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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
पेरेंट्स गॉन आउट
मैं अभी भी कॉलेज में पढ़ता हूँ. मैं अपने कॉलेज की
कयी लड़कियों को चोद चुका हूं. मेरे घर के पड़ोस में एक परिवार रहता था. उनके घर
मेरा आना जाना था. उनकी एक लड़की थी. उसका नाम मिनी था. उसकी उमर
लगभग 18 साल की थी. उनके घर पर एक कंप्यूटर भी था. मिनी बहुत
ही सेक्सी थी. मैं उसे चोदना चाहता था लेकिन कोई मौका नहीं मिल
पा रहा था.
ये उस समय की बात है जब मिनी के पेरेंट्स 1 मंथ के लिए यूके चले
गये थे. घर पर केवल मिनी ही अकेली थी. एक दिन मिनी ने मुझे घर
बुलाया. उसका कंप्यूटर खराब हो गया था. मैं कॉलेज जा रहा था
इसलिए मैने शाम को आने के लिए कह कर कॉलेज चला गया.
कॉलेज से वापस आने के बाद मैं मिनी के घर 5 बजे शाम को
पहुच गया. मैने कॉल बेल बजाई तो मिनी ने दरवाज़ा खोला. उसने
लाल रंग की स्कर्ट और ब्लॅक रंग की टी-शर्ट पहन रखी थी. उसने
अंदर कुच्छ भी नहीं पहन रखा था. उसकी चूचियों के दोनो
निपल्स बाहर से ही महसूस हो रहे थे.
मैं घर के अंदर गया. वो मुझे कंप्यूटर के पास ले गयी. मैने
कंप्यूटर को ओं किया और चेक करने लगा. मिनी चाय बनाने चली
गयी. मैने एक फोल्डर को खोला जो मिनी ने हाइड की हुई थी. उस में
बहुत सारी अडल्ट पिक्चर्स की फाइल्स थी. मैं उन पिक्चर्स को देखने
लगा. थोड़ी देर बाद मिनी चाय ले कर आ गयी. उस समय कंप्यूटर
स्क्रीन पर जो फोटो थी उस में एक आदमी एक लड़की को डॉगी स्टाइल में
चोद रहा था. वो मेरे बगल में बैठ गयी और बोली, "प्लीज़ ये
फाइल्स बंद कर दो. इसे मत देखो." मैने कहा, "बहुत अच्च्ची पिक्चर
है." मिनी का चेहरा शरम से लाल हो गया. उसने माउस पकड़ कर उस
पिक्चर को बंद करना चाहा तो मैने कहा, "बहुत अच्छी पिक्चर
है. प्ल्ज़. मुझे देखने दो. तुमने इसे किस साइट से डाउनलोड किया है."
वो बोली, "प्ल्ज़. राज बंद कर दो इसे."
मैने कहा, "मैं कोई ग़लत काम थोड़े ही कर रहा हूँ. आख़िर तुम
भी तो ये पिक्चर देखती होगी. तुम भी जावन् हो और मैं भी. तुमने
कभी ट्राइ किया है." वो चुप रही तो मैने फिर पूछा. वो
बोली, "मैं अभी तक कुँवारी हूँ. मैने कभी किसी से नहीं करवाया
है." मैने उस से झूठ बोला और कहा, "मैने भी आज तक किसी लड़की
के साथ कुच्छ नहीं किया है. घर पर भी कोई नहीं है. चलो,
आज हम दोनो इसे ट्राइ करते हैं." उसने इनकार कर दिया तो मैने
पूचछा, "क्यों?" इस बार वो कुच्छ नहीं बोली और उसने अपना सर दूसरी
तरफ घुमा लिया. मैने उसके चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया
तो उसने मेरा हाथ झटक दिया. मैने फिर पूचछा, "हम दोनो ही
कुंवारे हैं और आज अच्च्छा मौका है. तुम भी जवान हो और मैं
भी. घर पर भी कोई नहीं है. हूमें ट्राइ करना चाहिए."
वो एक दम चुप रही. मैने उसकी जांघों पर हाथ फिरना शुरू कर
दिया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. उसने अपनी दोनो जांघों को एक
दूसरे पर रख कर ज़ोर से दबा लिया. मैने उसकी जांघों को सहलाते
हुए अपना हाथ उसकी जांघों के बीच घुसा दिया. मेरा हाथ सीधा
उसकी चूत पर लगा. उसने नीचे भी कुच्छ नहीं पहन रखा था. उसकी
चूत एक मुलायम और चिकनी थी. उसने इस बार मेरा हाथ नहीं हटाया.
मैं समझ गया की मेरा काम बन जाएगा. मैने उसकी चूत को सहलाना
शुरू कर दिया तो उसकी साँसें बहुत तेज़ चलने लगी और उसका चेहरा
एक दम लाल हो गया. वो कुच्छ नहीं बोली.
थोड़ी देर तक उसकी चूत सहलाने के बाद मैं उठा. मैने उसे गोद में
उठा लिया और बेडरूम में ले जाने लगा तो उसने अपना चेहरा मेरे
सीने में च्छूपा लिया. बेडरूम में ले जा कर मैने उसे बेड पर लिटा
दिया. मैने उसकी टी-शर्ट और स्कर्ट उतार दी. उसके कपड़े उतरने के बाद
मैने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए. मुझे नंगा होते देख उसने अपनी
आँखें बंद ली लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी. उसका
संगमरमर सा गोरा बदन एक दम नंगा मेरे सामने था. मुझे जोश आने
लगा. मैं उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक
होठों को चूमने के बाद मैने धीरे धीरे उसके चुचियों को, पेट
को, जांघों को और फिर उसकी चूत को चूमने लगा.
वो एक दम गरम हो गयी और सिसकारियाँ भरने लगी. मेरा लंड भी
खड़ा हो कर जोश से एक दम लोहे जैसा हो गया था और झड़ने वाला
था. मैने अपना लंड उसके मूह के पास कर दिया और चूसने को कहा.
वो कुच्छ नहीं बोली. मैने उसके मूह में अपना लंड घुसने की कोशिश
की तो उसने अपना मूह इधर उधर करना शुरू कर दिया. थोड़ी देर ना
नुकुर करने के बाद आख़िर में उसने अपना मूह खोल दिया. मैने अपना
लंड उसके मूह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगी. मैं उसके उपर
लेट गया और मैने उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी. 2 मिनिट बाद ही
मैं उसके मूह में झाड़ गया और उसने मेरे लंड का सारा पानी निगल
लिया. लंड का सारा पानी निगल जाने के बाद भी उसने मेरा लंड
चूसना ज़ारी रखा. वो भी अब तक बहुत जोश में आ गयी थी और
उसकी चूत से भी पानी निकालने लगा. मैने भी उसकी चूत का सारा
पानी चाट लिया. वो एक दम नमकीन और कुच्छ कुच्छ खट्टा था.
5 मिनिट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैं भी अभी तक
उसकी चूत को चाट रहा था और वो भी अपना चूतड़ उठा उठा कर मज़ा
ले रही थी. हम दोनो बहुत जोश में आ गये थे. मैं उसके उपर से
हट गया और उसे डॉगी स्टाइल में होने को कहा. वो कुच्छ नहीं बोली
और चुप-छाप उठ कर डॉगी स्टाइल में हो गयी. उसने अपना सर तकिये
पर टीका दिया. मैं समझ गया की वो चुड़वाने के लिए एक दम बेकाबू
हो रही है. मैं उसके पीच्चे आ गया. मैने उसकी चूत को फेला कर
अपने लंड का सूपड़ा उसकी चूत के बीच रख दिया. वो कुच्छ नहीं
बोली. मैने अपना लंड थोड़ा सा अंदर दबाया. उसकी चूत बहुत टाइट
थी और केवल मेरे लंड का सूपड़ा ही उसकी चूत के अंदर घुस पाया.
मैने थोड़ा और दबाया तो वो पहली बार बोली, "प्ल्ज़. ज़रा धीरे."
मैं समझ गया की वो एक दम जोश में आ गयी है. मैने अपना लंड
थोड़ा और अंदर दबाया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी. मेरा लंड उसकी
चूत में अब तक 2" घुस चुका था. मैने अपना लंड उसकी चूत में
धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उसने भी अपना चूतड़
पीच्चे की तरफ दबाया और सिसकारियाँ भरने लगी, उफ़फ्फ़... विकी...
धीरे... प्ल्ज़. दर्द हो रहााआ है..... उईए.... म्माआआआ......
आआआहह... रुक्कककककक..... जाओ....... मैं रुक गया. वो
बोली, "राज, मैं पहली बार करवा रही हून. ज़रा आराम से धीरे
धीरे करो. बहुत दर्द हो रहा है." मैने कहा, "तुम घबराओ मत.
मैं धीरे धीरे और आराम से ही करूँगा. मैं जनता हून की तुम
अभी तक कुँवारी हो और तुम्हारी चूत एक दम टाइट है." मैने धीरे
धीरे अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
2-3 मिनिट तक छोड़ने के बाद उसे भी और ज़्यादा मज़ा आने लगा. वो
बोली, "राज, तुम अपना लंड तोड़ा सा और अंदर डाल दो. मैं तय्यार
हून." मैने तोड़ा सा और दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 3" तक
घुस गया. वो फिर बोली, "बस, रुक जाओ प्ल्ज़. दर्द हो रहा है. अभी
इतना ही अंदर डाल कर चोदो मुझे." उसका सील टूट चुकी थी और वो
अब मेरा लंड अपनी चूत में आराम से अंदर ले रही थी. मैने उसे
धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया. 2-3 मिनिट में ही उसका दर्द जब
कुच्छ कम हुआ तो उसे मज़ा आने लगा. वो बोली, "राज, तोड़ा और अंदर
डाल कर और तेज़ी.... से चोदो... मुझे." मैने थोडा और अंदर दबाया
तो मेरा लंड उसकी चूत में 4" तक घुस गया. मैने अपनी स्पीड को
बढ़ते हुए उसे चोदने लगा. वो अपना चूतड़ आगे पीछे करते हुए
मेरा साथ दे रही थी.
5 मिनिट तक चोदने के बाद वो बहुत ज़यादा जोश में आ गयी और
बोली, "राज, और अंदर डालो अपना लंड मेरी चूत में. खूब तेज़
चोदो मुझे. अब रुकना नहीं, पूरा लंड अंदर घुसा देना. मैं एक दम
बेकाबू हो रही हून और मुझे बर्दस्त नहीं हो रहा है." मैने अपना
लंड थोड़ा और अंदर दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 5" तक घुस
गया. मैने उसे धीरे धीरे चॉड्ना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर तक चोदने के बाद मैने एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया. मेरा
लंड उसकी चूत में 6" तक घुस गया. वो चिल्ला उठी लेकिन उसने मुझे
रुकने के लिए नहीं कहा. मैने एक फाइनल शॉट लगा दिया तो वो बहुत
तेज़ चिल्लाने लगी. मेरा 7" का पूरा लंड उसकी चूत में एक दम ज़द
तक घुस चुका था. वो बोली, "राज, तुमने आख़िर मुझे आज एक लड़की
से औरत बना ही दिया. मैने अपनी चूत में तुम्हारा पूरा लंड अंदर
ले ही लिया. बहुत दर्द हो रहा है. थोड़ा रुक जाओ, तब चोदना" मैं
रुक गया.
थोड़ी देर बाद जब वो शांत हुई तो उसने मुझसे चोदने के लिए कहा.
मैने मिनी की चुदाई शुरू कर दी. पहले बहुत धीरे धीरे उसके
बाद मैने बहुत तेज़ी के साथ चोदना शुसरू कर दिया. 5 मिनिट तक
उसे चुदवाने में थोड़ा दर्द हुआ लेकिन उसके बाद वो एक दम शांत हो
गयी और उसे मज़ा आने लगा. उसने अपना छूतड़ आगे पीच्चे करते
हुए मेरा साथ देना शुरू कर दिया. 2 मिनिट बाद ही वो बोली, "और
तेज़ छोड़ो, राज. ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाओ." मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी
और बहुत तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा. वो अब अपनी चूत में मेरा पूरा
लंड आराम के साथ अंदर ले रही थी. 2 मिनिट भी नहीं बीते की वो
फिर बोली, "राज, मुझे कुच्छ हो रहा है. लगता है मेरी चूत से
पानी निकालने वाला है. खूब ज़ोर ज़ोर से धक्का लगाओ." मैं समझ
गया की वो झड़ने वाली है. मैने बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी
चुदाई शुरू कर दी.
वो बोली, "आआआ... राज...... मैं.... आआआ... रही.... हून....
और तेज़ .... और तेज़..... ." उसकी चूत से पानी निकालने लगा और मेरा
सारा लंड भीग गया. मैं भी बिना रुके उसे आँधी की तरह चोदता
रहा. लगभग 20 मिनिट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही
झाड़ गया. इस दौरान वो भी 3 बार झाड़ चुकी थी.
लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकल जाने के बाद मैं हट गया.
हम दोनो तक गये थे. कुच्छ देर आराम करने लगे.
15 मिनिट बाद वो बोली, "राज, प्ल्ज़. एक बार और करो ना. मुझे बहुत
अच्च्ची लग रही थी यह चुदाई." उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर
दिया. 10 मिनिट में ही मेरा लंड एक दम तय्यार हो गया. मैने उसे
बेड पर लिटा दिया और उसके चूतड़ के नीचे 2 तकिये रख दिए. उसकी
छूट एक दम उपर उठ गयी. मैने उसकी चूत के बीच जैसे ही अपना
लंड रखा तो वो बोली, "राज, मुझे बहुत मज़ा आया था. इस बार तुम
अपना लंड एक ही धक्के में पूरा अंदर दल दो." मैने अपनी सासें रोक
कर अपने को थोड़ा तय्यार किया और पूरा ज़ोर लगते हुए एक करारा
धक्का मारा. मेरा पूरा लंड सनसंता हुए उसकी चूत में घुस गया.
वो बहुत तेज़ चीख पड़ी.
मैने बिना रुके उसकी चुदाई शुरू कर दी. 2 मिनिट में ही वो अपना
चूतड़ उठा उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी. मैने अपनी
स्पीड और बढ़ा दी. 5 मिनिट की चुदाई के बाद वो झाड़ गयी. उसकी
चूत एक दम गीली हो चुकी थी और मेरा लंड भी उसकी चूत के पानी
से एक दम गीला हो चुका था. मैं रुका नहीं उसको चोदता रहा. रूम
में फ़च-फ़च की आवाज़ गूँज रही थी. इस बार मैने उसे बिना रुके
लगभग 35 तक चोदा और उसकी चूत में ही झाड़ गया. लंड का पूरा
पानी उसकी चूत में निकल देने के बाद मैं हट गया और उसके बगल
में ही लेट गया. इस बार की चुदाई में वो 4 बार झाड़ चुकी थी.
वो भी तक कर चूर हो गयी थी और एक दम निढाल हो गयी थी. वो
बेड पर ही पड़ी रही.
मैने उसे 1 मंत तक कभी अपने रूम पर और कभी उसके रूम पर
खूब चोदा. उसके और मेरे घर का कोई कोना नहीं बचा था जहाँ
मैने उसकी चुदाई ना की हो. वो खूब मस्त हो कर चुड़वाती थी. आज
भी मौका मिलते ही वो किसी ना किसी बहाने मेरे रूम पर आ कर मुझसे
चुड़वा जाती है
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
राज ओर नौकरानी राधिका का प्यार
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका राज शर्मा एक ओर कहानी लेकेर आपकी सेवा मैं हाजिर हू दोस्तो कहानी पढ़कर एक कमेंट तो दे दिया करो
हमारे घर मे के औरत आती थी बर्तन मांझणे, उसका नाम था राधिका, बहुत ही खूबसूरत,
शादी शुदा,मैं भी शादी शुदा हून.ईत्नि खूबसूरत की देखते ही मान ललचाए,हमेशा घागरा चोली पहनती थी और उपर से एक चुनी,कई बार जब चुनी नीचे गिर जाती थी तो चोली के उपर से उसके उभरे दो बूबे दिख जाते थे,जो मुझे और भी गरम कर देते थे, लगता था की नीचे से ब्रसियर नहीं पहनी हो और किया चाल थी, पीच्चे से मैं उसे देखता ही रह जाता था, लचीले दो तारे जीली की काँपते. जी करता था पीच्चे से ही उसे अपनी बाहों मे जाकर लून, मगर तमन्ना दिल मे ही रह जाती थी, कई बार तो उसका ख़याल दिल मे लाकर मुट्ठी भी मार चुका था.
ऐसे ही एक बार मेरी औरत अपनी बहन के घर गयी हुई थी हमारे बचे के साथ लेकर और वहीं रात बिताने का वीछर थ.शाम का समय मैं अकेला था घर मे और राधिका आई बरतन मांझणे, मेरे दिल मे तेज़ गुदगुदी सी होने लगी, अकेला घर, उसमे वो और मैं अकेले, सोच रहा था काश उसको बाहों मे भर कर नंगा कर डून, और उसके खूबसूरत जिस्म को देख सकून.Mअगर हमेशा की तरह अपनी इच्छा को दबाए रखा, ऐसा करना ठीक नहीं था, वो शादी शुदा और मैं भी. पर ऐसे महॉल मेमैन बहुत ही गरम हो रहा था और अपने लंड को अपने आप ही मसलने लगा, राधिका रसोई मे बर्तन मांझ रही थी, रसोई के बाद बैठक थी और उसके बाद मेरा कमरा, जैसे की मुट्ठी मारने मे और भी मज़ा आए तो मैने कमरे मे रखे ड्रेसिंग तबले के आईने को घुमा कर ऐसे रखा जैसे की कमरे के दूसरे तरफ खरे होकर मैं बैठक का दरवाज़ा देख सकूँ जहाँ से राधिका बर्तन मांझणे के बात आती और मैं एक दम नंगा होकर अपने लंड से को मसालने लगा और आईने की तरफ देखता रहा, सोचा अगर उसने देख लिया और कुच्छ कहती भी है तो कह देता मैं तो अपने कमरे मे कापरे बदल रहा था और आईने की तरफ ध्यान नहीं गया की बाहर से दिख रहा है.
थोरी देर के बाद बर्तन ढोने की आवाज़ बंद हुई और मेरा दिल और भी ज़ोर से धरकने लगा, किसी भी समय वो आईने मे दिखे और ऐसा ही हुआ उसे देख कर मैं ऐसे करने लगा जैसे अपने कापरे बदल रहा हूँ, कुच्छ पल के बाद मैने अपनी आँखें उपर उठाई तो देखता ही रह गया, वो अभी तक आईने से दिख रही थी और उसका एक हाथ चोली के अंदर बूब्स से खेल रहे थे और दूसरा हाथ घग्रे के उपर से छूट पर रखा था, शायद उसने मुझे आईने से देख लिया था, मेरी धरकन और भी तेज़ होने लगी, समझ गया की आग उधर भी लगी थी, दो बार नहीं सोचा और धराकते दिल से वैसे ही नंगा मैं बाहर की तरफ गया, वो मदहोश आँखें बंद किए अपने जिस्म से खेल रही थी, मेरे आने की आहत से चौंक उठी और घबरा कर जल्दी से अपनी चुनी ठीक करने लगी और मैने उसके हाथ थाम लिए और कहा--"घबराव मत राधिका, मैं भी तुम्हे प्यार करने के लिए बेचैन हो रहा हूँ."
शरमाती घबराती कहने लगी--"आपको आईने मे नंगा देख कर अपने आप को रोक नहीं पाई, एक मीठी सी गुदगुदी होने लगी थी, मगर मैने नहीं समझा की आप मुझे देख लोगे." उसकी इस अदा ने मुझे और भी मदहोश कर दिया और कहा--"मैने जानभुज कर आईना ऐसे ही रखा था जैसे मैं तुम्हे देख सकूँ और शायद तुम भी मुझे देख सको." उसका कोमल चेहरा अपने दोनो हाथो मे लेते हुए आगे कहा--" तुम बहुत ही खूबसूरत हो राधिका, तुम्हारा यह चेहरा एक गुलाब के फूल जैसा सनडर है और तुम्हारे यह दो होंठ जैसे गुलाब की दो पंखुरियँ हो, चूमने को जी करता है." शरमाते हुए कहने लगी--"मुझे जाने दो बाबूजी, यह ठीक नहीं है, मुझे शरम आती है." उसकी अनसुनी करके मैने अपने तपते होंठ उसके काँपते होंठो पर रख दिए, कितने कोमल होंठ थे उसके, कितनी मिठास थी उन होंठो मे.
शरमाती, अपनी आँखें झुककर कहने लगी--"ऐसा मत कहिए बाबूजी, ऐसा मत कीजिए, मैं सह नहीं पवँगी, आज तक किसी ने मेरी तारीफ नहीं की, मैं तो खामोश अपने टन को राहत देना चाहती थी, आप का नंगा बदन,उठा हुअ...ंऐन तारप उठी, पर आप ने देख लिया."
मैने हैरानी मे पूचछा--"क्यूँ, तुम्हारा मर्द तुम्हारी तारीफ नहीं करता, इतनी हसीन,इतनी खुबुसरत हो तुम."
अपना सिर नीचा कर लिया उसने--"कहना नहीं चाहिए, पर मेरा मर्द तो शराब के नशे मे धुत रात को आता है और मेरी तरफ देखता भी नहीं, जब उसकी इच्छा होती है अपनी पतलून नीचे करके मेरा घग्रा उपर करके बस अपनी आग ठंडी कर लेता और मैं तारपति रह जाती हूँ, उसे भी कितने महीने हो गये, शराब के नशे मे आते ही सो जाता है, कभी कभी तो खाना भी नहीं ख़ाता, लरखरते हुए आता है और सीधा बिस्तर मे जाकर सो जाता है."
"तुम्हारा मर्द बदनसीब है, इतनी सनडर औरत और देखता भी नहीं, मैने तो जब से तुम्हे देखा है, फिदा हो गया हूँ तुम पर. जी करता है तुम्हे देखता ही रहूं, अपनी बाहों मे लेकर प्यार करूँ और तुम्हारा यह प्यारा मुखरा चूमता रहूं." कहते हुए मैने उसे अपने आगोश मे ले लिया. चुपचाप मेरी बाहों मे समा गयी और अपना सिर मेरे सीने पर रख लिया, उसे बहुत ही राहत मिल रही थी, उसका घबराना कुच्छ कम हुआ था. इन सभ बातों मे मेरा लंड भी तोरा सा मुरझा गया था, उसका खूबसूरत, कोमल जिस्म मेरी बाहों मे था, मुझे भी बहुत ही अच्छा लगा रहा था, थोरी देर तक ऐसे ही उसे आप्बी बाहों मे बँधे रखा और फिर उसके गाल को सहला कर उसका मुहन उपर किया, हमारी निगाहें मिली, प्यार भरा था उसकी आँखों मे, उसे अपना महसूस कर रहा था, शायद वो भी ऐसा ही महसूस कर रही थी इसीलिए वो भी बेफिकर मेरी बाहों मे बँधी थी, मैने उसका माता चूम लिया और उन प्यारी सी आँखों पर अपने होंठ रख कर एक चुंबन दिया और कहा--"राधिका, आज मैं तुम्हे प्यार करके तुम्हारी यह तारप निकाल दूँगा, और तुम्हे महसूस करौंगा की तुम वाकई मे कितनी हसीन हो." कहते हुए मैने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए, इस बार वो नहीं हटी और मेरे चुंबन का जवाब अपने चुंबन से दिया, मैने अपने होंठ नहीं हटाए और उसका होंठ अपने होंठो के बीच लेकर चूसने लगा, जवाब मे उसने भी मेरा उपर का होंठ चूसने लगि.बिन होंठ हटाए कहने लगी--"मुझे पिघल दिया तुमने, बेताब थी ऐसे चुंबन के लिए, मेरा दिल इतना धारक रहा है की ऐसे लग रहा है की उच्छल कर बाहर आ जाएगा."
उसके गाल को चूम कर कहें लगा--"मैं भी सुनू कैसे धारक रहा है तुम्हारा दिल."
कहते हुए मैं नीचे हुआ और अपना कान उसके कोमल सीने पर रख दिया, एक लंबी साँस ली उसने, वाकई मे बहुत ही तेज़ धारक रहा था, मेरी बाहें उसकी कमर के इर्द गिर्द थी, साँस लेकर उसने अपना एक हाथ मेरी पीठ पर रख दिया और दूसरा हाथ मेरे बालों मे डाल कर अपनी तरफ हल्के से दबाया, उसकी धरकने सुन कर अपने होंठो से चोली के उपर से ही उसके बूबे चूमने लगा और उसकी एक निपल पर अपने होंठ रख कर एक चुंबन दिया, वो सिसक उठी, पीच्चे हाथ करके उसकी चोली को ढीला करके चोली उतार दी, उसके तारपते दो कोमल पांच्ची आज़ाद होकर उच्छल कर बाहर आ गये, नंगे बूबों पर चूमा और फिर उसकी निपल अपने होंठो मे लेकर छुपने लगा, उपर होते हुए गले को चूमता हुआ फिर उसके होंठो पर अपने होंठ रख चूमा और अपनी जीभ से उसकी जीभ टटोलने लगा, उसने मेरा साथ देते हुए अपनी जीभ मेरी जीभ से मिला ली और दोनो एक दूसरे को चूमने और चूसने लगे.
मेरा लंड फिर से टाइट होने लगा था, उसके बूब्स मेरे सीने से डब रहे थे, उसकी धरकन मेरी धरकन से मिल गयी थी, उसके घग्रे का नारा खोल दिया मैने, नारा ढीला होते ही घग्रा एक दम नीचे फर्श पर गिर गया, उसके तारे दबाते हुए और होंठ चूस्ते हुए मैने अपना एक हाथ उसके छूट पर रख दिया और नीचे होते हुए उसका कच्चा भी नीचे करने लगा,
घुटनो के बाल बैठ कर अपने होंठ उसकी छूट के बालों पर रख कर चूमा तो फिर सिसक उठी , अपनी जीभ से छूट के होंठ पर रख कर उसे गुदगुदी करने लग.उस्ने मेरे सिर को थाम कर अपनी छूट की तरफ दबाया और मैं उसकी छूट को चाटने लगा, मुझे भी इच्छा हो रही थी की राधिका भी मेरे लंड को अपने कोमल हाथो मे लेकर मसले और अपने नाज़ुक होंठो के बीच लेकर छुपे, मैं उठा और उसे नीचे घुटनो के बाल बिता कर अपने लंड को थाम कर उसके गालो पर सहलाने लगा, वो अपना मुहन खोलकर लंड को पाकरने की करने लगी, तोरा सा उसे तरपा कर मैने अपना लंड उसके होंठो पर रख दिया, चूमते हुए उसने आहिस्ता से जितना अंदर जेया सकता था उतना लंड मुहन मे डाल दिया और धीरे से बाहर निकालने लगी चूपते हुए, जब लंड की मुंधी पर पहुचि तो ऐसे छुपने लगी जैसे लॉली-पोप चूस रही हो, बहुत ही मीठी सी गुदगुदी होने लगी मुझे, फिर आहिस्ता से लंड को अपने मुहन मे वैसे ही डाला और फिर धीरे धीरे निकाल कर चूसने लगी, मैने उसका सिर थाम कर अपनी तरफ दबा कर उसके मुहन मे छोड़ने लगा, उसने एक हाथ मे मेरे बॉल्स पाकर लिए थे और धीरे से दबा कर सहला रही थिंऐने उसे उठाकर उसका हाता थाम कर कहा--" तुम्हारी खूबसूरती देखने दो राधिका"
अपने से तोरा सा डोर करके उसका खुबुसरत नंगा जिस्म देखने लगा--"वाकई मे तुम बहुत ही खुबुसरत हो, एक गुलाब के फूल की तरह हसीन और कोमल." शर्मा कर आँखें झुका ली और झट से मेरी बाहों मे समा गयी अपना सिर मेरे सीने पर रख कर, हमारे नंगे जिस्म एक दूसरे मे समा गये थे, इतना ज़ोर से अपनी बाहों मे दबाया की उसकी साँस थमने लगी, अपने से अलग करके उसके होंठ और जीभ चूस्ते हुए अपनी बाहों मे उपर उठा लिया, उसने अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर से बाँध ली, उसके बूब्स मेरे होंठो के करीब और मेरा उठा हुआ लंड उसकी छूट को छ्छूने लगा, उसके बूब्स चूपते हुए अपने लंड को उसकी गरम छूट पर सहलाने लगा, एक दूसरे की गर्माहट से दोनो मदहोश हुए जेया रहे थे, हल्के से मैं उसकी छूट के अंदर गया, मदहोशी मे बाल खाने लगी राधिका, और लिपट गयी वो मुझसे, एक झटके से लंड को और अंदर डाला तो उसके मुहन से एक चीख निकल आई, मैं उसे छोड़ने के लिए पागल होने लगा, दीवार का सहारा लेकर अपनी गोदी मे लिए उसे और ज़ोर से छोड़ने लगा, उसकी कोमल छूट की धरकन मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था जो मुझे और भी मदहोश किए जेया रही थी, उसे डाइनिंग तबले पर लिटा कर मैने उसकी टाँगे खोलकर उपर कर दी और झांगो को सहलाते थामे और फिर उसकी छूट को छुपने लगा, छूट के दोनो होंठो को साथ लिए अपने होंठो मे लेकर चूसा और जीभ से बीच मे सहलाने लगा, उसके सारे जिस्म मे गुदगुदी होने लगी थी और इधर से उधर बाल खाने लगी, मैं फिर खरा हुआ टॅंगो को खोले मैने अपना टाइट लंड उसकी छूट के उपर रखा, मगर अंदर नहीं डाला और दबाते हुए अपने दोनो हाथो से उसके दोनो बूब्स थाम कर दबाते हुए मसलता हुआ लंड को छूट से दबाते हुए आगे झुका और एक एक करके उसके बूब्स के निपल चूसे और फिर उसकी टॅंगो को थाम कर लंड को एक ही झटके मे छूट के अंदर डाला, एक और चीख निकली उसके मुहन से, दर्द से बिलख उठी, पर गुदगुदी भी बहुत हो रही थी, तबले को थामे और माँगने लगी--"और ज़ोर से चोद राज." उसके मुहन से मेरा नाम और भी अच्छा लगा, हमेशा बाबूजी कहती थी, तोरा और छोड़ा, लंड को छूट से निकाले बिना उसे उठाया और वैसे ही अपनी गोदी मे ले लिया, अपनी टाँगे मेरी कमर पर बाँध ली उसने और उसे अपने बेडरूम मे ले गया. बिस्तर पर सुला कर उसे सिर से पावन् तक चूमने लगा और रह रह कर जीभ से चाट भी रहा था, जब मेरे होंठ उसकी छूट पर रुके तो फिर सिसक कर बाल खाने लगी, इतनी तेज़ गुदगुदी होने लगी थी की अपनी टाँगे बंद करने लगी.
मैने उसकी दोनो टाँगे खोलकर उपर कर ली और छूट का हसीन नज़ारा देखने लगा, गुलाबी, गीला छूट उस पर काले, घुंघराले बॉल बहुत ही अच्छा लग रहा था, उसका लचीला जिस्म, टाँगे एक दम पीच्चे कर ली उपर उठाते हुए और मैने अपना टाइट लंड उसकी छूट मे डाल दिया, दर्द और मज़े से तारपने लगी, अपने सिर को आँखें बंद किए इधर से उधर करने लगी, उसके बॉल उसके चेहरे पर बिखरे,होंठ भींचे हुए उसे और भी खूबसूरत कर रहे थे, और मैं पàअग्लों की तरह उसे छोड़ने लगा, राधिका दर्द को सहन नहीं कर पा रही थी और मुझे नीचे उतार दिया, मैने उसके कोमल जिस्म से लिपट परा, दोनो के होंठ एक दूसरे से मिले, एक दूसरे को चूस्ते हुए उसे पलटा कर मैं नीचे हुआ और उसे अपने उपर कर दिया, मेरे होंठ चूमते हुए वो नीचे हुई और मेरे खरे लंड को अपने हाथ मे लेकर मसालते हुए अपने मुहन मे डाल दिया और ज़ोर से उपर नीचे करते छुपने लगी, इस बीच मे उसकी छूट का दर्द तोरा सा कम हुआ तो मेरे दोनो तरफ टाँगे करके छूट के अंदर लंड डाल कर उपर नीचे होने लगी, मैने भी उसकी कमर थाम कर अपनी कमर को उपर नीचे करके उसे छोड़ने लगा, अब बर्दाश्त से बाहर था, लंड मे बहुत ही तेज़ गुदगुदी हो रही थी, उसे पलट कर फिर उसे नीचे करके मैं उसके उपर हुआ और ज़ोर से छोड़ने लगा, बस लंड और नहीं सहन कर पाया और एक पिचकारी निकली मेरे गरम पानी की और छूट को अंदर से भिगो दिया, मेरा गरम पानी अंदर महसूस करके वो भी ज़ोर से अपनी कमर को इधर उधर हिला कर मुझसे से और भी लिपट गयी अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर से लपेट कर अपने से चिपका लिया, उसका शरीर काँप रहा था. कितनी देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बाहों मे लपेटे सोए रहे, मेरे होंठ चूमते हुए उसने कहा--" राज, आज पहली बार अपने को एक औरत महसूस किया है, अभी तक तो ऐसे लगता था जैसे मैं अपने मारद का खिलोना हूँ, जब उसे जी चाहता है मेरे जिस्म से खेल लेता है, बिना यह सोचे की मैं किया चाहती हूँ."
होंठो से होंठ मिले रहे,"मुझे खुशी हुई की तुम्हे अच्छा लगा, मुझे भी तुमसे प्यार करके बहुत ही अच्छा लगा." मैने जवाब मे कहा.
"पहली बार महसूस किया है प्यार का मज़ा, पहली बार महसूस किया है सेक्स का आनंद, मुझे तो ऐसा महसूस लग रहा है जैसे मुझे पंख लग गये हो और मैं उरह रही हून.इत्न आनंद मिला की मेरा जिस्म काँप रहा था, ख़ासकर जब मेरी छूट चुप रहे थे, जब तुम्हारा गरम पानी अंदर गहराई मे महसूस किया, मैं तो अपने होश खो रही थी."
"यह ऑर्गॅज़म था जो तुम्हे इस तरह कंपन दे रहा था तुम्हारे जिस्म मे." मैने उसके बॉल सहलाते हुए, चूमते हुए कहा.
"अब मुझे जाना चाहिए, और भी भर हैं जहाँ काम करना है."
"जी तो करता है, ऐसे ही मेरी बाहों मे समय रहो, मुझे अच्छा नहीं लगता की तुम दूसरे के घर मे बर्तन मांझणे का काम करो, अगर मैं तुम्हारे लिए कुच्छ कर सकूँ तो सिर्फ़ कहने की देर है." मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे उस से प्यार हो गया हो.
"मेरी फिकर मत करो, मुझे कुच्छ भी ज़रूरत होगी तो मैं तुम्हे कह दूँगी." मेरे होंठ चूमते हुए उसने कहा और मुझसे अलग होकर उठी और कापरे पहनने लगी और मैं चुपचाप उसे देखता रहा, उसे देख कर मेरी दिल की धरकन मेरे काबू मे नहीं थी और प्यार करने को जी कर रहा था, शायद राधिका ने मेरे दिल की बात सुन ली थी और कहने लगी--"जब भी मौका मिलेगा और अगर नहीं मिलेगा तो ढूँढ लेंगे इसी तरह प्यार करने के लिए.
कपड़े पहन कर जाने लगी, मगर जाने से पहले हम एक बार फिर एक दूसरे की बाहों मे बन्ध गये.
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
शरमाजी की साली
. मेरे पड़ोस मे शरमाजी रहते है. उनके परिवार मे
उनकी मा, उनकी बीबी और उनके 2 बच्चे रहते है. भाभिजी बहुत
सुंदर और अच्च्ची है, एक बार उनके घर मे एक फंक्षन था शरमाजी
ने मेरे को बोला की परेश मेरी साली लखनऊ मे रहती है, उनके पति
वाहा पर सरकारी नौकरी मे है, वो अभी आ नही सकते तो तुम जाकर
मेरी साली को लेकर आओ. मैं उनकी साली से पहले कभी नही मिला था,
मैं उसको लेने लखनऊ चला गया, उनकी साली के घर पर मेरी बहुत
आवभगत हुई, शरमाजी की साली बहुत खूबसूरत थी, उसका कसा हुआ
बदन, बड़े बड़े बूब्स, प्यारा सा चेहरा, मोटी सी गांद उसकी शादी को
अभी 6 महीने ही हुए थे, उनके पति वाहा अच्च्ची सरकारी नौकरी मे
है. वो मीडियम पेर्सेनाल्टी के आदमी है और अपने कम मे ज़्यादा बिज़ी
रहते है. उन्होने वापसी के लिए हमारी टिकेट बना दी जो दो दिन आगे
की थी और उसी दिन उनको ऑफीस के कम से दिल्ली जाना पड़ा, उन्होने कहा
की मुझे 3-4 दिन लगेंगे आप लोग जॅयैपर चले जाना, उस दिन मैं ट्रेन
मे आने की वजह से थका हुआ था और सो गया, रात को 8 बजे नीली
(शर्मा जी की साली) ने मुझे जगाया मैं उठकर फ्रेश हुआ और हॉल मे
आकर सोफे पर बैठ गया.
घर पर मैं और नीली दोनो ही थे नीली ने कहा परेशजी खाना खा ले
मैने कहा अभी क्या जल्दी है चलो थोड़ा घूम कर आते है मुझे
लखनऊ घूमा दे, उसने कहा चलो, उसने पुचछा की आपको मोटरसाइकिल
चलानी आती है क्या? मैने कहा हा तो उसने कहा की मेरे पति की
मोटरसाइकिल पर चलते है, मैने उसके पति की मोटरसाइकिल निकली, उसने
@जीन्स और टाइट टी शर्ट पहन रखी थी और वो मेरे पिच्चे मोटरसाइकिल
पर बैठ गई, हम लोग बेज़ार मे घूम कर आए हम दोनो ने ही कुच्छ
शॉप्पंग करी और इधर उधर घूमने लगे, एक जगह रोड खाली थी
मैं स्पीड से मोटरसाइकिल चला रहा था अचानक एक स्प्पेड ब्रेकर आया
मैने बहुत ज़ोर से ब्रेक लगाया जिससे नीली पूरी मेरे उपर आ गई उसकी
चुचियो से मेरा बॅक डब गया उसने बोला की एसए क्या चला रहे हो
मैने कहा स्पीड ब्रेकर आ गया था, लेकिन यह अच्च्छा हुआ तुम मेरे
करीब तो आई वरना मैं तो सुबह से तुम्हारे करीब आने की सोच रहा
हू. उसने कुच्छ नही कहा और मेरी कमर मे हाथ दाल कर मुझसे चिपक
कर बैठ गई मेरी हिम्मत और बढ़ी मैं हर थोड़ी देर मे ब्रेक लगता
और वो मेरे से और चिपक जाती, उसकी बूब्स की गर्मी मे अपनी पीठ पर
महसूस कर रहा था, करीब 10 बजे हम घर पर आ गये और चेंज
करके खाना खाया फिर टV देखने लगे और बहुत सारी बताईं होती रही.
करीब 1 बजे उसने कहा की चलो सोते है, गरमी का टाइम था उनके
घर मे उनके बेडरूम मे आC लगा था उसने मुझे कहा की आप बेडरूम मे
सो जाओ मे दूसरे रूम मे सो जाती हू, मैने कहा की तुम भी यही स जाओ
उसने माना किया और दूसरे रूम मे जाकर सो गई, मैं सोने की कोशिश
करने लगा लेकिन मुझे नींद नही आ रही, बार बार मे नीली का गुलाबी
हुस्न आँखो के सामने आ रहा था, लगभग एक घंटे के बाद अचानक मेर
रूम का दरवाजा खुला और उसमे से नीली अंदर आ गई उसने कहा की गर्मी
बहुत है वाहा पर नींद नही आ रही है, मैने कहा की मैने तो
पहले ही कहा था, उसने गुलाबी कोल की पारदर्शी निघट्य पहन रखी
थी जिसमे से उसकी ब्लॅक पनटी और ब्रा दिख रही थी, उसने कही की
मैं बेड कीसीदे मे बिस्तर लगा का सो जौंगी, मैने कहा नही तुम बेड
पर सो जाओ मैं कूच भे नही करूँगा वो बेड पर एक साइड मे सो गई
और एक साइड मे मैं. थोड़ी देर मे मुझे नींद आ गई, अचंक मेरी आँख
खुली तो मैने देखा की वो मेरे नज़दीक सोई हुई है और उसकी निघट्य
उसके घुटनो के उपर हो गई थी उसकी गोरी सफेड जांघे देख कर मेरा
लंड तन गया, मैने उसे हाथ से पकड़ लिया और सहलाने लगा और
दूसरा हाथ धीरे से उसके बूब पर रख दिया उसके बूब एकदम गरम थे.
मैने महसोस किया की वो जाग रही थी, मैने अपने हाथो को उसके निघट्य
के उपर से उसके बूब्स पर घूमने लगा, मैने देखा की वो आँख खोल
कर यह सब देख रही थे मैने उसकी निघट्य के सामने के बुत्तन खोल कर
अपन हाथ उसकी ब्रा के उपर घूमने लगा अचंक उसने मेरा हाथ पकड़
कर ज़ोर से अपने सिने पर मसलने लगी, मैने उसे बाहो मे भर लिया ओर
अपने होतो को उसके होतो के उपर रख दिया उसकी साँसे तेज़ी से चल रही
थी उसने मेरे कपड़े उतार दिए मैने भी उसकी निघट्य उतार दी ब्लाक ब्रा
और पनटी मे वो गजब ढा रही थी, मैं उसे उपर से नीचे तक चूमता
रहा उसने मेरे लंड को सहलाना जारी रखा, मैने उसे चूमते हुए उसकी
ब्रा और पनटी भी उतार कर फेंक दी वो मेरे आमने एडम नंगी थी उसके
उस दूधिया बदन को देख कर मेरा लंड एकदंम राक क तरह हो गया,
उसके बूब्स को एक हाथ से दबाते हुए दूसरे बूब को मैं चूसने लगा
उसके बूब बहुत कड़क थे उसने भी मेरे शरीर को चूमे हुए मेरे लंड
को अपने मूह मे ले लिया, धीरे धीरे उसे और मुझे जोश आने लगा मैने
उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी छू को चूमने लगा वो अपने पेर ज़ोर ज़ोर
से पतकने आगी और कहा की आब देर मत करो मुझे चोद डालो मैं भी
रेडी था मैने अपने लंड को उसकी चूत के मूह पर र्खा और एक धक्का
दिया मेरा आधा लंड उसके चूत मे चला गया उसने कही की तुम्हारा लंड
बहुत मोटा उसके पति का इतना मोटा नही है, मैं उसके बूब्स को
मसलता रहा और उसके हठो को चूमते हुए ए और धक्का लगाया मेरा
पूरा लंड उसकी चूत मे चला गया वो ज़ोर से चिल्लई धीरे करो डरा हो
रहा है, मैं उसके होतो को चूमता हुआ 2-3 मिनूत्स उसके उपर लेता
रहा उसके शांत होने पर मैने अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू
किया अब उसे भी मज़ा आने लगा करीब 5 मिनूट मे उसने पानी छ्चोड़ दिया
अब मेर लंड स्की चूत मे तोड़ा ईज़ी हो गया उसे भी मज़ा आने लगा वो
अपनी गंद उठा उठा कर अपनी चूत मरने लगी, करीब 20 मिनूट की
चुदाई मे वो 4 बार झाड़ चुकी थी अब तो मेरे लड ए भी जबाब दे दिया
मैने कहा की मेरा पानी निकालने वाला है उसने कहा की वो भी झड़ने
वाली है हम दोनो एक साथ ही झाड़ गये, मैं उसके उपर लेता रहा
करीब 10 मिनूट के बाद हम फिर रेडी थे, उस रत मैने उसे 5 बार
चोदा और हू सो गये.
हम दोनो दोपहर को 2 बजे उठे और रेडी होकर मार्केट के लिए निकल
गये. शाम को घर आकर हुँने खाना खाया और टV देखते रहे रत को
करीब 10 बजे मैने उसे बहो मे लेकर चूमना शुरू कर दिया उसने
अपने कपड़े उतार दिए और मेरे कपड़े भी उतार दिए मैइनेसए चूमते हुए
कैईब आधा गाँते तक चोदा, उसके बाद हुँने VCऱ पर एक क्षकशकश मोविए लगा
दी उसमे एक लड़का एक लड़की की गांद मार रहा था, मैने उसे कहा चलो
मे तुम्हरी गंद मे मेरा लंड डालता हू उसने कह मेरी गंद फॅट जाएगी
मैने कहा कुच्छ नही होगा थोड़ा सा दारद होगा मेरे लिए ये करना ही
परेगा. उसने कहा की दीरे धीरे करना मैने उसे घुटनो के बाल बैठा
डियै और उसकी गंद पर थोड़ा सा क्रीम लगाया और मेरे लंड को उसकी गांद
पर लगाया, आर थोड़ा सो अंड उसकी गंद मे डाला उसी गंद एकदम फ्रेश थी
मैं उसकी गंद की सील तोड़ रहा था, मैने और तिदा सा धक्का दिया
मेरा लंड करीब 2"उसकी गंद म गया वो बोली रहने दो दारद हो रहा
है मैने उसकी कम्र से कस कर पकड़ लिया और एक ज़ोर का धक्का मारा
मेरा पूरा लंड उसकी गांद मे गया, वो ज़ोर से छीची उसकी आँखो मे आसू
आ गये मई वही पर रुक गया और उसके चुही को दबा दबा कर उसे
मसलता रहा उसे जोश आने लगा और वो आगे पिहहे होने लगी मैने
अपने लंड को अंदर भर कारण शुउ किया अब उसे ही मज़ा आने लगा, मैं
और वो गांद मारी का मज़ा लेते रहे आईने कहा की मैं झदाने वॉल हू तो
उसने कहा की सारा पानी वो पीना चाहती है मैने अपना लंड उसकी गांद
मेसए निक्र कर उसके मूह मे दे दिया वो प्यार से मेरे लंड को आम की तरह
चूसने लगी थोड़ी देर मे मेरे लंड से ढेर सारा पानी निकला और वो सारा
पानी पी गई, उस रात भे मैने उसे 5 ब्र चोदा दूसरे दिन हम ट्रेन से
जॅयैपर आ गये वाहा पर भी मैने 7 दिन मे करीब 7-8 बार चोदा.
उसके बाद मैं चेन्नई आ गया करीब एक साल बाद उसके पति का ट्रान्स्फर
चेन्नई हो गया, मेरा उनके गहर मे आना जाना रहता है मैं आज भी
मज़े से जब ह्यूम मोका मिलता है उसे चोदता हू , आज वो एक प्यारे से बेटे
की मा है.
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
गुलाम चुदाई का
मैं अत्यंत गर्म औरत हूँ। वैसे मेरी शादी हो चुकी है पर मुझे सिर्फ़ अपने पति से संतुष्टि नहीं मिलती इसलिए मैंने पड़ोस के एक हट्टे कट्टे मोटे लंड वाले लड़के को अपना बॉय फ्रेंड बना रखा है। वह मेरा गुलाम बना रहता है। उसे मैंने कैसे फंसाया इसकी घटना आप सबको बताती हूँ।
मैं अपने पति संग अकेली रहती हूँ और वो हमेशा अपने ऑफिस के काम से बाहर जाते रहते हैं। उनके नहीं रहने पर मैं रात में मोटे बैंगन से अपनी चूत की खुजली शांत करती थी।
एक दिन मेरी नजर बगल के २६ वर्ष के लड़के सुमन पर पड़ी। उसका शरीर अत्यन्त गठीला था और उस दिन वह मेरे घर के बाउंड्री के बगल में पेशाब कर रहा था। मैं छत पे बैठी थी और वो बिल्कुल मेरे सामने नीचे लंड निकाले पेशाब कर रहा था। उसने मुझे देखा नहीं था और मैं उसके लंड को सामने से देख रही थी और मुझे लगा कि सुमन का लंड बहुत मोटा है।
उसी दिन से मैं उसके लंड से चुदने का प्लान बनने लगी। मैं उससे नजदीकी बढ़ाने के लिए उसे बाजार से कुछ सामान लाने को कह देती थी। वह मुझे भाभी कहता था और खुशी से सामान ला देता था। मैंने उसका मोबाइल नंबर भी ले रखा था।
मैं चूँकि ३२ साल की सेक्सी औरत हूँ सो उसका भी आकर्षित होना स्वाभाविक था पर वह डर या शर्म से कुछ बोलता नहीं था पर उसकी नजर मेरी चुचियों और गांड पर अक्सर रहती थी। और फ़िर एक सप्ताह बाद मैंने उसे फंसा ही लिया।
उस दिन मैंने उसे फोन करके दोपहर के बाद २-३ बजे घर बुलाया। मैंने इसके बाद अपनी चूत के बालों को हेयर रिमूवर क्रीम से साफ़ किया और लगभग १ बजे तक पूरी तरह तैयार हो चुकी थी। मैंने साड़ी पहनी पर अंदर न तो पैंटी पहनी और न ही ब्रा। ब्लाउज भी स्ट्रिप वाली थी जिसमें लगभग पूरी पीठ दिखाई पड़ती थी। लगभग ढाई बजे सुमन मेरे दरवाजे पर खड़ा था, मैंने जैसे ही खिड़की से उसे आते देखा मैं पेट के बल अपने बेड पर लेट गई, अपनी साड़ी को इस कदर उठा लिया की मेरी पूरी जांघ दिख रही थी और अगर कोई झुक कर देखता तो उसे मेरी गांड की भी झलक मिल जाती। पीठ पर भी मैंने साड़ी नहीं रहने दी थी और बगल में एक डेबोनेयर पत्रिका खोल कर रख दी थी, ऐसा लग रहा था मानो मैं पत्रिका पढ़ते हुए सो गई थी।
सुमन को मैं पहले ही बोल चुकी थी कि अगर दरवाजा खुला रहे तो कालबेल बजाने कि जरुरत नहीं है बस आवाज देकर अन्दर आ जाना। दरवाजा मैंने खुला छोड़ कर ही रखा था और सुमन अन्दर आ गया। उसने आवाज लगाई पर मैंने कोई जबाब नहीं दिया।
मेरे बेडरूम में बज रही हलकी म्यूजिक की आवाज सुनकर वह इस ओर बढ़ गया और फ़िर वही हुआ जिसका मुझे इंतजार था।
उस स्थिति में देखकर उसने पहले तो धीरे से आवाज लगाई और कोई जबाब नहीं मिलने पर मेरी बगल में आहिस्ते से बैठ गया। उसने धीरे से मेरी साड़ी जांघो पर से उठा दी और मेरी गोरी-गोरी चूतड़ उसके आँखों के सामने थी।
उसने धीरे से मेरी चूतड़ों को एक दूसरे से अलग कर गांड का छेद देखने की कोशिश की और मैंने अपनी टांगों को जानबूझ कर इस कदर फैला लिया की उसे मेरी चूत भी दिखने लगा। उसने अपनी ऊँगली से मेरी चूत को छूना शुरू किया और मैंने जागने का नाटक किया और बोली- "सुमन यह क्या कर रहे हो?"
वह घबरा गया और मेरे पैरों पर गिर कर गिड़गिड़ाया- "भाभी मुझे माफ़ कर दो आप जो कहोगी मैं करूँगा।" वह डर चुका था।
मैं बोली कि ठीक है माफ़ करुँगी पर मेरा कहा मानोगे तब।
उसने हां में सर हिलाया।
मैं उसे दरवाजा बंद कर आने को बोली और वह दौड़ कर दरवाजा बंद कर आया। तब मैं उससे बोली-"देखो, तुमने मेरी चूत देखी है और इसके बदले मैं तुम्हें पूरा नंगा देखना चाहती हूँ।" सुमन ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और मैं उसके लंड का आकार देखकर उत्तेजित हो उठी। उसका लंड लगभग ७ इंच लंबा था पर उसकी मोटाई ज्यादा थी।
मैंने उसके लंड को पकड़कर उसके सुपाड़े की चमड़ी को नीचे कर दी। फ़िर मैंने उसे अपनी चूत चूसने को कहा और मैं अपने पैर मोड़कर बेड पर लेट गई। वह मेरी चूत चूसने और चाटने लगा, मुझे बहुत मजा आ रहा था। वह मेरे चूत का रस मस्त होकर पी रहा था।
फ़िर मै उसे रोककर अपने कपड़े उतारने को बोली और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों नंगे थे। मैंने उसे अपनी चूचियां सहलाने और चूसने को कहा और उसने ऐसा ही करना शुरू किया। मैं सी सी सी, की आवाज निकाल रही थी। फ़िर मैंने सुमन को अपने क्लिटोरिस को चाटने को कहा और उसने चाटना शुरू किया मैं आनंद के असीम सागर में गोते लगा रही थी।
मेरी चूत एकदम गीली हो चुकी थी मैंने उसके मोटे लंड को पकड़ कर उसे चूत में डालने का इशारा किया और वह मेरे पैरों के बीच बैठ कर लंड को चूत के छेद पर रगड़ रहा था और फ़िर उसने एक धक्के के साथ अपने लंड को मेरी चूत में धंसा दिया पर उसका मोटा लंड मेरी चूत में फंस रहा था, मैंने अपने पैरों को थोड़ा और फैलाया और उसने एक जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड मेरी चिकनी चूत में उतार दिया और फ़िर धक्के लगाकर चुदाई करने लगा।
मेरी चूत सुमन के मोटे लंड की रगड़ से मस्त हो रही थी और मैंने अपनी चूत उठाकर सुमन का साथ देना शुरू कर दिया। लगभग २२-२५ धक्कों के बाद सुमन ने अचानक चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और उसका लंड मेरी चूत में वीर्य छोड़ने लगा, गर्म वीर्य, लंड के फूलने सिकुड़ने और सुमन के मजबूत जकड में मुझे चुदाई का असीम आनंद मिल रहा था और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मैं झड़ रही थी।
इसके बाद लगभग ३-४ मिनट तक हम वैसे ही पड़े रहे इसके बाद मैंने सुमन को तौलिया से अपने चूत को पौंछ कर साफ़ करने को कहा और उस दिन से मेरे हाथ सुमन के रूप में एक चुदाई का गुलाम प्राप्त हुआ जो मेरी इच्छानुसार आकर मेरी चुदाई कर मेरी चूत को तृप्त करता है।
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02-26-2019, 09:39 PM,
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
माँ मौसी और दीदी की चुदाई
दोस्तो मैने सोचा है आपके लिए कुछ छोटी कहानियाँ पोस्ट करूँगा जो आपका भरपूर मनोरंजन करेंगी इसी श्रंखला में एक और कहानी पेश कर रहा हूँ
पहले आप सब को मैं अपने परिवार के बारे मे बताता हूँ – हम लोग पुरानी दिल्ली के रहने वाले है, हमारा घर बहुत बड़ा नही है, सिर्फ़ दो मंज़िल का ही है, पुराना होने के कारण उसमे अब कन्स्ट्रक्षन भी नही हो सकता है, पहले मेरा घर गाओं मे आता था लेकिन नई आबादी होने के कारण अब शहर मे कवर हो गया है. घर मे मेरे पिताजी, माँ, मेरी चाची जो मेरी सग़ी मौसी भी है, और उनकी लड़की यानी मेरी चचेरी दीदी जो मुझसे 5 साल बड़ी है और पढ़ाई पूरी कर के शादी के लायक हो गई है. मेरी माँ और चाची बहुत गोरी और खूबसूरत हैं, उनकी चुचियाँ थोड़ी बड़ी है पर कमर और चूतड़ एकदम पतले, उनका पेट काम करने के कारण एकदम अंदर है जिससे पेटिकोट पहनने पर उनकी बुर काफ़ी उभरी दिखाई पड़ती है,
मेरा जन्म मेरे माँ-बाप की शादी के काफ़ी बाद हुआ था इसलिए मुझे दुलार भी बहुत मिलता था. चाचा का देहांत भी बहुत पहले हो गया था तब से चाची भी हम लोगो के साथ ही रहती है और वो चूँकि मेरी मौसी भी तो मुझे प्यार भी बहुत करती है. ये सारी बातें मेरे बचपन से अब तक मेरे साथ होती चली आई है और अब तक होरही है इसलिए अपनी सारी कहानी बचपन से ही बतानी पड़ेगी. दरअसल मेरे घर मे कोई बाथरूम नही है केवल आँगन है जहाँ हॅंड पम्प लगा है,
घर के सारे लोग आँगन मे ही नहाते है, टाय्लेट आँगन के एक कोने मे बना है. मैने बचपन से अब तक सब को आँगन मे पेशाब करते हुए देखा है. चूँकि पिताजी सुबह ही दुकान पे (जहाँ अब मैं बैठ ता हूँ) चले जाते है इसलिए सिर्फ़ औरते ही घर मे बचती है. मेरे जन्म के पहले सिर्फ़ माँ, चाची और दीदी थी तो आपस मे खुले थे, और मेरे जनम के बाद भी वैसे ही है, हां काफ़ी दिनो के बाद पैदा होने के कारण माँ मुझे बहुत दुलार करती थी
और मुझे कभी अकेला नही छोड़ती थी, जब माँ नहती तो मुझे भी साथ ही नहलाती, माँ खुद भी नंगी हो कर नहाती थी और मुझे भी नंगा कर देती . मुझे अच्छी तरह याद है, बचपन से ही मैने घर की सारी औरतो को नंगी ही नहाते हुए देखा है. अब भी वो लोग वहीं आँगन मे कपड़े उतार कर पहले कपड़े धोती है और फिर नंगी नहाती है, वो लोग मेरे सामने ही अपने पैरों को फैला कर साबुन लगाती और अपनी बुर धोती, और नहाने के बाद बरामदे मे सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लौज पहन लेती है,
घर पर माँ और चाची सिर्फ़ ब्लौज और पेटिकोट मे ही रहती है, दीदी कभी कभी सलवार कुर्ता पहेन लेती है और कभी स्कर्ट. मैं तो काफ़ी समय तक घर पर नंगा ही रहता था, माँ मेरा पैंट निकाल कर रख देती और मुझे खेलने के लिए छोड़ देती. अक्सर माँ जब पेशाब करने के लिए आँगन मे जाती तो मैं भी माँ के साथ ही पेशाब करने भाग जाता था, लेकिन माँ बैठ कर मुतती थी और मैं खड़ा हो कर तो माँ मुझसे बैठने के लिए कहती, जब मैं बैठता तो मुझे माँ की फैली हुई बुर से निकलती हुई पेशाब की धार दिखाई पड़ती थी.
जब मैं माँ की बुर को ध्यान से देखता तो माँ मुझे देख कर हँस देती थी. एक दिन क्या हुआ कि हमारे यहाँ हमारे गाओं की नाहिन जो अक्सर माँ और चाची की मालिश करने आती थी, आई हुई थी, वो माँ से बड़ी थी और माँ उन्हे काकी कहती थी. वो माँ के पास बैठ कर बात कर रही थी कि उसे भी पेशाब लग गई और जब वो पेशाब करने के लिए आँगन मे अपनी साड़ी उठा कर बैठी तो उसके चूतड़ देख कर मुझे भी पेशाब लग गई और मैं भी उसके सामने जाकर बैठ कर मूतने लगा, जब मुझे उनकी बुर दिखाई दी तो मैं ज़ोर से चिल्लाया, मम्मी काकी के सूसू नही है, सर की तरह बाल है, इतना सुनते ही सब लोग हंस पड़े. पेशाब कर ने के बाद मैं माँ के पास जा कर खड़ा हो गया. दरअसल मेरी माँ या चाची का बदन काफ़ी गोरा था और वो लोग अपनी बुर के बाल हमेशा सॉफ रखती थी, बुर पर झान्टे ना होने की वजह से उनलोगो की गोरी चिकनी बुर और उसमे से लटकता लंबा चमड़ा पूरी तरह नज़र आता था.
और काकी ने अपनी झान्टे नही बनाई थी इसलिए बाल देख कर मैने जल्दी से मम्मी को बता दिया. तभी काकी अपनी साड़ी नीचे करती हुई माँ और चाची के पास आकर बैठ गई और हँसते हुए मेरा लंड पकड़ मुझसे पूछने लगी कि तेरी मम्मी का सूसू भी ऐसा (मेरे लंड की तरह) ही है क्या, मैने कहा नही तो उन्होने पूछा कि फिर कैसा है तो मैने झट से माँ से कहा कि माँ काकी को अपना सूसू दिखा दो.
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02-26-2019, 09:39 PM,
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
तभी काकी मुझे अपने गोद मे बैठा कर हंसते हुए बोली अरे बेटा मैने तेरी माँ और चाची का सूसू खूब देखा है और तेरी नानी का भी सूसू देखा है, और उसकी मालिश भी खूब की है और कह कर हँसने लगी. मैं काकी की गोद मे बैठा हुआ था और सब लोग आपस मे बाते कर रहे थे और चाची तेल की कटोरी और चादर बिछा रही थी मालिश के लिए. और तभी वो बात हो गई जिसने मेरी पूरी जिंदगी बदल कर रख दी. और मैं लंड खड़ा होने के बाद से ही अपने घर की तीनो औरतो को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोदने का मज़ा ले पा रहा हूँ.
दरअसल हुआ यूँ कि काकी मुझे अपनी गोद मे बैठाए हुए मेरे लंड को सहला रही थी और माँ से बाते भी कर रही थी तभी पता नही उन्हे क्या सूझा कि उन्होने मेरे लंड का सुपाडा पकड़ कर चमड़ा पीछे करने लगी, जैसे ही उन्होने चमड़ा पीछे करने की कोशिश की मैं चिल्लाने लगा, सब लोग चौंक कर मुझे देखने लगे और पूछा कि क्या हुआ मैने रोते हुए कहा कि सूसू मे दर्द हो रहा है, काकी ने मुझे उठा कर आराम से चारपाई पर लेटा दिया और माँ और काकी मेरे लंड को देखने लगी, जब जब माँ मेरे चमड़े को पीछे करने की कोशिश करती तो मैं रोने लगता.
तभी काकी ने माँ से कहा “बेटी इसका तो चमड़ा सुपाडे से बिल्कुल चिपका हुआ है, क्या तुम लोगो ने इस पर कभी तेल लगा कर खोलने की कोशिश नही की, तो चाची ने कहा कि “काकी हम लोगो को तो कुछ भी नही पता है”, और माँ और दीदी की ओर इशारा करते हुए बोली कि “हम तीनो की बुर मे भी चमड़ा खोलने या बंद करने का कोई चक्कर नही है”, और फिर तुम भी तो हमे नंगा कर के ही मालिश करती हो, और ऐसी कोई बात तुमने नही बताई.
तो काकी बोली कि “हां तुम दोनो की मालिश मे तो बुर मे चमड़ा खोलने का कोई मतलब नही लेकिन बिटुवा की मालिश मे तो लंड का चमड़ा खोलना ही पड़ेगा, और बेटे के तो पैदा होने के बाद से लोग सुपाडे का चमड़ा खोल कर तेल लगाते है और मालिश करते है. तभी माँ बोली “ काकी अब तो ये बताओ कि ये कैसे ठीक होगा” तो काकी ने कहा कि रोज धीरे धीरे सुपाडे के चमड़े मे तेल डाल कर खोलने की कोशिश करनी पड़ेगी नही तो बाद मे देखेंगे कि क्या करना है, “मतलब” माँ बोली, तो काकी ने कहा कि “बेटी इस समय बिटुवा की उमर 10-11 साल की हो गई है और पैदाइश के बाद से एक भी दिन चमड़ा ना खुलने की वज़ह से चमड़ा सुपाडे से एकदम चिपक गया है अगर मालिश से खुल जाता है तो ठीक है नही तो इसका चमड़ा कटवाना पड़ेगा.
हज़ारो लोग ऐसा करते है, कोई बड़ी बात थोड़े ही है. माँ बोली “काकी बाद मे कोई दिक्कत तो नही ना होगी”, तो काकी ने कहा अरे ऐसा कुछ नही है काहे डरती हो, मैं भी तो तुम लोगो की मालिश करने आती हूँ ना तो इसकी भी मालिश कर दिया करूँगी और सुपाडे पे तेल भी लगा कर खोलने की कोशिश करूँगी और तुम लोगो को बता भी दूँगी फिर तुम दोनो मे से जिसे भी जब मौका मिले बस चमड़ा खोलने की कोसिश करते रहना” माँ बोली ठीक है”, तब काकी ने कहा अच्छा लाओ आज मैं तुम दोनो के साथ साथ इसकी भी मालिश कर देती हूँ.
फिर काकी ने चाची से कहा “बिटिया जा छत पर चादर बिछा दे और तेल ले कर चल” और मुझे गोद मे लेकर काकी छत पर चलने लगी, पीछे पीछे माँ भी आ गई, और चादर बिछाने के बाद सब लोग वही बैठ गये, काकी ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और अपने पैरो को फैला कर अपनी साड़ी को अपनी जाँघो तक खींच कर सिकोड लिया और मुझे अपने पैरो पर इस तरह लिटाया कि मेरे दोनो पैर उनकी कमर के दोनो तरफ हो गये और मेरा लंड उनके एकदम पेट के पास सट गया फिर उन्हो ने हाथ मे तेल ले कर मेरी जाँघो पर मालिश शुरू की. माँ और चाची बड़े ध्यान से मेरी मालिश देख रही थी.
तभी काकी ने मेरा सुपाडा पकड़ते हुए माँ और चाची से कहा कि देखो चमड़े पर इस तरह से तेल गिरा कर थोड़ा थोड़ा खोलो और ज़रूरत पड़े तो अपना मूह सुपाडे के पास लेजा कर ज़ोर से फुन्को और इतना कह कर मेरे सुपाडे के पास मूह रख कर मेरे लंड पर फूकने लगी, जब वो फूँकने लगी तो पहली बार मुझे दर्द के बज़ाय गुदगुदी हुई और अच्छा लगा और मैं हँसने लगा ये देख कर माँ ने थोड़ी राहट की साँस ली और सब हँसने लगे, काकी भी खुश हो कर मुझे माँ और चाची के सामने चिढ़ाने लगी और कहा “देखा काकी की सूसू देखने का नतीज़ा, अब तो काकी का सूसू नही देखेगा मेरा बिटुवा.” मैं बोला “देखूँगा” ये सुन कर कर सब हंस पड़े.
तब काकी ने माँ से कहा कि “अच्छा बेटी अब आओ तुम्हे तेल लगा दूं” तो माँ बोली कि “ काकी तुम छोटी को (यानी कि चाची को) तेल लगा दो मैं तब तक इसके लंड की मालिश करती हूँ और चमड़ा खोलने की कोशिश करती हूँ ताकि ग़लती होने पर तुम मुझे अभी बता दो, काकी ने कहा ठीक है और मुझ से बोली कि “जा बेटा माँ से मालिश करवा और चाची से कपड़े उतार कर लेटने को कहा” तो चाची जो सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लॉज मे ही थी अपना पेटिकोट उठा कर लेट गई तो काकी ने कहा “क्या हुआ आज अपना पेटिकोट नही उतारेगी” तो चाची ने हंसते हुए कहा कि “हां काकी इन सब बातो के चक्कर मे मैं तो भूल ही गयी थी चलो अच्छा है कि आज दीदी तेल नही लगवाएँगी और मेरी देर तक मालिश होगी”.
ये सुन कर माँ हँसने लगी और अपना पेटिकोट उपर सिकोड़ने लगी ताकि मुझे पैर पर लिटा कर मालिश कर सके, जब माँ ने मेरे पैरो को अपनी कमर के दोनो तरफ फैला कर मुझे लिटाया तो मेरा लंड उनके पेट से टकराने लगा चूँकि माँ ने सिर्फ़ पेटिकोट ही पहना हुआ था तो उनके नाडे वाली जगह जो नीचे तक एकदम खुली हुई थी माँ की बुर दिखाई पड़ रही थी तो चाची ने कहा कि “क्या दीदी तुमने तो सिर्फ़ नाम का ही पेटिकोट पहन रखा है
तुम्हारी सारी चीज़ तो वैसे ही दिख पर रही है और पेटिकोट भी तेल तेल से खराब हो रहा है” “और वैसे भी तुम नंगी हो कर ही तेल लगवाती हो तो उतार ही दो और आराम से बिटुवा को तेल लगाओ, अब तो काकी भी अपनी बालों वाली बुर दिखाने मे शरमाती नही है”, और सब हँसने लगे तो काकी ने कहा कि बेटा मेरी बुर मे क्या रखा है और कौन सा लंड इसमे जाने को बेकरार है कि मैं बालों को हटाऊ, तो चाची ने कहा कि “अरे काकी मैं तो तुम्हारे कपड़े पर तेल लगने की वज़ह से कह रही हूँ वैसे भी तुम्हारी झान्टो वाली बुर तो दिखाई ही पड़ रही है.”
तब तक माँ जो अपना पेटिकोट उतार चुकी थी हंसते हुए चाची से बोली “क्या छोटी आज तो तू काकी के पीछे ही पड़ गई” और सब लोग आपस मे मज़ाक करने लगी, पेटिकोट उतारने के बाद मेरा लंड पूरी तरह माँ के शरीर से सट गया था, और माँ बड़े ध्यान से मेरे सुपाडे के चमड़े को तेल से भर कर अपने मूह से फूकने की कोशिश करने लगी, चूँकि माँ पहली बार ये कर रही थी कभी कभी उसका मूह मेरे सुपाडे से टकरा जाता था और उसके मूह पर तेल लग जाता था ये देख काकी ने मज़ाक किया “ क्या बेटी मैने तो सिर्फ़ फूँकने के लिए कहा था तू तो उसे चाटने ही लग गई” और सब हँसने लगे.
माँ भी मज़ाक करते हुए बोली “अरे काकी सुपाडा चूसने का भी अपना ही मज़ा होता है” और फिर बेटे के सुपाडे के तो क्या कहने एकदम मुलायम बस चूस्ते ही रहो” तभी चाची बोली “तो ठीक है दीदी कल से मैं ही बिटुवा को तेल लगाया करूँगी” और सब हँसने लगे, तो माँ चाची को चिढ़ाते हुए बोली “ तू तो सिर्फ़ अपने उस पाँच उंगल के चमड़े पे ध्यान दे जो तेरी बुर से बाहर लटकता रहता है और काकी से तेल लगवाया कर, मेरे बेटे का चमड़ा मैं देख लूँगी”.
चाची ने भी पलट कर जवाब देते हुए कहा कि “ तुम्हारी बुर कौन सी काली है पूरे एक बित्ते की बुर और उसमे से पूरे हथेली जितना लटकता हुआ चमड़ा, दिन भर बुर खुजलाती रहती हो और कहती हो कि तेरे जीजाजी का लंड तो मेरी पुट्टियों मे ही फँस जाता है, वो तो मैने जीजाजी के लंड की प्यास बुझाई नही तो जाने क्या होता”, और ज़ोर से सब के सब हंस पड़े. मेरी समझ मे कुछ भी नही आया सिवा लटकते हुए चमड़े के तो मैने माँ से पूछा कि “माँ क्या तुम्हारा चमड़ा भी नही खुलता है”, तो चाची खूब ज़ोर से हंसते हुए बोली “अरे बेटा तेरी माँ का चमड़ा तो इतना खुलता है कि तू अभी भी आधा अंदर चला जाए”,
तो मैं माँ से ज़िद करने लगा कि वो मुझे अपनी बुर का चमड़ा दिखाए, तो काकी हंसते हुए बोली कि “ये लो आ दिखाओ तुम दोनो बैठ कर अपनी अपनी बुर और लटकती हुई पुट्टिया उसे नही तो कल से ये मेरी बुर के पीछे पड़ जाएगा कि काकी तुम्हारे तो बुर है ही नही फिर मुतती कैसे हो” ये सुन कर सब ज़ोर से हंस पड़े, तो माँ ने चाची से कहा कि “छोटी तू ने ही ये सब शुरू किया है चल तू ही सब से पहले अपनी बुर और पुट्टियों की लंबाई दिखा” “बस मेरा बेटा रोना नही चाहिए नही तो मैं तुझे इसके लंड को छूने नही दूँगी”.
तो चाची ने हंसते हुए अपने पैरो को फैला दिया और काकी से कहा कि “काकी ज़रा मेरी पुट्टियों को बाहर की तरफ खींच कर निकालना ताकि बिटुवा भी देख ले कि उसकी चाची का चमड़ा भी कुछ कम नही है” तो माँ ने मुझसे कहा कि “देख बेटा अपनी मौसी की बुर को फिर मैं तुझे तेरा जन्म स्थान दिखाउन्गी और तू बताना कि किसकी बुर ज़यादा अच्छी है ताकि इसकी ग़लतफहमी दूर हो जाए, फिर ये चाट ती रहे अपने बेटी की बुर, मैं तेरे लंड को छूने भी नही दूँगी”
और माँ ने भी अपने पैरो को फैला कर खोल दिया और उनकी पूरे एक बित्ते की बुर और उसमे से लटकती हुई लंबी सी पुट्टियों को फैला कर पता नही कैसे पीछे खींचा कि उनकी बुर के उपर वाले हिस्से मे से एक छोटा सा लाल सुपाडा बाहर निकल आया, ये देख कर मैं हँसने लगा” तभी काकी हंसते हुए बोली तुम दोनो का नोक झोंक देख कर मुझे मेरी जवानी याद आ गई .
तो चाची ने काकी से कहा कि “क्या काकी तुम कौन सा बूढ़ी हो गयी हो अरे थोड़ा सा उमर मे ही तो बड़ी हो हम दोनो से ज़्यादा से ज़्यादा 3-4 साल बस, तो भी 42-43 की ही हुई ना, अब तुम्ही अपनी बुर को झान्टो से ढँके रखती हो कोई क्या करे.” तभी अचानक मैं बोल पड़ा कि मुझे काकी का सूसू देखना है. तो चाची ने ज़ोर से हंसते हुए कहा कि “देखो इसको दो दो खुली हुई पूरी जवान बुर इसके सामने दिखाई दे रही है और ये है कि काकी की ही बुर के पीछे पड़ा हुआ है अब तो काकी इसे दिखा ही दो अपनी बुर के जलवे और वैसे भी सच तो ये है कि हम दोनो की बुर तो तुमने खूब देखी है पर हम दोनो ने ही तुम्हारी बुर कभी खुली हुई नही देखी.”
तो काकी बोली कि “अरे बेटा मेरी बुर देख कर तुम दोनो क्या करोगी, तुम्हारी बुर की मस्ती को तो मैं हाथ से झाड़ देती हूँ” तो माँ बोली “ अरे काकी तभी तो हम दोनो बिना कुछ कहे और सोचे तुम्हारे सामने नंगे हो जाते है और मज़ाक कर लेते है लेकिन ये बात तो छोटी सच ही कह रही है हम दोनो मे से किसी ने भी तुम्हारी बुर नही देखी है, चलो अब दिखा भी दो” तो काकी शरमाते हुए बोली अरे अभी तो मेरे बाल काफ़ी बड़े हैं कल जब आउन्गि तो तुम दोनो की ये तम्माना भी पूरी कर दूँगी, और टॉपिक बदलते हुए कहा कि अभी तुम दोनो इसका चमड़ा खोलने पर ध्यान दो बस ज़यादा ज़ोर से खोलने की कोशिश मत करना नही सुपाडा फॅट जाएगा, ऐसा तुम दोनो को रोज करना पड़ेगा,” कह कर काकी खड़ी हो ने की कोशिश करने लगी.
चूँकि उनकी साड़ी पहले से ही उठी हुई थी जिसकी वज़ह से उनके चूतड़ और बुर दिखाई देने लगी, उसके बाद हम लोग भी उठे और नंगे ही नीचे चलने लगे मैं माँ का हाथ पकड़ कर चल रहा था,
नीचे पहुचने के बाद काकी जाने लगी तो माँ ने कहा कि काकी चाइ पिलो फिर चली जाना और माँ किचन मे जाने लगी, मैं भी पीछे पीछे जाने लगा तो चाची ने मुझसे कहा कि “कहाँ अपनी माँ की बुर मे घुसा चला जा रहा है आजा बेटा इधर आके बैठ मेरे पास और मुझे पास बुलाकर अपने नंगे बदन पर गोद मे बैठा लिया, चाची काकी के सामने ही चटाई पर पालती मार कर बैठी हुई थी और बाते कर रही थी, मुझे गोद मे बैठाने के बाद चाची मेरे लंड को हाथ मे पकड़ कर सहलाने लगी तो काकी ने कहा कि इसका सुपाडा बहुत ध्यान से खोला करो.
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