ. रोज़ रात को जब तु अपनी माँ को लेकर सोता है, तो तु क्या सोचता है बहु कहाँ सोती है?"
"मीना तो बोली वह मेहमानों के कमरे मे सोती है." मेरे वह बोले.
"बेवकुफ़, तु एक औरत की बात पर विश्वास करता है? वह मेरे साथ सोती है, मूरख!" ससुरजी जोर से हंसकर बोले, "मैं रोज़ रात को अपनी सुन्दर बहु की जवानी को लूटता हूँ. उसकी मस्त चूचियों को पी पीकर उसे चोदता हूँ."

मेरे पति ने अपना लन्ड अपनी माँ के मुंह से निकाल लिया और नीचे खड़े हो गये.

वह बोले, "माँ, यानी कि मीना रामु, किशन और पिताजी सब से चुदवा रही है?"
"हाँ बेटा." सासुमाँ बोली, "अब तुझे सब पता लग ही गया है तो बाकी भी सुन ले. तेरे पिताजी ने बहु को पहली बार सोनपुर मे जबरदस्ती चोदा था."
"तुम ने कुछ कहा नही?"
"तेरी माँ क्या कहेगी?" ससुरजी बोले. वह एक हाथ से मेरी एक नंगी चूची को दबा रहे थे. "वह खुद विश्वनाथ से चुदवाने मे व्यस्त थी."
"यह विश्वनाथ कौन है, माँ?"
"तेरे पिताजी के एक दोस्त हैं. सोनपुर मे रहते हैं. हम उन्ही के घर मे ठहरे थे." सासुमाँ बोली.

"माँ, बताईये ना, विश्वनाथजी ने आपको कैसे ट्रेन के टॉयलेट मे चोदा था!" मैने जोड़ा. मेरा हाथ ससुरजी के खड़े लन्ड पर था जिसे मैं धीरे धीरे हिला रही थी.

मेरे वह अपनी माँ को हैरानी से देखने लगे. "माँ, तुम ने ट्रेन के टॉयलेट मे चुदवाया था?"
"अरे वह एक लम्बी कहानी है, बेटा. कभी फ़ुर्सत मे बताऊंगी." सासुमाँ हंसकर बोली. "विश्वनाथजी का लौड़ा बहुत मोटा और लंबा था, 9-10 इंच का. चूत मे लेकर बहुत मज़ा आता था. बहु भी तो बहुत चुदवाई है उनसे."
"मीना इस विश्वनाथ से भी चुदी है!" मेरे वह बोले, "माँ, आखिर सोनपुर के मेले मे तुम लोग क्या करने गये थे?"
"गये तो मेला देखने थे, बेटा." सासुमाँ बोली, "पर हुआ यूं कि चार बदमाशों ने पहले बहु और वीणा का - तेरी बुआ की बड़ी बेटी जो हमारे साथ सोनपुर गयी थी - उन दोनो का सामुहिक बलात्कार किया..."
"मीना का सामुहिक बलात्कार! मतलब गैंग-रेप?" तुम्हारे भैया की हैरानी बढ़ती ही जा रही थी.
"हाँ. फिर अगले दिन विश्वनाथजी ने उन चारों के साथ मिलकर हम तीनो की जबरदस्ती चुदाई की. वहीं से यह सब शुरु हुआ." सासुमाँ ने कहा.

किशन ने अपनी माँ के बुर से अपना लन्ड निकाल लिया था और उनकी बातें सुन रहा था. ससुरजी मेरी नंगी चूचियों को चूस रहे थे और मैं उनके लन्ड को हिला रही थी. सासुमाँ ने तुम्हारे भैया के लन्ड को पकड़ा और लेटे लेटे हिलाने लगी.

"फिर क्या हुआ माँ?" मेरे उन्होने पूछा.
"बेटा, वीणा तो कमसिन थी, पर बहु पहले से ही चुदैल मिजाज़ की थी. मैं तो शादी के बाद तेरे पिताजी से छुपके चार-पांच लोगों से चुदवाई भी हूँ." सासुमाँ बोली, "उस रात की सामुहिक चुदाई मे हमे इतना मज़ा आया कि हम तीनो के अन्दर जैसे वासना की ज्वाला जल उठी. चुदाई का ऐसा चस्का लग गया कि बस जी करता था हर समय अपनी चूत मे किसी का लौड़ा लिये पड़े रहें."

"माँ, पिताजी ने भी सबके साथ मिलकर आप तीनो को चोदा था?" किशन ने पूछा.
"नही रे. उस रात तो तेरे पिताजी पीकर टल्ली हो गये थे." सासुमाँ बोली, "उन्हे तो कुछ पता ही नही चला."
"फिर उन्होने भाभी को कब चोदा?"
"अगले दिन जब मैं विश्वनाथजी का साथ अपने पीहर को गयी थी, तब मौका देखकर उन्होने बहु और वीणा बिटिया दोनो को जबरदस्ती चोद लिया." सासुमाँ बोली.

"और पीहर जाने के रास्ते विश्वनाथजी ने माँ को ट्रेन के टॉयलेट मे और होटल मे बहुत चोदा." मैने जोड़ा.

"यहाँ आकर बहु ने रामु, किशन, और गुलाबी को चुदाई के लिये पटा लिया." सासुमाँ बोली. "बस यही कहानी है. अब समझ मे आया?"
"हूं." मेरे वह बोले.

"अब जब सब कुछ साफ़ हो गया है हम सब खुलकर चुदाई कर सकते हैं." ससुरजी बोले, "रामु और गुलाबी आ जाये तो उन्हे भी बाकी का सब बता देंगे. फिर कल शाम को एक दावत करेंगे."
"कैसी दावत पिताजी?" किशन ने पूछा.

"जैसी दावत सोनपुर से आने के पिछले दिन हमने की थी." मैने हंसकर कहा. "उस दिन हम सब ने बहुत शराब पी थी. विश्वनाथजी उन चार बदमाशों को भी बुला लाये थे. फिर छह मर्दों ने मिलकर हम तीन औरतों की रात भर चुदाई की थी. हाय क्या मज़ा आया था अपनी चूत और गांड मरवाने मे!"

"मीना, तुम ने शराब भी पी थी?" तुम्हारे भैया ने मुझे पूछा.

"अरे बलराम, शराब के बिना कोई दावत होती है क्या?" सासुमाँ बोली, "शराब पीकर चुदाने मे एक अलग मज़ा होता है. और शराबी औरत को चोदने मे भी मर्दों को बहुत मज़ा आता है. मैने भी बहुत पी थी उस दिन."

सारी कहानी सुनकर दोनो बेटों की आंखें चमक रही थी. उनके लौड़े तने हुए थे. लग रहा था वह आने वाले दिनो के मज़े के सपनों मे खो गये थे.
"कहाँ खो गये तुम दोनो?" सासुमाँ ने पूछा, "चलो दोनो अब मेरी चुदाई चालु करो."

किशन ने फिर अपना लौड़ा अपनी माँ की चूत मे घुसा दिया और हुमच हुमच कर चोदने लगा.

तुम्हारे भैया अपनी माँ के मुंह मे अपना लन्ड डालने लगे तो सासुमाँ बोली, "बलराम, मेरी ज़रा गांड मार दे बेटा."
"माँ, गांड मे?" मेरे वह बोले.
"क्यों तुने कभी बहु की गांड नही मारी है?"
"मारी तो है..."
"तो मेरी भी मार दे. मैने तो विश्वनाथजी का खूंटा भी अपनी गांड मे लिया था. बहुत मुश्किल हुई थी, पर मज़ा भी बहुत आया था." सासुमाँ बोली, "किशन तु नीचे आ और मुझे ऊपर चढ़ने दे."

किशन ने अपनी माँ के बुर से अपना लन्ड निकाला और पलंग पर लेट गया. सासुमाँ ने अपने बड़े बेटे का लन्ड चाटकर तर किया फिर किशन पर चढ़ गयी. किशन के लन्ड को पकड़कर अपने चूत पर सेट किया और कमर से दबाकर अपने अन्दर ले लिया.
"बलराम, अब अपना लन्ड मेरी गांड मे डाल दे, बेटा." सासुमाँ बोली.

मेरे पति अक्सर मेरी गांड मारा करते थे पर अपनी माँ के साथ उनका यह पहला अनुभव था. दोनो चूतड़ों को अलग करके उन्होने अपने लन्ड का चिकना सुपाड़ा सासुमाँ की गांड के छेड़ पर रखा और दबाव देने लगे. बिना ज़्यादा मेहनत के सुपाड़ा अन्दर चला गया. और थोड़ी देर मे पूरा लन्ड पेलड़ तक गांड मे घुस गया. सासुमाँ की चूत मे छोटे बेटे का लन्ड पहले से ही था. वह आंखें बंद करके जोर से कराह उठी "आह!!"

सासुमाँ और दोनो बेटे कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे. फिर सासुमाँ ने कांपती आवाज़ मे कहा, "अब दोनो मुझे पेलना शुरु करो!"

तुम्हारे भैया ने अपनी माँ के कमर को पकड़ा और अपने लन्ड को सुपाड़े तक निकाल लिया फिर एक धक्के मे जड़ तक ठूंस दिया. सासुमाँ फिर मस्ती मे बोली, "आह!! ऐसे ही पेल मेरी गांड को, बलराम! हाय क्या मज़ा मिल रहा है!"

मेरे वह अपनी माँ की गांड को धीरे धीरे मारने लगे. दोनो के कमर के हिलने से किशन का लन्ड अपने आप सासुमाँ की चूत के अन्दर बाहर होने लगा.

ससुरजी अपनी पत्नी की इस अश्लील छवी को देखकर बहुत गरम हो गये थे. उन्होने मुझे सासुमाँ के बगल मे लिटा दिया और मेरी पेटीकोट को उतार दिया. मैं पूरी नंगी हो गयी. फिर उन्होने अपनी बनियान उतार दी और मुझ पर चढ़ गये. मेरे होठों को पीने लगे और मेरी चूचियों के दबाने लगे. उनका खड़ा लन्ड मेरी बहुत ही गीली चूत पर फिसलने लगा.

"पिताजी, ठूंस दीजिये इस रंडी की चूत मे अपना लन्ड!" तुम्हारे भैया अपनी माँ की गांड को पेलते हुए बोले.

मैने ससुरजी के लन्ड को पकड़कर अपनी चूत पर रखा और ससुरजी ने कमर के धक्के से उसे अन्दर घुसा दिया. मैने पैरों से उन्हे जकड़ लिया और वह हुमच हुमचकर मुझे चोदने लगे.

वीणा, जैसे कि तुम समझ ही सकती हो, पूरे घर का माहौल बहुत ही कामुक हो गया था. हम पांचों पूरी तरह नंगे थे. हमारे कपड़े पूरे घर मे बिखरे हुए थे. मैं अपने पति के सामने अपने ससुर से चुदवा रही थी. सासुमाँ अपने पति के सामने अपने दोनो बेटों से अपनी बुर और गांड मरवा रही थी. "आह!! आह!! ऊह! ओह!!" की आवाज़ पूरे घर मे गून्ज रही थी. जिस्म से जिस्म के टकराने से "ठाप! ठाप! ठाप! ठाप!" की आवाज़ हो रही थी. मेरा शरीर सासुमाँ के नंगे शरीर से सटा हुआ था. हम दोनो सास-बहु चुदाई मे डूबे हुए थे.

"हाय, बलराम!" सासुमाँ बोली, "मार मेरी गांड को अच्छे से! उम्म!! मार मार के फाड़ दे मेरी गांड को!"
"बहुत मस्त गांड है तुम्हारी, माँ!" मेरे वह बोले, "बहुत मज़ा आ रहा है पेलने मे!"
"आह!! माँ, लग रहा है भैया अपना लन्ड मेरे लन्ड पर रगड़ रहे हैं!" किशन बोला.
"चूत और गांड के बीच की दीवार बहुत पतली होती है, बेटा!" सासुमाँ बोली, "इसलिये तो चूत और गांड की दोहरी पेलाई मे मर्दों को इतना मज़ा है!"

मै भी ससुरजी के ठाप खा खा के बहुत गरम हो गयी थी. "हाय बाबूजी! और जोर से चोदो मुझे! आह!! और जोर से!!" मैने चिल्लायी, "मेरे पति के सामने मुझे रंडी की तरह चोदो!"

ससुरजी जोश मे आकर मुझे और जोर से चोदने लगे.
Reply
10-08-2018, 01:13 PM,
#60
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
उधर मेरे पति और किशन भी अपनी माँ को और तेजी से चोद रहे थे. उनके मुंह से हर ठाप के साथ सिर्फ़ "ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ!" की आवाज़ आ रही थी.
सासुमाँ "हाय! उफ़्फ़!! आह!! उम्म्म!" करके अपने दोनो छेदों मे लन्ड ले रही थी.

चुदाई करते करते हम पांचों झड़ने के कगार पर आ गये.

ससुरजी को अपनी बाहों मे जकड़कर मैं चिल्लाने लगी, "हाय बाबूजी! और जोर से चोदो मेरी भोसड़ी को! आह!! फाड़ दो मेरी चूत को!! मैं झड़ने वाली हूँ! आह!! ओह!! आह!! आह!! उम्म!!"

ससुरजी भी बहुत जोश मे मुझे पेलने लगे. वह जोर जोर से सांसें ले रहे थे और बड़बड़ा रहे थे, "ले साली रंडी! ले अपने ससुर का लन्ड! आह!! कुतिया, अपने पति के सामने चुदवा रही है!! ले मेरा लौड़ा!! बेहया रांड!! चुद अच्छे से. बुझा ले अपनी हवस! ऊंह!!"

इधर मैं झड़ने लगी और मेरे ऊपर ससुरजी भी मेरी चूत मे झड़ने लगे. मुझे जोर जोर के ठाप लगाकर उन्होने मेरी चूत की गहराई मे अपना वीर्य उगल दिया.

फिर वह मेरे ऊपर पस्त होकर लेट गये. मैं अपने पास लेटी सासुमाँ की दोहरी चुदाई देखने लगी.

सासुमाँ भी जल्दी ही झड़ने लगी. "हाय, बलराम! मार मार के फाड़ दे मेरी गांड! आह!! किशन बेटा! चोद डाल अपनी रंडी माँ को! आह!! हाय इतना मज़ा मुझे कभी नही आया है! आह!! मैं अपने दोनो बेटों से चुदवा रही हूँ!"
"ले ना मेरा लौड़ा, साली रंडी!" किशन जोश मे अपनी माँ को गंदी गालियाँ देने लगा, "कुतिया कहीं की, अच्छे से चुद मेरे लौड़े पर!"
"हाँ, किशन बेटा! मैं रंडी ही हूँ!!" सासुमाँ झड़ते हुए बोली, "चोद अपनी रंडी को बेटा!! मैं तुम दोनो की रखैल बनके रहुंगी!! आह!! मुझे जब चाहे दोनो चोदना!! आह!! आह!! चोद चोदकर मेरा पेट बना देना!! आह!! आह!!"

सासुमाँ के साथ किशन भी झड़ने लगा, "आह!! ले मेरा पानी छिनाल माँ! ले मेरा पानी अपने गर्भ मे और अपनी पेट बना ले, हरामन!! आह!! आह!! आह!! आह!!" अपनी माँ की बुर मे अपना वीर्य उगलकर वह पस्त हो गया.

सासुमाँ थक कर किशन ऊपर लेट गयी.

पर मेरे पति ने उनकी गांड मारना जारी रखा. और 5-6 मिनट गांड मारने के बाद उन्होने सासुमाँ की गांड मे अपना पूरा लन्ड पेल दिया और अपना पेलड़ खाली करने लगे. 15-20 सेकंड तक अपनी माँ की गांड मे अपना वीर्य भरकर वह सासुमाँ के ऊपर निढाल होकर लेट गये.

हम पांचों बहुत देर तक इसी तरह नंगे पड़े रहे.

जब हमारी सांसें काबू मे आयी, सासुमाँ ने कहा, "चलो उठो सब लोग! बहु और मुझे बहुत काम है. चुदाई करते रहेंगे तो दोपहर का खाना नही बनेगा. यह गुलाबी न जाने अब तक क्यों नही आयी!"
"माँ, कहीं रामु उसे लेकर अपने गाँव तो नही चला गया?" मैने पूछा.
"नही, बहु." सासुमाँ बोली, "रामु जाना चाहे तो भी गुलाबी नही जायेगी. उसे यहाँ जितने लौड़े मिल रहे हैं ससुराल जाके कहाँ मिलेगा? किशन, उठकर कपड़े पहन और जाके देख यह रामु कहाँ छुपा बैठा है. उसे बोलना भैया उसे कुछ नही बोलेंगे. वह घर आ जाये."

हम सब एक दूसरे से अलग हुए और अपने कपड़े पहनने लगे.

मैने और सासुमाँ ने अपनी चूत और गांड से बहते हुए वीर्य को पोछकर साफ़ किया. फिर कपड़े पहनकर हम रसोई मे चले गये.

ससुरजी अपने कमरे मे चले गये और किशन रामु को ढूंढने खेत मे चला गया. मेरे वह पलंग पर थक कर नंगे ही पड़े रहे.

किशन घंटे भर बाद रामु और गुलाबी को हाज़िपुर स्टेशन से पकड़कर लाया. वहाँ बैठकर रामु अपने गाँव जाने की ज़िद कर रहा था और गुलाबी उसे समझा रही थी. घर आकर रामु अपने कमरे मे छुप गया और दिन भर बाहर नही आया.


वीणा, उस रात सासुमाँ किशन के साथ सोयी और उससे एक और बार चुदवाई. ससुरजी गुलाबी को लेकर सोये और देर रात तक उसे चोदते रहे.

मै तुम्हारे बलराम भैया के साथ सोयी. उन्होने मुझे बहुत प्यार किया और बहुत चोदा. सोनपुर से आने के बाद यह हम दोनो की पहली चुदाई थी. इतने दिनो तक हम हर किसी के साथ चुदाई कर रहे थे - पर पति-पत्नी होने का फ़र्ज़ नही निभा रहे थे. है ना मज़े की बात?

वीणा, अब तक जो हुआ मैने इस ख़त मे लिख दी है. आगे की कहानी अगले ख़त मे.

तुम्हारी चुदक्कड़ भाभी

**********************************************************************


भाभी की मनोरंजक चिट्ठी पढ़ते पढ़ते मैं दो बार झड़ गयी थी. अगर पढ़ने मे इतना मज़ा आ रहा था, तो मैं सोचा, भाभी को यह सब करने मे कितना मज़ा आ रहा होगा! मैने जल्दी से भाभी को जवाब भेजा.

**********************************************************************

प्यारी भाभी,

तुम्हारी चिट्ठी मिली. मुझे जो उम्मीद थी वही पाया. मामा, मामी, और तुम्हारी घिनौनी योजना आखिर सफ़ल हो ही गयी! भई, मैं तो मान गयी तुम्हे! अब आगे की क्या योजना है? अब तो तुम सब बस दिन-रात चोदा-चोदी ही करते रहोगे! या फिर कुछ और भी सोच रखा है तुम ने? जैसे गुलाबी बेचारी को रंडीखाने मे बेच देने की! या फिर खुद रंडीबाज़ी करने की? मुझे तो सोचकर ही चुदास चढ़ रही है.

एक बात तो कहनी ही पड़ेगी. भाभी, तुम्हारी चिट्ठियां पढ़ पढ़ के और अपनी चूत मे बैंगन पेल पेल के मेरे तो दोनो हाथ बहुत मजबूत हो गये हैं! पर यह कब तक चलेगा? तुम ने लिखा था तुम ने मेरे लिये कुछ सोच रखा है. वह क्या है भाभी? और वह कब होगा? मुझसे तो और प्रतीक्षा नही होती.

तुम्हारी वीणा

****************************************
मीना भाभी की अगली चिट्ठी जल्दी ही आ गयी. आजकल नीतु मेरे कमरे मे ताक-झांक करती रहती है कि आखिर मैं अपना दरवाज़ा बंद करके क्यों भाभी की चिट्ठी पढ़ती हूँ. इसलिये अब की बार मैं चिट्ठी लेकर छत पर चली गयी.

हमारे घर के आंगन मे बहुत से पेड़ हैं जिसके कारण छत पर काफ़ी एकन्त है. मैं छत के एक कोने मे बैठकर भाभी की चिट्ठी पढ़ने लगी. और साथ ही अपनी साड़ी मे हाथ डालकर अपनी चूत सहलाने लगी.

**********************************************************************

मेरी प्यारी ननद,

आशा करती हूँ कि तुम मज़े मे हो और तुम्हारे घर पर सब लोग अच्छे है. (अच्छा बाबा, मैं जानती हूँ तुम्हारी चूत को महीने भर से कोई लौड़ा नही मिला है. पर मुझे तुम्हारा कुशल-मंगल तो पूछना चाहिये ना!)

कल शाम को हमारे घर पर एक शानदार दावत हुई. दावत मे सिर्फ़ मै, तुम्हारे बलराम भैया, मेरा देवर किशन, तुम्हारे मामाजी और मामीजी, नौकर रामु और उसकी जोरु गुलाबी थे. तुम भी होती तो मज़ा चौगुना हो जाता!

सुबह नाश्ते के बाद ही ससुरजी ने रामु को बुला भेजा और कहा, "रामु, आज शाम को एक दावत करनी है."
"जी मालिक. कितने मेहमान आ रहे हैं?" रामु ने पूछा.
"कोई मेहमान नही आयेंगे. बस हम लोग ही होंगे." ससुरजी बोले, "तु किशन के साथ हाज़िपुर बाज़ार जा और सब सामान लेकर आ. खाने का सामान तेरी मालकिन बता देगी - पर मुर्गा और गोश्त ज़रूर लाना. और हाँ, चार बोतल ओल्ड मॉन्क के ले आना. साथ मे कोकाकोला के दो बड़े बोतल ले आना."
"ई ओल्ड मॉन्क का है मालिक?" रामु ने पूछा.
"दारु है. दुकान मे बोलना वह दे देंगे."

"मालिक, दावत मे दारु भी चलेगा?" रामु ने पूछा, "आप तो पीते नही हैं."
"कभी कभी तो पी ही लेता हूँ."
"पर चार-चार बोतल? आप अकेले इतना सारा कैसे पीयेंगे?"
"अरे मैं अकेले क्यों पियुंगा? सब लोग पीयेंगे." ससुरजी बोले.
"बड़े भैया और किसन भैया भी आपके साथ पीयेंगे का?"

"तु ज़्यादा बहस मत कर. जो बोल रहा हूँ कर." ससुरजी झल्लाकर बोले.
"जी मालिक."

"और बलराम से पैसे भी ले लेना."
"मालिक, बड़े भैया हमको मारेंगे तो नही?" रामु ने डरकर कहा. जबसे मेरे पति ने उसे मेरी चुदाई करते पकड़ा था वह उनसे बच-बच के रह रहा था.
"कुछ नही कहेगा वो." ससुरजी बोले, "डरपोक कहीं का! परायी औरत के साथ मुंह भी काला करता है और उसके पति से डरता भी है. चल भाग जल्दी!"

रामु किशन को लेकर बाज़ार चला गया. तुम्हारे भैया खेत का काम देखने चले गये. मै, गुलाबी और सासुमाँ शाम के दावत की तैयारी मे लग गये.


दिन भर किसी ने और चुदाई नही की. दोपहर के भोजन के बाद हम लोग सो भी गये.

शाम को उठकर दावत के लिये खाना पकाया गया. सब कुछ तैयार होते होते रात के 7-8 बज गये.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,483,219 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,440 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,224,752 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 926,317 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,643,749 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,072,063 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,936,498 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,009,246 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,013,846 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,153 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 9 Guest(s)