Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:04 PM,
#71
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
क्रिकेट अब सिर्फ़ एक खेल नहीं रहा, क्रिकेट अब एक बिज़्नेस बन चुका है.. ए प्यूर कमर्षियल बिज़्नेस, टीवी राइट्स, मीडीया राइट्स, ब्रॉडकॅस्टिंग राइट्स से लेके कौनसा प्लेयर कौनसी एड साइन करेगा, कितने में साइन करेगा, उसमे से कितना BCCई को मिलेगा, कितना नहीं.. कौनसा प्लेयर बात पे कौनसा स्टिकर लगाएगा, कौनसा स्पॉन्सर टी-शर्ट के स्लीव पे रहेगा, कौनसा साइड में, यह सब बातें अब ज़्यादा देखी जाती है.. यह तो हुई बिज़्नेस की बात, अब अगर बात की जाए खेल की, तो क्रिकेट अब एक मज़ाक बन चुका है... लोगों को लगता है क्रिकेट मैदान पे खड़े हुए 11 प्लेयर्स खेल रहे हैं, लेकिन असलियत कोई नहीं जानता... एक फोन पे सब तय होता है.. कौनसा प्लेयर कब बॅटिंग करने आएगा, कौनसा प्लेयर इंजूर्ड होके आउट रहेगा, कौनसा प्लेयर कितने रन पे आउट होगा, कैसे आउट होगा, कौनसा बोलर ओवर डालेगा, कौनसा नहीं... यह सब तय होता है, और यह सब डिसाइड होता है किसपे कितने पैसे लगे हैं उस हिसाब से.. जिसपे जितने ज़्यादा पैसे, उसको उतनी जल्दी आउट होने को कहा जाता है... काफ़ी बार हमे सामने वाले को जीतवाना भी पड़ता है,

इसलिए जिस दिन जुआरी जीते, समझ लो उसके अगले 10 दिन तक वो आपको पैसे देता रहेगा.... हारा हुआ जुआरी डबल खेलता है यह बात हमेशा याद रखी जाती है....... राजवीर और रिकी विक्रम के ऑफीस में बैठे थे, जो नाम के लिए तो एक कन्स्ट्रक्षन कंपनी थी, लेकिन बस नाम की ही थी... रिकी राजवीर की बातों को ध्यान से सुन रहा था, समझने की कोशिश कर रहा था, लेकिन राजवीर की बात ख़तम होते ही रिकी को शायद कुछ समझ नहीं आया, तभी जैसे उसकी आँखें पढ़ के राजवीर ने फिर कहा



"तुम्हे क्या लगता है, हर वर्ल्ड कप में इंडिया पाकिस्तान की मॅच सनडे को ही क्यूँ होती है, क्यूँ कि उस दिन देश का हर क्रिकेट प्रेमी जो अब हद्द पार करके चूतिया बन चुका है, वो 10 घंटे टीवी के सामने बैठा रहेगा, जितने ज़्यादा लोग टीवी देखेंगे, उतनी ज़्यादा ऐड्स बिकेगी. जितनी ज़्यादा व्यूअरशिप उतने ज़्यादा एड के पैसे, जितने ज़्यादा एड के पैसे, उतना ज़्यादा चॅनेल की कमाई और उतना ही मुनाफ़ा BCCई का.. हां दिखाने के लिए शेड्यूल इक रिलीस करेगी, लेकिन ईCC में जब अपना ही बंदा चेर्मन बन के बैठे, तब और क्या उम्मीद कर सकते हैं आप.... " राजवीर ने अपने लिए एक सिगरेट जला के कहा



"लेकिन चाचू, यह सब कैसे.. आइ मीन कोई खिलाड़ी ऐसे कैसे करेगा... " रिकी अभी भी कन्विन्स्ड नहीं लग रहा था...



"रिकी, कभी भी तुम मॅच अब्ज़र्व करना... जब भी बॅटिंग वाला प्लेयर बहुत अच्छा खेल रहा हो, और ऐसा लगे मॅच जिता देगा, उस वक़्त किसी भी बहाने , ग्लव्स चेंज करने या बात बदलने के बहाने या पानी के बहाने ड्रेसिंग रूम की ओर इशारा करता है... उस वक़्त से लेके सिर्फ़ दो ओवर्स वेट करो, वो सेट बॅट्स्मन आउट होके ही रहेगा...." राजवीर ने रिकी से कहा और उसे कन्विन्स करने के लिए एक सीडी दिखाई जिसमे कुछ साल पहले की इंडिया पाक मॅच थी , जिसमे राजवीर ने जैसे कहा वैसे ही हुआ... ऐसी कयि सारी रेकॉर्डिंग्स थी राजवीर के पास..



"देख लो, यह सब तुम्हे कन्विन्स करने के लिए काफ़ी है.." राजवीर ने उसके हाथ में एक बंड्ल पकड़ाते हुए कहा.. सीडी'स लेके जब रिकी कुछ नहीं बोला तब राजवीर ने फिर कहा



"एशियन टीम्स की मॅचस लाइक इंड पाक लंका और बांग्ला... और आफ्रिका की मॅचस, इन सब में सबसे ज़्यादा पैसा लगता है.. हां काफ़ी चीज़ें पहले तय होती है वैसे ही करनी पड़ती है, लेकिन कई बार सिचुयेशन के हिसाब से डिसिशन बदलने भी पड़ते हैं, उसमे हमे टीम मॅनेजर और कोच काम आता है..." राजवीर ने जैसे ही मॅनेजर और कोच का नाम लिया वैसे रिकी की आँखें बड़ी हो गयी.. रिकी को यकीन नहीं हो रहा था कि यह लेवेल तक टीम के बन्दो का इन्वॉल्व्मेंट है....



"और चाचू आइपीएल..." रिकी ने बस इतना ही पूछा



"हाहः, मज़ाक करने के लिए BCCई के अपने बंदे ने अपना दिमाग़ चलाया, लंडन में पढ़ा लिखा बिज़्नेस टिकून का लड़का, एक दिन शाम को मॅनचेस्टर सिटी के स्टेडियम के बाहर से जा रहा था, कि तभी उसकी नज़र सामने बोर्ड पे गयी.... एपीएल मॅच मॅन युनाइटेड स्ट्रीट आस्टन विला.... कुछ देर वहीं खड़े रहके कुछ सोचा, घर आके एपीएल के कॉन्सेप्ट को क्रिकेट में डाला, और उसे आइपीएल का नाम दे दिया... आइपीएल सिर्फ़ स्पॉन्सरशिप पे चलती है, ओनर्स के दो नंबर के पैसों का हिसाब रखना मुश्किल है , इसलिए वो लोग आइपीएल में आए हैं.... आइपीएल में टॉस के विन्नर से लेके, कौनसा प्लेयर कौनसी जर्ज़ी पहनेगा इन सब पे पैसा लगता है.. यह कोयिन्सिडेन्स नहीं हो सकता रिकी, कि पूरे सीज़न में एक वेस्ट इंडीस का हप्सी प्लेयर 100-100 रन बनाता है, अपने नाम से स्टोर्म लाता है, और हर बड़ी क्रूशियल मॅच में वो फैल होता है.. पूरा सीज़न उसका पैसा बढ़ता है, पूरी सीज़न हम उसको खेलने के लिए कहते हैं, और फाइनल में जब सबसे ज़्यादा पैसा उसपे लगता है, तब हम अपना काम शुरू करते हैं... यह रही इस बात को साबित करने वाली सीडी'स" राजवीर ने दूसरी सीडी'स का बॉक्स देके कहा



"पर चाचू, हम इनसे मिलते कैसे हैं... आइ मीन हमारा नंबर या ऐसा कुछ कभी ट्रेस नहीं होता.." रिकी ने फिर सीडी लेके सवाल पूछा



"हां कई बार हुआ है, इसलिए हमें और इपल् ओनर्स को सिम कार्ड्स BCCई देती है, जब मैं किसी ओनर से बात कर रहा हूँ, तब रेकॉर्ड्स के हिसाब से BCCई ऑफीसर दूसरे BCCई ऑफीसर से बात कर रहा है... ड्रेसिंग रूम के आस पास तक नहीं जाते और हमारा काम हो जाता है, और हर इपल् से पहले इंडिया की एक विदेशी टूर रहती है, वहाँ मीटिंग भी करते हैं, वहाँ मीडीया थोड़ा सा लो रहता है तो हमे अच्छा चान्स मिलता है..." राजवीर की बातें सुन रिकी खामोश हो गया था... उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे, अमर को दी हुई ज़बान उसे बार बार याद आ रही थी, लेकिन यह काम में ख़तरा ही ख़तरा था



"ज़्यादा सोचो नहीं रिकी, यूआर एनीवे शॉर्ट ऑफ ऑप्षन्स.. आइ मीन नो ऑप्षन्स, अब भाई साब से कह चुके हो तुम यह काम करोगे, सो वेलकम टू दा क्लब..." राजवीर ने उसे एक फोन पकड़ते हुए कहा, रिकी ने चुपचाप वो फोन ले लिया और उसे जेब में रख दिया... तुम जब कहो तब से शुरू कर सकते हो, अब से मेरे साथ बात करने के लिए इस फोन से कॉल करना..." राजवीर ने अपना फ़ैसला सुनाया और वहाँ से निकल गया रिकी को पीछे छोड़, जिसके मन में कई सवाल थे, लेकिन सवालों से ज़्यादा था यह ख़याल के वो अब ग़लत काम करने वाला है.. ऐसा काम जिसे हराम कहाँ जाता है बाहर की दुनिया में, जुआरी... जुआरी शब्द से बार बार रिकी के दिल में एक नफ़रत की आँधी आ जाती , लेकिन अब वो कुछ नहीं कर सकता था.. अगर वो अमर से मना करेगा तो अमर का दिल दुख सकता है और अगर नहीं करेगा तो रोज़ घुट घुट के जाएगा, रोज़ खुद को जुआरी बना देख जीएगा... कॅबिन में विकी की फोटो देख रिकी ने अपने कालजे को मज़बूत किया और फ़ैसला कर लिया...




"करना तो पड़ेगा ही, अब अगर मैं नहीं करूँगा तो शीना थोड़ी करेगी.." रिकी ने खुद से कहा और तुरंत ही उसे ख़याल आया के शीना से बात करनी चाहिए इस मामले में.. वो तुरंत वहाँ से निकला और शीना को फोन करके कोलाबा स्टार बक्स बुला लिया...



"इतना अर्जेंट क्या आ गया अब... आप इतने परेशान क्यूँ हैं..." शीना ने रिकी के पास बैठ के कहा



"पहले तुम बताओ, क्या था सुबह को जो इतनी परेशान थी.." रिकी ने शीना का हाथ पकड़ के कहा...



"नतिंग, मेरी फरन्ड है, मैने उससे काफ़ी टाइम से बात नहीं की थी, लेकिन अब उसका फोन नहीं लग रहा काफ़ी टाइम से, उसके घर पे देख के आई, लेकिन कहीं कोई पता नहीं, इसलिए थोड़ी सी परेशान थी.. लेकिन अभी मेरी बात हुई, तो आइएम फीलिंग बेटर.." शीना ने बड़े ही नॉर्मल लिहाज़ में जवाब दिया और झूठ बोली, लेकिन रिकी जानता था कि वो झूठ बोल रही है क्यूँ कि इस बात के लिए शीना परेशान हो वो ऐसी नहीं थी.. फिलहाल बहेस करने के मूड में नहीं था रिकी इसलिए उसने उसकी बात मान ली



"अब आप बताइए, क्या हुआ..." शीना ने अपने हाथ को उपर लाके रिकी पे रखा.. रिकी ने उसे सब बातें बता दी, जो सुबह से उसने देखा था, जो राजवीर ने कही... रिकी की बात सुन पहले तो शीना को समझ नही आया, लेकिन जब धीरे धीरे बात उसके भेजे में उतरी, तब उसकी आँखें बड़ी होती चली गयी और मूह धीरे धीरे खुलने लगा




"ओह माइ गॉड... यू मीन,... ऑल दिस मनी.." शीना ने बस इतना ही कहा के रिकी ने उसे टोक दिया



"यस, ऑल दिस ईज़ ब्लॅक..." रिकी ने इतना कहा और दोनो कुछ देर वहीं बैठे रहे



"क्या बात है आज कल रिकी को खूब अब्ज़र्व कर रही हो हाँ.." स्नेहा ने ज्योति से कहा, दोनो इस वक़्त स्नेहा के कमरे में बैठे थे और बातें कर रहे थे



"नहीं भाभी ऐसी कोई बात नहीं है, इट वाज़ जस्ट..." ज्योति ने इतना ही कहा कि फिर स्नेहा टोक के बोली



"या या आइ नो यूआर जस्ट.... खैर, फिलहाल चुप रहो, तुम्हे तुम्हारे इस सवाल का जवाब मिलेगा, अभी दिमाग़ में कुछ भी ख़याल नहीं लाना, अभी बस दिमाग़ को ठंडा रखो, जितना ज़्यादा चलाओगी, उतनी ज़्यादा तक जाओगी.. बेहतर रहेगा तुम चिल मारो, तुम्हारे हर सवाल का जवाब तुम्हे ज़रूर मिलेगा, बस सही वक़्त आने दो..." स्नेहा ने जवाब में कहा और ज्योति फिर खामोश रही... अपने दिमाग़ को काबू करने की कोशिश कर रही थी और काफ़ी हद तक इसमे कामयाब भी हो रही थी, जब से स्नेहा ने उसे समझाया था, तब से ज्योति जैसे बच्चों की तरह उसकी बात को मानती...



"अच्छा अब यह तो बता, गोआ में क्या मज़े किए मेरी बिल्लो रानी..." स्नेहा ने एक ही पल में अपने हाथ को आगे बढ़ाया और शीना के चुचों को हल्के से मसल के वापस हाथ खींच लिया, स्नेहा की इस हरकत से ज्योति अचंभित रह गयी लेकिन गोआ के ख़यालों में चली गयी



"ज्योति.. ज्योति, व्हेअर आर यू..." कहके राजवीर जैसे ही बाथरूम का दरवाज़ा खोल के बाहर निकला , सामने ज्योति को देख उसकी आँखें दंग रह गयी, दिमाग़ जैसे फटने को था... उसे विश्वास नहीं हो रहा था सामने ज्योति को देख



"सॉरी डॅड, स्विम्मिंग करके काफ़ी थक चुकी थी... इसलिए ऐसे ही सोफा पे लेट गयी, जस्ट तो स्ट्रेच आउट.."











ज्योति ने राजवीर की आँखों में देखा और उसी पल नज़र नीची करके राजवीर के बाथिंग गाउन में दिख रहे तंबू को घूर्ने लगी और हल्के से निचले होंठ पे आनी ज़बान फेरने लगी.. राजवीर को समझ नहीं आ रहा था के यह सब वो ऐसा क्यूँ कर रही है... लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और सामने जाके बैठ गया जिससे ज्योति को ना दिखे के उसका लंड अपनी ही बेटी को देख के तूफान मचा रहा है....



"डॅड... क्या मैं आपके साथ स्कॉच ले सकती हूँ..." ज्योति ने सोफे पर से खड़े होके कहा और अपने नंगे जिस्म के हिस्सों के दर्शन करवाने लगी राजवीर को, राजवीर बेचारा कुछ नहीं बोला और बस हां में गर्दन हिला दी... सोफे से लेके बार तक ज्योति गान्ड थिरका थिरका के गयी और राजवीर की नज़रें उसके चुतड़ों पे ही जमी रही...



"चियर्स डॅड...." ज्योति ने अपने और अपने बाप के लिए पेग बनाते हुए कहा.. राजवीर को लगा दो स्कॉच जाएगी अंदर और उसे थोड़ी हिम्मत आएगी ज्योति से बात करने की.. इसलिए एक ही झटके में अपने पेग को ख़तम किया और दूसरे का इशारा कर दिया ज्योति से... दो, तीन चार... चार पेग नीट लेने के बाद राजवीर का कलेजा जल रहा था, लेकिन अब उसे वो हिम्मत आ गयी थी जो उसे चाहिए थी ज्योति से बात करने के लिए



"ज्योति... यह जो भी कर रही हो तुम ग़लत कर रही हो... आंड आइ आम नोट अप्रूविंग दिस ओके.." राजवीर ने सीधी मुद्दे की बात कही, ज्योति समझ गयी कि वो क्या कह रहा है लेकिन फिर भी उसने अंजान बनने की कोशिश की



"नो, डॉन'ट आक्ट ओके.. यू वेरी वेल नो व्हाट आइ मीन... मैं ऐसे कुछ ख़यालों को हवा नहीं देने वाला समझी, बेटर यू गेट इट स्ट्रेट आंड स्टॉप दिस नॉनसेन्स राइट नाउ..." राजवीर ने गुस्से में कहा और इस बार अपने लिए एक और पेग बनाया और फिर एक ही झटके में गटक गया.. ज्योति समझ गयी अब कोई फ़ायदा नहीं है अंजान बनने का इसलिए वो भी सीधी बैठी और जवाब दिया



"क्यू नहीं कर सकते, इसमे ग़लत क्या है... अगर घर के बाहर भी मैं अपनी जवानी के मज़े नहीं ले सकती, और घर के अंदर भी नहीं. तो फिर क्या करूँ, जाने दूं ऐसे ही मेरी जवानी को, शादी कर के बैठ जाउ किसी की बहू बन के, ताके फिर किसी के भी कहने पे एक रिमोट कंट्रोल की तरह चलूं.. नहीं डॅड, मैं ऐसा नहीं करूँगी... मुझे जवानी के मज़े लूटने हैं, समझे आप... मैं यूही यह वक़्त ज़ाया नहीं करना चाहती, आइ वॉंट टू हॅव सम फन इन लाइफ नाउ.. बहुत जी ली मैं घर की चार दीवारों में, आप फ़ैसला कीजिए, अब घर की चार दीवारों के अंदर मुझे मज़े मिलेंगे या घर के बाहर.. मैं अब नहीं रहने वाली किसी और के हिसाब से.." ज्योति ने भी एक ही साँस में अपनी भडास निकालना शुरू की और अपने लिए खुद एक पेग बनाया और नीट मार दिया... ज्योति की बात सुन राजवीर को यकीन नहीं हो रहा था वो क्या कह रही है, कभी उसने ऐसा नहीं सोचा था कि ज्योति के अंदर ऐसे ख़याल पैदा होंगे, लेकिन उसने बात को संभालने की कोशिश की, क्यूँ कि वो जानता था गुस्से से बात और बिगड़ सकती है..



"देखो बच्चे, यह चीज़ सही है तुम्हारी, मैं जानता हूँ काफ़ी पाबंदी है तुम पे, लेकिन उसका मतलब यह नहीं कि तुम ऐसी बातें दिल में लाओ, और बाप बेटी की मर्यादा का उलंघन करो.." राजवीर ने ठंडे स्वाभाव में कहा



"यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी डॅड जब आपने अपने ही भाई की बीवी के साथ संबंध बनाया था, यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी जब अपनी भाभी के साथ बिस्तर गरम किया था, यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी जब आप उस रात को अपनी ही भाभी की फोटो देख के लंड हिला रहे थे, यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी जब उस रात को भाभी को उन्ही के कमरे में चोदने गये थे... कहाँ थी यह मर्यादा डॅड जब आपने यह सब किया था..." ज्योति अब जितनी अंदर से जल रही थी, उतनी ही आग अपने मूह से उगल रही थी.. राजवीर के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी थी, उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ज्योति ऐसे शब्दो का प्रयोग भी कर सकती है, लेकिन साथ ही साथ वो यह सोचने लग गया कि उसे सुहसनी के बारे में कैसे पता चला.... राजवीर ने सोचा ही था कि वो ज्योति को ग़लत कह के बात को दबाने की कोशिश करे, उसी वक़्त ज्योति ने फिर ऐसी बात कही जिससे सुन राजवीर के शरीर से
जैसे जान ही निकल गयी, वो बैठे बैठे वहीं मर गया हो..




"वैसे भी क्या फरक पड़ेगा डॅड, कौनसी मैं आपकी सग़ी बेटी हूँ... एक अनाथ ही तो हूँ, खून का रिश्ता ना आपका अपनी भाभी से है, ना ही मुझसे.. जब अपनी भाभी के साथ बिस्तर गरम कर सकते हो तो मेरे साथ क्यूँ नहीं, वो भी मेरी मर्ज़ी के होते हुए भी.." ज्योति की यह बात सुन राजवीर बिना कुछ सोच के खड़ा हुआ और जाके एक तमाचा रिस दिया ज्योति के गालों पे... तमाचा इतना ज़ोर का था के ज्योति के सफेद चेहरे पे राजवीर की पाँचों उंगलियों के निशान देखे जा सकते था....



"स्टे इन युवर लिमिट्स... वी आर गोयिंग बॅक नाउ..." कहके राजवीर वहाँ से अपना समान पॅक करने निकल गया
Reply
07-03-2019, 04:04 PM,
#72
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
पहला दिन काम का... या पहले दिन अपनी ज़िंदगी के पहले जुए का... रिकी अमर को निराश नहीं करना चाहता था, इसलिए पहले दिन से ही अपने नेटवर्क को समझने में लग गया, राजवीर ने जब यह देखा कि वो नेटवर्क देखना चाहता था तो उसे काफ़ी खुशी हुई, क्यूँ कि जब अमर ने विक्रम को पहली बार बताया था, तब विक्रम भी सबसे पहले नेटवर्क समझने में लगा था.. बेट्टिंग का भाव कहाँ से आता है, कैसे आता है, उसमे रिकी और उसके साथियों का क्या रोल रहेगा, उनका क्या मार्जिन, क्या कमिशन, यह सब काफ़ी मुश्किल चीज़ें थी, इसलिए रिकी ने इन्हे पहले चुना...



"हेलो स्वीटहार्ट..." रिकी पहले दिन ही अपने नेटवर्क के काफ़ी बुक्कीस से मिला, सब से उनका रोल समझा... दिन 11 बजे शुरू होके शाम के 6 बजे ख़तम हुआ था, लेकिन रिकी दिमागी टॉर पे काफ़ी तक चुका था, पहले दिन ही वो धंधे की नब्ज़ पकड़ना चाहता था तो यह तो होना ही था...



"हाई..." शीना ने बस इतना ही कहा और अपनी बाल्कनी से समंदर की लहरों को देखने लगी.. रिकी को थोड़ा अजीब लगा शीना का ऐसा मूड देख



"क्या हुआ जी मेरी स्वीटहार्ट को..." रिकी ने अपनी बाहें शीना के पीछे से गले में डालने की कोशिश की, लेकिन शीना ने तुरंत उसका हाथ हटाया



"डॉन'ट टच मी... पूरा दिन कोई फोन नहीं, कोई मेसेज नहीं... एक ही दिन हुआ है और यह हाल है, और काम भी कौनसा फिज़िकल है जो बिज़ी थे इतने, मुझे पता है, बस सब काम फोन पे हो जाता है, फिर इसमे क्या टाइम नहीं मिला जो मुझसे बात तक नहीं की पूरे दिन..." शीना ने अपनी नाराज़गी जताते हुए कहा और आँखें सामने ही रखी



"ओह हो... तो तुम इसलिए नाराज़ हो... अच्छा चलो, क्या करूँ ऐसा जो तुम मुझे माफ़ कर दोगि मेरी इस खता के लिए.." रिकी ने एक दम मासूम सा चेहरा बना के हाथ जोड़ के शीना को देखते हुए कहा



"पता नही... यह भी मैं सोचूँ... एक दिन में आदमी बदल जाता है, पहले सुना था आज दिख भी गया..." शीना ने एक नज़र रिकी को देखा और फिर नज़रें सामने कर दी



"ओके.. लेट मी डू इट माइ वे देन.." कहके रिकी ने अपनी पॉकेट से एक सिल्क ब्लॅक कपड़ा निकाला और धीरे धीरे उससे शीना की आँखें बंद करने लगा... शीना समझ गयी कि रिकी क्यूँ ऐसा कर रहा है, इसलिए उसने ज़्यादा ना नुकुर नही की



"इट बेटर बी दा बेस्ट ओके... ऑर एल्स फर्गेट माफी वाफी.." शीना को कुछ दिख नहीं रहा था इसलिए अपने चेहरे को गोल गोल घुमा के उंगली दिखाते हुए रिकी से कहा



"सस्शह... साइलेन्स..." रिकी ने अपनी उंगली शीना के होंठों पे रखी और उसका एक हाथ अपने हाथों में ले लिया... धीरे धीरे उसके हाथों के साथ खेल के, उसकी उंगलियों को धीरे धीरे रब करके शीना को अपने पास खींचा



"ओके हनी.. ओपन युवर आइज़.." कहके रिकी थोड़ा दूर हो गया और अपनी एक उंगली उपर कर दी... जैसे ही शीना ने अपनी पट्टी खोली, उसका ध्यान सबे पहले अपने राइट हॅंड की इंडेक्स फिंगर पे गया...



"अवववववववव..... दिस ईज़ दा ब्यूटिफुल थिंग आइ हॅव एवर सीन.." शीना ने अपने हाथ में प्लॅटिनम लव बॅंड देख के कहा, और जब अपनी नज़रें सीधी रिकी के सामने की, तो उसके हाथों में भी सेम रिंग पहनी हुई थी



"यू बॉट दिस... फॉर अस..... अववववव, आइ लव यू आ लॉट...." शीना की आँखों से हल्के हल्के आँसू बहने लगे और दौड़ के रिकी से गले लग गयी... गले लगते ही शीना का रोना थोड़ा तेज़ हो गया, खुशी के आँसू... छोटी से छोटी बात पे भी आँखों में आ जाते हैं, शीना के लिए इससे ज़्यादा खुशी क्या हो सकती थी कि उसके प्रेमी ने उसे पहले तन से स्वीकारा ही था, लेकिन आज मन से भी स्वीकार लिया... यह दोनो रिंग्स गवाही दे रही थी इस बात की, कि यह दोनो अब एक दूजे के हो चुके हैं... पहले शरीर और आज आत्मा का भी मिलन संपूर्ण हो गया था...



"अब रोना ही है तो मुझसे दूर हटो, शर्ट खराब करोगी..." रिकी ने चिढ़ाते हुए कहा जिससे शीना ने गुस्से में आके तीन चार मुक्के रिकी को मारे, लेकिन उससे लिपटी ही रही..



"दूर कभी नहीं जाउन्गी आपसे.... अगर अब दूर गयी तो हमेशा के लिए जाउन्गी, उससे पहले नहीं.." शीना ने रिकी के गले से लिपट के ही यह बात कही



"वो कभी नहीं होने दूँगा मैं... कभी भी नहीं.." रिकी ने शीना से हल्की आवाज़ में कहा और उसके साथ बाल्कनी में ही बैठ गया



"इतना अच्छा सर्प्राइज़ दिया, बदले में मुझे तो कुछ दो.." रिकी ने फिर मज़ाक में शीना को देख के कहा



"ओके...कम वित मी... लेट मी शो इट टू यू.." शीना ने रिकी का हाथ पकड़ा और खीच के उसे अपने कमरे के बाहर ले गयी...



"वेट वेट, दरवाज़ा मत खोलो, पहले यह बाँध लो, नो चीटिंग ओके..." शीना ने रिकी से कहा और उसके हाथ में सेम ब्लॅक कपड़ा दे दिया



"ओके, बट मेरे रूम में क्या सर्प्राइज़ होगा... चलो लो इट्स डन" रिकी ने कहा और एक बार फिर शीना ने उसका हाथ पकड़ा, और धीरे से उसके कमरे में उसके साथ चलने लगी.... कुछ सेकेंड्स हुए के शीना ने रूम की लाइट्स ऑन कर दी और रिकी की आँखों की पट्टी भी उतार दी



"ओपन युवर आइज़ आंड टेल मी हाउ ईज़ इट.." शीना ने धीरे से रिकी के कानो में कहा... रिकी ने जैसे जैसे अपनी आँखें खोली, उसकी आँखों का धुँधलापन कम हुआ और सामे का नज़ारा देख शॉक और सर्प्राइज़ उसकी आँखें बड़ी हो गयी...



"अब आप जब भी आँखें खॉलोगे, मैं रहूं या ना रहूं.. मुझे हमेशा अपने नज़दीक महसूस करोगे, जब भी आँखें बंद करोगे, हमेशा यह आश्वासन रहेगा कि आप अकेले नहीं हो.. जब भी कभी मेरी ज़रूरत पड़ेगी, मैं आपके सामने ही मौजूद हूँ.. मेरे जीते जी और कभी अगर मुझे कुछ हो भी गया उसके बाद भी... मैं हमेशा इधर आपके पास ही रहूंगी.." शीना ने रिकी का हाथ पकड़ के उसकी आँखों में देखते हुए कहा... दरअसल शीना ने अपनी आर्किटेक्ट फ्रेंड की मदद से रिकी के रूम की दीवारों को बदल दिया था, वॉलपेपर लगाए गये थे चारों और, हर वॉलपेपर में बस शीना और रिकी की तस्वीरें ही थी.. बचपन से लेके उन्होने जो अब तक साथ खीची थी, वो सब
तस्वीरें एक कॉलेज के रूप में रिकी के रूम में वॉलपेपर्स बन चुकी थी.. रिकी बस हर दीवार को देख रहा था, हर फोटो के नज़दीक जाके उसपे हाथ रख के जैसे वो लम्हे फिर से महसूस कर रहा था..



"आंड डॅड को कन्विन्स करना आसान था, इन केस इफ़ यूआर वंडरिंग..." शीना ने रिकी के हाव भाव देख के कहा, यह सुन रिकी कुछ कहता इससे पहले शीना बोल पड़ी



"कल मेरे रूम में भी ऐसा हो जाएगा... वी आर इनसेपरबल नाउ मिस्टर राइचंद.."शीना ने अपने कदम रिकी की तरफ बढ़ाए और रिकी को कॉलर से खींच के कहा



"वी आर इनसेपरबल... अगर कभी अलग हुए ना याद रखना, पहले तुम्हे मारूँगी, और फिर खुद को..." शीना ने बस इतना ही कहा के रिकी ने उसे टोकते हुए कहा



"हां, फिर भूत बनके भी मेरा पीछा करना...हाहहहा, ओके सॉरी सॉरी... बट दिस ईज़ वेरी वेरी प्रेटी... बियॉंड माइ थॉट्स, कभी कभी सोचता हूँ कि तुम वोही शीना हो जो कभी कोई एमोशन्स नहीं दिखाती थी और हमेशा अपने दोस्तों के इर्द गिर्द रहती थी.." रिकी ने शीना के बाल सहलाते हुए कहा



"मैं तो हमेशा से अपनी फीलिंग्स आपके साथ शेर करती थी, आप नहीं समझते थे, लेकिन अच्छा हुआ... जितना देर से आपने इस बात को समझा, मेरा प्यार आपके लिए उतना ही मज़बूत होता गया.. आज मैं जो भी हूँ इसलिए हू क्यूँ कि आपने मुझे अपनाया, मेरे प्यार को अपनाया.. अगर वैसा ना होता तो मैं शायद टूट चुकी होती, ज़िंदा रहती लेकिन बिना ज़िंदगी के होती... रंग होते मेरी ज़िंदगी में लेकिन वो खुशी के नहीं होते, साँस होती, लेकिन उस साँस में आपका नाम नहीं होता....हर वक़्त हर कदम मैं और सिर्फ़ मेरी तन्हाई.. मैं बहुत खुश किस्मत हूँ के आप आए मेरी ज़िंदगी में... अभी थोड़ी देर पहले जो मैने कहा वो झूठ था, अगर आप कभी मुझसे दूर हुए तो मैं आपको नहीं करूँगी कुछ... क्यूँ कि आपको देख देख के ही तो साँसें लेती हूँ, आपको देख के ही तो रोज़ जीवन में नयी उमंग आती है, आप हो तो सब कुछ है... लेकिन आप से दूर होके मैं खुद नहीं जी पाउन्गी, और आपसे दूर हो जाउन्गी.. हमेशा हमेशा के लिए... लेकिन जहाँ भी जाउन्गी, वहाँ से भी बस आपको देख के ही खुश रहूंगी..." शीना ने नम
आँखों के साथ कहा



"शीना... शीना, लुक अट मी प्लीज़.." रिकी ने शीना के चेहरे को अपने हाथों में थामा और उसकी नम आँखों में देखने लगा, प्यार से उन्हे अपने हाथों से सॉफ किया



"आज क्यूँ ऐसी बातें कर रही हो... मैं कही नहीं जा रहा.." रिकी ने धीरे से शीना की आँखों में देख के कहा



"आज मुझे बहुत डर लग रहा है... पता नही क्यूँ ऐसा लग रहा है कि आप मुझसे दूर चले जाओगे... मैं ऐसे नहीं रह पाउन्गी..." शीना ने अपनी आँखें नीची कर के कहा और रिकी से गले लग गयी



"हे हे... कुछ नहीं होगा, मैं यहीं हूँ.. तुम्हारे साथ.. तुम्हारे पास... तुम्हारे लिए.... हमेशा के लिए... " रिकी ने हल्के से शीना को फिर अपनी ओर खींचा और उसके मस्तक पे चूम लिया.. दोनो कुछ देर यूही खड़े रहे, एक दूसरे के गले लगे हुए थे..



"अच्छा, चलो बताओ.. कुछ बात हुई जकार्ता में, कब आ रहे हैं वो लोग.." रिकी ने शीना से पूछा, लेकिन उसे अपने से अलग नहीं किया



"3 दिन में.. मैने पापा से कहा, ही सेड ओक लॅंड वाली डील क्लोस्ड है... तो ऐज सून ऐज दे कम, हम काम शुरू करेंगे, मेरी फरन्ड भी इन्वॉल्व्ड रहेगी ऐज आइ हॅव कमिटेड टू हर, और हां आपके मॅनेज्मेंट की बात रही, तो मंडे टू फ्राइडे यू स्टे हियर, सॅटर्डे वहाँ चलना और काम देखते रहना.. आपको बस अब्ज़र्व ही करना है, मैं वहाँ 5 दिन आक्टिव रहूंगी... लाइक, वहाँ जाके सुबह सुबह सब काम देख के बॅक हियर बाइ 9 पीएम डेली ओके.. आंड वीकेंड्स पे साथ चलेंगे दोनो, फिर आप भी देखना सब काम... अब अगर यह फॉलो नहीं किया ना, तो याद रखना..." शीना ने इस बार थोड़ा सा अलग होके जवाब दिया लेकिन उसके हाथ रिकी के कंधों पे ही थे



"बाप रे... सब सोच लिया है, चलो ठीक है, अब यह हो जाएगा, नो टफ हाँ" रिकी ने जवाब दिया और दोनो फिर वहीं बैठ के दिन भर की बातें करने लगे




,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

राजवीर का चाँटा ज्योति के दिल पे लगा था, एक पल के लिए ज्योति रुकी ज़रूर थी यह सोच के शायद राजवीर सही था, वो रास्ता भटक रही है, लेकिन फिर रिकी को खोने का एहसास आया और फिर उसका दिल उन रास्तों पे चल दिया जो उसे ग़लत दिशा में ले जाने को थे.. अपने कमरे में बैठे बैठे ज्योति बस आगे के बारे में सोच रही थी , वो सोच रही थी कि कौन है वो जो स्नेहा को हुकुम देता है, और कैसे वो उसे रिज़ॉर्ट का प्रॉजेक्ट दिलाएगा... फिलहाल अपने दिमाग़ पे काबू रखने के लिए सिगरेट छोड़ने की कोशिश में थी ज्योति, इसलिए बस बाल्कनी में खड़े रह के सामने की ओर देख रही थी के तभी राजवीर की आवाज़ से वो पीछे मूडी



"ज्योति... क्या देख रही हो सामने..." राजवीर की आवाज़ से चोंक के पीछे मूडी और फिर अपनी नज़रें सामने कर दी... यह शरम की वजह से था या गुस्सा, वो खुद नहीं जानती थी, वो बस खामोश ही रही



"तुमने जो सोचा, तुमने जो कोशिश की, मुझे उसकी उम्मीद बिल्कुल नहीं थी.. मुझे हमेशा लगा था कि तुम मेरा गुरूर बनोगी... मैं पाबंदी हमेशा इसलिए रखता था ताकि तुम कभी किसी ग़लत इंसान के साथ ना मिलो, लेकिन मुझे क्या पता था, मेरा तरीका ही मेरा दुश्मन बनेगा... खैर मैं नहीं जानता यह सब करने का ख़याल क्यूँ आया तुम्हारे ज़हेन में, और मुझे यकीन है कि तुम खुद भी इस असमंजस में फसि हो के तुम सही हो या ग़लत, लेकिन बच्चे.. मर्यादा की दीवारों को तोड़ने की कोशिश नहीं करो, वो हमारे लिए अच्छा है..." राजवीर ज्योति से कह रहा था जो अभी भी अपनी नज़रें सामने करे हुई थी



"इससे ज़्यादा तुम खुद समझदार हो, लेकिन मैं उम्मीद करता हूँ कि शायद तुम होश में आओ, और अपनी पढ़ाई पे ध्यान दो.. जिसके लिए तुम यहाँ रुकी हो... और रही बात मेरी और भाभी के बीच में, ग़लती जान बुझ के नहीं करता कोई, जो तुम कर रही हो वो ग़लती नहीं है, जो हम से हुआ वो ग़लती थी.." कहके राजवीर पीछे मूड के जाने लगा



"आख़िर क्यूँ डॅड...." ज्योति ने इस बार पीछे मूड के जवाब दिया जिसे सुन राजवीर रुक गया और मूड के ज्योति की आँखों में देखा..



"क्यूँ प्यार कर रहे हैं आख़िर इतना मुझे, मैं तो आपकी अपनी बेटी भी नहीं हूँ... फिर क्यूँ, मुझे कोई फरक नही पड़ेगा इन सब से तो आप को क्या प्राब्लम है.." ज्योति ने एक दम ठंडी आवाज़ में कहा, मानो एक दम एमोशनलेस्स..



"तुमसे किसने कहा ज्योति कि तुम मेरी बेटी नहीं हो... किसने डाली यह बात तुम्हारे दिमाग़ में..." राजवीर ने आगे बढ़ के कहा



"मैने सुना आपको और ताई जी को बात करते हुए... ताई जी झूठ नही बोलेगी, और ना ही आपने उन्हे कुछ कहा था, ज़ाहिर है वो सही कह रही थी" इस बार ज्योति की आवाज़ में एक ताक़त थी



"हमारी ज़िंदगी में हम जो भी करते हैं, उनमे से आधी चीज़ें इसलिए करते हैं क्यूँ कि हम बस सुनी सुनाई बातों पे यकीन कर लेते हैं... और बाकी की चीज़ें इसलिए होती हैं क्यूँ कि हम कुछ देखते हैं और उसपे विश्वास कर लेते हैं.... दोनो परिस्थितियों में हम सच जानने की कोशिश नहीं करते... खैर यह बात फिर कभी, लेकिन ज्योति अगर मुझपे ज़रा भी विश्वास करती हो तो इस बात को दिल से निकाल दो.. तुम मेरी ही बेटी हो..." राजवीर ने कहा



"तो फिर उस दिन जो आप बात कर रहे थे, उसका सच क्या है डॅड.. बताइए" ज्योति ने फिर ज़ोर से कहा



"सच कोई नहीं जानता ज्योति.... तुम भी नहीं..." राजवीर ने कहा और वहाँ से निकल गया.. जाते जाते ज्योति को फिर दुविधा में डाल गया.... अगर मैं इनकी असली बेटी हूँ तो फिर ताई जी ने ऐसा क्यूँ कहा उस दिन... और डॅड ने भी मना नही किया और फिर आज की यह बात.... आख़िर क्या है यह सब, ज्योति मन में सोचने लगी

राजवीर जैसे ही ज्योति को छोड़ के वहाँ से निकला, सीधा अपने कमरे में घुसा और दरवाज़े को अंदर से लॉक कर के एक लंबी राहत की साँस ली...



"फेवव...... तुम्हारी वजह से मैं क्या क्या कर रहा हूँ, सीधा सीधा चूत मेरे पास आ रही है, लेकिन आक्टिंग करवा दी खमखा.." राजवीर ने सामने बैठी सुहसनी से कहा



"चिंता नहीं करो, जितना ज़्यादा दूर जाओगे, उतना ज़्यादा ही वो तुम्हारे पास आएगी.. एक बार में ही हां कह देते तो क्या अच्छा लगता, उसे लगता उसका बाप तो दुनिया का जैसे सबसे बड़ा ठर्की है..." सुहसनी ने हल्के ठहाके के साथ कहा



"वो सब ठीक है भाभी... अगर नहीं आई तो.. फिर तो शीना के उपर चढ़ुंगा मैं, फिर रोकना नहीं.." राजवीर ने अपने होंठों पे जीभ घुमा के कहा



"शीना के ख्वाब देखना छोड़ो, राइचंद का खून है.. तू इसे पेल ना, जो पता नहीं कौन है, बस अमर ने लाके तुम्हे दे दी और तुमने भी रख दी.. कभी पूछा ही नहीं कि कौन है यह, कहाँ से आई है.." सुहसनी ने मूह बना के कहा



"अरे जानता हूँ भाभी, कहाँ से आई है... लेकिन अब मुद्दे की बात यह नहीं है कि कहाँ से आई है, बात अभी यह है कि यहाँ मेरे पास आएगी कि नहीं.. कसम से कहता हूँ भाभी, गोआ में जो अपना नंगा शरीर दिखा रही थी, दिल किया उसी वक़्त रगड़ डालूं, लेकिन आपके एक फोन ने मेरा पूरा प्लान बदल दिया..." राजवीर ने अपने लिए और सुहसनी के लिए सिगरेट जला के कहा



सुहसनी कुछ कहती उससे पहले उसका फोन बज पड़ा... अमर कहीं बाहर गया था इसलिए शायद वो होगा यह सोच के उसने राजवीर को चुप करने का इशारा किया, लेकिन स्क्रीन पे नाम देखते ही उसके चेहरे पे मुस्कान फेल गयी.. स्क्रीन पहले राजवीर को दिखाई और फिर फोन आन्सर किया



"हां ज्योति बेटा... बताइए" सुहसनी ने सुट्टा मार के कहा



"ताई जी.... आप कहाँ हैं, मुझे कुछ ज़रूरी बात करनी है आपसे.." ज्योति ने बेचेन होके पूछा



"बेटा हम तो तुम्हारे ताऊ जी के साथ बाहर हैं, क्या हुआ, कोई ज़रूरी काम था क्या" सुहसनी ने आक्टिंग करते हुए पूछा और साथ ही राजवीर को फ्लाइयिंग किस देने लगी



"हाँ ताई जी, आप कब तक लौटेंगे..." ज्योति ने फिर थोड़ी सहमी सी आवाज़ में कहा



"बेटी, बहुत बेचेन लग रही हो... हम अभी 15 मिनट में आते हैं, तुम्हारे ताऊ जी से कुछ बहाना बना के आते हैं, और हमारे कमरे में नहीं आना.. एक काम करती हूँ, घर पहुँच के सीधा तुम्हारे पास आती हूँ.. ठीक है बेटी... चलो बाइ.." कहके सुहसनी ने फोन काटा और राजवीर के मूह पे सिगरेट के धुएँ का छल्ला बना दिया



"बस आ गयी, अब और क्या चाहिए तुझे... शीना को भूल जा, अगर कभी उसके बारे में ऐसा सोचा तो याद रखना, मैं कुछ भी कर सकती हूँ.." सुहसनी ने भड़क के कहा जिसे देख एक पल राजवीर भी घबरा गया और खामोश रहा

Reply
07-03-2019, 04:04 PM,
#73
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"चलो, अब जाती हूँ उसके पास देखूं क्या कहती है..." कहके सुहानी ने अपना हुलिया ठीक किया और धीरे से राजवीर के कमरे के बाहर झाँका तो वहाँ कोई नहीं था.. जल्दी से वो कमरे के बाहर आके कुछ कदम पीछे गयी, और फिर आगे बढ़ती हुई बोलने लगी..



"ज्योति, बेटी किधर हो... ज्योति..." सुहानी ज्योति के कमरे के पास पहुँची, तो ज्योति ने भी उसकी आवाज़ सुन के जल्दी से अपना कमरा खोला और सुहसनी को सामने खड़ा पाया



"क्या हुआ ज्योति बेटे... इतना जल्दी क्यूँ बुलाया हमे.." सुहसनी ने ज्योति के सर पे हाथ फेर के कहा



"अंदर आइए ताई जी प्लीज़...." ज्योति ने सुहसनी से कहा और दरवाज़ा बंद कर दिया ताकि कोई दूसरा उन्हे डिस्टर्ब ना कर सके...




"ह्म्म्म ,.... तो यह बात है... अब सब से पहले मुझे इस घर की सब कॅमरास निकलवानी पड़ेगी... मैं नहीं चाहती कि मेरे बच्चों के मन पे कोई बुरा असर पड़े, मैं नहीं ठुकराती इस बात को कि तुम्हारा पिता और मेरे बीच में अवेध संबंध है... लेकिन मैने कभी तुम्हारे ताऊ से प्यार नहीं किया, मुझे शादी के लिए जब रिश्ता आया था तब मुझे तुम्हारे पापा के लिए कहा गया था, लेकिन फिर कोई कारण था जिसकी वजह से तुम्हारे ताऊ जी के साथ मेरी शादी हुई..." सुहासिनी आगे कहती उससे पहले ज्योति फिर बोल पड़ी



"कैसे कारण थे, ताई जी... बताइए, मैं जानना चाहती हूँ.." ज्योति की यह बात सुन सुहसनी झेंप गयी, झूठ तो बोल दिया, लेकिन अब इसका क्या कारण दे, यह सोच सोच के वहीं खामोश बैठी रही और बस ज्योति को एक टक देखती रही



"हमारे वक़्त में हम घर वालों से इतने सवाल नहीं पूछते थे, उनका कही हुई बात हमारे लिए हुकुम होता था जिसका पालन बिना किसी आवाज़ के किया जाता था ज्योति.." सुहसनी ने जवाब और ताना, दोनो एक साथ दिया जिसे ज्योति समझ गयी और फिर खामोश हो गयी



"लेकिन इन सब से तुम्हे क्या फरक पड़ रहा है, तुम्हे कभी राजवीर ने एहसास दिलाया कि तुम उसकी अपनी बेटी नहीं हो... कभी उसने ऐसा महसूस करवाया, कुछ ऐसी हरकत की है, तो तुम बेझिझक हमे बताओ, अमर उसकी ऐसी खबर लेंगे के ज़िंदगी भर याद रखेगा वो..." सुहसनी ने जब देखा उसका पासा ठीक पड़ रहा है तो थोड़ा रुबाब दिखाने के चक्कर में उसे यह कहना पड़ा



"नही ताई जी, ऐसा कुछ नहीं, लेकिन एक आखरी सवाल है... आप बुरा नहीं मानेंगी अगर मैं पूछूँ तो..." ज्योति ने सुहसनी से कहा जिसका जवाब सुहसनी ने सिर्फ़ गर्दन हिला के हां में दिया



"ताई जी, आपके और पापा के फिज़िकल रिलेशन्षिप के बारे में है.. पक्का आप बुरा नहीं मानेंगी.." ज्योति ने डरते हुए पूछा, वो जानती थी शायद सुहसनी जवाब ना दे



"पूछो बेटी, मैने कोई ग़लत काम नहीं किया है तो डर कैसा, उल्टा मुझे खुशी है के इस बारे में घर की सबसे सुलझी हुई लड़की को पता चला है, अगर शीना को पता चलता तो वो बेवकूफ़ ना जाने क्या कर देती.. कभी कभी सोचती हूँ के काश शीना भी तेरे जैसी होती, सरल सीधी और सुलझी हुई... खैर, पूछो क्या पूछना चाहती हो..आज मैं नहीं रोकूंगी तुम्हे" सुहानी ने फिर ज्योति के बालों में हाथ घुमाया



"ताई जी, जब आप और पापा फिज़िकल हुए थे, तो पहल किसने की थी... मेरा मतलब, पापा और आप कैसे मिले... और क्या आप लोग पहली बार में ही मतलब, बेड पे... आइ मीन, कोई हिचकिचाहट नहीं थी, सब मर्यादायें तोड़ के आप को ज़रा भी ग़लत नहीं लगा..." ज्योति सॉफ पूछना चाहती थी इसलिए उसकी आवाज़ में किसी प्रकार की हिचकिचाहट नहीं थी, लेकिन शब्दों को ढूँढ नहीं पा रही थी, इसलिए बार बार अटकती, लेकिन उसकी आँखें सुहसनी पे ही टिकी रही..



सुहसनी ने एक लंबी साँस छोड़ी...



"मर्यादा का क्या है बेटी, मर्यादा समाज बनाता है, कुछ खोखले विश्वासों पे, कुछ खोखले रीति रिवाज़ों पे... यह समाज कभी प्यार का मतलब नहीं समझ पाया है, इनके लिए तो प्यार बस एक ऐसी चीज़ है जो बिस्तर पे शुरू होती है, और 10 मिनट में ख़तम... इस समाज को कौन समझाए कि प्यार में दिल हमेशा उसके पास रहना चाहता है जो उसे अच्छा लगता है, प्यार की परिभाषा समाज के लिहाज़ से काफ़ी अलग है, लेकिन वो बस प्रेमी ही जानते हैं कि प्यार क्या है... मुझे आज तक दुख नहीं हुआ कि मैने ऐसा कदम उठाया, पहली नज़र में ही मैने राजवीर को दिल दे दिया था, लेकिन जब हम मिल नहीं पाए, तब राजवीर से ज़्यादा दुख मुझे हुआ था.. लेकिन हम फिर भी समाज की वजह से खामोश रहे, लेकिन किसी को पहेल करनी ही थी, आख़िर कब तक घुट घुट के जीते, एक घर में रह के भी हम अजनबीयों की तरह थे.. मैं ज़्यादा सह नही पाई और मैने राजवीर से इज़हार कर दिया.. लेकिन वो बेचारा मर्यादाओं के तले दबा हुआ हमेशा इस रिश्ते को नकार्ता रहा... जैसे जैसे वक़्त गुज़रा वैसे वैसे मेरा प्यार उसके लिए बढ़ता गया, और उसका मेरे लिए... एक दिन जब हम दोनो से सहा नहीं गया तब हम ने सब सीमायें पार कर दी... इसमे भी पहेल मैने ही की थी, नही तो वो कभी नहीं मानता, वो घुट घुट के जीता रहता लेकिन कभी अपनी भावनाए मुझे नहीं बताता.." सुहसनी ने थोड़ी सी नम आँखों के साथ कहा ताकि ज्योति इसे सच समझ ले.. उसके इस जवाब में एक बात यह थी कि उसने जान बुझ के ऐसा कहा के पहेल उसने की और राजवीर मना करता रहा, ताकि ज्योति उसे अपनी स्थिति से रिलेट कर सके... अब ज्योति के दिमाग़ में बिल्कुल वही ख़याल आया, कैसे उसने राजवीर को बहकने की कोशिश की लेकिन वो नहीं माना...



"यह सब तुमने क्यूँ पूछा मैं नहीं जानती...लेकिन मुझे खुशी है तुमने मुझसे यह सब पूछा.. दिल पर से एक बोझ हल्का हुआ है, हम हमेशा सोचते थे कि कभी अगर हमारे बारे में हमारे बच्चों को पता चला तो वो क्या सोचेंगे, लेकिन तुम्हारी प्रतिक्रिया देख के मैं खुश हूँ कि तुम भले ही हमारे खानदान में नहीं जन्मी, लेकिन राजवीर के संस्कार और उसके जैसे सोचने की काबिलियत है... गर्व है मुझे तुम पे... तुम जितनी राजवीर की बेटी हो, उतनी ही मेरी भी हो..." सुहसनी ने ज्योति का हाथ पकड़ के कहा और कुछ देर बैठ के फिर अपने कमरे की ओर चली गयी...



"अगर मैं पापा से प्यार नहीं करती इसका यह मतलब नहीं कि मैं फिज़िकल नहीं हो सकती... अब मैं जान गयी हूँ के पापा का स्वाभाव ही ऐसा है और मेरी वजह से ही उन्होने झूठ कहा मुझसे, लेकिन जब जब मैने उन्हे अपनी बॉडी दिखाई तब तब उनकी बॉडी ने भी रिएक्ट किया, मतलब ज़रूरत तो उन्हे भी है मेरी, लेकिन कह नहीं पाते बस एक रिश्ते की वजह से.. मैं कभी इस रिश्ते को मजबूरी नहीं बनने दूँगी, चाहे मुझे जो भी करना पड़े, मैं पापा को जिस्मानी तौर पे खुश करना चाहती हूँ अब, चाहे कुछ भी हो जाए,.. और उनकी स्थिति भी ऐसी है, उनके जीवन में कोई औरत भी नहीं है, उनका शरीर देख के लगता है ताई जी उन्हे सॅटिस्फाइ नहीं कर पाती होंगी.. राजस्थान में भी कभी मैने नहीं देखा कि वो किसी औरत को बुरी नज़र से देखते हो... मैं अब उनके करीब जाउन्गी... चाहे कुछ भी हो जाए" सुहसनी के जाते ही ज्योति ने खुद से यह कहा और यह वक़्त था, जब ज्योति के दिल में कोई दो राहे नहीं थी, उसके मन में कोई ग़लत सही की भावनाए नहीं थी... इस वक़्त ज्योति अपने दिल को काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी,
इतने दिन से जो ख़याल उसके मन को झींझोड़ रहा था, शायद आज उसका रास्ता उसे मिल गया...






"रिकी, आज मैं तुमसे हमारे क्लाइंट को मिलाना चाहता हूँ, इनकी बेट्टिंग करोड़ से शुरू होती है.. तो हमे यह ख़याल रखना पड़ता है कि यह जीते भी और हारे भी.. समझ गये तुम..." राजवीर और रिकी दोनो बोरीवली जा रहे थे जहाँ उन्हे एक व्यापारी से मिलना था...



"अरे अरे राजवीर सेठ, आइए, और आपके साथ यह कौन.." उस आदमी ने रिकी की तरफ देखते हुए कहा... रिकी और राजवीर बोरीवली के एक जेवेलरी शोरुम में बैठे थे, शोरुम कुछ ज़्यादा बड़ा नहीं था, लेकिन जैसा राजवीर ने कहा, ज़्यादा पैसा ब्लॅक का था इसलिए यह सब दिखाना पड़ता था...



"यह विक्रम का भाई है सेठ जी.. रिकी राइचंद" राजवीर ने रिकी की तरफ इशारा कर के कहा



"आओ आओ भाया, काफ़ी दुख हुआ विकी सेठ के बारे में सुन के... खैर ज़िंदगी चलती का नाम है, बताइए, क्या लाए हैं आज मेरे लिए..... राजवीर बाबू पिछली दो तीन मॅच में काफ़ी हारा है, इस बार कुछ मज़बूत बताइए, तो थोड़ा निकाल सकूँ" सेठ ने उन्हे पानी का ग्लास देते हुए कहा



"क्या सेठ जी, इतना जीते भी तो हैं, हार जीत चलती रहती है, मैने देखी है आप की पोथि, आज तक जितना आप जीते हैं उतना कोई नहीं जीता..." राजवीर ने अपना चश्मा उतार के कहा



"भाया लगाता भी इतनी बड़ी रकम हूँ.. खैर, बताइए, कल किसपे लगाना है, सुना है ऑस्ट्रेलिया मज़बूत नहीं रही अभी, इंग्लेंड पे लगा देते हैं, क्या ख़याल है आपका..." सेठ ने राजवीर की तरफ देख पूछा, राजवीर कुछ कहता उससे पहले रिकी बोल पड़ा..



"सेठ जी, टीम को छोड़िए, खिलाड़ी पे लगाइए... एक रन एक लाख रुपया, चाहे कोई भी टीम जीते, अगर खिलाड़ी मज़बूत आते हैं आपके पास तो आप पक्का जीतेंगे..." रिकी ने राजवीर को रोकते हुए कहा, रिकी की बात सुन राजवीर चोंक गया, वो जानता था कि यह एक किस्म की बेट्टिंग है लेकिन वो लोग इसमे ज़्यादा नहीं पड़ते थे, क्यूँ कि छोटी रकम होती थी.. लेकिन एक रन का एक लाख कर के रिकी ने इसे बड़ा बना दिया...



"भाया, जानता हूँ, बचपन में हम यही खेला करते थे, नो कट करेंगे तब तो फ़ायदा होगा... लेकिन एक लाख की बेट्टिंग मेरे सामने लेगा कौन, आप लोग तो नहीं ले सकते, और आपके क्लाइंट भी काफ़ी बड़े हैं, यह टूची चीज़ों में कौन आएगा.." सेठ ने ऐसी पॉइंट रखी जो एक दम बराबर थी, लेकिन रिकी इसके लिए तैयार था..



"मिस्टर ओबेरॉय सेठ जी.. वो ले लेंगे, मैने उनसे बात की, लेकिन वो यहाँ आ नहीं सकते, इसलिए हम यह काम फोन पे ही कर लेंगे... और क्यूँ कि आपका पहली बार है यह, तो ओबेरॉय जी ने कहा है उन्हे कोई दिक्कत नहीं कि पहला खिलाड़ी आप लें तो.." रिकी ने ऐसी गाजर सेठ को दिखाई जो वो कभी मना नहीं कर सकता था.. इस खेल में रूल बड़ा सिंपल था, दो लोग एक एक कर के खिलाड़ी लेंगे, उन खिलाड़ियों की रन्स को जोड़ लिया जाएगा, जिस की रन्स का टोटल ज़्यादा होगा, उतनी रन्स को लाख गुना बढ़ा दिया जाएगा., जैसे 100 रन तो एक करोड़... और नो कट में अगर एक का टोटल 99 और एक का टोटल 100 हुआ, तो भी 100 रन के ही पैसे मिलेंगे, ना कि एक रन के जो दोनो का डिफरेन्स है... उसपे पहला खिलाड़ी लेने का फ़ायदा देख के सेठ से रहा नहीं गया और उसने हां कर दी.. रिकी ने अपनी जेब से फोन निकाला और ओबेरॉय को फोन कर के सौदा डन किया.. क्यूँ कि सेठ को पहले चान्स मिला था, उसने तीन खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के और दो इंग्लेंड के लिए थे.. सामने ओबेरॉय ने तीन इंग्लेंड के और दो ऑस्ट्रेलिया के..



"ठीक है सेठ जी, अब आप दोनो राज़ी हैं तो इसमे मैं क्या बोलूं," राजवीर ने फाइनली कहा और रिकी को देखने लगा.. तीनो में कुछ देर और बात हुई और राजवीर और रिकी दोनो निकल गये...



"रिकी, यह ओबेरॉय कौन है, पहले कभी नहीं सुना.." राजवीर ने गाड़ी में बैठ के कहा



"ओबेरोई कोई नहीं है चाचू, हमारे नेटवर्क का एक बुक्की ही था.. बेट ओबेरॉय ने नहीं हम ने खुद ली है" रिकी ने गाड़ी स्टार्ट कर के कहा



"तुम जानते हो, अगर उसकी 300 रन भी हुई, तो कम से कम 3 करोड़ का घाटा होगा, और टेस्ट मॅच में 300 होना कोई बड़ी बात नहीं है..." राजवीर ने इतना कहा ही था कि उसके फोन पे सेठ का फोन आ गया



"भाया, कल भाव खुलते ही 3 करोड़ में ऑस्ट्रेलिया भी खा लेना.. गोरे जीतेंगे..." कहके उस सेठ ने फोन रखा



"ही ईज़ ऑलरेडी हेड्जिंग इट... खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के और टीम इंग्लेंड.. कहीं ना कहीं तो मुझे देने ही पड़ेंगे रिकी" राजवीर ने धीमी आवाज़ में कहा



"चाचू, उसके खिलाड़ी टॉप 3 बॅट्समेन है ऑस्ट्रेलिया के, तीसरा नंबर नाइट वॉचमन आएगा.. इंग्लेंड पहले बॅटिंग करेगी, करीब 250 पे ऑल आउट होगी जिसमे टॉप 3 बॅट्समेन हमारे हैं.. टॉप 3 का स्कोर करीब 150 होगा, उसके बाद पूरी टीम 100 और करेगी... ऑस्ट्रेलिया बॅटिंग करने आएगी तो टॉप ऑर्डर के दोनो बॅट्समेन 30 के अंदर निपट जाएँगे, तीसरा नाइट वॉचमन आएगा जो 10 से ज़्यादा नहीं करेगा, उसके बाद इन्निंग्स 4त और 5त बॅट्समेन संभालेंगे, वो दोनो करीब 150 करेंगे... स्कोर 180 पे 3, उन दोनो के आउट होते ही टीम 260 पे निपट जाएगी... दूसरी इन्निंग्स में इंग्लेंड 180-190 का टारगेट देगी जिसे ऑस्ट्रेलिया चेस करेगी.. इस लिहाज़ में 300+ रन और 3 करोड़ दूसरे हमे मिलेंगे... और यह खिलाड़ी
हमारे सिर्फ़ पहली इन्निंग्स के हैं, दूसरी इन्निंग में मुझे कुछ नहीं लेना देना... और रही बात सेठ के पैसों की... उसे दूसरी टेस्ट मॅच में 1 करोड़ जितवा देंगे, जिससे वो फिर खिचा हुआ हमारे पास आ जाएगा.." रिकी ने बिना झिझक के अपनी बात कही और नज़रें आगे रखी और गाड़ी दौड़ाता रहा



"तुमने यह सब कब सेट किया, और आगे से मुझे बता देना पहले ..." राजवीर ने रिकी से कहा और उसे घूरता रहा



"चाचू, कल रात ही हुआ यह सब.. और आज सुबह आपको बता दिया, अब से उसी वक़्त बता दूँगा..." रिकी ने फिर जवाब दिया और दोनो खामोशी से आगे चलते रहे...






"आख़िर रिकी ने दो दिन में इतना सब कैसे सीख लिया, अब तक तो उसे इतना किसी ने बताया भी नहीं है... और जहाँ तक मेरा ख़याल है वो क्रिकेट देखता है.. लेकिन उससे आगे कभी कुछ नहीं किया, ना ही मैने या विक्रम ने कभी उसे कुछ कहा, फिर अचानक कैसे..." रात को राजवीर अपने कमरे में बैठे बैठे यह सब सोच रहा था और दारू पी रहा था कि तभी उसके दरवाज़े पे नॉक हुआ




"पापा... कॅन आइ प्लीज़ कम इन.." ज्योति की आवाज़ सुन राजवीर का दिमाग़ फिर आज सुबह हुई बातों में लगा जो उसको सुहसनी ने बताई थी..
Reply
07-03-2019, 04:05 PM,
#74
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"आप ना बहुत मस्ती करने लगे हो अभी...." शीना ने रिकी का हाथ पकड़ के कहा... शीना और रिकी बाल्कनी में अपनी कुर्सियों पे बैठे बियर पी रहे थे... रात के सन्नाटे में सिर्फ़ एक डिम लाइट जला के दोनो आपस में बातें कर रहे थे और समंदर की लहरों की आवाज़ का मज़ा ले रहे थे.. रात का माहॉल काफ़ी अलग सा होता है, दिन भर की भाग दौड़ के बाद आदमी को जो सुकून चाहिए होता है वो सिर्फ़ रात के अंधेरे में, रात की खामोशी में ही प्राप्त होता है... रात के चाँद तारों को देख आदमी दिन भर की थकान को भूल जाता है और उस वक़्त वो सिर्फ़ अपने बारे में सोचता है, चाहे वो फिर दिन भर जो काम किया वो उसके बारे में हो या फिर आने वाली सुबह के बारे में... रात की ऐसी खामोशी में आदमी अपने दिल की, अपने दिल की धड़कनो को सुन सकता है, महसूस कर सकता है... शीना और रिकी ठीक ऐसा ही महसूस कर रहे थे, दोनो अपने अपने ख़यालों में खोए हुए था, लेकिन दोनो एक दूसरे की दिल की धड़कनो को भी सुन सकते थे.. दोनो सॉफ महसूस कर सकते थे दिल में चल रही खामोशी को, यह खामोशी दोनो को ही सता रही थी, लेकिन फिर भी दोनो में से कोई कुछ नहीं बोल रहा था...



"ऐसा लग रहा है कि कुछ होने जा रहा है....
कोई मीठे सपनो में खोने जा रहा है...
धीमी कर दे तेरी रोशनी ए चाँद....
ये मेरा यार अब सोने जा रहा है......"



रिकी के लफ़्ज़ों से यह शब्द सुन के शीना का मूह खुला का खुला रह गया... रिकी अभी भी चाँद की तरफ देखता जा रहा था और शीना उसे देखे जा रही थी... रिकी की आँखों में एक अजीब सी चमक थी आज, चाँद से भी ज़्यादा उसकी आँखें चमक रही थी... उसका चेहरा बिल्कुल अलग रहा था, शीना को एक पल के लिए लगा मानो कोई और ही बैठा था उसके पास... रिकी की आवाज़ में एक अजीब कशिश थी... शीना कुछ कहती उससे पहले रिकी ने उसकी तरफ देखा और फिर बोला



"तेरे होने से एक खुशी जुड़ी है....
तेरी आँखों से एक रोशनी जुड़ी है....
अपने होंठों की हँसी कम ना होने देना....
क्यूँ कि तेरी हँसी से मेरी ज़िंदगी जुड़ी है...."




रिकी के इन लफ़्ज़ों से मानो शीना इस दुनिया में थी ही नहीं.. हक्की बक्की बैठी वो बस रिकी के चेहरे को ही देख रही थी, कितनी कोशिश कर ली उसने, लेकिन वो मान ही नहीं पा रही थी के उसके पास रिकी बैठा है, ऐसा लग रहा था मानो पूरा का पूरा चाँद रिकी के चेहरे पे उतर आया है, उसकी आँखें, उसका रंग, उसके होंठ.. ऐसे चमक रहे थे कि इतने अंधेरे में भी उसके चेहरे की चमक ही काफ़ी हो.... कुछ देर दोनो एक दूसरे को ही देखते रहे, जहाँ रिकी एक हल्की मुस्कान लिए शीना के चेहरे को देख रहा था, वहीं शीना का मूह खुला का खुला था और आँखें बड़ी करके बस रिकी के चेहरे को ही देख रही थी...



"अब अपना मूह बंद भी करो, नहीं तो कोई मच्छर ना चला जाए अंदर..." रिकी ने हल्के हाथोंसे उसके मूह पे हाथ फेरके कहा, जिससे शीना होश में आई और फिर कुर्सी पे लेट गयी



"आप को शायरी कब आई... और वो भी इतनी अच्छी...." शीना ने अपना चेहरा आसमान की तरफ रख के कहा, मानो वो रिकी से अभी तक कुछ छुपा रही थी



"कैसी लगी.." रिकी ने बस उसे देखते रहते हुए ही कहा... शीना ने रिकी की बात का कोई जवाब नही दिया और वो बस नज़रें आसमान में रखे हुए थी..



"अच्छी नही लगी क्या, बताओ ना..." रिकी ने उसके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और उसे अपनी तरफ घुमा के कहा, शीना के चेहरे पे एक हल्की सी शरारती मुस्कान थी जिसे वो कब से छुपा रही थी



"कहाँ से कॉपी की..." शीना ने आख़िर में एक ज़ोर की हँसी हँसके कहा



"इतनी मुश्किल से मैने लर्न की थी तुम्हारे लिए, और तुम हो के तारीफ़ नही कर रही बल्कि कॉपी की बात कर रही हो..." रिकी ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा और शीना को छोड़ अपनी कुर्सी पे सीधा बैठ के समंदर की तरफ देखने लगा



"तड़पने दो अभी मुझे... मोहब्बत जुर्म है मेरा...
मेरी आँखों में रहने दो ये आँसू और बहने दो...
मुझे इल्ज़ाम कोई दो... मोहब्बत जुर्म है मेरा.."




शीना ने रिकी को देख के एक हल्की सी मुस्कान के साथ यह लफ्ज़ कहे, जिसे सुन रिकी को बहुत अच्छा लगा, लगता भी क्यूँ नही रिकी आवाज़ में एक शिद्दत थी, उसकी आवाज़ में एक मासूमियत थी.. लेकिन फिर भी रूठे रहने की आक्टिंग करने के लिए रिकी ने कोई रियेक्शन नहीं दिया और सामने ही देखता रहा... शीना अपनी कुर्सी से खड़ी हुई, रिकी की कुर्सी के आगे अपने घुटनों पे बैठी , रिकी के हाथों को अपने हाथों में लिया, हल्के से उसके चेहरे को अपने चेहरे को सामने किया, और उसकी आँखों में देख के कहा



"मेरी पलकों को तो बस उनका इंतेज़ार रहता है....
दिल के किसी कोने में उनका ही प्यार रहता है...
गुज़र रहे हैं रात और दिन उनकी याद में...
बस हमे तो उनका इंतेज़ार और प्यार ही याद रहता है...."
Reply
07-03-2019, 04:05 PM,
#75
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
यह लफ्ज़ सुन रिकी से रहा नहीं गया और उसके चेहरे पे एक मुस्कान तेर गयी... शीना को अपनी बाहों में खींच के उसका चेहरा अपने होंठों के पास ला दिया... शीना की आँखें बंद थी, उसके बालों की एक लट उसके आँखों पे आ गिरी थी, रिकी ने धीरे से उसकी ज़ुल्फो को सँवारा और उसकी लट को पीछे किया... दोनो के होंठ एक दूसरे के काफ़ी नज़दीक थे, दोनो एक दूसरे के चेहरे को अपनी साँसों की गर्मी दे रहे थे, रिकी ने धीरे से उसके चेहरे को अपने और पास खींचा, शीना के होंठ खुद ब खुद खुल गये रिकी को न्योता देने के लिए... रिकी ने बड़े चाव से शीना के लबों का न्योता स्वीकारा और दोनो एक दूसरे को चूमने में व्यस्त हो गये, लबों का लबों को काटना, जीभ का जीभ से टकराना, एक दूसरे की जीभ को चूसना, होंठों को काटना... दोनो अपने इस चुंबन का परम आनंद ले रहे थे, मौसम ने भी करवट बदल दी थी.. जहाँ लहरें उछल रही थी कुछ देर पहले, वहाँ सन्नाटा पसर चुका था, लहरें खामोशो हो गयी थी, चाँद की रोशनी भी काफ़ी कम हो गयी थी, बस आसमान के तारे शीना और रिकी के इस चुंबन के गवाह थे.... कुछ देर बाद दोनो एक दूसरे के होंठों की गिरफ़्त से मुक्त हुए, साँसें दोनो की तेज़ चल रही थी, रिकी ने अभी भी शीना का चेहरा अपने हाथों में थामा हुआ था और शीना की आँखें अभी भी बंद थी, दोनो अपनी टूटी हुई साँसों को समेटने की कोशिश कर रहे थे...



"वेट.." शीना ने अपनी साँसों को संभाल के रिकी के कानो में धीरे से कहा... शीना होश संभालते हुए अपने कमरे के अंदर गयी और दरवाज़े के उपरी बीच वाले हिस्से को एक ब्लॅक टेप से ढक दिया... शीना के रूम की कॅमरा यहीं पे थी, जिसे ज्योति कुछ दिन पहले ढूँढ रही थी... सुहसनी ने जो कॅमरा फिट करवाए थे शीना जानती थी कि सब कहाँ पे हैं, इसलिए उसने काफ़ी पहले ही उसकी जगह बदलवा दी थी जो सुहसनी नहीं जानती थी, अहेम यह था कि सुहसनी की लोकेशन से या इस लोकेशन से शीना के कमरे का फुल व्यू मिलना चाहिए, और वो अभी तक बरकरार था..उस रात जब रिकी उसे चूमने आया था तब भी उसने अपनी मर्ज़ी से ही सुहसनी को वो सब देखने दिया था.. शीना सब को ऐसा दिखाती रहती जैसे वो बहुत इग्नोरेंट है, लेकिन वो सब देखती थी, सब समझती थी और फिर उसका सामना करती थी... जब उसने ज्योति को खुद ही रिकी और अपने बारे में बताया वो समझ गयी थी कि वो सुहसनी को बताने में देर नहीं करेगी, अब जब उसने ज्योति को
बताने की हिम्मत की थी तो फिर अगर सुहसनी को भी पता चल जाए तो फ़ैसला उसी वक़्त हो जाएगा के इस रिश्ते की दूरी कितनी है, इसलिए उसने सोचा खुद ही बता दे, अब सीधा जाके तो वो सुहसनी को बता नहीं सकती थी, इसलिए उसने सोचा कि सुहसनी को कुछ दिखाया जाए, तभी उसने अपने कॅमरा को दरवाज़े के उपर फिट करवाया, जैसे ही दरवाज़ा खुलेगा कमरे का पूरा व्यू दिख जाएगा... बस उस दिन से शीना के दिल का डर निकल गया था, वो जान गयी थी कि सुहसनी उन्हे नहीं रोकेगी, कारण चाहे जो भी हो, लेकिन जब नहीं रोक रही थी तो शीना को क्या आपत्ति हो सकती थी... शीना अब तक यह नहीं समझ पाई थी कि सुहसनी ने उसे कहा क्यूँ नहीं कुछ इस बारे में, लेकिन साथ वो खुश भी थी कि आगे की आगे सोचेंगे फिलहाल तो उसे जो चाहिए था वो उसको मिल रहा था......



..................................
"हां बेटी, बोलो क्या हो गया यूँ अचानक.." राजवीर ने ज्योति से कहा जो इस वक़्त उसके कमरे में थी



"नतिंग डॅड, ऐसे ही आई थी, अकेली बोर हो रही थी , सोचा आप के पास ही आ जाउ..." ज्योति ने बड़े कॅष्यूयली जवाब दिया जिसे सुन राजवीर ने भी कुछ नहीं कहा और बस हां में गर्दन हिला दी



"डॅड, मुझसे ड्रिंक नहीं पूछेंगे आज..." ज्योति ने अपनी आँखें बॉटल पे जमा के कहा



"ज्योति, हम घर पे हैं, गोआ की बात अलग थी, देअर ईज़ नो पॉइंट हियर... आंड अगर ऐसा है तो रिकी या ज्योति को बोलो कंपनी के लिए, " राजवीर ने अपना ग्लास ख़तम करते हुए कहा



"हुहह.. वो दोनो तो लगे होंगे अपनी चोंच लड़ाने में, उनके पास टाइम कहाँ होगा मेरे लिए.." ज्योति ने खुद को बहुत धीरे से कहा जैसे राजवीर ना सुन सके



"डॅड, आइ वॉंट तो टॉक यू..." ज्योति ने फिर अपनी आँखें राजवीर की तरफ की



"देन टॉक, व्हाट ईज़ इट, टेल मी" इस बार राजवीर भी आराम से पीछे टेका देके बैठा जैसे दिखा रहा हो वो तैयार है उसकी बातों के लिए



"पहले मुझे यह पता चलता है कि मैं आपकी बेटी नहीं हूँ, आप की अडॉप्टेड लड़की हूँ... फिर आप आके यह कहते हैं कि मैं आप ही की औलाद हूँ ना कि अडॉप्टेड, पर फिर से यह पता चलता है कि नहीं, मैं तो अडॉप्टेड ही हूँ.. राइचंद का खून तो हूँ ही नहीं मैं... तो डॅड, सच सच बताइए आख़िर हूँ कौन मैं, क्या मुझे यह जानने का भी हक़ नहीं है" ज्योति ने बड़ी गंभीरता से कहा



ज्योति की गंभीरता देख, राजवीर ने भी इस सवाल का मह्त्व समझा ज्योति के लिए.... उसको समझ आ गया कि भले वो उसे ग़लत बोले या सच, लेकिन इस जवाब के बाद ज्योति को हर चीज़ अलग लगेगी, पहले वो जो भी करती थी वो एक हक़ से करती थी, खुद को राइचंद समझ के करती थी, लेकिन अब जब उसे सच बता दे गा तो शायद ज्योति के बर्ताव में बदलाव आए



"डॅड, सोचने की ज़रूरत नहीं है, बताएँगे प्लीज़." ज्योति ने फिर थोड़ा उँचे स्वर में कहा



"ज्योति, मेरा जवाब सुनने के बाद एक वादा करोगी, अगर हां है तो बताउन्गा, नहीं तो रहने देते हैं" राजवीर खुद को तैयार कर रहा था



"मुझे मंज़ूर है डॅड, जो भी वादा है, जो भी शर्त है, सब मंज़ूर है अब बताइए" ज्योति ने बिना सोचे समझे कहा



"ठीक है... ज्योति, तुम मेरी सग़ी बेटी नहीं हो.... तुम्हे तुम्हारे ताऊ जी लाए थे मेरे पास, तुम तकरीबन 3 साल की थी जब तुमने पहली बार हमारी ज़िंदगी में कदम रखा था, हमारी ज़िंदगी में एक बच्चे की कमी थी, लाख कोशिशें की हम ने लेकिन कभी हमारा अपना बच्चा नहीं हो पाया, इसी गम में मेरी बीवी, यानी तुम्हारी माँ , काफ़ी बीमार होने लगी थी, जैसे जैसे दिन गुज़रते वैसे वैसे उसकी हालत और खराब होती जाती.. अमर भाई साब से यह देखा नहीं गया, इसलिए उन्होने यह सुझाव हमे दिया कि हम एक बच्चा गोद ले लें, मुझे ठीक नहीं लगा यह सुझाव, मैं सोचता था कि पता नहीं कैसे किसी को जाने बिना गोद ले सकता हूँ, लेकिन तुम्हारी माँ की हालत ठीक होने का नाम नहीं ले रही थी, मजबूरी में मुझे अमर भाई साब को हां कहना पड़ा... राजस्थान के एक अनाथ आश्रम में हम गये और वहाँ से हमे तुम मिली.. सुलेखा यानी तुम्हारी माँ ने जैसे ही तुम्हे देखा उसकी आँखों में एक जीने की इच्छा दिखी हमे, वो अब जल्द से जल्द ठीक होना चाहती थी, कुछ दिन में वो ठीक हुई और तुमसे बेइन्तिहा प्यार करने लगी.... यह देख मुझे लगा कि तुम्हे यहाँ लेके आने का फ़ैसला ग़लत नहीं था.. जब तुम 10 साल की हुई तब आक्सिडेंट में सुलेखा की मौत हुई, मरते मरते उसने मुझसे वादा माँगा था कि तुम्हे कभी नहीं पता चलना चाहिए कि तुम हमारा खून नहीं हो..." राजवीर ने इतना ही कहा कि ज्योति
ने उसे टोक दिया
Reply
07-03-2019, 04:05 PM,
#76
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"लेकिन मुझे पता चल गया डॅड, और एक बात.. क्या मम्मी को आपके और ताई जी के बारे में पता था..." ज्योति ने एक दम कड़क अंदाज़ में पूछा



"नहीं, वो नहीं जानती थी.." राजवीर ने बस इतना ही कहा और अपनी गर्दन को नीचे झुका दिया.... कुछ देर राजवीर और ज्योति दोनो खामोश रहे, जिस बात से ज्योति को कोई फरक नहीं पड़ता था कुछ दिन पहले आज उसी बात से उसका दिल घायल होने जा रहा था, राइचंद खून नहीं है, यह सुन के सब कुछ अलग लगने लगा था, जिस चीज़ को वो अपना समझती अब वो उसे पराई लगने लगी थी.. राजवीर में अब उसे कोई बाप नहीं दिख रहा था, वो दिल ही दिल में घुट्टन महसूस करने लगी थी



"लेकिन ज्योति, अब मैं तुमसे एक वादा माँगना चाहता हूँ जैसे कि पहले कहा था मैने" राजवीर ने अपनी गर्दन को हल्का सा उपर उठा के देखा तो ज्योति की आँखों में आँसू थे



"ज्योति, अरे बेटी... " कहके राजवीर वहाँ से उठा और ज्योति के पास जाके बैठ गया



"रोना नहीं है बेटी प्लीज़... आज तक हम में से कभी कोई नहीं चाहता था कि तुम्हे इस बात का पता चले, और अब मेरा वादा भाई बाकी है.. वादा करो ज्योति, कि इस बात के बाद तुम्हारे बर्ताव में कोई बदलाव नहीं आएगा, आज तक तुम जैसे हर चीज़ को घर के हर सदस्य को तुम अपना समझती थी, अभी भी वैसा ही होगा... इस बात की वजह से अगर तुमने खुद में कोई बदलाव लाया, तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाउन्गा..ज्योति इधर देखो प्लीज़ मुझसे वादा करो..." राजवीर ने ज्योति का हाथ पकड़ा और उसकी आँखों में देखने लगा.... कुछ देर तक दोनो ऐसे ही बैठे रहे, ज्योति की आँखों में अब तक आँसू थे, वो ना कुछ बोल रही थी ना कुछ कर रही थी...



"ज्योीटी, बेटी बोलो प्लीज़.. यूँ खामोश बैठ के तुम.." अभी राजवीर ने इतना ही कहा कि ज्योति ने अपनी आँखें उपर की, रो रो के उसकी आँखें सुर्ख लाल हो चुकी थी, राजवीर का हाथ जो उसके हाथों में था.. ज्योति ने बिना वक़्त गँवाए अपने चेहरे को राजवीर के चेहरे के नज़दीक ले जाके अपने होंठों को खोल के उसके होंठों को अपनी गिरफ़्त में ले लिया और धीरे धीरे उसे चूमने लगी... ज्योति के होंठों का एहसास पाते ही राजवीर जैसे दूसरी दुनिया में खो गया और उसकी आँखें भी बंद होने लगी.. ज्योति की ज़िंदगी की पहली किस उसके बाप , सौतेले बाप के साथ.. कुछ देर में राजवीर को अचानक कुछ एहसास हुआ और वो ज्योति से अलग हो गया, और जाके अपनी जगह पे बैठ गया, वो अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहा था इस बात पे..



"डॅड, आपका वादा मैं अब बेटी बन के नहीं निभा पाउन्गी... अगर आप चाहते हैं कि मैं वैसे ही रहूं जैसे पहले थी, तो एक नये रिश्ते को जनम देना पड़ेगा, मुझे कोई फरक नहीं पड़ता कि उस रिश्ते को नाम देंगे आप या नहीं, पर बेटी बन के नहीं.. फ़ैसला आप के हाथ में है.." ज्योति ने इतना कहा और कुछ ही सेकेंड्स में राजवीर की आँखों से दूर हो गयी..



,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
"रिंगगगग..... रिंगगग...... रिंगगगग...... रिंगगग......" स्नेहा का फोन बजने लगा, जिससे उसकी नींद टूटी...



"इतनी रात को क्यूँ तंग कर रहे हो, आख़िर क्या बात हो गयी.." स्नेहा ने फोन उठा के जवाब दिया



"ज्योति के कमरे में जाओ, उसे समझाओ वो ग़लत कर रही है... ज्योति मुझे चाहिए, वो किसी के साथ भी यह नहीं कर सकती.." सामने से एक कड़क गुस्से वाली आवाज़ में उसे जवाब मिला



"पर बात क्या है..." स्नेहा ने इतना ही कहा कि फोन कट हो गया और मजबूरन उसे ज्योति के कमरे में जाना पड़ा...

"आज रात हमे एक साथ बितानी चाहिए, आप का क्या कहना है इस बारे में.." शीना और रिकी एक दूसरे का हाथ पकड़े बाल्कनी में वॉक कर रहे थे..



"बिल्कुल ठीक कह रही हो, उल्टा मैने सोचा था कि आज से हर रात हम एक साथ बिताएँगे... तुम और मैं एक साथ.." रिकी ने धीरे से शीना के कानो में कहा और अपना एक हाथ उसकी कमर में डाल के उसे अपना पास खींच लिया... शीना कुछ समझ पाती इसे पहले दोनो के होंठ एक दूसरे से मिल चुके थे, दोनो की जीभ एक दूसरे से जंग करने में व्यस्त हो गयी थी... देखते ही देखते दोनो का प्यार भरा किस एक जंगली रूप ले चुका था, साँस लेने में दोनो को तकलीफ़ हो रही थी, लेकिन कोई किस तोड़ने के मूड में बिल्कुल नहीं था



"अओउउंम्म. अहहः स्लूर्रप्प्प अहहहाहाः उम्म्म्ममम..... लीक मी अहहहहा उम्म्म्ममम ओमम्म्मम अहहहहा" बीच बीच में जब शीना को मौका मिलता तब वो बस इतना ही कह पाती और फिर अपनी जीभ रिकी की जीभ से मिला देती... किस करते करते ही रिकी ने अपना हाथ कमर के नीचे ले जाके शीना के चुतड़ों पे रखा और उसे धीरे धीरे सहलाने लगा और फिर मसल्ने लगा... कुछ ही देर में शीना रिकी की गोद में थी, रिकी ने उसे अपनी दोनो बाहों में उठा लिया था पर चूमना अभी भी जारी था.... चूमते चूमते रिकी शीना के कमरे की तरफ बढ़ने लगा और कमरे के अंदर आते ही लात मार के दरवाज़े को बंद कर दिया... शीना आँखें बंद किए बस इस पल का मज़ा ले रही थी... बिस्तर के पास आते ही रिकी ने उसे बेड पे लिटाया और एक नज़र शीना के बदन पे घुमाई.. शीना का बदन एक वेल्वेट ब्लॅक कलर के टॉप और एक टाइट डेनिम शॉर्ट से ढका हुआ था, आँखें बंद किए शीना की साँसें अभी भी तेज़ चल रही थी, शायद आने वाले वक़्त के बारे में सोचने की वजह से... तेज़ साँसों के चलते शीना के चुचे उपर नीचे हो रहे थे, जिन्हे देख रिकी के दिल में जल रही आग को घी मिल गया हो... अपनी शर्ट उतार के रिकी का उपर का जिस्मानी हिस्सा बेलिबाज हो गया और नीचे झुक के वो फिर शीना के होंठों को चूमने लगा... चूमते चूमते रिकी ने एक हाथ शीना के टॉप के अंदर डाला और उसके चुचों को उसकी ब्रा के उपर से ही सहलाने लगा.... शीना के निपल्स इन सब हरकतों से इतने कड़क हो चुके थे कि रिकी के हाथ रखते ही उसे लगा जैसे किसी पत्थर पे हाथ लगाया हो, चूमते चूमते रिकी ने धीरे से शीना की पीठ को हल्का सा हवा में उठाया और हाथ पीछे ले जाके उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया... "टक.." ब्रा के हुक की आवाज़ से शीना ने अपने होंठ रिकी के होंठों से अलग किए और खुद ही अपने टॉप को उतारने लगी.. टॉप उतरते ही ब्रा को उतारने में देर बिल्कुल नहीं लगी... शीना के चुचे देख रिकी ने इस बार अपने होंठ शीना के होंठों के बदले उसके चुचों में घुस्सा दिए और एक एक कर दोनो को चूसने लगा... शीना की आँखें मस्ती में बंद ही थी, वो बस इस पल का मज़ा ले रही थी और मस्ती में रिकी के बालों में कभी हाथ फेरती तो कभी उसके माथे को अपने चुचों से अलग ही ना होने देती
Reply
07-03-2019, 04:05 PM,
#77
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"आहाहौफफफ्फ़.फ..... यस सक देम अहहा..." शीना करहा के कहती और रिकी ठीक वैसा ही करता... काफ़ी देर तक रिकी शेना के दोनो निपल्स को चूस्ता रहा और चूस चूस के दोनो निपल्स को सुर्ख लाल कर दिया.. शीना की साँसें अब उसके काबू में नहीं थी, वो जानती थी वो कभी भी झड सकती है, लेकिन उसे जल्दी बिल्कुल नहीं थी, वो बस इस मदहोशी में ही मज़ा पा रही थी. शीना के निपल्स को छोड़, रिकी धीरे धीरे कर अपनी जीभ उसकी चुचे की गलियों से लेके हल्के हल्के उसकी नाभि तक चाट रहा था और फिर वापस उपर जाता... यूँ धीरे धीरे कभी उसकी नाभि तो कभी उसकी छाती के हिस्से को चाट चाट के शीना पूरी गीली हो चुकी थी... आखरी बार जब रिकी शीना की नाभि के पास चाटते हुए पहुँचा, तो थोड़ी देर अपनी जीभ को गोल गोल करके उसकी नाभि में ही घुमाता रहा...



"ओह्ह्ह्ह अहाहहा नूऊऊओ....." शीना ने अपनी कमर हवा में उठा ली और सिसकने लगी रिकी की इस हरकत से... जीभ नाभि में ही घूमाते घूमाते रिकी ने अपना हाथ नीचे ले जाके शीना के शॉर्ट्स के उपर से ही उसकी चूत के उपर रखा और उसे हाथ में लेके मसल दिया ,



"नूऊऊ उफफफ्फ़....." शीना की हल्की सी चीख निकली और वो झाड़ गयी... रिकी को जब यह महसूस हुआ तब उसने हाथ हटाया और अपने मूह से ही शीना के शॉर्ट्स के बटन को खोलने लगा... बटन खुलते ही रिकी ने शीना के शॉर्ट्स को दाँतों में फसाया और उसे नीचे खिसकाने लगा... शीना के शॉर्ट्स जैसे ही उसके पैरों के पास पहुँचे, रिकी ने उसे दाँतों से अलग किया और पैरों के तलवे से लेके उसकी टाँगों को चाटना शुरू किया, धीरे धीरे उसकी जांघों के पास पहुँच के अपनी जीभ को फिर गोल गोल करके चाटने लगा, और जांघों के पिछले हिस्से पे अपनी एक उँघली रख के उसे गोल गोल घुमाने लगा... शीना जैसे आनंद के सागर में डूब गयी थी, आँखे बंद किए वो बस रिकी के सर को ज़ोर से दबोचे हुए थी और बालों में हाथ फिराती... जांघों से थोड़ा उपर आके, रिकी ने अपनी जीभ शीना की ब्लॅक वेल्वेट पैंटी के उपर रखी और उसकी चूत को उपर से चाटने लगा... शीना एक बार फिर झड़ने के करीब पहुँची, उसने रिकी के सर को मज़बूती से पकड़ा और उसे अपनी चूत में ही दबाने लगी, रिकी ने भी उसकी पैंटी को दो उंगलियों से साइड किया और उसकी चूत पे एक नज़र डाली जो पानी से रीसी हुई थी, शीना की चूत का लाल दाना देख रिकी की लाल हो चुकी आँखों में एक वासना की लहर दौड़ गयी... बिना वक़्त गँवाए रिकी ने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी तपती हुई चूत पे रख दी...



"उईइफफफफफफ्फ़...... ओहहहा माअममममममम्मम....." शीना खुशी में चीखी और एक बार फिर रिकी के मूह पे अपना पानी छोड़ दिया जिसे रिकी ने बड़े आराम से पी लिया... दो बार झड़ने के बाद शीना ने बड़े ही धीरे से अपनी आँखें खोली और सबसे पहला नज़ारा उसने वोही देखा जो वो देखना चाहती थी, रिकी का चेहरा जो उसे ही देख रहा था... शीना के चेहरे पे एक बड़ी ही मासूम मुस्कान छा गयी और वो उठ के बैठ गयी...



"इससे अच्छा क्लाइमॅक्स आज तक मैने किसी मूवी में भी नहीं देखा मिस्टर राइचंद...." शीना ने रिकी को अपने पास खींच के कहा और धक्का देके इस बार रिकी को बेड पे सुला दिया... जैसे ही रिकी बेड पे पीठ के बल जा गिरा, शीना उसके उपर किसी भूखी शेरनी की तरह चढ़ गयी और रिकी की छाती को अपनी जीभ से चाटने लगी... छाती से लेके शीना नीचे पेट की तरफ आई और जैसे रिकी ने उसकी नाभि को चाटा था, सेम वैसे ही उसने भी किया, फरक सिर्फ़ यह था के रिकी अपने जज़्बातों के पूरे काबू में था.. नाभि से लेके शीना हल्के से नीच गयी और अपना हाथ ले जाके रिकी की जीन्स के बटन को खोलने लगी... जैसे ही रिकी की जीन्स उसके घुटनों पे पहुँची, शीना रिकी के लंड के उभार को देख के एक बार फिर मदहोश हो गयी, वासना का तूफान जिसमे से वो अभी अभी बाहर आई थी, वो उसमे फिर खोने लगी... जीन्स को वहीं छोड़, शीना ने रिकी के लंड को उसके अंडरवेर के उपर से ही मूह में ले लिया और साइड से हाथ अंदर ले जाके उसके टट्टों को अपने नाख़ून से सहलाने लगी....




"सक इट बेबी अहाआहहा...." रिकी के बस इतने कहने की ही देर थी, शीना ने झट से रिकी के अंडर वेअर को नीचे किया और जीन्स के साथ ही उसके शरीर से अलग कर दिया... शीना ने अपनी जीभ सबसे पहले रिकी के टट्टों पे रखी और हल्के हल्के से चुस्कियाँ लेने लगी.... लोहे की रोड के जैसे कड़क रिकी के लंड को कभी साइड से चाटना तो कभी उसपे नाख़ून गढ़ाना, तो फिर कभी दोनो हाथों में टट्टों को लेके उन्हे ज़ोर से मसलना, शीना रिकी को दर्द के साथ मज़ा भी उतना ही दे रही थी.. लंड को साइड से चाट चाट के शीना उपरी हिस्से पे पहुँची, और लंड के टोपे को कुछ देर देख के, उसपे अपनी जीभ की हल्की सी टिप रख दी...



"आहाहाहा उफफफफूम्म्म्मममममाहहहहा..." रिकी के बदन में जैसे एक कंपन सी दौड़ गयी और उसका शरीर कमर वाले हिस्से से खुद बा खुद उपर उठ गया.. शीना ने दोनो हाथों से उसके लंड को मज़बूती से पकड़ा और अपने मूह के अंदर लेने लगी.... धीरे धीरे रिकी का पूरा लंड शीना के मूह के अंदर उतर चुका था, अपनी हलक तक अंदर कर के शीना उसे फिर बाहर निकलती और "उम्महहाआहः सिससिईईईईईईय्ाआहुंम्म्म.." करके सिसकती और फिर अंदर ले लेती...... जब जब शीना रिकी के लंड को अपने हलक में लेती, रिकी उसे हल्के से दबाव देता और शीना उसे बाहर नहीं निकल पाती, जब शीना को साँस लेने में दिक्कत होती, तब रिकी दबाव हटा देता और शीना फिर बाहर निकाल के सिसकारियाँ भरती... रिकी का लंड शीना की थूक से सन चुका था, शीना ने नज़र डाली तो रिकी के लंड की नसें तक उसे सॉफ दिखने लगी थी... रिकी की आँखें बंद ही थी, शीना ने तुरंत उसके लंड को छोड़ा और उपर आके उसके लंड को अपनी चूत की एंट्री पे सेट किया.. शीना ने अपने दोनो हाथ रिकी की छाती पे रखे और धीरे धीरे कर रिकी के लंड को अपनी चूत की गहराइयों में ले जाने लगी



"अहहःावह होल्ड मे अहाहा हॉल्लद्दद मी अहाहहा.." शीना ने रिकी से कहा और रिकी ने भी तुरंत शीना के हाथों को अपने हाथों में ले लिए.... कुछ ही देर में शीना की चूत में रिकी का लंड जा चुका था, अपनी चूत की दीवारों पे रिकी के लंड को महसूस करके शीना की शरीर में मज़े और दर्द की लहर से आने लगी, रिकी ने यह महसूस करके उसके हाथों को कस्के पकड़ा... रिकी का लंड जब पूरा का पूरा शीना के अंदर जा चुका था, कुछ देर के लिए दोनो रुक गये औ ज़ोर से साँसें लेने लगे.... दर्द को पार करके जब शीना के शरीर ने मज़े को प्राप्त किया, तब रिकी का हाथ पकड़े पकड़े ही खुद के शरीर को ढीला छोड़ा और अपना चेहरा पीछे हवा में धकेल दिया जिससे उसके विशाल चुचे एक दम तंन गये.... रिकी ने एक हाथ छोड़ा और आगे ले जाके उसके चुचों को थोड़ा हल्के से मसला...



"ुआअहफफफफ्फ़..... लेट मी फक यू टुनाइट स्वीटहार्ट..." शीना ने सेम पोज़िशन में ही हल्की ठंडी साँसों से कहा और कुछ देर में उसके लंड पे हल्के हल्के कूद के चुदाई का मज़ा लेने लगी..........


Reply
07-03-2019, 04:05 PM,
#78
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"देखो ज्योति, जो भी हो, मैं नहीं जानती क्या सोच के यह करने जा रही हो तुम, लेकिन वजह चाहे जो भी हो, अगर तुम अपने डॅड से ही बिस्तर पे गयी तो भूल जाओ कि प्रॉजेक्ट में तुम्हे हिस्सा मिलेगा, " स्नेहा ने ज्योति से कहा, दोनो इस वक़्त ज्योति के कमरे में बैठे थे... ज्योति जब अपने बाप को पहली बार चुम्के अपने कमरे में लौटी थी, तो उसे उम्मीद थी कि राजवीर उसके पीछे ज़रूर आएगा, और वो आ भी रहा था, लेकिन जब उसने देखा कि स्नेहा भी ज्योति के कमरे की तरफ जा रही थी तो उल्टे पावं वो फिर अपने कमरे में चला गया



"भाभी, इससे आपको क्या फरक पड़ेगा... क्या मैं अपनी मर्ज़ी से यह भी नहीं कर सकती.." ज्योति ने झल्ला के कहा



"मैं नहीं जानती, मैं बस यह कह रही हूँ कि यह सब क्यूँ कर रही हो..." स्नेहा ने ज्योति से कहा और लाइटर जला के अंधेरे कमरे में रोशनी फेलाइ, सिगरेट जला के फिर लाइटर को बंद किया और अंधेरे कमरे में अब बस एक जलती हुई सिगरेट की रोशनी थी... कुछ देर दोनो खामोश रहे, स्नेहा ने जब देखा के ज्योति कुछ कह नहीं पा रही उसने फिर कहा



"कितनी बार सेक्स किया है अपनी लाइफ में.." स्नेहा ने सिगरेट के धुएँ को ज्योति के चेहरे पे छोड़ के कहा



"एक बार भी नहीं" ज्योति ने बस दबे लफ़्ज़ों से इतना कहा और अपनी गर्दन नीचे ही रखी...



"मैं समझती हूँ ज्योति, शायद तुम पहली बार के लिए इतनी एग्ज़ाइटेड हो रही हो, लेकिन सब्र का फल मीठा ही होता है..."



"भाभी, आपको इससे क्या, आइ मीन व्हाट दा फक ईज़ युवर बिज़्नेस हियर" इस बार ज्योति ने उसके हाथ से सिगरेट ली और कश लेने लगी



"दिस ईज़ माइ बिज़्नेस स्वीट हार्ट.... तुम अब बॉस को पसंद हो तो क्या करूँ, हे वांट्स यू फ्रेश , समझ रही हो ना" स्नेहा ने ज्योति को आँख मारते हुए कहा... ज्योति ने जब कोई रिक्षन नहीं दिया, तो स्नेहा ने उसे फिर कहा



"ठीक है, एक काम करो, तुम खुद बात कर लो बस, तुम खुद सुन लो अगर तुम्हे लगता है कि मैं झूठ बोल रही हूँ..." कहके स्नेहा ने अपना फोन उठाया और लास्ट रेक्ड़ नंबर पे कॉल किया, लेकिन कॉल नहीं लगा.. कुछ तीन चार बार ट्राइ करके जब नंबर नहीं लगा, तब स्नेहा ने फोन साइड रख के फिर ज्योति की तरफ रुख़ किया और उसे समझाने लगी...



"देखो, अब मैं.." स्नेहा ने बस इतना ही कहा के उसका फोन बजा... तुरंत उसने फोन देखा तो किसी अननोन नंबर से कॉल था, स्नेहा समझ गयी



"कितनी बार कहा है कि मुझे सामने से फोन नहीं किया करो, दो फोन ज्योति को.." स्नेहा कुछ बोलती उससे पहले सामने आई आवाज़ से वो फिर डर गयी और बिना कुछ कहे उसने फोन ज्योति को दे दिया



"हेल.हेल हेलूओ.." ज्योति ने डर के कहा



"तुम्हे डरने की ज़रूरत नहीं है स्वीट हार्ट.. अच्छी तरह हेलो बोलो तब बात करूँगा तुमसे.." सामने की आवाज़ इस बार हल्की थी, शायद मस्ती के मूड वाली



"मुझे समझाओगे यह सब क्या है, आइ मीन .." ज्योति शब्दों को तलाश रही थी



"यू मीन नतिंग डियर, सिंपल चीज़ है, मैं तुम्हे पसंद करता हूँ, इसलिए चाहता हूँ कि सब से पहले तुम्हारी ज़िंदगी का सेक्स मेरे साथ हो" सामने एक विश्वास भरी आवाज़ पड़ी उसके कान में



"व्हाट रब्बिश... यह चाहने की बात नही करो, तुम सिर्फ़ अपना मतलब निकाल रहे हो और कुछ नहीं..." ज्योति की आवाज़ में इस बार काफ़ी कॉन्फिडेन्स था



"हहा, अगर तुम इस चीज़ में शामिल नहीं होती, तो भी यह काम होता, फरक सिर्फ़ यह होता के उस वक़्त तुम भी मरने वालों की लिस्ट में होती.. लेकिन अभी भी तुम अगर प्लान से निकलना चाहती हो तो युवर विश, लेकिन फरक अब यह होगा, कि तुम ज़िंदा ही रहोगी, लेकिन हमेशा के लिए अकेली होगी.. ना तुम्हारा बाप, ना तुम्हारे ताऊ जी, ना ताई जी, ना भाई, ना बहेन.....ना भाभी....."
Reply
07-03-2019, 04:06 PM,
#79
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
भाभी शब्द सुनते ही ज्योति के कान खड़े हो गये, वो कुछ सोच में चली गयी, लेकिन फिर उस आवाज़ से वापस होश में आई



"स्नेहा नहीं जानती कि उसके साथ क्या होने वाला है, या उसके भाई के साथ क्या हुआ है... और अगर तुम उसे बता दोगि तो ध्यान रखना अपना.... एनीवेस, मैने तुम्हे ज़रूरत से ज़्यादा बता दिया है, यह दर्शाता है कि मैं तुमपे कितना विश्वास रखता हूँ.." यह सब सुनते वक़्त ज्योति सामने बैठी स्नेहा को देख रही थी जो बस ज्योति को देख मुस्कुरा रही थी



"और अगर मैने आगे जाके ऐसा कुछ किया जिससे तुम मेरी ज़िंदगी के पहले मर्द ना हुए, तो." ज्योति ने इस बार स्नेहा की आँखों में देखते हुए कहा



"राजवीर से दूर तुम्हे स्नेहा रखेगी, और कौन बचा... " सामने फिर उसे जवाब मिला और ज्योति कुछ कह पाती उससे पहले फोन कट हो गया



"डॉन'ट ईवन थिंक ऑफ इट...." स्नेहा ने ज्योति से कहा और वहीं ज्योति के पास उसके कमरे में सो गयी





अगले दिन फिर राइचंद'स से उसी के पास एक फोन गया



"हां जी, बोलिए, आप तो हमें भूल ही गये"



"हुहम, मैं अगर सब भूल गयी तो यह सब प्लान ख़तम होगा"



"बताइए, आपने फोन किया है तो कुछ अच्छी खबर ही होगी..."



"रात को वो हो गया है जो हम चाहते थे.... अब तुम्हारे आने में कितना वक़्त है..."



"हमारे आने में तो वक़्त है, अभी फिलहाल हमारे मोहरे को मज़े मारने दीजिए.."



"वो तो राइचंद'स में सब ले रहे हैं... तुम आओ तो तुम्हे भी ज्योति के मज़े मिल जाएँगे"



"वो आपको सोचने की ज़रूरत नही है, मैं खुद कर लूँगा वो"



"कहा ना, अगर मैं नहीं सोचूँगी या भूल जाउन्गी तो सब प्लान ख़तम हो जाएगा..." राइचंद'स वाला फोन कट हो गया



"ह्म्म्म्म , अब अगर आप भी नहीं रहेंगी तो भी यह सब अंजाम पे तो पहुँचेगा ही.... चलो, मार डालते हैं आपको....." सामने वाले शाकस ने खुद से कहा और मरने वालों की लिस्ट में एक नाम और जोड़ लिया

अगली सुबह जब शीना ने उठ के देखा तो रिकी अभी भी उसके पास ही सो रहा था, वैसे तो किसी को भी डर लगना चाहिए, लेकिन शीना को इस बात का कोई डर नहीं था क्यूँ कि ज्योति जान चुकी थी उनके बारे में, सुहसनी को पता था और अमर कभी उपर उन लोगों के कमरे में नहीं आता था... रही बात राजवीर की तो एक वोही इस रिश्ते से बेख़बर था लेकिन शीना को उसकी चिंता नहीं थी... सुबह सुबह उसने रिकी का चेहरा देख लिया तो वो काफ़ी खुश थी, बिना रिकी को डिस्टर्ब किए वो खुद फ्रेश होने चली गयी... कल रात रिकी और उसके बीच जो भी हुआ उस वजह से उसका मन बहुत प्रफुल्लित था, इसलिए ही सुबह 8 बजे उसकी नींद खुलना कोई छोटी बात नहीं थी... जब रिकी की आँख खुली तो शीना को अपने पास ना पाकर वो पहले थोड़ा शॉक हुआ लेकिन फिर बाथरूम से गिर रहे शवर के पानी की आवाज़ से वो समझ गया शीना बाथरूम में थी, इसलिए उसे बिना बताए वो अपने रूम की तरफ चला गया, शीना के कमरे से अपने कमरे में जाने के लिए उसके बीच में ज्योति और राजवीर के कमरे भी आते थे, राजवीर से तो वो वैसे भी काम के सिलसिले में मिलता था, लेकिन ज्योति से कम बात होती थी.. इसलिए उसने सोचा कि कुछ बातें की जाए ज्योति से, जैसे ही वो ज्योति के कमरे की तरफ बढ़ा, उसे कमरे से बाहर आती स्नेहा दिखी... ज्योति के कमरे से स्नेहा वो भी इतनी सुबह सुबह, रिकी को समझ नहीं आया कि स्नेहा को इतनी सुबह क्या काम था ज्योति से, और ज्योति क्या कर रही है स्नेहा से मिलके... स्नेहा और रिकी आमने सामने आए तो स्नेहा ने उसे एक आँख उठाकर देखा, लेकिन बिना कुछ ज़्यादा कहे या किए वहाँ से निकल गयी.. रिकी को इस बात से कोई फरक नही पड़ा, वो जल्दी ज्योति के कमरे की ओर बढ़ा , ज्योति अभी भी अपने बेड पे ही थी



"गुड मॉर्निंग स्वीट हार्ट.." रिकी ने दरवाज़े से ही ज्योति को देख के कहा



"अरे भैया.. गुड मॉर्निंग, प्लीज़ आइए ना.." ज्योति बेड से खड़ी हुई और रिकी का हाथ पकड़ के अंदर लाई



"आंड वॉट'स न्यू, तीन दिन में एग्ज़ॅम्स की डेट हैं, आपकी प्रेपरेशन कैसी है.." ज्योति ने रिकी को बेड पे बिठा के कहा और खुद भी उसके सामने बैठ गयी



"शीत... मैं तो ऑलमोस्ट भूल ही गया यार, एग्ज़ॅम्स का नोटिफिकेशन्स और बाकी कुछ चीज़ें भी मैल से आई होगी... ओह नो, प्राब्लम हो जाएगी... थॅंक्स फॉर रिमाइंडिंग यार, लेट मी चेक.." रिकी ने ज्योति से कहा और अगले ही पल अपने फोन में मेल्स देखने लगा, उसके कॉलेज से काफ़ी मेल्स थे और काफ़ी रिसीट्स भी थी... रिकी एक एक कर मैल देखने लगा और फोन में ही कुछ चीज़े नोट करने लगा.. जैसे जैसे रिकी चीज़े नोट डाउन करता जा रहा था वैसे वैसे उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी, और वैसे वैसे ज्योति भी रिकी को अब्ज़र्व कर रही थी.. कभी रिकी के चेहरे को, तो कभी रिकी के हाथ को देखती, उसके मन में काफ़ी सवाल थे उस वक़्त भी लेकिन फिर उसने अपना मूह बंद रखा और बस रिकी को देखती रही.



"डन... थॅंक यू फिर से याद दिलाने के लिए.." रिकी ने अपनी आँखें मोबाइल से बाहर निकाल के कहा



"नो प्राब्लम भैया, एनिटाइम.. वैसे आप आज सुबह सुबह यहाँ कैसे.." ज्योति ने अपनी आँखें छोटी करके रिकी से कहा



"क्यूँ, सुबह सुबह आ गया तो क्या हुआ, मैं तो कभी भी आ सकता हूँ मेरी बहेन के पास...."



"थॅंक गॉड आपको याद है के आपकी कोई दूसरी बहेन भी है.." ज्योति ने ताना मारते हुए कहा



"ओह कम ऑन... आंड मेरे लिए तुम और शीना सेम लेवेल पे हो, मैं दोनो से ईक्वल ही प्यार करता हूँ .. किसी को भूलने की या याद रखने की बात ही नहीं आती..." रिकी ने उसकी शिकायत दूर करने के लिए कहा



"दोनो को ईक्वल प्यार नहीं करते, मैं इतना तो देख ही सकती हूँ.." ज्योति ने खुद से कहा, लेकिन रिकी को सुनाई दिया



"क्या कहा..." रिकी ने जैसे उसकी चोरी पकड़ ली



"नतिंग, आप बताइए.."



"मैने देखा सुबह सुबह भाभी तुम्हारे कमरे से निकली, वैसे इट'स नन ऑफ माइ बिज़्नेस, बट तुम उनसे सम्भल के रहना.. शी ईज़ नोट गुड" रिकी ने काफ़ी धीरे ज्योति से कहा जैसे कोई और उनकी बात ना सुन ले.. रिकी की बात सुन ज्योति को थोड़ी हैरानी हुई कि स्नेहा की किस बात की वजह से रिकी ऐसा कह रहा है
Reply
07-03-2019, 04:06 PM,
#80
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"क्यूँ भैया, ऐसा क्या किया भाभी ने.." ज्योति ने बात को थोड़ा कुरेदना चाहा..



"डनो यार ऐसा लगता है, यू वॉं'त बिलीव जब मैं इधर आया था तब ..." कहते कहते रिकी रुक गया, वो सोच रहा था के ज्योति से यह बात की जाए कि नहीं, ज्योति ने देख लिया के रिकी शायद कुछ हिचकिचा रहा है



"रहने दो भैया, शीना जितना ट्रस्ट नहीं है मुझ पे तो इट'स ओके.. वैसे फॉर युवर इन्फ़ॉर्मेशन, भाभी कल रात मेरे कमरे में आई थी, शी वाज़ फीलिंग अलोन तो मेरे साथ सोने आई, हम ने कुछ देर यूही बातें की.. दट'स इट.." ज्योति ने बड़ी कॅष्यूयली कहा और वो जानती थी कि रिक अब ज़रूर उसे बताएगा



"अरे दट'स ओके.. आंड मैने कहा ना शीना और तुम मेरे लिए सेम हो... आइ वाज़ सेयिंग, जब मैं इधर आया था यह लास्ट न्यू एअर'स पार्टी में, तब की बात है, भाभी कुछ बहुत ही अजीब से बिहेव कर रही थी, यू नो, लाइक किंडा ट्राइयिंग टू सिड्यूस मी, जैसे मेरे कमरे में बिना बताए आ जाना, मैं जब नहा के निकलूं तब वहीं मेरे सामने खड़ा रहना, ऑल दिस स्टफ, आंड शीना से भी काफ़ी पर्सनल चीज़ें डिसकस करना, जो किसी को भी अनकंफर्टबल फील करवा सकती है... सो आइ डॉन'ट लाइक हर, इसलिए शीना और मैं काफ़ी कम बातें करते हैं उनसे.. बस यही था समझी, आगे से कुछ ऐसी वैसी बात ना करना और स्पेशली अपना और शीना का कंपॅरिज़न, यू बोथ होल्ड स्पेशल प्लेस फॉर मी ओके..." रिकी ने ज्योति से हँस के कहा और उसके फोर्हेड को चूम के वहाँ से निकल गया



"स्नेहा भाभी रिकी को सिड्यूस करती है, शीना के साथ ऐसी बातें करती है... या यह सब वो करती थी... फिर अचानक उसने यह सब क्यूँ बंद कर दिया उसने..... चलो शीना को एक पल के लिए इग्नोर भी कर दूं क्यूँ कि मैने देखा है दोनो के बीच में काफ़ी अन बन हुई थी, लेकिन रिकी को अचानक सिड्यूस करते करते क्यूँ बंद किया... और यह सब पहले मुझे नहीं पता था, अब जब पता चल गया है तो कुछ तो करना पड़ेगा..." ज्योति ने खुद से कहा और फिर रिकी का चेहरा उसकी आँखों के आगे घूमने लगा, प्यार वाला नही, चेहरा उस वक़्त का जब वो कॉलेज के मेल्स देख के बेचैन हो रहा था... ज्योति ने अपना आइपॅड निकाला और कुछ लिख के फिर फ्रेश होने चली गयी



"अच्छा, अब मतलब मेरे रूम से बताए बिना निकले तो निकले, लेकिन फिर सीधा ज्योति के कमरे में जाओ..." शीना ने रिकी के कमरे में घुस के कहा जहाँ रिकी कुछ बुक रेफर कर रहा था



"क्या हुआ स्वीटहार्ट, जानती हो तीन दिन में एग्ज़ॅम है आंड आइ हेवन'ट स्टडीड एनितिंग" रिकी ने अपने चेहरे के आगे से बुक हटाते हुए कहा



"तो क्या फरक पड़ेगा, इतने मार्क्स लाके क्या करोगे, बिज़्नेस है, प्रॉजेक्ट है नया, पढ़ के और ज़्यादा क्या करना चाहते हैं आप..." शीना ने गुस्से में उसके पास बैठते हुए कहा



"ओह हो... देखो, प्रिन्सेस ईज़ वेरी आंग्री हाँ....डॉन'ट बी स्वीटहार्ट, सुबह मैने भाभी को ज्योति के कमरे से बाहर आते हुए देखा, इसलिए जस्ट चेक करने गया था कि क्या बात है.."



"आंड......" शीना ने रिकी की बात अधूरी देख के फिर कहा



"आंड नतिंग... रात को उन्हे नींद नहीं आ रही थी, इसलिए वो ज्योति के पास सोने चली गयी.." रिकी ने शीना को जवाब देके कहा



"सोने चली गयी.... व्हाट रब्बिश, ज्योति ने आपसे यह कहा और आप मान गये.." शीना ने फिर गुस्से में रिकी से कहा



"चिल मारो यार, मैने ज़्यादा आर्ग्यू नहीं किया, उसने कहा मैने मान लिया, अब ज़्यादा कुछ करूँगा या कहूँगा तो उसमे भी तुम्हे बुरा लगेगा.. उपर से एग्ज़ॅम है उसके लिए कुछ पढ़ा भी नहीं है, आंड तुम्हारा गुस्सा सुबह सुबह... एक काम करो, गेट मी आ नाइस हॉट स्टीमिंग कप ऑफ कॉफी.. आंड तुम्हारे लिए भी लाओ, बाल्कनी में बैठ के पढ़ते हैं, मज़ा आएगा.." रिकी ने शीना से कहा और फिर अपनी आँखें किताब में लगा ली... शीना ज़्यादा आर्ग्यू किए बिना वहाँ से किचन के लिए चली गयी, रास्ते में ज्योति के कमरे का दरवाज़ा खुला था इसलिए जाते जाते उसकी नज़र पड़ी तो ज्योति भी कुछ पढ़ रही थी...



"वैसे एक बात कहूँ..." शीना ने अंदर आके ज्योति से कहा, ज्योति ने आँखें किताब से बाहर निकाली तो शीना ठीक उसके सामने खड़ी थी



"हां बोलो, और बेत के बोलो.." ज्योति ने अपनी किताब साइड रखी और शीना को देखने लगी



"ज्योति, फक दा डिफरेन्सस बिट्वीन अस ओके.. मैं लीस्ट बॉदर्ड हूँ कि हमारे बीच क्या है, एंड ऑफ दा दे वी आर फॅमिली, लेकिन याद रखना, स्नेहा भाभी से दूर रहो.. वो एक नंबर की हरामी है, मेरे जाने के बाद मेरे बारे में कम मेरी बातों के बारे में सोचना, आइ रिपीट.. स्नेहा एक नंबर की हरामी औरत है... समझी..." शीना ने उसे चेतावनी दी और वहाँ से निकल गयी... शीना के जाते ही ज्योति स्नेहा के बारे में सीरियस्ली सोचने लगी, अगर दो लोगों ने उसे कहा है तो ज़रूर कुछ बड़ी बात होगी, लेकिन अगले ही पल जब उसे याद आया कि स्नेहा ने उसे प्रॉजेक्ट दिलाने का वादा किया है, तो उसने सोचना बंद कर दिया और सिर्फ़ अपने फ़ायदे के बारे में सोचने लगी....


,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
"अच्छा रिकी, आज तुम्हारे आर्किटेक्ट्स आने वाले थे, क्या हुआ उनका..." अमर ने रिकी और शीना से पूछा जब सब लोग नाश्ता कर रहे थे.. टेबल पे शीना और रिकी साथ बैठे हुए थे, लेकिन राजवीर और ज्योति, आमने सामने बैठे थे.. आमने सामने होते हुए भी ज्योति राजवीर से आँख नहीं मिलाना चाहती थी और राजवीर वैसे तो उपर से नॉर्मल दिख रहा था, लेकिन अंदर ही अंदर काफ़ी सोच रहा था कि ज्योति उससे आँखें मिलाए और दोनो कुछ बात करे..



"उः डॅड, वो अभी आते ही होंगे.. लेट मी कॉल देम," कहके रिकी ने जैसे ही फोन निकाला, सामने से उनका एक सेक्यूरिटी गार्ड आया और साथ में 3-4 लोग दूसरे भी थे..



"आहह, देअर दे आर.. वेलकम मिस्टर विलसन" कहके रिकी अपनी जगह से उठा और सब को उनसे मिलने लगा..



"मिस्टर राइचंद.. वी आर ग्लॅड टू बी हियर आंड वर्किंग वित यू.. हॅव हर्ड आ लॉट अबाउट यू, होप्फुली वी विल हॅव आ नाइस टाइम वर्किंग वित यू.." मिस्टर विलसन ने अमर से हाथ मिला के कहा



"उः, मिस्टर राइचंद, वी वर वंडरिंग इफ़ देअर इस सम प्लेस व्हेअर वी कॅन शो यू और प्रेज़ेंटेशन्स आंड देन वी कॅन मूव अहेड"



"ओह यस मिस्टर विलसन.. प्लीज़ कम वित मी... आंड अलॉंग वित रिकी, माइ डॉटर्स शीना आंड ज्योति विल बी वर्किंग ऑन दिस प्रॉजेक्ट.... सो वी शेल जायंट्ली हॅव आ लुक अट व्हाट यू वॉंट टू शो.. प्लीज़ दिस वे" अमर ने विलसन से कहा और उसकी टीम के साथ अंदर चला गया... ज्योति को यह देख काफ़ी अच्छा लगा कि अमर उसे भुला नहीं था.... शीना को यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगा लेकिन रिकी ने उसे इशारे में चुप रहने के लिए कहा और सब लोग प्रेज़ेंटेशन देखने चले गये.



"मिस्टर राइचंद... दिस वाज़ इट फ्रॉम और साइड..." मिस्टर विलसन ने प्रेज़ेंटेशन ख़तम करके कहा



"दट'स नाइस मिस्टर विलसन, हवेवर वी हॅव सर्टन डिज़ाइन्स रेडी वित अस, शीना हॅज़ बिन वर्किंग ऑन दिस थिंग सिन्स क्वाइट आ टाइम नाउ... सो व्हाट वी वुड वॉंट यू टू डू ईज़ गो थ्रू सेम आंड लेट अस नो व्हेन कॅन वी स्टार्ट.. ऑल्सो, वी हॅव दा प्लेस आंड लॅंड रेडी, सो वी वुड लाइक यू टू सी दा लॅंड ऐज वेल, सो दट एवेरितिंग वी टॉक गेट्स आक्चुयल ऐज वेल.." रिकी ने विलसन से कहा और फिर शीना को देखने लगा... शीना ने उसका इशारा समझा और अपनी ड्राइव से अपनी डिज़ाइन लोगों को दिखाने लगी..



"दट'स ओके मिस्टर राइचंद.. वी आर फाइन वित दा डिज़ाइन, लेट अस सी दा आक्चुयल पीस ऑफ लॅंड व्हेअर वी वॉंट टू मेक दिस रिज़ॉर्ट आंड देन गेट गोयिंग.." विलसन भी शीना की डिज़ाइन देख के काफ़ी खुश लग रहा था



"ओह.. मिस्टर विलसन , बट बिफोर तट... लेट मी टेल यू, दिस डिज़ाइन ईज़ प्रिपेर्ड इन कोवार्डिनेशन वित वित अनदर फ्रेंड ऑफ माइन, हू कोयिन्सिडेंटली ईज़ ऑल्सो आर्किटेक्ट.. सो वी वुड वॉंट हर ऑनबोर्ड ऐज वेल, अलॉंग वित युवर टीम... " शीना ने विलसन से कहा और फिर अमर और रिकी को भी एक नज़र देखा



"वी आर सॉरी मिस राइचंद, और कंपनी नॉर्म्स डॉन'ट अलो दिस, आंड बिसाइड्स, नाउ दट यू हॅव इनफॉर्म्ड अस, बिफोर स्टार्टिंग दा वर्क वी वुड वॉंट नोक फ्रॉम हर अलोयिंग अस टू यूज़ दिस डिज़ाइन फॉर युवर रिज़ॉर्ट.. बिफोर तट वी वॉं'ट बी एबल टू स्टार्ट दा वर्क" विलसन ने सॉफ सॉफ मना कर दिया शीना को.. विलसन का जवाब सुन के शीना काफ़ी नाराज़ हुई, उसने अपनी दोस्त को वादा किया था लेकिन अब विलसन की बात सुन वो थोड़ी निराश हुई..



"सो आर वी फाइन हियर मिस राइचंद" विलसन ने फिर शीना से कहा और जवाब में शीना ने सिर्फ़ हां में गर्दन हिलाई



"दट'स ओके मिस्टर विलसन, वी शल गेट यू दा नोक फ्रॉम हर, सो वी आर गुड तो मूव नाउ" रिकी ने विलसन से कहा और महाबालेश्वर जाने के लिए निकल पड़े..
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,558,679 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,912 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,257,537 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 950,618 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,687,047 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,109,000 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,999,210 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,216,595 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,090,076 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,521 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)