Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्सेस्ट स्टोरी)
01-24-2019, 11:53 PM,
#11
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
Part 7

दरवाज़े पर दस्तक देते ही घर का दरवाज़ा एकदम से खुला तो अपनी बहाँ संध्या को मैंने अपने सामने खड़ा पाया |

“ओह अम्मी की डांट और मार के बाद तो संध्या को इस वक़्त अपने कमरे में बंद हो कर रोना धोना चाहिए था, मगर यह तो इस वक़्त मेरे सामने यूँ खड़ी है जैसे कुछ हुआ ही ना हो” अपने अंदाज़े के उल्ट अपनी बहाँ को यूँ नार्मल हालत में मेरे लिए दरवाज़ा खोलते देखकर मुझे बहुत ही हैरत हुई |

“अम्मी किधर है संध्या” मैंने दरवाज़े पर खड़े खड़े सवाल किया |

“वो बाथरूम में नहा रही हैं” मेरी बात के जवाब में संध्या धीमी आवाज़ में बोली |

“तो घर आकर क्या कहा तुमसे अम्मी ने” संध्या की बात सुनते ही मैंने फौरन एक और सवाल किया |

“कुछ भी नहींईईईईईई” मेरी बात का उसी धीमे अंदाज़ में जवाब देते हुए संध्या बोली |

“क्याययययययययययययययययया” अपनी बहाँ के जवाब पर मैंने संध्या के चेहरे की तरफ देखा और हैरतज़दा अंदाज़ में मेरा मुँह खुला का खुला रह गया |

“उस वक़्त यूँ रंगे हाथों पकड़ने के बाद भी अम्मी ने घर आकर तुमसे कोई सवाल जवाब नही किया, यह कैसे मुमकिन हैं संध्या” अपनी बहाँ की 
बात सुनते हुए मैंने हैरत से उसे देखा और बोला |

“हाँ घर आकर वाक्या ही अम्मी ने मुझे कुछ नही कहा, जिसपर मुझे भी बहुत हैरत है” अपनी बात के जवाब में मुझे यूँ एकदम हैरान होता देख 
कर संध्या ने जवाब दिया |

अपनी अम्मी के इस रवैये पर मैं शॉक में आया और फिर शॉक की हालात में ही चलता हुए घर के अंदर दाखिल होकर अपने कमरे में चला आया |

मैं काफ़ी देर तक अपने कमरे में ही क़ैद हो कर अपनी अम्मी के इस हैरतज़दा रिएक्शन के बारे में सोचता रहा और साथ ही साथ अपने आपको अम्मी का सामना करने के लिए ज़ेह्नी तौर पर तैयार भी करता रहा |

मुझे घर वापिस आए हुए तक़रीबन एक घंटा हो चला था | जब अपने कमरे में बैठे बैठे अम्मी की आवाज़ मेरे कान में गूँजी “खाना लग गया है आ जाओ सब” |

दिन वाले वाक्या के बाद अपनी अम्मी का सामना करने की मूझमें हिम्मत नही हो रही थी |

इसलिए अम्मी की आवाज़ सुनते ही मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई मगर नाचाहते हुए भी मैं बोजल क़दमों के साथ आहिस्ता आहिस्ता चलता हुए किचन में जा पहुंचा |

किचन में जाते ही मुझे अम्मी और संध्या वहाँ पहले से मौजूद नज़र आईं मगर मेरे किचन में दाख़िल होते वक़्त ना तो संध्या और ना ही अम्मी ने मेरी तरफ नज़र उठाकर देखा और ना ही कोई बात की |

अपनी अम्मी का अंदाज़ देख कर मेरे दिल को थोड़ी सी तसल्ली हुई तो मैंने खाने के डोंगे से अपने लिए खाना लिया और किचन के एक कोने में पड़े मुढे पर बैठकर खामोशी से खाना खाने लगा |

हमारे घर के किचन में तीन बंदों की मौजूदगी के बावजूद खाना खाने के दौरान किचन में एक गंभीर सी ख़ामोशी छाई हुई थी और यह खामोशी मुझे आगे आने वाले किसी तूफ़ान का आमद लग रही थी |

थोड़ी देर बाद जब हम सब लोग खाने से फ़ारिग हुए तो अम्मी ने सिर उठा कर मेरी और संध्या की तरफ देखा और बोलीं “संध्या तुम अपने कमरे में जाओ और अफ़ताब तुम इधर ही रूको मैंने तुमसे बात करनी है” |

अम्मी की बात सुनते ही संध्या ने परेशानी के आल्म में एकदम मेरी तरफ देखा | मगर फिर अम्मी के हुक्म की तालीम करते हुए किचन से बाहर निकल गई |

संध्या के बाहर जाते ही अम्मी ने सारे बर्तन समेटे और उन्हें किचन के सींक में रखते हुए वापिस मेरी तरफ पलटीं और मुझे देखती हुए एकदम गुस्से से बोलीं “यह सब कितनी देर से चल रहा है अफ़ताब” |

अम्मी की बात सुनते ही मैं डर तो गया मगर इसके बावजूद मैंने मासूम अंदाज़ में डरते डरते अम्मी से पूछा “क्या अम्मी जी” |

“तुम अच्छी तरह जानते हो मैं क्या पूछ रही हूँ” मेरे इस मासूम सवाल पर अम्मी ने मुझे गुस्से से डांटते हुए कहा |

“आज चूँकि गर्मी बहुत थी, जिसकी वजह से हमने ट्यूबवेल के ठंडे पानी में एक साथ नहाने की ग़लती कर ली, मगर यकीन माने इस से ज्यादा और कुछ नही किया हमने अम्मी जी” अम्मी के डाँटने पर मैंने एक बार फिर मासूम बनते हुए अपनी अम्मी की बात का जवाब दिया |

“अच्छा तो तुम मुझे बेवकूफ़ समझते हो, मैं अच्छी तरह जानती हूँ कि कोई भी जवान लड़की किसी भी जवान लड़के के सामने यूँ ही अपने कपड़े नही उतार देती अफ़ताब” मेरी बात सुनते ही अम्मी ने गुस्से से एकदम चिंगाडते हुए मुझे कहा |

“अप मेरा एतबार करें, हम वाक्या ही नहा रहे थे अम्मी जान” अम्मी की बात के जवाब देते हुए मैं फिर हल्की आवाज़ में बोला |

“अच्छा अगर यह बात है तो संध्या ने इन गोलियों को क्यों अपने कमरे में छुपा कर रखा हुआ है फिर” मेरी बात खत्म होते ही अम्मी ने अपनी बंद मुट्ठी खोली और मुझे हमल रोकने वाली वो गोलियाँ दिखा दीं जो मैंने अपनी बहन के लिए गुजरात से खरीदी थीं |

अब अपनी अम्मी की इस बात का मेरे पास कोई जवाब नही था इसलिए मैंने इस मौके पर खामोश रहना ही बेहतर समझा |

“वैसे इन गोलियों के साथ साथ डेरे के कमरे से मुझे कुछ और चीज़ भी मिली है” यह कहते हुए अम्मी ने किचन की अलमारी खोली और कंडोम के तीन नॉनयूज्ड पैकेट्स निकाल कर मेरे सामने रखते हुए बोलीं “तुम इन्हें किधर इस्तेमाल करते हो अफ़ताब” |

“उफफफफफफफफफ्फ़ घर तो घर अम्मी तो डेरे पर भी मेरी सारी ख़ुफ़िया जगहों के बारे में जानती हैं यार” अपने सामने पड़े हुए कंडोम देख कर हैरान होते हुए मेरे ज़ेहन में ख्याल आया |

इससे पहले कि मैं अपनी अम्मी की बात का कोई जवाब दे पाता | मेरी अम्मी मूझ पर एक और बॉम्ब गिराते हुए बोलीं “इन सब के इलावा तुम्हें एक और चीज़ भी दीखाती हूँ मैं” |

“वो क्या अम्मी जान” अपनी अम्मी की बात के जवाब में सवालिया नजरों से अम्मी को देखते हुए मैंने पूछा |

“यह देखो यह है वो कंडोम है जिसे इस्तेमाल करने के बाद तुम इसे कूड़े में फैंकना भूल गए थे शायद” मेरी बात के जवाब में अम्मी ने अपने ब्रेज़ियर में हाथ डाला और मेरा एक ताज़ा इस्तेमाल शुदा कंडोम अपने ब्रेज़ियर से निकाल कर मेरे सामने लहराना शुरू कर दिया |

यह कंडोम मैंने एक रात पहले ही अपनी बहन संध्या को चोदने के लिए यूज़ किया था और चुदाई के बाद उतार कर जल्दबाजी में अपनी बहन के पलंग के नीचे फैंक दिया था |

“लगता है अम्मी ने पूरी तैयारी से हम दोनों बहन भाई को पकड़ा है, ले बच्चू तू तो लौड़े लग गया आज अफ़ताब” अपने लौड़े की मनी से भरे कंडोम को अपनी नजरों के सामने अपनी अम्मी के हाथ में झूलता देखकर हैरत से मेरा मुँह इसलिए खुला का खुला रह गया क्योंके एक रात पुराना होने के बावजूद भी मेरे लौड़े का पानी कंडोम में अभी तक पूरी तरह सूखा नही था |

“मुझे जवाब दो यह सब क्या है अफ़ताब” यह सारी चीज़ें मेरे सामने रखने के बाद अम्मी ने गुस्से में मुझसे सवाल किया |

“हाँ मैं मानता हूँ कि जवानी के जज़्बात में बहक कर हम दोनों ने आपस में गुनाह भरा काम किया है, मगर यकीन जानीए यह सब कुछ हमसे अंजाने में हुआ है अम्मी जान” 

अपनी नजरों के सामने पड़े हुए इतने सारे सबूत देखते हुए किसी बात से इंकार करना अब मेरे लिए नामुमकिन हो गया था | इसलिए डरते दिल के साथ आख़िर मैंने अपने जुर्म का इक़बाल करके शर्म से अपनी नज़रें झुका लीं |

अपनी अम्मी के सामने अपनी ही सग़ी बहन को चोदने का इक़बाल करने के बाद मैं तो इस उम्मीद में था कि मेरी बात खत्म होते ही अम्मी पर क़यामत टूट पड़ेगी और फिर गुस्से के आल्म में वो मुझ पर थप्पड़ों और लातों की बरसात कर देंगी |

मगर इन सब बातों के उल्ट मेरी बात खत्म होते ही जब अम्मी की तरफ से ऐसी कोई बात ना हुई तो हैरानी के आल्म में डरते डरते हुए मैंने अपनी नज़रें उठा कर अपनी अम्मी के चेहरे की तरफ देखा तो मुझे उन के चेहरे पर संजीदगी तो नज़र आई लेकिन अम्मी की आवाज़ के उल्ट गुस्से का कोई नाम-ओ-निशान अम्मी के चेहरे पर मौजूद नही था |

“तुम्हें अपनी ही बहन के साथ हम बिस्तरी करने से पहले यह ख्याल नही आया, कि अगर किसी और को इस बारे में इल्म हो गया, तो गाँव में हमारी क्या इज्ज़त रह जाएगी, और फिर इसके बाद तुम्हारी बहन से शादी कौन करेगा अफ़ताब” मेरी बात खत्म होते ही मुझ पर गुस्से होने या डाँटने की बजाए अम्मी ने मेरी तरफ देखते हुए संज़ीदा अंदाज़ में मुझे कहा |

“आप कह तो सही रही हैं, मगर आप फ़िक्र मत करें, मैं करूँगा संध्या से शादी” अपने ही सगे बच्चों के बारे में अपने ही बेटे के मुँह से गुनाह-आ-कभीरा वाली बात सुन कर गुस्से भरा कोई रिएक्शन देने की बजाए अम्मी को नॉर्मल अंदाज़ में मुझसे बात करते देखकर मुझे हैरत तो बहुत हुई | मगर इसके साथ ही मेरा हौसला भी बढ़ गया और धड़कते दिल के साथ मैंने अपनी अम्मी से अपने दिल की बात कह डाली |

“एक तो तुमने अपनी ही बहन से ज्नाह किया है और ऊपर से अपनी ही सग़ी बहन से शादी के सपने देखने लगे हो, क्या तुम पागल तो नही हो गए, तुम जानते हो ऐसा होना नामुमकिन है अफ़ताब” मेरी बात सुनते ही इस बार अम्मी के चेहरे पर हल्का से गुस्सा आया और वो एकदम बोल पडीं |

“होने को क्या नही हो सकता, हम सारी ज़मीन बेच कर कराची चले जाएंगे, जहाँ हमें कोई नही जानता और वहाँ मैं और संध्या बीवी की हैसियत से इकट्ठे रह लेंगे अम्मी जी” अम्मी के सामने अपना गुनाह कबूल करने के बाद उन के रवैये से मेरा हौसला इतना बढ़ गया कि अब मैं खुल कर अपने दिल की बात अपने मुँह पर ले आया |

“अपनी ही बहन का कंवारापन लूट कर, अब उसे अपनी बीवी भी बनाना चाहते हो तुम, बहुत खूब मेरे बेटे, क्या मैंने इसी दिन के लिए तुझे पाल पोस कर जवान किया था हरामखोर” मेरी बात सुन कर अम्मी ने पहली बार गुस्से वाला मुँह बनाते हुए मुझे जवाब दिया |

“मैं और संध्या एक दूसरे से प्यार करते हैं, और एक दूसरे के बिना नही रह सकते अब, अगर आप को मेरी बात पर यकीन नही तो बेशक़ संध्या से पूछ लें आप” अपनी अम्मी के गुस्से बहरे लहजे को नज़रदाज़ करते हुए एक बार फिर अम्मी से यह बात दोहराई |

अपनी बहन संध्या से प्यार करने वाली बात सुन कर अम्मी ने मेरी बात के जवाब में खामोशी इख्तियार की तो मैंने भी अब की बार अम्मी से और कोई और बात करना मुनासिब नही समझा |

किचन में इस वक़्त अब एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी | जिसके दौरान हम दोनों माँ बेटा अपनी अपनी जगह पर बैठकर खामोशी से एक दूसरे के मुँह को देखे जा रहे थे |
थोड़ी देर यूँ ही अपनी अम्मी को खामोशी से देखने के बाद मुझे उधर और बैठना ठीक नही लगा |

इसलिए मैं एकदम वहाँ से उठकर अपने कमरे की तरफ चलते हुए बोला “अच्छा खुदा हाफ़िज़ मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ अम्मी” |

“रुको मेरी बात अभी खत्म नही हुई अफ़ताब” मुझे किचन से बाहर जाते देख कर अम्मी ने पीछे से आवाज़ दी |

“कोई तो बात नही, अब मैं आपसे कल सुबह बात करूँगा अम्मी जान” अपनी अम्मी को जवाब देते हुए मैं अपने कमरे में चला आया |

अपने बिस्तर पर बैठ कर मैं दिन को पेश आने वाले वाक्या और फिर अम्मी के रवैये के बारे में सोचने लग गया |

“दिन की रोशनी में खुले आसमान के नीचे अपनी ही जवान बहन के साथ रंगरलियाँ मनाते हुए अपनी ही अम्मी के हाथों पकड़े जाने के बाद होना तो यह चाहिए था कि, उसी वक़्त हम दोनों को अपने ही हाथों मार कर अम्मी खुद भी खुदकशी कर लेतीं, या फिर अपनी ही जवान बहन का कंवारापन ख़त्म करने के जुर्म में अम्मी मुझे अपने घर से बेदख्ल कर देतीं, मगर इन सब बातों के उल्ट, अम्मी बहुत ही पुरसकूँ नज़र आ रही हैं, तो इस की क्या वजह हो सकती है भला” अपनी अम्मी के रवैये को देख कर मेरे दिल में यह ख्याल आ रहे थे और मैं इस सोच में गुम था कि “ दाल में जरुर कुछ काला है” मगर हज़ार बार सोचने के बावजूद भी मुझे इस “क्या काला है” की समझ नही आ रही थी |

सोचते सोचते अम्मी का अपने मोटे मुम्मों के दरमियाँ से मेरे लौड़े के मादे वाले भरे हुए कंडोम निकालने वाली बात मेरे ज़ेहन में दुबारा से चली आई तो मैंने अपने आपसे खुद कलमी की “ओह अम्मी ने मेरे लौड़े के गरम पानी से भरे हुए कंडोम को अपने मुम्मों के दरमियाँ अपने ब्रेज़ियर में छुपा कर क्यों रखा था, संध्या के साथ साथ अम्मी को भी मेरे लौड़े की तलब तो नही हो रही कहीं” |

इस बात के बारे में सोचते सोचते अम्मी का चेहरा और उनका जिस्म मेरे ज़ेहन में एकदम से दौड़ने लगा, “हाईईईईईईईईईईई मेरी अम्मी रुखसाना की उम्र तो तक़रीबन 50 साल है, मगर घर और खेतों में काम काज करने की वजह से उम्र के लिहाज़ से उनका जिस्म काफ़ी फिट है |

जिसकी वजह से अम्मी अपनी उम्र से काफ़ी कम की लगती हैं, अम्मी का रंग काफ़ी साफ और गोरा है और उन का क़द भी काफ़ी उँचा है और उनके लंबे और घने बाल तो उन की पर्सनालिटी को और गज़ब बनाते हैं, और सब से बढ़ कर अम्मी के मोटे बड़े मुम्म्मे तो क़यामत है बस” आज पहली बार अपनी अम्मी के जिस्म को यूँ अपने तसुवर में लाकर सोचते हुए मेरे लौड़े में एकदम हलचल मच गई और मेरा लौड़ा कड़ा होकर मेरी शलवार में एकदम खड़ा हो गया |

“ अब्बू को मरे हुए काफ़ी टाइम हो गया है, इसलिए एक औरत होने के नाते अम्मी को उनके लौड़े की कमी तो जरुर महसूस हो रही होगी, अगर मैं अपनी ही सग़ी बहन की कुंवारी चूत को चोद कर उसे अपनी बहन से अपनी माशूका बना सकता हूँ, तो मैं अपनी अम्मी को चोद कर उन की बेवागिरी का दुःख कम क्यों नही कर सकता भला” यह बात सोचते हुए मेरे ज़ेहन में पहली बार अपनी अम्मी के बारे में ऐसा ख्याल आया तो शलवार में खड़े मेरे लौड़े में और सख्ती आने लगी |

“क्यों ना मैं अम्मी के कमरे में जाऊं और उनके बिस्तर में घुस कर उनकी चूत में अपना लौड़ा डालूं और उनकी बेवा चूत को फिर से आबाद कर दूँ” अपने बिस्तर पर बैठे बैठे मेरे ज़ेहन में यह ख्याल आया तो शलवार के ऊपर से अपने लौड़े को अपनी मुट्ठी में दवोचते हुए मैंने सोचा |

“नही मुझे जल्दबाज़ी नही करनी चाहिए, क्योंकि अगर अम्मी के बारे में मेरा ख्याल ग़लत निकला, तो इस बार अम्मी यक़ीनन मुझे जान से मार देंगी” | अपने ज़ेहन में अम्मी की चुदाई का ख्याल आते ही मेरे लौड़े को गर्मी तो बहुत चढ़ी | मगर मैंने अपने आपको अम्मी के कमरे में जाने से बामुश्किल रोका और फिर अपने दिल को काबू में करते हुए बिस्तर पर सोने के लिए लेट गया |

मुझे सोये हुए अभी आधा घंटा भी नही गुज़रा था कि मुझे यूँ लगा जैसे कोई मेरे कमरे का दरवाज़ा खोल कर चुपके से मेरे कमरे में दाखिल हुआ | 

रात के तक़रीबन 12 बजे अपने कमरे में किसी और शक्स की मौजूदगी का एहसास होते ही मैं अपनी नींद से एकदम जाग गया और फ़ौरन पूछा “कौन है”?

“मैं हूँ तुम्हारी अम्मी अफ़ताब” मुझे अपनी नींद से एकदम जागता देख कर अम्मी ने आहिस्ता से कहा |

“आप और इस वक़्त मेरे कमरे में, खैरियत तो है ना अम्मी जान” रात के पिछले पहर अम्मी को यूँ दबे पावं मेरे कमरे में आते देखकर मुझे बहुत हैरत तो हुई मगर इसके साथ ही रात की तन्हाई में अम्मी को अपने कमरे में मौजूद पाकर मेरे सोये लौड़े ने एक बार फिर मेरी शलवार में अंगडाई लेना शुरू कर दी |

“हाँ तुमसे कुछ जरूरी बात करनी थी बेटा” अम्मी ने दरवाज़े पर खड़े खड़े मुझे ज्वाब दिया |

“अच्छा तो आपने सारी बात दरवाज़े पर खड़े खड़े ही करनी है, इधर आएं और मेरे पास बैठकर बात कर लें अम्मी” अपनी अम्मी को यह बात कहते हुए मैं उठकर बिस्तर पर बैठ गया |
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01-24-2019, 11:53 PM,
#12
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पार्ट 8

मेरी बात सुनकर अम्मी ने गहरी नजरों से मेरी तरफ देखा और धीमी आवाज़ में बोलीं “नही मैं इधर ही ठीक हूँ अफ़ताब” |

“अम्मी आपका यूँ दरवाज़े पर खड़े रहना मुझे अच्छा नही लग रहा, आप मेरी बात माने और जो भी बात करनी है इधर मेरे पास आकर करें प्लीज़” मैं अम्मी के ज्वाब में बोला |

मेरी बात सुनकर अम्मी ने चंद लम्हे कुछ सोचा और फिर बिना दुपट्टे के आहिस्ता आहिस्ता क़दमों के साथ चलती हुई मेरे साथ मेरे बिस्तर पर आ तो बैठी मगर उनके चेहरे पर बदस्तूर हिचकिचाहट छाई हुई थी |

“जीईईईईईईईई अम्मी ऐसी कौन सी बात है जिसे करने के लिए आप सुबह होने का इंतज़ार नही कर सकती थीं” मैंने अम्मी की कमीज़ से छलकते उनके भारी मुम्मों पर अपनी नज़र जमाते हुए पूछा |

तो आधी रात के वक़्त अपनी अम्मी को पहली बार यूँ बिना दुपट्टे के अपने साथ एक ही पलंग पर बैठा देखकर मेरे जिस्म में गर्मी और लौड़े में जोश आने लगा था |

“तुम्हारे किचन से उठकर आने के बाद से अब तक मैं यही बात सोचती रही हूँ, कि तुमको अपनी बहन के साथ यह सब कुछ नही करना चाहिए था अफ़ताब” मेरी बात के ज्वाब में अम्मी ने अपनी नज़रें ऊपर करते हुए मेरी आँखों में देखा और मुझसे ट्यूबवेल पर मेरी और संध्या की चुदाई की बात दुबारा स्टार्ट कर दी |

मगर अम्मी की बात पर तवजो देने की बजाए मुझे तो अपने पास बैठी अम्मी के जिस्म से उठने वाली उनके गुंदाज जिस्म की भीनी भीनी खुशबु ने बेहाल कर दिया और संध्या के साथ साथ मुझे अब अपनी अम्मी के जिस्म की भी तलब होने लगी थी | 

“आपकी बात सही है, मगर यकीन माने हमारे दरमियाँ जो कुछ भी हुआ वो सब जोश-ए-जज़्बात और बेईख्तियारी में हुआ है अम्मी जान” अम्मी की बात सुनकर मैंने एक बार फिर अम्मी के शरीर पर भरपूर निगाह डाली और आहिस्ता से अम्मी की बात का ज्वाब दिया |

और साथ ही बेख़याली में अपने पास बैठी अम्मी के हाथ में दोस्ताना अंदाज़ में अपना हाथ डाल कर अपनी अम्मी के हाथ को अपनी उँगलियों के पंजे में जकड़ लिया |

“उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ छोड़ो मेरा हाथ अफ़ताब” मेरी और अम्मी की हथेली आपस में टच होते ही हम दोनों माँ बेटे को एक करंट सा लगा तो अम्मी ने अपने हाथ को मेरे हाथ से एकदम छुड़ा लिया |

“बेईख्तियारी के बच्चे, अगर मेरी जगह गाँव का कोई और शक्स डेरे पर आकर तुम दोनों बहन भाई को ट्यूबवेल पर उस हालत में रंगे हाथों पकड़ लेता, तो जानते हो इस बात का क्या अंजाम होना था अफ़ताब” अपने हाथ को मेरे हाथ से निकलते ही अम्मी ने थोड़ा गुस्से भरे अंदाज़ में कहा |

“अम्मी आपको शायद मालूम नही कि हमारे ट्यूबवेल की होद्दी में खड़े होकर हमारे खेतों में मीलों तक देखा जा सकता है, और यही वजह थी कि संध्या के साथ होद्दी में नहाते हुए मैं अपने खेतों के चारों तरफ देख भी रहा था, इसलिए अगर गाँव की तरफ से कोई शक्स हमारे डेरे की तरफ आता, तो मैं उसे काफ़ी दूर से देख सकता था, मगर मुझे समझ नही आई कि मेरी नजरों से बच कर आप कैसे डेरे पर आ गईं अम्मी” मैंने यह कहते हुए अपनी अम्मी के चेहरे की तरफ देखा तो मुझे यूँ लगा कि जैसे मेरी बात सुनते ही अम्मी के चेहरे का रंग एकदम बदल सा गया है |

मगर इसके साथ ही अम्मी की आँखों में मुझे एक चीज़ भी दिखाई दी जो ज़ाकिया की चुदाई के बाद मैंने अपनी बहन संध्या की आँखों में भी देख चुका और वो चीज़ थी एक गर्म औरत की जिन्सी प्यास की चमक | 

ज़ाकिया की चुदाई के बाद अपनी बहन संध्या की आँखों की इस चमक को पढ़ने में मुझे थोड़ा वक़्त लगा था |

लेकिन संध्या की चुदाई के बाद आज अपनी अम्मी की आँखों में भी जिन्सी भूख की वो ही चमक देख कर मुझे सारे मामले तक पहुँचने में ज़रा भी देर ना लगी |

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इसका मतलब यह है कि संध्या की गोलियाँ और मेरे कंडोम अम्मी ने आज नही पकड़े, बल्कि यह सब चीज़ें कुछ दिन पहले उनके हाथ लगी हैं, और डेरे पर आज अम्मी की आमद इत्फाक़िया नही थी, बल्कि आज अम्मी जानबूझ कर ऐसे रास्ते से डेरे पर आईं थीं, कि जहाँ से आते हुए वो हमारी नज़र में ना आ सकें, ताकि वो छुप कर अपने बच्चों की चुदाई का नज़ारा कर सकें” अम्मी की आँखों में मौजूद चुदाई की प्यास को देखकर मुझे एक ही लम्हे में ना सिर्फ़ सारे मामले की समझ आ गई बल्कि संध्या और मेरी चुदाई का इल्म होने के बावजूद हम दोनों से गुस्से ना करने का सबब भी मुझे पता चल गया और इसी वजह से मेरे लौड़े की गर्मी और तेज़ होती चली गई |

“लगता है अम्मी के जिस्म में भी जिन्सी प्यास की आग लगी हुई है, इसलिए मेरे लिए यह एक सुनहरी मौक़ा है जिसका फ़ायदा उठा कर संध्या के साथ साथ मैं अपनी अम्मी की चूत का मज़ा भी चख़ सकता हूँ” रात की तन्हाई में अपनी अम्मी के साथ एक ही बिस्तर पर बैठे हुए मेरे दिल में इस ख्याल ने जन्म लिया तो दिल ही दिल में मैंने अपने आप को आने वाले लम्हे के लिया तैयार कर लिया |

“तुम किन सोचों में पड़ गए हो, मुझे ज्वाब दो कि तुमने अपनी बहन का पीछा छोड़ना है कि नही अफ़ताब” मेरे पास बैठी अम्मी ने जब मुझे गुम सूम अपनी सोचों में मग्न देखा तो मेरी तरफ देखती हुई बोलीं |

“ठीक है आपके कहने पर मैं संध्या से अपना तालुक़ खत्म कर सकता हूँ, मगर मेरा क्या बनेगा अम्मी जान” यह कहते हुए मैंने अपने हाथ को पास बैठी अपनी अम्मी की गोश्त भरी राण पर रखकर शलवार के ऊपर से अपनी अम्मी की गुंदाज राण को अपने हाथ से हल्का सा दबाया तो अम्मी की राण से निकलने वाली गर्मी की लहर ने मेरे पूरे वजूद हो गरमा कर रख दिया |

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ अम्मी की राणों में इतनी गर्मी है, तो उनकी चूत में तो पूरी आग ही लगी होगी यार” अपनी अम्मी की टांग की तपिस को शलवार के ऊपर से अपने हाथ पर महसूस करते ही मेरे दिल में यह ख्याल आया तो मज़े के मारे मेरे हाथ का दबाव अम्मी की राण पर बढ़ता चला गया |

“ठीक है मैं कोई अच्छा सा रिश्ता देखकर तुम्हारी शादी कर देती हूँ बेटा” अपनी टांग पर रखे हुए मेरे हाथ को नज़रअंदाज़ करते हुए अम्मी ने मेरी बात का ज्वाब दिया तो मेरा हौसला बढ़ गया और मैंने अपने हाथ को अम्मी की राण पर आहिस्ता आहिस्ता फ़ेरना शुरू कर दिया |

“शादी तो ठीक है मगर इससे पहले मैं अब्बू की छोड़ी हुई सारी जायदाद में से अपना पूरा हिस्सा वसूल करना चाहता हूँ अम्मी” अम्मी की बात के ज्वाब में डरते डरते मैं बोला और साथ ही मेरे हाथ ने अब अपना रुख़ आहिस्ता आहिस्ता अम्मी की रान के अंदरूनी हिस्से की तरफ कर लिया |

अम्मी अपनी राण पर फिरने वाले मेरे हाथ की हरक़त को महसूस तो कर रही थीं मगर इसके बावजूद उन्होंने मुझे रोकने की कोई कोशिश नही की | इसलिए मेरे हाथ का दबाव अपनी अम्मी की रान पर बढ़ता चला जा रहा था |

इस दौरान मैंने महसूस किया कि यूँ ही मेरे हाथ ने अम्मी की थाइस के अंदरूनी हिस्से की तरफ अपना सफ़र शुरू किया तो मेरे हाथ ही हरकत से अम्मी के जिस्म में एक अकड़ सी भी आने लगी थी | 

“अपने वालिद का एकलौता बेटा होने की हैसियत से अब्बू की वफ़त के बाद सब कुछ तुम्हारा ही तो है, इसलिए जायदाद से पूरा हिस्सा वसूल करने वाली तुम्हारी बात की मुझे समझ नही आई अफ़ताब” मेरी बात के ज्वाब में अम्मी ने हैरानी से मेरी तरफ देखते हुए पूछा |

“आप जानती हैं कि बाप की छोड़ी हुई सारी चीज़ों पर बेटे का हक़ होता है, वैसे तो मैंने अब्बू की सारी चीज़ों पर अपना क़ब्ज़ा पक्का कर लिया है, मगर उनकी छोड़ी हुई सबसे कीमती चीज़ अभी तक मेरी पहुँच से बाहर है, और आज मौक़ा आ गया है कि मैं उस पर भी अपना हक़ जता लूँ अम्मी जान” मैंने धड़कते दिल के साथ यह बात कही और अपने हाथ को अपनी अम्मी की चूत के नज़दीक ले आया |

“सीधी सीधी बात करो, क्यों पहेलियाँ बूझा रहे हो अफ़ताब” अपनी चूत के इतनी नज़दीक पहुँच चुके मेरे हाथ की गर्मी को महसूस करके अम्मी की साँसों में तेज़ी आने लगी |

“असल में अपनी बहन संध्या की कुंवारी चूत को चोद कर मुझे अपने ही घर की चूत का चस्का पड़ गया है, इसीलिए मैं चाहता हूँ कि अब अपने बाप की छोड़ी हुई चूत में अपना लौड़ा डाल कर अब्बू की सारी जायदाद का पूरा मालिक बन जाऊँ अम्मी जी” |
यह बात कहते हुए मैंने अम्मी की राण पर चलाते हुए हाथ को आगे बढ़ाया और शलवार के ऊपर से अपनी अम्मी की चूत को एकदम अपनी ग्रिफ्त में कर लिया |

मेरे हाथ ने यूँ ही पहली बार अपनी अम्मी की चूत को छुआ तो जज़्बात की शिद्दत से अम्मी के मुँह से बेईख्तियारी में एक गरम सिसकी निकल गई “ओह” |

अपने मुँह से सिसकी निकलने के बावजूद अम्मी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ मार कर अपनी चूत पर जमे हुए मेरे हाथ को एक झटके से अलग किया और एकदम बिस्तर से उठ कर गुस्से के आल्म में बोलीं, “अपनी इस गंदी हरकत और इस बकवास पर शर्म आनी चाहिए तुम्हें अफ़ताब” |

मैं तो अम्मी से की जानी वाली इस हरकत के ज्वाब में अम्मी की गालियों और थप्पड़ों की उम्मीद लगाये बैठा था | 

मगर जब मेरी इस हरकत के ज्वाब में अम्मी सिर्फ़ ज़ुबानी गुस्सा निकाल कर कमरे से बाहर जाने लगीं तो मुझे समझ आ गई कि अम्मी की चूत में जिन्सी आग के शोले भड़क उठे हैं और अब उनके मुँह पर नज़र आने वाला गुस्सा नकली है |

इस बात ने मेरी हिम्मत और बढ़ा दी और इसके साथ ही मैं भी बिस्तर से उठा और बाहर जाती अपनी अम्मी की कमर ममें पीछे से हाथ डाल कर मैंने उनको अपनी तरफ खीँच लिया |

तो मेरी शलवार में तना हुआ मेरा लौड़ा पीछे से अम्मी की गांड की मोटी मोटी पहाड़ियों में फँसता चला गया |

“तुम पागल हो गए हो, मुझे जाने दो, मत भूलो मैं तुम्हारी अम्मी हूँ अफ़ताब” मेरे लौड़े की सख्ती को अपनी भारी गांड पर महसूस करते ही अम्मी ने अपने आपको मेरी बाहों की ग्रिफ्त से छुड़ाने की कोशिश की |

“अम्मी मुझे अंदाज़ा नही था कि अब्बू की वफ़त के बाद आपके जिस्म की जिन्सी प्यास इतनी बढ़ चुकी है, कि उसे ठंडा करने के लिए आप अपने ही सगे बच्चों की चुदाई देख देख कर मज़े करती रही हैं” मैं अम्मी की बात को नज़रअंदाज़ करते हुए बोला |

इसके साथ ही मैंने अपनी गरम ज़ुबान से अपनी अम्मी की गर्दन को चाटते हुए अपने हाथों को ऊपर किया |

और अपनी अम्मी की भारी मोटी छातियों को कमीज़ के ऊपर से अपने काबू में करते ही उन को आहिस्ता आहिस्ता दबाना और मसलना शुरू कर दिया |

“क्या बकवास किए जा रहे हो तुम, छोड़ो मुझे अफ़ताबबबबब” अपनी भारी छातियों से मेरे हाथों के टच होते ही अम्मी के जिस्म को करंट लगा और उन्होंने एक बार फिर अपने जिस्म को मेरी क़ैद से छुड़ाने की कोशिश की |

“आप बेशक़ अपने मुँह से मेरी कही गई बात का इक़रार ना करें, मगर आपकी आँखों में तैरती जिन्सी प्यास मुझे बता चुकी है, कि आप ना सिर्फ़ मेरी और संध्या की चुदाई को छूप छूप कर देखती रही हैं, बल्कि आपकी चूत में मेरे लौड़े की आग भी लगी हुई है अम्मी जान” मैंने अपनी अम्मी के मोटे मुम्मों को अपने हाथों में ज़ोर से मसलते हुए यह बात अपनी अम्मी से कही |

“नहींईईईईईईईईईईईईईईई मैंने ऐसा कोई काम नही किया अफ़ताब, हटो पीछे और जाने दो मुझे” मेरी बात का ज्वाब देते हुए अम्मी ने अपने आपको छुडवाने की कोशिश की |

“आप चाहे जो मर्ज़ी कहें, मगर हक़ीकत यही है कि मेरे लौड़े की तलब की वजह से आप मेरे लौड़े के पानी से भरे कंडोम को अपने इन मोटे मुम्मों के दरमियाँ रखने पर मजबूर हो गई थीं अम्मी जी” अम्मी से बात कहते हुए मैं अपने एक हाथ को अम्मी के मुम्मे से हटा कर नीचे लाया और फिर अपने हाथ को अम्मी की एलास्टिक वाली शलवार के अंदर डाल कर अपनी अम्मी की चूत पर अपना हाथ रख दिया |

अपनी अम्मी की चूत की तपिस को अपने हाथ की हथेली पर महसूस करते ही मुझे ऐसे लगा कि मैंने किसी तंदूर में हाथ डाल दिया हो |

मैंने यूँ ही अम्मी की गरम चूत पर हाथ रख कर उनकी फुद्दी के लबों को हाथ से मसला तो मेरे हाथ के दबाव और मज़े के मारे अम्मी के मुँह से एक सिसकारी सी निकली "हाईईईईईईईईईईईईईईई, नही करो ना अफ़ताब..” |

अम्मी की सिसकारी सुनते ही मुझे जोश आया और मैं अपना मुँह अम्मी के कान के पास लाकर बोला “उफफफफफफफफ्फ़ आपकी चूत तो संध्या से भी ज्यादा गरम और प्यासी है, बस आप मुझे एक मौक़ा दें तो मैं आपकी प्यासी चूत में अपना लौड़ा डाल कर आपकी बेवा ज़िन्दगी में फिर से बहार कर दूंगा अम्मी जान” |

अपनी अम्मी से यह बात कहने के साथ साथ मैं अम्मी की शलवार में घुसे हुए हाथ को अम्मी की चूत पर ज़ोर ज़ोर से फेरता रहा तो मेरे हाथ की मेहरबानी से अम्मी की चूत और गरम हो कर अपना पानी छोड़ने लगी |

जिसकी वजह से अम्मी की चूत से बहने वाला पानी उनकी फुद्दी से निकल निकलकर अम्मी की गुंदाज राणों को गीला करने लगा |

अम्मी की चूत से छेडछाड करने के चंद ही लम्हे बाद मैंने महसूस कर लिया कि अम्मी की ना नुकर अब दम तौड़ रही है |

इसलिए अपनी अम्मी को और गरम करने के लिए मैंने अपनी एक उंगली को चूत के दाने पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया |

तो इसके साथ ही मेरे हाथ के मज़े से बेहाल होते हुए अम्मी के सब्र का पैमाना भी लबरेज़ हो गया और फिर अपनी जिन्सी प्यास के हाथों मजबूर हो कर बेखुदी के आल्म में आख़िरकार अम्मी चिल्ला उठीं “उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या अब अपने हाथ से ही मेरी चूत का सारा पानी निकालोगे, या अपने लौड़े का हल चलाकर अपने अब्बू की छोड़ी हुई बंजर ज़मीन को फिर से आबाद भी करोगे बेटा” |

यह कहते हुए अम्मी ने अपनी जिस्म को पीछे की तरफ धकेला और अपनी गुंदाज गांड को ज़ोर ज़ोर से मेरे खड़े हुए सख्त लौड़े पर रगड़ना शुरू कर दिया |

“ओह मेरा लौड़ा तो आपकी प्यासी ज़मीन को पानी लगाने के लिए कब से तैयार है, बस आपकी रज़ामंदी का इंतज़ार था अम्मी जाननननन” अम्मी की मस्ती भरी आवाज़ सुन कर मुझे भी जोश आया और मैंने एक ही झटके में अपनी अम्मी की कमीज़ और शलवार को उतारके उन्हें ज़मीन पर फैंक दिया |

अब अम्मी मेरे सामने इस हालात में खड़ी थीं कि उनकी पीठ मेरी तरफ थी जबकि उनके जिस्म पर सिर्फ़ एक ब्रेज़ियर और अंडरवेअर बाकी बचा रह गया था और ब्रेज़ियर और पेंटी में मलबूस अम्मी का गोरा दूध की तरह साफ जिस्म मेरे लौड़े पर बिजलियाँ गिरा रहा था |

अम्मी के गरम प्यासे जिस्म को भूखी नजरों से देखते हुए मैंने भी जल्दी से अपनी शलवार कमीज़ उतारी और फिर अपनी अम्मी के पीछे आ खड़ा हुआ |

“ओह हाईईईईई मैं आपके हसीन बदन के पीछे पागल हो रहा हूँ अम्मी” यह कहते हुए मैंने पीछे से एक बार फिर अपना हाथ अपनी अम्मी की पेंटी में डाला और अपनी अम्मी की चूत के दाने से खेलने लग गया |

साथ ही साथ मैंने अपनी अम्मी का हाथ पकड़ कर अपने पत्थर की तरह सख्त लौड़े पर रख दिया और बोला “देखें मेरा लौड़ा कैसे बेचैन हो रहा है आपकी चूत में जाने के लिए अम्मी”

“ओह तुम्हारे लौड़े के साथ साथ मेरी फुद्दी भी बहुत मचल रही है तुम्हारे लौड़े से चुद्वाने के लिए बेटाआआ” मेरे लौड़े को अपने हाथ की ग्रिफ्त में लेते हुए अम्मी ने कहा और साथ ही अपने हाथ से मेरे लौड़े की मुट्ठ लगाना शुरू कर दी |

अब कमरे में हालात यह थी कि मैं अम्मी के पीछे खड़े हो कर अपनी अम्मी की पेंटी में हाथ डाले उनकी चूत के लबों और फुद्दी के छोल्ले को अपने हाथ से रगड़ और मसल रहा था |

जबकि मेरी अम्मी अपने जवान बेटे के मोटे सख्त लौड़े को अपने हाथ में लेकर मुट्ठ लगाते हुए मुझे मज़ा दे रही थीं और हम दोनों के मुँह से मज़े भरी सिसकारियाँ निकल कर कमरे के माहौल को और रंगीन बना रही थीं |

थोड़ी देर और अपनी अम्मी की चूत को अपने हाथ से गरम करने के बाद मैंने अम्मी के ब्रेज़ियर की हुक खोल कर अपनी अम्मी के मोटे बड़े कबूतरों को पिंजरे की क़ैद से आज़ाद किया और साथ ही अपनी अम्मी की पेंटी भी उतार कर अपनी अम्मी को अपने ही हाथों मुकम्मल नंगा कर दिया |

“आप बिस्तर पर घोड़ी बन कर लेट जाएँ, मैं आपकी चूत को पीछे से चोदना चाहता हूँ अम्मी जीईईईई” अपनी अम्मी को पूरा नंगा करने के बाद मैंने उनको पेट के बल बिस्तर पर लेटाया तो इस अंदाज़ में अम्मी की भारी गांड पीछे से हवा में उठ गई |

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या फुटबाल जैसी गोल गांड है आपकी अम्मीईईईईईईई जानननन” |

अपनी अम्मी की हवा में उठी हुई गांड की दोनों भारी भारी पहाड़ियों को अपने हाथ में थाम कर ज़ोर से मसलते हुए मैं बोला |

अम्मी की गांड के पीछे बैठ कर मैंने यूँ ही अम्मी की मोटी पहाड़ियों को अपने हाथ से खोला तो अम्मी की फूली हुई प्यारी चूत मेरी आँखों के सामने खुलती चली गई |

“उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ लगता है कि मेरे घर की औरतें अपनी चूत की सफाई का बहुत ख्याल रखती हैं” संध्या की तरह अपनी अम्मी की बिना वालों वाली चूत को देख कर मैंने कहा और साथ ही अपनी उंगली को थूक लगा कर अपनी अम्मी की चूत पर फैरना शुरू कर दिया |

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ अब डालल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल भी दो ना अपना लौड़ा मेरी चूत में, क्यों तरसा रहे हो अपनी अम्मी को बेटाआ” अपनी पानी छोड़ती चूत पर मेरी थूक भरी उंगली को महसूस करते ही घोड़ी बनी मेरी अम्मी के मुँह से सिसकारी निकल गई | 

“ज़रा सब्र करें, क्योंकि आपकी चूत को चोदने से पहले मैं आपकी चूत का ज़ायक़ा चखना चाहता हूँ अम्मी जान” अपनी अम्मी की बेकरारी को नज़रअंदाज़ करते हुए मैंने यह बात कही और साथ ही अपना मुँह खोल कर अपनी अम्मी की चूत पर अपनी गरम ज़ुबान घुमा दी |

चूत चटाई का यह तज़ुर्बा अम्मी के लिए बिल्कुल नया था इसलिए मेरी गरम ज़ुबान के चूत से टकराते ही अम्मी लज़्ज़त के मारे सिसकीयाँ लेने लगीं और बोलीं ”उफफफफफ्फ़ तुम्हारे मरहूम अब्बू ने अपनी पूरी शादीशुदा ज़िंदगी में मेरे साथ कभी यह काम नही किया, जो तुम मेरे साथ इस वक़्त कर रहे हो अफ़ताब” |

“ओह अब्बू का तो मुझे पता नही, मगर आपकी चूत के इस नमकीन स्वाद ने मुझे पागल कर दिया है अम्मीईईईई” अपनी अम्मी की बात के ज्वाब में दीवानावार अपनी अम्मी की चूत को चाटते हुए मैं भी सिसका |

“हाईईईईईईईईई आज मेरा अपना बेटा ही मुझे जिन्सी लज्ज़त की नई दुनिया दिखा रहा है हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई” मेरी चूत चटाई से बेहाल होते हुए अम्मी बोलीं |

अम्मी की इन बातों ने मेरी गरम जोशी में इज़ाफ़ा कर दिया और मैं कुछ देर यूँ ही अपनी अम्मी की चूत को चाट चाटकर अम्मी की चूत को गीला करता रहा |

जब मैंने अपनी अम्मी की चूत को अच्छी तरह से अपने लौड़े के लिए तैयार कर लिया तो मैं उठ कर अपनी अम्मी की गांड के पीछे आया और अपने लौड़े को अपने हाथ में पकड़ कर अपनी अम्मी की चूत के लबों के दरमियाँ रगडा |

“ऊफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ् बेटाआआअ” अपनी बेवगी के इतने महीनों बाद आज पहली बार एक जवान लौड़े को अपनी चूत के लबों से टकराते हुए महसूस करके अम्मी ज़ोर से सिसक उठीं |

मेरे लिए यह लम्हा एक ख्वाब से कम नही था कि मैं रात की तारेकी में अपने कमरे में अपनी ही सग़ी अम्मी की चूत पर अपने सख्त लौड़े को रगड़ रहा था और मेरी अम्मी मेरे गरम और सख्त लौड़े को अपनी चूत के लबों से छूता हुआ महसूस कर मज़े से सिसकीयाँ ले रही थी |

इसलिए अपनी अम्मी की चूत पर अपना लौड़ा रगड़ने के साथ ही मेरे लिए अब अपनी माँ की चूत से और दूर रहना नामुनकीन हो गया तो अपने लौड़े को हाथ में थाम एक लम्हे के लिए मैं अम्मी की चूत से अलग हुआ और दूसरे ही लम्हे एकदम आगे को बढ़ते हुए मैंने अपने लौड़े को पीछे से अपनी वालिदा की चूत में घुसा दिया, जिस फुद्दी ने आज से कई साल पहले मुझे अपनी कोख से निकाल कर इस दुनिया में जन्म दिया था |

“ओह अफ़ताब” मेरे लौड़े के चूत में घुसते ही मस्ती भरी आवाज़ अम्मी के मुँह से निकली |

तो अपनी अम्मी की गरम सिसकी सुनकर मज़े से मैं भी सिसकार उठा ““उफफफफफफ्फ़ फख़ीराआआआअ”

“हाईईईईईईईईईईईईईईई फुद्दी में लौड़ा डालते ही अम्मी से एकदम फख़ीरा पर आ गए हो तुम तो अफ़ताब” मेरी कही हुई बात सुनकर अम्मी बोलीं और साथ ही अपनी गांड को पीछे धकेलते हुए मेरे लौड़े को अपनी चूत में पूरे का पूरा ज़ज्ब कर लिया |

“हाँ क्योंकि मेरे लौड़े को चूत में लेते ही अम्मी से बीवी जो बन गई हो आप, मेरी फख़ीरा बेगम” अम्मी की बात का ज्वाब देते हुए मैंने अम्मी की गांड की भारी पहाड़ियों को अपने दोनों हाथों में थामा और अपनी अम्मी की चूत में ज़ोर ज़ोर से अपने लौड़े के झटके मारने लगा |

“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मैं तो लौड़े का स्वाद ही भूल गई थी, मगर मेरी चूत में अपना जवान लौड़ा डाल कर तुमने वाक्या ही मेरी बेवा चूत को फिर से सुहागन कर दिया है, ओह चोदो मुझे अफ़ताब, मेरे सरताज” |

“उफफफफफफफफफफ्फ़ तुम्हारी चूत तो तुम्हारी बेटी की चूत से भी ज्यादा मज़ेदार है फख़ीरा बेगम” अपनी अम्मी की बात सुनते ही मैं अपने दोनों हाथों से अम्मी के मोटे मोटे सेक्सी चूतड़ सख्ती से पकड़ कर तेज़ी से अम्मी को चोदने लगा |

पूरे कमरे में मेरी और अम्मी की लज़्ज़त भरी आवाज़ें गूंज रहीं थीं | “आआहह उउउफफफफफ्फ़ ऊउीईईईई माँआई मरर गगइिईईईईईईई उउफफफफ्फ़ बेटा तुम बहुत अच्छी चोदाई करते हो, आअहह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है ओह” |

मैं अब तूफानी अंदाज़ में अम्मी की चूत को चोदने में मसरूफ़ था और अम्मी भी अब अपनी गांड को पीछे धकेलते हुए मेरे लौड़े को अपनी चूत में दबोचे चली जा रही थी |

कुछ देर ऐसे ही घोड़ी बना कर चोदने के बाद मैंने अम्मी की चूत से अपना लौड़ा निकाला तो मेरा लौड़ा अपनी अम्मी की चूत के पानी से भरा हुआ था |

“आप बिस्तर पर सीधी हो कर लेट जाएँ अम्मी जान” अम्मी की चूत से लौड़ा निकाल कर मैंने उन्हें कमर के बल सीधा बिस्तर पर लेटा दिया |

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ यह है ना वही मुम्मे, जिन के दरमियाँ आपने मेरे लौड़े के पानी से भरे कंडोम को छुपा कर रखा था अम्मी जान” बिस्तर पर सीधा लेटाते ही मेरी नज़र पहली बार अपनी अम्मी के उन मुम्मों पर पड़ी तो मैंने अम्मी के मोटे मुम्मों के लंबे निपल्स पर अपनी गरम ज़ुबान फ़ेरते हुए अम्मी से पूछा |

“हाँ और तुम्हारे लौड़े के पानी से भरे कंडोम ने मेरे मुम्मों में भी इतनी ही आग लगी थी, जितनी आग इस वक़्त तुम्हारा लौड़ा मेरी फुद्दी में लगा रहा है अफ़ताब” यह बात कहते हुए अम्मी ने मेरे सिर पर अपना हाथ रखकर ज़ोर से सिर दबाया तो अम्मी का पूरा निप्पल मेरे खुले मुँह में घुसता चला गया |

“आप अपने इन बड़े मुम्मों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर एक साथ मिलाएं अम्मी” मैंने अपनी अम्मी के मोटे मुम्मों को ज़ुबान से चाटते और चुमते हुए कहा |

“वो किस लिए बेटा” मेरी बात सुनकर अम्मी ने थोड़ी हैरानी से मुझे पूछा |

“क्योंकि मैं आपके इन मुम्मो को अपने लौड़े के साथ चोदकर आपके मुम्मों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ, जिन्होंने मेरे लौड़े के पानी की इतनी इज्ज़त अफज़ाई की है अम्मी जान” मैं अम्मी की बात का ज्वाब देते हुए उठा और अम्मी के पेट के एन ऊपर चढ़ कर बैठ गया |

अम्मी ने मेरे कहने के मुताबिक़ अपने दोनों हाथों से अपने मुम्मों को आपस में जोड़ा तो मेरा लौड़ा मेरी अम्मी के मोटे और बड़े मुम्मों की क़ैद में जकड़ा गया |

“उफफफफफफफफफफ्फ़ आपकी चूत के साथ साथ आपके मुम्मों में भी बहुत गर्मी है फख़ीरा बेगम” अपनी अम्मी की चूत के छूटे हुए पानी से भरा हुआ अपना सख्त और जवान लौड़े को अम्मी की गुंदाज छातिओं के दरमियाँ रखते हुए मैंने कहा और इसके साथ ही जोश से अपने लौड़े को अपनी अम्मी के मोटे और भारी मुम्मों के दरमियाँ तेज़ी से रगड़ना शुरू किया |

तो मेरे लौड़े की गर्मी के हाथों बेहाल होते हुए अम्मी ने भी अपना मुँह खोल दिया | जिसकी वजह से मेरे लौड़े का टोपा अम्मी की गरम ज़ुबान से भी रगड़ खाने लगा |
“उफफफफफफफफफ्फ़ आपके गुंदाज मुम्मों के साथ साथ आपकी गरम ज़ुबान भी मेरे लौड़े को प्यार कर रही है अम्मीई जीईईईईईईईईईईईईई” अपनी अम्मी की ज़ुबान को अपने लौड़े के टोपे पर महसूस करते ही मैं मज़े से चिल्ला उठा |

“जब मेरा बेटा अपनी अम्मी की बेवा चूत में दुबारा से ज़िन्दगी की खुशियाँ ला सकता है, तो मैं एक माँ से अपनी ही बेटे की बीवी बन कर अपने शोहर को चुदाई का नया मज़ा क्यों नही दे सकती अफ़ताब जानुउउ” मेरी बात के ज्वाब में मेरे लौड़े पर जोश से अपनी ज़ुबान चलाते हुए अम्मी ने कहा |

तो अपनी बीवी/अम्मी की यह बात सुन कर जोश के मारे मेरे लौड़े की नसें भी फूलने लगी और अब मैं पहले से भी ज्यादा तेज़ी के साथ अपने मोटे लौड़े को अपनी अम्मी के भारी मुम्मों के दरमियाँ रगड़ने लग गया |

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ तुमने आज मेरी चूत और मेरे मुम्मों को एक साथ चोद कर यह साबित कर दिया है, कि वालिद के बाद एक माँ की चूत पर सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके सगे बेटे का ही हक़ होता है अफ़ताब” मेरे सख्त जवान लौड़े की गर्मी को अपने मुम्मों के दरमियाँ महसूस करते हुए अम्मी के मुँह से बेतहाशा सिसकियाँ निकलने लगी |

“हाईईईईईईईईईई अब मुझसे और बरदाश्त नही हो रहा, इसलिए मैं आपके मुम्मों में ही अपने लौड़े का पानी छोड़ने लगा हूँ फख़ीराआआअ बेगमम्ममम”

अपनी अम्मी की बात सुनते ही मेरे लौड़े का बंद टूट गया और मेरे लौड़े से मेरा गरम पानी निकल कर अम्मी के मुम्मों के साथ साथ उन के मुँह में भी गिरने लगा |

“ओह तुमने बचपन में जिन छातियों से दुध पिया था, आज मेरी इन्ही छातियों के दरमियाँ अपने लौड़े का गरम पानी उड़ेलकर, तुमने अपने दूध का हक़ अदा कर दिया है मेरे बेटे”

मेरे लौड़े का थिक मादा अम्मी के बड़े मुम्मों और खुले मुँह में गिरते ही मज़े के साथ मेरे लौड़े के नमकीन पानी को चाट कर अपने ह्ल्क में उतारते हुआ अम्मी ने कहा |

अपनी अम्मी के मुम्मों के दरमियाँ अपने लौड़े का पानी उड़ेलते हुए मेरी नज़र कमरे के दरवाज़े की तरफ गई |

तो मुझे संध्या नज़र आई जो दरवाज़े पर बुत बन कर खड़ी मुझे और अम्मी को हैरानी के साथ देखने में मसरूफ़ थी |
Reply
01-24-2019, 11:54 PM,
#13
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
LAST PART

“हाईईईईईईई अपनी बहन संध्या से की गई बेवफ़ाई पर अब उसे क्या ज्वाब दूंगा मैं” रात के अँधेरे में अपनी बहन संध्या को यूँ अचानक कमरे के दरवाज़े साथ खड़ी होकर मेरी और अम्मी की चुदाई देखते हुए एक लम्हे के लिए मैंने घबराकर सोचने लगा तो फिर दूसरे ही लम्हे मेरी नज़र संध्या के चेहरे से हट कर उसके जिस्म पर पड़ी |

“उफफफफफ्फ़ यह क्या संध्या तो इस वक़्त ना सिर्फ़ मुकम्मल नंगी है, बल्कि इसी नंगी हालत में कमरे के दरवाज़े पर खड़े होकर मेरी और अम्मी की चुदाई को देखकर इतनी गरम हो चुकी है, कि वो अब अपनी चूत को अपने ही हाथ से मसल कर अपनी चूत में लगी आग को ठंडा भी कर रही है” |

अपनी बहन को यूँ कमरे की दीवार के साथ लग कर मेरी और अम्मी की चुदाई देखने के साथ साथ अपनी चूत में अपनी ही उंगली मारते देख कर मैंने सकूँ का सांस लिया और फिर अम्मी से नज़र बचा कर अपनी बहन को कमरे में आने का इशारा कर दिया |

मेरे इशारे को समझते ही संध्या ने एक लम्हे के लिए मेरी आँखों में आँखें डाल कर मेरी तरफ देखा और फिर इंकार में अपना सिर हिला दिया |

“प्लीज़” संध्या के इंकार को देख कर मैंने नजरों ही नजरों में दुवारा अपनी बहन से कमरे में आने की दरख्वास्त की और इसके साथ ही अम्मी के ऊपर से हट कर बिस्तर पर उनके बराबर लेट गया |

मेरी इल्तिज़ा भरी नजरों को देख कर चंद लम्हों के लिए संध्या बुत बन कर उधर ही खड़ी रही और फिर कुछ देर बाद किसी फॅशन शो के रैंप पर चलने वाली मॉडेल की तरह अपनी गांड मटकाती नंगी हालत में ही मेरे बिस्तर के करीब आ खड़ी हुई |

संध्या को खामोशी से कमरे में दाखिल होने की वजह से पहले पहल तो अम्मी की नज़र उस पर नही पड़ी मगर कमरे में आकर संध्या यूँ ही बिस्तर के नज़दीक पहुँची तो वो अम्मी की नज़र में आ ही गई |

अपनी जवान बेटी को यूँ नंगी हालत में एकदम अपने सामने पाकर एक लम्हे के लिए अम्मी के तो होश ही उड़ गए | मगर उन्हें फ़ौरी तौर पर समझ नही आया कि इस सुरते हाल में वो कैसे रियेक्ट करें |

लेकिन जैसे ही अम्मी को यह एहसास हुआ कि संध्या के साथ साथ वो भी तो इस वक़्त मुकम्मल नंगी हालत में हैं तो मेरे पहलु में लेटी मेरी अम्मी ने तेज़ी के साथ लपक कर पास पड़ी बिस्तर की चादर उठाई और अपने जिस्म को एकदम छुपाने की कोशिश की |

“संध्या बाहर खड़ी होकर काफ़ी देर से हम दोनों की चुदाई देखती रही है, और आपकी बेटी अब आपके जिस्म के सारे हिस्सों से अच्छी तरह वाकिफ़ हो चुकी है, इसलिए अब उससे अपने जिस्म को छुपाने का कोई फ़ायदा नही फख़ीरा बेगम” अम्मी को यूँ एकदम अपने ऊपर चादर लेते देख कर मैं मुस्कुराते हुए बोला और साथ ही अम्मी के जिस्म पर बिछी हुई चादर को अपने हाथ से पकड़कर अम्मी के जिस्म से वो चादर उतार फैंकी |

“उफफफफफ्फ़ क्या, संध्या इतनी देर से हम दोनों को देखती रही है, तो तुमने मुझे बताया क्यों नही अफ़ताब” मेरी बात सुनते ही अम्मी मेरी तरफ देखा और अपने मोटे नंगे मुम्मों को अपने दोनों हाथों से छुपाते हुए थोड़ा गुस्से में बोलीं |

“जब आप छूप छूप कर मेरी और संध्या की चुदाई देखती रही हैं, तो उस वक़्त आप ने मुझे बताया था, जो अब मैं संध्या के बारे में आप को बताता अम्मी जान” अम्मी की बात सुनते ही मैं मुस्कुराया और शरारती अंदाज़ में अपनी अम्मी को ज्वाब दिया |

“ओह चूँकि आपको अपने ही बच्चों की चुदाई देखने में आपको मज़ा आता है, और इसी वजह से ट्यूबवेल पर वक़्त रंगे हाथों पकड़ने के बावजूद आपने हमें कुछ नही कहा अम्मी” अम्मी के मुताल्लिक़ मेरे मुँह से निकलने वाले इस राज़ को सुनकर संध्या ने हैरानी से अम्मी की तरफ देखा |

मेरी बहन को इस तरह अपनी तरफ देखते पाकर अम्मी ने शरमिंदा नजरों के साथ संध्या की तरफ देखा और शर्म के मारे अम्मी का मुँह लाल हो गया |

“शरमिंदा होने की हरगिज़ जरुरत नही, क्योंकि आज से आप दोनों ही मेरी औरतें हो, और घर के मालिक की हैसियत से आप दोनों की जिस्मानी जरूरत का एक साथ ख्याल रखना अब मेरी फर्ज़ है” अम्मी के चेहरे पर शरमिंदगी के असार देखते ही मैंने अम्मी को समझाते हुए कहा |

इसके साथ मैंने अपनी बहन संध्या की तरफ अपना मुँह किया और बोला “अब उधर खड़े खड़े मेरे और अम्मी के नंगे जिस्मों को ही देखती रहोगी, या करीब आकर मुझे अपने इस प्यासे जिस्म की प्यास बुझाने का मौक़ा भी दोगी मेरी रानी” |

“हाईईईईईईईईई इस चूत पर अब आपका ही हक़ है, इसलिए अपनी फुद्दी को चोदने का मौक़ा आपको नही दूँगी तो फिर और किसे दूँगी भाईईईईईईई” मेरी बात सुनते ही संध्या बोली और फिर बिस्तर पर चढ़ कर बिस्तर पर लेटी अम्मी की टांगों के नज़दीक आ बैठी |

संध्या को यूँ अपने इतने करीब देख कर अम्मी रिलैक्स होने की बजाए और शरमा गईं और अपनी शर्म के हाथों मजबूर होकर ना सिर्फ़ उन्होंने अपनी आँखें बंद कर लीं बल्कि साथ ही साथ अपनी दोनों टांगों को एक साथ मिलाकर अपनी चूत को अपने हाथों से ढांप लिया |

अम्मी को अभी तक यूँ शरमाते देखकर मैं एकदम झुंझला गया | इसलिए गुस्से में आते हुए मैंने आपस में जुड़ी हुई अम्मी की दोनों टांगों को अपने हाथ से पकड़ कर ज़बरदस्ती खोला और अम्मी की चूत से उनके हाथों को भी हटा कर संध्या से बोला, “संध्या देखो कितनी मज़ेदार चूत है हमारी अम्मी की, उफफफफफफफ्फ़ इस उम्र में भी अम्मी की चूत जवान लड़कियों की चूतों को पीछे छोड़ती है” |

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ अम्मी की चूत तो वाक्या ही बहुत खूबसूरत है, इसीलिए तो आप भी इसके आशिक़ बन गए हैं भाईईईईईईईईईईईई” अम्मी की बंद टांगें खुलते ही यूँ ही अम्मी की चूत पहली बार संध्या के सामने पूरी तरह नुमायाँ हुई तो मेरी चुदाई की वजह से पानी पानी होती अपनी सग़ी अम्मी की फुद्दी को देखकर संध्या के मुँह में भी पानी भर आया और मज़े के मारे वो अपनी ज़ुबान को अपने होंठों पर फ़ेरते हुए सिसकार उठी |

अपनी अम्मी की चूत को देखकर अपने होंठो पर ज़ुबान फैरते हुए संध्या के इस अंदाज़ ने मेरे ढीले लौड़े में दुवारा से जान पैदा कर दी और वो एक बार फिर से कड़ा कर खड़ा होने लगा तो मैंने बिस्तर पर बदस्तूर अपनी आँखें बंद किए लेटी अपनी अम्मी पर नज़र दौड़ाई और इसके साथ ही मस्ती में आकर अपनी बहन संध्या के कान में सरगोशी की “मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लौड़े से चूदी हुई हमारी अम्मी की इस फुद्दी को मेरे सामने अपनी ज़ुबान से चाटो मेरी बहन” |

मेरी बात सुनते ही संध्या ने एक लम्हे के लिए मेरी तरफ देखा और फिर दूसरे ही लम्हे अम्मी की खुली टांगों के दरमियाँ लेटकर अपनी दोनों उँगलियों से अम्मी की चूत के लब खोल दिए | 

अम्मी की चूत के लबों को अपने हाथ से खोल कर संध्या ने अपना मुँह आगे बढ़ाया और अम्मी की पिंक चूत में बहते अम्मी की चूत के नमकीन पानी को अपनी नुकीली ज़ुबान से चाट लिया |

“ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, उफफफफफफफफफफफफ्फ़, हाईईईईईईईई, यह क्याआआअ कर रही हो तुम मेरे साथ संध्याआआ” रात के अँधेरे में अपने ही सगे बेटे के लौड़े से चुद्वाने के बाद अब अपनी पानी छोड़ती चूत पर अपनी ही सग़ी बेटी के गरम लबों को महसूस कर अम्मी ने एकदम अपनी बंद आँखें खोलीं और मज़े से सिसक कर संध्या से कहा |

“हाईईईईईईईईईईईईईईईई अफ़ताब भाई से चुदवा कर आप उनके लौड़े का मज़ा तो चुख ही चुकी हैं, अब आप अपनी बेटी को भी तो मौक़ा दें, कि वो भी आपकी चूत को अपने मुँह और ज़ुबान से प्यार करके आपसे अपने प्यार का इज़हार कर सके अम्मी जान” अम्मी की सिसकी सुनते ही संध्या ने अम्मी की चूत से अपना मुँह निकाल कर उन्हें ज्वाब दिया |

इसके साथ ही संध्या ने अपने हाथ की तीन उंगलियाँ एक साथ अम्मी की चूत में डालीं और फिर अम्मी की चूत के दाने को अपने मुँह में पूरा भर लिया |

“ओह तुम दोनों अपने लौड़े और ज़ुबान के मज़े दे देकर मुझे तो पागल ही कर दोगे, आआआआआहह चाटो और चाटो म्‍म्म्ममममममम बहुत मज़ा आ रहा है मुझे" अपनी चूत में अंदर बाहर होती अपनी सग़ी बेटी की उँगलियों के साथ साथ अपनी चूत के छोल्ले पर चलती संध्या की गरम ज़ुबान ने अम्मी के जिस्म में आग लगा दी तो मज़े से बेहाल होकर अम्मी पागलों की तरह बुदबुदाने लगीं |

अपनी नजरों के सामने अपनी बहन को अपनी ही सग़ी अम्मी की प्यासी चूत को यूँ चाटते देख कर मेरा लौड़ा भी जोश में पागल होने लगा |

तो मैं अम्मी के पहलू से उठ कर बिस्तर पर लेटी अपनी अम्मी के सिर के पीछे आया और फिर पीछे से अम्मी के सिर के ऊपर चढ़ कर अपने ढीले लौड़ा को अम्मी के खुले लबों पर फ़ेरते हुए सिसका “मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर इसे चुसो और चूस कर इसे अपनी बेटी की चूत के लिए अच्छी तरह से तैयार करें अम्मी जान” |

मेरी बात सुनते ही बिस्तर पर लेटी अम्मी ने मेरी आँखों में देखा और फिर अपना मुँह खोल कर अपनी चूत के पानी से भरे मेरे लौड़े का टोप्पा अपने मुँह में भर लिया |

“उफफफफफफफफ्फ़ आपकी चूत तो चूत, आपके तो मुँह में भी बहुत गर्मी है अम्मीईईईईईईईईईई जान” अम्मी के गरम मुँह में अपने लौड़े का टोपा जाते ही मुझे जो मज़ा मिला वो मैं लफ्जों में बयान करने में असमर्थ था |

“हाईईईईईईईईई तुम्हारा लौड़ा भी तो कितना गरम और सख्त है मेरे बेटे” मेरे लौड़े के टोपे को मुँह में भरते ही अम्मी को भी जोश आया और इसी जोश में उन्होंने मेरे लौड़े को दीवानावार चूसते हुए मेरे लौड़े पर लगे अपनी ही चूत को पानी को अपने ह्ल्क में उतारना शुरू कर दिया |

“हाईईईईईईईईई लगता है आप अब्बू को काफ़ी चुस्ती रही हैं, इसीलिए तो लौड़ा चुसाई में आप को बहुत ही महारत है अम्मी” अम्मी के चुप्पे के मज़े से पागल होते हुए मैंने पूछा |

“तुम्हारे अब्बू ने तो मुझसे कई दफ़ा लौड़ा चूसने की फ़रमाइश की थी, मगर मैंने इस काम को गंदा समझते हुए हमेशा ही इंकार कर दिया, लेकिन आज तुम्हारे इस शानदार लौड़े से चुद्वाने के बाद मुझे अपने बेटे के आगे इंकार की हिम्मत नही हुई अफ़ताब” |

“हाईईईईईईईईईई मेरा लौड़ा कितना खुशनसीब है जिसे उसकी अपनी सग़ी अम्मी के मुँह ने इतनी इज्ज़त बक्शी हाईईइ” अपनी अम्मी की यह बात सुनकर मैं और जोश में आ गया और इस जोश में अपनी अम्मी के चेहरे को अपने हाथ से पकड़ते हुए अपनी अम्मी के मुँह को इस तरह चोदने लगा जैसे वो अम्मी का मुँह नही बल्कि उनकी गरम चूत हो |

अब कमरे में हालत यह थी कि अम्मी की टांगों के दरमियाँ लेटकर संध्या अपने मुँह के ज़रिए अपनी अम्मी की चूत का रस पी रही थी जबकि मैं अम्मी के पीछे से उनके सिर पर चढ़ कर अपनी अम्मी के मुँह में अपना लौड़ा पेलते हुए अपनी अम्मी की जीभ और गरम मुँह के मज़े ले रहा था और अपनी चूत पर चलती अपनी ही सग़ी बेटी की गरम ज़ुबान के मज़े से बेहाल होकर अम्मी मेरे लौड़े को किसी लोलीपोप की तरह चूस्ते हुए खुद भी मज़े ले रही थीं |

जबकि इस दौरान “ऑश हाईईईईईईईई उफ़फफफफफफफफफफफफ्फ़” किस्म की गरम सिसकियाँ हम तीनो के मुँह से फूट फूट कर कमरे के माहौल को और रंगीन बना रही थीं |

थोड़ी देर अपनी अम्मी से लौड़ा चुसवाने के बाद मेरा लौड़ा दुवारा से अपनी पूरी सख्ती में आ गया तो मैंने अपने लौड़े को अपनी बहन की चूत में डालने का इरादा कर लिया |

यह इरादा करते ही मैंने अम्मी के मुँह से अपना लौड़ा निकाला और अपने बेड की साइड टेबल में पड़ा हुआ कंडोम का एक पैकेट हाथ में लेकर उसे खोलने लगा |

“यह क्या कर रहे हो अफ़ताब बेटा” साइड टेबल से कंडोम को निकाल कर मुझे अपने हाथ में पकड़ते हुए देख कर अम्मी ने मुझसे सवाल किया |

“हाईईईईईईईईईईईईई आपकी चूत को चोदने के बाद अब आपकी बेटी की चूत की आग को ठंडा करने का इरादा है, और संध्या की चूत में लौड़ा डालने से पहले कंडोम इसलिए लगा रहा हूँ, ताकि संध्या प्रेग्नेंट ना हो जाए कहीं अम्मी“ मैंने कंडोम के पैकेट को खोलते हुए अम्मी की बात का ज्वाब दिया |

“ओह मैं घर के सेहन में अपने पोते पोतियों को खेलता हुआ देखना चाहती हूँ, इसलिए आज से तुम्हारा कंडोम इस्तेमाल करना बंद मेरे बेटे” यह बात कहते हुए अम्मी ने मेरे हाथ से कंडोम छीन कर फ़र्श पर फैंक दिया |

“हाईईईईईईईईईईईईईईईई अम्मी आप क्या यही चाहती हैं कि संध्या मेरे बच्चों की माँ बने” अपनी अम्मी की बात का मतलब समझते हुए मेरे लौड़े में बिज़ली की एक लेहर सी दौड़ गई और मेरा लौड़ा शेषनाग की तरह अपना फन फ़ैला कर खड़ा हो गया |

“संध्या को चोद कर तुम ने अपनी बहन की चूत का क़ब्ज़ा तो पहले ही हासिल कर लिया है, मगर आज से मैंने तुम्हारी बहन की चूत की रजिस्ट्री भी तुम्हारे लौड़े के नाम लिख दी है, इसलिए अब अपनी बहन की कोख में अपने लौड़े का बीज़ डाल कर उसे अपने बच्चों की माँ बना दो बेटा” मेरी बात का ज्वाब देते हुए अम्मी ने अपनी गांड को बिस्तर से उठाकर अपनी चूत को गरम जोशी के साथ संध्या के मुँह पर मारा और मज़े से सिसकार उठी |

अम्मी की बात सुनते ही मैं तेज़ी से संध्या के पीछे आया और घोड़ी बनी अपनी बहन की खुबसूरत गांड के दरमियाँ में अपना लौड़ा रगड़ने लगा |

“ओह अम्मी की बातों और आपके लौड़े ने मेरी फुद्दी में आग लगी दी है, इसलिए अब जल्दी से मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल कर अम्मी की ख्वाहिश को पूरा कर दो भाईईईईईईई” अपनी गांड की पहाड़ियों में मेरे लौड़े की गर्मी को महसूस करके मेरी बहन संध्या सिसकी |

“उफफफफफफफफफ्फ़ मेरा लौड़ा भी तुम्हारी चूत से मिलाप के लिए बेचैन हो रहा है, इसलिए अब मेरे लौड़े के इस्तक़बाल के लिए अपनी चूत को तैयार कर लो मेरी जान” अपनी बहन की बात सुनते ही मैंने झटका दिया और अम्मी के थूक से भरे हुए अपने लौड़े को घोड़ी बनी अपनी बहन की चूत में पीछे से घुसा दिया |

“ओह भाई का लौड़ा तो पहले बहुत अच्छा था, मगर भाई के लौड़े को अपने मुँह से चुसाई लगा कर इसे और सख्त कर दिया है, और इस नवाज़िश के लिए मेरी चूत आपकी बहुत ही शुक्रगुज़ार है अम्मीईईईईई” बिना कंडोम के मेरा नंगा लौड़ा जब अपनी बहन की चूत में उतरा तो मेरे गरम लौड़े को अपनी चूत की दीवारों के दरमियाँ में से गुज़र कर अपनी बच्चेदानी के मुँह से टकराते हुए महसूस करके मेरी बहन के मुँह से सिसकी निकल गई |

अपनी बहन की चूत में अपना पूरा लौड़ा डालते ही मैं जोश से ज़ोरदार झटके मारते हुए अपनी बहन की चूत को चोदने लगा |

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ अपनी सग़ी अम्मी की चूत को चाटते हुए, अपने ही सगे भाई के सख्त और जवान लौड़े से चुद्वाने का मौक़ा किसी क़िस्मत वाली बहन को ही नसीब होता है, इसलिए आज मेरी चूत को चोद चोद कर मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो भाईईईईईईईईईई” मेरे लौड़े को अपनी चूत की गहराई में तेज़ी के साथ आते जाते महसूस करके संध्या मज़े से चिल्ला उठी |

एक तो संध्या की बाहर को निकली हुई दिलकश गांड का नज़ारा और ऊपर से उसकी गरम बातों ने मुझे पागल कर दिया | इसलिए जोश में आते हुए मैं ना सिर्फ़ और तेज़ी के साथ अपनी बहन की चुदाई में मशरूफ़ हो गया बल्कि साथ ही साथ मैंने मज़े से पागल होते हुए संध्या के खूबसूरत चूतडों पर चांटे मारने भी शुरू कर दिए |

अब मैं अपनी बहन की चूत को ज़ोर से चोदते हुए अपने लौड़े के हर धक्के पर ताक़त के साथ संध्या के चूतडों पर थप्पड़ भी मार रहा था |

जिसकी वजह से मेरे हर थप्पड़ पर मज़े और तकलीफ़ से तडप कर संध्या के मुँह से चीख निकल जाती और मज़े से पागल होते हुए वो आगे से अपने मुँह को अपनी अम्मी की चूत में ज़ोर से घुसा देती |

जिसकी वजह से अम्मी को और मज़ा आता और वो भी मस्ती में सिसकीयाँ लेने लगती थीं क्योंकि संध्या के चूतड़ काफ़ी भारी थे इसलिए उन पर थप्पड़ मारने की वजह से काफ़ी तेज़ आवाज़ पैदा हो रही थी |

अपनी बहन के गुंदाज चूतडों पर बार बार थप्पड़ मारने की वजह से चंद ही सेकेंड्स में ही संध्या के गोरे गोरे चूतड़ सूज कर लाल हो गए |

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या तुम अकेले ही अम्मी की चूत का मज़ा लेती रहोगी, या मुझे भी अपनी अम्मी की फुद्दी का स्वाद चखने का मौक़ा दोगी संध्या” अपनी बहन की चूत में पीछे से ज़ोरदार घस्से मारते मारते मैं एकदम आगे को झुका और अम्मी की चूत से चिपटे संध्या के मुँह को हटा कर अपना मुँह अपनी अम्मी की चूत पर रख दिया और फिर अपनी बहन की चूत में अपने लौड़े को पेलने के साथ साथ अपने होंठो और ज़ुबान से अपनी अम्मी का मोटा फुद्दा भी खाने में मशरूफ़ हो गया |

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ अपनी बीवी की चूत को चोदने के साथ साथ अपनी सास की फुद्दी को अपनी गरम ज़ुबान से मज़ा देने के तुम्हारे इस अंदाज़ ने यह साबित कर दिया है, कि तुम वाक्या ही मेरे घर दामाद बनने के क़ाबिल हो अफ़ताब बेटाआआ” संध्या से अपनी चूत चटाई के बाद अपनी फुद्दी पर मेरी गरम ज़ुबान महसूस करते ही अम्मी ने जोश से अपनी गांड उठाकर मेरे मुँह पर रगड़ी और मज़े से चीख़ पडीं |

अपनी बहन को चोदते हुए मुझे अब काफ़ी वक़्त हो चुका था जिसकी वजह से मैं अब फारिग होने के बहुत नज़दीक पहुँच चुका था |

इसलिए अपनी बहन की चूत में अपने लौड़े को डालते हुए मैंने अपनी तमाम ताक़त से एक आखरी धक्का मार कर अपने लौड़े का आखरी इंच भी जड़ तक संध्या की चूत में उतारा तो इसके साथ ही मेरे लौड़े ने मेरी बहन की चूत में अपना पानी गिरा कर संध्या की फुद्दी में कम का सैलाब बनाना शुरू कर दिया |

मेरे लौड़े के गरम मादे को अपनी चूत की गहराईओं में गिरता हुआ महसूस कर के संध्या के जिस्म को एक झटका लगा और अपने मुँह को अम्मी की फुद्दी पर ज़ोर से दबाते हुए मेरी बहन चिल्ला उठी “ओह आपके साथ साथ मैं भी फ़ारिगगगगगगगग हो गई हूँ भाईईईईईईईईईई” |

इधर मेरे लौड़े और संध्या की चूत ने अपना अपना पानी खारिज़ किया तो अम्मी की चूत पर लगने वाली संध्या के मुँह की ज़ोरदार रगड़ ने अपना काम दिखा दिया और हमारे साथ साथ अम्मी की फुद्दी भी अपना पानी छोड़ने लगी |

अब हालत यह थी कि घोड़ी बनी संध्या की चूत को पीछे से चोदते हुए मैं अपनी बहन की कोख़ में अपने लौड़े से थिक वाइट कम की पिचकारियाँ निकालते हुए अपनी बहन संध्या की चूत को भर रहा था जबकि अम्मी की टांगों के दरमियाँ बिस्तर पर लेटकर संध्या ना सिर्फ़ अपनी चूत का पानी भी छोड़ रही थी बल्कि साथ ही साथ वो अपनी अम्मी की चूत से बहने वाले अम्मी की फुद्दी के नमकीन लावे को सक करते अपने ह्ल्क में उतार रही थी |

जब कम का आखड़ी ड्रॉप भी मेरे लौड़े सेई निकलकर संध्या की सेक्सी चूत की गहराइयों में उतर गया तो मैं निढ़ाल होकर अम्मी और संध्या के बराबर में ही बिस्तर पर लेट गया |
“मैं चाहती हूँ कि अब तुम जल्द से जल्द सारी ज़मीन जायदाद को बेच दो अफ़ताब” अपनी बहन की चूत से अपना लौड़ा निकाल कर मैं यूँ ही बिस्तर पर कमर के बल लेटा. तो अम्मी ने अपनी बिखरी साँसों को संभालते हुए मुझे कहा |

“सारी जायदाद बेच दूँ, मगर क्यों अम्मी जी” संध्या की ज़ोरदार चुदाई की वजह से अपने चेहरे पर आने वाले पसीने को हाथ से पूंछते हुए मैं अम्मी से सवाल किया |

“वो इसलिए कि अपने अब्बू की वफ्त के बाद तुमने ना सिर्फ़ अपने बाप की छोड़ी हुई ज़मीन को सही तरीके से संभाला है, बल्कि अपनी बहन और अपनी माँ की चूत को चोद कर, यह साबित भी कर दिया है कि अपने अब्बू की सारी जायदाद के असल वारिस तुम ही हो, इसीलिए अब मैं यह चाहती हूँ कि तुम अपनी सारी जायदाद बेच कर हम दोनों माँ बेटी को किसी दूसरे शहर ले जाओ, और फिर मेरा घर दामाद बन कर मेरी और मेरी बेटी की चूत को अपने लौड़े से चोदकर हम दोनों माँ बेटी को मज़े दो” मेरी बात का तफ़सील से ज्वाब देते हुए अम्मी के चेहरे पर एक मुस्कराहट फैल गई |

“ओह आपने तो मेरे दिल की बात कह दी अम्मी जान” अपनी अम्मी की यह बात सुनते ही मुझे जोश आया |

फिर मैं बिस्तर से एकदम उठा और अपनी अम्मी को अपनी बाहों में लेने के साथ ही उनके गुंदाज लबों को अपने मुँह में भर कर मज़े से चूसने लगा |

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ आपकी यह बात सुन कर मेरी चूत फिर से पानी पानी होने लगी है, कि अब हम दोनों माँ बेटी अपने ही भाई और बेटे की बीवियाँ बन कर उनके साथ अपनी ज़िन्दगी बसर करेंगी अम्मी जान” अम्मी की बात सुनकर संध्या भी बिस्तर से उठी और अम्मी के मोटे मुम्मे पर अपना मुँह रख कर अपनी अम्मी के लंबे निप्पल को मज़े से चूस्ते हुए बोली |

उस रात के एक महीने के बाद ही हम लोग अपना सब कुछ बेच कर गाँव से कराची शिफ्ट हो गए यहाँ मैं और संध्या मियाँ बीवी बन कर एक साथ रहने लगे |

मेरी बहन संध्या मेरी बीवी बनने के बाद बहुत ही खुश थी | और इस ख़ुशी में अपनी टांगों को खोले बिस्तर पर पड़ी रहती और दिन रात दिल खोल कर मुझसे अपनी फुद्दी मरवाती |

अपनी बहन से की जाने वाली इस चोदाई का सिला मेरी बहन संध्या ने मुझे एक बहुत ही प्यारी सी बच्ची की शकल में कराची आने के तक़रीबन 8 महीने बाद दे दिया |

अब मैं हर रोज़ रात को अपनी अम्मी और बहन की चुदाई एक साथ एक ही बिस्तर पर करके ना सिर्फ़ अपनी अम्मी और बहन की फुद्दियों को अपने लौड़े से ठंडा करता हूँ बल्कि उन दोनों की चूतों को भी एक साथ सक करके अपने मुँह से अपनी अम्मी और बहन की फुद्दियों को मज़ा भी देते हुए अपने आपसे यही कहता रहता हूँ “वाहह मेरी क़िस्मत” ||


THE END
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02-15-2019, 05:19 PM,
#14
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
superb story bro
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