Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:06 PM,
#81
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"रिकी, तुम और शीना ही जाओ... वैसे भी तुम लोग ही देखने वाले हो यह प्रॉजेक्ट... और हां, अगर मेरी इज़्ज़त करते हो तो ज्योति को भी ले जाओ, ठीक है वो प्रॉजेक्ट में नहीं रहेगी, लेकिन यह उसे अच्छा लगेगा... लेकिन मर्ज़ी तुम्हारी है.. ऑल दा बेस्ट" अमर ने रिकी से कहा और बिना उसका जवाब सुने अंदर चला गया



अमर की बात सुन रिकी एक असमंजस में फस गया, दिल से वो ज्योति को ले जाना चाहता था, लेकिन शीना की वजह से वो उसे नही ले जा पाएगा यह सोच वो दुविधा में ही था के उसके मोबाइल पे एसएमएस आया



"ज़्यादा नही सोचो, ले चलो साथ में.. आइ आम फाइन" शीना का एसएमएस पढ़ उसके चेहरे पे स्माइल आ गयी और तीनो विलसन की टीम के साथ महाबालेश्वर निकल गये..






"मुबारक हो रिकी... नया रिज़ॉर्ट....... बहुत बहुत मुबारक हो..." उस शक़्स ने एक काग़ज़ पे लिखा और फिर जला दिया..

"ओके मिस्टर राइचंद, वी आर गुड टू गो, वी कॅन स्टार्ट वेनेवर यू से.. " विलसन ने रिकी से कहा जब सब लोग ज़मीन देख आए थे...



"लेट'स स्टार्ट इमीडीयेट्ली, आइ मीन प्लीज़ अस्क युवर टीम व्हेन कॅन दे बी हियर, आंड वी आर फाइन.. डॉन'ट वॉंट टू डेले दिस एनीवे" शीना ने तपाक से विलसन को जवाब दिया



"हः, एग्ज़ाइटेड यंग लेडी, आइ लाइक दिस एन्थुसिअस्म... नो प्राब्लम एमेस राइचंद... आइ विल अस्क माइ टीम टू बी हियर इन 3 डेज़...आइ शल टेक आ लीव नाउ पीपल.. हॅव आ गुड डे" विलसन ने सब से हाथ मिलाया और वहाँ से चला गया.. रिकी ने फोन करके अमर को सब बताया, अमर को बहुत खुशी थी इस बात की, बहुत ही जल्द उसका बेटा अपने पहले बड़े काम की ओर बढ़ने वाला था.. अमर ने यह खबर राजवीर और सुहसनी को सुनाई तो वो दोनो भी बहुत खुश हुए



"यह तो बहुत अच्छी बात है भैसाब, बचे सेट्ल हो जाएँगे इससे ज़्यादा हमें क्या चाहिए... काश..." राजवीर इतना कहके रुक गया और उसकी यह बात अमर ने पूरी की



"काश विक्रम हमारे बीच होता राजवीर, यह देख आज वो भी बहुत खुश होता" अमर की आँखें हल्की सी नम हुई यह कहते कहते पर सुहसनी ने उसे संभाल लिया



"वुहू...... फिनल्ल्लययययी येअह यअहह..." शीना सोफा पे कूद कूद के बच्चों की तरह चिल्लाने लगी... तीनो इस वक़्त राइचंद'स के महाबालेश्वर वाले घर में थे



"हाहाहा, ईज़ी ईज़ी डियर.. अभी काम शुरू नहीं हुआ..." रिकी ने हल्की हसी के साथ उसे कहा



"अरे हुआ नहीं है तो 3 दिन में हो जाएगा... अब कैसी फ़िक्र है,आइ एम सो हॅपी फाइनली हमारा अपना, हमारे अपने नाम का एक रिज़ॉर्ट होगा... एक्सक्लूसिव हम दोनो का..मैने तो नाम भी सोच रखा है" शीना काफ़ी उत्साह में थी, वो नहीं जानती थी कि खुशी खुशी में उसकी एक बात ज्योति को काफ़ी चुबी



"अच्छा, क्या नाम रखोगी जी, हमें भी बताओ.." रिकी उसकी बातों में साथ देने लगा था



"आरएस..." शीना ने जवाब दिया, रिकी अभी भी उसके आगे कुछ उम्मीद कर रहा था, लेकिन शीना ने अपनी आँखें दिखाई उसे



"आरएस.... बस इतना ?" रिकी ने शीना से पूछा



"इतना ही मतलब, हम को कहाँ किसी के खानदान का नामकरण करना है.. आरएस ईज़ हमारा नाम, आंड आरएस स्टॅंड्स फॉर रॉ सीज़न्स ऐज वेल.. रॉ सीज़न्स इसलिए बिकॉज़ दिस विल बी बेस्ड ऑन हिल्स, तो यहाँ ठंडी भी एक्सट्रीम आंड गर्मी भी एक्सट्रीम, बारिश भी काफ़ी होती है.. तो हर सीज़न का मज़ा फुल फ्लो में आता है, इसलिए रॉ सीज़न्स, मैने वैसे फोर सीज़न्स सोचा था, बट देन देअर ईज़ आ रिज़ॉर्ट ऑफ सेम नेम इन बलि ऐज वेल.. इसलिए यह.. आंड लोगो भी डिज़ाइंड है... यह देखिए" कहके शीना ने अपना फोन निकाला और उसे दिखाने लगी... रिकी कुछ और कहता उसके पहले शीना फिर बोल पड़ी
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07-03-2019, 04:07 PM,
#82
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"डॉन'ट अस्क मी वाइ ब्लू कलर.. ब्लू इस ऑल्वेज़ आ कलर ऑफ विक्टरी.. हमारी नेवी भी कहीं जाती है ना तो देयर फ्लॅग ईज़ ब्लू इन कलर आंड यूनिफॉर्म भी.. सो व्हाट वी विल डू के यह ब्लू लाइट से जलेगा और रिज़ॉर्ट के टॉप, यानी टेरेस पे एक बड़ी सी होरडिंग लगेगी आरएस की, जो ऑलमोस्ट सब लोगों को दिखेगी महाबालेश्वर में... और एंट्री गेट के दोनो साइड्स पे थोड़ी छोटी लेकिन नॉर्मल सी बड़ी सेम लाइट्स.. आरएस की" शीना ने एक साँस में रिकी से सब कहा



"या या दट'स गुड, सब सोच रखा है तो अब मैं कैसे मना करूँ.." रिकी ने एक नज़र मोबाइल पे डाल के शीना को जवाब दिया, पर जैसे ही उसकी नज़र ज्योति पे पड़ी तो वो समझ गया कि वो कुछ खफा सी है



"ज्योति, हाउ ईज़ दिस... " रिकी ने ज्योति को मोबाइल पकड़ते हुए कहा और उसे लोगो दिखाया.. अब तक ज्योति जो अकेला महसूस कर रही थी, रिकी की तरफ से यह जेस्चर देख उसे बहुत अच्छा लगा, रिकी ने उससे जो कहा था वो उसे सही लगने लगा था.. रिकी शीना और ज्योति में कोई फरक नहीं कर रहा था...



"दिस ईज़ वेरी ब्यूटिफुल शीना.... नाइस, आंड ऑल्सो इंटेलिजेंट वित दा कलर.." ज्योति ने लोगो को देखा और फिर शीना से यह बात कही



"यस, आइ नो, थॅंक्स डार्लिंग.." शीना ने उसके हाथ से मोबाइल लिया और फिर आगे कुछ कह ही रही थी कि ज्योति ने उन दोनो को टोक दिया



"उः, गाइस, आइ गेस मुझे घर के लिए निकलना चाहिए अभी... शाम के 4 हुए हैं, 7 बजे तक घर पहुँच जाउन्गी आराम से.."



"व्हाट, वाइ.... अभी रुक जाओ ना, कल चली जाना.. आंड शायद मुझे भी चलना पड़े कल, " रिकी ने उसका हाथ पकड़ के कहा, शीना ने कुछ कहा नहीं, पर उसकी आँखें रिकी पर ही थी और उसे घूर रही थी



"अरे नहीं भैया, अभी दो दिन में एग्ज़ॅम्स भी तो हैं... उसके लिए पढ़ना बाकी है, आप तो चॅंप हो, पढ़े बिना भी पास हो जाओगे, बट मुझे पढ़ना पड़ेगा ना.." ज्योति ने हल्की सी हसी के साथ कहा



"स्टे बॅक ज्योति प्लीज़.." इस बार शीना ने उसे कहा, लेकिन ज्योति नहीं मानी.. शीना और रिकी दोनो को बुरा लगा उसका जाना, लेकिन कुछ ही देर में ज्योति निकल चुकी थी मुंबई के लिए



"रुकने तक ठीक है, लेकिन हाथ पकड़ लिए आप तो हैं... " शीना ने हल्के से गुस्से से कहा रिकी को और आगे बिना कुछ कहे अंदर चली गयी.. रिकी भी उसके पीछे पीछे अंदर गया और जाके दोनो आमने सामने बैठ गये, लेकिन कोई किसी से कुछ बात नहीं कर रहा था..



"अब कुछ बोलो भी, यू नो साइलेन्स किल्स मी" शीना ने रिकी से कहा जब 5 मिनट तक उसने कुछ नहीं कहा



"क्या कहूँ शीना... मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा वो ऐसे चली गयी, आइ मीन यहाँ होते हुए भी वो अकेली थी, पता नहीं क्यूँ उसके साथ ऐसा बिहेवियर हो रहा है.." रिकी ने परेशानी में आके थोड़ा उँची आवाज़ में शीना से कहा



"सो, व्हाट'स रॉंग... लेट मी टेल यू, मेरी कोई पर्सनल दुश्मनी नहीं है उससे.. मैं कभी उसे कुछ नहीं कहती ना ही करती हूँ, आंड हमारे रिलेशन्षिप की बात रही तो आइ आम वेरी पोज़ेसिव अबाउट इट ओके... और अकेली फील कर रही है तो मैं क्या करूँ, मैने उसे कोई इन्वाइट नहीं दिया था यहाँ रुकने के लिए... अगर इतना ही अकेलापन खटक रहा है उसका तो उसे भी इन्वॉल्व कर लो ना प्रॉजेक्ट में... फर्गेट, मैं निकल जाती हूँ बस, इफ़ दिस मेक्स यू हॅपी अबाउट हर.. बिग डील.." शीना ने झल्ला के कहा और उतनी ही तेज़ आवाज़ से रिकी को जवाब दिया



"अंडरस्टॅंड मी शीना, बात को कहीं से कहीं घूमाओ नहीं, रिमेंबर शी ईज़ अवर सिस्टर.. अब वो हमारे साथ रह रही है, इफ़ इट ईज़ नोट और ड्यूटी टू मेक हर फील गुड, देन वी शुड ऑल्सो सी तट शी शुड नोट फील अलोन वित अस..." रिकी आज शीना की कोई बात नहीं सुन रहा था



"एग्ज़ॅक्ट्ली, नन ऑफ दिस ईज़ माइ ड्यूटी, इधर लाने को डॅड ने कहा था, उसको इधर रुकने को भी भाभी ने कहा था, मैने नहीं समझे आप..." शीना का गुस्सा भी सर चढ़ के बोल रहा था, लेकिन अगले ही पल उसे एहसास हुआ के उसने क्या कहा यह



"शीना, आइआम लीस्ट कन्सर्न्ड अबाउट उसे किसने रोका था, मैं जस्ट यह कह रहा हूँ कि अगर वो हमारे साथ है तो हम उसे पराया क्यूँ कर रहे हैं, क्यूँ उसको महसूस करवायें कि वो हमारी नहीं है, आंड सडन्ली इतनी नफ़रत क्यूँ तुमको उससे, जब जब वो यहाँ आती थी यू वर लाइक बेस्ट ऑफ बडीस, सडन्ली इस बार क्या हुआ है..." रिकी ने शायद गुस्से में उसकी बात नहीं सुनी पूरी पर इस बार उसकी आवाज़ थोड़ी हल्की थी
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07-03-2019, 04:07 PM,
#83
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"मैने ज्योति को हमारे बारे में बता दिया है..." शीना ने सीधे मूह रिकी से कहा.. शीना की बात सुन रिकी शायद समझा नहीं



"क्या..." रिकी ने फिर उसकी बात समझने की कोशिश करते हुए पूछा, लेकिन अगले ही पल उसे एहसास हुआ कि शीना ने क्या कहा



"क्य्ाआअ..... आर यू क्रेज़ी शीना.. तुम जानती हो तुम क्या कह रही हो, यह बात किसी को बताने जैसी नहीं है, आंड तुम हो कि सब को सामने बताती फिर रही हो... व्हाट दा हेल ईज़ रॉंग " रिकी जैसे इस बात को मान ही नहीं रहा हो



"नतिंग... मैने उसे बता दिया बस, अभी शी नोस अबाउट अस.. आंड मुझे इसमे कुछ छुपाने जैसा नहीं लगा इसलिए बता दिया..." शीना ने एक नज़र फिर रिकी को देखा जो उसे ही घूर रहा था



"व्हाट.. बता दिया तो क्या हुआ, आर यू अशेम्ड ऑफ मी ओर दिस रिलेशन्षिप..." शीना ने अपने हाथ रिकी की तरफ बढ़ते हुए कहा



"नतिंग लाइक दट, आंड हमारा रिलेशन्षिप क्या है..." रिकी ने अपनी आँखें बड़ी करके शीना को देख के पूछा... शीना उसकी बात सुन खामोश हो गयी, उसके पास इस बात का कोई जवाब नहीं था



"टेल मी, हमारा रिलेशन्षिप क्या है आज की डेट में... व्हाट ईज़ दा नेम ऑफ दिस रीलेशन शीना" रिकी ने आवाज़ पे थोड़ा काबू रखा लेकिन अंत में उसकी आवाज़ उँची हो ही गयी



रिकी के मूह से यह बात सुन शीना खामोश रही, उसे अब एहसास हुआ कि रिकी क्या कह रहा था इतनी देर से.. आज ना तो वो भाई बहेन थे, ना ही पति पत्नी... शीना अपने ख़यालों से जूझ रही थी कि रिकी ने फिर उसका ध्यान अपनी ओर खींचा



"शीना, सोसाइटी में इसे इन्सेस्ट कहते हैं.. दिस ईज़ तबू इन और सोसाइटी, डू यू गेट दिस... डू यू रीयलाइज़ के तुमने कितनी बड़ी ग़लती की है ज्योति को बता के.. अगर भूल से उसने किसी को कह दिया तो तुम सोच भी नहीं सकती हमारे साथ वो हो सकता है.. आंड फर्गेट क्या होगा, यह सोचा है कि सब से आँखें कैसे मिला पओगि अगर सब को इस बात की भनक भी लग गयी तो... आइ मीन हाउ कॅन यू बी सो स्टुपिड यार.. " रिकी के चेहरे पे उसकी परेशानी सॉफ दिख रही थी... कुछ देर जब दोनो में से किसी ने कुछ नहीं कहा तब रिकी वहाँ से उठ अपने कमरे में चला गया और शीना को लिविंग रूम में अकेला छोड़ गया..



"यह भी ना, खमखाँ की चिंता लेते हैं.. अब इन्हे क्या पता कि मोम भी जानती है हमारे बारे में, जब उन्होने कुछ नही कहा तो कोई और क्या कहेगा.." रिकी के जाते ही शीना ने खुद से कहा



"और वैसे भी, अगर मोम नही कह रही मतलब शी हॅज़ नो प्राब्लम वित दिस रिलेशन्षिप, मतलब वो भी समझती है हमारे प्यार को.. तो फिर कोई अगर कहेगा भी तो मोम साथ ज़रूर देगी हमारा... फिर कैसी चिंता करने की.. यह भी ना, कभी कभी ज़्यादा ही चिंता करते हैं और फिर बहुत सोचते हैं...अब इन्हे मनाओ चलो.." शीना ने फिर खुद से कहा और रिकी को मनाने गयी...


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"ह्म्म्म,, ना, अभी थोड़ी पढ़ाई बाकी है..हां, बस इंपॉर्टेंट तो है थोड़ा..बट" ज्योति किसी से फोन पे बात कर रही थी कि कॉल वेटिंग की टोन उसे सुनाई दी, उसने फोन कान से हटा के देखा तो किसी प्राइवेट नंबर से कॉल आ रहा था



"हे, आइ विल कॉल यू बॅक" ज्योति ने कहा और अगले ही पल वो प्राइवेट नंबर वाला कॉल रेकव किया



"हेलो..हू'ज देअर" ज्योति ने फोन आन्सर कर के कहा



"ख़ामाखाँ तुम महाबालेश्वर से निकल गयी, दो दिन बाद तो तुम्हे वापस आना ही है प्रॉजेक्ट के लिए.." सामने से उसे जवाब मिला, आवाज़ सुन के उसे अंदाज़ा आ गया के सामने कौन है



"बस बातें ही है.. कोई प्रॉजेक्ट में नहीं हूँ मैं.... उधर वो लोग अपने नाम से रिज़ॉर्ट की तैयारी शुरू कर चुके हैं, और तुम मुझे बस ख़याली पुलाव दिखा रहे हो.. आंड एनीवेस, अगर आगे से मुझसे बात करनी हो तो या तो प्रॉपर नंबर से करो या भाभी के थ्रू..." ज्योति ने अपनी आवाज़ को थोड़ा कड़क कर के कहा



"स्नेहा हमारे बीच क्यूँ आएगी, आंड डॉन'ट वरी, अभी 2 दिन हैं... शीना को अचानक कुछ हो जाए तो, फिर तुम्हे ही जाना पड़ेगा ना प्रॉजेक्ट पे तो" सामने से फिर उसे जवाब मिला



"व्हाट डू यू मीन.... तुम क्या करोगे शीना के साथ.. देखो अगर कुछ" ज्योति ने इतना ही कहा के फिर उसकी बात कट गयी



"देखो, मुझसे प्यार से बात करो, जैसे मैं कर रहा हूँ.. आंड शीना को कुछ नहीं होगा फिलहाल, आइ मीन.." सामने से फिर उसे जवाब मिला और फोन कट गया
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07-03-2019, 04:07 PM,
#84
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
ज्योति को कुछ समझ नहीं आया वो क्या करे, उसकी बात सुन के ज्योति को डर लगने लगा था कि कहीं वो शीना को कुछ नुकसान ना पहुँचा दे... थोड़ी देर अपने मन को टटोल के ज्योति ने डिसाइड किया कि वो रिकी से बात करे, और उसको कॉल किया



"हेलो भैया..." ज्योति ने सहमी सी आवाज़ में कहा



"हां ज्योति, पहुँच गयी घर पे..." रिकी ने सामने से पूछा



"नहीं भैया, अभी नही, बट ऐसे ही फोन किया आपको... आइ मीन आर यू गाइस फाइन, शीना और आप ठीक हो.." ज्योति ने धीमी आवाज़ में पूछा



"यस ज्योति, वी आर फाइन, क्यूँ क्या हुआ... शीना इधर ही है मेरे सामने बैठी गाने सुन रही है.." रिकी ने शीना को देख के कहा जो अपनी मस्ती में लगी हुई थी



"ओके,नतिंग, ऐसे ही फोन किया सिन्स यू गाइस आर अलोन तो.. एनीवेस, चलिए टेक केर प्लीज़... बाय.." ज्योति ने राहत की साँस लेते हुए कहा और फोन कट कर दिया



"कौन था स्वीट हार्ट..." शीना ने अपने इयरफोन्स निकाल के रिकी से कहा



"ज्योति, हमारी खबर लेने के लिए फोन किया था, आंड शी साइड टेक केर.. एक वो है जो इतनी चिंता करती है हमारी, और एक तुम हो.." रिकी ने बस इतना ही कहा के शीना ने उसे काट दिया



"हां बाबा जानती हूँ... डॉन'ट वरी, आइ विल सी आगे से उसे ऐसा फील ना हो... और हां, हम भाई बहेन हैं.. भाई बहेन हैं हम, ब्रदर आंड सिस्टर.... बट अब हमारा रिश्ता सिर्फ़ भाई बहेन का नहीं है, अब हमारा रिश्ता कुछ और बन गया है... हमारे रिश्ते का कोई नाम नहीं है और मुझे कोई प्राब्लम नहीं है उससे, अगर मैने किसी को हमारे बारे में बताया भी है तो मैं सब से लड़ सकती हूँ, इतना विश्वास है मुझे खुद पे और आप पे... और इससे ज़्यादा, मुझे विश्वास है हमारे प्यार पे... और हमेशा एक बात याद रखना, प्यार कभी समाज के बारे में नही सोचता, जब मैं आपसे प्यार करने लगी थी तब मैने किसी का नहीं सोचा था, तो अब जब मेरे प्यार को, मेरे दिल को उसकी मंज़िल मिल गयी है तब मैं किसी और के बारे में क्यूँ सोचूँ...आपको डर है के ज्योति किसी को भी बता देगी, लेकिन मेरे प्यार को, मेरे दिल को यकीन है कि हमें कोई कुछ नहीं कर पाएगा ना ही ज्योति किसी से कहेगी.." शीना रिकी के सामने आके खड़ी हुई और उससे आँख से आँख मिला के देखते हुए यह सब कह दिया... शीना को ऐसे देख रिकी एक पल को तो शॉक हो गया, लेकिन फिर अगले ही पल उसने कहा



"इतना यकीन ज्योति पे कब से..."



"उसे बताए आज 10 दिन से भी ज़्यादा हो गये हैं, अब तक किसी को नही बताया उसने, तो अब क्या बताएगी.. कामन सेन्स है यह भाई..." शीना ने जैसे ही अपनी बात ख़तम की तब उसे एहसास हुआ कि आज कितने वक़्त के बाद उसने रिकी को भाई कहा था..



"ह्म्म्म्म , तो भाई बना दिया फिर से तुमने मुझे.." रिकी ने एक शरारती मुस्कान के साथ उसकी कमर में हाथ डाल के कहा



"ह्म्म्मस, अब बोल दिया तो बोल दिया.. इसमे क्या कर सकती हूँ मैं.." शीना ने एक कातिल मुस्कान देके उसे जवाब दिया



"तो अब...भाई का काम करूँ, या लवर का..." रिकी ने उसके चेहरे को अपने हाथ में ले लिया और उसके बालों के साथ खेलने लगा



"वैसे भी आज आपने कहा अब हमारा इन्सेस्ट रीलेशन है... तो लवर का काम भाई बन के करो, मैं भी देखूं यह इन्सेस्ट की फीलिंग क्या होती है.." शीना ने अपनी बाहें रिकी के गले में डाल दी और दोनो के होंठ नज़दीक आने लगे...

"उम्म्म्ममम.....मुझे तो पता ही नही था के मेरी बहेन के होंठ इतने रसीले हो सकते हैं.." रिकी ने शीना से कहा, दोनो रूम में खड़े खड़े एक दूसरे के होंठ चूस्ते फिर किस तोड़ के एक दूसरे की आँखों में देखते



"तो फिर रुक क्यूँ गये... कम हियर ना.... उम्म्म्ममाहहहाहाः " शीना ने फिर रिकी को अपने पास खीचा और दोनो फिर एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे... चूमते चूमते शीना ने अपना टॉप उतार दिया और रिकी की शर्ट के बटन भी खोल दिए



"उम्म्म्मम अहहाहा एस सक मी भाई अहहहहहाआ... शो मी अहहाहहः व्हाट दा फक अहाहौमम्म्ममम ....... इन्सेस्ट क्या है उम्म्म अहआएेसस्स्साहह..." शीना चूमते चूमते कहने लगी...
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07-03-2019, 04:07 PM,
#85
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
चूमते चूमते दोनो एक दूसरे की बाहों में खो से गये, रिकी की शर्ट उतार चुकी थी और शीना की ब्रा भी रिकी ने उतार फेंकी थी... शीना के दोनो चुचे बाहर आते ही रिकी ने उन्हे अपने हाथों में ले लिया और धीरे धीरे मसल्ते मसल्ते फिर से उसके होंठों पे टूट पड़ा, शीना के होंठ और चुचे दोनो इस वक़्त रिकी के एहसास का मज़ा ले रहे थे,



"उम्म्माओह ईएअहह.." शीना की सिसक छूट गयी एक, रिकी ने अपना एक हाथ नीचे खिसका दिया और उसकी जीन्स के उपर से ही उसकी चूत को दबाने लगा...



"ओह एसस्स्स्स्सूहह.... ज़ोर से मस्लो भाई उफफफ्फ़ अहहहहा...." शीना मज़े से अपने चेहरे को पीछे हवा में ले गयी, जिससे उसके चुचे तंन के फिर रिकी की आँखों के सामने आ गये, रिकी ने फिर अपनी जीभ शीना के एक निपल पे रख दी और उसे मज़े से चूसने लगा, साथ ही एक हाथ की उंगली शीना की चूत की लकीर पे घुमाने लगा और दूसरे हाथ की एक उंगली शीना के मूह में दी जिसे शीना मदहोशी से चूस रही थी..



"अहहाहा यस अहाहाहम्म्मा सक माइ बूब्स भाई..अहहहा यस उम्म्म्ममममममममम, नाउ दिस वन आहहाहाहहा..." कहके शीना ने रिकी के चेहरे को अपने चुचों से दूर किया और फिर उसके होंठों को चूसा और तुरंत ही अपने दूसरे चुचे के निपल पे रखा जिसे रिकी फिर चाव के साथ सक करने लगा...



"उहमम्म्मम...ओह्ह्ह अहहहा ईसस्स्स्स्स्साहा....लेट मी अहहहहा.." शीना कुछ नही कह पाई इसके आगे, बस अपना हाथ रिकी के बालों से निकाली और नीचे रिकी की जीन्स के बटन को खोल के उसके लंड को उसके अंडरवेर से ही सहलाने लगी...



"अहहहौमम्म... भाई, दिस ईज़ अहहहहा नाइस फीलिंग अहहाहा य्स्स...." कहके शीना ने अपना अंगूठा रिकी के अंडरवेर के साइड में रखा और उसे नीचे खिसका दिया.... देखते ही देखते रिकी का लंड अब शीना की हथेलियों में था जिसे शीना ने मज़बूती से पकड़ा और उपर नीचे करने लगी... रिकी शीना के चुचों को चूस चूस के लाल कर चुका था, और शीना ने भी लंड हिलाते हिलाते अपने नाख़ून को उसके लंड के टोपे पे रगड़ने लगी और रिकी को मज़ा देने लगी..



"अहहहफ़ूउऊुुुउउ फक अयू अहहहा.." रिकी के मूह से निकला जैसे उसके शरीर में एक मज़े की लहर दौड़ पड़ी...



"अहाहौह तो फक मी ना भाई, किसने रोका अहहहहा है...उम्म्म्ममम.." शीना ने जवाब दिया और रिकी के चेहरे को अपने चुचे से हटाया और फिर उसके होंठों को चूसने लगी और उसके दोनो हाथ अपनी जीन्स के बटन पे रख दिए, रिकी ने भी इशारा समझा और उसकी जीन्स को उसके शरीर से अलग कर दिया, जब शीना की पैंटी से उसकी चूत की लकीर पे हाथ

रखा तो शीना की चूत एक दम भीग चुकी थी, बिना वक़्त गँवाए रिकी ने उसकी पैंटी को भी उसके शरीर से अलग कर दिया और उसके होंठ चूस्ते चूस्ते उसकी चूत को भी सहलाने लगा...



"उम्म्म अहहहा.... कैसी है इन्सेस्ट फीलिंग भाई आहहहहा..." शीना ने अपने होंठ अलग कर दिए और रिकी की आँखों में देखते हुए कहा और लंड हिलाना जारी रखा..



"अहहहा, टेल मी ना भाई.. इज़्न'ट इट फन , हियर वी गो ओके.." शीना ने फिर एक मदहोशी की आवाज़ में कहा और अपने नाख़ून रिकी के टट्टों पे गढ़ाने लगी



"आअहव, इट्स फन बहेन मेरी अहहहा... येस्स अहहा उफ़फ्फ़...." रिकी ने बस इतना जवाब दिया और फिर उसके होंठों पे टूट पड़ा...



दोनो खड़े खड़े यह सब कर चुके थे, रिकी चूमते चूमते शीना को पास रखे बेड पे ले गया और उसे धक्का देके सुला दिया



"अहहाहा हाहाहा, नो नो... नोट हियर... कम वित मी..." शीना ने बेड से उठ के कहा और रिकी के होंठों को चूस्ते चूस्ते फिर उसे कमरे के बाहर ले आई, बाहर आके दोनो किचन के अंदर पहुँच गये, किचन टेबल पे जाके शीना लेट गयी और रिकी को 69 की पोज़िशन में आने को कहा..



"इट विल बी फन भाई अहहाहा.... फक युवर सिस लाइक आ पॉर्न स्टार टुडे हहही.. कम ऑन ना भाई" शीना ने रिकी से कहा और रिकी शीना की बताई हुई पोज़िशन में आ गया.

शीना की लाल चूत देख रिकी ने जल्दी से अपनी जीभ शीना की चूत पे रख दी और उसे चाटने लगा..



"आहहहहहहवह...." शीना रिकी की जीभ महसूस करके सिसक सी गयी, आगे कुछ बोल पाती उससे पहले उसकी लाल नशीली वासना भरी आँखों के सामने रिकी का लंड मौजूद था, उसे अपने मूह ठूंस दिया और बड़े प्यार से किसी लॉलीपोप की तरह चूसने लगी



"अहहहहौमम्म भाई अहाहा यस सक हार्ड अहहहाहा गुणन्ञन् गन... स्लूर्रप्प आहहाहहा.. स्लूर्रप्प्प्प गुणन्ञन् अहहहा.." शीना रिकी का लंड चूस्ते चूस्ते बीच में रिकी से कहती और नीचे रिकी उसकी चूत को गहराइयों से चाटने में लगा हुआ था, उसकी जीभ जैसे किसी ड्रिल मशीन के जैसे गहराइयों में जा रही थी...



"आहहा यस भाई..अहहाहा यस सक मी फास्टर अहहहाहा...न ओह्ह्ह्ह आइ एम कमिंग अहहा भाई, आइएम कमिंग.." शीना ने जैसे ही यह चेतावनी देके रिकी के सर को अपनी चूत के उपर ही दबाना चाहा, रिकी ने उस वक़्त अपनी जीभ बाहर निकाली, और शीना कुछ समझती उससे पहले अपने लंड को उसके मूह से आज़ाद किया और उसकी गरम भीगी चूत में अपने लंड को घुस्सा दिया और धक्के लगाने लगा..



"आहाहा.. यस भाई अह्हौम्म्म.... हाउ इट फील्स भाई, अहाहहा अपनी बहेन को किचन टेबल पे अहाहहा यस फास्टर भाई...." शीना मज़े से आँखें बंद की हुई रिकी से कह रही थी













"अहहाहा यस भाई, बोलो ना उम्म्म्म फ़फफुऊऊउुआ आहहहहा...."



"उम्म्म्म अहहाहा... बहुत अच्छा लग रहे है शीना अहहहा.... उम्म्म.." रिकी अपने धक्के लगाते हुए कह रहा था और हाँफ रहा था...



पूरे घर में इन दोनो के अलावा और कोई नहीं था , किचन से चुदाई की आवाज़ पूरे घर में गूँज रही थी, शीना और रिकी के चिल्लाने की आवाज़ से ऐसा लग रहा था मानो कोई ब्लू फिल्म चल रही हो वहाँ..



"अहहहहा भाई यस आइ एम कमिंग अहह्ा,हार्डर आहाः फास्टर प्लेआसी अहहहाआ..."



"मैं भी आ रहा हूँ मेरी बहेन अहहहाआ..... यस ओह.." रिकी ने चेतावनी देके जैसे ही लंड बाहर निकाला शीना ने हाथ आगे करके उसके लंड को वापस अंदर किया



"नो भाई अहहा कम इन मी प्लीज़...."



रिकी के दो धक्के और, दोनो एक साथ झाड़ गये, और रिकी ने अपना पानी शीना की चूत के अंदर ही डाल दिया..




दोनो किचन टेबल पे एक दूसरे के उपर पड़े थे और अपनी बिखरी हुई साँसें इकट्ठा कर रहे थे.. काफ़ी देर बाद जब दोनो की साँसें नॉर्मल हुई,



"वी शुड यूज़ प्रोटेक्षन नाउ... आज वी लॉस्ट और कंट्रोल..." रिकी ने शीना को चूम के कहा, दोनो किचन की ज़मीन पे लेटे हुए थे



"नो... आइ विल मॅनेज दिस फ्रॉम माइ एंड, आंड डॉन'ट वरी...आइ विल टेक दा पिल... फिलहाल लेट मी फ्रेशन अप आंड खाने का बंदोबस्त कीजिए.." शीना ने जवाब दिया और वहाँ से उठके अपने कपड़े लेके फ्रेश होने चली गयी.. कुछ देर में रिकी ने भी खुद को दुरुस्त किया और फ्रेश होके वापस लिविंग रूम में आ गया...



"तो खाना क्या खओगि आज, कोई कुक भी नहीं है अब तो."रिकी ने सामने से आती हुई शीना को कहा जो नहाने के बाद एक दम तरो ताज़ा लग रही थी
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07-03-2019, 04:08 PM,
#86
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"सो व्हाट, आप कुछ लेके आओ, आइ विल कुक हियर... एक काम करो, गेट सम रॉ चिकन, सम डो आंड सम फ्रेश वेजिटेबल फॉर सलाद... आज चिकन करी खिलाती हूँ आपको मेरे हाथ की.." शीना ने अपने बालों को बाँधते हुए कहा और रिकी के पास बैठ गयी



नहाने के बाद की खुश्बू से रिकी पागल हुआ जा रहा था, शीना जब उसके पास बैठी तो रिकी बस उसकी ज़ुल्फो और उसके बदन की खुश्बू में कहीं खोने सा लगा था..



"उम्म्म्म.....अहहहः.. युवर स्मेल सो नाइस.." रिकी ने अपने चेहरे को शीना के चेहरे के पास ले जाके कहा



"नो नो... अभी जाके खाना लाओ, फिर बाद में मुझे स्मेल करना ओके.." शीना ने रिकी को धक्का देते हुए कहा



"हाहहाअ, ओके, आइ विल बी बॅक इन आ जिफी..यू टेक केर ओके.." रिकी ने कहा और बाहर खड़े सेक्यूरिटी गार्ड को हिदायत दी कि शीना का ध्यान रखे वो अकेली है तो और खुद मार्केट की तरफ चल पड़ा..






"अब वो अकेली है... हमारे काम के लिए इससे बेहतर वक़्त नहीं हो सकता, जल्दी करो चलो.." उस शख्स ने किसी को फोन पे बड़े आराम से कहा और फोन कट कर दिया


"कितने दिन लगेंगे डॉक्टर इसे ठीक होने में.."



"उम्म्म, कुछ कह नहीं सकते, मे बी 2 दिन या उससे ज़्यादा..."



"उससे ज़्यादा कितना डॉक्टर, 3 दिन 4 दिन एक महीना आख़िर कितना.." रिकी ने चिल्ला के डॉक्टर से पूछा जो इस वक़्त शीना के कमरे में खड़ा था



"अपने गुस्से पे काबू रखें आप, और रही बात ठीक होने की, हां फ्रॅक्चर है लेकिन मामूली चोट नहीं है.. 2 दिन में अगर रिकवरी होती भी है तो भी इन्हे सपोर्ट के बिना चलने में काफ़ी वक़्त लग जाएगा, यह हिस्सा देख रहे हैं.. यह हिस्से पे हमारे पेर का एक बहुत ही नज़ूक सा मसल है जो काफ़ी क्रिटिकल होता है, जिसके सपोर्ट पे हम खड़े रह सकते हैं... जिसने भी इन्पे वार किया है वो इन्हे कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुँचना चाहता था, बहुत ही ध्यान से और एक दम सावधानी से उसने शीना के इस हिस्से पे ही वार किया है... यह तो अच्छा हुआ आप टाइम पे इन्हे यहाँ ले आए, नहीं तो..." कहते कहते डॉक्टर रुक गया



"कोई बात नहीं डॉक्टर, अपने बेटे के बदले मैं आपसे माफी माँगता हूँ.." अमर ने डॉक्टर से कहा और दोनो बाहर चले आए.. शीना के कमरे में इस वक़्त काफ़ी चिंता भरा माहॉल था, सुहसनी रो रोके आधी हो चुकी थी तो वहीं ज्योति और राजवीर भी काफ़ी घबरा गये थे.. अमर और रिकी एक दूसरे को संभाले हुए थे, भले ही आँख से कुछ ना दिखाए, लेकिन दिल रिकी का भी रो रहा था.. उसका प्यार, उसकी ज़िंदगी, उसकी बहेन शीना, इस वक़्त उन सब के सामने बेहोश पड़ी थी... कोई किसी से बात नहीं कर रहा था, सब के मन में अलग अलग सवाल और अलग अलग भावनाए थी... रिकी शीना के पास ही बैठा था और बस उसे ही देखता जा रहा था, कमरे में आती हल्की रोशनी से शीना के मासूम चेहरे पे आज भी वैसी ही चमक थी जैसी रिकी ने उस सुबह बलि में देखी थी, लेकिन तब शीना काफ़ी खुश थी, और आज शीना बेहोश पड़ी है.. शीना के हाथ को अपना हाथ में लिए रिकी यूही बैठा रहा और बस उसे ही देखता रहता



"अरे भाई, चलो, अब चल के कुछ खाते हैं... डॉक्टर ने कहा है शीना जल्दी होश में आएगी, घबराने की कोई बात नहीं..." अमर ने कमरे के अंदर आते हुए कहा.. अमर की आवाज़ सुन सब अचानक डर से गये, ऐसी खामोशी में अमर की कड़क आवाज़ ने जैसे सब को अंदर से हिला दिया.. सब ने जब उसे देखा तो वो बिल्कुल नॉर्मल लग रहा था, राजवीर अच्छे से जानता था कि अमर खुद को संभाले हुए हैं लेकिन डर वो भी गये हैं ऐसे हमले से.. अमर की बात पे किसी ने कोई जवाब नहीं दिया और बस बाहर चलने लगे..



"रिकी, चलो बेटा... शीना ठीक हो जाएगी, डॉन'ट वरी..." अमर ने रिकी से कहा जो अब तक शीना का हाथ पकड़े हुए बैठा था, लेकिन अमर की बात सुन उसने कोई जवाब नहीं दिया



"रिकी, बेटा, चलो अब... खाना ख़ाके वापस आ जाओ.." अमर ने फिर आगे बढ़ के कहा, लेकिन इस बार भी रिकी ने कोई जवाब नहीं दिया



"रिकी...." अमर ने रिकी के कंधे पे हाथ रख के कहा



"आइ हर्ड यू दा फर्स्ट टाइम डॅड.... " रिकी ने अमर को बिना देखे कहा और शीना का हाथ नहीं छोड़ा.. अमर समझ गया रिकी क्या कह रहा था, मौके की नज़ाकत को देख के भी उसने कोई बहेस नहीं की और वहाँ से निकल गया...



"आइ आम सो सॉरी शीना...मुझे तुम्हे बिल्कुल अकेला नहीं छोड़ना चाहिए था, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो..." अमर के जाते ही रिकी के आँसू निकल पड़े और शीना का हाथ पकड़ के सामने पड़ी बेहोश शीना से कहने लगा...



"मैं तुम्हारी हिफ़ाज़त भी नहीं कर पाया शीना, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो... शीना , प्लीज़ कुछ बोलो ना...." रिकी इस बार शीना के करीब गया और उसके चेहरे को देख के कहने लगा और कहते कहते उसका चेहरा झुक गया



"भाई, हाथ धीरे पकड़ते हैं ऐसी हालत में.." शीना ने आँख खोली और रिकी से कहा... शीना की आवाज़ सुन जब रिकी ने अपना चेहरा उपर किया तो सामने शीना का वही मुस्कुराता हुआ चेहरा था और उसके चेहरे पे वोही मासूम सी हँसी... उसे ऐसे देख रिकी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और वो उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा...



"थॅंक गॉड शीना, यूआर फाइन.. डॅड......" रिकी ने जैसे ही अमर को बुलाने की कोशिश की, शीना ने उसे चुप रहने का इशारा किया और उसे वापस अपने पास बैठने का इशारा किया



"मोम डॅड के सामने आपसे बात करनी होती तो पिछले 20 मिनट से बेहोश होने का ड्रामा क्यूँ करती मैं..." शीना ने फिर शरारत भरी मुस्कान से कहा.. रिकी कुछ समझता उससे पहले शीना फिर बोल पड़ी



"डॉन'ट वरी, मैं होश में तो पिछले 20 मिनट से आ गयी हूँ, लेकिन जब आप सब लोग रो रहे थे, मैने हल्के से आँख खोल के देखा तो सब डॉक्टर से ही पूछ ताछ कर रहे थे, इसलिए मैने फिर बेहोश पड़े रहने का ड्रामा किया.. हाहहाअ" शीना ने हँस के रिकी से कहा



"शीना यह सब हुआ कैसे पर.... आइ मीन, कल मेरे जाने के बाद क्या हुआ.." रिकी ने शीना की आँखों में देख के पूछा



"हुआ यूँ ना भाई कि मैं किचन में थी, आाआूओ...." शीना हल्के से कराह उठी



"अरेययय.... क्या कर रही हो, बेहोश होने की आक्टिंग थी, लेकिन तुम सही में चोटिल हो...क्यूँ उठने की कोशिश कर रही हो.." रिकी ने शीना का हाथ पकड़ के उसे थोड़ा सा उपर उठाया



"या आइ नो इट पेन्स यार... एनीवेस, थॅंक्स.... हां तो मैं यह कह रही थी कि..." शीना ने रिकी को बताना शुरू किया





पिछली शाम ....



"ओके, आइ विल बी बॅक इन आ जिफी..यू टेक केर ओके.." रिकी ने कहा और बाहर खड़े सेक्यूरिटी गार्ड को हिदायत दी के शीना का ध्यान रखे वो अकेली है तो और खुद मार्केट की तरफ चल पड़ा..



"पूरा दिन मज़ाक, कौन कह सकता है रिकी भाई को देख के, कि यह बंदा कितना सीरीयस था पहले... और अभी..." शीना ने खुद से कहा और हल्के से मुस्कुरा दी... लिविंग रूम में ही शीना ने अपने बाल बनाए और किचन की तरफ चल दी.. किचन में जाके शीना कुछ चीज़ें इकट्ठा करने लगी जो उसे खाना बनाने के लिए चाहिए थी..



"ह्म्म्म", अब गॅस तो है नहीं, एक काम करती हूँ, बाहर खड़े गार्ड को बोलती हूँ , कुछ बंदोबस्त करेगा..." शीना ने खुद से कहा और बाहर जाने के लिए पीछे मूड गयी.. पीछे मुड़ते ही उसे एक बहुत बड़ा झटका लगा...



"क्क्क....क.....क्काअ.....कौन हो तूमम्म्म..." शीना ने सामने खड़े आदमी से कहा जो उसके सामने काले कपड़े पहने हुए खड़ा था, और उसका चेहरा एक नकाब से ढका हुआ था.



"कओन हहूओ तूमम्म..." शीना की हलक से इससे ज़्यादा आवाज़ ही नहीं निकल रही थी, वो चिल्लाना चाहती थी लेकिन डर के मारे उसकी आवाज़ अंदर की अंदर ही घुट रही थी.. बिना कुछ कहे वो आदमी धीरे धीरे आगे शीना की तरफ बढ़ा, जैसे जैसे वो आदमी आगे बढ़ता वैसे वैसे शीना भी अपने कदम पीछे लेती, अभी कुछ कदम पीछे हुई थी कि शीना किचन प्लॅटफॉर्म पे टकरा गयी, पीछे जाने के लिए जगह नहीं थी अभी... उस आदमी को आगे आता हुआ देख शीना की हालत खराब हो रही थी,



"देखो, बताओ कौन हो तुम.. वरना...." शीना ने उसे धमकाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम... वो आदमी बिना कुछ कहे बस आगे ही आ रहा था, शीना और उस आदमी में अब चन्द कदमों का फासला बचा था, उस आदमी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और धीरे धीरे शीना के गले तक ले जाने लगा, शीना ने फुर्ती दिखाई और वहाँ से खिसक के उसके हाथ के नीचे से भाग गयी और सामने पड़े नाइफ सेट पे उसकी नज़र गयी.. जल्दी से उसने नाइफ सेट की तरफ दौड़ लगाई और एक एक कर 4 चाकू अपने हाथ में ले लिए, इस बार चाकू लेके शीना उस आदमी की तरफ बढ़ी और एक हमला उसके चेहरे पे करने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नहीं.. वो आदमी उसके लिए काफ़ी लंबा और मज़बूत था, उसने शीना के हाथ को पकड़ा और कलाई मोड़ के उसके हाथ से चाकू गिरा दिया...
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07-03-2019, 04:08 PM,
#87
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"आआअहन नूऊऊऊऊ.." शीना चिल्लाने ही लगी थी कि उस आदमी ने अपना दूसरा हाथ उसके मूह पे रख के उसकी आवाज़ बंद कर दी



"उम्म्म्ममम उम्म्म्मममम,.... उम्म्म्ममम...." शीना बस अब उसके हाथ में छटपटा रही थी और दर्द से बिलख रही थी... मौका देख उस आदमी ने एक ज़ोर का मुक्का शीना की पीठ पे मारा जिससे शीना सीधा जाके नीचे गिर गयी, एक ज़ोर का दर्द उसे महसूस हुआ लेकिन इस बार फिर उसके दर्द की चीख घुट के ही रह गयी, उस आदमी ने फिर से उसका मूह बंद कर दिया एक हाथ से और दूसरे हाथ से उसकी टाँगों को देखने लगा... उपर से नीचे देख के उसकी आँखें घुटनो के ठीक नीचे पिछले हिस्से पे गयी.. साइंटिफिक टर्म में उस हिस्से को गॅस्ट्रोक्नेमियस कहते हैं, उस आदमी ने ठीक वहाँ पे अपने मज़बूत हाथों से कम से कम 10 वार उस हिस्से पे किया, जैसे कोई करते एक्सपर्ट अपने हाथ चलाता है, ठीक वैसे स्टाइल में उस हिस्से पे 10 वार किए, शीना की आँखों के आगे अंधेरा छाने लगा था, उसकी आँखें एक दम लाल और आँसुओं से भर गयी थी, वो काफ़ी ज़ोर से चीख के अपने दर्द को प्रकट करना चाहती थी, लेकिन वैसे नहीं कर सकी... शायद इससे उस आदमी को संतुष्टि नहीं मिली थी, इसलिए उसने शीना को सीधा किया और जिस हिस्से पे पीछे से वार किया था, ठीक उसी हिस्से को आगे से अपना हाथ में पकड़ा और उसे मोड़ दिया..




"उम्म्म्मममम ओूआओुअम्म्म्मममममम......उम्म्म्म उम्म्म्ममममममम उम्म्म्ममममममममममममम....." शीना के मूह से बस इतना ही निकलता और दर्द के मारे वो अपने हाथ पेर हवा में मारने की कोशिश करती, लेकिन सब नाकाम... उस आदमी ने बस इतना ही किया और शीना के मूह को छोड़ वहाँ से सीडीयों के रास्ते से भाग निकला..




"शीना.... हियर'स युवर चिकन स्वीटहार्ट, " रिकी ने घर के अंदर प्रवेश करते हुए कहा, लेकिन शीना की कोई आवाज़ उसे सुनाई नहीं दी..



"शीना, किधर हो.." रिकी ने समान को टेबल पे रखा और सामने बने कमरे में देखने लगा, कमरे से नज़र हटते ही जैसे साइड में बने किचन में उसकी नज़र गयी, उसकी तो मानो जैसे दुनिया ही लूट गयी हो.. सामने किचन की ज़मीन पे शीना बेहोश पड़ी थी, रिकी दौड़ के उसके पास गया..



"शीना ... शीना.... गार्ड......" रिकी चिल्लाया और फिर शीना के चेहरे को अपने हाथ में ले लिया



"शीना, व्हाट हॅपंड.. ओपन युवर आइज़ शीना...." रिकी चिल्लाता रहा...





"बस, मुझे यह याद है.... इसके आगे अब थोड़ी देर पहले मैं होश में आई, आप सब मूह लटकाए बैठे थे, इसलिए मैने आक्टिंग की, सबसे पहले मैं आपसे ही बात करना चाहती थी.." शीना ने अपनी बात ख़तम करते हुए कहा. रिकी का चेहरा अभी भी उसकी आँखों के सामने था, रिकी की आँखें भी लाल हो चुकी थी, शीना ने जल्दी से अपने हाथ को थोड़ा उपर किया और रिकी के लेफ्ट साइड पे रखा



"ह्म्म्मि, धड़क रहा है..." शीना ने हंसते हुए कहा जिससे रिकी के चेहरे पे भी हँसी आ गयी लेकिन आँसू उसकी आँखों में अभी भी थे



"दर्द मुझे है और रो आप रहे हो यार, अब प्लीज़ गेट मी सम्तिंग टू ईट.." शीना ने रिकी के हाथ को अपने हाथों में लिया और एक किस कर दी.. रिकी के चेहरे पे फिर एक हँसी आ गयी और झुक के उसने शीना के मस्तक को चूमा



"उम्म्म्ममम.... नाउ आइ नो यू लव मी मिस्टर राइचंद..." शीना ने रिकी से आँख मारते हुए कहा



"आइ ऑल्वेज़ डू मिस राइचंद... आइ विल ऑल्वेज़ डू.." रिकी ने जवाब दिया और वहाँ से नीचे जाके सब को खबर दे दी.. सुहसनी के साथ अमर और राजवीर और अंत में ज्योति... सब एक एक कर शीना के कमरे में आए और उसे हंसता देख सब की जान में जान आई.. इतनी देर से अमर ने खुद पे काबू रखा हुआ था, लेकिन इस पल उसके सब्र का बाँध टूट गया और शीना को देख उसके आँसू भी निकल पड़े...



"अरे यार... एक तो आक्सिडेंट मेरा हुआ है, आंड रो आप रहे हो... आज मुझे चिकन सूप खाना है, कौन खिलाएगा.." शीना ने अमर और सुहसनी को देखते हुए कहा जो दोनो रोए जा रहे थे, लेकिन शीना की बात सुन दोनो के चेहरे पे एक मुस्कान आ गयी



"उह, आइ विल गेट इट फॉर यू शीना.." ज्योति ने जवाब दिया और वहाँ से किचन की तरफ चली गयी... कुछ देर मे सब से बात करने के बाद शीना ने थोड़ा सा सूप लिया और फिर वापस सब से बातें करने लगी...



"आइ आम सॉरी भाई... अब आपके प्रॉजेक्ट में मैं काम नहीं कर पाउन्गी..." शीना ने रिकी से कहा जो अभी भी उसके पास ही बैठा था



"अरे, नो प्राब्लम शीना.. आंड डोंट बी सॉरी प्लीज़, काम तुम्हारे ठीक होने के बाद स्टार्ट करेंगे, वैसे भी तुम्हारे बिना मज़ा नहीं आएगा अकेले में.. यू गेट वेल आंड देन वी विल स्टार्ट.." रिकी ने शीना के सर को सहलाते हुए कहा



"अरे, ऐसे क्यूँ.. कम से कम 3 मंथ बेड रेस्ट है, आंड फिर ठीक होने के लिए एक्सर्साइज़ आंड दूसरी चीज़ें, 3 मंत और पकड़ लो...6 मंत के बाद काम करेंगे क्या...डॅड, 6 मंत तक क्या करेंगे, " शीना ने अमर को देखते हुए कहा, शीआ की बात का अमर के पास कोई जवाब नहीं था
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07-03-2019, 04:08 PM,
#88
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"बेटा वो सब ठीक है, पर मैं रिकी से सहमत हूँ, तुम ठीक हो जाओ पहले, काम तो कभी भी हो सकता है.." अमर भी उसके पास बैठ गया



"नहीं डॅड, पायंटलेस है यह.. आइ हॅव आ सल्यूशन.. ज्योति.." शीना ने बस इतना कहा और रुक गयी, और फिर एक नज़र ज्योति को देखा जो थोड़ी दूरी पे खड़ी थी



"ज्योति, भाई के साथ तुम जाय्न करो इस काम में.. मेरी रिक्वेस्ट है प्लीज़, " शीना ने ज्योति से हँस के कहा.. शीना की बात सुन ज्योति को समझ नहीं आया वो क्या कहे, निसंदेह ज्योति को यह प्रॉजेक्ट चाहिए था, लेकिन ऐसी हालत में नहीं, शीना मजबूर थी, किसी की मजबूरी का फ़ायदा उठना ज्योति को अच्छा नहीं लगता था.. शायद एक तरह से वोही ज़िम्मेदार थी इन सब के लिए, और वो जानती भी थी कि शायद प्रॉजेक्ट उसे मिलेगा, लेकिन शीना की ऐसी हालत होगी, वो यह सब नहीं चाहती थी.. दिल से ज्योति काफ़ी भारी महसूस कर रही थी, मानो पश्चाताप कर रही हो और दिल ही दिल में शीना से माफी माँग रही हो



"अब बोलो भी, इतनी देर क्या सोच रही हो" शीना ने फिर ज्योति से कहा..



"जैसा आप सब को ठीक लगे.." ज्योति ने सहमी हुई आवाज़ में अपनी गर्दन झुका के जवाब दिया



"सी, डन... अब परसो से काम शुरू होगा, और तब तक आप दोनो भी अपने एग्ज़ॅम के लिए पढ़ लो कुछ...आंड गुड बाइ एवेरी वन... आइ वान्ट टू स्लीप नाउ.." शीना ने मस्ती भरे स्वर में कहा और सब लोग वहाँ से जाने लगे... अंत में ज्योति और रिकी ही बचे थे शीना के पास



"भाई, अब आप भी जाओ, मुझे ज्योति से कुछ बात करनी है..." शीना ने गंभीर टोन में रिकी से कहा



"शीना, बाद में.."



"नहीं, अभी ही करनी है.. प्लीज़," शीना ने रिकी को टोकते हुए कहा.. रिकी बिना ज़्यादा कुछ कहे वहाँ से दरवाज़ा बंद करके निकल गया



"मैं नहीं जानती कि अचानक तुम्हारे दिल में हमारे ध्यान रखने का ख़याल कहाँ से आया, लेकिन आम शुवर, तुम यह जानती होगी.." शीना ने रिकी के जाते ही ज्योति से कहा.. शीना की यह बात सुन ज्योति के अंदर एक डर की लहर दौड़ गयी, वो जानती थी कि यह सवाल आएगा , लेकिन शीना से आएगा यह नहीं जानती थी..



"वो तो मैने ऐसे ही कहा था शीना, आइ मीन तुम लोग अकेले थे सो.." ज्योति ने शब्द ढूँढते हुए कहा



"देखो ज्योति, फालतू सी बातों से कुछ नहीं होना.. यह कोयिन्सिडेन्स नहीं हो सकता, लेकिन साथ ही मैं यह जानती हूँ कि यह तुम्हारा किया हुआ नहीं है, तुम इतना नीचे नहीं गिरोगि प्रॉजेक्ट के लिए, पर फिर भी, मैं जानती हूँ कि तुम जानती थी ऐसा कुछ होने वाला है.. तभी तो तुमने रिकी भाई को कॉल किया.. अब सीधा सीधा बताओगी तो तुम्हारे लिए बेहतर होगा, नहीं तो.." शीना ने इतना ही कहा और फिर खामोश रहके ज्योति की आँखों में देखने लगी... घायल शेरनी ज़्यादा ख़तरनाक होती है, ज्योति ने आज तक सिर्फ़ यह सुना था, लेकिन आज देख भी रही थी..



"नतिंग शीना.... आइ हॅव नतिंग टू टेल यू.. ट्रस्ट मी.." ज्योति ने पूरे आत्म विश्वास के साथ जवाब दिया और अपनी आँखें शीना से मिला ली.. कुछ जवाब की उम्मीद में शीना ने काफ़ी देर अपनी नज़रें ज्योति से नहीं हटाई लेकिन दोनो खामोश ही रही...



"प्लीज़ लीव देन, थॅंक यू वेरी मच.." शीना ने खामोशी तोड़ते हुए ज्योति से कहा...



"और हां, सिर्फ़ प्रॉजेक्ट में तुम ने मुझे रीप्लेस किया है.. समझी..." शीना ने इतराते हुए ज्योति को देखा और फिर अपनी नज़र अपने मोबाइल में लगा दी.. बिना कुछ कहे या सुने ज्योति वहाँ से निकल अपने कमरे की ओर चल पड़ी






"हेलो.... एक काम करो मेरा प्लीज़.." शीना ने किसी को फोन लगाया और कुछ पूछने लगी

"इतनी नफ़रत अच्छी बात नहीं है किसी से... हाल पूछने तो आ सकती थी ना भाभी आप.." ज्योति ने स्नेहा के कमरे में घुस के कहा, स्नेहा अब तक अपने कमरे में ही थी, ना तो वो शीना को देखने आई थी और ना ही उसका हाल पूछने उस हादसे के बाद...




"अब इतनी आक्टिंग नहीं होती मुझ से, और वैसे भी तुम सब ने हाल पूछ लिया ना , उससे क्या हुआ.. ठीक तो खुद ही होगी ना... इसलिए चिल मारो, और प्रॉजेक्ट मिलने की खुशी में पार्टी दो मुझे अब.." स्नेहा ने एक क्रूर सी हँसी अपने चेहरे पे लाके कहा



"कॅन'ट बिलीव यू... ऐसा कोई बिहेव करता है क्या कभी, " ज्योति गुस्से में आ चुकी थी अब



"गुस्सा करने का कोई फ़ायदा नहीं है, और वैसे भी तुम्हे जो चाहिए था मिल गया ना.. अब और क्या करूँ तुम्हारे लिए.." स्नेहा ने इतना ही कहा कि उसका फोन बजने लगा.. उसने ज्योति से ध्यान हटा के अपने फोन की तरफ देखा तो प्राइवेट नंबर से फोन था



"हेलो, ह्म्म्म्म ... हां वो यहीं है, लो बात कर लो..." स्नेहा ने फोन पे कहा और फोन ज्योति की तरफ बढ़ा दिया...



"इट'स फॉर यू ओन्ली स्वीटी..." स्नेहा ने फोन उसके हाथ में देते हुए कहा



"चिंता नहीं करो इतनी, शीना की जान को फिलहाल कुछ नहीं होगा..." सामने से ज्योति को आवाज़ आई



"मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि शीना के साथ ऐसा कुछ होगा, तुम्हारे साथ शामिल होके मैने अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी ग़लती कर दी है..." ज्योति ने ग्लानि भारी आवाज़ में कहा
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07-03-2019, 04:08 PM,
#89
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"अभी भी तुम्हे ऐसा लगता है तो जाओ जाके बता दो सब को किसने किया, दे दो स्नेहा का नाम, इससे तुम्हारा पश्चाताप तो कम होगा, लेकिन भूलो मत, तुम यह सब पहले से जानती थी, स्नेहा अगर सब के सामने आई, तो फिर तुम भी नहीं बचोगी, मेरा क्या है, मैं तो तुम सब के पास होते हुए भी तुम सबसे दूर हूँ, और रही स्नेहा की बात, तो वो घर से निकाली जाएगी, और ज़्यादा कुछ नहीं.. लेकिन तुम क्या करोगी, कैसे सामना करोगी अपने बाप का, अपनी बहेन का, अपने भाई का... वो लोग तो तुम्हे ही गुनेहगार समझेंगे.. शौक से जाओ और सब को बता दो बस इफ़ दट मेक्स यू हॅपी.." सामने से उसे जवाब मिला और फिर एक डरावनी हँसी हँसने लगा.. उसकी बात सुन ज्योति भी खामोश हो गयी, बात तो सही थी, अब वो कुछ नहीं कर सकती थी, पर अंदर ही अंदर उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था यह सब...



"अब ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है, तुम्हारे एग्ज़ॅम ख़तम होंगे तब तक यह फीलिंग भी ख़तम हो जाएगी, और बी प्रॅक्टिकल, तुम खुद सोचो, इसमे किसका क्या नुकसान हुआ है और क्या फ़ायदा हुआ है...मैं चाहता तो शीना को जान से भी मार सकता था, लेकिन मैने ऐसा नहीं किया.. और जो किया उसके अलावा क्या करता, तुम्हारे दिमाग़ में अगर कुछ हो इससे सही तो मुझे बताओ, और सामने फ़ायदा यह हुआ कि तुम्हे प्रॉजेक्ट मिल गया, जो तुम्हे बहुत प्यारा था, अब खुद ही इंसाफ़ के तराजू में दोनो चीज़े रख के देखो.. तुम्हारे फ़ायदे का पलड़ा भारी है... इंसाफ़ तो यही कहता है कि मैने सही किया, लेकिन अब तुम्हे अच्छा नहीं लगा.." अब इस आवाज़ में थोड़ी नर्मी दिखने लगी थी ज्योति को.. जब पूरी बात पे ज्योति ने दोबारा से विचार किया तो कहीं ना कहीं उसे यह बात सही लगी, शीना का फ्रॅक्चर और उसकी चोट थी तो गहरी लेकिन उसके अलावा वो बिल्कुल ठीक थी, हां वक़्त ज़्यादा लगेगा ठीक होने में, बट उससे ज़्यादा कुछ नहीं.. यह सोच के ज्योति के दिमाग़ में फिर ग्लानि की भावनाए जो उमड़ आई थी वो कम होती गयी



"ओके.. थॅंक यू" ज्योति ने जवाब में बस इतना ही कहा



"एनिटाइम...बाइ" फोन फिर कट हो गया



"यही सब तो मैं भी कह रही थी, लेकिन तुम तो समझती ही नहीं हो.. हां, अब मैं शीना के पास जाती हूँ, जूस लेके" स्नेहा ने अपने फोन वापस लेते हुए कहा



"नहीं, मतलब जूस मैं लाती हूँ, आप चलो साथ सिर्फ़.. आइ डॉन'ट ट्रस्ट यू, जूस में कुछ मिला भी सकती हो.." ज्योति ने स्नेहा को उंगली दिखाते हुए कहा और वहाँ से चली गयी..



शीना अपने कमरे में लेटी हुई थी लेकिन उसका दिमाग़ अभी भी ज्योति की कॉल पे था, दोनो बहनो के बीच रिश्ता बहुत कमज़ोर हो चुका था, लेकिन इतना भी नहीं कि दोनो एक दूसरे पे विश्वास ना करे, शीना को यकीन था कि ज्योति ऐसा कुछ करने का सोच भी नहीं सकती, लेकिन फिर बार बार उसके दिमाग़ में यह ख़याल आता कि अचानक उसने फोन करके ध्यान रखने को क्यूँ कहा.. यह सब सोच ही रही थी शीना कि उसके मोबाइल पे एक के बाद एक करके 3 ईमेल्स आ चुके थे... शीना ने झट से अपना मोबाइल देखा और एक एक कर सब फाइल्स डाउनलोड करके देखने लगी...



"आराम नहीं आता तुम्हे.." रिकी ने कमरे के अंदर आते हुए कहा



"ओफफो भाई, आओ दिखाती हूँ..." शीना ने बिना हैरानी के रिकी को जवाब दिया



"यह देखो, यह ज्योति और स्नेहा भाभी के कॉल डीटेल्ड बिल्स हैं.. इन सब में कोई सिमिलॅरिटी नहीं है.. ज्योति का सब ईज़ नॉर्मल, बट स्नेहा भाभी का बिल देखो यह, एवेरितिंग ईज़ गुड, एक्सेप्ट फॉर दिस नंबर.." शीना ने फोन के मार्कर से उस फाइल में एक नंबर हाइलाइट किया और रिकी को दिखाने लगी..



"सो व्हाट'स स्ट्रेंज इन दिस.." रिकी ने उसके हाथ से फोन लिया और देखने लगा



"देखो, मैने यह बिल लास्ट मंत से कंपेर किया, सब नंबर्स सेम हैं, बट यह नंबर सिर्फ़ यह मंत है.. और आप देख रहे हो, सिर्फ़ 3 सेकेंड बात हुई है, आइ मीन कोई 3 सेकेंड में क्या बात कर लेगा.. इन फॅक्ट यह नंबर पे दो कॉल्स हैं, देखो, एक ड्यूरेशन नहीं है, मीन्स सामने से कट किया गया फिर इमीडीयेट्ली दूसरी बार हुआ और उसपे 3 सेकेंड बात हुई.." शीना ने फिर अपनी उंगली उपर की ओर उसे दिखाने लगी



"ह्म्म्मट, सो यू मीन कि इस नंबर से हमें पता लग सकता है कि आख़िर हो क्या रहा है स्नेहा भाभी के दिमाग़ में" रिकी ने उसकी बात को आगे बढ़ा के कहा



"नोट ओन्ली दट, ज्योति का फोन करना हमें, और सेम टाइम पे यह हमला, दिस कॅन'ट बी कोयिन्सिडेन्स..." शीना ने इतना कहा कि फिर रिकी ने रोक दिया



"नो शीना, ज्योति यह नहीं कर सकती... आइ मीन.." रिकी ने कहा और फिर शीना ने उसे टोक दिया



"अरे हां बाबा, मैं जानती हूँ के ज्योति ऐसा नहीं कर सकती.. आइ आम सेयिंग कि कहीं वो भी तो स्नेहा भाभी के साथ तो मिली हुई नहीं है, लाइक यू नो, " शीना ने अपनी आँखें छोटी करते हुए रिकी से कहा



"ऐसी चीज़ में मैं किसी पे भी भरोसा नहीं कर सकता, पहले विक्रम भैया की मौत, फिर तुम्हारी बातें स्नेहा भाभी वाली, उपर से अब यह, ज्योति हो या कोई और , आइ कॅन'ट ट्रस्ट एनिवन हियर... तुम सही कह रही हो, मैं एक काम करता हूँ , पता करने की कोशिश करता हूँ कि यह नंबर किसका है.. पर उससे ज्योति की बात तो साबित नहीं होगी, उसके लिए वी नीड टू डू सम्तिंग एल्स..." रिकी ने शीना को देख के कहा



"आइ नीड टू डू सम्तिंग एल्स... नोट वी, आप दूर रहो उससे ओके.." शीना ने उसे गुस्से की नज़र से देखा और फिर अगले ही पल बोली



"क्या खाक दूर रहोगे, 6 महीने के लिए तो मैने ही उसको आपके पास भेज दिया.. ठीक है, डू व्हाट यू कॅन, पता कीजिए इफ़ देअर'स एनी कनेक्षन बिट्वीन हर आंड भाभी..." शीना ने इतना ही कहा था कि उसके कमरे में स्नेहा और ज्योति एक साथ अंदर आते दिखे...



"सी, आइ टोल्ड यू.. देअर ईज़ आ कनेक्षन.." शीना ने धीरे से रिकी से कहा



"शीना, जूस फॉर यू... आंड हाउ आर यू नाउ.." स्नेहा ने उसे जूस देते हुए कहा



"बस भाभी, आपने पूछ लिया, अब कल से फुटबॉल खेलने लगूंगी..." शीना ने जूस लेते हुए कहा और ज्योति को घूर्ने लगी...



"चलो, बाइ, मैं जाता हूँ, पढ़ना भी है.. हे ज्योति, कम वित मी.." रिकी ने शीना से कहा और फिर ज्योति के साथ बाहर निकल गया



"तो तू कहाँ थी इतनी देर, आइ मीन घर पे भी अपने यार को बुलाने लगी हो क्या अभी..." शीना ने जूस का सीप लेते हुए स्नेहा से कहा



"हाहहहहाअ, उफफफ्फ़.. तेरा यह घमंड, बिस्तर पे पड़ी है, चल नहीं सकती, लेकिन फिर भी अककड़ गयी नहीं.. " स्नेहा ने अपने हाथ बाँधे हुए उसे जवाब दिया
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07-03-2019, 04:08 PM,
#90
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"चिंता ना कर स्नेहा, जल्द से जल्द ठीक हो जाउन्गी, लेकिन मेरी नज़र अभी भी तुझ पे है, लिख ले, इस कहानी का अंत होते होते मैं यह ज़रूर देखूँगी कि तू ज़िंदा नहीं बचे, चाहे मेरा जो कुछ भी हो..." शीना ने अपने मोबाइल को लॉक किया और उसे अपने पास रख दिया.. स्नेहा वहीं खड़े खड़े उसे देखती रही और शीना अपना जूस पीने में लगी थी.. कुछ ही देर हुई कि स्नेहा जाने के लिए मूडी



"यह ग्लास कौन ले जाएगा, तेरा बाप या तेरा यार.." शीना के यह लफ्ज़ सुन के जैसे स्नेहा की नसों में गरम खून का उबाल आ गया



"शीना अपनी लिमिट में रहो समझी.. नहीं तो.." स्नेहा ने शीना के पास बढ़ते बढ़ते अपना हाथ उठाया ही था कि उसका फ़ोन बजने लगा.. स्नेहा ने नंबर देखा तो कॉल कट करके अपना हाथ नीचे किया और बिना कुछ कहे ग्लास लेके वहाँ से निकलने लगी, लेकिन शीना ने फिर उसे गरम किया



"क्या हुआ, तेरे मालिक का फोन आ गया क्या... क्या ज़िंदगी है तेरी, कुत्ते जैसी, कितने भी पत्थर खाएगी, गालियाँ खाएगी, लेकिन काटेगी अपने मालिक के कहने पे ही.. शाबाश, तेरे जैसों की वजह से ही आज कुत्ते इतने वफ़ादार कहे जाते हैं.. हाहहहहहहाा..." शीना ने एक ज़ोर की नकली हँसी के साथ अपनी बात ख़तम की, स्नेहा बिना कुछ कहे वहाँ से पेर पटक के निकल गयी...



"मैने तुमसे कितनी बार कहा है कि शीना पे हाथ नहीं उठाना है, आगे से ध्यान रहे.." सामने फिर उसी आवाज़ ने स्नेहा से कहा कॉल करके जब वो अपने कमरे में गयी



"मैं कुछ भी सुन नहीं सकती, अगर दोबारा कहेगी तो वो ज़िंदा नहीं बचेगी, फिर चाहे उसके लिए मुझे जैल ही क्यूँ ना जाना पड़े.." स्नेहा ने गुस्से से तिलमिला के जवाब दिया



"वक़्त आएगा सब चीज़ों का, सही वक़्त का इंतेज़ार करो, तुम्हारी यह ख्वाहिश भी मैं पूरी करूँगा.. लेकिन अभी खामोश रहो और अब मेरी बात ध्यान से सुनो... इन 6 महीनो में गिव रिकी सम शेर ऑफ हिज़ फन.. समझी.."



"हां मैं समझ गयी, " स्नेहा ने जवाब में सिर्फ़ इतना कहा



"नहीं, नहीं समझी तुम... जो भी करो, दट हॅज़ टू बी रॉ.. नो प्रोटेक्षन, समझी... रिकी से तुम्हे प्रेग्नेंट होना है" स्नेहा को गंभीर आवाज़ में हिदायत मिली



"वो ठीक है, बट फिर बच्चे का क्या करूँगी मैं.. और इसका पैसा अलग लूँगी, " स्नेहा के लिए जैसे यह बात नॉर्मल थी, बाज़ारू रंडी की तरह बस पैसे से मतलब रख रही थी



"बच्चे का जो करना है करो, आइ मीन अगर यह काम पहले महीने में ही करो तो ओके, उससे वक़्त सही मिलेगा हमें.. और पैसे तुम्हारे अकाउंट में आ गये हैं.." फिर सामने से उसे जवाब मिला और फोन कट हो गया... स्नेहा ने तुरंत अपना बॅंक अकाउंट चेक किया और क्रेडिट देख के काफ़ी खुश हुई.. कुछ देर में फ्रेश होके, रिकी को सिड्यूस करने के लिए कुछ वैसे ही कपड़े लेने के लिए घर से निकल गयी



"ज्योति, कॅन आइ अस्क यू सम्तिंग.." रिकी ने ज्योति से पूछा, दोनो इस वक़्त बाल्कनी में बैठे बैठे अपने एग्ज़ॅम्स की तैयारी कर रहे थे



"भैया, आइ नो... बट ट्रस्ट मी, ना ही मुझे इस बात का पता है, ना ही कुछ और... बस मुझे लगा कि आपको फोन करना चाहिए, और मैने किया.. हां यह पहली नज़र में इत्तेफ़ाक नहीं लगेगा किसी को भी, लेकिन आप विश्वास कीजिए मेरा प्लीज़.." ज्योति ने सवाल के पहले ही रिकी को जवाब दिया



"आइ ट्रस्ट यू ज्योति.. बट यह बात ही ऐसी है, तुम क्या, मैं खुद पे भी आँख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहूँगा... आंड मैने पहले ही कहा था भाभी से दूर रहो, आर यू कुकिंग सम्तिंग वित हर, आइ मीन.." रिकी ने अपनी बात ख़तम नहीं की उससे पहले ज्योति ने उसे जवाब दिया



"नतिंग लाइक दट, मैं जूस लेके आ रही थी तो वो मिली, आंड शी जायंड मी... और आपकी बात सही है, आप आँख बंद करके किसी पे विश्वास नहीं करो, आप अपने एंड से छान बीन कीजिए, अगर कहीं आपको लगे के मैं इन सब में इन्वॉल्व्ड हूँ तो जो आप कहेंगे मैं वो करूँगी.." ज्योति ने रिकी को विश्वास दिलाने की कोशिश की



"दट'स ओके ज्योति.. गेट बॅक टू स्टडीस नाउ... आंड हां, परसो से हमें महाबालेश्वर जाना है, तो लॅपटॉप कॅरी करना, ऑनलाइन एग्ज़ॅम वहीं से देना उस दिन की.. आंड मैं सिर्फ़ वीकेंड्स पे आउन्गा, आंड रेग्युलर डेज़ में यू हॅव टू ट्रॅवेल महाबालेश्वर मुंबई , फाइन फॉर यू ?" रिकी ने ज्योति के हाथ में शीना की ड्राइव पकड़ाते हुए कहा जिसमे डिज़ाइन्स आंड ग्रॅफिक्स थे



"यस भैया, आइ विल मॅनेज.. डॉन'ट वरी..." ज्योति ने ड्राइव ली और दोनो फिर अपने अपने सब्जेक्ट्स के बारे में पढ़ने लगे..
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