Hindi Kamuk Kahani बरसन लगी बदरिया
02-07-2019, 01:50 PM,
#4
RE: Hindi Kamuk Kahani बरसन लगी बदरिया
कुछ देर की हिचकिचाहट के बाद मीता के हाथ मेरे स्तनों पर घूमने लगे और मैं उत्तेजित होकर उस सुकुमार कन्या के स्तन और जोर से मसलने लगी। तभी फोन की घंटी की कर्कश आवाज ने हमारी इस धुंद रति को रोक दिया। मीता फोन उठाकर बात करने लगी। मैं उसकी चूंचियाँ हाथ में पकड़कर उससे पीछे से चिपक गई और हचक-हचक कर धक्के मारने लगी जैसे उसे पीछे से चोद रही होऊँ ।

मेरी चूंचियाँ उसकी नग्न कोमल पीठ पर रगड़ रही थी।

“येस? अच्छा तो साले जी है… हाँ कहिये? मैं सब समझती हूँ… मेरी नहीं, इस सेक्सी मौसम में आपको मेरी नहीं, अपनी बहनजी की याद सता रही होगी…”


मीता की चुचियों का मर्दन करते हुए मैं सब सुन रही थी। मैं समझ गयी कि वह मेरे भाई संजय से बात कर रही है। मेरी शादी से ही वह उसे ‘साले जी’ कहकर चिढ़ाती थी। फोन पर संजय है यह समझ में आते ही मैंने उसके निप्पलों को उंगलियों से मसला और दूसरे हाथ से उसकी चूत कसकर पकड़ ली ।

वह ‘आह’ कर उठी और संजय ने पूछा कि क्या हुआ?

मैंने फोन मीता के हाथ से खींचकर हँसते हुए संजय से कहा- “इस मस्त मौसम में वह तुम्हारी आवाज सुनकर सिसक रही है, अगर तुम आ जाओ तो…”

संजय बोला- “ठीक है मैं आ रहा हूँ, पर रात भर रुकुंगा…”

मैंने मीता को बताया- “देखो, संजय आ रहा है, लगता है आज तो बरसात होकर ही रहेगी…”

वह शरमा गयी और बोली - “हाँ, मैं जानती हू…”

अचानक मैंने गौर किया कि मीता के कपड़े तो नीचे उसके कमरे में होंगे इसलिए मैंने उसे अपनी एक धानी साड़ी पहना दी , जो सावन की इस छटा से मेल खा रही थी। मैंने भी एक ऐसी ही साड़ी पहन ली ।

मीता ने साड़ी तो पहन ली पर फिर तुनक गयी- “भाभी आपकी चोली तो…”

मेरे पास इस समस्या का भी समाधान था- “देखो, अभी हमारे पास समय नहीं है, संजय ने पास से ही फोन किया था, वह आता ही होगा। तुम मेरी ये स्ट्रिंग वाली चोली पहन लो। यह बैकलेस है और इसे पीछे से बांध सकते हैं। ब्रा अभी रहने दो…” उसके कुछ कहने के पहले मैंने उसे अपनी बैकलेस चोली पहना दी और पीछे से कसकर डोरी उसकी पीठ पर बांध दी । उन कपों में कस जाने के बाद उसके टेनिस की गेंदों जैसे स्तन तनकर खड़े हो गये और ऊपर उभर आये।


उसे यह पता नहीं था कि वह लो कट चोली है और उसमें से उसकी जवानी का माल साफ दिख रहा है। मैंने उसके निपल कस के दबाये और वे भी कड़े होकर उभर आये।

बेल बजी और वह भागकर दरवाजा खोलने चली गयी कि शायद संजय आ गया। भैया ज़रूर आये थे पर मेरे नहीं, उसके… 

मेरा पति राजीव ओफिस से जल्दी आ गया था। यह समझकर कि मैं हूँ, उसने मीता को ही कसकर आलिगन में समेट लिया। पीछे से मेरे हँसने पर उसे अपनी गलती समझ में आयी। पर जब उसने मेरी ननद की ओर देखा तो उसकी निगाह. मीता के जवान उरोजो पर अटक गयीं जो उस तंग लो कट बैकलेस चोली में बंध कर गर्व से सीना तान कर खड़े थे।

अपने स्तनों का उभार छुपाने के लिए मीता ने आंचल लेना चाहा पर मैंने हँस के उसका आंचल उसके मम्मों के बीच समेट दिया। मैं समझ गयी थी कि मेरा पति बहुत उत्तेजित हो गया है, उसके पैंट में तंबू दिखायी देने लगा था।

जब हम अपने कमरे में आये तो मैंने तुरंत उसे हाथ में जकड़ लिया और बोली - “अगर चोली के अंदर से देखकर ये हाल हो रहा है तो एक बार जब हाथ में आ जायेगा तो क्या होगा? तुम कुछ भी कहो, अब यह साबित हो गया है कि मेरी छोटी सी ननद पर तुम मरते हो…” यह कहकर मैं उसकी गोद में बैठ गयी और उसके प्यासे होंठों को चूमकर पूछा- “क्यों कैसा लगा मेरी ननद का _रूप

“बड़ी हो गयी है…” उसने कबूल किया।

मैं अपने नितIब उसके तनकर खड़े लंड पर रगड़ती हुई बोली - “बड़ी हो गयी है या बड़ा हो गया है। मैं उसको बुलाती हूँ, एक बार फिर जरा कस के पकड़ के देखो…”

वह मुझे रोकता रह गया पर मैंने मीता को हांक मारकर बुला ही लिया।

वह बेचारी आंचल में अपनी जवानी छुपाने की कोशिस करती हुई आई पर उससे उसके किशोर स्तन और उभरकर दिख रहे थे। मै अपने पति की गोद में ही बैठी रही और उसके लंड में फिर से होती उत्तेजना का आभास मुझे होता रहा। मैंने मीता को रसोई के बारे में विस्तार से हिदायत. दी । मैंने उससे कहा कि आराम से
समय लेकर तैयारी करे क्योंकी आज संजय आ रहा है और उसे खुश करना ज़रूरी है।


उसने पूछा कि भाभी, भैया को कुछ चाय या नाश्ता चाहिये होगा?

मैंने मना कर दिया। कहा कि उन्हें बाहर जाना है इसलिए वह सब तैयारी कर ले और मैं फिर आकर खाना पकाने में उसकी सहायता करूँगी।

उसके जाते ही मैंने दरवाजा लगाकर सिटकनी चढ़ा दी और वापस राजीव के पास आ गयी। वह समझ गया कि मीता अब रसोई में घंटे भर तो व्यस्त रहेगी। 

मैंने जिप खोलकर उसका लंड निकाल लिया और अधीरता से उसे चूसने लगी। फिर उसे लिटाकर मैं उसपर चढ़ गयी और ऊपर से मन भर के जबरदस्त चुदाई की। कुछ देर बाद मैं नीचे थी और वो ऊपर थे। मैं सिसकारियाँ भर भरकर बोलती रही - “आह… ओह… प्लीज़ और कस के चोदो… हाँ, ऐसे ही …” पलंग के चरमराने के साथ ही मेरी पायल खनक रही थी और मीता को वह सुनाई दे रही होगी, मैं जानती थी।

जब हमारी चुदाई समाप्त हुई तो राजीव थक कर लस्त हो गया था। मैं किचन में आयी तो मीता अपनी मुस्कान नहीं छुपा पाई- “क्यों भाभी, भैया को नाश्ता करा दिया?”
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