मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:07 PM,
#31
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
मैने अपने नरम होंठ उसके तपते होठों पर रख दिये और उसे चूमने लगी. उसके हाथ मेरी चूचियों को मसलने लगे. मेरी चूत बहुत गीली हो गयी थी और मैं मस्ती मे आहें भरने लगी.

चारपायी पर एक दरी बिछी हुई थी जिस पर किशन ने मुझे लिटा दिया. मैने अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा दी और अपनी चूत उसके सामने नंगी कर दी. चड्डी पहननी तो मैने कब की बंद कर दी थी.

किशन मेरे खुले पैरों के बीच बैठा. अपना लन्ड मेरी गरम चूत पर रखकर अन्दर ठेलने लगा. उसका लन्ड बहुत आराम से मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया. मैने उसे अपने ऊपर खींच लिया और उसके होठों को पीने लगी. उसका मुंह से बैंगन भर्ते की खुशबु अब भी आ रही थी. उसके मुंह मे अपनी जीभ घुसाकर मैं उससे जीभ लड़ाने लगी.

किशन कुछ देर मेरी चूत मे अपना लन्ड डाले पड़ा रहा. फिर वह अपनी कमर चलाने लगा और मुझे चोदने लगा. मैं भी उसका साथ देने लगी. खुले आसमान के तले चुदाई करने का अलग ही मज़ा आ रहा था. वीणा, सोनपुर मे रमेश और उसके तीन दोस्तों जब तुम्हारा और मेरा सुनसान मे बलात्कार किया था उसके बाद खुले मे चुदवाने का मेरे पहला अनुभव था. बहुत मज़ा आ रहा था. तुम्हे भी मौका मिले तो खेत मे किसी से ज़रूर चुदवा कर देखो. एक अलग ही लुत्फ़ पाओगी.

किशन और मैं चारपायी पर चुदाई मे व्यस्त थे. वह काफ़ी संयम के साथ मुझे चोद रहा था, जब के मैं बहुत गरम हो गयी थी. "ओह!! आह!!" करके मैं चूत मे उसका लन्ड ले रही थी.

अचानक मुझे लगा कि कोई हमारी तरफ़ आ रहा है. सरसों के फ़सलों के ऊपर से शायद किसी का सर दिखाई दिया था.

मैने किशन को रुकने को कहा. उसने ठाप लगना जारी रखा और अपना सर उठाकर पीछे देखा.

"कोई नही है, भाभी!" उसने कहा और चोदना जारी रखा.

सुनकर मैं फिर मस्ती मे डूब गयी और चुदवाने मे वस्त हो गयी. "उम्म!! हाय, देवरजी! बहुत अच्छा पेल रहे हो आज! आह!! उफ़्फ़!! अपनी माँ की चूत समझकर...मेरी चूत मार रहे हो क्या?" मैने कहा, "आह!! उम्म!! और जोर से देवरजी! आह!! जल्दी ही तुम अपने भैया की तरह...पूरे चोदू बन जाओगे! ओह!! हाय क्या मज़ा दे रहे हो! आह!! आह!! आह!!"

मेरे सर पर नीला आसमान था. सुबह की हलकी धूप हम दोनो के नंगे शरीर पर पड़ रही थी. खेत के सन्नाटे मे बस किशन के ठापों के ताल पर मेरी चूड़ीयों के खनकने की और पायल के छनकने की आवाज़ आ रही थी.

किशन अपनी सांसों पर काबू रखकर "ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ!" करके मुझे चोद रहा था. अब की बार वह मुझे 10-15 मिनट तक चोदता रहा और मैं दो बार झड़ भी गयी.

जब किशन ने मेरे गर्भ मे अपना वीर्य भरना शुरु किया तब मैं एक और बार झड़ी और जोर जोर से बड़बड़ाने लगी, "और जोर से ठोको, देवरजी! हाय, मैं झड़ी!! आह!! उम्म!! उम्म!! हाय तुम्हारा पानी मेरी चूत मे भर रहा है! बहुत मज़ा आ रहा है! आह!!"

झड़ने के बाद हम देवर भाभी एक-दूसरे से लिपटकर चारपायी के ऊपर कुछ देर नंगे पड़े रहे.

हम दोनो शांत हुए तो किशन मेरे ऊपर से उठा और उसने अपनी चड्डी और पजामा पहन लिया. मैने उठकर अपनी साड़ी और पेटीकोट अपने कमर से उतारी. दोनो मे बुरी तरह सिलवटें पड़ गयी थी. ब्लाउज़ चुदाई के समय मेरी पीठ के नीचे आ गयी थी और उसमे भी बहुत सिलवटें पड़ गयी थी. मैने सोचा, मेरा सिंदूर ज़रूर फैल गया होगा. कोई भी देखकर सोचेगा के मैं बुरी तरह चुद कर आ रही हूँ. वीणा, अपनी हालत पर मुझे शरम भी आ रही थी और रोमांच भी हो रहा था!

मैने ब्लाउज़ और ब्रा पहनी और खाने की प्लेट और खाली डिब्बा लेकर घर की तरफ़ चल दी. किशन वहीं खेत मे रुक गया.
जब मैं आधे रास्ते पहुंची तब मैने देखा कि रामु एक पेड़ के नीचे खड़ा है. मुझे वह आखें फाड़-फाड़कर देखने लगा.

मैने शरम से पानी-पानी हो गयी. मेरे कपड़ों की हालत को देखकर उसे जैसे अनुभवी आदमी के लिये समझना मुश्किल नही था कि मैं किसी के से मुंह काला करवा कर आ रही हूँ.

"कहाँ से आ रही हो, भाभी?" रामु ने पूछा.
"देवरजी को खाना देने गयी थी." मैने कहा और घर की तरफ़ जाने लगी.

रामु ने मेरे सामने आकर मेरा रस्ता रोक लिया और बोला, "खाना देने मे बहुत देर लगा दी आपने? घर पर सब लोग परेसान हो रहे हैं. हमे भेजा है आपकी खबर लेने के लिये."

उसके अंदाज़ मे एक बदतमीज़ी थी जो मैने पहले कभी नही देखी थी. एक नौकर के मुंह से यह बदतमीज़ी मुझे बिलकुल पसंद नही आयी.

"मैं देवरजी को अपने हाथों से खाना खिला रही थी. बस?" मैने कहा, "अब मेरे रास्ते से हटो!"

रामु सामने से हट गया, और मेरे साथ साथ चलने लगा. वह बोला, "हमे तो लगा आपको कुछ हो गया है."
"कुछ नही हुआ है मुझे." मैने सख्ती से जवाब दिया.
"आपके कपड़ों का जो हाल है, उसे देखकर कोई समझे तो का समझे?" रामु ने कहा.

मैने उसके बात का जवाब नही दिया क्योंकि मैं किशन के साथ वही करके आ रही थी जो वह समझ रहा था.

हम दो मिनट साथ चले, फिर रामु बोला, "भाभी, आप गुलाबी को बहुत सिक्सा दे रही हैं. बहुत कुछ सिखाया है उसे."

मैं समझ गयी वह किस शिक्षा की बात कर रहा है.

"हूं. गंवार लड़की है. कुछ सीख लेगी तो बुरा क्या है?" मैने जवाब दिया.
"गंवार तो हम भी हैं, भाभी!" रामु तेड़ी नज़र से मेरी चूचियों को देखते हुए बोला, "कुछ हमे भी सिखाये दो!"
"क्या सीखोगे तुम?" मैने बात टालने के लिये पूछा.
"वही जो सब आप गुलाबी को सिखायी हैं." रामु ने कहा. फिर अचानक मेरा हाथ पकड़कर बोला, "पियार करना."

मैने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और चिल्लाकर कहा, "रामु! तुम्हे हो क्या गया है? तुम्हे होश है तुम किससे बात कर रहे हो? मैने तुम्हारे मालिक की बहु हूँ! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरा हाथ पकड़ने की?"

सुनकर रामु डरा नही. बल्कि उसने दोनो हाथों से मेरे कंधों को पकड़ा और और मुझे अपने करीब खींच लिया. मेरे होठों पर अपने होंठ रखकर उन्हे जबरदस्ती पीने लगा. उसके मुंह से बीड़ी और देसी शराब की महक आ रही थी.

मैने किसी तरह अपना मुंह हटाया तो वह बोला, "भाभी, हम बहुत पियार करते हैं आपसे! एक बार हमको पियार करने दो! बहुत मजा पाओगी!"

वीणा, तुम्हे तो पता है मेरा रामु से चुदवाने का इरादा था, पर उस वक्त उसकी बदतमीज़ी और मुंह से आती बीड़ी और शराब की बदबू से मैं उचट गयी. एक नौकर को नौकर की तरह रहना चाहिये. मैं घर की बहु हूँ. मैं उसे पटाती तो और बात थी. वह मेरा बलात्कार करे यह मुझे स्वीकार नही था. मैने रामु के मुंह पर कसकर एक थप्पड़ लगा दिया.

थप्पड़ लगते ही रामु के सर पर जैसे खून सवार हो गया.

मेरे कंधों को जोर से दबाकर बोला, "ई आप अच्छा नही की, भाभी! हम आपकी बहुत इज्जत करते थे. पर आप इज्जत के लायक ही नही है."
"क्या मतलब?" मैने हिम्मत करके कहा. मुझे रामु से अब डर लगने लगा था.
"आप गुलाबी को ऐसी चीजें सिखाई हैं, जो कोई सरीफ औरत किसी को नही सिखाती." रामु बोला, "और आप सोनपुर के मेले मे ऐसा काम की हैं जो हम सोच भी नही सकते थे."
"क्या किया मैने सोनपुर मे?" मैने पूछा. मैं जानती थी गुलाबी ने उसे बता सब दिया है.
"आप वहाँ चार-चार मर्दों से चुदवाई हैं!" रामु मेरे कंधों को झकोर कर बोला. उसका एक हाथ अब मेरी चूचियों को ब्लाउज़ के ऊपर से बेदर्दी से मसलने लगा.

मैने उसके "चुदाई" शब्द के प्रयोग को नज़र अंदाज़ करना उचित समझा और पूछा, "तुम्हे कैसे पता? तुमने देखा था मुझे सोनपुर मे यह सब करते हुए?"
"नही," रामु बोला, "पर हम जो अपनी आंखों से देखे ऊ तो गलत नही है?"
"क्या देखा तुमने, रामु?" मैने हैरान होकर पूछा.
"आप अभी किसन भैया से चुदवाकर आ रही हैं." रामु बोला, "हम अपनी आंखों से देखे, कैसे चारपायी पर साड़ी कमर तक उठाकर, आप किसन भैया से मजे लेकर चुदवा रही थी."

मेरी तो बोलती ही बंद हो गयी. चुदाई करते समय मुझे जो भ्रम हुआ था कि कोई आ रहा है ठीक ही था.

"भाभी, तुम एक बहुत गिरी हुई औरत हो! बड़े भैया बिस्तर से उठ नही पा रहें हैं, और तुम देवर के साथ खेत मे मुंह काला कर रही हो!" रामु बोला और फिर से जबरदस्ती मेरे होंठ पीने लगा. उसके हाथ मेरी चूचियों को दबाये जा रहे थे. उसका लन्ड उसकी पैंट मे बिलकुल खड़ा था और मेरे पेट पर गड़ रहा था.

एक अजीब सी मस्ती मुझ पर छाने लगी. मैने इस आदमी के वश मे थी. यह मेरा यहाँ बलात्कार करेगा तो किसी को मेरी आवाज़ सुनाई नही देगी. वीणा, मुझे सोनपुर के उस दिन की याद आने लगी जब रमेश और उसके दोस्तों मे मिलकर हम दोनो को लूटा था.

"अब तुम क्या चाहते हो, रामु?" मैने पूछा.
"तेरे को चोदना!" रामु एक भेड़िये की तरह मुझे नोचता हुआ बोला, "और नही चोदने देगी तो हम बड़े भैया को सब बता देंगे. जब जब हमरा मन करेगा हम तेरी मस्त चूचियों को पीयेंगे, तेरी चूत को मारेंगे, तेरी गांड को मारेंगे, और तु चुपचाप हमसे चुदवायेगी. समझी?"

"यह कैसे बात कर रहे हो मुझसे, रामु?" उसकी तु-तमारी सुनकर मैने उसे टोका.
"जैसे तेरे जैसी रंडी से बात करनी चाहिये." रामु ने कहा, "जो अपने देवर से खुले खेत मे चुदवा सकती है, वह सोनपुर मे ज़रूर चार-चार से एक साथ चुदवाई होगी."

मुझे समझ नही आ रहा था यह ममला कहाँ जा रहा है. अगर यह तुम्हारे मामाजी या मामीजी को बताये तो मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता क्योंकि दोनो मेरी योजना मे शामिल थे. पर तुम्हारे बलराम भैया अगर सुने तो न जाने क्या कर बैठें.

मैने अपनी जवानी को रामु के सामने समर्पण कर दी. "ठीक है, रामु. तुम्हे जो मन हो कर लो. पर मेरे उनको कुछ मत बताओ." मैने कहा.
रामु खुश हो गया और मुझे कुछ पेडों के पीछे एक झुरमुट मे ले गया.

"चल नंगी हो!" रामु ने मुझे हुकुम दिया और अपने कपड़े उतारने लगा. जल्दी से अपनी कमीज, बनियान, पैंट और चड्डी उतारकर नंगा वह हो गया.

वीणा, रामु का रंग काला है पर वह देखने मे बुरा नही है. उसका शरीर बहुत गठीला और ताकतवर है. सपाट पेट के नीचे उसका 7 इंच का बिलकुल काला लन्ड तनकर खड़ा था और थोड़ा थोड़ा ठुमक रहा था. लन्ड के नीचे एक आलू की तरह बड़ा पेलड़ लटक रहा था.
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10-08-2018, 01:07 PM,
#32
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
एक नौकर के मुंह से इस तरह की बदतमीज़ी से मुझे एक अनोखा मज़ा आने लगा. वह घर की बहु को एक रंडी की तरह इस्तेमाल कर रहा था. उसके सामने मजबूर हो के मेरी कामाग्नी बुरी तरह भड़क उठी.

मैने अपनी साड़ी उतारकर नीचे घांस पर रख दी और फिर ब्लाउज़ भी खोल दिया. रामु मेरे पास आ गया और ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को मसलने लगा और मेरे होंठ पीने लगा. उसका खड़ा लन्ड मेरी नंगी पेट मे चुभने लगा.

मैने अपने हाथ पीछे करके अपने ब्रा की हुक खोल दी ताकि वह और आराम से मेरी चूची दबा सके. इससे मेरी सुडौल चूचियां उसके सामने नंगी हो गयी. रामु मेरी चूचियों को मसलने लगा तो मेरे मुंह से एक मस्ती की आह निकल गयी.

मैने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया जिससे पेटीकोट मेरे पाँव के इर्द-गिर्द गिर गया. मैने पेटीकोट को पैरों से अलग कर दिया. अब रामु और मैं बिलकुल नंगे खड़े थे.

चारों तरफ़ सन्नाटा था. बस पेड़ों पर पत्तियों के सरसराने और चिड़ियों के चहकने की आवाज़ आ रही थी.

कुछ देर मुझे चूमने के बाद रामु बोला, "चल चूत खोलकर नीचे लेट जा."

मैने अपनी साड़ी को घाँस पर चादर की तरह बिछाया और उस पर लेट गयी. मैने अपनी दोनो टांगें फैला दी और अपनी चूत उसके सामने कर दी. उस वक्त मैं उसका काला लन्ड अपनी गोरी चूत मे लेने के लिया पागल हुई जा रही थी. घर के नौकर के हाथों बलात्कार की बात सोचकर ही मैं गनगना रही थी.

रामु मुझे खड़े-खड़े कुछ देर निहारता रहा. फिर मेरे पैरों के बीच बैठकर बोला, "तु कितनी भी बड़ी छिनाल क्यों न हो, बड़े भैया बहुत किस्मत वाले हैं. क्या मस्त, सुन्दर जवानी है तेरी! कोई सात जनम भी तुझे चोदे तो जी न भरे."
"रामु, जो करना है जल्दी कर लो." मैने कहा, "कोई यहाँ आ जायेगा तो मैं कहीं की नही रहुंगी."
"कोई नही आता यहाँ." रामु बोला, "गुलाबी को हम यहाँ बहुत बार चोदे हैं."

रामु ने अपने काले लन्ड का मोटा सुपाड़ा मेरी गोरी चूत पर रखा और चूत के होठों के बीच ऊपर-नीचे करने लगा. मेरी चूत के गीलपन से उसका सुपाड़ा बिलकुल तर हो गया. मैने मस्ती मे आंखे बंद कर ली.

रामु ने समझा मैं डर रही हूँ और बोला, "चूतमरानी, इतना नाटक मत कर. सब से चुदवा-चुदवा के तो तेरी चूत अब तक भोसड़ी बन चुकी होगी!"
बोलकर वह अपना लन्ड पकड़कर मेरी चूत मे घुसाने लगा.

हालांकि लन्ड काफ़ी मोटा था, पर वह बहुत आसानी से चूत अन्दर घुस गया. और क्यों न जाता! मेरी चूत किशन के वीर्य से भरी हुई थी. थोड़ा थोड़ा वीर्य मेरी चूत से चू कर जांघों पर बह भी रहा था.

रामु का लन्ड अन्दर जाते ही किशन का वीर्य चूत के किनारों के पिचकारी की तरह निकल आया.

देखकर रामु जोर से हंस दिया. बोला, "साली कुतिया! अपनी चूत देवर के मलाई से पूरा भरवाकर आ रही है! ठहर तेरी चूत मे मैं अपना पेलड़ भी खाली करता हूँ. तेरे जैसी रंडी को तो सचमुच कुतिये की तरह सारे गाँव को मिलकर चोदना चाहिये!"

रामु को मेरी इस कदर बेइज़्ज़ती करके बहुत उत्तेजना हो रही थी. और मुझे भी उसकी भद्दी गालियाँ सुनकर कामुकता हो थी. पर मैं कुछ बोले बिना उसके नीचे लेटी रही.

रामु कमर उठा उठाकर मुझे चोदने लगा. पहले दो चार ठाप मे किशन का वीर्य मेरी चूत से निकल गया. वीर्य से चूत बहुत चिकनी हो गयी थी जिससे रामु और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

कुछ देर रामु की जोरदार ठाप खाने के बाद मैं और अपने आप को काबू मे नही रख पायी. उसके बालों मे, उसके पीठ पर हाथ फेरते हुए मैं सिसकने लगी और "ऊंह!! ऊंह!! ऊंह!!" की आवाज़ निकालने लगी.

मेरी मस्ती की आवाज़ें सुनकर रामु का जोश भी बढ़ गया. वह बहुत संयम से मुझे चोद रहा था पर उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी.

मैने रामु के मुंह को खींचकर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिये और उसके होंठ पीने लगी. अब मुझे उसके मुंह की बीड़ी और देसी शराब की महक अच्छी लग रही थी. मैं कमर उठा उठाकर उसका लन्ड अपनी चूत मे लेने लगी.

रामु जोर जोर से ठाप लगाते हुए बोला, "साली, हम कहे थे ना बहुत मजा पायेगी! आ रहा है मजा? ले चुद अच्छे से! अब से रोज़ तुझे चोदेंगे और मजा देंगे!"
"रामु तुम रोज़ मुझे चोदोगे तो गुलाबी का क्या होगा?" मैने पूछा, "उसकी चूत कौन ठंडी करेगा?"
"गुलाबी अपनी माँ चुदाये!" रामु ठाप लगाते हुए बोला, "तेरे जैसे मस्त सुन्दर लुगाई पास हो तो हमे गुलाबी की का जरूरत है?"
"हाय, रामु, क्या कह रहे हो? गुलाबी तुम्हारी जोरु है!" मैने कमर उठाकर ठाप लेते हुए कहा, "तुम नही चोदोगे तो वह किसी और से चुदा लेगी."
"तो चुदाय ना!" रामु कमर चलाता हुआ बोला, "हमने कब रोका है उसे? उसके लछ्छन तो तुने...पहले ही खराब कर दिये हैं. अब तो लन्ड चूसती है...गंदी भासा बोलती है...साली जल्दी ही किसी से...चुदवा भी बैठेगी."
"तुम्हे बुरा नही लगेगा, रामु?" मैने पूछा.
"बुरा तो लगेगा." रामु बोला, "पर हम कहाँ दूध के धुले हैं? यहाँ तेरी चूत मार रहे हैं...अपने गाँव मे इतने दिनो तक अपनी चाची की चूत मार रहे थे."
"तुम अपनी चाची को चोदते हो?" मैने हैरान होकर पूछा.

रामु ने कुछ देर चुपचाप ठाप लगया, फिर बोला, "ऊ तेरी तरह ही एक बड़ी चुदैल है...चाचा से उसकी प्यास नही बुझती...जब गाँव जाता हूँ...उसको रोज़ चोदता हूँ...मेरे पीछे किसी और से भी चुदवाती होगी...दो बच्चे भी हैं...पता नही मेरे हैं...के चाचा के हैं...या और किसी और के."

रामु की बात सुनकर मुझे खुशी हुई. लग रहा था अपना काम आसान ही होने वाला था.

पेड़ के नीचे घाँस पर लेटे हुए रामु और मैं कुछ देर चोदा-चोदी करते रहे. ठंडी ठंडी हवा चल रही थी जो हमारे गरम, नंगे शरीर पर सिहरन पैदा कर रही थी. चिड़ियों के चहकने के बीच मेरी चूड़ीयों की और पायल की आवाज़ आ रही थी. और चुदाई के ताल पर जब हमारे पेट एक दूसरे से टकरा रहे थे तब "ठाप! ठाप! ठाप! ठाप!" की आवाज़ आ रही थी.

कुछ देर की चुदाई के बाद मैं जोर जोर से बड़बड़ाने लगी और बार-बार झड़ने लगी, "आह!! आह! हाय रामु, क्या चोद रहे हो! ऊह!! उम्म!! और जोर से मेरे राजा! चोद डालो अपनी रंडी को!! आह!! ऐसे ही रोज़ मुझे चोदना मेरे राजा! मैं तुम्हारी रखैल बनके रहुंगी!! आह!! मस्त चोद रहे हो रामु!!"

रामु की सांसें बहुत तेज हो गयी थी. अब तक शायद हमें चुदाई करते हुए आधा घंटा हो चुका था. मैं इतनी मस्ती मे थी कि मुझे होश ही नही था कि मैं खुले मे नंगी होकर घर के नौकर से चुदवा रही थी. कोई आ सकता है इसके अंदेशे से मेरी मस्ती दुगुनी हो रही थी.

आखिर रामु खुद को और सम्भाल नही सका. मेरी चूचियों को अपने सीने से चिपकाकर उसने अपना लन्ड पेलड़ तक मेरी चूत मे पेल दिया और मेरे गर्भ के मुख पर अपना पानी छोड़ने लगा. मैं भी उससे लिपटकर आखरी बार झड़ने लगी. मेरी चूत मे किशन के वीर्य मे अपना ढेर सारा वीर्य मिलाकर रामु पस्त हो गया और मेरे ऊपर लेट गया.
हम कुछ देर ऐसे ही लिपटकर पड़े रहे. अपने शरीर पर रामु का भारी शरीर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

कुछ देर बाद रामु बोला, "भाभी, आप सोनपुर के मेले मे का सचमुच चार-चार से चुदवाई थी?"

लग रहा था जोश खतम होने के साथ मेरे लिये उसकी इज़्ज़त भी लौट आयी थी.

मैने मुस्कुराकर जवाब दिया, "अब तुमसे क्या छुपाना, रामु. यह सच है. सोनपुर मे चार-चार लोगों ने मेरा सामुहिक बलात्कार किया था. और मैने उनसे मज़े लेकर चुदवाया था. मुझे बलात्कार करवाना बहुत अच्छा लगता है."

रामु मुझसे अलग हुआ और कपड़े पहनने लगा. मैने भी उठकर पेटीकोट से अपनी चूत से बहते रामु के वीर्य को पोछा और अपने कपड़े पहनने लगी.

"भाभी, आप को चोदकर हमें बहुत मजा आया." रामु बोला, "आपको मजा आया?"
"हाँ रामु, मुझे भी बहुत मज़ा आया तुमसे चुदवा कर." मैने कहा.
"आप फिर हमसे चुदवायेंगी?" रामु ने पूछा.
"हाँ, क्यों नही? चाहो तो तुम मुझे रोज़ चोद सकते हो. पर मेरी एक शर्त है." मैने कहा, "तुम चोदते समय मुझे रंडी, छिनाल, कुतिया जो गाली देना है दे सकते हो. पर सबके सामने मुझे घर की बहु की तरह इज़्ज़त दोगे."
"जरूर भाभी." रामु बोला.

"और गुलाबी को मैं कुछ भी सिखाऊं, तुम दखल नही दोगे!" मैं कहा.
"का सिखायेंगी आप?" रामु ने पूछा.
"मैं उसे अपने जैसी एक छिनाल बनाउंगी. कोई आपत्ती है तुम्हे?" मैने उसे छेड़कर कहा.
"ई का कह रही हैं आप! गुलाबी बहुत भोली लड़की है." रामु बोला, "आप ई सब उसे मत सिखाइये!"
"तो तुम क्या चाहते हो, तुम्हारे चाची के बारे मे उसे सब बता दूं?" मैने कहा.

"नही भाभी, उसे कुछ मत बतायिये!" रामु डरकर बोला, "ऊ हमरे गाँव मे किसी को बता दी तो हम वहाँ मुंह नही दिखा पायेंगे! आप को गुलाबी को जो सिखना है सिखा लो!"

हम कपड़े पहनकर तैयार हुए तो मैने कहा, "रामु तुम यहीं ठहरो. मैं पहले घर जाती हूँ. तुम थोड़ी देर बाद आना."
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10-08-2018, 01:08 PM,
#33
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
रामु वहीं रुक गया और मैं घर की तरफ़ चल दी. मेरी साड़ी की तो बहुत बुरी हालत थी. सिलवटों से पूरी तरह खराब हो चुकी थी. ऊपर से उस पर जगह जगह घाँस के तिनके लगे हुए थे. मेरे कपड़ों से वीर्य की तेज महक आ रही थी. मेरे जांघों पर रामु का वीर्य चू रहा था. सिंदूर तो शायद बिलकुल ही फैल गया था. देखकर कोई यही समझ्ता कि मेरा बलात्कार हुआ है.

दो कदम चलते ही मुझे तुम्हारी मामीजी खड़ी दिखाई दी.

मुझे देखकर बोली, "बहु, कितनी देर से चुदवा रही थी किशन से! दो घंटे हो गये तुझे खेत मे गये हुए!"
"माँ, मैं देवरजी से तो बस 10-15 मिनट ही चुदी थी." मैने कहा, "बाकी समय तो मुझे रामु चोद रहा था."

सासुमाँ सुनकर बोली, "क्या बहु! तो रामु से भी चुद ली? बड़ी पहुंची हुई रांड है तु तो!"
"नही माँ, मैने कुछ नही किया." मैने जवाब दिया, "मै किशन से चुदवा रही थी तब उसने हमें देख लिया. फिर मुझे रास्ते मे पकड़कर उसने मेरा बलात्कार किया. बहुत गंदी गंदी गालियाँ दे देकर चोद रहा था मुझे."
"और तु उसकी गालियाँ सुनकर उत्तेजित हो गयी और खूब मज़े लेकर उससे चुदवाई." सासुमाँ मुस्कुराकर बोली.

"माँ आपको कैसे पता?" मैं हैरान होकर पूछा.
"मैने देखा ना तुम दोनो को झड़ी के पीछे चुदाई करते हुए!" ससुमे हंसकर बोली, "जब रामु बहुत देर तक वापस नही आया, तो मैं खुद देखने चली आयी. झाड़ी के पीछे से मस्ती की आवाज़ें आ रही थी. झांक कर देखा तो पाया रामु मेरे घर की बहु को रंडी, कुतिया, छिनाल, चूतमरानी और न जाने क्या क्या कहकर चोद रहा है."

मैने शरम से सर झुका दी जैसे मेरी कोई चोरी पकड़ी गयी हो.

सासुमाँ बोली, "बहु तु घर जा. पीछे के दरवाज़े से अन्दर जाना. तेरे कपड़ों की हालत तो पूछ ही मत. तेरे बदन से वीर्य की इतनी तेज महक आ रही है कि लगता है तु 10 मर्दों के वीर्य मे नहाकर आ रही है! कहीं बलराम या गुलाबी ने तेरी यह हालत देख ली तो मुश्किल हो जायेगी."
"आप भी चलो ना, माँ." मैने कहा.
"नही. मैं ज़रा रामु की खबर लेती हूँ." सासुमाँ बोली, "मादरचोद की इतनी हिम्मत, नौकर होकर मेरी बहु को रंडी कह कर गाली दे! हमारी चूत मारेगा तो हमारे इशारे पर. तु अब जा, बहु, नही तो गुलाबी मुझे ढूंढते हुए आ जायेगी!"

मैने घर की तरफ़ चल दी और सासुमाँ उस झुरमुट मे घुस गयी जहाँ रामु छुपा बैठा था.

मुझे बहुत उत्सुकता हुई कि आखिर तुम्हारी मामीजी रामु के साथ क्या सलुक करती है. मैं भी चुपके से सासुमाँ के पीछे उस झुरमुट के पास गयी और आड़ से झाड़ी के पीछे झांकने लगी.
रामु ने जैसे ही सासुमाँ को देखा वह बुरी तरह चौंक उठा. "मालकिन! आप! यहाँ!"
"क्यों रे नालायक! तुझे एक घंटे पहले भेजा था बहु को लेकर आने के लिये." सासुमाँ चिल्लाकर बोली, "तु यहाँ क्या कर रहा है?"

वीणा, रामु सासुमाँ से बहुत डरता है. वह 18 साल की उम्र से हमारे घर पे काम कर रहा है.
सासुमाँ को देखकर वह कांपने लगा और हकलाने लगा, "म-म-मालकिन! ह-ह-हम तो ब-बस आने ही वाले थे."

"मेरी बहु कहाँ है?" सासुमाँ ने कड़क आवाज़ मे पूछा.
"पता नही!" रामु बोला, "हमे मिली नही!"
"तुने देखा ठीक से? किशन के पास नही थी?"
"नही वहाँ भी नही थी." रामु बोला, "प-पता नही, मालकिन. वह क-कहाँ गयी."

"साले बदमाश! झूठ बोलता है!" ससुम ने डांट लगाई.
"नही, म-मालकिन!" रामु गिड़गिड़ाकर बोला, "माँ कसम! हम नही देखे भाभी को!"
"चुप! तु तो अपनी माँ को कोठे पर बेच दे! माँ की कसम खाता है, नालायक."

"मालकिन, आप हमरी माँ के बारे मे ऐसा मत बोलिये!" रामु ने ऐंठकर कहा.
"क्यों रे?" सासुमाँ ने उसकी एक कान पकड़ ली और मरोड़कर बोली, "तु अपनी चाची के साथ मुंह काला करके उसका गर्भ बना सकता है तो अपनी माँ को तु छोड़ देगा?"

रामु की आंखें बड़ी बड़ी हो गई. कुछ देर अपना मुंह मछली की तरह खोलता और बंद करता रहा. फिर बोला, "आ-आपको, कैसे पता, मालकिन?"

सासुमाँ बोली, "जब मैं आ रही थी मुझे मेरी बहु मिली थी. हरामज़ादे, बेचारी की क्या हालत बनायी है तुने! रो रोकर मुझे सब बतायी वो. किस तरह बेरहमी से तुने उसका बलात्कार किया है!"

देखकर लगा रामु की आंखे गोटियों की तरह बाहर आ जायेंगी.

"म-मालकिन...ह-ह-हम भाभी का बलात्कार किये?" बहुत मुश्किल से उसने कहा. उसकी हालत देखकर इधर तो मैं मुश्किल से अपनी हंसी रोक पा रही थी.
"और नही तो क्या तेरे बाप ने किया है?" सासुमाँ बोली, "उसका सिंदूर पूरा फैल गया था. उसके कपड़े सारे खराब हो गये थे. कोई भी देखकर समझ सकता है तुने उस बेचारी लड़की के साथ क्या क्या जुलम किये हैं."
"ऊ सब हम नही किये हैं, मालकिन!" रामु झट से बोला, "ऊ सब किसन भैया किये हैं!"

"क्या बकता है!" सासुमाँ फिर उसका कान मरोड़कर बोली, "तु कहना चाहता हैं मेरी देवी जैसे बहु का बलात्कार उसके लक्षमण जैसे देवर ने किया है? साले, रंडी की औलाद! कीड़े पड़े तेरे मुंह मे!"

रामु को समझ मे नही आ रहा था अब क्या कहे. उसने अपनी आंखों से देखा था मुझे किशन से चुदवाते हुए. "मालकिन, हम अपनी आंखों से देखे हैं..."

"तुने शराब पी रखी है?" सासुमाँ ने पूछा.
"नही मालकिन!" रामु बोला, "बस थोड़ी सी..."
"शराब पीकर तुने मेरी बहु की इज़्ज़त लूटी, मादरचोद!" सासुमाँ की भाषा धीरे धीरे रंगीन होती जा रही थी. "तुझे तो मैं थानेदार से इतने डंडे खिलवाऊंगी कि ज़िन्दगी मे तेरा औज़ार फिर कभी खड़ा नही होगा."
"मालकिन, आप पुलिस वुलिस मत बुलाइये! ऊ लोग हम को पीट पीटकर मार डालेंगे! फिर हमरी गुलाबी का का होगा!" रामु गिड़गिड़ाकर बोला, "आप यकीन मानिये! हम भाभी की इज़्ज़त नही लूटे हैं. ऊ तो हमरी माँ समान है!" रामु बोला.

"तो किसने लूटी उसकी इज़्ज़त?" सासुमाँ ने पूछा.
"किसी ने नही, मालकिन." रामु बोला, "भाभी खुदे हमको बोली उनके साथ सब काम करने को."
"कौन सा काम?"
"वही सब काम...जो आदमी-औरत....करता है." रामु हिचकिचा कर बोला, "भगवान कसम, वही बोली थी!"

सासुमाँ कुछ देर चुप रही, फिर बोली, "तु तो कहता है मेरी बहु तेरी माँ समान है? वह बोली और तुने उसके साथ मुंह काला कर लिया?"
"मालकिन...हम थोड़े...भावुक हो गये थे." रामु बोला.
"तु भावुक हो गया तो क्या अपनी माँ पर भी चढ़ जायेगा?" सासुमाँ बोली, "आठ साल से मेरे घर की रोटियाँ तोड़ रहा है, भड़ुवे की औलाद! घर की बहु पर मुंह मारने से पहले थोड़ा भी नही सोचा तुने?"

रामु बोला, "ऊ का है न मालकिन...जवानी मे ऐसा हो जाता है..."
"अच्छा! बहुत जवानी चढ़ गयी है तुझे?" सासुमाँ ने कहा, "अभी देखती हूँ कितनी जवानी है तुझमे. बहिनचोद, इज़्ज़त खराब करने के लिये तेरी रंडी माँ बहिन नही मिली थी? मेरा घर ही मिला था तुझे?"
"मालकिन...आप हमरी माँ बहिन को काहे गाली दे रही हैं?" रामु बोला.
"क्यों, तु मेरी बहु को ठोकते समय क्या कह रहा था? वह छिनाल है? रंडी है? कुतिया है?" सासुमाँ बोली, "ठहर तेरी और तेरे खानदान के इज़्ज़त का फ़लूदा बनाती हूँ. चल अपने कपड़े उतार!"

रामु को समझ मे नही आया सासुमाँ ने क्या कहा. वह बोला, "मालकिन, कपड़े उतारूं?"

"हाँ रे गांडु! अपने कपड़े उतारकर नंगा हो जा!" सासुमाँ बोली, "तुझे पूरे गाँव मे नंगा घुमाऊंगी. सगी चाची की चूत मारकर पेट बनाता है और मेरी बहु को छिनाल कहता है!"

सासुमाँ की अश्लील भाषा सुनकर रामु एक पल के लिये रुक गया. फिर बोला, "मालकिन! हम आपके पाँव पड़ते हैं! हमे माफ़ कर दीजिये! ऐसी गलती फिर कभी नही होगी!"
"क्यों रे! मेरी बहु को चोदते समय तो पूरा नंगा हो गया था. अब कहाँ से शरम आ रही है?" सासुमाँ बोली, "उतार कपड़े या पुलिस बुलाऊं?"

रामु धीरे धीरे अपने कपड़े उतारने लगा. सासुमाँ साड़ी का आंचल कमर मे बांधे, दोनो हाथ अपनी कमर पर रखे, उसे देखती रही. रामु ने आंखे नीची करके अपनी कमीज, बनियान और पैंट उतार दी. उसका लन्ड बिलकुल ढीला हो गया था पर चड्डी मे काफ़ी उभर कर दिख रहा था.

सासुमाँ ने ज़मीन से एक छड़ी उठायी और उसकी नोक रामु के लौड़े पर रखकर बोली, "यही औज़ार तुने जबरदस्ती घुसाया था मेरी बहु की चूत मे? बहुत दर्द हुआ था उस बेचारी को."
"दर्द नही हुआ था, मालकिन." रामु धीरे से बोला. सासुमाँ के सामने इस तरह अध-नंगे खड़े रहने की वज़ह से उसे बहुत बेचैनी हो रही थी.
"क्यों, दर्द क्यों नही हुआ था?" सासुमाँ उसके लन्ड को डंडी से छेड़ती हुई बोली, "बहुत छोटा है क्या तेरा लौड़ा? तभी गुलाबी मेरे बलराम से चुदने के लिये लार टपकाती रहती है."

सासुमाँ की भाषा भद्दी से भद्दी होती जा रही थी. अब जाके रामु के पौरुष को चोट लगी. थोड़ा अकड़कर बोला, "छोटा नही है, मालकिन. गुलाबी खुस है हमरे औजार से!"
"अच्छा? कितनी बड़ी है तेरी नूनी?" सासुमाँ चिढ़ाकर बोली, "जब बलराम 5 साल का था, तब उसकी नूनी इतनी थी."
"7 इंच की हैं, मालकिन." रामु थोड़ा गुस्से से बोला.

सासुमाँ ने थोड़ी देर डंडे से चड्डी के ऊपर से उसके लन्ड को छेड़ा. फिर कहा, "7 इंच तो बुरा नही है! बहु को इससे ज़रूर दर्द हुआ होगा!"
"हम कहे ना, भाभी हम से अपनी मरजी से करवाई है." रामु बोला, "हम उनको कोई दर्द नही दिये."
"तो क्या वह बहुत मज़े से चुदवाई तुझसे?" सासुमाँ ने पूछा.
"हाँ. भाभी का चरित्र ठीक नही है, मालकिन. उनका बलात्कार करने की जरूरत ही का है जब वह खुसी खुसी दे देती है." रामु बोला, "और आप माने या न माने, हम अपनी आंखों से देखे भाभी को किसन भैया के साथ खेत मे मुंह काला करते हुए."
"क्या देखा तुने?" ससुम ने पूछा.
"का बतायें, मालकिन." रामु बोला, "किसन भैया और भाभी नंगे होकर चारपायी के ऊपर कर रहे थे."
"क्या कर रहे थे?" सासुमाँ ने पूछा.
"वही...." रामु संकोच के कारण खोलकर बता नही पा रहा था.
"चुदाई कर रहे थे?" सासुमाँ ने पूछा, "चुदाई कर रहे थे तो बोल न खोलकर, वर्ना मुझे कैसे समझ आयेगा क्या कर रहे थे?"
"जी." रामु बोला.
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10-08-2018, 01:08 PM,
#34
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
शायद परिस्थिति ही कुछ ऐसे थी कि रामु के लन्ड मे ताव आने लगा और चड्डी मे उसका लन्ड थोड़ा खड़ा होने लगा. ऊपर से सासुमाँ की अश्लील भाषा और छड़ी की नोक से उसके लन्ड को छेड़ना रामु को उत्तेजित कर रहा था.
सासुमाँ ने डंडी की नोक को उसके चड्डी के इलास्टिक मे फंसाकर चड्डी को नीचे कर दिया जिससे रामु का लन्ड बाहर आ गया. लन्ड पूरी तरह खड़ा नही था पर उसकी लंबाई और मोटाई का अंदाज़ा लगाया जा सकता था.

रामु ने अपनी चड्डी चढ़ाने की कोशिश की तो सासुमाँ डांटकर बोली, "हाथ हटा! मैं भी तो देखूं जिस लौड़े के लिये मेरी बहु ने घर की इज़्ज़त मिट्टी मे मिला दी है, वह कितना बड़ा है!"

सासुमाँ ने छड़ी से खींचकर रामु की चड्डी ज़मीन पर गिरा दी, तो रामु पूरी तरह नंगा हो गया. सासुमाँ ने फिर उसके नंगे लन्ड को डंडे से छेड़ना शुरु किया.

थोड़ी ही देर मे रामु का लन्ड खड़े होकर अपने पूरे आकर मे आ गया. सासुमाँ ने अब छड़ी फेक दी और रामु के करीब जाकर उसके लन्ड को हाथ से पकड़ लिया. मुट्ठी मे लेकर लन्ड की लंबाई, मोटाई सब नापा. उसके पेलड़ को भी उंगलियों से छेड़कर देखा. रामु ने आंख बंद कर ली और उसका शरीर उत्तेजना मे कांपने लगा.

"ठीक-ठाक है, तेरा लन्ड. गुलाबी के किस्मत मे यही लिखा है तो वह बेचारी भी क्या करे!" सासुमाँ रामु के खड़े लन्ड को हिलाते हुए बोली, "हाँ तो बता, किशन और बहु की चुदाई देखने के बाद तुने क्या किया?"
"मालकिन, जब भाभी कपड़े पहिन कर घर को लौट रही थी, हम उनको पूछे वह काहे अपने देवर के साथ मुंह काला कर रही थी." रामु बोला, "हम बोले की हम मालकिन को सब बता देंगे!"
"ऐसा कहा तुने?" सासुमाँ ने पूछा. 
"जी, मालकिन!" रामु बोला, "पर भाभी बोली, रामु सासुमाँ को मत बताओ. तुम चाहो तो मेरी जवानी से खेल सकते हो."
"फिर तुने क्या कहा?"
"हम कहे कि भाभी हमारे लिये माँ समान होती है!" रामु बोला.
"अच्छा? बड़े उच्च विचार हैं तेरे! फिर तु उसे कैसे चोद बैठा?" सासुमाँ ने पूछा. वह तो जानती थी रामु सरासर झूठ बोल रहा है.

रामु थोड़ा हिचकिचा कर बोला, "भाभी फिर अपनी साड़ी का पल्लु गिरा दी और अपना बिलाउज और बिरा खोलकर अपने नंगे जोबन हमको दिखाई. बोली, रामु चखकर देखोगे मेरे जोबन?"
"ओहो! तुने कोई जबरदस्ती नही की?" सासुमाँ बोली.

रामु ने देखा कि सासुमाँ उसकी कहानी पर विश्वास नही कर रही है तो वह बोला, "मालकिन, थोड़ी सी जबरदस्ती किये थे हम. भाभी को किसन भैया के साथ देखकर हम थोड़े भावुक हो गये थे. पर भाभी हमरा पूरा साथ दी थी."
"ठीक है. आगे बोल!" सासुमाँ बोली. वह धीरे धीरे रामु के लन्ड को हिलाये जा रही थी.
"हम भाभी को पकड़कर इस झुरमुट मे ले आये, और फिर उनके जोबन को बहुत पियार किये." रामु ने कहा.

"प्यार किया मतलब क्या?" सासुमाँ ने पूछा.
"मतलब, दबाये और चूसे." रामु ने कहा.
"कैसी लगी तुझे मेरी बहु की चूचियां?" सासुमाँ ने पूछा.
"अच्छी लगी, मालकिन." रामु ने कहा. फिर उसने जोड़ा, "बहुत गोरे गोरे और कसे कसे हैं भाभी के जोबन."
"मेरे चूचियों से भी अच्छी हैं?" सासुमाँ ने रामु से पूछा.

रामु ने कोई जवाब नही दिया. बस हैरान होकर सासुमाँ को देखने लगा. वह सोच मे पड़ गया कि आखिर यह हो क्या रहा है!

सासुमाँ ने अपने साड़ी का आंचल कंधे से गिरा दिया और बोली, "अच्छा अब ठीक से देखकर बता. बहु की चूचियां अच्छी हैं या मेरी?"

रामु के सामने तुम्हारी मामीजी की ब्लाउज़ मे कसी बड़ी-बड़ी चूचियां थी जो मेरे से दुगुने आकर की थी. उसने छू के देखने के लिये हाथ उठाया फिर हाथ नीचे कर लिया.

"अरे हाथ लगाकर देख ले! बहुतों ने हाथ लगाये हैं मेरी चूचियों को." सासुमाँ बोली. उनका हाथ अब भी रामु के मोटे काले लन्ड को धीरे धीरे हिलाये जा रहा था.

रामु ने एक हाथ बढ़ाकर सासुमाँ के दो चूचियों को धीरे से दबाया पर वह कुछ बोला नही.

सासुमाँ ने कहा, "क्या रे! ज़ुबान नही है क्या?
"अच्छी है मालकिन." रामु ने कहा, "आपके जोबन भी अच्छे हैं."
"लगता है तुने ठीक से देखा नही." सासुमाँ बोली, "ठहर, ब्लाउज़ उतारकर दिखाती हूँ."

रामु की फटी-फटी आंखों के सामने सासुमाँ अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी. हुक खोलकर रामु की तरफ़ पीठ करके बोली, "रामु, ज़रा मेरी ब्लाउज़ उतार दे."

रामु ने सासुमाँ की ब्लाउज़ उतार दी और अपने कंधे पर रख ली.

"अच्छा, अब मेरी ब्रा भी उतार दे." सासुमाँ ने कहा.

रामु ने अपने दो कांपते हाथ बढ़ाये और सासुमाँ के ब्रा का हुक खोलने लगा. पर शायद हैरत, डर, और उत्तेजना मे उसके हाथ कांप रहे थे, या फिर हुक बहुत टाईट थी, जिसकी वजह से हुक खुल ही नही रहा था.

"तु क्या कर रहा है, रामु!" सासुमाँ जोर से दहाड़ उठी, "एक हुक भी नही खोला जाता है तुझसे? चूतिये, गुलाबी की ब्रा खोले बिना ही उसे चोदता है क्या?"
"ख-खोल रहे हैं, मालकिन." रामु ने कहा और थोड़ी मशक्कत के बाद हुक खुल गया. रामु ने सासुमाँ की ब्रा उनके बाहों से अलग किया और अपने कंधे पर रख लिया.

सासुमाँ ने कहा, "अब पीछे से मेरी दोनो चूचियों को पकड़. उन्हे दबा के देख. उनकी घुंडियों को मीस के देख. फिर बता, मेरी चूचियां अच्छी हैं या मेरी बहु की."

रामु ने ऐसा ही किया. सासुमाँ की पपीते जैसे बड़ी बड़ी चूचियों को पीछे से पकड़ा और दबाने और मसलने लगा. उसे इतना जोश आ गया कि उसने अचानक उसने सासुमाँ की दोनो चूचियों को जोर से पकड़कर उन्हे खींचकर अपने नंगे बदन से चिपका लिया और अपना खड़ा लन्ड उनके चूतड़ पर दबा दिया और उनके कंधे को चूमने लगा.

"अबे सुअर की औलाद! कर क्या रहा है तु?" सासुमाँ गुस्से से बोली, "तुझे मैने कहा कि मेरी गांड मार? फिर क्यों मेरी गांड मे अपना लौड़ा ठूंस रहा है? तुझे कहा है मेरी चूचियों का निरीक्षण कर. बस उतना ही कर जो कहा जाये!"

रामु झट से अलग हो गया.

सासुमाँ उसकी तरफ़ मुड़ी और बोली, "अब बता, क्या सोचा तुने."
"मालकिन, आपके जोबन बहुत बड़े और सख्त हैं." रामु बोला.
"लगता है तुने ठीक से मेरी चूचियों का निरीक्षण नही किया है." सासुमाँ बोली, "मेरी चूचियों को मुंह मे लेकर चूस और बता उनका स्वाद मेरी बहु की चूचियों से अच्छा है या नही."

झाड़ी के आड़ मे खड़ी मैं सासुमाँ की इन सब करतूतों का आनंद उठा रही थी.
रामु ने सासुमाँ की दोनो बड़ी बड़ी चूचियों को दोनो हाथों से पकड़ा और उनके मोटे, काले निप्पलों को एक एक करके अपनी मुंह मे लेकर चूसने लगा. सासुमाँ मज़े मे कसमसाने लगी.

रामु कुछ देर तक सासुमाँ की चूचियों को पीता रहा, फिर उसके संयम का बांध टूट गया. सासुमाँ के कमर मे हाथ डालकर उसने उन्हे अपने नंगे सीने से लगा लिया और अपने होंठ सासुमाँ के होठों पर रखकर उन्हे जबरदस्ती चूमने लगा.
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10-08-2018, 01:08 PM,
#35
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
सासुमाँ ने उसे धक्का देकर हटा दिया और चिल्लायी, "रंडी की औलाद! तु तो मेरा भी बलात्कार करने लगा! मेरी बेचारी बहु की इज़्ज़त लूटकर तेरी हवस नही मिटी है?"

रामु हक्का-बक्का होकर बोला, "मालकिन, हम बिलकुल नही बूझ रहे आप चाहती का हैं!"
"बेवकूफ़, मैं तुझे अपनी चूचियां चखा रही हूँ ताकि तु बता सके मेरी चूचियां अच्छी हैं या मेरी बहु की!"
"आपकी ज्यादा अच्छी हैं, मालकिन!" रामु बोला.

सुनकर सच कहूं, वीणा, मेरे सीने पर सांप लोट गया! मेरी चूचियां तुम्हारी मामीजी जैसी बड़ी तो नही है, पर ज़्यादा कसी कसी हैं.

"तु झूठ तो नही बोल रहा?" सासुमाँ ने पूछा, "मेरी बहु जवान है और उसकी चूचियां बहुत उठी उठी हैं. मैं दो जवान बेटों की माँ हूँ."
"जी मालकिन, पर हमे बड़ी चूचियां ज़्यादा अच्छी लगती हैं." रामु बोला, "हमरी चाची की चूचियां भी आपके जैसी बहुत बड़ी बड़ी हैं. हम बहुत प्यार से दबाते और चूसते हैं."

"चल ठीक है. तु कहता है तो मान लेती हूँ." सासुमाँ ने खुश होकर कहा. फिर बोली, "उफ़्फ़! कितनी गर्मी हैं यहाँ! इतनी गरमी मे चुदाने मे बहु को मज़ा कैसे आया होगा! ठहर मैं ज़रा अपनी साड़ी उतार लेती हूँ, फिर बाकी सब पूछती हूँ."

रामु अपने कंधे पर सासुमाँ की ब्लाउज़ और ब्रा रखे उनके सामने नंगा खड़ा रहा. सासुमाँ ने कमर से अपनी साड़ी खोलकर रामु को दे दी. उसने वह भी अपने कंधे पर रख ली. अब सासुमाँ अपने जवान नंगे नौकर से सामने सिर्फ़ एक पेटीकोट मे खड़ी थी. रामु का लन्ड उन्हे देखकर फुंफ़कार रहा था.

सासुमाँ ने अपने नंगी चूचियों के अपने हाथों मे लिया और मसलते हुए बोली, "हाँ तो बता, फिर तुने मेरी बहु के साथ क्या किया."

"फिर भाभी अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार दी और अपनी साड़ी चादर की तरह जमीन पर बिछाकर उस पर नंगी लेट गयी. फिर ऊ हमको बोली, रामु आओ चोदो मुझे." रामु ने कहा.
"हूं! तो बहु ने खुद ही अपने कपड़े उतारे और खुद ही अपनी चुदाई के लिये बिस्तर बनायी. फिर तुझे खुद ही चोदने को बोली. अब समझी." सासुमाँ ने कहा, "अरे तु यह मेरे कपड़े लेकर क्यों खड़ा है? तु भी मेरी साड़ी को चादर की तरह बिछा दे. थोड़ा बैठ लेती हूँ. बहुत देर से खड़े-खड़े थक गयी हूँ."

रामु ने सासुमाँ की साड़ी को ज़मीन पर बिछाया और उनकी ब्लाउज़ और ब्रा उस पर रख दी.

सासुमाँ साड़ी पर बैठ गयी और बोली, "फिर क्या किया तुने मेरी बहु के साथ?"
"फिर हम भी नंगे हो गये और भाभी पर चढ़ गये." रामु ने कहा.
"ऐसे ही चढ़ गया? पहले तुने उसकी चूत नही चाटी?" सासुमाँ ने पूछा.
"नही मालकिन." रामु ने कहा, "हमको चूत चाटने से घिन्न आती है."
"तु तो बहुत स्वर्थी आदमी है!" सासुमाँ बोली, "बहु ने तुझे चोदने के लिये अपनी चूत दे दी, और तुने उसे चाटा भी नही? ठहर मैं तेरी घिन्न निकालती हूँ."

सासुमाँ अपनी साड़ी पर अध-नंगी बैठी थी और रामु उनके सामने नंगा खड़ा था. सासुमाँ ने अपने पैर फैला दिये और अपनी पेटीकोट कमर तक चढ़ा ली. उनकी सांवली, मोटी बुर रामु के सामने आ गयी. बुर पर कोई बाल नही थे क्योंकि सासुमाँ आजकल बुर के बालों को नियमित तौर पर साफ़ करती थी. बुर के फूले फूले लब फैले हुए थे जिसमे से चूत की गुलाबी रंग के छोटे होंठ दिख रहे थे. चूत की फांक चमक रही थी - यानी की सासुमाँ बहुत गरम हो चुकी थी और उनकी चूत बहुत गीली हो गयी थी.

रामु को अपनी नंगी चूत दिखाकर सासुमाँ बोली, "हरामज़ादे, औरत तेरा लन्ड चूसकर तेरी मलाई खाये, यह तुझे बहुत पसंद है. पर तुझे औरत की चूत चाटने मे घिन्न आती है? इधर आ और मेरी चूत को चाट!"
रामु बोला, "मालकिन, ई आप का कह रही हैं? हम ई सब नही कर सकते हैं!"
"तुने सुना नही मैने क्या कहा?" सासुमाँ चिल्लायी, "तु अभी इधर बैठकर मेरी चूत चाटेगा! मैं तेरे मुंह मे मूतुंगी तो तु वह भी पीयेगा. क्या समझा तु? तुने मेरी बहु का बलात्कार किया और उसकी ठीक से चूत भी नही चाटी!"

रामु थोड़ा हिचकिचा कर सासुमाँ के जांघों के बीच बैठ गया. उसका खड़ा लन्ड सासुमाँ की बुर मे घुसने के लिये बेचैन था. पर रामु को सासुमाँ के इरादे कुछ समझ मे नही आ रहे थे. उसने अपनी सांस रोक ली और आंखें बंद करके सासुमाँ की मोटी बुर पर अपनी जीभ रखी.

सासुमाँ कराह उठी और बोली, "आह!! हाँ, अब अपनी जीभ को मेरी चूत के होठों के बीच रखकर ऊपर-नीचे कर."

रामु ने ऐसा ही किया. सासुमाँ अपने हाथों का सहारा लिये पीछे के तरफ़ झुक गयी और आंखे बंद कर के चूत चुसाई का मज़ा लेने लगी.

रामु कुछ देर अपनी जीभ सासुमाँ की बुर मे रगड़ता रहा.

"रामु, तुझे तो औरत को खुश करना ही नही आता! सिर्फ़ चूत मे लन्ड घुसाकर पेलने से ही औरत को शांति नही मिलती!" सासुमाँ बोली, "अच्छा अब अपनी जीभ को कड़ा करके मेरी चूत के छेद मे घुसाने की कोशिश कर."

रामु ने सासुमाँ के घुटनों को पकड़कर और फैला दिया और अपनी जीभ उनकी बुर के छेद मे डालकर उसे चोदने लगा. सासुमाँ मस्ती मे सित्कारने लगी. "उम्म!! आह!! रामु, मेरे चूत की टीट को हलके से चाट!"

रामु ने जैसे से सासुमाँ की चूत की टीट पर जीभ लगाई वह गनगना उठी और जोर से "आह!!" कर उठी. "बस, उसे ज़्यादा छेड़ मत!" वह बोली, "अब ज़रा मेरी चूत के होठों को चाट अच्छे से."

रामु ने अब जीभ से सासुमाँ के बुर के फुले होठों को चाटना शुरु किया. फिर थोड़ी देर बाद वह सासुमाँ की चूत के अन्दर चाटने लगा और चूत के छेद को जीभ से चोदने लगा.

सासुमाँ की चूत से पानी बह रहा था और एक तेज महक चारों तरफ़ फैल रही थी.

सासुमाँ ने अपने हाथों से रामु के सर को पकड़ लिया और अपनी बुर उसके मुंह पर जोरों से रगड़ने लगी. "आह!! ऊह!! चाट अच्छे से मेरी चूत, हराम की औलाद! अब तो घिन्न नही आ रही ना?"
"नही मालकिन." रामु ने चूत पर मुंह लगाये ही जवाब दिया. उसके लन्ड की हालत बहुत ही खराब लग रही थी.

"अब से....चूत चाहे गुलाबी की हो...या बहु की...या मेरी..." सासुमाँ अपनी सित्कारीयों के बीच बोली, "चोदने से पहले....तु हमारी चूत चाटकर...एक बार हमे झड़ायेगा....वर्ना हमारे चूत मे...लन्ड घुसाने को नही मिलेगा...समझा?"
"जी मालकिन." रामु खुश होकर बोला. अब उसे मामला समझ मे आ रहा था. यह अधेड़ उम्र की औरत उससे चुदवना चाहती थी, पर उसे अपने इशारों पर नचा-नचा के.

"हाय! चाटता रह! आह!!" सासुमाँ झड़ते हुए बोली, "आह!! चोद मेरी चूत को अपनी जीभ से! आह!!"

रामु तब तक चाटता रहा जब तक सासुमाँ शांत नही हो गयी.
थोड़ा शांत होकर सासुमाँ बोली, "अब आगे बता तुने मेरी बहु पर चढ़कर क्या किया. ज़रा खोलकर बता."
"फिर हमने अपना औजार...भाभी के भीतर घुसा दिया...." रामु ने कहा, "फिर हम कमर हिला हिलाकर भाभी को....चोदने लगे."
"कितनी देर चोदा तुने बहु को?" सासुमाँ ने पूछा.
"पता नही, मालकिन. 20-25 मिनट चोदे होंगे." रामु ने जवाब दिया.

"बस 20 मिनट?" सासुमाँ ने टिप्पणी की, "इतनी सी चुदाई से मेरी जवान बहु का क्या हुआ होगा?"
"मालकिन, हम तो और चोदना चाहते थे, पर भाभी बोली कि जल्दी करो, कोई आ जायेगा." रामु ने सफ़ाई दी.
"अरे तु मर्द की औलाद होता तो मेरी बहु जैसी सुन्दर औरत को चोदना बंद नही करता, चाहे कोई भी आ जाये." सासुमाँ बोली, "तु तब तक उसे चोदता रहता जब तक वह झड़ झड़ के पस्त नही हो जाती. पता नही तु अपनी जोरु को संतुष्ट कर भी पता है या नही! किसी दिन गुलाबी मेरे बलराम से चुदेगी तो समझेगी कि असली चुदाई क्या होती है."
"ऐसा काहे बोलती हैं, मालकिन!" रामु थोड़ा नाराज़ होकर बोला, "गुलाबी को हम बहुत संतुस्ट रखते हैं. रोज चोदते हैं उसे."
"अच्छा तो दिखा मुझे तु क्या कर सकता है." सासुमाँ पीठ के बल लेट गयी और बोली.

रामु ने पूछा, "का दिखायें, मालकिन? गुलाबी को लाकर चोदकर दिखायें?"
"नही रे, मूरख!" सासुमाँ खीजकर बोली, "मुझे चोद और दिखा तेरे लौड़े मे कितना दम है."

रामु तो यही चाहता था. तुरंत उसने अपने लन्ड का सुपाड़ा सासुमाँ के बुर के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्के से पूरा लन्ड पेलड़ तक सासुमाँ की चूत मे उतार दिया.
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10-08-2018, 01:08 PM,
#36
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
सासुमाँ अचानक के धक्के से चिहुक उठी. गाली देकर बोली, "मादरचोद! अपनी माँ की भोसड़ी चोद रहा है क्या? धीरे से नही घुसा सकता? मैं जिस रफ़्तार से कहूं, तु उस रफ़्तार से चोदेगा. लन्ड को सुपाड़े तक बाहर निकाल, फिर धीरे से पेलड़ तक अन्दर कर."

रामु ने ऐसा ही किया. वह धीरे धीरे सासुमाँ को चोदने लगा. सासुमाँ आंखें बंद किये अपनी साड़ी पर लेटी रही और अपनी चूत मे घुसते और निकलते लन्ड का मज़ा लेने लगी.

मैं इस तमाशे का भरपूर रस ले रही थी, तभी मुझे लगा कोई मेरे पीछे से आ रहा है. मुड़कर देखा गुलाबी चली आ रही थी. मै जल्दी से उसके पास गयी ताकि उसे झाड़ी के पास आने से रोक सकूं.

"भाभी, सब लोग कहाँ गायब हो गये हैं!" गुलाबी ने पूछा, "पहिले आप किसन भैया को खाना देने गयी और नही लौटी. फिर मेरा मरद आपको ढूंढने गया और नही लौटा. अब मालकिन भी आपको ढूंढने आयी और नही लौटी!"
"मुझे नही पता रामु और सासुमाँ कहाँ गये हैं." मैने कहा, "चल हम घर चलते हैं."

मैने गुलाबी का हाथ पकड़ा और उसे लेके घर को जाने को हुई कि खेत के सन्नाटे मे सासुमाँ की आवाज़ सुनाई दी, "आह!! ऊह!! उम्म!!"

गुलाबी रुक गयी और बोली, "भाभी किसकी आवाज आयी वहाँ से?"
"कैसी आवाज़?" मैने अनजान बनकर कहा, "हवा आवाज़ कर रही होगी. तु घर चल जल्दी से. बहुत काम है घर पर."
"नही भाभी. ई हवा की आवाज नही है!" गुलाबी बोली, "ई आवाज हम खूब पहिचानते हैं. सुनकर लगता है झाड़ी के पीछे कोई औरत अपना मुंह काला करवा रही है. हम उस झाड़ी के पीछे अपने मरद से बहुत बार चुदाये हैं!"
"तो कोई चुदा रही होगी! हमे क्या? उन्हे हम क्यों टोकने जायें?" मैने लापरवाही दिखाकर कहा, "चल, हम घर चलते हैं."

झाड़ी के पीछे से सासुमाँ की आवाज़ आयी, "अब ज़रा तेज़ ठाप लगा!"

कहते ही झाड़ी के पीछे से "ठाप! ठाप! ठाप! ठाप!" आवाज़ आने लगी.

"अरे, तु इतने जोश मे क्यों आ गया? तु तो अभी पानी गिरा देगा." सासुमाँ बोली, "थोड़ा संयम रखकर चोद. अभी तो मुझे और एक घंटा चुदाना है."
"हमसे नही हो रहा है, मालकिन!" रामु की आवाज़ आयी, "आपको पहली बार चोद रहे हैं ना!"

सुनकर गुलाबी की आंखें बड़ी बड़ी हो आयी. बोली, "भाभी, ई आवाज़ तो हम अच्छी तरह पहिचानते हैं! हमे तो दाल मे कुछ काला दिखायी दे रहा है!"

बोलकर वह दौड़कर झाड़ी के पास गयी और आड़ से देखने लगी. मैं भी उसके पीछे पीछे गई.

झाड़ी के पीछे सासुमाँ रामु से चुदाये जा रही थी. सासुमाँ की पेटीकोट उनके कमर पर सिकुड़ी हुई थी और रामु पूरा नंगा था. दोनो सासुमाँ की साड़ी पर लेटकर एक दूसरे से लिपटे हुए थे. रामु का काला लन्ड सासुमाँ की मोटी बुर मे आ जा रहा था. उसके हाथ सासुमाँ की बड़ी बड़ी चूचियों को बेरहमी से मसल रहे थे और उसके होंठ सासुमाँ के होठों से चिपके हुए थे.

गुलाबी सदमे मे आ गयी. कुछ देर वह अपने सामने की अश्लील दृश्य को देखती रही, फिर मुझे फुसफुसाकर बोली, "भाभी! ई का हो रहा है! मालकिन मेरे मरद के साथ....ऊ तो मालकिन को अपनी माँ की तरह इज्जत देता है!"
"मै भी यही देख रही थी, गुलाबी." मैने कहा, "बहुत सी औरतें तो अपने बेटों से चुदवाती हैं. रामु तो घर का नौकर है."
"और हमरे रहते हमरा आदमी कैसे किसी और औरत को चोद सकता है!" गुलाबी बोली, "साला बेवफा, हर्जाई, कमीना!"
"सब मरद एक जैसे होते हैं, गुलाबी." मैने कहा, "तु बुरा मत मान. तुने भी तो बड़े भैया के कमरे मे उनसे अपने जोबन और चूत मसलवायी थी ना?"
"बड़े भैया तो हमरे साथ जबरदस्ती किये थे!"
"पर तुझे मज़ा तो आया था ना?" मैने कहा.

गुलाबी ने कुछ जवाब नही दिया. फिर वह सासुमाँ और अपने पति की अवैध चुदाई को देखने लगी.
रामु मध्यम रफ़्तार से सासुमाँ को चोद रहा था. उसका काला, जवान बदन पसीने-पसीने हो रहा था. उसकी सांसें फूल रही थी. सासुमाँ भी रामु के होंठ पीते पीते अपना कमर उठा रही थी और उसका लन्ड ले रही थी.

कुछ देर बाद सासुमाँ बोली, "रामु अब और जोर से चोद! पर ध्यान रहे, अपना पानी नही गिराना! तुने मुझे प्यासा छोड़ दिया...तो तेरा लन्ड काटकर...गाँव के चौराहे पर लटका दूंगी...ताकि आने-जाने वाले देखें...और कहें की यह रामु हिजड़े का लन्ड है. आह!!"

रामु ने अपनी रफ़्तार और बड़ा दी और "ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ!" करके ठाप लगाने लगा.

"आह!! और जोर से!" सासुमाँ बोली, "और जोर से चोद मुझे, रामु! आह!! ऊह!!"

रामु और जोर से चोदने लगा.

सासुमाँ झड़ने के करीब आ गयी थी. "हाय और तेज पेल रे बहिनचोद! गांड मे दम नही था...तो चोदने क्यों चला था? ऐसे लल्लु की तरह चोदता रहेगा...तो जल्दी ही तेरी गुलाबी...मेरे बलराम के नीचे होगी! बहुत चुदेगी मेरे बलराम से और मज़ा पायेगी! आह!! मैं बस झड़ने वाली हूँ! पेल और जोर से!! उम्म!! भोसड़ा बना दे मेरी चूत का, रामु!! आह!! ऊह!! हाय मैं मरी!!"

रामु अपनी पूरी ताकत से कमर चलाने लगा. ठाप! ठाप! ठाप! ठाप! की आवाज़ खेत के सन्नाटे मे गूंजने लगी. सासुमाँ ने अपनी उंगलियां रामु के नंगे पीठ मे गाड़ दी और झड़ने लगी.

सासुमाँ के झड़ने के दो-तीन मिनट बाद रामु बोला, "मालकिन, अब हम नही रुक सकते हैं! पानी निकाल दें?"
"हाँ निकाल दे!" सासुमाँ बोली.

उनका कहना था कि रामु ने अपना लौड़ा पेलड़ तक पूरा सासुमाँ की बुर मे उतार दिया और "हंह!! हंह!! हंह!! हंह!!" की आवाज़ करते हुए अपना वीर्य सासुमाँ की चूत की गहराई मे छोड़ने लगा. करीब 10-15 सेकंड पानी छोड़ने के बाद वह पस्त होकर सासुमाँ के ऊपर ही लेट गया.

मैने गुलाबी का हाथ पकड़ा और खींचकर उसे घर ले आयी.


गुलाबी इतनी परेशान थी कि मेरे कपड़ों ही हालत और मेरे शरीर से आते वीर्य की महक पर उसका ध्यान नही गया. घर जाते ही मैने नहाने चली गयी और नये कपड़े पहनकर रसोई मे आयी.

गुलाबी रसोई के ज़मीन पर बैठी सब्ज़ी काट रही थी. उसका मुंह गुस्से से तमतमा रहा था.

मुझे देखते ही बोली, "साला हरामी! मेरे रहते दूसरी औरतों पर मुंह मारता है! घर आने दो कमीने को! यह छुरी उसके सीने मे उतार दूंगी!"
"अरे गुलाबी! ऐसा कहते हैं क्या अपने पति के बारे मे?" मैने कहा, "कितना प्यार करता है रामु तुझे!"
"पियार! भाभी इसे पियार कहते हैं!" गुलाबी भड़क के बोली, "मेरे पीछे अपनी माँ जैसी मालकिन को चोद रहा है!"
"तो क्या हुआ. पति किसी और औरत को चोदे इसका यह मतलब तो नही वह अपनी पत्नी से प्यार नही करता." मैने कहा, "अब देख, तेरे बड़े भैया तुझे चोदने के लिये जबरदस्ती करते रहते हैं. पर वह मुझे फिर भी बहुत प्यार करते हैं. तभी तो तु उनसे चुदा लेगी तो मैं बिलकुल बुरा नही मानुंगी. और मैं भी तो सोनपुर मे कितनो से चुदी हूँ. मैं क्या तेरे बड़े भैया को प्यार नही करती?"

"हमे ई सब नही पता, भाभी!" गुलाबी बोली, "हम इसका बदला जरूर लेंगे!"
"कैसे लेगी बदला?" मैने पूछा, "देख खून-खराबा मत करना! खून करेगी तो तुझे जेल हो जायेगी. और जेल के संत्री लोग तेरे जैसी सुन्दर कातिलों का पता है क्या करते हैं?"
"नही."
"उन्हे सब मिलकर बहुत बेदर्दी से चोदते हैं. और जबरदस्ती रंडीबाज़ी करवाते हैं." मैने कहा.

"अच्छा हम उसका खून नही करेंगे." गुलाबी से कुछ सोचकर कहा, "पर फिर हम बदला कैसे लें?"
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10-08-2018, 01:08 PM,
#37
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
मैने कुछ सोचकर कहा, "खून का बदला खून. ईंट का जवाब पत्थर."
"का मतलब, भाभी?" गुलाबी ने पूछा.
"अच्छा यह बता, अगर रामु तुझे किसी और मर्द के साथ देख ले तो क्या करेगा?" मैं पूछा.
"पता नही, भाभी." गुलाबी बोला, "सायद खून-खराबा करेगा. साला ढोंगी, पाखंडी! इधर मालकिन की और न जाने किस किस औरत की चूत मारता फिरता है. पर किसी और मरद से हम हंसकर बात भी करें तो हमरा गला काट देगा."
"कैसे काट देगा तेरा गला?" मैने कहा, "देश मे कोई कानून है कि नही!"

"पर हमे पीट तो सकता हैं ना!" गुलाबी बोली, "ऊ सराब पीके गुस्सा करता है तो हमे बहुत डर लगता है."
"तुझ पे रामु हाथ उठाये तो तेरे बड़े भैया उसकी एक एक हड्डी तोड़ देंगे!" मैने कहा. "तेरे बड़े भैया बहुत प्यार करते हैं तुझे."
"सच, भाभी?" गुलाबी थोड़ा खुश होकर बोली. तीर निशाने पर जा लगा था. "तो बतायिये ना, भाभी. हम कैसे बदला लें? हम कुछ भी करने को तैयार हैं!"

"तु रामु को चोट पहुंचाना चाहती हैं ना?" मैने पूछा.
"हाँ भाभी!" गुलाबी बोली. उसकी आंखें अब चमक रही थी. "जैसे हमरे दिल को ठेस लगी, वैसे उसका दिल भी टूट कर चूर चूर हो जाना चाहिये!"
"तो तुझे वही करना होगा जो रामु कर रहा था."
"हम समझे नही, भाभी." गुलाबी बोली, "हम मालकिन के साथ काहे पियार-सियार करेंगे. ऊ तो औरत है."
"औरत के साथ भी बहुत मज़ा आता है प्यार करने मे, गुलाबी. मैने कई बार किया है. तु भी कभी करके देखना." मैने कहा, "पर मैं तुझे अभी सासुमाँ के साथ मज़े लेने को नही कह रही हूँ. तुझे किसी और मर्द के से चुदवाना होगा."

"हाय! का कह रही हैं आप?" गुलाबी बोली, "ई सब भी करना पड़ेगा, भाभी?"
"हाँ, गुलाबी. तुझे किसी पराये मर्द से चुदवाना होगा." मैने जोर देकर कहा, "रामु जब तुझे किसी और मर्द के नीचे नंगी देखेगा...देखेगा कैसे वह मर्द तेरे इन सुन्दर चूचियों को मसल रहा है. कैसे वह तेरे इन नर्म, फुले फुले होठों का रस पी रहा है. कैसे वह अपने मोटे, लंबे लन्ड से तेरी प्यारी सी चूत को पेल रहा है. और देखेगा तु कैसे मज़े से अपनी कमर उठा उठाकर उसका लन्ड अपनी चूत मे ले रही है. तब सोच उसकी क्या हालत होगी!"

अपनी सुन्दरता की बढाई सुनकर गुलाबी को खुशी भी हो रही थी और उत्तेजना भी. वह बोली, "साला जल-भुनकर राख हो जायेगा!"

"बिलकुल सही! और तेरा बदला पूरा हो जायेगा." मैने उसे बढ़ावा दिया, "ऊपर से तुझे एक पराये मरद से चुदवाने का अनुभव भी हो जायेगा! पराये मर्द से चुदवाने का एक अलग मज़ा होता है, गुलाबी! हर औरत को एक बार ज़रूर इसका स्वाद लेना चाहिये."
"पर, भाभी, हम अब मरद ढूंढने कहाँ जायें!" गुलाबी ने पूछा.
"पगली, घर भर के मर्द तेरी जवानी पर लट्टू हैं!" मैने कहा, "तुझे तो पता है तेरे बड़े भैया तुझे कबसे चोदने की कोशिश कर रहे हैं. और तेरे किशन भैया भी तेरी सुन्दरता को निहारते रहते हैं. और तो और, तेरे मालिक भी चोली मे तेरे इन बड़े बड़े चूचियों को ताड़ते रहते हैं."
"हाय, भाभी! मालिक भी?" गुलाबी ने पूछा, "ऊ तो कितने बड़े हैं हमसे!"
"बड़े हैं तो क्या वह मर्द नही हैं?" मैने कहा, "तु नही जानती कितने रसिले हैं मेरे ससुरजी! सासुमाँ को तो रोज़ दबा के चोदते हैं. और मेरे चूचियों को हमेशा ताड़ते रहते हैं. कभी मौका मिले तो दबा भी देते हैं!’
"हाय, आपका बुरा नही लगता, भाभी?" गुलाबी ने हैरान होकर पूछा.
"बुरा क्यों लगेगा? कोई मर्द चूची दबाये उसमे मज़ा ही तो आता है!" मैने कहा, "सब की नज़र बचाकर मैं बाबूजी को अपनी चूची दबाने का मौका देती हूँ. इसलिये तो वह इतना प्यार करते हैं अपनी बहु से!"

मेरी बात सुनकर गुलाबी गुदगुदी से भर उठी. रामु से बदला लेने की योजना से वह बहुत उत्तेजित हो ही चुकी थी.
मौका देखकर मैं कहा, "अब बता, गुलाबी. रामु से बदला लेने के लिये तु किससे चुदवाना पसंद करेगी? मेरे पति से, मेरे देवर से, या मेरे ससुर से?"
"हाय तीनो से?" गुलाबी बोली.
"छिनाल कहीं की! तु तीनो से एक साथ सामुहिक चुदाई करना चाहती है!" मैने ने उसे चूंटी काटकर कहा.
"हाय भाभी! हमरा वह मतलब नही था!" गुलाबी हंसकर बोली, "हमे नही पता हमे तीनो मे से किसके साथ करना चाहिये."
"तु तीनो से चुदाने को तैयार है?" मैने पूछा.

गुलाबी ने आंखें नीची करके हाँ मे सर हिलाया.

"ठीक है, तो फिर पहले तु अपने बड़े भैया से चुदवा ले. जब तु चुद रही होगी तब मैं किसी बहाने रामु को तेरे पास ले आऊंगी." मैने कहा, "तु उसे देखना और अपनी चुदाई जारी रखना. डरना नही बिलकुल!"
"ठीक है भाभी." गुलाबी बोली.
"तो जा, अपने बड़े भैया के कमरे मे." मैने कहा, "वह तो तेरे जोबन और चूत सहालते ही हैं. चोदना चाहे तो ना मत कहना. बाकी सब मैं सम्भाल लुंगी."

"आज नही, भाभी!" गुलाबी बोली, "कल जायेंगे."
"आज क्यों नही?" मैने खीजकर पूछा. यह लड़की अड़ियल घोड़े की तरह हर बार बस मे आते आते रह जा रही थी.
"हमे डर लग रहा है!" गुलाबी ने कहा, "हमको पराये मरद से चुदवाना ठीक नही लग रहा!"
"हे भगवान!" मैने कहा, "तुझे घंटे भर से मैं क्या समझा रही हूं? ऐसा करेगी तो तुझे मैं कुछ नही सिखाऊंगी!"

इतने मे रामु और सासुमाँ एक साथ घर मे घुसे. रामु अपने कमरे मे चला गया. सासुमाँ रसोई मे आयी. उनके बाल और कपड़े बहुत खराब हो गये थे पर उनके चेहरे पर खुशी और संतुष्टी झलक रही थी. 

वह गुलाबी को देखकर बोली, "गुलाबी, जा तुझे रामु कमरे मे बुला रहा है."
गुलाबी जाने लगी तो मैने कहा, "गुलाबी, याद है न हमने क्या योजना बनाई है? तु अभी रामु से बिलकुल लड़ाई नही करेगी!"

गुलाबी के जाते ही सासुमाँ ने पूछा के क्या माजरा है.

"माँ, आप रामु से खेत मे इतनी मस्ती मे चुदवा रही थी." मैने कहा, "गुलाबी ने सब देख लिया और वह गुस्से से आग-बुलबुला हो रही है."
"हूं! यह तो हमारी योजना मे नही था." सासुमाँ ने चिंतित होकर कहा.
"पर माँ, मैने उसे मेरे उनसे चुदवाने के लिये लगभग तैयार कर लिया है." मैने कहा, "बस थोड़ा डर रही है."
"बहु, एक बार चुद लेगी बलराम से तो सब डर-वर चला जायेगा." सासुमाँ बोली, "मैं कह देती हूँ बलराम से कि अगली बार गुलाबी उसके कमरे मे जाये तो वह उसका बलात्कार करे. चूत मे जब बलराम अपना मूसल पेलेगा तो साली की सारी पतिव्रता-पंथी निकल जायेगी."
"हाँ माँ. मुझे भी यही ठीक लगता है." मैने कहा, "छोकरी पराये मर्द से चुदने के लिये काफ़ी उत्सुक है. बस उसकी झिझक को किसी तरह दूर करना है."

उस दिन और कुछ नही हुआ. रात को मैं तुम्हारे मामाजी के साथ सोई और तुम्हारी मामी देर रात तक अपने बेटे से चुदवाती रही. पर हमने बत्तियाँ बंद कर रखी थी. हम नही चाहते थे कि किशन हमे देख ले और पूरी योजना धरी की धरी रह जाये.

आज के लिये बस इतना ही. मुझे लिखना तुम्हे पढ़कर कितना मज़ा आ रहा है. आगे की कहानी अगले ख़त मे.

बहुत सारा प्यार,
तुम्हारी छिनाल भाभी
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10-08-2018, 01:08 PM,
#38
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
जब तक मैने भाभी की चिट्ठी पढ़कर समाप्त की तब तक मेरा हाथ चूत मे बैंगन पेलते पेलते थक गया था! पहले भाभी की किशन से खेत मे चुदाई, फिर भाभी का अपने घर के नौकर के हाथों बलात्कार, फिर सासुमाँ की घर के नौकर से चुदाई. पढ़के मुझे जितनी चुदास चढ़ रही थी उतनी ही हंसी भी आ रही थी.

भाभी की चिट्ठी को दो बार पढ़कर मैने उसे जवाब लिखा.


**********************************************************************

मेरी प्यारी छिनाल भाभी,

तुम्हारे घर पर जो हो रहा है किसी हिंदी धारावाहिक से कम नही है. फ़र्क यह है कि तुम्हारी कहानी किसी टीवी पर दिखने लायक नही है!

तुमने ठीक ही लिखा है - मुझे आज की किश्त पढ़कर बहुत मज़ा आया. हाय, तुम खुले आम खेत मे कैसे अपने देवर से चुदवा ली? तुम्हे डर नही लगा? और तुम्हारे नौकर ने तुम्हारा खेत मे बलात्कार किया, तुमने मज़ा कैसे लिया? मेरा नौकर मुझे गंदी गालियाँ देता तो मैं उसके दांत हिला देती. अच्छा हुआ मामीजी ने उसकी अच्छी खबर ली. पढ़कर तो मैं एक हाथ से अपने चूत मे बैंगन पेल रही थी और दूसरे हाथ से मुंह दबाकर हंस रही थी.

तुम्हारी यह गुलाबी बहुत मज़ेदार लड़की लगती है. बाप रे! चुदवाने मे कितने नखरे करती है! भाभी, जल्दी लिखो वह बलराम भैया से चुदवाई कि नही!

तुम्हारी चुदासी ननद

************************************************
भाभी की चिट्ठी मेरी माँ के हाथ न पड़ जाये इसलिये मैं घर के आंगन मे डाकिये का इंतज़ार कर रही थी. मुझे बहुत उत्सुकता हो रही थी कि गुलाबी बलराम भैया से चुदवाने को राज़ी होती है या नही.

डाकिया आया और उसने मेरे हाथ मे भाभी की चिट्ठी थमाई.

"बिटिया, तेरे पास हाज़िपुर से रोज़ चिट्ठियां आती हैं." वह बोला, "कौन लिखता है तुझे इतनी चिट्ठियां? तेरी सगाई तो नही हो गयी?"
"अरे नही, काका!" मैने घर के अन्दर जाते हुए कहा, "मेरी भाभी है जो मुझे रोज़ याद करती है."

मै अपने कमरे मे भाभी की चिट्ठी लेकर बैठी और जल्दी-जल्दी पढ़ने लगी.


**********************************************************************

प्रिय ननद वीणा,

मैने पिछले ख़त मे लिखा था कि किस तरह रामु ने मुझे किशन से चुदवाते देख लिया और फिर उसने मेरा खेत मे ही बलात्कार किया. मेरा बलात्कार होते देख तुम्हारी मामीजी ने रामु की अच्छी खबर ली और उससे चुदवाया भी. जब गुलाबी ने अपने पति को सासुमाँ की चूत मारते देख लिया तो मैने उसे बदला लेने का उपाय बताया. मैने उसे सलाह दी की वह तुम्हारे बलराम भैया से चुदवा ले जिसे देखकर रामु के दिल को ठेस लगे.

अगले दिन जब किशन और तुम्हारे मामाजी खेत मे काम देखने के लिये चले गये, मैने गुलाबी को बुलाकर कहा, "गुलाबी, तु अब भी रामु से उसकी बेवफ़ाई का बदला लेना चाहती हैं ना?"
"हाँ, भाभी." गुलाबी बोली.
"तो जा, तेरे बड़े भैया अपने कमरे मे अकेले हैं. उन्हे चाय बनाकर दे आ."
"पर भाभी, हमे डर लग रहा है ई सब से." गुलाबी बोली.
"किस सब से?" मैने गुस्सा दिखाकर कहा.
"हमको बड़े भैया से चुदवाने से डर लग रहा है. हम कभी ई सब किये नही ना." गुलाबी बोली, "भाभी, हम बस उनसे अपना जोबन मिसवा लेंगे. आप हमरे मरद को भेज देना देखने के लिये. हमरा बदला उसी से पूरा हो जायेगा."

कोइ चारा न देखकर मैं हारकर गुलाबी की बात पर राज़ी हो गई. लग रहा था यह लड़की सीधे तरीके से रास्ते पर आने वाली नही थी.

गुलाबी चाय लेके मेरे कमरे मे गयी जहाँ मेरे वह बैठे सुबह का अखबार पड़ रहे थे. मैं और सासुमाँ उसके पीछे पीछे दरवाज़े तक गये और आड़ से अन्दर देखने लगे.

गुलाबी को देखते ही मेरे पति बोले, "अरे गुलाबी, क्या देने आयी है?"
"चाय देने आये हैं, बड़े भैया." गुलाबी ने कहा.
"चाय तो मैने सुबह ही पी ली है."
"हम सोचे आप नास्ते के बाद फिर चाय पीना चाहेंगे..." गुलाबी ज़रा हिचकिचा कर बोली, और मेज पर चाय की कप और प्लेट रख दी.

तुम्हारे भैया ने गुलाबी को बहुत गौर से देखा. 18-19 साल की भोली-भाली, सांवली पर सुन्दर लड़की. बदन पति की चुदाई खा खा के समय से पहले गदरा गया था. छोटी सी चोली के ऊपर से मांसल चूचियां दिख रही थी और नीचे उसका सपाट पेट दिख रहा था. कमर पर घुटने तक छोटा घाघरा था. माथे पर सिंदूर और हाथ मे कांच की चूड़ियाँ. किसी गाँव की लड़की का सुन्दर चित्र लग रही थी.

तुम्हारे भैया ने गुलाबी का हाथ पकड़ा और कहा, "बहुत अच्छा किया तुने, मेरे लिये चाय लायी. बहुत खयाल रखती है तु मेरा. चल बैठ इधर."
"ई तो हमरा क-कर्तव्य है, ब-बड़े भैया! हम तो घ-घर की नौकरानी हैं." गुलाबी हकलाते हुए बोली.

गुलाबी का दिल बहुत जोर से धड़क रहा था. अपने दिल पर हाथ रखकर वह पलंग पर बैठ गयी. लग रहा था कोई बकरी हलाल होने चली हो.

तुम्हारे भैया गुलाबी के बगल मे पसर गये और उसका हाथ अपने हाथों मे लेकर प्यार से सहलाने लगे. गुलाबी अपनी आंखें नीची करके बैठी रही.

फिर उन्होने गुलाबी के घाघरे को ऊपर खिसकाया और अपना हाथ उसके नंगे जांघ पर रखा. गुलाबी मस्ती मे सिहर उठी. मेरे पति कुछ देर गुलाबी के जांघ तो सहलाते रहे. गुलाबी आंखें नीची कर के बैठी रही.

"मज़ा आ रहा है गुलाबी?" मेरे उन्होने पूछा. गुलाबी ने हाँ मे सर हिला दिया.

अब उन्होने गुलाबी के घाघरे को कमर तक चढ़ा दिया और उसके दोनो पाँव को पूरा नंगा कर दिया. सांवले रंग के बहुत सुडौल पाँव हैं गुलाबी के. उनको गुलाबी की चूत नज़र आने लगी. उन्होने अपना हाथ गुलाबी की चूत पर रखा और सहलाने लगे.

गुलाबी मस्ती से गनगना उठी. वह छत की तरफ़ आंखें उठाकर अपनी चूत पर पराये मर्द के स्पर्श का मज़ा लेने लगी.

"तुने अपनी चूत के बाल कब साफ़ किये?" तुम्हारे भैया बोले, "बहुत अच्छा किया तुने. साफ़ चूत से मर्द को ज़्यादा मज़ा आता है."
"भाभी...बोली हमको...चूत को साफ़ रखने...के लिये." गुलाबी ने अपनी सित्कारियों के बीच कहा.

मेरे उन्होने फिर गुलाबी की चूत के होठों को उंगली से अलग किया और धीरे से चूत मे उंगली घुसाने की कोशिश करने लगे. बैठे होने के कारण गुलाबी की चूत मे उंगली नही घुस रही थी.
वह बोले, "ज़रा पाँव फैला, गुलाबी."

गुलाबी ने अपना एक हाथ पीछे बिस्तर पर रखा और पीछे झुककर अपने पाँव फैला दिये. अब उनकी उंगली उसकी चूत मे आसानी से आने-जाने लगी.

"बहुत कसी है तेरी चूत." तुम्हारे भैया बोले, "ज़्यादा चुदाती नही है क्या?"
गुलाबी को तो बहुत मज़ा आ रहा था अपनी चूत मे पराये मर्द की उंगली पेलवाने मे. वह बोली, "बस मेरा मरद ही...करता है."
"ज़्यादा लोगों से चुदायेगी तो थोड़ी ढीली हो जायेगी. फिर मोटा लन्ड लेगी तो दर्द नही होगा." मेरे वह बोले.

कुछ देर गुलाबी की चूत मे उंगली करने के बाद तुम्हारे भैया बोले, "मज़ा आया, गुलाबी?"
"हाँ, बड़े भैया." गुलाबी बोली.
"और मज़ा लेना है?"

गुलाबी ने हाँ मे सर हिलाया.
"तो अपनी चोली खोल दे."

गुलाबी थोड़ी हिचकिचायी फिर बोली, "बड़े भैया दरवाज़ा खुला है. पहले उसे बंद किये देते हैं."

गुलाबी ने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया, पर सासुमाँ और मुझे दरवाज़े के अनेक छेदों से अन्दर का सब नज़ारा दिखाई दे रहा था.
पलंग के पास जा के गुलाबी ने नज़रें नीची करके अपनी चोली खोली और बिस्तर पर रख दी. अब वह कमर के ऊपर पूरी नंगी थी. फिर उसने अपने सांवले, सुडौल चूचियों को अपने बाहों के घेरे मे ढक लिया और नज़रें नीची किये खड़ी रही.

"अरे तु वहाँ बुत की तरह क्यों खड़ी हो गयी?" तुम्हारे भैया ने पूछा.
"हमे सरम आ रही है, बड़े भैया." गुलाबी बोली.
"शरम की क्या बात है?" वह बोले, "कितनी सुन्दर हैं तेरी चूचियां! कोई भी मर्द सारा दिन पीना चाहेगा. देख मेरे लन्ड की क्या हालत हो गयी है तुझे देखकर!"

उन्होने अपनी लुंगी खींचकर उतार दी. उनका लन्ड चड्डी फाड़कर बाहर आने की कोशिश कर रहा था. उन्होने अपनी चड्डी भी उतार दी और बिस्तर पर लेट गये.

अब वह एक बनियान मे थे और नीचे से नंगे हो गये थे. उनका मोटा, लंबा, 8 इंच का लन्ड खड़ा होकर हिल रहा था. गुलाबी की नज़रें बार-बार उधर जा रही थी. मेरे उन्होने गुलाबी का हाथ पकड़ा और अपने पास बिठा लिया.

तुम्हारे भैया कुछ देर गुलाबी की चूचियों को दबाते और मसलते रहे.

फिर उन्होने झुककर उसकी काले रंग के निप्पलों को मुंह मे लेकर चूसा. गुलाबी सर उठाकर सित्कारियां लेने लगी.

तुम्हारी मामीजी बोली, "बहु, काम तो लगता है बन गया. जितना मज़ा बलराम दे रहा है छोकरी को, वह अब चुदे बिना नही मानेगी."
"देखते हैं, माँ!" मैने कहा, "लड़की बहुत अड़ियल है. मुझे तो डर है आखरी वक्त पर डरकर भाग खड़ी होगी."
"मैने बलराम को कल बोल दिया है. अगर गुलाबी डर जाये और भागना चाहे तो वह उसे पटककर जबरदस्ती चोद दे." सासुमाँ बोली.

"रामु कहाँ है, माँ?" मैने पूछा, "उसे भी तो उसकी जोरु की चुदाई का नज़ारा दिखना है."
"बाहर है. अभी आ जायेगा." सासुमाँ बोली.

अन्दर तुम्हारे भैया ने गुलाबी की चूची पीनी बंद कर दी थी. अपना लन्ड पकड़कर हिलाकर बोले, "गुलाबी, तुझे मीना ने लन्ड चूसना सिखाया है?"
"हाँ, बड़े भैया." गुलाबी गर्व से बोली.
"तो थोड़ा मेरा लन्ड चूस दे."
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10-08-2018, 01:08 PM,
#39
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
गुलाबी ललचाई नज़रों से उनके लन्ड को देख रही थी. हाथ बढ़ाकर उसने उस मोटे लौड़े को अपनी छोटी सी मुट्ठी मे ले लिया और हिलाने लगी. लन्ड की चमड़ी को वह सुपाड़े के ऊपर-नीचे करने लगी.

कुछ देर बाद उसने झुककर लन्ड का सुपाड़ा अपने नरम होठों मे ले लिया और अपना सर ऊपर-नीचे कर के चूसने लगी.

मेरे वह मस्ती मे आंखें बंद करके घर की नौकरानी से अपना लन्ड चुसवाने का मज़ा लेने लगे. अपना हाथ बढ़ाकर वह गुलाबी की एक नंगी चूची को मसल भी रहे थे जिससे गुलाबी को भी मज़ा आ रहा था.

इतने मे रामु बाहर से अन्दर आया और रसोई मे गया. रसोई मे कोई नही था.

उसने फिर सासुमाँ और मुझे मेरे कमरे के बाहर देखा. आकर बोला, "मालकिन, गुलाबी नही दीख रही!"
"क्यों उसे चोदने का मन कर रहा है?" सासुमाँ ने पूछा.

रामु सासुमाँ का भद्दा सा जवाब सुनकर थोड़ा हिचकिचाया.

सासुमाँ ने मेरी तरफ़ इशारा करके कहा, "अरे अब हिचकिचा मत. मुझे पता है कल तुने बहु का बलात्कार किया था. उसे भी पता है मैने तुझसे कल चुदवाया था."

"ऊ का है मालकिन...गुलाबी पता नही हमसे क्यों बहुत नाराज़ है." रामु बोला, "कल से हमसे बात ही नही कर रही."
"तो बेचारी और करे भी तो क्या?" सासुमाँ बोली, "उसका मरद घर की बहु, घर की मालकिन, और अपनी सगी चाची को चोदे फिर रहा है. कोई भी औरत यह बर्दाश्त नही कर सकती."
"मालकिन, आप उसे ई सब बता दी?" रामु ने पूछा.
"और क्या करती?" सासुमाँ बोली, "कल तु जब मुझे जंगल मे चोद रहा था उसने अपनी आंखों से सब देख लिया. फिर उसे सब कुछ खोलकर बताना पड़ा."

रामु कुछ देर चुप रहा. फिर बोला, "मालकिन, गुलाबी हमे छोड़कर भाग तो नही गयी?"
"नही तो!" सासुमाँ बोली, "क्यों भागेगी भला? तुझे बहुत प्यार करती है वो."
"फिर कहाँ है वो?" रामु ने पूछा.
"देख कहीं किसी से मुंह काला करवा रही होगी."
"हाय, ऐसा काहे कहती हैं आप?" रामु बोला, "गुलाबी ई सब नही कर सकती."
"क्यों, तु तीन-तीन परायी औरतों की चूत मार सकता है, पर तेरी जोरु पराये मर्द से नही चुदवा सकती क्या?" सासुमाँ बोली, "बहुत नाराज़ है वह तुझसे. ऐसे मे औरत कुछ भी कर सकती है. किसी और से चुदवा भी सकती है."

रामु खड़े-खड़े अपने हाथ मल रहा था. वह बोला, "हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है, मालकिन. हम बहुत पियार करते हैं अपनी गुलाबी से."
"तो गुलाबी की खातिर तुम अपनी चाची को चोदना बंद कर दोगे?" मैने पूछा.
"हाँ...भाभी." थोड़ा रुक कर रामु ने जवाब दिया.
"और मुझे?" मैने पूछा, "मुझे भी फिर कभी नही चोदोगे?"

रामु चुपचाप खड़ा रहा तो मैं पूछा, "और मालकिन को भी कभी नही चोदोगे?"

रामु ने जवाब नही दिया. दूर के गाँव की चाची को न चोदना बड़ी बात नही थी. पर घर पर जवान, चुदासी भाभी हो और वह उसे न चोदे यह तो लगभग असंभव था.
हिचकिचा कर रामु बोला, "अगर आप लोग बुरा न माने तो...हम और नही चोदेंगे."

"बुरा कैसे नही मानेंगे?" सासुमाँ ने डांटकर कहा, "अगर तुझे यही नाटक करना था तो कल तुने मुझे और बहु को क्यों चोदा? तुझे अब हम दोनो को रोज़ चोदना पड़ेगा."
"मालकिन, हम कहाँ ना कर रहे हैं?" रामु अपनी बात पलटकर बोला, "पर गुलाबी का करें?"
"उसे चुदाने दे किसी और से." सासुमाँ बोली, "तेरा क्या जाता है?"

मैने पूछा, "रामु, गुलाबी किसी और से चुदेगी तो तुम्हे बहुत बुरा लगेगा?"
"ऊ तो लगेगा ना, भाभी!" रामु बोला, "ऊ हमरी जोरु जो ठहरी. हम उसको ई सब नही करने देंगे."
"पर तुम उसे किसी और से नही चुदाने दोगे, तो वह भी तुम्हे मेरे साथ चुदाई नही करने देगी." मैने कहा और अपना पल्लु अपनी चूचियों पर से गिरा दिया.

रामु ब्लाउज़ मे कसी मेरी चूचियों को देखने लगा. उसे याद आया कल कितने जोश मे उसने इन चूचियों को दबाया और पिया था.
बहुत असमंजस मे था रामु बेचारा. मैने दोनो हाथों से अपने चूचियों को दबाया और कहा, "देखो, रामु. तुम एक जवान मर्द हो. और जवानी मज़ा लेने के लिये है. माना तुम गुलाबी से बहुत प्यार करते हो, पर उसके लिये क्यों जवानी की सबसे बड़ी खुशी त्याग करना चाहते हो? यही तो उम्र हैं तुम्हारी अलग अलग औरतों को भोगने की."

रामु तो यही चाहता था पर वह बोला, "हम आपकी बात समझ रहे है, भाभी. पर गुलाबी...."
"गुलाबी को करने दो ना वह जो चाहे!" मैने कहा, "वह भी जवान है और उसे भी अपनी जवानी का मज़ा लेने दो."
"पर भाभी, गुलाबी किसी और मरद के साथ हो ई हम कैसे बर्दास्त करेंगे?" रामु बोला.
"रामु, बर्दाश्त करना तो दूर की बात है. तुम्हे तो मज़ा आयेगा उसे किसी और से चुदते देखकर." मैने कहा. "बहुत से पतियों को मज़ा आता है अपनी पत्नी को दूसरे मर्द से चुदाकर."

"नही भाभी. हम तो उस आदमी का खून कर देंगे." रामु अकड़कर बोला.

सासुमाँ को लगा यह गंवार तो मीठी बातों से रास्ते पर आने वाला नही है. वह बोली, "रामु, तुझे जेल की हवा खानी है?"
"नही, मालकिन."
"तो अपना मुंह बंद रख और जो कुछ गुलाबी करती है करने दे. तेरी जोरु तेरे सामने दस मर्दों से चुदेगी तो भी तु कुछ नही बोलेगा, समझा? और मुंह खोला तो थाने मे रपट लिखा दूंगी कि तुने मेरी बहु का बलात्कार किया है."

"ऊपर से तुझे मेरी और सासुमाँ की चूत भी नही मिलेगी." मैने जोड़ा. मैने अपने ब्लाउज़ के हुक खोल दिये और उसे अपने ब्रा मे कसी गोरी चूचियों के दर्शन कराये.

रामु हारकर बोला, "ठीक है, मालकिन. जो आप लोग ठीक समझें हम वही करेंगे. पर गुलाबी है कहाँ?"
"कहा ना किसी से मुंह काला करवा रही है." सासुमाँ ने कहा.
"किससे?"
"तुम्हारे बड़े भैया से." मैने जवाब दिया.
"बड़े भैया से!" रामु चौंक कर बोला, "हमको बिस्वास नही होता, भाभी."
"तो खुद ही देख लो." मैने दरवाज़े की तरफ़ इशारा किया, "हम भी वही देख रहे थे."

रामु ने दरवाज़े की एक दरार से अन्दर देखा और अन्दर का नज़ारा देखकर गनगना उठा. ऐसा नज़ारा उसने ज़िन्दगी मे कभी नही देखा था. ऊपर से उस नज़ारे की एक पात्र उसकी अपनी पत्नी थी.
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10-08-2018, 01:09 PM,
#40
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
गुलाबी बिस्तर पर बैठी हुई थी. उसका घाघरा उसकी कमर तक चढ़ा हुआ था और वह एक हाथ से अपनी चूत मे उंगली पेल रही थी. दूसरे हाथ से उसने तुम्हारे भैया का लंबा, मोटा लन्ड जड़ के पास पकड़ा हुआ था और अपना सर ऊपर-नीचे करके लन्ड को चूस रही थी. ऊपर से वह पूरी तरह नंगी थी और तुम्हारे भैया उसकी लटकती चूचियों को मसल रही थे. गुलाबी को काफ़ी मज़ा आ रहा था. वह "आह!! ऊंह!! ऊम्म!!" की सित्कारियाँ ले रही थी.

तुम्हारे भैया ने सिर्फ़ एक बनियान पहनी हुई थी जिसे उन्होने सीने पर चढ़ा दिया और कहा, "गुलाबी, इधर आ और मेरे निप्पलों को चूस दे."

गुलाबी उनके भूरे निप्पलों को मुंह मे लेकर बारी-बारी चूसने लगी.

कुछ देर बाद, तुम्हारे भैया ने गुलाबी को खींचकर अपने ऊपर लिटा लिया. अपने होंठ गुलाबी के नरम फुले फुले होठों पर रखकर उन्हे मज़े लेकर पीने लगे. गुलाबी भी जोश मे उनके होंठ पीने लगी.

तुम्हारे भैया ने गुलाबी की टांगों को अपने दोनो तरफ़ रखा, उसके घाघरे को कमर तक चढ़ा दिया जिससे उसके सुडौल चूतड़ नंगे हो गये. फिर उसके कमर को पकड़कर उसकी चूत को अपने खड़े लन्ड पर सेट किया और अपने मोटे सुपाड़े को गुलाबी की चूत के फांक मे ऊपर-नीचे करके रगड़ने लगे. उनके हाथ गुलाबी की नंगी चूचियों को मसल जा रहे थे.

गुलाबी मस्ती मे जोर से "आह!! उम्म!! ऊह!!" की आवाज़ें करने लगी.

रामु दरवाज़े की दरार मे आंखें गाड़े पड़ा था. मैने उसके पैंट के ऊपर से उसका लन्ड दबाया तो पाया कि लन्ड तो बहुत कड़ा हो गया है. मैने उसकी पैंट खोल दी, चड्डी उतार दी और उसका लन्ड लेकर हिलाने लगी.

रामु ने दरवाज़े की छेद से आंख हटायी तो मैने कहा, "कैसा लग रहा है गुलाबी को देखना?"
रामु ने शरमाकर कहा, "अच्छा ही लग रहा है, भाभी."
"मैने कहा था ना, जब बीवी किसी और मर्द से चुदती है तो पति को देखने मे बहुत मज़ा आता है?" मैने उसका लन्ड हिलाते हुए जवाब दिया.

सासुमाँ ने पीछे से मेरी ब्रा की हुक खोल दी और मेरी ब्रा अलग कर दी. वह बोली, "रामु, मन करे तो तु बहु की चूचियां पी सकता है."

रामु ने तुरंत मेरी नंगी चूचियों पर मुंह लगा दिया और बहुत जोश मे उन्हे चूसने लगा.

"हाय रामु, इतने गरम हो गये हो अपनी जोरु की चुदाई देखकर?" मैने कहा, "ज़रा मुझे अन्दर तो देखने दो!"

रामु और मैं दो अलग छेदों से अन्दर देखने लगे.

सासुमाँ रामु के पैरों के बीच बैठ गयी और उसका काला, मोटा लन्ड मुंह मे लेके चूसने लगी. रामु धीरे धीरे उनका मुंह चोदते हुए अन्दर का नज़ारा देखने लगा.

तुम्हारे भैया ने कुछ देर गुलाबी की चूत पर अपना सुपाड़ा रगढ़ा. फिर उसकी चूत के छेद पर सुपाड़े को सेट करके ऊपर की तरफ़ धक्का दिया.

गुलाबी बहुत ही गरम हो चुकी थी और उसकी चूत से बहुत पानी बह रहा था. लन्ड का सुपाड़ा आराम से उसकी चूत मे घुस गया. पर तुरंत ही उसने अपनी कमर उठायी और सुपाड़े को चूत से निकाल दिया.

"ई का कर रहे हैं, बड़े भैया!" वह बोली और मेरे पति के ऊपर से उतर गयी और नीचे ज़मीन पर खड़ी हो गई.

तुम्हारे भैया हैरानी और गुस्से मे चिल्ला उठे. "क्या कर रहा हूँ मैं? साली, इतनी देर से तुझे क्या लग रहा है क्या कर रहा हूँ मै? तुझे चोदने के लिये गरम कर रहा हूँ, और क्या!"

"पर हम ऊ सब नही करना चाहते, बड़े भैया." गुलाबी बोली और जल्दी से अपनी चोली पहनने लगी.

"चूतमरानी, तो फिर तु इतने देर से कर क्या रही थी?" तुम्हारे भैया भड़क कर बोले.
"बड़े भैया, आप गुस्सा मत हों!" गुलाबी गिड़गिड़ाकर बोली, "हम तो हमरे मरद को जलाने के लिये ई सब कर रहे थे. भाभी बोली हमको ई सब करने को."

"मीना ने तुझे कहा कि मेरा इस्तेमाल कर रामु को जलाने के लिये?" मेरे पति देव आश्चर्य से बिफर पड़े, "कैसी कैसी योजनायें बनाती रहती है यह पागल औरत! अगर मैं उससे प्यार नही करता तो उसका गला दबा देता!"

मैने अपने माथे पर अपना हाथ दे मारा.

सासुमाँ ने पूछा, "क्या हुआ, बहु?"
"माँ, कैसी मूर्ख लड़की है यह!" मैने कहा, "चूत मे लन्ड घुसने को है, अब कहती है उसे नही चुदवाना!"

सासुमाँ हंसी और रामु के लन्ड को फिर चूसने लगी.
उधर गुलाबी ने चोली पहन ली और दरवाज़े की तरफ़ जाने लगी.

मैने रामु को कहा, "क्यों रामु, तुम्हारी पतिव्रता जोरु तो बिना चुदे ही निकल आ रही है!"
"जब उसने चूची चुसवा ली, चूत मे लन्ड भी घिसवा ली, अब बचा ही क्या है?" रामु ने जवाब दिया, "अब चुदे न चुदे कोई फरक नही पड़ता है."
"तो तुम गुलाबी को चुदते देखना चाहते हो?" मैने पूछा.
"हाँ, भाभी. बहुत मज़ा आ रहा था." रामु बोला, "साली को अब बड़े भैया पटक के चोदे तो और मज़ा आये. बहुत छिनाली कर रही थी."

और हुआ भी यही.

तुम्हारे भैया गुस्से मे पलंग से उतरे और गुलाबी को पकड़कर बोले, "कहाँ जा रही है मेरा लौड़ा खड़ा करके, साली! तु आज यहाँ से चुदे बिना नही जायेगी! बहुत देख लिया तेरा रोज़ का तमाशा!"

बोलकर उन्होने गुलाबी की चोली जबरदस्ती खींचकर उतार दी.

"बड़े भैया, हमे छोड़ दीजिये!" गुलाबी लगभग रोकर बोली, "हमरी इज्जत मत लूटिये."
"तेरी इज़्ज़त है ही क्या?" मेरे वह बोले, "तु हमारे घर के नौकर की जोरु है. तुझे तो घर के सब मर्द जब चाहे तब चोद सकते हैं!"

उन्होने गुलाबी को पकड़कर पलंग पर पटक दिया और उसके घाघरे को कमर तक उठा दिया.
गुलाबी ने अपनी टांगें सिकोड़ ली तो उन्होने उसके घुटनों को पकड़ा और जोर लगाकर दोनो जांघों को अलग कर दिया. फिर उसके पैरों के बीच बैठ गये और उसके पैरों को पकड़ कर अपने कंधों पर रख लिया.

बेचारी गुलाबी ऊपर से नंगी, कमर पर सिर्फ़ अपना घाघरा लिये चूत खोलकर बिस्तर पर पड़ी थी.

वह गिड़गिड़ाकर बोली, "हमे बर्बाद मत कीजिये, बड़े भैया! हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है. हमे माफ़ कर दीजिये!"
"छिनाल कहीं की, अपने मरद को जलाने के लिये मेरे साथ खिलवाड़ कर रही थी?" मेरे वह बोले.

उन्होने अपने मोटे लन्ड का सुपाड़ा गुलाबी की चूत पर सेट किया और कमर से एक करारा धक्का देते हुए कहा, "अब जब तेरी चूत फटेगी तु समझेगी मेरे साथ खिलवाड़ करने का क्या अंजाम होता है!"

गुलाबी की चूत बहुत ही गीली थी. ऊपर से वह रामु से लगभग रोज़ ही चुदवाती थी. फिर भी, जब तुम्हारे भैया का मोटा 8 इंच का लौड़ा एक धक्के मे पेलड़ तक उसकी चूत मे उतर गया तो वह दर्द से बिलबिला उठी, "हाय!! मर गये हम!! बड़े भैया, अपना औजार बाहर निकालिये! हम मर जायेंगे!!" उसके सुन्दर आंखों मे आंसू आ गये.

तुम्हारे भैया उसकी चूत मे अपना लौड़ा जड़ तक ठांसे पड़े रहे और गुलाबी उनके नीचे तड़पती रही. गुलाबी अपनी कमर घुमा घुमाकर लन्ड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी, पर 8 इंच के उस लौड़े ने जैसे एक खूंटे की तरह उसके छोटे से शरीर को पलंग मे ठोक रखा था.

देखकर रामु इधर काफ़ी उत्तेजित हो रहा था. मैने कहा, "देखो रामु, मेरे पति तुम्हारी प्यारी जोरु का कैसे बलात्कार कर रहे हैं."

रामु कुछ बोला नही. सासुमाँ के मुंह मे अपना लन्ड पेलता रहा और अन्दर का नज़ारा देखता रहा.
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