RE: Hindi Kamuk Kahani बरसन लगी बदरिया
वह फिर से फोटो छुड़ाने की कोशिस करने लगा पर मैंने ऐसी जगह अपना हाथ डालकर उसे छुपा लिया जहाँ कोई हाथ नहीं डालेगा, जो लड़कियों के लिए सबसे सेफ जगह है, याने मेरी ब्रा में। पर वह इतना व्याकुल था कि उसने हाथ वहां भी डाल दिया और फोटो ढूँढ़ने को इधर-उधर टटोलने लगा। उसके हाथों का मेरे स्तनों को स्पर्श होना ही था कि मेरे रोम-रोम में सिहरन सी दौड़ गयी। असल में मैंने फोटो अपने दूसरे हाथ में छुपा लिया था इसलिए चुपचाप नजर. हटाकर देख लिया कि किसका फोटो है। फोटो देखते ही मैं रोमांचित हो उठी और अपने
धड़कते सीने पर हाथ रख लिया। इससे अंजाने में उसका हाथ मेरे उरोजो पर और दब सा गया।
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“हे, किसका फोटो था? जरा बता तो…” मैं भी अपनी उत्सुकता नहीं छुपा पायी।
मीता बोली - “मेरा…” फिर आगे की कहानी बताते हुए बोली - “अब मुझे समझ में आया कि वह क्यों उसे छुपाने को इतना उत्सुक था। मैं शरमा गयी, मन में एक खुशी की ऐसी लहर दौड़ी कि अनजाने में मैंने अपना हाथ अपने धड़कते दिल पर रख लिया जिससे उसका हाथ मेरे स्तनों पर और दब गया। संजय भी थोड़ी दुविधा में था, मुझसे मिन्नत करने लगा कि किसी से कहना नहीं…”
मैं सातव. आसमान पर थी इसलिए कुछ कहने सुनने की स्थिति में नहीं थी। संजय ने फिर से मुझे पूछा कि मैंने बुरा तो नहीं माना। अब तक मुझे उसके हाथ के अपने उरोजो पर दबाव का अहसास हो गया था और वह भी अपना हाथ छुड़ाने की कोशिस कर रहा था। मैंने अपने होश संभाले और उसे अपना हाथ मेरी ब्रा में से खींचने की इजाजत दे दी पर एक बार उसकी ओर मुस्कुराकर फिर से उसे पल भर के लिए छाती पर दबा लिया।
इससे उसका हौसला बढ़ा और उसने भी मुस्कुराते हुए अपना हाथ खींच लिया।
उसकी ओर मुँह बनाते हुए मैंने कहा- “एकदम बुरा माना, बुरा क्या, हम तो गुस्सा भी हो गये…”
अब वह भी थोड़ी ढीठ हो गया था। मेरी चुचियों को घूरते हुए बोला- “अच्छा किस बात का बुरा माना?”
पर तभी तुम आ गयीं और हम अलग-अलग चल दिये। पर मैंने महसूस किया कि हमारे बीच का रस्ता अब बदल सा गया है। मैं भी ज़्यादा नखरा करने लगी और बोल्ड हो गयी। खाने पर तुम्हारी छेड़छाड़ ने तो हमें और करीब ला दिया।
“ऐ, मुद्दे पर आओ, असली बात बताओ रानी…” मैं अब बेचैन हो रही थी।
“बताती हूँ बाबा…” कहकर मीता ने बात. आगे शुरू की। रात को तुम्हारे जाने के बाद- “हे मुन्ना दुदू पीना है?” मैंने शैतानी भरे स्वर में पूछा।
उसने जवाब दिया- “लेकिन जैसे मैं चाहूं वैसे पिलाना पड़ेगा जैसे दी दी कह रही थी…”
“ठीक है तुम जैसे चाहे पी लो अगर हिम्मत हो तो, एक लड़की से छुपाकर उसकी फोटो रखे हो और… चलो मैं तुम्हारे दूध में शक्कर मिला देती हूँ…” और मैंने ग्लास को मुँह लगाकर एक घूंट पी लिया। जब ग्लास मैंने उसे दिया तो उसने वही मुँह लगाया जहाँ मेरे होंठों के निशान ग्लास पर थे। जब आधा ग्लास खाली हो गया
तो तो मैंने उसके हाथ से लेकर फिर वैसा ही किया। हम दोनों अब मदहोश से हो रहे थे, इसलिए बात आगे न बढ़ी इसलिए मैं उसे गुडनाइट करके अपने कमरे में जाने लगी।
तभी उसने मुझे पकड़कर कहा- “एक गुड नाइट किस तो दो पहले…” और मेरे दहकते होंठों पर अपने होंठ रख दिये। बिना उसकी ओर देखे अपने आपको अलग करके मैं अपने कमरे में चली गयी पर अपना दरवाजा मैंने खुला रखा।
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