RE: Hindi Kamuk Kahani बरसन लगी बदरिया
“अरे मैं इत्ते दिनों से तुम्हारे भैया को नाश्ता करा रही हूँ लेकिन अब आज से तुम उनको नाश्ता कराओ, उनका भी टेस्ट बदल हो जायेगा। पर ये बताओ कि तुमने मेरे भैया को कराया कि नहीं?” मैंने उसी तरह का जवाब दिया।
कल की धुआंधार रति के बाद मीता आज एकदम बदल गयी थी। अपने भैया की प्लेट में हलवा परोसते हुए अपनी चूंचियाँ तानकर बड़ी शैतानी भरी मुस्कान के साथ बोली - “ठीक है, ली जिये भैया, ये मैंने अपने हाथ से बनाया है, सिर्फ़ भाभी क्यों, मैं भी करा सकती हूँ…”
यह नोंक झौंक सुनकर मैंने टेबल के नीचे से राजीव के लंड पर हाथ रखा तो वह पूरा तन्नाकर खड़ा हो गया था।
“और हाँ भाभी, ये मत कहियेगा कि मैं अपने भाई का खयाल नहीं रखती हूँ, जरा देखिये…” उस भरी प्लेट की ओर इशारा करते हुए वह आगे बोली ।
“ठीक है, खयाल तो रखना ही चाहिये… पर आपको भी मेरी ननद का खयाल रखना होगा, अरे जरा केला तो पास कीजिये मीता को…” एक प्लेट में रखे मोटे ताजे केलों की ओर इशारा करती हुई मैं अपने पति से बोली ।
उसने सबसे मोटा केला उठाकर मेरी किशोरी ननद को दे दिया जिसने उसे बड़े प्यार से पकड़कर धीरे-धीरे उसे छीला, बिलकुल इस अंदाज में जैसे वह सुपाड़े पर की चमड़ी उतार रही हो, और फिर उसे चाटते हुए अपने मादक होंठों के बीच ले लिया।
यह अब राजीव के सब्र की सीमा के बाहर था क्योंकी अब उसका लंड जिपर तोड़कर बाहर आने को आमादा हो गया था।
मैंने अब विषय बदला और संजय को पूछा- “हे, आज शाम को तो तुम फ्री हो?”
“हाँ, पर रात को दस बजे तक लौट जाऊँगा…”
“तो ठीक है, मीता तुम जानती हो ना, वेव्ज, जो नया वाला वाटर पार्क है, वहां आज शाम को रेन डांस है, शाम चार बजे से, और कपल्स के लिए है, उन्होने इन्विटेशन भेजा है, और ये देर से आते हैं तो हम लोग तो जा नहीं पाएँगे, तो संजय तुम मीता को लेकर चले जाना। थोड़ा दूर है इसलिए तुम लोग तीन बजे ही निकल लेना। और तुम्हें मालूम है, कुछ बड़े एक्साइटिन्ग खेल हैं। और डेयरिंग कपल्स के लिए प्राइज़ेज़ भी हैं। मुझे यकीन है कि तुम और मीता बहुत से प्राइज़ेज़ लेकर लौटोगे…”
संजय बोला कि ठीक है।
मीता भी खुशी से फूलकर कुप्पा हुई जा रही थी।
पर जब मैंने अपने पति की ओर देखा तो सबसे ज़्यादा खुशी उन्हें हुई थी। जब मैं उसे छोड़ने और गुडबाइ किस देने को दरवाजे तक गयी, तो मुझे कसकर आलिगन में लेकर वे बोले “सो मेनी थॅंक्स टु यू, मैं ठीक चार बजे तक आ जाऊँगा, पर वह शर्त क्या है?”
अपना हाथ उसकी पैंट पर फेरते हुए मैं बोली - “शर्त तो बहुत सिंपल है, आज रात आपको मेरी ननद की कुँवारी कोरी गान्ड मारनी होगी…”
-----समाप्त----
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